Family Dispute : पहचान मिटाने की खौफनाक साज़िश – पेट्रोल से जलाया पति का चेहरा

Family Dispute : लाभनी साहू ने हाथ जोड़ कर बाल कल्याण समिति न्यायालय में कहा, ‘‘सर, मेरे बच्चे को मुझे सौंप दिया जाए,  मैं उस का लालनपालन करूंगी. मैं मां हूं, मुझे मेरा बच्चा सौंप दिया जाए. इस के बिना मैं जी नहीं पाऊंगी.’’

यह कहते हुए लाभनी की आंखों में आंसू आ गए थे. लाभनी साहू और उस के पति गोविंद साहू का पारिवारिक प्रकरण बाल कल्याण समिति, राजनांदगांव में चल रहा था, जहां अन्य सदस्यों के साथ चंद्रभूषण ठाकुर न्यायकर्ता सदस्य के रूप में बैठा हुआ था. उन्हें यह फैसला करना था कि आखिर 5 साल के राजू को मां को सौंपा जाए या पिता गोविंद साहू को. हर दृष्टि से लाभनी साहू का दावा मजबूत था, क्योंकि कानून और प्राकृतिक न्याय की दृष्टि से वह मां होने के कारण अपने बेटे राजू को अपने पास रख कर परवरिश कर सकती थी.

मगर उस के पति गोविंद साहू ने बच्चे को अपने पास जबरदस्ती रख कर के उसे सौंपने से इंकार कर दिया था. वह बाल कल्याण समिति पर प्रभाव डालने का प्रयास कर रहा था कि जिस तरह पुलिस थाने में उस का पक्ष मजबूत रहा है, यहां भी वह अपने बेटे का संरक्षण प्राप्त कर ले. लाभनी साहू की भोली सूरत और आंखों में आंसुओं को देख कर चंद्रभूषण ठाकुर ने अन्य सदस्यों से चर्चा कर कहा, ‘‘देखो मिस्टर साहू, कानून को अपने घर की जागीर मत समझो. मां तो मां होती है और आज हम सभी सदस्य यह फैसला करते हैं कि राजू जब तक नाबालिग है, वह अपनी मां के पास ही रहेगा. और तुम्हें राजू की परवरिश का खर्च भी उठाना होगा.’’

यह सुनना था कि लाभनी साहू की आंखों से और मोटेमोटे आंसू टपकने लगे और दौड़ कर के वह बेटे राजू को अपने गले से लगा कर बिलखने लगी. गोविंद साहू को आखिरकार बाल कल्याण समिति में मुंह की खानी पड़ी और बाल कल्याण समिति के फैसले के बाद लाभनी को उस का बेटा राजू सौंप दिया गया. जब मामला समाप्त हो गया तो बाहर शहर के गुप्ता होटल में चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी व उस के बेटे राजू की मुलाकात हुई. चंद्रभूषण ने लाभनी से कहा, ‘‘देखो, तुम्हें राजू तो मिल गया है मगर अब तुम्हारे सामने लंबी जिंदगी पड़ी है,राजू का अच्छे से लालन-पालन और शिक्षा की व्यवस्था करनी है.’’

‘‘सर, मैं तो गरीब हूं. मगर जैसे भी हो, इसे पालूंगी और बड़ा आदमी बनाऊंगी.’’ लाभनी बोली.

चंद्रभूषण ठाकुर ने कहा, ‘‘तुम्हारे जज्बे को सलाम है. मैं बाल कल्याण समिति में साल भर से हूं. कितने ही मामले आते हैं मगर आज तुम्हारे जैसा मामला मैं ने पहले कभी नहीं देखा था. तुम सच्ची मां हो और सुनो कभी मेरे लायक कोई भी मदद हो तो मुझे निस्संकोच याद करना.’’

चंद्रभूषण ठाकुर ने लाभनी को अपना मोबाइल नंबर दे कर उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया. इसी दिन चंद्रभूषण ठाकुर की नीयत लाभनी  पर आ गई थी. उस के रूप और यौवन पर चंद्रभूषण लट्टू हो गया. इस के बाद धीरेधीरे दोनों की मुलाकात होने लगी और बहुत जल्द चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी साहू एकदूसरे से प्रेम करने लगे और दोनों के संबंध प्रगाढ़ हो गए. छत्तीसगढ़ का जिला राजनांदगांव प्रदेश की संस्कारधानी के रूप में देश भर में जाना जाता है. यह अपने साहित्य और संस्कृति की धरोहर के कारण प्रसिद्ध है. रियासत काल में राजनांदगांव एक राज्य के रूप में विकसित था. यहां पर कभी सोमवंशी, कलचुरी और मराठों का शासन रहा.

पहले यह नंदग्राम के नाम से जाना जाता था. यहां रियासतकालीन महल, हवेलियां राजमंदिर इत्यादि अभी भी आकर्षण का केंद्र हैं. राजनांदगांव छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य भाग में स्थित है. जिला मुख्यालय दक्षिण पूर्व रेलवे मार्ग पर स्थित है. राजधानी रायपुर से यहां की दूरी करीब 80 किलोमीटर है. राजनांदगांव के कोतवाली थानाक्षेत्र के चंद्रभूषण ठाकुर कांग्रेस की राजनीति में एक जानापहचाना नाम बन चुका था. प्रदेश में भूपेश बघेल सरकार द्वारा बाल कल्याण समिति में चंद्रभूषण ठाकुर की सदस्य के रूप में नियुक्ति की गई तो उस का रुतबा शहर में और भी बढ़ गया था.

चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी की अब रोजाना ही मुलाकात होती थी. एक दिन चंद्रभूषण ने मौका देख कर के घर में लाभनी का हाथ पकड़ लिया. जब वह हाथ छुड़ाने लगी तो उस ने उसे आगोश में ले कर अपने प्रेम का इजहार किया. लाभनी भी उस का विरोध नहीं कर सकी. उसी दिन चंद्रभूषण ने प्रसन्न हो कर कहा, ‘‘मैं तुम्हें एक दुकान खुलवा देता हूं ताकि तुम अपने खर्चे खुद उठा सको और बच्चे का लालनपालन भी कर सको.’’

‘‘मैं भला कैसे दुकान चला पाऊंगी.’’ लाभनी बोली.

चंद्रभूषण ठाकुर ने उस का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हें डेढ़दो लाख रुपए की व्यवस्था करवा दूंगा. उस पैसे से तुम आराम से 4 पैसे कमा लोगी और जब कभी कमाई हो जाए तो मेरे पैसे लौटा देना.’’ यह कह कर के चंद्रभूषण ने उस का चेहरा अपने हाथों में ले लिया.

लाभनी ने हंस कर कहा, ‘‘ऐसा होगा तो अच्छा है, मैं भी किसी की मोहताज नहीं रहना चाहती.’’

इस के बाद चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी के संबंध और भी गहरे हो गए. चंद्रभूषण जब भी समय मिलता, लाभनी के घर जाता और दोनों प्रेम में डूब जाते. लाभनी ने एकदो दफा जब उसे दुकान की याद दिलाई तो चंद्रभूषण ने कहा, ‘‘मैं ने दुकान तय कर ली है बस कुछ ही दिनों में पैसे आ जाएंगे तो मैं तुम्हें दुकान खुलवा दूंगा.’’

और एक दिन चंद्रभूषण ने जो कहा था, वह कर के भी दिखा दिया. फास्टफूड की एक दुकान किराए पर  लाभनी को दिलवा दी. चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी कुछ समय तक तो हंसीखुशी दिन बिताते रहे. एक दिन चंद्रभूषण को यह जानकारी मिली कि लाभनी के यहां नूतन साहू (25 वर्ष) नामक नवयुवक आजकल कुछ ज्यादा ही आजा रहा है. इसे जानने के लिए चंद्रभूषण ने निगाह रखनी शुरू कर दी और एक दिन दोनों को रंगेहाथ पकड़ भी लिया और लाभनी को फटकार लगाई तो लाभनी ने पलट कर जवाब दिया, ‘‘तुम कौन होते हो मुझे रोकने वाले? मुझे तो मेरा बाप भी कुछ नहीं बोल पाता है.’’

यह सुन कर के चंद्रभूषण मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ा. चंद्रभूषण ने जिस तरह लाभनी की 2 लाख रुपए से अधिक की मदद की थी, उस से वह समझता था कि लाभनी अब उस की संपत्ति है और उस पर उस का अधिकार है. लेकिन उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि लाभनी इस तरह उस का विरोध कर सकती है. चंद्रभूषण को बहुत गुस्सा आया. उस ने कहा, ‘‘मैं ने तुम्हें क्या समझा था और तुम क्या निकली. आज जब मैं ने तुम्हारी सच्चाई अपनी आंखों से देख ली है तो अब तुम्हारे और हमारे संबंध खत्म. और सुनो, मेरा पैसा एक सप्ताह के अंदर मुझे लौटा दो.’’

‘‘पैसा, कैसा पैसा, किस का पैसा?’’ लाभनी चीखने लगी.

‘‘देखो, तुम मुझे नहीं जानती हो, मैं कौन हूं. पूरे 2 लाख रुपए मैं ने तुम्हें दुकान खुलवाने के लिए दिया है. एकएक पैसा तुम्हें लौटाना होगा…’’

इस पर लाभनी नरम हो गई और धीरे से कहा, ‘‘तुम ने मेरी मदद तो क्या सिर्फ मेरे शरीर के लिए की है, मैं तुम्हें धीरेधीरे रुपए लौटा दूंगी.’’

‘‘नहीं, एक सप्ताह के भीतर मुझे मेरा पूरा पैसा चाहिए, यह मेरी  चेतावनी है.’’ कह कर चंद्रभूषण फुंफकारने लगा.

तभी नूतन साहू सामने आ गया और बोला, ‘‘तुम यहां से चले जाओ, नहीं तो ठीक नहीं होगा.’’

जैसेतैसे लाभनी ने दोनों को अलग किया और हाथ जोड़ कर बोली, ‘‘ठीक है, तुम्हारे पैसे हम लौटा देंगे.’’

चंद्रभूषण ठाकुर अपने से आधी उम्र (27 साल) की लाभनी को बहुत चाहता था. उस के रूपलावण्य पर एक तरह से फिदा था. उस के हाथ से लाभनी के निकलने से बड़ा दुख हो रहा था. यही कारण है कि उस ने सीधे अपने रुपए मांग लिए थे और सोच रहा था कि पैसे मांगने पर वह आत्मसमर्पण कर देगी. मगर जब पलट कर लाभनी ने रुपए लौटाने की बात कही तो वह मन ही मन टूट गया. एक हफ्ता गुजर गया, चंद्रभूषण ठाकुर ने अपने रुपए के लिए तकादा नहीं किया. करीब 15 दिन बाद यह सोच कर कि लाभनी शायद उस के दबाव में आ जाएगी, उस के पास पहुंचा और बड़े ही हंसमुख तरीके से उस से बात करने लगा. लाभनी ने भी उस के सवालों का जवाब दिया.

चंद्रभूषण ठाकुर को बातचीत से समझ आ गया कि उस का काम अब बिगड़ चुका है. अत: उस ने खुल कर कहा, ‘‘मेरे रुपए का क्या हुआ?’’

लाभनी ने तल्ख लहजे में जवाब दिया, ‘‘मै जल्दी लौटा दूंगी.’’

चंद्रभूषण ने बहुत कोशिश की कि लाभनी उस के दबाव में आ कर नूतन साहू को भूल जाए. मगर ऐसा नहीं हो पा रहा था. उस ने रुपए के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. इधर जब लाभनी और नूतन साहू की मुलाकात हुई और पैसे की बात सामने आई तो नूतन ने कहा, ‘‘क्यों न एक दिन हम इस का काम ही तमाम कर दें.’’

लाभनी को नूतन की बात अच्छी लगी क्योंकि इस के अलावा और कोई दूसरा चारा उसे दिखाई नहीं दे रहा था. दोनों ने मिल कर एक योजना बनाई और उस को अंजाम देने के लिए आगे बढ़े.

राजनांदगांव कोतवाली में कोतवाल नरेश पटेल जब शाम के समय पहुंचे तो देखा सामने 2-3 लोग उन से मिलने के लिए खड़े हैं. एक महिला ने आगे आ कर उन से कहा, ‘‘सर, मेरे पति चंद्रभूषण ठाकुर कल से घर नहीं आए हैं.’’ महिला ने अपना नाम हेमलता ठाकुर बताया. हेमलता ने जब बताया कि पति चंद्रभूषण ठाकुर बाल कल्याण समिति के छत्तीसगढ़ शासन सदस्य हैं तो उन्होंने महिला को अपने कक्ष में बैठा कर के पूरी जानकारी ली और गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली. हेमलता ठाकुर ने उन्हें बताया कि लाभनी साहू का फोन आया था वह बता रही थी कि उन की स्कूटी उस के घर के बाहर ही खड़ी है. बातोंबातों में टीआई नरेश पटेल को हेमलता ने यह भी बताया कि कुछ समय से उस के पति का लाभनी के यहां कुछ ज्यादा ही आनाजाना था.

पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू की, मगर कोई भी सूत्र नहीं मिल पा रहा था जिस से कि पुलिस आगे बढ़ सके. इस बीच 16 दिसंबर, 2022, दिन शुक्रवार को राजनांदगांव जिले से 60 किलोमीटर की दूरी पर डोंगरगढ़ स्थित बोरा तालाब के पास कोटना पानी जंगल में लोगों ने एक लाश देखी और स्थानीय चौकीदार दूधराम भैंसारे बोरा तालाब थाने में इंसपेक्टर ओमप्रकाश धु्रव को यह सूचना दे दी. पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो पाया कि लाश पूरी तरह नग्न थी और जली हुई थी. पुलिस ने मौके की काररवाई कर शव को डोंगरगढ़ की मोर्चरी भेज दिया और अज्ञात शव मिलने की जानकारी स्थानीय अखबारों और वाट्सऐप ग्रुप में शेयर कर दी गई.

जब इस लाश को हेमलता और चंद्रभूषण ठाकुर के अन्य परिजनों दिखाया गया तो लाश देखते ही हेमलता बिलखने लगी. हेमलता ने उस की शिनाख्त अपने पति चंद्रभूषण ठाकुर के रूप में कर दी. पुलिस के सामने अब यह स्थिति स्पष्ट थी कि किसी ने चंद्रभूषण को मार कर उस के शव को जलाने की कोशिश की है. इस के बाद पुलिस ने इस मामले की जांचपड़ताल तेज कर दी. चंद्रभूषण ठाकुर के घर वालों से बातचीत करने के बाद पुलिस का शक लाभनी साहू पर ही हुआ. पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. पहले तो लाभनी ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने उस के सामने अनेक तथ्य रखे और एक ड्रम को ले जाते हुए सीसीटीवी फुटेज दिखा कर उस से पूछताछ की, तब अंतत: वह टूट गई.

उस ने बताया कि अपने प्रेमी नूतन साहू के साथ मिल कर उस की हत्या की थी. 14 दिसंबर, 2022 को हत्या की मंशा से उस ने चंद्रभूषण ठाकुर को फोन किया. जब चंद्रभूषण ने काल रिसीव की तो उस ने कहा, ‘‘हैलो, मैं तुम से मिलना चाहती हूं.’’

लाभनी की आवाज सुन कर चंद्रभूषण ठाकुर ने कहा, ‘‘क्या बात है, आज कुछ ज्यादा ही मीठी हो गई हो. क्या तुम ने मेरा औफर स्वीकार कर लिया है?’’

‘‘हां, मैं आप की बात समझ गई हूं. मैं ही गलत थी.’’

‘‘लाभनी, तुम कैसे उस के चक्कर में आ गई? क्या है उस के पास? मैं ने तुम्हारे लिए दुकान खुलवा दी, पैसे दिए आगे भी दूंगा, यह सब तुम भूल गई और मेरे साथ दगा किया. मुझे कितना दुख हुआ है. मैं तुम्हें कितना चाहता हूं, प्रेम करता हूं तुम शायद नहीं समझती. मैं सच कह रहा हूं कि उस वक्त मुझे बहुत दुख हुआ था.’’

‘‘चलो ठीक है, आज शाम को आओ घर पर, सारे गिलेशिकवे दूर कर दूंगी. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’ लाभनी बोली.

शाम को सजसंवर कर चंद्रभूषण ठाकुर यह सोच कर के लाभनी के घर पहुंचा कि वहां उस का स्वागत लाभनी अपनी बाहों में ले कर करेगी. लाभनी ने चंद्रभूषण को बड़े प्रेम से बैठाया और दोनों में बातें होने लगीं. धीरेधीरे चंद्रभूषण को यह महसूस होने लगा कि लाभनी में कोई सुधार नहीं आया है. तभी अचानक वहां पीछे से नूतन साहू ने आ कर के कपड़े का एक फंदा चंद्रभूषण ठाकुर के गले में डाल दिया और दोनों ने मिल कर चंद्रभूषण की गला घोट कर हत्या कर दी. फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए एक ड्रम में उसे डाल दिया. स्कूटी पर उस ड्रम को रख कर के डोंगरगढ़ की ओर निकल गए और कोटना पानी जंगल के पास गढ़ माता डोंगरी पहाड़ी जंगल में लाश के सारे कपड़े उतार दिए, ताकि कोई उसे पहचान ना सके.

लेकिन जब उन्हें लगा कि कोई न कोई लाश को पहचान लेगा तो नूतन ने स्कूटी से पैट्रोल निकाल कर के उस के चेहरे को भी जला दिया और यह सोच कर कि कि अब उन्हें कोई छू भी नहीं सकेगा, दोनों खुशीखुशी घर आ गए. इस केस के जांच अधिकारी ओमप्रकाश धु्रव ने बताया कि केस के खुलासे में महत्त्वपूर्ण भूमिका सीसीटीवी फुटेज की थी, जो पुलिस को बड़ी मशक्कत के बाद मिली. जिस में लाभनी साहू और नूतन साहू स्कूटी पर एक ड्रम को ले कर जा रहे थे. उसी ड्रम में चंद्रभूषण की लाश थी.

पुलिस ने आरोपी नूतन साहू और लाभनी को घटनास्थल पर ले जा कर मामले की जांच की और उन की निशानदेही पर मृतक चंद्रभूषण ठाकुर का मोबाइल भनपुरी नदी से और कपड़े भी बरामद किए. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 302, 201, 34 के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक दंडाधिकारी, डोंगरगढ़ के समक्ष पेश  किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. Family Dispute

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित हैa

UP Crime News : ज्योति के प्यार में छिपा मौत का खेल

UP Crime News : उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के गांव दिखतौली के पास प्रतापपुर रोड के किनारे खेतों में ग्रामीण अपने पशुओं को चरा रहे थे. दोपहर एक बजे का समय था. तभी एक ग्रामीण की नजर सड़क किनारे खंदी में पेड़ के नीचे पड़ी बोरी पर गई. पास जा कर देखा तो बोरी से खून रिस रहा था. उस ने आवाज दे कर अन्य साथियों को वहां बुला लिया. ग्रामीणों को यह समझते देर नहीं लगी कि बोरे में लाश है. इसी बीच किसी ने थाना शिकोहाबाद में फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी.

सूचना पा कर कुछ ही देर में एसएचओ प्रदीप कुमार कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया. शव को 2 बोरियों में भर कर यहां डाला गया था. एक बोरी सिर की ओर तथा दूसरी पैरों की ओर से पहनाई गई थी, जबकि शरीर का बीच का हिस्सा एक बैडशीट में लपेटा गया था. पुलिस ने दोनों बोरियों को हटा कर लाश को बाहर निकाला. वह लाश 32-33 साल के किसी हट्टेकट्टे युवक की थी. मृतक काले रंग की शर्ट व सफेद पैंट पहने हुए था. पहनावे से युवक किसी अच्छे परिवार का लग रहा था. उस के सिर पर गहरी चोट थी, जिस से खून रिस रहा था. ऐसा लग रहा था कि युवक की हत्या कुछ घंटे पहले ही की गई थी.

इस के अलावा भी शरीर पर चोटों के निशान दिखाई दे रहे थे. शव की बाईं कलाई में घड़ी बंधी थी, वहीं कलाई पर अंगरेजी में बबलू सिंह गुदा हुआ था. जबकि दाएं हाथ पर ‘ॐ’ गुदा था. साथ ही मौली व काला धागा बंधा हुआ था. मृतक के गले में काले मोतियों की माला थी. सूचना मिलते ही सीओ देवेंद्र सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए. बोरी में लाश मिलने की खबर सुन कर वहां हड़कंप मच गया. बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए. पुलिस ने उन से लाश की शिनाख्त कराने का प्रयास किया, लेकिन वहां मौजूद कोई भी व्यक्ति लाश को पहचान नहीं सका.

इस से पुलिस ने यही अनुमान लगाया कि युवक शायद कहीं बाहर का रहने वाला है और उस की हत्या कहीं और कर लाश किसी वाहन से रात के समय यहां ला कर फेंक दी गई है. अब सवाल यह था कि कत्ल का क्या मकसद हो सकता है? पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को मोर्चरी भेज दिया. यह घटना 14 नवंबर, 2022 की है.

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इस के बाद पुलिस ने यह पता करना शुरू कर दिया कि आसपास के थानों में इस उम्र का कोई युवक गायब तो नहीं है. लेकिन हाल के दिनों में इस तरह का कोई युवक लापता नहीं हुआ था. न ही जिले के किसी थाने में ऐसी कोई गुमशुदगी ही दर्ज थी.

हत्या के इस मामले की जांच का जिम्मा खुद एसएचओ प्रदीप कुमार ने अपने हाथ में लिया. युवक की हत्या की जानकारी मिलने पर एसएसपी आशीष तिवारी व एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा लिया. सीओ देवेंद्र सिंह के निर्देशन में मृतक के फोटो को सोशल मीडिया पर शिनाख्त के लिए शेयर किया गया. मृतक की फोटो को दूसरे जिले के थानों में भी भेजा गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत का कारण सिर पर गंभीर चोटें आना व घावों से अत्यधिक खून बहना बताया गया. 72 घंटे बाद भी शव की शिनाख्त न होने पर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने युवक की शिनाख्त व हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की एक टीम तैयार की. इसी बीच 19 नवंबर को थाना शिकोहाबाद में कुछ लोग पहुंचे और बताया कि सोशल मीडिया से उन्हें जानकारी मिली है कि 14 नवंबर को एक युवक का बोरी में बंद शव मिला है, जिस की कलाई पर बबलू सिंह गुदा हुआ था.

पुलिस ने वहां आए हुए लोगों को बरामद अज्ञात लाश के कपड़े, घड़ी आदि सामान दिखाया तो अभय सिंह नाम के युवक ने बताया कि यह सब तो उस के भाई बबलू के हैं. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद एसएचओ ने अभय सिंह निवासी मरैहिया, थाना लोरिया, जिला पश्चिमी चंपारण (बिहार) की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसएसपी आशीष तिवारी ने एसएचओ प्रदीप कुमार को शीघ्र ही घटना के खुलासे का निर्देश दिया. इस के बाद पुलिस ने मृतक के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पता चला कि बबलू का मोबाइल 13 नवंबर को शिकोहाबाद के मैनपुरी चौराहा स्थित मोहल्ला ओमनगर में आ कर बंद हुआ था.

मृतक के घर वालों से पूछताछ में पता चला कि बबलू वेल्डिंग का काम करता था. काम के सिलसिले में कभी शिकोहाबाद तो कभी इटावा भी आताजाता रहता था. यहां रहने वाली एक युवती से भी फोन पर बात करता था. काल डिटेल्स से यह भी पता चला कि बबलू की उस युवती से अकसर काफी देर तक बातें होती थीं. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि घटना  के पीछे इस युवती का ही हाथ हो सकता है. इसी आधार पर 19 नवंबर, 2022 को ही पुलिस टीम ने ओमनगर निवासी ज्योति नाम की उस युवती के यहां दबिश दी.

पुलिस टीम में एसएचओ प्रदीप कुमार, एसआई पुष्पेंद्र कुमार, अंकित मलिक, विक्रांत तोमर आदि शामिल थे. घर पर पता चला कि उस की शादी शिकोहाबाद के ही मोहल्ला कटरा मीरा निवासी बौबी के साथ 6 महीने पहले हुई थी. वह इस समय अपनी ससुराल में है. तब पुलिस ने ज्योति के भाई शेखर उर्फ बृजेश को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उस से बबलू और ज्योति के संबंधों के बारे में पूछताछ की तो वह अनभिज्ञता जाहिर करता रहा. तब पुलिस ने 25 वर्षीय ज्योति को उस की ससुराल से हिरासत में ले लिया.

पूछताछ करने पर ज्योति ने शुरू में नानुकुर की, लेकिन जब पुलिस ने काल डिटेल दिखाई तो वह टूट गई और बबलू की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. इस हत्याकांड में ज्योति, पति बौबी व देवर राजकुमार के शामिल होने की बात भी बताई. इस पर पुलिस ने आननफानन में मोहल्ला कटरा मीरा में दबिश दे कर ज्योति, बौबी व राजकुमार को भी गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त लोहे की सरिया, पाइप, लाश को फेंकने के लिए प्रयोग में लाया गया टाटा मैजिक लोडर वाहन, बबलू का आधार कार्ड, मोबाइल फोन आदि बरामद किया.

एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस में बबलू की हत्या का परदाफाश करते हुए बताया कि मृतक बबलू का अपनी प्रेमिका ज्योति से पिछले 2 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था. बबलू शादी करने पर अड़ गया था. जबकि ज्योति की शादी 6 माह पहले ही हो चुकी थी. ज्योति ने अपने परिजनों के साथ षडयंत्र रच कर अपने प्यार की हत्या कर दी. बबलू की हत्या के पीछे जो कहानी निकली, वह चौंकाने वाली थी. फिरोजाबाद जिले के कस्बा शिकोहाबाद के मोहल्ला ओमनगर निवासी 25 वर्षीय ज्योति का कासगंज में मोहन (परिवर्तित नाम) नाम का रिश्तेदार रहता है. यह रिश्तेदार भिवाड़ी (राजस्थान) में पश्चिमी चंपारण निवासी बबलू के साथ काम करता था. हमउम्र मोहन ने बबलू को ज्योति का नंबर दे दिया. ज्योति का नंबर मिलने के बाद एक दिन बबलू ने उस नंबर को मिलाया.

दूसरी ओर से किसी युवती की आवाज आई. बबलू ने पूछा, ‘‘क्या आप ज्योति बोल रही हैं?’’

एक अनजान नंबर से आए फोन पर अपना नाम सुन कर ज्योति ने पूछा, ‘‘आप कौन बोल रहे हैं? आप को मेरा नंबर किस ने दिया?’’

इस पर बबलू ने कहा, ‘‘आप के रिश्तेदार मोहन ने ये नंबर दिया है. मोहन मेरे साथ ही काम करता है.’’

इस के बाद ज्योति और बबलू की बातें  होने लगीं. बातचीत के दौरान ज्योति ने बबलू को बताया कि वह फेसबुक पर भी है. मोबाइल पर होने वाली लंबी बातचीत धीरेधीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. ज्योति फोन कर के बबलू को शिकोहाबाद बुला लेती. फिर दोनों की मुलाकातें भी होने लगीं. ये मुलाकातें नगर के एक गेस्टहाउस में होतीं. प्रेम प्रसंग के बीच अवैध संबंध भी बन गए. बबलू ने ज्योति की कुछ अश्लील वीडियो भी बना ली थीं. बबलू तो ज्योति की सुंदरता पर रीझ गया था. ऊपर से ज्योति की प्यार भरी मीठीमीठी बातें उसे बहुत अच्छी लगती थीं. ज्योति ने अपने रूप जाल में बबलू को इस तरह उलझाया कि वह पूरी तरह उस का दीवाना हो गया था. बबलू उस की हर फरमाइश पूरी करता.

बबलू हर हाल में ज्योति को पाना चाहता था. वह उस से जब भी शादी करने को कहता, ज्योति कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. क्योंकि उसे तो बबलू के रूप में एटीएम मिल गया था. ज्योति बबलू से रुपए भी ऐंठती रहती थी. उस ने अपने प्यार के जाल में बबलू को जिस तरह फंसाया था, वह चौंकाने वाला था. अपने प्रेमी को अपने मोहपाश में फंसाने के बाद उस की फरमाइशें पूरी हो रही थीं. बबलू शिकोहाबाद आता और ज्योति पर जम कर खर्च करता, उस के साथ मौजमस्ती कर 1-2 दिन में वापस चला जाता.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. इसी बीच ज्योति के घरवालों ने उस की शादी शिकोहाबाद के कटरा मीरा में रहने वाले बौबी के साथ कर दी. शादी हो जाने के बाद भी बबलू और ज्योति के बीच प्रेम प्रसंग चलता रहा. ज्योति ने अपनी शादीशुदा जिंदगी को बबलू से छिपाए रखा. बबलू ज्योति से शादी करने को ले कर उस के पीछे हाथ धो कर पड़ गया था. जब ज्योति ने शादी से मना किया तो बबलू ने उसे ब्लैकमेल की धमकी दी. उस ने कहा, उस के साथ जो फोटो हैं उन्हें सोशल मीडिया पर डाल कर उसे बदनाम कर देगा.

बबलू को ज्योति के शादीशुदा होने के बारे में नहीं पता था. इसलिए वह ज्योति पर शादी का दबाव बनाने लगा था.  इस पर ज्योति ने बबलू से फोन पर बात करनी भी कम कर दी थी. शादी के लिए दबाव बनाने से प्रेमिका ज्योति परेशान हो गई. अब वह अपने किए पर पछता रही थी. उस के सामने अब प्रेमी बबलू से छुटकारा पाने का कोई रास्ता ही नहीं था. एक तरफ कुंआ तो दूसरी ओर खाई थी.

पोल खुलने के डर से ज्योति बुरी तरह डर गई थी. अंत में हिम्मत कर के ज्योति ने अपने पति बौबी को सच्चाई बताने का फैसला लिया. उस ने पति को बताया कि शादी से पहले उस की दोस्ती भिवाड़ी के एक युवक बबलू से हो गई थी. वह अब उस पर शादी के लिए दबाव बना रहा है. उस के पास उस के कुछ फोटो व वीडियो भी हैं, जिन्हें वह सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दे रहा है. इस पर बौबी गुस्से से उबल पड़ा.

फिर एक षडयंत्र रचा गया. 13 नवंबर, 2022 को बबलू को ज्योति ने फोन किया और  झांसा दे कर शिकोहाबाद स्थित अपने घर पर बुला लिया. शाम तक बबलू ज्योति के घर ओमनगर आ गया. रात में उस की जम कर खातिरदारी की गई. खाना खाने के बाद डबलबैड पर ज्योति और बबलू बैठ कर प्यार भरी बातें करने लगे. ज्योति के आगोश में प्यार की बातों के दौरान ही थके हुए बबलू को नींद आ गई. रात गहराने लगी थी. ज्योति का पति और देवर ज्योति के सिगनल यानी फोन का इंतजार कर रहे थे. सिगनल मिलते ही वे आ गए. उस समय डबलबैड पर बबलू गहरी नींद में सो रहा था.

बबलू के सोते ही ज्योति, उस के पति बौबी, भाई शेखर उर्फ ब्रजेश ने बबलू के सिर पर लोहे के पाइप व सरिए से प्रहार करने शुरू कर दिए. अचानक हुए हमले से बबलू चीख भी नहीं सका. सिर पर हुए ताबड़तोड़ प्रहार से वह वहीं ढेर हो गया. खून से बैड की चादर लाल हो गई थी. हत्यारों ने बबलू की हत्या  करने के बाद उस की लाश को डबलबैड की चादर में ही लपेट दी. इस के बाद सिर और पैर की ओर से एकएक बोरी पहना दी गई.

देवर राजकुमार लाश को ठिकाने लगाने के लिए अपनी टाटा मैजिक लोडर गाड़ी लिए घर के बाहर तैयार खड़ा था. शव को लोडर में डाल कर बौबी, शेखर व राजकुमार दिखतौली रोड पहुंचे. उस समय रात के 2 बज रहे थे. पूरी सड़क सुनसान पड़ी थी. लोडर को सड़क किनारे एक स्थान पर रोक कर तीनों ने लाश को लोडर से उतारा और सड़क किनारे खंदी में फेंक दी. शव को ठिकाने लगाने के बाद तीनों वापस आ गए. ज्योति ने इस बीच घर में शव से टपका खून साफ कर दिया था. ज्योति अपने पति और देवर के साथ कटरा मीरा स्थित अपनी ससुराल चली गई. बबलू को ठिकाने लगाने के बाद सभी ने राहत की सांस ली. ज्योति को लगा कि अब रास्ते का कांटा निकल गया है. लेकिन यह उस की भूल थी. पुलिस ने चारों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

दो नावों में पैर रख कर सवारी करना कितना खतरनाक होता है, यदि ज्योति ने शादी हो जाने के बाद इस बात को जान लिया होता तो उस की जिंदगी की नाव नहीं डगमगाती. लेकिन उस ने प्रेमी से सच्चाई छिपा कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली थी. ज्योति की जिंदगी के जब खुशहाली के दिन शुरू हुए ही थे, तब अफेयर और फरेब के चलते अपने साथ 3 अन्य को भी जेल की सलाखों के पीछे भिजवा दिया. UP Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Story : रहस्यमयी प्यार की अनोखी दास्तान

Love Story : सुबह के ठीक 9 बजे थे. तारीख थी 7 मई, 2022. मध्य प्रदेश के जिला मुरैना थाना सिहोनिया के थानाप्रभारी पवन सिंह भदौरिया अपने कक्ष में आ कर बैठे ही थे कि तभी एक अधेड़ महिला उन की टेबल के सामने आ कर खड़ी हो गई. उस के साथ एक छोटी लड़की भी थी, वह उस का हाथ पकड़े  थी.

महिला परेशान और कमजोर दिख रही थी. उसे भदौरिया ने कुरसी पर बैठने का इशारा किया. एक कुरसी पर वह बैठ गई और बगल की दूसरी कुरसी पर साथ आई लड़की को बैठा दिया. उस ने जो बात बताई उसे सुन कर भदौरिया चौंक गए. परिचय देते हुए उस ने अपना नाम मीराबाई बताया. उस ने कहा कि वह स्व. रामजी लाल सखवार की विधवा है और पास के ही गांव छत्त का पुरा में रहती है.

उस ने चौंकाने वाली बात यह बताई कि उस का बेटा विश्वनाथ 23 नवंबर, 2020 से ही घर नहीं आया है, जबकि वह खेतों में काम करने को कह कर गया था. वह गायब करवा दिया गया है. उस की पत्नी राजकुमारी का कहना है कि वह काम के सिलसिले में गुजरात में रह रहा है, लेकिन मुझे पूरा शक है कि उस की हत्या की जा चुकी है. भदौरिया ने मीराबाई से उस के बेटे के बारे में कुछ और जानकारी मांगते हुए पूछा कि वह कैसे कह सकती है कि उस के बेटे की किसी ने हत्या कर दी होगी. या फिर वह इस का सिर्फ अंदेशा जता रही है?

इतना सुनते ही मीराबाई बिलखने लगी. भदौरिया ने उसे एक गिलास पानी पिलवाया और शांति से बेटे के बारे में बताने को कहा कि उस के बेटे से किस की दुश्मनी थी? वह कहां आताजाता था? पत्नी से उस के कैसे संबंध थे? उस के गायब करने के पीछे किस का हाथ हो सकता है? इत्यादि. मीराबाई 2-3 मिनटों तक शांत बैठी रही, फिर उस ने बताना शुरू किया कि आखिर उसे क्यों अपने बेटे की मौत हो जाने की आशंका है? इस के पीछे कौन हो सकता है? उसे किस तरह से 22 महीनों तक धोखे में रखा गया? उसे अपनी बहू पर क्यों संदेह है? मीराबाई ने भदौरिया को जो कुछ बताया वह इस प्रकार है—

साहबजी, मेरे बेटे का नाम विश्वनाथ संखवार है. वह खेतीकिसानी के पुश्तैनी काम से जुड़ा रहा है. इस काम से कई बार गांव से दूसरे शहरों में भी जाता रहा है. उसे मैं ने अखिरी बार 2 साल पहले नवंबर महीने में तब देखा था, जब कोरोना फैला हुआ था. तारीख अच्छी तरह से याद है. उस रोज की 23 नवंबर, 2020 थी. वह रोज की तरह उस दिन अपने खेत पर गया था, रात गहराने पर भी जब खेत से लौट कर नहीं आया, तब मैं ने अपनी बहू राजकुमारी से उस के बारे में पूछताछ की. बहू ने मुझे बताया कि गुजरात से उन के किसी दोस्त का फोन आया था, इसलिए उन्हें अचानक गुजरात जाना पड़ गया था. वह 4-5 दिनों में लौट आएंगे.

किंतु जब बेटा 5 दिन बाद भी लौट कर नहीं आया, तब मुझे चिंता हुई. मैं ने अपनी बहू से फिर उस के बारे में पूछताछ की. उस ने अपने मोबाइल से मेरे बेटे के स्थान पर किसी और को बेटा बता कर मेरी बात करा दी. मुझे आवाज सुन कर थोड़ा संदेह हुआ, लेकिन बहू ने दबाव डाल कर कहा कि उस की बात उस के बेटे से ही हुई है. उस की थोड़ी तबीयत ठीक नहीं होने से आवाज बदली हुई लगी होगी.

मुझे लगा कि हो सकता है सुनने में ऐसा हुआ हो. उस की बेटे से ही बात हुई होगी. उम्र अधिक होने और सुनने और देखने की समस्या है. जबकि सच तो यह था कि बहू मेरी इस कमजोरी का फायदा उठा कर बेटे की जगह किसी और से बात करवाती रही है. एक ही आवाज सुनसुन कर मैं ने उसे ही अपना बेटा समझ लिया.

यह तो भला हो बेटी वंदना का, जिस ने बहू के इस झांसे को पकड़ लिया. वह अपने मायके आई हुई थी. घर में अपने बड़े भाई को नहीं पा कर उस ने भी भाभी राजकुमारी से पूछताछ की. बहू ने अपनी ननद को भी बताया कि उस के भैया इन दिनों गुजरात में रह रहे हैं. किसी और को भाई बता कर मोबाइल फोन पर उस की बात करवाने लगी. बात शुरू करते ही वंदना ने कहा कि उस की बात विश्वनाथ भैया से नहीं हो रही है. कोई और आदमी उस के भाई की आवाज बना कर बात कर रहा है.

इस तरह वंदना ने भाभी के झूठ और जालसाजी को पकड़ लिया था. उस ने भाभी से पूछा कि वह भैया के बारे में सचसच बताए. इस समय वह कहां हैं? भाभी इस का सही तरह से जवाब नहीं दे पाई. इस के बाद ही बेटी वंदना ने मुझे थाने में भाई की गुमशुदगी की सूचना लिखवाने की सलाह दी. थानाप्रभारी पवन सिंह भदौरिया ने मीराबाई की जानकारी के आधार पर विश्वनाथ की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली. साथ ही उन्होंने इस पर काररवाई की शुरुआत करते हुए सब से पहले मुरैना के सभी थानों में विश्वनाथ के हुलिए आदि की जानकारी उपलब्ध करवा दी.

विश्वनाथ के गायब होने की सूचना भी प्रसारित करवा दी गई. मामला एक वैसे वयस्क पुरुष के 22 माह से गुमशुदा होने से संबंधित था, जो परिवार का मुखिया था. इसलिए सिहोनिया थानाप्रभारी ने इसे गंभीरता से ले कर अपने कुछ खास मुखबिर भी लगा दिए. मुखबिरों को सौंपे गए कार्यों में एक कार्य विश्वनाथ की पत्नी के चालचलन के बारे जानकारी जुटाने का भी था. जल्द ही उन से राजकुमारी के अरविंद सखवार नाम के व्यक्ति के साथ अवैध संबंध होने के एक राज का पता चल गया.

मुखबिर ने बताया कि वह विश्वनाथ की गैरमौजूदगी में राजकुमारी से मिलने घर पर आता रहता था. विश्वनाथ के बच्चे उसे चाचा कह कर बुलाते थे. इन दिनों भी उस का आनाजाना लगा हुआ है. भदौरिया के लिए यह बेहद महत्त्वपूर्ण जानकारी थी. उन की जांच की सुई राजकुमारी और अरविंद की ओर घूम गई. इस में उन्होंने अवैध संबंध होने के तार जोड़ लिए. अब उन्हें किसी तरह राजकुमारी और अरविंद के बीच अवैध संबंध के ठोस सबूत की जरूरत थी, ताकि उन की गतिविधियों में विश्वनाथ के शामिल होने का पता चल सके.

इस की तहकीकात में तेजी लाने के लिए उन्होंने अपने मातहतों को साइबर सेल की मदद लेने का निर्देश दिया. विश्वनाथ, राजकुमारी और अरविंद के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर जब उस का अध्ययन किया गया, तब पता चला कि बीते 22 महीनों में राजकुमारी और अरविंद सखवार के बीच सैकड़ों बार बातचीत हुई है. कई बार तो उन के बीच घंटों तक बातचीत हुई थी. इसी के साथ महत्त्वपूर्ण जानकारी 23 नवंबर, 2020 के शाम की थी. उसी दिन अचानक गायब हुए विश्वनाथ, राजकुमारी और अरविंद के मोबाइल फोन नंबरों की लोकेशन सिकरोदा नहर के किनारे की पाई गई.

यहां तक कि गुमशुदा विश्वनाथ और उस की पत्नी राजकुमारी एवं अरविंद सखवार का नंबर जिस मोबाइल फोन में चलाया जा रहा था, उस का आईएमईआई नंबर एक ही था. यह जानकारी थानाप्रभारी को एक महत्त्वपूर्ण कड़ी लगी. उन्होंने तुरंत सादे कपड़ों में महिला कांस्टेबल को राजकुमारी के घर उस वक्त भेजा, जिस वक्त वह घर पर नहीं थी. कांस्टेबल ने राजकुमारी के बेटे और बेटी से पूछताछ की.

उन से चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी. राजकुमारी के बेटे ने तो यहां तक बताया कि 23 नवंबर की शाम को उन के घर अरविंद चाचा आए थे. मम्मी ने पापा को बाजरे का लड्डू खिलाया था. उस के बाद वह सामान खरीदने की बात कह कर उन्हें अरविंद चाचा की बाइक पर बैठा कर ले गई थी. उस दिन के बाद से पापा वापस घर नहीं लौटे हैं.

इस जानकारी से विश्वनाथ के बारे में पुलिस को एक ठोस सबूत मिल गया था. उस के बाद ही थानाप्रभारी ने 10 अगस्त, 2022 को राजकुमारी और अरविंद को थाने बुलाया. उन से अलगअलग घंटों तक पूछताछ की गई. उन से पूछताछ में सामान्य सवाल पूछे गए, जिस में इधरउधर की बातचीत ही अधिक शामिल थी. इस तरह उन पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया गया.

धीरेधीरे राजकुमारी पर पुलिस की सख्ती बढ़ती चली गई. आखिरकार पुलिस की सख्ती के आगे राजकुमारी टूट गई. उस ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए जो कुछ बताया, उस से विश्वनाथ की हत्या की पूरी कहानी साफ हो गई. राजकुमारी ने बताया कि 23 नवंबर, 2020 को ही योजनाबद्ध तरीके से उस ने पति को बाजरे के आटे से बने लड्डू में नींद की गोलियां मिला दी थीं. उस के बाद बाजार से सामान खरीदने के बहाने साथ ले कर चली गई थी.

नींद की गोलियों के असर से पति को गहरी नींद आ जाने पर राजकुमारी ने अपने प्रेमी अरविंद से मिल कर उस के कपड़े उतार दिए थे. उस की जेब से मोबाइल फोन और पर्स निकालने के बाद उसी अवस्था में सिकरोदा की नहर में फेंक दिया. तब उन्होंने सोच लिया कि उसे ठिकाने लगा दिया गया है और उन के रास्ते का कांटा निकल गया है.

अगले दिन यानी 24 नवंबर, 2020 को थाना सरायछोला पुलिस द्बारा नहर में बह कर आए अज्ञात व्यक्ति के शव के बरामद किए जाने की जानकारी राजकुमारी को मिली. इस की पुष्टि के लिए उस ने अरविंद को खासतौर से थाने भेजा. अरविंद ने बताया कि उस शव की शिनाख्त किसी ने नहीं की. उसे अज्ञात समझ कर पुलिस ने अंतिम संस्कार करा दिया. विश्वनाथ को रास्ते से हटाने के बारे में राजकुमारी ने उस के अरविंद के साथ प्रेम संबंध का होना बताया, जिस के बारे में उसे जानकारी हो गई थी. राजकुमारी ने बताया कि उसे ले कर विश्वनाथ के साथ झगड़े होते रहते थे. उन के दांपत्य जीवन में कड़वाहट आ गई थी.

राजकुमारी ने बताया कि उस का पति विश्वनाथ खेतीकिसानी के काम के चलते घर काफी देर से लौटता था. फिर हाथपैर धो कर खाना खाने के बाद गांव की चौपाल पर ताश खेलने निकल जाता था. ताश खेलने के बाद वह आधी रात को ही घर लौटता था. घर आते ही गहरी नींद में सो जाता था. ऐसी स्थिति में वह देहसुख से वंचित रहती थी. अरविंद विश्वनाथ के ट्रैक्टर का ड्राइवर था. वह 3 साल पहले ही राजकुमारी के संपर्क में आया था. विश्वनाथ के घर पर नहीं होने पर भी वह बेधड़क घर आताजाता रहता था. बच्चों से भी काफी घुलमिल गया था.

राजकुमारी को पहले तो मालकिन कहता था, लेकिन उस के कहने पर ही उसे भाभी कहने लगा था. कभीकभार राजकुमारी से मजाक भी कर लिया करता था. उस की गदराई देह को वह तिरछी नजरों से देखता रहता था. राजकुमारी को भी अरविंद की चिकनीचुपड़ी बातें सुनने में मजा आता था और उस के मजाक का जवाब मजाक में देने लगी थी. बहुत जल्द ही वह उस के प्रभाव में आ गई थी. राजकुमारी ने बताया कि अरविंद ने उसे इतना प्रभावित कर दिया था कि जब तक दिन भर में एक बार उस का दीदार नहीं कर लेती थी, उसे चैन नहीं मिलता था.

बस फिर क्या था, अरविंद भी उसे चाहत भरी नजरों से ताकने लगा था. एक दिन उस ने मौका पा कर राजकुमारी को अपनी बाहों में जकड़ लिया था. वह पुरुष सुख से वंचित थी, इसलिए उसे अरविंद का रोमांस अच्छा लगा और फिर खुद को नहीं रोक पाई. राजकुमारी के अनुसार, अरविंद से उस रोज जो संतुष्टि मिली थी, वह पति के साथ कई सालों में नहीं मिली थी. वह गबरू जवान बलिष्ठ मर्द था. फिर तो दोनों ओर से जब भी चाहत जागती वे सैक्स करने का मौका निकाल लेते.

वह अकसर उस वक्त घर पर ट्रैक्टर लेने और पहुंचाने आता था, जब विश्वनाथ घर पर नहीं होता था. बूढ़ी सास को काफी कम सुनाई देता था. उस की आंखों की रोशनी भी धुंधली थी. राजकुमारी ने बताया कि एक दिन रात को अरविंद घर पर आया हुआ था. उस दौरान पति दोनों बच्चों को ले कर शादी में जयपुर गया हुआ था. घर में उस के अलावा सिर्फ सास ही थी. घर में सन्नाटा पा कर अरविंद वहीं रुक गया. उन की वह रात मौजमस्ती में गुजरी, लेकिन अलसुबह विश्वनाथ बच्चों समेत घर आ गया. उस रोज अरविंद और राजकुमारी रंगेहाथ पकड़े गए.

उस वक्त अरविंद तो विश्वनाथ की डांटडपट सुन कर चला गया, लेकिन राजकुमारी की नजर पर विश्वनाथ चढ़ गया था. उस घटना के बाद से विश्वनाथ दोनों पर नजर रखने लगा था. हालांकि उस के बाद उस ने अरविंद को नौकरी से निकाल दिया था. राजकुमारी को यह बात और बुरी लगी. उस ने अरविंद को अपनी एक योजना बताई. अरविंद साथ देने के लिए तैयार हो गया. अरविंद की वासना में अंधी राजकुमारी ने अपने सुहाग को ही दांव पर लगा दिया था.

इस तरह से विश्वनाथ की हत्या के बाद वह अपने बच्चों को गांव में बूढ़ी सास के सहारे छोड़ कर मुरैना में कमरा ले कर रहने लगी थी. हालांकि वह बीचबीच में बच्चों और सास से मिलने गांव आ जाती थी. सास को झांसा दिए रहती थी कि उस ने विश्वनाथ के गुजरात जाने के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी अपने सिर पर उठा ली है. विश्वनाथ की गुमशुदगी के मामले में थाना सिहोनिया पुलिस ने राजकुमारी और उस के प्रेमी अरविंद को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर दिया, जहां दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद विश्वनाथ की पत्नी और उस के प्रेमी को जेल भेज दिया गया.

राजकुमारी ने जो सोचा था, वह पूरा नहीं हुआ. वह अपने पति की हत्या की अपराधी भी बन गई और उस के साथ उस का प्रेमी फंस गया. जो सोच कर उस ने पति की हत्या की, वह अब शायद ही पूरा हो. Love Story

(कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

Love Stories in Hindi : प्रेमी जोड़े ने एक ही दुपट्टे से पेड़ पर लटककर दी जान

Love Stories in Hindi : उत्तर प्रदेश का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है फिरोजाबाद. यह शहर कांच की चूडि़यों के लिए प्रसिद्ध है. इसी जिले के थाना बसई मोहम्मदपुर के गांव आलमपुर कनैटा में राजवीर सिंह लोधी अपने परिवार के साथ रहता था. उस की पत्नी की करीब 3 साल पहले मौत हो गई थी. राजवीर की गांव में आटा चक्की थी. उस के 2 बेटे बलजीत व जितेंद्र के अलावा 2 बेटियां राधा, ललिता उर्फ लता थीं. वह एक बेटे और एक बेटी की शादी कर चुका था. छोटा बेटा जितेंद्र पिता के साथ चक्की के काम में हाथ बंटाता था जबकि ललिता उर्फ लता गांव के ही स्कूल में पढ़ रही थी.

इसी गांव में रामवीर सिंह लोधी भी अपने परिवार के साथ रहता था. वह निजी तौर पर पशुओं का इलाज करने का काम करता था. उस के 4 बेटों में अनिल कुमार सब से छोटा था. वह बीएससी कर चुका था और नौकरी की तलाश में था. अनिल का बड़ा भाई जितेंद्र दिल्ली के एक होटल में नौकरी करता था. ललिता 11वीं कक्षा में पढ़ती थी. जब वह स्कूल जाती, तो रास्ते में अकसर उसे गांव का युवक अनिल मिल जाता था. वह उसे चाहत भरी नजरों से देखता था. उस की उम्र करीब 20 साल थी. लता ने भी उन्हीं दिनों जवानी की दहलीज पर कदम रखा था. अनिल लता की जाति का ही था. लता को भी अनिल अच्छा लगता था. उस का झुकाव भी अनिल की तरफ होने लगा. दोनों ही एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे.

दोनों के बीच यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा. दोनों एकदूसरे से प्यार का इजहार करने में सकुचा रहे थे, क्योंकि उन का यह पहलापहला प्यार था. आखिर एक दिन अनिल ने हिम्मत कर के लता से पूछ ही लिया, ‘‘लता, तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?’’

लता को तो जैसे इसी पल का ही इंतजार था. उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘मेरी पढ़ाई तो ठीक चल रही है, पर तुम कैसे हो?’’

‘‘मैं अच्छा हूं,’’ अनिल ने जवाब दिया.

इस औपचारिक बातचीत के बाद दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने फोन नंबर भी दे दिए थे, जिस से उन के बीच फोन पर भी बातचीत होने लगी. रही बात मिलने की तो लता के स्कूल जातेआते समय अनिल पहुंच जाता था, जिस से वे एकदूसरे से मिल लेते थे. धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. कभीकभी लता सहेली के पास जाने की बात कह कर घर से निकल जाती और अनिल से एक निश्चित जगह पर मिल लेती थी. उन के प्रेम संबंध यहां तक पहुंच गए थे कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था.

उस समय अनिल बेरोजगार था. उस ने लता से वादा किया कि शादी के लिए हम तब तक इंतजार करेेंगे, जब तक वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता. नौकरी लगने के बाद वह उसे अपने साथ ले जाएगा. यह बात सुन कर ललिता बहुत खुश हुई. दोनों एक ही जाति के थे, इसलिए उन्हें पूरा विश्वास था कि दोनों के घर वालों को उन की शादी पर कोई ऐतराज नहीं होगा. पिछले डेढ़ साल से दोनों का प्रेम प्रसंग बिना किसी बाधा के चल रहा था.

मिलने और मोबाइल पर बात करने में दोनों पूरी सावधानी बरतते थे. लेकिन ऐसी बातें ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रहतीं. किसी तरह लता के परिजनों को उन के प्रेम संबंधों की भनक लग गई. लिहाजा उन्होंने लता को समझाया कि वह अनिल से मिलना बंद कर दे. इस से परिवार की बदनामी ही हो रही है. लता ने उस समय तो उन से वादा कर दिया कि वह घर की मानमर्यादा का ध्यान रखेगी. उस के वादे से घर वाले निश्चिंत हो गए. 2-4 दिनों तक तो लता ने अनिल से बात नहीं की. लेकिन इस के बाद प्रेमी की यादें उसे विचलित करने लगीं. उधर अनिल भी परेशान रहने लगा. दोनों की यह बेचैनी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी.

दिल की लगी नहीं छूटी

घर वालों की बातों को दरकिनार कर के लता ने अनिल से फोन पर बतियाना शुरू कर दिया. लेकिन अब वह सावधानी बरतने लगी ताकि घर वालों को पता न चले. लेकिन एक बार लता की मां ने रात में उसे मोबाइल पर बात करते देख लिया. उस ने यह बात पति राजवीर को बताई. उस ने जब लता का मोबाइल चैक किया तो पता चला कि वह अनिल से ही बात कर रही थी. यह जान कर राजवीर का खून खौल उठा. उस ने लता को बहुत लताड़ा और उस पर पहरा लगा दिया. इतना ही नहीं, राजवीर ने इसकी शिकायत अनिल के पिता रामवीर सिंह से भी कर दी. रामवीर ने भी अनिल को बहुत डांटा.

अब दोनों पर ही पाबंदियां लग गई थीं, जिस से वे बेचैन रहने लगे. लता का फोन भी उस के घर वालों ने अपने पास रख लिया था. लता किसी भी तरह अनिल से बात करना चाहती थी. एक दिन लता को यह मौका मिल गया. घर पर उस की सहेली मिलने आई थी. लता ने उस के मोबाइल फोन से अनिल से बात की और कहा कि यह दूरियां अब उस से सही नहीं जा रही हैं. तब अनिल ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘लता, कुछ दिनों के लिए मैं भाई के पास दिल्ली जा रहा हूं. जब मामला ठंडा पड़ जाएगा तो मैं गांव आ जाऊंगा.’’

लता को भी अनिल की बात सही लगी और उस ने न चाहते हुए भी दिल पर पत्थर रख कर उसे दिल्ली जाने की इजाजत दे दी. अनिल अपने भाई जितेंद्र के पास दिल्ली पहुंच गया. जितेंद्र ने अनिल की नौकरी एक निजी अस्पताल में लगवा दी. दिल्ली जा कर अनिल के नौकरी करने की जानकारी लता के पिता राजवीर को हुई तो उस ने राहत की सांस ली. उस ने निर्णय लिया कि मौका अच्छा है, क्यों न लता के हाथ पीले कर दिए जाएं. लिहाजा आननफानन में उस ने लता के लिए लड़का तलाशना शुरू कर दिया गया.

यह तलाश जल्द ही पूरी हो गई. एटा जिले के जलेसर नगर में सुनील नाम का लड़का पसंद कर लिया गया. शादी की बात भी पक्की कर दी गई. दोनों पक्षों ने इसी साल नवंबर महीने में देवउठान के पर्व पर शादी करने की बात तय कर ली. लता को जब अपनी शादी तय होने की बात पता चली, तो उस की नींद उड़ गई. क्योंकि वह तो अनिल की दुलहन बनने का सपना संजोए बैठी थी. लता ने अपनी शादी का विरोध किया लेकिन घर वालों के आगे उस की एक नहीं चली.

अनिल भी उस समय दिल्ली में था. लता ने उसे फोन कर के अपनी शादी तय होने की बात बता दी. यह बात सुन कर वह भी परेशान हो गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या करे. जुलाई के पहले सप्ताह में गोदभराई की रस्म संपन्न हो गई. लता गोदभराई के दिन चाह कर भी किसी से कुछ नहीं कह सकी. वह उदास थी. उस का दिल रो रहा था. वह अनिल से मिलने के लिए तड़प रही थी.

15 अगस्त को रक्षाबंधन था. लता को पता था कि रक्षाबंधन पर अनिल गांव जरूर आएगा. उस ने सोचा तभी अनिल से मिल कर अपने मन की बात कहेगी. इतना ही नहीं, लता ने निर्णय ले लिया था कि अनिल के गांव आने पर वह अपने घर वालों की मरजी के खिलाफ अनिल के साथ शादी कर लेगी, चाहे इस के लिए उसे अपना घर छोड़ कर भागना ही क्यों न पड़े.

प्रेमी के लिए तड़प रही थी लता

लेकिन लता के अरमानों पर उस समय बिजली गिर गई, जब रक्षाबंधन के दिन भी अनिल गांव नहीं आया, इस से वह बहुत निराश हुई. घर वालों ने लता को उस का मोबाइल फोन लौटा दिया था. लता ने अनिल को फोन किया तो उस ने बताया कि छुट्टी नहीं मिलने की वजह से वह इस बार घर नहीं आ सका. लेकिन अगले महीने गांव जरूर आएगा. लता को अब तसल्ली नहीं हो रही थी. उस के घर वालों ने शादी की खरीदारी शुरू कर दी थी. उसे अपने ही घर में एकएक दिन काटना बड़ा मुश्किल हो रहा था. सारीसारी रात वह बिस्तर पर करवटें बदलती रहती. उस ने एक दिन रात में ही निर्णय लिया, जिस की भनक उस ने अपने परिजनों को नहीं लगने दी.

16-17 अगस्त, 2019 की रात को जब लता के घर वाले सोए हुए थे, सुबह 4 बजे वह घर से गायब हो गई. परिजन जब सो कर उठे तो ललिता घर में दिखाई नहीं दी. उन्होंने सोचा कि वह मंदिर गई होगी. जब काफी देर तक वह वापस नहीं आई तो उस की तलाश की गई. उस का मोबाइल भी बंद था. बदनामी के डर से इस की सूचना पुलिस को भी नहीं दी गई. सुबह के समय गांव के कुछ लोगों ने ललिता को बाइक पर किसी युवक के साथ जाते देखा था. यह जानकारी राजवीर सिंह को मिली तो उस ने बदनामी की वजह से यह बात भी पुलिस तक को बताना ठीक नहीं समझा.

राजवीर व उस के परिवार वालों को शक था कि ललिता अनिल के पास दिल्ली चली गई होगी. राजवीर ने रामवीर से दिल्ली में रह रहे उस के बेटे अनिल का मोबाइल नंबर ले कर उस से बात की. अनिल ने बताया कि लता उस के पास नहीं आई है. इस के बाद घर वाले लगातार लता के मोबाइल पर फोन करते रहे, लेकिन उस का फोन बंद मिला. 17 अगस्त की दोपहर में राजवीर ने जब लता को फोन मिलाया तो उस से बात हो गई.

19 अगस्त, 2019 की सुबह थाना मटसेना के आकलपुर गांव की कुछ महिलाएं जंगल की तरफ गईं तो उन्होंने गांव के बाहर बेर की बगिया में एक पेड़ से फंदों पर 2 शव लटके देखे. इन में एक शव युवक का था और दूसरा युवती का. यह देख कर महिलाएं भाग कर घर आईं और यह बात लोगों को बता दी. इस के बाद तो आकलपुर गांव में कोहराम मच गया. जिस ने सुना, वही बगिया की ओर दौड़ पड़ा. सूरज की पौ फटतेफटते वहां सैकड़ों की भीड़ जुट गई. गांव के लोगों ने पेड़ पर शव लटके देख पुलिस को सूचना दे दी. सूचना मिलते ही थानप्रभारी मोहम्मद उमर फारुक पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

पुलिस ने फोटो खींचने के बाद दोनों शव नीचे उतरवाए. उन की तलाशी ली तो दोनों के पास आधार कार्ड मिले. पुलिस को पता चला कि मृतक युवक आलमपुर कनैटा निवासी रामवीर का 20 वर्षीय बेटा अनिल कुमार था, जबकि मृतका उसी गांव के रहने वाले राजवीर की बेटी ललिता उर्फ लता थी.

थानाप्रभारी ने घटना की जानकारी अपने आला अधिकारियों के साथ ही युवकयुवती के घर वालों को भी दे दी. सूचना मिलते ही दोनों परिवारों में कोहराम मच गया. आकलपुर गांव आलमपुर गांव की सीमा से सटा हुआ था, इसलिए घर वाले रोतेबिलखते वहां पहुंच गए. इसी दौरान सीओ (सदर) बलदेव सिंह खनेड़ा व एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए. अपने बच्चों की लाशें देख कर दोनों के परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.

पुलिस को दोनों के पास से सुसाइड नोट भी मिले. अनिल का सुसाइड नोट उस की पैंट की जेब से जबकि ललिता ने सुसाइड नोट अपनी कलाई में बंधे कलावे से बांध रखा था. आधार कार्ड, सुसाइड नोट के अलावा दोनों के मोबाइल फोन पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिए. जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिए. पुलिस ने जब केस की जांच शुरू की तो पता चला कि अनिल और ललिता ने गांव लौटने का फैसला कर लिया था और यह बात घर वालों को बता दी थी. ऐसे में दोनों के शव पेड़ से लटके मिलने पर सवाल उठने लगे.

मिलन नहीं तो मौत ही सही

इस प्रेमी युगल की प्रेम कहानी की इबारत सुसाइड नोट में लिखी मिली. दोनों ने एक साथ जीनेमरने की कसम खाई और सुसाइड नोट लिखे. ललिता ने अपने सुसाइड नोट में अनिल के अलावा किसी और से शादी न करने की बात लिखी थी. एक पेज के सुसाइड नोट में उस ने लिखा था कि मैं अनिल के पास दिल्ली चली गई थी. मेरे घर वालों ने मेरी शादी तय कर दी थी, जबकि मैं किसी दूसरे से शादी नहीं कर सकती थी. अनिल मुझ से घर वापस जाने के लिए कह रहा था, लेकिन मैं घर नहीं जाना चाहती थी. मैं अनिल के बिना नहीं रह सकती. इसलिए अपनी मरजी से आत्महत्या कर रही हूं. इस के लिए किसी को परेशान न किया जाए.

वहीं अनिल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि ललिता मेरे पास दिल्ली आ गई थी. 18 अगस्त को वह उसे गांव छोड़ने आया था, लेकिन लता ने अपने घर जाने से इनकार कर दिया. उस ने लिखा कि मम्मीपापा मुझे माफ कर देना. मैं लता के बिना नहीं रह सकता. मैं अपनी मरजी से आत्महत्या कर रहा हूं. पुलिस ने अनिल के घर मिले एक रजिस्टर से उस के सुसाइड नोट की राइटिंग का मिलान भी किया. प्रेम विवाह को ले कर परिवार के लोगों ने दोनों के बीच में दीवारें खड़ी कर दीं तो प्रेमी युगल ने मरने का फैसला ले लिया. प्रेमी जोड़े ने इतना बड़ा कदम उठा लिया कि एक पेड़ पर एक ही दुपट्टे से एक ही फंदे पर लटक कर मौत को गले लगा लिया.

इस प्रेम कहानी का अंत लता के घर वालों की जिद के कारण हुआ. 16 अगस्त को जब लता अचानक गांव से गायब हो गई थी, तब वह सीधे दिल्ली में रह रहे अपने प्रेमी अनिल के पास पहुंची थी. 17 अगस्त को लता के पिता की उस से मोबाइल पर बात भी हुई. लता ने परिजनों को सारी बात बताई और कहा कि उस ने अनिल के साथ शादी करने का फैसला कर लिया है. घर वालों ने इस रिश्ते को मानने से इनकार कर दिया और उसे ऊंचनीच समझाते हुए घर लौटने को कहा. इस के बाद प्रेमी युगल ने घर वालों से 18 अगस्त को गांव आने की बात कही थी. लेकिन 19 अगस्त को दोनों ने आत्महत्या कर ली.

चूंकि मृतकों के परिजनों ने पुलिस को कानूनी काररवाई करने की कोई तहरीर नहीं दी, इसलिए पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया. इस के अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी स्पष्ट हो गया कि अनिल और लता ने आत्महत्या की थी. अत: पुलिस ने इस मामले की फाइल बंद कर दी. Love Stories in Hindi

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Story Hindi : जिसे सबने मरा समझ लिया था, वह अचानक निकली जिन्दा

हरियाणा के जिला पानीपत के थाना नगर के मोहल्ला आजादनगर की रहने वाली 20 साल की सिमरन दुबे आर्य डिग्री कालेज में बीए के दूसरे साल में पढ़ रही थी. पढ़ाई के साथसाथ वह एनएसएस (नेशनल सर्विस स्कीम) यानी राष्ट्रीय सेवा योजना की सदस्य भी थी. यह संस्था अपने सदस्यों का कैंप लगवाती है, जिस में समाजसेवा कराई जाती है. इस में जिस लड़के या लड़की का काम अच्छा होता है, उसे कालेज की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाता है.

एसडी कालेज का बीए फाइनल ईयर में पढ़ रहा कृष्ण देशवाल एनएसएस का अध्यक्ष था. इसी साल जनवरी महीने में एसडी कालेज का एनएसएस का कैंप आर्य डिग्री कालेज में लगा था. उसी दौरान सिमरन दुबे की मुलाकात कृष्ण देशवाल से हुई तो दोनों में अच्छी जानपहचान हो गई. थाना नगर के ही मोहल्ला बराना की रहने वाली ज्योति भी सिमरन के साथ आर्य डिग्री कालेज में पढ़ती थी. दोनों में पटती भी खूब थी. उस से भी कृष्ण की दोस्ती हो गई थी.

5 सितंबर, 2017 की शाम 4 बजे के करीब सिमरन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उस ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘हैलो सिमरन, मैं एसडी कालेज से कृष्ण देशवाल बोल रहा हूं, तुम कैसी हो?’’

‘‘नमस्ते सर,’’ चहकते हुए सिमरन ने कहा, ‘‘मैं तो अच्छी हूं सर, आप बताइए आप कैसे हैं?’’

‘‘मैं भी ठीक हूं, यह बताओ कि तुम इस समय क्या कर रही हो?’’

‘‘घर पर हूं सर, कोई काम है क्या? अगर कोई काम हो तो कहिए, मैं आ जाती हूं.’’ सिमरन ने कहा.

‘‘दरअसल, मिलिट्री के कुछ अधिकारी शहर में आ रहे हैं. उन के लिए जीटी रोड पर स्थित गौशाला मंदिर परिसर में कैंप लगाना है. अगर तुम आ जाओ तो मेरा काम काफी आसान हो जाएगा. ज्योति भी आ रही है. कालेज के कुछ अन्य लड़के भी आ रहे हैं.’’

‘‘ठीक है सर, ऐसी बात है तो मैं भी आ जाती हूं.’’

‘‘ओके, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’ कृष्ण ने कहा और फोन काट दिया.

कृष्ण देशवाल से बात होने के बाद सिमरन जल्दी से तैयार हो कर घर वालों से कालेज जाने की बात कह कर निकल पड़ी. करीब घंटे भर बाद वह कृष्ण द्वारा बताए गौशाला मंदिर पहुंच गई. ज्योति वहां पहले से ही मौजूद थी. उसे देख कर सिमरन का चेहरा खिल उठा.

दोनों सहेलियां एकदूसरे के गले मिलीं और आपस में बातें करने लगीं. दोनों बातें कर रही थीं कि तभी कृष्ण सिमरन के लिए एक गिलास में कोल्डिड्रिंक ले आया. सिमरन ने उन्हें भी पीने को कहा तो दोनों ने एक साथ कहा कि उन्होंने अभीअभी पी है. इस के बाद सिमरन आराम से कोल्डड्रिंक पीने लगी.

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मंदिर के कमरे में लाश

कृष्ण देशवाल, सिमरन दुबे और ज्योति जिस कमरे में ठहरे थे, उस के बगल वाले कमरे में कंप्यूटर सिखाया जाता था. कंप्यूटर सिखाने का यह काम पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. वाई.डी. त्यागी द्वारा चलाई जा रही एनजीओ के अंतर्गत होता था. कंप्यूटर सिखाने के लिए वंदना को रखा गया था.

जिस कमरे में कृष्ण, ज्योति और सिमरन ठहरे थे, वह अंदर से बंद था. इस से वंदना को थोड़ी हैरानी हो रही थी. उन से नहीं रहा गया तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया. करीब 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद खुला तो उस में से एक लड़का और लड़की बैग लिए बाहर निकले.

दोनों बाहर से कमरा बंद करने लगे तो वंदना ने उन से उन के साथ की एक अन्य लड़की के बारे में पूछा. वे बिना कुछ कहे चले गए तो वंदना ने इस बात की सूचना मंदिर के पुजारी वेदप्रकाश तिवारी को दे दी. वेदप्रकाश को मामला गड़बड़ लगा तो उन्होंने अपने भतीजे अभिनव को हकीकत पता करने के लिए भेजा.

अभिनव हौल से होता हुआ उस कमरे पर पहुंचा, जिसे लड़का और लड़की बाहर से बंद कर गए थे. दरवाजा खोल कर जैसे ही वह अंदर पहुंचा, वहां की हालत देख कर वह चीखता हुआ बाहर आ गया. उस की चीख सुन कर वंदना भी घबरा गई. वह अभिनव के पास पहुंची. उस के पूछने पर अभिनव ने बताया कि कमरे में एक लड़की की लाश पड़ी है.

अब वंदना की समझ में सारा माजरा आ गया. अभिनव ने यह जानकारी पुजारी वेदप्रकाश तिवारी को दी तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर दिया. पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा यह सूचना थाना चांदनी बाग पुलिस को दे दी गई. सूचना मिलते ही थाना चांदनीबाग के थानाप्रभारी संदीप कुमार पुलिस बल के साथ गौशाला मंदिर पहुंच गए.

उन के पहुंचने से पहले पुलिस चौकी किशनपुरा के चौकीप्रभारी वीरेंद्र सिंह वहां पहुंच चुके थे. संदीप कुमार और वीरेंद्र सिंह ने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. मृतका के गले पर गला दबाने का स्पष्ट निशान था. इस का मतलब हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के चेहरे को तेजाब डाल कर झुलसा दिया गया था. शायद हत्यारे ने पहचान मिटाने के लिए ऐसा किया था.

कमरे में एक लेडीज पर्स मिला.  पुलिस ने उस पर्स की तलाशी ली तो उस में से आर्य डिग्री कालेज का एक आईडी कार्ड मिला, जिस पर ज्योति लिखा था. उस पर पिता का नाम, पता और फोन नंबर भी लिखा था. पिता का नाम रामपाल था. वह थाना नगर के मोहल्ला बराना में रहते थे. एसआई वीरेंद्र सिंह ने फोन कर के रामपाल को वहीं बुला लिया.

रामपाल ने गौशाला मंदिर आ कर कमरे में मिली लाश को देखा तो फफकफफक कर रोने लगे. लाश उन की बेटी ज्योति की थी. शिनाख्त न हो सके, इस के लिए हत्यारों ने तेजाब डाल कर बड़ी बेरहमी से उस के चेहरे को झुलसा दिया था.

घटना की सूचना पा कर एसपी राहुल शर्मा, सीआईए-3 प्रवीण कुमार और डीएसपी जगदीश दूहन भी घटनास्थल पर आ गए थे. घटनास्थल के निरीक्षण के दौरान पुलिस ने देखा कि कमरे में पड़े डबल बैड का गद्दा उठा कर नीचे फर्श पर बिछाया गया था. लाश को उसी पर लिटा कर उस के चेहरे पर तेजाब डाला गया था. तेजाब से मृतका का चेहरा तो बुरी तरह झुलस ही गया था, गद्दा भी काफी दूर तक झुलस गया था.

मृतका की चुनरी और चप्पलें भी वहीं पड़ी थीं. बचाव के लिए मृतका ने हाथपांव चलाए थे, जिस से उस के चश्मे का एक शीशा टूट गया था. पुलिस ने कंप्यूटर की शिक्षा देने वाली वंदना से पूछताछ की तो उस ने बताया था कि शाम 4 बजे वह वहां आई तो कम्युनिटी हौल के दोनो दरवाजे अंदर से बंद थे. करीब 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद 19-20 साल की एक लड़की ने दरवाजा खोला.

लड़की के साथ एक लड़का भी था. वह हौल के कोने में बने कमरे का दरवाजा बंद कर रहा था. वंदना ने उस के साथ आई दूसरी लड़की के बारे में पूछा तो वह उसे धमका कर लड़की के साथ चला गया. लड़की सलवार सूट पहने थी, जबकि लड़का जींस और टीशर्ट पहने था.

फैल गई सनसनी

लड़के और लड़की के पास बैग थे. उन्होंने एकएक पौलीथीन भी ले रखी थी. लड़के के हाथ में ड्यू (कोल्डड्रिंक) की एक बोतल भी थी. वदंना को शक हुआ तो उस ने अपनी शंका पुजारी को बताई. इस के बाद पुजारी ने अपने भतीजे को भेजा तो कमरे में लाश होने का पता चला. इस तरह लाश बरामद होने से शहर में सनसनी फैल गई थी.

क्योंकि गौशाला मदिर अति सुरक्षित माना जाता था. हैरानी की बात यह थी कि दोनों लड़कियों और लड़के के वहां आने की जानकारी पुजारी को नहीं थी. मंदिर में सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे थे कि उसी से लड़के और लड़की के बारे में कुछ पता चलता.

पुलिस ने कमरे में मिला सारा सामान जब्त कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया था. इस के बाद रामपाल की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कर के मामले की जांच शुरू कर दी गई थी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने ज्योति की लाश उस के पिता रामपाल को सौंप दी तो उन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

महिला आयोग भी सक्रिय

इस हत्याकांड की सूचना राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रेखा शर्मा को मिली तो उन्होंने भी घटनास्थल की दौरा किया. वह पुलिस अधिकारियों से भी मिलीं और ज्योति के घर वालों से भी. उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि पुलिस ने 48 घंटे के अंदर हत्यारे को गिरफ्तार करने का भरोसा दिया है. इस मामले में तेजाब का उपयोग किया गया था. जबकि कोर्ट ने तेजाब की बिक्री पर रोक लगा रखी है. यह भी जांच का विषय था कि रोक के बावजूद हत्यारे को तेजाब मिला कहां से?

अगले दिन पुलिस ने मृतका ज्योति के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर अंतिम फोन अटावला गांव के रहने वाले राजेंद्र देशवाल के बेटे कृष्ण का आया था. काल लिस्ट देख कर पुलिस हैरान थी. दरअसल, दोनों के बीच 14 से 15 हजार सैकेंड बात की गई थी.

पुलिस तुरंत ज्योति के घर पहुंची और रामपाल से कृष्ण् के बारे में पूछा. उस ने बताया कि कृष्ण ज्योति के कालेज में आताजाता था, दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. उन में अच्छी दोस्ती भी थी.

पुलिस को इस बात पर हैरानी हुई कि कृष्ण ज्योति का अच्छा दोस्त था और उस के घर भी आताजाता था. लेकिन उस की हत्या की बात सुन कर उस के घर नहीं आया था. कहीं ऐसा तो नहीं कि उसी ने ज्योति की हत्या की हो और फरार हो गया हो.

पुलिस को कृष्ण देशवाल पर शक हुआ तो उस के बारे में पता करने उस के घर पहुंच गई. घर वालों से पता चला कि वह 5 सितंबर से ही घर से 1 लाख 35 हजार रुपए ले कर गायब है. इस बात से पुलिस का शक यकीन में बदल गया. पुलिस को लगा कि ज्योति की हत्या में कृष्ण का ही हाथ है. घर वालों से पुलिस को पता चला कि कृष्ण के घर वाले भैंसों के खरीदने और बेचने का व्यवसाय करते थे. वे पैसे उसी के थे, जिन्हें कृष्ण ले कर भागा था.

इस बीच पुलिस को पता चल गया कि उस दिन कृष्ण के साथ जो लड़की थी, वह सिमरन दुबे थी. पुलिस दोनों के फोटो ले कर गौशाला मंदिर पहुंची तो फोटो देख कर वंदना ने बताया कि उस दिन यही दोनों कमरे से निकले थे.

इस से साफ हो गया कि ज्योति की हत्या कृष्ण और सिमरन ने ही की थी. इस के बाद पुलिस ने उन के फोटो अखबारों में छपवा कर उन के बारे में बताने वाले को ईनाम की भी घोषणा कर दी.

पुलिस कृष्ण और सिमरन दुबे की तलाश में जीजान से जुटी थी कि सिमरन के पिता अतुल दुबे थाना नगर पहुंचे और उन्होंने कृष्ण देशवाल के खिलाफ सिमरन के अपहरण की तहरीर दे दी. उन का कहना था कि उन की बेटी के चरित्र पर जो लांछन लगाया गया है, वह सरासर गलत है. सिमरन ऐसी घिनौनी हरकत कतई नहीं कर सकती.

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उन का यह भी कहना था कि उस दिन कमरे में जो लाश मिली थी, वह ज्योति की नहीं, बल्कि सिमरन की थी. लेकिन उन की बात कोई मानने को तैयार नहीं था. उन का कहना था कि मृतका के कान की बाली और हाथ में बंधा धागा सिमरन का नहीं था. इस पर पुलिस का कहना था कि कृष्ण और सिमरन को साथ जाते वंदना ने देखा था, इसलिए उन की बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता.

पुलिस पहुंची शिमला

पुलिस कृष्ण और सिमरन की लोकेशन पता कर रही थी. लेकिन फोन बंद होने से उन की लोकेशन नहीं मिल रही थी. जैसे ही फोन चालू हुआ, उन की लोकेशन शिमला की मिल गई. लोकेेशन मिलते ही सीआईए-3 प्रवीण कुमार टीम के साथ शिमला रवाना हो गए. स्थानीय पुलिस की मदद से उन्होंने होटलों की तलाशी शुरू कर दी. सैकड़ों होटल की तलाशी के बाद पुलिस टीम उस होटल तक पहुंच गई, जहां दोनों ठहरे थे.

लेकिन जब होटल की रजिस्टर चैक किया गया तो कृष्ण और सिमरन के नाम से यहां कोई नहीं ठहरा था. पुलिस की निगाह श्याम और राधा नाम के उन दो ग्राहकों पर टिक गई, जिन का पता पानीपत का था.

यहीं दोनों से चूक हो गई थी. उन्होंने होटल के रजिस्टर में नाम तो श्याम और राधा लिखाए थे, लेकिन पता नहीं बदला था. बस इसी से पुलिस को शक हुआ, इस के बाद पुलिस कमरे पर पहुंची तो पुलिस को देख कर दोनों सन्न रह गए. कृष्ण नीचे फर्श पर बैठा था, जबकि ज्योति बैड पर लेटी थी.

मरने वाली ज्योति नहीं सिमरन

जिस ज्योति को लोग मरा समझ रहे थे, दरअसल वह जिंदा थी. मंदिर के कमरे से जो लाश मिली थी, वह ज्योति की नहीं, बल्कि सिमरन दुबे की थी. पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर के पानीपत ले आई. उन्हें जब एसपी राहुल शर्मा के सामने पेश किया गया तो वह भी हैरान रह गए.

राहुल शर्मा ने ज्योति के पिता रामपाल को बुला कर ज्योति को उन के सामने खड़ा किया तो बेटी को जिंदा देख कर वह सिर थाम कर बैठ गए. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में कृष्ण और ज्योति ने सिमरन की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद 8 तिसंबर को अदालत में पेश कर के विस्तारपूर्वक पूछताछ एवं सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने उन्हें 4 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में सिमरन की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

20 साल की सिमरन दुबे हरियाणा के जिला पानीपत के थाना नगर के मोहल्ला आजादनगर के रहने वाले आलोक दुबे की बेटी थी. वह 4 भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह आर्य डिग्री कालेज में बीए के दूसरे साल में पढ़ रही थी. उसी के साथ थाना नगर के ही बराना की रहने वाली ज्योति भी पढ़ती थी. दोनों पक्की सहेलियां तो थीं ही, एनएसएस की सदस्य भी थीं.

बात इसी साल जनवरी की है. एसडी डिग्री कालेज का एनएसएस का कैंप आर्य डिग्री कालेज में लगा था. कैंप का अध्यक्ष एसडी कालेज में पढ़ने वाला कृष्ण देशवाल था, जो बीए फाइनल ईयर में पढ़ रहा था. वह गांव अटावला का रहने वाला था. उस के पिता राजेंद्र देशवाल भैंसे खरीदनेबेचने का काम करते थे.

कृष्ण 2 बहनों का एकलौता भाई था. बहनें उस से छोटी थीं. घर में बड़ा और एकलौता बेटा होने के बावजूद वह जिम्मेदारी से काम नहीं करता था. पुलिस के अनुसार, जब कृष्ण स्कूल में पढता था, तब उस ने खुद के अपहरण का ड्रामा रचा था. वह दिन भर इधरउधर घूमा करता था. आर्य कालेज में लगे कैंप के दौरान ही उस की मुलाकात सिमरन और ज्योति से हुई थी. पहली ही नजर में ज्योति उस के मासूम चेहरे पर दिल दे बैठी.

कृष्ण ने ज्योति की आंखों से उस के दिल की बात पढ़ ली.  छरहरे बदन और तीखी नयननक्श वाली ज्योति भी उसे भा गई थी. इस के बाद अकसर दोनों की मुलाकातें होने लगीं. जल्दी ही उन की ये मुलाकातें प्यार में बदल गईं.

दोनों एकदूसरे से दीवानगी की हद तक प्यार करने लगे. जल्दी ही हालात यह हो गई कि अब वे एकदूसरे को देखे बिना नहीं रह सकते थे. अब इस का आसान तरीका था, वे शादी कर लें जिस से दोनों एकदूसरे की आंखों के सामने बने रहें.

ज्योति और कृष्ण की जातियां अलगअलग थीं. इसलिए ज्योति जानती थी कि उस के घर वाले कभी भी कृष्ण से उस की शादी नहीं करेंगे.

जबकि वह कृष्ण के बिना रह नहीं सकती थी. यही हाल कृष्ण का भी था. इसलिए उस ने ज्योति से भाग चलने को कहा. लेकिन ज्योति ने उस के साथ इसलिए भागने से मना कर दिया, क्योंकि इस से उस के घर वालों की बदनामी होती.

सहेली को बनाया शिकार

इस के बाद उन्होंने एक साथ रहने के बारे में सोचाविचारा तो उन के दिमाग में आया कि क्यों न वे अपनी कदकाठी के 2 लोगों की हत्या कर के उन के चेहरे तेजाब से इस तरह झुलसा दें कि कोई उन्हें पहचान न पाए. इस के बाद वे उन्हें अपने कपड़े पहना कर अपने आईकार्ड, फोन वगैरह वहां छोड़ देंगे, ताकि लोगों को लगे कि उन की हत्या हो चुकी है.

ज्योति की सहेली सिमरन दुबे उसी की कदकाठी की थी. वे उसे जहां बुलाते, वह वहां आ भी जाती. इसलिए सिमरन की हत्या की योजना बन गई. अब कृष्ण की कदकाठी के लड़के को ढूंढना था.

कृष्ण के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं था. 5 सितंबर को एनएसएस के कैंप के बहाने कृष्ण ने सिमरन और रमेश को फोन कर के गौशाला मंदिर के पहली मंजिल स्थित कमरे पर बुला लिया.

कृष्ण दाढ़ी नहीं रखे था, जबकि रमेश रखे था. इसलिए कृष्ण ने उस से दाढ़ी बनवा कर आने को कहा. लेकिन वह गोहाना मोड़ पर पहुंचा तो वहां कोई सैलून नहीं था, इसलिए उस ने फोन कर के कृष्ण को यह बात बताई तो उस ने उसे आने से मना कर दिया. रमेश वहीं से लौट गया. लेकिन सिमरन कृष्ण और ज्योति के जाल में फंस गई.

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सिमरन दुबे गौशाला मंदिर पहुंची तो कृष्ण और ज्योति वहां पहले से ही मौजूद थे. ज्योति को देख कर सिमरन बहुत खुश हुई. उस ने यह खुशी उस के गले मिल कर जाहिर की. गौशाला मंदिर पहुंचने से पहले ही कृष्ण ने कोल्डड्रिंक, नींद की गोलियां और तेजाब की व्यवस्था कर रखी थी. इन्हें वह अपने साथ लाए बैग में छिपा कर लाया था.

नींद की गोली मिली कोल्डड्रिंक पिलाई

कृष्ण ने सिमरन को नींद की गोलियां मिली कोल्डड्रिंक पीने को दी तो उस ने उन से भी कोल्डड्रिंक पीने को कहा. दोनों ने कहा कि उन्होंने अभीअभी पी है. कोल्डिड्रिंक पीने के कुछ देर बाद सिमरन की आंखें मुंदने लगीं. फिर वह बेहोश सी हो कर नीचे फर्श पर लेट गई. इस के बाद ज्योति ने उस के दोनों पैर पकड़ लिए तो कृष्ण ने उस का गला घोंट दिया.

इस तरह सिमरन को मौत के घाट उतार कर ज्योति ने उसे अपने कपड़े पहना दिए और उस के चेहरे पर तेजाब डाल कर झुलसा दिया. वह ज्योति है, यह साबित करने के लिए उस ने अपना आईकार्ड और मोबाइल फोन उस के पास छोड़ दिया, ताकि लोग इसे ज्योति समझें.

सिमरन की हत्या करने के बाद ज्योति और कृष्ण कमरे से बाहर आए और औटो से पानीपत रेलवे स्टेशन पहुंचे. उस समय वहां कोई टे्रन नहीं थी, इसलिए वे बसस्टैंड गए. वहां से चंडीगढ़ की बस पकड़ कर वे अगले दिन जीरकपुर पहुंच गए. अगले दिन अखबार में ज्योति की हत्या का समाचार छपा तो दोनों निश्चिंत हो गए कि हत्या का शक सिमरन पर किया जाएगा.

उन्होंने आराम से जीरकपुर के एक मौल में शौपिंग की और शिमला जा कर बसस्टैंड के नजदीक होटल रौयल में कमरा ले कर ठहर गए.

पुलिस उन के पीछे पड़ी है, इस का अंदाजा उन्हें बिलकुल नहीं था. पुलिस ने उन की तलाश में शिमला में 2 घंटे में सैकड़ों होटल छान मारे थे. जब पुलिस रौयल होटल में पहुंची तो पुलिस को देख कर सारा स्टाफ भाग गया. पुलिस को कमरा नंबर भी पता नहीं था. आखिर आधे घंटे की मशक्कत के बाद एक कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर कृष्ण और ज्योति मिले.

ज्योति के जिंदा बरामद होने के बाद सिमरन के घर वाले बेटी की हत्या के शोक में डूब गए थे. जबकि आलोक दुबे घटना वाले दिन से ही कह रहे थे कि मरने वाली ज्योति नहीं, उन की बेटी सिमरन है. लेकिन कोई उन की बात मानने को तैयार नहीं था.

ज्योति के जिंदा बरामद होने के बाद पुलिस आलोक दुबे और उन की पत्नी ऊषा को मधुबन ले गई, जहां डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिए गए. रिपोर्ट आने के बाद निश्चित हो जाएगा कि गौशाला मंदिर के कमरे में मिली लाश सिमरन की ही थी.

पुलिस की लापरवाही

सिमरन हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ कर पुलिस भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन इस में पुलिस की लापरवाही भी नजर आ रही है. शिमला के होटल में आईडी के रूप में कृष्ण और ज्योति ने अपने आधार कार्ड जमा कराए थे, वे आधार कार्ड श्याम और राधा के नाम से थे. साफ था कि वे फर्जी थे.

पुलिस ने जब कृष्ण से उन के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि आधार कार्ड उस के दोस्त देव कपूर ने जयपुर से बनवाए था. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया है. अब पुलिस आधार कार्ड बनाने वाले को गिरफ्तार करना चाहती है.

पुलिस सिमरन का मोबाइल फोन बरामद करना चाहती है, जिस के बारे में कृष्ण और ज्योति कभी कहते हैं कि शिमला में झाडि़यों में फेंक दिया है तो कभी कहते हैं कि रास्ते में फेंक दिया था. इस के अलावा यह भी पता लगाया जा रहा है कि उन्होंने तेजाब और नींद की गोलियां कहां से खरीदी थीं.

इन के बारे में उन का कहना है कि तेजाब गुंड़मंडी से लिया था, जबकि नींद की गोलियां अपने एक रिश्तेदार के मैडिकल स्टोर से मंगवाई थीं.

रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

प्रेम की अंधी गली में फंस कर ज्योति और कृष्ण ने जो कदम उठाया, आखिर उस से उन्हें क्या मिला. उन्होंने जो अपराध किया है, वे कानून की नजरों से बच नहीं पाएंगे. लेकिन अगर बच भी गए तो शायद ही समाज उन्हें सुकून से रहने दे. Story Hindi

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Short love Story in Hindi : वैलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी, 2023 का दिन था. नालासोपारा इलाके में भी इस समय अच्छीखासी चहलपहल थी. लोग रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे. शाम के समय वहां के निवासियों को सीता सदन बिल्डिंग से बदबू आती हुई महसूस हुई तो किसी अनहोनी की आशंका से उन्होंने इस की सूचना इलाके के तुलिंज थाने में फोन कर के दे दी. यह सूचना सुन कर पुलिस सीता सदन बिल्डिंग की तरफ निकलने की तैयारी करने लगी. इसी दौरान कर्नाटक से एक महिला ने इसी थाने में फोन कर के सूचना दी कि सीता सदन में रहने वाली उस की भतीजी मेघा का कत्ल हो गया है. उसे यह बात स्वयं कातिल हार्दिक ने वाट्सऐप पर मैसेज कर के बताई है.

कुछ देर पहले पुलिस को सीता सदन में ही बदबू आने की काल मिली थी, अब उसी बिल्डिंग में हत्या किए जाने की काल मिलने पर इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर समझ गए कि दोनों ही काल एक ही घटना की हो सकती हैं. इसलिए वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की तरफ निकल गए. जब वह वहां पहुंचे तो देखा कि मुख्य दरवाजे पर ताला लगा था. उन्होंने ताला तुड़वा कर कमरे में प्रवेश किया तो कमरे में एक बैड पड़ा था, जिस के अंदर से भयंकर बदबू आ रही थी. बैड का बौक्स खोला गया तो उस के अंदर सड़ीगली हालत में एक महिला की लाश मिली. लाश की खराब हालत को देख कर ऐसा लगता था जैसे उस की हत्या लगभग 2 से 3 दिन पहले की गई होगी, क्योंकि शव सड़ने लगा था और उस से तेज बदबू बाहर निकल रही थी.

घर के अन्य कमरों की तलाशी लेने पर वहां घरगृहस्थी का कोई अन्य सामान नहीं मिला. लाश की सभी एंगल से फोटोग्राफी करवाने और फिंगरप्रिंट लेने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया गया. इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर ने पड़ोसियों से घटना के बारे में पूछताछ कर मालूम करने की कोशिश की तो पता चला कि कोई एकाध महीने पहले एक दंपति यहां किराए पर रहने के लिए आया था. पड़ोसियों को इस मकान के अंदर से अकसर उन के लड़ने की भी आवाजें आती थीं, जिस से लगता था उन के आपसी संबंध ठीक नहीं रहे होंगे.

चूंकि पड़ोसियों को उन के व्यक्तिगत मामले से कुछ लेनादेना नहीं था, शायद इसलिए किसी ने उन के पर्सनल मामले में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं समझा था. मृतक मेघा के साथ रहने वाला युवक हार्दिक गायब था. यह देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि इस की हत्या उस के पति हार्दिक ने ही की होगी. क्योंकि उसी ने मेघा की चाची को वाट्सऐप पर मैसेज भेज कर मेघा का कत्ल करने की बात कही थी.

अब पुलिस को पूछताछ के लिए उस युवक की तलाश थी, लेकिन पड़ोसियों में से किसी ने भी उसे फरार होते हुए नहीं देखा था. आखिरकार, मकान मालिक और रियल स्टेट एजेंट को बुला कर इस में रहने वाले युवक के बारे में पूछताछ की गई. इस जांच में केवल इतना पता लगा कि युवक का नाम हार्दिक शाह और महिला का नाम मेघा धन सिंह थोरवी था. लेकिन पूछताछ में सब से अच्छी बात यह हुई कि पुलिस को मकान मालिक से हार्दिक का मोबाइल नंबर मिल गया.

सीता सदन को सील कर इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर की टीम वापस थाने लौट गई. उसी रात यानी 14 फरवरी, 2023 को मेघा की हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया.

मोबाइल फोन से मिला सुराग

मामला दर्ज करने के बाद पुलिस आरोपी हार्दिक की तलाश में जीजान से लग गई. इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर ने अपनी टीम को घर के आसपास लगे सीसीटीवी की फुटेज खंगालने का आदेश दिया. साथ ही आरोपी हार्दिक के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा कर उस की लोकेशन को ट्रेस करना शुरू किया तो 12 फरवरी को उस के ट्रेन द्वारा मुंबई से राजस्थान के लिए रवाना होने का पता चला. इस वक्त वह ट्रेन में सवार था.

इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर ने मुंबई के मीरा भायंदर वसई विरार की अपराध शाखा और मध्य प्रदेश के नागदा स्थित आरपीएफ पुलिस को आरोपी के बारे में सूचित कर दिया. आरपीएफ की मदद से हार्दिक को यात्रा के दौरान ही मध्य प्रदेश के नागदा रेलवे स्टेशन से उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वह ट्रेन की बोगी में यात्रा कर रहा था. अपराध शाखा की टीम ने आरोपी हार्दिक को नागदा से ला कर तुलिंज थाने के इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर को सौंप दिया.

इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर ने हार्दिक से पूछताछ शुरू की तो हार्दिक ने मेघा की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. अपने इकबालिया बयान में आरोपी हार्दिक ने जो कुछ बताया, वह इस प्रकार है— हार्दिक शाह एक मौडर्न खयाल का युवक था. वह मुंबई में मलाड के एक नामचीन हीरा  व्यापारी संपत भाई का बेटा था. घर में दौलत की कमी नहीं थी, इसलिए उस का सारा दिन सैरसपाटे और मौजमस्ती में गुजर जाता था. जैसा कि आमतौर पर देखा गया है कि आजकल लड़के की कोई न कोई गर्लफ्रैंड जरूर होती है. हार्दिक शाह को भी सोशल मीडिया पर चलने वाले विभिन्न ऐप पर नई लड़कियों से दोस्ती कर उन के साथ चैटिंग करने में बड़ा मजा आता था.

बात सन 2018 की है. एक डेटिंग ऐप पर हार्दिक शाह की मुलाकात मेघा धन सिंह तोरवी से हुई. 34 वर्षीया मेघा तोरवी मूलरूप से केरल की निवासी थी, लेकिन इन दिनों नालासोपारा के एक अस्पताल में नर्स की नौकरी करती थी. इन दिनों लड़के हों या लड़कियां, अपने से बड़ी उम्र के पार्टनर के साथ इश्क करने से गुरेज नहीं करते. हार्दिक और मेघा तोरवी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. हार्दिक शाह की उम्र 24 साल थी, जबकि मेघा तोरवी 34 की थी. वह हार्दिक से लगभग 10 साल बड़ी थी. लेकिन प्रेमिका के बड़ी उम्र के होने से हार्दिक को कोई परेशानी नहीं थी.

कुछ दिनों तक आपस में चैटिंग करने के बाद उन का मिलनाजुलना शुरू हो गया. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे के इतने करीब आ गए कि उन्हें अब एकदुसरे से दूर रह पाना मुश्किल लगने लगा. आखिरकार उन्होंने लिवइन रिलेशनशिप में रहने का फैसला कर लिया. हार्दिक मलाड स्थित अपने पैतृक घर से दूर आ कर विजय नगर में एक मकान ले कर मेघा के साथ रहने लगा. हार्दिक जैसे मालदार प्रेमी का साथ पा कर मेघा अपने जीवन को धन्य समझने लगी. हार्दिक ने मेघा के सामने अपने पिता की दौलत को ले कर ढेर सारे कसीदे पड़े थे, जिसे सुन कर मेघा सपनों की सतरंगी दुनिया में विचरने लगी थी. उसे लगता था कि हार्दिक के साथ उस की बाकी की जिंदगी बड़े आराम से गुजरेगी.

हार्दिक को खुश रखने के लिए वह अपनी सारी कमाई उस पर लुटाने लगी. उसे खुश रखने में मेघा कभी कोई कोरकसर बाकी नहीं छोड़ती थी.

मेघा के साथ लिवइन में रहने लगा हार्दिक

हालांकि हार्दिक भी मेघा को दिलोजान से चाहता था. वह मेघा के लिए नएनए तोहफे लाया करता और उस की हर सुखसुविधा का बहुत खयाल रखता था. मेघा जब नौकरी के लिए जाती तो वह उसे छोड़ने और छुट्टी के समय उसे लेने जाता था. हार्दिक के पिता उसे जेब खर्च के लिए हरेक महीने 20 हजार रुपए देते थे. दोनों की जिंदगी मजे में गुजर रही थी. तभी 2019 के मार्च महीने में कोरोना फैलने के डर से पूरे देश में लौकडाउन लगा दिया गया. इस लौकडाउन से लोगों के कामधंधे छूट गए. हार्दिक और मेघा भी इस से बच नहीं सके और उन की भी जिंदगी परेशानी में घिर गई.

कुछ दिनों के बाद हार्दिक ने फिर भी डेटा कलेक्शन का काम कर के घर की स्थिति को संभाल लिया. 2022 में जब देश में लौकडाउन हटाने की घोषणा हुई तो मुंबई का जनजीवन सामान्य होने लगा. इस के बाद जब हालात ठीक हो गए तो मेघा ने फिर से अपनी नौकरी पर जाना शुरू कर दिया. उन के घर में खुशियां पहले की बहाल हो गईं. सब कुछ ठीक ही चल रहा था. हार्दिक बीचबीच में मलाड स्थित अपने पिता के घर भी चला जाता था. अभी तक हार्दिक ने अपने घर में मेघा के साथ रहने की बात नहीं बताई थी. उसे मालूम था कि उस के पिता मेघा को अपने घर की बहू के रूप में कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

एक बार किसी काम में हार्दिक ने पिता के 40 लाख रुपए गंवा दिए. इस से उस के पिता बहुत नाराज हुए थे. करीब 8 महीने बाद अगस्त में हार्दिक ने मेघा से शादी कर ली और विजय नगर से नालासोपारा के सीता सदन में रहने चला आया. यहां हार्दिक और मेघा ने लोगों को यही बताया कि वे पतिपत्नी हैं. अभी दोनों को यहां रहते हुए कुछ ही समय गुजरा था कि हार्दिक के पिता को बेटे के मेघा के साथ रहने की जानकारी हुई तो वह उस से इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने हार्दिक को अपनी पूरी जायदाद से हमेशा के लिए बेदखल कर दिया. इस के साथ उन्होंने हार्दिक को महीने का मिलने वाला 20 हजार रुपए देना बंद कर दिया.

मेघा की कमाई पर करने लगा ऐश

पिता द्वारा उठाए इस सख्त कदम से हार्दिक की आर्थिक हालत खस्ता हो गई. दरअसल, अभी तक वह पिता की दौलत पर ही ऐश कर रहा था. लेकिन अब जब पिता ने उस की हरकतों से तंग आ कर उसे बेदखल किया तो अपने पैर पर खड़े होने की बजाय वह मेघा की कमाई पर ऐश करने लगा. उसे लगता था कि मेघा उस के बेरोजगार पड़े रहने पर कुछ नहीं कहेगी. पहले तो मेघा ने उसे समझाबुझा कर अपने योग्य कोई ढंग का काम या कोई नौकरी तलाशने का सुझाव दिया. पर मेघा की बात पर हार्दिक ने रत्ती भर भी ध्यान नहीं दिया.

वह मेघा की कमाई पर ऐश करने लगा, जिस से मेघा को घर का खर्च पूरा करने में परेशानी होने लगी. हार्दिक के हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी मेघा के नाजुक कंधों पर आ गई. रुपएपैसे की किल्लत के कारण उन के घर में क्लेश रहने लगा. हार्दिक मामले की नजाकत को नहीं समझा और मेघा के पैसों पर ऐश करना जारी रखा. आखिर में 11 और 12 फरवरी, 2023 की रात हार्दिक के बेरोजगार रहने को ले कर बात बढ़ जाने पर हार्दिक अपना आपा खो बैठा और तौलिए से मेघा का गला घोट कर मार डाला. मेघा की लाश को छिपाने के लिए उस ने उस की लाश बिस्तर में लपेट कर बैड के बौक्स में रख दी.

पुलिस द्वारा पकड़े जाने से बचने के लिए वह यहां से बहुत दूर चला जाना चाहता था. लेकिन उस के पास पैसे नहीं थे, इसलिए अगले दिन उस ने घर के सभी महंगे सामान कम कीमत पर बेच कर कुछ रुपए इकट्ठा किए. 12 फरवरी को फरार होने से पहले हार्दिक ने कनार्टक में रहने वाली मेघा की चाची को फोन कर बता दिया कि रोजरोज के झगड़े तंग आ कर उस ने मेघा की हत्या कर दी है और उस की लाश बैड के बौक्स में छिपा दी है. अब वह आत्महत्या करने हरिद्वार जा रहा है.

इस के बाद वह घर के दरवाजे पर ताला लगा कर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया. वहां से उस ने राजस्थान जाने के लिए ट्रेन पकड़ी मगर पुलिस ने 15 फरवरी, 2023 को बीच रास्ते से ही उसे गिरफ्तार कर लिया.

उसे मुंबई के वसई की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 21 फरवरी, 2023 तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है.  Short love Story in Hindi

Mumbai News : प्रेमी बना कातिल – 17 वार मंगेतर पर चाकूओं से बार कर किया कत्ल

Mumbai News: मुंबई के निकट जिला ठाणे के उपनगर मुंब्रा में एक सिनेमाघर है आलीशान. इस सिनेमाघर से थोड़ी दूरी पर एक बिल्डिंग है नूरानी. 45 वर्षीय उमर मोहम्मद शेख इसी इमारत की चौथी मंजिल के एक फ्लैट में अपने परिवार के साथ रहते थे. फ्लैट किराए का था. उमर शेख का मुंब्रा में अच्छा कारोबार था, साथ ही मानसम्मान भी. लोग उन्हें आदर से उमर भाईजान कह कर बुलाते थे.

उमर शेख के परिवार में उन की पत्नी जुबेरा शेख, 3 बेटियां और एक बेटे को मिला कर 6 सदस्य थे, जो अब 5 रह गए थे. उन का बेटा भरी जवानी में एक जानलेवा बीमारी का शिकार हो कर दुनिया को अलविदा कह गया था.

वक्त ने ऐसा कहर ढाया कि एक सड़क दुर्घटना में उमर मोहम्मद की कमर में भी चोटें आईं और वह बिस्तर पर पहुंच गए. अस्पताल के भारीभरकम खर्चे की वजह से वह अपनी कमर का औपरेशन भी न करवा पाए थे. लाचार हो कर उन्हें घर में बैठना पड़ा. घर बैठ जाने से उन के घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. कारोबार बंद होने से उन की आमदनी भी बंद हो चुकी थी.

घर में जब भूखों मरने की नौबत आई तो उन की बेटी नसरीन ने घर की जिम्मेदारियां उठाने का फैसला किया. सामाजिक रस्मोरिवाज के चलते नसरीन ने अपना बुरका उतार फेंका.

20 वर्षीय सुंदर स्वस्थ और महत्त्वाकांक्षी नसरीन उमर मोहम्मद की दूसरे नंबर की बेटी थी. नसरीन ने मुंब्रा के एक कालेज से 12वीं पास की थी. घरपरिवार की माली हालत देख नसरीन नौकरी की तलाश में लग गई. जल्दी ही उस की यह तलाश पूरी हो गई. उसे मुंबई के अंधेरी वेस्ट के ‘चाय पर चर्चा’ नाम के एक कौफी हाउस में नौकरी मिल गई.

अपनी मेहनत और विनम्र स्वभाव से नसरीन ने एक साल के अंदर कौफी हाउस के मैनेजमेंट का दिल जीत लिया. इस से प्रभावित हो कर कौफी हाउस के मैनेजमेंट ने उस का वेतन बढ़ा दिया. साथ ही उसे प्रमोशन दे कर उसे कोलाबा फोर्ट स्थित अपनी पौश इलाके की ब्रांच में नियुक्त कर दिया.

नसरीन को ‘चाय पर चर्चा’ कौफी हाउस की मैनेजर बन कर आए हुए अभी 6 महीने भी नहीं हुए थे कि नसरीन की विनम्रता और मेहनत से कौफी हाउस की आय काफी बढ़ गई थी. उस कौफी हाउस से कोई भी कस्टमर नाराज हो कर नहीं जाता था.

कौफी हाउस की क्वालिटी में सुधार तो आया ही, लोग उस की प्रशंसा भी करने लगे. ‘चाय पर चर्चा’ कौफी हाउस की नौकरी से घर की स्थिति सुधर गई तो नसरीन ने अपने पिता की कमर का औपरेशन करवाया. अब नसरीन का इरादा अपनी बड़ी बहन का निकाह करवाने का था, लेकिन वह ऐसा कर पाती, इस से पहले ही ऐसा कुछ हो गया कि उमर मोहम्मद का परिवार अधर में लटक कर रह गया.

31 जुलाई, 2018 की रात नसरीन के परिवार वालों पर बहुत भारी पड़ी. उस दिन सुबह के साढ़े 7 बजे नसरीन ने जल्दीजल्दी लंच का डिब्बा तैयार कर के बैग उठाया और मां से यह कह कर घर से बाहर निकल गई कि 8 बजे की लोकल ट्रेन छूट जाएगी. उस ने चाय तक नहीं पी थी.

नसरीन हुई लापता

दिन में उस ने 2-3 बार घर पर फोन भी किया, सब ठीक था. लेकिन घर वालों के दिलों की धड़कनें तब बढ़ने लगीं, जब रात 10 बजे तक न तो नसरीन घर लौटी और न उस ने फोन किया. नसरीन कभी घर आने में लेट होती थी तो फोन कर के इस की जानकारी अपने घर वालों को दे देती थी. घर वालों ने उस के मोबाइल पर फोन लगाया तो वह भी बंद मिला.

जब 11 बजे तक नसरीन की कोई जानकारी नहीं मिली तो उमर शेख को नसरीन की चिंता होने लगी. उन्होंने कैफे में फोन कर के पूछा तो पता चला कि नसरीन अपने समय पर निकल गई थी.

उमर मोहम्मद ने अपने सगेसंबंधियों के साथसाथ जानपहचान वालों को भी फोन कर के नसरीन के बारे में पूछा, लेकिन कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली.

जैसेजैसे रात गहराती जा रही थी, उमर शेख के परिवार की चिंता बढ़ती जा रही थी. उन्होंने नसरीन के प्रेमी सलमान खान को भी फोन किया, लेकिन उस का फोन भी बंद था.

बारबार कोशिश करने के बाद आखिर सलमान खान का फोन मिल गया. उस ने बताया कि नसरीन उसे 7 बजे चर्चगेट के ओवल पार्क में मिली थी. वहां दोनों कुछ देर तक बैठे रहे और 8 बजे ओवल पार्क से बाहर आए थे.

वहां से नसरीन यह कहते हुए निकल गई थी कि वह वीटी रेलवे स्टेशन के पास वाले स्टालों से घर के लिए कुछ शौपिंग कर के घर जाएगी. इस के बाद का उसे कुछ पता नहीं है, क्योंकि वह घर लौट आया था. साथ ही उस ने यह भी पूछा कि परेशान क्यों हैं?

‘‘बेटा, नसरीन अभी तक घर नहीं पहुंची है.’’ उमर शेख ने भरे गले से बताया.

‘‘घबराओ नहीं चाचा, मैं आ रहा हूं.’’ कह कर सलमान ने फोन काट दिया.

रात के करीब 3 बजे सलमान जब नसरीन के घर पहुंचा तो घर में सभी दुखी बैठे थे. नसरीन की मां जुबेरा की हालत सब से ज्यादा खराब थी.

‘‘इतना लेट क्यों आए बेटा?’’ उमर शेख के पूछने पर सलमान ने अपनी बाइक खराब होने की बात बताई.

सलमान खान आधे घंटे तक उन के घर बैठा रहा. वह घर वालों को सांत्वना दे रहा था. इस के बाद वह उमर शेख और उन के साले को साथ ले कर नसरीन की तलाश में निकल पड़ा.

शुरू हुई नसरीन की तलाश

नसरीन की तलाश में निकले सलमान और उमर शेख पहले मुंब्रा पुलिस थाने गए. वहां उन्होंने ड्यूटी अफसर को नसरीन के बारे में सारी बातें बता कर शिकायत दर्ज करवाई. नसरीन की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद ड्यूटी अफसर ने उन्हें वीटी रेलवे पुलिस और आजाद मैदान पुलिस थाने जाने का सुझाव दिया. वजह यह कि नसरीन जिस एरिया में काम करती थी, वह आजाद मैदान पुलिस थानाक्षेत्र में आता था.

मुंब्रा पुलिस के सुझाव पर सलमान खान ने नसरीन के पिता उमर शेख और उन के साले के साथ मुंब्रा से सुबह 4 बजे वीटी स्टेशन जाने वाली लोकल ट्रेन पकड़ी. रेलवे पुलिस थाने में पता करने के बाद वे लोग आजाद मैदान पुलिस थाने के लिए निकले. लेकिन वहां न जा कर तीनों आजाद मैदान पुलिस थाने के बजाय पास ही दैनिक नवभारत टाइम्स के सामने स्थित आजाद मैदान चौकी पहुंच गए.

चौकी में तैनात सिपाहियों ने उन्हें कोलाबा पुलिस थाने जाने को कहा. कोलाबा पुलिस थाने के पुलिस अफसरों ने उन्हें वापस आजाद मैदान भेज दिया. इस भागदौड़ में उमर शेख काफी थक गए थे. लेकिन बेटी का मामला था, इसलिए वह दौड़ते रहे.

‘‘बेटा सलमान, यहां से ओवल पार्क कितनी दूर है? हम चाहते हैं कि वह जगह भी देख लें, जहां तुम दोनों मिले थे.’’

उमर शेख के सवाल से सलमान के चेहरे का रंग उड़ गया. फिर भी उस ने खुद को संभाल कर कहा, ‘‘बस यहीं पास में ही है. वहां जाने के लिए हम टैक्सी कर लेते हैं.’’

‘‘नहीं, उस की कोई जरूरत नहीं है. जब पास में है तो पैदल ही चलते हैं.’’ कह कर उमर शेख ओवल पार्क की तरफ चल दिए.

बेटी की लाश मिलेगी, उमर शेख ने सोचा न था

तब तक सुबह के साढ़े 7 बज चुके थे. इस के पहले कि ये लोग ओवल पार्क पहुंचते, आजाद मैदान पुलिस थाने की पैट्रोलिंग टीम वहां पहुंची हुई थी. पुलिस एक युवती की लाश को घेरे खड़ी थी. वहां काफी लोग एकत्र थे. तभी एक व्यक्ति ने भीड़ से बाहर आ कर बताया कि एक युवती की लाश पड़ी है. उस की बात सुन कर उमर शेख के होश उड़ गए.

भीड़ को चीरते हुए जब वह शव के पास पहुंचे तो उन के मुंह से दर्दभरी चीख निकल गई. वह छाती पीटपीट कर रोने लगे. उन्हें रोतेबिलखते देख पुलिस टीम ने पहले उन्हें संभाला फिर पूछताछ की. उन्होंने बता दिया कि मृतका उन की बेटी नसरीन है. उस की पहचान उन्होंने कफन से बाहर निकली जूती से ही कर ली थी.

नसरीन की लाश वहां पड़ी होने की जानकारी सुबह ओवल पार्क में घूमने निकले लोगों ने पुलिस कंट्रोल रूम को दी थी. पुलिस कंट्रोल रूम ने यह जानकारी मुंबई के सभी पुलिस थानों के साथसाथ उच्चाधिकारियों को भी दे दी थी.

घटनास्थल ओवल पार्क था और यह जगह थाना आजाद मैदान के क्षेत्र में आती थी. थाना आजाद मैदान के ड्यूटी अफसर इंसपेक्टर प्रदीप झालाटे ने लाश मिलने की जानकारी थानाप्रभारी वसंत वाखारे के साथसाथ पुलिस पैट्रोलिंग टीम को भी दे दी थी.

जानकारी मिलते ही पैट्रोलिंग टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. बाद में थाना आजाद मैदान के सीनियर इंसपेक्टर वसंत वाखारे अपने सहायक इंसपेक्टर बलवंत पाटील, सहायक इंसपेक्टर रविंद्र मोहिते और सबइंसपेक्टर प्रदीप झालाटे के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

उन्होंने नसरीन की लाश का निरीक्षण कर के उसे वीटी स्थित जीटी अस्पताल भेज दिया. अस्पताल के डाक्टरों ने लाश देखने के बाद नसरीन को मृत घोषित कर दिया.

थानाप्रभारी वसंत वाखारे ने नसरीन की लाश को पोस्टमार्टम के लिए जे.जे. अस्पताल भेज दिया और मृतका के पिता उमर शेख, उन के साले और सलमान खान को थाने ले आए. पिता की ओर से शिकायत दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी ने जांच शुरू कर दी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतका नसरीन के शरीर पर चाकू के 17 घाव थे. मतलब उसे बड़ी बेरहमी से मारा गया था. उस की मौत ज्यादा खून बहने से हुई थी.

पुलिस की प्रारंभिक जांच में नसरीन की हत्या के पीछे प्यार और धोखे की कहानी लग रही थी. हकीकत तक पहुंचने के लिए पहले नसरीन के व्यक्तिगत जीवन की हकीकत पता करनी जरूरी थी.

पुलिस की तफ्तीशी टीम ने सब से पहले नसरीन की कुंडली खंगालनी शुरू की. पुलिस टीम ने नसरीन की फ्रैंड्स और ‘चाय पर चर्चा’ कौफी हाउस के कर्मचारियों से गहराई से पूछताछ की. नसरीन के घर और ‘चाय पर चर्चा’ कौफी हाउस से शुरू की गई तफ्तीश ने पुलिस को जल्द ही सफलता दिला दी. पुलिस के राडार पर नसरीन का प्रेमी सलमान खान आ गया. सलमान खान वैसे भी पुलिस की नजर में संदिग्ध था.

जल्दी ही यह बात साफ हो गई कि नसरीन का हत्यारा सलमान खान ही है. सच्चाई जान कर नसरीन के घर वाले हैरत में रह गए. जिसे अपना समझा था, वही बेटी का हत्यारा निकला. वे लोग तो उस के साथ नसरीन का निकाह करने के लिए तैयार थे. पुलिस जांच और सलमान खान के बयान से नसरीन हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी-

गांव से मुंबई पहुंचे सलमान को मिली प्रेमिका

28 वर्षीय सलमान खान उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक गांव का रहने वाला था. उस के पिता का नाम मुश्ताक खान था, जो गांव के साधारण किसान थे. सलमान खान का निकाह हो चुका था. उस की पत्नी 2 बच्चों की मां बन चुकी थी. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से वह नौकरी की तलाश में मुंबई आ गया था.

मुंबई के भायखला क्षेत्र में उस के कई परिचित रहते थे. उन की मदद से उसे कोलाबा कोर्ट स्थित सन्नी फ्रूट ट्रांसपोर्ट में फ्रूट डिलीवरी की नौकरी मिल गई. फ्रूट ट्रांसपोर्ट का औफिस और ‘चाय पर चर्चा’ कौफी हाउस आसपास थे. नौकरी मिलने के बाद सलमान ने भायखला इलाके में किराए का एक कमरा ले लिया और अपनी बीवी और बच्चों को मुंबई ले आया.

औफिस में सलमान को कई काम करने होते थे. कभीकभी उसे अपने यहां के अफसरों के लिए कौफी का और्डर देने के लिए ‘चाय पर चर्चा’ कौफी हाउस जाना पड़ता था.

जब तक नसरीन फोर्ट स्थित कौफी हाउस में नहीं आई थी, तब तक सलमान का जीवन सामान्य रूप से चल रहा था, लेकिन नसरीन के वहां आने के बाद सलमान के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. मनचले सलमान का दिल नसरीन पर आ गया. वह पहली ही नजर में नसरीन का दीवाना हो गया. अब औफिस की सारी चाय और कौफी का और्डर देने वही जाने लगा. जब वह ‘चाय पर चर्चा’ कौफी हाउस में जाता, तो उस की निगाहें नसरीन पर ही टिकी रहती थीं. पहले तो नसरीन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. लेकिन धीरेधीरे नसरीन को उस की निगाहों की भाषा समझ में आने लगी. नतीजतन जल्दी ही दोनों में दोस्ती हो गई. दोनों एकदूसरे के बारे में सब कुछ जानसमझ कर घुलमिल गए.

सलमान खान का अपना छोटा सा परिवार था, जबकि नसरीन कुंवारी थी और उस के ऊपर अपने परिवार की पूरी जिम्मेदारी थी. सलमान शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप है, यह जानते हुए भी नसरीन ने अपने संबंधों पर कोई विरोध या आपत्ति नहीं की. इस की जगह उस ने सलमान से निकाह करने के लिए भी हां कर दी थी.

उस की बस यह शर्त थी कि पहले वह अपने पिता उमर शेख की कमर का औपरेशन कराएगी. अब समस्या यह थी कि नसरीन के परिवार वाले क्या एक शादीशुदा से उस का निकाह करने को तैयार होंगे. लेकिन यह समस्या भी हल हो गई.

नसरीन ने अपने जानपहचान वालों से आर्थिक मदद ले कर अपने पिता को औपरेशन के लिए एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवा दिया. इस औपरेशन में सलमान ने नसरीन का दोस्त बन कर उमर शेख की काफी मदद की. इस से प्रभावित हो कर नसरीन के परिवार ने उस के और नसरीन के रिश्ते को मंजूरी दे दी थी.

नसरीन और सलमान दोनों ही राजी थे, ऐसे में किसी को क्या आपत्ति होती. परिवार की तरफ से सिगनल मिलने के बाद नसरीन और सलमान दोनों ड्यूटी के बाद खुल कर मिलने लगे. दोनों साथसाथ घूमते और मौजमस्ती करते.

लेकिन उस मासूम कली को निचोड़ लेने के बाद सलमान का असली चेहरा सामने आ गया. धीरेधीरे उसे नसरीन बोझ लगने लगी. यह जानते हुए भी कि नसरीन के कंधों पर उस की बहन के निकाह की जिम्मेदारी है, वह नसरीन पर निकाह का दबाव बनाने लगा. दरअसल, उस की सोच यह थी कि नसरीन उस की पत्नी बन गई तो उस का वेतन भी उस के घर आने लगेगा. समस्या यह थी कि नसरीन निकाह के लिए तैयार नहीं थी.

इसी को ले कर सलमान खान नसरीन पर संदेह करने लगा. इस बात पर दोनों में लड़ाईझगड़ा भी होता. वह चाहता था कि या तो नसरीन उसे छोड़ दे, फिर शादी करे. लेकिन यह नसरीन के लिए संभव नहीं था, वह सलमान को बहुत प्यार करती थी. दूसरी ओर जब सलमान को यकीन हो गया कि नसरीन उस की जिंदगी से जाने वाली नहीं है, तो उस ने नसरीन को अपनी जिंदगी से बाहर निकालने का एक क्रूर फैसला ले लिया.

प्रेमी बना हत्यारा

घटना के दिन सलमान ने नसरीन को चर्चगेट के ओवल पार्क में बुलाया. नसरीन अपनी ड्यूटी खत्म कर के जब ओवल पार्क पहुंची तो सलमान उस के लेट पहुंचने को ले कर खरीखोटी सुनाने लगा. इस पर नसरीन का चेहरा भी लाल हो गया.

उस ने कहा, ‘‘सलमान, आखिर तुम्हें मुझ से प्रौब्लम क्या है? आजकल तुम मुझ से सीधे मुंह बात नहीं करते. मुझे छोटीछोटी बातों पर टौर्चर करते हो.’’

‘‘टौर्चर मैं करता हूं या तुम…आज तुम अपने किस यार से मिल कर आ रही हो?’’ सलमान ने कुटिलता से मुसकराते हुए कहा.

‘‘सलमान, खुदा से डरो. मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूं. तुम मर्यादा में रहो तो अच्छा है.’’ कह कर नसरीन घर जाने के लिए उठ खड़ी हुई.

लेकिन सलमान खान ने उस का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया, जिस से वह गिर गई. सलमान ने पूरे मैदान का जायजा ले कर अपनी जेब से चाकू निकाला और नसरीन पर हमला कर दिया.

चाकू के 17 वार करने के बाद सलमान वहां से भाग खड़ा हुआ. वह नसरीन का मोबाइल फोन भी अपने साथ ले गया. नसरीन को मौत की नींद सुलाने के 3 घंटे बाद उस ने नसरीन के घर वालों से संपर्क किया. बाद में वह नसरीन के घर गया और उन के साथ नसरीन को ढूंढने में उन की मदद करने लगा.

पुलिस ने सलमान से विस्तृत पूछताछ के बाद उस के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत केस दर्ज कर के उसे गिरफ्तार कर लिया. बाद में उसे अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल भेज दिया गया. Mumbai News

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Apradh Ki Kahani : बेवफाई का बदला – माशूका ने आशिक का प्राइवेट पार्ट काट डाला

Apradh Ki Kahani : मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले सीधी का एक गांव है नौगवां दर्शन सिंह, जिस में ज्यादातर आदिवासी या फिर पिछड़ी और दलित जातियों के लोग रहते हैं. शहरों की चकाचौंध से दूर बसे इस शांत गांव में एक वारदात ऐसी भी हुई, जिस ने सुनने वालों को हिला कर रख दिया और यह सोचने पर भी मजबूर कर दिया कि राजो (बदला नाम) ने जो किया, वैसा न पहले कभी सुना था और न ही किसी ने सोचा था. इस गांव का एक 20 साला नौजवान संजय केवट अपनी ही दुनिया में मस्त रहता था.

भरेपूरे घर में पैदा हुए संजय को किसी बात की चिंता नहीं थी. पिता की भी अच्छीखासी कमाई थी और खेतीबारी से इतनी आमदनी हो जाती थी कि घर में किसी चीज की कमी नहीं रहती थी.

बचपन की मासूमियत

संजय और राजो दोनों बचपन के दोस्त थे. अगलबगल में होने के चलते दोनों पर एकदूसरे के घर आनेजाने की कोई रोकटोक नहीं थी. 8-10  साल की उम्र तक दोनों साथसाफ बेफिक्र हो कर बचपन के खेल खेलते थे. चूंकि चौबीसों घंटे का साथ था, इसलिए दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगीं और उम्र बढ़ने लगी, तो दोनों में जवान होने के लक्षण भी दिखने लगे. संजय और राजो एकदूसरे में आ रहे इन बदलावों को हैरानी से देख रहे थे. अब उन्हें बजाय सारे दोस्तों के साथ खेलने के अकेले में खेलने में मजा आने लगा था.

जवानी केवल मन में ही नहीं, बल्कि उन के तन में भी पसर रही थी. संजय राजो को छूता था, तो वह सिहर उठती थी. वह कोई एतराज नहीं जताती थी और न ही घर में किसी से इस की बात करती थी. धीरेधीरे दोनों को इस नए खेल में एक अलग किस्म का मजा आने लगा था, जिसे खेलने के लिए वे तनहाई ढूंढ़ ही लेते थे. किसी का भी ध्यान इस तरफ नहीं जाता था कि बड़े होते ये बच्चे कौन सा खेल खेल रहे हैं.

जवानी की आग

यों ही बड़े होतेहोते संजय और राजो एकदूसरे से इतना खुल गए कि इस अनूठे मजेदार खेल को खेलतेखेलते सारी हदें पार कर गए. यह खेल अब सैक्स का हो गया था, जिसे सीखने के लिए किसी लड़के या लड़की को किसी स्कूल या कोचिंग में नहीं जाना पड़ता. बात अकेले सैक्स की भी नहीं थी. दोनों एकदूसरे को बहुत चाहने भी लगे थे और हर रोज एकदूसरे पर इश्क का इजहार भी करते रहते थे. चूंकि अब घर वालों की तरफ से थोड़ी टोकाटाकी शुरू हो गई थी, इसलिए ये दोनों सावधानी बरतने लगे थे.

18-20 साल की उम्र में गलत नहीं कहा जाता कि जिस्म की प्यास बुझती नहीं है, बल्कि जितना बुझाने की कोशिश करो उतनी ही ज्यादा भड़कती है. संजय और राजो को तो तमाम सहूलियतें मिली हुई थीं, इसलिए दोनों अब बेफिक्र हो कर सैक्स के नएनए प्रयोग करने लगे थे. इसी दौरान दोनों शादी करने का भी वादा कर चुके थे. एकदूसरे के प्यार में डूबे कब दोनों 20 साल की उम्र के आसपास आ गए, इस का उन्हें पता ही नहीं चला. अब तक जिस्म और सैक्स इन के लिए कोई नई बात नहीं रह गई थी.

दोनों एकदूसरे के दिल के साथसाथ जिस्मों के भी जर्रेजर्रे से वाकिफ हो चुके थे. अब देर बस शादी की थी, जिस के बाबत संजय ने राजो को भरोसा दिलाया था कि वह जल्द ही मौका देख कर घर वालों से बात करेगा. उन्होंने सैक्स का एक नया ही गेम ईजाद किया था, जिस में दोनों बिना कपड़ों के आंखों पर पट्टी बांध लेते थे और एकदूसरे के जिस्म को सहलातेटटोलते हमबिस्तरी की मंजिल तक पहुंचते थे. खासतौर से संजय को तो यह खेल काफी भाता था, जिस में उसे राजो के नाजुक अंगों को मनमाने ढंग से छूने का मौका मिलता था. राजो भी इस खेल को पसंद करती थी, क्योंकि वह जो करती थी, उस दौरान संजय की आंखें पट्टी से बंधी रहती थीं.

शुरू हुई बेवफाई

जैसा कि गांवदेहातों में होता है, 16-18 साल का होते ही शादीब्याह की बात शुरू हो जाती है. राजो अभी छोटी थी, इसलिए उस की शादी की बात नहीं चली थी, पर संजय के लिए अच्छेअच्छे रिश्ते आने लगे थे. यह भनक जब राजो को लगी, तो वह चौकन्नी हो गई, क्योंकि वह तो मन ही मन संजय को अपना पति मान चुकी थी और उस के साथ आने वाली जिंदगी के ख्वाब यहां तक बुन चुकी थी कि उन के कितने बच्चे होंगे और वे बड़े हो कर क्याक्या बनेंगे.

शादी की बाबत उस ने संजय से सवाल किया, तो वह यह कहते हुए टाल गया, ‘तुम बेवजह चिंता करते हुए अपना खून जला रही हो. मैं तो तुम्हारा हूं और हमेशा तुम्हारा ही रहूंगा.’

संजय के मुंह से यह बात सुन कर राजो को तसल्ली तो मिली, पर वह बेफिक्र न हुई.

एक दिन राजो ने संजय की मां से पड़ोसनों से बतियाते समय यह सुना कि संजय की शादी के लिए बात तय कर दी है और जल्दी ही शादी हो जाएगी. इतना सुनना था कि राजो आगबबूला हो गई और उस ने अपने लैवल पर छानबीन की तो पता चला कि वाकई संजय की शादी कहीं दूसरी जगह तय हो गई थी. होली के बाद उस की शादी कभी भी हो सकती थी.

संजय उस से मिला, तो उस ने फिर पूछा. इस पर हमेशा की तरह संजय उसे टाल गया कि ऐसा कुछ नहीं है. संजय के घर में रोजरोज हो रही शादी की तैयारियां देख कर राजो का कलेजा मुंह को आ रहा था. उसे अपनी दुनिया उजड़ती सी लग रही थी. उस की आंखों के सामने उस के बचपन का दोस्त और आशिक किसी और का होने जा रहा था. इस पर भी आग में घी डालने वाली बात उस के लिए यह थी कि संजय अपने मुंह से इस हकीकत को नहीं मान रहा था.

इस से राजो को लगा कि जल्द ही एक दिन इसी तरह संजय अपनी दुलहन ले आएगा और वह घर के दरवाजे या खिड़की से देखते हुए उस की बेवफाई पर आंसू बहाती रहेगी और बाद में संजय नाकाम या चालाक आशिकों की तरह घडि़याली आंसू बहाता घर वालों के दबाव में मजबूरी का रोना रोता रहेगा.

बेवफाई की दी सजा

राजो का अंदाजा गलत नहीं था. एक दिन इशारों में ही संजय ने मान लिया कि उस की शादी तय हो चुकी है. दूसरे दिन राजो ने तय कर लिया कि बचपन से ही उस के जिस्म और जज्बातों से खिलवाड़ कर रहे इस बेवफा आशिक को क्या सजा देनी है. वह कड़कड़ाती जाड़े की रात थी. 23 जनवरी को उस ने हमेशा की तरह आंख पर पट्टी बांध कर सैक्स का गेम खेलने के लिए संजय को बुलाया. इन दिनों तो संजय के मन में लड्डू फूट रहे थे और उसे लग रहा था कि शादी के बाद भी उस के दोनों हाथों में लड्डू होंगे.

रात को हमेशा की तरह चोरीछिपे वह दीवार फांद कर राजो के कमरे में पहुंचा, तो वह उस से बेल की तरह लिपट गई. जल्द ही दोनों ने एकदूसरे की आंखों पर पट्टी बांध दी. संजय को बिस्तर पर लिटा कर राजो उस के अंगों से छेड़छाड़ करने लगी, तो वह आपा खोने लगा. मौका ताड़ कर राजो ने इस गेम में पहली और आखिरी बार बेईमानी करते हुए अपनी आंखों पर बंधी पट्टी उतारी और बिस्तर के नीचे छिपाया चाकू निकाल कर उसे संजय के अंग पर बेरहमी से दे मारा. एक चीख और खून के छींटों के साथ उस का अंग कट कर दूर जा गिरा.

दर्द से कराहता, तड़पता संजय भाग कर अपने घर पहुंचा और घर वालों को सारी बात बताई, तो वे तुरंत उसे सीधी के जिला अस्पताल ले गए. संजय का इलाज हुआ, तो वह बच गया, पर पुलिस और डाक्टरों के सामने झूठ यह बोलता रहा कि अंग उस ने ही काटा है. पर पुलिस को शक था, इसलिए वह सख्ती से पूछताछ करने लगी. इस पर संजय के पिता ने बयान दे दिया कि संजय को पड़ोस में रहने वाली लड़की राजो ने हमबिस्तरी के लिए बुलाया था और उसी दौरान उस का अंग काट डाला, जबकि कुछ दिनों बाद उस की शादी होने वाली है.

पुलिस वाले राजो के घर पहुंचे, तो उस के कमरे की दीवारों पर खून के निशान थे, जबकि फर्श पर बिखरे खून पर उस ने पोंछा लगा दिया था. तलाशी लेने पर कमरे में कटा हुआ अंग नहीं मिला, तो पुलिस वालों ने राजो से भी सख्ती की. पुलिस द्वारा बारबार पूछने पर जल्द ही राजो ने अपना जुर्म स्वीकारते हुए बता दिया कि हां, उस ने बेवफा संजय का अंग काट कर उसे सजा दी है और वह अंग बाहर झाडि़यों में फेंक दिया है, ताकि उसे कुत्ते खा जाएं.

दरअसल, राजो बचपन के दोस्त और आशिक संजय पर खार खाए बैठी थी और बदले की आग ने उसे यह जुर्म करने के लिए मजबूर कर दिया था. राजो चाहती थी कि संजय किसी और लड़की से जिस्मानी ताल्लुकात बना ही न पाए. यह मुहब्बत की इंतिहा थी या नफरत थी, यह तय कर पाना मुश्किल है, क्योंकि बेवफाई तो संजय ने की थी, जिस की सजा भी वह भुगत रहा है.

राजो की हिम्मत धोखेबाज और बेवफा आशिकों के लिए यह सबक है कि वह दौर गया, जब माशूका के जिस्म और जज्बातों से खेल कर उसे खिलौने की तरह फेंक दिया जाता था. अगर अपनी पर आ जाए, तो अब माशूका भी इतने खौफनाक तरीके से बदला ले सकती है. Apradh Ki Kahani

Suspense Story in Hindi : अवैध संबंध का अंजाम – बोरी में लाश किसकी थी और कौन था कातिल

Suspense Story in Hindi : 22 नवंबर, 2016 की सुबह कानपुर (देहात) के थाना सजेती के गांव बसई के रहने वालों ने नहर किनारे बोरी में बंद पड़ी लाश देखी तो थाना सजेती पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी आर.के. सिंह पुलिस बल के साथ गांव बसई पहुंच गए. उन्होंने साथ आए सिपाहियों से बोरी खुलवाई तो उस में एक युवक की लाश निकली. लाश देख कर गांव वालों के बीच खड़ा रमेश फफक कर रो पड़ा. क्योंकि बोरी से निकली लाश उस के भाई राजेश की थी.

हत्या की सूचना पा कर एसपी (ग्रामीण) सुरेंद्रनाथ तिवारी भी आ गए थे. उन्होंने भी घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. इस के बाद मृतक के भाई रमेश से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि राजेश के पड़ोस में ही रहने वाली साधना से नाजायज संबंध थे. उसे शक है कि उसी ने राजेश की हत्या कराई है. एसपी थानाप्रभारी को जल्दी से जल्दी हत्यारों को पकड़ने का आदेश दे कर चले गए.

आर.के. सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला कि पहले राजेश और साधना के बीच प्रेमसंबंध थे. इधर साधना ने लालू से रिश्ते बना लिए थे. इस जानकारी से थानाप्रभारी को लगा कि राजेश का कत्ल नाजायज संबंधों की ही वजह से हुआ है.

25 नवंबर को वह लालू को पकड़ कर थाने ले आए और सख्ती से पूछताछ की तो उस ने राजेश की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि साधना के साथ मिल कर उसी ने राजेश की हत्या की थी, क्योंकि वह साधना को ब्लैकमेल कर रहा था. इस के बाद साधना को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. दोनों ने पुलिस को राजेश की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर (देहात) जनपद की तहसील घाटमपुर के थाना सजेती का एक गांव है बसई. इसी गांव में रामबाबू अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी शांति देवी के अलावा 2 बेटियां रमन, साधना और बेटा अजय था. साधना का विवाह उन्होंने गोविंद के साथ किया था. वह थाना सजेती के अंतर्गत आने वाले गांव रामपुर के रहने वाले रघुवर का बेटा था. वह गांव में ही रह कर पिता के साथ खेती करवाता था.

गोविंद साधना जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर बहुत खुश था. साधना भी गोविंद को खूब चाहती थी. दोनों की जिंदगी हंसीखुशी से बीत रही थी. इसी तरह 3 साल कब बीत गए, पता ही नहीं चला. इस बीच साधना ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने अंकुर रखा. बेटे के जन्म के बाद उन का भरापूरा परिवार हो गया.

पर उन की यह खुशी ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं रह सकी. होनी ने ऐसे पैर पसारे कि दोनों की जिंदगी में तबाही आ गई. गोविंद एक दिन खादबीज लेने घाटमपुर गया तो लौटते वक्त उस का बस से एक्सीडेंट हो गया, जिस में वह बुरी तरह से घायल हो गया. उस के सिर में गंभीर चोट आई थी.

साधना ने पति का काफी इलाज कराया. वह ठीक तो हो गया, लेकिन दिमाग में चोट लगने से वह अर्धविक्षिप्त हो गया. अब वह न काम करता था, न घरपरिवार की देखभाल करता था. वह पागलों की तरह गलीगली में घूमता रहता था. साधना खूबसूरत और जवान थी. पति की दूरी उसे खलने लगी. वह मर्द सुख के लिए बेचैन रहने लगी.

उस ने इस बात पर गहराई से विचार किया तो उस की नजरें पड़ोस में रहने वाले राजेश पर टिक गईं. वह उस के पड़ोस में ही बड़े भाई रमेश के साथ रहता था. उस के मातापिता की मौत हो चुकी थी. वह शरीर से भी हृष्टपुष्ट था. उस का दूध का कारोबार था. आसपास के गांवों से दूध इकट्ठा कर के वह मंडी में ले जा कर बेच आता था. इस से उसे अच्छी आमदनी हो रही थी.

राजेश और गोविंद हमउम्र थे. दोनों में दोस्ती भी थी. इसलिए राजेश का साधना के घर भी आनाजाना था. लेकिन गोविंद के पागल होने के बाद उस का साधना के घर आना काफी कम हो गया था. पर देवरभाभी का रिश्ता होने की वजह से दोनों जब भी मिलते, हंसीमजाक कर लेते थे. साधना के मन में उस के लिए चाहत पैदा हुई तो वह उस से खुल कर हंसीमजाक करने लगी.

राजेश को साधना के मन की बात का अंदाजा हुआ तो उस का उस के घर आनाजाना बढ़ गया. साधना को खुश करने के लिए वह खानेपीने की चीजें और उपहार भी लाने लगा. इन चीजों को पा कर साधना खूब खुश होती. अब हंसीमजाक के साथ छेड़छाड़ भी होने लगी. साधना अपनी मोहक अदाओं से राजेश को नजदीक आने का निमंत्रण देती, लेकिन राजेश आगे बढ़ने में हिचकता था.

परंतु साधना के खुले आमंत्रण पर हिचकिचाहट त्याग कर जल्दी ही राजेश ने साधना की मन की मुराद पूरी कर दी. मर्यादा की दीवार गिरी तो सिलसिला चल निकला. अब साधना के लिए राजेश ही सब कुछ हो गया. वह भी साधना की देह का ऐसा दीवाना हुआ कि अपनी सारी कमाई उसी पर लुटाने लगा.

घर में क्या हो रहा है, विक्षिप्त होने की वजह से गोविंद को कोई मतलब नहीं था. उस की मौजूदगी में भी कभीकभी साधना राजेश के साथ संबंध बना लेती थी. अगर वह कुछ कहता तो दोनों उसे मारपीट कर भगा देते थे. इस के बाद डर के मारे वह कई दिनों तक घर नहीं आता था.

साधना पूरी तरह स्वच्छंद थी. सास की मौत हो चुकी थी. ससुर साधु बन कर गांव छोड़ कर तीर्थों में भटक रहा था. साधना को कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था, इसलिए वह खुल कर राजेश के साथ रंगरलियां मना रही थी. राजेश रात में घर से निकलता और साधना के घर पहुंच जाता. सुबह होने से पहले वह अपने घर आ जाता.

लेकिन एक रात भेद खुल गया. आधी रात को रमेश की आंख खुली तो उस ने भाई को गायब पाया. मुख्य दरवाजा बाहर से बंद था, इस से वह समझ गया कि राजेश घर से बाहर गया है. वह उस के लौटने का इंतजार करने लगा. राजेश लगभग 2 घंटे बाद घर लौटा तो रमेश उस पर बरस पड़ा. भाई की डांट से राजेश डर गया. उस ने बता दिया कि वह साधना के घर गया था और उस से उस के नाजायज संबंध हैं.

रमेश समझ गया कि राजेश अपनी सारी कमाई साधना के साथ अय्याशी में खर्च कर रहा है, इसीलिए कारोबार में घाटा बता रहा है. रमेश ने भाई को डांटफटकार कर साधना के घर जाने पर रोक लगा दी. यही नहीं, राजेश से सख्ती से हिसाब लेने लगा. इस का नतीजा यह निकला कि राजेश के पास अब पैसे नहीं बचते थे, जिस से वह साधना की फरमाइशें पूरी नहीं कर पाता था.

राजेश ने पैसे देने बंद किए तो साधना ने भी उसे लिफ्ट देना बंद कर दिया. कभी चोरीछिपे राजेश साधना के घर पहुंचता तो वह उसे दुत्कार कर भगा देती. वह अपमानित हो कर लौट आता. उसी बीच साधना के 3 साल के बेटे अंकुर को डेंगू बुखार हो गया. उस के इलाज के लिए उस ने राजेश से 10 हजार रुपए उधार मांगे.

लेकिन राजेश ने पैसे देने से मना कर दिया. रुपयों को ले कर साधना और राजेश में जम कर झगड़ा हुआ. साधना ने साफ कह दिया कि अगर अब वह उस के घर आया तो वह उसे धक्के मार कर भगा देगी. इस के बाद राजेश का साधना के घर आनाजाना बिलकुल बंद हो गया. साधना को बेटे के इलाज के लिए रुपयों की सख्त जरूरत थी, इसलिए उस ने गांव के ही लालू यादव से 10 हजार रुपए ब्याज पर उधार ले लिए.

इन रुपयों से साधना ने बेटे का इलाज कराया. उचित इलाज होने से अंकुर पूरी तरह स्वस्थ हो गया. बेटा तो स्वस्थ हो गया, लेकिन अब उसे रुपए वापस करने की चिंता सताने लगी. साधना के पास खेती की कमाई के अलावा आमदनी का कोई दूसरा जरिया नहीं था. खेती की कमाई से वह किसी तरह घर का खर्च चला पाती थी. लालू के रुपए लौटाने के लिए उस के पास पैसे नहीं थे.

लालू महीने के अंत में ब्याज के रुपए लेने आता था. साधना उसे किसी न किसी बहाने टरका देती थी. जब कई महीने तक साधना ब्याज का पैसा नहीं दे पाई तो लालू का माथा ठनका. वह अपने रुपए कैसे वसूले, इस बात पर विचार करने लगा. उस ने सोचा कि अगर साधना रुपए नहीं देती तो क्यों न वह उस के शरीर से रुपए वसूल ले.

यह विचार आते ही लालू साधना से हंसीमजाक करने लगा. लालू हृष्टपुष्ट युवक था, जिस से साधना को उस के हंसीमजाक में आनंद आने लगा. उस ने सोचा कि अगर लालू उस के रूपजाल में फंस जाता है तो उस की शारीरिक जरूरत तो पूरी होगी ही, उसे उस के पैसे भी नहीं देने होंगे. इस के बाद उस ने लालू को पूरी छूट दे दी. फिर तो जल्दी ही दोनों के बीच संबंध बन गए.

लालू से उस के संबंध क्या बने, वह उस की दीवानी हो गई. लालू भी उस के लिए पागल हो चुका था, इसलिए दिल खोल कर उस पर पैसे खर्च करने लगा. यही नहीं, उस ने अपने पैसे भी मांगने बंद कर दिए.

लालू और साधना के अवैध संबंध बिना किसी रोकटोक के चल रहे थे. लेकिन अचानक राजेश बीच में कूद पड़ा. जब उसे पता चला कि साधना ने लालू से संबंध बना लिए हैं तो वह साधना को ब्लैकमेल करने की कोशिश करने लगा. उस ने साधना से कहा कि वह उस से भी संबंध बनाए वरना वह गांव में सभी से उस के और लालू के संबंधों के बारे में बता देगा.

राजेश की इस धमकी से साधना डर गई. उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी बात मानने को तैयार हूं, लेकिन इस के लिए मुझे थोड़ा वक्त दो.’’ इस के बाद जब लालू आया तो साधना ने रोते हुए उस से कहा, ‘‘मेरे और तुम्हारे संबंधों की जानकारी राजेश को हो गई है. अब वह भी मुझ से संबंध बनाने को कह रहा है. संबंध न बनाने पर गांव में सब को बताने की धमकी दे रहा है.’’

साधना की इस बात पर लालू का खून खौल उठा. उस ने कहा, ‘‘तुम किसी भी कीमत पर राजेश से संबंध मत बनाना. मैं उसे ऐसा सबक सिखाऊंगा कि वह जिंदगी में कभी भूल नहीं पाएगा. लेकिन इस के लिए मुझे तुम्हारी मदद चाहिए.’’

साधना लालू की मदद करने के लिए राजी हो गई तो लालू ने राजेश को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली और मौके का इंतजार करने लगा.

21 नवंबर, 2016 की रात 10 बजे राजेश के मोबाइल फोन की घंटी बजी तो उस ने देखा, साधना का फोन था. फोन रिसीव कर के वह खुश हो कर बोला, ‘‘कहो, कैसे फोन किया?’’

‘‘राजेश, मैं ने तुम्हारी बात मान ली है. तुम अभी आ जाओ.’’ साधना ने कहा.

राजेश तुरंत साधना के घर जा पहुंचा और उसे बांहों में भर लिया. तभी कमरे में छिप कर बैठा लालू निकला और राजेश को पकड़ कर पीटने लगा. राजेश कुछ कर पाता, उस के पहले ही लालू ने उस के गले में अंगौछा लपेट कर कस दिया. राजेश छटपटाने लगा तो साधना ने उस की छाती पर सवार हो कर उसे काबू में कर लिया.

राजेश की मौत हो गई तो दोनों ने उस की लाश को एक बोरी में भरा और रात में ही साइकिल से ले जा कर गांव के बाहर नहर के किनारे फेंक आए. पूछताछ के बाद आर.के. सिंह ने साधना और लालू के खिलाफ राजेश की हत्या का मुकदमा दर्ज कर 26 नवंबर, 2016 को कानपुर (देहात) की माती अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया. suspense story in hindi

 – कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Latest Crime Story in Hindi : रिलेशनशिप में रह रही प्रेमिका की चाकू मारकर की हत्या

Latest Crime Story in Hindi : नोएडा के खोड़ा कालोनी के वंदना एनक्लेव स्थित 4 मंजिला मकान में कुल 33 कमरे थे. सभी कमरों में नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली में काम करने वाले किराएदार रह रहे थे. इन में से कुछ लोग अपने परिवार के साथ रहते थे. लेकिन ज्यादातर लोग ऐसे थे जो अकेले ही रहते थे. चूंकि सभी लोग नौकरीपेशा थे, इसलिए वे सुबह ही अपनी ड्यूटी पर चले जाते और देर शाम या रात को वापस अपने कमरों पर लौटते थे.

12 जून, 2018 की रात करीब 11 बजे की बात है. उस समय अधिकांश लोग अपने कमरों में सोने की तैयारी में थे. तभी कुछ लोगों को भयंकर बदबू आई. बदबू कहां से आ रही है, यह जानने के लिए कुछ किराएदार अपने कमरों से बाहर निकल आए. उसी समय एक युवक चौथी मंजिल से एक बड़े आकार का भूरे रंग का ट्रौली बैग अपने साथ ले कर सीढि़यों से उतरता दिखा.

वहां रहने वाले उस युवक के बारे में केवल इतना जानते थे कि वह ऊपर की मंजिल पर रहता है. उस का नाम किसी को मालूम नहीं था. ट्रौली बैग ले कर वह जिधर जा रहा था, उधर ही बदबू बढ़ती जा रही थी.

लोगों को शक हुआ कि उस के बैग में ऐसा क्या है जो इतनी बदबू आ रही है. एकदो लोगों ने उस से इस बारे में पूछा भी, लेकिन उस ने ठीक से कोई जवाब देने के बजाए उन्हें झिड़क दिया. इस के बाद उन लोगों को उस पर और भी ज्यादा शक बढ़ गया और वे उत्सुकतावश नीचे ग्राउंड फ्लोर पर आ गए.

दरअसल, पिछले 2 दिनों से उस मकान में एक अजीब तरह की सड़ांध आ रही थी. कई किराएदारों ने सड़ांध का पता लगाने की कोशिश की थी लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया था. लेकिन ट्रौली बैग देख कर वे लोग समझ गए कि सड़ांध उसी बैग से आ रही है.

ग्राउंड फ्लोर पर उतरने के बाद वह युवक लाल रंग की कार की तरफ बढ़ रहा था, तभी लोगों ने इस की सूचना उस मकान के केयरटेकर राधेमोहन त्रिपाठी को दे दी. राधेमोहन त्रिपाठी उस ट्रौली बैग वाले युवक के पास पहुंचे. वह उस युवक को पहचान गए. वह युवक चौथी मंजिल पर रहने वाला किराएदार शिवम विरदी था.

राधेमोहन ने शिवम से बैग के बारे में पूछा तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. इस पर राधेमोहन ने उसे कार में बैठने से रोक लिया और नोएडा पुलिस के कंट्रोलरूम को फोन कर दिया. जो किराएदार नीचे उतर आए थे, वे उस लाल रंग की कार के आगे खड़े हो गए ताकि वह कार ले कर वहां से न भाग सके. तब तक शिवम वह ट्रौली बैग ले कर कार में बैठ चुका था. उस ने कार का हौर्न बजा कर सामने खडे़ लोगों से हट जाने का संकेत किया. लेकिन वे नहीं हटे तो शिवम के चेहरे पर घबराहट दिखाई देने लगी.

शिवम ने जब देखा इतने सारे लोग उस के पीछे पड़ गए हैं तो वह कार से उतरा और उसे लौक कर के वहां से पैदल ही भाग खड़ा हुआ. लोग उस के पीछे भागे भी पर वह किसी की पकड़ में नहीं आया.

थोड़ी देर में खोड़ा थाने के थानाप्रभारी धर्मेंद्र कुमार वहां आ गए. लोगों ने उन्हें पूरी बात बताई. कार के सामने पहुंच कर वह उस का मुआयना करने लगे. कार के दरवाजे लौक थे, इस के बावजूद कार से कुछ बदबू बाहर आ रही थी. उन्होंने साथ में आए स्टाफ से कार का शीशा तोड़ कर कार में रखा ट्रौली बैग बाहर निकालने को कहा.

पुलिसकर्मियों ने कार का शीशा तोड़ कर ट्रौली बैग बाहर निकाला तो उस में से बहुत तेज बदबू आ रही थी. इस से थानाप्रभारी ने बैग खुलवाया तो उन की शंका सच साबित हुई. उस में एक लड़की की लाश थी.

लाश काफी खराब अवस्था में थी. लाश देख कर लोगों ने बताया कि लाश शिवम की पत्नी ज्योति की है. ज्योति कई दिनों से दिखाई भी नहीं दे रही थी. लाश का मुआयना करने पर थानाप्रभारी ने देखा उस पर घाव के निशान थे. थानाप्रभारी धर्मेंद्र कुमार ने वरिष्ठ अधिकारियों को फोन कर के मामले की सूचना दे दी और जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. उन्होंने लाल रंग की स्विफ्ट कार अपने कब्जे में ले ली.

मकान के केयरटेकर राधेमोहन त्रिपाठी से पुलिस ने पूछताछ की तो उस ने बताया कि कार छोड़ कर फरार हुआ शिवम लुधियाना, पंजाब का रहने वाला है और पिछले 8 महीने से वह अपनी पत्नी ज्योति के साथ यहां रह रहा था. केयरटेकर को साथ ले कर थानाप्रभारी चौथी मंजिल स्थित शिवम के कमरे पर पहुंचे.

कमरे पर ताला लगा हुआ था. ताला तोड़ कर पुलिस टीम अंदर पहुंची तो देखा फर्श की अच्छी तरह सफाई कर दी गई थी. कमरे की तलाशी में पुलिस को कुछ कागजात मिले, उन में से एक में ज्योति के भाई का पता और फोन नंबर मिल गया.

थानाप्रभारी ने उस के भाई को फोन कर के बताया कि उस की बहन के साथ अनहोनी हो गई है, इसलिए वह जितनी जल्दी हो सके, नोएडा के खोड़ा थाने पहुंच जाए. उस कमरे को सील कर के पुलिस टीम थाने लौट गई.

अगले दिन सुबह फरार शिवम का हुलिया पता कर के नोएडा के बसस्टैंड तथा मैट्रो स्टेशन पर उस की तलाश की गई, मगर वह कहीं नहीं मिला. उधर थानाप्रभारी को बेसब्री से ज्योति के भाई के आने का इंतजार था. उस के आने के बाद ही आगे की काररवाई की जानी थी.

12 जून, 2018 की शाम को ज्योति का भाई लोधी सिंह वर्मा खोड़ा थाने पहुंच गया. थानाप्रभारी ने सब से पहले उसे अस्पताल में रखी लाश दिखाई. लाश देखते ही वह रोने लगा. उस ने उस की शिनाख्त अपनी छोटी बहन ज्योति के रूप में कर दी. लोधी सिंह की शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

पुलिस ने लोधी सिंह से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की बहन पिछले साल अक्तूबर में दिल्ली के एक सैलून में जौब मिलने की बात बता कर लुधियाना से नोएडा चली आई थी.

चूंकि उस ने परिवार को अच्छी सैलरी मिलने की बात बताई थी, वैसे भी ज्योति तेजतर्रार थी, इसलिए उस के दिल्ली आने पर किसी ने ऐतराज नहीं किया था.

नौकरी लग जाने पर उस ने बताया था कि वह दिल्ली में अपनी एक सहेली के साथ किराए पर कमरा ले कर रहती है. यहां आने के बाद भी वह प्रतिदिन अपने घर फोन कर के अपने बारे में जानकारी देती रहती थी. जब तक वह यहां रही, परिवार का कोई सदस्य उसे देखने के लिए नहीं आया.

इस वारदात के बाद लोधी सिंह को पता लगा कि वह किसी सहेली के साथ नहीं बल्कि शिवम के साथ रह रही थी. लोधी सिंह से बात करने के बाद थानाप्रभारी ने फरार शिवम को तलाशने के लिए मुखबिर लगा दिए.

13 जून, 2018 की शाम को खोड़ा के कुछ लोगों ने नोएडा के लेबर चौक के पास शिवम को खड़े देखा. वह शायद किसी गाड़ी के इंतजार में वहां खड़ा था. पुलिस को सूचना देने से पहले ही लोगों ने उसे पकड़ लिया और इस की सूचना खोड़ा पुलिस को दे दी.

शिवम के पकड़े जाने की बात सुन कर थानाप्रभारी धर्मेंद्र कुमार फौरन पुलिस टीम के साथ लेबर चौक पहुंच गए. वहां कुछ लोग शिवम को दबोचे खड़े थे. पुलिस ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उस से उस की पत्नी ज्योति की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि ज्योति की हत्या उस ने नहीं की है, बल्कि उस ने आत्महत्या की थी.

शिवम ने बताया कि 9 जून की रात को वह शराब पी कर घर लौटा तो ज्योति उस से नाराज हो गई. दोनों के बीच कहासुनी हुई तो ज्योति गुस्से में बाथरूम में गई और फंदा बना कर लटक गई.

आधी रात होने पर जब उस का नशा उतरा तो उस ने ज्योति को ढूंढना शुरू किया. वह उसे ढूंढते हुए बाथरूम में पहुंचा तो उस की लाश फंदे में झूल रही थी. यह देख कर वह घबरा गया और पुलिस से बचने के डर से उस ने 2 दिनों तक उस की लाश कमरे में ही छिपाए रखी. कल जब वह उसे ठिकाने लगाने के लिए जा रहा था, तभी लोगों ने उसे घेर लिया और लाश ठिकाने नहीं लगा सका.

यह सब बतातेबताते शिवम थानाप्रभारी से बारबार नजरें चुरा रहा था. यह देख कर थानाप्रभारी को उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. इस के बाद उन्होंने शिवम से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि ज्योति की हत्या उस ने ही की थी. उस ने ज्योति की हत्या के पीछे की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

26 वर्षीय शिवम लुधियाना के फतेहपुर अवाना राजगुरू नगर में अपने पिता जगदीश विरदी और मां के साथ रहता था. उस के पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे. 2 साल पहले वह लुधियाना के एक मौडर्न सैलून के सामने से गुजर रहा था, तो उस की मुलाकात ज्योति से हुई. ज्योति उसी सैलून में नौकरी करती थी.

पहली ही नजर में ज्योति की खूबसूरती उस के दिल को भा गई. उस ने उत्सुकतावश पूछ लिया कि इस सैलून में लेडीज और जेंट्स दोनों की हेयर सेटिंग होती है? इस पर ज्योति ने उसे बताया कि यहां दोनों के लिए अलगअलग सैलून हैं और वह भी इसी सैलून में काम करती है. अगर उसे कभी जरूरत हो तो उसे फोन कर के आ जाए.

इस के बाद उस ने अपना फोन नंबर बताया तो शिवम ने जल्दी से उस का नाम पूछ कर उस का नंबर अपने मोबाइल में सेव कर लिया. इस के बाद उस ने अपना नाम और नंबर भी ज्योति को बता दिया. यह उन दोनों की पहली मुलाकात थी. इस के बाद तो आए दिन किसी न किसी बहाने से दोनों की मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया जो जल्दी ही प्यार में बदल गया.

दोनों का जब भी दिल करता, आपस में प्यार की मीठीमीठी बातें कर अपनी चाहतों का इजहार करने से नहीं चूकते थे. धीरेधीरे 2 साल गुजर गए. इस बीच शिवम ने लुधियाना के नामी इंस्टीट्यूट से बीसीए का कोर्स भी पूरा कर लिया. अब उसे भी नौकरी की तलाश थी. वह जल्द से जल्द अपने पैरों पर खड़ा हो कर ज्योति को अपनी दुलहन बनाना चाहता था.

ज्योति के परिवार में उस के पिता की कुछ साल पहले ही मौत हो चुकी थी. इस समय घर में 2 बडे़ भाई धर्मेंद्र सिंह वर्मा और लोधी सिंह वर्मा तथा 5 बहनें थीं. बहनों में वह सब से छोटी थी.

दोनों को ऐसा लगता था कि उन की शादी में परिवार वाले बाधक नहीं बनेंगे. फिर भी दोनों फूंकफूंक कर कदम रख रहे थे. मजे की बात यह थी कि काफी समय गुजर जाने के बाद भी उन के परिवार वालों को उन के अफेयर की जानकारी नहीं थी.

इस बीच एक दिन जब दोनों मिले तो शिवम ने उसे बताया कि वह नौकरी की तलाश में दिल्ली जा रहा है और नौकरी मिलते ही उसे भी वहां बुला लेगा. ज्योति इस के लिए पहले से ही राजी थी, इसलिए उस ने शिवम के प्रस्ताव पर फौरन हामी भर दी.

ज्योति के साथ नया जीवन गुजारने की उमंग में वह मन में नएनए सपने बुनता हुआ नोएडा आ गया. यहां उसे वीवो कंपनी में नौकरी मिल गई. वह कंपनी के कस्टमर केयर डिपार्टमेंट में काम करने लगा.

6 महीने बाद उस ने ज्योति को भी फोन कर के अपने पास बुला लिया. अक्तूबर में ज्योति नोएडा आ गई. साथ रहने के लिए दोनों ने खोड़ा कालोनी के वंदना एनक्लेव में वन रूम सेट किराए पर ले लिया और लिवइन में रहने लगे. वहां शिवम ने ज्योति को अपनी पत्नी बताया था. कुछ दिन बाद ज्योति वर्मा को भी गाजियाबाद के वसुंधरा एनक्लेव के एक ब्यूटीपार्लर में ब्यूटीशियन की नौकरी मिल गई. चूंकि दोनों ही नौकरी कर रहे थे, इसलिए उन्हें अब किसी तरह की टेंशन नहीं थी. दोनों खुश थे.

ज्योति और शिवम के शुरुआत के 3-4 महीने बेहद खुशनुमा थे, लेकिन परेशानी तब शुरू हुई, जब ज्योति शिवम के जल्दी शादी करने के प्रस्ताव को किसी न किसी बहाने टालने लगी. यह देख कर शिवम मन ही मन बहुत परेशान रहने लगा. इस के अलावा उन दोनों की सैलरी में भी भारी अंतर था. शिवम को जहां 14 हजार रुपए मिलते थे, वहीं ज्योति की सैलरी 22 हजार रुपए महीने थी.

इस के अलावा ज्योति ने अप्रैल महीने से घर लेट पहुंचना शुरू कर दिया था. इस से शिवम ने मन में सोचा कि ज्योति को कोई अमीर आशिक मिल गया है, इसलिए वह उस से किनारा करना चाह रही है. अपना शक दूर करने के लिए वह रोज ज्योति के घर लौटने पर उस का मोबाइल चैक करने लगा.

शिवम को अपना मोबाइल चैक करते देख कर ज्योति लपक कर उस से मोबाइल छीन लेती थी, साथ ही ऐसा करने से मना भी करती थी. इस के बाद शिवम का शक और बढ़ गया. नतीजतन आए दिन दोनों के बीच रोज लड़ाई होने लगी. शिवम को अब पक्का यकीन हो गया कि ज्योति जरूर किसी के साथ डेट पर जाने लगी है.

9 जून, 2018 की शाम शिवम विरदी ने शराब पी. उस ने सोचा कि आज वह ज्योति का मोबाइल छीन कर उस के वाट्सऐप और फेसबुक की फ्रैंडलिस्ट चैक करेगा. देर शाम जब ज्योति घर लौटी तो पहले से गुस्से में भरे बैठे शिवम ने उस से मोबाइल छीन लिया. जब ज्योति ने इस का पुरजोर विरोध किया तो दोनों के बीच जम कर लड़ाई हो गई.

गुस्से में शिवम रसोई से चाकू उठा लाया और उस के पेट पर कई वार कर दिए. थोड़ी देर तड़प कर ज्योति ने दम तोड़ दिया. ज्योति के मरने के बाद शिवम को लगा, उस से बहुत बड़ी गलती हो गई. लेकिन अब क्या हो सकता था. वह 72 घंटों तक लाश को एक ट्रौली बैग में बंद कर के रखे रहा और उसे ठिकाने लगाने के बारे में सोचता रहा.

12 जून को उस ने दिल्ली के लक्ष्मीनगर से एक सेल्फ ड्राइव स्विफ्ट कार किराए पर ली और उसे वंदना एनक्लेव स्थित मकान के सामने ले आया. जब वह ट्रौली बैग को उस में रखने जा रहा था, उसी समय ज्योति की लाश से निकलने वाली बदबू के कारण उस का भांडा फूट गया और वह खोड़ा के थानाप्रभारी के हत्थे चढ़ गया.

14 जून, 2018 को नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण, एसपी आकाश तोमर ने नोएडा स्थित अपने औफिस में प्रैस कौन्फ्रैंस कर मीडिया को ज्योति वर्मा मर्डर केस का खुलासा होने की जानकारी दी.

उसी दिन आरोपी शिवम विरदी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

तमाम युवक और युवतियां लिवइन में रहते हैं और अपनीअपनी नौकरी करते हैं, लेकिन सभी के अनुभव अच्छे नहीं होते. इस की वजह होती है दोनों की अंडरस्टैंडिंग ठीक न बन पाना. ज्योति और शिवम के मामले में भी यही हुआ. Latest Crime Story in Hindi

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित