
कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने सब से पहले कंकाल का निरीक्षण किया. इस के बाद उन्होंने आसपास की झाडिय़ों पर नजर दौड़ाई. पास में एक फटा सलवारसूट पड़ा था, जिसे देख कर लग रहा था कि यह कंकाल किसी युवती का रहा होगा. इस के बाद उन्होंने आसपास पड़ी किसी अन्य वस्तु को भी खोजना शुरू किया जिस से उन्हें इस कंकाल के बारे में और जानकारी प्राप्त हो सके.
3 दिन बीत गए थे. मगर युवती के कंकाल की शिनाख्त नहीं हो सकी थी. इस के बाद एसएसपी अजय सिंह ने इस कंकाल की शिनाख्त के लिए एसओजी प्रभारी विजय सिंह तथा थाना सिडकुल के एसएचओ नरेश राठौर को लगा दिया था. साथ ही पुलिस टीम कंकाल मिलने वाली जगह के आसपास चलने वाले मोबाइल फोनों की डिटेल भी जुटा रही थी.
हरिद्वार के रानीपुर क्षेत्र में स्थित शिवालिक पर्वत की निचली सतह की ओर घनी झाडिय़ां फैली हुई थीं. कई दिनों से क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण ये झाडिय़ां काफी घनी हो गई थीं. इन्हीं झाडिय़ों के पास से हो कर गांवों से एक रास्ता जिला मुख्यालय की ओर जाता है. सैकड़ों लोग अकसर सुबहशाम इसी रास्ते से हो कर अपने घर आतेजाते थे.
कई दिनों से कुछ लोग यह महसूस कर रहे थे कि झाडिय़ों के एक कोने से काफी बदबू आ रही है. पहले तो लोगों को यह लग रहा था कि यह बदबू किसी कुत्ते या बिल्ली की लाश से आ रही होगी, मगर जब यह बदबू ज्यादा हो गई थी और इसे सहन करना भी असहनीय हो गया था तो कुछ लोगों ने नाक पर रुमाल रख इसे देखने का फैसला किया था.
उधर से गुजरने वाले कई लोग उत्सुकता से जब झाडिय़ों से लगभग 100 मीटर अंदर की ओर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर उन सब की चीख निकल गई थी. वहां पर एक मानव कंकाल पड़ा हुआ था.
कंकाल के पास ही किसी युवती के कपड़े भी पड़े थे, जो बारिश के कारण भीगे हुए थे. तब सभी लोग सहम कर वापस सड़क पर आ गए थे और उन्होंने झाडिय़ों में कंकाल पड़ा होने की जानकारी पुलिस को देने का विचार बनाया था.
यह स्थान उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रोशनाबाद मुख्यालय के निकट कोतवाली रानीपुर के क्षेत्र टिबड़ी में पड़ता है. घटनास्थल कोतवाली रानीपुर से मात्र 3 किलोमीटर तथा एसएसपी कार्यालय से केवल 5 किलोमीटर दूर है. इस के बाद राहगीरों ने टिबड़ी क्षेत्र में कंकाल पड़े होने की सूचना कोतवाल रानीपुर नरेंद्र बिष्ट को दे दी. अपने क्षेत्र में कंकाल मिलने की सूचना पा कर नरेंद्र बिष्ट चौंक पड़े थे.
सब से पहले उन्होंने यह सूचना एसपी (क्राइम) रेखा यादव, सीओ (ज्वालापुर) निहारिका सेमवाल व एसएसपी अजय सिंह को दी. इस के बाद नरेंद्र बिष्ट अपने साथ कोतवाली के एसएसआई नितिन चौहान तथा अन्य पुलिसकर्मियों को ले कर घटनास्थल की ओर चल पड़े. घटनास्थल वहां से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए पुलिस टीम 10 मिनट में ही मौके पर पहुंच गई थी.
जब पुलिस टीम मौके पर पहुंची थी तो उस वक्त कुछ लोग उस कंकाल के आसपास खड़े थे. जिस स्थान पर कंकाल मिला था, वह स्थान सुनसान होने के साथसाथ वन्य क्षेत्र से लगा हुआ है. हिंसक पशु गुलदार व जंगली हाथी अकसर इस क्षेत्र में घूमते हुए देखे जा सकते हैं.
आखिर किस का था वह कंकाल
कोतवाल नरेंद्र बिष्ट अभी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण कर ही रहे थे कि तभी वहां एसएसपी अजय सिंह, एसपी (क्राइम) रेखा यादव तथा (सीओ) ज्वालापुर निहारिका सेमवाल सहित कुछ मीडियाकर्मी भी पहुंच गए थे. इस के बाद पुलिसकर्मियों ने कंकाल के अलगअलग कोणों से फोटो लिए थे.
कंकाल की शिनाख्त करने के लिए अजय सिंह ने कोतवाल नरेंद्र बिष्ट को निर्देश दिए कि वह आसपास के पुलिस स्टेशनों से यह जानकारी करे कि इस हुलिए की कोई युवती उन के क्षेत्र से कहीं लापता तो नहीं है. शिनाख्त न होने पर इस बाबत अखबारों में कंकाल के इश्तहार छपवाने को कहा था. यह बात 26 जुलाई, 2023 की है.
पुलिस ने कंकाल का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए हरमिलापी अस्पताल हरिद्वार भेज दिया था. अब सब से पहले कोतवाल नरेंद्र बिष्ट के सामने युवती की शिनाख्त न होने की समस्या थी. यदि युवती की शिनाख्त हो जाती तो पुलिस उस की काल डिटेल्स आदि के आधार पर जांच में जुट जाती. अगले दिन जब कंकाल के फोटो अखबारों में छपे तो कोई भी व्यक्ति उसे पहचानने वाला पुलिस के पास नहीं आया था.
इस के अलावा पुलिस स्टेशनों से भी कोई खास जानकारी नहीं मिली. एक बार तो नरेंद्र बिष्ट के दिमाग में यह भी आया कि युवती को कहीं किसी नरभक्षी गुलदार ने निवाला न बना लिया हो. मगर बाद में उन्हें ऐसा नहीं लगा था.
युवती के कंकाल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी पुलिस को ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली जिस से कि पुलिस कातिल तक पहुंच पाती.
वह 30 जुलाई, 2023 का दिन था. थाना सिडकुल के एसएचओ नरेश राठौर के पास करीब 55 वर्षीय राम प्रसाद निवासी कस्बा किरतपुर बिजनौर उत्तर प्रदेश अपनी बेटी प्रवीना के साथ वहां पहुंचा था. राम प्रसाद ने नरेश राठौर को बताया कि उस की 21 वर्षीया बेटी रवीना इसी महीने की 11 जुलाई से लापता है.
राम प्रसाद ने बताया कि रवीना सिडकुल की एक कंपनी में नौकरी करती थी तथा उस के बाद से ही वह लापता हो गई थी.
इस के बाद राठौर ने राम प्रसाद को कोतवाली रानीपुर भेज दिया था. राम प्रसाद व उन की बेटी रवीना कोतवाल नरेंद्र बिष्ट से मिले और उन्हें 11 जुलाई से रवीना के लापता होने की बात बता दी. जब बिष्ट ने राम प्रसाद को गत 26 जुलाई को उन के क्षेत्र में रवीना जैसी युवती का कंकाल मिलने की जानकारी दी थी तो राम प्रसाद ने कंकाल के पास मिले कपड़े देखने की इच्छा जताई.
जब कोतवाल ने कंकाल के पास मिले कपड़े ला कर दिखाने को कहा तो मुंशी कपड़े ले आया. राम प्रसाद व उन की बेटी प्रवीना उन कपड़ों को देखते ही फफक कर रो पड़े थे.
इस से पुष्टि हो गई कि टिबड़ी क्षेत्र में मिला कंकाल रवीना का ही था. खैर, किसी तरह बिष्ट ने दोनों बापबेटी को चुप कराया था और उन से रवीना के बारे में जानकारी हासिल की.
पुनीत से रवीना की कैसे हुई दोस्ती
राम प्रसाद ने बिष्ट को बताया कि पिछले 2 साल से रवीना की धामपुर बिजनौर निवासी पुनीत धीमान से खासी दोस्ती थी तथा उन की आपस में शादी करने की योजना भी थी. मगर बीच में कुछ गड़बड़ हो गई थी. कुछ समय पहले पुनीत ने किसी अन्य युवती से शादी कर ली थी. पुनीत व रवीना सिडकुल की कंपनी ऋषिवेदा में साथसाथ काम करते थे. पुनीत कंपनी में सुपरवाइजर था.
यह जानकारी मिलते ही नरेंद्र बिष्ट ने तुरंत पुनीत धीमान व रवीना के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगालने के लिए एसओजी प्रभारी विजय सिंह को कहा था. उसी दिन शाम को ही पुलिस को दोनों के नंबरों की काल डिटेल्स मिल गई थी.
दोनों की काल डिटेल्स जब पुलिस ने देखी तो उस से पुनीत खुद ही संदेह के दायरे में आ गया. इस के बाद पुलिस ने पुनीत से पूछताछ करने की योजना बनाई.
उसी दिन रात को ही पुलिस टीम ने पुनीत को पूछताछ के लिए सिडकुल से हिरासत में ले लिया था. इस के बाद पुलिस उसे पूछताछ करने के लिए कोतवाली रानीपुर ले आई. पुनीत से पूछताछ करने के लिए एसपी (क्राइम) रेखा यादव व एसएसपी अजय सिंह भी वहां पहुंच गए.
पहले तो पुलिस ने पुनीत से रवीना के उस के साथ प्रेम संबंधों व उस की हत्या की बाबत पूछताछ की थी, मगर पुनीत पुलिस को गच्चा देते हुए बोला कि मेरा तो रवीना से या उस की हत्या से कोई लेनादेना नहीं है.
पुनीत के मुंह से यह बात सुन कर वहां खड़े कोतवाल नरेंद्र बिष्ट को गुस्सा आ गया और उन्होंने पुनीत को डांटते हुए कहा, ”पुनीत, या तो तुम सीधी तरह से रवीना की मौत का सच बता दो अन्यथा याद रखो, पुलिस के सामने मुर्दे भी सच बोलने लगते हैं.’’
बिष्ट के इस वाक्य का पुनीत पर जादू की तरह असर हुआ था. पुनीत ने रवीना की हत्या की बात कुबूल करते हुए पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार है—
क्यों नहीं हो सकी प्रेमी युगल की शादी
बात 4 साल पुरानी है. पुनीत और रवीना सिडकुल की कंपनी ऋषिवेदा में साथसाथ काम करते थे. हम दोनों में पहले दोस्ती हुई थी, जो बाद में प्यार में बदल गई थी. फिर दोनों ने भविष्य में शादी करने की भी योजना बना ली थी. यह अंतरजातीय प्यार गहरा हो गया. इस बाबत जब पुनीत ने अपने घर वालों से बात की तो दोनों की जातियां अलगअलग होने के कारण घर वालों ने शादी करने से साफ मना कर दिया था.
इस के बाद पुनीत के घर वाले किसी और सजातीय लड़की से उस की शादी कराने के प्रयास में जुट गए. उन्होंने फरवरी 2023 में उस की शादी कर दी थी. दूसरी ओर रवीना के पिता राम प्रसाद ने भी उस की सगाई कहीं और कर दी थी. इस के बाद पुनीत ने रवीना पर अपनी सगाई तोडऩे के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. रवीना ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया.
रवीना के मना करने से पुनीत तिलमिला गया. इस के बाद रवीना ने उस का फोन अटैंड करना भी बंद कर दिया था और अपना फोन नंबर भी बदल लिया. यह बात पुनीत को बहुत बुरी लगी. वह गुस्से में पागल हो गया था. तभी उस ने रवीना की हत्या की योजना बनाई.
योजना के अनुसार, पुनीत 11 जुलाई, 2023 को रवीना से मिला था और उसे घुमाने के लिए टिबड़ी रोड पर ले गया था. वहां सुनसान होने के कारण उस ने रवीना की गला घोंट कर हत्या कर दी और धामपुर आ कर रहने लगा था.
इस के बाद कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने पुनीत के ये बयान दर्ज कर लिए थे. फिर बिष्ट ने रवीना की गुमशुदगी को हत्या की धाराओं 302 व 201 में तरमीम कर दिया था. अगले दिन रोशनाबाद स्थित पुलिस कार्यालय में एसएसपी अजय सिंह ने प्रैसवार्ता का आयोजन कर के इस ब्लाइंड मर्डर केस का परदाफाश कर दिया.
अजय सिंह ने इस केस को सुलझाने वाली पुलिस टीम में शामिल कोतवाल नरेंद्र बिष्ट, एसओजी प्रभारी विजय सिंह, एसएचओ (सिडकुल) नरेश राठौर की पीठ थपथपाई.
इस के बाद पुलिस ने हत्या के आरोपी पुनीत धीमान को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. इस हत्याकांड की विवेचना कोतवाल नरेंद्र बिष्ट द्वारा की जा रही थी. वह शीघ्र ही इस केस की विवेचना पूरी कर के पुनीत के खिलाफ चार्जशीट अदालत में भेजने की तैयारी कर रहे थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
1 मई को रूपा ने राहुल से मिलने आने को कहा. राहुल ने इनकार किया तो वह मिन्नत करते हुए बोली, ‘‘प्लीज राहुल आ जाओ, मैं तुम्हें सच बताना चाहती हूं. ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सोच रहे हो.’’
राहुल तैयार हो गया. रूपा ने इंटरनेट के जरिए 1 मई का ट्रेन से उस का आरक्षण भी करा दिया. उस के साथ वक्त बिताने के लिए उस ने 24 घंटे की छुट्टी भी ले ली. एक दिन पहले रूपा ने मकान मालिक को भी बता दिया कि उस का मंगेतर उस से मिलने के लिए आएगा.
1 मई की दोपहर राहुल उस के पास गया. रूपा बहुत खुश थी. रूपा ने खाना बनाया और दोनों ने साथ खाना खाया. रूपा ने उसे बताया कि किस तरह लोगों ने उस का फायदा उठाने की कोशिश की. चूंकि वे लोग अपने इरादों में नाकामयाब रहे इसलिए उसे भड़का रहे हैं.
इसी बीच रूपा के मोबाइल पर 1-2 लोगों के फोन आए. इंसान के दिमाग में शक हो तो उसे सबकुछ वैसा ही दिखता है, जैसा उस के दिमाग में चल रहा होता है. राहुल के साथ भी यही हुआ. उसे लगा कि उस के पुरुष दोस्तों के फोन हैं और विवाह के बाद भी वह ऐसी ही रहेगी. इस तरह फोन आने पर दोनों के बीच काफी तनातनी हुई. इसी बीच राहुल ने एक खतरनाक निर्णय ले लिया.
दरअसल, रिश्ता होने के बाद एक दिन राहुल ने टीवी पर फिल्म ‘बाजीगर’ देखी थी. फिल्म में शाहरूख खान चालाकी से दुश्मन की बेटी को प्यार के जाल में फंसा कर पहले सुसाइड नोट लिखवाता है फिर उसे छत से फेंक देता है.
राहुल के पास जब रूपा के बारे में फोन आने शुरू हुए थे तो उस ने सोच लिया था कि अगर उसे रूपा पर विश्वास नहीं हुआ, तो वह भी उसे इसी तरह मार डालेगा. उस दिन जब रूपा के मोबाइल पर एकदो फोन आए तो राहुल ने मन ही मन ऐसा ही करने की योजना बना ली. इस के लिए सब से पहले उस ने प्यार जता कर रूपा को झांसे में लिया.
राहुल
रूपा भावात्मक व आत्मिक रूप से उसे अपना मान चुकी थी और हर हाल में उस की होना चाहती थी. अपनी योजना के अनुसार राहुल ने कागज पैन उठाया और अपनी तरफ से सुसाइड नोट लिख कर रूपा को थमाते हुए बोला, ‘‘मैं तुम्हें इतना प्यार करता हूं. अब अगर मुझे कुछ भी हो जाए, उफ तक नहीं करूंगा. अब बोलो तुम भी मुझ से इतना ही प्यार करती हो?’’
‘‘बिलकुल.’’
‘‘तो ठीक है, जैसा मैं ने लिखा है, हिम्मत है तो तुम भी एक कागज पर लिख कर दो.’’
‘‘तुम्हारे लिए मैं जान भी दे सकती हूं राहुल, मैं ने तुम्हें अपना सब कुछ मान लिया है. फिर ये लाइनें क्या चीज हैं. लाओ लिख देती हूं.’’
राहुल से कागज पैन ले कर रूपा ने भी वैसा ही लिख कर दे दिया. इस के बाद राहुल हंस कर बोला, ‘‘अब तुम्हारा गला दबा दूं?’’
‘‘ये जान अब मेरी नहीं, तुम्हारी है राहुल. चाहे जो करो.’’ रूपा ने कहा तो राहुल दोनों हाथ आगे बढ़ा कर बोला, ‘‘ट्राई करें?’’
उस वक्त रूपा लेटी हुई थी. उस ने सोचा कि राहुल मजाक कर के उस की परीक्षा ले रहा है. राहुल ने उस के दोनों हाथों के पंजे उस की गरदन पर रख कर उन के ऊपर हलका दबाव बनाया तो रूपा कुछ नहीं बोली. वह इसे मजाक समझती रही. उसे नहीं पता था कि वह अपनी मौत को न्यौता दे रही है. राहुल ने इस का फायदा उठा कर कस कर उस की गरदन दबा दी और तब तक हाथ नहीं हटाए जब तक उस के प्राण नहीं निकल गए.
रूपा के हाथ उस के कब्जे में थे. उस की छटपटाहट रोकने के लिए वह उस के ऊपर बैठ गया था. इस तरह राहुल अपनी योजना में पूरी तरह कामयाब हो गया.
इस के बाद उस ने एक दुपट्टा ले कर कुंडे से बांधा और रूपा को उठा कर उस पर लटका दिया. फिर उस ने बिस्तर वगैरह ठीक किया. अपना लिखा सुसाइड नोट उस ने अपनी जेब में रखा और रूपा को उसी हालत में छोड़ कर चुपचाप वहां से निकल गया. उस ने सोचा था कि पुलिस इसे आत्महतया ही समझेगी. ऐसा हुआ भी, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सारी पोल खोल दी.
राहुल के बयानों के बाद पुलिस ने विशेष व राहुल को भी भारतीय दंड संहिता की धारा 109 का आरोपी बना लिया. पुलिस ने विशेष को भी गिरफ्तार कर लिया जबकि पूरे प्रकरण पर नजर रख रहा सिपाही सुशील तब तक ड्यूटी से फरार हो गया था. पुलिस ने दोनों गिरफ्तार आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक पुलिस सुशील को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
मौके का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने होटल मैनेजर ने पूछताछ की तो उस ने बताया, ”यह युवती, जिस का नाम जोया है, अपने शौहर अजरुद्दीन के साथ परसों रात को होटल में आई थी. कल रात को इस का शौहर अजरुद्दीन खाना लाने की बात कह कर होटल से बाहर गया था. फिर मैं ने नहीं देखा कि वह लौटा या नहीं. दानिश के आने के बाद कमरा खोला तो लाश मिली.’’
एसएचओ अंकित चौहान ने दानिश को पास बुलाया. वह अभी भी रो रहा था. उस के कंधे को सहानुभूति से दबा कर इंचार्ज अंकित चौहान ने प्रश्न किया, ”मिस्टर, आप कैसे जानते थे कि कमरा नंबर 204 में आप की बहन की लाश पड़ी है.’’
”मुझे सुबह खुद अजरुद्दीन ने फोन कर के यह बात बताई थी.’’
”अजरुद्दीन आप के जीजा लगते हैं तो…’’
”अजरू मेरा जीजा नहीं है, उस का मेरी बहन जोया से प्रेम संबंध था, लेकिन अजरू इन दिनों बाइक चोरी करने के आरोप में जेल में चला गया था. हमें यह बात अच्छी नहीं लगी. अब्बू एक चोर के साथ जोया का निकाह कभी नहीं करते.
”उन्होंने दिल्ली में जोया के लिए एक लड़का पसंद कर के उस के साथ जोया का रिश्ता पक्का कर दिया. 14 नवंबर को उस के साथ जोया की शादी होनी थी.’’
”अजरुद्दीन कहां रहता है?’’ एसीपी सलोनी अग्रवाल ने पूछा.
”वह कल्लूगढ़ी गांव (गाजियाबाद) में ही रहता है.’’ दानिश ने बताया.
एसीपी सलोनी अग्रवाल ने पहले जोया की लाश की जांच करने के लिए फोरैंसिक टीम को बुलवाया. कमरे से फोरैंसिक टीम ने सबूत एकत्र किए. इस के बाद जोया की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.
एसीपी सलोनी अग्रवाल ने अजरुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए एसएचओ अंकित चौहान को नियुक्त कर दिया.
अजरू ने क्यों किया प्रेमिका का कत्ल
अंकित चौहान ने अपनी पुलिस टीम के साथ कल्लूगढ़ी में अजरुद्दीन को पकडऩे के लिए रेड डाली, लेकिन यह वहां से फरार हो गया था. अंकित चौहान ने अपने खास मुखबिर उस की टोह में लगा दिए.
20 अक्तूबर, 2023 को अजरुद्दीन को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया. जब पुलिस सड़क पर वाहनों की चैकिंग कर रही थी और अजरुद्दीन उसी रास्ते धोलाना की तरफ जा रहा था.
पुलिस को देख कर अजरुद्दीन अपने वाहन से कूद कर भागा तो पुलिस ने उस का पीछा किया. उसे पकडऩे के लिए पुलिस को मजबूरन उस के पांव में गोली मारनी पड़ी. वह गिरा तो पुलिस ने उसे दबोच लिया.
उसे वेव सिटी थाने लाया गया. थाने में उस ने पूछताछ के दौरान लव क्राइम के पीछे की जो कहानी बताई, इस प्रकार थी—
अजरुद्दीन जोया उर्फ शहजादी को अपनी जान से ज्यादा प्यार करता था. उस की खातिर उस ने अपनी नेक और बहुत चाहने वाली बीवी जीनत और 5 बच्चों तक को छोड़ दिया. जोया की फरमाइशें पूरी करने के लिए उस ने अपने बापदादा की जमीनें बेच भी दीं, अपना पैतृक मकान भी बेच डाला. वह जोया को हर तरह से खुश रखता था.
जोया की खातिर सब कुछ बेच देने के बाद वह किराए का घर ले कर रहने लगा और जोया की डिमांड पूरी करने के लिए बाइक चोरी करने लगा. उस पर नोएडा और गाजियाबाद थानों में चोरी के कई केस दर्ज हुए और जेल तक जाना पड़ा.
जोया वहां उस से मिलने आती थी. जोया के घर वालों ने उसे जेल में बंद देख कर झटपट जोया का रिश्ता दिल्ली में तय कर दिया. उसे यह बात पता चली तो वह तड़प उठा. उस ने किसी तरह अपनी जमानत करवा ली और जेल से बाहर आ गया.
उस ने जोया को फोन कर के आखिरी मुलाकात के लिए गाजियाबाद बुलाया. बहुत मिन्नतें करने पर वह शौपिंग के बहाने से गाजियाबाद आ गई. वह 20 अक्तूबर की शाम थी. अजरुद्दीन ने यहां होटल अनंत में एक कमरा पतिपत्नी के रूप में बुक करा लिया था.
कमरे में आ कर उस ने जोया को वह रिश्ता तोड़ देने की मिन्नतें कीं, लेकिन उस ने इंकार कर के कहा कि वह एक चोर के साथ निकाह हरगिज नहीं कर सकती, इसलिए वह उसे भूल जाए.
जिस के पीछे अजरुद्दीन पूरी तरह बरबाद हो गया, वह अब उसे चोर कह रही थी. वह दूसरे दिन भी जोया को मनाता रहा, वह नहीं मानी तो उस ने उस की कोल्ड ड्रिंक में जहर मिला दिया. जब वह फ्रेश होने के लिए बाथरूम में गई थी. वह कोल्ड ड्रिंक पी कर बेसुध हो कर पलंग पर पसर गई. उस के सोते ही अजरुद्दीन ने तकिया उस के मुंह पर रख कर तब तक दबाया, जब तक उस के प्राण नहीं निकल गए.
प्रेमिका की हत्या करने के बाद उस ने रात को अपने दोस्त जलाल को बाइक ले कर होटल के पीछे बुलाया था. खाना लाने के बहाने अजरुद्दीन होटल से निकला तो जलाल होटल के पीछे खड़ा मिल गया. वह उस की बाइक पर बैठ कर होटल से दूर निकल गया. इस के बाद सुबह उस ने जोया के भाई दानिश को जोया की लाश होटल के कमरा नंबर 204 में होने की जानकारी फोन से दे दी थी.
अजरुद्दीन द्वारा जोया की हत्या का जुर्म कुबूल करने के बाद उसे न्यायिक मजिस्ट्रैट की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
अजरुद्दीन के इस बयान के बाद जलाल को भी पुलिस ने दबोच लिया और जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
रूपा विशेष को अपना दोस्त भी मानती थी और शुभचिंतक भी. उस ने इस बारे में विशेष को भी बताया. विशेष पहले ही कुढ़ा बैठा था. उस ने रूपा की हां में हां तो मिलाई पर अंदर ही अंदर जलता रहा. विशेष चाहता था कि रूपा की शादी किसी से भी न हो ताकि उसे और उस के घर वालों को यह पछतावा रहे कि विशेष से रिश्ता न कर के उन्होंने बहुत बड़ी भूल की है.
विशेष ने किसी तरह सुशील का पता लगाया और उस से संपर्क कर के रूपा के पुराने दिनों की बातें बता कर उसे भड़काने का प्रयास किया. लेकिन उस पर इस का कोई असर नहीं पड़ा.
उधर रूपा ने सुशील के बारे में अपने घर वालों से बात की. जब उन्हें पता लगा कि बेटी विवाह करना चाहती है, तो उन्होंने सुशील के बारे में पता लगाया. लेकिन उन्हें जो जानकारी मिली उसे उन के पैरों तले की जमीन खिसक गई. सुशील न सिर्फ विवाहित था बल्कि एक बच्चे का बाप भी था. यह बात रूपा को पता चली तो उस के सारे सपने टूट कर बिखर गए. वह समझ गई कि सुशील को विवाह की जल्दी क्यों नहीं थी.
दरअसल सुशील शादी के बहाने उसे भावनाओं के जाल में फंसा कर मन बहलाने का साधन बनाना चाहता था. इस झटके ने रूपा को अंदर तक हिला कर रख दिया. रूपा ने सुशील को जम कर खरीखोटी सुनाई और उस से पूरी तरह संपर्क तोड़ दिया. विशेष को इस से बहुत सुकून मिला, जबकि रूपा से अफसोस जता कर वह उस का सच्चा हितैषी होने का ढोंग करता रहा. इसी बीच सुशील का स्थानांतरण बागपत जिले में हो गया.
उधर रूपा के परिजनों ने उस के लिए रिश्ते की तलाश शुरू कर दी. मार्च, 2014 में यह तलाश राहुल के रूप में पूरी हुई. अच्छे परिवार का राहुल सीआरपीएफ में था. रूपा और राहुल ने एक दूसरे को पसंद कर लिया तो दोनों का रिश्ता पक्का हो गया. दोनों ही परिवार चाहते थे कि विवाह जल्द हो जाए. इसलिए 7 अप्रैल को सगाई की रस्म पूरी कर दी गई. विवाह के लिए भी 16 जून की तारीख तय हो गई.
सगाई होने के बाद रूपा और राहुल की मोबाइल पर बातें होने लगीं. रूपा ने राहुल को विश्वास दिलाया कि वह उसे बहुत प्यार करती है और हमेशा करती रहेगी. राहुल भी यह सोच कर मन ही मन खुश था कि उस ने होने वाली पत्नी के रूप में रूपा जैसी सुंदर व हंसमुख युवती का चुनाव किया है. रूपा की खुशी भी किसी से छिपी नहीं थी. उस ने सभी को बता दिया था कि एक महीने बाद उस का विवाह होने वाला है.
विशेष खुद को रूपा का हितैषी जताता था. वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. इस के लिए वह जब तब रूपा से पैसे मांगता रहता था. वह भी यह सोच कर पैसे दे देती थी कि वह उस का दोस्त भी है और वक्त का मारा भी. रूपा नहीं जानती थी कि वह आस्तीन का सांप है.
विशेष को जब रूपा की सगाई और विवाह की योजना का पता चला, तो एक बार फिर उस पर बिजली सी गिरी. उस ने तय कर लिया कि वह इस रिश्ते को तुड़वा कर रहेगा. विशेष सुशील के नजदीक आ चुका था. पोल खुलने पर रूपा के हाथों हुई बेइज्जती की वजह से सुशील भी अपमान की आग में झुलस रहा था.
सुशील अपराध शाखा में रह चुका था. अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर के उस ने सब से पहले रूपा की काल डिटेल्स हसिल की. इस से उसे उस नंबर का पता चल गया जिस पर वह सब से ज्यादा बात करती थी. वह नंबर राहुल का था. उस ने राहुल का नंबर विशेष को बता दिया. विशेष ने राहुल को एक दिन फोन कर के बताया कि वह रूपा से शादी न करे क्योंकि वह उसे प्यार करता है और उस से शादी करना चाहता है. विशेष ने अपना नाम बताए बिना राहुल के सामने शर्त रखी थी कि वह इस बारे में रूपा को कुछ न बताए.
भावी पत्नी के बारे में ऐसी बातें सुन कर राहुल का खून खौल गया. उस ने रूपा से इस मुद्दे पर बात की, तो उस ने इसे झूठ बताया. बहरहाल, दोनों के बीच तकरार और प्यार चलता रहा. धीरेधीरे राहुल को विश्वास हो गया कि कोई उसे भड़काने के लिए ऐसा कर रहा है.
राहुल को विश्वास में ले कर रूपा ने वह नंबर हासिल कर लिया जिस से राहुल को फोन किया गया था. वह नंबर विशेष का निकला. रूपा ने फोन मिला कर विशेष को खूब लताड़ा. उस ने सफाई देनी चाही, लेकिन रूपा ने उस की एक नहीं सुनी.
इस के बाद विशेष की हालत हारे हुए जुआरी जैसी हो गई. रूपा ने उस से बात तक करनी छोड़ दी. योजनानुसार इस के बाद सुशील ने राहुल को फोन कर के अपने और रूपा के रिश्ते की बातें बताईं और उस से दूर रहने को कहा. इन बातों से राहुल का दिमाग खराब हो गया. इस तरह विशेष और सुशील ने मिल कर उस के मन में शक का बीज बो दिया.
इस बात को ले कर रूपा और उस के बीच तकरार भी हुई. इधर यह सब चल रहा था और उधर रूपा का परिवार विवाह की तैयारियां करने में लगा था. इन बातों के बाद राहुल ने रूपा से बात करनी बंद कर दी तो वह विचलित हो गई. इस के बावजूद उस ने राहुल को विश्वास दिलाने के लिए उसे फोन करना जारी रखा. दोनों के बीच कई दिनों तक रूठने मनाने का दौर चलता रहा.
उधर विशेष भी राहुल को फोन कर के भड़काता रहा. जबकि रूपा राहुल को विश्वास दिलाती कि वह सिर्फ उसी से प्यार करती है और उस के लिए अपनी जान भी दे सकती है.
अजरू को जीनत दिलोजान से चाहती थी, उस का घर और इस के बच्चों को संभालना जीनत अपना फर्ज समझती थी. उस ने इस फर्ज की अदायगी में नाइंसाफी नहीं की थी. अजरू इस बात को जानता था और उस पर वह अपना भरपूर प्यार लुटाता था. अपने शौहर के इसी प्यार की भूखी थी जीनत, लेकिन अब अजरू का दिल कहीं और कुलांचे भर रहा था.
वह महसूस कर रही थी कि उस का अजरू अब पहले वाला अजरू नहीं रह गया है. इस के पीछे की सच्चाई जान कर जीनत का दिल रो पड़ा था. जीनत की आंखें भर आईं. उस का मन काम में नहीं लगा.
पति पर क्यों फूटा जीनत का गुस्सा
रात को अजरू घर आया तो जीनत ने उस से सीधा सवाल कर डाला, ”यह जोया कौन है जिस के पीछे आप अपना घर, बच्चे और मुझे भूलते जा रहे हैं?’’
अजरू एक पल को हक्का बक्का रह गया. उस के प्रेम की भनक उस की बीवी को लग चुकी है, यह जान कर उस ने गहरी सांस भरी और बोला, ”जोया से मैं प्रेम करता हूं जीनत.’’
”क्या मेरे प्यार में कोई कमी रह गई थी जो आप को बाहर मुंह मारने की जरूरत आ पड़ी.’’
”तुम्हें मैं ने भरपूर प्यार किया है, अब मेरा दिल दूसरी जगह सुकून तलाश रहा है तो तुम्हें क्या आपत्ति है?’’
”आपत्ति है,’’ जीनत तड़प कर बोली, ”आप मेरे हैं, आप का प्यार मेरे लिए है. इसे कोई दूसरी बांट ले, मुझे यह हरगिज मंजूर नहीं है.’’
”मैं जोया को नहीं छोड़ सकता जीनत. तुम्हें मैं खाने पीने का पूरा खर्च दे रहा हूं, तुम अपने घर और बच्चों में खुश रहो. मैं बाहर क्या कर रहा हूं, इस से परेशान मत हो.’’
”अगर आप को बाहर सुकून मिलने लगा है तो मैं आप के साथ आगे नहीं रह पाऊंगी, मैं आप से अलग होना ज्यादा पसंद करूंगी. मैं घुटघुट कर जिंदगी नहीं जीना चाहती.’’
”तुम्हारी मरजी है जीनत, तुम यहां रहती तो मुझे अच्छा लगता.’’ अजरू ने गहरी सांस भर कर कहा.
”आप जोया को छोड़ देंगे तो मुझे भी अच्छा लगेगा.’’ जीनत ने दोटूक कहा और अंदर कमरे में चली गई.
उसी दिन जीनत अपने बच्चों को साथ ले कर अपने मायके चली गई. अजरू जोया के प्यार में इस कदर डूब गया था कि उस ने अपने बीवी बच्चों को रोकने की जरूरत नहीं समझी. जोया की मोहब्बत में अजरू-जीनत का घर और रिश्ता टूट गया.
जोया के इश्क का भूत अजरुद्दीन पर इस कदर सवार हुआ कि उस ने खेत बेचने के बाद अपना पैतृक घर भी बेच दिया. उस ने उन पैसों से जोया की फरमाइशें पूरी करनी शुरू कर दीं. कुछ ही दिनों में उस के मकान का पैसा भी खत्म हो गया.
अजरू मकान बेच देने के बाद किराए का घर ले कर रहने लगा. जोया को अजरू द्वारा दिए जा रहे गिफ्ट पा कर संतोष नहीं हो रहा था. उसे गिफ्ट लेने का चस्का सा लग गया था, वह रोज अजरू से किसी न किसी चीज की डिमांड कर देती और अजरू उस की फरमाइश पूरी करने के लिए दिल खोल कर रुपए खर्च करता.
मकान बेचने के बाद मिला पैसा आखिर कितने दिनों तक चलता. अजरू एक दिन खाली जेब रह गया. फिर भी जोया की फरमाइश नहीं थमी. अब अजरू ने बाइक चोरी करनी शुरू कर दी. वह सड़क पर पार्क की गई बाइकें चोरी करता और औने पौने दामों में बेच देता.
एक दिन बाइक चुराते हुए वह पकड़ा गया. उसे पुलिस थाने ले आई और जेल में बंद कर दिया.
जोया उर्फ शहजादी को पता लगा कि चोरी के आरोप में गाजियाबाद पुलिस ने अजरू को जेल पहुंचा दिया है तो वह अजरू से मिलने जेल पहुंच गई. अजरू से मिल कर वह खूब रोई.
अजरू ने उस के आंसू पोंछते हुए भावुक स्वर में कहा, ”मैं जल्दी जेल से बाहर आ जाऊंगा जोया. जेल से निकलने के बाद मैं कहीं काम तलाश कर लूंगा और तुम से निकाह कर लूंगा. जीनत नाम का कांटा हमारे बीच से निकल गया है, हम दोनों प्यार की नई दुनिया बसा लेंगे.’’
”हां अजरू, हमारा मिलन होगा, हमारा प्यारा सा घर भी होगा और उस घर के आंगन में प्यारे प्यारे बच्चे भी होंगे. बस, तुम जल्दी से अपनी सजा काट कर जेल से बाहर आ जाओ.’’
”मैं जल्द आऊंगा जोया.’’ प्यार से अजरू ने जोया का हाथ पकड़ कर दबाते हुए कहा, ”तुम मेरा इंतजार करना.’’
”करूंगी मेरे महबूब.’’ आंखों में आए आंसू पोंछते हुए जोया उठ कर खड़ी हो गई और थके कदमों से चलती हुई जेल के बाहर आ गई.
22 अक्तूबर, 2023 को सुबह का उजाला फैला भी नहीं था कि जोया के भाई दानिश के मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी. दानिश की आंखें खुल गईं. उस ने कंबल में से हाथ बाहर निकाल कर टेबल पर रखा मोबाइल फोन उठाया. स्क्रीन पर अजरू का नाम चमक रहा था. ‘इतनी सुबह अजरुद्दीन को मुझ से क्या काम पड़ गया?’
हैरत में डूबे दानिश ने बड़बड़ाते हुए काल रिसीव की, ”दानिश बोल रहा हूं, कैसे फोन किया?’’
”दानिश, तुम्हारी बहन जोया की लाश रोहन एनक्लेव (गाजियाबाद) के होटल अनंत में कमरा नंबर 209 में पड़ी है.’’ दूसरी ओर से अजरू ने गंभीर स्वर में कहा और काल डिसकनेक्ट कर दी.
दानिश हैलो…हैलो… करता रह गया. अजरू ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर दिया था.
दानिश जल्दी से बिस्तर से उतरा और अपने पिता को बताए बगैर वह अपनी बाइक से गाजियाबाद के लिए निकल गया. वह जब होटल अनंत पहुंचा तो धूप पूरी तरह निकल चुकी थी.
दानिश दौड़ता हुआ होटल के रिसैप्शन पर आया. वहां ड्यूटी पर मैनेजर मौजूद था.
”तुम्हारे होटल के कमरा नंबर 204 में मेरी बहन जोया की लाश है…’’ दानिश घबराए स्वर में बोला.
”लाश..!’’ मैनेजर बौखला गया, ”आप को किस ने कहा कि हमारे होटल में लाश है.’’
”आप पहले देखिए,’’ दानिश ऊंची आवाज में बोला.
मैनेजर अपनी जगह से हिला. वह कमरा नंबर 204 की तरफ दौड़ा. उस के पीछे दानिश भी था. कमरा खोल कर देखा तो उस में वास्तव में बैड पर जोया की लाश पड़ी थी.
इस की सूचना तुरंत थाना वेव सिटी में फोन कर के दे दी. सूचना मिलने पर थाना वेव सिटी के एसएचओ अंकित चौहान और एसीपी सलोनी भी मौके पर पहुंच गईं.
पुलिस ने रूपा के मकान मालिक से भी पूछताछ की. उस ने एक ऐसी बात बताई जिस से पुलिस के शक को और भी बल मिला. रूपा ने मकान मालिक को एक दिन पहले बताया था कि उस का मंगेतर उस से मिलने के लिए आएगा.
यह जानने के बाद पुलिस ने राहुल के नंबर की सभी डिटेल्स हासिल कर लीं. उस से पता चला कि 1 मई की दोपहर से ले कर रात तक राहुल की लोकेशन बुलंदशहर में ही थी. इस के बाद उस ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर दिया था. शक को मजबूत आधार मिला, तो पुलिस ने रूपा के घर वालों की तरफ से राहुल के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया. इस के बाद पुलिस उस की तलाश में जुट गई.
एक पुलिस टीम राहुल की तलाश में पटना रवाना कर दी गई. 14 मई को पुलिस राहुल को हिरासत में ले कर बुलंदशहर लौट आई. पुलिस की इस तरह की काररवाई से वह हक्का बक्का था. पुलिस ने उस से सीधा सवाल किया, ‘‘तुम ने रूपा की हत्या क्यों की?’’
‘‘मैं भला उस की हत्या क्यों करूंगा सर, वह मेरी मंगेतर थी. हम दोनों तो अपनी शादी से खूब खुश थे.’’ राहुल ने संक्षिप्त शब्दों में सीधा जवाब दिया.
‘‘तुम्हारा मोबाइल क्यों बंद था?’’
पूछने पर राहुल बोला, ‘‘मेरा मोबाइल खराब हो गया था. मुझे आप से ही पता चला है कि रूपा की हत्या हो गई है.’’
‘‘तुम्हारी रूपा से आखिरी मुलाकात कब हुई थी?’’
‘‘सगाई के बाद हम लोग एक बार मिले थे. वैसे मोबाइल पर हम बराबर बातें करते रहते थे.’’ राहुल के जवाबों से पुलिस समझ गई कि वह हद से ज्यादा चालाक भी है और झूठ बोलने में माहिर भी. लेकिन जब पुलिस ने उस के साथ सख्ती की तो वह टूट गया.
पहले वह खामोश हो कर शून्य को ताकता रहा, फिर उस ने कुबूल कर लिया कि रूपा की हत्या उस ने ही की थी और यह आइडिया उसे शाहरूख खान की फिल्म बाजीगर देख कर आया था. रूपा की हत्या की उस ने जो वजह बताई वह एक युवा लड़की के विश्वास व भावनाओं के साथ खिलवाड़ के बाद बेरहमी से हुए कत्ल की कहानी थी.
किसान परिवार में जन्मी रूपा होनहार युवती थी. उस की ख्वाहिश थी कि वह बड़ी हो कर पुलिस विभाग में नौकरी करे. यह सर्वविदित है कि उद्देश्य अगर पहले ही साफ हो जाए तो मंजिल तक पहुंचने की राहें आसान हो जाती हैं. रूपा के साथ भी ऐसा ही कुछ था. रूपा का परिवार आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा सक्षम नहीं था. वह चाहती थी कि बड़ी हो कर परिवार के लिए कुछ करे.
इंसान की जिंदगी कई तरह की राहों से हो कर गुजरती है. इन राहों में बहुत से लोग मिलते बिछड़ते हैं. इन लोगों में किस से करीबी रिश्ते बन जाएं कोई पता नहीं होता. कालेज के दिनों में ही रूपा की मुलाकात विशेष कुमार से हुई. विशेष कुमार जिला मेरठ के खेखड़ा थाना क्षेत्र के गांव का रहने वाला था.
रूपा सुंदर व हंसमुख स्वभाव की थी. विशेष उसे पसंद करता था. वह पढ़ने में भी मेहनती था. विचार मिले तो दोनों के बीच दोस्ती हो गई. विशेष की पारिवारिक हालत काफी खराब थी. वह किसी भी तरह अपनी पढ़ाई पूरी कर के नौकरी करना चाहता था.
रूपा उन युवतियों में से थी जो दूसरों की पीड़ा को अपनी समझते हैं. एक दिन विशेष को परेशान देख रूपा ने उस से पूछा तो उस ने बताया कि वह फीस का इंतजाम नहीं कर पा रहा है. हो सकता है, फीस न भर पाने के कारण उसे पढ़ाई छोड़नी पड़े.
रूपा उस की बात सुन कर गंभीर हो गई. उस ने विशेष को समझा कर आश्वासन दिया कि वह उस की मदद करेगी. उस ने किसी तरह इंतजाम कर के विशेष को फीस के रुपए दे दिए. इस से वह बहुत खुश हुआ.
बीए करने के दौरान ही 2011 में उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद के लिए वैकेंसी निकलीं तो रूपा और विशेष ने तय किया कि वह इस के लिए प्रयास करेंगे. दोनों ने एकसाथ पंजीकरण फार्म भरा. चयन के लिए प्रतियोगी टेस्ट हुए, तो रूपा का चयन हो गया जबकि विशेष रह गया. इस से रूपा को तो दुख पहुंचा ही विशेष भी मन मार कर रह गया. रूपा का परिवार बेटी के पुलिस में जाने से खुश था. कुछ महीनों के प्रशिक्षण के बाद रूपा को तैनाती मिल गई.
2013 में रूपा का स्थानांतरण बुलंदशहर जनपद में हो गया. विशेष चूंकि अब तक कहीं नौकरी नहीं कर पाया था इसलिए वह परेशान रहता था. वक्त वक्त पर रूपा उस की आर्थिक मदद करती रहती थी. दोनों की इच्छा विवाह करने की थी, लेकिन रूपा का परिवार उस के परिवार की माली हालत की वजह से इस के लिए तैयार नहीं हुआ.
विशेष ने सोचा था कि उसे कमाऊ पत्नी मिलेगी तो उस के आर्थिक संकट दूर हो जाएंगे. रिश्ता नहीं होने से वह निराश हो गया. नतीजतन उस के दिल में प्रतिशोध की चिंगारी भड़कने लगी. उस ने मन ही मन फैसला कर लिया कि वह रूपा को किसी और की भी नहीं होने देगा. लेकिन उस ने अपने इरादे कभी जाहिर नहीं होने दिए. यह अलग बात थी कि मांगने पर रूपा उसे पैसे भेज देती थी.
रूपा की तैनाती देहात के थाने में थी. वहां उसे काफी दिक्कत होती थी. इसलिए वह शहर में आना चाहती थी. इसी दौरान उस की मुलाकात सिपाही सुशील जावला से हो गई. सुशील अपराध शाखा में तैनात था और मूल रूप से नव सृजित जिला शामली के थाना कांधला क्षेत्र के गांव भभीसा का रहने वाला था. वह काफी तेज तर्रार था. अधिकारियों के संपर्क में रहने से डिपार्टमेंट में उस की अच्छी पकड़ थी.
रूपा पहली ही नजर में सुशील के दिल में उतर गई. भावनात्मक स्वभाव की रूपा पुलिस की नौकरी में भले ही आ गई थी, लेकिन उस में न तो पुलिस जैसी तेजी थी और न ही उसे जमाने का तजुर्बा था. सुशील ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो रूपा भी इनकार नहीं कर सकीं.
रूपा ने अपनी समस्या सुशील को बता दी थी. सुशील चाहता था कि रूपा पूरी तरह उस के जाल में फंस जाए, इसलिए उस ने अधिकारियों से अपने संबंधों का फायदा उठा कर रूपा को शहर लाने के प्रयास शुरू कर दिए. इस प्रयास में उसे सफलता मिली, जिस की बदौलत रूपा को शहर कोतवाली में तैनाती मिल गई.
दोनों के बीच मुलाकातों बातों का सिलसिला बढ़ा तो सुशील ने प्रेम का इजहार कर के रूपा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. एक तो सुशील अपनी ही जाति का था. दूसरे था भी मेरठ की तरफ का रहने वाला. इसलिए रूपा को यह ठीक लगा. उस ने सोचा कि सुशील भी चूंकि सरकारी नौकरी में है इसलिए दोनों का जीवन सुखमय रहेगा. शादी की बात करते समय सुशील ने एक बात साफ कर दी थी कि वह शादी 2 साल से पहले नहीं करेगा. उस ने चूंकि रूपा को खूब सपने दिखाए थे, इसलिए वह 2 साल बाद भी शादी करने को तैयार थी.
अजरू मौके की तलाश में था. उसे एक दिन यह मौका मिल गया. जोया ने उस दिन उस से एक होटल में कमरा बुक करने के लिए कहा था. कई दिनों से अजरू महसूस कर रहा था कि जोया उसे संपूर्ण रूप से पा लेने के लिए आतुर है. वह जब भी उस से मिलती थी, उस से कस कर लिपट जाती थी. अपने जिस्म का सारा बोझ वह उस के ऊपर डाल देती थी.
जोया को अपनी सच्चाई बताने का पक्का मन बना कर उस ने अलीगढ़ में एक होटल में कमरा बुक कर लिया. जोया को उस ने कमरा बुक होने की बात बताई तो वह बहुत खुश हो गई. वह शाम को ही धोलाना से अलीगढ़ पहुंच गई.
अजरू होटल के बाहर उस का इंतजार कर रहा था. वह जोया को ले कर होटल के बुक किए कमरे में आ गया. कमरे में आते ही जोया ने उस के गले में अपनी नाजुक बांहों का हार पहना दिया. वह अपनी नाक अजरू की नाक से रगड़ती हुई चहक पड़ी, ”मैं ने तुम्हें अपना सरताज मान लिया है अजरू. मेरे इस पाक जिस्म को तुम्हें छू लेने का मैं पूरा अधिकार दे रही हूं. आज तुम मुझे कली से फूल बना दो.’’
”तुम्हें संपूर्ण पा लेने की लालसा मेरे दिल में भी है जोया, लेकिन…’’
”लेकिन क्या…?’’ जोया उसे आश्चर्य से देखती हुई खोली.
”मैं तुम्हें अपनी एक सच्चाई बता देना चाहता हूं जोया, ताकि अपना पाक जिस्म मुझे सौंपने से पहले तुम ‘हां’ या ‘न’ कहने का फैसला ले सको.’’
”ऐसी क्या बात है अजरू?’’ जोया अलग हो कर उसे हैरानी से देखने लगी.
अजरुद्दीन गंभीर हो गया. उस ने जोया की ओर देखा, वह उसे ही एकटक देख रही थी. अजरू ने मन को पक्का कर लिया और धीरे से बोला, ”मैं पहले से शादीशुदा हूं जोया, मेरे 5 बच्चे भी हैं.’’
जोया उर्फ शहजादी कुछ पलों तक अजरू को ठगी सी खड़ी देखती रही फिर मुसकरा कर बोली, ”तुम शादीशुदा हो, इस से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मैं तुम्हारी बेगम बन कर एक कोने में पड़ी रहूंगी’ मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए और कुछ नहीं.’’
”सोच लो जोया, प्यार के जोश में उठाया गया यह कदम तुम्हारे लिए आगे चल कर परेशानी का सबब न बन जाए? बाद में तुम पछताओ कि तुम ने नादानी में फैसला ले कर अपना सब कुछ खो दिया.’’
”अजरू, मैं ने तुम्हें दिल की गहराइयों से प्यार किया है. तुम यदि यह बात छिपा कर मुझे पाने की चेष्टा करते तो मुझे बहुत दुख पहुंचता, तुम ने एक अच्छे आदमी होने की मिसाल कायम की है.’’
”मैं तुम्हारे लिए अच्छा हूं जोया, लेकिन मैं अपनी पत्नी जीनत को धोखा दे कर उस के साथ नाइंसाफी कर रहा हूं, जानती हो क्यों?’’
”क्यों?’’
”क्योंकि तुम दुनिया की बेहद हसीन चीज हो, तुम मेरे दिल में बस गई हो. मैं अब तुम्हारे बगैर जिंदा नहीं रह पाऊंगा.’’
”ओह! मेरे अच्छे अजरू.’’ जोया ने लरजते स्वर में कहा और अजरू से लिपट गई.
अजरू ने उस के नाजुक जिस्म को अपनी बाहों में समेट लिया और झुक कर अपने तपते होंठ जोया के पतले पतले अधरों पर टिका दिए. कुछ पलों बाद उस कमरे में 2 जिस्मों की महकती सांसों और फुसफुसाते शब्दों से भर गए.
अजरू ने क्यों बेचीं बापदादा की जमीनें
जोया उर्फ शहजादी को संपूर्ण रूप से पा लेने के बाद अजरू प्रेमिका का दीवाना हो गया. जोया पर अब वह दिल खोल कर रुपया खर्च करने लगा. वह उस के लिए महंगे महंगे गिफ्ट देने लगा. जोया को उस ने ऊपर से नीचे तक गहनों से लाद दिया. उन की लव स्टोरी गहराती चली गई.
जोया ने अजरू के इस दीवानगी की कद्र की, वह अपने मादक जिस्म की तपिश से अजरू को गरमाने में जरा भी संकोच नहीं करती थी. जोया की जवानी में अजरू पूरी तरह डूब गया था. अब उसे ख्वाबों में भी जोया ही चाहिए थी.
इस पागलपन का परिणाम यह हुआ कि अजरू अपने बापदादा की जमीनें बेचने लगा. जमीन से मिले रुपयों को वह जोया पर खर्च कर देता. जोया अजरू के इन कीमती तोहफों को पा कर आसमान में उडऩे लगी थी.
जोया का बाप और भाई जोया के बहकते कदमों से अंजान नहीं थे. वह सब देख और समझ रहे थे, लेकिन खामोश थे, क्योंकि जोया के द्वारा घर में हर कीमती सामान आ रहा था. वह लोग अजरू से ही जोया का निकाह कर देना चाहते थे.
अजरू उन के घर आता तो वह उस का गर्मजोशी से आदरसत्कार करते थे. एक प्रकार से जोया का पूरा परिवार अजरू को जोया का भावी शौहर मानने लगे थे.
इधर अजरू की बीवी जीनत बेगम अपने शौहर के बदलते रंग से परेशान थी, वह देख रही थी उस का शौहर बापदादा की जमीनें बेच रहा है, लेकिन वह रुपया घर में खर्च नहीं कर रहा है, कहीं और खर्च कर रहा है. जीनत का अनुमान था अजरू ने कोई बड़ा बिजनैस शुरू कर दिया है.
एक दिन अजरू का जानकार दोस्त उस से मिलने उस के घर आया. अजरू घर पर नहीं था. उस दोस्त ने जीनत का हाल पूछा, ”कैसी हो भाभी?’’
”अच्छी हूं.’’ जीनत ने औपचारिकतावश कहा, ”तुम्हारे भाईजान तो घर पर नहीं हैं.’’
”आजकल अजरू मिलता ही नहीं है.’’ अजरू का दोस्त परेशान हो कर बोला, ”पहले अजरू मेरे से रोज मुलाकात कर लेता था.’’
”उन्होंने कोई बिजनैस शुरू कर दिया है, इसीलिए तुम से नहीं मिल पाते हैं.’’
वह दोस्त मुसकरा दिया, ”कैसा बिजनैस भाभी, वह तो जोया के प्यार में पागल हुआ पड़ा है.’’
यह सुन कर जीनत का दिल धड़क उठा, ”यह जोया कौन है भाईजान?’’
”जोया धौलाना (हापुड़) में रहती है, भाईजान उस के इश्क में पड़ गए हैं. क्या आप यह नहीं जानतीं.’’
”नहीं, मैं उन का घर और बच्चों की देखभाल में उलझी रहती हूं. मुझे क्या खबर कि वह बाहर क्या कर रहे हैं.’’
”आप नादान और भोली हैं, घर में ही रहेंगी तो अजरू आप के हाथ से निकल जाएगा. उस के पैरों में रस्सी बांध कर रखना जरूरी है. मैं अजरू का गहरा दोस्त हूं, उस का अच्छा बुरा सोचना मेरा फर्ज है. मैं ने आप को आगाह कर दिया है. आप यह बात अजरू से मत कहना, नहीं तो हमारी दोस्ती में दरार पड़ जाएगी…’’
”आप का नाम मैं नहीं लूंगी भाईजान. आप ने मुझे उन की प्रेम कहानी की सच्चाई बता कर बहुत बड़ा एहसान किया है.’’ जीनत ने गंभीर स्वर में कहा, ”मैं आज ही उन की खबर लूंगी.’’
अजरू का दोस्त चला गया. जीनत को अपने शौहर की करतूत का पता चल चुका था. बापदादा की जमीनें बेच कर अजरू जोया के ऊपर खर्च कर रहा है, यह बात उसे परेशान और चिंता में डाल देने वाली थी.