सर्विलांस से मिली जानकारी के अनुसार, शीला का फोन 31 जुलाई की शाम को बंद हो गया था. 2 दिनों बाद फोन चालू हुआ तो उस की लोकेशन गांव अमर सिंह का पुरा की थी. फोन की लोकेशन तो बदलती रही थी, लेकिन ज्यादातर उस की लोकेशन अमर सिंह का पुरा की ही बता रही थी. इस का मतलब फोन उसी गांव के किसी आदमी के पास था. थानाप्रभारी ने अमर सिंह का पुरा में अपने मुखबिरों को तैनात कर दिया.
इस के बाद उन्होंने काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो पता चला कि शीला के फोन पर 30 जुलाई से 31 जुलाई की दोपहर तक एक नंबर से लगातार बात हुई थी. मुनीष कुमार ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर शीला के ही परिवार के एक लड़के भूपेंद्र कुमार का था. रिश्ते में वह उस का भतीजा लगता था. भूपेंद्र शीला के जेठ लगने वाले रामलाल का बेटा था. थानाप्रभारी मुनीष कुमार सोचने लगे कि आखिर भूपेंद्र ने शीला को फोन क्यों किए थे? उन्होंने जब इस सवाल पर गहराई से सोचा तो भूपेंद्र पर उन्हें शक हो गया.
भूपेंद्र पर शक होते ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ शाहपुर के लिए निकल पड़े. थाना फतेहाबाद पुलिस टीम शाहपुर गांव पहुंची तो गांव वाले परेशान हो उठे, क्योंकि शीला की हत्या के मामले में पहले से ही 4 लोग जेल जा चुके थे. पुलिस किसे पकड़ने आई है, गांव में इसी बात की चर्चा होने लगी.
पुलिस गांव वालों से पूछ कर रामलाल के घर पहुंची. भूपेंद्र घर पर ही था. पुलिस ने उसे जीप में बैठा लिया. गांव वालों ने इस बात का काफी विरोध किया, लेकिन पुलिस के आगे किसी की भी एक नहीं चली और थानाप्रभारी उसे थाने ले आए. थाने ला कर उन्होंने उस से सीधे पूछा, ‘‘शीला की हत्या तुम ने क्यों की?’’
मुनीष कुमार ने भूपेंद्र से यह बात इस तरह पूछी जैसे उन्हें पता हो कि शीला की हत्या इसी ने की है. उन के इस सवाल से भूपेंद्र परेशान हो उठा कि इन्हें कैसे पता चला कि शीला की हत्या उसी ने की है. उस ने सुना था कि अपराध उगलवाने के लिए पुलिस आरोपियों को बहुत बुरी मार मारती है. पुलिस की मार से बचने के लिए उस ने तुरंत स्वीकार कर लिया कि अपने दोस्त फतेह सिंह के साथ मिल कर उसी ने शीला की हत्या की है.
अमर सिंह का पुरा के रहने वाले फतेह सिंह के पास ही शीला का मोबाइल फोन है. उसी ने फोन कर के पहले शीला की बुआ और उस के बाद श्रीनिवास को लाश के बारे में बताया था.
थानाप्रभारी मुनीष कुमार ने अमर सिंह का पुरा जा कर भूपेंद्र की निशानदेही पर उस के दोस्त फतेह सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद भूपेंद्र और फतेह सिंह से की गई पूछताछ में शीला की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी.
थाना डौकी गांव कटोरा के रहने वाले रामसनेही के परिवार में पत्नी रामदेवी के अलावा 7 संतानों का भरापूरा परिवार था. संतानों में बेटी मुन्नी देवी सब से बड़ी थी तो कल्लो सब से छोटी. शीला रामसनेही की दूसरे नंबर की बेटी थी. बेटियों में वह सब से खूबसूरत थी. विवाहयोग्य होते ही रामसनेही ने उस के घरवर की तलाश शुरू कर दी थी.
खूबसूरत होने की वजह से रामसनेही को उस के लिए ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी पड़ी. शाहपुर के रहने वाले छोटेलाल का बेटा जयपाल उन्हें शीला के लिए पसंद आ गया. जयपाल को शीला पहली ही नजर में भा गई थी. इस के बाद दोनों का विवाह हो गया. यह 10-11 साल पहले की बात है.
शीला ससुराल आ गई. ससुराल में एक जेठ और 3 देवरों का भरापूरा परिवार था. जयपाल दिल्ली में नौकरी करता था. महीने, 2 महीने में ही उस का गांव आना होता था. समय के साथ शीला 3 बच्चों सतीश, मनोज और हरीश की मां बनी.
हरीश के पैदा होने के बाद जयपाल की तबीयत खराब रहने लगी. लेकिन परिवार की जिम्मेदारी उसी पर थी, इसलिए दिल्ली में रह कर नौकरी करना उस की मजबूरी थी. उस की इस बीमारी का असर सब से ज्यादा शीला पर पड़ा. क्योंकि बीमारी की वजह से उस का शरीर इस लायक नहीं रहा कि घर जाने पर वह शीला को खुश कर पाता.
शीला को जब लगा कि पति अब उसे खुश नहीं कर सकता तो वह अपनी खुशी किसी और में तलाशने लगी. उस की यह तलाश जल्दी ही खत्म हो गई, क्योंकि इस के लिए उसे कहीं बाहर नहीं जाना पड़ा. परिवार के ही जेठ रामलाल का 20-22 साल का बेटा भूपेंद्र उसे भा गया. वह सेल्समैन था. उस का शहर भी आनाजाना लगा रहता था. गांव में वह सब से ज्यादा स्मार्ट था. शहर आनेजाने की वजह से वह रहता भी बनठन कर था.
शीला को भूपेंद्र भा गया तो वह उस पर डोरे डालने लगी. खूबसूरत शीला का गदराया बदन था. चाची का खुला आमंत्रण पा कर जवानी की दहलीज पर खड़ा कुंवारा भूपेंद्र उस के मोहपाश में बंधता चला गया. फिर तो वह दिन आते देर नहीं लगी, जब चाचीभतीजे ने सारी मर्यादाएं तोड़ कर 2 जिस्म एकजान कर दिए.
शीला गांव में बच्चों के साथ अकेली ही रहती थी, इसलिए भूपेंद्र से उसे मिलने में कोई परेशानी नहीं होती थी. भूपेंद्र उस के घर से मात्र 20 मीटर की दूरी पर रहता था. बच्चों के सो जाने पर वह फोन कर के भूपेंद्र को अपने घर बुला लेती. दोनों का मिलन रात में ही होता था. यही वजह थी कि उन के इन संबंधों की जानकारी गांव या परिवार के किसी भी आदमी को नहीं हो पाई.
इसी तरह एकएक कर के 3 साल बीत गए. भूपेंद्र से संबंध बनने के बाद शीला को जयपाल की कोई फिकर नहीं रह गई थी. लेकिन जब घरवालों ने भूपेंद्र के लिए लड़कियां देखनी शुरू कीं तो एक बार शीला फिर परेशान हो उठी. फिर वह भी अपने लिए नया यार खोजने लगी, क्योंकि उसे पता था कि भूपेंद्र की शादी हो जाएगी तो वह उसे घास डालना बंद कर देगा. जबकि अब उसे दूसरों का ही सहारा था. जयपाल तो अब कईकई महीने बाद घर आता था.
इस बार शीला की नजर गांव के ही विजय सिंह पर जम गई. विजय सिंह भी कुंवारा था, इसलिए जल्दी ही वह शीला के प्रेमजाल में फंस गया. इस तरह शीला के अब 2 यार हो गए. विजय सिंह को अपने प्रेमजाल में फांस कर शीला निश्चिंत हो गई. भूपेंद्र उस के पास आना छोड़ देगा तो विजय सिंह तो रहेगा ही. वह विजय को भी भूपेंद्र की ही तरह सब के सो जाने पर रात को बुलाती थी.
गर्मियों में जयपाल घर आया तो जायदाद को ले कर भाइयों से विवाद हो गया. जयपाल अकेला था, जबकि भाई 4 थे. उन्होंने जयपाल की पिटाई कर दी. शीला पति को बचाने गई तो उन लोगों ने उसे भी जमीन पर गिरा कर मारापीटा. इस के बाद मामला पुलिस तक पहुंचा तो जेठ और देवरों ने सब के सामने अपनी गलती के लिए लिखित रूप से माफी मांग ली. इस के बाद पूरा परिवार शीला से नफरत करने लगा. ठीक होने के बाद जयपाल दिल्ली चला गया तो शीला अपने पुराने ढर्रे पर चल पड़ी.
भूपेंद्र ने मांबाप से विवाह का काफी विरोध किया, लेकिन उम्र का वास्ता दे कर मांबाप ने उस की एक नहीं सुनी और 13 जुलाई, 2013 को उस का विवाह कर दिया. पत्नी के आने के बाद वह शीला की ओर से लापरवाह तो हुआ, लेकिन उस के पास जाना नहीं छोड़ा. ऐसे में ही किसी दिन उसे शीला और विजय सिंह के संबंधों का पता चला तो वह बौखला उठा.
उस ने यह बात शीला से कही तो शीला ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी ब्याहता तो हूं नहीं कि सिर्फ तुम्हारी हो कर रहूं. मैं ने जिस के साथ 7 फेरे लिए, जब उस की नहीं हुई तो तुम्हारी क्यों होऊंगी. मेरे मन में जो आएगा, वह करूंगी. रौबदाब दिखाना है तो अपनी पत्नी को दिखाओ. उसे पल्लू में बांध कर रखो. तुम उस के पास सोते हो तो मैं ने तो नहीं मना किया. फिर तुम मुझे क्यों रोक रहे हो.’’
शीला की ये बातें भूपेंद्र को अच्छी नहीं लगीं. फिर भी वह कुछ नहीं बोला. लेकिन मन ही मन उस ने तय कर लिया कि शीला जिस शरीर और सुंदरता के बल पर कूद रही है, उसे वह ऐसा कर देगा कि छूने की कौन कहे, कोई उस की ओर देखेगा तक नहीं. इस के लिए उस ने तेजाब डालने की योजना बनाई. लेकिन इस में उसे लगा कि वह फंस जाएगा. क्योंकि तेजाब डालते समय शीला उसे पहचान लेगी. फंसने के डर से उस ने इस योजना पर पानी डाल दिया और कोई नई योजना बनाने लगा.