15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 4

उस ने बताया कि बचपन से ही उस की अपने मांबाप से नहीं बनती थी. इसलिए उस ने घर छोड़ दिया था. शक्लसूरत अच्छी थी, इसलिए उस ने सोचा कि चलो कन्नड़ फिल्मों में भाग्य आजमाते हैं. उस ने कन्नड़ फिल्मी दुनिया का रुख किया, पर वहां उसे कोई काम नहीं मिला. इस से महेश को बहुत बड़ा झटका लगा. क्योंकि वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं था कि उसे कोई ढंग की नौकरी मिल पाती. उस की समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करे.

तभी उस ने किसी अखबार में समाचार पढ़ा कि कोई व्यक्ति मैट्रीमोनियल साइट से विवाह कर के पत्नी के लाखों रुपए ले कर फरार हो गया है. उस ठग की कहानी पढ़ कर उस के दिमाग में आइडिया आया कि इस तरह विवाह कर के भी पैसा कमाया जा सकता है. बस, उस ने सोच लिया अब वह भी इसी तरह विवाह कर के पैसे कमाएगा.

मन में यह विचार आते ही महेश ने मैट्रीमोनियल साइट पर अपनी फेक आईडी बनानी शुरू की. किसी में डाक्टर तो किसी में इंजीनियर तो किसी में सौफ्टवेयर इंजीनियर तो किसी में बिजनैसमैन तो किसी में सरकारी अफसर बन कर उस ने प्रोफाइल बना डालीं.

करीब 35 साल की महिलाओं को फांसता था महेश

मजे की बात यह थी कि वह साइट पर जा कर यह उन्हीं महिलाओं को चुनता था, जिन की उम्र 35 साल या उस से अधिक होती थी. अगर डिवोर्सी होती तो उसे और अधिक बेहतर लगती. लेकिन अमीर होनी चाहिए और देखने में ठीकठाक लगनी चाहिए.

जब शुरुआत हुई तो जैसा शुरू में बताया गया है, ठीक उसी तरह बात होती और फिर शादी की तारीख तय हो जाती. शुरू में ही महेश लडक़ी वालों से बता देता था कि उस के मांबाप नहीं हैं. परिवार में प्रौपर्टी के बंटवारे को ले कर झगड़ा चल रहा है, इसलिए परिवार का भी कोई सदस्य शादी में नहीं आएगा. बस, दोचार रिश्तेदार और दोस्त ही विवाह में आ सकते हैं.

इसलिए महेश के विवाह में उस की ओर से दसपांच लोग ही शामिल होते थे. लेकिन ये लोग भी न उस के रिश्तेदार होते थे और न दोस्त. ये लोग किराए के होते थे. इस तरह के लोगों को उसे ढूंढने भी नहीं जाना पड़ता था. क्योंकि उस ने कन्नड़ फिल्मों में काम करने के लिए खूब धक्के खाए थे, इसलिए तमाम जूनियर कलाकारों से उस की जानपहचान हो गई थी.

अपने विवाह पर वह इन्हीं लोगों को किसी को 3 हजार पर तो किसी को 5 हजार पर तो किसी को 10 हजार रुपए पर यानी हुलिए के हिसाब से फीस दे कर बाराती के रूप में ले आता था. उन्हें पैसे तो मिलते ही थे, अच्छे से अच्छे होटल में ठहरने के साथ में अच्छे से अच्छा खाना मिलता था और विदाई के समय कुछ न कुछ उपहार भी मिल जाते थे.

विवाह होते ही किराए के बाराती अपने घर चले जाते और महेश पत्नी को ले कर मैसूर आ जाता, जहां यह शादी होते ही किराए का एक घर ले लेता था. अपने घर के बारे में तो वह पहले ही बता देता था कि पुश्तैनी प्रौपर्टी को ले कर उस का झगड़ा चल रहा है.

इस के बाद वह किसी पत्नी से कहता कि उसे क्लीनिक खोलनी है तो किसी से कुछ और कह कर पैसे ले लेता था. जो न देतीं उन के पैसे और गहने चुरा कर किसी न किसी बहाने यह कह कर निकल जाता था. जाते समय वह यह भी कह जाता था कि वह उस के बारे में किसी को कुछ नहीं बताएगीं, पुलिस को भी नहीं, क्योंकि प्रौपर्टी के झगड़े में कुछ भी हो सकता है, उस की जान भी ली जा सकती है और पुलिस से भी पकड़वा कर जेल भिजवाया जा सकता है. क्योंकि करोड़ों की प्रौपर्टी का मामला है.

3 पत्नियों से उस के हैं 5 बच्चे

इसी तरह महेश ने एक डाक्टर से भी डाक्टर बन कर विवाह कर लिया था. शादी के बाद महेश डाक्टर पत्नी के साथ क्लीनिक भी गया और वहां एक डाक्टर के रूप में अपने तमाम फोटो खींच लिए थे. उन्हीं फोटो को उस ने एक डाक्टर के रूप में मैट्रीमोनियल साइट पर पोस्ट कर दिए थे.

इसी तरह कोई इंजीनियर या कोई और मिल जाती तो उस के औफिस में जा कर फोटो खींच पर मैट्रीमोनियल साइट पर पोस्ट कर देता. इसी तरह उस ने कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में कुल 15 शादियां कर डालीं. इन 15 शादियों में से 3 पत्नियों से उसे 5 बच्चे भी हुए. पर किसी भी पत्नी के साथ महेश एक महीने से अधिक नहीं रहा. इस के बाद वह किसी काम की बात कह कर निकल जाता.

जब महेश को गए ज्यादा समय हो जाता और दूसरी ओर उस के गहने और पैसे भी लुट गए होते, तब उन की समझ में आता कि उन के साथ धोखा हुआ है. पर वे अपना यह दर्द कहें किस से. क्योंकि वे अपना यह दर्द किसी से कहतीं तो जगहंसाई ही होती. इसलिए कोई भी महिला किसी से भी अपनी यह तकलीफ नहीं बताती थी. क्योंकि इस के लिए वह खुद को दोषी मानती थीं.

2013 में बेंगलुरु की एक महिला, जो इंजीनियर थी, उस ने भी महेश से विवाह किया था. 3 दिन बाद जब यह उसे छोड़ कर चला गया था और लौट कर नहीं आया था, तब उस ने उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी. तब पुलिस ने उस की रिपोर्ट पर खास ध्यान नहीं दिया था.

अगर उसी समय पुलिस ने ऐक्शन लिया होता तो तमाम महिलाएं इस ठग लुटेरे दूल्हे का शिकार होने से बच जातीं. पुलिस की लापरवाही का ही नतीजा था कि महेश शादियों पर शादियां करता गया और उस ने 15 शादियां कर डालीं. इस के बाद जो जानकारी मिली थी, उस के अनुसार 9 महिलाएं उस से शादी करने की कतार में थीं. उसे 9 पत्नियां मिल चुकी थीं, जो अलगअलग पेशे वाली थीं. वह जल्दी ही 9 शादियां और करने वाला था, लेकिन इस से पहले ये 9 शादियां होतीं, पुलिस उस तक पहुंच गई और ये 9 महिलाएं बरबाद होने से बच गईं.

मजे की बात यह थी कि महेश ने जितनी भी शादियां कीं, इन में कोई भी महिला गांव देहात की अनपढ़ महिला नहीं थी. सब की सब उच्चशिक्षित थीं, कोई डाक्टर तो कोई इंजीनियर, यहां तक कि असिस्टेंट प्रोफेसर भी थीं. सभी उस के झांसे में आ गईं और शादी के बाद किसी ने उस के खिलाफ रिपोर्ट भी नहीं दर्ज कराई.

पूछताछ में महेश ने यह भी बताया कि कुछ लड़कियां तो विवाह करतेकरते रह गईं. इस की वजह यह थी कि महेश ज्यादा पढ़ालिखा तो था नहीं, इसलिए वह जो अंगरेजी बोलता था, उस में गलतियां बहुत होती थीं. वह अच्छी अंगरेजी बोल नहीं पाता था, इसलिए सामने वाली लड़कियों को शक हो गया कि एक डाक्टर हो कर यह इतनी गलत अंगरेजी बोल रहा है. इसलिए उन्होंने उस से शादी नहीं की थी.

महेश का कहना था कि अगर वह अच्छी अंगरेजी बोल लेता तो 15 ही नहीं, अब तक वह कम से कम सौ शादियां कर चुका होता. लोगों को दिखाने के लिए बेंगलुरु के तुमकुरु में उस ने अपना एक नकली क्लीनिक भी बना रखा था, जहां वह कभीकभी डाक्टर के रूप में बैठता भी था. लोगों को शक न हो, इस के लिए उस ने एक नर्स भी नौकरी पर रखी थी.

एसआई राधा एम के अनुसार महेश नायक ने 15 शादियां कर के अब तक करीब 3 करोड़ के गहनों और रुपयों की चोरी की है. संपत्ति के नाम पर उस के पास 2 कारें थीं, लेकिन कोई मकान आदि नहीं है. पत्नियों के पैसे और गहने चुरा कर वह विलासितापूर्ण जीवन जीता था. पत्नियों को छोड़ कर जाने के बाद वह होटलों में ठहरता था.

उस ने जब पहली शादी की थी, तब वह 24 साल का था. इन 19 सालों में उस ने 15 शादियां कर ली थीं. पुलिस ने आरोपी महेश केबी से पूछताछ के बाद उसे भादंवि की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 506 (आपराधिक धमकी), 380 (चोरी) के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में निशा बदला हुआ नाम है

मंगेतर की कब्र पर रासलीला

मौडल नेहा का हनीट्रैप रैकेट – भाग 3

रोमांस हो गया छूमंतर

उन के कमरे में पहुंचते ही गोपाल के चेहरे से हवाइयां सी उडऩे लगी थीं. वे दोनों पुरुष पूर्णरूप से नग्न गोपाल के वीडियो बना रहे थे. उन्हें देख कर गोपाल ने नेहा से कहा, “नेहाजी, ये लोग कौन हैं और यहां पर कैसे आ गए?”

“देख भाई, हम नेहा के दोस्त हैं. अब तू हमें यह बता कि क्या तू भी नेहा से प्यार करता है?” उन में से एक आदमी बोला.

“हां, मैं नेहाजी से प्यार करता हूं. वह भी मुझे प्यार करती हैं. इसीलिए नेहाजी ने ही मुझे अपने रूम पर बुलाया था,” गोपाल ने कहा.

“देख गोपाल ,नेहा का नाम मेहर है. मेहर एक मुसलिम युवती है. उस के साथ तुझे निकाह करना होगा अपना धर्म बदल कर इसलाम धर्म स्वीकार करना पड़ेगा. बोल, अब यह सब तू कर पाएगा?” अब दूसरे आदमी ने गोपाल को धमकाते हुए कहा.

“देखो भाई, प्यार में धर्म या मजहब कोई मायने नहीं रखता. मैं हिंदू हूं और अगर नेहाजी मुसलिम भी हैं तो मैं उन्हें स्वीकार कर सकता हूं.” गोपाल ने कहा.

“अबे चूतिए, लगता है कि तुझे हमारी बात समझ में नहीं आ पा रही है. अब मैं तुझे समझाता हूं. थोड़ा ध्यान से सुन. तुझे नेहा उर्फ मेहर से निकाह करने के लिए अपना धर्म छोड़ कर इसलाम धर्म स्वीकार करना होगा. इस के लिए सब से पहले हम तेरा खतना करेंगे, उस के बाद तुझे मसजिद में ले जा कर मुसलिम धर्म स्वीकार करना होगा और तुझे मुसलिम बनना पड़ेगा. बोल, तुझे ये सब मंजूर है?” उन में से पहले आदमी ने गोपाल को धमकाते हुए कहा.

“देख भाई गोपाल, अगर तुझे इस मुसीबत से छुटकारा पाना है तो कुछ जेब ढीली करनी पड़ेगी.” नेहा उर्फ मेहर ने कहा.

“नेहाजी, मुझे आप से तो यह बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी.” गोपाल ने कहा.

“कभीकभी जिंदगी में ऐसे मोड़ भी आ जाते हैं, जिन से बच कर निकलना ही सेहत के लिए फायदेमंद होता है. मेरे आदमी तुम्हारा कोई और जुलूस वायरल कर दें, उस से पहले तुम्हें कुछ देना पड़ेगा.” नेहा ने कहा.

“नेहाजी, मेरे पास जो कुछ भी है, मैं दे दूंगा, बस आप अपने आदमियों से कहें कि मुझे कपड़े पहनने दें.” गोपाल ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

नेहा ने इशारा किया तो उन में से एक आदमी ने गोपाल के कपड़े उसे दे दिए. और गोपाल ने जब अपने कपड़े पहन लिए तो उन में से एक आदमी ने गोपाल के पर्स से सारे रुपए निकाल लिए. इस के अलावा उन्होंने गोपाल से 7 लाख रुपए औनलाइन भी ट्रांसफर करवा लिए थे.

गोपाल आटो में बैठ कर जब अपने घर आया तो उस ने हिसाब लगाया कि उस के पर्स और जेब में पूरे 50 हजार रुपए कैश था. उस के बाद उस के मोबाइल में उस का एक अकाउंट नंबर फीड था, जिस में से नेहा और उस के गिरोह ने उस के खाते से पूरे 7 लाख रुपए भी निकाल लिए थे.

वह यह सोच कर शुक्र मना रहा था कि साढ़े 7 लाख रुपए दे कर उस का पिंड छूट गया, मगर आज उसे एक फोन प्रकाश की ओर से आया और अब उस से 20 लाख रुपए की डिमांड की गई. वह अब अच्छी तरह से समझ चुका था कि वह एक मकडज़ाल में फंस गया है और उस से बाहर निकलने का एक ही रास्ता बचा है कि उसे पुलिस के पास जा कर सब कुछ सचसच बता देना चाहिए तभी उस का कुछ उद्धार हो सकता है.

गोपाल की रिपोर्ट पर हुई काररवाई

गोपाल कृष्णनन ने 2 दिन की छुट्टी ली और दूसरे दिन सुबहसुबह बेंगलुरु के डीसीपी (अपराध) बद्रीनाथ एस के कार्यालय पहुंच गया और अपनी पूरी आपबीती डीसीपी को सुना दी. चूंकि यह मामला बेंगलुरु के पुत्तेनहल्ली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता था. गोपाल कृष्णनन को पुत्तेनहल्ली थाने भेज दिया, जहां डीसीपी के आदेश पर उस की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.

बी. दयानंद, आईपीएस, पुलिस आयुक्त बेंगलुरु ने तुरंत आवश्यक दिशानिर्देश जारी कर त्वरित काररवाई के लिए डी. देवराज, पुलिस उपायुक्त (उत्तर), डा. एस.डी. शरणप्पा, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), आर. श्रीनिवास गौड़ा, पुलिस उपायुक्त (केंद्रीय), बद्रीनाथ एस., पुलिस उपायुक्त (अपराध टू), डा. भीमशंकर एस. गुलेड, पुलिस उपायुक्त (पूर्व) और रमन गुप्ता, अपर पुलिस आयुक्त (प्रशासन प्रभारी) के नेतृत्व में विशेष टीमों का गठन कर दिया गया.

गठित टीमों द्वारा पहली अगस्त, 2023 को हनीट्रैप में लोगों को फंसाने और उन से उगाही करने वाले 3 लोगों को पुलिस ने बेंगलुरु से जाल बिछा कर गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार होने वाले अब्दुल खादर, शरण प्रकाश और यासीर थे. ये तीनों मैसूर के रहने वाले थे. ये तीनों आरोपी विभिन्न आपराधिक मामलों में केंद्रीय कारागार में बंद थे तो इन की जेल में ही आपस में दोस्ती हो गई थी.

इन के साथ इन का एक और साथी नदीम था, जो फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया था. इन चारों ने बेंगलुरु की मशहूर मौडल नेहा उर्फ मेहर के साथ दोस्ती की और लोगों को हनीट्रैप में फंसा कर मोटी रकम वसूलने का लालच दिया, जिस के बाद नेहा उर्फ मेहर भी इन के गिरोह में शामिल हो गई थी.

तीनों अभियुक्तों से पुलिस ने कड़ी पूछताछ कर नेहा उर्फ मेहर के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि नेहा मुंबई में भी मौडलिंग का काम करती थी जबकि हनीट्रैप का काम बेंगलुरु में किया जाता था. नेहा उर्फ मेहर को गिरफ्तार करने के लिए कर्नाटक पुलिस की एक विशेष टीम को मुंबई रवाना किया गया जहां से नेहा उर्फ मेहर को 16 अगस्त, 2023 को गिरफ्तार कर लिया गया.

खुद को मौडल बता कर करती थी अपना प्रचार

नेहा का असली नाम मेहर है. इस के सोशल मीडिया में नेहा नाम से अकाउंट्स बना रखे थे. अपने इन अकाउंट्स में उस ने अपनी मौडलिंग की तसवीरें लगा रखी थीं. सोशल मीडिया में वह हर समय ऐक्टिव रहा करती थी. वह कमउम्र के युवक, धनी लोगों, और अच्छी नौकरी करने वाले युवकों और पुरुषों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजती थी. उस की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेते थे तो वह फिर उन से दिल खोल कर चैट करने लगती थी.

दगा दे गई सोशल मीडिया की गर्लफ्रैंड

15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 3

महेश कर चुका था 15 शादियां

इस के बाद पुलिस ने उस महिला से यह जानना चाहा कि वह उस शातिर के जाल में फंसी कैसे? इस के बाद उस ने महेश के जाल में फंसने की जो कहानी सुनाई, वह निशा की कहानी से बिलकुल मिलती थी यानी उस ने भी महेश से शादी डौट कौम के जरिए ही शादी की थी.

शादी के एक सप्ताह बाद ही महेश उस से मुंबई किसी सर्जरी के लिए जाने की बात कह कर गया तो आज तक लौट कर नहीं आया. वह खुद को ही दोषी मान रही थी. शर्म और संकोच की वजह से वह अपनी व्यथा किसी से कह नहीं पा रही थी. अगर किसी से कहती तो लोग उस का ही मजाक उड़ाते और बदनामी ऊपर से होती. इसी बदनामी के डर से वह चुप थी. उस के भी गहने और रुपए महेश चुरा ले गया था.

उस महिला की कहानी सुन कर एसआई राधा एम को समझते देर नहीं लगी कि यह एक तरह का विवाह स्कैंडल है. इस के बाद वह उन अन्य महिलाओं से भी मिलीं, जिन्होंने अभी तक उन का सहयोग नहीं किया था. जब उन महिलाओं को भी शादी के वे फोटो दिखाए गए, तो सभी ने वही कहानी सुनाई कि महेश उन से भी यही कह कर गया था कि उस का प्रौपर्टी का झगड़ा है, इसलिए अगर पुलिस या कोई पूछने आए तो वह उस के बारे में कुछ बताएंगी नहीं, क्योंकि लोगों से उस की जान का खतरा तो है ही, पुलिस आ गई तो उसे पकड़ कर जेल में डाल सकती है. इसलिए किसी से उस के बारे में कुछ न बताएं.

एसआई राधा एम को लगा कि महेश ने जब एक ही बात सब से कही है तो अब इस आदमी का पकड़ा जाना बहुत जरूरी हो गया है. लेकिन वह उसे पकड़ें कैसे? क्योंकि उस के बारे में न तो उन महिलाओं को कुछ पता है, जो उस की पत्नियां थीं और न उन्हें ही उस के बारे में कुछ पता था. उन के पास सिर्फ एक नंबर था, जिस की काल डिटेल्स में केवल इनकमिंग काल थीं.

उन्होंने उस काल डिटेल्स रिपोर्ट को दोबारा खंगाला तो उस में 9 नंबर और मिले. उन्होंने जब उन 9 नंबरों पर फोन कर के पता किया कि वे इस आदमी को क्यों फोन कर रही हैं तो पता चला कि अभी उन की शादी नहीं हुई है. वह महेश से शादी करने के लिए लाइन में है यानी वेटिंग लिस्ट में हैं.

मजे की बात यह थी कि इन लोगों ने भी उस से शादी डौट कौम के माध्यम से ही संपर्क किया था. जबकि महेश किसी से डाक्टर तो किसी से इंजीनियर तो किसी से सीए या मैनेजिंग डायरेक्टर बन कर मिला था और शादी के तीसरे दिन सभी से कोई न कोई बहाना बना कर वही एक बात समझा कर घर से गया तो लौट कर नहीं आया था. आता भी कैसे, सारे गहने और रुपए वह साथ ले कर जो गया था.

यानी उस ने जिस से भी विवाह किया था, उस की इज्जत तो लूटी ही, उस के गहने और रुपए भी लूट लिए थे. अब पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि यह कोई छोटा मोटा नहीं, बहुत बड़ा मामला है यानी महेश बहुत बड़ा ठग और लुटेरा है, जो महिलाओं को शादी के बहाने लूट और ठग रहा है.

एसआई राधा एम को विश्वास हो गया कि ये जो अन्य 9 महिलाएं हैं, महेश इन से विवाह कर के इन्हें भी लूटने वाला है. तब उन्होंने उन महिलाओं से बात की और उन्हें बताया कि आप लोग जिस आदमी से विवाह के लिए तैयार बैठी हैं, वह आदमी पहले ही 15 विवाह कर चुका है और उन सभी महिलाओं के गहने और रुपए चुरा कर गायब है. इसलिए आप लोग होशियार हो जाएं अन्यथा आप लोग भी उन 15 महिलाओं की तरह मुसीबत में फंस सकती हैं और अपना सब कुछ लुटा सकती हैं.

9 युवतियां और करने वाली थीं उस से शादी

राधा एम ने इन से यह बात इसलिए कही थी, क्योंकि इन 9 महिलाओं से भी उस का रिश्ता पक्का हो चुका था और कुछ ही महीनों में इन सब से वह बारीबारी से एक एक से विवाह करने वाला था. पुलिस के लिए इस आदमी को पकडऩा बहुत जरूरी हो गया था. पर उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस आदमी तक पहुंचे कैसे. क्योंकि वह न तो एक फोन यूज करता था और न एक सिम. उन्हें लगा कि वह मोबाइल नंबर से इस आदमी तक नहीं पहुंच सकती तो उन्होंने उस के घर वालों के बारे में पता किया.

महेश के घर वाले बेंगलुरु के बनशंकरी में रहते थे. पुलिस उस के घर पहुंची तो पता चला कि उस के मांबाप, भाईबहन सभी हैं. लेकिन उन्हें पता नहीं है कि महेश कहां है? क्योंकि वह सालों से घर नहीं आया था और न ही कभी किसी से संपर्क किया था.

जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो राधा एम ने एक बार फिर उस के फोन की काल डिटेल्स पर नजर फेरनी शुरू की. इस बार उन्हें एक ऐसा नंबर मिला, जिस पर उस ने काल की थी. पुलिस ने इस नंबर के बारे में पता किया तो वह आदमी उन्हें मिल गया. वह फिल्मों काम करने वाला एक जूनियर कलाकार था, जो महेश की कई शादियों में दिखाई दिया था.

इसी आदमी के सहारे एसआई राधा एम महेश केबी नायक तक पहुंच गईं और बेंगलुरु के तुमकुरु स्थित उस के नकल क्लीनिक से उसे गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद महेश से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में पुलिस को पता चला कि उस का नाम महेश केबी नायक था, उम्र 35 साल और पढ़ाई के नाम पर वह केवल पांचवीं पास था. लेकिन वह अंगरेजी बड़े ही कौन्फिडेंस के साथ बोलता था. देखने में वह काफी हैंडसम था.

पूछताछ में पहले महेश नायक ने भी हर अपराधी की तरह पुलिस को गोलगोल घुमाने की कोशिश की थी. लेकिन राधा एम ने अब तक उस के खिलाफ इतने सबूत इकट्ठा कर लिए थे कि वह उस के चक्कर में आने वाली नहीं थीं. उन्होंने जब सारे सबूत उस के सामने रखे तो वह टूट गया और सच्चाई बताने को मजबूर हो गया.

क्या थी महेश की सच्चाई? जानेंगे कहानी के अगले भाग में…

मौडल नेहा का हनीट्रैप रैकेट – भाग 2

गोपाल था मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर

गोपाल कृष्णनन अब समझ नहीं पा रहा था कि आगे क्या करना है. गोपाल मैसूर का रहने वाला था, बीटेक और उस के बाद एमबीए करने के बाद उस का चयन बेंगलुरु की एक मल्टीनैशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर के पद पर हो गया था. गोपाल अभी जवान था. उस का अभी विवाह भी नहीं हुआ था. गोपाल शाम को औफिस से आने के बाद खाली रहता था. उस ने बेंगलुरु की एक सोसाइटी में किराए पर फ्लैट ले रखा था.

खाना बनाने वाली बाई सुबह और रात का खाना शाम को निपटा कर अपने घर चली जाया करती थी. जबकि साफसफाई करने वाली बाई सुबह घर की साफसफाई, बाथरूम सफाई और पोंछा और डस्टिंग कर के चली जाती थी. देर शाम को गोपाल कृष्णनन जब औफिस से लौटता था तो व्हिस्की के 2-4 पैग लगा कर खाना खा लिया करता था. उस के बाद वह फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम आदि सोशल मीडिया पर मशगूल हो जाया करता था.

ऐसे ही एक दिन टेलीग्राम के माध्यम से उस की मुलाकात नेहा उर्फ मेहर से हुई. गोपाल ने नेहा उर्फ मेहर का नाम गूगल पर सर्च करना शुरू किया तो उसे पता चला कि नेहा कर्नाटक की रहने वाली है और मुंबई में मौडलिंग करती है. नेहा का नाम बड़ा चर्चित था. वह एक आइकौन थी और उस के बावजूद गोपाल कृष्णनन से दोस्ती करना चाहती थी.

गोपाल इस मौके को बिलकुल भी गंवाना नहीं चाहता था. इसलिए गोपाल नेहा उर्फ मेहर को फालो करने के साथसाथ उस का फेसबुक फ्रेंड भी बन चुका था. आए दिन उन की चैटिंग होती रहती थी.

नेहा से मिलने को उतावला था गोपाल

ऐसे ही एक दिन नशे में गोपाल ने नेहा को मैसेज कर दिया, “नेहाजी, आप तो इतने हौट हौट मैसेज करती रहती हो, कभी हम से मिलने का दिल नहीं करता आप का?”

“अरे क्यों नहीं गोपालजी, आप तो मेरे बेहद करीबी हो गए हैं. आप से मिलने का मन तो मेरा भी बहुत करता है. मगर आप यह बात भी जानते होंगे कि मैं काफी बिजी रहती हूं. कभी मुंबई में तो कभी बेंगलुरु में.” नेहा ने कहा.

“इस का मतलब यह हुआ कि आप से अब तो मुलाकात हो पाना नामुमकिन ही है. आप ने तो हमारा दिल ही तोड़ दिया!” गोपाल ने मायूसी से कहा.

“अरे यार, हम तो दिल तोडऩे का नहीं बल्कि दिल जोडऩे का काम करते हैं. जब मैं बेंगलुरु आऊंगी तो आप से मिलने की कोशिश जरूर करूंगी. क्या आप मुझ से मिलना चाहेंगे?” नेहा ने नशीले स्वर में कहा.

“नेहाजी, आप से मिलने को तो मेरा दिल न जाने कब से मचल रहा है. आप ने मेरे दिल की हसरत पूरी ही कर दी. आप का दिल से धन्यवाद. अब आप बताएं, आप का दीदार हमें कब हो सकेगा?” गोपाल ने खुशामद की.

“देखिए गोपालजी, कल संडे है. मैं मुंबई से 2 दिन के लिए बेंगलुरु एक इवेंट के लिए आ रही हूं. आप सुबह 9 बजे मुझे मिल सकते हैं.” नेहा ने कहा.

“नेहाजी, रविवार को तो मेरी भी छुट्टी रहती है. मैं आप से मिलने, आप का दीदार करने और आप से हग करने जरूर पहुंच जाऊंगा. मगर आप से कहां मुलाकात हो पाएगी. आप कहीं ये सब मेरा दिल रखने के लिए तो नहीं कह रही हैं. मुझे तो बिलकुल भी विश्वास नहीं हो पा रहा है. कभीकभी तो मुझे ऐसा लग रहा है कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं. पर नेहाजी, यह शायद सपना तो बिलकुल भी नहीं है.” गोपाल ने जल्दीजल्दी से अपने दिल की बात कह ही डाली थी.

“जब कल आप की मुझ से मुलाकात होगी तो हकीकत भी सामने होगी. जैसे आप मुझ से प्यार करते हो, वैसे ही मैं भी आप से प्यार करती हूं. अब तक तो आप को फोटो या वीडियो चैटिंग में ही देखा था, जब हमतुम सामने होंगे तो तब क्या नजारा होगा.” नेहा ने नशीली आवाज में कहा.

“नेहाजी, अब तो आप ने मेरी रातों की नींद उड़ा डाली है. सारी रात आप के ही ख्वाबों में कट जाएगी मेरी.” गोपाल ने आहें भरते हुए कहा.

“गोपालजी, अब आज की रात सब्र कर लीजिए. कल तो हमारी मुलाकात हो ही रही है.” कहते हुए नेहा ने फोन काट दिया. उस पूरी रात गोपाल सो नहीं पाया. रात उस ने करवटें बदलते ही गुजार दी थी. दूसरे दिन सुबहसुबह साढ़े 8 बजे गोपाल नेहा के बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया. नेहा का फ्लैट ग्राउंड फ्लोर पर था. 3 बैडरूम का फ्लैट था.

नेहा ने खुद उतारे गोपाल के कपड़े

घंटी बजाने पर नेहा ने मुसकराते हुए दरवाजा खोल दिया. कमरे में दाखिल होते ही गोपाल को एक विचित्र सा अहसास हुआ. पूरे वातावरण में शांति और खुशबू बिखरी हुई थी. जिस कमरे में नेहा गोपाल को ले गई थी, उस की खिडक़ी खुली थी. परंतु परदा पूरी तरह से खिंचा हुआ था. हालांकि कमरे में ऊपर रोशनदान भी लगा हुआ था, मगर उस में से बहुत ही धीमा प्रकाश आ रहा था. कमरे में रोशनी चांद की तरह बिखरी हुई सी दिखाई दे रही थी.

जैसा कि आज तक गोपाल ने फोटो में नेहा को देखा था, मगर जब उस ने उसे अपने रूबरू देखा तो वह आसमान से उतरी एक अप्सरा की तरह लग रही थी. गोपाल ने आव देखा न ताव वह झट से नेहा के पास गया और उसे अपनी बाहों में जोरों से जकड़ लिया.

करीब 2-3 मिनट तक दोनों आलिंगनबद्ध रहे, उस के बाद नेहा ने अपने आप को गोपाल की बाहों से छुड़ा लिया और अगले ही पल गोपाल की शर्ट के बटन खोलने लगी. गोपाल के सीने पर बालों में अब नेहा की नर्म नर्म अंगुलियां सर्प की तरह रेंगने लगी थीं, यह सब देख कर और अपने शरीर में महसूस करते हुए गोपाल का दिल अब बेकाबू सा हो गया था. उस ने अगले ही पल नेहा को अपनी मजबूत बाहों में भर लिया था. नेहा ने भी अपने अधर गोपाल के गरम गरम होंठों पर रख दिए थे.

इस केबाद नेहा ने गोपाल के शरीर से सारे कपड़े एकएक कर के उतारने शुरू कर दिए थे. गोपाल यह सब देख कर अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था. वह अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचने ही वाला था कि तभी 2 व्यक्ति वहां पर आ धमके.

खूनी बन गई झूठी मोहब्बत

19 मार्च, 2018 की सुबह कमलप्रीत कौर अपने पति हरजिंदर सिंह से यह कहते हुए घर से निकली थी कि उस के मायके में किसी की तबीयत खराब है, इसलिए वह राहुल को ले कर वहां जा रही है. पत्नी की यह बात सुन र हरजिंदर ने कहा, ‘‘ठीक है, हो आओ. ज्यादा परेशानी वाली बात हो तो तुम मुझे फोन कर देना. मैं भी पहुंच जाऊंगा.’’

‘‘हां, तुम्हारी जरूरत हुई तो फोन कर दूंगी और कोई ज्यादा चिंता वाली बात नहीं हुई तो 2 दिन में वापस लौट आऊंगी.’’ कमलप्रीत बोली.

मूलरूप से पंजाब के जिला पटियाला के गांव बल्लोपुर की रहने वाली थी कमलप्रीत. करीब 12 साल पहले जब वह 19 बरस की थी, तब उस की शादी हरियाणा के गांव गणौली के रहने वाले हरजिंदर सिंह से हुई थी. यह गांव जिला अंबाला की तहसील नारायणगढ़ के तहत आता है.शादी के ठीक एक साल बाद कमलप्रीत ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम राहुल रखा गया. इन दिनों वह गांव के सरकारी स्कूल में 5वीं कक्षा में पढ़ रहा था.

हरजिंदर का अपना खेतीबाड़ी का काम था, जिस में वह काफी व्यस्त रहता था. कमलप्रीत घर पर रहते हुए चौकेचूल्हे से ले कर सब कम संभाले हुए थी. जो भी था, सब बड़े अच्छे से चल रहा था. पतिपत्नी में खूब प्यार था. दोनों में अच्छी अंडरस्टैंडिंग भी थी. दोनों अपने बच्चों का भी सलीके से ध्यान रखे हुए थे.

काफी दिनों से राहुल पिता से कहीं घुमा लाने की जिद कर रहा था तो पिता ने उस से पक्का वादा किया था कि वह उस के इम्तिहान खत्म होने के बाद उसे 2 दिन के लिए घुमाने शिमला ले चलेगा. मगर पेपर खत्म होने के अगले रोज ही उसे अपनी मां के साथ नानी के यहां जाना पड़ गया. पत्नी के मायके जाने वाली बात पर हरजिंदर को कोई परेशानी वाली बात नहीं थी. पति की निगाह में कमलप्रीत एक सुलझी हुई मेहनती औरत थी, जो ससुराल के साथसाथ अपने मायके वालों का भी पूरा ध्यान रखती थी.

सुखदुख में वह अपने अन्य रिश्तेदारों के यहां भी अकेली आयाजाया करती थी. कुल मिला कर बात यह थी कि हरजिंदर को पत्नी की तरफ से कोई चिंता नहीं थी. इसलिए जब वह 19 मार्च को बेटे के साथ मायके के लिए घर से अकेली निकली तो हरजिंदर ने कोई चिंता नहीं की.

उसी रोज शाम के समय हरजिंदर ने पत्नी को यूं ही रूटीन में फोन कर के पूछा, ‘‘हां कमल, पहुंचने में कोई परेशानी तो नहीं हुई? बल्लोपुर पहुंच कर तुम ने फोन भी नहीं किया?’’

‘‘हांहां…वो ऐसा है कि अभी मैं बल्लोपुर नहीं पहुंच पाई.’’ कमलप्रीत बोली तो उस की आवाज में हकलाहट थी.

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पत्नी की ऐसी आवाज सुन कर हरजिंदर को थोड़ी घबराहट होने लगी. उस ने पूछा, ‘‘बल्लोपुर नहीं पहुंची तो फिर कहां हो?’’

‘‘अभी मैं शहजादपुर में हूं. किसी जरूरी काम से मुझे यहां रुकना पड़ गया.’’ कमलप्रीत ने पहले वाले लहजे में ही जवाब दिया.

‘‘शहजादपुर में ऐसा क्या काम पड़ गया तुम्हें? वहां तुम किस के यहां रुकी हो? सब ठीक तो है न? बताओ, कोई परेशानी हो तो मैं भी आ जाऊं क्या?’’

‘‘सब ठीक है, घबराने वाली कोई बात नहीं है. अच्छा, मैं फ्री हो कर अभी कुछ देर बाद फोन करती हूं. तब सब कुछ विस्तार से भी बता दूंगी.’’ कहने के साथ ही कमलप्रीत की ओर काल डिसकनेक्ट कर दी गई.

लेकिन हरजिंदर की घबराहट बढ़ गई थी. उस ने कमलप्रीत का नंबर फिर से मिला दिया. पर अब उस का फोन स्विच्ड औफ हो चुका था.

अचानक यह सब होने पर हरजिंदर का फिक्रमंद हो जाना लाजिमी था. कुछ नहीं सूझा तो उस ने उसी समय अपनी ससुराल के लैंडलाइन नंबर पर फोन किया. यहां से उसे जो जानकारी मिली, उस से उस के पैरों तले की जमीन सरक गई. ससुराल से उसे बताया गया कि यहां तो घर में कोई बीमार नहीं है और न ही कमलप्रीत के वहां आने की किसी को कोई जानकारी थी.

अब हरजिंदर के लिए एक मिनट भी रुके रहना संभव नहीं था. उस ने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और शहजादपुर की ओर रवाना हो गया. रास्ते भर वह कमलप्रीत को फोन भी मिलाता रहा था, पर हर बार उसे फोन के स्विच्ड औफ होने की ही जानकारी मिलती रही.

आखिर वह शहजादपुर जा पहुंचा. पत्नी और बच्चे की तलाश में उस ने उस गांव का चप्पाचप्पा छान मारा मगर पत्नी और बेटे राहुल के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. वहां से वह मोटरसाइकिल से ही अपनी ससुराल बल्लोपुर चला गया. कमलप्रीत को ले कर वहां भी सब परेशान हो रहे थे.

इस के बाद तो हरजिंदर सिंह और उस की ससुराल वालों ने कमलप्रीत व राहुल की जैसे युद्धस्तर पर तलाश शुरू कर दी. मगर कहीं भी दोनों मांबेटे के बारे में जानकारी हाथ नहीं लगी.

19 मार्च, 2018 का दिन तो गुजर ही गया था, पूरी रात भी निकल गई. 20 मार्च को भी दोपहर तक तलाश करते रहने के बाद सभी निराश हो गए तो हरजिंदर शहजादपुर थाने पहुंच गया. थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को उस ने पत्नी और बेटे के रहस्यमय तरीके से गायब होने की जानकारी दे दी. थानाप्रभारी ने कमलप्रीत और उस के बेटे राहुल की गुमशुदगी दर्ज कर ली. पुलिस ने अपने स्तर से दोनों मांबेटे को ढूंढने की काररवाई शुरू कर दी.

देखतेदेखते इस बात को एक सप्ताह गुजर गया, मगर पुलिस भी इस मामले में कुछ कर पाने में असफल रही.

बात 26 मार्च, 2018 की थी. थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह उस वक्त अपने औफिस में थे. तभी एक अधेड़ उम्र के शख्स ने उन के सामने आ कर दोनों हाथ जोड़ते हुए दयनीय भाव से कहा, ‘‘सर, मेरा नाम ओमप्रकाश है और मैं यमुनानगर में रहता हूं.’’

‘‘जी हां, कहिए.’’ शैलेंद्र सिंह बोले.

‘‘अब क्या कहूं सर, एक भारी मुसीबत आन पड़ी है हमारे परिवार पर.’’

‘‘हांहां बताइए, क्या परेशानी है?’’ थानाप्रभारी ने कहा.

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‘‘सर, मेरा एक भांजा है नीटू. उम्र उस की करीब 21 साल है. किसी बात पर उस का एक औरत से झगड़ा हुआ और हाथापाई में वह औरत मर गई. उस ने उस की लाश को कहीं ले जा कर दफन कर दिया. जब इस की जानकारी मुझे हुई तो हम ने उसे समझाया कि गलती हो जाने पर कानून से आंखमिचौली खेलने के बजाय पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना ही बेहतर होगा.’’ ओमप्रकाश ने बताया.

इस पर एकबारगी तो शैलेंद्र सिंह चौंके. फिर खुद को संभालने का प्रयास करते हुए बोले, ‘‘मतलब यह कि आप के भांजे ने किसी की जान ली, फिर उस की लाश भी ठिकाने लगा दी. अब सरेंडर का प्रस्ताव लेकर आए हो. तो यह भी बता दो कि किन शर्तों पर सरेंडर करवाओगे?’’

‘‘कोई शर्त नहीं सर. लड़का आप के सामने तो अपना अपराध कबूलेगा ही, अदालत में भी ठीक ऐसा ही बयान देगा. भले उसे कितनी भी सजा क्यों न हो जाए. बस आप से हमें सिर्फ इतना सहयोग चाहिए कि थाने में उस पर ज्यादा सख्ती न हो.’’ ओमप्रकाश ने कहा.

‘‘देखो, अगर वह हमें सहयोग करते हुए सच्चाई बयान करता रहेगा तो हमें क्या जरूरत पड़ी है उस से सख्ती से पेश आने की. जाओ, लड़के को ला कर पेश कर दो. यदि वह सच्चा है तो यहां उस के साथ किसी तरह की ज्यादती नहीं होगी.’’

‘‘ठीक है सर, मैं समझ गया. लड़का थाने के बाहर ही खड़ा है. मैं अभी उसे ला कर आप के सामने पेश करता हूं.’’ कहने के साथ ही ओमप्रकाश बाहर गया और थोड़ी ही देर में एक लड़के को ले कर थाने में आ गया.

‘‘यही है मेरा भांजा नीटू, सर.’’ उस ने बताया.

जिस वक्त ओमप्रकाश नीटू को ले कर थानाप्रभारी के औफिस में पहुंचा था, पुलिस वाले बगल वाले कमरे में एक अभियुक्त से गहन पूछताछ कर रहे थे. जरा सी देर में वहां से चीखचिल्लाहट की भयावह आवाजें आने लगी थीं.

ये आवाजें सुन कर नीटू थरथर कांपने लगा. फिर वह दबी सी आवाज में ओमप्रकाश से बोला, ‘‘मामा, ये लोग मेरा भी क्या ऐसा ही हाल करेंगे?’’

‘‘नहीं करेंगे बेटा, मैं ने एसएचओ साहब से सारी बात कर ली है. फिर जब तुम एकदम सच्चाई बयान कर ही रहे हो तो फिर डर कैसा?’’ ओमप्रकाश ने समझाया.

‘‘यही तो डर है मामा, मैं ने आप को भी पूरी सच्चाई नहीं बताई. दरअसल, मैं ने औरत के साथसाथ उस के बेटे का भी मर्डर कर दिया है और दोनों की लाशें एक साथ दफनाई हैं.’’

नीटू की यह बात थानाप्रभारी के कानों तक भी पहुंच गई थी. उन्होंने नीटू को खा जाने वाली नजरों से देखते हुए कहा, ‘‘मुझे पहले ही से शक था कि तुम्हारे अपराध का संबंध गणौली की कमलप्रीत और उस के बच्चे की गुमशुदगी से है.

अब तुम्हारे लिए बेहतर यही है कि तुम अपने घिनौने अपराध की सच्ची दास्तान अपने मामा को बता दो, वरना दूसरे तरीके से सच्चाई उगलवानी भी आती है.’’

थानाप्रभारी के इतना कहते ही ओमप्रकाश नीटू को ले कर एक दूसरे कमरे में ले गया. इस के बाद नीटू ने अपने अपराध की पूरी कहानी मामा को बता दी. नीटू के बताने के बाद ओमप्रकाश ने सारी कहानी थानाप्रभारी को बता दी.

थानाप्रभारी ने ओमप्रकाश के बयान दर्ज करने के बाद उसे घर भेज दिया फिर नीटू को गिरफ्तार कर उसे अदालत में पेश कर 2 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में उस से व्यापक पूछताछ की गई. इस पूछताछ में उस ने जो कुछ पुलिस को बताया, उस से अपराध की एक सनसनीखेज कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

करीब एक साल पहले की बात है. अपनी रिश्तेदारी के एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए कमलप्रीत अकेली नारायणगढ़ के बड़ागांव गई थी. वहां जब वह नाचने लगी तो एक लड़के ने भी उस का खूब साथ दिया. उस ने बहुत अच्छा डांस किया था.

इस डांस के बाद भी दोनों एक साथ बैठ कर बतियाते रहे. लड़के ने अपना नाम सुमित उर्फ नीटू कहते हुए बताया कि यों तो वह शहजादपुर का रहने वाला है, मगर बड़ागांव में किराए का कमरा ले कर एक कंप्टीशन की तैयारी कर रहा है.

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कमलप्रीत उस की बातों से तो प्रभावित हो ही रही थी, उस का सेवाभाव भी उसे खूब पसंद आया. कमलप्रीत तो थकहार कर एक जगह बैठ गई थी, पार्टी में खाने की जिस चीज का भी उस ने जिक्र किया, वह ला कर उसे वहीं बैठी को खिलाता रहा.

इसी तरह काफी रात गुजर जाने पर कमलप्रीत को नींद सताने लगी. नीटू ने सुझाव दिया कि वह उसे अपने कमरे पर छोड़ आता है, जहां वह बिना किसी शोरशराबे के आराम से सो सकती है. थोड़ी झिझक के बाद वह मान गई.

अब तक नीटू को भी नींद आने लगी थी. अत: कमरे में चारपाई पर कमलप्रीत को सुलाने के बाद वह खुद भी जमीन पर दरी बिछा कर सो गया.

आगे का सिलसिला शायद इन के वश में नहीं था. रात के जाने किस पहर में दोनों की एक साथ आंखें खुलीं और बिना आगेपीछे की सोचे, दोनों एकदूसरे में समा गए. कमलप्रीत से नीटू 10 साल छोटा था, अत: उस मिलन के बाद कमलप्रीत उस की दीवानी हो गई. इस के बाद यही सिलसिला चल निकला. दोनों किसी न किसी तरीके से, कहीं न कहीं मौजमस्ती करने का तरीका निकाल लेते.

देखतेदेखते एक बरस गुजर गया. अब कमलप्रीत ने नीटू से यह कहना शुरू कर दिया था कि वह अपने पति को तलाक दे कर उस से शादी कर लेगी. मौजमस्ती तक तो ठीक था, कमलप्रीत की इस बात ने नीटू को परेशान कर डाला.

नीटू ने इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए आखिर मन ही मन यह निर्णय लिया कि वह कमलप्रीत को अच्छी तरह से समझाएगा. फिर भी न मानी तो वह उस का खून कर देगा. इस के लिए उस ने एक चाकू भी खरीद कर रख लिया था.

19 मार्च, 2018 की सुबह कमलप्रीत उस के यहां आ धमकी. उस के साथ एक लड़का था, जिसे उस ने अपना बेटा बताया. आते ही उस ने कहा कि वह अपने पति को हमेशा के लिए छोड़ आई है. आगे वह उस से शादी कर के अपने लड़के सहित उसी के साथ रहेगी.

नीटू ने उसे समझाने की कोशिश की. लगातार समझाते समझाते पूरा दिन और सारी रात भी निकल गई. मगर वह अपनी जिद पर अड़ी रही तो 20 मार्च को नीटू ने चाकू से कमलप्रीत की हत्या कर दी.

यह देख कर उस का लड़का राहुल सहम गया. मगर वह इस मर्डर का चश्मदीद गवाह बन सकता था. इसलिए नीटू ने चाकू से उस का भी गला रेत दिया. दोनों लाशों को कमरे में छिपा कर नीटू अमृतसर चला गया.

वहां गोल्डन टेंपल में उस ने वाहेगुरु से अपने इस गुनाह की माफी मांगी. रात में वापस आ कर बड़ागांव के पास से गुजर रही बेगना नदी की तलहटी में दोनों लाशों को दफन कर आया. इस के बाद वह अपने मामा के पास यमुनानगर चला गया, जिन्होंने उसे पुलिस के सामने सरेंडर करने का सुझाव दिया था.

पुलिस ने उस की निशानदेही पर न केवल चाकू बरामद किया बल्कि दोनों लाशें भी खोज लीं, जो जरूरी काररवाई के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं. कस्टडी रिमांड की समाप्ति पर नीटू को फिर से अदालत में पेश कर के न्यायिक हिरासत में अंबाला की केंद्रीय जेल भेज दिया गया था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 2

पति के खिलाफ लिखा दी रिपोर्ट

जब निशा से नहीं रहा गया तो तीसरे दिन उस ने महेश को फोन किया. उस का फोन ही नहीं मिला. फोन नौट रिचेबलबताता रहा. इसी तरह एक सप्ताह बीत गया. महेश का फोन नहीं आया और वह उसे फोन करती थी तो फोन लगता नहीं था. निशा परेशान थी.

इसी बीच उस ने अपनी अटैची खोली तो पता चला कि उस की सारी ज्वैलरी और साथ लाए करीब 15 लाख रुपए गायब हैं. वह भौचक्क रह गई. इस का मतलब था घर पर किसी ने चुरा लिए. वह परेशान हो उठी. अब क्या करे? पति था कि फोन भी नहीं उठा रहा था. अपना दर्द वह कहे किस से.

इसी तरह एक सप्ताह और बीत गया. निशा को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है. तभी एक दिन एक महिला उस के घर आ धमकी. उस ने कहा कि महेश उस का पति है. इस बात को ले कर दोनों में काफी झगड़ा भी हुआ. इस से निशा को लगा कि उस के साथ धोखा हुआ है. यह अहसास होते ही वह थाना मैसूर सिटी जा पहुंची और पुलिस को अपनी पूरी कहानी बता कर रिपोर्ट दर्ज करा दी.

रिपोर्ट दर्ज कर के थाना मैसूर (सिटी) पुलिस ने इस मामले की जांच सबइंसपेक्टर राधा एम. को सौंप दी. उन्होंने इस मामले की जांच शुरू की. उन के पास डाक्टर साहब के एक नंबर के अलावा और कुछ नहीं था, जिसे निशा ने दिया था. उस पर फोन लग नहीं रहा था. क्योंकि वह नंबर अब बंद हो चुका था. उन्होंने जांच आगे बढ़ाने के लिए जब उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उसे देख कर वह दंग रह गई, क्योंकि इस नंबर से कभी कोई फोन किया ही नहीं गया था. केवल उस पर फोन आए थे.

राधा एम. ने जब यह पता किया कि इस नंबर पर जो फोन आते थे, वे किस के थे तो पता चला कि इस नंबर पर जो भी फोन आए थे, वे सभी के सभी महिलाओं के फोन थे. उन्हें यह बात बड़ी अजीब लगी कि यह कैसा आदमी है, जिस ने कभी किसी को अपने नंबर से फोन नहीं किया और इस नंबर पर जो भी फोन आए थे, वे सब के सब के औरतों के थे.

उन की समझ में यह नहीं आया कि आखिर चक्कर क्या है? उन्हें लगा कि कहीं कुछ तो गड़बड़ जरूर है. एसआई राधा एम ने उन नंबरों को टटोलना शुरू किया, जिन महिलाओं के फोन उस नंबर पर आए थे. लेकिन किसी भी महिला ने उन से ठीक से बात नहीं की यानी उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया कि वह कहां है. साफ था कि उन्होंने पुलिस का सहयोग नहीं किया था.

राधा एम ने बहुत कोशिश की, पर कोई भी महिला उन की मदद करने को तैयार नहीं थी. राधा एम परेशान थीं कि वह करे तो क्या करें. मजे की बात यह थी कि वह जिस भी महिला को फोन करती थी, वह यही कहती कि महेश उस का पति है. इस से राधा एम और परेशान थीं कि आखिर महेश की कितनी पत्नियां हैं? पर कोई भी पत्नी यह बताने को तैयार नहीं थी कि महेश कहां है. इस से वह समझ गईं कि इस मामले में बहुत बड़ी गड़बड़ है.

पुलिस जुट गई जांच में

इस के बाद राधा एम ने उन महिलाओं से मिलना शुरू किया, पर मिलने पर भी ये महिलाएं कुछ बताने को तैयार नहीं थीं. बस, ये महिलाएं यही कहती रहीं कि महेश उन का हसबैंड है. पर वह कहां है, यह उन्हें पता नहीं है. ये महिलाएं महेश के बारे में पुलिस को बताती भले ही कुछ नहीं थीं, पर पुलिस इन से उन की शादी का फोटो जरूर ले लेती थी.

इसी तरह एसआई राधा एम ने उन सभी महिलाओं के महेश के साथ के शादी के फोटो इकट्ठा कर लिए. इस से यह साबित हो गया कि महेश अलगअलग महिलाओं से विवाह करता है और किसी न किसी बहाने से उन्हें छोड़ कर निकल लेता है. वह ऐसा क्यों कर रहा है, यह तो तभी पता चलता, जब कोई महिला पूछताछ में सहयोग करती.

आखिर राधा एम ने एक ऐसी महिला को पकड़ा, जो सब से ज्यादा बोल रही थी, इसलिए राधा एम ने उस से पर्सनली बात करने का विचार किया. वह उस के पास पहुंची और नंबर दिखा कर कहा, “देखिए यह नंबर है. आप कह रही हैं कि यह मेरे पति का नंबर है तो बता दीजिए वह कहां हैं?”

“हां, यह मेरे पति का नंबर है, पर मुझे नहीं पता कि वह कहां हैं और मालूम भी होगा तो भी मैं नहीं बताऊंगी कि वह कहां हैं.” उस महिला ने कहा.

एसआई राधा एम ने देखा कि यह महिला कुछ बताने को तैयार नहीं है तो हार कर उन्होंने वे तसवीरें निकालीं, जो अलगअलग महिलाओं से ले कर आई थीं. उन में दुलहनें तो अलगअलग थीं, पर दूल्हा एक ही था.

इन तसवीरों को दिखा कर राधा एम ने कहा, “यह आदमी सिर्फ आप का ही दूल्हा नहीं है. देखिए, आप जैसी इस की कितनी दुलहनें हैं, जो आप की ही तरह कह रही हैं कि यह मेरा हसबैंड है, पर मुझे नहीं पता कि यह इस समय कहां है. आप की ही तरह कोई सहयोग करने को तैयार नहीं है कि मैं इस आदमी को गिरफ्तार कर के इस की सच्चाई लोगों के सामने ला सकूं.”

जब राधा एम ने उस महिला के सामने महेश की सारी पोल खोल दी तो उस ने कहा, “ठीक है, अब आप जो भी पूछेंगी, मैं वह बताने को तैयार हूं.”

“अच्छी बात है. हम यही तो चाहते थे.” राधा एम ने कहा.

उस महिला ने कहा, “जब वह बाहर जाने लगे थे तो उन्होंने कहा था कि अगर मेरे बारे में कोई कुछ पूछने आए, वह पुलिस ही क्यों न हो, किसी को कुछ बताना मत. क्योंकि हमारा प्रौपर्टी को ले कर आपस में झगड़ा चल रहा है. करोड़ों को प्रौपर्टी का मामला है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. बस, इस से ज्यादा मुझे उन के बारे में और कुछ नहीं मालूम.”

कहानी के अगले भाग में पढ़ें, कैसे आया ये शातिर पुलिस की गिरफ्त में …

प्यार की जीत : सुनीता और सुमेर की प्रेम कहानी – भाग 3

भगवानदास सोनी के पड़ोस में ही ईश्वरनाथ गोस्वामी परिवार के साथ रहते थे. उन्हीं का बेटा था सुमेरनाथ गोस्वामी. ईश्वरनाथ गोस्वामी के एक भाई पुलिस की नौकरी से रिटायर हो कर जयपुर में रहते थे. उन के बच्चे नहीं थे, इसलिए सुमेरनाथ को उन्होंने गोद ले रखा था. पढ़ाई पूरी कर के सुमेरनाथ एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगा था.

सुमेरनाथ नौकरी करने लगा तो घर वालों ने अपनी जाति की लड़की से उस की शादी कर दी थी. चली आ रही परंपरा के अनुसार सुमेरनाथ शादी के पहले पत्नी को देख नहीं सका था. इसलिए शादी के पहले वह उस के बारे में कुछ भी नहीं जान सका. शादी के बाद पत्नी घर आई तो दोनों के स्वभाव में जमीनआसमान का अंतर था. सुमेरनाथ जितना सीधा और सरल था, उस की पत्नी उतनी ही गरममिजाज थी. परिणामस्वरूप दोनों में निभ नहीं पाई.

सुमेरनाथ ने पत्नी को ले कर जो सपने देखे थे, कुछ ही दिनों में सब बिखर गए. पत्नी की वजह से घर में हर समय क्लेश बना रहता था. उस ने पत्नी को बहुत समझाया, लेकिन उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा. वह किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं थी. पत्नी की वजह से सुमेर परेशान रहने लगा था.

पत्नी के दुर्व्यवहार से तंग सुमेरनाथ का झुकाव पड़ोस में रहने वाली सुनीता सोनी की ओर हो गया था. पड़ोस में रहने की वजह से वह सुनीता को बचपन से देखता आया था. लेकिन उस ने कभी उस से प्यार या शादी के बारे में नहीं सोचा था.

सुनीता सुंदर तो थी ही, इसलिए वह उसे अच्छी भी लगती थी. लेकिन एक तो दोनों की जाति अलग थी, दूसरे मोहल्ले की बात थी, इसलिए सुमेरनाथ ने उस के बारे में कभी इस तरह की बात नहीं सोची थी.

सुनीता को कभी पढ़ाई में कोई परेशानी होती तो वह मदद के लिए सुमेरनाथ के पास आ जाती थी. ऐसे में कभी सुमेरनाथ पत्नी की वजह से परेशान रहता तो वह सहानुभूति जता कर उस की परेशानी को कम करने की कोशिश करती. कभीकभी उसे सुमेरनाथ पर दया भी आती.

परेशानी में सुनीता का सहानुभूति जताना सुमेरनाथ को धीरेधीरे अच्छा लगने लगा था. इसलिए उस की सहानुभूति पाने के लिए वह अकसर उस के सामने पत्नी की व्यथा ले कर बैठ जाता. सुनीता जवान भी हो चुकी थी और खूबसूरत भी थी. बात और व्यवहार से वह समझदार लगती थी, इसलिए सुमेरनाथ उस की ओर आकर्षित होने लगा. उसे लगता, सुनीता जैसी पत्नी मिली होती तो जीवन सुधर गया होता.

मन में आकर्षण पैदा हुआ तो सुनीता के प्रति सुमेरनाथ की नजरें बदलने लगीं. नजरें बदलीं तो बातें भी बदल गईं और उन के कहने का तरीका भी. इस बदलाव को सुनीता ने भांप भी लिया. सुनीता को भी सुमेरनाथ भला आदमी लगता था. सीधासरल भी था और पढ़ालिखा भी. फिर उस के लिए उस के मन में दया और सहानुभूति भी थी.

उसी दौरान जहां सुमेरनाथ का पत्नी की सहमति से तलाक हो गया, वहीं सुनीता की शादी उस के पिता और ताऊ ने एक ऐसे लड़के से तय कर दी, जो अंगूठाछाप था. इस विरोधाभास से सुनीता के मन में घर वालों के प्रति जो विद्रोह उपजा, उस ने सुमेरनाथ के लिए उस के मन में जो सहानुभूति और दया थी, उसे चाहत में बदल दिया. जब दोनों ओर दिलों में चाहत पैदा हुई तो इजहार होने में देर नहीं लगी.

इजहार हो गया तो कभी पढ़ाई के बहाने सुनीता सुमेरनाथ से मिलने उस के घर आ जाती तो कभी किसी बहाने से कहीं बाहर मिलने चली जाती. इन मुलाकातों ने जहां प्यार को बढ़ाया, वहीं व्याकुल मन को शांत करने के लिए मुलाकातें भी बढ़ने लगीं. इन्हीं मुलाकातों ने जब लोगों के मन में संदेह पैदा किया तो लोग उन पर नजरें रखने लगे. इस का नतीजा यह निकला कि लोगों को उन के प्यार की जानकारी हो गई. बात एक ही मोहल्ले और अलगअलग जाति के लड़केलड़की की थी, इसलिए दोनों को ले कर खुसुरफुसुर होने लगी.

बात दोनों के घर वालों तक पहुंची तो रोकटोक शुरू हुई. लेकिन आज मोबाइल के जमाने में रोकटोक का कोई फायदा नहीं रह गया. दूसरे सुनीता और सुमेरनाथ प्यार की राह पर अब तक इतना आगे निकल चुके थे कि घर वालों की रोकटोक या बंदिशें उस पर जरा भी असर नहीं डाल सकती थीं. क्योंकि अब उन का प्यार मंजिल पाने यानी शादी के मंसूबे तक पहुंच चुका था.

इस की वजह यह थी कि दोनों बालिग थे और अपनाअपना भलाबुरा समझते थे. इसलिए अगर वे अपनी मरजी से भी शादी कर लेते थे तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता था.  सुनीता किसी अनपढ़ से शादी कर के अपनी जिंदगी बरबाद नहीं करना चाहती. इसलिए वह मांबाप की इज्जत को दांव पर लगा कर सुमेरनाथ से शादी के लिए तैयार थी.

एक औरत के दुर्व्यवहार से दुखी सुमेरनाथ भी सुनीता के व्यवहार का कायल था. इसलिए बाकी की जिंदगी वह सुनीता की जुल्फों तले खुशी से गुजारना चाहता था. उन्हें पता था कि समाज ही नहीं, घर वाले भी उन की शादी कभी नहीं होने देंगे, इसलिए उन्होंने किसी अन्य शहर में जा कर शादी करने का निर्णय लिया.

सुनीता और सुमेरनाथ ने शादी के लिए जरूरी कागजात यानी स्कूल के प्रमाणपत्र आदि सहेज कर रखने के साथ रुपएपैसों की व्यवस्था कर ली. उन्हें पता था कि वे अलगअलग जाति के हैं, इसलिए उन्हें आर्यसमाज मंदिर में शादी करनी होगी. उस के बाद अदालत से विवाह की मान्यता मिल जाएगी. पूरी तैयारी कर के उन्होंने भागने की तारीख भी 2 जुलाई तय कर ली.

योजना के अनुसार, 2 जुलाई, 2014 की रात 3 बजे अपने कपड़े लत्ते ले कर सुनीता तय जगह पर पहुंच गई. सुमेरनाथ वहां पहले ही पप्पूराम की गाड़ी ले कर पहुंच गया था. सुनीता के आते ही उस ने उसे गाड़ी में बिठाया और अपनी मंजिल पर निकल पड़ा.

अपने बयान में सुनीता ने कहा था कि वह बालिग है और उस ने खूब सोचसमझ कर सुमेरनाथ गोस्वामी से शादी की है. अब वह उसी के साथ रहना चाहती है, इसलिए पुलिस सुरक्षा में उसे सुमेरनाथ के साथ सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने की कृपा की जाए.

इस के बाद मजिस्ट्रेट ने सुनीता को सुमेरनाथ के साथ भेजने का आदेश दे दिया. सुनीता अदालत से बाहर निकलने लगी तो उस की एक झलक पाने के लिए भीड़ टूट पड़ी. पुलिस ने हलका बल प्रयोग कर के भीड़ को हटाया और अपनी सुरक्षा में इस प्रेमी युगल को जयपुर पहुंचा दिया. कथा लिखे जाने तक यह दंपति जयपुर में ही था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

षडयंत्र : पैसों की चाह में