फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 3

आखिर विनीत को मुखबिर की सूचना पर लोनी गोल चक्कर से गिरफ्तार कर लिया गया.

आइए, पहले जान लेते हैं कि विनीत पंवार कौन है और उस ने माही की हत्या क्यों की.

विनीत और माही की फेसबुक से हुई थी जानपहचान

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत का एक छोटा सा गांव है कागदीपुर. इसी गांव का निवासी था विनय पंवार. उस के 2 बेटे विनीत और मोहित थे तथा एक बेटी थी पारुल. विनय पंवार मेहनतमजदूरी कर के बच्चों का पेट पालता था. उस की पत्नी का देहांत हो गया था. विनय पंवार ने जैसेतैसे बच्चों की परवरिश की.

पारुल सयानी हुई तो उस ने उस की शादी विदिशा के साथ कर दी. विदिशा दिल्ली में काम करता था. बहन की शादी के बाद विनीत भी कामधंधे की तलाश में अपने जीजा के पास रहने आ गया. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, इसलिए उसे अच्छी नौकरी तो नहीं मिली. हां, गुजरबसर करने लायक एक फैक्ट्री में काम जरूर मिल गया. वह बहन और जीजा के पास ही रहने लगा. वह बहन को अपने खाने का खर्चा देने लगा.

विनीत को अच्छा पहनने और फिल्में देखने का शौक था. धीरेधीरे उस ने कुछ रुपए जोड़ कर किस्तों पर मोबाइल फोन भी ले लिया था. वह दिन में फैक्ट्री में काम करता. शाम को नहाधो कर अच्छे कपड़े पहनता और मोबाइल हाथ में ले कर घूमने निकल जाता.

उसी मोबाइल पर फेसबुक द्वारा विनीत की रोहिना उर्फ माही नाम की एक लडक़ी से जानपहचान हो गई. यह जानपहचान धीरेधीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. विनीत खाली समय में रोहिना उर्फ माही से प्रेम की बातें करता रहता.

दोनों के बीच यह प्यार इस कदर बढ़ा कि माही अपना घरद्वार छोड़ कर विनीत के साथ रहने को राजी हो गई. विनीत उसे लेने के लिए उत्तराखंड पहुंच गया. हरिद्वार के एक गांव मिर्जापुर में रहती थी रोहिना उर्फ माही. वह विनीत से मिलने हरिद्वार आ गई. दोनों पहली बार यूं आपस में गले मिले जैसे उन में बरसों की गहरी मित्रता हो.

माही अपना सामान बैग में भर कर लाई थी. विनीत उसे अपने साथ बागपत के गांव कागदीपुर ले गया. माही बगैर शादी किए उस के साथ लिवइन रिश्ता जोड़ कर रहने लगी. विनीत की इस हरकत पर उस के पिता विनय पंवार ने कोई विरोध नहीं किया.

उसे बेटे की शादी करनी ही थी. बेटा अपनी पसंद की कोई लडक़ी घर ले आया तो विनय पंवार को क्या एतराज होता. बस उसे यही अखरता था, माही के साथ विनीत बगैर शादी किए रह रहा था. लेकिन विनय पंवार खामोश रहा. माही उन के घर में रहती रही.

विनीत के जीवन में आया नया मोड़

लेकिन अभी विनीत की जिंदगी में और भी उतारचढ़ाव आने शेष थे. वह माही के साथ आराम से रह रहा था कि एक दिन उसे और उस के पिता विनय पंवार को पुलिस ने एक हत्या का दोषी मान कर गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. यह सन 2017 की बात है. जुर्म साबित होने पर उसे सजा हो गई.

पिता विनय पंवार और भाई विनीत जेल चला गया तो माही को पारुल अपने पास दिल्ली ले गई. माही के कदम अच्छे नहीं थे. एक दिन पारुल के पति विदिशा की अचानक मौत हो गई. पारुल खूब रोईधोई, फिर उस ने मन को धीरज दे कर अपनी जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने का रास्ता तलाशना शुरू कर दिया.

कहा जाता है औरत का एक सहारा टूटता है तो अनेक हाथ उसे सहारा देने के लिए आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन तब जब औरत जवान और सुंदर हो. पारुल जवान भी थी और खूबसूरत भी. उस की तरफ इरफान ने हाथ बढ़ाया तो पारुल ने तुरंत उस का हाथ थाम लिया. पारुल की जिंदगी मजे में कटने लगी. साथ ही वह माही का भी खर्च उठाने में सक्षम हो गई.

पारुल को माही भाभी मानती थी. माही यहां विनीत के भरोसे अपने मांबाप, बहनभाई छोड़ कर आई थी. विनीत जेल चला गया तो माही उदास हो गई. विनीत के बगैर उसे कुछ अच्छा नहीं लगता था. लेकिन वह कर ही क्या सकती थी. वह यह सोच कर संतोष कर रही थी कि विनीत जल्दी ही जेल से छूट कर घर आएगा, तब वह उस से शादी कर के उस की दुलहन बन जा जाएगी.

नवंबर, 2022 में हाईकोर्ट के आदेश पर विनीत पैरोल पर जेल से बाहर आया तो माही उसे सामने देख कर खुशी से नाच उठी. उस ने विनीत के आगे शादी की बात रखी, लेकिन विनीत उसे गले की हड्डी नहीं बनाना चाहता था.

उस ने बहन पारुल से बात की तो पारुल ने संजीदगी से कहा, “विनीत, माही वह लडक़ी नहीं है जिसे मैं भाभी बनाऊं, इसे दफा करो और किसी धनी बाप की बेटी को फांसो, ताकि लडक़ी के साथ मोटी रकम भी हाथ आए.”

“मेरी जिंदगी पर अपराधी का ठप्पा लग गया है बहन, मुझे कोई पैसे वाला अपनी लडक़ी क्यों देगा?”

“तो फिर माही को बेच डालो, मोटी रकम हाथ आएगी तो हमारे दिन संवर जाएंगे.”

“हां, यह ठीक रहेगा.” विनीत ने खुश हो कर कहा.

उसी दिन से वह और पारुल रोहिना उर्फ माही को बेचने की जुगत में लग गए. काफी भागदौड़ करने पर भी माही के लिए मोटी कीमत देने वाला नहीं मिला. इधर माही रोज विनीत पर शादी करने का दबाव बना रही थी. आखिर इस से तंग आ कर विनीत ने माही से पीछा छुड़ाने के लिए उस का गला दबा कर उस की जान ले ली.

माही मर गई तो विनीत डर गया. उस ने माही की लाश दीवान में छिपा कर रखी. फिर पारुल को माही की हत्या कर देने की बात बता दी. पारुल ने माही की लाश ठिकाने लगाने के लिए अपने प्रेमी इरफान की मदद मांगी तो वह तुरंत रात को बाइक ले कर आ गया. उस वक्त पारुल का छोटा भाई मोहित भी घर पर था.

पारुल ने इरफान की बाइक पर रोहिना उर्फ माही की लाश लादने में विनीत और इरफान की मदद की. इरफान और विनीत माही की लाश रात के अंधेरे में करावल नगर के महालक्ष्मी विहार में डाल आए.

क्राइम ब्रांच और करावल नगर थाने की पुलिस टीम के संयुक्त प्रयास से इरफान, विनीत, पारुल और मोहित की गिरफ्तारी संभव हो सकी. विनीत ने भी अपना अपराध कबूल कर लिया था. पुलिस ने उन चारों अभियुक्तों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित सत्य कथा का नाट्य रूपांतरण है.

प्यार का जूनून – भाग 3

उदयभान ने सुमन का मोबाइल ठीक कर के अपना नंबर डायल कर के चैक किया. ऐसा उस ने इसलिए किया था, जिस से उसे सुमन का नंबर मिल जाए. इस के बाद उदयभान ने सुमन का मोबाइल उस के हाथ पर रखा तो सुमन ने पूछा, ‘‘कितने रुपए हुए?’’

उदयभान ने सुमन के चेहरे पर नजरें जमा कर मुसकराते हुए कहा, ‘‘बुरा न मानो तो एक बात कहूं सुमन?’’

‘‘अच्छी बात कहोगे तो बुरा क्यों मानूंगी?’’ सुमन ने कहा.

‘‘तुम पैसे देने के बजाय मैं जब भी तुम्हें फोन करूं, मुझ से बात कर लेना.’’ उदयभान ने आग्रह सा किया.

सुमन को भी उदयभान अच्छा लगता था, इसलिए उस ने कहा, ‘‘ठीक है, लेकिन कोई ऐसीवैसी बात मत करना.’’

सुमन की इस बात से उदयभान को मानो मुहमांगी मुराद मिल गई. शाम को दुकान बंद कर के वह घर के लिए चला तो उसे सुमन की याद आ गई. उस ने तुरंत फोन मिला दिया. 2-4 बार घंटी बजने के बाद उस के कानों में सुमन की चहकती आवाज पड़ी तो वह समझ गया कि उस के फोन करने से सुमन खुश है.

इस तरह सुमन और उदयभान के बीच फोन पर बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो दिनोंदिन बढ़ता ही गया. कुछ दिनों बाद फोन पर समय तय कर के दोनों मिलने भी लगे. इस के बावजूद भी दोनों के बीच फोन पर घंटों बातें होती रहती थीं. धीरेधीरे स्थिति यह हो गई कि वे एकांत में मिलने के लिए बेचैन रहने लगे. आखिर इस के लिए उन्होंने मौका निकाल ही लिया.

2 साल पहले की बात है. राममूर्ति का पूरा परिवार किसी रिश्तेदार के यहां दावत में गया था. सुमन पेट दर्द का बहाना कर के घर पर ही रुक गई थी. उस की वजह से चाची को भी रुकना पड़ा था. रात का खाना खा कर सुमन की चाची सो गई तो उस ने फोन कर के उदयभान को घर पर ही बुला लिया. उस के बाद तो पूरी रात उन की अपनी थी. रात 3 बजे तक उदयभान सुमन के साथ रहा. उस रात दोनों को एकदूसरे से जो सुख मिला, उस के लिए दोनों  लालायित ही नहीं रहने लगे, बल्कि इस के लिए हमेशा मौके की तलाश में रहने लगे.

गांवों में इस के लिए वैसे भी मौकों की कमी कहां है. मोबाइल फोन अब इस में और मददगार साबित होने लगा है. सुमन का जब भी मन होता, किसी बहाने से घर से निकलती और फोन कर के कहीं एकांत में उदयभान को बुला लेती. पैसे की कमी न उदयभान के पास थी, न सुमन के पास. इसलिए दोनों एकदूसरे को महंगे महंगे गिफ्ट भी देते थे.

दोनों का प्रेमसंबंध बने अभी 4-5 महीने ही बीते थे कि राममूर्ति का भांजा शहर से उन के यहां घूमने आया. वह ममेरी बहन सुमन का मोबाइल ले कर देखने लगा तो उस में एक ही नंबर पर इनकमिंग और आउटगोइंग कालें थीं. उस ने उस नंबर का काल ड्यूरेशन चैक किया तो पता चला कि उस पर तो खूब लंबीलंबी बातें हुई थीं. हैरानी से उस ने इस बारे में सुमन से पूछा तो वह टाल गई. भांजे को संदेह हुआ तो उस ने इस बारे में अपने मामा राममूर्ति को बताया.

राममूर्ति की समझ में तुरंत सारा मामला आ गया. उस ने सुमन की पिटाई की तो उस ने बता दिया कि वह उदयभान से मोहब्बत करती है.

इज्जत का मामला था, इसलिए राममूर्ति ने होहल्ला करना उचित नहीं समझा. उस ने उदयभान, उस के बड़े भाई पप्पू और पिता छोटेलाल को खेतों पर इसलिए बुलाया, जिस से गांव वालों को पता न चल सके कि क्या हुआ था. खेतों में उस ने उदयभान के साथ मारपीट कर के धमकी दी कि अब अगर उस ने सुमन से मिलने या बात करने की कोशिश की तो वह उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा.

इस के बाद छोटेलाल ने भी उदयभान को लताड़ते हुए कहा, ‘‘सुमन राममूर्ति की ही नहीं, पूरे गांव की बेटी है. इसलिए तू उसे एकदम से भूल जा, वरना मैं ही तुझे काट कर रख दूंगा.’’

छोटेलाल ने अपने बेटे की इस गलती के लिए राममूर्ति से माफी मांगते हुए कहा कि अब उस का बेटा सुमन की ओर आंख उठा कर भी नहीं देखेगा.

इस के बाद राममूर्ति ने दौड़धूप कर गांव विप्रावली के रहने वाले मुन्नालाल के बेटे पवन के साथ सुमन की शादी कर दी. सुमन जवान थी ही, इसलिए राममूर्ति ने उस के लिए पहले से ही लड़का देख रहा था. यही वजह थी कि बेटी के चालचलन का पता चलते ही उस ने आननफानन में उस की शादी कर दी थी.

सुमन ने पवन से शादी तो कर ली थी, लेकिन उस ने उदयभान से भी कह दिया था कि वह उस का पहला प्यार है, इसलिए उसे न तो यह शादी अलग कर सकती है और न ही उस के पिता. वह उसे पूरी जिंदगी प्यार करती रहेगी.

यही वजह थी कि सुमन मायके आने पर तो उदयभान से मिलती ही थी. मौका निकाल कर उसे अपनी ससुराल भी बुला लेती थी. पवन किसी कंपनी में सेल्समैन था. वह महीने में 5-7 दिनों के लिए घर से बाहर रहता था. लौटता था तो कई दिनों तक औफिस के कामों में व्यस्त रहता था. इसलिए वह सुमन पर ध्यान कम ही दे पाता था.

पति की इस व्यस्तता का फायदा उठाने के लिए सुमन ने एक योजना बनाई. पहले तो वह पति को ले कर सासससुर से अलग हो गई. उस ने कमरा भी वह लिया, जिस का एक दरवाजा घर के पीछे से गांव के बाहर जाने वाली पगडंडी पर खुलता था. लेकिन उसे दिक्कत तब होने लगी, जब पवन के बाहर जाने पर सास उस के साथ सोने लगी.

इस के लिए उदयभान ने एक रास्ता निकाल लिया. उस ने नींद की गोलियां ला कर सुमन को दे दीं. फिर क्या था, पवन जैसे ही बाहर जाता, सुमन खाने में सास को नींद की दवा खिला देती. सास आराम से सोती और वह प्रेमी के साथ रंगरलियां मनाती. लेकिन जैसा कि कहा गया है कि कोई भी नीतिअनीति एक न एक दिन खुल ही जाती है. ऐसा ही सुमन और उदयभान के साथ भी हुआ.

एक दिन रात को मुन्नालाल को पत्नी से किसी सामान के बारे में पूछना हुआ तो उस ने दरवाजा खटखटाया. पवन उस दिन बाहर था. दरवाजा खुलने में देर लगी तो वह पिछवाड़े की ओर चला गया. घर के पीछे कुछ दूरी पर  उसे एक मोटरसाइकिल खड़ी दिखाई दी. उसे शक हुआ तो उस ने मोटर साइकिल का नंबर देखा और छिप कर इंतजार करने लगा कि यह मोटरसाइकिल किस की है और यहां क्यों खड़ी है?

थोड़ी देर में सुमन के कमरे का पीछे वाला दरवाजा खुला और उस में से एक लड़का निकला. उस ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और चला गया.

उस समय मुन्नालाल इसलिए चुप रहा, क्योंकि अगर शोर करता तो गांव में उसी की बदनामी होती. उस समय वह भले ही चुप रहा, लेकिन अगले दिन वह राममूर्ति से मिला. सारी बात बता कर उसे चेतावनी दी कि वह अपनी बेटी को समझाए अन्यथा वह उसे नहीं रखेगा.

राममूर्ति ने जब सुना कि उदयभान सुमन से मिलने विप्रावली जाता है तो उस का खून खौल उठा. बेटी के वैवाहिक जीवन का सवाल था, इसलिए उस ने उसी समय भाइयों को बुलाया और उदयभान को खत्म करने की योजना बना डाली.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 3

जांच के दरमियान रौबिंसन गुडिय़ा को यह जानकारी मिली कि यूनियन बैंक औफ इंडिया की कोरबा शाखा से सलमा ने लोन लिया हुआ था, बैंक से पता करने पर जानकारी मिली कि उस के लोन की ईएमआई तो लगातार मधुर साहू द्वारा जमा करवाई जा रही है.

उन्हें कुछ बातें अपने आप में शंक पैदा करने वाली महसूस हुईं. उन्होंने सलमा सुलताना की गुमशुदगी को एक चुनौती के रूप में लिया. इस मामले को ले कर जांच को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. उन्होंने कुछ लोगों के बयान लिए तो उन्हें यह महसूस हुआ कि मामला किसी रहस्यमयी हत्या का है और घटना का परदाफाश किया जा सकता है.

क्योंकि 21 अक्तूबर, 2018 के बाद सलमा का फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट बंद हो गया था. उस में कोई पोस्ट नहीं थी और मनोवैज्ञानिक तथ्य यह है कि कोई भी बौद्धिक या सामाजिक व्यक्ति, जो पत्रकारिता और सार्वजनिक जीवन में है, इस तरह सोशल मीडिया से अचानक गायब नहीं हो सकता.

इधर सलमा का इतने लंबे समय तक गायब रहना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा था कि आखिर सलमा गई कहां या फिर किसी ने उस की हत्या कर दी है.

आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा ने कोरबा में तैनाती होने के बाद न्यूज चैनल में काम कर रही एंकर सलमा सुलताना से जुड़े गवाहों के बयान एक बार फिर से लेने शुरू किए. बयान लेने के दौरान 2 महिला सविता और कोमल और 3 पुरुषों के कथन में विरोधाभास महसूस किया गया.

इन सब से सख्ती से पूछताछ करने पर 21 अक्तूबर, 2018 एलआईजी 17 शारदा विहार में मधुर साहू एवं कौशल श्रीवास के द्वारा सलमा सुलताना का गला घोट कर हत्या करने और उस की लाश को अतुल शर्मा की मदद से भवानी मंदिर के पास सडक़ किनारे दफनाए जाने की बात सामने आई.

सविता ने भी पुलिस को अपने बयान में बताया कि उस ने खुद मधुर साहू और कौशल श्रीवास को सलमा की हत्या करते देखा था, यही कारण है कि मधुर ने उसे अपने यहां नौकरी पर रखा हुआ था. उस ने यह सब घटना कोमल को बता दी थी, जिस के कारण मधुर साहू दोनों को अपने यहां काम पर रखने को मजबूर था.

इस के बाद जैसे ही पुलिस मधुर साहू के गंगा श्री जिम, अमरैया पारा पहुंची तो पता चला कि वह फरार हो चुका है. उस का सहयोगी कौशल श्रीवास भी गायब मिला. पुलिस ने अतुल शर्मा से पूछताछ कर अपने तौर तरीके से जांच को आगे बढ़ाना शुरू किया. उस ने बताया कि मधुर साहू ने उस के नाम पर भी बैंक से लोन दिलवा कर पैसा अपने पास रख लिया था. इसी तरह कुछ लोगों के साथ और भी जालसाजी की है, जिस की शिकायत आईटीआई थाने में की गई है.

5 साल बाद ऐसे खुली मर्डर मिस्ट्री

आईपीएस जांच अधिकारी रौबिंसन गुडिय़ा ने अतुल शर्मा को अपने विश्वास में लिया और थोड़े से ही पुलिसिया दबाव में उस ने सारी हकीकत बयान कर दी. वह पुलिस से मधुर साहू के संदर्भ में इधरउधर की बातें तो खुल कर करने लगा था, मगर जैसे ही रौबिंसन गुडिय़ा ने सलमा सुलताना के बारे में सवाल किया तो वह घबराया और बोला कि वह सलमा को नहीं जानता है.

मगर जब कड़ी से कड़ी मिलने लगी तो उसे स्वीकार करना पड़ा कि वह सलमा सुलताना की हत्या के बाद उस के शव को दफनाने में मददगार बना था. अब मुख्य आरोपियों की तलाश जारी थी. पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि दोनों आरोपी मधुर साहू और उस का कर्मचारी कौशल श्रीवास दिल्ली में छिपे हुए हैं. बीचबीच में वह अपने परिचितों से बात कर रहे हैं और रुपए मंगा रहे हैं.

इसी बीच जून 2023 महीने में जहां सलमा की लाश दफनाई गई थी, पुलिस को शुरुआती पूछताछ में मिली जानकारी के बाद सस्पेक्टेड जगह के आसपास में सेटेलाइट डेटा, थर्मल इमेजिंग एवं ग्राउंड पेनेट्रेशन राडार मशीन और भूवैज्ञानिक की मदद से मृत देह अस्थियों के बारे में पता करने का प्रयास शुरू किया गया.

अभी वहां कोरबा से बिलासपुर को जोडऩे वाला नैशनल हाईवे बन चुका है. इसलिए पुलिस को सफलता नहीं मिल पाई. यह कथा लिखे जाने तक सलमा सुलताना के शव की अस्थियां पुलिस को बरामद नहीं हुई थीं. अब पुलिस ने तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद स्पष्ट किया कि चिह्नित जगह पर आगे की काररवाई न्यायालय के आदेश के बाद शुरू की जाएगी. क्योंकि जहां इन्होंने लाश दफनाई थी, वहां अब हाईवे बन चुका है.

पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर 14 अगस्त, 2023 को आरोपी मधुर साहू और कौशल श्रीवास को उस समय कोरबा जिले के कटघोरा बाईपास से गिरफ्तार कर लिया, जब वह कोरबा की तरफ आ रहे थे.

26 वर्षीय सलमा सुलताना की हत्या के आरोपी 37 वर्षीय मधुर साहू निवासी साबिन अमरैया पारा, 17 शिवाजी नगर, कोरबा, कौशल श्रीवास (29 वर्ष) निवासी साकिन दर्री सिंचाई विभाग, थाना दर्री, जिला कोरबा एवं अतुल शर्मा (26 वर्ष) निवासी साकिन दर्री जिला कोरबा को भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत गिरफ्तार कर तीनों से पूछताछ की गई.

पुलिस ने मधुर साहू की कार सीजी12ए वी1615 और लैपटौप जिस में कई संदिग्ध वीडियो और फोटोग्राफ्स मिले हैं, जांच के लिए जब्त कर लिया गया. पुलिस को दिए गए बयान में तीनों ने हत्या की बात स्वीकार कर ली. आईपीएस अधिकारी रौबिंसन गुडिय़ा द्वारा 5 साल पहले हुए हत्याकांड का खुलासा करने की पुलिस अधिकारी ही नहीं पब्लिक भी सराहना कर रही है.

रोचक तथ्य यह भी है कि सलमा सुलताना की बौडी को बातचीत में ‘जिमी की बौडी’कहने वाले ये तीनों आरोपी आखिरकार पुलिस के सामने सच बताने को विवश हो गए और अंतत: पुलिस ने मधुर साहू के पालतू डौगी जिमी को भी बरामद कर लिया.

इस से स्पष्ट हो गया कि जिम्मी जिंदा था और वे बातचीत में जिस जिम्मी का उल्लेख करते थे. दरअसल, वह सलमा सुलताना का जिक्र हुआ करता था. तीनों को पूछताछ के बाद 15 दिनों के पुलिस पुलिस रिमांड पर ले लिया. कथा लिखने तक पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कंडोम, कत्ल और कातिल

यह घटना है उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से लगे जिला अंबेडकर नगर की. कभी अंबेडकर नगर फैजाबाद की अकबरपुर नाम से एक तहसील थी, लेकिन मायावती ने इसे फैजाबाद से अलग कर के जिला बना दिया और नाम रख दिया अंबेडकर नगर. यहां से उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा है.

हां तो इसी अंबेडकरनगर में 11 जून, 2023 को थाना बेवाना के अंतर्गत आने वाले गांव भीतरीडीह से करीब 500 मीटर दूर रत्नेश पाठक का कक्षा 8 तक ए.के. पब्लिक स्कूल है, जो 2 साल से बंद है. जिस से यह स्कूल खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

स्कूल से करीब 100 मीटरदूर रविवार की सुबह रेस लगाने आए कुछ लडक़ों ने धुआं उठते देखा. उस बंद पड़े स्कूल से धुआं उठते देख लडक़ों को हैरानी हुई. क्योंकि ठंड का महीना तो था नहीं कि कोई आग जला कर हाथ सेंक रहा हो.

यह धुआं क्यों उठ रहा है, यह देखने के लिए वे लडक़े वहां जा पहुंचे. जब वे लडक़े वहां पहुंचे तो वहां की स्थिति देख कर सन्न रह गए. क्योंकि वह आग ऐसे ही नहीं जल रही थी. उस आग में एक मानव शरीर जल रहा था, जो अब तक इतना जल चुका था कि उसे पहचाना नहीं जा सकता था.

घटनास्थल पर मिला केवल कंडोम का पैकेट

लडक़ों ने इस बात की सूचना गांव वालों को दी तो लाश देखने के लिए लगभग पूरा गांव ही उमड़ पड़ा. लाश और घटनास्थल की स्थिति देख कर ही लग रहा था कि मामला हत्या का है, इसलिए गांव के कोटेदार अमित पांडेय ने तुरंत थाना बेवाना पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी.

सूचना मिलते ही थाना बेवाना एसएचओ अभय मौर्य फोरैंसिक टीम के प्रभारी गौरव सिंह के साथ घटनास्थल भीतरीडीह गांव पहुंच गए. सूचना मिलने पर थोड़ी ही देर में सीओ (सिटी) सुरेश कुमार मिश्र भी वहां आ गए. सभी ने लाश और घटनास्थल का निरीक्षण शुरू किया. यह शव कमरा नंबर 7 में जलता मिला था.

लाश की स्थिति ऐसी थी कि वह पहचानी नहीं जा सकती थी. वह 90 फीसदी जल चुकी थी. इसलिए पुलिस ने आसपास की तलाशी लेनी शुरू की कि शायद ऐसी कोई चीज मिल जाए, जिससे मरने वाले की पहचान हो सके. इस तलाशी में पुलिस को वहां से खून सनी मिट्टी, कुछ बाल, जो शायद मरने वाले के थे, नशीली दवा सेंट्रोन और टाइमैक्स कंडोम का एक पैकेट मिला.

इन चीजों में ऐसी कोई चीज नहीं थी, जिससे मरने वाले की पहचान हो सकती. फोरैंसिक टीम ने अपना काम कर लिया तो एसएचओ अभय मौर्य ने घटनास्थल की औपचारिक काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए अंबेडकर नगर के जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद सभी पुलिस अधिकारी और थाना पुलिस वापस चली गई.

किसी भी हत्या जैसे मामले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए मरने वाले की पहचान बहुत जरूरी होती है. थाना बेवाना पुलिस ने मरने वाले की पहचान की कोशिश शुरू की. लाश की फोटो से पहचान हो नहीं सकती थी. जिले के ही नहीं, आसपास के जिलों के सभी थानों से भी पता किया गया कि किसी थाने में किसी की गुमशुदगी तो नहीं दर्ज है.

पता चला कि कहीं कोई गुमशुदगी दर्ज नहीं है. थाना पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था कि इस मामले की जांच को कैसे आगे बढ़ाया जाए, क्योंकि उस के पास एक कंडोम के पैकेट के अलावा और कुछ नहीं था. एसपी अजीत कुमार सिन्हा को लगा कि शायद थाना पुलिस इस मामले में कुछ नहीं कर पाएगी तो उन्होंने इस मामले की जांच जिले की स्वाट टीम यानी स्पैशल वेपंस एंड टैक्टिक्स टीम को सौंप दी.

जांच टीम ने किया कंडोम कंपनी से संपर्क

हत्या के इस मामले की जिम्मेदारी मिलते ही स्वाट टीम के इंचार्ज वीरेंद्र बहादुर सिंह अपनी टीम एसआई अजय यादव, हैडकांस्टेबल प्रभात मौर्य, कांस्टेबल अबु हमजा, उमेश, पुनीत गुप्ता, अमरेश, विकास, सुनील, मोहित, कुलदीप और विजेंद्र यादव के साथ जांच में लग गए.

वीरेंद्र बहादुर सिंह को भी टाइमैक्स कंपनी के कंडोम का वह पैकेट सौंप दिया गया. उन के दिमाग में आया कि वह आसपास के मैडिकल स्टोरों में पता कराएं कि यह किस के यहां से खरीदा गया है. शायद इस से कोई सुराग मिल ही जाए. लेकिन उन्हें पता चला कि इस ब्रांड का कंडोम यहां मिलता ही नहीं है. तब उन्होंने टाइमैक्स कंपनी से पता किया कि उन की कंपनी का कंडोम कहां कहां बिकता है.

कंपनी से पता चला कि उन की कंपनी के ये कंडोम दिल्ली के आसपास और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक बिकता है. इस के बाद वीरेंद्र बहादुर सिंह को लगा कि मरने वाले का संबंध पश्चिमी उत्तर प्रदेश या दिल्ली के आसपास से तो नहीं है? आजकल जांच में मोबाइल नंबर भी पुलिस की बहुत मदद कर रहा है. लेकिन मोबाइल नंबर तो तब मिलता, जब कोई सुराग मिलता.

इसी क्रम में स्वाट प्रभारी वीरेंद्र बहादुर सिंह ने 10 जून और 11 जून को भीतरीडीह गांव में जितने भी मोबाइल नंबर ऐक्टिव थे, सभी की डिटेल्स यानी डंप डाटा निकलवाया. इस में इतने नंबर थे कि सभी की जांच तो की नहीं जा सकती थी. इस के अलावा ऐसे भी नंबर थे, जो आ रहे थे और जा रहे थे.

चूंकि उन्हें पता चला था कि टाइमैक्स कंडोम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा बिकता है, इसलिए उन के दिमाग में आया कि सब से पहले यह पता किया जाए कि इन नंबरों में कोई पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नंबर तो नहीं है. इसलिए उन्होंने इन नंबरों में से उन नंबरों के बारे में पता लगाने का निश्चय किया, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हों. क्योंकि कंडोम कंपनी ने बताया था कि उस का टाइमैक्स कंडोम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक बिकता है.

12 फोन नंबर आए शक के दायरे में

प्राप्त नंबरों में से 12 नंबर ऐसे मिले, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थे. इन में 4 नंबर ऐसे थे, जो जिला सहारनपुर के थे. जिस तरह हत्या कर के लाश को जलाया गया था, उस से पुलिस को लगा था कि हत्यारे एक से अधिक थे. इसलिए जब सहारनपुर के 4 नंबर एक साथ मिले तो पुलिस को लगा कि कहीं हत्या का संबंध इन्हीं लोगों से न हो. इसलिए अब पुलिस का पूरा ध्यान इन्हीं नंबरों पर जम गया.

स्वाट टीम ने एक नंबर पर फोन किया तो उसे किसी महिला ने उठाया. पूछने पर उस ने बताया कि सहारनपुर से 4 लोग अंबेडकर नगर सरकस देखने गए थे. अब पुलिस ने उन 4 फोन नंबरों को रडार पर ले लिया, जो हत्या के समय भीतरीडीह में थे. इन 4 नंबरों में से एक नंबर तो बंद हो चुका था. अब बचे 3 नंबर. पुलिस को अब इन्हीं 3 नंबरों के बारे में पता करना था.

पुलिस ने नंबर देने वाली यानी ये जिन कंपनियों के सिम थे, उन कंपनियों से सभी के पते निकलवाए तो ये सभी सहारनपुर के रहने वाले थे. पता मिल जाने के बाद वीरेंद्र बहादुर सिंह इन नंबर वालों को गिरफ्तार करने के लिए अपनी टीम के साथ सहारनपुर के लिए रवाना हो गए.

सहारनपुर पहुंच कर वीरेंद्र बहादुर सिंह की टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इन के नाम थे इमरान, फरमान और इरफान. तीनों को गिरफ्तार कर के अंबेडकर नगर लाया गया, जहां तीनों से पूछताछ शुरू हुई.

पहले तो तीनों पुलिस को चकमा देते रहे, पर पुलिस के पास तो इस बात के सबूत थे कि हत्या वाली रात ये तीनों अंबेडकर नगर में मौजूद थे. इसलिए पुलिस ने जब सख्ती से पूछा कि वे लोग सहारनपुर से इतनी दूर यहां क्या करने आए थे और आए  4 लोग थे, जबकि चौथे का फोन बंद है.

तीनों के पास पुलिस के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था. तब मजबूर हो कर इन्हें सच्चाई उगलनी पड़ी. तीनों ने हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उन्होंने बताया कि मारा गया व्यक्ति इन का साथी अजब सिंह था. तीनों ने मिल कर उस की हत्या की थी और स्कूल के फरनीचर से जलाने की कोशिश की थी. इस के बाद तीनों ने हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी.

मृतक निकला सरकस कलाकार

जिस की हत्या हुई थी, उस का नाम अजब सिंह रंगीला (25 वर्ष) था. वह सरकस का कलाकार था यानी सरकस में करतब दिखाने का काम करता था. उसी के सरकस में इमरान, फरमान और इरफान भी काम करते थे.

एक साथ काम करने की वजह से इन सभी का एकदूसरे के घर भी आनाजाना था. अजब सिंह इमरान के घर कुछ ज्यादा ही आताजाता था. इसी आनेजाने में अजब सिंह को इमरान की बहन से प्यार हो गया. इमरान की बहन को भी अजब सिंह अच्छा लगता था, इसलिए वह भी अकसर अजब सिंह से मिलने उस का सरकस देखने के बहाने जाती रहती थी.

जब आग दोनों ओर लगी हो तो मिलन होने में कहां देर लगती है. अजब सिंह और इमरान की बहन एकांत में मिलने लगे. जब इस की जानकारी इमरान को हुई तो भला यह बात वह कैसे सहन कर सकता था. उस ने बहन को भी रोका और अजब सिंह को भी, लेकिन न अजब सिंह माना और न ही उस की बहन. तब इमरान ने बहन के बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया. अब प्रेमी से मिलना तो मुश्किल हो गया, पर फोन पर दोनों की बातें लगातार होती रहीं.

इमरान को पता था कि अजब सिंह का प्रेम प्रसंग सरकस में ही काम करने वाली एक लडक़ी से भी है, जो पहले उस के साथ सरकस में काम करती थी. वह लडक़ी कोई और नहीं, सरकस में ही काम करने वाले और हत्या में शामिल इरफान की बहन थी.

इसीलिए वह अजब सिंह से और नाराज था. क्योंकि एक ओर तो वह अंबेडकर नगर में इरफान की बहन से संबंध बनाए था, दूसरी ओर उस की बहन को भी बरगला रहा था. इमरान को जब पता चला कि उस की बहन अजब सिंह से भले नहीं मिल पा रही है, पर फोन पर उस से बातें करती रहती है तो उसे बहुत गुस्सा आया. उस ने बहन को भी रोका और अजब सिंह को भी. पर दोनों नहीं माने.

बहन से कुछ कहता तो वह कह देती कि अजब सिंह उसे फोन करता है, वह क्या करे. दूसरी ओर अजब से कुछ कहता तो वह कह देता कि वह अपनी बहन को क्यों नहीं रोकता. इन बातों से इमरान अजब सिंह बुरी तरह नाराज रहने लगा. वह मन ही मन सोच रहा था कि अजब सिंह का कुछ करना पड़ेगा. उसी बीच अजब सिंह ने एक और गलती कर दी, जिस से इमरान ही नहीं, उस के अन्य साथी फरमान और इरफान भी नाराज हो गए.

2 दोस्तों की बहनों से थे संबंध

इमरान तो ऐसे मौके की तलाश में था ही, उस ने अपने भाई फरमान को तो अजब सिंह को सबक सिखाने के लिए तैयार किया ही, साथ ही इरफान को भी तैयार कर लिया. सभी ने मिल कर योजना बनाई कि अजब सिंह को सरकस लगाने के बहाने आरती के यहां अंबेडकर नगर ले कर चला जाए और वहीं इसे सबक सिखाया जाए.

आरती की इन लोगों से जानपहचान थी. उस ने अपने भाई फरमान को तो बता दिया था कि अजब सिंह की हत्या करनी है, पर इरफान को यह पता नहीं था. वह तो सिर्फ यही जानता था कि अजब सिंह के साथ मारपीट करनी है, जिस से आगे से वह इस तरह की कोई हरकत न करे कि उन लोगों का नुकसान हो.

10 जून, 2023 की सुबह ये सभी लोग सरकस लगाने के लिए अंबेडकर नगर के थाना बेवाना के गांव भीतरीडीह आ गए और आरती के यहां रुके. क्योंकि आरती इन की परिचित थी और इन लोगों के साथ काम कर चुकी थी. पूरा दिन इन लोगों ने आराम किया. शाम को खाने में इन लोगों ने मछली बनवाई. खाना खाने के पहले इन लोगों ने शराब पीने का प्रोग्राम बनाया.

इमरान अजब सिंह की बाइक ले कर गया और 4 बोतल शराब ले आया. इस के बाद सभी ने सलाह की कि आरती के घर में बैठ कर शराब पीना ठीक नहीं होगा. उस के घर वाले बुरा मान सकते हैं, इसलिए चलो गांव के बाहर कहीं बैठ कर शराब पी जाए.

यह सलाह कर के सभी गांव के बाहर आए तो अजब सिंह ने ही कहा, “गांव के बाहर ए.के. पब्लिक स्कूल है, जो सालों से बंद पड़ा है. चलो, उसी स्कूल में बैठ कर पीते हैं. वहां कोई आएगा भी नहीं और वहां बैठने के लिए पुरानी कुरसी मेज भी हैं.”

इमरान ऐसी ही जगह चाहता था. यह तो वही हाल हुआ कि रोगी को जो भाए, वही वैद्य बताए. उस ने कहा, “चलो, वहीं बैठ कर पीते हैं.”

दोस्तों ने ही बताया हत्या का प्लान

अजब सिंह अकसर इरफान की बहन से मिलने आता रहता था, इसलिए उसे उस स्कूल के बारे में पता था. अजब सिंह सभी को स्कूल तक ले आया. सभी स्कूल के अंदर बरामदे में बैठ कर शराब पीने लगे. योजना के अनुसार सभी ने अजब सिंह को ज्यादा शराब पिलाई और खुद कम पी.

जब अजब सिंह शराब के नशे में खूब धुत हो गया यानी विरोध करने लायक नहीं रहा तो इमरान ने भाई फरमान से कहा, “पकड़ कर गला दबा दे इस का. हमेशाहमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए इस से, वरना यह हमारी इज्जत को दाग लगा कर ही छोड़ेगा.”

“क्या… तुम लोग इसे मारना चाहते हो क्या?” इरफान ने पूछा.

“और किसलिए इसे यहां लाए हैं. अगर यह जिंदा रहा तो हमें सुकून से जीने नहीं देगा. तुम्हें तो पता ही है कि यह मेरी बहन के ही नहीं, तुम्हारी बहन के भी पीछे पड़ा है. कब से समझा रहा हूं कि मेरी बहन का पीछा छोड़ दे. पर मेरी बात इस के भेजे में उतर ही नहीं रही है. अब मैं खुद इस से बहन का पीछा छुड़वाऊंगा. जब जिंदा ही नहीं रहेगा तो पीछा कैसे करेगा.” इमरान ने कहा.

“यह ठीक नहीं है, इस की हत्या कर दी और हम सभी पकड़े गए तो पूरी जिंदगी जेल में बीतेगी.” इरफान ने समझाया.

“जेल तो हम तब जाएंगे, जब पकड़े जाएंगे. पकड़े न जाएं, इसीलिए तो इसे यहां ले आए हैं.” इमरान ने कहा.

इरफान उसे रोकता, उस के पहले ही इमरान ने एक ईंट उठा कर अजब सिंह के सिर पर दे मारी. इरफान उस का हाथ पकड़ता, तब तक उस ने दूसरा वार कर दिया. इस दूसरे वार मे अजब सिंह चल बसा.

स्कूल के फरनीचर से जलाई लाश

अजब सिंह का खेल खत्म करने के बाद जब बात आई उस की लाश को ठिकाने लगाने की तो स्कूल के कमरा नंबर 7 में लाश ले गए और जो टूटाफूटा फरनीचर पड़ा था, तीनों ने मिल कर उसे इकट्ठा किया और उसी पर लाश को रख कर आग लगा दी. घटनास्थल पर कंडोम का जो पैकेट मिला था, उसे वे लोग पुलिस को भ्रम में डालने के लिए साथ लाए थे.

उन का सोचना था कि कंडोम का पैकेट देख कर पुलिस यही समझेगी कि कोई यहां अवैध संबंध बनाने आया था और मारा गया. इन लोगों का दुर्भाग्य देखिए कि जिस कंडोम के पैकेट को ये लोग पुलिस को भ्रम में डालने के लिए लाए थे, उसी ने पुलिस को इन लोगों तक पहुंचा दिया.

अजब सिंह की हत्या करने के बाद तीनों आरती के घर गए और वहां खाना खा कर अजब सिंह की बाइक ले कर मऊ चले गए. बाइक वहां इन्होंने एक कबाड़ी के यहां 3 हजार रुपए में गिरवी रख दी और लखनऊ होते हुए सहारनपुर चले गए.

पूरी कहानी सुनने के बाद एसपी अजीत कुमार सिन्हा की मौजूदगी में तीनों हत्यारों इमरान, फरमान और इरफान को पुलिस ने पत्रकारों के सामने पेश किया तो सभी ने पत्रकारों के सामने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद तीनों अभियुक्तों को पुलिस ने उसी दिन अदालत मे पेश किया, जहां से 2 दिन के रिमांड पर लिया गया.

रिमांड के दौरान अजब सिंह की वह बाइक मऊ से बरामद कर ली गई, जो इन्होंने कबाड़ी के यहां 3 हजार रुपए में गिरवी रख दी थी. रिमांड अवधि खत्म होने पर इन्हें दोबारा अदालत में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

जब उच्च अधिकारियों को पता चला कि अंबेडकर नगर पुलिस ने कंडोम के पैकेट से जिस तरह ब्लाइंड मर्डर का खुलासा किया है, वह काबिले तारीफ है. उन्होंने अंबेडकरनगर पुलिस की प्रशंसा करते हुए कहा कि हत्याकांड की केस स्टडी अब यूपी पुलिस के मुरादाबाद में स्थित पुलिस ट्रेनिंग कालेज भेजी जाएगी, जहां ट्रेनी अफसर और पुलिस जवान ट्रेनिंग के दौरान इस का अध्ययन करेंगे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जिस्म के आईने में देखी तिजोरी – भाग 2

दिल्ली के कर्मपुरा इलाके की रहने वाली एक महिला का नाम सामने आया तो पुलिस उस महिला के घर पहुंची. लेकिन वह परिवार सहित घर से फरार मिली. पुलिस को उस के फरार होने पर शक हो गया. उस के घर पर निगरानी के लिए 2 कांस्टेबलों को लगा दिया गया.

पुलिस ने फिर से मृतक के मोबाइल फोन और लैपटाप को खंगाला. उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का अध्ययन किया तो पता चला कि घटना वाले दिन दोपहर करीब साढ़े 12 बजे एक काल आई थी. जिस नंबर से उस के मोबाइल पर काल आई थी, उस का पुलिस ने पता लगा लिया. उसे थाने बुला लिया.

उस युवक से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह तरुण बजाज नाम के किसी शख्स को नहीं जानता. उस ने कहा, ‘‘25 जून को दोपहर के समय जो आप फोन करने की बात कर रहे हैं, वह मैं ने नहीं, बल्कि एक महिला ने किया था.’’

‘‘महिला ने, कौन सी महिला ने फोन किया था?’’ एसीपी एस.के. गिरि ने पूछा.

‘‘सर, मैं राजेंद्राप्लेस मैट्रो स्टेशन से नीचे उतरा ही था कि नीचे सउ़क पर खड़े एक बैटरी रिक्शा में 2 महिलाएं बैठी दिखीं. उन में से एक ने मुझ से कहा कि उस का फोन घर पर रह गया है. किसी को काल करने के लिए उस ने मुझ से फोन मांगा. मैं ने उसे अपना फोन दे दिया तो उसी ने किसी को मेरे मोबाइल से फोन किया था.’’ उस युवक ने बताया.

‘‘क्या तुम उन महिलाओं को पहचानते हो?’’ एसीपी एस.के. गिरि ने पूछा.

‘‘नहीं सर, मैं ने उन्हें पहली बार देखा था. मगर सामने आ गईं तो जरूर पहचान लूंगा.’’ उस ने बताया.

पहले भी जांच में कर्मपुरा की एक महिला का नाम सामने आया था और जांच की दूसरी कड़ी में भी फोन करने वाली 2 महिलाएं सामने आईं. इस से पुलिस को लगा कि बजाज के मर्डर में महिलाओं के शामिल होने की संभावना हो सकती है. यानी घटना के पीछे लव और सैक्स की तसवीर साफ नजर आ रही थी. इन दोनों जांचों में पुलिस को सफलता मिलने की उम्मीद नजर आ रही थी, लेकिन जांच ऐसी जगह आ कर ठहर गई कि फिलहाल वहां से आगे बढ़ती नहीं दिख रही थी.

न्यू राजेंद्रनगर में जिस ब्लौक में दिल दहला देने वाली इस घटना को अंजाम दिया गया, वहां पर कुछ लोगों ने फ्लैट के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं. तरुण बजाज के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकौर्डिंग से पता चला कि 25 जून, 2014 की दोपहर को 2 लड़के एक बाइक से तरुण बजाज के फ्लैट तक गए थे. जो युवक बाइक के पीछे बैठा था, उस ने एक बैग भी थाम रखा था.

बाद में वही लड़के दोपहर करीब 2 बजे फ्लैट की साइड से वापस जाते हुए दिखे, लेकिन वापस जाते समय उन की पहनी हुई कमीजें बदली हुई थीं. यानी वे कपड़े चेंज कर के आए थे.

वारदात में 2 महिलाओं के अलावा 2 युवकों के शामिल होने का शक पुलिस को हो गया, लेकिन ये सब कौन थे, पता लगाना आसान नहीं था.

उधर मृतक के घर वाले और रिश्तेदार हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस पर दबाव डाल रहे थे. एसीपी एस.के. गिरि को टीम में जुटे पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली और क्षमता पर विश्वास था, इसलिए उन्होंने पीडि़त पक्ष को भरोसा दिया कि 2 दिनों के अंदर केस को खोल दिया जाएगा. एसीपी के आश्वासन के बाद घर वाले भी पुलिस जांच में पूरा सहयोग कर रहे थे.

एसीपी ने जांच में जुटे सभी पुलिसकर्मियों को अलगअलग जिम्मेदारियां सौंप रखी थीं. सभी टीमें जांच में रातदिन एक किए हुए थीं. जांच जिस पड़ाव पर आ कर ठहर गई थी, वहां से आगे बढ़ती दिखाई नहीं दे रही थी. तब पुलिस ने तरुण बजाज के फोन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया. हालफिलहाल में जिन लोगों से तरुण बजाज की बातें हुई थीं, पुलिस ने उन सभी से पूछताछ करनी शुरू कर दी.

जिन लोगों से पुलिस पूछताछ कर रही थी, उन्हें सीसीटीवी से बरामद उन 2 लड़कों की फुटेज भी दिखा रही थी, जो 25 जून की दोपहर को बाइक से बजाज के फ्लैट की ओर आए थे.  फुटेज साफ नहीं थी, इसलिए उस में चेहरे साफ नहीं दिखाई दे रहे थे.

पूछताछ के इसी क्रम में एक शख्स ने सीसीटीवी की वह फुटेज पहचान ली. बाइक पर पीछे बैठे युवक को उस ने पहचानते हुए कहा, ‘‘यह तो साहिल है.’’

‘‘क्या तुम इसे जानते हो?’’ एसीपी एस.के. गिरि ने पूछा.

‘‘जी सर, मैं इसे अच्छी तरह जानता हूं. यह साहिल ही है जो कर्मपुरा में रहता है. मैं ने तो इस का घर भी देखा है.’’ उस युवक ने कहा तो उन्हें केस खुलने की उम्मीद दिखाई दी.

एक पुलिस टीम को तुरंत उस युवक के साथ साहिल के घर कर्मपुरा भेजा गया. वहां पता चला कि साहिल अपनी पत्नी पूजा के साथ आज ही 26 जून को हरिद्वार चला गया है.

बजाज की हत्या के बाद साहिल के घर पुलिस एक बार पहले भी गई थी. लेकिन उस समय उस की पत्नी पूजा की तलाश में गई थी. अब साहिल का नाम सामने आने पर पुलिस को विश्वास हो गया कि पति और पत्नी दोनों ही इस मामले में शामिल रहे होंगे, तभी तो दोनों फरार हैं. वहां से पुलिस को साहिल का मोबाइल नंबर मिल गया.

साहिल के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगवा कर थानाप्रभारी मनीष जोशी, एसआई गौतम मलिक, एएसआई राजन सिंह दोनों की तलाश में हरिद्वार रवाना हो गए.

यह 26-27 जून, 2014 की रात की बात थी. वे सुबह तड़के हरिद्वार के नजदीक पहुंचे थे कि सर्विलांस टीम ने दिल्ली से खबर दी कि साहिल के फोन की लोकेशन से लग रहा है कि वह हरिद्वार से देहरादून की ओर जा रहा है. दिल्ली पुलिस की टीम ने भी हरिद्वार से देहरादून का रुख कर लिया.

सुबह तक पुलिस टीम देहरादून पहुंच गई. वह सर्विलांस टीम के संपर्क में थी. वहां से पुलिस को जानकारी मिली कि साहिल के फोन की लोकेशन देहरादून के पंडित मोहल्ले में जा कर स्थिर हो गई है. दिल्ली पुलिस टीम वहां के लोगों से पूछते हुए पंडित मोहल्ले में पहुंची. वहां की लोकल पुलिस के सहयोग से दिल्ली पुलिस ने उस मोहल्ले में घर घर सर्चिंग शुरू कर दी.

जिस युवक ने सीसीटीवी फुटेज में साहिल को पहचाना था, वह पुलिस के साथ था. तलाशी लेते हुए पुलिस एक घर में पहुंची तो वहां 2 युवक 1 महिला के साथ बैठ कर शराब पीते मिले. पुलिस को देखते ही युवक भागे, लेकिन दौड़ कर पुलिस ने उन्हें दबोच लिया.

उन से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने नाम साहिल और मोहित बताए. पुलिस के साथ जो युवक था, उस ने भी साहिल को पहचान लिया. उस के साथ जो महिला शराब पी रही थी, वह उस की पत्नी पूजा थी.

साहिल के पास एक बैग था, जिस में डेढ़ लाख रुपए नकद, कुछ ज्वैलरी और एक चाकू मिला. पूछताछ में उन्होंने स्वीकार कर लिया कि तरुण बजाज की हत्या उन्होंने की थी.

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 2

आखिरी कैमरे में पुलिस को जो दृश्य नजर आया, वह उन के लिए बड़ी सफलता ले कर आया था. दोनों युवकों में से एक युवक उन्हें बाइक लिए सडक़ पर खड़ा दिखाई दिया, दूसरा युवक गली में से आता नजर आया, आने वाले युवक के कंधे पर लडक़ी थी. वह निर्जीव यानी लाश लग रही थी.

“सर, यहीं कहीं से यह युवक युवती की लाश ले कर महालक्ष्मी विहार के लिए चले थे.” एसआई मनदीप जोश में भर कर बोले, “हमें यहां पर युवती की फोटो दिखा कर मालूमात कर लेनी चाहिए.”

“ठीक कहते हो.” एसएचओ नफे सिंह मुसकरा कर बोले.

आखिर पुलिस पहुंच ही गई ठिकाने

सभी के मोबाइल में उस मृत युवती का फोटो अपलोड था. उसे वहां के दुकानदारों, पटरी वालों और मजदूरी करने वाले लोगों को दिखाया गया तो एक पटरी वाले ने युवती को पहचान लिया. उस ने बताया, “साहब, यह युवती तो रोहिना है, यह छोटा बाजार में स्थित जाट धर्मशाला के पास पारुल के साथ रहती है.”

“क्या तुम हमें पारुल के घर तक पहुंचा सकते हो?” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पटरी वाले से कहा.

“क्यों नहीं साहब,” वह व्यक्ति अपनी जगह पर खड़ा हो कर बोला, “आप किसी को मेरे सामान के पास खड़ा कर दीजिए.”

एसएचओ ने कांस्टेबल शुभम और निखिल को वहां खड़ा कर दिया. बाकी पुलिस टीम उस व्यक्ति के साथ पारुल के घर की ओर चल पड़ी. वह व्यक्ति उन्हें जाट धर्मशाला के पास एक मकान पर ले कर आया. मकान के दरवाजे पर ताला लटक रहा था.

“यहीं पारुल रहती है साहब, आप मकान मालिक से पूछ लीजिए.” उस व्यक्ति ने कहा.

पुलिस टीम को अपने मकान के दरवाजे पर देख कर ऊपर मौजूद मकान मालिक नीचे आ गया. वह काफी डरा हुआ दिखाई दे रहा था.

“क्या बात है साहब, आप मेरे मकान पर किसे तलाशने आए हैं?” मकान मालिक ने कांपती आवाज में पूछा.

“तुम्हारे कमरे में पारुल रहती है, हमें उस से मिलना है.” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पूछा.

“वो तो कल शाम को मेरा कमरा खाली कर के कहीं दूसरी जगह चली गई है साहब.”

“ओह!” इंसपेक्टर ने गहरी सांस ली, फिर कुछ सोच कर उन्होंने मृत युवती का फोटो मकान मालिक को दिखाया, “इसे पहचानते हो?”

“जी हां, यह रोहिना उर्फ माही है. यह पारुल के साथ ही मेरे कमरे में कई सालों से रह रही थी. हां, मैं ने 2-4 दिन से इसे पारुल के साथ नहीं देखा तो पारुल से पूछा था, तब उस ने बताया था कि माही घूमने के लिए कहीं गई है.”

“पारुल तुम्हारा कमरा छोड़ कर अब कहां रहने गई है?”

“मुझे नहीं मालूम साहब, कल तांगे में अपना सामान लाद कर उस ने मुझे बाकी बचा किराया चुकाया और चली गई. कहां गई, मैं नहीं बता सकता.”

हत्यारे चढ़े पुलिस के हत्थे

पुलिस टीम वापस लौट आई. उन्हें पारुल के नए ठिकाने को तलाश करना था. पारुल ने सामान शिफ्ट करने में तांगा इस्तेमाल किया था. उस तांगे को ढूंढ कर पारुल के नए ठिकाने पर पहुंचा जा सकता था. तांगे का स्टैंड शाहदरा में फ्लाईओवर के नीचे था. वहां जा कर ही तांगा वाले का पता लगाया जा सकता था. यह काम एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल मनीष यादव को सौंपा गया. दोनों उसी वक्त शाहदरा में तांगा स्टैंड के लिए थाने से रवाना हो गए.

एसआई मनदीप ने हैडकांस्टेबल मनीष के साथ उस तांगे वाले को खोज निकाला. उस ने बताया कि वह एक महिला का सामान तेलीवाड़ा (शाहदरा) से अपने तांगे में लाद कर कांतिनगर ले गया था. उस ने एसआई मनदीप को कांतिनगर में पारुल के नए आशियाने पर पहुंचा दिया.

पारुल ने यहां कमरा किराए पर लिया था, इस वक्त वह और उस का भाई मोहित घर पर ही थे. एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल ने दोनों को हिरासत में ले लिया. उन दोनों को करावल नगर थाने में लाया गया. इन की गिरफ्तारी की सूचना डीसीपी डा. जौय टिर्की को दी गई तो वह करावल नगर थाने में आ गए. उन की मौजूदगी में पारुल से पूछताछ शुरू की गई.

एसएचओ नफे सिंह ने रोहिना उर्फ माही की तसवीर मोबाइल में पारुल को दिखाते हुए पूछा, “इसे तो पहचानती हो न पारुल?”

पारुल काफी डरी और सहमी हुई लग रही थी. वह थूक गटकती हुई बोली, “जी.. मैं इसे पहचानती हूं, यह माही है.”

“इस की हत्या किस ने की, क्यों की, इस बात का ठीकठीक जवाब दो. अगर चालाकी दिखाने की कोशिश करोगी तो तुम्हारे हक में अच्छा नहीं होगा.”

“साहब, मैं ने माही की हत्या नहीं की है. माही का गला मेरे भाई विनीत ने दबाया था, वह उसे मारना नहीं चाहता था, लेकिन माही की जिद के कारण विनीत को गुस्सा आ गया और उस ने माही का गला दबा दिया. उस ने डर के कारण माही का शव दीवान में छिपा कर रखा. जब अंधेरा फैलने लगा तो विनीत ने मेरे प्रेमी इरफान को घर बुला लिया.

“वह बाइक ले कर आया. मैं ने और विनीत ने माही की लाश को बाइक तक पहुंचाया. विनीत माही की लाश ले कर बैठा और इरफान ने बाइक संभाली. दोनों रात को माही की लाश करावल नगर क्षेत्र में डाल कर आ गए.”

“विनीत कहां छिपा हुआ है? अपने प्रेमी इरफान की भी जानकारी दो हमें.” डीसीपी जौय टिर्की ने सख्त लहजे में पूछा.

“साहब, मैं नहीं जानती विनीत कहां चला गया है. हां, इरफान के घर का पता मैं आप को बता देती हूं.” पारुल ने कहा और इरफान का पता बता दिया.

पुलिस टीम ने इरफान को उस के घर से दबोच लिया. उसे करावल नगर लाया गया तो वहां अपनी प्रेमिका पारुल उर्फ चिंकी को देख कर वह समझ गया कि माही की हत्या का राज पुलिस के सामने खुल गया है. फिर इरफान ने भी अपना गुनाह चुपचाप कुबूल कर लिया. अब असली कातिल विनीत की गिरफ्तारी शेष थी.

पुलिस ने विनीत पंवार की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह दबिश दी, लेकिन वह बड़ी चालाकी से इधरउधर भाग रहा था. जब वह पुलिस टीम के हाथ नहीं आया तो डीसीपी जौय टिर्की ने क्राइम ब्रांच की ईस्टर्न रेंज (2) के हाथ में विनीत की गिरफ्तारी की कमान सौंप दी. अपराध शाखा के एसीपी राजकुमार साहा की देखरेख में क्राइम ब्रांच की टीम ने विनीत की खोज शुरू कर दी. मुखबिर भी विनीत की टोह में लगा दिए गए.

प्यार का जूनून – भाग 2

इस टीम ने उदयभान के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा था, जिस पर उदयभान की बहुत ज्यादा और लंबीलंबी बातें होती थीं. जिस दिन वह गायब हुआ था, उस दिन भी एक बार उस नंबर से संदेश आया था. थानाप्रभारी ने उस नंबर पर फोन किया. घंटी गई और जल्दी ही दूसरी ओर से फोन रिसीव भी कर लिया गया.

पूछने पर पता चला कि वह नंबर विप्रावली गांव के रहने वाले पवन सिंह का था, जिस का उपयोग उस की पत्नी सुमन करती थी. पवन ने जब इस पूछताछ की वजह पूछी तो थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बताया कि उस की पत्नी की इस नंबर से एक लड़के की लगातार बात होती रहती थी और वह जिस लड़के से बात होती थी, उस की हत्या हो चुकी है.

हत्या की बात सुन कर पवन सन्न रह गया. उस ने तुरंत अपने ससुर राममूर्ति को फोन कर के थानाप्रभारी से हुई बातचीत के बारे में बताया तो उस ने दामाद से कहा कि वह परेशान न हो, वह अभी जा कर थानाप्रभारी से मिलता है. इस के बाद उस ने यह बात अपने भाइयों, पप्पू और राजाराम को बताई. सब ने कोई सलाह की और अपनीअपनी मोटरसाइकिलें निकाल कर कहीं जाने के लिए तैयार हो गए.

एक मोटरसाइकिल पर राममूर्ति ने अपनी पत्नी और बेटे मुकेश को बैठाया तो दूसरी पर पप्पू और राजाराम सवार हुए. इस के बाद दोनों मोटरसाइकिलें चल पड़ीं. गांववालों ने जब उन के इस तरह जाने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि अचानक सुमन की तबीयत खराब हो गई है, इसलिए सभी उसे देखने उस की ससुराल विप्रावली जा रहे हैं.

वे गुरावली गांव के बाहर निकले ही थे कि पुलिस की जीप आ पहुंची. जब पुलिस को पता चला कि राममूर्ति भाइयों के साथ घर में ताला लगा कर बेटी की ससुराल गया है तो पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि वह बेटी के यहां नहीं, बल्कि घर वालों के साथ पुलिस से बचने के लिए घर छोड़ कर भागा है. इस से पुलिस का शक गहरा गया कि उदयभान की हत्या में इन लोगों की कोई न कोई भूमिका अवश्य है.

गांव वालों ने बताया था कि वे गांव विप्रावली जाने की बात कह कर निकले थे. पुलिस वहां से सीधे विप्रावली जा पहुंची. लेकिन वहां कोई नहीं मिला. इस का मतलब वे सभी फरार हो चुके थे. पुलिस पवन और सुमन को थाने ले आई. थाने में जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो पता चला कि पवन का पिता मुन्नालाल भी किसी को बिना कुछ बताए आधे घंटे पहले हड़बड़ी में घर से निकला था. यह संयोग था या वह भी उदयभान की हत्या में शामिल था, पुलिस इस बात की भी जांच करने लगी.

पुलिस ने मुन्नालाल के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि उदयभान की हत्या से एक दिन पहले और हत्या वाले दिन राममूर्ति और मुन्नालाल में कई बार बातें हुई थीं. इस तरह मुन्नालाल भी शक के दायरे में आ गया. अब पुलिस राममूर्ति और उस के परिवार वालों के साथ मुन्नालाल भी तलाश में लग गई.

आखिर हत्या के पूरे सप्ताह भर बाद 6 अगस्त, 2013 को मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने यमुना और उटंगन नदी पर बने पुल के उस पार बीहड़ में बने एक कच्चे मकान को घेर कर 6 लोगों को हिरासत में ले लिया. उस के बाद पुलिस सभी को ले कर थाना बसई अरेला आ गई.

पुलिस ने राममूर्ति के साथ उस के दोनों भाइयों, राजाराम, पप्पू, समधी मुन्नालाल, मुन्नालाल के भाई भावसिंह और राममूर्ति के फुफेरे भाई वीर बहादुर सिंह को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस ने सभी से अलगअलग पूछताछ की तो उदयभान की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी.

जिला आगरा के मुख्यालय से यही कोई 50 किलोमीटर की दूरी पर बसा है गांव गुरावली. जाटव बाहुल्य इस गांव में किसान आसाराम का परिवार काफी संपन्न था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटे, राममूर्ति, राजाराम और पप्पू थे. दबंग और रसूखदार व्यक्तित्व वाले राममूर्ति के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा मुकेश और एक ही बेटी सुमन थी.

राममूर्ति के पास भले ही सब कुछ था, लेकिन उस के बच्चे ज्यादा पढ़लिख नहीं सके थे. मुकेश ने आठवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी तो सुमन ने पांचवीं पास कर के. गुरावली में ही छोटेलाल का परिवार रहता था. उस के परिवार में केवल 2 बेटे, पप्पू और उदयभान के अलावा पप्पू की पत्नी थी. छोटेलाल की पत्नी 5 साल पहले मर गई थी. उस के दोनों ही बेटे मेहनती और ईमानदार थे.

पप्पू अपने पिता के साथ खेती करता था तो उदयभान ने मोबाइल रिपेयरिंग का काम सीख कर गांव के चौराहे पर किराए की दुकान ले कर अपना मोबाइल रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया था. इसी के साथ वह मोबाइल एसेसरीज के साथ रिचार्ज कूपन भी बेचता था. व्यवहारकुशल और ईमानदारी से पैसे लेने वाले उदयभान का काम बढि़या चल रहा था. उस की कमाई ठीकठाक थी, इसलिए वह ठीकठाक कपड़े पहन कर बनठन कर रहता था. इस से गांव के अन्य लड़कों की अपेक्षा वह स्मार्ट लगता था.

एक दिन दोपहर को वह दुकान पर बैठा अपना काम कर रहा था, तभी गांव के ही राममूर्ति की 20 वर्षीया बेटी सुमन उस के सामने आ कर खड़ी हो गई और अपना मोबाइल रख कर कहा कि देखो इस में क्या खराबी आ गई है. सुमन को उस के न जाने कितनी बार देखा था, लेकिन बात करने का मौका कभी नहीं मिला था. आज पहली बार उसे इतने नजदीक से देखा तो देखता ही रह गया. न जाने क्यों उस दिन सुमन उसे बहुत अच्छी लगी थी.

उस ने हाथ में लिया मोबाइल किनारे रख कर सुमन का मोबाइल उठा लिया. 5 मिनट का काम था, लेकिन सुमन को बैठाए रखने के लिए उस ने आधे घंटे से ज्यादा समय लगा दिया. इस बीच वह काम कम कर रहा था, सुमन को ज्यादा देख रहा था. सुमन भी भोली नहीं थी. उस ने भी उदयभान के मन की बात ताड़ ली थी. इसलिए जब भी उदयभान उस की ओर देखता, वह मुसकरा देती.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 2

सलमा सुलताना कुछ दिन अपने पिता एम.डी. मानिक के कुसमुंडा स्थित आवास में रहने के बाद जब वापस 21 अक्तूबर, 2018 को अपनी स्कूटी से जब मधुर साहू के आवास एलआईजी 17 शिवाजी नगर पहुंची तो देखा नजारा पहले जैसा नहीं है.

भीतर के कमरे में मधुर और किसी लडक़ी की आवाज सुनाई दी. दोनों बातें कर रहे थे. यह सुनना था कि सलमा सुलताना मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ी. उस की आंखों के आगे मधुर और उस के प्रेम संबंधों के दृश्य घूमने लगे. वह कितना प्यार करती है मधुर से, मगर यह तो छिपा रुस्तम निकला.

मधुर साहू ने बड़ी चतुराई के साथ सलमा के नाम यूनियन बैंक औफ इंडिया से 7.50 लाख रुपए लोन ले कर वहां वह पैसा अपने पास रख लिया था. उस ने वादा किया था कि सलमा के भाई को जिम में पार्टनर रखेगा. अब वह उस से भी मुंह चुरा रहा था.

अब धीरेधीरे मधुर की असलियत उस के सामने खुलती चली जा रही थी. पहले शादीशुदा होना फिर कई लड़कियों के साथ उस के संबंध और फोन पर बातचीत ने सलमा के सामने प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था. लेकिन उस दिन तो वह प्रत्यक्ष रूप से देख रही थी कि उस के साथ कमरे के भीतर कोई लडक़ी है.

यह सब देख कर उस का मिजाज बिगड़ गया और उस ने अधिकारपूर्वक मधुर को बाहर बुलाया. जब मधुर साहू कमरे से बाहर आया तो सलमा ने नाराज होते हुए कहा, “यह सब क्या हो रहा है, तुम मुझे धोखा दे रहे हो.”

इतना सुन कर मधुर साहू मुसकराया और बोला, “तुम मेरे साथ शादी करने का सपना देखना भूल जाओ और हां, संबंध रखना हो तो बात दूसरी है.”

“तुम ने मेरे साथ क्या वादा किया था, वह भूल गए क्या?” सलमा ने पूछा.

“वादे तो होते ही हैं तोडऩे के लिए, मैं तो कह रहा हूं न, अब शादी ब्याह की बात भूल जाओ और सुन लो मैं किसी एक बंधन में नहीं रह सकता.”

“तुम मेरे साथ धोखा नहीं कर सकते, तुम जानते नहीं, मैं कौन हूं.” सलमा ने उसे धमकाया.

इस बीच कमरे से लडक़ी बाहर आ गई और दोनों को देखते हुए वह वहां से बाहर चली गई.

“देखो सलमा, मैं शादी करने की स्थिति में नहीं हूं. मैं शादीशुदा हूं, यह तुम जान चुकी हो. हां, साथ रहो, मेरे लायक जो भी बात हो बता देना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा.”

सलमा का उसी की चुनरी से घोंटा गला

दोनों आपस में बात कर रहे थे और दोनों के बीच गरमागरमी बढ़ती चली गई. इसी दरमियान गुस्से में आ कर के मधुर साहू ने सलमा को थप्पड़ जड़ दिया. इस से सलमा बिफर पड़ी.

मधुर साहू एक हृष्टपुष्ट शख्स था. वह सलमा पर भारी पड़ रहा था. इसी समय दूसरे कमरे से उस का सहयोगी कौशल श्रीवास आ गया. मधुर के धोखे को देख कर सलमा ने आंसू बहाते हुए कहा, “तुम ने तो मेरी जिंदगी बरबाद कर दी. मैं ने तुम पर विश्वास किया था, अब मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल भी नहीं रही.”

यह कह कर के वह जाने लगी तो मधुर साहू ने उस का रास्ता रोक लिया और बोला, “देखो, मेरे सामने नौटंकी मत करो. तुम्हारे कदम मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं.”

मधुर की मंशा को समझ कर सलमा बोली, “तुम्हें मेरे एप्रोच के बारे में मालूम नहीं है, मैं तुम्हें बरबाद कर दूंगी, जेल भिजवा दूंगी. मेरी एक शिकायत पर पुलिस तुम्हें उठा कर ले जाएगी.”

“अच्छा तो फिर तुम पुलिस के पास कभी जा ही नहीं पाओगी.” यह कहते हुए मधुर की आंखों में एक अलग ही चमक आ गई थी. उस ने सलमा का गला दबोच लिया और मारपीट करने के बाद उस की चुनरी से उस का गला दबाता चला गया. पास खड़े कौशल श्रीवास ने चीखतीछटपटाती सलमा के पांव पकड़ लिए थे.

थोड़ी ही देर में सलमा सुलताना वहां मृत पड़ी थी. यह दृश्य मधुर साहू के यहां नौकरानी का काम करने वाली सविता ने देख लिया था. उसे रुपए का लालच और पुलिस का डर दिखा कर के दोनों ने चुप रहने के लिए मना लिया. फिर देर रात मधुर और कौशल अपने एक सहयोगी अतुल शर्मा के साथ कार सीजी12ए वी1615 में सलमा के शव को रूमगढ़ा ले गए और उन्होंने शव को ‘जिमी की बौडी’ कह कर संबोधित करने का कोडवर्ड बना लिया. जिमी मधुर का पालतू डौगी था.

यह सब मधुर साहू ने इसलिए किया ताकि आगे कभी बातचीत मोबाइल पर हो तो कोई इस कोडवर्ड को समझ न सके. वहां खेत में सलमा के शव को ठिकाने लगाने की नाकामी के बाद कोरबा दर्री मुख्य सडक़ पर कोहडिय़ा, भवानी मंदिर के पास सडक़ किनारे गड्ढे में डाल कर ऊपर से मिट्टी डाल कर दफन कर दिया.

इस बीच सलमा के घर वालों ने उस की कोई खोजखबर नहीं ली. सलमा की बिंदास जीवनशैली को देख कर वे मानते रहे कि वह अपने पत्रकारिता के कार्य में व्यस्त है. मगर 20 जनवरी, 2019 को सलमा सुलताना के पिता एम.डी. मानिक का इंतकाल हो गया. पिता के अंतिम संस्कार में सलमा का मौजूद नहीं होना रिश्तेदारों को हैरानपरेशान कर रहा था. और यह चर्चा का सबब बन गया कि आखिर सलमा कहां चली गई है.

इस के बाद घर वालों ने सलाहमशविरा कर के कुसमुंडा थाने में सलमा सुलताना की गुमशुदगी दर्ज कराई. पुलिस ने कुछ लोगों के बयान दर्ज किए और कोई जानकारी नहीं मिलने पर फाइल बंद कर दी.

आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा ने खोली फाइल

घटना को 4 साल से ज्यादा बीत गए. इस दौरान कोरबा में आईपीएस व एसपी (सिटी) राबिन्सन गुडिय़ा आए. उन की नजर सलमा की गुमशुदगी की फाइल पर पड़ी. जब उन्होंने सलमा के फोटोग्राफ पढ़े और लोगों के बयान देखे तो महसूस हुआ कि सलमा के साथ कुछ अनहोनी हो गई है. इस के बाद उन्होंने इस की खोजखबर लेनी शुरू कर दी.

एक दिन खुद आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा कुसमुंडा स्थित सलमा सुलताना के घर जा पंहुचे और घर वालों से बातचीत की. यहां उस के भाई और अन्य लोगों ने जो जानकारी दी, उस के आधार पर उन्होंने जांच को गति दी. रौबिंसन गुडिय़ा को पता चला कि 21 अक्तूबर को सुबह सलमा घर से निकली थी. वह स्कूटी ले कर गई थी, मगर घर में बताया नहीं था.

इसलिए 22 तारीख को जब स्कूटी के चोरी की शंका से रिपोर्ट लिखाने की बात की जाने लगी तो यह खबर जिम संचालक मधुर साहू को हो गई, उस दिन रिपोर्ट लिखवा दी गई कि स्कूटी चोरी चली गई है. मगर दूसरे दिन सविता और कोमल ने आ कर के स्कूटी को वापस रख दिया था. उन्होंने बताया कि सलमा पुणे महाराष्ट्र चली गई है और अब वह वहीं काम करेगी.

 

जी.बी. रोड कोठे में खून

जिस्म के आईने में देखी तिजोरी – भाग 1

दिल्ली सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में नौकरी करने वाली रितु बजाज 25 जून, 2014 को शाम 6-सवा 6 बजे अपने  औफिस से घर पहुंचीं तो उन्हें फ्लैट का बाहरी गेट बंद मिला. घर पर उन के पति तरुण बजाज के अलावा नौकर राहुल रहता था. दरवाजा खुलवाने के लिए उन्होंने कालबैल का बटन दबाया तो फ्लैट के अंदर लगी घंटी बजी. लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला. जबकि रोजाना घंटी बजाने के कुछ देर बाद ही नौकर या पति दरवाजा खोल देते थे.

वह दोबारा घंटी बजा कर दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगीं. कुछ देर बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो वह सोचने लगीं कि शायद दोनों ही सो गए हैं. उन के दरवाजे में जो लौक लगा हुआ था वह आटोमैटिक था यानी दरवाजा बंद होने पर वह स्वत: ही लौक हो जाता था और कमरे के अंदर व बाहर दोनों तरफ से चाबी द्वारा खोला जा सकता था. उस की एक चाबी रितु बजाज के पास भी रहती थी.

2 बार घंटी बजाने के बाद भी जब किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो रितु बजाज ने पर्स से चाबी निकाली और दरवाजा खोल कर कमरे में दाखिल हुईं. घर में घुसते ही बाएं हाथ की ओर उन का बेडरूम था. घर में नौकर दिखाई नहीं दिया तो बेडरूम की ओर नजर दौड़ाई. उन्हें बेड से लटके हुए पति के पैर दिखाई दिए. वह सोचने लगीं कि कितने बेसुध हो कर सो रहे हैं कि घंटी की आवाज तक नहीं सुनाई दी.

इसी बात की शिकायत करने के लिए वह बेडरूम में पहुंचीं तो उन्हें फर्श और दीवारों पर खून के छींटे दिखे.  खून के छींटे और पति के ऊपर बेडशीट पड़ी देख कर उन्हें अजीब लगा. उन्होंने पति के ऊपर से जैसे ही बेडशीट हटाई, उन की चीख निकल गई. पति नग्न अवस्था में थे. उन के पूरे शरीर पर गहरे घाव थे और आतें भी बाहर निकली हुई थीं. पूरा शरीर खून से लथपथ था.

उसी समय उन का घरेलू नौकर राहुल भी आ गया. अपने मालिक की हालत देख कर वह रोने लगा. उसी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर डा. अनुराग पांडे रहते थे. रितु ने राहुल को डा. अनुराग पांडे को बुलाने के लिए भेज दिया. इस बीच रितु बजाज ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के पति की हत्या की सूचना दे दी.

डा. अनुराग पांडे खून से लथपथ तरुण बजाज को देख कर दंग रह गए. उन्होंने तरुण बजाज को चैक कर के बता दिया कि इन की मौत हो चुकी है. डाक्टर के मुंह से यह सुनते ही रितु दहाड़ें मार कर रोने लगीं. उन की रोने की आवाज सुन कर आसपास रहने वाले लोग वहां पहुंच गए.

डा. अनुराग पांडे ने भी 100 नंबर पर फोन कर के तरुण बजाज की हत्या होने की खबर दे दी. यह घटना मध्य दिल्ली में न्यू राजेंद्रनगर के एफ ब्लौक के फ्लैट नंबर 433 में घटी थी. वहां से थाना राजेंद्रनगर तकरीबन 5-6 सौ मीटर की दूरी पर था, इसलिए खबर मिलने के थोड़ी देर बाद ही थाना राजेंद्रनगर के अतिरिक्त थानाप्रभारी विक्रम सिंह राठी एसआई गौतम मलिक और कांस्टेबल रामजी लाल को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

जिस इलाके में यह घटना घटी थी, वह पौश इलाका था. फ्लैट नंबर 433 पार्क के सामने था. तरुण बजाज की हत्या की बात सुन कर फ्लैट के पास सड़क पर सैकड़ों लोग जमा हो गए. पुलिस जब फ्लैट में पहुंची तो लगभग 50 वर्षीय तरुण बजाज की रक्तरंजित लाश देख कर सन्न रह गई.

उस के नग्न शरीर पर गहरे घाव खुद बयां कर रहे थे कि हत्यारों का मकसद उस की हत्या करना था. गरदन और ठोड़ी कटी हुई थी. छाती, कमर, पैर और पेट पर गहरे घाव थे. पेट का घाव तो इतना बड़ा था कि उस से आंतें भी बाहर निकली हुई थीं. उस के पुरुषांग पर भी वार किया गया था.

मृतक की कुछ दिनों पहले ही बाइपास सर्जरी हुई थी, हत्यारों ने सर्जरी की जगह को भी धारदार हथियार से फाड़ दिया था. कमरे का सामान बिखरा हुआ था, अलमारी भी खुली हुई थी. मृतक की पत्नी रितु बजाज का रोरो कर बुरा हाल था. उस समय उन से इस बात की जानकारी नहीं ली जा सकती थी कि घर का क्या-क्या सामान गायब है.

इंसपेक्टर विक्रम सिंह राठी ने पूरे हालात से थानाप्रभारी मनीष जोशी को अवगत कराया. पीसीआर को काल करने पर वैसे तो जिले के समस्त पुलिस अधिकारियों को इस घटना की जानकारी मिल चुकी थी, इस के बावजूद थानाप्रभारी ने एसीपी और डीसीपी कार्यालय में फोन कर के घटना की जानकारी दे कर एसआई बालमुकुंद व एएसआई राजन सिंह के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

मध्य जिला के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार और करोलबाग के एसीपी एस.के. गिरि भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए. समस्त पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. पुलिस को घरेलू नौकर राहुल ने बताया कि वह दोपहर साढ़े 3 बजे आया था तो दरवाजा बंद था.

कई दफा घंटी बजाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो उस ने तरुण बजाज के मोबाइल पर फोन किया. फोन पर घंटी बज रही थी, लेकिन फोन नहीं उठाया तो वह पार्क में जा कर बैठ गया. पार्क में बैठेबैठे भी उस ने तरुण बजाज को कई बार फोन किया, हर बार घंटी बजती रही पर काल रिसीव नहीं हुई.

मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए थानापुलिस ने मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम, सीएफएसएल टीम और अन्य एक्सपर्ट्स को बुला लिया, ताकि वहां से जरूरी सुबूत इकट्ठे किए जा सकें. ड्राइंगरूम में जो टेबल रखी थी, उस पर 3 गिलास रखे थे, जिन में थोड़ा जूस भी था. फ्लैट का निरीक्षण करने पर ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला, जिस से लगे कि हत्यारों ने फ्लैट में जबरदस्ती एंट्री की हो.

टेबल पर रखे गिलासों से यही लगा कि हत्यारे 2 या अधिक रहे होंगे और उन से मृतक के संबंध ठीकठाक रहे होंगे, तभी तो उन्हें बेडरूम में बैठा कर जूस पिलाया गया था.

बहरहाल, हत्यारे कौन थे और उन्होंने बजाज की हत्या क्यों की, यह जांच का विषय था. इस से पहले जांच टीमों ने मौके से खून के सैंपल फिंगरप्रिंट आदि बरामद किए. इस के बाद पुलिस ने लाश का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. साथ ही मृतक की पत्नी रितु बजाज की तरफ से अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए मध्य जिला के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने करोलबाग के एसीपी एस.के. गिरि के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में थाना राजेंद्रनगर के थानाप्रभारी मनीष जोशी, अतिरिक्त थानाप्रभारी विक्रम सिंह राठी, एसआई गौतम मलिक, पवन तोमर, रामनिवास, सतेंद्र, बलवंत, एएसआई राजन सिंह, हेडकांस्टेबल प्रकाश, कांस्टेबल संदीप, जोगिंद्र, संजीव, स्वायम, गुलशन, विनोद, नीरज, बलजीत, नितिन आदि को शामिल किया.

चूंकि घटना एक पौश कालोनी में घटी थी, इसलिए पुलिस अधिकारी चाहते थे कि जल्द से जल्द इस का खुलासा हो. इसीलिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने इस केस की जांच में थाना प्रसादनगर के थानाप्रभारी युद्धविंदर सिंह, चांदनीमहल के थानाप्रभारी अनिल कुमार, हौजकाजी के थानाप्रभारी जरनैल सिंह को भी लगा दिया था. पुलिस टीमें अलगअलग कोणों से केस की जांच में जुट गईं.

पुलिस ने रितु बजाज से बात की तो पता चला कि तरुण बजाज का राजेंद्रनगर इलाके में इमेज केबल नेटवर्क के नाम से कारोबार था. दिल्ली में केबल कारोबार की प्रतिद्वंदिता में अकसर झगड़े होते रहते हैं. कहीं तरुण बजाज भी इसी रंजिश का शिकार तो नहीं हो गए. यही जानने के लिए पुलिस ने इलाके के और भी केबल कारोबारियों से पूछताछ की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

पुलिस ने तरुण के मोबाइल फोन की जब जांच की तो उस में काफी आपत्तिजनक सामग्री मिली. मोबाइल फोन में मिली सामग्री और तरुण की बर्बर तरीके से की गई हत्या से पुलिस को लगा कि हत्या की वजह कहीं कोई महिला तो नहीं है.  इस बिंदु पर पुलिस ने जांच शुरू की. पुलिस ने ऐसी 60 से अधिक महिलाओं से पूछताछ की, जिन्हें पुलिस ने पहले कभी जिस्मफरोशी के धंधे में गिरफ्तार किया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि अब वे धंधा नहीं करतीं.

पुलिस उन्हें दूसरे मकसद से थाने लाई थी. उन से जब पूछताछ की तो कुछ महिलाओं के बारे में जानकारी मिली जो तरुण बजाज के पास जाती थीं. जिन जिन महिलाओं के नाम सामने आते गए, पुलिस उन से पूछताछ करती रही. जिन महिलाओं से पुलिस ने पूछताछ की पुलिस को वे बेकुसूर दिखीं. फिर भी पुलिस ने उन्हें शक के दायरे में रख कर हिदायत दी कि जब तक जांच पूरी न हो, वे दिल्ली से बाहर न जाएं.