फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 1

बात 12 अप्रैल, 2023 की है. उत्तरपूर्वी दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र के महालक्ष्मी विहार में 12 अप्रैल की सुबह उस वक्त होहल्ला मच गया, जब मकान नंबर बी-85 के बाहर दरवाजे पर एक युवती की लाश किसी ने पड़ी देख कर शोर मचाया. देखते ही देखते अड़ोसपड़ोस ही नहीं, दूसरी गलियों के लोग भी उस मकान के आगे आ कर लाश देखने के लिए जमा होने लगे. युवती के शरीर पर सलवारसूट था. उस की उम्र 30 साल के करीब लग रही थी. चेहरे मोहरे से वह मध्यम परिवार की दिखाई देती थी.

किसी ने इस लाश की सूचना फोन द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. करीब 20-25 मिनट में ही करावल नगर थाने के एसएचओ नफे सिंह 2-3 पुलिसकर्मियों को ले कर वहां आ गए. पुलिस ने पहले वहां एकत्र भीड़ को दूर हटाया, फिर युवती की लाश का निरीक्षण किया गया. युवती के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट अथवा जख्म के निशान नहीं थे, एसएचओ नफे सिंह की पैनी निगाहों ने युवती के गले पर लाल निशान देखे तो तुरंत अनुमान लगा लिया कि युवती को गला घोंट कर मारा गया है.

सब से पहले युवती की शिनाख्त का प्रश्न था. अभी तक वहां जमा लोगों में से किसी ने भी मृतका की पहचान नहीं की थी. इस से यही लगा कि यह युवती इस क्षेत्र की नहीं है. उन्होंने इस लाश की सूचना मोबाइल फोन द्वारा नार्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी जौय टिर्की को दे दी. उन से सलाहमशविरा करने के बाद उन्होंने फोटोग्राफर और फोरैंसिक टीम को मौके पर बुला लिया. उन के आ जाने पर दूसरी आवश्यक कागजी काररवाई पूरी कर के लाश को जीटीबी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

15 अप्रैल, 2023 को इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार ने वादी बन कर अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा दी. उसी दिन उस युवती की लाश का पोस्टमार्टम करवाया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि युवती की हत्या गला दबा कर की गई है. युवती शादीशुदा होगी, इस बात के कोई सुहाग चिह्न युवती के जिस्म पर नहीं थे, इस से यह अनुमान लगाया गया कि युवती कुंवारी थी और किसी साथ प्रेम संबंध में फंस कर उस ने अपनी अस्मत ही नहीं खोई थी, खुद भी दुनिया से विदा कर दी गई.

‘युवती कौन थी,’ सब से पहले यह पता लगाना जरूरी था.

मृतका की शिनाख्त कराने की हुई कोशिश

डीसीपी डा. जौय टिर्की ने युवती की शिनाख्त और उस के हत्यारे का पता लगाने के लिए एक पुलिस टीम एसीपी संजय सिंह (खजूरी खास) के नेतृत्व में गठित कर दी. इस टीम में करावल नगर थाने के एसएचओ नफे सिंह, इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार, एसआई मनदीप कुकाना, एएसआई माथी, हैडकांस्टेबल मनीष यादव, अमरीश, कांस्टेबल शुभम, निखिल को शामिल किया गया.

युवती की पहचान के लिए दिल्ली के सभी थानों में लाश की फोटो भेज कर यह मालूम करने की कोशिश की गई कि इस युवती की गुमशुदगी उन के यहां दर्ज तो नहीं है, यदि है तो वह थाना करावल नगर में इस की इत्तला दें. लेकिन 2-3 दिन बीत जाने के बाद भी किसी भी थाने में सूचना नहीं मिली तो युवती के पैंफ्लेट छपवा कर करावल नगर और आसपास के इलाकों में चिपकाए गए.

इस से भी बात नहीं बनी तो अखबारों में मृतका की फोटो छपवा दी गई और उस को पहचानने वाले को उचित ईनाम देने की घोषण कर दी गई, लेकिन इस से भी पुलिस को युवती के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. फिर 4-5 दिन बाद पुलिस ने युवती के शव का अंतिम संस्कार करवा दिया.

एक बार पूरी टीम उच्चाधिकारियों के साथ सिर जोड़ कर मंत्रणा के लिए बैठी. सभी से इस केस में आगे बढऩे के लिए उन के सुझाव पूछे गए.

इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार ने अंधेरे में भटकती पुलिस टीम के सामने अपना सुझाव रखते हुए कहा, “सर, यदि हम सीसीटीवी का सहारा लें तो हमें सफलता मिलने की संभावना है. मेरा मानना है कि जहां युवती की लाश मिली है, हमें वहां के सीसीटीवी को खोजना होगा. यदि वहां सीसीटीवी मिला तो काफी हद तक हम हत्यारों का सुराग पा सकते हैं.”

“शाबाश, मिस्टर राजेंद्र कुमार, आप ने बहुत अच्छा सुझाव दिया है, निस्संदेह वहां सीसीटीवी होंगे. उन में अपराधी द्वारा लाश उस मकान के बाहर डालने का एक भी फोटो यदि मिलता है तो हमें आगे बढऩे की राह मिल जाएगी.” डीसीपी जौय टिर्की राजेंद्र कुमार की पीठ थपथपा कर बोले, “आप सभी लोग इस बात पर अमल करिए.”

पुलिस टीम उसी वक्त थाने से निकल कर महालक्ष्मी विहार के मकान नंबर बी-85 के सामने पहुंच गई. उस युवती की लाश वहीं पाई गई थी. पुलिस वालों की खोजी नजरें वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों को तलाशने लगीं. उस जगह पर तो नहीं, सामने सडक़ पर उन्हें सीसीटीवी कैमरा एक पोल पर लगा दिखलाई दे गया.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

तुरंत उस की फुटेज निकलवा कर कंट्रोल रूम में चैक की गई तो पुलिस टीम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उस सडक़ पर उन्हें एक बाइक पर 3 लोग बैठ कर गली की ओर जाते नजर आ गए. उन तीनों में एक बाइक चला रहा युवक था, दूसरा पीछे बैठा युवक दिखलाई दे रहा था. दोनों के बीच में एक युवती बैठी थी. जूम कर के देखने पर यह स्पष्ट हो गया कि युवती की आंखें बंद हैं यानी वह मुरदा हालत में है, जिसे पीछे बैठे युवक ने थाम रखा है.

यह युवती वही थी, जिस की लाश पुलिस को बी-85 घर के बाहर मिली थी. फुटेज में दोनों युवकों के चेहरे ज्यादा स्पष्ट नहीं थे. कुछ दूरी पर एक सीसीटीवी और नजर आया. उस की फुटेज देखी गई तो वे दोनों युवक बीच में मृत युवती को बाइक पर बिठा कर महालक्ष्मी विहार की तरफ आते नजर आए.

पुलिस टीम ने युवती और उन युवकों का पताठिकाना जानने के लिए सीसीटीवी को आधार बनाया. रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालती हुई पुलिस टीम आखिर में शाहदरा के तेलीवाड़ा क्षेत्र तक पहुंच गई. यहां से आगे के पोल पर भी सीसीटीवी थे लेकिन उन में इन युवकों की तसवीर नहीं थी.

प्यार का जूनून – भाग 1

पप्पू छोटे भाई उदयभान को ले कर काफी परेशान था. वह पिछली रात घर से निकला था. रात तो  बीती ही, अब दिन बीत भी रहा था और उस का कुछ अतापता नहीं था. उस का फोन भी बंद था.

पप्पू उत्तर प्रदेश के आगरा के थाना पिनाहट के नजदीकी गांव गुरावली का रहने वाला था. उस के परिवार में पिता के अलावा वही एक छोटा भाई उदयभान था, जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता था. पिछली रात 7, साढ़े 7 बजे घर का कुछ सामान लेने के लिए वह पिनाहट बाजार गया था. सवा 8 बजे उस ने फोन कर के बताया था कि वह बाजार पहुंच गया है. उसे वहां से लौटने में घंटे, डेढ़ घंटे लग जाएंगे. यानी उसे 9, साढ़े 9 बजे तक लौट आना चाहिए था.

लेकिन रात के साढ़े 10 बज गए और वह नहीं लौटा. तब पप्पू ने उसे फोन किया. पता चला उस का फोन बंद है. हालांकि गर्मियों के दिन थे, इसलिए उतनी रात भी डर की कोई बात नहीं थी. लेकिन उदयभान के फोन ने स्विच औफ बताया तो पप्पू थोड़ा परेशान हुआ. उस ने बीसों बार फोन लगा डाला, हर बार उस का फोन स्विच औफ बताता रहा.

उदयभान का फोन बंद होने से पप्पू परेशान हो उठा. उस का फोन बंद क्यों हो गया, पप्पू की समझ में नहीं आ रहा था. उदयभान मोबाइल फोन का मैकेनिक था. उस के मोबाइल की बैटरी हमेशा फुल रहती थी. जब पप्पू की समझ में कुछ नहीं आया तो उस ने क्वार्टर निकाला और छत पर जा कर बिना पानी मिलाए ही पूरी शीशी खाली कर दी. इस के बाद वह कब का सो गया, उसे पता ही नहीं चला.

सुबह उस की आंखें खुलीं तो लगभग 8 बज रहे थे. नीचे आ कर वह सीधे उदयभान के कमरे में गया. कमरा खाली पड़ा था. इस का मतलब उदयभान अभी तक लौट कर नहीं आया था. पप्पू को भाई की इस हरकत पर गुस्सा भी आ रहा था, साथ ही किसी अनहोनी का भय भी सता रहा था. उस ने तुरंत उदयभान को फोन किया. उसे निराशा ही हुई, क्योंकि उदयभान का मोबाइल अभी भी बंद था. उस ने उस के बारे में अपने पिता से पूछा तो उस ने भी वही बताया, जो उसे पता था.

पप्पू उदयभान को ढूंढने लगा. जहांजहां वह मिल सकता था, वहांवहां गया. उस के यारों दोस्तों से पूछा. लेकिन कहीं से उस के बारे में कुछ नहीं पता चला. जब पप्पू को लगा कि उदयभान का अब पता नहीं चलेगा तो दिन ढले उस का एक फोटो ले कर वह थाना पिनाहट जा पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को अपनी परेशानी बताई तो उन्होेंने तुरंत थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन मिला दिया.

इस की वजह यह थी कि उसी दिन सुबह थाना बसई अरेला पुलिस ने रेलवे लाइन के पास बसे गांव सड़क का पुरा के हनुमान मंदिर के पास बने कुएं से सूचना के आधार पर एक युवक की लाश बरामद की थी.

लाश 20-25 साल के हृष्टपुष्ट युवक की थी, जिसे पहले मारापीटा गया था. उस के बाद उस की हत्या कर के लाश कुएं में फेंक दी गई थी. मामला हत्या का था, इसलिए थाना पुलिस ने यह सूचना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाषचंद दुबे, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के.पी. यादव तथा क्षेत्राधिकारी को भी दे दी थी.

थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की शिनाख्त कराने की भी कोशिश की थी. लेकिन काफी प्रयास के बाद भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी. तब उन्होंने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. इस के बाद थाने आ कर वायरलेस द्वारा अपने थानाक्षेत्र में लाश बरामद होने का संदेश जिले के सभी थानों को दे दिया था.

यही वजह थी कि जब पप्पू थाना पिनाहट उदयभान की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंचा तो थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन किया. यह 29 जुलाई, 2013 की बात है.

थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की जो हुलिया बताई, वह उदयभान से पूरी तरह मेल खा रही थी. इसलिए पप्पू सीधे थाना बसई अरेला जा पहुंचा. थानाप्रभारी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा चुके थे. लाश का सामान उन के पास था. चेक की शर्ट, काली पैंट और जूते देख कर पप्पू रोने लगा. फिर भी थानाप्रभारी उसे लाश दिखा कर संतोष कर लेना चाहते थे. अस्पताल भेज कर पप्पू को लाश दिखाई गई. वह उदयभान की ही लाश थी. लाश देख कर पप्पू को गश आ गया. पुलिस वालों ने उसे संभाला.

मृतक की शिनाख्त हो चुकी थी. शव के निरीक्षण के दौरान उस का बायां पैर टूटा हुआ पाया गया था. थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने जब पप्पू से इस बारे में पूछा तो उस ने बताया कि जब वह घर से निकला था, एकदम सहीसलामत था. थानाप्रभारी समझ गए कि हत्यारों ने ही किसी भारी चीज से उस का पैर तोड़ा होगा.

पुलिस ने पप्पू से तहरीर ले कर गांव के ही राममूर्ति और उस के भाइयों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी ने नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने की वजह जाननी चाही तो पप्पू ने कहा, ‘‘साहब, कुछ सालों पहले राममूर्ति की बेटी सुमन और मेरे भाई उदयभान के बीच प्रेमसंबंध था. बात खुली तो राममूर्ति ने बेटी का विवाह कर दिया, लेकिन दोनों परिवारों की दुश्मनी खत्म नहीं हुई.’’

पप्पू का शक थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को वाजिब लगा. कहीं बेटी और अपनी बदनामी की वजह से उन्हीं लोगों ने उदयभान को खत्म न कर दिया हो. पप्पू की बात पर विश्वास करने की एक वजह और थी. दरअसल जिस तरह बेरहमी से उदयभान को मारा गया था, साफ था कि उसे मारने वाला उस से गहरी नफरत करता रहा होगा. इस तरह की नफरत वही कर सकता है, जिस आदमी को उस से गहरी ठेस पहुंची हो.

अगर उदयभान ने राममूर्ति की बेटी के दामन पर दाग लगाया है तो निश्चित ही राममूर्ति उस से ऐसी ही नफरत करता रहा होगा. उन्होंने हत्यारों तक पहुंचने के लिए सबइंस्पेक्टर नंदकिशोर, सिपाही रंजीत, ओमवीर, अशोक, किताब सिंह, नरेश कुमार और धर्म सिंह की एक टीम बना कर हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए लगा दिया.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 1

सलमा सुलताना जब मधुर साहू के अमरैया पारा, कोरबा स्थित जिम पहुंची तो वह किसी दूसरे कमरे में कुछ कर रहा था. उस के एक कर्मचारी ने आ कर जब उसे बताया कि एक पत्रकार सिटी न्यूज चैनल से आप का इंटरव्यू लेने आई है तो मधुर साहू ने कुछ सोचते हुए कहा, “उसे मेरे चैंबर में बैठाओ, मैं अभी आता हूं.”

थोड़ी देर में जब वह केबिन में पहुंचा तो एक तीखे नाकनक्श की आकर्षक युवती को अपने चैंबर में देखा तो देखता ही रह गया. उस के मुंह से शब्द ही नहीं फूट रहे थे. मधुर उस की सुंदरता पर उसी समय मर मिटा था. मधुर को सामने खड़ा देख सलमा सुलताना ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और प्रोफेशनल तरीके से मुसकराते हुए कहा, “मैं सिटी न्यूज चैनल से आई हूं. आप से मिलने…”

यह सुनते ही मधुर ने मुसकराते हुए कहा, “आप का बहुत बहुत स्वागत है, बताइए आप की क्या सेवा कर सकता हूं.”

सलमा ने एक रहस्यमय मुसकराहट बिखेरते हुए कहा, “दरअसल, हमारे केबल चैनल में एक नया विशेष शो शुरू किया जा रहा है, मैं उसी सिलसिले में आप का इंटरव्यू लेने के लिए आई हूं.”

यह सुन कर मधुर बहुत खुश हुआ. इस से पहले कभी भी उस का कोई इंटरव्यू किसी चैनल पर नहीं आया था. उस ने अपनी कुरसी पर बैठ कर सलमा सुलताना की ओर देखते हुए कहा, “आप का शुभ नाम जान सकता हूं, प्लीज?”

सलमा सुलताना बोली, “जी, मैं सलमा सुलताना हूं. हमारे चैनल हैड के पास आप के जिम की खूब तारीफ पहुंच रही है, इसीलिए मैं आप के यहां इंटरव्यू के लिए आई हूं.”

“मेरा इंटरव्यू. मैं कोई विशेष तो नहीं हूं और आज से पहले कभी कोई पत्रकार मुझ से मिलने भी नहीं आया है. खैर, आप आई हैं तो आप का स्वागत है.”

सलमा सुलताना बला की खूबसूरत थी. उस की सुंदरता का जलवा कुछ ऐसा था कि मधुर साहू मुश्किल से कुछ कह पा रहा था.

“कुछ नहीं, आप को बस अपने काम के बारे में अच्छे से बताना है ताकि हमारे दर्शक आप के जिम की गतिविधियों को देख कर के अपने स्वास्थ्य के प्रति और जागरूक हो जाएं.” सलमा सुलताना ने सहज रूप से समझाया.

“अच्छी बात है. आप सवाल पूछिए मैं जवाब देने का प्रयास करूंगा.” मधुर साहू ने सलमा की आंखों में देखते हुए बमुश्किल कहा.

इस के बाद सलमा ने कैमरे पर मधुर साहू का एक अच्छा सा इंटरव्यू ले लिया. मधुर साहू ने भरसक प्रयास किया कि सलमा को अच्छे से जवाब दे दे और उसे प्रभावित कर दे, क्योंकि उसे देखने के बाद उसे कुछ ऐसा महसूस हुआ मानो सलमा सुलताना के सामने और जितनी भी उस की गर्लफ्रैंड हैं, सभी फेल हैं.

सलमा जैसी बला की खूबसूरत कमसिन लडक़ी उस ने आज तक नहीं देखी थी. उसे ऐसा लगा कि ऊपर वाले ने मानो सलमा को सिर्फ उसी के लिए ही बनाया और आज खुद उस के पास इंटरव्यू के लिए भेज दिया है.

इंटरव्यू के बाद सलमा उस से विदा लेने लगी तो मधुर साहू ने कहा, “मैडम, आप सौभाग्य से पहली दफा मेरे यहां आई हैं. आप कुछ चायनाश्ता कर के ही जाएं.”

लाख मना करने के बाद भी मधुर ने नाश्ता और उस के लिए कोल्डड्रिंक मंगवा ली. इस दौरान उन के बीच इधरउधर की बातें होती रहीं.

जब मधुर साहू का साक्षात्कार स्थानीय चैनल पर प्रसारित हुआ तो उसे देख कर उस की खुशी का ठिकाना नहीं था. सब से बड़ी बात यह हुई कि कई दिनों तक लोग उस के साक्षात्कार का जिक्र करते रहे, लोग उस की और उस के गंगा श्री जिम की बड़ी प्रशंसा करते रहे थे. चैनल पर उस के इंटरव्यू के प्रसारण के बाद शहर में उस की वैल्यू और काम अचानक बढ़ गया.

यह देख कर उस ने पत्रकार सलमा सुलताना को एक दिन काल किया और कहा, “मैडम, आप ने तो कमाल कर दिया, मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया.”

यह सुन कर के सलमा उस की भावना को तुरंत भांप गई. मगर अनजान बनते हुए बोली, “अरे भला क्या हो गया! कुछ गलती हो गई क्या मुझ से.”

“कैसी बात कर रही हैं, आप मेरा मजाक बना रही हैं क्या. अरे भाई, मैं तो आप का शुक्रगुजार हूं, जो आप ने एक ही इंटरव्यू ले कर के मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया, लोकप्रिय बना दिया है मुझे.”

सलमा सुलताना यही तो सुनना चाहती थी. वह खिलखिला कर हंसती हुई बोली, “मेरा चैनल ऐसा ही है जिस की रिपोर्टिंग कर दे, वह हीरो बन जाता है.”

“मगर मेरा खयाल कुछ और है. सच तो यह है कि आप जिस का भी इंटरव्यू लेंगी, वह दुनिया भर में छा जाएगा.” मधुर साहू ने सलमा की प्रशंसा करते हुए आगे कहा, “सलमा, आप का शुक्रिया. मगर मैं आप से कुछ आग्रह करना चाहता हूं, अगर आप बुरा न मानें तो…” कुछ रहस्यमय भाव से मधुर साहू ने अब अपना जाल फेंका.

“कहिए, मैं आप की और क्या खिदमत कर सकती हूं.”

“आप बुरा न मानें तो मुझे शाम को समय दे दीजिए, मैं कुछ…” सुलताना भी मधुर के बात व्यवहार से प्रभावित हो चुकी थी. वह सहसा शाम को कौफी हाउस में मिलने के लिए तैयार हो गई.

मधुर साहू के प्यार में डूब चुकी थी सलमा

छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी कोरबा अपने विशाल कल कारखानों, कोयला खदानों, भारत अल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड वेदांता और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन देश की नवरत्न कंपनी जिस के विद्युत उत्पादन से महाराष्ट्र, गोवा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान जगमगाते हैं, के कारण एशिया भर में प्रसिद्ध है. कोरबा को लघु भारत भी कहा जाता है, जहां केरल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, असम, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे अनेक राज्यों से लोग आ कर के अपनीअपनी भूमिका निभाते हुए विभिन्न कंपनियों में कार्यरत हैं और जीवनयापन कर रहे हैं.

यहां कुसमुंडा कोयला खदान में असम से आ कर 4 दशक से ड्राइवर के रूप में नौकरी करते हुए एम. डी. मानिक सेवानिवृत्त हो चुके थे. उन की 2 बेटियों के अलावा एक बेटा सुलेमान है. बड़ी बेटी शबनम का विवाह ओडिशा में हो गया था. उन की छोटी बेटी सलमा सुलताना बचपन से ही पढ़ाईलिखाई में आगे रहती थी. पढ़ाई के बाद मन में कुछ बनने की उमंग के साथ सलमा एक स्थानीय न्यूज चैनल में एंकर बन गई और धीरेधीरे अपनी पहचान बना रही थी.

इसी दरमियान उस की पहचान मधुर साहू जिम संचालक से हुई और दोनों देखते ही देखते दोनों एकदूसरे के आकर्षण में बंधते चले गए. सलमा एक भोलीभाली सरल स्वभाव की युवती थी. मधुर साहू के दिखावे और चिकनीचुपड़ी बातों से वह प्रभावित होती चली गई. धीरेधीरे वह घर वालों से काम की व्यस्तता बता कर के मधुर साहू के साथ लिवइन रिलेशन में कोरबा के शिवजी नगर में रहने लगी.

घर वाले जब पूछते तो वह कहती मैं सहेली की यहां रह रही हूं. सलमा सुलताना मधुर साहू को दिलोजान से चाहती थी. इतना ही नहीं, दोनों ने शादी करने का फैसला तक कर लिया था, लेकिन सलमा जब उस से जल्द शादी करने को कहती तो मधुर बहाना बना कर टाल जाता था और आगे चल कर सलमा सुलताना के जीवन में कुछ ऐसा घटनाक्रम घटित हो गया, जिस की कल्पना नहीं की जा सकती.

औरेया के बलात्कारी को फांसी की सजा

उत्तर प्रदेश के जनपद औरेया के जिला जज (पोक्सो) की कोर्ट में उस दिन सुबह के 10 बजतेबजते लोगों का विशाल हुजूम इकट्ठा हो गया था. वह दिन था बुधवार और उस दिन तारीख थी 22 जून, 2023. उस दिन वहां पर वकीलों, आम नागरिकों एवं पत्रकारों की काफी भीड़ जमा हो चुकी थी.

भरी अदालत में सब की जुबान पर एक ही चर्चा थी कि देखो अब 8 वर्षीय गौरी के रेप और हत्या के मामले में आज क्या अंतिम फैसला होता है. अभियोजन पक्ष के वकील और पैरोकारों को अपनी काबीलियत पर पूरापूरा भूरोसा था कि अभियुक्त गौतम दोहरे को इस मामले में आज अवश्य कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.

अभियुक्त की ओर से कोई वकील नहीं था. किसी भी वकील ने इस केस को लडऩे ही सहमति नहीं जताई थी, इसलिए अभियुक्त गौतम दोहरे को एक सरकारी वकील उपलब्ध कराया गया था, जिसे यह पता भी था कि वह चाहे कितने सबूत जुटा लें, कितनी जिरह कर लें, पर उन के मुवक्किल को अब कोई भी नहीं बचा सकता.

तकरीबन 10 बजे जिला जज (पोक्सो) मनराज सिंह अपने चैंबर से निकल कर अदालत में दाखिल हुए. उन के अदालत में प्रवेश करते ही उन के सम्मान में वहां उपस्थित लोग अपने स्थानों पर खड़े हो गए. जज महोदय के अपनी कुरसी पर बैठने के बाद पूरी अदालत में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था. पेशकार ने जज महोदय के सामने केस की फाइल रखी.

जज का आदेश पाते हो सरकारी वकील हरिशंकर शर्मा ने अपनी आखिरी दलील पेश करते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं आप की अदालत में अब तक 13 गवाहों को पेश कर चुका हूं. जिन सभी के बयानों से साफ जाहिर है कि अभियुक्त गौतम दोहरे द्वारा पहले मासूम गौरी का रेप किया गया और उस के बाद उस की हत्या की गई. मैं माननीय अदालत से अभियुक्त गौतम दोहरे के लिए फांसी की मांग करता हूं.”

हालांकि अभियुक्त गौतम दोहरे ने अपने लिए कोई वकील नियुक्त नहीं किया था, फिर भी अभियुक्त के लिए न्यायालय की ओर से एक सरकारी वकील नियुक्त किया गया था.

अभियुक्त की ओर से नियुक्त सरकारी वकील ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा, “मी लार्ड, मेरे मुवक्किल पर अभी तक जो भी इल्जामात लगाए गए हैं, वे मेरे मुवक्किल को फांसी दिए जाने के लिए नाकाफी हैं, इसलिए मैं माननीय न्यायालय से अपने मुवक्किल के लिए फांसी की मांग निरस्त कर आजीवन कारावास दिए जाने की मांग करता हूं.”

वकीलों की जिरह रही दिलचस्प

जज साहब ने अब एडवोकेट हरिशंकर शर्मा की ओर देखा और कहा, “हरिशंकर शर्मा जी, आप के पास अब अन्य गवाह हैं तो उन्हें बुलाइए.”

तभी वकील हरिशंकर शर्मा ने अदालत से कहा, “मी लार्ड, मेरे पास अब ऐसा गवाह है, जो इस केस का 14वां गवाह है. इस ने मुलजिम गौतम दोहरे को अपने कंधे पर एक बोरी को ले जाते हुए देखा था. घटना के खुलासे के बाद घटनास्थल से वही बोरी पुलिस ने बरामद की थी. मुलजिम गौतम दोहरे को कंधे पर बोरी ले जाने की बात गवाह ने कोर्ट में बता दी.

“मी लार्ड, इस जघन्य वारदात में 82 दिन में 43 बार न्यायालय की तारीख लगी. हर तारीख में आरोपी को कोर्ट के सामने लाया गया, जहां पर अभियुक्त हमेशा माननीय न्यायाधीश के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा रहता था. माननीय न्यायाधीश के कुछ भी पूछने पर आरोपी कुछ भी बोलने से मना कर देता था.”

इस के बाद न्यायालय में सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्र, विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र तोमर, विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) मृदुल मिश्र व वादी के अधिवक्ता हरिशंकर शर्मा ने कहा, “मी लार्ड, निर्भया केस के बाद कठुवा गैंगरेप और मर्डर का मामला सामने आया था. इस मामले में 12 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी के साथ दरिंदगी की गई थी.

“सरकार ने इस के बाद फिर कानूनी बदलाव किए, जिस में 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया. यहां पर तो आरोपी ने निर्मम तरीके से रेप करने के बाद उस की जघन्य हत्या भी की है.

मी लार्ड, इस जघन्य कृत्य में पुलिस ने कई व्यक्तियों से पूछताछ की और साक्ष्य संकलन व छानबीन के बाद 14 घंटे में घटना का खुलासा करते हुए आरोपी गौतम सिंह दोहरे को गिरफ्तार कर उस से कई घंटों तक कड़ी पूछताछ की, जिस में आरोपी ने सब कुछ उगल दिया.

“मी लार्ड, आरोपी ने शराब पी रखी थी तथा बिसकुट दिलाने का लालच दे कर वह नाबालिग बच्ची को अपने साथ ले गया था और उस के साथ दुष्कर्म कर उस का मुंह दबा कर निर्मम हत्या कर दी थी.

“मी लार्ड, जो बिसकुट का पैकेट दे कर आरोपी बच्ची को ले गया था, उस पैकेट पर आरोपी की अंगुलियों के निशान मैच हुए थे. इसलिए अदालत से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि मासूम 8 वर्षीय बच्ची के क्रूर हत्यारे गौतम दोहरे को फांसी की सजा दी जाए.”

औरेया की जिला कोर्ट (पोक्सो) के जज मनराज सिंह ने आरोपी गौतम दोहरे को सुनाई फांसी की सजा

दोनों पक्षों की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब इस जघन्य कृत्य के फैसले का समय आ गया था. कोर्ट में मौजूद सभी लोगों की नजरें अब जज मनराज सिंह के फैसले पर टिकी हुई थीं.

मजिस्ट्रेट ने जब बोलना शुरू किया तो पूरे अदालत परिसर में एक रहस्यमयी सन्नाटा पसर गया था. मजिस्ट्रेट मनराज सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों, वकीलों की दलीलों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि आरोपी गौतम दोहरे ने जो जघन्य अपराध किया है, इस की क्रूरता से किसी का भी दिल दहल सकता है.

“मासूम बच्ची गौरी के शरीर में जितनी चोटें बाहर थीं, उतनी ही अंदर भी थीं. यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा था कि इस मासूम बच्ची के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाया गया है कि नहीं, क्योंकि उस मासूम के प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे. इस क्रूर हत्यारे ने मासूम बच्ची को मारा भी बहुत बेरहमी से था.

“बच्ची अधमरी तो हैवानियत के समय ही हो गई थी. उस के बाद आरोपी ने उस का गला भी बड़ी बेरहमी से दबाया, जिस के कारण उस मासूम नाबालिग की मौत हो गई, लेकिन आरोपी यहीं नहीं रुका. मासूम बच्ची के सिर पर भी चोट के निशान मिले थे, जिस को देख कर ऐसा लग रहा है कि उस को जमीन पर पटका भी गया था. इस के साथ ही बच्ची की रीढ़ की हड्डी भी डैमेज थी.

मैं यह आदेश देता हूं कि दोषी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उस की मौत न हो जाए. पुरुषों की उत्पत्ति महिलाओं से होती है, दोषी का कृत्य पशुओं से ज्यादा निंदनीय है.”

जज ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए आगे कहा, “लड़कियां अगर खुले में नहीं घूम सकतीं तो फिर उन के लिए कौन सा स्थान है. भारतीय संस्कृति में लड़कियों को नई शक्ति के सृजन की सशक्त नारी बताया गया है, लेकिन इस अपराधी ने उस 8 वर्षीय मासूम बच्ची का जीवन बचपन में ही खत्म कर दिया.”

यह फैसला सुनने के बाद वहां मौजूद लोगों ने जज के फैसले की सराहना की. यह पूरा मामला क्या था, इस के लिए हमें इस केस के अतीत में जाना होगा.

यह सनसनीखेज मामला उत्तर प्रदेश के औरेया जिला के गांव महमूदपुर थाना अयाना क्षेत्र का था. यहां पर 24 मार्च, 2023 की शाम करीब साढ़े 5 बजे एक 8 साल की मासूस बच्ची गौरी लापता हो गई थी. गौरी अपने खेत पर पशुओं को चराने गई थी, लेकिन देर शाम तक जब बच्ची घर नहीं लौटी तो उस के घर वालों को चिंता हुई. रोतेबिलखते घर वाले मासूम को रात भर इधर से उधर तलाशते रहे. इस के बाद 25 मार्च को थाना अयाना में मासूम की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी गई.

इस के बाद थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एसपी औरेया चारू निगम के निर्देश पर बच्ची को तलाशने का अभियान शुरू किया. सीसीटीवी फुटेज, लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने 25 मार्च, 2023 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे घर से 600 मीटर दूरी पर गेहूं के खेत के पास गड्ढे में मासूम बच्ची का शव बरामद किया.

शव की प्रारंभिक जांच में मासूम के साथ दुष्कर्म कर उस की हत्या की संभावना दिखाई दी. पुलिस ने इस मामले में गांव के लोगों से पूछताछ की. गांव के बारातघर में लगे सीसीटीवी खंगाले गए, जिस में 5 लोग संदिग्ध दिखाई दिए. सभी को हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की गई तो उन में से गौतम सिंह दोहरे ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस केस में विशेष बात यह रही कि पुलिस ने मात्र 14 घंटे की जांच के बाद आरोपी को गिफ्तार कर लिया था.

शराब के नशे में रेप कर के मार डाला

पुलिस पूछताछ में आरोपी गौतम सिंह दोहरे ने कुबूला कि 24 मार्च, 2023 शुक्रवार को वह नहरिया में बैठ कर शराब पी रहा था. इस बीच उस का बिसकुट खाने का मन हुआ तो वह बिसकुट खरीदने पास की दुकान पर चला गया.

दुकान से बिसकुट खरीद कर वह नहरिया पर वापस आ रहा था, तभी उसे अपने सामने गौरी मिल गई. उसे देख कर उस का मन मचल गया. बच्ची को बिसकुट खिलाने का लालच दे कर वह उसे गन्ने के खेत में ले गया. पहले उस ने बच्ची के साथ निर्ममता से रेप किया. किसी को इस घटना का पता न चल सके, इसलिए उस ने फिर बच्ची का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

आरोपी ने आगे बताया कि अगली सुबह जब वह उठा तो वह उस स्थान पर गया, जहां उस ने बच्ची का गला दबाया था. उस ने वहां पर देखा कि बच्ची मर चुकी थी. उस के बाद उस ने बच्ची के शव को गन्ने के खेत से हटा कर एक गड्ढे में दफना दिया.

दरोगा का पिस्टल छीन कर पुलिस पर की थी फायरिंग

26 मार्च, 2023 रविवार के दिन देर रात जिला अस्पताल से लौटते समय आरोपी गौतम दोहरे ने दरोगा का पिस्टल छीन लिया और पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर दी. जब आरोपी आपे से बाहर हो गया तो पुलिस को उस पर जबाबी फायरिंग करनी पड़ी. जबाबी फायरिंग में उस के पैर पर गोली लगी और वह घायल हो गया. इस के बाद पुलिस टीम उसे इलाज के लिए सीएचसी अयाना लाई और वहां पर उसे भरती कराया गया. पुलिस ने सोमवार 27 मार्च, 2023 को आरोपी की कोर्ट में पेशी कराई.

एक ओर 27 मार्च, 2023 को पुलिस द्वारा कोर्ट में पेशी कराई गई तो दूसरी तरफ 27 मार्च को मासूम बच्ची की पोस्टर्माटम रिपोर्ट भी आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्रूर हत्यारे की दरिंदगी की पूरी कहानी सामने आ गई. बच्ची के प्राइवेट पार्ट बुरी तरह से क्षतविक्षत थे. उस के सारे शरीर को नाखूनों से नोचाखसोटा गया था. चेहरे और गले पर भी चोट के निशान मिले थे.

बच्ची के पूरे शरीर पर कोई भी ऐसी जगह नहीं थी, जहां दरिंदगी के निशान न पाए गए हों. क्रूर हत्यारे ने बच्ची का मुंह और हाथ इतनी जोर से दबाया था कि वो काले पड़ चुके थे. बच्ची का खून जम गया था, जिस के कारण उस की नसें ब्लौक गई थीं. सीने और पेट पर खरोंचों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे.

पीछे कमर के पास हाथ से कस कर दबाने के निशान थे. कमर के ऊपरी हिस्से पर किसी चीज के मारने के निशान थे. देख कर ऐसा लग रहा था कि आरोपी ने बच्ची को किसी भारी पत्थर से मारा होगा.

कोर्ट के फैसले पर पिता संतुष्ट

मासूम बच्ची के पिता शिवेंद्र सिंह दोहरे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एक पिता के लिए इस से अच्छी बात भला क्या हो सकती है, मुझे 82 दिन में न्याय मिल गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अच्छा फैसला सुनाया है, इस तरह के क्रूरतम कृत्य करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए. मुजरिम को अब जल्द से जल्द फांसी मिलनी चाहिए, तभी मेरी बेटी को न्याय मिल पाएगा.

महिला अपराधों में 3 वकीलों की रही विशेष भूमिका

उत्तर प्रदेश के औरेया में महिला अपराधों पर लगातार अपराधियों को सजा मिल रही है. इन मामलों में सब से अहम डीजीसी (जिला शासकीय अधिवक्ता) अभिषेक शर्मा एडवोकेट की बेहतर पैरवी मानी जा रही है. इस के साथ ही पोक्सो के मामलों में डीजीसी के सहयोगी वकील जितेंद्र तोमर व मृदुल सिन्हा की संयुक्त तिकड़ी बीते 4 माह में 2 दुष्कर्मियों को मौत की सजा करवा चुके हैं. साल भर में महिला संबंधी अपराधों में कुल 78 दोषियों को सजा सुनाई गई, जिस में 2 को फांसी व 15 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

जैसे ही जिला जज ने गौतम दोहरे को सजा सुनाई, वहां मौजूद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. फिर मुजरिम गौतम दोहरे को पुलिस ने जेल पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों व मृतक के परिजनों पर आधारित है. कथा में गौरी नाम काल्पनिक है.

ठग तांत्रिक फंसा पुलिस के जाल में

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की आवास विकास कालोनी में रहने वाली पुष्पलता पांडेय ने अपने बेटे की शादी कई साल पहले की थी. लेकिन  किसी वजह से उन की बहू की गोद नहीं भर पा रही थी. उन्होंने कई डाक्टरों से बहू का इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बहू और बेटे के अलावा वह खुद भी इस बात को ले कर परेशान रहती थीं कि बहू मां कैसे बने.

एक दिन पुष्पलता ने अपने घर में आने वाले अखबार के बीच एक पैंफ्लेट रखा देखा, जो एक तांत्रिक का था. तांत्रिक का नाम था पंडित मोरेश्वर शास्त्री. उस के विज्ञापन में लिखा था कि बाबा 27 मई से 1 जून तक बस्ती जिले के बस स्टेशन के पास स्थित होटल शिवाय पैलेस में ठहरेंगे. उस पैंफ्लेट में बाबा ने तंत्रमंत्र के माध्यम से सभी तरह की समस्याओं के समाधान करने का दावा किया था.

पुष्पलता पांडेय एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं. हालांकि वह तंत्रमंत्र की बातों पर विश्वास नहीं करती थीं, लेकिन उस पैंफ्लेट को पढ़ कर उन्होंने भी तांत्रिक पंडित मोरेश्वर शास्त्री से यह सोच कर मिलने का फैसला कर लिया कि हो सकता है तंत्रमंत्र से ही कुछ हो जाए. दरअसल उन्होंने कुछ महिलाओं से सुना था कि फलां महिला तांत्रिक के पास जाने के बाद मां बन गई.

27 मई  को पुष्पलता शिवाय होटल में ठहरे तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के पास पहुंच गईं और उसे अपनी समस्या बता दी. तांत्रिक बहुत चालाक था. वह पुष्पलता के पहनावे और बातचीत से समझ गया कि महिला संपन्न परिवार की है. इसलिए वह पुष्पलता से बोला, ‘‘तुम्हारी समस्या बहुत गंभीर है. इस का समाधान तुम्हारे घर चल कर करना पड़ेगा.’’

‘‘बाबा, जल्दी कीजिए न समाधान, हम लोग बहुत परेशान रहते हैं. बताइए हमारे यहां आप कब दर्शन देंगे?’’ पुष्पलता ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘बच्चा, अब तुम परेशान मत हो. मैं जुम्मे के दिन यानी 31 मई को तुम्हारे यहां पहुंच जाऊंगा.’’ कहते हुए तांत्रिक ने उन्हें एक परचा देते हुए कहा, ‘‘इस में पूजा का कुछ सामान लिखा है, मंगा कर रख लेना.’’

‘‘ठीक है बाबा, मैं सारा सामान मंगा लूंगी.’’ कह कर पुष्पलता वहां से चली आईं. घर पहुंच कर उन्होंने अपने बेटे से पूजा का सारा सामान मंगा कर घर में रख लिया.

31 मई को तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री पुष्पलता के घर पहुंचा तो उन का घर और रहनसहन देख कर उस के मन में और ज्यादा लालच आ गया. उस ने कुछ देर तक उन के यहां पूजा वगैरह की. पूजा खत्म होने के बाद उस ने कहा, ‘‘बच्चा तुम्हारे घर में गृहदोष है. जब तक यह दोष दूर नहीं होगा, तुम्हारी समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा.’’

‘‘बाबा गृहदोष दूर करने का कोई तो उपाय होगा?’’

‘‘हां, उस का उपाय है. इस के लिए विशेष पूजा करनी पड़ेगी, जिस में 31 हजार रुपए का खर्च आएगा. इस के अलावा तुम्हें गृहदोष निवारण बगलामुखी यंत्र घर में रखना पड़ेगा, जो 11 हजार रुपए का है. इस से सारे रास्ते खुल जाएंगे और तुम्हारी बहू मां बन जाएगी.’’

पुष्पलता बहू के इलाज पर हजारों रुपए खर्च कर चुकी थीं. उन्होंने सोचा कि जब वह इतना खर्च कर चुकी हैं तो 42 हजार और खर्च कर के देख लें. इसलिए दादी बनने की लालसा में उन्होंने 42 हजार रुपए तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को दे दिए.

पैसे जेब में रखने के बाद तांत्रिक ने एक बार फिर उन के सभी कमरों में नजर डाली और आंखें मूंद कर बैठ गया. ऐसा लग रहा था जैसे वह ध्यानरत हो, 2-3 मिनट बाद उस ने आंखें खोल कर कहा, ‘‘बच्चा, तुम्हारे घर में काल सर्प योग भी है.’’

‘‘काल सर्प योग! यह क्या होता है बाबा?’’ पुष्पलता चौंक कर बोली.

‘‘बच्चा, जिस घर में यह योग होता है, वहां खुशी देने वाले काम होेतेहोते रुक जाते हैं. इसलिए इस का निदान भी जरूरी है.’’

‘‘अब इस का उपाय क्या है?’’

‘‘इस के लिए तुम्हें अपने घर में 2 तोले सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा कर रखनी होगी.’’

सोने की नागनागिन पुष्पलता के पास ही रहनी थी, इसलिए तांत्रिक के जाने के बाद वह गले की चेन और अंगूठी ले कर सुनार की दुकान पर पहुंच गईं. दोनों चीजों को गलवा कर उन्होंने 20 ग्राम सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा ली.

यह बात उन्होंने तांत्रिक को बताई. वह उस समय होटल में ही था. तांत्रिक ने उन्हें होटल में बुला लिया. पुष्पलता नागनागिन की जोड़ी ले कर होटल पहुंच गईं. तांत्रिक ने सोने की नागनागिन को तांबे के लोटे में रख कर लोटे को नीले रंग के कपड़े में बांध कर रख दिया और कहा, ‘‘मैं रात को पूजा और अनुष्ठान कर के नाग और नागिन को सिद्ध करूंगा. फिर सुबह आ कर तुम इन्हें ले जा कर पूजा वाली जगह पर रख देना. तुम्हारे सारे काम बनने शुरू हो जाएंगे और एक बात का ध्यान रखना कि इस बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है.’’

रात साढ़े 7 बजे पुष्पलता होटल से अपने घर चली आईं. घर पहुंचने पर रात 8 बजे उन्होंने तांत्रिक से फोन पर पूछा कि अनुष्ठान शुरू हुआ कि नहीं? इस पर बाबा ने कहा कि वह गोरखपुर स्थित मंदिर में दर्शन करने चला आया है. यहां से लौट कर अनुष्ठान करेगा.

पुष्पलता ने रात 10 बजे फिर फोन मिलाया तो बाबा का फोन स्विच आफ जाने लगा. कई बार मिलाने के बाद भी उस का फोन नहीं मिला तो उन्हें दाल में काला नजर आने लगा. अगले दिन यानी 2 जून की सुबह वह उसी होटल गईं, जहां तांत्रिक ठहरा हुआ था. जिस कमरा नंबर 103 में तांत्रिक ठहरा हुआ था. उस कमरे में तांत्रिक के बजाए किसी और आदमी को देख कर वह चौंकीं. उन्होंने उस आदमी से तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह तांत्रिक के बारे में नहीं जानता. वह कल रात ही इस कमरे में आया है.

पुष्पलता घबरा कर होटल के मैनेजर के पास पहुंची तो मैनेजर ने बताया कि तांत्रिक पहली जून की रात 8 बजे ही होटल छोड़ कर चला गया था. इतना सुनते ही पुष्पलता के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उन्हें यह समझते देर न लगी कि वह ठगी जा चुकी हैं.

पुष्पलता चुपचाप घर चली आईं और दिन भर इसी उधेड़बुन में रहीं कि यह बात पुलिस को बताएं या नहीं. क्योंकि ढोंग के चक्कर में ठगे जाने के कारण बेइज्जती होने का डर भी था. कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने पुलिस के पास जाने का फैसला कर लिया. जिस से उन की तरह दूसरा कोई तांत्रिक की ठगी का शिकार न हो सके.

पुष्पलता के पास तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बिना नामपते के उसे तलाशना आसान नहीं था. उन के दिमाग में विचार आया कि होटल में कमरा लेते समय तांत्रिक ने अपना आईडी प्रूफ जरूर जमा कराया होगा. इसलिए 3 जून को वह फिर से होटल शिवाय पैलेस पहुंचीं. उन्होंने इस बारे में मैनेजर से बात की तो पता चला कि तांत्रिक ने वहां अपने वोटर आईडी कार्ड की कौपी जमा कराई थी.

वोटर आईडी की फोटोकापी से उन्हें बाबा का पता मिल गया, जिस में उस का नाम पंडित मोहनगंगा राम मोरे उर्फ मोरेश्वर शास्त्री पुत्र गंगाराम, निवासी 350, तालुका सावरगढ़ जिला एवतमाल, महाराष्ट्र लिखा था. नाम पता ले कर वह जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आनंद राव कुलकर्णी के पास पहुंचीं.

उन्होंने अपने ठगे जाने की कहानी उन्हें बताई. उन के आदेश पर कोतवाली बस्ती में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के खिलाफ छल, कपट व धोखाधड़ी के आरोप में भादंवि की धारा 419, 420 के तहत मुकदमा दर्ज हो गया. इस की जांच एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय को सौंपी गई.

पुष्पलता पांडेय का बेटा जो कि इंजीनियर था, उस की मदद से पुलिस ने वोटर आईडी कार्ड में मिले नाम व पते को इंटरनेट के जरिए गूगल में डाल कर सर्च किया. ऐसा करने से ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों के नाम और उस के गांव सावरगढ़ का नक्शा मिल गया. इस के बाद ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों को फेसबुक पर चैक किया गया.

काफी लंबी छानबीन के बाद उस के परिवार की स्मिता मोहन नाम की लड़की की फेसबुक आईडी पता चली. फेसबुक पर स्मिता मोहन की प्रोफाइल से उस के कालेज का नाम और मोबाइल नंबर मिल गया.

इन सूचनाओं को इकट्ठा करने के बाद पुलिस फिर होटल शिवाय पैलेस गई, जहां पूछताछ में पता चला कि वह तांत्रिक नौकरी, संतान प्राप्ति आदि के नाम पर कइयों को चूना लगा चुका था. इतनी जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ठग तांत्रिक को पकड़ने उस के पते पर नहीं गई, बल्कि उस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

5 महीने बाद पुष्पलता को जब पता चला कि पुलिस सुस्त हो गई है तो वह फिर से पुलिस अधीक्षक से मिलीं और तांत्रिक को गिरफ्तार करने की मांग की. एसपी के आदेश पर एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय के नेतृत्व में एक पुलिस टीम महाराष्ट्र भेजी गई.

20 नवंबर को एसआई धीरेंद्र पांडेय स्थानीय पुलिस के साथ सावरगढ़ गांव में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार करने गए तो गांव वालों ने इस का विरोध किया. इस के बावजूद पुलिस तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार कर के एवतमाल कोतवाली ले आई.

अपने इलाके में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री की अच्छी छवि थी, इसलिए आसपास के गांवों के करीब 2 हजार लोग कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने कोतवाली पर प्रदर्शन करते हुए मोरेश्वर शास्त्री को छोड़ने की मांग की. लोगों की भीड़ को देखते हुए एसपी ने आसपास के थानों की पुलिस को कोतवाली एवतमाल भेज दिया. तब कहीं जा कर मामला कंट्रोल में आ सका.

एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय ने तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को स्थानीय न्यायालय में पेश कर के ट्रांजिट रिमांड पर उसे बस्ती ले आए. तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने बस्ती के सीजेएम की कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पुष्पलता पांडेय को इस बात का अफसोस है कि पढ़ीलिखी होने के बावजूद भी उन्होंने ढोंगी तांत्रिक की बातों पर विश्वास कर के अपना एक लाख रुपए का नुकसान किया. पता नहीं मोरेश्वर लोगों को बेवकूफ बना कर कितने पैसे ठग चुका होगा, अगर वह चुप बैठ जाती तो पता नहीं वह कितनों को और ठगता. लोगों को चाहिए कि वे ऐसे ठग तांत्रिकों के बहकावे में न आएं.

जाहिर है, झाड़फूंक और तंत्रमंत्र से बच्चे पैदा नहीं होते. अगर किसी की इस तरह की कोई समस्या है तो योग्य डाक्टर से इलाज कराए. इस के अलावा आईवीएफ टेस्ट ट्यूब जैसी प्रणाली भी निस्संतान दंपतियों के लिए वरदान साबित हो रही है. पुष्पलता पांडेय की बहू भी इन में से कोई लाभ ले सकती थी. झाड़फूंक, तंत्रमंत्र तो केवल एक छलावा है.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य – भाग 3

हेमंत का गृहस्थ जीवन ठीकठाक गुजर रहा था कि एक रात यह गृहस्थ जीवन पूरी तरह छिन्नभिन्न हो गया.

12 नवंबर, 2021 की शाम को हेमंत घर पहुंचा. रितु खाना बना कर उसी के आने का इंतजार कर रही थी. हेमंत के आते ही रितु ने उस से शराब की बोतल ले ली और गिलास ले कर पैग बनाने लगी.

रितु पति के साथ पीती थी शराब

हेमंत ने हाथमुंह धोए और रितु के पास आ कर बैठ गया. रितु ने शराब का गिलास उस की तरफ बढ़ाया और अपने गिलास को उठा कर गट गट शराब पी गई.

“यह क्या रितु, तुम ने आज चीयर्स भी नहीं किया.” हेमंत ने हैरानी से कहा.

“मुझे जोरों की तलब लगी है हेमंत, चीयर्स करने में मैं समय बरबाद नहीं करना चाहती थी, इसलिए बगैर चीयर्स किए पी गई.” अपने लिए दूसरा पैग तैयार करते हुए रितु ने कहा.

“यह असभ्यता है,” हेमंत मुंह बिगाड़ कर बोला.

रितु ने दूसरा पैग गले में उड़ेलते हुए हेमंत को घूरा, बोली कुछ नहीं. इस के बाद उस ने 3 पैग और बनाए और पी गई. उस पर नशा हावी होने लगा था. हेमंत हैरानी से उसे देख रहा था. रितु ने उस के लिए आज एक ही पैग बनाया था. खुद ही पैग बनाबना कर पी रही थी.

कहीं रितु को शराब का नशा ज्यादा न हो जाए, यह सोच कर उस ने रितु के सामने से शराब की बोतल उठा लेनी चाही. उस ने जैसे ही बोतल पकड़ी रितु भडक़ गई, “ऐ बोतल नीचे रख.”

“कैसे बोल रही हो रितु ..?”

“ठीक बोल रही हूं, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे सामने से बोतल उठाने की, हरामी की औलाद.”

“रितूऽऽ” हेमंत गुस्से से चीखा.

“चिल्ला मत भड़वे…” रितु उस से तेज चीखी, “अपनी औकात जानता है न तू, कल तक मेरी चौखट पर नाक रगड़ा करता था.”

हेमंत का रोम रोम गुस्से से सुलग गया. उस ने रितु के गाल पर 3-4 थप्पड़ जड़ दिए. रितु शेरनी की तरह बिफर गई. वह हेमंत पर झपट पड़ी. दोनों में हाथापाई होने लगी. हेमंत के नथुने क्रोध से फडक़ने लगे, उस ने रितु को नीचे पटक दिया और उस के गले पर पंजे कस कर पूरी ताकत से दबाने लगा. रितु हलाल होती मुरगी की तरह फडफ़ड़ा गई और कुछ ही देर में उस की सांसें उखड़ गईं.

रितु के शरीर में हलचल न होती देख कर हेमंत चौंका. उस ने रितु को हिलाया, लेकिन उस का शरीर बेजान हो चुका था. हेमंत घबरा कर खड़ा हो गया. काफी देर तक उस की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे. जब कुछ होश आया तो उस ने अपने जीजा ललित कुमार को फोन मिला कर कांपती आवाज में बताया, “जीजा, मेरे हाथ से रितु की हत्या हो गई है.”

“कैसे?” ललित की चौंकती हुई आवाज आई.

हेमंत ने कुछ देर पहले घटा सब कुछ विस्तार से अपने जीजा को बता दिया. ललित ने कुछ क्षण सोच लेने के बाद हेमंत को सलाह दी कि वह रितु की लाश ले कर उस के घर आल्हापुर आ जाए.

घर वालों के सहयोग से सूटकेस में भरी लाश

हेमंत ने बाहर निकल कर देखा. बाहर सन्नाटा था. सर्दी होने की वजह से सभी पड़ोसियों के घरों के दरवाजे बंद हो गए थे. हेमंत ने अपने घर के साथ वाले घर में रह रहे अपने पिता राजेंद्र और मां सीमा देवी को यह जानकारी दी कि क्रोध में उस ने रितु की हत्या कर दी है. लाश को वह अपनी बहन नीतू और जीजा ललित के घर ले कर जा रहा है. लाश को सूटकेस में पैक करने में उस की मदद करें.

उस के पिता और मां ने रितु की लाश को घर में रखे बड़े सूटकेस में पैक करवाने में बेटे हेमंत की मदद की. हेमंत ने पिता के सहयोग से सूटकेस अपनी स्कूटी के पीछे बांधा और स्कूटी से वह अपने जीजा के घर आल्हापुर आ गया.

ललित ने सूटकेस अपनी कार की डिक्की में रखवा लिया और मथुरा की तरफ रवाना हो गया. मथुरा के छाता में छाता नहर की तरफ सन्नाटा रहता था. नहर के पास पहुंच कर ललित ने हेमंत की मदद से सूटकेस छाता नहर में फेंक दिया. सूटकेस में ऐसा कुछ भी सूत्र नहीं छोड़ा गया था कि पुलिस रितु के विषय में या हेमंत के विषय में जान सके. आज 2 साल हो गए हैं. अब तक तो रितु का नामोनिशान मिट गया होगा.

सीआईए प्रभारी इलियास और उन की टीम हेमंत की कहानी सुन कर हैरान रह गए. यदि हेमंत उन के हाथ नहीं लगता तो रितु की हत्या का राज राज ही रह जाता.

प्रभारी इलियास ने छाता कोतवाली में फोन मिला कर 2 साल पहले 12 या 13 नवंबर को किसी सूटकेस में युवती की लाश मिलने की बाबत मालूम किया तो उन्हें बताया गया कि 13 नवंबर, 2021 को छाता नहर से एक सूटकेस मिला था, जिस में युवती की लाश थी. उसे गला घोंट कर मारा गया था. युवती की लंबे समय तक पहचान न होने पर यह केस बंद कर दिया गया था. युवती का सरकारी खजाने से दाह संस्कार करवा दिया गया था.

पुलिस ने 5 आरोपी किए गिरफ्तार

मोहम्मद इलियास ने छाता कोतवाली को खुशखबरी दे कर उस युवती के हत्यारे हेमंत वर्मा के पकड़े जाने की जानकारी दे दी.

दूसरे ही दिन छाता कोतवाली पुलिस ने आ कर हेमंत वर्मा, उस के जीजा ललित, उस की पत्नी नीतू, हेमंत के पिता राजेंद्र और मां सीमा को हिरासत में ले लिया. इन सभी ने हेमंत को रितु की लाश ठिकाने लगाने में सहयोग किया था. छाता कोतवाली पुलिस सभी गुनहगारों को छाता ले गई. सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास पकड़े गए ठगों को सजा दिलाने के लिए चार्जशीट तैयार करने में लग गए.

इस दोहरी सफलता के लिए डीसीपी (पलवल) संदीप मोर ने प्रैस कौन्फ्रेंस बुला कर सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास के नेतृत्व में ठगों का गिरोह पकडऩे और 2 साल पहले छाता नहर में फेंके गए सूटकेस से बरामद हुई युवती की लाश का जिक्र करते हुए बताया कि हत्या का मुजरिम हेमंत वर्मा को पकडऩे का श्रेय भी सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास और उन की टीम को जाता है. मैं इन्हें दिल से शाबासी देता हूं. मुजरिमों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की भी कोशिश की जाएगी.

छाता कोतवाली पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रितु, जयपाल और भीकू परिवर्तित नाम हैं.

जी.बी. रोड कोठे में खून – भाग 3

आगरा से दबोच लिए हमलावर

आगरा गई टीम को बड़ी कामयाबी मिली. उन्होंने हैप्पी और उस के छोटे भाई काका को घर से दबोच लिया. उन्हें दिल्ली लाया गया. यहां उन्हें धारा 307/309/341 भादंवि और 25/27/54/59 आम्र्स एक्ट में गिरफ्तार कर लिया गया.

हैप्पी को अब समझ में आया, 50 हजार का ईनाम क्या था?

पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने और काका ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उन्होंने संगरूर (पंजाब) के अपने तीसरे साथी अनिल उर्फ हनी को भी गिरफ्तार करवा दिया. हनी छोटेमोटे अपराध करता था. दिखाने को वह मोटर मैकेनिक का काम करता था. उस के पिता बलविंदर कुमार को बेटे की करतूतें पता थीं. उस के पकड़े जाने पर वह गहरी सांस ले कर रह गए.

तीनों से पूछताछ करने पर वारदात के पीछे की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

हैप्पी को बचपन से ही अमीर बनने की लालसा थी. वह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सका था. कक्षा 9 तक वह गिरतेपड़ते पहुंच पाया था. संगत आवारा लडक़ों के साथ लगी तो स्कूल छूट गया. पिता गोपी उर्फ चूरामन राजमिस्त्री का काम करता था. हैप्पी को यह काम पसंद नहीं था, वह नमकीन की फैक्ट्री में काम करने लगा, लेकिन यहां इतने पैसे नहीं मिलते थे कि अमीर बनने का ख्वाब पूरा होता.

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लिहाजा हैप्पी ने अपने भाई काका और एक दोस्त जो उस के साथ ही पढ़ता था, गौरव को साथ ले कर एक टीम बनाई और लूटपाट शुरू कर दी. इस से मौजमस्ती का साधन तो जुटने लगा, लेकिन रुपया जमा करने लायक दांव कभी नहीं लगा. फिर पिता काम के सिलसिले में पंजाब के जिला संगरूर गए तो उसे और काका को भी साथ जाना पड़ा.

यहां पड़ोस में रहने वाला हनी उस से टकरा गया. अनिल उर्फ हनी भी छोटीमोटी लूटपाट करता था. हैप्पी ने उसी के साथ लूटपाट का काम शुरू कर दिया. काका को एक रिश्तेदार दिल्ली ले गया, जहां वह मिठाई की दुकान पर लग गया. यह दुकान मयूर विहार फेज-1 में थी.

हैप्पी और अनिल उर्फ हनी ने एक व्यक्ति को सरेराह लूट लिया था, उन्हें लोगों ने पकड़ कर ठोका फिर पुलिस के हवाले कर दिया. दोनों को जेल हो गई. दोनों ने एक साल साथसाथ जेल काटी तो उन की दोस्ती पक्की हो गई.

बिहार से खरीदी पिस्टल

जेल से छूटने के बाद हैप्पी को संगरूर छोडऩा पड़ा. उस का पिता गोपी उसे आगरा ले आया और यहां गुल्ला पियाऊ में किराए पर रहने लगा. कुछ दिन तक हैप्पी ने शांत रह कर नमकीन की एक फैक्ट्री में काम किया. इन्हीं दिनों एक दोस्त राडी के साथ उसे एक शादी में बिहार के नवगछिया में गोपालपुर जाना पड़ा. यहां हैप्पी को मालूम हुआ कि देशी पिस्टल आसानी से मिल जाती है, बस जेब गरम होनी चाहिए.

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हैप्पी पिस्टल खरीद लेना चाहता था ताकि कोई मोटा कांड कर के अमीर बन जाए. उस वक्त उस के पास रुपए नहीं थे, इसलिए वह आगरा लौट आया. वहां वह पैसा जोडऩे की जुगत में लग गया ताकि पिस्टल खरीद सके. तभी काका दिल्ली से घर आ गया. उस से हैप्पी को मालूम हुआ कि जिस मिठाई की दुकान पर काका काम करता है, उस के पास त्यौहार पर नोट बरसते हैं. हैप्पी की खोपड़ी में उसी मिठाई की दुकान को लूटने के लिए प्लान आने लगे.

8 मार्च, 2023 की होली थी. होली पर भी खूब मिठाइयां बिकती हैं. अभी होली को 8 दिन शेष थे. काका पैसा कमा कर लौटा था. कुछ रुपया हैप्पी के पास भी था. वह छोटे भाई काका को ले कर 5 मार्च, 2023 को बिहार के नवगछिया गया और सुजीत कुमार नाम के लडक़े से 31 हजार रुपए में देशी पिस्टल, 6 राउंड और 2 मैगजीन खरीद लीं. वहां से कटिहार एक्सप्रैस पकड़ कर 7 मार्च, 2023 को काका के साथ दिल्ली आ गया.

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दुकान लूटने से पहले पहुंचे जी.बी. रोड

दिल्ली लौटने से पहले उस ने नवगछिया से ही अपने संगरूर वाले दोस्त अनिल उर्फ हनी को भी दिल्ली आने के लिए फोन कर दिया था. सुबह वे नई दिल्ली स्टेशन पर उतरे थे. हनी भी 9 मार्च को दोपहर में एक बजे के आसपास पंजाब संगरूर से दिल्ली आ गया.

उन्हें 8 मार्च को मयूर विहार फेज-1 में मिठाई की दुकान लूटनी थी. काफी समय पड़ा था. तीनों ने उस दिन मौजमस्ती करने का मन बनाया.

तीनों पैदल ही टहलते हुए जी.बी. रोड आ गए. उन्हें कोठा नंबर 52 के नीचे दलाल इमरान चौधरी मिल गया. वे तीनों को खूबसूरत लडक़ी मौजमस्ती के लिए दिलवाने को कोठे के ऊपर ले आया. यहां तीनों को राधा पसंद आ गई.

राधा के साथ मौजमजे के लिए 1500 रुपए में बात तय हुई. तभी नीचे से 2 लोग ऊपर आ गए. वे इन तीनों को घेर कर तलाशी लेने लगे. हैप्पी ने पैंट में सामने पिस्टल छिपा रखी थी. कहीं पिस्टल इन लोगों के हाथ न लगे, यह सोच कर उस ने पिस्टल निकाल कर काका की तरफ बढ़ा दी.

पिस्टल पर राधा की नजर पड़ी तो वह डर गई. उस ने शोर मचाया, “ये बदमाश लोग हैं. पुलिस बुलाओ.”

“हां, पुलिस बुलाओ, इन के पास पिस्टल है.” इमरान भी चीखा.

पकड़े जाने के डर से हैप्पी ने काका की ओर देख कर कहा, “गोली चला, गोली चला काके.”

काके ने लोडिड पिस्टल से गोलियां चला दीं. एक गोली राधा के सीने में लगी, दूसरी इमरान के कंधे में घुस गई. दोनों नीचे गिर पड़े तो चीखें सुन वहां कुछ लोग दौड़ कर आते नजर आए.

“भागो…” हनी चीखा.

तीनो सीढिय़ों की तरफ भागे और पिस्टल लहराते हुए धमकी देते तीनों नीचे उतर कर अजमेरी गेट की तरफ भागते चले गए. मौके पर काका चीखा, “कोई पीछे आया तो भून दूंगा.”

तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया. हैप्पी को साथ ले कर वह बिहार में नवगछिया गए, जहां सुजीत कुमार 19 साल का लडक़ा मिला. उसी ने 31 हजार रुपए में हैप्पी को वह पिस्टल बेची थी.

सुजीत कुमार यादव ने पुलिस को बताया कि उसे वह पिस्टल एक पौलीथिन में रास्ते में पड़ी मिली थी, जिसे उस ने हैप्पी को बेच दी थी.

पुलिस टीम उसे भी पकड़ कर दिल्ली ले आई. काके से पिस्टल भी बरामद हो गई. पुलिस ने चारों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 3

सैफ ने 9 साल के मासूम अरहान के साथ कुकर्म किया था. चूंकि अरहान सैफ को अच्छी तरह पहचानता था, इसलिए उसे सैफ जिंदा नहीं छोड़ सकता था. उस के साथ कुकर्म करने के बाद उस ने स्प्रिंग वाली तार से अरहान का गला घोंट दिया था.

“अरहान की लाश कहां पर है?” जसवीर सिंह ने पूछा.

“मैं ने उस की लाश को नाले में फेंक दिया था.”

यह जानकारी मिलते ही कोतवाल अरहान के पिता अफजल और पुलिस दल को साथ ले कर सैफ की निशानदेही पर उस नाले के पास आ गए, जिस में वह अरहान की लाश फेंकने की बात कह रहा था.

झाडिय़ों में मिली अरहान की लाश

उस के बताए स्थान पर अरहान का शव तलाशा गया तो वह एक कंटीली झाडिय़ों में फंसा हुआ दिखाई दे गया. अब तक मेवाती मोहल्ला औरंगाबाद में 9 साल के मासूम बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या करने और शव को नाले में फेंकने की खबर फैल चुकी थी. पूरा मेवाती मोहल्ला ही नाले की ओर उमड़ आया. यह नाला मोहल्ले से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित था.

भारी भीड़ को देख कर कोतवाल जसवीर सिंह ने लापता बच्चे अरहान के साथ घटित शर्मसार कर देने वाली घटना की जानकारी एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय को दे दी. उन्होंने पुलिस कप्तान को यह भी बता दिया कि इस घटना को सुन कर मोहल्ले के लोगों की भीड़ नाले पर आ गई है. भीड़ आक्रोश में है. कोई अप्रिय घटना न घट जाए, इस के लिए पुलिस बल भेजने की उन्होंने बात की.

थोड़ी ही देर में एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय भारी पुलिस बल ले कर खुद घटनास्थल पर आ गए. भीड़ की ओर से अभी तक कोई अनुचित कदम नहीं उठाया गया था. हां, लोगों में अभियुक्त सैफ के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था. परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.

एसएसपी शैलेष कुमार के साथ आई पुलिस फोर्स ने भीड़ को नाले से दूर हटाना शुरू कर दिया. सैफ भारी पुलिस फोर्स के घेरे में था. बच्चे का शव निकाल लेने के बाद एसएसपी शव की बारीकी से जांच करने में जुटे थे. फोरैंसिक टीम भी वहां आ गई थी.

सैफ को उस जगह लाया गया, जहां उस ने बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या कर दी थी. फोरैंसिक टीम ने वहां से महत्त्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए. वह स्प्रिंग तार भी वहीं पड़ी मिल गई, जिस से सैफ ने बच्चे का गला घोंटा था. आवश्यक काररवाई निपटा लेने के बाद अरहान का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. सैफ को थाने लाने के बाद एसएसपी शैलेष कुमार के सामने उस से पूछताछ की गई.

पहचानने की वजह से किया अरहान का मर्डर

सैफ ने बताया कि उस की नीयत कई दिनों से अरहान पर थी. वह अरहान को अपने करीब लाने के लिए टौफी, बिसकुट और अन्य चीजें खिलाता रहता था. 9 वर्षीय अरहान नासमझ था, वह रोज अपने ताऊ की दुकान पर चला जाता था. सैफ उसी दुकान पर ही रहता था, वहीं वह अरहान को खिलातापिलाता था.

अरहान उस के ऊपर आंख बंद कर के विश्वास करने लगा तो सैफ ने 8 अप्रैल, 2023 को अपने मालिक से शाम को बहाना बना कर छुट्टी ली और अफजल के घर की तरफ चला गया. उसे मालूम था अरहान शाम को बच्चों के साथ घर के सामने खेलता है. अरहान उसे खेलता मिल गया. उस ने इशारे से अरहान को पास बुलाया और उसे ले कर नाले की तरफ जाने लगा.

अरहान ने उस तरफ जाने का कारण पूछा तो सैफ ने झूठ बता दिया कि उस ने खाने की बहुत सारी चीजें नाले की ओर छिपा कर रखी हैं, वहां हम पार्टी करेंगे. अरहान खुशीखुशी उस के साथ नाले के पास की झाडिय़ों में आ गया.  यहां सैफ ने उसे जबरन नीचे गिरा कर दबोच लिया और जबरन उस के साथ कुकर्म करने लगा. वह अरहान का मुंह बंद किए रहा, ताकि वह चीख न सके. अरहान दर्द से तड़प कर बेहोशी की हालत में आ गया.

कामपिपासा शांत होने के बाद सैफ डर गया कि यदि घर पहुंच कर अरहान ने अपनी अम्मी और अब्बू को यह सब बता दिया तो वे लोग उसे जिंदा दफन कर देंगे. भयभीत हो कर उस ने अरहान का गला साथ लाई स्प्रिंग तार से घोंट दिया, फिर शव को नाले में फेंक कर घर चला गया. उस ने एसएसपी के सामने भी अरहान के साथ कुकर्म करने और उस की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया.

मोहम्मद सैफ द्वारा जुर्म कुबूल करने के बाद कोतवाल ने उस के खिलाफ चार्जशीट बना कर उसे न्यायालय में पेश की. बाद में यह जघन्य हत्या का मामला पोक्सो कोर्ट में चला और मात्र 15 दिन में इसे निपटा कर माननीय जज राम किशोर यादव ने त्वरित न्याय करने की मिसाल कायम कर दी.

इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाली एडवोकेट अलका उपमन्यु की पूरे मथुरा शहर में चर्चा है. सभी उन की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. क्योंकि उन्हीं की वजह से मोहम्मद सैफ को फांसी की सजा मिली.

कोर्ट द्वारा मोहम्मद सैफ को सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने मुजरिम को कस्टडी में ले लिया. फिर उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा इस केस के वकीलों से की गई बातचीत पर आधारित

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा – भाग 3

किसी दिन दीपेंद्र और अंकिता को कहीं एकांत में प्रेमी-प्रेमिका की तरह सट कर बैठे अंकिता के मंगेतर विशाल ने देख लिया. उस समय तो उस ने कुछ नहीं कहा, लेकिन शाम को वह अंकिता के घर पहुंच गया. वहां भी उस ने अंकिता से कुछ कहने के बजाय अपने होने वाले ससुर राजा से कहा. ‘‘बाबूजी, आप ने अंकिता की शादी तय तो मेरे साथ की है, लेकिन यह गुलछर्रे किसी और के साथ उड़ा रही है. आप इसे रोकिए, वरना मैं यह रिश्ता तोड़ दूंगा.’’

‘‘ऐसा मत करना बेटा, मैं अंकिता को समझाऊंगा.’’ राजा ने विशाल को समझाने की कोशिश की.

विशाल के जाने के बाद राजा ने अंकिता से पूछा, ‘‘बेटी, विशाल जो कह रहा था, क्या वह सच था? कहीं वह तुम्हें बदनाम कर के यह रिश्ता तो नहीं तोड़ना चाहता? बेटी मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, इस के बावजूद सच्चाई जानना चाहता हूं.’’

‘‘पापा, विशाल जो कह रहा था, वह सच है. उस ने मुझे दीपेंद्र के साथ देख लिया था. दीपेंद्र और मैं एकदूसरे से प्यार करते हैं, इसलिए अकसर मिलते रहते हैं.’’ अंकिता ने सच्चाई बता दी.

अंकिता ने जो बताया, उसे सुन कर राजा के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्होंने कहा, ‘‘बेटी, तुम्हारी शादी विशाल से तय हो चुकी है. इसलिए तुम्हारा दीपेंद्र से एकांत में मिलना ठीक नहीं है. ठीक होते ही मैं तुम्हारी शादी उस के साथ कर दूंगा, इसलिए अब तुम दीपेंद्र से मिलनाजुलना बंद कर दो.’’

अंकिता की मां मीना ने भी प्यार से समझाया, ‘‘बेटी, तू दीपेंद्र से मिलनाजुलना बंद कर दे, इसी में हम सब की भलाई है. दीपेंद्र और हमारी जाति अलगअलग है, इसलिए उस के घर वाले कभी तेरी शादी उस के साथ नहीं करेंगे. तेरी सगाई हो चुकी है. 2 नावों पर पैर रखना ठीक नहीं है.’’

मांबाप की नसीहत अंकिता को उचित तो लगी, लेकिन वह उस पर अमल नहीं कर सकी. क्योंकि दीपेंद्र से मिलने से वह खुद को एकदम से रोक नहीं पा रही थी. लेकिन पहले से कुछ कम जरूर कर दिया था.

दीपेंद्र उसे मिलने के लिए पार्क या रेस्टोरेंट में बुलाता तो वह कोई न कोई बहाना बना कर मना कर देती. जबकि दीपेंद्र मानता ही नहीं. वह नाराज हो कर उसे जलील करने लगता. कभीकभी तो वह रास्ते में ही उस का हाथ पकड़ लेता और साथ चलने की जिद करने लगता. यही नहीं, मना करने पर वह गालीगलौज और मारपीट पर उतारू हो जाता.

दीपेंद्र की इन हरकतों से अंकिता परेशान रहने लगी. वह उस से डरने लगी. होली के त्योहार पर दीपेंद्र ने अंकिता का हाथ पकड़ा और जबरदस्ती साथ ले जाने लगा. अंकिता ने मना किया तो उस ने गालीगलौज तो की ही, उस पर हाथ भी उठा दिया. दीपेंद्र की इस हरकत से परेशान हो कर अंकिता ने अपने मंगेतर विशाल से उस की शिकायत कर दी. मामला पुलिस तक पहुंचा. तब पुलिस ने दोनों पक्षों में समझौता करा दिया.

पुलिस ने कोई काररवाई नहीं की तो दीपेंद्र और भी आक्रामक हो गया. वह अंकिता को मोबाइल फोन पर बात करने के लिए दबाव डालता, गंदे और अश्लील मैसेज भेजता. बात न करने या जवाब न देने पर गालीगलौज करता, धमकियां देता. डर के मारे वह कभी उस से प्यार की 2-4 बातें कर लेती तो कभी कोई बहाना बना देती. अब वह उस के साथ कहीं आनेजाने से भी बचने लगी थी. अगर कभी जाती तो मजबूरी में जाती.

इस तरह अंकिता प्रेमत्रिकोण में उलझ कर रह गई थी. दीपेंद्र सामने होता तो उसे उस की बांहों में झूलना पड़ता और जब मंगेतर विशाल सामने होता तो उसे उस की वफादार बनना पड़ता.

दीपेंद्र के घर वालों को भी अंकिता और उस के प्रेमसंबंधों के बारे में पता था. सब जानते थे कि वह अपनी कमाई उसी पर लुटा रहा है. लेकिन उन्होंने साफसाफ कह दिया था कि वह किसी भी हालत में यह शादी नहीं होने देेंगे. दीपेंद्र को समझाया भी गया था, लेकिन वह अंकिता से संबंध तोड़ने को तैयार नहीं था.

17 जुलाई को दीपेंद्र ने अंकिता से साथ चलने को कहा. उस ने मना कर दिया तो दीपेंद्र ने गालीगलौज करते हुए उसे खूब जलील किया. गालीगलौज में उस ने ऐसे ऐसे गंदे शब्दों का उपयोग किया कि अंकिता का कलेजा छलनी हो गया. उस ने उसी समय तय कर लिया कि अब किसी भी सूरत में इस आदमी से छुटकारा पाना है.

उस ने अपने मंगेतर विशाल से दीपेंद्र की शिकायत कर के उस से छुटकारा दिलाने की विनती की. इस के बाद विशाल ने अंकिता की मदद से दीपेंद्र को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली.

दीपेंद्र को ठिकाने लगाना विशाल के अकेले के वश का नहीं था, इसलिए उस ने इस योजना में अपने छोटे भाई विकास से बात की. बात घर की इज्जत की थी, इसलिए वह भाई की मदद के लिए राजी हो गया.

योजना के अनुसार अंकिता ने 20 जुलाई की दोपहर को दीपेंद्र को फोन कर के घंटे वाले मंदिर पर बुलाया. दीपेंद्र तो ऐसा मौका ढूंढता ही रहता था. वह तुरंत घंटे वाले मंदिर पर पहुंच गया. अंकिता वहां उस का इंतजार कर रही थी. दोनों बातें करने लगे. योजना के अनुसार थोड़ी देर बाद विशाल भी आ गया.

उस के आते ही अंकिता चली गई तो विशाल दीपेंद्र को बातचीत करने के बहाने घंटे वाले मंदिर के पीछे नगर निगम वर्कशौप पार्क में ले आया. पार्क में बड़ीबड़ी झाडि़यां थीं. दोपहर होने की वजह से वहां सन्नाटा पसरा था.

अंकिता को ले कर दीपेंद्र और विशाल में बातचीत शुरू हुई. जल्दी ही यह बातचीत गालीगलौज और मारपीट में बदल गई. विकास पहले से ही आ कर वहां छिपा था. दीपेंद्र और भाई के बीच मारपीट होते देख उस ने वहां पड़ी ईंट उठाई और दीपेंद्र के सिर पर दे मारी. दीपेंद्र की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह लड़खड़ा कर जमीन पर गिर गया.

उस के गिरते ही विकास ने दूसरा वार कर दिया. ईंट की चोटों से दीपेंद्र बिना चीखे ही बेहोश हो गया. उस के बेहोश होते ही विशाल ने चाकू निकाला और बेरहमी से उस की गरदन रेत दी. इतने से भी उस का मन नहीं भरा तो उस ने उस का एक कान काट दिया और एक आंख फोड़ दी.

इस तरह कू्ररता से हत्या करने के बाद दोनों भाइयों ने शव को घसीट कर पार्क में सूखे पड़े कुएं में फेंक दिया. घसीटते समय ही दीपेंद्र का जूता निकल गया था, जिस ने कुएं में लाश पड़ी होने की चुगली कर दी थी.

लाश कुएं में फेंक कर विशाल ने अंकिता को फोन कर के दीपेंद्र की हत्या की सूचना दे दी. इस के बाद दोनों भाई वहां से फरार हो गए.

पुलिस ने उसी दिन घटनास्थल से वह ईंट बरामद कर ली थी, जिस से दीपेंद्र के सिर पर चोट पहुंचाई गई थी. इस के बाद विशाल की निशानदेही पर चाकू और उस के कपड़े बरामद कर लिए गए थे. सारे सुबूत जुटा कर पुलिस ने 24 जुलाई को अंकिता और विशाल को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक विकास नहीं पकड़ा जा सका था. पुलिस उस की तलाश कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य – भाग 2

आधी रात को आल्हापुर गांव के एक मकान को सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास के नेतृत्व में गई टीम ने घेर लिया. मोहम्मद इलियास के साथ उन का खास मुखबिर था. उसी ने वह घर चिह्निïत किया था. एक एसआई ने आगे बढ़ कर मकान का दरवाजा खटखटाया.

अंदर से थोड़ी देर बाद किसी महिला का स्वर उभरा, “कौन है बाहर?”

“दरवाजा खोलो, गांव के एक घर में आग लग गई है.” एसआई ने घबराए हुए स्वर में कहा.

“यह बहाना काम कर गया. मकान का दरवाजा तुरंत खुला और एक महिला बाहर निकल कर बोली, “किस के मकान में आग लगी है.”

“अभी बता देंगे.” एक हैडकांस्टेबल ने उस की कनपटी पर रिवौल्वर सटाते हुए गुर्रा कर कहा. बाकी टीम धड़धड़ाती हुई अंदर घुस गई. अंदर 2 पुरुष थे. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

मकान की तलाशी ली गई. वहां से काफी मात्रा में नकदी, 3 मोबाइल फोन, एक चिटफंड सोसायटी के फार्म, बैंकों की पासबुकें और लोन एप्लाई करने वाले लोगों के नाम की लिस्ट बरामद की गई. सभी सामान जब्त कर के तीनों पुरुषमहिला को सीआईए के औफिस में लाया गया.

पुलिस की गिरफ्त में आए ठग

पूछताछ में उन के नाम ललित कुमार, अजीत कुमार और भावना मालूम हुए. रात भर उन्हें लौकअप में रखा गया. तीनों को दूसरे दिन न्यायालय में पेश कर के रिमांड पर ले लिया गया.

रिमांड में जब उन से सख्ती से पूछताछ शुरू हुई तो एक ठग का नाम सामने आया हेमंत वर्मा. हेमंत वर्मा पकड़ में आए ललित कुमार का साला था. वह पलवल में कृष्णा कालोनी में रहता था. सीआईए की टीम ने कृष्णा कालोनी में हेमंत वर्मा के घर पर दबिश दी.

हेमंत वर्मा उन्हें घर में ही मिल गया. उसे गिरफ्तार कर के सीआईए के औफिस में लाया गया, वहां पहले से मौजूद अपने साथियों को देख कर हेमंत वर्मा को समझते देर नहीं लगी कि उन का ठगी के धंधे का भंडाफोड़ हो गया है. वह गहरी सांस ले कर रह गया.

उसे भी कोर्ट में पेश कर के रिमांड पर ले लिया गया. पूछताछ में सभी ने यह कुबूल लिया कि वह मध्यम वर्ग के लोगों को लोन दिलाने का झांसा दे कर फंसाते थे. बैंक से लोन पास करवाने के नाम पर उन से रुपया ऐंठा जाता. फार्म भरवाए जाते. लोन पास नहीं होता तो वह कागजों में कमी होने की बात कह कर उन्हें टरका देते. इस तरह वह सैकड़ों लोगों को फांस कर उन का पैसा डकार गए थे.

सीआईए टीम ने उन से उन के दूसरे किसी अपराध में फंसे होने की बात पूछना शुरू की तो हेमंत वर्मा ने एक ऐसा खुलासा किया, जिस ने टीम के लोगों को बुरी तरह चौंका दिया.

ठग हेमंत ने पत्नी की हत्या का जुर्म भी कुबूला

हेमंत वर्मा ने बताया कि उस ने 2021 में अपनी पत्नी रितु की गला घोंट कर हत्या की थी. लाश को उस ने अपने जीजा ललित के सहयोग से एक सूटकेस में भर कर मथुरा के छाता शहर की छाता नहर में फेंक दिया था.

उस ने पत्नी की हत्या क्यों की? इस विषय में पूछताछ की गई तो उस ने रितु के साथ अपनी प्रेम कहानी और उसे पत्नी बनाने की जो कथा बयान की, वह इस प्रकार है—

हरियाणा के शहर पलवल की कृष्णा कालोनी में रहने वाला हेमंत वर्मा आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी था. उसे आधुनिक फैशन के कपड़े पहनने और बनसंवर कर रहने का शौक था. वह दिलफेंक युवक था. दिल को हथेली पर ले कर घूमता था. उस की युवा जिंदगी में एक नहीं अनेक लड़कियां आईं. हेमंत उन से दिल बहलाता. उन के साथ मौजमस्ती करता.

गले में हड्डी लटकाने की उस की आदत नहीं थी. उस की सोच थी, हड्डी चूसो और उसे फंक दो. हेमंत यही करता था. जो लडक़ी उस के संपर्क में आती, उस से किसी न किसी तरह जिस्मानी संबंध बनाता. जब उस से दिल भर जाता तो उस से किनारा कर के दूसरी लडक़ी की तलाश में निकल जाता.

पिता संपन्न व्यक्ति थे. हेमंत खुद कमाताधमाता नहीं था, पिता की दौलत पर मौजमस्ती करता घूम रहा था. उस की ऐशभरी रसिक जिंदगी में तब बड़ा मोड़ आया, जब वह अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली घूमने गया. उस का दोस्त उसे दिल्ली घुमाने के बाद शाम ढलने पर जीबी रोड पर ले गया.

जीबी रोड पर कोठा संचालिका से उन्होंने 2 युवतियों का पूरी रात का सौदा किया. हेमंत वर्मा का दोस्त अपनी पार्टनर को ले कर एक केबिन में चला गया तो हेमंत भी अपनी पार्टनर का हाथ पकड़ कर एक खाली केबिन में आ गया.

जीबी रोड की वेश्या रितु से हुआ प्यार

उस ने अपने लिए जो युवती पसंद की थी, उस का नाम रितु था. गोरे रंग, तीखे नयननक्श वाली रितु का अंगअंग सांचे में ढला था. वह कोठे पर कैसे आई, इस का उसे खुद पता नहीं. उस ने बताया कि उसे चाहने वाला एक आशिक, जिसे वह सच्चा प्यार करती थी, बहका कर दिल्ली लाया था.

एक होटल में उस की अस्मत लूट लेने के बाद उस ने नशीला पदार्थ खाने में मिला कर उसे बेहोश कर दिया था. उसी बेहोशी में वह उसे इस कोठे पर बेच कर चला गया था. जीबी रोड के कोठे पर पहुंच कर रितु ऐसे पिंजरे में आ फंसी थी, जिस में वह फडफ़ड़ा सकती थी, चीख सकती थी, लेकिन उस पिंजरे से बाहर नहीं निकल सकती थी.

शुरू में उस ने अपने जिस्म पर हाथ नहीं रखने दिया, लेकिन यह कोठा था, यहां अडिय़ल से अडिय़ल युवतियों को रूह कंपा देने वाली यातना दे कर जिस्म बेचने को मजबूर कर दिया जाता है. रितु पर भी यातना के पहाड़ तोड़े गए, घबरा कर वह जिस्म बेचने को मजबूर हो गई.

हेमंत पूरी रात रितु के जिस्म से लिपटा रहा. रितु उसे इतना पसंद आई कि वह कई रात दिल्ली में रुक कर रितु के साथ रात गुजारने के लिए कोठे पर जाता रहा. रितु भी उस की मर्दानगी की दीवानी हो चुकी थी. हेमंत ने उसे अपने साथ जिंदगी गुजारने का औफर दिया तो वह तैयार हो गई.

अब तक हेमंत अपने जीजा ललित के साथ मिल कर ठगी का धंधा करने लगा था. उस को इस धंधे में मोटा हिस्सा मिल रहा था. रितु की मालकिन से उस ने रितु को अपने लिए मोटी कीमत चुका कर हमेशा के लिए खरीद लिया.

हेमंत ने रितु से कर ली शादी

यह जनवरी, 2021 की बात है. रितु को कोठे से लाने के बाद उस ने उस से लव मैरिज कर ली और उसे दुलहन बना कर अपने घर कृष्णा कालोनी में ले आया. रितु अब हेमंत के साथ उस की पत्नी बन कर रहने लगी. वह एक सुघड़ गृहिणी की तरह हेमंत का घर संभालने लगी.

और तो सब सामान्य था, लेकिन रितु को शराब पीने की बुरी लत थी. रोज रात शुरू होने पर वह शराब के 2-4 पैग गले में उड़ेलती, फिर खाना खा कर सो जाती. हेमंत को उस ने गृह प्रवेश वाले दिन ही अपनी इस आदत के विषय में बता दिया था.

रितु की चाहत में दीवाना बने हेमंत को रितु की इस आदत पर ऐतराज नहीं था, वह शाम को घर लौटता था तो स्वयं एक अंगरेजी शराब का अद्धा खरीद कर ले आता था. रितु के साथ वह बैठ कर शराब पीता. रितु साकी बन कर उस के लिए और अपने लिए पैग बनाती थी. पीने के बाद दोनों खाना खाते फिर एकदूसरे के आगोश में लिपट कर सो जाते.