hindi love stories : बचपन के प्यार को पाने की जिद में किया सब कुछ

hindi love stories : शाम का वक्त था. दिल्ली के वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल का पूरा स्टाफ अपनी ड्यूटी पर था. तभी एक युवक अस्पताल के स्ट्रेचर को ठेलता हुआ अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचा और बदहवासी में बोला, ‘‘डाक्टर साहब, मेरी वाइफ ने जहर खा लिया है, इसे बचा लो वरना मैं जी नहीं सकूंगा.’’

उस की बात सुन कर अस्पताल के डाक्टरों ने उस युवती का चैकअप शुरू किया. उस की नब्ज और धड़कन गायब थीं. चैकअप के बाद डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. डाक्टर द्वारा पूछे जाने पर मृतका के साथ आए युवक राहुल मिश्रा ने बताया कि उस ने औफिस से लौटने के बाद पूजा को फर्श पर बेसुध पड़े देखा, उस की बगल में ही एक सुसाइड नोट पड़ा था.

नोट को पढ़ने के बाद उस की समझ में आया कि पूजा ने जहर खा लिया है. इस के बाद वह पूजा को गाड़ी में डाल कर सीधे अस्पताल ले आया.

चूंकि मामला सुसाइड का था, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने पूजा राय की मौत की सूचना इलाके के थाना किशनगढ़ को दे दी. थोड़ी ही देर में किशनगढ़ थाने की पुलिस वहां पहुंच गई. पूजा की लाश को अपने कब्जे में ले कर पुलिस राहुल मिश्रा से घटना के बारे में पूछताछ करने लगी.

पूछताछ के दौरान राहुल मिश्रा ने पुलिस को बताया कि वह गुड़गांव की एक बड़ी कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर तैनात है. थोड़ी देर पहले जब वह फ्लैट में पहुंचा तो पूजा फर्श पर पड़ी थी और उस के बगल में सुसाइड नोट रखा था, जिस में उस ने सुसाइड करने की बात लिखी थी.

पूजा की लाश को पोस्टमार्टम के लिए सफदरजंग अस्पताल भेज कर थानाध्यक्ष राजेश मौर्य पूजा के पति राहुल मिश्रा के साथ उस के फ्लैट में पहुंचे. राहुल ने उन्हें पूजा का लिखा हुआ सुसाइड नोट सौंप दिया. कमरे का मुआयना करने के बाद थानाध्यक्ष राजेश मौर्य किशनगढ़ थाना लौट गए. पहली नजर में उन्हें यह मामला सुसाइड का ही लग रहा था.

उसी दिन यानी 16 मार्च, 2019 को किशनगढ़ थाने में सीआरपीसी 173 के तहत यह मामला दर्ज कर लिया गया. अगले दिन डाक्टरों की एक टीम ने पूजा राय का पोस्टमार्टम किया. उस का विसरा भी जांच के लिए रख लिया गया. इस दौरान थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने पूजा के मायके सिंदरी, झारखंड को इस घटना की सूचना दे कर उस के पिता सुरेश राय को दिल्ली बुला लिया.

सुरेश राय ने अपने दामाद पर आरोप लगाते हुए थानाध्यक्ष राजेश मौर्य से कहा, ‘‘मेरी बेटी पूजा ने सुसाइड नहीं किया है, बल्कि उस की हत्या की गई है.’’

राजेश पर आरोप लगने के बाद पुलिस ने 18 मार्च को 3 डाक्टरों के पैनल से पूजा का पोस्टमार्टम कराया. डाक्टरों ने पोस्टमार्टम के बाद उस के विसरा को जांच के लिए भेज दिया. करीब एक महीने के बाद 27 अप्रैल, 2019 को पूजा का पोस्टमार्टम तथा विसरा रिपोर्ट आ गई, जिस में उस के मरने का कारण उस के सिर में घातक चोट का लगना तथा जहर मिला जूस पीना बताया गया.

इस के बाद पुलिस ने 31 अप्रैल को पूजा राय की हत्या का मामला आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत दर्ज कर लिया. इस मामले की तफ्तीश थानाध्यक्ष राजेश मौर्य को सौंपी गई.

केस की जांच संभालते ही थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने अपने आला अधिकारियों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा केस में आए इस बदलाव से अवगत करा दिया. साउथ वेस्ट दिल्ली के डीसीपी देवेंद्र आर्य इस मामले में पहले से ही दिलचस्पी ले रहे थे.

उन्होंने केस का खुलासा करने के लिए एसीपी ईश्वर सिंह की निगरानी में एक टीम बनाई, जिस में थानाध्यक्ष राजेश मौर्य, इंसपेक्टर संजय शर्मा, इंसपेक्टर नरेंद्र सिंह चहल, एसआई मनीष, पंकज, एएसआई अजीत, कांस्टेबल गौरव आदि को शामिल किया गया.

थानाध्यक्ष ने उसी दिन मृतका के पति राहुल मिश्रा को थाने बुला कर उसे बताया कि पूजा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि किसी ने उस की हत्या की है. इसलिए वह इस मामले को सुलझाने में सहयोग करें.

थानाध्यक्ष की बात सुन कर राहुल को हैरानी हुई. वह बोला, ‘‘सर, पूजा की तो किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. ऐसे में भला उस की हत्या कौन कर सकता है? अगर ऐसा है तो मेरी पत्नी के हत्यारे का पता लगा कर उसे जल्द से जल्द पकड़ने की कोशिश करें.’’

‘‘चिंता मत करो, पुलिस अपना काम करेगी. बस आप जांच में सहयोग करते रहना.’’ थानाध्यक्ष ने कहते हुए राहुल से उस से और पूजा से मिलने आने वाले सभी लोगों के फोन नंबर ले कर सभी नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर उन की बारीकी से जांच की. राहुल की काल डिटेल्स में एक फोन नंबर ऐसा मिला, जिस पर उस की ज्यादा बातें होती थीं.

वह नंबर पद्मा तिवारी का था, जो दिल्ली के मयूर विहार में रहती थी. राहुल ने बताया कि पद्मा उस की दोस्त है. घटना वाले दिन भी पद्मा ने शाम के वक्त राहुल के मोबाइल पर फोन कर उस से काफी देर तक बातें की थीं. इस से दोनों ही पुलिस के शक के दायरे में आ गए.

इस के बाद थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने राहुल के फ्लैट पर पहुंच कर वहां आसपड़ोस में रहने वालों से पूछताछ की तो पता चला कि 16 मार्च, 2019 की सुबह पद्मा तिवारी पूजा से मिलने उस के फ्लैट पर आई थी. इस के बाद किसी ने पूजा को फ्लैट से बाहर निकलते नहीं देखा था. अलबत्ता शाम के वक्त राहुल पूजा को बेहोशी की हालत में ले कर फोर्टिस अस्पताल गया था.

थानाध्यक्ष को अब मामला कुछकुछ समझ में आने लगा था, लेकिन उस वक्त उन्होंने राहुल मिश्रा से ऐसा कुछ नहीं कहा जिस से उसे पता चले कि उन्हें उस के ऊपर शक हो गया है.

राहुल से पूछताछ के बाद जब वह अपनी टीम के साथ वहां से चलने को हुए तो राहुल को फिर से थाने में आने का आदेश दिया. इस के अलावा उन्होंने राहुल की दोस्त पद्मा तिवारी को भी फोन कर उसे किशनगढ़ थाने में पहुंच कर मामले की जांच में सहयोग करने के लिए कह दिया.

जब राहुल और पद्मा किशनगढ़ थाने में पहुंचे तो उन दोनों से उन की काल डिटेल्स तथा उन के द्वारा पूर्व में दिए गए बयानों में आ रहे विरोधाभासों के आधार पर अलगअलग पूछताछ की गई तो उन के बयानों में फिर से काफी विरोधाभास नजर आया.

सुसाइड नोट की राइटिंग की जांच के लिए पुलिस ने पद्मा की हैंडराइटिंग की जांच की. इस जांच में पुलिस को सुसाइड नोट की राइटिंग और पद्मा की हैंडराइटिंग काफी हद तक एक जैसी लगी.

तीखे पुलिसिया सवालों से आखिर पद्मा टूट गई. उस ने पूजा की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. फिर राहुल ने भी मान लिया कि पूजा की हत्या पूरी तरह सुनियोजित थी. इतना ही नहीं, घटना वाले दिन पद्मा ने उस के मोबाइल पर फोन कर उसे पूजा की हत्या की जानकारी दी थी.

उन्होंने पूजा की हत्या क्यों की, इस बारे में जब उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो पूजा राय की हत्या के पीछे जो तथ्य उभर कर सामने आए, वह बचपन के प्यार को पाने की जिद की एक हैरतअंगेज कहानी थी.

कहा जाता है कि बचपन की दोस्ती और स्कूल के दिनों का प्यार भुलाए नहीं भूलता. और जब शादी के बाद वही बचपन का प्यार उस के शादीशुदा जीवन में अचानक सामने आ कर खड़ा हो जाए तो जिंदगी किस दोराहे या चौराहे पर पहुंचेगी, यह अनुमान लगाना आसान नहीं होता. कुछ ऐसा ही हुआ 32 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर राहुल मिश्रा और उस के बचपन की दोस्त 33 वर्षीय एमबीए पद्मा तिवारी के साथ.

राहुल मिश्रा अपने पिता रामदेव मिश्रा के साथ झारखंड के शहर सिंदरी में रहता था. वह वहां के डिनोबली स्कूल में पढ़ता था. पद्मा तिवारी भी उस के क्लास में थी. पद्मा तिवारी के मातापिता भी सिंदरी में रहते थे. दोनों बचपन से ही एकदूसरे के दोस्त थे. उम्र बढ़ने के साथ उन की दोस्ती प्यार में बदल गई.

12वीं पास करने के बाद दोनों आगे की पढ़ाई के लिए न चाहते हुए भी एकदूसरे से बिछड़ गए, क्योंकि राहुल मिश्रा ने ग्वालियर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी और सन 2010 में गुड़गांव स्थित एक कंपनी में उस की नौकरी लग गई. राहुल अपनी नौकरी में व्यस्त था. उस का पद्मा तिवारी से एक तरह से संपर्क टूट गया था.

सन 2015 में राहुल मिश्रा के स्कूल के दोस्तों ने एक वाट्सऐप ग्रुप बनाया, जिस में राहुल मिश्रा और पद्मा तिवारी का नाम भी शामिल था. इस ग्रुप के द्वारा पद्मा ने राहुल मिश्रा से मोबाइल फोन पर संपर्क किया. चूंकि उन की काफी दिनों बाद बातचीत हुई थी, इसलिए वे बहुत खुश हुए.

बातचीत से पता चला कि पद्मा ने नोएडा में रह कर एमबीए किया था. उस के बाद उसे नोएडा की एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी मिल गई थी. इस समय वह नोएडा में नौकरी कर रही थी, जहां उसे अच्छी खासी तनख्वाह मिलती थी. इस के बाद दोनों लगातार एकदूसरे से फोन पर बातें करने लगे.

इस से उन के स्कूल के दिनों का प्यार फिर से जीवित हो गया. अब दोनों ही अच्छी सैलरी ले रहे थे, इसलिए उन का जब मन होता, वे इधर उधर घूम कर दिल की बातें कर लेते थे. उन की नजदीकियां उस मुकाम पर पहुंच चुकी थीं कि अब दोनों को कोई जुदा नहीं कर सकता था.

लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. सन 2017 में जब राहुल मिश्रा के घर में उस की शादी की बात चली तो उन लोगों ने अपनी बहू के रूप में सिंदरी की ही रहने वाली पूजा राय को पसंद कर लिया. इस पर राहुल ने अपने घर वालों को बताया कि वह सिंदरी की रहने वाली सहपाठी पद्मा तिवारी से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है.

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                                                 राहुल और पूजा

राहुल ने घर वालों को यह भी बताया कि एमबीए करने के बाद पद्मा नोएडा की एक कंपनी में ऊंचे पद पर नौकरी कर रही है. लेकिन राहुल के पिता रामदेव मिश्रा ने राहुल की बात को हलके में लिया और उस की बात अनसुनी करते हुए पूजा से ही उस की शादी पक्की कर दी.

बनने लगी हत्या की योजना

राहुल को इस बात का दुख हुआ. वह अब ऐसा उपाय सोचने लगा कि किसी तरह उस की पूजा से शादी टूट जाए. उस ने तय कर लिया कि वह पूजा से मिल कर बता देगा कि उस का पद्मा के साथ अफेयर चल रहा है.

एक दिन वह पूजा राय के पास पहुंचा और अपने व पद्मा तिवारी के बीच सालों से चले आ रहे अफेयर की बात यह सोच कर बता दी कि यह सुन कर शायद वह उस से शादी करने से मना कर देगी. लेकिन पूजा समझदार लड़की थी.

वह राहुल की इस बात पर नाराज नहीं हुई बल्कि उसे उस की साफगोई अच्छी लगी कि राहुल दिल का साफ है जो उस ने यह बात उसे बता दी. यानी अपने होने वाले पति के मुंह से उस के पुराने अफेयर के बारे में जानकारी मिलने के बाद भी पूजा उस से शादी के लिए तैयार थी.

अप्रैल, 2017 में राहुल मिश्रा की शादी पूजा राय से हो गई. शादी के बाद राहुल पूजा को ले कर दिल्ली आ गया और साउथ दिल्ली के किशनगढ़ इलाके में किराए का एक फ्लैट ले कर रहने लगा. राहुल से शादी कर के पूजा बहुत खुश थी.

उस ने तय कर लिया था कि वह राहुल को इतना प्यार देगी कि वह अपना पिछला प्यार भूल जाएगा. पूजा ने राहुल की सेवा करने में सचमुच कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि महंगाई के कारण घर चलाने के लिए जब अधिक रुपयों की जरूरत महसूस हुई तो उस ने भी नौकरी करने का फैसला कर लिया.

उधर राहुल पूजा से शादी के बाद भी पद्मा को अपने दिल से नहीं निकाल सका. पद्मा का हाल भी राहुल की तरह ही था. दोनों वक्त निकाल कर एकदूसरे से मिलतेजुलते रहे. पद्मा मयूर विहार में एक किराए के फ्लैट में रहती थी.

अक्तूबर 2018 में जब पूजा की नौकरी करने के लिए उस का बायोडाटा तैयार करने की बात आई तो राहुल ने इसी बहाने पद्मा को अपने फ्लैट पर बुला लिया. पद्मा ने पूजा का बायोडाटा तैयार कर दिया. आगे चल कर पूजा को भी गुड़गांव की एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी मिल गई. इस के बाद पद्मा किसी न किसी बहाने उस के यहां आती रही.

जब पद्मा का राहुल के यहां ज्यादा आनाजाना बढ़ गया तो पूजा को पद्मा और राहुल के रिश्तों पर शक हो गया. उसे पद्मा का बारबार फ्लैट पर आना अखरने लगा. तब पूजा उस के साथ रूखा व्यवहार करने लगी.

इतना ही नहीं, वह पद्मा को हंसीमजाक के दौरान राहुल को ले कर कुछ ऐसी बात कर देती जिसे सुन कर वह तिलमिला कर रह जाती थी. पर पद्मा दिल के हाथों मजबूर थी. वह राहुल को बहुत चाहती थी. इसलिए उस ने राहुल के फ्लैट पर आना नहीं छोड़ा. इसलिए पूजा के व्यंग्य करने के बाद भी वह उस के यहां आती रही.

पद्मा ने ही ली पूजा की जान

लेकिन जब पूजा ने उस के और राहुल के रिश्तों को ले कर जलीकटी सुनानी जारी रखीं तो एक दिन उस ने यह बात राहुल को बताई और इस का कोई हल निकालने को कहा. पद्मा की बात सुन कर राहुल को अपनी पत्नी पर बहुत गुस्सा आया. उसी दिन दोनों ने मिल कर निश्चय कर लिया कि वे इस के बदले पूजा को जरूर सबक सिखाएंगे. दोनों ने इस के लिए एक योजना भी बना ली.

16 मार्च, 2019 को शनिवार का दिन था. योजना के अनुसार राहुल सुबह तैयार हो कर गुड़गांव स्थित अपने औफिस चला गया. चूंकि पूजा की उस दिन छुट्टी थी, इसलिए वह फ्लैट पर अकेली आराम कर रही थी. राहुल के जाने के कुछ देर बाद पद्मा पूजा से मिलने फ्लैट पर पहुंची तो पूजा ने उस से कहा कि उसे किसी काम से बाहर निकलना है, इसलिए वह उसे अधिक समय नहीं दे पाएगी.

इस पर पद्मा ने उस से कहा, ‘‘कुछ देर बातचीत कर के मैं चली जाऊंगी तो तुम चली जाना.’’

पद्मा अपने साथ 2 गिलास फ्रूट जूस ले कर आई थी. उस ने दोनों गिलास पूजा के सामने टेबल पर रख दिए. उस वक्त काम करने वाली आया घर का कामकाज निपटा रही थी. इस बीच पूजा ने पद्मा के साथ नाश्ता किया. जब आया अपना काम खत्म कर वहां से चली गई तो पद्मा ने पूजा से जूस पी लेने के लिए कहा.

जैसे ही पूजा ने जूस पीने के लिए गिलास उठाना चाहा तो पद्मा ने कहा कि वह उस के लिए एक गिलास पानी ले आए. यह सुन कर पूजा जूस का गिलास वहीं छोड़ कर पानी लाने के लिए चली गई.

पूजा के जाते ही पद्मा ने अपने कपड़ों में छिपा कर लाया जहरीला पदार्थ उस के गिलास में डाल कर मिला दिया. पूजा किचन से पानी का गिलास ले कर लौटी और गिलास पद्मा को दे दिया. इस के बाद पूजा ने पद्मा द्वारा लाया जूस का गिलास उठाया और धीरेधीरे पूरा जूस खत्म कर दिया.

जूस पीने के थोड़ी देर बाद अचानक उस की तबीयत खराब होने लगी. उल्टी और पेट दर्द की शिकायत होने पर उस ने फ्लैट से बाहर निकलना चाहा लेकिन पद्मा ने उसे पकड़ कर दबोच लिया. पूजा के बेहोश होने पर पद्मा ने उस का सिर बारबार फर्श से पटका ताकि उस के जीवित रहने की संभावना न रहे.

पूजा की हत्या करने के बाद पद्मा ने फ्लैट को अच्छी तरह साफ किया और पेपर के बने उन दोनों गिलासों को अपने साथ ले कर वहां से मयूर विहार अपने कमरे पर लौट आई. शाम को उस ने अपने प्रेमी राहुल मिश्रा को फोन कर बता दिया कि आज उस ने उस की पत्नी पूजा का किस्सा तमाम कर दिया है.

साथ ही उस ने यह भी बताया कि उस ने पूजा के पास में सुसाइड नोट भी लिख कर छोड़ दिया है, जिसे पढ़ कर पुलिस और तमाम लोग यह समझेंगे कि पूजा ने किसी कारण परेशान हो कर सुसाइड कर लिया है.

शाम के वक्त राहुल औफिस से अपने फ्लैट पर पहुंचा तो योजना के अनुसार पूजा की डैडबौडी को ले कर वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल पहुंचा और वहां डाक्टर से नाटक करते हुए अपनी पत्नी की जान बचा लेने की गुहार लगाई.

लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेड इंजरी तथा पूजा को जूस में जहर देने की बात सामने आई, जिस से राहुल और पद्मा द्वारा रचे गए पूजा के नकली सुसाइड के रहस्य से पदा हटा दिया.

अगले दिन पुलिस ने दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर दिया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. hindi love stories

मंगेतर के इश्क में हुई मौत

17 अप्रैल, 2023 को रोशनी का डिजिटल मार्केटिंग का पेपर था. वह जालौन जिले के एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल डिग्री कालेज में बीए (द्वितीय वर्ष) की छात्रा थी. इसी कालेज में उस की बड़ी बहन शीलम भी पढ़ती थी. वह बीए फाइनल में थी. उस का हिंदी साहित्य का पेपर था. सुबह 8 बजे उन दोनों को उन का भाई श्रीचंद्र अपनी बाइक से कालेज गेट पर छोड़ कर चला गया था.

लगभग साढ़े 10 बजे रोशनी और शीलम परीक्षा दे कर कालेज से निकलीं. हाथों में प्रवेश पत्र थामे दोनों बहनें अपने घर की तरफ चल दीं. चलतेचलते दोनों आपस में बातचीत भी करती जा रही थी. जैसे ही वे कोटरा तिराहे की ओर बढ़ीं, तभी रोशनी एकाएक ठिठक कर रुक गई.

किसी अनचाहे शख्स के अंदेशे में उस ने पलट कर देखा. पीछे एक बजाज पल्सर बाइक सवार को देख कर उस की आंखों में खौफ की छाया तैर गई. क्योंकि वह बाइक पर पीछे की सीट पर बैठे युवक को जानती थी. रोशनी ने तुरंत अपनी बड़ी बहन शीलम का हाथ जोर से पकड़ा और घसीटते हुए कहा, ”जरा तेज कदम बढ़ाओ.’’

शीलम ने रोशनी को खौफजदा पाया तो फौरन पलट कर पीछे देखा. वह भी पूरा मामला समझ गई. इस के बाद दोनों बहनें फुरती से तेजतेज चलने लगीं.

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चेहरे पर हलकी दाढ़ी और सख्त चेहरे वाला युवक राज उर्फ आतिश था, जो रोशनी का मंगेतर था, पर किसी वजह से उस से सगाई टूट गई थी. राज व उस के साथी को देख कर दोनों बहनों की चाल में लडख़ड़ाहट आ गई थी. आशंका को भांप कर रोशनी ने मोबाइल निकाल कर किसी का नंबर मिलाया.

वह मोबाइल पर बात कर पाती, उस के पहले ही राज बाइक से उतर कर उस के पास पहुंच गया. उस ने मोबाइल वाला हाथ झटकते हुए रोशनी का गला दबोच लिया. गले पर कसते सख्त हाथों की गिरफ्त से छूटने के लिए रोशनी ने जैसे ही हाथ चलाने की कोशिश की, राज ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और रोशनी के सिर पर सटा कर फायर कर दिया.

गोली लगते ही रोशनी चीखी और सड़क पर बिछ गई. उस के सिर से खून की धार बह निकली. कुछ देर छटपटाने के बाद रोशनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. बदहवास शीलम ने चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन उस के गले से आवाज निकलने के बजाय वह जड़ हो कर रह गई. इसी बीच कुछ लोगों को आते देख कर राज डर गया. हड़बड़ाहट में वह भागा तो उस का तमंचा हाथ से छूट गया. वह बिना तमंचा उठाए ही अपने साथी के साथ बाइक पर सवार हो कर फरार हो गया.

हत्यारे फरार हो गए, तब शीलम जोरजोर से चीखने लगी. उस ने कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन सभी ने मुंह फेर लिया. उस के बाद उस ने हिम्मत जुटा कर मोबाइल फोन से अपने घर वालों को जानकारी दी.

सामने हुई हत्या तमाशबीन क्यों रहे लोग

रोशनी की हत्या की खबर सुनने के बाद घर में कोहराम मच गया. कुछ ही देर बाद मृतका के मम्मीपापा, भाई व परिवार के अन्य लोग वहां पहुंच गए और खून से लथपथ रोशनी की लाश देख कर दहाड़ मार कर रोने लगे.

रोशनी की हत्या दिनदहाड़े कस्बे के कोटरा तिराहे के भीड़ भरे बाजार में की गई थी, लेकिन हत्यारों का सामना करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा सका था. दुकानदार तो इतने दहशत में आ गए थे कि वे अपनी दुकानों के शटर गिरा कर तमाशबीन बन गए थे.

दरअसल, दहशत इसलिए थी कि एक दिन पहले ही कुख्यात माफिया अतीक व उस के भाई की हत्या प्रयागराज में गोली मार कर की गई थी. लोगों के दिमाग में भय था कि इस हत्या का कनेक्शन कहीं उस वारदात से तो नहीं जुड़ा है.

घटनास्थल से एट कोतवाली की दूरी मात्र 200 मीटर थी. कोतवाल अवधेश कुमार सिंह चौहान को वारदात की खबर लगी तो वह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पहुंच गए. पुलिस के पहुंचते ही भीड़ का सैलाब उमड़ पड़ा. कोतवाल अवधेश कुमार सिंह ने मामले की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी, फिर निरीक्षण में जुट गए.

21 वर्षीया रोशनी की हत्या सिर में गोली मार कर की गई थी. शव के पास ही .315 बोर का तमंचा पड़ा था, जिस से उस की हत्या की गई थी. पुलिस ने तमंचे को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. मृतका का मोबाइल फोन व प्रवेशपत्र भी वहीं पड़ा था. पुलिस ने उसे भी सुरक्षित कर लिया.

अभी यह सब काररवाई चल ही रही थी कि एसपी डा. ईरज राजा, एएसपी असीम चौधरी तथा सीओ (कोंच) शैलेंद्र बाजपेई भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया.

पुलिस अफसरों के आते ही चीखपुकार बढ़ गई. मृतका की मम्मी सुनीता, पापा मानसिंह तथा भाई श्रीचंद्र दहाड़ें मार कर रोने लगे. पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह उन्हें शव से अलग किया, फिर घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर साक्ष्य जुटाए.

घटनास्थल पर मृतका की बहन शीलम मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों को उस ने बताया कि उस की बहन रोशनी की हत्या उस के मंगेतर राज उर्फ आतिश ने की है. वह कंदौरा थाने के गांव जमरेही का रहने वाला है. रोशनी और राज आपस में प्रेम करते थे. मम्मीपापा ने दोनों का रिश्ता भी तय कर दिया था.

लेकिन जब रोशनी को पता चला कि राज गुस्से वाला, शक्की व सनकी स्वभाव का है तो रोशनी ने उस से शादी करने से इंकार कर दिया. इस से वह नाराज हो गया और रोशनी को डराने धमकाने लगा. रोशनी नहीं मानी तो आज उस ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी. उस के साथी को वह जानती पहचानती नहीं है.

निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस ने मृतका रोशनी के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. साथ ही मृतका की बड़ी बहन शीलम की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत राज उर्फ आतिश तथा एक अज्ञात व्यकित के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने ऐसे ढूंढ निकाला आरोपी

एसपी डा. ईरज राजा ने छात्रा रोशनी हत्याकांड को बड़ी गंभीरता से लिया. अत: आरोपियों को पकडऩे के लिए उन्होंने पुलिस की 4 टीमें गठित कीं. एक टीम सीओ (कोंच) शैलेंद्र बाजपेई तथा दूसरी टीम कोतवाल अवधेश कुमार सिंह की अगुवाई में गठित की.

एसओजी तथा सर्विलांस टीम को भी सहयोग के लिए शामिल किया. इन चारों टीमों ने आरोपितों के हरसंभावित ठिकानों, हमीरपुर, कंदौरा, जमरेही, विवार तथा धनपुरा में ताबड़तोड़ दबिशें दीं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.

शाम 5 बजे कोतवाल अवधेश कुमार सिंह को मुखबिर के जरिए पता चला कि आरोपी राज एट थाने के गांव सोमई में किसी परिचित के घर छिपा है. इस सूचना पर पुलिस टीम ने सोमई गांव में दबिश डाल कर और उसे दबोच लिया. पुलिस टीम ने उस की बिना नंबर प्लेट वाली बजाज पल्सर बाइक भी बरामद कर ली. पूछताछ के लिए उसे थाना एट लाया गया.

थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया और रोशनी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि रोशनी उस की प्रेमिका थी. वह उस से शादी करना चाहता था. घर वाले भी राजी हो गए थे, लेकिन रोशनी ने शादी से इंकार कर दिया. उस ने उसे प्यार से भी समझाया और धमकाया भी. लेकिन जब वह नहीं मानी तो उसे मौत की नींद सुला दिया.

”तुम्हारे साथ जो अन्य युवक था, उस से तुम्हारा क्या संबंध है?’’ कोतवाल अवधेश सिंह ने पूछा.

”सर, वह मेरा  ममेरा भाई रोहित उर्फ गोविंदा था. वह हमीरपुर जिले के विवार थाने के गांव धनपुरा का रहने वाला है. हमारे और रोशनी के बारे में उसे सब पता था. हम ने जब उसे प्रेमिका की बेवफाई और उसे सबक सिखाने की बात कही तो वह साथ देने को राजी हो गया.’’

”तुम्हारी बाइक की नंबर प्लेट नहीं है. क्या वह चोरी की है?’’ श्री सिंह ने पूछा.

”नहीं सर, बाइक चोरी की नहीं है. हम ने पहचान छिपाने के लिए नंबर प्लेट जंगल में छिपा दी तथा खून से सने कपड़े चिकासी गांव के पास बेतवा नदी में फेंक दिए थे.’’

चूंकि सबूत के तौर पर खून से सने कपड़े तथा नंबर प्लेट बरामद करना जरूरी था, अत: कोतवाल अवधेश कुमार सिंह ने आरोपी राज की निशानदेही पर कपड़े व प्लेट बरामद करने पुलिस टीम के साथ निकल पड़े. अब तक अंधेरा छा चुका था. राज जब पचखौरा नहर पुलिया के पास पहुंचा तो उस ने पुलिस जीप रुकवा दी.

वह नीचे उतरा और बताया कि यहीं नहर झाडिय़ों में उस ने नंबर प्लेट छिपाई थी. पुलिस के साथ राज झाडिय़ों की तरफ बढ़ा, तभी अचानक उस ने कोतवाल अवधेश कुमार सिंह के हाथ से सरकारी पिस्टल छीन ली और फायर झोंकने की धमकी दे कर भागने लगा. पुलिस टीम ने भी उस की घेराबंदी कर जवाबी काररवाई शुरू कर दी.

राज ने एक फायर किया, तभी पुलिस ने भी गोली चला दी. पुलिस की गोली राज के पैर में लगी, जिस से वह जख्मी हो कर जमीन पर गिर पड़ा. घायल राज को तुरंत जिला अस्पताल में इलाज हेतु भरती कराया गया.

पुलिस की अन्य टीमें दूसरे आरोपी रोहित उर्फ गोविंदा को पकडऩे के लिए अथक प्रयास में जुटी रहीं, लेकिन वह हाथ नहीं आया. पुलिस जांच में एक ऐसे शक्की व सनकी प्रेमी की कहानी सामने आई, जिस ने एक होनहार छात्रा की सांसें छीन लीं और स्वयं का जीवन भी अंधकारमय बना लिया.

मौसी के घर ऐसे बढ़ी प्रेम की बेल

उत्तर प्रदेश का एक जिला है जालौन. इसी जिले के एट थाना अंतर्गत ऐंधा गांव में मानसिंह अहिरवार सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटे हरीश कुमार, श्रीचंद्र और 4 बेटियां रजनी, मोहनी, शीलम तथा रोशनी थी. मानसिंह किसान था.

खेतीबाड़ी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. उस का बड़ा बेटा हरीश कुमार उरई में प्राइवेट जौब करता था, जबकि छोटा बेटा श्रीचंद्र खेती के काम में हाथ बंटाता था. 2 बेटियों रजनी व मोहनी के जवान होते ही मानसिंह ने उन का विवाह कर दिया था.

मानसिंह की सब से छोटी बेटी का नाम रोशनी था. वह बहुत चंचल थी. इसलिए वह किसी से भी बातचीत में नहीं झिझकती थी. रोशनी से बड़ी शीलम थी. वह भी बातूनी व हंसमुख थी. दोनों बहनें सुंदर तो थीं ही, पढऩे में भी तेज थी.

दोनों एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल महाविद्यालय में पढ़ती थीं और साथसाथ कालेज जाती थीं. कालेज में लड़के लड़कियां साथ पढ़ते थे, लेकिन कभी किसी लड़के की हिम्मत नहीं हुई कि वह इन दोनों बहनों से पंगा ले.

रोशनी की मौसी अनीता, कदौरा थाने के गांव जमरेही में ब्याही थी. वह रोशनी को बहुत चाहती थी. बात उन दिनों की है, जब रोशनी ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी. मौसी के बुलावे पर वह जमरेही गांव पहुंची. वहां मौसी ने उस की खूब आवभगत की और कुछ दिनों के लिए उसे अपने घर रोक लिया था.

मौसी के घर पर ही एक रोज रोशनी की मुलाकात राज उर्फ आतिश से हुई. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए. राज उर्फ आतिश, रोशनी की मौसी अनीता का पड़ोसी था और उस की जातिबिरादरी का था.

चूंकि राज का अनीता के घर बेरोकटोक आनाजाना था, इसलिए उस की मुलाकातें बढऩे लगीं. उन मुलाकातों ने दोनों के दिलों में प्रेम के बीज बो दिए. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत भी होने लगी. खूबसूरत रोशनी जहां राज के दिल में समा गई थी, वहीं स्मार्ट राज से बातचीत करना रोशनी को भी अच्छा लगने लगा था.

एक रोज राज अनीता के घर गया तो वह घर में नहीं दिखी. इस पर राज ने पूछा, ”रोशनी, आंटी नहीं दिख रहीं, क्या वह कहीं गई हैं?’’

”हां, मौसी खेत पर गई हैं. घंटे-2 घंटे बाद ही आएंगी.’’ रोशनी ने जवाब दिया.

रोशनी की बात सुन कर राज मन ही मन खुश हुआ. उसे लगा कि आज उसे अपने दिल की बात कहने का अच्छा मौका मिला है. अत: वह बोला, ”रोशनी आओ, मेरे पास बैठो. मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. लेकिन..?’’

”लेकिन क्या?’’ रोशनी ने आंखें नचा कर पूछा.

”यही कि डर लगता है कि कहीं तुम मेरी बात का बुरा न मान जाओ.’’

”तुम मुझे गाली तो दोगे नहीं, फिर भला मैं बुरा क्यों मान जाऊंगी?’’

”रोशनी, तुम मेरे जीवन को भी रोशनी से भर दो.’’ कहते हुए राज ने रोशनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया. फिर बोला, ”रोशनी, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है. मैं तुम्हें अपने घर की रोशनी बनाना चाहता हूं.’’

रोशनी कुछ क्षण मौन रही फिर बोली, ”राज, मुझे तुम्हारा प्यार तो कुबूल है, लेकिन शादी का वादा नहीं कर सकती. क्योंकि एक तो मैं अभी पढ़ रही हूं, दूसरे शादी विवाह की बात घर वाले ही तय करेंगे. मैं ऐसा कोई वादा नहीं करना चाहती, जिस के टूटने से तुम्हारे दिल को ठेस लगे.’’

इस के बाद रोशनी और राज का प्यार परवान चढऩे लगा. दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर ले लिया था, अत: उन की बात देरसवेर फोन पर भी होने लगी थी. ज्यादा देर बात करने को मौसी टोकती तो वह कालेज की सहेली से बात करने का बहाना बना देती. कभीकभी मां या बड़ी बहन से बात करने की बात कहती. अनीता उस की बातों पर सहज ही विश्वास कर लेती.

लेकिन अनीता के विश्वास को ठेस तब लगी, जब उस ने एक शाम धुंधलके में राज और रोशनी को आपस में छेड़छाड़ करते देख लिया. दूसरे रोज अनीता ने रोशनी को प्यार से समझाया, ”बेटी, लड़की की इज्जत सफेद चादर की तरह होती है. भूल से भी उस पर दाग लग जाए तो वह दाग जीवन भर नहीं जाता.’’

रोशनी समझ गई कि मौसी को उस पर शक हो गया है. उस ने अपनी सफाई में बहुत कुछ कहा. लेकिन अनीता ने यकीन नहीं किया. उस ने राज को भी फटकार लगाई. इसी के साथ वह दोनों पर निगरानी रखने लगी. लेकिन फिर भी दोनों फोन पर बतिया लेते थे और दिल की लगी बुझा लेते थे.

अनीता नहीं चाहती थी कि उस के घर पर रहते रोशनी कोई गलत कदम उठाए और वह बदनाम हो जाए. अत: उस ने रोशनी को उस के घर ऐंधा भेज दिया. रोशनी प्रेम रोग ले कर घर वापस आई थी. अत: उस का मन न तो पढ़ाई मेंं लगता था और न ही घर के दूसरे काम में.

वह खोईखोई सी रहने लगी थी. बड़ी बहन शीलम ने उस से कई बार पूछा कि वह खोईखोई सी क्यों रहती है? लेकिन रोशनी ने उसे कुछ नहीं बताया. वह बुत ही बनी रही.

बड़ी बहन को ऐसे पता लगा रोशनी के अफेयर का

एक रोज रोशनी बाथरूम में थी, तभी उस के फोन पर काल आई. काल शीलम ने रिसीव की और पूछा, ”आप कौन और किस से बात करनी है?’’

इस पर दूसरी ओर से आवाज आई, ”मैं राज बोल रहा हूं. मुझे रोशनी से बात करनी है. जब वह मौसी के घर जमरेही आई थी, तभी उस से जानपहचान हुई थी.’’

”ठीक है, अभी वह घर पर नहीं है.’’ कह कर शीलम ने काल डिसकनेक्ट कर दी. फिर सोचने लगी कि कहीं रोशनी किसी लड़के के प्यार के चक्कर में तो नहीं पड़ गई. कहीं रोशनी उसी के प्यार में तो नहीं खोई रहती. यदि ऐसा कुछ है तो वह आज भेद खोल कर ही रहेगी.

कुछ देर बाद रोशनी बाथरूम से बाहर आई तो शीलम ने पूछा, ”रोशनी, यह राज कौन है? तू उसे कैसे जानती है?’’

”दीदी, मैं किसी राज को नहीं जानती.’’ रोशनी धीमी आवाज में सफेद झूठ बोल गई.

”देखो रोशनी, अभी कुछ देर पहले जमरेही से राज का फोन आया था. वैसे तो उस ने मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया है. लेकिन मैं सच्चाई तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती हूं.’’

रोशनी समझ गई कि उस की आशिकी का भेद खुल गया है. अब सच्चाई बताने में ही भलाई है. अत: वह बोली, ”दीदी, जब हम मौसी के घर गए थे तो वहां हमारी मुलाकात मौसी के पड़ोस में रहने वाले अशोक अहिरवार के बेटे राज उर्फ आतिश से हुई थी. कुछ दिनों बाद ही हमारी मुलाकातें प्यार में बदल गईं और हम दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे. दीदी, राज पढ़ालिखा स्मार्ट युवक है. परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक है. राज मुझे बेहद प्यार करता है और शादी करना चाहता है.’’

सच्चाई जानने के बाद शीलम ने सारी बात अपनी मम्मी सुनीता तथा पापा मानसिंह को बताई तो उन के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. उन दोनों ने पहले प्यार से फिर डराधमका कर रोशनी को समझाने की कोशिश की, लेकिन रोशनी नहीं मानी. दोनों भाइयों ने भी रोशनी को समझाया. पर रोशनी ने राज से बातचीत करनी बंद नहीं की. वह कालेज आतेजाते तथा देर रात में राज से बातें करती रहती.

रोशनी की दीवानगी देख कर घर वालों को लगा कि यदि रोशनी पर ज्यादा सख्ती की गई तो कहीं ऐसा न हो कि रोशनी पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर अपने प्रेमी के साथ फुर्र न हो जाए. इसलिए मानसिंह ने अपने परिवार के साथ इस गहन समस्या पर मंथन किया. फिर निर्णय हुआ कि रोशनी की शादी राज के साथ तय कर दी जाए. लेकिन शर्त होगी कि शादी बीए फाइनल करने के बाद ही होगी.

इस के बाद सुनीता अपने पति मानसिंह के साथ अपनी बहन अनीता के घर जमरेही पहुंची. उस ने बहन को राज और रोशनी के प्रेम संबंधों के बारे में बताया और दोनों की शादी तय करने की बात कही. अनीता को दोनों के संबंधों के बारे में पहले से ही पता था सो वह राजी हो गई. अनीता ने कहा कि राज पढ़ालिखा है. संपन्न किसान का बेटा है. सब से बड़ी बात जातबिरादरी का है. अत: रिश्ता हर मायने में सही है.

सब को रिश्ता उचित लगा तो मानसिंह ने अशोक अहिरवार से उन के बेटे राज उर्फ आतिश के रिश्ते की बात चलाई. अशोक भी तैयार हो गया. उस के बाद रोशनी का रिश्ता राज के साथ तय हो गया. शर्त यह रखी गई कि रोशनी जब बीए पास कर लेगी, तब दोनों की शादी होगी. इस शर्त को राज व उस के घर वालों ने मान लिया.

शादी तय हो जाने के बाद राज का रोशनी के घर आनाजाना शुरू हो गया. वह हर सप्ताह बाइक से रोशनी के घर पहुंच जाता, रोशनी उस के साथ घूमने फिरने निकल जाती. फिर शाम को ही वापस आती. इस बीच दोनों खूब हंसते बतियाते, रेस्तरां में खाना खाते और जम कर लुत्फ उठाते. उन पर घर वालों की कोई पाबंदी न थी. अत: उन्हें किसी प्रकार का कोई डर भी न था. इस तरह एक साल बीत गया.

रोशनी अब तक बीए (प्रथम वर्ष) पास कर द्वितीय वर्ष में पढऩे लगी थी. जबकि उस की बड़ी बहन शीलम तृतीय वर्ष में पढ़ रही थी. दोनों बहनें एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल महाविद्यालय की छात्रा थीं. वह घर से कालेज साथ ही आतीजाती थीं. रोशनी को फोन पर बतियाने का बहुत शौक था. कालेज से निकलते ही वह बतियाने लगती थी. जबकि शीलम गंभीर थी. उसे फालतू बकवास पसंद न थी.

मंगेतर को ऐसे हुआ रोशनी पर शक

एक रोज राज ने रोशनी को काल की तो उस का नंबर व्यस्त बता रहा था. कई बार कोशिश करने पर भी जब रोशनी से बात नहीं हो पाई तो राज के मन में शक बैठ गया कि रोशनी उस के अलावा किसी और से भी प्यार करती है. जिस से वह घंटों बतियाती है. इसलिए उस का फोन व्यस्त रहता है. उस रोज वह बेहद परेशान रहा और कई तरह के विचार उस के मन में आते रहे.

राज के मन में शक समाया तो वह दूसरे रोज सुबह 11 बजे कालेज गेट पहुंच गया. रोशनी कालेज से निकली तो वह उस का पीछा करने लगा. उस रोज रोशनी कालेज अकेले ही आई थी. कुछ दूर पहुंचने पर रोशनी फोन पर किसी से हंसहंस कर बातें करने लगी. राज का शक यकीन में बदल गया कि रोशनी का कोई और भी यार है.

गुस्से से भरा राज रोशनी के पास जा पहुंचा और मोबाइल छीन कर बोला, ”तुम हंसहंस कर किस से बात कर रही थी. क्या मेरे अलावा कोई और भी दिलवर है?’’

राज को सामने देख कर रोशनी घबरा गई और बोली, ”मैं अपनी सहेली से बात कर रही थी. वह आज कालेज आई नहीं थी. लेकिन तुम यह बहकीबहकी बातें क्यों कर रहे हो?’’

”क्योंकि मुझे सच्चाई पता है. तुम सहेली से नहीं, अपने यार से बात कर रही थी.’’

”लगता है तुम शक्की और सनकी इंसान हो. मुझ पर यकीन नहीं तो मिलने क्यों आते हो. लगता है तुम्हारा प्यार छलावा है. तुम तो प्यार के काबिल ही नहीं हो.’’

उन दोनों के बीच उस दिन जम कर बहस हुई. इस बहस से रोशनी का दिल टूट गया. राज के प्रति उस की जो मोहब्बत थी, वह घायल हो गई. वह सोचने को मजबूर हो गई कि ऐसे शक्की इंसान के साथ वह जीवन कैसे गुजार सकेगी. रोशनी इस बात को ले कर परेशान रहने लगी. जबकि बड़ी बहन शीलम उसे समझाती कि वह चिंता न करे. सब ठीक हो जाएगा.

कहते हैं कि शक की विषबेल बहुत जल्दी पनपती है. राज के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस का शक दिनबदिन बढ़ता ही गया. वह जब भी रोशनी को किसी से फोन पर बात करते देख लेता तो वह बात करने से रोकता, साथ ही उसे डांटता व अपशब्द भी कहता.

रोशनी को यह नागवार गुजरता था. फिर भी उस ने कई बार राज को समझाया भी कि वह अपनी दोस्त सहेलियों से ही बात करती है. लेकिन राज रोशनी की कोई बात सुनने को तैयार न था. कई बार समझाने पर भी जब राज के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया तो रोशनी उस से दूरी बनाने लगी. उस ने उस से मिलना भी कम कर दिया.

राज के दुव्र्यवहार से अब रोशनी चिंतित रहने लगी थी. सुनीता ने बेटी के माथे पर चिंता की लकीरें पढ़ीं तो उस ने एक रोज रोशनी से पूछा, ”बेटी, आजकल तू गुमसुम रहती है. चेहरे से हंसी भी गायब है, खाना भी समय पर नहीं खाती. आखिर बात क्या है?’’

मां की सहानुभूति पा कर रोशनी की आंखों में आंसू आ गए. बोली, ”मां, मैं राज को ले कर चिंतित हूं. वह शक्की इंसान है. फोन पर किसी से बात करते देखता है तो शक करता है. मैं ने उस से दिल लगा कर भूल की है. मैं ऐसे शक्की इंसान से शादी नहीं कर सकती.’’

बेटी के दर्द से सुनीता भी तड़प उठी. उस ने यह बात पति मानसिंह को बताई तो उस का पारा भी चढ़ गया. इस के बाद मानसिंह ने अपनी पत्नी व बेटों से विचारविमर्श किया और शादी तोड़ देने का निश्चय किया. रिश्ता खत्म करने की जानकारी मानसिंह ने अशोक अहिरवार व उस के बेटे राज को भी दे दी.

राज क्यों नहीं चाहता था रोशनी से रिश्ता तोडऩा

रिश्ता टूटने से राज उर्फ आतिश बौखला गया. उस ने रोशनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उस ने काल रिसीव ही नहीं की. दूसरे रोज राज रोशनी के कालेज पहुंच गया. रोशनी कालेज के बाहर आई तो उस ने पूछा, ”रोशनी, रिश्ता तुम ने तोड़ा है या तुम्हारे घर वालों ने?’’

”मैं ने अपनी व घर वालों की मरजी से खूब सोचसमझ कर रिश्ता तोड़ा है.’’

”क्यों तोड़ा है?’’ राज ने पूछा.

”इसलिए कि तुम शक्की व सनकी इंसान हो. तुम जैसे इंसान के साथ मैं जीवन नहीं बिता सकती.’’

”सोच लो. कहीं तुम्हारा यह फैसला भारी न पड़ जाए.’’ राज ने धमकी दी.

”मैं ने अच्छी तरह सोचसमझ कर ही फैसला लिया है. तुम्हारी धमकी से मैं डरने वाली नही हूं. और हां, आज के बाद मुझ से मिलने कालेज में मत आना.’’

लेकिन रोशनी की बात पर राज ने गौर नहीं किया. वह अकसर कालेज आ जाता और रोशनी को धमकाता कि वह उस से शादी करे. यही नहीं राज रोशनी के मम्मीपापा व भाइयों को भी फोन पर धमकाने लगा था कि रिश्ता तोड़ कर तुम लोगों ने अच्छा नहीं किया. अब भी समय है रिश्ता जोड़ लो. वरना परिणाम अच्छा न होगा.

अप्रैल, 2023 के दूसरे सप्ताह से रोशनी और शीलम की वार्षिक परीक्षा शुरू हो गई थी. दोनों बहनें साथसाथ परीक्षा देने आतीजाती थीं. 14 अप्रैल, 2023 को रोशनी व शीलम पेपर दे कर निकलीं तो कालेज गेट से कुछ दूरी पर राज ने रोशनी को रोक लिया और बोला, ”रोशनी, मैं तुम से आखिरी बार पूछ रहा हूं कि मुझ से रिश्ता जोड़ोगी या नहीं?’’

रोशनी गुस्से से बोली, ”मैं तुम से एक बार नहीं, सौ बार कह चुकी हूं कि तुम जैसे शक्की और सनकी इंसान से मैं शादी हरगिज नहीं करूंगी.’’

”यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ राज ने आंखें तरेर कर पूछा.

”हां, यह मेरा आखिरी फैसला है.’’ रोशनी ने भी आंखें तरेर कर ही जवाब दिया.

”तो तुम मेरा फैसला भी सुन लो, यदि तुम मेरी दुलहन नहीं बनोगी तो मैं तुम्हें किसी और की दुलहन भी नहीं बनने दूंगा.’’ धमकी दे कर राज चला गया.

राज उर्फ आतिश का ममेरा भाई था रोहित उर्फ गोविंदा. वह हमीरपुर जनपद के विवार थाने के गांव धनपुरा का रहने वाला था. राज की रोहित से खूब पटती थी. रोहित को रोशनी और राज के रिश्तों की बात पता थी. प्यार में जख्मी राज रोहित के पास पहुंचा और उसे बताया कि रोशनी ने शादी से इंकार कर दिया है. वह उस को बेवफाई का सबक सिखाना चाहता है. उस की मदद चाहिए.

रोहित मदद को राजी हो गया. इस के बाद दोनों ने मिल कर तमंचा व कारतूस का इंतजाम किया और एट आ गए.

17 अप्रैल, 2023 को शीलम और रोशनी अपनाअपना पेपर दे कर कालेज से निकलीं तो बाइक से राज व रोहित ने उन का पीछा करना शुरू किया. शीलम व रोशनी जैसे ही कोटरा तिराहा पहुंचीं, तभी राज व रोहित ने उन्हें घेर लिया. फिर बिना कुछ कहे राज ने रोशनी के सिर में तमंचा सटा कर फायर कर दिया. रोशनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.

पूछताछ करने के बाद 19 अप्रैल, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी राज उर्फ आतिश को उरई कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. दूसरा आरोपी रोहित उर्फ गोविंदा फरार था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

17 महीने से छिपी लाश का रहस्य

नाले के पास बिना सिर वाला एक धड़ पड़ा हुआ है, जिस के बदन पर नीले कलर की टीशर्ट पर लाल सफेद लाइनिंग साफ नजर आ रही थी. मरने वाले के हाथ में लोहे का कड़ा और पीले लाल कलर का धागा बंधा हुआ था. उस के शरीर के निचले हिस्से में लाल रंग की अंडरवियर और बनियान थी. सिर के बाल  तथा दाढ़ी व मूंछ में मेहंदी कलर लगा हुआ था. जिस जगह यह सिर कटा धड़ पड़ा हुआ था, उस के कुछ ही दूरी पर एक प्लास्टिक की बोरी भी पड़ी हुई थी.

पुलिस टीम ने जब उस बोरी को खोला तो उस में मृतक का सिर मिला. पहली नजर में हत्या का मामला दिख रहा था. लिहाजा उन्होंने सीन औफ क्राइम मोबाइल यूनिट के प्रभारी डा. आर.पी. शुक्ला को मौके पर बुला लिया.

फोरैंसिक एक्सपर्ट डा. आर.पी. शुक्ला ने मौका मुआयना कर शव को देख कर बताया कि मरने वाले की उम्र 35 साल से अधिक लग रही है. लाश को देखने से प्रतीत हो रहा है कि लाश महीनों पुरानी है और उस की गरदन काट कर हत्या की गई होगी.

एफएसएल टीम ने मौकामुआयना कर वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र कर धड़ को संजय गांधी मैडिकल कालेज की फोरैंसिक शाखा भेज दिया. यह बात 26 अक्तूबर, 2022 की है.

सोशल मीडिया पर यह खबर जंगल की आग की तरह फैलते ही कुछ ही घंटों में पुलिस को पता चल गया कि बिना सिर वाली लाश पास के गांव ऊमरी में रहने वाले 42 साल के रामसुशील पाल की है.

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           एसपी नवनीत भसीन

रीवा जिले के एसपी नवनीत भसीन ने मऊगंज थाने की टीआई श्वेता मौर्य, एसआई लालबहुर सिंह, एएसआई आदि के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर जल्द ही रामसुशील की हत्या का खुलासा करने का निर्देश दिया.

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         टीआई श्वेता मौर्य

पुलिस टीम जांच करने जब ऊमरी गांव पहुंची तो पूछताछ में पता चला कि रामसुशील ऊमरी गांव में रहने वाले साधारण किसान मोहन पाल का सब से बड़ा बेटा था. वह पेशे से ड्राइवर था. अपने पेशे की वजह से वह कईकई महीने तक घर से बाहर रहता था.

रामसुशील की पहली पत्नी की मौत के बाद करीब 4 साल पहले उस ने मिर्जापुर निवासी रंजना पाल से विवाह किया था. शादी के शुरुआती समय तो सब ठीकठाक चलता रहा, मगर कुछ समय बाद ही दोनों के बीच मनमुटाव हो गया था.

पुलिस टीम ने जब घर के आसपास रहने वाले लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि रामसुशील तो पिछले डेढ़ साल से गांव में किसी को दिखा ही नहीं. जब गांव के लोग पूछताछ करते तो पत्नी रंजना बताती कि उस का पति काम के सिलसिले में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर गया है.

पुलिस को रामसुशील के घर जा कर यह भी मालूम हुआ कि रंजना भी कुछ दिनों पहले अपने बच्चों को ले कर मायके मिर्जापुर गई हुई है. इस वजह से पुलिस के शक की सूई रंजना की तरफ ही घूम रही थी. लिहाजा पुलिस की एक टीम रंजना की तलाश के लिए मिर्जापुर भेजी गई.

पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए रंजना से पूछताछ की तो उस ने पति की मौत की पूरी कहानी बयां कर दी.

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मऊगंज जनपद पंचायत के छोटे से गांव ऊमरी श्रीपथ में रहने वाले किसान मोहन पाल के 3 बेटों में 42 साल का रामसुशील सब से बड़ा था. उस के बाद अंजनी पाल और सब से छोटा 30 साल का गुलाब था.

रामसुशील पेशे से ट्रक ड्राइवर था. उस की पहली शादी 22 साल की उम्र में हो गई थी. एक बेटे और बेटी के जन्म के बाद वह अपनी पत्नी के साथ बुरा व्यवहार करने लगा था. नशे की लत और उस की प्रताडऩा से तंग आ कर पत्नी ने आग लगा कर आत्महत्या कर थी.

उस समय उस के बच्चों की उम्र कम थी, इसलिए समाज के लोगों ने रामसुशील के मातापिता को बच्चों की परवरिश के लिए उस की दूसरी शादी करने की सलाह दी.

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में रहने वाली रंजना पाल भी पति की मारपीट से तंग आ कर मायके में रह रही थी. उस के 2 बेटे थे. समाज के लोगों ने यही सोच कर दोनों की शादी करा दी कि दोनों के बच्चों की परवरिश होने लगेगी.

इस तरह ढह गई मर्यादा की दीवार

रामसुशील नशे का आदी होने की वजह से घरपरिवार की जिम्मेदारियों से बेखबर रहता था. लिहाजा दोनों के बीच तकरार बढऩे लगी.

रामसुशील का परिवार गांव में घर के 3 हिस्सों में अलगअलग रहता था. एक हिस्से में रामसुशील का परिवार, दूसरे हिस्से में उस का भाई अंजनी पाल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ, जबकि सब से छोटा भाई गुलाब  मातापिता के साथ रहता था. उस समय गुलाब की शादी नहीं हुई थी.

रामसुशील काम के सिलसिले में अकसर 15-15 दिन घर से बाहर रहता था. इस का फायदा उठाते हुए रंजना का झुकाव अपने देवर गुलाब की तरफ हो गया. उस समय गुलाब 30 साल का गोराचिट्टा जवान व कुंवारा था.

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   आरोपी गुलाब पाल

गुलाब भाभी का लाडला देवर था, परंतु रामसुशील की बुरी आदतों की वजह से अपने भाइयों से नहीं पटती थी. रामसुशील पैतृक संपत्ति का ज्यादा भाग खुद उपयोग कर रहा था. इस वजह से उस के भाई भी उस से नफरत करते थे.

ऐसे में रंजना ने गुलाब पर डोरे डालने शुरू कर दिए. गुलाब उम्र की जिस दहलीज पर खड़ा था, वहां पर शादीशुदा नाजनखरों वाली भाभी रंजना के बिछाए प्रेम जाल में वह फंस ही गया. लिहाजा जल्द ही दोनों के बीच अवैध संबंध हो गए.

इस के बाद तो गुलाब और रंजना का इश्क परवान चढऩे लगा था. जब भी उन्हें मौका मिलता, वे अपनी हसरतों को पूरा कर लेते. लेकिन कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. यही हाल हुआ भौजाई रंजना और देवर गुलाब के इश्क का. आखिर पति रामसुशील को देवर भौजाई के चोरीछिपे चल रहे इश्क का पता चल ही गया.

एक दिन शराब के नशे में चूर रामसुशील जब घर पहुंचा तो रंजना पर बरस पड़ा, ”छिनाल, तूने आखिर अपनी औकात दिखा ही दी. गुलाब के साथ रंगरलियां मना रही है.’’

रामसुशील ने भद्दी गालियां देते हुए रंजना की पिटाई कर दी. अब तो आए दिन दोनों के बीच झगड़ा आम बात हो गई थी. जब रामसुशील गुस्से में रंजना की पिटाई करता तो प्रेमी गुलाब के सीने पर सांप लोट जाता.

छोटा भाई क्यों बना जान का दुश्मन

रोजरोज अपनी प्रेमिका की पिटाई से उसे दुख पहुंचता. एक दिन मौका पा कर गुलाब ने रंजना से साफसाफ कह दिया, ”भौजी, हम से तुम्हारा दर्द देखा नहीं जाता. आखिर कब तक जुल्म सहती रहोगी.’’

”कुछ समझ भी नहीं आता, आखिर ऐसे मर्द के साथ मैं निभाऊं कैसे.’’ रंजना बोली.

”मेरी तो इच्छा है कि ऐसे मर्द को तुम्हारी जिंदगी से हमेशा के लिए दूर कर दूं, फिर हमारे प्यार में कोई अड़चन ही नहीं होगी.’’ गुलाब रंजना से बोला.

”लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है. यदि यह राज किसी को पता चल गया तो जेल में चक्की पीसेंगे हम दोनों.’’ रंजना ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा.

”मेरे पास एक प्लान है, तुम अगर मानो तो किसी को कानोकान खबर नहीं होगी.’’ गुलाब चहकते हुए बोला.

”बताओ, ऐसा कौन सा प्लान है तुम्हारे पास?’’ रंजना बोली.

”भौजी, मैं बाजार से चूहे मारने वाली दवा ला कर दूंगा, तुम चुपचाप खाने में मिला कर रामसुशील भैया को खिला देना.’’ गुलाब बोला.

”फिर… घर के लोगों को क्या बताएंगे कि कैसे मर गए?’’ रंजना आगे की मुश्किल देखते हुए बोली.

”तुम इस की चिंता मत करो. रातोंरात मैं लाश को ठिकाने लगा दूंगा और लोगों से कह देंगे कि भैया काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं.’’ गुलाब रंजना को आश्वस्त करते हुए बोला.

गुलाब और रंजना का प्यार अब घर वालों को भी पता चल चुका था. गुलाब के रंजना से संबंधों की भनक पिता मोहन पाल को लगी तो उन्होंने माथा पीट लिया. समाज में ऊंचनीच न होने के भय से उन्होंने यह सोच कर गुलाब की शादी कर दी कि शादी होते ही वह अपनी भाभी से दूर रहने लगेगा.

मगर शादी होने के बाद भी गुलाब की रंजना से नजदीकियां कम नहीं हुईं. गुलाब की पत्नी भी गुलाब की इन हरकतों से परेशान थी. गुलाब अपनी नवविवाहिता पत्नी पर फिदा होने के बजाय रंजना भाभी की जवानी के गुलशन का भंवरा बना हुआ था. गुलाब की नईनवेली पत्नी जब गुलाब को रंजना से दूर रहने को कहती तो वह उलटा उस के साथ ही मारपीट करने लगता.

रामसुशील जब भी घर आता तो वह देखता कि गुलाब रंजना के इर्दगिर्द घूमता रहता है. इस बात को ले कर वह गुलाब को भलाबुरा भी कह चुका था. गुलाब अपने भाई से जब जमीन के बंटवारे की बात कहता तो रामसुशील उसे डराधमका कर चुप करा देता.

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         आरोपी अंजनी पाल

जमीनजायदाद के बंटवारे को ले कर जब भी उन का आपसी विवाद होता तो उस के चाचा रामपति और उस के लड़के सूरज और गुड्डू भी गुलाब और अंजनी का पक्ष लेते. इस से रामसुशील अपने चाचा और उन के बेटों के साथ गालीगलौज करता.

समोसे की चटनी में मिलाया जहर

रामसुशील से तंग आ कर 2021 के मई महीने में रंजना और गुलाब ने रामसुशील को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया और एक रात रंजना ने घर पर स्वादिष्ट समोसे बनाए.

समोसे खाने का रामसुशील शौकीन था, उसे टमाटर की चटनी के साथ समोसे खाना बहुत अच्छा लगता था. रंजना ने समोसे के साथ परोसी गई चटनी में चूहे मारने की दवा मिला दी थी.

रामसुशील चटखारे मार कर समोसे खा गया, मगर उसे इस बात का पता नहीं था कि उस की पत्नी ने जो प्यार जता कर समोसे परोसे हैं, उस में उस की मौत छिपी हुई थी.

पेट भर समोसे खा लेने के बाद रामसुशील सोने चला  गया. बच्चों के सोने के बाद जब रंजना रात के करीब 12 बजे पति के बिस्तर पर पहुंची तो उस ने हिलाडुला कर पति की नब्ज टटोली.

कोई हलचल न पा कर रंजना ने गुलाब को फोन कर खबर कर दी. गुलाब भी इसी पल का इंतजार कर रहा था. उस ने जमीन के बंटवारे में हिस्सा दिलाने का लालच दे कर अपने भाई अंजनी पाल को भी साथ ले लिया.

जैसे ही गुलाब और अंजनी भाभी के बुलावे पर रामसुशील के पास कमरे में पहुंचे तो रामसुशील को बेहोश देख कर बहुत खुश हुए. उन्हें लगा कि भाई जिंदा न बचे, इसलिए अपने साथ लाए धारदार हथियार से गुलाब ने रामसुशील का गला काट कर भाई अंजनी की मदद से धड़ और सिर प्लास्टिक की बोरी में भर दिया.

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठ कर अंधेरे में ही गुलाब लाश वाली बोरी को साइकिल पर लाद कर अपने चाचा रामपति पाल के खेत पर पहुंच गया. वहां चाचा के लड़के सूरज और गुड्डू की मदद से भूसा रखने वाले कमरे में उस ने लाश की बोरी दबा दी.

इस काम में चाचा के बेटों गुड्डू पाल और सूरज पाल ने इसलिए मदद की क्योंकि एक बार जमीनी विवाद में इन का झगड़ा रामसुशील से हो गया था, तब रामसुशील ने पूरे गांव के सामने उन का अपमान किया था. अपने अपमान का बदला लेने के लिए वे गुलाब के इस प्लान में शामिल हो गए.

सुबह जब बच्चे सो कर उठे तो उन्हें रंजना ने बताया कि उस के पापा काम के सिलसिले में बाहर गए हैं. रामसुशील को रास्ते से हटाने के बाद गुलाब और रंजना के प्रेम की राह आसान हो गई थी. अब वे अपनी मरजी के मुताबिक जिंदगी जी रहे थे. गुलाब अपनी बीवी की उपेक्षा कर भाभी रंजना पर अपनी कमाई लुटा रहा था. रंजना भी गुलाब की दीवानगी का खूब फायदा उठा रही थी.

17 महीने बाद कैसे खुला राज

लाश को छिपाए करीब 17 महीने बीतने को थे, परंतु हर समय गुलाब के मन में पकड़े जाने का भय बना रहता था. गुलाब के चाचा रामपति को जब इस बात का पता चला तो वह गुलाब पर लाश को वहां से हटाने का दबाव बनाने लगे थे.

उन्होंने साफतौर पर कह दिया था, ”भूसा भरने वाले कमरे से वह जल्द ही लाश को हटा दे, नहीं तो वह पुलिस को सब कुछ बता देंगे.’’

पशुओं के लिए रखा भूसा भी खत्म होने को था. 25 अक्तूबर, 2022 की रात को गुलाब ने लाश वाली बोरी ला कर पास के गांव निबिहा के नाले के पास फेंक दी और घर जा कर चैन की नींद सो गया.

अगली सुबह रामसुशील की लाश मिलते ही गुलाब राज खुलने के डर से भयभीत हो गया और उस ने फोन लगा कर रंजना को बताते हुए सचेत कर दिया था.

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                                                    हिरासत में आरोपी

सूचना मिलने पर मऊगंज थाने की टीआई श्वेता मौर्य पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंची और सिर व धड़ बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिए. पुलिस जांच में रंजना से पूछताछ की गई तो थोड़ी सख्ती से रंजना जल्दी ही टूट गई और पुलिस को उस ने सच्चाई बता दी.

देवरभाभी के प्रेम और वासना की आग में अंधे हो कर रामसुशील को ठिकाने लगा कर यही समझ बैठे थे कि वे पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर कानून की नजरों से बच जाएंगे, परंतु उन का यह भ्रम जल्दी ही टूट गया.

17 महीने तक भूसे के ढेर में दबी लाश जब बाहर निकली तो रामसुशील की हत्या का पूरा सच सामने आ गया.

पुलिस ने गुलाब, रंजना के साथ उस के भाई अंजनी व चाचा रामपति को भादंवि की धारा 302 और 201 के तहत मामला कायम कोर्ट में पेश किया, जहां से रंजना को महिला जेल रीवा और गुलाब, अंजनी और रामपति को उपजेल मऊगंज भेज दिया.

कथा लिखे जाने तक 2 आरोपी जेल में बंद थे और उन के खिलाफ आरोपपत्र कोर्ट में पेश किया जा चुका था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

एक लड़की ऐसी भी

उस दिन तारीख थी 10 सितंबर, 2019 और समय था शाम के करीब 5 बजे का. गोरखपुर जिले के चौरीचौरा के ओमनगर में रहने वाले शिक्षक अनिल कुमार पांडेय विद्यालय से थकेमांदे घर लौटे थे. बड़ी बेटी सुमन पिता के लिए चायनाश्ते का इंतजाम करने लगी.

नाश्ता कर के अनिल आराम करने के लिए अपने कमरे में चले गए. तभी उन के वाट्सऐप पर एक मैसेज और कई फोटो आए. मैसेज में लिखा था, ‘मैं ने तुम्हारी बेटी से बदला ले लिया है. उस की हत्या कर के लाश ऐसी जगह फेंक दी है कि तुम सात जन्मों तक भी नहीं ढूंढ पाओगे.’

अनिल पांडेय सोचने लगे कि यह भद्दा मजाक किस ने किया है. लेकिन जब उन्होंने मैसेज के साथ आए फोटो को ध्यान से देखा तो वह सन्न रह गए. उन के हाथ से मोबाइल छूटतेछूटते बचा. जो 3-4 फोटो वाट्सऐप पर आए थे, वे उन की दूसरे नंबर की बेटी काजल के थे.

फोटो देखने से साफ पता चल रहा था कि किसी ने काजल की हत्या कर के लाश जंगल में कहीं फेंक दी है. उस के सिर से खून निकल रहा था. मुंह और दोनों पैर किसी कपड़े से बंधे थे. उस के दोनों हाथ भी पीछे की ओर बंधे हुए थे.

हड़बड़ाए से अनिल मोबाइल ले कर पत्नी के पास पहुंचे. बच्चों को आवाज दे कर अपने पास बुलाया. उस समय उन के चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी और सांसों की रफ्तार तेज हो चली थी. पत्नी ने उन की इस हालत के बारे में पूछा तो उन्होंने पत्नी की ओर मोबाइल फोन बढ़ा दिया.

पत्नी और बच्चों ने जब वाट्सऐप पर काजल की लाश की फोटो देखीं तो उन की आंखें फटी रह गईं और मुंह से चीख निकल गई.

घर में रोनापीटना शुरू हो गया. अनिल पांडेय के घर में अचानक रोना सुन कर पासपड़ोस के लोग भी उन के यहां पहुंच गए. जब उन्हें पता चला कि काजल की हत्या हो गई है, तो सभी के चेहरों पर दुख की छाया उतर आई. पड़ोसियों ने पांडेयजी को सुझाया कि यह पुलिस केस है, इसलिए पुलिस को यह सूचना दे देनी चाहिए ताकि वे काजल की लाश का पता लगा सकें.

उन की सलाह पर अनिल पांडेय पड़ोसियों के साथ चौरीचौरा थाने पहुंच गए. उस समय शाम के करीब 7 बज रहे थे. थानाप्रभारी नीरज राय थाने में मौजूद थे. अनिल पांडेय ने सारी जानकारी थानाप्रभारी को दे दी.

थानाप्रभारी ने वाट्सऐप पर आई तसवीरों को गौर से देखा. इस के बाद उन्होंने अनिल पांडेय से पूछा कि उन्हें किसी पर कोई शक है? तब अनिल पांडेय ने पड़ोस में रहने वाले 3 युवकों के नाम बता दिए, जिन पर उन्हें शक था. उन्होंने बताया कि इन से उन का पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा था. विवाद के चलते उन युवकों ने धमकी दी थी कि वे उन के परिवार वालों की हत्या कर देंगे.

थानाप्रभारी नीरज राय ने बिना समय गंवाए अनिल पांडेय की निशानदेही पर तीनों युवकों को उन के घरों से हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आए. तीनों युवक पांडेयजी के पड़ोसी थे.

पुलिस ने तीनों युवकों से पूरी रात सख्ती से पूछताछ की. पूछताछ के दौरान कोई ऐसी वजह निकल कर सामने नहीं आई जिस से यह साबित होता कि काजल की हत्या उन्हीं तीन युवकों ने की है. तब पुलिस ने उन्हें कड़ी हिदायत दे कर छोड़ दिया.

अगले दिन सुबह अनिल पांडेय यह पता लगाने थाने पहुंचे कि उन तीनों ने किस वजह से बेटी की हत्या की थी, उन्होंने क्या बताया? थानाप्रभारी नीरज राय ने अनिल को बताया कि युवकों से काजल की हत्या की कोई ऐसी बात नहीं पता चल सकी, जिस से उन की संलिप्तता दिखती. फिलहाल उन्हें हिदायत दे कर छोड़ दिया गया है. यह सुन कर अनिल पांडेय मायूस हो गए.

इसी बीच पुलिस को कहीं से एक चौंकाने वाली खबर मिली. सूचना यह थी कि बीते दिन 2 युवकों को काजल का अपहरण करते देखा गया था.

इस जानकारी के बाद अनिल पांडेय ने भोपा बाजार चौराहा स्थित एक मोबाइल दुकानदार अनूप जायसवाल और उस के कर्मचारी विजय पाठक पर अपहरण कर बेटी की हत्या किए जाने की नामजद तहरीर थानाप्रभारी को दे दी. इस के पीछे एक खास वजह थी.

अनिल पांडेय ने बताया कि काजल और विजय पाठक के बीच कई दिनों से किसी बात को ले कर गहरा विवाद चल रहा था. संभव है उसी विवाद के चलते विजय और दुकानदार ने मिल कर बेटी का अपहरण किया हो और उस की हत्या कर लाश जंगल में फेंक दी हो. अनिल पांडेय की इस बात में थानाप्रभारी को दम नजर आ रहा था.

अनिल पांडेय की इस तहरीर पर पुलिस ने विजय पाठक और दुकान मालिक अनूप जायसवाल के खिलाफ अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने दोनों को भोपा बाजार स्थित मोबाइल की दुकान से हिरासत में ले लिया.

काजल की हत्या की सूचना थानाप्रभारी ने एसएसपी डा. सुनील गुप्ता, सीओ (चौरीचौरा) सुमित शुक्ला को पहले ही दे दी थी और वह उन्हीं अधिकारियों के दिशानिर्देश पर फूंकफूंक कर कदम रख रहे थे.

दुकान मालिक अनूप जायसवाल ने पूछताछ में बताया कि काजल को दुकान पर काम करने के लिए विजय पाठक ले कर आया था. वह मेहनती लड़की थी. इस से ज्यादा वह काजल के बारे में कुछ नहीं बता सका.

विजय ने पुलिस को बताया कि वह पांडेय जी के पड़ोस में रहता है. इस वजह से उन के परिवार को अच्छी तरह जानता है. कुछ दिनों पहले काजल ने उस से कहा था कि वह कोई नौकरी करना चाहती है. इस पर उस ने अपने दुकान मालिक से बात कर के काजल को उसी की दुकान पर नौकरी दिला दी थी.

कुछ दिनों बाद काजल की बड़ी बहन सीमा ने भी काम करने की इच्छा जाहिर की और कहा कि जहां काजल काम करती है, उसी दुकान पर उस की भी नौकरी लगवा दे. जब इस बात की जानकारी काजल को हुई, तो वह मुझ से झगड़ने लगी थी.

उस ने कहा था कि उस की बहन को यहां नौकरी पर न रखवाए, नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. इसी बात को ले कर उस के और मेरे बीच मतभेद हो गया था. इस बारे में चाहें तो आप सीमा से पूछ लें. पुलिस ने सीमा से पूछताछ की तो उस ने भी विजय की बातों का समर्थन किया.

इस से एक बात तो तय हो गई थी कि विजय पाठक जो कह रहा था, वह सच था. लेकिन काजल की लाश वाली तसवीर झुठलाई नहीं जा सकती थी.

इस सब से पुलिस इस सोच में फंस कर रह गई कि काजल की हत्या अनूप और विजय ने नहीं की तो फिर किस ने की? आखिर यह माजरा है क्या. हत्या की गुत्थी को कैसे सुलझाया जाए. सोचविचार के बाद पुलिस ने कानूनी काररवाई कर के अनूप जायसवाल और विजय को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

घटना के तीसरे दिन यानी 12 सितंबर, 2019 को सीओ सुमित शुक्ला ने थानाप्रभारी नीरज राय और स्वाट टीम के प्रभारी के साथ अपने कार्यालय में एक मीटिंग की. मीटिंग में तय हुआ कि काजल हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए काजल के मोबाइल फोन की घटना से 15 दिनों पहले तक की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की जाए. घटना के खुलासे के लिए काल डिटेल्स ही आखिरी सहारा थीं.

इस के बाद सीओ सुमित शुक्ला ने काजल की लाश वाली तसवीर कंप्यूटर में एनलार्ज कर के देखी तो वे हैरत में पड़ गए. तसवीर में काजल के सिर के जिस भाग से खून बह रहा था, वहां उस के सिर में चोट का कोई निशान नजर नहीं आ रहा था.

हैरानी वाली बात तब सामने आई, जब उस के सिर से बहे खून का निरीक्षण किया गया. पड़ताल के दौरान पता चला कि माथे पर खून जैसा दिखने वाला पदार्थ कुछ और था. क्योंकि वह खून होता तो सूख कर काला पड़ जाता, जबकि ऐसा नहीं हुआ था. यह बात पुलिस को शक करने पर मजबूर कर रही थी. इस सब से सीओ सुमित शुक्ला को यह मामला पूरी तरह संदिग्ध लगने लगा.

काजल हत्याकांड संदिग्ध लगते ही सीओ सुमित शुक्ला और थानाप्रभारी नीरज राय ने काजल के घर से दुकान आने वाले रास्ते पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की. उन फुटेज में काजल कहीं भी नहीं दिखी.

पुलिस ने फिर से काजल की काल डिटेल्स की जांच की तो पता चला उस के घर से निकलने के कुछ देर बाद ही यानी साढ़े 9 बजे उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था. तब से उस का फोन लगातार बंद आ रहा था. पुलिस विजय और अनूप से काजल के बारे में फिर से पूछताछ करने जेल पहुंची. पूछताछ के दौरान विजय और अनूप ने पुलिस को बताया कि 10 सितंबर को काजल ड्यूटी पर आई ही नहीं थी. यह सुन कर पुलिस और भी परेशान हो गई.

पुलिस इस सोच में थी कि घर से निकली काजल दुकान नहीं पहुंची तो कहां गई? इस सवाल का जवाब पाने के लिए पुलिस जेल से लौट कर सीधे अनिल पांडेय के घर पहुंची. पुलिस ने इस बार पांडेय परिवार के सभी सदस्यों से अलगअलग पूछताछ की. पूछताछ में किसी के बयान एकदूसरे से जरा भी मेल नहीं खा रहे थे.

काजल को ले कर पुलिस अफसरों के दिमाग में जो शक था, वह अब यकीन में बदलता जा रहा था. इस पूछताछ के दौरान पुलिस को काजल के एक ऐसे सच के बारे में पता चला, जिस से पुलिस को विश्वास हो गया कि काजल की हत्या नहीं हुई है, बल्कि वह स्वेच्छा से किसी के साथ चली गई है. मतलब काजल जिंदा है.

पुलिस के लिए काजल चुनौती बन गई थी. किसी भी सूरत में उसे जिंदा बरामद करना जरूरी था. पुलिस को इस बात का यकीन था कि काजल परिवार के किसी न किसी सदस्य से बात जरूर करेगी, इसलिए पुलिस ने अनिल पांडेय, उन की पत्नी और बड़ी बेटी सीमा तीनों के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए. इस की जानकारी परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं थी.

पुलिस की मेहनत रंग लाई. 13 सितंबर को सीमा के मोबाइल पर देवरिया जिले के खुखुंदू निवासी उस के फुफेरे भाई राजमणि पांडेय का फोन आया. राजमणि ने सीमा से काजल के मामले में चल रही पुलिस जांच की जानकारी मांगी तो उस ने विस्तार से उसे पूरी बात बता दी.

पुलिस को राजमणि के बातचीत के अंदाज से उस पर संदेह हो गया. पुलिस ने राजमणि का भी मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. इस से पुलिस को काजल की लोकेशन फिरोजाबाद की मिली.

काजल की लोकेशन फिरोजाबाद मिलते ही पुलिस टीम काजल को जिंदा बरामद करने फिरोजाबाद रवाना हो गई. पुलिस फिरोजाबाद पहुंची तो पता चला कि कुछ देर पहले ही काजल वहां से जा चुकी थी.

इस का मतलब साफ था कि कोई था, जो पुलिस की पलपल की सूचना काजल तक पहुंचा रहा था. इसी वजह से फिरोजाबाद गई पुलिस टीम खाली हाथ गोरखपुर लौट आई.

इस बीच पुलिस को काजल का नया फोन नंबर मिल गया था. पुलिस ने वह नंबर भी सर्विलांस पर लगा दिया. 15 सितंबर की सुबह सर्विलांस के जरिए काजल के फोन की लोकेशन बस स्टैंड के पास मिली. पुलिस की एक टीम सादे कपड़ों में बस स्टैंड जा पहुंची और बस स्टैंड को चारों ओर से घेर लिया ताकि वह भाग न सके.

नीले रंग की फ्रौक और उसी से मैच करता लाल रंग का प्लाजो पहने एक गोरीचिट्टी खूबसूरत युवती और एक इकहरे छरहरे बदन का युवक बस स्टैंड परिसर में खड़े किसी के आने का इंतजार कर रहे थे. उन के हावभाव से पुलिस को दोनों पर शक हुआ.

शक के आधार पर पुलिस दोनों के पास पहुंची और इतना ही कहा कि तुम्हारा लुकाछिपी का खेल खत्म हुआ काजल. यह सुन कर दोनों वहां से भागने की कोशिश करने लगे. लेकिन पुलिस ने दोनों को धर दबोचा और उन्हें हिरासत में ले कर थाना चौरीचौरा ले आई. काजल के साथ पकड़ा गया युवक काजल का प्रेमी हरिमोहन था.

काजल के जिंदा होने की सूचना थानाप्रभारी नीरज राय ने सीओ सुमित शुक्ला और एसएसपी डा. सुनील गुप्ता को दे दी. काजल के जिंदा और सहीसलामत बरामदगी की सूचना मिलते ही सीओ सुमित शुक्ला गोरखपुर से चौरीचौरा थाने पहुंच गए. उन्होंने काजल से सख्ती से पूछताछ की.

काजल बिदांस हो कर सीओ शुक्ला के एकएक सवाल का जवाब देती चली गई. उस के जवाब सुन कर शुक्लाजी दांतों तले अंगुलियां दबाते रह गए. पूछताछ के बाद उसी दिन शाम 3 बजे उन्होंने थाना परिसर में प्रैस कौन्फ्रैंस कर के काजल हत्याकांड के नाटक से परदा उठा दिया था.

प्रैस कौन्फ्रैंस के बाद पुलिस ने काजल और हरिमोहन को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. काजल को अपने किए पर तनिक भी मलाल नहीं था. काजल और हरिमोहन से की गई पुलिसिया पूछताछ में कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

45 वर्षीय शिक्षक अनिल कुमार पांडेय मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के चौरीचौरा इलाके के ओमनगर मोहल्ले के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सलोनी के अलावा 3 बेटियां और 2 बेटे थे. अनिल कुमार पांडेय एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक थे.

अनिल पांडेय के पांचों बच्चों में दूसरे नंबर की काजल अन्य भाईबहनों से थोड़ी अलग थी. ग्रैजुएशन कर चुकी काजल का मन आगे की पढ़ाई में नहीं लग रहा था, इसलिए उस ने आगे की पढ़ाई छोड़ दी और घर पर ही रहने लगी.

मांबाप उस के इस फैसले से खुश नहीं थे. उस के पिता ने आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उसे समझाया भी, लेकिन वह आगे की पढ़ाई के लिए तैयार नहीं हुई.

खूबसूरत काजल थोड़ी जिद्दी स्वभाव की फैशनपरस्त और आधुनिक विचारधारा वाली युवती थी. वह अपना जीवन अपने तरीके से जीना चाहती थी. आसमान में पंख फैला कर वह उड़ना चाहती थी. काजल की ये बातें न तो उस के मांबाप को पसंद थीं और न ही भाईबहनों को. इसलिए उस के पिता उसे डांट दिया करते थे. पिता की बातों से उस का मन खट्टा हो जाता था.

काजल के पड़ोस में विजय पाठक रहता था. उस का पांडेयजी के घर आना जाना था. वह चौरीचौरा के भोपाबाजार स्थित एयरटेल फ्रैंचाइजी पर काम करता था. काजल और उस के घर वाले यह बात जानते थे. एक दिन काजल ने अपने मन की बात विजय से कह दी कि वह भी नौकरी करना चाहती है. उस के लिए भी कहीं बात करे.

काजल की बातों को उस ने गंभीरता से लिया और वह जहां नौकरी करता था, वहां के मालिक अनूप जायसवाल से उस के लिए भी बात कर ली. अनूप ने विजय से काजल को अपने यहां नौकरी पर रखने को कह दिया.

इस तरह काजल नौकरी करने लगी. उस के पिता अनिल पांडेय को जब यह बात पता चली तो वह आगबबूला हो गए. उन्हें मोबाइल की दुकान पर काजल का नौकरी करना पसंद नहीं था. उन्होंने उसे नौकरी छोड़ देने की चेतावनी भी भी दी. लेकिन उस ने पिता की बात नहीं मानी और नौकरी करती रही.

कभीकभी काजल फिल्मी गाने गुनगुनाया करती थी. उस के स्वर में दर्द छिपा होता था. काजल के इस शौक के बारे में जान कर विजय ने उसे सुझाव दिया कि वह चाहे तो अपना स्वर सिंगिंग ऐप पर लोड कर सकती है. इस से भविष्य में उसे सिंगिंग के क्षेत्र में अवसर मिल सकता है.

विजय का यह सुझाव काजल को जंच गया और उस ने स्टार सिंगिंग ऐप पर अपने कई गाने अपलोड कर दिए. उसी ऐप पर आगरा जिले के खंदौली क्षेत्र के प्यायू खंदौली का रहने वाला हरिमोहन शर्मा भी था. उस ने भी अपने कई गाने अपलोड किए हुए थे. स्टार सिंगिंग ऐप के जरिए काजल और हरिमोहन का एकदूसरे से परिचय हुआ. यह अप्रैल, 2018 की बात है.

काजल और हरिमोहन के बीच यह परिचय जब दोस्ती में बदला तो दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंबर दे दिए थे. अब ऐप के बजाए दोनों सीधे फोन पर बातें करने लगे थे.

बीटेक पास हरिमोहन एक अच्छे परिवार का होनहार युवक था. 4 भाईबहनों में वह दूसरे नंबर का था. वह पढ़ने में भी अव्वल था. हरिमोहन आगरा में रह कर एक बड़े कोचिंग इंस्टिट्यूट से एसएससी के विद्यार्थियों को तैयारी कराता था.

हरिमोहन सरकारी नौकरी के लिए भी तैयारी कर रहा था. अपनी तैयारी के उद्देश्य से ही वह एसएससी की कोचिंग में विद्यार्थियों को पढ़ाता था. इसी बीच उस के जीवन में काजल ने चुपके से कदम रख दिया था.

जल्दी ही काजल और हरिमोहन की दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों एकदूसरे से अपनी मोहब्बत का इजहार भी कर चुके थे. जब दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो हरिमोहन दिसंबर, 2018 और मार्च, 2019 में काजल से मिलने आगरा से गोरखपुर आया और बस से गोरखपुर से चौरीचौरा पहुंचा. कुछ घंटे प्रेमिका काजल के साथ बिताने के बाद उसी दिन वह आगरा लौट आया था.

काजल से मिलने के बाद हरिमोहन की दिनचर्या ही बदल गई थी. उस ने उस के बिना जीने की कल्पना तक छोड़ दी थी. इधर काजल की भी यही स्थिति थी. दिनरात वह प्रेमी के खयालों में खोई रहती थी. अपने दिल की प्यास बुझाने के लिए वह घंटों फोन पर चिपकी रहती थी और प्यार की मीठीमीठी बातें करती थी. पहली ही भेंट में हरिमोहन ने काजल को मोबाइल गिफ्ट किया था.

जब से काजल हरिमोहन के संपर्क में आई थी, तब से उस की जीवनशैली काफी बदल गई थी. यह बात घर वाले महसूस कर रहे थे. घर वालों ने जब उस से मोबाइल के बारे में पूछा तो उस ने झूठ बोलते हुए कह दिया कि उस की एक सहेली ने गिफ्ट किया है.

लेकिन काजल की प्रेम कहानी घर वालों से ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पाई. पिता अनिल पांडेय को छोड़ कर घर के सभी सदस्यों को उस के प्रेमप्रसंग के बारे में पता चल चुका था. मां और बड़ी बहन ने तो काजल को समझाया भी था कि वह अपनी हरकतों में सुधार लाए, नहीं तो घर में कयामत आ सकती है.

लेकिन काजल पर मां और बहनों के समझाने का कोई असर नहीं हुआ. उस ने ठान लिया था कि हरिमोहन ही उस के जीवन का शहजादा है. उस के अलावा वह किसी अन्य पुरुष को अपने जीवन में जगह नहीं दे सकती.

काजल समझ चुकी थी कि उस के घर वाले इस रिश्ते के लिए राजी नहीं होंगे, जबकि वह हरिमोहन के बिना नहीं जी सकती. ऐसे में उसे क्या करना चाहिए, वह अकसर यही सोचती रहती थी.

काजल को टीवी के क्राइम सीरियल बहुत पसंद थे. सीरियल देख कर उस के दिमाग में विचारों की उठापटक होने लगी. जल्दी ही उस ने मन ही मन एक खतरनाक योजना बना ली. उस की खतरनाक योजना यह थी कि वह दिखाने के लिए खुद की फरजी हत्या करेगी और सारा इलजाम किसी और पर डाल देगी. घर वाले थोड़े दिन उस की याद में तड़पेंगे, फिर धीरेधीरे उसे भूल जाएंगे.

दूसरी ओर वह हरिमोहन के साथ स्वच्छंद जीवन जीती रहेगी. समय आने पर वह खुद को घर वालों के सामने आ जाएगी. घर वाले थोड़ा नाराज होंगे, लेकिन फिर उसे माफ कर अपना लेंगे.

काजल ने यह बात हरिमोहन को बता कर उसे भी योजना में शामिल कर लिया. अब उसे बस सही समय का इंतजार था. इसी बीच सीमा को ले कर काजल और विजय में विवाद हो गया था. काजल बड़ी बहन सीमा को इसलिए अपने यहां नौकरी पर नहीं रखने देना चाहती थी कि उस की योजना पर पानी फिर सकता था.

वैसे भी घर वाले उस पर दबाव डाल रहे थे कि वह नौकरी छोड़ दे. लड़कियों का मोबाइल की दुकान पर नौकरी करने को लोग अच्छी निगाहों से नहीं देखते. दूसरी ओर काजल हरिमोहन के संपर्क में बनी हुई थी और उस पर दबाव डाल रही थी कि वह उसे जल्द से जल्द अपने साथ ले जाए.

उस के घर वाले उस के बाहर निकलने पर कभी भी पाबंदी लगा सकते हैं. उस ने अपनी योजना देवरिया में रह रहे फुफेरे भाई राजमणि को भी बता दी थी. यह बात अगस्त, 2019 के आखिरी सप्ताह की थी.

योजना के मुताबिक, 10 सितंबर, 2019 की सुबह साढ़े 9 बजे काजल अपना बड़ा पर्स ले कर यह कह कर घर से निकली कि वह दुकान पर अपना हिसाब करने जा रही है. आज के बाद वह नौकरी नहीं करेगी. हिसाब कर के थोड़ी देर में घर लौट आएगी.

यह सुन कर घर वाले यह सोच कर खुश हुए कि काजल में सुधार आ रहा है. लेकिन वे यह नहीं समझ पाए कि विश्वास की जमीन पर धोखे की काली चादर बिछा कर काजल उन के दिए संस्कारों को कलंकित करने वाली है. बहरहाल, उस ने पर्स में अपने सभी सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, बैंक पासबुक आदि जरूरी कागजात रख लिए थे, ताकि जरूरत पड़ने पर उन का इस्तेमाल कर सके.

इधर हरिमोहन चौरीचौरा आ कर टैंपो स्टैंड पर खड़ा उस का इंतजार कर रहा था. जैसे ही काजल वहां पहुंची, सब से पहले उस ने उस का फोन स्विच्ड औफ करा दिया. टैंपो से दोनों कुसम्ही जंगल में स्थित वनसप्ती माता के मंदिर गए. हरिमोहन अपने साथ ग्लिसरीन और लाल रंग ले आया था.

उस ने ग्लिसरीन में लाल रंग मिला कर खून तैयार किया. जंगल के एकांत जगह पर जा कर काजल के सिर पर ग्लिसरीन से बना नकली खून उड़ेल दिया.

उस के बाद हरिमोहन ने काजल के हाथपैर और मुंह बांध कर अपने मोबाइल से 3-4 ऐंगल से फोटो खींचे, जिसे देखने से ऐसा लगे कि बदमाशों ने अपहरण कर के उस की हत्या कर लाश जंगल में फेंक दी हो.

फोटो खींचने के बाद दोनों वहां से मोहद्दीपुर आए, वहां वी मार्ट बाजार से हरिमोहन ने काजल के लिए कपडे़ खरीदे. फिर दोनों टैंपो से नौसढ़ चौराहे पहुंचे. दोनों ने वहां एक रेस्टोरेंट में नाश्ता किया. नौसढ़ से ही आगरा जाने वाली एसी बस में सवार हो कर दोनों आगरा पहुंच गए.

बीच रास्ते में हरिमोहन ने काजल का सिम तोड़ कर चलती बस से बाहर फेंक दिया और सेट भी. फिर उसी बस में बैठेबैठे उस ने काजल की नकली हत्या की सभी तसवीरें उस के पिता अनिल कुमार पांडेय के वाट्सऐप पर भेज दीं.

बहरहाल, पुलिस ने राजमणि पांडेय को भी आरोपी बना लिया. उस का दोष यह था कि वह पुलिस की गतिविधियों की सूचना काजल तक पहुंचाता रहा था. पुलिस ने काजल की सहीसलामत बरामदगी के बाद जेल में बंद विजय पाठक और अनूप जायसवाल को रिहा करा दिया.

पुलिस ने अपनी हत्या की कहानी गढ़ने, झूठे सबूत तैयार करने, पुलिस को गुमराह करने और सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने की आईपीसी की धाराओं 364, 193, 419, 468/34 और 66डी आईटी ऐक्ट में दोनों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया था.

काजल और हरिमोहन ने पुलिस के सामने इकरार किया था कि जेल से छूटने के बाद दोनों शादी करेंगे. जिंदगी रहने तक एकदूसरे से कभी अलग नहीं होंगे.

कथा लिखे जाने तक दोनों आरोपी गोरखपुर मंडलीय कारागार में बंद थे. काजल के मांबाप ने बेटी से सदा के लिए संबंध तोड़ लिए. लेकिन हरिमोहन के घर वालों ने काजल को बहू के रूप में स्वीकार लिया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

इश्क में अंधी मां का गुनाह

11 साल के वंश (Vansh) और 7 साल के यश (Yash) की लाशें गन्ने के खेत में पड़ी थीं. उन की हत्या गला घोंट कर की गई थी. दोनों ही बच्चे स्कूल की ड्रेस में थे. दोनों भाइयों की लाशें देख कर पुलिस का कलेजा भी कांप उठा था. पुलिस ने मौके पर ही फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया था. मौके की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों बच्चों की लाशें पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दीं.

सोनीपत (Sonipat), हरियाणा के खूबसूरत पिकनिक स्थल सिटी पार्क के अंदर दाखिल हो कर रूबी ने इधरउधर नजरें दौड़ाईं. अंदर घास पर और पेड़ों के नीचे अनेक प्रेमी जोड़े सिर से सिर जोड़े बैठे प्रेमालाप में मग्न दिखाई दिए. उन में वह नहीं था, जिस के लिए रूबी अपना काम छोड़ कर यहां आई थी.

रूबी का मन उदास हो गया. निराशा उसे घेरती इस से पहले ही किसी ने उस के पीछे से उस की आंखों पर हथेलियां रख दीं, एक चहकता स्वर रूबी के कानों से टकराया, ”पहचानो कौन?’’

”नितिन,’’ रूबी खुशी से चहक पड़ी. उस ने हाथ बढ़ा कर आंखें बंद करने वाले के हाथ पकड़ लिए और उस की तरफ पलट गई.

उस के सामने नितिन खड़ा मुसकरा रहा था. वह फूलों के डिजाइन वाली शानदार शर्ट और आसमानी रंग की जींस पहने हुए था, पैरों में काले रंग के स्पोट्र्स शूज थे. आधुनिक कपड़ों में उस की पर्सनैल्टी बहुत प्रभावित कर रही थी.

नितिन को ऊपर से नीचे तक हैरानी से देखते हुए रूबी बोली, ”आज तो बहुत जंच रहे हो.’’

”तुम भी तो कयामत बरपा रही हो जान,’’ नितिन ने उस के गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा.

”तुम्हें यहां न देख कर मैं निराश हो गई थी,’’ रूबी ने विषय बदला, ”कहां रह गए थे?’’

”यहीं था, उस पेड़ के पीछे खड़ा तुम्हारी राह देख रहा था. तुम्हें छकाने के लिए पेड़ की ओट में छिप गया था.’’

”छिपे क्यों?’’ रूबी ने हैरानी से पूछा.

”देख रहा था, मुझे न पा कर तुम कितनी बेचैन होती हो.’’

रूबी ने गहरी सांस भरी. नितिन की बांहों को थाम कर वह भावुक स्वर में बोली, ”मैं तुम्हारे बगैर एक पल भी नहीं रह पाऊंगी नितिन, यह मुझे आज महसूस हुआ. यहां तुम नजर नहीं आए तो मेरा दिल तड़प उठा था. मैं यूं उदास हो गई, जैसे मेरी अपनी कोई प्यारी चीज गुम हो गई हो.’’

नितिन ने रूबी को बांहों में ले लिया, ”मेरा भी हाल तुम्हारे जैसा ही है रूबी. तुम्हें बगैर एक बार देखे मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता. तुम्हारे लिए मैं बेचैन हो जाता हूं.’’

”तो फिर मुझे हमेशा के लिए अपना क्यों नहीं बना लेते तुम?’’

”अपनाऊंगा मेरी जान, इसी विषय पर बात करने के लिए मैं ने तुम्हें आज काम से नागा कर यहां बुलाया है.’’ नितिन थोड़ा गंभीर हो गया, ”आओ, कहीं बैठ कर बात करते हैं.’’

रूबी की कमर में हाथ डाले नितिन पार्क में एक पेड़ की तरफ बढ़ गया, उस पेड़ के आसपास कोई जोड़ा नहीं बैठा था. एकदम सन्नाटे भरी जगह थी वह. दोनों पेड़ से सट कर बैठ गए.

”तुम मुझे कितना चाहती हो रूबी?’’ नितिन ने रूबी की आंखों में झांकते हुए पूछा.

”अपनी जान से ज्यादा.’’ रूबी तपाक से बोली, ”लेकिन तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो?’’

”तुम शादीशुदा हो न रूबी?’’ नितिन एकदम गंभीर हो गया.

”शादीशुदा हूं नहीं, थी नितिन. मैं ने अपने पति से 4 साल पहले तलाक ले लिया था. यह बात मैं ने तुम्हें उसी वक्त बता दी थी, जब तुम प्यार का इजहार करने पहली बार मेरे करीब आए थे.’’

”हां. तब तुम ने यह भी बताया था कि तुम अपनी स्वर्गवासी बहन के 2 बच्चे पाल रही हो.’’

”तब तुम ने आज यह सवाल क्यों उठाया है?’’

”इसलिए कि तुम्हारा मुझ से शादी करने के बाद फिर से अपने पूर्वपति की ओर झुकाव तो नहीं हो जाएगा.’’

रूबी ने नितिन को घूरा, ”दारू पी कर आए हो क्या आज?’’ रूबी तिलमिला गई, ”यदि मुझे ऐसा ही करना होता तो मैं तुम्हारी ओर प्यार भरा हाथ नहीं बढ़ाती, कभी का अपने पूर्व पति की चौखट पर चली जाती. लेकिन मैं ने ऐसा नहीं किया. मैं ने अपने पति से तलाक लिया है. 4 साल से उस से अलग रह रही हूं. 4 साल बहुत होते हैं नितिन. मैं ने पति को छोड़ कर अकेला जीना सीख लिया है. तुम मेरी जिंदगी में आने वाले दूसरे मर्द हो, तुम्हें मैं ने अपना दिल दिया है, मैं तुम से सच्ची मोहब्बत करती हूं. यदि तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है तो हम रास्ता बदल लेते हैं.’’

”ऐसा मत कहो रूबी, तुम मेरी जान हो, मेरी जिंदगी हो.’’ नितिन का स्वर भीग गया. उस की आंखों में आंसू आ गए.

”रास्ता बदलने की बात फिर कभी मत करना. मैं जी नहीं पाऊंगा तुम्हारे बगैर,’’ रूबी ने तेवर ढीले कर लिए. उस ने अपनी बाहें फैला दीं और नितिन को अपनी ओर खींच लिया. नितिन उस के सीने से बच्चे की तरह सट गया. अब दोनों की ही आंखें बरस रही थीं. यह उन के प्यार का सच्चा सबूत हो सकता था.

22 फरवरी, 2024 को अच्छी धूप खिली थी. सोनीपत के सिविल लाइंस थाने के एसएचओ सतबीर सिंह कक्ष से बाहर धूप में बैठे अखबार देख रहे थे, तभी एक 30-32 साल की महिला बदहवासी की हालत में वहां आई.

एसएचओ सतबीर ने अखबार एक ओर कर के उस महिला को गौर से देखते हुए पूछा, ”क्या हुआ, तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो?’’

”साहब, मेरे बच्चे गुम हो गए हैं.’’

”बच्चे…’’ एसएचओ चौंके, ”कितने बच्चे गुम हुए हैं तुम्हारे?’’

”2 बच्चे साहब. कल दोनों सुबह स्कूल गए थे, लेकिन तब से अभी तक घर नहीं लौटे हैं.’’ कहते हुए महिला रोने लगी.

एसएचओ उठ कर खड़े हो गए. उन्होंने हैरानी से पूछा, ”कल बच्चे स्कूल गए थे और घर नहीं लौटे. वे दोपहर में घर आते होंगे तब कल से अभी तक तुम यह गुमशुदगी दर्ज करवाने यहां क्यों नहीं आई?’’

”साहब, मैं एक फैक्ट्री में काम करने जाती हूं. सुबह जाती हूं तो शाम को ही लौटती हूं. कल बच्चों को स्कूल भेज कर मैं काम पर चली गई थी. शाम को लौटी तो मुझे घर के दरवाजे पर ताला लगा दिखा. जबकि रोज घर का दरवाजा खुला मिलता था. मैं ने सोचा बच्चे आसपड़ोस में जा कर बैठ गए होंगे. मैं ने आसपास के घरों में उन्हें तलाश किया.

मुझे पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने बच्चों को दोपहर में यहां नहीं देखा. वह घर लौटे या नहीं, उन लोगों को नहीं मालूम. तब मैं बहुत घबरा गई. मैं ने बच्चों के स्कूल जा कर पता किया तो वहां मौजूद चौकीदार ने बताया कि बच्चे दोपहर को स्कूल बंद हुआ तो घर के लिए चले गए थे. मैं रात भर इधरउधर जानपहचान वालों के घर दौड़ती रही, लेकिन बच्चे कहीं भी नहीं मिले. साहब, मेरे बच्चों का किसी ने अपहरण कर लिया है. आप उन्हें ढूंढ दीजिए,’’ महिला जोरजोर से रोने लगी.

”चुप हो जाओ.’’ एसएचओ ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, ”रोने से बच्चे नहीं मिलेंगे. बैठ जाओ और विस्तार से सब बताओ मुझे.’’

महिला कुरसी पर बैठ गई. उस ने दुपट्टे से अपने आंसू पोंछे तो एसएचओ ने एक सिपाही से पानी मंगवा कर महिला को पीने को दिया. जब वह थोड़ा सामान्य हुई तो एसएचओ ने दूसरी कुरसी पर बैठते हुए पूछा.

”क्या नाम है तुम्हारा?’’

”जी रूबी.’’

”जो बच्चे गुम हुए हैं उन के नाम, उम्र बताओ.’’

”बड़े का नाम वंश है साहब, उम्र 11 वर्ष है. दूसरे का नाम यश है, वह 7 साल का है.’’

”इन के पिता का नाम क्या है?’’

”बच्चों के पिता का नाम राहुल है साहब, लेकिन उस से मेरा 7 साल बाद तलाक हो गया था. मैं उस से अलग आदर्श नगर की गली नंबर 5 में बच्चों के साथ रहती हूं साहब. एक फैक्ट्री में काम कर के अपना और बच्चों का पेट भरती हूं.’’

”बच्चे किस स्कूल में पढ़ते थे?’’ एसएचओ सतवीर सिंह ने पूछा.

”वह मशद मोहल्ला में स्थित स्कूल में पढ़ते थे साहब, आप उन्हें तलाश करवाइए साहब. मैं अपने बच्चों के बगैर जिंदा नहीं रह पाऊंगी,’’ रूबी फिर से रोने लगी .

”बच्चों के फोटो लाई हो तुम?’’

”जी हां, साहब.’’ रूबी ने कहने के बाद चोली में रखे पर्स से निकाल कर दोनों बच्चों के फोटो एसएचओ को दे दिए.

एसएचओ ने रूबी के दोनों बच्चों की गुमशुदगी को अज्ञात के खिलाफ धारा-365 के अंतर्गत दर्ज करवा कर रूबी से 2-3 सवाल और पूछे. फिर उसे यह आश्वासन दे कर रूबी को घर भेज दिया कि उस के बच्चों की तलाश में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी जाएगी.

एसएचओ सतबीर ने रूबी के 2 बच्चों के लापता होने की जानकारी डीसीपी नरेंद्र कादयान और एसीपी नरसिंह को भी दे दी.

2 बच्चों का अपहरण बहुत गंभीर बात थी. डीसीपी नरेंद्र कादयान ने इस मामले की जांच के लिए सेक्टर-7 की एंटी गैंगस्टर यूनिट को जिम्मेदारी सौंपते हुए एसएचओ सतबीर सिंह को भी पूरी तरह मामले में सक्रिय रहने का निर्देश दे दिया.

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एसआई सबल सिंह

एंटी गैंगस्टर यूनिट का गठन आपराधिक गतिविधियों में लिप्त गैंगस्टर्स और पेचीदा केसेस के लिए किया गया था. इस यूनिट के इंचाज इंसपेक्टर अजय धनखड़ थे. इन की टीम में एसआई रविकांत, सबल सिंह, एएसआई संदीप, जितेंद्र, हैडकांस्टेबल प्रदीप और सिपाही विनोद कुमार थे.

इंसपेक्टर अजय धनखड़ ने रूबी के बच्चों वंश और यश के फोटो एसएचओ सतबीर सिंह से ले कर सभी थानों में फ्लैश करवा दिए. थानों में सूचना भिजवा दी गई कि इन बच्चों के विषय में कोई भी जानकारी मिलने पर एंटी गैंगस्टर यूनिट, सेक्टर-7 को सूचित किया जाए.

यूनिट की टीम सब से पहले रूबी से पूछताछ करने उस के घर गली नंबर- 5 आदर्श नगर पहुंच गई. रूबी घर पर ही थी. उस ने बच्चों के विषय में पूछताछ करने पर इस टीम को भी वही सब कुछ बताया, जो वह सिविल लाइंस थाने के एसएचओ सतबीर को कल सुबह बता कर आई थी.

”तुम्हारा पति से तलाक क्यों हुआ था?’’ इंचार्ज धनखड़ ने उस से सवाल पूछा.

”मेरा पति राहुल और उस के परिवार वाले अच्छे लोग नहीं थे साहब, मुझे शादी के बाद से ही छोटीछोटी बातों पर परेशान करते थे. राहुल दारू पीता था और घर वालों के उकसाने पर मुझे मारता था. मैं उस के 2 बच्चों की मां बन गई, फिर भी राहुल का व्यवहार मेरे प्रति पहले जैसा ही रहा. वह घर वालों के कहने पर चलने वाला अक्खड़ इंसान था. आखिर तंग आ कर मैं ने उस से कोर्ट द्वारा तलाक ले लिया और यहां रहने लगी.’’

”बच्चे तो राहुल के भी थे, उस ने अपने बच्चे तुम्हें कैसे सौंप दिए?’’

”वह बच्चे नहीं देता साहब. यह तो मैं ने कोर्ट से गुहार लगाई कि बच्चे छोटे हैं, उन्हें मैं ही पाल सकती हूं, इन का बाप दारूबाज और लापरवाह इंसान है. वह बच्चों को ठीक से नहीं संभाल पाएगा, तब कोर्ट ने बच्चों को मेरे हवाले कर दिया था.’’

”तुम्हारा पति राहुल कहां रहता है, उस का पता बताओ.’’

”वह विकास नगर में रहता है साहब.’’ रूबी ने कहने के बाद राहुल का पता टीम इंचार्ज को लिखवा दिया. फिर रोते हुए बोली, ”साहब, वंश और यश मेरी आंखों के तारे हैं, मेरे बुढ़ापे का सहारा वही बनते साहब. आप मेरे बच्चों की तलाश कर के उन्हें मेरी झोली में डाल दीजिए.’’

”तुम्हें किसी पर शक है? ऐसा व्यक्ति जो तुम्हारे साथ दुश्मनी रखता हो?’’

”यहां आप आसपड़ोस में मेरे व्यवहार के बारे में पूछताछ कर लें, मैं सभी के साथ अच्छे पड़ोसी की तरह रहती आई हूं. यहां सभी मेरे बच्चों से बहुत प्यार करते थे, इसलिए यहां तो मेरे बच्चों का कोई दुश्मन नहीं हो सकता. हां, मुझे राहुल पर शक है, वह बच्चों को अपने साथ रखने के लिए उन का अपहरण कर सकता है. आप उस से पूछताछ करिए.’’

”ठीक है, हम राहुल से पूछताछ कर लेंगे. तुम्हें यदि बच्चों के बारे में कुछ भी पता चले तो हमें खबर देना.’’

रूबी को हिदायत दे कर इस टीम ने रूबी के आसपड़ोस में उस के बच्चों वंश और यश से रूबी के व्यवहार के विषय में जानकारी जुटाई. उन्हें बताया गया कि रूबी अपने बच्चों से बहुत प्यार करती थी, वह यहां सब के साथ मेलमिलाप के साथ रहती है. उस के बच्चों से सभी प्यार करते हैं. दोनों बच्चे बहुत मासूम और हंसमुख हैं, उन्हें जल्दी तलाश किया जाए.

इंचार्ज अजय धनखड़ ने उन्हें यह आश्वासन दिया कि रूबी के बच्चों को शीघ्र सकुशल तलाश कर के रूबी को सौंप दिया जाएगा. टीम रूबी के पूर्वपति से पूछताछ करने के लिए विश्वास नगर के लिए रवाना हो गई.

एंटी गैंगस्टर यूनिट की टीम ने राहुल के बारे में धारणा बनाई थी कि वह नशेड़ी स्वभाव और अक्खड़ दिमाग वाला व्यक्ति होगा, लेकिन जब टीम राहुल के घर गई तो शांत स्वभाव वाले दुबले पतले व्यक्ति ने उन का स्वागत किया. यह राहुल था.

राहुल को देख कर नहीं लगता था कि वह नशा करता होगा. इस टीम को अपने दरवाजे पर देख कर उस ने बहुत हैरानी से पूछा, ”कौन हैं आप लोग? मैं ने आप को पहले कभी नहीं देखा.’’

”हम हरियाणा पुलिस की एंटी गैंगस्टर यूनिट से हैं, तुम से मिलने आए हैं.’’ एसआई सबल सिंह ने बताया.

”ओह!’’ राहुल चौंक कर बोला, ”आप सब अंदर आ कर बैठिए.’’

टीम में 7 लोग थे, वे अंदर आ गए.

यह साधारण सा कमरा था, बहुत व्यवस्थित और साफसुथरा. अंदर पलंग और सोफा था. एंटी गैंगस्टर यूनिट के लोग पलंग और सोफा पर बैठ गए.

”क्या सेवा करूं मैं आप लोगों की?’’ हाथ जोड़ कर राहुल ने शिष्टाचार दर्शाते हुए पूछा, ”ठंडा लेंगे या गरम?’’

”हम कुछ देर पहले ही लंच कर के तुम्हारे पास आए हैं, इसलिए परेशान मत होओ. सामने बैठ जाओ, हमें तुम से कुछ पूछताछ करनी है.’’ राहुल स्टूल खींच कर उस पर बैठ गया, ”पूछिए साहब, आप मुझ से क्या पूछना चाहते हैं?’’

”राहुल, तुम्हारे बच्चे वंश और यश का 21 फरवरी को किसी ने अपहरण कर लिया है.’’ टीम इंचार्ज अजय धनखड़ ने गंभीर स्वर में कहा तो राहुल कुछ पल के लिए हैरान रह गया.

”क्या कह रहे हैं साहब,’’ राहुल विचलित हो कर अपनी जगह खड़ा हो गया, ”किस ने किया मेरे बच्चों का अपहरण?’’

”यह हम तुम से पूछने आए हैं, तुम्हारी पूर्वपत्नी रूबी का कहना है कि तुम ने बच्चों का अपहरण किया है.’’

”झूठ बोलती है साहब रूबी, भला मैं अपने बच्चों का अपहरण क्यों करूंगा. मेरी तो वे आंखों के तारे हैं, साहब.’’

”तुम्हारे बच्चे 21 फरवरी को स्कूल गए थे, तभी से वे घर नहीं लौटे हैं. रूबी ने उन्हें हर जगह ढूंढ लिया है. तुम्हें किसी पर शक है?’’ राहुल कुछ देर शांत बैठा कुछ सोचता रहा. फिर एकदम से बोला, ”साहब, यह काम रूबी ही कर सकती है, बच्चे रूबी ने ही लापता किए हैं. नाम मेरा ले रही है.’’

”रूबी बच्चों को अपनी जान से ज्यादा चाहती है, वह अपने ही बच्चों को भला क्यों गायब करेगी.’’

”उसे अपने प्रेमी से शादी रचानी है साहब. बच्चों को उस ने लापता ही नहीं किया होगा, हो सकता है कि उस ने बच्चों का अहित भी कर दिया हो.’’ राहुल आक्रोश में आ गया, ”मैं ने तलाक के समय ही कोर्ट से प्रार्थना की थी कि बच्चे मुझे सौंपे जाएं, मैं बाप हूं उन का, लेकिन कोर्ट ने बच्चे उस निर्लज्ज रूबी के हवाले कर दिए. आज अपनी आशिकी में अंधी हो कर उस ने बच्चों को गायब कर दिया है.’’

राहुल द्वारा बताई गई बात ने सभी को चौंका दिया. यूनिट इंचार्ज अजय धनखड़ ने हैरानी से पूछा, ”क्या तुम दावे के साथ कह रहे हो कि रूबी का कोई आशिक भी है.’’

”आशिक है साहब, मुझ से तलाक लेने के बाद ही रूबी उस के प्रेमजाल में फंस गई थी.’’

”उस का नामपता, ठिकाना जानते हो तुम?’’

”हां, नितिन पुत्र राकेश सिंह. साहब, यह बागपत के बरनावा गांव का है, वह सेक्टर-27, कबीरपुर में किराए पर रहता है. यहां बढ़ई का काम करता है. मेरे बच्चों का अपहरण इस ने ही रूबी के कहने पर किया होगा.’’

”तुम ने हमें नई जानकारी दी है. हम नितिन को चैक करते हैं.’’ टीम इंचार्ज अजय धनखड़ उठते हुए बोले. वह टीम के साथ बाहर आ गए. राहुल की जानकारी से इस केस में नया मोड़ आ गया था.

एंटी गैंगस्टर यूनिट (क्राइम ब्रांच) की टीम को राहुल के बयान से एक नई राह मिल गई थी. वह उसी दिशा में काम कर रही थी. 2 दिन बीत गए थे, लेकिन अभी तक रूबी के लापता हुए दोनों बेटों वंश और यश का कुछ पता नहीं चला था. रूबी 2 दिनों से थाना सिविल लाइंस के चक्कर लगा रही थी, उस का रोरो कर बुरा हाल हो गया था.

एसएचओ सतबीर उसे एक ही बात कहते, ”धीरज रखो, तुम्हारे बच्चों की खोज जारी है, वह शीघ्र मिल जाएंगे. उन्हें सकुशल हासिल किया जाएगा.’’

इधर एंटी गैंगस्टर यूनिट के एसआई सबल सिंह टीम के साथ उस स्कूल में पहुंच गए थे, जहां वंश और यश पढ़ते थे. स्कूल प्रशासन का कहना था, ”21 फरवरी को दोनों बच्चों को उन की मां रोज की तरह स्कूल छोडऩे आई थी. दोनों बच्चे दोपहर में स्कूल की छुट्टी होने तक स्कूल में ही थे. फिर छुट्टी के बाद अपने घर के लिए निकल गए थे.’’

बच्चे स्कूल से अपने घर आदर्श नगर के लिए पैदल ही जाते थे तो जाहिर सी बात थी स्कूल और घर के बीच ही उन का अपहरण किया गया होगा.

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                                                 मृतक यश और वंश

एंटी गैंगस्टर यूनिट टीम स्कूल के आसपास लगे सीसीटीवी चैक करना चाहती थी. स्कूल के सामने वाली सड़क पर सीसीटीवी कैमरा था, जो मुख्य दरवाजे को कवर कर रहा था. यूनिट टीम ने उस सीसीटीवी कैमरे की फुटेज हासिल कर के देखी तो उन के चेहरे खुशी से चमक उठे.

21 फरवरी की फुटेज में वंश और यश स्कूल के मेनगेट से थोड़ा आगे एक बाइक पर बैठते दिखाई दे गए. बाइक को पकड़ कर जो व्यक्ति खड़ा था, वह लंबे कद वाला दुबलापतला था. एंटी गैंगस्टर यूनिट वाले उसे उस कैमरे की फुटेज में नहीं पहचान पाए. आगे लगे दूसरे कैमरों की फुटेज देखी गई तो यूनिट के लोगों की बांछें खिल गईं.

आगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में उस बाइक वाले का चेहरा साफ दिखाई दे रहा था. वंश और यश बाइक के पीछे जिस इत्मीनान से बैठे थे, उस से लग रहा था कि वह बाइक वाले से अच्छी तरह परिचित हैं. अनुमान लगाया गया कि यह रूबी का प्रेमी नितिन ही होगा.

नितिन को दबोचना जरूरी था. क्योंकि बच्चे वही ले कर गया था. एंटी गैंगस्टर यूनिट के टीम प्रभारी अजय घनखड़ के नेतृत्व में सेक्टर-27 के कबीरपुर में पहुंच गई. नितिन का घर ढूंढने में उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगा.

यह यूनिट टीम अभी नितिन के घर पहुंची भी नहीं थी कि घर की छत से कोई भागने के चक्कर में नीचे कूदा. यूनिट की टीम उस की तरफ दौड़ी, लेकिन वह कूद कर भागने लायक नहीं रह गया था. उस की टांग टूट गई थी. दर्द से वह बुरी तरह चीखने लगा था.

”कौन हो तुम?’’ टीम इंचार्ज अजय धनखड़ ने उसे घूरते हुए पूछा.

”नितिन,’’ वह दर्द से कराहते हुए बोला.

एंटी गैंगस्टर यूनिट टीम ने उसे वैन में डाल लिया और सोनीपत के जिला अस्पताल में ले आए. उसे वहां उपचार के लिए भरती करवा दिया गया. डाक्टरों को जब मालूम हुआ कि यह व्यक्ति मुलजिम है और साथ में पुलिस की टीम है तो उस की टूटी हुई टांग का तुरंत एक्सरे आदि कर के प्लास्टर चढ़ा दिया गया. नितिन दर्द सह सके, इस के लिए उसे पेनकिलर दवा दे दी गई.

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                                                          हत्यारोपी नितिन

जब नितिन थोड़ा सामान्य हुआ तो एंटी गैंगस्टर यूनिट इंचार्ज अजय धनखड़ ने उस से पूछताछ शुरू की. बगैर भूमिका बांधे उन्होंने नितिन से सवाल किया, ”नितिन, तुम 21 फरवरी को वंश और यश को स्कूल पास से बाइक पर बिठा कर कहां ले गए थे?’’

”हम घूमने गए थे साहब,’’ नितिन ने हलकी कराहट के साथ बताया, ”बच्चे कई दिनों से घूमने की जिद कर रहे थे मुझ से.’’

”ओह!’’ अजय घनखड़ उस के सफेद झूठ पर मुसकराए, ”घूमने गए थे तो, तुम ने वापसी में दोनों बच्चों को कहां छोड़ा था? बच्चे तो उस दिन घर पहुंचे ही नहीं.’’

”मैं ने तो दोनों को आदर्श नगर में ही छोड़ा था साहब, मुझे नहीं पता फिर बच्चे कहां गए.’’ इस बार भी उस ने सफेद झूठ बोला था.

अजय धनखड़ ने उस के प्लास्टर वाली टांग पर जोर से प्रहार किया तो नितिन दर्द से बिलबिला कर बुरी तरह चीखा.

”झूठ बोलोगे तो मैं तुम्हारी टांग दोबारा तोड़ दूंगा. मुझे सचसच बताओ, वंश और यश कहां हैं?’’

”मैं ने उन्हें मार दिया साहब,’’ नितिन ने कराहते हुए खुलासा किया तो एंटी गैंगस्टर यूनिट की टीम के लोग स्तब्ध रह गए.

थोड़ी देर तक सभी सदमे में रहे. टीम इंचार्ज अजय धनखड़ ने चुप्पी तोड़ी, ”तुम ने बच्चों की हत्या कहां की थी?’’

”साहब, बागपत के पास बाघु और नौराजपुर गांव के बीच में गौरीपुर गांव के गन्ने के खेत हैं. मैं दोनों बच्चों को घुमाने के बहाने से गन्ने के खेत में ले गया और बारीबारी से उन की गरदन दबा कर उन्हें मार दिया है. उन की लाश गन्ने के खेत में ही छिपा दी थी मैं ने.’’ नितिन बोला.

”एक बात बताओ, तुम और रूबी एकदूसरे से गहरा प्रेम करते थे फिर तुम को वंश और यश की हत्या करने की क्यों सूझी. उन मासूम बच्चों से तुम्हें क्या परेशानी थी?’’ प्रभारी अजय धनखड़ ने पूछा.

”साहब, वे बच्चे राहुल के थे. रूबी मुझ पर शादी का दबाब डाल रही थी. मैं उसे अपनाने को तैयार था, लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मेरे साथ शादी के बंधन में बंध जाने के बाद वह पिछली शादी की यादें मेरे घर, मेरी जिंदगी में लाए. पहले रूबी कहती थी कि बच्चे उस की स्वर्गवासी बहन के हैं. बाद में मुझे मालूम हुआ कि बच्चे रूबी के ही हैं.

”इस बात पर मेरा रूबी से कई बार झगड़ा हुआ, लेकिन रूबी बच्चों को खुद से दूर करने को राजी नहीं हुई तो मैं ने मन ही मन कठोर निर्णय कर लिया कि मैं बच्चों को रास्ते से हटाने के लिए उन की हत्या कर दूंगा.

”मैं ने यही किया. रूबी ने थाने में बच्चों की गुमशुदगी लिखवा दी थी. तब मैं ने रूबी को बता दिया कि मैं वंश और यश की हत्या कर चुका हूं. रूबी थोड़ी देर रोई, फिर मेरे प्यार की खातिर वह खामोश हो गई. अब वह मुझ से शादी करना चाहती है.’’ नितिन इतना बता कर चुप हो गया.

”कैसी खुदगर्ज औरत है यह. मां के नाम पर कलंक.’’ टीम इंचार्ज बड़बड़ाए.

दोनों बच्चे अब इस दुनिया में नहीं रहे थे. उन की मौत की खबर रूबी को देने पर उसे किसी प्रकार का शाक नहीं लगना था, क्योंकि वह पहले से ही यह बात जानती थी. हां, इस खबर से यदि किसी को दुख पहुंचता तो वह रूबी का पूर्वपति राहुल था. उसे बच्चों की हत्या हो जाने की खबर देना आवश्यक थी.

यूनिट के प्रभारी अजय धनखड़ ने फोन द्वारा राहुल को फौरन सोनीपत के जिला अस्पताल में आने को कह दिया. उन्होंने टीम के एएसआई जितेंद्र और हैडकांस्टेबल प्रदीप को रूबी को यहां लाने के लिए भेज दिया. इन लोगों को यह हिदायत दी गई कि वह रूबी से अभी कुछ न बताएं.

करीब आधा घंटे में राहुल जिला अस्पताल आ गया. वह हैरान था कि यूनिट टीम के इंचार्ज अजय धनखड़ ने उसे अस्पताल में क्यों बुलाया है. उसे अजय धनखड़ बाहर गेट पर ही मिल गए. अजय धनखड़ उसे ले कर उस कमरे में आ गए जहां पर नितिन को रखा गया था.

”इसे पहचानते हो राहुल?’’ अजय धनखड़ ने नितिन की ओर इशारा कर के पूछा.

”यही तो रूबी का प्रेमी है साहब.’’ राहुल ने हैरानी से कहा, ”यह यहां? इस हाल में कैसे है?’’

अजय धनखड़ गंभीर हो गए, ”तुम्हारे बेटों की हत्या की है इस ने, हम इसे पकडऩे इस के घर गए, यह छत से भागने के इरादे से कूदा तो टांग टूट गई.’’

दोनों बेटों की हत्या हो जाने की बात पर राहुल रो पड़ा. टीम इंचार्ज उसे कंधा थपथपा कर सांत्वना देते रहे.

कुछ देर के लिए वहां का माहौल बोझिल बना रहा, फिर राहुल आंसू पोंछता हुआ एक स्टूल पर जा कर बैठ गया. उस ने रूबी को उस कक्ष में टीम के लोगों के साथ अंदर आता देख लिया था.

एएसआई जितेंद्र और हैडकांस्टेबल प्रदीप के साथ रूबी वहां आई थी. अपने प्रेमी नितिन को बैड पर पड़ा देख कर वह समझ गई कि वंश और यश की हत्या का भेद अब भेद नहीं रह गया है. वह मुंह छिपा कर रोने लगी.

”तुम्हारे आंसू अब किसी की सहानुभूति नहीं बटोर सकते रूबी, तुम मां नहीं मां के नाम पर कलंक हो. अपनी मांग में नितिन का सिंदूर सजाने के लिए तुम ने दोनों बेटों की बलि चढ़वा दी.’’ अजय धनखड़ मुंह बिगाड़ कर बोले, ”यह मालूम होते हुए भी कि नितिन तुम्हारे बच्चों की हत्या कर चुका है. तुम पुलिस के साथ उन को ढूंढ लेने की नौटंकी करती रही हो, तुम भूल गई कि अभी हम लोग जिंदा हैं, ऐसे केस का राज जगजाहिर करने के लिए हम रातदिन एक कर देते हैं.’’

”मैं प्यार में अंधी हो गई थी साहब, अपने स्वार्थहित में मैं ने अपने फूल जैसे बच्चों को खो दिया.’’ रूबी कहने के बाद फूटफूट कर रोने लगी.

टीम इंचार्ज अजय धनखड़ आगे की काररवाई में लग गए थे.

एंटी गैंगस्टर यूनिट टीम रात के समय नितिन और रूबी को साथ ले कर बागपत पहुंच गई. गौरीपुर गांव से संबधित थाने में यहां आने का मकसद बता कर उन्होंने आमद दर्ज करवाई. एसएचओ ने एसीपी नरेंद्र प्रताप सिंह को सूचना दी तो वह आधी रात को थाना में आ गए. बिना समय गंवाए सभी नितिन द्वारा बताए जा रहे गौरीपुर गांव में उस गन्ने के खेत में पहुंच गए, जहां नितिन ने वंश और यश की हत्या कर दिए जाने की बात कुबूली थी.

नितिन ने टौर्च की रोशनी में खेत में छिपा कर रखी लाशें बरामद करवा दीं. दोनों बच्चों के शरीर पर स्कूल की ड्रैस थी. उन की लाशें देख कर रूबी दहाड़े मार कर रोने लगी. वहां मौजूद सभी पुलिस वालों की आंखें भी नम हो गईं.

भारी मन से वहां की कागजी काररवाई पूरी की गई और रात के 4 बजे बच्चों की लाश ले कर एंटी गैंगस्टर यूनिट टीम वापस सोनीपत के लिए रवाना हो गई.

सिविल लाइंस थाना सेक्टर-27 में पहुंच कर टीम इंचार्ज अजय धनखड़ ने वंश और यश की लाशें पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल भिजवा दीं. नितिन ने इन बच्चों की हत्या का आरोप स्वीकार कर लिया था. उस के खिलाफ भादंवि की धारा 365, 302, 364 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

एंटी गैंगस्टर टीम की सफलता पर उन्हें बधाई देने पुलिस कमिश्नर सतीश वालान, डीसीपी नरेंद्र कादयान और एसीपी नरसिंह थाने में आ गए. इस मामले में एसएचओ सतबीर सिंह, कोर्ट के पास वाली ओल्ड चौकी इंचार्ज एसआई रोहित तथा एसआई शिव माणी और हैडकांस्टेबल टीकम का भी योगदान था. सभी की पीठ थपथपा कर उच्चाधिकारियों ने शाबाशी दी.

नितिन और रूबी को उसी दिन कोर्ट में पेश किया गया. नितिन को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया. रूबी की ओर से उस के पिता हरपाल सिंह ने बेटी की शक्ल देखने से मना कर दिया था, अत: कोर्ट ने रूबी को नारी निकेतन भेज दिया.

पोस्टमार्टम हो जाने के बाद दोनों बच्चों के शव राहुल को सौंप दिए गए. उस ने परिजनों के साथ नम आंखों से बच्चों का अंतिम संस्कार कर दिया. अब उस के पास बच्चों की यादों के अलावा कुछ भी नहीं बचा था.

पत्नी जब बन जाए प्रेमिका

29 मार्च, 2019 की घटना है. सुबह के 7 बज चुके थे. इंदौर के खजराना क्षेत्र में रहने वाले बाबूलाल, रमेशचंद्र बंसी तथा गोलू ने झलारिया रोड पर स्थित बद्री पटेल के फ्लैट के सामने वाले मैदान में प्लास्टिक के बोरे देखे तो वे वहीं रुक गए.

उन बोरों में किसी की लाश थी. लाश को 2 बोरों में इस तरह से बंद किया गया था कि एक बोरा चेहरे से कमर तक लाश को ढके था तो दूसरा बोरा पैरों की तरफ से लाश को पहना कर कमर में बांध दिया गया था. बीच में जो खाली जगह बची थी, उस में से नीली जींस व शर्ट बाहर झांक रही थी. इस से लग रहा था कि उन बोरों में किसी की लाश है.

उन्होंने यह जानकारी उधर से गुजर रहे लोगों के अलावा फोन कर के थाना खजराना को दे दी. लाश मिलने की सूचना पाते ही टीआई प्रीतम सिंह प्रधान आरक्षी प्रवेश सिंह, आरक्षी प्रवीण सिंह पंवार आदि के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. तब तक वहां तमाम लोग एकत्र हो गए थे.

टीआई ने वहां पहुंच कर देखा कि एक प्लौट के किनारे पर बोरों में बंद एक लाश पड़ी थी. लाश वाले बोरे के पास एक युवती बैठी रो रही थी. टीआई के पूछने पर उस ने बताया कि बोरे में बंद लाश उस के शौहर बबलू खान की है. दुश्मनी के चलते किसी ने उस की हत्या कर दी है.

यह सुन कर टीआई चौंके कि बोरे में बंद लाश को उस महिला ने पति के रूप में कैसे शिनाख्त कर ली. इस बारे में उन्होंने उस से पूछा तो महिला ने बताया कि उस का शौहर कल शाम से लापता है. आज लाश मिलने की सूचना पर जब वह यहां आई तो जींस और शर्ट देख कर वह समझ गई कि यह उस के पति बबलू की ही लाश है. महिला ने अपना नाम फिरोजा बताया.

शव बोरे से बाहर निकलवाने से पहले टीआई ने इस की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी तो कुछ ही देर में एसपी (पश्चिम) मोहम्मद यूसुफ फोरैंसिक टीम के साथ वहां पहुंच गए. पुलिस ने बोरों से लाश बाहर निकलवाई तो वास्तव में वह लाश फिरोजा के पति बबलू खान की ही निकली. इस के बाद तो फिरोजा दहाड़ें मार कर रोने लगी. उस का घर वहां से 300 मीटर दूर खिजराबाद कालोनी में था.

पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो उस के सिर पर चोट का निशान मिला. इस के अलावा उस के गले को धारदार हथियार से काटा गया था. पुलिस ने अनुमान लगाया कि पहले बबलू के सिर पर वार किया गया होगा. फिर उस के बेहोश हो जाने के बाद उस का गला रेता गया होगा.

लगभग 34 साल का बबलू काफी मजबूत कदकाठी का था. अनुमान था कि उस के कत्ल में एक से अधिक लोग शामिल रहे होंगे. बहरहाल, पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

इस के बाद टीआई ने बबलू के परिवार वालों से बात की. उस के भाई ने बताया कि रात में लगभग साढ़े 4 बजे बबलू की बीवी फिरोजा ने उसे फोन कर के बताया था कि तुम्हारे भाई अभी तक घर नहीं लौटे हैं. उन का मोबाइल भी बंद है.

इस के बाद टीआई प्रीतम सिंह ने बबलू खान की पत्नी फिरोजा से पूछा तो उस ने बताया कि रात लगभग एक बजे मेरे शौहर के मोबाइल पर उन के पार्टनर कमल राठी का फोन आया था. फोन सुन कर उन्होंने कहा कि कमल राठी की गाड़ी पकड़ी गई है. उसे छुड़ाने जा रहा हूं.

इतना कह कर उन्होंने घर से 70-80 हजार रुपए लिए और कुछ देर में वापस आने की बात कह कर चले गए.  उन के जाने के कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई. सुबह साढ़े 4 बजे मेरी नींद खुली तो मैं ने देखा वह घर नहीं लौटे थे. मैं ने उन के मोबाइल पर फोन लगाया तो वह बंद था. फिर मैं ने कमल राठी को फोन लगाया. उन्होंने बताया कि बबलू खान रात में उन के पास आया ही नहीं था.

यह सुन कर मैं डर गई. उसी समय मैं ने अपने देवर को फोन लगा कर यह खबर दी. देवर ने भी उन्हें खोजने की कोशिश की लेकिन उन का कहीं पता नहीं चला. उड़ती खबर सुन कर जब मैं सुबह यहां पहुंची तो इन की लाश मिली.

पुलिस ने जब लाश की तलाशी ली तो बबलू की जेब से 10 हजार रुपए और एक जवान खूबसूरत युवती की तसवीर मिली. पुलिस ने मौके से सबूत जुटाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

इस के साथ ही पुलिस ने हत्या का केर्स दर्ज कर के मामले की जांच शुरू कर दी. चूंकि फिरोजा ने बताया था कि पति के मोबाइल पर आखिरी काल कमल राठी की आई थी, इसलिए पुलिस ने पहले कमल से ही पूछताछ की.

कमल राठी ने टीआई प्रीतम सिंह को बताया कि बीती रात उस ने बबलू खान को फोन किया ही नहीं था. इस से पुलिस को लगा कि फिरोजा झूठ बोल रही है. अगर यह मान भी लिया जाता कि वह सच बोल रही है तो फिर बबलू ने पत्नी से कमल राठी का फोन आने की झूठी बात क्यों कही थी. इसी दौरान टीआई को मृतक की जेब में मिली उस खूबसूरत जवान युवती की तसवीर याद आ गई जो तलाशी के दौरान 10 हजार रुपयों के साथ मिली थी.

इस से टीआई ने अनुमान लगाया कि हो सकता है जिस महिला की फोटो बबलू की जेब से मिली है, उस महिला के साथ बबलू के अवैध संबंध रहे हों. क्योंकि फिरोजा का कहना था कि उस का पति घर से 70-80 हजार रुपए ले कर निकला था. जबकि लाश की तलाशी में केवल 10 हजार रुपए ही उस की जेब से मिले थे.

ऐसे में संभावना यह थी कि बाकी का पैसा मृतक ने फोटो वाली युवती के संग अय्याशी में उड़ा दिया हो. हो सकता है कि अय्याशी के दौरान किसी बात पर तकरार होने से युवती के परिजन या उस के दूसरे साथियों ने बबलू का कत्ल कर दिया होगा.

पूछताछ में फिरोजा ने बताया था कि उस के शौहर को पराई जवान लड़कियों की संगत की लत थी. लेकिन अब सवाल यह था कि मामला अगर यही था तो हत्यारे जेब में 10 हजार रुपए और सोने की चेन व अंगूठी क्यों छोड़ कर गए.

दूसरी सब से बड़ी बात यह थी कि यदि बबलू की जेब से पैसे फोटो वाली युवती ने निकलवाए थे तो वह जेब में अपनी फोटो क्यों छोड़ती. टीआई प्रीतम सिंह को पूरे मामले में बड़ी साजिश नजर आने लगी. घुमाफिरा कर उन्हें फिरोजा पर ही शक हो रहा था. पुलिस ने मृतक की बीवी फिरोजा की कुंडली खंगाली तो पूरी कहानी साफ नजर आने लगी.

फिरोजा के फोन की काल डिटेल्स से पता चला कि उस रोज उस ने रात 2 बजे के आसपास मनसबनगर खजराना में रहने वाले इम्तियाज से काफी कम समय के अंतर में 2 बार बात की थी. यह बात फिरोजा ने पुलिस से छिपाई थी. जबकि उस का कहना था कि बबलू के जाने के बाद उस की नींद सुबह 4 बजे टूटी थी.

इस से पुलिस ने अपने मुखबिर को इम्तियाज की जानकारी जुटाने में लगा दिया. पता चला कि 29 साल का इम्तियाज बबलू के चचाजान का बेटा यानी 28 साल की फिरोजा का चचेरा देवर है. पुलिस को इम्तियाज के मोबाइल की लोकेशन भी रात में एक बजे से सुबह 3 बजे के आसपास फिरोजा के घर की मिली. पुलिस ने इम्तियाज को उसी रोज शाम को उस के घर से हिरासत में ले लिया.

इम्तियाज को पुलिस की ऐसी सक्रियता का जरा भी इल्म नहीं था, सो उस का चौंकना लाजिमी था. टीआई प्रीतम सिंह ने उस से सीधे सवाल किया, ‘‘आधी रात को तुम अपनी भाभी फिरोजा के साथ उस के घर पर क्या कर रहे थे?’’

‘‘यह आप क्या कह रहे हैं जनाब, भाभी मां के समान होती है.’’ वह बोला.

‘‘तो मैं ने कब कहा कि बीवी जैसी होती है. मैं तो केवल यह पूछ रहा हूं कि बबलू तो रात एक बजे घर से कहीं जाने को बोल कर निकल गया था जो वापस नहीं लौटा. इस बीच रात को तुम्हारी फिरोजा से फोन पर गुफ्तगू हुई. इस के बाद तुम फिरोजा के पास चले गए थे.’’ टीआई ने कहा.

‘‘जी, यह सही नहीं है. न मेरी फिरोजा भाभी से बात हुई और न मैं उन के घर गया.’’ इम्तियाज ने सफाई दी.

इम्तियाज ने यह सफेद झूठ बोला था. क्योंकि पुलिस के पास फिरोजा के साथ रात में फोन पर बात होने का सबूत था, इसलिए मुंह खुलवाने के लिए पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो इम्तियाज जल्द ही टूट गया.

उस ने न केवल फिरोजा के साथ इश्क के चक्कर में बबलू की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली, बल्कि  इस राज को भी बेपरदा कर दिया कि इस जुर्म में फिरोजा भी बराबर से शरीक थी. इसलिए रात में ही पुलिस ने फिरोजा को भी हिरासत में ले लिया. पूछताछ के बाद दोनों ने बबलू की हत्या की चौंकाने वाली कहानी बताई.

इंदौर की न्यू खिजराबाद कालोनी में अपनी खूबसूरत बेगम फिरोजा के साथ रहने वाले हबीब उर्फ बबलू एक स्क्रैप कारोबारी था. वह गुजरात से पुराना सरिया ला कर इंदौर और आसपास के इलाकों में थोक में सप्लाई करता था. सांवेर रोड पर उस की स्क्रैप की दुकान और गोदाम था. बबलू के धंधे में कमल राठी भी उस का सहयोग करता था.

करीब 7 साल पहले बबलू का विवाह फिरोजा से हुआ था. फिरोजा निहायत ही खूबसूरत थी. हालांकि वह तलाकशुदा थी लेकिन उस की खूबसूरती पर बबलू इतना फिदा हुआ कि उस ने तलाकशुदा होने के बावजूद उस से निकाह कर लिया.

निकाह के 2 साल तक तो बबलू फिरोजा के पल्लू से बंधा रहा, लेकिन फिर धीरेधीरे धंधे पर ध्यान देना शुरू किया तो जल्द ही आम पारिवारिक जिंदगी जीने लगा. लेकिन फिरोजा को तो अपने शौहर को हमेशा अपने पल्लू में बांध कर रखने की आदत थी. सो उसे पति की यह बेरुखी रास नहीं आई.

लेकिन सच्चाई केवल इतनी ही नहीं थी. एक सच यह भी था कि बबलू को पराई औरतों के संग वक्त बिताने की लत शादी के पहले से ही थी. यह बात कुछ समय तक तो फिरोजा से छिपी रही, लेकिन कब तक छिपती. जल्द ही उसे पति की इस हरकत का पता चला तो उस ने इम्तियाज के बारे में सोचना शुरू कर दिया.

29 वर्षीय इम्तियाज बबलू का सगा चचेरा भाई था, जो पास में ही मनसब नगर में रहता था. वह उसी रोज से फिरोजा को हसरतभरी निगाहों से देखा करता था, जिस रोज फिरोजा बबलू की बेगम बन कर आई थी. देवरभाभी के रिश्ते का फायदा उठा कर उस ने कुछ समय तक फिरोजा की नजदीकी पाने की कोशिश भी की थी.

इस बात को फिरोजा भी समझती थी पर उस ने उसे लिफ्ट नहीं दी. दूसरे उस समय बबलू दिनरात फिरोजा के पास ही बना रहता था सो उसे सफलता नहीं मिली. लेकिन जब फिरोजा ने शौहर की अय्याशियों की कहानी सुनी तो उसे इम्तियाज का ध्यान आया.

इम्तियाज पहले तो रोज किसी न किसी बहाने उस के घर आता रहता था, लेकिन फिरोजा की बेरुखी को देखते हुए उस का आनाजाना काफी कम हो गया था. इसलिए कुछ दिन बाद एक रोज जब इम्तियाज फिरोजा के घर आया तो फिरोजा ने आगे बढ़ कर उस का स्वागत किया और काफी दिनों बाद आने की शिकायत भी की.

फिरोजा के बदले व्यवहार से इम्तियाज चौंक गया, सो उस रोज के बाद वह आए दिन जानबूझ कर फिरोजा से मिलने ऐसे समय में घर आने लगा जब बबलू अपनी दुकान पर निकल जाता था.

फिरोजा समझ चुकी थी कि इम्तियाज उसे अब भी चाहता है. इसलिए वह इम्तियाज के साथ घुलमिल कर बात करने लगी. जिस का नतीजा यह हुआ कि एक रोज डरतेडरते इम्तियाज ने फिराजा का हाथ पकड़ ही लिया.

‘‘यूं डर कर औरत का हाथ पकड़ने वाले मर्द मुझे अच्छे नहीं लगते. औरत का हाथ थामो तो कलेजा रखो वरना इसी बस्ती में इन आंखों की मस्ती और हुस्न के दीवाने बहुत हैं.’’ फिरोजा ने अदा के साथ आंखें मटकाते हुए इम्तियाज से कहा.

यह सुन कर एक पल के लिए इम्तियाज रुका फिर उस ने झटके से खींच कर फिरोजा को अपनी गोद में गिराते हुए कहा, ‘‘हिम्मत की बात न करो, अगर बबलू की बीवी न होतीं तो कब का उठा कर ले गया होता.’’

‘‘मुझ से कहा तो होता एक बार, उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ती, खुद साथ चल देती.’’ कहते हुए फिरोजा ने इम्तियाज को अपनी बांहों के घेरे में जोर से कस लिया.

इस के बाद डरने का कोई कारण इम्तियाज के पास नहीं रह गया था. दोनों ने ही अपनी हदें पार कर के अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

इस घटना के बाद तो मानो दोनों केवल इसी सुख के लिए जिंदा थे. इम्तियाज दिन भर फोन हाथ में पकडे़ रहता और इधर जैसे ही फिरोजा को मौका मिलता, वह इम्तियाज को फोन कर के अपने घर बुला लेती.

2 साल तक दोनों की प्रेमलीला बिना रुकावट के चलती रही. इधर वक्त के साथ बबलू भी दूसरी औरतों के फेर में फिरोजा की तरफ से बेपरवाह होता जा रहा था. फिरोजा कभी कुछ कहती तो उलटे वह उस से मारपीट भी करने लगा था.

इसी दौरान कुछ समय पहले बबलू ने शुजालपुर में 8 बीघा जमीन का सौदा कर उस की रजिस्ट्री फिरोजा के नाम करवा दी. बस इस जमीन के कागज हाथ में आते ही फिरोजा और इम्तियाज का दिमाग घूमना शुरू हो गया. उन्हें लगा कि यदि किसी तरह बबलू से छुटकारा मिल जाए तो वे दोनों इस जमीन पर खेती किसानी कर आसानी से जिंदगी बिता सकते हैं.

इसलिए फिरोजा ने कुछ दिनों से ऐसी हरकतें करनी शुरू कर दीं कि बबलू गुस्से में आ कर उसे तलाक दे दे. बबलू को गुस्सा तो बहुत आता था लेकिन गुस्से में वह तलाक के बदले उस की पिटाई कर देता. इस दौरान बबलू की गैरमौजूदगी में अकसर फिरोजा के पास इम्तियाज के आने से मोहल्ले में दोनों के अवैध संबंधों की चर्चा भी होने लगी थी.

इसलिए दोनों को डर लगने लगा था कि कहीं यह बात बबलू के कानों तक पहुंच गई तो उन का सारा खेल बिगड़ जाएगा, इसलिए दोनों ने महीने भर पहले बबलू की हत्या की योजना बनाने के बाद उस पर अमल करना शुरू कर दिया.

योजना के अनुसार, इम्तियाज ने बड़ी मात्रा में नींद की गोलियां ला कर फिरोजा को दे दीं. फिरोजा यह गोलियां रात के खाने में मिला कर बबलू को खिलाने लगी. उस का सोचना था कि गोली खा कर सोने से बबलू किसी दिन सोता ही रह जाएगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

फिर 28-29 मार्च को फिरोजा ने खाने में और अधिक गोलियां मिला कर बबलू को खिला दीं. इस से बबलू गहरी नींद में चला गया, मगर उस की सांस चलती रही. यह देख कर फिरोजा ने रात डेढ़ बजे अपने प्रेमी देवर इम्तियाज को फोन कर घर बुला लिया.

फिरोजा ने उस से कहा कि इस का आज ही काम तमाम कर दो. तब इम्तियाज ने गहरी नींद में सो रहे बबलू के सिर पर लाठी से जोरदार प्रहार किया. इस से बबलू बेहोश हो गया तो उस ने बड़ा सा चाकू उस के गले में अंदर तक डाल कर चाबी की तरह घुमा दिया.

कुछ ही देर में बबलू की मौत हो गई. इस के बाद दोनों को उस की लाश ठिकाने लगाने की सूझी. इस के लिए इम्तियाज नरवल में रहने वाले अपने दोस्त कादिर से उस की एक्टिवा ले आया था. फिर दोनों ने मिल कर लाश को प्लास्टिक के 2 बोरे पहना कर बंद कर दिया. फिर कमरे का खून साफ करने के बाद दोनों ने सैक्स का खेल खेला.

इस के बाद एक्टिवा पर लाश रख कर इम्तियाज उसे इंदौर से दूर फेंकने के लिए घर से निकला. लेकिन लाश को पकड़ने वाला कोई नहीं था. जैसे ही वह एक्टिवा पर लाश ले कर घर से निकला तो गली के आवारा कुत्ते उस के पीछे दौड़ते हुए भौंकने लगे.

कुत्तों से बचने के लिए इम्तियाज ने एक्टिवा की गति बढ़ा दी जिस से संतुलन बिगड़ जाने से लाश घर से 300 मीटर दूर ही नीचे गिर गई. इस से इम्तियाज डर गया और लाश एक खाली प्लौट में फेंक कर अपने घर चला गया.

घर जा कर उस ने फिरोजा को पूरी बात बता दी कि लाश उस ने कहां फेंकी है. इसलिए सुबह लाश मिलने पर फिरोजा बिना चेहरा देखे ही उसे बबलू की लाश बताते हुए रोने लगी. जिस से पुलिस को उस पर शक हो गया था.

पुलिस ने इम्तियाज और फिरोजा की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त लाठी, चाकू और एक्टिवा भी बरामद कर ली. पुलिस ने मात्र 10 घंटे में ही इस हत्याकांड का खुलासा कर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

इंदौर संभाग के एडीजी वरुण कपूर, डीआईजी (एसएसपी) रुचिका वर्धन ने इस केस को खोलने वाली पुलिस टीम को बधाई दी.

लाश को मिला नाम

पंचकूला के थाना मनसादेवी के पास सेक्टर-5 के निकट मजदूरों और कामगारों ने अपने रहने के लिए कच्चे  झोपड़ीनुमा मकान बना रखे हैं. 27 अप्रैल, 2019 की सुबह 6 बजे इन्हीं झुग्गियों की कुछ महिलाएं जंगल की तरफ गईं तो उन्होंने झाडि़यों के बीच एक लाश से धुआं उठते देखा.

यह देखते ही महिलाएं उलटे पांव भागती हुई बस्ती में लौट आईं. उन्होंने शोर मचा कर यह बात सब को बताई. लाश के जलने की बात सुन कर बस्ती के लोग महिलाओं द्वारा बताई जगह पर पहुंच गए. उन्होंने भी वहां एक लाश से धुआं उठते देखा. लाश बुरी तरह झुलस चुकी थी.

इसी दौरान किसी ने पुलिस कंट्रोलरूम को फोन किया. चंडीगढ़ पुलिस कंट्रोलरूम ने घटना की सूचना संबंधित थाना मनीमाजरा को भेज दी. थोड़ी देर बाद थाना मनीमाजरा पुलिस मौके पर पहुंची तो उस ने बताया कि जिस जगह लाश पड़ी है, वह क्षेत्र के पंचकूला इलाके में आता है.

मनीमाजरा पुलिस ने यह खबर पंचकूला के थाना मनसादेवी को भेज दी. सूचना मिलने पर थाना मनसादेवी के एसएचओ विजय कुमार अपनी टीम के साथ तुरंत मौके पर पहुंच गए. साथ ही उन्होंने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों और क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी दी.

कुछ ही देर में डीसीपी कमलदीप गोयल, एसीपी (क्राइम) नुपूर बिश्नोई, पंचकूला क्राइम इनवैस्टीगेशन एजेंसी के प्रभारी अमन कुमार फोरैंसिक टीम सहित मौके पर पहुंच गए. जिस लाश के बारे में सूचना दी गई थी, वह मनसादेवी कौंप्लेक्स, विश्वकर्मा मंदिर की बैक साइड पर थाना मनसादेवी से मात्र 500 मीटर की दूरी पर झाडि़यों में पड़ी थी.

पुलिस जब वहां पहुंची, तब भी शव से धुआं उठ रहा था. इस से पुलिस को लगा कि कुछ देर पहले ही शव में आग लगाई गई थी. वह लाश किसी युवती की थी. पुलिस ने मौके पर देखा कि उस के गले में फंदा लगा हुआ था. युवती की जीभ भी बाहर निकली हुई थी और टांगें पूरी तरह फैली हुई थीं. यह सब देख कर दुष्कर्म की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता था.

मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम ने भी वहां से कुछ सबूत जुटाए. झाडि़यों पर पड़ी बोरी भी कब्जे में ले ली गई. पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया कि युवती की किसी अन्य जगह पर गला घोंट कर हत्या करने के बाद शव को यहां ठिकाने लगाने की कोशिश की गई थी.

शिनाख्त जरूरी थी

झाडि़यों के पास कच्चे रास्ते पर किसी दोपहिया वाहन के टायरों के निशान भी मिले. ऐसा लगता था, युवती का शव किसी वाहन से वहां तक लाया गया होगा. पुलिस को लगा, जब हत्यारे शव लाए होंगे तो कहीं न कहीं किसी सीसीटीवी कैमरे में कैद जरूर हुए होंगे. युवती के शरीर पर घाव के कई निशान भी मिले.

बहरहाल, मनसादेवी थाना पुलिस ने घटनास्थल पर सब से पहले पहुंचे पीसीआर में तैनात हैडकांस्टेबल सतीश की सूचना पर हत्या और लाश को ठिकाने लगाने की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. शव को सेक्टर-6 जनरल अस्पताल की मोर्चरी में 72 घंटों के लिए सुरक्षित रखवा दिया गया.

लाश इतनी बुरी तरीके से जल चुकी थी कि उस की शिनाख्त करनी बहुत मुश्किल थी. पुलिस के सामने पहला अहम काम था शव की शिनाख्त कराना. उस के बाद ही हत्यारों तक पहुंचा जा सकता था.

पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को चैक किया. चंडीगढ़ पुलिस से भी घटनास्थल के रास्ते की तरफ आने वाले क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों को चैक करने की सहायता मांगी गई. इस काम में सीआईए, सेक्टर-19, क्राइम ब्रांच और कई थानों की टीमें लगी थीं.

मृतका के फोटो भी सभी थानों में भिजवा दिए गए थे और पिछले माह लापता हुई 20 से 30 साल की युवतियों के रिकौर्ड भी खंगाले गए. इस के अलावा अधजले शव की पहचान के लिए डीसीपी कमलदीप गोयल के आदेश पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की पुलिस को भी सूचना भेज दी गई.

सीआईए इंसपेक्टर अमन कुमार ने सीसीटीवी कैमरे में दिखने वाली एक कार के चालक को हिरासत में ले लिया था, लेकिन लंबी पूछताछ के बाद जब उस से हत्या के संबंध में कोई क्लू नहीं मिला तो उसे छोड़ दिया गया. वहीं मनसादेवी थाना पुलिस ने भी इस मामले में कई संदिग्ध लोगों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की, पर कोई नतीजा नहीं निकला. पुलिस इस मामले की हर पहलू से जांच कर रही थी.

कार चालक को सीआईए ने भले ही छोड़ दिया था, लेकिन उसे क्लीन चिट नहीं दी थी क्योंकि उस की काले रंग की अल्टो कार की लोकेशन आईटी पार्क से मनसादेवी कौंप्लेक्स के बीच रात एक से 3 बजे के बीच ट्रेस की गई थी.

पुलिस ने मृतका की शिनाख्त के लिए गली गली में उस के पोस्टर लगवा दिए थे, इस के अलावा विभिन्न अखबारों, लोकल टीवी चैनलों पर भी उस की फोटो दिखाई गई थी. इस का नतीजा यह निकला कि लाश मिलने के 2 दिन बाद अखबार से खबर पढ़ कर इंदिरा कालोनी निवासी लल्लन प्रसाद थाना मनसादेवी पहुंच गया.

उस ने एसएचओ से कहा, ‘‘साहब, अखबार में जो अधजली लाश बरामद होने की खबर छपी है, वह लाश मेरी बेटी गुरप्रीत की है.’’

लल्लन की बात सुन कर एसएचओ ने उस से पूछा, ‘‘आप को किसी पर शक है?’’

‘‘हां साहब, मुझे शक नहीं विश्वास है कि यह काम मेरी बेटी के प्रेमी ने किया होगा.’’ लल्लन ने फूटफूट कर रोते हुए यह बात पुलिस को बताई.

लल्लन ने बताया कि उस की बेटी गुरप्रीत नौवीं कक्षा में पढ़ती थी. उस का प्रेम प्रसंग इंदिरा कालोनी के ही रहने वाले एक लड़के से चल रहा था. वह लड़का दूसरी बिरादरी का था, इसलिए हम ने अपनी बेटी को समझाया और जब वह नहीं मानी तो हम ने 2 महीने पहले उस की मंगनी अपनी रिश्तेदारी के एक लड़के के साथ तय कर दी थी.

वह 23 मार्च, 2019 को सुबह 8 बजे स्कूल जाने के लिए घर से निकली थी. लेकिन शाम तक नहीं लौटी. हम ने भी इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया, क्योंकि गुरप्रीत इस से पहले भी अपने प्रेमी के साथ घर से चोरीछिपे कई बार जा चुकी थी. लेकिन 1-2 दिन बाद वह अपने आप ही घर लौट आती थी. उन्हें उम्मीद थी कि इस बार भी वह 1-2 दिन में लौट आएगी. पर इस बार ऐसा नहीं हुआ.

जब 2 दिन तक वह घर नहीं लौटी तो हम ने पहले तो रिश्तेदारी में बेटी की तलाश की, लेकिन जब उस का कहीं कुछ पता नहीं चला तो चंडीगढ़ के मनीमाजरा थाने में उस की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करवा दी. वह तो नहीं मिली लेकिन इस बार उस की मौत की खबर जरूर मिल गई.

हालांकि पहले तो पुलिस ने उस की बातों पर विश्वास नहीं किया, लेकिन जब युवती की फोटो सीआईए प्रभारी के पास पहुंची तो वह भी दंग रह गए.

पहचान ली गई लाश

उन्होंने तुरंत वह फोटो मनसादेवी थानाप्रभारी को भेजी और दावा करने वाले व्यक्ति को एसएचओ विजय कुमार के पास भेज दिया. विजय कुमार ने उसे मोर्चरी में रखी झुलसी हुई लाश को पहचानने के लिए अस्पताल चलने को कहा. इस पर लल्लन अपनी पत्नी प्रभा के साथ अस्पताल पहुंच गया.

दोनों को मोर्चरी में रखी लाश दिखाई दी तो लल्लन प्रसाद और उस की पत्नी प्रभा ने लाश को पहचान कर उस की शिनाख्त अपनी बेटी गुरप्रीत के रूप में की. अखबारों से मिली जानकारी के बाद उसी दिन अधजले शव की पहचान के लिए अस्पताल में 60 से अधिक लोग पहुंचे थे, जिस में ट्राइसिटी के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर आदि जगहों के लोग भी शामिल थे, जिन की बेटियां, पत्नियां पिछले कुछ महीनों से लापता थीं. लेकिन शव की शिनाख्त उन में से किसी ने भी नहीं की थी.

30 अप्रैल, 2019 को डाक्टरों के पैनल ने लाश का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि मृतका की हत्या गला घोंट कर की गई थी और उस के पेट में चाकू से 3 वार भी किए गए थे. महिला 5 माह की गर्भवती थी. अंत में कागजी काररवाई करने के बाद उस की लाश लल्लन के हवाले कर दी गई थी. उसी दिन उस का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था.

लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस को अब लल्लन की बेटी के हत्यारों और हत्या के कारण का पता लगाना था. इस के पहले कि इस मामले में पुलिस आगे कुछ कर पाती, अगले दिन दिनांक 30 अप्रैल को कहानी में एक नया मोड़ आ गया.

कहानी में आया नया मोड़

इस ट्विस्ट से पंचकूला पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गई. लल्लन अपनी जिस बेटी गुरप्रीत का अंतिम संस्कार कर चुका था, वही गुरप्रीत अपने गायब होने के करीब 38 दिनों बाद 30 अप्रैल को रात करीब 9 बजे आईटी थाने में अचानक पहुंच गई.

उस ने पुलिस को बताया कि मैं जिंदा हूं, मेरे प्रेमी को बेवजह मेरी हत्या के आरोप में फंसाया जा रहा है. इस में मेरे पिता की कोई चाल हो सकती है. गुरप्रीत ने बताया कि वह जहां भी गई थी, अपनी मरजी से गई थी. जब उस ने समाचारपत्रों में अपनी हत्या की खबर पढ़ी तो वह हैरान रह गई. इसलिए सच्चाई बताने के लिए वह सीधे थाने चली आई.

आईटी थानाप्रभारी लखबीर सिंह ने इस बात की सूचना एसएचओ मनसादेवी को देने के बाद देर रात तक गुरप्रीत से पूछताछ की. अगले दिन यानी पहली मई को उस का मैडिकल करवाने के बाद उसे सिटी मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर उस का इकबालिया बयान दर्ज करवाया.

एसएचओ मनसादेवी विजय कुमार ने जब लल्लन और उस की पत्नी प्रभा को थाने बुला कर इस बारे में पूछा तो वह गिड़गिड़ा कर कहने लगा, ‘‘साहब, आप ने लाश और उस के जो फोटो हमें दिखाए थे, उस के नाक और कान मेरी बेटी से बिलकुल मिलते थे. इसीलिए हम ने उसे अपनी बेटी की लाश समझा.’’

लल्लन तो इतनी बात कह कर बच निकला पर पंचकूला पुलिस को इस मामले से बचना इतना आसान नहीं था. उस की खिल्ली उड़ रही थी. बहरहाल, गुरप्रीत के लौट आने से लल्लन और चंडीगढ़ पुलिस ने तो चैन की सांस ली पर पंचकूला पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई थीं.

लल्लन के गलत शिनाख्त करने के बाद पुलिस ने मृतका को गुरप्रीत मान कर उस का अंतिम संस्कार करवा दिया था और आस लगाए बैठी थी कि लाश की शिनाख्त हो गई है तो उस के हत्यारे भी जल्द पकड़े जाएंगे, पर नए हालात में पुलिस के हाथ खाली थे.

पुलिस एक ऐसी अंधेरी खाई में घुस चुकी थी, जहां से जल्दी निकलना संभव नहीं था. न तो पुलिस के पास मृतका के बारे में कोई जानकारी थी और न हत्यारों का कोई सुराग. कुल मिला कर पुलिस को इस ब्लाइंड केस को सुलझाने के लिए नए सिरे से तहकीकात करनी थी. क्योंकि मृतका गर्भवती थी, इसलिए पुलिस अब इसे औनर किलिंग के एंगल से भी देख रही थी.

दूसरी ओर लल्लन की बेटी के वापस आने से उस के तथाकथित प्रेमी की मां ताज ने अपने रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों के साथ थाने जा कर हंगामा खड़ा कर दिया और थाने में बैठे लल्लन और उस की पत्नी प्रभा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘मैं कहती थी न कि मेरा बेटा ऐसा कभी नहीं कर सकता, वह गुरप्रीत से सच्ची मोहब्बत करता है, उस की हत्या नहीं कर सकता. लल्लन और उस के परिवार ने पुरानी रंजिश निकालने के  लिए मेरे बेटे को फंसाने की कोशिश की है.’’

आखिर लाश की हो गई शिनाख्त

अब थाना मनसादेवी पुलिस इस की जांच करने में जुट गई कि आखिर वह युवती कौन थी, जिस का अंतिम संस्कार लल्लन ने अपनी बेटी गुरप्रीत जान कर किया. थोड़ी कोशिश के बाद मनसादेवी पुलिस को मृतका के बारे में एक छोटी सी जानकारी मिली.

पता चला कि वह लाश सूरजपुर की रहने वाली किसी युवती की थी. पुलिस जब सूरजपुर पहुंची तो वहां मृतका का पिता ऋषिपाल मिला. मनसादेवी पुलिस ने ऋषिपाल से बात की तो उस ने बताया कि उस की बेटी आरती 26 अप्रैल की रात से लापता है. उस ने पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करा दी है.

इस बार पुलिस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. पुलिस ने युवती की झुलसी हुई लाश के जो सैंपल सुरक्षित रखे हुए थे, उन से ऋषिपाल का डीएनए मैच करवा कर देखा तो वह मिल गया. इस से यह बात भी साबित हो गई कि मृतका ऋषिपाल की ही बेटी थी. अब इस बात की पुष्टि हो गई कि वह अधजला शव ऋषिपाल की 28 वर्षीय बेटी सुनीता उर्फ आरती का था.

सुनीता शादीशुदा महिला थी. उस की 11 साल की एक बेटी भी है. सुनीता की शादी लगभग 12 साल पहले हुई थी. पिछले 3-4 सालों से उस की अपने पति से अनबन चल रही थी, जिस कारण वह अपने मातापिता और भाई भाभी के साथ सूरजपुर में ही रह रही थी.

पुलिस ने मृतका के परिजनों से उस का मोबाइल नंबर ले कर उस के नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की. उस में एक ऐसा नंबर हाथ लगा, जिस से मृतका की घंटों तक बातें हुआ करती थीं. वह नंबर चेक टाउन के रहने वाले 26 वर्षीय आनंद नाम के युवक का था.

पुलिस ने आनंद के नंबर की जांच की तो 27 अप्रैल, 2019 को उस के फोन की लोकेशन भी उसी जगह की मिली, जहां सुनीता उर्फ आरती की झुलसी हुई लाश मिली थी. सारे सबूत मिल जाने के बाद 3 मई, 2019 को सीआईए इंचार्ज इंसपेक्टर अमन कुमार ने अपनी टीम के साथ मनीमाजरा, पीपली से आनंद और उस के छोटे भाई आजाद को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ के दौरान आनंद ने बिना कोई नौटंकी किए अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उस ने ही सुनीता उर्फ आरती की हत्या की थी, क्योंकि वह उसे शादी करने के लिए ब्लैकमेल कर रही थी.

हालांकि बाद में ब्लैकमेल वाली बात झूठी साबित हुई थी. बहरहाल, उसी दिन डीएसपी कमल गोयल ने प्रैसवार्ता कर इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया था. अगले दिन आनंद और आजाद को अदालत में पेश कर 2 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान की गई विस्तृत पूछताछ में इस हत्याकांड की कहानी कुछ इस प्रकार सामने आई.

जिस प्रकार मृतका सुनीता उर्फ आरती का अपने पति से विवाद चल रहा था और वह अपनी बेटी के साथ अपने भाई के घर अकेली रह रही थी, ठीक उसी तरह से आनंद भी अपनी पत्नी के साथ विवाद के चलते अकेला अपने मांबाप के साथ रह रहा था.

आज से लगभग 9 महीने पहले सुनीता अपनी भाभी के साथ किसी शादी में जाने के लिए लहंगा खरीदने सेक्टर-19 की मार्केट स्थित एक शोरूम में गई थी. आनंद भी उसी शोरूम पर काम करता था. यहीं दोनों की पहली मुलाकात हुई थी और पहली नजर में ही दोनों एकदूसरे को अपना दिल दे बैठे थे. दोनों ने अपने अपने फोन नंबर एकदूसरे को दे दिए थे और अकसर रात को फोन पर घंटों बातें किया करते थे.

अकेले रहने के कारण दोनों देहसुख पाने के लिए तड़प रहे थे. सो इस के बाद दोनों के बीच संबंध बन गए थे. पहले तो दोनों बाहर कहीं होटल आदि में मिल कर अपनी प्यास बुझा लिया करते थे, लेकिन बाद में मृतका आनंद के घर पीपली टाउन जाने लगी थी.

वैसे इन दोनों के संबंधों का दोनों के घर वालों को पता था. उन दोनों के बीच सब ठीकठाक ही चल रहा था. दोनों खुश भी थे और आपस में शादी कर लेना चाहते थे.

एक दिन अचानक सुनीता को पता चला कि वह गर्भवती हो गई है तो उस ने यह बात आनंद को बताते हुए कहा कि वह उस के बच्चे की मां बनने वाली है और अब हमें शादी कर लेनी चाहिए. आनंद को यह बात अच्छी नहीं लगी. उस ने बात टालते हुए कहा, ‘‘इस बारे में बाद में बात करेंगे.’’

सुनीता को उस का यह रूखा व्यवहार अच्छा नहीं लगा. कहां तो उस ने सोचा था कि बच्चे वाली बात सुन कर आनंद खुश हो जाएगा, लेकिन यहां तो बात उलटी ही निकली. बच्चे की बात को ले कर दोनों के बीच तनाव पैदा हो गया था. आरती जब भी आनंद से शादी की बात करती तो वह टाल देता था. इसी तरह तनाव भरे माहौल में समय बीतता गया और आरती के पेट में पल रहा बच्चा 5 माह का हो गया था.

अब तो आरती के शरीर में भी परिवर्तन आ गया था. दूसरी ओर आनंद शादी से साफ इनकार करने लगा था. दरअसल आनंद शुरू से ही शादी वादी के लिए तैयार नहीं था. वह बस मुफ्त में मजे लेने के पक्ष में था. उस का कहना था कि हम दोनों केवल अपने अपने शरीर की जरूरतें पूरी करते हैं. जबकि सुनीता इस मामले में गंभीर थी.

छली गई थी सुनीता

आनंद हर समय सुनीता पर इस बात का दबाव डालता था कि वह अबार्शन करवा कर इस मुसीबत से छुटकारा पा ले. एक दिन तो शादी को ले कर हो रही बहस के दौरान उस ने आरती से यहां तक कह दिया, ‘‘मैं कैसे मान लूं कि यह बच्चा मेरा ही है. क्या पता मेरे अलावा तुम्हारे संबंध न जाने किनकिन लोगों के साथ होंगे.’’

यह बात आरती को बहुत बुरी लगी. इस बात को ले कर दोनों में काफी नोकझोंक हुई. आनंद सुनीता से अपना पीछा छुड़ाने की पहले से ही योजना बना चुका था. अब उसे अपनी योजना को अमली जामा पहनाना था. 26 अप्रैल को दोनों की फोन पर शादी वाली बात को ले कर काफी बहस हुई. अंत में आनंद ने उसे रात 8 बजे घर पर मिलने के लिए बुलाया.

जब सुनीता वहां पहुंची तो आनंद के साथ उस का छोटा भाई आजाद भी था. आनंद ने फिर से उसे गर्भपात कराने के लिए कहा, जबकि सुनीता किसी भी कीमत पर गर्भपात कराने के लिए तैयार नहीं थी. वह अपनी बात पर अड़ी थी. इसे ले कर आनंद और सुनीता के बीच झगड़ा हो गया.

आनंद ने सुनीता पर अबार्शन का दबाव बनाने के लिए गुस्से में आ कर कई थप्पड़ मारे. इस पर सुनीता ने गुस्से में आ कर अपना गला अपनी चुन्नी से दबा लिया, जिस से वह बेहोश हो कर जमीन पर पड़ी थी. तभी दोनों भाइयों ने वह चुन्नी और खींच दी, जिस से उस का गला घुटने से मौत हो गई और उस की जीभ भी बाहर निकल आई. इस के बाद आनंद ने चाकू से पेट और आसपास के हिस्से में 3 वार किए.

हत्या करने के बाद दोनों भाइयों ने सुनीता के शव को जूट की बोरी में डाला और लाश को सुनीता की ही एक्टिवा पर अगले हिस्से में रख लिया. मनीमाजरा से चल कर दोनों भाई मनसादेवी थाने के क्षेत्र में पहुंचे, जहां उन्होंने सुनीता का शव झाडि़यों में डाल दिया. वहां घुप्प अंधेरा था और जगह भी एकदम सुनसान थी.

लाश को ठिकाने लगाने के लिए उन्हें यह जगह ठीक लगी. इस के बाद दोनों भाई मनीमाजरा स्थित पैट्रोल पंप पर पहुंचे, जहां उन्होंने एक्टिवा की टंकी फुल करवाई और वापस लाश के पास पहुंच गए.

एक्टिवा की टंकी से पैट्रोल निकाल कर उन्होंने लाश पर छिड़का और आग लगा कर वहां से अपने घर चले आए. यह बात 26-27 अप्रैल की रात की है. हालांकि आरोपियों ने अपनी तरफ से हत्या का कोई सबूत नहीं छोड़ा था, फिर भी पुलिस मोबाइल डिटेल्स के सहारे दोनों हत्यारोपियों तक पहुंच ही गई.

दोनों भाइयों से पूछताछ करने के बाद उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि के दौरान सीआईए पुलिस ने मृतका की एक्टिवा और हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. मामले की तफ्तीश चल रही है. पुलिस महिला की हत्या के आरोपी आनंद और आजाद को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

पुलिस को संदेह है कि इस हत्याकांड में कोई और भी शामिल हो सकता है. पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है. इस के अलावा पुलिस यह भी जांच कर रही है कि 38 दिनों तक गुरप्रीत आखिर कहां और किस के साथ रही थी.

खून से रंगे हाथ : बहन और उसके प्रेमी की हत्या

कानपुर से 40 किलोमीटर दूर बेलाविधूना मार्ग पर एक कस्बा है रसूलाबाद. इसी कस्बे से सटा एक गांव है बादशाहपुर., जहां रहता था रामचंद्र का परिवार. उस के परिवार में पत्नी जमना के अलावा 2 बेटे रघुनंदन उर्फ रघु, शिवनंदन उर्फ शिव तथा 2 बेटियां सपना और सुरेखा थीं. रामचंद्र गांव का संपन्न किसान था. वह गांव का प्रधान भी रह चुका था, इसलिए गांव में लोग उस की इज्जत करते थे.

रामचंद्र की छोटी बेटी सुरेखा दसवीं में पढ़ रही थी, जबकि बड़ी बेटी सपना ने बारहवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी. रामचंद्र उसे पढ़ालिखा कर मास्टर बनाना चाहता था. लेकिन सपना के पढ़ाई छोड़ देने से उस का यह सपना पूरा नहीं हो सका. पढ़ाई छोड़ कर वह घर के कामों में मां की मदद करने लगी थी.

गांव के हिसाब से सपना कुछ ज्यादा ही सुंदर थी. जवानी में कदम रखा तो उस की सुंदरता में और निखार आ गया. गोरा रंग, बड़ीबड़ी आंखें, तीखे नाकनक्श, गुलाबी होंठ और कंधों तक लहराते बाल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे. अपनी इस खूबसूरती पर सपना को भी बहुत नाज था.

यही वजह थी कि जब कोई लड़का उसे चाहत भरी नजरों से देखता तो वह इस तरह घूरती मानो खा जाएगी. उस की इन खा जाने वाली नजरों से ही लड़के उस से डर जाते थे. लेकिन रामनिवास सपना की इन नजरों से जरा भी नहीं डरा था. वह सपना के घर से कुछ ही दूरी पर रहता था. उस के पिता शिव सिंह की मौत हो चुकी थी. वह मां और भाइयों अनिल तथा रावेंद्र के साथ रहता था.

पिता की मौत के बाद घरपरिवार की जिम्मेदारी उसी पर आ गई थी, इसलिए उसे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी. पढ़ाई छोड़ कर उस ने अपनी खेती संभाल ली थी. उसे गानेबजाने का शौक था. उस का गला भी सुरीला था, वह भजनकीर्तन अच्छा गा लेता था. उस ने ‘धमाका’ नाम से एक कीर्तन मंडली बना ली और बुकिंग पर जाने लगा था. इस से उसे अच्छी आमदनी हो रही थी.

सपना के भाई रघुनंदन की रामनिवास से खूब पटती थी. आसपड़ोस में होने की वजह से दोनों का एकदूसरे के घर भी आनाजाना होता था. एक दिन दोनों बैठे बातें कर रहे थे तो रघुनंदन ने कहा, ‘‘यार रामनिवास! मुझे भी भजनकीर्तन सिखा कर अपनी मंडली में शामिल कर लो. 4 पैसे मुझे भी मिलने लगेंगे.’’

रामनिवास रघुनंदन को अच्छा दोस्त मानता था, इसलिए उसे भजनकीर्तन सिखाने लगा. रामनिवास जब भी रघुनंदन के घर आता था, सपना उसे घर के कामों में लगी दिखाई देती थी. वैसे तो वह उसे बचपन से देखता आया था, लेकिन पहले वाली सपना में और अब की सपना में काफी फर्क आ गया था. पहले जहां वह बच्ची लगती थी, अब वही सपना जवान होने पर ऐसी हो गई थी कि उस पर से नजर हटाने का मन ही नहीं होता था.

एक दिन रामनिवास सपना के घर पहुंचा तो सामने वही पड़ गई. उस ने पूछा, ‘‘रघु कहां है?’’

‘‘मम्मी और भैया तो कस्बे गए हैं. कोई काम है क्या?’’ सपना बोली.

‘‘नहीं, कोई खास काम नहीं था, बस ऐसे ही आ गया था.’’

‘‘भइया को सचमुच भजनकीर्तन सिखा रहे हो या ऐसे ही टाइम पास करा रहे हो?’’

‘‘भजनकीर्तन गाना इतना आसान नहीं है, जो हफ्ता-10 दिन में सीख जाएगा. इसे भी सीखने में समय लगता है. अगर इसी तरह लगा रहा तो एक दिन जरूर सीख जाएगा. उस के बाद महीने में 5-6 हजार रुपए कमाने लगेगा.’’ रामनिवास ने कहा.

‘‘5-6 हजार रुपए कमाने लगेगा?’’

‘‘मेहनत करेगा तो क्यों नहीं कमाने लगेगा? मैं कमाता नहीं हूं? अच्छा अब मैं चलता हूं. रघु आए तो बता देना, मैं आया था.’’

‘‘बैठो, भइया आते ही होंगे.’’ सपना ने कहा तो वहीं पड़ी चारपाई पर रामनिवास बैठ गया.

रामनिवास बैठ गया तो सपना रसोई की ओर बढ़ी. उसे रसोई की ओर जाते देख रामनिवास ने कहा, ‘‘सपना, चाय बनाने की जरूरत नहीं है. मैं चाय पी कर आया हूं. मेरे लिए बेकार में चूल्हा जलाओगी.’’

‘‘चूल्हा जल रहा है और मैं ने अपने लिए चाय भी चढ़ा रखी है. उसी में थोड़ा दूध और डाल देना है.’’ कह कर सपना रसोई में चली गई.

थोड़ी देर बाद वह 2 गिलासों में चाय ले आई. एक गिलास उस ने रामनिवास को थमा दिया तो दूसरा खुद ले कर बैठ गई. चाय पीते हुए रामनिवास ने कहा, ‘‘सपना बुरा न मानो तो एक बात कहूं?’’

‘‘कहो.’’ उत्सुक नजरों से देखते हुए सपना बोली.

‘‘अगर तुम जैसी खूबसूरत और ढंग से घर के काम करने वाली पत्नी मुझे मिल जाए तो मेरी किस्मत ही खुल जाए.’’

रामनिवास की इस बात का जवाब देने के बजाय सपना उठी और रसोई में चली गई. उसे इस तरह जाते देख रामनिवास को लगा वह नाराज हो गई है, इसलिए उस ने कहा, ‘‘सपना लगता है तुम नाराज हो गई? मेरी इस बात का कोई गलत अर्थ मत लगाना. मैं ने तो यूं ही कह दिया था.’’

इतना कह रामनिवास चला गया. लेकिन इस के बाद वह जब भी रघु के घर जाता, मौका मिलने पर सपना से 2-4 बातें जरूर कर लेता. उन की इस बातचीत का घर वालों को कोई ऐतराज भी नहीं था. क्योंकि रिश्ते में दोनों भाईबहन लगते थे. गांवों में तो वैसे भी रिश्तों को काफी अहमियत दी जाती है. फिर सपना और रामनिवास तो एक ही जाति और परिवार के थे.

लेकिन रामनिवास और सपना रिश्ते की मर्यादा निभा नहीं पाए. मेलमुलाकात और बातचीत में रामनिवास के दिलोदिमाग पर सपना की खूबसूरती और बातव्यवहार ने ऐसा असर डाला कि वह उसे जीवनसाथी के रूप में पाने के सपने देखने लगा. लेकिन अपने मन की बात वह सपना से कह नहीं पाता था. क्योंकि उस का रिश्ता ऐसा था कि इस तरह की बात कहना आसान नहीं था.

कहीं सपना बुरा मान गई और उस ने यह बात घर वालों से बता दी तो वह मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएगा. लेकिन यह उस का भ्रम था. सपना के मन में भी वही सब था, जो उस के मन में था. जब दोनों ही ओर चाहत के दिए जल रहे हों तो खुलासा होने में ज्यादा देर नहीं लगती. ऐसा ही सपना और रामनिवास के साथ भी हुआ.

दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. आए दिन होने वाली मुलाकातों ने दोनों को जल्दी ही करीब ला दिया. वे भूल गए कि रिश्ते में भाईबहन हैं. रामनिवास सपना के प्यार के गाने गाने लगा. इस तरह दोनों मोहब्बत की नाव में सवार हो कर काफी आगे निकल गए.

सपना और रामनिवास के बीच नजदीकियां बढ़ीं तो मनों में शारीरिक सुख पाने की कामना पैदा होने लगी. इस के बाद मौका मिला तो दोनों सारी मर्यादाएं तोड़ कर एकदूसरे की बांहों में समा गए. एक बार दोनों ने पाप के दलदल में कदम रखा तो जल्दी ही उस में गले तक समा गए. घर बाहर जहां भी मौका मिलता, वे शरीर की आग शांत करने लगे.

इसी का नतीजा था कि वे गांव वालों की नजरों मे आ गए. उन के प्यार के चर्चे पूरे गांव में होने लगे. उड़ते उड़ाते यह खबर रामचंद्र के कानों में पड़ी तो सुन कर उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. एकाएक उसे विश्वास नहीं हुआ कि रामनिवास उस की इज्जत पर हाथ डाल सकता है. वह तो उसे अपने बेटों की तरह मानता था. यह सब जान कर उस ने सपना पर तो पाबंदी लगा ही दी, रामनिवास से भी कह दिया कि वह उस के घर न आया करे.

बात इज्जत की थी, इसलिए रघुनंदन को दोस्त की यह हरकत अच्छी नहीं लगी. उस ने रामनिवास को समझाया ही नहीं, धमकी भी दी कि अगर उस ने अब उस की बहन पर नजर डाली तो वह भूल जाएगा कि वह उस का दोस्त और चचेरा भाई है. इज्जत के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है. इस के बाद उस ने सपना की पिटाई भी की और उसे समझाया कि उस की वजह से गांव में सिर उठा कर चलना दूभर हो गया है. वह ठीक से रहे अन्यथा अनर्थ हो जाएगा.

रामचंद्र जानता था कि बात बढ़ाने पर उसी की बदनामी होगी, इसलिए बात बढ़ाने के बजाय वह पत्नी और बेटों से सलाह कर के सपना के लिए लड़के की तलाश करने लगा. इस बात की जानकारी सपना को हुई तो वह बेचैन हो उठी. एक रात मौका निकाल कर वह रामनिवास से मिली और रोते हुए बोली, ‘‘घर वाले मेरे लिए लड़का ढूंढ रहे हैं, जबकि मैं तुम्हारे अलावा किसी और से शादी नहीं करना चाहती.’’

‘‘इस में रोने की क्या बात है? हमारा प्यार सच्चा है, इसलिए दुनिया की कोई ताकत हमें जुदा नहीं कर सकती.’’ सपना को रोते देख रामनिवास विचलित हो उठा. वह सपना के आंसू पोंछ कर उस का चेहरा हथेलियों में ले कर बोला, ‘‘तुम मुझ पर भरोसा करो. मैं तुम्हारे साथ बिताए मधुर क्षणों को कैसे भूल सकता हूं? मैं ने तुम्हें मनप्राण से चाहा है. मेरे रोमरोम में तुम्हारा प्यार रचाबसा है. तुम्हें क्या लगता है कि तुम से अलग हो कर मैं जी पाऊंगा, बिलकुल नहीं.’’

यह कहतेकहते रामनिवास की आंखें भर आईं. उस की आंखों में आंखें डाल कर सपना बोली, ‘‘मुझे पता है कि हमारा प्यार सच्चा है, तुम दगा नहीं दोगे. फिर भी न जाने क्यों मेरा दिल घबरा रहा है. अच्छा, अब मैं चलती हूं. कोई खोजते हुए कहीं आ न जाए.’’

‘‘ठीक है, मैं कोई योजना बना कर तुम्हें बताता हूं.’’ कह कर रामनिवास अपने घर की ओर चल पड़ा तो मुसकरती हुई सपना अपने घर चली गई.

रामचंद्र सपना के लिए लड़का ढूंढ़ढूंढ़ कर थक गया, लेकिन कहीं शादी तय नहीं हुई. वह जहां भी जाता, बेटी की चरित्रहीनता आड़े आ जाती. शादी तय न होने से जहां सपना के घर वाले परेशान थे, वहीं सपना और रामनिवास खुश थे. इस बीच घर वाले थोड़ा लापरवाह हो गए तो वे फिर से चोरीछिपे मिलने लगे थे.

एक दिन रघुनंदन ने खेतों पर सपना और रामनिवास को हंसीमजाक करते देख लिया तो उस ने सपना की ही नहीं, रामनिवास की भी जम कर पिटाई की. इसी के साथ धमकी भी दी कि अगर फिर कभी उस ने दोनों को इस तरह देख लिया तो उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेगा.

रघुनंदन की इस पिटाई से दोनों का प्यार कम हो जाना चाहिए था. लेकिन उन का प्यार कम होने के बजाए बढ़ गया था. रघुनंदन ने रामनिवास की शिकायत उस के घर वालों से की तो उन्होंने कहा, ‘‘इस सब से तो अच्छा है रामनिवास और सपना की शादी कर दी जाए.’’

इस से रघुनंदन का गुस्सा और बढ़ गया. पैर पटकते हुए वह घर वापस आ गया. फसल की रखवाली के लिए रामनिवास रात को खेतों पर सोता था. सपना को जब कभी मौका मिलता, वह रात में उस से मिलने खेतों पर पहुंच जाती थी. काम हो जाने के बाद वह दबे पांव घर आ जाती.

27 मार्च की सुबह 4 बजे के आसपास सपना घर से दबे पांव रामनिवास से मिलने के लिए निकली. सपना को घर से निकलते हुए रघुनंदन ने देख लिया. उसे संदेह हुआ तो वह उस के पीछेपीछे चल पड़ा.

खेत पर उस ने जो देखा, सन्न रह गया. सपना और रामनिवास आपत्तिजनक स्थिति में थे. उन्हें इस तरह देख कर रघुनंदन की देह में आग लग गई. उस ने कहा, ‘‘हरामजादे, मना करने के बावजूद तू ने मेरी इज्जत पर हाथ डाला. आज मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

इतना कह कर रघुनंदन ने दोनों हाथों से कुल्हाड़ी हवा में लहराई और पूरी ताकत से रामनिवास की गरदन पर वार कर दिया. इसी एक वार में रामनिवास धराशाई हो गया. गुस्से में रघुनंदन ने ताबड़तोड़ कई वार कर के उसे खत्म कर दिया.

भाई का गुस्सा देख कर सपना जान बचा कर घर की ओर भागी. रघुनंदन ने पीछे से आवाज दी, ‘‘भाग कर कहां जाएगी. मैं आज तुझे भी नहीं छोड़ूंगा.’’

कहते हुए रघुनंदन ने सपना को दौड़ा लिया. सपना घर तक तो पहुंच गई, लेकिन वह खुद को कमरे में बंद कर पाती, उस के पहले ही आंगन में रघुनंदन ने उस पर भी उसी कुल्हाड़ी से वार कर दिया. सपना चीखी तो घर वाले भाग कर आ गए. उन्होंने रघुनंदन को पकड़ कर कुल्हाड़ी छीन ली. लेकिन सपना पर एक वार जो पड़ चुका था, उस से वह बुरी तरह जख्मी हो गई थी. उस का शरीर खून से तरबतर हो गया.

सूरज की किरण फूटने के साथ ही इस सनसनीखेज घटना की जानकारी रामनिवास के घर वालों और गांव वालों को हुई तो कोहराम मच गया. किसी ने इस घटना की खबर थाना रसूलाबाद पुलिस को दे दी थी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार सिपाहियों को साथ ले कर गांव बादशाहपुर पहुंच गए.

सब से पहले तो थानाप्रभारी ने गंभीर रूप से घायल सपना को इलाज के लिए अस्पताल भिजवाया. इस के बाद वहां जा पहुंचे, जहां रामनिवास की लाश पड़ी थी.

रामनिवास की हत्या बड़ी ही बेरहमी से की गई थी. उस के शरीर पर 8-10 गहरे घाव थे, जिस से उस की मौत हो चुकी थी. घटनास्थल का निरीक्षण कर उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

इस के बाद पूछताछ में मृतक रामनिवास के भाई अनिल ने बताया कि रामनिवास की हत्या रघुनंदन ने की थी. वह उस की बहन सपना से प्यार करता था और शादी करना चाहता था. रघुनंदन इस बात का विरोध करता था. आज उस ने दोनों को रंगेहाथों पकड़ लिया तो रामनिवास की हत्या कर दी.

थानाप्रभारी सुनील कुमार ने अनिल की ओर से रामनिवास की हत्या का मुकदमा रघुनंदन के खिलाफ दर्ज कर के उसे उस के घर से हिरासत में ले लिया. पूछताछ में उस ने अपना अपराध स्वीकार कर के वह कुल्हाड़ी भी बरामद करा दी, जिस से उस ने रामनिवास की हत्या की थी और सपना को घायल किया था.

पूछताछ के बाद थाना रसूलाबाद पुलिस ने अभियुक्त रघुनंदन को कानपुर देहात की मांती कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिय गया. कथा लिखे जाने तक रघुनंदन की जमानत नहीं हुई थी. सपना अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही थी.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

खतरनाक मंसूबे की चपेट में नीलम

4 अप्रैल, 2019 गुरुवार का दिन था. सुबह के लगभग साढ़े 4 बजे थे. सिपाही नीलम शर्मा की सुबह 5 बजे से दोपहर एक  बजे तक मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर ड्यूटी थी. नीलम ने तैयार हो कर अपना लंच बौक्स पिट्ठू बैग में रखा और दामोदरपुरा के मुख्यद्वार पर प्याऊ के पास पहुंच गई. यहीं पर रोजाना उसे लेने के लिए पुलिस की बस आती थी. प्याऊ के पास खड़ी हो कर वह स्टाफ की बस का इंतजार करने लगी.

बस आने के लगभग 5 मिनट पहले एक कार नीलम शर्मा से लगभग 200 मीटर की दूरी पर आ कर रुकी. उस समय नीलम का ध्यान अपनी बस के आने की तरफ था. अचानक आगे बढ़ी कार नीलम के पास आई. झटके से रुकी कार से उतर कर एक युवक तेजी से नीलम की ओर बढ़ा. जबकि कार में बैठे अन्य युवकों ने कार स्टार्ट रखी.

कार से उतरे युवक ने नीलम से कुछ बात की, इस के बाद उस ने नीलम के ऊपर तेजाब फेंक दिया. नीलम ने अपना बैग उस के मुंह पर मारा तो वह फुरती से कार में जा कर बैठ गया. कार वहां से कुछ दूर जा कर खड़ी हो गई.

अचानक हुए एसिड अटैक से झुलसी 26 वर्षीय नीलम घबरा गई. वह तेजाब की जलन से तड़पने लगी. उस ने शोर मचाया. मदद के लिए वह इधरउधर भागने लगी. जो भी उसे मिला, उस ने उसी से मदद की गुहार लगाई.

इस बीच अखबार के एक हौकर ने महिला सिपाही को बचाने का प्रयास किया. तभी हमलावरों ने उन दोनों पर कार चढ़ाने की कोशिश की. लेकिन हौकर महिला सिपाही को ले कर एक तरफ हट गया, जिस से दोनों बच गए. हौकर ने उस कार पर पत्थर भी फेंके पर कार रुकी नहीं, तेज गति से चली गई.

रोते बिलखते वह सिपाही एक दुकान के आगे गिर गई और दर्द की वजह से चीखने लगी. तेजाब से नीलम के कपड़े भी जल गए थे. यह देख दुकानदार ने मौर्निंग वाक पर निकली महिलाओं को बुलाया और उन की चुन्नी से नीलम को ढंका. उसी समय किसी ने इस घटना की जानकारी फोन द्वारा पुलिस को दे दी.

नीलम ने किसी तरह अपनी सहकर्मी सिपाही नीतू को फोन कर दिया था. थोड़ी देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई और नीलम को जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

जानकारी मिलते ही एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह, एसपी (क्राइम) अशोक कुमार मीणा, एसपी (सुरक्षा) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह भी अस्पताल पहुंच गए. फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर साक्ष्य जुटाए. यह घटना विश्वप्रसिद्ध धार्मिक नगरी मथुरा में घटी थी.

नीलम पिछले एक साल से थाना सदर बाजार क्षेत्र के दामोदरपुरा में प्रधान सुरेंद्र सिंह के यहां अपनी सहकर्मी नीतू के साथ रह रही थी. नीलम के मकान मालिक सुरेंद्र सिंह भी नीतू के साथ अस्पताल पहुंच गए.

महिला सिपाही नीलम पर एसिड अटैक की घटना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. पूछताछ में नीलम ने पुलिस को बताया कि इस वारदात को संजय नाम के युवक ने अपने साथियों के साथ अंजाम दिया था.

वह संजय को पहले से जानती थी. नीलम ने सदर बाजार थाने में संजय सिंह उर्फ बिट्टू निवासी नेमताबाद, खुर्जा (बुलंदशहर) व सोनू सहित 4 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. भादंवि की धारा 326(ए), 332 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस हमलावरों की तलाश में जुट गई.

नीलम की हालत थी नाजुक

जिला अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि नीलम तेजाब से लगभग 45 फीसदी झुलस गई है. एसिड से उस का चेहरा, एक आंख, हाथ व शरीर के अन्य हिस्से जल गए थे. नीलम की नाजुक हालत को देखते हुए उसी दिन शाम को उसे आगरा के सिकंदरा क्षेत्र स्थित सिनर्जी अस्पताल रेफर कर दिया गया. एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह खुद उसे ले कर सिनर्जी अस्पताल में भरती कराने पहुंचे.

सिनर्जी अस्पताल के डाक्टर नीलम के इलाज में जुट गए. उन्होंने बताया कि नीलम की हालत स्थिर बनी हुई है. जब नीलम के घर वालों को बेटी के साथ घटी दिल दहलाने वाली घटना की जानकारी मिली तो उन के होश उड़ गए. वे भी सीधे सिनर्जी अस्पताल पहुंच गए.

आगरा के सिनर्जी अस्पताल में भरती नीलम इस हादसे से बेहद डरी हुई थी. कहने को अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा लगाई गई थी लेकिन पीडि़ता के परिजनों ने पुलिस अधिकारियों से और कड़ी सुरक्षा की मांग की. उन्हें डर था कि फरार संजय उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा.

इस पर एसएसपी ने पीडि़ता व उस के घर वालों को हरसंभव सुरक्षा देने का वायदा किया. घर वालों के अलावा अन्य किसी को भी अस्पताल में पीडि़ता से मिलने पर रोक लगा दी गई.

महिला सिपाही पर एसिड अटैक की यह दुस्साहसिक घटना पुलिस के लिए सिरदर्द बन गई थी. हर कोई पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा था. इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में यह खबर सुर्खियां बन गई थीं. इस से पुलिस की किरकिरी हो रही थी.

अभियुक्तों के फरार होने को ले कर उस दिन सोशल मीडिया पर भी सवाल खड़े होते रहे. लोगों का कहना था कि जब पुलिस वाले ही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो भला आम आदमी का क्या होगा.

उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया ओ.पी. सिंह ने मथुरा के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज से महिला कांस्टेबल नीलम शर्मा पर हुए एसिड अटैक की पूरी जानकारी ली. उन्होंने निर्देश दिए कि हमलावरों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए. इस एसिड अटैक के लिए जिम्मेदार कहीं भी हों, उन्हें ढूंढ निकाला जाए.

मथुरा में पुलिसकर्मी नीलम पर हुए एसिड अटैक के बाद महिला संगठनों के साथसाथ छात्राओं ने भी आक्रोश व्यक्त किया. वात्सल्य पब्लिक स्कूल, राधाकुंड, चरकुला ग्लोबल पब्लिक स्कूल और गौड़ शिक्षा निकेतन में शिक्षिकाओं एवं छात्रछात्राओं ने पीडि़ता के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.

उन्होंने एसिड फेंकने वाले दोषी लोगों को फांसी देने की मांग की. वहीं आगरा के सिनर्जी अस्पताल में भरती नीलम को देखने के लिए महिला शांति सेना की सदस्याएं पहुंची. संरक्षिका कुंदनिका शर्मा ने आरोपियों को शीघ्र पकड़ने व कड़ी सजा दिलाने की मांग की.

पकड़ा गया मुख्य आरोपी

एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने आरोपियों को पकड़ने के लिए अलगअलग थानों के तेजतर्रार पुलिस अफसरों की 5 पुलिस टीमें बनाईं. ये टीमें मथुरा के अलावा खुर्जा और बुलंदशहर जा कर आरोपियों को तलाशने लगीं. इस बीच पुलिस को हमलावरों की कार नंबर डीएल 2पीए8381 घटनास्थल से कुछ दूर लावारिस हालत में खड़ी मिली. कार पुलिस ने जब्त कर ली.

पुलिस टीम ने अगले दिन 5 अप्रैल को शाम 5 बजे मुखबिर की सूचना पर एक आरोपी सोनू को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने बताया कि नीलम शर्मा के ऊपर तेजाब संजय सिंह ने डाला था. सोनू की निशानदेही पर रात करीब 11 बजे घटना के मुख्य आरोपी संजय सिंह को मुठभेड़ के बाद यमुनापार इलाके के राया रोड स्थित राधे कोल्डस्टोरेज के पास से गिरफ्तार कर लिया गया.

मुठभेड़ के दौरान संजय के बाएं पैर में गोली लग गई थी. पुलिस ने इलाज के लिए उसे अस्पताल में भरती करा दिया था. संजय के कब्जे से पुलिस ने एक तमंचा और एक बाइक बरामद की. पुलिस ने संजय सिंह से जब सख्ती से पूछताछ की तो सिपाही नीलम शर्मा पर एसिड अटैक करने की जो कहानी सामने आई, वह प्यार की चाशनी में डूबी हुई निकली—

नीलम शर्मा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर की कोतवाली शिकारपुर के गांव आंचरू कलां की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम सुंदरलाल शर्मा था. जबकि मुख्य आरोपी संजय सिंह खुर्जा में एक कंप्यूटर सेंटर चलाता था. जब नीलम पढ़ाई कर रही थी, तब उस का संजय सिंह की दुकान पर आनाजाना लगा रहता था.

संजय और नीलम की मुलाकात कंप्यूटर सेंटर में हुई जो बाद में दोस्ती में बदल गई थी. दोस्त बन जाने के बाद दोनों फोन पर भी बातें करने लगे. दोस्ती बढ़ी तो संजय नीलम को एकतरफा प्यार करने लगा, जबकि नीलम उसे केवल अपना दोस्त ही समझती थी.

एक दिन संजय ने अपने मन की बात नीलम के सामने जाहिर कर दी तो नीलम ने उसे झिड़क दिया और उस से दूरी बना ली. इस पर संजय ने इस बारे में नीलम के घर वालों से बात की. चूंकि संजय उन की बिरादरी का नहीं था, इसलिए नीलम के पिता सुंदरलाल शर्मा ने नीलम की शादी संजय से करने को मना कर दिया.

इस के बाद नीलम की सन 2016 में उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी लग गई. नौकरी लगने के बाद भी संजय ने उसे परेशान करना बंद नहीं किया. और कोई रास्ता न देख नीलम ने अपना फोन नंबर बदल दिया. लेकिन इस के बावजूद संजय ने उसे ढूंढ निकाला और परेशान करने लगा.

संजय लगातार उस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था. इस से परेशान हो कर नीलम के घर वालों ने उस की शादी कहीं दूसरी जगह तय कर दी.यह बात संजय को बुरी लगी. उसे लगने लगा कि उस की प्रेमिका अब किसी और की हो जाएगी.

सन 2017 में नीलम की पोस्टिंग मथुरा में हो गई. कुछ दिनों वह पुलिस लाइन में रही, इस के बाद सन 2018 में उस की तैनाती श्रीकृष्ण जन्मस्थली की सुरक्षा में हो गई. इस पर नीलम मथुरा के दामोदरपुरा में प्रधान सुरेंद्र सिंह के यहां किराए पर रहने लगी. उस ने अपनी बैचमेट और सहेली नीतू को भी उस कमरे में अपने साथ रख लिया था.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में संजय सिंह ने बताया कि वह नीलम से प्यार करता था. उस से उस की पिछले 10 सालों से जानपहचान थी. वह उस से शादी करना चाहता था, लेकिन उस ने बात तक करनी बंद कर दी थी. जब उसे पता चला कि नीलम की शादी कहीं और तय हो गई है, तब उस ने तय कर लिया था कि वह अपनी प्रेमिका को किसी और की हरगिज नहीं होने देगा.

खतरनाक इरादे

उस की शादी रोकने के लिए उस ने नीलम के ऊपर तेजाब डालने का फैसला कर लिया. इस काम के लिए उस ने अपने दोस्तों हिमांशु ठाकुर, बौबी, किशन शर्मा और सोनू को भी तैयार कर लिया. ये सब उस की प्रेम कहानी को जानते थे.

सब से पहले इन लोगों ने नीलम के आनेजाने के मार्ग की रेकी की. इस से पता लग गया कि उस की ड्यूटी श्रीकृष्ण जन्मस्थली की सुरक्षा पर लगी है और वह सुबह पैदल ही दामोदरपुरा के प्याऊ पर पहुंचती है. वहां से वह पुलिस की बस में बैठ कर जाती है.

उन्होंने प्याऊ के पास ही योजना को अंजाम देने का फैसला कर लिया. यह भी तय कर लिया था कि यदि नीलम बच गई तो उसे गोली मार देंगे. और अगर उस के साथ उस की सहेली नीतू हुई तो उसे भी जिंदा नहीं छोड़ेंगे.

सभी ने बौबी की कार से घटना को अंजाम देने की बात तय कर ली. योजना बनाने के बाद संजय ने खुर्जा में पाहसू रोड स्थित दुकानदार पुनीत शर्मा के यहां से तेजाब खरीद लिया. फिर 4 अप्रैल, 2019 की सुबह उन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया.

संजय की निशानदेही पर पुलिस ने तेजाब विक्रेता पुनीत शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद पुलिस ने संजय सिंह, सोनू और पुनीत शर्मा को कोर्ट में पेश कर संजय का रिमांड मांगा.

गोली लगने की वजह से संजय अस्पताल में भरती था. अदालत ने पुलिस की मांग मंजूर कर सोनू और पुनीत शर्मा को जेल भेज दिया और गोली से घायल संजय को पुलिस कस्टडी में सौंप दिया.

पुलिस को अभी कई आरोपी गिरफ्तार करने थे. संजय की निशानदेही पर 6 अप्रैल को पुलिस ने बौबी और किशन शर्मा को गोकुल बैराज मोड़ से गिरफ्तार कर लिया. शाम 6 बजे के करीब वे दोनों मथुरा आए हुए थे. पुलिस के अनुसार, उन का अपराध इसलिए भी गंभीर हो गया क्योंकि उन्होंने संजय को रोकने के बजाए उकसाया था.

पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रविवार को जेल भेज दिया. एसिड अटैक के अब तक 5 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके थे. अभी एक आरोपी हिमांशु ठाकुर पुलिस की गिरफ्त से दूर था.

पुलिस को 9 अप्रैल, 2019 को पता चला कि फरार आरोपी हिमांशु मथुरा आ रहा है. इस के बाद स्वाट टीम प्रभारी राजीव कुमार, थाना सदर बाजार प्रभारी लोकेश भाटी और छाता कोतवाली प्रभारी हरवेंद्र मिश्रा ने घेराबंदी कर के गोकुल बैराज पर उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फायर कर के बाइक से भागने लगा. उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने भी गोली चलाई.

गोली उस की दाहिनी टांग में लगी थी. घायल आरोपी वहीं गिर गया. इस के बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लेने के बाद जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

अपराध में हिमांशु भी था बराबर का हिस्सेदार

हिमांशु की सीधे हाथ की अंगुलियां तेजाब से जल गई थीं. पुलिस ने उस के पास से बाइक व तमंचा भी बरामद कर लिया. पूछताछ में उस से काम की कई बातें पता चलीं. हिमांशु को भी अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

उधर मुख्य आरोपी संजय सिंह जिस की बाईं टांग में गोली लगी थी, उस का औपरेशन किया गया. उसे 2 यूनिट खून भी चढ़ाया गया.

प्रैस कौन्फ्रैंस में एसएसपी ने बताया कि आरोपी संजय ने जबरन शादी के लिए इस घटना को अंजाम दिया था. महिला पुलिसकर्मी पर एसिड अटैक की दिल दहला देने वाली घटना में शामिल सभी 6 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

इन में से 4 को जेल भेज दिया गया, जबकि 2 घायल आरोपी अस्पताल में भरती हैं, जहां उन का उपचार चल रहा है. सभी पर एनएसए भी लगाया जाएगा. एसिड अटैक से घायल महिला पुलिसकर्मी नीलम की हरसंभव सहायता की जाएगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित