रिश्तों की आग में जली संजलि – भाग 3

तहेरा भाई योगेश ही था संदिग्ध

शाम को शहर में एक दुकान पर वैसा ही लाइटर मिला. इस के पीछे एसएसपी का मकसद था कि जिस दुकान पर लाइटर मिला है, वहां आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जाएं. शायद कोई सुराग मिल जाए.

संजलि के तहेरे भाई योगेश पर पुलिस को पहले से ही शक था. उस के खुदकुशी कर लिए जाने से पुलिस का काम कुछ आसान हो गया. पुलिस को उस पर शक इसलिए हुआ था क्योंकि पहले दिन आगरा अस्पताल में जहां संजलि भरती थी, उस ने आईसीयू में घुसने का प्रयास किया था. उस की मौत के बाद फोरैंसिक टीम को योगेश के मकान की छत के ऊपर बने कमरे से कीटनाशक मिला.

पुलिस ने जब उस के परिजनों से खुदकुशी की वजह पूछी तो वह कुछ नहीं बता पाए. पुलिस द्वारा योगेश के जब्त किए गए मोबाइल की जांच के दौरान फोन में कुछ नहीं मिला. तब पुलिस ने मोबाइल को डेटा रिकवरी के लिए लेबोरेटरी भेज दिया. इस के साथ ही योगेश के घर की गहन तलाशी भी ली गई.

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योगेश

गांव में यह भी चर्चा थी कि योगेश संजलि के परिवार के ज्यादा करीब था. योगेश ने संजलि को मौडल बनाने का सपना दिखाया था. इस के लिए उस ने संजलि के कई वीडियो भी शूट कराए, फोटो भी खिंचवाए.

कुछ दोस्तों को बुलाया, बताया कि नोएडा से आए हैं जो संजलि का वीडियो बनाएंगे. घर पर ही वीडियो शूट कराया गया, लेकिन वह संजलि को मौडल नहीं बनवा सका. इस के बाद दोनों के बीच बातचीत कम ही होती थी.

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लैबोरेटरी में जांच के दौरान योगेश के मोबाइल का सारा डेटा रिकवर हो गया. वाट्सऐप चैट में चैटिंग देख कर पुलिस अधिकारी चौंके. संजलि द्वारा एक मैसेज योगेश को भेजा गया था. मैसेज में 23 नवंबर को पिता पर हुए हमले के संबंध में संजलि ने कहा था, ‘‘क्या तुम ने ही पापा पर हमला किया था?’’

इस से पुलिस को जांच की दिशा मिल गई. योगेश के कमरे की तलाशी ली गई. तलाशी के दौरान पुलिस को उस के कमरे से एक कौपी मिली, जिस के कुछ पन्ने फाड़े गए थे. इन पन्नों का प्रयोग पत्र लिखने के लिए किया गया था, वह पत्र भी मिल गए. इस के साथ ही एक साइकिल की रसीद और संजलि के नाम का एक प्रमाणपत्र भी मिला.

पुलिस ने कर दिया खुलासा

दिल दहला देने वाले संजलि हत्याकांड का पुलिस ने कड़ी मेहनत के बाद 8वें दिन 25 दिसंबर को परदाफाश कर दिया. यह खुलासा चौंकाने वाला था.

संजलि की मौत के कुछ घंटे बाद ही खुदकुशी कर लेने वाला उस का तहेरा भाई ही मास्टरमाइंड योगेश था. इस जघन्य वारदात की वजह यह रही थी कि संजलि ने उसे वाट्सऐप चैट में ‘लूजर’ कह दिया था. इसी से आहत हो कर योगेश ने यह साजिश रची थी.

उस के मन में प्रतिशोध की भावना घर कर गई थी. इस साजिश के लिए उस ने 15-15 हजार रुपए का लालच दे कर अपने 2 रिश्तेदार युवकों को शामिल कर लिया. 25 दिसंबर को पुलिस ने इन दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया. इन में विजय निवासी कलवारी, जगदीशपुरा, आगरा जो योगेश के मामा का बेटा है तथा आकाश निवासी मनिया, मलपुरा हाल निवासी लखनपुर, शास्त्रीपुरम, आगरा जो विजय की बहन का देवर है, शामिल थे.

संजलि को अपने जाल में फंसाने के लिए ही योगेश ने उसे साइकिल खरीद कर दी थी. उस ने घर पर बताया था कि संजलि ने यह साइकिल प्रतियोगिता में जीती है. इस प्रतियोगिता का सर्टीफिकेट भी योगेश ने अपने कंप्यूटर से तैयार किया था. भाई योगेश की हरकतों और गलत इरादों का पता चलने पर संजलि ने उस से दूरी बनाने के साथ ही अपने घर आने से भी मना कर दिया था. योगेश ने उसे मौडल बनाने का सपना भी दिखाया.

कुछ दिनों तक संजलि भाई के गलत इरादे नहीं भांप सकी. जब योगेश की नीयत का अहसास हुआ तो वह विरोध करने लगी. योगेश को यह नागवार गुजरा, इसीलिए उसे सबक सिखाने का निर्णय लिया.

23 नवंबर को योगेश ने ही संजलि के पिता पर हमला कराया था. उस के बाद उस ने संजलि को जलाने की योजना बनाई. अपनी इस योजना में उस ने अपने दोनों रिश्तेदारों को पैसों का लालच दे कर शामिल कर लिया.

18 दिसंबर को उस ने ममेरे भाई विजय को रेकी के लिए लगाया. छुट्टी के बाद संजलि जब स्कूल से निकली, वह उस के पीछे लग गया. पैशन प्रो बाइक पर विजय हैलमेट लगाए अलग चल रहा था. जबकि सफेद रंग की अपाचे बाइक जिसे आकाश चला रहा था, के पीछे योगेश बैठा था. दोनों हेलमेट पहने हुए थे. रास्ते में संजलि पर योगेश ने ही पैट्रोल डाला और लाइटर से आग लगा दी.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में प्रयुक्त दोनों बाइक, वारदात के दौरान प्रयोग किए हैलमेट, मौकाएवारदात पर संजलि का फोटो, योगेश का बैग, जिस में वह कपड़े ले कर गया था, साइकिल की रसीद जो संजलि के पास थी, योगेश के घर पर मिला सर्टिफिकेट जैसा एक सर्टिफिकेट संजलि के घर पर भी मिला. संजलि को लिखे लवलेटर जो वह संजलि को नहीं दे सका था, आदि पुलिस ने बरामद कर लिए.

एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि योगेश संजलि से एकतरफा प्यार कर उसे हासिल करना चाहता था. इस के लिए उस ने मौडल बनवाने का सपना दिखा कर उसे अपने जाल में फंसाने का प्रयास किया. यहां तक कि अपनी ओर से उसे एक साइकिल भी खरीद कर दी. प्रतियोगिता का फरजी प्रमाणपत्र उस ने अपने कंप्यूटर पर तैयार किया था.

योगेश ने टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर संजलि की हत्या की ऐसी साजिश रची थी कि कई बार पुलिस भी गच्चा खा गई. वह एकतरफा मोहब्बत में संजलि को हासिल करना चाहता था. लेकिन जब वह सफल नहीं हुआ तो उस ने घटना को अंजाम दे कर भाईबहन के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया.

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संजलि की बड़ी बहन अंजलि को भी उस ने नौकरी लगाने का झांसा दिया था. बाद में मना कर दिया कि तुम्हारी नौकरी नहीं लग सकती. इस पर अंजलि नाराज हुई तो नौकरी के लिए दिए गए उस के सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की फोटोकौपी उस ने जला दीं.

यूट्यूब पर मोटिवेशनल चैनल चलाने वाले योगेश की युवाओं में मोटिवेशन गुरू के रूप में पहचान थी. सभी उस की गंभीरता की मिसाल देते थे. मगर उस गंभीर चेहरे के पीछे शातिर क्राइम मास्टर दिमाग छिपा था.

योगेश चलाता था यूट्यूब चैनल

आरोपी आकाश ने बताया कि योगेश पैट्रोल पंप से बोतल में पैट्रोल नहीं लाया था, बल्कि उस ने बाइक में ही अलग से 60 रुपए का पैट्रोल भरवाया था. इस से पहले उस ने 150 रुपए का तेल भरवाया था. योगेश अपने घर से ही प्लास्टिक की बोतल लाया था. पैट्रोल पंप से कुछ दूर जा कर उस ने बोतल में पैट्रोल निकाल लिया.

आग जलाते समय कहीं हाथ न जल जाएं, इसलिए वह खास तरह के दस्ताने ले कर गया था. संजलि के आग में जलने के दौरान योगेश के कपड़ों में भी आग लग गई थी, तब उस ने दस्ताने पहने हाथ से आग बुझाई.

इसी दौरान उस के हाथ से लाइटर मौके पर ही गिर गया, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया. आरोपी विजय ने बताया कि योगेश घटना के बाद सारे सबूत जलाता चला गया.

योगेश ने जो कपड़े वारदात के समय पहने थे, जला दिए, उस के साथ ही विजय और आकाश के पहने कपड़े भी जलवा दिए. बाइक वह अपने एक दोस्त से मांग कर लाया था, वह उस ने लौटा दी. यह सब उस ने पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए किया था.

योगेश की साजिश में यह बात शामिल थी कि संजलि को जलाए जाते वक्त सब खामोश रहेंगे. ऐसा ही किया गया, इस के पीछे योजना थी कि यदि संजलि बच जाए तो उसे पता न चले कि किस ने जलाया है. विजय को अकेला बाइक पर रेकी के लिए लगाया गया था.

विजय को घटना के बाद कुछ देर रुक कर पूरे हालात की जानकारी ले कर योगेश को देनी थी. बाद में जब वे लोग मिले, तो विजय ने घटना के बारे में बताया कि संजलि मरी नहीं है.

आकाश और विजय ने बताया कि वारदात के बाद उन्हें 15-15 हजार रुपए मिलने थे, वह भी उस ने नहीं दिए थे. दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

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रिश्तों की आग में जली संजलि – भाग 2

लोगों ने श्रद्धांजलि के साथ साथ मांगें भी बढ़ा दीं

गांव में एकत्र लोगों ने मांगों को ले कर हंगामा कर दाह संस्कार रोक दिया. परिवार व संगठनों की मांग थी कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी व एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए. पुलिस भीड़ के सामने खुद को असहाय महसूस कर रही थी.

यह देख एसएसपी ने वहां भारी संख्या में पुलिस फोर्स भेज दी. भीड़ ने हंगामा किया तो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को हलका बल प्रयोग करना पड़ा. पुलिस अधिकारियों के काफी समझाने के बाद रात साढ़े 9 बजे संजलि का अंतिम संस्कार हो सका.

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संजलि की मौत के बाद स्कूलों कालेजों के साथ विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने हत्यारों को गिरफ्तार कर संजलि को इंसाफ दिलाने की मांग को ले कर कैंडिल मार्च निकाले. संजलि के शोक में लालऊ का बाजार भी बंद रहा.

इस घटना में नया मोड़ तब आया, जब संजलि की मौत से दुखी हो कर उस के ताऊ के 24 साल के बेटे योगेश ने एक दिन बाद ही 20 दिसंबर की सुबह जहर खा लिया. उसे परिवार वाले अस्पताल ले गए, जहां उपचार के दौरान उस की मौत हो गई.

योगेश द्वारा अचानक आत्महत्या कर लिए जाने से सभी दुखी व स्तब्ध थे. पुलिस की संदिग्धों की सूची में योगेश पहले से ही शक के घेरे में था. पुलिस उस का मोबाइल जब्त कर के छानबीन करने लगी.

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संजलि के परिवार के नजदीकी लोगों का कहना था कि संजलि डेली डायरी लिखती थी. उसे जो भी अच्छा लगे, बुरा लगे, उसे डायरी में लिखती थी. 15 दिन पहले उस के साथ छेड़छाड़ की जो घटना हुई थी, उस के बारे में उस ने अपने घर वालों को नहीं बताया था.

लेकिन उस ने अपनी डायरी में जरूर लिखा होगा. पुलिस ने उस के घर पर डायरी खोजी लेकिन डायरी घर में नहीं मिली. उस की सहेलियों ने बताया कि वह डायरी को अपने बस्ते में रखती थी, जो घटना में जल कर राख हो चुका था.

मौत से पहले संजलि ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डबडबाई आंखों और थरथराते होंठों से मां से कहा था, ‘‘मां, यदि मैं ठीक हो गई तो हमलावरों को छोड़ूंगी नहीं, उन्हें सबक जरूर सिखाऊंगी. और अगर मैं मर गई तो हमलावरों को छोड़ना मत, उन्हें सजा जरूर दिलाना. मेरे साथ बहुत बुरा हुआ है, ऐसा किसी के साथ न हो.’’

नेताओं ने लगाए संजलि के घर के चक्कर

संजलि को पैट्रोल डाल कर जिंदा जलाने की घटना की गूंज प्रदेश की विधानसभा तक पहुंच गई. 21 दिसंबर को लालऊ में हरेंद्र सिंह के घर दिन भर नेताओं के आने का तांता लगा रहा.

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने पीडि़त परिजनों से मुलाकात कर उन्हें जहां सांत्वना दी, वहीं न्याय का भी पूरा भरोसा दिलाया. संजलि के पिता हरेंद्र सिंह की मांग थी कि बड़ी बेटी अंजलि को सरकारी नौकरी और परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए.

उपमुख्यमंत्री ने 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता सरकार की ओर से देने की घोषणा की. घटना के 3 दिन बाद भी संजलि के हत्यारों के न पकड़े जाने से गांव में गमगीन माहौल था. ग्रामीणों व विभिन्न संगठनों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था. प्रदेश ही नहीं, देश में सनसनी फैला चुके इस जघन्य हत्याकांड के गुनहगार पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.

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संजलि की जघन्य हत्या पर केवल आगरा में ही नहीं, बल्कि मैनपुरी, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, मथुरा, एटा, बुलंदशहर, लखनऊ, देश की राजधानी दिल्ली में भी आक्रोश था.

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राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर संजलि के घर वालों से मिलने गांव पहुंचे. उन्होंने सरकार से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए पीडि़त परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने की बात कही.

संजलि को जिंदा जला कर मार देने की खबर इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में प्रमुखता से छाने लगी, जिस से पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था. लेकिन पुलिस अपने काम में जुटी रही. पुलिस की जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस को मिली जांच की दिशा

संजलि को जिन 2 बाइक सवारों ने जलाया था, पुलिस उन में योगेश को पुलिस मुख्य संदिग्ध मान रही थी, पर उस ने आत्महत्या कर ली थी. उस का दूसरा साथी कौन था, यह जानकारी पुलिस को नहीं मिल पा रही थी. गुत्थी उलझने से पुलिस असमंजस में थी.

पुलिस के आला अधिकारी इस हत्याकांड को सुलझाने में जुटे थे. इस के लिए एक दरजन से अधिक टीमें बनाई गईं. इन टीमों को अलगअलग काम सौंपे गए. हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस ने शहरी क्षेत्रों में सूत्र तलाशने के साथ ही संजलि के स्कूल के आसपास के पैट्रोल पंपों व रास्ते के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी.

संजलि के गांव में भी सादा कपड़ों में महिला पुलिस लगा दी गई. इस के साथ ही योगेश के दोस्तों की सूची बना कर उन पर निगाह रखी जाने लगी.

पुलिस ने इस जघन्य वारदात को अंजाम देने के मामले में लालऊ व आसपास के गांवों से 20 युवकों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की. लेकिन घटना के कई दिन बाद भी आरोपियों के संबंध में कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका. पुलिस गोपनीय तरीके से जांच में जुटी रही.

इस बीच 22 दिसंबर को एसएसपी अमित पाठक ने विधिविज्ञान प्रयोगशाला, आगरा की टीम को घटनास्थल पर बुलाया. फोरैंसिक वैज्ञानिक अरविंद कुमार के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने शनिवार को क्राइम सीन रीक्रिएट किया. साथ ही खाई से सड़क तक की दूरी नापी.

यह जानने के लिए पैट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए कि वहां से किस ने बोतल में पैट्रोल लिया. लेकिन पुलिस को कोई ऐसा सबूत नहीं मिला, जिस से इस केस के आरोपी पकड़े जा सकें.

फोरैंसिक विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि संजलि को अचानक रोक कर उस पर पैट्रोल नहीं डाला गया बल्कि कुछ दूरी से उस पर पैट्रोल फेंका गया था. पैट्रोल में मोबिल औयल मिला हुआ था, यह सड़क पर जहां जहां गिरा, वहां निशान अभी तक बने हुए थे.

घटना के पांचवें दिन आगरा निवासी एक युवक जो आरओ का काम करता है, ने एसएसपी अमित पाठक को बताया कि 18 दिसंबर को वह अपनी बाइक से जगनेर जा रहा था. नामील के पास उस के मोबाइल की घंटी बजी. जब वह फोन पर बात कर रहा था, तभी बाइक सवार 2 युवकों ने एक लड़की के ऊपर पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी.

दोनों युवक पैशन प्रो बाइक पर थे. इसी बीच छात्रा चीखी और उस के शरीर से आग की लपटें उठने लगीं. उन में से एक युवक काले रंग की जैकेट पहने था. डर की वजह से वह भी घटनास्थल से चुपचाप आगे बढ़ गया. पुलिस ने संजलि के स्कूल के पास एक शोरूम के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज भी देखी.

फुटेज में संजलि साइकिल से जाती हुई दिखाई दे रही थी. एक बाइक पर 2 युवक व दूसरी बाइक पर एक युवक हैलमेट लगाए उस का पीछा करते दिखाई दिए. पुलिस को अब तक की गई जांच में यह पता चल गया था कि इस हत्याकांड को पूरी प्लानिंग से अंजाम दिया गया था.

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घटनास्थल से जो लाइटर मिला, वह गन शेप में था. एसएसपी अमित पाठक ने उस लाइटर को विभिन्न वाट्सऐप ग्रुप में शेयर किया और यह भी पूछा कि लालऊ आगरा शहर में किन किन दुकानों पर ऐसा लाइटर मिलता है. पुलिस भी इस जांच में जुट गई.

पुलिस सदर, नामनेर, चर्चरोड, किनारी बाजार आदि जगहों की उन दुकानों पर पहुंची, जहां गैस चूल्हे और लाइटर मिलते हैं. सभी जगह से लाइटर के फोटोग्राफ लिए गए.

रिश्तों की आग में जली संजलि – भाग 1

18 दिसंबर, 2018 को मंगलवार था. स्कूल की छुट्टी के बाद संजलि अपनी सहेलियों के साथ साइकिल से घर जाने के लिए निकली. सहेलियों से बातचीत करती हुई वह चौराहे पर पहुंची. वहां से वह अपने गांव की सड़क की तरफ मुड़ गई. उस की सहेलियां दूसरी सड़क पर चली गईं.

संजलि ने सहेलियों से अगले दिन मिलने का वादा किया था, लेकिन उस के साथ रास्ते में एक ऐसी घटना घट गई, जो दिल को दहलाने वाली थी. रास्ते में 2 बाइक सवार युवकों ने पैट्रोल डाल कर उसे जिंदा जला दिया.

यह घटना उत्तर प्रदेश के विश्वप्रसिद्ध आगरा शहर में घटी. यहां के थाना मलपुरा का एक गांव है लालऊ. हरेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ लालऊ गांव में ही रहते थे. संजलि उन्हीं की मंझली बेटी थी. हरेंद्र सिंह सिकंदरा स्थित एक जूता फैक्टरी में जूता कारीगर थे. उन की 15 वर्षीय बेटी संजलि घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर नौमील गांव स्थित अशरफी देवी छिद्दा सिंह इंटर कालेज में 10वीं कक्षा में पढ़ती थी.

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हर रोज की तरह उस दिन भी स्कूल की छुट्टी दोपहर डेढ़ बजे हुई. छुट्टी के बाद संजलि को चले अभी 10-15 मिनट ही हुए थे. जब वह घर से 500 मीटर पहले जगनेर रोड पर लालऊ नाले के पास पहुंची, तभी 2 बाइक सवार युवक पीछे से संजलि की साइकिल के बराबर में आए.

यह देख कर वह डर गई और साइकिल की गति तेज कर दी. क्योंकि कुछ दिन पहले भी 2 युवकों ने उस के साथ छेड़छाड़ की थी. वह बात उस ने अपने घर वालों को नहीं बताई थी. साइकिल की गति तेज होते ही युवकों की बाइक की गति तेज हो गई. पीछा करने वाले कौन हैं और क्या चाहते हैं, यह सोच कर संजलि परेशान थी. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाती, बाइक पर पीछे बैठे युवक ने हाथ में पकड़ी प्लास्टिक की बोतल से संजलि के ऊपर पैट्रोल डाला और फुरती से लाइटर से आग लगा दी.

इतना ही नहीं, हमलावरों ने जलती हुई संजलि को सड़क किनारे खाई में धक्का दे दिया, इस से वह खाई में जा गिरी. दोनों युवक वारदात को अंजाम दे कर वहां से फरार हो गए.

संजलि आग की लपटों से घिर गई थी, उस के खाई में गिरने से वहां की झाडि़यों ने भी आग पकड़ ली. आग में घिरी संजलि हिम्मत कर के जैसे तैसे सड़क पर पहुंची, उस की मर्मांतक चीख सुन कर कई राहगीर रुक गए. जलती हुई लड़की को देख कर उन के होश उड़ गए.

संजलि ने जमीन पर लेट कर आग बुझाने की कोशिश की. तब तक आग से उस की पीठ पर लटका स्कूली बैग पूरी तरह जल चुका था. उसी समय वहां से एक बस गुजर रही थी. दिल दहलाने वाला मंजर देख कर बस चालक मुकेश ने बस वहीं रोक ली और बस में रखा अग्निशमन यंत्र ले कर दौड़ा लेकिन दुर्भाग्य से वह चल नहीं पाया. इस पर वह बस में रखा दूसरा यंत्र ले कर आया और आग बुझाई. इस बीच बस की सवारियां व अन्य राहगीर भी वहां एकत्र हो गए, आग बुझाने के प्रयास में बस चालक मुकेश के हाथ भी झुलस गए थे.

वहां से अजय नाम का एक युवक भी गुजर रहा था. उस ने जलन से तड़पती संजलि को पहचान लिया और फोन से संजलि के घर खबर कर दी. घटना की जानकारी मिलते ही उस के मातापिता के होश उड़ गए. वे गांव के लोगों के साथ बदहवास से घटनास्थल पर पहुंचे. आग से झुलसी संजलि ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी अपने घर वालों को दे दी.

इसी बीच किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी थी. सूचना मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम की टीम वहां पहुंच गई. पुलिस ने संजलि को आगरा के एस.एन. मैडिकल कालेज के आईसीयू में भरती कराया. डाक्टरों ने बताया कि वह 75 फीसदी जल चुकी है.

उस समय प्रदेश के डीजीपी ओ.पी. सिंह आगरा में ताजमहल के पास स्थित अमर विलास होटल में आगरा रेंज के अधिकारियों के साथ मीटिंग में थे. वहां मौजूद अधिकारियों को सरेराह एक छात्रा को जिंदा जलाने की घटना की सूचना मिली तो पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए.

एडीजी अजय आनंद, डीआईजी लव कुमार और एसएसपी अमित पाठक अस्पताल पहुंच गए. उधर घटनास्थल पर भी थाना पुलिस पहुंच गई थी. पुलिस टीम ने घटनास्थल से प्लास्टिक की एक खाली बोतल व लाइटर जब्त किया.

पुलिस अधिकारियों ने संजलि से बात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. झुलसी अवस्था में वह रुकरुक कर बात कर पा रही थी. उस ने बताया कि 15 दिन पहले 2 युवकों ने उस का पीछा किया था. वह उन्हें नहीं जानती.

पुलिस को संजलि के घर वालों से पता जला कि 23 नवंबर को संजलि के पिता हरेंद्र पर मलपुरा नहर के पास 2 अज्ञात लोगों ने हमला किया था, जिस में हरेंद्र को मामूली चोटें आई थीं. लेकिन उन्होंने इस की थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी. मारपीट करने वाले कौन थे, हरेंद्र पहचान नहीं पाए थे.

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कुछ नहीं समझ पा रही थी पुलिस

पुलिस की एक टीम मौके पर जांचपड़ताल करने लगी, जबकि दूसरी टीम हमलावर बाइक सवारों की तलाश में निकल गई. पुलिस पिता पर हमले की कडि़यों को बेटी के साथ हुई घटना से जोड़ कर देखने का प्रयास कर रही थी. साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही थी कि कुछ दिन पूर्व संजलि के साथ छेड़छाड़ करने वाले 2 युवक कौन थे.

15 साल की किशोरी की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है, जिस की वजह से उसे जिंदा जलाने की कोशिश की गई. पुलिस ने संजलि की सहेलियों व स्कूल स्टाफ से इस संबंध में पूछताछ की. पुलिस अनुमान लगा रही थी कि आरोपी संजलि के परिचित हो सकते हैं. ऐसा इसलिए माना जा रहा था कि दोनों ने हैलमेट लगाया था, ऐसा उन्होंने पहचान छिपाने के लिए किया होगा.

जिस स्थान पर वारदात हुई, वह घर से करीब आधा किलोमीटर पहले और स्कूल से एक किलोमीटर दूरी पर था. माना यह भी जा रहा था कि हमलावर स्कूल से ही अंजलि के पीछे लगे होंगे. संजलि और उस के परिवार वालों से पूछताछ के बाद भी पुलिस को ऐसा कोई क्लू नहीं मिला, जिस से घटना का खुलासा हो सके.

गांव के लोग भी कुछ नहीं बता रहे थे, न पुलिस को ऐसा कोई व्यक्ति मिल रहा था जिस ने हमलावरों को भागते हुए देखा हो. पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

गंभीर रूप से जली किशोरी की गंभीर हालत को देखते हुए उसी दिन शाम 6 बजे उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. सफदरजंग अस्पताल के डाक्टर संजलि के इलाज में जुट गए. उन का कहना था कि 48 घंटे गुजर जाने के बाद ही उस की हालत के बारे में कुछ कहा जा सकता है.

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आखिर 36 घंटे बाद 19 नवंबर की रात डेढ़ बजे संजलि जिंदगी की जंग हार गई. उसी दिन पोस्टमार्टम के बाद उस का शव शाम साढ़े 5 बजे उस के गांव लालऊ पहुंचा. संजलि जब दिल्ली के अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी, उस समय कई सामाजिक संगठनों व ग्रामीणों ने हमलावरों की गिरफ्तारी व पीडि़ता को आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग को ले कर जुलूस भी निकाले थे. इसलिए संजलि के शव के साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स उस के गांव पहुंच गई थी.

बीवी का डबल इश्क पति ने उठाया रिस्क

वरदीवाला दिलजला : प्रेमिका और उसके मंगेतर की हत्या

दिल्ली से सटे गाजियाबाद में हिंडन नदी किनारे स्थित साईं उपवन बड़ा ही रमणीक स्थल है. यहां पर साईंबाबा का प्रसिद्ध मंदिर है. 25 मार्च, 2019 सोमवार को सुबह का वक्त था. श्रद्धालुजन साईं मंदिर में आते जा रहे थे. उसी समय लाल रंग की स्कूटी से गोरे रंग की खूबसूरत युवती और एक स्मार्ट सा दिखने वाला युवक वहां पहुंचे.

स्कूटी को उपवन परिसर के बाहर एक ओर खड़ी कर वे दोनों मंदिर में प्रवेश कर गए. कोई 10 मिनट के बाद जब वे दोनों साईंबाबा के दर्शन कर के बाहर निकले तो उन के चेहरे खिले हुए थे. यह हसीन जोड़ा आसपास से गुजरने वाले लोगों की नजरों का आकर्षण बना हुआ था. लेकिन उन दोनों को लोगों की नजरों की रत्ती भर भी परवाह नहीं थी. वे अपनी ही दुनिया में मशगूल थे.

जैसे ही दोनों बाहर निकले वह रमणीक इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. किसी की समझ में कुछ नहीं आया. तभी वहां मौजूद लोगों को एक आदमी युवक युवती की लाशें बिछा कर तेजी से लिंक रोड की तरफ भागता हुआ दिखाई दिया. लोगों ने देखा कि लाशें उसी नौजवान खूबसूरत जोड़े की थीं, जो अभीअभी वहां से हंसते मुसकराते हुए मंदिर से बाहर निकला था. इसी दौरान किसी ने इस सनसनीखेज घटना की सूचना 100 नंबर पर गाजियाबाद पुलिस को दे दी.

थोड़ी ही देर में सिंहानी गेट के थानाप्रभारी जयकरण सिंह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. मंदिर परिसर के अंदर लाल सूट पहने एक युवती और एक युवक की रक्तरंजित लाशें औंधे मुंह पड़ी थीं. जयकरण सिंह ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया.

युवक युवती के कपड़े खून से सने थे. वहां पर काफी लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी. जयकरण सिंह ने उन की नब्ज टटोली, लेकिन उन की सांसें उन का साथ छोड़ चुकी थीं. उन्होंने जल्दी से क्राइम इन्वैस्टीगेशन टीम को बुला कर घटनास्थल की फोटोग्राफी करवाई और वहां उपस्थित चश्मदीदों से इस घटना के बारे में पूछताछ करनी शुरू की.

कुछ लोगों ने बताया कि मृतक युवती और युवक कुछ ही देर पहले लाल स्कूटी से एक साथ मंदिर आए थे, जब दोनों साईं बाबा के दर्शन करने के बाद बाहर निकल रहे थे, तभी पहले से घात लगाए हत्यारे ने इस वारदात को अंजाम दे दिया.

पुलिस ने जब दोनों लाशों की शिनाख्त कराने की कोशिश की तो भीड़ ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया. यह देख इंसपेक्टर जयकरण सिंह ने आरटीओ औफिस से उस लाल रंग की स्कूटी का विवरण मालूम किया, जिस से वे आए थे. आरटीओ औफिस से मृतका की शिनाख्त प्रीति उर्फ गोलू, निवासी विजय विहार (गाजियाबाद) के रूप में हुई.

तय हो गई थी शादी

पुलिस द्वारा सूचना मिलने पर थोड़ी देर में युवती के घर वाले भी रोते बिलखते हुए घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने युवती की शिनाख्त के साथसाथ युवक की भी शिनाख्त कर दी. मृतक सुरेंद्र चौहान उर्फ अन्नू था. उन्होंने यह जानकारी भी दी कि उन की बेटी प्रीति और सुरेंद्र चौहान बहुत जल्द परिणय सूत्र में बंधने वाले थे. सुरेंद्र के मातापिता भी इस रिश्ते के लिए राजी थे.

घटनास्थल की जांच के दौरान वहां पर पौइंट 9 एमएम पिस्टल के कुछ खोखे और मृतका प्रीति की लाल रंग की स्कूटी बरामद हुई, जिसे पुलिस टीम ने अपने कब्जे में ले लिया. मृतका के पिता प्रमोद कुमार से युवक सुरेंद्र चौहान के पिता खुशहाल सिंह के बारे में जानकारी मिल गई. पुलिस ने उन्हें भी इस दुखद घटना के बारे में बता दिया. इस के बाद खुशहाल सिंह भी अपने परिजनों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

चूंकि दोनों लाशों की शिनाख्त हो चुकी थी, लिहाजा थानाप्रभारी ने मौके की काररवाई पूरी करने के बाद लाशें पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दीं.

25 मार्च को ही मृतका प्रीति के पिता प्रमोद कुमार की शिकायत पर इस दोहरे हत्याकांड का मुकदमा कोतवाली सिंहानी गेट में अज्ञात अपराधियों के खिलाफ दर्ज कर लिया गया.

इस केस की आगे की तफ्तीश थानाप्रभारी जयकरण सिंह ने खुद संभाली. उन्होंने इस घटना के बारे में एसपी श्लोक कुमार और सीओ सिटी धर्मेंद्र चौहान को भी अवगत करा दिया.

एसएसपी उपेंद्र कुमार अग्रवाल ने इस दोहरे हत्याकांड को सुलझाने के लिए एसपी श्लोक कुमार के निर्देशन और सीओ धर्मेंद्र चौहान के नेतृत्व में एक टीम बनाई. इस टीम में थानाप्रभारी जयकरण सिंह के साथ इंसपेक्टर (क्राइम ब्रांच) राजेश कुमार, एसआई श्रीनिवास गौतम, हैडकांस्टेबल राजेंद्र सिंह, माइकल बंसल, कांस्टेबल अशोक कुमार, संजीव गुप्ता, सेगेंद्र कुमार, संदीप कुमार और गौरव कुमार को शामिल किया गया.

जांच टीम ने एक बार फिर साईं उपवन पहुंच कर वहां के लोगों से घटना के बारे में पूछताछ शुरू की तो पता चला कुछ लोगों ने एक लंबी कदकाठी के आदमी को वहां से भागते हुए देखा था. वह अधेड़ उम्र का आदमी था जो कुछ दूरी तक भागने के बाद वहां खड़ी एक कार में सवार हो कर फरार हो गया था.

हालांकि मंदिर परिसर में 8 सीसीटीवी कैमरे लगे थे लेकिन दुर्भाग्यवश सभी खराब थे. मृतका के पिता प्रमोद कुमार ने बताया कि प्रीति सुबह 7 बजे ड्यूटी पर जाने के लिए निकली थी. वह वसुंधरा के वनस्थली स्कूल के यूनिफार्म स्टौल पर नौकरी करती थी.

उस के काम पर चले जाने के बाद  वह बुलंदशहर जाने वाली बस में सवार हो गए थे. अभी उन की बस लाल कुआं तक ही पहुंची थी कि उन्हें मोबाइल फोन पर प्रीति को गोली मारे जाने का दुखद समाचार मिला. जिसे सुनते ही वह फौरन घटनास्थल पर आ गए थे.

पिता ने बताई उधार की कहानी

प्रमोद कुमार से पूछताछ के बाद पुलिस ने मृतक सुरेंद्र चौहान के पिता खुशहाल सिंह को भी कोतवाली बुला कर उन से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि उन के बेटे की हत्या में कल्पना नाम की औरत का हाथ हो सकता है. दरअसल, सुरेंद्र का गाजियाबाद के ही प्रताप विहार में शीशे के सामान का कारोबार था, इसी कारोबार के लिए सुरेंद्र ने कुछ समय पहले कल्पना से कुछ रुपए उधार लिए थे. कल्पना रुपए वापस करने के लिए लगातार तकादा कर रही थी.

चूंकि सुरेंद्र के पास उसे देने लायक पैसे इकट्ठे नहीं हुए थे. इसलिए वह कल्पना को कुछ दिन तक और रुकने को कह रहा था.

2 दिन पहले शनिवार के दिन भी कल्पना उन के घर पर अपने रुपए लेने आई थी, इस दौरान कल्पना ने गुस्से में आ कर सुरेंद्र को बहुत बुराभला कहा था.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाने के लिए उन तमाम पहलुओं पर विचारविमर्श करने लगी, जिस पर आगे बढ़ कर हत्यारे तक पहुंचा जा सकता था. इस में पहला तथ्य घटनास्थल पर मिले पौइंट 9 एमएम पिस्टल से फायर की गई गोलियों के खोखे थे. इस प्रकार के पिस्टल का इस्तेमाल आमतौर पर पुलिस अधिकारी करते हैं. यह सुराग इस तथ्य की ओर इशारा कर रहा था कि हत्यारे का कोई न कोई संबंध पुलिस डिपार्टमेंट से है.

दूसरा तथ्य मृतक सुरेंद्र उर्फ अन्नू के पिता खुशहाल सिंह के अनुसार उन के बेटे को कर्ज देने वाली औरत कल्पना से जुड़ा था. तीसरा सिरा मृतका प्रीति और उस के मंगेतर सुरेंद्र की बेमेल उम्र से ताल्लुक रखता था.

दरअसल प्रेमी सुरेंद्र की उम्र अभी केवल 26 साल थी जबकि उस की प्रेमिका प्रीति की उम्र 32 साल थी. इसलिए यहां इस बात की संभावना थी कि उन के बीच उम्र का यह फासला उन के परिवार के लोगों में से किसी सदस्य को पसंद नहीं आ रहा हो और आवेश में आ कर उस ने इस घटना को अंजाम दे दिया हो.

इस के अलावा एक और भी महत्त्वपूर्ण बिंदु था, जिसे कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था. प्रीति उर्फ गोलू की उम्र अधिक थी. यह भी संभव था कि उस के प्रेम संबंध पहले से किसी और युवक के साथ रहे हों. पहले प्रेमी को पता चल गया हो कि प्रीति की शादी सुरेंद्र चौहान से हो रही है. संभव था कि उस ने प्रीति को सबक सिखाने के लिए सुरेंद्र का काम तमाम कर दिया.

चूंकि वारदात के समय उस के साथ उस का मंगेतर सुरेंद्र चौहान भी था, इसलिए गुस्से से बिफरे पहले प्रेमी ने उस को भी मार डाला हो. बहरहाल इन तमाम बिंदुओं पर विचार विमर्श कर के पुलिस टीम हत्यारे तक पहुंचने के प्रयास में जुटी थी.

पुलिस टीम ने 27 मार्च को एक बार फिर दोनों के परिवार के पुरुष और महिला सदस्यों तथा वारदात के वक्त साईं उपवन में मौजूद चश्मदीदों को बुला कर पूछताछ की. साथ ही प्रीति और सुरेंद्र के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर उन की गहन जांच की.

इस जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आईं. प्रीति के पिता प्रमोद कुमार ने बताया कि उन का एक रिश्तेदार दिनेश कुमार दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में एएसआई के पद पर तैनात है. उस का चौहान परिवार के घर पर काफी आनाजाना था.

लेकिन जिस दिन यह दोहरा हत्याकांड हुआ उस दिन के बाद वह बुलाए जाने के बावजूद वारदात वाली जगह पर नहीं आया था. और तो और प्रीति के अंतिम संस्कार में भी वह शामिल नहीं हुआ था. यह बात प्रमोद कुमार और उन के परिवार के सदस्यों को बहुत अटपटी लगी थी. जब पुलिस ने उन से डिटेल्स में बात की तो प्रमोद कुमार ने अपने मन की सब बातें विस्तार से बता दीं.

जिन्हें सुनते ही पुलिस टीम ने दिल्ली पुलिस में ट्रैफिक विभाग में तैनात एएसआई दिनेश कुमार से पूछताछ करने का मन बना लिया. चूंकि घटनास्थल पर पौइंट 9 एमएम पिस्टल के खाली खोखे मिले थे, जिस की वजह से भी वारदात में किसी पुलिस वाले के शामिल होने का शक था, इसलिए अब एएसआई दिनेश कुमार से पूछताछ करना बेहद जरूरी हो गया था.

पुलिस वाला आया शक के घेरे में

थानाप्रभारी जयकरण सिंह ने एएसआई दिनेश कुमार से संपर्क करने की कोशिश की मगर कामयाब नहीं हुए. आखिरकार 30 मार्च की सुबह एक मुखबिर की सूचना पर उसे पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया. जब उस से इस दोहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ शुरू की गई तो उस ने जो कुछ बताया उस से रिश्तों में उलझी एक सनसनीखेज कहानी उभर कर सामने आई.

प्रमोद कुमार अपने परिवार के साथ गाजियाबाद के विजय विहार में रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां थीं. वह बड़ी बेटी के हाथ पीले कर चुके थे. दूसरी बेटी प्रीति उर्फ गोलू और उस से छोटी बेटी अभी पढ़ाई कर रही थी. 22 वर्षीय प्रीति मिलनसार स्वभाव की थी. वह जिंदगी के हर एक पल का पूरा लुत्फ उठाने में विश्वास रखती थी.

बड़ी बेटी की शादी के एक साल बाद प्रमोद कुमार ने प्रीति के भी हाथ पीले कर देने की सोची. उन्होंने उस के लिए कई जगह रिश्ते की बात चलाई, मगर आखिर अपनी हैसियत के अनुसार मौके पर प्रीति किसी न किसी बहाने से शादी करने से इनकार कर देती थी.

प्रीति का अपनी बड़ी बहन के घर काफी आनाजाना था. अपने हंसमुख स्वभाव की वजह से वह बहन की ससुराल में भी काफी घुलमिल गई थी. उस के जीजा का जीजा दिनेश कुमार दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल था. दिनेश मूल रूप से उत्तर प्रदेश के पिलखुआ का रहने वाला था.

उस की पत्नी और बच्चे पिलखुआ में ही रहते थे. दिनेश जब भी रमेश के घर आता वह प्रीति से खूब बातेें करता था. बला की हसीन और दिलकश प्रीति की चुलबुली मीठी बातें सुन कर वह भावविभोर हो जाता था.

प्रीति को भी दिनेश से बातें करने में खुशी मिलती थी. वह उस समय उम्र के उस पड़ाव पर भी पहुंच गई थी, जहां एक मामूली सी चूक भविष्य के लिए नासूर बन जाती है. लेकिन इस समय प्रीति या उस की बहन सीमा ने इन बातों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी.

धीरेधीरे प्रीति की जिंदगी में दिनेश का दखल बढ़ने लगा. अब वह प्रीति से उस के गाजियाबाद स्थित घर पर भी मिलने आने लगा था. इतना ही नहीं जब कभी प्रीति या उस के परिवार में अधिक रुपयों की जरूरत होती वह अपनी ओर से आगे बढ़ कर उन की मदद करता था.

प्रीति के पिता प्रमोद कुमार भी दिनेश कुमार के बढ़ते अहसानों के बोझ तले इतने दब चुके थे कि दिनेश के रुपए वापस करना उन के वश के बाहर हो गया. दिनेश कुमार ये रुपए प्रीति के घर  वालों को यूं ही उधार नहीं दे रहा था.

रिश्तों में सेंध

दरअसल दिनेश कुमार अपनी उम्र से लगभग आधी उम्र की प्रीति के ऊपर न केवल पूरी तरह से फिदा था बल्कि उस के साथ उस के शारीरिक संबंध भी स्थापित हो चुके थे. वह प्रीति को किसी न किसी बहाने से अपने साथ घुमाने ले जाता था, जहां दोनों अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे.

समय का पहिया अपनी गति से आगे बढ़ता रहा, दिनेश कुमार सन 1994 में कांस्टेबल के पद पर दिल्ली पुलिस में भरती हुआ था. सन 2008 में उस का प्रमोशन हेड कांस्टेबल के पद पर हो गया. इस के 8 साल बाद एक बार फिर उस का प्रमोशन हुआ और वह एएसआई बन गया. इन दिनों वह ट्रैफिक विभाग में सीमापुरी सर्कल में तैनात था.

प्रीति के साथ जिस सुरेंद्र कुमार नाम के युवक की जान गई थी, वह मूलरूप से उत्तराखंड का रहने वाला था. उस के पिता खुशहाल सिंह सेना में रह चुके थे. रिटायरमेंट के बाद वह अपने गांव में सेटल हो गए. 2 बेटों के अलावा उन की 2 बेटियां थीं. सब से बड़ा बेटा सुधीर हरिद्वार में रहता था. वह अपनी दोनों बेटियों की शादी कर चुके थे और इन दिनों एक पोल्ट्री फार्म चला रहे थे.

करीब 2 साल पहले उन का छोटा बेटा सुरेंद्र कुमार उर्फ अन्नू उत्तराखंड से गाजियाबाद आ गया था और प्रताप विहार में शीशे का बिजनैस करने लगा था. 2 साल तक अथक मेहनत करने के बाद आखिर उस का काम चल निकला.

इस के बाद उस ने अपने मातापिता को भी अपने पास बुला लिया था. कुछ ही महीने पहले उस की मुलाकात प्रीति उर्फ गोलू से हुई थी. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे थे.

सुरेंद्र से मुलाकात होने के बाद प्रीति फोन से सुरेंद्र से अकसर बात करती रहती थी. दिन गुजरने लगे उन के प्यार का रंग गहरा होता चला गया. कुछ दिनों के बाद सुरेंद्र और प्रीति का प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. प्रीति के घर वाले इस के लिए राजी हो गए थे. शादी की बात तय हो जाने पर दोनों प्रेमी खुश हुए. हालांकि प्रीति की उम्र सुरेंद्र से करीब 6 साल ज्यादा थी मगर दोनों में से किसी को इस पर जरा भी एतराज नहीं था.

प्रीति सुरेंद्र के साथ शादी के लिए तो दिलोजान से रजामंद थी किंतु उस के सामने सब से बड़ी समस्या यह थी कि दिनेश के साथ उस के विगत कई सालों से जो प्रेमिल संबंध थे उन से निकलना आसान नहीं था. वजह यह कि दिनेश कुमार किसी भी हालत में उस की शादी किसी और से नहीं होने देना चाहता था.

प्रीति को अपने काबू में रखने के लिए उस ने उस की हर जायज नाजायज मांगें पूरी की थीं. हाल ही में उस ने प्रीति के पिता को 3 लाख रुपए उधार भी दिए थे. एएसआई दिनेश कुमार के बयान कितने सच और कितना झूठ है यह तो पुलिस की जांच के बाद पता चलेगा. परंतु इतना तय है कि प्रीति के घर में उस का इतना दखल था कि वह बेधड़क जब चाहे तब उस के घर आ जा सकता था.

प्रीति और सुरेंद्र के बीच जब से प्यार का सिलसिला शुरू हुआ था तब से प्रीति ने एएसआई दिनेश से मिलनाजुलना कम कर दिया था. पहले तो दिनेश कुमार प्रीति और सुरेंद्र के प्यार से अनजान था, लेकिन 4-5 दिन पहले जब प्रीति ने उस का फोन रिसीव करना बंद कर दिया तो वह सोच में पड़ गया.

दिल्ली पुलिस में 25 सालों से नौकरी कर रहे एएसआई दिनेश कुमार को यह समझने में देर नहीं लगी कि मामला बेहद गंभीर है. फिर भी उस ने किसी तरह प्रीति को फोन कर के उस से बातें करने की कोशिश जारी रखी. लेकिन 2 दिन पहले प्रीति ने दिनेश कुमार के लगातार आने वाले फोन से परेशान हो कर अपने मोबाइल फोन का सिम बदल लिया.

मामला बिगड़ता देख एएसआई दिनेश कुमार समझ गया कि प्रीति किसी कारण उस से संबंध तोड़ने पर आमादा है. जिस के फलस्वरूप उस ने प्रीति को सबक सिखाने की ठान ली. 24 मार्च, 2019 को दिनेश की रात की ड्यूटी थी.

25 मार्च की सुबह अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद वह शाहदरा निवासी अपने दोस्त पिंटू शर्मा के पास गया. उस की मारुति स्विफ्ट कार पर सवार हो कर वह प्रीति के घर जा पहुंचा. कार पिंटू शर्मा चला रहा था. प्रीति के घर पहुंच कर जब उसे पता चला कि प्रीति साईं उपवन मंदिर गई है तो वह उस का पीछा करता हुआ वहां भी पहुंच गया.

अचानक की गईं दोनों की हत्याएं

उधर साईं मंदिर में दर्शन करने के बाद जैसे ही प्रीति और सुरेंद्र अपने जूतों की ओर बढ़े, तभी एएसआई दिनेश कुमार प्रीति से बातें करने के लिए आगे बढ़ा. उस ने प्रीति को अपनी ओर बुलाया मगर प्रीति ने उस की ओर देख कर अपनी नजरें फेर लीं.

यह देख दिनेश कुमार की त्यौरियां चढ़ गईं. वह आगे बढ़ा और प्रीति का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगा, मगर प्रीति ने उस का हाथ झटक दिया. प्रीति की यह बात एएसआई दिनेश कुमार को बहुत बुरी लगी. तभी उस ने अपना सर्विस पिस्टल निकाला और प्रीति के ऊपर फायर कर दिए.

प्रीति को खतरे में देख कर सुरेंद्र उसे बचाने के लिए दौड़ा तो दिनेश ने उस के भी सीने में 3 गोलियां उतार दीं. इस के बाद वह बाहर स्विफ्ट कार में इंतजार कर रहे पिंटू शर्मा के साथ वहां से फरार हो गया.

गाजियाबाद पुलिस की नजरों से बचने के लिए 5 दिनों तक दिनेश कुमार अपने रिश्तेदारों के घर छिपा रहा. दिनेश की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने शाहदरा से इस हत्याकांड में शामिल रहे उस के दोस्त पिंटू को भी गिरफ्तार कर लिया.

वारदात में प्रयोग की गई एएसआई दिनेश कुमार की सर्विस पिस्टल, 3 जीवित कारतूस तथा स्विफ्ट कार भी गाजियाबाद पुलिस ने बरामद कर ली. 2 अप्रैल, 2019 को दिल्ली पुलिस ने भी एएसआई दिनेश कुमार को उस के पद से बर्खास्त कर दिया. इस समय दोनों हत्यारोपी जेल में बंद हैं.

उधर गाजियाबाद पुलिस के आला अधिकारियों ने इस सनसनीखेज वारदात की गुत्थी सुलझाने वाली टीम का मनोबल बढ़ाते हुए 25 हजार रुपए के पुरस्कार से नवाजा है, पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है.

बीवी का डबल इश्क पति ने उठाया रिस्क – भाग 3

थाने में आने के बाद एसआई हरेंद्र ने दोनों को अपने सामने बिठाया तो रवि परेशान स्वर में बोला, ”सर, हमें यह तो बताइए, आप किस जुर्म में हम दोनों को थाने लाए हैं?’’

”आलोक सिंह की हत्या के जुर्म में तुम्हें यहां लाया गया है.’’ एसआई अपने स्वर को गंभीर बना कर बोले, ”आलोक सिंह को तो तुम पहचानते होगे? उस की हत्या हुई है.’’

”कौन आलोक?’’ रवि हैरानी से बोला, ”मेरे पहचान के 2-3 लोग हैं साहब, जिन का नाम आलोक सिंह है.’’

”मै देवला गांव, पक्षी विहार में रहने वाले आलोक सिंह की बात कर रहा हूं.’’

”अरे.’’ रवि बुरी तरह चौंका, ”क्या आलोक सिंह की हत्या हो गई है? कब, कैसे?’’

”बनो मत.’’ एसआई हरेंद्र गुर्राए, ”आलोक सिंह की तुम ने ही हत्या की है.’’

”यह झूठ है साहब, मैं तो आलोक को बड़े भाई की तरह मानता था. बहुत इज्जत करता था उन की.’’

”ओह!’’ एसआई हरेंद्र सिंह मुसकराए, ”तभी उस की इज्जत से खेल रहे थे. क्या तुम्हारे आलोक की बीवी प्रियंका के साथ नाजायज संबंध नहीं हैं?’’

रवि ने सिर झुका लिया. कुछ क्षणों तक वह खामोश रहा फिर बोला, ”यह ठीक है साहब कि मेरे प्रियंका के साथ नाजायज संबंध हैं. लेकिन इस में मेरा जितना दोष है, उतना दोष प्रियंका का भी है. उसी ने मुझे अपने प्रेमजाल में फांसा था. मुझे उस ने खुला निमंत्रण दिया था तो मैं बहक गया. वैसे प्रियंका अच्छी औरत नहीं है साहब, उस का पहले सर्वेश से भी प्रेम संबंध रहा है.’’ रवि ने बात खत्म कर सिर खुजाया फिर बोला, ”मैं समझ गया साहब, हत्या किस ने की है?’’

”किस ने की है?’’ एसआई ने उसे घूरा.

”सर्वेश ने की होगी साहब. मेरा पूरा यकीन है कि वही ऐसा करेगा, क्योंकि आलोक के साथ मैं ने 29 अक्तूबर, 2023 को सर्वेश की अच्छे से ठुकाई कर दी थी. सर्वेश ने आलोक से उसी ठुकाई का बदला लिया होगा.’’

”तुम ने और आलोक ने सर्वेश की पिटाई की थी, भला क्यों?’’ एसआई हरेंद्र सिंह ने पूछा.

”साहब, आलोक सिंह ने मुझे बताया था कि सर्वेश प्रियंका को रास्ते में परेशान करता है. गंदेगंदे कमेंट करता है.’’

”तुम तो कह रहे हो कि प्रियंका का सर्वेश भी आशिक था.’’

”हां साहब, सर्वेश से भी प्रियंका ने इश्क लड़ाया था. उस से मिलती थी, फिर उसे घर भी लाने लगी. आलोक सीधासादा इंसान था, वह प्रियंका को पाकसाफ समझता था, उसे प्रियंका पर यह संदेह नहीं था कि वह दूसरे व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाती होगी. वह तो सर्वेश को उस का हमदर्द दोस्त समझता था.

”प्रियंका ने काफी दिनों तक सर्वेश से रिश्ता रखा, फिर न जाने क्यों वह उस से कटने लगी. शायद इसीलिए सर्वेश उसे रास्ते में तंग करने लगा था. वह तिलमिलाया हुआ इंसान था. प्रियंका ने इस की शिकायत अपने पति आलोक से की होगी, तभी आलोक ने सर्वेश को सबक सिखाने के लिए मुझ से मदद मांगी थी. मैं ने आलोक का साथ दिया था साहब. इसी से नाराज हो कर सर्वेश ने आलोक की हत्या कर दी होगी. मैं अपनी मां की कसम खा कर कहता हूं साहब, मैं ने आलोक की हत्या नहीं की है.’’

”ठीक है, मैं सर्वेश को चैक करता हूं. लेकिन तुम भी शक के दायरे में हो, कहीं जाओगे नहीं, जब तक यह मालूम न हो जाए कि आलोक का कातिल कौन है.’’ एसआई हरेंद्र ने कांस्टेबल नवीन मलिक को इशारे से पास बुला कर कहा, ”इन दोनों को दूसरे कमरे में बिठा दो और इन पर नजर रखना.’’

”ठीक है सर.’’ नवीन मलिक ने कहा और दोनों को ले कर एसआई के कक्ष से बाहर निकल गया.

प्रियंका ने सुना दी डबल इश्क की दास्तां

एसभाई हरेंद्र सिंह ने महिला कांस्टेबल को भेज कर मृतक आलोक की पत्नी प्रियंका को थाने में बुलवा लिया. प्रियंका पति की मौत से बेहद दुखी दिखाई दे रही थी. उस की आंखें रोने के कारण सूज गई थीं.

आलोक सिंह की लाश पोस्टमार्टम के बाद उस के घर वालों को सौंपी जा चुकी थी और उस के बड़े भाई रामवीर ने बहुत गमगीन हालत में छोटे भाई की अंत्येष्टि कर दी थी.

इश्क के रंग में रंगी प्रियंका को शायद अब समझ में आ रहा था कि उस के गलत आचरण के कारण ही उस का खुद का घर उजड़ चुका है और वह पति को गंवा बैठी.

उस ने थाने में चुपचाप कुबूल कर लिया कि उस के सर्वेश और रवि के साथ नाजायज संबंध थे. सर्वेश उस की जिंदगी में पहले आया था, जिस के साथ उस ने काफी दिन मौजमस्ती की, फिर रवि की ओर झुक गई. इस से सर्वेश चिढ़ गया. वह उसे बीच राह में परेशान करने लगा था. वह उसे बदनाम करने की धमकियां देता था.

यह बात उस ने अपने पति को बताई तो उन्होंने सर्वेश को 2-3 बार प्यार से समझाया. प्रियंका ने बताया कि जब सर्वेश अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो उन्होंने रवि के साथ मिल कर सर्वेश की धुनाई कर दी थी. शायद इसी बात से खफा हो कर उस ने मेरे पति आलोक की हत्या कर दी है.

प्रियंका ने आगे कहा कि मैं बेशक बदचलनी पर चली, लेकिन मैं बच्चों की कसम खा कर कहती हूं कि मैं ने किसी से नहीं कहा कि मेरे पति की हत्या कर दो. यह काम सर्वेश का है. उसे गिरफ्तार कर लीजिए साहब.

एसआई हरेंद्र सिंह ने प्रियंका से सर्वेश का पता मालूम किया तो उस ने बता दिया. सर्वेश, गांव धनसिंह पुरवा, जिला हरदोई का रहने वाला था. पुलिस टीम ने सर्वेश के पते पर दबिश दी तो वह घर से फरार मिला. उस के पीछे मुखबिर लगा दिए गए. जल्द ही एक विश्वासपात्र मुखबिर ने बताया कि सर्वेश अपने फुफेरे भाई रिंकू उर्फ भूपेंद्र सिंह के साथ सूरजपुर में पैरामाउंट अंडरपास पर आने वाला है. इस सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने घेराबंदी कर ली. सर्वेश वहां रिंकू के साथ आया तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

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सर्वेश ने क्यों की थी आलोक की हत्या

थाने में पूछताछ हुई तो सर्वेश ने बताया कि वह प्रियंका से प्रेम करता था. प्रियंका ने उस से किनारा करना चाहा तो वह सहन नहीं कर पाया, वह प्रियंका से अपना प्यार लौटाने के लिए गिड़गिड़ाता था. प्रियंका उसे दुत्कार रही थी. उस ने अपने पति से कहा कि मैं उसे आते जाते राह में परेशान करता हूं.

उस ने कहा कि आलोक ने प्रियंका के दूसरे प्रेमी रवि के साथ मिल कर मेरे मोहल्ले में मेरी पिटाई कर दी थी. मैं इस से काफी अपमानित महसूस करने लगा था. मैं ने अपने फुफेरे भाई रिंकू उर्फ भूपेंद्र सिंह को साथ लिया और रवि को सबक सिखाने के लिए उस की तलाश में निकला, लेकिन रवि हमें नहीं मिला.

तब हम सनप्लास्ट कंपनी साईट-बी, इंडस्ट्रियल एरिया पहुंचे. आलोक यहां नौकरी करता था. वह शाम को ड्यूटी कर के कंपनी से बाहर आया और घर जाने लगा तो मैं ने और रिंकू ने उसे घेर लिया.

हम उसे ट्राला के केबिन में ले आए. वहां उस से मारपीट की. मैं ने लोहे के टायर लीवर से आलोक के सिर पर वार किया तो उस का सिर फट गया. सर्वेश ने बताया कि वह बेहोश हो कर गिरा तो मैं ने उस का गला दबा कर जान ले ली. मैं साथ दो निशाने साधना चाहता था. मैं ने रिंकू की मदद से आलोक की लाश मिग्सन ग्रीन सोसायटी की ग्रीन बेल्ट (ग्रेटर नोएडा) में फेंक दी, ताकि यहां रहने वाले रवि पर हत्या का शक जाए. रवि यदि हत्या के शक में पकड़ा जाता और जेल जाता तो प्रियंका फिर मेरी तरफ झुक जाती.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुलिस ने मुझे और रिंकू उर्फ भूपेंद्र सिंह, मैस कटरा, जिला कानपुर देहात को पैरामाउंट अंडरपास से गिरफ्तार कर लिया.

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              आरोपी रिंकू

सर्वेश ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया तो उसे और रिंकू को उसी दिन कोर्ट में पेश कर के रिमांड पर ले लिया गया.

कड़ी पूछताछ से उन से हत्या में प्रयुक्त टायर लीवर, ट्राला जिस का रजिस्ट्रेशन नंबर- पीबी 10एचडी 1859 था और जिस के केबिन में आलोक की हत्या की गई थी, बरामद कर लिया गया.

ट्राला की खून सनी सीट बैल्ट, सीट कवर और ट्राला में गिर कर सूख चुके खून के नमूने भी एकत्र कर लिए गए. केस को मजबूती देने वाले साक्ष्य इकट्ठा करने के बाद जब रिमांड अवधि खत्म हुई तो पुलिस ने रिंकू उर्फ भूपेंद्र और सर्वेश को कोर्ट में पेश कर दिया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

रवि और उस के दोस्त बबलू उर्फ अशरफ अली को रिहा कर दिया गया. छोड़ तो प्रियंका को भी दिया गया था, लेकिन उसे अब अपने आप से नफरत हो गई थी. पति की मौत का वह खुद को जिम्मेदार मानती थी. वह काफी गुमसुम हो गई थी और बच्चों के साथ सादगी भरा जीवन जी रही थी. शायद यही उस का पछतावा था. अब घटना की जांच मौजूदा एसएचओ पुष्पराज कर रहे हैं.

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बीवी का डबल इश्क पति ने उठाया रिस्क – भाग 2

किस ने की आलोक की हत्या

पहली नवंबर, 2023 थाना सूरजपुर (गौतम बुद्ध नगर) पुलिस को दोपहर में किसी अज्ञात व्यक्ति से सूचना मिली कि मिग्सन ग्रीन सोसायटी के पास ग्रीन बेल्ट (ग्रेटर नोएडा में) एक व्यक्ति की लाश पड़ी हुई है.

थाना सूरजपुर के एसआई हरेंद्र सिंह सूचना मिलते ही रजिस्टर में अपनी रवानगी दर्ज कर के मौके पर तफ्तीश के लिए रवाना हो गए. घटनास्थल पर भीड़ जमा थी. पुलिस को देख कर भीड़ इधरउधर हो गई. एसआई हरेंद्र सिंह उस जगह आए, जहां युवक की लाश पड़ी हुई थी.

युवक का सिर फटा हुआ था, जिस से उस के कपड़े खून से लथपथ हो चुके थे. लग रहा था कि उस के सिर पर कोई भारी चीज का वार किया गया है.

युवक की तलाशी ली गई, लेकिन उस की जेब में ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिस से यह मालूम हो सकता कि यह कौन है, कहां रहता है. उस को भीड़ में भी कोई नहीं पहचान पाया. एसआई हरेंद्र सिंह ने उच्चाधिकारियों को इस लाश की जानकारी दे दी और फोरैंसिक टीम को घटनास्थल पर बुलवा लिया.

थोड़ी देर में ही एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल नोएडा) हृदेश कठेरिया घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने युवक की लाश का बारीकी से मुआयना किया. फोरैंसिक टीम भी आ गई थी, वह अपने काम में जुट गई थी.

अभी जांच का काम चल ही रहा था कि एक युवक भीड़ को चीरता हुआ घटनास्थल पर आ गया. युवक ने लाश को गौर से देखा तो दहाड़ें मार कर रोने लगा.

रामवीर ने भाभी पर क्यों जताया हत्या का शक

एसआई हरेंद्र सिंह उस के पास आ गए. युवक के कंधे पर उन्होंने सहानुभूति से हाथ रख कर उस क ा कंधा थपथपा कर सांत्वना देने की कोशिश करते हुए पूछा, ”तुम्हारा क्या लगता था यह?’’

”साहब, मेरा छोटा भाई है यह.’’ युवक ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा, ”इस का नाम आलोक सिंह है और मेरा नाम रामवीर. मैं ने कल शाम को थाना सूरजपुर में इस की गुमशुदगी लिखवाई थी साहब. वहां पर इस का फोटो भी जमा करवाया था मैं ने.’’

”यह मेरे संज्ञान में नहीं है. मैं तो इस युवक की शिनाख्त के लिए परेशान था कि तुम ने मेरी टेंशन दूर कर दी.’’

”मैं आज फिर से थाना सूरजपुर गया था, यह मालूम करने कि मेरे भाई का कोई पता लगा या नहीं, वहां ड्यूटी अफसर ने मुझे बताया कि मिग्सन ग्रीन सोसायटी की ग्रीन बेल्ट (ग्रेटर नोएडा) में एक युवक की लाश मिली है, साहब वहां तफ्तीश के लिए गए हैं. तब यह देखने कि लाश किस की है, मैं यहां आ गया. लाश मेरे भाई की है साहब.’’

”क्या नाम बताया तुम ने अपने भाई का?’’

”आलोक सिंह, साहब!’’

”यह कब से लापता था?’’

”29 नवंबर, 2023 को यह रोज की तरह अपने काम पर गया था साहब. शाम को यह घर नहीं पहुंचा. हम सभी रात भर इस के घर आने का इंतजार करते रहे. 30 नवंबर को जब यह शाम तक भी नहीं लौटा तो मैं ने इस की गुमशुदगी थाने में दर्ज करवा दी थी.’’

”तुम्हारा नाम क्या है?’’

”रामवीर सिंह मूलरूप से हमारे पिता महेंद्र सिंह गांव कोकामऊ, माल्लवा, हरदोई (उत्तर प्रदेश) के निवासी हैं. वर्तमान में भाई आलोक सिंह देवला गांव, पक्षी विहार, इंडेन गैस गोदाम के पास अनुरुद्र के मकान में किराए पर रह रहा है. यह थाना क्षेत्र सूरजपुर में स्थित है.’’

एसआई हरेंद्र सिंह ने पूछा, ”तुम्हारे भाई की हत्या हुई है. तुम्हें किसी पर संदेह है. ऐसा व्यक्ति जो तुम्हारे भाई आलोक सिंह का दुश्मन रहा हो?’’

”साहब, घर की इज्जत हर एक को प्यारी होती है, लेकिन जब कोई घर की इज्जत ही खराब करना चाहे तो चुप रहने में कोई फायदा नहीं होगा.’’ रामवीर बहुत गंभीर नजर आने लगा, ”मेरे भाई आलोक सिंह की हत्या में इस की पत्नी प्रियंका का हाथ है. मुझे पक्का विश्वास है कि उसी ने अपने प्रेमी रवि के साथ मिल कर मेरे भाई की हत्या करवाई है.’’

”ओह!’’ एसआई हरेंद्र सिंह हैरानी से बोले, ”यानी तुम्हारे भाई की पत्नी अच्छे चालचलन वाली नहीं है.’’

”बेशक उस ने कभी अपने पति आलोक सिंह की इज्जत का खयाल नहीं किया. वह भाई के पीठ पीछे रवि नाम के युवक से इश्क लड़ा रही थी. उस ने आलोक पर पता नहीं साहब क्या जादू किया हुआ था कि वह रवि के ऊपर कभी शक नहीं करता था.

”रवि उस की मौजूदगी में और गैरमौजूदगी में बेधड़क घर पर आया जाया करता था. मैं ने देखा तो नहीं, लेकिन प्रियंका और रवि के हावभाव से मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दोनों में अनैतिक संबंध बने हुए हैं. यह बात मैं ने नोट की है साहब.’’

”बोलो,’’ एसआई ने उस के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा, ”यह रवि रहता कहां है?’’

”रवि यहीं मिग्सन ग्रीन सोसायटी, ग्रेटर नोएडा में रहता है. उस का मूल निवास, पहाड़पुर, थाना अनूपशहर (बुलंदशहर) है.’’

एसआई हरेंद्र सिंह ने यह एड्रैस अपनी डायरी में नोट कर लिया और वहां मौजूद एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल नोएडा) हृदेश कठेरिया को मृतक के भाई रामवीर से मिली जानकारी से अवगत करा दिया.

एडिशनल डीसीपी हृदेश कठेरिया ने निर्देश दिया, ”आप रामवीर की बात को ध्यान में रख कर अपनी काररवाई करिए. आलोक सिंह की पत्नी प्रियंका को पूछताछ के दायरे में लाइए. यदि रामवीर की बातों में सच्चाई है तो प्रियंका अवश्य टूट जाएगी.’’

”ठीक है सर, मैं पहला काम प्रियंका से पूछताछ का ही करूंगा.’’

एडिशनल डीसीपी कुछ निर्देश दे कर वहां से चले गए. तब एसआई ने अपनी कागजी काररवाई पूरी करने के बाद उस लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. फिर वह रामवीर को साथ ले कर थाना सूरजपुर के लिए रवाना हो गए.

दूसरे प्रेमी से पुलिस को मिली नई जानकारी

आलोक सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. उस में यह कहा गया था कि सिर पर लगी गंभीर चोट और गला दबाए जाने से आलोक सिंह की जान गई थी.

यह हत्या का मामला था. एसआई हरेंद्र सिंह ने रामवीर सिंह को बुलवा कर उस की लिखित तहरीर के आधार पर यह केस भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत दर्ज किया.

रामवीर सिंह ने अपनी तहरीर में छोटे भाई आलोक सिंह की हत्या का दोष आलोक की पत्नी प्रियंका और उस के प्रेमी रवि तथा रवि के साथ मैकेनिक का काम करने वाले उस के दोस्त बबलू उर्फ अशरफ अली, निवासी बांदोली, जिला बुलंदशहर के ऊपर लगाया. रामवीर सिंह की लिखित तहरीर के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एडिशनल डीसीपी हृदेश कठेरिया ने एक पुलिस टीम का गठन कर दिया. इस का नेतृत्व एसआई हरेंद्र सिंह को दिया गया था.

थाना सूरजपुर के तत्कालिन एसएचओ अवधेश प्रताप सिंह पूरे मामले पर नजर रखे थे. एसआई जितेंद्र चौहान और हरेंद्र सिंह ने रवि और बबलू उर्फ अशरफ अली को गिरफ्तार करने के लिए उन के घरों पर दबिश दी तो दोनों घर पर ही मिल गए. दोनों को पुलिस थाना सूरजपुर ले आई.

बीवी का डबल इश्क पति ने उठाया रिस्क – भाग 1

मृतक की उम्र 35 से 40 वर्ष के बीच की लग रही थी. वह पैंटशर्ट पहने हुए था. उस के जिस्म पर चोट के निशान थे और सिर फटा हुआ था. सिर के गहरे जख्म से खून बह कर उस के सारे चेहरे और शर्ट पर फैल कर सूख चुका था. इस से अनुमान लगाया गया कि युवक को मरे हुए 10-12 घंटे से ऊपर हो गए हैं.

जमीन पर खून दिखाई नहीं दे रहा था और न ही ऐसे चिह्न वहां थे, जिस से यह समझा जा सके कि युवक की हत्या इसी जगह की गई है. साफ लग रहा था कि युवक की हत्या कहीं और की गई होगी, उस के बाद उसे ला कर यहां पर फेंक दिया गया था.

मिग्सन ग्रीन सोसायटी (गौतमबुद्ध नगर) का रहने वाला रवि कहीं जाने के लिए नहाधो कर तैयार हुआ था. उस ने अभी जूते के फीते बांधे ही थे कि जेब में रखे मोबाइल की घंटी बजने लगी. रवि ने मोबाइल निकाला. स्क्रीन पर उस की प्रेमिका प्रियंका का फोन नंबर फ्लैश हो रहा था.

रवि तुरंत काल रिसीव कर आतुरता से बोला, ”बोलो जानम, इस गरीब की याद कैसे आ गई तुम्हें?’’

”गरीब क्यों कहते हो अपने आप को रवि. मेरी नजर में तो तुम राजा हो राजा.’’ दूसरी ओर से प्रियंका का स्वर उभरा.

रवि हंस पड़ा, ”चलो, तुम्हारी नजर में मेरी कुछ तो कीमत है. कहो, कैसे याद किया मुझे?’’

”कहां हो?’’

”घर पर ही हूं.’’

”मेरे घर चले आओ, मैं अकेली हूं आज.’’ प्रियंका के स्वर में कामुकता का भाव था.

”तुम्हारा पति आलोक कहां गया?’’ रवि ने पूछा.

”अपनी बहन के यहां गया है, कल लौटेगा. तुम आ जाओ, रात रंगीन करने का बहुत अच्छा मौका हाथ आया है.’’

”मैं अभी आया मेरी जान.’’ आतुरता से बोला रवि, ”बोलो, क्या ले कर आऊं, चिकन या मटर पनीर?’’

”मैं ने चिकन मंगवा रखा है, पीने का मन हो तो अपनी चौइस का ब्रांड लेते आना.’’

”ठीक है,’’ रवि ने कहा और काल डिसकनेक्ट कर उस ने मोबाइल जेब के हवाले कर लिया. घर से निकल कर एक ठेके से उस ने अद्धा खरीदा, उसे जेब में रख कर उस ने आटो किया और देवला गांव, पक्षी विहार, गौतमबुद्ध नगर में स्थित आलोक के घर पहुंच गया. उस ने दरवाजा खटखटाया. दरवाजा प्रियंका ने खोला.

रवि अंदर आ गया. प्रियंका ने दरवाजा बंद कर दिया और वह भी रवि के पीछे अंदर बैडरूम में पहुंच गई. उस ने बढिय़ा बनावशृंगार किया हुआ था.

”बच्चे दिखाई नहीं दे रहे हैं प्रियंका.’’ रवि ने पलंग पर बैठते हुए पूछा.

”मैं ने उन्हें नानी के यहां भेज दिया है.’’ प्रियंका अंगड़ाई लेते हुए रवि की बगल में आ बैठी.

”बहुत समझदार हो.’’

”यार रवि, जब एंजौय करते हैं तो किसी प्रकार का डिस्टरबेंस नहीं होना चाहिए. अब पूरी रात हमारी है.’’ प्रियंका ने कहने के बाद रवि के गले में अपनी नाजुक कलाइयां डाल दीं, ”तुम्हारी शिकायत थी कि मैं तुम्हें कभी पूरा मौका नहीं देती.’’

”मैं गलत कहां कहता हूं, तुम अपना सारा प्यार सर्वेश पर लुटाती रही हो.’’ रवि के स्वर में शिकायत थी.

”पहले वह मुझे अच्छा लगता था, लेकिन जब तुम मेरी जिंदगी में आए तो मैं ने तुम दोनों को तराजू में रख कर तोला. तुम और तुम्हारा प्यार सर्वेश से कहीं अधिक वजनी निकला, इसलिए मैं ने सर्वेश की ओर से किनारा कर लिया.’’ प्रियंका ने अपना गाल रवि के गाल से रगड़ते हुए कहा.

रवि ने प्रियंका की कमर में बाहें लपेट कर उसे अपनी गोद में खींच लिया, ”मैं ने तुम्हें दिल से प्यार किया है स्वीट हार्ट. सर्वेश की तरह मैं तुम्हारे जिस्म का भूखा नहीं बना. हम कई दिनों से मिल रहे हैं, आज तुम ने पहली बार मुझे बिस्तर पर आमंत्रित किया है. मैं अपने आप को खुशनसीब मान रहा हूं.’’

”अब समय मत गंवाओ… मैं तुम्हारे प्यार के लिए तड़प रही रही हूं.’’

रवि ने प्रियंका के यौवन को दुलारना शुरू कर दिया. उस की अंगुलियां प्रियंका के गुदाज जिस्म पर फिसलने लगीं. प्रियंका पल प्रतिपल उन्मादित होती चली गई और वह पल भी आ गया, जब रवि ने उसे पूरी तरह अपने आगोश में समेट लिया और उस पर छाता चला गया.

वह रात प्रियंका और रवि ने पूरी मौजमस्ती से गुजारी. सुबह वहीं से फ्रैश हो कर रवि काम पर जाने के लिए निकला तो उसी वक्त प्रियंका का पति आलोक वहां आ गया.

भेद खुलतेखुलते ऐसे बचा

रवि एक बार के लिए आलोक को देख कर सकपका गया, फिर उस ने तुरंत अपने आप को संभाल लिया, ”आलोक भैया नमस्ते. मैं आप से ही मिलने आया था, भाभी ने बताया आप बाहर गए हुए हो, लौट रहा था कि आप आ गए.’’

”कैसे हो, बहुत दिनों बाद इधर आए हो.’’ आलोक ने आत्मीयता से पूछा.

”समय ही नहीं मिलता भैया.’’ रवि बोला, ”आज सोचा सुबह सुबह मिल लूंगा, अच्छी किस्मत है मेरी, मेरा आना बेकार नहीं गया. आप आ गए.’’

”कुछ काम था क्या मुझ से?’’

”काम कुछ नहीं भैया, अगले हफ्ते मेरा बर्थडे है. मैं छोटी सी पार्टी दे रहा हूं. आप भाभीजी को ले क र आ जाना.’’ रवि ने झूठ बोला.

”जरूर आऊंगा, दिन और समय बता दो.’’

”2 अक्तूबर.’’ रवि हंस कर बोला, ”उस दिन बापूजी का जन्मदिन होता है. मैं भी उसी दिन पैदा हुआ था. आप शाम को 5 बजे आ जाइए, खाना भी वहीं खाइएगा.’’

”ठीक है, मैं जरूर आऊंगा.’’ आलोक कह कर रवि के साथ बाहर आ गया. उस ने इधरउधर देखा, फिर धीरे से बोला, ”रवि, एक बात कहनी है तुम से.’’

”कहिए न भैया.’’ धड़कते दिल से रवि ने कहा.

”यह सर्वेश अजकल तुम्हारी भाभी प्रियंका को कुछ ज्यादा ही परेशान कर रहा है. गलती प्रियंका की ही थी, जो उसे मुंह लगा लिया. प्रियंका ने तो उस से अपनापन जताया था, अब वह उसी पर हावी होने की कोशिश कर रहा है. प्रियंका कहीं बाहर जाती है तो वह उस पर गलत कमेंट करता है. उसे 1-2 बार समझाया, लेकिन वह बाज ही नहीं आ रहा है.’’

”धुनाई कर दो हरामी की. मैं आप के साथ हूं.’’ रवि जोश में भर कर बोला, ”ऐसे व्यक्ति को सबक मिलना जरूरी है.’’

”ठीक कहते हो, जब जरूरत होगी, मैं तुम्हें बुला लूंगा.’’ आलोक ने कहा.

”मैं आप का फोन सुनते ही आ जाऊंगा भैया. अब चलता हूं, काम के लिए देर हो रही है.’’ कहने के बाद रवि इजाजत ले कर पैदल ही वहां से चल पड़ा.

वह अब काफी संतुष्ट था, क्योंकि आलोक की गैरमौजूदगी में उस के घर रात भर रहने की बात रहस्य ही बनी रही थी. आलोक को उस पर थोड़ा सा भी शक नहीं हुआ था.

जी का जंजाल बनी प्रेमिका