पत्नी की बदचलनी की कहानी सुन कर रामानंद का खून खौल उठा था. उस ने वहीं से फोन पर सीतांजलि को सुधर जाने की नसीहत दी और न सुधरने पर इस का बुरा अंजाम भुगतने को भी डराया, लेकिन वह कहां पति से डरने वाली थी. पति जितना उसे गालियां देता था, डराताधमकाता था, वह उतनी ही प्रेमी बृजमोहन के करीब बढ़ती जाती थी.
रामानंद ने फरवरी 2023 में पत्नी को फोन कर के बता दिया था कि 5 अप्रैल, 2023 को दुबई से फ्लाइट से रवाना होगा और 6 अप्रैल को शाम तक घर पहुंच आएगा. उस के बाद जो निर्णय लेना होगा, वहीं औन द स्पौट लेगा.
सीतांजति ने जब से पति के वापसी की बात सुनी थी, उस की आंखों की नींद और दिल का चैन उड़ गया था. इस बारे में उस ने अपने प्रेमी बृजमोहन को बताया, ”अब कोई उपाय करो, वह विदेश से वापस लौट रहा है. तुम से बिछड़ कर मैं जिंदा नहीं रह सकती. मैं तुम्हारे बिना मर जाऊंगी. बड़े मर्द बनते हो न, मुझे यहां से उड़ा ले चलो, नहीं तो हमारे प्यार के रास्ते के कांटे को हमेशा के लिए उखाड़ फेंको.’‘
उस दिन के बाद से दोनों मिल कर रामानंद की हत्या की योजना बनाते रहे. इस योजना में बृजमोहन ने अपने बचपन के दोस्त अभिषेक चौहान को शामिल कर लिया था. वह उसी के गांव का रहने वाला था और मध्य प्रदेश में जौब करता था.
बृजमोहन और अभिषेक के बीच में गहरी दोस्ती थी और दोनों ही हमप्याला हमनिवाला थे. दोनों एक साथ बचपन की गलियों में खेले और बड़े हुए. साथसाथ पढ़े और शरारतें भी साथसाथ कीं.
इसलिए जब बृजमोहन ने अपने प्यार का वास्ता दे कर प्रेमिका के पति को रास्ते से हटाने की बात कही थी तो वह मना नहीं कर सका और उस की खतरनाक योजना में शामिल हो कर सच्ची दोस्ती निभाने का वायदा किया.
6 अप्रैल, 2023 की सुबह रामानंद फ्लाइट से लखनऊ पहुंचा और पत्नी को बता दिया कि वह लखनऊ पहुंच गया है और वहां से प्राइवेट बस से गोरखपुर पहुंच जाएगा. सीतांजलि ने यह बात बृजमोहन को बता दी कि पति फलां नंबर की बस में सवार है और लखनऊ से घर आ रहा है.
बृजमोहन अपने साथी अभिषेक चौहान के साथ लखनऊ में ही रुका था. इस की योजना थी रामानंद को लखनऊ में ही मौत के घाट उतार दे, ताकि किसी को उस पर शक न हो.
पते की बात तो यह थी कुछ दिनों की छुट्टी ले कर बृजमोहन दिल्ली से गोरखपुर घर आया था. घर आना तो सिर्फ एक बहाना था, असल बात प्रेम की राह के कांटा बने रामानंद को हटाना था.
5 अप्रैल, 2023 को घर वालों से बृजमोहन तथा अभिषेक यह कह कर घर से निकले कि वह अपने नौकरी पर वापस लौट रहे हैं, दिल्ली नौकरी पर जाने की बजाय दोनों लखनऊ रुक गए और रामानंद के आने का इंतजार करने लगे थे.
खैर, जिस प्राइवेट बस में रामानंद सवार था, उसी बस में सामने वाली सीट पर बृजमोहन और अभिषेक हुलिया बदल कर बैठ गए थे, ताकि रामानंद उसे पहचान न सके. दोनों ने बस में ही उसे मारने की कई बार कोशिश की, लेकिन वे अपने इरादों में कामयाब नहीं हो पाए और लखनऊ से गोरखपुर पहुंच गए.
इधर सीतांजलि पति की मौत की खबर सुनने के लिए उतावली हुई जा रही थी कि कब उस का प्रेमी फोन कर के उसे ये अच्छी खबर सुनाए.
दोपहर एक बजे के करीब जैसे ही बृजमोहन का फोन आया, सीतांजलि बड़ी उत्सुकता से फोन झपट कर कान से सटा कर बोली, ”क्या हुआ? फोन करने में इतनी देर क्यों लगा दी?’‘
”क्या करूं, बात ही कुछ ऐसी है.’‘ रोआंसी आवाज में बृजमोहन ने कहा.
” मुझे पहेलियां मत बुझाओ. क्या हुआ, साफसाफ बताओ टारगेट पूरा हुआ कि नहीं.’‘
”नहीं, टारगेट पूरा नहीं हुआ. बस में इतनी सवारियां थीं कि कहीं मौका ही नहीं मिला टारगेट पूरा करने के लिए.’‘ बृजमोहन सफाई देते हुए बोला.
”कोई बात नहीं. बाजी अभी भी हमारे हाथ में है, शिकार तो जरूर बनेगा वो हमारा.’‘ कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
सीतांजलि खुद के हाथों खुद का सुहाग मिटाने की जिद पर अड़ी थी. उस ने तय कर लिया था कि पति को मौत देनी है तो देनी है. विधवा बनना है तो बनना है. इस के लिए उस ने पहले कई तैयारियां कर रखी थीं. इधर बृजमोहन और अभिषेक बस से गोरखपुर उतर गए और टैंपो से सहजनवां जा पहुंचे, जो प्रेमिका के घर से 3-4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था.
इधर रामानंद सहीसलामत घर पहुंच गया था. खाने में सीताजंलि ने रात में मटन पकाया था. उस ने अपने हिस्से का खाना निकाल कर बाकी पूरे खाने में नींद की 6 गोलियां बारीक पाउडर बना कर मिला दीं. और वही खाना पति, सास, ससुर और देवर को खिला दिया. खाना खाने के कुछ ही देर बाद सब के सब नींद की आगोश में समा गए थे. रामानंद भी अपने कमरे में जा कर खर्राटे भरने लगा था.
सीतांजलि ने पति को हिलाडुला कर देखा, वह बेसुध बिस्तर पर पड़ा हुआ था. उसे जब पूरा यकीन हो गया कि वह गहरी नींद में है तो उस ने प्रेमी बृजमोहन को घर आने के लिए फोन किया. प्रेमिका का फोन आते ही बृजमोहन दोस्त को साथ ले कर पैदल ही चल दिया और घर के पीछे से साड़ी के सहारे दोनों छत पर होते हुए दबे पांव कमरे में पहुंचे. उस समय रात के यही कोई 11 बज रहे थे.
फिर क्या था? सीतांजलि ने अपना दुपट्टा प्रेमी बृजमोहन की ओर बढ़ाया. दुपट्टा संभालते हुए बृजमोहन ने नफरत से रामानंद को देखा. उस का नथुना गुस्से से फूलपिचक रहा था. सीतांजलि ने दोनों हाथों से पति के दोनों पैर काबू किए तो अभिषेक ने उस के सीने पर सवार हो कर अपने मजबूत हाथों से उस के दोनों हाथ जकड़ लिए तभी बृजमोहन उस के गले में दुपट्टा डाल कर कस दिया. थोड़ी देर में उस के प्राणपखेरू उड़ नहीं गए.
तीनों मिल कर उसे मौत के घाट उतार चुके थे. अब लाश ठिकाने लगाने की बारी थी. इस बीच पत्नी सीतांजलि ने पति का मोबाइल फोन पटक कर तोड़ दिया था. फिर तीनों मिल कर लाश ऊपर छत पर ले गए और साड़ी के सहारे लाश नीचे उतार कर एकएक कर छत से नीचे उतरे. सीतांजलि घर में ही रह गई.
बृजमोहन और अभिषेक कपड़े में लाश को लपेट कर गांव के बाहर तालाब तक पहुंचे और कपड़े से लाश निकाल कर उसे पानी में फेंक कर बस पकड़ कर लखनऊ निकल गए. फिर जब सुबह हुई और रामानंद घर पर नहीं मिला और उस की खोजबीन शुरू हुई तो उस की लाश गांव के बाहर पानी में मिली.
पुलिस ने तीनों आरोपियों सीतांजलि, बृजमोहन विश्वकर्मा और अभिषेक चौहान के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 201, 120बी और 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर के 2 आरोपियों सीताजंलि और बृजमोहन को जेल भेज दिया, जबकि तीसरा आरोपी अभिषेक चौहान कथा लिखने तक फरार था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित




