शराफत का इनाम

जिस्म के आईने में देखी तिजोरी – भाग 1

दिल्ली सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में नौकरी करने वाली रितु बजाज 25 जून, 2014 को शाम 6-सवा 6 बजे अपने  औफिस से घर पहुंचीं तो उन्हें फ्लैट का बाहरी गेट बंद मिला. घर पर उन के पति तरुण बजाज के अलावा नौकर राहुल रहता था. दरवाजा खुलवाने के लिए उन्होंने कालबैल का बटन दबाया तो फ्लैट के अंदर लगी घंटी बजी. लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला. जबकि रोजाना घंटी बजाने के कुछ देर बाद ही नौकर या पति दरवाजा खोल देते थे.

वह दोबारा घंटी बजा कर दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगीं. कुछ देर बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो वह सोचने लगीं कि शायद दोनों ही सो गए हैं. उन के दरवाजे में जो लौक लगा हुआ था वह आटोमैटिक था यानी दरवाजा बंद होने पर वह स्वत: ही लौक हो जाता था और कमरे के अंदर व बाहर दोनों तरफ से चाबी द्वारा खोला जा सकता था. उस की एक चाबी रितु बजाज के पास भी रहती थी.

2 बार घंटी बजाने के बाद भी जब किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो रितु बजाज ने पर्स से चाबी निकाली और दरवाजा खोल कर कमरे में दाखिल हुईं. घर में घुसते ही बाएं हाथ की ओर उन का बेडरूम था. घर में नौकर दिखाई नहीं दिया तो बेडरूम की ओर नजर दौड़ाई. उन्हें बेड से लटके हुए पति के पैर दिखाई दिए. वह सोचने लगीं कि कितने बेसुध हो कर सो रहे हैं कि घंटी की आवाज तक नहीं सुनाई दी.

इसी बात की शिकायत करने के लिए वह बेडरूम में पहुंचीं तो उन्हें फर्श और दीवारों पर खून के छींटे दिखे.  खून के छींटे और पति के ऊपर बेडशीट पड़ी देख कर उन्हें अजीब लगा. उन्होंने पति के ऊपर से जैसे ही बेडशीट हटाई, उन की चीख निकल गई. पति नग्न अवस्था में थे. उन के पूरे शरीर पर गहरे घाव थे और आतें भी बाहर निकली हुई थीं. पूरा शरीर खून से लथपथ था.

उसी समय उन का घरेलू नौकर राहुल भी आ गया. अपने मालिक की हालत देख कर वह रोने लगा. उसी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर डा. अनुराग पांडे रहते थे. रितु ने राहुल को डा. अनुराग पांडे को बुलाने के लिए भेज दिया. इस बीच रितु बजाज ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के पति की हत्या की सूचना दे दी.

डा. अनुराग पांडे खून से लथपथ तरुण बजाज को देख कर दंग रह गए. उन्होंने तरुण बजाज को चैक कर के बता दिया कि इन की मौत हो चुकी है. डाक्टर के मुंह से यह सुनते ही रितु दहाड़ें मार कर रोने लगीं. उन की रोने की आवाज सुन कर आसपास रहने वाले लोग वहां पहुंच गए.

डा. अनुराग पांडे ने भी 100 नंबर पर फोन कर के तरुण बजाज की हत्या होने की खबर दे दी. यह घटना मध्य दिल्ली में न्यू राजेंद्रनगर के एफ ब्लौक के फ्लैट नंबर 433 में घटी थी. वहां से थाना राजेंद्रनगर तकरीबन 5-6 सौ मीटर की दूरी पर था, इसलिए खबर मिलने के थोड़ी देर बाद ही थाना राजेंद्रनगर के अतिरिक्त थानाप्रभारी विक्रम सिंह राठी एसआई गौतम मलिक और कांस्टेबल रामजी लाल को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

जिस इलाके में यह घटना घटी थी, वह पौश इलाका था. फ्लैट नंबर 433 पार्क के सामने था. तरुण बजाज की हत्या की बात सुन कर फ्लैट के पास सड़क पर सैकड़ों लोग जमा हो गए. पुलिस जब फ्लैट में पहुंची तो लगभग 50 वर्षीय तरुण बजाज की रक्तरंजित लाश देख कर सन्न रह गई.

उस के नग्न शरीर पर गहरे घाव खुद बयां कर रहे थे कि हत्यारों का मकसद उस की हत्या करना था. गरदन और ठोड़ी कटी हुई थी. छाती, कमर, पैर और पेट पर गहरे घाव थे. पेट का घाव तो इतना बड़ा था कि उस से आंतें भी बाहर निकली हुई थीं. उस के पुरुषांग पर भी वार किया गया था.

मृतक की कुछ दिनों पहले ही बाइपास सर्जरी हुई थी, हत्यारों ने सर्जरी की जगह को भी धारदार हथियार से फाड़ दिया था. कमरे का सामान बिखरा हुआ था, अलमारी भी खुली हुई थी. मृतक की पत्नी रितु बजाज का रोरो कर बुरा हाल था. उस समय उन से इस बात की जानकारी नहीं ली जा सकती थी कि घर का क्या-क्या सामान गायब है.

इंसपेक्टर विक्रम सिंह राठी ने पूरे हालात से थानाप्रभारी मनीष जोशी को अवगत कराया. पीसीआर को काल करने पर वैसे तो जिले के समस्त पुलिस अधिकारियों को इस घटना की जानकारी मिल चुकी थी, इस के बावजूद थानाप्रभारी ने एसीपी और डीसीपी कार्यालय में फोन कर के घटना की जानकारी दे कर एसआई बालमुकुंद व एएसआई राजन सिंह के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

मध्य जिला के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार और करोलबाग के एसीपी एस.के. गिरि भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए. समस्त पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. पुलिस को घरेलू नौकर राहुल ने बताया कि वह दोपहर साढ़े 3 बजे आया था तो दरवाजा बंद था.

कई दफा घंटी बजाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो उस ने तरुण बजाज के मोबाइल पर फोन किया. फोन पर घंटी बज रही थी, लेकिन फोन नहीं उठाया तो वह पार्क में जा कर बैठ गया. पार्क में बैठेबैठे भी उस ने तरुण बजाज को कई बार फोन किया, हर बार घंटी बजती रही पर काल रिसीव नहीं हुई.

मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए थानापुलिस ने मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम, सीएफएसएल टीम और अन्य एक्सपर्ट्स को बुला लिया, ताकि वहां से जरूरी सुबूत इकट्ठे किए जा सकें. ड्राइंगरूम में जो टेबल रखी थी, उस पर 3 गिलास रखे थे, जिन में थोड़ा जूस भी था. फ्लैट का निरीक्षण करने पर ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला, जिस से लगे कि हत्यारों ने फ्लैट में जबरदस्ती एंट्री की हो.

टेबल पर रखे गिलासों से यही लगा कि हत्यारे 2 या अधिक रहे होंगे और उन से मृतक के संबंध ठीकठाक रहे होंगे, तभी तो उन्हें बेडरूम में बैठा कर जूस पिलाया गया था.

बहरहाल, हत्यारे कौन थे और उन्होंने बजाज की हत्या क्यों की, यह जांच का विषय था. इस से पहले जांच टीमों ने मौके से खून के सैंपल फिंगरप्रिंट आदि बरामद किए. इस के बाद पुलिस ने लाश का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. साथ ही मृतक की पत्नी रितु बजाज की तरफ से अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए मध्य जिला के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने करोलबाग के एसीपी एस.के. गिरि के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में थाना राजेंद्रनगर के थानाप्रभारी मनीष जोशी, अतिरिक्त थानाप्रभारी विक्रम सिंह राठी, एसआई गौतम मलिक, पवन तोमर, रामनिवास, सतेंद्र, बलवंत, एएसआई राजन सिंह, हेडकांस्टेबल प्रकाश, कांस्टेबल संदीप, जोगिंद्र, संजीव, स्वायम, गुलशन, विनोद, नीरज, बलजीत, नितिन आदि को शामिल किया.

चूंकि घटना एक पौश कालोनी में घटी थी, इसलिए पुलिस अधिकारी चाहते थे कि जल्द से जल्द इस का खुलासा हो. इसीलिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने इस केस की जांच में थाना प्रसादनगर के थानाप्रभारी युद्धविंदर सिंह, चांदनीमहल के थानाप्रभारी अनिल कुमार, हौजकाजी के थानाप्रभारी जरनैल सिंह को भी लगा दिया था. पुलिस टीमें अलगअलग कोणों से केस की जांच में जुट गईं.

पुलिस ने रितु बजाज से बात की तो पता चला कि तरुण बजाज का राजेंद्रनगर इलाके में इमेज केबल नेटवर्क के नाम से कारोबार था. दिल्ली में केबल कारोबार की प्रतिद्वंदिता में अकसर झगड़े होते रहते हैं. कहीं तरुण बजाज भी इसी रंजिश का शिकार तो नहीं हो गए. यही जानने के लिए पुलिस ने इलाके के और भी केबल कारोबारियों से पूछताछ की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

पुलिस ने तरुण के मोबाइल फोन की जब जांच की तो उस में काफी आपत्तिजनक सामग्री मिली. मोबाइल फोन में मिली सामग्री और तरुण की बर्बर तरीके से की गई हत्या से पुलिस को लगा कि हत्या की वजह कहीं कोई महिला तो नहीं है.  इस बिंदु पर पुलिस ने जांच शुरू की. पुलिस ने ऐसी 60 से अधिक महिलाओं से पूछताछ की, जिन्हें पुलिस ने पहले कभी जिस्मफरोशी के धंधे में गिरफ्तार किया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि अब वे धंधा नहीं करतीं.

पुलिस उन्हें दूसरे मकसद से थाने लाई थी. उन से जब पूछताछ की तो कुछ महिलाओं के बारे में जानकारी मिली जो तरुण बजाज के पास जाती थीं. जिन जिन महिलाओं के नाम सामने आते गए, पुलिस उन से पूछताछ करती रही. जिन महिलाओं से पुलिस ने पूछताछ की पुलिस को वे बेकुसूर दिखीं. फिर भी पुलिस ने उन्हें शक के दायरे में रख कर हिदायत दी कि जब तक जांच पूरी न हो, वे दिल्ली से बाहर न जाएं.

प्यार का जूनून – भाग 1

पप्पू छोटे भाई उदयभान को ले कर काफी परेशान था. वह पिछली रात घर से निकला था. रात तो  बीती ही, अब दिन बीत भी रहा था और उस का कुछ अतापता नहीं था. उस का फोन भी बंद था.

पप्पू उत्तर प्रदेश के आगरा के थाना पिनाहट के नजदीकी गांव गुरावली का रहने वाला था. उस के परिवार में पिता के अलावा वही एक छोटा भाई उदयभान था, जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता था. पिछली रात 7, साढ़े 7 बजे घर का कुछ सामान लेने के लिए वह पिनाहट बाजार गया था. सवा 8 बजे उस ने फोन कर के बताया था कि वह बाजार पहुंच गया है. उसे वहां से लौटने में घंटे, डेढ़ घंटे लग जाएंगे. यानी उसे 9, साढ़े 9 बजे तक लौट आना चाहिए था.

लेकिन रात के साढ़े 10 बज गए और वह नहीं लौटा. तब पप्पू ने उसे फोन किया. पता चला उस का फोन बंद है. हालांकि गर्मियों के दिन थे, इसलिए उतनी रात भी डर की कोई बात नहीं थी. लेकिन उदयभान के फोन ने स्विच औफ बताया तो पप्पू थोड़ा परेशान हुआ. उस ने बीसों बार फोन लगा डाला, हर बार उस का फोन स्विच औफ बताता रहा.

उदयभान का फोन बंद होने से पप्पू परेशान हो उठा. उस का फोन बंद क्यों हो गया, पप्पू की समझ में नहीं आ रहा था. उदयभान मोबाइल फोन का मैकेनिक था. उस के मोबाइल की बैटरी हमेशा फुल रहती थी. जब पप्पू की समझ में कुछ नहीं आया तो उस ने क्वार्टर निकाला और छत पर जा कर बिना पानी मिलाए ही पूरी शीशी खाली कर दी. इस के बाद वह कब का सो गया, उसे पता ही नहीं चला.

सुबह उस की आंखें खुलीं तो लगभग 8 बज रहे थे. नीचे आ कर वह सीधे उदयभान के कमरे में गया. कमरा खाली पड़ा था. इस का मतलब उदयभान अभी तक लौट कर नहीं आया था. पप्पू को भाई की इस हरकत पर गुस्सा भी आ रहा था, साथ ही किसी अनहोनी का भय भी सता रहा था. उस ने तुरंत उदयभान को फोन किया. उसे निराशा ही हुई, क्योंकि उदयभान का मोबाइल अभी भी बंद था. उस ने उस के बारे में अपने पिता से पूछा तो उस ने भी वही बताया, जो उसे पता था.

पप्पू उदयभान को ढूंढने लगा. जहांजहां वह मिल सकता था, वहांवहां गया. उस के यारों दोस्तों से पूछा. लेकिन कहीं से उस के बारे में कुछ नहीं पता चला. जब पप्पू को लगा कि उदयभान का अब पता नहीं चलेगा तो दिन ढले उस का एक फोटो ले कर वह थाना पिनाहट जा पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को अपनी परेशानी बताई तो उन्होेंने तुरंत थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन मिला दिया.

इस की वजह यह थी कि उसी दिन सुबह थाना बसई अरेला पुलिस ने रेलवे लाइन के पास बसे गांव सड़क का पुरा के हनुमान मंदिर के पास बने कुएं से सूचना के आधार पर एक युवक की लाश बरामद की थी.

लाश 20-25 साल के हृष्टपुष्ट युवक की थी, जिसे पहले मारापीटा गया था. उस के बाद उस की हत्या कर के लाश कुएं में फेंक दी गई थी. मामला हत्या का था, इसलिए थाना पुलिस ने यह सूचना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाषचंद दुबे, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के.पी. यादव तथा क्षेत्राधिकारी को भी दे दी थी.

थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की शिनाख्त कराने की भी कोशिश की थी. लेकिन काफी प्रयास के बाद भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी. तब उन्होंने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. इस के बाद थाने आ कर वायरलेस द्वारा अपने थानाक्षेत्र में लाश बरामद होने का संदेश जिले के सभी थानों को दे दिया था.

यही वजह थी कि जब पप्पू थाना पिनाहट उदयभान की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंचा तो थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन किया. यह 29 जुलाई, 2013 की बात है.

थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की जो हुलिया बताई, वह उदयभान से पूरी तरह मेल खा रही थी. इसलिए पप्पू सीधे थाना बसई अरेला जा पहुंचा. थानाप्रभारी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा चुके थे. लाश का सामान उन के पास था. चेक की शर्ट, काली पैंट और जूते देख कर पप्पू रोने लगा. फिर भी थानाप्रभारी उसे लाश दिखा कर संतोष कर लेना चाहते थे. अस्पताल भेज कर पप्पू को लाश दिखाई गई. वह उदयभान की ही लाश थी. लाश देख कर पप्पू को गश आ गया. पुलिस वालों ने उसे संभाला.

मृतक की शिनाख्त हो चुकी थी. शव के निरीक्षण के दौरान उस का बायां पैर टूटा हुआ पाया गया था. थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने जब पप्पू से इस बारे में पूछा तो उस ने बताया कि जब वह घर से निकला था, एकदम सहीसलामत था. थानाप्रभारी समझ गए कि हत्यारों ने ही किसी भारी चीज से उस का पैर तोड़ा होगा.

पुलिस ने पप्पू से तहरीर ले कर गांव के ही राममूर्ति और उस के भाइयों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी ने नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने की वजह जाननी चाही तो पप्पू ने कहा, ‘‘साहब, कुछ सालों पहले राममूर्ति की बेटी सुमन और मेरे भाई उदयभान के बीच प्रेमसंबंध था. बात खुली तो राममूर्ति ने बेटी का विवाह कर दिया, लेकिन दोनों परिवारों की दुश्मनी खत्म नहीं हुई.’’

पप्पू का शक थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को वाजिब लगा. कहीं बेटी और अपनी बदनामी की वजह से उन्हीं लोगों ने उदयभान को खत्म न कर दिया हो. पप्पू की बात पर विश्वास करने की एक वजह और थी. दरअसल जिस तरह बेरहमी से उदयभान को मारा गया था, साफ था कि उसे मारने वाला उस से गहरी नफरत करता रहा होगा. इस तरह की नफरत वही कर सकता है, जिस आदमी को उस से गहरी ठेस पहुंची हो.

अगर उदयभान ने राममूर्ति की बेटी के दामन पर दाग लगाया है तो निश्चित ही राममूर्ति उस से ऐसी ही नफरत करता रहा होगा. उन्होंने हत्यारों तक पहुंचने के लिए सबइंस्पेक्टर नंदकिशोर, सिपाही रंजीत, ओमवीर, अशोक, किताब सिंह, नरेश कुमार और धर्म सिंह की एक टीम बना कर हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए लगा दिया.

औरेया के बलात्कारी को फांसी की सजा

उत्तर प्रदेश के जनपद औरेया के जिला जज (पोक्सो) की कोर्ट में उस दिन सुबह के 10 बजतेबजते लोगों का विशाल हुजूम इकट्ठा हो गया था. वह दिन था बुधवार और उस दिन तारीख थी 22 जून, 2023. उस दिन वहां पर वकीलों, आम नागरिकों एवं पत्रकारों की काफी भीड़ जमा हो चुकी थी.

भरी अदालत में सब की जुबान पर एक ही चर्चा थी कि देखो अब 8 वर्षीय गौरी के रेप और हत्या के मामले में आज क्या अंतिम फैसला होता है. अभियोजन पक्ष के वकील और पैरोकारों को अपनी काबीलियत पर पूरापूरा भूरोसा था कि अभियुक्त गौतम दोहरे को इस मामले में आज अवश्य कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.

अभियुक्त की ओर से कोई वकील नहीं था. किसी भी वकील ने इस केस को लडऩे ही सहमति नहीं जताई थी, इसलिए अभियुक्त गौतम दोहरे को एक सरकारी वकील उपलब्ध कराया गया था, जिसे यह पता भी था कि वह चाहे कितने सबूत जुटा लें, कितनी जिरह कर लें, पर उन के मुवक्किल को अब कोई भी नहीं बचा सकता.

तकरीबन 10 बजे जिला जज (पोक्सो) मनराज सिंह अपने चैंबर से निकल कर अदालत में दाखिल हुए. उन के अदालत में प्रवेश करते ही उन के सम्मान में वहां उपस्थित लोग अपने स्थानों पर खड़े हो गए. जज महोदय के अपनी कुरसी पर बैठने के बाद पूरी अदालत में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था. पेशकार ने जज महोदय के सामने केस की फाइल रखी.

जज का आदेश पाते हो सरकारी वकील हरिशंकर शर्मा ने अपनी आखिरी दलील पेश करते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं आप की अदालत में अब तक 13 गवाहों को पेश कर चुका हूं. जिन सभी के बयानों से साफ जाहिर है कि अभियुक्त गौतम दोहरे द्वारा पहले मासूम गौरी का रेप किया गया और उस के बाद उस की हत्या की गई. मैं माननीय अदालत से अभियुक्त गौतम दोहरे के लिए फांसी की मांग करता हूं.”

हालांकि अभियुक्त गौतम दोहरे ने अपने लिए कोई वकील नियुक्त नहीं किया था, फिर भी अभियुक्त के लिए न्यायालय की ओर से एक सरकारी वकील नियुक्त किया गया था.

अभियुक्त की ओर से नियुक्त सरकारी वकील ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा, “मी लार्ड, मेरे मुवक्किल पर अभी तक जो भी इल्जामात लगाए गए हैं, वे मेरे मुवक्किल को फांसी दिए जाने के लिए नाकाफी हैं, इसलिए मैं माननीय न्यायालय से अपने मुवक्किल के लिए फांसी की मांग निरस्त कर आजीवन कारावास दिए जाने की मांग करता हूं.”

वकीलों की जिरह रही दिलचस्प

जज साहब ने अब एडवोकेट हरिशंकर शर्मा की ओर देखा और कहा, “हरिशंकर शर्मा जी, आप के पास अब अन्य गवाह हैं तो उन्हें बुलाइए.”

तभी वकील हरिशंकर शर्मा ने अदालत से कहा, “मी लार्ड, मेरे पास अब ऐसा गवाह है, जो इस केस का 14वां गवाह है. इस ने मुलजिम गौतम दोहरे को अपने कंधे पर एक बोरी को ले जाते हुए देखा था. घटना के खुलासे के बाद घटनास्थल से वही बोरी पुलिस ने बरामद की थी. मुलजिम गौतम दोहरे को कंधे पर बोरी ले जाने की बात गवाह ने कोर्ट में बता दी.

“मी लार्ड, इस जघन्य वारदात में 82 दिन में 43 बार न्यायालय की तारीख लगी. हर तारीख में आरोपी को कोर्ट के सामने लाया गया, जहां पर अभियुक्त हमेशा माननीय न्यायाधीश के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा रहता था. माननीय न्यायाधीश के कुछ भी पूछने पर आरोपी कुछ भी बोलने से मना कर देता था.”

इस के बाद न्यायालय में सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्र, विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र तोमर, विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) मृदुल मिश्र व वादी के अधिवक्ता हरिशंकर शर्मा ने कहा, “मी लार्ड, निर्भया केस के बाद कठुवा गैंगरेप और मर्डर का मामला सामने आया था. इस मामले में 12 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी के साथ दरिंदगी की गई थी.

“सरकार ने इस के बाद फिर कानूनी बदलाव किए, जिस में 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया. यहां पर तो आरोपी ने निर्मम तरीके से रेप करने के बाद उस की जघन्य हत्या भी की है.

मी लार्ड, इस जघन्य कृत्य में पुलिस ने कई व्यक्तियों से पूछताछ की और साक्ष्य संकलन व छानबीन के बाद 14 घंटे में घटना का खुलासा करते हुए आरोपी गौतम सिंह दोहरे को गिरफ्तार कर उस से कई घंटों तक कड़ी पूछताछ की, जिस में आरोपी ने सब कुछ उगल दिया.

“मी लार्ड, आरोपी ने शराब पी रखी थी तथा बिसकुट दिलाने का लालच दे कर वह नाबालिग बच्ची को अपने साथ ले गया था और उस के साथ दुष्कर्म कर उस का मुंह दबा कर निर्मम हत्या कर दी थी.

“मी लार्ड, जो बिसकुट का पैकेट दे कर आरोपी बच्ची को ले गया था, उस पैकेट पर आरोपी की अंगुलियों के निशान मैच हुए थे. इसलिए अदालत से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि मासूम 8 वर्षीय बच्ची के क्रूर हत्यारे गौतम दोहरे को फांसी की सजा दी जाए.”

औरेया की जिला कोर्ट (पोक्सो) के जज मनराज सिंह ने आरोपी गौतम दोहरे को सुनाई फांसी की सजा

दोनों पक्षों की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब इस जघन्य कृत्य के फैसले का समय आ गया था. कोर्ट में मौजूद सभी लोगों की नजरें अब जज मनराज सिंह के फैसले पर टिकी हुई थीं.

मजिस्ट्रेट ने जब बोलना शुरू किया तो पूरे अदालत परिसर में एक रहस्यमयी सन्नाटा पसर गया था. मजिस्ट्रेट मनराज सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों, वकीलों की दलीलों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि आरोपी गौतम दोहरे ने जो जघन्य अपराध किया है, इस की क्रूरता से किसी का भी दिल दहल सकता है.

“मासूम बच्ची गौरी के शरीर में जितनी चोटें बाहर थीं, उतनी ही अंदर भी थीं. यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा था कि इस मासूम बच्ची के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाया गया है कि नहीं, क्योंकि उस मासूम के प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे. इस क्रूर हत्यारे ने मासूम बच्ची को मारा भी बहुत बेरहमी से था.

“बच्ची अधमरी तो हैवानियत के समय ही हो गई थी. उस के बाद आरोपी ने उस का गला भी बड़ी बेरहमी से दबाया, जिस के कारण उस मासूम नाबालिग की मौत हो गई, लेकिन आरोपी यहीं नहीं रुका. मासूम बच्ची के सिर पर भी चोट के निशान मिले थे, जिस को देख कर ऐसा लग रहा है कि उस को जमीन पर पटका भी गया था. इस के साथ ही बच्ची की रीढ़ की हड्डी भी डैमेज थी.

मैं यह आदेश देता हूं कि दोषी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उस की मौत न हो जाए. पुरुषों की उत्पत्ति महिलाओं से होती है, दोषी का कृत्य पशुओं से ज्यादा निंदनीय है.”

जज ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए आगे कहा, “लड़कियां अगर खुले में नहीं घूम सकतीं तो फिर उन के लिए कौन सा स्थान है. भारतीय संस्कृति में लड़कियों को नई शक्ति के सृजन की सशक्त नारी बताया गया है, लेकिन इस अपराधी ने उस 8 वर्षीय मासूम बच्ची का जीवन बचपन में ही खत्म कर दिया.”

यह फैसला सुनने के बाद वहां मौजूद लोगों ने जज के फैसले की सराहना की. यह पूरा मामला क्या था, इस के लिए हमें इस केस के अतीत में जाना होगा.

यह सनसनीखेज मामला उत्तर प्रदेश के औरेया जिला के गांव महमूदपुर थाना अयाना क्षेत्र का था. यहां पर 24 मार्च, 2023 की शाम करीब साढ़े 5 बजे एक 8 साल की मासूस बच्ची गौरी लापता हो गई थी. गौरी अपने खेत पर पशुओं को चराने गई थी, लेकिन देर शाम तक जब बच्ची घर नहीं लौटी तो उस के घर वालों को चिंता हुई. रोतेबिलखते घर वाले मासूम को रात भर इधर से उधर तलाशते रहे. इस के बाद 25 मार्च को थाना अयाना में मासूम की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी गई.

इस के बाद थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एसपी औरेया चारू निगम के निर्देश पर बच्ची को तलाशने का अभियान शुरू किया. सीसीटीवी फुटेज, लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने 25 मार्च, 2023 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे घर से 600 मीटर दूरी पर गेहूं के खेत के पास गड्ढे में मासूम बच्ची का शव बरामद किया.

शव की प्रारंभिक जांच में मासूम के साथ दुष्कर्म कर उस की हत्या की संभावना दिखाई दी. पुलिस ने इस मामले में गांव के लोगों से पूछताछ की. गांव के बारातघर में लगे सीसीटीवी खंगाले गए, जिस में 5 लोग संदिग्ध दिखाई दिए. सभी को हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की गई तो उन में से गौतम सिंह दोहरे ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस केस में विशेष बात यह रही कि पुलिस ने मात्र 14 घंटे की जांच के बाद आरोपी को गिफ्तार कर लिया था.

शराब के नशे में रेप कर के मार डाला

पुलिस पूछताछ में आरोपी गौतम सिंह दोहरे ने कुबूला कि 24 मार्च, 2023 शुक्रवार को वह नहरिया में बैठ कर शराब पी रहा था. इस बीच उस का बिसकुट खाने का मन हुआ तो वह बिसकुट खरीदने पास की दुकान पर चला गया.

दुकान से बिसकुट खरीद कर वह नहरिया पर वापस आ रहा था, तभी उसे अपने सामने गौरी मिल गई. उसे देख कर उस का मन मचल गया. बच्ची को बिसकुट खिलाने का लालच दे कर वह उसे गन्ने के खेत में ले गया. पहले उस ने बच्ची के साथ निर्ममता से रेप किया. किसी को इस घटना का पता न चल सके, इसलिए उस ने फिर बच्ची का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

आरोपी ने आगे बताया कि अगली सुबह जब वह उठा तो वह उस स्थान पर गया, जहां उस ने बच्ची का गला दबाया था. उस ने वहां पर देखा कि बच्ची मर चुकी थी. उस के बाद उस ने बच्ची के शव को गन्ने के खेत से हटा कर एक गड्ढे में दफना दिया.

दरोगा का पिस्टल छीन कर पुलिस पर की थी फायरिंग

26 मार्च, 2023 रविवार के दिन देर रात जिला अस्पताल से लौटते समय आरोपी गौतम दोहरे ने दरोगा का पिस्टल छीन लिया और पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर दी. जब आरोपी आपे से बाहर हो गया तो पुलिस को उस पर जबाबी फायरिंग करनी पड़ी. जबाबी फायरिंग में उस के पैर पर गोली लगी और वह घायल हो गया. इस के बाद पुलिस टीम उसे इलाज के लिए सीएचसी अयाना लाई और वहां पर उसे भरती कराया गया. पुलिस ने सोमवार 27 मार्च, 2023 को आरोपी की कोर्ट में पेशी कराई.

एक ओर 27 मार्च, 2023 को पुलिस द्वारा कोर्ट में पेशी कराई गई तो दूसरी तरफ 27 मार्च को मासूम बच्ची की पोस्टर्माटम रिपोर्ट भी आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्रूर हत्यारे की दरिंदगी की पूरी कहानी सामने आ गई. बच्ची के प्राइवेट पार्ट बुरी तरह से क्षतविक्षत थे. उस के सारे शरीर को नाखूनों से नोचाखसोटा गया था. चेहरे और गले पर भी चोट के निशान मिले थे.

बच्ची के पूरे शरीर पर कोई भी ऐसी जगह नहीं थी, जहां दरिंदगी के निशान न पाए गए हों. क्रूर हत्यारे ने बच्ची का मुंह और हाथ इतनी जोर से दबाया था कि वो काले पड़ चुके थे. बच्ची का खून जम गया था, जिस के कारण उस की नसें ब्लौक गई थीं. सीने और पेट पर खरोंचों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे.

पीछे कमर के पास हाथ से कस कर दबाने के निशान थे. कमर के ऊपरी हिस्से पर किसी चीज के मारने के निशान थे. देख कर ऐसा लग रहा था कि आरोपी ने बच्ची को किसी भारी पत्थर से मारा होगा.

कोर्ट के फैसले पर पिता संतुष्ट

मासूम बच्ची के पिता शिवेंद्र सिंह दोहरे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एक पिता के लिए इस से अच्छी बात भला क्या हो सकती है, मुझे 82 दिन में न्याय मिल गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अच्छा फैसला सुनाया है, इस तरह के क्रूरतम कृत्य करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए. मुजरिम को अब जल्द से जल्द फांसी मिलनी चाहिए, तभी मेरी बेटी को न्याय मिल पाएगा.

महिला अपराधों में 3 वकीलों की रही विशेष भूमिका

उत्तर प्रदेश के औरेया में महिला अपराधों पर लगातार अपराधियों को सजा मिल रही है. इन मामलों में सब से अहम डीजीसी (जिला शासकीय अधिवक्ता) अभिषेक शर्मा एडवोकेट की बेहतर पैरवी मानी जा रही है. इस के साथ ही पोक्सो के मामलों में डीजीसी के सहयोगी वकील जितेंद्र तोमर व मृदुल सिन्हा की संयुक्त तिकड़ी बीते 4 माह में 2 दुष्कर्मियों को मौत की सजा करवा चुके हैं. साल भर में महिला संबंधी अपराधों में कुल 78 दोषियों को सजा सुनाई गई, जिस में 2 को फांसी व 15 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

जैसे ही जिला जज ने गौतम दोहरे को सजा सुनाई, वहां मौजूद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. फिर मुजरिम गौतम दोहरे को पुलिस ने जेल पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों व मृतक के परिजनों पर आधारित है. कथा में गौरी नाम काल्पनिक है.

जब शिकारी बना शिकार

सुबह नहाधो कर मैरी बाथरूम से निकली तो उस की दमकती काया देख कर डिसिल्वा खुद को रोक नहीं पाया और लपक कर उसे बांहों में भर कर बेतहाशा चूमने लगा. मैरी ने मोहब्बत भरी अदा के साथ  खुद को उस के बंधन से आजाद किया और कमर मटकाते हुए किचन की ओर बढ़ गई. उस के होंठों पर शोख मुस्कान थी. थोड़ी देर में वह किचन से बाहर आई तो उस के हाथों में कौफी से भरे 2 मग थे. एक मग डिसिल्वा को थमा कर वह उस के सामने पड़े सोफे पर बैठ गई.

डिसिल्वा कौफी का आनंद लेते हुए अखबार पढ़ने लगा. उस की नजर अखबार में छपी हत्या की एक खबर पर पढ़ी तो तुरंत उस के दिमाग यह बात कौंधी कि वह अपनी बीवी मैरी की हत्या किस तरह करे कि कानून उस का कुछ न बिगाड़ सके. वह ऐसा क्या करे कि मैरी मर जाए और वह साफ बच जाए. वह उस कहावत के हिसाब से यह काम करना चाहता था कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

डिसिल्वा ने 2 साल पहले ही मैरी से प्रेमविवाह किया था. अब उसे लगने लगा था कि मैरी ने उस पर जो दौलत खर्च की है, उस के बदले उस ने उस से अपने एकएक पाई की कीमत वसूल कर ली है. अब उसे अपनी सारी दौलत उस के लिए छोड़ कर मर जाना चाहिए, क्योंकि उस की प्रेमिका सोफिया अब उस का और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती.

वह खुद भी उस से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकता. लेकिन यह कमबख्त मैरी रास्ते का रोड़ा बनी हुई है. इस रोड़े को हटाए बगैर सोफिया उस की कभी नहीं हो सकेगी. लेकिन इस रोड़े को हटाया कैसे जाए? डिसिल्वा मैरी को ठिकाने लगाने के बारे में सोचते हुए इस तरह डूब गया कि कौफी पीना ही भूल गया.

डिसिल्वा को सोच में डूबा देख कर मैरी बोली, ‘‘तुम कहां खोए हो कि कौफी पीना भी भूल गए. तुम्हारी कौफी ठंडी हो रही है. और हां, हमारी बालकनी के एकदम नीचे एक गुलाब खिल रहा है. जरा देखो तो सही, कितना खूबसूरत और दिलकश लग रहा है. शाम तक वह पूरी तरह खिल जाएगा. सोच रही हूं, आज शाम की पार्टी में उसे ही अपने बालों में लगाऊं. डार्लिंग, आज हमारी मैरिज एनवरसरी है, तुम्हें याद है ना?’’

‘‘बिलकुल याद है. और हां, गुलाब कहां खिल रहा है?’’ डिसिल्वा ने मैरी की आंखों में शरारत से झांकते हुए हैरानी से पूछा.

‘‘बालकनी के ठीक नीचे जो गमला रखा है, उसी में खिल रहा है.’’ मैरी ने कहा.

बालकनी के ठीक नीचे गुलाब खिलने की बात सुन कर डिसिल्वा के दिमाग में तुरंत मैरी को खत्म करने की योजना आ गई. उस ने सोचा, शाम को वह गुलाब दिखाने के बहाने मैरी को बालकनी तक ले जाएगा और उसे नीचे खिले गुलाब को देखने के लिए कहेगा. मैरी जैसे ही झुकेगी, वह जोर से धक्का देगा. बस, सब कुछ खत्म. मैरी बालकनी से नीचे गमलों और रंगीन छतरियों के बीच गठरी बनी पड़ी होगी.

इस के बाद वह एक जवान गमजदा पति की तरह रोरो कर कहेगा, ‘हाय, मेरी प्यारी बीवी, बालकनी से इस खूबसूरत गुलाब को देखने के लिए झुकी होगी और खुद को संभाल न पाने की वजह से नीचे आ गई.’

अपनी इस योजना पर डिसिल्वा मन ही मन मुसकराया. उसे पता था कि शक उसी पर किया जाएगा, क्योंकि बीवी की इस अकूत दौलत का वही अकेला वारिस होगा. लेकिन उसे अपनी बीवी का धकेलते हुए कोई देख नहीं सकेगा, इसलिए यह शक बेबुनियाद साबित होगा. सड़क से दिखाई नहीं देगा कि हुआ क्या था? जब कोई गवाह ही नहीं होगा तो वह कानून की गिरफ्त में कतई नहीं आ सकेगा. इस के बाद पीठ पीछे कौन क्या सोचता है, क्या कहता है, उसे कोई परवाह नहीं है.

डिसिल्वा इस बात को ले कर काफी परेशान रहता था कि सोफिया एक सस्ते रिहाइशी इलाके में रहती थी. वैसे तो उस की बीवी मैरी बहुत ही खुले दिल की थी. वह उस की सभी जरूरतें बिना किसी रोकटोक के पूरी करती थी. तोहफे देने के मामले में भी वह कंजूस नहीं थी, लेकिन जेब खर्च देने में जरूर आनाकानी करती थी. इसीलिए वह अपनी प्रेमिका सोफिया पर खुले दिल से खर्च नहीं कर पाता था.

सोफिया का नाम दिमाग में आते ही उसे याद आया कि 11 बजे सोफिया से मिलने जाना है. उस ने वादा किया था, इसलिए वह उस का इंतजार कर रही होगी. अब उसे जाना चाहिए, लेकिन घर से बाहर निकलने के लिए वह मैरी से बहाना क्या करे? बहाना तो कोई भी किया जा सकता है, हेयर ड्रेसर के यहां जाना है या शौपिंग के लिए जाना है.

वैसे शौपिंग का बहाना ज्यादा ठीक रहेगा. आज उस की शादी की सालगिरह भी है. इस मौके पर उसे मैरी को कोई तोहफा भी देना होगा. वह मैरी से यही बात कहने वाला था कि मैरी खुद ही बोल पड़ी, ‘‘इस समय अगर तुम्हें कहीं जाना है तो आराम से जा सकते हो, क्योंकि मैं होटल डाआर डांसिंग क्लास में जा रही हूं. आज मैं लंच में भी नहीं आ सकूंगी, क्योंकि आज डांस का क्लास देर तक चलेगा.’’

‘‘तुम और यह तुम्हारी डांसिंग क्लास… मुझे सब पता है.’’ डिसिल्वा ने मैरी को छेड़ते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है, तुम उस खूबसूरत डांसर पैरी से प्यार करने लगी हो, आजकल तुम उसी के साथ डांस करती हो न?’’

‘‘डियर, मैं तो तुम्हारे साथ डांस करती थी और तुम्हारे साथ डांस करना मुझे पसंद भी था. लेकिन शादी के बाद तो तुम ने डांस करना ही छोड़ दिया.’’ मैरी ने कहा.

‘‘आह! वे भी क्या दिन थे.’’ आह भरते हुए डिसिल्वा ने छत की ओर देखा. फिर मैरी की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, ‘‘तुम्हें जुआन के यहां वाली वह रात याद है न, जब हम ने ब्लू डेनूब की धुन पर एक साथ डांस किया था?’’

डिसिल्वा ने यह बात मैरी से उसे जज्बाती होने के लिए कही थी. क्योंकि उस ने तय कर लिया था कि अब वह उस के साथ ज्यादा वक्त रहने वाली नहीं है. इसलिए थोड़ा जज्बाती होने में उसे कोई हर्ज नहीं लग रहा था.

‘‘मैं वह रात कैसे भूल सकती हूं. मुझे यह भी याद है कि उस रात तुम ने अपना इनाम लेने से मना कर दिया था. तुम ने कहा था, ‘हम अपने बीच रुपए की कौन कहे, उस का ख्याल भी बरदाश्त नहीं कर सकते.’ तुम्हारी इस बात पर खुश हो कर मैं ने तुम्हारा वह घाटा पूरा करने के लिए तुम्हें सोने की एक घड़ी दी थी, याद है न तुम्हें?’’

‘‘इतना बड़ा तोहफा भला कोई कैसे भूल सकता है.’’ डिसिल्वा ने कहा. इस के बाद डिसिल्वा सोफिया से मिलने चला गया तो मैरी अपने डांस क्लास में चली गई.

डिसिल्वा सोफिया के यहां पहुंचा. चाय पीने के बाद आराम कुर्सी पर सोफिया को गोद में बिठा कर डिसिल्वा ने उसे अपनी योजना बताई. सोफिया ने उस के गालों पर एक चुंबन जड़ते हुए कहा, ‘‘डार्लिंग, आप का भी जवाब नहीं. बस आज भर की बात है, कल से हम एक साथ रहेंगे.’’

दूसरी ओर होटल डाआर में मैरी पैरी की बांहों में सिमटी मस्ती में झूम रही थी. वह अपने पीले रंग के बालों वाले सिर को म्यूजिक के साथ हिलाते हुए बेढंगे सुरों में पैरी के कानों में गुनगुना रही थी. पैरी ने उस की कमर को अपनी बांहों में कस कर कहा, ‘‘शरीफ बच्ची, इधरउधर के बजाए अपना ध्यान कदमों पर रखो. म्यूजिक की परवाह करने के बजाए बस अपने पैरों के स्टेप के बारे में सोचो.’’

‘‘मैं तुम्हारे साथ डांस कर रही होऊं तो तुम मुझ से इस तरह की उम्मीद कैसे कर सकते हो? फिर यह क्या मूर्खता है, तुम मुझे बच्ची क्यों कह रहे हो?’’

‘‘बच्ची नहीं तो और क्या हो तुम?’’ पैरी ने कहा, ‘‘एक छोटी सी शरीफ, चंचल लड़की, जो अपने अभ्यास पर ध्यान देने के बजाए कहीं और ही खोई रहती है. अच्छा आओ, अब बैठ कर यह बताओ कि रात की बात का तुम ने बुरा तो नहीं माना? रात को मैं ने तुम्हारे पैसे लेने से मना कर दिया था ना. इस की वजह यह थी कि मैं इस खयाल से भी नफरत करता हूं कि हमारी दोस्ती के बीच पैसा आए.’’

‘‘मैं ने बिलकुल बुरा नहीं माना. उसी कसर को पूरा करने के लिए मैं तुम्हारे लिए यह प्लैटिनम की घड़ी लाई हूं, साथ में चुंबनों की बौछार…’’ कह कर मैरी पैरी के चेहरे को अपने चेहरे से ढक कर चुंबनों की बौछार करने लगी.

डिसिल्वा ने मैरी को तोहफे में देने के लिए हीरे की एक खूबसूरत, मगर सेकेंड हैंड क्लिप खरीदी थी. उस के लिए इतने पैसे खर्च करना मुश्किल था, लेकिन उस ने हिम्मत कर ही डाली थी. क्योंकि बीवी के लिए उस का यह आखिरी तोहफा था. फिर मैरी की मौत के बाद यह तोहफा सोफिया को मिलने वाला था. जो आदमी अपनी बीवी की शादी की सालगिरह पर इतना कीमती तोहफा दे सकता है, उस  पर अपनी बीवी को कत्ल करने का शक भला कौन करेगा?

डिसिल्वा ने हीरे की क्लिप मैरी को दी तो वाकई वह बहुत खुश हुई. वह  नीचे पार्टी में जाने को तैयार थी. उस ने डिसिल्वा का हाथ पकड कर बालकनी की ओर ले जाते हुए कहा, ‘‘आओ डार्लिंग, तुम भी देखो वह गुलाब कितना खूबसूरत लग रहा है. ऐसा लग रहा है, कुदरत ने उसे इसीलिए खिलाया है कि मैं उसे अपने बालों में सजा कर सालगिरह की पार्टी में शिरकत करूं.’’

डिसिल्वा के दिल की धड़कन बढ़ गई. उसे लगा, कुदरत आज उस पर पूरी तरह मेहरबान है. मैरी खुद ही उसे बालकनी की ओर ले जा रही है. सब कुछ उस की योजना के मुताबिक हो रहा है. किसी की हत्या करना वाकई दुनिया का सब से आसान काम है.

डिसिल्वा मैरी के साथ बालकनी पर पहुंचा. उस ने झुक कर नीचे देखा. उसे झटका सा लगा. उस के मुंह से चीख निकली. वह हवा में गोते लगा रहा था. तभी एक भयानक चीख के साथ सब कुछ  खत्म. वह नीचे छोटीछोटी छतरियों के बीच गठरी सा पड़ा था. उस के आसपास भीड़ लग गई थी. लोग आपस में कह रहे थे, ‘‘ओह माई गौड, कितना भयानक हादसा है. पुलिस को सूचित करो, ऐंबुलेंस मंगाओ. लाश के ऊपर कोई कपड़ा डाल दो.’’

थोड़ी देर में पुलिस आ गई. दूसरी ओर फ्लैट के अंदर सोफे पर हैरान परेशान उलझे बालों और भींची मुट्ठियां लिए, तेजी से आंसू बहाते हुए मैरी आसपास जमा भीड़ को देख रही थी. लोगों ने उसे दिलासा देते हुए इस खौफनाक हादसे के बारे में पूछा तो मैरी ने रोते हुए कहा, ‘‘मेरे खयाल से वह गुलाब देखने के लिए बालकनी से झुके होंगे, तभी…’’ कह कर मैरी फफक फफक कर रोने लगी.

ठग तांत्रिक फंसा पुलिस के जाल में

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की आवास विकास कालोनी में रहने वाली पुष्पलता पांडेय ने अपने बेटे की शादी कई साल पहले की थी. लेकिन  किसी वजह से उन की बहू की गोद नहीं भर पा रही थी. उन्होंने कई डाक्टरों से बहू का इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बहू और बेटे के अलावा वह खुद भी इस बात को ले कर परेशान रहती थीं कि बहू मां कैसे बने.

एक दिन पुष्पलता ने अपने घर में आने वाले अखबार के बीच एक पैंफ्लेट रखा देखा, जो एक तांत्रिक का था. तांत्रिक का नाम था पंडित मोरेश्वर शास्त्री. उस के विज्ञापन में लिखा था कि बाबा 27 मई से 1 जून तक बस्ती जिले के बस स्टेशन के पास स्थित होटल शिवाय पैलेस में ठहरेंगे. उस पैंफ्लेट में बाबा ने तंत्रमंत्र के माध्यम से सभी तरह की समस्याओं के समाधान करने का दावा किया था.

पुष्पलता पांडेय एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं. हालांकि वह तंत्रमंत्र की बातों पर विश्वास नहीं करती थीं, लेकिन उस पैंफ्लेट को पढ़ कर उन्होंने भी तांत्रिक पंडित मोरेश्वर शास्त्री से यह सोच कर मिलने का फैसला कर लिया कि हो सकता है तंत्रमंत्र से ही कुछ हो जाए. दरअसल उन्होंने कुछ महिलाओं से सुना था कि फलां महिला तांत्रिक के पास जाने के बाद मां बन गई.

27 मई  को पुष्पलता शिवाय होटल में ठहरे तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के पास पहुंच गईं और उसे अपनी समस्या बता दी. तांत्रिक बहुत चालाक था. वह पुष्पलता के पहनावे और बातचीत से समझ गया कि महिला संपन्न परिवार की है. इसलिए वह पुष्पलता से बोला, ‘‘तुम्हारी समस्या बहुत गंभीर है. इस का समाधान तुम्हारे घर चल कर करना पड़ेगा.’’

‘‘बाबा, जल्दी कीजिए न समाधान, हम लोग बहुत परेशान रहते हैं. बताइए हमारे यहां आप कब दर्शन देंगे?’’ पुष्पलता ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘बच्चा, अब तुम परेशान मत हो. मैं जुम्मे के दिन यानी 31 मई को तुम्हारे यहां पहुंच जाऊंगा.’’ कहते हुए तांत्रिक ने उन्हें एक परचा देते हुए कहा, ‘‘इस में पूजा का कुछ सामान लिखा है, मंगा कर रख लेना.’’

‘‘ठीक है बाबा, मैं सारा सामान मंगा लूंगी.’’ कह कर पुष्पलता वहां से चली आईं. घर पहुंच कर उन्होंने अपने बेटे से पूजा का सारा सामान मंगा कर घर में रख लिया.

31 मई को तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री पुष्पलता के घर पहुंचा तो उन का घर और रहनसहन देख कर उस के मन में और ज्यादा लालच आ गया. उस ने कुछ देर तक उन के यहां पूजा वगैरह की. पूजा खत्म होने के बाद उस ने कहा, ‘‘बच्चा तुम्हारे घर में गृहदोष है. जब तक यह दोष दूर नहीं होगा, तुम्हारी समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा.’’

‘‘बाबा गृहदोष दूर करने का कोई तो उपाय होगा?’’

‘‘हां, उस का उपाय है. इस के लिए विशेष पूजा करनी पड़ेगी, जिस में 31 हजार रुपए का खर्च आएगा. इस के अलावा तुम्हें गृहदोष निवारण बगलामुखी यंत्र घर में रखना पड़ेगा, जो 11 हजार रुपए का है. इस से सारे रास्ते खुल जाएंगे और तुम्हारी बहू मां बन जाएगी.’’

पुष्पलता बहू के इलाज पर हजारों रुपए खर्च कर चुकी थीं. उन्होंने सोचा कि जब वह इतना खर्च कर चुकी हैं तो 42 हजार और खर्च कर के देख लें. इसलिए दादी बनने की लालसा में उन्होंने 42 हजार रुपए तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को दे दिए.

पैसे जेब में रखने के बाद तांत्रिक ने एक बार फिर उन के सभी कमरों में नजर डाली और आंखें मूंद कर बैठ गया. ऐसा लग रहा था जैसे वह ध्यानरत हो, 2-3 मिनट बाद उस ने आंखें खोल कर कहा, ‘‘बच्चा, तुम्हारे घर में काल सर्प योग भी है.’’

‘‘काल सर्प योग! यह क्या होता है बाबा?’’ पुष्पलता चौंक कर बोली.

‘‘बच्चा, जिस घर में यह योग होता है, वहां खुशी देने वाले काम होेतेहोते रुक जाते हैं. इसलिए इस का निदान भी जरूरी है.’’

‘‘अब इस का उपाय क्या है?’’

‘‘इस के लिए तुम्हें अपने घर में 2 तोले सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा कर रखनी होगी.’’

सोने की नागनागिन पुष्पलता के पास ही रहनी थी, इसलिए तांत्रिक के जाने के बाद वह गले की चेन और अंगूठी ले कर सुनार की दुकान पर पहुंच गईं. दोनों चीजों को गलवा कर उन्होंने 20 ग्राम सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा ली.

यह बात उन्होंने तांत्रिक को बताई. वह उस समय होटल में ही था. तांत्रिक ने उन्हें होटल में बुला लिया. पुष्पलता नागनागिन की जोड़ी ले कर होटल पहुंच गईं. तांत्रिक ने सोने की नागनागिन को तांबे के लोटे में रख कर लोटे को नीले रंग के कपड़े में बांध कर रख दिया और कहा, ‘‘मैं रात को पूजा और अनुष्ठान कर के नाग और नागिन को सिद्ध करूंगा. फिर सुबह आ कर तुम इन्हें ले जा कर पूजा वाली जगह पर रख देना. तुम्हारे सारे काम बनने शुरू हो जाएंगे और एक बात का ध्यान रखना कि इस बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है.’’

रात साढ़े 7 बजे पुष्पलता होटल से अपने घर चली आईं. घर पहुंचने पर रात 8 बजे उन्होंने तांत्रिक से फोन पर पूछा कि अनुष्ठान शुरू हुआ कि नहीं? इस पर बाबा ने कहा कि वह गोरखपुर स्थित मंदिर में दर्शन करने चला आया है. यहां से लौट कर अनुष्ठान करेगा.

पुष्पलता ने रात 10 बजे फिर फोन मिलाया तो बाबा का फोन स्विच आफ जाने लगा. कई बार मिलाने के बाद भी उस का फोन नहीं मिला तो उन्हें दाल में काला नजर आने लगा. अगले दिन यानी 2 जून की सुबह वह उसी होटल गईं, जहां तांत्रिक ठहरा हुआ था. जिस कमरा नंबर 103 में तांत्रिक ठहरा हुआ था. उस कमरे में तांत्रिक के बजाए किसी और आदमी को देख कर वह चौंकीं. उन्होंने उस आदमी से तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह तांत्रिक के बारे में नहीं जानता. वह कल रात ही इस कमरे में आया है.

पुष्पलता घबरा कर होटल के मैनेजर के पास पहुंची तो मैनेजर ने बताया कि तांत्रिक पहली जून की रात 8 बजे ही होटल छोड़ कर चला गया था. इतना सुनते ही पुष्पलता के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उन्हें यह समझते देर न लगी कि वह ठगी जा चुकी हैं.

पुष्पलता चुपचाप घर चली आईं और दिन भर इसी उधेड़बुन में रहीं कि यह बात पुलिस को बताएं या नहीं. क्योंकि ढोंग के चक्कर में ठगे जाने के कारण बेइज्जती होने का डर भी था. कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने पुलिस के पास जाने का फैसला कर लिया. जिस से उन की तरह दूसरा कोई तांत्रिक की ठगी का शिकार न हो सके.

पुष्पलता के पास तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बिना नामपते के उसे तलाशना आसान नहीं था. उन के दिमाग में विचार आया कि होटल में कमरा लेते समय तांत्रिक ने अपना आईडी प्रूफ जरूर जमा कराया होगा. इसलिए 3 जून को वह फिर से होटल शिवाय पैलेस पहुंचीं. उन्होंने इस बारे में मैनेजर से बात की तो पता चला कि तांत्रिक ने वहां अपने वोटर आईडी कार्ड की कौपी जमा कराई थी.

वोटर आईडी की फोटोकापी से उन्हें बाबा का पता मिल गया, जिस में उस का नाम पंडित मोहनगंगा राम मोरे उर्फ मोरेश्वर शास्त्री पुत्र गंगाराम, निवासी 350, तालुका सावरगढ़ जिला एवतमाल, महाराष्ट्र लिखा था. नाम पता ले कर वह जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आनंद राव कुलकर्णी के पास पहुंचीं.

उन्होंने अपने ठगे जाने की कहानी उन्हें बताई. उन के आदेश पर कोतवाली बस्ती में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के खिलाफ छल, कपट व धोखाधड़ी के आरोप में भादंवि की धारा 419, 420 के तहत मुकदमा दर्ज हो गया. इस की जांच एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय को सौंपी गई.

पुष्पलता पांडेय का बेटा जो कि इंजीनियर था, उस की मदद से पुलिस ने वोटर आईडी कार्ड में मिले नाम व पते को इंटरनेट के जरिए गूगल में डाल कर सर्च किया. ऐसा करने से ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों के नाम और उस के गांव सावरगढ़ का नक्शा मिल गया. इस के बाद ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों को फेसबुक पर चैक किया गया.

काफी लंबी छानबीन के बाद उस के परिवार की स्मिता मोहन नाम की लड़की की फेसबुक आईडी पता चली. फेसबुक पर स्मिता मोहन की प्रोफाइल से उस के कालेज का नाम और मोबाइल नंबर मिल गया.

इन सूचनाओं को इकट्ठा करने के बाद पुलिस फिर होटल शिवाय पैलेस गई, जहां पूछताछ में पता चला कि वह तांत्रिक नौकरी, संतान प्राप्ति आदि के नाम पर कइयों को चूना लगा चुका था. इतनी जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ठग तांत्रिक को पकड़ने उस के पते पर नहीं गई, बल्कि उस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

5 महीने बाद पुष्पलता को जब पता चला कि पुलिस सुस्त हो गई है तो वह फिर से पुलिस अधीक्षक से मिलीं और तांत्रिक को गिरफ्तार करने की मांग की. एसपी के आदेश पर एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय के नेतृत्व में एक पुलिस टीम महाराष्ट्र भेजी गई.

20 नवंबर को एसआई धीरेंद्र पांडेय स्थानीय पुलिस के साथ सावरगढ़ गांव में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार करने गए तो गांव वालों ने इस का विरोध किया. इस के बावजूद पुलिस तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार कर के एवतमाल कोतवाली ले आई.

अपने इलाके में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री की अच्छी छवि थी, इसलिए आसपास के गांवों के करीब 2 हजार लोग कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने कोतवाली पर प्रदर्शन करते हुए मोरेश्वर शास्त्री को छोड़ने की मांग की. लोगों की भीड़ को देखते हुए एसपी ने आसपास के थानों की पुलिस को कोतवाली एवतमाल भेज दिया. तब कहीं जा कर मामला कंट्रोल में आ सका.

एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय ने तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को स्थानीय न्यायालय में पेश कर के ट्रांजिट रिमांड पर उसे बस्ती ले आए. तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने बस्ती के सीजेएम की कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पुष्पलता पांडेय को इस बात का अफसोस है कि पढ़ीलिखी होने के बावजूद भी उन्होंने ढोंगी तांत्रिक की बातों पर विश्वास कर के अपना एक लाख रुपए का नुकसान किया. पता नहीं मोरेश्वर लोगों को बेवकूफ बना कर कितने पैसे ठग चुका होगा, अगर वह चुप बैठ जाती तो पता नहीं वह कितनों को और ठगता. लोगों को चाहिए कि वे ऐसे ठग तांत्रिकों के बहकावे में न आएं.

जाहिर है, झाड़फूंक और तंत्रमंत्र से बच्चे पैदा नहीं होते. अगर किसी की इस तरह की कोई समस्या है तो योग्य डाक्टर से इलाज कराए. इस के अलावा आईवीएफ टेस्ट ट्यूब जैसी प्रणाली भी निस्संतान दंपतियों के लिए वरदान साबित हो रही है. पुष्पलता पांडेय की बहू भी इन में से कोई लाभ ले सकती थी. झाड़फूंक, तंत्रमंत्र तो केवल एक छलावा है.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जी.बी. रोड कोठे में खून – भाग 3

आगरा से दबोच लिए हमलावर

आगरा गई टीम को बड़ी कामयाबी मिली. उन्होंने हैप्पी और उस के छोटे भाई काका को घर से दबोच लिया. उन्हें दिल्ली लाया गया. यहां उन्हें धारा 307/309/341 भादंवि और 25/27/54/59 आम्र्स एक्ट में गिरफ्तार कर लिया गया.

हैप्पी को अब समझ में आया, 50 हजार का ईनाम क्या था?

पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने और काका ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उन्होंने संगरूर (पंजाब) के अपने तीसरे साथी अनिल उर्फ हनी को भी गिरफ्तार करवा दिया. हनी छोटेमोटे अपराध करता था. दिखाने को वह मोटर मैकेनिक का काम करता था. उस के पिता बलविंदर कुमार को बेटे की करतूतें पता थीं. उस के पकड़े जाने पर वह गहरी सांस ले कर रह गए.

तीनों से पूछताछ करने पर वारदात के पीछे की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

हैप्पी को बचपन से ही अमीर बनने की लालसा थी. वह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सका था. कक्षा 9 तक वह गिरतेपड़ते पहुंच पाया था. संगत आवारा लडक़ों के साथ लगी तो स्कूल छूट गया. पिता गोपी उर्फ चूरामन राजमिस्त्री का काम करता था. हैप्पी को यह काम पसंद नहीं था, वह नमकीन की फैक्ट्री में काम करने लगा, लेकिन यहां इतने पैसे नहीं मिलते थे कि अमीर बनने का ख्वाब पूरा होता.

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लिहाजा हैप्पी ने अपने भाई काका और एक दोस्त जो उस के साथ ही पढ़ता था, गौरव को साथ ले कर एक टीम बनाई और लूटपाट शुरू कर दी. इस से मौजमस्ती का साधन तो जुटने लगा, लेकिन रुपया जमा करने लायक दांव कभी नहीं लगा. फिर पिता काम के सिलसिले में पंजाब के जिला संगरूर गए तो उसे और काका को भी साथ जाना पड़ा.

यहां पड़ोस में रहने वाला हनी उस से टकरा गया. अनिल उर्फ हनी भी छोटीमोटी लूटपाट करता था. हैप्पी ने उसी के साथ लूटपाट का काम शुरू कर दिया. काका को एक रिश्तेदार दिल्ली ले गया, जहां वह मिठाई की दुकान पर लग गया. यह दुकान मयूर विहार फेज-1 में थी.

हैप्पी और अनिल उर्फ हनी ने एक व्यक्ति को सरेराह लूट लिया था, उन्हें लोगों ने पकड़ कर ठोका फिर पुलिस के हवाले कर दिया. दोनों को जेल हो गई. दोनों ने एक साल साथसाथ जेल काटी तो उन की दोस्ती पक्की हो गई.

बिहार से खरीदी पिस्टल

जेल से छूटने के बाद हैप्पी को संगरूर छोडऩा पड़ा. उस का पिता गोपी उसे आगरा ले आया और यहां गुल्ला पियाऊ में किराए पर रहने लगा. कुछ दिन तक हैप्पी ने शांत रह कर नमकीन की एक फैक्ट्री में काम किया. इन्हीं दिनों एक दोस्त राडी के साथ उसे एक शादी में बिहार के नवगछिया में गोपालपुर जाना पड़ा. यहां हैप्पी को मालूम हुआ कि देशी पिस्टल आसानी से मिल जाती है, बस जेब गरम होनी चाहिए.

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हैप्पी पिस्टल खरीद लेना चाहता था ताकि कोई मोटा कांड कर के अमीर बन जाए. उस वक्त उस के पास रुपए नहीं थे, इसलिए वह आगरा लौट आया. वहां वह पैसा जोडऩे की जुगत में लग गया ताकि पिस्टल खरीद सके. तभी काका दिल्ली से घर आ गया. उस से हैप्पी को मालूम हुआ कि जिस मिठाई की दुकान पर काका काम करता है, उस के पास त्यौहार पर नोट बरसते हैं. हैप्पी की खोपड़ी में उसी मिठाई की दुकान को लूटने के लिए प्लान आने लगे.

8 मार्च, 2023 की होली थी. होली पर भी खूब मिठाइयां बिकती हैं. अभी होली को 8 दिन शेष थे. काका पैसा कमा कर लौटा था. कुछ रुपया हैप्पी के पास भी था. वह छोटे भाई काका को ले कर 5 मार्च, 2023 को बिहार के नवगछिया गया और सुजीत कुमार नाम के लडक़े से 31 हजार रुपए में देशी पिस्टल, 6 राउंड और 2 मैगजीन खरीद लीं. वहां से कटिहार एक्सप्रैस पकड़ कर 7 मार्च, 2023 को काका के साथ दिल्ली आ गया.

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दुकान लूटने से पहले पहुंचे जी.बी. रोड

दिल्ली लौटने से पहले उस ने नवगछिया से ही अपने संगरूर वाले दोस्त अनिल उर्फ हनी को भी दिल्ली आने के लिए फोन कर दिया था. सुबह वे नई दिल्ली स्टेशन पर उतरे थे. हनी भी 9 मार्च को दोपहर में एक बजे के आसपास पंजाब संगरूर से दिल्ली आ गया.

उन्हें 8 मार्च को मयूर विहार फेज-1 में मिठाई की दुकान लूटनी थी. काफी समय पड़ा था. तीनों ने उस दिन मौजमस्ती करने का मन बनाया.

तीनों पैदल ही टहलते हुए जी.बी. रोड आ गए. उन्हें कोठा नंबर 52 के नीचे दलाल इमरान चौधरी मिल गया. वे तीनों को खूबसूरत लडक़ी मौजमस्ती के लिए दिलवाने को कोठे के ऊपर ले आया. यहां तीनों को राधा पसंद आ गई.

राधा के साथ मौजमजे के लिए 1500 रुपए में बात तय हुई. तभी नीचे से 2 लोग ऊपर आ गए. वे इन तीनों को घेर कर तलाशी लेने लगे. हैप्पी ने पैंट में सामने पिस्टल छिपा रखी थी. कहीं पिस्टल इन लोगों के हाथ न लगे, यह सोच कर उस ने पिस्टल निकाल कर काका की तरफ बढ़ा दी.

पिस्टल पर राधा की नजर पड़ी तो वह डर गई. उस ने शोर मचाया, “ये बदमाश लोग हैं. पुलिस बुलाओ.”

“हां, पुलिस बुलाओ, इन के पास पिस्टल है.” इमरान भी चीखा.

पकड़े जाने के डर से हैप्पी ने काका की ओर देख कर कहा, “गोली चला, गोली चला काके.”

काके ने लोडिड पिस्टल से गोलियां चला दीं. एक गोली राधा के सीने में लगी, दूसरी इमरान के कंधे में घुस गई. दोनों नीचे गिर पड़े तो चीखें सुन वहां कुछ लोग दौड़ कर आते नजर आए.

“भागो…” हनी चीखा.

तीनो सीढिय़ों की तरफ भागे और पिस्टल लहराते हुए धमकी देते तीनों नीचे उतर कर अजमेरी गेट की तरफ भागते चले गए. मौके पर काका चीखा, “कोई पीछे आया तो भून दूंगा.”

तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया. हैप्पी को साथ ले कर वह बिहार में नवगछिया गए, जहां सुजीत कुमार 19 साल का लडक़ा मिला. उसी ने 31 हजार रुपए में हैप्पी को वह पिस्टल बेची थी.

सुजीत कुमार यादव ने पुलिस को बताया कि उसे वह पिस्टल एक पौलीथिन में रास्ते में पड़ी मिली थी, जिसे उस ने हैप्पी को बेच दी थी.

पुलिस टीम उसे भी पकड़ कर दिल्ली ले आई. काके से पिस्टल भी बरामद हो गई. पुलिस ने चारों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 3

सैफ ने 9 साल के मासूम अरहान के साथ कुकर्म किया था. चूंकि अरहान सैफ को अच्छी तरह पहचानता था, इसलिए उसे सैफ जिंदा नहीं छोड़ सकता था. उस के साथ कुकर्म करने के बाद उस ने स्प्रिंग वाली तार से अरहान का गला घोंट दिया था.

“अरहान की लाश कहां पर है?” जसवीर सिंह ने पूछा.

“मैं ने उस की लाश को नाले में फेंक दिया था.”

यह जानकारी मिलते ही कोतवाल अरहान के पिता अफजल और पुलिस दल को साथ ले कर सैफ की निशानदेही पर उस नाले के पास आ गए, जिस में वह अरहान की लाश फेंकने की बात कह रहा था.

झाडिय़ों में मिली अरहान की लाश

उस के बताए स्थान पर अरहान का शव तलाशा गया तो वह एक कंटीली झाडिय़ों में फंसा हुआ दिखाई दे गया. अब तक मेवाती मोहल्ला औरंगाबाद में 9 साल के मासूम बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या करने और शव को नाले में फेंकने की खबर फैल चुकी थी. पूरा मेवाती मोहल्ला ही नाले की ओर उमड़ आया. यह नाला मोहल्ले से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित था.

भारी भीड़ को देख कर कोतवाल जसवीर सिंह ने लापता बच्चे अरहान के साथ घटित शर्मसार कर देने वाली घटना की जानकारी एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय को दे दी. उन्होंने पुलिस कप्तान को यह भी बता दिया कि इस घटना को सुन कर मोहल्ले के लोगों की भीड़ नाले पर आ गई है. भीड़ आक्रोश में है. कोई अप्रिय घटना न घट जाए, इस के लिए पुलिस बल भेजने की उन्होंने बात की.

थोड़ी ही देर में एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय भारी पुलिस बल ले कर खुद घटनास्थल पर आ गए. भीड़ की ओर से अभी तक कोई अनुचित कदम नहीं उठाया गया था. हां, लोगों में अभियुक्त सैफ के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था. परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.

एसएसपी शैलेष कुमार के साथ आई पुलिस फोर्स ने भीड़ को नाले से दूर हटाना शुरू कर दिया. सैफ भारी पुलिस फोर्स के घेरे में था. बच्चे का शव निकाल लेने के बाद एसएसपी शव की बारीकी से जांच करने में जुटे थे. फोरैंसिक टीम भी वहां आ गई थी.

सैफ को उस जगह लाया गया, जहां उस ने बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या कर दी थी. फोरैंसिक टीम ने वहां से महत्त्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए. वह स्प्रिंग तार भी वहीं पड़ी मिल गई, जिस से सैफ ने बच्चे का गला घोंटा था. आवश्यक काररवाई निपटा लेने के बाद अरहान का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. सैफ को थाने लाने के बाद एसएसपी शैलेष कुमार के सामने उस से पूछताछ की गई.

पहचानने की वजह से किया अरहान का मर्डर

सैफ ने बताया कि उस की नीयत कई दिनों से अरहान पर थी. वह अरहान को अपने करीब लाने के लिए टौफी, बिसकुट और अन्य चीजें खिलाता रहता था. 9 वर्षीय अरहान नासमझ था, वह रोज अपने ताऊ की दुकान पर चला जाता था. सैफ उसी दुकान पर ही रहता था, वहीं वह अरहान को खिलातापिलाता था.

अरहान उस के ऊपर आंख बंद कर के विश्वास करने लगा तो सैफ ने 8 अप्रैल, 2023 को अपने मालिक से शाम को बहाना बना कर छुट्टी ली और अफजल के घर की तरफ चला गया. उसे मालूम था अरहान शाम को बच्चों के साथ घर के सामने खेलता है. अरहान उसे खेलता मिल गया. उस ने इशारे से अरहान को पास बुलाया और उसे ले कर नाले की तरफ जाने लगा.

अरहान ने उस तरफ जाने का कारण पूछा तो सैफ ने झूठ बता दिया कि उस ने खाने की बहुत सारी चीजें नाले की ओर छिपा कर रखी हैं, वहां हम पार्टी करेंगे. अरहान खुशीखुशी उस के साथ नाले के पास की झाडिय़ों में आ गया.  यहां सैफ ने उसे जबरन नीचे गिरा कर दबोच लिया और जबरन उस के साथ कुकर्म करने लगा. वह अरहान का मुंह बंद किए रहा, ताकि वह चीख न सके. अरहान दर्द से तड़प कर बेहोशी की हालत में आ गया.

कामपिपासा शांत होने के बाद सैफ डर गया कि यदि घर पहुंच कर अरहान ने अपनी अम्मी और अब्बू को यह सब बता दिया तो वे लोग उसे जिंदा दफन कर देंगे. भयभीत हो कर उस ने अरहान का गला साथ लाई स्प्रिंग तार से घोंट दिया, फिर शव को नाले में फेंक कर घर चला गया. उस ने एसएसपी के सामने भी अरहान के साथ कुकर्म करने और उस की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया.

मोहम्मद सैफ द्वारा जुर्म कुबूल करने के बाद कोतवाल ने उस के खिलाफ चार्जशीट बना कर उसे न्यायालय में पेश की. बाद में यह जघन्य हत्या का मामला पोक्सो कोर्ट में चला और मात्र 15 दिन में इसे निपटा कर माननीय जज राम किशोर यादव ने त्वरित न्याय करने की मिसाल कायम कर दी.

इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाली एडवोकेट अलका उपमन्यु की पूरे मथुरा शहर में चर्चा है. सभी उन की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. क्योंकि उन्हीं की वजह से मोहम्मद सैफ को फांसी की सजा मिली.

कोर्ट द्वारा मोहम्मद सैफ को सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने मुजरिम को कस्टडी में ले लिया. फिर उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा इस केस के वकीलों से की गई बातचीत पर आधारित

अनोखा बदला : निर्मला ने कैसे लिया बहन और प्रेमी से बदला

निर्मला से सट कर बैठा संतोष अपनी उंगली से उस की नंगी बांह पर रेखाएं खींचने लगा, तो वह कसमसा उठी. जिंदगी में पहली बार उस ने किसी मर्द की इतनी प्यार भरी छुअन महसूस की थी.

निर्मला की इच्छा हुई कि संतोष उसे अपनी बांहों में भर कर इतनी जोर से भींचे कि…

निर्मला के मन की बात समझ कर संतोष की आंखों में चमक आ गई. उस के हाथ निर्मला की नंगी बांहों पर फिसलते हुए गले तक पहुंच गए, फिर ब्लाउज से झांकती गोलाइयों तक.

तभी बाहर से आवाज सुनाई पड़ी, ‘‘दीदी, चाय बन गई है…’’

संतोष हड़बड़ा कर निर्मला से अलग हो गया, जिस का चेहरा एकदम तमतमा उठा था, लेकिन मजबूरी में वह होंठ काट कर रह गई.

नीचे वाले कमरे में छोटी बहन उषा ने नाश्ता लगा रखा था. चायनाश्ता करने के बाद संतोष ने उठते हुए कहा, ‘‘अब चलूं… इजाजत है? कल आऊंगा, तब खाना खाऊंगा… कोई बढि़या सी चीज बनाना. आज बहुत जरूरी काम है, इसलिए जाना पड़ेगा…’’

‘‘अच्छा, 5 मिनट तो रुको…’’ उषा ने बरतन समेटते हुए कहा, ‘‘मुझे अपनी एक सहेली से नोट्स लेने हैं. रास्ते में छोड़ देना. मैं बस 5 मिनट में तैयार हो कर आती हूं.’’

उषा थोड़ी देर में कपड़े बदल कर आ गई. संतोष उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा कर चला गया.

उधर निर्मला कमरे में बिस्तर पर गिर पड़ी और प्यास अधूरी रह जाने से तड़पने लगी. निर्मला की आंखों के आगे एक बार फिर संतोष का चेहरा तैर उठा. उस ने झपट कर दरवाजा बंद कर दिया और बिस्तर पर गिर कर मछली की तरह छटपटाने लगी.

निर्मला को पहली बार अपनी बहन उषा और मां पर गुस्सा आया. मां चायनाश्ता बनाने में थोड़ी देर और लगा देतीं, तो उन का क्या बिगड़ जाता. उषा कुछ देर उसे और न बुलाती, तो निर्मला को वह सबकुछ जरूर मिल जाता, जिस के लिए वह कब से तरस रही थी.

जब पिता की मौत हुई थी, तब निर्मला 22 साल की थी. उस से बड़ी कोई और औलाद न होने के चलते बीमार मां और छोटी बहन उषा को पालने की जिम्मेदारी बिना कहे ही उस के कंधे पर आ पड़ी थी.

निर्मला को एक प्राइवेट फर्म में अच्छी सी नौकरी भी मिल गई थी. उस समय उषा 10वीं जमात के इम्तिहान दे चुकी थी, लेकिन उस ने धीरेधीरे आगे पढ़ कर बीए में दाखिला लेते समय निर्मला से कहा था, ‘‘दीदी, मां की दवा में बड़ा पैसा खर्च हो रहा है. तुम अकेले कितना बोझ उठाओगी…

‘‘मैं सोच रही हूं कि 2-4 ट्यूशन कर लूं, तो 2-3 हजार रुपए बड़े आराम से निकल जाएंगे, जिस से मेरी पढ़ाई के खर्च में मदद हो जाएगी.’’

‘‘तुझे पढ़ाई के खर्च की चिंता क्यों हो रही है? मैं कमा रही हूं न… बस, तू पढ़ती जा,’’ निर्मला बोली थी.

अब निर्मला 30 साल की होने वाली है. 1-2 साल में उषा भी पढ़लिख कर ससुराल चली जाएगी, तो अकेलापन पहाड़ बन जाएगा.

लेकिन एक दिन अचानक मौका हाथ आ लगा था, तो निर्मला की सोई इच्छाएं अंगड़ाई ले कर जाग उठी थीं.

उस दिन दफ्तर में काम निबटाने के बाद सब चले गए थे. निर्मला देर तक बैठी कागजों को चैक करती रही थी. संतोष उस की मदद कर रहा था. आखिरकार रात के 10 बजे फाइल समेट कर वह उठी, तो संतोष ने हंस कर कहा था, ‘‘इस समय तो आटोरिकशा या टैक्सी भी नहीं मिलेगी, इसलिए मैं आप को मोटरसाइकिल से घर तक छोड़ देता हूं.’’

निर्मला ने कहा था, ‘‘ओह… एडवांस में शुक्रिया?’’

निर्मला को उस के घर के सामने उतार कर संतोष फिर मोटरसाइकिल स्टार्ट करने लगा, तो उस ने हाथ बढ़ा कर हैंडल थाम लिया और कहने लगी, ‘‘ऐसे कैसे जाएंगे… घर तक आए हैं, तो कम से कम एक कप चाय…’’

‘‘हां, चाय चलेगी, वरना घर जा कर भूखे पेट ही सोना पड़ेगा. रात भी काफी हो गई है. मैं जिस होटल में खाना खाता हूं, अब तो वह भी बंद हो चुका होगा.’’

‘‘आप होटल में खाते हैं?’’

‘‘और कहां खाऊंगा?’’

‘‘क्यों? आप के घर वाले?’’

‘‘मेरा कोई नहीं है. मैं मांबाप की एकलौती औलाद था. वे दोनों भी बहुत कम उम्र में ही मेरा साथ छोड़ गए, तब से मैं अकेला जिंदगी काट रहा हूं.’’

संतोष ने बहुत मना किया, लेकिन निर्मला नहीं मानी थी. उस ने जबरदस्ती संतोष को घर पर ही खाना खिलाया था.

अगले दिन शाम के 5 बजे निर्मला को देख कर मोटरसाइकिल का इंजन स्टार्ट करते हुए संतोष ने कहा था, ‘‘आइए… बैठिए.’’

निर्मला ने बिना कुछ बोले ही पीछे की सीट पर बैठ कर उस के कंधे पर हाथ रख दिया था. घर पहुंच कर उस ने फिर चाय पीने की गुजारिश की, तो संतोष ने 1-2 बार मना किया, लेकिन निर्मला उसे घर के अंदर खींच कर ले गई थी.

इस के बाद रोज का यही सिलसिला हो गया. संतोष को निर्मला के घर आने या रुकने के लिए कहने की जरूरत नहीं पड़ती थी, खासतौर से छुट्टी वाले दिन तो वह निर्मला के घर पड़ा रहता था. सब ने उसे भी जैसे परिवार का एक सदस्य मान लिया था.

एक दिन अचानक निर्मला का सपना टूट गया. उस दिन उषा अपनी सहेली के यहां गई थी. दूसरे दिन उस का इम्तिहान था, इसलिए वह घर पर बोल गई थी कि रातभर सहेली के साथ ही पढ़ेगी, फिर सवेरे उधर से ही इम्तिहान देने यूनिवर्सिटी चली जाएगी.

उस दिन भी संतोष निर्मला के साथ ही उस के घर आया था और खाना खा कर रात के तकरीबन 10 बजे वापस चला गया था.

उस के जाने के बाद निर्मला बाहर वाला दरवाजा बंद कर के अपने कमरे में लौट रही थी, तभी मां ने टोक दिया, ‘‘बेटी, तुझ से कुछ जरूरी बात करनी है.’’

निर्मला का मन धड़क उठा. मां के पास बैठ कर आंखें चुराते हुए उस ने पूछा, ‘‘क्या बात है मां?’’

‘‘बेटी, संतोष कैसा लड़का है. वह तेरे ही दफ्तर में काम करता है… तू तो उसे अच्छी तरह जानती होगी.’’

निर्मला एकाएक कोई जवाब नहीं दे सकी.

मां ने कांपते हाथों से निर्मला का सिर सहलाते हुए कहा, ‘‘मैं तेरे मन का दुख समझती हूं बेटी, लेकिन इज्जत से बढ़ कर कुछ नहीं होता, अब पानी सिर से ऊपर जा रहा है, इसलिए…’’

निर्मला एकदम तिलमिला उठी. वह घबरा कर बोली, ‘‘ऐसा क्यों कहती हो मां? क्या तुम ने कभी कुछ देखा है?’’

‘‘हां बेटी, देखा है, तभी तो कह रही हूं. कल जब तू बाजार गई थी, तब दो घड़ी के लिए संतोष आया था. वह उषा के साथ कमरे में था.

‘‘मैं भी उन के साथ बातचीत करने के लिए वहां पहुंची, लेकिन दरवाजे पर पहुंचते ही मैं ने उन दोनों को जिस हालत में देखा…’’

निर्मला चिल्ला पड़ी, ‘‘मां…’’ और वह उठ कर अपने कमरे की ओर भाग गई.

निर्मला के कानों में मां की बातें गूंज रही थीं. उसे विश्वास नहीं हुआ. मां को जरूर धोखा हो गया है. ऐसा कभी नहीं हो सकता. लेकिन यही हो रहा था. अगले दिन निर्मला दफ्तर गई जरूर, लेकिन उस का किसी काम में मन नहीं लगा.

थोड़ी देर बाद ही वह सीट से उठी. उसे जाते देख संतोष ने पूछा, ‘‘क्या हुआ? तबीयत ठीक नहीं है क्या?’’

निर्मला ने भर्राई आवाज में कहा, ‘‘मेरी एक खास सहेली बीमार है. मैं उसे ही देखने जा रही हूं.’’

‘‘कितनी देर में लौटोगी?’’

‘‘मैं उधर से ही घर चली जाऊंगी.’’

बहाना बना कर निर्मला जल्दी से बाहर निकल आई. आटोरिकशा कर के वह सीधे घर पहुंची. मां दवा खा कर सो रही थीं. उषा शायद अपने कमरे में पढ़ाई कर रही थी. बाहर का दरवाजा अंदर से बंद नहीं था. इस लापरवाही पर उसे गुस्सा तो आया, लेकिन बिना कुछ बोले चुपचाप दरवाजा बंद कर के वह ऊपर अपने कमरे में चली गई.

इस के आधे घंटे बाद ही बाहर मोटरसाइकिल के रुकने की आवाज सुनाई पड़ी. निर्मला को समझते देर नहीं लगी कि जरूर संतोष आया होगा.निर्मला कब तक अपने को रोकती. आखिर नहीं रहा गया, तो वह दबे पैर सीढि़यां उतर कर नीचे पहुंची. मां सो रही थीं.

वह बिना आहट किए उषा के कमरे के सामने जा कर खड़ी हो गई और दरवाजे की एक दरार से आंख सटा कर झांकने लगी. भीतर संतोष और उषा दोनों एकदूसरे में डूबे हुए थे.

उषा ने इठलाते हुए कहा, ‘‘छोड़ो मुझे… कभी तो इतना प्यार दिखाते हो और कभी ऐसे बन जाते हो, जैसे मुझे पहचानते नहीं.’’

संतोष ने उषा को प्यार जताते हुए कहा, ‘‘वह तो तुम्हारी दीदी के सामने मुझे दिखावा करना पड़ता है.’’

उषा ने हंस कर कहा, ‘‘बेचारी दीदी, कितनी सीधी हैं… सोचती होंगी कि तुम उन के पीछे दीवाने हो.’’

संतोष उषा को प्यार करता हुआ बोला, ‘‘दीवाना तो हूं, लेकिन उन का नहीं तुम्हारा…’’

कुछ पल के बाद वे दोनों वासना के सागर में डूबनेउतराने लगे. निर्मला होंठों पर दांत गड़ाए अंदर का नजारा देखती रही… फिर एकाएक उस की आंखों में बदले की भावना कौंध उठी. उस ने दरवाजा थपथपाते हुए पूछा, ‘‘संतोष आए हैं क्या? चाय बनाने जा रही हूं…’’

संतोष उठने को हुआ, तो उषा ने उसे भींच लिया, ‘‘रुको संतोष… तुम्हें मेरी कसम…’’

‘‘पागल हो गई हो. दरवाजे पर तुम्हारी दीदी खड़ी हैं…’’ और संतोष जबरदस्ती उठ कर कपड़े पहनने लगा.

उस समय उषा की आंखों में प्यार का एहसास देख कर एक पल के लिए निर्मला को अपना सारा दुख याद आया. मां के कमरे के सामने नींद की गोलियां रखी थीं. उन्हें समेट कर निर्मला रसोईघर में चली गई. चाय छानने के बाद वह एक कप में ढेर सारी नींद की गोलियां डाल कर चम्मच से हिलाती रही, फिर ट्रे में उठाए हुए बाहर निकल आई.

संतोष ने चाय पी कर उठते हुए आंखें चुरा कर कहा, ‘‘मुझे बहुत तेज नींद आ रही है. अब चलता हूं, फिर मुलाकात होगी.’’इतना कह कर संतोष बाहर निकला और मोटरसाइकिल स्टार्ट कर के घर के लिए चला गया.

दूसरे दिन अखबारों में एक खबर छपी थी, ‘कल मोटरसाइकिल पेड़ से टकरा जाने से एक नौजवान की दर्दनाक मौत हो गई. उस की जेब में मिले पहचानपत्रों से पता चला कि संतोष नाम का वह नौजवान एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था’.

जी.बी. रोड कोठे में खून – भाग 2

कागजी काररवाई पूरी कर के खान ने राधा के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की इजाजत दे दी. खान वहां नहीं रुके. वह थाने में लौट आए. उन्होंने अपनी रिपोर्ट एसएचओ सत्येंद्र दलाल को दे दी. राधा की मौत की खबर डीसीपी संजय कुमार सैन को दे दी गई. उन्होंने राधा की हत्या को बड़ी गंभीरता से लिया.

पुलिस टीमों का किया गठन

अज्ञात हत्यारों की तलाश करने के लिए सत्येंद्र दलाल की अगुवाई में एसआई गिरिराज, नूर हसन खान, एएसआई महेश सिंह, आदेश धामा, हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र की एक टीम गठित की. साथ ही स्पैशल स्टाफ के अलावा क्राइम ब्रांच की औपरेशन विंग को भी उन अज्ञात हत्यारों की तलाश में लगा दिया.

तीनों टीमों ने संयुक्त काररवाई करने के लिए सब से पहले अपनी कार्यप्रणाली पर गहनता से विचार किया. सब से पहले अस्पताल में दाखिल इमरान चौधरी को बयान देने की स्थिति में आने पर उस का बयान लिया गया. इमरान चौधरी से पूछताछ भी की गई.

उस से मालूम हुआ कि तीनों युवकों की उम्र ज्यादा नहीं थी. उन में एक की भाषा में पंजाबी पुट था. शायद वह पंजाब से था. शेष दोनों यूपी की भाषा बोल रहे थे. एक का नाम काका था, पिस्टल से उसी ने राधा और उस पर (इमरान) गोलियां चलाई थीं.

गोली चलाने की वजह इमरान ने रुपयों के लेनदेन में गड़बड़ी करने पर तूतूमैंमैं होना बताया. उन की तलाशी लेने के लिए राधा ने उस से कहा तो एक लडक़े ने अपनी पैंट में सामने खोंस कर रखी पिस्टल निकाल कर काका को रखने को दी थी.

राधा ने यह देख कर पुलिस बुलाने के लिए शोर मचाया. कोठे के 2-3 लोग भी शोर सुन कर वहां आ गए. तब पिस्टल देने वाला चिल्ला कर बोला, “काके, गोली चला.” उस के यह कहते ही काका ने फायरिंग कर दी, जिस से मैं और राधा घायल हो गए. मैंने उन तीनों को सीढिय़ों से भागते देखा, मैं घायल हो गया था, गिर पड़ा. फिर पुलिस की वैन मुझे और राधा को यहां हौस्पीटल में ले आई.

इमरान ने उन लडक़ों का हुलिया भी बताया. उसी आधार पर पुलिस टीमों ने कोठा नंबर 52 के नीचे सडक़ पर सीसीटीवी ढूंढ कर उन्हें चैक किया. 2 से 3 बजे दोपहर तक की फुटेज देखी गई. उस में बहुत से चेहरे थे. शंकर और भूरे ने उन लडक़ों को पास से देखा था. उन्हें वह फुटेज दिखाई गई तो उन्होंने 3 लडक़ों को पहचान कर बता दिया कि ये वही 3 लडक़े हैं.

डंप डाटा से मिला सुराग

सीसीटीवी में उन के चेहरे स्पष्ट नहीं थे. उन को अजमेरी गेट की तरफ भाग कर जाने की बात बताई गई थी. अजमेरी गेट पर भी सीसीटीवी लगे थे. वहां की फुटेज देखी गई तो वे तीनों यहां भी अस्पष्ट नजर आए.

स्पैशल टीम और औपरेशन विंग ने यहां आधुनिक तकनीक का सहारा लिया. कोठा नंबर 52 और अजमेरी गेट के एरिया का मोबाइल डंप डाटा उठाया गया. कोठा नंबर 52 में घटी घटना के बाद वहां करीब 20 हजार फोन ऐक्टिव थे. अजमेरी गेट पर 15 हजार फोन की ऐक्टिव पोजिशन मिली.

DCP sanjay sain

इन की बड़ी बारीकी से जांच की गई तो कुछ नंबर दोनों जगह पाए गए. इसी तकनीक को आजमाते हुए परेड ग्राउंड होते हुए कश्मीरी गेट बस अड्डा पहुंच गई. हर जगह के सीसीटीवी की फुटेज खंगाली गई और डंप डाटा उठाया गया. इस जांच में पता चला कि तीनों लडक़े कश्मीरी गेट बस अड्डा आए थे, यहां से वे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे.

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर भी उन लडक़ों की सीसीटीवी में फुटेज मिल गई. यहां का भी डंप डाटा उठाया गया. पुलिस का अनुमान था कि वे ट्रेन पकड़ कर दिल्ली से बाहर चले गए हैं.

अब पुलिस के पास डंप डाटा ही उन लडक़ों तक पहुंचने का जरिया था. पुलिस की टीमें मोबाइल डंप डाटा की जांच में जुट गईं. पुलिस टीम को डंप डाटा में एक नंबर ऐसा मिला, जो हर जगह मौजूद था.

उस नंबर को मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी में दे कर यह मालूम किया गया कि यह नंबर किस का है और कहां इस्तेमाल किया जा रहा है. मोबाइल कंपनी ने बताया कि यह नंबर दिल्ली का नहीं, राजस्थान का है. वहीं जा कर इस को इस्तेमाल करने वाले का नाम पता मिल सकता है.

पुलिस के लिए यह एक नई सिरदर्दी थी, लेकिन इस का सोल्यूशन भी निकल गया. कमला मार्किट थाने के तेजतर्रार एसआई गिरिराज ने मुसकरा कर कहा, “सर, यह फोन कौन यूज कर रहा है, इस का पता मीनू मैडम निकाल सकती हैं.”

एएसआई मीनू बाला वहीं मौजूद थी. वह चौंक कर बोली, “मैं कैसे पता निकाल सकती हूं?”

“आप को बकरे के सामने चारा डालना है मैडम,” एसआई गिरीराज ने कहा. फिर गिरिराज ने एएसआई मीनू बाला को समझा दिया कि उन्हें क्या करना है.

एएसआई मीनू ने चलाया तीर

एएसआई मीनू बाला ने अपने मोबाइल डंप डाटा द्वारा हासिल किया गया नंबर मिलाया. दूसरी ओर घंटी बजी, फिर किसी ने फोन उठा लिया. मीनू बाला ने स्पीकर औन कर लिया. दूसरी ओर कुछ देर खामोशी रही फिर एक मरदाना आवाज उभरी,

“हैलो! आप को किस से बात करनी है?”

मीनू ने आवाज को सुरीला बना कर कहा, “आप बहुत भाग्यशाली हैं. आप का नंबर हमारी मोबाइल कंपनी ने लक्की ड्रा में डाला था. आप का दूसरा ईनाम निकला है. आप को 50 हजार रुपए मिलेंगे.”

“50 हजार का ईनाम.” दूसरी तरफ से खुशी से कोई बोला, “मेरी तो किस्मत खुल गई.”

“आप अपना नाम, पता बताइए ताकि 50 हजार का ईनाम आप को भेजा जा सके और हां अपनी फोटो भी भेज दीजिए.”

“ठीक है मैम. आप मेरा एड्रैस नोट करिए.”

“एक मिनट, मैं कागज पैन ले लूं.” मीनू बाला ने पास में खड़े हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र को इशारा किया. धर्मेंद्र ने तुरंत पैन कागज मीनू बाला को दे दिया.

“बताइए,” मीनू ने कहा.

“मेरा नाम हैप्पी है, पिता का नाम गोपी उर्फ चूरामन है. मेरा मूल पता डूंगर वाला, पोस्ट थाना- शाइपू, जिला धौलपुर (राजस्थान) है. फिलहाल मैं पिता और भाई के साथ मुल्ला पियाऊ, महारानी अहिल्या बाई स्कूल आगरा में रह रहा हूं.”

“अपना फोटो मुझे वाट्सऐप पर भेज दीजिए. मेरा नंबर आप के पास आया होगा.”

“जी हां मैडम. मैं अपना फोटो भेज रहा हूं.” दूसरी तरफ से कहने के बाद बात खत्म हो गई.

थोड़ी ही देर में हैप्पी ने अपना फोटो मीनू बाला के वाट्सऐप पर भेज दिया. देखते ही मीनू बाला की आंखों में चमक आ गई.

उस ने अपनी खुशी छिपा कर कहा, “मिस्टर हैप्पी, आप को आज ही 50 हजार रुपए एमओ द्वारा भेज दिए जाएंगे.” कहने के बाद मीनू बाला ने फोन काट दिया.

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वहां एसएचओ सत्येंद्र दलाल, एसआई नूर हसन खान, गिरिराज और हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र के अलावा औपरेशन विंग और स्पैशल स्टाफ के लोग मौजूद थे. सभी ने हैप्पी की फोटो देखी. हैप्पी वही लडक़ा था, जो अपने साथियों के साथ कोठा नंबर 52 से वारदात को अंजाम दे कर भागा था.

तुरंत उसे गिरफ्तार करने के लिए एसआई गिरिराज, नूर हसन खान, एएसआई महेश सिंह और औपरेशन विंग के 3 हट्टेकट्टे पुलिस वालों की टीम आगरा के लिए भेज दी गई.