Firozabad Crime : सिपाही पति ने पत्नी को पीटा फिर सीने में दागी चार गोलियां

Firozabad Crime : हत्या बड़ा अपराध है, इस के बावजूद ऐसे अपराध होते रहते हैं, लेकिन अगर कोई कानून का रक्षक हत्या जैसा अपराध करे तो बात गंभीर हो जाती है. यतेंद्र यादव ने पिस्तौल उठाई तो पत्नी को ही ठिकाने लगा दिया, आखिर क्यों…

सिपाही यतेंद्र कुमार यादव ने 26 अप्रैल, 2020 को रात 9 बजे अपने चचेरे साले सुरजीत के मोबाइल पर फोन किया. फोन सुरजीत के छोटे भाई योगेंद्र ने उठाया. यतेंद्र ने कहा, ‘‘सुनो, जैसे ही गेट में घुसोगे, घुसते ही नेमप्लेट लगी है. उस के ऊपर ग्रिल है, चाबी वहीं रखी है और अंदर पिंकी (पत्नी) आंगन में है. आप उन लोगों (ससुरालीजनों) को बता देना. मतलब हम ने पिंकी को गोली मार दी है. साफसीधी बात है.’’

योगेंद्र ने पूछा, ‘‘कब?’’

यतेंद्र ने बताया, ‘‘आज रात में.’’

‘‘बच्चियां कहां हैं?’’

इस पर यतेंद्र ने कहा, ‘‘बच्चियां भी गायब हैं. आप उन को (ससुरालीजनों को) बता देना, बहुत सोचसमझ कर ही कोई कदम उठाएं. हमें जो करना था कर दिया. आप समझदार हो, जो भी गलती हुई माफ करना. अभी चाहो अभी काल कर लो. रात की बात है. जो भी काररवाई करवानी है करवाओ.’’

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जनपद के शिकोहाबाद थानांतर्गत हाइवे स्थित आवास विकास कालोनी 3/39 के सेक्टर-3 में 32 वर्षीय सरोज देवी उर्फ पिंकी अपनी 3 बेटियों 10 साल की आकांक्षा, 8 साल की आरती व सब से छोटी 4 साल की अन्या के साथ अपने निजी मकान में रहती थीं. सरोज का पति यतेंद्र कुमार यादव आगरा के थाना सैंया में डायल 112 पर सिपाही पद पर तैनात था. बीचबीच में यतेंद्र घर पर अपनी पत्नी व बेटियों के पास आताजाता रहता था. कहते हैं कभीकभी खून सिर चढ़ कर बोलता है. यही बात यतेंद्र के साथ भी हुई.

उस ने अपनी पत्नी की हत्या करने के बाद अपने चचेरे साले को फोन कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी और अपने ससुरालीजनों को सूचना देने व आगे की काररवाई करने को कहा. इस के साथ ही उस ने उन्हें धमकी भी दी कि वे जो भी काररवाई करें, खूब सोचसमझ कर करें. योगेंद्र ने पूरी बात रिकौर्ड कर ली थी. उसे जैसे ही बहनोई यतेंद्र से अपनी चचेरी बहन पिंकी की हत्या की जानकारी मिली उस के हाथपैर फूल गए. उस समय लौकडाउन चल रहा था. उसे इस बात की जानकारी थी कि पिंकी और यतेंद्र के बीच विवाद चल रहा है. लेकिन हालात हत्या तक पहुंच जाएगा, इस की उस ने कल्पना भी नहीं की थी.

योगेंद्र ने रात में ही पिंकी के मायके में फोन कर अपने चचेरे भाई हरिओम को घटना की जानकारी दी. हरिओम ने जैसे ही बहन पिंकी की हत्या की खबर बताई, घर में कोहराम मच गया. रोनापीटना शुरू हो गया. इस से पहले 26 अप्रैल की सुबह 9 बजे हरिओम के पास आवास विकास कालोनी में रहने वाले एक परिचित का फोन आया था. उस ने बताया कि वह उस की बहन सरोज उर्फ पिंकी के घर गया था. मकान का गेट अंदर से बंद था. कई आवाजें देने पर भी गेट नहीं खुला. इस पर हरिओम ने अपने बहनोई यतेंद्र व बहन सरोज उर्फ पिंकी के मोबाइलों पर फोन किया, लेकिन किसी ने भी फोन नहीं उठाया. हरिओम ने अनुमान लगाया कि वे लोग कहीं गए होंगे, मोबाइल घर पर भूल गए होंगे.

रात को हरिओम के पास योगेंद्र का फोन आने पर बहनोई यतेंद्र द्वारा बहन सरोज उर्फ पिंकी की हत्या किए जाने की जानकारी हुई. हरिओम ने थाना शिकोहाबाद पुलिस को घटना की जानकारी दे दी. इस पर थाना पुलिस रात में ही आवास विकास कालोनी स्थित उस मकान पर पहुंची, लेकिन मकान का दरवाजा बंद देख कर लौट गई. पुलिस ने हरिओम से थाने आने को कहा. इन सब बातों के चलते काफी रात हो गई. इस के साथ ही लौकडाउन के चलते और गांव में एक गमी होने के कारण हरिओम व उस के घरवाले शिकोहाबाद नहीं आ पाए थे.

पुलिस ले कर पहुंचे मायके वाले दूसरे दिन 27 अप्रैल को सुबह होते ही हरिओम यादव अपने पिता रामप्रकाश व अन्य रिश्तेदारों के साथ शिकोहाबाद की आवास विकास कालोनी पहुंच गए और पुलिस को सूचना दी. घर वालों के आने की सूचना पर थानाप्रभारी अनिल कुमार पुलिस टीम के साथ आवास विकास कालोनी पहुंच गए. हरिओम ने पुलिस को बताया कि बहनोई यतेंद्र ने फोन पर ताऊ के लड़के योगेंद्र को मकान की चाबी ग्रिल के ऊपर रखी होने की जानकारी दी थी. इस पर चाबी को तलाशा गया. बताई गई जगह पर चाबी मिल गई. मकान का ताला खोल कर पुलिस अंदर गई.

आंगन में सरोज की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. तीनों बच्चियां भी गायब थीं. थानाप्रभारी अनिल कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना पर सीओ इंदुप्रभा सिंह व एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार फोरैंसिक टीम को ले कर मौकाएवारदात पर पहुंच गए. हत्या की जानकारी होते ही कालोनी के लोग भी एकत्र हो गए. सिपाही द्वारा पत्नी की हत्या किए जाने की खबर से सनसनी फैल गई. पुलिस अधिकारियों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका के शरीर पर चोटों के साथ ही गोलियों के 4 निशान भी मिले. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर पूरे घर से साक्ष्य जुटाए. लाश के पास की दीवारों पर खून के छींटे मिलने के साथ ही टूटी हुई चूडियां भी मिलीं. इस से अनुमान लगाया कि मृतका ने अंतिम सांस तक पति के साथ संघर्ष किया था.

हरिओम ने हत्यारोपी सिपाही यतेंद्र द्वारा किए गए फोन की रिकौर्डिंग भी पुलिस अधिकारियों को सुनवाई. मकान से पुलिस को 2 मोबाइल फोन मिले. यह मृतका के बताए जा रहे थे. पुलिस ने फोनों के लौक खुलवा कर जांच कराने की बात कही. तीनों बेटियों के स्कूल आईडी कार्ड घर के बाहर पड़े मिले. 4 साल पहले यतेंद्र ने अपने परिचित के जरिए शिकोहाबाद की आवास विकास कालोनी में प्लौट खरीदा और रजिस्ट्री पत्नी सरोज के नाम कराई थी. इस के बाद मकान बनवाया था.

आवास विकास कालोनी का इलाका आबादी से दूर होने से सिपाही यतेंद्र ने सुरक्षा की दृष्टि से 5 सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे. शातिर सिपाही ने पत्नी की हत्या के बाद सारे सुबूत मिटाने की कोशिश की थी. वह घर के अंदर और बाहर लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की रिकौर्डिंग डिलीट करने के बाद तीनों बेटियों को ले कर इस तरह घर निकला कि किसी को कानोंकान भनक तक नहीं लगी. पूछताछ में मृतका के भाई हरिओम यादव व पिता रामप्रकाश ने बताया कि यतेंद्र के मथुरा की एक युवती से अवैध संबंध थे. इस के चलते पतिपत्नी में विवाद होता रहता था. यतेंद्र मकान बेचने का दबाव बनाने के साथ ही दहेज की मांग को ले कर बहन पिंकी का उत्पीड़न करता था.

सरोज की शिकायत पर घर वालों ने यतेंद्र को कई बार समझाया, लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा. यतेंद्र आए दिन पिंकी के साथ मारपीट करता था और इसी के चलते यतेंद्र ने उस की हत्या कर दी. घटना के बाद से तीनों बच्चियां भी गायब थीं. घर वालों को आशंका थी कि आरोपी ने बच्चियों के साथ कोई अनहोनी न कर दी हो. पड़ोसियों ने बताया कि रात में उन्हें गोली चलने की आवाज सुनाई नहीं दी. मृतका के भाई हरिओम यादव की तहरीर पर पुलिस ने सिपाही यतेंद्र कुमार यादव, उस के पिता रामदत्त व यतेंद्र के बहनोई हरेंद्र के खिलाफ सरोज की गोली मार कर हत्या करने का केस दर्ज कर लिया. पुलिस का अनुमान था कि कालोनी हाइवे के किनारे स्थित है, मकान दूरी पर बने हैं. रात का समय होने पर संभव है कि पड़ोसियों को गोली की आवाज सुनाई न दी हो. एक पड़ोसी ने इतना जरूर बताया कि शनिवार की शाम सरोज को घर के दरवाजे पर बैठा देखा था.

एसपी (ग्रामीण) ने बताया कि या तो कैमरे बंद किए गए थे या फिर रिकौर्डिंग डिलीट कर दी गई थी. आगरा से जानकारी करने पर पता चला कि यतेंद्र 26 अप्रैल को दोपहर 2 बजे से अनुपस्थित चल रहा था, उस के खिलाफ आगरा में रपट लिखी गई है. बेटियां लापता पुलिस का मानना था कि हो सकता है कि तीनों बेटियों को आरोपी यतेंद्र अपने साथ ले गया हो. बेटियों को ले कर वह कहां गया, इस का कोई पता नहीं चल रहा था. पुलिस व फोरैंसिक टीम ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय फिरोजाबाद भिजवा दिया. हत्यारोपी सिपाही की गिरफ्तारी के लिए लौकडाउन में पुलिस ने 3 टीमें गठित कीं. इन टीमों ने मैनपुरी और इटावा स्थित सिपाही के घर व रिश्तेदारियों के अलावा आगरा व मथुरा में भी दबिशें दीं.

मथुरा के थाना हाइवे क्षेत्र निवासी उस की प्रेमिका से भी पूछताछ की गई लेकिन हत्यारोपी सिपाही का कोई सुराग नहीं मिला. प्रेमिका ने पुलिस को बताया कि यतेंद्र से एक साल से बात नहीं हुई है. आरोपी का एक मामा भी कांस्टेबल था. मामा के मोबाइल की भी काल डिटेल्स खंगाली गई. जांच में पता चला कि मामा के मोबाइल पर एक भी फोन आरोपी का नहीं आया था. आरोपी की तलाश में पुलिस द्वारा लगातार दबिशें दिए जाने पर भी पुलिस के हाथ खाली थे. सरोज उर्फ पिंकी इटावा जनपद के थाना भरथना अंतर्गत गांव नगला नया कुर्रा निवासी रामप्रकाश यादव की बड़ी बेटी थी. स्वभाव से मिलनसार. पिंकी की शादी 2008 में मैनपुरी जनपद के कुर्रा थानांतर्गत गांव अंबरपुर सौंख निवासी रामदत्त यादव के बेटे यतेंद्र कुमार यादव के साथ हुई थी. यतेंद्र 2005 बैच का सिपाही है.

ससुरालीजनों ने बताया कि डेढ़ साल पहले यतेंद्र की तैनाती मथुरा जनपद के थाना हाइवे में हुई थी. ड्यूटी के दौरान यतेंद्र की मुलाकात उसी क्षेत्र की रहने वाली एक युवती से हुई. दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा तो वह यह भी भूल गया कि पहले से शादीशुदा है. सिपाही यतेंद्र अपनी प्रेमिका को ले कर फरार हो गया. जब ये बात प्रेमिका के घरवालों को पता चली तो उन्होंने थाना हाइवे में मुकदमा दर्ज करा दिया. इस संबंध में यतेंद्र कुमार सस्पेंड भी रहा था. 2 माह बाद युवती वापस आ गई और उस ने सिपाही यतेंद्र के पक्ष में बयान दिया था. बाद में यह मामला रफादफा हो गया था.

पति की इस करतूत से पिंकी को गहरी ठेस लगी. दोनों के बीच इस बात को ले कर तल्खी बढ़ गई. छोटीमोटी बातों को ले कर दोनों के बीच विवाद होने लगे. इस के चलते जीवन भर साथ निभाने वाली पत्नी पिंकी पति की नजरों में खटकने लगी थी. घटना के 3 दिन बाद मृतका पिंकी की तीनों बेटियां नाना के गांव नगला नया कुर्रा से 3-4 किलोमीटर दूर रौरा गांव की रोड पर मिलीं. उन्हें दिन के समय यतेंद्र छोड़ गया था. बच्चियों को देख कर गांववालों ने उन से पूछताछ की. इस पर सब से बड़ी लड़की आकांक्षा ने अपने नाना रामप्रकाश यादव के साथ ही गांव का नाम भी बता दिया.

पास का गांव होने के कारण गांव वाले उन के परिवार को जानते थे. गांव वालों ने तीनों बच्चियों को उन के गांव पहुंचा दिया. बच्चियों ने बताया कि पापा उन्हें कार से छोड़ कर चले गए थे. बच्चियों के मिलने की सूचना पुलिस को भी दे दी गई. आकांक्षा ने बताया कि उस ने पापा को मम्मी को गोली मारते देखा था. हम लोग डर गए थे. घटना के बाद आरोपी सिपाही की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने काफी प्रयास किए, लेकिन सफलता न मिलने पर एसएसपी सचिंद्र पटेल ने इसे गंभीरता से लिया और आरोपी पर 15 हजार का इनाम घोषित कर दिया. उन्होंने थानाप्रभारी अनिल कुमार को उस की गिरफतारी के भी निर्देश दिए.

पकड़ा गया आरोपी आखिर पुलिस की मेहनत रंग लाई. लौकडाउन में फरार चल रहे हत्यारोपी सिपाही यतेंद्र को पुलिस ने शिकोहाबाद के सुभाष तिराहे से लगभग एक माह बाद 24 मई की सुबह पौने 6 बजे तब गिरफ्तार कर लिया, जब वह कहीं जाने के लिए वाहन का इंतजार कर रहा था. सिपाही के कब्जे से 32 बोर की देशी पिस्टल भी बरामद हुई. इसी पिस्टल से उस ने अपनी पत्नी पिंकी की हत्या की थी. पुलिस ने सिपाही यतेंद्र के खिलाफ हत्या के साथ ही 25 आर्म्स एक्ट के अंतर्गत भी मुकदमा दर्ज किया. थाने में एसपी ग्रामीण राजेश कुमार ने प्रैसवार्ता में हत्यारोपी यतेंद्र कुमार यादव उर्फ सिंटू की गिरफ्तारी की जानकारी दी.

घटना के बाद वह बच्चियों को नाना के गांव के पास छोड़ गया था. पुलिस ने उस के घर से गिरफ्तारी से 15 दिन पूर्व कार बरामद कर ली थी. विवेचना में यह बात सामने आई कि सिपाही के एक युवती से प्रेम संबंधों को ले कर पिछले डेढ़ साल से पतिपत्नी के बीच कलह शुरू हो गई थी. यतेंद्र पत्नी पर मकान को बेचने का दबाव डालता था. 26 अप्रैल को यतेंद्र आगरा से शिकोहाबाद स्थित अपने घर आया हुआ था. पुरानी बातों को ले कर पतिपत्नी के बीच विवाद हो गया. मामला इतना बढ़ा कि यतेंद्र ने पत्नी सरोज उर्फ पिंकी के साथ मारपीट की. इस से भी जब उस का मन नहीं भरा तो उस ने साथ लाई देशी 32 बोर की पिस्टल से 4 गोलियां उस के सीने में उतार दीं.

घटना को अंजाम देने से पहले उस ने अपनी तीनों बेटियों को मकान के बाहर खड़ी कार में बैठा दिया था. बड़ी बेटी आकांक्षा अपने पिता की करतूत को पूरी तरह समझ गई थी, लेकिन पिता द्वारा धमकी देने से वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी थी. घटना को अंजाम देने के बाद सिपाही यतेंद्र तीनों बेटियों को ले कर फरार हो गया. गिरफ्तारी के बाद आरोपी सिपाही ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. सुंदर, सुशील पत्नी के होते हुए भी युवती से प्रेम संबंधों के चलते सिपाही यतेंद्र ने अपनी खुशहाल जिंदगी को ग्रहण लगा लिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Madhya Pradesh Crime : गुस्‍साए भाई ने बहन की प्रेमी की ले ली जान

Madhya Pradesh Crime : साधारण परिवार का जय कुमार जागीरदार राजेंद्र सिंह राठौर के यहां ट्रैक्टर चलाता था. उसी दौरान उसे राजेंद्र सिंह की नाबालिग बेटी संध्या से प्यार हो गया. कई सालों तक दोनों का यह खेल चलता रहा, फिर एक दिन…

16 जनवरी, 2020. हाड़ कंपा देने वाले कोहरे में डूबी ठंडी सुबह के 7 बजे थे. उसी दौरान टीकमगढ़ जिले के बम्हौरीकलां थाने की सीमा में बम्हौरीकलां जतारा रोड पर बामना तिगेला के पास गुजर रहे लोगों ने एक बंद बोरा पड़ा देखा. उस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं. जिस से लोगों को शक हुआ कि बोरे में जरूर कोई संदिग्ध चीज है, इसलिए किसी ने यह सूचना फोन द्वारा बम्हौरीकलां थाने में दे दी. सूचना मिलने के बाद थानाप्रभारी वीरेंद्र सिंह पंवार घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने जब उस बोरे को खुलवाया तो उस में 22-24 वर्षीय युवक की लाश मिली. मृतका के सिर और आंखों पर गहरी चोट के निशान थे.

थानाप्रभारी ने लाश मिलने की जानकारी एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत और एसपी अनुराग सुजानिया को दे दी. कुछ ही देर में एसडीपीओ राणावत फोरैंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद बताया कि मृतक की हत्या करीब 30-32 घंटे पहले हुई होगी. कड़ाके की ठंड होने के बाद भी वहां तमाम लोगों की भीड़ जमा थी. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से शव की शिनाख्त कराने की कवायद शुरू कर दी. लेकिन शव की पहचान कोई नहीं कर सका. संयोग से उसी समय पास के गांच पचौरा का रहने वाला एक व्यक्ति किशोरीलाल वहां पहुंचा. उस के साथ उस का बेटा नारायण सिंह और जागीरदार राजेंद्र सिंह राठौर भी थे.

दरअसल, उस से 2 दिन पहले किशोरीलाल का बेटा जयकुमार गायब हो गया था. वह अपने बेटे की रिपोर्ट दर्ज करवाने थाने जा रहा था, तभी उसे बामना तिगेला पर अज्ञात युवक का शव मिलने की खबर मिली तो वह मौके पर पहुंच गया. वहां मिली लाश की पहचान उस ने अपने बेटे जयकुमार के रूप में कर दी. मृतक के पिता ने पुलिस को बताया कि जयकुमार पहले गांव के जागीरदार राजेंद्र सिंह राठौर के यहां ट्रैक्टर चलाने का काम करता था. लेकिन कुछ दिनों से उस ने वहां काम छोड़ कर ट्रक चलाना शुरू कर दिया था. पुलिस के पूछने पर किशोरीलाल ने बताया कि जयकुमार की किसी से कोई रंजिश थी या नहीं, इस की जानकारी उसे नहीं है. मौके की जरूरी काररवाई करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

अगले दिन पुलिस को जयकुमार की जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली, उस से साफ हो गया कि मृतक के सिर, चेहरे और पसली पर किसी भारी चीज से वार किए गए थे. जिस से उस की मौत हो गई. एसपी ने इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत के निर्देशन में थानाप्रभारी बम्होरीकलां वीरेंद्र सिंह पंवार, चौकीप्रभारी कनेरा एसआई रश्मि जैन और उन के स्टाफ की 3 टीमें गठित करने के निर्देश दिए. इस टीम ने मृतक का मोबाइल नंबर ले कर उस की काल डिटेल्स निकलवाई. इस में पुलिस को 2 ऐसे नंबर मिले, जिन से मृतक की कई बार काफी देर तक बातें हुआ करती थीं. यही नहीं घटना से पहले भी दोनों नंबरों से मृतक की बात होने का पता चला. घटना के बाद से ही ये दोनों नंबर बंद थे.

इस से थानाप्रभारी पंवार समझ गए कि हत्या का संबंध किसी न किसी तरह से इन दोनों नंबरों से है. मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स से एक और खास बात सामने आई कि मृतक के गांव की कई लड़कियों से दोस्ती थी. उन से उस की फोन पर बातें हुआ करती थीं. इसलिए पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच अवैध संबंध के एंगल से भी करनी शुरू कर दी थी. पुलिस मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स से शक के घेरे में आए फोन नंबरों की जांच में जुट गई. इस के अलावा जिस जगह लाश मिली थी, उस तरफ जाने वाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी खंगाले गए. पुलिस ने इस रास्ते में काम करने वाले किसानों से पूछताछ कर सबूत जुटाने की कोशिश की.

इस दौरान पचौरा गांव का एक बड़ा किसान राजेंद्र सिंह, जयकुमार की हत्या के संबंध में लगातार पुलिस से संपर्क बनाए हुए था. राजेंद्र सिंह, जयकुमार की हत्या के बारे में आए दिन नईनई थ्यौरी भी पुलिस के दिमाग में बैठाने की कोशिश कर रहा था. उस की यह कवायद देख कर थानाप्रभारी पंवार को राजेंद्र पर ही शक होने लगा. थानाप्रभारी ने अपने शक के बारे में एसडीपीओ राणावत से चर्चा की, उन की सहमति से पंवार ने पचौरा गांव में अपने मुखबिर मृतक जयराम कुमार और जागीरदार राजेंद्र सिंह के परिवार के संबंधों की जानकारी जुटाने में लगा दिए.

इस का परिणाम यह निकला कि मुखबिरों ने थानाप्रभारी को यह खबर दी कि गांव में राजेंद्र की नाबालिग बेटी संध्या (परिवर्तित नाम) के साथ मृतक के नाम की चर्चा आम है. दूसरा यह कि नौकर का नाम बहन के साथ आने पर कुछ दिन पहले राजेंद्र के बेटे धनेंद्र और मृतक जयकुमार में विवाद भी हुआ था. जिस के बाद राजेंद्र ने जयकुमार को नौकरी से निकाल दिया था. यह बात साफ हो जाने पर पुलिस ने धनेंद्र और राजेंद्र के मोबाइल की लोकेशन निकलवाई जिस में पता चला कि जिस दिन जिस जगह पर जयकुमार की लाश मिली थी, धनेंद्र, उस के पिता और चाचा गजेंद्र के मोबाइल फोन की लोकेशन उसी जगह पर थी. इस आधार पर एसपी के निर्देश पर बम्हौरीकलां पुलिस ने धनेंद्र राजेंद्र और नाबालिग बेटी संध्या को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया.

पूछताछ में धनेंद्र और राजेंद्र पहले तो पुलिस को बरगलाने की कोशिश करते रहे लेकिन जब पुलिस ने जुटाए गए सबूत उन के सामने रखे तो उन्होंने संध्या से इश्क के चक्कर में जयकुमार की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. उन के बयानों के आधार पर पुलिस की एक टीम धनेंद्र के चाचा गजेंद्र की गिरफ्तारी के लिए गांव पहुंची तो वह घर से फरार मिला. लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर अगने दिन ही चंदेरा तिगला के पास से उसे गिरफ्तार कर लिया. हत्या की रात जयकुमार के पास 2 मोबाइल थे, क्योंकि वह उस रात अपनी भाभी का मोबाइल भी ले गया था. ये दोनों मोबाइल देवेंद्र ने कुंचेरा बांध में फेंक दिए थे, जहां से पुलिस ने दोनों मोबाइल बरामद कर लिए. इस के अलावा वह कार भी बरामद कर ली, जयकुमार की लाश फेंकने में जिस का इस्तेमाल किया गया था. इस के बाद मालिक की बेटी के संग इश्क की कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

पंचैरा गांव के जागीरदार कहे जाने वाले राजेंद्र की बेटी संध्या की खूबसूरती आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बनी हुई थी. बुंदेलखंड के ठाकुर परिवार में जन्मी संध्या के चेहरे पर बिखरा राजपूती खून उस की सुदंरता पर चारचांद लगाने लगा था. इसलिए संध्या गांव के हर युवा के दिल की धड़कन बनी हुई थी. लेकिन उस के पिता राजेंद्र सिंह और चाचा गजेंद्र सिंह के रुतबे के कारण कोई भी युवक उसे आंख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं कर पाता था. इस गांव में रहने वाले किशोरीलाल अहीरवार का बेटा जयकुमार काम की तलाश में था सो उस ने गांव के रईस ठाकुर राजेंद्र सिंह से नौकरी की याचना की तो उन्होंने उसे अपने ट्रैक्टर ड्राइवर की नौकरी पर रख लिया. उस समय जयकुमार 18 वर्ष का था जबकि संध्या 14 वर्ष के आसपास की थी.

घर परिवार की इज्जत के लिए हर एक कदम फूंकफूंक कर रखने वाले राजेंद्र यहीं धोखा खा गए. क्योंकि उन्हें यह तो पता था कि जयकुमार ट्रैक्टर चलाना जानता है. लेकिन इस बात की जानकारी नहीं थी कि 18 साल का यह लड़का उतनी लड़कियों के साथ खेल चुका है, जितनी उस की उम्र भी नहीं थी. जयकुमार भी दूसरों की तरह संध्या की खूबसूरती का कायल था. इसलिए उस ने पहले दिन ही सोच लिया था कि अगर मौका लगा तो संध्या की खूबसूरती पर कब्जा कर के ही मानेगा. इसलिए उस ने काम शुरू करने के साथ संध्या को हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी, जिस के चलते उस ने संध्या को छोटी ठकुराइन कह कर बुलाना शुरू कर दिया.

वास्तव में उस ने संध्या के लिए यह संबोधन काफी सोचसमझ कर चुना था. क्योंकि वह जानता था कि उसे इस नाम से बुला कर वह संध्या की नजर में खास बन जाएगा. हुआ भी यही. जब उस ने संध्या को पहली बार छोटी ठकुराइन कह कर बुलाया तो संध्या चौंकी ही नहीं बल्कि उस के मन में छोटी ठकुराइन होने का अहसास शहद की मिठास की तरह घुल गया. घर का यही नौकर जयकुमार उसे खास लगने लगा. इसलिए उस के मुंह से बारबार छोटी ठकुराइन शब्द सुनने के लिए अकसर उस के आसपास मंडराने लगी. जयकुमार इश्क का पुराना खिलाड़ी था. उसे लड़कियों का चेहरा देख कर उन के मन की बात जानने की महारत हासिल थी. इसलिए वह जल्द ही समझ गया कि संध्या उस के पीछे क्यों घूमती रहती है.

ठाकुर परिवार में कडे़ नियम होने की वजह से बाहरी लोगों का घर के भीतर तक आनाजाना आसान नहीं था. ऐसे में संध्या के दिल में उठने वाली तरंगों को छेड़ने वाला जयकुमार के अलावा दूसरा कोई और नहीं था. क्योंकि काम के सिलसिले में उसे घर में आनेजाने की कोई रोक नहीं थी. इस मौके का फायदा उठा कर जयकुमार संध्या के नजदीक जाने की कोशिश करने लगा. जिस के चलते उस ने धीरेधीरे संध्या से उस की तारीफ करनी शुरू कर दी. किशोर उम्र में अपनी तारीफ सुनना हर एक लड़की को अच्छा लगता है, इसलिए संध्या को लगने लगा कि जयकुमार सारा काम छोड़ कर दिन भर उस के सामने बैठ कर उस के रूप का गुणगान करता रहे.

वह जयकुमार से बात करने के लिए कभीकभी उसे अपने निजी काम भी बताने लगी, जिसे जयकुमार एक पैर पर खड़ा हो कर करने भी लगा. जब जयकुमार को लगा कि लोहा गरम है, चोट की जा सकती है तो उस ने एक दिन डरने की एक्टिंग करते हुए संध्या से कहा, ‘‘मुझे आप से एक बात कहनी है छोटी ठकुराइन.’’

‘‘कहो, क्या कहना है?’’ संध्या बोली.

‘‘नहीं डर लगता है कि आप नाराज हो जाएंगी.’’ जयकुमार ने कहा.

‘‘नहीं होऊंगी, बोलो.’’ संध्या बोली.

‘‘छोडि़ए छोटी ठकुराइन, मुझ जैसे गरीब का ऐसा सोचना भी पाप है.’’ कह कर जयराम ने बात अधूरी छोड़ दी. क्योंकि वह जानता था कि अधूरी बात संध्या के मन पर जितना असर करेगी, उतना पूरी नहीं.

हुआ भी यही. जय कुमार का बात अधूरी छोड़ना संध्या को बुरा लगा. क्योंकि सच तो यही है कि खुद संध्या मन ही मन जयकुमार से प्यार करने लगी थी. इसलिए उसे लग रहा था कि बुद्धू अपने मन की बात बोल देता तो कितना अच्छा होता. अगले कुछ दिनों तक जयकुमार के आगेपीछे घूम कर उसे अपने दिल की बात कहने का मौका देने की कोशिश करने लगी. लेकिन अपनी योजना के अनुसार जयकुमार चुप रहा, जिस से संध्या का गुस्सा बढ़ता जा रहा था. एक दिन जयकुमार ने जब उसे छोटी ठकुराइन कह कर पुकारा तो वह फट पड़ी, ‘‘मत बोल मुझे छोटी ठकुराइन.’’

‘‘क्यों कोई गलती हुई क्या हम से?’’  जय कुमार ने पूछा.

‘‘हां.’’ संध्या बोली.

‘‘क्या?’’

‘‘तुम ने उस दिन बात अधूरी क्यों छोड़ी थी? बोलो, क्या कहना चाहते हो तुम?’’

‘‘कह तो दूंगा पर वादा करो कि आप को मेरी बात अच्छी न भी लगी तो भी न तो मुझ से बात करना छोड़ोगी और न मेरी शिकायत ठाकुर साहब (पापा) से करोगी.’’

‘‘वादा रहा, अब जल्दी बोलो नहीं तो कोई आ जाएगा.’’  संध्या से उतावलेपन से कहा.

‘‘आई लव यू.’’ जयकुमार ने उस की आंखों में देखते हुए कहा तो जैसे संध्या के मन में सैकड़ों गुलाब एक साथ खिल उठे.

‘‘तुम मुझ से नाराज तो नहीं हो.’’ जय कुमार ने उसे खामोश खडे़ देख पूछा.

‘‘नहीं.’’ कह कर वह थोड़ा मुसकराई.

‘‘क्या तुम भी मुझ से प्यार करती हो?’’ उस ने पूछा.

‘‘हां,’’ संध्या ने सिर हिला कर धीरे से जवाब दिया.

‘‘तो ठीक है, कल दोपहर में जब बड़ी ठकुराइन सोती हैं, मैं काम के बहाने आऊंगा. उस समय पापा और भैया भी नहीं रहेंगे.’’

‘‘ठीक है,’’ कहते हुए संध्या शरमाते हुए अंदर भाग गई.

सचमुच दूसरे दिन जय कुमार मौका निकाल कर राजेंद्र सिंह की हवेली पर पहुंचा तो संध्या उसी का इंतजार कर रही थी. यह देख कर जयकुमार ने सीधे उस की तरफ बढ़ते हुए उसे अपनी बांहों मे लेने के साथ उस के पूरे बदन पर अपने होंठों की मुहर लगानी शुरू कर दी. जिस से संध्या के शरीर में खुशबू के फव्वारे फूटने लगे. कुछ देर तक जय कुमार उसे पागलों की तरह प्यार करता रहा, फिर वहां से चुपचाप चला गया. चूंकि राजेंद्र सिंह की हवेली काफी बड़ी थी, सो संध्या और जयकुमार को मिलने में कोई परेशानी नहीं थी. इसलिए उस दिन के बाद दोनों मौका मिलते ही एकदूसरे की बांहों में सुख की तलाश करते रहे.

जयकुमार को राजेंद्र सिंह की नाबालिग बेटी से इश्क लड़ाना कभी भी महंगा पड़ सकता था. इसलिए वह काफी डरा हुआ भी रहता था. लेकिन ठाकुर की बेटी होने के कारण इश्क के रास्ते पर निकल पड़ी संध्या को किसी का डर नहीं था. इसलिए वह जयकुमार को खुल कर प्यार करने के लिए उकसाने लगी. दिन में बात नहीं बनी तो उस ने जयकुमार को रास्ता बताया कि रात को सब के सो जाने के बाद वह उस के कमरे मे आ जाए. जयकुमार भी यही चाहता था, सो उस दिन के बाद से वह आए दिन अपनी रातें संध्या के कमरे में उस के साथ प्यार में डूब कर गुजारने लगा.

जयकुमार काफी संभल कर चल रहा था. लेकिन नादानी के दौर से गुजर रही संध्या में अभी इतनी गंभीरता नहीं थी कि वह अपने इश्क को संभाल कर रख सके. प्यार में पागल संध्या दिन भर जयकुमार के इर्दगिर्द रहने लगी, जिस के चलते संध्या के भाई धनेंद्र को दोनों के बीच पक रही खिचड़ी का आभास होने लगा. उस ने दोनों पर नजर रखनी शुरू कर दी, तो कुछ ही दिनों में उसे पूरा यकीन हो गया कि जयकुमार और उस की बहन घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर इश्कबाजी कर रहे हैं. एक मामूली नौकर द्वारा अपनी इज्जत पर हाथ डालने के दुस्साहस के कारण धनेंद्र का खून खौल उठा. लेकिन मामला इज्जत का था, सो उस ने विवाद करने के बजाय जयकुमार को डांटफटकार कर घर से निकाल दिया.

राजेंद्र के परिवार ने जयकुमार को नौकरी से निकालने का बहाना उस के द्वारा काम में लापरवाही बरतना बताया. धीरेधीरे गांव वालों में इस के सही कारण की चर्चा होने लगी. लेकिन जयकुमार और संध्या दोनों को एकदूसरे की आदत पड़ चुकी थी, इस से परिवार वालों के विरोध के बाद भी चोरीछिपे मिल कर एकदूसरे की तड़प शांत करने का खेल लगातार जारी रहा. इस के लिए जयकुमार ने संध्या को एक सिम कार्ड उपलब्ध करा दिया, जिस से वह केवल जयकुमार से बात करती थी. घटना वाले दिन भी यही हुआ. उस रोज पास के एक गांव के रईस ठाकुर धनेंद्र के लिए अपनी बेटी का रिश्ता ले कर आए थे.

दिन भर घर में मेहमानों की भीड़ रही, जिस के बाद ठाकुर परिवार ने खेत पर दारू और मुर्गा पार्टी का आयोजन किया. जिस के चलते शाम होते ही घर के सारे मर्द पार्टी के लिए खेत पर निकल गए. घर पर केवल मां और संध्या थी. संध्या को प्रेमी से मिलने के लिए यह समय काफी मुफीद लगा, इसलिए शाम को ही उस ने जयकुमार को फोन कर रात में चुपचाप अपने कमरे में प्यार की महफिल जमाने का निमंत्रण दे दिया था. जयकुमार नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद भी कई बार इसी तरह संध्या से मिला करता था. इसलिए उस रोज रात गहराते ही वह शराब पी कर चुपचाप संध्या के कमरे में दाखिल हो गया. संध्या उसी का इंतजार कर रही थी. एकदूसरे को आमनेसामने देख कर वे दुनिया को भूल कर प्यार के सागर में गोते लगाने लगे.

इधर खेत पर पार्टी खत्म कर रात 12 बजे के आसपास धनेंद्र अपने चाचा गजेंद्र के साथ घर लौटा, जिस के बाद चाचा तो अपने कमरे मे चले गए. अपने कमरे में जाते समय धनेंद्र संध्या के कमरे के सामने से गुजरा तो उसे कमरे से आवाजें सुनाई दीं. आवाज सुन कर धनेंद्र ने बहन के कमरे में झांका तो अंदर का नजारा देख कर उस का खून खौल उठा. संध्या अपने कमरे में बिस्तर पर जयकुमार के साथ प्यार के सागर में हिचकोले ले रही थी. धनेंद्र ने सब से पहले फोन लगा कर अपने चाचा को यहां आने को कहा और खुद गुस्से में कमरे के दरवाजे पर लात मार कर कमरे में दाखिल हो गया.

धनेंद्र को गुस्से में देख कर संध्या अपने कपड़े समेट कर मां के कमरे की तरफ भाग गई, धनेंद्र पास में पड़ा डंडा उठा कर जयकुमार पर पिल पड़ा. इस पिटाई में जयकुमार की मृत्यु हो गई, उसी समय धनेंद्र का चाचा गजेंद्र भी आ गया. धनेंद्र ने पूरी बात चाचा को बताई. इस के बाद चाचा और भतीजा मिल कर लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाने लगे. तभी राजेंद्र सिंह भी घर पहुंच गया. सोचविचार कर तीनों ने लाश बोरी में बंद कर अपने घर में छिपा दी और अगली रात को अपनी गाड़ी में डाल कर उसे ठिकाने लगाने निकल पड़े. इन लोगों ने बम्हौरीकलां जतारा रोड पर बामना निगेला के पास लाश डाल दी.

उधर जयकुमार 14 जनवरी, 2020 की शाम से लापता था. 2 दिन बाद भी जब वह घर नहीं लौटा तो उस के पिता किशोरीलाल को चिंता हुई. वह 16 जनवरी को बेटे के बारे में पूछने के लिए जमींदार राजेंद्र सिंह राठौर के पास गया. क्योंकि जयकुमार पहले उस के यहां काम करता था. राजेंद्र सिंह ने जयकुमार के बारे में अनभिज्ञता जताई. इतना ही नहीं, सहानुभूति दिखाते हुए वह उस के साथ थाने जाने के लिए तैयार हो गया. जब ये लोग थाने जा रहे थे तभी उन्हें बामना निगेला के पास लाश मिलने की सूचना मिली. वहां जा कर देखा तो लाश जयकुमार की ही निकली.

तीनों ने सोचा था कि किशोरी के साथ लगे रहने से पुलिस उन पर शक नहीं करेगी. लेकिन एसपी अनुराग सुजानिया के निर्देशन और एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत के नेतृत्व में गठित टीम ने केस का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों से पूछताछ कर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

 

Love Stories : दूसरे बॉयफ्रेंड के चक्‍कर में पहले को दे दिया जहर

Love Stories : सुखविंदर कौर कुलदीप को जी जान से चाहती थी, लेकिन राजस्थान में नौकरी पर चले जाने के बाद वह सुखविंदर को भूल सा गया. इसी दौरान सुखविंदर के अली हुसैन उर्फ आलिया से संबंध बन गए. जब कुलदीप ने उन के प्यार में रोड़ा बनने की कोशिश की तो…

29 जून, 2020 की रात कुलदीप सिंह खाना खाने के बाद टहलने के लिए घर से निकला ही था कि उस के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया. कुलदीप फोन पर बात करतेकरते सड़क पर आगे बढ़ गया. लेकिन जब वह काफी देर तक घर वापस नहीं लौटा तो उस के परिवार वाले परेशान हो गए. उन की चिंता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि उस का मोबाइल भी बंद था. जब उस के घर वाले बारबार फोन लगाने लगे तो रात के कोई 10 बजे उस का फोन 2 बार कनेक्ट हुआ, लेकिन उस के बाद तुरंत कट गया.

उन्होंने तीसरी बार कोशिश की तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस से उस के घर वाले बुरी तरह घबरा गए. कुलदीप जिस गांव में रहता था, वह ज्यादा बड़ा नहीं था. उस के परिवार वालों ने उस के बारे में गांव के सभी लोगों से पूछताछ की, गांव की गलीगली छान मारी लेकिन उस का कहीं अतापता नहीं चल सका. किसी अनहोनी की आशंका के चलते कुलदीप के चाचा बूटा सिंह आईटीआई थाने पहुंचे. लेकिन वहां पर पूरा थाना क्वारंटीन होने के कारण उन्हें पैगा चौकी भेज दिया गया.

अगले दिन सुबह ही पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल ने कुलदीप के गांव जा कर उस के घर वालों से उस के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस अभी कुलदीप को इधरउधर तलाश कर रही थी कि उसी दौरान 2 जुलाई को गांव के कुछ युवकों ने गांव के बारात घर से 200 मीटर की दूरी पर खेतों के किनारे स्थित नाले में एक शव पड़ा देखा. उन्होंने यह जानकारी ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह को दी. ग्राम प्रधान ने कुछ गांव वालों को साथ ले जा कर शव को देखा तो उस की शिनाख्त लापता  कुलदीप सिंह के रूप में हो गई. नाले में पड़े गलेसड़े शव की सूचना पाते ही एएसपी राजेश भट्ट, सीओ मनोज ठाकुर, आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह, पैगा पुलिस चौकी इंचार्ज अशोक फर्त्याल मौके पर पहुंच गए.

पुलिस ने कुलदीप सिंह के शव को बाहर निकलवा कर उस की जांचपड़ताल कराई तो उस के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. शव का पोस्टमार्टम 2 डाक्टरों के पैनल ने किया. पैनल में डा. शांतनु सारस्वत, और डा. के.पी. सिंह शामिल थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कुलदीप सिंह की मौत गला दबाने से हुई थी. जहर की पुष्टि हेतु जांच के लिए विसरा सुरक्षित रख लिया गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने मृतक कुलदीप के परिवार वालों से जानकारी जुटाई तो पता चला कुलदीप का गांव की ही एक युवती के साथ चक्कर चल रहा था.

सुखविंदर कौर नाम की युवती कुलदीप के मोबाइल पर घंटों बात करती थी. इस जानकारी के बाद पुलिस ने सुखविंदर कौर को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस पूछताछ के दौरान पहले तो सुखविंदर ने इस मामले में अनभिज्ञता दिखाने की कोशिश की. लेकिन बाद में उस ने स्वीकार किया कि उस रात कुलदीप उस से मिला जरूर था, लेकिन उस के बाद वह घर जाने की बात कह कर चला गया था. वह कहां गया उसे कुछ नहीं मालूम. पुलिस ने सुखविंदर को घर भेज दिया. सुखविंदर से बात करने के दौरान पुलिस इतना तो जान ही चुकी थी कि दोनों के बीच गहरे संबध थे. उन्हीं संबंधों के चक्कर में कुलदीप को जान से हाथ धोना पड़ा होगा.

पुलिस ने कुलदीप के दोनों मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए तो पता चल गया कि घटना वाली रात कुलदीप सुखविंदर कौर के संपर्क में आया था. पुलिस ने सुखविंदर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला कि वह कुलदीप के साथसाथ गांव के ही शाकिर के बेटे अली हुसैन उर्फ आलिया के संपर्क में भी थी. उस रात सुखविंदर ने कुलदीप के मोबाइल पर कई बार काल की थी. लेकिन उस ने उस का मोबाइल रिसीव नहीं किया था. शाम को फोन मिला तो सुखविंदर ने कुलदीप से काफी देर बात की थी. यह भी पता चला कि उस रात सुखविंदर ने आलिया के मोबाइल पर भी कई बार बात की थी.

इस से यह बात तो साफ हो गई कि कुलदीप की हत्या का कारण आलिया और सुखविंदर दोनों ही थे. यह बात सामने आते ही पुलिस ने फिर से सुखविंदर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और उस से सख्ती से पूछताछ की. उस ने स्वीकार कर लिया कि पिछले 2 साल से उस के कुलदीप से प्रेम संबंध थे. लेकिन पिछले कुछ महीनों से उस की अपने ही पड़ोस में रहने वाले युवक आलिया से नजदीकियां बढ़ गई थीं. लेकिन कुलदीप उस का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं था. उस की इसी बात से तंग आ कर उस ने आलिया को अपने प्रेम संबंधों का वास्ता दे कर कुलदीप की हत्या करा दी. कुलदीप की हत्या का राज खुलते ही पुलिस ने सुखविंदर के दूसरे प्रेमी आलिया को भी तुरंत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की. उस ने बताया कि उस ने सुखविंदर के कहने पर ही कुलदीप की हत्या करने में उस का सहयोग किया था.

पुलिस ने आलिया और सुखविंदर कौर की निशानदेही पर बलजीत के खेत से कुलदीप के मोबाइल के अलावा एक खाली गिलास, पीले रंग का गमछा और जहर की एक खाली शीशी भी बरामद की. पुलिस पूछताछ में पता चला कि सुखविंदर एक साथ 2 नावों में यात्रा कर रही थी, जो कुलदीप को बिलकुल पसंद नहीं था. उसी से चिढ़ कर उस ने अपने दूसरे प्रेमी आलिया के साथ मिल कर उस की हत्या करा दी. इस प्रेम त्रिकोण का अंत कुलदीप की हत्या से ही क्यों हुआ, इस के पीछे एक विचित्र सी कहानी सामने आई. काशीपुर (उत्तराखंड) कोतवाली के अंतर्गत थाना आईटीआई के नजदीक एक गांव है बरखेड़ी.

यह सिख बाहुल्य आबादी वाला छोटा सा गांव है. इस गांव में कई साल पहले सरदार हरभजन सिंह आ कर बसे थे. वह पेशे से डाक्टर थे. उस समय आसपास के क्षेत्र में उन के अलावा अन्य कोई डाक्टर नहीं था. इसी वजह से यहां आते ही उन का काम बहुत अच्छा चल निकला था. समय के साथ उन की बीवी प्रकाश कौर 3 बेटियों की मां बनीं. सुखविंदर कौर उन में सब से छोटी थी. हरभजन सिंह ने डाक्टरी करते हुए इतना पैसा कमाया कि अपना मकान भी बना लिया और 2 बेटियों की शादी भी कर दी. उस समय सुखविंदर काफी छोटी थी. डाक्टरी पेशे से जुड़े होने के कारण हरभजन सिंह ने इस इलाके में अपनी अच्छी पहचान बना ली थी.

अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व किसी लाइलाज बीमारी के चलते हरभजन की मौत हो गई. उन के निधन के बाद उन की बीवी प्रकाश कौर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. प्रकाश कौर के पास न तो कोई बैंक बैलेंस था और न कोई आमदनी का जरिया. हालांकि हरभजन सिंह अपनी 2 बेटियों की शादी कर चुके थे, लेकिन उन्हें छोटी बेटी की शादी की चिंता थी. प्रकाश कौर के सामने अजीब सी मजबूरी आ खड़ी हुई. जब प्रकाश कौर के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई तो उन्हें हालात से समझौता करना पड़ा. उन्हें गांव में मेहनतमजदूरी करने पर विवश होना पड़ा.

उन्होंने जैसेतैसे मेहनतमजदूरी कर बेटी सुखविंदर कौर को पढ़ाया लिखाया. उस ने हाई  स्कूल कर लिया. सिर पर बाप का साया न होने की वजह से सुखविंदर कौर के कदम डगमगाने लगे थे. मां प्रकाश कौर रोजी रोटी कमाने के लिए घर से निकल जाती तो सुखविंदर कौर घर पर अकेली रह जाती थी. उसी दौरान उस की मुलाकात कुलदीप से हुई. कुलदीप गांव का ही रहने वाला था. उस के पिता गुरमीत सिंह की गांव में अच्छी खेतीबाड़ी थी. गुरमीत सिंह का परिवार भी काफी बड़ा था. हर तरह से साधनसंपन्न इस परिवार में 7 लोग थे. भाईबहनों में हरजीत सब से बड़ा, उस के बाद कुलदीप, निशान सिंह और उन से छोटी 2 बेटियां थीं. हरजीत सिंह की शादी हो चुकी थी. उस के बाद कुलदीप सिंह का नंबर था.

कुलदीप सिंह होनहार था. सुखविंदर कौर उस समय हाईस्कूल में पढ़ रही थी. उसी उम्र में वह कुलदीप सिंह को दिल दे बैठी. सुखविंदर कौर स्कूल जाती तो कुलदीप सिंह से भी मिल लेती थी. वह उस के परिवार की हैसियत जानती थी. जिस तरफ सुखविंदर का घर था, वह रास्ता कुलदीप के खेतों पर जाता था. खेतों पर आतेजाते कुलदीप की सुखविंदर से जानपहचान हुई. जब दोनों एक दूसरे के संपर्क में आए तो उन के बीच प्रेम का बीज अंकुरित हो गया. मां के काम पर निकल जाने के बाद सुखविंदर घर पर अकेली होती थी. उसी का लाभ उठा कर वह उस रास्ते से निकल रहे कुलदीप को अपने घर में बुला लेती.

फिर दोनों मौके का लाभ उठा कर प्यार भरी बातों में खो जाते थे. कुलदीप उसे जी जान से प्यार करता था. प्यार की राह पर चलतेचलते दोनों ने जिंदगी भर एक दूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाईं. कुलदीप उस के प्यार में इस कदर गाफिल था. उस ने बीकौम करने के बाद आईटीआई का कोर्स कर लिया था, जिस के बाद उसे रुद्रपुर की एक फैक्ट्री में अस्थाई नौकरी मिल गई थी. रुद्रपुर में नौकरी मिलते ही कुलदीप वहीं पर कमरा ले कर रहने लगा. उस के रुद्रपुर चले जाने पर सुखविंदर परेशान हो गई. जब उसे उस की याद सताती तो वह मोबाइल पर बात कर लेती थी. लेकिन मोबाइल पर बात करने से उस के दिल को सुकून नहीं मिलता था.

उसी दौरान उस ने कई बार कुलदीप पर शादी करने का दबाव बनाया. लेकिन कुलदीप कहता कि जब उसे सरकारी नौकरी मिल जाएगी, वह उस से शादी कर लेगा. जबकि सुखविंदर उस की सरकारी नौकरी लगने तक रुकने को तैयार नहीं थी. एक साल रुद्रपुर में नौकरी करने के बाद उस की जौब राजस्थान की एक बाइक कंपनी में लग गई. कुलदीप को राजस्थान जाना पड़ा. कुलदीप के राजस्थान चले जाने के बाद तो सुखविंदर की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर गया. जब कभी वह मोबाइल पर कुलदीप से बात करती तो उस का मन बहुत दुखी होता था. कुलदीप ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार नहीं थी.

घटना से लगभग 6 महीने पहले सुखविंदर की नजर अपने पड़ोसी अली हुसैन उर्फ आलिया पर पड़ी. गांव में शाकिर हुसैन का अकेला मुसलिम परिवार रहता था. यह परिवार पिछले 40 वर्षों से इस गांव में रह रहा था. 8 महीने पहले ही ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह ने इस परिवार को ग्राम समाज की जमीन उपलब्ध कराई थी, जिस पर शाकिर ने मकान बनवा लिया था. शाकिर हुसैन का एक भाई कलुआ बहुत पहले बरखेड़ी छोड़ कर दूसरे गांव बरखेड़ा पांडे में जा बसा था. वहां पर उस का आनाजाना बहुत कम होता था. शाकिर हुसैन के पास खेतीबाड़ी की जमीन नहीं थी. वह शुरू से ही गांव वालों के खेतों में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालनपोषण करता आ रहा था.

उस के 3 बेटों मोहम्मद , रशीद और रफीक में अली हुसैन उर्फ आलिया सब से छोटा था. वह हर वक्त बनठन कर रहता था. वह गांव के लोगों के खेतों में काम करना अपनी तौहीन समझता था. लेकिन न तो उस के खर्चों में कमी थी और न ही उस की शानशौकत में. उस के रहनसहन को देख गांव वाले हैरत में थे कि उस के पास खर्च के लिए पैसा कहां से आता है. गांव में छोटीमोटी चोरी होती रहती थी, लेकिन कभी भी कोई चोर किसी की पकड़ में नहीं आया था. गांव के अधिकांश लोग उसी पर शक करते थे. लेकिन बिना किसी सबूत के कोई उस पर इल्जाम नहीं लगाना चाहता. जब एक चोरी में उस का नाम सामने आया तो उस की हकीकत सामने आ गई. उस के बाद गांव वाले उस से सावधान रहने लगे.

आलिया गांव के हर शख्स पर निगाह रखता था. इस सब के चलते आलिया को पता चला कि कुलदीप के सुखविंदर कौर के साथ अनैतिक संबंध हैं. उस ने कुलदीप को कई बार उस के घर से निकलते देखा था. उसी का लाभ उठा कर उस ने मौका देख सुखविंदर से उस के और कुलदीप के प्रेम संबंधों को ले कर बात की. शुरू में सुखविंदर ने इस बारे में उस से कोई बात नहीं की. लेकिन वह कुलदीप को ले कर परेशान जरूर थी. उस के साथ बिताए दिन उस के दिल में कांटा बन कर चुभने लगे थे. सुखविंदर खुद भी कुलदीप के पीछे पड़तेपड़ते तंग आ चुकी थी. उस की की तरफ से उम्मीद कमजोर पड़ी तो उस ने आलिया से नजदीकियां बढ़ा लीं. वह कुलदीप की प्रेम राह को त्याग कर आलिया के प्रेम जाल में जा फंसी. फिर आलिया उस के दिल पर राज करने लगा. आलिया के संपर्क में आया तो वह कुलदीप को भुला बैठी.

कई बार कुलदीप राजस्थान से उस के मोबाइल पर काल मिलाता तो वह रिसीव ही नहीं करती थी. कुलदीप उस के बदले व्यवहार को देख कर परेशान रहने लगा था. उस दौरान वह कई बार काशीपुर अपने गांव आया. उस ने सुखविंदर से कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन सुखविंदर ने उस से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई. तभी उसे गांव के एक दोस्त से उस की हकीकत पता की, तो उसे पता चला कि सुखविंदर कौर का आलिया से चक्कर चल रहा है. यह सुनते ही कुलदीप को जोरों का धक्का लगा. उसे सुखविंदर कौर से ऐसी उम्मीद नहीं थी. वह जैसेतैसे सुखविंदर कौर से मिला और उसे काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन सुखविंदर ने उस की एक बात नहीं मानी.

कुलदीप निराश हो कर राजस्थान चला गया. लेकिन वहां जाने के बाद भी वह सुखविंदर कौर की बेवफाई से परेशान था. वह चाह कर भी उसे अपने दिल से नहीं निकाल पा रहा था. सुखविंदर कौर की बेवफाई का सिला मिलने के बाद उस का नौकरी से मन उचट गया था. तभी देश में कोरोना बीमारी के चलते लौकडाउन लग गया. लौकडाउन से उस की फैक्ट्री बंद हुई तो उसे अपने घर काशीपुर लौटना पड़ा. तब तक देश भर में इमरजेंसी जैसे हालात हो गए थे. लोग अपनेअपने घरों में कैद हो कर रह गए थे. काशीपुर आने के कुछ समय बाद उसे मुरादाबाद रोड स्थित किसी फैक्ट्री में काम मिल गया. कुलदीप ने मौका देख कर कई बार सुखविंदर से संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन उस ने उस से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई.

कुलदीप ने घर पर रहते कई बार उस के मोबाइल पर फोन मिलाया तो अधिकांशत: व्यस्त ही मिला. फिर एक अन्य युवक से यह जानकारी मिली कि सुखविंदर आलिया से ज्यादा घुलमिल गई है. बात कुलदीप को बरदाश्त नहीं था. कुलदीप कई बार आलिया से भी मिला और उसे समझाने की कोशिश की. लेकिन आलिया ने साफ शब्दों में कह दिया कि अगर वह और सुखविंदर प्यार करते हैं तो उसे समझाए, वह सुखविंदर के पीछे नहीं बल्कि सुखविंदर ही उस के पीछे पड़ी है. कुलदीप किसी भी कीमत पर सुखविंदर कौर को छोड़ने को तैयार नहीं था. जब सुखविंदर कौर और आलिया कुलदीप की हरकतों से परेशान हो उठे तो दोनों ने कुछ ऐसा करने की सोची, जिस से कुलदीप से पीछा छूट जाए.

सुखविंदर यह जानती थी कि कुलदीप अभी भी उस का दीवाना है. वह उस की एक काल पर ही कहीं भी आ सकता है. इसी का लाभ उठा कर उस ने कुलदीप को रास्ते से हटाने के लिए आलिया को पूरा षडयंत्रकारी नक्शा तैयार कर के दे दिया. पूर्व नियोजित षडयंत्र के तहत 29 जून को सुखविंदर कौर ने दिन में कई बार कुलदीप के मोबाइल पर काल की. लेकिन कुलदीप सिंह अपनी ड्यूटी पर था, उस ने सुखविंदर की काल रिसीव नहीं की. शाम को दोबारा कुलदीप के मोबाइल पर उस की काल आई तो सुखविंदर ने उसे शाम को गांव के पास स्थित बलजीत सिंह के बाग में मिलने की बात पक्की कर ली.

कुलदीप सिंह उस की हरकतों से पहले ही दुखी था, लेकिन प्रेमिका होने के नाते वह उस की पिछली हरकतों को भूल कर मिलने के लिए तैयार हो गया. उसे विश्वास था कि जरूर कोई खास बात होगी, इसीलिए सुखविंदर उसे बारबार फोन कर रही है. यही सोच कर कुलदीप सिंह खुश था. शाम को उस ने जल्दी खाना खाया और वादे के मुताबिक बाहर घूमने के बहाने घर से निकल गया. घर से निकलते ही उस ने सुखविंदर को फोन कर उस की लोकेशन पता की. उस के बाद वह बताई गई जगह पर पहुंच गया. गांव के बाहर मिलते ही सुखविंदर ने कुलदीप को अपने आगोश में समेट लिया. कुलदीप को लगा कि सुखविंदर आज भी उसे पहले की तरह प्यार करती है.

इसीलिए वह उस से इतनी गर्मजोशी से मिल रही है. कुलदीप उस की असल मंशा को समझ नहीं पाया. सुखविंदर कौर पूर्व प्रेमी कुलदीप का हाथ हाथों में थामे बाग की ओर बढ़ गई. बाग में एक जगह बैठते हुए उस ने पुराने सभी गिलेशिकवे भूल जाने को कहा. सुखविंदर ने कुलदीप से कहा कि आज वह काफी दिनों बाद मिल रही है. इसी खुशी में वह उस के लिए स्पैशल दूध बना कर लाई है. कुलदीप इतना नादान था कि उस के प्यार में पागल हो कर उस की चाल को समझ नहीं पाया. उस ने थैली से दूध निकाल कर गिलास में डाला और कुलदीप को पीने को दे दिया.

सुखविंदर ने थैली में थोड़ा दूध यह कह कर बचा लिया था कि इसे बाद में वह पी लेगी. दूध पीने के बाद कुलदीप को कुछ अजीब सा जरूर लगा लेकिन सुखविंदर को बुरा न लगे, इसलिए कुछ नहीं बोला. दूध पीते ही कुलदीप का सिर घूमने लगा. जब सुखविंदर को लगा कि जहर कुलदीप पर असर दिखाने लगा है तो उस ने पास ही छिपे अली हुसैन उर्फ आलिया को इशारा कर बुला लिया. आलिया ने मौके का लाभ उठा कर गमछे से गला घोंट कर कुलदीप की हत्या कर दी. बेहोश होने के कारण कुलदीप विरोध भी नहीं कर पाया. सांस रुकने से कुलदीप मौत की नींद सो गया. कुलदीप को मौत की नींद सुला कर आलिया और सुखविंदर ने उस के शव को खींच कर पास के नाले में फेंक दिया, ताकि उस की लाश जल्दी से न मिल सके. फिर दोनों अपनेअपने घर चले आए.

सुखविंदर कौर और आलिया को पूरा विश्वास था कि उस की हत्या का राज राज ही बन कर रह जाएगा. फिर दोनों शादी कर लेंगे. लेकिन आलिया और सुखविंदर की चालाकी धरी की धरी रह गई. इस केस के खुलते ही पुलिस ने कुलदीप हत्याकांड की आरोपी सुखविंदर कौर उस के प्रेमी अली हुसैन उर्फ आलिया को भादंवि की धारा 302/201 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. आलिया को पुलिस हिरासत में लेते ही उस का पिता अपने घर का खासखास सामान समेट कर अपने भाई कलुआ के घर बरखेड़ा पांडे चला गया. गांव वाले कुलदीप की हत्या से आहत थे, इसलिए उन्होंने गांव से नामोनिशान मिटाने के लिए उस के घर में आग लगा दी.

इतना ही नहीं आक्रोशित गांव वालों ने रात में जेसीबी से उस का घर तोड़फोड़ दिया. इस घटना से पूरे गांव में अफरातफरी का माहौल था. इस घटना की सूचना किसी ने पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही सीओ मनोज कुमार ठाकुर, कोतवाल चंद्रमोहन सिंह, पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल समेत बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची. जिस के बाद भीड़ तितरबितर हो गई. पुलिस पूछताछ के दौरान ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया कि जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपी फिर से गांव में आ कर न रहने लगे, यह सोच कर गांव वालों ने उस के घर को क्षति पहुंचाने की कोशिश की थी.

इस मामले में भी पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए कुलदीप के ताऊ बूटा सहित 30-35 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147,427,436,के तहत केस दर्ज किया.

Kanpur Crime : एकतरफा इश्क में आशिक ने प्रेमिका के पिता की ले ली जान

Kanpur Crime : मोहम्मद फहीम अपने पड़ोस की लड़की नाजनीन को बेइंतहा चाहता था. एक रात उस ने नाजनीन के पिता मोहम्मद अशरफ की हत्या कर दी. उस के बाद की जो हकीकत सामने आई, वह…

उस दिन जून 2020 की 9 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. थाना बाबूपुरवा के कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरेश सिंह औफिस में आ कर बैठे ही थे कि उन्हें मोबाइल फोन पर सूचना मिली कि मुंशीपुरवा में एक अधेड़ व्यक्ति का कत्ल हो गया है. सुबहसुबह कत्ल की सूचना पा कर सुरेश सिंह का मन कसैला हो उठा. लेकिन मौकाएवारदात पर तो पहुंचना ही था. अत: उन्होंने कत्ल की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी और आवश्यक पुलिस बल साथ ले कर मुंशीपुरवा घटनास्थल पर पहुंच गए.  उस समय घटनास्थल पर मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. भीड़ में से एक 20 वर्षीय युवक निकल कर सामने आया. उस ने थानाप्रभारी सुरेश सिंह को बताया कि उस का नाम इरफान है.

उस के अब्बू मोहम्मद अशरफ  का कत्ल हुआ है. उन की लाश छत पर पड़ी है. इस के बाद इरफान उन्हें छत पर ले कर गया. छत पर पहुंच कर सुरेश सिंह ने बारीकी से निरीक्षण शुरू किया. मृतक मोहम्मद अशरफ की लाश फोल्डिंग पलंग पर खून से तरबतर पड़ी थी. पलंग के नीचे भी फर्श पर खून फैला हुआ था. मोहम्मद अशरफ का कत्ल बड़ी बेरहमी से किसी तेज धार वाले हथियार से किया गया था. उस का गला आधे से ज्यादा कटा था. संभवत: ताबड़तोड़ कई वार गरदन पर किए गए थे, जिस से सांस नली कटने तथा अधिक खून बहने से उस की मौत हो गई थी.

मोहम्मद अशरफ की उम्र 50 साल के आसपास थी. कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरेश सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी अनंत देव तिवारी, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा डीएसपी आलोक सिंह घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियोें के पहुंचते ही घर में कोहराम मच गया. परिवार की महिलाएं दहाड़ मार कर चीखनेचिल्लाने लगीं. इस के बाद उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा मृतक के घर वालों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की.

मृतक के बेटे इरफान ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उस के पिता खरादी बुरादे का व्यापार करते थे. वह बीती शाम 7 बजे घर आए थे और खाना खाने के बाद रात 8 बजे सोने के लिए छत पर चले गए थे. पिता के साथ वह भी छत पर सोता था, लेकिन बीती रात वह टीवी देखतेदेखते कमरे में ही सो गया था. वह सुबह 6 बजे सो कर उठा और छत पर पहुंचा तो छत पर फोल्डिंग पलंग पर पिता का खून से लथपथ शव पड़ा देखा. शव देख कर उस के मुंह से चीख निकल गई. चीख सुन कर घर के अन्य लोग आ गए. इस के बाद तो घर में कोहराम मच गया.

घटनास्थल पर मृतक का भाई मोहम्मद नासिर भी मौजूद था. उस ने बताया कि वह सऊदी अरब में नौकरी करता है. उस के परिवार में पत्नी गुलशन बानो तथा 2 साल का बेटा है. 3 महीने पहले वह सऊदी अरब से परिवार सहित कानपुर आया था और भाईजान के घर परिवार के साथ रह रहा था. सुबह इरफान की चीख सुनाई दी तो वह दौड़ कर छत पर पहुंचा. वहां भाईजान पलंग पर मृत पड़े थे. किसी ने बड़ी बेरहमी से उन का कत्ल कर दिया था. मां रईसा को जानकारी हुई तो वह गश खा कर जमीन पर गिर पड़ीं. किसी तरह उन्हें होश में लाया गया. घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम ने बड़ी ही बारीकी से जांच शुरू की. टीम ने खून का नमूना परीक्षण हेतु सुरक्षित किया फिर पलंग व आसपास से कई फिंगरप्रिंट लिए.

फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद यह भी पाया कि हत्यारा छत पर या तो सीढ़ी लगा कर पहुंचा था या फिर छत से सटी दूसरे मकान की बाउंड्री फांद कर आया था. फिर उसी रास्ते वापस चला गया. डौग स्क्वायड की टीम खोजी कुत्ते को ले कर छत पर पहुंची. कुत्ते ने मृतक के शव को तथा छत के फर्श पर पड़े खून को सूंघा फिर वह पलंग के चारों ओर घूमता रहा. उस के बाद पड़ोसी की छत पर जाने के लिए उछलने लगा. लेकिन बाउंड्री वाल ऊंची थी, सो उछल कर दीवार फांद नहीं पा रहा था. यह देख कर टीम के सदस्यों ने लकड़ी की सीढ़ी मंगा कर छत पर लगाई. सीढ़ी के सहारे पड़ोसी की छत पर पहुंचे खोजी कुत्ते ने छत पर पड़े

खून के छींटों को सूंघना शुरू कर दिया. उस के बाद खोजी कुत्ता छत से नीचे उतरा और घटनास्थल से कुछ दूर स्थित मैदान में पहुंचा. वहां मैदान में खड़े एक युवक को सूंघ कर उस पर भौंकने लगा. तभी टीम ने उस युवक को पकड़ लिया और पुलिस अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया. पुलिस अधिकारियों ने जब उस से पूछताछ की तो उस ने अपना नाम मोहम्मद फहीम उर्फ नदीम बताया. जिस छत पर खोजी कुत्ता फांद कर गया था और खून की छींटे सूंघे थे, वह मकान मोहम्मद फहीम का ही था.

संदेह के आधार पर पुलिस ने मोहम्मद फहीम को गिरफ्तार कर लिया. फोरैंसिक टीम व पुलिस ने मोहम्मद फहीम के घर की तलाशी ली तो वहां फहीम के ऐसे गीले कपड़े मिले, जो शायद सुबह ही धोए थे. उन कपड़ों पर बेंजामिन टेस्ट किया तो खून के धब्बे उभर आए. इस के अलावा उस के घर से एक चापड़ भी बरामद हुआ. मय चापड़ और कपड़ों सहित मोहम्मद फहीम को थाना बाबूपुरवा लाया गया तथा मृतक मोहम्मद अशरफ के शव को पोस्टमार्टम हाउस लाला लाजपत राय अस्पताल भेज दिया गया. एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा सीओ आलोक सिंह ने जब थाने में मोेहम्मद फहीम से अशरफ की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया और पुलिस अधिकारियों को बरगलाने लगा.

लेकिन हत्या का सबूत मिल चुका था और उस के घर से खून सने कपड़े तथा आला कत्ल भी बरामद हो चुका था. अत: पुलिस ने उस पर सख्ती की तो वह टूट गया. इस के बाद उस ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह पड़ोसी मोहम्मद अशरफ की बेटी नाजनीन से मोहब्बत करता था. पर वह मुंबई चला गया और वहां नौकरी करने लगा. 3 साल बाद फरवरी 2020 में वह मुंबई से वापस कानपुर आया. अब तक नाजनीन जवान हो गई थी और खूबसूरत दिखने लगी थी. उसे देख कर उस की सोती हुई मोहब्बत फिर से जाग उठी और उसे एकतरफा प्यार करने लगा. उस ने सोच लिया था कि उस की मोहब्बत में जो भी बाधक बनेगा, उसे मिटा देगा. नाजनीन की मोहब्बत में उस का बाप मोहम्मद अशरफ बाधक बनने लगा तो बीती रात उसे चापड़ से काट कर हलाल कर दिया.

चूंकि मोहम्मद फहीम ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: बाबूपुरवा थाना प्रभारी (कार्यवाहक) सुरेश सिंह ने मृतक के बेटे इरफान को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत मोहम्मद फहीम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे विधिसम्मत बंदी बना लिया. पुलिस जांच में एक ऐसे सनकी प्रेमी की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने एकतरफा प्यार में पागल हो कर प्रेमिका के बाप को मौत की नींद सुला दिया. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बाबूपुरवा थाना अंतर्गत एक मुसलिम बाहुल्य आबादी वाला मोहल्ला मुंशीपुरवा पड़ता है. इसी मुंशीपुरवा में मसजिद के पास मोहम्मद अशरफ अपने परिवार के साथ रहता था.

उस के परिवार में पत्नी शबनम के अलावा एक बेटी नाजनीन तथा बेटा इरफान था. मोहम्मद अशरफ खरादी बुरादे का व्यापार करता था. इस व्यापार में मेहनतमशक्कत तो थी, पर कमाई भी अच्छी थी. इसी कमाई से वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. मोहम्मद अशरफ के साथ उस की मां रईसा खान तथा भाई नासिर भी रहता था. नासिर की शादी गुलशन बानो के साथ हुई थी. शादी के बाद नासिर सऊदी अरब चला गया था. अब वह तभी आता था, जब उसे घरपरिवार की याद सताती थी. अशरफ मेहनत की रोटी खा कर परिवार के साथ खुश रहता था. परंतु उस की खुशियों में ग्रहण तब लगना शुरू हो गया जब उस की बेगम शबनम बीमार रहने लगी.

फिर बीमारी के दौरान ही सन 2010 में उस की मृत्यु हो गई. उस समय नाजनीन की उम्र 10 वर्ष तो इरफान की 9 साल थी. शबनम की मौत के बाद बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी अशरफ की मां रईसा खान पर आ गई. रईसा खान ने इस जिम्मेदारी को खूब निभाया और पालपोस कर बच्चों को बड़ा किया. रईसा खान अपने पोतेपोती को बहुत प्यार करती थी और उन की हर जायज ख्वाहिश पूरी करती थी. फहीम उर्फ नदीम नाजनीन का दीवाना था. वह उस के पड़ोस में ही रहता था. फहीम और नाजनीन हमउम्र थे. दोनों एक ही गली में खेलकूद कर बड़े हुए थे. दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे और अकसर उन का आमनासामना हो जाता था. फहीम मन ही मन नाजनीन को चाहने लगा था.

पर नाजनीन के मन में उस के प्रति कोई लगाव न था. वह तो पड़ोसी के नाते उस से भाईजान कह कर बात करती थी. फहीम के 2 अन्य भाई भी थे, जो उसी मकान में रहते थे. फहीम सिलाई कारीगर था. वह जो कमाता था, अपने ऊपर ही खर्च करता था, इसलिए बनसंवर कर खूब ठाटबाट से रहता था. फहीम अपने प्यार का इजहार नाजनीन से कर पाता, उस के पहले ही वह मुंबई कमाने चला गया. मुंबई जा कर भी वह नाजनीन को भुला न सका. उस के मनमस्तिष्क पर नाजनीन ही छाई रही. वह उसे अपने दिल की मल्लिका बनाने के सपने संजोता रहा. पर सपना तो सपना ही होता है. भला सपने से कभी किसी  के ख्वाब पूरे नहीं हुए.

देश में तालाबंदी घोषित होेने के एक माह पहले ही फहीम मुंबई से कानपुर अपने घर वापस आ गया. कमाई कर के वह जो पैसे लाया था, उसे अपने ऊपर और अपने दोस्तों पर खर्च करता. भाइयों ने उस की इस फिजूलखर्ची का विरोध किया तो वह उन पर हावी हो गया. अब वह दोस्तों के साथ मौजमस्ती तथा शराब पीने लगा. एक रोज नाजनीन किसी काम से घर से निकली तभी फहीम की नजर उस पर पड़ी. खूबसूरत नाजनीन को देख कर फहीम का मन मचल उठा. 3 साल पहले जब उस ने नाजनीन को देखा था तब वह 16 वर्ष की थी. किंतु अब वह 19 साल की उम्र पार कर चुकी थी. अब वह पहले से ज्यादा खूबसूरत दिखने लगी थी.

फहीम की आंखों में पहले से ही नाजनीन रचीबसी थी सो अब उसे देखते ही उस का मन बेकाबू होने लगा था. अब वह नाजनीन को फंसाने का तानाबाना बुनने लगा. मौका मिलने पर वह उस से बात करने का प्रयास करता था. लेकिन नाजनीन उसे झिड़क देती थी. तब फहीम खिसिया जाता. आखिर जब उस के सब्र का बांध टूट गया तो उस ने एक रोज मौका मिलने पर नाजनीन का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘नाजनीन, मैं तुम से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं. तुम्हारी खूबसूरती ने मेरा चैन छीन लिया है. तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूं.’’

नाजनीन अपना हाथ छुड़ाते हुए गुस्से से बोली, ‘‘फहीम, तुम ये कैसी बहकी बातें कर रहे हो. मैं तुम्हारी जातिबिरादरी की हूं और इस नाते तुम मेरे भाईजान लगते हो. भाई को बहन से इस तरह की बातें करते शर्म आनी चाहिए.’’

‘‘प्यार अंधा होता है नाजनीन. प्यार जातिबिरादरी नहीं देखता.’’ वह बोला.

‘‘होगा, लेकिन मैं अंधी नही हूं. मैं ऐसा नहीं कर सकती. मैं तुम से नफरत करती हूं. और हां, आइंदा मेरा रास्ता रोकने या हाथ पकड़ने की कोशिश मत करना, वरना मुझ से बुरा कोई न होगा, समझे.’’ नाजनीन ने धमकाया. कुछ देर बाद नाजनीन घर वापस आई तो वह परेशान थी. वह समझ गई कि फहीम एकतरफा प्यार में पागल है. उस ने यह सोच कर फहीम की शिकायत घर वालों से नहीं की कि अब्बूजान बेमतलब परेशान होंगे. बात बढ़ेगी. बतंगड़ होगा. फिर लोग उस के चरित्र पर अंगुलियां उठाना शुरू कर देंगे.

इधर नाजनीन की फटकार से फहीम समझ गया कि नाजनीन अब ऐेसे नहीं मानेगी. उसे अपनी खूबसूरती और जवानी पर इतना घमंड है तो वह उस के घमंड को हर हाल में तोड़ कर रहेगा. वह उसे ऐसा दर्द देगा, जिसे वह ताजिंदगी नहीं भुला पाएगी. फहीम का एक दोेस्त सलीम था. दोनों ही हमउम्र थे, सो दोनों में खूब पटती थी. एक रोज दोनों शराब पी रहे थे. उसी समय फहीम बोला, ‘‘यार सलीम, मैं नाजनीन से मोहब्बत करता हूं लेकिन वह हाथ नहीं रखने दे रही.’’

‘‘देख फहीम, मैं एक बात बताता हूं कि नाजनीन ऐसीवैसी लड़की नहीं है. उस का पीछा छोड़ दे. कहीं ऐसा न हो कि उस का पंगा तुझे भारी पड़ जाए.’’ सलीम ने फहीम को समझाया.

‘‘अरे छोड़ इन बातों को, मैं भी जिद्दी हूं. नाजनीन अगर राजी से न मानी तो मुझे दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा.’’ फहीम ने कहा.

इस के बाद फहीम फिर से नाजनीन को छेड़ने लगा. फहीम ने नाजनीन पर लाख डोरे डालने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे बेइज्जती का सामना करना पड़ा. फहीम की बढ़ती छेड़छाड़ से नाजनीन को अब डर सताने लगा था. अत: एक रोज उस ने फहीम की बदतमीजी तथा डोरे डालने की शिकायत दादी रईसा खान तथा अब्बू अशरफ से कर दी. नाजनीन की बात सुन कर जहां रईसा तिलमिला उठीं, वहीं अशरफ का भी गुस्सा फूट पड़ा. पहले रईसा ने फहीम को खूब खरीखोेटी सुनाई फिर अशरफ ने भी फहीम को जम कर लताड़ा तथा बेटी से दूर रहने की नसीहत दी. अशरफ ने फहीम की शिकायत उस के भाइयों से भी की तथा उसे समझाने को कहा. उस ने साफ  कहा कि वह इज्जतदार इंसान है. बेटी से छेड़छाड़ बरदाश्त न करेगा.

अशरफ ने उलाहना दिया तो दोनों भाइयों ने फहीम को खूब समझाया तथा नाजनीन से दूर रहने की नसीहत दी. लेकिन फहीम पर तो इश्क का भूत सवार था. वह तो एकतरफा प्यार में दीवाना था, सो उसे भाइयों की नसीहत पसंद नहीं आई. एक रोज फहीम ने गली के मोड़ पर नाजनीन को रोका और उस का हाथ पकड़ लिया. गुस्साई नाजनीन ने फहीम के हाथ पर दांत गड़ा कर अपना हाथ छुड़ा लिया और बोली, ‘‘बदतमीज, अपनी हरकतों से बाज आ, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा.’’

नाजनीन की बात सुन कर फहीम भी गुस्से से बोला, ‘‘नाजनीन, यही बात मैं तुझे बता रहा हूं. मेरी मोहब्बत को स्वीकार कर ले और मुझे अपना बना ले. वरना कान खोल कर सुन ले, मेरी मोहब्बत में जो भी बाधा डालेगा, उसे मैं मिटा दूंगा. फिर वह तुम्हारा बाप, भाई या कोई और क्यों न हो.’’

जून, 2020 की 3 तारीख को फहीम ने पुन: नाजनीन से छेड़छाड़ की. इस की शिकायत उस ने पिता से की. शिकायत सुन कर अशरफ तिलमिला उठा. उस ने फहीम को खूब खरीखोटी सुनाई और कहा कि वह अंतिम बार उसे चेतावनी दे रहा है. इस के बाद उस ने हरकत की तो थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज करा देगा और जेल भिजवा देगा. फहीम पहले से ही उस पर खार खाए बैठा था. अत: अशरफ ने जब उसे जेल भिजवाने की धमकी दी तो उस की खोपड़ी घूम गई. उस ने अपने प्रेम में बाधक बने प्रेमिका के पिता अशरफ को मौत की नींद सुलाने का इरादा पक्का कर लिया. फिर वह अंजाम की तैयारी में जुट गया. उस ने तेजधार वाले चापड़ का इंतजाम किया फिर उसे घर में छिपा कर रख लिया.

8 जून, 2020 की रात फहीम ने अपनी छत की बाउंड्री से झांक कर देखा तो पता चला कि अशरफ आज रात अकेला ही छत पर सोया है. उचित मौका देख कर फहीम चापड़ ले आया फिर रात 2 बजे सीढ़ी लगा कर अशरफ की छत पर पहुंच गया. फहीम ने नफरत भरी एक नजर अशरफ पर डाली फिर चापड़ से खचाखच 4 वार अशरफ की गरदन पर किए. उस की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और खून की धार बह निकली. अशरफ कुछ क्षण तड़पा फिर ठंडा हो गया.

हत्या करने के बाद सीढ़ी के रास्ते फहीम अपनी छत पर आ गया. यहां चापड़ पर लगे खून की कुछ बूंदे छत पर टपक गईं. नीचे जा कर उस ने कपड़े बदले और चापड़ में लगे  खून को साफ  किया. फिर कपड़ों और चापड़ को धो कर घर में छिपा दिए और कमरे में जा कर सो गया. मोहम्मद फहीम से पूछताछ के बाद पुलिस ने 10 जून, 2020 को उसे कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया.

कथा संकलन तक उस की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

नाजनीन परिवर्तित नाम है.

 

Delhi Crime : चौथी शादी से नाराज पहली पत्नी ने सुपारी देकर कराई पति की हत्या

Delhi Crime : पैसा कमाने के लिए खूनपसीना बहाना पड़ता है. विकास उर्फ नीटू गांव से खाली हाथ दिल्ली आ कर अमीर बना था, लेकिन उस की अय्याशी ने उसे उस मोड़ पर ला खड़ा किया, जहां से आगे खून बहता है. खास बात यह कि उस की 4 पत्नियों में से… दिल्ली से सटे बागपत जिले में एक गांव है शाहपुर बडौली. विकास तोमर उर्फ नीटू (32) यहीं का रहने वाला था. उस के पिता किसान थे. 5 भाइयों में नीटू चौथे नंबर का था. 3 भाई उस से बड़े थे. जबकि एक छोटा था. नीटू ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. इंटर तक पढ़ाई करने के बाद वह दिल्ली चला आया था. करीब 12 साल पहले वह जब दिल्ली आया था तो उस के पास 2 जोड़ी कपड़े और पांव में एक जोड़ी जूते थे. नीटू ने एक प्लेसमेंट एजेंसी की मदद से एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. लेकिन जब उसे पहले महीने की सैलरी मिली तो वह आधी थी. पता चला आधी सैलरी कमीशन के रूप में प्लेसमेंट एजेंसी ने अपने पास रख ली.

नीटू ने उस फैक्ट्री में 5 महीने तक नौकरी की. लेकिन हर महीने सैलरी में से एक फिक्स रकम प्लेसमेंट एजेंसी कमीशन के रूप में काट लेती थी. अगर नीटू विरोध करता तो प्लेसमेंट एजेंसी उसे नौकरी से निकालने की धमकी देती. नीटू को लगा कि नौकरी से तो अच्छा है कि प्लेसमेंट एजेंसी खोल लो और दूसरों की कमाई पर खुद ऐश करो. लेकिन प्लेसमेंट एजेंसी यानी कि लोगों को नौकरी दिलाने का कारोबार चलता कैसे है. इस सवाल का जवाब पाने के लिए नीटू ने नांगलोई की एक प्लेसमेंट एजेंसी में करीब 6 महीने तक पहले औफिस बौय फिर सुपरवाइजर की नौकरी की.

नौकरी करना तो एक बहाना था ताकि गुजरबसर और खानेखर्चे का इंतजाम होता रहे. असल बात तो यह थी कि नीटू प्लेसमेंट एजेंसी के धंधे के गुर सीखना चाहता था. आखिरकार 7-8 महीने की नौकरी के दौरान नीटू ने प्लेसमेंट एजेंसी चलाने के गुर सीख लिए. इस के बाद उस ने अपने परिवार से आर्थिक मदद ली और नांगलोई के निहाल विहार में ही एक दुकान ले कर प्लेसमेंट एजेंसी का दफ्तर खोल लिया. पास के ही एक मकान में उस ने रहने के लिए कमरा भी ले लिया. प्लेसमेंट एजेंसी चलाने के लिए जरूरी लाइसैंस तथा कानूनी औपचारिकता भी उस ने पूरी कर लीं. संयोग से उस का धंधा चल निकला. देखतेदेखते नीटू लाखों में खेलने लगा. लेकिन दिक्कत यह थी कि वह अकेला पड़ जाता था. उस के पास कोई भरोसे का आदमी नहीं था.

लेकिन जल्द ही उस की ये परेशानी भी दूर हो गई. उसी के गांव में रहने वाला सुधीर जिसे गांव में सब प्यार से लीलू कहते थे, उस के साथ काम करने के लिए तैयार हो गया. नीटू ने लीलू को अपने साथ रख लिया और तय किया कि वह उसे सैलरी नहीं देगा बल्कि जो भी कमाई होगी, उस में से एक चौथाई का हिस्सा उसे मिलेगा. इस के बाद तो कुदरत ने नीटू का ऐसा हाथ पकड़ा कि देखते ही देखते उस का धंधा तेजी से चल निकला और उस के ऊपर पैसे की बारिश होने लगी.

अचानक हुई हत्या नीटू के एक बड़े भाई की पिछले साल एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. 22 जून, 2020 को उस की बरसी थी. भाई की बरसी पर घर में होने वाले हवनपूजा और दूसरे रीतिरिवाजों को पूरा करने के लिए नीटू गांव में अपने परिवार के पास आया हुआ था. वैसे भी कोरोना वायरस की वजह से लगे लौकडाउन के बाद कामधंधे ठप पड़े थे. इसलिए नीटू ने सोचा कि जब पूजापाठ के लिए गांव आया हूं तो क्यों न घर में छोटेमोटे बिगड़े पड़े कामों को सुधार लिया जाए.

घर से थोड़ी दूरी पर बने घेर (पशुओं का बाड़ा और बैठक) में 19 जून को नीटू ने बोरिंग कराने का काम शुरू कराया था. सुबह से शाम हो गई थी. काम अभी भी बाकी था. रात के करीब साढ़े 8 बज चुके थे. नीटू का छोटा भाई बबलू और बड़ा भाई अजीत घेर में उस के पास बैठे गपशप कर रहे थे. तभी अचानक एक पल्सर बाइक तेजी से घेर के बाहर आकर रुकी. बाइक पर 3 लोग सवार थे, जिन में से 2 गाड़ी से उतरे और घेर के अंदर आ गए. तीनों भाई दरवाजे से 8-10 कदम की दूरी पर पड़ी अलगअलग चारपाइयों पर बैठे थे. उन्होंने सोचा बाइक से उतरे लड़के शायद कुछ पूछना चाहते होंगे.

दोनों लड़कों ने कुर्ता और जींस पहन रखी थी. मुंह पर मास्क की तरह गमछे बांधे हुए थे. क्षण भर में दोनों लड़के नीटू की चारपाई के पास पहुंचे. इस से पहले कि नीटू या उस के भाई कुछ पूछते अचानक दोनों युवकों ने कुर्ते के नीचे हाथ डाल कर तमंचे निकाले और एक के बाद एक 2 गोलियां चलाईं, जिस में से एक गोली नीटू की छाती में लगी दूसरी उस की कनपटी पर. गोली चलते ही दोनों भाइयों के पांव तले की जमीन खिसक गई. जान बचाने के लिए वे चीखते हुए घेर के भीतर की तरफ भागे. मुश्किल से 3 या 4 मिनट लगे होंगे. जब हमलावरों को इत्मीनान हो गया कि नीटू की मौत हो चुकी है तो वे जिस बाइक से आए थे, दौड़ते हुए उसी पर जा बैठे और आखों से ओझल हो गए.

गोली चलने और चीखपुकार सुन कर गांव के लोग एकत्र हो गए. सारा माजरा पता चला तो नीटू के परिवार के लोग भी घटनास्थल पर पहुंच गए. देखते देखते पूरा गांव नीटू के घेर के अहाते के बाहर एकत्र हो गया. गांव के लोग इस बात पर हैरान थे कि हमलावरों ने 3 भाइयों में से केवल नीटू को ही गोलियों का निशाना क्यों बनाया. नीटू तो वैसे भी गांव में नहीं रहता था फिर उस की किसी से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि उस की हत्या कर दी गई. इस दौरान गांव के प्रधान ने इस वारदात की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी थी. वहां से यह सूचना बड़ौत थाने की पुलिस को दी गई.

लौकडाउन का दौर चल रहा था. लिहाजा पुलिस भी लौकडाउन का पालन कराने के लिए सड़कों पर ही थी. बड़ौत थानाप्रभारी अजय शर्मा को जैसे ही शाहपुर बडौली में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या करने की सूचना मिली तो वह एसएसआई धीरेंद्र सिंह तथा अपनी पुलिस टीम के साथ बडौली गांव में पहुंच गए. सूचना मिलने के करीब एक घंटे के भीतर बड़ौत इलाके के सीओ आलोक सिंह, एडीशनल एसपी अनित कुमार तथा एसपी अजय कुमार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. चश्मदीद के तौर पर 2 ही लोग थे नीटू के भाई अजीत व बबलू. दोनों न अक्षरश: पुलिस के सामने वह घटनाक्रम बयान कर दिया जो हुआ था.

लेकिन वारदात को किस ने अंजाम दिया, नीटू की हत्या क्यों हुई, क्या उस की किसी से दुश्मनी थी. कातिल कौन हो सकता है, जैसे पुलिस के सवालों के जवाब परिवार का कोई भी शख्स नहीं दे पाया. वजह यह कि नीटू की हत्या खुद उन के लिए भी एक पहेली की तरह ही थी. हत्या का कारण पता नहीं चला बहरहाल पुलिस को तत्काल नीटू की हत्या के मामले में कोई अहम जानकारी नहीं मिल सकी. इसलिए रात में ही शव को पोस्टमार्टम के लिए बागपत के सरकारी अस्पताल भिजवा दिया गया. नीटू की हत्या का मामला बड़ौत कोतवाली में भादंसं की धारा 302, 452, 506 और दफा 34 के तहत दर्ज कर लिया गया.

एसपी अजय कुमार ने एएसपी अनित कुमार सिंह की निगरानी में एक पुलिस टीम गठित करने का आदेश दिया. सीओ आलोक सिंह के नेतृत्व में गठित इस टीम में बड़ौत थानाप्रभारी अजय शर्मा के अलावा एसएसआई धीरेंद्र सिंह, कांस्टेबल विशाल कुमार, हरीश, देवेश कसाना, रोहित भाटी, अजीत के अलावा महिला उपनिरीक्षक साक्षी सिंह तथा महिला कांस्टेबल तनु को भी शामिल किया गया. पुलिस ने गांव में कुछ मुखबिर भी तैनात कर दिए ताकि लोगों के बीच चल रही चर्चाओं की जानकारी मिल सके.

शुरुआती जांच के बाद यह बात सामने आई कि संभव है इस वारदात को नीटू की पहली पत्नी रजनी ने अंजाम दिया हो. पता चला नीटू ने अपनी पत्नी को कई सालों से छोड़ रखा था. वह दिल्ली में अपने मायके में रहती थी, लेकिन उसके दोनों बच्चे गांव में नीटू के घरवालों के पास रहते थे. साथ ही पुलिस को यह भी पता चला कि जिस रात नीटू की हत्या हुई उसी रात सूचना मिलने के बाद नीटू की पहली पत्नी रजनी रात को करीब 1 बजे गांव पहुंच गई थी. रजनी के पास अपने पति की हत्या कराने का आधार तो था, लेकिन बिना सबूत के उस पर हाथ डालना उचित नहीं था. इसलिए पुलिस ने रजनी का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की डिटेल्स निकलवा ली. पुलिस टीम ने जांच को आगे बढाया तो एक और आशंका हुई कि हो ना हो गांव के ही किसी शख्स ने हत्यारों को नीटू के गांव में होने की सूचना दी हो.

क्योंकि आमतौर पर नीटू गांव में कम ही आता था और अगर आता भी था तो केवल एक रात के लिए. एक आंशका ये भी थी कि संभवत: नीटू की हत्या के तार दिल्ली से जुड़े हों. दिल्ली में या तो उस की किसी से कोई दुश्मनी रही होगी या लेनदेन का विवाद. इसलिए पुलिस की एक टीम ने परिवार वालों से जानकारी ले कर दिल्ली स्थित नीटू के 2 मकानों पर दबिश दी तो पता चला विकास उर्फ नीटू ने एक नहीं बल्कि 4 शादियां की थीं. दिल्ली में नीटू के घर में रहने वाले किराएदारों और उस की प्लेसमेंट एजेंसी में काम करने वाले कर्मचारियों से पता चला कि नीटू रंगीनमिजाज इंसान था और अपनी अय्याशियों के कारण महिलाओं से एक के बाद एक शादी करता रहा था.

लेकिन पुलिस को किसी से भी नीटू की अन्य पत्नियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी. इसी बीच अचानक मामले में एक नया मोड़ आया. 22 मई को 2 महिलाएं बड़ौत थाने पहुंच कर जांच अधिकारी अजय शर्मा से मिलीं. पता चला कि उन में से एक महिला विकास की दूसरे नंबर की पत्नी शिखा थी और दूसरी कविता जो उस की वर्तमान व चौथे नंबर की पत्नी थी.  उन दोनों ने बताया कि नीटू की पहली पत्नी रजनी ने 2018 में भी एक बार नीटू को मरवाने की साजिश रची थी. ये बात खुद नीटू ने उन से कही थी. शिखा और कविता से जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने रजनी के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स की पड़ताल के बाद पता चला कि जिस रात नीटू की हत्या की गई उसी रात रजनी के मोबाइल पर 9 बजे से 10 बजे के बीच एक ही नंबर से 2 काल आई थीं. जब इन काल्स के बारे में पता किया गया तो जानकारी मिली कि जिस नंबर से काल आईं वह शाहपुर बडौली में रहने वाले नीटू के दोस्त और पुराने पार्टनर सुधीर उर्फ लीलू का था. आखिर ऐसी कौन सी बात थी कि इतनी रात में लीलू ने नीटू की पत्नी को 2 बार फोन किए. कहीं ऐसा तो नहीं कि लीलू ही वो शख्स हो, जिस ने कातिलों को नीटू के उस रात गांव में होने की जानकारी दी हो.

संदेह के घेरे में रजनी और लीलू पुलिस को जैसे ही लीलू पर शक हुआ उस के मोबाइल की कुंडली खंगाली गई. पता चला उस रात कत्ल से पहले लीलू की 2 अंजान नंबरों पर भी बात हुई थी. वे दोनों नंबर गांव के किसी व्यक्ति के नहीं थे, लेकिन दोनों नंबरों की लोकेशन गांव में ही थी. गुत्थियां काफी उलझी हुई थीं, जिन्हें सुलझाने के लिए पुलिस ने सुधीर व नीटू की पहली पत्नी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने जब उन के सामने मोबाइल फोन की डिटेल्स सामने रख कर पूछताछ शुरू की तो बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. नीटू हत्याकांड की गुत्थी खुद ब खुद सुलझती चली गई.

जिस के बाद पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछा कर 25 जून को बावली गांव की पट्टी देशू निवासी रोहित उर्फ पुष्पेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. पता चला उसी ने बावली गांव के रहने वाले अपने 2 साथियों सचिन और रवि उर्फ दीवाना के साथ मिल कर नीटू की गोली मार कर हत्या की थी. पुलिस ने जब रजनी, सुधीर उर्फ लीलू तथा रोहित से पूछताछ की तो नीटू की हत्या के पीछे उस के रिश्तों की उलझन की कहानी कुछ इस तरह सामने आई. विकास ने जिन दिनों दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसी खोली थी, वह उन दिनों दिल्ली के निहाल विहार में रजनी के घर में किराए का कमरा ले कर रहता था. 2009 में दोनों की यहीं पर जानपहचान हुई थी.

नीटू अय्याश रंगीनमिजाज जवान था, वह अकेला रहता था और उसे एक औरत के जिस्म की जरूरत थी. धीरेधीरे उस ने रजनी से दोस्ती कर ली. रजनी को भी नीटू अच्छा लगा. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों के बीच रिश्ते भी बन गए. लेकिन कुछ समय बाद जब रजनी के परिवार वालों को दोनों के रिश्तों की भनक लगी तो उन्होंने रजनी से शादी करने का दबाव डाला. फलस्वरूप नीटू को रजनी से शादी करनी पड़ी. इस के बाद नीटू ने रजनी के परिवार वाला मकान छोड़ दिया. चूंकि इस दौरान उस का कामधंधा काफी जम गया था और कमाई अच्छी हो रही थी, इसलिए उस ने नांगलोई में एक प्लौट ले कर उस पर मकान बनवा लिया था. रजनी को ले कर नीटू उसी मकान में रहने लगा.

दोनों की जिंदगी ठीक गुजर रही थी. रजनी और नीटू के 2 बेटे हुए . लेकिन रजनी नीटू की एक बुरी आदत से अंजान थी. प्लेसमेंट के धंधे से होने वाली अच्छीखासी कमाई थी. जब पैसा आया तो अय्याशी का शौक लग गया. इसी के चलते प्लेसमेंट औफिस में धंधा करने वाली लड़कियों को बुला कर अय्याशी करने लगा. जब इंसान के पास इफरात में दौलत आती है तो कई को शराब की लत लग जाती है. औफिस में पीना पिलाना नीटू की रोजमर्रा की आदत बन गई. रजनी को नीटू की अय्याशियों का पता तब चला, जब नीटू के गांव का ही रहने वाला सुधीर उर्फ लीलू नीटू के साथ धंधे में उस का पार्टनर बना.

रजनी बच्चों के साथ अक्सर नीटू के गांव भी जाती थी. गांव के दोस्त रजनी को नीटू की पत्नी होने के कारण भाभी कह कर बुलाते थे. नीटू ने लीलू को अपने ही घर में रहने के लिए एक कमरा दे दिया था. इसीलिए घर में रहतेरहते लीलू को रजनी से काफी लगाव हो गया था. उसे यह देखकर बुरा लगता कि 2 बच्चों का पिता बन जाने और घर में अच्छीखासी पत्नी होने के बावजूद नीटू अपनी कमाई बाजारू औरतों पर लुटाता है. रजनी से हमदर्दी के कारण एक दिन लीलू ने रजनी को नीटू की अय्याशियों के बारे में बता दिया. नीटू की बेवफाई और अय्याशियों के बारे में पता चलने के बाद रजनी ने उस पर निगाह रखनी शुरू कर दी और एकदो बार उसे औफिस में अय्याशी करते पकड़ भी लिया. इस के बाद रजनी व नीटू में अक्सर झगड़ा होने लगा.

नीटू की अय्याशी अब घर में कलह का कारण बन गई. इस दौरान नीटू ने इफरात में होने वाली आमदनी से निहाल विहार में ही एक और प्लौट खरीद कर उस पर भी एक मकान बना लिया था. उस ने उसी मकान को अपनी अय्याशी का नया अड्डा बना लिया. 2 बच्चों को जन्म देने के बाद रजनी का शरीर ढलने लगा था. उस में नीटू को अब वो आकर्षण नहीं दिखता था जो उसे रजनी की तरफ खींचता था. बात बढ़ती गई नीटू की अय्याशी की लत के कारण रजनी से उस की खटपट व झगड़े इस कदर बढ़ गए कि एक दिन रजनी दोनों बच्चों को छोड़ कर अपने मायके चली गई. दरअसल उन के बीच हुए इस अलगाव की वजह थी शिखा नाम की नीटू की प्रेमिका जिस के बारे में उसे पता चला था कि नीटू उस से शादी करने वाला है.

जब रजनी उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई तो नीटू का रास्ता साफ हो गया, लिहाजा उस ने शिखा से शादी कर ली. शिखा के परिवार वालों ने नीटू के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. साथ ही उन्होंने अपनी तहरीर में आरोप लगाया कि उन की बेटी नाबालिग है. लेकिन शिखा ने अदालत में इस बात का प्रमाण दे दिया कि वह बालिग है. इस पर अदालत ने उसे बालिग मान कर न सिर्फ नीटू के खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज कर दिया बल्कि उस की शादी को भी वैध करार दिया. इस दौरान नीटू के दोनों बच्चे गांव में उस के मातापिता के पास रहने लगे थे. तब तक नीटू ने परिवार के अलावा गांव वालों को इस बात की भनक नहीं लगने दी थी कि उस ने रजनी को छोड़ कर दूसरी लड़की से शादी कर ली है.

चूंकि रजनी उस के बच्चों की मां थी इसलिए नीटू कभीकभी उसे बच्चों से मिलाने के लिए अपने साथ गांव ले जाता था. रजनी पहली पत्नी थी और उस से नीटू का कानूनी तलाक भी नहीं हुआ था, इसलिए जब वह उस के साथ शारीरिक संबध भी बनाता रहता था. रजनी भी कभी इनकार नहीं कर पाती थी. इसी दौरान लीलू ने अपनी निजी जरूरत के लिए नीटू से 12 लाख रुपए लिए और कुछ समय बाद वापस करने का वादा कर दिया. लेकिन काफी दिन बीत जाने पर भी जब वह पैसे वापस नहीं कर पाया तो नीटू ने उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.

आखिर एक दिन ऐसी नौबत आई कि नीटू व लीलू में इस बात को ले कर खटपट इतनी बढ़ गई कि नीटू ने उस का हिसाबकिताब चुकता कर उसे पार्टनरशिप से हटा दिया. लेकिन इस के बावजूद नीटू के उस पर 10 लाख रुपए बकाया रह गए. अब नीटू जब भी बच्चों से मिलने के लिए गांव जाता तो लीलू पर अपनी रकम वापस करने का दबाव डालता था. कुछ इंसान गलतियों से भी सीख नहीं लेते. नीटू भी ऐसा ही इंसान था. दौलत की चमक ने उस में अय्याशी की जो भूख पैदा कर दी थी, उसे पूरा करने के बावजूद वह अय्याशियों से बाज नहीं आया. लिहाजा 2019 आतेआते नीटू का अपने ही दफ्तर में काम करने वाली एक लड़की ज्योति पर दिल आ गया और उस ने ज्योति से आर्यसमाज मंदिर में शादी कर के उसे किराए के एक मकान में रख दिया.

वह कभी शिखा के पास चला जाता तो कभी ज्योति की बाहों का हार बन जाता. लेकिन एक दिन शिखा पर उस की तीसरी शादी का राज खुल गया तो शिखा से उस का झगड़ा शुरू हो गया. आखिर एक दिन शिखा ने पुलिस बुला ली. जिस के बाद शिखा ने 4 लाख रुपए ले कर नीटू को तलाक दे दिया. जब ज्योति को इस बात का पता चला कि उस से पहले नीटू 2 शादी कर चुका है और इस के अलावा भी कई लड़कियों के साथ उस के संबंध हैं तो 2019 खत्म होतेहोते उस ने भी नीटू से नाता तोड़ लिया और तलाक का आवेदन कर दिया. उधर लीलू नीटू के कर्ज को ले कर परेशान था. वह नीटू की पत्नी रजनी के लगातार संपर्क में था और नीटू की तीनों शादियों के बारे में उसे भी बता दिया था.

इसी बीच जब ज्योति नीटू को छोड़ कर चली गई तो एक बार फिर उसे औरत की जरूरत महसूस होने लगी. इस बार उस ने शादी डौट कौम पर जीवनसाथी की तलाश कर एक ऐसी लड़की के साथ शादी करने का फैसला किया जो उस के दोनों बच्चों को भी अपना सके. नीटू की तलाश जल्द ही पूरी हो गई. गुरुग्राम में रहने वाली कविता भी जीवनसाथी खोज रही थी, जिस ने एक बच्चा होने के बाद अपने पति की शराब की लत से परेशान हो कर उसे तलाक दे दिया था. कविता संपन्न परिवार की लड़की थी. कविता के साथ बात आगे बढ़ी तो उस ने नीटू के दोनों बच्चों को अपनाने की सहमति दे दी. नीटू ने भी कविता की बेटी को पिता का नाम देने और उसे अपनाने की अनुमति दे दी.

सपना, सपना ही रह गया लौकडाउन के दौरान 20 मई को परिवार वालों की मौजूदगी में नीटू ने कविता से शादी कर ली. शादी के बाद नीटू कविता को ले कर अपने गांव भी गया और उसे दोनों बच्चों से भी मिलाया. नीटू ने फैसला कर लिया था कि कोरोना का चक्कर खत्म होने के बाद जब लौकडाउन पूरी तरह खत्म हो जाएगा तो दोनों बच्चों व कविता को उस की बेटी के साथ दिल्ली के मकान में ले आएगा. फिलहाल कविता अपनी बेटी के साथ अपने मायके में ही रह रही थी. इस दौरान सुधीर उर्फ लीलू के जरिए रजनी को यह बात पता चल गई कि नीटू ने फिर से चौथी शादी कर ली है.

इस बार उस ने जिस लड़की से शादी की है वो नीटू के परिवार को भी काफी पसंद आई है तो रजनी अपने भविष्य को ले कर चिंता में पड़ गई. क्योंकि नीटू ने एक तो उसे छोड़ दिया था, ऊपर से उसे खर्चा भी नहीं देता था. अगर कविता से उस के संबध सही रहे तो उस के दोनों बच्चे भी उस के हाथ से चले जाएंगे. ऐसे में न तो उसे नीटू की प्रौपर्टी में से कोई हिस्सा मिलेगा न ही उसे बच्चे मिलेंगे. लिहाजा उस ने लीलू को दिल्ली बुला कर कोई ऐसा उपाय करने को कहा जिस से उसे नीटू की प्रौपर्टी में हिस्सा मिल जाए. लीलू तो पहले ही नीटू से छुटकारा पाने की सोच रहा था. लिहाजा उस ने रजनी से कहा कि अगर नीटू की हत्या करा दी जाए तो न सिर्फ उस से छुटकारा मिल जाएगा बल्कि उस की प्रौपर्टी भी उसे ही मिल जाएगी.

एक बार इंसान के दिमाग में खुराफात समा जाए तो फिर अपने लालच को पूरा करने के लिए वह उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेता है. रजनी ने लीलू से कहा कि अगर वह किसी कौंट्रेक्ट किलर से नीटू की हत्या करवा दे तो वह केवल नीटू का दिया कर्ज माफ कर देगी बल्कि नीटू का निहाल विहार वाला दूसरा मकान जिस की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है, उस के नाम कर देगी. साथ ही उस ने ये भी कहा कि हत्या कराने के लिए जो भी खर्च आएगा वो उस का भी आधा खर्च उसे दे देगी. लीलू तो पहले ही अपने कर्ज से मुक्ति और नीटू से बदला लेने के लिए किसी ऐसे ही मौके की तलाश में था, अब तो उसे बड़ा फायदा होने की भी उम्मीद थी, लिहाजा उस ने रजनी की बात मान ली.

सुधीर उर्फ लीलू ने विकास की हत्या करने के लिए कौन्ट्रैक्ट किलर से संपर्क किया. बागपत के ही रोहित उर्फ पुष्पेंद्र, सचिन और रवि से उस की पुरानी जानपहचान थी. उस ने इस काम के लिए उन तीनों को 6 लाख की सुपारी देना तय किया. 3 लाख रुपए एडवांस दे दिए. लीलू ने उन्हें बता दिया था कि नीटू दिल्ली से अपने गांव आने वाला है, गांव में उस की हत्या को अंजाम देना है. 19 जून को दिन में ही लीलू ने हत्यारों को फोन कर के बता दिया था कि नीटू अपने घेर में बोरिंग करवा रहा है. घेर में उसे मारना बेहद आसान है, इसलिए आज ही मौका देख कर उस का खात्मा कर दें. शाम को रोहित नाम का बदमाश गांव में आया और लीलू से मिला. लीलू ने उसे नीटू का घेर दिखा दिया और अपने साथ ले जा कर रोहित को नीटू की शक्ल भी दिखा दी. उस के बाद वे लोग चले गए.

रात को करीब साढे़ 8 बजे जब पूरी तरह अंधेरा छा गया तो रोहित अपने दोनों साथियों रवि और सचिन के साथ स्पलेंडर बाइक पर गमछे बांध कर घेर पर पहुंचा और विकास उर्फ नीटू की गोली मार कर हत्या कर दी. पुलिस ने पूछताछ के बाद अभियुक्त रोहित के कब्जे से 1 लाख 20 हजार रुपए, घटना में प्रयुक्त एक स्पलेंडर बाइक, एक तमंचा 315 बोर और 2 जिंदा कारतूस बरामद कर लिए, जबकि नीटू की हत्या की सुपारी देने वाले आरोपी सुधीर उर्फ लीलू से 2 लाख रुपए नकद और स्कोडा कार बरामद हुई.  रजनी से 4 हजार रुपए बरामद किए गए.

रोहित से पूछताछ में पता चला कि 12 जून, 2020 को उस ने अपने 2 साथियों के साथ अब्दुल रहमान उर्फ मोनू पुत्र बाबू खान, निवासी बावली जोकि खल मंडी में एक आढ़ती के पास पल्लेदार का काम करता है, से 93,500 रुपए लूट लिए थे, इन्हीं पैसों से उन्होंने नीटू की हत्या के लिए हथियार खरीदे थे क्योंकि घटना को अंजाम देने के लिए हथियारों की व्यवस्था करने का काम शूटर्स का ही था. नीटू हत्याकांड के तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. 2 फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस  प्रयास कर रही थी.

—कथा पुलिस व पीडि़त परिवार से मिली जानकारी पर आधारित