वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में साहिब खान उर्फ बंटी से पूछताछ की गई तो मुनव्वर के परिवार के 6 लोगों की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—
मुनव्वर हसन मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. वह पिछले 15 सालों से उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में रह रहा था. उस का प्रौपर्टी डीलिंग का धंधा अच्छाखासा चल रहा था. अकसर वह विवादित और झगड़े वाली प्रौपर्टी ही खरीदता था. इस तरह की प्रौपर्टी में उसे अच्छा मुनाफा होता था. साहिब खान उर्फ बंटी से उस की लगभग 8 साल पहले मुलाकात हुई थी. उस ने 8 साल पहले मुनव्वर की मार्फत बुराड़ी में एक प्लौट खरीदा था. इस के बाद बंटी का मुनव्वर के साथ उठनाबैठना हो गया था.
बंटी मूलरूप से मेरठ का रहने वाला था और वह थोड़ा धाकड़ किस्म का आदमी था. चूंकि दोनों एक ही इलाके के रहने वाले थे, इसलिए जल्द ही दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई. मुनव्वर को लगा कि अगर बंटी को अपना पार्टनर बना ले तो धंधा अच्छा चल सकता है. इस संबंध में मुनव्वर ने बंटी के पिता से बात की तो उन्होंने बंटी को उस के साथ पार्टनरशिप में प्रौपर्टी का काम करने की इजाजत दे दी. इस के बाद मुनव्वर और बंटी पार्टनरशिप में धंधा करने लगे. कुछ ही दिनों में बंटी मुनव्वर का विश्वासपात्र बन गया.
बुराड़ी के कई प्लौटों, अपार्टमेंट और मकानों पर अवैध कब्जा करने में बंटी ने मुनव्वर का साथ दिया. इस काम के लिए वह कई बार अपने इलाके के बदमाशों को भी लाया. दबंग भूमाफिया छवि के कारण मुनव्वर का पूरे इलाके में खौफ था. लोग उस से डरते थे. कोई भी भला आदमी उस से पंगा नहीं लेना चाहता था. मुनव्वर ने अपनी इसी दबंगई के चलते करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित कर ली थी.
अपनी दबंगई को भुनाने के लिए उस ने सन 2009 में दिल्ली के बादली विधानसभा क्षेत्र से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा. वह चुनाव तो नहीं जीत सका, पर उस की राजनैतिक गलियारे में पैठ बन गई. अब उस का रुतबा और ज्यादा बढ़ गया. बंटी उस का ऐसा दोस्त था, जो साए की तरह उस के साथ रहता था. इलाके में दोनों की जोड़ी मशहूर थी.
कभीकभी आदमी को उन्हीं लोगों से मात मिल जाती है, जिन पर वे आंख मूंद कर विश्वास करते हैं. उसी तरह बंटी भी आस्तीन का सांप निकला. लेकिन इस की शुरुआत मुनव्वर ने ही की थी. दरअसल एक बार मुनव्वर ने बंटी से 20 लाख रुपए लिए. बारबार मांगने के बावजूद मुनव्वर उस के पैसे नहीं लौटा रहा था. इस के अलावा मुनव्वर ने बंटी के एक प्लौट पर भी कब्जा कर लिया था.
बंटी जब भी उस से अपने पैसे मांगता, वह उसे अंजाम भुगतने की धमकी दे कर चुप करा देता था. मुनव्वर के इस व्यवहार से बंटी परेशान हो चुका था. 20 लाख रुपए कोई छोटी रकम नहीं होती, जो वह छोड़ देता. वह अकसर यही सोचता कि मुनव्वर से अपने पैसे कैसे वसूल करे? मुनव्वर की इन्हीं हरकतों से बंटी के मन में उस के लिए नफरत पैदा हो गई, पर वह दिखावे के तौर पर उस का और उस के परिवार का वफादार बना रहा.
उसी बीच 19 जनवरी, 2017 को मुनव्वर दुष्कर्म के आरोप में जेल चला गया. इस के बाद बंटी ही उस के परिवार की देखरेख करता रहा. वह भी पत्नी और एक बच्चे के साथ बुराड़ी में ही रहता था. वह अपने परिवार के साथसाथ मुनव्वर की बीवी और 4 बच्चों का हर तरह से खयाल रख रहा था. यही नहीं, वह मुनव्वर के केस की पैरवी भी कर रहा था.
एक दिन बंटी अपने औफिस में अकेला बैठा था, तभी उस के दिमाग में आया कि उस ने तो मुनव्वर को बड़ा भाई मानते हुए पूरी ईमानदारी से उस का साथ दिया, पर मुनव्वर ने उस की वफा का ऐसा सिला दिया, जिसे वह भुला नहीं पा रहा है.
उसे पता ही था कि मुनव्वर के पास दो, ढाई करोड़ रुपए की संपत्ति है. उसी समय उस के मन में लालच आ गया कि अगर मुनव्वर और उस के बीवीबच्चों को ठिकाने लगा दिया जाए तो उस की सारी संपत्ति पर उस का कब्जा हो सकता है. उस ने तय कर लिया कि वह उस धोखेबाज के साथ ऐसा ही करेगा.
मुनव्वर जेल में था. उस के बाहर आने से पहले ही वह उस की पत्नी और बच्चों को इस तरह ठिकाने लगाना चाहता था कि किसी को भी उस पर शक न हो. बंटी ने मल्टीप्लेक्स में फिल्म ‘दृश्यम’ देखी थी. अचानक उस फिल्म की कहानी याद आ गई. इसी फिल्म की कहानी के आधार पर उस ने मुनव्वर के परिवार की हत्या कर शवों को ठिकाने लगाने का विचार किया.
इस के बाद बंटी ने यह फिल्म कई बार देखी. औफिस में जब भी वह अकेला होता, यही फिल्म देखता. वह एक खौफनाक साजिश रचने लगा. आखिर उस ने एक फूलप्रूफ योजना बना डाली. योजना में उस ने अपने दोस्त दीपक और 5 पेशेवर हत्यारों फिरोज, जुल्फिकार, जावेद, उस के भाई वाहिद और जसवंत को शामिल किया. ये सारे बदमाश मेरठ के रहने वाले थे.
बंटी के पिता की मेरठ में लोहा और स्टील के गेट वगैरह बनाने का कारखाना है. मेरठ के समोली गांव का जुल्फिकार उस के पिता के यहां वेल्डिंग का काम करता था. वह पेशेवर शूटर था. उस के काम छोड़ने पर उसी के गांव का रहने वाला फिरोज वहां वेल्डिंग का काम करने लगा था. वह भी बदमाश था. इन्हीं दोनों के जरिए बंटी की अन्य बदमाशों से जानपहचान हुई थी. बंटी कई बार इन्हें प्रौपर्टी पर कब्जा करने के लिए दिल्ली भी लाया था. 3 लाख रुपए में बंटी ने उन से डील फाइनल कर दी.
योजना को कैसे अंजाम देना है, यह बात बंटी ने पहले ही उन्हें बता दी थी. 20 अप्रैल, 2017 को मुनव्वर के बच्चों की परीक्षाएं समाप्त हुईं. सोनिया ने जब से मुनव्वर से लवमैरिज की थी, तब से उस के घर वाले उस से खफा थे. कभीकभार वह अपनी बहन और मां से फोन पर बातें कर लेती थी.
21 अप्रैल को बंटी अपनी एसएक्स-4 कार से सोनिया उर्फ इशरत को उस की बहन से मिलाने सहारनपुर ले गया. इशरत अपनी जवान बेटियों अर्शिता उर्फ अर्शी और आरजू को घर पर नहीं छोड़ना चाहती थी, इसलिए दोनों बेटियों को भी साथ ले गई थी.
बहन से मिलने के बाद इशरत 22 अप्रैल को दिल्ली लौट रही थी, तभी रास्ते में बंटी को दीपक मिला. बंटी ने उसे भी कार में बैठा लिया. रात साढ़े 11 बजे के करीब सभी दौराला के समोली गांव पहुंचे. वहीं से वह कार को अख्तियारपुर के जंगल में 3 किलोमीटर अंदर ले गया.
वैसे तो इशरत और उस के बच्चे बंटी पर विश्वास करते थे. इस के बावजूद इशरत ने जब कार को जंगल में ले जाने की वजह पूछी तो बंटी ने कहा कि इस समय हाईवे पर बहुत जाम मिलता है, इसलिए शौर्टकट से चल रहा है. इस पर इशरत चुप हो गई.