
इंसपेक्टर सुखबीर सिंह ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दी. भोली के बयान के आधार पर पुलिस ने नरेंदर चौहान और उस की मां सुदेश चौहान के खिलाफ भादंवि की धारा 302/34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी.
3 डाक्टरों के पैनल ने शमा की लाश का पोस्टमार्टम कर जो रिपोर्ट दी, उस में उन्होंने साफ लिखा था कि शमा एक किन्नर थी और उस की मौत गला घोंटने और गरदन पर कोई तेज नुकीली चीज के वार से हुई थी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस ने नरेंदर की तलाश शुरू कर दी. इस के लिए पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही.
खास मुखबिर भी नरेंदर की तलाश में दिनरात एक किए हुए थे. 7 जुलाई 2017 को एक मुखबिर ने सूचना दी कि नरेंदर अपनी मां के साथ दिल्ली के सब्जीमंडी क्षेत्र में छिपा हुआ है.
सूचना मिलते ही पुलिस टीम दिल्ली रवाना हो गई और मुखबिर द्वारा बताए पते पर दबिश दे कर नरेंदर को गिरफ्तार कर के दिल्ली से जालंधर ले आई. उस समय वहां उस की मां मौजूद नहीं थी.
नरेंदर को अदालत में पेश कर 2 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया पर रिमांड अवधि में उस ने अपना मुंह नहीं खोला. तब 10 जुलाई को उसे फिर से अदालत में पेश कर 3 दिन के रिमांड पर ले कर सख्ती से पूछताछ की गई.
आखिर उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही शमा की हत्या की थी. पुलिस अधिकारियों के सामने अपनी कहानी बताते हुए वह जोरजोर से दहाड़ें मार कर रोने लगा. उस ने उस की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—
नरेंदर अपनी मां के साथ दिल्ली में रह रहा था और औटो चला कर अपना गुजारा कर रहा था, जबकि शमा जालंधर में आर्केस्ट्रा का काम करते हुए अपनी मां और भाईबहनों के साथ रह रही थी. इत्तफाक से दिल्ली में नरेंदर की मां बीमार रहने लगी थी उस की सेवा के लिए नरेंदर का काम प्रभावित होने लगा था.
मां के इलाज पर भी काफी खर्च आ रहा था. ऐसे में जालंधर में रहने वाले नरेंदर के भाई सुरेंदर ने उसे सलाह दी कि वह मां को ले कर जालंधर चला आए. दोनों भाई मिल कर मां का इलाज भी करवा लेंगे और कामधंधा भी प्रभावित नहीं होगा.
भाई की सलाह मान कर नरेंदर मां को साथ ले कर दिल्ली छोड़ कर जालंधर की बस्ती शेख में किराए का कमरा ले कर रहने लगा यहां भी उस ने औटो चलाना शुरू कर दिया था.
यह लगभग 3 महीने पहले की बात है. तब तक न शमा जानती थी कि नरेंदर इन दिनों जालंधर में है और न ही नरेंदर यह बात जानता था कि शमा अब जालंधर में रहती है. नरेंदर शमा को एक दु:स्वप्न समझ कर पूरी तरह भुला चुका था.
30 अप्रैल, 2017 की बात है. उस दिन शाम के समय शमा को नरेंदर के चाचा का लड़का छिंदा बाजार में मिल गया था. दोनों बड़े दिनों बाद मिले थे, इसलिए भीड़ से हट कर आपस में बातें करने लगे. बातोंबातों में छिंदा ने उसे बता दिया कि आजकल नरेंदर भाई भी यहीं रह रहे हैं. शमा ने छिंदा से नरेंदर का फोन नंबर ले लिया.
अगले दिन शमा ने नरेंदर को फोन कर के मिलने की इच्छा जताई तो पहले नरेंद्र ने मिलने से इनकार कर दिया. उस ने कहा, ‘‘अब हमारे बीच कुछ नहीं बचा है, मैं तुम्हें भूल भी चुका हूं इसलिए मिलने का क्या फायदा?’’
‘‘सिर्फ एक बार मैं तुम से मिलना चाहती हूं.’’ शमा ने कहा तो वह तैयार हो गया. उसी दिन पहली मई को शमा रात करीब 8 बजे नरेंदर से मिलने उस के घर पहुंच गई.
शमा को देखते ही नरेंदर का खून खौल उठा. उस की आंखों के सामने बीते दिनों की बातें किसी चलचित्र की तरह दिखाई देने लगी थीं. बड़ी मुश्किल से उस ने अपने गुस्से पर काबू पाते हुए ठंडे लहजे में कहा, ‘‘शमा, तुम्हें यहां मेरे पास नहीं आना चाहिए था. याद है, मैं ने अलग होते समय तुम से क्या कहा था?’’
शमा मुसकरा कर बोली, ‘‘अभी भी गुस्सा हो मुझ से?’’
तभी नरेंदर ने कहा, ‘‘अच्छा, जो हुआ सो हुआ. शायद यही नियति ने लिखा था. अब एक काम करते हैं तुम आर्केस्ट्रा का काम छोड़ दो. हम दोनों अपने प्यार से मिल कर एक नई दुनिया बसाते हैं. रहा सवाल संतान का तो हम कहीं से कोई बच्चा गोद ले लेंगे.’’
‘‘नहीं नरेंदर, अब चाह कर भी मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती और न ही आर्केस्ट्रा का काम छोड़ सकती हूं. मेरे इसी काम से मेरे परिवार का खर्च चलता है. मैं उन्हें भूखा नहीं मार सकती.’’ शमा बोली.
नरेंदर को गुस्सा आ गया. वह उसे गालियां देते हुए बोला, ‘‘तो मेरे पास यहां क्या करने आई है? याद है, मैं ने क्या कहा था. जिस दिन तू मेरे सामने आएगी, मैं तुझे खत्म कर दूंगा.’’ नरेंदर ने उसे जोरदार थप्पड़ रसीद करते हुए कहा, ‘‘मैं सब कुछ भूलभाल कर तुझे अपनाने को दोबारा तैयार हो गया और तू है कि अपने बहनभाई और रंडियों वाले नाचगाने का पेशा छोड़ने को तैयार नहीं है. आज मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’
कह कर नरेंदर वहां से उठ कर दूसरे कमरे में गया और अपनी मां को उठा कर जबरदस्ती बाथरूम में बंद कर दिया. इस के बाद वह शमा के पास पहुंचा और उसी के दुपट्टे से उस ने उस का गला घोंट दिया. कहीं वह जिंदा न रह जाए, यह सोच कर उस ने एक तेजधार चाकू का भरपूर वार शमा की गरदन पर किया था.
उस की हत्या करने के बाद उस ने बाथरूम का दरवाजा खोल कर अपनी मां को बाहर निकाला. मां सुदेश ने बाहर आ कर जब शमा की लाश देखी तो उसे माजरा समझते देर नहीं लगी. सुदेश ने नरेंदर को काफी भलाबुरा कहा. पर अब कुछ नहीं हो सकता था. इस के बाद वह मां को ले कर दिल्ली चला गया. पर पुलिस ने उसे वहीं से ढूंढ निकाला.
उस की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद उसे अदालत में पेश किया गया और अदालत के आदेश पर उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक सुदेश गिरफ्तार नहीं हो सकी थी.
–कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चाओं पर आधारित
सादिक अकसर उसे नशीले पदार्थ मुहैया कराता था. कभीकभार जरूरत पड़ने पर नशीले पदार्थ लेने अनूप रुखसार के घर भी जाता था और जब भी जाता था, तब उस का दिल रुखसार को देख कर बेकाबू होने लगता था, एक तो अधेड़, ऊपर से मामूली शक्लसूरत वाले अनूप को रुखसार पसंद नहीं करती थी इसलिए अनूप की दाल उस के सामने कभी नहीं गली.
सादिक और अनूप की मेल मुलाकातें बढ़ने लगीं और दोनों अकसर साथ बैठ कर नशा भी करने लगे. ऐसे में ही एक दिन जज्बाती हो कर सादिक ने उसे सब कुछ बता दिया कि तलाक के बाद भी वह रुखसार के पास जाता है और सेक्स सुख लेता है.
यह सुनते ही अनूप के खुराफाती दिमाग में यह खयाल आया कि अगर सादिक को शीशे में उतार लिया जाए तो रुखसार के संगमरमरी जिस्म पर फिसलने का मौका मिल सकता है. इतना सोचना था कि वह एकाएक अपने इस नशेड़ी दोस्त पर जरूरत से ज्यादा मेहरबान हो उठा और उस पर दिल खोल कर पैसा खर्च करने लगा. दोनों साथसाथ पार्टी करने लगे.
अनूप का पैसा सादिक के लिए सहूलियत वाली बात थी, इसलिए वह उससे दबने लगा और यही अनूप की मंशा भी थी. फिर एक दिन अनूप ने अपनी दिली ख्वाहिश भी सादिक पर जाहिर कर दी कि उसे भी एक बार रुखसार का सुख चाहिए.
इस पर सादिक तुरंत तैयार हो गया और उसे एक बार रुखसार से हमबिस्तर कराने का वादा भी कर डाला. सादिक का डर यह था कि अगर वह न कहेगा तो अनूप पैसे लुटाना बंद कर देगा और वैसे भी रुखसार अब उस की बीवी नहीं थी.
सादिक ने जब रूख्सार को अनूप की मंशा पूरी करने को कहा तो वह नागिन की तरह फुफकार उठी कि वह उसे कतई पंसद नहीं, चाहे कुछ भी हो जाए वह उस के सामने कभी नहीं बिछेगी. इस पर सादिक को खेल बिगड़ता नजर आया जो यह मान कर चल रहा था कि पैसों की खातिर रुखसार इस पेशकश पर इनकार नहीं करेगी.
अकसर अनूप उससे पूछता रहा कि कब मौज करवा रहे हो और हर बार सादिक उसे हिम्मत बंधाता रहता था कि जल्द ही करवा दूंगा, कोशिश कर रहा हूं तुम सब्र रखो. रुखसार कोई ऐसी वैसी औरत नहीं है, इसलिए मनाने में कुछ वक्त तो लगेगा.
लेकिन वह वक्त कभी नहीं आया जब भी सादिक रुखसार से अनूप को खुश करने की बात कहता तो उस का मूड खराब हो जाता था और वह उसे बुरी तरह दुत्कार देती थी. इसी तरह लंबा वक्त गुजर गया तो अनूप को लगा कि रुखसार के साथ सैक्स करने की उस की ख्वाहिश ख्वाब ही रहेगी.
इसलिए एक दिन उस ने थोड़ी कड़ाई से सादिक से बात की तो दोनों ने एक योजना बना डाली कि जब सीधी अंगुली से घी न निकले तो उसे टेढ़ी कर के घी निकाल लेना चाहिए.
इस योजना में तय हुआ कि सादिक रुखसार को नशे में इतना धुत कर देगा कि उसे होश ही न रहे, फिर अनूप अपनी ख्वाहिश पूरी कर लेगा. अनूप पर रुखसार को पाने की जिद सवार थी इसलिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार बैठा था.
योजना के मुताबिक पहली अक्तूबर सादिक रुखसार को नशा पार्टी की बात कह कर उसे अनूप के पत्तीपुरा वाले मकान में ले गया, जहां तीनों ने जम कर नशा किया और जानबूझ कर रुखसार को ज्यादा डोज दी. रुखसार को नशे में डूबते देख सादिक ने उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश शुरू कर दी. नशे में धुत रुखसार भी उत्तेजित हो गई और यह भूल गई कि अनूप भी घर में ही है.
जल्द ही दोनों निर्वस्त्र हो कर एकदूसरे में समाने लगे. यह दृश्य देख कर अनूप की कनपटियां गर्म हो उठीं, गला खुश्क होने लगा और नसों में खून 240 की स्पीड से दौड़ने लगा. रुखसार निर्वस्त्र हो कर बिना किसी शर्मोहया के सादिक से संबंध बना रही थी.
हल्की रोशनी में उस का दूधिया बदन अनूप की आंखों के सामने था. यह सोच कर उस का दिल धाड़धाड़ करता सीने के बाहर आने को बेताब हुआ जा रहा था कि सादिक के फारिग होने के बाद उस का नंबर है.
थोड़ी देर बाद सादिक और रुखसार अलग हुए तो वासना की आग में जलता अनूप रुखसार के नजदीक पहुंच गया और उस से संबंध बनाने की कोशिश करने लगा. रुखसार नशे में तो थी लेकिन इतनी भी नहीं कि यह न समझ पाती कि अनूप क्या करने की कोशिश कर रहा है.
रुखसार को अनूप की यह हरकत बेहद नागवार गुजरी तो वह गुस्से से भर उठी और नशे में ही एक जोरदार लात अनूप को मार दी. लड़खड़ाए अनूप ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और वह फिर उस पर छा जाने की कोशिश करने लगा, लेकिन हाथपैर मारती रुखसार ने उसे कामयाब नहीं होने दिया.
अब तक चुपचाप तमाशा देख रहे सादिक को भी गुस्सा आ गया और वह अनूप की मदद के लिए आगे गया. उस ने सख्ती से रुखसार के दोनों पैर पकड़ लिए लेकिन रुखसार में जाने कहां से इतनी हिम्मत और ताकत आ गई थी कि उस ने फिर विरोध किया, जिस से अनूप की मंशा अधूरी रह गई.
वासना में डूबे आदमी की हालत क्या हो जाती है, यह उस वक्त अनूप की हालत देख कर समझी जा सकती थी, जो कभी ताकत से रुखसार को हासिल करने की कोशिश कर रहा था और कामयाब न होने पर उस के सामने गिड़गिड़ा भी रहा था कि बस एक बार…
लेकिन जब उसे समझ आ गया कि रुखसार कैसे भी नहीं मानने वाली तो गुस्से में आ कर उस ने रुखसार का गला दबाना शुरू कर दिया, जिस से कुछ ही देर में वह लाश में तब्दील हो गई.
रुखसार के दम तोड़ते ही अनूप ने सादिक की तरफ देखा तो वह बोला, ‘‘तू चिंता मत कर मैं इस की लाश के छोटेछोटे टुकड़े कर दूंगा, तू बस इन्हें ठिकाने लगा देना.’’
ऐसा हुआ भी सादिक ने अपनी बीवी के लाश के टुकड़ेटुकड़े कर डाले, जिन्हें थैलों में भर कर अनूप नाले के पास फेंक आया. चूंकि एक दिन में यह काम मुमकिन नहीं था इसलिए टुकड़ों को ठिकाने लगाने में 2 दिन लग गए.
पुलिस की जांच में यह सब कुछ उस वक्त उजागर हो गया जब एक सीसीटीवी फुटेज में अनूप थैला ले जाते तो दिखा लेकिन वापस लौटते वक्त उस के हाथ खाली थे. दोनों एक एक कर गिरफ्तार हुए तो पुलिस की सख्ती के सामने उन्होंने सारी कहानी सुना डाली.
इस तरह रुखसार की कहानी और जिंदगी दोनों खत्म हो गए. अपने अंजाम की एक हद तक वह खुद भी जिम्मेदार थी. शादी के बाद वह पति की कमजोरी से समझौता कर उसे कामधंधा करने को तैयार कर लेती तो शायद इस तरह मरने से बच जाती.
सादिक भी कम गुनहगार नहीं जो अपने निकम्मेपन के चलते नशे के कारोबार और लत में अच्छाबुरा सब कुछ भुला कर अपनी ही तलाकशुदा बीवी को दूसरे के हवाले करने को न केवल तैयार हो गया, बल्कि इस के लिए उस ने अनूप की पूरी मदद भी की.
पुलिस ने घटनास्थल से वह धारदार चाकू और सुपारी काटने का सरौता भी बरामद कर लिया, जिस से सादिक ने रुखसार के जिस्म के टुकड़े किए थे. रुखसार की कान की बालियां भी बरामद हो गईं. घटनास्थल पर उस का खून भी फोरैंसिक जांच के लिए भेजा गया. अब दोनों जेल में हैं और तय है उन्हें सजा होगी, क्योंकि जुर्म वे स्वीकार कर चुके हैं और सिलसिलेवार उस की कहानी भी सुना चुके हैं.
अनूप शायद ही कभी समझ पाए कि त्रियाचरित्र को त्रियाचरित्र क्यों कहा जाता है. जो रुखसार उस की मंशा पूरी करने को राजी नहीं हुई तो नहीं हुई. उसे मरना गवारा था, लेकिन अपनी मरजी के खिलाफ उस के साथ हमबिस्तर होना नहीं. नशे की लत आदमी से क्या कुछ नहीं करवा देती, यह भी इस वारदात से समझ आता है.
लेकिन खैरनगर नहर पुल पर उस के कोई परिचित मिल गए. उन का कोई जरूरी काम था, जिस की वजह से वह उन्हीं के साथ चला गया था. यह बात उसे पिंकी ने बताई थी. उस की हत्या किस ने और क्यों कर दी, उसे जानकारी नहीं है.
पिंकी से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि उसे कई रोज से बुखार था. भैया आज सुबह 5 बजे उसे दवा दिलाने उमर्दा के लिए निकले थे. हम दोनों जब खैरनगर पुल पर पहुंचे तो भैया के 2 परिचित मिल गए. उन में एक तो भैया की उम्र का था, जबकि दूसरा 40-42 साल का था.
भैया उसे चाचा कह कर बतिया रहे थे. वह उन दोनों को पहचानती नहीं है. उन दोनों को भैया की मदद की जरूरत थी, इसलिए भैया ने उस से कहा कि दवा शाम को दिला देंगे. इस के बाद वह उसे गांव के बाहर छोड़ कर उन दोनों के साथ चले गए. भैया की हत्या किस ने की, उसे पता नहीं.
लायक सिंह और उस की बेटी पिंकी से पूछताछ के बाद सीओ सुबोध कुमार जायसवाल ने वहां मौजूद अन्य लोगों से भी बात की, लेकिन हत्यारों के बारे में कोई सुराग नहीं लगा. इस के बाद पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के सरकारी अस्पताल भेज दी. थानाप्रभारी ने लायक सिंह की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा लिया और जांच शुरू कर दी.
थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा ने बलराम यादव के हत्यारों की टोह में ताबड़तोड़ दबिशें दे कर पुराने कई अपराधियों को हिरासत में लिया. उन से कड़ाई से पूछताछ की, लेकिन न तो हत्या का रहस्य खुला और न ही हत्यारे पकड़ में आए. बलराम हत्याकांड अखबारों में छाया हुआ था, जिस से पुलिस अधिकारी भी परेशान थे.
जब 3 दिन बीत जाने के बाद भी बलराम हत्याकांड का खुलासा नहीं हुआ तो एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने एएसपी विनोद कुमार की देखरेख में खुलासे के लिए एक विशेष टीम का गठन किया. इस टीम में ठठिया थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा, सीओ (तिर्वा) सुबोध कुमार जायसवाल, स्वाट टीम प्रभारी राकेश कुमार तथा सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.
टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखा समझा. रिपोर्ट के मुताबिक मृतक के शरीर पर 18 घाव पाए गए थे. बलराम की मौत अधिक खून बहने, आंतों के जख्मी होने तथा गले की नस कटने से हुई थी. स्पष्ट था कि हत्यारे बलराम से बहुत ज्यादा नफरत करते थे.
पुलिस टीम ने इस बारे में लायक सिंह से पूछताछ की तो उस ने परिवार के ही एक युवक पर शक जताया. पुलिस ने उस युवक को हिरासत में ले लिया और 2 दिनों तक कड़ाई से पूछताछ की. उस युवक ने जब खुद को फंसता देखा तो उस ने चौंकाने वाली बात बताई.
उस ने पुलिस टीम को जानकारी दी कि बलराम की हत्या का रहस्य उस की बहन सावित्री उर्फ पिंकी के पेट में छिपा है. यदि उस पर सख्ती की जाए तो वह हत्या का परदाफाश कर सकती है.
उस की बात पुलिस टीम को हजम तो नहीं हुई, फिर भी पूछा, ‘‘भला बहन अपने सगे भाई के कत्ल में कैसे शामिल हो सकती है. और फिर वह तो अभी कुल 16 साल की लड़की है.’’
‘‘नहीं सर, आप उस की मासूमियत पर मत जाइए,’’ उस युवक ने अपनी बात मजबूती से कही.
‘‘तुम यकीन के साथ कैसे कह सकते हो कि पिंकी गुनहगार है?’’ पुलिस ने पूछा.
‘‘सर, पिंकी के घर पर कुछ दिन तक जेसीबी चालक प्रदीप यादव रहा था और उसी के घर में खातापीता था. इसी दौरान उस ने पिंकी को अपने प्यार के जाल में फंसा लिया. पिंकी भी उस की दीवानी बन गई, जिस के चलते दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए.
‘‘दोनों के संबंधों की जानकारी पिंकी के भाई बलराम को हुई तो उस ने प्रदीप को अपमानित कर घर से भगा दिया. लेकिन घर से भगाए जाने के बावजूद पिंकी और प्रदीप के संबंध खत्म नहीं हुए थे.
‘‘प्रदीप व पिंकी हर रोज फोन पर संपर्क में रहते थे. प्रदीप ने ही पिंकी को मोबाइल खरीद कर दिया था. चूंकि बलराम दोनों के प्यार में बाधक था, इसलिए पिंकी और प्रदीप ने ही बलराम को ठिकाने लगाया होगा.’’
उस युवक ने बलराम की हत्या का जो कारण बताया, वह पुलिस टीम को इसलिए ठीक लगा क्योंकि ऐसा संभव था. अभी तक पुलिस टीम विपरीत दिशा में जांच में जुटी थी, लेकिन अब जांच की दिशा प्रेम संबंधों में उलझ गई.
16 वर्षीया सावित्री उर्फ पिंकी यादव पुलिस टीम के रेडार पर आई तो पुलिस ने उस से फिर से पूछताछ की. लेकिन पिंकी ने अपना पुराना बयान ही दोहरा दिया. इस बीच पुलिस टीम ने बहाने से पिंकी का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि सोनू के सिर व गले पर तेज धारदार हथियार से 20 से ज्यादा वार किए गए थे. बेटे व बेटी के सिर पर भी धारदार हथियार के 12 से 15 निशान मिले.
शव सौंपे जाने पर अंत्येष्टि को ले कर डा. प्रकाश सिंह और उन की पत्नी के पक्ष के बीच विवाद हो गया. सोनू सिंह की बहन सीमा अरोड़ा ने कहा कि वह सोनू और दोनों बच्चों के शवों की अंत्येष्टि दिल्ली ले जा कर करेंगी. इस पर डा. प्रकाश के परिजन बिफर गए. उन की बहन शकुंतला ने कहा कि अंत्येष्टि कहीं भी करो, लेकिन चारों की एक साथ ही होनी चाहिए.
बाद में अन्य लोगों के दखल पर यह तय हुआ कि चारों की अंत्येष्टि गुरुग्राम में सेक्टर-32 के श्मशान घाट में की जाए. बाद में जब मुखाग्नि देने की बात आई तो इस बात को ले कर भी विवाद होतेहोते बचा. आपसी सहमति से सोनू, अदिति व आदित्य के शव को मुखाग्नि सीमा अरोड़ा के परिवार वालों ने दी. जबकि डा. प्रकाश के शव को उन की बहन के परिवार वालों ने मुखाग्नि दी.
उत्तर प्रदेश में वाराणसी के रघुनाथपुर गांव के रहने वाले डा. प्रकाश सिंह के पिता रामप्रसाद सिंह उर्फ रामू पटेल एक किसान थे. प्रकाश ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की थी. सोनू सिंह भी उन के साथ ही पढ़ती थीं, इसलिए दोनों में जानपहचान हो गई. फिर वे एकदूसरे से प्यार करने लगे.
बाद में दोनों ने ही रसायन विज्ञान में एम.एससी. की. एम.एससी. में दोनों ने गोल्ड मैडल हासिल किए थे. इस के बाद दोनों ने डाक्टरेट की डिग्री हासिल की. डाक्टरेट की पढ़ाई के दौरान दोनों ने अपनेअपने घर वालों की इच्छा के खिलाफ 1996 में शादी कर ली.
दोनों ने भले ही शादी कर ली, लेकिन इस के बाद दोनों के ही परिवारों के बीच गांठ बन गई, जो नाराजगी के रूप में शवों की अंत्येष्टि के दौरान नजर आई.
विवाह के बाद डा. प्रकाश की पत्नी डा. सोनू ने पहले बेटी अदिति को जन्म दिया. इस के करीब 6 साल बाद बेटा हुआ. उस का नाम आदित्य रखा. डा. प्रकाश सिंह ने सब से पहले बेंगलुरु में नौकरी की थी. इस के बाद से ही उन का पैतृक गांव रघुनाथपुर में आनाजाना कम हो गया था.
करीब 12 साल पहले डा. प्रकाश और डा. सोनू सिंह नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गए. दिल्ली में डा. प्रकाश ने रैनबैक्सी फार्मा कंपनी में नौकरी शुरू की. कुछ समय बाद वे गुरुग्राम आ कर बस गए और डा. प्रकाश सिंह सन फार्मा में नौकरी करने लगे. गुरुग्राम में उन्होंने ‘उप्पल साउथ एंड’ नाम की सोसायटी में फ्लैट ले लिया.
डा. प्रकाश की अच्छीखासी नौकरी थी. घर में सुखसुविधाओं और पैसे की कोई कमी नहीं थी. पतिपत्नी दोनों ही उच्चशिक्षित थे, इसलिए कोई परेशानी भी नहीं थी. डा. सोनू सिंह ऐशोआराम की जिंदगी जीने के बजाए सामाजिक कार्यों में रुचि लेती थीं. इसलिए एक एनजीओ बना कर उन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाने और उन का जीवनस्तर ऊंचा उठाने का बीड़ा उठाया.
सोनू सिंह ने करीब 8 साल पहले गुरुग्राम के फाजिलपुर में किराए का भवन ले कर गरीब बच्चों के लिए क्रिएटिव माइंड स्कूल खोला था. बाद में उन्होंने सेक्टर-49 में ‘दीप प्ले हाउस’ नाम से दूसरा स्कूल खोल लिया. सोनू सिंह के एनजीओ के माध्यम से इन दोनों स्कूलों का संचालन केवल गरीब बच्चों के उत्थान के लिए किया जाता था.
रसायन वैज्ञानिक होने के बावजूद डा. प्रकाश सिंह भी बच्चों को पढ़ाने का शौक रखते थे, इसलिए उन्होंने सोहना में ‘क्रिएटिव माइंड स्कूल’ खोला. यह स्कूल बिना लाभहानि के चलाया जाता था. डा. प्रकाश ने अप्रैल 2018 में पलवल में व्यावसायिक नजरिए से एन.एस. पब्लिक स्कूल खोल लिया. पहले यह स्कूल एग्रीमेंट पर लिया गया और बाद में दिसंबर, 2018 में इसे रजिस्ट्री करवा कर खरीद लिया गया.
डा. प्रकाश सिंह की बेटी अदिति जामिया हमदर्द से बी.फार्मा की पढ़ाई कर रही थी. इस साल वह अंतिम वर्ष की छात्रा थी. उस ने पढ़ाई के साथ सन फार्मा कंपनी में इंटर्नशिप भी शुरू कर दी थी. अदिति ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर पिछले साल सोप डायनामिक्स नाम से स्टार्टअप शुरू किया था. डा. दंपति का सब से छोटा बेटा गुरुग्राम के ही डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 9 में पढ़ रहा था.
डा. प्रकाश और उन की पत्नी सहित परिवार के चारों सदस्यों की मौत हो जाने से चारों स्कूलों के संचालन पर सवालिया निशान लग गए हैं. चारों स्कूलों में डेढ़ सौ से अधिक शैक्षणिक और गैरशैक्षणिक स्टाफ है. इन कर्मचारियों को वेतन और भविष्य की चिंता है. इस क ा मुख्य कारण यह है कि इन में 2 स्कूलों में खर्चे जितनी भी आमदनी नहीं होती.
पुलिस को जांचपड़ताल में पता चला कि डा. प्रकाश के घर उन के रिश्तेदारों का बहुत कम आनाजाना था. ज्यादातर सोनू सिंह की बहन सीमा अरोड़ा ही आती थीं. घटना से 10 दिन पहले भी वह परिवार के साथ यहां आई थीं. सीमा अरोड़ा के मुताबिक उस समय ऐसी कोई बात नजर नहीं आई थी, जिस का इतना भयावह परिणाम सामने आता.
डा. प्रकाश के परिवार से बहुत कम लोग कभीकभार ही यहां आते थे. डा. प्रकाश की मां अपने अंतिम समय में कुछ दिन उन के पास रही थीं. डा. प्रकाश 5 भाईबहनों में तीसरे नंबर के थे. 2 बहनें उन से बड़ी थीं और 2 छोटी. इन में एक बड़ी बहन का निधन हो चुका है. एक बहन परिवार के साथ नोएडा में और 2 बहनें बनारस में रहती हैं. डा. प्रकाश के मातापिता का निधन हो चुका है.
पुलिस दूसरे दिन भी वैज्ञानिक के परिवार की मौत की गुत्थी सुलझाने में जुटी रही. हालांकि मौके के हालात और सुसाइड नोट से साफ था कि डा. प्रकाश ने पत्नी, बेटी व बेटे की हत्या के बाद खुद आत्महत्या की थी. लेकिन फिर भी पुलिस यह सोच कर हर एंगल से जांच करती रही कि कहीं यह कोई साजिशपूर्ण तरीके से किसी बाहरी व्यक्ति की ओर से की गई वारदात तो नहीं है.
मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस को डा. प्रकाश के घर में बाथरूम में मिले 3 मोबाइल फोन से मदद मिलने की उम्मीद थी, इसलिए इन मोबाइलों की काल डिटेल्स निकलवाई गई. इस के अलावा इन मोबाइलों का डेटा रिकवर करने का प्रयास भी किया गया.
रोजी उसे कम खानापीना देती थी. चाय भी छोटी सी प्याली में मिलती थी. उसे रात के खाने में अधिकांशत: दोपहर का बासी खाना दिया जाता था. खाना मांगने पर वह अकसर कहा करती थी, ‘तुम खाने के लिए जानवरों की तरह बोलते हो और जानवरों की तरह ही खाते हो.’
पिता के मरने के बाद राजेश के सामने यह समस्या आ खड़ी हुई थी कि रोजी उसे गिन कर 4-5 रोटियां देती थी, जिस में से एक रोटी वह अपने दिवंगत पिता के नाम की निकाल कर कुत्तों को खिला देता था. इसलिए उस की एक रोटी और कम होने लगी थी. पहले ही 4 रोटी से उस का पेट नहीं भरता था, अब तो उसे पता भी नहीं चलता था कि उस ने खाना खाया भी है या नहीं.
घटना वाले दिन 16 मई, 2019 को भी यही हुआ था. सुबह 7 बजे से काम करतेकरते दोपहर को जब उसे भूख लगी तो उस ने खाना मांगा. इस पर मालकिन रोजी ने उस से कहा, ‘‘खाना अभी बना नहीं है. दीपांशु के आने के बाद बनेगा. तभी मिलेगा.’’
इस पर राजेश ने हाथ जोड़ कर निवेदन करते हुए कहा, ‘‘भाभीजी, साहब लोग पता नहीं कब तक आएंगे, लेकिन भूख से मेरी जान निकल रही है. यदि आप खाना नहीं बना सकतीं तो मैं खुद बना कर खा लूंगा.’’
रोजी ने तब उसे रटेरटाए शब्द सुनाए कि तुम खाने के लिए जानवरों की तरह बोलते हो और जानवरों की तरह खाते हो. हर बार यह बातें सुनतेसुनते इस बार राजेश को गुस्सा आ गया था. बात उस की बरदाश्त से बाहर चली गई थी.
वह उसी समय रसाई में गया और वहां से सब्जी काटने वाला चाकू उठा लाया. उस समय रोजी कमरे में बैठी मोबाइल फोन पर गेम खेलने में व्यस्त थी. दबे पांव वह उस के पीछे पहुंचा और बाएं हाथ से उस का गला कस कर पकड़ लिया और दाहिने हाथ से गरदन पर वार चाकू से करने लगा.
अचानक हुए इस हमले से रोजी घबरा गई. फिर जल्द ही उस ने अपने आप को उस के चंगुल से छुड़ाने के प्रयास शुरू कर दिए. चीखनेचिल्लाने के साथ उस ने अपनी गरदन छुड़ाने के लिए राजेश के हाथ पर अपने दांतों से काटना शुरू कर दिया था. उस ने राजेश के हाथ की 2 अंगुलियों पर अपने दांत गड़ा दिए.
इस के बावजूद भी राजेश ने पकड़ ढीली नहीं की. अधिक देर तक संघर्ष न कर सकी. तब तक राजेश ने चाकू से उस की गरदन रेत दी. इस के बाद वह कटे हुए वृक्ष की तरह लहराते हुए फर्श पर गिरी और कुछ देर तड़पने के बाद हमेशा के लिए शांत हो गई.
रोजी की हत्या करने के बाद उस ने चाकू को धो कर रसोई में रख दिया और वहां से फरार हो गया. बड़े गेट पर खून के निशान न आएं इसलिए वह छोटे गेट के ऊपर से कूद कर बाहर अपने कमरे में पहुंच गया. उस ने खून से सने कपड़े भी धो दिए. किसी को उस पर शक न हो इस के लिए उस ने खुद ही रोजी के पति दीपांशु उर्फ मोंटी को फोन कर के बताया था कि उसे वाशिंग मशीन में कपड़े सुखाने हैं, लेकिन भाभी जी गेट नहीं खोल रही हैं.
नौकर राजेश ने रोजी की हत्या प्रोफेशनल हत्यारों जैसे तरीके से की थी. राजेश के बयान कलमबद्ध करने के बाद जगाधरी सिटी एसएचओ इंसपेक्टर राजेश और इंसपेक्टर श्रीभगवान यादव ने 18 मई, 2019 को आरोपी को एसीजेएम (जगाधरी) गगनदीप मित्तल की अदालत में पेश कर 5 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान उसे मनोरोग चिकित्सक को भी दिखाया पर किसी ने यह बात दावे के साथ नहीं कही कि वह साइको है या नहीं.
रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद 21 मई, 2019 को अभियुक्त राजेश को जब दोबारा अदालत में पेश किया गया तब अचानक इस मामले में एक चौंका देने वाला मोड़ सामने आया.
शहर के चर्चित हाईप्रोफाइल रोजी सिक्का मर्डर केस के आरोपी नौकर राजेश उर्फ विलट पासवान ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उस ने रोजी की हत्या उस के ससुर राजिंदर सिक्का के कहने पर की थी. राजिंदर सिक्का ने उसे 50 हजार रुपए का लालच दे कर यह हत्या करवाई थी.
दोपहर बाद आरोपी को एसीजेएम गगनदीप मित्तल की अदालत में पेश किया गया. जब वह अदालत से बाहर निकला तो उस ने सीआईए-2 स्टाफ की मौजूदगी में पूरी मीडिया के सामने अपने मालिक पर कई गंभीर आरोप जड़े. उस ने कहा कि उस पर दबाव बनाया गया था कि वह रोजी की हत्या करे. यह सारी योजना हत्या से एक रात पहले ही बना ली गई थी.
नौकर राजेश के अनुसार राजिंदर सिक्का ने उस से कहा था कि घर में इतना पैसा आता है पर पता ही नहीं चलता कि वह जाता कहां है. उन्हें पैसों का कोई हिसाबकिताब नहीं मिलता.
राजेश के अनुसार उस ने रोजी की हत्या करने से मना कर दिया था. तब उन्होंने उसे धमकी दी कि यदि तू यह काम नहीं करेगा तो तू मरेगा. इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए उस ने यह काम किया था.
राजिंदर सिक्का ने उसे विश्वास दिलाया था कि तुझे कुछ नहीं होगा. यदि कोई बात होती है तो तू रोजी द्वारा रोटी कम देने की बात बता देना. राजेश के अनुसार इस काम के लिए उसे कोई एडवांस धनराशि नहीं दी गई थी. यह कहा गया था कि अगले साल जब तुम शादी करोगे तो तुम्हें तुम्हारे 50 हजार रुपए मिल जाएंगे.
नौकर के इस सनसनीखेज बयान से केस में नया ट्विस्ट आ गया था. पुलिस जहां अब राजिंदर सिक्का को हिरासत में ले कर पूछताछ करेगी तो मृतका के पति दीपांशु उर्फ मोंटी ने सीधेसीधे पुलिस पर आरोप लगाया कि वह जानबूझ कर उस के पिता को फंसाने की कोशिश कर रही है.
उधर 4 जून, 2019 को रोजी के पिता जनकराज और मां सीमारानी ने एसपी को दी गई शिकायत में आरोप लगाया कि दीपांशु ने 9 मई, 2019 को उन्हें फोन कर के 10 लाख रुपए की मांग की थी. जिस पर उन्होंने उस से कहा कि उन्होंने अपनी जमीन का सौदा कर दिया है, जिस की रजिस्ट्री अभी नहीं हुई है. रजिस्ट्री होते ही वह पैसे दे देंगी.
16 मई यानी घटना वाले दिन दीपांशु ने फिर फोन कर के पैसे मांगे थे. मना करने पर कुछ घंटे बाद ही रोजी की हत्या की खबर आ गई. उन्होंने आरोप लगाया कि बेटी की हत्या में राजिंदर सिक्का और दीपांशु भी शामिल हैं. उन्होंने केस की सीबीआई जांच कराने की मांग की.
पुलिस की तरफ से नौकर राजेश द्वारा दिए गए बयानों की पुलिस ने जांच शुरू कर दी गई, पर कथा संकलन तक इस मामले में कुछ नया सामने नहीं आया था.
रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद अभियुक्त राजेश को न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया और पुलिस मामले की जांच कर रही थी.
7 मई, 2017 को मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ की कोतवाली के प्रभारी आर.सी. भास्करे को हाथीपावा पहाड़ी पर चल रहे श्रमदान में जाना था. वहां एसपी महेशचंद जैन तथा जिलाधिकारी भी आ रहे थे, इसलिए वह समय से वहां पहुंच गए थे.
लेकिन आर.सी. भास्करे जैसे ही वहां पहुंचे, उन्हें किसी ने बताया कि नयागांव और डगरा फलिया के बीच सड़क पर एक लाश पड़ी है, जो नयागांव के रहने वाले तूफान थामोर की है. उस की मोटरसाइकिल भी वहीं पड़ी है. शायद रात को शराब पी कर वह मोटरसाइकिल से घर जा रहा था, तभी उस का एक्सीडेंट हो गया है.
आर.सी. भास्करे ने यह बात एसपी महेशचंद जैन को बताई तो उन्होंने दिशानिर्देश दे कर तुरंत उन्हें घटनास्थल पर पहुंचने को कहा. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मोटरसाइकिल गिरी पड़ी है. लाश उसी मोटरसाइकिल के नीचे पड़ी थी. उन्होंने गौर से मोटरसाइकिल और लाश का निरीक्षण किया तो उन्हें यह देख कर हैरानी हुई कि न तो मोटरसाइकिल में किसी तरह की टूटफूट हुई थी और न ही मृतक को कहीं चोट लगी थी.
वहां मोटरसाइकिल के घिसटने का भी कोई निशान नहीं था. जबकि अगर एक्सीडेंट हुआ होता तो मृतक को तो गंभीर चोट आई ही होती, मोटरसाइकिल भी उस के ऊपर गिरने के बजाय कहीं दूर पड़ी होती, साथ ही उस के घिसटने या गिरने के निशान भी होते.
मृतक और मोटरसाइकिल की स्थिति देख कर आर.सी. भास्करे को समझते देर नहीं लगी कि यह हत्या का मामला है. तूफान की हत्या कर के उस के ऊपर मोटरसाइकिल रख कर उसे एक्सीडेंट का रूप देने की कोशिश की गई है. आर.सी. भास्करे ने मृतक के घर सूचना भिजवा दी थी. सूचना पा कर मृतक की पत्नी रेमुबाई रोती हुई आ पहुंची. वह लाश पर सिर पटकपटक कर रो रही थी. पुलिस ने सांत्वना दे कर उसे अलग किया.
आर.सी. भास्करे लाश और मोटरसाइकिल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसपी महेशचंद्र जैन भी आ गए. उन्होंने भी लाश एवं घटनास्थल का निरीक्षण किया. आर.सी. भास्करे ने उन्हें अपने मन की बात बताई तो उन्होंने भी उन की बात का समर्थन किया. एसपी साहब थानाप्रभारी को आवश्यक निर्देश दे कर चले गए.
इस के बाद आर.सी. भास्करे के साथ आए एसआई पी.एस. डामोर, एम.एल. भाटी, एएसआई अनीता तोमर, आरक्षक रामकुमार व गणेश की मदद से घटनास्थल की काररवाई निपटाने लगे. उन्होंने सारी औपचारिकताएं पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.
अब तक मृतक की पत्नी रेमुबाई काफी हद तक शांत हो गई थी. आर.सी. भास्करे ने उस से पूछताछ शुरू की तो उस ने बताया कि उस के पति की मौत एक्सीडेंट से हुई है. पुलिस ने जब उस से कहा कि तूफान की मौत एक्सीडेंट से नहीं हुई, किसी ने उस की हत्या की है तो उस ने हैरानी से कहा, ‘‘साहब, मेरे पति की कोई हत्या क्यों करेगा? उन की तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. आप को गलतफहमी हो रही है. रात में वह रोज शराब पी कर लौटते थे. कल भी शराब पी कर आ रहे होंगे, रास्ते में दुर्घटना हो गई होगी.’’
‘‘जब तुम्हारे पति रात में घर नहीं पहुंचे तो तुम ने उन की खोजखबर नहीं ली?’’ आर.सी. भास्करे ने पूछा.
‘‘साहब, खोजखबर क्या लेती, यह कोई एक दिन की बात थोड़े ही थी. अकसर शराब पी कर वह रात को घर से गायब रहते थे. कल वह घर नहीं पहुंचे तो मैं ने यही समझा कि हमेशा की तरह आज भी कहीं रुक गए होंगे.’’ रेमुबाई ने कहा.
रेमुबाई जिस तरह आत्मविश्वास के साथ पुलिस के सवालों का जवाब दे रही थी, वह भी हैरानी की बात थी. जिस औरत का पति मर गया हो, उस का इस तरह जवाब देना पुलिस को शक में डाल रहा था. क्योंकि इस स्थिति में तो औरत को कुछ कहनेसुनने का होश ही नहीं रहता.
बहरहाल, इस पूछताछ में पता चला था कि मृतक तूफान झाबुआ के बसस्टैंड के पास स्थित नीरज राठौर के टेंटहाउस में काम करता था. उस दिन शाम को घर आने के बाद साढ़े 10 बजे के करीब थोड़ी देर में लौट आने को कह कर वह मोटरसाइकिल ले कर घर से निकला तो लौट कर नहीं आया था.
आर.सी. भास्करे ने टेंटहाउस के मालिक नीरज राठौर और उस के यहां काम करने वाले कर्मचारियों से पूछताछ की तो उन सभी ने भी यही बताया कि तूफान बहुत ही मेहनती और सीधासादा आदमी था. ऐसे आदमी की भला किसी से क्या दुश्मनी होगी, जो उस की हत्या कर दी जाए.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, तूफान की मौत मारपीट की वजह से हुई थी. अब पूरी तरह से साफ हो गया था कि यह एक्सीडेंट का मामला नहीं था. इस के बाद कोतवाली पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.
आर.सी. भास्करे जल्द से जल्द इस मामले का खुलासा करना चाहते थे, लेकिन 3 दिनों की जांच में उन के हाथ कोई सुराग नहीं लगा. अंत में उन्होंने मुखबिरों की मदद ली. किसी मुखबिर से उन्हें पता चला कि तूफान की हत्या के बाद से उस की पत्नी रेमुबाई ने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया है.
यह सुन कर आर.सी. भास्करे सोच में पड़ गए कि रेमुबाई ने आखिर अपना मोबाइल फोन क्यों बंद कर लिया है? उन्हें कुछ गड़बड़ लगा तो उन्होंने तूफान के बेटे को कोतवाली बुला कर पूछताछ की. एक सवाल के जवाब में बच्चा गड़बड़ाया तो उस का जवाब उन्होंने अपनी मां से पूछ कर बताने को कहा.
इस पर बच्चे ने कहा कि उस की मां का मोबाइल फोन बंद है, इसलिए वह उन से सवाल का जवाब नहीं पूछ सकता. थानाप्रभारी की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी कौन सी वजह है कि रेमुबाई ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया है.
अब उन्हें तूफान की हत्या में रेमुबाई का हाथ होने का शक हुआ. उन्होंने यह बात एसपी महेशचंद्र जैन को बताई तो उन्होंने तुरंत रेमुबाई को थाने बुला कर पूछताछ करने का आदेश दिया.
थाने बुला कर रेमुबाई से पूछताछ शुरू हुई तो वह एक ही जवाब दे रही थी कि उसे नहीं मालूम कि उस रात क्या हुआ था? उसे सिर्फ यही पता है कि वह रात को घर से निकले तो लौट कर नहीं आए. घर आते समय उन का एक्सीडेंट हो गया था.
जब आर.सी. भास्करे ने पूछा कि तूफान की मौत के बाद उस ने अपना मोबाइल फोन क्यों बंद कर लिया तो इस का जवाब देने में रेमुबाई बगलें झांकने लगी. घबराहट उस के चेहरे पर साफ नजर आने लगी.
फिर तो थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि तूफान की हत्या में किसी न किसी रूप में इस का भी हाथ है. उन्होंने रेमुबाई को एएसआई अनीता तोमर के हवाले कर दिया. उन्होंने सख्ती से उस से पूछताछ शुरू की तो रेमुबाई ने पति की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करने में देर नहीं लगाई. इस के बाद उस ने पति की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह कुछ इस तरह थी—
मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ की कोतवाली के अंतर्गत रहने वाले तूफान की पत्नी रेमुबाई के पेट में ऐसा दर्द उठा कि कई डाक्टरों के इलाज के बाद भी ठीक नहीं हुआ. तभी उस के एक परिचित ने बताया कि झाबुआ से ही जुड़े गुजरात के जिला दाहोद के थाना कतवारा के गांव खगेला का रहने वाला तांत्रिक मंथूर उस का इलाज कर सकता है.
उसे पूरा विश्वास है कि उस की झाड़फूंक से वह निश्चित रूप से ठीक हो जाएगी. यह करीब 4 साल पहले की बात है. रेमुबाई पति तूफान को ले कर तांत्रिक मंथूर के पास पहुंची. रेमुबाई पर एक गहरी नजर डाल कर तांत्रिक मंथूर ने कहा कि उसे 16 शनिवार बिना नागा लगातार आना पड़ेगा. तूफान नौकरी करता था, इसलिए वह पत्नी को हर शनिवार ले कर तांत्रिक के यहां नहीं जा सकता था. इसलिए रेमुबाई अकेली ही तांत्रिक मंथूर के यहां हर शनिवार झाड़फूंक कराने जाने लगी.
तांत्रिक मंथूर ने 4 शनिवार तक नीम की पत्तियों से उस की झाड़फूंक की. 5वें शनिवार को उस ने रेमुबाई से अपने कपड़े ढीले कर के फर्श पर लेट जाने को कहा. रेमुबाई को किसी तरह का कोई शकशुबहा तो था नहीं, इसलिए वह कपड़े ढीले कर फर्श पर लेट गई. करीब 2 घंटे तक मंथूर मंत्र पढ़ते हुए उस के शरीर पर हाथ फेरते हुए उस की बीमारी भगाता रहा.
रेमुबाई के अनुसार, मंथूर भले ही अधेड़ था, लेकिन उस के हाथों में ऐसी तपिश थी कि जब वह उस के शरीर पर हाथ फेरता था तो उसे अजीब सा सुख मिलता था.
7वें शनिवार को मंथूर ने उस से सारे कपड़े उतार कर लेटने को कहा तो रेमुबाई मना नहीं कर सकी. वह कपड़े उतार कर लेटने लगी तो तांत्रिक मंथूर ने दवा के नाम पर उसे थोड़ी शराब पीने को दी.
इस के बाद तांत्रिक ने भी शराब पी. झाड़फूंक करतेकरते मंथूर रेमुबाई के ऊपर लेट गया तो तांत्रिक प्रक्रिया समझ कर रेमुबाई ने कोई विरोध नहीं किया. इस तरह तांत्रिक मंथूर ने उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिए.
इस के बाद रेमुबाई जब भी उस के यहां इलाज कराने जाती, मंथूर उसे शराब पिला कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाता. मंथूर के प्यार में तूफान से ज्यादा जोश और गरमी थी, इसलिए उसे उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने में आनंद आने लगा. दूसरी ओर मंथूर भी रेमुबाई का दीवाना हो चुका था. अब वह इलाज के बहाने उस के घर भी आने लगा था.
16 शनिवार पूरे हो गए तो तूफान ने पत्नी से कहा, ‘‘अब तो तुम्हारा इलाज पूरा हो चुका है, अब तुम तांत्रिक के यहां क्यों जाती हो?’’
तांत्रिक के प्यार में उलझी रेमुबाई ने कहा, ‘‘अभी मैं पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुई हूं, इसलिए अभी मुझे इलाज की और जरूरत है.’’
आखिर कब तक रेमुबाई बहाने बना कर तांत्रिक के पास जाती रहती. मंथूर भी उस के घर लगातार आता रहा. इन्हीं बातों से तूफान को पत्नी पर शक हुआ तो वह पत्नी को मंथूर के यहां जाने से रोकने लगा. अब इलाज तो सिर्फ बहाना था, रेमुबाई तो मंथूर से मिलने जाती थी, इसलिए पति के मना करने के बावजूद वह नहीं मानी.
रेमुबाई की जिद से तूफान को चिंता हुई. फिर तो दोनों में झगड़ा होने लगा. रेमुबाई को लगा कि इलाज और बीमारी के नाम पर अब यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता. जबकि वह मंथूर के प्यार में इस कदर कैद हो चुकी थी कि अब उस के बिना नहीं रह सकती थी, इसलिए वह उस के लिए कुछ भी कर सकती थी.
शायद यही वजह थी कि उस ने मंथूर से तूफान को रास्ते से हटाने के लिए कह दिया. मंथूर भी रेमुबाई के लिए कुछ भी करने को तैयार था. इसलिए उस के कहने पर वह भी तूफान की हत्या करने को तैयार हो गया.
योजना बना कर 6 मई, 2017 को मंथूर अपने दोस्त गोरचंद के साथ नयागांव डूंगरा के जंगल में पहुंचा और एक पेड़ की आड़ में छिप कर बैठ गया. रेमुबाई को उस ने यह बात बता दी, इसलिए जैसे ही तूफान घर आया, उस ने बहुत ज्यादा पेट में दर्द होने की बात कह कर कहा, ‘‘मंथूर किसी का इलाज करने झाबुआ आया है, मैं ने उसे फोन किया था, वह आने को तैयार है, इसलिए तुम डूंगरा जा कर उसे ले आओ.’’
तूफान बिना देर किए मोटरसाइकिल ले कर तांत्रिक मंथूर को लेने चला गया. नयागांव और डूंगरा के बीच मंथूर गोरचंद के साथ बैठा तूफान के आने का इंतजार कर रहा था.
जैसे ही तूफान उन के करीब पहुंचा, दोनों ने लाठियों से पीटपीट कर उस की हत्या कर दी. इस के बाद उस की लाश को मोटरसाइकिल के नीचे रख दिया, ताकि देखने से लगे कि इस का एक्सीडेंट हुआ है.
लेकिन उन की यह चाल कामयाब नहीं हुई और थानाप्रभारी आर.सी. भास्करे को सच्चाई का पता चल गया.
रेमुबाई की गिरफ्तारी के बाद आर.सी. भास्करे ने तांत्रिक मंथूर और उस के साथी गोरचंद को भी गिरफ्तार कर लिया था. इस के बाद तीनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. जेल जाने के बाद रेमुबाई के हाथ से वह सब भी निकल गया, जो था. आखिर पति के साथ उसे ऐसी क्या तकलीफ थी, जो अधेड़ तांत्रिक के प्यार में पड़ कर अपना सब लुटा बैठी.
24 वर्षीय सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ बाहरी दिल्ली स्थित बादली गांव के सिसोदिया मोहल्ले में रहता था. वह और हिमानी घर की ऊपरी मंजिल पर रहते थे, जबकि उस के पिता माधव सिंह और बहन पिंकी ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे.
सोनू पेशे से ड्राइवर था और एक टूरिस्ट कंपनी की कार चला कर पूरे परिवार की जीविका चलाता था. 7 सितंबर, 2019 की रात 11 बजे तक परिवार के सभी सदस्य खाना खा चुके थे. सोनू को नींद आ रही थी, इसलिए वह हिमानी और डेढ़ साल के बच्चे के साथ पहली मंजिल पर अपने बैडरूम की ओर बढ़ गया. बेटे और बहू के जाने के बाद घर के बाकी सदस्य भी सोने चले गए.
सुबह करीब 7 बजे भाभी हिमानी के चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर पिंकी उस के कमरे में गई तो हिमानी ने रोते हुए बताया कि रात को किसी बदमाश ने इन की हत्या कर दी है. अभी थोड़ी देर पहले जब नींद खुली तो देखा तो ये मरे पड़े थे.
बैड पर भाई सोनू की लाश देख कर पिंकी ने बदहवास हो कर रोना शुरू कर दिया. बेटी और बहू के रोने की आवाज सुन कर सोनू के मातापिता भी भागते हुए वहां पहुंच गए. सोनू की लाश देख कर चीखपुकार मच गई.
तभी पिंकी ने अपने मोबाइल से 100 नंबर पर पुलिस को फोन कर अपने भाई की हत्या की सूचना दे दी. थोड़ी देर बाद बादली थाने से एसआई मनीष कुमार वहां पहुंच गए. लाश को दख्ेने के बाद उन्होंने पाया कि सोनू के गले पर एक स्याह निशान बना हुआ था. चूंकि मामला हत्या का था, इसलिए उन्होंने इस मामले की सूचना थानाप्रभारी अक्षय कुमार को दे दी.
थोड़ी देर में थानाप्रभारी अक्षय कुमार थाने में मौजूद पुलिस स्टाफ के साथ सिसोदिया मोहल्ला स्थित माधव सिंह के घर जा पहुंचे. घर की पहली मंजिल पर पहुंच कर उन्होंने लाश का मुआयना किया तो मृतक के गले पर गहरा स्याह निशान मिला.
ऐसा लग रहा था मानो किसी ने रस्सी या चुन्नी से उस का गला घोंटा हो. कमरे का बारीकी से निरीक्षण करने पर उन्होंने पाया कि सभी सामान अपनी जगह पर था. घर से कोई सामान गायब नहीं था. मतलब हत्यारा जो भी रहा हो, उस की मंशा सिर्फ सोनू की हत्या करने की रही थी.
थानाप्रभारी ने फोरैंसिक टीम को बुला लिया. मृतक के पिता माधव सिंह से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि रात के 12 बजे सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ ग्राउंड फ्लोर से पहली मंजिल स्थित इस कमरे में आ गया था. इस के बाद सुबह 7 बजे हिमानी ने नीचे आ कर बताया कि सोनू की हत्या कर दी है.
यह सुन कर थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने मृतक की पत्नी हिमानी से पूछताछ की. पति की मौत से बुरी तरह आहत हिमानी की स्थिति बहुत खराब थी. वह छाती पीटपीट कर लगातार रोए जा रही थी. उस ने बस इतना बताया कि वह डेढ़ साल की बेटी के साथ पति की बगल में सो रही थी. गरमी ज्यादा होने के कारण ये कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर सोते थे. पता नहीं रात में वहां कौन आया और इन की हत्या करने के बाद फरार हो गया.
थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने उस वक्त हिमानी से ज्यादा पूछताछ करना उचित नहीं समझा. क्योंकि घर में सभी रोपीट रहे थे और माहौल गमगीन था. अलबत्ता उन्हें हिमानी पर शक हुआ.
फोरैंसिक एक्सपर्ट का काम निपट जाने के बाद उन्होंने एसआई मनीष कुमार तथा अन्य स्टाफ के साथ घर का मुआयना करना शुरू किया तो देखा बगल की छत उन की छत से मिली हुई थी. यह देख कर उन्होंने अनुमान लगाया कि हत्यारा संभवत: इसी रास्ते सोनू के कमरे तक पहुंचा होगा और वारदात को अंजाम देने के बाद चुपचाप इसी रास्ते फरार हो गया होगा. एसआई मनीष की भी यही सोच थी.
संदेह की हुई शुरुआत
मौकामुआयना करने के बाद पुलिस टीम ने सोनू की लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल, जहांगीरपुरी भेज दी. वहां की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस टीम थाने लौट गई.
10 सितंबर को मृतक की बहन पिंकी की शिकायत पर थाने में सोनू की हत्या का मामला सागर उर्फ बलवा और राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया.
मामले की जांच खुद थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे. उन्होंने एसआई मनीष को कुछ निर्देश दे कर दोबारा मृतक के परिजनों को टटोलने के लिए उन के घर भेजा. वहां सभी ने सोनू की हत्या में पड़ोस में रहने वाले बदमाश सागर उर्फ बलवा पर शक जताया. एफआईआर में भी सागर को ही नामजद किया गया था.
पूछताछ के दौरान एसआई मनीष ने मृतक की पत्नी हिमानी को बुला कर उस से एक बार फिर पूछताछ की तो उन्हें ऐसा लगा जैसे वह जानबूझ कर इस केस का रुख दूसरी दिशा में मोड़ना चाह रही हो. यह देख कर उन्होंने उस का मोबाइल नंबर नोट कर लिया.
थाने लौट कर उन्होंने हिमानी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई और उस का बारीकी से निरीक्षण करने लगे.
काल डिटेल्स की जांच के दौरान वह यह देख कर चौंके कि हिमानी लगातार एक मोबाइल नंबर के संपर्क में थी. वारदात वाली रात में भी हिमानी ने इस नंबर पर काफी देर बात की थी. मनीष कुमार ने यह बात थानाप्रभारी को बताई तो उन्होंने उस नंबर की काल डिटेल्स निकालने के आदेश दिए. मोबाइल नंबर की जांच की गई तो नंबर उसी सागर उर्फ बलवा का निकला, जिस पर मृतक के पिता एवं परिवार के अन्य लोगों ने सोनू की हत्या का आरोप लगाया था.
यह देख कर थानाप्रभारी और एसआई मनीष के चेहरों पर मुसकराहट दौड़ गई. उन्हें लगा कि हत्यारा अब उन की पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है.
11 सितंबर की शाम को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने हिमानी को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ के दौरान हिमानी मासूम बन कर चालाकी से पुलिस की जांच की दिशा भटकाने की कोशिश करती रही लेकिन जब उस के सामने उस की काल डिटेल्स दिखा कर उस के और सागर के रिश्तों के बारे में पूछा गया तो उस का हलक सूख गया.
आखिरकार उस ने स्वीकार कर लिया कि उस के और सागर उर्फ बलवा के बीच जिस्मानी रिश्ते हैं और उस ने सागर के साथ मिल कर 7-8 सितंबर के तड़के पति की हत्या की थी.
जुर्म स्वीकार कर लेने के बाद हिमानी को गिरफ्तार कर लिया गया. उसी शाम सागर के घर पर दबिश दे कर उसे भी दबोच लिया गया. पूछताछ के दौरान जब उसे बताया गया कि उस की माशूका हिमानी को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो वह बुरी तरह चौंका.
जब उसे उस की काल डिटेल्स दिखाई गई तो उस ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. बाद में दोनों की निशानदेही पर सोनू की हत्या में प्रयुक्त वह रस्सी भी बरामद कर ली, जिस से सोनू का गला घोंटा गया था. सोनू हत्याकांड के पीछे की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह है.
बाहरी दिल्ली जिले में एक गांव है बादली. माधव सिंह अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी अंजू (काल्पनिक नाम), 24 साल का बेटा सोनू, बेटी पिंकी थे. माधव सिंह की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी. वह एक होटल में काम करते थे. सोनू पेशे से ड्राइवर था, जबकि पिंकी एक बड़े अस्पताल में काम करती थी.
शादी के बाद खुश थे दोनों
सोनू की शादी करीब 3 साल पहले हिमानी के साथ हुई थी. हिमानी गोरे रंग, आकर्षक नैननक्श की खूबसूरत युवती थी. हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की हिमानी को पत्नी के रूप में पा कर सोनू बहुत खुश था. हिमानी भी इस घर में आ कर खुश थी. पिंकी भाभी का पूरा खयाल रखती थी.
सोनू और हिमानी अपनी दुनिया में खुश रहते थे. सोनू का काम ऐसा था कि वह सुबह घर से निकलता था. इस के बाद उसे खुद भी पता नहीं रहता था कि वह घर कब लौटेगा.
हिमानी अपनी सास के साथ घर का कामकाज निबटाती और दिन का बाकी समय टीवी देखती या सो कर गुजारती थी. जब कभी उसे सोनू की याद सताती तो वह उस के मोबाइल पर फोन कर के उस का हालचाल पूछ लिया करती थी. सोनू भी खाली वक्त में फोन करता था. बेटी के जन्म से घर में सभी खुश थे.
हिमानी का कमरा घर की पहली मंजिल पर था. जब कभी उसे बोरियत महसूस होती तो वह अपना मन बहलाने के लिए बालकनी में आ कर खड़ी हो जाती थी. इसी दौरान एक दिन उस की निगाहें पड़ोस में रहने वाले युवक सागर की निगाहों से टकराईं तो उस के तनबदन में सिहरन सी दौड़ गई.
पहले भी उस ने गौर किया था कि वह किसी न किसी बहाने उस के घर के सामने आ कर उसे एकटक निहारता है. उस दिन तो उसे सागर का यूं अपनी ओर बेशरमी से देखना अच्छा नहीं लगा, लेकिन बाद में उसे लगा कि पति के अलावा पड़ोस के लड़के भी उसे पसंद करते हैं तो उस के चेहरे पर मुसकराहट तैरने लगी.
हौलेहौले चाहत भरी नजरों के इस खेल में उसे भी मजा आने लगा. उस ने भी सागर की नजरों से नजरें मिलानी शुरू कर दीं. बात बढ़ती गई और मामला बातचीत से शुरू हो कर मोबाइल नंबर के आदानप्रदान तक पहुंच गया.
सागर में घुलमिल गई हिमानी
सागर हिमानी को फोन कर के उस से मिलने की जिद करने लगा तो एक दिन जब वह घर में अकेली थी तो उस ने मौका देख कर सागर को अपने कमरे में बुला लिया. सागर बहुत बातूनी युवक था. उस ने हिमानी को अपनी मीठीमीठी बातों में ऐसा फंसाया कि वह उस की बांहों में अपनी सुधबुध खो बैठी.
हिमानी के बदन से खेलने के बाद सागर वहां से चला गया, लेकिन उस दिन के बाद जब कभी हिमानी को मौका मिलता, वह सागर को मिलने के लिए अपने घर में बुला लेती थी. कभीकभी वह खुद भी किसी काम के बहाने घर से निकल कर सागर की बताई हुई जगह पर पहुंच जाती थी.
शुरुआत में हिमानी और सागर के अवैध रिश्तों की जानकारी किसी को नहीं हुई, लेकिन यह बात ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रह सकी. एक दिन सोनू को उस के किसी दोस्त ने उस की बीवी की बेवफाई की दास्तान बताई तो उसे उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. लेकिन जब लोगों ने सागर के साथ हिमानी का नाम जोड़ कर छेड़ना शुरू कर दिया तो उसे उन की बात पर विश्वास करना पड़ा.
सागर मोहल्ले का दबंग युवक था. लोग उस के सामने आने में कतराते थे. फिर भी सोनू ने उस से कहा कि वह हिमानी से मिलना छोड़ दे. सागर ने उस समय तो उस की बात मान ली लेकिन उस ने अपनी हरकतें जारी रखीं.
घटना के 4 दिन पहले सोनू और सागर के बीच बच्चों को ले कर जोरदार झगड़ा हुआ. इस दौरान सागर ने सोनू को 8 दिनों के अंदर जान से मारने की धमकी दी.
हिमानी का दिल अपने पति सोनू से भर चुका था. उसे सोनू से सागर ज्यादा प्यारा था, इसलिए जब सागर ने सोनू की हत्या करने की बात उसे बताई तो वह उस का साथ देने के लिए तैयार हो गई.
योजना के अनुसार 8 सितंबर की रात हिमानी ने सोनू के खाने में नींद की गोलियां मिला दीं. आधी रात को जब वह हिमानी के साथ अपने बैडरूम में पहुंचा तो लेटते ही नींद की आगोश में चला गया.
रात के करीब ढाईतीन बजे के बीच जब सारा मोहल्ला चैन की नींद सो रहा था, तभी हिमानी ने फोन कर सागर को अपने कमरे में आने के लिए कहा. सागर को पहले से ही हिमानी के फोन का इंतजार था. जैसे ही हिमानी ने बुलाया, वह दबे पांव छत के रास्ते हिमानी के कमरे में पहुंचा और एक रस्सी से सोनू का गला घोंट दिया.
रात भर हिमानी अपने पति की लाश के साथ सोई रही. सुबह 7 बजे उठ कर उस ने अपने ससुर माधव सिंह तथा सास अंजू को पति की हत्या होने की जानकारी दी.
12 सितंबर, 2019 को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने सोनू हत्याकांड के दोनों आरोपियों हिमानी और सागर उर्फ बलवा को रोहिणी कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
इस हत्याकांड में दूसरे नामजद आरोपी राहुल का कोई हाथ न होने के कारण उस के खिलाफ काररवाई नहीं की गई. मामले की जांच थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे. – कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित