Bihar Crime : प्रेमी संग रची साजिश और पति को शराब पिला कर हमेशा के लिए सुला दिया

Bihar Crime : लड़कियों या महिलाओं पर बुरी नजर वालों को पता होता है कि उन तक पहुंचने के लिए पहली सीढ़ी उन की तारीफ करना है. रतन ने इसी युक्ति से पुष्पा को पटाया. पति से नाखुश पुष्पा उस के प्रेमजाल में फंस गई और फिर दोनों ने मिल कर…

सांवले रंग का धनंजय सामान्य कदकाठी वाला युवक था. उस की एकमात्र खूबी यही थी कि वह सरकारी नौकरी में था. कहने का अभिप्राय यह कि वह जिंदगी भर अपने परिवार का बोझ अपने कंधों पर उठा सकता था. बिहार के जिला गोपालगंज के बंगरा बाजार निवासी रामजी मिश्रा ने धनंजय की यही खूबी देख कर उस से अपनी बेटी ब्याही थी. मांबाप ने कहा और खूबसूरत पुष्पा शादी के बंधन में बंध कर मायके की ड्योढ़ी छोड़ ससुराल आ गई. लेकिन उसे धक्का तब लगा, जब उस ने पति को देखा. वह जरा भी उस के जोड़ का नहीं था. पत्नी यदि खूबसूरत हो तो पति उस के हुस्न का गुलाम बन ही जाता है. धनंजय भी पुष्पा का शैदाई बन गया. पुष्पा ने धनंजय की कमजोरी का फायदा उठा कर उसे अपनी उंगलियों पर नचाना शुरू कर दिया.

पुष्पा को धनंजय चाहे जैसा लगा हो, लेकिन धनंजय खूबसूरत, पढ़ीलिखी बीवी पा कर खुश था. धनंजय सुबह 9 बजे घर से निकलता था, तो फिर रात 8 बजे के पहले घर नहीं लौटता था. पीडब्ल्यूडी में लिपिक के पद पर कार्यरत धनंजय की ड्यूटी पड़ोसी जिले सीवान में थी. धनंजय को अपने गांव अमवां से सीवान आनेजाने में 2 घंटे लग जाते थे. धनंजय को जितनी पगार मिलती थी, वह पूरी की पूरी पुष्पा के हाथ पर रख देता था. धंनजय के 2 भाई और थे, बड़ा रंजीत और छोटा राजीव. रंजीत मुंबई में तो राजीव दिल्ली में नौकरी करता था. विवाह के बाद से ही धनंजय पुष्पा के साथ अलग घर में रह रहा था. कालांतर में पुष्पा 2 बच्चों की मां बनी. एक बेटा था सौरभ और एक बेटी साक्षी.

गत वर्ष मई महीने में धनंजय के साले का विवाह देवरिया की भुजौली कालोनी में हुआ था. विवाह में धनंजय पांडे की मुलाकात दुलहन के चचेरे भाई रतन पांडे से हुई. मुलाकात के दौरान दोनों की काफी बातें हुई. इसी बातचीत के दौरान धनंजय ने उस से देवरिया में मकान किराए पर दिलाने को कहा तो रतन ने हामी भर दी. विवाह में शामिल  होने के बाद धनंजय और पुष्पा बच्चों के साथ वापस लौट आए. रतन पांडे देवरिया के थाना गौरीबाजार के सिरजम हरहंगपुर निवासी सुभाष पांडेय का बेटा था. सुभाष पांडेय टीवी मैकेनिक थे. 24 वर्षीय रतन 4 बहनों में दूसरे नंबर का था. इंटर पास रतन देवरिया में मोबाइल कंपनी ‘एमआई’ के कस्टमर केयर सेंटर में नौकरी करता था और देवरिया खास में ही किराए पर कमरा ले कर रह रहा था.

धनंजय से बात होने के कुछ ही दिनों के अंदर रतन ने धनंजय को शहर के इंदिरा नगर मोहल्ले में सौरभ श्रीवास्तव का मकान किराए पर दिलवा दिया. धनंजय अपनी पत्नी पुष्पा और दोनों बच्चों के साथ उसी मकान में रहने लगा. बिहार का सीवान जिला उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की सीमा से सटा है. इसलिए धनंजय को वहां से सीवान जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी, वह अपनी ड्यूटी पर रोजाना आनेजाने लगा. बच्चों का एडमीशन भी पास के एक स्कूल में करा दिया था. धनंजय रोजाना सुबह निकल जाता और देर रात वापस लौटता था. बच्चे भी स्कूल चले जाते थे. पुष्पा घर पर अकेली रह जाती थी. ऐसे में रतन का पुष्पा के पास आनाजाना बढ़ गया. रतन पुष्पा की खूबसूरती पर पहले ही मर मिटा था.

इसीलिए उस ने पुष्पा के नजदीक रहने के लिए धनंजय को देवरिया में किराए पर मकान दिलवाया था. धनंजय के कहने पर वह उस के बच्चों सौरभ और साक्षी को ट्यूशन पढ़ाने लगा था. बच्चों के जन्म के बाद से धनंजय अब पुष्पा में पहले जैसी रुचि नहीं लेता था. वैसे भी जैसेजैसे वैवाहिक जीवन आगे बढ़ता है, कई पतिपत्नी एकदूसरे में दोष खोजने लगते हैं, जो उन के बीच विवाद की जड़ बनते हैं. धनंजय भी पुष्पा में कमियां निकालने लगा था. वैसे भी पुष्पा को तो वह कभी नहीं भाया था, किसी तरह उस के साथ अपनी जिंदगी काट रही थी. जब धनंजय उस के दोष और गलतियां निकालता था तो पुष्पा के अंदर दबा गुस्सा गुबार बन कर बाहर निकल पड़ता था, जिस पर धनंजय उस की पिटाई कर देता था. ऐसा अधिकतर धनंजय के शराब के नशे में होने पर ही होता था. धनंजय मारपिटाई पर उतर आया तो पुष्पा को उस से हद से ज्यादा नफरत हो गई.

रतन ने उस के घर आना शुरू किया तो पुष्पा की नजर उस पर टिकने लगीं. रतन गोराचिट्टा, स्मार्ट और कुंवारा था. पुष्पा ने ऐसे ही युवक की कामना की थी. विवाह से पहले उस की 2 ही इच्छाएं थीं, एक तो उस का जीवनसाथी सरकारी नौकरी वाला हो और दूसरा वह खूबसूरत व स्मार्ट हो. उस की जोड़ी उस के साथ ‘रब ने बना दी जोड़ी’ जैसी हो. उस की एक इच्छा तो पूरी हो गई थी लेकिन दूसरी इच्छा ने उसे रूला दिया. धनंजय ने कभी भी पुष्पा की तारीफ  नहीं की थी, लेकिन रतन पुष्पा की जम कर तारीफ करता था, साथ ही हंसीमजाक भी. पुष्पा सोचती थी कि रतन को सुंदरता की कद्र करनी आती है, लेकिन धनंजय को नहीं.

रतन लतीफे सुना कर पुष्पा को खूब हंसाता था. उस की पसंदनापसंद की चीजों का ख्याल रखता था. पुष्पा साड़ी या सलवारसूट पहनती तो उसे अपनी राय बताता. इन बातों से पुष्पा मन ही मन बहुत खुश होती. धीरेधीरे पुष्पा को भी रतन की आदत पड़ गई. उस के बिना अब उसे अच्छा नहीं लगता, घर में सब सूनासूना सा महसूस होता. रतन ने पुष्पा को इतनी खुशियां दीं कि वह सोचने को मजबूर हो गई कि काश! मेरा पति रतन जैसा होता, तो कितना अच्छा होता…?

एकांत क्षणों में पुष्पा, रतन की तुलना धनंजय से करने लगती और यह सोच कर मायूस हो जाती कि धनंजय रतन के आगे किसी मामले में नहीं ठहरता. पुष्पा रतन के बारे में ज्यादा सोचती तो उस का मन उस की बांहों में ही सिमटने को मचल उठता. पुष्पा और रतन की निगाहों में एकदूसरे के लिए तड़प भरी रहती थी. पानी का गिलास, चाय का कप लेतेदेते हुए दोनों की अंगुलियों का स्पर्श होता तो दोनों ही ओर चिंगारियां छूटने लगतीं. पुष्पा का रतन रतन का व्यक्तित्व पुष्पा के दिल में हलचल मचाए हुए था तो पुष्पा की आकर्षक देहयष्टि रतन के युवा मन में सरसराहट भरती रहती थी. वह पुष्पा से बिना नजरें मिलाए उस का दीदार करता रहता. उसे पूरी तरह पा कर न सही, स्पर्श कर के ही सुख लूटता रहता.

रतन कुछ कारणों से अपने गांव चला गया तो पुष्पा खुद को फिर तन्हा महसूस करने लगी. उसे ऐसा लगा, जैसे उस की रूह निकल कर चली गई हो और मुरदा जिस्म वहां रह गया हो. धनंजय सीवान से अपनी ड्यूटी से वापस लौटता, रात में जब वह उस से संसर्ग करता, तब भी वह मुर्दों की तरह निष्क्रिय पड़ी रहती. धनंजय उस के व्यवहार से इसलिए स्तब्ध नहीं हुआ, क्योंकि वह जानता था कि पुष्पा उस से बिलकुल खुश नहीं है. उधर गांव गए रतन का हाल भी ऐसा ही था. पुष्पा को याद कर के वह रात भर करवटें बदलता रहता, आंखें बंद करता तो सपने में पुष्पा ही नजर आती. जो वह हकीकत में करने की ख्वाहिश रखता था, उसे कल्पना में ही कर के खुद को तसल्ली दे लेता था.

आखिर रतन गांव से शहर लौटा तो पुष्पा से मिलने गया. पुष्पा उस समय अकेली थी. उसे रतन की यादों ने बेहाल कर रखा था. रतन को देखते ही पुष्पा का चेहरा खिल उठा. रतन के अंदर आते ही पुष्पा ने लपक कर दरवाजा बंद कर दिया. फिर नाराजगी प्रकट करते हुए बोली, ‘‘क्या इस तरह मुझे तड़पाना अच्छा लगता है तुम्हें?’’

‘‘मैं समझा नहीं.’’ रतन अंजान बनते हुए बोला.

‘‘कितने दिन हो गए तुम्हें. मैं तुम्हारी सूरत देखने को तरस गई थी.’’ पुष्पा ने शिकायती लहजे में कहा.

‘‘सच,’’ रतन खुश होते हुए बोला,‘‘मैं यही सुनने को तो गैरहाजिर था. मैं देखना चाहता था कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए कितनी चाहत है. अगर ऐसा नहीं करता, तो तुम शायद आज अपने दिल की बात मुझ से न कहतीं.’’

‘‘तुम सच कह रहे हो रतन. तुम ने मुझ पर न जाने कैसा जादू कर दिया है कि मैं हर पल तुम्हारे बारें में ही सोचती रहती हूं.’’ कहते हुए उस ने रतन के गले में बांहें डाल दीं.

‘‘यही हाल मेरा भी है पुष्पा. जिस दिन तुम्हारा दीदार नहीं होता, वह दिन पहाड़ सा लगता है.’’ पुष्पा की पतली कमर में हाथ डालते हुए रतन ने उसे अपने करीब खींचा और उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

पुष्पा के होंठों में ऐसी तपन थी, कि रतन को लगा जैसे उस ने अंगारों को छू लिया हो. पुष्पा के होंठों से अपने होंठ अलग करते हुए उस ने पुष्पा की सुरमई आंखों में झांका, तो लगा जैसे उन में पूरा मयखाना समाया हो. पुष्पा की नशीली आंखों, फूलों जैसे रुखसार, सुराही जैसी गरदन और उस के नाजुक अंगों को देख कर रतन के रोमरोम में लहर सी दौड़ गई. गजब तो तब हुआ, जब पुष्पा ने अपने बंधे हुए गेसू खोल दिए. थोड़ी देर पहले ही उस ने सिर धोया था. सावन की घटाओं से भी श्यामवर्ण गेसू कमर के नीचे उभारों को छूने लगे, तो रतन बोल पड़ा, ‘‘वाह पुष्पा, क्या लाजवाब हुस्न है तुम्हारा.’’

पुष्पा ने खिलखिला कर हंसते हुए पूछा, ‘‘वो कैसे?’’

‘‘आइने में देख लो, खुद समझ जाओगी.’’

‘‘वो तो मैं तुम्हारी आंखों में देख कर समझ रही हूं.’’

‘‘क्या देख रही हो मेरी आंखों में?’’ रतन ने पूछा.

‘‘बेईमानी. किसी का माल हड़पने के लिए नीयत खराब कर रहे हो.’’ पुष्पा ने हौले से रतन के गाल पर चपत लगाई.

‘‘अगर वह माल लाजवाब और मीठा हो तो उसे उठा कर मुंह में रख लेने में कैसी झिझक. सच में दिल कर रहा है कि आज मैं तुम्हें लूट ही लूं.’’

‘‘तो रोका किस ने है?’’ कहते हुए पुष्पा रतन के गले से झूल गई और बोली,‘‘आओ लूट लो मेरे हुस्न के इस अनमोल खजाने को. मैं तो कब से तुम्हें सौंपने को बेताब थी.’’

रतन का गला सूखने लगा था, ‘‘कोई आ गया तो?’’

‘‘कोई नहीं आ रहा अभी, तुम निश्चिंत रहो.’’

इस के बाद दोनों वासना के खेल में डूबते चले गए. घर की तनहाई दोनों के दिलों की ही नहीं जिस्मों के मिलन की भी साक्षी बन गई. इस के बाद तो रोज ही उन के बीच यह खेल खेला जाने लगा. रतन ने पुष्पा को दिया अपने नाम वाला सिम रतन ने पुष्पा को एक सिम खरीद कर दे दिया. उस ने सिम को अपने मोबाइल में डाल लिया. पुष्पा इस सिम का इस्तेमाल केवल रतन से बात करने के लिए करती थी. धनंजय की अनुपस्थिति में रतन पूरे दिन पुष्पा के साथ उस के घर में मौजूद रहता. उस के साथ समय बिताता तो उन पलों को अपने स्मार्टफोन में भी कैद कर लेता. वह अपने मोबाइल से अंतरंग पलों के फोटो और वीडियो भी बनाता था.

18 अप्रैल की सुबह बंद चीनी मिल के परिसर में कुछ युवक लकड़ी लेने गए. इस बीच उन की नजर एक पेड़ के नीचे पड़ी एक लाश पर गई. उन्होंने आसपास के लोगों को बताया तो चंद मिनटों में वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. 112 नंबर पर काल कर के पुलिस को लाश मिलने की सूचना दी गई. घटनास्थल थाना कोतवाली देवरिया में आता था, इसलिए कंट्रोल रूम से यह सूचना कोतवाली पुलिस को दे दी गई. सूचना पा कर इंसपेक्टर टीजे सिंह अपनी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मृतक की उम्र 40-42 वर्ष रही होगी. उस के चेहरे को किसी भारी वस्तु से कूंचा गया था. चेहरा क्षतविक्षत होने के कारण मृतक की पहचान होना मुश्किल था. उस के गले पर भी कसे जाने के निशान मौजूद थे.

घटनास्थल पर लाश से कुछ दूरी पर खून से सना एक ईंट का टुकड़ा पड़ा मिला. हत्यारे ने उसी ईंट के टुकड़े से मृतक का चेहरा कुचला था. इंसपेक्टर टीजे सिंह निरीक्षण कर ही रहे थे कि तभी एसपी डा. श्रीपति मिश्र, एएसपी शिष्यपाल, सीओ सिटी निष्ठा उपाध्याय समेत अन्य अधिकारी भी वहां पहुंच गए. अधिकारियों ने भी लाश व घटनास्थल का निरीक्षण किया. इंसपेक्टर टीजे सिंह के आदेश पर कुछ सिपाहियों ने मृतक के कपड़ों की तलाशी ली तो कपड़ों से मृतक का आधार कार्ड मिल गया, जिस में मृतक का नाम धनंजय पांडे लिखा था और पता देवरिया की सीमा से सटे बिहार के गोपालगंज जिले के कुचायकोट थाना क्षेत्र में आने वाले गांव अमवा का लिखा था.

मृतक के घर वालों को कुचायकोट थाना पुलिस के जरीए सूचना भेजी गई. इस के बाद पुलिस अधिकारी इंसपेक्टर टीजे सिंह को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर वापस लौट गए. सूचना पर मृतक के घर वाले और ससुराल वाले वहां पहुंचे. उन लोगों ने धनंजय की लाश की शिनाख्त कर दी. लाश की शिनाख्त होने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया गया. कोतवाली लौट कर इंसपेक्टर टीजे सिंह ने धनंजय पांडे के ससुर रामजी मिश्रा की लिखित तहरीर के आधार पर अज्ञात के विरूद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. केस की जांच शुरू करते हुए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने सर्वप्रथम पुष्पा से पूछताछ की, जो कि घटना से एक महीने पहले से अपने मायके में रह रही थी.

उन्होंने पुष्पा से पूछा, ‘‘धनंजय की किसी से कोई दुश्मनी थी या उस का किसी से हाल ही में कोई लड़ाईझगड़ा हुआ था?’’

‘‘सर, उन की किसी से दुश्मनी नहीं थी और न ही उन का किसी से लड़ाईझगड़ा हुआ था. वह तो सुबह अपने आफिस के लिए निकल जाते थे और रात में लौटते थे.’’

‘‘फिर भी कोई दुश्मनी रही हो, याद करने की कोशिश कीजिए.’’

‘‘सर, मेरी जानकारी में तो नहीं है, अगर औफिस में कोई बात हुई हो तो मुझे पता नहीं. मेरे पति आफिस की कोई भी बात मुझे नहीं बताते थे.’’

पुष्पा बड़े ही सहज भाव से सवालों का जवाब दे रही थी. उस के चेहरे के भावों और बोलने के अंदाज से यह कतई नहीं झलक रहा था कि वह पति की मौत से गमगीन है. यह बात मन में शक पैदा करने वाली थी. पुष्पा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने एक और सवाल दागा, ‘‘घर में कौनकौन आता था?’’

‘‘सर, हम देवरिया में किराए पर रह रहे थे. हमारी किसी से जानपहचान नहीं है. इसलिए कोई भी नहीं आताजाता था.’’

‘‘कोई भी नहीं?’’ इंसपेक्टर टीजे सिंह ने उस की आंखों से आंखें मिला कर उस का सच और झूठ पकड़ने के लिए एक बार फिर एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. इंसपेक्टर सिंह को घुमाती रही पुष्पा इंसपेक्टर टीजे सिंह द्वारा इस तरह पूछने पर पुष्पा एक पल के लिए हड़बड़ाई, लेकिन अगले ही पल खुद को संभालते हुए बोली, ‘‘जी सर कोई नहीं, बस मेरे बच्चों को पढ़ाने के लिए रतन पांडे आता था. वह हमारा दूर का रिश्तेदार है, उसी ने हमें देवरिया में रहने के लिए किराए पर मकान दिलवाया था.’’

‘‘तो बताना चाहिए था न… मैं दोबारा न पूछता तो आाप बताती भी नहीं.’’

‘‘सर, वह तो घर का ही है, बाहर का नहीं, इसीलिए नहीं बताया.’’ पुष्पा ने सफाई दी.

‘‘ये आप हमें तय करने दें कि कौन क्या है, हमारे निशाने पर सभी होते हैं चाहे घर के हों या बाहर के. वैसे भी अधिकतर केसों में हत्यारा घर का अपना ही कोई निकलता है.’’ कह कर टीजे सिंह ने पुष्पा की तरफ  देखा तो उस के चेहरे पर आने वाले भाव देख कर वह मुस्करा उठे और फिर उठते हुए बोले, ‘‘खैर अब मैं चलता हूं, जरूरत पड़ी तो आप से दोबारा पूछताछ करूंगा.’’

‘‘जी सर.’’

टीजे सिंह वहां से चले गए. वहां से निकलने से पहले वह पुष्पा का मोबाइल नंबर लेना नहीं भूले. इंसपेक्टर सिंह ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई साथ ही जिस मोबाइल में सिम पड़ा था. उस मोबाइल में दूसरे सिम भी डाले गए थे तो उन सिम के नंबरों की भी डिटेल्स देने को कहा गया. जब पुष्पा के बताए नंबर की काल डिटेल आई तो उस में कुछ खास नहीं मिला. लेकिन साथ में एक और नंबर की काल डिटेल्स आई थी. वह नंबर भी पुष्पा अपने डबल सिम वाले मोबाइल में प्रयोग कर रही थी. लेकिन उस नंबर के बारे में पुष्पा ने कुछ नहीं बताया था. उस नंबर से केवल एक नंबर पर ही रोज बात की जाती थी. उस नंबर की डिटेल्स निकलवाई तो वह नंबर रतन पांडे के नाम पर था. रतन वही था जो धनंजय के घर ट्यूशन पढ़ाने आता था. उस का पता किया तो वह घर से फरार मिला.

20 अप्रैल को इंसपेक्टर टीजे सिंह ने एक मुखबिर की सूचना पर अमेठी तिराहे के खोराराम मोड़ से रतन पांडे को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो रतन ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया, साथ ही हत्या की वजह भी बता दी. इस के बाद इंसपेक्टर सिंह पुष्पा को उस के मायके से गिरफ्तार कर के थाने ले आए.

थाने में जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बरगलाने की कोशिश की कि रतन ने उस के अश्लील फोटो व वीडियो बना लिए थे, जिन के सहारे वह उसे ब्लैकमेल कर रहा था. उसी ने उस के पति की हत्या की है. लेकिन जब सख्ती दिखाई गई तो उस ने सच उगल दिया. पुष्पा रतन को अपनी जान से भी ज्यादा चाहने लगी थी, उसी के साथ विवाह कर के वह अपनी आगे की जिंदगी गुजारना चाहती थी. इस के लिए वह रतन के साथ भाग जाती और विवाह कर लेती. लेकिन जिंदगी सिर्फ प्यार से नहीं गुजरती, पैसों की भी जरूरत होती है. रतन छोटीमोटी नौकरी करता था, उस से उस का खुद का गुजारा ही नहीं हो पाता था. ज्यादा पैसा तो सरकारी नौकरी में ही मिलता है जो कि धनंजय के पास थी. इसलिए पैसों की उसे कभी कोई दिक्कत नहीं हुई.

पुष्पा को सरकारी नौकरी का मोह था. इसलिए उस ने इस का रास्ता निकाल लिया. उस रास्ते पर चल कर उस की सारी इच्छाएं पूरी हो सकती थीं. वह रास्ता था धनंजय की मौत. धनंजय के मरने से पुष्पा को एक तो उस से छुटकारा मिल जाता, दूसरे उस की जगह मृतक आश्रित कोटे से उसे नौकरी मिल जाती और तीसरा वह रतन से विवाह कर के आराम से जिंदगी गुजार सकती थी. पुष्पा अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पति के खून से हाथ रंगने को तैयार थी. वह यह भूल गई कि केवल सोचने भर से जिंदगी आसान नहीं हो जाती. सब कुछ मनचाहा नहीं होता.

वह जिस रास्ते पर चलने को आमादा थी उस पर उसे सरकारी नौकरी तो नहीं जेल की सलाखें जरूर मिलने वाली थीं. दूसरी ओर धनंजय को अपनी मौत के षड़यंत्र का कैसे पता चलता, जबकि उसे पुष्पा और रतन के अवैध संबंधों तक की जानकारी नहीं थी. पुष्पा अपने इरादों को अंजाम तक पहुंचाने को आतुर थी. रतन तो पहले से ही पुष्पा से बारबार धनंजय को मार देने की बात कहता रहता था. वह तो पुष्पा की तरफ से बस हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहा था. पुष्पा ने अपने दिल की पूरी बात रतन को बता दी. इस के बाद दोनों ने धनंजय की हत्या की योजना बनाई. योजनानुसार 16 मार्च, 2020 को पुष्पा बच्चों के साथ अपने मायके गोपालगंज चली गई.

एक महीना पूरा होने पर 17 अप्रैल की शाम 4 बजे पुष्पा ने रतन को फोन कर के धनंजय की हत्या करने को कहा. काश! धनंजय शराब के लालच में न पड़ता 18 अप्रैल की रात 8 बजे के करीब रतन ने धनंजय को शराब पीने के लिए बंद चीनी मिल परिसर में बुलाया. धनंजय के वहां पहुंचने पर रतन ने एक ईंट के टुकडे़ से उस के सिर पर प्रहार किया. धनंजय दर्द से बिलबिला उठा. इसी बीच रतन ने पास में उगी गिलोय की बेल उखाड़ कर धनंजय के गले में डाल दी और पूरी ताकत से कस दिया.

दम घुटने से धनंजय की मौत हो गई. इस के बाद रतन ने धनंजय के चेहरे को बुरी तरह से कुचल दिया. फिर धनंजय की जेब से मोबाइल निकाल कर रतन वहां से चला गया. उस ने वाट्सऐप पर मैसेज कर के पुष्पा को धनंजय की मौत की जानकारी दे दी. पुष्पा द्वारा मैसेज देख लेने के बाद रतन ने वह मैसेज डिलीट कर दिया. लेकिन दोनों पकड़े गए. रतन ने अपना एंड्रायड मोबाइल फारमेट कर दिया था. इसलिए उस मोबाइल का डाटा रिकवर करने के लिए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने मोबाइल में डाटा रिकवरी ऐप इंस्टाल किया और मोबाइल का पूरा डाटा रिकवर कर लिया. मोबाइल की गैलरी में रतन व पुष्पा के अनगिनत फोटो मिले, जिस में कई अश्लील भी थे, जिन को उन्होंने सुबूत के तौर रख लिया.

अभियुक्त रतन के पास से इंसपेक्टर सिंह ने धनंजय का मोबाइल भी सिम सहित बरामद कर लिया. हत्या में प्रयुक्त ईंट का टुकड़ा पहले ही घटनास्थल से बरामद हो गया था. कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के दोनों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज  दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

पहले महाकुंभ लाया, फिर बीवी की हत्या कर दी : वजह जान कर चौंक जाएंगे

UP Crime : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुई एक सनसनीखेज वारदात ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. आरोप है कि एक पति ने पहले तो पत्नी को कुंभ स्नान कराने के बहाने बुलाया फिर उस की बेरहमी से हत्या कर दी. जिस किसी ने भी इस घटना के बारे में सुना, वह हैरान रह गया. इस दिल दहला देने वाली घटना की पूरी कहानी जान कर आप के भी रौंगटे खड़े हो जाएंगे।

प्रयागराज की घटना

घटना उतर प्रदेश के प्रयागराज की है, जहां भारत से ले कर दुनियाभर से लोग महाकुंभ  (Mahakumbh) स्नान के लिए आए थे. इसी भीड़ का फायदा उठा कर पति ने अपनी पत्नी मीनाक्षी को दिल्ली से बुला कर हत्या कर दी और मौके से फरार हो गया, लेकिन सीसीटीवी फुटेज और मृतका मीनाक्षी के बेटे की मदद से पुलिस ने कातिल पति को अरैस्ट कर लिया है.

कातिल पति अपनी पत्नी को झूंसी इलाके के एक लौज में बेरहमी से मार कर फरार हो गया. बताया जा रहा है कि कातिल पति का दूसरी महिला से अवैध संबंध चल रहा था, इसलिए उस ने अपनी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया.

अवैध संबंध का निकला चक्कर

कातिल पति अशोक वाल्मिकी ने दिल्ली से अपनी पत्नी मीनाक्षी को महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज बुलाया. महाकुंभ स्नान को ले कर मीनाक्षी बहुत खुश थी और इसीलिए संगमतट पर स्नान करने आई थी.

अशोक ने अपनी पत्नी मीनाक्षी के साथ एक वीडियो भी बनाया और सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया. ऐसा इसलिए ताकि सभी को लगे कि वे महाकुंभ स्नान करने आए हैं.

रात में अशोक ने अपनी पत्नी के लिए झूंसी के एक लौज में ₹500 में एक कमरा लिया. लेकिन पत्नी को बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि आज उस की आखिरी रात होगी. रात जब गहराई तो आरोपी अशोक ने बाथरूम में पत्नी मीनाक्षी की बेरहमी से हत्या कर दी और सामान लेने के बहाने लौज से रात को ही फरार हो गया.

महिला की लाश देख चौंके लोग

सुबह होने पर जब लौज के स्टाफ ने बाथरूम में एक महिला की लाश देखी तो वे चौंक गए. तुरंत घटना की सूचना पुलिस को दी गई, लेकिन लौज में आईडी जमा न होने की वजह से मृतक महिला की पहचान मुश्किल थी.

कातिल पति का खुलासा

जब पुलिस कातिल का सुराग ढूंढ़ने लगी तो आसपास के सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकाले गए. इन्हीं फुटेज के आधार पर कातिल की पहचान हो गई. इसी दौरान मीनाक्षी का बेटा अश्विनी 21 फरवरी, 2025 को मां को खोजतेखोजते प्रयागराज पहुंच गया. वह झूंसी थाने में भी गया और थाने में एक तसवीर को देख कर बोला कि यह मेरी मां है, जो महाकुंभ मेले में खो गई है. जब पुलिस ने अश्विनी को लौज से वरामद लाश दिखाई तो अश्विनी फफकफफक कर रो पङा.

प्रेम प्रसंग के चक्कर में मारा पत्नी को

पुलिस के द्वारा कातिल अशोक को अरैस्ट कर लिया गया है, जहां उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. अशोक ने बताया कि उस का एक महिला के साथ अवैध संबंध चल रहा था और पत्नी उस का विरोध करती थी. इसी कारण उस ने पत्नी को महाकुंभ स्नान के बहाने बुला कर उस की हत्या कर दी.

कैसे पकड़ा गया कातिल

पुलिस ने अशोक के बेटे के जरिए उसे बुलाया और बहराना में पहुंचते ही अरैस्ट कर लिया. जब पुलिस ने अशोक से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कबुल कर लिया, जिस के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

Murder Stories : पड़ोसी ने ज्‍वेलर और उसकी बीवी का पहले गला घोंटा फिर करंट लगाया

Murder Stories : जब दिमाग में लालच और अपराध के कीड़े कुलबुलाते हैं तो स्वार्थ की भावना की छाया में खून भी पानी लगने लगता है. कपिल गुप्ता और ओमबाबू राठौर को मुकलेश गुप्ता का पैसा, सोनाचांदी तो दिखा, लेकिन खून में डूबी 2 लाशें उन्हें मिट्टी के ढेले जैसी लगीं. काश! दोनों दरिंदों ने…

नौकरानी सोमवती रोजाना की तरह मंगलवार की सुबह भी सर्राफा कारोबारी मुकलेश गुप्ता के घर काम करने पहुंची. उस ने दरवाजे पर लगी कालबेल बजाई. लेकिन कई बार घंटी बजाने के बाद भी जब अंदर कोई हलचल नहीं हुई तो उस ने दरवाजे को हलका सा धक्का दिया. ऐसा करने से दरवाजा खुल गया. सोमवती अंदर पहुंची. वह रोजाना सब से पहले नीचे के कमरों की सफाई करनी थी. लेकिन कमरे बंद थे, उस ने चाबी लेने के लिए मालकिन को आवाज लगाई. तभी उस की नजर ऊपर गई तो उसे हैरत हुई. मकान मालिक मुकलेश नीचे की ओर मुंह कर के लोहे के जाल पर पड़े थे. यह देख वह घबरा गई. उस ने ऊपर जा कर मालकिन लता गुप्ता को आवाज लगाई, लेकिन उन की भी आवाज नहीं आई.

सोमवती ने जब मालकिन के कमरे में जा कर देखा तो वह फर्श पर पड़ी थीं. उन के सिर से खून बह रहा था. यह दृश्य देखते ही सोमवती चीखती हुई बाहर की ओर भागी. उस ने यह जानकारी आसपास के लोगों व मुकलेश गुप्ता के भाई को दी. यह 28 जनवरी, 2020 की सुबह 6 बजे की बात है. सोमवती के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर आसपास के लोग एकत्र हो गए. कुछ लोग जीना चढ़ कर ऊपर पहुंचे. वे लोग ऊपर का दृश्य देख हैरान रह गए. पहली मंजिल पर लगे लोहे के जाल पर 62 वर्षीय मुकलेश गुप्ता और वहीं पास के कमरे के फर्श पर उन की 60 वर्षीय पत्नी लता पड़ी हुई थीं. मुकलेश के पैर में टेप चिपका कर बिजली का तार लगाया गया था, जिस का दूसरा सिरा बिजली के बोर्ड में लगा था.

लोगों ने तार को बोर्ड से अलग किया. पतिपत्नी दोनों की मौत हो चुकी थी. इसी बीच किसी ने यह सूचना आगरा में रहने वाली मुकलेश की सब से बड़ी बेटी डा. प्रियंका के अलावा शमसाबाद थाने में भी दे दी. डबल मर्डर की सूचना मिलते ही शमसाबाद एसओ अरविंद निर्वाल पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. डबल मर्डर और लूट की घटना से सनसनी फैल गई थी. मुकलेश कुमार पिछले 20 सालों से सर्राफा कमेटी के अध्यक्ष थे. उन की हत्या की खबर मिलते ही व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथसाथ मुकलेश के परिजन भी एकत्र हो गए थे. 2-2 लाशों को देख कर लोग आक्रोशित हो कर हंगामा करने लगे. स्थिति की गंभीरता को भांप कर एसओ ने उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत करा दिया.

आननफानन में आगरा के एसएसपी बबलू कुमार एसपी प्रमोद कुमार और सीओ (फतेहाबाद) प्रभात कुमार मौके पर पहुंच गए. एसएसपी ने फोरैंसिक टीम और आसपास के थानों की फोर्स भी बुला ली. खबर मिलते ही मुकलेश गुप्ता की बेटी डा. प्रियंका भी शमसाबाद पहुंच गई. बाद में एडीजी अजय आनंद, आईजी ए.सतीश गणेश भी वहां आ गए. उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और दंपति के कत्ल के बारे में जानकारी ली. मुकलेश व लता के सिर से काफी खून निकल चुका था. दोनों के गले पर भी चोट के निशान थे. देखने से लग रहा था कि दंपति की हत्या के लिए बेहद क्रूर तरीका अपनाया गया था. साथ ही दोनों को करंट भी लगाया गया था.

फोरैंसिक टीम ने कई स्थानों से फिंगरप्रिंट उठाए. सर्राफा व्यवसायी व उन की पत्नी को मौत के घाट उतारने वाले बदमाश इतने शातिर थे कि घर में लगे सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर अपने साथ ले गए थे. पुलिस को अंदेशा था कि वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों को घर की हर चीज की जानकारी थी. आशंका थी कि लुटेरे परिवार के नजदीकी रहे होंगे. डबल मर्डर के बारे में आसपास के किसी व्यक्ति को भनक तक नहीं लगी थी. जबकि परिजनों के मुताबिक हत्या रात 8 बजे से पहले की गई थी. क्योंकि मुकलेश शाम 6 बजे और रात 8 बजे चाय घर पर पीते थे. शाम का दूध डिब्बे में डायनिंग टेबल पर रखा था. इस से स्पष्ट था कि 27 जनवरी की रात 8 बजे की चाय से पहले ही घटना को अंजाम दे दिया गया था.

जिस कमरे में लता का शव पड़ा था, उस में  5 अलमारियां खुली पड़ी थीं जबकि 3 अलमारियों को हाथ भी नहीं लगाया गया था. डा. प्रियंका ने घर की अलमारियां खोल कर देखीं तो 2 में से सोने के गहनों के अलावा लाइसैंसी रिवौल्वर भी गायब था. प्रियंका ने लूटे गए सामान की कीमत एक करोड़ से अधिक बताई. डा. प्रियंका की तरफ से पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 394 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. प्रियंका ने बंद अलमारियां खोलीं तो उन में रखे 10 लाख रुपए और 2 किलोग्राम सोना, चांदी यथास्थान रखे मिले. इस से अनुमान लगाया गया कि 2 अलमारियों से ही बदमाशों को भारी मात्रा में नगदी व आभूषण मिल गए थे.

मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए आगरा भेज दिया. मुकलेश के पास साहूकारी (ब्याज पर पैसे देने) का भी लाइसैंस था. घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर ही सर्राफा बाजार में उन की ओमप्रकाश मुकलेश कुमार ज्वैलर्स नाम से 90 साल पुरानी दुकान थी. आक्रोशित व्यापारियों व परिजनों ने शवों का अंतिम संस्कार करने से इनकार करते हुए कहा कि जब तक वारदात का खुलासा नहीं हो जाता, तब तक वे दोनों लाशों का अंतिम संस्कार नहीं होने देंगे. विरोध में व्यापारियों ने शमसाबाद का मार्केट बंद रखा. एसएसपी बबलू कुमार ने लोगों को आश्वासन दिया कि 72 घंटे में डबल मर्डर और लूट का खुलासा कर दिया जाएगा.

खोजी कुत्ता कस्बा में स्थित कुम्हारों की गली से निकल कर दाऊजी के मंदिर तक जाने के बाद ठिठक कर रह गया. इसे ले कर तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे. ओमप्रकाश सर्राफ के 4 बेटों में प्रतिष्ठित सर्राफा कारोबारी मुकलेश गुप्ता तीसरे नंबर के थे. सब से बड़े डा. अवधेश गुप्ता जोकि शमसाबाद में ही प्रैक्टिस करते हैं, दूसरे नंबर के डा. अखिलेश गुप्ता का निधन हो चुका है, जबकि सब से छोटे सर्वेश गुप्ता हैं. हत्याकांड व लूट की घटना का परदाफाश करने के लिए एसएसपी बबलू कुमार ने 4 पुलिस टीमों का गठन किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि पतिपत्नी की मृत्यु गला घोटने तथा करंट लगने से हुई थी. इस के साथ ही हत्यारों ने दंपति पर सूजा जैसी किसी नुकीली चीज से हमला भी किया था.

पुलिस ने इस हत्याकांड के खुलासे के लिए सिलसिलेवार जांच शुरू की. पुलिस को मृतकों के घर वालों ने बताया कि घर के काम के लिए वीरेंद्र नाम का लड़का था, जिसे मुकलेश ने हटा दिया था. पुलिस ने इस लड़के के साथ ही दुकान पर काम करने वाले नौकरों पर भी निगाह रखनी शुरू कर दी. घर पर बिजली व पानी की लाइन की मरम्मत के लिए आनेजाने वालों को भी खंगाला गया. जांच के दौरान पता चला कि मुकलेश गुप्ता ने 27 जनवरी, 2020 को अपनी दुकान शाम साढ़े 5 बजे बंद की थी. इस के बाद वह घर आ गए थे. शाम 7 बजे वह दोबारा घर से पैदल निकले थे और बाजार में छोटे भाई सर्वेश से मिले. उन्होंने करीब साढ़े 7 बजे दाऊजी मंदिर जा कर दर्शन किए. फिर थाने के सामने एक मैडिकल स्टोर से दवा खरीदी और घर आ गए. साढ़े 8 बजे दूध वाला दूध देने आया. तब तक वारदात हो चुकी थी.

दूधिया की बातों से कहानी उलझ गई थी. मुकलेश के यहां दूध देने शमसाबाद निवासी सोनू और उस का भाई मोनू शाम करीब साढ़े 8 बजे पहुंचे थे. नीचे से आवाज देने पर लता ऊपर से रस्सी में बांध कर डिब्बा नीचे लटका देती थीं और वे दूध दे कर चले जाते थे. लेकिन उस दिन आवाज देने पर भी जब डिब्बा नहीं लटकाया, तब दोनों भाई जीने से चढ़ कर ऊपर गए और आवाज दी. उस समय टीवी तेज आवाज में चल रहा था. वहीं डायनिंग टेबल पर डिब्बा रखा था. उसी में दूध भर कर दोनों वापस चले गए.  इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि उस समय वारदात हो चुकी थी. मुकलेश के एक परिचित ने रात 9 बज कर 8 मिनट पर उन्हें फोन किया. घंटी जाती रही, लेकिन फोन नहीं उठा.

पुलिस ने दोनों दूधिया भाइयों से भी पूछताछ की. दोनों ने बताया कि घर में कोई दिखाई नहीं दिया. टीवी तेज आवाज में चलने के कारण हम ने सोचा कि वे लोग कमरे में टीवी देख रहे होंगे. यह बात समझ नहीं आ रही थी कि बदमाशों ने जब गला घोट कर व नुकीली चीज से प्रहार कर दोनों की हत्या कर दी थी, तब करंट क्यों लगाया? क्या हत्यारे उन से घृणा करते थे? बदमाश घर में लाखों रुपए के आभूषण व नगदी क्यों छोड़ गए? यह भी समझ नहीं आ रहा था कि बदमाश रिवौल्वर तो लूट ले गए, लेकिन अलमारी में रखी डबल बैरल बंदूक छोड़ गए थे. बड़ा माल हाथ लगने के बाद भी वे दुकान का थैला जिस में दुकान की चाबियां और कागजात थे, क्यों ले गए?

पुलिस को अंदेशा था कि इस हत्याकांड में किसी नजदीकी का हाथ हो सकता है. पुलिस इस बात की जांच कर रही थी कि पतिपत्नी की मौत से किसे लाभ मिल सकता है. मुकलेश के पास साहूकारी का लाइसैंस था. उन के पास किसान, आम आदमी और कारोबारी कर्ज लेने आते थे, मुकलेश गहने और खेत गिरवी रख कर ब्याज पर पैसे देते थे. सर्राफा कारोबार में मुकलेश की अच्छी साख थी. उन की 3 बेटियां थीं. बड़ी बेटी डा. प्रियंका की शादी सेना में मेजर श्यामकुमार से हुई थी, वह आगरा में डाक्टर है. मंझली गीतिका की शादी हैदराबाद में और छोटी दीपिका की गुजरात में हुई थी. प्रियंका सप्ताह में 1-2 दिन शमसाबाद आतीजाती थी. पिछले दिनों मुकलेश अपनी पत्नी के साथ हैदराबाद घूमने गए थे. वहां वह गीतिका से मिल कर आए थे. वहां से वह 5 जनवरी को वापस आए थे.

फोरैंसिक टीम ने एक दरजन से अधिक चीजों से फिंगरप्रिंट के नमूने संकलित किए थे. घटनास्थल से वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्यों को भी एकत्रित कराया गया था. कस्बे में मौजूद सीसीटीवी फुटेज भी देखे गए. क्राइम सीन का रिव्यू किया गया. घटना को 4 दिन बीत गए थे. पुलिस द्वारा दी गई समय सीमा भी समाप्त हो रही थी. इस दोहरे हत्याकांड ने शमसाबाद के पुलिस महकमे को हिला दिया था. घटना का खुलासा न होने से मृतकों के सगेसंबंधी, सर्राफा व्यवसायी आक्रोशित थे. जिस से धरनेप्रदर्शनों का डर था. इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में भी घटना सुर्खियों में थी, जिस से पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था. यह केस पुलिस के लिए चुनौती बन गया था, लेकिन पुलिस अपने काम में गोपनीय तरीके से जुटी रही, जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी. एसएसपी बबलू कुमार ने सर्विलांस, एसओजी, क्रिमिनल इंटेलिजेंस विंग और 7 थानों के प्रभारियों के साथ एक टीम बनाई थी, जिस में 50 पुलिसकर्मी शामिल थे.

एसएसपी ने वाट्सऐप पर डबल मर्डर औपरेशन के नाम से ग्रुप बनाया. इस में पूरी टीम को जोड़ा गया. इसी ग्रुप पर हर अपडेट दी और ली जा रही थी. अधिकारी भी इसी पर निर्देश भी देते थे. एसपी पूर्वी शमसाबाद प्रमोद कुमार थाने में कैंप कर के रहे. एडीजी अजय आनंद और आईजी ए.सतीश गणेश भी इस मामले पर नजर रखे थे. पुलिस ने कारोबारी मुकलेश के मोबाइल को भी खंगाला. घटना से एक दिन पहले कपिल गुप्ता ने मुकलेश को फोन किया था. इस से पहले उस की मुकलेश से कभी बात नहीं हुई थी. पुलिस जब कपिल गुप्ता के घर पहुंची तो पता चला कि वह घटना के बाद से कस्बे से बाहर है. इसी से पुलिस

को सुराग मिल गया और जांच आगे बढ़ती गई. शुक्रवार देर रात क्राइम ब्रांच और पुलिस की टीम ने कपिल गुप्ता व उस के साथी ओमबाबू राठौर निवासी इरादतनगर, शमसाबाद को फतेहपुर सीकरी से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ करने पर उन्होंने अपराध कबूल कर लिया. पुलिस ने उन की निशानदेही पर लूटे गए 11 किलोग्राम सोने के आभूषण, 24.7 किलोग्राम चांदी और साढ़े 13 लाख रुपए की नगदी बरामद की. बरामद सोनेचांदी के आभूषणों की कीमत करीब 4 करोड़ 60 लाख है. पहली फरवरी को एडीजी अजय आनंद ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर घटना का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि प्रथमदृष्टया मिले संकेतों के आधार पर पुलिस ने अपनी जांच मुकलेश के परिचितों की ओर मोड़ दी थी.

इसी बीच जानकारी मिली कि कस्बे के परचून दुकानदार कपिल गुप्ता और उस का दोस्त ओमबाबू राठौर इस वारदात के बाद से ही गायब हैं. दोनों के घर मुकलेश के घर से करीब 500 मीटर दूरी पर हैं. कपिल के बाबा वेदप्रकाश मुकलेश गुप्ता की दुकान पर मुनीम थे, अब उन की मृत्यु हो चुकी है. पुलिस को दोनों का मूवमेंट फतेहपुर सीकरी और राजस्थान के हिंडौन सिटी, कैला देवी (करौली) और इस के बाद जयपुर और कोटा में मिला. जब वे शमसाबाद वापस आ रहे थे, उन्हें फतेहपुर सीकरी में गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद इस दोहरे मर्डर और लूटपाट की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी—

पुलिस को पता चला कि कपिल गुप्ता पर करीब 10 लाख रुपए का तथा उस के दोस्त ओमबाबू राठौर पर करीब 8 लाख का कर्ज था. कपिल की इरादतनगर में परचून की दुकान थी, जिस में 2 बार चोरी हो चुकी थी. दोनों कर्ज से परेशान थे. दोनों काफी दिनों से ऐसी किसी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे थे, जिस में इतना पैसा मिल जाए, जिस से उन का कर्ज उतर जाए. इसी योजना के तहत कपिल ने ओमबाबू को बताया कि सर्राफ मुकलेश गुप्ता के घर पर केवल मुकलेश व उन की पत्नी रहती है. उन के यहां काफी सोनाचांदी और नकदी मिल सकती है. कपिल के बाबा पहले मुकलेश के यहां मुनीम रह चुके थे. इस के चलते कपिल की मुकलेश से अच्छी जानपहचान थी. दोनों ने कपिल की दुकान में बैठ कर ठोस योजना बनाई.

योजना के अनुसार 22 जनवरी, 2020 को दोपहर डेढ़ बजे कपिल ने मुकलेश की दुकान से सोने की 10 हजार रुपए रेंज की अंगूठी खरीदी और पैसा बाद में देने को कह दिया. कपिल व उस का दोस्त ओमबाबू 26 जनवरी को उन के घर पैसा देने के बहाने गए और दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया. लेकिन लता ने दरवाजा नहीं खोला. 27 जनवरी को कपिल ने शाम 7 बजे मुकलेश को फोन किया. उस ने कहा कि वह अंगूठी के पैसे देने आप के घर आ रहा है. आप अपने घर फोन कर के बता दें. इस पर मुकलेश ने पत्नी लता को फोन कर दिया था.

दोनों मुकलेश के घर जा धमके. योजना के अनुसार, वे सूजा, रस्सी, करंट लगाने के लिए तार और टेप साथ ले गए थे. लता ने जैसे ही गेट खोला, कपिल ने लता के गले में रस्सी डाल कर गला घोट दिया. जबकि ओमबाबू ने गले में सूजा घोंपा. इस से लता की चीख भी नहीं निकल पाई. दोनों लता को घसीट कर कमरे में ले गए और वहां पटक दिया. कपिल ने बैड पर रखी अलमारी की चाबी उठाई और अलमारी खोल कर उस में रखा सोना, चांदी और नगदी साथ लाए बैग में भर ली. खूंटी पर टंगी रिवौल्वर भी रख ली. इस के बाद दोनों मुकलेश के आने का इंतजार करने लगे. 15 मिनट बाद ही दरवाजे पर मुकलेश ने दस्तक दी. कपिल ने गेट खोला. जैसे ही मुकलेश अंदर आए कपिल ने गले में फंदा डाल कर उन का भी गला घोट दिया. साथ ही सूजे से सिर पर प्रहार भी किए.

इस के बाद ओमबाबू ने बेल्ट से उन के गले को कस दिया. घटना का कोई भी सुराग न छोड़ने की वजह से उन्हें भी जान से मार दिया. मुकलेश को घसीट कर किचन के पास लोहे के जाल पर डाल दिया. इतना ही नहीं, मौत की पुष्टि के लिए दोनों को करंट भी लगाया. इस बीच शातिरों ने टीवी की आवाज तेज कर दी थी. इस के बाद ओमबाबू ने सीसीटीवी की डीवीआर निकाल ली. रात 8 बजे तक दोनों ने काम खत्म कर के 3 बैगों में सामान भरा और घर से निकल गए. दोनों शातिर 4 दिनों तक ऐश करते रहे. वे फतेहपुर सीकरी के एक होटल में ठहरे. बाद में राजस्थान के करौली तथा जयपुर पहुंचे. जयपुर के एक होटल में दोनों ने ढाई हजार रुपए प्रतिदिन किराए का कमरा लिया. दोनों रोज बीयर पीते, बौडी मसाज कराते. कपिल ने अपनी पत्नी के खाते में भी 50 हजार रुपए जमा कराए. पकड़े जाने तक दोनों ने 35 हजार रुपए खर्च कर दिए थे.

ओमबाबू राठौर ग्वालियर में एक राहगीर के गले में सूजा मार कर 28 लाख की लूट की कोशिश और चेन लूट चुका था. वह अपराधी किस्म का है. उस ने पहली पत्नी को तलाक दे दिया था, बाद में उस ने सन 2007 में रेखा से दूसरी शादी कर ली. वह कपिल के घर के पास ही रहता है और किराए पर आटो चलवाता है. सर्राफ दंपति की हत्या और लूटपाट करने के बाद दोनों शातिर बदमाश कैला देवी के दर्शन को भी पहुंचे. मामले का परदाफाश करने वाली टीम में एसओ (शमसाबाद) अरविंद निर्वाल, सर्विलांस प्रभारी इंसपेक्टर नरेंद्र कुमार, एसओजी प्रभारी कुलदीप दीक्षित, स्वाट टीम प्रभारी राजकुमार गिरि, एसआई राजकुमार बालियान, प्रदीप कुमार, राहुल कटियार, चंद्रवीर सिंह, कांस्टेबल परमेश, तहसीन, सचिन, अमित, मनोज, त्रिलोकी और यशवीर शामिल थे.

सहयोगी टीम में इंसपेक्टर (फतेहाबाद) प्रवेश कुमार, इंसपेक्टर (डौकी) प्रदीप कुमार, एसओ (बसई अरेला) शेर सिंह, क्रिमिनल इंटेलिजेंस विंग प्रभारी हरवेंद्र मिश्रा, एसआई प्रदीप कुमार, कांस्टेबल प्रशांत कुमार, विवेक, राजकुमार, करनवीर और अरुण शामिल थे. डबल मर्डर व लूट के दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. 6 फरवरी को दोनों को पुलिस ने फिर से रिमांड पर लिया. इन की निशानदेही पर सीकरी कस्बे में रेलवे कालोनी के खंडहर के मलबे में दबी कारोबारी मुकलेश की इंग्लिश रिवौल्वर व 24 कारतूस, साथ ही गहने रखने वाले 4 पर्स बरामद किए गए. आरोपियों ने बताया कि डीवीआर उन्होंने करौली जाते समय काली सिल नदी में फेंक दी थी.

घटना का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को एडीजी अजय आनंद ने एक लाख रुपए ईनाम देने की घोषणा की.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Kanpur News : लालची पत्नी जिस्मफरोशी के धंधे में उतरी और पति करने लगा दलाली

Kanpur News : महत्त्वाकांक्षी अनीता शुक्ला पैसों की इतनी भूखी थी कि वह जिस्मफरोशी के धंधे में उतर गई. बाद में उस का पति राघवेंद्र शुक्ला भी उस के लिए ग्राहक लाने लगा. इतना ही नहीं, अनीता ने अपनी सगी छोटी बहनों अंकिता और सरिता को भी इस धंधे में उतार दिया. फिर एक दिन…

उस दिन जनवरी, 2020 की 5 तारीख थी. आईजी मोहित अग्रवाल अपने कार्यालय में कानपुर शहर की कानूनव्यवस्था पर पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे. दरअसल, नागरिकता कानून को ले कर शहर में धरनाप्रदर्शन जारी थे, जिस से शहर की कानूनव्यवस्था बिगड़ती जा रही थी. इस बिगड़ती कानूनव्यवस्था को सुधारने के लिए ही उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बुलाया था ताकि शहर में कोई हिंसक प्रदर्शन न हो और अमनचैन कायम रहे. दोपहर 12 बजे मीटिंग समाप्त होने के बाद आईजी मोहित अग्रवाल ने अपनी समस्या समाधान के लिए आए आगंतुकों से मिलना शुरू किया. इन्हीं आगंतुकों में अधेड़ उम्र के 2 व्यक्ति भी थे, जो आईजी साहब से मिलने आए थे. अपनी बारी आने पर वे दोनों आईजी साहब के कक्ष में पहुंचे और हाथ जोड़ कर अभिवादन किया.

आईजी साहब ने उन पर एक नजर डाली. कुरसी पर बैठने का संकेत किया. इस के बाद उन से पूछा, ‘‘आप लोगों का कैसे आगमन हुआ? बताइए, क्या समस्या है?’’

तभी उन में से एक ने कहा, ‘‘सर, हम चकेरी थाने के श्यामनगर मोहल्ले में रहते हैं. हमारे घर के पास अजय सिंह का आलीशान मकान है. उस मकान में वह खुद तो नहीं रहते लेकिन उन्होंने मकान किराए पर दे रखा है. मकान की पहली मंजिल पर 2 अफसर रहते हैं पर भूतल पर जो किराएदार है, उस की गतिविधियां बेहद संदिग्ध हैं. उस के घर पर अपरिचित युवकयुवतियों का आनाजाना लगा रहता है. हम लोगों को शक है कि वह किराएदार अपनी पत्नी के सहयोग से सैक्स रैकेट चलाता है.

‘‘सर, हम लोग इज्जतदार हैं. इन लोगों के आचारव्यवहार का असर हमारी बहूबेटियों पर पड़ सकता है. इसलिए आप से विनम्र निवेदन है कि इस मामले में उचित कानूनी काररवाई करने का कष्ट करें.’’

आईजी मोहित अग्रवाल ने आगंतुकों की बात गौर से सुनी और फिर उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस सूचना की जांच कराएंगे. अगर सूचना सही पाई गई तो दोषियों के खिलाफ काररवाई की जाएगी.

‘‘ठीक है, लेकिन सर हमारा नाम गुप्त रहना चाहिए वरना वे लोग हमारा जीना दूभर कर देंगे.’’ जाते समय उन में से एक बोला. आईजी मोहित अग्रवाल को आगंतुकों ने जो जानकारी दी थी, वह वाकई चौंकाने वाली थी. एकबारगी तो उन्हें उन की खबर पर विश्वास नहीं हुआ, पर इसे अविश्वसनीय समझना भी उचित नहीं था. अत: उन्होंने तत्काल एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव को कार्यालय बुलवा लिया. एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव आईजी कार्यालय पहुंचे तो मोहित अग्रवाल ने उन्हें आगंतुकों द्वारा दी गई सूचना के बारे में बताया और कहा कि अगर सूचना की पुष्टि होती है तो दोषियों के खिलाफ जल्द काररवाई करें.

एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव ने चकेरी थानाप्रभारी रणजीत राय को इस गुप्त सूचना की सत्यता लगाने के निर्देश दिए, तो थानाप्रभारी ने मुखबिरों को लगा दिया. उसी दिन शाम 5 बजे मुखबिरों ने थानाप्रभारी रणजीत राय को इस बारे में जो जानकारी दी, उस ने सूचना की पुष्टि कर दी. उन्होंने बताया कि श्यामनगर क्षेत्र के रामपुरम में एचएएल अफसर का एक मकान है, जिस की देखरेख उस का बेटा अजय सिंह करता है. इस मकान की पहली मंजिल पर पैरा मिलिट्री फोर्स के 2 अफसर रहते हैं. भूतल पर राघवेंद्र शुक्ला अपनी पत्नी अनीता के साथ रहता है. अनीता ही अपने पति के साथ मिल कर वहां सैक्स रैकेट का चलाती है. इस मकान में वह पिछले एक साल से रह रही है.

मुखबिरों से पुख्ता जानकारी मिलने की सूचना थानाप्रभारी ने तत्काल एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव को दे दी. इस के बाद राजेश यादव ने सैक्स रैकेट का परदाफाश करने के लिए एक पुलिस टीम गठित की. इस टीम में उन्होंने सीओ (कलेक्टरगंज) श्वेता सिंह, थानाप्रभारी रणजीत राय, एसआई (क्राइम ब्रांच) डी.के. सिंह, अर्चना, कांस्टेबल अनूप कुमार, अनुज, मनोज, कविता, रीता आदि को शामिल किया. 5 जनवरी, 2020 को रात 8 बजे थानाप्रभारी रणजीत राय ने सीओ (कलेक्टरगंज) श्वेता सिंह के निर्देश पर अनीता शुक्ला के रामपुरम स्थित मकान पर छापा मारा. मकान के अंदर एक कमरे का दृश्य देख कर थानाप्रभारी वहीं ठिठक गए.

कमरे में एक महिला अर्धनग्न अवस्था में बिस्तर पर चित पड़ी थी. उस के साथ एक युवक कामक्रीड़ा में लीन था. पुलिस पर निगाह पड़ते ही युवकयुवती ने दरवाजे से भागने का प्रयास किया, पर दरवाजे पर खड़े पुलिसकर्मियों ने उन्हें दबोच लिया. दूसरे कमरे में 2 अन्य युवतियां सजीसंवरी बैठी थीं. शायद वे ग्राहक के आने के इंतजार में थीं. महिला दरोगा अर्चना ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया. इसी समय 3 युवतियों तथा 2 युवकों ने मुख्य दरवाजे की ओर भागने का प्रयास किया, किंतु सीओ श्वेता सिंह व अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें दबोच लिया.

इस तरह पुलिस छापे में सरगना सहित 6 युवतियां, 2 दलाल तथा एक ग्राहक पकड़ा गया. मकान की तलाशी ली गई तो वहां से कामवर्धक दवाएं, स्प्रे, कंडोम तथा अन्य आपत्तिजनक सामग्री के अलावा 4 मोबाइल फोन तथा कुछ नगदी भी बरामद हुई. पुलिस पकड़े गए युवकयुवतियों को थाना चकेरी ले आई.  जिस मकान में सैक्स रैकेट चलता था, उस का मालिक अजय सिंह था. संदेह के आधार पर पुलिस ने उसे भी थाने बुलवा लिया. अजय सिंह एक अफसर का बेटा था, अत: उसे छोड़ने के लिए थानाप्रभारी के पास रसूखदारों के फोन आने लगे.

लेकिन इंसपेक्टर रणजीत राय ने जांचपड़ताल के बाद ही रिहा करने की बात कही. अजय सिंह ने भी स्वयं को निर्दोष बताया और कहा कि उस ने तो उन लोगों को मकान किराए पर दिया था. उसे सैक्स रैकेट की जानकारी नहीं थी. सीओ श्वेता सिंह ने जिस्मफरोशी के आरोप में पकड़े गए युवकयुवतियों से पूछताछ की तो युवतियों ने अपना नाम अनीता शुक्ला, अंकिता झा, सरिता तिवारी, पूनम, नीलम तथा नेहा बताया. इन में अनीता शुक्ला सैक्स रैकेट की संचालिका थी. अंकिता तथा सरिता अनीता की सगी छोटी बहनें थीं. तीनों बहनें जिस्मफरोशी के धंधे में लिप्त थीं.

युवकों ने अपने नाम राघवेंद्र शुक्ला, आशुतोष झा तथा सत्यम द्विवेदी बताए. इन में राघवेंद्र शुक्ला और आशुतोष झा सगे साढ़ू थे और अपनीअपनी पत्नियों के लिए दलाली करते थे. जबकि लालकुर्ती कैंट (कानपुर) का रहने वाला सत्यम द्विवेदी ग्राहक था. चूंकि सैक्स रैकेट के सभी आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, अत: सीओ श्वेता सिंह ने स्वयं वादी बन कर अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम 1956 की धारा 3, 4, 5, 6, 7 के तहत अनीता शुक्ला, अंकिता झा, सरिता तिवारी, नीलम, पूनम, नेहा, राघवेंद्र शुक्ला, आशुतोष झा तथा सत्यम द्विवेदी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

इन सब से पुलिस ने जब पूछताछ की तो देह व्यापार में लिप्त युवतियों ने इस धंधे में आने की अपनी अलगअलग मजबूरी बताई. कालगर्ल्स सरगना अनीता उन्नाव जिले के बेहटा गांव की निवासी थी. उस की 2 छोटी बहनें और थीं, जिन के नाम अंकिता तथा सरिता थे. इन 3 बहनों का एक इकलौता भाई भी था, जो बचपन में ही रूठ कर घर से चला गया था. वह दिल्ली में रहता है और दाईवाड़ा (नई सड़क) स्थित एक किताब की दुकान में काम करता है. अनीता खूबसूरत थी. उस ने जब जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उस के पैर डगमगा गए. उस का मन पढ़ाई में कम और प्यारमोहब्बत में ज्यादा रमने लगा. वह बीघापुर स्थित पार्वती इंटर कालेज में 10वीं में पढ़ती थी. कालेज आतेजाते ही उस की मुलाकात उमेश से हुई.

उमेश निराला कालेज में इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था. उमेश और अनीता की मुलाकातें धीरेधीरे बढ़ती गईं और दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. प्यार परवान चढ़ा तो उनके बीच की सारी दूरियां खत्म हो गईं. उमेश और अनीता का अवैध रिश्ता आम हुआ तो अनीता के पिता को बड़ा दुख हुआ. उन्होंने बेटी को समझाया, घरपरिवार की इज्जत का वास्ता दिया, लेकिन अनीता की समझ में नहीं आया. वह तो आसमान में उड़ने लगी थी. उस ने उमेश के अलावा और भी कई बौयफ्रैंड बना लिए थे, जिन के साथ वह घूमतीफिरती और मौजमस्ती करती थी. अनीता की बदचलनी का असर उस की दोनों छोटी बहनों पर भी पड़ने लगा. वे भी उसी की राह पर चल पड़ी थीं.

अनीता के कदम बहके तो पिता को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. उन्होंने उस के हाथ पीले करने को स्वयं तो दौड़धूप शुरू की ही, नातेरिश्तेदारों से भी कह दिया कि वह अनीता के लिए कोई लड़का बताएं. एक रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. लड़के का नाम था राघवेंद्र कुमार शुक्ला. राघवेंद्र के पिता अजय कुमार शुक्ला उन्नाव जिले के अचलगंज कस्बे के रहने वाले थे. उन के 3 बच्चों में राघवेंद्र सब से बड़ा था. वह पढ़ालिखा तो था किंतु बेरोजगार था. उस का मन खेती में नहीं लगता था और उसे नौकरी भी नहीं मिल रही थी. सो वह आवारा घूमता था. अनीता के पिता ने राघवेंद्र को देखा तो यह सोच कर उसे पसंद कर लिया कि पढ़ालिखा है. शरीर से भी स्वस्थ है, नौकरी आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी.

देवनारायण ने राघवेंद्र के पिता अजय कुमार शुक्ला से उस के ब्याह की बात चलाई तो वह राजी हो गए. इस के बाद सन 2010 में अनीता की शादी राघवेंद्र के साथ हो गई. शादी के बाद अनीता ससुराल आई तो सभी ने उस के रूप की तारीफ की. राघवेंद्र भी सुंदर पत्नी पा कर इतरा उठा. सब खुश थे पर अनीता खुश नहीं थी. उसे एक तो बेरोजगार पति मिला था, दूसरे उस की स्वच्छंदता पर प्रतिबंध लग गया था. इसलिए वह परेशान रहती थी. घर से बाहर आनेजाने को ले कर उस की तूतूमैंमैं पति से भी होती थी और सासससुर से भी. अनीता ने जैसेतैसे 3 साल ससुराल में बिताए. इस बीच वह एक बेटे की मां भी बनी. उस के बाद अनीता को ले कर घर में कलह होने लगी. दरअसल, अनीता ने शादी के पहले के अपने प्रेमियों के साथ घूमनाफिरना शुरू कर दिया था.

उन के साथ वह बहाने से उन्नाव तो कभी बदरका घूमने निकल जाती थी. राघवेंद्र तथा उस के परिवार से यह बात अधिक दिनों तक छिपी नहीं रही. वह समझ गए कि अनीता बदचलन है. राघवेंद्र ने पत्नी पर अंकुश लगाना चाहा तो वह पति को ही आंखें दिखाने लगी, ‘‘ज्यादा टोकाटाकी की तो थाने जा कर घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दूंगी. सभी जेल में दिखाई दोगे. इज्जत नीलाम होगी अलग से.’’

धमकी से डर कर राघवेंद्र ने अनीता को उस की मरजी और हाल पर छोड़ दिया. अनीता ने पति को तो दबाव में ले लिया पर ससुराल वालों को नहीं दबा सकी. वह घर में ऐसी औरत को भला कैसे बरदाश्त करते जो बदचलन हो. लिहाजा सब मिल कर उसे घर से निकालने पर तुल गए. अनीता जानती थी कि अकेली औरत कटी पतंग की तरह होती है. नाम के लिए ही सही, लेकिन पुरुष साथ हो तो वह अनेक मुसीबतों से सुरक्षित रहती है. अपनी इसी सोच के तहत अनीता घर से तो निकली पर पति को भी साथ ले गई. अनीता पति के साथ कानपुर आ गई और किदवईनगर में किराए का कमरा ले कर रहने लगी. वहां राघवेंद्र दादानगर स्थित एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगा. अनीता ने भी नौकरी ढूंढ ली और काम पर जाने लगी.

छोटीछोटी उन नौकरियों में वेतन भी मामूली था और मेहनत अधिक थी. अत: आमदनी बढ़ाने के लिए अनीता ने किसी दूसरे काम की तलाश शुरू कर दी. इसी तलाश में अनीता एक कालगर्ल रैकेट की सरगना से जा टकराई. सरगना ने जौब दिलाने का झांसा दे कर अनीता को अपने जाल में फंसाया और फिर देहव्यापार के धंधे में उतार दिया. अनीता खूबसूरत और जवान थी. उस की डिमांड अधिक होती थी, अत: वह खूब पैसे कमाने लगी. राघवेंद्र प्राइवेट नौकरी करता रहा और अनीता देहव्यापार के गंदे तालाब की मछली बनी रही. हालांकि राघवेंद्र को पत्नी का धंधा कतई पसंद नहीं था, मगर वह उसे रोक नहीं पाता था. जब भी अनीता से कुछ कहता तो वह उसे डराधमका कर चुप रहने को विवश कर देती थी. तब राघवेंद्र खून का घूंट पी कर रह जाता.

अनीता ने जब जिस्मफरोशी के धंधे के सभी गुर सीख लिए तो उस ने अपना अलग रैकेट बना लिया. उस के रैकेट में पेशेवर कालगर्ल्स थीं. इस के अलावा वह अपने स्तर से नई कालगर्ल भी तैयार करती थी. इस के लिए अनीता गरीब मजबूर व सुंदर लड़कियों को टारगेट करती. वह उन्हें रुपयों या फिर नौकरी दिलाने का लालच दे कर अपने जाल में फंसाती फिर देहव्यापार में उतार देती. शर्मनाक बात तो यह रही कि अनीता ने अपनी जवान व खूबसूरत सगी बहनों को भी देह के धंधे में उतार दिया. उन के पति ही उन की दलाली करने लगे. अनीता घर में ही देहव्यापार करती थी. वह ग्राहक से फुल नाइट के 5 से 10 हजार रुपए लेती थी. जो ग्राहक कालगर्ल को बाहर ले जाना चाहते थे, उन्हें अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता था. कालगर्ल का सारा खर्चा कस्टमर को ही देना पड़ता था.

पुलिस के भय से अनीता किसी एक मकान में लंबे अरसे तक नहीं रहती थी. स्थानीय पुलिसकर्मियों से वह सांठगांठ बनाए रखती थी. 2019 के जनवरी महीने में अनीता ने चकेरी थाने के श्यामनगर क्षेत्र के रामपुरम में एक मकान 15 हजार रुपए महीने के किराए पर लिया. यह मकान अजय सिंह का था. इसी किराए के मकान में अनीता अपना हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट का संचालन करने लगी थी. उस ने अपना दायरा भी बढ़ा लिया था. वह शहर के बाहर भी कालगर्ल्स भेजने लगी थी. अनीता ने शहर के बाहर कालगर्ल भेजने का 25 हजार रुपया तय कर रखा था. वह वाट्सऐप, फेसबुक के जरिए भी ग्राहकों को युवतियों की फोटो भेज कर सौदा तय करती थी और ग्राहकों की डिमांड पर दूसरे शहरों से भी कालगर्ल्स बुलाती थी.

बड़े शहरों के जिस्मफरोशी के दलाल उस के संपर्क में थे. अनीता का पति राघवेंद्र भी अब पत्नी के अनैतिक धंधे में शामिल हो गया था. पैसों का लेनदेन वही करने लगा था. रामपुरम में अनीता का धंधा खूब फलफूल रहा था कि पड़ोसियों की नजर उस के धंधे पर पड़ गई. उन्होंने इस की जानकारी आईजी मोहित अग्रवाल को दी और उस के सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ हो गया. पुलिस छापे में पकड़ी गई अंकिता, अनीता की सगी बहन थी. वह अपने पति आशुतोष झा के साथ नौबस्ता थाना क्षेत्र के पशुपतिनगर में रहती थी. वहीं पर एक मंदिर में दोनों की मुलाकात हुई, जो बाद में प्यार में बदल गई. तब अंकिता ने आशुतोष के साथ प्रेम विवाह किया था. आशुतोष मधुबनी, बिहार का रहने वाला था.

आशुतोष से शादी करने के बाद अंकिता पशुपतिनगर में रहने लगी. आशुतोष प्राइवेट नौकरी करता था. इस नौकरी से वह न तो अपनी जरूरतें पूरी कर पाता था और न ही अंकिता की ख्वाहिशें. 2-3 सालों में ही प्यार का नशा उतर गया था और वे दोनों आर्थिक परेशानी से जूझने लगे थे. अंकिता सदैव चिंताग्रस्त रहने लगी थी. अंकिता का अपनी बहन अनीता के घर आनाजाना लगा रहता था. बहन के ठाठबाट से अंकिता प्रभावित थी. वह उस की अहसानमंद भी थी, क्योंकि वह उस की आर्थिक मदद कर देती थी. एक दिन अंकिता ने बातोंबातों में उस से कहा, ‘‘अनीता दीदी, मैं सदैव परेशानी में रहती हूं. आशुतोष इतना नहीं कमा पाता कि हमारा गुजारा हो सके. दीदी, हमें भी कोई धंधा बताओ ताकि हमारा भी गुजारा हो सके.’’

अनीता ने अंकिता के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं. फिर कुछ क्षण बाद बोली, ‘‘जो धंधा मैं करती हूं, तू भी शुरू कर दे, कुछ ही दिनों में तेरे दिन भी बहुर जाएंगे.’’

‘‘कौन सा धंधा दीदी?’’ अंकिता ने अचकचा कर पूछा.

‘‘वही जिस्मफरोशी का.’’ अनीता ने बताया.

‘‘दीदी, यह आप क्या कह रही हैं, यह तो बहुत गंदा काम है. क्या आप यही करती हो?’’

‘‘हां, अंकिता मैं यही धंधा करती हूं. बता, इस में गलत क्या है? देख ले, इस में कमाई बहुत है. सोच ले, मन करे तो आ जाना.’’

अंकिता एक सप्ताह तक पसोपेश में पड़ी रही. उस के बाद वह राजी हो गई. फिर अनीता ने बहन को देह धंधे में उतार दिया. आशुतोष झा ने भी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और पत्नी की देह की दलाली करने लगा. अंकिता सजधज कर बहन के अड्डे पर पहुंच जाती और जिस्म का धंधा करती. आशुतोष पत्नी के लिए ग्राहक तलाश कर लाता. छापे वाले दिन अंकिता पति आशुतोष झा के साथ बहन के घर पहुंची ही थी कि पुलिस का छापा पड़ गया और वह पति के साथ पकड़ी गई.

जिस्मफरोशी के अड्डे से पकड़ी गई सरिता फतेहपुर जिले के असोम कस्बे की रहने वाली थी. सरिता अनीता की सब से छोटी बहन थी. उस का विवाह असोम निवासी बलवीर के साथ हुआ था. बलवीर फेरी लगा कर कपड़े बेचता था. कपड़े के व्यवसाय में उसे कभी घाटा तो कभी मुनाफा होता था. उसी से वह जैसेतैसे अपनी गृहस्थी चलाता था. सरिता महत्त्वाकांक्षी थी. वह पति की कमाई से संतुष्ट नहीं थी. सरिता अपनी बहनों के घर आतीजाती थी. वह उन के ठाटबाट देख कर मन ही मन कुढ़ती थी. उस ने बहनों से कमाई और ठाटबाट का रहस्य जाना तो उस ने भी बहनों का साथ पकड़ लिया और जिस्मफरोशी का धंधा करने लगी. उस ने पति बलवीर को भी राजी कर लिया. बलवीर भी पत्नी की देह का दलाल बन गया.

सरिता कुछ ही समय में इस धंधे की खिलाड़ी बन गई. वह असोम तथा फतेहपुर से ग्राहक तथा लड़कियां भी फंसा कर लाने लगी. इस के एवज में अनीता उसे कमीशन भी देती थी. छापे वाले दिन सरिता को ग्राहक के साथ उन्नाव जाना था लेकिन ग्राहक आने से पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गई. उस दिन उस का पति बलवीर उस के साथ अड्डे पर नहीं आया था, जिस से वह बच गया. पुलिस रेड में पकड़ी गई नेहा फतेहपुर की रहने वाली थी. 4 भाईबहनों में वह सब से छोटी थी. उस के पिता प्राइवेट नौकरी कर परिवार का पालनपोषण करते थे. नेहा की शादी कल्याणपुर निवासी रमेश के साथ हुई थी.

रमेश शराबी था, जो कमाता था वह सब शराब में ही उड़ा देता था. नेहा विरोध करती तो वह उसे मारतापीटता था. लगभग 3 साल उस ने जैसेतैसे पति के साथ बिताए, फिर उस का साथ छोड़ कर मायके आ गई. पिता उस की दूसरी शादी रचा कर गृहस्थी बसाना चाहते थे, लेकिन नेहा राजी नहीं हुई. नेहा पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती, अत: वह कानपुर आ गई और दादानगर स्थित एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगी. लेकिन यह नौकरी उसे ज्यादा समय तक रास नहीं आई. वह पढ़ीलिखी थी सो दूसरी नौकरी की तलाश में जुट गई. इसी तलाश में उस की मुलाकात कालगर्ल सरगना अनीता शुक्ला से हुई.

अनीता ने उसे अच्छी नौकरी लगवाने का झांसा दिया और उस की आर्थिक मदद करने लगी. नेहा जवान और खूबसूरत थी. अनीता ने उस को देहसुख का चस्का भी लगा दिया. इस के बाद अनीता ने उसे देहव्यापार के धंधे में उतार दिया.  नेहा फैशनेबल थी. वह जींसटौप पहनती थी. ग्राहक उसे देखते ही पसंद कर लेता था. अनीता नेहा की बुकिंग दिल्ली, आगरा जैसे बड़े शहरों को करती थी और भारीभरकम रकम वसूलती थी. छापे वाले दिन नेहा का सौदा 10 हजार रुपए में तय था. ग्राहक कार से उसे लेने आ रहा था. लेकिन इसी बीच पुलिस का छापा पड़ गया और वह पकड़ी गई.

पुलिस छापे में पकड़ी गई पूनम, असोम (फतेहपुर) की रहने वाली थी. उस का पति फतेहपुर खागा रोड पर टैंपो चलाता था. वह इतना कमा लेता था कि अपनी पत्नी व 2 बच्चों का पालनपोषण हो जाता था. लेकिन एक दिन उस का टैंपो ट्रक से भिड़ गया, जिस से वह बुरी तरह जख्मी हो गया. उस का साल भर इलाज चला पर वह चल न सका. उस का एक पैर खराब हो गया. फिर हमेशा के लिए बिस्तर ही उस का साथी बन गया था. पूनम के पास जो जमापूंजी थी, वह सब उस ने पति के इलाज में लगा दी. वह कर्जदार भी हो गई. बच्चों के भूखों मरने की नौबत जब आ गई तब उसे घर के बाहर कदम निकालना पड़ा. वह फतेहपुर में एक चूड़ी की दुकान पर काम करने लगी. इसी चूड़ी की दुकान पर पूनम की मुलाकात कालगर्ल सरिता से हुई.

सरिता ने पूनम को अच्छी नौकरी दिलवाने का झांसा दिया और अपनी बहन अनीता से मिलवाया. अनीता ने पूनम की मजबूरी समझी और फिर प्रलोभन दे कर सैक्स के धंधे में उतार दिया. पूनम को शुरू में तो धंधा करने में झिझक हुई, किंतु जब शरीर की भरपूर कीमत मिलने लगी तो वह इस धंधे में रम गई. छापे वाले दिन उस का रात भर का सौदा 5 हजार रुपए में तय हुआ था. वह अपने ग्राहक के साथ कमरे में बिस्तर पर थी, तभी पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ी गई. जिस्म का धंधा करते पकड़ी गई नीलम भी असोम (फतेहपुर) की रहने वाली थी. उस का पति मानसिक रोगी था. घर में ही पड़ा रहता था.

सासससुर और 3 बच्चों का बोझ उस के कंधे पर था. उस की मजबूरी का फायदा असोम की रहने वाली सरिता ने उठाया. सरिता ने उसे अपनी बड़ी बहन अनीता से मिलवाया. अनीता ने नीलम को समाज की कड़वी सच्चाई से अवगत कराया और फिर जिस्म बेचने को राजी कर लिया. मजबूरी में नीलम देह का सौदा करने लगी. हालांकि नीलम का पति और सासससुर यही समझते थे कि नीलम किसी कंपनी में नौकरी करती है और कंपनी के काम से उसे बाहर जाना पड़ता है. छापे वाली रात नीलम ग्राहक के इंतजार में थी, तभी पुलिस का छापा पड़ गया और वह पकड़ी गई.

देहव्यापार के अड्डे पर अय्याशी करते रंगेहाथ पकड़ा गया सत्यम द्विवेदी कानपुर नगर के छावनी थाने के लालकुर्ती मोहल्ले का रहने वाला था. वह कपड़े का व्यापार करता था और अय्याश प्रवृत्ति का था. एक रंगीनमिजाज दोस्त के माध्यम से वह श्यामनगर क्षेत्र में स्थित अनीता के अड्डे पर पहुंचा था. पूनम नाम की कालगर्ल को पसंद कर उस ने पूरी रात का सौदा 5 हजार रुपए में तय किया था. पूनम के साथ वह कमरे में हमबिस्तर था, तभी पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ा गया. 6 जनवरी, 2020 को थाना चकेरी पुलिस ने देहव्यापार के अड्डे से पकड़े गए सभी आरोपियों को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जिला जेल भेज दिया गया. द्य

—कथा संकलन सूत्रों पर आधारित. महिला पात्रों के नाम परिवर्तित किए गए हैं.

Extramarital Affair : पड़ोसी के प्यार में पागल पत्नी ने कराया पति का कत्ल

Extramarital Affair : तमाम पतिपत्नियों की तरह कपिल और खुशबू में लड़ाईझगड़ा होता था. लेकिन खुशबू इस झगड़े को नाक का सवाल बना कर मायके चली गई, जहां उस के संबंध चंदन से बन गए. खुशबू को चंदन की यारी ऐसी भाई कि उस ने…

दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना शाहीनबाग के अंतर्गत नई बस्ती ओखला के रहने वाले कपिल की ससुराल उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के आसफाबाद में थी. करीब 3 साल पहले किसी बात को ले कर उस का अपनी पत्नी खुशबू से विवाद हो गया था. तब खुशबू अपने मायके चली गई थी और वापस नहीं लौटी थी. इतना ही नहीं, ढाई साल पहले खुशबू ने फिरोजाबाद न्यायालय में कपिल के खिलाफ घरेलू हिंसा व गुजारा भत्ते का मुकदमा दायर कर दिया था. कपिल हर तारीख पर फिरोजाबाद कोर्ट जाता था और तारीख निपटा कर देर रात दिल्ली लौट आता था. 10 फरवरी, 2020 को भी वह इसी मुकदमे की तारीख के लिए दिल्ली से फिरोजाबाद आया था. वह रात को घर नहीं पहुंचा तो घर वालों ने उसे 11 फरवरी की सुबह फोन किया.

लेकिन उस का फोन बंद मिला. इस से घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने 11 फरवरी की शाम तक कपिल का इंतजार किया. इस के बाद उन की चिंता और भी बढ़ गई. 12 फरवरी को कपिल की मां ब्रह्मवती, बहन राखी, मामा नेमचंद और मौसी सुंदरी फिरोजाबाद के लिए निकल गए. कपिल की ससुराल वाला इलाका थाना रसूलपुर क्षेत्र में आता है, इसलिए वे सभी थाना रसूलपुर पहुंचे और कपिल के रहस्यमय तरीके से गायब होने की बात बताई. थाना रसूलपुर से उन्हें यह कह कर थाना मटसैना भेज दिया गया कि कपिल कोर्ट की तारीख पर आया था और कोर्ट परिसर उन के थानाक्षेत्र में नहीं बल्कि थाना मटसैना में पड़ता है.

इसलिए वे सभी लोग उसी दिन थाना मटसैना पहुंचे, लेकिन वहां भी उन की बात गंभीरता से नहीं सुनी गई. ज्यादा जिद करने पर मटसैना पुलिस ने कपिल की गुमशुदगी दर्ज कर ली. गुमशुदगी दर्ज कर के उन्हें थाने से टरका दिया. इस के बाद भी वे लोग कपिल की फिरोजाबाद में ही तलाश करते रहे. इसी बीच 15 फरवरी की दोपहर को किसी ने थाना रामगढ़ के बाईपास पर स्थित हिना धर्मकांटा के नजदीक नाले में एक युवक की लाश पड़ी देखी. इस खबर से वहां सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में भीड़ एकत्र हो गई. इसी दौरान किसी ने इस की सूचना रामगढ़ थाने में दे दी. कुछ ही देर में थानाप्रभारी श्याम सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने शव को नाले से बाहर निकलवाया. मृतक के कानों में मोबाइल का ईयरफोन लगा था.

पुलिस ने युवक की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद लोगों में से कोई भी उसे नहीं पहचान सका. पुलिस ने उस अज्ञात युवक की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय फिरोजाबाद भेज दी. कपिल की मां ब्रह्मवती और बहन राखी उस समय फिरोजाबाद में ही थीं. शाम के समय जब उन्हें बाईपास स्थित नाले में पुलिस द्वारा किसी अज्ञात युवक की लाश बरामद किए जाने की जानकारी मिली तो मांबेटी थाना रामगढ़ पहुंच गईं. उन्होंने थानाप्रभारी श्याम सिंह से अज्ञात युवक की लाश के बारे में पूछा तो थानाप्रभारी ने उन्हें फोन में खींचे गए फोटो दिखाए. फोटो देखते ही वे दोनों रो पड़ीं, क्योंकि लाश कपिल की ही थी. इस के बाद थानाप्रभारी ब्रह्मवती और उस की बेटी राखी को जिला अस्पताल की मोर्चरी ले गए.

उन्होंने वह लाश दिखाई तो दोनों ने उस की शिनाख्त कपिल के रूप में कर दी. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने भी राहत की सांस ली. थानाप्रभारी ने शव की शिनाख्त होने की जानकारी एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह को दे दी और उन के निर्देश पर आगे की काररवाई शुरू कर दी. थानाप्रभारी श्याम सिंह ने मृतक कपिल की मां ब्रह्मवती और बहन राखी से बात की तो उन्होंने बताया कि कपिल की पत्नी खुशबू चरित्रहीन थी. इसी बात पर कपिल और खुशबू के बीच अकसर झगड़ा होता था, जिस के बाद खुशबू मायके में आ कर रहने लगी थी. राखी ने आरोप लगाया कि खुशबू ने ही अपने परिवार के लोगों से मिल कर उस के भाई की हत्या की है.

पुलिस ने राखी की तरफ से मृतक की पत्नी खुशबू, सास बिट्टनश्री, साले सुनील, ब्रजेश, साली रिंकी और सुनील की पत्नी ममता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. चूंकि रिपोर्ट नामजद थी, इसलिए पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई. पुलिस ने मृतक की पत्नी खुशबू व उस की मां को हिरासत में ले लिया. उन से कड़ाई से पूछताछ की गई. खुशबू से की गई पूछताछ में पुलिस को कोई खास जानकारी हाथ नहीं लगी, बस यही पता चला कि कपिल पत्नी के चरित्र पर शक करता था. फिर भी पुलिस यह समझ गई थी कि एक अकेली औरत कपिल का न तो मर्डर कर सकती है और न ही शव घर से दूर ले जा कर नाले में फेंक सकती है. पुलिस चाहती थी कि कत्ल की इस वारदात का पूरा सच सामने आए.

इस बीच जांच के दौरान पुलिस को एक अहम सुराग हाथ लगा. किसी ने थानाप्रभारी को बताया कि खुशबू चोरीछिपे अपने प्रेमी चंदन से मिलती थी. दोनों के नाजायज संबंधों का जो शक किया जा रहा था, उस की पुष्टि हो गई. जाहिर था कि हत्या अगर खुशबू ने की थी तो कोई न कोई उस का संगीसाथी जरूर रहा होगा. इस बीच पुलिस की बढ़ती गतिविधियों और खुशबू को हिरासत में लिए जाने की भनक मिलते ही खुशबू का प्रेमी चंदन और उस का साथी प्रमोद फरार हो गए. इस से उन दोनों पर पुलिस को शक हो गया. उन की सुरागरसी के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल फैला दिया. मुखबिर की सूचना पर घटना के तीसरे दिन पुलिस ने खुशबू के प्रेमी चंदन व उस के साथी प्रमोद को कनैटा चौराहे के पास से हिरासत में ले लिया. दोनों वहां फरार होने के लिए किसी वाहन का इंतजार कर रहे थे.

थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई. थाने में जब चंदन और प्रमोद से खुशबू का आमनासामना कराया गया तो तीनों सकपका गए. इस के बाद उन्होंने आसानी से अपना जुर्म कबूल कर लिया. अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस ने खुशबू, उस के प्रेमी चंदन उर्फ जयकिशोर निवासी मौढ़ा, थाना रसूलपुर, उस के दोस्त प्रमोद राठौर निवासी राठौर नगर, आसफाबाद को कपिल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त रस्सी, मोटा सरिया व मोटरसाइकिल बरामद कर ली. खुशबू ने अपने प्यार की राह में रोड़ा बने पति कपिल को हटाने के लिए प्रेमी व उस के दोस्त के साथ मिल कर हत्या का षडयंत्र रचा था. खुशबू ने पति की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—

क्षिणपूर्वी दिल्ली की नई बस्ती ओखला के रहने वाले कपिलचंद्र की शादी सन 2015 में खुशबू के साथ हुई थी. शादी के डेढ़ साल तक सब कुछ ठीकठाक रहा. कपिल की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी. करीब 3 साल पहले जैसे उस के परिवार को नजर लग गई. हुआ यह कि खुशबू अकसर मायके चली जाती थी. इस से कपिल को उस के चरित्र पर शक होने लगा. इस के बाद पतिपत्नी में तकरार शुरू हो गई. पतिपत्नी में आए दिन झगड़े होने लगे. गुस्से में कपिल खुशबू की पिटाई भी कर देता था. गृहक्लेश के चलते खुशबू अपने बेटे को ले कर अपने मायके में आ कर रहने लगी. ढाई साल पहले उस ने कपिल पर घरेलू हिंसा व गुजारा भत्ते के लिए फिरोजाबाद न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया.

मायके में रहने के दौरान खुशबू के अपने पड़ोसी चंदन से प्रेम संबंध हो गए थे. हालांकि चंदन शादीशुदा था और उस की 6 महीने की बेटी भी थी. कहते हैं प्यार अंधा होता है. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहने लगे थे. मायके में रहने के दौरान चंदन खुशबू के पति की कमी पूरी कर देता था. लेकिन ऐसा कब तक चलता. एक दिन खुशबू ने चंदन से कहा, ‘‘चंदन, हम लोग ऐसे चोरीछिपे आखिर कब तक मिलते रहेंगे. तुम मुझ से शादी कर लो. मैं अपने पति से पीछा भी छुड़ाना चाहती हूं. लेकिन वह मुझे तलाक नहीं दे रहा. अगर तुम रास्ते के इस कांटे को हटा दोगे तो हमारा रास्ता साफ हो जाएगा.’’

दोनों एकदूसरे के साथ रहना चाहते थे. चंदन को खुशबू की सलाह अच्छी लगी. इस के बाद खुशबू व उस के प्रेमी चंदन ने मिल कर एक षडयंत्र रचा. मुकदमे की तारीख पर खुशबू और कपिल की बातचीत हो जाती थी. खुशबू ने चंदन को बता दिया था कि कपिल हर महीने मुकदमे की तारीख पर फिरोजाबाद कोर्ट में आता है. 10 फरवरी को अगली तारीख है, वह उस दिन तारीख पर जरूर आएगा. तभी उस का काम तमाम कर देंगे. कपिल 10 फरवरी को कोर्ट में अपनी तारीख के लिए आया. कोर्ट में खुशबू व कपिल के बीच बातचीत हो जाती थी. कोर्ट में तारीख हो जाने के बाद खुशबू ने उसे बताया, ‘‘अपने बेटे जिगर की तबीयत ठीक नहीं है. वह तुम्हें बहुत याद करता है. उस से एक बार मिल लो.’’

अपने कलेजे के टुकड़े की बीमारी की बात सुन कर कपिल परेशान हो गया और तारीख के बाद खुशबू के साथ अपनी ससुराल पहुंचा. कपिल शराब पीने का शौकीन था. खुशबू के प्रेमी व उस के दोस्त ने कपिल को शराब पार्टी पर आमंत्रित किया. शाम को ज्यादा शराब पीने से कपिल नशे में चूर हो कर गिर पड़ा. कपिल के गिरते ही खुशबू ने उस के हाथ पकड़े और प्रेमी चंदन व उस के साथी प्रमोद ने साथ लाई रस्सी से कपिल के हाथ बांधने के बाद उस के सिर पर मोटे सरिया से प्रहार कर उस की हत्या कर दी. कपिल की हत्या इतनी सावधानी से की गई थी कि पड़ोसियों को भी भनक नहीं लगी. हत्या के बाद उसी रात उस के शव को मोटरसाइकिल से ले जा कर बाईपास के किनारे स्थित नाले में डाल दिया गया. 15 फरवरी को शव से दुर्गंध आने पर लोगों का ध्यान उधर गया.

एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि कपिल की हत्या के मुकदमे में नामजद आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही है. जो लोग निर्दोष पाए जाएंगे, उन्हें छोड़ दिया जाएगा. पुलिस ने तीनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया. निजी रिश्तों में आई खटास के चलते खुशबू ने अपनी मांग का सिंदूर उजाड़ने के साथ पतिपत्नी के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया. वहीं कांच की चूडि़यों से रिश्तों को जोड़ने के लिए मशहूर सुहागनगरी फिरोजाबाद को रिश्तों के खून से लाल कर दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Jharkhand News : रात को शादी से लौट रहीं लड़कियों के साथ घटी ऐसी घटना कि लोगों के रौंगटे खड़े हो गए

Jharkhand News : एक सनसनीखेज वारदात ने लोगों का दिल दहला दिया है. घटना एक शादी से लौट रहीं लङकियों के साथ घटी जिस में 18 लड़कों ने 3 लड़कियों को अगवा कर गैंगरेप किया है. इस सनसनीखेज वारदात ने सभी को झकझोर कर रख दिया है.

घटना झारखंड के खूंटी जिले की है, जिस में पहले 5 नाबालिग लड़कियों को अगवा कर लिया गया. इस के बाद इन 5 लड़कियों में से 3 लड़कियों के साथ 18 लड़कों ने गैंगरेप किया. लेकिन जो 2 लड़कियां थीं वे आरोपियों से बच कर भाग निकलने में कामयाब हो गईं और गांव में अपने साथ होने वाली इस खौफनाक वारदात के बारे में लोगों को उन्होंने जानकारी दी.

गुस्से में लोग

इस के बाद गांव के सभी लोग पुलिस थाने पहुंच गए और पुलिस ने केस दर्ज कर सभी आरोपियों को अरेस्ट कर लिया है।

खूंटी जिले के एसपी अमन कुमार ने कहा है कि यह घटना शुक्रवार देर रात की है, जिस में 5 लड़कियां रनियां इलाके में एक शादी समारोह में शामिल हुई थीं. जब ये शादी समारोह से वापस लौट रही थीं तो कुछ लड़के उन का पीछा करने लगे. जब आरोपी उन्हें अगवा कर एक सुनसान पहाड़ी पर ले जाने लगे तो उसी दौरान 2 लड़कियां उन आरोपियों के चंगुल से बच कर भाग गईं और गांव पहुंच कर उन्होंने यह जानकारी गांव वालों को दे दी.

जघन्य अपराध

आरोप है कि सभी 18 लड़कों ने उन 3 लड़कियों के साथ सामूहिक रेप कर उन्हें जंगल में छोड़ दिया. उधर सूचना मिलते ही गांव वाले घटनास्थल पर पहुंच गए.

आरोपी तो फरार हो चुके थे, जंगल में पीड़ित 3 लड़कियां मिलीं, जिन्हें गांव वाले अपने साथ ले आए. उन की उम्र 12 से 16 वर्ष है. आरोपी लड़कों की उम्र 12 से 17 साल की बताई गई है. पीड़ित लड़कियों के परिजन उन्हें स्थानीय थाने ले कर गए और मामला दर्द कराया।

एसपी अमन कुमार का कहना है कि पीड़ित लड़कियों की तहरीर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आईपीसी धारा और पौक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और सभी आरोपियों को अरेस्ट कर के किशोरगृह भेज दिया गया है. इस घटना से आसपास के लोग आक्रोशित हैं और इन सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी काररवाई की मांग कर रहे हैं।

Extramarital Affair : भाभी के प्यार में पागल छोटे भाई ने की बड़े भाई की हत्या

Extramarital Affair : संदीप को शराब पीने की लत थी, इस से उस की पत्नी अमनदीप परेशान रहती थी. इसी परेशानी के आलम में देवर गुरदीप से आंतरिक संबंध बन गए. अवैध संबंधों की परिणति छोटे भाई के हाथों बड़े भाई की हत्या के रूप में हुई. अगर अमनदीप…

खूबसूरत नैननक्श वाली अमनदीप कौर लखीमपुर खीरी के थाना कोतवाली गोला के अंतर्गत आने वाले गांव रेहरिया निवासी सरदार बलदेव सिंह की बेटी थी. अमनदीप के अलावा बलदेव सिंह की 2 बेटियां और एक बेटा और था. वह उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में नौकरी करते थे. चूंकि वह सरकारी कर्मचारी थे, इसलिए उन्होंने अपने चारों बच्चों की परवरिश अच्छे तरीके से की थी. अमनदीप कौर खूबसूरत लड़की थी. उसे सिनेमा देखना, सहेलियों के साथ दिन भर मौजमस्ती करना पसंद था. खुद को वह किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं समझती थी.

अमनदीप की आधुनिक सोच को देख कभीकभी बलदेव सिंह भी सोच में पड़ जाते थे. एक दिन अमनदीप की मां सुप्रीति कौर ने पति से कहा, ‘‘बेटी अब सयानी हो गई है. कोई अच्छे घर का लड़का देख कर जल्दी से इस के हाथ पीले कर दो तो अच्छा है.’’

पत्नी की बात बलदेव सिंह की समझ में आ गई. वह अमनदीप के लिए वर की तलाश में लग गए. इस काम के लिए बलदेव सिंह ने अपने रिश्तेदारों से भी कह रखा था. उन के दूर के एक रिश्तेदार ने उन्हें संदीप नाम के एक लड़के के बारे में बताया. संदीप लखीमपुर खीरी की तिकुनिया कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव रायपुर कल्हौरी के रहने वाले मेहर सिंह का बेटा था. मेहर सिंह के पास अच्छीखासी खेती की जमीन थी. संदीप के अलावा मेहर सिंह की 3 बेटियां व एक बेटा और था. सन 2001 में मेहर सिंह ने पंजाब में हर्निया का औपरेशन कराया था, लेकिन औपरेशन के दौरान ही उन की मृत्यु हो गई थी. इस के बाद परिवार का सारा भार उन की पत्नी प्रीतम कौर पर आ गया था.

उन्होंने बड़ी मुश्किलों से अपने बच्चों की परवरिश की. जैसेजैसे बच्चे जवान होते गए, प्रीतम कौर उन की शादी करती रहीं. संदीप की शादी के लिए बलदेव सिंह की बेटी अमनदीप कौर का रिश्ता आया. यह रिश्ता प्रीतम कौर और परिवार के अन्य लोगों को पसंद आया. तय हो जाने के बाद संदीप और अमनदीप का सामाजिक रीतिरिवाज से विवाह कर दिया गया. यह करीब 8 साल पहले की बात है. कहा जाता है कि पतिपत्नी की जिंदगी में सुहागरात एक यादगार बन कर रह जाती है. लेकिन अमनदीप कौर के लिए यह काली रात साबित हुई. उस रात संदीप का जोश अमनदीप के लिए पानी का बुलबुला साबित हुआ, अमनदीप की खामोशी और संजीदगी उस के होंठों पर आ गई. वह नफरतभरी निगाहों से संदीप की तरफ देख कर बिफर पड़ी, ‘‘मुझे तुम से इस तरह ठंडेपन की उम्मीद नहीं थी.’’

पत्नी की बात से संदीप का सिर शर्मिंदगी से झुक गया. वह बोला, ‘‘दरअसल, मैं बीमार चल रहा हूं. शायद इसी कारण ऐसा हुआ. तुम चिंता मत करो, मैं जल्द ही तुम्हारे काबिल हो जाऊंगा.’’ संदीप ने सफाई दी. इस के बाद संदीप ने अपने खानपान में सुधार किया. शराब का सेवन कम कर दिया, जिस का फल उसे जल्द ही मिला. वह पत्नी को भरपूर प्यार करने लायक बन गया. वक्त के साथ अमनदीप गर्भवती हो गई और उस ने बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम दलजीत रखा गया. इस के बाद उस ने एक बेटी सीरत कौर को जन्म दिया. इस वक्त दोनों की उम्र क्रमश: 6 और 4 साल है.

संदीप का परिवार बढ़ा तो खर्च भी बढ़ गया. वह पहले से और भी ज्यादा मेहनत करने लगा. जब वह शाम को थकहार कर घर लौटता तो शराब पी कर आता और खाना खा कर सो जाता. कभीकभी अमनदीप की चंचलता उसे विचलित जरूर कर देती, लेकिन एक बार प्यार करने के बाद संदीप करवट बदल कर सो जाता तो उस की आंखें सुबह ही खुलतीं. लेकिन वासना की भूख ऐसी होती है कि इसे जितना दबाने की कोशिश की जाए, उतना ही धधकती है. अमनदीप अपनी ही आग में झुलसतीतड़पती रहती. ऐसे में वह चिड़चिड़ी हो गई, बातबात में संदीप से उलझ जाती. शराब पी कर आता तो दोनों में जम कर बहस होती. कभीकभी संदीप उसे पीट भी देता था.

करीब 2 साल पहले संदीप की मां का देहांत हो गया था. घर पर संदीप, उस की पत्नी अमन और उस के बच्चे व छोटा भाई गुरदीप रहता था. संदीप तो अधिकतर खेतों पर ही रहता था. वह कभी देर शाम तो कभी देर रात घर लौटता था. अमनदीप के दोनों बच्चे स्कूल चले जाते थे. घर पर रह जाते थे गुरदीप और अमनदीप. गुरदीप अमनदीप को संदीप से लाख गुना अच्छा लगने लगा था. गुरदीप जब भी काम से बाहर जाता तो अमनदीप उस के वापस आने के इंतजार में दरवाजे पर ही खड़ी रहती. एक दिन अमनदीप जब इंतजार करतेकरते थक गई तो अंदर जा कर चारपाई पर लेट गई. कुछ ही देर में दरवाजा खटखटाने की आवाज आई तो अमनदीप ने दरवाजा खोला और उसे अंदर आने को कह कर लस्तपस्त भाव में जा कर फिर लेट गई.

गुरदीप ने घबरा कर पूछा, ‘‘क्या हुआ भाभी, इस तरह क्यों पड़ी हो? लगता है अभी नहाई नहीं हो?’’

अमनदीप ने धीरे से कहा, ‘‘आज तबीयत ठीक नहीं है, कुछ अच्छा नहीं लग रहा है.’’

गुरदीप ने जल्दी से झुक कर अमनदीप की नब्ज पकड़ कर देखा. उस के स्पर्श मात्र से अमनदीप के शरीर में झुरझुरी सी फैल गई. नसें टीसने लगीं और आंखें एक अजीब से नशे से भर उठीं. आवाज जैसे गले में ही फंस गई. उस ने भर्राए स्वर में कहा, ‘‘तुम तो ऐसे नब्ज टटोल रहे हो जैसे कोई डाक्टर हो.’’

‘‘बहुत बड़ा डाक्टर हूं भाभी,’’ गुरदीप ने हंस कर कहा, ‘‘देखो न, नाड़ी छूते ही मैं ने तुम्हारा रोग भांप लिया. बुखार, हरारत कुछ नहीं है. सीधी सी बात है, संदीप भैया सुबह काम पर चले जाते हैं तो देर शाम को ही लौटते हैं.’’

अमनदीप के मुंह का स्वाद जैसे एकाएक कड़वा हो गया. वह तुनक कर बोली, ‘‘शाम को भी वह लौटे या न लौटे, मुझे उस से क्या.’’

गुरदीप ने जल्दी से कहा, ‘‘यह बात नहीं है, वह तुम्हारा खयाल रखते हैं.’’

‘‘क्या खाक खयाल रखता है,’’ कहते ही उस की आंखों में आंसू छलछला आए.

भाभी अमनदीप को सिसकते देख कर गुरदीप व्याकुल हो उठा. कहने लगा, ‘‘रो मत भाभी, नहीं तो मुझे दुख होगा. तुम्हें मेरी कसम, उठ कर नहा आओ. फिर मन थोड़ा शांत हो जाएगा.’’

गुरदीप के बहुत जिद करने पर अमनदीप को उठना पड़ा. वह नहाने की तैयारी करने लगी तो वह चारपाई पर लेट गया. गुरदीप का मन विचलित हो रहा था. अमनदीप की बातें उसे कुरेद रही थीं. उस से रहा नहीं गया, उस ने बाथरूम की ओर देखा तो दरवाजा खुला था. गुरदीप का दिल एकबारगी जोर से धड़क उठा. उत्तेजना से शिराएं तन गईं और आवेग के मारे सांस फूलने लगी. गुरदीप ने एक बार चोर निगाह से मेनगेट की ओर देखा, मेनगेट खुला मिला. उस ने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया और कांपते पैरों से बाथरूम के सामने जा खड़ा हुआ.

अमनदीप उन्मुक्त भाव से बैठी नहा रही थी. उस समय उस के तन पर एक भी कपड़ा नहीं था. निर्वसन यौवन की चकाचौंध से गुरदीप की आंखें फटी रह गईं. वह बेसाख्ता पुकार बैठा, ‘‘भाभी…’’

अमनदीप जैसे चौंक पड़ी, फिर भी उस ने छिपने या कपड़े पहनने की कोई आतुरता नहीं दिखाई. अपने नग्न बदन को हाथों से ढकने का असफल प्रयास करती हुई वह कटाक्ष करते हुए बोली, ‘‘बड़े शरारती हो तुम गुरदीप. कोई देख ले तो…कमरे में जाओ.’’

लेकिन गुरदीप बाथरूम में घुस गया और कहने लगा, ‘‘कोई नहीं देखेगा भाभी, मैं ने बाहर वाले दरवाजे में कुंडी लगा दी है.’’

‘‘तो यह बात है, इस का मतलब तुम्हारी नीयत पहले से ही खराब थी.’’

‘‘तुम भी तो प्यासी हो भाभी. सचमुच भैया के शरीर में तुम्हारी कामनाएं तृप्त करने की ताकत नहीं है.’’ कहतेकहते गुरदीप ने अमनदीप की भीगी देह बांहों में भींच ली और पागल की तरह प्यार करने लगा. पलक झपकते ही जैसे तूफान उमड़ पड़ा. जब यह तूफान शांत हुआ तो अमनदीप अजीब सी पुलक से थरथरा उठी. उस दिन उसे सच्चे मायने में सुख मिला था. वह एक बार फिर गुरदीप से लिपट गई और कातर स्वर में कहने लगी, ‘‘मैं तो इस जीवन से निराश हो चली थी, गुरदीप. लेकिन तुम ने जैसे अमृत रस से सींच कर मेरी कामनाओं को हरा कर दिया.’’

‘‘मैं ने तो तुम्हें कई बार बेचैन देखा था, भाई से तृप्त न होने पर मैं ने तुम्हें रात में कई बार तन की आग ठंडी करने के लिए नंगा नहाते देखा है. तुम्हारी देह की खूबसूरती देख कर मैं तुम पर लट्टू हो गया था. मैं तभी से तुम्हारा दीवाना बन गया था. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं लेकिन तुम ने कभी मौका ही नहीं दिया.’’

‘‘बड़े बेशर्म हो तुम गुरदीप. औरत भी कहीं अपनी ओर से इस तरह की बात कह पाती है.’’

‘‘अपनों से कोई दुराव नहीं होता, भाभी. सच्चा प्यार हो तो बड़ी से बड़ी बात कह दी जाती है. आखिर भैया…’’

‘‘मेरे ऊपर एक मेहरबानी करो गुरदीप, ऐसे मौके पर संदीप की याद दिला कर मेरा मन खराब मत करो. हम दोनों के बीच किसी तीसरे की जरूरत ही क्या है. अच्छा, अब तुम कमरे में जा कर बैठो.’’

‘‘तुम भी चलो न.’’ कहते हुए गुरदीप ने अमनदीप को बांहों में उठा लिया और कमरे में ले जा कर पलंग पर डाल दिया. अमनदीप ने कनखी से देखते हुए झिड़की सी दी, ‘‘कपड़े तो पहनने दो.’’

‘‘क्या जरूरत है…आज तुम्हारा पूरा रूप एक साथ देखने का मौका मिला है तो मेरा यह सुख मत छीनो.’’

गुरदीप बहुत देर तक अमनदीप की मादक देह से खेलता रहा. एक बार फिर वासना का ज्वार आया और उतर गया. लेकिन यह तो ऐसी प्यास होती है कि जितना बुझाने का प्रयास करो, उतनी और बढ़ती जाती है. फिर अमनदीप के लिए तो यह छीना हुआ सुख था, जो उस का पति कभी नहीं दे सका. वह बारबार इस अलौकिक सुख को पाने के लिए लालायित रहती थी. दोनों इस कदर एकदूसरे को चाहने लगे कि अब उन्हें अपने बीच आने वाला संदीप अखरने लगा. हमेशा का साथ पाने के लिए संदीप को रास्ते से हटाना जरूरी था.

25 फरवरी, 2020 की रात संदीप शराब पी कर आया तो झगड़ा करने लगा. उस ने अमनदीप से मारपीट शुरू कर दी. इस पर अमनदीप ने गुरदीप को इशारा किया. इस के बाद अमनदीप ने गुरदीप के साथ मिल कर संदीप को मारनापीटना शुरू कर दिया. किचन में पड़ी लकड़ी की मथनी से अमनदीप ने संदीप के सिर के पिछले हिस्से पर कई प्रहार किए. बुरी तरह मार खाने के बाद संदीप बेहोश हो गया. लेकिन सिर पर लगी चोट से काफी खून बह जाने से उस की मृत्यु हो गई. संदीप की मौत के बाद दोनों काफी देर तक सोचते रहे कि अब वह क्या करें. इस के बाद सुबह होने तक उन्होंने फैसला कर लिया कि उन को क्या करना है.

सुबह दोनों बच्चों के साथ वह घर से निकल गए. साढ़े 11 बजे गुरदीप ने अपनी बड़ी बहन राजविंदर को फोन किया कि उस ने और अमनदीप ने संदीप को मार दिया है. कह कर काल काट दी और अपना फोन बंद कर लिया. इस के बाद राजविंदर ने यह बात रोते हुए अपने पति रेशम सिंह को बताई. दोनों संदीप के मकान पर आए तो वहां संदीप की लाश पड़ी देखी. इस के बाद राजविंदर ने तिकुनिया कोतवाली में घटना की सूचना दी. सूचना मिलते ही कोतवाली इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मकान में घुसने पर पहले बरामदा था, उस के बाद सामने 2 कमरे और दाईं ओर एक कमरा था. सामने वाले बीच के कमरे में 3 चारपाई पड़ी थीं. कमरे के बीच में जमीन पर संदीप की लाश पड़ी थी. उस के सिर पर गहरी चोट थी, पुलिस ने सोचा कि शायद उसी चोट से अधिक खून बहने के कारण उस की मौत हुई होगी.

कमरे में ही खून लगी लकड़ी की मथनी पड़ी थी. इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद ने खून से सनी मथनी अपने कब्जे में ले ली. पूरा मौकामुआयना करने के बाद इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस के बाद कोतवाली आ कर राजविंदर कौर से पूछताछ की तो उन्होंने पूरी बात बता दी. राजविंदर की तरफ से पुलिस ने अमनदीप और गुरदीप सिंह के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद पुलिस उन की तलाश में जुट गई. इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद को एक मुखबिर से सूचना मिली कि अमनदीप और गुरदीप सिंह लखीमपुर की गोला कोतवाली के ग्राम महेशपुर फजलनगर में अपने रिश्तेदार देवेंद्र कौर के यहां शरण लिए हुए हैं.

इस सूचना पर पुलिस ने 3 फरवरी, 2020 को सुबह करीब सवा 5 बजे उस रिश्तेदार के यहां दबिश दे कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया. कोतवाली ला कर जब उन से पूछताछ की गई तो उन्होंने आसानी से अपना जुर्म स्वीकार कर लिया और हत्या की वजह भी बयान कर दी. आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद पुलिस ने हत्यारोपी गुरदीप सिंह और अमनदीप कौर को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Cyber Crime : नाइजीरियन गैंग ने महंगा गिफ्ट का झांसा देकर महिला से ठगे लाखों

Cyber Crime : नाइजीरियन ठग फोन, वाट्सऐप या फेसबुक पर पढ़ीलिखी महिलाओं से दोस्ती के नाम पर पहले उन का विश्वास जीतते हैं और फिर उन से ठगी कर के मोटी रकम वसूलते हैं. दिल्ली और बडे़ नगरों में यह खेल वर्षों से चल रहा है. आश्चर्य की बात यह है कि विदेशी गिफ्ट के चक्कर में पढ़ीलिखी महिलाएं ही ज्यादा फंसती हैं. भीलवाड़ा पुलिस ने…

15 सितंबर, 2019 की बात है. राजस्थान के भीलवाड़ा शहर की एक रिटायर्ड शिक्षिका मनोरमा एसपी हरेंद्र कुमार महावर के पास पहुंची. उस ने एसपी को एक शिकायती पत्र दिया, जिस में उस ने अपने साथ 43 लाख 67 हजार रुपए की धोखाधड़ी होने की बात लिखी थी. मनोरमा ने एसपी साहब को बताया कि रिटायर होने के बाद वह सोशल मीडिया पर अपना समय बिताती थी. फेसबुक पर उस की दोस्ती बार्थोलोम्यू औडिकमो नाम के विदेशी नागरिक से हुई. उस ने खुद को लंदन का रहने वाला बताया. उस ने यह भी बताया कि लोग उसे एंड्रो लोरे भी कहते हैं.

दोस्ती होने के बाद फेसबुक के माध्यम से उस की एंड्रो लोरे से बातचीत होने लगी. इस बातचीत के दौरान उस के कहने पर मनोरमा ने अपना फोन नंबर भी दे दिया. फिर जबतब एंड्रो लोरे उसे फोन भी करने लगा. मनोरमा को उस से बात करना अच्छा लगता था. वह उस की बातों पर विश्वास करने लगी थी. एक दिन एंड्रो लोरे ने कहा कि उस ने लंदन से उस के लिए एक सरप्राइज गिफ्ट भेजा है. वह गिफ्ट उदयपुर हवाईअड्डे पर पहुंच गया है. वहां के कस्टम अधिकारी से मिल कर आप गिफ्ट ले लेना. यह सुन कर मनोरमा बहुत खुश हुई. उस ने सोचा कि एंड्रो लोरे कितना अच्छा है, जिस ने कुछ ही दिन की दोस्ती में गिफ्ट भी भेज दिया. यह पता नहीं था कि गिफ्ट में क्या है. एंड्रो लोरे भी उसे सरप्राइज देना चाहता था, इसलिए उस ने कुछ भी नहीं बताया था. मनोरमा ने भी सरप्राइज की बात सुन कर इस बारे में ज्यादा पूछताछ नहीं की थी.

बहरहाल, वह घर से उदयपुर हवाईअड्डे की तरफ रवाना होने ही वाली थी कि उस के पास एक महिला का फोन आया. उस ने खुद को कस्टम अधिकारी बताते हुए कहा कि आप के नाम से यहां एक पार्सल आया है जो लंदन के किसी एंड्रो लोरे ने भेजा है. इस पार्सल में कोई बहुत कीमती सामान है, लेकिन बिना कस्टम ड्यूटी अदा किए आप को नहीं मिलेगा.

‘‘कितनी कस्टम ड्यूटी लगेगी?’’ मनोरमा ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘आप के पार्सल की कस्टम ड्यूटी 4 लाख रुपए है. इसे आप जल्द जमा करा दीजिए.’’ कहते हुए महिला ने मनोरमा को एक बैंक एकाउंट नंबर बता दिया. मनोरमा को लगा कि एंड्रो लोरे ने जो गिफ्ट भेजा है, वह काफी महंगा है जिस की कस्टम ड्यूटी ही 4 लाख रुपए लग रही है. उस ने सोचा कि उस का विदेशी दोस्त पैसे वाला है तभी तो उस ने इतना महंगा गिफ्ट भेजा. वह फटाफट बैंक गई और महिला कस्टम अफसर द्वारा बताए खाते में 4 लाख रुपए जमा करा दिए. मनोरमा ने पैसे जमा करने की जानकारी उस महिला अफसर को दे दी. उस महिला ने कहा कि बैंक से पैसे रिसीव होने का मैसेज मिलते ही हम आप को काल कर के बता देंगे.

मनोरमा उस का फोन आने का इंतजार करने लगी. अगले दिन उस महिला ने मनोरमा को फोन कर के पैसे मिलने की पुष्टि कर दी. साथ ही यह भी कहा कि कुछ क्लियरेंस पूरे करने हैं, जिन के लिए उन्हें एयरपोर्ट आना पड़ेगा. मनोरमा उदयपुर एयरपोर्ट पहुंची तो वह महिला अफसर एयरपोर्ट के बाहर ही मिल गई. उस ने मनोरमा को बताया कि यहां से विदेशी पार्सल छुड़ाने के लिए कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं, इसलिए आप को क्लियरेंस के 7 लाख रुपए उसी एकाउंट में और जमा करने होंगे. क्योंकि उस पार्सल में 50-60 लाख रुपए का आइटम है.

मनोरमा 4 लाख रुपए तो जमा कर चुकी थी. उस ने सोचा कि जब गिफ्ट आइटम इतना महंगा है तो 7 लाख भी जमा कर देगी. लिहाजा उस ने उसी एकाउंट में 7 लाख रुपए और जमा कर दिए. उस ने यह बात अपने घर में किसी को नहीं बताई. पैसे जमा कराने के बावजूद भी उसे गिफ्ट नहीं दिया गया. इस के बाद भी किसी न किसी बहाने मनोरमा से मोटी रकम जमा कराई जाती रही. मनोरमा गिफ्ट पाने के लालच में 43 लाख 67 हजार रुपए जमा करा चुकी थी. लेकिन उसे गिफ्ट नहीं दिया गया. साथ ही उस के लंदन वाले दोस्त एंड्रो लोरे और उस महिला ने अपने नंबर ही बंद कर दिए. मनोरमा ने यह बात अपने घर वालों को बताई तो घर के सभी लोग हैरान रह गए कि पढ़ीलिखी होने के बाद वह इतनी बड़ी रकम कैसे उन के खाते में जमा कराती गई और घर में किसी से चर्चा तक नहीं की.

मनोरमा की कहानी सुनने के बाद एसपी हरेंद्र कुमार महावर ने मामले को गंभीरता से लिया और कोतवाली भीलवाड़ा में रिपोर्ट दर्ज करवा कर एक विशेष टीम बनाई. टीम ने उन मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर उन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया. इस जांच के बाद पुलिस को आरोपियों के बारे में काफी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. टीम को पता चला कि आरोपी दिल्ली की पालम कालोनी में रह रहा है. इस सूचना की पुष्टि होते ही एसपी हरेंद्र कुमार महावर ने कोतवाली प्रभारी यशदीप भल्ला के नेतृत्व में एक पुलिस टीम दिल्ली रवाना कर दी. पुलिस टीम ने 15 अक्तूबर, 2019 को दिल्ली के पालम विहार स्थित एक मकान पर दबिश दी. वहां से एक नाइजीरियन युवक और एक भारतीय युवती को हिरासत में लिया गया. पूछताछ में युवक ने अपना नाम बार्थोलोम्यू औडिकमो निवासी नाइजीरिया बताया. युवती का नाम रोजलिन था जो नगालैंड की रहने वाली थी. वह औडिकमो की पत्नी थी.

पुलिस दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली से भीलवाड़ा ले आई. भीलवाड़ा में जब उन दोनों से मनोरमा के साथ की गई ठगी के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि मनोरमा से ठगी की थी. पूछताछ में ठगी करने की जो कहानी पता चली, वह इस प्रकार थी—

बार्थोलोम्यू औडिकमो जनवरी, 2019 में बिजनैस वीजा ले कर भारत आया था. यहां आ कर उस ने ठगी की दुकान खोल ली. उस ने एंड्रो लोरे नाम से फेसबुक पर फरजी एकाउंट बना लिया था. चूंकि उस की शक्लसूरत अच्छी नहीं थी, इसलिए उस ने सोशल साइट से किसी सुंदर विदेशी युवक का फोटो ले कर अपनी प्रोफाइल पर लगा लिया, जिस से कोई उस की असलियत न जान सके. इस के बाद वह शिकार भी सोशल साइट से ही चुनने लगा. वह फेसबुक से अच्छी प्रोफाइल वाली महिलाओं की डिटेल्स निकाल लेता था. किसी तरह फरजी आईडी से लिए गए सिम भी उस ने प्राप्त कर लिए. उन्हीं सिम कार्डों का उपयोग वह शिकार से बात करने के लिए करता था.

आरोपी ने इसी तरह पूर्व शिक्षिका मनोरमा से फेसबुक पर दोस्ती की थी. मनोरमा से उस ने खुद को लंदन का रहने वाला बताया था. विश्वास जमाने के लिए उस ने अपनी पत्नी रोजलिन से भी मनोरमा की बात कराई. फेसबुक पर मनोरमा से उस की दोस्ती 28 जून, 2019 को हुई थी. मनोरमा को विश्वास में लेने के बाद उस ने गिफ्ट भेजने की सूचना दी. फिर इस गिफ्ट को छुड़ाने की एवज में उस की पत्नी रोजलिन ने मनोरमा से मोटी रकम ठग ली. रोजलिन ने खुद को कस्टम अफसर बताया था. 43 लाख, 67 हजार रुपए ठगने के बाद आरोपियों ने मनोरमा से बात करनी बंद कर दी थी. उन्होंने मोबाइल फोन भी बंद कर दिए थे. नाइजीरिया निवासी बार्थोलोम्यू ने बताया कि वह पहले भी कई बार भारत आ चुका है. जब वह सन 2015 में नाइजीरिया से भारत आया था, तभी उस ने नगालैंड निवासी रोजलिन से शादी की थी. दोनों का 2 साल का बेटा भी था.

रोजलिन का कहना था कि बार्थोलोम्यू से मिलने पर उसे प्यार हो गया था. फिर दोनों ने शादी कर ली. रोजलिन से शादी करने के बाद बार्थोलोम्यू ने उसे भी अपने साथ ठगी के धंधे में लगा लिया था. पूछताछ में पता चला कि बार्थोलोम्यू की ठगी की पूरी गैंग है, जो दिल्ली में सक्रिय है. आरोपी जिस व्यक्ति के खाते में रकम डलवाते थे, उसे 15 प्रतिशत हिस्सा देते थे. जिस व्यक्ति के नाम खाता होता था, वह भी फरजी पहचान पत्र से खाता खुलवाता था. फरजी पहचान पत्र से ही इन लोगों ने कई मोबाइल सिम ले रखी थीं. पुलिस को आरोपियों के पास से दर्जनों एटीएम कार्ड्स व पासबुक मिलीं. पता चला है कि इन लोगों ने कई लोगों को झांसे में ले कर उन से साढ़े 4 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की थी.

मनोरमा ने सोशल साइट पर बार्थोलोम्यू से वीडियो कालिंग के लिए कहा था, लेकिन उस ने वीडियो कालिंग पर चेहरा सामने आने के डर से वीडियो कालिंग से इनकार कर दिया. उस ने मनोरमा से कहा कि वह भारत आ कर ही मिलेगा. ठगी की रकम से आरोपी ऐश की जिंदगी जी रहे थे. नाइजीरिया निवासी बार्थोलोम्यू कच्चा मांस खाता था. उसे अच्छे कपड़े पहनने, महंगी शराब पीने, फिल्में देखने का शौक था. कुछ रकम वह नाइजीरिया में रह रहे अपने मातापिता को भी भेजता था. भीलवाड़ा पुलिस की 6 जवानों की टीम जब दिल्ली पुलिस के 2 जवानों को ले कर बार्थोलोम्यू को गिरफ्तार करने पहुंची तो उस ने पुलिस से जम कर हाथापाई की थी. उसे बमुश्किल दबोचा गया था.

पुलिस ने जैसे ही उसे हिरासत में लिया, उस ने अपना फोन जमीन पर पटक कर तोड़ दिया, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. भीलवाड़ा पुलिस ने 16 अक्तूबर, 2019 को दोनों ठगों बार्थोलोम्यू और रोजलिन को भीलवाड़ा कोर्ट में पेश कर 5 दिन के रिमांड पर लिया और कड़ी पूछताछ की. बार्थोलोम्यू ने बताया कि दिल्ली में फरजी सिम बेचने वाला एक गिरोह काम कर रहा है. कई मोबाइल कंपनियां आमजन को सिम बांटने के लिए कर्मचारियों को 6 से 7 हजार रुपए पगार पर रखती हैं. विदेशी ठग ऐसे कर्मचारियों से संपर्क करते हैं. फिर उन्हें 25 से 30 हजार रुपए दे कर दूसरों के नाम पर एक्टिवेटेड सिम खरीद लेते हैं. जिस का उपयोग वे ठगी की वारदातों में करते हैं.

आरोपियों ने बताया कि सोशल साइट पर दोस्ती के लिए ऐसे सिमों का उपयोग कर किसी महिला शिकार से करीब एक महीने तक उस नंबर से बातचीत करते हैं. विश्वास में लेने के बाद ठगी शुरू हो जाती है. ठगी के बाद उस सिम को तोड़ कर फेंक देते हैं. यहां तक कि वे उस मोबाइल को भी काम में नहीं लेते, जिस में वह सिम काम कर रहा था. भीलवाड़ा कोतवाली पुलिस को अब तक की जांच में मुंबई, दिल्ली, पुणे समेत कई शहरों के लोगों के नाम की सिम मिली हैं. पुलिस ने बार्थोलोम्यू से पूछा कि ठगी के लिए उस ने भारत को ही क्यों चुना? उस का जवाब था, ‘‘यहां लोगों से अंगरेजी में बात की जाए तो वे बात करने वाले को अच्छा विदेशी समझते हैं या बात कर रहे व्यक्ति को हाईप्रोफाइल समझने लगते हैं. वहीं अन्य देशों में यह करना संभव नहीं है, दूसरे अन्य देशों के कानून भी कड़े होते हैं.’’

उस ने बताया कि वह भारत में अब तक 50 लोगों के साथ ठगी कर चुका है. ये वारदातें किस के साथ हुईं, यह वह नहीं बता सका. पीडि़त को ढूंढना भी भीलवाड़ा पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि आरोपियों से मिले मोबाइल के डाटा डिलीट हैं. आरोपियों को भी पता नहीं कि उन्होंने किस राज्य में किसे ठगा. उन का कहना है कि वे खुद किसी महिला से नहीं मिलते थे. महज मोबाइल पर बात कर खाते में रकम डलवाते थे. बार्थोलोम्यू ने ठगी की रकम से व्यापार भी किया. उस ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि वे लोग ठगी की रकम से हाईप्रोफाइल जिंदगी जीते थे. उस ने साढ़े 4 करोड़ रुपए से ज्यादा ठगे थे, जिस में से कुछ हिस्से को उस ने एक नंबर के कारोबार में भी लगाया.

आरोपी बिजनैस वीजा पर भारत आया था. उस ने दिल्ली में रहते हुए ठगी के साथ कपड़े का व्यापार किया. कपड़े के इस व्यापार को उस ने नाइजीरिया तक पहुंचाया. अकेले बार्थोलोम्यू करोड़ों के कपड़े का बिजनैस कर चुका है और वह साइबर क्राइम में माहिर है. पुलिस ने नाइजीरिया ठगी गैंग के एक और सदस्य ओगुग्वा संडे को 20 अक्तूबर, 2019 को दिल्ली से गिरफ्तार किया. ओगुग्वा संडे को पकड़ने के लिए भीलवाड़ा पुलिस को रिश्तेदारी का जाल बुन कर पासा फेंकना पड़ा, तब जा कर वह पकड़ में आया. ओगुग्वा संडे के पास से 8 लैपटौप, 22 मोबाइल फोन, 4 टैबलेट, 7 डोंगल तथा दरजनों सिमकार्ड्स बरामद हुए.

ओगुग्वा संडे की गिरफ्तारी के साथ ही अब तक एक महिला रोजलिन सहित 3 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. इन का आका बोनीसेफ पुलिस के हाथ नहीं आया. पुलिस टीम ने नाइजीरिया के संडे को मोहन गार्डन दिल्ली से हिरासत में लिया था. पुलिस की भनक लगते ही सरगना बोनीसेफ उर्फ बोनीफेस उर्फ बोनीफोट दीवार कूद कर भाग गया था. पुलिस ने उस के घर की तलाशी ली तो वहां विजिटिंग कार्ड मिला, जिस में वह बिल्डिंग मटीरियल कंपनी का डायरेक्टर बना हुआ था. इस की आड़ में वह दिल्ली में ठगी का साइबर सेल चला रहा था. उस के इशारे पर ही गैंग भारत में सोशल साइट पर महिलाओं से दोस्ती कर के ठगी करता था.

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोशल साइट पर हाईप्रोफाइल महिला से फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही वे रटेरटाए प्रश्न पूछते थे. इस के लिए वे 6 प्रश्नों का पत्र सामने रखे होते थे. हैलो कर के दोस्ती होती और एक के बाद एक प्रश्न में उस के परिवार की सारी स्थिति जान लेते थे. नाइजीरिया से आए ठग गिरोह में जो पढ़ेलिखे हैं, वही सोशल साइट पर ठगी करते थे. कम पढ़ेलिखे दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में नशे के सौदागर बने हुए हैं. ये लोग चरस, गांजा, स्मैक, हेरोइन की तस्करी करते हैं. इन के ग्राहक तय होते थे और जिन से नशीली खरीदी जाती थी, वे उन की पहचान वाले होते थे.

नाइजीरियाई ठग गैंग के पास दिल्ली में 4 मंजिला मकान किराए पर था. दिल्ली पुलिस के सहयोग से उस मकान के मालिक को बुलाया गया. गैंग ने चारों मंजिल को हाईटैक बना रखा था. पुलिस ने एसआई प्रेम सिंह को मकान मालिक के साथ घर भेजा गया, जहां नाइजीरियाई ठग रहते थे. मकान मालिक ने एसआई प्रेमसिंह को मकान पर जा कर अपना रिश्तेदार बताते हुए मकान दिखाने की बात कही. उस के बाद ठग गैंग के सदस्य ने दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही पीछे से पूरी पुलिस टीम मकान में आ गई. हथियारबंद पुलिसकर्मियों ने दरवाजा खुलते ही सिक्योरिटी गार्ड को दबोच लिया. उस के बाद संडे को हिरासत में ले लिया गया. हालांकि सरगना बोनीसेफ दीवार कूद कर भाग गया. पुलिस ने मकान की तलाशी ली तो फ्रिज में बड़ी मात्रा में मांस, अंडे सहित काफी खाद्य सामग्री मिली. इस से माना गया कि ये ठग घर से बाहर कम ही निकलते थे.

ठगी के तीसरे आरोपी ओगुग्वा संडे ने पुलिस पूछताछ में बताया कि सोशल साइट पर महिला की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही वे लोग रटेरटाए 6 प्रश्न पूछ कर परिवार की स्थिति जान लेते थे. उस के बाद दोस्त बनी महिला का वाट्सऐप नंबर ले लेते. उस नंबर पर चैटिंग करते थे और बाद में उस के मोबाइल नंबर जान लेते थे. इस के लिए हाईटेक मकान में 20 लोग काम करते थे. ये दिन भर महिला शिकार की तलाश करते रहते थे. जिस मकान में ठगी की साइबर सेल चल रही थी, वहां 10 लैपटौप एक साथ चलते थे. एक लैपटौप पर 6-6 महिलाओं से एक साथ चैटिंग होती थी. हरेक महिला को अलगअलग नाम बता कर चैटिंग करते. नामों को ले कर जरा सी भी गलती न हो, इस के लिए पास में एक डायरी रखते थे. दोस्ती होते ही उस से ठगी शुरू कर देते थे.

विदेश के ये ठग हर रोज 100 से 200 लोग तलाशने का लक्ष्य ले कर चलते थे. एक के बाद एक फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजते थे. इस में औसतन रोज 50 महिलाएं फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेती थीं. एक शिकार से 25 हजार से 30 हजार रुपए वसूलने का लक्ष्य होता था. शाम तक नाइजीरियन गैंग 4 से 5 लाख रुपए ठगी वाले खाते में डलवा लेते थे. इस पैसे से ये लोग हाईप्रोफाइल जिंदगी जीते थे. ठगी के औफिस में दिन भर शराब मांस उड़ाया जाता. भीलवाड़ा में गैंग के खुलासे के बाद दिल्ली से कई ठग फरार हो गए. जिस ठग ओगुग्वा संडे को भीलवाड़ा पुलिस ने दिल्ली के मोहन गार्डन से 20 अक्तूबर को दबोचा, उस ठग ने रिटायर शिक्षिका मनोरमा से ठगी कर के 43 लाख से ज्यादा की रकम खाते में डलवाई थी.

पुलिस कोतवाली भीलवाड़ा के थानाप्रभारी यशदीप भल्ला ने बताया कि जब पुलिस टीम दिल्ली में दोबारा आरोपी ठगों के ठिकाने पर जा कर घर में घुसी तो बाहर निकलना मुश्किल हो गया. ठगों के 4 मंजिला मकान का मुख्य दरवाजा अत्याधुनिक तकनीक से लौक था, जिसे केवल गैंग के सदस्य ही खोल सकते थे. गेट के अंदर घुसने के बाद दूसरा गेट था, इस गेट पर भी लौक था. अंदर घुसने के बाद गेट बंद हो जाता और बिना पासवर्ड के बाहर निकलना मुश्किल था. भीलवाड़ा पुलिस ने जान पर खेल कर तीसरे ठग ओगुग्वा संडे को गिरफ्तार किया और साथ ले कर आई. पुलिस टीम ठगी के आरोपियों के ठिकाने पर पहुंची तो शेयर मार्केट की तरह वहां लैपटौप चल रहे थे, जिन पर दिन भर शिकार की तलाश होती थी.

नाइजीरियाई ठग गैंग का सरगना बोनीफेस कहां रहता है, इस की जानकारी गिरफ्तार किए गए आरोपियों को भी नहीं है. भीलवाड़ा कोतवाली पुलिस ने 24 अक्तूबर, 2019 को तीनों आरोपियों को भीलवाड़ा कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

—कथा में मनोरमा परिवर्तित नाम है

 

Social Crime : Code के जरिए किया जाता था जिस्मफरोशी का धंधा

Social Crime : ज्यादातर युवतियां या महिलाएं देह व्यापार में अपनी मरजी से नहीं आतीं. उन्हें या तो रंगीन सपने दिखा कर जिस्म की मंडी में लाया जाता है या फिर मोटी कमाई के बहाने. कई लड़कियां ऐसी होती हैं जो शरीर को दांव पर लगा कर अमीर बनना चाहती हैं. बरेली की बबीता भी ऐसी ही लड़कियों…

एक मुखबिर ने बरेली के एएसपी अभिषेक वर्मा को उन के मोबाइल पर फोन कर के सूचना दी कि बबीता नाम की एक महिला सनसिटी विस्तार कालोनी के एक दोमंजिला मकान में बड़े स्तर पर जिस्मफरोशी का धंधा चला रही है. मुखबिर ने उन्हें बबीता का फोन नंबर भी दे दिया. इतना ही नहीं, उस ने बबीता से बात करने के कुछ कोड नाम भी दे दिए, जिन का उपयोग वह अपने धंधे में करती थी. खबर महत्त्वपूर्ण थी, इसलिए एएसपी ने खुफिया तौर पर पहले इस सूचना की जांच कराई, तो खबर सही निकली. इस के बाद उन्होंने इज्जतनगर के थानाप्रभारी और महिला थाने की थानाप्रभारी को अपने औफिस बुलाया.

उन्होंने दोनों पुलिस अधिकारियों को इस सूचना से अवगत कराते हुए तुरंत रेड पार्टी तैयार करने को कहा. आननफानन में रेड पार्टी तैयार कर ली गई. टीम में शामिल एक हैड- कांस्टेबल को डिकोय कस्टमर (फरजी ग्राहक) बनाया गया. डिकोय कस्टमर ने बबीता का फोन नंबर मिलाया. जैसे ही बबीता ने हैलो कहा तो वह बोला, ‘‘मैडम, मैं अमरीश बोल रहा हूं. मुझे आप का नंबर रहमान भाई ने दिया है.’’ रहमान का नाम सुनते ही बबीता समझ गई कि यह कस्टमर वास्तविक है. वह बोली, ‘‘हां, बताइए अमरीशजी, मैं आप की क्या सेवा कर सकती हूं.’’

‘‘मैडम, रहमान भाई ने बताया था कि नईनई गाडि़यां हैं, जिन पर सवारी करने में बड़ा ही मजा आता है. ऐसी किसी अच्छी गाड़ी पर मैं भी सफर करना चाहता हूं.’’ उस ने कहा.

‘‘हांहां, क्यों नहीं, आप का स्वागत है. कल ही हमारे पास दिल्ली से 2 नई गाडि़यां आई हैं. आप आ जाइए. रहमान भाई ने हमारा पता तो बता ही दिया होगा.’’ वह बोली.

‘‘हांजी, उन्होंने बता दिया है.’’ डिकोय कस्टमर ने कहा.

‘‘ठीक है आप आ जाइए. और हां, जब आप मेरे यहां आएंगे तब गेट पर चौकीदार आप से कोड पूछेगा तो कोड ‘समंदर में तैरना है’ बता देना. वह आप को मेरे पास ले आएगा.’’

‘‘ठीक है, मैं अभी कुछ देर में आप के पास पहुंचता हूं.’’ इस के बाद डिकोय कस्टमर बने हैडकांस्टेबल ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. यह बात 12 नवंबर, 2019 की है.

बबीता से बात पक्की हो जाने के बाद 12 नवंबर, 2019 की रात 10 बजे ही एएसपी अभिषेक वर्मा के नेतृत्व में पुलिस टीम सनसिटी विस्तार कालोनी पहुंच गई. टीम के सभी सदस्य बबीता के घर से कुछ दूर अलगअलग गाडि़यों में रहे. केवल हैडकांस्टेबल ही फरजी ग्राहक बना कर उस के घर पहुंचा. उसे बबीता के घर के बाहर चौकीदार खड़ा मिला. उस ने चौकीदार से कहा, ‘‘मुझे बबीता मैडम से मिलना है.’’

‘‘क्या काम है?’’ चौकीदार ने पूछा.

‘‘समंदर में तैरना है.’’ डिकोय कस्टमर बने हैडकांस्टेबल ने कहा.

यह सुनते ही चौकीदार समझ गया कि वह ग्राहक है, इसलिए वह उसे ले कर घर के अंदर चला गया. वहां कमरे में एक महिला मौजूद थी. फरजी ग्राहक ने पूछा, ‘‘क्या आप ही बबीताजी हैं?’’

‘‘जी हां, वैसे नाम में क्या रखा है. असल में तो काम ही मायने रखता है.’’ बबीता मुसकराते हुए बोली, ‘‘बैठिए, मैं आप को अभी गाडि़यां दिखाती हूं. वैसे मैं आप को एक बात और बताना चाहती हूं कि कस्टमर की डिमांड पर हम विदेशी गाडि़यों की भी डील करते हैं.’’

‘‘अरे वाह, यह तो बड़ी खुशी की बात है. फिलहाल तो आप हमें नई गाड़यां दिखाइए.’’ वह बोला.

तभी बबीता ने आवाज लगाई तो 2 युवतियां कमरे में आ कर खड़ी हो गईं. उन्हें देखते ही डिकोय कस्टमर ने कहा, ‘‘क्या बात है मैडम, जैसा हम ने सुना था, यहां तो उस से ज्यादा देखने को मिला. वास्तव में आप बहुत पहुंची हुई हैं. इन्हें देख कर मन कर रहा है कि दोनों को ही पसंद कर लूं. लेकिन फिलहाल मैं इन के साथ जाना पसंद करूंगा.’’ उस ने आसमानी रंग का टौप पहनी युवती की ओर इशारा करते हुए कहा.

‘‘यह मोहिनी है. इस का 2 घंटे का चार्ज 3 हजार रुपए है.’’ बबीता ने कहा.

‘‘मैडम, आप पैसों की चिंता न करें.’’ कहते हुए डिकोय कस्टमर ने 3 हजार रुपए बबीता के हाथ में दे दिए. इस के बाद उस ने अपनी जेब से फोन निकालते हुए कहा, ‘‘इसे बंद कर देते हैं वरना बीच में डिस्टर्ब करेगा.’’ उसी समय डिकोय कस्टमर ने एएसपी अभिषेक वर्मा को फोन पर मिस काल कर दी थी. यह मिस काल बाहर इंतजार कर रही पुलिस टीम के लिए एक इशारा थी. कुछ देर बाद कमरे का दरवाजा खटखटाने पर फरजी ग्राहक बने हैडकांस्टबल ने दरवाजा खोल दिया. पुलिस टीम धड़धड़ाती हुई उस कमरे में आ गई.

महिला पुलिस ने बबीता की तलाशी ले कर वे 3 हजार रुपए बरामद कर लिए जो हेड कांस्टेबल ने सौदा तय करते समय उसे दिए थे. उन नोटों के नंबर एएसपी ने पहले से ही अपने पास लिख लिए थे. ऊपर की मंजिल पर 2 युवतियां कमरों में मिलीं चौकीदार पुलिस को आया देख भाग चुका था. कुल मिला कर पुलिस ने वहां से 6 युवतियों को हिरासत में ले लिया. सभी के मोबाइल फोन और पर्स पुलिस ने कब्जे में ले लिए कमरों से भी कई आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुईं. बबीता का मोबाइल पुलिस ने चैक किया तो उस में जिस्मफरोशी का धंधा कराने वाली कई युवतियों के फोटो मिले. सभी को हिरासत में ले कर पुलिस थाना इज्जतनगर आ गई. वहां उन से पूछताछ की गई.

पूछताछ के बाद पता चला कि रैकेट की सरगना बबीता काफी समय से जिस्मफरोशी के धंधे का संचालन कर रही थी. 45 वर्षीय बबीता उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं के सिविल लाइंस एरिया की बाबा कालोनी की रहने वाली थी. वह शादीशुदा थी लेकिन अपने पति को छोड़ चुकी थी. बबीता फोन पर संपर्क के बाद वाट्सऐप पर ग्राहकों को युवतियों के आकर्षक फोटो भेज देती थी. इस के बाद रेट तय होने पर वह ग्राहक को अपने ठिकाने पर बुला लेती थी.

वहीं पर उस की मुलाकात बरेली के इज्जतनगर थानाक्षेत्र की सनसिटी विस्तार कालोनी में रहने वाले गोविंदा नाम के युवक से हुई थी. बाद में उस ने गोविंदा को भी अपने धंधे में शामिल कर लिया था. अपने धंधे को बढ़ाने के लिए बबीता ने छोटे शहर बदायूं से निकल कर महानगर बरेली में धंधा शुरू करने की सोची. चूंकि गोविंदा बरेली का ही रहने वाला था, इसलिए उस ने उस की सोच को और बढ़ावा दिया. करीब 6 महीने पूर्व बबीता ने गोविंदा के सहयोग से सनसिटी विस्तार कालोनी में किराए पर एक मकान ले लिया. वह मकान गोविंदा के घर के पास ही था. गोविंदा ग्राहकों को लाने के अलावा मकान के बाहर रह कर पहरेदारी करता था. दोनों ने धंधे के संचालन के लिए कुछ कोड वर्ड बना रखे थे. धीरेधीरे बबीता के संबंध दूसरे शहरों के संचालकों से भी हो गए.

वह दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु कोलकाता आदि शहरों से भी लड़कियां भी बुलाती थी. दबिश के दौरान पकड़ी गई 2 लड़कियां मोहिनी और प्रिया दिल्ली के तुगलकाबाद क्षेत्र की थीं. इन्हें बबीता ने दिल्ली से कुछ दिन पहले ही बुलवाया था. दिल्ली की रहने वाली मोहिनी के जिस्मफरोशी के धंधे में आने की कहानी रोमांस से शुरू हुई थी. मोहिनी खूबसूरत थी. उस का यौवन निखरा तो कोई भी उसे देख कर आकर्षित हो जाता था. एक दिन मोहिनी बाजार गई तो वहां कुछ लड़के उसे छेड़ने लगे. पहले तो वह कुछ नहीं बोली लेकिन जब परेशान हो गई तो उस ने शोहदों को झाड़ना शुरू कर दिया.

तभी एक युवक ने आगे आ कर उन लड़कों का विरोध किया तो वे लड़के मिल कर उसे पीटने लगे. इसी बीच वहां पुलिस आ गई और उन लड़कों को पकड़ कर ले गई. मोहिनी अपने कपड़े ठीक कर के उस अजनबी युवक के पास पहुंची, जो उस की इज्जत बचाने के लिए उन बदमाश लड़कों से भिड़ गया था. उस युवक के शरीर पर चोटें भी आई थीं. मोहिनी ने उस की चोटें देखीं तो उस की आंखों में आंसू भर आए. घर पहुंच कर मोहिनी को अपनी भूल का अहसास हुआ कि जिस युवक ने अपनी जान पर खेल कर उस की इज्जत बचाई थी, वह उस का नाम तक नहीं पूछ सकी. उस रात मोहिनी की आंखों से नींद कोसों दूर रही. वह पूरी रात उस अजनबी के बारे में न जाने क्याक्या सोचती रही.

कुछ दिनों बाद मोहिनी बाजार गई तो एक दुकान पर वही युवक दिखाई दे गया. मोहिनी तुरंत उस के पास पहुंच गई. नजरों से नजरें मिलीं तो दोनों मुसकरा दिए.

मोहिनी ने उस युवक के पास पहुंच कर पूछा, ‘‘कैसे हैं आप?’’

‘‘बिलकुल ठीक हूं, आप कैसी हैं?’’ उस ने कहा.

‘‘मैं भी ठीक हूं.’’ मोहिनी बोली.

उसे देख मोहिनी के दिल के तार झनझना उठे. वह उस युवक के चेहरे को निहारने लगी. फिर कुछ देर बाद खुद को संभाल कर बोली, ‘‘उस दिन भी मैं ने आप का नाम नहीं पूछा था और आज भी आप से बातें कर रही हूं, मगर नाम अभी भी नहीं पूछा.’’

‘‘मेरा नाम सूरज है. यहीं कुछ दूरी पर रहता हूं. अपना नाम भी बता दीजिए.’’

‘‘मुझे मोहिनी कहते हैं और मैं तुगलकाबाद में रहती हूं.’’

इस के बाद दोनों पास के एक रेस्टोरेंट में जा कर बैठ गए. चाय पीते हुए उस दिन मोहिनी और सूरज ने काफी बातें कीं. उस के बाद फिर मिलने का वादा कर के दोनों विदा हो गए. उस दिन के बाद मोहिनी और सूरज अकसर रोज ही मिलने लगे. मेलमुलाकातों में दोनों को ही पता नहीं चला कि वे कब एकदूसरे से प्यार की डोर में बंध गए. एक दिन मोहिनी ने अपने प्यार की बात घर में बता दी. इस से घर में तूफान आ गया. उसी दिन से उस पर तमाम तरह की पाबंदियां लग गईं. प्यार के नाम पर मोहिनी ने सख्त फैसला लिया और सूरज के लिए घर छोड़ दिया. सूरज भी यही चाहता था. वह दिल्ली में एक जगह किराए का कमरा ले कर मोहिनी के साथ रहने लगा. दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे. जबजब मोहिनी सूरज से शादी करने की बात कहती तो वह किसी तरह उसे समझाबुझा कर शांत करा देता.

जब मोहिनी से उस का जी भर गया तो एक दिन वह उसे अकेला छोड़ कर फरार हो गया. मोहिनी ने सूरज को ढूंढने की काफी कोशिश की, लेकिन वह उसे नहीं मिला. वह निराश हो गई. मोहिनी की समझ में आ गया कि सूरज वास्तव में उस के रूप का लोभी भंवरा था. साल भर साथ रह कर वह उस का पराग चूसता रहा. मन भर गया तो दूसरे फूल की तलाश में उड़ गया. सूरज के जाने के बाद मोहिनी की भूखों मरने की नौबत आ गई. उसे एक कंपनी में काम मिल गया था. जहां वह काम करती थी, वहां के कर्मचारी उसे भूखे भेडि़ए की तरह देखते और उसे पाने के लिए अकसर मौके की तलाश में रहते थे.

मोहिनी उन की गंदी नजरों को पहचान नहीं पाई और एक दिन धोखे से उन की हवस का शिकार हो गई. उन्होंने पहले मोहिनी के जिस्म से खिलवाड़ किया फिर 3 हजार रुपए उस की झोली में डाल दिए. मोहिनी बेबस थी. उस ने अपने होंठ सिल लिए. इसी का लाभ उठा कर वे लोग समयसमय पर मोहिनी के साथ मौजमस्ती करने लगे. जब मोहिनी उन लोगों से ज्यादा परेशान हो गई तो उस ने सोचा कि अगर किस्मत में यही सब लिखा है तो क्यों न वह स्वयं अपनी शर्तों पर अपने जिस्म का सौदा करे. इस के बाद मोहिनी नौकरी छोड़ कर जिस्म बेचने लगी. धीरेधीरे वह हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट में शामिल हो गई, जिस में उसे कौंट्रैक्ट बेसिस पर दूसरे शहरों में भी भेजा जाने लगा. जब बरेली आई तो पकड़ी गई.

दिल्ली की दूसरी युवती प्रिया छात्र थी. अच्छे रहनसहन, खानपान और अपनी लग्जरी सुविधाओं का पूरा करने के लिए वह जिस्मफरोशी का धंधा करती थी. इसे वह गलत भी नहीं मानती थी. अगर अपने तन की कमाई से अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकती है तो इस में गुरेज ही क्या है. यही सोच उसे इस धंधे में ले आई. पुलिस हिरासत में ली गई तीसरी युवती बरेली के जोगी नवादा मोहल्ले की रहने वाली ज्योति थी. वह मध्यम परिवार से थी. अचानक उस के पिता की मृत्यु हो गई तो वह एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करने लगी. लेकिन ज्योति की मामूली तनख्वाह से खर्च पूरे नहीं होते थे, इसलिए वह किसी दूसरी अच्छी नौकरी की तलाश में लग गई.

पुरानी नौकरी के दौरान उस की मुलाकात चांदनी नाम की एक महिला से हुई. चांदनी को ज्योति की समस्या का पता लगा तो वह सोचने लगी कि वह किसी तरह ज्योति को रंगीन मर्दों की आंखों की ज्योति बना दे तो वह उस के लिए टकसाल साबित हो सकती है. चांदनी देह के धंधे में काफी समय से थी और शिकार की तलाश में रहती थी. चूंकि ज्योति अभावों से त्रस्त थी, इसलिए उस ने चांदनी को धैर्य रखने को कहा. ज्योति ने अपनी मजबूरी का रोना रोते हुए चांदनी से जल्दी नौकरी दिलाने को कहा तो चांदनी बोली, ‘‘चिंता मत करो ज्योति, मेरी बात मानोगी तो मैं तुम्हें हजारों रुपए कमाने वाली लड़की बना दूंगी.’’

‘‘कैसे?’’ ज्योति ने पूछा तो चांदनी ने अपने हाथ से उस की ठोड़ी उठाई और उस की आंखों में आंखें डाल कर कहा, ‘‘जो काम लाखोंकरोड़ों में नहीं हो सकता, वह काम एक कमसिन, खूबसूरत और अनछुआ जिस्म बहुत आसानी से कर सकता है.’’

ज्योति को शांत देख चांदनी ने ऐसा बातों का जाल फेंका कि ज्योति के बचने के लिए एक छेद नहीं था. अपनी बात कह कर चांदनी चली गई. ज्योति घंटों सोचती रही. उस ने अपनी मजबूरी पर सोचा, भविष्य पर विचार किया. अंतत: उस ने फैसला कर ही लिया कि जिंदगी की हजारों सुनहरी रातों के लिए यह भी सही. बाद में ज्योति ने अपने फैसले से चांदनी को अवगत कराया तो वह बोली, ‘‘बेटी, मैं जानती थी कि तेरा यही फैसला होगा. इसीलिए मैं ने एक कंपनी के जनरल मैनेजर से बात कर ली है. रात करीब 9 बजे वह आएगा, तू सजसंवर कर तैयार रहना.’’

निश्चित समय पर एक अधेड़ व्यक्ति आया और ज्योति को कली से फूल बना गया. उस के जाने के बाद चांदनी ज्योति के पास पहुंची और उसे 5 हजार रुपए देते हुए बोली, ‘‘जीएम साहब खुश हो गए. जातेजाते ईनाम में ये रुपए दे गए हैं.’’

ज्योति ने वह रुपए रख लिए. अगले दिन चांदनी ज्योति से बोली, ‘‘बेटी, आज एक बड़ा आदमी आएगा उसे खुश करना है.’’

ज्योति को न चाहते हुए भी दूसरी रात काली करनी पड़ी. मैनेजर गया तो चांदनी ने उसे 3 हजार रुपए थमा दिए. इस के बाद तो यह रोज का काम हो गया. चांदनी आधा पैसा खुद रख लेती और आधा उसे दे देती थी. ज्योति मैली तो हो ही चुकी थी, उस ने इसी को अपनी नियति मान लिया और वह खुशीखुशी जिस्मफरोशी का धंधा करने लगी. इस समय वह बबीता के सैक्स रैकेट से जुड़ी थी. शाहजहांपुर के तारीन बहादुरगंज की रहने वाली 21 वर्षीय शिल्पी और बरेली के फरीदपुर की रहने वाली 45 वर्षीय रानी भी पैसों का अभाव दूर करने के लिए देहव्यापार की कुछ शातिर महिलाओं के चंगुल में फंस गई थीं.

पुलिस ने इन सभी से पूछताछ कर कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. पुलिस बबीता के धंधे के सहयोगी गोविंदा की तलाश कर रही थी. उस के बारे में जब विस्तृत जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि वह भी सनसिटी में ही रहता है और केबल का काम करता है. फरार होने के बाद उस ने अपने घर के दरवाजे ग्राहकों के लिए खोल दिए थे. 17 नवंबर की रात को एएसपी अभिषेक वर्मा ने इज्जतनगर थाना पुलिस और महिला थाना पुलिस के सहयोग से गोविंदा के घर पर दबिश दी तो गोविंदा घर पर ही मिल गया. उस के अलावा 2 अलगअलग कमरों में 2 ग्राहक 2 युवतियों के साथ आपत्तिजनक अवस्था में मिले. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

पकड़ी गई युवतियां श्याम और रश्मि बरेली के जोगी नवादा की रहने वाली थीं. आर्थिक अभावों के चलते वे भी इस धंधे में आ गई थीं और काफी समय से इस धंधे में थीं. पकड़े गए दोनों युवकों ने अपने नाम राशिद निवासी काजी टोला, खेड़ा कांठ, जिला मुरादाबाद और दूसरे ने संजीव सिंह गंगवार निवासी विष्णुधाम बीडीए कालोनी तुलाशेरपुर, थाना इज्जतनगर बरेली बताया. तलाशी में राशिद के पास से तमंचा मिला. पूछताछ में पता चला कि राशिद गैंगस्टर है. उस पर बरेली के सीबीगंज में लूट का मुकदमा दर्ज था. जबकि संजीव भी दुष्कर्म के केस में आरोपित है. आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद पुलिस ने सभी को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

—कथा में कई पात्रों के नाम बदले गए हैं.

 

Superstition : लाखों रुपए से करोड़ों रुपए बनाने वाला तांत्रिक का हुआ पर्दाफाश

Superstition : कुछ लोग लालच में आ कर न सिर्फ अपना आर्थिक नुकसान करते हैं, बल्कि अपनी जान भी गंवा बैठते हैं. काश! ठेकेदार सुभाषचंद तांत्रिक अरशद के झांसे में न आता तो…

3 दिसंबर, 2019 का दिन था. उस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे. उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर के थाना फतेहपुर के थानाप्रभारी अमित शर्मा को किसी ने फोन कर के सूचना दी कि सहारनपुर-देहरादून हाइवे पर गांव नानका के पास सड़क किनारे एक एक्सयूवी 500 कार के अंदर किसी आदमी की लाश पड़ी है. सुबहसुबह लाश मिलने की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंक गए. उसी समय वह एसएसआई अजय प्रताप गौड़, एसआई रघुनाथ सिंह, दीपचंद, बिजेंद्र, हैडकांस्टेबल संजय, सचिन और महिला सिपाहियों ऊषा व अल्पना के साथ घटनास्थल की तरफ चल दिए.

घटनास्थल वहां से 3-4 किलोमीटर दूर था, इसलिए वह 10 मिनट में ही वहां पहुंच गए. मौके पर काफी लोग जमा थे. वहां खड़ी एक्सयूवी500 कार नंबर यूके17सी 6808 की ड्राइविंग सीट पर एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी. कार के पायदान पर भी खून पड़ा था. मृतक की उम्र करीब 40 साल थी. उस का गला कटा हुआ था. मृतक शायद आसपास के क्षेत्र का रहने वाला नहीं था, इसलिए कोई भी उसे पहचान नहीं सका. चेहरेमोहरे से मृतक किसी संपन्न परिवार का लग रहा था. लोगों ने बताया कि उन्होंने यह कार आज सुबह तब देखी थी, जब वे अपने खेतों की ओर जा रहे थे. लोगों ने यह भी बताया कि यह कार सुबह लगभग 4-5 बजे से यहां खड़ी है. उस वक्त अंधेरा था.

कार की ड्राइविंग सीट की ओर की खिड़की खुली हुई थी व कार का इंजन स्टार्ट था. पहले तो उधर से गुजरने वाले लोग कार को नजरअंदाज करते रहे, मगर जब 7 बजे सूरज की रोशनी बढ़ी तब ग्रामीणों ने कार के अंदर पड़े लहूलुहान शव को देखा था. थानाप्रभारी ने इस मामले की सूचना सीओ रजनीश कुमार उपाध्याय, एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्रा तथा एसएसपी दिनेश कुमार पी. को दी. थानाप्रभारी अमित शर्मा ने जरूरी काररवाई करने के बाद कुछ ग्रामीणों की सहायता से शव को कार से बाहर निकाला और उस का निरीक्षण किया. कुछ ही देर में एसएसपी दिनेश कुमार पी., एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्र और सीओ रजनीश कुमार भी वहां फोरैंसिक टीम के साथ आ गए.

तीनों अधिकारियों ने भी लाश का मुआयना कर इस हत्याकांड के बारे में वहां खड़े लोगों से बात की. इस के बाद एसएसपी ने थानाप्रभारी शर्मा को आरटीओ से कार मालिक का पता लगाने व केस को खोलने के निर्देश दिए. पुलिस ने जब मृतक की तलाशी ली तो जेब से कुछ कागजात, मोबाइल फोन तथा पर्स में रखी नकदी मिली. पर्स में मिली नकदी और मोबाइल फोन से इस बात की तो पुष्टि हो ही गई कि उस की हत्या लूट के इरादे से नहीं की गई थी. पुलिस ने प्रारंभिक जांच का काम निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए सहारनपुर के जिला अस्पताल भेज दी. इस के बाद पुलिस ने कार मालिक की जानकारी करने के लिए परिवहन विभाग से संपर्क किया. परिवहन विभाग से पता चला कि उक्त नंबर की कार सुभाषचंद पुत्र ओमपाल, निवासी गांव महेश्वरी, थाना भगवानपुर, जिला हरिद्वार के नाम पर रजिस्टर्ड है.

कार मालिक के नाम की जानकारी मिलने के बाद थानाप्रभारी ने थाना भगवानपुर के एसओ से संपर्क कर इस मामले की जानकारी दी. भगवानपुर थाने की पुलिस ने जब गांव महेश्वरी में सुभाषचंद के घर पहुंच कर जब एक्सयूवी500 कार में शव मिलने की जानकारी दी तो सुभाष के भाई विश्वास ने बताया कि वह कल ही अपनी कार ले कर घर से निकले थे. इसलिए कार में शव मिलने की बात सुन कर विश्वास घबरा गया. वह अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ जिला अस्पताल सहारनपुर पहुंच गया. विश्वास और उस के रिश्तेदारों को जब मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो विश्वास वहीं बिलख पड़ा. उस ने स्वीकार किया कि यह लाश उस के भाई सुभाषचंद की ही है. इस के बाद तो सुभाषचंद के घर में भी कोहराम मच गया.

पूछताछ करने पर विश्वास ने पुलिस को बताया कि सुभाषचंद काफी समय से लोक निर्माण विभाग, रुड़की में ठेकेदारी कर रहे थे. पिछले दिन वह सुबह 9 बजे किसी काम से देहरादून जाने के लिए अपनी कार ले कर घर से निकले थे. शाम 4 बजे तक वह परिजनों से मोबाइल पर बात करते रहे. इस के बाद उन का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया. रात भर घर वाले बहुत परेशान रहे. सुभाषचंद के लापता होने पर घर वालों ने उन्हें आसपास रहने वाले रिश्तेदारों व उन के मित्रों के यहां तलाश किया. विश्वास से पूछताछ के बाद पुलिस ने सुभाषचंद के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और सुभाषचंद के बेटे दीपक चौधरी की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस हत्याकांड की विवेचना स्वयं थानाप्रभारी ने ही संभाली.

थानाप्रभारी अमित शर्मा ने परिजनों से पूछा कि सुभाषचंद की किसी से कोई रंजिश तो नहीं थी. इस सवाल के जवाब में परिजनों का कहना था कि वह काफी मिलनसार थे तथा वह सहकारिता की राजनीति में सक्रिय थे. वह इकबालपुर गन्ना समिति में निदेशक भी रह चुके थे. पुलिस को सुभाषचंद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी, जिस में उन की मौत का कारण गला कटना व गला कटने से ज्यादा खून निकलना बताया गया. काल डिटेल्स मिलने पर पुलिस ने जब सुभाषचंद के मोबाइल पर आए नंबरों की जांच की तो पुलिस को एक मोबाइल नंबर पर संदेह हुआ. वह नंबर सहारनपुर के थाना सदर अंतर्गत मोहल्ला गणेश विहार निवासी अरशद का था.

जब पुलिस ने अरशद के विषय में जानकारी जुटाई तो पुलिस को संदेह हो गया कि सुभाषचंद की हत्या में इस का हाथ हो सकता है. पुलिस के एक मुखबिर ने जानकारी दी कि 2 दिसंबर, 2019 को सुभाषचंद्र की एक्सयूवी-500 कार अरशद के घर के बाहर देखी गई थी. इस के अलावा मुखबिर ने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि अरशद तंत्रमंत्र का काम करता है. यह जानकारी मिलने पर एसएसपी ने थानाप्रभारी अमित शर्मा को अरशद से पूछताछ के निर्देश दिए. अगले दिन 5 दिसंबर, 2019 को थानाप्रभारी ने अरशद के गणेश विहार स्थित मकान पर पहुंच कर दरवाजे पर दस्तक दी. तभी एक युवक ने दरवाजा खोला. वह युवक पुलिस देख कर सकपका गया और घबरा कर अंदर की ओर भागा.

उसे भागता देख कर पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया और उस से पूछा कि तू कौन है तथा अरशद कहां है. युवक ने घबराते हुए बताया कि मेरा नाम वकील उर्फ सोनू है तथा अरशद यहीं दूसरे कमरे में बैठा हुआ है. जब पुलिस टीम के साथ वकील नाम का वह युवक अरशद के कमरे में पहुंचा तो वहां बैठे अरशद को माजरा समझते देर न लगी. अरशद पुलिस को देख कर थरथर कांपने लगा था. उन्होंने अरशद को हिरासत में ले लिया. थानाप्रभारी शर्मा ने उसी समय अरशद से पूछा, ‘‘2 दिसंबर को सुभाषचंद की कार तुम्हारे घर के पास देखी गई थी, उसी रात तुम सुभाष के साथ गांव नानका के पास गए थे और वहां उसी की कार में तुम ने उस की हत्या कर दी.’’

थानाप्रभारी के इस सवाल का अरशद कोई उत्तर नहीं दे सका और चुप हो गया. थोड़ी देर चुप होने के बाद अरशद बोला, ‘‘सर, आप को जब इस बारे में पता चल ही गया है तो आप से कुछ छिपाने से कोई फायदा नहीं है. मैं आप को इस बारे में सब कुछ बताता हूं.’’

इस के बाद अरशद ने पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार थी—

सुभाषचंद लोक निर्माण विभाग, रुड़की में ठेकेदार थे. वह अपने परिवार के साथ हरिद्वार के महेश्वरी गांव में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा दीपक और एक बेटी थी. करीब 2 साल पहले सुभाष के ही एक दोस्त अतीत कटारिया, निवासी गांव झबीरन, हरिद्वार ने उन की मुलाकात सहारनपुर के ही मोहल्ला गणेश विहार निवासी अरशद से कराई थी. अरशद तंत्रमंत्र का काम करता था. अतीत कटारिया ने उन्हें बताया कि यह पहुंचे हुए तांत्रिक हैं. उस ने बताया कि यह तंत्रमंत्र द्वारा रकम को कई गुना बना सकते हैं. लालची स्वभाव के सुभाषचंद को इस बात पर विश्वास हो गया तो उन्होंने अरशद को साढ़े 3 लाख रुपए दिए थे और इस रकम को एक करोड़ रुपयों में बदलने को कहा था.

2 महीनों तक सुभाषचंद की रकम नहीं बढ़ी तो उन्होंने तांत्रिक अरशद से अपने पैसे मांगे. अरशद पैसे दैने में आनाकानी करने लगा तो ठेकेदार ने उस पर दबाव बनाया. इतना ही नहीं, उस ने उस तांत्रिक को पैसे देने के लिए धमका भी दिया. इस से तांत्रिक अरशद बहुत चिंतित रहने लगा. इसलिए तांत्रिक अरशद ने अपने दोस्तों टीलू और वकील उर्फ सोनू के साथ मिल कर सुभाष ठेकेदार को ठिकाने लगाने की योजना बना ली. योजना के अनुसार, अरशद ने पहली दिसंबर, 2019 को सुभाषचंद को एक करोड़ रुपए ले जाने के लिए 2 बड़े थैले ले कर अपने घर बुलाया. 2 दिसंबर को सुभाषचंद खुश होते हुए अरशद के यहां पहुंचा. उसे उम्मीद थी कि आज अरशद उसे एक करोड़ रुपए दे देगा.

योजना के मुताबिक अरशद ने अपने घर पहुंचे सुभाष को अपनी बीवी फिरदौस से चाय बनवाई. अरशद की बेटियों आजमा व नगमा ने उस चाय में नशे की गोलियां मिला दीं. वह चाय सुभाषचंद को पीने को दी. चाय पीने के थोड़ी देर बाद सुभाष को बेहोशी सी छाने लगी तो उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया. रात होने पर अरशद के दोस्त वकील तथा टीलू भी वहां पहुंच गए. फिर सभी ने सुभाष को उठा कर उन की कार में डाला. अरशद और वकील कार ले कर सहारनपुर-देहरादून हाइवे पर गांव नानका के पास पहुंचे थे. टीलू भी बाइक से उन के पीछेपीछे पहुंच गया. सड़क किनारे कार खड़ी कर के उन्होंने सुभाषचंद को ड्राइविंग सीट पर बैठा दिया.

फिर टीलू ने गाड़ी के अंदर जा कर सुभाषचंद के हाथ पकड़ लिए और वकील ने सिर पकड़ कर पीछे की तरफ कर दिया. तभी अरशद ने ड्राइवर साइड की खिड़की खोल कर सुभाष का गला रेत दिया और चाकू से 3-4 प्रहार गरदन पर किए. सुभाषचंद को ठिकाने लगाने के बाद वे बाइक से घर लौट आए. अरशद से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने वकील से भी पूछताछ की तो उस ने भी अरशद के बयान की पुष्टि कर दी. अरशद व वकील की निशानदेही पर पुलिस ने सुभाषचंद की हत्या में प्रयुक्त चाकू, सुभाष के चाय में दी गई नशे की गोलियों का रैपर तथा अरशद के रक्तरंजित कपड़े अरशद के घर से ही बरामद कर लिए.

पुलिस ने इस केस में धारा 120बी व आर्म्स एक्ट की धारा 251/4 और बढ़ा दी. इस के बाद एसएसपी दिनेश कुमार पी. व एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्रा ने उसी दिन पुलिस लाइंस सभागार में प्रैसवार्ता आयोजित कर ठेकेदार सुभाषचंद की हत्या का खुलासा किया और दोनों आरोपियों को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया था. दूसरे दिन ही पुलिस ने इस हत्याकांड में आरोपी अरशद की पत्नी फिरदौस के अलावा उस की बेटियों अजमा व नगमा को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. छठा आरोपी टीलू, निवासी नवादा फरार हो चुका था. पुलिस उसे सरगरमी से तलाश रही थी.  कथा लिखे जाने तक थानाप्रभारी अमित शर्मा केस की विवेचना पूरी करने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट भेजने की तैयारी कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित