प्रेमियों के लिए मचलने वाली विवाहिता – भाग 2

दशरथ समझ नहीं पा रहा था कि आखिर रीना कहां गई होगी? वह कुणाल के साथ जब भी कहीं जाती थी, तब उसे इस बारे में बता जरूर बता देती थी.

आखिरकार दशरथ पत्नी एक फोटो ले कर पावई थाने गया. उस ने एसएचओ राजेंद्र सिंह परिहार को पूरी बात बताई और पत्नी की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. एसएचओ ने उसी वक्त से रीना की तलाश शुरू कर दी. मामला शादीशुदा महिला की गुमशुदगी का था, इसे देखते हुए पहले भदौरिया परिवार के सभी सदस्यों समेत रीना का मोबाइल नंबर ले कर उन की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स का अध्ययन करने के बाद पता चला कि रीना की बीते दिनों एक अनजान फोन नंबर पर अधिक समय तक बातचीत हुई. वह नंबर कुणाल पांडे का था. इस के बाद दशरथ समझ गया कि जरूर वह कुणाल के पास ही गई होगी.

यह जानकारी मिलते ही दशरथ आटो स्टैंड पर पहुंचा और वहां मौजूद आटो चालकों को जब रीना का फोटो दिखाया तो वहां मौजूद हरिओम नाम के ड्राइवर ने रीना को पहचान लिया. उस ने बताया कि वह महिला उस के आटो में बैठ कर बसस्टैंड तक गई थी, लेकिन वहां से वह कहां के लिए गई होगी, इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

इस जानकारी के बाद दशरथ ने बस कंडक्टरों को रीना की फोटो दिखा कर पूछताछ की. उन्हीं में से ग्वालियर से बनमौर रूट पर चलने वाली एक बस के कंडक्टर ने बताया कि वह महिला बनमौर तक उस की बस में सवार हो कर गई थी.

दशरथ ने थाने जा कर एसएचओ को सारी बात बताई. पवई पुलिस ने बनमौर बसस्टैंड से संबंधित थाने को इस की सूचना और रीना का फोटो भेज कर वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जानकारी मांगी. जल्द ही एक फुटेज में रीना एक बाइक पर सवार दिख गई, जिसे एक नवयुवक ले जाता दिखाई दिया.

बाइक का नंबर और युवक का चेहरा भी दिख गया था. दशरथ ने उस की पहचान कुणाल के रूप में की. बाइक के नंबर की मदद से पुलिस दशरथ को ले कर कुणाल के पास पहुंच गई.

वहां कुणाल और रीना मिल गए. दशरथ ने रीना को साथ चलने के लिए कहा, लेकिन उस ने उस के साथ जाने से साफ इनकार कर दिया. पुलिस दोनों को थाने ले आई. वहां उन से की गई पूछताछ में रीना ने बताया कि वह अपनी मरजी से कुणाल के साथ आई है और आगे भी उसी के साथ रहना चाहती है.

पति दशरथ भदौरिया के हाथ क्यों रह गए खाली

दशरथ ने उसे बच्चों का हवाला देते हुए साथ चलने की विनती की, लेकिन रीना अपनी जिद पर अड़ी रही. पुलिस ने कागजी काररवाई कर रीना और उस के प्रेमी को छोड़ दिया. दशरथ को इस मामले में अदालती काररवाई की सलाह दी. मायूस दशरथ अपने घर लौट आया.

दशरथ का दिल टूट गया और भारी मन से रीना को उस के प्रेमी के भरोसे छोड़ दिया. तीनों बच्चों को कुछ दिनों के लिए उन के ननिहाल भेज दिया.

रीना भदौरिया और कुणाल के लिए अच्छी बात यह हुई कि दशरथ के रूप में उन के प्यार की बाधा खत्म हो गई थी. कुणाल बनमौर में नौकरी करता था. उस ने अपनी आमदनी से रीना को खुशहाल जिंदगी देने का वादा किया, लेकिन उस ने विवाह की औपचारिकता पूरी नहीं की. न तो उस के साथ मंदिर में जा कर उस के गले में वरमाला डाली और न ही कोर्टमैरिज के लिए कोई पहल की. दोनों का दांपत्य जीवन लिवइन रिलेशन की बुनियाद पर टिक गया.

सब कुछ रीना की महत्त्वाकांक्षा के अनुरूप चलने लगा. रीना ने महसूस किया कि जैसे उसे खुशियों और आजादी के पंख लग गए हों. वह अपनी मनमरजी का जीवन गुजारने लगी थी. लेकिन कहते हैं न कि सुख की समय सीमा बहुत जल्द कम होने लगती है. ऐसा ही रीना के साथ भी हुआ.

कुणाल जब रोजीरोटी के लिए नौकरी और ड्यूटी को प्राथमिकता देने लगा, तब रीना ने कुछ अच्छा महसूस नहीं किया. उसे लगा कि जैसे उस की खुशियां कम हो रही हैं.

कुणाल के साथ रहते हुए उसे कई बार बोरियत भी महसूस होने लगी. कारण कुणाल सुबह 10 बजे खाना खा कर अपनी ड्यूटी पर चला जाता था और रात 8 बजे कमरे पर लौटता था. रीना का घर पर अकेले मन नहीं लगता था. वह खुले विचारों वाली थी. घूमनाफिरना, होटल में खाना खाना, पार्क, मौल आदि में जाने की आदत लगी हुई थी. उस में कमी आने से वह उदास रहने लगी थी.

कुणाल अब छोटीछोटी बातों और घरेलू खर्च को ले कर रीना को जिम्मेदार ठहराने लगा था. रोजाना किसी न किसी बात को ले कर उन के बीच कहासुनी होने लगी थी.

घरेलू क्लेश से रीना दिन भर कमरे में अकेली पड़ी परेशान होती रहती थी. वह विचलित हो जाती थी कि आखिर अपनी पीड़ा किसे सुनाए. वहां कोई भी उस का हमदर्द नहीं था, जिसे अपने गम की बात सुनाए. दिल का दुखड़ा बताए. ऐसे में रीना को अपने लिए गए फैसले पर पछतावा होने लगा. अपने बच्चों और पति की याद भी उसे सताने लगी, लेकिन अब इतना सब हो जाने के बाद पति के पास वापस लौटना संभव नहीं था.

अपनी बदली हुई जिंदगी से निराश रीना की मुलाकात मार्केट में एक दिन सुरेंद्र धाकड़ नाम के युवक से हो गई. वह टैंपो चलाता था. उस की लच्छेदार और मीठी बातों ने रीना का मन मोह लिया था. अंत में रीना ने अपनी आदत के मुताबिक अपना नाम बताया और मोबाइल नंबर भी दे दिया. खुशमिजाज टैंपो वाले ने रीना का कुछ समय की यात्रा में ही दिल जीत लिया था.

कौन बना रीना का अगला प्रेमी

सुरेंद्र ठंडी हवा के झोंके की तरह रीना भदौरिया को छू कर चला गया था. उसे कई दिनों तक उस की बातें याद आती रहीं. एक रोज उस ने उसे फोन कर दिया. रीना उसे बसस्टैंड के मार्केट में आने के लिए बोली. सुरेंद्र तुरंत सौरी बोलता हुआ बोला, ”मैडम, मैं अभी ग्वालियर अपने कमरे पर हूं. आज में अपनी सेवा नहीं दे सकता. माफी चाहता हूं.’’

एक टैंपो चालक द्वारा इस तरह तमीज से बातें करना रीना के दिल को छू गया. 2 दिनों बाद सुरेंद्र एक बार फिर रीना को मार्केट में टकरा गया. कुछ घरेलू सामान के साथ रीना बाजार में सड़क के किनारे बैठी थी. वह खोई खोई थी. तभी सुरेंद्र ने अचानक उस के सामने टैंपो रोक दिया था. एक बार फिर उस रोज के लिए सौरी बोला और हालचाल पूछ बैठा.

रीना अचानक सुरेंद्र को देख कर चौंक पड़ी. कुछ बोलने से पहले ही सुरेंद्र बोला, ”देवी मंदिर चलना है मैडम! आज वहां मेला लगता है. चलिए वहां घुमा लाता हूं. ज्यादा किराया नहीं लूंगा. वैसे भी खाली जा रहा हूं.’’

रीना से जिस मंदिर के बारे में पूछा, संयोग से वह उस के घर के रास्ते में ही आगे कुछ दूरी पर था. तुरंत ही वह सुरेंद्र के साथ जाने के लिए तैयार हो गई.

उस दिन रीना ने महसूस किया कि उस के दिल की बात सुरेंद्र सुन सकता है. उस रोज नहीं चाहते हुए भी रीना मंदिर में कुछ समय सुरेंद्र के साथ रही. उस के साथ पूजा में हिस्सा लिया और पास के एक ढाबे में चायनाश्ता भी किया. यह सब सुरेंद्र को भी अच्छा लगा था.

रीना उस के साथ फोन पर भी बातें करने लगी. अपनी समस्याएं बताने लगी थी, जिस का सुरेंद्र दार्शनिक अंदाज में जवाब देने लगा था. एक दिन सुरेंद्र उसे ग्वालियर अपने कमरे पर ले गया. रीना के कदम पहले से ही बहके हुए थे.

उसे हमेशा महसूस होता था कि वह प्यार की भूखी है. थोड़ी सी हमदर्दी मिलते ही उस ओर मुड़ जाती थी. प्यार पाने की यही लालसा उसे कुणाल तक खींच लाई थी. जब कुणाल से जी ऊबने लगा, तब वह सुरेंद्र में अपना प्यार तलाशने लगी. एक मर्द से दूसरे मर्द की बाहों में जाने के बाद मिलने वाली उपेक्षा और असफलता का उसे कोई मलाल नहीं होता था.

प्रेमियों के लिए मचलने वाली विवाहिता – भाग 1

थोड़ी देर में रीना बस से बनमौर के लिए निकल चुकी थी. उधर उस का प्रेमी कुणाल वहां उस के इंतजार में था. रीना के बनमौर पहुंचने पर उसे बस स्टैंड पर ही कुणाल बाइक लिए खड़ा मिल गया. उसे देख कर रीना के चेहरे पर चमक आ गई. कुणाल ने सहजता से पूछा, ”कोई परेशानी तो नहीं हुई? किसी ने देखा तो नहीं?’’

रीना ने कुछ बोले बगैर कुणाल को अपना बैग पकड़ा दिया. कुणाल ने उसे अपनी गोद में रख कर दोनों हाथों से बाइक का हैंडल पकड़ कर बोला, ”बैठो, दुपट्टा संभाल लेना.’’

इसी के साथ रीना तुरंत बाइक पर बैठ गई. दोनों ने घर पहुंचने से पहले रास्ते में एक ढाबे पर खाना खाया और फिर कुणाल ने उस रात अपनी हसरतें पूरी कीं. रीना भी कुणाल का साथ पा कर निहाल हो गई. दोनों ने बिनब्याह के सुहागरात मनाई.

रीना मध्य प्रदेश के भिंड जिले के इंगुरी गांव के रहने वाले साधारण किसान दशरथ भदौरिया की पत्नी थी. कजरारी आंखों वाली सुंदर पत्नी को पा कर दशरथ बेहद खुश था. रीना की इस खूबसूरती का दीवाना उस के पति दशरथ के अलावा एक और युवक कुणाल पांडे भी था.

वह इंगुरी का नहीं था, लेकिन रीना और दशरथ के पड़ोस में रहने वाले शुक्ला परिवार में उस का अकसर आनाजाना लगा रहता था. एक दिन उस की भी नजर रीना पर पड़ गई. तभी से वह उस का दीवाना हो गया था.

शादीशुदा होने के बावजूद क्यों बहकी रीना

पहली बार में ही दोनों के दिलोदिमाग में खलबली मच गई थी. उन्होंने एकदूसरे के प्रति खिंचाव महसूस किया था. कुणाल कुंवारा था, उस ने कुंवारेपन की कसक के साथ रीना की सुंदरता और कमसिन अदाओं को महसूस किया था.

कुणाल के बांकपन और बलिष्ठ देह को देख कर रीना के दिमाग के तार भी झनझना उठे थे. दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं. गुदगुदी होने लगी थी. उस से मिलने को बेचैन हो गई थी, जबकि वह 7 साल की ब्याहता थी, 3 बच्चे थे. उस की कुछ हसरतें थीं, जो पूरी नहीं हो रही थीं. वह खुद को खूंटे से बंधी गाय ही समझती थी.

ऐसा लगता था जैसे उस के सारे मंसूबे धरे के धरे रह जाएंगे. जवानी यूं ही सरकती चली जाएगी. मनचाही खुशियां नहीं मिल पाएंगी. एक दिन कुणाल से मिलने के बाद तो उस का मन और भी बेचैन हो गया था. रीना और कुणाल के बीच पनपे प्यार के बढऩे का यह शुरुआती दौर था, किंतु जल्द ही दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए. यहां तक कि कुणाल उसे अपनी बाइक से जबतब पास के शहर ले कर जाने लगा. इस में उस के पति दशरथ की सहमति थी.

वह कुणाल को सिर्फ पड़ोसी शुक्लाजी का रिश्तेदार और अपना हमदर्द समझता था. इस वजह से वह कुणाल पर भरोसा करता था. जब भी रीना कुछ खरीदारी करने के लिए शहर जाने की बात कहती थी, तब वह उसे कुणाल के साथ जाने की अनुमति दे देता था. किंतु उसे इस बात का जरा भी आभास नहीं था कि रीना क्या गुल खिला रही है.

कुणाल और रीना एकदूसरे को बेहद चाहने लगे थे. रीना अपना दिल पूरी तरह से कुणाल को सौंप चुकी थी. दूसरी तरफ दशरथ के साथ उस की जिंदगी उबाऊ बनती जा रही थी. घर में छोटीछोटी बातों को ले कर चिकचिक होने लगी थी.

रीना जब कभी कुणाल के साथ किसी रेस्टोरेंट में एक साथ कोई पसंदीदा डिश खा रही होती, तब चम्मच से निवाले के साथसाथ अपनी सारी समस्याएं भी उस से साझा कर लेती थी. कुणाल उस के इसी प्रेम का दीवाना बन चुका था और उस के साथ अपनी हसरतें पूरी करने का हसीन सपना देखने लगा था. उस पर पैसा खर्च करने में जरा भी कंजूसी नहीं करता था.

कुणाल मध्य प्रदेश के औद्योगिक इलाके बनमौर में रहता था. वह वहीं एक कंपनी में काम करता था. रीना का गांव बनमौर से करीब 400 किलोमीटर दूर था. इस कारण उन का मिलनाजुलना महीने 2 महीने में ही हो पाता था, लेकिन वे फोन से अपने दिल की बातें करते रहते थे.

कुणाल एक बार करीब 3 महीने बाद रीना से मिला था. तब बातोंबातों में रीना ने लंबे समय बाद मिलने के शिकायती लहजे में साथ रहने की बात रखी. कुणाल भी चुप रहने वाला नहीं था, झट से बोल पड़ा था, ”मैं तो हमेशा तैयार हूं. मेरे पास बनमौर आने का फैसला तुम्हें लेना है.’’

”पति को क्या कहूं?’’ रीना मासूमियत के साथ बोली.

”दशरथ को साफसाफ हमारे तुम्हारे प्रेम के बारे में बता दो.’’ कुणाल ने समझाया.

”लेकिन मैं कैसे कहूं उस से. कहने पर बच्चों का हवाला दे कर रोक देगा.’’ रीना बोली.

”तो फिर एक ही उपाय है,’’ कुणाल ने कहा.

”वह क्या?’’ रीना ने सवाल किया.

”उसे बिना बताए मेरे पास चली आओ… जब वह हम लोगों से मिलेगा, तब उसे हाथ जोड़ कर समझा देंगे.’’ कुणाल ने समझाया. उस के बाद वह बनमौर लौट गया.

रीना कई दिनों तक उलझी रही. कभी बच्चे का विचार सामने आ जाता था तो कभी पति के साथ गुजर रही रूखी जिंदगी. वह काफी उलझन में थी. उसे डर लगने लगा था कि घर छोड़ कर कुणाल के पास जाना कहीं भविष्य में उस के लिए कोई खतरा न बन जाए.

काफी सोचविचार करने के बाद रीना ने एक रोज कुणाल को फोन कर कहा, ”आज दोपहर मैं ने घर की देहरी लांघने का फैसला कर लिया है.’’

रीना भदौरिया के इस फैसले पर कुणाल ने उसी वक्त आगे की योजना समझा दी. अगले रोज दोपहर के समय रीना तेजी से घरेलू काम निपटाने में लगी हुई थी. घर में कोई नहीं था. पति खेत पर गया हुआ था और बच्चे स्कूल जा चुके थे. वह बरतनों को साफ करने और करीने से रखने के बाद फटाफट अपने बैग में कपड़े ठूंसने लगी. पति की नजरों से बचा कर रखे गए कुछ पैसे भी बैग में संभाल कर रख लिए. फिर वह बस पकड़ कर प्रेमी कुणाल के पास पहुंच गई.

उधर दशरथ अपने बच्चे के साथ बेचैन था. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर रीना अचानक बिना कुछ बताए कहां चली गई. दशरथ रीना को बारबार फोन मिला रहा था, वह स्विच्ड औफ आ रहा था. दशरथ ने इटावा में रीना के मायके से संपर्क किया. वहां रीना के नहीं पहुंचने की जानकारी से वह बेचैन हो गया कि अखिर वह कहां चली गई? उस का फोन क्यों बंद आ रहा है?

दशरथ आसपास के लोगों से भी पत्नी के बारे में पूछताछ कर चुका था. ससुराल में कई बार फोन करने पर हर बार निराशा ही हाथ लगी थी. यहां तक कि शुक्लाजी के यहां जा कर कुणाल के आने के बारे में भी पूछा था. उन से मालूम हुआ था कि वह महीनों से उन के पास नहीं आया है.

प्रेमी की खातिर : पति को दी मौत

मध्य प्रदेश के जिला ग्वालियर के अशोक नगर में स्थित त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर हिंदुस्तान भर में  प्रसिद्ध है. इस के अलावा यहां उत्पन्न होने वाले शरबती गेहूं की वजह से इस शहर की विश्व भर में पहचान है. इसी शहर में वार्ड नंबर 15 के अंतर्गत आने वाले हिरियन टपरा पठार मोहल्ला में सौरभ जैन अपने परिवार के साथ रहता था.

पेशे से सौरभ सेल्समैन का काम करता था, अत: सुबह 10 बजे खाना खा कर घर से निकलने के बाद उस का देर रात को ही घर लौटना होता था.

रिचा ने अपने अच्छे व्यवहार से अपनी सास और देवर का मन मोह लिया था. ससुराल में रिचा की सभी तारीफ करते थे, इस से रिचा बेहद ख़ुश थी, रिचा ने अपने दिल में ढेरों सपने संजोए थे. वह दुनिया की वे सब खुशियां पाना चाहती थी, जो एक लड़की चाहती है.

शादी के बाद सौरभ और रिचा बेहद खुश थे. शादी के 9 साल कब बीत गए,पता ही नहीं चला. इसी बीच रिचा एक बेटे की मां बन गई, बेटा पैदा होने के बाद घर में खुशी और बढ़ गई. रिचा का समय बच्चे के लालनपालन में व्यतीत होने लगा.

रिचा अपने जीवनसाथी के साथ ख़ुश थी, लेकिन कोरोना काल में फेसबुक पर चैटिंग के दौरान दीपेश भार्गव से दोस्ती हो जाने के बाद रिचा के व्यवहार में अचानक काफी बदलाव आ गया था, जिस के चलते घर में हर समय कलह रहने लगी.

सौरभ को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि रिचा उस के और उस के घर वालों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है. ऐसी स्थिति में आखिरकार वह क्या करे. रोजरोज की किचकिच से परेशान हो कर सौरभ ने एक दिन अपनी मां को रिचा के बदले व्यवहार के बारे में बताया. मां ने बेटे को ही समझाया कि आज नहीं तो कल सब ठीक हो जाएगा.

समय अपनी गति से गुजरता रहा, लेकिन रिचा के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया. दिन प्रतिदिन पति पत्नी में कलह बढ़ती ही गई. रिचा के व्यवहार को देख कर सौरभ सोचता था कि इस से तो वह बिना शादी के ही हंसीखुशी से जीवन गुजार लेता.

27 वर्षीय रिचा जैन बालाजी धाम कालोनी में रहने वाले 35 वर्षीय सौरभ जैन की पत्नी थी. बात तकरीबन 3 साल पुरानी 2020 में कोरोना महामारी में लगे लौकडाउन के समय की है. उसी दौरान रिचा की विदिशा के भटौली निवासी दीपेश भार्गव से फेसबुक पर चैटिंग के दौरान दोस्ती हो गई थी.

रिचा के कहने पर एक दिन दीपेश भार्गव रिचा से मिलने अशोक नगर आया. रिचा के बात करने के खुले लहजे और उस की खूबसूरती से वह बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ. उस पर अपना प्रभाव जमाने के लिए गजब के चालाक दीपेश ने खुद को एक बड़े रईस परिवार से ताल्लुक रखने वाला बताया.

उस ने अपने पिता का विदिशा में बहुत बड़ा इलेक्ट्रौनिक शोरूम होना भी बताया. दीपेश ने रिचा को अपनी बातों के जाल में फंसा कर अपना दोस्त बना लिया था. जैसेजैसे समय गुजरता गया, रिचा और दीपेश की सोच में बदलाव आता गया.

धीरेधीरे उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. दोस्ती और प्यार तक तो ठीक था, लेकिन दोनों के कदम मर्यादा की दीवारों को लांघ चुके थे. उन के बीच शारीरिक संबंध तक बन गए थे. हालात बिगड़ने तब शुरू हुए, जब दीपेश रिचा से मिलने उस के घर भी आने लगा और रुकने भी लगा.

अभी तक तो रिचा और दीपेश के संबंध सौरभ और उस के घर वालों से पूरी तरह छिपे हुए थे, क्योंकि रिचा ने ससुराल वालों को दीपेश को अपना मुंहबोला भाई बताया. सौरभ का बेटा भी दीपेश को मामा कहता था, अत: शुरुआत में दीपेश की खूब आवभगत हुई थी.

इसी रिश्ते की आड़ में पति की गैरमौजूदगी में मौका मिलते ही रिचा और दीपेश अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे, क्योंकि सौरभ और उस के घर वालों के मन में रिचा के प्रति अविश्वास जैसी कोई बात नहीं थी. हालांकि रिश्तों के विश्वास के मामले में सौरभ अपने ही घर में पत्नी से धोखा खा रहा था.

ऐसी बातें छिपी नहीं रहतीं, एक दिन सौरभ ने रिचा और दीपेश को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया तो उस ने रिचा को जम कर लताड़ा और उसे ऊंचनीच समझाई तो मौके की नजाकत को समझते हुए रिचा ने दीपेश से अपने रिश्ते खत्म करने की बात कह कर झूठी कसमें भी खा लीं और वादा किया कि वह आइंदा ऐसा कुछ भी नहीं करेगी, लेकिन वह उस पर लंबे समय तक कायम नहीं रह सकी.

कसमें और वादे मात्र दिखावा थे, बात आईगई हो गई. उधर रिचा और दीपेश का प्यार परवान चढ़ा तो रिचा का मोह अपने पति से भंग होने लगा. इतना ही नहीं, उस ने पति के साथ बेवफाई कर डाली. रिचा ने घर से भाग कर लिवइन रिलेशनशिप में रहने का फैसला भी कर लिया था.

पति के पास वापस क्यों आई रिचा

31 मार्च 2022 को मौका मिलते ही रिचा अपने 8 वर्षीय बेटे को अपने साथ ले कर प्रेमी दीपेश के साथ ससुराल से भाग गई. तकरीबन 2 महीने तक रिचा और दीपेश लिवइन रिलेशनशिप में रहे.

एक दिन रिचा ने अपने पति सौरभ को फोन कर के कहा, ”मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है, वहीं तुम्हारा बेटा शौर्य भी तुम्हारे पास जाने की हठ करता है. उसे दीपेश के पास रहना कतई अच्छा नहीं लगता. मैं और तुम्हारा बेटा तुम्हारे पास वापस लौटना चाहते हैं.’’

भोलाभाला सौरभ अपनी फरेबी पत्नी के शैतानी दिमाग में मच रही साजिश को नहीं समझ सका, बल्कि रिचा के अंदर आए इस बदलाव से वह काफी खुश हुआ. कोमल दिल के सौरभ ने पत्नी को माफ कर दिया और नए तरीके से जिंदगी शुरू करने का ख्वाब देखने लगा. वह पत्नी रिचा और बेटे शौर्य को पुन: अपने साथ रखने को तैयार हो गया.

रिचा के प्रेमी के पास से लौट कर आने के बाद सौरभ सोचता था कि सब कुछ पहले की तरह ठीक हो जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ. ठीक होने के बजाए घर में कलह बढ़ गई. रोजरोज की कलह से परेशान हो कर सौरभ रिचा के दबाव में घर वालों से नाता तोड़ कर अशोक नगर के ही हिरियन के टपरा  में किराए पर कमरा ले कर रहने लगा.

यहां पर कुछ दिन रहने के बाद बालाजी धाम और फिर कोलुआ रोड पर रहने पहुंच गया था. यहीं पर रिचा ने अनेक बार ‘दृश्यम’ फिल्म देखने के बाद प्रेमी के साथ मिल कर पति की हत्या की वारदात को अंजाम  देने की योजना बनाई.

इसी योजना के तहत घर वालों से नाता तोड़वाने के बाद उस के हिस्से में मिली 5 बीघा जमीन की जनवरी, 2023 में साढ़े 11 लाख रुपए में बिकवा दी. फिर पति के नाम एक ट्रैक्टर फाइनेंस कराने के बाद पति का जीवन बीमा भी करा दिया. शेष बची रकम अपने नाम करा ली.

किस तरह से दिया हत्या को अंजाम

ट्रैक्टर और जीवन बीमा पालिसी के पैसे हड़पने के लालच में रिचा ने अपने पति के घर वालों से पति का नाता तुड़वाने के साथ ही बोलचाल भी बंद करा दी थी. हालांकि सौरभ मां के बुलाने पर रिचा से छिप कर अपनी मां से मिलने घर पर आता रहता था. सौरभ का छोटा भाई विनीत भी जब तब सौरभ के दोस्तों से सौरभ के हालचाल पूछ लिया करता था.

इत्तफाक से फरवरी माह में सौरभ के हाथ में फै्रक्चर हो गया तो अपनी योजना को अंजाम देने के लिए रिचा ने अशोक नगर के ही दिनेश शर्मा की स्विफ्ट डिजायर कार भोपाल के लिए बुक की.

21 फरवरी, 2023 की सुबह रिचा अपने पति को बेहतर इलाज कराने जाने के बहाने कार ले कर अशोक नगर से पति को ले कर भोपाल के लिए निकली. सौरभ को क्या पता था कि पत्नी और उस के प्रेमी के मन में क्या चल रहा है. खतरे से अंजान सौरभ ने सहज भाव से भोपाल चलने की हामी भर दी.

जैसे ही कार विदिशा जिले के शमशाबाद स्थित कोलुआ गांव में पहुंची, रिचा ने ड्राइवर से यह कहते हुए कार रोकने को कहा कि अब हम लोगों का इरादा बदल गया है. आज सिरोंज में रुकने के बाद दूसरे वाहन से भोपाल जाएंगे, इसलिए तुम अपने पैसे ले लो और अशोक नगर वापस लौट जाओ.

पैसे ले कर ड्राइवर के जाते ही रिचा और उस का प्रेमी सौरभ को सुनसान जगह पर ले गए. फिर दोनों ने बड़ी बेरहमी से पत्थर से सौरभ का सिर कुचल कर मौत के घाट उतार दिया और उस के बाद सौरभ की लाश विदिशा जिले के शमशाबाद की एक खंती में फेंक दी.

इस के बाद वह ससुराल वालों को बिना कुछ बताए प्रेमी के साथ लंबे समय के लिए उज्जैन, अयोध्या, खाटूश्यामजी, शिरडी की तीर्थयात्रा पर निकल गई.

तीर्थयात्रा से लौट कर वह और प्रेमी के साथ सिरोंज में रहने लगी. कुछ समय बाद रिचा के मातापिता भी उस के साथ रहने लगे. रिचा ने 5 जून को बोगस पंचनामा और मृत्यु प्रमाणपत्र तक बनवा लिया. 5 महीने बाद घर वालों को सौरभ की मौत का पता उस वक्त चला, जब रिचा 10 जुलाई, 2023 को अपने बेटे शौर्य की टीसी लेने के लिए पति का मृत्यु प्रमाणपत्र ले कर उस के स्कूल पहुंची.

तब टीचर ने रिचा से बेटे की अचानक टीसी निकलने की वजह पूछी तो रिचा ने बताया कि शौर्य के पिता का एक्सीडेंट हो जाने से निधन हो गया है, इस वजह से टीसी चाहिए.

सौरभ की हत्या की बात कैसे आई सामने

वह शिक्षिका सौरभ के पैतृक घर के पड़ोस में ही रहती थी. इसलिए उसे रिचा की बात पर भरोसा नहीं हुआ तो उस ने रिचा से कहा कि टीसी तो आप को कल मिल सकेगी. स्कूल से लौटने पर शिक्षिका ने सौरभ की मां को बताया कि आज सौरभ की पत्नी रिचा स्कूल आई थी. बता रही थी कि सौरभ का एक्सीडेंट हो जाने से निधन हो गया है.

यह सुनते ही मां सन्न रह गई. सौरभ की मां ने किसी तरह अपने आप को संभाला और अपने छोटे बेटे विनीत को इस बारे में बताया. विनीत को भी विश्वास नहीं हुआ कि उस के भाई का निधन हो गया है. वह असलियत का पता लगाने के लिए दूसरे दिन अपने भतीजे शौर्य के  सेंट थामस स्कूल जा पहुंचा.

जैसे ही सौरभ की पत्नी रिचा बेटे की टीसी लेने स्कूल पहुंची, विनीत ने भाभी से पूछा कि भैया कहां हैं?

रिचा ने बेझिझक हो कर बताया कि उन का तो 21 फरवरी, 2023 को ही ऐक्सीडेंट में निधन हो गया. उन का वहीं पर अंतिम संस्कार कर दिया था.

भाभी के मुंह से यह सुन कर विनीत दंग रह गया. उस से ज्यादा बहस करने के बजाय विनीत ने अपने रिश्तेदारों को इकट्ठा किया और सीधे अशोक नगर के एसपी अमन सिंह राठौड़ से मिलने उन के कार्यालय में जा पहुंचा.

विनीत ने उन्हें बताया, ”सर, मुझे पिछले 5 महीने से अपने बड़े भाई के बारे में कुछ भी पता नहीं चल रहा है. मुझे अपनी भाभी और उन के प्रेमी दीपेश भार्गव पर शक है कि दोनों ने मिल कर उन की हत्या कर दी है.’’

एसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मामले का जल्द से जल्द खुलासा करने की जिम्मेदारी कोतवाल नरेंद्र त्रिपाठी को सौंप दी. त्रिपाठी के नेतृत्व में एएसआई अवधेश रघुवंशी, हैडकांस्टेबल शैलेंद्र रघुवंशी तथा टीम के सदस्यों ने कड़ी से कड़ी जोड़ कर फरार रिचा और उस के प्रेमी को गंज बासौदा से गिरफ्तार कर लिया.

उन से थाने में पूछताछ की गई तो पूछताछ के दौरान रिचा और उस के प्रेमी दीपेश ने एक नहीं, कई झूठ बोले थे. उन में सब से बड़ा झूठ तो यही बोला था कि सौरभ की हत्या करने के बाद उस के शव के टुकड़े करने के बाद बालाजी कालोनी में मकान की छत पर जला दिए थे, लेकिन पुलिस की पड़ताल के दौरान उक्त स्थान पर शव जलाए जाने का कोई सबूत नहीं मिला.

फिर रिचा के प्रेमी ने बताया कि सौरभ का अंतिम संस्कार अशोक नगर के श्मशान घाट में किया था. श्मशान घाट का रिकौर्ड देखने पर यह बात भी झूठी साबित हुई, क्योंकि वहां के रजिस्टर में सौरभ का नाम दर्ज नहीं था.

कोतवाल नरेंद्र त्रिपाठी ने रिचा और दीपेश की बताई कहानी पर भरोसा न कर के विदिशा, सागर और गुना पुलिस से 21 फरवरी से 23 मार्च के बीच मिली अज्ञात लाशों के संबंध में वायरलैस पर मैसेज भेज कर जानकारी ली.

इस पर शमशाबाद पुलिस ने बताया कि 23 फरवरी को किसी युवक का शव मिला था. वह फोटो सौरभ के भाई को दिखाए तो फोटो देखते ही उस ने शव की शिनाख्त बड़े भाई सौरभ जैन के रूप में कर दी.

शव की शिनाख्त हो जाने के बाद कोतवाल नरेंद्र त्रिपाठी ने उन दोनों से फिर से पूछताछ की. इस बार सख्ती बरती तो दोनों टूट गए और उन्होंने सौरभ की हत्या की बात कुबूल कर ली. पुलिस ने रिचा और दीपेश के खिलाफ सौरभ की हत्या का मामला दर्ज कर दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया.

शातिर दिमाग रिचा और दीपेश भार्गव को उम्मीद थी कि सौरभ की हत्या पहेली बन कर रह जाएगी और वे कभी नहीं पकड़े जाएंगे. उधर अशोक नगर एसपी अमन सिंह राठौड़ ने केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है.

रोमानिया का जालसाज : एटीएम क्लोनिंग से अकाउंट साफ

पति की आशिकी का अंजाम

रोमानिया का जालसाज : एटीएम क्लोनिंग से अकाउंट साफ – भाग 3

भोपाल और इंदौर में बैठे लोगों के मोबाइल पर पैसा निकलते ही मैसेज आने लगे तो लोग चौंक गए कि वह तो कभी दिल्ली गए ही नहीं और एटीएम उन की जेब में है. ऐसे में दिल्ली के एटीएम से किस ने उन के पैसे निकाल लिए. इस के बाद 15 दिन के भीतर 100 से ज्यादा लोगों ने साइबर फ्रौड की शिकायतें इंदौर-भोपाल में कीं.

12वीं पास आयोनियल साइबर फ्रौड करने के मामले में इतना शातिर था कि वह स्कीमर से एटीएम के क्लोन बना लेता था. एटीएम के जरिए किसी के अकाउंट से पैसे निकालने के लिए पासवर्ड जानने  के लिए उस ने फिरोज के जरिए एटीएम मशीन के कीपैड के ऊपर लगने वाले कई प्लेट्स मंगवाए. इन प्लेट्स के बीच में स्पैशल कैमरा फिट किया.

ये कैमरा एक माइक्रो एसडी कार्ड और छोटी बैटरी से कनेक्टेड था. आयोनियल ने कैमरे से लैस प्लेट्स को एटीएम मशीन के कीपैड पर कुछ इस तरह सेट किया कि सीधे इस की नजर पासवर्ड वाले नंबर्स पर ही पड़े.

इस के बाद दोनों सुबह से शाम तक उस एटीएम के बाहर ही भटकते रहते थे, जहां ये डिवाइस फिट करते थे. दोनों कैमरे की बैटरी खत्म होने से पहले ही प्लेट निकाल लेते थे. इस के बाद ट्रांजैक्शन टाइमिंग के हिसाब से हिडन कैमरे में रिकौर्डेड कोड को मैच करते थे. जिस कार्ड का पास कोड मैच होता, उस का क्लोन तैयार कर के रख लेते थे.

आरोपी ने भोपाल आ कर बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम बूथों की रेकी की. फिर सुनसान जगह पर लगे बूथ में स्कीमिंग डिवाइस के साथ हिडन कैमरे फिट किए. इस के जरिए उन्होंने डाटा चुराया. इस के बाद वह पुराने गिफ्ट कार्ड का इंतजाम करते थे, इस में चुराए गए खाताधारक का डाटा डिजिटल एमएसआर (एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार करने वाली मशीन) से उस में भर देते थे.

इस काम में आयोनियल मिउ माहिर था.उस ने रोमानिया में ही यह सब सीखा था. बाद में हिडन कैमरे की मदद से पिन नंबर हासिल कर लेते थे और फिर क्लोन कर बनाए नए एटीएम से बूथ में जा कर रुपए निकालते थे.

रोमानियन नागरिक आयोनियल मिउ मईजून महीने में भोपाल आया था. इस दौरान रातीबड़ के गांव मैंडारा में औनलाइन ऐप का उपयोग कर वह होम स्टे में रुका था. उसे रुकवाने और कार का इंतजाम फिरोज ही करवाता था. वह अपने ही दस्तावेज उस के नाम के साथ लगाया करता था.

आयोनियल मिउ का पासपोर्ट और वीजा तो पुलिस के पास 6 साल से जब्त है. मिउ पर 2017 में 2 साइबर अपराध मुंबई में दर्ज हैं, फिलहाल वह जमानत पर है, उस की जमानत भी फिरोज ने करवाई थी.

जालसाजों ने बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम को ही क्यों चुना

मास्टरमाइंड आयोनियल मिउ रोमानिया और यूरोपियन जालसाजों के गिरोह में रह कर काम कर चुका है. वह विदेश से क्लोनिंग मशीन और हिडन कैमरे ले कर आया था. उक्त क्लोनिंग कियोस्क पुरानी तकनीक की हैं, जो मैग्नेटिक एटीएम कार्ड का डाटा ही कैप्चर कर सकती हैं. बैंक औफ बड़ौदा की कुछ पुरानी एटीएम मशीनें हैं. जालसाज के पास जो मशीनें थीं, वह पुरानी डिजाइंस के एटीएम मशीनों में ही लग सकती थी, इस कारण वह बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम कियोस्क को चुनता था.

रोमानिया के आयोनियल के पास जो स्कीमर मशीन थी, वह चिप वाले एटीएम डिवाइस का क्लोन तैयार नहीं कर सकती थी. बैंक औफ बड़ौदा के कुछ खाताधारक अब भी पुराने ढर्रे के एटीएम काड्र्स उपयोग कर रहे थे. पुराने एटीएम कार्ड में चिप नहीं लगी थी, इन के पीछे ब्लैक कलर की एक मैग्नेटिक स्ट्रिप होती थी, जिसे एटीएम मशीन रीड करती थी.

इस के अलावा जिन एटीएम कियोस्क में डिवाइस फिट किए गए, वो भी अपडेटेड नहीं थी. इस कारण यहां से डाटा चुराना आसान था. यही कारण था कि आयोनियल ने बैंक औफ बड़ौदा को चुना.

रोज 50 हजार की कोकीन का सेवन करता था आयोनियल

जालसाज गिफ्ट वाउचर वाले कार्ड को एमएसआर मशीन से एटीएम के रूप में बनाता था. स्कीमिंग डिवाइसेस से एटीएम कार्ड की जानकारी लेता था. उसी समय ग्राहक द्वारा डाले गए पिन नंबर की जानकारी वह मशीन की स्क्रीन के ऊपर लगाए गए हाई रिजोल्यूशन कैमरे से निकाल लेता था. दोनों के डाटा को मैच करने के बाद वह एसएमआर मशीन से उक्त डाटा को गिफ्ट वाउचर के कार्ड में डालता था, जिस के बाद एटीएम कार्ड के रूप में इस्तेमाल कर पैसे निकालता था.

पूछताछ में पता चला है कि जालसाज आयोनियल मिउ ड्रग्स का आदी था. वह रोज 40 से 50 हजार रुपए की कोकीन या अन्य सिंथेटिक ड्रग्स का सेवन करता था. डीसीपी ने बताया कि हैवी ड्रग एडिक्ट होने के कारण भोपाल में जब रहने आया तो करीब एक महीने के उपयोग के लिए अपने साथ दिल्ली से ही बड़ी मात्रा में कोकीन ले कर आया था. बिना पासपोर्ट वीजा का एक अंतरराष्ट्रीय जालसाज भोपाल में किराए के कमरे में एक महीने रहा.

आयोनियल मिउ का पासपोर्ट जब्त होने के कारण भोपाल में फिरोज ने अपने दस्तावेज से मकान किराए पर लिया था.

19 अगस्त, 2023 को भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बैंक औफ बड़ौदा ठगी मामले का खुलासा एक प्रैस कौन्फ्रैंस में करते हुए बताया कि रोमानिया का रहने वाला आयोनियल केवल कैश में डील करता था. उस का कोई बैंक अकाउंट नहीं है.

पुलिस को फिरोज के कुछ बैंक डिटेल्स हाथ लगे हैं. उस की छानबीन की जा रही है. वहीं दोनों ने फरजी तरीके से 16 लाख रुपए जमा किए थे, जो दोनों ने अय्याशी में उड़ा दिए. दोनों के हर दिन का खर्चा करीबन 60 हजार रुपए था.

दोनों दिल्ली के महंगे होटलों में अय्याशी करने ही पहुंचे थे, लेकिन पकड़े गए. आयोनियल मिउ कोकीन और दूसरे नशे का भी आदी है, उसे ठीक से अंगरेजी नहीं आती, इसलिए पूछताछ में पुलिस को परेशान होना पड़ा.

भोपाल, इंदौर के साथ कई शहरों में जालसाजी करने के बाद वह अपने साथी फिरोज के साथ जयपुर में ठगी करने के लिए ही जाने वाला था. दोनों राजस्थान के जयपुर में रैकी भी कर चुके थे, लेकिन उस से पहले ही दबोच लिए गए. भोपाल पुलिस ने दोनों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

रोमानिया का जालसाज : एटीएम क्लोनिंग से अकाउंट साफ – भाग 2

भोपाल पुलिस की टीम जब कंपनी के बताए हुए एड्रेस पर पहुंची तो घर के मकान मालिक ने बताया कि यहां पर फिरोज और आयोनियल मिउ नाम के 2 लोग रहते थे. उन्होंने कुछ दिन पहले ही घर छोड़ा है. इस के बाद पुलिस उस घर की तलाशी में जुटी तो तलाशी के दौरान टीम के एक सदस्य की नजर घर के दरवाजे के पीछे रखे एक डस्टबिन पर गई.

सबूत की उम्मीद में डस्टबिन को पलटा तो उस में एक फूड डिलीवरी की परची मिली. उस परची पर एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था. पुलिस जांच में सामने आया कि वह मोबाइल नंबर फिरोज नाम के शख्स का ही दूसरा नंबर था, जिस की लोकेशन उस समय मुंबई की थी.

टीम ने कुछ दिन दिल्ली में रुक कर दोनों की और जानकारी खंगालनी शुरू कर दी. मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो 2-3 दिन बाद फिरोज का लोकेशन अलर्ट मिला. वह मुंबई से दिल्ली आ चुका था. वह दिल्ली के पहाडग़ंज के किसी होटल में ठहरा हुआ था.

भोपाल पुलिस की टीम सक्रिय हुई और सीधे उस होटल में दबिश दी. पुलिस टीम को होटल में 2 लोग मिले, जब उन से पूछताछ की तो एक ने अपना नाम फिरोज दूसरे ने अपना नाम आयोनियल मिउ बताया. आयोनियल रोमानिया का रहने वाला था.

पता चला कि फिरोज दिल्ली में किसी लडक़ी से मिलने आया था और आयोनियल भी उस के साथ ठहरा हुआ था. ठगी के दोनों आरोपियों को पुलिस 18 अगस्त, 2023 को दिल्ली से भोपाल ले कर आई और उन से सख्ती से पूछताछ की तो बैंक खातों से ठगी के एक नए तरीके की कहानी सामने आई.

जालसाजों ने भोपाल में इस तरह से बैंक औफ बड़ौदा के 75 खाताधारकों के एटीएम की स्कीमिंग कर दिल्ली के 9 एटीएम बूथों से करीब 16-17 लाख रुपए निकाले. जालसाज लगातार रोमानिया के कई लोगों से संपर्क में था. उस ने एटीएम कार्ड बनाने की विधि औनलाइन सीखी. वह पहले रोमानिया और यूरोपीय देशों में सक्रिय साइबर फ्रौड करने वाले गिरोह के साथ काम करता था.

रोमानिया से भारत आया था जालसाज

पुलिस पूछताछ में 50 साल के आयोनियल ने कुबूल किया कि वह 2015 में टूरिस्ट वीजा पर भारत घूमने आया था. उसे भारत में उपयोग हो रहे एटीएम और उस की पुरानी तकनीक की पूरी जानकारी थी. उस ने बाकायदा इस पर एक स्टडी की हुई थी. वह रोमानिया से सब से पहले मुंबई पहुंचा था. आयोनियल मिउ की मुलाकात जब फिरोज से हुई थी, उस ने टूटीफूटी हिंदी में फिरोज से कहा, ‘‘मुझे रहने के लिए रूम चाहिए.’’

‘‘मैं आप के लिए अपने घर का रूम रेंट पर देने को तैयार हूं.’’ फिरोज ने उसे समझाते हुए कहा.

फिरोज ने यह सोच कर रूम किराए पर दे दिया कि विदेशी नागरिक से अच्छाखासा किराया वसूल कर लेगा. उस ने फिरोज का घर किराए पर लिया था. फिरोज को तब आयोनियल के मंसूबों के बारे में कुछ भी पता नहीं था.

आयोनियल को हिंदी और अंगरेजी ठीक से नहीं आती थी. उसे अपने फ्रौड के काम के लिए भारत में किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो उस के लिए सारी व्यवस्थाएं आसानी से कर दे. उस ने इस के लिए फिरोज को राजी किया. फिरोज के पास उस समय कोई काम नहीं था, तब आयोनियल मिउ ने उसे समझाया, ‘‘मेरे काम में सहयोग करो तो तुम्हें मैं रातोंरात अमीर बना दूंगा.’’

फिरोज के राजी हो जाने के बाद उस ने फिरोज को अपना पूरा प्लान टूटीफूटी भाषा में समझाया. जल्दी अमीर बनने के चक्कर में फिरोज उस का हर तरह से साथ देने को तैयार हो गया था. सब से पहले दोनों ने मुंबई में फ्रौड की शुरुआत की, लेकिन कुछ महीनों के बाद आयोनियल को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर उस का पासपोर्ट जब्त कर लिया.

बिना पासपोर्ट के वह रोमानिया नहीं जा सका. उसे पैसों की जरूरत थी. वह दूसरा कोई काम भी नहीं जानता था, इस के बाद उस ने फिरोज के साथ मिल कर फुलप्रूफ प्लान बनाया. फिरोज उस के लिए गाड़ी, होटल से ले कर और तमाम व्यवस्थाएं जुटाता था.

फिरोज का काम एटीएम बूथों में डिवाइस लगाने, उन्हें निकालने, पैसे निकालने, मकान बुक करने, कार व आटो बुक करने, बाजार से सामान लाने का था. आयोनियल मिउ किसी से फोन पर ज्यादा बात नहीं करता था, वह सिर्फ फिरोज से ही बात करता है, बाकी किसी से संपर्क नहीं रखता, ताकि वह कौन है और क्या करता है, किसी को पता न चल सके.

आयोनियल मिउ रैकी कर टारगेट तय करता था. क्लोनिंग से प्राप्त डाटा को मशीन और लैपटाप के जरिए मिलान करना और मशीन के जरिए नया एटीएम कार्ड बनाने का काम करता था. कई बार वह एटीएम बूथ में जा कर पैसे निकालने का काम भी खुद करता था.

साल 2015 में रोमानिया से भारत आ कर वह दिल्ली में रुका. 2015 में ठाणे के पैठ बाजार थाना क्षेत्र में उस ने इसी तरह की धोखाधड़ी की और गिरफ्तार हो गया. इस के बाद उस ने 2017 में मुंबई में धोखाधड़ी की और फिर पकड़ा गया. गिरफ्तारी के बाद उस का पासपोर्ट जब्त हो जाने के कारण वह अब अवैध रूप से भारत में रह रहा था.

फिलहाल वह दोनों मामलों में जमानत पर है. 2018 में उस का परिवार भारत मिलने आया था. वह नाइजीरिया के कई लोगों से लगातार फोन से संपर्क में रहता था.

बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम में फिट किए स्कीमर डिवाइस

मई 2023 में फिरोज और आयोनियल दोनों भोपाल आए, मुंबई निवासी फिरोज अहमद ने अपने पहचान पत्र से भोपाल के डोरा क्षेत्र में औनलाइन एक मकान किराए पर लिया, जिस में दोनों जालसाज करीब एक महीने तक ठहरे थे.

दोनों ने भोपाल में रेकी कर बैंक औफ बड़ौदा के पुराने तकनीक वाले 3 एटीएम बूथों को पहचान कर उन में एटीएम क्लोनिंग मशीन लगाई और मशीन के ऊपर हाई रिजोल्यूशन  कैमरे लगाए. वह एटीएम में सुबह आटो से जाते और क्लोनिंग मशीन और कैमरे लगा कर चले आते थे. शाम को जा कर उपकरण निकाल लाते थे. इस की मदद से लोगों के एटीएम की डिटेल्स और पासवर्ड पता किए.

इस के बाद दोनों 25 जून को इंदौर पहुंचे और यही काम यहां के 2 एटीएम के साथ किया. 3 और 4 जुलाई के दौरान दोनों दिल्ली पहुंचे और वहां कुछ एटीएम कार्ड के क्लोन तैयार किए. इस के बाद 10 जुलाई के बाद दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित एटीएम से पैसे निकाल लिए.

पति की आशिकी का अंजाम – भाग 3

कमलेश की इस कहानी में कितनी सच्चाई है, मंजू यादव ने यह पता लगाने के लिए तुरंत सबइंसपेक्टर भीम सिंह रघुवंशी को कृष्णाबाग कालोनी स्थित कमलेश के घर भेजा. पूछताछ में कमलेश के पिता मनोहर पांचाल ने बताया कि कमलेश कह तो रहा था कि एक मोटरसाइकिल पर सवार 2 लड़के मुंह पर कपड़ा बांध कर घर की रेकी कर रहे थे. तब उन्होंने मोहल्ले वालों से इस बारे में पता किया था. लेकिन मोहल्ले वालों का कहना था कि इस तरह की न तो कोई मोटरसाइकिल दिखाई दी थी, न लड़के. इस से उन्हें लगा कि कमलेश को भ्रम हुआ होगा.

कमलेश की यह कहानी झूठी निकली तो पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर के सुबूतों के आधार पर आगे की पूछताछ के लिए उसे 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

दूसरी ओर कमलेश के ससुर नंदकिशोर पांचाल ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिख कर निष्पक्ष जांच की गुहार की थी. उन का कहना था कि कमलेश के पिता मनोहर पांचाल हाईकोर्ट के जज की गाड़ी चलाते हैं, इसलिए कहीं मामले की जांच प्रभावित न करा दें. उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पिंकी की हत्या का आरोप सीधे कमलेश पर लगाया था. उन का कहना था कि बाकी तो सब ठीक था, लेकिन कमलेश के संबंध अन्य लड़कियों से थे. इसी वजह से वह पिंकी को नजरअंदाज करता था. पिंकी इस बात का विरोध कर रही थी, इसलिए कमलेश ने उस की हत्या कर दी है.

नंदकिशोर के भाई यानी पिंकी के एक चाचा इंदौर में ही एरोड्रम रोड पर स्थित राजनगर में रहते थे. उन का नाम भी कमलेश था. वह प्रेस फोटोग्राफर थे. उन का घर पिंकी के घर से मात्र एक किलोमीटर दूर था. पिंकी ने उन से भी कमलेश से अन्य लड़कियों से दोस्ती की बात बताई थी. इसलिए उन्होंने भी पुलिस को बताया था कि उन की भतीजी की हत्या उन के दामाद कमलेश ने अन्य लड़कियों की वजह से उस से छुटकारा पाने के लिए की है.

तमाम सुबूत होने के बावजूद कमलेश अपनी बात पर अड़ा था. उस का कहना था कि पिंकी की हत्या उन्हीं दोनों लड़कों ने की है, जो उस के घर लूटपाट करने आए थे. जब पुलिस ने कहा कि सारे गहने तो घर में ही मिल गए हैं तो इस पर कमलेश ने कहा, ‘‘हो सकता है, उन्हें ले जाने का मौका न मिला हो?’’

थानाप्रभारी मंजू यादव ने देखा कि कमलेश सीधे रास्ते पर नहीं आ रहा है तो उन्होंने अपने दोनों सबइंसपेक्टरों राजेंद्र सिंह दंडोत्या और भीम सिंह रघुवंशी से कहा, ‘‘यह सीधे सच्चाई बताने वाला नहीं है. इस के ससुर ने दहेज मांगने की जो रिपोर्ट दर्ज कराई है, उस के तहत इस के घर जा कर इस के पिता मनोहर, मां किरण और बहन को पकड़ लाओ. कल सभी को अदालत में पेश कर के जेल भिजवा दो.’’

थानाप्रभारी की इस धमकी पर कमलेश कांप उठा. उस ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘‘प्लीज, मेरे मातापिता और बहन को मत परेशान कीजिए. मेरे ससुर ने झूठा आरोप लगाया है. हम लोगों ने कभी दहेज मांगा ही नहीं है.’’

‘‘तो सच क्या है?’’ थानाप्रभारी मंजू यादव ने पूछा, ‘‘पिंकी की हत्या किस ने और क्यों की है?’’

‘‘उस की हत्या मैं ने की है. इस में मेरे घर वालों का कोई हाथ नहीं है.’’ कमलेश ने कहा.

इस तरह थानाप्रभारी मंजू यादव ने कमलेश से पिंकी की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद उस ने पिंकी की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी.

कमलेश कालेज में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता था. वह स्टेज पर भी बढि़या अभिनय करता था. देखने में ठीकठाक था ही, इसलिए लड़कियां उस की ओर आकर्षित होने लगीं. कई लड़कियों से उस की दोस्ती भी हो गई. पढ़ाई पूरी करने के बाद उस ने काल सेंटर में नौकरी की. वहां भी उस के साथ तमाम लड़कियां नौकरी करती थीं. उन में से भी कई लड़कियों से उस की दोस्ती हो गई, जिन से वह घर आ कर भी फोन पर बातें करता रहता था.

कमलेश ने काल सेंटर की नौकरी छोड़ी तो उसे एक ऐसे एनजीओ में नौकरी मिल गई, जो रोजगार के लिए प्रेरित और दिलाने का काम करती थी. वहां स्वरोजगार का प्रशिक्षण भी दिया जाता था. इसलिए वहां भी तमाम लड़कियां रोजगार के लिए आती रहती थीं.

लड़कियां जो फार्म भरती थीं, उन में उन के फोटो के साथ जरूरी जानकारी तो होती ही थी, मोबाइल नंबर भी होता था. ऐसे में जो लड़की उसे पसंद आ जाती, नौकरी दिलाने के बहाने वह उस से बातचीत करने लगता था. कई लड़कियों को उस ने नौकरी भी दिलाई थी, जिस की वजह से उसे मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री की ओर से अवार्ड भी मिला था.

उसी बीच प्रियंका उर्फ पिंकी से उस की शादी हो गई. लेकिन शादी के बाद उस की आदत में कोई बदलाव नहीं आया. वह पहले की ही तरह लड़कियों से दोस्ती और फोन पर बातें करता रहा. पिंकी ने कई बार टोका भी लेकिन वह नहीं माना. इस के बाद पिंकी ने सासससुर से ही नहीं, मांबाप से भी उस की शिकायत की. सब ने कमलेश को समझाया, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आया.

उसी बीच कमलेश की मुलाकात बाणगंगा की रहने वाली एक लड़की से हुई. वह लड़की स्वरोजगार प्रशिक्षण लेने आई थी. लड़की काफी खूबसूरत थी, इसलिए वह उसे दिल दे बैठा. संयोग से लड़की उस की मीठी मीठी बातों में फंस भी गई. कमलेश उस से शादी के बारे में सोचने लगा. उस ने लड़की से बताया था कि अभी वह पढ़ रहा है, इसलिए लड़की  ने भी शादी के लिए हामी भर दी थी.

लड़की के हामी भरने के बाद कमलेश पिंकी से छुटकारा पाने के उपाय सोचने लगा. पिंकी सासससुर की लाडली बहू थी. इसलिए वह उसे छोड़ नहीं सकता था. ऐसे में पिंकी से छुटकारा पाने का उस के पास एक ही उपाय था कि वह उस की हत्या कर दे. इस के बाद उस ने पिंकी की हत्या की जो योजना बनाई, उस के अनुसार वह सब से कहने लगा कि सुबहशाम मुंह पर कपड़ा बांध कर 2 लड़के पलसर मोटरसाइकिल से उस के घर के आसपास चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन मोहल्ले के किसी आदमी ने ऐसे लोगों को देखा नहीं.

वह पिंकी की हत्या के लिए मौके की तलाश में था. वह इस काम को तभी अंजाम दे सकता था, जब पिंकी घर में अकेली हो. उसे तब मौका मिल गया, जब उस के नाना के मरने पर मां अपने मायके चली गईं. 17 फरवरी, 2014 सोमवार को पिता के ड्यूटी पर चले जाने के बाद घर में पिंकी और कमलेश ही घर में रह गए. पिंकी घर के काम निपटाने में लगी थी.

तभी कमलेश ने योजना के तहत पिंकी की हत्या करने में चाकू वगैरह पर अंगुलियों के निशान न आएं, इस के लिए रबर के दास्ताने पहन लिए. वह दास्ताने पहन कर तैयार हुआ था कि किसी का फोन आ गया तो वह फोन पर बातें करने लगा. उसी बीच पिंकी ने कमलेश से कहा, ‘‘आप कपड़े भिगो देते तो खाली होने पर मैं धो लेती.’’

कमलेश कपड़े भिगोने के बजाय किचन में जा कर फोन पर बातें करने लगा. पिंकी ने देखा कि वह कपड़े भिगोने के बजाय फोन पर ही बातें कर रहा है तो उस ने झुंझला कर कहा, ‘‘कपड़े भिगोने के लिए कह रही हूं, वह तो करते नहीं, फालतू फोन पर बातें कर रहे हो.’’

पिंकी की इस बात पर कमलेश को गुस्सा आ गया तो उस ने पिंकी को एक तमाचा मार दिया. पति की इस हरकत से नाराज हो कर पिंकी ने भी उसे ऐसा धक्का दिया कि उस का सिर दीवार से टकरा गया, जिस की वजह से वह चकरा कर गिर पड़ा.

कमलेश तो चाहता ही था कि कुछ ऐसा हो, जिस से वह पिंकी से भिड़ सके. संयोग से मौका भी मिल गया गया. चोट लगने से वह तिलमिला कर उठा और किचन में रखा सब्जी काटने का चाकू उठा कर पिंकी पर झपटा. लेकिन पिंकी हट गई तो चाकू दीवार से जा लगा, जिस की वजह से टूट गया.

कमलेश इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था, इसलिए दूसरा चाकू उठा कर पिंकी पर टूट पड़ा. पिंकी का मुंह दबा कर लगातार वार करने लगा. पिंकी मूर्छित हो कर जमीन पर गिर पड़ी तो उस ने उस का गला रेत दिया. थोड़ी देर छटपटा कर पिंकी मर गई. कमलेश ने देखा की पिंकी मर गई है तो उस ने खून सने कपड़े उतार कर बेडरूम में छिपा दिए और फिर बाथरूम में जा कर हाथपैर साफ किए.

दूसरे कपड़े पहन कर उस ने इस हत्या को लूट में हत्या का रूप देने के लिए अलमारी खोल कर सारा सामान बिखेर दिया. कुछ गहने उस ने पलंग के नीचे डाल दिए तो कुछ खिड़की से पिछवाड़े फेंक दिए. इतना सब करने के बाद वह वहां से भाग जाना चाहता था, लेकिन तभी उस की बुआ के बेटे राहुल ने दरवाजा खटखटा दिया. अब वह बाहर तो जा नहीं सकता था, इसलिए खुद को बचाने के लिए वह मरी पड़ी पिंकी के ऊपर लेट गया. इस के बाद राहुल ने अंदर आ कर उसे अस्पताल में भरती कराया और घटना की जानकारी पुलिस को दी.

पूछताछ के बाद पुलिस कमलेश को उस के घर ले गई, जहां घर के पीछे से उस के द्वारा फेंके गए गहने बरामद कर लिए. पुलिस ने उस के फोन की काल डिटेल्स पहले ही निकलवा ली थी. उस के अनुसार उस ने साल भर में लड़कियों को 24 हजार फोन और एसएमएस किए थे. पुलिस ने सारे सुबूत जुटा कर 24 फरवरी को कमलेश को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में ही था.

कथा पुलिस सूत्रों एवं घर वालों से की गई बातचीत पर आधारित

रोमानिया का जालसाज : एटीएम क्लोनिंग से अकाउंट साफ – भाग 1

डिजिटल तकनीक के इस युग में बैंक अकाउंट में सेंध लगाने वाले जालसाज भी नईनई तरकीबें अपना रहे हैं. इन जालसाजों का नेटवर्क भारत में ही नहीं विदेशों में भी फैला हुआ है. रोमानिया के एक जालसाज ने भोपाल और इंदौर के ग्राहकों के बैंक अकाउंट से दिल्ली के एटीएम बूथों से लाखों रुपए उड़ा दिए. भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम ने एक महीने तक दिल्ली शहर में रुक कर इन जालसाजों को आखिर कैसे खोज निकाला?

भोपाल के रहने वाले सैयद फारुख अली ने बैंक औफ बड़ौदा की ब्रांच में लगी पासबुक प्रिंटिंग मशीन में अपनी पासबुक डाली तो कुछ ही देर में उन की पासबुक प्रिंट हो कर बाहर निकल आई. बैंक से बाहर निकल कर उन्होंने पासबुक चैक की तो एक एंट्री देख कर वह चौंक पड़े.

इसी साल जुलाई की 9 तारीख को उन के बैंक खाता नंबर 3537010000xxxx से 75 हजार रुपए की रकम की निकासी एटीएम कार्ड के जरिए होनी दिखाई गई थी. सैयद फारुख अली को आश्चर्य इस बात पर हो रहा था कि उन्होंने यह रकम निकाली ही नहीं थी. वह हैरान थे कि यदि किसी और ने यह रकम निकाली है तो उन के मोबाइल पर ओटीपी क्यों नहीं आया. फारुख अली ने फिर से बैंक काउंटर पर जा कर इस की शिकायत की तो बैंक क्लर्क ने उन्हें डपटते हुए कहा, ‘‘आप ने एटीएम कार्ड से रुपए निकाले हैं, इस में बैंक क्या कर सकता है.’’

सैयद फारुख अली मुंह लटकाए अपने घर आ गए. वह प्रौपर्टी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की बीडीए कालोनी कोहेफिजा में रहने वाले 38 वर्षीय सैयद फारुख अली जानना चाहते थे कि उन के खाते से ये पैसे किस ने निकाले हैं. लिहाजा 10 जुलाई, 2023 को वह साइबर क्राइम ब्रांच में एक शिकायत ले कर पहुंच ही गए.

थोड़ी देर इंतजार कर वह साइबर क्राइम ब्रांच के डीसीपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी के पास पहुंचे तो अरजी ले कर उन के सामने हाजिर फरियादी को देखते ही डीसीपी बोले, ‘‘कहिए, क्या समस्या है?’’

फारुख अली ने कागज पर लिखी अरजी उन की टेबल पर रखते हुए कहा, ‘‘साहब, मेरे बैंक खाते  से 75 हजार रुपए किसी जालसाज ने निकाल लिए हैं, जबकि मैं ने ऐसा कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया है.’’

‘‘कौन से बैंक में है आप का अकाउंट?’’

‘‘जी सर, बैंक औफ बड़ौदा में मेरा अकाउंट है.’’ फारुख अली ने बताया.

‘‘किसी को ओटीपी तो नहीं बताया, मोबाइल पर किसी लिंक पर क्लिक तो नहीं किया?’’ डीसीपी सोमवंशी ने फारुख से पूछा.

‘‘नहीं सर, न तो कोई ओटीपी आया और न ही किसी लिंक पर मेरे द्वारा क्लिक किया गया है,’’ फारुख हाथ जोड़ कर बोले.

डीसीपी सोमवंशी ने सैय्यद फारुख की अरजी को ले कर उन्हें भरोसा दिलाया कि जल्द ही साइबर पुलिस जांच कर के जालसाज तक पहुंचेगी और उन के अकाउंट से फरजी तरीके से निकाली गई रकम उन्हें वापस दिलाई जाएगी.

डीसीपी सोमवंशी के निर्देश पर फारुख अली की तरफ से अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत मामला दर्ज किया कर लिया गया.

अनेक लोगों के साथ हुई ऐसी ही धोखाधड़ी

इस शिकायत के अगले दिन अशोका गार्डन, भोपाल के विनोद सहदेव और सतीश बजरंगी ने भी अपने बैंक अकाउंट से रुपए निकाले जाने की शिकायत थाने में दर्ज कराई. फारुख अली की शिकायत के बाद 5 दिन के भीतर ही भोपाल के अलगअलग पुलिस थानों में  53 लोगों ने अपने साथ हुए इसी तरह के फ्रौड की शिकायतें दर्ज कराईं.

इसी तरह इंदौर के विभिन्न थानों में अनेक शिकायतें दर्ज हुईं. ताज्जुब की बात यह थी कि ये सारे फ्रौड बैंक औफ बड़ौदा के ग्राहकों के साथ ही हुए थे.

2023 के जुलाई महीने में हुए इस फ्रौड को पुलिस और बैंक अधिकारी भी नहीं समझ पा रहे थे. शिकायतकर्ताओं का कहना था कि न उन के पास कोई ओटीपी आया, न कोई काल आई, न ही कोई लिंक आया, न ही कहीं एटीएम में कार्ड यूज किया, न ही फोन पर उन्होंने कोई ऐप डाउनलोड किया, इस के बावजूद उन के अकाउंट से लाखों रुपए निकाल लिए गए.

पुलिस टीम ने दिल्ली में डेरा डाल आरोपियों को खोज निकाला

मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा के निर्देश पर एक पुलिस टीम बनाई. एसआई रमन शर्मा के नेतृत्व में टीम दिल्ली पहुंची. टीम में हैडकांस्टेबल, आदित्य साहू, कांस्टेबल तेजराम सेन, प्रताप सिंह, सुनील कुमार को शामिल किया गया था. जांच में पुलिस टीम को यह जानकारी मिली कि ज्यादातर पैसे दिल्ली में स्थित एटीएम कियोस्क से निकले हैं, इसलिए टीम दिल्ली पहुंच गई.

टीम को पता चला कि जालसाजों ने दिल्ली के अलगअलग क्षेत्रों में स्थित 9 एटीएम कियोस्कों से पैसे निकाले थे, इसलिए टीम ने सब से पहले उन 9 एटीएम कियोस्कों के सीसीटीवी कैमरे खंगाले, जहां से जालसाजों द्वारा पैसे निकाले गए थे. ये एटीएम कियोस्क ग्रेटर कैलाश, चाणक्यपुरी और नेहरू प्लेस में स्थित थे. जिन खाताधारकों के फोन पर एटीएम से पैसे निकालने के मैसेज आए थे. पुलिस को उन की टाइमिंग मैच करते हुए आसपास के 200 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे, मगर कोई भी क्लू हाथ नहीं आ रहा था.

इस की वजह यह थी कि आरोपी एटीएम से रुपए निकालते वक्त पहचान छिपाने के लिए टोपी और स्कार्फ से खुद को ढंक लेते थे. रुपए निकाल कर वे आटो से या पैदल आते और गलियों में गायब हो जाते थे.

डस्टबिन से मिला जालसाजों का सुराग

भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम को दिल्ली में आरोपियों की पतासाजी करते हुए 20 दिन से अधिक हो गए थे. अपने घरपरिवार से दूर रहते हुए पुलिस टीम के सदस्यों को घर की याद भी सता रही थी.

एक दिन हैडकांस्टेबल आदित्य साहू अपने टीम लीडर एसआई रमन शर्मा से बोले, ‘‘सर, हम ने दिल्ली के सैकड़ों एटीएम बूथों को चैक कर लिया है, लेकिन आरोपियों का कुछ पता नहीं चल रहा है. अब तो हमें वापस लौटना चाहिए.’’

‘‘सभी लोग कुछ दिन और धैर्य रखें, हमारी मेहनत जरूर सफल होगी, कोई न कोई क्लू हमें अपराधियों तक जरूर पहुंचाएगा.’’ एसआई रमन शर्मा बोले.

इस के बाद टीम फिर नए जोश के साथ आरोपियों की पतासाजी में जुट गई. पुलिस टीम जब दिल्ली के नेहरू प्लेस के कैमरों की आखिरी फुटेज देख रही थी तो इस फुटेज के आखिरी कुछ सेकेंड्स में हर बार पैदल या आटो से रवाना हो जाने वाले ये लोग एक टैक्सी में बैठ कर जाते दिखे. इस फुटेज में टैक्सी का नंबर भी साफ दिख रहा था.

टैक्सी के इसी नंबर के सहारे पुलिस टैक्सी प्रोवाइडर कंपनी रंजीत ब्रदर्स के औफिस पहुंच गई. वहां पुलिस टीम को बताया गया कि इस टैक्सी को फिरोज नाम के किसी शख्स ने बुक किया था. कंपनी से पुलिस को टैक्सी बुक करने वाले का मोबाइल नंबर और घर का पता भी मिल गया. जब पुलिस ने उस मोबाइल पर काल करने की कोशिश की तो वह नंबर बंद था.

पति की आशिकी का अंजाम – भाग 2

कमलेश शादी लायक हो गया था. वह नौकरी भी कर रहा था, इसलिए उस की शादी के लिए रिश्ते आने लगे थे. मनोहर और किरण भी बेटे की शादी करना चाहते थे, इसलिए वे बेटे के लिए लड़की देखने लगे थे. काफी खोजबीन के बाद आखिर उन्होंने नागदा के रहने वाले नंदकिशोर पांचाल की बेटी प्रियंका उर्फ पिंकी को पसंद कर लिया था.

जैसा कमलेश के मांबाप चाहते थे, पिंकी वैसी ही पढ़ीलिखी, खूबसूरत, सुशील और समझदार घरेलू लड़की थी. सारी बातचीत के बाद पूरी रस्मोरिवाज के साथ 12 मई, 2013 को कमलेश और पिंकी का धूमधाम से विवाह हो गया. पिंकी बाबुल के घर से विदा हो कर अपने सपनों के राजकुमार के घर आ गई.

अब पिंकी को उस पल का इंतजार था, जो जिंदगी में सिर्फ एक बार आता है. वह पल आ गया, लेकिन उस का पति कमलेश उस का घूंघट उठा कर प्यार करने के बजाय उतनी रात को भी न जाने किस से फोन पर बातें करने में लगा था. पिंकी को यह सब अच्छा तो नहीं लग रहा था, लेकिन संकोचवश वह कुछ कह नहीं पा रही थी. वह भले ही कुछ नहीं कह पा रही थी, लेकिन यह जरूर सोच रही थी कि ऐसा कौन सा खास आदमी है, जिस से वह उसे छोड़ कर फोन पर बातें करने में लगा है.

कमलेश ने सुहागरात तो मनाई, लेकिन उस में वह जोश नहीं था, जो होना चाहिए था. जिस की कसक पिंकी साफ महसूस कर रही थी. उस की यह कसक बढ़ती जा रही थी, क्योंकि कमलेश का लगभग रोज का वही नियम था. वह होता तो पिंकी के पास था, लेकिन बातें किसी और से करता रहता था. उस की बातें सुन जब पिंकी को लगा कि वह लड़कियों से बातें करता है तो उस की कसक और बढ़ गई.

कमलेश की काल सेंटर की नौकरी कोई बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए वह किसी अच्छी नौकरी की तलाश में था. उसे एक एनजीओ में काम मिल गया तो उस ने काल सेंटर वाली नौकरी छोड़ दी. यह लगभग 6 महीने पहले की बात है. उस एनजीओ की ओर से वह मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लोगों को प्रशिक्षण देता था. उस ने अपना यह काम पूरी ईमानदारी और लगन से किया था. इसलिए उसे मुख्यमंत्री ने अवार्ड भी प्रदान किया था. एनजीओ से जुड़ने के बाद कमलेश फोन पर कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहने लगा था. वह देर रात तक फोन पर बातें करता रहता था. पिंकी अकसर उकता कर सो जाती थी.

पिंकी इस का पुरजोर विरोध कर रही थी. लेकिन कमलेश में कोई सुधार नहीं आ रहा था. तब पिंकी ने इस बात की शिकायत अपने सासससुर से ही नहीं, मांबाप से भी की. कमलेश के मांबाप ने जब उसे टोका तो यह बात उसे बड़ी नागवार लगी. पिंकी का इस तरह जिंदगी में दखल देना उसे अच्छा नहीं लगा. इस के बाद पतिपत्नी में तनाव रहने लगा.

कमलेश पिंकी को इसलिए कुछ नहीं कह पाता था, क्योंकि उस के मांबाप बहू को बहुत प्यार करते थे. उन की बहू थी भी इस लायक. वह सासससुर का हर तरह से खयाल रखती थी. उन्हें हमेशा हाथों पर लिए रहती थी.

ऐसी बहू की हत्या हो जाने से मनोहर और किरण बहुत परेशान थे, इसलिए वे केस को खोलने और हत्यारे को पकड़वाने के लिए पुलिस पर दबाव बनाए हुए थे. चूंकि वह ज्युडिशियरी से जुड़े थे, इसलिए पुलिस पर इस मामले को जल्द से जल्द खोलने का दबाव भी था.

कमलेश अगर अपना बयान दे देता तो पुलिस को हत्यारे तक पहुंचने में आसानी होती. इसलिए पुलिस उस से पूछताछ के लिए अस्पताल के चक्कर लगा रही थी. लेकिन पुलिस जब भी अस्पताल पहुंचती, पता चलता वह बेहोश है. जबकि डाक्टरों के अनुसार वह पूरी तरह से स्वस्थ था. अब पुलिस को उसी पर शक होने लगा. लेकिन पुलिस उस पर शक के आधार पर हाथ नहीं डाल सकती थी, क्योंकि उस के पिता हाईकोर्ट के जज की गाड़ी चलाते थे. जरा भी इधरउधर हो जाता तो पुलिस को जवाब देना मुश्किल हो जाता. इसलिए पुलिस उस के खिलाफ सुबूत जुटाने लगी.

पुलिस ने सब से पहले उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स से ऐसे तमाम नंबर मिले, जिन पर उस की लंबीलंबी बातें हुई थीं. पुलिस ने जब उन नंबरों के बारे में पता किया तो वे सभी नंबर लड़कियों के थे. इस से यह बात साफ हो गई कि वह काफी आशिकमिजाज लड़का था.

थानाप्रभारी मंजू यादव की समझ में आ गया था कि कमलेश पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए बेहोश और कमजोरी होने का नाटक कर रहा है. वैसे भी वह नाटकों में काम कर चुका था. कालेज के समय में उसे अभिनय सम्राट कहा जाता था. उसे नाटकों के लिए कई अवार्ड भी मिले थे. इसलिए मंजू यादव ने भी उस के साथ नाटक करने की योजना बनाई.

वह सबइंसपेक्टर राजेंद्र सिंह दंडोत्या, भीम सिंह रघुवंशी और कुछ पुलिस वालों को साथ ले कर अस्पताल पहुंचीं. क्योंकि अब तक उन्हें कुछ ऐसे सुबूत मिल चुके थे, जिस से उन्हें लग रहा था कि पिंकी की हत्या कमलेश ने ही की है. इस की वजह यह थी कि कमरे में केवल उसी की अंगुली के निशान मिले थे. जांच के लिए कमलेश के खून से सने कपड़े और पलंग के नीचे से मिले जो गहने पुलिस ने बरमाद किए थे, उन पर जो खून के दाग लगे थे, वह पिंकी के खून के थे.

अपने शक को दूर करने के लिए पुलिस ने कमलेश की काल डिटेल्स से मिले एक नंबर पर उसी के फोन से फोन किया, जिस पर उस ने उसी रात काफी लंबीलंबी बातचीत की थी. फोन लगते ही दूसरी ओर से फोन रिसीव कर लिया गया था, इधर से बिना कुछ कहे ही दूसरी ओर से सीधे कहा गया, ‘‘कमलेश, तुम ने जो किया, वह ठीक नहीं किया. तुम बहुत ही गंदे आदमी हो. आखिर तुम ने अपनी पत्नी की हत्या कर ही दी. लेकिन अब इस मामले में मुझे मत फंसाना, क्योंकि इस में मेरी कोई भूमिका नहीं है. और हां, अब कभी मुझे भूल कर भी फोन मत करना.’’

इतना कह कर फोन रिसीव करने वाली लड़की ने फोन काट दिया था. पुलिस ने लड़की की यह बातचीत टेप कर ली थी. बाद में पुलिस ने उस  लड़की के बारे में पता किया तो वह बाणगंगा मोहल्ले की निकली.

थानाप्रभारी मंजू यादव अपने साथियों के साथ सीएचएल अस्पताल के उस कमरे में जैसे ही पहुंचीं, जिस में कमलेश भरती था, उन्हें देख कर कमलेश तुरंत बेहोश हो गया. कमलेश की मां किरण उस की देखभाल के लिए वहीं थीं. पुलिस उन्हें बाहर भेज कर कमलेश से बात करने की कोशिश करने लगी. कमलेश बेहोशी का नाटक तो किए ही था, अब कराहने भी लगा.

थानाप्रभारी मंजू यादव भी कम नाटकबाज नहीं थीं. उन्होंने सच्चाई का पता लगाने के लिए एक योजना बनाई. उस योजना के तहत उन्होंने एक सिपाही को परदे के पीछे छिपा कर खड़ा कर दिया और एक मोबाइल फोन का वाइस रिकौर्ड चालू कर के कमलेश के बेड पर इस तरह रख दिया कि उसे पता नहीं चला. इस के बाद उन्होंने साथियों के साथ बाहर आ कर कमलेश की मां से कहा, ‘‘कमलेश अभी बयान देने लायक नहीं है. जब वह बयान देने लायक हो जाए, आप हमें सूचना भिजवा दीजिएगा. हम सभी आ कर बयान ले लेंगे.’’

इतना कह कर थानाप्रभारी मंजू यादव ने किरण को अंदर भेज दिया. मां के अंदर आते ही कमलेश को होश आ गया. उस ने तुरंत पूछा, ‘‘पुलिस वाले चले गए?’’

मां ने हां में सिर हिलाया तो वह उन से अच्छी तरह बातें करने लगा. उसे अच्छी तरह बातें करते देख परदे के पीछे छिप कर खड़े सिपाही ने मिसकाल दे कर थानाप्रभारी मंजू यादव को अंदर आने का इशारा कर दिया. वह साथियों के साथ तुरंत अंदर आ गईं. कमरे में अचानक पुलिस को देखते ही कमलेश फिर से बेहोशी का नाटक कर के कराहने लगा.

मंजू यादव ने हंसते हुए पलंग पर छिपा कर रखे मोबाइल फोन को उठा कर रिकौर्ड हुई मांबेटे की बातचीत सुनाई तो कमलेश का कराहना बंद हो गया. उसे तुरंत अस्पताल से छुट्टी करा कर थानाप्रभारी मंजू यादव रानीसराय स्थित पुलिस मुख्यालय ले गईं. उन्होंने वहां वीडियोग्राफी की तैयारी पहले से ही करा रखी थी.

वीडियोग्राफी कराते हुए कमलेश से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में उस ने पुलिस को भरमाने के लिए एक कहानी सुनाई, जो इस प्रकार थी.

कमलेश ने बताया कि 4-5 दिनों से काले रंग की एक पलसर मोटरसाइकिल से 2 लड़के मुंह पर कपड़ा बांध कर उस के घर के आसपास चक्कर लगा रहे थे. उस दिन वही दोनों लड़के उस के घर में घुस आए और उस के सिर पर डंडा मार कर उसे बेहोश कर दिया. इस के बाद उन्होंने लूटपाट की होगी. पिंकी ने विरोध किया होगा या उन्हें पहचान लिया होगा, जिस की वजह से उन्होंने उस की हत्या कर दी होगी.