दिल्ली में बार बालाओं की हुक्का, शराब और शबाब पार्टी

अगस्त माह के अंतिम हफ्ते में एक दिन दिल्ली के राजगढ़ एक्सटेंशन के रहने वाले मनु अग्निहोत्री के मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन रश्मि का था. उस ने अपनी खनकती आवाज में पूछा, ‘‘सर जी, काम कब से शुरू करवा रहे हो?’’

‘‘उम्मीद है अगले हफ्ते से… और सुन तुम्हें कितनी बार कहा है इस नंबर पर फोन मत किया कर.’’ मनु डपटते हुए बोला.

‘‘क्या करूं, मजबूरी में करना पड़ा. कोई काम नहीं है. कर्ज भी बहुत हो गया है.’’ रश्मि बोली.

‘‘ठीक है, ठीक है. तुम्हारे संपर्क में कितनी और लड़कियां हैं?’’ मनु ने पूछा.

‘‘10-12 तो हो ही जाएंगी.’’

‘‘सब को तैयार कर लो. अगले हफ्ते से रेस्टोरेंट और बार खुलने वाले हैं. मैं ने पता कर लिया है.’’ मनु बोला.

‘‘वही पहले वाला काम करना है?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘हांहां, वही. डांसिंग का है, साथ में थोड़ी शराब भी परोस देना. नशेडि़यों का दिल बहला देना.’’

‘‘उस से अधिक कुछ और नहीं न! कितने पैसे मिल जाएंगे?’’ रश्मि तपाक से पूछ बैठी.

‘‘तुम सवाल बहुत करती हो. अभी तो मैं इंतजाम में लगा हुआ हूं.’’ मनु ने समझाया.

‘‘फिर भी कुछ तो बताओ, तभी तो लड़कियों को तैयार रखूंगी.’’

‘‘सभी फ्रैश होनी चाहिए. एकदम से झकास. लेटेस्ट मौडल की. पढ़ीलिखी दिखने वाली. समझ गई न.’’ मनु बोला.

‘‘मेरे पास अभी एक से बढ़ कर  एक मौडल हैं, उन के सामने हीरोइनें और प्रोफैशनल मौडल फेल हो जाएंगी.’’ रश्मि चहकती हुई बोली.

‘‘चल, चल. अब फोन बंद कर, लगता है किसी क्लाइंट का फोन आ रहा है. बाद में बात करता हूं.’’ यह कहते हुए मनु ने आने वाले काल का फोन रिसीव कर लिया.

‘‘हैलो कौन?… अरे तुम. मैं तुम्हारे फोन का ही इंतजार कर रहा था. तुम ने नया नंबर ले लिया क्या? बताओ कुछ इंतजाम हुआ.’’ मनु ने जिज्ञासा से पूछा.

‘‘हां, हो गया है, लेकिन सौरी यार पहाड़गंज या कनाट प्लेस में नहीं हो पाया.’’ फोन करने वाला मनु का खास दोस्त था. उस के भरोसे मनु के कई कामधंधे चलते थे. वह जिस काम में लगता था, उसे पूरा कर के ही दम लेता था. उसे मनु ने एक ऐसा रेस्टोरेंट रेंट पर लेने का काम सौंपा था, जहां वह पार्टियां आर्गनाइज कर सके. उसी बारे में उस के दोस्त ने फोन किया था.

मनु ने उस से उत्सुकता से पूछा, ‘‘तो कहां इंतजाम किया है?’’

‘‘शाहदरा के पास कृष्णा नगर में. अच्छा रेस्टोरेंट है… और हम लोगों के काम के हिसाब से सेफ भी.’’ मनु को बताया.

‘‘नाम क्या है? लोकेशन कैसी है? …आसपास का माहौल किस तरह का है? ‘‘द टाउंस कैफे नाम का रेस्टोरेंट मंदिर मार्ग पर लाल क्वार्टर में स्थित है. वहीं पर फर्स्ट फ्लोर पर अपना काम चलेगा. वहां सब कुछ सही है. लेकिन एक ही समस्या है कि उस के पास अभी पूरे कागज नहीं है.’’

‘‘तो कैसे होगा?’’ मनु ने पूछा.

‘‘अरे वह सब तो उस के मालिक का मसला है, हमें क्या? हमें रेंट देना है.’’ दोस्त के कहने पर मनु ने आगे के अपने इंतजाम के बारे में जानकारी दी. बातोंबातों में लड़कियों के बारे में भी थोड़ी बातें बता दीं.

‘‘तू तो इस का बड़ा खिलाड़ी है. तो फिर बुकिंग शुरू कर दूं?’’ कहते हुए मनु का दोस्त हंसने लगा.

मनु के धंधे में जितने भी लोग जुड़े हुए थे, उन से मनु के दोस्त की तरह ही संबंध रहते थे. मुन्ना भी उस के खास दोस्तों में से एक था.

एक दिन मुन्ना दिल्ली के कनाट प्लेस में स्थित एक छोटे से रेस्टोरेंट में अपने दोस्त अमित के साथ डिनर कर रहा था. अमित केरल का रहने वाला था. वह किसी काम से दिल्ली आया था. उसी दौरान अमित ने उस से कहा, ‘‘यार, मुझे मिनिस्ट्री से एक प्रोजैक्ट पास कराना है.’’

मुन्ना ने उसे आश्वासन दिया था, ‘‘तू चिंता क्यों कर रहा है, हो जाएगा. क्योंकि मिनिस्ट्री में मेरी अच्छी जानपहचान है. मैं तेरा काम करा दूंगा.’’ मुन्ना ने भरोसा दिया.

‘‘जितनी जल्द हो सके, करा दे. वैसे एक बात बताऊं, जिस अधिकारी के हाथ में मेरा काम है, वह अय्याश किस्म का है. इसलिए उस के लिए शराब के साथसाथ कुछ और शबाब का इंतजाम भी करना होगा.’’

‘‘अभी तेरे सामने बात करता हूं.’’ यह कहते हुए मुन्ना ने बाएं हाथ से टेबल पर रखे अपने मोबाइल से एक नंबर पर काल लगाई. वह नंबर मनु का था.

काल रिसीव होने के बाद तुरंत स्पीकर औन कर दिया.  बोला, ‘‘हैलो मुन्ना भाई, कैसे हो?’’

उधर से आवाज आई, ‘‘अरे भाई तुम्हें मैं ने कितनी बार समझाया है स्पीकर औन कर बातें मत किया करो.’’

‘‘सौरी यार, दरअसल खाना खा रहा था.’’ इसी के साथ मुन्ना ने स्पीकर बंद किया और बाएं हाथ से ही फोन को कान से लगा लिया.

‘‘अरे मैं पूछ रहा था कि तुम्हारा बार में पार्टी वाला काम शुरू हुआ या नहीं?’’

‘‘बस, एक दिन और इंतजार कर लो.’’

‘‘एक क्लाइंट से एडवांस ले लूं. हम 3 लोग रहेंगे. बाकी सब ठीक है न.’’ मुन्ना बोला.

‘‘उसे रेडी कर ले. बाकी बाद में बात करता हूं.’’ मनु ने कहा.

मनु की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद मुन्ना अमित को देख कर बोला, ‘‘लीजिए, मैं ने आधे मिनट में इंतजाम कर दिया, और बोलो.’’

सब कुछ सही चलने लगा. उस ने बर्थडे पार्टी के नाम पर ग्राहकों को हुक्का, शराब और डांस के नाम पर बुलाना शुरू कर दिया था. बार में कुछ लड़कियों को देह दिखाने वाली ड्रैस पहना कर शराब परोसने के लिए लगा दिया गया था, जबकि कुछ लड़कियां म्यूजिक की धुन पर डांस करती थीं.

इस के लिए बाकायदा डांसिंग फ्लोर बनाई थी. चारों तरफ से डांसर पर रंगीन रोशनियां बरस रही थीं, उस में लड़कियों के उभार, सुडौल जांघें, चिकनी कमर, अधखुली पीठ,

सपाट पेट की नाभि की झलक दिख जाती थी. एकदो लड़कियों ने नाभि पर झुमकेनुमा जेवर लटका रखे थे. लड़कियां बीचबीच में उस की ओर अंगुली से अश्लील इशारे कर शराब पी रहे ग्राहकों को बुला लेती थीं.

2 सितंबर, 2021 को भी सामने की दीवार पर बड़ेबड़े उभरे सुनहरे अक्षरों में ‘हैप्पी बर्थडे’ लिखा हुआ था, लेकिन जन्मदिन किस का था, पता नहीं. कहीं किसी भी टेबल पर केक काटे जाने का नामोनिशान भी नहीं था. उस की जगह हुक्के जरूर रखे थे. टेबल के चारों ओर 2-3 की संख्या मे बैठे ग्राहक हुक्के की पाइप एकदूसरे के साथ शेयर कर रहे थे.

बीचबीच में शराब परोसने वाली लड़कियां वहां से गुजर जाती थीं. कुछ समय बाद कुछ ग्राहक भी डांसिंग फ्लोर पर पहुंच चुके थे. उन के आते ही एक लड़की ने अपनी मादक अदा से नाचना शुरू कर दिया था.

एक ग्राहक उस की कमर में हाथ डालने वाला ही था कि दूसरी लड़की ने उस का हाथ पकड़ कर प्यार से अपने चारों ओर घुमा लिया. कुल मिला कर पूरा दृश्य किसी 80-90 के दशक की फिल्मों जैसा ही दिख रहा था.

इस पार्टी की बात यहीं खत्म नहीं हुई. इस की भनक कृष्णानगर थाने के ड्यूटी औफिसर एसआई इमरोज को भी लग गई थी. उन्हें पता चला कि लाल क्वार्टर मार्केट में कुछ लड़के और लड़कियां शराब की पार्टी कर रहे हैं.

ड्यूटी औफिसर ने यह जानकारी थानाप्रभारी रजनीश कुमार को दी. चूंकि मामला गंभीर था, इसलिए थानाप्रभारी ने एसीपी डा. चंद्रप्रकाश को भी इस से अवगत करा दिया.

इस के बाद थानाप्रभारी रजनीश कुमार एसआई नरेश कुमार, जयदीप, अरुण भाटी आदि के साथ रेस्टोरेंट पहुंच गए. उन्होंने देखा कि रेस्टारेंट के फर्स्ट फ्लोर पर कुछ लड़केलड़कियां एक साथ बैठे थे. एक बार काउंटर लगा था. कुछ लोग शराब पी रहे थे. टेबलों पर हुक्के भी रखे हुए थे. और लोग उस की पाईप से कश लगा रहे थे.

कुछ लोगों से पूछने पर उन्होंने बताया कि वे पार्टी सेलिब्रेट करने आए थे. वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे थे. लेकिन डांस करती लड़कियां, हुक्के और शराब कुछ और ही कहानी बयां कर रही थीं.

इस के बाद रेस्टोरेंट में पुलिस टीम ने छापेमारी कर दी. छापेमारी में अवैध रूप से शराब व हुक्के की पार्टी का गंभीर मामला सामने आया. पुलिस ने मौके से हुक्के और शराब की बोतलें बरामद कीं.

साथ ही संचालक और कर्मचारियों के साथ ही मौके पर मौजूद कुल 32 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जिन में 8 लड़कियां थीं. पुलिस सभी को थाने ले आई. उन से की गई पूछताछ में पता चला कि संचालक मनु अग्निहोत्री ने पार्टी दी थी, जिस में कर्मचारी और उस के जानकार शामिल हुए थे.

पुलिस ने वहां से भारी मात्रा में शराब की बोतलें, हुक्के आदि बरामद किए. इस की सूचना पुलिस को रात के 2 बजे मिली थी. इन में से कोई भी कोरोना नियमों का पालन नहीं कर रहा था. किसी के चेहरे पर मास्क नहीं था. पुलिस के अनुसार, संचालक मनु से शराब परोसने, हुक्का बार चलाने का लाइसैंस और देर रात तक पार्टी का अनुमति पत्र दिखाने को कहा गया तो उस के पास ये दस्तावेज नहीं थे.

इस के बाद पुलिस ने रेस्तरां में मौजूद सभी लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 188, 269, 270, 285 के तहत गिरफ्तार कर सभी 32 लोगों के कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. बताया जाता है कि मनु अग्निहोत्री के दिल्ली के पहाड़गंज और कनाट प्लेस में कई रेस्तरां हैं.

समीर वानखेडे : शिकारी बन रहा शिकार

बौलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को क्रूज पार्टी में मादक पदार्थ इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार करने वाले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे खुद आरोपों के घेरे में बुरी तरह फंस रहे हैं.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेडे पर ड्रग्स रखवाने से ले कर चोरी और फरजीवाड़े तक के आरोप मढ़ दिए हैं.

इस से पूरे डिपार्टमेंट में खलबली मची हुई है. बौलीवुड अभिनेता के बेटे को गिरफ्तार करने पर जहां नारकोटिक्स विभाग चर्चा में था, वहीं अब समीर वानखेडे पर लग रहे संगीन आरोपों के कारण पूरा डिपार्टमेंट बैकफुट पर है.

क्रूज ड्रग्स केस में मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद आर्यन खान को तो 26 दिन बाद जमानत मिल गई. मगर समीर वानखेडे के खिलाफ विभागीय जांच और विजिलेंस की जांच शुरू हो चुकी है.

मुंबई पुलिस में भी दर्ज 4 एफआईआर की बिना पर ड्रग माफियाओं से उन के संबंध, धन उगाही और धोखाधड़ी की तफ्तीश हो रही है. यानी अब शिकारी अपने जाल में खुद बुरी तरह फंसता नजर आ रहा है.

नवाब मालिक ने समीर वानखेडे पर 26 आरोपों की एक लंबी चिट्ठी सोशल मीडिया पर जारी की है. उस के साथ ही समीर वानखेडे के नाम, धर्म, शादी आदि को ले कर उन का व्यक्तिगत जीवन सार्वजनिक होना शुरू हो गया है.

नवाब मलिक का आरोप है कि समीर वानखेड़े ने अपना धर्म और जाति छिपा कर नकली जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी प्राप्त की है. नौकरी में रहते हुए समीर ने कई निर्दोष और मासूम लोगों को मादक पदार्थ निषेध अधिनियम के तहत गलत तरीके से फंसा कर जेल भेजा है.

वह अपनी पावर का इस्तेमाल धन उगाही के लिए करते हैं और इस तरह फिल्म इंडस्ट्री से उन्होंने काफी पैसा बनाया है. मलिक का आरोप है कि दीपिका पादुकोण जैसी ख्यात एक्ट्रैस से भी वानखेडे ने काफी पैसा ऐंठा है.

कहा जा रहा है कि नवाब मलिक ने समीर के खिलाफ आरोपों की जो चिट्ठी सार्वजनिक की है, वह उन को नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के ही किसी शख्स ने भेजी है.

हालांकि मलिक ने उस शख्स के नाम का खुलासा अब तक नहीं किया है और चिट्ठी पर किसी के हस्ताक्षर भी नहीं हैं. मलिक ने अपने ट्विटर हैंडल से चिट्ठी साझा की है.

इस चिट्ठी की शुरुआत की लाइनों में कहा गया है, ‘मैं एनसीबी का कर्मचारी हूं और पिछले 2 सालों से मुंबई कार्यालय में कार्यरत हूं. पिछले साल जब एनसीबी को एक्टर सुशांत सिंह राजपूत मामले में ड्रग एंगल की जांच सौंपी गई, तब राजस्व खुफिया निदेशालय में काम कर रहे समीर वानखेड़े को एनसीबी के जोनल डायरेक्टर के पद पर जौइन कराया गया.’

चिट्ठी में आगे समीर वानखेड़े और एनसीबी अधिकारियों पर कई बौलीवुड सेलिब्रिटीज से पैसे मांगने और उन का उत्पीड़न करने के आरोप लगाए गए हैं.

चिट्ठी से यह भी पता चलता है कि तालाब में सिर्फ एक ही मछली तालाब को गंदा नहीं कर रही है, बल्कि समीर के साथ काम करने वाले अन्य अधिकारी, कर्मचारी भी हैं, जो उन के लिए और खुद के लिए अवैध धन उगाही करते हैं.

वे लोगों को मादक पदार्थ के झूठे केस में फंसाते हैं और छोड़ने की एवज में बड़ा अमाउंट मांगते हैं. जो नहीं दे पाते उन्हें जेल भेज दिया जाता है. समीर वानखेडे ने अपने कार्यकाल में ऐसे कई लोगों को जेल भेजा है.

चिट्ठी में आरोप है कि कार्डेलिया क्रूज पर जो छापा डाला था, उस में सभी पंचनामे एनसीबी मुंबई द्वारा लिखे गए थे. भाजपा के इशारे पर उन के 2 कार्यकर्ताओं ने समीर वानखेडे के साथ मिलीभगत से ड्रग केस बनाया है.

क्रूज पर एनसीबी के कर्मचारी एवं सुपरिटेंडेंट विश्व विजय सिंह, जांच अधिकारी आशीष रंजन, किरण बाबू, विश्वनाथ तिवारी और जूनियर इनवैस्टिगेटिंग औफिसर सुधाकर शिंदे, ओटीसी कदम, सिपाही रेड्डी, पी.डी. गोरे व विष्णु गीगा, ड्राइवर अनिल माने व समीर वानखेडे का निजी सचिव शरद कुमार व अन्य कर्मचारी अपने सामान में छिपा कर ड्रग ले गए थे, वह ड्रग उन्होंने मौका पा कर लोगों के निजी समान में रख दी.

उन्होंने बताया कि समीर वानखेडे को सर्च औपरेशन के दौरान कोई बौलीवुड कलाकार या मौडल मिलती है तो वह अपने पास रखा ड्रग उस का दिखा कर उसे आरोपी बना देते हैं. इस मामले में भी यही हुआ है.

समीर पिछले एक माह से भाजपा के 2 कार्यकर्ताओं— के.पी. गोसावी और मनीष भानुशाली के संपर्क में थे. क्रूज से जितने भी आदमी पकड़े गए थे, उन्हें एनसीबी औफिस लाया गया.

क्रूज से गिरफ्तार लोगों में से ऋषभ सचदेव, प्रतिमा व अगीर फरनीचरवाला को उसी रात दिल्ली से फोन आने पर छोड़ दिया गया. इस मामले में समीर वानखेडे की काल डिटेल्स चेक की जा सकती है.

अरबाज मर्चेंट के दोस्त अब्दुल से कोई ड्रग्स नहीं मिली थी, लेकिन समीर के कहने से उस पर भी ड्रग की रिकवरी दिखा दी गई. समीर ने इस केस में अपने (एनसीबी) कार्यालय के ड्राइवर विजय को पंच यानी गवाह बना दिया था, जबकि कानून कहता है कि गवाह स्वतंत्र होने चाहिए. यह सारा केस फरजी है. जो ड्रग प्राप्त हुई, वह समीर और उन के साथियों ने खुद प्लांट की थी.

आरोप यह भी है कि समीर वानखेड़े ने एनसीबी मुंबई में जब से कार्यभार संभाला, तब से जो भी केस एनसीबी ने किए हैं, उन में पकड़े गए लोगों से लगभग 25 खाली पेपरों पर हस्ताक्षर लिए जाते हैं और अपनी मनमरजी से पंचनामा बदल लिया जाता है.

हस्ताक्षर वाले खाली कागज एनसीबी के सभी इनवेस्टिगेटिंग औफिसर्स की मेज की दराज में रखे हैं व सुपरिटेंडेंट विश्व विजय सिंह की अलमारी में रखे हैं, जिन्हें छापा मार कर निकाल सकते हैं.

इस के साथ थोड़ी मात्रा में ड्रग्स भी समीर व विश्व विजय सिंह के कार्यालय के कमरे से बरामद की जा सकती है.

यह लंबाचौड़ा पत्र जो नवाब मलिक द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किया गया था, इस से यही लगता है कि इसे लिखने वाला नारकोटिक्स विभाग का ही कोई व्यक्ति है, इस में दोराय नहीं कि कोई घर का भेदी ही समीर वानखेडे की लंका ढहाने में लगा है.

मुंबई पुलिस के एसीपी स्तर के एक अधिकारी ने समीर वानखेडे के खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों और अन्य मुद्दों की स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है. वानखेड़े के खिलाफ मुंबई के अलगअलग थानों में 4 शिकायतें दर्ज की गई हैं.

मुंबई पुलिस ने शिकायतों की जांच के लिए 4 अधिकारियों को नियुक्त किया है. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दिलीप सावंत की देखरेख में यह जांच कराई जा रही है.

क्रूज ड्रग्स मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद उस की रिहाई के लिए 25 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप भी समीर वानखेडे पर लगे हैं, जिस की सतर्कता जांच शुरू हो चुकी है. इस में वानखेडे द्वारा गवाह बनाया गया भाजपा कार्यकर्ता किरण गोसावी बिचौलिए की भूमिका निभा रहा था.

एनसीबी की 5 सदस्यीय सतर्कता जांच टीम ने मुंबई पहुंच कर वानखेड़े के बयान दर्ज किए. टीम ने दक्षिण मुंबई के बलार्ड एस्टेट स्थित विभाग के दफ्तर से भी कुछ दस्तावेज व रिकौर्डिंग जब्त की हैं. सतर्कता जांच का नेतृत्व कर रहे एनसीबी के उपमहानिदेशक (उत्तरी क्षेत्र) ज्ञानेश्वर सिंह ने इस जांच से जुड़े सभी गवाहों को बुला कर उन के बयान दर्ज किए. समीर वानखेडे खुद को हिंदू बताते हैं. उन के पिता भी खुद को हिंदू कहते हैं मगर मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेडे के निकाहनामे को सार्वजनिक कर के उन के धर्म पर सवाल खड़ा कर दिया है.

दरअसल, समीर की मां मुसलिम थीं और पिता हिंदू. समीर की पहली शादी एक मुसलिम लड़की शबाना कुरैशी से हुई थी. जिस से बाद में तलाक हो गया. 7 दिसंबर, 2006 को मुंबई में संपन्न यह शादी मुसलिम रीतिरिवाज से हुई थी और निकाहनामे पर समीर का नाम समीर दाऊद वानखेडे लिखा था. नीचे उर्दू में उन के हस्ताक्षर भी हैं.

निकाह कराने वाले काजी ने भी इस बात की तसदीक कर दी कि समीर की शादी मुसलिम तरीके से हुई थी. शरीयत के मुताबिक गैरमुसलिम का निकाह नहीं कराया जा सकता. तो जाहिर है इस के लिए समीर ने मुसलिम धर्म अपनाया होगा क्योंकि शरीयत के मुताबिक निकाह के लिए उन का मुसलिम होना जरूरी है.

निकाह के वक्त उन्होंने 33 हजार रुपए मेहर के रूप में अदा किए थे. उन के निकाहनामे में गवाह नंबर दो अजीज खान, जोकि मुसलिम हैं, समीर वानखेडे की बहन यास्मीन के पति हैं.

निकाह कराने वाले काजी ने भी कहा है कि समीर वानखेडे उस वक्त मुसलिम थे. ऐसे में अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र के आधार पर समीर वानखेडे ने सरकारी नौकरी कैसे पा ली, इस पर बवाल उठ खड़ा हुआ है.

नवाब मलिक का कहना है, ‘‘मैं वानखेडे के धर्म या उन के व्यक्तिगत जीवन को नहीं, बल्कि उन के कपटपूर्ण कृत्य को सामने लाना चाहता हूं, जिस के जरिए उन्होंने आईआरएस की नौकरी हासिल की और एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति का हक मारा.’’

नवाब मलिक ने दावा किया है कि एनसीबी ने क्रूज पर छापेमारी नहीं की थी, बल्कि ट्रैप लगा कर कुछ लोगों को फंसाया गया है. और इस में समीर वानखेडे के साथ भाजपा के लोगों की मिलीभगत है.

मलिक कहते हैं कि अगर क्रूज की सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाएं तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी. दरअसल क्रूज के जो वीडियो सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर दिखाई दे रहे हैं उस में एक दाड़ीवाला व्यक्ति अपनी मंगेतर के साथ वहां डांस करता नजर आ रहा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक वह एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया है और समीर वानखेडे का अच्छा दोस्त है, जो तिहाड़ और राजस्थान की जेलों में कई साल सजा काट चुका है.

मलिक पूछते हैं कि वह व्यक्ति वहां क्या कर रहा था? उस को समीर वानखेडे से बात करते भी देखा गया है. इस के अलावा 2 व्यक्ति जिन्हें एनसीबी ने अपना गवाह बनाया है, वे दोनों न सिर्फ भाजपा से जुड़े हुए हैं, बल्कि उन में से एक किरण गोसावी, जो इस मामले के उछलने के बाद लखनऊ से पुणे तक अपनी जान बचा कर भागता और छिपता फिरा और जिसे पुणे में गिरफ्तार कर लिया गया है. कहा जा रहा है कि आर्यन खान को छोड़ने की एवज में उसी ने शाहरुख खान से 25 करोड़ रुपए की डील करने की कोशिश की थी.

यह व्यक्ति एक वीडियो में आर्यन खान के पास बैठा अपने मोबाइल फोन पर आर्यन का बयान रिकौर्ड करते हुए दिख रहा है और एक अन्य वीडियो में वह आर्यन का हाथ पकड़ कर ले जाते हुए भी नजर आ रहा है.

सवाल यह है कि जब यह व्यक्ति न तो पुलिस का है और न नारकोटिक्स विभाग का, तो वह ये हरकतें किस हैसियत से कर रहा था.

बहरहाल, अब आर्यन खान सहित 5 अन्य मामलों की जांच समीर वानखेडे से हटा कर एसआईटी को सौंप दी गई है. इस स्पैशल जांच टीम का निर्देशन 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी और एनसीबी के डीडीजी (औपरेशंस) संजय कुमार सिंह कर रहे हैं. देखना यह होगा कि इस जांच में समीर वानखेड़े पाकसाफ साबित होते हैं या नहीं.

मारवाड़ के लुटेरों पर पुलिस का दांव – भाग 1

राजस्थान का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. मेवाड़ और मारवाड़ की धरती शूरवीरता के लिए जानी जाती है. रेतीले धोरों और अरावली पर्वतमालाओं से घिरे इस सूबे के लोगों को भले ही जान गंवानी पड़ी, लेकिन युद्ध के मैदान में कभी पीठ नहीं दिखाई. इस के इतर राजस्थान की कुछ जनजातियां अपराध के लिए भी जानी जाती रही हैं.

लेकिन अब समय बदल गया है. ऐसे तमाम लोग हैं, जो कामयाब न होने पर अपने सपने पूरे करने के लिए जनजातियों की तरह अपराध की राह पर चल निकले हैं. अन्य राज्यों के लोगों की तरह राजस्थान के भी हजारों लोग भारत के दक्षिणी राज्यों में रोजगार की वजह से रह रहे हैं.

मारवाड़ के रहने वाले कुछ लोगों ने अपने विश्वस्त साथियों का गिरोह बना कर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में करोड़ों की चोरी, लूट और डकैती जैसे संगीन अपराध किए हैं. ये वहां अपराध कर के राजस्थान आ जाते हैं और अपने गांव या रिश्तेदारियों में छिप जाते हैं. कुछ दिनों में मामला शांत हो जाता है तो फिर वहां पहुंच जाते हैं. उन्हें वहां किसी तरह की परेशानी भी नहीं होती, क्योंकि वहां रहतेरहते ये वहां की भाषा भी सीख गए हैं. स्थानीय भाषा की वजह से ये जल्दी ही वहां के लोगों में घुलमिल जाते हैं.

मारवाड़ के इन लुटेरों ने जब वहां कई वारदातें कीं तो वहां की पुलिस इन लुटेरों की खोजबीन करती हुई उन के गांव तक पहुंच गई. लेकिन राजस्थान पहुंचने पर दांव उल्टा पड़ गया. इधर 3 ऐसी घटनाएं घट गईं, जिन में लुटेरों को पकड़ने आई तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की पुलिस खुद अपराधी बन गई. यहां तक कि चेन्नै के एक जांबाज इंसपेक्टर को जान से भी हाथ धोना पड़ा.

चेन्नै के थाना मदुरहोल के लक्ष्मीपुरम की कडप्पा रोड पर गहनों का एक काफी बड़ा शोरूम है महालक्ष्मी ज्वैलर्स. यह शोरूम मुकेश कुमार जैन का है. वह मूलरूप से राजस्थान के जिला पाली के गांव बावरा के रहने वाले हैं. वह रोजाना दोपहर के 1 बजे के करीब शोरूम बंद कर के लंच के लिए घर चले जाते थे. कुछ देर घर पर आराम कर के वह शाम करीब 4 बजे शोरूम खोलते थे.

16 नवंबर, 2017 को भी मुकेश कुमार जैन अपना जवैलरी का शोरूम बंद कर के लंच करने घर चले गए थे. शाम करीब 4 बजे जब उन्होंने आ कर शोरूम खोला तो उन के होश उड़ गए. शोरूम की छत में सेंध लगी हुई थी. अंदर रखे डिब्बों से सोनेचांदी के सारे गहने गायब थे. 2 लाख रुपए रकद रखे थे, वे भी नहीं थे. मुकेश ने हिसाब लगाया तो पता चला कि साढ़े 3 किलोग्राम सोने और 5 किलोग्राम चांदी के गहने और करीब 2 लाख रुपए नकद गायब थे.

दिनदहाड़े ज्वैलरी के शोरूम में छत में सेंध लगा कर करीब सवा करोड़ रुपए के गहने और नकदी पार कर दी गई थी. चोरों ने यह सेंध ड्रिल मशीन से लगाई थी. उन्होंने गहने और नकदी तो उड़ाई ही, शोरूम में लगे सीसीटीवी कैमरे भी उखाड़ ले गए थे.

मुकेश ने वारदात की सूचना थाना मदुरहोल पुलिस को दी. पुलिस ने घटनास्थल पर आ कर जांच की. जांच में पता चला कि शोरूम की छत पर बने कमरे से ड्रिल मशीन द्वारा छेद किया गया था.

society

शोरूम के ऊपर बने कमरे में कपड़े की दुकान थी. वह दुकान नाथूराम जाट ने किराए पर ले रखी थी. वह भी राजस्थान के जिला पाली के गांव रामावास का रहने वाला था. उसी के साथ दिनेश और दीपाराम भी रहते थे. दिनेश थाना बिलाड़ा का रहने वाला था तो दीपाराम पाली के खारिया नींव का रहने वाला था. ये तीनों पुलिस को कमरे पर नहीं मिले. पुलिस ने शोरूम के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो पता चला कि मुकेश के ज्वैलरी शोरूम में नाथूराम और उस के साथियों ने ही लूट की थी.

लूट के 2 दिनों बाद चेन्नै पुलिस ने शोरूम के मालिक मुकेश जैन को साथ ले कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए राजस्थान के जिला पाली आ कर डेरा डाल दिया. पुलिस ने पूछताछ के लिए कुछ लोगों को पकड़ा भी, लेकिन नाथूराम जाट और उस के साथियों के बारे में कुछ पता नहीं चला तो चेन्नै पुलिस लौट गई.

11 दिसंबर, 2017 को एक बार फिर चेन्नै पुलिस पाली आई. इस टीम में इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन और इंसपेक्टर टी.एम. मुनिशेखर के अलावा 2 हैडकांस्टेबल अंबरोस व गुरुमूर्ति और एक कांस्टेबल सुदर्शन शामिल थे. यह टीम पाली के एसपी दीपक भार्गव से मिली तो उन्होंने टीम की हर तरह से मदद मरने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें काररवाई करनी हो, बता दें. स्थानीय पुलिस हर तरह से उन की मदद करेगी.

इस के बाद चेन्नै से आई पुलिस अपने हिसाब से आरोपियों की तलाश करती रही. पुलिस ने नाथूराम के 2 नजदीकी लोगों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि नाथूराम पाली में जैतारण-रामवास मार्ग पर करोलिया गांव में खारिया नींव के रहने वाले दीपाराम जाट के बंद पड़े चूने के भट्ठे पर मिल सकता है.

इस सूचना पर चेन्नै पुलिस ने पाली पुलिस को बिना बताए 12 दिसंबर की रात करीब ढाई-तीन बजे करोलिया गांव स्थित दीपाराम के चूने के भट्ठे पर बिना वर्दी के छापा मारा. पुलिस की यह टीम सरकारी गाड़ी के बजाय किराए की टवेरा कार से गई थी.

टीम की अगुवाई कर रहे इंसपेक्टर पेरियापांडियन और इंसपेक्टर मुनिशेखर के पास सरकारी रिवौल्वर थी. पुलिस टीम के पहुंचते ही भट्ठे पर बने एक कमरे में सो रहे लोग जाग गए. उस समय वहां 3 पुरुष, 6 महिलाएं और कुछ लड़कियां थीं. उन सब ने मिल कर लाठीडंडों से पुलिस पर हमला बोल दिया.

अतीक अहमद : खूंखार डौन की बेबसी – भाग 1

उत्तर प्रदेश के माफिया डौन अतीक अहमद की 300 करोड़ की 27 से अधिक संपत्तियों पर योगी सरकार ने बुलडोजर चलवा दिया है. जबकि अतीक अहमद इस समय गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद है.

यह माफिया डौन 5-5 बार उत्तर प्रदेश विधानसभा का इलाहाबाद पश्चिमी सीट से चुनाव जीत कर विधायक, तो एक बार इलाहाबाद की फूलपुर संसदीय सीट से सांसद रह चुका है. अतीक अहमद पर इस समय हत्या, अपहरण, वसूली, मारपीट सहित 188 मुकदमे दर्ज हैं. जून, 2019 से अतीक अहमद गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल में हाई सिक्युरिटी जोन में बंद है.

माफिया डौन अतीक अहमद का इतना आतंक है कि उत्तर प्रदेश की 4-4 जेलें उसे संभाल नहीं सकीं. इन जेलों के जेलरों ने स्वयं सरकार से कहा कि हम इस डौन को नहीं संभाल सकते.

इस का कारण यह था कि अतीक जब उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया की जेल में बंद था, तब उस ने अपने गुंडों से लखनऊ के एक बिल्डर मोहित जायसवाल को जेल में बुला कर बहुत मारापीटा था और उस से उस की प्रौपर्टी के कागजों पर दस्तखत करा लिए थे.

अतीक अहमद ने अपना आतंक फैलाने के लिए इस मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था, जिस से लोगों में उस की दहशत बनी रहे. इस वीडियो को देखने के बाद राज्य में हड़कंप मचा तो अतीक अहमद को देवरिया की जेल से बरेली जेल भेजा गया. पर बरेली जेल के जेलर ने स्पष्ट कह दिया कि इस आदमी को वह नहीं संभाल सकते.

लोकसभा के चुनाव सामने थे. अतीक को कड़ी सुरक्षा में रखना जरूरी था. इसलिए इस के बाद उसे इलाहाबाद की नैनी जेल में शिफ्ट किया गया. उधर देवरिया जेल कांड का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने सीबीआई को मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दिए.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अतीक अहमद, उस के बेटे के अलावा 4 सहयोगियों सहित 10-12 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. जब अतीक के सारे कारनामों की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल, 2019 को यूपी सरकार को अतीक अहमद को राज्य के बाहर किसी अन्य राज्य की जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भेजा गुजरात

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 3 जून, 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार ने गुजरात सरकार के नाम 3 लाख रुपए का ड्राफ्ट जमा करा कर अतीक को फ्लाइट से अहमदाबाद भेजा. फिलहाल वह गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद है.

यह 3 लाख रुपए का ड्राफ्ट अतीक अहमद को जेल में रखने का मात्र 3 महीने का खर्च था. उस के बाद हर 3 महीने पर अतीक अहमद को अहमदाबाद की जेल में रखने का खर्च उत्तर प्रदेश का कारागार विभाग गुजरात सरकार को भेजता है.

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पिछले 40 सालों में अतीक अहमद ने अपनी धाक राजनीतिक पहुंच के बल पर ऐसी बनाई है कि उस के सामने कोई आंख मिला कर बात करने का साहस नहीं कर सकता. 5 फुट 6 इंच की ऊंचाई और जबरदस्त शरीर वाले अतीक अहमद की आंखें ही इतनी खूंखार हैं कि किसी को उस के सामने देख कर बात करने का साहस ही नहीं होता.

अतीक अहमद के सामने जो भी सीना तान कर आया, उस की हत्या करा दी गई. उस पर 6 से अधिक हत्या के मामले चल रहे हैं. इस डौन के गैंग में 120 से भी अधिक शूटर हैं. पुलिस ने अतीक अहमद के गैंग का नाम आईएस (इंटर स्टेट) 227 रखा है. इस के गैंग का मुख्य कारोबार इलाहाबाद और आसपास के इलाके में फैला है. अतीक अहमद ने साबित कर दिया है कि पुलिस गुलाम है और सरकार के नेता वोट के लालच में कुछ भी कर सकते हैं. किसी भी डौन को नेता बना सकते हैं. अतीक अहमद की कहानी में मोड़ 1979 से आया.

10 अगस्त, 1962 को पैदा हुए अतीक अहमद के पिता इलाहाबाद में तांगा चलाते थे. इलाहाबाद के मोहल्ला चकिया के रहने वाले फारुक तांगे वाले के रूप में मशहूर पिता के संघर्ष को अतीक ने करीब से देखा था. हाईस्कूल में फेल हो जाने के बाद उस ने पढ़ाई छोड़ दी थी. 17 साल की उम्र में उस पर कत्ल का पहला इल्जाम लगा था. उस के बाद वह अपराध की दुनिया में कूद पड़ा.

यह तब की बात है, जब इलाहाबाद में नए कालेज बन रहे थे, उद्योग लग रहे थे. जिस की वजह से खूब ठेके बंट रहे थे. तभी कुछ नए लड़कों में अमीर बनने का ऐसा चस्का लगा कि वे अमीर बनने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे. कुछ भी यानी हत्या, अपहरण और रंगदारी की वसूली.

अमीर बनने का चस्का अतीक को भी लग चुका था. 17 साल की उम्र में ही उस पर एक कत्ल का इल्जाम लग चुका था, जिस की वजह से लोगों में उस की दहशत बैठ गई थी. उस का भी धंधा चल निकला. वह ठेके लेने लगा, रंगदारी वसूली जाने लगी.

उस समय इलाहाबाद का डौन चांदबाबा था. पुराने शहर में उस का ऐसा खौफ था कि उस के सामने किसी की बोलने की हिम्मत नहीं होती थी. चौक और रानीमंडी के उस के इलाके में पुलिस भी जाने से डरती थी. कहा जाता है कि उस के इलाके में अगर कोई खाकी वर्दी वाला चला जाता था तो बिना पिटे नहीं आता था.

तब तक अतीक 20-22 साल का ठीकठाक गुंडा माना जाने लगा था. चांदबाबा का खौफ खत्म करने के लिए नेता और पुलिस एक खौफ को खत्म करने के लिए दूसरे खौफ को शह दे रहे थे. इसी का नतीजा था कि अतीक बड़े गुंडे के रूप में उभरने लगा. परिणाम यह निकला कि वह चांदबाबा से ज्यादा पुलिस के लिए खतरा बनता गया.

अतीक ने बना लिया अपना गैंग

अतीक अहमद ने इलाहाबाद में अपना गैंग बना लिया था. अपने इसी गैंग की मदद से वह इलाहाबाद के लिए ही नहीं, अगलबगल के कस्बों के लिए भी आतंक का पर्याय बन गया था. केवल गैंग बना लेना ही बहादुरी नहीं होती, गैंग का खर्च, उन के मुकदमों का खर्च, हथियार खरीदने के लिए पैसे आदि की भी व्यवस्था करनी होती है. इस के लिए अतीक गैंग की मदद से इलाहाबाद के व्यापारियों का अपहरण कर फिरौती तो वसूलता ही था, शहर में रंगदारी भी वसूली जाने लगी थी.

इस तरह अतीक अहमद पुलिस के लिए चांदबाबा से भी ज्यादा खतरनाक बन गया था. पुलिस उसे और उस के गैंग के लड़कों को गलीगली खोज रही थी.

आखिर एक दिन पुलिस बिना लिखापढ़ी के अतीक को उठा ले गई. उसे कहां ले जाया गया, कुछ पता नहीं था. यह सन 1986 की बात है.

उस समय राज्य में वीर बहादुर सिंह की सरकार थी तो केंद्र में राजीव गांधी की. अतीक को पुलिस कहां ले गई, इस की किसी को खबर नहीं थी. सभी को लगा कि अब उस का खेल खत्म हो चुका है.

काफी खोजबीन की गई. जब कहीं उस का कुछ पता नहीं चला तो इलाहाबाद के ही एक कांग्रेसी सांसद को सूचना दी गई. कहा जाता है कि वह सांसद राजीव गांधी के बहुत करीबी थे. उन्होंने राजीव गांधी से बात की. दिल्ली से लखनऊ फोन आया और लखनऊ से इलाहाबाद.

अपना ही तमाशा बनाने वाली एक लड़की : भाग 4

यह कह कर ऋषिराज वहां से चला गया. उस के जाने के बाद उर्वशी ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया था. उर्वशी को एमएनआईटी छोड़ने के बाद ऋषिराज अपने फ्लैट पर पहुंचा और सामान समेट कर कमरे को खाली कर के फरार हो गया.

शुरुआती पूछताछ में उर्वशी ऋषिराज के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार करती रही, लेकिन जब मोबाइल लोकेशन के आधार पर उसे पकड़ कर दोनों का आमनासामना कराया गया तो उर्वशी ने सारा सच उगल दिया.

पूछताछ में पता चला कि दोनों ब्लैकमेलिंग करने के लिए पहले युवकों को ढूंढते थे और फिर पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे कर उन से रकम ऐंठते थे. इस मामले में उर्वशी ने रिपोर्ट दर्ज कराते समय संदीप और ब्रजेश का नाम लिया था.

संदीप ने उर्वशी से उस की सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे. लेकिन संदीप से उर्वशी को कुछ नहीं मिला तो उस ने पुलिस के सामने संदीप का नाम ले लिया. संदीप खुद को बैंक मैनेजर का लड़का बताता था, इसलिए उर्वशी को उस से मोटी रकम मिलने की उम्मीद थी.

संदीप लांबा को जब इस षडयंत्र का पता चला तो उस ने जवाहर सर्किल थाने में खुद के साथ ब्लैकमेलिंग व आपराधिक षडयंत्र की लिखित रिपोर्ट दी. जांच में यह भी सामने आया कि उर्वशी ब्रजेश से भी पहले से ही अच्छी तरह परिचित थी. उन की फोन पर बातें होती रहती थीं. ऋषिराज ने ही ब्रजेश को उर्वशी से मिलवाया था. उर्वशी ब्रजेश को फोन कर के बुलाती थी, लेकिन वह उन के झांसे में नहीं आया.

पुलिस का कहना था कि ऋषिराज मीणा ने उर्वशी के साथ मिल कर लोगों को दुष्कर्म के केस में फंसाने की धमकी दे कर उन्हें ब्लैकमेल कर के मोटी रकम ऐंठने की योजना बनाई थी. ऋषिराज संदीप और ब्रजेश से करीब 5 लाख रुपए में सौदा करना चाहता था. इन पैसों से वह अपना कोई व्यापार करना चाहता था.

पुलिस ने षडयंत्र रच कर गैंगरेप की मनगढं़त कहानी बना कर झूठा मुकदमा दर्ज कराने, अवैध व फरजी आईडी से अलगअलग सिम व मोबाइल रखने और ब्लैकमेलिंग कर के धन ऐंठने के आरोप में उर्वशी और ऋषिराज मीणा को 13 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने इन के कब्जे से 6 मोबाइल फोन और 15 सिम बरामद किए. ऋषिराज मीणा सवाई माधोपुर जिले के वजीरपुर थाना इलाके के बढोद गांव के रहने वाले रामफल मीणा का बेटा था. उस के खिलाफ चोरी व गबन के 2 मामले पहले से दर्ज हैं.

पुलिस जांच में सामने आया है कि उर्वशी के जयपुर आने के बाद से ऋषिराज उस के साथ रिलेशनशिप में रह रहा था. उस ने लोगों को फंसाने के लिए घटना से 20 दिनों पहले ही प्रेमनगर में 8 हजार रुपए महीने पर किराए का फ्लैट लिया था. वह जल्दी ही उर्वशी से शादी करना चाहता था और उर्वशी के माध्यम से लोगों को दुष्कर्म के केसों में फंसा कर ब्लैकमेल करने के बाद मोटी रकम ऐंठ कर पैसे वाला बनना चाहता था.

इस के लिए उस ने उर्वशी का ब्रेनवाश भी कर दिया था. उर्वशी भी सहयोग करने के लिए तैयार हो गई थी. जांचपड़ताल में यह भी सामने आया है कि ऋषिराज और उर्वशी मिल कर आगरा और मैनपुरी में ब्लैकमेलिंग की 5 वारदात कर चुके थे. उर्वशी जब काशीपुर छोड़ कर आगरा आ गई थी तो ऋषिराज उस से मिलने आगरा जाया करता था.

पुलिस ने 14 जनवरी को ऋषिराज व उर्वशी को मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर के एक दिन के रिमांड पर लिया. पूछताछ में पता चला कि उर्वशी और उस के पिता के 4 बैंक खातों में करीब 5 लाख रुपए की रकम जमा है. पुलिस को शक है कि यह राशि ब्लैकमेलिंग की है.

उर्वशी ने इस रकम के बारे में पुलिस को बताया कि उस के पिता ने गांव में जमीन बेची थी, जबकि मैनपुरी से पुलिस को पता चला कि उर्वशी के पिता ने अभी तक कोई जमीन नहीं बेची है. उर्वशी के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि बैंक खातों में 5 लाख रुपए जमा कर सके. इसलिए पुलिस इस रकम के बारे में भी जांच कर रही है.

पुलिस ने रिमांड अवधि पूरी होने पर 15 जनवरी को दोनों आरोपियों को फिर मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया. मजिस्ट्रैट ने ऋषिराज व उर्वशी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है. पुलिस उर्वशी की ओर से सदर थाने में दर्ज कराए गए मामले और जवाहर सर्किल थाने में संदीप लांबा की ओर से दर्ज कराए गए मामले की जांचपड़ताल कर रही है.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, उर्वशी परिवर्तित नाम है.

दब गया ममता का सुर : किन बातों में उलझी रह गई थी वो

18 जनवरी, 2016 को थाना कलानौर पुलिस को हरियाणा पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि बनियानी गांव के पास एक खेत में महिला की लाश पड़ी है. खबर मिलते ही कलानौर के थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ बनियानी गांव पहुंच गए. जहां लाश पड़ी थी, वहां काफी लोग जमा थे. जिस खेत में लाश पड़ी थी, वह बनियानी गांव के ही लाला का था.

गांव वालों ने पुलिस को बताया कि मरने वाली महिला का नाम ममता शर्मा है और वह हरियाणवी भजन और लोकगीत गाती हैं. पुलिस ने लाश का मुआयना किया तो पता चला कि उस का गला कटा हुआ है. इस के अलावा उस के सीने पर भी कई घाव थे.

जिस बनियानी गांव में यह लाश मिली थी, वह गांव प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का था. इस के अलावा मरने वाली महिला एक जानीमानी लोकगायिका थी. मामला तूल न पकड़ ले, यह सोच कर थानाप्रभारी ने इस बात की जानकारी तुरंत अधिकारियों के अलावा फोरैंसिक टीम को दे दी. मृतका ममता शर्मा को सभी जानते थे. वह रोहतक के कलानौर कस्बे के डीएवी चौक की रहने वाली थीं. पुलिस ने ममता शर्मा के घर वालों को भी घटना की सूचना दे दी थी.

सूचना पा कर एसपी पंकज नैन, डीएसपी रोहताश सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे. फोरैंसिक टीम ने भी पहुंच कर अपना काम शुरू कर दिया था. कुछ देर में मृतका का बेटा भारत शर्मा और पति कुछ लोगों के साथ वहां पहुंच गए थे. लाश देख कर वे फफकफफक कर रोने लगे थे. एसपी पंकज नैन ने मृतक के घर वालों को सांत्वना दे कर बातचीत शुरू की.

इस बातचीत में 20 वर्षीय मृतका के बेटे भारत शर्मा ने बताया कि उस की मां को गोहाना की गऊशाला में मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में जाना था. वह 14 जनवरी, रविवार को सुबह साढ़े 8 बजे के करीब मोहित के साथ घर से निकली थीं. मोहित रोहतक की कैलाश कालोनी में रहता है. वह उन का साथी कलाकार था. पिछले 2 सालों से वह उन के साथ काम कर रहा था.

मां के घर से निकलने के 2 घंटे बाद मोहित ने फोन कर के उसे बताया था कि उस की मां रास्ते में ब्रेजा गाड़ी में बैठ कर 2 लोगों के साथ चली गई हैं. उन्होंने जाते समय उस से कहा था कि वह सीधे गोहाना के प्रोग्राम में पहुंच जाएंगी.

पूछताछ में भारत ने पुलिस को बताया कि मोहित उस की मां का साथी कलाकार था, इसलिए उस ने उस की बातों पर विश्वास कर लिया. यह भी सोचा कि मां को कहीं और जाना होगा, इसलिए वह अपने किसी परिचित की ब्रेजा कार से चली गई होंगी.

मोहित गोहाना की उस गऊशाला पहुंच गया था, जहां ममता शर्मा के साथ उस का कार्यक्रम था. ममता को न देख कर उस ने कार्यक्रम के आयोजकों से पूछा. आयोजकों ने बताया कि वह अभी तक नहीं आई हैं. भारत शर्मा ने पुलिस को बताया कि जब मोहित ने उसे बताया कि ममता शर्मा गोहाना प्रोग्राम में नहीं पहुंची हैं तो वह परेशान हुआ. उस ने मां को फोन किया तो उन के फोन की घंटी तो बज रही थी, पर वह फोन नहीं उठा रही थीं.

घर वालों ने अपनी रिश्तेदारियों और अन्य संभावित जगहों पर फोन कर के उन के बारे में पूछा, पर कहीं भी उन का पता नहीं चला. तब थाना कलानौर में उन की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी. भारत ने एसपी को बताया कि वह 4 दिनों से थाने के चक्कर लगा रहा था, लेकिन थाने वालों ने कुछ नहीं किया. उन्होंने उन्हें ढूंढने की बिलकुल कोशिश नहीं की.

अगले दिन भी मां के मोबाइल फोन की घंटी बजती रही. यह बात उस ने पुलिस को भी बताई, लेकिन पुलिस ने उन के फोन की भी जांच करने की जरूरत नहीं समझी. अगर पुलिस उन के फोन की जांच करते हुए काररवाई करती तो उस की मां की शायद यह हालत न होती.

एसपी के पास में थाना कलानौर के थानाप्रभारी भी खड़े थे. अपनी लापरवाही सामने आने पर वह सकपका गए. उन के चेहरे का रंग उड़ गया. चूंकि एसपी ने उस समय थानाप्रभारी से कुछ नहीं पूछा, इसलिए एसपी के सामने उन्होंने चुप रहना ही उचित समझा. थानाप्रभारी को मामले का खुलासा करने से संबंधित जरूरी निर्देश दे कर एसपी साहब रोहतक लौट गए.

लाश की शिनाख्त हो चुकी थी, इसलिए थानाप्रभारी ने मौके की जरूरी काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अखबारों ने ममता शर्मा की हत्या की खबर को महत्त्व दे कर छापा. इस की वजह यह थी कि एक तो मृतका जानीमानी हरियाणवी लोकगायिका थीं और दूसरे उन की लाश मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के गांव में मिली थी. बहरहाल, लोकगायिका ममता शर्मा की हत्या की खबर से लोगों में हड़कंप मच गया. लोग कानूनव्यवस्था पर अंगुली उठाने लगे.

कई कलाकारों की हो चुकी है हत्या

एक वजह यह भी थी कि करीब 3 महीने पहले हरियाणवी सिंगर हर्षिता दहिया की पानीपत में गोली मार कर हत्या हुई थी. भले ही उस की हत्या उस के जीजा ने की थी, पर किसी कलाकार की हत्या होना कानूनव्यवस्था पर तो प्रश्नचिह्न उठाता ही है.

हरियाणा में बढ़ती रेप की घटनाओं से वैसे भी वहां की महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. पिछले साल हरियाणवी डांसर आरती भौरिया को भी जान से मारने और रेप की धमकी दी गई थी. सोचने वाली बात यह है कि हरियाणा की जो सरकार बेटियों को बचाने की बात करती है, वहीं पर सब से ज्यादा दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं.

पुलिस के लिए यह मामला एक तरह से चुनौती था. पुलिस ने एक बार फिर मृतका के घर वालों से बात की. उन से पूछताछ के बाद मोहित कुमार से बात की. कार्यक्रम में जाने के लिए मोहित भी उन के साथ घर से निकला था. मोहित ने बताया कि गोहाना जाते हुए रास्ते में उन्हें लाहली गांव के पास ब्रेजा कार सवार 2 युवक मिले थे, जो शायद ममता की जानपहचान वाले थे. वह उन्हीं युवकों के साथ उन की कार में बैठ कर चली गई थीं. उन्होंने कहा था कि वह सीधे गोहाना के प्रोग्राम में पहुंच जाएंगी.

पुलिस ने मोहित से उस ब्रेजा कार का नंबर पूछा तो वह नंबर नहीं बता सका. इस का मतलब लाहली गांव तक ममता शर्मा को देखा गया था. उस के बाद वह कहां गईं, पता नहीं था. कोई क्लू न मिलने पर पुलिस ने मोहित को हिदायत दे कर घर भेज दिया.

पुलिस ने मृतका के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि 14 जनवरी को लापता होने के बाद उन का मोबाइल फोन 58 घंटे तक औन रहा. पुलिस को संदेह होने लगा कि क्या लापता होने के 3 दिनों बाद तक ममता शर्मा जीवित थीं या फिर उन का फोन 3 दिनों तक किसी के पास था, जिस पर फोन आते रहे.

रोहतक के कस्बा कलानौर की रहने वाली 40 वर्षीया ममता शर्मा के परिवार में 20 साल का बेटा भारत शर्मा और एक बेटी है. पति एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं. संगीत से एमए ममता शर्मा को हरियाणवी भजन और लोकगायकी का पहले से ही शौक था. लेकिन पहले वह व्यावसायिक रूप से नहीं गाती थीं. पर करीब 6 साल पहले उन्होंने स्टेज कार्यक्रम करने शुरू कर दिए. लोगों ने उन के भजन और फोक सौंग बहुत पसंद किए.

धीरेधीरे उन की आवाज और प्रस्तुति लोगों को भाने लगी तो उन्हें कार्यक्रमों में भी बुलाया जाने लगा. वह स्थानीय भाषा में जिस अंदाज में भजन और लोकगीत गातीं तो लोग झूमने लगते थे. धीरेधीरे प्रदेश में उन की पहचान बनती गई और उन के फैंस की संख्या बढ़ती गई.

ममता शर्मा के साथ पहले गोरड़ का एक युवक रहता था. उस ने उन के साथ करीब 4 सालों तक काम किया, पर उस की शादी हो गई तो दोनों में दूरियां बन गईं. इस के बाद ममता ने मोहित शर्मा के साथ काम करना शुरू किया. जब भी दोनों किसी कार्यक्रम में जाते, मोहित ही गाड़ी चलाता था.

ममता के पहले साथी से भी की गई पूछताछ

पुलिस ने गोरड़ के उस युवक से भी पूछताछ की, जो ममता के साथ 4 साल काम करने के बाद किनारा कर गया था. अलगअलग तरीके से की गई पूछताछ के बाद भी उस युवक से हत्या के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल सकी तो पुलिस ने उसे भी घर भेज दिया.

काफी कोशिशों के बावजूद भी पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ रही थी. न ही ऐसा कोई क्लू मिल रहा था, जिस से जांच कर के केस का खुलासा हो सके. आला अधिकारियों का थानाप्रभारी पर काफी दबाव था.

थानाप्रभारी एक बार फिर बनियानी के उस खेत पर उसी जगह पहुंचे, जहां ममता शर्मा की लाश मिली थी. जहां लाश मिली थी, वह रास्ता रोहतक भिवानी रोड से करीब 500 मीटर अंदर की तरफ पड़ता है. जहां लाश मिली थी, वह जगह एकदम सुनसान सी रहती है. पर भाली और बनियानी गांव जाने का यह मुख्य रास्ता है. पुलिस ने इन दोनों गांवों के कुछ संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की, पर नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा.

मोहित ने पुलिस को ब्रेजा कार में ममता शर्मा के जाने की बात बताई थी. उस का नंबर नहीं मिला था, इसलिए पुलिस ने सड़कों के किनारे लगे सीसीटीवी कैमरे तलाशने शुरू किए, ताकि उधर से गुजरने वाली ब्रेजा कारों को जांच के दायरे में लाया जा सके. काफी भागदौड़ के बाद भी पुलिस को कोई सफलता नहीं मिल सकी.

अब तक की जांच से पुलिस इस नतीजे पर पहुंची थी कि ममता शर्मा की हत्या किसी नजदीकी ने ही की है. इसलिए थानाप्रभारी ने मृतका के पति और बेटे से एक बार फिर पूछताछ की. उन से यह भी पूछा कि उन की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं है. घर वालों ने ऐसी बात होने से इनकार कर दिया.

इस के बाद पुलिस ने गोपनीय तरीके से ममता शर्मा के पति की जांच कराई कि कहीं उस का किसी महिला से कोई चक्कर तो नहीं है. क्योंकि ऐसे मामलों में भी लोग पत्नी की हत्या करा देते हैं या खुद कर देते हैं. जांच में पता चला कि ममता का पति बेहद सीधा और सरल स्वभाव का है. वह ममता को बेहद प्यार करता था.

पुलिस जिस भी हिसाब से जांच करती, वह फेल हो जाता. घुमाफिरा कर थानाप्रभारी की नजरों में मोहित कुमार ही आ रहा था. उन्होंने उसे एक बार फिर पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया. मोहित ने इस बार भी पुलिस को वही कहानी सुना दी, जो पहले सुना चुका था. वह रटीरटाई कहानी सुनाने के अलावा आगे कुछ नहीं बता रहा था.

थानाप्रभारी को मोहित की इस कहानी पर कुछ शक हुआ तो उन्होंने एसपी पंकज नैन से बात की. उन के निर्देश पर थानाप्रभारी ने मोहित से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. आखिर उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने ममता शर्मा की हत्या अपने दोस्त संदीप के साथ मिल कर की थी.

उस ने बताया कि बातचीत के दौरान उस की ममता शर्मा से कहासुनी हो गई. 14 जनवरी को वह ममता के साथ गोहाना के कार्यक्रम में जाने के लिए निकला था. रास्ते में उन से उस की कहासुनी हो गई. इसी कहासुनी के बीच कलानौर में स्कूल मोड़ के पास उस ने चाकू से वार कर के उन की हत्या कर दी थी. इस के बाद दोस्त संदीप की मदद से लाश को बनियानी गांव के पास खेत में फेंक आया था.

लाश ठिकाने लगाने के बाद उस ने ममता शर्मा के घर वालों और पुलिस को ब्रेजा कार वाली कहानी सुना दी. पुलिस ने मोहित की निशानदेही पर उस के दोस्त संदीप को भी गिरफ्तार कर लिया था.

दोनों अभियुक्तों को 20 जनवरी, 2018 को अदालत में पेश कर के 24 घंटे के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में पूछताछ में पुलिस को और भी कुछ तथ्य मिलने की उम्मीद है. कथा लिखने तक दोनों अभियुक्त पुलिस हिरासत में थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ऊधमसिंह नगर में धंधा पुराना लेकिन तरीके नए : भाग 3

इसी तरह से दूसरी 21 वर्षीया युवती ने अपना नाम पूजा यादव बताया. उस ने कहा कि उस का पति उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के गांव सनसडा में रहता है. तीनों से गहन पूछताछ के बाद उन की तलाशी ली गई. तलाशी में उन के पास से 2 स्मार्टफोन बरामद हुए. मोबाइलों में तमाम अश्लील फोटो, वीडियो के साथ ही अनेक अश्लील मैसेज भी भरे हुए थे.

उन्हीं मैसेज से मालूम हुआ कि ये दोनों महिलाएं एक रात के 1000 से 1500 रुपए लेकर ग्राहकों की रातें रंगीन करती थीं.

उन के साथ पकड़ा गया भगवान दास का काम ग्राहक तलाशना होता था. वह उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने का काम करता था. बदले में 500 रुपए वसूलता था. दास ने बताया कि वह ग्राहक की जानकारी होटलों में ठहरने वालों से जुटाता था.

इस के लिए अपने संपर्क में आई युवतियों को किसी एकांत जगह पर कार में बैठा कर रखता था और फिर वहीं से ग्राहकों के फोन का इंतजार करता था. जैसे ही किसी ग्राहक का फोन आता वह 10 से 15 मिनट में उस के बताए स्थान पर लड़की को पहुंचा देता था.

तीनों 21 जुलाई को ग्राहक का फोन आने का ही इंतजार कर रहे थे. उन की कोई सूचना नहीं मिल पाने के कारण वे आपस में ही हंसीमजाक करते हुए टाइमपास कर रहे थे. ऐसा करते हुए वे बीचबीच में अश्लील हरकतें भी करने लगे थे.

उस दिन भगवान दास ने दोनों को 1500-1500 रुपयों में तय किया था. लेकिन जब काफी समय गुजर जाने के बाद भी उसे कोई ग्राहक नहीं आया था. पुलिस मुखबिर की निगाह उन पर गई और उन्होंने पुलिस को इस की सूचना दे दी.

पूछताछ में भगवान दास ने कई मोबाइल नंबर दिए, जो देहव्यापार करने वाली महिलाओं के थे. वे अपनी बुकिंग एक दिन पहले करवा लेती थीं. बुकिंग के आधार पर ही उन्हें होटल या किसी निजी घर पर ले जाया जाता था. उन्हें ले जाने वाला ही उन का सौदा पक्का कर देता था. औनलाइन पेमेंट आने के बाद ही बताए जगह पर पहुंचती थीं.

इस मामले को थाना ट्रांजिट कैंप में दर्ज किया गया. पकड़े गए व्यक्तियों पर  सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें कर अनैतिक देह व्यापार करने के संबंध में रिपोर्ट दर्ज की गई.

उन पर आईपीसी की धारा 294/34 लगाई गईं. इसी के साथ उन्हें अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 5/7/8 के तहत काररवाई की गई.

किसान आंदोलन का भी  पड़ा धंधे पर असर

3 साल पहले यानी 2018 तक काशीपुर की अनाज मंडी भी इस धंधे के लिए काफी बदनाम थी. आज भी स्थिति कमोबेश वैसी ही बनी हुई है. हालांकि कोरोना काल की वजह से उस में थोड़े समय के लिए मंदी जरूर आई, फिर पहले जैसी स्थिति बन गई.

मंडी देह का फूलनेफलने की भी वजह है. फसल ले कर आने वाले किसानों के अनाज की साफसफाई के लिए आढ़तियों की दुकानों पर औरतें काम करती हैं. उन की संख्या वे 2 ढाई सौ के करीब है.

फसल के ढेर पर झाड़ू लगाने वाली अधिकतर औरतें बिजनौर जिले की रहने वाली हैं, लेकिन काशीपुर में ही किराए का कमरा ले कर रहती हैं.

वे औरतें सुबहसुबह सजसंवर कर मंडी पहुंच जाती हैं. अपनी खूबसूरती का जलवा दिखा कर किसानों और व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. वह मजदूरों को भी अपने जाल में आसानी से फांस लेती हैं. यह सब उन की आमदनी का एक अतिरिक्त जरिया होता है.

जितने पैसे वे मंडी में अनाजों के ढेर पर झाड़ू लगा कर नहीं कमा पातीं, उस से कहीं ज्यादा पैसा उन्हें देह व्यापार के धंधे में मिल जाता है.

हालांकि वह सब उन को ठीक भी नहीं लगता. उन्हें न केवल परिवार और समाज की नजरों से छिप कर रहना पड़ता है, बल्कि पुलिसप्रशासन से बच कर भी रहना जरूरी होता है. ऊपर से बदनामी का भी डर लगा रहता है.

उन की कोशिश रहती कि वे किसी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नहीं पकड़ी जाएं. जबकि हमेशा उन के मन के अनुकूल स्थिति बनी रहना संभव नहीं होती. नतीजा पुलिस की छापेमारी में कुछ पकड़ी जाती हैं तो कुछ अड्डे से भागने में सफल हो जाती हैं.

देह व्यापार के धंधे में लगे रहने की उन की मजबूरी थी. एक अड्डा बंद होता है तो उन के द्वारा तुरंत नया ठिकाना बना लिया जाता है. वैसे अधिकतर औरतों के पति दिहाड़ी मजदूरी करने वाले या फिर रिक्शा चलाने वाले हैं. वह शाम तक जितना कमाते हैं, उस का बड़ा हिस्सा शराब में उड़ा देते हैं.

शाम को घर पहुंचने पर घर का खर्च बीवी से चलाने की उम्मीद करते हैं. घर चलाने के खर्च से ले कर कमरे का किराया, कपड़ेलत्ते, बच्चों की परवरिश आदि तक उन्हीं के कंधों पर रहती है.

उस के बावजूद शराबी पतियों की मारपीट भी झेलनी पड़ती है. यह उन की दिनचर्या में शामिल हो चुका है. इस तरह देह के धंधे को अपनाने की मजबूरी बन गई है.

किसान कानून में बदलाव आने का असर उन के धंधे पर भी हुआ. कारण इस कानून के लागू होने पर किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए आजाद हो गए. इस वजह से उन का काशीपुर की मंडी में आनाजाना बहुत कम हो गया. इस का असर उन औरतों के धंधे पर भी हुआ.

अनाज की मंडियों का काम ढीला होने से पहले के मुकाबले वहां औरतें कम आने लगी हैं. मजबूरी में उन्होंने नया तरीका निकाला और अपने घरों में ही धंधा करना शुरू कर दिया. जबकि वह जानती हैं कि यह धंधा किसी भी सूरत में महफूज नहीं है.

अपना ही तमाशा बनाने वाली एक लड़की : भाग 3

उर्वशी अपने पिता व भाईबहनों के साथ उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में रहती थी. उस की मां की कुछ समय पहले मौत हो गई थी. उस के पिता मानसिक रूप से कमजोर थे. परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी. उर्वशी के 2 भाई और 2 बहनें हैं.

करीब 2 साल पहले घर में उर्वशी का अपने अविवाहित भाई से झगड़ा हो गया था. तब वह नाराज हो कर अपनी बुआ के पास काशीपुर चली गई थी. काशीपुर में रहते हुए वह प्राइवेट ग्रैजुएशन की तैयारी करने लगी, साथ ही वह सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी.

करीब 5-6 महीने पहले ऋषिराज मीणा किसी काम से काशीपुर गया था, जहां उस की मुलाकात उर्वशी से हुई. उर्वशी उसे स्वच्छंद लड़की लगी. 2-4 दिन वहां रहने के दौरान ऋषिराज की उर्वशी से घनिष्ठता हो गई. दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए. बाद में ऋषिराज जयपुर आ गया. इस के बाद भी उर्वशी और ऋषिराज में लगातार बातें होती रहीं.

उर्वशी आगरा जा कर रहने लगी तो उस दौरान भी ऋषिराज की उस से लगातार बातें होती रहीं. कई बार बातोंबातों में उर्वशी ने ऋषिराज को अपनी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं होने और नौकरी करने की बात बताई. इस पर ऋषिराज ने उसे जल्दी ही रेलवे में नौकरी लगवाने का विश्वास दिलाया.

घटना से करीब ढाई-3 महीने पहले ऋषिराज ने उर्वशी को फोन कर के कहा कि वह जयपुर आ जाए. वह उसे किराए का मकान दिलवा देगा. जयपुर में रहेगी तो नौकरी तलाशने में आसानी रहेगी. ऋषिराज के कहने पर उर्वशी जयपुर आ गई. ऋषिराज ने जगतपुरा की सरस्वती कालोनी में उसे किराए का मकान दिलवा दिया. ऋषिराज तो उर्वशी का पहले से ही परिचित था. जयपुर में उस की कई अन्य युवकों से भी दोस्ती हो गई. युवकों से दोस्ती के चलते मकान मालिक ने उसे निकाल दिया.

उर्वशी ने ऋषिराज को समस्या बताई तो उस ने जगतपुरा में ही जगदीशपुरी कालोनी में उसे किराए का दूसरा मकान दिलवा दिया. कुछ समय बाद उर्वशी अपने पिता व छोटे भाई को भी जयपुर ले आई. जयपुर आ कर वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी. उस ने कुछ समय पहले स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की परीक्षा के लिए फार्म भरा था.

उस का परीक्षा केंद्र अलवर में पड़ा था. 9 जनवरी को उस की परीक्षा थी. इस के लिए वह जयपुर से अलवर गई. परीक्षा समाप्त होने के बाद वह 9 जनवरी को अलवर से शाम को मुजफ्फरनगर-पोरबंदर एक्सप्रैस टे्रन में सवार हो कर शाम सवा 7 बजे जयपुर जंक्शन पर उतरी. ट्रेन से उतर कर उर्वशी ने करीब 7 बज कर 20 मिनट पर अपने छोटे भाई को फोन कर के कहा कि उसे घर पहुंचने में देर हो जाएगी. वे लोग खाना खा कर सो जाएं. वह जब घर आएगी तो दरवाजा खटखटा देगी.

उर्वशी जयपुर जंक्शन से औटो में बैठ कर जगतपुरा पहुंची. वहां उसे ऋषिराज मीणा मिला. ऋषिराज ने औटो का 180 रुपए किराया चुकाया और उसे अपनी पल्सर बाइक पर बैठा कर जगतपुरा में ही प्रेमनगर स्थित अपने फ्लैट नंबर 280 पर ले गया. तय योजना के अनुसार, उर्वशी ने रात करीब 10 बजे अपने परिचित युवक संदीप लांबा को अपने पास बुला लिया.

संदीप को उर्वशी ने 9 जनवरी को दिन में ही फोन कर के कहा था कि रात को उस के घर वाले घर पर नहीं रहेंगे, इसलिए वह रात को उस के घर आ जाए. जयपुर जंक्शन से औटो में जगतपुरा जाते समय भी उर्वशी ने संदीप को बता दिया था कि वह रात को 280 प्रेमनगर, जगतपुरा आ जाए.

उर्वशी के इस तरह बुलाने से संदीप लांबा खुश था. संदीप ने अपनी गर्लफ्रैंड उर्वशी के पास जाने के लिए अपने एक मित्र पोलू जाट से 5 सौ रुपए उधार लिए और सजधज कर अपने कमरे से निकला. संदीप नर्सिंग के द्वितीय वर्ष का छात्र था. वह जयपुर में गुर्जर की थड़ी पर किराए के मकान में रहता था. उस की उर्वशी से दोस्ती इस घटना से करीब एक महीने पहले हुई थी.

दोनों एक महीने से फोन पर संपर्क में थे. संदीप ने घर से निकल कर उर्वशी के लिए चौकलेट खरीदी. इस के बाद वह लो फ्लोर बस से रात करीब 10 बजे जगतपुरा पहुंचा. रात का समय होने और उस फ्लैट की सही लोकेशन न मिलने पर संदीप ने उर्वशी को 3-4 बार फोन किया. इस पर उर्वशी उसे लेने के लिए पैदल ही जगतपुरा रेलवे लाइन तक अकेली आई.

रेलवे लाइन से वह संदीप को अपने साथ ऋषिराज के प्रेमनगर स्थित फ्लैट पर ले गई. संदीप के पहुंचने पर ऋषिराज फ्लैट में छिप गया. उर्वशी संदीप को एक कमरे में ले गई, जहां बिस्तर लगा था. कमरे की बिजली जल रही थी. कमरे की बिजली जली होने पर संदीप को कुछ शक हुआ, लेकिन उर्वशी ने उसे बातों में लगा लिया. इस के बाद उर्वशी और संदीप उस कमरे में एक साथ रहे. इस दौरान उन्होंने कई बार शारीरिक संबंध बनाए.

सुबह करीब 3 बजे जब दोनों थक गए तो शांत हुए. उर्वशी ने संदीप का मोबाइल ले कर यह कहते हुए उस का सारा रिकौर्ड डिलीट कर दिया कि किसी को पता लग जाएगा. बाद में उर्वशी ने संदीप के पर्स की तलाशी ली और उस के डेबिट व क्रेडिट कार्ड देखे. इस के बाद उर्वशी ने पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे कर उस से मोटी रकम मांगी.

संदीप के इनकार करने पर उर्वशी ने उस का एटीएम कार्ड ले लिया और उस का पासवर्ड भी पूछ लिया. इस के बाद उसे घर से निकल जाने को कहा. वह वहां से निकला तो करीब आधे घंटे बाद उर्वशी ने उसे फोन कर के जल्दी से रकम का इंतजाम करने को कहा.

संदीप के जाने के बाद उसी फ्लैट में छिपा ऋषिराज मीणा कमरे में आ गया. सुबह करीब 5 बजे वह उर्वशी को मोटरसाइकिल पर बिठा कर एमएनआईटी के समने ले गया. वहां उस ने उर्वशी के मुंह पर कीटनाशक एल्ड्रीन का घोल लगाया और उस के कपड़ों पर भी कीटनाशक छिड़क दिया. ऋषिराज ने उर्वशी से कहा कि वह पुलिस कंट्रोल रू म को फोन कर के अपने साथ गैंगरेप होने की सूचना दे.

हेलीकॉप्टर ब्रदर्स ने की 600 करोड़ की ठगी

भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर तंजावुर जिला मुख्यालय है. इसी जिले का एक प्राचीन शहर कुंभकोणम है. यह शहर तंजावुर जिला मुख्यालय से कोई 40 किलोमीटर दूर है.

कुंभकोणम शहर के उत्तर में कावेरी और दक्षिण में अरसालर नदी बहती है. यह शहर टेंपल टाउन के नाम से भी विख्यात है. इस का कारण है कि यहां बड़ी संख्या में मंदिर हैं. कुंभकोणम शहर में हर साल होने वाले ‘महामहम’ फेस्टिवल में पूरे देश से लोग आते हैं.

मूलरूप से तिरवरूर जिले के गांव मरियूर के रहने वाले 2 भाई मरियूर रामदास गणेश और मरियूर रामदास स्वामीनाथन कोई 5-6 साल पहले कुंभकोणम शहर में आ कर बसे थे. इन के पिता रामदास बिजली विभाग में अधिकारी थे.

नौकरी के सिलसिले में रामदास पहले मदुलमपेट्टई और बाद में चेन्नई रहने लगे थे. बाद में वे सिंगापुर चले गए. सिंगापुर से कुंभकोणम में आ कर बसने पर उन्होंने विदेशी नस्ल की गायों से डेयरी कारोबार शुरू किया. दोनों भाई शहर के पौश इलाके श्रीनगर कालोनी में रहते थे.

देखते ही देखते ही उन का कारोबार तेजी से फलनेफूलने लगा. उन के व्यापार में खूब बरकत होने लगी. पैसा आने लगा तो वे अपना कारोबार धीरेधीरे बढ़ाने लगे. उन्होंने सिंगापुर सहित दूसरे देशों में भी अपना व्यापार फैला लिया. फार्मास्युटिकल का काम शुरू कर दिया.

इस बीच, उन्होंने कुंभकोणम में ही विक्ट्री फाइनेंस नामक एक वित्तीय कंपनी शुरू कर दी. यह कंपनी कर्ज देने और लोगों के पैसे जमा करने का काम करती थी. कुछ दिनों बाद उन्होंने अर्जुन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड नामक एक विमानन कंपनी बना ली.

इस कंपनी को केंद्र सरकार से पंजीकृत भी करा लिया. इस कंपनी के नाम से उन्होंने एक हेलीकौप्टर भी खरीद लिया. उन्होंने हेलीकौप्टरों के लिए कोरुक्कई गांव में एक विशाल हेलीपैड भी बना लिया. उस समय प्रचारित किया गया कि एंबुलेंस सेवा और यात्रा के लिए हेलीकौप्टर उपलब्ध रहेंगे.

2 साल पहले की बात है. जून 2019 के पहले सप्ताह में एक दिन सुबह के समय कुंभकोणम शहर के आसमान में एक हेलीकौप्टर मंडरा रहा था. इस हेलीकौप्टर से काफी देर तक पूरे शहर पर गुलाब के फूलों की वर्षा की गई. हेलीकौप्टर ने पुष्पवर्षा के लिए कई बार उड़ान भरी.

फूलों की वर्षा देख कर शहर के लोगों को आश्चर्य हुआ, क्योंकि इस शहर में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था. उन दिनों न तो कोई बड़ा त्यौहार था और न ही कोई नेता शहर में आ रहा था. इसलिए लोग इस बात पर चर्चा करने लगे.

पता चला कि उस दिन एम.आर. गणेश (मरियूर रामदास गणेश) के बेटे अर्जुन का जन्मदिन था. बेटे के जन्मदिन की खुशी में ही एम.आर. गणेश ने पूरे शहर पर हेलीकौप्टर से पुष्पवर्षा कराई थी. उस दिन गणेश ने अपने बेटे के जन्मदिन की खुशी में बड़े स्तर पर भोज का भी आयोजन किया था.

दोनों भाइयों को हेलीकौप्टर ब्रदर्स के नाम से जानते थे लोग

गणेश के बेटे के जन्मदिन पर हुए भव्य आयोजन ने दोनों भाइयों को पूरे शहर में चर्चित कर दिया. उस दिन से लोग उन्हें ‘हेलीकौप्टर ब्रदर्स’ के नाम से पुकारने लगे.

दोनों भाई गणेश और रामदास जल्दी ही आसपास के इलाके में ही नहीं, राजधानी चेन्नई सहित पूरे तमिलनाडु में हेलीकौप्टर ब्रदर्स के नाम से मशहूर हो गए. इस के बाद से इन भाइयों का हेलीकौप्टर कई बार शहर में मंडराता और इधरउधर उड़ान भरता नजर आता था.

कारोबार अच्छा चलने से वे पैसा तो पहले ही खूब कमा रहे थे. नए नाम से ख्याति मिलने से उन का रुतबा भी बढ़ गया था. आलीशान जिंदगी जीते हुए लग्जरी गाडि़यों के काफिले और सुरक्षाकर्मियों के साथ तो वे पहले से ही चलते थे. बाद में राजनीति में भी आ गए.

भारतीय जनता पार्टी ने गणेश को ट्रेडर्स विंग में जिला अध्यक्ष बना दिया. भाजपा में शामिल होने से पूरे प्रदेश में उन की राजनीतिक ताकत भी बढ़ गई. दिग्गज भाजपा नेता उन के घर आनेजाने लगे.

कोई 2 साल पहले उन्होंने अपनी कंपनी विक्ट्री फाइनेंस और दूसरी कंपनियों के जरिए एक साल में दोगुनी रकम करने का वादा कर लोगों से पैसा जमा करना शुरू कर दिया.

अच्छाखासा कारोबार करने और कई कंपनियां चलाने के कारण हेलीकौप्टर ब्रदर्स ने पहले से ही शहर की जनता पर अपना विश्वास बना लिया था. इसी विश्वास के भरोसे लोग उन की कंपनी में पैसा जमा कराने लगे.

सैकड़ों लोगों ने अपनी जमापूंजी उन की कंपनी में जमा करा दी. योजना की अवधि पूरी होने पर इन भाइयों ने लोगों को वादे के मुताबिक समय पर दोगुनी रकम वापस दे दी. इस से लोगों का विश्वास जमता गया. इस से उन की जमापूंजी भी बढ़ने लगी. पिछले साल तक सब कुछ ठीकठाक चला. जमाकर्ताओं को अपना पैसा वापस मिल गया.

हालांकि न तो सरकारी स्तर पर और न ही चिटफंड कंपनियों तथा साहूकारी स्तर पर एक साल में पैसा दोगुना करने की पहले कोई योजना थी और न अब है. लेकिन लालच में लोग हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में अपनी मेहनत की कमाई जमा कराते रहे. जिन लोगों ने पहले पैसा जमा कराया था, उन्होंने दोगुनी रकम वापस मिलने पर वही रकम फिर से एक साल के लिए जमा करा दी.

लोगों के लालच का दोनों भाइयों ने फायदा उठाया. उन्होंने पैसा जमा कराने के लिए कमीशन पर अपने एजेंट नियुक्त कर दिए. एक साल में उन की कंपनी की साख बन गई थी.

लालच में फंस रहे थे लोग

इस का नतीजा यह हुआ कि रोजाना सैकड़ों लोग बिना आगेपीछे सोचे उन की कंपनी में पैसा जमा कराने लगे. बहुत से लोगों ने बैंकों या साहूकारों के पास जमा अपनी रकम निकाल कर हेलीकौप्टर ब्रदर्स की फाइनेंस कंपनी में जमा करा दी.

नौकरीपेशा लोगों ने भी एक साल में रकम दोगुनी होने के लालच में अपनी जमापूंजी का निवेश उन की कंपनी में कर दिया. दोनों भाइयों के झांसे में आ कर कई व्यापारियों और अमीर लोगों ने भी उन की कंपनी में करोड़ों रुपए की राशि जमा करा दी.

इस साल जब अवधि पूरे होने पर जमाकर्ता अपने पैसे वापस मांगने लगे तो कंपनी की ओर से उन्हें कोरोना महामारी के कारण कामकाज ठप होने की बात कह कर कुछ दिन रुकने के लिए कहा गया.

अप्रैल के महीने में कोरोना का असर ज्यादा बढ़ने पर लोगों को पैसों की आवश्यकता हुई तो उन्हें फिर टाल दिया गया. जमाकर्ताओं को दोगुनी रकम तो दूर कुछ राशि या ब्याज का पैसा भी नहीं दिया गया.

छोटे जमाकर्ता रोजाना उन की कंपनियों के चक्कर लगा कर निराश लौट जाते थे. जिन लोगों के करोड़ों रुपए जमा थे, वे सब से ज्यादा परेशान थे. अवधि पूरी होने के बावजूद न तो उन का मूलधन वापस मिल रहा था और न ही कोई ब्याज दिया जा रहा था.

कुछ बड़े जमाकर्ताओं ने अपनी रकम वापस लेने के लिए हेलीकौप्टर ब्रदर्स गणेश और रामदास स्वामीनाथन से संपर्क किया तो उन्होंने कोरोना के कारण नुकसान होने की बात कह कर उन सभी को जल्द भुगतान करने का आश्वासन दिया.

ले भागे 600 करोड़ रुपए

भुगतान में लगातार देर हो रही थी. जमाकर्ताओं को किसी न किसी बहाने से टाला जा रहा था. ज्यादा बातें करने पर जमाकर्ताओं को धमकाया भी गया.

इस से लोगों को कंपनी के मालिकों की नीयत पर शक होने लगा. उन्हें अपनी जमापूंजी की चिंता होने लगी. कुछ ही दिनों में पूरे शहर में यह बात फैलने लगी कि दोनों भाइयों का अब जमाकर्ताओं को पैसा वापस देने का मन नहीं है.

लोगों को असलियत का पता चलने पर दोनों भाई शहर से लापता हो गए. इस पर कुछ लोगों ने इसी साल के जुलाई महीने में शहर में जगहजगह हेलीकौप्टर ब्रदर्स के पोस्टर लगवा दिए. इन में आरोप लगाया था कि दोनों भाई लोगों के 600 करोड़ रुपए ले कर उड़ गए हैं.

इन पोस्टरों के माध्यम से लोगों ने दोनों भाइयों के खिलाफ काररवाई की मांग की. कहा जाता है कि ये पोस्टर दोनों भाइयों के एजेंटों ने लगवाए थे, क्योंकि इन भाइयों ने एजेंटों को भी उन का कमीशन नहीं दिया था.

पुलिस कोई काररवाई करने की सोच रही थी कि एक दंपति जफरुल्लाह और फैराज बानो ने तंजावुर जिले के एसपी देशमुख शेखर संजय के पास जुलाई के तीसरे सप्ताह में एक शिकायत दी.

इस शिकायत में दंपति ने कहा कि उन्होंने दोनों भाइयों की कंपनी में 15 करोड़ रुपए जमा कराए थे. योजना की अवधि पूरी होने के बाद भी उन्हें पैसे वापस नहीं दिए गए. दोनों भाइयों ने उन्हें अपने निजी सुरक्षाकर्मियों से पिटवाने की धमकी भी दी.

पुलिस ने दंपति की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

इन के अलावा एक निवेशक गोविंदराज ने पुलिस को बताया कि उस ने दोस्तों और परिवार से कर्ज ले कर हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में 25 लाख रुपए जमा कराए थे, लेकिन ये रकम वापस नहीं दे रहे हैं.

एक और निवेशक ए.सी.एन. राजन ने 50 लाख रुपए जमा कराने की बात पुलिस को बताई. पुलिस के पास कई और शिकायतें भी दोनों भाइयों के खिलाफ आईं.

कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें कुछ राशि का चैक दिया गया, लेकिन वह बाउंस हो गया. कोरकाई के रहने वाले पझानिवेल ने 10 लाख रुपए जमा कराए थे. बदले में उसे 20 लाख रुपए मिलने थे, लेकिन बारबार चक्कर काटने पर भी उसे पैसे नहीं मिले.

भाजपा ने गणेश को पार्टी से निकाला

ज्यादा कहासुनी करने पर एक दिन 10 लाख रुपए का चैक दिया. वह चैक बाउंस हो गया. जब उस ने चैक बाउंस होने की बात इन भाइयों को बताई तो उन्होंने अपने राजनीतिक संपर्क होने की धमकी दी.

मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस ने दोनों भाइयों गणेश और रामदास स्वामीनाथन की तलाश शुरू की, लेकिन उन के मकान और दफ्तर बंद मिले.

इस बीच, भाजपा ने गणेश को पार्टी के जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया. इस संबंध में तंजावुर (उत्तर) के भाजपा नेता एन. सतीश कुमार ने 18 जुलाई को बयान जारी किया.

दोनों भाइयों के आवास, कार्यालय और दूसरे ठिकाने बंद मिलने पर पुलिस ने उन की तलाश के लिए कई टीमों का गठन किया. मोबाइल फोन की लोकेशन से उन का

पता लगाने का प्रयास किया. पता नहीं चलने पर पुलिस की टीमों को विभिन्न स्थानों पर भेजा गया. दोनों भाइयों के विभिन्न कारोबार के ब्यौरे जुटाए गए. साथ ही पुलिस ने इन भाइयों की कंपनियों में काम करने वाले लोगों का पता लगाना शुरू किया.

कुछ कर्मचारियों का पता चलने पर पुलिस ने उन से पूछताछ की, लेकिन दोनों भाइयों का सुराग नहीं मिला. कर्मचारी यह नहीं बता सके कि दोनों भाई कहां गए.

पूछताछ के बाद पुलिस ने 23 जुलाई को इन भाइयों की कंपनी के मैनेजर 56 साल के श्रीकांत को गिरफ्तार कर लिया.

जांचपड़ताल में पता चला कि दोनों भाइयों के विदेशों में भी कारोबारी संपर्क हैं. इस से उन के विदेश भाग जाने की आशंका हुई. इस आधार पर पुलिस ने उन के पासपोर्ट का पता लगा कर विदेश भागने से रोकने के लिए काररवाई शुरू कर दी.

पुलिस ने इन भाइयों के ठिकानों का पता लगाया. इन्होंने कई जगह अपने कार्यालय और ठहरने के ठिकाने बना रखे थे. एक बड़ा मकान तो केवल कारें रखने के लिए ही था. इन के पास दरजनों लग्जरी कारें थीं.

जांच के दौरान पुलिस ने इन के ठिकानों से 2 बीएमडब्ल्यू सहित 12 लग्जरी कारें जब्त कीं. एक कार्यालय से कंप्यूटर, हार्ड डिस्क और दस्तावेज जब्त किए.

दोनों भाइयों की तलाश के दौरान पुलिस ने एक दिन उन की कंपनी में अकाउंटेंट का काम करने वाले भाईबहन मीरा और श्रीराम को कुंभकोणम के बसस्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. वे शहर छोड़ कर भाग रहे थे. इन के अलावा दोनों भाइयों की कंपनी के एक और मैनेजर वेंकटेशन को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

इन से पूछताछ के आधार पर फरार एम.आर. गणेश की पत्नी अखिला को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े हेलीकौप्टर ब्रदर

लगातार कई दिनों की भागदौड़ के बाद तंजावुर जिले की क्राइम ब्रांच पुलिस ने 5 अगस्त, 2021 को दोनों भाइयों एम.आर. गणेश और एम.आर. स्वामीनाथन को पुडुककोट्टई जिले में वेंथनपट्टी गांव के एक फार्महाउस से गिरफ्तार कर लिया. यह फार्महाउस उन के दोस्त का था. इसे उन्होंने छिपने के लिए किराए पर लिया था.

कथा लिखे जाने तक दोनों भाइयों के अलावा गणेश की पत्नी और इन की कंपनी के 2 मैनेजर व 2 अकाउंटेंट गिरफ्तार किए जा चुके थे.

पुलिस इन से पूछताछ कर जमा की गई रकम का पूरा ब्यौरा हासिल करने के प्रयास में जुटी थी. इस के साथ ही इन के बैंक खाते भी सीज करने की काररवाई चल रही थी.

बहरहाल, अभी यह तो किसी को नहीं पता कि हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में निवेश करने वाले लोगों को उन का पैसा वापस मिल सकेगा या नहीं.

लेकिन इस में कोई दोराय नहीं कि लोगों ने एक साल में रकम दोगुनी होने के लालच में बिना कोई जांचपड़ताल किए एक निजी फाइनेंस कंपनी में अपनी जमापूंजी निवेश कर दी. यह लालच ही अब उन निवेशकों की रात की नींद और दिन का चैन छीने हुए है.

यह अकेले तमिलनाडु की बात नहीं है. पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है. चालाक लोग लोगों की लालच की मानसिकता का फायदा उठा कर ठगी कर रहे हैं.

भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में एक साल में कोई भी सरकारी या निजी कंपनी पैसा दोगुना नहीं करती. ऐसा करने का दावा करने वाले केवल ठगी करते हैं. लोगों को ऐसे ठगों की यह मानसिकता पहचाननी चाहिए.