Bihar Crime Story: अब्दुल रहमान ने अपने दोस्तों के साथ बिना मेहनत के लखपति बनने की योजना तो बढि़या बनाई, लेकिन उस से कौन सी गलती हो गई कि उस का फिरौती वसूलने का मिशन अधूरा रह गया. बिहार की राजधानी पटना के गांव मोतीपुर के रहने वाले इश्तहार अहमद सय्यद की गांव में खेतीबाड़ी की अच्छीखासी जमीन थी. लेकिन उन का मन खेती के काम में नहीं लगता था. दरअसल वह कुछ ज्यादा ही महत्त्वाकांक्षी थे, इसलिए शहर जा कर कोई कामधाम करना चाहते थे. वह शहर में ही अपने बच्चों को पढ़ाना-लिखाना चाहते थे. उन के गांव के तमाम लोग मुंबई में अलगअलग कामधंधे कर रहे थे.

उन्हें सुखी देख कर इश्तहार ने भी मुंबई जाने का मन बनाया और घर वालों से बात कर के मुंबई चले गए. उन के पास कोई ऐसा हुनर नहीं था, जिस की बदौलत उन्हें वहां तुरंत नौकरी मिल जाती. अपने परिचितों के माध्यम से उन्हें एक बिल्डिंग कौंट्रैक्टर के यहां काम मिल गया. 6 महीने में ही वह ठेकेदारी के सारे गुर सीख गए तो खुद भी बिल्डिंग बनवाने के ठेके लेने लगे. धीरेधीरे उन का काम बढ़ा तो आमदनी भी बढ़ी. ठीकठाक कमाई होने लगी तो वह अपनी पत्नी रिजवाना बेगम और तीनों बेटों को मुंबई ले आए और उपनगर मलाड मालवणी में रहने लगे.

इश्तहार अहमद सय्यद भले ही कम पढ़ेलिखे थे, लेकिन शिक्षा के महत्त्व को अच्छी तरह समझते थे. बच्चों की अच्छी पढ़ाई के लिए उन्होंने उन का दाखिला अच्छे स्कूल में करा दिया था. स्कूली तालीम के साथसाथ वह बच्चों को दीनी तालीम भी दिलवाना चाहते थे. इस के लिए एक मौलवी तीनों बेटों को उर्दू पढ़ाने के लिए घर आते थे. 29 दिसंबर, 2014 का दिन बंधीबंधाई दिनचर्या के साथ निकल गया, लेकिन शाम होते ही परिवार की चिंता बढ़ गई. पास की मसजिद से शाम की नमाज पढ़ कर इश्तहार अहमद अपने घर पहुंचे तो देखा मौलवी साहब उन के 2 बेटों को पढ़ा रहे हैं, छोटा बेटा इशराक अहमद गायब था. वह कुछ कहते, उस से पहले ही मौलवी साहब ने कहा, ‘‘इश्तहार मियां, तुम्हारा छोटा बेटा कहां है, वह ट्यूशन नहीं पढ़ रहा?’’

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