ज्योति की मोहब्बत में छिपा खंजर

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के गांव दिखतौली के पास प्रतापपुर रोड के किनारे खेतों में ग्रामीण अपने पशुओं को चरा रहे थे. दोपहर एक बजे का समय था. तभी एक ग्रामीण की नजर सड़क किनारे खंदी में पेड़ के नीचे पड़ी बोरी पर गई. पास जा कर देखा तो बोरी से खून रिस रहा था.

उस ने आवाज दे कर अन्य साथियों को वहां बुला लिया. ग्रामीणों को यह समझते देर नहीं लगी कि बोरे में लाश है. इसी बीच किसी ने थाना शिकोहाबाद में फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी.

सूचना पा कर कुछ ही देर में एसएचओ प्रदीप कुमार कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया. शव को 2 बोरियों में भर कर यहां डाला गया था. एक बोरी सिर की ओर तथा दूसरी पैरों की ओर से पहनाई गई थी, जबकि शरीर का बीच का हिस्सा एक बैडशीट में लपेटा गया था. पुलिस ने दोनों बोरियों को हटा कर लाश को बाहर निकाला.

वह लाश 32-33 साल के किसी हट्टेकट्टे युवक की थी. मृतक काले रंग की शर्ट व सफेद पैंट पहने हुए था. पहनावे से युवक किसी अच्छे परिवार का लग रहा था. उस के सिर पर गहरी चोट थी, जिस से खून रिस रहा था. ऐसा लग रहा था कि युवक की हत्या कुछ घंटे पहले ही की गई थी.

इस के अलावा भी शरीर पर चोटों के निशान दिखाई दे रहे थे. शव की बाईं कलाई में घड़ी बंधी थी, वहीं कलाई पर अंगरेजी में बबलू सिंह गुदा हुआ था. जबकि दाएं हाथ पर ‘ॐ’ गुदा था. साथ ही मौली व काला धागा बंधा हुआ था. मृतक के गले में काले मोतियों की माला थी. सूचना मिलते ही सीओ देवेंद्र सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

बोरी में लाश मिलने की खबर सुन कर वहां हड़कंप मच गया. बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए. पुलिस ने उन से लाश की शिनाख्त कराने का प्रयास किया, लेकिन वहां मौजूद कोई भी व्यक्ति लाश को पहचान नहीं सका.

इस से पुलिस ने यही अनुमान लगाया कि युवक शायद कहीं बाहर का रहने वाला है और उस की हत्या कहीं और कर लाश किसी वाहन से रात के समय यहां ला कर फेंक दी गई है. अब सवाल यह था कि कत्ल का क्या मकसद हो सकता है? पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को मोर्चरी भेज दिया. यह घटना 14 नवंबर, 2022 की है.

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इस के बाद पुलिस ने यह पता करना शुरू कर दिया कि आसपास के थानों में इस उम्र का कोई युवक गायब तो नहीं है. लेकिन हाल के दिनों में इस तरह का कोई युवक लापता नहीं हुआ था. न ही जिले के किसी थाने में ऐसी कोई गुमशुदगी ही दर्ज थी.

हत्या के इस मामले की जांच का जिम्मा खुद एसएचओ प्रदीप कुमार ने अपने हाथ में लिया. युवक की हत्या की जानकारी मिलने पर एसएसपी आशीष तिवारी व एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा लिया.

सीओ देवेंद्र सिंह के निर्देशन में मृतक के फोटो को सोशल मीडिया पर शिनाख्त के लिए शेयर किया गया. मृतक की फोटो को दूसरे जिले के थानों में भी भेजा गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत का कारण सिर पर गंभीर चोटें आना व घावों से अत्यधिक खून बहना बताया गया. 72 घंटे बाद भी शव की शिनाख्त न होने पर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने युवक की शिनाख्त व हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की एक टीम तैयार की. इसी बीच 19 नवंबर को थाना शिकोहाबाद में कुछ लोग पहुंचे और बताया कि सोशल मीडिया से उन्हें जानकारी मिली है कि 14 नवंबर को एक युवक का बोरी में बंद शव मिला है, जिस की कलाई पर बबलू सिंह गुदा हुआ था.

पुलिस ने वहां आए हुए लोगों को बरामद अज्ञात लाश के कपड़े, घड़ी आदि सामान दिखाया तो अभय सिंह नाम के युवक ने बताया कि यह सब तो उस के भाई बबलू के हैं. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद एसएचओ ने अभय सिंह निवासी मरैहिया, थाना लोरिया, जिला पश्चिमी चंपारण (बिहार) की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसएसपी आशीष तिवारी ने एसएचओ प्रदीप कुमार को शीघ्र ही घटना के खुलासे का निर्देश दिया. इस के बाद पुलिस ने मृतक के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पता चला कि बबलू का मोबाइल 13 नवंबर को शिकोहाबाद के मैनपुरी चौराहा स्थित मोहल्ला ओमनगर में आ कर बंद हुआ था.

मृतक के घर वालों से पूछताछ में पता चला कि बबलू वेल्डिंग का काम करता था. काम के सिलसिले में कभी शिकोहाबाद तो कभी इटावा भी आताजाता रहता था. यहां रहने वाली एक युवती से भी फोन पर बात करता था. काल डिटेल्स से यह भी पता चला कि बबलू की उस युवती से अकसर काफी देर तक बातें होती थीं.

इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि घटना  के पीछे इस युवती का ही हाथ हो सकता है. इसी आधार पर 19 नवंबर, 2022 को ही पुलिस टीम ने ओमनगर निवासी ज्योति नाम की उस युवती के यहां दबिश दी.

पुलिस टीम में एसएचओ प्रदीप कुमार, एसआई पुष्पेंद्र कुमार, अंकित मलिक, विक्रांत तोमर आदि शामिल थे. घर पर पता चला कि उस की शादी शिकोहाबाद के ही मोहल्ला कटरा मीरा निवासी बौबी के साथ 6 महीने पहले हुई थी. वह इस समय अपनी ससुराल में है.

तब पुलिस ने ज्योति के भाई शेखर उर्फ बृजेश को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उस से बबलू और ज्योति के संबंधों के बारे में पूछताछ की तो वह अनभिज्ञता जाहिर करता रहा. तब पुलिस ने 25 वर्षीय ज्योति को उस की ससुराल से हिरासत में ले लिया.

पूछताछ करने पर ज्योति ने शुरू में नानुकुर की, लेकिन जब पुलिस ने काल डिटेल दिखाई तो वह टूट गई और बबलू की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.

इस हत्याकांड में ज्योति, पति बौबी व देवर राजकुमार के शामिल होने की बात भी बताई. इस पर पुलिस ने आननफानन में मोहल्ला कटरा मीरा में दबिश दे कर ज्योति, बौबी व राजकुमार को भी गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त लोहे की सरिया, पाइप, लाश को फेंकने के लिए प्रयोग में लाया गया टाटा मैजिक लोडर वाहन, बबलू का आधार कार्ड, मोबाइल फोन आदि बरामद किया.

एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस में बबलू की हत्या का परदाफाश करते हुए बताया कि मृतक बबलू का अपनी प्रेमिका ज्योति से पिछले 2 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था. बबलू शादी करने पर अड़ गया था. जबकि ज्योति की शादी 6 माह पहले ही हो चुकी थी. ज्योति ने अपने परिजनों के साथ षडयंत्र रच कर अपने प्यार की हत्या कर दी. बबलू की हत्या के पीछे जो कहानी निकली, वह चौंकाने वाली थी.

फिरोजाबाद जिले के कस्बा शिकोहाबाद के मोहल्ला ओमनगर निवासी 25 वर्षीय ज्योति का कासगंज में मोहन (परिवर्तित नाम) नाम का रिश्तेदार रहता है. यह रिश्तेदार भिवाड़ी (राजस्थान) में पश्चिमी चंपारण निवासी बबलू के साथ काम करता था. हमउम्र मोहन ने बबलू को ज्योति का नंबर दे दिया. ज्योति का नंबर मिलने के बाद एक दिन बबलू ने उस नंबर को मिलाया.

दूसरी ओर से किसी युवती की आवाज आई. बबलू ने पूछा, ‘‘क्या आप ज्योति बोल रही हैं?’’

एक अनजान नंबर से आए फोन पर अपना नाम सुन कर ज्योति ने पूछा, ‘‘आप कौन बोल रहे हैं? आप को मेरा नंबर किस ने दिया?’’

इस पर बबलू ने कहा, ‘‘आप के रिश्तेदार मोहन ने ये नंबर दिया है. मोहन मेरे साथ ही काम करता है.’’

इस के बाद ज्योति और बबलू की बातें  होने लगीं. बातचीत के दौरान ज्योति ने बबलू को बताया कि वह फेसबुक पर भी है.

मोबाइल पर होने वाली लंबी बातचीत धीरेधीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. ज्योति फोन कर के बबलू को शिकोहाबाद बुला लेती. फिर दोनों की मुलाकातें भी होने लगीं. ये मुलाकातें नगर के एक गेस्टहाउस में होतीं. प्रेम प्रसंग के बीच अवैध संबंध भी बन गए. बबलू ने ज्योति की कुछ अश्लील वीडियो भी बना ली थीं.

बबलू तो ज्योति की सुंदरता पर रीझ गया था. ऊपर से ज्योति की प्यार भरी मीठीमीठी बातें उसे बहुत अच्छी लगती थीं. ज्योति ने अपने रूप जाल में बबलू को इस तरह उलझाया कि वह पूरी तरह उस का दीवाना हो गया था. बबलू उस की हर फरमाइश पूरी करता.

बबलू हर हाल में ज्योति को पाना चाहता था. वह उस से जब भी शादी करने को कहता, ज्योति कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. क्योंकि उसे तो बबलू के रूप में एटीएम मिल गया था. ज्योति बबलू से रुपए भी ऐंठती रहती थी. उस ने अपने प्यार के जाल में बबलू को जिस तरह फंसाया था, वह चौंकाने वाला था.

अपने प्रेमी को अपने मोहपाश में फंसाने के बाद उस की फरमाइशें पूरी हो रही थीं. बबलू शिकोहाबाद आता और ज्योति पर जम कर खर्च करता, उस के साथ मौजमस्ती कर 1-2 दिन में वापस चला जाता.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. इसी बीच ज्योति के घरवालों ने उस की शादी शिकोहाबाद के कटरा मीरा में रहने वाले बौबी के साथ कर दी.

शादी हो जाने के बाद भी बबलू और ज्योति के बीच प्रेम प्रसंग चलता रहा. ज्योति ने अपनी शादीशुदा जिंदगी को बबलू से छिपाए रखा. बबलू ज्योति से शादी करने को ले कर उस के पीछे हाथ धो कर पड़ गया था.

जब ज्योति ने शादी से मना किया तो बबलू ने उसे ब्लैकमेल की धमकी दी. उस ने कहा, उस के साथ जो फोटो हैं उन्हें सोशल मीडिया पर डाल कर उसे बदनाम कर देगा.

बबलू को ज्योति के शादीशुदा होने के बारे में नहीं पता था. इसलिए वह ज्योति पर शादी का दबाव बनाने लगा था.  इस पर ज्योति ने बबलू से फोन पर बात करनी भी कम कर दी थी. शादी के लिए दबाव बनाने से प्रेमिका ज्योति परेशान हो गई. अब वह अपने किए पर पछता रही थी. उस के सामने अब प्रेमी बबलू से छुटकारा पाने का कोई रास्ता ही नहीं था. एक तरफ कुंआ तो दूसरी ओर खाई थी.

पोल खुलने के डर से ज्योति बुरी तरह डर गई थी. अंत में हिम्मत कर के ज्योति ने अपने पति बौबी को सच्चाई बताने का फैसला लिया. उस ने पति को बताया कि शादी से पहले उस की दोस्ती भिवाड़ी के एक युवक बबलू से हो गई थी. वह अब उस पर शादी के लिए दबाव बना रहा है. उस के पास उस के कुछ फोटो व वीडियो भी हैं, जिन्हें वह सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दे रहा है. इस पर बौबी गुस्से से उबल पड़ा.

फिर एक षडयंत्र रचा गया. 13 नवंबर, 2022 को बबलू को ज्योति ने फोन किया और  झांसा दे कर शिकोहाबाद स्थित अपने घर पर बुला लिया. शाम तक बबलू ज्योति के घर ओमनगर आ गया. रात में उस की जम कर खातिरदारी की गई. खाना खाने के बाद डबलबैड पर ज्योति और बबलू बैठ कर प्यार भरी बातें करने लगे. ज्योति के आगोश में प्यार की बातों के दौरान ही थके हुए बबलू को नींद आ गई.

रात गहराने लगी थी. ज्योति का पति और देवर ज्योति के सिगनल यानी फोन का इंतजार कर रहे थे. सिगनल मिलते ही वे आ गए. उस समय डबलबैड पर बबलू गहरी नींद में सो रहा था.

बबलू के सोते ही ज्योति, उस के पति बौबी, भाई शेखर उर्फ ब्रजेश ने बबलू के सिर पर लोहे के पाइप व सरिए से प्रहार करने शुरू कर दिए.

अचानक हुए हमले से बबलू चीख भी नहीं सका. सिर पर हुए ताबड़तोड़ प्रहार से वह वहीं ढेर हो गया. खून से बैड की चादर लाल हो गई थी. हत्यारों ने बबलू की हत्या  करने के बाद उस की लाश को डबलबैड की चादर में ही लपेट दी. इस के बाद सिर और पैर की ओर से एकएक बोरी पहना दी गई.

देवर राजकुमार लाश को ठिकाने लगाने के लिए अपनी टाटा मैजिक लोडर गाड़ी लिए घर के बाहर तैयार खड़ा था. शव को लोडर में डाल कर बौबी, शेखर व राजकुमार दिखतौली रोड पहुंचे. उस समय रात के 2 बज रहे थे. पूरी सड़क सुनसान पड़ी थी. लोडर को सड़क किनारे एक स्थान पर रोक कर तीनों ने लाश को लोडर से उतारा और सड़क किनारे खंदी में फेंक दी. शव को ठिकाने लगाने के बाद तीनों वापस आ गए. ज्योति ने इस बीच घर में शव से टपका खून साफ कर दिया था.

ज्योति अपने पति और देवर के साथ कटरा मीरा स्थित अपनी ससुराल चली गई. बबलू को ठिकाने लगाने के बाद सभी ने राहत की सांस ली. ज्योति को लगा कि अब रास्ते का कांटा निकल गया है. लेकिन यह उस की भूल थी. पुलिस ने चारों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

दो नावों में पैर रख कर सवारी करना कितना खतरनाक होता है, यदि ज्योति ने शादी हो जाने के बाद इस बात को जान लिया होता तो उस की जिंदगी की नाव नहीं डगमगाती. लेकिन उस ने प्रेमी से सच्चाई छिपा कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली थी.

ज्योति की जिंदगी के जब खुशहाली के दिन शुरू हुए ही थे, तब अफेयर और फरेब के चलते अपने साथ 3 अन्य को भी जेल की सलाखों के पीछे भिजवा दिया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अंधे प्रेम का विष : क्या कसूर था चंद्रभूषण का

लाभनी साहू ने हाथ जोड़ कर बाल कल्याण समिति न्यायालय में कहा, ‘‘सर, मेरे बच्चे को मुझे सौंप दिया जाए,  मैं उस का लालनपालन करूंगी. मैं मां हूं, मुझे मेरा बच्चा सौंप दिया जाए. इस के बिना मैं जी नहीं पाऊंगी.’’

यह कहते हुए लाभनी की आंखों में आंसू आ गए थे. लाभनी साहू और उस के पति गोविंद साहू का पारिवारिक प्रकरण बाल कल्याण समिति, राजनांदगांव में चल रहा था, जहां अन्य सदस्यों के साथ चंद्रभूषण ठाकुर न्यायकर्ता सदस्य के रूप में बैठा हुआ था.

उन्हें यह फैसला करना था कि आखिर 5 साल के राजू को मां को सौंपा जाए या पिता गोविंद साहू को. हर दृष्टि से लाभनी साहू का दावा मजबूत था, क्योंकि कानून और प्राकृतिक न्याय की दृष्टि से वह मां होने के कारण अपने बेटे राजू को अपने पास रख कर परवरिश कर सकती थी.

मगर उस के पति गोविंद साहू ने बच्चे को अपने पास जबरदस्ती रख कर के उसे सौंपने से इंकार कर दिया था. वह बाल कल्याण समिति पर प्रभाव डालने का प्रयास कर रहा था कि जिस तरह पुलिस थाने में उस का पक्ष मजबूत रहा है, यहां भी वह अपने बेटे का संरक्षण प्राप्त कर ले.

लाभनी साहू की भोली सूरत और आंखों में आंसुओं को देख कर चंद्रभूषण ठाकुर ने अन्य सदस्यों से चर्चा कर कहा, ‘‘देखो मिस्टर साहू, कानून को अपने घर की जागीर मत समझो. मां तो मां होती है और आज हम सभी सदस्य यह फैसला करते हैं कि राजू जब तक नाबालिग है, वह अपनी मां के पास ही रहेगा. और तुम्हें राजू की परवरिश का खर्च भी उठाना होगा.’’

यह सुनना था कि लाभनी साहू की आंखों से और मोटेमोटे आंसू टपकने लगे और दौड़ कर के वह बेटे राजू को अपने गले से लगा कर बिलखने लगी. गोविंद साहू को आखिरकार बाल कल्याण समिति में मुंह की खानी पड़ी और बाल कल्याण समिति के फैसले के बाद लाभनी को उस का बेटा राजू सौंप दिया गया.

जब मामला समाप्त हो गया तो बाहर शहर के गुप्ता होटल में चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी व उस के बेटे राजू की मुलाकात हुई. चंद्रभूषण ने लाभनी से कहा, ‘‘देखो, तुम्हें राजू तो मिल गया है मगर अब तुम्हारे सामने लंबी जिंदगी पड़ी है,राजू का अच्छे से लालन-पालन और शिक्षा की व्यवस्था करनी है.’’

‘‘सर, मैं तो गरीब हूं. मगर जैसे भी हो, इसे पालूंगी और बड़ा आदमी बनाऊंगी.’’ लाभनी बोली.

चंद्रभूषण ठाकुर ने कहा, ‘‘तुम्हारे जज्बे को सलाम है. मैं बाल कल्याण समिति में साल भर से हूं. कितने ही मामले आते हैं मगर आज तुम्हारे जैसा मामला मैं ने पहले कभी नहीं देखा था. तुम सच्ची मां हो और सुनो कभी मेरे लायक कोई भी मदद हो तो मुझे निस्संकोच याद करना.’’

चंद्रभूषण ठाकुर ने लाभनी को अपना मोबाइल नंबर दे कर उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया. इसी दिन चंद्रभूषण ठाकुर की नीयत लाभनी  पर आ गई थी. उस के रूप और यौवन पर चंद्रभूषण लट्टू हो गया. इस के बाद धीरेधीरे दोनों की मुलाकात होने लगी और बहुत जल्द चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी साहू एकदूसरे से प्रेम करने लगे और दोनों के संबंध प्रगाढ़ हो गए.

छत्तीसगढ़ का जिला राजनांदगांव प्रदेश की संस्कारधानी के रूप में देश भर में जाना जाता है. यह अपने साहित्य और संस्कृति की धरोहर के कारण प्रसिद्ध है. रियासत काल में राजनांदगांव एक राज्य के रूप में विकसित था. यहां पर कभी सोमवंशी, कलचुरी और मराठों का शासन रहा.

पहले यह नंदग्राम के नाम से जाना जाता था. यहां रियासतकालीन महल, हवेलियां राजमंदिर इत्यादि अभी भी आकर्षण का केंद्र हैं. राजनांदगांव छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य भाग में स्थित है. जिला मुख्यालय दक्षिण पूर्व रेलवे मार्ग पर स्थित है. राजधानी रायपुर से यहां की दूरी करीब 80 किलोमीटर है.

राजनांदगांव के कोतवाली थानाक्षेत्र के चंद्रभूषण ठाकुर कांग्रेस की राजनीति में एक जानापहचाना नाम बन चुका था. प्रदेश में भूपेश बघेल सरकार द्वारा बाल कल्याण समिति में चंद्रभूषण ठाकुर की सदस्य के रूप में नियुक्ति की गई तो उस का रुतबा शहर में और भी बढ़ गया था.

चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी की अब रोजाना ही मुलाकात होती थी. एक दिन चंद्रभूषण ने मौका देख कर के घर में लाभनी का हाथ पकड़ लिया. जब वह हाथ छुड़ाने लगी तो उस ने उसे आगोश में ले कर अपने प्रेम का इजहार किया. लाभनी भी उस का विरोध नहीं कर सकी.

उसी दिन चंद्रभूषण ने प्रसन्न हो कर कहा, ‘‘मैं तुम्हें एक दुकान खुलवा देता हूं ताकि तुम अपने खर्चे खुद उठा सको और बच्चे का लालनपालन भी कर सको.’’

‘‘मैं भला कैसे दुकान चला पाऊंगी.’’ लाभनी बोली.

चंद्रभूषण ठाकुर ने उस का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हें डेढ़दो लाख रुपए की व्यवस्था करवा दूंगा. उस पैसे से तुम आराम से 4 पैसे कमा लोगी और जब कभी कमाई हो जाए तो मेरे पैसे लौटा देना.’’ यह कह कर के चंद्रभूषण ने उस का चेहरा अपने हाथों में ले लिया.

लाभनी ने हंस कर कहा, ‘‘ऐसा होगा तो अच्छा है, मैं भी किसी की मोहताज नहीं रहना चाहती.’’

इस के बाद चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी के संबंध और भी गहरे हो गए. चंद्रभूषण जब भी समय मिलता, लाभनी के घर जाता और दोनों प्रेम में डूब जाते. लाभनी ने एकदो दफा जब उसे दुकान की याद दिलाई तो चंद्रभूषण ने कहा, ‘‘मैं ने दुकान तय कर ली है बस कुछ ही दिनों में पैसे आ जाएंगे तो मैं तुम्हें दुकान खुलवा दूंगा.’’

और एक दिन चंद्रभूषण ने जो कहा था, वह कर के भी दिखा दिया. फास्टफूड की एक दुकान किराए पर  लाभनी को दिलवा दी.

चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी कुछ समय तक तो हंसीखुशी दिन बिताते रहे. एक दिन चंद्रभूषण को यह जानकारी मिली कि लाभनी के यहां नूतन साहू (25 वर्ष) नामक नवयुवक आजकल कुछ ज्यादा ही आजा रहा है.

इसे जानने के लिए चंद्रभूषण ने निगाह रखनी शुरू कर दी और एक दिन दोनों को रंगेहाथ पकड़ भी लिया और लाभनी को फटकार लगाई तो लाभनी ने पलट कर जवाब दिया, ‘‘तुम कौन होते हो मुझे रोकने वाले? मुझे तो मेरा बाप भी कुछ नहीं बोल पाता है.’’

यह सुन कर के चंद्रभूषण मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ा. चंद्रभूषण ने जिस तरह लाभनी की 2 लाख रुपए से अधिक की मदद की थी, उस से वह समझता था कि लाभनी अब उस की संपत्ति है और उस पर उस का अधिकार है. लेकिन उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि लाभनी इस तरह उस का विरोध कर सकती है.

चंद्रभूषण को बहुत गुस्सा आया. उस ने कहा, ‘‘मैं ने तुम्हें क्या समझा था और तुम क्या निकली. आज जब मैं ने तुम्हारी सच्चाई अपनी आंखों से देख ली है तो अब तुम्हारे और हमारे संबंध खत्म. और सुनो, मेरा पैसा एक सप्ताह के अंदर मुझे लौटा दो.’’

‘‘पैसा, कैसा पैसा, किस का पैसा?’’ लाभनी चीखने लगी.

‘‘देखो, तुम मुझे नहीं जानती हो, मैं कौन हूं. पूरे 2 लाख रुपए मैं ने तुम्हें दुकान खुलवाने के लिए दिया है. एकएक पैसा तुम्हें लौटाना होगा…’’

इस पर लाभनी नरम हो गई और धीरे से कहा, ‘‘तुम ने मेरी मदद तो क्या सिर्फ मेरे शरीर के लिए की है, मैं तुम्हें धीरेधीरे रुपए लौटा दूंगी.’’

‘‘नहीं, एक सप्ताह के भीतर मुझे मेरा पूरा पैसा चाहिए, यह मेरी  चेतावनी है.’’ कह कर चंद्रभूषण फुंफकारने लगा.

तभी नूतन साहू सामने आ गया और बोला, ‘‘तुम यहां से चले जाओ, नहीं तो ठीक नहीं होगा.’’

जैसेतैसे लाभनी ने दोनों को अलग किया और हाथ जोड़ कर बोली, ‘‘ठीक है, तुम्हारे पैसे हम लौटा देंगे.’’

चंद्रभूषण ठाकुर अपने से आधी उम्र (27 साल) की लाभनी को बहुत चाहता था. उस के रूपलावण्य पर एक तरह से फिदा था. उस के हाथ से लाभनी के निकलने से बड़ा दुख हो रहा था. यही कारण है कि उस ने सीधे अपने रुपए मांग लिए थे और सोच रहा था कि पैसे मांगने पर वह आत्मसमर्पण कर देगी. मगर जब पलट कर लाभनी ने रुपए लौटाने की बात कही तो वह मन ही मन टूट गया.

एक हफ्ता गुजर गया, चंद्रभूषण ठाकुर ने अपने रुपए के लिए तकादा नहीं किया. करीब 15 दिन बाद यह सोच कर कि लाभनी शायद उस के दबाव में आ जाएगी, उस के पास पहुंचा और बड़े ही हंसमुख तरीके से उस से बात करने लगा. लाभनी ने भी उस के सवालों का जवाब दिया.

चंद्रभूषण ठाकुर को बातचीत से समझ आ गया कि उस का काम अब बिगड़ चुका है. अत: उस ने खुल कर कहा, ‘‘मेरे रुपए का क्या हुआ?’’

लाभनी ने तल्ख लहजे में जवाब दिया, ‘‘मै जल्दी लौटा दूंगी.’’

चंद्रभूषण ने बहुत कोशिश की कि लाभनी उस के दबाव में आ कर नूतन साहू को भूल जाए. मगर ऐसा नहीं हो पा रहा था. उस ने रुपए के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. इधर जब लाभनी और नूतन साहू की मुलाकात हुई और पैसे की बात सामने आई तो नूतन ने कहा, ‘‘क्यों न एक दिन हम इस का काम ही तमाम कर दें.’’

लाभनी को नूतन की बात अच्छी लगी क्योंकि इस के अलावा और कोई दूसरा चारा उसे दिखाई नहीं दे रहा था. दोनों ने मिल कर एक योजना बनाई और उस को अंजाम देने के लिए आगे बढ़े.

राजनांदगांव कोतवाली में कोतवाल नरेश पटेल जब शाम के समय पहुंचे तो देखा सामने 2-3 लोग उन से मिलने के लिए खड़े हैं. एक महिला ने आगे आ कर उन से कहा, ‘‘सर, मेरे पति चंद्रभूषण ठाकुर कल से घर नहीं आए हैं.’’ महिला ने अपना नाम हेमलता ठाकुर बताया.

हेमलता ने जब बताया कि पति चंद्रभूषण ठाकुर बाल कल्याण समिति के छत्तीसगढ़ शासन सदस्य हैं तो उन्होंने महिला को अपने कक्ष में बैठा कर के पूरी जानकारी ली और गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली.

हेमलता ठाकुर ने उन्हें बताया कि लाभनी साहू का फोन आया था वह बता रही थी कि उन की स्कूटी उस के घर के बाहर ही खड़ी है. बातोंबातों में टीआई नरेश पटेल को हेमलता ने यह भी बताया कि कुछ समय से उस के पति का लाभनी के यहां कुछ ज्यादा ही आनाजाना था.

पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू की, मगर कोई भी सूत्र नहीं मिल पा रहा था जिस से कि पुलिस आगे बढ़ सके.

इस बीच 16 दिसंबर, 2022, दिन शुक्रवार को राजनांदगांव जिले से 60 किलोमीटर की दूरी पर डोंगरगढ़ स्थित बोरा तालाब के पास कोटना पानी जंगल में लोगों ने एक लाश देखी और स्थानीय चौकीदार दूधराम भैंसारे बोरा तालाब थाने में इंसपेक्टर ओमप्रकाश धु्रव को यह सूचना दे दी.

पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो पाया कि लाश पूरी तरह नग्न थी और जली हुई थी. पुलिस ने मौके की काररवाई कर शव को डोंगरगढ़ की मोर्चरी भेज दिया और अज्ञात शव मिलने की जानकारी स्थानीय अखबारों और वाट्सऐप ग्रुप में शेयर कर दी गई.

जब इस लाश को हेमलता और चंद्रभूषण ठाकुर के अन्य परिजनों दिखाया गया तो लाश देखते ही हेमलता बिलखने लगी. हेमलता ने उस की शिनाख्त अपने पति चंद्रभूषण ठाकुर के रूप में कर दी. पुलिस के सामने अब यह स्थिति स्पष्ट थी कि किसी ने चंद्रभूषण को मार कर उस के शव को जलाने की कोशिश की है.

इस के बाद पुलिस ने इस मामले की जांचपड़ताल तेज कर दी. चंद्रभूषण ठाकुर के घर वालों से बातचीत करने के बाद पुलिस का शक लाभनी साहू पर ही हुआ.

पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. पहले तो लाभनी ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने उस के सामने अनेक तथ्य रखे और एक ड्रम को ले जाते हुए सीसीटीवी फुटेज दिखा कर उस से पूछताछ की, तब अंतत: वह टूट गई.

उस ने बताया कि अपने प्रेमी नूतन साहू के साथ मिल कर उस की हत्या की थी. 14 दिसंबर, 2022 को हत्या की मंशा से उस ने चंद्रभूषण ठाकुर को फोन किया. जब चंद्रभूषण ने काल रिसीव की तो उस ने कहा, ‘‘हैलो, मैं तुम से मिलना चाहती हूं.’’

लाभनी की आवाज सुन कर चंद्रभूषण ठाकुर ने कहा, ‘‘क्या बात है, आज कुछ ज्यादा ही मीठी हो गई हो. क्या तुम ने मेरा औफर स्वीकार कर लिया है?’’

‘‘हां, मैं आप की बात समझ गई हूं. मैं ही गलत थी.’’

‘‘लाभनी, तुम कैसे उस के चक्कर में आ गई? क्या है उस के पास? मैं ने तुम्हारे लिए दुकान खुलवा दी, पैसे दिए आगे भी दूंगा, यह सब तुम भूल गई और मेरे साथ दगा किया. मुझे कितना दुख हुआ है. मैं तुम्हें कितना चाहता हूं, प्रेम करता हूं तुम शायद नहीं समझती. मैं सच कह रहा हूं कि उस वक्त मुझे बहुत दुख हुआ था.’’

‘‘चलो ठीक है, आज शाम को आओ घर पर, सारे गिलेशिकवे दूर कर दूंगी. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’ लाभनी बोली.

शाम को सजसंवर कर चंद्रभूषण ठाकुर यह सोच कर के लाभनी के घर पहुंचा कि वहां उस का स्वागत लाभनी अपनी बाहों में ले कर करेगी. लाभनी ने चंद्रभूषण को बड़े प्रेम से बैठाया और दोनों में बातें होने लगीं.

धीरेधीरे चंद्रभूषण को यह महसूस होने लगा कि लाभनी में कोई सुधार नहीं आया है. तभी अचानक वहां पीछे से नूतन साहू ने आ कर के कपड़े का एक फंदा चंद्रभूषण ठाकुर के गले में डाल दिया और दोनों ने मिल कर चंद्रभूषण की गला घोट कर हत्या कर दी.

फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए एक ड्रम में उसे डाल दिया. स्कूटी पर उस ड्रम को रख कर के डोंगरगढ़ की ओर निकल गए और कोटना पानी जंगल के पास गढ़ माता डोंगरी पहाड़ी जंगल में लाश के सारे कपड़े उतार दिए, ताकि कोई उसे पहचान ना सके.

लेकिन जब उन्हें लगा कि कोई न कोई लाश को पहचान लेगा तो नूतन ने स्कूटी से पैट्रोल निकाल कर के उस के चेहरे को भी जला दिया और यह सोच कर कि कि अब उन्हें कोई छू भी नहीं सकेगा, दोनों खुशीखुशी घर आ गए.

इस केस के जांच अधिकारी ओमप्रकाश धु्रव ने बताया कि केस के खुलासे में महत्त्वपूर्ण भूमिका सीसीटीवी फुटेज की थी, जो पुलिस को बड़ी मशक्कत के बाद मिली. जिस में लाभनी साहू और नूतन साहू स्कूटी पर एक ड्रम को ले कर जा रहे थे. उसी ड्रम में चंद्रभूषण की लाश थी.

पुलिस ने आरोपी नूतन साहू और लाभनी को घटनास्थल पर ले जा कर मामले की जांच की और उन की निशानदेही पर मृतक चंद्रभूषण ठाकुर का मोबाइल भनपुरी नदी से और कपड़े भी बरामद किए.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 302, 201, 34 के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक दंडाधिकारी, डोंगरगढ़ के समक्ष पेश  किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित हैa

जिसे मरा समझा, वह जिंदा थी

हरियाणा के जिला पानीपत के थाना नगर के मोहल्ला आजादनगर की रहने वाली 20 साल की सिमरन दुबे आर्य डिग्री कालेज में बीए के दूसरे साल में पढ़ रही थी. पढ़ाई के साथसाथ वह एनएसएस (नेशनल सर्विस स्कीम) यानी राष्ट्रीय सेवा योजना की सदस्य भी थी. यह संस्था अपने सदस्यों का कैंप लगवाती है, जिस में समाजसेवा कराई जाती है. इस में जिस लड़के या लड़की का काम अच्छा होता है, उसे कालेज की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाता है.

एसडी कालेज का बीए फाइनल ईयर में पढ़ रहा कृष्ण देशवाल एनएसएस का अध्यक्ष था. इसी साल जनवरी महीने में एसडी कालेज का एनएसएस का कैंप आर्य डिग्री कालेज में लगा था. उसी दौरान सिमरन दुबे की मुलाकात कृष्ण देशवाल से हुई तो दोनों में अच्छी जानपहचान हो गई. थाना नगर के ही मोहल्ला बराना की रहने वाली ज्योति भी सिमरन के साथ आर्य डिग्री कालेज में पढ़ती थी. दोनों में पटती भी खूब थी. उस से भी कृष्ण की दोस्ती हो गई थी.

5 सितंबर, 2017 की शाम 4 बजे के करीब सिमरन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उस ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘हैलो सिमरन, मैं एसडी कालेज से कृष्ण देशवाल बोल रहा हूं, तुम कैसी हो?’’

‘‘नमस्ते सर,’’ चहकते हुए सिमरन ने कहा, ‘‘मैं तो अच्छी हूं सर, आप बताइए आप कैसे हैं?’’

‘‘मैं भी ठीक हूं, यह बताओ कि तुम इस समय क्या कर रही हो?’’

‘‘घर पर हूं सर, कोई काम है क्या? अगर कोई काम हो तो कहिए, मैं आ जाती हूं.’’ सिमरन ने कहा.

‘‘दरअसल, मिलिट्री के कुछ अधिकारी शहर में आ रहे हैं. उन के लिए जीटी रोड पर स्थित गौशाला मंदिर परिसर में कैंप लगाना है. अगर तुम आ जाओ तो मेरा काम काफी आसान हो जाएगा. ज्योति भी आ रही है. कालेज के कुछ अन्य लड़के भी आ रहे हैं.’’

‘‘ठीक है सर, ऐसी बात है तो मैं भी आ जाती हूं.’’

‘‘ओके, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’ कृष्ण ने कहा और फोन काट दिया.

कृष्ण देशवाल से बात होने के बाद सिमरन जल्दी से तैयार हो कर घर वालों से कालेज जाने की बात कह कर निकल पड़ी. करीब घंटे भर बाद वह कृष्ण द्वारा बताए गौशाला मंदिर पहुंच गई. ज्योति वहां पहले से ही मौजूद थी. उसे देख कर सिमरन का चेहरा खिल उठा.

दोनों सहेलियां एकदूसरे के गले मिलीं और आपस में बातें करने लगीं. दोनों बातें कर रही थीं कि तभी कृष्ण सिमरन के लिए एक गिलास में कोल्डिड्रिंक ले आया. सिमरन ने उन्हें भी पीने को कहा तो दोनों ने एक साथ कहा कि उन्होंने अभीअभी पी है. इस के बाद सिमरन आराम से कोल्डड्रिंक पीने लगी.

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मंदिर के कमरे में लाश

कृष्ण देशवाल, सिमरन दुबे और ज्योति जिस कमरे में ठहरे थे, उस के बगल वाले कमरे में कंप्यूटर सिखाया जाता था. कंप्यूटर सिखाने का यह काम पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. वाई.डी. त्यागी द्वारा चलाई जा रही एनजीओ के अंतर्गत होता था. कंप्यूटर सिखाने के लिए वंदना को रखा गया था.

जिस कमरे में कृष्ण, ज्योति और सिमरन ठहरे थे, वह अंदर से बंद था. इस से वंदना को थोड़ी हैरानी हो रही थी. उन से नहीं रहा गया तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया. करीब 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद खुला तो उस में से एक लड़का और लड़की बैग लिए बाहर निकले.

दोनों बाहर से कमरा बंद करने लगे तो वंदना ने उन से उन के साथ की एक अन्य लड़की के बारे में पूछा. वे बिना कुछ कहे चले गए तो वंदना ने इस बात की सूचना मंदिर के पुजारी वेदप्रकाश तिवारी को दे दी. वेदप्रकाश को मामला गड़बड़ लगा तो उन्होंने अपने भतीजे अभिनव को हकीकत पता करने के लिए भेजा.

अभिनव हौल से होता हुआ उस कमरे पर पहुंचा, जिसे लड़का और लड़की बाहर से बंद कर गए थे. दरवाजा खोल कर जैसे ही वह अंदर पहुंचा, वहां की हालत देख कर वह चीखता हुआ बाहर आ गया. उस की चीख सुन कर वंदना भी घबरा गई. वह अभिनव के पास पहुंची. उस के पूछने पर अभिनव ने बताया कि कमरे में एक लड़की की लाश पड़ी है.

अब वंदना की समझ में सारा माजरा आ गया. अभिनव ने यह जानकारी पुजारी वेदप्रकाश तिवारी को दी तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर दिया. पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा यह सूचना थाना चांदनी बाग पुलिस को दे दी गई. सूचना मिलते ही थाना चांदनीबाग के थानाप्रभारी संदीप कुमार पुलिस बल के साथ गौशाला मंदिर पहुंच गए.

उन के पहुंचने से पहले पुलिस चौकी किशनपुरा के चौकीप्रभारी वीरेंद्र सिंह वहां पहुंच चुके थे. संदीप कुमार और वीरेंद्र सिंह ने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. मृतका के गले पर गला दबाने का स्पष्ट निशान था. इस का मतलब हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के चेहरे को तेजाब डाल कर झुलसा दिया गया था. शायद हत्यारे ने पहचान मिटाने के लिए ऐसा किया था.

कमरे में एक लेडीज पर्स मिला.  पुलिस ने उस पर्स की तलाशी ली तो उस में से आर्य डिग्री कालेज का एक आईडी कार्ड मिला, जिस पर ज्योति लिखा था. उस पर पिता का नाम, पता और फोन नंबर भी लिखा था. पिता का नाम रामपाल था. वह थाना नगर के मोहल्ला बराना में रहते थे. एसआई वीरेंद्र सिंह ने फोन कर के रामपाल को वहीं बुला लिया.

रामपाल ने गौशाला मंदिर आ कर कमरे में मिली लाश को देखा तो फफकफफक कर रोने लगे. लाश उन की बेटी ज्योति की थी. शिनाख्त न हो सके, इस के लिए हत्यारों ने तेजाब डाल कर बड़ी बेरहमी से उस के चेहरे को झुलसा दिया था.

घटना की सूचना पा कर एसपी राहुल शर्मा, सीआईए-3 प्रवीण कुमार और डीएसपी जगदीश दूहन भी घटनास्थल पर आ गए थे. घटनास्थल के निरीक्षण के दौरान पुलिस ने देखा कि कमरे में पड़े डबल बैड का गद्दा उठा कर नीचे फर्श पर बिछाया गया था. लाश को उसी पर लिटा कर उस के चेहरे पर तेजाब डाला गया था. तेजाब से मृतका का चेहरा तो बुरी तरह झुलस ही गया था, गद्दा भी काफी दूर तक झुलस गया था.

मृतका की चुनरी और चप्पलें भी वहीं पड़ी थीं. बचाव के लिए मृतका ने हाथपांव चलाए थे, जिस से उस के चश्मे का एक शीशा टूट गया था. पुलिस ने कंप्यूटर की शिक्षा देने वाली वंदना से पूछताछ की तो उस ने बताया था कि शाम 4 बजे वह वहां आई तो कम्युनिटी हौल के दोनो दरवाजे अंदर से बंद थे. करीब 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद 19-20 साल की एक लड़की ने दरवाजा खोला.

लड़की के साथ एक लड़का भी था. वह हौल के कोने में बने कमरे का दरवाजा बंद कर रहा था. वंदना ने उस के साथ आई दूसरी लड़की के बारे में पूछा तो वह उसे धमका कर लड़की के साथ चला गया. लड़की सलवार सूट पहने थी, जबकि लड़का जींस और टीशर्ट पहने था.

फैल गई सनसनी

लड़के और लड़की के पास बैग थे. उन्होंने एकएक पौलीथीन भी ले रखी थी. लड़के के हाथ में ड्यू (कोल्डड्रिंक) की एक बोतल भी थी. वदंना को शक हुआ तो उस ने अपनी शंका पुजारी को बताई. इस के बाद पुजारी ने अपने भतीजे को भेजा तो कमरे में लाश होने का पता चला. इस तरह लाश बरामद होने से शहर में सनसनी फैल गई थी.

क्योंकि गौशाला मदिर अति सुरक्षित माना जाता था. हैरानी की बात यह थी कि दोनों लड़कियों और लड़के के वहां आने की जानकारी पुजारी को नहीं थी. मंदिर में सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे थे कि उसी से लड़के और लड़की के बारे में कुछ पता चलता.

पुलिस ने कमरे में मिला सारा सामान जब्त कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया था. इस के बाद रामपाल की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कर के मामले की जांच शुरू कर दी गई थी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने ज्योति की लाश उस के पिता रामपाल को सौंप दी तो उन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

महिला आयोग भी सक्रिय

इस हत्याकांड की सूचना राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रेखा शर्मा को मिली तो उन्होंने भी घटनास्थल की दौरा किया. वह पुलिस अधिकारियों से भी मिलीं और ज्योति के घर वालों से भी. उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि पुलिस ने 48 घंटे के अंदर हत्यारे को गिरफ्तार करने का भरोसा दिया है. इस मामले में तेजाब का उपयोग किया गया था. जबकि कोर्ट ने तेजाब की बिक्री पर रोक लगा रखी है. यह भी जांच का विषय था कि रोक के बावजूद हत्यारे को तेजाब मिला कहां से?

अगले दिन पुलिस ने मृतका ज्योति के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर अंतिम फोन अटावला गांव के रहने वाले राजेंद्र देशवाल के बेटे कृष्ण का आया था. काल लिस्ट देख कर पुलिस हैरान थी. दरअसल, दोनों के बीच 14 से 15 हजार सैकेंड बात की गई थी.

पुलिस तुरंत ज्योति के घर पहुंची और रामपाल से कृष्ण् के बारे में पूछा. उस ने बताया कि कृष्ण ज्योति के कालेज में आताजाता था, दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. उन में अच्छी दोस्ती भी थी.

पुलिस को इस बात पर हैरानी हुई कि कृष्ण ज्योति का अच्छा दोस्त था और उस के घर भी आताजाता था. लेकिन उस की हत्या की बात सुन कर उस के घर नहीं आया था. कहीं ऐसा तो नहीं कि उसी ने ज्योति की हत्या की हो और फरार हो गया हो.

पुलिस को कृष्ण देशवाल पर शक हुआ तो उस के बारे में पता करने उस के घर पहुंच गई. घर वालों से पता चला कि वह 5 सितंबर से ही घर से 1 लाख 35 हजार रुपए ले कर गायब है. इस बात से पुलिस का शक यकीन में बदल गया. पुलिस को लगा कि ज्योति की हत्या में कृष्ण का ही हाथ है. घर वालों से पुलिस को पता चला कि कृष्ण के घर वाले भैंसों के खरीदने और बेचने का व्यवसाय करते थे. वे पैसे उसी के थे, जिन्हें कृष्ण ले कर भागा था.

इस बीच पुलिस को पता चल गया कि उस दिन कृष्ण के साथ जो लड़की थी, वह सिमरन दुबे थी. पुलिस दोनों के फोटो ले कर गौशाला मंदिर पहुंची तो फोटो देख कर वंदना ने बताया कि उस दिन यही दोनों कमरे से निकले थे.

इस से साफ हो गया कि ज्योति की हत्या कृष्ण और सिमरन ने ही की थी. इस के बाद पुलिस ने उन के फोटो अखबारों में छपवा कर उन के बारे में बताने वाले को ईनाम की भी घोषणा कर दी.

पुलिस कृष्ण और सिमरन दुबे की तलाश में जीजान से जुटी थी कि सिमरन के पिता अतुल दुबे थाना नगर पहुंचे और उन्होंने कृष्ण देशवाल के खिलाफ सिमरन के अपहरण की तहरीर दे दी. उन का कहना था कि उन की बेटी के चरित्र पर जो लांछन लगाया गया है, वह सरासर गलत है. सिमरन ऐसी घिनौनी हरकत कतई नहीं कर सकती.

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उन का यह भी कहना था कि उस दिन कमरे में जो लाश मिली थी, वह ज्योति की नहीं, बल्कि सिमरन की थी. लेकिन उन की बात कोई मानने को तैयार नहीं था. उन का कहना था कि मृतका के कान की बाली और हाथ में बंधा धागा सिमरन का नहीं था. इस पर पुलिस का कहना था कि कृष्ण और सिमरन को साथ जाते वंदना ने देखा था, इसलिए उन की बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता.

पुलिस पहुंची शिमला

पुलिस कृष्ण और सिमरन की लोकेशन पता कर रही थी. लेकिन फोन बंद होने से उन की लोकेशन नहीं मिल रही थी. जैसे ही फोन चालू हुआ, उन की लोकेशन शिमला की मिल गई. लोकेेशन मिलते ही सीआईए-3 प्रवीण कुमार टीम के साथ शिमला रवाना हो गए. स्थानीय पुलिस की मदद से उन्होंने होटलों की तलाशी शुरू कर दी. सैकड़ों होटल की तलाशी के बाद पुलिस टीम उस होटल तक पहुंच गई, जहां दोनों ठहरे थे.

लेकिन जब होटल की रजिस्टर चैक किया गया तो कृष्ण और सिमरन के नाम से यहां कोई नहीं ठहरा था. पुलिस की निगाह श्याम और राधा नाम के उन दो ग्राहकों पर टिक गई, जिन का पता पानीपत का था.

यहीं दोनों से चूक हो गई थी. उन्होंने होटल के रजिस्टर में नाम तो श्याम और राधा लिखाए थे, लेकिन पता नहीं बदला था. बस इसी से पुलिस को शक हुआ, इस के बाद पुलिस कमरे पर पहुंची तो पुलिस को देख कर दोनों सन्न रह गए. कृष्ण नीचे फर्श पर बैठा था, जबकि ज्योति बैड पर लेटी थी.

मरने वाली ज्योति नहीं सिमरन

जिस ज्योति को लोग मरा समझ रहे थे, दरअसल वह जिंदा थी. मंदिर के कमरे से जो लाश मिली थी, वह ज्योति की नहीं, बल्कि सिमरन दुबे की थी. पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर के पानीपत ले आई. उन्हें जब एसपी राहुल शर्मा के सामने पेश किया गया तो वह भी हैरान रह गए.

राहुल शर्मा ने ज्योति के पिता रामपाल को बुला कर ज्योति को उन के सामने खड़ा किया तो बेटी को जिंदा देख कर वह सिर थाम कर बैठ गए. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में कृष्ण और ज्योति ने सिमरन की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद 8 तिसंबर को अदालत में पेश कर के विस्तारपूर्वक पूछताछ एवं सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने उन्हें 4 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में सिमरन की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

20 साल की सिमरन दुबे हरियाणा के जिला पानीपत के थाना नगर के मोहल्ला आजादनगर के रहने वाले आलोक दुबे की बेटी थी. वह 4 भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह आर्य डिग्री कालेज में बीए के दूसरे साल में पढ़ रही थी. उसी के साथ थाना नगर के ही बराना की रहने वाली ज्योति भी पढ़ती थी. दोनों पक्की सहेलियां तो थीं ही, एनएसएस की सदस्य भी थीं.

बात इसी साल जनवरी की है. एसडी डिग्री कालेज का एनएसएस का कैंप आर्य डिग्री कालेज में लगा था. कैंप का अध्यक्ष एसडी कालेज में पढ़ने वाला कृष्ण देशवाल था, जो बीए फाइनल ईयर में पढ़ रहा था. वह गांव अटावला का रहने वाला था. उस के पिता राजेंद्र देशवाल भैंसे खरीदनेबेचने का काम करते थे.

कृष्ण 2 बहनों का एकलौता भाई था. बहनें उस से छोटी थीं. घर में बड़ा और एकलौता बेटा होने के बावजूद वह जिम्मेदारी से काम नहीं करता था. पुलिस के अनुसार, जब कृष्ण स्कूल में पढता था, तब उस ने खुद के अपहरण का ड्रामा रचा था. वह दिन भर इधरउधर घूमा करता था. आर्य कालेज में लगे कैंप के दौरान ही उस की मुलाकात सिमरन और ज्योति से हुई थी. पहली ही नजर में ज्योति उस के मासूम चेहरे पर दिल दे बैठी.

कृष्ण ने ज्योति की आंखों से उस के दिल की बात पढ़ ली.  छरहरे बदन और तीखी नयननक्श वाली ज्योति भी उसे भा गई थी. इस के बाद अकसर दोनों की मुलाकातें होने लगीं. जल्दी ही उन की ये मुलाकातें प्यार में बदल गईं.

दोनों एकदूसरे से दीवानगी की हद तक प्यार करने लगे. जल्दी ही हालात यह हो गई कि अब वे एकदूसरे को देखे बिना नहीं रह सकते थे. अब इस का आसान तरीका था, वे शादी कर लें जिस से दोनों एकदूसरे की आंखों के सामने बने रहें.

ज्योति और कृष्ण की जातियां अलगअलग थीं. इसलिए ज्योति जानती थी कि उस के घर वाले कभी भी कृष्ण से उस की शादी नहीं करेंगे.

जबकि वह कृष्ण के बिना रह नहीं सकती थी. यही हाल कृष्ण का भी था. इसलिए उस ने ज्योति से भाग चलने को कहा. लेकिन ज्योति ने उस के साथ इसलिए भागने से मना कर दिया, क्योंकि इस से उस के घर वालों की बदनामी होती.

सहेली को बनाया शिकार

इस के बाद उन्होंने एक साथ रहने के बारे में सोचाविचारा तो उन के दिमाग में आया कि क्यों न वे अपनी कदकाठी के 2 लोगों की हत्या कर के उन के चेहरे तेजाब से इस तरह झुलसा दें कि कोई उन्हें पहचान न पाए. इस के बाद वे उन्हें अपने कपड़े पहना कर अपने आईकार्ड, फोन वगैरह वहां छोड़ देंगे, ताकि लोगों को लगे कि उन की हत्या हो चुकी है.

ज्योति की सहेली सिमरन दुबे उसी की कदकाठी की थी. वे उसे जहां बुलाते, वह वहां आ भी जाती. इसलिए सिमरन की हत्या की योजना बन गई. अब कृष्ण की कदकाठी के लड़के को ढूंढना था.

कृष्ण के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं था. 5 सितंबर को एनएसएस के कैंप के बहाने कृष्ण ने सिमरन और रमेश को फोन कर के गौशाला मंदिर के पहली मंजिल स्थित कमरे पर बुला लिया.

कृष्ण दाढ़ी नहीं रखे था, जबकि रमेश रखे था. इसलिए कृष्ण ने उस से दाढ़ी बनवा कर आने को कहा. लेकिन वह गोहाना मोड़ पर पहुंचा तो वहां कोई सैलून नहीं था, इसलिए उस ने फोन कर के कृष्ण को यह बात बताई तो उस ने उसे आने से मना कर दिया. रमेश वहीं से लौट गया. लेकिन सिमरन कृष्ण और ज्योति के जाल में फंस गई.

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सिमरन दुबे गौशाला मंदिर पहुंची तो कृष्ण और ज्योति वहां पहले से ही मौजूद थे. ज्योति को देख कर सिमरन बहुत खुश हुई. उस ने यह खुशी उस के गले मिल कर जाहिर की. गौशाला मंदिर पहुंचने से पहले ही कृष्ण ने कोल्डड्रिंक, नींद की गोलियां और तेजाब की व्यवस्था कर रखी थी. इन्हें वह अपने साथ लाए बैग में छिपा कर लाया था.

नींद की गोली मिली कोल्डड्रिंक पिलाई

कृष्ण ने सिमरन को नींद की गोलियां मिली कोल्डड्रिंक पीने को दी तो उस ने उन से भी कोल्डड्रिंक पीने को कहा. दोनों ने कहा कि उन्होंने अभीअभी पी है. कोल्डिड्रिंक पीने के कुछ देर बाद सिमरन की आंखें मुंदने लगीं. फिर वह बेहोश सी हो कर नीचे फर्श पर लेट गई. इस के बाद ज्योति ने उस के दोनों पैर पकड़ लिए तो कृष्ण ने उस का गला घोंट दिया.

इस तरह सिमरन को मौत के घाट उतार कर ज्योति ने उसे अपने कपड़े पहना दिए और उस के चेहरे पर तेजाब डाल कर झुलसा दिया. वह ज्योति है, यह साबित करने के लिए उस ने अपना आईकार्ड और मोबाइल फोन उस के पास छोड़ दिया, ताकि लोग इसे ज्योति समझें.

सिमरन की हत्या करने के बाद ज्योति और कृष्ण कमरे से बाहर आए और औटो से पानीपत रेलवे स्टेशन पहुंचे. उस समय वहां कोई टे्रन नहीं थी, इसलिए वे बसस्टैंड गए. वहां से चंडीगढ़ की बस पकड़ कर वे अगले दिन जीरकपुर पहुंच गए. अगले दिन अखबार में ज्योति की हत्या का समाचार छपा तो दोनों निश्चिंत हो गए कि हत्या का शक सिमरन पर किया जाएगा.

उन्होंने आराम से जीरकपुर के एक मौल में शौपिंग की और शिमला जा कर बसस्टैंड के नजदीक होटल रौयल में कमरा ले कर ठहर गए.

पुलिस उन के पीछे पड़ी है, इस का अंदाजा उन्हें बिलकुल नहीं था. पुलिस ने उन की तलाश में शिमला में 2 घंटे में सैकड़ों होटल छान मारे थे. जब पुलिस रौयल होटल में पहुंची तो पुलिस को देख कर सारा स्टाफ भाग गया. पुलिस को कमरा नंबर भी पता नहीं था. आखिर आधे घंटे की मशक्कत के बाद एक कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर कृष्ण और ज्योति मिले.

ज्योति के जिंदा बरामद होने के बाद सिमरन के घर वाले बेटी की हत्या के शोक में डूब गए थे. जबकि आलोक दुबे घटना वाले दिन से ही कह रहे थे कि मरने वाली ज्योति नहीं, उन की बेटी सिमरन है. लेकिन कोई उन की बात मानने को तैयार नहीं था.

ज्योति के जिंदा बरामद होने के बाद पुलिस आलोक दुबे और उन की पत्नी ऊषा को मधुबन ले गई, जहां डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिए गए. रिपोर्ट आने के बाद निश्चित हो जाएगा कि गौशाला मंदिर के कमरे में मिली लाश सिमरन की ही थी.

पुलिस की लापरवाही

सिमरन हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ कर पुलिस भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन इस में पुलिस की लापरवाही भी नजर आ रही है. शिमला के होटल में आईडी के रूप में कृष्ण और ज्योति ने अपने आधार कार्ड जमा कराए थे, वे आधार कार्ड श्याम और राधा के नाम से थे. साफ था कि वे फर्जी थे.

पुलिस ने जब कृष्ण से उन के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि आधार कार्ड उस के दोस्त देव कपूर ने जयपुर से बनवाए था. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया है. अब पुलिस आधार कार्ड बनाने वाले को गिरफ्तार करना चाहती है.

पुलिस सिमरन का मोबाइल फोन बरामद करना चाहती है, जिस के बारे में कृष्ण और ज्योति कभी कहते हैं कि शिमला में झाडि़यों में फेंक दिया है तो कभी कहते हैं कि रास्ते में फेंक दिया था. इस के अलावा यह भी पता लगाया जा रहा है कि उन्होंने तेजाब और नींद की गोलियां कहां से खरीदी थीं.

इन के बारे में उन का कहना है कि तेजाब गुंड़मंडी से लिया था, जबकि नींद की गोलियां अपने एक रिश्तेदार के मैडिकल स्टोर से मंगवाई थीं.

रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

प्रेम की अंधी गली में फंस कर ज्योति और कृष्ण ने जो कदम उठाया, आखिर उस से उन्हें क्या मिला. उन्होंने जो अपराध किया है, वे कानून की नजरों से बच नहीं पाएंगे. लेकिन अगर बच भी गए तो शायद ही समाज उन्हें सुकून से रहने दे.