लेडी कांस्टेबल मर्डर का कालगर्ल कनेक्शन – भाग 3

सुरेंद्र ने मोनिका की उस पड़ोसी लडक़ी को अपना फोन नंबर दे कर यह अनुरोध किया कि मोनिका पीजी आएगी तो फोन कर के बता देना. हैरानपरेशान वह पीजी की सीढिय़ां उतरा. नीचे आ कर उस ने तपस्या को फोन मिलाया, “दीदी, मोनिका कल दोपहर से ही कमरे पर नहीं लौटी है.”

“कहां चली गई वो?” परेशानी भरी आवाज थी तपस्या की, “सुरेंद्र, कल मोनिका से तुम्हारी मुलाकात हुई होगी?”

“नहीं दीदी, कल मैं रेस्ट पर था. मैं अलीपुर गया था किसी काम से. कल मैं ने दोपहर को मोनिका से बात की थी और आज उस के साथ बडख़ल झील घूमने का मन बनाया था. मैं ने मोनिका से कहा था कि वह तैयार रहे, लेकिन मैं उस के पीजी गया तो मोनिका के कमरे पर ताला लटका पाया. उस के पड़ोस में रहने वाली लडक़ी का कहना है कि मोनिका कल दोपहर में तैयार हो कर और बैग ले कर कहीं गई थी. अभी तक वापस नहीं लौटी है.”

“मेरा दिल घबरा रहा है सुरेंद्र. मोनिका एकएक बात मुझ से शेयर करती है, वह बैग ले कर कहां गई होगी. मैं ने अपनी रिश्तेदारी में मालूम कर लिया है, वह किसी के यहां नहीं है.”

“फिर मोनिका कहां गई?” सुरेंद्र परेशान हो कर बोला, “दीदी, आप दिल्ली आ जाओ. हम थाने में उस के गुम होने की रिपोर्ट लिखवा देते हैं.”

“मैं शाम तक दिल्ली पहुंच रही हूं सुरेंद्र,” तपस्या ने कहा और फोन काट दिया.

सुरेंद्र अपनी ड्यूटी के लिए थाना मुखर्जी नगर की ओर रवाना हो गया.

मोनिका की दर्ज कराई गुमशुदगी

मोनिका की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने के लिए तपस्या और उस की मां शकुंतला उत्तरपश्चिम दिल्ली के मुखर्जी नगर थाने पहुंचीं. उन्होंने 20 अक्तूबर, 2021 को मोनिका की गुमशुदगी दर्ज करा दी. सुरेंद्र राणा उस वक्त उन के साथ ही था. सुरेंद्र राणा ने तपस्या और उस की मां की मुखर्जी नगर में मोनिका की पीजी में रहने की व्यवस्था कर दी. वहां उन्हें मोनिका के 8 सितंबर को कमरे से जाने की बात पता चली.

दूसरे दिन से सुरेंद्र तपस्या के साथ मोनिका को हर संभावित स्थान में तलाश करता रहा, लेकिन मोनिका का कुछ पता नहीं चला. मुखर्जी नगर थाने के एसएचओ किशोर कुमार भी पुलिस टीम के साथ मोनिका की तलाश में लगे थे, लेकिन मोनिका का कोई सुराग नहीं मिल रहा था.

एसएचओ ने मोनिका के पीजी वाले कमरे की तलाशी ले कर यह मालूम करने की कोशिश की कि मोनिका का कोई इश्कविश्क का चक्कर तो नहीं चल रहा और वह उस बौयफ्रेंड के साथ कहीं चली गई हो, मगर कमरे में ऐसा कुछ नहीं मिला, जो यह सिद्ध करता कि मोनिका का किसी के साथ कोई चक्कर चल रहा था.

तफ्तीश जारी थी. पांचवें. दिन तपस्या के मोबाइल पर एक अंजान नंबर से काल आई. यह काल देहरादून के एक होटल से की गई थी वहां के मैनेजर ने बताया कि मोनिका उन के होटल में आ कर ठहरी थी. जाते वक्त वह अपने कुछ जरूरी डाक्यूमेंट्स होटल में भूल गई है, उन पर गुलावठी का पता और एक फोन नंबर लिखा था. मैं उसी नंबर को मिला कर बात कर रहा हूं. आप आ कर मोनिका के डाक्यूमेंट ले जाएं.”

“मोनिका आप के होटल में किस के साथ आई थी?” तपस्या ने पूछा.

“उस का पति था अरविंद कुमार.”

“ओह!” तपस्या हैरान हो गई. कुछ क्षण वह खामोश रही, फिर मैनेजर से बोली, “हम आज ही देहरादून आ रहे हैं वह डाक्यूमेंट लेने.”

तपस्या ने यह बात मुखर्जी नगर थाने के एसएचओ को बताई तो उन्होंने सुरेंद्र राणा को उन के साथ जा कर हकीकत पता लगाने के लिए कह दिया.

दूसरे प्रेमी अरविंद के साथ भागने की मिली खबर

सुरेंद्र राणा तपस्या को ले कर उसी दिन बस द्वारा देहरादून चला गया. रात को वह उस होटल में पहुंच गया, जहां से मैनेजर ने फोन किया था. मैनेजर ने तपस्या को जो डाक्यूमेंट सौंपे, उन में मोनिका का आधार कार्ड, पैन कार्ड और दिल्ली पुलिस में नौकरी करते वक्त का आईडीकार्ड था.

रजिस्टर में उस की अरविंद के साथ एंट्री भी दर्ज थी. सुरेंद्र ने सभी चीजें देख कर गहरी सांस छोड़ी, “दीदी, मोनिका ने मेरे साथ धोखा किया है. ये सब चीजें मोनिका की हैं, इस से यह साबित हो गया कि वह किसी अरविंद नाम के युवक के साथ भागी है? उन्होंने शादी कर ली है और यहां से अब कहीं और घूमने चले गए हैं.”

“मुझे विश्वास नहीं हो रहा है सुरेंद्र. मोनिका तुम्हें चाहती थी, यदि उस का अरविंद नाम के किसी व्यक्ति से कोई चक्कर चल रहा था तो मुझ से क्यों छिपाया. चोरी से वह क्यों भागी और शादी भी की.”

“दीदी, सब कुछ आप के सामने है. मोनिका ने मुझे धोखा दिया, इस का मुझे दुख है, लेकिन खुशी है कि वह ठीक है और उस ने शादी कर ली है. उस की खुशी अब मेरी खुशी है. दीदी आप से एक प्रार्थना है.”

“कहो.”

“अब किसी के आगे यह मत कहना कि मोनिका और मैं प्यार करते थे और जल्दी शादी भी करने वाले थे. इस से मेरी थाने में बेइज्जती होगी.”

“मैं किसी से नहीं कहूंगी,” तपस्या ने कहा और सुरेंद्र के साथ दिल्ली आने के लिए बसअड्डे के लिए रिक्शा पकड़ लिया.

मुखर्जी नगर थाने में जब सुरेंद्र राणा ने देहरादून के होटल से मोनिका का आईडीकार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड मिलने और उस की अपने पति के साथ होटल में 2 दिन रुकने की बात बताई तो मोनिका की गुमशुदगी की रिपोर्ट रद्द कर के फाइल बंद कर दी गई.

तपस्या को नहीं हुआ विश्वास

तपस्या मोनिका की मौजूदगी की बात पता चलने के बाद भी उहापोह की स्थिति में थी. उस का कहना था, “मोनिका यदि जीवित है और उस का कोई अहित नहीं हुआ है तो वह परिवार के सामने क्यों नहीं आ रही है.”

सुरेंद्र राणा उसे समझाने के लिए कहता, “दीदी, ऐसा भी तो हो सकता है कि मोनिका शरम के कारण सामने नहीं आ रही है. वह जहां है खुश है तो उसे भुला देना ही ठीक रहेगा.”

देश की सब से उलझी मर्डर मिस्ट्री : हड्डी के स्क्रू से खुला राज – भाग 3

सुजित अच्छा आदमी नहीं था. उस ने अस्वती को धोखा दिया था. सागिर नाम की लडक़ी के साथ उस का विवाह हो गया था और उस से उसे एक बच्चा भी था, लेकिन अस्वती को उस ने यह सब नहीं बताया था. उसे बेवकूफ बना कर उस से प्यार कर लिया था और खुद को कुंवारा बता कर उस के साथ रह रहा था.

उस ने अस्वती से कहा था कि कुछ दिनों में अपने मांबाप से बात कर के वह उस से विवाह कर लेगा. तब तक वह अपनी मां के घर में उसे रहने दे. अस्वती मान गई थी. शकुंतला के न चाहते हुए भी अस्वती और सुजित घर में पतिपत्नी की तरह रहने लगे थे. सुजित सप्ताह में 3 दिन अस्वती के साथ रात में रुकता था और घर के सदस्य की तरह रहता था.

इस के बाद फिर अस्वती से पूछताछ हुई. इस बार इंसपेक्टर टौम ने थोड़ी सख्त आवाज में कहा, “अस्वती, अब हमारे पास समय कम है, इसलिए मेरा टेंपरेचर हाई हो रहा है. तुम ने पहले भी हम से बहुत कुछ छिपाया है. लेकिन इस बार सब कुछ सचसच बताओ. और हां, एक बात बता दूं. तुम्हारी मां शकुंतला का मर्डर हो गया है और उस ड्रम में जो हड्डियां मिली थीं, वे तुम्हारी मां की थीं.”

अस्वती के प्रेम प्रसंग से खुले नए राज

टौम के रुख से अस्वती को लगा कि अब अगर उस ने सही जवाब नहीं दिया तो पुलिस सख्ती कर सकती है. इसलिए उस ने कहा, “साहब, हत्या वत्या के बारे में तो मैं कुछ नहीं जानती, पर अंतिम दिनों में जो हुआ था, वह मैं बताए देती हूं. मैं अपने प्रेमी सुजित के साथ अपनी मां के घर में रहती थी. वह सप्ताह में 3 दिन मेरे साथ रहता था, उस के बाद अपने मांबाप के पास चला जाता था. मेरे बच्चों का भी वह खूब खयाल रखता था.

“उसी बीच पहली सितंबर, 2016 को मां का एक्सीडेंट हो गया तो उन्हें वीकेएम अस्पताल में भरती कराया. बाएं पैर में फ्रैक्चर होने की वजह से स्क्रू लगाना पड़ा. 15 दिनों तक उन्हें अस्पताल में रहना पड़ा. 15 सितंबर, 2016 को अस्पताल से छुट्टी होने के बाद वह घर आईं. इस के बाद हम सभी मां के घर में ही रहते रहे. 19 सितंबर, 2016 को मां को चिकन पौक्स हो गया. इस के अलावा भी अन्य इंफेक्शन थे, जिस की वजह से मैं बच्चों को ले कर एक स्थानीय लौज में रहने चली गई थी और सुजित अपने मांबाप के पास चला गया था.”

थोड़ी देर रुक कर अस्वती ने आगे कहा, “एक सप्ताह बाद 26 सितंबर, 2016 को मैं मां के घर वापस आई तो सुजित वहीं था. मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ तो मैं ने उस से पूछा. उस ने कहा कि वह अपना कुछ सामान भूल गया था, उसे लेने आया था. उस ने यह भी बताया कि वह 2 दिन पहले यहां आया था. तब मेरी मां शकुंतला किसी मिशनरी की नर्स के साथ दिल्ली चली गई हैं और वह यह कह कर गई हैं कि अब वह उसी के साथ वहीं रहेंगी.”

इतना कह कर अस्वती रुकी. उस ने इंसपेक्टर टौम की ओर देखा और एक लंबी सांस ले कर आगे कहा, “साहब, आप को लग रहा होगा कि मैं ने उस की बात पर विश्वास कैसे कर लिया? सच कहूं साहब, मेरी मां मेरे और सुजित के संबंधों को ले कर बहुत किचकिच करती थीं. इसलिए वह चली गईं, यह जान कर मैं बहुत खुश हुई. मैं ने सुजित से ज्यादा पूछताछ नहीं की और न ही पुलिस में केस किया.”

“तुम्हें पता नहीं है अस्वती कि तुम्हारी मां किचकिच क्यों करती थी?” टौम ने कहा, “क्योंकि सुजित तुम्हें धोखा दे रहा था. वह शादीशुदा था. उस की पत्नी ही नहीं, एक बच्चा भी था. वह तुम्हें छोड़ कर बाकी के दिनों में मांबाप के पास नहीं, पत्नी के पास रहता था.”

अस्वती के प्रेमी सुजित के सुसाइड से उलझी गुत्थी

इंसपेक्टर टौम के इस खुलासे से अस्वती के पैरों तले से जमीन खिसक गई. टौम ने हंसते हुए कहा, “अब मैं जो कहने जा रहा हूं अस्वती, उसे सुन कर तुम्हें बहुत बड़ा सदमा लगेगा. तुम्हारी मां की हत्या किसी और ने नहीं, सुजित ने ही की है. कुछ समय बाद मैं सारे सबूत के साथ फिर आऊंगा.”

इतना कह कर केरल के शरलौक होम्स इंसपेक्टर टौम चले गए. टौम को पूरा शक था कि सुजित ने ही शकुंतला को मारा है. पर किस तरह और क्यों मारा, यह उन की समझ में नहीं आ रहा था. इस मामले में सब से बड़ी दिक्कत यह थी कि सुजित मर चुका था. 7 जनवरी, 2018 को सीमेंट और कंक्रीट से भरे ड्रम से शकुंतला की हड्डियां, 5 सौ और सौ के नोट के साथ कुछ अन्य सामान मिला था. उस के 2 दिन बाद ही 9 जनवरी, 2018 को सुजित ने आत्महत्या कर ली थी.

जिस पर शक था, वह मर चुका था और जिस की हत्या हुई थी, उस की लाश भी नहीं मिली थी. टौम को शक था कि शायद ड्रम मिल गया था, इसलिए अपनी पोल खुल जाने के डर से सुजित ने भी मौत को गले लगा लिया था, पर टौम मामले की सच्चाई तक पहुंचना चाहते थे. इसलिए उन्होंने तय कर लिया था कि सुजित भले जीवित नहीं है, पर उस ने ही शकुंतला की हत्या की है, यह बात वह साबित कर के रहेंगे. उन्होंने फिर से पूरे तनमन से इनवैस्टीगेशन शुरू कर दी.

commissioner MP Dinesh

अस्वती 19 सितंबर, 2016 को शकुंतला को छोड़ कर लौज में रहने गई थी और 26 सितंबर को वापस आई तो मां नहीं थी. सुजित था और उसी ने बताया था कि मां दिल्ली चली गई हैं और अब वह वहीं रहेंगी. इस से टौम को लगा कि जो कुछ भी हुआ है, वह 19 सितंबर और 25 सितंबर के बीच हुआ है.

शक की सुई सुजित पर टिकी थी. इसलिए इंसपेक्टर टौम ने जांच की शुरुआत वहां से की, जहां सुजित नौकरी करता था और उस के दोस्तों से. पूछताछ का दौर चल पड़ा. सुजित के दोस्तों और पड़ोसियों के बारे में पता किया गया, साथ ही यह भी पता किया जा रहा था कि जिस ड्रम से हड्डियां मिली थीं, वह कहां से खरीदा गया था.

आशा की चाह में टूटा सपना

दिलजलों का खूनी प्रतिशोध

लेडी कांस्टेबल मर्डर का कालगर्ल कनेक्शन – भाग 2

सुरेंद्र मोनिका से नजदीकी बढ़ाने की हरसंभव कोशिश कर रहा था. उस की बांछें तब खिलीं, जब मोनिका की ड्यूटी उस के साथ ही पीसीआर वैन में लगा दी गई. फिर तो सुरेंद्र की इस दोस्ती में अब इंद्रधनुषी रंग भरने का वक्त आ गया था.

सुरेंद्र राणा अब सारा दिन पीसीआर वैन में साथ रहने वाली मोनिका को अपने दिल के करीब ला सकता था, उस के दिल में प्यार के फूल खिला सकता था. वह मोनिका को रिझाने के लिए उसे कोई महंगा तोहफा देना चाहता था. शाम को वह कनाट प्लेस गया और पालिका बाजार से लाल रंग का खूबसूरत लेडीज पर्स खरीद लाया.

दूसरे दिन मोनिका जब ड्यूटी पर आई तो सुरेंद्र राणा ने बगैर किसी भूमिका के अखबार में लिपटा पर्स मोनिका की तरफ बढ़ाते हुए कहा, “लो मोनिका, यह मैं तुम्हारे लिए लाया हूं.”

“क्या है इस अखबार में?”

“खोल कर देख लो.”

मोनिका ने अखबार हटाया तो खूबसूरत पर्स देख कर हैरान हो गई, “आप यह पर्स मेरे लिए लाए हैं.”

“मोनिका, मेरे घर में मेरी बूढ़ी मां के अलावा कोई नहीं है तो जाहिर सी बात है कि यह पर्स मैं ने तुम्हारे लिए ही खरीदा है.” सुरेंद्र झूठ बोला.

“अरे!” मोनिका इस बार चौंक कर सुरेंद्र का चेहरा देखने लगी.

“ऐसे क्यों देख रही हो मोनिका?”

“आप कह रहे हैं, घर में बूढ़ी मां है. आप की पत्नी कहां गई है?”

“मेरी शादी नहीं हुई है मोनिका.” सुरेंद्र राणा ने सफेद झूठ बोला, “मैं अभी तक कुंवारा हूं.”

“कमाल है! आप की शादी की उम्र तो निकल गई, आप ने अभी तक शादी क्यों नहीं की?” मोनिका ने हैरानी से पूछा.

“कोई लडक़ी मुझे आज से पहले पसंद ही नहीं आई थी, लेकिन अब एक लडक़ी मुझे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए जंच रही है.” सुरेंद्र राणा ने मोनिका की आंखों की गहराई में उतरते हुए बेहिचक कह डाला, “क्या तुम मुझ से शादी करोगी मोनिका?”

“म… मैं?” मोनिका हड़बड़ा कर बोली, “आप को ले कर मेरे मन में कभी यह विचार नहीं आया. आप की और मेरी उम्र में जमीनआसमान का अंतर है.”

“शादी किसी की उम्र देख कर नहीं, उस की हैसियत देख कर करनी चाहिए मोनिका. मैं दिल्ली पुलिस में हूं. आज कांस्टेबल हूं, कल ऊंची पोस्ट पर भी पहुंचूंगा. मेरे पास कई एकड़ जमीन है, अलीपुर में बहुत आलीशान घर है. लाखों रुपया बैंक में है. मैं तुम्हें रानी बना कर रखूंगा मोनिका. तुम पुलिस की नौकरी में रहना चाहोगी तो मैं रुकावट नहीं बनूंगा.”

“मैं आप को अपना अच्छा दोस्त मानती आई हूं.” मोनिका ने कहा.

“इस दोस्ती को प्यार भरे शादी के रिश्ते में भी बदला जा सकता है मोनिका. प्लीज हां कह दो, मैं तुम्हेंबहुत प्यार करता हूं.”

सुरेंद्र गिड़गिड़ाया.

मोनिका से कुछ कहते नहीं बना. उस के मन में अजीब सी उथलपुथल होने लगी.

“हां, बोल दो मोनिका. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं.” सुरेंद्र राणा गिड़गिड़ाने लगा, “मैं अब तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता.”

“मैं सोचूंगी…” मोनिका ने बात खत्म करने के इरादे से कहा.

“कब जवाब दोगी?”

“कल.” मोनिका ने कहा और काम का बहाना बना कर वह रिक्शा स्टैंड की तरफ बढ़ गई.

सुरेंद्र के होंठों पर कुटिल मुसकान उभर आई. उस ने अपना शानदार अभिनय कर के मोनिका पर प्रेम जाल फेंक दिया था. उसे पूरी उम्मीद थी कि मोनिका इस प्रेम जाल में अवश्य ही फंस जाएगी. उसे अब कल का इंतजार था.

रहस्यमय तरीके से लापता हुई मोनिका

मोनिका पूरी रात इसी उलझन में फंसी रही कि वह सुरेंद्र को क्या जवाब दे. सुरेंद्र को उस ने 2-3 साल में अच्छी तरह पहचान और समझ लिया था. उस की उम्र जरूर 42 साल की हो गई थी, लेकिन उस में बच्चों जैसी मासूमियत और भोलापन था. युवकों की तरह वह फुरतीला, जोशीला और जांबाज था तो उस में चंचल, शोख और मस्तानापन भी था.

सुरेंद्र नरमगरम स्वभाव का व्यक्ति था. प्यार के लिए गिड़गिड़ाना भी उसे आता था. ऐसे व्यक्ति से शादी का इजहार करने में कोई बुराई नहीं हो सकती थी. शादी के बाद सुरेंद्र उसे रानी बना कर रखने वाला था और उस के द्वारा पुलिस की नौकरी करने में भी उसे कोई आपत्ति नहीं थी. मोनिका ने अच्छी तरह सोच कर फैसला ले लिया कि वह सुरेंद्र को शादी के लिए ‘हां’ बोल देगी.

लेकिन इस के लिए वह अपने घर वालों से बात करेगी. सुरेंद्र को भी परिवार के लोगों से मिलवाएगी. सब कुछ प्लान कर के रात के अंतिम पहर में इत्मीनान से सो गई.

9 सितंबर, 2021 की सुबह सुरेंद्र राणा काफी खुश नजर आ रहा था. पिछले महीने मोनिका यादव ने उस से शादी के लिए हां भी कह दी थी और सुरेंद्र को गुलावठी ले जा कर अपने घर वालों से भी मिला कर ले आई थी. परिवार में उस ने अपनी बहन तपस्या के कान में यह बात डाल दी थी कि वह सुरेंद्र के साथ शादी करने जा रही है. सुरेंद्र मोनिका को दुलहन बना लेने के लिए आतुर था.

उस दिन वह मोनिका को फरीदाबाद के बडख़ल झील घुमाने का मन बना कर मुखर्जी नगर में उस के पेइंग गेस्ट जा रहा था, जहां पर मोनिका रहती थी. वहां से उसे मोनिका को साथ लेना था.

अभी सुरेंद्र राणा रास्ते में ही था कि उस के मोबाइल की घंटी बजने जगी. बाइक सडक़ किनारे रोक कर सुरेंद्र राणा ने मोबाइल जेब से निकाला. नंबर देखा तो उस पर तपस्या का नाम फ्लैश होता दिखाई दिया.

“तपस्या दीदी.” वह हैरानी से बड़बड़ाया.

उस ने काल रिसीव की, “गुडमार्निंग तपस्या दीदी, कैसी हैं आप?”

“मैं अच्छी हूं सुरेंद्र, जरा पीजी जा कर मोनिका से मेरी बात करवाना. मैं कल रात से उस का फोन ट्राई कर रही हूं, लेकिन फोन लग ही नहीं रहा है.”

“आप बेफिक्र रहिए दीदी. मैं पीजी ही जा रहा हूं. अभी वहां पहुंच कर आप की मोनिका से बात करवाता हूं.” सुरेंद्र ने कह कर फोन काट दिया और बाइक को आगे बढ़ा दिया.

वह पीजी पहुंचा और मोनिका के कमरे पर आया तो वहां ताला बंद था.

“कमाल है! सुबहसुबह कहां चली गई मोनिका?” सुरेंद्र राणा हैरानी में बुदबुदाया.

उस ने मोबाइल निकाल कर मोनिका को फोन लगाया. दूसरी ओर से फोन स्विच्ड औफ होने का संदेश बजा. सुरेंद्र ने 2-3 बार ट्राई किया, लेकिन मोनिका का फोन बंद होने का ही संदेश सुनने को मिला. सुरेंद्र ने मोनिका के आसपड़ोस में रहने वाली दूसरी लड़कियों से मोनिका के विषय में पूछा.

एक लडक़ी ने बताया, “मोनिका तैयार हो कर कल दोपहर को कहीं गई थी. रात को वापस नहीं लौटी, शायद आज वापस आएगी.”

‘कहां चली गई मोनिका, वह गुलावठी भी नहीं गई है, अगर वहां गई होती तो उस की बड़ी बहन तपस्या उस के लिए परेशान हो कर उसे नहीं कहती कि पीजी जा कर उस से बात करवाओ.

देश की सब से उलझी मर्डर मिस्ट्री : हड्डी के स्क्रू से खुला राज – भाग 2

यह जानकारी जुटाने के लिए टौम के नेतृत्व में 5 बड़ी टीमें बनाई गई थीं. पांचों टीमें रातदिन पता करने में लग गईं. आखिर केरल के वीकेएम अस्पताल में जिन रोगियों को ये 6 स्क्रू लगाए गए थे, उन छह के छहों रोगियों की जानकारी मिल गई.

पैर में स्क्रू लगवाने वाली मरीज शकुंतला मिली लापता

उन 6 में से 5 रोगियों का पता तो चल गया, वे पांचों सहीसलामत थे. अब छठें रोगी के घर जाना बाकी था. वह 54 साल की महिला रोगी थी, जिस का नाम था शकुंतला. उस का पता नहीं चल रहा था. पुलिस एक बार फिर अस्पताल पहुंची, जहां शकुंतला का औपरेशन हुआ था.

सारा डाटा खंगाला गया, लेकिन उस में शकुंतला के नाम के अलावा और कोई जानकारी नहीं मिली. तब पुलिस ने विजिटर्स की लिस्ट देखी. उस में एक नाम कई बार दिखाई दिया, जो शकुंतला से मिलने आती रहती थी. उस का नाम था अस्वती दामोदरन. विजिटर्स लिस्ट से उस का पता भी मिल गया.

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पुलिस को लगने लगा कि अब जल्दी ही वह कातिल और कत्ल के मोटिव तक पहुंच सकेगी. पर यह सब इतना आसान नहीं था, जितना पुलिस ने सोच लिया था. अभी रहस्य से परदा उठाने के लिए पुलिस को बहुत मेहनत करनी थी. पुलिस अस्वती के घर पहुंची.

पुलिस ने जब अस्वती से शकुंतला के बारे में पूछा तो उस ने कहा, “साहब, मुझे मेरी मां शकुंतला को देखे तो 2 साल हो गए हैं. वह गायब हैं. मुझे उन के बारे में कुछ नहीं पता.”

अस्वती की बात सुन कर पुलिस हैरान रह गई. इंसपेक्टर टौम ने कहा, “बेकार की बातें मत करो. सब कुछ विस्तार से बताओ. क्या उन का कोई एक्सीडेंट हुआ था या वह गिर गई थीं. तुम उन्हें अस्पताल ले गई थी?”

अस्वती ने थोड़ा घबरा कर कहा, “साहब, मेरी मां और मुझ में पटती नहीं थी. अपनी शादी के बाद मैं उन के साथ रहती थी. एक सितंबर, 2016 को मैं उन के साथ स्कूटी से जा रही थी तो ट्रक वाले ने टक्कर मार दी थी, जिस में उन के बाएं पैर में फ्रैक्चर हो गया था. मैं उन्हें वीकेएम अस्पताल ले गई थी. वहां उन के पैर में स्क्रू लगाया गया था.

इलाज के बाद 19 सितंबर, 2016 को उन से मिलने गई थी. लेकिन इस के बाद उन से मिलने गई तो वह नहीं मिलीं. मुझे पता चला कि वह किसी काम से दिल्ली गई हैं. उस के बाद से मेरी उन से मुलाकात नहीं हुई है.”

इंसपेक्टर टौम ने कहा, “तुम्हारी सगी मां गायब हो गई और तुम ने पुलिस में शिकायत भी नहीं की?”

“नहीं साहब, पुलिस में शिकायत नहीं की. क्योंकि हम दोनों में बिलकुल नहीं बनती थी. मुझे लगा कि हमारे झगड़ों से परेशान हो कर वह कहीं चली गई हैं. वह कहीं भी रहें, मुझ से क्या मतलब? इसलिए मैं ने शिकायत नहीं की थी.” अस्वती ने कहा.

इंसपेक्टर टौम और उन के साथी मन ही मन हंस रहे थे. क्योंकि उन्हें पता था कि अस्वती एकदम अधूरी जानकारी दे रही थी. उस के जवाब से अनेक सवाल खड़े हो रहे थे. पर पुलिस के लिए तो इस समय यह जानकारी पर्याप्त थी कि ड्रम में मिली हड्डियों में जो स्क्रू मिला था, वह शकुंतला के पैर की हड्डी में जो लगा था, वही था. इस के लिए पुलिस ने अस्वती का डीएनए टेस्ट भी कराया, जो मैच कर गया था. इस का मतलब शकुंतला मर चुकी थी. इस से यह निश्चित हो गया था कि ड्रम में मिली हड्डियां शकुंतला की ही थीं.

अब सवाल यह था कि शकुंतला को मारा किस ने? क्यों और किसलिए मारा? उस का बेटी से ऐसा क्या झगड़ा था कि मां चली जाए तो बेटी 2-2 साल तक उस के बारे में पता भी न करे? सवाल अनेक थे और जवाब शून्य थे. इन सवालों के जवाब पाने के लिए इंसपेक्टर टौम ने शकुंतला और अस्वती के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की.

शकुंतला की बेटी से हुई पूछताछ

अस्वती की कर्म कुंडली खंगालने पर असली कहानी सामने आ गई. अस्वती सुधी नाम के एक लडक़े से प्यार करती थी, जबकि शकुंतला को उस का उस लडक़े से प्यार करना पसंद नहीं था. इसलिए अस्वती ने भाग कर सुधी से विवाह कर लिया था. पर उस का यह प्रेमविवाह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सका.

2 साल बाद 2016 में जनवरी महीने के आसपास अस्वती सुधी को छोड़ कर मां के साथ रहने के लिए कोच्चि आ गई. शकुंतला पति से अलग रहती थी और लौटरी के टिकट बेच कर गुजारा करती थी.

उसी दौरान अस्वती की मुलाकात टी.एम. सुजित नाम के एक व्यक्ति से हुई. सुजित ‘सोसायटी फार प्रिवेंशन औफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स’ (एसपीसीए) नाम की संस्था में नौकरी करता था. दोनों में प्यार हो गया तो सुजित अस्वती की मां के घर में ही उस के साथ रहने लगा.

अस्वती ने पुलिस को यह बात नहीं बताई थी. यह जानकारी मिलने के बाद एक बार फिर पुलिस अस्वती से पूछताछ करने उस के घर पहुंची. अस्वती के सामने आते ही इंसपेक्टर टौम ने पूछा, “अस्वती, तुम्हारा प्रेमी सुजित कहां है? तुम ने अपने पहले विवाह के बारे में भी मुझ से कुछ नहीं बताया था.”

इंसपेक्टर टौम की ये बातें सुन कर अस्वती रो पड़ी. रोते हुए उस ने कहा, “साहब, सुजित की तो 20 दिन पहले मौत हो गई है. 9 जनवरी, 2018 को किसी कारणवश उस ने आत्महत्या कर ली और हम सभी को छोड़ कर चला गया.”

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यह जानकारी पुलिस के लिए चौंकाने वाली थी. क्योंकि 7 जनवरी, 2018 को पुलिस को पनंगद सरोवर के किनारे वह ड्रम मिला था, जिस में शकुंतला की हड्डियां थीं. इस के 2 दिन बाद जब यह समाचार अखबारों में सनसनी मचाए था तो 9 जनवरी को सुजित ने आत्महत्या कर ली थी. अब सवाल यह था कि यह इत्तफाक था या इस में कोई रहस्य था. यह घटना संदेह पैदा करने वाली थी.

अब पुलिस सुजित की कुंडली खंगालने लगी. उस की कहानी बड़ी ही पेचीदा निकली.

पाक प्यार में नापाक इरादे – भाग 1

सुबह के यही कोई 6 बजे बबीता का मोबाइल फोन बजा तो उस ने पहले नंबर देखा कि इतनी सुबहसुबह किसने फोन कर दिया. जब उस ने देखा कि नंबर देवरानी सर्वेश का है तो उस ने झट फोन रिसीव किया. फोन कान से लगा कर उस ने जैसे ही ‘हैलो’ कहा,

दूसरी ओर से सर्वेश ने रोते हुए कहा, ‘‘दीदी, मैं तो बरबाद हो गई. मेरा बसाबसाया घर उजड़ गया. पाकेश इस दुनिया में नहीं रहे. किसी ने उन्हें मार डाला.’’

बबीता सर्वेश की जेठानी थी, जो गांव में  रहती थी. सासससुर थे नहीं, इसलिए उस ने जेठानी को फोन किया था. सर्वेश ने जो भी कहा था, रोते हुए कहा था, इसलिए बबीता की समझ में पूरी बात नहीं आई थी. लेकिन इतना तो वह समझ ही गई थी कि पाकेश को किसी ने मार डाला है. वह कुछ पूछती, उस के पहले ही सर्वेश ने फोन काट दिया था, इसलिए उस ने पलट कर फोन किया.

पलट कर फोन करने पर सर्वेश ने बताया कि रात में पाकेश ने शराब पी कर उस के साथ मारपीट की थी. उस मारपीट में उस ने लोहे की रौड उस के सिर में मार दिया था, जिस से वह बेहोश हो गई थी. सुबह जब उसे होश आया तो पाकेश मरा पड़ा था. उस के बेहोशी के दौरान ही उस की किसी ने हत्या कर दी थी. इसलिए उसे पता नहीं चला कि उसे कौन मार गया.

बबीता ने तुरंत इस बात की जानकारी अपने पति तिरमल सिंह को दी. तिरमल सिंह सरकारी स्कूल में अध्यापक थे और उस समय स्कूल में थे. भाई की हत्या की सूचना मिलते ही वह छुट्टी ले कर घर आ गए और घर से अन्य लोगों को साथ ले कर काशीपुर के लिए रवाना हो गए.

तिरमल सिंह घर वालों के साथ पाकेश के घर पहुंचे तो सर्वेश घर का मुख्य दरवाजा बंद किए अंदर ही बैठी थी. उस समय तक आसपास रहने वालों को पता नहीं था कि पाकेश की हत्या हो चुकी है. जब घर वालों ने रोनाधोना शुरू किया, तब कहीं जा कर आसपड़ोस वालों को पाकेश की हत्या की जानकारी हुई. इस के बाद उस के घर के सामने भीड़ लग गई. यह 11 अगस्त की सुबह की बात है.

तिरमल सिंह ने पाकेश की हत्या की सूचना काशीपुर कोतवाली पुलिस को दी. सूचना मिलते ही आईटीआई चौकीप्रभारी रमेश तनबार, सीनियर सबइंसपेक्टर धीरेंद्र कुमार, एएसपी देवेंद्र पिंचा घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश के निरीक्षण के दौरान पुलिस ने लाश के पास से एक प्लास्टिक का फीता और कमरे के बाहर बरामदे से लोहे की एक रौड बरामद की, जिस के एक सिरे पर पेपर लपेट कर उस के ऊपर कपड़ा लपेटा हुआ था. लाश के सिर पर चोट के कई निशान थे. इस के अलावा उस के गले पर भी नीला निशान नजर आ रहा था. इस से साफ लग रहा था कि सिर पर चोट पहुंचाने के बाद उस का गला भी दबाया गया था.

घटनास्थल और लाश के निरीक्षण के बाद पुलिस ने मृतक पाकेश की पत्नी सर्वेश से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 10 अगस्त, 2014 दिन रविवार को वह पति और बच्चों के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने अपने गांव मोहद्दीपुर गई थी. त्योहार मना कर वह पति और बेटी के साथ वापस आ गई थी, जबकि जेठ धर्मवीर और बेटा वहीं गांव में रुक गए थे.

सर्वेश के बताए अनुसार रात में पाकेश ने खूब शराब पी. नशे में वह उस के साथ मारपीट करने लगा. तभी उस ने गुस्से में वहीं पड़ी लोहे की रौड उठा कर उस के सिर पर मार दी, जिस से वह बेहोश हो गई. सुबह 5 बजे के करीब उसे होश आया तो पाकेश मरा पड़ा था. इसलिए उसे पता नहीं कि वह कैसे मरा.

पुलिस ने सर्वेश से पाकेश के मिलनेजुलने वालों के बारे में पूछा तो उस ने कहा कि इस बारे में उसे कुछ पता नहीं है. सर्वेश की इस बात पर घर वाले चौंके, क्योंकि पिछले ही दिन वह घर वालों से कह कर आई थी कि शराब के चक्कर में पाकेश ने कई लोगों से दुश्मनी मोल ले ली है. अगर कल को इसे कुछ हो गया तो उसे कोई दोष नहीं देगा.

जब यह बात घर वालों ने पुलिस को बताई तो सारी परिस्थितियों पर गौर करने के बाद पुलिस को सर्वेश पर ही संदेह हो गया. लेकिन उस समय पुलिस के पास कोई सुबूत नहीं था, इसलिए पुलिस ने उसे हिरासत में लेना उचित नहीं समझा.

यह भी निश्चित था कि यह काम सर्वेश ने अकेले नहीं किया था, क्योंकि पाकेश अच्छी कदकाठी का नौजवान था. सर्वेश उसे अकेली काबू में नहीं कर सकती थी. उस ने पति को किसी की मदद से ही मारा था. पुलिस को उस के बारे में भी पता करना था.

पुलिस ने सर्वेश के साथी के बारे में पता करने के लिए उस का मोबाइल फोन कब्जे में ले लिया. इस के बाद घटनास्थल की सारी काररवाई निबटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. पोस्टमार्टम के बाद लाश घर वालों के हवाले कर दी गई तो उन्होंने उसे गांव ले जा कर उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

मृतक पाकेश के भाई तिरमल सिंह ने पुलिस को जो तहरीर दी थी, उस में भाई की हत्या का संदेह उस की पत्नी सर्वेश पर व्यक्त किया था. पुलिस ने उसी हिसाब से जांच शुरू की. पुलिस ने सब से पहले उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स के अनुसार, जिस रात पाकेश की हत्या हुई थी, उस रात सर्वेश ने एक नंबर पर कई बार फोन कर के बात की थी. पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर नेत्रपाल का था. वह महुआखेड़ागंज की किसी फैक्ट्री में सुपरवाइजर था. पुलिस उस के घर पहुंची तो घर वालों ने बताया कि वह रक्षाबंधन की रात से घर नहीं आया था. पुलिस के पास उस का नंबर था ही, उसे सर्विलांस पर लगवा दिया.

पाकेश का अंतिम संस्कार हो जाने के बाद पुलिस सर्वेश को पूछताछ के लिए कोतवाली ले आई. इस बार की पूछताछ में भी उस ने वही पुरानी कहानी सुना दी, जो उस ने पहले सुनाई थी. लेकिन पुलिस ने इस बार उस की कहानी पर विश्वास नहीं किया और उस से नेत्रपाल के बारे में पूछा.

सर्वेश ने बताया कि वह जिस फैक्ट्री में काम करती थी, नेत्रपाल उसी में सुपरवाइजर था. साथसाथ काम करने की वजह से दोनों में जानपहचान हो गई थी. उसी की वजह से पाकेश से भी उस की दोस्ती हो गई थी. जिस रात पाकेश की हत्या हुई थी, उस रात पाकेश और नेत्रपाल की कई बार बातचीत हुई थी. उन के बीच क्या बात हुई थी, यह उसे पता नहीं था. क्योंकि उस समय वह खाना बना रही थी.

लेडी कांस्टेबल मर्डर का कालगर्ल कनेक्शन – भाग 1

सुरेंद्र राणा दिल्ली पुलिस में हैडकांस्टेबल है. वह सन 2012 में भरती हुआ था. उस की तैनाती पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) यूनिट में थी. वह बाहरी दिल्ली के अलीपुर गांव में पत्नी सहित रहता था. वहां से मुखर्जी नगर अपनी बाइक द्वारा ड्यूटी पर आनाजाना करता था.

एक दिन उस का पत्नी से किसी बात पर झगड़ा हो गया था, इसलिए वह घर से बगैर खाना लिए ड्यूटी पर आ गया था. दोपहर तक वह पीसीआर वैन में रहा, फिर भूख लगने पर थाने की कैंटीन में खाना खाने आ गया. थाने की कैंटीन में उस ने अपनी पसंद का खाना प्लेट में लगवाया और टेबल की ओर आ गया. प्लेट टेबल पर रख कर सुरेंद्र राणा ने कुरसी खींची और बैठ गया. तभी उसे खयाल आया कि उस ने हाथ नहीं धोए हैं. वह हाथ धोने के लिए वाश बेसिन की ओर चला आया.

वहां हाथ धोने के बाद रुमाल से हाथों को पोंछता हुआ टेबल की तरफ बढ़ा, जिस पर उस ने खाने की प्लेट छोड़ी थी. वह हैरान रह गया, उस टेबल पर एक युवती बैठी हुई उस की प्लेट का खाना खा रही थी.

वह लपक कर उस टेबल के पास आ गया और रौब से बोला, “यह क्या बदतमीजी है मैडम, यह खाने की प्लेट मेरी है, जिस पर आप आराम से हाथ साफ कर रही हैं.”

युवती घबरा कर खड़ी हो गई. उस के हाथ सब्जी में सने हुए थे. वह मुसकराते हुए बोली, “सौरी सर, मुझे जोरों की भूख लगी थी और कैंटीन में मुझे रसोइया दिखा नहीं, इसलिए टेबल पर खाने की प्लेट देख कर मैं खाने पर टूट पड़ी.”

युवती की उम्र 24-25 साल की होगी. वह बेहद खूबसूरत थी. उस ने मेकअप नहीं किया था, फिर भी उस के गालों पर सेब जैसी लालिमा और होंठों पर गुलाब के फूलों वाला रंग बिखरा हुआ था. युवती की आंखों में अजीब सा नशा भरा दिखाई देता था. वह लाल रंग की सलवारकमीज पहने हुए थी. गले में लाल रंग की चुन्नी थी.

सुरेंद्र राणा उस की खूबसूरती और भरेपूरे यौवन पर मोहित हो गया. वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं रह गया, बस ठगा सा उस युवती को देखता रहा.

“आप ने मुझे माफ कर दिया न.” युवती सुरेंद्र राणा को खामोश, ठगा सा खड़ा देख कर बोली, “मैं फिर से सौरी बोल देती हूं.”

सुरेंद्र राणा की मदहोशी उस युवती की कोयल जैसी सुरीली आवाज सुन कर और बढ़ गई.

पहली मुलाकात में दिल में बसा लिया मोनिका को

युवती हैरान थी कि यह पुलिस वाला कुछ बोल क्यों नहीं रहा है, उसे ही ताकने में लगा है. वह झुंझला गई. भूख से वह बेहाल थी. सुरेंद्र सोचने लगा कि पुलिस कैंटीन में कोई बाहरी व्यक्ति तो खाने के लिए आ नहीं सकता, जरूर यह भी पुलिस विभाग में ही होगी. लेकिन इस से पहले उस ने उस युवती को कभी देखा नहीं था. इसी सोच में वह बेसुध था.

तभी उस युवती ने सुरेंद्र राणा का हाथ पकड़ कर हिलाया, “ऐ जनाब, कहां खो गए आप?”

“तुम्हारी मोहिनी सूरत में…” सुरेंद्र राणा के मुंह से निकल गया. फिर वह तुरंत संभल गया, “क…क्या कहा तुम ने?”

“मैं ने आप की प्लेट से खाना खाया, इस के लिए सौरी बोल रही हूं. आप ध्यान ही नहीं दे रहे थे, इसलिए आप का हाथ भी पकड़ लिया.”

सुरेंद्र राणा मन ही मन बुदबुदाया, ‘यह हाथ जीवन भर के लिए पकड़ लो सुंदरी… मैं एक ही नजर में तुम्हारा दीवाना हो गया हूं.’

वह संभल कर बोला, “कोई बात नहीं, मैं दूसरी प्लेट ले आता हूं.”

वह कैंटीन में गया और अपने लिए दूसरी प्लेट ले आया और उसी टेबल पर खाने लगा. वह युवती अब इत्मीनान से खाना खा रही थी.

“क्या नाम है तुम्हारा?” सुरेंद्र राणा ने बात का सिलसिला शुरू करते हुए पूछा.

“मोनिका यादव.”

“दिल्ली में ही रहती हो?”

“हां, मैं दिल्ली में ही रहती हूं और दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल हूं. कल से मेरी इसी थाने में ड्यूटी लगाई गई है. वैसे मूलरूप से मैं गुलावठी (बुलंदशहर) की रहने वाली हूं.” युवती ने बताया.

“अरे, आप ने बताया क्यों नहीं कि आप भी डीपी में हैं. वैसे आप दिल्ली में कहां रहती हैं?” सुरेंद्र ने पूछा.

“यहीं मुखर्जी नगर में एक पीजी में रहती हूं. वहां रह कर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी भी कर रही हूं.”

“अरे वाह!” सुन कर सुरेंद्र राणा खुशी से उछल पड़ा, “मैं भी इसी थाने में तो मैं हैडकांस्टेबल हूं.”

“ओह,” मोनिका मुसकराई, “फिर तो आप की और मेरी मुलाकात रोज होगी.”

“बेशक होगी.” सुरेंद्र जल्दी से बोला, “अगर तुम्हें ड्यूटी के दौरान किसी किस्म की परेशानी आए तो बताना, मेरी ऊपर तक जानपहचान है.”

सुरेंद्र राणा मुसकराया, “अच्छा, चलता हूं, मुझे अभी पीसीआर वैन पर निकलना है. तुम से फिर मुलाकात करूंगा.” कहने के बाद सुरेंद्र राणा लंबेलंबे डग भरता हुआ कैंटीन से बाहर निकल गया. वह खुश था कि पहली मुलाकात में ही वह खूबसूरत मोनिका को इंप्रैस कर के उस के दिल में अपने लिए जगह बना आया है.

मोनिका ने अगले दिन ही मुखर्जी नगर थाने में अपनी आमद दर्ज करा ली. इस का पता सुरेंद्र राणा को हुआ तो वह फूला नहीं समाया.

मोनिका को प्यार के जाल में फांसने की कोशिश में जुटा सुरेंद्र

पहली मुलाकात में मोनिका के हुस्न का जो जादू उस पर चला था, वह अभी भी कायम था. सुरेंद्र शादीशुदा और एक बेटे का बाप होने के बाद भी मोनिका को अपनी जिंदगी में लाने के लिए मचल रहा था, जबकि मोनिका यादव उसे केवल अपना सच्चा हमदर्द दोस्त मान कर उस की इज्जत कर रही थी. इस की वजह थी कि सुरेंद्र राणा और अपनी उम्र में करीब 15 साल का अंतर होना.

मोनिका के मन में कभी भी यह विचार नहीं आया कि सुरेंद्र राणा को अपनी जिंदगी का हमसफर बनाए. उस के साथ प्यार के सुनहरे ख्वाब देखे. सुरेंद्र राणा को अपना सच्चा हितैषी समझ कर मोनिका उस से हंसतीबोलती थी. उस की इज्जत करती थी. जबकि सुरेंद्र की कोशिश थी कि वह मोनिका के बहुत करीब आ जाए. उस का दिल केवल मोनिका के लिए ही धडक़ने लगा था.

उस ने अब अपने घर अलीपुर भी जाना कम कर दिया था. पत्नी से उस ने झूठ बोला कि काम का बोझ अधिक होने की वजह से उसे थाने में ही रुकना पड़ता है. इतना वक्त नहीं होता कि वह घर आएजाए. पत्नी सीधीसादी थी. पुलिस वालों की नौकरी ऐसी ही होती है. इस नौकरी में रातदिन नहीं देखा जाता. उस ने संतोष करने की आदत डाल ली.

देश की सब से उलझी मर्डर मिस्ट्री : हड्डी के स्क्रू से खुला राज – भाग 1

यह कहानी है केरल के अर्नाकुलम जिले के कोच्चि शहर की. इस शहर से जुड़े कुंबलम में पनंगद नाम का एक सुंदर सरोवर है. एक दिन इसी सरोवर के किनारे एक ड्रम दिखाई दिया. 2-3 दिनों तक किसी ने उस ड्रम की ओर ध्यान नहीं दिया. पर इस के बाद में लोगों को लगा कि ड्रम से दुर्गंध आ रही है. इसलिए 7 जनवरी, 2018 को मछली पकडऩे वाले और कुछ दुकानदारों ने मिल कर इस बात की सूचना स्थानीय पुलिस को दी.

स्थानीय पुलिस ने आ कर उस ड्रम को देखा. ड्रम सीमेंट और कंक्रीट से पैक था. दुर्गंध का पता लगाने के लिए पुलिस ने ड्रम को  तोडऩे का आदेश दिया. पहले प्लास्टिक का ड्रम तोड़ा गया. उस के बाद छेनी और हथौड़ी से जम गई सीमेंट और कंक्रीट को तोड़ा जाने लगा. लोगों को यही लग रहा था कि इस में शायद कोई लाश हो. पर ऐसा कुछ भी नहीं निकला. उस में से मानव हड्डियों के केवल कुछ टुकड़े निकले, वे बचेखुचे और टूटेफूटे थे. इस में जबड़ों के अलावा पैर की हड्डियों के एकदो टुकड़े थे तो एकाध हाथ के तो एकदो मानव जबड़े के थे.

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इस के साथ उस ड्रम से जो मिला था, वह हैरान करने वाला था. उस में से कपड़ों के चिथड़े, बालों का गुच्छा, रस्सी के टुकड़े और 3 करंसी नोट निकले थे. इन 3 नोटों में एक सौ का नोट था और 2 पांच सौ के. पुलिस ने ये सभी चीजें जब्त कर लीं और जांच के लिए भेज दिया.

अगले दिन यानी 8 जनवरी, 2018 को यह समाचार तमाम स्थानीय अखबारों में छपा और शहर में चर्चा का विषय बन गया. पुलिस के लिए यह केस काफी उलझा हुआ और पेचीदा था, क्योंकि न तो लाश थी और न कोई चेहरा मोहरा. यह भी पता नहीं चल रहा था कि मरने वाला स्त्री था या पुरुष?

प्राथमिक जांच में ही पुलिस को पता चल गया था कि यह केस बहुत ही रहस्यमय है. इसलिए उन्होंने इस मामले को अर्नाकुलम (साउथ) पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया और इस की जांच की जिम्मेदारी विशेषकर सर्कल इंसपेक्टर सी.बी. टौम को सौंप दी गई थी.

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सी.बी. टौम नाम इनवैस्टीगेशन की दुनिया में केरल का जानामाना नाम है. वह केरल में शरलौक होम्स के रूप में जाने जाते हैं और लोग उन्हें ‘टौम्स’ कहते भी हैं. जब उन के पास जांच के लिए यह मामला आया तो वह भी रोमांचित हो उठे और इस मामले की इनवैस्टीगेशन में लग गए. उन के साथ उन्हीं की तरह एक अन्य होशियार इनवैस्टीगेशन और मैडिकल अफसर हैं, जिस का नाम है डा. एन.के. उन्मेश.

मानव शरीर की उन हड्डियों का पोस्टमार्टम हुआ. इस के अलावा अन्य जांचें भी हुईं. केवल हड्डियों के कुछ टुकड़ों से हत्यारे तक पहुंच पाना आसान नहीं था. हकीकत में यह इनवैस्टीगेशन काफी मुश्किल थी. 3 दिनों की जांच के बाद इंसपेक्टर सी.बी. टौम, उन के साथी डा. एन.के. उन्मेश और पुलिस के अन्य अधिकारियों ने एक मीटिंग की.

कंकाल में पाए गए स्क्रू से शुरू हुई जांच

इस मीटिंग में सी.बी. टौम ने कहा, “यह केस बहुत ही पेचीदा है. इस में अनेक लेयर निकलेंगी. मरने वाले की पहचान तो दूर की बात रही, अभी तो यह भी पता नहीं है कि मरने वाला पुरुष है या स्त्री. हां, इस में से एक बाल का गुच्छा जरूर मिला है.”

“पर बाल की लंबाई से यह साबित नहीं किया जा सकता कि मरने वाला पुरुष था या स्त्री.” मीटिंग में बैठे एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा.

“आप का कहना अपनी जगह सही है.” टौम ने कहा, “वह बाल 50 सेंटीमीटर लंबे हैं. जनरली महिलाओं के ही बाल लंबे होते हैं. पर आजकल तो लडक़े भी इस तरह बाल रखते हैं. इसलिए निश्चित रूप से कुछ भी कहना मुश्किल है,” टौम ने कहा.

“अभी तो यह भी पता नहीं है कि हत्या कब हुई थी?”

“अभी हड्डियों की पूरी तरह जांच नहीं हो पाई है. पर मेरा अनुभव जो कहता है, उस के अनुसार यह मर्डर 8 नवंबर, 2016 के पहले हुआ होगा.” डा. एन.के. उन्मेश ने कहा.

“आप अपने अनुभव से ऐसा कैसे कह सकते हैं?” एक पुलिस अधिकारी ने हैरानी से पूछा.

तब सी.बी. टौम ने शरलौक होम्स की अदा में जवाब दिया, “सर, ड्रम से 3 करंसी नोट मिले हैं, जिन में 2 पांच सौ के हैं और एक सौ का है. हम जानते हैं कि भारत में 8 नवंबर, 2016 की रात से नोटबंदी लागू हुई थी, जिस में पांच सौ के नोट बंद हो गए थे. मरने वाले के पास ये नोट थे, जो ड्रम में मिले हैं. इसलिए हत्या 8 नवंबर के पहले ही की गई होगी.”

टौम की बात सभी को सही लगी. पर 2 साल पहले गायब हुए व्यक्ति की तलाश करना पुलिस को मुश्किल लग रहा था. क्योंकि यह भी पता नहीं था कि गायब होने वाला स्त्री है या पुरुष? यह भी पता नहीं था कि वह गायब कहां से हुआ था? गायब होने वाले की उम्र कितनी थी और वह गायब कब हुआ था?

3 दिन बीत गए थे. 11 जनवरी, 2018 को डा. एन.के. उन्मेश हड्डियों की जांच कर रहे थे, तभी उन्हें हड्डियों के टुकड़ों से एक ‘स्क्रू’ और एक ‘वाशर’ मिला. वह स्क्रू 6.6 सेंटीमीटर लंबा और 2.5 सेंटीमीटर चौड़ा था. जिस हड्डी के टुकड़े से वह मिला था, वह हड्डी का टुकड़ा मरने वाले के बाएं पैर की एड़ी के हिस्से का था और स्क्रू उसी में लगा था.

शायद वह स्क्रू काफी समय पहले लगाया गया था, इसलिए कंपनी वगैरह का नाम आसानी से पढऩे में नहीं आ रहा था. डा. एन.के. उन्मेश ने तुरंत इस बात की जानकारी इंसपेक्टर टौम को देते हुए कहा, “मुझे हड्डियों से एक स्क्रू मिला है. यह बहुत बड़ा सुराग बन सकता था, पर अफसोस की बात यह है कि इस पर कंपनी वगैरह का नाम काफी धुंधला हो गया है, जो पढऩे में नहीं आ रहा है.”

यह सुन कर इंसपेक्टर टौम उछल पड़े, “समझ लीजिए भाई, सुराग मिल गया. तुम जल्दी से वह स्क्रू ले कर यहां आ जाओ.”

थोड़ी देर में डा. उन्मेश उन के पास पहुंच गए. इस के बाद इंसपेक्टर टौम ने अपने हाई रेजुलेशन कैमरे से स्क्रू की फोटोग्राफी शुरू कर दी. कई घंटे की मेहनत के बाद उन्हें एक छोटा सा, पर महत्त्वपूर्ण सुराग उन के हाथ लग गया. उस स्क्रू के टौप पर धुंधला हो चुका कंपनी का नाम पढऩे में आ गया.

जिन मरीजों के स्क्रू लगाए, उन की की गई जांच

वह नाम था PITKAR. टौम ने तुरंत इस नाम को कंप्यूटर पर सर्च किया. पता चला कि यह पुणे की एक कंपनी है, जो पूरे देश में इस तरह के स्क्रू की सप्लाई करती है. इस स्क्रू का उपयोग सर्जरी में किया जाता है.

अब यह पता करना था कि इस तरह के स्क्रू का उपयोग अर्नाकुलम जिले में किसकिस अस्पताल में होता है? इस स्क्रू का उपयोग किस रोगी के लिए किया गया था? लेकिन इन दोनों सवालों का जवाब तलाशना किसी चुनौती से कम नहीं था. एक पूरा जिला, उस में अनेक इलाके और कस्बे और उन में हजारों अस्पताल. उन में लाखों रोगियों में किसी एक रोगी पर इस तरह की सर्जरी हुई होगी. इतना सब पता करना था, उस में भी निश्चित समय का पता नहीं था.

टौम ने कहा, “टास्क बड़ा है तो हम भी कम नहीं हैं. हम अलगअलग टीमें बना कर 2016 से पता लगाने की शुरुआत करते हैं कि उस साल इस कंपनी ने किसकिस अस्पताल में यह स्क्रू भेजे गए थे.”

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इस के बाद कंपनी से संपर्क किया गया. कंपनी ने बिक्री के आधार पर जानकारी दी कि साल 2016 में कुल 161 स्क्रू सप्लाई किए गए थे, जिस में 155 तो गुजरात और महाराष्ट्र में भेजे गए थे और 6 केरल में सप्लाई किए गए थे. इस के बाद यह पता किया गया कि केरल में कहां और किस रोगी को यह स्क्रू लगाया गया था.