पत्नी ने रचाई साजिश : 5 लाख की सुपारी देकर कराया पति का खौफनाक कत्ल

Crime News : मौडर्न और महत्त्वाकांक्षी विनीता ने प्रवक्ता पति के होते 2-2 प्रेमी बना लिए थे. जब वह चेन मार्केटिंग कंपनी ‘वेस्टीज’ से जुड़ने के बाद तो वह अवधेश को 2 कौड़ी का समझने लगी थी. आखिर उस ने अपने मन की करने के लिए…

42 वर्षीय अवधेश सिंह जादौन फिरोजाबाद जिले के भीतरी गांव के निवासी थे. वह बरेली जिले के सहोड़ा में स्थित कुंवर ढाकनलाल इंटर कालेज में हिंदी लेक्चरर के पद पर तैनात थे. नौकरी के चलते ढाई वर्ष पहले उन्होंने बरेली के कर्मचारीनगर की निर्मल रेजीडेंसी में अपना निजी मकान ले लिया था, जिस में वह अपनी पत्नी विनीता और 6 वर्षीय बेटे अंश के साथ रहते थे. 12 अक्तूबर, 2020 को अवधेश से फोन पर गांव में रह रही उन की मां अन्नपूर्णा देवी ने बात की थी. अवधेश उस समय काफी परेशान थे. मां ने उन्हें दिलासा दी कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा. इस के बाद उन्होंने अवधेश से बात करनी चाही, लेकिन बात न हो सकी. उन का मोबाइल बराबर स्विच्ड औफ आ रहा था. अन्नपूर्णा को चिंता हुई तो वह 16 अक्तूबर को बरेली पहुंच गईं. जब वह बेटे के मकान पर पहुंची, तो वहां मेनगेट पर ताला लगा मिला.

पड़ोसियों से पूछताछ की तो पता चला कि 12 अक्तूबर, 2020 को कुछ लोग कार से अवधेश के मकान में आए थे. तब से उन्हें नहीं देखा. अन्नपूर्णा का दिल किसी अनहोनी की आशंका से धड़कने लगा. वह वहां से स्थानीय थाना इज्जतनगर पहुंच गईं और थाने के इंसपेक्टर के.के. वर्मा को पूरी बात बताई. यह भी बताया कि अवधेश को अपने ससुरालीजनों से खतरा था. यह बात अवधेश ने 12 अक्तूबर को फोन पर बात करते समय मां को बताई थी. उस की पत्नी विनीता भी अपने बच्चे के साथ गायब थी. इस पर अन्नपूर्णा से लिखित तहरीर ले कर इंसपेक्टर वर्मा ने थाने में अवधेश सिंह जादौन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी.  फिरोजाबाद के फरिहा में 4/5 दिसंबर, 2019 की रात एक ज्वैलर्स की दुकान में हुई चोरी के मामले में पुलिस के एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह ने नारखी थाना क्षेत्र के धौकल गांव निवासी हिस्ट्रीशीटर शेर सिंह उर्फ चीकू को पकड़ा.

25 अक्तूबर, 2020 की शाम शेर सिंह को उठा कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बरेली के हिंदी प्रवक्ता अवधेश सिंह की हत्या करना स्वीकार किया. अवधेश की पत्नी विनीता ने अवधेश की हत्या के लिए उसे 5 लाख की सुपारी दी थी. इस में विनीता के पिता थाना नारखी के खेरिया खुर्द गांव निवासी रिटायर्ड फौजी अनिल जादौन, भाई प्रदीप जादौन, बहन ज्योति, विनीता का आगरा निवासी प्रेमी अंकित और शेर सिंह के 2 साथी भोला और एटा निवासी पप्पू जाटव शामिल थे. हत्या में कुल 8 लोग इस शामिल थे. शेर सिंह ने बताया कि बरेली में हत्या करने के बाद लाश को सभी लोग फिरोजाबाद ले कर आए और यहां नारखी में रामदास नाम के व्यक्ति के खेत में गड्ढा खोद कर दफना दिया था.

अवधेश मिला पर जीवित नहीं इस खुलासे के बाद फिरोजाबाद पुलिस ने बरेली की इज्जतनगर पुलिस को सूचना दी. अवधेश की मां अन्नपूर्णा को बुला कर 26 अक्तूबर, 2020 को फिरोजाबाद पुलिस ने तहसीलदार की उपस्थिति में उस खेत में बताई गई जगह पर खुदाई करवाई तो वहां से अवधेश की लाश मिल गई. चेहरा बुरी तरह जला हुआ था. शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. अवधेश की लाश मिलने के बाद उसी दिन इज्जतनगर थाने में विनीता, ज्योति, अनिल जादौन, प्रदीप जादौन, अंकित, शेर सिंह उर्फ चीकू, भोला सिंह और पप्पू जाटव के विरुद्ध भादंवि की धारा 147/302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. इस के बाद हत्याभियुक्तों की तलाश में ताबड़तोड़ दबिश दी गई, लेकिन सभी अपने घरों से लापता थे.

उन सब के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए गए. सभी के मोबाइल बंद थे. बीच में किसी से बात करने के लिए कुछ देर के लिए खुलते तो फिर बंद हो जाते. उन की लोकेशन जिस शहर की पता चलती, वहां पुलिस टीम भेज दी जाती. लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही हत्यारे वहां से निकल जाते थे. 31 अक्तूबर, 2020 को एक हत्यारोपी पप्पू जाटव उर्फ अखंड प्रताप को इंसपेक्टर के.के. वर्मा ने गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी बयान में वहीं कहा, जो शेर सिंह ने कहा था. इस बीच 5 नवंबर को इज्जतनगर पुलिस ने सभी आरोपियों के गैरजमानती वारंट हासिल कर लिए. अगले ही दिन इस से डर कर अवधेश की पत्नी विनीता ने अपने वकील के माध्यम से थाने में आत्मसमर्पण कर दिया.

पूछताछ में वह अपने मृतक पति अवधेश को ही गलत साबित करने पर तुल गई. जबकि उस की सारी हकीकत सब के सामने आ गई. जब उस से क्रौस क्वेशचनिंग की गई. कई सवालों पर वह चुप्पी साध गई. अनिल जादौन परिवार के साथ फिरोजाबाद के गांव खेरिया खुर्द में रहते थे. वह सेना से रिटायर थे. परिवार में पत्नी रेखा और 3 बेटियां विनीता, नीतू और ज्योति व एक बेटा प्रदीप था. अनिल के पास पर्याप्त कृषियोग्य भूमि थी. तीनों बेटियां काफी खूबसूरत थीं और सभी ने स्नातक तक पढ़ाई पूरी कर ली थी. 2010 में नीतू का अफेयर गांव के ही पूर्व प्रधान के बेटे के साथ हो गया. जिस पर काफी बवाल हुआ. इस पर अनिल ने जल्द से जल्द अपनी बेटियों का विवाह करने का फैसला कर लिया. नारखी थाना क्षेत्र के ही गांव भीतरी में बाबू सिंह का परिवार रहता था.

परिवार में पत्नी अन्नपूर्णा और 2 बेटे रमेश और अवधेश थे. रमेश का विवाह हो चुका था और वह परिवार के साथ जयपुर में रह कर नौकरी कर रहा था. अविवाहित अवधेश हिंदी प्रवक्ता के पद पर नौकरी कर रहा था. नौकरी के चक्कर में उस की उम्र अधिक हो गई थी. अवधेश विनीता से 12 साल बड़ा था. फिर भी अनिल विनीता की शादी उस से करने को तैयार हो गए. अनिल ने विनीता से बात की तो वह मना करने लगी कि 12 साल बड़े लड़के से शादी नहीं करेगी. अनिल ने जब समझाया कि वह सरकारी नौकरी में है, उस के पास पैसों की कमी नहीं है तो वह शादी के लिए तैयार हो गई. 2011 में अवधेश का विनीता से विवाह हो गया. उसी दिन ज्योति का भी विवाह हुआ. विनीता मायके से ससुराल आ गई. विनीता पढ़ीलिखी आजाद खयालों वाली युवती थी. जबकि अवधेश सीधेसादे सरल स्वभाव का था. दोनों एक बंधन में तो बंध गए थे लेकिन उन के विचार, उन की सोच बिलकुल एकदूसरे से अलग थी.

पति सीधा था पत्नी मौडर्न विनीता को ठाठबाट से रहना पसंद था. जबकि अवधेश को साधारण तरीके से जीवन जीना अच्छा लगता था. दोनों की सोच और खयाल एक नहीं थे तो उन में आए दिन मनमुटाव और विवाद होने लगा. विनीता की अपनी सास अन्नपूर्णा से भी नहीं बनती थी. अवधेश अपनी मां की बात मानता था. विनीता इस बात को ले कर भी चिढ़ती थी. दोनों के बीच विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहे थे. 6 साल पहले विनीता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने अंश रखा. ढाई वर्ष पहले बरेली के इज्जतनगर थाना क्षेत्र के कर्मचारी नगर की निर्मल रेजीडेंसी में अवधेश ने अपना निजी मकान ले लिया. पहले वह मकान विनीता के नाम लेना चाहता था.

लेकिन उस की बातें और हरकतों से उस का मन बदल गया. वह विनीता व बेटे के साथ अपने नए मकान में आ कर रहने लगा. बढ़ते आपसी विवादों में विनीता अवधेश से नफरत करने लगी थी. उस ने शादी से पहले सोचा था कि अवधेश उस के कहे में चलेगा, उस की अंगुलियों के इशारे पर नाचेगा, लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ. पैसों के लिए उसे अवधेश का मुंह देखना पड़ता था. अवधेश अपनी सैलरी से विनीता को उस के खर्च के लिए 3 हजार रुपए महीने देता था. उस में विनीता का गुजारा नहीं होता था. अपने खर्चे को देखते हुए विनीता ने घर में ही ‘रिलैक्स जोन’ नाम से एक ब्यूटीपार्लर खोल लिया. विनीता अपनी छोटी बहन ज्योति की ससुराल जाती थी. वहीं पर उस की मुलाकात सिपाही अंकित यादव से हो गई.

अंकित यादव बिजनौर का रहने वाला था. उस समय उस की पोस्टिंग मैनपुरी में थी. अंकित अविवाहित था और काफी स्मार्ट था. विनीता से उस की बात हुई तो वह उस के रूपजाल में उलझ कर रह गया. फिर दोनों मोबाइल पर बातें करने लगे. एक दिन अंकित विनीता से मिलने बरेली आया. दोनों एक होटल में मिले. उस दिन से दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए. विनीता से मिलने वह अकसर बरेली आने लगा. विनीता का भाई प्रदीप एक मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी में नौकरी करता था. उस ने विनीता से कहा कि वह मल्टीलेवल मार्केटिंग से जुड़ी कंपनी ‘वेस्टीज’ से जुड़ जाए. इस में कम समय में ज्यादा पैसा कमाने का मौका मिलता है. चेन मार्केटिंग कंपनियां कंपनी से जुड़ने वाले लोगों को बड़ेबडे़ सपने दिखाती हैं.

विनीता ने भी कंपनी से जुड़ने का फैसला कर लिया. वह कई मीटिंग में गई और मीटिंग में जाने के बाद उस पर चेन मार्केटिंग के जरिए जल्द से जल्द पैसा कमा कर रईस बनने का नशा सवार हो गया. इस के लिए उस ने इसी साल की शुरुआत में कंपनी जौइन कर ली. इस के लिए विनीता ने किसी बड़ी महिला अधिकारी की तरह अपनी वेशभूषा बनाई. शानदार सूटबूट में चश्मा लगा कर जब वह इंग्लिश में बड़े विश्वास के साथ अपनी बात किसी भी व्यक्ति के सामने रखती तो वह उस का मुरीद हो जाता और उस के कहने पर कंपनी जौइन कर लेता. भाई प्रदीप की लाल टीयूवी कार विनीता अपने पास रखने लगी. वह इसी कार से लोगों से मिलने जाती थी.

लग्जरी कार से सूटेडबूटेड महिला को उतरता देख कर लोगों पर इस का काफी गहरा प्रभाव पड़ता. घर की चारदीवारी से विनीता बाहर निकली तो उस ने अपने लिए पैसों का इंतजाम करना शुरू कर दिया. अब लोग विनीता से मिलने घर पर भी आने लगे. विनीता की चल पड़ी दुकान अवधेश तो दिन में कालेज में होता था और शाम को ही लौटता था. उसे पड़ोसियों से पता चलता तो अवधेश और विनीता में विवाद होता. विनीता पहले जब अवधेश से नहीं डरीदबी तो अब तो वह खुद का काम कर रही थी. ऐसे में अवधेश को ही शांत होना पड़ता था. दोनों  के बीच की दूरियां गहरी खाई में तब्दील होती जा रही थीं. दूसरी ओर विनीता की बहन ज्योति का अपनी ससुरालवालों से मनमुटाव हो गया था. वह काफी समय से मायके में रह रही थी. विनीता ने उसे अपने पास रहने के लिए बुला लिया. इस से भी अवधेश खफा था.

लौकडाउन के दौरान फेसबुक पर विनीता की दोस्ती अमित सिसोदिया उर्फ अंकित से हुई. अमित आगरा का रहने वाला था और वेस्टीज कंपनी से ही जुड़ा था, जिस से विनीता जुड़ी थी. अमित विवाहित था और एक बेटे का पिता भी था. दोनों की फेसबुक पर बातें हुईं तो पता चला कि अमित विनीता के भाई प्रदीप का दोस्त है. इस के बाद दोनों खुल कर बातें करने लगे और मिलने भी लगे. दोनों अलगअलग शहरों में होने वाले कंपनी के सेमिनार में भी साथ जाने लगे. अमित और विनीता की सोच और विचार काफी मिलते थे. एक साथ रहने के दौरान विनीता को यह बात महसूस हो गई थी. दोनों ही जिंदगी में खूब पैसा कमाना चाहते थे. दोनों साथ बैठते तो कल्पनाओं की ऊंची उड़ान भरते. एक दिन अमित ने विनीता का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘विनीता, हम दोनों बिलकुल एक जैसे है.

एक जैसा सोचते हैं, एक जैसा काम करते है और एक ही उद्देश्य है, एकदूसरे का साथ भी हमें भाता है. क्यों न हम हमेशा के लिए एक हो जाएं.’’

विनीता पहले हलके से मुसकराई, फिर गंभीर मुद्रा में बोली, ‘‘हां अमित, मैं भी ऐसा ही सोच रही थी. यह भी सोच रही थी कि तुम मेरी जिंदगी में पहले क्यों नहीं आए, आ जाते तो मुझे कष्टों से न गुजरना पड़ता.’’ कुछ पलों के लिए रुकी, फिर बोली, ‘‘खैर अब भी हम एक हो सकते हैं ठान लें तो.’’

विनीता की स्वीकृति मिलते ही अमित खुश हो गया, ‘‘तुम ने कह दिया तो अब हमें एक होने से कोई नहीं रोक सकता.’’ कह कर अमित ने विनीता को बांहों में भर लिया. विनीता भी उस से लिपट गई. अमित को पा कर जैसे विनीता ने राहत की सांस ली. उसे ऐसे ही युवक की तलाश थी जो उस के जैसा हो, उसे समझता हो और उस के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए. दूसरी ओर वह अंकित यादव से भी संबंध बनाए हुए थी. विनीता दिनरात एक कर के अपने मार्केटिंग के बिजनैस में सफल होना चाहती थी. इसलिए वह इस में लगी रही. कुछ महीनों में ही उस ने अपने अंडर में एक हजार लोगों की टीम खड़ी कर दी. कंपनी ने उसे कंपनी का ‘सिलवर डायरेक्टर’ घोषित कर दिया.

विनीता खुशी से फूली नहीं समाई. कंपनी ने उसे एक स्कूटी भी इनाम में दी. विनीता अपनी कंपनी के कार्यक्रमों और उस के रिकौर्डेड संदेशों को अपने फेसबुक अकाउंट पर डालती रहती थी. कंपनी से जुड़ने के लिए लोगों से अपील भी करती थी कि उस के पास बिजनैस करने का एक अनोखा आइडिया है, जिस में महीने में 5 से 50 हजार तक कमा सकते हैं. जो कमाना चाहते हैं, उस से मिलें. विनीता की जिंदगी में सब कुछ अब अच्छा ही अच्छा हो रहा था. बस खटकता था तो अवधेश. उस के साथ होने वाली कलह. अब विनीता अवधेश से छुटकारा पाने की सोचने लगी थी. उस की जिंदगी में अमित आ चुका था, वह उस के साथ जिंदगी बिताने का सपना देखने लगी थी. अमित भी उस से कई बार कह चुका था कि वह कहे तो अवधेश को ठिकाने लगा दिया जाए. वह ही मना कर देती थी.

अवधेश के मरने से उसे हमेशा के लिए छुटकारा तो मिलता ही साथ ही अवधेश का मकान और सरकारी नौकरी भी मिल जाती. यही सोच कर उस ने आगे की योजना बनानी शुरू कर दी. इस में उस ने अपने पिता व भाई से साफ कह दिया कि वह अवधेश के साथ नहीं रहना चाहती. उसे मारने से उसे मकान और उस की सरकारी नौकरी भी मिलेगी. विनीता के पिता अनिल ने एक बार कहा भी कि वह अपना बसा हुआ घर न उजाड़े, लेकिन विनीता नहीं मानी. विनीता की जिद और लालच के लिए वे सभी उस का साथ देने को तैयार हो गए. विनीता का एक मुंहबोला चाचा था शेर सिंह उर्फ चीकू. वह उस के पिता अनिल का खास दोस्त था. शेर सिंह नारखी थाने का हिस्ट्रीशीटर था, उस पर वर्तमान में 16 मुकदमे दर्ज थे.

विनीता ने शेर सिंह से कहा कि उसे उस के पति अवधेश की हत्या करनी है. शेर सिंह ने उस से 5 लाख रुपए का इंतजाम करने को कहा तो विनीता ने हामी भर दी. अवधेश ने कार खरीदने के लिए घर में रुपए ला कर रखे थे. सोचा था कि नवरात्र में बुकिंग करा देगा और धनतेरस पर गाड़ी खरीद लेगा. उन पैसों पर विनीता की नजर पड़ गई. उन रुपयों में से 70 हजार रुपए निकाल कर विनीता ने शेर सिंह को दे दिए, बाकी पैसा बाद में देने को कहा. इस के बाद शेर सिंह ने अपने गांव के ही भोला सिंह और एटा के पप्पू जाटव को हत्या में साथ देने के लिए तैयार कर लिया. शेर सिंह ने विनीता, विनीता के पिता अनिल, भाई प्रदीप और प्रेमी अमित सिसोदिया के साथ मिल कर अवधेश की हत्या की योजना बनाई. विनीता ने बाद में ज्योति को इस बारे में बता कर उसे भी अपने साथ शामिल कर लिया.

12 अक्तूबर, 2020 की रात अवधेश रोज की तरह टहलने के लिए निकले. उस के जाने के बाद विनीता ने हत्या के उद्देश्य से पहुंचे शेर सिंह, भोला, पप्पू जाटव, अनिल, प्रदीप और अमित को घर के अंदर बुला लिया. सभी घर में छिप कर बैठ गए. कुछ देर बाद जब अवधेश लौटे तो घर में घुसते ही सब ने मिल कर उसे दबोच लिया. विनीता अपने बेटे अंश को ले कर ऊपरी मंजिल पर चली गई. नीचे सभी ने अवधेश को पकड़ कर उस का गला घोंट दिया. अवधेश के मरने के बाद विनीता नीचे उतर कर आई. अवधेश की लाश को बड़ी नफरत से देख कर गाली देते हुए उस में कस के पैर की ठोकर मार दी. देर रात अमित ने लाश को सभी के सहयोग से अपनी आल्टो कार में डाल लिया. इस के बाद प्रदीप की टीयूवी कार जो विनीता के पास रहती थी, सब उस में सवार हो गए.

प्रदीप कार चला रहा था. उस के पीछे थोड़ी दूरी पर अंकित चल रहा था. लगभग साढ़े 3 घंटे का सफर तय कर के अवधेश की लाश को ले कर वे फिरोजाबाद में नारखी पहुंचे. लेकिन तब तक उजाला हो चुका था. इसलिए लाश को कहीं दफना नहीं सकते थे. इन लोगों ने पूरा दिन ऐसे ही निकाला. इस बीच लाश को जलाने के लिए बाजार से तेजाब खरीद कर लाया गया. अंधेरा होने पर नारखी में रामदास के खेत में गड्ढा खोद कर अवधेश की लाश को उस में डाल दिया गया. फिर लाश पर तेजाब डाल दिया गया, जिस से लाश का चेहरा व कई हिस्से जल गए. लाश को दफनाने के बाद सभी वहां से लौट आए. विनीता बराबर वीडियो काल के जरिए उन लोगों के संपर्क में थी. 14 अक्तूबर, 2020 को वह भी बेटे अंश को ले कर घर से भाग गई.

शेर सिंह पकड़ा गया तो घटना का खुलासा हुआ. उस ने विनीता के प्रेमी अंकित का नाम लिया. घटना की खबर अखबारों की सुर्खियां बनीं तो विनीता के प्रेमी सिपाही अंकित यादव ने देखा. अंकित ने अपना नाम समझा. उसे लगा कि पुलिस को विनीता की काल डिटेल्स से उस के बारे में पता लग गया है. अब वह भी इस हत्याकांड की जांच में फंस जाएगा. दूसरी ओर अंकित नाम आने पर विनीता के शातिर दिमाग ने खेल खेला. अपने प्रेमी अमित सिसोदिया को बचाने के लिए वह अंकित को ही फंसाने में लग गई. 26 अक्तूबर, 2020 को वह अंकित यादव से मिलने संभल गई. 2 महीने से अंकित संभल की हयातनगर चौकी पर तैनात था. वहां वह उस से मिली. कुछ सिपाहियों ने उसे उस के साथ देखा भी. विनीता उस से मिल कर चली गई. अंकित भयंकर तनाव में आ गया.

27 अक्तूबर, 2020 को उस ने अपने साथी सिपाही की राइफल ले कर उस से खुद को गोली मार ली. अंकित के आत्महत्या कर लेने की बात विनीता को पता चल गई थी. इसलिए जब उस ने आत्मसमर्पण किया तो वह सारा दोष अंकित यादव पर डालती रही. वह अपने प्रेमी अमित सिसोदिया उर्फ अंकित को बचाना चाहती थी. समर्पण से पहले विनीता ने अपना मोबाइल भी तोड़ दिया था, ताकि पुलिस उस मोबाइल से कोई सुराग हासिल न कर सके. गैरजमानती वारंट जारी होने के बाद से सभी आरोपियों में इस बात का खौफ है कि पुलिस उन की संपत्तियों को तोड़फोड़ सकती है, कुर्क कर सकती है. इसलिए बारीबारी से सभी आत्मसमर्पण करने की तैयारी में लग गए.

फिलहाल कथा लिखे जाने तक पुलिस शेष आरोपियों की तलाश में जुटी हुई थी. शेर सिंह की रिमांड 20 नवंबर को मिलनी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों व मीडिया में छपी रिपोर्टों के आधा

महिलाओं ने रची साजिश : ब्याज देने वाली सिंघम चाची की कराई हत्या

MP Crime News : राधा यादव ब्याज पर पैसे देने का धंधा करती थी. इस धंधे में उस ने 50 लाख रुपए से ज्यादा की रकम बांट रखी थी. इसलिए क्षेत्र के लोग उसे सिंघम चाची कहते थे. आखिर ऐसा क्या हुआ कि यही पैसा उस की जान का दुश्मन बन बैठा?

घटना मध्य प्रदेश के भोपाल जिले की है. शाम के कोई 7 साढ़े 7 का समय था. भोपाल के चूना भट्ठी थाने की ट्रेनी एसडीपीओ रिचा जैन अपने चैंबर में किसी केस की फाइल देख रही थीं, तभी उन्हें कोलार सोसायटी में किसी महिला का कत्ल कर दिए जाने की सूचना मिली. महिला की हत्या का मामला गंभीर होने से एसडीपीओ रिचा जैन सीएसपी भूपेंद्र सिंह को ले कर तुरंत ही मौके पर पहुंच गईं. कोलार सोसायटी की एक संकरी गली में लगभग 45-50 साल की एक महिला का खून से सना शव पड़ा हुआ था. उक्त महिला के कपड़े और पहने हुए जेवर से यह साफ लग रहा था कि महिला का संबंध किसी अच्छे परिवार से है.

महिला के जेवर देख कर एसडीपीओ जैन ने अंदाजा लगाया कि हत्या लूट की गरज से नहीं की गई है. वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि मृतका का नाम राधा यादव है, जो करोद क्षेत्र की रहने वाली है. पता चला कि राधा ने कोलार कालोनी की गरीब बस्ती में रहने वाले सैकड़ों लोगों को कर्ज दे रखा था, इसलिए वह अपने कर्ज व ब्याज की वसूली के लिए अकसर वहां आतीजाती रहती थीं. सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने अनुमान लगा लिया कि राधा के कत्ल के पीछे लेनदेन का मामला हो सकता है. यह बात 18 मार्च, 2020 की है.

लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के बाद एसडीपीओ एक टीम को कालोनी में रहने वाले राधा के कर्जदारों की सूची बनाने के काम में लगा दिया. जिस से अगले ही दिन यह बात सामने आई कि लगभग पूरी बस्ती राधा की कर्जदार थी. राधा यादव ने यहां 20 लाख रुपए से अधिक की रकम ब्याज पर दे रखी थी. साथ ही यह भी पता चला कि राधा काफी दबंग किस्म की महिला थी. वह अपना पैसा वसूलने के लिए कर्जदार की सार्वजनिक बेइज्जती करने से भी पीछे नहीं हटती थी, जबकि अधिकांश लोगों का कहना था कि कितना भी चुकाओ मगर राधा का कर्ज हनुमान की पूंछ की तरह बढ़ता ही जाता था.

इन सब बातों के सामने आने से पुलिस के सामने यह बात तो लगभग तय हो गई थी कि राधा की हत्या लेनदेन के विवाद में ही हुई थी, इसलिए राधा के मोबाइल फोन के रिकौर्ड के आधार पर पुलिस ने उन लोगों से पूछताछ शुरू कर दी, जिन्होंने घटना वाले दिन राधा से फोन पर बात की थी. लेकिन इस से कोई खास जानकारी पुलिस के सामने नहीं आई. हां, यह जरूर पता चला कि राधा की हत्या में 2 युवक शामिल थे, जो घटना के बाद अलगअलग दिशा में भागे थे. इन में से एक बदमाश का स्थानीय लोगों ने पीछा भी किया था, मगर वह चारइमली की तरफ भागते हुए एकांत पार्क के पास बहने वाले नाले में कूद कर फरार हो गया था.

पुलिस की जांच चल ही रही थी कि इसी बीच 21 मार्च, 2020 को जनता कर्फ्यू लगा दिया गया. जबकि लौकडाउन से ठीक पहले 23 मार्च को एक कबाड़ का व्यापार करने वाले व्यक्ति ने हबीबगंज पुलिस को एकांत पार्क के पास नाले में लाश पड़ी होने की खबर दी थी. एकांत पार्क के पास बहने वाला नाला चूना भट्ठी और हबीबगंज थाने की सीमा बांटता है. ऐसे में हबीबगंज पुलिस ने जा कर नाले से लाश बरामद की, जिस के पास एक मोबाइल फोन भी मिला. लाश कीचड़ में सनी हुई थी और वह लगभग सड़ने की स्थिति में आ चुकी थी. इसलिए जब पुलिस ने उस के मोबाइल में पड़ी सिम के आधार पर पहचान करने की कोशिश की तो जल्द ही उस की पहचान अभिषेक पुत्र कालू कौशल के रूप में हो गई.

बाबानगर शाहपुरा का रहने वाला अभिषेक हिस्ट्रीशीटर बदमाश था, इसलिए पुलिस को लगा कि उस की हत्या की गई होगी. शव की कलाई पर धारदार हथियार के चोट के निशान भी थे. साथ ही जहां लाश मिली थी, वहां नाले की दीवार के पास चूनाभट्ठी थाने की सीमा में खून भी गिरा था. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि नाले में अभिषेक चूनाभट्ठी की तरफ से गिरा है. इसलिए जब चूनाभट्ठी थाने से संपर्क किया गया तो एसडीपीओ रिचा जैन को 18 मार्च की वह घटना याद आ गई, जिस में लोगों ने बताया था कि राधा यादव का एक हत्यारा पीछा कर रही भीड़ से बचने के लिए नाले में कूद गया था.

कहीं अभिषेक कौशल ही तो राधा का हत्यारा नहीं? यही सोच कर सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने नाले के पास मिले खून के नमूनों को घटनास्थल के पास गली में मिले खून से मिलान के लिए भेज दिया. जिस में पता चला कि गली में मिला खून और नाले के पास गिरा खून एक ही व्यक्ति का है. इस से यह साफ हो गया कि 18 मार्च की रात राधा यादव की हत्या कर फरार होने के लिए नाले में कूदने वाला बदमाश कोई और नहीं, बल्कि अभिषेक ही था जो दलदल में फंस कर मर गया था. इसलिए पुलिस ने अभिषेक के मोबाइल की कालडिटेल्स निकाली, जिस में पता चला कि घटना वाले दिन उस की कई बार कोलार कालोनी निवासी अजय निरगुडे से बात हुई थी.

यही नहीं, घटना के समय अजय और अभिषेक दोनों के फोन की लोकेशन एक साथ उसी स्थान की थी, जहां राधा यादव का कत्ल हुआ था. अजय की तलाश की गई तो पता चला कि अजय 18 मार्च, 2020 से लापता है. 18 मार्च को ही राधा की हत्या हुई थी. इस से पुलिस को पूरा भरोसा हो गया कि अजय ही अभिषेक के साथ राधा की हत्या में शामिल था. चूंकि घटना के 4 दिन बाद से ही देश में लौकडाउन लग गया था, इस से पुलिस का काम थोड़ा मुश्किल हो गया. लेकिन एसपी (साउथ) साई कृष्णा के निर्देश पर चूनाभट्ठी पुलिस दूसरी जिम्मेदारियों के साथ अजय की तलाश में जुटी रही.

क्योंकि उसे भरोसा था कि जब तक नाले में अभिषेक की लाश बरामद नहीं हुई थी, तब तक अजय ने भोपाल से भागने की कोई जरूरत ही नहीं समझी होगी. फिर अभिषेक की लाश मिलने के साथ ही देश में ट्रेन बस सब बंद हो गई थी, इसलिए अजय कहीं बाहर नहीं गया होगा, शायद वह भोपाल के आसपास ही कहीं छिपा होगा. उस का पता लगाने के लिए पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. इस कवायद का नतीजा यह निकला कि घटना के 7 हफ्ते बाद पुलिस को खबर मिली कि अजय ईदगाह हिल्स पर अपनी ससुराल पक्ष के एक रिश्तेदार के घर पर छिपा है.

पुलिस टीम ने वहां छापामारी कर आराम से सो रहे अजय को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में अजय पहले तो इस मामले में कुछ भी जानने से इंकार करता रहा लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सी ही सख्ती दिखाई तो उस ने सुपारी ले कर राधा की हत्या करने की बात कबूल कर ली. उस ने बताया कि 4 महिलाओं रेखा हरियाले, सुनीता प्रजापति, गुलाबबाई प्रजापति और सुलोचना ने राधा की हत्या के लिए उसे एक लाख 80 हजार रुपए की सुपारी देने के साथ 20 हजार रुपए एडवांस में भी दिए थे. पूरे मामले में कोलार कालोनी में राधा के एजेंट के तौर पर काम करने वाला ताराचंद मेहरा एवं उस का भतीजा मनोज भी शामिल था,

सो पुलिस ने तत्काल छापामारी कर सभी को गिरफ्तार कर लिया. जिस के बाद राधा हत्याकांड की कहानी इस प्रकार सामने आई. पंचवटी कालोनी करोंद निवासी राधा यादव कई साल से भोपाल की गरीब बस्तियों में ब्याज पर पैसा देने का काम करती थी. उस का पति एलआईसी में नौकरी करता था. लेकिन किसी वजह से उस की नौकरी छूट गई. राधा के 2 बेटे हैं, जिन की उम्र इस समय 16 और 18 साल है. राधा का पति शराब था, जिस की वजह से पति का उस से झगड़ा होता रहता था. फिर एक दिन ऐसा आया कि पति उसे छोड़ कर कहीं चला गया तो अब तक नहीं लौटा. अपने एकलौते बेटे के घर छोड़ कर चले जाने पर ताराचंद को गहरा सदमा लगा जिस से उन की भी मृत्यु हो गई.

ससुर ताराचंद की मृत्यु के बाद राधा ने उन की खेती की 10-12 बीघा जमीन बेच कर ब्याज पर पैसे देने शुरू कर दिए. लोगों की मानें तो राधा का पूरे भोपाल में 50 लाख से अधिक और अकेली कोलार कालोनी में 20 लाख से अधिक रुपया ब्याज पर चल रहा था. इलाके के लोग राधा को सिंघम चाची कहते थे. राधा अपने दिए पैसों पर मोटा ब्याज वसूलती थी. उसे अपना पैसा वसूल करना भी अच्छी तरह से आता था. लोगों का कहना है कि जो एक बार राधा का कर्जदार हो गया, वह फिर उस कर्ज से नहीं उबर पाया. कर्ज वसूलने का उस का अपना हिसाब था, जिस के अनुसार आदमी का कर्ज कभी पूरा नहीं हो पाता था. इस पर कोई अगर उस का विरोध करता तो राधा गुंडई करने से भी बाज नहीं आती थी.

कर्जदार की कार, आटो भी वह खड़ेखड़े नीलाम कर देती थी और कोई उस का कुछ नहीं कर पाता था. पकड़े गए आरोपियों में से ताराचंद मेहरा कोलार कालोनी में राधा के एजेंट के तौर पर काम करता था. जानकारी के अनुसार राधा ने अकेले उस के माध्यम से ही इस कालोनी में 8 लाख से ज्यादा का कर्ज बांट रखा था. बाकी सभी आरोपी राधा के कर्जदार हैं, जो उस के हाथ कई बार जलील भी किए जा चुके थे. आरोपी महिलाओं ने बताया कि राधा से उन्होंने जितना पैसा कर्ज में लिया था, उस का कई गुना अधिक वे ब्याज के तौर पर वापस कर चुकी थीं.

लेकिन इस के बाद भी राधा आए दिन पैसे वसूलने उन के दरवाजे पर आ कर गालीगलौज करती थी. इस से वे तंग आ चुकी थीं. उन्होंने जब तक राधा जिंदा है, तब तक उस का कर्ज कभी नहीं चुका सकतीं. यही सोच कर उन्होंने राधा की हत्या करवाने की सोच कर अजय से बात की. शाहपुरा का नामी बदमाश अभिषेक अजय निरगुड़े का मुंहबोला साला था. अजय ने अभिषेक से बात की, जिस से एक लाख 80 हजार रुपए में राधा की हत्या का सौदा तय कर दिया. इस काम में राधा का एजेंट ताराचंद और उस का भतीजा मनोज भी साथ देने को राजी हो गए.

योजनानुसार घटना वाले दिन रेखा ने राधा को फोन कर चाय पीने के लिए अपने घर बुलाया. राधा लगभग रोज ही ब्याज की वसूली करने के लिए कालोनी में आती थी, सो रेखा का फोन सुन कर वह उस के घर पहुंच गई, जहां चाय पीने के दौरान ताराचंद ने रेखा को फोन कर ब्याज का पैसा लेने के लिए बुलाया. इसलिए रेखा के घर से उठ कर राधा ताराचंद के घर की तरफ जाने लगी. वास्तव में आरोपियों को मालूम था कि राधा, रेखा के घर से ताराचंद के घर जाने के लिए संकरी गलियों से हो कर गुजरेगी. इसलिए रास्ते में अजय और अभिषेक घात लगा कर बैठ गए और रेखा के वहां आते ही दोनों ने मिल कर चाकू से उस की हत्या कर दी.

रेखा की चीखपुकार सुन कर कालोनी के लोग बाहर निकल आए, लेकिन गलियों से परिचित होने के कारण अजय तो आसानी से मौके से फरार हो गया, जबकि अभिषेक को पकड़ने के लिए भीड़ उस के पीछे पड़ गई. भीड़ ने अभिषेक को पकड़ लिया. भीड़ में मौजूद किसी व्यक्ति ने उस पर धारदार हथियार से हमला किया, जिस से उस की कलाई कट गई. उसी दौरान किसी तरह अभिषेक भीड़ से भाग गया और नाले के पास एक पेड़ के पीछे छिप गया. जब भीड़ उस की तरफ आई तो वह पकड़े जाने से बचने के लिए नाले में कूद गया, जहां नाले के दलदल मे फंस कर उस की मौत हो गई. बाद में पुलिस को मिली अभिषेक की लाश ही राधा यादव के हत्यारों तक पहुंचने की सीढ़ी बनी.

 

Delhi Crime : चौथी शादी से नाराज पहली पत्नी ने सुपारी देकर कराई पति की हत्या

Delhi Crime : पैसा कमाने के लिए खूनपसीना बहाना पड़ता है. विकास उर्फ नीटू गांव से खाली हाथ दिल्ली आ कर अमीर बना था, लेकिन उस की अय्याशी ने उसे उस मोड़ पर ला खड़ा किया, जहां से आगे खून बहता है. खास बात यह कि उस की 4 पत्नियों में से… दिल्ली से सटे बागपत जिले में एक गांव है शाहपुर बडौली. विकास तोमर उर्फ नीटू (32) यहीं का रहने वाला था. उस के पिता किसान थे. 5 भाइयों में नीटू चौथे नंबर का था. 3 भाई उस से बड़े थे. जबकि एक छोटा था. नीटू ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. इंटर तक पढ़ाई करने के बाद वह दिल्ली चला आया था. करीब 12 साल पहले वह जब दिल्ली आया था तो उस के पास 2 जोड़ी कपड़े और पांव में एक जोड़ी जूते थे. नीटू ने एक प्लेसमेंट एजेंसी की मदद से एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. लेकिन जब उसे पहले महीने की सैलरी मिली तो वह आधी थी. पता चला आधी सैलरी कमीशन के रूप में प्लेसमेंट एजेंसी ने अपने पास रख ली.

नीटू ने उस फैक्ट्री में 5 महीने तक नौकरी की. लेकिन हर महीने सैलरी में से एक फिक्स रकम प्लेसमेंट एजेंसी कमीशन के रूप में काट लेती थी. अगर नीटू विरोध करता तो प्लेसमेंट एजेंसी उसे नौकरी से निकालने की धमकी देती. नीटू को लगा कि नौकरी से तो अच्छा है कि प्लेसमेंट एजेंसी खोल लो और दूसरों की कमाई पर खुद ऐश करो. लेकिन प्लेसमेंट एजेंसी यानी कि लोगों को नौकरी दिलाने का कारोबार चलता कैसे है. इस सवाल का जवाब पाने के लिए नीटू ने नांगलोई की एक प्लेसमेंट एजेंसी में करीब 6 महीने तक पहले औफिस बौय फिर सुपरवाइजर की नौकरी की.

नौकरी करना तो एक बहाना था ताकि गुजरबसर और खानेखर्चे का इंतजाम होता रहे. असल बात तो यह थी कि नीटू प्लेसमेंट एजेंसी के धंधे के गुर सीखना चाहता था. आखिरकार 7-8 महीने की नौकरी के दौरान नीटू ने प्लेसमेंट एजेंसी चलाने के गुर सीख लिए. इस के बाद उस ने अपने परिवार से आर्थिक मदद ली और नांगलोई के निहाल विहार में ही एक दुकान ले कर प्लेसमेंट एजेंसी का दफ्तर खोल लिया. पास के ही एक मकान में उस ने रहने के लिए कमरा भी ले लिया. प्लेसमेंट एजेंसी चलाने के लिए जरूरी लाइसैंस तथा कानूनी औपचारिकता भी उस ने पूरी कर लीं. संयोग से उस का धंधा चल निकला. देखतेदेखते नीटू लाखों में खेलने लगा. लेकिन दिक्कत यह थी कि वह अकेला पड़ जाता था. उस के पास कोई भरोसे का आदमी नहीं था.

लेकिन जल्द ही उस की ये परेशानी भी दूर हो गई. उसी के गांव में रहने वाला सुधीर जिसे गांव में सब प्यार से लीलू कहते थे, उस के साथ काम करने के लिए तैयार हो गया. नीटू ने लीलू को अपने साथ रख लिया और तय किया कि वह उसे सैलरी नहीं देगा बल्कि जो भी कमाई होगी, उस में से एक चौथाई का हिस्सा उसे मिलेगा. इस के बाद तो कुदरत ने नीटू का ऐसा हाथ पकड़ा कि देखते ही देखते उस का धंधा तेजी से चल निकला और उस के ऊपर पैसे की बारिश होने लगी.

अचानक हुई हत्या नीटू के एक बड़े भाई की पिछले साल एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. 22 जून, 2020 को उस की बरसी थी. भाई की बरसी पर घर में होने वाले हवनपूजा और दूसरे रीतिरिवाजों को पूरा करने के लिए नीटू गांव में अपने परिवार के पास आया हुआ था. वैसे भी कोरोना वायरस की वजह से लगे लौकडाउन के बाद कामधंधे ठप पड़े थे. इसलिए नीटू ने सोचा कि जब पूजापाठ के लिए गांव आया हूं तो क्यों न घर में छोटेमोटे बिगड़े पड़े कामों को सुधार लिया जाए.

घर से थोड़ी दूरी पर बने घेर (पशुओं का बाड़ा और बैठक) में 19 जून को नीटू ने बोरिंग कराने का काम शुरू कराया था. सुबह से शाम हो गई थी. काम अभी भी बाकी था. रात के करीब साढ़े 8 बज चुके थे. नीटू का छोटा भाई बबलू और बड़ा भाई अजीत घेर में उस के पास बैठे गपशप कर रहे थे. तभी अचानक एक पल्सर बाइक तेजी से घेर के बाहर आकर रुकी. बाइक पर 3 लोग सवार थे, जिन में से 2 गाड़ी से उतरे और घेर के अंदर आ गए. तीनों भाई दरवाजे से 8-10 कदम की दूरी पर पड़ी अलगअलग चारपाइयों पर बैठे थे. उन्होंने सोचा बाइक से उतरे लड़के शायद कुछ पूछना चाहते होंगे.

दोनों लड़कों ने कुर्ता और जींस पहन रखी थी. मुंह पर मास्क की तरह गमछे बांधे हुए थे. क्षण भर में दोनों लड़के नीटू की चारपाई के पास पहुंचे. इस से पहले कि नीटू या उस के भाई कुछ पूछते अचानक दोनों युवकों ने कुर्ते के नीचे हाथ डाल कर तमंचे निकाले और एक के बाद एक 2 गोलियां चलाईं, जिस में से एक गोली नीटू की छाती में लगी दूसरी उस की कनपटी पर. गोली चलते ही दोनों भाइयों के पांव तले की जमीन खिसक गई. जान बचाने के लिए वे चीखते हुए घेर के भीतर की तरफ भागे. मुश्किल से 3 या 4 मिनट लगे होंगे. जब हमलावरों को इत्मीनान हो गया कि नीटू की मौत हो चुकी है तो वे जिस बाइक से आए थे, दौड़ते हुए उसी पर जा बैठे और आखों से ओझल हो गए.

गोली चलने और चीखपुकार सुन कर गांव के लोग एकत्र हो गए. सारा माजरा पता चला तो नीटू के परिवार के लोग भी घटनास्थल पर पहुंच गए. देखते देखते पूरा गांव नीटू के घेर के अहाते के बाहर एकत्र हो गया. गांव के लोग इस बात पर हैरान थे कि हमलावरों ने 3 भाइयों में से केवल नीटू को ही गोलियों का निशाना क्यों बनाया. नीटू तो वैसे भी गांव में नहीं रहता था फिर उस की किसी से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि उस की हत्या कर दी गई. इस दौरान गांव के प्रधान ने इस वारदात की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी थी. वहां से यह सूचना बड़ौत थाने की पुलिस को दी गई.

लौकडाउन का दौर चल रहा था. लिहाजा पुलिस भी लौकडाउन का पालन कराने के लिए सड़कों पर ही थी. बड़ौत थानाप्रभारी अजय शर्मा को जैसे ही शाहपुर बडौली में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या करने की सूचना मिली तो वह एसएसआई धीरेंद्र सिंह तथा अपनी पुलिस टीम के साथ बडौली गांव में पहुंच गए. सूचना मिलने के करीब एक घंटे के भीतर बड़ौत इलाके के सीओ आलोक सिंह, एडीशनल एसपी अनित कुमार तथा एसपी अजय कुमार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. चश्मदीद के तौर पर 2 ही लोग थे नीटू के भाई अजीत व बबलू. दोनों न अक्षरश: पुलिस के सामने वह घटनाक्रम बयान कर दिया जो हुआ था.

लेकिन वारदात को किस ने अंजाम दिया, नीटू की हत्या क्यों हुई, क्या उस की किसी से दुश्मनी थी. कातिल कौन हो सकता है, जैसे पुलिस के सवालों के जवाब परिवार का कोई भी शख्स नहीं दे पाया. वजह यह कि नीटू की हत्या खुद उन के लिए भी एक पहेली की तरह ही थी. हत्या का कारण पता नहीं चला बहरहाल पुलिस को तत्काल नीटू की हत्या के मामले में कोई अहम जानकारी नहीं मिल सकी. इसलिए रात में ही शव को पोस्टमार्टम के लिए बागपत के सरकारी अस्पताल भिजवा दिया गया. नीटू की हत्या का मामला बड़ौत कोतवाली में भादंसं की धारा 302, 452, 506 और दफा 34 के तहत दर्ज कर लिया गया.

एसपी अजय कुमार ने एएसपी अनित कुमार सिंह की निगरानी में एक पुलिस टीम गठित करने का आदेश दिया. सीओ आलोक सिंह के नेतृत्व में गठित इस टीम में बड़ौत थानाप्रभारी अजय शर्मा के अलावा एसएसआई धीरेंद्र सिंह, कांस्टेबल विशाल कुमार, हरीश, देवेश कसाना, रोहित भाटी, अजीत के अलावा महिला उपनिरीक्षक साक्षी सिंह तथा महिला कांस्टेबल तनु को भी शामिल किया गया. पुलिस ने गांव में कुछ मुखबिर भी तैनात कर दिए ताकि लोगों के बीच चल रही चर्चाओं की जानकारी मिल सके.

शुरुआती जांच के बाद यह बात सामने आई कि संभव है इस वारदात को नीटू की पहली पत्नी रजनी ने अंजाम दिया हो. पता चला नीटू ने अपनी पत्नी को कई सालों से छोड़ रखा था. वह दिल्ली में अपने मायके में रहती थी, लेकिन उसके दोनों बच्चे गांव में नीटू के घरवालों के पास रहते थे. साथ ही पुलिस को यह भी पता चला कि जिस रात नीटू की हत्या हुई उसी रात सूचना मिलने के बाद नीटू की पहली पत्नी रजनी रात को करीब 1 बजे गांव पहुंच गई थी. रजनी के पास अपने पति की हत्या कराने का आधार तो था, लेकिन बिना सबूत के उस पर हाथ डालना उचित नहीं था. इसलिए पुलिस ने रजनी का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की डिटेल्स निकलवा ली. पुलिस टीम ने जांच को आगे बढाया तो एक और आशंका हुई कि हो ना हो गांव के ही किसी शख्स ने हत्यारों को नीटू के गांव में होने की सूचना दी हो.

क्योंकि आमतौर पर नीटू गांव में कम ही आता था और अगर आता भी था तो केवल एक रात के लिए. एक आंशका ये भी थी कि संभवत: नीटू की हत्या के तार दिल्ली से जुड़े हों. दिल्ली में या तो उस की किसी से कोई दुश्मनी रही होगी या लेनदेन का विवाद. इसलिए पुलिस की एक टीम ने परिवार वालों से जानकारी ले कर दिल्ली स्थित नीटू के 2 मकानों पर दबिश दी तो पता चला विकास उर्फ नीटू ने एक नहीं बल्कि 4 शादियां की थीं. दिल्ली में नीटू के घर में रहने वाले किराएदारों और उस की प्लेसमेंट एजेंसी में काम करने वाले कर्मचारियों से पता चला कि नीटू रंगीनमिजाज इंसान था और अपनी अय्याशियों के कारण महिलाओं से एक के बाद एक शादी करता रहा था.

लेकिन पुलिस को किसी से भी नीटू की अन्य पत्नियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी. इसी बीच अचानक मामले में एक नया मोड़ आया. 22 मई को 2 महिलाएं बड़ौत थाने पहुंच कर जांच अधिकारी अजय शर्मा से मिलीं. पता चला कि उन में से एक महिला विकास की दूसरे नंबर की पत्नी शिखा थी और दूसरी कविता जो उस की वर्तमान व चौथे नंबर की पत्नी थी.  उन दोनों ने बताया कि नीटू की पहली पत्नी रजनी ने 2018 में भी एक बार नीटू को मरवाने की साजिश रची थी. ये बात खुद नीटू ने उन से कही थी. शिखा और कविता से जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने रजनी के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स की पड़ताल के बाद पता चला कि जिस रात नीटू की हत्या की गई उसी रात रजनी के मोबाइल पर 9 बजे से 10 बजे के बीच एक ही नंबर से 2 काल आई थीं. जब इन काल्स के बारे में पता किया गया तो जानकारी मिली कि जिस नंबर से काल आईं वह शाहपुर बडौली में रहने वाले नीटू के दोस्त और पुराने पार्टनर सुधीर उर्फ लीलू का था. आखिर ऐसी कौन सी बात थी कि इतनी रात में लीलू ने नीटू की पत्नी को 2 बार फोन किए. कहीं ऐसा तो नहीं कि लीलू ही वो शख्स हो, जिस ने कातिलों को नीटू के उस रात गांव में होने की जानकारी दी हो.

संदेह के घेरे में रजनी और लीलू पुलिस को जैसे ही लीलू पर शक हुआ उस के मोबाइल की कुंडली खंगाली गई. पता चला उस रात कत्ल से पहले लीलू की 2 अंजान नंबरों पर भी बात हुई थी. वे दोनों नंबर गांव के किसी व्यक्ति के नहीं थे, लेकिन दोनों नंबरों की लोकेशन गांव में ही थी. गुत्थियां काफी उलझी हुई थीं, जिन्हें सुलझाने के लिए पुलिस ने सुधीर व नीटू की पहली पत्नी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने जब उन के सामने मोबाइल फोन की डिटेल्स सामने रख कर पूछताछ शुरू की तो बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. नीटू हत्याकांड की गुत्थी खुद ब खुद सुलझती चली गई.

जिस के बाद पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछा कर 25 जून को बावली गांव की पट्टी देशू निवासी रोहित उर्फ पुष्पेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. पता चला उसी ने बावली गांव के रहने वाले अपने 2 साथियों सचिन और रवि उर्फ दीवाना के साथ मिल कर नीटू की गोली मार कर हत्या की थी. पुलिस ने जब रजनी, सुधीर उर्फ लीलू तथा रोहित से पूछताछ की तो नीटू की हत्या के पीछे उस के रिश्तों की उलझन की कहानी कुछ इस तरह सामने आई. विकास ने जिन दिनों दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसी खोली थी, वह उन दिनों दिल्ली के निहाल विहार में रजनी के घर में किराए का कमरा ले कर रहता था. 2009 में दोनों की यहीं पर जानपहचान हुई थी.

नीटू अय्याश रंगीनमिजाज जवान था, वह अकेला रहता था और उसे एक औरत के जिस्म की जरूरत थी. धीरेधीरे उस ने रजनी से दोस्ती कर ली. रजनी को भी नीटू अच्छा लगा. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों के बीच रिश्ते भी बन गए. लेकिन कुछ समय बाद जब रजनी के परिवार वालों को दोनों के रिश्तों की भनक लगी तो उन्होंने रजनी से शादी करने का दबाव डाला. फलस्वरूप नीटू को रजनी से शादी करनी पड़ी. इस के बाद नीटू ने रजनी के परिवार वाला मकान छोड़ दिया. चूंकि इस दौरान उस का कामधंधा काफी जम गया था और कमाई अच्छी हो रही थी, इसलिए उस ने नांगलोई में एक प्लौट ले कर उस पर मकान बनवा लिया था. रजनी को ले कर नीटू उसी मकान में रहने लगा.

दोनों की जिंदगी ठीक गुजर रही थी. रजनी और नीटू के 2 बेटे हुए . लेकिन रजनी नीटू की एक बुरी आदत से अंजान थी. प्लेसमेंट के धंधे से होने वाली अच्छीखासी कमाई थी. जब पैसा आया तो अय्याशी का शौक लग गया. इसी के चलते प्लेसमेंट औफिस में धंधा करने वाली लड़कियों को बुला कर अय्याशी करने लगा. जब इंसान के पास इफरात में दौलत आती है तो कई को शराब की लत लग जाती है. औफिस में पीना पिलाना नीटू की रोजमर्रा की आदत बन गई. रजनी को नीटू की अय्याशियों का पता तब चला, जब नीटू के गांव का ही रहने वाला सुधीर उर्फ लीलू नीटू के साथ धंधे में उस का पार्टनर बना.

रजनी बच्चों के साथ अक्सर नीटू के गांव भी जाती थी. गांव के दोस्त रजनी को नीटू की पत्नी होने के कारण भाभी कह कर बुलाते थे. नीटू ने लीलू को अपने ही घर में रहने के लिए एक कमरा दे दिया था. इसीलिए घर में रहतेरहते लीलू को रजनी से काफी लगाव हो गया था. उसे यह देखकर बुरा लगता कि 2 बच्चों का पिता बन जाने और घर में अच्छीखासी पत्नी होने के बावजूद नीटू अपनी कमाई बाजारू औरतों पर लुटाता है. रजनी से हमदर्दी के कारण एक दिन लीलू ने रजनी को नीटू की अय्याशियों के बारे में बता दिया. नीटू की बेवफाई और अय्याशियों के बारे में पता चलने के बाद रजनी ने उस पर निगाह रखनी शुरू कर दी और एकदो बार उसे औफिस में अय्याशी करते पकड़ भी लिया. इस के बाद रजनी व नीटू में अक्सर झगड़ा होने लगा.

नीटू की अय्याशी अब घर में कलह का कारण बन गई. इस दौरान नीटू ने इफरात में होने वाली आमदनी से निहाल विहार में ही एक और प्लौट खरीद कर उस पर भी एक मकान बना लिया था. उस ने उसी मकान को अपनी अय्याशी का नया अड्डा बना लिया. 2 बच्चों को जन्म देने के बाद रजनी का शरीर ढलने लगा था. उस में नीटू को अब वो आकर्षण नहीं दिखता था जो उसे रजनी की तरफ खींचता था. बात बढ़ती गई नीटू की अय्याशी की लत के कारण रजनी से उस की खटपट व झगड़े इस कदर बढ़ गए कि एक दिन रजनी दोनों बच्चों को छोड़ कर अपने मायके चली गई. दरअसल उन के बीच हुए इस अलगाव की वजह थी शिखा नाम की नीटू की प्रेमिका जिस के बारे में उसे पता चला था कि नीटू उस से शादी करने वाला है.

जब रजनी उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई तो नीटू का रास्ता साफ हो गया, लिहाजा उस ने शिखा से शादी कर ली. शिखा के परिवार वालों ने नीटू के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. साथ ही उन्होंने अपनी तहरीर में आरोप लगाया कि उन की बेटी नाबालिग है. लेकिन शिखा ने अदालत में इस बात का प्रमाण दे दिया कि वह बालिग है. इस पर अदालत ने उसे बालिग मान कर न सिर्फ नीटू के खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज कर दिया बल्कि उस की शादी को भी वैध करार दिया. इस दौरान नीटू के दोनों बच्चे गांव में उस के मातापिता के पास रहने लगे थे. तब तक नीटू ने परिवार के अलावा गांव वालों को इस बात की भनक नहीं लगने दी थी कि उस ने रजनी को छोड़ कर दूसरी लड़की से शादी कर ली है.

चूंकि रजनी उस के बच्चों की मां थी इसलिए नीटू कभीकभी उसे बच्चों से मिलाने के लिए अपने साथ गांव ले जाता था. रजनी पहली पत्नी थी और उस से नीटू का कानूनी तलाक भी नहीं हुआ था, इसलिए जब वह उस के साथ शारीरिक संबध भी बनाता रहता था. रजनी भी कभी इनकार नहीं कर पाती थी. इसी दौरान लीलू ने अपनी निजी जरूरत के लिए नीटू से 12 लाख रुपए लिए और कुछ समय बाद वापस करने का वादा कर दिया. लेकिन काफी दिन बीत जाने पर भी जब वह पैसे वापस नहीं कर पाया तो नीटू ने उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.

आखिर एक दिन ऐसी नौबत आई कि नीटू व लीलू में इस बात को ले कर खटपट इतनी बढ़ गई कि नीटू ने उस का हिसाबकिताब चुकता कर उसे पार्टनरशिप से हटा दिया. लेकिन इस के बावजूद नीटू के उस पर 10 लाख रुपए बकाया रह गए. अब नीटू जब भी बच्चों से मिलने के लिए गांव जाता तो लीलू पर अपनी रकम वापस करने का दबाव डालता था. कुछ इंसान गलतियों से भी सीख नहीं लेते. नीटू भी ऐसा ही इंसान था. दौलत की चमक ने उस में अय्याशी की जो भूख पैदा कर दी थी, उसे पूरा करने के बावजूद वह अय्याशियों से बाज नहीं आया. लिहाजा 2019 आतेआते नीटू का अपने ही दफ्तर में काम करने वाली एक लड़की ज्योति पर दिल आ गया और उस ने ज्योति से आर्यसमाज मंदिर में शादी कर के उसे किराए के एक मकान में रख दिया.

वह कभी शिखा के पास चला जाता तो कभी ज्योति की बाहों का हार बन जाता. लेकिन एक दिन शिखा पर उस की तीसरी शादी का राज खुल गया तो शिखा से उस का झगड़ा शुरू हो गया. आखिर एक दिन शिखा ने पुलिस बुला ली. जिस के बाद शिखा ने 4 लाख रुपए ले कर नीटू को तलाक दे दिया. जब ज्योति को इस बात का पता चला कि उस से पहले नीटू 2 शादी कर चुका है और इस के अलावा भी कई लड़कियों के साथ उस के संबंध हैं तो 2019 खत्म होतेहोते उस ने भी नीटू से नाता तोड़ लिया और तलाक का आवेदन कर दिया. उधर लीलू नीटू के कर्ज को ले कर परेशान था. वह नीटू की पत्नी रजनी के लगातार संपर्क में था और नीटू की तीनों शादियों के बारे में उसे भी बता दिया था.

इसी बीच जब ज्योति नीटू को छोड़ कर चली गई तो एक बार फिर उसे औरत की जरूरत महसूस होने लगी. इस बार उस ने शादी डौट कौम पर जीवनसाथी की तलाश कर एक ऐसी लड़की के साथ शादी करने का फैसला किया जो उस के दोनों बच्चों को भी अपना सके. नीटू की तलाश जल्द ही पूरी हो गई. गुरुग्राम में रहने वाली कविता भी जीवनसाथी खोज रही थी, जिस ने एक बच्चा होने के बाद अपने पति की शराब की लत से परेशान हो कर उसे तलाक दे दिया था. कविता संपन्न परिवार की लड़की थी. कविता के साथ बात आगे बढ़ी तो उस ने नीटू के दोनों बच्चों को अपनाने की सहमति दे दी. नीटू ने भी कविता की बेटी को पिता का नाम देने और उसे अपनाने की अनुमति दे दी.

सपना, सपना ही रह गया लौकडाउन के दौरान 20 मई को परिवार वालों की मौजूदगी में नीटू ने कविता से शादी कर ली. शादी के बाद नीटू कविता को ले कर अपने गांव भी गया और उसे दोनों बच्चों से भी मिलाया. नीटू ने फैसला कर लिया था कि कोरोना का चक्कर खत्म होने के बाद जब लौकडाउन पूरी तरह खत्म हो जाएगा तो दोनों बच्चों व कविता को उस की बेटी के साथ दिल्ली के मकान में ले आएगा. फिलहाल कविता अपनी बेटी के साथ अपने मायके में ही रह रही थी. इस दौरान सुधीर उर्फ लीलू के जरिए रजनी को यह बात पता चल गई कि नीटू ने फिर से चौथी शादी कर ली है.

इस बार उस ने जिस लड़की से शादी की है वो नीटू के परिवार को भी काफी पसंद आई है तो रजनी अपने भविष्य को ले कर चिंता में पड़ गई. क्योंकि नीटू ने एक तो उसे छोड़ दिया था, ऊपर से उसे खर्चा भी नहीं देता था. अगर कविता से उस के संबध सही रहे तो उस के दोनों बच्चे भी उस के हाथ से चले जाएंगे. ऐसे में न तो उसे नीटू की प्रौपर्टी में से कोई हिस्सा मिलेगा न ही उसे बच्चे मिलेंगे. लिहाजा उस ने लीलू को दिल्ली बुला कर कोई ऐसा उपाय करने को कहा जिस से उसे नीटू की प्रौपर्टी में हिस्सा मिल जाए. लीलू तो पहले ही नीटू से छुटकारा पाने की सोच रहा था. लिहाजा उस ने रजनी से कहा कि अगर नीटू की हत्या करा दी जाए तो न सिर्फ उस से छुटकारा मिल जाएगा बल्कि उस की प्रौपर्टी भी उसे ही मिल जाएगी.

एक बार इंसान के दिमाग में खुराफात समा जाए तो फिर अपने लालच को पूरा करने के लिए वह उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेता है. रजनी ने लीलू से कहा कि अगर वह किसी कौंट्रेक्ट किलर से नीटू की हत्या करवा दे तो वह केवल नीटू का दिया कर्ज माफ कर देगी बल्कि नीटू का निहाल विहार वाला दूसरा मकान जिस की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है, उस के नाम कर देगी. साथ ही उस ने ये भी कहा कि हत्या कराने के लिए जो भी खर्च आएगा वो उस का भी आधा खर्च उसे दे देगी. लीलू तो पहले ही अपने कर्ज से मुक्ति और नीटू से बदला लेने के लिए किसी ऐसे ही मौके की तलाश में था, अब तो उसे बड़ा फायदा होने की भी उम्मीद थी, लिहाजा उस ने रजनी की बात मान ली.

सुधीर उर्फ लीलू ने विकास की हत्या करने के लिए कौन्ट्रैक्ट किलर से संपर्क किया. बागपत के ही रोहित उर्फ पुष्पेंद्र, सचिन और रवि से उस की पुरानी जानपहचान थी. उस ने इस काम के लिए उन तीनों को 6 लाख की सुपारी देना तय किया. 3 लाख रुपए एडवांस दे दिए. लीलू ने उन्हें बता दिया था कि नीटू दिल्ली से अपने गांव आने वाला है, गांव में उस की हत्या को अंजाम देना है. 19 जून को दिन में ही लीलू ने हत्यारों को फोन कर के बता दिया था कि नीटू अपने घेर में बोरिंग करवा रहा है. घेर में उसे मारना बेहद आसान है, इसलिए आज ही मौका देख कर उस का खात्मा कर दें. शाम को रोहित नाम का बदमाश गांव में आया और लीलू से मिला. लीलू ने उसे नीटू का घेर दिखा दिया और अपने साथ ले जा कर रोहित को नीटू की शक्ल भी दिखा दी. उस के बाद वे लोग चले गए.

रात को करीब साढे़ 8 बजे जब पूरी तरह अंधेरा छा गया तो रोहित अपने दोनों साथियों रवि और सचिन के साथ स्पलेंडर बाइक पर गमछे बांध कर घेर पर पहुंचा और विकास उर्फ नीटू की गोली मार कर हत्या कर दी. पुलिस ने पूछताछ के बाद अभियुक्त रोहित के कब्जे से 1 लाख 20 हजार रुपए, घटना में प्रयुक्त एक स्पलेंडर बाइक, एक तमंचा 315 बोर और 2 जिंदा कारतूस बरामद कर लिए, जबकि नीटू की हत्या की सुपारी देने वाले आरोपी सुधीर उर्फ लीलू से 2 लाख रुपए नकद और स्कोडा कार बरामद हुई.  रजनी से 4 हजार रुपए बरामद किए गए.

रोहित से पूछताछ में पता चला कि 12 जून, 2020 को उस ने अपने 2 साथियों के साथ अब्दुल रहमान उर्फ मोनू पुत्र बाबू खान, निवासी बावली जोकि खल मंडी में एक आढ़ती के पास पल्लेदार का काम करता है, से 93,500 रुपए लूट लिए थे, इन्हीं पैसों से उन्होंने नीटू की हत्या के लिए हथियार खरीदे थे क्योंकि घटना को अंजाम देने के लिए हथियारों की व्यवस्था करने का काम शूटर्स का ही था. नीटू हत्याकांड के तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. 2 फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस  प्रयास कर रही थी.

—कथा पुलिस व पीडि़त परिवार से मिली जानकारी पर आधारित

शौहर ने पत्नी की हत्या के लिए दिए 10 लाख

सिकंदर ने अपनी प्रेयसी और सेक्रेटरी रोमा के साथ मिल कर जो नाटक किया, वह वाकई जबरदस्त था. इस से उस की पत्नी भी संतुष्ट हो गई और उन दोनों के मिलने का रास्ता भी साफ हो गया. एक रोमांचक कहानी…   

पिछला टेलीफोन उस के लिए परेशानी भरा था. दूसरा फोन तो उसे खौफजदा करने के लिए काफी था. दोनों टेलीफोन दिन के वक्त आए थे. तब जब उस का हसबैंड सिकंदर अपने औफिस में था और वह घर पर अकेली थी.

‘‘मिसेज सिकंदर,’’ फोन पर एक अजनबी औरत की आवाज सुनाई दी.

‘‘हां, बोल रही हूं. आप कौन हैं?’’ मिसेज सिकंदर ने कहा.

‘‘एक दोस्त हूं. मकसद है आप की मदद करना. क्या आप सलिलि को जानती हैं?’’ उस ने पूछा.

‘‘तो क्या आप सलिलि हैं?’’ मिसेज सिकंदर ने पूछा.

‘‘नहीं मिसेज सिकंदर, सलिलि तो आप के शौहर की सेक्रेटरी का नाम है. मिस्टर सिकंदर और सलिलि के बीच जो चल रहा है, आप के लिए ठीक नहीं है. मेरा फर्ज है कि मैं आप को सही हालात की जानकारी दे दूं.’’

मिसेज सिकंदर गुस्से से चिल्लाई, ‘‘यह सब फालतू बकवास है. सलिलि मेरे शौहर की सेक्रेटरी जरूर है. वह उस का जिक्र भी करते हैं. पर उन का उस से कोई चक्कर है, यह बिलकुल गलत है. सलिलि को दिल की बीमारी है, इसलिए वह उस से हमदर्दी रखते हैं. अबकी बार तो वह कह रहे थे, अगर अब उस ने ज्यादा छुट्टियां लीं तो उसे नौकरी से निकाल देंगे.’’

दूसरी तरफ से औरत की जहरीली हंसी की आवाज आई, ‘‘हां, आप यह सच कह रही हैं मिसेज सिकंदर. सलिलि को दिल की बीमारी है, लेकिन वह दूसरी तरह की दिल की बीमारी है. वैसे मुझे सलिलि से कोई जलन नहीं है. मैं तो आप का भला चाहती हूं. आप यह मालूम करने की कोशिश करें कि जब आप के शौहर पिछले महीने बिजनैस के सिलसिले में सिंगापुर गए थे, उस वक्त उन की खूबसूरत सेक्रेटरी सलिलि कहां थी?’’

‘‘आप हद से आगे बढ़ रही हैं मैडम, अपनी बेहूदा बकवास बंद कीजिए.’’ गुस्से से मिसेज सिकंदर ने फोन रख दिया. दोनों हाथों से सिर थाम कर मिसेज सिकंदर सोच में डूब गईंउन्हें याद आया, जब पिछले महीने सिकंदर बिजनैस के लिए सिंगापुर गया था, तो उस ने उसे सिंगापुर के उस होटल का नाम बताया था, जहां वह ठहरने वाला था. लेकिन एक जरूरी काम के सिलसिले में जब उस ने सिकंदर को होटल फोन किया था तो होटल से बताया गया था कि सिकंदर नाम का कोई आदमी उन के होटल में नहीं ठहरा है. उस वक्त उस ने सोचा था कि सिकंदर ने किसी वजह से होटल बदल लिया होगा. लेकिन अब?

सिकंदर से उस की शादी किसी रोमांस का नतीजा नहीं थी. उसे कहीं देख कर सिकंदर ने उस के हुस्न की तारीफ की तो वह सोच में पड़ गई थी. वह सिकंदर से उम्र में बड़ी थी. देखने में भी कोई खास अच्छी नहीं थी. उसे अपने हुस्न के बारे में कोई गलतफहमी नहीं थी. सिकंदर ने उस से शादी सिर्फ इसलिए की थी कि वह एक बड़ी दौलत और जायदाद की वारिस थी. 14 साल से वह सिकंदर के साथ एक अच्छी जिंदगी गुजार रही थी. सिकंदर देखने में स्मार्ट था और बेहद जहीन भी.

उस ने रोमा की दौलत को इस तरह बिजनैस में लगाया कि कारोबार चमक उठा. बिजनैस खूब फलफूल रहा था. 14 साल के अरसे में उन की शादी को एक शानदार कारोबारी समझौता कहा जा सकता था. दोनों एकदूसरे से खुश थे और इस कामयाब फायदेमंद कौंट्रैक्ट को तोड़ने पर राजी नहीं थे. दोनों ही खुशहाल जिंदगी बसर कर रहे थे. शाम को सिकंदर की वापसी पर रोमा ने फोन काल के बारे में कुछ नहीं बताया. एक हफ्ता आराम से गुजरा. इस बार किसी आदमी का फोन था. जिस ने उसे दहशतजदा कर दिया. उस ने घबरा कर पूछा, ‘‘आप कौन हैं?’’

‘‘इस बारे में आप को फिक्र करने की जरूरत नहीं है. जो मैं कह रहा हूं, उसे ध्यान से सुनो मिसेज सिकंदर. मैं एक पेशेवर कातिल हूं. मैं मोटी रकम के बदले किसी का भी कत्ल कर सकता हूं. शायद यह जान कर आप को ताज्जुब होगा कि आप के शौहर सिकंदर ने आप को कत्ल करने के लिए मुझे 10 लाख रुपए की औफर दी है.’’ रोमा डर कर चिल्लाई, ‘‘तुम पागल हो गए हो या मजाक कर रहे हो? मेरा शौहर हरगिज ऐसा नहीं कर सकता.’’

मरदाना आवाज फिर उभरी, ‘‘अगर आप को आप के शौहर के औफर के बारे में बताता तो शायद मैं पागल कहलाता. मैं हर काम बहुत सोचसमझ कर करता हूं. 10 लाख का औफर मिलने के बाद मैं ने अपने शिकार के बारे में जानकारी हासिल की और आप तक पहुंचा

‘‘मैं कोई मामूली ठग या चोर नहीं हूं. अपने मैदान का कामयाब खिलाड़ी हूं. मैं इस तरह कत्ल करता हूं कि मौत नेचुरल लगे. किसी को भी कोई शक न हो. मैं अपने काम में कभी भी नाकाम नहीं रहा.’’

मिसेज सिकंदर ने कंपकंपाती आवाज में कहा, ‘‘यह सब क्या कह रहे हो तुम, मुझे कुछ समझ में नहीं रहा है.’’ अजनबी मर्द की आवाज गूंजी, ‘‘मैं आप को सब समझाता हूं. आप के हसबैंड की औफर कबूल करने के बाद मुझे आप के बारे में पता लगा कि सारी दौलत की मालिक आप हैं. आप का शौहर आप का कत्ल करवाने के बाद पूरी दौलत का मालिक बनना चाहता है

‘‘तब मुझे एक खयाल आया कि अगर मिसेज सिकंदर मुझे डबल रकम देने पर राजी हो जाएं तो मैं उन की जगह उन के शौहर को ही ठिकाने लगा दूं. आप क्या कहती हैं, इस बारे में मिसेज सिकंदर?’’

मिसेज सिकंदर खौफ से चीखीं, ‘‘तुम एकदम पागल आदमी हो. मैं पुलिस को खबर कर रही हूं.’’

मर्द ने जोरों से हंसते हुए कहा, ‘‘पुलिस, आप उन्हें क्या बताएंगी. चलिए, अगर उन्होंने यकीन कर भी लिया तो आप मुझे कहां तलाश करेंगी? मैं पीसीओ से फोन कर रहा हूं. आप बेकार की बातें छोड़ें और गौर करें. आप दोनों में से कोई एक मरने वाला है. अब रहा सवाल यह कि मरने वाला कौन होगा? आप या आप का शौहर? इस का फैसला आप को करना होगा. आप तसल्ली से सोच लें. कल मैं इसी वक्त फिर फोन करूंगा. आप का आखिरी फैसला जानने के लिए.’ दूसरी तरफ से फोन बंद हो गया.

शाम को सिकंदर घर नहीं आया. उस ने फोन कर दिया कि औफिस में काम ज्यादा है, वह देर रात तक काम करेगा. उस ने सोचा कि सलिलि के साथ ऐश करेगा. जब आधी रात को सिकंदर बैडरूम में दाखिल हुआ तो वह जाग रही थी और कुछ सोच रही थी. सोचतेसोचते वह इस फैसले पर पहुंच गई कि सुबह सिकंदर को टेलीफोन के बारे में बताएगी. मगर सिर्फ पहले फोन के बारे में. वह उस से कहेगी कि अगर उसे कोई कीप रखनी है तो रखे. उसे कोई ऐतराज नहीं, पर यह बात राज रहे. कोई बदनामी हो.

वह आखिर दूसरे फोन के बारे में क्या बताती कि एक आदमी ने कहा है कि मुझे कत्ल करने के लिए 10 लाख का औफर दिया गया है. अगर मैं औफर डबल कर दूं तो मेरी जगह वह मारा जाएगा. शायद यह सुन कर सिकंदर उसे पागलखाने में दाखिल करा दे.फिर उसे खयाल आया कि क्यों वह उस अजनबी मर्द के दूसरे फोन का इंतजार करे. हो सकता है बातचीत के दौरान उस की कोई ऐसी गलती पकड़ में जाए, जिस की वजह से सिकंदर और पुलिस दोनों को उस की बात का यकीन जाए. फिर उसे पागलखाने में डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

लेकिन उसे लगा कि पहले फोन के बारे में भी बताने की भी क्या जरूरत है. वह उस की कहानी सुन कर खूब हंसेगा. अफेयर से इनकार करेगा और चौकन्ना हो जाएगा. जैसेजैसे वह सोच रही थी, उसे लग रहा था कि फोन करने वाला आदमी पागल है. आखिर सिकंदर उस का कत्ल क्यों करवाएगा? वह खुद बूढ़ा हो रहा है, तोंद निकल आई है. अब क्या इश्क लड़ाएगा. पर यह बात भी सच है कि वह उसे तलाक नहीं दे सकता, क्योंकि सारी दौलत उस के हाथ से निकल जाएगी. पर अचानक एक खयाल ने उसे डरा दिया कि अगर आज वह मर जाती है तो सारी दौलत का मालिक सिकंदर होगा. इस तरह उसे अपनी बीवी से छुटकारा मिल जाएगा और वह सलिलि से शादी करने के लिए आजाद हो जाएगा.

इसी सोचविचार में सारी रात कट गई. दूसरे दिन जब फोन की घंटी बजी तो उसी मरदाना आवाज ने पूछा, ‘‘मैडम, आप ने क्या फैसला किया?’’ रोमा की पेशानी पसीने से भीग गई. उस ने कहा, ‘‘मैं तैयार हूं. मैं तुम्हें 20 लाख दूंगी, तुम शिकार बदल दो. पर शिकार सिकंदर नहीं, सलिलि होगी.’’

‘‘बहुत अच्छा फैसला है, मतलब अब इस लड़की को ठिकाने लगाना है.’’ मरदाना आवाज ने पूछा.

‘‘हां, मेरे शौहर के बजाए उस की सेक्रेटरी सलिलि को कत्ल करना बेहतर है. क्योंकि रहेगा बांस बजेगी बांसुरी. उसे लग रहा था, जैसे सलिलि और सिकंदर के अफेयर के बारे में सारी दुनिया जानती है. सलिलि के रहने से वह खुद ही वफादार बन जाएगा और अगर उस ने अपनी बीवी को कत्ल कराने की कोशिश की थी तो वह उस से खौफजदा भी रहेगा.’’

उस के दिमाग में एक खयाल और आया कि ये सारी बातें लिख कर अपने वकील के पास हिफाजत से रखवा देगी कि उस की अननेचुरल डैथ के बाद इसे खोला जाए और मौत का जिम्मेदार सिकंदर को ठहराया जाए. फोन में मरदाना आवाज उभरी, ‘‘मुझे इस से कोई मतलब नहीं कि शिकार कौन है? मैं अपना काम बहुत ईमानदारी और सलीके से करता हूं. मैं आज ही आप के शौहर के औफर से इनकार कर दूंगा

‘‘आप का काम हो जाने के बाद फिर कभी आप मेरी आवाज नहीं सुनेंगी, पर एकदो चीजें बहुत जरूरी हैं. मैं अपनी फीस एडवांस में नहीं मांग रहा हूं पर आप को मेरे बताए पते पर मेरे कहे मुताबिक एक खत लिख कर भेजना पड़ेगा. मेरा पता हैरूस्तम, पोस्ट बौक्स-911, रौयल पैलेस.’’

रोमा ने घबरा कर पूछा, ‘‘मुझे क्या लिखना होगा?’’

‘‘आप को लिखना होगा कि आप ने 20 लाख के एवज में मुझे हायर किया है कि मैं आप के शौहर की सेक्रेटरी सलिलि फर्नांडीज को कत्ल कर दूं.’’ मरदानी आवाज सुनाई दी. रोमा चीख पड़ी, ‘‘नहीं, हरगिज नहीं. इस तरह तो मैं कत्ल में शामिल हो जाऊंगी.’’ ‘‘बेशक, पर यह खत मेरे लिए बहुत ही जरूरी है, क्योंकि इसे लिखने के बाद आप मेरे बारे में छानबीन नहीं करेंगी. यही खत मेरी फीस की गारंटी भी है. जब आप को सबूत मिल जाए कि सलिलि मर चुकी है, आप मुझे 20 लाख की रकम भेजेंगी. उस के मिलते ही कुरियर से आप को आप का खत वापस मिल जाएगा.’’

‘‘नहीं नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती.’’ रोमा ने चिल्ला कर कहा.

‘‘मुझे बहुत दुख है मैडम कि आप के शौहर आप से कहीं ज्यादा अक्लमंद हैं. उन्होंने मेरी हर बात मंजूर कर ली थी. अब मैं आप के शौहर से ही सौदा कर लेता हूं.’’

रोमा ने कांपती आवाज में कहा, ‘‘ठहरो, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है. बताओ, मुझे क्या लिखना है?’’

‘‘हां, यह ठीक है. आप कागज पेन ले लें, मैं आप को लिखवाता हूं.’’ 

रोमा ने कांपते हाथों से खत लिखा. फिर उस ने कहा, ‘‘मैं आप को खबर करूंगा कि आप खत भेज दें. खत मिलने के 2-3 दिन के अंदर ही अखबार में आप को सलिलि फर्नांडीस की मौत की खबर मिल जाएगी. फिर मैं आप को रकम के बारे में बताऊंगा कि कहां और कैसे भेजनी है. और फिर आप का खत आप को वापस मिल जाएगा. इस के बाद हमारा ताल्लुक खत्म.’’ दूसरी तरफ से फोन बंद हो गया. दिन बाद फिर फोन आया. उस ने खत भेजने की हिदायत दी. रोमा ने खत रवाना कर दिया. तीसरे दिन अखबार में सलिलि फर्नांडीस की मौत की खबर छपी कि कल रात सलिलि फर्नांडीस की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.

रोमा का शौहर सिकंदर काम के सिलसिले में कलकत्ता गया हुआ था. अब उसे कोई फिक्र नहीं थी. वह कहां जाता है, कहां ठहरता है, क्या करता है. दूसरे दिन उसी आदमी ने रकम के बारे में कई हिदायतें दीं. रोमा ने अलगअलग बैंकों से रकम निकलवाई. कुछ अपने पास से मिलाई और बड़ी ईमानदारी से वहां पैसा पहुंचा दिया, जहां कहा गया था. वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. पेशेवर कातिल भी अपने वादे का पक्का निकला. दूसरे रोज ही रोमा को कुरियर से उस का खत वापस मिल गया. उस ने फौरन उसे जला दिया और चैन की नींद सो गई.

उसी रात रोमा का शौहर रोमा से कई सौ मील दूर अपनी खूबसूरत सेक्रेटरी सलिलि के साथ एक शानदार होटल में अपनी कामयाबी का जश्न मना रहा था. सलिलि ने पूछा, ‘‘सिकंदर, मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि यह सब कैसे हो गया? आखिर कैसे तुम ने मेरी मौत की खबर छपवा दी?’’ सिकंदर ने शराब का घूंट भरते हुए कहा, ‘‘बहुत आसानी से, तुम्हारे मरने की खबर और रकम मैं ने अखबार वालों को भेज दी थी और उस के साथ एक परचा रखा था—‘सलिलि फर्नांडीस का कोई रिश्तेदार या करीबी इस शहर में नहीं है और वह मेरी कंपनी में मुलाजिम थी. उस की सारी जिम्मेदारी मुझ पर आती है. उस के सारे मामलात मैं ही देख रहा हूं. बस अखबार के जरिए उस की मौत की खबर दुनिया को बताना चाहता हूं.’ 

उन लोगों ने दूसरे दिन ही यह खबर छाप दी. अच्छा जानेमन, तुम यह बताओ कि तुम ने फ्लैट छोड़ते वक्त अपनी मकान मालकिन से क्या कहा?’’ ‘‘मैं ने मकान मालकिन से कहा था कि मैं दिल की मरीज हूं. अपने शहर वापस जा कर अपने डाक्टर से इलाज कराऊंगी, क्योंकि अब तकलीफ बहुत बढ़ गई है.’’

‘‘शाबाश, तुम्हें मुंबई आए अभी बहुत कम अरसा हुआ है. कोई तुम्हें जानता भी नहीं है, कोई दोस्त है. अब तुम दूरदराज के इलाके में एक शानदार फ्लैट ले कर ठाठ से रहना. अपना नाम और पहचान भी बदल लेना. रोमा से मिले 20 लाख रुपए मैं किसी बिजनैस में लगा दूंगा ताकि हर महीने गुजारे के लिए अच्छीखासी रकम मिलती रहे.’’

‘‘डार्लिंग, तुम कितने अच्छे हो, सारी रकम मेरे नाम पर लगा रहे हो.’’

‘‘क्यों नहीं डियर, पहली बार टेलीफोन करने वाली तुम खुद थीं. तुम्हीं ने तो प्लान कामयाब बनाया.’’

‘‘मगर सिकंदर, सारी प्लानिंग तो तुम्हारी थी. तुम ने कितनी कामयाबी से आवाज बदल कर कातिल का रोल अदा किया. तुम्हारी आवाज सुन कर तो मैं भी धोखा खा गई थी. तुम वाकई में बहुत बड़े कलाकार हो.’’

‘‘चलो, फालतू बातें छोड़ो, अब हमारे मिलने में कोई रुकावट नहीं रहेगी. टूर का बहाना कर के मैं तुम्हारे पास जाया करूंगा. उधर रोमा अपनी दौलत पर नाज करते हुए चैन से सोएगी. अब मुझ पर शक भी नहीं करेगी.’’