फरेब के जाल में फंसी नीतू

15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 3

महेश कर चुका था 15 शादियां

इस के बाद पुलिस ने उस महिला से यह जानना चाहा कि वह उस शातिर के जाल में फंसी कैसे? इस के बाद उस ने महेश के जाल में फंसने की जो कहानी सुनाई, वह निशा की कहानी से बिलकुल मिलती थी यानी उस ने भी महेश से शादी डौट कौम के जरिए ही शादी की थी.

शादी के एक सप्ताह बाद ही महेश उस से मुंबई किसी सर्जरी के लिए जाने की बात कह कर गया तो आज तक लौट कर नहीं आया. वह खुद को ही दोषी मान रही थी. शर्म और संकोच की वजह से वह अपनी व्यथा किसी से कह नहीं पा रही थी. अगर किसी से कहती तो लोग उस का ही मजाक उड़ाते और बदनामी ऊपर से होती. इसी बदनामी के डर से वह चुप थी. उस के भी गहने और रुपए महेश चुरा ले गया था.

उस महिला की कहानी सुन कर एसआई राधा एम को समझते देर नहीं लगी कि यह एक तरह का विवाह स्कैंडल है. इस के बाद वह उन अन्य महिलाओं से भी मिलीं, जिन्होंने अभी तक उन का सहयोग नहीं किया था. जब उन महिलाओं को भी शादी के वे फोटो दिखाए गए, तो सभी ने वही कहानी सुनाई कि महेश उन से भी यही कह कर गया था कि उस का प्रौपर्टी का झगड़ा है, इसलिए अगर पुलिस या कोई पूछने आए तो वह उस के बारे में कुछ बताएंगी नहीं, क्योंकि लोगों से उस की जान का खतरा तो है ही, पुलिस आ गई तो उसे पकड़ कर जेल में डाल सकती है. इसलिए किसी से उस के बारे में कुछ न बताएं.

एसआई राधा एम को लगा कि महेश ने जब एक ही बात सब से कही है तो अब इस आदमी का पकड़ा जाना बहुत जरूरी हो गया है. लेकिन वह उसे पकड़ें कैसे? क्योंकि उस के बारे में न तो उन महिलाओं को कुछ पता है, जो उस की पत्नियां थीं और न उन्हें ही उस के बारे में कुछ पता था. उन के पास सिर्फ एक नंबर था, जिस की काल डिटेल्स में केवल इनकमिंग काल थीं.

उन्होंने उस काल डिटेल्स रिपोर्ट को दोबारा खंगाला तो उस में 9 नंबर और मिले. उन्होंने जब उन 9 नंबरों पर फोन कर के पता किया कि वे इस आदमी को क्यों फोन कर रही हैं तो पता चला कि अभी उन की शादी नहीं हुई है. वह महेश से शादी करने के लिए लाइन में है यानी वेटिंग लिस्ट में हैं.

मजे की बात यह थी कि इन लोगों ने भी उस से शादी डौट कौम के माध्यम से ही संपर्क किया था. जबकि महेश किसी से डाक्टर तो किसी से इंजीनियर तो किसी से सीए या मैनेजिंग डायरेक्टर बन कर मिला था और शादी के तीसरे दिन सभी से कोई न कोई बहाना बना कर वही एक बात समझा कर घर से गया तो लौट कर नहीं आया था. आता भी कैसे, सारे गहने और रुपए वह साथ ले कर जो गया था.

यानी उस ने जिस से भी विवाह किया था, उस की इज्जत तो लूटी ही, उस के गहने और रुपए भी लूट लिए थे. अब पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि यह कोई छोटा मोटा नहीं, बहुत बड़ा मामला है यानी महेश बहुत बड़ा ठग और लुटेरा है, जो महिलाओं को शादी के बहाने लूट और ठग रहा है.

एसआई राधा एम को विश्वास हो गया कि ये जो अन्य 9 महिलाएं हैं, महेश इन से विवाह कर के इन्हें भी लूटने वाला है. तब उन्होंने उन महिलाओं से बात की और उन्हें बताया कि आप लोग जिस आदमी से विवाह के लिए तैयार बैठी हैं, वह आदमी पहले ही 15 विवाह कर चुका है और उन सभी महिलाओं के गहने और रुपए चुरा कर गायब है. इसलिए आप लोग होशियार हो जाएं अन्यथा आप लोग भी उन 15 महिलाओं की तरह मुसीबत में फंस सकती हैं और अपना सब कुछ लुटा सकती हैं.

9 युवतियां और करने वाली थीं उस से शादी

राधा एम ने इन से यह बात इसलिए कही थी, क्योंकि इन 9 महिलाओं से भी उस का रिश्ता पक्का हो चुका था और कुछ ही महीनों में इन सब से वह बारीबारी से एक एक से विवाह करने वाला था. पुलिस के लिए इस आदमी को पकडऩा बहुत जरूरी हो गया था. पर उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस आदमी तक पहुंचे कैसे. क्योंकि वह न तो एक फोन यूज करता था और न एक सिम. उन्हें लगा कि वह मोबाइल नंबर से इस आदमी तक नहीं पहुंच सकती तो उन्होंने उस के घर वालों के बारे में पता किया.

महेश के घर वाले बेंगलुरु के बनशंकरी में रहते थे. पुलिस उस के घर पहुंची तो पता चला कि उस के मांबाप, भाईबहन सभी हैं. लेकिन उन्हें पता नहीं है कि महेश कहां है? क्योंकि वह सालों से घर नहीं आया था और न ही कभी किसी से संपर्क किया था.

जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो राधा एम ने एक बार फिर उस के फोन की काल डिटेल्स पर नजर फेरनी शुरू की. इस बार उन्हें एक ऐसा नंबर मिला, जिस पर उस ने काल की थी. पुलिस ने इस नंबर के बारे में पता किया तो वह आदमी उन्हें मिल गया. वह फिल्मों काम करने वाला एक जूनियर कलाकार था, जो महेश की कई शादियों में दिखाई दिया था.

इसी आदमी के सहारे एसआई राधा एम महेश केबी नायक तक पहुंच गईं और बेंगलुरु के तुमकुरु स्थित उस के नकल क्लीनिक से उसे गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद महेश से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में पुलिस को पता चला कि उस का नाम महेश केबी नायक था, उम्र 35 साल और पढ़ाई के नाम पर वह केवल पांचवीं पास था. लेकिन वह अंगरेजी बड़े ही कौन्फिडेंस के साथ बोलता था. देखने में वह काफी हैंडसम था.

पूछताछ में पहले महेश नायक ने भी हर अपराधी की तरह पुलिस को गोलगोल घुमाने की कोशिश की थी. लेकिन राधा एम ने अब तक उस के खिलाफ इतने सबूत इकट्ठा कर लिए थे कि वह उस के चक्कर में आने वाली नहीं थीं. उन्होंने जब सारे सबूत उस के सामने रखे तो वह टूट गया और सच्चाई बताने को मजबूर हो गया.

क्या थी महेश की सच्चाई? जानेंगे कहानी के अगले भाग में…

मौडल नेहा का हनीट्रैप रैकेट – भाग 2

गोपाल था मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर

गोपाल कृष्णनन अब समझ नहीं पा रहा था कि आगे क्या करना है. गोपाल मैसूर का रहने वाला था, बीटेक और उस के बाद एमबीए करने के बाद उस का चयन बेंगलुरु की एक मल्टीनैशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर के पद पर हो गया था. गोपाल अभी जवान था. उस का अभी विवाह भी नहीं हुआ था. गोपाल शाम को औफिस से आने के बाद खाली रहता था. उस ने बेंगलुरु की एक सोसाइटी में किराए पर फ्लैट ले रखा था.

खाना बनाने वाली बाई सुबह और रात का खाना शाम को निपटा कर अपने घर चली जाया करती थी. जबकि साफसफाई करने वाली बाई सुबह घर की साफसफाई, बाथरूम सफाई और पोंछा और डस्टिंग कर के चली जाती थी. देर शाम को गोपाल कृष्णनन जब औफिस से लौटता था तो व्हिस्की के 2-4 पैग लगा कर खाना खा लिया करता था. उस के बाद वह फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम आदि सोशल मीडिया पर मशगूल हो जाया करता था.

ऐसे ही एक दिन टेलीग्राम के माध्यम से उस की मुलाकात नेहा उर्फ मेहर से हुई. गोपाल ने नेहा उर्फ मेहर का नाम गूगल पर सर्च करना शुरू किया तो उसे पता चला कि नेहा कर्नाटक की रहने वाली है और मुंबई में मौडलिंग करती है. नेहा का नाम बड़ा चर्चित था. वह एक आइकौन थी और उस के बावजूद गोपाल कृष्णनन से दोस्ती करना चाहती थी.

गोपाल इस मौके को बिलकुल भी गंवाना नहीं चाहता था. इसलिए गोपाल नेहा उर्फ मेहर को फालो करने के साथसाथ उस का फेसबुक फ्रेंड भी बन चुका था. आए दिन उन की चैटिंग होती रहती थी.

नेहा से मिलने को उतावला था गोपाल

ऐसे ही एक दिन नशे में गोपाल ने नेहा को मैसेज कर दिया, “नेहाजी, आप तो इतने हौट हौट मैसेज करती रहती हो, कभी हम से मिलने का दिल नहीं करता आप का?”

“अरे क्यों नहीं गोपालजी, आप तो मेरे बेहद करीबी हो गए हैं. आप से मिलने का मन तो मेरा भी बहुत करता है. मगर आप यह बात भी जानते होंगे कि मैं काफी बिजी रहती हूं. कभी मुंबई में तो कभी बेंगलुरु में.” नेहा ने कहा.

“इस का मतलब यह हुआ कि आप से अब तो मुलाकात हो पाना नामुमकिन ही है. आप ने तो हमारा दिल ही तोड़ दिया!” गोपाल ने मायूसी से कहा.

“अरे यार, हम तो दिल तोडऩे का नहीं बल्कि दिल जोडऩे का काम करते हैं. जब मैं बेंगलुरु आऊंगी तो आप से मिलने की कोशिश जरूर करूंगी. क्या आप मुझ से मिलना चाहेंगे?” नेहा ने नशीले स्वर में कहा.

“नेहाजी, आप से मिलने को तो मेरा दिल न जाने कब से मचल रहा है. आप ने मेरे दिल की हसरत पूरी ही कर दी. आप का दिल से धन्यवाद. अब आप बताएं, आप का दीदार हमें कब हो सकेगा?” गोपाल ने खुशामद की.

“देखिए गोपालजी, कल संडे है. मैं मुंबई से 2 दिन के लिए बेंगलुरु एक इवेंट के लिए आ रही हूं. आप सुबह 9 बजे मुझे मिल सकते हैं.” नेहा ने कहा.

“नेहाजी, रविवार को तो मेरी भी छुट्टी रहती है. मैं आप से मिलने, आप का दीदार करने और आप से हग करने जरूर पहुंच जाऊंगा. मगर आप से कहां मुलाकात हो पाएगी. आप कहीं ये सब मेरा दिल रखने के लिए तो नहीं कह रही हैं. मुझे तो बिलकुल भी विश्वास नहीं हो पा रहा है. कभीकभी तो मुझे ऐसा लग रहा है कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं. पर नेहाजी, यह शायद सपना तो बिलकुल भी नहीं है.” गोपाल ने जल्दीजल्दी से अपने दिल की बात कह ही डाली थी.

“जब कल आप की मुझ से मुलाकात होगी तो हकीकत भी सामने होगी. जैसे आप मुझ से प्यार करते हो, वैसे ही मैं भी आप से प्यार करती हूं. अब तक तो आप को फोटो या वीडियो चैटिंग में ही देखा था, जब हमतुम सामने होंगे तो तब क्या नजारा होगा.” नेहा ने नशीली आवाज में कहा.

“नेहाजी, अब तो आप ने मेरी रातों की नींद उड़ा डाली है. सारी रात आप के ही ख्वाबों में कट जाएगी मेरी.” गोपाल ने आहें भरते हुए कहा.

“गोपालजी, अब आज की रात सब्र कर लीजिए. कल तो हमारी मुलाकात हो ही रही है.” कहते हुए नेहा ने फोन काट दिया. उस पूरी रात गोपाल सो नहीं पाया. रात उस ने करवटें बदलते ही गुजार दी थी. दूसरे दिन सुबहसुबह साढ़े 8 बजे गोपाल नेहा के बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया. नेहा का फ्लैट ग्राउंड फ्लोर पर था. 3 बैडरूम का फ्लैट था.

नेहा ने खुद उतारे गोपाल के कपड़े

घंटी बजाने पर नेहा ने मुसकराते हुए दरवाजा खोल दिया. कमरे में दाखिल होते ही गोपाल को एक विचित्र सा अहसास हुआ. पूरे वातावरण में शांति और खुशबू बिखरी हुई थी. जिस कमरे में नेहा गोपाल को ले गई थी, उस की खिडक़ी खुली थी. परंतु परदा पूरी तरह से खिंचा हुआ था. हालांकि कमरे में ऊपर रोशनदान भी लगा हुआ था, मगर उस में से बहुत ही धीमा प्रकाश आ रहा था. कमरे में रोशनी चांद की तरह बिखरी हुई सी दिखाई दे रही थी.

जैसा कि आज तक गोपाल ने फोटो में नेहा को देखा था, मगर जब उस ने उसे अपने रूबरू देखा तो वह आसमान से उतरी एक अप्सरा की तरह लग रही थी. गोपाल ने आव देखा न ताव वह झट से नेहा के पास गया और उसे अपनी बाहों में जोरों से जकड़ लिया.

करीब 2-3 मिनट तक दोनों आलिंगनबद्ध रहे, उस के बाद नेहा ने अपने आप को गोपाल की बाहों से छुड़ा लिया और अगले ही पल गोपाल की शर्ट के बटन खोलने लगी. गोपाल के सीने पर बालों में अब नेहा की नर्म नर्म अंगुलियां सर्प की तरह रेंगने लगी थीं, यह सब देख कर और अपने शरीर में महसूस करते हुए गोपाल का दिल अब बेकाबू सा हो गया था. उस ने अगले ही पल नेहा को अपनी मजबूत बाहों में भर लिया था. नेहा ने भी अपने अधर गोपाल के गरम गरम होंठों पर रख दिए थे.

इस केबाद नेहा ने गोपाल के शरीर से सारे कपड़े एकएक कर के उतारने शुरू कर दिए थे. गोपाल यह सब देख कर अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था. वह अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचने ही वाला था कि तभी 2 व्यक्ति वहां पर आ धमके.

15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 2

पति के खिलाफ लिखा दी रिपोर्ट

जब निशा से नहीं रहा गया तो तीसरे दिन उस ने महेश को फोन किया. उस का फोन ही नहीं मिला. फोन नौट रिचेबलबताता रहा. इसी तरह एक सप्ताह बीत गया. महेश का फोन नहीं आया और वह उसे फोन करती थी तो फोन लगता नहीं था. निशा परेशान थी.

इसी बीच उस ने अपनी अटैची खोली तो पता चला कि उस की सारी ज्वैलरी और साथ लाए करीब 15 लाख रुपए गायब हैं. वह भौचक्क रह गई. इस का मतलब था घर पर किसी ने चुरा लिए. वह परेशान हो उठी. अब क्या करे? पति था कि फोन भी नहीं उठा रहा था. अपना दर्द वह कहे किस से.

इसी तरह एक सप्ताह और बीत गया. निशा को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है. तभी एक दिन एक महिला उस के घर आ धमकी. उस ने कहा कि महेश उस का पति है. इस बात को ले कर दोनों में काफी झगड़ा भी हुआ. इस से निशा को लगा कि उस के साथ धोखा हुआ है. यह अहसास होते ही वह थाना मैसूर सिटी जा पहुंची और पुलिस को अपनी पूरी कहानी बता कर रिपोर्ट दर्ज करा दी.

रिपोर्ट दर्ज कर के थाना मैसूर (सिटी) पुलिस ने इस मामले की जांच सबइंसपेक्टर राधा एम. को सौंप दी. उन्होंने इस मामले की जांच शुरू की. उन के पास डाक्टर साहब के एक नंबर के अलावा और कुछ नहीं था, जिसे निशा ने दिया था. उस पर फोन लग नहीं रहा था. क्योंकि वह नंबर अब बंद हो चुका था. उन्होंने जांच आगे बढ़ाने के लिए जब उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उसे देख कर वह दंग रह गई, क्योंकि इस नंबर से कभी कोई फोन किया ही नहीं गया था. केवल उस पर फोन आए थे.

राधा एम. ने जब यह पता किया कि इस नंबर पर जो फोन आते थे, वे किस के थे तो पता चला कि इस नंबर पर जो भी फोन आए थे, वे सभी के सभी महिलाओं के फोन थे. उन्हें यह बात बड़ी अजीब लगी कि यह कैसा आदमी है, जिस ने कभी किसी को अपने नंबर से फोन नहीं किया और इस नंबर पर जो भी फोन आए थे, वे सब के सब के औरतों के थे.

उन की समझ में यह नहीं आया कि आखिर चक्कर क्या है? उन्हें लगा कि कहीं कुछ तो गड़बड़ जरूर है. एसआई राधा एम ने उन नंबरों को टटोलना शुरू किया, जिन महिलाओं के फोन उस नंबर पर आए थे. लेकिन किसी भी महिला ने उन से ठीक से बात नहीं की यानी उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया कि वह कहां है. साफ था कि उन्होंने पुलिस का सहयोग नहीं किया था.

राधा एम ने बहुत कोशिश की, पर कोई भी महिला उन की मदद करने को तैयार नहीं थी. राधा एम परेशान थीं कि वह करे तो क्या करें. मजे की बात यह थी कि वह जिस भी महिला को फोन करती थी, वह यही कहती कि महेश उस का पति है. इस से राधा एम और परेशान थीं कि आखिर महेश की कितनी पत्नियां हैं? पर कोई भी पत्नी यह बताने को तैयार नहीं थी कि महेश कहां है. इस से वह समझ गईं कि इस मामले में बहुत बड़ी गड़बड़ है.

पुलिस जुट गई जांच में

इस के बाद राधा एम ने उन महिलाओं से मिलना शुरू किया, पर मिलने पर भी ये महिलाएं कुछ बताने को तैयार नहीं थीं. बस, ये महिलाएं यही कहती रहीं कि महेश उन का हसबैंड है. पर वह कहां है, यह उन्हें पता नहीं है. ये महिलाएं महेश के बारे में पुलिस को बताती भले ही कुछ नहीं थीं, पर पुलिस इन से उन की शादी का फोटो जरूर ले लेती थी.

इसी तरह एसआई राधा एम ने उन सभी महिलाओं के महेश के साथ के शादी के फोटो इकट्ठा कर लिए. इस से यह साबित हो गया कि महेश अलगअलग महिलाओं से विवाह करता है और किसी न किसी बहाने से उन्हें छोड़ कर निकल लेता है. वह ऐसा क्यों कर रहा है, यह तो तभी पता चलता, जब कोई महिला पूछताछ में सहयोग करती.

आखिर राधा एम ने एक ऐसी महिला को पकड़ा, जो सब से ज्यादा बोल रही थी, इसलिए राधा एम ने उस से पर्सनली बात करने का विचार किया. वह उस के पास पहुंची और नंबर दिखा कर कहा, “देखिए यह नंबर है. आप कह रही हैं कि यह मेरे पति का नंबर है तो बता दीजिए वह कहां हैं?”

“हां, यह मेरे पति का नंबर है, पर मुझे नहीं पता कि वह कहां हैं और मालूम भी होगा तो भी मैं नहीं बताऊंगी कि वह कहां हैं.” उस महिला ने कहा.

एसआई राधा एम ने देखा कि यह महिला कुछ बताने को तैयार नहीं है तो हार कर उन्होंने वे तसवीरें निकालीं, जो अलगअलग महिलाओं से ले कर आई थीं. उन में दुलहनें तो अलगअलग थीं, पर दूल्हा एक ही था.

इन तसवीरों को दिखा कर राधा एम ने कहा, “यह आदमी सिर्फ आप का ही दूल्हा नहीं है. देखिए, आप जैसी इस की कितनी दुलहनें हैं, जो आप की ही तरह कह रही हैं कि यह मेरा हसबैंड है, पर मुझे नहीं पता कि यह इस समय कहां है. आप की ही तरह कोई सहयोग करने को तैयार नहीं है कि मैं इस आदमी को गिरफ्तार कर के इस की सच्चाई लोगों के सामने ला सकूं.”

जब राधा एम ने उस महिला के सामने महेश की सारी पोल खोल दी तो उस ने कहा, “ठीक है, अब आप जो भी पूछेंगी, मैं वह बताने को तैयार हूं.”

“अच्छी बात है. हम यही तो चाहते थे.” राधा एम ने कहा.

उस महिला ने कहा, “जब वह बाहर जाने लगे थे तो उन्होंने कहा था कि अगर मेरे बारे में कोई कुछ पूछने आए, वह पुलिस ही क्यों न हो, किसी को कुछ बताना मत. क्योंकि हमारा प्रौपर्टी को ले कर आपस में झगड़ा चल रहा है. करोड़ों को प्रौपर्टी का मामला है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. बस, इस से ज्यादा मुझे उन के बारे में और कुछ नहीं मालूम.”

कहानी के अगले भाग में पढ़ें, कैसे आया ये शातिर पुलिस की गिरफ्त में …

षडयंत्र : पैसों की चाह में

मौडल नेहा का हनीट्रैप रैकेट – भाग 1

“देख भाई गोपाल कृष्णनन, मैं एक न्यूज चैनल से बोल रहा हूं. मेरे पास तुम्हारे लिए एक बहुत बड़ी न्यूज है, कहो तो सुना दूं.” गोपाल को किसी ने फोन कर के कहा.

“आप को मैं न जानता हूं और न ही पहचानता हूं. मैं तो एक कामकाजी इंसान हूं. मेरा न्यूज से क्या संबंध? शायद आप ने कोई गलत नंबर डायल किया है भाई.” गोपाल कृष्णनन बोला.

“देख भाई गोपाल कृष्णनन, जब मुझे तुम्हारा नाम मालूम है तो तुम्हारे लिए मेरे पास कोई खास समाचार तो होगा ही न. मेरे पास तुम्हारी एक वीडियो फिल्म है, जिस में तुम एक लडक़ी के साथ रंगरलियां मनाते हुए साफसाफ नजर आ रहे हो.  अब तुम समझ गए न कि मैं आखिर कौन सी बला हूं. क्यों गोपाल कृष्णनन? और हां, मेरा नाम प्रकाश बलेगर है.” कह कर वह व्यक्ति ठहाके लगा कर हंसने लगा.

“तुम ये सब क्या बकवास कर रहे हो? आखिर तुम मुझ से क्या चाहते हो?” गोपाल कृष्णनन ने झुंझलाते हुए कहा.

“जनाब गोपाल कृष्णनन जी, जरा अपने दिमाग को ठंडा करो और याद करो कि तुम उस लडक़ी के साथ नंगे हो कर क्या कर रहे थे? तुम सुन रहे हो न कि मैं क्या कह रहा हूं.” प्रकाश ने कहा.

ये सब बातें सुन कर गोपाल कृष्णनन काफी घबरा सा गया था, उस ने नरमी दिखाते हुए कहा, “भाई, अब आप फाइनल बता दो कि मुझ से क्या चाहते हो?”

“देखो, मेरे पास तुम्हारी एक बहुत अच्छी वीडियो क्लिप है, जिस में तुम एक नामीगिरामी मौडल के साथ गुलछर्रे उड़ा रहे हो. तुम्हारी सारी की सारी काली करतूतें उस में कैद हैं!” प्रकाश ने कहा. ये सारी बातें सुन कर गोपाल की पेशानी पर पसीना छूटने लगा था. उसे चक्कर से आने लगे थे.

“गोपालजी, यदि ये वीडियो मैं तुम्हारे और रिश्तेदारों के पास भेज दूं तो सब तुम्हारी आरती उतारेंगे. वैसे मुझे यह बात भी पता चल गई है कि तुम्हारी शादी तय होने वाली है. अगर यह वीडियो मैं तुम्हारी होने वाली बीवी और उस के मांबाप को भेज दूं तो फिर क्या होगा? सचमुच तूफान मच जाएगा.” कह कर प्रकाश ठहाके लगाने लगा.

अब गोपाल कृष्णनन समझ नहीं पा रहा था कि वह इस चक्रव्यूह से कैसे मुक्त हो? उस ने अपनी भाषा को संयत करते हुए कहा, “देखिए, मुझे आप की सभी शर्तें मंजूर हैं.” मगर आप पहले अपना नाम बताइए कि आखिर आप कौन साहब बोल रहे हैं?”

“देखो, अब तुम सही लाइन पर आ रहे हो तो सुनो. मैं अपने बारे में कुछ छिपाना भी नहीं चाहता. मेरा नाम प्रकाश बलेगर है. मगर भाई तुम मेरा नाम क्यों पूछ रहे हो?” उधर से पुरुष ने अपना परिचय देते हुए कहा.

“प्रकाशजी, मैं आप का नंबर अपने मोबाइल पर सेव करना चाहता था, इसलिए आप का नाम पूछ रहा था. आप बताइए कि मुझे अब क्या करना है?” गोपाल कृष्णनन ने कहा.

“तो अब ध्यान से सुनो. तुम हमें अब पूरे 20 लाख रुपए दोगे, वह भी कैश में. उस के बाद मैं तुम्हें तुम्हारी ओरिजिनल सीडी दे दूंगा जिस में आप की माशूका नेहा उर्फ नेहर की अश्लील वीडियो है. समझ रहे हो न मैं क्या कह रहा हूं.” उधर से प्रकाश ने उसे धमकाते हुए कहा.

“मेरे दोस्त, मैं आप का मतलब अब काफी हद तक समझ चुका हूं. मैं आप को नकद 20 लाख रुपए दूंगा और आप उस ओरिजिनल सीडी को मुझे सौंप दोगे. वैसे इस के बाद नेहाजी या आप का कोई और दोस्त मुझे ऐसी डिमांड तो नहीं करेगा. इस बारे में आप क्या कहते हैं?” गोपाल कृष्णनन ने कहा.

“देखो भाई गोपाल, अब आप लुट चुके हो और अभी भी लुट ही रहे हो, लेकिन आप निश्ंिचत रहें इस के बाद आप लुटोगे नहीं, यह फाइनल डील है.” उधर से प्रकाश ने मुसकराते हुए कहा.

“इस का मतलब यह है प्रकाशजी कि मुझे आप को पूरे 20 लाख रुपए अदा करने होंगे. आप कुछ कम कर दीजिए न. यह तो बहुत ज्यादा हैं.” गोपाल ने विनती की.

“देखो भाई गोपाल, हमारे धंधे में ऊपर नीचे, आगे पीछे या कम ज्यादा बिलकुल नहीं होता. आप को जो रकम बताई गई है, वह आप को हमें देनी ही पड़ेगी वरना तुम यह अच्छी तरह जानते हो कि अब आगे हमें क्या करना है!” प्रकाश ने सीधेसीधे बता दिया.

“देखिए प्रकाशजी, मेरा इरादा आप के दिल को चोट पहुंचाने का बिलकुल भी नहीं था. मैं तो अपनी ओर से एक निवेदन भर कर रहा था. अब आप ने मेरी बात को स्वीकार नहीं किया तो कोई बात नहीं, मुझे आप के ऊपर पूरा विश्वास है कि मैं जब आप को 20 लाख रुपए दे दूंगा तो आप मेरी और नेहा वाली ओरिजिनल सीडी मुझे अवश्य सौंप देंगे.” गोपाल कृष्णनन ने कहा.

“ठीक है, जब आप को मुझ पर विश्वास हो गया है तो यह बताओ कि यह रकम तुम मुझे कब और कहां पर दे रहे हो!” प्रकाश ने कहा.

“प्रकाशजी, यह रकम काफी बड़ी है, इसलिए आप मुझे थोड़ा वक्त दे दीजिए, जैसे ही रकम का इंतजाम हो जाएगा आप को तुरंत सूचित कर दूंगा. फिर आप जगह बतला दीजिएगा. मैं वहां पर आप को पूरे पैसे दे कर आप से ओरिजिनल सीडी ले लूंगा.” गोपाल ने कहा.

“वैसे गोपाल भाई, आप काफी समझदार इंसान लगते हो. अब तुम मुझे जल्दी से फोन करना. मैं आप के फोन का इंतजार करूंगा.” कहते हुए प्रकाश ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

पबजी गेम की आड़ में की मां की हत्या – भाग 3

दक्ष को इंसपेक्टर धर्मपाल ने कस्टडी में ले लिया था और उसे कोतवाली पीजीआई ले आए थे. यहां लखनऊ के एडिशनल डीसीपी (नार्थ) एस.एम. कासिम आबिदी मौजूद थे.

उन के सामने दक्ष से एक बार फिर पूछा गया, ‘‘दक्ष अपनी मां की हत्या तुम ने की है, क्या तुम इसे कुबूल करते हो?’’

‘‘हां, मैं ने ही अपनी मौम की हत्या की है.’’

‘‘क्यों?’’ कासिम आबिदी ने गंभीरता से पूछा.

‘‘मैं पबजी गेम में बहुत ज्यादा उलझा रहता था. मौम चाहती थी कि मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान दूं. मैं उन की बात अकसर अनसुनी करता था, इस के लिए मौम मुझे गालियां देती थी, पीटती थी. कई बार वह मुझे कमरे में बंद कर देती थी और खाना भी नहीं देती थी. मेरे मन में धीरे धीरे मौम के प्रति नफरत भरती चली गई.’’ उस ने बताया.

‘‘जिस रात तुम ने मां की हत्या की, उस रात का चुनाव तुम ने पहले से कर रखा था’ किसी बात से रुष्ट हो कर तुम ने डैड की रिवौल्वर अलमारी से निकाल कर मां पर गोली चला दी थी?’’

‘‘वह 3 जून, 2022 का मनहूस दिन था सर. मैं अपने स्टडी रूम में बैठा पढ़ रहा था. मौम अचानक आई और मुझे मारने लगी थी कि मैं ने उन के 10 हजार रुपए चोरी कर के पबजी  गेम में उड़ा दिए हैं. मैं ने पापा की कसमें खाईं, बहुत कहा कि मैं ने 10 हजार नहीं चुराए हैं, लेकिन मौम का गुस्सा शांत नहीं हुआ.

उन्होंने मुझे पीटपीट कर अधमरा कर दिया, फिर स्टोर रूम में बंद कर दिया. मैं रोता गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन मौम को मुझ पर दया नहीं आई. तभी मैं ने निर्णय ले लिया कि मौम को जिंदा नहीं छोड़ूंगा. दूसरी रात मैं ने पापा की रिवौल्वर निकाली और सो रही मौम के सिर में गोली मार दी.’’

‘‘अपनी मां की हत्या कर के तुम ने उन की लाश को बैडरूम में ही पड़े रहने दिया, तुम ने ऐसा किस के कहने पर किया?’’ कासिम आब्दी ने दक्ष के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.

‘‘मुझे किसी ने कुछ नहीं सिखाया. बस मेरे मन में आया कि मौम की हत्या की बात लोगों से छिपा कर रखूं. मुझे पापा के फोन आते रहे, वह मौम का फोन न लगने से परेशान थे. वह मुझ से पूछते रहे कि तुम्हारी मौम काल रिसीव क्यों नहीं कर रही है?

मैं ने पहले दिन बताया कि मौम फोन घर में रख कर बिजली का बिल जमा कराने चली गई है. दूसरे दिन पापा ने फिर मौम के विषय में पूछा तो मैं ने उन से झूठ बोला कि मौम बाजार गई है.’’

दक्ष कुछ क्षण को चुप रहा फिर उस ने मुसकरा कर कहा, ‘‘मैं ने 2 दिन तक मौम की हत्या करने और लाश घर में होने की बात बड़ी सफाई से छिपा कर रखी. मैं सोमवार को अपने एक दोस्त को घर लाया ताकि आसपास वाले समझें कि मेरे घर में सब सामान्य है. मैं ने जोमैटो कस्टमर सर्विस से दोस्त और अपने लिए खाना मंगवाया था. मंगलवार को मैं अपने दूसरे दोस्त को घर ले कर आया. उसे मैं ने घर में ही अंडा करी बना कर खिलाई थी.’’

‘‘ओह!’’ एडिशनल डीसीपी दक्ष के शातिर दिमाग पर हैरान हो गए. इंसपेक्टर धर्मपाल भी हैरान थे कि इस छोटी उम्र में दक्ष कितनी सफाई से मां की हत्या की बात पर परदा डालने की कोशिश करता रहा.

‘‘दक्ष,’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने एक विचार मन में आने पर पूछा, ‘‘2 दिन में तो तुम्हारी मां की लाश सडऩे लगी होगी, क्या तुम्हारे दोस्तों या पड़ोसियों को लाश से उठने वाली बदबू महसूस नहीं हुई?’’

‘‘कैसे होती सर, मैं रूम फ्रैशनर का छिडक़ाव पूरे कमरे में लगातार कर रहा था ताकि बाहर बदबू न जा सके. सर, मेरे दोस्तों ने पूछा था तुम्हारी मौम नजर नहीं आ रही है दक्ष. मैं ने बहाना बना दिया था कि वह दादी के पास गई है. दादा की तबीयत ठीक नहीं चल रही है इसलिए मौम 2-4 दिन वहीं रहेंगी. यही नहीं सर, पड़ोसियों को शक न हो इस कारण मैं क्रिकेट किट ले कर क्रिकेट खेलने भी जाता रहा. घर से बाहर भी मैं टहला ताकि आसपास वाले सब कुछ सामान्य समझें.’’

‘‘हूं, बहुत तेज दिमाग है तुम्हारा.’’ एडिशनल डीसीपी एस.एम. कासिम आबिदी ने होंठों को चबाया, ‘‘यह दिमाग तुम गेम्स में न लगा कर यदि देशहित के काम में लगाते तो तुम्हारे मौमडैड का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता. तुम पबजी एडिक्ट बन गए, घर का पैसा भी उड़ाने लगे, इन फिजूल के गेम्स में. तुम्हारी मौम अगर तुम पर नाराज होती थीं तो वह गलत नहीं थी.

‘‘हर मांबाप चाहते हैं उन का बेटा पढ़लिख कर लायक बने. किंतु अधिकांश बच्चे इन पबजी जैसे गेम्स में अपना जीवन बरबाद करने पर तुले हुए हैं. शायद तुम नहीं जानते, हमारी भारत सरकार ने इन गेम्स में उलझे बच्चों द्वारा अपना और अपने परिवार का अहित करने वाली अनेक वारदातों को देखते हुए 2 सितंबर, 2020 को अनेक चीनी ऐप और अन्य कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे ऐसे 177 गेम्स पर पूरी तरह बैन लगा दिया था.

‘‘इस के बावजूद आज भी तुम्हारे जैसे बच्चे इंटरनेट की मदद से ऐसे हानि पहुंचाने वाले गेम खेलते हैं. इस का परिणाम तुम खुद देख लो, तुम ने इसी गेम्स के खेलने पर रोकाटोकी करने वाली अपनी प्यारी माम की हत्या कर दी.’’

‘‘मुझे अपनी मौम की हत्या करने का जरा भी अफसोस नहीं है.’’ दक्ष दृढ़ स्वर में बोला, ‘‘उस का कत्ल हो जाना ही ठीक था.’’

उस के हावभाव और आखिरी शब्दों ने एडिशनल डीसीपी और इंसपेक्टर धर्मपाल को चौंकाया. उन्होंने एकदूसरे की आंखों में देखा. इन आंखों की भाषा से तय हो गया कि दक्ष के मन में कोई ऐसा राज दफन है, जिसे वह होंठों पर नहीं लाना चाहता. वह राज क्या है, इस के लिए इस नाबालिग की काउंसलिंग होनी जरूरी थी.’’

‘‘एक आखिरी सवाल और मन में है दक्ष,’’ एडिशनल डीसीपी ने कहा.

‘‘पूछिए सर.’’

‘‘तुम ने अपनी मां को गोली मारी थी, तब तुम्हारी बहन भी घर में ही होगी?’’

‘‘घर में ही थी सर. मौम के साथ ही सो रही थी मेरी बहन. गोली की आवाज सुन कर वह घबरा कर उठी. मौम के माथे से खून निकलते देख कर वह चीखने को हुई थी, लेकिन मैं ने रिवौल्वर उस पर तान कर उसे डरा दिया. मैं ने उसे उस रात दूसरे कमरे में बंद कर दिया. दूसरे दिन मैं ने उसे बता दिया कि मैं ने मौम को मार डाला है. वह शांत और सामान्य रहे, किसी को उस के व्यवहार से शक हुआ तो वह उसे गोली मार देगा. सर, मेरी बहन प्रियांशी ने डर के मारे जुबान नहीं खोली है.’’

‘‘ठीक है, तुम्हें अब हमारे साथ घर चलना पड़ेगा. तुम्हारी मौम का मोबाइल, तुम्हारा मोबाइल और घर में रखा लैपटाप हमें कब्जे में लेना है.’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने कहा.

दक्ष उन के साथ जाने के लिए कुरसी से उठ खड़ा हुआ. उस का हाथ पकड़ कर इंसपेक्टर धर्मपाल कक्ष से बाहर आ गए. कुछ ही देर में उन की गाड़ी नवीन कुमार सिंह के घर से कोतवाली की ओर जा रही थी.

बुधवार 8 जून, 2023 को नवीन कुमार सिंह पत्नी की हत्या की खबर सुन कर आसनसोल से लखनऊ आ गए. ट्रेन से उतर कर वह इंद्रापुरी कालोनी में अपनी मां मिरजा देवी और छोटे भाई नीतीश से मिले. उन्हें साधना सिंह की बेटे दक्ष द्वारा हत्या का समाचार दे कर कुछ देर रुके. दक्ष नाबालिग था. नवीन कुमार जानते थे, उसे जुवेनाइल कोर्ट से अधिक से अधिक 5 साल की सजा होगी. फिर भी वह बेटे के लिए अच्छे सा अच्छा वकील खड़ा करना चाहते थे.

पत्नी बेशक बेटे के हाथों मारी गई थी, अब वह इस दुनिया में नहीं रही थी, लेकिन बेटा था इकलौता बेटा. वह उसे खोना नहीं चाहते थे. भाई के साथ वह कोतवाली थाना पीजीआई पहुंचे और इंसपेक्टर धर्मपाल सिंह से मिले. इंसपेक्टर धर्मपाल ने नवीन कुमार सिंह को बताया कि दक्ष को उन्होंने बाल कल्याण समिति के हवाले सौंप दिया है. दक्ष की काउंसलिंग की गई है और अब इस कहानी में नया मोड़ आ गया है.

दक्ष ने खुलासा किया है कि उन के घर में मौम से मिलने प्रौपर्टी डीलर और इलैक्ट्रीशियन आकाश का वक्त बेवक्त आनाजाना लगा रहता था, जो उसे पसंद नहीं था. उस के बर्थडे पर प्रौपर्टी डीलर बहुत बड़ा गिफ्ट ले कर आया था, यह बात उस ने डैडी को बता दी थी. उस रात मौम और डैडी के बीच बहुत झगड़ा हुआ था.

मौम का इन दोनों से मेलजोल बढ़ता जा रहा था. एक दिन जब वह अपनी बहन प्रियांशी के साथ दादी के घर गया था तो मौम ने प्रौपर्टी डीलर को घर में सुलाया था. यह बात उस ने डैडी को बताई और पूछा कि उसे क्या करना चाहिए, तब उन्होंने गुस्से में कहा था, ‘‘दक्ष, मैं वहां होता तो तुम्हारी मौम को गोली मार देता.’’

दक्ष ने कहा था, ‘‘क्या मुझे भी यही करना चाहिए?’’

तो डैडी ने कहा था, ‘‘जो तुम्हें उचित लगे, वह करो.’’

इंसपेक्टर धर्मपाल ने ये सारी बातें नवीन कुमार सिंह के सामने रख कर उन से पूछा, ‘‘क्या दक्ष को आप इस बात के लिए गाइड कर रहे थे कि वह अपनी मौम को गोली मार दे.’’

‘‘नहीं, मैं ऐसा क्यों चाहूंगा. यदि मेरे और मेरी पत्नी के बीच कोई विवाद होता तो उस का फैसला मैं करता. बेटे को नहीं कहता कि वह मां को गोली मार दे.’’ नवीन कुमार सिंह गंभीर स्वर में बोले, ‘‘दक्ष क्या कह रहा है, क्यों कह रहा है, मैं नहीं जानता. मैं इतना जानता हूं कि दक्ष पबजी गेम्स एडिक्ट है. वह इंस्टाग्राम पर ऐक्टिव था. साधना को यह पसंद नहीं था, वह उसे पीटती थी इसी से क्षुब्ध हो कर दक्ष ने उस की हत्या कर दी.’’

‘‘हूं.’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने सिर हिलाया, ‘‘एक बात और है नवीन कुमार जी. हमें आप की पत्नी के मोबाइल और लैपटाप में सभी काल और चैटिंग मैसेज डिलीट मिले हैं, उन्हें दक्ष ने उड़ा दिया है ताकि हम उस शख्स तक न पहुंच सकें, जो उसे इस हत्या के लिए गाइड कर रहा था. खैर, हम ने सभी चीजें फोरैंसिक जांच के लिए लैब में भेज दी है, आज नहीं तो कल सच्चाई सामने आ ही जाएगी.’’

साधना सिंह का शव पोस्टमार्टम के बाद नवीन कुमार सिंह को सौंप दिया गया. उन्होंने बुधवार की शाम को उस का अंतिम संस्कार कर दिया. तीसरे दिन वह उस की अस्थियां ले कर पैतृक गांव चंदौली चले गए. उन की बेटी, मां नीरजा देवी और भाई नीतीश उन के साथ में थे.

दक्ष को जुवेनाइल कोर्ट मे पेश कर दिया गया था, जहां से उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया.

पुलिस साधना सिंह की हत्या के असली कारण को जानने का प्रयास कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में दक्ष और प्रियांशी नाम परिवर्तित हैं.

15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 1

बेंगलुरु की एक कंपनी में नौकरी करने वाली सौफ्टवेयर इंजीनियर निशा की उम्र 45 साल हो गई थी. लेकिन करिअर बनाने के चक्कर में अभी तक उन का विवाह नहीं हो पाया था. पहले पढ़ाई, फिर नौकरी और व्यवस्थित होने के चक्कर में वह विवाह के बारे में सोच ही नहीं पाईं. जब सोचा, तब तक इतनी उम्र हो चुकी थी कि लडक़ा मिलना आसान नहीं था.

घर वाले तो पहले ही हथियार डाल चुके थे. क्योंकि जब वह विवाह के लिए कह रहे थे, तब निशा करिअर का हवाला दे कर मना करती रही. अब इस उम्र में वे उस के लिए कहां लडक़ा ढूंढते. इसलिए उन्होंने तो पहले कह दिया था कि जब तुम्हारी इच्छा हो, तब विवाह कर लेना.

अब निशा को विवाह के बारे में खुद ही फैसला लेना था. वह अपने लिए कहां लडक़ा खोजने जाती. इसलिए उस ने अपना बायोडाटा और फोटो मैट्रीमोनियल साइट शादी डौट कौम पर डाल दिया था, साथ ही वह खुद भी शादी डौट कौम की साइट खोल कर लडक़ों की प्रोफाइल देखा करती थी कि शायद उस के लायक कोई लडक़ा मिल ही जाए.

निशा को महेश लगा कुछ खास

एक दिन उस की नजर एक प्रोफाइल पर पड़ी, जो उसे जम गई. लडक़ा डाक्टर था हड्डी रोग विशेषज्ञ, नाम था महेश केबी नायक. उम्र 35 साल, देखने में भी काफी स्मार्ट था. मैसूर का रहने वाला महेश उसे जम गया. लडक़ा उसे पसंद आया तो साइट के जरिए निशा ने उस से संपर्क किया. यह अगस्त, 2022 की बात है.

इस के बाद दोनों में बातें होने लगीं. बातचीत से निशा को लगा कि लडक़ा ठीकठाक है. जब वह मानसिक रूप से पूरी तरह संतुष्ट हो गई तो उस ने महेश नायक से शादी की बात की. दूसरी ओर महेश नायक भी विवाह के लिए तैयार था. जब दोनों को लगा कि सब ठीक है तो उन्होंने मिलने की बात की.

तब डाक्टर साहब ने कहा, “मेरा घर मैसूर में है, मैं यहीं रहता हूं. मेरी क्लीनिक भी यहीं है. मैं तो क्लीनिक बंद कर के आ नहीं सकता. क्या आप मैसूर आ सकती हैं?”

“क्यों नहीं, विवाह करना है तो मैसूर तो क्या, जहां आप बुलाओगे, वहां आना होगा. मैं बिलकुल मैसूर आ सकती हूं. आप से मुलाकात भी हो जाएगी और इसी बहाने मैसूर भी घूम लूंगी.” निशा ने कहा.

इस के बाद निशा मैसूर पहुंच गई. महेश ने उस की खूब आवभगत की. दोनों खूब घूमे, खूब बातें कीं. महेश ने निशा को मैसूर के पर्यटक स्थलों और प्रसिद्ध स्थानों को दिखाया. उसे अपना घर भी दिखाया, जो किराए का था. पर महेश ने उस घर को अपना बताया था. इस के बाद रिश्ता पक्का हो गया. यह 28 दिसंबर, 2022 की बात है.

निशा बेंगलुरु लौट आई. उस ने यह बात अपने घर वालों को बताई तो घर वाले भी खुश हुए और बेटी की शादी की तैयारी में लग गए. उधर महेश भी विवाह की तैयारी में लग गया. निशा विशाखापट्टनम की रहने वाली थी और बेंगलुरु में नौकरी करती थी. इसलिए विवाह विशाखापट्टनम से ही होने वाला था. दूसरी ओर महेश ने निशा को पहले ही बता दिया था कि उस के मांबाप नहीं है. केवल एक बड़ा भाई और कजिन हैं.

शादी के बाद महेश ने मांगे 70 लाख रुपए

विवाह के कार्ड वगैरह छप गए. विवाह की तारीख थी 28 जनवरी, 2023 तय हो गई. तब डा. महेश केबी नायक अपने बड़े भाई, कजिन और रिश्तेदारों के अलावा कुछ दोस्तों के साथ 28 जनवरी को विशाखापट्टनम पहुंच गया. विशाखापट्टनम के शानदार होटल में डाक्टर साहब और निशा की शादी होनी थी.

निशा के परिवार वाले, रिश्तेदार और दोस्तों की भीड़ थी, जबकि महेश की तरफ से गिनेचुने लोग ही बाराती के रूप में थे. यह बात डा. महेश ने पहले ही बता दी थी, इसलिए किसी ने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया. अगर दिया भी तो किसी और को इस से क्या मतलब था? विवाह में आया, खायापिया और जो उपहार देना था, दे कर चला गया.

अगले दिन 29 जनवरी को विदा हो कर निशा पति के घर यानी ससुराल आ गई. महेश निशा को अपार्टमेंट के उसी फ्लैट में ले आया था, जिसे उस ने अपना बताया था. जबकि अपने पुश्तैनी मकान के बारे में उस का कहना था कि उस के पुश्तैनी मकान को ले कर भाइयों में झगड़ा चल रहा है. इसलिए जब तक फैसला नहीं हो जाता, तब तक उन्हें इसी फ्लैट में रहना होगा. निशा को भला क्या ऐतराज होता. पति जहां रखेगा, वह वहीं रहेगी. फिर उस फ्लैट में कोई खराबी भी नहीं थी, जो निशा ऐतराज जताती. बहुत लोग फ्लैटों में रहते हैं.

वह पति के साथ आराम से रहने लगी और शादी एंजौय करने लगी.  ही बीते थे कि महेश कहने लगा कि उसे अपना खुद का क्लीनिक बनवाना है. इस के लिए वह उसे 70 लाख रुपए उधार दे दे. पर निशा ने पैसे देने से मना करते हुए कहा कि उस के पास इतने पैसे नहीं है. इसलिए वह उसे पैसे नहीं दे सकती. क्लीनिक ही बनवाना है तो बाद में बनवा लेना.

जब महेश को निशा से पैसे नहीं मिले तो वह कहने लगा कि उस के पास पैसे नहीं हैं तो अपने घर वालों से मांग ले. इस के लिए वह उस पर दबाव भी डालने लगा. पर निशा मायके वालों से भी पैसे लाने को तैयार नहीं हुई. इस से महेश को गुस्सा आ गया और उस ने निशा को धमकी दी. निशा का कहना था कि घर वालों ने शादी में पैसे खर्च किए, इतना दहेज दिया, फिर भी वह पैसे मांग रहा है.

यह सब चल ही रहा था कि एक दिन डाक्टर साहब ने कहा, “एक बहुत जरूरी सर्जरी के लिए मुझे मुंबई जाना है.”

“ठीक है, आप जाइए, पर लौटेंगे कब?”

“काम होते ही मैं लौट आऊंगा. पर एक बात का खयाल रखना. अगर कोई ढूढने आए या मेरे बारे पूछने आए तो उसे कुछ बताना मत कि मैं कहां गया हूं. क्योंकि जानती ही हो कि प्रौपर्टी को ले कर भाइयों में झगड़ा चल रहा है. करोड़ों की प्रौपर्टी का मामला है, कुछ भी हो सकता है. क्या पता क्या हो जाए.

“आज के समय में किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता, भले ही वह भाई ही क्यों न हो. और हां, पुलिस भी आ सकती है, क्योंकि मुकदमा तो चल ही रहा है, लोग पुलिस से भी पकड़वा कर जेल भिजवा सकते हैं. इसलिए अगर पुलिस आए तो उस से भी मेरे बारे में कुछ मत बताना.”

निशा पढ़ी लिखी समझदार थी. उस ने कहा, “ठीक है, आप निश्चिंत हो कर जाइए, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी.”

“एक बात और, मैं डाक्टर हूं. पता नहीं किस समय कहां रहूं. हो सकता है, सर्जरी में रहूं, इसलिए तुम मुझे फोन मत करना. क्योंकि काम के समय मैं किसी का फोन अटेंड नहीं करता. जब मैं खाली रहूंगा, खुद ही फोन कर लूंगा.”

यह सब पत्नी को समझा कर डा. महेश चला गया. एक दिन बीत गया, महेश का फोन नहीं आया. दूसरा दिन भी बीत गया और तीसरा भी. जब महेश का फोन नहीं आया तो निशा को चिंता हुई. अभी नईनई शादी थी. नईनई शादी में लोग घंटे भर अकेले नहीं रह पाते, यहां तो 3 दिन बीत गए थे और पति का फोन नहीं आया तो चिंता होगी ही.

  कहां गायब हो गया था महेश? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग….                                                                                                                     

बदले की आग में 6 लोगों की हत्या – भाग 3

आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसपी राय सिंह नरवरिया ने एक पुलिस टीम बनाई. टीम में कोतवाली प्रभारी योगेंद्र सिंह, एसएचओ (महुआ) ऋषिकेश शर्मा, एसएचओ (दिमनी) मंंगल सिंह, एसएचओ (रामपुर), पवन भदौरिया, एसएचओ (सिहोरिया) रूबी तोमर को शामिल किया गया. आपसी रंजिश के चलते बदला लेने की जंग के 6 आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.

पुलिस एनकाउंटर के बाद 9 मई को मुख्य आरोपी अजीत और उस के चचेरे भाई भूपेंद्र से पूछताछ में सामने आया कि पिछले एक दशक से वे बदले की आग में जल रहे थे. उस के परिवार ने इस नरसंहार की व्यूह रचना काफी समय पहले से तैयार कर रखी थी, लेकिन उन्होंने अपने इस खतरनाक इरादे को कभी जाहिर नहीं होने दिया. बस उन्हें बेसब्री से मौके का इंतजार था.

रिश्तेदारों के अनुरोध पर 3 मई को गजेंद्र सिंह तोमर का परिवार अहमदाबाद से मुरैना आ गय था, यहां वे थके मांदे होने की वजह से अपने रिश्तेदार के यहां ठहरे और 5 मई, 2023 की सुबह लोडिंग वाहनों में गृहस्थी के सामान सहित लेपा गांव पहुंचे.

अहमदाबाद से गजेंद्र सिंह के साथ उन की पत्नी कुसुमा देवी, बेटा वीरेंद्र उस की पत्नी केश कुमारी, नरेंद्र और उस की पत्नी बबली, संजू साधना, राकेश व सीमा, सुनील व मधु, सत्यप्रकाश सहित रंजना, सचिन, अनामिका, इशू, परी, आकाश, शिवा, खुशबू, सान्या, नातीनातिन तथा रघुराज सिंह और उन की पत्नी सरोज आए थे.

इन सभी को साथ ले कर गजेंद्र सिंह तोमर अपनी 10 साल से सूनी पड़ी खानदानी हवेली का ताला खोलने से पहले हवेली की देहरी पूजने के लिए शगुन का नारियल फोड़ा ही था, तभी विरोधी पक्ष के भूरे और जगराम लाठी, फरसा ले कर आ धमके और कहने लगे तुम लोग लेपा कैसे आ गए.

विरोधी पक्ष का यह व्यवहार देख कर गजेंद्र सिंह और उस का परिवार दंग रह गया. विरोधी पक्ष के अजीत सिंह, भूपेंद्र सिंह श्यामू ने चुन चुन कर गजेंद्र सिंह तोमर (64) और उस के 2 बेटे संजू सिंह (45), सत्यप्रकाश (38) और 3 बहुओं केश कुमारी (46), बबली (36) सहित मधु (30) को गोलियों से छलनी कर दिया गया.

जिस देहरी को छोड़ कर गजेंद्र सिंह का परिवार अहमदाबाद चला गया था, 10 साल बाद उसी हवेली की देहरी पर पहुंचते ही परिवार के आधा दरजन लोगों को मौत मिली.

आईजी जोन ने डाला गांव में डेरा

गजेंद्र सिंह तोमर परिवार के 6 सदस्यों की हत्या की सूचना मिलते ही सिहोनिया थाने की एसएचओ रूबी तोमर ने घटना की गंभीरता से पुलिस के आला अधिकारियों को अवगत करा दिया था. इसी सूचना पर पुलिस आईजी (चंबल जोन) सुशांत सक्सेना, डीएम अंकित अस्थाना, एसपी रायसिंह नरवरिया, एसडीएम एल.के. पांडेय लेपा पहुंच गए थे.

घटनास्थल और लाशों का निरीक्षण करने के बाद घायलों को अस्पताल पहुंचाने के साथ ही तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए पुलिस फोर्स तैनात कर दी थी. पुलिस अधिकारियों ने अपराधियों को जल्द पकडऩे का वादा कर किसी तरह हंगामा कर रहे गजेंद्र के परिजनों और रिश्तेदारों को शांत किया. घटनास्थल से अधिकारियों के जाते ही एसएचओ ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई निपटा कर सभी लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

हालांकि घटना वाले दिन से ही मृतकों के परिजन अंतिम संस्कार नहीं करने की हठ पर अड़े हुए थे, उन की मांग थी कि उन्हें शस्त्र लाइसेंस स्वीकृति करने के साथ ही परिवार को पुलिस सुरक्षा एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए. आरोपियों के मकान ध्वस्त किए जाएं.

पीडि़त परिवार ने अंतिम संस्कार करने से किया इंकार

मुरैना में पोस्टमार्टम के बाद एंबुलैंस से जैसे ही आधा दरजन शव गजेंद्र सिंह की पैतृक हवेली के सामने पहुंचे, गजेंद्र के बेटे राकेश सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर सहित परिवार की महिलाओं ने पुलिस को शवों को एंबुलेंस से नहीं उतरने दिया.

देर रात तक जिला प्रशासन और एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान के काफी समझाने के बावजूद परिजन शवों को अंतिम संस्कार करने के लिए लेने को तैयार नहीं हुए तो रात गहराने पर पुलिस ने शवों को एंबुलेंस में ही रखा रहने दिया और एंबुलेंस को भारी पुलिस बल की मौजदूगी में लेपा के शासकीय स्कूल में खड़ा करवा दिया.

अगले दिन सुबह एक बार फिर जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने मृतकों के परिजनों और रिश्तेदारों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि उन की सभी मांगों को मान लिया गया है, तब कहीं जा कर परिजन और रिश्तेदार अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए.

पुलिस 3 एंबुलेंस में सभी शवों को ले कर आसन नदी के किनारे बने श्मशान घाट पहुंची, जहां सभी का एक साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया. पुलिस ने इस बहुचर्चित मामले में मुख्य आरोपी अजीत सिंह तोमर व भूपेंद्र सिंह तोमर को गिरफ्तार करने के साथ ही फरार 10 आरोपियों में से अब तक 6 आरोपियों को दबोच लिया है. वहीं भूमिगत आरोपियों पर पुलिस आईजी (चंबल जोन) सुशांत सक्सेना ने 30-30 हजार का इनाम घोषित कर दिया है.

इस कथा के लिखे जाने तक पुलिस धीर सिंह और रज्जो देवी को लेपा गांव से मुख्य आरोपी अजीत को पिता की हत्या का बदला लेने के लिए अपने बेटे के साथ में बंदूक थाम कर धिक्कारने वाली पुष्पा को इटावा से और सोनू तोमर को सीकर से, अजीत और भूपेंद्र तोमर को उसैद घाट से गिरफ्तार कर व्यापक पूछताछ के बाद भूपेंद्र तोमर की निशानदेही पर सिहोनिया पुलिस ने लेपा गांव में गजेंद्र सिंह तोमर परिवार की हत्या में प्रयुक्त की गई अवैध राइफल को गिरवी रखे मकान में भूसे में छिपा कर रखी बंदूक को भी जब्त कर चुकी हैं.

वहीं सोनू तोमर से भी पुलिस ने उस के बताए हुए स्थान से 315 बोर का एक कट्टा बरामद कर लिया है. रिमांड अवधि पूरी होने पर लेपा हत्याकांड के आधा दरजन आरोपियों को अंबाह कोर्ट में पेश कर जेल भेज चुकी है.

पुलिस भूमिगत हो गए 4 अन्य आरोपी धीर सिंह तोमर के तीनों बेटे रामू, श्याम सिंह, मोनू सिंह सहित मुंशी सिंह के भाई सूर्यभान की सरगरमी से तलाश कर रही थी. साथ ही साल 2013 में वीरभान तोमर व सोबरन तोमर की हत्या के मामले फरियादी पक्ष व गवाहों द्वारा गजेंद्र सिंह तोमर के परिवार से मोटी रकम व मकान ले कर राजीनामा कर न्यायिक काररवाई को प्रभावित करने वाले लोगों को कोर्ट से सजा दिलवाने के केस को रीओपन करने की प्रक्रिया में लग गई है.

हालांकि जो औरतें विधवा हो गईं, बच्चे अनाथ हो गए, वे जब तक जिंदा रहेंगे उन का खून खौलता रहेगा. लेपा में एक ही परिवार के आधा दरजन लोगों की हत्या का जो लाइव वीडियो बना है, वह पीडि़त परिवार को कभी ये भूलने नहीं देगा. यह सोच कर दिल घबराता है कि ये सब देख कर गजेंद्र सिंह तोमर के परिवार के बच्चे बड़े होंगे तो क्या करेंगे?

लक्ष्मण रेखा लांघने का परिणाम – भाग 3

बस, मैं खुदगर्ज हो गई. नहा कर मैं ने बढि़या कपड़े और गहने पहने, शृंगार किया. आइने के सामने खड़ी हुई तो यह बदलाव मुझे अच्छा लगा. मैं बच्चों के बारे में सोच रही थी कि मेरी सहेली नीरू आ गई. वह और उस के पति अशोक हमारे अच्छे दोस्तों में थे. नीरू ने कहा, ‘‘भई हम तुम्हें लेने आए हैं. अशोक बाहर गाड़ी में तुम्हारा और बच्चों का इंतजार कर रहे हैं. आज न्यू ईयर्स पर बच्चे घर में ही सेलीब्रेट कर रहे हैं. चलो जल्दी करो.’’

मुझे बढि़या मौका मिल गया. मैं ने बड़ी ही मोहब्बत से कहा, ‘‘नीरू, अभी तुम मेरे बच्चों को ले कर चलो. मुझे कुछ जरूरी काम है, मैं एक घंटे बाद आ जाऊंगी.’’

मेरे अंदर छिपे पाप को नीरू समझ नहीं सकी और जल्दी आने के लिए कह कर मेरे बच्चों को ले कर चली गई.

अब मेरा रास्ता साफ था. बादल घेरे हुए थे. हल्कीहल्की बूंदे पड़ रही थीं. ठंडी हवाएं मेरी जुल्फों को बिखेर रही थीं. अंदर की सारी जलन खत्म हो गई थी. मैं ने टैक्सी की और होटल ताज पैलेस पहुंच गई. असलम बाहर खड़ा मेरा इंतजार कर रहा था. उस ने हौले से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे होटल के बैंक्वेट हौल में ले गया. वहां हर ओर मस्ती का आलम था.

असलम ने एक शानदार सोफे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘बैठो.’’

मैं बैठ गई. थोड़ी खामोशी के बाद बातचीत शुरू हुई. धीरेधीरे हम बेतकल्लुफ होते गए. उसे पता चला कि मैं बेहद दुखी हूं. उस ने मेरी दुखती रग पकड़ ली. मेरी कहानी सुनने के बाद उस ने कहा, ‘‘गिरने वालों को संभाल भी कौन सकता है.’’

मैं ने हैरान हो कर पूछा, ‘‘क्या मतलब?’’

‘‘समय आने पर वह भी बता दूंगा,’’ असलम ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख कर कहा, ‘‘आप ने अपनी पूरी कहानी सुना दी, लेकिन नाम नहीं बताया.’’

‘‘शबनम.’’ मैं ने हंस कर कहा.

‘‘वाकई तुम शबनम की तरह पाक और खूबसूरत हो. तुम कितनी हसीन हो, शायद यह तुम्हें पता नहीं. यह हम जैसे कद्रदानों को ही पता होगा. जब से मैं ने तुम्हें देखा है, तभी से बेचैन हूं. मैं तुम्हारा दीवाना हूं.’’

उस दिन के बाद हमें जब भी मौका मिलता, हम मिल लेते. हर मुलाकात में वह कुछ ऐसा कह देता कि मेरा सोया जमीर जाग उठता. वह अकसर कहता कि अगर भीख में उजाला मिलता है तो कभी मत लेना. किसी की ज्यादती सहना भी गुनाह है. हालात कितने भी बुरे क्यों ना हों, हर मोड़ पर मंजिल की तलाश करनी चाहिए.

धीरेधीरे मैं उस के रंग में रंगती चली गई. उस ने मुझ से वादा किया कि हम अमेरिका पहुंच कर निकाह करेंगे. मैं उस के साथ ऐशोआराम के सपने देखने लगी. मुझे लगता, अगर इतना प्यार करने वाला पति हो तो पति और बच्चे क्या, मैं पूरी दुनिया को ठोकर मार दूं.

और फिर मेरी जिंदगी में वह काली रात आ गई. शायद उस रात मेरा दिल पत्थर का हो गया था. मैं ने अपने सारे गहने तथा नकदी एक अटैची में रखी और जब सभी लोग सो गए तो रात 12 बजे घर से बाहर आ गई. सुबह 3 बजे हमारी फ्लाइट थी. असलम टैक्सी लिए खड़ा था. मेरे बैठते ही टैक्सी चल दी.

पूरे रास्ते मुझे अपराधबोध सताता रहा और बेसाख्ता आंसू बहते रहे. मुझे अपने बच्चों की याद आ रही थी. क्योंकि अभी उन्हें मेरी जरूरत थी. लेकिन बच्चों की दादी उन्हें जान से भी ज्यादा चाहती थी, इसलिए यह बात जल्दी ही खयालों से निकल गई. वह उन्हें पालपोस लेगी.

सागर भी बच्चों को बहुत चाहता था. बेटी को तो वह पलकों पर रखता था. डांटता और नजरअंदाज करता था तो सिर्फ मुझे. एक कुटिल सी मुसकान मेरे होंठों पर तैर गई. मुझे लगा, मैं ने उसे अच्छा सबक सिखाया है. वहां किसी को मेरी जरूरत नहीं थी.

हम अपने मुकाम पर पहुंच गए. रास्ते भर असलम ने मेरा बहुत खयाल रखा. असलम की कोठी देख कर मैं बहुत खुश हुई. चारों तरफ बगीचे, फूलों से लदे पेड़, पिछवाड़े बहता झरना, जगहजगह लालनीलीपीली बत्तियां, फैंसी परदे, झाड़फानूस. लगा धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो बस यहीं है. काजी और कुछ लोगों की हाजिरी में हमारा निकाह हो गया. ऐसा उस ने इसलिए किया था कि मैं बहुत घबराई हुई थी. इस के अलावा निकाह के बिना मैं उस की किसी बात पर रजामंद नहीं थी.

बाद में पता चला कि वह कोठी किराए की थी. एक रात असलम काफी देर से 8-10 दोस्तों के साथ आया. वे शक्ल से मालदार, लेकिन गुंडे नजर आ रहे थे. वे एक कमरे में बैठ कर बातें करने लगे. जब मैं ने उन की बातें सुनीं तो लगा मुझे गश आ जाएगा.

वे सब के सब स्मगलर थे. उन के सारे गैरकानूनी धंधों का मुखिया असलम था. जब उसे पता चला कि मुझे उस की असलियत मालूम हो गई है तो वह मेरे सामने पूरी तरह खुल गया. अपने हर काले धंधे में मुझे शामिल करने लगा. इस तरह धीरेधीरे मैं भी गुनाहों के दलदल में धंसती चली गई. खूबसूरत लड़कियों को फंसा कर गुनाहों में शामिल करना असलम का मुख्य धंधा था.

मैं ने निकाह का हवाला दिया तो उस ने कहा, ‘‘निकाह तो एक रस्म अदायगी थी. निकाह तो मैं ने ना जाने कितने किए हैं.’’

अब मैं ऐसे अंधियारे गलियारे से गुजर रही थी, जहां रोशनी की किरणें भी रोशनी की मोहताज थीं. उस दिन मैं उस के काले धंधे में नहीं गई तो उस ने मेरी जम कर पिटाई की. उस ने कहा, ‘‘तू किसी की नहीं हो सकती. मेरे झूठे फोन पर तू सागर को छोड़ कर यहां आ गई. अब किसी और के फोन आएंगे तो तू उस के साथ भाग जाएगी. औरत का नाम ही बेवफा है.’’

‘‘क्या कहा तुम ने, वह फोन तुम करते थे? इस का मतलब मेरा सागर बेवफा नहीं था? मेरी खूबसूरती देख कर तुम ने मुझे बरगलाया? कमीने कहीं के.’’ कह कर मैं असलम पर झपटी तो उस ने मुझे धक्का दे दिया. मैं गिरी तो मेरे सिर से खून का फव्वारा फूट पड़ा. सागर और बच्चों को याद कर के मैं रोने लगी.

मजबूर जिंदगी किसी भी बदलाव का स्वागत नहीं कर सकती. तेज आंधियां मुझे बुझाने का जतन कर रही थीं. अब तो वैसे भी अंधेरे से दोस्ती हो गई थी. इस अंधेरे के खिलाफ जेहाद करना मेरे बस में नहीं रह गया था. विश्वास की माला टूट चुकी थी और मनके बिखर चुके थे.

इतनी चोट खाने के बाद भी मैं किसी तरह उठी. असलम के जाने के पदचाप मुझे राहत दे रहे थे. आज इतने सालों बाद मैं ने अपने घर फोन किया. उधर से सागर ने फोन उठाया. घबराहट और शर्मिंदगी भरे लहजे में मैं ने कहा, ‘‘मैं शबनम…’’

‘‘कौन शबनम…? उसे मरे तो एक अरसा गुजर गया है. आज मेरी बेटी की शादी है, थोड़ा जल्दी में हूं.’’

कह कर सागर ने फोन काट दिया.

मेरी जैसी चरित्रहीन औरतों का शायद यही हश्र होता है. जबजब औरतों ने लक्ष्मण रेखा लांघी है, वह तबाही ही लाई है.