कलावती और मलावती का दुखद अंत – भाग 2

काल डिटेल्स के आधार पर पुलिस ने पूछताछ के लिए वीरेंद्र सिंह और लक्ष्मीदास को उन के घरों से हिरासत में ले लिया और थाने ले आई. इसी बीच मुखबिर ने एसडीपीओ कृष्णकुमार राय को एक ऐसी चौंकाने वाली बात बताई, जिसे सुन कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई.

मुखबिर ने बताया कि कलावती और मलावती की हत्या गांव के ही कई लोगों ने मिल कर की थी. उन में वीरेंद्र सिंह और लक्ष्मीदास के अलावा बुद्धू शर्मा और जितेंद्र शर्मा भी शामिल थे. इस से पुलिस को पुख्ता जानकारी मिलगई कि दोहरे हत्याकांड में कई लोग शामिल थे. हिरासत में लिए गए वीरेंद्र और लक्ष्मीदास से सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने ही दोनों बहनों को मौत के घाट उतारा था.

‘‘लेकिन क्यों? ऐसा क्या किया था दोनों बहनों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था, जो इतनी बेरहमी से कत्ल कर दिया?’’ एसडीपीओ कृष्णकुमार राय ने सवाल किया.

‘‘साहब, मैं अकेला नहीं मेरे साथ लक्ष्मीदास, बुद्धू और जितेंद्र भी थे. क्या करते साहब, दोनों बहनों ने हमारा जीना मुश्किल कर दिया था.’’

इस के बाद वीरेंद्र सिंह और लक्ष्मीदास ने पूरी घटना विस्तार से बताई. दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने गांव चक हाट से बुद्धू और जितेंद्र शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया. चारों आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने श्मशान घाट के तालाब के पास से जमीन में दबाए हुए दोनों महिलाओं के सिर भी बरामद कर लिए.

उसी दिन शाम को आननफानन में पुलिस लाइन के मनोरंजन कक्ष में प्रैस कौन्फ्रैंस किया गया. 7 दिनों से रहस्य बनी सोशल एक्टिविस्ट कलावती और मलावती हत्याकांड की गुत्थी सुलझा चुकी पुलिस जोश से लबरेज थी.

प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी विशाल शर्मा ने बताया कि कलावती और मलावती की हत्या उसी गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह, लक्ष्मी दास, बुद्धू और जितेंद्र शर्मा ने मिल कर की थी. इस मामले में गांव के 12 लोग और शामिल थे, जिन्होंने घटना को अंजाम देने में आरोपियों की मदद की थी. जिन में 4 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

इस के बाद पुलिस ने चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. आरोपियों के बयान के आधार पर पुलिस ने 16 लोगों वीरेंद्र सिंह उर्फ हट्टा, लक्ष्मीदास उर्फ रामजी, बुद्धू शर्मा, जितेंद्र शर्मा, दिलीप शर्मा, विनोद ततमा, प्रकाश ततमा, सोनू शर्मा, रामलाल शर्मा, विष्णुदेव शर्मा, पप्पू शर्मा, उपेन शर्मा, इंदल शर्मा, सुनील शर्मा, सतीश शर्मा और बेचन शर्मा के नाम पहली जुलाई के रोजनामचे पर दर्ज कर लिए. अभियुक्तों के बयान और पुलिस की जांच के बाद कहानी कुछ यूं सामने आई.

बिहार के पूर्णिया जिले के जलालगढ़ थानाक्षेत्र में एक गांव है— चक हाट. जयदेव ततमा इसी गांव के मूल निवासी थे. उन के 3 बच्चे थे, जिन में एक बेटे अशोक ततमा के अलावा 2 बेटियां कलावती ततमा और मलावती ततमा थीं. अशोक ततमा दोनों बेटियों से बड़ा था.

जयदेव ततमा का नाम चक हाट पंचायत में काफी मशहूर था. वह इलाके में बड़े किसान के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाई. उन की दिली इच्छा थी कि बच्चे पढ़लिख कर योग्य बन जाएं.

कलावती और मलावती बड़े भाई अशोक से बुद्धि और कलाकौशल में काफी तेज थीं. दोनों बहनें पढ़ाई के अलावा सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थीं. उन का सपना था कि बड़े हो कर समाज की सेवा करें.

पिता की मदद से कलावती और मलावती ने समाजसेवा की जमीन पर अपने पांव पसारने शुरू कर दिए. गरीबों और मजलूमों की सेवा कर के उन्हें बहुत सुकून मिलता था. बेटियों की सेवा भाव से पिता जयदेव ततमा खुश थे. धीरेधीरे वे गांव इलाके में मशहूर हो गईं.

बचपन को पीछे छोड़ कर दोनों बहनें जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थीं. पिता को बेटियों की शादी की चिंता थी. थोड़े प्रयास और भागदौड़ से जयदेव ततमा को दोनों बेटियों के लिए अच्छे वर और घर मिल गए.

समय से दोनों बेटियों के हाथ पीले कर के वे अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए. इस के बाद ब्याहने के लिए एक बेटा अशोक ततमा शेष रह गया था. बाद में उन्होंने उस की भी शादी कर दी. अशोक और उस की पत्नी जयदेव की सेवा पूरी जिम्मेदारी से कर रहे थे.

जयदेव ततमा के जीवन की गाड़ी बड़े मजे से चल रही थी. न जाने उन की खुशहाल जिंदगी में किस की नजर लगी कि एक ही पल में सब कुछ मटियामेट हो गया. कलावती और मलावती के पतियों ने उन्हें हमेशा के लिए त्याग दिया. वे वापस आ कर मायके में रहने लगीं. यह बात जयदेव से सहन नहीं हुई और वे असमय काल के गाल में समा गए.

अचानक हुई पिता की मौत से घर का सारा खेल बिगड़ गया. दोनों बहनों की जिम्मेदारी भाई अशोक के कंधों पर आ गई थी. लेकिन दोनों स्वाभिमानी बहनें भाई पर बोझ नहीं बनना चाहती थीं. वे खुद ही कुछ कर के अपना जीवनयापन करना चाहती थीं.

एक बात सोचसोच कर अशोक काफी परेशान रहता था कि उस की बहनों ने ससुराल में आखिर ऐसा क्या किया कि उन के पतियों ने उन्हें त्याग दिया. जबकि वह बहनों के स्वभाव से भलीभांति परिचित था. फिर उन के बीच ऐसी क्या बात हुई, यही जानने के लिए अशोक ने दोनों बहनों से बात की.

बहनों ने ईमानदारी से भाई को सब कुछ सचसच बता दिया. दोनों बहनों के सोशल एक्टिविस्ट होने वाली बात भाई अशोक को पहले से पता थी. अपनीअपनी ससुराल में रहते हुए कलावती और मलावती गृहस्थी संभालने के बावजूद दिल से समाजसेवा का भाव नहीं निकाल सकी थीं.

ससुराल में कुछ दिनों तक तो दोनों बहनें घूंघट में रहीं. लेकिन जल्दी ही घूंघट के पीछे उन का दम घुटने लगा. ये बहनें स्वच्छंद और स्वतंत्र विचारों वाली, न्याय के लिए संघर्ष करने वाली जुझारू महिलाएं थीं. वे जिस पेशे से जुड़ी हुई थीं, उस के लिए उन का घर की दहलीज से बाहर निकलना बहुत जरूरी था.

जब कलावती और मलावती घर से बाहर होती थीं तो उन्हें घर वापस लौटने में काफी देर हो जाया करती थी. दोनों के पतियों को उन का देर तक घर से बाहर रहना कतई पसंद नहीं था, उन का कामकाज भी. पति उन्हें समझाते थे कि वे समाजसेवा का अपना काम छोड़ दें और घर में रह कर अपनी गृहस्थी संभालें. समाजसेवा करने के लिए दुनिया में बहुत लोग हैं.

पतियों के साथ ही सासससुर भी उन के काम से खुश नहीं थे. वे उन के काम की तारीफ करने या उन की मदद करने के बजाय उन का विरोध करते थे. धीरेधीरे ससुराल वाले उन के कार्यों का विरोध करने लगे. उन की सोच में टकराव पैदा होता गया. कलावती और मलावती समाजसेवा के काम से पीछे हटने को तैयार नहीं थीं.

पतियों ने इस बात को ले कर ससुर जयदेव ततमा और साले अशोक से भी कई बार शिकायतें कीं. इस पर अशोक और उस के पिता ने कलावती और मलावती को काफी समझाया, पर अपनी जिद के आगे दोनों बहनों ने उन की बात भी नहीं मानी.

कलावती और मलावती का दुखद अंत – भाग 1

27 जून, 2018 की उमस और गरमी भरी सुबह थी. इंसान तो इंसान, जानवरों तक की  जान हलकान थी. बिहार के पूर्णिया जिले के थाना जलालगढ़ क्षेत्र के रामा और विनय नाम के दोस्तों ने तय किया कि वे बिलरिया ताल जा कर डुबकी लगाएंगे. वैसे भी वे दोनों रोजाना अपने मवेशियों को बिलरिया ताल के नजदीक चराने ले जाते थे.

रामा और विनय जलालगढ़ पंचायत के गांव चकहाट के रहने वाले थे. उन के गांव से बिलरिया ताल 2 किलोमीटर दूर था. ताल के आसपास घास का काफी बड़ा मैदान था. चरने के बाद मवेशी गरमी से राहत पाने के लिए ताल में घुस जाते थे. फिर वह 2-3 घंटे बाद ही ताल से बाहर निकलते थे. उस दिन जब उन के मवेशी ताल में घुसे तो दोनों दोस्त यह सोच कर घर की ओर लौटने लगे थे कि 2-3 घंटे बाद आ कर मवेशियों को ले जाएंगे.

रामा और विनय ताल से घर की ओर आगे बढ़े ही थे कि तभी रामा की नजर ताल के किनारे के झुरमुट की ओर चली गई. झुरमुट के पास 2 लाशें पड़ी थीं. उत्सुकतावश वे लाशों के पास पहुंचे तो दोनों के हाथपांव फूल गए. दोनों लाशों के सिर कटे हुए थे और वे लाशें महिलाओं की थीं. यह देख कर दोनों चिल्लाते हुए गांव की तरफ भागे. गांव में पहुंच कर उन्होंने लोगों को बिलरिया ताल के पास 2 लाशें पड़ी की बात बताई.

उन की बातें सुन कर गांव वाले लाशों को देखने के लिए बिलरिया ताल के पास पहुंचे. जरा सी देर में वहां गांव वालों का भारी मजमा जुट गया. यह खबर गांव के रहने वाले अशोक ततमा के बेटे मनोज कुमार ततमा को हुई तो वह भी दौड़ादौड़ा बिलरिया ताल जा पहुंचा.

दरअसल, 4 दिनों से उस की 2 सगी बुआ कलावती और मलावती रहस्यमय तरीके से गायब हो गई थीं. वे 23 जून की दोपहर में घर से जलालगढ़ बाजार जाने के लिए निकली थीं. 4 दिन बीत जाने के बाद भी वे दोनों घर नहीं लौटीं तो घर वालों को उन्हें ले कर चिंता हुई. उन का कहीं पता नहीं चला तो 24 जून को मनोज ने जलालगढ़ थाने में दोनों की गुमशुदगी की सूचना दे दी थी.

बहरहाल, यही सोच कर मनोज मौके पर जा पहुंचा. वह भीड़ को चीरता हुआ झाडि़यों के पास पहुंचा तो कपड़ों से ही पहचान गया कि वे लाशें उस की दोनों बुआ की हैं. लाशों को देख कर मनोज दहाड़ मार कर रोने लगा था.

इसी बीच गांव का चौकीदार देव ततमा भी वहां पहुंच गया था. उस ने जलालगढ़ थाने के एसओ मोहम्मद गुलाम शहबाज आलम को फोन से घटना की सूचना दे दी. सूचना मिलते ही एसओ आलम मयफोर्स आननफानन में बिलरिया ताल रवाना हो गए. एसएसआई वैद्यनाथ शर्मा, एसआई अनिल शर्मा, कांस्टेबल अवधेश यादव, अशोक कुमार मेहता, जयराम पासवान और उपेंद्र सिंह उन के साथ थे.

एसओ मोहम्मद आलम ने बारीकी से लाशों का मुआयना किया. दोनों लाशें क्षतविक्षत हालत में थीं. लग रहा था जैसे लाशों को जंगली जानवरों ने खाया हो. लाशों के आसपास किसी तरह का कोई सबूत नहीं मिला. पुलिस आसपास की झाडि़यों में लाशों के सिर तलाशने लगी. लेकिन सिर कहीं नहीं मिले.

इस का मतलब था कि हत्यारों ने दोनों की हत्या कहीं और कर के लाशें वहां छिपा दी थीं. कातिल जो भी थे, बड़े चालाक और शातिर किस्म के थे. मौके पर उन्होंने कोई सबूत नहीं छोड़ा था. पुलिस के लिए थोड़ी राहत की बात यह थी कि लाशों की शिनाख्त हो गई थी.

इस के बाद एसओ मोहम्मद आलम ने एसपी विशाल शर्मा और एसडीपीओ कृष्णकुमार राय को घटना की सूचना दे दी थी. उन्होंने घटनास्थल का मुआयना किया तो जिस स्थान से लाशें बरामद की गई थीं, वह इलाका उन के थाना क्षेत्र से बाहर का निकला. वह जगह थाना कसबा की थी. लिहाजा उन्होंने इस की सूचना कसबा थाने के एसओ अरविंद कुमार को दे दी.

एसओ कसबा अरविंद कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे. लेकिन उन्होंने भी उस जगह को अपना इलाका होने से साफ मना कर दिया. इलाके को ले कर दोनों थानेदारों के बीच काफी देर तक बहस होती रही.

तब तक एसपी विशाल शर्मा और एसडीपीओ कृष्णकुमार राय भी मौके पर जा पहुंचे. दोनों अधिकारियों के हस्तक्षेप और मौके पर बुलाए गए लेखपाल की पैमाइश के बाद घटनास्थल कसबा थाने का पाया गया. एसपी शर्मा के आदेश पर थानेदार अरविंद कुमार ने मौके की काररवाई निपटा कर दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दीं.

चूंकि कलावती और मलावती की गुमशुदगी जलालगढ़ थाने में दर्ज थी, इसलिए जलालगढ़ एसओ मोहम्मद आलम ने यह मामला कसबा थाने को स्थानांतरित कर दिया. एसओ अरविंद कुमार ने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर आगे की छानबीन शुरू कर दी.

चूंकि बात 2 सामाजिक कार्यकत्रियों की हत्या से जुड़ी थी, इसलिए यह मामला मीडिया में भी खूब गरमाया. पुलिस पर जनता का भारी दबाव बना हुआ था. पुलिस की काफी छीछालेदर हो रही थी. एसपी विशाल शर्मा ने एसडीपीओ कृष्ण कुमार राय के नेतृत्व में एक टीम गठित की.

इस टीम में जलालगढ़ के एसओ मोहम्मद गुलाम शहबाज आलम, थाना कसबा के थानेदार अरविंद कुमार, मुफस्सिल थाने के एसओ प्रशांत भारद्वाज, तकनीकी शाखा प्रभारी एसएसआई जलालगढ़ वैद्यनाथ शर्मा, एसआई अनिल शर्मा, कांस्टेबल अवधेश यादव, अशोक कुमार मेहता, जयराम पासवान और उपेंद्र सिंह को शामिल किया गया.

एसडीपीओ कृष्णकुमार राय ने घटना की छानबीन की शुरुआत मृतकों के घर से की. मनोज से पूछताछ पर जांच अधिकारियों को पता चला कि कलावती और मलावती दोनों पतियों द्वारा त्यागी जा चुकी थीं. पतियों से अलग हो कर दोनों मायके में ही रह रही थीं.

मायके में रह कर दोनों सोशल एक्टिविस्ट का काम कर रही थीं. कलावती और मलावती की नजरों पर गांव के कई ऐसे असामाजिक तत्व चढ़े थे, जिन के क्रियाकलाप से लोग परेशान थे. उन में 4 नाम वीरेंद्र सिंह उर्फ हट्टा, लक्ष्मीदास उर्फ रामजी, बुद्धू शर्मा और जितेंद्र शर्मा शामिल थे. दोनों बहनों ने इन चारों पर कई बार मुकदमा दर्ज करा कर उन्हें जेल भी भिजवाया था.

जांच अधिकारियों को यह समझते देर नहीं लगी कि कलावती और मलावती की हत्या के पीछे इन्हीं चारों का हाथ है. फिलहाल पुलिस के पास उन के खिलाफ कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं था, जिसे आधार बना कर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता. उन पर नजर रखने के लिए जांच अधिकारी ने मुखबिरों को लगा दिया कि वे कहां जाते हैं, किस से मिलते हैं, क्याक्या करते हैं?

इधर एसओ कसबा अरविंद कुमार ने दोनों बहनों के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई और केस को समझने में जुट गए थे. काल डिटेल्स में कुछ ऐसे नंबर मिले, जो संदिग्ध थे. उन नंबरों से कलावती और मलावती देवी को कई दिनों से लगातार फोन किए जा रहे थे. पुलिस ने उन संदिग्ध नंबरों की पड़ताल की तो वे नंबर मृतका के गांव चकहाट के रहने वाले वीरेंद्र सिंह उर्फ हट्टा और लक्ष्मीदास उर्फ रामजी के निकले.

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 3

नाजायज रिश्तों का भांडा फूटा

नाजायज रिश्तों को कोई लाख छिपाने की कोशिश क्यों न करे, लेकिन वह छिप नहीं पाते. किसी तरह पड़ोसियों को रागिनी और रिंकू के अवैध संबंधों की भनक लग गई. शोभाराम के दोस्तों ने कई बार उसे उस की पत्नी और रिंकू के संबंधों की बात बताई, लेकिन उस ने उन की बातों पर ध्यान ही नहीं दिया. क्योंकि उसे पत्नी पर पूरा भरोसा था.

जबकि सच्चाई यह थी कि वह उस के साथ लगातार विश्वासघात कर रही थी. रागिनी कुंवारे रिंकू यादव की इतनी दीवानी हो गई थी कि वह पति को कुछ समझती ही नहीं थी.

नाजायज रिश्तों का भांडा तब फूटा जब एक रोज शोभाराम ने अपनी पत्नी रागिनी और रिंकू को अपने ही घर में आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. रिंकू ने जब शोभाराम को देखा तो वह फुरती से भाग गया. उस ने भी उस से कुछ नहीं कहा. लेकिन उस ने रागिनी को खूब खरीखोटी सुनाई और दोबारा ऐसी हरकत न करने की हिदायत दे कर छोड़ दिया.

उस दिन के बाद से कुछ दिनों तक रिंकू का रागिनी के यहां आनाजाना लगभग बंद रहा. पर यह पाबंदी ज्यादा दिनों तक कायम न रह सकी. मौका मिलने पर दोनों फिर से शोभाराम की आंखों में धूल झोंकने लगे. पर अब वह काफी सावधानी बरत रहे थे.

पत्नी को समझाने का प्रयास किया

रागिनी की बेटी अब तक 8 साल की हो चुकी थी. वह अपनी उम्र से कुछ ज्यादा समझदार थी. रिंकू के घर आने पर वह ताकझांक में लगी रहती थी. बेटी उस के नापाक रिश्तों में बाधा न बने, इसलिए रागिनी ने उसे ननिहाल रहने को भेज दिया.

बेटी के ननिहाल में रहने पर रागिनी पूरी तरह आजाद हो गई. शोभाराम राजमिस्त्री था. वह सुबह घर से निकलता तो फिर शाम को ही घर आता था. दोपहर में रागिनी चालाकी के साथ रिंकू को बुला लेती फिर दोनों रंगरलियां मनाते. पति के आने से पहले रागिनी सतीसावित्री बन जाती थी.

cShobharam (Aropi)

लेकिन चालाकी के बावजूद शोभाराम ने एक रोज फिर से पत्नी को रिंकू के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया. उस रोज शोभाराम सुबह काम पर तो गया था, लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से वह दोपहर में ही वापस घर आ गया था. इस बार उस ने रिंकू को खूब खरीखोटी सुनाई और पत्नी की जम कर पिटाई की. इस के बाद रिंकू का घर आनाजाना बंद हो गया.

जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में रागिनी ने एक और बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म से शोभाराम को खुशी नहीं हुई, क्योंकि उसे शक था कि यह बेटी जरूर रागिनी और रिंकू के नाजायज रिश्तों की निशानी है. लेकिन समाज के डर से उस ने जुबान बंद रखी.

बेटी के जन्म के बाद शोभाराम को लगा कि रागिनी ने रिंकू के साथ संबंध खत्म कर लिए हैं. यह उस की भूल थी. रागिनी अब भी मौका मिलने पर रिंकू से मिलने का प्रयास करती रहती थी. उसे झटका तब लगा, जब उस ने एक रोज रिंकू को शाम के धुंधलके में अपने घर से निकलते देख लिया.

शोभाराम की अब गांव में खूब बदनामी होने लगी थी. गांव के युवक उसे देख कर पत्नी के चरित्र को ले कर फब्तियां कसने लगे थे. उस ने पत्नी को बड़ी बेटी की दुहाई देते हुए समझाया, लेकिन रागिनी पर कोई असर नहीं पड़ा.

आखिर अपनी इज्जत का जनाजा उठते देख कर उस का धैर्य जवाब देने लगा. अब उस से पत्नी की बेवफाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. इसी सब का नतीजा था कि उस ने मन ही मन एक खतरनाक मंसूबा पाल लिया. वह मंसूबा था रिंकू और बेवफा पत्नी की हत्या का.

अपने मंसूबे को अमली जामा पहनाने के लिए वह दोनों पर नजर रखने लगा था. शोभाराम कभी काम पर जाता तो कभी नहीं भी जाता. कभी जाता तो घंटे-2 घंटे बाद ही लौट आता. रागिनी अच्छी तरह जान गई थी कि उस का पति उस पर नजर गड़ाए है. इसलिए वह स्वयं सतर्क थी और उस ने प्रेमी रिंकू को भी सतर्क कर दिया था कि वह उस के घर तभी आए, जब वह उसे फोन कर बुलाए.

कैसे हुआ प्रेमीप्रेमिका का मर्डर

14 जून, 2023 की सुबह 8 बजे शोभाराम काम पर चला गया. दिन भर काम करने के बाद वह शाम 6 बजे घर आया. उस समय रागिनी छत पर थी. वह कमरे में पड़े तख्त पर लेट गया और थकान दूर करने लगा. रात 8 बजे के लगभग शोभाराम ने खाना खाया फिर तख्त पर लेट गया. कुछ देर बाद ही वह गहरी नींद में सो गया.

इधर रागिनी ने घर का काम निपटाया, फिर बेटे को पति के साथ लिटा दिया और खुद छोटी बेटी के साथ कमरे में पड़ी चारपाई पर लेट गई. लेकिन नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उसे रहरह कर प्रेमी की याद आ रही थी. महीना भर से अधिक का समय बीत गया था, वह रिंकू से मिलन नहीं कर पाई थी. जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने फोन कर रिंकू यादव को घर बुला लिया. दोनों मकान की छत पर पहुंचे और मौजमस्ती में जुट गए.

इधर रात 12 बजे के बाद शोभाराम लघुशंका के लिए उठा तो उस की नजर कमरे में पड़ी चारपाई पर गई. चारपाई पर छोटी बेटी तो सो रही थी, लेकिन पत्नी गायब थी. उस ने चंद मिनट उस के वापस आने का इंतजार किया, फिर वह घर में उस की खोज करने लगा. उस ने घर का कोनाकोना छान मारा, लेकिन रागिनी उसे कहीं नहीं दिखी. तभी उस के मन में विचार आया कि रागिनी कहीं छत पर तो नहीं.

यह विचार आते ही शोभाराम दबे पांव सीढ़ियां चढ़ता हुआ छत पर पहुंचा. छत का दृश्य देख कर शोभाराम का खून खौल उठा. उस की भुजाएं फड़कने लगीं और कुछ कर गुजरने को तत्पर हो उठीं. दरअसल, छत पर रागिनी और रिंकू यादव अर्धनग्न अवस्था में एकदूसरे से गुथे पड़े थे. पत्नी की सीत्कार उस के कानों में गरम सीसा घोल रही थी.

शोभाराम ने पास पड़ी ईंट उठाई और रागिनी पर छाए रिंकू के सिर पर भरपूर प्रहार किया. प्रहार से रिंकू का सिर फट गया और खून की धार बहने लगी. पति के रूप में रागिनी ने साक्षात मौत को देखा तो वह प्रेमी के ऊपर लेट गई और गिड़गिड़ाने लगी, ”मेरे राजा को मत मारो, उस के बिना मैं कैसे जीवित रहूंगी?’‘

यह सुनते ही शोभाराम का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने दूसरा वार पत्नी रागिनी के सिर पर किया तो उस का भी सिर फट गया और खून का फव्वारा छूट पड़ा. इस के बाद शोभाराम ने अनगिनत प्रहार रागिनी और रिंकू के सिर और चेहरे पर किए तथा दोनों को मौत के घाट उतार दिया.

इस के बाद वह छत पर ही बैठा बीड़ी पीता रहा. कुछ देर बाद उस ने मोबाइल फोन से डायल 112 पर पुलिस कंट्रोल रूम को डबल मर्डर की सूचना दी. सूचना पाते ही थाना पुलिस व अन्य अधिकारी घटनास्थल आ गए. पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो इन हत्याओं के पीछे अवैध संबंधों की बात सामने आई.

16 जून, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी शोभाराम दोहरे को औरैया की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. मृतका रागिनी के तीनों बच्चे अपने नानानानी के घर पल रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 2

रागिनी क्यों नहीं जाना चाहती थी ससुराल

रागिनी ने अच्छी तरह शोभाराम को देखा सुहागरात को. वह सांवले रंग और इकहरे शरीर का था. उस ने कपड़े उतारे तो हीरो जैसी बौडी की आरजू करने वाली रागिनी के सारे अरमानों पर पानी फिर गया.

उस रात शोभाराम रागिनी का तन तो जीतने में सफल रहा, किंतु मन नहीं जीत सका. शोभाराम उस की कल्पना से एकदम उलट था. इसलिए सफल यौनाचार भी उसे आनंद से नहीं भर सका.

मायके लौटने पर रागिनी का गुस्सा मां पर फूटा. वह मायके गई तो अपनी मम्मी पर बरस पड़ी, ”मम्मी, तुम लोगों ने अपनी बड़ी बेटियों के लिए सुंदर, सजीले वर खोजे और मुझे कालेकलूटे, मरियल और नीरस आदमी के पल्ले बांध दिया. तुम ने क्या देख कर उसे मेरे लिए पसंद किया था.’‘

मम्मी ने उसे समझाया, ”बेटी, लड़के की शक्लसूरत नहीं, उस के गुण देखे जाते हैं. शोभाराम में शराब, जुआ, सट्टा जैसा कोई ऐब नहीं है. वह मेहनती और कमाऊ है. कुछ दिन साथ रहोगी तो वही सांवला, मरियल और सीधा सा पति संसार का सब से सुंदर लगने लगेगा.’‘

”मम्मी, शोभाराम मुझे पसंद नहीं, अब मैं ससुराल नहीं जाऊंगी.’‘ रागिनी गुस्से से बोली.

”बेटा, ससुराल तो तुझे जाना होगा,’‘ मां ने निर्णय सुनाने के साथ नसीहत दी, ”शोभाराम जैसा है, उसी रूप में उसे मन से स्वीकार करो. मैं कह रही हूं न, जल्द ही वह तुझे अच्छा लगने लगेगा.’‘

रागिनी की एक न चली. मम्मीपापा की जिद के चलते रागिनी की एक न चली और उसे ससुराल जाना पड़ा. शोभाराम के साथ वह पति धर्म भी निभाती रही, परंतु उसे दिल से स्वीकार नहीं कर सकी. इस बीच वह एक बेटी व एक बेटे की मां बन गई.

इन्हीं दिनों शोभाराम के पिता जगदीश दोहरे की बीमारी के चलते मौत हो गई. पिता की मौत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी शोभाराम के कंधे पर आ गई.

वक्त गुजरता रहा. गुजरते वक्त के साथ रागिनी के मन की कसक बढ़ती गई. अकेली होती तो उठतेबैठते अपने भाग्य को कोसती रहती, ‘मेरी तो किस्मत फूटी थी, जो हड्डी के ढांचे जैसा पति मुझे मिला. मेरे अरमान मिट्टी में मिल गए. क्या पूरी उम्र मुझे यंू ही घुटघुट कर जीना होगा?

उस वक्त रागिनी की कल्पना भी नहीं थी कि जल्द ही घुटन से उसे मुक्ति मिलने वाली है और उस का साइड इफेक्ट बेहद खतरनाक होगा.

रागिनी के घुटन भरे जीवन में रिंकू यादव नाम के युवक की एंट्री हुई. हुआ यह कि एक दिन घर का सीलिंग फैन खराब हो गया. रागिनी ने यह बात शोभाराम को बताई, ”बिना पंखे के बच्चों को नींद कैसे आएगी? मुझे भी परेशानी होगी? इसे जल्दी ठीक करा दो.’‘

”परेशान मत हो,’‘ शोभाराम मुसकराया, ”होमगार्ड लायक सिंह का बेटा रिंकू यादव बिजली मिस्त्री है. उसे बुला लाता हूं, जो खराबी होगी, सुधार देगा.’‘

प्यार में सीलिंग फैन कैसे बना मददगार

20 वर्षीय रिंकू यादव गांव के पश्चिमी छोर पर रहता था. उस के पिता लायक सिंह यादव थाना सहार में होमगार्ड थे. रिंकू का बड़ा भाई कुलदीप यादव आगरा में चमड़े का बैग बनाने वाली किसी फैक्ट्री में काम करता था. उस की 2 बहनें थीं, जिन की शादी हो चुकी थी. रिंकू सहायल कस्बे में एक बिजली की दुकान पर काम करता था.

कुछ देर बाद शोभाराम रिंकू के घर पहुंचा. रिंकू उस समय घर पर ही था. शोभाराम ने उसे घर का पंखा खराब होने के बाबत बताया और रिंकू को घर ले आया.

रिंकू यादव शोभाराम के घर पहुंचा तो उस की नजर रागिनी पर पड़ी. दोनों ने एकदूसरे को गौर से देखा. उन की नजरें मिलीं तो पल भर में ही दोनों के दिल में कुछकुछ होने लगा. रिंकू सोचने लगा कि लंगूर के पहलू में हूर कैसे आ गई? यह अप्सरा तो मेरे नसीब में होनी चाहिए थी.

अपनी उम्र से कई साल छोटे, लंबेतगड़े और साफ रंगत वाले रिंकू यादव को देख कर रागिनी भी बहुत प्रभावित हुई.

बिजली का पंखा ठीक करने के दौरान रिंकू रागिनी पर आंखों से तीर चलाता रहा. उस का हर तीर रागिनी के जिगर में हलचल करता रहा. आंखों की मूक भाषा में रागिनी भी बहुत कुछ उस से कहती रही. रिंकू अपना काम कर के चला गया. जबकि रागिनी उस के खयालों में गुम हो गई.

उस दिन के बाद रिंकू यादव अकसर शोभाराम के घर आने लगा. वह ऐसे समय आता, जब शोभाराम घर पर नहीं होता. वह किसी न किसी बहाने घर आता और रागिनी को लाइन मारता. रागिनी भी तिरछी नजरों से रिंकू को देख कर मुसकराती रहती.

मन में जो आकर्षण था, उसे चमकीला बनाने के लिए रिंकू व रागिनी ने देवरभाभी का रिश्ता जोड़ लिया. रिश्ता बना तो बातचीत शुरू हो गई. जल्द ही बातचीत हंसीमजाक तक पहुंच गई. इस के बाद उस में अश्लीलता भी घुलने लगी.

cRinku yadav (Mratak)

अपने से 8 साल छोटे रिंकू की बातों का रागिनी भी हंस कर जवाब दे दिया करती थी. रिंकू रागिनी को रिझाने के लिए उस की तारीफ किया करता था. एक रोज उस ने कहा, ”भाभी, तुम्हें देख कर कोई नहीं कह सकता कि तुम 2 बच्चों की मां हो, तुम तो अभी भी जवान दिखती हो.’‘

अपनी तारीफ सुन कर रागिनी गदगद हो गई थी. इस के बाद एक दिन उस ने कहा, ”भाभी, तुम में गजब का आकर्षण है. कहां तुम और कहां शोभाराम भाई. दोनों की कदकाठी, रंगरूप और उम्र में जमीनआसमान का अंतर है. तुम्हारे सामने तो वह कुछ भी नहीं है.’‘

अपनी तारीफ सुन कर रागिनी अंदर ही अंदर जहां एक ओर फूली नहीं समाई, वहीं दिखावे के लिए उस ने मंदमंद मुसकराते हुए कहा,”झूठे कहीं के, तुम जरूरत से ज्यादा तारीफ कर रहे हो? मुझे तुम्हारी इस तारीफ में दाल में कुछ काला नजर आ रहा है. तुम्हारे भैया को आने दो, बताती हूं, उन से.’‘

इतना कह कर वह जोरजोर से हंसने लगी. हकीकत यह थी कि रागिनी रिंकू को मन ही मन चाहती थी. उस ने केवल दिखावे के लिए यह बात कही थी. रिंकू हर हाल में उसे पाना चाहता था. रागिनी के हावभाव से वह समझ चुका था कि रागिनी भी उसे पसंद करती है. लेकिन वह इजहार नहीं कर पा रही है.

एक दिन दोपहर को रागिनी के दोनों बच्चे सो रहे थे. शोभाराम बाजार गया था. गरमियों के दिन थे. गली में सन्नाटा पसरा था. रिंकू ऐसे ही मौके की तलाश में था. वह रागिनी के घर पहुंच गया. इधरउधर की बातों और हंसीमजाक के बीच रिंकू ने रागिनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया.

रागिनी ने इस का विरोध नहीं किया. चेहरे मोहरे से गोरेचिट्टे गबरू जवान रिंकू यादव के हाथों का स्पर्श कुछ अलग ही था. रागिनी का हाथ अपने हाथ में ले कर रिंकू एकटक उस के चेहरे पर निगाहें टिकाए रहा.

अचानक रिंकू की तंद्रा भंग करते हुए रागिनी ने कहा, ”अरे ओ देवरजी, किस दुनिया में खो गए. छोड़ो मेरा हाथ. अगर किसी ने देख लिया तो जानते हो कितनी बड़ी बदनामी होगी.’‘

रागिनी की बात सुन कर रिंकू बोला, ”यहां कोई देख लेगा तो अंदर कमरे में चलें?’‘

”नहीं… नहीं… आज नहीं. वो बाजार गए हैं, किसी भी समय आ सकते हैं. फिर कभी अंदर चलेंगे.’‘ रागिनी ने कहा तो रिंकू ने उस का हाथ छोड़ दिया.

लेकिन वह मन ही मन बेहद खुश था, क्योंकि उसे रागिनी की तरफ से हरी झंडी मिल गई थी. फिर एक दिन मौका मिलते ही रागिनी और रिंकू ने मर्यादा की दीवार तोड़ अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद शोभाराम की आंखों में धूल झोंक कर रागिनी, रिंकू के साथ अकसर मौजमस्ती करने लगी. अवैध रिश्तों का यह सिलसिला करीब एक साल तक ऐसे ही चलता रहा.

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 1

शोभाराम ने नफरत से दोनों लाशों को देखा. फिर वहीं बैठ कर बीड़ी सुलगा कर पीने लगा. एक लाश उस की पत्नी रागिनी की थी और दूसरी रिंकू की थी. छत पर उस ने दोनों को रंगेहाथ रंगरलियां मनाते पकड़ा था. उस के बाद उस ने दोनो की ईंट से सिर कूंच कर हत्या कर दी थी.

बीड़ी के कश के साथ शोभाराम के मन में तरहतरह के विचार आजा रहे थे. इन्हीं विचारों के बीच शोभाराम ने जेब में पड़ा मोबाइल निकाला और पुलिस कंट्रोल रूम के 112 नंबर पर काल की. उस समय रात के 12 बज रहे थे और आसमान में बादल गरज रहे थे.

शोभाराम की काल डायल 112 के एसआई पंकज मिश्रा ने रिसीव की. उन्होंने पूछा, ”बताइए, आप को क्या परेशानी है? आप कौन और कहां से बोल रहे हैं?’‘

”साहब, मेरा नाम शोभाराम दोहरे है. मैं गांव नंदपुर से बोल रहा हूं. मैं ने डबल मर्डर किया है. आप जल्दी से आ कर मुझे गिरफ्तार कर लो.’‘

शोभाराम के मुंह से डबल मर्डर की बात सुन कर पंकज मिश्रा दंग रह गए. फिर वह सोचने लगे, ‘कहीं शोभाराम शराबी तो नहीं और नशे में गुमराह कर रहा है.Ó अत: वह कड़कदार आवाज में बोले, ”इतनी रात बीतने के बावजूद अभी तक तेरा नशा उतरा नहीं, जो डबल मर्डर की सूचना दे रहा है.’‘

”साहब, मैं शराबी नही हूं. मैं पूरे होशोहवास में हूं. मैं सच बोल रहा हूं. मैं ने रागिनी और उस के प्रेमी रिंकू यादव को मार डाला है. दोनों लाशें मेरे मकान की छत पर पड़ी हैं. यकीन हो तो आ जाइएगा.’‘

शोभाराम ने जिस आत्मविश्वास के साथ बात की, उस से एसआई पंकज मिश्रा को यकीन हो गया कि वह जो बता रहा है, वह सच है. अत: उन्होंने सूचना से पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया फिर सहयोगियों के साथ नंदपुर गांव पहुंच गए.

cDigamber Kushwaha (ASP)

शोभाराम का घर गांव के पूर्वी छोर पर था. पुलिस जीप वहीं जा कर रुकी. शोभाराम पुलिसकर्मियों को छत पर ले गया, जहां 2 लाशें पड़ी थीं. लाशें देख कर एसआई पंकज मिश्रा सिहर उठे. उन्होंने तत्काल शोभाराम को हिरासत में ले लिया. डबल मर्डर की यह घटना उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के नंदपुर गांव में 14 जून, 2023 की रात घटी थी.

डबल मर्डर से मचा हड़कंप

डबल मर्डर की सूचना से जिले के पुलिस अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया था. कुछ देर बाद ही एसएचओ आर.डी. सिंह, सीओ (सिटी) प्रदीप कुमार, एसपी चारू निगम तथा एएसपी दिगंबर कुशवाहा घटनास्थल पर आ गए.

cCharu Nigam (S.P.)

पुलिस अधिकारियों ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. हत्यारे शोभाराम ने बड़ी बेरहमी से दोनों की ईंट से कूंच कर हत्या की थी. मृतकों में रागिनी व रिंकू यादव था. रागिनी की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. रिंकू की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी. दोनों के शव अर्धनग्नावस्था में थे. छत पर शवों के करीब ही खून से सनी ईंट पड़ी थी, जिसे पुलिस ने सुरक्षित कर लिया.

पौ फटते ही नंदपुर गांव में सनसनी फैल गई. जिस ने भी 2 हत्याओं की बात सुनी, उसी ने दांतों तले अंगुली दबा ली. कुछ ही देर में शोभाराम के घर के बाहर भारी भीड़ जुट गई. मीना यादव को जब पता चला कि शोभाराम ने उस के बेटे रिंकू को मार डाला है तो वह बदहवास हालत में घटनास्थल पहुंची और बेटे का शव देख कर फूटफूट कर रोने लगी.

महिलाओं ने उन्हें किसी तरह संभाला. रिंकू के पिता लायक सिंह होमगार्ड थे. वह सहार थाने में ड्यूटी पर थे. उन्हें बेटे की हत्या की खबर लगी तो वह भी गांव आ गए. बेटे का शव देख कर वह भी बिलखने लगे.

रिंकू यादव की हत्या से नंदपुर गांव की यादव जाति में गुस्से की आग भड़क उठी थी. उन में आक्रोश इस बात से था कि शोभाराम जैसे छोटी जाति के व्यक्ति ने उन की बिरादरी के युवक की हत्या कर दी थी. इस हत्या से उन की प्रतिष्ठा पर आंच आई है. नवयुवकों में गुस्सा कुछ ज्यादा था.

एसपी चारू निगम व एएसपी दिगंबर कुशवाहा को जब यादव बिरादरी में जन आक्रोश की जानकारी हुई तो उन्होंने कई थानों की पुलिस फोर्स को घटनास्थल पर बुलवा लिया और नंदपुर गांव की हर गली के मोड़ पर पुलिस पहरा लगा दिया. यही नहीं, उन्होंने हर स्थिति से निपटने के लिए पीएसी का कैंप भी लगा दिया.

कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस अधिकारियों ने मृतक रिंकू व मृतका रागिनी के शवों को सीलमोहर करा पोस्टमार्टम के लिए औरैया के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

cRote Hue Mratak Ke Parijan

शोभाराम दोहरे को पुलिस सुरक्षा में थाना सहायल लाया गया. यहां पर पुलिस अधिकारियों ने उस से घटना के संबंध में पूछताछ की. शोभाराम ने अधिकारियों के सामने दोनों हत्याओं का जुर्म कुबूल कर पूरी घटना की जानकारी दी. उस ने इस घटना में किसी अन्य के शामिल होने से साफ इंकार किया.

चूंकि शोभाराम ने जुर्म कुबूल कर लिया था और पुलिस ने आलाकत्ल खून सनी ईंट भी बरामद कर ली थी, इसलिए एसएचओ आर.डी. सिंह ने मृतक रिंकू यादव की मां मुन्नी देवी की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत शोभाराम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा शोभाराम को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस पूछताछ में उस ने इस हत्याकांड की जो वजह बताई, वह एक बेवफा पत्नी की कहानी निकली.

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जनपद के थाना रसूलाबाद के अंतर्गत एक गांव है-झकर गढ़ा. रागिनी इसी गांव की रहने वाली थी. उस के पिता राजाराम दोहरे गांव के दबंग किसान थे. 3 बहनों में रागिनी सब से छोटी, सब से दुलारी और बेहद खूबसूरत थी. राजाराम अपनी 2 बड़ी बेटियों का विवाह कर चुके थे. अब वह रागिनी का घर बसाना चाहते थे. इस बारे में घर में बात भी होने लगी थी.

शादी की चर्चा चलते ही रागिनी का मन गुदगुदाने लगा. खुली आंखों से वह जीवनसाथी के सुहाने सपने देखने लगी थी. वह सोचती कि मेरे दोनों जीजा हैंडसम हैं तो पिता मेरे लिए भी सैकड़ों में से किसी एक को चुनेंगे क्योंकि अपनी बहनों से मैं ज्यादा हसीन जो हूं.

रागिनी की तमन्ना थी कि उस का पति फिल्मी हीरो जैसा और खूब प्यार करने वाला हो. राजाराम की तलाश जारी थी. इसी तलाश के दौरान राजाराम को शोभाराम के बारे में पता चला.

जगदीश दोहरे औरैया जिले के नंदपुर गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सरला के अलावा 2 बेटियां व एक बेटा शोभाराम था. बेटियों की वह शादी कर चुके थे. शोभाराम अभी कुंवारा था. बापबेटे दोनों मिल कर अपनी जमीन पर मौसमी सब्जियों की खेती करते थे और शहर कस्बे में बेचते थे. शोभाराम राजमिस्त्री भी था.

राजाराम ने नंदपुर गांव जा कर जगदीश दोहरे से मुलाकात की और उन के बेटे शोभाराम के साथ अपनी बेटी रागिनी की शादी करने की बात की.

जगदीश की पत्नी सरला की मौत हो चुकी थी. इसलिए जगदीश भी बेटे का विवाह करने के इच्छुक थे. इसलिए पहले लड़की देखने की इच्छा जताई. इस के बाद उन्होंने झकर गढ़ा गांव जा कर रागिनी को देखा तो वह उन्हें पसंद आ गई. फिर सन 2012 की पहली लगन में रागिनी और शोभाराम का विवाह हो गया.

विवाह मंडप में रागिनी ने पहली बार पति को देखा था. शोभाराम सूट पहने था, सिर पर सेहरा बंधा था, उस के चारों ओर घर वालों का हुजूम था, इसलिए रागिनी उसे नजर भर कर देख नहीं पाई.

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 3

लेकिन सोनाली ने उस के पत्र का कोई जबाव नहीं दिया और न ही यह बात उस ने संजय को बताई. सोनाली नहीं चाहती थी कि किसी बाहर वाले के कारण उस के घर में किसी तरह का कोई विवाद खड़ा हो. लेकिन किसी तरह से यह बात संजय के सामने पहुंच गई, जिसे ले कर मियांबीवी के बीच काफी मनमुटाव हुआ.

संजय ने सोनाली पर शक भी किया. सोनाली ने इस बात को ले कर संजय के सामने काफी सफाई भी पेश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार न था. उस के कुछ दिन बाद जगदीश उसे मिला तो सोनाली ने उसे काफी खरीखोटी सुनाई और उस के बाद कभी भी उस के घर न आने की चेतावनी भी दी. लेकिन इस के बावजूद भी जगदीश अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था.

खुराफाती दिमाग में रच डाली खौफनाक साजिश

उस के एक महीने बाद ही जगदीश फिर से सोनाली के घर आ धमका. उस वक्त संजय यादव भी घर पर नहीं था. घर आते ही वह सोनाली से लडऩेझगडऩे लगा. तब बात बढ़ते देख पड़ोसियों ने उसे घर से धक्का मार कर बाहर निकाला. लेकिन इस सब के बावजूद भी वह घर से जाने को तैयार न था.

जगदीश का कहना था कि वह बहुत समय पहले से उसे अपनी बीवी मान चुका है, वह उस के बिना नहीं रह सकता. उस की बातें सुन कर तभी किसी ने उसे पुलिस के हवाले करने वाली बात कही तो वह वहां से चला गया. लेकिन उस दिन के बाद सोनाली और संजय के प्रति उस के दिल में नफरत पैदा हो गई थी.

उस ने उसी दिन सोच लिया था कि सोनाली जब उस की नहीं हो सकती तो वह किसी की भी नहीं हो सकती. जगदीश ने उसी दिन तय किया कि वह संजय को मौत की नींद सुला देगा. उस के बाद वह संजय को ठिकाने लगाने के मौके की तलाश में जुट गया.

दोहरे हत्याकांड से 2 दिन पहले ही उस ने ट्रांजिट कैंप बाजार से एक कांपा खरीदा. फिर वह मौके तलाशता रहा. 3 अगस्त, 2023 की रात को संजय के पड़ोस में एक शादी का प्रोग्राम था. आसपड़ोस के लोगों ने मिलजुल कर एक युवती का प्रेम विवाह कराया था. उस दिन कालोनी के सभी लोग वहां पर जमा थे.

देर रात शादी का प्रोग्राम खत्म हुआ तो सभी अपनेअपने घर चले गए थे. उस वक्त जगदीश भी वहीं पर मंडरा रहा था. जब सब लोग अपनेअपने घर चले गए तो जगदीश कांपा ले कर संजय के घर पहुंचा. उस वक्त तक सभी लोग गहरी नींद में सो चुके थे.

संजय यादव के घर के बाहर टिन का पतला दरवाजा लगा हुआ था, जो कुंडी के सहारे ताले से बंद था. जगदीश ने आरी के ब्लेड से कुंडी को काटा और घर में घुस गया. आसपास के घरों में कूलर पंखे व एसी चलने के कारण किसी को भी कोई आवाज सुनाई नहीं दी.

दोनों की हत्या कर फरार हो गया जगदीश

घर में घुसते ही जगदीश ने संजय की गला रेत कर हत्या कर दी. उस के बाद वह दूसरे कमरें में गया, जहां पर सोनाली सोई हुई थी. उस वक्त सोनाली भी गहरी नींद में थी. सोनाली को सोते देख उस ने कांपे से उस के ऊपर कई वार किए, जिस से उसकी जोरदार चीख निकली.

सोनाली के चीखने की आवाज सुन कर उस की मम्मी गौरी सोनाली के पास पहुंचीं तो उस ने उन पर भी वार कर बुरी तरह से घायल कर दिया. उस के बाद जय की नींद टूटी तो वह भी घर में शोर सुन कर बाहर आया तो जगदीश उसे भी धक्का मारा और घर से फरार हो गया.

इस घटना को अंजाम देने के बाद जगदीश सिडकुल चौक तक पैदल पहुंचा. वहीं पर उस ने झाडिय़ों में हत्या में प्रयुक्त कांपा भी फेंक दिया. उस के बाद वह रात में ही किसी तरह से हल्द्वानी पहुंच गया. उसी दौरान उस का मोबाइल भी पानी में गिर कर बंद हो गया था.

हल्द्वानी जाने के बाद वह सडक़ों पर घूमता रहा और शाम को उस ने एक जनसेवा केंद्र से रुपए निकाले और फिर वह रामपुर चला गया. रामपुर से दिल्ली होते हुए वह अंबाला जाने का प्लान बना चुका था, लेकिन उसी दौरान पुलिस ने उसे दबोच लिया.

इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाला आरोपी 45 पुलिसकर्मियों की टीम के द्वारा पूरे 150 घंटे में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के दौरान भी आरोपी ने वही घटना वाले ही कपड़े पहन रखे थे. उस के कपड़ों पर जगहजगह खून के निशान मौजूद थे. इस दौरान न तो वह नहाया था और न ही उस ने कपड़े बदले थे.

पुलिस ने उस के कपड़े बदलवा कर खून लगे कपड़े सील कर दिए. पुलिस ने कपड़ों के साथ घटना में प्रयुक्त कांपा भी जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया था.

पुलिस ने जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज उर्फ राजवीर से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. आईजी नीलेश आनंद भरणे ने टीम में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को 2,500 और एसएसपी डा. मंजूनाथ टीसी ने 5,000 का ईनाम देने की घोषणा की थी. इस घटना में आरोपी तक पहुंचते के लिए एसआई अरविंद बहुगुणा की भूमिका सराहनीय थी.

साइबर सेल में तैनात एसआई अरविंद बहुगुणा ने आरोपी के ठेकेदार के पास जा कर उस के बैंक खाते का पता लगाया, जो यूनियन बैंक का था. जिस में से आरोपी ने हल्द्वानी जाने के बाद रुपए निकाले थे.

इस मामले में सोनाली की बहन रूपाली पत्नी संजय निवासी सुभाष कालोनी ने पुलिस को लिखित तहरीर दे कर मुकदमा दर्ज कराया था, जिस को थाना ट्रांजिट कैंप में मुकदमा संख्या 224/23 के अंतर्गत भादंवि की धारा 457/302/307 पर पंजीकृत किया गया था. इस की विवेचना इंसपेक्टर सुंदरम शर्मा स्वयं ही कर रहे थे.

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 2

सोनाली देखने भालने में खूबसूरत थी. दोनों ही एक साथ काम करते थे. साथ रहते रहते दोनों में दोस्ती हुई और फिर वही दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों के प्यार मोहब्बत की बात ज्यादा दिनों तक सोनाली के घर वालों से नहीं छिप सकी. उस के पापा दिलीप सिंह ठेके पर धान की रोपाई का काम करते थे.

दिलीप सिंह के 2 बेटियां थीं. उन के कोई बेटा नहीं था. संजय यादव देखनेभालने में ठीकठाक था, ऊपर से सोनाली के साथ ही काम भी करता था. वह सोनाली को पसंद भी था. यही कारण रहा कि सोनाली के घर वालों ने दोनों के प्यार को देखते हुए जल्दी ही शादी करने की रजामंदी दे दी थी.

घर वालों की तरफ से रजामंदी मिलते ही सोनाली के साथसाथ संजय यादव को भी बहुत खुशी हुई थी. संजय यादव ने यह बात अपने घर वालों को बता दी. इस सिलसिले में जल्दी ही सोनाली के पापा दिलीप सिंह संजय यादव के घर वालों से जा कर मिले. हालांकि दोनों की जाति बिरादरी अलगअलग थी. लेकिन जब 2 परिवार प्यार से मिले तो दोनों ही शादी के लिए राजी हो गए. जिस के बाद दोनों परिवारों की तरफ से हां होते ही शादी की तैयारी शुरू हो गई. एक शुभ मूहूर्त पर दोनों ही शादी के बंधन में बंध भी गए.

सोनाली का कोई भाई नहीं था. उस का परिवार भी छोटा ही था. संजय यादव इस से पहले एक किराए के मकान में रहता था. लेकिन शादी हो जाने के बाद वह भी अपनी ससुराल में घरजमाई बन कर रहने लगा था. उस के कुछ समय बाद ही सोनाली की मां ने उन्हें ट्रांजिट कैंप में एक घर खरीद कर दे दिया और वह भी उन्हीं के साथ रहने लगी थी.

दोनों ही शादी बंधन में बंधने के बाद हंसीखुशी से रहने लगे थे. संजय यादव जितना सोनाली को प्यार करता था, उस से कहीं ज्यादा वह भी उस का ध्यान रखती थी. वक्त के साथ सोनाली एक बच्चे की मां बनी. उस बच्चे का दोनों ने प्यार से जय नाम रखा. जय के जन्म लेने के बाद उन के परिवार में और अधिक खुशहाली आ गई थी.

सोनाली की खूबसूरती पर मर मिटा जगदीश

कुछ समय पहले जगदीश ने सोनाली के घर के सामने ही मिश्री लाल के घर में एक किराए का कमरा लिया. जगदीश मूलरूप से अनावा थाना पुवायां, जिला शाहजहांपुर का रहने वाला था. वह भी कई साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस दौरान उसे नौकरी नहीं मिली तो उस ने राजमिस्त्रियों के साथ काम करना शुरू कर दिया.

राजमिस्त्रियों के साथ काम करतेकरते वह भी राजमिस्त्री बन गया था. उस वक्त जगदीश ने अपना नाम राजवीर रख रखा था. किराए के मकान में रहते हुए ही एक दिन उस की नजर सोनाली पर पड़ी. सोनाली जितनी देखनेभालने में सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा बोलनेचालने में मृदुभाषी. उस के रहनसहन को देख कर वह उस की सुंदरता का दीवाना बन गया. वह मन ही मन सोनाली को प्यार करने लगा था.

उस वक्त जगदीश को हर रोज काम नहीं मिलता था. जिस दिन उसे काम नहीं मिलता तो वह अपने कमरे पर ही रहता था. उस दौरान वह मकान की छत पर ही घूमता रहता था. उसी दौरान एक दिन उस की नजर छत पर खड़ी सोनाली पर पड़ी, उस ने सोनाली को पास से देखा तो वह उस के लिए पागल हो गया. उस के बाद वह हर वक्त उसे ही निहारता रहता था.

पड़ोसीे होने के नाते जल्दी ही उस ने सोनाली से जानपहचान भी बढ़ा ली थी. उसी जानपहचान के जरिए वह सोनाली के घर भी आनेजाने लगा था. एक पड़ोसी होने के नाते सोनाली जगदीश से अच्छा व्यवहार रखती थी. लेकिन जगदीश उसे मन ही मन चाहने लगा था.

उस की बदनीयत हर वक्त सोनाली की सुंदरता पर काली छाया बन कर मंडराती रहती थी, लेकिन सोनाली ने कभी भी जगदीश को प्रेम भरी निगाहों से नहीं देखा था. जगदीश हर तरफ से कोशिश कर के हार चुका तो वह उस के पति संजय यादव से ही नफरत करने लगा था.

उसी दौरान देश में कोरोना फैल गया. कोरोना से जगदीश का काम भी प्रभावित हुआ था. उस का काम बंद हुआ तो वह आर्थिक स्थिति से गुजरने लगा. जिस के कारण उस की स्थिति ऐसी हो गई कि वह कई महीने से अपने कमरे का किराया भी नहीं चुका पाया था. लौकडाउन लगने के बाद मजबूरन उसे मिश्रीलाल का कमरा छोड़ कर जाना पड़ा. उस के बाद उस ने शमशान घाट रोड पर एक सस्ता कमरा किराए पर लिया और वहीं रहने लगा.

एकतरफा प्यार ने डाली गृहस्थी में फूट

साल 2020 में कोरोना काल में वह रुद्रपुर छोड़ कर दिल्ली चला गया. कुछ समय तक उस ने वहां पर नौकरी की और सन 2022 में फिर से रुद्रपुर आ गया. रुद्रपुर आने के बाद उस ने वेल्डिंग का काम करना शुरू किया. तब उस ने रैन बसेरा, मंदिर और अन्य जगहों पर शरण ले कर वेल्डिंग का काम किया.

उस के बाद भी वह संजय यादव और सोनाली से जानपहचान का फायदा उठाते हुए उन के घर आताजाता रहा. जिस के बाद से सोनाली ने उस से बात करना कुछ कम कर दी थी. जब जगदीश को लगने लगा कि सोनाली किसी भी कीमत पर उसे भाव देने वाली नहीं है तो उस ने उस की पड़ोसन की तरफ निगाहें डालनी शुरू कर दी.

वह महिला भी सोनाली के घर के सामने ही रहती थी. सोनाली की उस महिला से अच्छी दोस्ती थी. वह महिला भी देखनेभालने में सुंदर थी. उस ने कई बार सोनाली से उस महिला का मोबाइल नंबर मांगा, लेकिन सोनाली ने उस का नंबर देने से मना कर दिया था.

सोनाली जान चुकी थी कि उस की नीयत साफ नहीं है. उस की बदनीयती को देखते हुए सोनाली उस से कटने लगी थी. लेकिन जगदीश कभी भी उस के घर आ जाता और उस महिला का मोबाइल नंबर मांगने लगता था. उस के बाद सोनाली ने उसे अपने घर आने के लिए भी मना कर दिया था.

इतना सब कुछ करने के बाद भी वह सोनाली का पीछा छोडऩे को तैयार नहीं था. उस की दीवानगी की हद तो उस दिन हो गई, जब उस ने सोनाली के घर पर एक गुलदस्ता, कीपैड मोबाइल फोन व उस के साथ एक परची डाली, जिस में उस ने लिखा था कि वह उसे दिलोजान से चाहता है और उस के प्यार में कुछ भी करने को तैयार है. अगर उसे उस का यह तोहफा पसंद आया तो जवाब जरूर देना.

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 1

3 अगस्त, 2023 को रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के शहर रुद्रपुर की घनी आबादी वाले ट्रांजिट कैंप इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था. उसी दौरान संजय यादव के 12 वर्षीय बेटे जय की चीखपुकार ने सभी लोगों की नींद उड़ा दी थी.

जय जोरजोर से चीख रहा था, ‘‘बचाओबचाओ, बदमाशों ने मेरे मम्मीपापा को मार डाला.’’

उस की चीखपुकार सुन कर लोग इकट्ठा हुए. फिर लोगों ने उस के घर के अंदर का मंजर देखा तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए. लोगों ने घटनास्थल पर देखा, एक कमरे में उस के मम्मीपापा की लाश खून से लथपथ पड़ी हुई थी. जबकि दूसरे कमरे में उस की नानी बेहोशी की हालत में पड़ी हुई चीखपुकार मचा रही थी. जय ने लोगों को बताया कि उस ने भी शोर मचाने की कोशिश की तो आरोपी उसे धक्का मार कर एक बदमाश फरार हो गया.

इस जघन्य अपराध को देखते ही वहां पर मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना पाते ही आननफानन में घटनास्थल पर पुलिस भी पहुंच गई थी. पुलिस ने इस मामले में मृतक संजय यादव के बेटे जय से जानकारी जुटाई तो उस ने बताया कि रात के कोई 2 बजे उस के घर में बदमाश घुस आए. घर में घुसते ही बदमाशों ने उस के पिता की धारदार हथियार से गला रेत कर हत्या कर दी.

उस के बाद पास में ही सो रही उस की मां के चेहरे पर कई वार करने के बाद उन के हाथ की नस काट दी, फिर उन की कमर पर धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी. दोनों की चीख सुन दूसरे कमरे में सो रही उस की नानी गौरी मंडल मौके पर पहुंची तो बदमाशों ने उन के पेट पर भी वार कर दिया, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गईं.

दोहरे मर्डर से क्षेत्र में मची सनसनी

3 लोगों की नाजुक हालत को देखते ही पुलिस ने एंबुलेंस भी बुला ली थी. तीनों को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डाक्टरों ने संजय यादव और उन की पत्नी सोनाली को मृत घोषित कर दिया. जबकि सोनाली यादव की मां गौरी मंडल की हालत गंभीर दखते हुए उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया था. रात अधिक होने के कारण पुलिस ने दोनों मृतकों की लाश को मोर्चरी में रखवा दिया था.

अगले दिन सुबह ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर मृतक परिवार के घर की जांचपड़ताल की. जांच के लिए डौग स्क्वायड को भी बुलाया गया था. इस दौरान भी सारे दिन देखने वालों की भीड़ लगी रही.

इस केस की अधिक जानकारी के लिए पुलिस ने कुमाऊं फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. घटना के बाद घर में मौजूद बिस्तर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. फर्श पर भी कई जगह खून बिखरा मिला. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही टीम ने साक्ष्य जुटाए. उस के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.

7 पुलिस टीमों के 45 पुलिसकर्मी जुटे जांच में

इस जघन्य डबल मर्डर के शीघ्र खुलासे के लिए एसएसपी मंजूनाथ टीसी द्वारा जगदीश की गिरफ्तारी हेतु पुलिस अपराध एवं यातायात, एसपी (सिटी), सीओ अनुषा बडोला व पंतनगर के सीओ व एसएचओ कोतवाली सुंदरम शर्मा के निर्देशन में 7 पुलिस टीमों का गठन किया गया.

इस केस की गहराई तक जाने के लिए सब से पहले पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. जिस के द्वारा राजवीर नाम का एक शख्स सुर्खियों में उभर कर सामने आया. पुलिस ने राजवीर की छानबीन की तो उस के कई नाम उभर कर सामने आए. जो जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज नाम से ज्यादा जाना जाता था. उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि वह राजवीर नाम से कई साल पहले संजय यादव के घर के सामने किराए पर रह चुका था.

जगदीश उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर का मूल निवासी था. इस वक्त वह कहां रह रहा था, किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं थी. फिर भी पुलिस ने उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन वह नंबर काफी समय से बंद आ रहा था, जिस से पता चला कि अभियुक्त पुलिस की पकड़ से बचने के लिए पलपल स्थान बदल रहा था.

उस के बाद गठित टीमों द्वारा अपनाअपना काम करते हुए 5 राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में जा कर लगभग 1200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था. उस के बाद एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने आरोपी की पकडऩे के लिए 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित करते हुए अखबारों में भी विज्ञापन दिया. साथ ही आरोपी को शीघ्र पकडऩे के लिए पुलिस ने उस के पीछे मुखबिर भी लगा दिए.

9 अगस्त, 2023 को पुलिस को एक मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि डबल मर्डर केस का आरोपी उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में मौजूद है. इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुखबिर की लोकेशन के आधार पर चारों तरफ से घेराबंदी करते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया.

जगदीश को गिरफ्तार करते ही पुलिस टीम रुद्रपुर चली आई. रुद्रपुर लाते ही पुलिस ने इस हत्याकांड के बारे में उस से कड़ी पूछताछ की. जगदीश ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. जगदीश ने बताया कि वह उसे दिलोजान से चाहता था. लेकिन सोनाली उस से प्रेम करने को तैयार न थी, जिस के कारण ही उसे इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.

संजय और सोनाली ने की थी लव मैरिज

पुलिस पूछताछ और संजय यादव के परिवार से मिली जानकारी से इस मामले में जो कथा उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

संजय यादव उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का मूल निवासी था. 5 भाइयों में सब से छोटा संजय यादव अब से लगभग 17 साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस वक्त वह अविवाहित था. रुद्रपुर आ कर उस ने एक किराए का कमरा लिया और यहीं पर नौकरी भी करने लगा था. उसी नौकरी करने के दौरान उस की मुलाकात सुभाष कालोनी निवासी सोनाली से हुई. उस वक्त सोनाली भी सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करती थी.