UP Crime News : जायदाद के लालच में बहू ने सास को जहर का इंजेक्शन देकर मार डाला

UP Crime News : एक ऐसा दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया है. जहां एक बहू ने जायदाद के लालच में सास की हत्या कर दी. आइए खोलते हैं इस स्टोरी की हर परत को

यह घटना उत्तर प्रदेश जिले के झांसी की है. जहां 24 जून को सुशीला देवी घर में मृत पाई गई. शुरुआत में मामला पुलिस को डकैती जैसा लगा, लेकिन जैसे जैसे पुलिस ने आगे की जांच की तो सुशीला की हत्या की परतें दर परतें खुलती गई. पुलिस ने जांच में पाया कि सुशील की हत्या उसकी बहू पूजा जाटव ने की है. सास का अंतिम संस्कार होते ही बहू पूजा जाटव अचानक लापता हो गई, जिससे शक और गहराता गया.

इसके बाद पुलिस ने मोबाइल लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड, सीसीटीवी से खुलासा हुआ कि सास की हत्याकांड की असली मास्टरमाइंड पूजा जाटव ही निकलती है. पूजा ग्वालियर की रहने वाली है. वह अपनी 18 बीघा जमीन को बेचकर ग्वालियर में बसना चाहती थी. ये सारी जमीन उसके पति कल्याण के नाम पर थी. इसी जमीन में उसका देवर और ससुर उसको हिस्सा देने के लिए भी तैयार थे. लेकिन सास सुशीला देवी जमीन देने को तैयार नहीं थीं और हस्ताक्षर से इनकार कर दिया. इसी नाराजगी में पूजा ने सास की हत्या की साजिश रच डाली.

पुलिस के अनुसार, पूजा ने इस हत्या लिए अपनी बहन कामिनी और उसके प्रेमी अनिल वर्मा को शामिल किया. इसी साजिश तहत 24 जून की शाम तीनों ने सुशीला देवी को जहर का इंजेक्शन दिया, फिर गला घोंटकर मार डाला. फिर हत्या कर तीनों ने करीब 8 लाख के जेवर भी चुराए, ताकि वारदात को डकैती का रूप दिया जा सके. पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

पूछताछ में पूजा ने सास की हत्या की साजिश कबूल की, लेकिन उसका अतीत और चौंकाने वाला निकला. पहले पति से शादी में उसे घरेलू हिंसा झेलनी पड़ी थी. एक झगड़े में पति ने उस पर गोली चला दी थी, जिससे उसकी ज़िंदगी में नया मोड़ आ गया.

यह मामला कोर्ट तक पहुंचा और इसी केस के दौरान पूजा की मुलाकात कल्याण से हुई, जिससे नजदीकियां बढ़ीं और दोनों ने शादी कर ली. छह साल बाद कल्याण की सड़क हादसे में मौत हो गई. इसके बाद पूजा ने कल्याण के बड़ें भाई से अवैध संबंध बना लिए और उसके साथ लिव-इन में रहने लगी. संतोष पहले से ही शादीशुदा था. इसके बाद संतोष की पत्नी ने लगातार इस रिश्ते का विरोध किया और कहा की वह कल्याण की विधवा है, इसी लिए संपत्ति मे आधा हिस्सा मिलना चाहिए.

यह बात सास को मंजूर नहीं थी. उसका मानना था की पूजा का व्यवहार अच्छा नही है. इसी के चलते वह सपंत्ति पर हक जमा रही है.

पुलिस ने जांच के बाद पूजा, कामिनी और अनिल को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन पर हत्या, साजिश और डकैती की धाराएं लगाई गई हैं. पुलिस अब अन्य एंगल से भी मामले की जांच कर रही है.UP Crime News

Murder Mystery Story : मछली करी में थैलियम जहर मिलाकर साली और सास को मार डाला

Murder Mystery Story : वहम के शिकार वरुण ने अपनी पत्नी और उस के घर वालों से बदला लेने का जो अनूठा तरीका अपनाया, वह नायाब था. वह अपनी योजना में सफल भी रहा, लेकिन…

बात 31 जनवरी, 2021 की है. वरुण अरोड़ा ने अपनी पत्नी दिव्या को फोन किया, ‘‘दिव्या, आज तुम सब्जी मत बनाना, मैं शाम को आऊंगा तो होटल से तुम सब की पसंद की मछली करी ले कर आऊंगा.’’

रियल एस्टेट कारोबारी वरुण दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 में रहता था. उस की ससुराल पश्चिमी दिल्ली के इंद्रपुरी  इलाके में थी. उस समय उस की पत्नी दिव्या अपने मायके इंद्रपुरी में थी. इसलिए वरुण ने दिव्या को फोन कर के मछली करी ले कर आने को कहा था. मछली करी दिव्या और उस के मायके वालों को बहुत पसंद थी, इसलिए पति से बात करने के बाद दिव्या ने अपनी मम्मी अनीता से कह दिया कि आज वरुण इधर ही आ रहे हैं. वह होटल से मछली करी ले कर आएंगे. इसलिए आज सब्जी नहीं बनानी. नौकरानी से कह देना कि वह आज केवल रोटी बना दे.

शाम को वरुण अपनी ससुराल के लिए चला तो उस ने एक होटल से सब के लिए मछली करी पैक करा ली. उस की ससुराल में पत्नी के अलावा ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा, सास अनीता शर्मा, साली प्रियंका और एक नौकरानी थी. उन सभी के हिसाब से वह काफी मछली करी ले कर आया था. शाम को जब खाना खाने की बारी आई तब अरुण ने कहा कि उस का पेट खराब है, इसलिए वह खाना नहीं खाएगा. दिव्या ने उस से कहा भी कि वह उस के लिए खिचड़ी या और कोई चीज बनवा देगी, लेकिन वरुण ने मना कर दिया. उस ने केवल नींबू पानी पिया. वरुण की लाई मछली करी घर के लोगों को बहुत स्वादिष्ट लगी.

इसलिए सभी ने जी भर कर खाना खाया. वरुण के दोनों बच्चे उस समय तक सो गए थे. रात को वरुण ससुराल में ही सो गया और अगले दिन अपने घर चला गया. इस के 2 दिन बाद दिव्या की मां अनीता को उल्टीदस्त की शिकायत हुई. उन्हें चक्कर भी आने लगे. तबीयत जब ज्यादा खराब होने लगी तब अनीता शर्मा को सर गंगाराम अस्पताल ले जाया गया. वहां भी उन की तबीयत दिनप्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी. डाक्टर समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. हालत गंभीर होती देख उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. इसी बीच अनीता की छोटी बेटी प्रियंका की भी हालत बिगड़ने लगी.

उस का भी पेट खराब हो गया और उल्टियां होने लगीं. साथ ही उस का सिर भी घूम रहा था. प्रियंका को राजेंद्र प्लेस के पास स्थित बी.एल. कपूर अस्पताल में एडमिट करा दिया गया. उधर ससुराल वालों की तबीयत खराब होने से वरुण मन ही मन खुश था, क्योंकि उस ने जो प्लान बनाया था वह सफल हो रहा था. 4-5 दिन बाद उस की पत्नी दिव्या को भी वही शिकायत होने लगी, जो उस की मां और बहन को हुई थी. दिव्या को भी सर गंगाराम अस्पताल में भरती करा दिया गया. वरुण द्वारा लाई गई मछली करी उस की ससुराल के जिन लोगों ने खाई थी, उन सब की हालत बिगड़ने लगी. ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा की भी अचानक तबीयत खराब हो गई.

इस के अलावा घर की नौकरानी का भी यही हाल हुआ तो उसे भी डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती करा दिया गया. परिवार के सभी लोगों का अलगअलग अस्पतालों में इलाज चल रहा था. इसी बीच बी.एल. कपूर अस्पताल में भरती वरुण की साली प्रियंका की 15 फरवरी, 2021 को इलाज के दौरान मौत हो गई. रिश्तेदार इसे फूड पौइजनिंग का मामला मान रहे थे. इसलिए उन्होंने इस की शिकायत पुलिस में न कर के उस का अंतिम संस्कार कर दिया. हालांकि वरुण अस्पताल में ससुराल के सभी लोगों की देखरेख कर रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर वह खुश था क्योंकि उस का प्लान पूरी तरह सफल हो गया था.

उधर सर गंगाराम अस्पताल में लाई गई अनीता की भी 22 मार्च, 2021 को मृत्यु हो गई. डाक्टरों ने जब उन के यूरिन और ब्लड की जांच की तो उस में थैलियम नाम का एक जहरीला रसायन पाया गया. डाक्टर समझ गए कि किसी ने उन्हें थैलियम जहर दे कर मारा है. अस्पताल द्वारा इस की सूचना पुलिस को दे दी गई. पुलिस  ने डाक्टरों से बात की तो उन्हें भी यह मामला संदिग्ध लगा. अनीता इंद्रपुरी में रहती थी, इसलिए इस की सूचना इंद्रपुरी थाने के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को दी गई थी. वह तुरंत अस्पताल पहुंच गए. थानाप्रभारी ने जब डाक्टर से बात की तो पता चला कि थैलियम एक अलग तरह का जहरीला रसायन होता है, जिस का असर बहुत धीरेधीरे होता है.

इस के अलावा इस रसायन की एक खास बात यह है कि इस में किसी तरह की गंध और स्वाद नहीं होता. यह रंगहीन और गंधहीन होता है. यह जानकारी मिलने के बाद थानाप्रभारी समझ गए कि जरूर इस मामले में कोई गहरी साजिश है. उन्होंने छानबीन की तो पता चला कि 15 फरवरी को अनीता की छोटी बेटी प्रियंका की भी बी.एल. कपूर अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी. पुलिस ने बी.एल. कपूर अस्पताल के डाक्टरों से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि प्रियंका के शरीर में भी थैलियम के लक्षण पाए गए थे. इस के अलावा इस परिवार के अन्य सदस्य यानी अनीता की बड़ी बेटी दिव्या और अनीता के पति देवेंद्र मोहन शर्मा और नौकरानी भी अस्पताल में भरती थे.

इस से पुलिस समझ गई कि किसी ने गहरी साजिश के तहत पूरे परिवार को अपना शिकार बनाने की कोशिश की थी. थानाप्रभारी ने इस की सूचना एसीपी विजय सिंह को दी. अब यह मामला जिले के पुलिस अधिकारियों तक पहुंच चुका था. डीसीपी के निर्देश पर एसीपी विजय सिंह ने इंद्रपुरी के थानाप्रभारी सुरेंद्र सिंह और मायापुरी के इंसपेक्टर प्रमोद कुमार को इस मामले की जांच में लगा दिया. पुलिस ने देवेंद्र मोहन शर्मा और उन की बेटी दिव्या का इलाज कर रहे डाक्टरों से  फिर से बात की. इस के अलावा उन्होंने डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती उन की नौकरानी का इलाज कर रहे डाक्टरों से भी मुलाकात की. पुलिस को पता चला कि उपचाराधीन इन मरीजों के अंदर भी थैलियम रसायन पाया गया है.

अनीता के शव का डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया. पुलिस ने वहां के डाक्टरों से इस की डिटेल्ड एटौप्सी रिपोर्ट ली. उस में बताया गया कि अनीता के शरीर में थैलियम था. अब तक की जांच से पुलिस को यह पता लग चुका था कि परिवार के सभी लोगों को कोई ऐसी चीज खिलाई गई थी, जिस में थैलियम रसायन मिला हुआ था. वह चीज क्या थी और किस ने खिलाई, यह जांच का विषय था. इस परिवार का दामाद वरुण ही अस्पताल में उन सब की देखभाल कर रहा था. वरुण के चेहरे से सास और साली की मौत का गम साफ झलक रहा था. इस के अलावा वह डाक्टरों से लगातार अपनी पत्नी दिव्या और ससुर को बचाने की गुहार भी कर रहा था.

पुलिस को अपनी जांच आगे बढ़ानी थी, इसलिए पुलिस ने वरुण से इस बारे में पूछताछ की. वरुण ने पुलिस को बताया कि वह तो अपने घर ग्रेटर कैलाश में रहता है. ससुराल के सभी लोगों को अचानक क्या हो गया, इस की उसे कोई जानकारी नहीं है. पुलिस को केस की तह तक जाना था, इसलिए वह वरुण को ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 में स्थित उस के घर पर ले गई. निशाने पर वरुण पुलिस ने उस के घर की तलाशी ली तो एक गिलास में कुछ संदिग्ध चीज  दिखी. पुलिस ने वह गिलास अपने कब्जे में ले लिया और गिलास में क्या है, यह जानने के लिए उसे फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिया. उस गिलास के अलावा पुलिस को वरुण के घर से अन्य कोई संदिग्ध चीज नहीं मिली.

पुलिस यह तो अच्छी तरह जान चुकी थी कि जिस ने भी इस परिवार को जहरीला पदार्थ दिया है, वह विश्वस्त होगा और उस का इन के घर आनाजाना भी रहा होगा. लिहाजा पुलिस ने देवेंद्र मोहन शर्मा के घर पर जो लोग आतेजाते थे, उन से एकएक कर पूछताछ शुरू कर दी. पुलिस बहुत तेजी के साथ जांच कर रही थी. उधर फोरैंसिक जांच से पता चला कि वरुण के यहां से गिलास में जो चीज बरामद की गई थी, वह थैलियम नाम का जहरीला पदार्थ ही था. यह जानकारी मिलने के बाद वरुण पुलिस के शक के दायरे में आ गया. लिहाजा पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की. आखिर वरुण ने सच उगल ही दिया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी ससुराल के लोगों को थैलियम जहर दिया था. उन सभी का नामोनिशान मिटाने की वरुण ने जो कहानी बताई, वह हैरतअंगेज थी.

रियल एस्टेट कारोबारी वरुण ने करीब 12 साल पहले दिव्या से शादी की थी. दिव्या उस के साथ बहुत खुश थी. वरुण का कारोबार अच्छा चल रहा था, इसलिए दिव्या को कोई परेशानी नहीं थी. जीवन हंशीखुशी से चल रहा था. लेकिन बाद में उन के जीवन में एक समस्या खड़ी हो गई. समस्या यह कि शादी के कई साल बाद भी दिव्या मां नहीं बन पाई. वरुण ने डाक्टरों से उस का इलाज भी कराया, लेकिन उस के घर में किलकारी नहीं गूंजी. जब पतिपत्नी हर तरफ से हताश हो गए, तब उन्होंने शादी के करीब 7 साल बाद आईवीएफ प्रोसेस का सहारा लिया. इस का सही परिणाम निकला और दिव्या ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. जिस में एक बेटी थी और एक बेटा.

अब उन के घर में एक नहीं, बल्कि 2-2 बच्चों की किलकारियां गूंजने लगीं. उन की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. जुड़वां बच्चे होने के बाद दिव्या के मायके वाले भी बहुत खुश थे. दिव्या दोनों बच्चों की सही देखभाल कर रही थी. वक्त के साथ बच्चे करीब 4 साल के हो गए. लगभग एक साल पहले वरुण के पिता की अचानक मौत हो गई. पिता की मौत के बाद वरुण की गृहस्थी में एक ऐसी समस्या ने जन्म ले लिया, जिस ने न सिर्फ वरुण के बल्कि वरुण की ससुराल वालों के जीवन को उजाड़ दिया. बेटे के रूप में बाप की वापसी की चाहत हुआ यह कि पिता की मौत के बाद दिव्या फिर से प्रैगनेंट हो गई. इस से वरुण बहुत खुश था.

वह सोच रहा था कि उस की पत्नी की कोख में उस के पिता ही आए हैं. वह पत्नी की अच्छी तरह से देखभाल करने लगा. उधर जिस महिला डाक्टर के पास  दिव्या अपना चैकअप कराने जाती थी, उस ने दिव्या से कहा कि इस बार उस का प्रैग्नेंट होना उस के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. किसी तरह उस ने बच्चे को जन्म दे भी दिया तो उस का बच पाना मुश्किल होगा. दिव्या ने यह बात वरुण को बताई तो उस ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया. वरुण ने कहा कि डाक्टर झूठ बोल रही है. ऐसा कुछ नहीं होगा. वह उसे और होने वाले बच्चे को कुछ नहीं होने देगा. वरुण ने अबौर्शन कराने से साफ मना कर दिया.

उस ने कहा कि बच्चे के रूप में उस के पिता आ रहे हैं, इसलिए वह किसी भी सूरत में उस का गर्भपात नहीं कराएगा. दिव्या ने डाक्टर वाली बात अपने मायके में बताई तो उस की मां अनीता ने कहा कि यदि उस का गर्भपात नहीं कराएगा तो वह खुद उस के साथ जा कर उस का गर्भपात करा देगी . क्योंकि बेटी की जिंदगी का सवाल है. बेटी जीवित रहेगी तो बच्चा कभी भी हो जाएगा. एक दिन वरुण की सास ने वरुण को अपने घर बुला कर समझाया कि जब डाक्टर बच्चा पैदा करने के लिए मना कर रही है तो ऐसे में उस का गर्भपात कराना ही बेहतर है. लेकिन वरुण अपनी जिद पर अड़ा था.

उस ने कहा कि वह किसी भी सूरत में उस का गर्भपात नहीं होने देगा. इस बात पर उन की आपस में खटपट भी हो गई. इतना ही नहीं, उस दिन ससुराल में वरुण की काफी बेइज्जती भी हुई. वरुण की सास अनीता भी अपनी जिद पर अड़ी थी. उस ने वरुण की इच्छा के खिलाफ दिव्या का गर्भपात करा दिया. यह बात वरुण को बहुत बुरी लगी. उस ने सोचा कि उस की सास ने बच्चे का नहीं, बल्कि गर्भ में पल रहे उस के पिता को मारा है. उसी समय वरुण ने तय कर लिया कि वह अपनी बेइज्जती करने वालों और गर्भपात कराने वाले अपने ससुरालियों को सबक सिखा कर रहेगा. इस के बाद वरुण ससुराल वालों को सबक सिखाने के उपाय खोजने लगा. वह ऐसी तरकीब खोज रहा था, जिस से काम भी हो जाए और उस पर कोई शक भी न करे. इस बारे में वह इंटरनेट और यूट्यूब पर भी सर्च करता था.

खतरनाक रसायन थैलियम इसी दौरान उसे थैलियम नामक जहरीले रसायन के बारे में जानकारी मिली. थैलियम एक ऐसा जहर होता है कि यह जिस व्यक्ति को दिया जाता है उसे शुरुआत में उल्टीदस्त, जी मिचलाने की शिकायत होती है और जल्दी ही उस की मृत्यु हो जाती है. क्योंकि मृत व्यक्ति के शरीर पर जहर जैसे कोई भी लक्षण नहीं मिलते, इसलिए लोग यही समझते हैं कि उस की मौत फूड पौइजनिंग की वजह से हुई है. यह जानकारी मिलने के बाद वरुण ने थैलियम रसायन पाने की कोशिश शुरू कर दी. आदमी कोशिश करे तो बेहतर रिजल्ट निकल ही आता है. यही वरुण के साथ भी हुआ. इस खोजबीन में उसे पंचकूला की एक लैबोरेटरी का पता चला.

उस ने वहां औनलाइन संपर्क कर रिसर्च के नाम पर थैलियम मंगा लिया. अब उस का मकसद किसी तरह इसे अपने ससुराल वालों को खिलाना था. इस के लिए उस ने सब से पहले अपने ससुराल वालों से संबंध सामान्य करने शुरू किए क्योंकि पत्नी का गर्भपात कराने के बाद उन से उस के संबंध बिगड़ गए थे. इस साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में वरुण की पत्नी दिव्या अपने दोनों बच्चों के साथ मायके गई हुई थी. अब तक ससुराल वालों से वरुण के संबंध नौर्मल हो चुके थे. वह फिर से ससुराल आनेजाने लगा था. वरुण को पता था कि उस की ससुराल के लोगों को मछली करी बहुत पसंद है.

योजना के अनुसार वरुण ने 31 जनवरी, 2021 को पत्नी दिव्या को फोन कर के कह दिया कि वह आज होटल से मछली करी ले कर आएगा, इसलिए घर पर सब्जी न बनवाए. दिव्या ने यह बात अपनी मम्मी अनीता को बता दी. जिस से उस दिन उन लोगों ने अपनी नौकरानी से केवल रोटियां ही बनवाई थीं. योजना के अनुसार, वरुण ने एक होटल से मछली करी खरीदी और उस में थैलियम मिला दिया. फिर मछली करी ले कर ससुराल पहुंच गया. अपनी तबीयत खराब होने का बहाना बना कर उस ने उस दिन ससुराल में खाना नहीं खाया. घर की नौकरानी सहित ससुराल के सभी लोगों ने मछली करी खाई, जिस से जहरीला रसायन थैलियम उन सब के शरीर में पहुंच गया और उस ने धीरेधीरे अपना असर दिखाना शुरू कर दिया.

इस के बाद उन लोगों की तबीयत खराब होने लगी तो उन सभी को अस्पताल में भरती कराया गया. वरुण के दोनों बच्चे उस के पहुंचने से पहले ही खाना खा कर सो गए थे, जिस से वे बच गए. वरुण अस्पताल में देखभाल करने का नाटक इसलिए कर रहा था ताकि उस पर कोई शक न करे, लेकिन पुलिस जांच में उस की साजिश उजागर हो गई. वरुण अरोड़ा से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक वरुण के ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा और नौकरानी की हालत गंभीर बनी हुई थी. जबकि दिव्या की 8 अप्रैल को मौत हो गई. पुलिस जांच में पता चला कि दिल्ली में थैलियम रसायन दे कर किसी को मारने का यह पहला मामला है. Murder Mystery Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

True Crime Stories : मोबाइल पर आशिक से बात करती पत्नी को देख गुस्साए पति ने कर दी हत्या

True Crime Stories : पत्नी मधु के कहने पर सतीश कुमार श्रीवास्तव ने अपनी तरह उसे भी मैडिकल रिप्रजेंटेटिव बनवा दिया था. उसी दौरान मधु के कदम बहक गए. इस का परिणाम इतना घातक निकला कि…

पतिपत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. कोई आदमी किसी पर सब से अधिक विश्वास करता है तो अपनी पत्नी पर. पत्नी ही तो उस की सब से अच्छी दोस्त और जीवनसाथी होती है. ऐसे में पति उस पर अगाध विश्वास न करे तो भला किस पर करे. सतीश को भी अपनी पत्नी मधु पर अंधविश्वास की सीमा तक विश्वास था. उस का यह यकीन तब दरका, जब एक दिन अचानक तबीयत खराब होने से शाम को वह जल्दी घर लौट आया. दरअसल सतीश मैडिकल रिप्रजेंटेटिव था. वह सुबह 10 बजे घर से निकलता था, फिर रात 9 बजे के आसपास ही उस की वापसी होती थी. लेकिन उस दिन वह जल्दी घर आ गया था.

सतीश कुमार श्रीवास्तव जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुंचा, अंदर से मधु की खिलखिलाहट सुनाई दी. सतीश के पांव जहां के तहां ठहर गए. सोचने लगा, ‘जब मैं घर में रहता हूं, तब मधु की त्यौरियां चढ़ी होती हैं. कुछ कहता हूं तो चिढ़ जाती है, बोलो मत, मूड खराब है. लेकिन अब वह किस के साथ खिलखिला रही है.’ सतीश ने दिमाग पर जोर दिया, पर उसे याद नहीं आया कि मधु कब उस के सामने इस तरह दिल से खिलखिलाई थी. सतीश के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा, ‘आखिर इस समय घर के अंदर कौन है जिस के साथ वह इस तरह खिलखिला कर बातें कर रही है.’

सतीश ने कदम आगे बढ़ाया, लेकिन फिर खींच लिया. मधु कह रही थी, ‘‘तुम्हारे जोश की तो मैं दीवानी हूं. अरे छोड़ो यार, तुम किस माटी के माधव की बात कर रहे हो. अगर वही रसीला होता तो भला मैं तुम से क्यों दिल लगाती. मैं तो तुम्हारे जोश और तुम्हारी रसीली बातों की दीवानी हूं.’’

एकतरफा संवादों से सतीश ने अनुमान लगा लिया कि कमरे में मधु के अलावा कोई नहीं है. वह फोन पर किसी से रसीली बातें कर रही है. मधु जोश में थी. इसलिए उस की आवाज बुलंद थी. कमरे में की जाने वाली बातें बाहर तक साफ सुनाई दे रही थीं. बातें सुन कर सतीश की खोपड़ी घूम गई, ‘मधु बीवी मेरी और जोश का गुणगान कर रही है किसी दूसरे का.’

सतीश ने गुस्से में दरवाजे पर लात मारी. भीतर से बंद न होने के कारण वह फटाक से खुल गया. सामने ही मधु मोबाइल फोन कान से लगाए टहलटहल कर बातें कर रही थी. पति को देखते ही उस ने हड़बड़ा कर फोन पर चल रही बात डिसकनेक्ट कर दी. इस के बाद वह चेहरे पर मुसकान सजाने की जबरन कोशिश करते हुए बोली, ‘‘अरे तुम, आज इतनी जल्दी घर कैसे आ गए?’’

सतीश ने मधु को खा जाने वाली नजरों से देखा फिर बोला, ‘‘तू किस के जोश की दीवानी है?’’ गुस्से में की पत्नी की पिटाई सतीश ने लपक कर मधु का हाथ पकड़ लिया और उस का मोबाइल छीनने लगा. लपटा झपटी के बीच मधु ने उस नंबर को डिलीट कर दिया, जिस नंबर पर वह रसीली बातें कर रही थी. सतीश का दिमाग पहले से गरम था, नंबर डिलीट करने से और गरम हो गया. उस ने मधु को लातघूंसों और थप्पड़ों पर रख लिया. हर प्रहार के साथ उस का प्रश्न होता था, ‘‘बता, तू किस के जोश की दीवानी है और यह सब कब से चल रहा है?’’

लेकिन पिटाई के बावजूद मधु ने जुबान बंद रखी. मधु को पीटतेपीटते जब सतीश पस्त पड़ गया तो घर के बाहर चला गया. मधु कमरे में सिसकती रही और अपने भाग्य को कोसती रही. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बर्रा थाना अंतर्गत एक मोहल्ला जरौली पड़ता है. इसी मोहल्ले के फेस-2 में सतीश कुमार श्रीवास्तव अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी मधु के अलावा 2 बेटे आयुष व पीयूष थे. वह मूलरूप से औरैया जिले के दिबियापुर कस्बे का रहने वाला था. सालों पहले वह रोजीरोटी की तलाश में कानपुर शहर आया था. वह पढ़ालिखा था. हिंदी और अंगरेजी भाषा पर उस की पकड़ थी. अत: उसे बिरहाना रोड स्थित एक आयुर्वेदिक दवा कंपनी में नौकरी मिल गई थी.

बाद में वह मैडिकल रिप्रजेंटेटिव (एमआर) बन गया और उसी कंपनी की दवा आयुर्वेदिक डाक्टरों के यहां सप्लाई करने लगा था. मधु सतीश की दूसरी पत्नी थी. उस की पहली पत्नी श्वेता की मौत हो गई थी. उस की एक बेटी शिवांगी थी, जो अपनी ननिहाल में पलबढ़ रही थी. पहली पत्नी की मौत के बाद सतीश ने मधु से शादी कर ली थी. मधु पढ़ीलिखी व तेजतर्रार थी. सुंदर भी थी, अत: सतीश उसे बहुत चाहता था और उस पर भरोसा करता था. वह उस की हर खुशी का खयाल रखता था. समय बीतता रहा. समय के साथ मधु के बच्चे आयुष व पीयूष बड़े हुए तो उस का खर्च बढ़ गया.

इस खर्चे को पूरा करने के लिए उस ने पति के साथ काम करने का निश्चय किया. मधु ने इस बाबत सतीश से बात की. पहले तो सतीश ने साफ मना कर दिया. लेकिन पत्नी के समझाने पर बाद में मान गया. सतीश अब विजिट के लिए घर से निकलता तो मधु को भी साथ ले जाता. उस ने कानपुर शहर तथा आसपास के कस्बे के दरजनों वैद्यों व डाक्टरों से मधु का परिचय कराया और दवा बेचने के सारे गुर बताए. उस के बाद मधु सतीश के दवा कारोबार में हाथ बटाने लगी. पत्नी के सहयोग से सतीश अच्छी कमाई करने लगा. मधु का बड़ा बेटा आयुष पढ़ने में कमजोर था. उस का मन पढ़ाई में नहीं लगा तो मधु ने उसे गोविंदनगर स्थित फार्मा मैडिकल स्टोर में काम पर लगा दिया.

लेकिन छोटा बेटा पीयूष तेज दिमाग का था. मधु उसे पढ़ालिखा कर डाक्टर बनाना चाहती थी. अत: वह उस की पढ़ाई पर पूरा ध्यान देती थी. पढ़ाई के साथ वह कोचिंग भी जाता था. मधु ने कुछ समय तक ही पति के साथ काम किया. उस के बाद वह डाक्टरों के यहां अलग विजिट पर जाने लगी. मधु का मानना था कि अलगअलग जाने से दवा का और्डर ज्यादा मिलता है. यद्यपि मधु का अलग जाना सतीश को पसंद न था. लेकिन मधु के आगे उस की एक न चली. 2 डाक्टरों को फंसा लिया मधु 2 बेटों की मां जरूर थी. लेकिन उस के बनावशृंगार से कोई भांप नहीं पाता था कि वह 2 जवान बेटों की मां है. सतीश का मन भोगविलास से उचट चुका था.

वह दिन भर की भाग दौड़ से इतना थक जाता था कि खाना खाने के बाद चादर तान कर सो जाता था. इस के विपरीत मधु हर रात पति का साथ चाहती थी. लेकिन वह वंचित रहती थी. मधु को जब पति का साथ नहीं मिला तो उस ने घर के बाहर ताकझांक शुरू की. उस के संपर्क में कई डाक्टर ऐसे थे, जो मनचले थे और जिन्हें औरत सुख की चाहत थी. मधु ने ऐसे ही शहर के 2 डाक्टरों को अपने हुस्न के जाल में फंसाया और उन के साथ मौजमस्ती करने लगी. ये दोनों डाक्टर निजी प्रैक्टिस करते थे. मधु को जब भी मौका मिलता था, वह उन से खूब रसीली बातें करती थी. सतीश पत्नी पर भरोसा करता था. उस ने कभी किसी तरह का उस पर शक नहीं किया. लेकिन उस दिन तबीयत खराब होने पर जब वह समय से पहले घर आया और मधु को मोबाइल फोन पर अश्लील और रसीली बातें करते पाया तो उस का विश्वास डगमगा गया.

शक होने पर उस ने मधु की जम कर धुनाई भी की लेकिन उस ने आशिक का नाम नहीं बताया. बल्कि आशिक का मोबाइल नंबर भी डिलीट कर दिया. शक का बीज बहुत जल्दी पनपता है. सतीश के मन में भी शक था. अत: वह पत्नी पर नजर रखता था. जिस दिन वह मधु को एकांत में बात करते देख लेता, उस दिन पहले तो तूतू मैंमैं होती फिर नौबत मारपीट तक आ जाती. अब एक छत के नीचे रहते हुए भी दोनों को एकदूसरे से ज्यादा मतलब नहीं रहता था. बड़ा बेटा आयुष पिता के पक्ष में रहता था, जबकि छोटा बेटा पीयूष मां के पक्ष में बोलता था. युवक से अश्लील बातें करते देखा 19 मार्च, 2021 को आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी की दिल्ली में मीटिंग थी, जिस में कानपुर शहर के डीलर व एमआर को मीटिंग में शामिल होने के लिए बुलाया गया था.

सतीश कुमार श्रीवास्तव भी अपनी पत्नी मधु श्रीवास्तव के साथ शामिल होने दिल्ली गया था. मीटिंग समाप्त होने के बाद मधु ने कुछ खरीदारी की फिर शताब्दी बस से दोनों कानपुर को रवाना हो लिए. 21 मार्च, 2021 की सुबह 8 बजे मधु और सतीश अपने जरौली स्थित घर पहुंचे. उस समय घर पर कोई अन्य न था. दोनों बेटे आयुष और पीयूष गीता मौसी के घर पर थे, जो जरौली में ही रहती थी. सतीश को किसी जरूरी काम से अपने पिता के घर दिबियापुर जाना था. उस ने मधु से जल्दी खाना बनाने को कहा. लेकिन मधु ने उस की बात को अनसुना कर दिया और मोबाइल फोन पर वीडियो काल कर बतियाने लगी. वह किसी युवक से अश्लील बातें कर रही थी.

सतीश ने उसे बातें करने से मना किया तो मधु झगड़ने लगी और उसे गाली बकने लगी. इस पर सतीश को गुस्सा आ गया. उस ने फोन छीन कर फेंक दिया और उसे धक्का दे दिया. धक्का लगने से उस का सिर दीवार से टकरा गया. जिस से सिर फट गया और खून बहने लगा. अपने हाथों से घोंटा गला खून देख कर मधु को गुस्सा आ गया और उस ने सतीश के मुंह पर जूता फेंक कर मारा. मुंह पर जूता लगा तो सतीश आपा खो बैठा. उस ने मधु को फर्श पर पटक दिया और बोला, ‘‘हरामजादी, बदचलन, आज तुझे किसी कीमत पर नहीं छोड़ूंगा. तुझे तेरे पापों की सजा दे कर ही दम लूंगा.’’ कहते हुए सतीश ने मधु की साड़ी से उस का गला घोंट दिया.

मधु की हत्या करने के बाद उस ने शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. दिन का वक्त था. सो वह लाश को बाहर कैसे ले जाता. उस ने बड़े बक्से को खाली किया और मधु के शव को बक्से में बंद कर दिया. मोबाइल फोन को भी उस ने बंद कर दिया. शाम को दोनों बेटे घर आए तो सतीश ने बताया कि मधु किसी का फोन आने पर घर से निकली थी. तब से नहीं आई. इस के बाद वह आयुष और पीयूष के साथ मधु की खोज करता रहा. अगली सुबह सतीश ने बड़े बेटे आयुष को गुमशुदगी दर्ज कराने थाना बर्रा भेजा. वहां पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर मधु की तलाश शुरू कर दी. पुलिस को गुमराह करने के लिए सतीश ने मधु का मोबाइल चालू कर सड़क से गुजर रहे एक लोडर में फेंक दिया.

रात में सतीश ने शव को बक्से से निकाला. लेकिन गरमी की वजह से शव फूल चुका था और उस से दुर्गंध आने लगी थी. पीयूष ने बदबू की बात की तो भेद खुलने के भय से सतीश ने उसे गीता मौसी के घर भेज दिया. आधी रात के बाद सतीश ने एक बार फिर शव को ठिकाने लगाने की सोची. वह शव कमरे से घसीट कर गेट तक लाया. लेकिन उस की हिम्मत दगा दे गई. शव उठाते समय बाल व खाल उस के हाथ में आ गए. शव सड़ने लगा था. सवेरा होने से पहले सतीश ने गेट पर ताला लगाया और फरार हो गया. पड़ोसियों ने की पुलिस से शिकायत  23 मार्च, 2021 की सुबह सतीश के पड़ोसियों ने सतीश के घर से भीषण दुर्गंध महसूस की तो उन्होंने थाना बर्रा पुलिस को सूचना दे दी.

सूचना पाते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह टीम के साथ सतीश के घर पहुंचे. ताला तोड़ कर वह घर के अंदर घुसे तो गेट के पास ही उन्हें सड़ीगली महिला की लाश मिली. पड़ोसियों ने तुरंत लाश को पहचाना, उन्होंने बताया कि लाश सतीश की पत्नी मधु श्रीवास्तव की है. थानाप्रभारी की सूचना पर एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय भी आ गए. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मृतका की उम्र 40 वर्ष के आसपास थी. संभवत: उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया.

इसी बीच पता चला कि सतीश अपने दोनों बेटों और स्थानीय नेताओं के साथ थाना बर्रा पहुंचा है और पुलिस की नाकामी को ले कर हंगामा कर रहा है. यह सूचना प्राप्त होते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह थाने पहुंचे और सतीश को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने सख्ती से उस से पूछताछ की तो उस ने पत्नी की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि मधु बदचलन थी. वह आशिक से मोबाइल पर बात कर रही थी. मना किया तो जूता फेंक कर मुंह पर मारा. गुस्से में मैं ने उस का गला घोंट दिया. उस के बेटे निर्दोष हैं. उन्हें हत्या की जानकारी नहीं थी. चूंकि सतीश ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने भादंवि की धारा 302/201 के तहत सतीश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

24 मार्च, 2021 को बर्रा पुलिस ने अभियुक्त सतीश कुमार श्रीवास्तव को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Real Crime Story : प्रेमी संग साजिश रच कर पत्नी ने रस्सी से गला घोंटकर पति को मार डाला

Real Crime Story : 3 बच्चों की मां बनने के बाद भी प्रियंका की हसरतें उफान पर थीं. उसी दौरान उस के संपर्क में महावीर मीणा नाम का युवक आया. इस के संपर्क में आते ही प्रियंका की गृहस्थी में ऐसा जहर घुला कि…

तकरीबन 26-27 साल की उस युवती ने अपना नाम प्रियंका बताया था. हलका सा घूंघट होने के बावजूद उस का आंसुओं से भीगा चेहरा साफ नजर आ रहा था. उस का रंग गेहुंआ था. बड़ीबड़ी आंखें और सुतवां नाक घूंघट की ओट से साफ नजर आ रही थी. थानाप्रभारी बदन सिंह के सामने आते ही वह फफक पड़ी, ‘‘साब मेरा तो सुहाग ही उजड़ गया. बच्चों को भी अनाथ कर गया.’’

फिर चेहरा हाथों में छिपा कर रोने लगी, ‘‘साहब, एक तो मेरा मरद खुदकुशी कर मुझे बेसहारा छोड़ गया. अब घरपरिवार वाले कह रहे हैं कि उस की हत्या हो गई. कोई क्यों करेगा उन की हत्या? हमारा तो किसी से बैर भी नहीं था.’’

इतना कहतेकहते उस ने हिचकियां लेनी शुरू कर दीं. थानाप्रभारी बदन सिंह  ने उसे शांत रहने का संकेत करते हुए कहा, ‘‘आप रोएं नहीं. हम हकीकत का खुलासा कर के रहेंगे. आप पूरी बात को सिलसिलेवार बताइए ताकि हमें अपराधी को गिरफ्तार करने में मदद मिल सके.’’

कुछ पलों के लिए गला भर आने के कारण प्रियंका चुप हो गई. फिर उस ने कहना शुरू किया, ‘‘सच्ची बात तो यह है साब कि हमारा मर्द कुछ दिनों से पैसों की देनदारी और तगादों से परेशान था. उधारी चुकाने की कोई सूरत कहीं से नजर नहीं आ रही थी. दिनरात शराब में डूबा रहता था. कल तो सुबह से ही शराब पी रहा था. शायद दारू के नशे की झोंक में ही जान दे बैठा…’’ प्रियंका की रुलाई फिर फूट पड़ी, ‘‘तगादों से परेशान हो कर जान देने की क्या जरूरत थी?’’

थानाप्रभारी बदन सिंह ने उसे ढाढस बंधाते हुए कहा, ‘‘आप को किसी पर शक है? मेरा मतलब है जिस के तगादे से परेशान हो कर आप के पति ने आत्महत्या की या उस की हत्या हो गई?’’

‘‘हत्या की बात कौन कह रहा है साब!’’ प्रियंका ने प्रतिवाद करते हुए कहा.

तभी वहां खड़े कुछ लोगों में से एक युवक बोल पड़ा, ‘‘हम कहते हैं साब.’’

इस के साथ ही वह शख्स बुरी तरह उबल पड़ा, ‘‘हमें तो इस कुलच्छिनी पर ही शक है. साहब, इस ने ही मरवाया है अपने पति को… यह आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है.’’

इस से पहले कि थानाप्रभारी बदन सिंह उस युवक को तवज्जो देते, प्रियंका चिल्ला पड़ी, ‘‘नहीं… यह झूठ है, हम से दुश्मनी निकालने के लिए यह झूठे इल्जाम लगा रहा है.’’

थानाप्रभारी बदन सिंह ने युवक की तरफ देखा, ‘‘कौन हो तुम? तुम कैसे कह सकते हो कि इस की हत्या हुई है और इस के पीछे प्रियंका का हाथ है?’’

‘‘मेरा नाम रामदीन है साहब, रिश्ते में मृतक बुद्धि प्रकाश मेरा चचेरा भाई था.’’ उस के चेहरे की तमतमाहट कम नहीं हुई थी. वह बुरी तरह फट पड़ा, ‘‘साहब बुद्धि प्रकाश का किसी से कोई लेनदेन था ही नहीं. फिर तगादे की बात कहां से आ गई? मेरा भाई मजबूत दिल गुर्दे वाला आदमी था, कायर नहीं था कि आत्महत्या कर लेता. जरूर उस की हत्या हुई है.’’

‘‘तो इस में प्रियंका कहां से आ गई?’’ थानाप्रभारी बदन सिंह ने सवाल दागा.

‘‘आप पूरी जांच कर लो साहब. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.’’ वहीं मौजूद परिजनों और बस्ती के लोगों ने एक स्वर में कहा, ‘‘साहब, घर में प्रियंका के अलावा और कौन रहता है? बुद्धि प्रकाश ने जिंदगी में कभी शराब नहीं पी, लेकिन पिछले 2 सालों से तो जैसे दारू में डुबकी मार रहा था. अगर उस ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है तो हमारी समझ से बाहर है.’’

इस बीच पड़ोस के कुछ लोग भी बोल पड़े, ‘‘पतिपत्नी के संबंध भी अच्छे नहीं थे. दिनरात झगड़े की आवाज सुनाई देती थी. पड़ोस के नाते हम ने प्रियंका से पूछा भी, लेकिन इस ने मुंह बिचका दिया. कहती थी, नशेड़ी को न घर की चिंता होती है और न ही घरवाली की. दारू पी कर खेतखलिहान में पड़ा रहेगा तो घर में झगड़े ही होंगे.’’

थानाप्रभारी बदन सिंह ने गहरी नजरों से मृतक के परिजनों और पड़ोसियों की तरफ देखा फिर कहा, ‘‘दिनरात दारू में डुबकी मारने की नौबत तो तब आती है जब कोई गहरे तनाव में हो? पतिपत्नी के बीच रोज की खटपट भी इस की वजह हो सकती है? लेकिन आत्महत्या तो बहुत बड़ा कदम होता है.’’

लेकिन इस सवाल पर परिजनों की खामोशी ने रहस्य का कुहासा और गहरा कर दिया. थानाप्रभारी बदन सिंह के दिमाग में एक सवाल हथौड़े की तरह टकरा रहा था, आखिर मृतक की पत्नी प्रियंका क्यों इस बात पर अड़ी हुई है कि यह आत्महत्या का मामला है.

उन्होंने थोड़े सख्त स्वर मे प्रियंका से पूछा, ‘‘तुम्हें कब और कैसे पता चला कि तुम्हारे पति ने आत्महत्या कर ली है?’’

प्रियंका की रुलाई फिर फूट पड़ी, ‘‘साहब हम तो रोज की तरह तड़के दिशामैदान के लिए चले गए थे. तब भी हमारा मरद ऐसे ही सो रहा था. लौट कर आए तब भी ऐसे ही सोता मिला. हमें बड़ा अटपटा लगा. ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ. हम ने हिलायाडुलाया, कोई हरकत नहीं हुई. दिल की धड़कन भी गायब थी. हमारा दिल धक से रह गया. लगा जरूर कुछ गड़बड़ है… हम ने फौरन पड़ोसियों को पुकार लगाई.’’

बुद्धि प्रकाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर मृत पड़ा था. थानाप्रभारी बदन सिंह शव का निरीक्षण करने लगे. वह कुछ अनुमान लगा पाते तब तक सीओ विजय शंकर शर्मा वहां पहुंच गए. उन्होंने शव का निरीक्षण किया तो उन के चेहरे पर हैरानी के भाव आए बिना नहीं रहे. गले पर पड़े निशानों ने कौतूहल जगा दिया था. सीओ शर्मा ने झुक कर गौर किया तो वह चौंक पड़े. चेहरे पर ऐंठन और गले के निशान बहुत कुछ कह रहे थे. चेहरे पर ऐसी ऐंठन तो बेरहमी से गला दबाए जाने पर ही होती है.  स्वाभाविक प्रश्न था कि क्या किसी ने बुद्धि प्रकाश का गला दबाने की कोशिश की थी?

मामला पूरी तरह संदिग्ध लग रहा था. काले निशान भी रस्सी से गला दबाए जाने पर होते हैं. उन्होंने आसपास नजर दौड़ाई. ऐसी कोई रस्सी नजर नहीं आई. फोरैंसिक टीम को बुलाना अब जरूरी हो गया था. छानबीन और मौके से सबूत जुटाने के लिए क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम के साथ फोरैंसिक टीम भी पहुंच गई थी. फोरैंसिक टीम की जांच में चौंकाने वाले रहस्य उजागर हुए. बुद्धि प्रकाश के गले के दोनों ओर तथा पीछे की तरफ काले निशान बने हुए थे. लगता था कि रस्सी से गले को पूरी ताकत से कसा गया था. इस के अलावा चोट का कोई और निशान शरीर पर कहीं नहीं पाया गया.

लेकिन स्थितियां पूरी तरह संदेहास्पद थीं. घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे होने के कारण किसी के वहां आनेजाने का साक्ष्य मिलना भी संभव नहीं था. सीओ विजय शंकर शर्मा ने घटनास्थल का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया. उन्होंने प्रियंका से दरजनों सवाल किए. लेकिन अपने मतलब की कोई बात नहीं उगलवा सके. बिना किसी सबूत के प्रियंका पर हाथ डालने का कोई मतलब भी नहीं था. हालांकि पूछताछ के दौरान प्रियंका पूरी तरह सामान्य लग रही थी. उस के चेहरे पर भय या घबराहट की कोई रेखा तक नहीं थी. लेकिन उस के जवाब अटपटे थे.

मृतक करवट की स्थिति में था, जबकि प्रियंका का कहना था कि उस ने दिशामैदान से लौट कर उसे हिलायाडुलाया था. दिल की धड़कन टटोलने के लिए शरीर को पीठ के बल कर दिया था. लेकिन प्रियंका और पड़ोसियों के बयानों में कोई तालमेल नहीं था. उन का कहना था हम ने बुद्धिप्रकाश को करवट स्थिति में देखा था. पुलिस के सामने अच्छेअच्छे के हौंसले पस्त पड़ जाते हैं. लेकिन प्रियंका चाहे अटकअटक कर ही सही, पूरे हौसले से हर सवाल का जवाब दे रही थी. बेशक बुद्धि प्रकाश शराब में धुत रहा होगा. लेकिन आखिर था तो हट्टाकट्टा मर्द. उसे अकेली प्रियंका के द्वारा काबू करना आसान नहीं था.

सीओ हत्या के हर संभावित कोण को समझ रहे थे. इसलिए एक बात पर तो उन्हें यकीन हो चला था कि अगर हत्या में प्रियंका शामिल थी तो उस का कोई मजबूत साथी जरूर रहा होगा. हत्या सुनियोजित ढंग से की गई थी. लेकिन सवाल यह था कि योजना किस ने बनाई और उसे कैसे अंजाम दिया? पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया. पोस्टमार्टम में प्रथमदृष्टया मौत का कारण दम घुटना माना गया. थाने लौट कर थानाप्रभारी बदन सिंह ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

एसपी शरद चौधरी ने इस मामले का खुलासा करने के लिए एडिशनल एसपी पारस जैन की निगरानी में सीओ विजय शंकर शर्मा, थानाप्रभारी बदन सिंह, हैडकांस्टेबल भरत, कांस्टेबल सतपाल, रामराज और महिला कांस्टेबल भारती बाना को शामिल किया. प्रियंका के थाने आने से पहले की गई पूछताछ में पुलिस को कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई थी. लेकिन थाने लाए जाने के बाद हुई पूछताछ में महावीर मीणा का जिक्र आने के साथ ही घटना की गिरह खुलने लगी. पुलिस का हवा में पूछा गया सवाल ही घटना का तानाबाना खोलता चला गया कि बुद्धि प्रकाश की शराबनोशी में उस का साथी कौन था? प्रियंका जिस भेद को छिपाए थी, वह खुल गया. प्रियंका को बताना पड़ा कि बुद्धि प्रकाश शनिवार 13 मार्च को दिन भर पड़ोसी महावीर मीणा के साथ शराब पी रहा था.

लेकिन पुलिस के इस सवाल पर प्रियंका बिफर पड़ी कि महावीर मीणा के साथ उस के अवैध रिश्ते हैं. उस का कहना था, ‘‘आप सुनीसुनाई बातों को ले कर मेरे चरित्र पर लांछन लगा रहे हैं.’’

लेकिन प्रियंका की काल डिटेल्स खंगाल चुके पुलिस अधिकारी पूरी तरह आश्वस्त थे. उन का एक ही सवाल प्रियंका के होश फाख्ता कर गया, ‘‘क्या तुम्हारे और महावीर के बीच देर रात को 2-2 घंटे तक बातें नहीं होती थीं?’’

प्रियंका के पास अब कोई जवाब नहीं बचा था. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस का कहना था कि बुद्धि प्रकाश उस के चालचलन पर शक करता था और रोज उस के साथ मारपीट करता था. इसलिए उस ने पति की हत्या कर दी. यह आधा सच था. प्रियंका अपने आप को एक बेबस औरत के रूप में पेश कर रही थी. लेकिन पुलिस को उस की पूरी दास्तान सुनने का इंतजार था कि कैसे उस ने प्रेमी के साथ मिल कर पति को मौत के घाट उतारा? राजस्थान के कोटा जिले में इटावा कस्बे के बूढादीत गांव में रहने वाले बुद्धि प्रकाश मीणा का कोई 12 साल पहले वहीं के निवासी सीताराम की बेटी प्रियंका से विवाह हुआ था. बुद्धि प्रकाश खेतिहर किसान था. प्रियंका का दांपत्य जीवन 10 साल ही ठीकठाक रह पाया. इस के बाद दोनों में खटपट रहने लगी.

इस बीच प्रियंका ने एकएक कर के एक बेटा और 2 बेटियों समेत 3 बच्चों को जन्म दिया. दांपत्य जीवन के 12 साल गुजर जाने और 3 बच्चों की पैदाइश के बाद बुद्धि प्रकाश और प्रियंका के बीच खटास कैसे पैदा हुई? उस की वजह था पड़ोस में आ कर बसने वाला युवक महावीर मीणा. दरअसल कदकाठी की दृष्टि से आकर्षक लगने वाला महावीर मीणा प्रियंका की नजरों में चढ़ गया था. प्रियंका की हर बात महावीर पर जा कर खत्म होती थी कि क्यों तुम अपने आप को महावीर की तरह नहीं ढाल लेते? जबकि बुद्धि प्रकाश का जवाब मुसकराहट में डूबा होता था कि महावीर की अभी शादी नहीं हुई है. इसलिए उसे अभी किसी की फिक्र नहीं है.

प्रियंका जवान थी, खूबसूरत भी. बेशक वह 3 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस की देह के कसाव में कोई कमी नहीं आई थी. उस की अपनी भावनाएं थीं. इसलिए मन करता था कि बुद्धि प्रकाश भी सजीले नौजवान की तरह बनठन कर रहे. फिल्मी हीरो की तरह उस से प्यार करे. लेकिन बुद्धि प्रकाश 35 की उम्र पार कर चुका था. मेहनतकश खेतीकिसानी में खटने के कारण उस पर उम्र हावी हो चली थी. इसलिए पत्नी की इच्छाओं की गहराई भांपने का उसे कभी खयाल तक नहीं आया. प्रियंका को अपने मेहनतकश पति के पसीने की गंध सड़ांध मारती लगती थी.

चढ़ती उम्र और बढ़ती आकांक्षाओं के साथ प्रियंका में पति के प्रति नफरत में इजाफा होता चला गया. संयोग ही रहा कि उस के बाजू वाले मकान में रहने के लिए महावीर बैरवा आ गया. महावीर छैलछबीला था और प्रियंका के सपनों के मर्द की तासीर पर खरा उतरता था. प्रियंका अकसर अपने पति बुद्धि प्रकाश को उस का उदाहरण देते हुए कहती थी, तुम भी ऐसे सजधज कर क्यों नहीं रहते. बुद्धि प्रकाश सीधासादा गृहस्थ इंसान था, इसलिए पत्नी की उड़ान को पहचानने की बजाय बात को टालते हुए कह देता, ‘‘अभी महावीर पर गृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं पड़ी. जब पड़ेगी तो वह भी सजनासंवरना भूल जाएगा.’’

पड़ोसी के नाते महावीर भी बुद्धि प्रकाश से मेलमुलाकात बढ़ी तो गाहेबगाहे महावीर के यहां उस का आनाजाना भी बढ़ गया. अकसर प्रियंका के आग्रह पर वह वहीं खाना भी खा लेता था. असल में महावीर की नजरें प्रियंका पर थी. उस की पारखी नजरों से यह बात छिपी नहीं रही कि असल में प्रियंका को क्या चाहिए? लेकिन सवाल यह था कि पहल कौन करे. महावीर दोपहर में अकसर वक्त गुजारने के लिए अपने दोस्त की फलसब्जी की दुकान पर बैठ जाता था. दोस्त को सहूलियत थी कि अपने जरूरी काम निपटाने के लिए महावीर के भरोसे दुकान छोड़ जाता था. एक दिन दुकान पर अकेला बैठा था तो प्रियंका सब्जी खरीदने पहुंची. लेकिन महावीर ने फलसब्जी के पैसे नहीं लिए.

प्रियंका ने पैसे देने चाहे तो महावीर मुसकरा कर बोला, ‘‘तुम्हारी मुसकराहट में दाम वसूल हो गए. सारी दुकान ही अपनी समझो…’’

प्रियंका को शायद ऐसे ही मौके की तलाश थी. मुसकरा कर कहा, ‘‘ऐसी दोपहरी में दुकान पर बैठने की बजाय घर आओ.’’ प्रियंका ने मुसकरा कर निमंत्रण दिया तो महावीर बोला, ‘‘खातिरदारी का वादा करो तो आऊं.’’

‘‘मेरी तरफ से मेहमाननवाजी में कोई कमी नहीं रहेगी, तुम अकेले में आ कर देखो तो…’’ प्रियंका ने हंस कर कहा.

इस के बाद एक दिन महावीर प्रियंका के घर दोपहर के समय चला गया. प्रियंका तो जैसे उस का इंतजार कर रही थी. मौके का फायदा उठाते हुए उस दिन दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद तो प्रियंका महावीर की मुरीद हो गई. मौका मिलने पर दोपहर के समय वह प्रियंका के घर चला जाता. इस तरह कुछ दिनों तक उन का यह खेल बिना किसी रुकावट के चलता रहा. कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते.  एक दिन बुद्धि प्रकाश खेत से जल्दी ही लौट आया और उस ने प्रियंका को महावीर के साथ रंगरलियां मनाते देख लिया. फिर तो बुद्धि प्रकाश का खून खौल उठा.

महावीर तो भाग गया, लेकिन उस ने प्रियंका की जम कर धुनाई शुरू कर दी. प्रियंका ने गलती मानी तो बुद्धि प्रकाश ने यह चेतावनी देते हुए उसे छोड़ दिया कि अगली बार ऐसा हुआ तो तुम दोनों जिंदगी से हाथ धो बैठोगे. जिसे पराया घी चाटने की आदत पड़ जाए वह कहां बाज आता है. एक बार कीबात है. पति के सो जाने के बाद प्रियंका अपने प्रेमी से फोन पर बातें कर रही थी. उसी दौरान बुद्धि प्रकाश की नींद खुल गई. उस ने पत्नी की बातें सुनली थीं. फिर क्या था, उसी समय बुद्धि प्रकाश ने प्रियंका पर जम कर लातघूंसों की बरसात कर दी.

प्रियंका किसी भी हालत में महावीर का साथ नहीं छोड़ना चाहती थी. इस की वजह से अकसर ही उसे पति से पिटाई खानी पड़ती थी. रोजरोज की कलह और पिटाई से अधमरी होती जा रही प्रियंका का पोरपोर दुखने लगा था. प्रियंका का सब से ज्यादा आक्रोश तो इस बात को ले कर था कि बुद्धि प्रकाश जम कर शराब पीने लगा था और नशे में धुत हो कर उसे गंदीगंदी गालियों से जलील करता था. प्रियंका ने महावीर पर औरत का आखिरी अस्त्र चला दिया कि तुम्हारे कारण मैं हर रोज रूई की तरह धुनी जाती हूं और तुम कुछ भी नहीं करते. प्रियंका ने महावीर के सामने शर्त रख दी, ‘‘फूल चाहिए तो कांटे को जड़ से खत्म करना पड़ेगा.’’

प्रियंका की खातिर महावीर बुद्धि प्रकाश का कत्ल करने को तैयार हो गया. फिर योजना के तहत अगले दिन महावीर यह कहते हुए बुद्धि प्रकाश के पावोंं में गिर पड़ा, ‘‘दादा, मैं कल गांव छोड़ कर जा रहा हूं ताकि तुम्हारा कलह खत्म हो सके.’’

बुद्धि प्रकाश ने भी महावीर पर यह सोच कर भरोसा जताया कि संकट अपने आप ही जा रहा है. महावीर ने बुद्धि प्रकाश को यह कहते हुए शराब की दावत दे डाली कि भैया आखिरी मुलाकात का जश्न हो जाए. बुद्धि प्रकाश के मन में तो कोई खोट नहीं थी. उस ने सहज भाव से कह दिया, ‘‘ठीक है भैया, अंत भला सो सब भला.’’

महावीर ने तो थोड़ी ही शराब पी, लेकिन बुद्धि प्रकाश को जम कर पिलाई. नशे में बेहोश हो चुके बुद्धि प्रकाश को महावीर ने घर के बरामदे में रखे तख्त पर ला कर पटक दिया. फिर प्रियंका की मदद से रस्सी से उस का गला घोंट दिया. पुलिस द्वारा निकाली गई काल डिटेल्स के मुताबिक महावीर ने रात करीब 12 बजे बुद्धि प्रकाश की हत्या करने के बाद प्रियंका से 20 से 25 मिनट बात की. इस के बाद प्रियंका सो गई थी. प्रियंका से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के प्रेमी महावीर मीणा को भी गिरफ्तार कर लिया. फिर दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. Real Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

 

 

 

 

 

UP Crime News : प्रेमी संग साजिश रच कर पत्नी ने हथौड़े से करवाया पति का कत्ल

UP Crime News : 2 बच्चों की मां मधु ससुराल के लोगों से अलग पति धनपाल के साथ गुड़गांव में रह रही थी. मौजमजे के लिए उस ने विवाहित मुकेश से संबंध बना लिए. उस के प्यार में वह इतनी अंधी हो गई कि…

उस दिन अप्रैल 2021 की 3 तारीख थी. पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहांपुर के कस्बा थाना तिलहर अंतर्गत गांव राजनपुर के मोड़ पर सड़क किनारे सैंट्रो कार के नीचे एक अज्ञात युवक की लाश दबी पड़ी थी. रात 10 बजे के करीब किसी ने तिलहर थाना पुलिस को घटना की सूचना दे दी. सूचना पा कर इंसपेक्टर हरपाल सिंह बालियान अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. प्रथमदृष्टया मामला ऐक्सीडेंट का लगा. लाश दाईं ओर दोनों पहियों के बीच में पड़ी थी. सिर में काफी चोट थी. कार की तलाशी ली गई तो कार से गिलास, खानेपीने का सामान, 3 मोबाइल फोन और गाड़ी के कागजात बरामद हुए.

इसी बीच रजाकपुर गांव के कुछ लोग वहां पहुंच गए. परमजीत नाम के युवक ने लाश की शिनाख्त अपने बड़े भाई 38 वर्षीय धनपाल गंगवार के रूप में की. पूछताछ में परमजीत ने बताया कि धनपाल पत्नी मधु और 2 बेटों के साथ गुड़गांव में रहता था, होली पर 3 साल बाद अपने घर आया था. वह शाम को पत्नी व बच्चों को तिलहर के बाजार में खरीदारी कराने के लिए ले कर आया था. साढ़े 5 बजे धनपाल ने पत्नी मधु और बच्चों को भाई प्रेमपाल के साथ वापस घर भेज दिया था और खुद तिलहर में रुक गया था. जब काफी रात हो गई, धनपाल नहीं लौटा तो उस की तलाश शुरू की.

इसी बीच कार से मिले मोबाइल पर किसी की काल आ गई. इंसपेक्टर बालियान ने काल रिसीव की. काल कनेक्ट होते ही दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘कहां है तू, तेरा पता ही नहीं रहता.’’

काल करने वाली कोई महिला थी. इंसपेक्टर बालियान ने उन्हें पूरी बात बताई. उस महिला ने कहा कि सैंट्रो कार उस के पति की है, जिसे उस का भाई मुकेश यादव वृंदावन जाने की बात कह कर ले गया था. इस का मतलब यह था कि कार में मुकेश यादव था, जोकि घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गया था. मामला साधारण सड़क दुर्घटना का न हो कर हत्या का लग रहा था, जिसे साजिश के तहत सड़क दुर्घटना दिखाने की कोशिश की गई थी. फिलहाल इंसपेक्टर बालियान ने जरूरी काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी और कार को थाने में खड़ा करा दी.

अगले दिन सुबह मृतक धनपाल के छोटे भाई परमजीत गंगवार ने तिलहर थाने पहुंच कर इंसपेक्टर बालियान को तहरीर दी, जिस में उस ने मुकेश यादव पर अपने भाई की हत्या का आरोप लगाया था. उस की तहरीर के आधार पर इंसपेक्टर बालियान ने मुकेश यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. परमजीत ने इंसपेक्टर बालियान से अपनी भाभी मधु पर भी भाई की हत्या में हाथ होने का शक जताया था, लेकिन तहरीर में उस का जिक्र नहीं किया था. पति की मृत्यु के बाद भी मधु के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, जबकि जिस का पति मार दिया जाए, वह महिला रोरो कर आसमान सिर पर उठा लेती है.

इंसपेक्टर बालियान ने परमजीत से मधु का नंबर मांगा तो परमजीत ने अपनी भाभी मधु से उस का नंबर मांगा तो मधु ने साफ कह दिया कि उस के पास कोई नंबर नहीं है. जो मोबाइल उस के पास है, वह उस ने केवल गाना सुनने के लिए ले रखा है. परमजीत को मधु पर विश्वास नहीं हुआ. किसी तरह उस के करीबियों से बात कर के उस का नंबर निकलवाया. मधु पर हुआ शक इंसपेक्टर बालियान ने मधु के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. डिटेल्स से मधु और मुकेश के नंबरों पर हर रोज काफी बार बात करने की पुष्टि हुई. घटना की रात भी दोनों के बीच बात हुई थी.

6 अप्रैल को इंसपेक्टर बालियान ने मधु को उस की ससुराल से गिरफ्तार कर लिया. मधु से पूछताछ के बाद उन्होंने मुकेश यादव को मधु के मायके शाहजहांपुर के कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव से गिरफ्तार कर लिया. उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के तिलहर थाना क्षेत्र के गांव रजाकपुर में रहता था धनपाल गंगवार. धनपाल के पिता का नाम खलासीराम और माता का नाम शांति देवी था. खलासीराम सेना में कार्यरत थे. रिटायर होने के बाद 1989 में उन की मृत्यु हो गई. उस समय धनपाल बहुत छोटा था. धनपाल कुल 6 भाई थे. 2 बड़े भाई हरपाल और जसपाल व 3 छोटे भाई धर्मपाल, प्रेमपाल और परमजीत थे. हरपाल विवाह के बाद पंजाब चला गया. जसपाल विवाह के बाद गांव में ही रह कर खेती करने लगा.

11 साल पहले धनपाल का रिश्ता शाहजहांपुर के मीरनपुर कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव निवासी मधु से हुआ था. मधु के पिता रामपाल पेशे से किसान थे. मधु की एक बड़ी बहन और 3 भाई थे. काम के लिए वह गुड़गांव चला गया. वहां उस ने ओरियंट कंपनी में नौकरी कर ली, साथ ही हरीनगर में अनाज मंडी के पास में 4500 रुपए में किराए पर कमरा ले लिया. फिर एक दिन वापस आ कर अपने साथ पत्नी मधु को भी गुड़गांव ले गया. समय बीतता गया. समय के साथ मधु ने 2 बच्चों कृष्णा (9 वर्ष) और क्रश (4 वर्ष) को जन्म दिया. पत्नी से होने लगी खटपट धनपाल सुबह साढ़े 7 बजे घर से कंपनी जाता था और शाम 8 बजे घर में घुसता था.

लगभग 12 घंटे की ड्यूटी करने के बाद वह थकाहारा घर आता था. धनपाल था तो मजबूत कदकाठी का, लेकिन रोज की यह ड्यूटी उस के बदन को तोड़ कर रख देती थी. ऐसे में जो धनपाल अभी तक शराब को हाथ तक नहीं लगाता था, वह शराब पीने भी लगा. शराब पी कर घर जाता तो मधु से उस का झगड़ा होता. झगड़े में वह मधु को पीट भी देता था. वैसे भी मधु धनपाल पर हावी रहने की कोशिश करती थी, लेकिन धनपाल को यह मंजूर नहीं था. शराब पीने के बाद तो इंसान वैसे भी निडर हो जाता है. किसी तरह से दोनों के  झगड़ों के बीच उन की जिंदगी कटती रही. मधु को अब धनपाल भाता नहीं था. उस के साथ रहना मधु की मजबूरी थी. वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी.

एक साल पहले धनपाल ने गुड़गांव में ही घर के पास रहने वाले मुकेश यादव को घर पर डीटीएच कनेक्शन के लिए बुलवाया. धनपाल मुकेश को आतेजाते दुकान पर बैठे देखता था. मुकेश डीटीएच का काम करने के साथ ही दूध, दही, मट्ठा और लस्सी का भी काम करता था. मुकेश गुड़गांव के थाना फरूखनगर में खेंटावास में रहता था. वह विवाहित था. उस के एक बेटा भी था. मुकेश काफी स्मार्ट था. अपने व्यवहार से वह किसी को अपना मुरीद बना लेता था. मुकेश डीटीएच का कनेक्शन करने आया तो घर पर केवल मधु थी. उस ने मधु से बात करनी शुरू की तो मधु को ऐसा लगा जैसे वह उस से पहली बार न मिल कर कई बार मिल चुकी हो. मधु को उस की बातों में रस आया तो वह भी उस से बतियाने लगी.

मुकेश से जुड़ा कनेक्शन उस दिन कहने को पहली मुलाकात थी दोनों की, लेकिन उन के बीच काफी बातें हुईं जोकि पहली मुलाकात में नहीं हुआ करतीं. मुकेश डीटीएच का कनेक्शन कर के चला गया, लेकिन मधु की आंखों के सामने अब भी मुकेश का चेहरा घूम रहा था. मुकेश आया तो था डीटीएच का कनेक्शन लगाने, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह मधु के दिल से अपने दिल का कनेक्शन कर गया था. इस के बाद तो मुकेश जबतब मधु से मिलने आने लगा. घर पर कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था. मुकेश जब भी आता तो साथ में दूध, दही, लस्सी में से कुछ न कुछ ले आता और मधु को दे देता. मधु उस के तरीके को भलीभांति समझ रही थी कि वह कैसे उस के दिल तक पहुंचना चाहता है. मधु इस बात से नाराज नहीं हुई, बल्कि खुश होने लगी. उसे नए ठौर की जरूरत थी, वह खुद चल कर उस के पास आ गया था.

मुकेश की अपनी पत्नी से नहीं बनती थी. उस की पत्नी अकसर मायके में ही रहती थी. यही वजह थी कि मुकेश मधु की तरफ आकर्षित हो गया था. उस के साथ अपनी जिंदगी बिताने का सपना देख रहा था. मधु और मुकेश दोनों ही अपने जीवनसाथी से खुश नहीं थे, इसलिए एकदूसरे के करीब आने में उन्हें देर नहीं लगी. एक दिन मुलाकात के दौरान मुकेश ने मधु से कहा, ‘‘भाभी, लगता है आप अपना ध्यान नहीं रखतीं?’’

‘‘क्यों…अच्छीखासी तो हूं.’’ मधु ने कहा.

‘‘नहीं, तुम्हारा चेहरा मुरझाया सा रहता है, चेहरे पर जो चमक होनी चाहिए, वह गायब रहती है. शरीर भी पहले से काफी कमजोर हो गया है. आप को क्या चिंता है जो अपना यह हाल कर लिया है?’’

इस पर मधु कुछ देर शांत रही, फिर अपना दर्द बयां करते हुए बोली, ‘‘अब तुम ने पूछा है तो बता देती हूं. इस परदेश में दूसरा कोई है नहीं, जिस को अपना दर्द बता सकूं.’’

‘‘क्यों, धनपाल तो है.’’ मुकेश ने पूछा.

‘‘दर्द देने वाला दर्द ही देगा, दवा नहीं. इसलिए…’’

‘‘ओह.. तो यह बात है. वैसे आप से अलग मेरा मामला भी नहीं है. मैं भी अपनी पत्नी से परेशान हूं.’’ दुखी लहजे में मुकेश ने कहा. दोनों ने किया प्यार का इजहार फिर कुछ देर शांत रहने के बाद मुकेश बोला, ‘‘तो क्यों न भाभी, हम एकदूसरे के दर्द की दवा बन जाएं.’’ उपाय सुझाते हुए मुकेश ने अपने दिल की बात मधु तक पहुंचाने की कोशिश की.

‘‘क्या मतलब..?’’ जान के भी अंजान बनती हुई मधु पूछ बैठी.

‘‘यही कि हम दोनों एकदूसरे का हाथ थाम लें और हमेशा के लिए एक हो जाएं. मैं तो तुम्हें बेइंतहा चाहता हूं, बस तुम एक बार हां कह दो तो मैं सारी खुशियां तुम्हारे कदमों में डाल दूंगा.’’

‘‘तुम ने तो अपने दिल के साथसाथ मेरे दिल की भी बात कह दी. मैं भी तुम्हें चाहती हूं और तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहती हूं. अगर तुम तैयार हो तो…’’

‘‘मैं तो कब से इस पल के इंतजार में था. मैं हर पल तैयार हूं. आई लव यू मधु.’’ उस ने कह दिया.

यह पहला मौका था, जब मुकेश ने उसे भाभी नहीं मधु कह कर पुकारा था. मधु के दिल के तार झनझना उठे. एक नए एहसास से उस का दिल पुलकित हो उठा. वह भी बेसाख्ता बोल उठी, ‘‘आई लव यू टू मुकेश.’’

मधु के इजहार करते ही मुकेश ने उसे बांहों के घेरे में ले लिया. उस के बाद उन के बीच कोई शारीरिक दूरी न रही. वे एकदूसरे में इस कदर समाए कि अपनी इच्छापूर्ति के बाद ही अलग हुए. इस के बाद तो उन के बीच का यह रिश्ता दिनोंदिन परवान चढ़ने लगा. मगर गलत काम कभी छिपा है जो उन का छिप जाता. धनपाल को दोनों के संबंधों की बात पता चल गई. धनपाल ने मुकेश के घर आने पर रोक लगा दी. लेकिन मुकेश और मधु का चोरीछिपे मिलना जारी रहा. इसे ले कर धनपाल और मधु में रोज झगड़े होने लगे. मुकेश और मधु ने अपने संबंधों के बीच धनपाल को दीवार बनते देखा तो धनपाल नाम की इस दीवार को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. दोनों ने इस के लिए साथ बैठ कर योजना भी बना ली.

धनपाल विवाह के बाद साल-डेढ़ साल में शाहजहांपुर स्थित अपने घर के चक्कर लगा लेता था. लेकिन जब से बेटा स्कूल जाने लगा था, तब से वह 2-3 साल में ही घर का चक्कर लगा पाता था. 3 साल बाद इस बार धनपाल ने होली पर घर आने का फैसला लिया. इस में मधु ने खुद सहमति दी थी. इस से पहले वह ससुराल के नाम से ही बिदक जाती थी. रच ली पूरी साजिश गुड़गांव में पूरी योजना पर कार्य करने के बाद 14 मार्च, 2021 को मधु शाहजहांपुर के मीरनपुर कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव स्थित अपने मायके आ गई. 27 मार्च को धनपाल रजाकपुर स्थित अपने घर आ गया. 2 अप्रैल को मधु मायके से अपनी ससुराल आ गई.

3 अप्रैल को धनपाल मधु और बच्चों के साथ तिलहर में ईरिक्शा से बाजार गया. ईरिक्शा धनपाल के छोटे भाई प्रेमपाल का था और उसे वही चला कर ले गया. बाजार घूमने के बाद धनपाल ने मधु और बच्चों को प्रेमपाल के साथ वापस घर भेज दिया, वह खुद तिलहर में रुक गया. दरअसल मुकेश ने धनपाल को फोन किया था कि वह उस से मिलने आ रहा है, मिल कर दारू पार्टी करने की बात कही थी. धनपाल ने एक बार भी नहीं सोचा और उसे आने की सहमति दे दी. मुकेश अपने बहनोई की सैंट्रो कार से तिलहर पहुंचा. मुकेश को कार में बैठाने के बाद वह एक सुनसान स्थान पर ले गया. कार में पहले से ही मुकेश ने खानेपीने की चीजें और शराब खरीद कर रख ली थी.

मुकेश ने धनपाल को खूब शराब पिलाई. धनपाल की आंख बचा कर उस की शराब में नींद की गोलियां भी मुकेश ने मिला दीं. जब धनपाल बेहोश हो गया, तब मुकेश उसे कार से राजनपुर गांव के मोड़ पर ले गया. उस समय रात के 9 बज रहे थे. मुकेश ने धनपाल को कार से नीचे उतारा और साथ लाए हथौड़े से उस के सिर पर कई वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. मामले को ऐक्सीडेंट का रूप देने के लिए धनपाल की लाश को कार से कुचलने की कोशिश की. इस कोशिश में उस की कार कच्ची मिट्टी में फंस गई. मुकेश घबरा गया. कोई वहां आ न जाए उसे इस बात का डर भी सता रहा था.

जब कार किसी तरह से नहीं निकल सकी तो कार को वहीं छोड़ कर वह फरार हो गया. मुकेश ने मधु को फोन कर के धनपाल का काम तमाम कर देने की सूचना भी दे दी. जिस के बाद मधु ने अपना दूसरा मोबाइल गुप्त स्थान पर छिपा दिया. देर रात तक धनपाल नहीं लौटा तो घर वालों को चिंता हुई. परमजीत ने सोचा कि शराब पी कर धनपाल कहीं बेसुध तो नहीं पड़ा. उस ने तिलहर थाने के एक परिचित सिपाही को फोन कर के पूछा कि कहीं कोई बंदा शराब पीए हुए तो नहीं मिला. इस पर सिपाही ने उसे राजनपुर मोड़ पर हादसा होने की जानकारी दी. जो हुलिया बताया, वह धनपाल से मिलता था. इस के बाद परमजीत, उस की मां वहां पहुंच गए. मधु भी वहां पहुंच गई.

मुकेश और मधु का गुनाह छिप न सका और दोनों पुलिस की गिरफ्त में आ गए. मधु को मुकदमे में आईपीसी की धारा 120बी का अभियुक्त बनाया गया. इंसपेक्टर हरपाल सिंह बालियान ने अभियुक्त मुकेश की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा भी बरामद कर लिया. बाकी कार और मोबाइल तो पहले ही बरामद हो गए थे. मधु का मोबाइल नहीं बरामद हो सका. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. UP Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों व परमजीत से पूछताछ पर आधारि

Rajasthan Crime News : पत्नी ने नौकर संग मिलकर रची साजिश फिर कर दिया पति का कत्ल

Rajasthan Crime News : रुक्मिणी पढ़ीलिखी ही नहीं बल्कि एक सरकारी टीचर प्रेमनारायण मीणा की पत्नी थी. वह एक बेटी की शादी भी कर चुकी थी. 40 साल की उम्र में उस ने घरेलू नौकर जितेंद्र से नजदीकी संबंध बना लिए. यह संबंध उस के लिए इतने घातक सिद्ध हुए कि…

बात 26 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे की है. राजस्थान के बारां जिले के गांव आखाखेड़ी के रहने वाले मास्टर प्रेमनारायण मीणा के यहां उन का भतीजा राजू दूध लेने पहुंचा तो उन के घर का मुख्य गेट भिड़ा हुआ था. दरवाजा धक्का देने पर खुला तो भतीजा घर में चला गया. उस की नजर जैसे ही आंगन में चारपाई पर पड़ी तो वहां का मंजर देख कर वह कांप गया. बिस्तर पर चाचा प्रेमनारायण की खून सनी लाश पड़ी थी. यह देख कर भतीजा चीखनेचिल्लाने लगा. आवाज सुन कर प्रेमनारायण की पत्नी रुक्मिणी (40 वर्ष) अपने कमरे से बाहर आई. बाहर आते समय वह बोली, ‘‘क्यों रो रहे हो राजू, क्या हुआ?’’

मगर जैसे ही रुक्मिणी की नजर चारपाई पर खून से लथपथ पड़े पति पर पड़ी तो वह जोरजोर से रोनेचिल्लाने लगी. रोने की आवाज मृतक के बच्चों वैभव मीणा और ऋचा मीणा ने भी कमरे में सुनी. वह दरवाजा पीटने लगे कि क्या हुआ. क्यों रो रही हो. दरवाजा खोलो. उन भाईबहनों के दरवाजे के बाहर कुंडी लगी थी. कुंडी खोली तो भाईबहन बाहर आ कर पिता की लाश देख कर रोने लगे. मास्टर प्रेमनारायण के घर से सुबहसवेरे रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग भी वहां आ गए. थोड़ी देर में पूरे आखाखेड़ी गांव में मास्टर की हत्या की खबर फैल गई. थाना छीपा बड़ौद में किसी ने हत्या के इस मामले की खबर दे दी.

थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा खबर मिलते ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. थानाप्रभारी मीणा ने घटनास्थल का मुआयना किया. रात में अज्ञात लोगों ने घर में सो रहे सरकारी टीचर प्रेमनारायण की धारदार हथियार से गला, मुंह और सिर पर वार कर के हत्या कर दी थी, जिस से काफी मात्रा में खून निकल चुका था. पूछताछ में मृतक की पत्नी रुक्मिणी ने बताया कि वह कमरे में सो रही थी. उस के दोनों बच्चे वैभव और ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे. बड़ी बेटी ससुराल में थी. वह (प्रेमनारायण) आंगन में अकेले सो रहे थे, तभी नामालूम किस ने उन्हें मार डाला.

थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा ने घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी. एसपी (बारां) विनीत कुमार बंसल ने सीओ (छबड़ा) ओमेंद्र सिंह शेखावत व जयप्रकाश अटल आरपीएस (प्रोबेशनरी) को निर्देश दिए कि वे घटनास्थल पर जा कर मौकामुआयना कर जल्द से हत्याकांड का खुलासा करें. एसपी के निर्देश पर दोनों सीओ ओमेंद्र सिंह और जयप्रकाश अटल घटनास्थल पर पहुंचे और घटना से संबंधित जानकारी ली. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल एवं डौग स्क्वायड टीम को भी बुला कर साक्ष्य जुटाने के निर्देश दिए. पुलिस अधिकारियों को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण मीणा सरकारी स्कूल में टीचर थे.

उन की पोस्टिंग इस समय मध्य प्रदेश के गुना जिले के फतेहगढ़ के सरकारी स्कूल में थी. वह छुट्टी पर घर आए हुए थे. वह 15-20 दिन बाद छुट्टी पर गांव आते थे. पुलिस को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण घर के आंगन में सोए थे. उन की बीवी कमरे में अलग सोई थी. उन के 3 बच्चे हैं, जिन में से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी. वह अपनी ससुराल में थी. जबकि छोटे दोनों बच्चे वैभव व ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे. घर के आंगन में हत्यारों ने आ कर हत्या की थी, मगर बीवी व बच्चों ने कुछ नहीं सुना था. बीवी सुबह 7 बजे तब जागी, जब भतीजा राजू दूध लेने आया.

यह बात पुलिस को पच नहीं रही थी. मृतक के मुंह, सिर और गरदन पर लगे गहरे घावों से रिसा खून सूख चुका था. इस का मतलब था कि मृतक की हत्या हुए 6-7 घंटे का समय हो चुका था. एफएसएल टीम ने साक्ष्य एकत्रित किए. तब पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया. पुलिस अधिकारियों ने अपने मुखबिरों को सुरागसी के लिए लगा दिया. वहीं मृतक के बच्चों वैभव व ऋचा से एकांत में पूछताछ की. बच्चों ने बताया कि कल रात मम्मी ने हमें धमका कर अलग कमरे में सुला दिया था. मम्मी ने हमें कमरे में बंद कर के बाहर से कुंडी लगा दी थी. मम्मी अलग कमरे में सोई थी. बच्चों ने यह भी बताया कि वह हमेशा मम्मी के कमरे में सोते थे, लेकिन उन्होंने कल हमें दूसरे कमरे में सुला दिया था.

वैभव को पुचकार कर पुलिस अधिकारियों ने कुछ और जानकारी पूछी तो उस ने एक पत्र ला कर पुलिस अधिकारियों को दिया. वैभव ने कहा, ‘‘यह चिट्ठी मेरी बड़ी बहन, जो शादीशुदा है, ने पापा को लिखी थी. यह पत्र हम भाईबहनों को मिला तो हम ने छिपा दिया था.’’

उस पत्र में मृतक की बड़ी बेटी ने पापा प्रेमनारायण को लिखा था कि वह मम्मी को बदनाम नहीं करना चाहती है. नौकर जितेंद्र को अब अपने यहां नहीं रखना चाहिए. पुलिस ने चिट्ठी के आधार पर तथा वारदात से जुड़े अन्य पहलुओं पर जांच करते हुए जांच आगे बढ़ाई. पुलिस ने साइबर एक्सपर्ट सत्येंद्र सिंह की भी मदद ली. बच्चों ने पुलिस अधिकारियों से यहां तक कहा कि पापा की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि मम्मी ने ही नौकर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा (मेघवाल) के साथ मिल कर रात में की है. रात में वैभव कमरे से बाहर आना चाहता था मगर कमरा बाहर से लौक था. इस कारण वह वापस जा कर सो गया था.

इसी दौरान मुखबिरों ने भी पुलिस को जानकारी दी. इन सब तथ्यों पर गौर किया गया तो मृतक की पत्नी का किरदार संदिग्ध नजर आया. पुलिस अधिकारियों ने तब उसे पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने रुक्मिणी से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में वह टूट गई. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने अपने प्रेमी व नौकर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा और एक अन्य हंसराज भील के साथ मिल कर पति की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. बस, फिर क्या था, पुलिस ने उसी दिन जितेंद्र और हंसराज भील को भी दबोच लिया. थाने ला कर उन से पूछताछ की.

पूछताछ में उन्होंने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया.  जितेंद्र ने बताया कि वह पिछले 2 साल से टीचर प्रेमनारायण के घर नौकर था. वह खेतों की रखवाली और खेतीबाड़ी करता था. जितेंद्र को 65 हजार रुपए सालाना तनख्वाह पर रखा हुआ था. प्रेमनारायण ज्यादातर समय अपनी ड्यूटी पर फतेहगढ़, मध्य प्रदेश में रहते थे. वह 15-20 दिन बाद ही अपने गांव आखाखेड़ी आते थे. प्रेमनारायण की अपनी बीवी से नहीं बनती थी. दोनों में मनमुटाव रहता था. इस कारण रुक्मिणी ने पति की गैरमौजूदगी में अपने नौकर से अवैध संबंध बना लिए थे. प्रेमनारायण की बड़ी बेटी ने एक दिन अपनी मम्मी और नौकर जितेंद्र को रंगरलियां मनाते देख लिया था.

इस कारण वह चिट्ठी लिख कर पापा को अपनी मम्मी की करतूत बताना चाहती थी. मगर यह चिट्ठी उस के छोटे भाईबहनों के हाथ लग गई थी. तब उन्होंने चिट्ठी पढ़ कर छिपा ली. 26 मार्च, 2021 को यह चिट्ठी बच्चों ने पुलिस अधिकारियों को सौंपी. तब जा कर इस घटना की परतें खुलनी शुरू हुईं. प्रेमनारायण को किसी तरह बीवी और नौकर के अवैध संबंधों की खबर लग गई थी. इस कारण वह इन दोनों के बीच राह का रोड़ा बन चुके थे. इस रोड़े को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने के लिए रुक्मिणी ने एक योजना बना ली. फिर जितेंद्र ने 31 वर्षीय हंसराज भील को 20 हजार रुपए दे कर योजना में शामिल कर लिया. हंसराज जितेंद्र का दोस्त था. पुलिस ने मात्र 3 घंटे में ही मास्टर प्रेमनारायण मीणा की हत्या का राजफाश कर दिया.

मृतक के शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर शव परिजनों को सौंप दिया गया. परिजनों ने उसी रोज दोपहर बाद अंतिम संस्कार क र दिया. आखाखेड़ी में मास्टर की मौत से सनसनी फैल गई थी. जिस ने भी बीवी और उस के प्रेमी नौकर की करतूत के बारे में सुना, सन्न रह गया. आरोपी पुलिस हिरासत में थे, जिन से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की. पूछताछ में जो घटना प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी. प्रेमनारायण मीणा अपनी पत्नी रुक्मिणी और 3 बच्चों के साथ जिला बारां के गांव आखाखेड़ी में रहते थे. वह सरकारी अध्यापक थे. प्रेमनारायण की ड्यूटी इन दिनों मध्य प्रदेश के जिला गुना के फतेहगढ़ में थी. वह महीने में एकाध बार अपने गांव बीवीबच्चों से मिलने आते रहते थे.

प्रेमनारायण जहां शांत स्वभाव के थे तो वहीं उन की बीवी कर्कश स्वभाव की थी. उन की शादी को 20 साल से ज्यादा हो गए थे मगर इतना समय साथ गुजारने के बाद भी मियांबीवी में अकसर झड़प हो जाया करती थी. उन के बच्चे बड़े हो गए थे. मगर दोनों का मनमुटाव कम नहीं हुआ. रुक्मिणी दिनरात काम कर के थक जाने का रोना रोती रहती थी. तब प्रेमनारायण ने वार्षिक तनख्वाह पर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा  को 2 साल पहले घर का नौकर रख लिया. जितेंद्र जहां खेतों पर काम करता, वहीं घर पर भी काम करता था. रुक्मिणी और जितेंद्र का रिश्ता मालकिन और नौकर का था. मगर पति के दूर रहने और मनमुटाव के चलते रुक्मिणी शारीरिक सुख से वंचित थी.

जब उसे जितेंद्र नौकर के रूप में मिला तो वह उसे बिस्तर तक ले आई. रुक्मिणी की उम्र 40 साल थी. इस के बावजूद वह अपने से 8 साल छोटे नौकर के साथ सेज सजाने लगी. उस ने नौकर को प्रेमी बना लिया और उस की बांहों में झूला झूलने लगी. रुक्मिणी की बड़ी बेटी शादी लायक हो गई थी. इस के बावजूद अधेड़ उम्र में उस पर वासना का ऐसा भूत सवार हुआ कि वह जबतब मौका पा कर नौकर जितेंद्र बैरवा के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगी. एक रोज बेटी ने अपनी मां को नौकर के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. अपनी मां का यह रूप देख कर बेटी को उस से नफरत सी हो गई. मां का यह रूप देख कर उसे कई दिन तक कुछ भी अच्छा नहीं लगा.

वह सोचने लगी कि क्या किया जाए. इसी बीच एक दिन फिर उस ने अपनी मां को नौकर जितेंद्र के साथ देख लिया. तब उस ने अपने पापा को लिखे एक पत्र में मम्मी की करतूत और नौकर को हटाने के बारे में लिखा. पत्र पापा के पास पहुंचने से पहले ही वह छोटे भाई वैभव व बहन ऋचा के हाथ लग गया. दोनों बहनभाइयों ने वह पत्र छिपा दिया. उन्हें पता था कि पापा ने यह पत्र देख लिया तो मम्मी की खैर नहीं होगी. बस, उन मासूमों को क्या पता था कि मम्मी को बचाने के चक्कर में वह पापा को एक दिन खो देंगे. पत्र गायब हुआ तो बड़ी बेटी भी चुप्पी लगा गई. एक साल पहले प्रेमनारायण ने बेटी की शादी कर दी. वह अपनी ससुराल चली गई.

कोरोना काल में प्रेमनारायण काफी समय तक घर पर रहे. तब रुक्मिणी को अपने प्रेमी से एकांत में मिलने का मौका नहीं मिला. जब स्कूल खुल गए तब प्रेमनारायण फतेहगढ़ चले गए. पति के जाने के बाद रुक्मिणी और जितेंद्र का खेल फिर से शुरू हो गया. लेकिन छुट्टी पर प्रेमनारायण गांव आते तो बीवी को वह फूटी आंख नहीं सुहाते थे. वह उन से बिना किसी बात के लड़तीझगड़ती रहती. तब वह ड्यूटी पर चले जाते. रुक्मिणी यही तो चाहती थी. इस के बाद वह नौकर के साथ रंगरलियां मनाती. प्रेमनारायण को अपनी बीवी और नौकर जितेंद्र के व्यवहार से ऐसा लगा कि कुछ गड़बड़ है. एकदो बार प्रेमनारायण ने बीवी से इस बारे में पूछा तो वह उलटा उस पर चढ़ दौड़ी.

रुक्मिणी को अंदेशा हो गया कि उस के पति को नौकर के साथ संबंधों का शक हो गया है. तब उस ने नौकर जितेंद्र के साथ साजिश रची कि अब वह प्रेमनारायण को रास्ते से हटा कर अपने हिसाब से जीवन जिएंगे. रुक्मिणी के कहने पर जितेंद्र यह काम करने को राजी हो गया. घटना से 10 दिन पहले प्रेमनारायण छुट्टी पर घर आए थे. होली के बाद उन्हें वापस फतेहगढ़ जाना था. इन 10 दिनों में रुक्मिणी और जितेंद्र को एकांत में मिलने का मौका नहीं मिला. ऐसे में रुक्मिणी और उस के प्रेमी ने तय कर लिया कि अब जल्द ही योजना को अंजाम दिया जाएगा, तभी वह चैन की जिंदगी जी सकेंगे. जितेंद्र ने अपने दोस्त हंसराज को 20 हजार का लालच दे कर योजना में शामिल कर लिया.

25 मार्च, 2021 की आधी रात को योजना के तहत जितेंद्र और हंसराज तलवार और कुल्हाड़ी ले कर रुक्मिणी के घर के पीछे पहुंचे. रुक्मिणी ने पहली मंजिल पर जा कर मकान के पीछे वाली खिड़की से रस्सा नीचे फेंका. रस्से के सहारे जितेंद्र और हंसराज मकान की पहली मंजिल पर खिड़की से आ गए. इस के बाद घर के आंगन में बरामदे में सो रहे मास्टर प्रेमनारायण पर नींद में ही तलवार और कुल्हाड़ी से हमला कर मार डाला. इस के बाद जिस रास्ते से आए थे, उसी रास्ते से अपने हथियार ले कर चले गए. रुक्मिणी निश्चिंत हो कर कमरे में जा कर सो गई. सुबह जब मृतक का भतीजा राजू दूध लेने आया तो उस की चीखपुकार सुन कर रुक्मिणी आंखें मलती हुई कमरे से बाहर आई. वह नाटक कर के रोनेपीटने लगी. मगर उस की करतूत बच्चों ने चिट्ठी से खोल दी.

पुलिस ने पूछताछ पूरी होने पर तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से रुक्मिणी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. जितेंद्र व हंसराज को 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया. रिमांड के दौरान आरोपियों से तलवार, कुल्हाड़ी, खून सने कपड़े और मोबाइल बरामद किए गए. रिमांड अवधि खत्म होने पर 30 मार्च, 2021 को फिर से जितेंद्र और हंसराज भील को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. Rajasthan Crime News

Agra News : प्रेमिका और मां की चाकू से हत्या कर प्रेमी हुआ फरार

Agra News : किसी के मोहपाश में बंध जाना अलग बात है और उसे अपनी प्रौपर्टी समझ लेना अलग बात. गोविंद ने कामिनी को ले कर यही गलती की. लेकिन क्या मिला उसे…

सभी गहरी नींद में सोए हुए थे. उस समय रात के 3 बज रहे थे. अचानक एक मकान में चीखपुकार मच गई. शोर सुन कर आसपास के लोग जाग गए और उस मकान की ओर दौड़े. उन्होंने देखा कि चीखती हुई कामिनी दरवाजे से बाहर 20 कदम दूर आ गई. बाहर वह एक ही बात बोल रही थी, ‘‘गोविंद ने मार डाला… गोविंद ने मार डाला.’’

कामिनी के पड़ोस में रहने वाले चाचा गणेश, दादी शकुंतला व भाई मनीष भी आ गए.  ग्रामीणों व घर वालों के आने पर हत्यारा गोविंद सब को चाकू दिखा कर धमकाता हुआ भाग गया. जब लोग मकान में पहुंचे तो वहां का वीभत्स दृश्य देख कर सहम गए. कामिनी की मां शारदा देवी घर के फर्श पर तथा रागिनी दरवाजे के पास खून से लथपथ पड़ी हुई थीं. अत्यधिक खून बहने से दोनों की सांसें थम चुकी थीं. लोगों को आया देख डरीसहमी घर की बहू रेखा कमरे की कुंडी खोल कर बाहर आई. वह भी गंभीर रूप से घायल थी. उस ने बताया, ‘‘पड़ोसी गोविंद ने सास और ननद पर चाकू से हमला किया, जब वह उन्हें बचाने आई तो उस पर भी हमला कर घायल कर दिया.

वह किसी तरह जान बचा कर कमरे में भागी और अंदर से कुंडी लगा ली. इसी बीच किसी ने इस घटना की सूचना थाने को दे दी.’’ यह बात 8 मार्च, 2021 की है. डबल मर्डर की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी विनोद कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. डबल मर्डर की घटना से कस्बे में सनसनी फैल गई थी. तब तक मकान के बाहर भीड़ जुट गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को अवगत कराया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन ही 2 महिलाओं की हत्या होने से हड़कंप मच गया. आननफानन में आईजी (आगरा जोन) ए. सतीश गणेश, एसएसपी बबलू कुमार, एसपी (पूर्वी) अशोक वेंकट, फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड के साथ मौके पर पहुंच गए.

आगरा के थाना बाह के कस्बा जरार के मोहल्ला हवेली निवासी उमेश सविता की करीब 15 साल पहले मृत्यु हो चुकी थी. पत्नी शारदा देवी जरार के प्राइमरी स्कूल में रसोइया का काम कर परिवार पाल रही थीं. उन के 5 बेटेबेटियों में राहुल और लक्ष्मी की शादी हो चुकी थी. तीसरे नंबर के बेटे मनीष के विवाह की तैयारियां चल रही थीं. चौथे नंबर की बेटी रागिनी की पिछले साल बीमारी से मौत हो गई थी. सब से छोटी कामिनी का भी रिश्ता तय हो चुका था. उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और मांबेटी के कत्ल के दौरान गंभीर रूप से घायल हुई रेखा को उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया. मांबेटी के गले व सीने पर चोट के गहरे निशान थे.

दोनों की हालत देखने से लग रहा था कि हत्या के लिए बेहद क्रूर तरीका अपनाया गया था. मौत से पहले दोनों ने हत्यारे के साथ संघर्ष भी किया था. फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर जांच कर सबूत जुटाए. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शवों को मोर्चरी भिजवा दिया. अस्पताल में भरती घटना की चश्मदीद बहू रेखा ने बताया कि उस की सास शारदा देवी व ननद कामिनी बरामदे के टिनशैड में अगलबगल सोई हुई थीं. गोविंद छत से घर के अंदर आया था. सीढि़यों से नीचे आने के बाद उस ने दोनों पर हमला कर दिया.

रेखा अपने 5 महीने के बेटे सार्थक के साथ कमरे में सो रही थी. चीखपुकार सुन कर वह जाग गई और सास व ननद को बचाने दौड़ी. अपनी पहचान होते देख आरोपी गोविंद ने रेखा पर भी चाकू से हमला कर दिया. जान बचाने को रेखा कमरे की ओर दौड़ी और अपने आप को कमरे में बंद कर लिया. घटना के समय घर में कोई पुरुष मौजूद नहीं था. रेखा का पति राहुल काम के सिलसिले में दिल्ली गया हुआ था. जबकि देवर मनीष पड़ोस में रहने वाले अपने चाचा गणेश के यहां सोया हुआ था. घटना की जानकारी होते ही मृतकों के अन्य परिजन भी आ गए. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था.

जांच के दौरान पता चला कि मामला प्रेमप्रसंग का था. आरोपी गोविंद के मृतका कामिनी से प्रेम संबंध थे. कामिनी के घर वाले गोविंद का विरोध करते थे. इस के चलते पहले भी गोविंद व कामिनी के घर वालों में झगड़ा व मारपीट हुई थी. तब मामला रफादफा हो गया था. लेकिन अब अचानक ऐसा क्या हो गया था, जो गोविंद ने अपनी प्रेमिका के अलावा उस की मां की हत्या करने के साथ ही मृतका की भाभी को भी घायल कर दिया था. पुलिस पूछताछ में मृतका के घर वालों ने बताया कि गोविंद पहले भी कामिनी को अकेला देख कर एक दिन घर में घुस आया था. शोर मचाने पर आसपास के लोगों के पहुंचने पर वह भाग गया था. तब घर वालों ने पुलिस में उस की कोई शिकायत नहीं की थी.

ग्रामीणों ने पुलिस को जानकारी दी कि दोनों की दोस्ती से कामिनी का परिवार खुश नहीं था. कुछ दिन पहले दोनों परिवारों में इस बात को ले कर झगड़ा भी हुआ था. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी. जब पुलिस हत्यारोपी के घर गई और गोविंद के पिता को घटना के बारे में बताया तो वह बेहोश हो गए. इस बीच पुलिस ने हत्यारोपी के परिवार के कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया. हत्यारे गोविंद के विरुद्ध  मनीष ने भादंवि की धारा 302 व 307 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि घटना से 15 दिन पहले गोविंद ने अपने दोस्तों के बीच ऐलान किया था कि वह बड़ा कांड करेगा. उस का कहना था, मुझे पहले कामिनी ने अपने प्यार में फंसाया, जब मुझे गहराई से प्यार हो गया तो वह मुझे छोड़ने की बात कह रही है.

उस की मोहब्बत को ठुकराने का अंजाम क्या होता है, यह हर कोई देखेगा. वह दोस्तों से पूछता था कि जेल में मिलने आओगे या नहीं? दोस्तों ने उस की बात को मजाक में लिया था. किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वह ऐसा खूनी खेल खेलेगा. धारदार हथियार से 50 वर्षीय शारदा  और उन की बेटी 19 वर्षीय कामिनी की नृशंस हत्या करने के बाद हत्यारे के फरार हो जाने और पुलिस द्वारा गिरफ्तार न कर पाने से लोग आक्रोशित थे. सोमवार को गम और गुस्से में जरार का बाजार बंद रहा. घटना की जानकारी होने पर बाह की विधायक पक्षालिका सिंह जरार पहुंचीं. मांबेटी की मौत पर परिजनों का रोना सुन कर वह भी अपने आंसू नहीं रोक सकीं. उन्होंने पुलिस को आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए.

आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की 5 टीमें गठित कर इटावा, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, मुरैना और दिल्ली रवाना कर दी गई थीं. सोमवार की रात को ही एसएसपी बबलू कुमार ने हत्यारोपी गोविंद पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया था. सोमवार 8 मार्च की सुबह आगरा पुलिस ने शिकोहाबाद के मोहल्ला जैन स्ट्रीट में स्थानीय पुलिस के साथ गोविंद के चचेरे भाई नवीन जैन के यहां दबिश दी. लेकिन पुलिस के आने से पहले सुबह 4 बजे मकान का ताला लगा कर परिवार कहीं चला गया था. पुलिस टीम हत्यारोपी के एक अन्य रिश्तेदार को पूछताछ के लिए अपने साथ बाह ले आई.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कामिनी के शरीर पर 8 और उस की मां शारदा के शरीर पर 6 घाव आए थे. सभी घाव गरदन और सीने पर थे. पुलिस को पता चला कि हत्यारा गोविंद फिरोजाबाद भागने की फिराक में है. पुलिस ने फिरोजाबाद में भी कई स्थानों पर दबिश दी. लेकिन पुलिस के हाथ निराशा ही लगी. फिर भी पुलिस सरगर्मी से उस की तलाश में जुटी रही. घटना के दूसरे दिन मंगलवार 9 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे मुखबिर से सूचना मिली कि गोविंद को जरार से 10 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध तीर्थ बटेश्वर में देखा गया है. इस पर तलाश में लगी पुलिस टीम सचेत हो गई. बटेश्वर में पहुंची पुलिस टीम को आरोपी गोविंद बाइक से फिरोजाबाद की ओर जाता दिखाई दिया.

पुलिस ने बटेश्वर में नौरंगी घाट पर गोविंद से रुकने को कहा. पुलिस को देखते ही गोविंद ने यू टर्न लिया और फायरिंग कर दी. पुलिस की जवाबी काररवाई में गोविंद के बाएं पैर में गोली लगी. गोली लगते ही वह गिर गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उस के पास से 315 बोर का एक अवैध तंमचा व 3 कारतूस और बाइक बरामद की. घायल गोविंद को पुलिस ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया. पुलिस पूछताछ में दोहरे हत्याकांड के आरोपी गोविंद ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस का कहना था, मैं हर रोज दर्द नहीं सह सकता था. गोविंद से पूछताछ के बाद डबल मर्डर की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी—

कामिनी और गोविंद बाह के जरार कस्बे के मोहल्ला हवेली में रहते थे. 19 वर्षीय कामिनी जहां 11वीं में पढ़ती थी, वहीं 21 वर्षीय गोविंद बीएससी द्वितीय वर्ष का छात्र था. गोविंद का घर कामिनी के घर से 50 मीटर की दूरी पर था. घटना से एक साल पहले एक दिन कालेज जाते समय दोनों की नजरें एकदूसरे से टकरा गईं. दोनों ही जवानी की देहरी पर कदम रख चुके थे. गोविंद को कामिनी भा गई वहीं कामिनी को भी गोविंद अच्छा लगा. फिर अकसर जैसा 2 युवाओं के बीच होता है, उन के बीच भी हुआ. दोनों मिले और शुरू हो गया चोरीछिपे मिलनाजुलना और बतियाना. छोटे कस्बे में लड़केलड़की का आपस में मिलना और बात करना आसान नहीं होता.

कामिनी और गोविंद अपने भावी जीवन के सपने देखते. जमाने से बेखबर वे अपने प्यार में मस्त रहते. पर गांवदेहात में प्यारमोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पातीं. किसी तरह कामिनी के घर वालों को पता चल गया कि उस का गोविंद के साथ चक्कर चल रहा है. लिहाजा मां व भाइयों ने उसे समझाया कि वह उस लड़के से मिलनाजुलना बंद कर दे. फिर भी दोनों की चोरीछिपे मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा. इस की वजह से दोनों परिवारों में तल्खी बढ़ती गई. कामिनी पर जब बंदिश लगाई गई तो घटना से पहले एक दिन वह कामिनी से मिलने घर में घुस आया.

चूंकि गोविंद दूसरी बिरादरी का था, इसलिए कामिनी के घर वालों ने साफ कह दिया कि कामिनी के साथ उस की शादी नहीं हो सकती. गोविंद को समझाया भी. इस के बाद भी कामिनी से बात करते देख लेने पर उन्होंने कई बार गोविंद को पीटा. गोविंद कामिनी के मोहपाश में बंधता चला गया. उसे समाज, बिरादरी की कोई परवाह नहीं थी. उसे तो हर हाल में जीवनसाथी के रूप में कामिनी चाहिए थी. कामिनी के घर वालों ने गोविंद की हरकतों और उस की जिद से मोहल्ले में हो रही उन की बदनामी को देखते हुए कामिनी का रिश्ता 20 दिन पहले ही फिरोजाबाद के कस्बा सिरसागंज के गांव अटारैना में तय कर दिया. अभी शादी की तारीख तय नहीं हुई थी.

इस बात ने आग में घी का काम किया. अपनी प्रेमिका की शादी तय हो जाने से गोविंद मायूस था. इस से बौखला कर उस ने टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर एक खौफनाक निर्णय ले लिया. उस ने कामिनी की हत्या की योजना बनाई. इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम देने के लिए गोविंद ने रात के तीसरे पहर का समय चुना. उस समय लोग गहरी नींद में होते हैं. उस ने अपने घर में चारपाई पर तकिया  रख कर रजाई से ढक दिया था ताकि लगे कि वह सोया हुआ है. मांबेटी की हत्या करने के लिए गोविंद छत के रास्ते सीढि़यों से शारदा के घर में आ गया. उस ने चाकू से पहला वार सोती हुई शारदा पर किया, मां की चीख सुन कर बगल में सो रही कामिनी की आंखें खुल गईं.

दोनों ने गोविंद से धारदार हथियार छीनने का प्रयास किया,लेकिन सफलता नहीं मिली. मांबेटी लहूलुहान हालत में जान बचाने घर से बाहर भागीं, लेकिन हत्यारे ने उन पर चाकू से लगातार कई वार किए. बुरी तरह से घायल मां फर्श पर गिर गई. वहीं कामिनी चीखती हुई घर के बाहर भागी. कामिनी की भाभी रेखा उन्हें बचाने आई, पहचाने जाने के डर से गोविंद ने रेखा पर भी वार कर घायल कर दिया. वह रेखा की भी हत्या करना चाहता था. घटना को अंजाम देने के बाद वह सब से पहले अपने घर पहुंचा. वहां उस ने कपड़े बदले. 400 रुपए और बाइक ले कर वह बाहर निकल गया. खून से सने कपड़े और चाकू एक पौलीथिन में रख कर जंगल में फेंक दिया और छिप गया.

मंगलवार सुबह वह फिरोजाबाद की ओर भाग रहा था, तभी पुलिस ने उसे दबोच लिया. कातिल गोविंद को न्यायालय में पेश किया गया. कोर्ट के आदेश पर उसे जेल भेज दिया गया. अपने घर की चारदीवारी हर किसी के लिए महफूज मानी जाती है. लेकिन शारदा और उस की बेटी कामिनी के लिए अपना घर भी सुरक्षित नहीं रहा. सिरफिरे आशिक ने प्यार की खातिर इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम दे डाला. कामिनी के भाई मनीष की 25 मई को शादी होनी थी. उस के कुछ दिनों बाद जहां कामिनी की घर से डोली उठनी थी, वहां मातम छा गया था. Agra News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Family Crime : मां ने ही बेटे को उतारा मौत के घाट, वजह जानकर रह जाएंगे दंग

Family Crime :  कहते हैं पूत कपूत भले बन जाए, लेकिन माता कभी कुमाता नहीं बनती. लेकिन एकलौते बेटे जितेंद्र के अत्याचारों ने आखिर गीता देवी को कुमाता बनने के लिए मजबूर कर ही दिया…

राजस्थान के भरतपुर जिले और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की सीमाएं एकदूसरे से सटी हुई हैं. इसी सीमा पर भरतपुर जिले की ग्राम पंचायत जाटौली रथभान का गांव कोलीपुरा बसा हुआ है. इसी साल 21 मार्च की बात है. पौ फट गई थी, लेकिन सूरज निकलने में अभी देर थी. कुछ लोग खेतों की तरफ जा रहे थे, तभी उन्होंने कोलीपुरा गांव के पास एक खेत में एक युवक का शव पड़ा देखा. कुछ लोगों ने शव के पास जा कर देखा. वहां शराब की बोतल, गिलास, नमकीन और पानी के पाउच पड़े थे.

खेत में लाश मिलने की बात जल्दी ही आसपास के गांवों में फैल गई. इस के बाद कोलीपुरा समेत दूसरे गांवों के लोग भी मौके पर जमा हो गए. किसी गांव वाले ने पुलिस को इस की सूचना दे दी. सूचना मिलने पर भरतपुर जिले की चिकसाना थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने लाश का मुआयना किया. करीब 25 साल के उस युवक की कनपटी पर गोली लगी हुई थी. लग रहा था कि उसे नजदीक से गोली मारी गई थी. पुलिस ने वहां इकट्ठा लोगों से मृतक युवक के बारे में पूछताछ की. लोगों ने शव देख कर उस की शिनाख्त कर ली. उस का नाम जितेंद्र उर्फ टल्लड़ था. वह मथुरा जिले के ओल गांव के रहने वाले नत्थी सिंह का बेटा था.

एकलौता बेटा था जितेंद्र कोलीपुरा गांव में जिस जगह जितेंद्र की लाश मिली थी, वह जगह उस के गांव से करीब दोढाई किलोमीटर ही दूर थी. उस जगह से कुछ ही दूरी पर शराब का ठेका भी था. पुलिस ने मौके पर मौजद कोलीपुरा गांव के लोगों से पूछताछ की. इस में पता चला कि एक दिन पहले यानी 20 मार्च की शाम को 7-8 बजे के आसपास गांव वालों ने 3-4 युवकों को उस जगह देखा था. गांव वालों से पूछताछ में जो बातें पता चलीं, उस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि जितेंद्र अपने दोस्तों के साथ रात में खाली खेत में शराब पी रहा होगा. इस दौरान किसी बात पर उन दोस्तों में झगड़ा हो गया होगा. झगड़े में ही किसी ने उसे गोली मार दी होगी. गोली पास से मारी गई, जो उस की आंख के नीचे कनपटी पर धंस गई.

लाश की शिनाख्त हो गई थी. मृतक जितेंद्र का गांव भी वहां से ज्यादा दूर नहीं था. इसलिए थानाप्रभारी ने एक सिपाही ओल गांव भेज कर उस के घर वालों को मौके पर बुला लिया. घर वालों ने लाश की शिनाख्त जितेंद्र के रूप में कर दी. उन्होंने पुलिस को बताया कि जितेंद्र कल शाम को आसपास घूमने जाने की बात कह कर घर से निकला था. इस के बाद वह रात को घर नहीं लौटा. रात को उस की तलाश भी की, लेकिन पता नहीं चला. पुलिस ने जितेंद्र के घर वालों से जरूरी पूछताछ की. इस के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दी. पोस्टमार्टम कराने के बाद उसी दिन पुलिस ने लाश जितेंद्र के घर वालों को दे दी.

एकलौते जवान बेटे जितेंद्र की लाश देख कर उस की मां गीता दहाड़े मार कर रोने लगी. जितेंद्र की मौत से दुखी दोनों बहनों और बहनोइयों की आंखों से भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. जवान मौत का गम तो पूरे गांव को था. फिर वे तो घर के लोग थे. उन का रोना, विलाप करना स्वाभाविक था. मृतक के चाचा राधाचरण ने जितेंद्र की हत्या का मामला भरतपुर जिले के चिकसाना पुलिस थाने में दर्ज करा दिया. थानाप्रभारी रामनाथ सिंह गुर्जर ने इस मामले की जांच खुद अपने हाथ में ले ली. पुलिस ने शुरू की जांच मृतक जितेंद्र के पिता नत्थी सिंह की मौत हो चुकी थी. जितेंद्र शादीशुदा था. करीब 9 महीने पहले उस की शादी ज्योति से हुई थी. ज्योति के साथ वह खुश था.

पतिपत्नी में किसी तरह की कोई अनबन नहीं थी. दोनों का दांपत्य जीवन सुखी था. परिवार में केवल 2 ही प्राणी थे. जितेंद्र की मां गीता और उस की पत्नी ज्योति. पुलिस ने इन दोनों से पूछताछ की, लेकिन न तो कातिलों के बारे में कुछ पता चला और न ही कत्ल के कारण का राज सामने आया. पुलिस ने ओल गांव के लोगों से भी पूछताछ की, लेकिन कोई खास बात पता नहीं चली. यह बात जरूर पता चली कि जितेंद्र के घर उस की 2 शादीशुदा बहनों और बहनोइयों का आनाजाना रहता था. पुलिस ने दोनों बहनोइयों विपिन और सुनील से भी पूछताछ की, लेकिन जितेंद्र की हत्या के बारे में ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिस से कातिलों तक पहुंचा जा सके.

जांचपड़ताल में मृतक जितेंद्र की किसी से दुश्मनी या खराब चालचलन की बात भी सामने नहीं आई. यह पता चला कि जितेंद्र शराब पीने का आदी था. शराब पी कर वह घर में क्लेश और अपनी मां से मारपीट करता था. जितेंद्र के घर वालों और गांव वालों से पूछताछ में कोई बात पता नहीं चलने पर पुलिस ने ओल गांव से कोलीपुरा तक 2 किलोमीटर के दायरे में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने का फैसला किया. सीसीटीवी फुटेज में एक पलसर बाइक पुलिस के संदेह के दायरे में आई. पुलिस ने नंबरों के आधार पर इस बाइक के मालिक का पता लगाया. इस के बाद पुलिस ने महेंद्र ठाकुर को पकड़ा. वह मथुरा जिले के फरह थानांतर्गत परखम गांव का रहने वाला है.

किराए के हत्यारे ने उगला राज सख्ती से पूछताछ में महेंद्र ठाकुर ने जितेंद्र की हत्या का राज उगल दिया. उस ने जो बताया, उस से पुलिस को भी एक बार तो भरोसा नहीं हुआ कि कोई मां भी अपने बेटे को मरवा सकती है. पुलिस ने महेंद्र ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के आधार पर मृतक के बहनोई विपिन को भी गिरफ्तार कर लिया. विपिन मथुरा जिले के फरह थाना इलाके के गांव सनोरा का रहने वाला है. विपिन से पूछताछ के बाद पुलिस ने पहली अप्रैल को जितेंद्र की मां गीता देवी को भी गिरफ्तार कर लिया. इन से पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह एक मां की अपनी कोख से पैदा किए एकलौते बेटे के प्रति नफरत की इंतहा की कहानी है.

मथुरा जिले के ओल गांव के रहने वाले नत्थी सिंह के परिवार में उस की पत्नी गीता देवी के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा था. नत्थी के पास खेतीबाड़ी थी. इस से अच्छी गुजरबसर हो जाती थी. घरपरिवार में मौज थी. किसी तरह की कोई कमी नहीं थी. नत्थी सिंह की कुछ साल पहले मृत्यु हो गई. गीता देवी पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई. दोनों बेटियां जवान हो रही थीं. इसलिए उसे उन के हाथ पीले करने की ज्यादा फिक्र थी. रिश्तेदारों से पूछ परखने के बाद उस ने अपनी दोनों बेटियों की शादी पास के ही गांव सनोरा में एक ही परिवार में तय कर दी. सनोरा गांव भी मथुरा जिले के फरह थाना इलाके में आता है. गीता ने सनोरा गांव के रहने वाले विपिन से बड़ी बेटी की शादी कर दी और विपिन के छोटे भाई सुनील से छोटी बेटी की शादी कर दी.

बेटियों की शादी के बाद गीता देवी के सिर से एक बोझ सा उतर गया. उस की आधी चिंता खत्म हो गई. दोनों बेटियां पास के ही गांव में ब्याही थीं, इसलिए उन का जब मन होता, मां गीता के पास आ जाती थीं. गीता का दोनों बेटियों से ज्यादा मोह था. इसलिए बेटी या जमाई आते तो वह खुले हाथ से उन पर पैसे खर्च करती थी. उन्हें दान या शगुन देने में कोई कंजूसी नहीं करती थी. कभी कोई दुखतकलीफ होती तो गीता फोन कर दोनों में से किसी भी बेटी को अपने पास बुला लेती. 2-4 दिन रुक कर वे चली जातीं. गीता का मन अपनी बेटियों में ज्यादा लगता था. होने को तो वे जितेंद्र की ही बहनें थी, लेकिन मां का बेटियों के प्रति लाडप्यार देख कर जितेंद्र को कोफ्त होती थी.

शराब पी कर कलह करता था जितेंद्र जितेंद्र शराब पीता था. उस की इस बुरी लत पर मां टोकती थी. बहनें जब घर पर होतीं, तो वे भी जितेंद्र को लताड़ लगाती थीं. मां और बहनों के टोकने पर उसे बुरा लगता था. ऐसा 1-2 बार नहीं, बीसियों बार हुआ. धीरेधीरे जितेंद्र के मन में मां और बहनों के प्रति गुस्सा बढ़ने लगा. शराब पीने के बाद जितेंद्र कई बार अपनी मां से मारपीट करने लगा. पहले तो मां और बहनबहनोइयों ने उसे समझाया, लेकिन उस के दिमाग में यह बात बैठ गई कि मां उस से ज्यादा प्यार दोनों बहनों को करती है. इस से जितेंद्र के मन में हीनभावना बढ़ती गई.

वह मां की बातों पर ऐतराज जताने लगा. मां जब अपनी बेटियों और जमाई को पैसे या कोई सामान देती तो जितेंद्र को बुरा लगता था. वह घर में मां से झगड़ा करता और उसे पीटता था. बुढ़ापे की ओर बढ़ रही गीता बेटे की रोजरोज की पिटाई को आखिर कब तक बरदाश्त करती. घर में हालत यह हो गए कि मां और बेटा दोनों एकदूसरे से नफरत करने लगे. दोनों नफरत की आग में जलते थे. जितेंद्र तो अपनी नफरत की आग को मां की पिटाई कर शांत कर लेता था, लेकिन गीता क्या करती? वह जवान बेटे का मुकाबला भी नहीं कर सकती थी. एक दिन गीता ने अपने बड़े जमाई विपिन को घर बुला कर सारी बातें बताईं. विपिन को पहले से ही अपने साले जितेंद्र की सारी हरकतों के बारे में पता था.

विपिन को यह भी पता था कि जितेंद्र को समझानेबुझाने का कोई फायदा नहीं है. उस ने अपनी सास को कोई न कोई रास्ता निकालने का भरोसा दिया और यह सुझाव दिया कि जितेंद्र की शादी कर दी जाए. हो सकता है शादी के बाद वह सुधर जाए. गीता को भी यह बात ठीक लगी. उस ने रिश्ता ढूंढ कर पिछले साल जितेंद्र की शादी कर दी. ज्योति से उस की शादी धूमधाम से हो गई. गीता ने सोचा था कि शादी के बाद बेटा सुधर जाएगा. शादी का लड्डू खा कर जितेंद्र ज्योति के साथ खुश था. इसी हंसीखुशी के बीच, शादी के कुछ समय बाद ही ज्योति गर्भवती हो गई.

मां ने कराया गर्भपात ज्योति के गर्भवती होने से जितेंद्र खुश था, लेकिन गीता के मन में इस की जरा भी खुशी नहीं थी. बेटे के अत्याचारों से नफरत की आग में सुलगती गीता नहीं चाहती थी कि घर में कोई नया वारिस आए. इसलिए उस ने बहू ज्योति को भरोसे में ले कर उस का ढाई महीने का गर्भपात करा दिया. दरअसल, गीता के पास करीब 50 लाख रुपए की संपत्ति थी. यह संपत्ति वह अपनी दोनों बेटियों को देना चाहती थी. बेटे जितेंद्र को संपत्ति में से फूटी कौड़ी भी नहीं देना चाहती थी. जितेंद्र जब गीता को पीटता था, तो वह कई बार यह बात कह चुकी थी. जितेंद्र को भी इस का अंदेशा था कि पैतृक संपत्ति में से मां उसे कुछ नहीं देगी. इसीलिए वह मां पर अत्याचार और अपनी बहनों का विरोध करता था.

शादी के बाद भी बेटा जितेंद्र नहीं सुधरा. वह अपनी मां पर अत्याचार करता रहा, तो गीता उस से तंग आ गई. उस ने अपने बड़े जमाई विपिन के साथ मिल कर जितेंद्र की रोजरोज की पिटाई से छुटकारा पाने के लिए उस का काम तमाम करने की योजना बनाई. विपिन को इस में अपना फायदा नजर आया. एक तो जितेंद्र मां के लाडप्यार के कारण अपनी बहनों से भी नफरत करता था. इसलिए विपिन ने सोचा कि यदि जितेंद्र नाम का कांटा निकल जाएगा तो नफरत की झाड़ी हमेशा के लिए कट जाएगी. फिर सास गीता भी बेटे की रोज की पिटाई से बच जाएगी. इस के अलावा गीता की संपत्ति भी उस के हाथ में आ जाएगी.

विपिन ने अपनी सास के भरोसे का फायदा उठाया. योजना के तहत, उस ने सास का खाता अपने नजदीकी बैंक में ट्रांसफर करवा लिया और खुद नौमिनी बन गया. गीता के बैंक खाते में करीब 7 लाख रुपए थे. गीता ने विपिन की मदद से इसी साल जनवरी महीने में मथुरा जिले के कुख्यात सुपारी किलर छविराम ठाकुर के गैंग को अपने बेटे जितेंद्र की हत्या की 3 लाख रुपए की सुपारी दे दी. उसी दिन एडवांस के रूप में उसे 50 हजार रुपए भी दे दिए. छविराम ठाकुर ने अपनी गैंग के शार्पशूटर महेंद्र ठाकुर को जितेंद्र की हत्या का जिम्मा सौंप दिया.

मां ही बनी हत्यारिन योजनाबद्ध तरीके से महेंद्र ठाकुर ने शराब पिलाने के बहाने जितेंद्र से दोस्ती की. इस के बाद 20 मार्च की शाम महेंद्र ने जितेंद्र को बुलाया. महेंद्र के साथ एकदो लोग और भी थे. उन्होंने कोलीपुरा गांव के पास ठेके से शराब खरीदी. इन सभी ने पास ही एक खाली खेत में बैठ कर शराब पी. रात करीब 8-साढ़े 8 बजे शराब का दौर खत्म हुआ तो जितेंद्र ने अपने घर जाने की बात कही. महेंद्र ने उसे पकड़ कर वापस बैठा लिया और तमंचा निकाल कर उस की कनपटी पर गोली मार दी. जितेंद्र कुछ बोलता, उस से पहले ही उस के प्राण निकल गए.

सीसीटीवी फुटेज के आधार पर महेंद्र ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जितेंद्र की हत्या के मामले में उस के बहनोई विपिन और मां गीता को भी गिरफ्तार कर लिया. गीता को अपने ही बेटे की हत्या कराने का कतई मलाल नहीं था. उस ने कहा, ‘‘मैं ने उसे जनम दिया और मैं ने ही उसे मरवा दिया, इस का कोई अफसोस नहीं है. पति की मौत के बाद दोनों बेटियां ही मेरा खयाल रखती थीं. बेटा तो रोज पैसे मांगता और मारपीट करता था. कभी बेटियां मेरे पास आ जातीं, तो वह उन का विरोध करता था.

‘‘वह मेरे बैंक खाते और सारी संपत्ति का अकेला ही मालिक बनना चाहता था. मैं ने उसे कई बार समझाया, लेकिन वह किसी भी कीमत पर दोनों बहनों को स्वीकार नहीं करता था. मैं उस की रोजरोज की कलह से तंग आ गई थी. इसलिए उसे रास्ते से हटाना ही उचित समझा. कोई नया वारिस न आए, इसलिए बहू ज्योति का भी गर्भपात करा दिया.’’ सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. Family Crime

family story hindi : पति की प्रताड़ना से टूट चुकी पत्नी ने 5वीं मंजिल से लगाई छलांग

family story hindi : इंजीनियरिंग की कोचिंग करते समय ही शुभम और रजनी को प्यार हो गया था. लेकिन उन्होंने शादी नौकरी लग जाने के बाद की. ससुराल जाने के बाद रजनी को शुभम का जो रूप देखने को मिला, उस की उस ने कल्पना तक नहीं की थी. इस के बाद जो भयावह मंजर सामने आया वह…

23 मार्च, 2021 की शाम 5 बजे चकेरी थानाप्रभारी दधिबल तिवारी को सूचना मिली कि चंदारी स्थित 60 साइंटिस्ट हौस्टल की पांचवीं मंजिल से कूद कर रक्षा शोध संस्थान की अवर अभियंता रजनी त्रिपाठी ने खुदकुशी कर ली है. यह खबर उन्हें कृष्णानगर चौकी इंचार्ज आर.जे. गौतम द्वारा मिली थी. चूंकि मौत का यह मामला हाईप्रोफाइल था, अत: थानाप्रभारी सूचना मिलते ही घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. जाने से पहले उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचना दे दी थी. दधिबल तिवारी पुलिस बल के साथ चंदारी स्थित 60 साइंटिस्ट हौस्टल पहुंचे तो वहां कर्मचारियों की भीड़ जुटी थी. जेई रजनी त्रिपाठी का शव हौस्टल के बाहर खून से तरबतर पड़ा था.

उन का सिर फट गया था और शरीर के अन्य भाग चकनाचूर हो गए थे. कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि रजनी त्रिपाठी डीएमएसआरडीई (डिफेंस मटीरियल ऐंड स्टोर रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट) में अवर अभियंता थी. उन के पास 60 साइंटिस्ट हौस्टल के देखरेख की भी जिम्मेदारी थी. उन्होंने पांचवीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या की है. दधिबल तिवारी अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि खबर पा कर एसएसपी प्रीतिंदर सिंह तथा एसपी (पूर्वी) शिवाजी भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने शव का निरीक्षण किया, फिर वे हौस्टल की पांचवीं मंजिल की छत पर पहुंचे, जहां से रजनी त्रिपाठी ने छलांग लगाई थी.

वहां पर पुलिस अधिकारियों को उन की चप्पलें, मोबाइल फोन और बैग मिला. बैग को खंगाला गया तो बैग में नींद की 15 गोलियों का पैकेट मिला, जिस में 6 गोलियां नहीं थीं. साथ ही फिनायल की बोतल मिली, जिस का ढक्कन खुला था. बैग में एक पर्स भी मिला जिस में नकदी थी. इसी बैग में सुसाइड नोट भी था. बैग को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. पुलिस अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि मौत को गले लगाने से पहले जेई रजनी त्रिपाठी ने नींद की गोलियां खाई थीं और एकदो ढक्कन फिनायल भी पिया था. फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल की बारीकी से जांच की. टीम ने बैग से बरामद सामान की भी जांच की तथा साक्ष्य एकत्र किए.

एसएसपी प्रीतिंदर सिंह व एसपी शिवाजी ने मृतका के मोबाइल को खंगाला तो उस में रजनी के पिता का मोबाइल नंबर सेव था. अत: उन्होंने उन के पिता परमात्मा शरण को उन की मौत की सूचना दी तथा शीघ्र घटनास्थल पर आने को कहा. बेटी की मौत की सूचना पा कर वह घबरा गए. इस के बाद तो उन के घर परिवार में सनसनी फैल गई. बैग में मिला सुसाइड नोट मृतका के पिता को सूचना देने के बाद पुलिस अधिकारियों ने बैग से बरामद रजनी के सुसाइड नोट का अवलोकन किया. सुसाइड नोट अंगरेजी में लिखा गया था, जिस में उन्होंने लिखा था, ‘पति शिवम मुझे प्रताडि़त करता है. रुपयों की मांग करता है. सास, जेठ, देवर भी धमकाते हैं. हमारी मासूम बेटी का इलाज भी पति नहीं कराना चाहता. वह चाहता है कि बेटी मर जाए.’

सुसाइड नोट पढ़ने के बाद पुलिस अधिकारी समझ गए कि रजनी त्रिपाठी ने पति व ससुरालीजनों की प्रताड़ना से आजिज आ कर आत्महत्या की है. उन की मौत का जिम्मेदार उन का पति व ससुराल के अन्य लोग हैं. उन्हें कानून के शिकंजे में कसना होगा. इसी समय मृतका रजनी के परिवार के लोग आ गए. बेटी का शव देख कर परमात्मा शरण त्रिपाठी फफक पड़े. भाई निखिल भी रो पड़ा. पुलिस अधिकारियों ने उन्हें धैर्य बंधाया तथा घटना के संबंध में पूछताछ की. परमात्मा शरण ने उन्हें बताया कि वह आईआईटी नानकारी में रहते हैं. उन्होंने मई, 2019 में बड़ी बेटी रजनी का विवाह गुजैनी निवासी शुभम पांडेय के साथ किया था. शादी के चंद माह बाद ही वह बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करने लगा.

रजनी की सास शशि पांडेय तथा जेठ सत्यम व देवर हिमांशु उर्फ सनी भी उसे दहेज के लिए प्रताडि़त करते थे. उन की मांग थी कि मायके से 10 लाख रुपए ला कर दे तथा गांव की जमीन में भी हिस्सा दो. मांग पूरी न होने पर उन्होंने रजनी को जान से मारने की धमकी दी थी. धमकी से डर कर रजनी मायके में आ कर रहने लगी थी. मार्च 2020 में जब लौकडाउन लगा तो दामाद शुभम पांडेय भी आ कर बेटी के साथ रहने लगा. यहां भी वह रजनी को प्रताडि़त करता था और वेतन का रुपया छीन लेता था. विरोध करने पर वह घर वालों से मारपीट पर उतारू हो जाता था.

26 फरवरी, 2020 को रजनी ने अस्पताल में बेटी को जन्म दिया था. बेटी पैदा होने से शुभम नाराज था क्योंकि वह बेटा चाहता था. जन्म के बाद मासूम को इंफैक्शन हो गया था. इलाज के लिए उसे प्राइवेट अस्पताल में भरती कराया था. लेकिन शुभम बेटी का इलाज नहीं कराना चाहता था. वह चाहता था कि वह मर जाए. इलाज को ले कर वह रजनी तथा घर के लोगों को प्रताडि़त करता था. एक सप्ताह पहले वह रजनी से लड़झगड़ कर अपने घर गुजैनी चला गया था. तब से रजनी बेहद परेशान थी. आज सुबह 10 बजे रजनी कार से ड्राइवर के साथ अस्पताल का बिल पास कराने अपने औफिस के लिए निकली थी.

11 बजे हमारी रजनी से बात भी हुई थी. लेकिन उस के बाद मुझे शाम को उस की मौत की सूचना मिली. रजनी की मौत का जिम्मेदार उस का पति शुभम पांडेय तथा उस के घर वाले हैं. उन दहेजलोभियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी काररवाई की जाए. निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका रजनी के शव को पोस्टमार्टम हेतु लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया. चूंकि मृतका के सुसाइड नोट में उत्पीड़न की बात कही गई थी तथा मृतका के पिता ने भी दहेज उत्पीड़न की बात कही थी. अत: एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने चकेरी थानाप्रभारी दधिबल तिवारी को तुरंत रिपोर्ट दर्ज करने तथा आरोपियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया.

आदेश पाते ही दधिबल तिवारी ने मृतका रजनी के पिता परमात्मा शरण त्रिपाठी की तहरीर पर भादंवि की धारा 304 के तहत मृतका के पति शुभम पांडेय, जेठ सत्यम पांडेय, देवर हिमांशु तथा सास शशि पांडेय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उन की गिरफ्तारी के प्रयास में जुट गए. 24 मार्च, 2021 को जब रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान की अवर अभियंता रजनी त्रिपाठी की मौत की खबर अखबारों में छपी तो शुभम पांडेय व उस के घर वाले घबरा उठे. उन की बेचैनी तब और बढ़ गई, जब उन्हें पता चला कि उन के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज हो चुका है और पुलिस उन की तलाश में जुटी है.

वे अपने बचाव में घर से फरार हो गए और गिरफ्तारी से बचने के लिए सत्तापक्ष के नेताओं के तलवे चाटने लगे. 24 मार्च को ही कड़ी सुरक्षा के बीच मृतका रजनी के शव का पोस्टमार्टम हुआ. पोस्टमार्टम हाउस के बाहर उमड़ी भीड़ के बीच कल्याणपुर से विधायक एवं उच्च शिक्षा राज्यमंत्री नीलिमा कटियार भी पहुंचीं. उन्होंने बिलखते मृतका के पिता परमात्मा शरण त्रिपाठी को धैर्य बंधाया और कहा कि दुख की इस घड़ी में वह उन के साथ हैं. वह उन की हरसंभव मदद करेगी. दहेजलोभियों को बख्शा नहीं जाएगा. उन की गिरफ्तारी जल्द ही होगी.

चूंकि राज्यमंत्री का बयान पुलिस के जेहन में था. अत: पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर मृतका रजनी के पति शुभम पांडेय व जेठ सत्यम पांडेय को नाटकीय ढंग से 25 मार्च को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में शुभम व सत्यम पांडेय ने खुद को निर्दोष बताया. उन्होंने मृतका के पिता द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताया. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने कभी भी रजनी का उत्पीड़न नहीं किया. उस ने प्रेम विवाह किया था. दहेज की बात कहां से आ गई. रजनी जिद्दी व घमंडी थी. वह हमारे परिवार को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करती थी. जेई रजनी ने किया था प्रेम विवाह कानपुर शहर का एक मोहल्ला नानकारी पड़ता है. आईआईटी से नजदीक होने के कारण इसे आईआईटी नानकारी के नाम से जाना जाता है.

यह कल्याणपुर थाना अंतर्गत आता है. इस मोहल्ले में ज्यादातर धनाढ्य लोगों का निवास है. इसी नानकारी में परमात्मा शरण अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी गुड्डी के अलावा 3 बेटियां रजनी, अंशुल, रोषी तथा एक बेटा निखिल था. परमात्मा शरण त्रिपाठी कानपुर के मुख्य डाकघर में वरिष्ठ सहायक के पद पर थे. उन का अपना आलीशान मकान था. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. परमात्मा शरण त्रिपाठी स्वयं पढ़ेलिखे थे, अत: उन्होंने अपने बच्चों को भी उच्चशिक्षा दिलाई थी. अंशुल पढ़लिख कर बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थी, जबकि बेटा निखिल आईआईटी कानपुर से पीएचडी कर रहा था. बड़ी बेटी रजनी की तमन्ना इंजीनियर बनने की थी. वह खूब मेहनत कर रही थी और इंजीनियरिंग की कोचिंग भी जाती थी.

रजनी त्रिपाठी जिस कोचिंग सेंटर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए जाती थी, उसी में शुभम पांडेय भी पढ़ने आता था. शुभम पांडेय कानपुर के गोविंदनगर थानांतर्गत गुजैनी मोहल्ले में रहता था. उस का बड़ा भाई सत्यम पांडेय प्राइमरी स्कूल में शिक्षक था, जबकि छोटा भाई हिमांशु उर्फ सनी लेखपाल था. मां शशि पांडेय घरेलू महिला थीं. उन की आर्थिक स्थिति भी मजबूत थी. शुभम और रजनी हमउम्र थे. दोनों साथसाथ कोचिंग कर रहे थे, अत: उन में दोस्ती थी. दोस्ती धीरेधीरे प्यार में बदल गई. प्यार का रंग गहरा हुआ तो दोनों एकदूसरे के बिना अपने को अधूरा समझने लगे. एक रोज प्यार के क्षणों में शुभम ने अपनी मोहब्बत का इजहार कर दिया तो रजनी ने उस के प्यार पर मोहर लगा दी.

दोनों में तय हुआ कि डिग्री हासिल करने के बाद जब वे नौकरी करने लगेंगे, तब ब्याह रचा लेंगे. समय बीतने के साथ शुभम ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली और वह एक निजी कंपनी में इंजीनियर बन गया. रजनी त्रिपाठी भी डिग्री हासिल करने के बाद डीएमएसआरडीई (रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान) में अवर अभियंता के पद पर नौकरी करने लगी. उसे 60 साइंटिस्ट हौस्टल के देखरेख की जिम्मेदारी भी दी गई. हर रोज विभागीय कार ड्राइवर के साथ वह औफिस आतीजाती थी. नौकरी लग जाने के बाद शुभम ने रजनी के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे रजनी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया. दोनों ने परिवार वालों को अपने प्यार के बाबत बताया और शादी की इच्छा जताई.

दोनों परिवारों की सहमति के बाद 2 मई, 2019 को रजनी और शुभम शादी के बंधन में बंध गए. शुभम की दुलहन बन कर रजनी ससुराल आ गई. ससुराल वालों ने किया प्रताडि़त ससुराल में चंद माह बाद ही रजनी को प्रताडि़त किया जाने लगा. पति, सास, जेठ व देवर उस पर 10 लाख रुपया मायके से लाने का दबाव बनाने लगे. गांव की जमीन में भी हिस्सा देने की बात कहने लगे. रजनी ने जब बात मानने से इनकार कर दी तो उसे प्रताडि़त किया जाने लगा. उसे जानमाल की धमकी भी दी जाने लगी. प्रताड़ना से आजिज आ कर रजनी ससुराल छोड़ कर मायके आ गई. मार्च, 2020 में जब लौकडाउन घोषित हुआ तो शुभम का काम प्रभावित हुआ. अत: वह भी रजनी के साथ नानकारी आ कर रहने लगा.

ससुराल में रहते हुए भी शुभम पत्नी को प्रताडि़त करता और उस का वेतन छीन लेता. रजनी व उस के मातापिता विरोध करते तो शुभम उन के साथ मारपीट करता. लोकलाज और बेटी के भविष्य को देखते हुए परमात्मा शरण, शुभम के खिलाफ कोई काररवाई न करते. 26 फरवरी, 2021 को रजनी ने प्राइवेट अस्पताल में एक बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म से शुभम का मूड खराब हो गया. उस ने खूब हंगामा किया और रजनी को भी प्रताडि़त किया. बेटी बीमार पड़ी तो वह उस का इलाज भी नहीं कराना चाहता था. वह चाहता था कि बेटी मर जाए. लेकिन रजनी ने इलाज कराया तो वह 12 मार्च को लड़झगड़ कर तथा तरहतरह की धमकियां दे कर अपने घर गुजैनी चला गया.

पांचवीं मंजिल से लगाई छलांग पति की प्रताड़ना से रजनी टूट चुकी थी. उसे अपना जीवन नीरस लगने लगा था. वह दिनरात अपने व अपनी मासूम बेटी के भविष्य के बारे में सोचती. वह कई दिनों तक इन्हीं झंझावात में उलझी रही. आखिर उस ने हताश जिंदगी का अंत करने का निश्चय किया. इस के लिए उस ने 15 गोलियों वाले नींद की गोली के पत्ते को खरीदा तथा फिनायल की एक बोतल खरीदी. इसे उस ने अपने बैग में सुरक्षित कर लिया. इस के बाद रात में उस ने अंगरेजी में सुसाइड नोट लिखा और उसे भी बैग में रख लिया. 23 मार्च, 2021 की सुबह 10 बजे रजनी कार से ड्राइवर के साथ घर से निकली. लगभग 11 बजे पिता ने उस से बात की तो उस ने बताया कि वह हौस्पिटल का बिल पास कराने चंदारी स्थित औफिस जा रही है.

उस के बाद रजनी शहर में घूमती रही. शाम 4 बजे वह औफिस पहुंची. कार उस ने सड़क किनारे खड़ी करा दी और 60 साइंटिस्ट हौस्टल पहुंची. इस के बाद वह सीढि़यां चढ़ कर हौस्टल की पांचवीं मंजिल की छत पर पहुंची. यहां उस ने चप्पलें उतारीं और बैग से नींद की 6 गोलियां निकाल कर फिनायल के साथ निगल लीं. उस के बाद उस ने छलांग लगा दी. हौस्टल के कर्मचारियों ने रजनी की बौडी को देखा तो वह सहम गए. उन में से एक कर्मचारी ने भाग कर कृष्णानगर चौकी इंचार्ज आर.जे. गौतम को सूचना दी. चौकी इंचार्ज ने तुरंत थानाप्रभारी दधिबल तिवारी को घटना से अवगत कराया. उस के बाद पुलिस व अधिकारी घटनास्थल पहुंचे.

26 मार्च, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त शुभम व सत्यम पांडेय को कानपुर कोर्ट में मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक शशि व हिमांशु पांडेय को पुलिस गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही थी. family story hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Rajasthan News : देवर के साथ मिलकर पति की सुपारी देकर कराई हत्या

Rajasthan News : आवारा सन्नी की नजर अपने ताऊ के एकलौते बेटे कृष्णकुमार की करोड़ों रुपए की संपत्ति पर थी, इसलिए उस ने कृष्णकुमार की पत्नी कुसुमलता को अपने प्यार के जाल में फांस लिया. फिर कुसुमलता को अपने विश्वास में ले कर उस ने ऐसी चाल चली कि…

पहली अप्रैल, 2021 को सुबह के करीब पौने 8 बज रहे थे. राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ थाने के थानाप्रभारी विनोद सांखला को फोन पर सूचना मिली कि जखराना बसस्टैंड के पास एक बाइक और स्कौर्पियो गाड़ी की भिड़ंत हो गई है. सूचना मिलते ही विनोद सांखला पुलिस टीम ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. घटनास्थल पर काफी भीड़ जमा थी. पुलिस को देखते ही थोड़ा हट गई. पुलिस ने देखा कि वहां एक व्यक्ति की दबीकुचली लाश सड़क पर पड़ी थी. थोड़ी दूरी पर मृतक की मोटरसाइकिल गिरी पड़ी थी. घटनास्थल पर प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि नीमराना की तरफ से स्कौर्पियो गाड़ी आई थी.

स्कौर्पियो में सवार लोगों ने जानबूझ कर मोटरसाइकिल को टक्कर मारी थी. बाइक सवार स्कौर्पियो की टक्कर से उछल कर दूर जा गिरा. तब स्कौर्पियो यूटर्न ले कर आई और बाइक से गिरे युवक को कुचल कर चली गई. गाड़ी के टायर युवक के सिर पर से गुजरे तो सिर का कचूमर निकल गया. जब स्कौर्पियो सवार निश्चिंत हो गए कि बाइक सवार की मौत हो गई है, तब वे वापस उसी रोड से भाग गए. वहां मौजूद लोगों ने थानाप्रभारी विनोद सांखला को बताया कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या है. स्कौर्पियो में सवार अज्ञात लोगों ने बाइक सवार को जानबूझ कर टक्कर मार कर हत्या की है.

थानाप्रभारी ने घटना की खबर उच्च अधिकारियों को दे दी. खबर पा कर बहरोड़ के सीओ और एसडीएम घटनास्थल पर आ गए. बाइक सवार युवक की पहचान कृष्णकुमार यादव निवासी भुंगारका, महेंद्रगढ़, हरियाणा के रूप में हुई. कृष्णकुमार यादव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जखराना में अपर डिविजन क्लर्क के पद पर कार्यरत था. कृष्णकुमार के एक्सीडेंट होने की खबर पा कर विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि कृष्णकुमार यादव अपने पिताजी की औन ड्यूटी मृत्यु होने पर उन की जगह मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पर लगा था.

कृष्णकुमार अपने मांबाप का इकलौता बेटा था. वह अपने गांव भुंगारका से रोजाना बाइक द्वारा ड्यूटी आताजाता था. सीओ देशराज गुर्जर ने भी घटनास्थल का मुआयना किया और उपस्थित लोगों से जानकारी ली. जानकारी में यही सामने आया कि कृष्णकुमार की साजिशन हत्या की गई है. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज निकाले. फुटेज से पता चला कि प्रत्यक्षदर्शियों ने जो बातें बताई थीं, वह सच थीं. हत्यारे कृष्णकुमार की हत्या को दुर्घटना दिखाना चाह रहे थे. मगर लोगों ने यह सब अपनी आंखों से देखा था.

मृतक के परिजनों को भी हत्या की खबर दे दी गई. खबर मिलते ही मृतक के घर वाले एवं रिश्तेदार घटनास्थल पर आ गए. उन से भी पुलिस ने पूछताछ की और शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद वह परिजनों को सौंप दिया. मृतक के परिजनों की तरफ से कृष्णकुमार की हत्या का मामला बहरोड़ थाने में दर्ज करा दिया गया. बहरोड़ थानाप्रभारी विनोद सांखला, एसआई सुरेंद्र सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों की टीम ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर स्कौर्पियो गाड़ी के नंबरों के आधार पर जांच शुरू की. पुलिस ने स्कौर्पियो गाड़ी का नंबर दे कर सभी थानों से इस नंबर की गाड़ी की जानकारी देने को कहा.

तभी जयपुर पुलिस ने सूचना दी कि इस नंबर की स्कौर्पियोगाड़ी पावटा जयपुर में खड़ी है. पुलिस टीम ने पावटा जयपुर पहुंच कर वहां से स्कौर्पियो गाड़ी सहित 2 युवकों अशोक और पवन को भी हिरासत में ले लिया. गाड़ी के मालिक अजीत निवासी भुंगारका सहित कुछ और संदिग्ध युवकों को भी पुलिस ने पूछताछ के लिए उठा लिया. थाने में इन सभी से पूछताछ की. अशोक व पवन मेघवाल एक ही रट लगाए थे कि उन की कृष्णकुमार से कोई दुश्मनी नहीं थी. अचानक वह गाड़ी से टकरा गया था. बाइक के एक्सीडेंट के बाद हड़बड़ाहट में गाड़ी घुमाई तो कृष्णकुमार पर गाड़ी चढ़ गई.

उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात का डर लग रहा था कि लोग उन्हें पकड़ कर मार न डालें, इस डर के कारण वे गाड़ी भगा ले गए. मगर आरोपियों की यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी. भुंगारका निवासी अजीत ने पुलिस को बताया कि उस ने अपनी स्कौर्पियो गाड़ी 1 लाख 80 हजार में सन्नी यादव को बेच दी. सन्नी ने अशोक के नाम पर यह गाड़ी खरीदी थी. अजीत ने पुलिस को सन्नी का नाम बताया. तब तक पुलिस को लग रहा था कि अजीत का इस मामले से कोई संबंध नहीं है.

अशोक और पवन मेघवाल 4 दिन तक पुलिस को एक ही कहानी बताते रहे कि अचानक बाइक से गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था. पुलिस को भी लगने लगा था कि मामला कहीं दुर्घटना का ही तो नहीं. मगर सीसीटीवी फुटेज में जो एक्सीडेंट का दृश्य था, वह बता रहा था कि कृष्णकुमार की साजिश के तहत हत्या की गई थी. हत्या को उन्होंने साजिश के तहत दुर्घटना का रूप देने की कोशिश की थी. तब पुलिस अधिकारियों ने अपना पुलिसिया रूप दिखाया. बस फिर क्या था. पुलिस का असली रूप देख कर वे टूट गए और स्वीकार कर लिया कि उन्होंने जानबूझ कर कृष्णकुमार यादव की हत्या की थी, फिर उन्होंने हत्या की कहानी बता दी.

हरियाणा के नांगल चौधरी इलाके के भुंगारका गांव में कृष्णकुमार यादव अपनी पत्नी कुसुमलता (35 वर्ष) के साथ रहता था. कृष्णकुमार की 4 बहनें हैं, जिन की शादी हो चुकी थी. वे सब अपनी ससुराल में हैं. पिता की औनड्यूटी मृत्यु होने के बाद आश्रित कोटे के तहत कृष्णकुमार की क्लर्क पद पर सरकारी स्कूल में नौकरी लग गई थी. वह अपने मातापिता का इकलौता बेटा था. कृष्णकुमार के पड़ोस में उस के चाचा मुकेश यादव रहते थे. उन का बड़ा बेटा सन्नी 10वीं कक्षा में फेल हो गया तो उस ने स्कूल छोड़ दिया. वह कोई कामधंधा नहीं करता था. कृष्णकुमार के परिवार के ठाठबाट देखता तो उसे जलन होती थी. क्योंकि कृष्णकुमार के पास करोड़ों की संपत्ति थी.

कृष्णकुमार के नाम करीब 50 बीघा जमीन थी. जोधपुर, राजस्थान के फलोदी में 17 बीघा जमीन, बहरोड़ में 2 कामर्शियल प्लौट, भुंगारका गांव में 32 बीघा जमीन व आलीशान मकान था. यह सब कृष्णकुमार के नाम था. सन्नी ने योजना बनाई कि अगर कुसुमलता को वह प्यार के जाल में फंसा क र कृष्णकुमार को रास्ते से हटा दे तो वह कुसुमलता से विवाह कर के करोड़ों की प्रौपर्टी का मालिक बन सकता है. आज से 3 सल पहले सन्नी ने कुसुमलता पर डोरे डालने शुरू किए. कुसुमलता रिश्ते में उस की भाभी लगती थी. सन्नी से कुसुमलता उम्र में 10 साल बड़ी थी. मगर वह जायदाद हड़प कर करोड़पति बनने के चक्कर में अपने से 10 साल बड़ी भाभी के आसपास दुम हिलाने लगा.

कृष्णकुमार ड्यूटी पर चला जाता तो कुसुमलता घर में अकेली रह जाती थी. कृष्णकुमार की गैरमौजूदगी में सन्नी उस की बीवी के पास चला आता था. सन्नी कुसुमलता के चाचा ससुर का बेटा था. वह भाभी से हंसीमजाक करतेकरते उसे बांहों में भर कर बिस्तर तक ले आया. कुसुमलता भी जवान देवर की बांहों में खेलने लगी. वह सन्नी की दीवानी हो गई. सन्नी की मजबूत बांहों में कुसुमलता को जो शारीरिक सुख का चस्का लगा, वह दोनों को पतन के रास्ते पर ले जा रहा था. सन्नी ने कुसुमलता को अपने रंग में ऐसा रंगा कि वह उस के लिए पति के प्राण तक लेने पर आमादा हो गई. आज से करीब डेढ़ साल पहले सन्नी ने कुसुमलता से कहा,

‘‘कुसुम, तुम रात में कृष्णकुमार को बिजली के करंट का झटका दे कर मार डालो. इस के बाद हम दोनों के बीच कोई तीसरा नहीं होगा. पति की जगह तुम्हारी नौकरी भी लग जाएगी. मैं तुम से विवाह कर लूंगा और फिर हम मौज की जिंदगी जिएंगे.’’

‘‘ठीक है सन्नी, मैं पति के रास्ते से हटाने का इंतजाम करती हूं.’’ कुसुमलता ने हंसते हुए कहा.

वह देवर के प्यार में पति की हत्या करने करने का मौका तलाशने लगी. एक दिन कृष्णकुमार रात में गहरी नींद में था. तब कुसुमलता ने उसे बिजली का करंट दिया. करंट का कृष्णकुमार को झटका लगा तो वह जाग गया. तब बीवी ने कूलर में करंट आने का बहाना बना दिया. कृष्णकुमार को करंट का झटका लगा जरूर था, मगर वह मरा नहीं.

यह सुन कर सन्नी बोला, ‘‘कुसुम, जल्द से जल्द कृष्ण का खात्मा करना होगा.’’

‘‘तुम ही यह काम किसी से करा दो. मैं तुम्हारे साथ हूं मेरी जान.’’ कुसुमलता बोली.

कुसुमलता और सन्नी जल्द से जल्द कृष्णकुमार को रास्ते से हटाना चाहते थे. कृष्ण के ड्यूटी जाने के बाद वाट्सऐप कालिंग पर दोनों बातचीत करते थे. सन्नी ने अपने छोटे भाई की शादी कर दी थी. खुद शादी नहीं की थी. उस का मकसद कुसुमलता से शादी करना था. सन्नी भाभी से शादी कर के जल्द से जल्द करोड़पति बनना चाहता था. सन्नी और कुसुमलता के संबंधों की जानकारी किसी ने कृष्णकुमार को दे दी. बीवी और चचेरे भाई के संबंधों की बात सुन कर कृष्णकुमार को बहुत गुस्सा आया. उस ने अपनी बीवी से इस बारे में बात की तो वह त्रियाचरित्र दिखाने लगी. आंसू बहाने लगी. मगर कृष्णकुमार के मन में संदेह पैदा हुआ तो वह उन दोनों पर निगाह रखने लगा.

इस के बाद कुसुमलता ने सन्नी को सचेत कर दिया. दोनों छिप कर मिलने लगे. मगर उन्हें हर समय इसी बात का डर लगा रहता कि कृष्णकुमार को कोई बता न दे. कृष्णकुमार ने सन्नी से भी कह दिया था कि वह उस के घर न आए. यह बात कृष्ण, कुसुम और सन्नी के अलावा कोई नहीं जानता था. किसी को पता नहीं था कि कृष्ण अपनी बीवी और सन्नी पर शक करता है. ऐसे में कुसुमलता और सन्नी ने उसे एक्सीडेंट में मारने की योजना बनाई ताकि उन पर कोई शक भी न करे और राह का कांटा भी निकल जाए. सन्नी ने इस काम में कुछ खर्चा होने की बात कही तो कुसुमलता ने खुद के नाम की 4 लाख रुपए की एफडी मार्च 2021 के दूसरे हफ्ते में तुड़वा दी. 4 लाख रुपए कुसुम ने सन्नी को दे दिए.

सन्नी ने 18 मार्च, 2021 को भुंगारका के अजीत से 1 लाख 80 हजार रुपए में एक स्कौर्पियो गाड़ी एग्रीमेंट के तहत अशोक कुमार के नाम से खरीदी. अशोक को उस ने 2 छोटे मोबाइल व सिम दिए. इन्हीं सिम व मोबाइल के जरिए अशोक की बात सन्नी से होती थी. कृष्णकुमार को मारने के लिए सन्नी ने अशोक को डेढ़ लाख रुपए भी दे दिए. उसी स्कौर्पियो गाड़ी से अशोक ने सन्नी के कहने पर कृष्णकुमार का एक्सीडेंट करने की कई बार कोशिश की मगर वह सफल नहीं हुआ. तब 26 मार्च, 2021 को राहुल अपने दोस्त पवन मेघवाल को भुंगारका के हरीश के होटल पर ले आया. यहां अशोक से पवन की जानपहचान कराई. रात में तीनों शराब पी कर खाना खा कर होटल पर रुके और सुबह चले गए.

30 मार्च, 2021 को अशोक ने पवन से कहा कि मुझे स्कौर्पियो से एक आदमी का एक्सीडेंट करना है. तुम मेरे साथ गाड़ी में रहोगे तो मैं तुम्हें 40 हजार रुपए दूंगा. पवन की अशोक से नई दोस्ती हुई थी और वैसे भी पवन को सिर्फ गाड़ी में बैठे रहने के 40 हजार रुपए मिल रहे थे, इसलिए 40 हजार रुपए के लालच में पवन ने हां कर दी. 31 मार्च, 2021 को अशोक और पवन मेघवाल स्कौर्पियो गाड़ी ले कर जखराना आए लेकिन उस दिन कृष्णकुमार ड्यूटी पर नहीं गया. अशोक रोजाना की बात सन्नी को बता देता था. सन्नी अपनी प्रेमिका भाभी कुसुमलता को सारी बात बता देता था.

पहली अप्रैल 2021 को सुबह साढ़े 7 बजे कृष्णकुमार अपने गांव भुंगारका से ड्यूटी पर जखराना निकला. यह जानकारी कुसुमलता ने अपने देवर प्रेमी सन्नी को दी. सन्नी ने अशोक को यह सूचना दे दी. अशोक कुमार गाड़ी में पवन को ले कर जखराना बसस्टैंड पहुंच गया. जैसे ही कृष्णकुमार मोटरसाइकिल से जखराना बसस्टैंड से स्कूल की ओर जाने लगा, अशोक ने गाड़ी से कृष्णकुमार को सीधी टक्कर मार दी. टक्कर लगते ही कृष्णकुमार दूर जा गिरा. इस के बाद अशोक ने गाड़ी को यूटर्न लिया और कृष्ण के ऊपर एक बार चढ़ा दी, जिस के बाद उस की मौके पर ही मौत हो गई.

इस के बाद सूचना पा कर बहरोड़ पुलिस आई. प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे हत्या बताया. तब पुलिस ने जांच कर हत्या के इस राज से परदा हटाया. अशोक कुमार और पवन मेघवाल से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल रहे सन्नी और उस की प्रेमिका कुसुमलता को भी गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों ने भी कृष्णकुमार की हत्या में शामिल होने का अपराध स्वीकार कर लिया. पूछताछ के बाद कुसुमलता, सन्नी यादव, अशोक यादव और पवन मेघवाल को बहरोड़ कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. Rajasthan News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित