लिवइन पार्टनर का यह कैसा लव

हुस्न और नशे के जाल में फंसा खिलाड़ी – भाग 1

घटना मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा थाने की है. 12 नवंबर, 2018 को आष्टा के टीआई कुलदीप खत्री थाने में बैठे थे. तभी क्षेत्र के कोठरी गांव का हेमराज अपने गांव के कन्हैयालाल को साथ ले कर टीआई के पास पहुंचा. उस ने उन्हें अपने 29 वर्षीय बेटे नरेश वर्मा के लापता होने की खबर दी.

हेमराज ने बताया कि नरेश कराटे में ब्लैक बेल्ट होने के अलावा पावर लिफ्टिंग का राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी रह चुका है. वह सीहोर में अपना जिम खोलना चाहता था. जिम का सामान खरीदने के लिए वह सुबह 10 बजे के आसपास घर से 4 लाख रुपए ले कर निकला था.

उस ने रात 8-9 बजे तक घर लौटने को कहा था. लेकिन जब वह रात 12 बजे तक भी नहीं आया तो हम ने उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की, पर उस का मोबाइल फोन बंद मिला. उस के दोस्तों से पता किया तो उन से भी नरेश के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

नरेश के पास 4 लाख रुपए होने की बात सुन कर टीआई कुलवंत खत्री को मामला गंभीर लगा, इसलिए उन्होंने नरेश की गुमशुदगी दर्ज कर मामले की जानकारी एसपी राजेश चंदेल और एडीशनल एसपी समीर यादव को दे दी.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर टीआई खत्री ने जब हेमराज सिंह से किसी पर शक के बाबत पूछा तो उस ने बादशाही रोड पर रहने वाले सुहैल खान का नाम लिया. उस ने बताया कि सुहैल व उस के बेटे नरेश का वैसे तो कोई मेल नहीं था, इस के बावजूद काफी लंबे समय से नरेश का सुहैल के घर आनाजाना काफी बढ़ गया था.

सुहैल और नरेश की दोस्ती किस तरह बनी और बढ़ी थी, इस बात की जानकारी हेमराज को भी नहीं थी. परंतु लोगों में इस तरह की चर्चा थी कि सुहैल की खूबसूरत बेटी इस का कारण थी और घटना वाले दिन भी नरेश के मोबाइल पर सुहैल का कई बार फोन आया था.

हेमराज ने आगे बताया कि जब देर रात तक नरेश घर नहीं लौटा था तो हम ने सुहैल से ही संपर्क किया. उस ने बताया कि नरेश के बारे में उसे कुछ पता नहीं है. इतना ही नहीं नरेश का अच्छा दोस्त होने के बावजूद सुहैल ने उसे ढूंढने में भी रुचि नहीं दिखाई.

यह जानकारी मिलने के बाद एडीशनल एसपी समीर यादव ने सीहोर कोतवाली की टीआई संध्या मिश्रा को सुहैल की कुंडली खंगालने के निर्देश दिए. टीआई संध्या मिश्रा ने जब सुहैल के बारे में जांच की तो पता चला कि सुहैल कई बार नशीले पदार्थ बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है.

इस के बाद अगले ही दिन पुलिस ने सुहैल के घर दबिश डाली, लेकिन सुहैल घर पर नहीं मिला. घर में केवल उस की बीवी इशरत और बेटा अमन मिले. सुहैल के बारे में पत्नी ने बताया कि उन की तबीयत खराब हो गई थी और वह भोपाल के एलबीएस अस्पताल में भरती हैं.

‘‘उन की तबीयत को क्या हुआ?’’ पूछने पर परिवार वालों ने बताया, ‘‘कभीकभी अधिक नशा करने पर उन की ऐसी ही हालत हो जाती है. इस बार हालत ज्यादा खराब हो गई, जिस से वह कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे.’’

यह बात एडीशनल एसपी समीर यादव के दिमाग में बैठ गई. क्योंकि सुहैल की तबीयत उसी रोज खराब हुई, जिस रोज नरेश गायब हुआ था. दूसरे अब तक तो वह तबीयत खराब होने पर बातचीत करता था, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि वह बोल भी नहीं पा रहा था.

यादव समझ गए कि वह न बोल पाने का नाटक पुलिस पूछताछ से बचने के लिए कर रहा है, इसलिए उन्होंने आष्टा थाने के टीआई को जरूरी निर्देश दे कर सुहैल से पूछताछ के लिए भोपाल के एलबीएस अस्पताल भेज दिया.

सुहैल से पूछताछ के लिए टीआई कुलदीप खत्री एलबीएस अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने वार्ड में भरती सुहैल से पूछताछ की तो उस ने पुलिस की किसी बात का जवाब नहीं दिया.  तब टीआई अस्पताल से लौट आए, लेकिन उन्होंने उस पर नजर रखने के लिए सादे कपड़ों में एक कांस्टेबल को वहां छोड़ दिया.

पुलिस के जाने के कुछ देर बाद सुहैल जेब से मोबाइल निकाल कर किसी से बात करने लगा. यह देख कर कांस्टेबल चौंका और समझ गया कि सुहैल वास्तव में न बोलने का ढोंग कर रहा है. यह बात उस ने टीआई कुलदीप खत्री को बता दी.

अब टीआई समझ गए कि जरूर नरेश के लापता होने का राज सुहैल के पेट में छिपा है. लेकिन सुहैल इलाज के लिए अस्पताल में भरती था. डाक्टर की सहमति के बिना उस से अस्पताल में पूछताछ नहीं हो सकती थी. तब पुलिस ने सुहैल के बेटे और पत्नी को पूछताछ के लिए उठा लिया.

सांप की पूंछ पर पैर रखो तो वह पलट कर काटता है, लेकिन पैर अगर उस के फन पर रखा जाए तो वह बचने के लिए छटपटाता है. यही इस मामले में हुआ.

जैसे ही सुहैल को पता चला कि पुलिस उस के बीवी बच्चों को थाने ले गई है तो वह खुदबखुद स्वस्थ हो गया. इतना ही नहीं, अगले दिन ही वह अस्पताल से छुट्टी करवा कर पहले घर पहुंचा और वहां से सीधे आष्टा थाने जाने के लिए रवाना हुआ. सुहैल भी कम शातिर नहीं था. वह किसी तरह पुलिस पर दबाव बनाना चाहता था. इसलिए आष्टा बसस्टैंड से थाने की तरफ जाने से पहले उस ने सल्फास की कुछ गोलियां मुंह में डाल लीं.

पुलिस को धोखा देने के चक्कर में मौत

सल्फास जितना तेज जहर होता है, उतनी ही तेज उस की दुर्गंध भी होती है. सुहैल का इरादा कुछ देर मुंह में सल्फास की गोली रखने के बाद बाहर थूक देने का था, ताकि जहर अंदर न जाए और उस की दुर्गंध मुंह से आती रहे, जिस से डर कर पुलिस उस से ज्यादा पूछताछ किए बिना ही छोड़ दे. हुआ इस का उलटा. मुंह में रखी एक गोली हलक में अटकने के बाद सीधे पेट में चली गई. इस से वह घबरा गया. उस ने तुरंत थाने पहुंचने की सोची, लेकिन थाने से बाहर कुछ दूरी पर गिर कर तड़पने लगा.

पुलिस को इस बात की खबर लगी तो उसे पहले आष्टा, फिर सीहोर अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उपचार के दौरान सुहैल की मौत हो गई. सुहैल की मौत हो जाने से पुलिस को सुहैल की बीवी और बेटे को छोड़ना पड़ा. अब तक पुलिस पूरी कहानी समझ चुकी थी. नरेश के साथ जो कुछ भी हुआ है, उस में सुहैल और उस के परिवार का ही हाथ है.

हकीकत यह जानते हुए भी एडीशनल एसपी समीर यादव को कुछ दिनों के लिए जांच का काम रोक देना पड़ा. कुछ दिन बाद फिर जांच आगे बढ़ी तो सुहैल की बीवी और बेटे से पूछताछ की गई. लेकिन वे कुछ भी जानने से इनकार करते रहे.

बहू के भेष में आयी मौत

उत्तर प्रदेश जिला फिरोजाबाद के थाना शिकोहाबाद का एक गांव है औरंगाबाद. यहां के निवासी राजाराम बघेल के बेटे राकेश कुमार की उम्र काफी हो गई थी, लेकिन किसी वजह से उस की शादी नहीं हो पा रही थी. मांबाप को बेटे की शादी की चिंता सता रही थी. वे लोग चाहते थे कि किसी तरह राकेश का घर बस जाए. उन्होंने यह इच्छा अपने रिश्तेदारों को भी बता रखी थी.

राजाराम की रिश्ते की एक बहन रज्जो की बेटी रेनू आगरा के पास एत्मादपुर कस्बे में ब्याही थी. एक दिन रेनू ने बातों ही बातों में अपनी पड़ोसन को बताया कि उस के रिश्ते का एक भाई है राकेश, जिस की अभी तक शादी नहीं हुई है. कोई लड़की हो तो बताना.

पड़ोसन ने कुछ सोचते हुए कहा कि वह इटावा के पास जसवंतपुर में रहने वाली पूजा नाम की एक लड़की को जानती है. लड़की सुंदर और भले परिवार की है. लेकिन उस बेचारी के मांबाप नहीं हैं. तुम कहो तो मैं उस से बात कर सकती हूं. लेकिन एक बात और है, यदि बात बन गई तो शादी का दोनों तरफ का खर्चा राकेश के घर वालों को ही करना पड़ेगा.

रेनू ने यह बात मामा राजाराम को बताई तो वह उम्मीद की इस किरण को खोना नहीं चाहते थे. लिहाजा वह बेटे का घर बसाने के लिए दोनों तरफ का खर्चा करने के लिए तैयार हो गए. राजाराम एत्मादपुर में रेनू के यहां चले गए. उन्होंने शादी की बात चलाने वाली उस महिला से बात की तो उस महिला ने 40 हजार रुपए का खर्च बताया. इस के लिए राजाराम तैयार हो गए.

शादी के लिए रेनू ने अपनी पड़ोसन को 40 हजार रुपए मामा राजाराम से दिलवा दिए. दोनों पक्षों में आपसी रजामंदी से तय हुआ कि शादी मंदिर में करा ली जाए तो ठीक रहेगा. इस से शादी का अनावश्यक खर्चा बच जाएगा. और जो 40 हजार रुपए दिए हैं, उन से पूजा के लिए कपड़े, जेवर आदि खरीद लिए जाएंगे. बातचीत में तय हो गया कि शादी फिरोजाबाद के एक मंदिर में संपन्न करा ली जाएगी.

17 नवंबर, 2018 को दोनों पक्ष फिरोजाबाद के एक मंदिर में पहुंच गए. शादी में राकेश के कुछ रिश्तेदारों के साथ ही लड़की पूजा के चाचा, भाई व कुछ अन्य रिश्तेदार शामिल हुए. रीतिरिवाज से राकेश और पूजा का विवाह संपन्न हो गया.

शादी संपन्न होने के बाद दुलहन को विदा करा कर राकेश अपने घर औरंगाबाद गांव लिवा लाया. दूसरे दिन शादी की अन्य रस्मों के साथ ही कंगन खुलने की रस्म संपन्न हुई. घर में खुशी का माहौल था. शादी के बाद राकेश के मन में खुशी के लड्डू फूट रहे थे.

18 नवंबर को पूजा का भाई भी उस से मिलने आ गया. रात 8 बजे नईनवेली दुलहन पूजा ने घर का खाना खुद बनाया. घर में सास कंठश्री, ससुर राजाराम के अलावा पति राकेश ही था. सभी को खाना खिलाने के बाद बहू ने सोते समय सभी को पीने को दूध भी दिया.

बहू के इस व्यवहार से सभी खुश थे. घर के सब काम निपटाने के बाद पूजा भी पति के कमरे में चली गई. जहां राकेश उस का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था. दुलहन के आते ही राकेश ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. इस के बाद वह कुछ देर पूजा से बात करता रहा. बातचीत करते हुए उसे 10 मिनट ही हुए होंगे कि राकेश को नींद आने लगी.

अगले दिन जब राकेश की आंखें खुलीं तो वह शिकोहाबाद के जिला संयुक्त अस्पताल में था. राकेश को पता चला कि उस के अलावा उस के मातापिता भी वहां भरती हैं. सभी को बेहोशी की हालत में वहां पड़ोसियों ने भरती कराया था. अस्पताल से छुट्टी मिली तो वे लोग घर पहुंचे तो वहां न तो उस की पत्नी थी और न ही पत्नी का भाई.

दोनों भाईबहन के वहां न होने पर राकेश को चिंता हुई. घर में तलाशी लेने पर उसे पता चला कि उस के घर में रखे 80 हजार रुपए, सोनेचांदी की ज्वैलरी, नए कपड़ों के अलावा उस की मोटरसाइकिल भी गायब थी. इस का मतलब साफ था कि दोनों भाईबहन यह सामान ले कर रफूचक्कर हो चुके थे. फिर तो यह बात जंगल की आग की तरह पूरे गांव में फैल गई और गांव में लुटेरी दुलहन की चर्चा होने लगी.

किसी ने इस मामले की सूचना थाना शिकोहाबाद को दी तो थानाप्रभारी लोकेश भाटी भी औरंगाबाद में राजाराम के घर पहुंच गए. उन्होंने राकेश से घटना की जानकारी ली. थानाप्रभारी भी समझ गए कि दुलहन के रूप में उस के घर आई पूजा ही योजनाबद्ध तरीके से घर में लूटपाट कर सामान ले गई. इसलिए उन्होंने राकेश की तहरीर पर भादंवि की धारा 328, 380, 420, 34 व 411 के तहत मुकदमा दर्ज कर के मामले की पड़ताल शुरू कर दी.

उन्होंने इस की सूचना एसपी सचिंद्र पटेल को भी दे दी. एसपी सचिंद्र पटेल ने आरोपियों की तलाश के लिए एसपी (ग्रामीण) महेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में सीओ अजय सिंह चौहान, थानाप्रभारी लोकेश भाटी, क्राइम ब्रांच प्रभारी कुलदीप सिंह आदि को शामिल किया गया.

शादी के दौरान राकेश के रिश्तेदारों ने पूजा और उस के परिजनों के कुछ फोटो अपने मोबाइल से खींच लिए थे. उन्होंने वह फोटो पुलिस को सौंप दिए. उन फोटो के आधार पर पुलिस ने मुखबिरों के माध्यम से लुटेरी दुलहन पूजा और उस के परिजनों को तलाशना शुरू कर दिया.

जिस महिला के माध्यम से यह शादी हुई थी, पुलिस ने उस महिला से भी पूछताछ की. वह महिला पुलिस को इटावा जिले के जसवंतनगर गांव में स्थित पूजा के घर पर भी ले गई, लेकिन वहां पूजा नहीं मिली.

पुलिस अपने स्तर से पूजा की तलाश कर रही थी, पर वह नहीं मिली. लेकिन इस जांच के दरम्यान पुलिस को एक महत्त्वपूर्ण जानकारी जरूर मिल गई. पता चला कि राकेश के साथ शादी रचा कर लूट करने वाली दुलहन पूजा जसवंतनगर की नहीं बल्कि जिला फिरोजाबाद के थाना रामगढ़ के अब्बास नगर निवासी सलीम की पत्नी रुखसाना है.

पुलिस ने बिना देरी किए अब्बास नगर में सलीम के घर दबिश डाल दी. उस समय रुखसाना घर पर ही मिल गई. महिला सिपाही प्रेमवती शर्मा ने उसे हिरासत में ले लिया.

थाने ला कर रुखसाना से पूछताछ की गई. उस ने बताया कि उस का नाम पूजा नहीं रुखसाना है और राकेश के यहां हुई लूट की घटना से उस का कोई संबंध नहीं है. जबकि शादी के फोटो से उस का चेहरा मेल खा गया. उस की बातचीत से लग रहा था कि वह झूठ बोल रही है. लिहाजा पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की.

सख्ती से पूछताछ करने पर रुखसाना टूट गई. उस ने न सिर्फ अपना यह अपराध स्वीकार किया बल्कि इस घटना में शामिल अपने गिरोह के साथियों के नाम भी पुलिस को बता दिए.

पूजा उर्फ रुखसाना द्वारा बताए गए साथियों को गिरफ्तार करने के लिए थानाप्रभारी ने एसआई शेर सिंह, हैडकांस्टेबल मनोज कुमार, महिला कांस्टेबल प्रेमवती शर्मा आदि की एक टीम क्राइम ब्रांच प्रभारी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में भेजी.

टीम ने शिकोहाबाद के गांव लभौआ निवासी मुकेश कुमार, थाना रामगढ़ के छपरिया निवासी जुबैर, इटावा जिले के गांव टिमरुआ निवासी अनिल कुमार तथा थाना रामगढ़ के प्रतापनगर निवासी मनोहर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को इन के कब्जे से 12,350 रुपए नकद, राकेश के यहां से लूटे गए सोने के कुछ आभूषण व राकेश की चुराई गई बाइक भी बरामद कर ली. इन से पूछताछ में जो कहानी आई, वह इस प्रकार निकली—

यह 5 लोगों का गिरोह था, जो ऐसे युवकों को अपना शिकार बनाता था जिन की किसी वजह से शादी नहीं हो पा रही होती थी. पूजा उर्फ रुखसाना दुलहन बनती थी, जबकि अनिल कुमार व मुकेश कुमार मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे. जुबैर दुलहन का भाई व वृद्ध मनोहर सिंह फरजी दुलहन के चाचा की भूमिका निभाता था.

इसी तरह इन्होंने राजाराम के बेटे राकेश को फांसा था. 17 नवंबर को जब राकेश की शादी पूजा उर्फ रुखसाना से हुई, तो ये चारों लोग निश्चित समय पर मंदिर भी गए थे. शादी के बाद पूजा जब राकेश के घर पहुंची तो योजनानुसार जुबैर 18 नवंबर को शाम के समय राकेश के घर पहुंच गया.

जुबैर अपने साथ नशीला पाउडर ले कर गया था. दूध में नशीला पाउडर मिला कर राकेश, उस के पिता राजाराम व मां कंठश्री को रात में दे दिया गया. तीनों के बेहोश होते ही दुलहन बनी पूजा और नकली भाई जुबैर ने संदूक व अलमारी की तलाशी ली. उन्होंने उस में रखे नए कपड़े, 80 हजार रुपए की नकदी और ज्वैलरी निकाल ली. फिर दोनों राकेश की मोटरसाइकिल ले कर वहां से रफूचक्कर हो गए.

अभियुक्तों ने बताया कि उन के दिमाग में यह आइडिया अभिनेत्री सोनम कपूर की सन 2015 में आई फिल्म ‘डौली की डोली’ से आया था. जल्द पैसा कमाने के लिए इन लोगों ने भी गैंग बनाया.

गैंग का सदस्य मुकेश कुमार शादी कराने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाता था. रुखसाना पैसों के लालच में इस काम के लिए तैयार हो गई. रुखसाना 4 बच्चों की मां थी. पर अपनी शारीरिक बनावट से ऐसी नहीं दिखती थी.

लड़के पक्ष को बताया जाता कि यह बिना मांबाप की लड़की है. इसलिए शादी का खर्च भी यह दूल्हा पक्ष से ले लेते थे. इस तरह वह जिले के अनेक लोगों को अपना निशाना बना चुके थे. लूटे हुए माल को सभी आपस में बांट लेते थे.

पांचों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद एसपी (देहात) महेंद्र सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर के केस का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि जिस महिला के सहयोग से राकेश की शादी कराई गई थी, उस पर भी शक किया जा रहा है. इस के अलावा गिरोह में और भी लोगों के शामिल होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. जांच के बाद जो भी आरोपी होगा, उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.

पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. उधर राकेश के पिता राजाराम की अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद फिर से तबीयत खराब रहने लगी. उन्हें शायद दूध में ज्यादा मात्रा में नशीला पदार्थ मिला दिया था, जिस से घटना के 20 दिन बाद 4 दिसंबर, 2018 को उन की मौत हो गई.

राजाराम की मौत हो जाने पर पुलिस ने केस में हत्या की धारा भी जोड़ दी. पुलिस मामले की जांच कर रही है. कथा लिखे जाने तक सभी अभियुक्त जेल में बंद थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सुहागन से पहले विधवा बनी स्नेहा

मुट्ठी भर उजियारा : क्या साल्वी सोहम को बेकसूर साबित कर पाएगी?

प्रेमियों के लिए मचलने वाली विवाहिता

इश्क के दरिया में पति को बहाया

सरकारी कारतूसों का नक्सली कनेक्शन

कारतूस कांड घोटाले का संबंध 6 अप्रैल, 2010 की एक हिंसक घटना से है. उस रोज दिनदहाड़े छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा इलाके में एक बड़ा नक्सली हमला हुआ था, जिस में सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर नक्सलियों ने अंधाधुंध गोलियां चला दी थीं.

इस हमले में कुल 76 जवान घटनास्थल पर ही मारे गए थे. इतनी बड़ी घटना से पूरे देश में हाहाकार मच गया था. सामान्य तौर पर नक्सली बारूदी विस्फोट करते रहे हैं या फिर जमीन के नीचे विस्फोटक बिछा देते थे. जबकि यह मामला सीधे गोलियां बरसाने का था.

इस की एसटीएफ द्वारा गहन जांच की जाने लगी तभी इस सिलसिले में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. घटनास्थल पर बरामद सैकड़ों कारतूस पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले यानी प्रतिबंधित थे. इस का सीधा अर्थ था कि नक्सलियों ने पुलिस से सांठगांठ कर गोलियां हासिल कर ली थीं. वे गोलियां 9 एमएम बोर की थीं. फिर क्या था, इस के बाद तो केंद्र समेत कई राज्य सरकारों के कान खड़े हो गए.

मामले की जांच उत्तर प्रदेश की एसटीएफ को सौंपी गई. एसटीएफ की टीम ने बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी शुरू कर दी.

एसआई की डायरी ने खोले राज

एसटीएफ की टीम ने घटना के 3 सप्ताह बाद 29 अप्रैल, 2010 को रामपुर सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के ज्वालानगर में रेलवे क्रौसिंग के पास छापेमारी की. तब सीआरपीएफ के 2 हवलदार विनोद पासवान और विनेश कुमार को गिरफ्तार किया था. उन के पास से कारतूस, राइफल और नकदी बरामद की गई थी.

इस के बाद एसटीएफ ने दोनों की निशानदेही पर अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार लोगों में पीएसी से रिटायर्ड दरोगा यशोदानंद भी शामिल था.

यही नहीं, एसटीएफ ने तीनों के कब्जे से 1.76 लाख रुपए और ढाई क्विंटल कारतूस के खोखे, मैगजीन और हथियारों के पुरजे बरामद किए थे.

इस मामले में एसटीएफ के दरोगा आमोद कुमार सिंह की तहरीर पर सिविल लाइंस रामपुर की कोतवाली में केस दर्ज किया गया था. उस समय रामपुर के एसपी रमित शर्मा थे. उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया था और वर्तमान समय में प्रयागराज पुलिस कमिश्नर ने घटना की जांच अपनी निगरानी में शुरू करवाई थी. जांच के इस क्रम में टीम को यशोदानंद के पास से एक डायरी मिली थी.

यशोदानंद की डायरी में कई जिलों के पुलिस और पीएसी के जवानों के नाम लिखे थे. दरअसल, यशोदानंद उन से खोखा और कारतूस खरीदता था. एसपी ने डायरी के आधार पर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. कुल 25 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. जांच और पूछताछ में करीब एक साल का वक्त लग गया था.

आखिरकार कोर्ट ने इस मामले में 31 मई, 2013 को आरोप तय कर दिया था. हालांकि इस के बाद केस की जब सुनवाई शुरू हुई, तब कोर्ट से सभी आरोपियों को जमानत मिल गई थी. केस की सुनवाई के दौरान ही इस मामले के सूत्रधार यशोदानंद की मौत हो गई थी.

इस तरह कारतूस घोटाले के जिन आरोपियों पर नक्सलियों से संबंध के भी आरोप लगे थे, वह एक गिरोह की तरह काम करते थे.

उस गिरोह का सरगना पीएसी का रिटायर्ड दरोगा यशोदानंद था, जबकि दूसरे सहयोगियों में पुलिस और पीएसी के जो 20 जवान रहे, वे हैं- (1) विनोद पासवान, निवासी महादेवगढ़, थाना भदोह, जिला पटना, बिहार. (2) विनेश, निवासी ग्राम धीमरी, थाना मझोला, जिला मुरादाबाद, यूपी. (3) दिनेश कुमार, निवासी गांव सुधनीपुर कलां, थाना सराय इनायत, प्रयागराज, यूपी. (4) वंशलाल, निवासी वीरपुर, थाना घाटमपुर, जिला, कानपुर नगर, यूपी. (5) अखिलेश पांडेय, निवासी रेकबार डीह, थाना सराय लखन, जिला मऊ, यूपी. (6) रामकृपाल सिंह, निवासी बिशनुपुरा, थाना बिरियारपुर, जिला देवरिया, यूपी. (7) नाथीराम सैनी, निवासी जलालपुर, थाना भवन, जिला शामली. (8) रामकृष्ण शुक्ल, निवासी सुगौना, थाना हरपुर बुधहट, जिला गोरखपुर. (9) अमर सिंह, निवासी चांद बेहटा, थाना कोतवाली नगर, जिला हरदोई. (10) बनवारी लाल, निवासी विजीदपुर, थाना फतेहपुर चौरासी, जिला उन्नाव. (11) राजेश कुमार सिंह, निवासी सोहगप, पूरनपट्टी थाना गुढऩी, जिला सीवान, बिहार. (12) राजेश शाही, निवासी हरैया, थाना तटकुलवा, जिला देवरिया. (13) अमरेश कुमार, निवासी देवनगर, थाना शिवली, जिला कानपुर देहात. (14) विनोद कुमार सिंह, निवासी उमती, थाना रानीपुर, जिला मऊ. (15) जितेंद्र सिंह, निवासी शेखपुरा, थाना बक्सा, जिला जौनपुर. (16) सुशील कुमार मिश्र, निवासी बजेटा, थाना लालगंज बनकटी, जिला बस्ती. (17) ओमप्रकाश सिंह, निवासी रघुनाथपुर, थाना खुरहजा बबुरी, जिला चंदौली. (18) लोकनाथ निवासी, विहिवा कलां, थाना कोतवाली, जिला चंदौली. (19) मनीष कुमार राय, निवासी पई, थाना भंडवा, जिला चंदौली. (20) रजयपाल सिंह, निवासी किशनपुर, थाना बकेवर, जिला फतेहपुर.

21 पुलिस जवानों को हुई सजा

इन पर भले ही  नक्सलियों को कारतूस की सप्लाई के आरोप लगे, लेकिन पुलिस आरोपियों और नक्सलियों के बीच के संपर्क को कोर्ट में साबित करने में नाकाम रही. बचाव पक्ष ने पुलिस पर ही सभी आरोपियों को झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया था. तब अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य और अमित कुमार ने केस की पैरवी करते हुए 9 गवाह पेश किए थे.

साल 2013 में भले ही आरोपियों पर दोष साबित नहीं हो पाया हो, लेकिन यह मामला बना रहा और आरोपियों से पूछताछ और घटनाक्रम की जांचपड़ताल जारी रही. अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि एसटीएफ ने मौके से आरोपियों की गिरफ्तारी की. कारतूस और दूसरे संदिग्ध सामान भी बरामद किए गए. यशोदानंद अलगअलग जिलों में तैनात आर्मरों से खोखा कारतूस खरीद कर नक्सलियों को सप्लाई करता था.

पूछताछ में नाथीराम सैनी ने गिरोह के कारनामे का खुलासा कर दिया. वह बी.आर. अंबेडकर पुलिस अकादमी, मुरादाबाद में आर्मर हैडकांस्टेबल था. उसे एसटीएफ ने मुरादाबाद रेलवे स्टेशन के बाहर से गिरफ्तार किया था. नाथीराम ने बताया कि कैसे उस की मदद से पुलिस ने कारतूस घोटाले को अंजाम दिया था.

मुरादाबाद की पुलिस अकादमी में सबइंसपेक्टर की ट्रेनिंग होती है. पुलिस रंगरूटों को अभ्यास के लिए फायरिंग रेंज में निशाना लगाना होता है. प्रत्येक रंगरूट को निशाने के लिए 7 कारतूस मिलते थे. जबकि वह रिकौर्ड में 7 की जगह 70 दर्ज कर देता था. इस रिपोर्ट को वह अपने सीनियर अफसर को भेज देता था. इसी तरह के काम पीएसी और सीआरपीएफ के कुछ जवान भी करते थे.

शस्त्रागार से कारतूसों की हेराफेरी का यह अनोखा तरीका तब तक किसी की नजर में नहीं आया था. जबकि इस से जवान मोटी रकम हासिल कर लेते थे. कारतूस घोटाले का मास्टरमाइंड रिटायर्ड दरोगा यशोदानंद पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ में फायरिंग अभ्यास के बाद निकलने वाले खाली कारतूस खोखों को भी खरीद लेता था. इस के लिए वह पुलिस पीएसी और सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर के आर्मर के संपर्क में रहता था.

इस की विस्तृत जांच रिपोर्ट तत्कालीन एसपी रमित शर्मा ने बनाई थी और वह थाना सिविल लाइंस के तत्कालीन एसएचओ रईस पाल सिंह को सौंप दी थी. इस में एसआई देवकी नंदन गुप्ता को भी एसपी रमित शर्मा का सहयोगी बनाया गया था. देवकीनंदन ने ही विभिन्न जिलों से 21 पुलिस जवान और 4 अन्य आम नागरिकों को पकड़वाया था.

दोनों पक्षों की सुनवाई का महत्त्वपूर्ण दिन 12 अक्तूबर, 2023 को रामपुर की कचहरी के अपर जिला एवं स्पैशल जज (ईसी) की अदालत का था. इस मामले को सुनने के बाद स्पैशल जज विजय कुमार ने सभी आरोपियों को सरकारी संपत्ति चोरी करने, चोरी का माल बरामद होने और षडयंत्र रचने की धाराओं में दोष सिद्ध कर दिया.

अगले दिन 13 अक्तूबर को उन्हें सजा सुनाई जानी थी. दिन के 10 बज चुके थे. जिला न्यायाधीश विजय कुमार अपने चैंबर में प्रवेश कर चुके थे. कुछ समय में वह अदालत में दाखिल हो गए. अदालत कक्ष खचाखच भरा हुआ था. परिसर में पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी, आरोपियों के परिजनों का भी जमावड़ा लगा हुआ था.

अदालत की काररवाई शुरू हो चुकी थी. पेशकार ने न्यायाधीश महोदय के सामने केस की फाइलें रख दी थीं. उन्होंने सामने रखी फाइलों को खोल कर कुछ कागजात देखते हुए सामने खड़े सरकारी वकील प्रताप सिंह मौर्य और अमित सक्सेना से मामले के बारे में बताने को कहा था.

इस दौरान बचाव पक्ष के वकील शंकर लाल लोधी, पी.के. नंदा, सुधीर सरन कपूर, विनीत चौधरी भी मौजूद थे. उन की दलीलों को न्यायाधीश ने नहीं माना. बचाव पक्ष से सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर, रामपुर के तत्कालीन असिस्टेंट कमांडर जे.एन. मिश्रा को भी अदालत ने तलब किया था. वर्तमान में जे.एन. मिश्रा कश्मीर के पुलवामा में तैनात हैं.

सीआरपीएफ जवानों के अनुरोध पर उन की कोर्ट में गवाही हुई थी. घटना के समय वह सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर, रामपुर में तैनात थे. अपनी गवाही में असिस्टेंट कमांडर जे.एन. मिश्रा ने सीआरपीएफ जवानों को बचाने का प्रयास किया. उन्होंने कहा था कि घटना के समय जवानों की मौजूदगी सीआरपीएफ कैंपस में ही थी, लेकिन अदालत ने उन के बयान को नकार दिया था.

सरकारी वकील ने पिछली सुनवाई में 9 गवाहों के बयानों के चलते अभियुक्तों के बच जाने का हवाला देते हुए नई रिपोर्ट के आधार पर संक्षिप्त जानकारी दी और उन्हें सख्त से सख्त सजा देने की गुजारिश की. इस आधार पर ही बीते दिन 12 अक्तूबर को आरोपियों को दोषी ठहराया गया था.

दोषी ठहराए गए 20 जवानों के अलावा  4 आम लोगों को भी इस मामले में दोषी ठहराया गया था. इस में बिहार के रोहतास के डेहरीआन सोन के तेंदवा थाना के मुरलीधर शर्मा, मऊ के हलधर थाना के अगडीपुर गांव निवासी दिलीप कुमार एवं आकाश और गाजीपुर जिले के थाना बिरनो के बद्ïदूपुर गांव निवासी शंकर हैं.

उत्तर प्रदेश के रामपुर कारतूस कांड में सभी आरोपियों को 10-10 साल की कैद की सजा के साथसाथ 10-10 हजार रुपए का जुरमाना भी लगाया गया. इस के अलावा सीआरपीएफ के दोनों हवलदारों विनाद कुमार पासवान और विनेश कुमार को आम्र्स ऐक्ट में 7-7 साल की सजा और 10-10 हजार का जुरमाना भी लगाया. सभी को अदालत से ही दोपहर बाद सीधा जेल भेज दिया गया.

दुलहनें जो ब्लैकमेल करें, लूटें, मार भी डालें

शादी वाले घर में कुछ रीतिरिवाजों से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में नवविवाहिता शिवानी का तथाकथित भाई और दूसरे साथी भी शामिल हुए.

अगली रात शिवानी ने अपने पति और उस के घर वालों को खाने में नशीला पदार्थ खिला कर बेहोश कर दिया. फिर अपने साथियों के साथ मिल कर शादी का सामान और लाखों रुपए के जेवर ले कर फरार हो गई. यह बात 21 दिसंबर, 2023 की है.

उत्तर प्रदेश के गोंडा में 27 दिसंबर, 2023 को एक अजबगजब चोरी का मामला सामने आया. यहां एक नवविवाहिता अपने ससुराल वालों को नशीला पदार्थ खिला कर घर में रखी नकदी और कीमती जेवर ले कर फरार हो गई. जब ससुराल वालों को होश आया तो उन के पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई. उन्होंने फौरन पुलिस में इस की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आरोपी नवविवाहिता को अपने गिरफ्त में ले लिया. उस के साथ 4 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

बाद में पुलिस ने लुटेरी दुलहन समेत उस के साथियों को गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों के पास लूटे गए लाखों रुपए के जेवरात, घर के सामान, 350 नशीली गोलियां और एक मोबाइल फोन बरामद हुआ.

इन ठगों ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उन का एक संगठित गिरोह है, जो रुपयों के लिए कई तरीके अपना कर ऐसी घटनाओं को अंजाम देता है.

मामला कुछ ऐसा हुआ कि गोंडा जिले के खरगूपुर थाना क्षेत्र के निवासी बृजभूषण पांडेय की किसी वजह से शादी नहीं हो रही थी. तब जोखू नाम के एक बिचौलिए ने लखीमपुर खीरी की शिवानी उर्फ गोमती देवी नाम की युवती से बीते 17 दिसंबर को धूमधाम से उस की शादी करा दी.

यह कैसे फंसाती हैं शिकार को

नवंबर 2023 में भी कानपुर पुलिस ने ऐसी ही एक लुटेरी दुलहन को गिरफ्तार किया था. उस ने पहले पति को तलाक दिए बिना 2 युवकों से शादी की और उन्हें लाखों की चपत लगा दी थी. शातिर महिला का शिकार हुए तीसरे पति ने महिला की असलियत जानने के बाद पुलिस से शिकायत की.

यह महिला सरकारी नौकरी वालों को शिकार बनाती थी और फेसबुक पर दोस्ती का झांसा दे कर शिकार को फंसाती थी. वह सरकारी नौकरी वाले युवकों को प्रेम जाल में फंसाने के बाद उन से शादी करती थी और शादी के बाद लूट का खेल शुरू होता था.

शादी के कुछ समय बाद वह अपने पति से पहले लाखों रुपयों की डिमांड करती थी. ऐसा ही उस ने तीसरे पति शिवम के साथ किया. मगर शिवम ने आर्थिक स्थिति का हवाला दे कर उस की मांग पूरी करने से इंकार दिया. तब उस महिला, जिस का नाम संगीता था, ने स्पाई कैमरे से शिवम के अश्लील वीडियो बनाए और रेप में फंसाने की धमकी देने लगी.

इस से शिवम डर गया. शिवम को पता चला कि संगीता पहले भी कुछ लोगों को शिकार बना चुकी है. उस ने मामले की शिकायत पुलिस से की. जांच में सामने आया कि संगीता की पहली शादी 2017 में आनंद बाबू नामक शख्स से हुई थी. संगीता ने नपुंसक बता कर बिना तलाक दिए पति को छोड़ दिया था. उस के बाद से पैसों के लालच में वह सरकारी नौकरी पेशा लोगों को शिकार बनाने लगी.

फरवरी 2023 में अजमेर के रहने वाले अंकित की शादी भी गोरखपुर की रहने वाली गुडिय़ा से हुई थी. शादी से पहले दुलहन के कथित परिवार वालों ने 80 हजार रुपए नकद और कुछ पैसे औनलाइन ट्रांसफर कराए थे. इस शादी के बाद दोनों परिवार के लोग बनारस से सटे चंदौली जिले के एक गेस्टहाउस में रुके.

शादी की सारी रस्में पूरी हो गईं. विदाई का वक्त हुआ. अंकित ने विदाई कराई. उसे दुलहन को ले कर अजमेर जाना था. सब ट्रेन में सवार हुए. ट्रेन में दुलहन का एक परिचित भी बैठ गया. बनारस से कानपुर तक का सफर सही रहा.

ट्रेन जब कानपुर पहुंची तो दुलहन के इस ‘परिचित’ छोटू ने अपनी पोटली खोली. छोटू की पोटली में नशीला पाउडर था. उस ने अंकित और अंकित के घर वालों को चाय और नमकीन में नशीला पदार्थ मिला कर बेहोश कर दिया. फिर सामान वगैरह लूट कर वह दुलहन अपने साथी छोटू के साथ फरार हो गई. परिवार की बेहोशी टूटी तो उन्हें पूरा मामला समझ में आया और थाने में रिपोर्ट लिखाई गई.

बाद में लुटेरी दुलहन पुलिस की गिरफ्त में आई. इस युवती को दुलहन बनने का इतना शौक था कि वह हर महीने एक दूल्हे को फंसा कर उस से शादी करती थी और उस के बाद माल ले कर अपने साथियों के साथ फरार हो जाती थी.

मामले एक जैसे, लोग सतर्क क्यों नहीं

दिसंबर 2022 में जयपुर पुलिस ने दिल्ली से एक ‘लुटेरी दुलहन’ को गिरफ्तार किया था, जिस ने जुलाई 2022 में शादी की थी. शादी के बदले में दूल्हे के परिवार से 3 लाख रुपए लिए गए थे.

शादी के एक हफ्ते बाद ही दुलहन घर से गहने और 2 लाख रुपए ले कर फरार हो गई थी. पुलिस ने इस मामले में 2 लोगों को भी गिरफ्तार किया था, जिन का काम ही शादी के नाम पर लोगों को ठगना था.

इन सभी मामलों में ठगी का ट्रेंड लगभग एक जैसा रहा है. ठगों का पूरा गैंग होता है. इन में पुरुष सदस्य बिचौलिए का काम करते हैं. वे ऐसे लड़कों का पता लगाते हैं, जो शादी के लिए लड़की की तलाश कर रहे होते हैं. फिर गैंग के ही लोग दुलहन परिवार के सदस्य बन कर दूल्हे के परिवार वालों से मिलते हैं.

शादी से कुछ दिन पहले के बाद खर्च के नाम पर दूल्हे के परिवार से पैसों की मांग की जाती है. कुछ दिन बाद ही दुलहन नकदी और जेवर अपने साथ ले कर फरार हो जाती है. कुछ मामलों में तो एक ही लड़की ने कई बार लुटेरी दुलहन बन कर वारदात को अंजाम दिया है. कई बार शादी वाले जेवर ले कर दुलहन भाग जाती है.

ऐसी ही कहानी अभिनेत्री सोनम कपूर अभिनीत फिल्म ‘डौली की डोली’ की थी, जो 23 जनवरी, 2015 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म में सोनम लुटेरी दुलहन बनी थी. फिल्म में सोनम एक ऐसी लुटेरी दुलहन के किरदार में नजर आई, जो पैसों के लिए शादी करती थी और फिर लड़के को धोखा दे देती है.

सोनम ने फिल्म में एक छोटे शहर की ऐसी लड़की का किरदार निभाया था, जिस के सपने बड़े थे. कुछ समय बाद वह दिल्ली आ जाती है और यहीं से पैसों के लिए लड़कों को ठगते हुए लुटेरी दुलहन बन जाती है.

छानबीन है बहुत जरूरी

शादीब्याह ऐसा मामला है, जिस में 2 परिवार मिलते हैं. उन के बीच हमेशा के लिए एक रिश्ता बन जाता है. इस रिश्ते की डोर सोचसमझ कर ही किसी के हाथों में देनी चाहिए. अचानक इतने बड़े फैसले नहीं लेने चाहिए. खासकर उस समय जब सामने वाला परिवार परिचित नहीं है.

पहले उस परिवार के बारे में दूसरों से खोज खबर लीजिए. उस परिवार और लड़की को भलीभांति समझिए. जब तक सही जानकारी न मिले, शादी करने की जल्दी मत कीजिए.

धोखे से बचना है तो सतर्कता बहुत जरूरी है. कोशिश यह करनी चाहिए कि किसी परिचित परिवार से ही रिश्ता जोड़ें या ऐसे परिवार से जिसे आप का कोई जानने वाला पहले से जानता हो. व्यक्ति को परखिए. उस के बाद ही शादी के लिए ‘हां’ बोलिए.

दोस्त की खातिर : प्रेमिका को उतारा मौत के घाट