मोहब्बत का खतरनाक अंजाम – भाग 1

जीशान अपने भांजे शानू के पैर की ड्रेसिंग करने नहीं आया तो उस की बड़ी बहन अलीशा ने पहले उसे फोन किया, फोन बंद मिला तो उस ने उस की खोजखबर करवाई. लेकिन जब उस का कुछ पता नहीं चला तो अलीशा को लगा कि वह किसी जरूरी काम से कहीं बाहर चला गया होगा, घंटे-2 घंटे में लौट कर ड्रेसिंग कर देगा. यही सोच कर वह अपने कामकाज में लग गई. शाम के 5 बज गए और जीशान नहीं आया तो उसे चिंता हुई. चूंकि उस के पति एहसान किसी जरूरी काम से अहमदाबाद गए हुए थे और घर में कोई दूसरा बड़ाबूढ़ा नहीं था, इसलिए अलीशा ने पड़ोस में रहने वाले समीर को मोहल्ला मकबरा स्थित अपने दूसरे मकान पर जीशान के बारे में पता करने के लिए भेज दिया.

अलीशा के उस दूसरे 4 मंजिला मकान में कुल 6 कमरे थे, जिन में नीचे की 2 मंजिलों में 3 किराएदार अपने परिवार के साथ रहते थे. उस के ऊपर की तीसरी और चौथी मंजिल के 3 कमरों में 2 लड़के और उस का छोटा भाई जीशान हैदर रहता था. जीशान की खोज में आया समीर दूसरी मंजिल पर पहुंचा तो तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा था. वह वहीं रुक गया. तभी उसे वहां कुछ सड़ने जैसी बदबू महसूस हुई. ताला बंद होने की वजह से वह ऊपर नहीं जा सका तो नीचे रहने वाले किराएदारों से जीशान के बारे में पूछा. लेकिन वे लोग जीशान के बारे में कुछ नहीं बता सके.

जब समीर को जीशान के बारे में कुछ पता नहीं चला तो लौट कर उस ने अलीशा को बताया कि तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा है, इसलिए वह जीशान के कमरे तक पहुंच नहीं सका. लेकिन ऊपर से लाश के सड़ने जैसी बदबू आ रही थी. यह सुन कर अलीशा परेशान हो उठी. उस के दिल में छोटे भाई को ले कर तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं. वह खुद तो वहां नहीं जा सकी, लेकिन मोहल्ले के 2 अन्य लड़कों को बुला कर कहा, ‘‘तुम लोग समीर के साथ वहां जा कर तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे का ताला तोड़ कर ऊपर के सभी कमरों को ठीक से देखना. मुझे किसी गड़बड़ी की आशंका हो रही है.’’

समीर ने दोनों लड़कों के साथ जा कर तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे का ताला तोड़ दिया. इस के बाद वह चौथी मंजिल पर पहुंचा तो वहां बने गोदामनुमा कमरे में जीशान हैदर की खून से लथपथ क्षतविक्षत लाश पड़ी देख कर डर गया. उस के साथ आए दोनों लड़के भी डर गए थे. उन्होंने लगभग भागते हुए आ कर यह बात अलीशा को बताई तो छोटे भाई की हत्या की खबर सुन कर अलीशा जोरजोर से रोने लगी.

उस के रोने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गए. धीरेधीरे यह बात पूरे मोहल्ले में फैल गई. अलीशा रोते हुए मकबरा स्थित अपने मकान की ओर भागी. उसी बीच किसी ने इस हत्या की जानकारी थाना ग्वालटोली पुलिस को दे दी थी. जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे कर पुलिस बल के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए थे.

जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां भारी भीड़ जमा हो चुकी थी. उस में काफी तनाव भी था. थानाप्रभारी ने इस बात की जानकारी पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) दिनेश कुमार पी. को दी तो कानूनव्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्होंने थाना बजरिया, चमनगंज, कोहना के थानाप्रभारियों को पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया. थोड़ी देर में वह खुद भी फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

फोरैंसिक टीम को जांच के दौरान कमरे से जैलोकेन के इंजेक्शन, सिरिंज और रबर की एक जोड़ी चप्पल मिली. टीम ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो पुलिस अपना काम करने लगी. कमरे में मिले जैलोकेन के इंजेक्शन से आशंका व्यक्त की गई कि मृतक जीशान की हत्या बेहोश कर के की गई थी.

हत्या बड़ी ही क्रूरता से की गई थी. उस का सिर और चेहरा इस तरह से कुचला गया था कि उस की एक आंख फूट गई थी. सिर का भेजा भी बाहर निकल आया था. नाजुक अंगों को भी हत्यारे ने बुरी तरह क्षतविक्षत किया था. यही नहीं, मृतक के पेट में लोहे की जो रौड घुसी थी, लगता था उस के पेट के ऊपर रख कर किसी भारी चीज से ठोंकी गई थी.

लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने पंचनामा तैयार कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए हैलेट अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद उस मकान में रहने वाले सभी किराएदारों और पड़ोसियों से पूछताछ की गई. पुलिस ने काफी प्रयास किया, लेकिन इस पूछताछ में हत्या से संबंधित ऐसी कोई भी जानकारी पुलिस को नहीं मिली, जिस से हत्यारे तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता.

जीशान की हत्या की सूचना पा कर उस के बड़े भाई मोहम्मद इरफान घर वालों के साथ रात 10 बजे थाना ग्वालटोली पहुंच गए थे. इस के बाद उन्हीं की तहरीर पर थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ ने जीशान की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्होंने इरफान से पूछताछ शुरू की. इस पूछताछ में इरफान ने जो बताया, उस के अनुसार वह उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के कस्बा सफीपुर के मोहल्ला सराय खुर्रम के रहने वाले डा. हसन असगरी उर्फ शम्मू का बेटा था. भाईबहनों में उस के अलावा उस के 2 भाई इमरान और मृतक जीशान के अलावा 2 बहनें थीं.

भाइयों में 29 वर्षीय जीशान सब से छोटा था. पढ़ाईलिखाई के साथ वह पिताजी की उन के काम में मदद करता था, जिस की वजह से उसे बीमारियों और उन के इलाज के बारे में काफी जानकारी हो गई थी. लेकिन उस का मन न पढ़ाईलिखाई में लगा, न पिताजी के साथ काम करने में. इस की वजह यह थी कि वह इलेक्ट्रीशियन बनना चाहता था. समय मिलने पर वह मोटर वाइंडिंग और इलेक्ट्रिक के अन्य काम सीखता रहता था. जब वह बिजली के सारे कामों में निपुण हो गया तो कमाईधमाई करने के लिए कानपुर के ग्वालटोली में रहने वाले अपने बहनोई एहसान के यहां चला गया. यह लगभग 10 साल पहले की बात थी.

पुलिस को शक था कि जीशान की हत्या प्रेमप्रसंग, लेनदेन या किसी रंजिश की वजह से हुई थी. लेकिन इन में से सब से ज्यादा संभावना थी कि उस की हत्या प्रेमप्रसंग को ले कर हुई थी, क्योंकि जिस तरह क्रूरता के साथ उस की हत्या की गई थी, ऐसा अकसर प्रेमप्रसंग या अवैध संबंधों के मामलों में होता था. पुलिस जीशान के दोस्तोंपरिचितों से पता करने लगी कि उस का किसी से प्रेम संबंध तो नहीं था. क्योंकि इस तरह की बातें लोग दोस्तों से जरूर बताते हैं.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 3

22 वर्षीय मालती का खून से सना शव भूपेंद्र जाट के मकान में बनी दुकान में पड़ा हुआ था. उस के पास में ही उस के प्रेमी पवन सिंह (27 वर्ष) भी खून से लथपथ अचेत अवस्था में पड़ा हुआ था. दोनों के ही शरीर पर काफी नजदीक से गोली मारे जाने के निशान थे. युवती की लाश के पास ही एक देशी कट्ïटा पड़ा था.  इस से यह अंदाजा लगाया गया कि पहले युवक ने अपनी प्रेमिका के सिर में गोली मारी और फिर खुद आत्महत्या करने के इरादे से गोली मार ली.

आत्महत्या या औनरकिलिंग का हुआ शक

तलाशी में दोनों के पास से कोई सुसाइड नोट तो नहीं मिला, लेकिन पवन जाट के पर्स से मालती और पवन का संयुक्त फोटो मिलने से यह बात साफ हो गई कि मामला प्रेम प्रसंग का है. इसलिए एक संभावना औनर किलिंग की भी बनती नजर आने लगी.  लेकिन किसी भी परिणाम पर पहुंचने से पहले पुलिस के लिए इस हत्या से पहले की हकीकत जानना जरूरी था.

चूंकि मामला हत्या और आत्महत्या के अलावा औनर किलिंग का भी हो सकता था, इसलिए पूरी ऐहतियात बरतते हुए एडिशनल एसपी (देहात) जयराज कुबेर के निर्देश पर फोरैंसिक एक्सपर्ट भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का सूक्ष्मता से निरीक्षण करते हुए सुराग तलाशने की कोशिश की.  इस के बाद मालती का शव पोस्टमार्टम के लिए और अचेत अवस्था में लहूलुहान हालत में पड़े मिले पवन जाट को प्राथमिक उपचार के लिए भितरवार के शासकीय स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया, लेकिन हालत में सुधार होता न देख डाक्टरों ने बिना देरी किए उसे ग्वालियर के लिए रेफर कर दिया. इलाज के दौरान एक दिन बाद ही पवन ने भी दम तोड़ दिया.

अस्पताल से एसएचओ को इस बारे में सूचना दे दी गई थी. इस सूचना के मिलते ही एसएचओ प्रशांत शर्मा और एसडीपीओ अस्पताल पहुंच गए. जरूरी काररवाई के बाद पवन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पवन की मौत के बाद मोहनगढ़ में तनाव फैल गया. तनाव को देखते हुए ग्वालियर से पवन का शव मोहनगढ़ आने से पहले ही भितरवार तहसील के एसडीपीओ अभिनव वारंगे ने मृतक युवक और युवती के घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था.

घर वालों ने दी पुलिस को धमकी

एसडीपीओ ने गम में बिलखते हुए मालती के मातापिता और भाई को ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि इस समय आप लोग बहुत परेशान हैं, लेकिन यह सब कैसे हुआ, यह जानने के लिए मुझे आप लोगों से पूछताछ तो करना ही पड़ेगी. आप लोग इसी तरह रोते रहेंगे तो मैं और एसएचओ अपना काम कैसे करेंगे. आप लोग रोनाधोना बंद कीजिए और हम लोग जो पूछें, उस का जवाब दीजिए.’’

इस पर भी मालती के घर वालों का रोना बंद नहीं हुआ तो एसडीपीओ ने नाराज हो कर कहा, ‘‘ठीक है, आप लोग जी भर कर रो लें. उस के बाद मेरे औफिस में बयान देने आ जाना.’’

इतना कह कर वे घटनास्थल से चलने को अपनी गाड़ी में आ कर बैठे ही थे कि बालमुकुंद चौहान उन की गाड़ी के समीप आ कर बोले, ‘‘साहब रुकिए, मैं आप को इस हत्याकांड की सारी हकीकत बताता हूं. साहब, मेरे पड़ोस में रहने वाले भूपेंद्र सिंह जाट के बेटे पवन ने मेरी बेटी को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया था, लेकिन जब मैं ने अपनी बेटी की शादी पवन से न कर के किसी और लडक़े से कर दी तो वह और उस के परिवार के लोग बुरी तरह से तिलमिला गए.

पवन के पिता भूपेंद्र जाट, उस की मां वंदना जाट, भाई उपेंद्र, चाचा उमराव सिंह और पवन ने बड़े सुनियोजित ढंग से मालती को अपने घर बुला कर मेरी बेटी के सिर में गोली मार कर उसे मौत के घाट उतार दिया और उल्टे पवन का परिवार मेरे परिवार पर अंगुली उठाते हुए मेरे घर वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहा है. साहब, अब इस हत्याकांड का सारा सच सामने आ चुका है. आप इन 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी काररवाई करेंगे, तभी हम अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करेंगे.

इस के बाद एसडीपीओ के निर्देश पर एसएचओ प्रशांत शर्मा ने तत्काल मृतका के पिता बालमुकुंद की शिकायत पर भूपेंद्र जाट, वंदना जाट, पवन जाट, उपेंद्र, उमराव सहित पवन के खिलाफ भादंवि की धारा 302,147 के तहत मामला दर्ज कर लिया.  प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका को गोली मार सुसाइड करने के बहुचर्चित मामले में नया मोड़ तब आया, जब पवन की इलाज के दौरान ग्वालियर में हुई मौत के बाद पवन के घर वालों ने मालती के घर वालों पर हत्या का मुकदमा कायम करने की मांग करते हुए भितरवार थाने का घेराव कर लिया.

एसएचओ ने जब उन की मांग को अनसुना कर दिया तो आक्रोशित परिजनों ने पवन के शव को भितरवार करैरा मार्ग पर रख कर चक्का जाम कर दिया. चक्का जाम करने की सूचना मिलने पर एसडीपीओ और एसएचओ प्रशांत शर्मा पुलिस फोर्स ले कर मौके पर पहुंच गए. एसडीपीओ अभिनव वारंगे ने पवन के घर वालों से बात कर भरोसा दिलाया कि मामले की जांच के बाद ही किसी की इस मामले में गिरफ्तारी की जाएगी. इस आश्वासन के बाद ही उन्होंने चक्का जाम खोला और वे पवन का शव ले कर अंतिम संस्कार के लिए मोहनगढ़ चले गए.

कथा लिखने तक पुलिस मर्डर ऐंड सुसाइड के इस मामले की जांच कर रही थी.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 3

मध्य दिल्ली की डीसीपी श्वेता चौहान ने हत्या का यह मामला संज्ञान में आने के बाद एसीपी नरेश खनका के निर्देशन में एसएचओ नबी करीम अशोक कुमार को इस केस का नेतृत्व सौंप कर एक जांच टीम का गठन कर दिया. इस टीम में इंसपेक्टर शिवकरण, एसआई हर्ष, हैडकांस्टेबल पप्पू लाल, वीरेंद्र, जिले सिंह, ताराचंद, कांस्टेबल विजय और सीताराम को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने उस जगह का निरीक्षण किया, जहां पर जतिन को चाकू मारा गया था. यह पहाडग़ंज का आकांशा रोड था. भगवती मैडिकल स्टोर के पास काफी खून फैला था. यहीं पर रात करीब एक बजे स्कूटी से शादी समारोह में शामिल होने जा रहे जतिन उर्फ जूड़ी को चाकू मार कर खत्म कर दिया गया था. शायद उस वक्त यहां कोई चश्मदीद नहीं रहा होगा, जिस ने हत्यारे को देखा हो. हत्या के बाद कोई यहां से गुजरा तब उस ने जतिन को अस्प्ताल पहुंचाया और उस के घर वालों को सूचित किया.

पुलिस ने वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों के लिए नजरें दौड़ाईं, उन्हें वहीं रोड पर 2-3 सीसीटीवी कैमरे नजर आ गए. उन की फुटेज चैक की गई. एक कैमरे में उन्हें 3 व्यक्ति नजर आ गए. उन्होंने जतिन को पकड़ रखा था और उन में से एक जतिन के सीने पर चाकू से वार कर रहा था.

“इन तीनों व्यक्तियों की तसवीर ले कर यहां के रहने वालों को दिखाओ, ये जतिन के हत्यारे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि ये यहीं की किसी बस्ती में रहते होंगे.’’ एसएचओ अशोक ने अपनी टीम को निर्देश दिया तो पुलिस टीम काम में जुट गई. तीनों हत्यारों के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से फोटो निकाल कर उन्हें पुलिस टीम ने अपनेअपने मोबाइल में अपलोड कर लिया. फिर उन की जानकारी हासिल करने के लिए बस्ती की ओर निकल गई.

सौरभ व अक्षय हुए गिरफ्तार

थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिर भी जतिन मर्डर केस के काम में लगा दिए. एक घंटे बाद ही एक मुखबिर ने फोन पर बता दिया कि तीनों हत्यारे नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहते हैं. इन के नाम अक्षय, सौरभ और रजनीकांत हैं. उन के घर दबिश दी जाए तो वे पकड़ में आ सकते हैं.

एसएचओ ने अपनी टीम को तुरंत वापस बुला लिया और मुखबिर द्वारा बताए घरों पर दबिश दी तो घर से वे तीनों गायब मिले. उन की पत्नियां और बच्चे घर पर थे. पुलिस ने सौरभ की पत्नी मीना से पूछताछ की तो उस ने बताया कि अक्षय उस के जेठ हैं और रजनीकांत रिश्तेदार हैं, लेकिन ये तीनों इस समय कहां हैं, इस का पता नहीं.

पुलिस टीम ने मीना से उन तीनों के खास रिश्तेदारों, मित्रों की जानकारी ली. उन तीनों के मोबाइल नंबर भी ले कर सर्विलांस पर लगवा दिए. सौरभ और रजनीकांत की लोकेशन ट्रेस होने लगी. वे दोनों सुलतानपुरी दिल्ली में थे. पुलिस टीम ने उन की गिरफ्तारी के लिए सुलतानपुरी में दबिश दी. वहां वे एक रिश्तेदार के घर में छिपे हुए मिल गए. दोनों को पकड़ कर नबी करीम थाने लाया गया. उन दोनों से पूछताछ हुई तो सौरभ से जतिन उर्फ जूड़ी की हत्या के पीछे जो कहानी बताई, उसे सुन कर सभी हैरत में पड़ गए.

सौरभ ने बताया कि उस की पत्नी मीना की मुलाकात काफी दिनों पहले जतिन से हुई थी. जतिन और मीना का यह प्यार सभी सीमाएं लांघ गया. दोनों के विषय में मुझे मालूम हुआ तो मैं ने उन्हें समझाया किंतु दोनों ही एकदूसरे के प्यार में इस कदर पागल हो गए थे कि मेरी बात को उन्होंने अनसुना कर दिया.

मुझे मालूम हुआ कि जतिन मेरी पत्नी मीना को भगा कर ले जाने वाला है. वह उस से दूर जा कर शादी करने का मन चुका था, मुझे इस पर गुस्सा आ गया. मैं ने सोचा कि अगर जतिन को रास्ते से हटा दिया जाए तो मीना खामोश बैठ जाएगी. मैं ने अपने भाई अक्षय और मीना के रिश्तेदार रजनीकांत को जतिन की हत्या करने के लिए राजी कर लिया.

27 जनवरी को जतिन को एक शादी समारोह में जाना था. हम ने वही दिन उपयुक्त मान कर रात को जतिन को घेर लिया और चाकू मार कर पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी. सौरभ का बयान दर्ज कर लिया गया. रजनीकांत ने भी जुर्म कुबूल कर लिया. अक्षय फरार था. उस ने अपना मोबाइल बंद कर रखा था.

एसएचओ ने अक्षय की पत्नी और उस की सास यानी सौरभ, अक्षय की मम्मी के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए. अब इंतजार था अक्षय के द्वारा अपना मोबाइल औन करने का.

अभियुक्तों ने स्वीकारा जुर्म

अक्षय बेहद चालाक था. उस ने किसी दूसरे व्यक्ति के फोन से 30 जनवरी, 2023 को अपनी पत्नी को फोन मिला कर बात की. उस ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए वह गुजरात भाग गया है, अभी वडोदरा में है. एसएचओ अशोक ने उस की सारी बातें रिकौर्ड कर लीं. उन्होंने अक्षय की मां और पत्नी को विश्वास में ले कर अक्षय को कहलवाया कि वह दिल्ली आ जाए, पुलिस ने सौरभ को गिरफ्तार कर लिया है क्योंकि उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. अब पुलिस तुम्हें कुछ नहीं कहेगी. तुम घर लौट आओ.

अक्षय घर आने को राजी हो गया. उस ने वडोदरा से एक ट्रैवल एजेंसी से एक हजार रुपए में टिकट खरीदा और बस में सवार हो गया. उस ने यह जानकारी अपनी पत्नी को दे दी. एसएचओ मुसकराए कि शिकार अब पिंजरे में आने के लिए तैयार है. उन्होंने वडोदरा की उस ट्रैवल एजेंसी से बस का नंबर और ड्राइवर का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. वह बस के ड्राइवर से फोन पर संपर्क बनाए हुए यह जानकारी लेते रहे कि उस की बस कहां तक पहुंची है.

जब बस ड्राइवर से मालूम हुआ कि वह बस ले कर गुरुग्राम में प्रवेश कर चुका है तो एसएचओ अशोक पुलिस टीम के साथ गुरुग्राम पहुंच गए. वह बस नजर आई तो उसे रुकवा लिया गया. अक्षय बस में था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने में उस ने भी जतिन की हत्या में शामिल होने का जुर्म कुबूल कर लिया.

उन तीनों को अदालत में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान पुलिस ने जतिन की हत्या में प्रयोग किया गया चाकू, स्कूटी और एक बाइक बरामद की. रिमांड अवधि खत्म हो जाने पर तीनों अभियुक्तों को फिर से अदालत में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मीना और सोनिया परिवर्तित नाम हैं.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 2

बालमुकुंद चौहान ने मालती को रखने के लिए अपने दामाद से काफी मनुहार की, लेकिन सोनू इस के लिए कतई तैयार नहीं हुआ. बालमुकुंद बेमन से मालती को अपने घर ले आए. मालती को मायके में रहते हुए 3 महीने से ज्यादा का समय हो गया, इस बीच न तो पति ने उस का हालचाल पूछा और न ही सास ने.

तलाक के बाद हुई बदनामी

इस के बाद बालमुकुंद चौहान और उन की पत्नी को बेटी के भविष्य की चिंता सताने लगी. फिर वे दोनों अपने रिश्तेदारों के साथ मालती की ससुराल पहुंचे. उन्होंने मालती के सासससुर से ले कर  दामाद तक से मालती को घर ले जाने के लिए मिन्नतें कीं, लेकिन सोनू अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुआ और उस ने मालती को विधिवत तलाक दे दिया.

सोनू के इस कदम से मालती और बालमुकुंद की बड़ी बदनामी हुई. समूचे मोहनगढ़ में मालती को उस के पति द्वारा तलाक दिए जाने की बात चर्चा का विषय बन गई. लोग चटखारे लेले कर आपस में तरहतरह की बातें करने लगे थे. बिरादरी में भी थूथू हो रही थी, जिस से मालती के मम्मीपापा से ले कर भाई तक का घर से निकलना मुश्किल हो गया था. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आखिर में न चाहते हुए भी घर वालों ने मालती के लिए लडक़े की तलाश शुरू कर दी.

मालती के पापा और भाई ने काफी मशक्कत के बाद मालती के लिए ग्वालियर में अपनी ही जाति का एक युवक तलाश कर सामाजिक रीतिरिवाज से 8 दिसंबर, 2022 को उस की दूसरी शादी कर दी. दूसरी शादी के बाद मालती ने अपने प्रेमी पवन से दूरियां बनानी शुरू कर दी थीं. अब जब भी पवन उसे फोन करता तो वह कोई न कोई बहाना बना कर उस का फोन काट देती.

शादी के कुछ दिनों बाद मालती पहली बार अपने मायके आई तो पवन ने उसे फोन कर एकांत में बैठ कर बात करने के लिए बुलाया. मगर मालती ने उस से कहा कि अब वह अपने पति की वफादार बन कर रहना चाहती है. उस ने पवन से दोटूक शब्दों में कह दिया कि अब वह उस की वैवाहिक जिंदगी में दखल देने की कोशिश न करे. वह भी उसे भूल कर अपना विवाह कर ले.

प्रेमी ने दी मालती को धमकी

पवन को अपनी प्रेमिका की यह नसीहत उचित नहीं लगी. पवन ने मालती के फोन पर मैसेज भेज कर धमकी दी कि तेरा पति अपने घर वालों के साथ तुझे शादी के बाद पहली बार लेने आ रहा है. अगर तू आज दोपहर में मुझ से मिलने मेरी किराने की दुकान पर नहीं आई तो मैं तेरे सभी न्यूड फोटो इंटरनेट पर छालने के साथ ही तेरे नएनवेले पति के मोबाइल पर भी सारी फोटो भेज दूंगा.

पवन की इस धमकी से मालती काफी तनाव में आ गई. मजबूरी में मालती ने पवन की बात मान ली. 24 दिसंबर, 2022 की दोपहर जब मालती के घर वाले मालती को विदा कराने के लिए मोहनगढ़ आ रहे सुसराल वालों की आवभगत की तैयारी में जुटे हुए थे, तभी दबेपांव मालती पवन की जिद पर उस की दुकान पर पहुंच गई.  मालती को सामने पा कर पवन मुसकराया. उस की आंखों में चमक उभर आई. पवन ने पहले की तरह जैसे ही मालती की कमर में बाहें डाल कर उसे अपने आगोश में लेने का प्रयास कर मनमरजी करने का जतन किया, तभी मालती ने उसे अपने से अलग करते हुए कहा कि अब वह किसी और की ब्याहता है.

मालती ने उस से कहा, ‘‘पवन, अब तुम मेरा पीछा छोड़ दो. वैसे भी तुम्हारे इश्क के चक्कर में पड़ कर मेरी और मेरे परिवार वालों की पहले ही काफी बदनामी हो चुकी है. अब मैं तुम से किसी तरह का संपर्क रख कर अपनी जिंदगी नरक नहीं करना चाहती. मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतने घटिया इंसान निकलोगे, वरना तुम से इश्क करने की भूल हरगिज नहीं करती.’’

प्रेमिका को मारी गोली

मालती के मुंह से खरीखोटी सुन कर पवन  की सहनशक्ति जवाब दे गई. वह अपना आपा खो बैठा और यह कहते हुए कि चल तेरे घर वाले तुझे तेरे पति के पग फेरे की रस्म के बाद विदा करें, मैं तुझे आज ही इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा किए देता हूं. कमर में खोंसा देशी तमंचा निकाल लिया और प्रेमिका मालती के सिर से सटा कर गोली मार दी.

गोली लगते ही मालती तख्त पर गिर गई और उस ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. प्रेमिका की हत्या करने के बाद पवन ने भी यह कहते हुए उसी कट्ïटे से स्वयं को गोली मार ली कि जब जानेमन तू ही नहीं रही दुनिया में तो मैं तेरे बिना जी कर क्या करूंगा.

2 बार गोली चलने की आवाज सुन कर मालती का भाई हरिओम किसी अनहोनी की आशंका में दौड़ कर पवन जाट की किराने की दुकान पर जा पहुंचा. वहां पहुंच कर देखा तो अपनी शादीशुदा बहन को खून से लथपथ तख्त पर पड़ा पाया.  हरिओम ने बहन को झकझोर कर उठाना चाहा, लेकिन उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई. उस ने उस की छाती पर हाथ रखा तो पता चला कि धडक़नें बंद हैं. उस की नाक के सामने हाथ ले जा कर देखा, उस की सांस भी नहीं चल रही थी.

अपनी लाडली बहन की मौत से हरिओम की चीख निकल पड़ी. मोहल्ले वालों को उस आवाज को पहचानने में जरा भी देर नहीं लगी. यह दर्दभरी चीख बालमुकुंद के बेटे हरिओम की थी. वह चीखचीख कर कह रहा था कि बड़ी बेरहमी से पवन ने मेरी बहन की हत्या कर दी है. मालती तुझे हो क्या गया था, जो तू अपनी विदाई से पहले पवन की दुकान पर चली आई थी.

इस के बाद पड़ोसियों से ले कर सारे रिश्तेदार भूपेंद्र जाट के घर के बाहर जमा हो गए. पड़ोसियों में से ही किसी ने भितरवार थाने को मालती मर्डर केस की खबर दे दी थी. खबर पा कर एसएचओ प्रशांत शर्मा से ले कर एडिशनल एसपी (देहात) जयराज कुबेर, एसडीपीओ अभिनव वारंगे घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 2

पति को उस ने जैसेतैसे नाश्ता करवा कर उस का टिफिन तैयार कर दिया था और वहीं किचन में खड़ी हो कर उस युवक के खयालों को उधेड़बुन कर रही थी. कभी मन कहता कि उस हैंडसम युवक से दोस्ती कर ले, कभी मन कहता कि अब तू सुहागन है, किसी की पत्नी है, तेरी जिंदगी में अब ऐसे पराए मर्द से दोस्ती करने की कोई जगह नहीं है.

“ऊंह!’’ मीना ने मन के तानेबाने से खुद को उबार कर गरदन झटकी, ‘दोस्ती हीतो कर रही हूं, उसे अपना शौहर थोड़ी न बना रही हूं.’

मीना हो गई बेचैन

उस युवक के लिए दोस्ती की चाह मन में पैदा हुई तो मीना उस युवक की तलाश करने के लिए उतावली हो गई. ‘कहां मिल सकता है वह, कल तो अपनी बात कह कर वह एकदम गायब हो गया था. कौन है, कहां रहता है? कुछ भी तो मालूम नहीं हो सका था उस के बारे में. फिर आज वह उसे कैसे ढूंढ पाएगी?’

“सोनिया की मदद लेती हूं,’’ मीना ने निर्णय लिया. मीना ने सोनिया को फोन मिला दिया. सोनिया की आवाज में वही शोखी और शरारती भरी थी, ‘‘क्यों मेरी जान, नींद नहीं आई क्या रात भर, कैसे आएगी शन्नो रानी? वह अजनबी दिल निकाल कर जो ले गया.’’

सोनिया के ये शब्द सुन कर मीना का दिल धक से रह गया. सोचने लगी कि इस चुड़ैल ने कैसे अंदाजा लगा लिया कि मेरे दिल में क्या पक रहा है?

“बोलती क्यों बंद हो गई यार?’’ दूसरी ओर से सोनिया चहकी, ‘‘मैं ने कोई गलत थोड़ी कहा है.’’

“तुम ने कैसे अंदाजा लगा लिया?’’ मीना ने धडक़ते दिल से कहा, ‘‘मैं ने तो तुझे अभी कुछ बताया ही नहीं है.’’

“मैं उड़ती चिडिय़ा के पर गिन लेती हूं, मेरी बिल्लो. कल शौपिंग के वक्त वह छेड़छाड़ कर के गायब हो गया था, तभी से तू उस के लिए बेचैन नजर आ रही थी.’’ सोनिया ने कहने के बाद पूछा, ‘‘बता तू उसी के लिए परेशान है न?’’

“हां यार,’’ मीना ने गहरी सांस भर कर कहा, ‘‘कमबख्त का चेहरा रहरह कर आंखों के आगे घूम रहा है. सोच रही हूं कि उसे तलाश कर लूं.’’

“तलाश कर के क्या करेगी?’’

“दोस्ती के काबिल है वह, बस दोस्ती करूंगी. दिन भर जो बोरियत होती है, वह खत्म हो जाएगी.’’

“उसे अब तलाश कहां करोगी?’’

“तू है न, तू उसे तलाश करने में मेरी मदद कर सकती है.’’

“तू आराम से उस के सपने देख लाडो,’’ सोनिया गंभीर हो गई, ‘‘मैं शाम तक तुझे वह युवक तलाश कर के देती हूं.’’ कह कर सोनिया ने काल डिसकनेक्ट कर दी. मीना ने चैन की सांस ली. उसे सोनिया पर पूरा भरोसा था. वह जो कह रही है, कर के दिखा भी सकती है. मीना इस विश्वास को मन में ले कर घर के काम निपटाने में व्यस्त हो गई.

उस अजनबी युवक का नाम जतिन था. सोनिया ने उसे शाम तक ढूंढ निकाला था, उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था और अपनी सहेली मीना को यह जानकारी दे कर चौंका दिया.

प्यार में बदल गई दोस्ती

सोनिया ने बताया था कि जतिन ने उन्हें सौरभ की दुकान पर देखा था. जिस प्रकार वह लोग सौरभ से बातें कर रही थीं, जतिन ने अनुमान लगा लिया था कि सौरभ ही मीना का पति है. उसे विश्वास था कि मीना अपने पति सौरभ की दुकान पर दूसरे दिन भी आ सकती है, इसलिए वह दूसरे दिन शाम को पालिका बाजार में पहुंचा था. सोनिया इसी अनुमान के आधार पर उस से मिली थी. अपनी सहेली मीना की तड़प का जिक्र कर के उस ने युवक का नामपता और मोबाइल नंबर हासिल कर लिया था.

मीना को उस युवक का मोबाइल नंबर मिला तो उस ने धडक़ते दिल से उसे फोन मिला दिया. फोन पर जतिन की आवाज सुनाई दी तो मीना ने दिल थाम लिया.

“कैसी हो मीनाजी,’’ जतिन के स्वर में कशिश थी, ‘‘मुझे मालूम था आप मेरी तरफ दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाएंगी, में रात भर आप का खयाल कर के बेचैन रहा हूं.’’

“मैं भी रात भर सो नहीं पाई थी जतिन,’’ मीना ने ठंडी सांस भरी, ‘‘पता नहीं उस अजनबी मुलाकात में क्या जादू कर गए थे

आप, दिल आप के लिए रात भर तड़पा है.’’

“तो आप को मेरी दोस्ती कुबूल है?’’ खुश हो कर जतिन ने पूछा.

“न होती तो आप की तलाश अपनी सहेली से नहीं करवाती. मुझे आप की प्यारभरी दोस्ती कुबूल है.’’

“तब इस दोस्ती को सेलिब्रेट कहां करना चाहोगी?’’

“जहां आप चाहें.’’

“कल दोपहर पहाडग़ंज के किसी रेस्तरां में आ जाइए आप, वहां कुछ मीठा हो जाएगा.’’ मीना ने अपना प्रस्ताव बेहिचक रखा, जिसे जतिन ने हंसते हुए स्वीकार कर लिया.

दूसरे दिन निर्धारित समय पर दोनों पहाडग़ंज की चूनामंडी के एक रेस्टोरेंट में मिले. हायहैलो के बाद जतिन ने कोल्डड्रिंक और समोसे मंगवाए. दोनों एकदूसरे को अपने विषय में बताते हुए इस पहली मुलाकात का सेलिब्रेशन करते रहे. इस पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया. उन के बीच आप की दीवार ढह गई.

अब दोनों एकदूसरे को तुम कह कर पुकारने लगे थे. उन की दोस्ती इन मुलाकातों के कुछ दिनों बाद प्यार में बदल गई. मीना को जतिन इतना पसंद आया कि वह उसे सौरभ की जगह रख कर प्यार लुटाने लगी, जिस पर केवल सौरभ का अधिकार था. जतिन भी मीना को टूट कर चाहने लगा था. वह भूल गया था कि मीना किसी की ब्याहता है, उस से प्यार करना उस के लिए गुनाह है. इस का परिणाम उस के लिए घातक भी हो सकता है.

बस, दोनों सारी सीमाएं, सारी मर्यादाएं लांघ कर दिल्ली के रेस्तरां, पिकनिक स्पाट और होटलों के बाद कमरों में मिलने लगे थे. उन का प्यार दिनोंदिन परवान चढ़ रहा था, जिस की चर्चा अब धीरेधीरे मीना के घर तक पहुंचने लगी थी. मीना को इस की परवाह नहीं थी या वह परवाह करना नहीं चाहती थी. जतिन उस के मन का मीत जो बन गया था.

जतिन की हत्या की मिली खबर

27 जनवरी, 2023 को मध्य दिल्ली के थाना नबी करीम को लेडी हार्डिंग अस्पताल से सूचना दी गई कि यहां एक युवक को लाया गया है, जिस के सीने में चाकू घोंपा गया है. उस युवक की मौत हो गई है. एसएचओ अशोक कुमार सूचना पा कर एसआई हर्ष को साथ ले कर लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुंच गए. जिस युवक को चाकू मारा गया था, अभी वार्ड में उस का शव पड़ा हुआ था. जिस बैड पर उसे लिटाया गया था, उस की चादर खून से भीग गई थी. युवक के सीने में बाईं ओर गहरा जख्म था. खून अधिक बह जाने के कारण उस की मौत हो गई थी.

लेडी हार्डिंग में ड्ïयूटी पर तैनात कांस्टेबल ने नबी करीम थाने में सूचना दी थी, क्योंकि उस युवक को नबी करीम इलाके से उपचार के लिए उस के घर वाले लाए थे. इमरजेंसी विभाग के डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया था. एसएचओ ने मृतक का नाम मालूम किया तो उस के भाई ने उस का नाम जतिन बताया.

“इसे चाकू कहां मारा गया है?’’ एसएचओ ने पूछा.

“पहाडग़ंज के आकर्षण रोड पर हमें इस की लाश मिली है सर. मेरा भाई रात को अपने दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए घर से निकला था.’’ उस युवक ने बताया.

एसएचओ अशोक कुमार ने लाश की अच्छे से जांच की. उस चाकू के जख्म के अलावा जतिन के शरीर पर किसी प्रकार के मारपीट के निशान नहीं थे. एसएचओ ने आवश्यक काररवाई निपटा कर अपने उच्चाधिकारियों को इस हत्या की जानकारी दे दी. उन के आदेश पर जरूरी काररवाई करने के बाद जतिन की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 1

20 वर्षीया मीना बहुत देर से महसूस कर रही थी कि एक युवक काफी समय से उसे ही देख रहा है. वह जहां जा रही है, वह भी वहीं उस के पीछेपीछे पहुंच रहा है. मीना जब उस युवक को देखती तो वह उसे कनखियों से देख कर धीरे से मुसकरा देता था. उस की चोरी पकड़ी जाती तो वह चेहरा घुमा लेता था. वह क्यों उस के पीछे लगा है, यही जानने के लिए मीना ने साथ आई अपनी सहेली से कहा, ‘‘सोनिया, उसे देख रही है?’’

“किसे?’’ सहेली बोली.

“अरे वह, जो सामने की कल्पना शर्ट शौप पर खड़ा है.’’

सोनिया ने उस दुकान की ओर नजरें गड़ा दीं. वहां खड़े एक युवक को देख कर उस ने होंठों को गोल सिकोड़ कर अंदर सांस खींचते हुए आह भरी, ‘‘वाव, क्या हैंडसम सिंगल पीस है. यार मीना, तेरी पसंद तो बहुत लाजवाब है.’’

“पागल, वह मेरी पसंद नहीं है.’’ मीना झल्ला कर बोली, ‘‘वह मेरे पीछेपीछे आ रहा है.’’

“किस्मत वाली हो यार,’’ सोनिया ने ठंडी सांस भरी, ‘‘काश! वह मेरे पीछेपीछे आता, रुमाल में लपेट कर पर्स में डाल लेती.’’

“क्या अनापशनाप बक रही है,’’ मीना उस के कंधे पर हाथ मार कर झुंझलाए स्वर में बोली, ‘‘जो कह रही हूं, वह समझ.’’

“समझ गई हूं मेरी जान,’’ सोनिया ने फिर मसखरी की, ‘‘वह जवान और हैंडसम है, तुम भी किसी हसीना से कम नहीं हो. तुम उसे अच्छी लगी हो, इसीलिए तो पीछे लग गया है.’’

“मैं तेरा मुंह नोच लूंगी,’’ चिढ़ कर मीना बोली, ‘‘मैं उस की हरकत से परेशान हूं और तू है कि कुछ दूसरा पुलाव पका रही है.’’ इस बार सोनिया सीरियस हो गई, ‘‘यार, अगर वह हमारे पीछे लगा है तो लगा रहने दे. यह मर्दों की फितरत होती है, कोई सुंदर चीज उसे पसंद आती है तो उसे पाने को मचल उठता है, चाहे वह उस के हाथ में आए या न आए. यहां भी ऐसा ही है, हम यहां पालिका बाजार में कितनी देर के लिए आए हैं घंटा दो घंटा. इतनी देर में वह पीछे लगता है तो लगा रहने दो. हम शौपिंग कर के चले जाएंगे तो वह भी अपने रास्ते चला जाएगा.’’

“फिर भी, उसे इस तरह हमारे पीछे नहीं लगना चाहिए.’’

“यार मीना, तू बेकार की टेंशन ले बैठती है, मस्त हो कर खरीदारी कर. वह क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, करने दे.’’ सोनिया ने समझाया. लेकिन मीना कहां समझने वाली थी. वह सहेली सोनिया के साथ शौपिंग करते हुए उसी युवक को देख रही थी. एक कास्मेटिक की दुकान से निकल कर वह दूसरी दुकान की तरफ बढ़ी तो देखा वह युवक उन के पीछे आने लगा. मीना को गुस्सा आ गया. उस ने देखा कि सोनिया अपनी धुन में उस दुकान की तरफ जा रही थी.

मीना अपनी जगह रुक गई तो वह युवक हड़बड़ा गया. वह भी रुक गया और दूसरी ओर देखने लगा. मीना उस के पास आ गई और उस का कंधा थपथपा कर बोली, ‘‘ऐ मिस्टर, यह क्या हरकत है?’’

“जी…’’ वह युवक अचकचा कर बोली, ‘‘आप ने मुझ से कुछ कहा?’’

“हां, तुम से ही कह रही हूं. यह तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?’’

युवक बेहिचक मुसकरा कर बोला, ‘‘जो चीज अच्छी लगे उसे देखने में क्या बुराई है? आप बेहद सुंदर हैं, इसलिए मेरी नजर आप पर से हट नहीं पा रही है.’’

“मेरी मांग में तुम्हें सिंदूर दिखाई दे रहा है?’’ मीना झल्ला कर बोली, ‘‘ये मेरे सुहाग की निशानी है.’’

“एक चुटकी सिंदूर ही तो है,’’ युवक मुसकरा कर बेबाकी से बोला, ‘‘यदि इसे धो डालो तो कसम से कोई नहीं कहेगा कि आप सुहागन हैं. आप को कुंवारी समझ कर आप की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने को कोई भी मचल जाएगा, मुझे तो सिंदूर में भी आप की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने का मन हो रहा है.’’

मीना उलझ गई अजनबी से

मीना उस की बेबाकी और जिंदादिली पर अवाक रह गई. कुछ कहते नहीं बना. वह कुछ कहती, उस से पहले ही सोनिया उस के पास पहुंच गई, ‘‘यार मीना, तुम भी गजब हो, मैं तुम्हें वहां ढूंढ रही हूं और तुम यहां इन से उलझ रही हो. चलो, मैं ने तुम्हारे लिए एक ब्रेसलेट पसंद किया है.’’

सोनिया उसे बाजू से पकड़ कर घसीटती ले जाने लगी तो उसे उस युवक के ठंडी सांस भर कहे गए शब्द सुनाई दिए, ‘‘अब तो तुम से दोस्ती कर के ही चैन पाऊंगा, मीनाजी.’’

मीना कुछ कह नहीं पाई. सोनिया उसे घसीट कर उस दुकान पर ले आई, जहां पर वह ब्रेसलेट पसंद कर के गई थी. मीना को ब्रेसलेट पसंद आया तो उस ने उसे खरीद लिया. कुछ देर बाद मीना ने पलट कर पीछे देखा तो वह युवक वहां नहीं था. वह बेचैन हो कर उसे इधरउधर तलाश करने लगी, लेकिन शायद वह वहां से जा चुका था. जाने के बाद वह मीना के दिल में अजीब सी हलचल पैदा कर गया था.

मीना अपने पति सौरभ के साथ मध्य दिल्ली में नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहती थी. सौरभ अभी 23 साल का था. मीना के साथ शादी को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था. दोनों एकदूसरे को पा कर खुश थे. सौरभ कनाट प्लेस के पालिका बाजार में टैटू बनाने का काम करता था. अपनी दुकान थी, जिसे वह अपने बड़े भाई अक्षय के साथ चलाता था.

सौरभ की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी कि मीना की शौपिंग के दौरान एक युवक से हुई अनजानी मुलाकात से गृहस्थी की खुशियों का रंग, बदरंग होना शुरू हो गया. मीना चाहती तो उस अजनबी युवक से हुई अनजानी मुलाकात को एक इत्तफाक या हादसा मान कर भुला सकती थी, लेकिन मीना उस मुलाकात की गहराई में उतरने की वही भूल कर बैठी, जो अकसर ऐसी मुलाकातों में अन्य महिलाएं कर बैठती हैं.

वह मुझे देख रहा था, मेरा पीछा कर रहा था, देखने में तो ठीक ही था, कहीं से सडक़छाप मजनूं भी नहीं लग रहा था, सभ्य और पढ़ालिखा भी था किंतु था निडर, बेबाक और दिल को हथेली पर ले कर चलने वाला इंसान. बड़े निर्भीक और सहजता से उस ने अपने मन की बात कह दी थी. ऐसे ही विचार मीना के दिमाग में घूम रहे थे.

उस का किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था. रहरह कर उस अजनबी युवक का चेहरा उस की आंखों के सामने उभर आता था. उस युवक के चेहरे की लुभावनी मुसकान उसे कल किसी कांटे की तरह चुभ रही थी तो आज उसी मुसकान की वह दीवानी हो कर आहें भर रही थी.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 1

एकलौती बिटिया होने की वजह से मालती अपने मांबाप की लाडली थी. उस के पापा के पास इतना कुछ था कि जब जो चाहा उसे मिला. पापा बालमुकुंद चौहान और मम्मी उस की हर इच्छा को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे.  मांबाप के प्यार की वजह से बलिग होतेहोते मालती काफी जिद्ïदी हो गई थी. वैसे उसे ज्यादा जिद करने की जरूरत नहीं पड़ती थी, वह जो भी कह देती, मम्मीपापा और भाई आंख मूंद कर पूरी कर देते थे.

मूलरूप से मध्य प्रदेश में ग्वालियर जिले की भितरवार तहसील के मोहनगढ़ गांव के रहने वाले बालमुकुंद चौहान और भूपेंद्र जाट आमनेसामने रहते थे. इस वजह से उन का न सिर्फ एकदूसरे के परिवार से घरोवा था, बल्कि पड़ोस में रहने की वजह से दोनों परिवारों का एकदूसरे के घर आनाजाना भी था.  मालती और भूपेंद्र सिंह का बेटा पवन साथ में खेल कर बड़े हुए थे.

मालती खूबसूरत थी तो पवन भी कम आकर्षक नहीं था. वह लंबाचौड़ा, गोराचिट्टा युवक था. अपने आकर्षक व्यक्तित्त्व के बल पर वह किसी को भी बांध लेने की क्षमता रखता था, इसलिए पवन से मिलना मालती को भी अच्छा लगता था.

किशोरावस्था में हुआ प्यार

किशोरावस्था में कदम रखते ही पवन मालती की ओर आकर्षित हो गया था. कई साालों तक चोरीछिपे दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. लेकिन परिवार वालों के डर की वजह से अपने मन की बात अपने घरवालों से कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. हालांकि मालती ने बिना किसी संकोच के अपने मातापिता को बता दिया था कि वह पवन से प्यार करती है और उसे अपना जीवनसाथी बनाना चाहती है.

इस पर उस के पापा ने उसे बड़े प्यार से समझाया, ‘‘बेटी, पवन से रिश्ता जुडऩा नामुमकिन है. इस की पहली वजह तो यह है कि वह हमारी बिरादरी का नहीं है और दूसरे उस की और हमारे परिवार की हैसियत बराबर नहीं है. वह हमारे मुकाबले कुछ भी नहीं है.’’

पापा की बात यह सुन कर मालती के पैरों तले की जमीन खिसक गई. मालती के मम्मीपापा करते थे कि उन की बेटी जिद्ïदी स्वभाव की है. उस की इस आदत को देखते हुए मम्मीपापा ने उस के घर से निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी. मालती समझ गई कि अब पवन के साथ जिंदगी बिताने का उस का सपना महज सपना ही बन कर रह जाएगा. क्योंकि घर वाले उस का रिश्ता प्रेमी पवन के साथ नहीं करेंगे.

उधर बालमुकुंद चौहान मालती की शादी के लिए लडक़ा तलाशने लगे. काफी दौड़धूप के बाद बालमुकुंद चौहान को दतिया जिले के इंदरगढ़ में रहने वाला सोनू चौहान अपनी बेटी के लिए पसंद आ गया. इस के बाद उन्होंने बड़ी धूमधाम से मालती की शादी सोनू चौहान के साथ कर दी.  मालती दुलहन बन कर ससुराल पहुंच गई. सोनू मालती जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर काफी खुश था. यही वजह थी कि वह पत्नी की हर इच्छा का खयाल रखता था.

इस के बावजूद मालती अपने प्रेमी पवन को नहीं भुला पाई. उसे जब भी मौका मिलता, वह फोन पर अपनी सहेली से प्रेमी पवन के बारे में बतियाना शुरू कर देती और पवन के बारे में सारी जानकारी ले लेती. धीरेधीरे 2 साल गुजर गए, पवन भी मालती को नहीं भुला सका था. दिनरात मालती उस के खयालों में छाई रहती. वह अपनी जिंदगी मालती की यादों में काटना चाहता था. इस वजह से उस ने शादी भी नहीं की थी.

शादी के बाद बने रहे संबंध

उधर मालती के मम्मीपापा और भाई को लगने लगा था कि शादी के बाद मालती पवन को भूल चुकी होगी, इसलिए उन्होंने उसे गांव में किसी के भी घर आनेजाने की छूट दे दी. पवन और मालती मौके की तलाश में रहने लगे, एक दिन मौका पा कर सब की नजरों से बचते हुए दोनों मिले. इस मुलाकात में मालती ने बताया कि वह अपनी शादी से जरा भी खुश नहीं है तो पवन चौंका. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि मालती अब भी उसे अपने दिल में बसाए हुए होगी.

उसे लगता था कि मालती उसे भुला कर अपने पति के प्रेम में रम गई होगी. पवन ने मालती से पूछा, ‘‘क्या तुम अब भी मेरे साथ जिंदगी गुजारने को तैयार हो?’’

“हां, मैं तुम्हारे लिए अपना बसाबसाया घर छोडऩे को तैयार हूं.’’

मायके से मालती ने भागना उचित नहीं समझा. क्योंकि इस से उस के मायके वालों की बदनामी होती. फिर योजना के अनुसार, दोनों ने एकदूसरे के नए मोबाइल नंबर ले लिए. मालती ने पवन का मोबाइल नंबर सहेली के नाम से सेव कर लिया.

3 दिन बाद मालती का पति सोनू उसे लेने अपनी ससुराल मोहनगढ़ आया तो वह बेमन से ससुराल चली गई. ससुराल में किसी को भी उस के शादी से पूर्व के प्रेम प्रसंग के बारे में जानकारी नहीं थी, इसलिए उसे देर रात मोबाइल पर बतियाते देख किसी को उस पर संदेह नहीं हुआ. ससुराल वाले यही समझते रहे कि वह अपने मांबाप की लाडली बेटी है उन्हीं से बतियाती होगी.

इत्तफाक से एक दिन मालती के पति सोनू की देर रात अचानक नींद टूट गई, तब उस ने उसे किसी पुरुष से खिलखिला कर हंसते हुए वीडियो कालिंग पर बात करते हुए देखा. इस से सोनू को मालती पर शक हो गया. उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि शादी के बाद भी पत्नी का किसी अन्य पुरुष से चक्कर चल रहा होगा. काफी प्रयत्न करने पर सोनू को पता चला कि मालती का प्रेम प्रसंग मोहनगढ़ गांव के पवन से चल रहा है. इस जानकारी से सोनू को गहरा झटका लगा.

अब इसे ले कर आए दिन पतिपत्नी के बीच झगड़ा होने लगा. धीरेधीरे उन के रिश्तों में दरार आती चली गई. यह दरार इतनी बढ़ी कि सोनू ने अपने सुसर को फोन कर उन से साफ कह दिया कि अब वह मालती को पत्नी के तौर पर अपने घर पर नहीं रख सकता. आप इंदरगढ़ आ कर मालती को हमेशा के लिए ले जाएं.

प्यार के लिए अपहरण – भाग 3

अजीम अहमद की इस नेकी से आसिफा बहुत प्रभावित हुई. उस ने उसे चाय पिए बगैर नहीं जाने दिया. आसिफा से उस की यह दूसरी मुलाकात थी. बातचीत में आसिफा ने बताया कि वह मोहम्मद शमीम की दूसरी बीवी है. हमजा और अयान उस की पहली बीवी के बच्चे हैं. पहली बीवी की मौत के बाद मोहम्मद शमीम ने उस से निकाह किया था. जवान बीवी को यहां अकेली छोड़ कर वह सऊदी अरब में कोई बिजनैस कर रहा है.

आसिफा ने बताया था कि ये दोनों बच्चे उस की बहन के हैं. आसिफा बेहद खूबसूरत थी. अजीम को जब पता चला कि अभी उस के बच्चे नहीं हुए हैं तो उस का झुकाव आसिफा की तरफ हो गया. वह मन ही मन उसे चाहने लगा. वक्तजरूरत के लिए दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने फोन नंबर भी दे दिए थे.

इस के बाद अजीम जबतब आसिफा से फोन पर बातें करने लगा था. किसी न किसी बहाने वह उस के घर भी जाने लगा. आसिफा से नजदीकी बढ़ाने के लिए उस ने उस के दोनों बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने की पेशकश की. आसिफा ने हामी भर दी तो वह स्कूल से छुट्टी के बाद हमजा और अयान को ट्यूशन पढ़ाने उन के घर जाने लगा. अयान पास के ही एक स्कूल में यूकेजी में पढ़ता था.

अजीम का कहना था कि घर आनेजाने से आसिफा और उस के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी थीं. आसिफा भी उस से प्यार करने लगी थी. बात आगे बढ़ी तो दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. अजीम के अनुसार दोनों ने साथ रहने की ठान ली थी. बच्चों को भी साथ रखने की बात तय हो गई थी. आसिफा से बात होने के बाद ही वह बच्चों को ले गया था. जैसे ही बच्चे कनफैक्शनरी की दुकान के नजदीक पहुंचे थे, उस ने हमजा और अयान को चीज दिलाने के बहाने बाइक पर बैठा लिया था. आसिफा को भी आना था, लेकिन बाद में उस ने आने से मना कर दिया था.

आसिफा का मना करना अजीम को अच्छा नहीं लगा. दबाव बनाने के लिए उस ने आसिफा को धमकी दी कि अगर आसिफा नहीं आएगी तो वह बच्चों को जान से मार देगा. लेकिन आसिफा उस की धमकी में नहीं आई. तब वह बच्चों को ले कर हरिद्वार के लिए रवाना हो गया. श्यामपुर के नजदीक उसे जंगल दिखाई दिया तो उस ने हमजा को वहीं खत्म करने की योजना बना डाली.

मोटरसाइकिल को सड़क के किनारे खड़ी कर के वह हमजा को जंगल में ले गया और जिस जंजीर से उस की बाइक की चाबी बंधी थी, उसी जंजीर से उस का गला घोंटने लगा. हमजा जमीन पर औंधी पड़ी थी. उस ने गले पर जंजीर के नीचे 2 अंगुलियां लगा ली थीं, जिस से उस का गला घुट नहीं सका और वह बेहोश हो कर रह गई. अजीम को लगा कि वह मर चुकी है, इसलिए वह अयान को ले कर हरिद्वार के अपने एक दोस्त के घर चला गया.

थोड़ी देर बाद हमजा को होश आया तो वह जंगल में खुद को अकेली पा कर डर के मारे रोने लगी. वह ऐसा जंगल था, जहां जंगली जानवर घूमते रहते थे. वनकर्मी भी उधर बंद गाड़ी ले कर जाते थे. लेकिन इत्तफाक से उस समय कोई जंगली जानवर उधर नहीं आया था.

संयोग से उधर कुछ वनकर्मी आए तो अकेली लड़की को देख कर वे चौंके. हमजा ने उन्हें सारी बात बताई तो वनकर्मी हमजा को थाना श्यामपुर ले गए. थानाप्रभारी चंदन सिंह ने मुरादाबाद की 11 साल की लड़की हमजा के बरामद होने की सूचना एसपी सिटी सुरजीत सिंह पंवार को दी तो उन्होंने यह खबर मुरादाबाद के एसएसपी को दे दी.

अगली सुबह यानी 26 नवंबर, 2013 को अजीम अयान को मोटरसाइकिल से ले कर निकला. वह उसे भी ठिकाने लगाना चाहता था. इस के लिए वह देहरादून की तरफ चल दिया. बच्चे को मोटरसाइकिल से अपहरण कर के ले जाने की खबर देहरादून के पुलिस कंट्रोलरूम से फ्लैश होने के बाद पूरे शहर में वाहनों की चैकिंग शुरू हो गई थी. इसलिए सुबह 9 बजे के करीब अजीम ने आईएसबीटी पुलिस चौकी के नजदीक चैकिंग होती देखी तो डर की वजह से अयान को वहीं उतार कर भाग गया. अकेले पड़ने पर अयान रोने लगा तो पुलिस उस के पास पहुंच गई, जिस से वह भी सकुशल मिल गया.

अजीम अब कहीं दूर भाग जाना चाहता था, इसलिए उस ने अपनी मोटरसाइकिल देहरादून रेलवे स्टेशन की पार्किंग में खड़ी कर दी और ट्रेन से दिल्ली में रहने वाले अपने दोस्त जुबैर के पास चला गया. जुबैर कपड़ों की सिलाई करता था. दूसरी ओर मुरादाबाद पुलिस उस के मोबाइल फोन के जरिए उस के पास पहुंचने की कोशिश कर रही थी. इस से पहले मुरादाबाद पुलिस जुबैर के पास पहुंचती, वह वहां से मांडवा में रहने वाले अपने दोस्त अनमोल के यहां चला गया. लेकिन वहां अनमोल नहीं मिला.

अजीम को पैसों की जरूरत थी. तब वह अपना सैमसंग का मोबाइल फोन 2 हजार रुपए में बेच कर बंगलुरु चला गया. इस बीच वह एसटीडी बूथ से घर वालों को फोन करता रहता था. जब उसे पता लगा कि उस के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो चुका है और पुलिस कुर्की की काररवाई कर रही है तो वह अजमेर आ गया. वह मुरादाबाद पहुंच कर पुलिस के सामने हाजिर होना चाहता था, लेकिन मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उसे अजमेर से गिरफ्तार कर लिया.

अजीम के फोन की काल डिटेल्स से पुलिस को यह भी पता चल गया था कि अजीम की आसिफा से अकसर बात होती रहती थी. कभीकभी ये बातें काफी लंबी होती थीं. पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि उन दोनों के बीच किस तरह के संबंध थे. बहरहाल, पुलिस ने अजीम उर्फ अजमल से पूछताछ कर के उसे न्यायालय में पेश कर दिया था, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अनीता की अनीति : मतलबी प्यार – भाग 3

एक विवाहित औरत का किसी पुरुष को इस तरह ताकने का मतलब राजेश्वर तुरंत समझ गया. बोतल खुली और शराब का दौर चलने लगा. दोनों ने एकएक पैग पिया था कि अनीता ने राजेश्वर की आंखों में आंखें डाल कर कहा, ‘‘आज आप पहली बार हमारे घर आए हैं, इसलिए बिना खाना खाए मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगी.’’

‘‘नहीं भाभी, आज नहीं. घर जाने में देर हो जाएगी तो घर वाले परेशान होंगे. अगली बार आऊंगा तो जरूर खा कर जाऊंगा. उसी बहाने आप से मिलने का मौका भी मिल जाएगा.’’ राजेश्वर ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया.

‘‘आइएगा जरूर, मुझे आप का इंतजार रहेगा. अब भाभी कहा है तो मेरा आप पर कुछ तो हक बनता ही है.’’

‘‘कुछ नहीं, आप का मेरे ऊपर पूरा हक बनता है. जल्दी ही मैं आप के हाथ का खाना खाने आऊंगा.’’ राजेश्वर ने कहा और वहां से चला गया.  यह बात बिलकुल सच है कि भूख आदमी के ईमान को कभी भी डिगा सकती है, चाहे वह पेट की भूख हो या शरीर की. भूखे इंसान को भटकने में देर नहीं लगती. और तब तो बिलकुल नहीं, जब सामने आंखों को भाने वाला खाना या साथी मौजूद हो.

ऐसा ही हुआ अनीता के साथ. राजेश्वर जैसे सजीले नौजवान को देख कर उस का भी ईमान डोल गया. कपड़ों की छपाई के गुर सीखने आया राजेश्वर अपने काम को भूल कर ज्यादा दिनों तक अनीता नाम की इस कामाग्नि से खुद को बचा नहीं सका और उस आग में खुद को स्वाहा कर दिया.

यह भी सच है कि जवानी नौजवानों को गुस्ताख बना देती है. जिस पर जवानी चढ़ती है वह अपने सामाजिक ही नहीं, पारिवारिक दायित्वों को भी भूल जाता है. ऐसा ही कुछ राजेश्वर के साथ भी हुआ.  जवान हुए राजेश्वर को अपने मातापिता का सहारा बनना चाहिए था, जबकि वह एक विवाहिता औरत के प्रेम में ऐसा उलझा कि मांबाप का सहारा बनने के बजाय जान तक गंवा बैठा.

राजेश्वर अनीता के जाल में उलझा तो काम से लगातार गैरहाजिर रहने लगा. जब इस बात की खबर राजकुमार तक पहुंची तो उन्होंने पता किया कि राजेश्वर काम पर क्यों नहीं जाता.  उन्हें जो जानकारी मिली, वह परेशान करने वाली थी. उन्हें पता चला कि उन का बेटा एक शादीशुदा औरत के चक्कर में पड़ गया है. वह उस पर काफी पैसा भी खर्च कर चुका है. उस ने अपनी जो मोटरसाइकिल बेची थी, उस का पैसा भी उस ने उसी पर खर्च किया था.

राजकुमार समझदार आदमी थे. उन्होंने दुनिया देखी थी. वह जानते थे कि सख्ती से बेटा बगावत कर सकता है, इसलिए एक दिन उन्होंने राजेश्वर को अपने पास बिठा कर प्यार से समझाया कि वह जो कर रहा है, वह न तो उस के लिए ठीक है और न घरपरिवार के लिए. अपना फर्ज समझते हुए राजेश्वर ने पिता की बातें ध्यान से सुनी ही नहीं, बल्कि वादा भी किया कि वह उन की बातों पर गौर करेगा. लेकिन पिता के पास से हटते ही उस ने पिता की जो बातें सुनी थीं, दूसरे कान से निकाल दीं. वह अनीता से पहले की ही तरह मिलता रहा.

राजकुमार ने जब देखा कि उन की बातों का बेटे पर कोई असर नहीं पड़ रहा है तो उन्होंने उसे उस के हाल पर छोड़ दिया. हद तो तब हो गई, जब मार्च के अंतिम सप्ताह में राजेश्वर ने घर में रखे 10 तोले के सोने के गहने चोरी से ले जा कर अनीता को दे दिए. जब इस चोरी की जानकारी बिटई देवी को हुई तो बिना देर किए वह लोनी में रह रही अनीता के घर जा पहुंचीं.  उन्होंने अनीता को बुराभला तो कहा ही, साथ ही धमकी भी दी कि अगर उस ने गहने वापस नहीं किए तो वह उस के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करा देंगी.

बिटई देवी ने अनीता को रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी जरूर दी थी, लेकिन उन्हें इस बात का भी डर था कि अगर बात पुलिस तक पहुंचेगी तो उन का बेटा भी इस मामले में फंसेगा. इसलिए वह सिर्फ धमकी ही दे कर रह गई थीं.  लेकिन बिटई देवी की इस धमकी से अनीता और नीरज इस कदर डर गए थे कि वे बचने का रास्ता खोजने लगे. काफी सोचविचार कर उन्हें जो रास्ता सूझा, वह काफी खतरनाक था. फिर भी उन्होंने उसी पर चलने का निश्चय कर लिया.

19 अप्रैल की शाम को अनीता ने 7 बजे फोन कर के राजेश्वर को घर बुलाया और पति के साथ मिल कर दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया. राजेश्वर की हत्या कर के लाश उन्होंने कमरे में ही छोड़ दी और बाहर से ताला लगा कर रात 2 बजे फरार हो गए.

राजेश्वर की हत्या की सारी कहानी उगलवा कर थाना लोनी पुलिस ने अगले दिन नीरज और अनीता को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक दोनों जेल में थे. उन के बच्चों को घर वाले आ कर ले गए.

प्यार के लिए अपहरण – भाग 2

हमजा को अपनी सुपुर्दगी में ले कर पुलिस ने उस से पूछताछ की तो पता चला कि उसे और उस के भाई अयान को उन्हें ट्यूशन पढ़ाने वाला अजीम मोटरसाइकिल से ले गया था. हमजा की बातों से साफ हो गया कि बच्चों का अपहरण करने वाला कोई और नहीं, उन्हें ट्यूशन पढ़ाने वाला अजीम था.

हमजा तो सकुशल मिल गई थी, लेकिन उस का भाई अयान अभी भी अजीम के कब्जे में था. पुलिस को आसिफा से अजीम की मोटरसाइकिल का नंबर मिल गया था, इसलिए हरिद्वार पुलिस ने कंट्रोलरूम द्वारा उस की मोटरसाइकिल का नंबर फ्लैश करा कर जगहजगह बैरिकेड्स लगा कर वाहनों की चैकिंग शुरू करा दी. कोतवाली पुलिस हमजा को ले कर मुरादाबाद लौट आई. हमजा के गले व हाथ की अंगुलियों पर चोट के निशान थे, इसलिए पुलिस पहले उसे इलाज के लिए जिला चिकित्सालय ले गई. वहां से लौट कर उस से विस्तार से पूछताछ की गई.

चूंकि अयान अभी भी अजीम के कब्जे में था, इसलिए पुलिस को इस बात का डर सता रहा था कि कहीं वह उस के साथ कुछ बुरा न कर दे. मुरादाबाद पुलिस के आग्रह पर हरिद्वार पुलिस अपने स्तर से उस की तलाश कर रही थी. संभावना यह भी थी कि कहीं वह अयान को ले कर देहरादून न चला गया हो. इसलिए हरिद्वार पुलिस ने इस बात की सूचना देहरादून पुलिस को भी दे दी थी.

मामला एक मासूम की जान का था, इसलिए देहरादून पुलिस ने भी वाहनों की चैकिंग शुरू करा दी. पुलिस की इस मुस्तैदी का नतीजा यह निकला कि 25 नवंबर की सुबह यही कोई 9 बजे देहरादून की आईएसबीटी पुलिस चौकी के पास पुलिस ने एक बच्चे को बरामद किया, जिस ने अपना नाम अयान बताया. पूछताछ में उस ने बताया कि वह मुरादाबाद का रहने वाला है. बच्चा बहुत घबराया हुआ था. देहरादून के पुलिस अधिकारियों ने अयान से पूछताछ के बाद मुरादाबाद पुलिस को सूचना दे दी. इस के बाद मुरादाबाद पुलिस देहरादून पहुंची और अयान को ले आई. बेटे को सहीसलामत पा कर आसिफा सारे दुख भूल गई.

बच्चों को सकुशल बरामद कर के पुलिस का आधा काम खत्म हो चुका था. अब उसे बच्चों का अपहरण करने वाले अजीम को गिरफ्तार करना था. वह मुरादाबाद के बंगला गांव में रहता था, जबकि मूलरूप से वह बिजनौर के स्योहरा का रहने वाला था. एक पुलिस टीम स्योहरा भेजी गई तो दूसरी ने बंगला गांव वाले कमरे पर भी दबिश दी. लेकिन वह दोनों जगहों पर नहीं मिला.

पुलिस को अजीम का मोबाइल नंबर मिल गया था. उस की लोकेशन का पता किया गया तो वह दिल्ली की मिली. एक पुलिस टीम दिल्ली रवाना कर दी गई. दबाव बनाने के लिए पुलिस ने अजीम के भाई हफीज को कोतवाली में बैठा लिया था. उस से अजीम के ठिकानों के बारे में पूछताछ की जा रही थी.

अजीम को जब पता चला कि पुलिस ने उस के भाई को उठा लिया है तो उस ने 26 नवंबर की सुबह साढ़े 10 बजे आसिफा को फोन कर के अपने भाई को पुलिस से छुड़वाने के लिए कहा. इस बातचीत में आसिफा ने उसे आश्वासन दिया कि वह मुरादाबाद आ जाए. अगर वह कहेगा तो वह मुकदमा भी वापस ले लेगी.

दिल्ली पहुंची पुलिस टीम को अजीम तो नहीं मिला, लेकिन उस का मोबाइल फोन जरूर मिल गया. जिस आदमी के पास वह मोबाइल फोन मिला, उस आदमी से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि अजीम वह मोबाइल उसे बेच गया था. फोन बेच कर वह कहां गया, यह उसे पता नहीं था. पुलिस टीम दिल्ली से मुरादाबाद लौट आई. अजीम के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो चुका था. पुलिस कुर्की की तैयारी कर रही थी. इस के अलावा एसएसपी ने उस की गिरफ्तारी पर ढाई हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया था. इस तरह उसे घेरने की पूरी काररवाई कर ली गई थी.

आखिर एक मुखबिर की सूचना पर 12 दिसंबर, 2013 को पुलिस ने आरोपी अजीम को अजमेर से गिरफ्तार कर लिया. कोतवाली ला कर अजीम उर्फ अजमल से पूछताछ की गई तो बच्चों के अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह बड़ी ही दिलचस्प निकली.

अजीम अहमद उर्फ अजमल स्योहरा, बिजनौर के रहने वाले अब्दुल हमीद का बेटा था. उस के पिता और भाई सऊदी अरब में नौकरी करते थे. वह भी पढ़लिख कर कोई सरकारी नौकरी करना चाहता था. देहरादून के डीएवी कालेज से एमए करने के बाद वह नौकरी की तैयारी करने के लिए मुरादाबाद आ गया. यहां वह बंगला गांव में किराए पर रहने लगा. अपना खर्च चलाने के लिए वह मुरादाबाद के सिविललाइंस स्थित एस.एस. चिल्ड्रन एकेडमी में क्लर्क के रूप में काम करने लगा. यह करीब 5 साल पहले की बात है.

अपनी लच्छेदार बातों से वह स्कूल के प्रिंसिपल और टीचरों का प्रिय बन गया. अगर किसी वजह से स्कूल में पढ़ने वाले किसी बच्चे का रिक्शे वाला नहीं आ पाता तो वह अपनी मोटरसाइकिल से उस बच्चे को उस के घर तक छोड़ आता था. इस तरह अभिभावकों की नजरों में भी वह भलामानस बन गया था.

पिछले साल मुरादाबाद के ही रेती स्ट्रीट की रहने वाली आसिफा अपनी बेटी हमजा का छठी क्लास में दाखिला कराने के लिए एस.एस. चिल्ड्रन एकेडमी गई तो किसी वजह से वहां बेटी का एडमिशन नहीं हो रहा था. बाद में अजीम अहमद की मदद से हमजा का दाखिला उस स्कूल में हो गया. बेटी के एडमिशन के बाद आसिफा उस की अहसानमंद हो गई.

3, साढ़े 3 महीने पहले की बात है. एक दिन स्कूल की छुट्टी के बाद अजीम गेट की तरफ जा रहा था तो वहां हमजा खड़ी दिखाई दी. स्कूल के ज्यादातर बच्चे जा चुके थे. उसे अकेली देख कर अजीम ने उस से वहां खड़ी होने की वजह पूछी तो उस ने बताया कि उस का रिक्शे वाला अभी तक नहीं आया है. स्कूल का काम निपटाने के बाद अजीम मोटरसाइकिल से हमजा को ले कर उस के घर पहुंच गया.