
कानपुर से 40 किलोमीटर दूर बेलाविधूना मार्ग पर एक कस्बा है रसूलाबाद. इसी कस्बे से सटा एक गांव है बादशाहपुर., जहां रहता था रामचंद्र का परिवार. उस के परिवार में पत्नी जमना के अलावा 2 बेटे रघुनंदन उर्फ रघु, शिवनंदन उर्फ शिव तथा 2 बेटियां सपना और सुरेखा थीं. रामचंद्र गांव का संपन्न किसान था. वह गांव का प्रधान भी रह चुका था, इसलिए गांव में लोग उस की इज्जत करते थे.
रामचंद्र की छोटी बेटी सुरेखा दसवीं में पढ़ रही थी, जबकि बड़ी बेटी सपना ने बारहवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी. रामचंद्र उसे पढ़ालिखा कर मास्टर बनाना चाहता था. लेकिन सपना के पढ़ाई छोड़ देने से उस का यह सपना पूरा नहीं हो सका. पढ़ाई छोड़ कर वह घर के कामों में मां की मदद करने लगी थी.
गांव के हिसाब से सपना कुछ ज्यादा ही सुंदर थी. जवानी में कदम रखा तो उस की सुंदरता में और निखार आ गया. गोरा रंग, बड़ीबड़ी आंखें, तीखे नाकनक्श, गुलाबी होंठ और कंधों तक लहराते बाल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे. अपनी इस खूबसूरती पर सपना को भी बहुत नाज था.
यही वजह थी कि जब कोई लड़का उसे चाहत भरी नजरों से देखता तो वह इस तरह घूरती मानो खा जाएगी. उस की इन खा जाने वाली नजरों से ही लड़के उस से डर जाते थे. लेकिन रामनिवास सपना की इन नजरों से जरा भी नहीं डरा था. वह सपना के घर से कुछ ही दूरी पर रहता था. उस के पिता शिव सिंह की मौत हो चुकी थी. वह मां और भाइयों अनिल तथा रावेंद्र के साथ रहता था.
पिता की मौत के बाद घरपरिवार की जिम्मेदारी उसी पर आ गई थी, इसलिए उसे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी. पढ़ाई छोड़ कर उस ने अपनी खेती संभाल ली थी. उसे गानेबजाने का शौक था. उस का गला भी सुरीला था, वह भजनकीर्तन अच्छा गा लेता था. उस ने ‘धमाका’ नाम से एक कीर्तन मंडली बना ली और बुकिंग पर जाने लगा था. इस से उसे अच्छी आमदनी हो रही थी.
सपना के भाई रघुनंदन की रामनिवास से खूब पटती थी. आसपड़ोस में होने की वजह से दोनों का एकदूसरे के घर भी आनाजाना होता था. एक दिन दोनों बैठे बातें कर रहे थे तो रघुनंदन ने कहा, ‘‘यार रामनिवास! मुझे भी भजनकीर्तन सिखा कर अपनी मंडली में शामिल कर लो. 4 पैसे मुझे भी मिलने लगेंगे.’’
रामनिवास रघुनंदन को अच्छा दोस्त मानता था, इसलिए उसे भजनकीर्तन सिखाने लगा. रामनिवास जब भी रघुनंदन के घर आता था, सपना उसे घर के कामों में लगी दिखाई देती थी. वैसे तो वह उसे बचपन से देखता आया था, लेकिन पहले वाली सपना में और अब की सपना में काफी फर्क आ गया था. पहले जहां वह बच्ची लगती थी, अब वही सपना जवान होने पर ऐसी हो गई थी कि उस पर से नजर हटाने का मन ही नहीं होता था.
एक दिन रामनिवास सपना के घर पहुंचा तो सामने वही पड़ गई. उस ने पूछा, ‘‘रघु कहां है?’’
‘‘मम्मी और भैया तो कस्बे गए हैं. कोई काम है क्या?’’ सपना बोली.
‘‘नहीं, कोई खास काम नहीं था, बस ऐसे ही आ गया था.’’
‘‘भइया को सचमुच भजनकीर्तन सिखा रहे हो या ऐसे ही टाइम पास करा रहे हो?’’
‘‘भजनकीर्तन गाना इतना आसान नहीं है, जो हफ्ता-10 दिन में सीख जाएगा. इसे भी सीखने में समय लगता है. अगर इसी तरह लगा रहा तो एक दिन जरूर सीख जाएगा. उस के बाद महीने में 5-6 हजार रुपए कमाने लगेगा.’’ रामनिवास ने कहा.
‘‘5-6 हजार रुपए कमाने लगेगा?’’
‘‘मेहनत करेगा तो क्यों नहीं कमाने लगेगा? मैं कमाता नहीं हूं? अच्छा अब मैं चलता हूं. रघु आए तो बता देना, मैं आया था.’’
‘‘बैठो, भइया आते ही होंगे.’’ सपना ने कहा तो वहीं पड़ी चारपाई पर रामनिवास बैठ गया.
रामनिवास बैठ गया तो सपना रसोई की ओर बढ़ी. उसे रसोई की ओर जाते देख रामनिवास ने कहा, ‘‘सपना, चाय बनाने की जरूरत नहीं है. मैं चाय पी कर आया हूं. मेरे लिए बेकार में चूल्हा जलाओगी.’’
‘‘चूल्हा जल रहा है और मैं ने अपने लिए चाय भी चढ़ा रखी है. उसी में थोड़ा दूध और डाल देना है.’’ कह कर सपना रसोई में चली गई.
थोड़ी देर बाद वह 2 गिलासों में चाय ले आई. एक गिलास उस ने रामनिवास को थमा दिया तो दूसरा खुद ले कर बैठ गई. चाय पीते हुए रामनिवास ने कहा, ‘‘सपना बुरा न मानो तो एक बात कहूं?’’
‘‘कहो.’’ उत्सुक नजरों से देखते हुए सपना बोली.
‘‘अगर तुम जैसी खूबसूरत और ढंग से घर के काम करने वाली पत्नी मुझे मिल जाए तो मेरी किस्मत ही खुल जाए.’’
रामनिवास की इस बात का जवाब देने के बजाय सपना उठी और रसोई में चली गई. उसे इस तरह जाते देख रामनिवास को लगा वह नाराज हो गई है, इसलिए उस ने कहा, ‘‘सपना लगता है तुम नाराज हो गई? मेरी इस बात का कोई गलत अर्थ मत लगाना. मैं ने तो यूं ही कह दिया था.’’
इतना कह रामनिवास चला गया. लेकिन इस के बाद वह जब भी रघु के घर जाता, मौका मिलने पर सपना से 2-4 बातें जरूर कर लेता. उन की इस बातचीत का घर वालों को कोई ऐतराज भी नहीं था. क्योंकि रिश्ते में दोनों भाईबहन लगते थे. गांवों में तो वैसे भी रिश्तों को काफी अहमियत दी जाती है. फिर सपना और रामनिवास तो एक ही जाति और परिवार के थे.
लेकिन रामनिवास और सपना रिश्ते की मर्यादा निभा नहीं पाए. मेलमुलाकात और बातचीत में रामनिवास के दिलोदिमाग पर सपना की खूबसूरती और बातव्यवहार ने ऐसा असर डाला कि वह उसे जीवनसाथी के रूप में पाने के सपने देखने लगा. लेकिन अपने मन की बात वह सपना से कह नहीं पाता था. क्योंकि उस का रिश्ता ऐसा था कि इस तरह की बात कहना आसान नहीं था.
कहीं सपना बुरा मान गई और उस ने यह बात घर वालों से बता दी तो वह मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएगा. लेकिन यह उस का भ्रम था. सपना के मन में भी वही सब था, जो उस के मन में था. जब दोनों ही ओर चाहत के दिए जल रहे हों तो खुलासा होने में ज्यादा देर नहीं लगती. ऐसा ही सपना और रामनिवास के साथ भी हुआ.
दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. आए दिन होने वाली मुलाकातों ने दोनों को जल्दी ही करीब ला दिया. वे भूल गए कि रिश्ते में भाईबहन हैं. रामनिवास सपना के प्यार के गाने गाने लगा. इस तरह दोनों मोहब्बत की नाव में सवार हो कर काफी आगे निकल गए.
सपना और रामनिवास के बीच नजदीकियां बढ़ीं तो मनों में शारीरिक सुख पाने की कामना पैदा होने लगी. इस के बाद मौका मिला तो दोनों सारी मर्यादाएं तोड़ कर एकदूसरे की बांहों में समा गए. एक बार दोनों ने पाप के दलदल में कदम रखा तो जल्दी ही उस में गले तक समा गए. घर बाहर जहां भी मौका मिलता, वे शरीर की आग शांत करने लगे.
इसी का नतीजा था कि वे गांव वालों की नजरों मे आ गए. उन के प्यार के चर्चे पूरे गांव में होने लगे. उड़ते उड़ाते यह खबर रामचंद्र के कानों में पड़ी तो सुन कर उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. एकाएक उसे विश्वास नहीं हुआ कि रामनिवास उस की इज्जत पर हाथ डाल सकता है. वह तो उसे अपने बेटों की तरह मानता था. यह सब जान कर उस ने सपना पर तो पाबंदी लगा ही दी, रामनिवास से भी कह दिया कि वह उस के घर न आया करे.
बात इज्जत की थी, इसलिए रघुनंदन को दोस्त की यह हरकत अच्छी नहीं लगी. उस ने रामनिवास को समझाया ही नहीं, धमकी भी दी कि अगर उस ने अब उस की बहन पर नजर डाली तो वह भूल जाएगा कि वह उस का दोस्त और चचेरा भाई है. इज्जत के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है. इस के बाद उस ने सपना की पिटाई भी की और उसे समझाया कि उस की वजह से गांव में सिर उठा कर चलना दूभर हो गया है. वह ठीक से रहे अन्यथा अनर्थ हो जाएगा.
रामचंद्र जानता था कि बात बढ़ाने पर उसी की बदनामी होगी, इसलिए बात बढ़ाने के बजाय वह पत्नी और बेटों से सलाह कर के सपना के लिए लड़के की तलाश करने लगा. इस बात की जानकारी सपना को हुई तो वह बेचैन हो उठी. एक रात मौका निकाल कर वह रामनिवास से मिली और रोते हुए बोली, ‘‘घर वाले मेरे लिए लड़का ढूंढ रहे हैं, जबकि मैं तुम्हारे अलावा किसी और से शादी नहीं करना चाहती.’’
‘‘इस में रोने की क्या बात है? हमारा प्यार सच्चा है, इसलिए दुनिया की कोई ताकत हमें जुदा नहीं कर सकती.’’ सपना को रोते देख रामनिवास विचलित हो उठा. वह सपना के आंसू पोंछ कर उस का चेहरा हथेलियों में ले कर बोला, ‘‘तुम मुझ पर भरोसा करो. मैं तुम्हारे साथ बिताए मधुर क्षणों को कैसे भूल सकता हूं? मैं ने तुम्हें मनप्राण से चाहा है. मेरे रोमरोम में तुम्हारा प्यार रचाबसा है. तुम्हें क्या लगता है कि तुम से अलग हो कर मैं जी पाऊंगा, बिलकुल नहीं.’’
यह कहतेकहते रामनिवास की आंखें भर आईं. उस की आंखों में आंखें डाल कर सपना बोली, ‘‘मुझे पता है कि हमारा प्यार सच्चा है, तुम दगा नहीं दोगे. फिर भी न जाने क्यों मेरा दिल घबरा रहा है. अच्छा, अब मैं चलती हूं. कोई खोजते हुए कहीं आ न जाए.’’
‘‘ठीक है, मैं कोई योजना बना कर तुम्हें बताता हूं.’’ कह कर रामनिवास अपने घर की ओर चल पड़ा तो मुसकरती हुई सपना अपने घर चली गई.
रामचंद्र सपना के लिए लड़का ढूंढ़ढूंढ़ कर थक गया, लेकिन कहीं शादी तय नहीं हुई. वह जहां भी जाता, बेटी की चरित्रहीनता आड़े आ जाती. शादी तय न होने से जहां सपना के घर वाले परेशान थे, वहीं सपना और रामनिवास खुश थे. इस बीच घर वाले थोड़ा लापरवाह हो गए तो वे फिर से चोरीछिपे मिलने लगे थे.
एक दिन रघुनंदन ने खेतों पर सपना और रामनिवास को हंसीमजाक करते देख लिया तो उस ने सपना की ही नहीं, रामनिवास की भी जम कर पिटाई की. इसी के साथ धमकी भी दी कि अगर फिर कभी उस ने दोनों को इस तरह देख लिया तो उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेगा.
रघुनंदन की इस पिटाई से दोनों का प्यार कम हो जाना चाहिए था. लेकिन उन का प्यार कम होने के बजाए बढ़ गया था. रघुनंदन ने रामनिवास की शिकायत उस के घर वालों से की तो उन्होंने कहा, ‘‘इस सब से तो अच्छा है रामनिवास और सपना की शादी कर दी जाए.’’
इस से रघुनंदन का गुस्सा और बढ़ गया. पैर पटकते हुए वह घर वापस आ गया. फसल की रखवाली के लिए रामनिवास रात को खेतों पर सोता था. सपना को जब कभी मौका मिलता, वह रात में उस से मिलने खेतों पर पहुंच जाती थी. काम हो जाने के बाद वह दबे पांव घर आ जाती.
27 मार्च की सुबह 4 बजे के आसपास सपना घर से दबे पांव रामनिवास से मिलने के लिए निकली. सपना को घर से निकलते हुए रघुनंदन ने देख लिया. उसे संदेह हुआ तो वह उस के पीछेपीछे चल पड़ा.
खेत पर उस ने जो देखा, सन्न रह गया. सपना और रामनिवास आपत्तिजनक स्थिति में थे. उन्हें इस तरह देख कर रघुनंदन की देह में आग लग गई. उस ने कहा, ‘‘हरामजादे, मना करने के बावजूद तू ने मेरी इज्जत पर हाथ डाला. आज मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’
इतना कह कर रघुनंदन ने दोनों हाथों से कुल्हाड़ी हवा में लहराई और पूरी ताकत से रामनिवास की गरदन पर वार कर दिया. इसी एक वार में रामनिवास धराशाई हो गया. गुस्से में रघुनंदन ने ताबड़तोड़ कई वार कर के उसे खत्म कर दिया.
भाई का गुस्सा देख कर सपना जान बचा कर घर की ओर भागी. रघुनंदन ने पीछे से आवाज दी, ‘‘भाग कर कहां जाएगी. मैं आज तुझे भी नहीं छोड़ूंगा.’’
कहते हुए रघुनंदन ने सपना को दौड़ा लिया. सपना घर तक तो पहुंच गई, लेकिन वह खुद को कमरे में बंद कर पाती, उस के पहले ही आंगन में रघुनंदन ने उस पर भी उसी कुल्हाड़ी से वार कर दिया. सपना चीखी तो घर वाले भाग कर आ गए. उन्होंने रघुनंदन को पकड़ कर कुल्हाड़ी छीन ली. लेकिन सपना पर एक वार जो पड़ चुका था, उस से वह बुरी तरह जख्मी हो गई थी. उस का शरीर खून से तरबतर हो गया.
सूरज की किरण फूटने के साथ ही इस सनसनीखेज घटना की जानकारी रामनिवास के घर वालों और गांव वालों को हुई तो कोहराम मच गया. किसी ने इस घटना की खबर थाना रसूलाबाद पुलिस को दे दी थी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार सिपाहियों को साथ ले कर गांव बादशाहपुर पहुंच गए.
सब से पहले तो थानाप्रभारी ने गंभीर रूप से घायल सपना को इलाज के लिए अस्पताल भिजवाया. इस के बाद वहां जा पहुंचे, जहां रामनिवास की लाश पड़ी थी.
रामनिवास की हत्या बड़ी ही बेरहमी से की गई थी. उस के शरीर पर 8-10 गहरे घाव थे, जिस से उस की मौत हो चुकी थी. घटनास्थल का निरीक्षण कर उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.
इस के बाद पूछताछ में मृतक रामनिवास के भाई अनिल ने बताया कि रामनिवास की हत्या रघुनंदन ने की थी. वह उस की बहन सपना से प्यार करता था और शादी करना चाहता था. रघुनंदन इस बात का विरोध करता था. आज उस ने दोनों को रंगेहाथों पकड़ लिया तो रामनिवास की हत्या कर दी.
थानाप्रभारी सुनील कुमार ने अनिल की ओर से रामनिवास की हत्या का मुकदमा रघुनंदन के खिलाफ दर्ज कर के उसे उस के घर से हिरासत में ले लिया. पूछताछ में उस ने अपना अपराध स्वीकार कर के वह कुल्हाड़ी भी बरामद करा दी, जिस से उस ने रामनिवास की हत्या की थी और सपना को घायल किया था.
पूछताछ के बाद थाना रसूलाबाद पुलिस ने अभियुक्त रघुनंदन को कानपुर देहात की मांती कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिय गया. कथा लिखे जाने तक रघुनंदन की जमानत नहीं हुई थी. सपना अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही थी.
कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
सुमित ने अपने कनफेशन वीडियो में भी इस सच को स्वीकार किया था कि उसे ड्रग्स की लत है. दरअसल, सुमित बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही ड्रग्स की लत का शिकार हो गया था. लेकिन उस के परिवार को ये बात कभी पता नहीं चली.
बीटेक की पढ़ाई के दौरान जब सुमित हौस्टल में रहता था तब उसे दोस्तों की संगत में ड्रग्स लेने, चरस की सिगरेट पीने और शराब पीने की आदत पड़ गई थी. इसी दौरान जब उस की शादी हो गई तो उस की नशे की लत कुछ कम जरूर हो गई, मगर उस के बाद भी चोरी छिपे वह ड्रग्स लेता रहता था.
1-2 बार उस की पत्नी अंशुबाला को उस पर शक हुआ तो उस ने इधर उधर की बात बना कर पत्नी को बहका दिया. डेढ़ साल पहले सुमित की नशे की लत उस वक्त फिर बढ़ गई जब वह गुरुग्राम की आईटी कंपनी में नौकरी करता था. वहां उस के 1-2 साथी भी नशा करते थे.
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एक साल पहले अंशु ने सुमित के कपड़ों की जेब से नशे की गोलियां पकड़ीं तो दोनों के बीच पहली बार इस बात को ले कर झगड़ा हुआ था. अंशुबाला ने तब ये बात सुमित की बड़ी बहन गुड्डी को बताई थी. गुड्डी ने भी सुमित को डांटते हुए नशा न करने की हिदायत दी थी.
चूंकि सुमित अच्छा कमाता था और पैसे की कोई कमी नहीं थी इसलिए उस ने सोचा ही नहीं कि जब नशा करने के लिए उस के पास पैसा नहीं होगा तो वह क्या करेगा. जनवरी में जब सुमित की नौकरी चली गई तो एक महीना तो सब ठीक रहा. लेकिन जैसे जैसे वक्त बीतने लगा, उस का डिप्रेशन और नशे की लत दोनों बढ़ते गए. जाहिर है नशे की लत के साथ खर्चा भी बढ़ने लगा. जबकि आमदनी कुछ थी नहीं.
सुमित को खुद भी और परिवार को भी ठाठ की जिंदगी जीने की आदत थी. धीरेधीरे उसे लगने लगा कि आने वाले दिनों में पैसे के अभाव में उस की जिंदगी बेहद मुश्किल भरी हो जाएगी. इस बात को ले कर वह चिड़चिड़ा रहने लगा. अब पत्नी से भी उस की बातबात पर झड़प हो जाती थी.
अंशु भी बारबार उसे नशा करने को ले कर ताने देती थी कि नशे में अपना वक्त खराब करने से अच्छा है कि वह नौकरी तलाश करने में वक्त लगाए. दूसरी ओर भरी हुई सिगरेट पीने और नशे की गोलियां लेने की सुमित की क्षमता भी बढ़ चुकी थी. वह हुकुम मैडिकल स्टोर से ही लाखों रुपए की नशे की दवाएं ले कर खा चुका था. अब धीरेधीरे वहां भी उस का उधार खाता शुरू हो गया था.
इस दौरान 8 अप्रैल, 2019 को आरव व आकृति का जन्मदिन मनाने के अगले दिन जब सुमित के सासससुर किसी शादी के लिए बिहार गए तो एक दिन अंशु ने सुमित पर ऐसा तंज कसा कि बात उस के दिल पर लगी. अंशु ने सुमित से कह दिया कि अगर ऐसा नशेड़ी पति ही किस्मत में लिखा था तो भगवान उसे कुंवारी ही रहने देता.
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सुमित को उस दिन लगा कि उस के इतना करने के बावजूद घर में अगर उस की यही कदर है तो ऐसे परिवार से परिवार का न होना बेहतर है. उस दिन की बात सुमित के दिल में ऐसी बैठ गई कि वह दिनरात नशा करता और एक ही बात सोचता कि ऐसे परिवार की फिक्र करने से क्या फायदा जहां इंसान की कदर न हो, इस से तो अच्छा है कि बिना परिवार अकेले रहो और मस्ती से जियो.
एक बार दिमाग में इस विचार ने घर कर लिया तो बस वह इसी बात पर सोचने लगा. उस ने इरादा कर लिया कि वह पूरे परिवार को खत्म कर देगा और अकेला ऐश की जिंदगी जीएगा.
अंशु सुमित को नशे की हालत में देख कर उसे ताने मारती थी. इस से सुमित का इरादा और भी ज्यादा मजबूत होता चला गया. सुमित के पास जमापूंजी भी खत्म होने लगी थी, इसलिए वह और ज्यादा तनाव में रहने लगा था. उस ने परिवार को खत्म करने का पूरा मन बना लिया था.
18 अप्रैल, 2019 को वह अपनी नशे की दवा और पोटैशियम साइनाइड लेने के लिए मुकेश के मैडिकल स्टोर पर गया. दवा लेने के बाद उस ने पेमेंट की. वहां मुकेश के कहने पर उस ने किसी दवा व्यापारी को औनलाइन पेमेंट करने में उस की मदद की. उसी दौरान उस ने मुकेश के खाते से एक लाख रुपए अपने खाते में भी ट्रांसफर कर लिए.
वह जानता था कि 1-2 दिन में मुकेश को यह बात पता चल जाएगी कि चोरीछिपे उस ने उस के खाते से एक लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए हैं. लिहाजा उसी दिन सुमित ने चाकुओं का एक सेट भी खरीद लिया. घर आ कर उस ने जब अंशु को चाकुओं का वह सेट दिया तो उस ने इस बात पर भी सुमित को फटकारा कि जिस चीज की जरूरत नहीं थी उसे वह क्यों लाया.
फिर 20 अप्रैल की वो रात आ गई जब उस ने परिवार को खत्म करने की ठानी. रात को उस ने पहले परिवार के सभी लोगों को खाने के बाद पीने के लिए कोल्डड्रिंक दी जिसमें उस ने नींद की दवा मिला रखी थी. बच्चों पर दवा का असर जल्दी हो गया और वे कोल्डड्रिंक पी कर बेसुध हो गए. लेकिन अंशु पर नशे का असर धीरेधीरे हो रहा था.
सुमित ने सब से पहले अपने बड़े बेटे प्रथमेश का गला काटा. क्योंकि वह प्रथमेश को सब से ज्यादा प्यार करता था. उसे मालूम था कि अगर उस ने प्रथमेश की हत्या पहले कर दी तो वह परिवार के दूसरे सदस्यों को आसानी से मार देगा. क्योंकि सब से ज्यादा प्यारी चीज को खत्म करने के बाद इंसान के लिए कम महत्व की चीजों को मिटाना ज्यादा आसान होता है.
प्रथमेश की हत्या के बाद सुमित अंशुबाला की हत्या करने के लिए उस के पास पहुंचा तो संयोग से तब तक अंशुबाला के ऊपर कोल्डड्रिंक में मिली दवा का असर कम हो चुका था. इसलिए उस ने सुमित का प्रतिरोध शुरू कर दिया.
यही कारण था कि सुमित ने उस का गला काटने से पहले चाकू के कई वार गले के अलावा शरीर के दूसरे अंगों पर भी किए. इस से अंशुबाला के शरीर पर कई जगह खरोचों के निशान आ गए थे. आखिर वह पत्नी की हत्या करने में सफल हो गया. इस के बाद उस ने बारीबारी से जुड़वां बेटा बेटी आरव और आकृति का भी गला काट कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
हत्या करने के बाद उस ने हत्या में इस्तेमाल चाकुओं को बाथरूम में जा कर धो दिया. उस ने अपने खून से लथपथ कपड़ों को बाथरूम में जा कर बदला और रात भर घर में बैठ कर अपने किए पर सोचता विचारता रहा.
उस के मन में विचार आया कि वह खुद भी आत्महत्या कर ले. लेकिन कई घंटे सोचविचार के बाद सुमित ने सुबह करीब 3 बजे एक बैग में कपड़े और घर में रखे गहने व नकदी रखे और घर का ताला लगा कर घर से निकल गया.
रास्ते में उसे गार्ड मिला तो सुमित ने उस से कह दिया कि वह थोड़ी देर में वापस लौट आएगा. घर के बाहर आ कर उस ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए ओला कैब बुक की और वहां से स्टेशन पर पहुंच कर तत्काल टिकट ले कर त्रिवेंद्रम जाने के लिए तैयार खड़ी राजधानी एक्सप्रेस में चढ़ गया.
घर से चलते वक्त सुमित अपने घर के दोनों फोन भी साथ ले गया था. उस ने उन दोनों फोनों को ट्रेन में चढ़ते ही बंद कर दिया था. ट्रेन में ही सुमित ने अपना कनफेशन वीडियो बनाया और उसे अपने परिवार के वाट्सगु्रप में डाल दिया. 6 बजे ये वीडियो भेजने के बाद उस ने अपना फोन भी बंद कर दिया था.
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सुमित ने बताया कि पहले तो वह आत्महत्या करना चाहता था, लेकिन जब ट्रेन में बैठ गया तो उस का इरादा बदल गया. उस ने तय किया कि वह कहीं दूर जा कर अपनी पहचान छिपा कर साधु संत बन कर जिंदगी गुजार लेगा ताकि उस की नशे की लत भी पूरी होती रहे. पुलिस ने पूछताछ के बाद सुमित को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया.
— कथा पुलिस की जांच और आरोपी से पूछताछ पर आधारित
अंतिम संस्कार के बाद अंशुबाला के मातापिता व परिवार के अन्य लोग इंदिरापुरम थाने पहुंचे और वहां उन्होंने थानाप्रभारी संदीप कुमार को बताया कि घर में कोई आर्थिक तंगी नहीं थी. सुमित ने सामूहिक हत्या कर घर में लूटपाट की है. वह गहने और नकदी ले कर फरार हुआ है.
परिजनों का तर्क था कि यदि उसे आत्महत्या करनी होती तो वह पत्नी और बच्चों के साथ ही जान दे देता. परिजनों ने हत्यारोपी सुमित के भाई और बहन को गिरफ्तार करने की मांग की.
परिजनों ने यह भी बताया कि 8 अप्रैल को ही आकृति व आरव का जन्मदिन हंसीखुशी मनाया गया था. अंशुबाला के पिता बी.एन. सिंह ने पुलिस को बताया कि वह चूंकि अपनी पत्नी मीरा सिंह के साथ बेटी अंशुबाला के साथ ही रहते थे, इसलिए उन्होंने देखा कि सुमित अकसर अंशु से लड़ाई करता था. वह उस से बार बार रुपए मांगता था. रुपए न देने पर पिटाई करता था.
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बी.एन. सिंह का यह भी कहना था कि सुमित हर महीने एक लाख रुपए से अधिक कमाता था. उस ने नौकरी जरूर छोड़ दी थी लेकिन घर परिवार चलाने के लिए उसे कोई परेशानी नहीं थी. जबकि सुमित ने वीडियो में आर्थिक तंगी के चलते पत्नी और बच्चों की हत्या करने का दावा किया था.
लेकिन पुलिस ने पूरी कालोनी के लोगों के अलावा किराना, कौस्मेटिक की दुकान और प्रैस वाले से पूछताछ की तो उन्होंने परिवार पर किसी प्रकार का उधार होने से साफ इनकार कर दिया. सभी का कहना था कि सामान खरीदने के बाद तुरंत भुगतान कर दिया जाता था.
सोसायटी में कपड़े प्रेस करने वाले रामलाल ने पुलिस को बताया कि सुमित के घर से उस के पास प्रतिदिन छह जोड़ी कपड़े प्रैस होने आते थे. शुक्रवार सुबह भी कपड़े प्रैस होने आए थे.
कपड़े प्रैस करने के एवज में प्रतिमाह सुमित के घर से 1500 रुपए मिलते थे. परिवार ने कभी रुपए उधार नहीं किए. सोसायटी के पास स्थित किराना दुकान संचालक ने बताया कि अंशुबाला प्रतिमाह 8 हजार रुपए का घरेलू सामान नकद ले कर जाती थी.
कपड़े प्रैस करने वाले धोबी रामलाल ने यह भी बताया कि सुमित जब भी यहां रहता था, घर के नीचे या सोसाइटी में घूम कर सिगरेट पीता था. वह सिगरेट पीने का इतना आदी था कि एक दिन में 3 से 4 डिब्बी सिगरेट पी जाता था. पूछने पर सुमित कहता था कि सिगरेट पर उस का महीने का खर्च 10 हजार रुपए से ज्यादा आता है.
इस पूरी पूछताछ से यह बात तो साफ हो गई कि आर्थिक तंगी की जो बात सामने आ रही थी, उस में बहुत ज्यादा दम नहीं था. इसलिए पुलिस ने अंशुबाला के परिजनों द्वारा हत्याकांड में सुमित के भाई और बहन के शामिल होने और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग को दरकिनार कर दिया.
क्योंकि यह बात साफ हो चुकी थी कि परिवार न तो किसी आर्थिक मुसीबत में था न ही परिवार के दूसरे लोगों का सुमित के घर बहुत आनाजाना था. इसलिए पुलिस ने अब अपना सारा ध्यान सुमित की तलाश पर केंद्रित कर दिया.
पुलिस ने सुमित के मोबाइल नंबर की सीडीआर निकाल ली थी. उस में पुलिस को करीब आधा दरजन ऐसे नंबर मिले, जिन पर सुमित की बात होती थी. ये नंबर बिहार, बेंगलुरु, मध्य प्रदेश, दिल्ली समेत अन्य कई स्थानों के थे. पुलिस ने संदिग्ध नंबरों की एकएक कर जांच पड़ताल शुरू कर दी.
सर्विलांस टीम को अचानक उस वक्त सुमित की लोकेशन मिल गई, जब उस ने कुछ देर के लिए अपना मोबाइल औन किया. उस वक्त उस की लोकेशन मध्य प्रदेश के रतलाम में थी. सुमित ने अपनी पत्नी के दोनों मोबाइल तो औन नहीं किए थे. हां, इस दौरान 1-2 बार उस ने अपने भाई अमित से बात करने के लिए अपना फोन खोला तो उस की लोकेशन ट्रेस हो गई.
उस की लोकेशन रतलाम की आ रही थी. सुमित ने जब भी अपने भाई से बात की तो उस ने यह तो नहीं बताया कि वह कहां है लेकिन उस ने बारबार यहीं कहा कि वह बहुत परेशान था, इसलिए उस ने इतना बड़ा कदम उठा लिया.
एसएसपी उपेंद्र अग्रवाल ने इस दौरान मोबाइल की लोकेशन मिलने वाले स्थानों पर वहां की जीआरपी को सुमित के फोटो के साथ जानकारी भेजी ताकि वह किसी को दिखे तो उसे पुलिस हिरासत में लिया जा सके.
आननफानन में एसआई प्रह्लाद व इजहार अली और कांस्टेबल रवि कुमार की टीम को रतलाम रवाना कर दिया गया. साथ ही उन्होंने सर्विलांस टीम को उन के साथ बराबर संपर्क बना कर सुमित की लोकेशन का अपडेट देने के भी आदेश दिया.
चूंकि सुमित के कई रिश्तेदार व जानने वाले मध्य प्रदेश में रहते थे, इसलिए आशंका थी कि वह वहां पर अपनी पहचान छिपा कर कहीं छिपा होगा. भले ही उस ने वीडियो में कहा था कि वह 5 मिनट में आत्महत्या कर लेगा, लेकिन रतलाम में उस की लाकेशन मिलने और अभी तक की जांच से ऐसा नहीं लग रहा था कि वह मौत को गले लगा चुका होगा.
इस दौरान 22 अप्रैल, 2019 की शाम को अचानक इंदिरापुरम पुलिस ने औषधि विभाग के निरीक्षक वैभव बब्बर के साथ न्याय खंड 3 में स्थित हुकुम मैडिकल स्टोर पर छापा मारा. सुमित ने भेजे गए वीडियो में इसी मैडिकल स्टोर का जिक्र किया था.
पुलिस ने मैडिकल स्टोर के संचालक मुकेश जो मकनपुर का रहने वाला था, को गिरफ्तार कर लिया. छापा मार कर जब पड़ताल की गई तो पता चला कि उस ने 2 सालों से मैडिकल स्टोर के लाइसैंस का नवीनीकरण नहीं कराया था. उस से पूछताछ में पता चला कि सुमित 2 साल में एक लाख रुपए की नशीली दवाइयां खरीद कर खा चुका था.
सुमित कुमार ने वीडियो में बताया था कि वह पोटैशियम साइनाइड खा कर 5 मिनट में अपनी जिंदगी भी खत्म कर लेगा. मगर हुकुम मैडिकल स्टोर के संचालक मुकेश से जब पूछताछ हुई तो उस ने बताया कि उस के पास पौटैशियम साइनाइड नहीं था. सुमित काफी जिद कर रहा था, जिस की वजह से उस ने पोटैशियम साइनाइड बता कर उसे दूसरी दवा दे दी थी.
विश्वास दिलाने के लिए उस ने नशीली दवाओं के एवज में उस से 22,500 रुपए वसूले थे. पुलिस को भी तलाशी में उस की दुकान से पोटैशियम साइनाइड नहीं मिला, अलबत्ता उस की दुकान की तलाशी में कई नशीली व प्रतिबंधित दवाइयां जरूर बरामद हुईं. पुलिस ने मैडिकल स्टोर से ऐसी 2 पेटी दवाइयां कब्जे में लीं.
पुलिस ने औषधि निरीक्षक की शिकायत पर मुकेश के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर के उसे गिरफ्तार कर लिया और दुकान सील कर दी. लेकिन सुमित की गिरफ्तारी व उस के परिवार के चारों सदस्यों की मौत की गुत्थी अभी तक उलझी थी.
इस दौरान पुलिस को मिली फोरैंसिक रिपोर्ट से पता चला कि सुमित ने पत्नी व बच्चों की हत्या के लिए 2 चाकुओं का प्रयोग किया था. बाथरूम से जो चाकू बरामद हुए थे, उन्हें पानी से साफ किया गया था.
जांच पड़ताल में ये भी पता चला कि सुमित वारदात वाली रात 2 बजे तक वाट्सऐप पर औनलाइन था. यह बात पुलिस को उस ग्रुप से जुडे़ लोगों की मदद से पता चली. सुमित की लोकेशन ट्रेस करने के लिए पुलिस ने उस का फेसबुक अकाउंट खंगाला तो पता चला कि सुमित फेसबुक पर ज्यादा एक्टिव नहीं था.
इस दौरान पुलिस को अचानक एक सफलता मिली. कर्नाटक के उडुपी शहर में रेलवे पुलिस के एक कांस्टेबल ने टीवी चैनलों पर गाजियाबाद में हुए चौहरे हत्याकांड से जुड़ी खबर देखी थी. इस खबर में हत्या के बाद लापता सुमित की तसवीर भी दिखाई गई थी.
उसी तसवीर के हुलिए से मिलतेजुलते एक शख्स को जब जीआरपी के जवान ने स्टेशन पर देखा तो संदिग्ध मान कर वह उसे थाने ले आया. उस की आईडी चैक करने पर जब उस का संबंध गाजियाबाद से जुड़ा पाया गया तो उडुपी जीआरपी ने इस की सूचना गाजियाबाद पुलिस को दी.
उडुपी पुलिस ने वाट्सऐप के जरिए उस की वीडियो गाजियाबाद पुलिस को भेजी. उस वीडियो को जब गाजियाबाद पुलिस ने पीडि़त परिजनों को दिखाया गया तो उन्होंने तसदीक कर दी कि वह सुमित ही है. इस के बाद तो पुलिस के लिए सब कुछ आसान हो गया. एसएसपी ने रतलाम में सुमित को खोज रही पुलिस टीम को फ्लाइट पकड़ कर उडुपी पहुंचने के आदेश दिए.
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वहां पहुंच कर इंदिरापुरम पुलिस ने सुमित को अपनी कस्टडी में ले लिया. सुमित कुमार को उसी दिन उडुपी की कोर्ट में पेश कर पुलिस ने उस का ट्रांजिट रिमांड लिया और उसे ले कर अगले दिन यानी 24 अप्रैल को गाजियाबाद लौट आई. सुमित को अदालत में पेश करने के बाद पुलिस ने 2 दिन के रिमांड पर लिया जिस के बाद खुलासा हुआ कि सुमित ने किस वजह से और क्यों इस वारदात को अंजाम दिया था.
नमरा और सहवान की मोहब्बत की जानकारी समराना को हुई तो उसे अपने पैरों तले से जमीन खिसकती नजर आई. समराना ने इस बेमेल मोहब्बत का विरोध किया तो पतिपत्नी में झगड़ा होने लगा. एक रोज झगड़े के दौरान ही सहवान ने समराना को 3 तलाक कह दिया.
इस के बाद मार्च, 2017 में समराना अपने मायके बेकनगंज चली गई. वह अपने साथ बेटी अंसरा को भी ले आई थी. समराना अपने बेटे अयान को भी साथ लाना चाहती थी लेकिन सहवान व उस के घर वालों ने बेटे को नहीं जाने दिया. मायके में रहते समराना ने शौहर सहवान, उस के मातापिता तथा भाइयों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न तथा घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करा दिया. साथ ही गुजारा भत्ता भी मांगा.
लेकिन सहवान ने मुकदमे की परवाह नहीं की और अपनी उम्र से आधी उम्र की नमरा खान से 21 जुलाई, 2018 को निकाह कर लिया. इस प्रेम विवाह की जानकारी जब नमरा के पिता शहंशाह खान को हुई तो उन्होंने बेटी को समझाया. लेकिन सहवान के प्यार में अंधी नमरा ने पिता की बात नहीं मानी.
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निकाह के बाद नमरा और सहवान केशवपुरम स्थित नागेश्वर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 612 में रहने लगे. शादी के 4 महीने तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन उस के बाद दोनों के बीच तनाव बढ़ने लगा. तनाव का पहला कारण बना सहवान का 8 वर्षीय बेटा अयान.
मासूम अयान नमरा के प्यार के क्षणों में दखल देता था सो वह उसे पीट देती थी. अयान को पीटना सहवान को खलता था. नमरा का अत्याचार जब ज्यादा बढ़ा तो सहवान ने अयान को मछरिया वाले घर में अपने मातापिता के पास छोड़ दिया.
तनाव का दूसरा कारण बना उम्र का अंतर. नमरा जवानी के उस दौर में थी, जहां उसे रात दिन शौहर का साथ चाहिए था. वह उसे नींबू की तरह निचोड़ना चाहती थी. लेकिन सहवान के पास वक्त नहीं था. उसे कोचिंग से ही फुरसत नहीं थी. यही कारण था कि जब सहवान रात को सोता तो वह उसे नोचतीखसोटती और हिंसक हो जाती. गुस्से में उसे जो भी सामान दिखता, तोड़ देती थी.
तनाव का तीसरा कारण था एकदूसरे पर शक करना. नमरा की कामेच्छा पूरी नहीं होती तो उसे शौहर पर शक होता कि उस का झुकाव कहीं और है. सहवान जब नमरा को गैरमर्दों से मोबाइल पर बात करते देखता तो उसे शक होता कि नमरा किसी अन्य के प्यार के जाल में फंसी हुई है.
नमरा और सहवान दोनों स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहते थे. दोनों जिम जाते थे. नमरा रोज जिम जाती थी. जबकि सहवान कभीकभी जाता था. जिम ट्रेनर हंसमुख और मृदुभाषी था. नमरा की उस से खूब पटती थी. वह अपनी परेशानी उस से साझा कर लेती थी. जब वह जिम से नौकरी छोड़ कर नोएडा चला गया तो नमरा ने भी जिम जाना छोड़ दिया. लेकिन उस से फोन पर बात करना बंद नहीं किया.
नमरा सहवान को नोचती खसोटती ही नहीं थी, बल्कि भद्दी व गंदी गालियां भी बकती थीं. उस के इस व्यवहार से सहवान टूट चुका था. उसे लगता था कि वह या तो कहीं भाग जाए या फिर नमरा को ही सबक सिखा दे.
सहवान को अब आभास होने लगा था कि उस ने समराना को तलाक दे कर अच्छा नहीं किया. वह समराना से समझौते का प्रयास करने लगा था. बेटी से बात करने के बहाने वह उसे फोन करता था. उस ने एक रोज कहा था कि अगर उसे कुछ हो जाए तो सारी संपत्ति उसी (समराना) की होगी. नौमिनी वही है. बच्चों का खूब खयाल रखे और उन्हें पढ़ाएलिखाए.
नमरा खान तो दिन में सो लेती थी, लेकिन दिन में काम करने वाले सहवान को रात में सोने नहीं देती थी. वह उस के सीने पर सवार हो कर नोचती भद्दी गालियां देती तथा पानी उड़ेल देती थी. कभीकभी गुस्से में सहवान उसे पीट देता था. दोनों के बीच दिन पर दिन तनाव बढ़ा तो सहवान को लगने लगा कि अब उस का नमरा के साथ रहना संभव नहीं है.
खतरनाक स्थितियां नमरा ने ही बनाई थीं
28 अप्रैल, 2019 की रात सहवान की आंख खुली तो नमरा दूसरे कमरे में जिम ट्रेनर से बतिया रही थी. वह उस से प्रात: 5 बजे तक बतियाती रही. सुबह सहवान ने फोन पर बात करने के बारे में पूछा तो नमरा उस से भिड़ गई और हिंसा पर उतर आई. उस ने नाखूनों से सहवान का चेहरा, गरदन और पीठ नोच डाली.
गुस्से में सहवान गाड़ी ले कर घर से निकल गया. उस ने सोच लिया कि वह या तो नमरा को मार देगा या फिर खुद जहर खा कर मर जाएगा. यही सोच कर वह रावतपुर बीज भंडार पर गया और सल्फास की 4 पुडि़या खरीद कर ले आया. उस रोज वह कोचिंग भी नहीं गया. देर शाम उस ने बेटी अंसरा से बात की और फोन पर रोया भी.
रात पौने 9 बजे सहवान अपने फ्लैट पर लौट आया. कुछ देर बाद नमरा ने कौफी बनाई और सहवान से कौफी पीने के लिए पूछा लेकिन सहवान ने मना कर दिया. इस पर नमरा गुस्सा हो गई और अपशब्द बकने लगी. फिर वह पलंग पर आ कर बैठ गई. सहवान गुस्से में था ही, उस ने किचन में रखा नया कुकर उठाया और लपक कर नमरा के सिर पर वार कर दिया. भरपूर वार से नमरा का सिर फट गया और वह बेहोश हो कर पलंग के नीचे आ गिरी. कुछ ही पल में उस ने दम तोड़ दिया.
नमरा की हत्या के बाद सहवान घबरा गया. वह अपने बचाव का प्रयत्न करने लगा. वह रसोई से चाकू ले आया और हाथ की नस काटने का प्रयास किया पर हिम्मत नहीं जुटा पाया. कुछ देर वह नमरा के शव के पास बैठा रहा, फिर उस ने नमरा का मोबाइल अपनी जेब में रख लिया.
बचाव का कोई उपाय नहीं सूझा तो उस ने सल्फास की एक पुडि़या चाय वाले कप में पानी में घोली और किसी तरह आधीअधूरी पी ली. फिर रात 12.10 बजे वह स्कोडा कार से घर से निकला और नवाबगंज क्षेत्र में घूमता रहा. उस ने दोनों फोन तोड़ कर फेंक दिए. रात पौने 4 बजे उसने 100 नंबर डायल कर के पुलिस कंट्रोल रूम को पत्नी की हत्या की सूचना दे दी. लेकिन सही पता न होने से पुलिस वहां तक नहीं पहुंच पाई. प्रात: 5 बजे मोहम्मद सहवान धौरसलार रेलवे स्टेशन क्रौसिंग पहुंचा.
सड़क किनारे उस ने गाड़ी खड़ी की और सल्फास की तीनों पुडिया एक के बाद एक फांक कर पानी पी लिया. कुछ देर बाद ही जहर ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. उसे कार में ही उल्टियां होने लगीं. बेचैनी और घबराहट में सहवान गाड़ी से बाहर आ गया.
उसी समय श्याम मिश्रा नाम का युवक वहां से गुजरा. सहवान ने उसे भाई का मोबाइल नंबर बताया और फोन करने को कहा. लेकिन श्याम सही नंबर नोट नहीं कर पाया. तब तक सहवान बेहोश हो कर सड़क किनारे गिर गया था. इस पर श्याम मिश्रा ने थाना बिल्हौर जा कर सूचना दी. सूचना के बाद बिल्हौर पुलिस ने सहवान को हैलट अस्पताल में भरती कराया, जहां उस ने दम तोड़ दिया.
इधर नमरा की हत्या की जानकारी तब हुई जब नौकरानी राधा फ्लैट में काम करने आई. उस के बाद पुलिस को सूचना दी गई. थाना काकादेव पुलिस मौके पर आई और शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की. जांच में दोनों लोगों की मौत की वजह बेमेल विवाह निकला.
थाना काकादेव पुलिस ने मृतका नमरा के पिता शहंशाह खान को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत मोहम्मद सहवान के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली. लेकिन सहवान द्वारा स्वयं आत्महत्या कर लेने से पुलिस ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
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पुलिस टीम ने इस चर्चित हत्याकांड की तह तक पहुंचने के लिए एक सप्ताह से अधिक गहन जांचपड़ताल की. इस बीच पुलिस ने दरजनों लोगों से पूछताछ की. उन के मोबाइल की कालडिटेल्स भी खंगाली. सहवान की पहली पत्नी समराना से भी कई राउंड पूछताछ की गई. सीसीटीवी कैमरे से छेड़छाड़ की जांच भी हुई तथा श्याम मिश्रा का बयान भी दर्ज किया. उस ने ही सहवान को सब से पहले कार से नीचे उतरते समय तड़पते देखा था.
सिमराना ने पुलिस को वह रिकौर्डिंग भी सौंपी, जिस में सहवान ने कहा था कि यदि मुझे कुछ हो जाए तो सारी प्रौपर्टी तुम्हारी होगी. नौमिनी तुम ही हो. बच्चों को अच्छी तालीम देना. जांच के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि नमरा की हत्या सहवान ने ही की थी. फिर बचाव का कोई रास्ता न देख कर स्वयं भी सल्फास खा कर आत्महत्या कर ली थी.
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सहवान की पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के नौबस्ता थानांतर्गत एक मोहल्ला है मछरिया. मुसलिम बाहुल्य मछरिया के सी ब्लौक में मोहम्मद रमजान सिद्दीकी अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी हाजरा खातून के अलावा 4 बेटे मोहम्मद सहवान सिद्दीकी, मोहम्मद इरफान, मोहम्मद इमरान, मोहम्मद जिबरान तथा एक बेटी नूरजहां थी. मोहम्मद रमजान सिद्दीकी एक्सपोर्ट कंपनी में नौकरी करते थे. उन्हें जो वेतन मिलता था, उसी से वह परिवार का भरणपोषण करते थे.
मोहम्मद रमजान सिद्दीकी खुद तो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन वह अपने बच्चों को अच्छी तालीम देना चाहते थे. इस के लिए वह खानपान व अन्य घरेलू खर्चों में कटौती कर बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करते थे. वैसे तो उन के चारों बच्चे पढ़ने में होशियार थे लेकिन बड़ा बेटा मोहम्मद सहवान पढ़ाई में कुछ ज्यादा ही तेज था.
मोहम्मद सहवान का सपना आईआईटी करना था. उस ने इस की तैयारी शुरू की. फलस्वरूप उस का चयन आईआईटी रुड़की में हो गया. उस ने जी जान से पढ़ाई की और सन 1998 में आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस से बीटेक पास किया. यही नहीं वह अपने बैच का टौपर भी बना.
साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद सहवान ने बीटेक करने के बाद सन 2003 में कोचिंग मंडी काकादेव में हार्वर लिमिट क्लासेज नाम से कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला. शुरुआत में उस के इंस्टीट्यूट में छात्रों की संख्या कम रही लेकिन बाद में बढ़ती गई. सहवान ने एक बार इस क्षेत्र में कदम रखा तो फिर आगे और आगे बढ़ता गया. अपने काम की बदौलत उसे इज्जत, शोहरत और नाम मिला. वह मैथ का जानामाना टीचर था.
कोचिंग इंस्टीट्यूट चल जाने के बाद उस का ध्यान अपने भाइयों की ओर गया. उस ने एक भाई इरफान को अपने इंस्टीट्यूट का मैनेजिंग डायरेक्टर बना दिया, जबकि अन्य 2 भाइयों इमरान व जिबरान को पहले एक प्राइवेट संस्थान से बीटेक कराया फिर अपने ही इंस्टीट्यूट में जौब दे दी. इमरान फिजिक्स पढ़ाता था जबकि जिबरान कैमिस्ट्री का टीचर था.
पूरी तरह सेटल होने के बाद मोहम्मद सहवान ने अगस्त 2007 में समराना से निकाह कर लिया. समराना रेडीमेड मार्केट बेकनगंज निवासी नासिर की बेटी थी. समराना पढ़ी लिखी व खूबसूरत थी. उस ने क्राइस्ट चर्च कालेज से एमएससी किया था. निकाह के बाद समराना मछरिया स्थित अपनी ससुराल में रहने लगी.
समराना अपने शौहर के प्रति पूर्णरूप से समर्पित थी और उस का हर तरह से खयाल रखती थी. मोहम्मद सहवान भी समराना को बहुत चाहता था. दोनों की जिंदगी खुशहाल थी. समय के साथ समराना एक बेटे अयान और एक बेटी अंसरा की मां बन गई.
सहवान की पहली बीवी समराना
समराना लकी चार्म थी सहवान की
समराना सहवान के घर साक्षात लक्ष्मी बन कर आई थी. जब से वह उस के घर आई थी, तभी से उस की आय, इज्जत और शोहरत बढ़ती गई. मोहम्मद सहवान ने अब तक हार्वर लिमिट क्लासेज कोचिंग को बंद कर ग्लोबल कैरियर एकेडमी के नाम से 3 कोचिंग सेंटर खोल लिए थे. इन में एक काकादेव, दूसरा गोविंदनगर तथा तीसरा साकेत नगर में था.
इन कोचिंग सेंटरों पर हजारों की संख्या में छात्रछात्राएं आते थे. बेहतरीन गणित पढ़ाने के चलते सहवान ने कोचिंग के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था. उस की कोचिंग आईआईटी, जेईई की तैयारी के लिए गणित के साथ ही फिजिक्स, कैमिस्ट्री ही नहीं एनडीए, सीडीएस, एसएसबी, नेवी, एयरफोर्स, एसएससी, बैंक आदि की तैयारी के लिए भी मशहूर थी.
मोहम्मद सहवान ने कोचिंग से बहुत पैसा कमाया. इस कमाई से उस ने कई फ्लैट, फार्महाउस, करोड़ों का बैंक बैलेंस और जगुआर, स्कोडा, एंडेवर, इंडिगो जैसी महंगी कारें खरीदीं. उस के पास जो जगुआर कार थी, उस की कीमत 1.31 करोड़ रुपए थी.
सहवान ने कानपुर की आवास विकास कालोनी केशवपुर के नागेश्वर अपार्टमेंट में 5 फ्लैट खरीदे. जिस में एक उस के भाई इरफान, दूसरा समराना तथा तीसरा खुद उस के नाम है. नागेश्वर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 612 में सहवान पत्नी सिमराना के साथ रहने लगा. फ्लैट नंबर 610 में उस का भाई इरफान अपनी पत्नी निदा के साथ रहता था. फ्लैट नंबर 309 जो समराना के नाम था, उस में ताला लगा दिया था.
समराना शौहर के साथ खुशहाल जिंदगी व्यतीत कर रही थी, लेकिन सन 2016 में उस की जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया कि उस का सब कुछ तहस नहस हो गया. दरअसल सन 2016 में नमरा खान उस के शौहर सहवान की काकादेव स्थित ग्लोबल कैरियर एकेडमी में कोचिंग के लिए आई.
18 वर्षीया नमरा खान उन्नाव के बांगरमऊ कस्बा निवासी शहंशाह खान की बेटी थी. वह धनाढ्य परिवार की थी. नमरा के पिता शहंशाह खान सपा के दबंग नेता तथा चर्चित व्यापारी थे. नमरा के बाबा जुम्मन खान बांगरमऊ नगर पालिका के चेयरमैन रहे थे.
नमरा खान कानपुर के शारदा नगर स्थित गर्ल्स हौस्टल में रह कर बीटेक की पढ़ाई कर रही थी. वह छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की छात्रा थी. साथ ही आईआईटी की भी तैयारी कर रही थी. इस के लिए उस ने कोचिंग जौइन की थी.
40 वर्षीय मोहम्मद सहवान अपने पहनावे, शारीरिक फिटनैस व लाइफस्टाइल के लिए छात्राओं के बीच चर्चित था. नमरा खान भी उस के लाइफस्टाइल से प्रभावित थी और मन ही मन अपने सहवान सर से मोहब्बत करने लगी थी.
नमरा की खतरनाक एंट्री
मोहम्मद सहवान के पास कुछ स्टूडेंट्स एक्स्ट्रा क्लास के लिए आते थे. इन में नमरा खान भी थी. एक रोज पढ़ने के बाद अन्य छात्र छात्राएं तो चले गए लेकिन नमरा खान नहीं गई. उस रोज उस ने हिम्मत जुटा कर सहवान से अपने प्यार का इजहार कर दिया. इतना ही नहीं, उस ने यह भी कह दिया कि वह उस से शादी करना चाहती है.
नमरा खान की बात सुन कर सहवान चौंक पडे़, ‘‘तुम यह कैसी बातें कर रही हो? मैं शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप हूं. मेरी तुम्हारी उम्र में दोगुना का अंतर है. इसलिए तुम मुझे पाने का खयाल दिल से निकाल दो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो. पहले कैरियर सुधारो फिर शादी की सोचना.’’
‘‘सर, मैं बहुत जिद्दी हूं. मैं ने आप को दिल में बसा लिया है तो हासिल कर के ही दम लूंगी.’’ वह बोली.
उस रोज के बाद नमरा सहवान के पीछे पड़ गई. इस के बाद सहवान के दिल में भी हलचल होने लगी. दरअसल 18 वर्षीय नमरा बेहद खूबसूरत व हंसमुख थी, जबकि उस की पत्नी समराना की उम्र ढल चुकी थी. नमरा के आगे वह उसे फीकी लगने लगी थी. सहवान ने नमरा के प्यार को स्वीकारा तो इस प्यार के चर्चे आम होने लगे.
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घर में 4 हत्याएं होने की खबर जल्द ही पूरी कालोनी में फैल गई. सुमित के घर के बाहर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी. इस बीच किसी के कहने पर पंकज ने पुलिस को सूचना दे दी थी. उस समय शाम के 7 बजे थे. पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना अभयखंड चौकी को दी गई. सुमित का घर इसी चौकी के क्षेत्र में आता था.
अभय खंड चौकीप्रभारी एसआई प्रह्लाद सिंह 2-3 सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घर में एक साथ 4 लाशें देखीं तो इंदिरापुरम थानाप्रभारी संदीप कुमार को फोन कर के जानकारी दी. वैसे तो हत्या की वारदात ही पुलिस के लिए बड़ी बात होती है लेकिन यहां तो एक साथ 4 हत्याओं की बात थी.
इंसपेक्टर संदीप कुमार ने इंदिरापुरम क्षेत्र की एएसपी अपर्णा गौतम, एसपी (सिटी) श्लोक कुमार व गाजियाबाद के एसएसपी उपेंद्र कुमार अग्रवाल को इस घटना से अवगत करा दिया.
8 बजते बजते इंदिरापुरम का ज्ञान खंड 4 पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. जिले का हर छोटा बड़ा अधिकारी और फोरैंसिक टीम वहां पहुंच कर जांचपड़ताल में जुट गई.
पंकज ने अपने मातापिता के साथ दिल्ली में रहने वाले अपने भाई व अन्य रिश्तेदारों को इस घटना से अवगत करा दिया था. पंकज के मोबाइल फोन पर सुमित की बहनों व भाई अमित के भी लगातार फोन आ रहे थे, उन्होंने उन्हें भी वास्तविकता से अवगत करा दिया.
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इंदिरापुरम पुलिस के साथ दूसरे तमाम अधिकारी जब घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि 2 कमरों के फ्लैट में अंदर ड्राइंगरूम में खून से लथपथ प्रथमेश का शव पड़ा था. अंशुबाला का शव बेडरूम में जमीन पर पड़ा मिला. जबकि दोनों जुड़वां बच्चों के शव बेड पर पड़े थे. ऐसा लगता था जैसे उन्हें सोते समय बेहोशी की अवस्था में मारा गया था.
अंशुबाला
फर्श व बैड पर तथा 1-2 जगह दीवारों पर खून के निशान थे. बिस्तर पर पड़ा खून सूख कर काला पड़ने लगा था. तीनों बच्चों और अंशु के गले पर धारदार हथियार के निशान थे. अंशुबाला के पेट और छाती के अलावा हाथ पर भी कई जगह धारदार हथियारों के निशान थे. शरीर पर कई जगह खरोंचे भी थीं और कपड़े भी अस्तव्यस्त थे.
इस से पहली नजर में प्रतीत होता था कि मरने से पहले कातिल से उस की झड़प हुई थी और उस ने अपने बचाव में काफी संघर्ष किया था. शव को सब से पहले देखने वाले पंकज ने पुलिस को बताया कि तीनों बच्चों के मुंह के ऊपर तकिए रखे हुए थे.
सुमित ने शायद परिवार के सभी लोगों को खाने की किसी चीज में कोई नशा दे कर बेहोश कर दिया था. इसीलिए जब उन की हत्या की गई तो आसपड़ोस के किसी भी व्यक्ति ने कोई चीखपुकार नहीं सुनी.
थानाप्रभारी संदीप कुमार ने फोरेंसिक टीम के साथ जब घर की छानबीन शुरू की तो उन्हें रसोई घर में सहजन की सब्जी के टुकड़े मिले. कोल्ड ड्रिंक की 2 खाली बोतलें व नशे की गोलियों के कुछ खाली पैकेट भी मिले. सभी चीजों को पुलिस ने जांच के लिए अपने कब्जे में ले लिया. क्योंकि पुलिस को शक था कि सब्जी में नशीली गोली या पदार्थ मिलाया गया था.
घर की तलाशी में पुलिस को अलगअलग साइज के 5 चाकू भी मिले, जिन में 3 एकदम नए थे. जबकि 2 चाकुओं का इस्तेमाल हत्या में किया गया था, क्योंकि धोने या कपड़े से साफ करने के बावजूद उन पर कहीं कहीं खून के निशान साफ दिखाई दे रहे थे. फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद ये सभी सामान कब्जे में ले लिए.
कई घंटे की मशक्कत और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने तीनों बच्चों व अंशुबाला के शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिए. रात में पंकज के भाई मनीष व दूसरे रिश्तेदार भी गाजियाबाद पहुंच गए.
अंशुबाला के भाई पंकज की शिकायत के आधार पर इंदिरापुरम पुलिस ने 21 अप्रैल, 2019 को ही भादंवि की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज कर लिया था. जांच का काम खुद थानाप्रभारी संदीप कुमार कर रहे थे.
सुबह होते ही पुलिस ने सुमित की खोजखबर लेने के लिए चौतरफा कोशिशें शुरू कर दीं. चूंकि सुमित का मोबाइल नंबर बंद था. इसलिए उस तक पहुंचने का जरिया सिर्फ उस का मोबाइल नंबर ही था.
हैरानी की बात यह थी कि घर में सुमित के अलावा 2 मोबाइल फोन और थे. इन में एक फोन अंशुबाला का था और दूसरा घर में रहता था. वे दोनों फोन भी घर की तलाशी में पुलिस को नहीं मिले थे. यह भी नहीं पता था कि सुमित जिंदा है या मर चुका है.
इसलिए एसएसपी उपेंद्र अग्रवाल से साइबर शाखा की टीम से सुमित व अंशुबाला के दोनों मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए. इन मोबाइल नंबरों की लोकेशन के बारे में मिलने वाली पलपल की जानकारी इंदिरापुरम पुलिस को देने का काम सौंप दिया.
एसपी (सिटी) श्लोक कुमार व एएसपी अपर्णा गौतम ने थानाप्रभारी संदीप कुमार, एसआई प्रह्लाद सिंह और रामप्रस्थ चौकीप्रभारी इजहार अली के नेतृत्व में 3 टीमें बनाईं. पुलिस की टीमों ने सुबह होते ही सब से पहले घटनास्थल पर पहुंच कर आसपड़ोस के लोगों और सुमित कुमार के सभी रिश्तेदारों से बातचीत और पूछताछ करने का काम शुरू किया.
पड़ोसियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि मृतक परिवार काफी मिलनसार था. पड़ोसियों से अंशुबाला और सुमित का बहुत अच्छा व्यवहार था.
कालोनी के गार्ड इंद्रजीत ने बताया कि सुबह 3 बजे सुमित यह कह कर बाहर गया था कि वह थोड़ी देर में आ रहा है. वह किस काम से और कहां गया, इस के बारे में उसे पता नहीं था. गार्ड का कहना था कि सुमित के चेहरे से यह आभास नहीं हुआ कि उस ने 4 हत्याएं की हैं.
पड़ोसियों ने 21 अप्रैल की सुबह से सुमित के परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं देखा था. अलबत्ता 20 अप्रैल की शाम को अंशुबाला का बड़ा बेटा प्रथमेश अपनी मां के साथ बाहर जरूर देखा गया था. दोनों एकदम नार्मल थे. पता चला कि सुमित भी अकसर बच्चों के साथ बाहर खेला करता था.
22 अप्रैल की दोपहर तक पुलिस ने अंशुबाला व उस के तीनों बच्चों का पोस्टमार्टम करवा कर चारों के शव उन के परिजनों को सौंप दिए. 21 अप्रैल की रात में ही पंकज ने अपने पिता को फोन कर के इस हादसे की सूचना दे दी थी.
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बेटी और नाती नातिन की हत्या की खबर सुनते ही अंशुबाला के मातापिता अगली सुबह बिहार के सारण से फ्लाइट पकड़ कर दोपहर तक दिल्ली और फिर दिल्ली से गाजियाबाद पहुंच गए. सुमित के भाई अमित व 2 बहनें भी दोपहर तक गाजियाबाद आ गए. दोनों परिवारों ने मिल कर चारों शवों का अंतिम संस्कार किया.
पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल चुकी थी, जिस में अंशु के गले के साथ शरीर के अन्य हिस्सों पर चाकू के 6 निशान पाए गए थे. वहीं, बच्चों की मौत गला रेतने से बताई गई थी. हत्या का समय 20 व 21 अप्रैल की रात 12 बजे के बाद का बताया गया. नशीले पदार्थ या नींद की गोली दिए जाने की पुष्टि नहीं होने के कारण चारों के बिसरा को सुरक्षित कर जांच के लिए भेज दिया गया.
आत्महत्या ही ठीक लगी सहवान को
चूंकि प्रार्थनापत्र में थाना कल्याणपुर का जिक्र था, अत: कल्याणपुर के सीओ को सूचना दी गई. इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय ने मोहम्मद सहवान के शव को मोर्च्युरी में रखवा दिया. फिर कार से बरामद कागजात व सल्फास की खाली पुडि़या अपने कब्जे में ले कर वापस लौट आए.
पांडेय ने सारी जानकारी पुलिस के आला अधिकारियों को दी और कार से मिले कागजात उन्हें सौंप दिए. अधिकारियों ने निरीक्षण हेतु मृतक सहवान की स्कोडा कार यूपी 78सीबी 6040 को भी थाना कल्याणपुर मंगवा लिया.
अब तक घटनास्थल पर मृतका नमरा खान के पिता शहंशाह खान तथा मृतक सहवान की पहली पत्नी समराना भी आ गई थी. नौकरानी राधा तथा मृतक के भाई इरफान, इमरान तथा जिबरान पहले से ही पुलिस की निगरानी में थे.
पुलिस अधिकारियों ने सारे सबूत एकत्र कर मृतका नमरा खान के शव को पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया. उधर इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय ने हैलट अस्पताल की मोर्च्युरी में रखे मृतक सहवान के शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया.
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दोनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद पुलिस अधिकारियों ने मामले की तह तक जाने के लिए सब से पहले मृतक के भाई इरफान से पूछताछ की. इरफान ने अधिकारियों को बताया कि भैया भाभी में आपस में नहीं बनती थी. उन में अकसर झगड़ा होता रहता था. उस से लड़ाई झगड़े की बात सहवान भाई बताया करते थे, लेकिन वह उन दोनों के बीच पड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था.
इमरान ने बताया कि उस की पत्नी निदा गर्भवती थी. 2 दिन पहले वह उसे छोड़ने ससुराल मसवानपुर गया था और वहां से आज सुबह ही लौटा था. कोचिंग जाने के लिए निकला तो पार्किंग में सहवान भाई की कार न देख कर गार्ड से जानकारी ली. लेकिन वह सही जवाब नहीं दे पाया.
नमरा और सहवान
इसी बीच अपार्टमेंट में हत्या का शोर मचा. लोगों ने बताया कि फ्लैट नंबर 612 में एक महिला की हत्या हो गई है. चूंकि यह फ्लैट उस के भाई का था, सो वह तुरंत वहां पहुंचा. नौकरानी राधा वहां बदहवास हालत में खड़ी थी. उस ने राधा से बातचीत की, फिर भाभी की हत्या की जानकारी थाना कल्याणपुर पुलिस को दी.
इरफान के भाई इमरान व जिबरान ने बताया कि वह मांबाप के साथ मछरिया नौबस्ता में रहते हैं. वे दोनों सहवान की काकादेव स्थित कोचिंग में पढ़ाते थे. उन दोनों को पढ़ाने के एवज में सहवान 40-40 हजार रुपए प्रतिमाह देते थे. उन की निजी जिंदगी के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं थी. आज जब वे दोनों कोचिंग में थे, तभी इरफान भाई द्वारा नमरा की हत्या और सहवान भाई द्वारा आत्महत्या किए जाने की जानकारी मिली. इस के बाद दोनों यहां आ गए.
राधा ने बताया कलह के बारे में
नौकरानी राधा ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि साहब और मेमसाहब के बीच बहुत खराब रिश्ता था. दोनों अकसर मारपीट करते रहते थे. झगड़ा ज्यादातर रात में होता था. सुबह जब वह काम करने आती थी तो फर्श पर ग्लास या फूलदान टूटा मिलता था. एक दिन तो टीवी बिखरा पड़ा था. आज सुबह जब वह काम पर आई तो दरवाजा बंद था, लेकिन चाबी लौक में फंसी थी.
पहले तो उस ने घंटी बजाई लेकिन जब जवाब नहीं मिला तो वह दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुई. फर्श पर मेमसाहब की खून से लथपथ लाश देख कर उस के मुंह से चीख निकल गई. तब वह बाहर आई और यह जानकारी लोगों को दी.
मृतक सहवान की पहली पत्नी समराना ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि सन 2007 में उस का निकाह मोहम्मद सहवान से हुआ था. शादी के बाद उस के 2 बच्चे भी हुए. वह शौहर के साथ खुशहाल जिंदगी गुजार रही थी. लेकिन उस के जीवन में ग्रहण लगा वर्ष 2016 में जब नमरा खान कोचिंग में पढ़ने आई.
पढ़ने के दौरान उस के और सहवान के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं, जो बाद में प्यार में तब्दील हो गईं. इस के बाद नमरा को ले कर उस के और शौहर सहवान के बीच झगड़ा होने लगा. फिर एक दिन नमरा के उकसाने पर सहवान ने उसे तलाक दे दिया.
वह बेटी अंसरा के साथ मायके जा कर रहने लगी. फिर नमरा और सहवान ने शादी कर ली. नमरा उस के बेटे अयान को मारती पीटती थी, जिस की वजह से सहवान ने बेटे को अपने मांबाप के पास छोड़ दिया था.
इस के बावजूद दोनों में लड़ाई होती थी. नमरा के व्यवहार से सहवान बहुत दुखी रहते थे. उस के और सहवान के बीच गुजाराभत्ता तथा उत्पीड़न का मुकदमा चल रहा था, फिर भी वह उस से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करने लगे थे. वह बेटी अंसरा से मिलने के बहाने घर आते थे. बेटी से वह फोन पर भी बात किया करते थे. उन्हें लगने लगा था कि नमरा से दूसरा निकाह कर के उन्होंने भारी भूल की है.
29 अप्रैल, 2019 की रात 8 बजे सहवान ने उसे फोन किया और बेटी अंसरा से बात कराने को कहा. उस ने अंसरा से उन की बात करा दी. सहवान ने अंसरा से कहा था कि बेटी मैं तुम को बहुत मिस करता हूं. आई लव यू.
अंसरा ने भी आई लव यू पापा कहने के साथ फल और कुछ सामान ले कर आने को कहा था. सहवान ने उसे जल्द आने का भरोसा दिया था. सहवान तो नहीं आए लेकिन आज उन की मौत की खबर जरूर आ गई. इतना कह कर समराना फफक पड़ी.
पुलिस अधिकारियों ने मृतका नमरा खान के पिता शहंशाह खान से पूछताछ की तो वह रो पड़े और बोले, ‘‘नमरा ने अगर उन की बात मानी होती तो वह जिंदा होती. नमरा छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से बीटेक की पढ़ाई कर रही थी. वह काकादेव स्थित सहवान की कोचिंग में पढ़ाई करने जाती थी. पढ़ाई के दौरान ही नमरा को सहवान से मोहब्बत हो गई और दोनों ने शादी रचा ली.
जब यह जानकारी उन्हें हुई तो वह नमरा को बांगरमऊ, उन्नाव स्थित अपने घर ले आए. उन्होंने नमरा को समझाया कि सहवान शादीशुदा और 2 बच्चों का पिता है. उम्र में भी वह उस से दोगुना बड़ा है. लेकिन सहवान के प्रेम में अंधी नमरा ने उन की बात नहीं मानी. मजबूर हो कर बेटी की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा.’’
नमरा की हत्या की तसवीर तो साफ हो गई लेकिन कई सवाल खड़े हो रहे थे. नमरा खान की हत्या की तसवीर अब तक काफी साफ हो चुकी थी. फिर भी पुलिस के मन में काफी आशंकाएं पनप रही थीं. जैसे सीसीटीवी कैमरा किस ने बंद किया और फिर किस ने चालू किया. नमरा की हत्या की सूचना थाना पुलिस को देर से क्यों दी गई. सहवान ने अगर घर में जहर पीया तो वह इतनी देर तक कैसे जिंदा रहा. क्या नमरा की हत्या में कोई और भी शामिल था, जो नमरा की हत्या कर सहवान को उतनी दूर तक ले गया था?
अभी तक पुलिस को दोनों मृतकों के मोबाइल फोन नहीं मिले थे. पुलिस को शक था कि दोनों मोबाइलों को सहवान ने कहीं फेंक दिया होगा. पुलिस ने दोनों मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस से पता चला कि रात 12.10 बजे अपार्टमेंट से निकलने के बाद सहवान कार से नवाबगंज क्षेत्र में घूमता रहा.
सुबह पौने 4 बजे उस की लोकेशन चिडि़याघर के पास मिली. 4 बजे रानीघाट तथा 4 बज कर 8 मिनट पर उस की लोकेशन गंगा बैराज के पास की थी. पुलिस को शक हुआ कि उस ने गंगा बैराज के पास ही दोनों मोबाइल तोड़ कर फेंक दिए होंगे.
नमरा के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स से पता चला कि उसने 28 अप्रैल की रात 3 बजे से 5 बजे के बीच लगातार एक नंबर पर बात की. उस के बाद उस के नंबर पर कोई बात नहीं हुई. नमरा ने जिस नंबर पर बात की थी, उस की लोकेशन उस समय दिल्ली से सटे नोएडा की थी.
पुलिस ने उस नंबर को डायल किया तो पता चला कि वह नंबर एक जिम ट्रेनर का था. वह जिम टे्रनर पहले कल्याणपुर में रहता था और एक जिम में ट्रेनर था. इस जिम में नमरा हर रोज तथा सहवान कभीकभी कसरत करने जाते थे. इसी जिम में नमरा की मुलाकात जिम ट्र्रेनर से हुई थी. बाद में अकसर दोनों के बीच बातचीत होने लगी थी. कुछ दिन पहले जिम ट्रेनर नौकरी छोड़ कर नोएडा चला गया था, तब भी नमरा की उस से बात होती रहती थी.
सीओ अजय कुमार ने जब इस जिम ट्रेनर से नमरा के बारे में जानकारी चाही तो उस ने बताया कि नमरा और सहवान का वैवाहिक जीवन सही नहीं चल रहा था. दोनों के विचारों में अहं और विरोधावास था. दोनों एक दूसरे के चरित्र पर शक करते थे. इस सब का जिक्र नमरा उस से फोन पर करती रहती थी. वह अपनी हर बात उस से शेयर करती थी.
जांचपड़ताल से पुलिस को यह भी पता चला कि सहवान ने पत्नी की हत्या करने के बाद चिडि़याघर पहुंचने पर पुलिस के 100 नंबर पर भी फोन किया था. उस ने कहा था कि मैं सहवान बोल रहा हूं. मैं ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी है. उस की लाश केशवपुरम के फ्लैट नंबर 612 में पड़ी है.
इस सूचना पर पुलिस केशवपुरम तक गई थी लेकिन अपार्टमेंट का सही नाम मालूम न होने के कारण वापस लौट आई थी. पुलिस ने पलट कर वही नंबर डायल किया, लेकिन नंबर बंद मिला. पुलिस ने समझा कि किसी ने मजाक किया होगा क्योंकि पुलिस कंट्रोल रूम को आए दिन झूठी काल मिलती रहती हैं.