पत्नी की सहेली पर वासना का वार

दिन ढलने वाला था. करीब 3 बजे का वक्त रहा हागा. उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाले 26 वर्षीय अमन बिष्ट कमरे में बैड पर करवटें बदल रहा था. मन में अजीब तरह की बेचैनी थी. काल सेंटर की ड्यूटी से सुबह 5 बजे घर आया था. सीधा बैड पर कंबल में जा घुसा था. पत्नी अनुप्रिया कब ड्यूटी पर घर से निकली, उसे पता ही नहीं चला. दिन में 11 बजे के करीब नींद खुली, तब फ्रैश होने के लिए सीधा बाथरूम में गया.

आधे घंटे बाद किचन में रखा फ्रिज खोलने लगा. उस पर एक चिट चिपकी थी. चिट पर लिखा था, ‘दूध खत्म हो गया है, ले आना. रात की बची सब्जी खा लेना. आटा रखा है. परांठा बना लेना.’ चिट पत्नी अनुप्रिया लगा कर गई थी.

सुबह साढ़े 8 बजे निकलते हुए उस ने सोए अमित को जगा कर कहने के बजाय चिट पर लिख दिया था. चिट की सारी बातें आदेश थीं. पढ़ कर अमन भीतर ही भीतर तिलमिला गया. पत्नी दरवाजा बाहर से लौक कर गई थी. डुप्लीकेट चाबी फ्रिज पर रखी थी.

वह कौशिक एनक्लेव के अपार्टमेंट के नीचे की दुकान से दूध, ब्रेड और मक्खन खरीद लाया. चाय बनाई. उस के साथ 4 ब्रेड सेंक लिए. खाने के बाद कमरे में ही इधरउधर चहलकदमी करता हुआ मोबाइल पर सोशल साइटों को स्क्राल करने लगा.

अचानक जाने उसे क्या सूझी, उस ने बार्डरोब से पत्नी के कपड़े निकाल कर बैड पर फैला दिए. उस में से कुछ अंडरगारमेंट छांटे. बाकी कपड़े सहेज कर दोबारा बार्डरोब में रख दिए.

कुछ समय बाद उस ने मोबाइल से एक नंबर पर काल मिलाया, ‘‘हैलो प्रियंका, क्या हो रहा है?’’

‘‘कुछ खास नहीं, यूं ही शादी के लिए लहंगे का प्राइस पता कर रही हूं. मम्मी ने कहा है कि मेरी शादी के कुछ हफ्ते ही बचे हैं.’’ प्रियंका बोली.

वह उस की पत्नी अनुप्रिया के स्कूल की खास सहेली थी. पास में ही अपने मातापिता और भाईबहन के साथ रहती थी. अमन ने पत्नी की उसी सहेली प्रियंका को काल किया था. वह उस से काफी घुलीमिली थी. उस के घर भी आनाजाना लगा रहता था.

जब कभी अमन का मन विचलित होता या उदासी से घिर जाता, तब प्रियंका से बातें कर लिया करता था. इस बात को प्रियंका भी समझती थी.

उस रोज 18 फरवरी, 2022 को भी अमन का मन बेचैन था. मन में कुछ वैसी बातें गांठ बन रही थीं, जो प्रियंका ही खोल सकती थी. इसलिए वह अपने मन की बात प्रियंका को बताना चाहता था. खुशमिजाज प्रियंका को उस ने कहा, ‘‘तुम से आज मिलना चाहता हूं, कुछ जरूरी काम है.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ? फिर अनुप्रिया से झगड़ा हो गया?’’ प्रियंका बोली.

‘‘वैसा ही कुछ समझ लो, वैलेंटाइन डे के एक दिन पहले से ही रूठी है.’’

‘‘आखिर हुआ क्या?’’ प्रियंका बोली.

‘‘मैं जो गिफ्ट देना चाहता था, उस का नाम सुनते ही भड़क उठी. फिर भी मैं अगले रोज खरीद लाया,’’ अमन बोला.

‘‘क्या गिफ्ट था, जरा मैं भी तो सुनूं.’’ प्रियंका बोली.

‘‘मिलोगी, तब उस बारे में बताऊंगा.’’ अमन बोला.

‘‘अच्छा छोड़ो पुरानी बात, अब क्या है? वैलेंटाइन गए तो कई दिन गुजर गए,’’ प्रियंका ने कहा.

‘‘मैं चाहता हूं कि उस के पसंद की साड़ी खरीदूं, लेकिन मुझे उस की अच्छी समझ नहीं है. इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ बाजार चलो ताकि मैं अच्छी साड़ी खरीद लूं. वैसे भी तुम उस का टेस्ट मुझ से अच्छी तरह जानती हो,’’ अमन आग्रह के लहजे में बोला.

‘‘चलो ठीक है चलती हूं, लेकिन मम्मी से पूछ कर काल करती हूं. तुम अपनी स्कूटी ले कर आ जाना,’’ कहती हुई प्रियंका ने फोन कट कर दिया.

कुछ देर में ही प्रियंका ने अमन को फोन कर आने की सूचना दे दी. अमन 10 मिनट में प्रियंका के घर चला गया. उसे स्कूटी पर अपने फ्लैट पर ले आया. जबकि प्रियंका ने उस से सीधे बाजार चलने को कहा, तब उस ने बताया कि पहले उसे वह गिफ्ट को दिखाना चाहता है, जो पत्नी के लिए खरीदा था.’’

बातें करतेकरते दोनों फ्लैट में आ गए थे. अमन ने प्रियंका को सीधा बैडरूम में जाने के लिए इशारा किया और खुद किचन में चला गया. प्रियंका बैडरूम में बैड पर फैले कपड़ों को देख कर चौंक पड़ी.

तुरंत वह भी किचन में आते ही बोली, ‘‘यह सब क्या है अमन? बैडरूम की तुम ने क्या हालत बना रखी है. और…और उस पर तुम ने बीवी के कैसेकैसे कपड़े फैला रखे हैं. मुझे लगता है कि अनुप्रिया ने तो ऐसा नहीं किया होगा.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ पसंद नहीं आया वह सब,’’ अमन मुसकराता हुआ बोला.

‘‘पसंद? कैसी बेशर्मी की बातें कर रहे हो, वह भी एक लड़की के सामने. अब समझी कि अनुप्रिया तुम से क्यों नाराज हुई होगी.’’ प्रियंका सख्ती से बोली.

‘‘इस में नाराज होने की बात क्या है? मैं वही तो उस के लिए वैलेंटाइन गिफ्ट ले कर आया था. उसे पसंद नहीं आया. तुम्हें पसंद है तो तुम ले लो मेरी तरफ से यह गिफ्ट.’’

‘‘तुम तो बड़े बदतमीज हो. मैं तुम से अंडरगारमेंट्स गिफ्ट लूंगी? शर्म नहीं आती है तुम्हें… मैं तो तुम्हें बहुत अच्छा और सभ्य समझती थी, लेकिन तुम तो बेहद ही गंदे इंसान निकले. मैं जा रही हूं.’’ कहती हुई प्रियंका मेन गेट की ओर बढ़ी.

अमन ने उस का हाथ पकड़ लिया. एक झटके में हाथ छुड़ा कर प्रियंका तेजी से दरवाजा खोलने के लिए हैंडल घुमाने लगी. दरवाजा लौक था. पीछे से अमन उस के पास आ कर बोला, ‘‘लौक लगा है. दरवाजा तब तक नहीं खुलेगा, जब तक मैं नहीं चाहूंगा.’’

प्रियंका का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बैडरूम में ले गया. उसे बैड पर वहीं गिरा दिया, जहां अनुप्रिया के लिए खरीदे गए अंडरगारमेंट्स फैले थे. कुटिलता के साथ बोला, ‘‘मैं आज इस बिकिनी और ब्रा को तुम्हें अपने हाथों से पहनाऊंगा और गिफ्ट भी करूंगा…’’

प्रियंका बैड से उठ बैठी. उस ने हाथ जोड़ लिए. वहां से जाने देने की भीख मांगने लगी, लेकिन अमन के दिमाग में उस समय कुछ और ही चल रहा था. प्रियंका उस की आंखों में सैक्स का उतावलापन देख कर सहम गई थी.

कमरे से निकलने की कोशिश करने लगी, लेकिन अमन उसे दबोचने का प्रयास करने लगा, ‘‘मैं जो कहता हूं, सीधी तरह मान जाओ, वरना मैं कुछ गलत कर बैठूंगा, तब मुझे बाद में मत कहना.’’

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‘प्लीज मुझे छोड़ दो! छोड़ दो!!’ प्रियंका कहती रही. जबकि अमन उसे अपनी जिद के आगे झुकाने में लगा रहा.

‘‘मैं तुम्हें अपने हाथों से बिकिनी पहनाऊंगा, साथ में एक सेल्फी लूंगा. फिर तुम उसी पर अपने कपड़े पहन लेना और चली जाना. मैं सिर्फ इतना ही चाहता हूं.’’ अमन बोला.

‘‘नहीं…नहीं, प्लीज… अगले महीने मेरी शादी होने वाली है,’’ प्रियंका गिड़गिड़ाने लगी.

‘‘तो तुम ऐसे नहीं मानोगी.’’ यह कहते हुए अमन तेजी से किचन जा कर नायलोन की रस्सी ले आया.

पीछेपीछे दरवाजे तक आ चुकी प्रियंका को धकेलते हुए उस ने उसे बैड पर दोबारा पटक दिया. उस के हाथपैर बांध दिए. उस के साथ जबरदस्ती करने लगा. उस ने उस की जींस की बेल्ट खोलने की कोशिश की.

बचाव में प्रियंका पलट गई. अमन गुस्से में बोला, ‘‘साली… हरामजादी, हमारी बिल्ली, हम से म्याऊं. यह ले और छटपटा ले.’’ गुस्से में बड़बड़ाते हुए अमन ने उस के गले में रस्सी फंसा कर जोर से खींच दिया. प्रियंका की हलकी सी चीख निकल पड़ी और छटपटाती हुई कुछ पल में ही शांत हो गई.

औंधे मुंह पड़ी प्रियंका को देख कर अमन बोला, ‘‘सीधी तरह मान जाती तो बेहोश नहीं होती. पड़ी रह ऐसे. तेरे साथ मैं तो अब मनमाफिक सैक्स भी करूंगा…’’

अमन प्यार से प्रियंका के बदन को सहलाने लगा. उस की जींस खोल दी. उसे बिकिनी पहनाई. मोबाइल में उस की तसवीरें भी लीं और अपने मन की हर मुराद पूरी कर ली.

पत्नी की बेरुखी के चलते यौन जीवन से वंचित गुबार निकालने के बाद उस ने पाया कि प्रियंका बेहोश नहीं थी, बल्कि उस की सांसें हमेशा के लिए थम चुकी थीं. इस दौरान उस ने प्रियंका की लाश के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध भी बनाए.

प्रियंका की मौत हो जाने का एहसास होने पर वह घबरा गया. उस ने बचाव के लिए फटाफट अपने कपड़े और जरूरी सामान बैग में भरे और फरार हो गया. प्रियंका की लाश उस ने वहीं छोड़ दी. कमरे को इंटरलौक करने के अलावा बाहर से एक दूसरा ताला जड़ दिया.

शाम के करीब 8 बजे अनुप्रिया ड्यूटी से अपने फ्लैट पर आई. बाहर दूसरा ताला जड़ा देख चौंक गई. किसी अनहोनी से भी आशंकित हो गई. कारण इंटरलौक के साथसाथ दूसरा ताला तभी लगाया जाता था, जब दोनों अधिक समय या कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर जाते थे.

अमन की स्कूटी नीचे पार्किंग में लगी थी. उस के पास बाहर लगे ताले की एक्स्ट्रा चाबी नहीं थी. वह सोच में पड़ गई. क्या करे… नहीं चाहते हुए भी उस ने अमन के मोबाइल पर काल किया, जो स्विच्ड औफ था.

अब उस की चिंता और बढ़ गई. कुछ देर इंतजार किया. करीब आधे घंटे तक वह नहीं आया, तब उस ने पड़ोसियों की मदद से ताला तुड़वाया.

कमरे में घुसते ही उसे कुछ अच्छा महसूस नहीं हुआ. जहांतहां सामान बिखरा पड़ा था. बैडरूम में जाते ही उस की चीख निकल गई. बैड पर एक युवती की अर्धनग्न लाश पड़ी थी. उस का चेहरा आधा दिख रहा था. उस ने तुरंत उसे पहचान लिया, मुंह से निकल पड़ा, ‘‘अरे यह तो प्रियंका है. यहां कैसे आई?’’

उस ने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को काल कर लाश की सूचना दे दी. पुलिस टीम के साथ 5 मिनट में ही आ गई. पुलिस बैड पर पड़ी लाश की स्थिति, पास पड़ी नीले रंग की नायलोन की रस्सी, गले में रस्सी के गहरे निशान, अस्तव्यस्त बैड की चादर, बिखरे कपड़े आदि से समझ गई कि उस की गला घोट कर हत्या की गई है. युवती का अर्धनग्न शरीर रेप की भी गवाही दे रहा था.

पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में अनुप्रिया ने बताया कि मरने वाली प्रियंका उस की सहेली थी. उस का पति अमन बिष्ट वारदात के बाद से ही फरार है.

शुरुआती जांच में हत्या का संदेह अनुप्रिया के पति पर गया. पुलिस ने मृतका के घर वालों को इस की सूचना दे कर घटनास्थल पर बुला लिया.

मृतका की मां भागीभागी आई. उन्होंने पुलिस को बताया कि उस की बेटी प्रियंका अनुप्रिया के पति अमन के साथ बाजार से साड़ी खरीदवाने के लिए गई थी. अमन ही उसे बुलाने आया था.

इस मामले में थाना बुराड़ी में अमन बिष्ट के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. अनुप्रिया ने बताया कि उस ने अमन से 2 साल पहले प्रेम विवाह किया था. ग्रैजुएट अनुप्रिया एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी. जबकि अमन एक काल सेंटर में काम करता था.

उस ने हरियाणा से पौलिटैक्निक किया था. अमन के मातापिता उन के प्रेम विवाह से नाराज चल रहे थे. वे अमन से कोई संबंध नहीं रखते थे. इस कारण अमन परिवार वालों से अलग किराए के मकान में रहता था.

फरार अमन की तलाशी के लिए डीसीपी (नौर्थ) सागर सिंह कलसी ने एसीपी स्वागत पाटिल के नेतृत्व में एक टीम बनाई.

टीम में बुराड़ी थानाप्रभारी राजेंद्र प्रसाद, एसआई सतेंद्र कुमार, दीपक कुमार, एएसआई राजीव कुमार, हैडकांस्टेबल सतवीर, परवीन कुमार, कांस्टेबल शीशराम, कुलदीप के साथसाथ महिला कांस्टेबल मेघा को शामिल किया गया.

अमन को ढूंढने की शुरुआत 18 फरवरी से हो गई. उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया गया. अगले रोज 19 फरवरी की शाम को दिल्ली पुलिस ने अमन का फोन लखनऊ में औन पाया. तुरंत वहां की पुलिस को सूचना दे कर मदद मांगी गई. लेकिन पुलिस उसे लखनऊ में नहीं दबोच पाई.

मोबाइल फोन सर्विलांस के माध्यम से 20 फरवरी, 2022 को अमन के जयपुर में होने की जानकारी मिली. दिल्ली पुलिस ने तुरंत वहां की पुलिस से संपर्क किया. अमन जयपुर से निकल भागने में सफल नहीं हो पाया. जयपुर की पुलिस ने अमन को बस अड्डे से गिरफ्तार कर लिया.

21 फरवरी की सुबहसुबह अमन बुराड़ी थाने में था. उस से जांच टीम ने प्रियंका की हत्या के मामले में गहन पूछताछ की. जल्द ही उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

अमन के बयान के आधार पर उस पर 24 वर्षीय युवती प्रियंका की हत्या और उस के साथ अप्राकृतिक यौनाचार संबंधी आईपीसी की धाराएं लगाई गईं. हत्या की धारा 302 तो पहले से ही एफआईआर में दर्ज थी. उस में बलात्कार की धारा और अप्राकृतिक यौन संबंध की धारा 377 को  भी जोड़ दिया गया.

अमन ने बताया कि उस ने प्रियंका के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी. वह उस की हत्या नहीं करना चाहता था, लेकिन उस के द्वारा  विरोध करने पर गुस्से में उस के गले में रस्सी डाल दी थी. उसे अंदाजा नहीं था कि उस की मौत हो जाएगी.

इस छानबीन के बाद पुलिस ने दावा किया कि आरोपी एक सैक्स उन्मादी युवक था. वह नियमित रूप से पोर्न देखता था. अपनी पत्नी के साथ यौन जीवन से असंतुष्ट था.

इस कारण ही उस ने 24 वर्षीया प्रियंका को निशाना बना लिया था. यहां तक कि वह ड्रग्स और सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली गोलियां लेता था. वह अपने करीबी दोस्तों के तानों से भी परेशान था. वे उसे कमजोर मर्द का ताना देते थे.

पूछताछ के दौरान अमन ने पत्नी के वास्ते साड़ी दिलाने के बहाने प्रियंका को अपने कमरे में बुलाने की बात स्वीकार ली. उस की बात मानने से इनकार करने पर जबरदस्ती की. गुस्से में आ कर उस की गरदन पर इतना जोर लगाया कि उस का दम घुट गया.

पुलिस ने नीले रंग की नायलोन की रस्सी बरामद कर ली. मैडिकल रिपोर्ट के आधार पर अप्राकृतिक यौन संबंध का खुलासा हो गया था.

दिल्ली पुलिस ने पूछताछ कर 23 फरवरी, 2022 को उसे कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

(यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पीडि़ता की निजता की रक्षा के लिए उस की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है. कथा में अनुप्रिया और प्रियंका परिवर्तित नाम हैं)

बेगम बनने की चाह में गवाया पति – भाग 3

अनवर को भला क्या ऐतराज हो सकता था, इसलिए वह उसी वक्त पिंकी के पास पहुंच गया. घर का दरवाजा बंद कर के उन्होंने 2 घंटे तक मौजमस्ती की. इस के बाद तो यह रोज का सिलसिला हो गया. कभी सुबह तो कभी शाम को तो कभी दोपहर में मौका मिलते ही पिंकी अनवर को फोन लगा कर घर आने का न्यौता दे देती थी. कभीकभी फोन कर के अनवर खुद उस के पास पहुंच जाता था.

कहानी 2 साल तक नियमित रूप से चलती रही. नतीजतन पहले मोहल्ले वालों को और फिर सुनील को पिंकी और अनवर के रिश्ते पर शक होने लगा. सुनील को जब यह लगने लगा कि पिंकी और अनवर के बीच में कुछ चल रहा है तो उस ने पिंकी से साफ कह दिया कि मेरी गैरमौजूदगी में अनवर को घर की चौखट के अंदर न बुलाए. अगर वह आए भी तो बाहर से ही बात कर उसे चलता कर दे.

सुनील के इस फरमान के बाद अनवर और पिंकी की मौजमस्ती पर ब्रेक लग गया. क्योंकि पिंकी को शक था कि उस ने अगर अनवर को कमरे में अंदर आने दिया तो इस की खबर सुनील तक जरूर पहुंच जाएगी. इसलिए कुछ दिनों तक दोनों फोन पर ही बातें कर के मन को समझाते रहे.

लेकिन ऐसा कब तक चलता. अंतत: अनवर ने ही एक रास्ता निकाला. उस ने पिंकी के मिलन के लिए एक जगह तय कर ली. फिर तो पति का डर छोड़ कर पिंकी अनवर के पास उस जगह जाने लगी.

लेकिन इस दौरान पिंकी और अनवर दोनों ही डरे हुए रहते थे. इसी के मद्देनजर अनवर ने एक दिन पिंकी को सलाह दी कि यदि वह किसी तरह सुनील से छुटकारा पा ले तो वह उसे अपनी बेगम बनाने को राजी है. इतना ही नहीं, उस ने यह भी वादा किया कि वह उस से शादी करने के लिए अपना धर्म तक बदलने को तैयार है. पिंकी अनवर की बातों में आ गई. जिस के बाद दोनों ने सुनील से छुटकारा पाने के लिए उस की हत्या करने की ठान ली.

इसी बीच करवाचौथ का त्यौहार पास आ गया. पिंकी इस बार करवाचौथ अनवर के साथ मनाना चाहती थी, इसलिए उस ने अनवर से कहा कि करवाचौथ से पहले वह सुनील को रास्ते से हटा दे. लेकिन दोनों को मौका नहीं मिल पाया तो पिंकी ने करवाचौथ की रात में सुनील की हत्या करने की योजना अनवर को समझा दी. पिंकी की योजना अनवर को सही लगी. योजनानुसार अनवर ने नींद की गोलियां ला कर पिंकी को दे दीं.

करवाचौथ की रात पोंछा सिंदूर…

करवाचौथ की रात पिंकी ने दुलहन की तरह शृंगार किया और पूजा के बाद सुनील को नींद की गोलियां मिला दूध पीने को दिया. सुनील को दूध पीने की आदत नहीं थी, सो उस ने मना किया तो पिंकी ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘हर करवाचौथ पर औरत की नई सुहागरात होती है, इसलिए कम से कम आज तो दूध पीने को मना मत करो.’’

जाहिर है पत्नी की ऐसी बात सुनील कैसे टालता. उस ने मुसकराते हुए एक ही बार में दूध का पूरा गिलास खाली कर दिया. यह देख कर पिंकी खुश हो गई और उसे बिस्तर पर लिटा कर बच्चों को सुलाने के बहाने दूसरे कमरे में चली गई. सुनील से उस ने कह दिया था कि बच्चों सुला कर आती है.

गोलियों के असर से सुनील कुछ ही देर में गहरी नींद में सो गया. यह देख कर पिंकी ने अनवर को फोन कर घर आने को कहा. अनवर ने सुनील की हत्या करने के बाद उस की लाश ठिकाने लगाने का भी प्लान बना लिया था, इसलिए योजना के अनुसार वह अपने ही घर के पास रहने वाले रफीक (परिवर्तित) नाम के नाबालिग लड़के को बुला कर पिंकी के यहां ले गया. पिंकी और अनवर ने गहरी नींद में सो रहे सुनील की गला दबा कर हत्या कर दी.

सुनील की हत्या करने के बाद अनवर को पिंकी के साथ मौजमस्ती करनी थी, इसलिए उस ने तब तक के लिए रफीक को दूसरे कमरे में भेज दिया. इस के बाद सुनील का शव पलंग से नीचे उतार कर पिंकी उसी पलंग पर अनवर को ले कर लेट गई.

लगभग घंटे भर बाद अनवर ने बिस्तर से उठ कर अपने कपड़े पहने और सुनील की लाश बोरे में भरी. फिर उस बोरे को वह रफीक की मदद से अपने खेत पर ले गया. जाने से पहले उस ने पिंकी को पूरा पाठ पढ़ा दिया कि पुलिस को क्या बोलना है. उस के घर का दरवाजा बाहर से बंद करता गया.

अनवर ने नारायणपुर के अपने खेत में पहले ही शव दफन करने के लिए गड्ढा खोद रखा था, इसलिए उस ने लाश को खेत पर ले जा कर दफन करने के बाद पिंकी को मोबाइल पर काम हो जाने की खबर दे दी.

यह खबर पा कर पिंकी अनवर की बेगम बनने के सपने देखते हुए गहरी नींद में सो गई. योजना अनुसार पिंकी ने दूसरे दिन सुबह होने पर पड़ोसियों को आवाज लगा कर अपना दरवाजा खुलवाने के बाद सुनील के रात में लापता हो जाने की बात बता दी.

लोगों के दिमाग से सुनील के गायब होने की बात उतर जाए, इसलिए वह देवास छोड़ कर अपने बच्चों के साथ मायके में जा कर रहने लगी थी. उस की योजना 4-6 महीने बाद देवास वापस आ कर अनवर की बेगम बन कर रहने की थी, लेकिन सिविल लाइंस टीआई की टीम ने उस का सपना पूरा होने से पहले ही उसे और उस के प्रेमी के साथ गिरफ्तार कर लिया.

पिंकी और उस के प्रेमी अनवर शाह से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. नाबालिग रफीक से पूछताछ कर उसे बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधारगृह भेजा गया.

वासना में बनी पतिहंता : पत्नी ही बनी कातिल – भाग 3

सुनीता से नजदीकियां बढ़ाने के लिए मनदीप रोज बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए आने लगा. इधर सुनीता भी मनदीप पर पूरी तरह फिदा हो थी. आग दोनों तरफ बराबर लगी थी. इस का एक कारण यह था कि अपनी उम्र के 40वें पड़ाव पर पहुंचने के बाद और 3 युवा बच्चों की मां होने के बावजूद सुनीता के शरीर में गजब का आकर्षण था.

दिन भर हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद पति सुनील जब घर लौटता तो खाना खाते ही सो जाता था. जबकि उस की बगल में लेटी सुनीता उस से कुछ और ही अपेक्षा करती थी. लेकिन सुनील उस की जरूरत को नहीं समझता था. उसे मनदीप जैसे ही किसी पुरुष की तलाश थी, जो उस की तमन्नाओं को पूरा कर सके.

यही हाल मनदीप का भी था. पत्नी से मनमुटाव होने के कारण वह उसे अपने पास फटकने नहीं देती थी, इसलिए जल्दी ही सुनीता और मनदीप में दोस्ती हो गई, जिसे नाजायज रिश्ते में बदलते देर नहीं लगी थी. पति और बच्चों को स्कूल भेजने के बाद सुनीता स्कूल जाने के बहाने घर से निकलती और मनदीप के साथ घूमतीफिरती. कई महीनों तक दोनों के बीच यह संबंध चलते रहे.

इसी बीच अचानक सुनील को सुनीता के बदले रंगढंग ने चौंका दिया. उस ने अपने बच्चों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि स्कूल से लौटने के बाद मम्मी बनसंवर कर न जाने कहां जाती हैं और आप के काम से लौटने के कुछ देर पहले वापस लौट आती हैं. सुनील को तो पहले से ही शक था, उस ने सुनीता का पीछा किया और उसे मनदीप के साथ बातें करते पकड़ लिया. यह 2 मई, 2019 की बात है.

मनदीप की बात को ले कर सुनील का सुनीता से खूब झगड़ा हुआ और उस ने सुनीता का स्कूल जाना बंद करवा दिया. यहां तक कि उस ने उस का फोन भी उस से ले लिया.

बाद में सुनीता ने माफी मांग कर भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न करने की कसम खाई और स्कूल जाना शुरू कर दिया था. बात करने के लिए मनदीप ने उसे एक नया फोन और सिमकार्ड दे दिया था. वे दोनों फोन पर बातें करते, मिल भी लेते थे. पर अब वे पहले जैसे आजाद नहीं थे.

इस तरह चोरीछिपे मिलने से सुनीता परेशान हो गई. एक दिन सुनीता ने अपने मन की पीड़ा जाहिर करते हुए मनदीप से कहा, ‘‘मनदीप, तुम कैसे मर्द हो, जो एक मरियल से आदमी को भी ठिकाने नहीं लगा सकते. तुम भी जानते हो कि सुनील के जीते जी हमारा मिलना मुश्किल हो गया है.’’

मनदीप ने उसे भरोसा दिया कि काम हो जाएगा. फिर दोनों ने मिल कर सुनील की हत्या की योजना बनाई. अब मनदीप के सामने समस्या यह थी कि वह यह काम अकेले नहीं कर सकता था.

नवंबर, 2019 में मनदीप जब जालसाजी के केस में जेल गया था, तब उस की मुलाकात जेल में बंद पंकज राजपूत से हुई थी. पंकज लुधियाना के थाना टिब्बा में दर्ज दफा 307 के केस में बंद था.

दोनों की जेल में मुलाकात हुई और दोस्ती हो गई थी. कुछ दिन बाद मनदीप की जमानत हो गई और वह जेल से बाहर आ गया. बाहर आने के बाद वह बीचबीच में पंकज से जेल में मुलाकात करने जाता रहता था.

सुनील की हत्या की योजना बनाने के बाद उस ने जेल जा कर पंकज को अपनी समस्या के बारे में बताया. पंकज ने उसे अपने 2 साथियों रमन और प्रकाश के बारे में बताया.

उस ने मनदीप के फोन से रमन को फोन कर मनदीप का साथ देने को कह दिया. रमन ने इस काम के लिए 10 हजार रुपए मांगे, जो मनदीप ने दे दिए थे. रमन और प्रकाश ने अपने साथ सन्नी को भी शामिल कर लिया था.

सुनीता ने किराए के हत्यारों को सुनील का पूरा रुटीन बता दिया कि वह कितने बजे काम पर जाता है, कितने बजे किस रास्ते से घर लौटता है, वगैरह.

इन बदमाशों ने तय किया कि सुनील को घर लौटते समय रास्ते में कहीं घेर लिया जाएगा. सुनील की हत्या के लिए 20 मई, 2019 का दिन चुना गया था पर टाइमिंग गलत होने से उस दिन सुनील बच गया.

अगले दिन 21 मई को रात 8 बजे मनदीप सन्नी को अपने साथ ले कर बीआरएस नगर से अपनी जेन कार द्वारा एक धार्मिक स्थल पर पहुंचा. रमन और प्रकाश भी बाइक से वहां पहुंच गए थे. इस के बाद चारों सुनील के मालिक की कोठी के पास मंडराने लगे.

सुनील अपने मालिक की कोठी पर फैक्ट्री की चाबियां देने के बाद अपनी इलैक्ट्रिक साइकिल से घर के निकला तो चीमा चौक के पास चारों ने उसे घेर कर जेन कार में डाल लिया. उस की साइकिल सन्नी ले कर चला गया जो उस ने लेयर वैली में फेंक दी थी.

सुनील को कार में डालने के बाद मनदीप ने उस के सिर पर लोहे की रौड से वार कर उसे घायल कर दिया. फिर सब ने मिल कर उस की खूब पिटाई की. इस के बाद साइकिल की चेन उस के गले में डाल कर उस का गला घोंट दिया.

सुनील की हत्या करने के बाद वे उस की लाश को सिटी सेंटर ले आए और सड़क किनारे सुनसान जगह पर फेंक कर रात 11 बजे तक सड़कों पर घूमते रहे. इस के बाद सभी अपनेअपने घर चले गए. शाम साढ़े 7 बजे से रात के 11 बजे तक सुनीता लगातार फोन द्वारा मनदीप के संपर्क में थी. वह उस से पलपल की खबर ले रही थी.

रिमांड अवधि के दौरान पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चेन भी बरामद कर ली, लेकिन कथा लिखे जाने तक मृतक की साइकिल बरामद नहीं हो सकी.

रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने सुनील की हत्या के अपराध में उस की पत्नी सुनीता, सुनीता के प्रेमी मनदीप उर्फ दीपा, रमन, प्रकाश और सन्नी को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सिरकटी लाश ने पुलिस को कर दिया हैरान – भाग 3

जब यह टीम काररवाई के लिए मौडल टाउन की ओर जा रही थी तो रास्ते में उन्हें स्थानीय नेता दिलीप चावला मिल गए. औपचारिक बातचीत के बाद सतीश मेहता ने उन्हें जग्गी की सिरकटी लाश मिलने वाली बात बताई तो उन्होंने कहा, ‘‘जग्गी मेहता का कत्ल 2 लड़कियों यवनिका, शामला और 2 लड़कों अमित और सुनील ने किया है.’’

‘‘आप को कैसे पता चला?’’

‘‘कुछ देर पहले वे चारों मेरे पास मदद के लिए आए थे. लेकिन मुझे उन की मदद करना उचित नहीं लगा. इसलिए मैं ने मना कर के उन्हें अपने घर से भगा दिया.’’

‘‘आप को पुलिस को बताना चाहिए था. खैर, इस समय वे कहां होंगे?’’

‘‘मेरे पास जाते वक्त उन्होंने अपनेअपने घर लौट जाने की बात कही थी. मैं समझता हूं कि इस समय वे अपनेअपने घरों में ही होंगे.’’

सतीश मेहता ने यह बात एसपी आर.सी. जोवल को बताई तो उन्होंने सीआईए इंसपेक्टर खुशहाल सिंह के नेतृत्व में एएसआई हरबंस लाल, हवलदार ललित कुमार, सिपाही रणबीर सिंह, बलबीर सिंह और सोहनलाल की एक टीम बना कर उन की मदद के लिए भेज दी.

अब तक सतीश मेहता के बुलाने पर थाने की महिला एएसआई सुदर्शना देवी, हवलदार संगीता, मनजीत कौर, सिपाही धर्मपाल कौर भी तैयार हो कर आ पहुंची थीं. सतीश मेहता अपनी टीम के साथ विश्वासनगर की ओर चल पड़े. ये पुलिस टीम हरीश विरमानी के घर पहुंची तो यवनिका और शामला घर पर ही मिल गईं. पुलिस वालों को देख कर उन लड़कियों को घबरा जाना चाहिए था, लेकिन घबराने के बजाय उन्होंने अपना अपराध स्वीकार करते हुए आत्मसमर्पण कर दिया.

इस के बाद खुशहाल सिंह दिलीप चावला को साथ ले कर अमित और सुनील को गिरफ्तार करने चले गए. संयोग से वे दोनों भी अपनेअपने घरों पर मिल गए. उन्होंने भी जग्गी मेहता के कत्ल का अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

चारों अभियुक्तों को अगले दिन स्पैशल रेलवे दंडाधिकारी संतप्रकाश की अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. यह तब की बात है, जब जुवैनाइल एक्ट अस्तित्व में नहीं आया था. लिहाजा नाबालिग शामला के साथ भी अन्य अभियुक्तों जैसा ही व्यवहार किया जा रहा था.

रिमांड अवधि के दौरान की गई पूछताछ में चारों ने पुलिस को जो कुछ बताया, उस से जोगेंद्र कुमार मेहता उर्फ जग्गी मेहता की हत्या की कहानी सामने आ गई.

अंबाला के विश्वासनगर के रहने वाले टेलर मास्टर लेखराज के परिवार में पत्नी सुमित्रा देवी के अलावा 3 बेटे थे. जिन में सब से बड़ा था अमित, जिस ने आठवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी. कुछ दिन उस ने मिक्सी बनाने का काम सीखा. जल्दी ही उस का इस काम से जी भर गया तो वह पिता के साथ टेलरिंग का काम करने लगा. अमित से दोनों छोटे भाई अभी पढ़ रहे थे.

विश्वासनगर के ही एक मंदिर में एक दिन शाम को अमित कुमार दर्शन करने गया तो प्रसाद खरीदते समय उस की नजर एक लड़की से टकरा गई. वह पहली ही नजर में उस की ओर आकर्षित हो गया. इस के बाद वह रोजाना वहां जाने लगा. आंखों ही आंखों में उस ने उस से प्रणय निवेदन किया तो लड़की ने मौन स्वीकृति दे दी.

वह लड़की यवनिका थी. जल्दी ही दोनों की मुलाकातें अंबाला के विभिन्न स्थानों पर होने लगीं. मांबाप के घर न होने पर यवनिका उसे अपने घर भी बुलाने लगी.

हरीश विरमानी के बीमार पड़ जाने के बाद दोनों की मौज आ गई. यवनिका रात में अमित को अपने घर बुलाने लगी तो दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए.

एक दिन अमित यवनिका घर पर थे, तभी जग्गी मेहता अचानक आ पहुंचा. हरीश विरमानी से उस का अच्छा परिचय था. उसी की हालचाल लेने वह वहां आया था. मांबाप की अनुपस्थिति में अमित को देख कर जग्गी ने कहा, ‘‘विरमानी साहब तो अस्पताल में हैं. तुम्हारी मां और बहन भी शायद वहीं गई होंगी. ऐसे में तुम इस लड़के के साथ अकेली क्या कर रही हो?’’

जग्गी मेहता ने यह बात यवनिका से कही थी, लेकिन उस के बजाय जवाब अमित ने दिया, ‘‘तुम्हें क्या ऐतराज है?’’

‘‘मुझे इस में क्या ऐतराज हो सकता है. मेरे कहने का मतलब यह है कि तुम भी ऐश करो और कभीकभी मुझे भी करवा दिया करो.’’

जग्गी यवनिका के पिता का दोस्त था. उम्र में भी लगभग उन के बराबर था. पिता के दोस्त की बातें सुन कर उसे बड़ा अजीब लगा. लेकिन उस के मन में चोर था, इसलिए वह चुप रही.

जबकि अमित से यह बात बरदाश्त नहीं हुई. वह जग्गी को हड़काते हुए बोला, ‘‘तुम हमारे लिए पहले भी मुसीबत बनते रहे हो. उस दिन पुलिस बुला कर तुम हमारे ऊपर इस तरह रौब डाल रहे थे, जैसे तुम कहीं के मजिस्ट्रेट हो. ध्यान से सुन लो, यवनिका मेरी है, हम दोनों एकदूसरे को जीजान से चाहते हैं और जल्दी ही शादी भी करने वाले हैं.’’

‘‘भई, जब तुम्हें शादी करनी हो, कर लेना. मैं इस से कहां शादी करने जा रहा हूं.’’

‘‘तुम शादीशुदा हो और तुम्हारे बच्चे भी हैं, इसलिए तुम्हें यह सब शोभा नहीं देता. तुम हमारे रास्ते में मत आओ.’’

‘‘वाह! तुम तो बड़े अकड़ रहे हो भाई. एक बात याद रखना, मेरा नाम जग्गी मेहता है. मैं तुम्हें ऐसा सबक सिखाऊंगा कि जिंदगी भर याद रखोगे.’’ कह कर जग्गी पैर पटकता चला आया.

विश्वासनगर में ही शिंगाराराम रहते थे. लेकिन कुछ समय पहले ही उन की मौत हो गई थी. उन के परिवार में पत्नी दुलारी देवी के अलावा 3 बेटे थे. उन का बीच वाला बेटा सुनील कुमार था, जो दसवीं पास कर के सेल्समैनी करने लगा था.

अमित और सुनील एक ही कालोनी में आगेपीछे के मकानों में रहते थे. इसी वजह से दोनों में परिचय था. अमित का जिन दिनों यवनिका के साथ इश्क परवान चढ़ा था, एक दिन उस ने यवनिका को अपनी गर्लफ्रैंड बता कर सुनील से मिलवाया. इस के बाद अमित ने सुनील का परिचय यवनिका की छोटी बहन शामला से करवा दिया तो उन के बीच दोस्ती हो गई.

बड़ी बहन की देखादेखी किसी की बांहों में समाने को वह भी मचल रही थी. सुनील से दोस्ती हुई तो वह भी उस से संबंध बना बैठी. इस के बाद दोनों बहनें जब घर में अकेली होतीं, सुनील और अमित को बुला कर रासलीला रचातीं.

17 जून को जग्गी मेहता सुरजीत सिंह की कार में हरीश विरमानी का हालचाल लेने चंडीगढ़ जा रहा था. जाने से पहले उस ने फोन कर के यवनिका को भी साथ चलने को कहा. उस ने जाने से मना किया तो जग्गी ने कहा कि उस के साथ एक परिवार जा रहा है. इस के बाद यवनिका उस के साथ चंडीगढ़ चलने को तैयार हो गई.

उस दिन शाम को अंबाला लौटने पर अमित यवनिका से मिला तो उस ने रोते हुए कहा, ‘‘अमित आज जग्गी मेहता ने मेरे साथ बहुत गलत किया, वह बहुत गंदा आदमी है.’’

‘‘क्या किया उस ने तुम्हारे साथ…?’’

‘‘जाते वक्त तो सब ठीक रहा, लेकिन लौटते समय जीरकपुर पहुंचे तो वहां के एक होटल के सामने जग्गी ने कार रुकवा दी. अंदर जा कर दोनों ने बीयर पी. इस के बाद जग्गी मुझे होटल के कमरे में ले गया. सुरजीत बाहर ही बैठा रहा. जग्गी ने कमरे में ले जा कर मेरे साथ जबरन मुंह काला किया.’’

‘‘क्याऽऽ? उस ने तुम्हारे साथ जबरदस्ती की और तुम ने शोर भी नहीं मचाया?’’

जब रानी ने मांगा रानीहार : बीवी पर किया वार

29 दिसंबर, 2021 की रात को देहरादून के थाना नेहरू कालोनी के थानाप्रभारी प्रदीप चौहान इलाके में गश्त लगा रहे थे. तभी उन्हें वायरलेस से पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा डिफेंस कालोनी से सटे फ्रैंड्स एनक्लेव में एक महिला के आत्महत्या करने की सूचना मिली.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी थाने से सिपाही देवेंद्र और विजय को साथ ले कर फ्रैंड्स कालोनी जाने के लिए निकल पड़े.

इस की जानकारी चौहान ने सीओ अनिल जोशी और एसपी (सिटी) सरिता डोवाल व एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को भी दे दी थी. साथ ही चौहान ने डिफेंस कालोनी पुलिस चौकीप्रभारी चिंतामणि मैठाणी को भी घटनास्थल पर जल्दी पहुंचने को कह दिया.

मात्र 10 मिनट में ही थानाप्रभारी घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां जमा भीड़ को हटा कर पुलिस सूचना में बताए गए मकान के भीतर पहुंची तो वहां करीब 32 वर्षीया एक महिला बिछावन पर मृत पड़ी थी. उस का गला धारदार हथियार से रेता हुआ था.

उस शव के पास ही एक चाकू और कपड़े इस्तरी करने की आइरन का तार पड़ा हुआ था. शव के पास ही करीब एक साल का बच्चा लेटा था. जबकि उसी कमरे के कोने में एक 7 वर्षीय लड़की डरीसहमी सी खड़ी थी.

मौके की जांचपड़ताल के बाद थानाप्रभारी ने पाया कि शायद महिला की गला काट कर हत्या की गई है.

वहां मौजूद आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर मृतका का नाम श्वेता श्रीवास्तव मालूम हुआ. उस का पति सौरभ श्रीवास्तव घर पर नहीं मिला. पड़ोसियों ने बताया कि वे इस मकान में काफी समय से रह रहे थे. घटना के बाद सौरभ श्रीवास्तव अपनी स्कूटी ले कर कहीं चला गया था.

शव और घटना की जानकारी जुटाए जाने के दरम्यान सीओ अनिल जोशी और एसपी (सिटी) सरिता डोवाल भी वहां पहुंच गईं. पुलिस ने श्वेता की मौत की सूचना उन की बेटी के मोबाइल से उस के मायके वालों को दे दी.

फिर मौके की काररवाई पूरी कर शव पोस्टमार्टम के लिए दून अस्पताल भेज दिया. बच्चों को पड़ोसियों ने संभाल लिया. श्वेता की मौत की खबर पा कर उस के पिता अजय कुमार श्रीवास्तव भागेभागे कुशीनगर से देहरादून आ गए.

अगले दिन ही अजय कुमार ने थाने पहुंच कर थानाप्रभारी से अपनी बेटी श्वेता के संबंध में जानकारी ली. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार श्वेता की गला काट कर हत्या हुई थी. थानाप्रभारी ने जब उन से किसी पर शक करने के बारे में पूछा तो अजय ने साफ कह दिया कि उन की बेटी का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उन का दामाद सौरभ श्रीवास्तव ही है.

उस के बाद अजय श्रीवास्तव ने अपने दामाद सौरभ श्रीवास्तव के खिलाफ अपनी बेटी श्वेता की हत्या करने की तहरीर थानाप्रभारी को दे दी.

अजय कुमार की तहरीर पर सौरभ श्रीवास्तव के खिलाफ श्वेता श्रीवास्तव की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

इस हत्याकांड की जांच डिफेंस कालोनी चौकीप्रभारी चिंतामणि मैठाणी को सौंपी गई थी. हत्या का आरोपी सौरभ फरार हो गया था. उस की तलाश के लिए मुखबिर लगा दिए गए थे.

अजय श्रीवास्तव ने स्थानीय लोगों की मदद से श्वेता के शव का अंतिम संस्कार देहरादून के ही श्मशान घाट में कर दिया था.

उस के 3 दिन बाद नेहरू कालोनी पुलिस को श्वेता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई थी. रिपोर्ट में श्वेता की मौत का कारण गला काटना बताया गया था. उस के बाद तो पुलिस के सामने सौरभ को गिरफ्तार करना बड़ी चुनौती बन गई थी.

उस की खोजबीन और पकड़ के लिए एसएसपी जन्मेजय खंडूरी ने एसओजी टीम को भी लगा दिया. नए सिरे से पुलिस की 2 टीमों का गठन किया गया था.

बात 31 जनवरी, 2022 की है. शाम का अंधेरा घिर चुका था. एसओजी टीम को मुखबिर के द्वारा एक महत्त्वपूर्ण सूचना मिली. उस सूचना के आधार पर एसओजी टीम थानाप्रभारी प्रदीप चौहान के साथ डिफेंस कालोनी की एक सुनसान जगह पर पहुंच गई.

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वहां पर सड़क के किनारे एक बड़े पत्थर पर एक युवक खोयाखोया सा बैठा था. मुखबिर के इशारे पर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. हिरासत में लेते ही वह युवक बोला, ‘‘अरे, मुझे क्यों पकड़ रहे हो? मैं ने क्या किया है?’’

‘‘तुम से कुछ पूछताछ करनी है, इसलिए चुपचाप थाने चलो,’’ थानाप्रभारी ने कहा.

‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’ थाने पहुंचने पर थानाप्रभारी ने उस से पूछा.

वह युवक चुप रहा.

‘‘जल्दी बताओ,’ उस के कुछ नहीं बोलने पर थानाप्रभारी ने डपट दिया.

‘‘जी…जी, सौरभ श्रीवास्तव.’’

‘‘पिता का नाम?’’

‘‘शंभूलाल श्रीवास्तव.’’

‘‘पूरा पता बताओ,’’ चौहान बोले.

‘‘कुशीनगर जिले का रहने वाला हूं. देहरादून में फ्रैंड्स एनक्लेव में रहता हूं.’’

‘‘इसे तुम पहचानते हो?’’ यह कहते हुए चौहान ने अपने मोबाइल की एक तसवीर उस के सामने कर दी. तसवीर देख कर सौरभ चुप लगा गया.

‘‘जवाब दो, हां या नहीं?’’

‘‘जी, पहचानता हूं. यह मेरी पत्नी श्वेता है.’’

‘‘वह अभी कहां है?’’

‘‘मुझे नहीं मालूम?’’ सौरभ बोला.

‘‘नहीं मालूम मतलब? कई दिनों से तुम कहां थे?’’

‘‘कंपनी के काम के सिलसिले में दिल्ली गया हुआ था,’’ सौरभ ने बताया.

‘‘उन दिनों में पत्नी और परिवार की तुम ने कोई खोजखबर क्यों नहीं ली?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘जी, मेरा मोबाइल दिल्ली जाते समय खो गया था.’’

‘‘इसे देखो,’’ चौहान ने दूसरी तसवीर उस के सामने कर दी.

तसवीर देख कर उस के मुंह से आवाज ही नहीं निकल पा रही थी. सर्दी में भी उस के चेहरे पर पसीना आ गया था. उस ने सिर झुका लिया और फफकफफक कर रोने लगा.

दरअसल, वह तसवीर भी उस की पत्नी श्वेता की ही थी, लेकिन तसवीर में वह मृत थी. सौरभ को रोता देख कर एक पुलिसकर्मी ने पानी का गिलास ला कर उस के सामने रख दिया. सौरभ एक सांस में पूरा पानी गटागट पी लिया.

सौरभ थाने में अपनी पत्नी की लाश के फोटो देख कर हिल गया था. उस से श्वेता की हत्या की बाबत विस्तार से पूछताछ होने लगी. वह एक माह तक खुद को बचातेबचाते शरीर और दिमाग से काफी थक गया था. टूट चुके सौरभ ने पुलिस को पत्नी की हत्या के बारे में जो कुछ बताया, वह इस प्रकार था—

उत्तर प्रदेश में जिला कुशीनगर के पिटेरवा कस्बे के रहने वाले अजय कुमार श्रीवास्तव ने अपनी बेटी श्वेता श्रीवास्तव की शादी साल 2014 में हरिद्वार निवासी सौरभ श्रीवास्तव के साथ की थी.

श्वेता 6 माह ससुराल में रहने के बाद अपने पति के साथ देहरादून आ गई थी. ग्रैजुएट सौरभ को सरकारी नौकरी भले ही नहीं मिली थी, लेकिन वह सीएसडी कंपनी में मार्केटिंग के काम से संतुष्ट था.

उस की इतनी कमाई हो जाती थी कि वह पत्नी के शौक पूरे कर सके. उस की पसंद के कपड़े दिलवा सके. साथसाथ घूमनेफिरने जा जा सके, रेस्टोरेंट में डिनर कर सके, या फिर कीमती सामानों में एंड्रायड फोन या ज्वैलरी आदि की खरीदारी करने में नानुकुर नहीं करे. सौरभ की कोशिश रहती थी कि वह पत्नी की ख्वाहिश हरसंभव पूरी करता रहे.

दोनों की जिंदगी हंसीखुशी से गुजरने लगी थी. समय का पहिया भी अपनी गति से घूम रहा था. खुशहाल जीवन बिताते हुए श्वेता 2 बच्चों की मां बन गई थी. पहली संतान बेटी और उस के बाद बेटे के जन्म के बाद सौरभ ने पत्नी से परिवार पूरा होने की बात कही थी. पत्नी ने भी संतोष जताया था.

इसी के साथ सौरभ अपने छोटे से परिवार को हमेशा खुश रखने की कोशिश में रहने लगा था. अपने बढ़े हुए खर्च को पूरा करने के लिए सौरभ और मेहनत करने लगा था, ताकि पत्नी की कोई फरमाइश अधूरी न रह जाए.

यह कहा जा सकता है कि सौरभ और श्वेता के दांपत्य जीवन की गाड़ी पटरी पर सरपट दौड़ रही थी. इस में खलल तब पड़ गई, जब 2 साल पहले कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा और लौकडाउन से अचानक कई विकट परिस्थितियां पैदा हो गईं.

सौरभ का कामधंधा भी प्रभावित हो गया. आमदनी धीरेधीरे कम होने लगी. इस के विपरीत श्वेता ने घरेलू खर्च, अपनी फरमाइशों और शौक में कोई कमी नहीं आने दी.

शुरुआत में तो कुछ महीने तक सौरभ जमापूंजी काम में लाता रहा, किंतु जैसेजैसे लौकडाउन की तारीखें बढ़ती चली गईं, वैसेवैसे उस की हालत बिगड़ने लगी. नौबत कर्ज ले कर घर खर्च पूरे करने की आ गई.

कुछ महीने बाद लौकडाउन में ढील मिली, लेकिन उस का काम पहले की तरह रफ्तार नहीं पकड़ पाया. इस के विपरीत श्वेता के फरमाइशों की लिस्ट बढ़ती रही. एक दिन सौरभ के काम से घर लौटते ही उस ने टोका, ‘‘तुम्हें कुछ याद है?’’

‘‘क्या याद नहीं है? मैं कुछ समझा नहीं.’’ सौरभ बोला.

‘‘मैं जानती हूं, तुम जानबूझ कर अनजान बन रहे हो,’’ श्वेता ने मुंह बना कर कहा, ‘‘तुम्हें सच में कुछ नहीं पता या कोई और बात है?’’

‘‘अरे, साफसाफ बोलो न, बात क्या है?’’ सौरभ ने पूछा.

इसी बीच उस की बेटी आ कर बोल पड़ी, ‘‘पापापापा, आज मम्मी का बर्थडे है. आप ने सुबह हैप्पी बर्थडे भी नहीं बोला.’’

‘‘अच्छा तो यह बात है. लो, अभी बोल देता हूं,’’ यह कहते हुए सौरभ ने ‘हैप्पी बर्थडे श्वेता डार्लिंग,’ बोल दिया.

‘‘केवल विश करने से नहीं होगा. बर्थडे गिफ्ट लाओ,’’ श्वेता बोली.

‘‘तुम कैसी बात करती हो, तुम्हें मालूम है, इन दिनों मेरा काम पहले की तरह नहीं चल रहा है,’’ सौरभ उदास लहजे में बोला.

‘‘तो मैं क्या करूं?’’ श्वेता ने कहा.

‘‘देखो, मुझे समझने की कोशिश करो. ऐसा तो पहली बार हुआ है, जब मैं तुम्हें बर्थडे गिफ्ट नहीं दे पा रहा हूं. पिछली बार तुम्हारी पसंद का मोबाइल फोन दिया था,’’ सौरभ बोला.

‘‘उस फोन पर तो बेटी का कब्जा हो गया है. उसी से पढ़ाई करती है.’’

‘‘अच्छा चलो, बर्थडे गिफ्ट उधार रहा मुझ पर.’’ सौरभ ने समझाया.

‘‘चलो मैं मान गई, लेकिन कम से कम आज कहीं डिनर पर तो ले चलो,’’ श्वेता बोली.

‘‘फिर वही बात श्वेता, अभी मैं एकएक पैसा जोड़ रहा हूं और तुम खर्च बढ़ाने की बात कर रही हो,’’ सौरभ तुनकते हुए बोला.

‘‘कितना खर्च बढ़ जाएगा? देखो, आज मैं ने घर में कुछ पकाया भी नहीं है. महीनों से घर में पड़ेपड़े बोर होने लगी हूं,’’ श्वेता ने कहा.

‘‘बाहर जाने में कई दिक्कतें हैं. वैसे भी रेस्टोरेंट में बैठ कर खाने पर रोक है.’’

‘‘तब कुछ औनलाइन ही मंगवा लो.’’ श्वेता के बोलते ही दूसरे कमरे से बेटी बोल पड़ी, ‘‘पापापापा, पिज्जा मंगवाना. मैं चीज वाला और्डर सेलेक्ट करूंगी. उस में कोल्डड्रिंक्स फ्री मिलेगा. …और मम्मी, चौकलेट वाला केक भी मंगवाना.’’

सौरभ और श्वेता के बीच बहस जैसी बातचीत औनलाइन और्डर पर आ कर थम गई. उस रोज सौरभ को 1150 रुपए का एक्सट्रा खर्च आ गया. श्वेता का बर्थडे घर पर ही  मना लिया गया, किंतु सौरभ इस चिंता में पड़ गया कि वह स्कूटी की किस्त कैसे दे पाएगा.

उस के बाद सौरभ ने खुद को कंपनी के काम में झोंक दिया. काफी मुश्किलों के बाद जरूरी खर्च पूरे करने लगा, लेकिन कर्ज चुका पाने में असमर्थ बना रहा. कभी घर की परेशानी तो कभी काम में आने वाली रुकावटों से जूझता रहा. परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी का निर्वाह करतेकरते वह थक सा गया था.

हालांकि वह जितना परेशान अपने काम को ले कर नहीं रहता था, उस से कहीं अधिक श्वेता की बातों को ले कर तनाव में रहता था.

श्वेता की फरमाइशें तो जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं लेती थीं. कई बार तो अपनी मांगों के लिए बच्चों की तरह जिद पकड़ लेती थी. इस बीच कोरोना का दूसरा फेज भी आया. उस झटके ने उसे और भी झकझोर कर रख दिया.

पत्नी की फिजूलखर्ची से वह तंग आ गया था. इस की वजह से वह मकान मालिक को 3 महीने का किराया नहीं दे पाया था, जिस से वह काफी तनाव में रहने लगा था. इस के बाद भी श्वेता ने अपने खर्च कम नहीं किए थे. वह उस से रोज अपने खर्च के लिए पैसे मांगती रहती थी.

इसी दौरान सौरभ की छोटी बहन की शादी 10 फरवरी, 2022 को होनी तय हो गई थी. जब सौरभ ने श्वेता को शादी में चलने के लिए कहा तो वह इस बात पर अड़ गई थी कि वह शादी में तभी जाएगी, जब वह उसे रानीहार खरीद कर देगा.

इस पर सौरभ ने उसे काफी समझाया कि शादी में पहले के जो जेवर हैं उन्हीं को पहन ले, लेकिन उस की जिद थी कि नया रानीहार ही चाहिए.

सौरभ की समस्या यह थी कि उसे शादी के लिए और भी दूसरे खर्च करने थे. सभी को नए कपड़े दिलवाने थे. बेटी को अच्छा फ्रौक और सैंडल खरीदने थे. जबकि पत्नी रानीहार की जिद पर अड़ी रही.

29 दिसंबर, 2021 की रात को श्वेता उस से रानीहार दिलाने के लिए बुरी तरह से झगड़ पड़ी. तब तक सौरभ का दिमाग काम करने की स्थिति में नहीं बचा था. पत्नी के व्यवहार से उसे काफी गुस्सा आ गया. बेटी दूसरे कमरे में सो रही थी. तूतूमैंमैं काफी बढ़ गई.

बात बढ़ने पर सौरभ ने पत्नी को गुस्से में उठा कर उसे बिछावन पर पटक दिया. उस के बाद पहले बच्चे की बैल्ट, फिर आइरन के तार से ही उस का गला कस दिया. दम घुटने से श्वेता तड़प उठी. तब सौरभ तुरंत किचन से चाकू लाया और पत्नी का गला रेत डाला. उस की मौत के बाद वह बच्चों को उसी हालत में छोड़ कर स्कूटी से चला गया था.

श्वेता की हत्या के बाद वह देहरादून के ही अलगअलग स्थानों पर छिपता रहा. उस ने पुलिस पर नजर बनाए रखी. जब विधानसभा की ओर से डिफेंस कालोनी की ओर आ रहा था, तब काफी थके होने के कारण सुस्ताने के लिए सड़क किनारे एक बड़े पत्थर पर ओट ले कर बैठ गया था. तभी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर उसे गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने सौरभ श्रीवास्तव के बयान दर्ज कर के अगले दिन उस का मैडिकल करवाया. उसी दिन उसे अदालत में पेश कर दिया, जहां से वह जेल भेज दिया गया. सौरभ द्वारा श्वेता की हत्या में प्रयुक्त चाकू व आइरन की तार, बेल्ट आदि पहले से ही बरामद हो चुकी थी. कथा लिखे जाने तक सौरभ श्रीवास्तव देहरादून जेल में बंद था. दोनों बच्चों को अजय श्रीवास्तव अपने साथ कुशीनगर ले गए थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बाप का इश्क बेटी को ले डूबा – भाग 2

जरूरी काररवाई पूरी कर के मुंबई पुलिस बच्ची के शव को अपने कब्जे में ले कर मुंबई लौट आई और उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया. इधर जब अंजलि की हत्या की बात उस बिल्डिंग और आसपड़ोस के रहने वालों को पता लगी तो लोगों में आक्रोश फूट पड़ा.

देखते ही देखते पुलिस स्टेशन के सामने हजारों की भीड़ जमा हो गई. भीड़ पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगी. भीड़ तब तक शांत नहीं हुई, जब तक एसएसपी राजतिलक रोशन, एसपी मंजुनाथ शिंगे और एएसपी जयंत वंजवले ने पुलिस थाने आ कर 24 घंटे के अंदर हत्यारे को गिरफ्तार करने का आश्वासन नहीं दिया.

मामले को तूल पकड़ते देख पुलिस के बड़े अधिकारियों की आंखों से नींद गायब हो गई थी. उन्होंने जांच टीम को शीघ्र से शीघ्र अंजलि के हत्यारों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिए. पुलिस टीम ने अंजलि के परिवार और आसपास के लोगों से गहराई से पूछताछ करने के अलावा इलाके में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली. लोकमान्य तिलक स्कूल के एक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में अंजलि एक महिला के साथ नालासोपारा स्टेशन की तरफ जाते हुए दिखाई दी.

वह महिला कौन थी और कहां से आई थी, यह जानने के लिए पुलिस टीम ने उस का स्केच बनवा कर जब मामले की जांच की तो पता चला कि वह महिला कई बार अंजलि के स्कूल और उस के घर साईं अपर्णा बिल्डिंग के आसपास संदिग्ध अवस्था में दिखाई दी थी. जिस दिन अंजलि गायब हुई थी, उस दिन भी वह बिल्डिंग परिसर में आई थी.

पुलिस जांच का चक्र तेजी से घूम रहा था. उस महिला का स्केच पूरे शहर में चिपकवाने के अलावा जनपद के सभी पुलिस थानों को भी भेज दिया गया. इस के अलावा स्केच अंजलि के पिता संतोष सरोज को भी दिखाया गया.

स्केच देखते ही संतोष ने अपना सिर पीट लिया. उस ने कहा कि यह तो उस की प्रेमिका है. पुलिस ने संतोष को सीसीटीवी कैमरे में अंजलि के साथ जाने वाली उस महिला की फुटेज दिखाई तो संतोष ने कहा कि यह उस की प्रेमिका अनीता वाघेला है और यह नालासोपारा (पूर्व) के नगीनदास पाड़ा इलाके में रहती है.

बिना देर किए पुलिस टीम अनीता के घर पहुंच गई. वह घर पर ही मिल गई. पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाने लौट आई. पुलिस ने जब उस से अंजलि की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने आसानी से अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. अनीता से पूछताछ के बाद अंजलि की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह प्यार में चोट खाई नागिन के प्रतिशोध वाली निकली—

22 साल की अनीता का रंग हालांकि बहुत साफ नहीं था, लेकिन कुदरत ने उसे कुछ इस तरह गढ़ा था कि जो भी उसे देखता, देखता ही रह जाता था. सांवले सौंदर्य की मालकिन अनीता के जिस्म की कसावट और फिगर देख मनचले गहरी सांसें लेते हुए फिकरे कसते थे. इस के अलावा अनीता खुले विचारों वाली महत्त्वाकांक्षी युवती थी.

आमतौर पर अनीता जैसी महत्त्वाकांक्षी युवतियां जो सपने देखती हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर या कोई भी जोखिम उठा कर पूरा करने की कोशिश करती हैं.

यह अलग बात है कि इस के लिए उन्हें जो कीमत चुकानी पड़ती है, वह कभीकभी भारी पड़ जाती है. तब उन के पास हाथ मलने और अपनी नादानियों पर पछताने के सिवा कुछ नहीं रह जाता. यही हाल अनीता का हुआ था. वह आंख मूंद कर संतोष सरोज पर भरोसा कर के प्यार करने की भूल कर बैठी थी.

मूलरूप से गुजरात की रहने वाली अनीता वाघेला अपने मातापिता और भाईबहनों के साथ नालासोपारा (पूर्व) के नगीनदास पाड़ा इलाके में रहती थी. वह अपने और परिवार के लिए कैटरिंग का काम किया करती थी. उस की और संतोष सरोज की मुलाकात करीब 7 साल पहले नगीनदास पाड़ा के आटो स्टैंड पर हुई थी.

उस दिन वह अपने काम पर जाने के लिए काफी लेट हो रही थी. तब वह अपनी मंजिल तक संतोष के आटोरिक्शा से पहुंची थी. अनीता आटो से उतर कर चली तो गई लेकिन उस की शोख चंचल निगाहें, मुसकराता चेहरा संतोष के दिमाग में ही घूमता रह गया. उस की पहली ही झलक में संतोष अपना होशोहवास खो बैठा था, यह जानते हुए भी कि वह एक शादीशुदा और एक बच्ची का बाप है.

लेकिन वह यह सब भूल कर अनीता का सामीप्य पाना चाहता था. इस के लिए वह अकसर नगीनदास पाड़ा के आटो स्टैंड पर अनीता के आने का इंतजार करता था. वह दिख जाती तो वह मुसकराते हुए उस से अपने आटो में चलने की बात कहता. अनीता को तो किसी न किसी आटो से जाना ही था, लिहाजा वह संतोष के आग्रह पर उस के ही आटो में बैठ जाती.

2-4 बार संतोष के आटो से आनेजाने के बाद अनीता और संतोष के बीच बातों का सिलसिला शुरू हो गया. स्वयं को अविवाहित बता कर उस ने अनीता को अपने प्रभाव में ले लिया. बातों और मिलने का सिलसिला शुरू हो गया तो दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. जब भी अनीता को संतोष के साथ कहीं घूमने के लिए जाना होता तो वह संतोष को बेझिझक फोन कर बुला लेती. इस तरह दोनों में गहरी दोस्ती हो गई.

दोस्ती का दायरा बढ़ा तो अनीता के मन में संतोष के प्रति प्यार का अंकुर फूट पड़ा. वह सरोज को अपने मनमंदिर में बैठा कर गृहस्थ जीवन के सुंदर सपने देखने लगी. जिस का संतोष ने भरपूर फायदा उठाया.

उस ने अनीता को शादी का लालच दे कर उस का अपनी पत्नी की तरह इस्तेमाल किया. 7 सालों में अनीता 2 बार गर्भवती भी हुई. लेकिन संतोष ने अपनी कोई न कोई मजबूरी बता कर उस का गर्भपात करवा दिया था.

पति बदलने की फितरत : कहीं नहीं मिला सुकून

—रणजीत सुर्वे

सुबह का आगाज होते ही शिवनगर में  लोगों की दिनचर्या शुरू हो गई थी. सड़क पर लोगों की आवाजाही बढ़ने लगी थी. इसी के साथ हत्या की एक सनसनीखेज घटना ने माहौल में गरमाहट पैदा कर दी. इस की सूचना पुलिस को दी गई तो थानाप्रभारी से ले कर एसपी तक हत्या की सूचना पा कर मौके पर पहुंच गए थे.

दरअसल, 17 नवंबर, 2021 की सुबह जनकगंज थाने के अतंर्गत आने वाले शिवनगर में खबर फैली कि दुष्कर्म के बाद किसी ने बबली कुशवाहा की गला घोंट कर हत्या कर दी है. इस मामले में अफवाह जंगल की आग की तरह इतनी तेजी से फैली कि थोड़ी ही देर में घटनास्थल पर लोगों की भीड़ लग गई.

इस भीड़ में क्षेत्रीय पार्षद से ले कर राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता तक शामिल थे, जो इस हत्या को ले कर आपस में कानाफूसी करने में मशगूल थे. लेकिन उन में से किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी जो मकान मालिक से पूछता कि अचानक किस ने बबली की हत्या कर दी?

इन सभी में इस घटना को ले कर काफी नाराजगी थी. वे सभी बबली के हत्यारे को तत्काल पकड़ने की मांग कर रहे थे.                                                                                    सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे थानाप्रभारी ने महिला की हत्या के मामले से पुलिस के आला अधिकारियों को अवगत करा दिया.

इसी सूचना पर थोड़ी देर में एसपी अमित सांघी, एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर, सीएसपी आत्माराम शर्मा भी घटनास्थल पर पहुंच गए. मामला दुष्कर्म की आशंका और हत्या का था, पुलिस अफसरों ने सब से पहले बबली के कमरे के बाहर खड़ी भीड़ को हटाया और उस के बाद घटनास्थल का गहनता से निरीक्षण किया.

एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर और सीएसपी आत्माराम शर्मा ने जनकगंज थानाप्रभारी संतोष यादव के साथ कमरे के भीतर जा कर सब से पहले चारपाई पर अस्तव्यस्त हालत में पड़े बबली के शव को गौर से देखा तो पता चला कि मृतका की हत्या दुपट्टे से गला घोट कर की गई थी.

मृतका के गले में दुपट्टा कसा हुआ था. कमरे की तलाशी ली तो घटनास्थल पर नमकीन, चिप्स, कंडोम, बीयर की बोतल आदि के खुले पैकेट मिले.

संदिग्ध वस्तुओं को देख कर पुलिस को कुछ संदेह हुआ. इसी के मद्देनजर एक महिला कांस्टेबल को बुला कर बबली के सारे शरीर का निरीक्षण कराया गया. पता चला कि मृतका के शरीर से कीमती जेवर गायब थे.

घटनास्थल के निरीक्षण में सदिग्ध वस्तुएं मिलने से पुलिस टीम के लिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था कि बबली और हत्यारे के मध्य यौन संबंध रहे होंगे और किसी बात पर विवाद होने पर हत्यारे ने उस के दुपट्टे से उस का गला घोट दिया होगा.

बबली की हत्या का दुखद समाचार सुन कर उस की मां और भाई भी वहां पहुंच गए थे, उन्होंने बबली के शव को देखा तो पता चला कि उस के कान के बाले, मंगलसूत्र, मोबाइल और 5 हजार रुपए गायब हैं.

चूंकि यह सब कीमती सामान था, इसलिए इस मामले में लूटपाट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता था. कुल मिला कर यह मामला काफी उलझा हुआ लग रहा था.

आगे बढ़ने के लिए थानाप्रभारी संतोष यादव ने बारीकी से घटनास्थल पर पड़ी एकएक चीज का जायजा लेना शुरू किया. बबली का अस्तव्यस्त हालत में शव चारपाई पर पड़ा था. शव के निकट ही संदिग्ध वस्तुएं पड़ी हुई थीं.

मृतका के गले में दुपट्टा लिपटा हुआ था, जिसे देख कर उन्होंने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने दुपट्टे से बबली की हत्या की होगी.

थानाप्रभारी ने क्राइम टीम को फोन कर के घटनास्थल पर बुला लिया था. इस के बाद बबली के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी भेज दिया गया.

साथ ही घटनास्थल पर मौजूद संदिग्ध वस्तुओं को अपने कब्जे में ले कर संतोष यादव थाने लौट आए और हत्या के इस मामले के खुलासे के लिए एसपी अमित साहनी ने एसपी (सिटी) लश्कर आत्माराम शर्मा के निर्देशन में एक टीम बनाई. टीम में थानाप्रभारी संतोष यादव, एसआई पप्पू यादव आदि को शामिल किया गया.

थानाप्रभारी संतोष यादव ने हत्या की तह में जाने के लिए बबली की मकान मालकिन गीता से भी गहन पूछताछ की. उस ने बताया कि 13 नवंबर को ही बबली ने कमरा किराए पर लिया था.

यहां वह अकेली रहती थी. उस का पति गांव में रहता था. उस से उस की अनबन चल रही थी. बबली की पहली शादी 2003 में लक्ष्मण कुशवाहा से हुई थी. शादी के 8 साल बाद ही उस का पति से तलाक हो गया था. पहले पति से उस के एक बेटी रितिका है. बेटी पहले पति के साथ ही रहती है.

इस के बाद बबली ने 2015 में चीनौर के घरसौंदी में रहने वाले धर्मवीर कुशवाहा से दूसरी शादी कर ली थी, लेकिन आजादखयालों की बबली की अपने दूसरे पति से भी नहीं बनी और झगड़े होने लगे. जिस वजह से उस ने दूसरे पति को भी छोड़ दिया था. उस का दूसरा पति बेटे कार्तिक के साथ घरसौदी में रहता है.

गीता ने आगे बताया कि सुबह उठने पर जब उन्हें बबली दिखाई नहीं दी तो उन्हें हैरानी हुई. क्योंकि रोजाना वह उन से पहले उठ कर नल पर पानी भरने आ जाती थी. उन की समझ में नहीं आया कि बबली को क्या हो गया, जो आज वह इतनी देर तक सो रही है?

बबली को जगाने के लिए उन्होंने आंगन में खडे़ हो कर कई बार आवाज लगाई. बबली ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो वह उसे जगाने के लिए उस के कमरे के दरवाजे को धकेलते हुए जैसे ही कमरे के भीतर दाखिल हुई, वहां का नजारा देख कर उस के होश उड़ गए.

मकान मालकिन ने बताया कि बबली बिस्तर पर मृत पड़ी थी. उस के गले में दुपट्टा कसा हुआ था और मुंह व नाक से खून बह रहा था. यह देख कर वह चीखती हुई बाहर की तरफ दौड़ी.

उस की चीख सुन कर आसपड़ोस के लोग आ गए. सभी ने कमरे के भीतर जा कर चारपाई पर बबली का शव पड़ा हुआ देखा. मगर किसी की समझ में नहीं आया कि आखिर हत्या किस ने कर दी.

मकान मालकिन के बयान से पुलिस अधिकारियों ने अंदाजा लगाया कि बबली की हत्या करने वाला उस का कोई पूर्व परिचित था. इस की वजह यह थी कि बबली किसी अंजान के लिए दरवाजा नहीं खोलती थी. अत: थानाप्रभारी द्वारा अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 302 भादंवि के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

तहकीकात को गति देने  के लिए संतोष यादव ने सब से पहले साइबर सेल के तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से बबली के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो पता चला कि एक ही नंबर से बबली के मोबाइल पर बारबार फोन किए गए थे.

शक होने पर उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला वह मोबाइल नंबर डबरा के रहने वाले प्रेम कुशवाहा का था.

उस का नाम और पता मिल गया तो संतोष यादव की टीम ने पे्रम के घर पर दबिश दी. लेकिन वह घर से गायब मिला. फिर उस के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया तो उस की लोकेशन मिल गई. पुलिस ने उसे लक्ष्मीगंज सब्जीमंडी के पीछे स्थित संजय नगर से हिरासत में ले लिया.

प्रेम कुशवाहा को जनकगंज थाने ला कर  थानाप्रभारी ने उस से कहा, ‘‘तुम ने सोचा कि तुम से चालाक इस शहर में कोई दूसरा नहीं है. बबली को मार कर इत्मीनान से उस के गहने आदि समेट कर वहां से निकल लिए.’’

सख्ती से पूछताछ की गई तो थोड़ी आनाकानी के बाद उस ने स्वीकार कर लिया कि बबली की गला घोट कर हत्या उसी ने की थी. पे्रम ने हत्या की जो कहानी बताई, वह कुछ इस प्रकार थी—

प्रेम कुशवाहा ने पुलिस को यह भी बताया कि उस की बबली से दोस्ती 5 महीने पहले एक मिस्ड काल के जरिए हुई थी. बबली का मिस्ड काल उस के पास आई तो उस ने पलट कर काल की. इस के बाद हम दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया.

इस तरह उन दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं. फिर जल्दी ही इश्क के मुकाम तक पहुंच कर अवैध संबंधों में बदल गई. उन्हें जब भी मौका मिलता, जिस्म की प्यास बुझा लेते थे.

अपने प्रेमी प्रेम कुशवाहा से सहजता से मिलने के मकसद से बबली ने हाल ही में शिवनगर में गीता शर्मा के मकान में एक कमरा किराए पर लिया था.

16 नवंबर की रात को प्रेम बबली से मुलाकात करने उस के कमरे पर गया था. बातों ही बातों में बबली ने उस से कहा, ‘‘अगर तुम मेरे जिस्म का आनंद लेना चाहते हो तो तुम्हें आज ही 10 हजार रुपया देने होंगे.’’

बबली के मुंह से पैसों की बात सुन कर प्रेम चौंक गया. उस ने उस से कहा कि अभी तो उस के पास पैसे नहीं हैं तो वह कहने लगी कि यदि अभी रुपया नहीं दोगे तो वह रेप के आरोप में उसे आज ही जेल भिजवा देगी.

उन दोनों में इसी बात को ले कर कुछ ज्यादा ही कहासुनी हो गई. बात इतनी बढ़ गई कि प्रेम को गुस्सा आ गया और उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट कर उसे मौत के घाट उतार दिया.

जाते वक्तपुलिस को गुमराह करने के लिए बबली के कान के बाले, मंगलसूत्र, मोबाइल फोन और उस के पर्स से रुपए निकाल कर वहां से फरार हो गया था, जिस से पुलिस लूट के लिए हत्या मान कर पड़ताल करती रहे.

प्रेम कुशवाहा को क्या पता था कि वह  बबली के जेवर बेच कर मौज करने के बजाए जेल चला जाएगा.

पुलिस ने बबली के प्रेमी की निशानदेही पर बबली के गहने, मोबाइल फोन बरामद कर उसे अदालत में पेश किया तो जज के सामने भी उसने अपना अपराध बिना किसी पछतावे के स्वीकार कर लिया.

प्रेम कुशवाहा को अदालत में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया. भोलाभाला दिखने वाला शातिर हत्यारा प्रेम कुशवाहा अब सलाखों के पीछे है.द्य

प्रेमी का जोश, उड़ा गया होश

सुबह करीब साढ़े 5 बजे मोबाइल की घंटी बजने पर सोनू की नींद खुल गई. उस ने फोन उठाया. दूसरी ओर से आगरा के नगला कली में रहने वाले बड़े भाई नरेश की पत्नी प्रमिता की आवाज सुनाई दी. उन की आवाज भर्राई हुई थी. रात को तुम्हारे घर भैया आए थे?

इस पर सोनू ने कहा, ‘‘भाभी मेरे यहां तो नहीं आए, पापा के पास आए हों तो पूछ कर बताता हूं.’’

तभी सोनू ने अपने पिता सुरेशचंद्र को फोन कर भाई नरेश के रात को आने के बारे में पूछा. सुरेशचंद्र ने मना करते हुए कहा, ‘‘नरेश रात में यहां क्यों आएगा? वह यहां नहीं आया.’’

यह बात सोनू ने भाभी प्रमिता को बता दी कि भैया रात को पापा के यहां नहीं गए. इस पर प्रमिता ने सोनू को बताया, ‘‘तुम्हारे भैया ने रात को 2 रोटी खाईं, उन्होंने कहा कि सब्जी अच्छी बनाई है 2 रोटी और सेंक लो, तब तक मैं टहल कर आता हूं. यह कह कर वह रात साढ़े 10 बजे चले गए. सारी रात उन का इंतजार करती रही, लौट कर नहीं आए हैं. रात से उन का मोबाइल भी नहीं मिल रहा है. मुझे बहुत डर लग रहा है.’’

संजय ने भाभी को तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘भाभी परेशान मत हो हम लोग आ रहे हैं.’’

सोनू ने यह बात पिता सुरेशचंद्र को बताई. इस के साथ ही भाई नरेश का मोबाइल नंबर मिलाया, लेकिन वह स्विच्ड औफ मिला. यह बात 8 जून, 2021 की है.

रात से नरेश के घर नहीं लौटने की जानकारी होने पर घर के सभी लोग चिंतित हो गए. गोबर चौक निवासी सुरेशचंद्र अपनी पत्नी, बेटे सोनू व 2 पड़ोसियों को साथ ले कर वहां से 7 किलोमीटर दूर आगरा के नगला कली स्थित पुष्पांजलि होम्स, नरेश के घर जहां वह किराए पर रहता है, पहुंच गए.

सभी ने मिल कर आसपास नरेश की तलाश शुरू कर दी. वे उसे काफी देर तक इधरउधर खोजते रहे. लेकिन उस का कोई पता नहीं चला.

8 जून की सुबह साढ़े 7 बजे एनआरआई सिटी के खाली प्लौट से हो कर निकल रहे लोगों ने वहां एक बोरी पड़ी देखी. बोरी पर खून लगा था और उस के ऊपर मक्खियां भिनभिना रही थीं.  बोरी में लाश की आशंका होने पर किसी ने थाना ताजगंज पुलिस को सूचना दी.

कुछ ही देर में थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.  उन्होंने बोरी को खुलवाया. बोरी खुलते ही उस में से एक युवक की लहूलुहान लाश निकली. लाश देखते ही सभी के होश उड़ गए.

युवक की उम्र लगभग 30-35 साल के बीच थी. लाश से लगभग 200 मीटर की दूरी पर दूसरी बोरी पड़ी थी, उस में खून से सनी चादर, तकिया व अन्य कपड़े मिले. लाश मिलने की खबर फैलते ही वहां भीड़ जुट गई.

पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो पता चला कि सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था. इस के अलावा शरीर पर भी कई जख्म थे. वहां मौजूद कई लोगों ने मृतक की पहचान जूता कारखाना मालिक नरेश कुमार, निवासी नगला कली स्थित पुष्पांजलि होम्स के रूप में की.

पुलिस ने सूचना नरेश के घर भिजवाई तो रोतेबिलखते उस के घर वाले प्लौट पर पहुंच गए. मृतक के पिता सुरेशचंद्र ने उस की शिनाख्त अपने 35 वर्षीय बेटे नरेश कुमार के रूप में की. मृतक के बच्चों को बुला कर पुलिस ने कपड़े दिखाए तो उन्होंने बताया कि चादर और तकिए उन्हीं के घर के हैं.

थानाप्रभारी ने घटना की गंभीरता को देखते हुए अपने अधिकारियों को सूचना दी. सूचना मिलने पर एसएसपी मुनिराज, एसपी (सिटी) रोहन प्रमोद बोत्रे और सीओ (सदर) राजीव कुमार भी वहां आ गए. उन्होंने गहनता से घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस बीच फोरैंसिक टीम को बुला लिया गया.

टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. पुलिस ने घटनास्थल से चादर व अन्य कपड़े बरामद किए. जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया.

पुलिस अधिकारियों ने मृतक के पिता व भाइयों से इस संबंध में पूछताछ की. नरेश की हत्या किन कारणों से की गई? पिता ने बताया कि नरेश की किसी से कोई रंजिश नहीं थी, नरेश का गोबर चौक में पार्टनरशिप में जूता कारखाना है. उस का काम भी अच्छा चल रहा था.

उस के परिवार में पत्नी प्रमिता, 12 वर्षीय बेटा सौम्या, 8 वर्षीय बेटी लाडो और 6 वर्षीय बेटा नन्हे है. नरेश परिवार के साथ किराए पर रहता है. पिता सुरेशचंद्र नरेश गोबर चौक में पुराने घर में रहते हैं. इस संबंध में पिता सुरेशचंद्र ने अज्ञात के खिलाफ बेटे की हत्या की रिपोर्ट थाना ताजगंज में भादंवि की धारा 302, 201 के अंतर्गत दर्ज कराई.

एसएसपी मुनिराज जी. ने घटना के खुलासे के लिए एसपी (सिटी) रोहन प्रमोद बोत्रे के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम को लगाया. पुलिस टीम में थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी, इंसपेक्टर नरेंद्र सिंह (प्रभारी सर्विलांस), एसआई मोहित सिंह, शैलेंद्र सिंह, महिला एसआई पूजा शर्मा, हैडकांस्टेबल विनीत व आदेश त्रिपाठी शामिल थे.

एनआरआई सिटी के खाली प्लौट जहां बोरी में नरेश का शव मिला था, वह स्थान मृतक के मकान के ठीक पीछे ही है. इस पर पुलिस व फोरैंसिक टीम जांच में जुट गई. मृतक के पुष्पांजलि होम्स स्थित घर जा कर जांच की. जांच के दौरान घर की छत पर खून मिला, वहां से भी साक्ष्य जुटाए गए.

पति की हत्या पर पत्नी प्रमिता का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस ने किसी तरह समझाबुझा कर उसे शांत कराया. पुलिस नरेश की हत्या में किसी करीबी व्यक्ति का हाथ होने की आशंका जता रही थी. पुलिस ने प्रमिता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली.

प्रमिता ने पुलिस को बताया, 7 जून की रात लगभग 10 बजे उस ने पति नरेश को फोन कर घर आने को कहा था, उस ने बताया कि वह रोज ही उन्हें फोन करती थी. क्योंकि वह देर से घर आते थे. वह कारखाने से रात साढ़े 10 बजे घर आए थे. वह हमेशा की तरह खाना खा कर घर के बाहर टहलने चले गए थे.

वह शराब पीते थे. देर लगने पर सोचा सड़क तक टहलने निकल गए होंगे. घर में तीनों बच्चे व स्वयं थी. हम लोग कमरे में एसी चला कर टीवी देखते रहे. जब वह देर रात तक नहीं लौटे तो वाचमैन व बड़े बेटे सौम्या को साथ ले कर उन्हें इधरउधर तलाश किया. उन के न मिलने पर बाद में गोबर चौक स्थित ससुराल व सदर भट्टी स्थित मायके वालों को फोन कर बुलाया.

जांच के दौरान प्रमिता ने थानाप्रभारी उमेश चंद्र त्रिपाठी को बताया, ‘‘सर उन पर बहुत केस चल रहे हैं और उन के बहुत दुश्मन हैं.’’

खून घर की छत पर मिलने की बात पर उस ने कहा, ‘‘सर, इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता, क्योंकि कमरे में एसी चल रहा था और दरवाजा बंद था.’’

पुलिस को प्रमिता की बातें गले नहीं उतर रही थीं. शव भी घर के पीछे दीवार के सहारे पड़ा मिला था. ऐसे में मृतक के घर वालों से पुलिस ने पूछताछ की. घटना के जल्द खुलासे के लिए नरेश की काल डिटेल्स भी निकालने की बात पुलिस ने कही. घर में सोमवार को कौनकौन आया, इस बारे में पत्नी और बच्चों से भी जानकारी ली गई.

घर की छत पर खून मिलने व लाश वाली बोरी घर के ठीक पीछे मिलने से साफ हो गया था कि नरेश की हत्या करने के बाद उस के शव को बोरी में भर कर छत से ही पीछे प्लौट में फेंका गया था. पुलिस को घटना के बाद से प्रमिता पर ही शक था.

पोस्टमार्टम के बाद शव मृतक के पिता को सौंप दिया गया. शाम को ही नरेश की अंत्येष्टि कर दी गई.  इस सब से बेफिक्र पत्नी प्रमिता को अंत्येष्टि के बाद पुलिस ने आखिर मंगलवार की शाम को ही हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ शुरू की गई. वह रटीरटाई कहानी दोहराने लगी.

पुलिस ने जब प्रमिता को बताया, ‘‘हमें एक सीसीटीवी फुटेज मिली है, जिस में एक व्यक्ति दिखाई दे रहा है, जो रात में तुम्हारे घर पर आया था. वह कौन था? फिर छत पर खून कैसे आया और किस का है? चादर, तकिया तो तुम्हारे घर के ही हैं. जिन्हें तुम्हारे बच्चे ने पहचान लिया है.’’

यह सुनते ही प्रमिता के होश उड़ गए. आवाज कंपकपाने लगी. पुलिस के आगे हथियार डालते हुए उस ने पति की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए पुलिस को बताया कि उसी ने अपने पति की हत्या की थी.

इस सनसनीखेज हत्याकांड के पीछे जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी—

सुरेशचंद्र के 6 बेटेबेटियों में नरेश दूसरे नंबर का था. नरेश से छोटे संजय व सोनू हैं. उत्तर प्रदेश की प्रेमनगरी के नाम से मशहूर शहर आगरा के गोबर चौक में नरेश के पिता व 2 भाई व एक अविवाहित बहन रहते हैं. 2008 में नरेश की शादी आगरा के मंटोला थाना के सदर भट्टी की रहने वाली प्रमिता के साथ हुई थी.

शादी से पहले नरेश भी गोबर चौक में रहता था. शादी के 6 माह बाद ही प्रमिता अपने पति के साथ अलग रहने लगी. घटना के समय नरेश का परिवार पुष्पांजलि होम्स में किराए पर रह रहा था.

2 साल पहले नरेश कुमार का विवाद मोहल्ले के ही एक व्यक्ति से हो गया था. उस दौरान थाना शिकोहाबाद के नगला केवल निवासी रविकांत राजपूत, जो आरएसएस का महानगर प्रचारक था, के एक परिचित ने इस मामले में नरेश की मदद कराई थी. रविकांत ने नरेश कुमार की मदद की. इसी के चलते रविकांत की नरेश से जानपहचान हो गई.

घर आनेजाने के दौरान नरेश की पत्नी प्रमिता और रविकांत का मिलनाजुलना शुरू हो गया, दोनों के बीच बातचीत भी होने लगी. हमउम्र होने से दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए.

30 वर्षीय रविकांत अविवाहित था. घनिष्ठता बढ़ने पर दोनों के बीच दोस्ती हो गई और प्रेम संबंध हो गए. धीरेधीरे प्रमिता भी रविकांत के घर नगला केवल जाने लगी.

रविकांत ने अपने घर पर प्रमिता को मुंहबोली बहन बताया था. इस के चलते घर वाले भी प्रमिता के आनेजाने पर गौर नहीं करते थे. दोनों के बीच क्या खिचड़ी पक रही है, इस का पता रविकांत के घर वालों को नहीं चला. इस बीच दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए.

नरेश को घटना से कुछ दिन पहले जब दोनों के प्रेम संबंधों की जानकारी हुई तो वह विरोध करने लगा. इसी बात को ले कर नरेश और प्रमिता के बीच झगड़ा होने लगा. वह बच्चों के सामने प्रमिता की बेइज्जती करने लगा.

इस पर प्रमिता ने ठान लिया कि वह प्रेमी रविकांत के साथ ही रहेगी. दोनों के प्यार के बीच पति रोड़ा बन रहा था. इसलिए उसे रास्ते से हटाने का तानाबाना प्रमिता ने बुना. उस ने प्रेमी रविकांत के साथ पति के कत्ल की खूनी साजिश रची.

7 जून को रविकांत अपने गांव में था. योजना के अनुसार वह बाइक से आगरा के लिए शाम को अपने छोटे भाई शशिकांत के साथ निकला. अपने घर वालों को बताया कि दोस्त की बर्थडे पार्टी में जा रहे हैं, रात में वापस आ जाएंगे.

दोनों भाई योजना के अनुसार आगरा पहुंचे. नरेश के मकान के पास ही एक मकान अधबना खाली पड़ा था. दोनों भाइयों ने अपनी बाइक उस में खड़ी कर दी. इस के बाद दोनों भाई उस मकान से नरेश के मकान की छत पर आ गए. रविकांत ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया. उस समय रात के साढ़े 10 बजे का समय था. नरेश खाना खा कर दूसरे कमरे में सोने चला गया था.

इस बीच प्रमिता ने तीनों बच्चों को कोल्ड डिं्रक दी और मोबाइल दिया. कमरे का टीवी चला दिया, बच्चे खुश हो गए. कमरे की बाहर से कुंडी लगा दी. पति ने शराब पी रखी थी, वह गहरी नींद में सो चुका था.

जब प्रमिता ने अच्छी तरह परख लिया कि पति गहरी नींद में हैं, तब उस ने शशिकांत के मोबाइल पर ओके का मैसेज भेजा. दोनों भाई मकान में नीचे आ गए. सो रहे नरेश के सिर पर ईंटों से तीनों ने ताबड़तोड़ प्रहार किए.

बिस्तर पर खून बिखर गया. सिर से बह रहे खून को देख कर प्रमिता ने सिर पर पौलीथिन की थैली लगा दी, जिस से खून न गिरे.

सिर पर किए गए प्रहार से नरेश ने पल भर में दम तोड़ दिया. इस के बाद तीनों ने मिल कर शव को बोरे में बंद किया. कमरे के फर्श पर बिखरे खून को चादर से प्रमिता ने पोंछने के बाद धो दिया.

शशिकांत की पैंट पर हत्या के दौरान मृतक का खून लग गया था. उस ने अपनी पैंट उतारने के बाद कमरे में टंगी नरेश की पैंट पहन ली. इस के बाद बोरे को उठा कर छत पर ले गए और पीछे प्लौट में फेंक दिया. खून से सने सभी कपड़े दूसरी बोरी में भर कर लाश से लगभग 200 मीटर दूर उसी प्लौट में फेंक दिए.

हत्या करने के बाद रविकांत और शशिकांत रात साढ़े 12 बजे ही चले गए. अंधेरा होने की वजह से छत पर पड़ा खून दिखाई नहीं दिया.

पति की हत्या से प्रमिता घबरा गई थी, जिस के कारण वह छत पर पड़े खून को साफ नहीं कर सकी थी. प्रमिता के मोबाइल में चैटिंग थी, हत्या के बाद उस ने सारी चैट डिलीट कर दी, जिस से पुलिस मोबाइल देखे तो पता नहीं चल सके.

रविकांत ने भी ऐसा ही किया. पुलिस ने हत्या में पुख्ता सबूत के लिए चैट को फोरैंसिक एक्सपर्ट की मदद से रिकवर कराने के लिए भेज दिया है.

प्रमिता से पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने शेष हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिश डाली. मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी ने आरोपी प्रेमी रविकांत को आगरा में टीडीआई माल के पास से घटना में प्रयुक्त मोटरसाइकिल के साथ उसी दिन गिरफ्तार कर लिया. आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने आला कत्ल खून से सनी ईंटें भी बरामद कर लीं.

9 जून को एसएसपी मुनिराज ने प्रैस कौन्फ्रैंस में घटना में शामिल 2 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए सनसनीखेज घटना का खुलासा कर दिया.

पुलिस ने 9 जून, 2021 को दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. इस के बाद पुलिस ने हत्याकांड में शामिल तीसरे हत्यारोपी शशिकांत को भी 10 जून की रात को गिरफ्तार कर दूसरे दिन जेल भेज दिया.

प्रमिता ने 12 साल पहले जिस नरेश कुमार के साथ सात फेरे लिए, उसे ही अपने प्रेमी व उस के भाई के साथ मिल कर खूनी साजिश के तहत मौत की नींद सुला दिया. एक सीधासादा पति अपनी बेवफा पत्नी के अवैध संबंधों की भेंट चढ़ गया.

प्रमिता ने अपना बसाबसाया घर भी उजाड़ लिया. अब बच्चों को मांबाप का प्यार नहीं मिल सकेगा. फिलहाल तीनों बच्चों को दादादादी अपने साथ ले गए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारि

वासना में बनी पतिहंता : पत्नी ही बनी कातिल – भाग 2

एएसआई सुनील कुमार ने मृतक की फैक्ट्री में उस के साथ काम करने वालों के अलावा उस के मालिक प्रवीण गर्ग से भी पूछताछ की. यहां तक कि मृतक के पड़ोसियों से भी मृतक और उस के परिवार के बारे में जानकारी हासिल की गई, पर कोई क्लू हाथ नहीं लगा.

सब का यही कहना था कि सुनील सीधासादा शरीफ इंसान था. उस की न तो किसी से कोई दुश्मनी थी और न कोई लड़ाईझगड़ा. अपने घर से काम पर जाना और वापस घर लौट कर अपने बच्चों में मग्न रहना ही दिनचर्या थी.

एएसआई सुनील की समझ में एक बात नहीं आ रही थी कि मृतक की लाश इतनी दूर सिटी सेंटर के पास कैसे पहुंची, जबकि उस के घर आने का रूट चीमा चौक की ओर से था. उस की इलैक्ट्रिक साइकिल भी नहीं मिली. महज साइकिल के लिए कोई किसी की हत्या करेगा, यह बात किसी को हजम नहीं हो रही थी.

बहरहाल, अगले दिन मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था और उस का गला चेन जैसी किसी चीज से घोटा गया था. मृतक के शरीर पर चोट के भी निशान थे. इस से यही लग रहा था कि हत्या से पहले मृतक की खूब पिटाई की गई थी. उस की हत्या का कारण दम घुटना बताया गया.

पोस्टमार्टम के बाद लाश मृतक के घर वालों के हवाले कर दी गई. सुनील की हत्या हुए एक सप्ताह बीत चुका था. अभी तक पुलिस के हाथ कोई ठोस सबूत नहीं लगा था. मृतक की साइकिल का भी पता नहीं चल पा रहा था.

एएसआई सुनील कुमार ने एक बार फिर इस केस पर बड़ी बारीकी से गौर किया. उन्होंने मृतक की पत्नी, भाई और अन्य लोगों के बयानों को ध्यान से पढ़ा. उन्हें पत्नी सुनीता के बयानों में झोल नजर आया तो उन्होंने उस के फोन की कालडिटेल्स निकलवा कर चैक कीं.

सुनीता की काल डिटेल्स में 2 बातें सामने आईं. एक तो उस ने पुलिस को यह झूठा बयान दिया था कि पति ने उसे 8 बजे फोन कर कहा था कि वह घर आ रहा है, खाना तैयार रखना.

लेकिन कालडिटेल्स से पता चला कि मृतक ने नहीं बल्कि खुद सुनीता ने उसे सवा 8 बजे और साढ़े 8 बजे फोन किए थे. दूसरी बात यह कि सुनीता की कालडिटेल्स में एक ऐसा नंबर था, जिस पर सुनीता की दिन में कई बार घंटों तक बातें होती थीं. घटना वाली रात 21 मई को भी मृतक को फोन करने के अलावा सुनीता की रात साढ़े 7 बजे से ले कर रात 11 बजे तक लगातार बातें हुई थीं.

यह फोन नंबर किस का था, यह जानने के लिए एएसआई सुनील कुमार ने मृतक के भाई और बेटे से जब पूछा तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की. बहरहाल, एएसआई सुनील कुमार ने 2 महिला सिपाहियों को सादे लिबास में सुनीता पर नजर रखने के लिए लगा दिया. साथ ही मुखबिरों को सुनीता की जन्मकुंडली पता लगाने के लिए कहा. इस के अलावा उन्होंने उस फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि वह नंबर आई ब्लौक निवासी मनदीप सिंह उर्फ दीपा का है.

मनदीप पेशे से आटो चालक था. सन 2018 में वह जालसाजी के केस में जेल भी जा चुका था. मनदीप शादीशुदा था और उस की 3 साल की एक बेटी भी थी. हालांकि उस की शादी 4 साल पहले ही हुई थी, लेकिन उस की पत्नी से नहीं बनती थी. पत्नी ने उस के खिलाफ वूमन सेल में केस दायर कर रखा था.

सुनीता पर नजर रखने वाली महिला और मुखबिरों ने यह जानकारी दी कि सुनीता और मनदीप के बीच नाजायज संबंध हैं. इस बीच फोरैंसिक लैब भेजा गया मृतक का फोन ठीक हो कर आ गया, जिस ने इस हत्याकांड को पूरी तरह बेनकाब कर दिया.

एएसआई सुनील कुमार ने उसी दिन सुनीता को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो वह अपने आप को निर्दोष बताते हुए पुलिस को गुमराह करने के लिए तरहतरह की कहानियां सुनाने लगी. जब उसे महिला हवलदार सुरजीत कौर के हवाले किया गया तो उस ने पूरा सच उगल दिया.

सुनीता की निशानदेही पर उसी दिन 3 जून को 30 वर्षीय मनदीप सिंह उर्फ दीपा, 18 वर्षीय रमन राजपूत, 23 वर्षीय सन्नी कुमार और 21 वर्षीय प्रकाश को भाई रणधीर सिंह चौक से जेन कार सहित गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में सभी ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उन्होंने सुनीता और मनदीप के कहने पर सुनील की हत्या की थी.

पांचों अभियुक्तों को उसी दिन अदालत में पेश कर 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में सुनील हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह पति और जवान बच्चों के रहते परपुरुष की बांहों में देहसुख तलाशने वाली एक औरत के मूर्खतापूर्ण कारनामे का नतीजा थी.

सुनील जब धागा फैक्ट्री में अपनी नौकरी पर चला जाता था तो सुनीता घर पर अकेली रह जाती थी. इसी के मद्देनजर उस ने पास ही स्थित प्ले वे स्कूल में चपरासी की नौकरी कर ली. पतिपत्नी के कमाने से घर ठीक से चलने लगा.

इसी प्ले वे स्कूल में मनदीप उर्फ दीपा की बेटी भी पढ़ती थी. पहले मनदीप की पत्नी अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने और लेने आया करती थी, पर एक बार मनदीप अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने आया तब उस की मुलाकात सुनीता से हुई.

सुनीता को देखते ही वह उस का दीवाना हो गया. हालांकि सुनीता उस से उम्र में 10-11 साल बड़ी थी, पर उस में ऐसी कशिश थी, जो मनदीप के मन भा गई. यह बात करीब 9 महीने पहले की है.

बेगम बनने की चाह में गवाया पति – भाग 2

पुलिस ने उसी समय अनवर शाह को भी उस ने घर से उठा लिया. चूंकि पिंकी पहले ही पूरी बात बता चुकी थी, इसलिए अनवर ने भी बिना किसी टालमटोल के अपना अपराध स्वीकार करते हुए पास के गांव नारायणपुर स्थित अपने खेत में दफन सुनील की लाश बरामद करवा दी.

पुलिस ने अनवर और पिंकी से विस्तार से पूछताछ की तो सुनील की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

मध्य प्रदेश के भैंसोड़ा गांव की रहने वाली पिंकी बचपन से ही काफी खूबसूरत और चंचल स्वभाव की थी. उस का काम दिन भर गांव की गलियों में धमाचौकड़ी मचाना था. बताते हैं कि इस दौरान किशोरावस्था में ही गांव के कुछ युवकों ने उस के चंचल स्वभाव का फायदा उठा कर उस के साथ यौन संबंध बनाने शुरू कर दिए थे. पिंकी को भी यह सब अच्छा लगता था. इसी वजह से उस के मांबाप ने काफी कम उम्र में ही उस की शादी बामनखेड़ा में रहने वाले सुनील कुमार के संग कर दी थी.

सुनील सीधा सच्चा युवक था. पत्नी को वह जितना प्यार करता था, उतना ही अपने मातापिता का सम्मान भी करता था. यह बात पिंकी को अच्छी नहीं लगती थी. वह सासससुर से दूर रहना चाहती थी, इसलिए सुनील पर गांव छोड़ कर शहर में रहने के लिए दबाव बनाने लगी. जिस के चलते करीब 10 साल पहले सुनील देवास में आ कर विजय रोड स्थित एक दुकान पर नौकरी करने लगा.

धीरेधीरे पैसे जोड़ कर उस ने विशाल नगर में एक मकान भी बनवा लिया. पिंकी अब तक 2 बच्चों की मां बन चुकी थी. उम्र भी 30 के आसपास पहुंच गई थी. लेकिन उस की सुंदरता में वह कसक अभी बाकी थी जो किसी को भी अपना दीवाना बनाने की कूवत रखती थी.

विशाल नगर में पिंकी के पड़ोस में अनवर शाह रहता था. अनवर खेती के अलावा ट्रैक्टर चलाने का काम करता था. कोई 2 साल पहले एक रोज उस की नजर सुबहसुबह धूप में बैठ कर बाल सुखाती पिंकी पर पड़ी तो वह उस के हुस्न पर फिदा हो गया.

अनवर औरतों का पुराना खिलाड़ी था. अपने खेत में काम करने वाली कई महिलाओं के साथ उस के यौनसंबंध थे. जिस दिन उस ने पिंकी को देखा, उसी दिन से उसे पाने की कोशिश करने लगा. इस के लिए उस ने सब से पहले सुनील से दोस्ती बढ़ाई और इस बहाने उस के घर आनेजाने लगा.

यही नहीं, वह जब भी सुनील के घर आता, उस के बच्चों के लिए खानेपीने की चीजें जरूर ले जाता. इस का नतीजा यह निकला कि कुछ समय बाद वह बच्चों को टौफी, चौकलेट देने के बहाने ऐसे समय पर भी सुनील के घर आने लगा, जब पिंकी घर पर अकेली होती थी.

अनवर था औरतों का शिकारी……………..

पिंकी के साथ भाभी का रिश्ता तो वह पहले ही बना चुका था, सो कभीकभी 2-4 मिनट रुक कर उस से बात भी करने लगा. अनवर जानता था कि कहानी 2-4 मिनट से ही शुरू हो कर पूरी रात तक पहुंचती है. इसलिए इस दौरान मौका मिलने पर वह पिंकी की सुंदरता की तारीफ करने से भी पीछे नहीं रहता था.

इतना ही नहीं, कभीकभार पिंकी की गोद से उस का बच्चा अपनी गोद में लेने के बहाने वह उस के नाजुक अंगों को छूने की भी कोशिश करता था. इस से पिंकी को जल्द ही अनवर के मन की बात समझ में आ गई.

इस के बाद उस के दिमाग में अनवर की चाहत लावा बन कर फूटने लगी. इसलिए उस ने भी अनवर के लिए अपने मन की लगाम को ढील देनी शुरू कर दी. इस से अनवर समझ गया कि मछली दाना निगल चुकी है.

2 साल पहले वह ईद के दिन जानबूझ कर ऐसे समय में पिंकी के घर गया, जब सुनील घर पर नहीं था. अनवर को देख कर पिंकी ने मुसकराते हुए उसे ईद की बधाई दी.

‘‘अपनी मुबारकबाद अपने पास ही रखिए, मुझे नहीं चाहिए.’’ अनवर ने गुस्सा होने का नाटक करते हुए कहा. ‘‘क्यों, मेरी मुबारकबाद में ऐसा क्या खोट है जो तुम्हें नहीं चाहिए?’’ पिंकी ने पूछा.

‘‘अरे, मुबारकबाद देनी ही है तो गले मिल कर दो. मालूम है आज सुबह से मैं ने किसी को मुबारकबाद नहीं दी. छिप कर घर में बैठा था कि सब से पहले आप से ही मुबारकबाद लूंगा. इसलिए मुबारकबाद देनी है तो गले मिल कर दो.’’

‘‘अच्छा बाबा, अंदर आ जाओ या बाहर दुनिया के सामने गले लगूंगी.’’ कहते हुए पिंकी उसे अपने साथ अंदर ले आई. फिर गहरी सांस लेते हुए उस के गले से लिपट गई.

अनवर को इसी मौके का इंतजार था. इस के बाद वह समझ गया कि पिंकी पूरी तरह उस के जाल में फंस चुकी है. इसलिए उस ने पिंकी को तभी अपनी बांहों से दूर किया, जब उस ने अगले दिन दोपहर में मिल कर उस के साथ एकांत में कुछ पल बिताने का वादा किया.

पिंकी की हां सुनते ही अनवर ने जेब से नया चमचमाता मोबाइल फोन निकाल कर उस के हाथ में देते हुए कहा, ‘‘ये लो दीवाने का ईद का पहला तोहफा. जब भी मौका मले मुझे फोन लगा दिया करो.’’

पिंकी ने उस के हाथ से मोबाइल ले कर चुपचाप छिपा कर रख दिया. ताकि उस पर सुनील की नजर न पड़े. पूरी रात पिंकी और अनवर ने अपनेअपने घरों में बेचैनी से काटी दूसरे दिन सुबह होते ही जब सुनील दुकान पर जाने के लिए घर से निकला, पिंकी ने नए मोबाइल से अनवर को फोन लगा कर कह दिया कि वह दोपहर होने का इंतजार नहीं कर सकती, इसलिए वह अभी घर आ जाए.