कलयुगी बेटा : अधेड़ उम्र का इश्क

रवि को मदन सेन के साथ अपनी मां जसवंती के अवैध संबंधों की पूरी जानकारी थी. वह यह भी जानता था मदन अब उस की मां से तंग आ चुका था. इसलिए रवि ने अपनी मां को मौत के घाट उतारने के लिए मदन से संपर्क किया तो वह भी जसवंती की हत्या में शामिल हो गया.

15 मार्च, 2021 की सुबह 10 बजे का वक्त था. जब बैतूल जिले की मुलताई थाने की सीमा में बसे छोटे से गांव काथम की रहने वाली जसवंती और उस की 11 वर्षीया नातिन लविशा की हत्या की खबर गांव में आग की तरह फैली थी, जिस से घटना की जानकारी लगने पर टीआई मुलताई सुरेश सोलंकी भी कुछ देर में टीम ले कर मौके पर पहुंच गए.

कमरे के अंदर बिछे पलंग पर जसवंती और उस की नातिन के शव खून से लथपथ पडे़ थे. दोनों के सिर पर घातक चोटें थीं.

टीआई सोलंकी ने घटना की जानकारी बैतूल एसपी सिमला प्रसाद के अलावा एएसपी श्रद्धा जोशी और एसडीपीओ नम्रता सोधिया को भी दे दी. जिस से कुछ ही देर में उक्त अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए.

शुरुआती पूछताछ में पता चला कि पति की मौत के बाद जसवंती अपने बेटे रवि और बहू के साथ रहती थी. वह स्थानीय कलारी की रसोई में खाना बनाने का काम करती थी. कुछ दिनों में उस की नातिन लविशा भी आ कर उस के साथ रहने लगी.

जबकि घटना से 4 दिन पहले ही जसवंती ने लड़झगड़ कर बेटेबहू को उन के ढाई महीने के बच्चे के साथ घर से निकाल दिया था. जिस से रवि अपनी पत्नी को ले कर पास के गांव परसोडी में रहने वाले अपने मामा ससुर के घर जा कर रहने लगा था.

जसवंती का हालिया विवाद बेटे से हुआ था. इस के अलावा गांव में उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. लेकिन छोटी बात पर बेटा मां की हत्या करेगा, इस बात पर आसानी  से भरोसा नहीं किया जा सकता था.

इसलिए पुलिस ने इस दोहरे हत्याकांड में दूसरे एंगल से जांच करनी शुरू कर दी, जिस में पता चला कि जसवंती 45 की जरूर थी, लेकिन शारीरिक बनावट और खूबसूरती के चलते वह 35 से अधिक नहीं दिखती थी.

उस के पति की मौत कई साल पहले हो चुकी थी. इसलिए पुलिस जसंवती के अवैध संबंधों की जानकारी जुटाने में लग गई. जांच में पता चला कि जसवंती का प्रेम प्रसंग कई सालों से कलौरी में काम करने वाले मदन सेन के साथ चल रहा था.

मदन सेन मूलरूप से सागर जिले के बंडा का रहने वाला था. लेकिन कलारी में नौकरी के चलते यहां जसवंती के घर के पास ही किराए पर रहने लगा था. पूरे गांव को मदन और जसवंती के इश्क की जानकारी थी.

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लेकिन उन के बीच विवाद का कोई वाकया सामने नहीं आया था. पुलिस ने मदन से पूछताछ की, जिस में उस ने कबूल कर लिया कि उस के जसंवती से संबंध थे, किंतु उस की हत्या में उस ने अपना हाथ होने से मना कर दिया.

इसलिए एसपी सिमला प्रसाद ने इस दोहरे हत्याकांड को सुलझाने के लिए एएसपी श्रद्धा जोशी के निर्देशन में और एसडीपीओ सोधिया के नेतृत्व में थानाप्रभारी मुलताई सुरेश सोलंकी की एक टीम गठित कर दी.

टीम ने जांच शुरू करते हुए चौतरफा प्रयास शुरू कर दिए, लेकिन जब इस में सफलता मिलती नहीं दिखाई दी तो एसपी सिमला प्रसाद ने साइबर सेल के एसआई राजेंद्र राजवंशी को मदन सेन के अलावा मृतक के बेटे रवि के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकालने के निर्देश दिए.

काल डिटेल्स में चौंका देने वाली जानकारी निकल कर सामने आई कि घटना के 2 दिन पहले से ही अचानक जसवंती के प्रेमी मदन की उस के बेटे से फोन पर कई बार बात हुई थी.

इतना ही नहीं, घटना की रात को रवि और उस के मामा ससुर दिलीप के मोबाइल की लोकेशन गांव में मदन सेन के मोबाइल के पास मिल रही थी. उस रात भी मदन और रवि के बीच कई बार बात हुई थी. जबकि 15 मार्च के बाद से मदन और रवि के बीच इक्कादुक्का बार बात हुई थी, वह भी बहुत कम समय के लिए.

साइबर सेल को रवि के मोबाइल की लोकेशन 15 मार्च को कामथ में मिली थी. इस का सीधा मतलब था कि वह घटना वाली रात को कामथ आया था. इसलिए रवि पर अपना शक पुख्ता करने के लिए टीआई सोलंकी ने रवि को थाने बुला कर बातोंबातों मे उस से पूछा, ‘‘जिस रात तुम्हारी मां का कत्ल हुआ, उस रात तुम कहां थे?’’

‘‘कहां होता साहब, मां ने घर से धक्का मार कर निकाल दिया था. इसलिए मैं अपने मामा ससुर के यहां जा कर रहने लगा. उस रात भी वहीं था.’’ रवि ने बताया.

‘‘ठीक है. इस मदन सेन के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है? लोग बताते हैं कि मदन की तुम्हारी मां के साथ अच्छी दोस्ती थी.’’ टीआई ने कहा.

‘‘आप ने सही सुना है, साहब. मुझे तो अपनी मां कहने में भी शर्म आने लगी थी. मदन हमारे घर के पास ही रहता है. कई बार वही आधी रात में भी मेरी मां से मिलने आया करता था. यह सब मेरी पत्नी ने अपनी आंखों से देखा था. इसलिए वह इस बात को ले कर

मुझे ताने दिया करती थी.’’ रवि बोला.

‘‘तुम ने मदन को रोका नहीं?’’ टीआई ने पूछा.

‘‘रोका था साहब. हमारे बीच काफी झगड़ा भी हो चुका है. लेकिन खुद मेरी मां ही उसे घर बुलाती थी.’’ वह बोला.

‘‘मदन से तुम्हारी बात होती थी कभी?’’

‘‘पहले होती थी, लेकिन जब पता चला कि उस के मेरी मां से अवैध संबंध हैं, तब हमारे बीच झगड़ा हुआ था. फिर उस से बातचीत बंद हो गई थी.’’

‘‘फोन पर तो होती होगी बात तुम्हारी मदन से.’’

‘‘नहीं, कभी नहीं.’’

जैसे ही रवि ने मदन से फोन पर बात होने से इनकार किया. तभी पुलिस ने उस के साथ थोड़ी सख्ती दिखाई तो वह टूट गया. फिर उस ने इस दोहरे हत्याकांड का राज उगल दिया.

उस ने बताया कि इस हत्याकांड में मामा ससुर दिलीप के अलावा मां का प्रेमी मदन भी शामिल था. रवि की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त मूसल एवं हथौड़ी भी बरामद कर ली. पुलिस ने रवि के मामा ससुर दिलीप व मां के प्रेमी मदन सेन को भी गिरफ्तार कर लिया.

हत्या करने के बाद वह जसवंती का मंगलसूत्र और लविशा की पायल ले गए थे, इसलिए पुलिस ने आरोपियों से ये दोनों जेवर भी बरामद कर लिए. उन से पूछताछ के बाद इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

पति की मृत्यु के बाद जसवंती ने न केवल परिवार संभाला, बल्कि बेटे की शादी भी धूमधाम से की. रवि मां का हाथ बंटाने के लिए छोटामोटा काम किया करता था, लेकिन लौकडाउन में काम छूट जाने से वह घर में कुछ महीनों से बैठा था.

जसवंती पिछले 5 सालों से कलारी के औफिस में खाना बनाने का काम करती थी. जसवंती सुंदर तो थी ही, साथ ही आकर्षक भी थी.

कलारी में सागर जिले का मदन सेन मैनेजर की हैसियत से पूरा हिसाबकिताब देखता था. मदन यहां अकेला रहता था, इसलिए उसे एक औरत की और जवानी में पति की मौत हो जाने से जसवंती को एक मर्द की आवश्यकता यदाकदा महसूस होती रहती थी.

ऐसे में मदन की नजर जसवंती पर थी. वह जानता था कि जसंवती का पति नहीं है, इसलिए उस तक पहुंचना उस के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं था. उस ने काफी सोचसमझ कर ही जसवंती के पड़ोस में किराए का मकान ले कर उस में रहना शुरू किया.

कुछ समय बाद मदन ने धीरेधीरे जसवंती की तरफ बढ़ना शुरू किया तो अपनी खुद की जरूरतों से परेशान जसवंती ने भी अपने मन की लगाम ढीली छोड़ दी और मदन को अपनी मौन स्वीकृति दे दी, जिस से एक रोज आधी रात में मदन शराब पी कर जसवंती के घर पहुंचा तो जसवंती ने भी पहली मुलाकात में उस के सामने समर्पण कर दिया.

कहना नहीं होगा कि दोनों को एकदूसरे की जरूरत थी, इसलिए मदन और जसवंती दोनों ही कुछ दिनों बाद खुल कर अपनी प्रेम लीला करने लगे.

जसवंती की बेटी की शादी पहले ही हो चुकी थी. सो वह अपनी ससुराल में थी. बेटा रवि अपनी मां के साथ रहता था, उसे काबू में रखने के लिए मदन ने रवि को शराब पीने की आदत डाल दी और रोज ही उसे कलारी में शराब पीने के लिए पैसे देने लगा.

मदन के साथ मां के संबंध की बात पता होने के बाद भी शराब के लालच में रवि ने उस का कोई विरोध नहीं किया. यहां तक कि 2 साल पहले रवि की शादी हो जाने के बाद बहू के आ जाने पर भी मदन और जसवंती के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ा.

लेकिन कहते हैं कि अवैध संबंधों की एक उम्र होती है. क्योंकि वक्त के साथ जहां औरत अपने प्रेमी पर ज्यादा अधिकार जताने लगती है, वहीं पे्रमी का मन उस से ऊबने लगता है. यही इस मामले में होने लगा था.

जसवंती मदन पर पूरा हक जमाने लगी थी. यहां तक कि वह उस पर दबाव बनाने लगी थी कि वह गांव में रहने वाली अपनी पत्नी को छोड़ कर उस के साथ उस के घर में पति की तरह रहे. लेकिन मदन इस के लिए राजी नहीं था. इस से मदन और जसंवती के बीच विवाद होने लगा.

लौकडाउन में काम बंद हो जाने से रवि पूरी तरह मां पर निर्भर हो गया. इसलिए वह जब भी मां से खर्च के पैसे मांगता तो मां उसे खरीखोटी सुना देती थी. ढाई महीने पहले ही रवि की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया था, जिस से जसवंती रवि पर रोज कोई न कोई काम करने के लिए उस पर दबाव बनाने लगी थी. लेकिन रवि को कोई काम नहीं मिल पा रहा था.

इस दौरान जसवंती की बेटी की बेटी लवीशा भी उस के साथ आ कर रहने लगी, जिस से जसंवती रवि को खर्च के पैसे देने में और आनाकानी करने लगी. इस से रवि अपनी भांजी से भी नफरत करने लगा.

घटना के 4 दिन पहले रवि ने अपनी मां से खर्च के लिए पैसे मांगे तो जसवंती ने उसे बुरी तरह झिड़का ही नहीं, बल्कि पत्नी और बच्चे के साथ घर से निकलने का फरमान भी सुना दिया. जिस से गुस्से में आ कर रवि अपनी पत्नी और बच्चे को ले कर अपने मामा ससुर दिलीप के वहां चला गया.

रवि को इस बात का डर था कि कहीं मां पूरी जायदाद भांजी लवीशा के नाम न लिख दे, जो उस के साथ आ कर रहने लगी थी. इसलिए उस ने मामा ससुर के साथ मिल कर मां की हत्या की योजना बना कर मदन को फोन किया.

वास्तव में रवि को पता था कि मां का प्रेमी मदन सेन भी अब उस से तंग आ चुका है. इसलिए रवि ने मदन को अपनी योजना बताई तो मदन इस में साथ देने को राजी हो गया. जिस के बाद घटना वाले दिन मामा ससुर दिलीप और रवि गांव पहुंचे तो वहां से मदन भी उन के साथ हो गया.

आधी रात के बाद तीनों ने चुपचाप घर में घुस कर सो रही जसवंती और उस की नातिन के सिर पर मूसल और हथौड़ी से वार कर उन की हत्या कर दी. पुलिस इस घटना को लूट की वारदात समझे, इसलिए रवि हत्या के बाद जसवंती का मंगलसूत्र और लविशा की पायल उतार कर साथ ले गया.

तीनों को भरोसा था कि पुलिस उन पर कभी शक नहीं करेगी. लेकिन पुलिस ने 7 दिनों में ही मामले का खुलासा कर दिया.

ललिता की खतरनाक लीला : पति बना दुश्मन

32 वर्षीया ललिता झारखंड के कोडरमा जिले के गांव दौंलिया की रहने वाली थी. उस की मां का नाम राजवती और पिता का नाम दुल्ली था. वह 4 भाइयों की इकलौती बहन थी. इसलिए घर में सभी की लाडली थी.

16 साल की होते ही उस पर यौवन की बहारें मेहरबान हो गई थीं. बाद में समय ऐसा भी आया कि वह किसी प्रेमी की मजबूत बांहों का सहारा लेने की कल्पना करने लगी. गांव के कई नवयुवक ललिता पर फिदा थे.

ललिता भी अपनी पसंद के लड़के से नैन लड़ाने लगी. इस के बाद तो दिन प्रतिदिन उस की आकांक्षाएं बढ़ने लगीं तो अनेक लड़कों के साथ उस के नजदीकी संबंध हो गए.

दुल्ली के कुछ शुभचिंतक उसे आईना दिखाने लगे, ‘‘तुम्हारी बेटी ने तो यारबाजी की हद कर दी. वह खुद तो खराब है, गांव के लड़कों को भी खराब कर रही है. लड़की जब दरदर भटकने की शौकीन हो जाए तो उसे किसी मजबूत खूंटे से बांध देना चाहिए. जितनी जल्दी हो सके, ललिता का विवाह कर दो, वरना तुम बहुत पछताओगे.’’

अपमान का घूंट पीने के बाद दुल्ली ने एक दिन ललिता को समझाया. उसी दौरान मां राजवती ने ललिता की पिटाई करते हुए चेतावनी दी, ‘‘आज के बाद तेरी कोई ऐसीवैसी बात सुनने को मिली तो मैं तुझे जिंदा जमीन में दफना दूंगी.’’

उस समय ललिता ने कसम खा कर किसी तरह अपनी मां को यकीन दिला दिया कि वह किसी लड़के से बात नहीं करेगी.

ललिता बात की पक्की नहीं, बल्कि ख्वाहिशों की गुलाम थी. कुछ समय तक ललिता ने अपनी जवानी के अरमानों को कैद रखा, लेकिन अरमान बेलगाम हो कर उस के जिस्म को बेचैन करते तो वह अंकुश खो बैठी और फिर से लड़कों के साथ मटरगश्ती करने लगी.

लेकिन यह मटरगश्ती अधिक दिनोें तक नहीं चल सकी. इस की वजह थी कि उस के पिता दुल्ली ने उस का रिश्ता तय कर दिया था.

ललिता का विवाह कोडरमा जनपद के ही गांव करौंजिया निवासी काली रविदास के बेटे सिकंदर रविदास से तय हुआ था.

सिकंदर किसान था और एकदम सीधासादा इंसान था. लेकिन एक पैर से दिव्यांग था. उस का एक छोटा भाई जितेंद्र रविदास था. सिकंदर की उम्र विवाह योग्य हो चुकी थी, इसलिए ललिता का रिश्ता सिकंदर के लिए आया तो काली रविदास मना नहीं कर सके.

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12 साल पहले दोनों का विवाह बड़ी धूमधाम से हो गया. कालांतर में ललिता 3 बेटों की मां बन गई.

विवाह के बाद से ही सिकंदर ललिता के साथ अलग मकान में रहने लगा था. सिकंदर का छोटा भाई जितेंद्र अपने मातापिता के साथ रहता था.

सिकंदर दिव्यांग होने पर भी खेतों में दिनरात मेहनत करता रहता था. इसलिए जब वह घर पर आता तो थकान से चूर हो कर सो जाता था, जिस से ललिता की ख्वाहिशें अधूरी रह जाती थीं.

पति के विमुख होने से ललिता बेचैन रहने लगी. इस स्थिति में कुछ औरतों के कदम गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं, ऐसा ही ललिता के साथ भी हुआ. अब उसे ऐसे शख्स की तलाश थी, जो उसे भरपूर प्यार दे और उस की भावनाओं की इज्जत करे.

उस शख्स की तलाश में उस की नजरों को अधिक भटकना नहीं पड़ा. घर में ही वह शख्स उसे मिल गया, वह था जितेंद्र. सिकंदर जहां अपने भविष्य के प्रति गंभीर तथा अपनी जिम्मेदारियों को समझने वाला था, वहीं जितेंद्र गैरजिम्मेदार था. जितेंद्र का किसी काम में मन नहीं लगता था.

जितेंद्र की निगाहें ललिता पर शुरू से थीं. वह देवरभाभी के रिश्ते का फायदा उठा कर ललिता से हंसीमजाक भी करता रहता था.  जितेंद्र की नजरें अपनी ललिता भाभी का पीछा करती रहती थीं. दरअसल जितेंद्र ने ललिता को विवाह मंडप में जब पहली बार देखा था, तब से ही वह उस के हवास पर छाई हुई थी.

अपने बड़े भाई सिकंदर के भाग्य से उसे ईर्ष्या होने लगी थी. वह सोचता था कि ललिता जैसी सुंदरी के साथ उस का विवाह होना चाहिए था. काश! ललिता उसे पहले मिली होती तो वह उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाता और उस की जिंदगी इस तरह वीरान न होती, उस की जिंदगी में भी खुशियां होतीं.

ललिता के रूप की आंच से आंखें सेंकने के लिए ही वह ललिता के घर के चक्कर लगाता. चूंकि वह घर का ही सदस्य था, इसलिए उस के आनेजाने और वहां हर समय बने रहने पर कोई शक नहीं करता था. जितेंद्र की नीयत साफ नहीं थी, इसलिए वह ललिता से आंखें लड़ा कर और हंसमुसकरा कर उस पर डोरे डाला करता था.

सिकंदर सुबह खेत पर जाता तो दीया बाती के समय ही लौट कर आता. जितेंद्र के दिमाग में अब तक ललिता के रूप का नशा पूरी तरह हावी हो गया था. इसलिए ललिता को पाने की चाह में उस के सिकंदर के घर के फेरे जरूरत से ज्यादा लगने लगे.

ललिता घर पर अकेली होती थी, इसलिए जितेंद्र के पास मौके ही मौके थे. एक दिन जितेंद्र दोपहर के समय आया तो ललिता दोपहर के खाने में तहरी बनाने की तैयारी कर रही थी, जिस के लिए आलू व टमाटर काट रही थी. जितेंद्र ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘लगता है, आज अपने हाथों से स्वादिष्ट तहरी बनाने जा रही हो.’’

‘‘हां, खाने का इरादा है क्या?’’

‘‘मेरा ऐसा नसीब कहां, जो तुम्हारे हाथों का बना स्वादिष्ट खाना खा सकूं. नसीब तो सिकंदर भैया का है, जो आप जैसी रूपसी उन को पत्नी के रूप में मिलीं.’’

यह सुन कर ललिता मुसकान बिखेरती हुई बोली, ‘‘ठीक है, मुझ से विवाह कर के तुम्हारे भैया ने अपनी किस्मत चमका ली तो तुम भी किसी लड़की की मांग में सिंदूर भर कर अपनी किस्मत चमका लो.’’

‘‘मुझे कोई दूसरी नहीं, तुम पसंद हो. भाभी, अगर तुम तैयार हो तो मैं तुम्हारे साथ अपना घर बसाने को तैयार हूं.’’

ललिता जितेंद्र के रोज हावभाव पढ़ती रहती थी. इसलिए जान गई थी कि जितेंद्र के दिल में उस के लिए नाजुक एहसास है. लेकिन वह इस तरह चाहत जाहिर कर के उस से प्यार की सौगात मांगेगा, ललिता ने सोचा तक न था.

अचानक सामने आई ऐसी असहज स्थिति से निपटने के लिए वह उस से आंखें चुराने लगी और कटी हुई सब्जी उठा कर रसोई की तरफ चल दी. तभी उस के बच्चे भी घर आ गए. प्यार में विघ्न पड़ता देख कर जितेंद्र भी वहां से उठ गया.

उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, वह ललिता के पास पहुंच जाता और अपने प्यार का विश्वास दिलाता. धीरेधीरे ललिता को उस के प्यार पर यकीन होने लगा. उसे भी अपने प्रति जितेंद्र की दीवानगी लुभाने लगी थी. उस की दीवानगी को देख कर ललिता के दिल में उस के लिए प्यार उमड़ पड़ा. कल तक जो ललिता जितेंद्र के हवास पर छाई थी, अब जितेंद्र ललिता के हवास पर छा गया.

एक दिन जितेंद्र ने फिर से ललिता के सामने अपने प्यार का तराना सुनाया तो वह बोली, ‘‘जितेंद्र, मेरे प्यार की चाहत में पागल होने से तुम्हें क्या मिलेगा. मैं विवाहित होने के साथसाथ 3 बच्चों की मां भी हूं. इसलिए मुझे पाने की चाहत अपने दिल से निकाल दो.’’

‘‘यही तो मैं नहीं कर पा रहा, क्योंकि यह दिल पूरी तरह से तुम्हारे प्यार में गिरफ्तार है.’’

ललिता कुछ नहीं बोल सकी. जैसे उस के जेहन से शब्द ही मिट गए थे. जितेंद्र ने अपने हाथ उस के कंधे पर रख दिए, ‘‘भाभी, कब तक तुम अपने और मेरे दिल को जलाओगी. कुबूल कर लो, तुम्हें भी मुझ से प्यार है.’’

ललिता ने सिर झुका कर जितेंद्र की आंखों में देखा और फिर नजरें नीची कर लीं. प्रेम प्रदर्शन के लिए शब्द ही काफी नहीं होते, शारीरिक भाषा भी मायने रखती है. जितेंद्र समझ गया कि मुद्दत बाद सही, ललिता ने उस का प्यार कुबूल कर लिया है. उस ने ललिता के चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. ललिता भी सुधबुध खो कर जितेंद्र से लिपट गई.

उस समय मन के मिलन के साथ तन की तासीर ऐसी थी कि ललिता का जिस्म पिघलने लगा.  इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. यह बात करीब 6 साल पहले की है. बाद में यह मौका मिलने पर चलता रहा.

13 मई, 2021 को दोपहर करीब 12 बजे सिकंदर दास लोचनपुर गांव के निजी कार चालक विजय दास के साथ चरवाडीह के संजय दास के यहां शादी समारोह में गया. सिकंदर और विजय दोनों कार से गए थे. कार विजय की थी. साढ़े 3 बजे शादी से दोनों निकल आए. लेकिन सिकंदर दास घर नहीं लौटा.

उस के नंबर पर सिकंदर के चाचा ने फोन किया गया तो विजय ने उठाया. उस से पूछा गया कि सिकंदर कहां है तो विजय द्वारा अलगअलग ठिकाने का पता बताते हुए फोन काट दिया. इस के बाद सिकंदर की काफी तलाश की गई, वह नहीं मिला.

16 मई को ललिता ने कोडरमा के थानाप्रभारी और एसपी को एक पत्र दिया, जिस में उस ने अपने पति सिकंदर दास के लापता होने की बात लिखी. सिकंदर के गायब होने का आरोप उस ने कार चालक विजय दास पर लगाया था.

चूंकि मामला चांदवारा थाना क्षेत्र के करौंजिया गांव का था. इसलिए एसपी पुलिस ने मामला चांदवारा थाने में ट्रांसफर कर दिया. चांदवारा थाने के थानाप्रभारी सोनी प्रताप सिंह ने पूरा मामला जान कर थाने में सिकंदर की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

थानाप्रभारी सोनी प्रताप ने 20 मई को जामू खाड़ी से विजय दास को गिरफ्तार कर लिया. सख्ती से पुलिस ने पूछताछ की तो विजय ने सिकंदर की हत्या करने की बात स्वीकारी. उस ने इस हत्या में सिकंदर की पत्नी ललिता और भाई जितेंद्र का भी हाथ होने की बात बताई.

20 मई को विजय के बाद ललिता और जितेंद्र को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर रात में कोटवारडीह के बंद पड़े मकान से सिकंदर की लाश बरामद कर ली. वह अर्द्धनिर्मित मकान सिकंदर का था. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद चांदवारा थाने के थानाप्रभारी सोनी प्रताप सिंह अभियुक्तों को ले कर थाने आ गए. थाने में सख्ती से की गई पूछताछ में उन्होंने हत्या के पीछे की पूरी कहानी बयां कर दी.

एक दोपहर को जितेंद्र और ललिता घर में बेधड़क रंगरलियां मना रहे थे कि अचानक किसी काम से सिकंदर खेतों से घर लौटा तो उस ने उन दोनों को रंगरलियां मनाते रंगेहाथों पकड़ लिया.

यह देख कर उसे एक बार तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि उस की पत्नी ऐसा भी कर सकती है. वह ललिता पर खुद से भी ज्यादा विश्वास करता था. लेकिन हकीकत तो सामने उस की दगाबाजी की तरफ इशारा कर रही थी. दूसरी ओर सगा छोटा भाई जितेंद्र था, जिसे वह बहुत प्यार करता था, उस का खूब खयाल रखता था. वही उस की गृहस्थी में आग लगा रहा था.

अपनों की इस दगाबाजी से सिकंदर इतना आहत हुआ कि उस ने पूरे घर को सिर पर उठा लिया. ललिता और जितेंद्र ने भी उस से अपनी गलती की माफी मांग ली और भविष्य में ऐसा कुछ न करने का वादा किया तो सिकंदर शांत हुआ.

जितेंद्र और ललिता ने उस समय तो अपनी जान छुड़ाने के लिए वादा कर दिया था, लेकिन वे इस पर अमल करने को कतई तैयार नहीं थे. लेकिन उन का भेद खुल चुका था, इसलिए मिलन में उन को बहुत ऐहतियात बरतनी पड़ती थी. वे चोरीछिपे फिर से मिल लेते थे.

सिकंदर ने देखा तो उस ने विरोध किया. मामला घर की चारदीवारी से निकल कर गांव के लोगों तक पहुंच गया. पंचायत तक बैठ गई. भरी पंचायत में ललिता ने जितेंद्र के साथ रहने की बात कही. लेकिन फैसला न हो सका.

इस के बाद सिकंदर उन दोनों के बीच की एक बड़ी दीवार था, जिसे गिराए बिना वे हमेशा के लिए एक नहीं हो सकते थे. इसलिए ललिता और जितेंद्र ने सिकंदर की हत्या करने की ठान ली.

सिकंदर दास ने विजय दास से लोन दिलाने के नाम पर डेढ़ लाख रुपए लिए थे. सिकंदर ने जब लोन नहीं दिलाया तो विजय उस से अपने दिए रुपए वापस मांगने लगा. सिकंदर रुपए देने में टालमटोल कर रहा था. ऐसे में ललिता ने जितेंद्र से बात कर के विजय को अपने प्लान में शामिल करने की बात कही. उस ने यह भी कहा कि सिकंदर का काम तमाम होने के बाद वह अकेले विजय को उस की हत्या में फंसवा देगी, जिस से वे दोनों बच जाएंगे.

जितेंद्र को उस की बात सही लगी. दोनों ने विजय से बात की तो वह सिकंदर की हत्या में उन दोनों का साथ देने को तैयार हो गया.

13 मई, 2021 को एक शादी समारोह से लौटने के बाद विजय सिकंदर को ले कर कोटवारडीह में उस के अर्धनिर्मित मकान पर ले गया. वहां ललिता और जितेंद्र पहले से मौजूद थे. तीनों ने मिल कर सिकंदर की गला दबा कर हत्या कर दी और लाश एक कमरे में डाल कर कमरा बंद कर दिया.

लेकिन सिकंदर की हत्या में विजय को फंसाने की योजना ही ललिता और जितेंद्र को भारी पड़ गई. ललिता ने उस पर शक जताया तो पुलिस विजय को पकड़ कर उन तक पहुंच गई. तीनों अभियुक्तों के खिलाफ हत्या व साक्ष्य छिपाने का मुकदमा दर्ज कर के चांदवारा पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

आशिकी में बेटी की बलि : बेटी आई प्रेम के आड़े

राजस्थान के कोटा जिले के थाना बुढ़ादीव के गांव बोरखेड़ा में सुमित पुत्र हरदेव यादव अपनी पत्नी पुष्पा यादव उर्फ टीना (25 वर्ष) और इकलौती बेटी नंदिनी (4 साल) के साथ रहता था. सुमित सीधासादा इंसान था. वहीं उस की पत्नी टीना उर्फ पुष्पा रंगीनमिजाज युवती थी. सुमित का दिन जहां मेहनतमजदूरी करने में बीतता था, वहीं टीना का दिन मोबाइल देख कर गुजरता था.

सुमित और टीना की शादी को करीब 6 साल हो चुके थे. इन 6 सालों में टीना एक बेटी नंदिनी की मां बन गई थी. उस का बदन कसा था और हसरतें उफान पर थीं. वह चाहती थी कि सुमित उसे सारी रात बांहों में भर कर जन्नत की सैर कराए. मगर इस के उलट सुमित दिन भर कामधंधे में खपने के कारण इतना थक जाता था कि शाम को घर लौट कर खाना खा कर बिस्तर पर जा पड़ता था.

टीना जब रसोई का काम निपटा कर पति के पास आती तो वह नींद में खर्राटे भरता मिलता था. यह देख कर टीना का मन कसैला हो जाता था. वह दिन भर इसी सोच में रहती कि आज पति उसे शारीरिक सुख देगा. मगर रात में थकामांदा पति उसे सोता मिलता.

वह कभीकभी सोचा करती कि कैसे मर्द से ब्याह किया जो घोड़े बेच कर हर रात सो जाता है. उसे तनिक भी बीवी को प्यार करने की इच्छा नहीं होती. औरत भूखी रह सकती है मगर वह बिना शारीरिक प्यार के नहीं रह सकती.

सुमित कभीकभार ही टीना से शारीरिक संबंध बनाता था. मगर टीना चाहती थी कि उसे पति हर रात प्यार करे. वह पति से शर्म के मारे कह नहीं पाती थी.

समय का पहिया घूमता रहा. एक दिन टीना किसी रिश्तेदार को मोबाइल पर फोन लगा रही थी. 3-4 बार घंटी बजने के बाद फोन उठा कर कोई शख्स बोला, ‘‘हैलो.’’

‘‘हां जी, आप कौन बोल रहे हैं?’’ टीना ने कहा तो फोन उठाने वाला बोला, ‘‘आप कौन हैं?’’

‘‘मैं तो टीना बोल रही हूं बोरखेड़ा, कोटा से.’’

‘‘टीना जी, मैं प्रह्लाद सहाय जयपुर से बोल रहा हूं. कहिए मैं आप की क्या सेवा करूं. फोन कैसे किया?’’ उस शख्स ने कहा.

सुन कर टीना बोली, ‘‘सौरी, आप को रौंग नंबर लग गया. मैं कहीं और फोन लगा रही थी.’’

‘‘रौंग नंबर लगा तो कोई बात नहीं. हम दोस्त तो बन ही सकते हैं. फोन पर बात कर के अच्छा लगा. वैसे आप की आवाज बड़ी मीठी और प्यारी है.’’ प्रह्लाद बोला.

‘‘तारीफ के लिए शुक्रिया. वैसे बातें आप भी बड़ी प्यारी करते हैं. मैं नंबर सेव कर लेती हूं. फुरसत में बात करते हैं.’’

‘‘ओके, मैं भी आप का नंबर सेव कर लेता हूं.’’ प्रह्लाद सहाय बोला.

टीना ने काल डिसकनेक्ट कर दी. दोनों ने एकदूसरे के नंबर सेव कर लिए.

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रौंग नंबर से शुरू हुई इस बातचीत के बाद वह दोनों अकसर फोन पर करने लगे. बात नहीं करने पर उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लगता था. एक दिन दोनों ने फोन पर बातों ही बातों में प्यार का इजहार कर दिया और टीना ने प्रेम आमंत्रण स्वीकार भी कर लिया.

प्रह्लाद को टीना ने बता दिया था कि वह एक 6 साल की बेटी नंदिनी की मां है. प्रह्लाद ने टीना से कहा कि वह नंदिनी को अपनी बेटी बना लेगा और पालनपोषण करेगा.

टीना यादव यह जान कर बहुत खुश हुई कि उस का प्रेमी उस की बेटी को अपना रहा है. वह उस की प्यार भरी बातों के जाल में उलझती चली गई. वह भूल गई कि वह शादीशुदा और एक बेटी की मां है.

टीना भूल गई कि उस के मातापिता ने उसे डोली में बिठा कर विदा करते हुए कहा था, ‘‘बेटी, सुखदुख, अमीरीगरीबी आतेजाते रहेंगे. मगर ससुराल के घर से तेरी अर्थी ही उठनी चाहिए. इस के अलावा ससुराल के घर से कभी कदम बाहर नहीं रखना.’’

टीना प्रह्लाद पर इतना विश्वास करने लगी कि वह पति का घर छोड़ कर उस के पास जाने को तैयार हो गई थी. पति के साथ अग्नि के समक्ष सात फेरे ले कर जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाने वाली टीना शादी के मात्र 6 साल बाद ही पति की पीठ में खंजर घोंप कर प्रेमी का घर आबाद करने को उतावली हो रही थी.

सुमित को तो अपने कामधंधे से ही फुरसत नहीं थी. उसे पता नहीं था कि जिस की खुशी के लिए वह मेहनतमजदूरी करता है कि उसे किसी तरह की परेशानी नहीं हो. लेकिन वही बीवी किसी गैरमर्द को अपना बना चुकी है और वह घर से फुर्र होने वाली है.

सुमित तो सोचता था कि टीना उस के साथ खुश है. वह उस की खुशी के लिए क्या कुछ नहीं करता था. 11 नवंबर, 2020 को भी हर रोज की तरह सुमित काम पर निकल गया. शाम को घर लौटा तो उस की बीवी टीना और बेटी नंदिनी घर पर नहीं थी.

आसपड़ोस में सुमित ने बीवी और बेटी की खोजबीन की मगर वे नहीं मिलीं. सुमित ने टीना के मोबाइल पर भी फोन किया. मगर मोबाइल स्विच्ड औफ था.

सुमित कई दिन तक अपने स्तर पर बीवी और बेटी की खोजबीन करता रहा. जब उन की कोई खोजखबर नहीं मिली तो थकहार कर वह 16 दिसंबर, 2020 को बुढ़ादीत थाने पहुंचा. सुमित ने थानाप्रभारी अविनाश कुमार को सारी बात बता कर पत्नी और बेटी नंदिनी की गुमशुदगी लिखा दी.

गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस की बहुत दिन तक नींद नहीं खुली. जब सुमित थाने के चक्कर पर चक्कर काटने लगा तो पुलिस हरकत में आई. इस के बाद इटावा डीएसपी विजयशंकर शर्मा के निर्देशन व थाना बुढ़ादीत थानाप्रभारी  अविनाश कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की गई.

इस पुलिस टीम में थानाप्रभारी अविनाश कुमार के अलावा हैडकांस्टेबल सुरेशचंद्र वर्मा, सतपाल, प्रह्लाद, पूरन सिंह, महिला कांस्टेबल माली को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने मामले की जांच शुरू की. तकनीकी जांच और मुखबिर से पता चला कि सुमित की पत्नी टीना उर्फ पुष्पा जयपुर जिले के थाना मनोहरपुर के गांव उदावाला में प्रेमी प्रह्लाद सहाय के साथ रह रही है.

पुलिस टीम ने 13 मई, 2021 को सुमित की पत्नी टीना और उस के प्रेमी प्रह्लाद सहाय को हिरासत में ले लिया. लेकिन टीना के साथ उस की बेटी नंदिनी नहीं थी. टीना और प्रह्लाद से पुलिस टीम ने नंदिनी के बारे में पूछताछ की.

टीना ने बताया कि नंदिनी अपने दादादादी के पास है. पुलिस ने पता किया. दादादादी के पास नंदिनी नहीं थी. तब पुलिस ने प्रह्लाद सहाय से और टीना से अलगअलग पूछताछ की. टीना ने बताया कि नंदिनी को बसस्टैंड पर अकेली छोड़ दिया था.

पुलिस को उस की बातों पर यकीन नहीं था. इस कारण पुलिस ने गुमराह कर रहे प्रह्लाद व टीना से कड़ी पूछताछ की तो दोनों ने नंदिनी की हत्या की बात कबूल ली.

टीना को जब पता चला कि उस के प्रेमी ने नंदिनी की हत्या की स्वीकारोक्ति कर ली है, तब टीना भी टूट गई. उस ने भी बेटी की हत्या का गुनाह कबूल कर लिया.

प्यार की खातिर मासूम बेटी की हत्या की बात सुन कर पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गई. पूछताछ करने पर टीना की एक ऐसी कुमाता वाली छवि उभर कर सामने आई, जिस ने अपने से 20 बरस बड़े प्रेमी प्रह्लाद की खातिर इकलौती बेटी की हत्या कर उस का शव सरिस्का जंगल में फेंक दिया.

दोनों आरोपियों से की गई पूछताछ के बाद प्यार में अंधी एक औरत की जो कहानी प्रकाश में आई, इस प्रकार है—

राजस्थान के कोटा जिले के बुढ़ादीत थानांतर्गत बोरखेड़ा गांव निवासी सुमित यादव से टीना उर्फ पुष्पा की शादी हो जरूर गई थी, लेकिन वह उस से खुश नहीं थी. क्योंकि वह उस की शारीरिक जरूरत को नहीं समझता था. इसीलिए वह अपने पति को पसंद नहीं करती थी. मगर लोकलाज के कारण वह उसे ढो रही थी.

टीना की हसरतें उफान मारती थीं. मगर सुमित को इस की परवाह नहीं थी. टीना 4 साल की बेटी की मां हो गई थी, लेकिन वह इतनी खूबसूरत थी कि उस का गदराया बदन देख कर कोई भी मर्द उसे पाने को बेताब हो उठता था.

ऐसे में जयपुर के गांव उदावाला, निवासी प्रह्लाद सहाय से रौंग काल के जरिए उस की बात हुई तो उसे लगा कि प्रह्लाद उस के लिए ही बना है. इसलिए उस ने उस से नजदीकी बढ़ा ली.

बातोंबातों में दोनों इतने खुल गए कि फोन पर प्यार का इजहार हो गया. इतना ही नहीं, दोनों ने जीवन भर साथ निभाने का फैसला भी ले लिया.

एक दिन उस से प्रह्लाद ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी बेटी को अपनी बेटी के रूप में स्वीकार कर लूंगा. तुम उसे ले कर जयपुर के लिए निकल जाओ. मैं तुम दोनों को घर ले आऊंगा.’’

यह सुन कर टीना खुश हो गई. फिर वह 11 नवंबर, 2020 को पति सुमित के काम पर जाने के बाद अपनी बेटी नंदिनी को ले कर बोरखेड़ा से जयपुर आ गई, जहां से प्रह्लाद टीना और नंदिनी को ले कर अपने गांव उदावाला आ गया. टीना और प्रह्लाद पतिपत्नी की तरह रहने लगे. प्रह्लाद ने आसपड़ोस में कहा कि उस ने टीना से लव मैरिज की है.

प्रह्लाद अधेड़ उम्र का था वहीं टीना जवान थी. टीना जैसी सुंदर प्रेमिका पा कर प्रह्लाद निहाल हो गया था. प्रह्लाद ने टीना को तनमनधन से सुख दिया. टीना अपने प्रेमी की दीवानी हो गई. प्रह्लाद भी स्त्री सुख से वंचित था. अधेड़ उम्र में जब जवान प्रेमिका मिली तो वह रोजाना अपनी हसरतें पूरी करता.

दोनों मौजमस्ती से दिन गुजार रहे थे. 9 जनवरी, 2021 की शाम नंदिनी सीढि़यों से गिर कर घायल हो गई. अगले दिन 10 जनवरी को नंदिनी को प्रह्लाद और टीना शाहपुरा अस्पताल ले गए. डाक्टर ने नंदिनी को देख कर कहा कि उसे जयपुर ले जाओ. इस पर प्रह्लाद व टीना नंदिनी को उदावाला घर ले आए.

प्रह्लाद ने टीना से कहा, ‘‘टीना, अगर नंदिनी को जयपुर ले जाएंगे तो लाखों रुपए इलाज में खर्च होंगे. इस के बाद भी क्या पता नंदिनी बचे कि नहीं. ऐसा करते हैं कि पैसा बचाने के लिए नंदिनी को ही मार डालते हैं.’’

सुन कर मां की ममता पसीजने के बजाय बोली, ‘‘सही कह रहे हैं, आप. वैसे सुमित के खून को हमतुम क्यों पालेंपोसें.’’

उसी रात नंदिनी को सोते हुए शाल मुंह पर दबा कर टीना और प्रह्लाद ने मार डाला. रात भर लाश वहीं पड़ी रही. अगले दिन 11 जनवरी, 2021 को नंदिनी का शव ले कर प्रह्लाद और टीना अलवर जिले के सरिस्का जंगल में पहुंचे और सुनसान जगह पर डाल कर वापस उदावला लौट आए.

शाम को उदावला आने पर प्रह्लाद के आसपड़ोस के लोगों ने जब नंदिनी के बारे में पूछा. तब उन से कहा कि नंदिनी को दादादादी के पास छोड़ आए हैं. टीना ने अपनी 4 बरस की बेटी को मारने के बावजूद टीना सामान्य बनी रही.

उस के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी. उलटे वह तो अपने को आजाद महसूस कर रही थी. उधर टीना और नंदिनी के 11 नवंबर, 2020 को घर से गायब होने पर टीना का पति सुमित यादव दोनों की रिश्तेदारी में एक महीने से ज्यादा समय तक खोजबीन करता रहा.

जब कहीं भी बीवी और बेटी का पता नहीं चला तब वह थकहार कर 16 दिसंबर, 2020 को थाना बुढ़ादीत पहुंच कर बीवी टीना उर्फ पुष्पा और बेटी नंदिनी की गुमशुदगी दर्ज कराई. यानी गुमशुदगी दर्ज कराने से पहले ही नंदिनी की हत्या कर दी गई थी. गुमशुदगी के बाद भी पुलिस की नींद देर से खुली.

टीना और नंदिनी के गायब होने के तुरंत बाद अगर सुमित पुलिस थाने में गुमशुदगी की प्राथमिकी दर्ज करा देता और पुलिस समय पर काररवाई करती तो नंदिनी जिंदा होती.

प्रह्लाद सहाय और टीना उर्फ पुष्पा से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

लव ट्रायंगल की लाइफ : पति का किया किनारा – भाग 3

एक दिन उस ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की सोची. फिर बीवी और अपनी बदनामी के डर से चुप रहा. उसे विश्वास था कि सुधा को उस का प्रेम एक न एक दिन खींच लाएगा.

इसी उधेड़बुन में चौथे दिन उसे सागर के भोपाल में ही नए ठिकाने का पता चल गया. वह तुरंत उस के किराए के मकान में गया. सागर मिल गया. सुधा और बच्चे को देखने की इच्छा जताई. उस वक्त सुधा और बच्चे घर में नहीं थे. शायद उन्हें सागर ने कहीं और छिपा रखा था.

सागर ने उस से मिलवाने से साफसाफ इनकार कर दिया. उस ने सख्ती से कहा, अब सुधा उस की बीवी बनने वाली है. शादी से पहले उस का परिचय और मुलाकात किसी से नहीं करवाएगा.

सागर की इस सख्ती वाले तेवर से अक्षय सहम गया. वह नरमी के साथ सागर से विनती करने लगा. उस के सामने गिड़गिड़ाया. हाथ जोड़े. यहां तक कि उस के पैर तक छू कर सुधा और बच्चे को मिलवाने के लिए कहा. फिर भी उसे उस की स्थिति पर तरस नहीं आया.

अक्षय निराशहताश अपने टीटी नगर स्थित कमरे पर लौट आया. करीब 2 हफ्ते बीतने को आए. सागर ड्यूटी पर नहीं आता था. उस ने समझ लिया कि सागर जरूर सुधा के साथ शादी करने के लिए गांव चला गया होगा.

इस बीच सागर के नए ठिकाने पर भी गया. वहां ताला लगा था. अक्षय अब बेहद टूट चुका था. शरीर से भी काफी कमजोर हो गया था.

उस दिन गुरुवार का दिन था. तारीख 21 अक्तूबर 2021 थी. अक्षय का सुबह से ही किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. उस के मन में बहुत कुछ उलटपलट हो रहा था. विचारों का ऐसा घालमेल हो गया था कि जबरदस्त भूख होने के बावजूद कुछ भी खाने की इच्छा नहीं हो रही थी.

सुधा की बेवफाई और उस के द्वारा शादी के समय लिए साथसाथ जीने के कसमेवादे को ध्यान कर वह बेहद तिलमिला गया था. उस रोज वह ड्यूटी पर भी नहीं गया था. सुधा और बच्चे के बारे में सोचतेसोचते उस की कब आंखें लग गईं, पता ही नहीं चला.

शाम को करीब 8 बजे जब उस की नींद खुली, तब उस ने खुद को बेहद कमजोर महसूस किया. किसी तरह से फिर अपने लिए सुबह की पकाई खिचड़ी खा ली, जो कुकर में सुबह से ही बंद थी. सुबह उस ने खिचड़ी पकाई जरूर थी, लेकिन वह ज्यों की त्यों पड़ी थी.

सुबह टीटी नगर की पुलिस को अक्षय के फांसी पर झूलने की सूचना मिली, जो उस के पड़ोसी ने दी थी. पड़ोस के ही एक बच्चे ने खिड़की से अक्षय को फांसी पर झूलते तब देखा था, जब वह बाजार जा रहा था.

दरअसल, अक्षय ने उसे कह रखा था कि वह जब भी सुबह में दूध लाने बाजार जाए, तब उस के लिए भी दूध लाने के लिए मिल ले. इस कारण वह लड़का सुबह अक्षय के घर आया था. कुछ समय तक पीटने पर भी दरवाजा नहीं खुला, तब उस ने खिड़की के पास जा कर आवाज लगाई.

उस का भी कोई जवाब नहीं मिलने पर उस ने भिड़े हुए खिड़की के दरवाजे को धकेल दिया था. तभी उस की नजर फांसी पर लटके अक्षय पर गई थी और भाग कर इस की जानकारी उस ने अपने पिता को दी. उस के पिता ने तुरंत पुलिस को इस की सूचना दे दी.

पुलिस टीम घटनास्थल पर आ गई. उस ने देखा कि अक्षय ने साड़ी का फंदा बना कर फांसी लगा ली थी. तुरंत उस के घर वालों को भी इस की जानकारी दी गई. उस की मां कुसुम बाई और उस के भाई निलेश पड़ोसियों की मदद से उसे जेपी अस्पताल ले कर गए. लेकिन डाक्टर ने अक्षय को मृत घोषित कर दिया.

अक्षय की मौत की खबर तेजी से फैल गई. लोकल चैनल पर उस की मौत की खबर प्रसारित होने लगी. उस के जरिए सुधा और सागर को भी अक्षय के आत्महत्या की जानकारी मिल गई. सुधा भाग कर अक्षय के घर जा पहुंची. घर पर कोई नहीं था. आसपास सन्नाटा पसरा था. सभी अक्षय की लाश को ले कर अस्पताल जा चुके थे.

सुधा विचलित हो गई थी. उस ने फटाफट पास खड़ी मोटरसाइकिल से पैट्रोल निकाला और कमरे में जा कर खुद पर उड़ेल लिया. तुरंत उस ने खुद को आग लगा दी. इसी बीच बच्चा ‘मम्मीमम्मी’ पुकारता कमरे में आया और उसे पकड़ना चाहा, लेकिन बच्चा डर कर भाग गया.

आग के तेजी से फैले धुएं को देख कर पासपड़ोस के लोग आए. उन्होंने किसी तरह से आग बुझाई, लेकिन तब तक वह काफी जल चुकी थी. उसे भी जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उस की मौत हो गई.

अक्षय की मौत को ले कर उस के भाई निलेश ने पुलिस से सागर पर मुकदमा चलाने के लिए कहा. उस का कहना था कि सागर ने अक्षय को धोखा दिया था.

उस ने उस की पत्नी सुधा को प्रेम जाल में फंसाया. और फिर सुधा अक्षय को छोड़ कर उसी दोस्त के साथ उस के घर पर रहने लगी. साथ में बेटे को भी ले गई. इस बात से अक्षय बहुत दुखी था.

पुलिस को अक्षय के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ है. इस सुसाइड नोट में उस ने लिखा है कि पत्नीबच्चे से मिलाने के लिए सागर के पैर तक छुए, लेकिन उस ने पत्नीबेटे से मिलने नहीं दिया. सागर ने मेरा जीवन तबाह कर दिया. मैं पत्नी और सागर की वजह से जान दे रहा हूं.

पुलिस ने सागर को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. सुधा के बहके कदमों ने उसी के हंसतेखेलते परिवार को उजाड़ दिया.

पराई मोहब्बत में दी जान : धोकेबाज प्रेमी – भाग 3

‘‘क्या तुम प्यार की जगह अपने तन का सौदा करना चाहती हो?’’ दलबीर ने पूछा.

‘‘जब प्यार की जगह स्वार्थ पनप गया हो तो समझ लो कि मैं भी तन का सौदा करना चाहती हूं. अब तुम मेरे शरीर से तभी खेल पाओगे, जब एक लाख रुपया मेरे हाथ में थमाओगे.’’

‘‘यदि रुपयों का इंतजाम न हो पाया तो..?’’ दलबीर ने पूछा.

‘‘…तो मुझे भूल जाना.’’

दलबीर को सपने में भी उम्मीद न थी कि सरिता तन के सौदे की बात करेगी. उसे उम्मीद थी कि वह उस से माफी मांग कर तथा कुछ आर्थिक मदद कर उसे मना लेगा. पर ऐसा नहीं हुआ बल्कि सरिता ने उस से बड़ी रकम की मांग कर दी.

इस के बाद सरिता और दलबीर में दूरियां और बढ़ गईं. जब कभी दोनों का आमनासामना होता और दलबीर सरिता को मनाने की कोशिश करता तो वह एक ही जवाब देती, ‘‘मुझे तन के बदले धन चाहिए.’’

13 जनवरी, 2021 की सुबह 5 बजे दलबीर सिंह ने सरिता को फोन कर के अपने प्लौट में बनी झोपड़ी में बुलाया. सरिता को लगा कि शायद दलबीर ने रुपयों का इंतजाम कर लिया है. सो वह वहां जा पहुंच गई.

सरिता के वहां पहुंचते ही दलबीर उस के शरीर से छेड़छाड़ तथा प्रणय निवेदन करने लगा. सरिता ने छेड़छाड़ का विरोध किया और कहा कि वह तभी राजी होगी, जब उस के हाथ पर एक लाख रुपया होगा.

सरिता के इनकार पर दलबीर सिंह जबरदस्ती करने लगा. सरिता ने तब गुस्से में उस की नाक पर घूंसा जड़ दिया. नाक पर घूंसा पड़ते ही दलबीर तिलमिला उठा. उस ने पास पड़ी ईंट उठाई और सरिता के सिर पर दे मारी.

सरिता का सिर फट गया और खून की धार बह निकली. इस के बाद उस ने उस के सिर पर ईंट से कई प्रहार किए. कुछ देर छटपटाने के बाद सरिता ने दम तोड़ दिया. सरिता की हत्या के बाद दलबीर सिंह फरार हो गया.

इधर कुछ देर बाद सरिता की देवरानी आरती किसी काम से प्लौट पर गई तो वहां उस ने झोपड़ी में सरिता की खून से सनी लाश देखी. वह वहां से चीखती हुई घर आई और जानकारी अपने पति मुकुंद तथा जेठ अरविंद को दी.

दोनों भाई प्लौट पर पहुंचे और सरिता का शव देख कर अवाक रह गए. इस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई और मौके पर भीड़ जुटने लगी.

इसी बीच परिवार के किसी सदस्य ने थाना फफूंद पुलिस को सरिता की हत्या की सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह पुलिस फोर्स के साथ लालपुर गांव की ओर रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. कुछ देर बाद ही एसपी अपर्णा गौतम, एएसपी कमलेश कुमार दीक्षित तथा सीओ (अजीतमल) कमलेश नारायण पांडेय भी लालपुर गांव पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा मृतका सरिता के पति अरविंद दोहरे तथा अन्य लोगों से पूछताछ की. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए तथा फिंगरप्रिंट लिए.

एसपी अपर्णा गौतम ने जब मृतका के पति अरविंद दोहरे से हत्या के संबंध में पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की पत्नी सरिता के दलबीर सिंह से नाजायज संबंध थे, जिस का वह विरोध करता था. इसी नाजायज रिश्तों की वजह से सरिता की हत्या उस के प्रेमी दलबीर सिंह ने की है. दलबीर और सरिता के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव चल रहा था.

अवैध रिश्तों में हुई हत्या का पता चलते ही एसपी अपर्णा गौतम ने थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह को आदेश दिया कि वह आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार करें.

आदेश पाते ही राजेश कुमार सिंह ने मृतका के पति अरविंद दोहरे की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 तथा (3) (2) अ, एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दलबीर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया तथा उस की तलाश में जुट गए.  15 जनवरी, 2021 की शाम चैकिंग के दौरान थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह को मुखबिर से सूचना मिली कि हत्यारोपी दलबीर सिंह आरटीओ औफिस की नई बिल्डिंग के अंदर मौजूद है.

मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी ने आरटीओ औफिस की नई बिल्डिंग से दलबीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. उस की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त खून सनी ईंट तथा खून सने कपड़े बरामद कर लिए.

दलबीर सिंह ने बताया कि सरिता से उस का नाजायज रिश्ता था. सरिता उस से एक लाख रुपए मांग रही थी. इसी विवाद में उस ने सरिता की हत्या कर दी.

राजेश कुमार सिंह ने सरिता की हत्या का खुलासा करने तथा आरोपी दलबीर सिंह को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी अपर्णा गौतम को दी, तो उन्होंने पुलिस लाइन सभागार में प्रैसवार्ता की और आरोपी दलबीर सिंह को मीडिया के समक्ष पेश कर हत्या का खुलासा किया.

16 जनवरी, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त दलबीर सिंह को औरैया कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मृतक पहुंचा सलाखों के पीछे – भाग 3

यह आइडिया आते ही सुदेश ने दिमाग लगाना शुरू कर दिया कि वह खुद को इसी तरह जेल जाने से बचा सकता है. सुदेश ने जब अपनी पत्नी को दिल की बात बताई तो थोड़ी नानुकुर के बाद अनुपमा को भी यह बात पसंद आ गई. वैसे भी कौन पत्नी नहीं चाहेगी कि उस का पति जेल जाने से बच जाए.

काफी विचारविमर्श के बाद सुदेश व अनुपमा ने इस काम के लिए एक मजदूर का इंतजाम करने के लिए अपनी छत को ठीक कराने का बहाना बनाया. इस के लिए सुदेश 18 नवंबर, 2021 को लेबर चौक गया और अपनी कदकाठी के एक मजदूर, जिस का नाम दोमन रविदास था और वह बिहार के गया जिले के अतरी का रहने वाला था, को ले आया.

18 नवंबर को सुदेश ने पहले दिन अपनी छत की स्लैब डलवाई. मजदूर रविदास के कपडे़ काफी पुराने व फटी हालत में थे लिहाजा सुदेश ने उसे अपना ट्रैकसूट पहनने के लिए दे दिया जिस की जर्सी कौफी कलर की थी और लोअर नीले रंग का था.

अगले दिन भी काम होना था, इसलिए सुदेश ने रविदास को अगले दिन फिर आने के लिए कहा.

19 नवंबर को दोमन रविदास उसी के कपड़े पहन कर फिर काम पर आया. शाम होतेहोते जब काम खत्म हो गया तो शाम को दारू पार्टी के बहाने रोक लिया. दोनों ने शराब पीनी शुरू कर दी. इस दौरान सुदेश खुद कम शराब पीता रहा जबकि उस ने रविदास को बड़ेबड़े पैग पिलाने शुरू कर दिए.

रात करीब 9 बजे रविदास को खूब नशा हो गया. इस दौरान सुदेश और उस अनुपमा ने पहले ही तय कर लिया था कि उन्हें क्या करना है. इस दौरान उन्होंने चारपाई के पाये से रविदास के सिर पर ताबड़तोड़ वार कर हत्या कर दी.

यह बात बेटे सुनील को पता नहीं चले इसलिए उस ने सुनील को अपनी परचून की दुकान पर बैठने के लिए भेज दिया था.

सुदेश ने पहले ही तय कर लिया था कि वे रविदास की हत्या कर उसे सुदेश के रूप में अपनी पहचान देगा. इसीलिए एक दिन पहले उस ने अपना ट्रैकसूट रविदास को पहनने के लिए दिया था. खुद को वह दुनिया की निगाहों में मुर्दा करार दे सके, इस के लिए भी उस ने पूरी प्लानिंग कर ली थी.

सुदेश व अनुपमा को जब इत्मीनान हो गया कि रविदास की मौत हो चुकी है तो कमरे को पानी से साफ कर उस के शव को पहले एक पन्नी में लपेटा. उस के बाद उसे बोरी में भर दिया.

रात को करीब 11 बजे जब इलाके में सन्नाटा पसर गया और उस का बेटा भी सो गया तो सुदेश बोरे में भरे रविदास के शव को साइकिल पर रख कर लोनी बौर्डर थाना क्षेत्र की इंद्रापुरी कालोनी में खाली प्लौट में ले गया.

वहां शव को बोरी से निकाल कर उस के चेहरे और शरीर के ऊपरी हिस्से पर अखबार के कागज व टाट की बोरी रख कर जला दिया ताकि शव की पहचान न हो सके.

शव की पहचान सुदेश के रूप में कराने के लिए उस ने अपना आधार कार्ड रविदास की जेब में रख दिया था. पहले से तय योजना के मुताबिक सुदेश अपने घर गया और पत्नी को आ कर बताया कि जब पुलिस उस से रविदास के शव की शिनाख्त कराए तो वह उस की पहचान कर ले.

सुदेश की पूरी प्लानिंग थी कि वह रविदास को सुदेश साबित कर दे, इसलिए पत्नी के साथ बनी योजना के तहत वह इस के बाद चोरीछिपे देर रात में ही घर आता और इस के अलावा इधरउधर छिप कर अपना वक्त बिताता था.

10 दिसंबर को सुदेश ने अपनी पत्नी को फोन कर के कहा कि वह रात को घर आएगा घर की लाइट जला कर रखना. यदि सब कुछ ठीक हो तो गेट पर सफेद कपड़ा डाल देना. यह बात पुलिस ने सर्विलांस के दौरान सुन ली और पुलिस पहले से आरोपी की तलाश में उस के घर पहुंच गई और लाइट जला कर गेट पर सफेद कपड़ा डाल दिया.

सुदेश के पहुंचते ही पुलिस ने आरोपी व उस की पत्नी को दबोच लिया.

पूछताछ में सुदेश ने बताया कि जेल और सजा से बचने के लिए उस ने खौफनाक घटना को अंजाम दिया था. जेल जाने से बचने के लिए उस ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर यह साजिश रची थी. लेकिन उस ने पहली भूल यह कर दी कि काफी प्रयास के बाद भी अपने ही कदकाठी के मजदूर को नहीं तलाश सका था.

सुदेश और अनुपमा की साजिश यह थी कि इस साजिश के पूरा होने पर वे दिल्ली छोड़ कर चले जाएंगे, लेकिन आखिरकार उस के बिना जले आधार कार्ड, सीसीटीवी कैमरे की तसवीरों और दूसरे सबूतों ने उस की खौफनाक साजिश का खुलासा कर दिया.

इस दौरान पुलिस ने करावल नगर थाने और मंडोली जेल से रिकौर्ड निकलवा कर पता कर लिया था कि सुदेश की हाइट 5 फुट 6 इंच है जबकि इंद्रापुरी इलाके में जो शव मिला था, उस की हाइट 5 फुट 3 इंच थी यानी 3 इंच कम.

इसी के बाद पुलिस ने सुदेश के घर की निगरानी शुरू की. उस की पत्नी के फोन को सर्विलांस पर लगाया और वह पुलिस की गिरफ्त में आ गया.

पुलिस ने सुदेश के साथ उस की पत्नी को भी डोमन रविदास की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर हत्या में प्रयुक्त चारपाई का पाया व शव को ठिकाने लगाने वाली साइकिल बरामद कर ली.

सुदेश व अनुपमा की गिरफ्तारी के बाद मुकदमे में भादंवि की धारा 201, 419, 420 व 120बी जोड़ कर उन्हें अदालत में पेश कर दिया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

दूसरी तरफ लोनी बौर्डर पुलिस ने मृतक मजूदर डोमन रविदास की करावल नगर थाने में दर्ज गुमशुदगी को अपने यहां ट्रांसफर करवा ली. रविदास के साथियों के साथ जा कर रविदास के बेटे ने थाना करावल नगर दिल्ली में जा कर घटना के 3 दिन बाद गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

—कथा पुलिस की जांच और आरोपियों तथा पीडि़त परिवार से बातचीत पर आधारित

जीजा के प्यार की धार : शबाना हुई बंदिशों का शिकार

खंडवा थाने की रामनगर चौकी के प्रभारी एसआई सुभाष नावडे, को 29 जून, 2021 की सुबह 9 बजे किसी ने सूचना दी कि चीराखदान तालाब में एक लाश तैर रही है. यह लाश तालाब के पास खेलते हुए बच्चों ने देखी थी. सूचना मिलने के बाद चौकी इंचार्ज सुभाष नावड़े ने सूचना टीआई बी.एल. मंडलोई को दे दी और वह टीम के साथ उस तालाब के पास पहुंच गए, जहां लाश पड़ी होने की खबर मिली थी.

पुलिस ने सब से पहले लाश को पानी से बाहर निकलवाया. वह लाश चादर के साथ चटाई में लिपटी थी. थोड़ी देर में खंडवा थाने के टीआई बी.एल. मंडलोई वहां पहुंच गए.

वह अर्द्धनग्न लाश किसी युवक की थी. पुलिस उस लाश की जांच करने में जुट गई. उस के सिर, गले और हाथ पर धारदार हथियार के निशान थे. तब तक आसपास भीड़ भी लग चुकी थी. संयोग से भीड़ में से एक व्यक्ति ने लाश  की पहचान संजय बामने उर्फ संजू के रूप में की.

कुछ समय में वहां रोती हुई पहुंची महिला ने पुलिस को बताया कि लाश उस के पति की है और उस का नाम शबाना है.

777बरामद लाश को देख कर इतना तो साफ हो गया था कि उस की हत्या कर तालाब में फेंकी गई थी. उस का घर नजदीक के माता चौक पर मल्टी में बताया गया. इस की सूचना मिलते ही मृतक का भाई और परिवार के अन्य सदस्य भी वहां पहुंच गए.

उन्होंने ही बताया कि शबाना संजय की ब्याहता पत्नी नहीं है, बल्कि वह उस के साथ पिछले 2 सालों से लिव इन में रह रही थी. उन्होंने हत्या का सीधा आरोप शबाना पर ही मढ़ दिया. घर वालों से शुरुआती पूछताछ के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

एसपी (खंडवा) ललित गठरे ने इस केस का खुलासा करने के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया. टीम में टीआई बी.एल. मंडलोई, एसआई राजेंद्र सोलंकी, चौकी इंचार्ज (रामनगर) सुभाष नावड़े, परिणीता बेलेकर, एएसआई रमेश मोरे, हिफाजत अली, हैड कांस्टेबल ललित कैथवास, पंकज सोलंकी, कांस्टेबल ब्रजपाल चंदेल, आकाश जादौन, लक्ष्मी चौहान, निकता तिवारी आदि को शामिल किया.

आगे की जांच के लिए पुलिस मल्टी पहुंची, जहां मृतक संजय शबाना के साथ रहता था. टीआई मंडलोई ने उस के घर का बारीकी से मुआयना किया, वहां उन्हें खून के कुछ धब्बे मिले. उन में कुछ धब्बे मिटाने के भी निशान थे.

वहीं शबाना की 13 वर्षीया बेटी मिली. वह काफी घबराई हुई थी. कुछ पड़ोसी भी मौजूद थे. पूछताछ में उन्होंने बताया कि शबाना और संजय के बीच अकसर झगड़ा होता रहता था. संजय खूब शराब पीता था, शराब के नशे में शबाना के साथ वह मारपीट किया करता था.

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इस के अलावा घर में शबाना के बहनोई हाकिम का भी आनाजाना था. यह बात संजय को पसंद नहीं थी. हाकिम के जाने के बाद संजय शबाना पर बेहद नाराज होता था.

इस जानकारी के आधार पर ही सीएसपी ललित गठरे ने शबाना और उस के बहनोई हाकिम को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ के दौरान दोनों ने घुमाफिरा कर जवाब दिए. उन की बातों से पुलिस ने अंदाजा लगा लिया कि यह दोनों बहुत कुछ छिपा रहे हैं और हत्या की जानकारी देने से बचना चाहते हैं.

पुलिस ने जब उन के साथ थोड़ी सख्ती की और संजय के घर से बरामद सामान दिखाए तो वे दोनों टूट गए. फिर उन्होंने राज की सारी बातें बता दीं. उस में जीजासाली के बीच प्रेम कहानी का खुलासा हुआ. साथ ही उन की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल किए गए ब्लेड, खून लगा सिलबट्टा और खून सने कपड़े बरामद कर लिए.

शबाना और हाकिम की प्रेम कहानी के साथ शबाना और संजय के लिवइन रिलेशन की जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार है—

कहानी की शुरुआत शबाना, उस की 32 वर्षीया बड़ी बहन जायरा और 46 वर्षीय हाकिम से होती है. बात तब की है, जब शबाना महज 16 साल की थी. वह खुद से करीब दोगुने उम्र के हाकिम से इश्क कर बैठी थी.

उन की मोहब्बत पर उम्र के अंतर का कोई असर नहीं था. दोनों एकदूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते थे. शबाना हाकिम को अपना सब कुछ सौंप चुकी थी.

वे निकाह भी करना चाहते थे, लेकिन जब इस की जानकारी उस के परिवार को हुई तब उन्होंने उम्र के अंतर को देखते हुए उस की बड़ी बहन जायरा का विवाह हाकिम से कर दिया.

उस के बाद हाकिम शबाना का प्रेमी से जीजा बन गया. हाकिम खूबसूरत जायरा को पा कर बेहद खुश हुआ, लेकिन उस के लिए शबाना को दिल से निकलना मुश्किल हो रहा था.

जायरा जीजासाली के प्रेम संबंध को जानती थी, फिर भी उस ने हाकिम के साथ निकाह इसलिए कर लिया था कि उस की छोटी बहन शबाना ने उस से वादा किया था कि वह उस की खुशी के लिए अपने इश्क को दफन कर देगी.

वह उन की जिंदगी से दूर चली जाएगी. दूसरी तरफ जायरा ने हाकिम पर ऐसी लगाम लगाई कि वह चाह कर भी शबाना से नहीं मिल पाता था.

जल्द ही शबाना का भी एक युवक के साथ निकाह हो गया, उस के बाद शबाना अपने वादे के मुताबिक जायरा और हाकिम की जिंदगी से दूर चली गई. उस की अपनी अलग गृहस्थी और दुनिया बस गई थी.

10 सालों के दौरान शबाना 3 बच्चों की मां भी बन गई. हालांकि शबाना अपने शौहर के व्यवहार से दुखी रहती थी, कारण शौहर को उस के निकाह से पहले के प्रेम संबंध की आधीअधूरी जानकारी हो चुकी थी.

वह बारबार उस को अतीत के प्रेम को ले कर ताने देता था. जब भी किसी घरेलू मसले पर विवाद होता, तब बहस के दौरान कई बार उस ने गुस्से में कह दिया था कि वह अपने प्रेमी हाकिम के पास ही चली जाए.

पति की यह बात शबाना को न केवल चुभ जाती थी, बल्कि इस से उस की पुरानी मोहब्बत की यादें भी ताजा हो जाती थीं. वह एकदम से तिलमिला जाती थी.

बारबार की इस चिकचिक से उस ने एक दिन शौहर से अलग रहने का निर्णय ले लिया और अपनी 10 साल की बेटी के साथ अलग रहने लगी. 2 बच्चे उस ने शौहर के पास ही छोड़ दिए.

किशोरावस्था से ही इश्क का स्वाद ले चुकी शबाना के लिए किसी नए प्रेमी की तलाश करना मुश्किल नहीं था. जल्द ही उसे संजय बामने नाम का युवक मिल ही गया.

संजय उम्र में छोटा था तो क्या हुआ वह उस की भावना को समझता था और उस के सेक्स की भूख भी मिटाता था.

जल्द ही संजय भी खुद से बड़ी उम्र की प्रेमिका को जीजान से प्यार करने लगा. अपना घरबार छोड़ कर बगैर शादी किए हुए शबाना के साथ रामनगर मल्टी में किराए के मकान में रहने लगा था.

कुछ समय तक संजय और शबाना के बीच लिवइन की मधुरता बनी रही, लेकिन उन के रिश्ते में खटास तब आ गई जब शबाना का पूर्व प्रेमी यानी उस का जीजा हाकिम उस की जिंदगी में वापस आ गया.

दरअसल, हाकिम ने जायरा से निकाह करना इसलिए स्वीकार कर लिया था, क्योंकि तब उसे लगा था कि शबाना उस से पहले की तरह ही मिलतीजुलती रहेगी. लेकिन ऐसा नहीं होने पर हाकिम उस की याद में बेचैन हो गया. जब उसे शबाना के अकेली रहने के बारे में मालूम हुआ, तब उस ने उस से मिलने की योजना बना ली.

हालांकि शबाना और हाकिम के मिलने की राह में जायरा रोड़ा बनी हुई थी. बावजूद इस के लंबे समय बाद जब हाकिम अपनी साली और पुरानी प्रेमिका शबाना से मिलने उस के पास गया तब उस ने उसे बाहों में भर लिया. उस ने हाकिम की खूब आवाभगत की.

उस की खिदमतगारी में कोई कोर कसर नहीं रहने दी. उन का अधूरा मोहब्बतनामा फिर से लिखा जाने लगा. लेकिन इस की जानकारी भी संजय को जल्द हो गई.

शबाना अब 2-2 प्रेमियों के साथ लिव इन में रह रही थी. लेकिन लंबे समय तक इस तरह रहना आसान नहीं था. संजय ही शबाना के घरेलू खर्च और उस की बेटी के पालनपोषण का जिम्मा उठाए हुए था.

संजय को यह बात पता चल गई थी कि शबाना के पास उस का जीजा हाकिम भी आता है. इसलिए उस ने शबाना से साफसाफ कह दिया कि अपने घर में किसी दूसरे मर्द को वह नहीं देखना चाहता.

इस पर शबाना ने रिश्ते की बात कह कर कुछ समय तक संजय को बहला दिया. फिर भी संजय ने हिदायत दी कि उस के नाजुक रिश्ते में किसी की भी दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए. यदि ऐसा होता रहा तो वह हरगिज बरदाश्त नहीं करेगा.

संजय की सख्ती और फरमानों को ले कर शबाना उस से नाराज रहने लगी. संजय की एक बुरी आदत शराब पीने की भी थी. शबाना उसे हमेशा कहती थी कि वह घर में शराब न पीए. उस की बड़ी हो रही बेटी भी साथ में रहती है. उस पर बुरा असर पड़ेगा.

जब से संजय और शबाना के बीच हाकिम को ले कर मतभेद उभरे थे, तब से संजय के शराब पीने की आदत बढ़ गई थी. बाहर तो पीता ही था, रात में भी घर आ कर भी बोतल खोल लेता था.

एक दिन तो संजय ने हद ही कर दी. शराब पी कर आया और आते ही शबाना का गुस्सा उस की बेटी पर निकालने लगा. उसे बुरी तरह से डांटनेफटकारने लगा. उस के पकाए खाने में कमियां निकालने लगा.

जब शबाना ने इस का विरोध किया और कहा कि वह ऐसा न करे, तब संजय ने उस पर हाथ उठा दिया. उस रोज संजय ने मांबेटी दोनों की शराब के नशे में पिटाई कर दी.

इस मारपीट में शबाना की बेटी के सिर में चोट भी आ गई और शबान भी जख्मी हो गई. गनीमत यह रही कि घर में डिटौल रखी थी, जिस से अपने और बेटी की चोटों के खून को बंद करने में सफल रही.

सुबह होने पर संजय ने उन से रात की मारपिटाई को ले कर माफी मांग ली और अच्छी तरह से मरहमपट्टी के लिए पैसे दे कर चला गया. साथ में हिदायत भी दी कि इस बारे में किसी को भी न बताए.

2 दिनों तक तो घर में शांति बनी रही, लेकिन तीसरे दिन संजय फिर शबाना से दिन में ही उलझ गया. पड़ोसियों ने आ कर उसे समझाया तब गुस्से में चला गया. उसी रोज हाकिम भी शबाना से मिलने आया. शबाना और उस की बेटी ने रोरो कर संजय की ज्यादती उस से बयां की.

हाकिम यह सुन कर सन्न रह गया. उस ने शबाना को आस्वस्त किया कि वह इस का समाधान जल्द निकालेगा. इतना कह कर वह वहां से चला गया, लेकिन उस के मन में साजिश की योजना बन रही थी.

उसी के अनुसार 28 जून, 2021 की तारीख मुकर्रर की गई. कैसे योजना को अंजाम देना है, इस बारे में शबाना से बात कर ली. फिर 22 तारीख की आधी रात को शबाना ने हाकिम को फोन कर के अपने घर बुला लिया. हाकिम बताए समय पर आ गया. फिर उस ने गहरी नींद में सो रहे संजय के सिर पर मसाला पीसने वाला सिलबट्टा दे मारा.

सिलबट्टे के हमले से संजय बेहोश हो गया. फिर हाकिम और शबाना ने मिल कर उस के गले को सर्जिकल ब्लेड से काट डाला. वह ब्लेड हाकिम अपने साथ ले कर आया था.

संजय की हत्या के बाद सुबह के 4 बजे हाकिम ने संजय की लाश पहले अच्छी तरह चादर में लपेटी फिर चटाई में बांध कर पास के चीराखदान तालाब में फेंक आया.

घर पर शबाना ने घर में बिखरे खून के धब्बे साफ किए. अगले रोज 29 जून, 2021 को पुलिस ने तालाब से संजय की लाश बरामद कर ली.

इस हत्याकांड की जांच पूरी होने के बाद हाकिम और शबाना पर हत्या एवं सबूत मिटाने की धाराएं लगा कर फाइल तैयार कर ली गई. जांचकर्ता पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया, वहां से उन्हें अपराध का दोष साबित होने तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

धोखे की नाव पर सवार : अपनों ने ही ली जान

—श्वेता पांडेय

गंगाराम अपनी मां दुलारीबाई से किसी भटियारिन की तरह हाथ नचाता हुआ गुस्से से बोला, ‘‘मैं ने तुम्हें कितनी बार बोला है कि मुझे निकासी के लिए रास्ता दो. मुझे लंबा चक्कर काट कर घर तक पहुंचना पड़ता है. उस समय तो और परेशानी बढ़ जाती है जब खेतों से फसल बैलगाड़ी में लाद कर लाते हैं.

‘‘आखिर मेरी बात तुम कब समझोगी. हर साल इसी बात का रोना होता है. सवा महीने बाकी हैं, फसल तैयार हो चुकी है. मुझे निकासी के लिए रास्ता चाहिए. और उस 2 एकड़ खेत में से हिस्सा भी चाहिए. मैं भी परिवार वाला हूं.’’

‘‘अच्छा. अभी तो मांबाप को पूछता नहीं है और जिस दिन जमीन से हिस्सा मिल गया, मांबाप मानने से भी इनकार कर देगा. गंगाराम, मैं ने दुनिया देखी है. बंटवारा हुआ नहीं कि मांबाप के हाथ में कटोरा थमा दोगे. बुढ़ौती में भीख मांगनी पड़ जाएगी.

दोनों मांबेटे में इसी तरह काफी देर तक झगड़ा चलता रहा. उसी समय गंगाराम के पिता बालाराम खेत से घर लौटे. दुलारी ने बेटे की शिकायत अपने पति से की, ‘‘लो, संभालो अपने बेटे को, जो जी में आता है बोलता ही चला जाता है.’’

गंगाराम अपने पिता से बोला, ‘‘बाबूजी, मां को समझाओ और संभालो नहीं तो किसी दिन मेरा मूड खराब हो गया तो इसे गंडासे से काट कर नदी में.’’

बालाराम ने बीच में हस्तक्षेप किया, ‘‘बहुत बोल चुका,’’ उन्होंने अपनी पत्नी दुलारी का पक्ष लिया, ‘‘अब अगर तू अपनी मां को एक भी शब्द बोला तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

इस झगड़े के बीच गंगाराम की पत्नी निर्मला पति का हाथ पकड़ कर बाहर लाने लगी. गंगाराम ने निर्मला का हाथ झटक दिया, ‘‘आज मैं बुड्ढे बुढि़या को छोड़ूंगा नहीं.’’

कहता हुआ गंगाराम अपने पिता बालाराम से जा भिड़ा. बापबेटे को एकदूसरे से हाथपाई करते देख गांव के लोग जमा हो गए.

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गांव वालों ने बापबेटे को बड़ी मुश्किल से एकदूसरे से अलग किया. गंगाराम लोगों की बांहों में जकड़ा हुआ कसमसा रहा था. साथ ही गुस्से से चीखता रहा.

दोनों एकदूसरे के कट्टर विरोधी हो गए. कोढ़ में खाज यह हुआ कि इसी बीच निर्मला बीमार रहने लगी. इस के लिए निर्मला अपनी सास दुलारीबाई को जिम्मेदार ठहराने लगी. वह सास पर यह आरोप लगाती कि उस ने उस के ऊपर कोई टोनाटोटका करा दिया है.

गंगाराम ने कई ओझागुनिया को पत्नी को दिखाया. मर्ज यह था कि निर्मला के सिर में दर्द बना रहता था और शाम को बुखार चढ़ने लगता था.

झाड़फूंक से कोई सुधार न हुआ तो वह डाक्टर के पास गया. टेस्ट करवाने पर पता चला कि निर्मला को टायफायड है. एलोपैथी दवा भी चली और झाड़फूंक भी. पता नहीं किस ने असर दिखाया, निर्मला धीरेधीरे ठीक होने लगी.

गंगाराम और उस की पत्नी निर्मला के दिमाग में यह बात घर कर गई थी कि उस की सास दुलारीबाई किसी तांत्रिक ओझा से मिल कर उन्हें बरबाद करने पर तुली है.

इस बात पर गंगाराम की सोच भी निर्मला की सोच से अलग नहीं थी. निर्मला जब पूरी तरह से ठीक हो गई और उस के शरीर में जान आ गई तब वह अपनी सास पर इलजाम लगाने लगी.

एक बार फिर दोनों पक्षों में तकरार और झिकझिक होने लगी. वह एकदूसरे के लिए गलत भावनाएं रखने लगे. फिर वही समय आया, नवंबर दिसंबर का. फसल तैयार हो कर खेत से कोठरी में जाने को तैयार थी.

मुद्दा फिर वही उठा कि बैलगाड़ी में रखे अनाज को दूसरे रास्ते से लाना होगा. बालाराम और दुलारी किसी भी तरह से इस बात के लिए तैयार नहीं थे कि निकासी के लिए बाड़ी से जगह दी जाए. हर साल फसल तैयार होने के बाद यही सवाल खड़ा हो जाया करता था.

कई सालों से यह निकासी का मसला न तो सुलझ रहा था और न ही दूरदूर तक कोई समाधान ही दिखाई दे रहा था.

आज भी इसी विवाद को ले कर गंगाराम और निर्मला दोनों का मन खिन्न था. खाना खाने के बाद दोनों पतिपत्नी टीवी देखने लगे.

टीवी पर वह क्राइम स्टोरी पर आधारित सीरियल देख रहे थे. उस सीरियल की कहानी उन की जिंदगी से जुड़ी जैसी थी. दोनों ने बड़े ध्यान से खामोशी के साथ वह सीरियल देखा. सीरियल खत्म होने के बाद दोनों ने उस पर चर्चा की.

गंगाराम और उस की पत्नी को इस बात की चिंता हो रही थी कि कहीं ऐसा न हो कि मांबाप पूरी जमीन छोटे भाई रोहित के नाम कर जाएं. वैसे भी छोटा होने के नाते वह मांबाप का चहेता था.

इस सोच ने निर्मला और गंगाराम को परेशान कर डाला. जब इंसान को कोई चीज मिलने की संभावना दिखाई न देती है, तब वह उसे किसी दूसरे ही तरीके से हासिल करने की कोशिश में लग जाता है. इन दोनों ने भी एक योजना बना ली.

गंगाराम और निर्मला ने एक योजना के तहत अपने व्यवहार में थोड़ाबहुत बदलाव किया. अपने पिता बालाराम और मां दुलारीबाई से सहजता से पेश आने लगे. बालाराम और दुलारी को आश्चर्य हुआ कि हमेशा कड़वे बोल बोलने वालों की जुबान में शहद कैसे घुल गया.

इस के बाद उन दोनों ने विचारविमर्श किया कि अपनी योजना में किसे शामिल किया जाए, जिस से उन की योजना सफल हो जाए. नजर और दिमाग के घोड़े दौड़ाने के बाद गंगाराम ने धुधवा गांव के ही नरेश सोनकर, योगेश सोनकर और कोपेडीह निवासी रोहित सोनकर से जिक्र किया.

पैसों के लालच में तीनों ही उन की योजना में शामिल हो गए. तीनों ने योजना बना कर वारदात को अंजाम देने के लिए 21 दिसंबर, 2020 का दिन तय किया.

योजना के अनुसार, चारों लोग खेत पर पहुंच गए. वहां बालाराम और उस का छोटा बेटा रोहित तड़के में खेतों पर पानी लगा रहे थे. उन्होंने उन दोनों को दबोच लिया और सीमेंट की बनी पानी की हौदी में डुबो कर दोनों को मार दिया.

अगला निशाना अब दुलारीबाई और उस की बहू कीर्तिनबाई रही. चारों दबेपांव वहां पहुंचे, जहां वे सब्जियों का गट्ठर तैयार करने में व्यस्त थीं. शिकारी की तरह दबेपांव वे उन के करीब पहुंचे और कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार कर उन दोनों की जिंदगी भी खत्म कर दी.

इतना सब कुछ करने के बाद उन लोगों ने चैन की सांस ली. यहां यह बताते चलें कि निर्मला उन चारों को ऐसा करते हुए दरवाजे की ओट से देख रही थी. काम को अंजाम देने के बाद गंगाराम ने तीनों साथियों को वहां से रवाना कर दिया.

निर्मला और गंगाराम दोनों ने मिल कर कुल्हाड़ी को बाड़ी में ही दबा दिया. सुबह के 5 बजतेबजते पूरे खुरमुड़ा गांव में इस दहला देने वाली हत्या की चर्चा होने लगी.

अम्लेश्वर थाने में संजू सोनकर निवासी खुरमुड़ा की रिपोर्ट पर अमलेश्वर थानाप्रभारी वीरेंद्र श्रीवास्तव ने इस नृशंस हत्याकांड की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी.

जांचपड़ताल के लिए फोरैंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. आईजी विवेकानंद सिन्हा के सुपरविजन में जांच होती रही. पुलिस को किसी तरह का कोई सूत्र नहीं मिल रहा था जिस से जांच आगे बढ़ती.

डौग स्क्वायड टीम घटनास्थल पर पहुंच चुकी थी. मृतकों के शव के समीप ले जा कर कुत्ते को छोड़ दिया गया. खोजी कुत्ता गोलगोल चक्कर लगाता हुआ मृतकों को सूंघ कर खेत की ओर कुछ दूर तक गया.

मौके की जांच से इतना तो स्पष्ट था कि हत्यारे 2-3 से कम नहीं थे. खेत में रासायनिक छिड़काव कर दिया गया था, जिस के कारण खोजी कुत्ते को सही दिशा नहीं मिल पा रही थी.

बहरहाल, पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. जब पुलिस को किसी तरह का सूत्र नहीं मिला तो पुलिस ने गंगाराम के साढ़ू नरेश सोनकर को विश्वास में ले कर मुखबिरी का जिम्मा सौंपा.

नरेश मंझा हुआ खिलाड़ी था. उस ने पुलिस को मुखबिरी करने के बहाने उलझाए रखा. जांच के लिए आईजी विवेकानंद सिन्हा ने कुछ बिंदु तय किए.

उन बिंदुओं को आधार बना कर पुलिस जांच में जुटी रही. इस सामूहिक हत्याकांड को हुए 3 महीने बीत चुके थे. लेकिन अपराधियों का कोई अतापता नहीं था.

थानाप्रभारी वीरेंद्र श्रीवास्तव ने अपने एक मुखबिर को नरेश के पीछे लगा दिया. नरेश की एक्टिविटी पुलिस को शुरू से ही संदेहास्पद लगी थी.

फोरैंसिक विशेषज्ञों की टीम के सहयोग से भौतिक साक्ष्य जुटाया गया. टीम ने वैज्ञानिक एवं तकनीकी साक्ष्य को आधार बना कर बारीकी से पूछताछ कर जानकारी इकट्ठी की.

पुलिस ने संदेहियों को हिरासत में ले कर सघन पूछताछ की. इस घटना का मास्टरमाइंड बालाराम का अपना सगा बड़ा बेटा गंगाराम निकला.

गंगाराम की स्वीकारोक्ति के बाद योगेश सोनकर, नरेश सोनकर, रोहित सोनकर उर्फ रोहित मौसा को गिरफ्तार कर लिया गया. सभी को घटनास्थल पर ले जा सीन रीक्रिएशन कराया गया.

आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी पुलिस ने बालाराम की बाड़ी से बरामद कर ली.

घटना के वक्त पहने गए कपड़ों को इन चारों ने ठिकाने लगा दिया था. 18 मार्च, 2021 को आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया, जिस में निर्मला भी शामिल थी. इन चारों आरोपियों का नारको टेस्ट भी कराया गया.

आईजी विवेकानंद सिन्हा ने अमलेश्वर थाना स्टाफ की पीठ थपथपाई. पुलिस ने सभी आरोपियों गंगाराम, उस की पत्नी निर्मला, योगेश सोनकर, नरेश सोनकर और रोहित सोनकर को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

रजनी को भाया प्रेमी का धमाल

रजनी उर्फ कुंजावती अपने भाईबहनों में सब से बड़ी ही नहीं बल्कि कदकाठी से भी ठीक ठाक थी. इसलिए अपनी उम्र से काफी बड़ी लगती थी. उस का परिवार उत्तर प्रदेश के शहर इटावा में रहता था. उस के पिता किसान थे. जैसे ही वह जवान हुई तो उस के मातापिता उस के लिए योग्य वर की तलाश में लग गए.

उन्हें इस बात का डर था कि कहीं रजनी के कदम बहक गए तो उन की इज्जत पर दाग लग जाएगा. उन्होंने रजनी की शादी के लिए ग्वालियर जिले के महाराजपुरा कस्बे के गांव गुठीना में रहने वाले सुलतान माहौर को पसंद कर लिया. फिर जल्द ही उन्होंने उस की शादी सुलतान के साथ कर दी.

रजनी सुंदर तो थी ही, दुलहन बनने के बाद उस की सुंदरता में पहले से ज्यादा निखार आ गया. रजनी जैसी सुंदर पत्नी पा कर सुलतान बेहद खुश था. दोनों के दांपत्य की गाड़ी खुशहाली के साथ चलने लगी. समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा और रजनी 3 बच्चों की मां बन गई. लेकिन कुछ दिनों बाद आर्थिक परेशानियों ने परिवार की खुशी पर ग्रहण लगाना शुरू कर दिया.

शादी से पहले सुलतान छोटामोटा काम कर के गुजरबसर कर लेता था, लेकिन 3 बच्चों का बाप बन जाने से घर के खर्चे भी बढ़ गए थे. वहीं रजनी की बढ़ती ख्वाहिशों ने उस के खर्चों में काफी इजाफा कर दिया था.

आर्थिक परेशानी से उबरने के लिए  वह एक शोरूम में रात के समय चौकीदारी भी करने लग गया था. इस दौरान उसे शराब पीने की भी लत लग गई, जिस की वजह से वह पैसे शराबखोरी में उड़ा देता था. इस के चलते घर की माली हालत डांवाडोल होने लगी थी. यहां तक कि उस ने कई लोगों से कर्ज ले लिया था.

उधर जब से कोविड के कारण लौकडाउन लगा, तब से सुलतान की मजदूरी और चौकीदारी का काम भी छूट गया था. इस के बावजूद वह लोगों से पैसा उधार ले कर शराब पी लेता था और हद तो तब हो गई जब अपनी पत्नी रजनी उर्फ कुंजावती को शराब के नशे में जराजरा सी बात पर पीटना शुरू कर देता था.

पति की ये आदतें रजनी को काफी सालती थीं. सुलतान के पड़ोस में अजीत उर्फ छोटू कोरी रहता था. वह रजनी को भाभी कहता था, इसलिए दोनों में हंसीमजाक होता रहता था.

रजनी को अजीत से मजाक करने में किसी तरह का संकोच नहीं होता था. एक दिन दोनों हंसीमजाक कर रहे थे तो रजनी ने कहा, ‘‘देवरजी, कब तक इस तरह हंसीमजाक कर के दिन काटोगे? कहीं से घरवाली ले आओ.’’

‘‘भाभी, घरवाली मिलती तो जरूर ले आता. जब तक कोई नहीं मिल रही आप से हंसीमजाक कर संतोष करना पड़ रहा है.’’ अजीत ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘जब तक घरवाली नहीं मिल रही तो इधरउधर से जुगाड़ कर लो.’’ रजनी ने बिना किसी हिचकिचाहट के अजीत की आंखों में आंखें डाल कर कहा.

‘‘कौन फिक्र करता है भाभी भूखे आदमी की. जिस का पेट भरा रहता है, उसे ही हर कोई पूछता है,’’ अजीत ने शरमाते हुए कहा.

‘‘क्या तुम ने कभी किसी से अपनी परेशानी का जिक्र कर के देखा है?’’

‘‘कोई फायदा नहीं भाभी, लोग मेरी हंसी ही उड़ाएंगे.’’ वह बोला.

‘‘अजीत, जब तक तुम किसी से कहोगे नहीं, कोई तुम्हारी मदद कैसे करेगा?’’ रजनी ने कहा.

‘‘भाभी, अगर आप से कहूं तो क्या आप मेरी मदद करना पसंद करेंगी? भलाबुरा कहते हुए गालियां जरूर देंगी,’’ अजीत ने रजनी के चेहरे पर नजरें गड़ा कर कहा.

रजनी ने चेहरे पर मुसकान लाते हुए कहा, ‘‘एक बार कह कर तो देखो. अरे, मैं तुम्हारी मुंहबोली भाभी हूं अजीत, भला पड़ोसी पड़ोसी की मदद नहीं करेगा तो क्या बाहर वाला मदद करने आएगा.’’

अब इस से भी ज्यादा रजनी क्या कहती. अजीत इतना भी नासमझ नहीं था कि वह रजनी की बात का मतलब न समझ पाता.

‘‘जरूर भाभी, मौका मिलने पर कह दूंगा.’’ वह मुसकराते हुए बोला.

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संयोग से अगले दिन अजीत को पता चला कि सुलतान किसी काम से बाहर गया है. उस दिन अजीत का मन अपने काम में नहीं लगा रहा था. दिन भर उसे रजनी की याद सताती रही. शाम होने पर घर आने पर वह रजनी की एक झलक देखने को बेचैन हो उठा.

रजनी भी पति की गैरमौजूदगी में अजीत को रिझाने के लिए जैसे ही सजसंवर कर दरवाजे पर आई  तो उस की नजर अजीत पर पड़ी. अजीत भी रजनी को देख कर बिना वक्त जाया किए उस के घर पर जा पहुंचा.

अजीत को अचानक इस तरह आया देख कर रजनी ने हंसते हुए कहा, ‘‘देवरजी, आज आप अपने काम से जल्दी लौट आए?’’

‘‘क्या बताऊं भाभी, आज मेरा मन काम में जरा भी नहीं लगा.’’

‘‘क्यों?’’ रजनी ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘सच बताऊं?’’

‘‘हां, मुझे तो सचसच बताओ.’’

‘‘भाभी, जब से तुम्हें और तुम्हारी सुंदरता  को देखा है, मेरा मन किसी काम में लगता ही नहीं है. आप सच में बेहद खूबसूरत है.’’

‘‘ऐसी सुंदरता किस काम की, जिस की कोई कदर ही न हो,’’ रजनी ने लंबी सांस लेते हुए कहा.

‘‘क्या भैया तुम्हारी कोई कदर नहीं करते भाभी?’’

‘‘सब कुछ जानते हुए भी अनजान मत बनो, तुम तो जानते हो कि मेरे वो रात में चौकीदारी करते हैं, सो रात को घर से बाहर रहते हैं. ऐसे में मेरी रातें कैसे गुजरती हैं, वो तो मुझे ही पता है.’’

‘‘भाभीजी, जिस स्थिति से आप गुजर रही हैं, ठीक वही स्थिति मेरी है. मैं भी रात भर करवटें बदलता रहता हूं. अगर आप मेरा साथ दें तो हम दोनों की समस्या खत्म हो सकती है,’’ यह कहते हुए अजीत ने रजनी को अपनी बांहों में भर लिया.

पुरुष सुख से वंचित रजनी चाहती तो यही थी, मगर उस ने हावभाव बदलते हुए बनावटी गुस्से में कहा, ‘‘यह क्या कर रहे हो, छोड़ो मुझे. बच्चे देख लेंगे.’’

‘‘बच्चे तो अपनी मौसी के बच्चों के साथ बाहर खेल रहे हैं. भाभी, आप ने तो मेरा सुखचैन सब छीन रखा है,’’ अजीत ने कहा.

‘‘नहीं अजीत, छोड़ो मुझे. मैं बदनाम हो जाऊंगी, कहीं की नहीं रहूंगी मैं.’’ वह बनावटी बोली.

‘‘नहीं भाभी, अब यह संभव नहीं है. कोई बेवकूफ ही होगा जो रूपयौवन के इस प्याले के इतने नजदीक पहुंच कर पीछे हटेगा,’’ इतना कह कर अजीत ने बांहों का कसाव बढ़ा दिया.

दिखाने के लिए रजनी न…न…न करती रही, जबकि वह स्वयं अजीत के जिस्म से बेल की तरह लिपटी जा

रही थी.

इस के बाद वह पल भी आ गया, जब दोनों ने मर्यादा भंग कर दी. एक बार मर्यादा मिटी तो यह सिलसिला चल निकला. जब भी उन्हें मौका मिलता, इच्छाएं पूरी कर लेते.

दोनों पड़ोस में रहते थे, इसलिए उन्हें मिलने में कोई परेशानी भी नहीं होती थी. रजनी अब कुछ ज्यादा ही खुश रहने लगी थी, क्योंकि उस का प्रेमी मौका मिलने पर बिस्तर पर धमाल मचाने आ जाता था.

अब उस की आर्थिक परेशानी भी दूर हो गई थी. रजनी खर्चे के लिए अजीत से जब भी रुपए मांगती, वह बिना नानुकुर के चुपचाप निकाल कर रजनी के हाथ पर रख देता था.

रजनी और अजीत के बीच अवैध संबंध बने तो उन की बातचीत और हंसीमजाक का लहजा बदल गया. अब दोनों एकदूसरे का खयाल भी कुछ ज्यादा ही रखने लगे थे, इसलिए आसपड़ोस वालों को शक होने लगा.

लोग इस बात को ले कर चर्चा करने लगे. नतीजा यह निकला कि इस बात की जानकारी सुलतान को भी हो गई. सुलतान ने लोगों की बातों पर विश्वास न कर के खुद सच्चाई का पता लगाने का निश्चय किया.

वह जानता था कि यदि इस बारे में पत्नी से पूछताछ करेगा तो वह सच बात बताएगी नहीं, बल्कि होशियार हो जाएगी. सच पता लगाने के लिए वह एक दिन बाहर जाने के बहाने घर से निकला और छिप कर रजनी और अजीत पर नजर रखने लगा.

एक दिन दोपहर के समय उस ने रजनी और अजीत को रंगेहाथों पकड़ लिया. गुस्से में  उस ने रजनी की जम कर पिटाई कर दी. रजनी के पास सफाई देने को कुछ नहीं था, इसलिए वह भविष्य में कभी ऐसा न करने की कसम खाते हुए माफी मांगने लगी.

गुस्से में सुलतान ने अजीत को भी कई थप्पड़ जड़ दिए. साथ ही चेतावनी दी कि आज के बाद वह उस के घर के आसपास भी दिखाई दिया तो ठीक नहीं होगा.

रजनी सुलतान की सिर्फ पत्नी ही नहीं, उस के 3 बच्चों की मां भी थी, इसलिए बच्चों के भविष्य की फिक्र करते हुए उस ने दोबारा ऐसी गलती न करने की चेतावनी दे कर उसे माफ कर दिया.

यह बात सच है कि जिस महिला का पैर एक बार बहक चुका हो, उसे संभालना मुश्किल होता है. यही हाल रजनी का भी था.

कुछ दिनों तक अपनी कामोत्तेजना पर जैसेतैसे काबू रखने के बाद वह फिर चोरीछिपे अजीत से मिलने लगी.

इस का पता सुलतान को चला तो उस ने रजनी को काफी बुराभला कहा. इस के बाद रजनी का अजीत से मेलजोल कुछ कम हो गया, लेकिन बंद नहीं हुआ.

जब मिलने में परेशानी होने लगी तो एक दिन रजनी ने अजीत से कहा, ‘‘मुझ से तुम्हारी दूरी बरदाश्त नहीं होती. अब मैं सुलतान के साथ नहीं रहना चाहती.’’

‘‘अगर ऐसा है तो उसे ठिकाने लगा देते हैं. न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी. वह शराब पीता ही है, खाना खा कर बेसुध हो जाता है, इसलिए उस की हत्या करना भी आसान है.’’

इसी के साथ दोनों ने सुलतान की हत्या की योजना बना ली.

5 जून, 2021 की रात सुलतान शराब पी कर बेसुध सो गया. सोने से कुछ समय पहले ही उस ने रजनी के साथ मारपीट की थी. पति के सोने के बाद रजनी ने प्रेमी अजीत को फोन कर के बुला लिया. मगर जैसे ही अजीत आया सुलतान की नींद खुल गई.

रजनी और अजीत ने सुलतान को पकड़ा और उस के गले में रस्सी का फंदा बना कर उस का गला घोंट दिया. इस के बाद अजीत काफी डर गया तो वह अपने घर भाग गया, मगर रजनी कशमकश में फंस गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे?

आखिर उस का मन नहीं माना तो वह घर के पास में रहने वाली अपनी बहन के घर चली गई. यहां पर रजनी की मां भी आई हुई थी. उस ने हिचकियां लेले कर रोते हुए बहन और मां को बताया कि उस के पति ने आत्महत्या कर ली है.

इन लोगों को रजनी की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था. शायद इसी वजह से एक बार तो लगा कि वह फूटफूट कर रो पड़ेगी, लेकिन किसी तरह खुद को संभालते हुए आखिर उस ने पूछ ही लिया, ‘‘क्या आप लोगों को मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है?’’  बाद में यह बात पूरे मोहल्ले में फैल गई.

सुबह होते ही गंधर्व सिंह ने महाराजपुरा थानाप्रभारी प्रशांत यादव को फोन कर इस घटना की सूचना दे दी. थानाप्रभारी प्रशांत यादव ने इस घटना को काफी गंभीरता से लिया.

बात सिर्फ आत्महत्या कर लेने भर तक सीमित नहीं थी, बल्कि इस से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि गुठीना जैसे छोटे से गांव में इस तरह की घटना घट गई और किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी प्रशांत यादव  एसआई जितेंद्र मवाई के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. चलने से पहले उन्होंने इस की सूचना सीएसपी रवि भदौरिया को भी दे दी थी.

प्रशांत यादव घटनास्थल का निरीक्षण शुरू करने वाले थे कि सीएसपी भदौरिया भी आ पहुंचे. उन के साथ फोरैंसिक टीम भी आई थी.

फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो सीएसपी लौट गए. उन के जाने के बाद  थानाप्रभारी प्रशांत यादव ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और घटनास्थल की औपचारिक काररवाई निपटा कर सुलतान की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

रजनी और उस के प्रेमी ने जिस रस्सी से फंदा बना कर सुलतान का गला घोंटा था, वह भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले ली. उस के बाद थानाप्रभारी ने गंधर्व सिंह की तरफ से अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

थानाप्रभारी इस केस की जांच में जुट गए. उन्होंने इस बारे में मृतक की पत्नी रजनी से पूछताछ की. थाने पहुंचते ही रजनी डर गई और उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपने प्रेमी अजीत के साथ मिल कर पति को ठिकाने लगाया था.

पुलिस ने 6 जून, 2021 को ही रजनी के प्रेमी अजीत को भी गिरफ्तार कर लिया. दोनों ने ही सुलतान की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया.

इस के बाद दोनों ने सुलतान की हत्या की जो सनसनीखेज कहानी सुनाई, वह परपुरुष की बांहों में सुख तलाशने वाली औरत के अविवेक का नतीजा थी.

पूछताछ  और सारे साक्ष्य जुटाने के बाद  पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. रजनी के साथ उस का 3 वर्षीय सब से छोटा बेटा भी जेल गया है.

रजनी ने जो सोचा था, वह पूरा नहीं हुआ. वह एक हत्या की अपराधिन बन गई. उस के साथ उस का पे्रमी भी. जो सोच कर उन दोनों ने सुलतान की हत्या की, वह अब शायद ही पूरा हो, क्योंकि यह तय है कि दोनों को सुलतान की हत्या के अपराध में सजा होगी.