वरदीवाला दिलजला : प्रेमिका और उसके मंगेतर की हत्या

दिल्ली से सटे गाजियाबाद में हिंडन नदी किनारे स्थित साईं उपवन बड़ा ही रमणीक स्थल है. यहां पर साईंबाबा का प्रसिद्ध मंदिर है. 25 मार्च, 2019 सोमवार को सुबह का वक्त था. श्रद्धालुजन साईं मंदिर में आते जा रहे थे. उसी समय लाल रंग की स्कूटी से गोरे रंग की खूबसूरत युवती और एक स्मार्ट सा दिखने वाला युवक वहां पहुंचे.

स्कूटी को उपवन परिसर के बाहर एक ओर खड़ी कर वे दोनों मंदिर में प्रवेश कर गए. कोई 10 मिनट के बाद जब वे दोनों साईंबाबा के दर्शन कर के बाहर निकले तो उन के चेहरे खिले हुए थे. यह हसीन जोड़ा आसपास से गुजरने वाले लोगों की नजरों का आकर्षण बना हुआ था. लेकिन उन दोनों को लोगों की नजरों की रत्ती भर भी परवाह नहीं थी. वे अपनी ही दुनिया में मशगूल थे.

जैसे ही दोनों बाहर निकले वह रमणीक इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. किसी की समझ में कुछ नहीं आया. तभी वहां मौजूद लोगों को एक आदमी युवक युवती की लाशें बिछा कर तेजी से लिंक रोड की तरफ भागता हुआ दिखाई दिया. लोगों ने देखा कि लाशें उसी नौजवान खूबसूरत जोड़े की थीं, जो अभीअभी वहां से हंसते मुसकराते हुए मंदिर से बाहर निकला था. इसी दौरान किसी ने इस सनसनीखेज घटना की सूचना 100 नंबर पर गाजियाबाद पुलिस को दे दी.

थोड़ी ही देर में सिंहानी गेट के थानाप्रभारी जयकरण सिंह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. मंदिर परिसर के अंदर लाल सूट पहने एक युवती और एक युवक की रक्तरंजित लाशें औंधे मुंह पड़ी थीं. जयकरण सिंह ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया.

युवक युवती के कपड़े खून से सने थे. वहां पर काफी लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी. जयकरण सिंह ने उन की नब्ज टटोली, लेकिन उन की सांसें उन का साथ छोड़ चुकी थीं. उन्होंने जल्दी से क्राइम इन्वैस्टीगेशन टीम को बुला कर घटनास्थल की फोटोग्राफी करवाई और वहां उपस्थित चश्मदीदों से इस घटना के बारे में पूछताछ करनी शुरू की.

कुछ लोगों ने बताया कि मृतक युवती और युवक कुछ ही देर पहले लाल स्कूटी से एक साथ मंदिर आए थे, जब दोनों साईं बाबा के दर्शन करने के बाद बाहर निकल रहे थे, तभी पहले से घात लगाए हत्यारे ने इस वारदात को अंजाम दे दिया.

पुलिस ने जब दोनों लाशों की शिनाख्त कराने की कोशिश की तो भीड़ ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया. यह देख इंसपेक्टर जयकरण सिंह ने आरटीओ औफिस से उस लाल रंग की स्कूटी का विवरण मालूम किया, जिस से वे आए थे. आरटीओ औफिस से मृतका की शिनाख्त प्रीति उर्फ गोलू, निवासी विजय विहार (गाजियाबाद) के रूप में हुई.

तय हो गई थी शादी

पुलिस द्वारा सूचना मिलने पर थोड़ी देर में युवती के घर वाले भी रोते बिलखते हुए घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने युवती की शिनाख्त के साथसाथ युवक की भी शिनाख्त कर दी. मृतक सुरेंद्र चौहान उर्फ अन्नू था. उन्होंने यह जानकारी भी दी कि उन की बेटी प्रीति और सुरेंद्र चौहान बहुत जल्द परिणय सूत्र में बंधने वाले थे. सुरेंद्र के मातापिता भी इस रिश्ते के लिए राजी थे.

घटनास्थल की जांच के दौरान वहां पर पौइंट 9 एमएम पिस्टल के कुछ खोखे और मृतका प्रीति की लाल रंग की स्कूटी बरामद हुई, जिसे पुलिस टीम ने अपने कब्जे में ले लिया. मृतका के पिता प्रमोद कुमार से युवक सुरेंद्र चौहान के पिता खुशहाल सिंह के बारे में जानकारी मिल गई. पुलिस ने उन्हें भी इस दुखद घटना के बारे में बता दिया. इस के बाद खुशहाल सिंह भी अपने परिजनों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

चूंकि दोनों लाशों की शिनाख्त हो चुकी थी, लिहाजा थानाप्रभारी ने मौके की काररवाई पूरी करने के बाद लाशें पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दीं.

25 मार्च को ही मृतका प्रीति के पिता प्रमोद कुमार की शिकायत पर इस दोहरे हत्याकांड का मुकदमा कोतवाली सिंहानी गेट में अज्ञात अपराधियों के खिलाफ दर्ज कर लिया गया.

इस केस की आगे की तफ्तीश थानाप्रभारी जयकरण सिंह ने खुद संभाली. उन्होंने इस घटना के बारे में एसपी श्लोक कुमार और सीओ सिटी धर्मेंद्र चौहान को भी अवगत करा दिया.

एसएसपी उपेंद्र कुमार अग्रवाल ने इस दोहरे हत्याकांड को सुलझाने के लिए एसपी श्लोक कुमार के निर्देशन और सीओ धर्मेंद्र चौहान के नेतृत्व में एक टीम बनाई. इस टीम में थानाप्रभारी जयकरण सिंह के साथ इंसपेक्टर (क्राइम ब्रांच) राजेश कुमार, एसआई श्रीनिवास गौतम, हैडकांस्टेबल राजेंद्र सिंह, माइकल बंसल, कांस्टेबल अशोक कुमार, संजीव गुप्ता, सेगेंद्र कुमार, संदीप कुमार और गौरव कुमार को शामिल किया गया.

जांच टीम ने एक बार फिर साईं उपवन पहुंच कर वहां के लोगों से घटना के बारे में पूछताछ शुरू की तो पता चला कुछ लोगों ने एक लंबी कदकाठी के आदमी को वहां से भागते हुए देखा था. वह अधेड़ उम्र का आदमी था जो कुछ दूरी तक भागने के बाद वहां खड़ी एक कार में सवार हो कर फरार हो गया था.

हालांकि मंदिर परिसर में 8 सीसीटीवी कैमरे लगे थे लेकिन दुर्भाग्यवश सभी खराब थे. मृतका के पिता प्रमोद कुमार ने बताया कि प्रीति सुबह 7 बजे ड्यूटी पर जाने के लिए निकली थी. वह वसुंधरा के वनस्थली स्कूल के यूनिफार्म स्टौल पर नौकरी करती थी.

उस के काम पर चले जाने के बाद  वह बुलंदशहर जाने वाली बस में सवार हो गए थे. अभी उन की बस लाल कुआं तक ही पहुंची थी कि उन्हें मोबाइल फोन पर प्रीति को गोली मारे जाने का दुखद समाचार मिला. जिसे सुनते ही वह फौरन घटनास्थल पर आ गए थे.

पिता ने बताई उधार की कहानी

प्रमोद कुमार से पूछताछ के बाद पुलिस ने मृतक सुरेंद्र चौहान के पिता खुशहाल सिंह को भी कोतवाली बुला कर उन से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि उन के बेटे की हत्या में कल्पना नाम की औरत का हाथ हो सकता है. दरअसल, सुरेंद्र का गाजियाबाद के ही प्रताप विहार में शीशे के सामान का कारोबार था, इसी कारोबार के लिए सुरेंद्र ने कुछ समय पहले कल्पना से कुछ रुपए उधार लिए थे. कल्पना रुपए वापस करने के लिए लगातार तकादा कर रही थी.

चूंकि सुरेंद्र के पास उसे देने लायक पैसे इकट्ठे नहीं हुए थे. इसलिए वह कल्पना को कुछ दिन तक और रुकने को कह रहा था.

2 दिन पहले शनिवार के दिन भी कल्पना उन के घर पर अपने रुपए लेने आई थी, इस दौरान कल्पना ने गुस्से में आ कर सुरेंद्र को बहुत बुराभला कहा था.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाने के लिए उन तमाम पहलुओं पर विचारविमर्श करने लगी, जिस पर आगे बढ़ कर हत्यारे तक पहुंचा जा सकता था. इस में पहला तथ्य घटनास्थल पर मिले पौइंट 9 एमएम पिस्टल से फायर की गई गोलियों के खोखे थे. इस प्रकार के पिस्टल का इस्तेमाल आमतौर पर पुलिस अधिकारी करते हैं. यह सुराग इस तथ्य की ओर इशारा कर रहा था कि हत्यारे का कोई न कोई संबंध पुलिस डिपार्टमेंट से है.

दूसरा तथ्य मृतक सुरेंद्र उर्फ अन्नू के पिता खुशहाल सिंह के अनुसार उन के बेटे को कर्ज देने वाली औरत कल्पना से जुड़ा था. तीसरा सिरा मृतका प्रीति और उस के मंगेतर सुरेंद्र की बेमेल उम्र से ताल्लुक रखता था.

दरअसल प्रेमी सुरेंद्र की उम्र अभी केवल 26 साल थी जबकि उस की प्रेमिका प्रीति की उम्र 32 साल थी. इसलिए यहां इस बात की संभावना थी कि उन के बीच उम्र का यह फासला उन के परिवार के लोगों में से किसी सदस्य को पसंद नहीं आ रहा हो और आवेश में आ कर उस ने इस घटना को अंजाम दे दिया हो.

इस के अलावा एक और भी महत्त्वपूर्ण बिंदु था, जिसे कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था. प्रीति उर्फ गोलू की उम्र अधिक थी. यह भी संभव था कि उस के प्रेम संबंध पहले से किसी और युवक के साथ रहे हों. पहले प्रेमी को पता चल गया हो कि प्रीति की शादी सुरेंद्र चौहान से हो रही है. संभव था कि उस ने प्रीति को सबक सिखाने के लिए सुरेंद्र का काम तमाम कर दिया.

चूंकि वारदात के समय उस के साथ उस का मंगेतर सुरेंद्र चौहान भी था, इसलिए गुस्से से बिफरे पहले प्रेमी ने उस को भी मार डाला हो. बहरहाल इन तमाम बिंदुओं पर विचार विमर्श कर के पुलिस टीम हत्यारे तक पहुंचने के प्रयास में जुटी थी.

पुलिस टीम ने 27 मार्च को एक बार फिर दोनों के परिवार के पुरुष और महिला सदस्यों तथा वारदात के वक्त साईं उपवन में मौजूद चश्मदीदों को बुला कर पूछताछ की. साथ ही प्रीति और सुरेंद्र के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर उन की गहन जांच की.

इस जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आईं. प्रीति के पिता प्रमोद कुमार ने बताया कि उन का एक रिश्तेदार दिनेश कुमार दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में एएसआई के पद पर तैनात है. उस का चौहान परिवार के घर पर काफी आनाजाना था.

लेकिन जिस दिन यह दोहरा हत्याकांड हुआ उस दिन के बाद वह बुलाए जाने के बावजूद वारदात वाली जगह पर नहीं आया था. और तो और प्रीति के अंतिम संस्कार में भी वह शामिल नहीं हुआ था. यह बात प्रमोद कुमार और उन के परिवार के सदस्यों को बहुत अटपटी लगी थी. जब पुलिस ने उन से डिटेल्स में बात की तो प्रमोद कुमार ने अपने मन की सब बातें विस्तार से बता दीं.

जिन्हें सुनते ही पुलिस टीम ने दिल्ली पुलिस में ट्रैफिक विभाग में तैनात एएसआई दिनेश कुमार से पूछताछ करने का मन बना लिया. चूंकि घटनास्थल पर पौइंट 9 एमएम पिस्टल के खाली खोखे मिले थे, जिस की वजह से भी वारदात में किसी पुलिस वाले के शामिल होने का शक था, इसलिए अब एएसआई दिनेश कुमार से पूछताछ करना बेहद जरूरी हो गया था.

पुलिस वाला आया शक के घेरे में

थानाप्रभारी जयकरण सिंह ने एएसआई दिनेश कुमार से संपर्क करने की कोशिश की मगर कामयाब नहीं हुए. आखिरकार 30 मार्च की सुबह एक मुखबिर की सूचना पर उसे पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया. जब उस से इस दोहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ शुरू की गई तो उस ने जो कुछ बताया उस से रिश्तों में उलझी एक सनसनीखेज कहानी उभर कर सामने आई.

प्रमोद कुमार अपने परिवार के साथ गाजियाबाद के विजय विहार में रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां थीं. वह बड़ी बेटी के हाथ पीले कर चुके थे. दूसरी बेटी प्रीति उर्फ गोलू और उस से छोटी बेटी अभी पढ़ाई कर रही थी. 22 वर्षीय प्रीति मिलनसार स्वभाव की थी. वह जिंदगी के हर एक पल का पूरा लुत्फ उठाने में विश्वास रखती थी.

बड़ी बेटी की शादी के एक साल बाद प्रमोद कुमार ने प्रीति के भी हाथ पीले कर देने की सोची. उन्होंने उस के लिए कई जगह रिश्ते की बात चलाई, मगर आखिर अपनी हैसियत के अनुसार मौके पर प्रीति किसी न किसी बहाने से शादी करने से इनकार कर देती थी.

प्रीति का अपनी बड़ी बहन के घर काफी आनाजाना था. अपने हंसमुख स्वभाव की वजह से वह बहन की ससुराल में भी काफी घुलमिल गई थी. उस के जीजा का जीजा दिनेश कुमार दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल था. दिनेश मूल रूप से उत्तर प्रदेश के पिलखुआ का रहने वाला था.

उस की पत्नी और बच्चे पिलखुआ में ही रहते थे. दिनेश जब भी रमेश के घर आता वह प्रीति से खूब बातेें करता था. बला की हसीन और दिलकश प्रीति की चुलबुली मीठी बातें सुन कर वह भावविभोर हो जाता था.

प्रीति को भी दिनेश से बातें करने में खुशी मिलती थी. वह उस समय उम्र के उस पड़ाव पर भी पहुंच गई थी, जहां एक मामूली सी चूक भविष्य के लिए नासूर बन जाती है. लेकिन इस समय प्रीति या उस की बहन सीमा ने इन बातों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी.

धीरेधीरे प्रीति की जिंदगी में दिनेश का दखल बढ़ने लगा. अब वह प्रीति से उस के गाजियाबाद स्थित घर पर भी मिलने आने लगा था. इतना ही नहीं जब कभी प्रीति या उस के परिवार में अधिक रुपयों की जरूरत होती वह अपनी ओर से आगे बढ़ कर उन की मदद करता था.

प्रीति के पिता प्रमोद कुमार भी दिनेश कुमार के बढ़ते अहसानों के बोझ तले इतने दब चुके थे कि दिनेश के रुपए वापस करना उन के वश के बाहर हो गया. दिनेश कुमार ये रुपए प्रीति के घर  वालों को यूं ही उधार नहीं दे रहा था.

रिश्तों में सेंध

दरअसल दिनेश कुमार अपनी उम्र से लगभग आधी उम्र की प्रीति के ऊपर न केवल पूरी तरह से फिदा था बल्कि उस के साथ उस के शारीरिक संबंध भी स्थापित हो चुके थे. वह प्रीति को किसी न किसी बहाने से अपने साथ घुमाने ले जाता था, जहां दोनों अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे.

समय का पहिया अपनी गति से आगे बढ़ता रहा, दिनेश कुमार सन 1994 में कांस्टेबल के पद पर दिल्ली पुलिस में भरती हुआ था. सन 2008 में उस का प्रमोशन हेड कांस्टेबल के पद पर हो गया. इस के 8 साल बाद एक बार फिर उस का प्रमोशन हुआ और वह एएसआई बन गया. इन दिनों वह ट्रैफिक विभाग में सीमापुरी सर्कल में तैनात था.

प्रीति के साथ जिस सुरेंद्र कुमार नाम के युवक की जान गई थी, वह मूलरूप से उत्तराखंड का रहने वाला था. उस के पिता खुशहाल सिंह सेना में रह चुके थे. रिटायरमेंट के बाद वह अपने गांव में सेटल हो गए. 2 बेटों के अलावा उन की 2 बेटियां थीं. सब से बड़ा बेटा सुधीर हरिद्वार में रहता था. वह अपनी दोनों बेटियों की शादी कर चुके थे और इन दिनों एक पोल्ट्री फार्म चला रहे थे.

करीब 2 साल पहले उन का छोटा बेटा सुरेंद्र कुमार उर्फ अन्नू उत्तराखंड से गाजियाबाद आ गया था और प्रताप विहार में शीशे का बिजनैस करने लगा था. 2 साल तक अथक मेहनत करने के बाद आखिर उस का काम चल निकला.

इस के बाद उस ने अपने मातापिता को भी अपने पास बुला लिया था. कुछ ही महीने पहले उस की मुलाकात प्रीति उर्फ गोलू से हुई थी. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे थे.

सुरेंद्र से मुलाकात होने के बाद प्रीति फोन से सुरेंद्र से अकसर बात करती रहती थी. दिन गुजरने लगे उन के प्यार का रंग गहरा होता चला गया. कुछ दिनों के बाद सुरेंद्र और प्रीति का प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. प्रीति के घर वाले इस के लिए राजी हो गए थे. शादी की बात तय हो जाने पर दोनों प्रेमी खुश हुए. हालांकि प्रीति की उम्र सुरेंद्र से करीब 6 साल ज्यादा थी मगर दोनों में से किसी को इस पर जरा भी एतराज नहीं था.

प्रीति सुरेंद्र के साथ शादी के लिए तो दिलोजान से रजामंद थी किंतु उस के सामने सब से बड़ी समस्या यह थी कि दिनेश के साथ उस के विगत कई सालों से जो प्रेमिल संबंध थे उन से निकलना आसान नहीं था. वजह यह कि दिनेश कुमार किसी भी हालत में उस की शादी किसी और से नहीं होने देना चाहता था.

प्रीति को अपने काबू में रखने के लिए उस ने उस की हर जायज नाजायज मांगें पूरी की थीं. हाल ही में उस ने प्रीति के पिता को 3 लाख रुपए उधार भी दिए थे. एएसआई दिनेश कुमार के बयान कितने सच और कितना झूठ है यह तो पुलिस की जांच के बाद पता चलेगा. परंतु इतना तय है कि प्रीति के घर में उस का इतना दखल था कि वह बेधड़क जब चाहे तब उस के घर आ जा सकता था.

प्रीति और सुरेंद्र के बीच जब से प्यार का सिलसिला शुरू हुआ था तब से प्रीति ने एएसआई दिनेश से मिलनाजुलना कम कर दिया था. पहले तो दिनेश कुमार प्रीति और सुरेंद्र के प्यार से अनजान था, लेकिन 4-5 दिन पहले जब प्रीति ने उस का फोन रिसीव करना बंद कर दिया तो वह सोच में पड़ गया.

दिल्ली पुलिस में 25 सालों से नौकरी कर रहे एएसआई दिनेश कुमार को यह समझने में देर नहीं लगी कि मामला बेहद गंभीर है. फिर भी उस ने किसी तरह प्रीति को फोन कर के उस से बातें करने की कोशिश जारी रखी. लेकिन 2 दिन पहले प्रीति ने दिनेश कुमार के लगातार आने वाले फोन से परेशान हो कर अपने मोबाइल फोन का सिम बदल लिया.

मामला बिगड़ता देख एएसआई दिनेश कुमार समझ गया कि प्रीति किसी कारण उस से संबंध तोड़ने पर आमादा है. जिस के फलस्वरूप उस ने प्रीति को सबक सिखाने की ठान ली. 24 मार्च, 2019 को दिनेश की रात की ड्यूटी थी.

25 मार्च की सुबह अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद वह शाहदरा निवासी अपने दोस्त पिंटू शर्मा के पास गया. उस की मारुति स्विफ्ट कार पर सवार हो कर वह प्रीति के घर जा पहुंचा. कार पिंटू शर्मा चला रहा था. प्रीति के घर पहुंच कर जब उसे पता चला कि प्रीति साईं उपवन मंदिर गई है तो वह उस का पीछा करता हुआ वहां भी पहुंच गया.

अचानक की गईं दोनों की हत्याएं

उधर साईं मंदिर में दर्शन करने के बाद जैसे ही प्रीति और सुरेंद्र अपने जूतों की ओर बढ़े, तभी एएसआई दिनेश कुमार प्रीति से बातें करने के लिए आगे बढ़ा. उस ने प्रीति को अपनी ओर बुलाया मगर प्रीति ने उस की ओर देख कर अपनी नजरें फेर लीं.

यह देख दिनेश कुमार की त्यौरियां चढ़ गईं. वह आगे बढ़ा और प्रीति का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगा, मगर प्रीति ने उस का हाथ झटक दिया. प्रीति की यह बात एएसआई दिनेश कुमार को बहुत बुरी लगी. तभी उस ने अपना सर्विस पिस्टल निकाला और प्रीति के ऊपर फायर कर दिए.

प्रीति को खतरे में देख कर सुरेंद्र उसे बचाने के लिए दौड़ा तो दिनेश ने उस के भी सीने में 3 गोलियां उतार दीं. इस के बाद वह बाहर स्विफ्ट कार में इंतजार कर रहे पिंटू शर्मा के साथ वहां से फरार हो गया.

गाजियाबाद पुलिस की नजरों से बचने के लिए 5 दिनों तक दिनेश कुमार अपने रिश्तेदारों के घर छिपा रहा. दिनेश की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने शाहदरा से इस हत्याकांड में शामिल रहे उस के दोस्त पिंटू को भी गिरफ्तार कर लिया.

वारदात में प्रयोग की गई एएसआई दिनेश कुमार की सर्विस पिस्टल, 3 जीवित कारतूस तथा स्विफ्ट कार भी गाजियाबाद पुलिस ने बरामद कर ली. 2 अप्रैल, 2019 को दिल्ली पुलिस ने भी एएसआई दिनेश कुमार को उस के पद से बर्खास्त कर दिया. इस समय दोनों हत्यारोपी जेल में बंद हैं.

उधर गाजियाबाद पुलिस के आला अधिकारियों ने इस सनसनीखेज वारदात की गुत्थी सुलझाने वाली टीम का मनोबल बढ़ाते हुए 25 हजार रुपए के पुरस्कार से नवाजा है, पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है.

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डोली के बजाय उठी अर्थी – भाग 3

सुबह कोई सवा 5 बजे पुलिस कंट्रोलरूम को सूचना मिली कि ओम एन्क्लेव कालोनी में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली है. यह इलाका थाना सदर के अंतर्गत आता था. पुलिस कंट्रोलरूम ने यह सूचना थाना सदर पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी नौरत्न गौतम उस दिन छुट्टी पर थे. थाने का चार्ज एसएसआई अखिलेश सिंह के पास था. वह किसी मामले की तफ्तीश में कहीं गए हुए थे.

एसएसपी की सूचना पर चौकीप्रभारी अरुण कुमार पुलिस बल के साथ ओम एन्क्लेव कालोनी स्थित घटनास्थल पर पहुंच गए. डौग स्क्वायड, फोरैंसिक टीम को भी सूचित कर दिया गया.

सूचना पा कर एसएसआई अखिलेश सिंह भी रविंद्र वर्मा के घर पहुंच गए. पुलिस ने निरीक्षण किया तो सीढि़यों पर रविंद्र की 20 साल की बेटी शिवानी की गरदन कटी लाश मिली.

लाश के आसपास काफी खून फैला था. वहीं पर एक पेपर कटर पड़ा था. वहां संघर्ष के निशान भी दिखाई दिए. पूछताछ में रविंद्र ने बताया कि उन की बेटी शिवानी ने आत्महत्या कर ली है.

अखिलेश सिंह ने पेपर कटर को कब्जे में ले लिया. फोरैंसिक टीम आई तो पेपर कटर उस के हवाले कर दिया गया. कुछ ही देर में एसपी (सिटी) कुमारी अनुपमा सिंह और महिला थाने का स्टाफ भी आ गया. पुलिस ने ध्यान से देखा तो शिवानी की लाश के पास खून से गौरव लिखा था.

पुलिस ने रविंद्र वर्मा से गौरव के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वह किसी गौरव को नहीं जानते. सूचना पा कर इंसपेक्टर रकाबगंज संजीव भी वहां आ गए. फोरैंसिक टीम ने बताया कि खून सने पैरों के जो निशान हैं, ये अलगअलग आदमी के हैं. लेकिन छत तक पैरों के जो निशान गए हैं, वे एक ही आदमी के हैं.

पेपर कटर की मूठ पर एक हाथ का निशान था, लेकिन लोहे वाले हिस्से पर 2 हाथों के निशान थे. इस से साफ हो गया कि वहां शिवानी के अलावा 2 लोग थे. घर के सिंक की जांच की गई तो वहां खून के निशान पाए गए. इस का मतलब कत्ल कर के कातिल ने वहां हाथ धोए थे. किराएदार पंकज भदौरिया ने बताया कि उन्हें तो रविंद्र वर्मा ने जगा कर बताया था कि उन की बेटी ने आत्महत्या कर ली है. इस के अलावा उन्हें घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

रविंद्र वर्मा ने बताया कि गैस की दुर्गंध आने पर वह रसोई में गए और लाइट जलाने के बजाय पंखा औन कर दिया. इस के बाद ऊपर जाने लगे तो देखा कि बेटी की लाश पड़ी है. वह घबरा कर नीचे आ गए और किराएदार को जगा कर सारी बात बताई. इस के बाद पुलिस कंट्रोलरूम को सूचना दे दी.

रविंद्र की इस कहानी पर पुलिस को विश्वास नहीं हो रहा था. उन के कपड़े उतरवा कर देखा गया तो बनियान पर खून के निशान नजर आए. उन के पैरों पर भी खून लगा था. वह शक के दायरे में आ गए. घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

पुलिस रविंद्र को पूछताछ के लिए थाने ले आई. अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने रविंद्र से पूछताछ शुरू की तो वह यही कहते रहे कि बेटी ने आत्महत्या की है. जबकि पुलिस की नजरों में यह सीधे हत्या का मामला था, क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद अपना गला नहीं रेत सकता.

बारबार पूछने के बाद भी रविंद्र ने गौरव के बारे में कुछ नहीं बताया, जबकि पुलिस के लिए फर्श पर लिखा गौरव एक महत्त्वपूर्ण सुराग था. पुलिस को इसी से आगे बढ़ने का रास्ता मिल सकता था.

पोस्टमार्टम के बाद शिवानी का शव रविंद्र वर्मा को सौंप दिया गया था. उन्होंने उस का दाहसंस्कार भी कर दिया. इस बीच पुलिस के सामने काफी कुछ साफ हो गया था. पुलिस को गौरव के बारे में पता चल गया था कि वह शिवानी का दोस्त था और उस के साथ पढ़ता था. वह आगरा के शाहगंज में रहता है.

अगले दिन इंसपेक्टर संजीव सिंह और चौकीप्रभारी अरुण कुमार को एसपी सिटी ने गौरव से पूछताछ करने के निर्देश दिए. पुलिस गौरव के घर पहुंची तो उस के पिता रामस्नेही ने बताया कि कुछ देर पहले ही वह घर से निकला है. पिता ने फोन कर के उसे घर बुला लिया. पुलिस पूछताछ के लिए उसे थाने ले आई.

गौरव ने अपना सिर मुंडवा रखा था. वह काफी डरा हुआ था. थाने आते ही उस ने कहा, ‘‘साहब, आप मुझे मारिएगा मत, मैं आप को सब कुछ सचसच बता दूंगा. मैं ने शिवानी को नहीं मारा है. मैं तो उस से प्यार करता था. हम ने कोर्टमैरिज भी कर ली थी. उसी के बुलाने पर 28 अक्तूबर, 2017 को मैं उस के घर गया था. दुर्भाग्य से उस के पिता ने दोनों को एक साथ देख लिया.’’

गौरव ने आगे जो बताया, उस के अनुसार, रविंद्र उसे मारना चाहते थे, लेकिन शिवानी उसे बचाने के लिए बीच में आ गई. रविंद्र वर्मा के हाथ से उस ने पेपर कटर छीनने की कोशिश की, जिस से उस की 2 अंगुलियां कट गईं. इस के बाद गुस्से में रविंद्र ने पेपर कटर चलाया तो शिवानी फिर सामने आ गई, जिस से पेपर कटर उस के गले में लगा और उस का गला कट गया.

रविंद्र वर्मा पर खून सवार था. शिवानी घायल हो कर सीढि़यों पर गिर गई, इस के बावजूद वह उस की ओर झपटा. तब शिवानी ने अपना गला पकड़े हुए कहा, ‘‘गौरव, भाग जाओ, वरना यह तुम्हें भी मार देंगे.’’

उस हालत में गौरव को कुछ नहीं सूझा. वह भाग कर छत पर गया और किसी तरह वहां से कूद कर भाग खड़ा हुआ. लेकिन शिवानी के बारे में सोचसोच कर वह परेशान होता रहा. अगले दिन गौरव ने पुलिस के डर से अपना सिर मुंडवा लिया. गौरव ने जो बताया था, वह पुलिस को सही लगा. गौरव से पूछताछ के बाद पुलिस ने रविंद्र वर्मा को थाने बुला लिया. थाने में गौरव को देख कर रविंद्र के पसीने छूट गए.

अब कहनेसुनने को कुछ नहीं था. पूछताछ में रविंद्र ने कहा कि शिवानी की हत्या करने का उस का इरादा नहीं था, पर गुस्से में पेपर कटर चल गया. उस ने यह भी स्वीकार किया कि बेटी के दूसरी जाति के लड़के के साथ संबंध उसे स्वीकार नहीं थे. वह अपनी बेटी की शादी अपनी ही जाति के लड़के के साथ करना चाहता था. लेकिन शिवानी बहुत जिद्दी थी, जिस का अंजाम अच्छा नहीं हुआ और डोली उठने से पहले उस की अर्थी उठ गई.

रविंद्र ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो पुलिस ने उसे जेल भेजने की तैयारी कर ली. पुलिस उसे ले जा रही थी, तभी उस के घर की महिलाओं ने थाने के बाहर हंगामा शुरू कर दिया. पुलिस के उच्चाधिकारियों ने उन्हें समझाबुझा कर शांत किया और रविंद्र वर्मा को 30 अक्तूबर को न्यायालय में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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डोली के बजाय उठी अर्थी – भाग 2

रविंद्र वर्मा बेटी के लिए बेहद चिंतित थे, क्योंकि एक दिन शिवानी ने मां से साफ कह दिया था कि वह बालिग है और अपना अच्छाबुरा सोच सकती है. इसलिए वह अपनी पसंद के लड़के से ही शादी करेगी.

बेटी का यह कदम उन की समाज में बनी इज्जत को धूल में मिला सकता था, इसलिए उन्होंने तय कर लिया कि कुछ भी हो, वह जल्दी ही कहीं शिवानी की शादी कर देंगे. लेकिन वह शादी कर पाते, उस के पहले ही 18 फरवरी, 2016 को शिवानी गौरव के साथ भाग कर दिल्ली चली गई, जहां उत्तमनगर में किराए का कमरा ले कर रहने लगी. उन्होंने कोर्ट में शादी भी कर ली.

बेटी के इस तरह घर से गायब होने से रविंद्र समझ गए कि उसे गौरव ही बहलाफुसला कर भगा ले गया है, उन्होंने गौरव के खिलाफ भादंवि की धारा 366 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. मुकदमा दर्ज होने के बाद गौरव के परिवार वालों पर पुलिस ने लड़की को बरामद कराने का दबाव डाला.

गौरव के पिता रामस्नेही सीधेसादे आदमी थे. वह अपनी रिश्तेदारियों में उसे तलाश करने लगे. गौरव कहीं नहीं मिला. काफी भागदौड़ के बाद उन्हें गौरव और शिवानी के दिल्ली में होने की जानकारी मिली. इस के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस दिल्ली पहुंच गई और दिल्ली पुलिस की मदद से गौरव और शिवानी को उत्तमनगर से बरामद कर लिया. इस तरह 45 दिनों बाद वे पुलिस की पकड़ में आ गए.

पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां शिवानी ने अपने बयान में कहा कि वह बालिग है और अपनी मरजी से गौरव के साथ गई थी. वह गौरव से प्यार करती है और उस ने उस से कोर्ट में शादी भी कर ली है. शिवानी के इसी बयान के आधार पर अदालत से गौरव को जमानत मिल गई.

रविंद्र ने बेटी को अपने संरक्षण में लेने के लिए अदालत में अरजी लगाई तो शिवानी ने विरोध किया कि मांबाप उसे घर ले जा कर मार डालेंगे. लेकिन रविंद्र ने अदालत से कहा कि वह बेटी को घर ले जा कर सामाजिक रीतिरिवाज से उस की शादी कर देंगे. लड़की को पढ़ने के लिए भी भेजेंगे. रविंद्र के इस बयान पर मजिस्ट्रैट ने शिवानी को उस के पिता को सौंप दिया.

रविंद्र ने अदालत में जो कुछ कहा था, घर आने पर पलट गए. उन्होंने शिवानी पर बंदिशें लगा दीं. इस के अलावा वह उस के लिए लड़का भी ढूंढने लगे. आखिर मुरैना में उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. शिवानी को जब पता चला तो उस ने विरोध किया. उस के विरोध के बावजूद उन्होंने उस का रिश्ता पक्का कर दिया.

6 फरवरी, 2018 को शिवानी की शादी का दिन भी तय कर दिया गया. दिन तय होने के बाद शिवानी परेशान रहने लगी. वह किसी भी तरह घर से निकलना चाहती थी, लेकिन बाहर जाने का उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. उधर गौरव भी काफी परेशान था. उन्हें 6 फरवरी से पहले ही घर से भाग जाने का कोई रास्ता निकालना था.

रविंद्र ने कई बार गौरव को अपने घर के आसपास घूमते देखा था. आखिर एक दिन उस ने गौरव को धमकाया कि अब वह इधर कतई दिखाई न दे. फिर एक दिन हिम्मत कर के शिवानी ने पिता से कह दिया, ‘‘पापा, जब मेरी शादी गौरव से हो चुकी है तो आप मेरी शादी दूसरी जगह क्यों कर रहे हैं?’’

बेटी की बात को अनसुना कर रविंद्र बाहर चले गए. अब शिवानी ऐसा कुछ करना चाहती थी, जिस से उस का रिश्ता टूट जाए. इस बारे में उस ने गौरव से बात की तो उस ने कहा कि वह उस की हर तरह से मदद करेगा. एक दिन शिवानी का ममेरा भाई मनीष पत्नी के साथ उन के घर आया और रविंद्र से गोवर्धन परिक्रमा के लिए चलने को कहा.

रविंद्र पत्नी के साथ गोवर्धन परिक्रमा के लिए जाना तो चाहते थे, लेकिन वह शिवानी को घर में अकेली नहीं छोड़ना चाहते थे. इसलिए उन्होंने शिवानी को भी चलने को कहा. उस ने कपड़े वगैरह बैग में रख कर तैयारी तो कर ली, लेकिन मौका मिलते ही गौरव को फोन कर के कह दिया कि शाम 6 बजे घर के सभी लोग गोवर्धन परिक्रमा के लिए जा रहे हैं. उन्हें लौटने में 4 घंटे तो लग ही जाएंगे.

रविंद्र वर्मा के घर के निचले हिस्से में पंकज सिंह भदौरिया पत्नी और 2बच्चों के साथ किराए पर रहते थे. वह अध्यापक थे. उन की पत्नी भी अध्यापक थीं. शाम को जब सभी गोवर्धन परिक्रमा के लिए घर से निकलने लगे तो योजना के अनुसार शिवानी ने तबीयत ठीक न होने का बहाना कर के कहा कि अब वह नहीं जा सकती. घर वालों ने भी उस से ज्यादा जिद नहीं की.

घर से निकलते समय रविंद्र ने किराएदार पंकज सिंह और उन की पत्नी से शिवानी का ध्यान रखने के लिए कह दिया. घर वालों के जाने के बाद शिवानी गौरव का इंतजार करने लगी. उस ने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था. जैसे ही गौरव आया, उस ने उस से छत पर बैठ कर इंतजार करने को कहा.

रात 10-11 बजे सभी लोग लौटे तो घर के मेनगेट में ताला लगा कर रविंद्र वर्मा निश्चिंत हो गए. थके होने की वजह से सभी को जल्दी ही नींद आ गई. लेकिन शिवम मोबाइल पर गेम खेल रहा था.

शिवानी उस के सोने के इंतजार में करवटें बदलती रही. ऊपर पड़ोसी की छत पर बैठा गौरव शिवानी का इंतजार कर रहा था. काफी देर बाद शिवम सो गया तो शिवानी उठी और छत पर पहुंच गई. दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. उस समय दोनों दुनियाजहान से बेखबर थे.

रविंद्र सुबह सैर के लिए जाते थे, इसलिए उन्होंने मोबाइल फोन में अलार्म लगा रखा था. जैसे ही अलार्म बजा, शिवानी गौरव से यह कह कर नीचे आ गई कि पापा घूमने चले जाएंगे तो वह उसे यहां से निकाल देगी.

नीचे आ कर शिवानी अपने बैड पर लेट गई. तभी गौरव का शिवानी के फोन पर मैसेज आया कि उसे प्यास लगी है. शिवानी ने पिता के कमरे में नजर डाली तो वहां कोई दिखाई नहीं दिया. वह पानी की बोतल ले कर छत पर चली गई. रविंद्र उस समय घर में ही थे. उन्होंने शिवानी को छत पर जाते देख लिया था. वह भी उस के पीछेपीछे छत पर पहुंच गए.

रविंद्र ने शिवानी और गौरव को एक साथ देखा तो उन का खून खौल उठा. पिता को देख कर शिवानी डर से कांपने लगी. गौरव भी घबरा गया. बेटी की इस करतूत से उन के सिर पर खून सवार हो गया, फिर उन्होंने कुछ ऐसा किया कि वहां मौत का तांडव मच गया. शिवानी अचानक सीढि़यों पर गिरी और वहां खून ही खून फैल गया.

डोली के बजाय उठी अर्थी – भाग 1

शिवानी वर्मा आगरा के सब से पुराने और मशहूर आगरा कालेज से बीएससी कर रही थी. पिता रविंद्र वर्मा फार्मासिस्ट थे और मां ऊषा घर संभालती थीं. उस के 2 भाई थे सचिन और शिवम. रविंद्र वर्मा का थाना सदर की ओम एन्क्लेव कालोनी में काफी अच्छा मकान था.

कुल मिला कर उन का छोटा और खुशहाल परिवार था. रविंद्र वर्मा शिवानी को उच्च शिक्षा दिलाना चाहते थे, ताकि उसे अच्छी नौकरी मिल सके. शिवानी भी मन लगा कर पढ़ रही थी. अचानक उस के साथ कुछ ऐसा घटा कि रविंद्र के सारे सपने धरे के धरे रह गए.

आगरा कालेज से ही शाहगंज के शंकरगढ़ का रहने वाला गौरव बीए कर रहा था. कालेज में कभी मुलाकात होने से शिवानी की गौरव से दोस्ती हो गई. कालेज में दोनों की अकसर मुलाकात हो जाती थीं.

गौरव गरीब घर का जरूर था, लेकिन पढ़ने में ठीकठाक था. उस के पिता रामस्नेही घर के बाहर फल का ठेला लगाते थे. उस के घर एक भैंस भी थी, जिस की देखभाल उस की मां करती थीं. भैंस के दूध से भी कुछ कमाई हो जाती थी. गौरव का एक भाई और 2 बहनें थीं.

शिवानी और गौरव जब भी मिलते, देर तक बातचीत करते थे. गौरव अपना कैरियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहा था. लेकिन लगातार मिलने से उन के बीच प्यार की कोपलें फूटने लगीं. उन्हें महसूस होने लगा कि वे एकदूसरे को चाहने लगे हैं, वे एकदूसरे के लिए ही बने हैं.

लेकिन गौरव के दिल में एक बात खटकती थी कि वह दूसरी जाति का है. जब शिवानी को उस की हकीकत पता चलेगी तो कहीं वह मुंह न मोड़ ले. इस की एक वजह यह थी कि उस की जाति शिवानी की जाति से निम्न थी.

आगे कुछ गड़बड़ न हो, यह जानने के लिए एक दिन गौरव ने शिवानी से कहा, ‘‘शिवानी, हम दोनों एकदूसरे को कितना प्यार करते हैं, यह सिर्फ हम ही जानते हैं. पर आज मैं तुम्हें अपनी हकीकत बताना चाहता हूं. शिवानी मेरी जाति तुम से अलग है. कहीं तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी?’’

गौरव की बात सुन कर शिवानी ने हंसते हुए कहा, ‘‘गौरव, तुम्हें पता होना चाहिए कि मैं ने तुम से प्यार किया है न कि तुम्हारी जाति से. तुम किस जाति के हो, किस धर्म के हो, मुझे कोई मतलब नहीं है. मैं सिर्फ तुम से प्यार करती हूं.’’

शिवानी की बात सुन कर गौरव ने उसे सीने से लगा कर कहा, ‘‘शिवानी अब हमारे प्यार में कितनी भी बाधाएं आएं, मैं तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ूंगा. मैं मरते दम तक तुम्हारा साथ दूंगा.’’

जवाब में शिवानी ने भी कहा, ‘‘हमारे प्यार की राह में समाज, परिवार या कोई भी आए, मैं इस प्यार की खातिर सब को छोड़ दूंगी, पर तुम्हें नहीं छोड़ूंगी.’’

शिवानी के इरादे भले ही मजबूत थे, पर गौरव निश्चिंत नहीं था. कालेज के साथियों को गौरव के प्यार की खबर लगी तो किसी ने यह खबर शिवानी के पिता को दे दी. रविंद्र वर्मा को बेटी के प्यार का पता चला तो वह परेशान हो उठे. उस दिन शिवानी कालेज से लौटी तो उन्होंने पूछा, ‘‘शिवानी, आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं, कहीं और ही भटक रहा है?’’

‘‘क्या मतलब पापा?’’ शिवानी ने बेचैनी से पूछा.

‘‘मतलब कि तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है. बेटा, मैं ने तो सोचा था कि तुम मन लगा कर पढ़ाई करोगी, जिस से कोई ढंग की नौकरी मिल जाएगी, उस के बाद हम तुम्हारी शादी कर देंगे.’’

‘‘पापा, पहले पढ़ाई तो पूरी हो जाए, शादी की बात बाद में सोचेंगे.’’ शिवानी ने कहा.

अचानक रविंद्र ने गुस्से में पत्नी से कहा, ‘‘ऊषा, इस लड़की को संभालो. आजकल इस की दोस्ती कालेज के लड़कों से कुछ ज्यादा ही हो गई है. कहीं ऐसा न हो हम धोखा खा जाएं.’’

शिवानी समझ गई कि पापा को गौरव के बारे में पता चल गया है, इसलिए बिना कुछ कहे वह अपने कमरे में चली गई. इस के बाद ऊषा और रविंद्र काफी देर तक बातें करते रहे. ऊषा ने पति को आश्वासन दिया कि वह शिवानी को समझाएंगी कि फालतू के चक्करों में न पड़ कर वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे.

शिवानी कमरे से ही मम्मीपापा की बातें सुन रही थी. उन की बातों से वह समझ गई कि अब मम्मीपापा उस पर बंदिशें लगाएंगे. उस ने गौरव को फोन कर के कह दिया कि अब वह थोड़ा सतर्क रहे, क्योंकि घर वालों को उन के संबंधों की जानकारी हो गई है.

अगले दिन शिवानी कालेज जाने के लिए तैयार हो रही थी तो ऊषा ने कहा, ‘‘अब तुम्हें कालेज जाने की क्या जरूरत है, जब तुम्हारा पढ़ाई में मन ही नहीं लग रहा तो घर बैठो.’’

‘‘मम्मी, आप लोग गलत सोच रहे हैं. ऐसा कुछ भी नहीं है. मैं अपनी पढ़ाई को ले कर पूरी तरह गंभीर हूं.’’ शिवानी ने कहा.

‘‘बेटा, मैं जो कह रही हूं, तुम्हारे भले के लिए कह रही हूं. समझो या न समझो, तुम्हारी मरजी.’’ ऊषा ने कहा.

‘‘ठीक है मम्मी, अब मैं कालेज जाऊं?’’ कह कर शिवानी कालेज चली गई.

कालेज पहुंच कर शिवानी ने गौरव को सारी बात बता कर कहा, ‘‘गौरव, मम्मीपापा के तेवरों से लगता है कि वे बहुत जल्दी मेरी शादी कहीं कर देंगे. मेरी शादी कहीं और हो, उस के पहले ही हमें कुछ करना होगा.’’

‘‘लेकिन शिवानी अभी तो हमारी पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई है.’’ गौरव ने चिंता जताई तो शिवानी ने कहा, ‘‘इतना भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. दुनिया की कोई भी ताकत हमें एकदूसरे से अलग नहीं कर सकती.’’

इस के बाद रविंद्र को लगातार लोग बताने लगे कि उन्होंने उन की बेटी को एक लड़के के साथ घूमतेफिरते और हंसहंस कर बातें करते देखा है. लगातार शिकायतें मिलने की वजह से एक दिन रविंद्र ने शिवानी से साफ कह दिया कि अगर वह नहीं मानी तो उस की पढ़ाई बंद करा दी जाएगी. शिवानी को लगा कि घर वाले उस के प्यार में रोड़ा डाल रहे हैं तो उस ने गौरव से बात कर के भाग जाने का फैसला कर लिया.

इस के बाद योजना बना कर एक दिन शिवानी गौरव के साथ भाग गई. आगरा के कैंट स्टेशन के पास दोनों को किसी ने देख लिया तो उस ने यह बात रविंद्र को बता दी. खबर मिलते ही रविंद्र कैंट स्टेशन पहुंचे और वहां दोनों को पकड़ लिया. गौरव को उन्होंने डांटफटकार कर भगा दिया और शिवानी को घर ले आए. इस के बाद उन्होंने शिवानी को घर में ही कैद कर दिया.

रविंद्र ने उस व्यक्ति का आभार व्यक्त किया, जिस की सूचना पर उन की इज्जत बच गई थी, वरना अच्छीखासी बदनामी हो जाती. इस के बाद रविंद्र ने शिवानी के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया.

जबकि शिवानी पिंजरे में कैद चिडि़या की तरह उड़ने के लिए व्याकुल थी. वह चोरीछिपे गौरव से फोन पर बातें कर लेती थी. शिवानी उस कैद से मुक्त होना चाहती थी. वह घर से भाग निकलने का मौका तलाश रही थी.

हीरा व्यापारी का फाइव स्टार लव – भाग 3

होटल के सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

मृतक संदीप कांबले शादीशुदा था व एक 13 साल की बेटी का पिता था. मृतक के छोटे भाई विशाल कांबले ने जुलकबारी पुलिस स्टेशन में भादंवि की धारा 302/34 के तहत एफआईआर भी दर्ज करा दी थी.

पुलिस ने जब जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि मृतक संदीप सुरेश कांबले के साथ पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले की 25 वर्षीय अंजलि शा ने होटल के कमरा नंबर 922 में चेक इन किया था. अंजलि का विवरण उस की फोटो पहचान (आईडी) के साथ पुलिस को मिला था.

होटल के सीसीटीवी फुटेज को खंगालने पर यह बात भी सामने आई कि अंजलि शा 5 फरवरी, 2024 अपराह्नï पौने 3 बजे 27 वर्षीय विकास शा के साथ कमरे से निकली थी.

पुलिस टीम ने दोनों संदिग्धों अंजलि और विकास की तसवीरों से पूरा विवरण तत्काल वायरलेस सैट पर पूरे गुवाहाटी में प्रसारित करवा दिया, उस के बाद पुलिस टीम को गुवाहाटी के लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (एलजीबीआईए) पर दोनों संदिग्धों के नामों की जांच करने पर पता चला कि दोनों संदिग्धों ने गुवाहाटी से पश्चिम बंगाल के कोलकाता के लिए हवाई टिकट बुक किया था. उन के प्रस्थान का समय दिनांक 5 फरवरी, 2024 की रात सवा 9 बजे का था.

संदिग्धों के बारे में एकत्र की गई जानकारी के आधार पर लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर जाने वाली सभी सड़कों के किनारे बोरझार चौकी (ओपी) क्षेत्र में एक पुलिस नाका (चैकिंग) स्थापित कर दिया गया.

पुलिस की यह कोशिश आखिरकार रंग लाई और 5 फरवरी, 2024 की शाम 5 बज कर 42 मिनट पर जब वे दोनों एक किराए की टैक्सी से हवाई अड्डे की ओर जा रहे थे, उन्हें पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों संदिग्धों से गहन पूछताछ के बाद इस हत्याकांड की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह एक प्रेम त्रिकोण की थी.

44 वर्षीय संदीप सुरेश कांबले पुणे जिले का रहने वाला हीरा व्यापारी और कार डीलर थे. 25 वर्षीय अंजलि शा कोलकता के होटल में काम करती थी. दोनों का एक बार परिचय हुआ तो यह परिचय दोस्ती और उस के बाद धीरेधीरे प्यार में बदल गया था. संदीप सुरेश कांबले भले ही अंजलि से करीब दोगुने उम्र का था, लेकिन बहुत पैसे वाला था, इसीलिए अवैध संबंध बन गए थे.

संदीप उसे काफी महंगे महंगे तोहफे देता रहता था. उन के बीच यह संबंध तकरीबन एक साल तक बदस्तूर जारी रहा, लेकिन इस बीच अंजलि शा की जिंदगी में विकास शा की एंट्री हो गई. 27 वर्षीय विकास भी कोलकाता में रह कर ही नौकरी करता था. अंजलि काफी समय तक 2 नावों पर सवारी करती रही.

एक ओर जहां अंजलि 2 नावों पर सवार हो कर जिंदगी के अनमोल सुख ले रही थी, वहीं दूसरी तरफ उस के पहले प्रेमी संदीप सुरेश कांबले को उस के दूसरे प्रेम संबंध के बारे में पता चल गया. उस ने जब अंजलि से जवाबतलब किया तो इस दोहरी जिंदगी से परेशान हो कर अंजलि ने संदीप सुरेश कांबले के बजाय विकास को चुना.

यह बात सुरेश कांबले को नागवार गुजरी और फिर उस ने अंजलि को अंतरंग फोटो के जरिए ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.

संदीप कांबले अब अंजलि शा पर शादी करने का दबाव भी डालने लगा था, जबकि अंजलि उस से शादी करना तो दूर, अब दोस्ती भी नहीं करना चाहती थी. उस ने संदीप से सारे रिश्ते भी तोड़ दिए थे. संदीप अंजलि को किसी भी हालत में अपने से दूर नहीं होने देना चाहता था.

संदीप अंजलि को क्यों करता था ब्लैकमेल

जब अंजलि उस से किनारा करने लगी तो संदीप अब काफी आक्रामक हो गया था और उस ने अंजलि और विकास के परिवार के सदस्यों से संपर्क करना शुरू कर दिया ताकि अंजलि उस से शादी करने के लिए मजबूर हो सके. यहां तक कि संदीप ने विकास के साथ अपनी और अंजलि की तसवीरें भी साझा कीं ताकि उन दोनों का रिश्ता टूट सके.

अंजलि ने संदीप के साथ अपना रिश्ता खत्म कर दिया था, मगर संदीप उस पर लगातार दबाब डाल रहा था और उस ने अंजलि का पीछा करना जारी रखा, जबकि दूसरी तरफ अंजलि अब विकास के साथ प्रेम में थी.

इस के कुछ समय बाद अंजलि ने विकास शा को संदीप सुरेश कांबले बारे में सब कुछ सचसच बता दिया. यह भी बताया कि संदीप कांबले ने उस की कुछ अंतरंग तसवीरें खींच ली थीं, जोकि उस के पास हैं.

विकास अब अंजलि से प्यार करने लगा था. उन का प्यार परवान चढऩे लगा, इसलिए दोनों ने मिल कर एक योजना बनाई कि अंजलि कोलकाता में संदीप को मिलने के लिए अकेले में बुलाएगी. जिस मीटिंग में विकास भी उस के साथ शामिल होगा. दोनों मिल कर संदीप को जबरदस्ती पकड़ लेंगे और उस से उस के वो दोनों मोबाइल फोन छीन लेंगे, जिन में अंजलि और संदीप की अंतरंग तसवीरें कैद थीं. उस के बाद दोनों संदीप को बेहोश कर वहां से भाग जाएंगे.

प्रेमिका क्यों बनी कातिल

लेकिन संदीप को अंजलि पर न जाने क्यों शक सा हो गया था, इसलिए उस ने कोलकाता में मिलने से मना कर दिया. मगर संदीप के दिल में अंजलि के प्रति अभी भी काफी प्रेम था, इसलिए उस ने अंजलि से कहा कि यदि वह अकेले में उस से मिलना चाहती है तो वह गुवाहाटी में उस से मिल सकती है.

संदीप ने उस से कहा कि एक बार वह गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर के दर्शन कर ही आए थे, इस बार एक फिर से देवी के दर्शन भी कर सकते हैं और मिल भी सकते हैं.

अंजलि ने यह बात विकास को बता दी तो दोनों ने अलग अलग गुवाहाटी जाने का प्रोग्राम बना लिया. वे दोनों संदीप से किसी भी तरह मोबाइल फोन छीन लेना चाहते थे.

प्लान के मुताबिक अंजलि गुवाहाटी एयरपोर्ट पर संदीप से मिली और फिर रेडिसन ब्लू होटल के लिए रवाना हो गई, जहां उन्होंने होटल के कमरा नंबर 922 में चैक इन किया. यह जानकारी अंजलि ने विकास को दे दी. अपना कमरा नंबर बता कर उसे रेडिसन ब्लू होटल में ही कमरा लेने को कहा. विकास भी होटल आ गया और उस ने कमरा नंबर 1024 में चैकइन किया.

इस बीच संदीप बाथरूम में गया तो अंजलि ने कमरे का दरवाजा खोल दिया और विकास को जल्दी कमरे में आने को कहा. विकास सारे सामान के साथ जो पहले से ही उन के प्लान में शामिल था, कमरा नंबर 922 में पहुंच गया. कमरे के अंदर दाखिल होते ही विकास ने कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर दिया.

विकास अपने साथ नींद की गोलियां और भांग के लड्डू (गोल मिठाई) और रस्सी भी लाया था ताकि संदीप को काबू किया जा सके. संदीप जैसे ही बाथरूम से बाहर आया और जब उस की नजर विकास पर पड़ी तो वह आगबबूला हो गया.

विकास और संदीप के बीच हाथापाई होने लगी. अंजलि भी हाथापाई करने में पीछे नहीं रही और वह भी विकास का भरपूर साथ देने लगी थी. संदीप अकेला काफी देर तक उन दोनों का मुकाबला करता रहा, लेकिन वे दोनों अब उसे बुरी तरह से पीटने लगे थे, जिस के कारण संदीप की नाक और मुंह से खून बहने लगा था. लेकिन वे दोनों तब तक संदीप के साथ बुरी तरह मारपीट करते रहे, जब तक वह बेहोश हो कर फर्श पर गिर नहीं गया.

संदीप के फर्श पर गिरते ही दोनों ने उस के दोनों मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिए. जब उन्होंने रस्सी से संदीप को बांधना चाहा तो उन्होंने देखा कि संदीप मर चुका था. इस के बाद दोनों घबरा गए और अपना अपना सामान ले कर होटल से दोपहर पौने 3 बजे चले गए.

पहले वे दोनों कोलकाता के लिए ट्रेन पकडऩे के लिए गुवाहाटी के कामाख्या रेलवे स्टेशन गए थे. वहां वे दोनों काफी देर तक बैठे भी रहे थे. उस के बाद विकास ने रेडिसन ब्लू होटल के रिसैप्शन में फोन कर रूम नंबर 922 में ठहरे व्यक्ति के अस्वस्थ होने की सूचना दी.

उस समय कोलकाता के लिए कोई ट्रेन उपलब्ध न होने के कारण उन्होंने ट्रेन से कोलकाता जाने का इरादा बदल दिया और उस दिन रात को सवा 9 वाले प्लेन से कोलकाता जाने का टिकट बुक करा लिया. मगर इस के पहले वहां पर गुवाहाटी पुलिस सजग और सतर्क हो चुकी थी, जिस के कारण जब वे दोनों एलजीबीआईए की तरफ जा रहे थे तो पुलिस ने उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने दोनों आरोपियों से महत्त्वपूर्ण सबूत बरामद किए, जिन में खून से सने कपड़े, मृतक के दोनों मोबाइल फोन व भांग की मिठाई, नींद की गोलियों के साथसाथ आपत्तिजनक बातचीत वाले दोनों आरोपियों के मोबाइल शामिल थे.

गुवाहाटी पुलिस ने अंजलि शा और उस के प्रेमी विकास शा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

—कहानी पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है. तथ्यों का नाट्य रूपांतरण किया गया है.

हीरा व्यापारी का फाइव स्टार लव – भाग 2

वे जाड़ों के दिन थे. संदीप कई दिनों से अंजलि को अपने होटल के कमरे में आमंत्रित करता रहता था. उस दिन रेस्टोरेंट में संदीप ने अंजलि से कहा, ”अंजलि, आज मेरा जन्मदिन है, इसलिए आज आप को मेरे कमरे में जन्मदिन सेलिब्रेट करने आना ही होगा. मैं बिलकुल भी ‘न’ शब्द तुम्हारे मुंह से नहीं सुनना चाहता.’’

”ठीक है, मैं शाम 6 बजे आप के कमरे में पहुंच जाऊंगी, आप अपने होटल का पता और कमरा नंबर मुझे मैसेज कर दीजिएगा,’’ अंजलि ने कहा.

ऐसे हुई नए संबंधों की शुरुआत

अपने तय समय के मुताबिक अंजलि ठीक 6 बजे शाम को संदीप कांबले के कमरे में पहुंच गई थी. उस ने डोरबेल बजाई तो संदीप उसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

”सच में अंजलिजी, आप के इंतजार का एकएक पल मुझे एक युग के समान लग रहा था. देखिए, आप ठीक 15 मिनट देरी से पहुंची हैं. आइए, आप का तहेदिल से स्वागत है,’’ संदीप ने अंजलि का स्वागत करते हुए कहा.

”आप के जन्मदिन का गिफ्ट लेने में थोड़ी देर हो गई थी जनाब!’’ अंजलि ने उसे गिफ्ट देते हुए जन्मदिन की बधाई दी.

संदीप ने तुरंत अपने कोट की जेब से एक हीरे की अंगूठी निकाली, ”ये हमारी दोस्ती की पहली मुलाकात के लिए है,’’ संदीप ने उस के हाथ में अंगूठी देते हुए कहा.

”अरे संदीपजी, आप यह क्या कर रहे हैं? इतनी महंगी वो भी हीरे की अंगूठी देने की भला क्या जरूरत थी? देखिए, यह बात ठीक नहीं है,’’ अंजलि ने हिचकिचाते हुए कहा.

”अंजलि, अब तुम मेरी एक अच्छी दोस्त बन चुकी हो, वैसे भी मैं हीरे का व्यापारी हूं इसलिए तुम्हें मेरी ओर से यह भेंट स्वीकार करनी ही पड़ेगी.’’ संदीप ने कहा.

उस के बाद संदीप का बर्थडे केक काटा गया. आज की शाम को संदीप रंगीन करना चाहता था, इसलिए उस ने अपने साथ 3-4 पैग स्काच के दोस्ती का हवाला दे कर अंजलि को पिला डाले थे. उस के बाद रात के खाने का भी समय हो गया था.

दोनों ने खाना खाया और ठंड का बहाना करते हुए संदीप अपने बिस्तर पर रजाई ओढ़ कर लेट सा गया. नशे का असर अब अंजलि पर धीरेधीरे हावी होने लगा था, उसे लग रहा था जैसे वह आसमान में उड़ी जा रही हो.

अंजलि कमरे में रखे सोफे पर संदीप के ठीक सामने बैठी हुई थी. संदीप ने उस की ओर देखा तो वह अब सोफे से खड़ी हो कर संदीप के एकदम नजदीक आ कर खड़ी हो गई थी. संदीप ने जब उस की आंखों में झांका तो उसे साफसाफ दिखाई पड़ा कि अंजलि की आंखें नशे से गुलाबी सी हो गई थीं और उस के सीने का उतारचढ़ाव जैसे बेकाबू सा होता चला जा रहा था.

संदीप अब अंजलि के दिल की बात अच्छी तरह से भांप चुका था. फिर भी उस ने अपनी ओर से पहल करते हुए कहा, ”अंजलि, अगर तुम्हें ठंड लग रही है तो यहां मेरे पास रजाई के अंदर आ जाओ. लगता है अब तुम काफी थक चुकी हो.’’

”तुम नहीं समझोगे संदीपजी, ये निगोड़ी ठंड रजाई का गरमी से नहीं भाग सकती. चलो, अगर तुम कहते हो तो आ ही जाती हूं.’’ कहते हुए अंजलि संदीप के साथ बैड पर उस की रजाई के अंदर घुस गई.

जैसे ही अंजलि उस की बगल में रजाई के भीतर आई तो संदीप को ऐसा लगा कि उस के बगल में लेटी हुई अंजलि के शरीर से लपटें निकल रही हैं और वह उन लपटों में जल रहा है. अब संयम की लगाम संदीप के हाथों से बिलकुल ही छूट चुकी थी. जैसा मंसूबा उस ने तैयार किया था, वह जैसे पूरा हो चुका था.

उस ने अंजलि के शरीर को बुरी तरह से भींच लिया था और वे दोनों सारी रात एकदूसरे की अतृप्त कामनाओं को पूरा करने में जुट गए थे.

गुवाहाटी के फाइव स्टार होटल रेडिसन ब्लू में हुई हत्या

असम के गुवाहाटी स्थित जुलकबारी थाने के एसएचओ अपने औफिस में बैठ कर आवश्यक काम निपटा रहे थे, तभी उन का मोबाइल फोन बजने लगा.

”हैलो, मैं जुलकबारा एसएचओ इंसपेक्टर रंजीत कुमार रे बोल रहा हूं. कहिए, हम आप की क्या सहायता कर सकते हैं?’’ एसएचओ ने फोन उठाते हुए.

”सर, मैं रेडिसन ब्लू होटल से प्रकाश थापा बोल रहा हूं. सर, यहां पर रूम नंबर 922 में एक व्यक्ति का मर्डर हो गया है. आप यहां जल्दी आ जाइए.’’ दूसरी ओर से मैनेजर ने कहा.

”अरे फाइव स्टार होटल में मर्डर हो गया? कौन था वह आदमी? कहां का रहने वाला था? जरा विस्तार से बताओ तो?’’ एसएचओ ने पूछा.

”सर, मृतक का नाम संदीप सुरेश कांबले है. उन की उम्र लगभग 44 वर्ष की है. वह पिछले कई सालों से हमारे रेगुलर कस्टमर थे. उन का हीरे और कारों का व्यवसाय था, वह अपनी एक महिला मित्र के साथ होटल के कमरा नंबर 922 में ठहरे हुए थे,’’ होटल मैनेजर प्रकाश थापा ने जल्दीजल्दी कहा.

”ठीक है प्रकाश थापाजी, आप अपने कर्मचारियों को होटल के उस कमरे के बाहर तैनात करवा दीजिए. कमरे के भीतर कोई भी व्यक्ति न जाए, हम तुरंत आ रहे हैं.’’ कहते हुए एसएचओ ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

जुलकबारी एसएचओ रंजीत कुमार रे ने घटना की सूचना तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दी और अपनी टीम के साथ घटनास्थल की ओर निकल गए. जब जुलकबारी थाने के प्रभारी होटल रेडिसन ब्लू में पहुंचे, तब तक घटनास्थल पर पुलिस कमिश्नर दिगंता बराह, डीसीपी (वेस्ट) पद्मनाभ बरुआ, एडीसीपी (वेस्ट) नंदिनी ककाटी, डौग स्क्वायड की टीम और फोरैंसिक टीम भी घटनास्थल पर पहुंच चुकी थी.

होटल के कमरा नंबर 922 में एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी. उस की नाक और मुंह से खून निकल रहा था तथा शरीर पर भी चोटों के निशान थे. होटल में जमा की गई आईडी के आधार पर उस की पहचान पुणे निवासी संदीप सुरेश कांबले के रूप में हुई.

पुलिस ने काररवाई पूरी करने के बाद मृतक की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

पुलिस टीम गठित होने के बाद टीम को पता चला कि 5 फरवरी, 2024 को होटल रेडिसन ब्लू के रिसैप्शन में दोपहर को किसी अनजान नंबर से काल आई थी कि आप के रेडिसन ब्लू के कमरा नंबर 922 में जो व्यक्ति ठहरा हुआ है, उस की तबीयत अचानक खराब हो गई है, इसलिए आप लोग तुरंत उसे प्राथमिक चिकित्सा देने का इंतजाम करें.

जांच करने पर जब होटल के कर्मचारी कमरा नंबर 922 में पहुंचे तो वहां पर संदीप सुरेश कांबले मृत पड़े थे, जिस की सूचना तुरंत होटल मैनेजर ने पुलिस को दे दी थी. अब तक पुलिस की टीम सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाल चुकी थी. एक सीसीटीवी में होटल रेडिसन ब्लू के कर्मचारियों ने मृतक महिला मित्र को पहचान लिया, जो अकसर मृतक के साथ होटल में ठहरने को आती रहा करती थी.

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सीसीटीवी फुटेज 

उस की पहचान अंजलि शा के रूप में हुई. सीसीटीवी फुटेज में वह महिला एक पुरुष के साथ दिखाई दे रही थी, जो होटल कर्मचारियों के लिए एकदम अंजान चेहरा था. होटल के रजिस्टर को बारीकी से चैक किया गया तो यह जानकारी निकल कर सामने आई कि

सीसीटीवी फुटेज में अंजलि शा होटल के कमरा नंबर 1024 में भी दाखिल होते देखी गई थी. उस के बाद सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध महिला ने कमरा नंबर 922 का पिछला दरवाजा खोला था, जिस में एक अन्य संदिग्ध व्यक्ति कमरा नंबर 922 में दाखिल हुआ था. उस के बाद वे दोनों एक साथ होटल रेडिसन ब्लू के बाहर के दरवाजे में बदहवासी की स्थिति में देखे गए थे.

पुलिस टीम ने जब कमरा नंबर 1024 के ग्राहक का बायोडाटा और फोन नंबर खंगाला गया तो  वह 27 वर्षीय विकास शा पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के गोलाबारी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत 12/6 ऋषिकेश घोष लेन सैकिया का निकला. एक और बात निकल कर सामने आई कि रेडिसन ब्लू होटल के रिसैप्शन पर फोन विकास शा ने ही किया था.

अब पुलिस ने अंजलि शा और विकास शा का फोन नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया था. अब तक मृतक के छोटे भाई विशाल कांबले भी गुवाहाटी पहुंच चुके थे. मृतक की पहचान संदीप सुरेश कांबले, निवासी जिला पुणे के अंतर्गत 11, पर्णकुटी पायथा, यरवदा के रूप में हो चुकी थी.

हीरा व्यापारी का फाइव स्टार लव – भाग 1

रेडिसन ब्लू होटल के कमरा नंबर 922 में हीरा व्यापारी संदीप सुरेश कांबले का शव फर्श पर पड़ा हुआ था. उस की लाश खून से लथपथ थी. चारों तरफ खून ही खून बिखरा पड़ा था.

मृतक की स्थिति देखने से साफसाफ पता चल रहा था कि उस ने आखिरी क्षणों तक काफी संघर्ष किया था, लेकिन हत्यारे शायद एक से अधिक थे, इसलिए उसे अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

पुलिस कमिश्नर गुवाहाटी दिगंता बराह ने डीसीपी (वेस्ट) पद्मनाभ बरुआ और एडीसीपी (वेस्ट) नंदिना ककाटी के सुपरविजन में तुरंत पुलिस टीम का गठन कर दिया. इंसपेक्टर संजीत कुमार रे को केस का जांच अधिकारी बनाया गया.

44 वर्षीय संदीप सुरेश कांबले और 25 वर्षीय अंजलि की मुलाकात 10 फरवरी, 2023 को कोलकाता में हुई थी. संदीप सुरेश कांबले पुणे का निवासी था और उस का डायमंड व कार का व्यवसाय था. वह अकसर बड़ेबड़े शहरों में अपने व्यवसाय के सिलसिले में आताजाता रहता था, जबकि अंजलि शा पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के अंतर्गत दक्षिण बक्सर संतरागाछी पुलिस स्टेशन की मूल निवासी थी, जो अभी भोपाल में रहती थी.

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      मृतक संदीप सुरेश कांबले

संदीप और अंजलि की मुलाकात नेताजी सुभाषचंद्र बोस इंटरनैशनल एयरपोर्ट, कोलकाता के एक रेस्टोरेंट में हुई थी, जहां पर अंजलि स्टोर मैनेजर के पद पर कार्य कर रही थी.

असल में संदीप अपने व्यापार के सिलसिले में कोलकाता आया हुआ था. उस ने खाने के और्डर में चिकन सूप मांगा, लेकिन वेटर ने भूलवश उसे वेजेटेबल सूप दे दिया और सूप भी टेबल पर रखते समय छलक कर संदीप के कीमती कपड़ों पर आ गिरा था. जिस के कारण संदीप ने गुस्से में पूरा रेस्टोरेंट ही सिर पर उठा लिया था.

वेटर जल्दी से भाग कर अंजलि के पास आया और उस ने कहा, ”अंजलि मैम, यह ग्राहक तो थोड़ी ही गलती पर मुझ पर बुरी तरह से भड़क गया. उस ने मुझे गालियां तक दे डालीं. अब उस ने पुलिस को बुलाने की धमकी भी दे दी है.’’

अंजलि ने देखा कि वेटर गिरीश डर से बुरी तरह कांप रहा था. अंजलि ने उसे समझाबुझा कर किचन में भेज दिया और खुद संदीप के पास चली गई. उस ने संदीप से बड़े ही शिष्ट अंदाज में वेटर की भूल के लिए क्षमा मांगी. खुद अपने रुमाल को गीला कर उस से संदीप के कपड़ों को साफ किया और संदीप को एक अलग कमरे में ले जा कर उसे खुद ही सूप सर्व किया.

संदीप एक ही पल में अंजलि की बातों, उस के व्यवहार और उस के खूबसूरत चेहरे का दीवाना सा हो गया था. उस ने फिर वहां पर लंच और डिनर भी किया और दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर भी दे दिए. अब जब कभी संदीप का कोलकाता में आना होता था तो वह अंजलि के रेस्टोरेंट में ही खाना खाया करता था. इस बीच वह एकदूसरे के बारे में काफी कुछ जान चुके थे.

एक दिन ऐसे ही संदीप ने अंजलि से पूछ लिया, ”अंजलि, आप को जीवन में अकेलापन नहीं खलता?’’

”देखिए संदीपजी, अकेलापन तो जरूर खलता है, मगर हमेशा एक उम्मीद भी बनी रहती है कि मैं अकेली नहीं हूं. किसी को ऊपर वाले ने मेरे लिए जरूर बना रखा है. वैसे आप को तो अकेलापन नहीं खलता होगा. आप की तो पत्नी है और 2 प्यारे प्यारे बच्चे भी हैं.’’ अंजलि ने बेहद गंभीरता से कहा.

”अंजलिजी, कभीकभी जीवन में सब कुछ होते हुए भी अकेलापन खलता रहता है. मानता हूं कि मेरी पत्नी है, बच्चे भी हैं, मगर जीवन में मुझे अभी भी अकेलापन लगता है. मैं जैसी पत्नी चाहता था, वैसी पत्नी शायद मुझे मिल न सकी. इसलिए भटकता रहता हूं.’’ संदीप ने उदासी भरे स्वर में कहा.

”अरे सर, आप तो इतने पैसे वाले हैं, करोड़पति आदमी हैं. आप तो जिस पर भी नजर मारें, वह आप की हो जाएगी.’’ अंजलि ने मुसकराते हुए कहा.

”अरे, अपने ऐसे नसीब कहां? हां, मगर आप की बातों से लगता है जैसे आप अब अपने जीवनसाथी की तलाश में हैं.’’ संदीप ने कहा.

”देखिए जनाब, मैं ने ऐसा तो नहीं कहा कि शादी करने के बाद अकेलापन बिलकुल भी दूर हो जाता है या बिलकुल खत्म सा हो जाता है. इसलिए मैं शादी झंझट से दूर ही रहना चाहती हूं. वैसे शादी करने के बाद इंसान अपने जीवन में कितना सुखी रह सकता है, यह बात तो मुझ से बेहतर आप जानते हैं. वैसे सच कह रही हूं मैं न? हां, मुझे एक सच्चे दोस्त की तलाश अवश्य है, मगर यह तलाश कब और कहां खत्म होगी, इस बात का पता मुझे बिलकुल भी नहीं है. हां, तलाश जारी है.’’ अंजलि ने अपनी आंखें आकाश की तरफ घुमाते हुए कहा.

अंजलि की बातें वाकई इतनी सही और सटीक थीं कि उन बातों ने संदीप के दिल को भीतर तक हिला कर रख डाला था. उसे अंजलि की बातों में एकदम सच्चाई नजर आ रही थी. शादी होने और बच्चों के बावजूद भी तो वह खुद हमेशा कितना अकेलापन महसूस करता था. वह आज भी सचमुच कितना अकेला था.

”चलो, मैं मानता हूं कि मैं शादी करने के बाद भी आज भी अपने आप को अकेला महसूस करता हूं. मगर क्या आप ने अपने अकेलेपन को दूर करने के बारे में कभी सोचा भी है?’’ संदीप ने पूछा.

”संदीपजी, अपनी तो तलाश जारी है. मैं ने अभीअभी आप से यह बात कही तो है न!’’ अंजलि ने कहा.

”आप एकदम सही कह रही हैं कि आप की तलाश तो मैं आप से कुछ कहना चाहता हूं, यदि आप मेरी बात का बुरा न मानें तो..?’’ संदीप ने हिचकते हुए कहा.

”जी, आप तो मेरे अपने से हैं, आप की बात का भला मैं क्यों बुरा मानने लगी.’’ अंजलि को संदीप की बातों में कोई विशेष ऐसी बात लग रही थी, मानो जिसे वह दिल से सुनना चाहती थी. उस ने एक बार संदीप की आंखों में आंखें डाल कर देखा, फिर अगले ही पल शरमाते हुए अपनी नजरें झुका दी थीं.

संदीप ने अंजलि पर क्यों डाले डोरे

संदीप तो जैसे अपने दिल की बात कहने के लिए कब से उतावला सा हो रहा था. उस ने अपनी ही रौ मैं बहते हुए आखिरकार दिल की बातें अंजलि से कह ही डाली थी, ”अंजलिजी, सचमुच मैं अपने दिल से कह रहा हूं आप को यदि बुरा भी लगेगा तो मुझ पर इस का कोई फर्क भी नहीं पड़ेगा. सच कहूं तो आप से मिलने से पहले मैं वाकई अपने आप को हमेशा अधूरा सा महसूस करता था, मगर जिस दिन से मुझे आप मिलीं, आप का व्यवहार, स्वभाव, बातें, आप का अपनापन सब मुझे ऐसा लगा जैसे आप मेरी अपनी हैं.

”आप आज से नहीं, बल्कि जैसे जन्म जन्मांतर से मेरी अपनी हैं. आप से मिलने से पहले मुझे लगता था जैसे मैं ने अपने जीवन में कुछ पाया ही नहीं है. मगर, अब मुझे ऐसा लगने लगा है जैसे आप ही मेरा सब कुछ हैं. मैं हमेशा यही सोचता हूं कि मैं आप के सामने बैठ कर आप को निहारता रहूं, आप से बातें करता रहूं, मेरा पूरा जीवन बस आप को देखते हुए गुजर जाए.’’

”देखिए संदीपजी, आप जो कुछ कह रहे हैं, मैं मानती हूं कि आप शायद सच कह रहे हैं. मगर ये बात भी सच है कि आप एक शादीशुदा इंसान हैं, आप का अपना एक संयुक्त परिवार है, आप का एक छोटा भाई भी है. आप के ऊपर अपने परिवार की पूरी पूरी जिम्मेदारी भी है. इसलिए बेहतर यही होगा कि आप मुझे भूल कर कुछ नई शुरुआत करें.’’ अंजलि ने कहा.

”देखो अंजलि, यह बात सही है कि मैं एक विवाहित पुरुष हूं, मेरा अपना एक परिवार भी है. मगर ये बात भी, बिलकुल सच है कि जिस दिन से मैं ने तुम्हें देखा है, मैं अपना दिल हार चुका हूं. मैं आप को अपने दिल की गहराइयों से बेइंतहा प्यार करने लगा हूं.’’ ऐसा कहते हुए संदीप ने अंजलि के दोनों हाथों को थाम लिया था.

”देखो संदीप, कहीं तुम बीच में मुझे कभी धोखा तो नहीं दोगे न? मुझे मंझधार में छोड़ कर तो नहीं चले जाओगे?’’ अंजलि ने भी अपने दिल की बात कह ही डाली.

”ऐसा भला तुम सोच भी कैसे सकती हो अंजलि,’’ कहते हुए संदीप ने अंजलि को अपनी बाहों में भर लिया था.

कहावत भी है कि जहां चाह होती है, वहां राह अपने आप निकल आती है. पहले तो अंजलि यह सोच कर कि संदीप एक शादीशुदा है, उस से बचती रही. संदीप की कामुकता भरी छेड़छाड़ को वह नजरअंदाज करती रही, परंतु एक दिन तो संदीप ने मर्यादा और नैतिकता की सारी हदें ही तोड़ डाली थीं.