भोगनाथ का भोग : क्या पूरे हो पाए भोगनाथ के अरमान – भाग 1

कड़ाके की सर्दी हो और ऊपर से बरसात हो जाए तो सर्दी के तेवर और भी भयावह हो जाते हैं. रोज की तरह दोपहर को भोगनाथ बिट्टू के घर पहुंचा तो वह रजाई में लिपटी बैठी थी. दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकराए, फिर हथेलियां रगड़ते हुए भोगनाथ बोला, ‘‘आज तो गजब की सर्दी है.’’

‘‘इसीलिए तो रजाई में दुबकी बैठी हूं,’’ बिट्टू बोली, ‘‘रजाई छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा, लेकिन तुम इतनी ठंड में कहां घूम रहे हो?’’

‘‘घूम नहीं रहा, सुबह से तुम्हें देखा नहीं था, इसलिए रोज की तरह तुम से मिलने चला आया,’’ भोलानाथ ने जवाब दिया, ‘‘सोचा था, तुम आग ताप रही होगी तो मैं भी हाथ सेंक लूंगा, लेकिन यहां तो हालात दूसरे ही है. लगता है मुझ से ज्यादा तुम्हें गर्मी की जरूरत है. दूसरे तरीके से हाथ सेंक कर मुझे तुम्हारी ठंड दूर करनी होगी.’’  कहने के बाद भोगनाथ ने बिट्टू का चेहरा अपने हाथों में ले लिया.

बिट्टू ने एक झटके से अपना चेहरा अलग कर लिया और ठंडे हो गए गालों पर हथेलियां मलते हुए बोली, ‘‘हटो भी, कितने ठंडे हैं तुम्हारे हाथ, एकदम बर्फ जैसे.’’

‘‘बिट्टू, कुछ चीजें ठंडी जरूर लगती हैं, लेकिन उन की तासीर बड़ी गर्म होती है,’’ भोगनाथ ने चुहल की, ‘‘मेरी बात पर विश्वास न हो तो आजमा कर देख लो. 2 मिनट में मेरे हाथ तुम्हें गर्म तो लगने ही लगेंगे, खुद भी इतनी गर्म हो जाओगी कि रजाई शरीर से उतार फेंकोगी.’’

भोगनाथ के कथन का आशय समझ कर बिट्टू के गाल सुर्ख हो गए. वह उसे मीठी फटकार लगाते हुए बोली, ‘‘मैं तुम से कई बार कह चुकी हूं कि इस तरह की बातें मत किया करो. लेकिन तुम हो कि मानते ही नहीं.’’

भोगनाथ ने थोड़ा आगे की ओर झुक कर बिट्टू की आंखों में झांका, ‘‘तो फिर कैसी बातें किया करूं?’’

‘‘वैसी ही अच्छीअच्छी बातें, जैसे दूसरे प्रेमी करते हैं.’’

‘‘प्रेमियों की बात कहीं से भी शुरू हो, जिस्म पर ही पहुंच कर खत्म होती है.’’

‘‘भोग, अभी हमारी शादी नहीं हुई है.’’

‘‘शादी भी जल्दी हो जाएगी.’’

‘‘तब जो मन में आए, बातें कर लेना.’’

‘‘बातें तो अभी भी कर रहा हूं. शादी के बाद तो कुछ और करूंगा.’’

बिट्टू को उस की बातों में रस आने लगा. मुसकरा कर उस ने पूछा, ‘‘शादी के बाद क्या करोगे?’’

‘‘कह कर बताऊं या कर के?’’

‘‘फिर शुरू हो गए.’’

‘‘उकसा तो तुम ही रही हो,’’ भोगनाथ मुसकराया, ‘‘लगता है तुम्हारा मन डोल रहा है.’’

जवाब में मुंह खोलने के लिए बिट्टू ने मुंह खोला ही था कि तभी हवा का तेज झोंका बरसात की ठंडी फुहारों को खुले दरवाजे के भीतर तक ले आया. ठंड से बिट्टू और भोगनाथ दोनों के बदन सिहर उठे. बिट्टू ने रजाई को और मजबूती से लपेट लिया, ‘‘उफ! यह बारिश और यह ठंड आज किसी की जान ले कर ही मानेगी.’’

‘‘किसी की क्या, फिलहाल तो मेरी जान पर ही बनी हुई है.’’

‘‘वो कैसे?’’

‘‘तुम ने तो सर्दी से अपना बचाव कर रखा है, मैं खुले दरवाजे के सामने खड़ा ठंड से कांप रह हूं.’’

‘‘तो दरवाजा भेड़ कर तुम भी रजाई ओढ़ लो.’’ बिट्टू के मुंह से अनायास निकल गया. यह बात उस ने कैसे कह दी. वह खुद ही नहीं समझ पाई.

भोगनाथ को शायद इसी पल की प्रतीक्षा थी. बिट्टू ने उस से दरवाजा भेड़ने को कहा था, पर उस ने दरवाजा बंद कर के सिटकनी लगा दी. उस के पास आ कर बिटटू की रजाई में घुसने लगा, ‘‘बिट्टू, तुम कितनी गर्म हो. अपने जैसा मुझे भी गर्म कर दो न?’’

‘‘मेरी रजाई में तुम कहां घुसे आ रहे हो,’’ बिट्टू ने हड़बड़ा कर कहा, ‘‘कोई आ जाए तो मैं मुफ्त में बदनाम हो जाऊंगी.’’

‘‘इश्क की दुनिया में उन का ही नाम होता है, जो बदनाम होते हैं.’’

‘‘समझने की कोशिश करो भोग,’’ बिट्टू ने प्रतिरोध किया, ‘‘तुम लड़के हो, तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.’’

‘‘मैं चाहता भी नहीं हूं कि कोई तुम्हारा मुंह देखे. तुम्हारा मुंह देखने के लिए मैं हूं न.’’ भोगनाथ ने रजाई के साथसाथ बिट्टू को भी जकड़ लिया. बिट्टू के बदन में ठंड की सिहरन दौड़ी तो पुरुष स्पर्श की मादक अनुभूति भी हुई.

गर्म रजाई और बिट्टू के तन की गरमी से भोगनाथ का शरीर सुलगने लगा. रजाई के भीतर से ही उस ने बिट्टू की कमर में हाथ डाल दिया. बिट्टू के तनमन में चिंगारियां सी चटखने लगीं. आनंद की उठती लहरों से उस की पलकें मुंदने लगीं और सांसों की रफ्तार तेज हो गई.

दोनों चुप थे, लेकिन उन की शारीरिक गतिविधियां एकदूसरे से बहुत कुछ कह रही थीं. मस्ती में भर कर वह भोगनाथ को अपने ऊपर खींचने लगी. बिट्टू की देह को मस्त और बहकते देख कर भोगनाथ ने उसे निर्वस्त्र किया, फिर स्वयं भी निर्वस्त्र हो गया. इस के बाद दोनों एकदूसरे में समा गए.

कुछ देर में जब दोनों के तन की आग ठंडी हुई तो दोनों एकदूसरे की बांहों से आजाद हुए. उस के बाद ही बिट्टू को पता चला कि पुरुष संसर्ग कितना आनंददायक होता है.

उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर के पिसावां थाना क्षेत्र के गांव सरवाडीह में भगौती रहता था. उस के परिवार में उस की पत्नी रामश्री और 2 बेटियां बिट्टू, सीमा और एक बेटा शोभित था. भगौती पिसावां कस्बे में एक दुकान पर लोहे की ग्रिल बनाने का काम करता था. भगौती को मिलने वाली मजदूरी से घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चल पाता था. घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी.

घर में बिट्टू भाईबहनों में सब से बड़ी थी. बात उस समय की है, जब बिट्टू की उम्र 16 साल थी. यौवन की दहलीज पर बिट्टू की खूबसूरती निखर गई थी.

भगौती के मकान से कुछ दूरी पर केदार रहता था. उस के परिवार में पत्नी जयरानी और 3 बेटों भोगनाथ, पिंटू और शिवा के अलावा 1 बेटी सविता थी. केदार मेहनतमजदूरी कर के  परिवार का भरणपोषण करता था. दोनों के घरों में काफी मेलजोल था और एकदूसरे के घर भी आनाजाना था.

आनेजाने के दौरान जवान होती बिट्टू पर भोगनाथ की नजर पड़ी तो उस की मदमस्त काया देख कर उस की नजरें उस पर जम गईं. जैसी लड़की की चाहत उस के दिल में थी, बिट्टू ठीक वैसी थी. बिट्टू का हसीन चेहरा उस की आंखों के रास्ते उस के दिल में उतरता चला गया.

घर के रास्ते पहले से खुले हुए थे. भोगनाथ की बिट्टू से खूब पटती थी. उस का कारण भी था, बिट्टू भी दिल ही दिल में भोगनाथ को पसंद करने लगी थी. धीरेधीरे वह भी उस की तरफ खिंचती चली गई. दोनों एकदूसरे से दिल ही दिल में प्यार करते थे. अपने प्यार का इजहार करने के लिए उन के पास पर्याप्त अवसर थे. इसलिए उन्हें न मोहब्बत के इजहार में वक्त लगा न इश्क के इकरार में.

जन्मदिन में मिली मौत : बेकसूर को मिली सजा

शहाबुद्दीन ने अपनी होने वाली पत्नी हसमतुल निशां से कहा. ‘‘निशां अपने जन्मदिन की पार्टी पर हमें दावत नहीं दोगी क्या?’’  ‘‘क्यों नहीं, जब आप ने मांगी है तो पार्टी जरूर मिलेगी. हम कार्यक्रम तय कर के आप को बताते हैं.’’ निशा ने अपने मंगेतर को भरोसा दिलाया.

निशां घर वालों के दबाव में बेमन से शहाबुद्दीन से शादी करने के लिए तैयार हुई थी, क्योंकि वह तो शाने अली को प्यार करती थी. इसलिए मंगेतर द्वारा शादी की पार्टी मांगने वाली बात उस ने अपने प्रेमी शाने अली को बताई तो वह भड़क उठा. उस ने कहा ‘‘निशा तुम एक बात साफ समझ लो कि जन्मदिन की पार्टी में शहाबुद्दीन और मुझ में से केवल एक ही शामिल होगा. तुम जिसे चाहो बुला लो.’’

निशा को इस बात का अंदाजा पहले से था कि शाने अली को यह बुरा लगेगा. उस ने कहा, ‘‘शाने अली, तुम तो खुद जानते हो कि मुझे वह पसंद नहीं है. लेकिन अब घर वालों की बात को नहीं टाल सकती.’’

‘‘निशा, तुम यह समझ लो कि यह शादी केवल दिखावे के लिए है.’’ शाने अली ने जब यह कहा तो निशा ने साफ कह दिया कि शादी दिखावा नहीं होती. शादी के बाद उस का मुझ पर पूरा हक होगा.’’

‘‘नहीं, शादी के पहले और शादी के बाद तुम्हारे ऊपर हक मेरा ही रहेगा. जो हमारे बीच आएगा, उसे हम रास्ते से हटा देंगे.’’ यह कह कर शाने अली ने फोन रख दिया.

हसमतुल निशां ने बाद में शाने अली से बात की और उन्होंने यह तय कर लिया कि वे दोनों एक ही रहेंगे. उन को कोई जुदा नहीं कर पाएगा. दोनों के बीच जो भी आएगा, उसे राह से हटा दिया जाएगा.

शहाबुद्दीन की शादी हसमतुल निशां के साथ तय हुई थी. निशां लखनऊ स्थित पीजीआई के पास एकता नगर में रहती थी. वह अपने 2 भाइयों में सब से छोटी और लाडली थी. शहाबुद्दीन भी अपने घर में सब से छोटा था. वह निशां के घर से करीब 35 किलोमीटर दूर बंथरा में रहता था.

शहाबुद्दीन ट्रांसपोर्ट नगर में एक दुकान पर नौकरी करता था, जो दोनों के घरों के बीच थी. हसमतुल निशां ने अपने घर वालों के कहने पर शहाबुद्दीन के साथ शादी के लिए हामी तो भर दी थी पर वह अपने प्रेमी शाने अली को भूलने के लिए भी तैयार नहीं थी.

ऐसे में जैसेजैसे शहाबुद्दीन के साथ शादी का दिन करीब आ रहा था, दोनों के बीच तनाव बढ़ रहा था. हसमतुल निशां ने पहले ही फैसला ले लिया था कि वह शादी का दिखावा ही करेगी. बाकी मन से तो अपने प्रेमी शाने अली के साथ रहेगी.

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शहाबुद्दीन के साथ हसमतुल निशां की सगाई होने के बाद दोनों के बीच बातचीत होने लगी. शहाबुद्दीन अकसर उसे फोन करने लगा. मिलने के लिए भी दबाव बनाने लगा. यह बात निशां को अच्छी नहीं लग रही थी.

शाने अली भी नहीं चाहता था कि निशां अपने होने वाले पति शहाबुद्दीन से मिलने जाए. जब भी उसे यह पता चलता कि दोनों की फोन पर बातचीत होती है और वे मिलते भी हैं. इस बात को ले कर वह निशां से झगड़ता था. दोनों के बीच लड़ाईझगड़े के बाद यह तय हुआ कि अब शहाबुद्दीन को रास्ते से हटाना ही होगा.

शहाबुद्दीन को अपनी होने वाली पत्नी और उस के प्रेमी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. वह दोनों को आपस में रिश्तेदार समझता था और उन पर भरोसा भी करता था. अपनी होने वाली पत्नी हसमतुल निशां को अच्छी तरह से जाननेसमझने के लिए वह उस के करीब आने की कोशिश कर रहा था. उसे यह नहीं पता था कि उस की यह कोशिश उसे मौत की तरफ ले जा सकती है.

शहाबुद्दीन अपनी मंगेतर के साथ संबंधों को मधुर बनाने की कोशिश कर रहा था पर प्रेमी के मायाजाल में फंसी हसमतुल निशां अपने को उस से दूर करना चाहती थी. परिवार के दबाव में वह खुल कर बोल नहीं पा रही थी.

12 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज थाना क्षेत्र में स्थित कल्लू पूरब गांव के पास झाडि़यों में शहाबुद्दीन उर्फ मनीष की खून से लथपथ लाश पड़ी मिली. करीब 26 साल के शहाबुद्दीन के सीने में चाकू से कई बार किए गए थे.

गांव वालों की सूचना पर पुलिस ने शव को बरामद किया. शव मिलने वाली जगह से कुछ दूरी पर ही एक बाइक खड़ी मिली. बाइक में मिले कागजात से पुलिस को पता चला कि वह बाइक मृतक शहाबुद्दीन की ही थी. इस के आधार पर पुलिस ने उस के घर पर सूचना दी.

शहाबुद्दीन के भाई ने अनीस ने शव को पहचान भी लिया. अनीस की तहरीर पर पुलिस ने धारा 302 आईपीसी के तहत मुकदमा कायम किया.

हत्या की घटना को उजागर करने और अपराधियों को पकड़ने के लिए डीसीपी (दक्षिण लखनऊ) रवि कुमार, एडिशनल डीसीपी पुर्णेंदु सिंह, एसीपी (दक्षिण) दिलीप कुमार सिंह ने घटनास्थल पर पहुंच कर फोरैंसिक टीम व डौग स्क्वायड बुला कर मामले की पड़ताल शुरू की.

शहाबुद्दीन के शव की तलाशी लेने पर पर्स और मोबाइल गायब मिला. शव के पास 2 टूटी कलाई घडि़यां और एक चाबी का गुच्छा मिला. यह समझ आ रहा था कि हत्या के दौरान आपसी संघर्ष में यह हुआ होगा.

पुलिस के सामने शहाबुद्दीन के घर वालों ने उस की होने वाली पत्नी हसमतुल निशां के परिजनों पर हत्या का आरोप लगाया. डीसीपी रवि कुमार ने इस केस को सुलझाने के लिए एसीपी दिलीप कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की.

टीम में इंसपेक्टर दीनानाथ मिश्रा, एसआई रमेश चंद्र साहनी, राजेंद्र प्रसाद, धर्मेंद्र सिंह, महिला एसआई शशिकला सिंह, कीर्ति सिंह, हैडकांस्टेबल अश्वनी दीक्षित, कांस्टेबल संतोश मिश्रा, शिवप्रताप और विपिन मौर्य के साथ साथ सर्विलांस सेल के सिपाही सुनील कुमार और रविंद्र सिंह को शामिल किया गया. पुलिस ने सर्विलांस की मदद से जांच शुरू की.

शहाबुद्दीन बंथरा थाना क्षेत्र के बनी गांव का रहने वाला था. वह ट्रांसपोर्ट नगर में खराद की दुकान पर काम करता था. 11 मार्च, 2021 को वह अपने पिता मीर हसन की बाइक ले कर घर से जन्मदिन की पार्टी में हिस्सा लेने के लिए निकला था. शहाबुद्दीन की मंगेतर हसमतुल निशां ने उसे जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया था.

शहाबुद्दीन ने यह बात अपने घर वालों को बताई और दुकान से सीधे पार्टी में शामिल होने चला गया था. देर रात वह घर वापस नहीं आया. अगले दिन यानी 12 मार्च की सुबह 11 बजे पुलिस ने उस की हत्या की सूचना उस के घर वालों को दी.

अनीस ने पुलिस का बताया कि 27 मई को शहाबुद्दीन और हसमतुल निशां का निकाह होने वाला था. बारात लखनऊ में पीजीआई के पास एकता नगर में नवाबशाह के घर जाने वाली थी. शहाबुद्दीन की हत्या की सूचना पा कर पिता मीर हसन, मां कमरजहां, भाई इश्तियाक, शफीक, अनीस और राजू बिलख रहे थे.

मां कमरजहां रोते हुए कह रही थी, ‘‘मेरे बेटे की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. वह घर का सब से सीधा लड़का था. उस ने किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ा था. ऐसे में उस के साथ क्या हुआ?’’

पुलिस ने जन्मदिन में बुलाए जाने और लूट की घटना को सामने रख कर छानबीन शुरू की.

शहाबुद्दीन की हत्या को ले कर परिवार के लोगों को एक वजह शादी लग रही थी. परिवार को शहाबुद्दीन की हत्या के पीछे उस की होने वाली पत्नी और उस के भाइयों पर शक था. इसलिए अनीस की तहरीर पर पुलिस ने हसमतुल निशां और उस के भाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस ने तीनों को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. पुलिस की विवेचना में यह बात खुल कर सामने आई कि शहाबुद्दीन की हत्या में उस की होने वाली पत्नी हसमतुल निशां का हाथ था. यह भी साफ था कि हसमतुल निशां का साथ उस के भाइयों ने नहीं, बल्कि उस के प्रेमी शाने अली ने दिया था.

शहाबुद्दीन उर्फ मनीष की हत्या की साजिश उस की मंगेतर हसमतुल निशां और उस के प्रेमी शाने अली ने अपने 6 अन्य साथियों के साथ मिल कर रची थी. मोहनलालगंज कोतवाली के इंसपेक्टर दीनानाथ मिश्र के मुताबिक बंथरा कस्बे के रहने वाले शहाबुद्दीन की शादी हसमतुल निशां के साथ 27 मई को होनी थी. इस से हसमतुल खुश नहीं थी.

वह पीजीआई के पास रहने वाले शाने अली से प्यार करती थी. इस के बाद भी परिवार वालों के दबाव में शहाबुद्दीन से मिलती रही. जैसेजैसे शादी का समय पास आता जा रहा हसमतुल निशां अपने मंगेतर शहाबुद्दीन से पीछा छुड़ाने के बारे में सोचने लगी.

इस के लिए उस ने अपने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर योजना बनाई. हसमतुल निशां चाहती थी कि शाने अली उस के मंगेतर शहाबुद्दीन को किसी तरह रास्ते से हटा दे.

योजना को अंजाम देने के लिए शाने अली ने अपने जन्मदिन के अवसर पर 11 मार्च, 2021 को शहाबुद्दीन को मिलने के लिए बुलाया.

गुरुवार रात के करीब साढ़े 8 बजे शाने अली और उस के दोस्त बाराबंकी निवासी अरकान, मोहनलालगंज निवासी संजू गौतम, अमन कश्यप और पीजीआई निवासी समीर मोहम्मद बाबूखेड़ा में जमा हुए. जैसे ही शहाबुद्दीन वहां पहुंचा शाने अली और उस के दोस्तों ने उस पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया.

अपने ऊपर चाकू से हमला होने के बाद भी शहाबुद्दीन ने हार नहीं मानी और अपनी जान बचाने के लिए वह हमलावरों से भिड़ गया.

शाने अली और उस के हमलावर दोस्तों को जब लगा कि शहाबुद्दीन बच निकलेगा तो उन लोगों ने कुत्ते को बांधी जाने वाली जंजीर से शहाबुद्दीन का गला कस दिया, जिस से शहाबुद्दीन अपना बचाव नहीं कर पाया और अपनी जान से हाथ धो बैठा.

अगले दिन जब शहाबुद्दीन का शव मिला तो उस के भाई अनीस ने हसमतुल निशां के भाइयों पर हत्या का शक जताया. पुलिस ने संदेह के आधार पर ही उन से पूछताछ शुरू की थी. इस बीच पुलिस को हसमतुल निशां और शाने अली के प्रेम संबंधों के बारे में पता चला. पुलिस ने जब हसमतुल निशां से पूछताछ शुरू की तो वह टूट गई.

हसमतुल निशां ने पुलिस को बताया कि उस ने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर मंगेतर शहाबुद्दीन की हत्या कर दी. इस के बाद पुलिस ने शाने अली और उस साथियों को पकड़ने के लिए उन के घरों पर दबिशें दे कर गिरफ्तार कर लिया.

शहाबुद्दीन की हत्या के आरोप में पुलिस ने हसमतुल निशां, शाने अली, अरकान, संजू गौतम, अमन कश्यप, समीर मोहम्मद को जेल भेज दिया. पुलिस को आरोपियों के पास से एक चाकू, गला घोटने के लिए प्रयोग में लाई गई चेन, संजू की मोटरसाइकिल, 2 कलाई घडि़यां, 6 मोबाइल फोन और आधार कार्ड बरामद हुए.

सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. 24 घंटे के अंदर केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की डीसीपी (दक्षिण) रवि कुमार ने सराहना की.

मंजू और उसके 2 प्रेमी : घरगृहस्थी को किया बरबाद

सुबह के यही कोई 7 बजे थे, तभी धार जिले के अमझेरा थानाप्रभारी रतनलाल मीणा को थाना इलाके में एक युवक द्वारा आत्महत्या करने की खबर मिली.  सूचना पाते ही टीआई मीणा के निर्देश पर एसआई राजेश सिंघाड पुलिस टीम को ले कर मौके पर पहुंच गए, जहां कमरे की छत पर लगभग 28 वर्षीय अजय भायल की लाश  छत में लगे कुंदे के सहारे फांसी पर लटकी थी.

घटना के समय घर में अजय की पत्नी मंजू मौजूद थी, जिस ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि रात को हम दोनों खाना खा कर अपने बिस्तर पर सो गए थे. जिस के बाद सुबह उठ कर उस ने पति को फांसी पर लटका देखा तो उस ने लोगों को घटना की जानकारी दी.

एसआई सिंघाड को मंजू के हावभाव कुछ अजीब लगे. क्योंकि मंजू बेबाक हो कर घटना की जानकारी दे रही थी. जबकि एक जवान पति के मरने के बाद किसी भी औरत का इस तरह बात करना असंभव था. वह भी तब जब उस के पति का शव उस के सामने फांसी के फंदे पर झूल रहा हो. एसआई राजेश सिंघाड ने यह बात अपने ध्यान में नोट कर शव को फंदे से उतारा. उन्होंने पूरी स्थिति से टीआई रतनलाल मीणा को अवगत कराया. शव पोस्टमार्टम के लिए भेजने से पहले उन्होंने पूरे घर की अच्छी तरह से तलाशी ली, पर वहां कहीं भी कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. यह बात 26 अगस्त, 2020 की है.

यह आत्महत्या है या अजय की हत्या की गई है, यह तय करने के लिए पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था. तब तक मामला संदिग्ध था. इस दौरान प्रारंभिक पूछताछ में अजय के घर वालों ने अपने बेटे की मौत को हत्या  बताते हुए उस की पत्नी मंजू पर शक जाहिर किया.

उन का कहना था कि मंजू का चालचलन ठीक नहीं था, जिस के कारण पतिपत्नी में आए दिन झगड़ा होता रहता था. इतना ही नहीं, जिस रात अजय का शव फांसी पर लटका मिला उस रात भी उस की पत्नी और अजय के बीच झगड़ा होने की बात पुलिस की जानकारी में आई, मगर मंजू ने इस बात से इनकार कर दिया.

उस का कहना था कि उस के पति कई दिनों से परेशान रहने लगे थे. मैं ने उन से परेशानी का कारण भी जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं बताया.

जांच अधिकारी एसआई राजेश सिंघाड ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले ही जांच कर पता कर लिया था कि मृतक अजय और उस की पत्नी दोनों न केवल शराब पीने के शौकीन थे, बल्कि गांव में अवैध रूप से शराब का धंधा भी करते थे.

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जाहिर सी बात है जहां शराब का धंधा होता हो, वहां लड़ाईझगड़ा होना कोई अजूबा नहीं है. इसलिए दोनों के झगडे़ पर कोई ध्यान नहीं देता था.

इस बीच पुलिस को अजय की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई, जिस में साफ बताया गया कि अजय की मौत फांसी लगने के पहले ही हो चुकी थी. बात साफ थी कि उस की हत्या करने के बाद उसे आत्महत्या साबित करने की गरज से फांसी पर लटकाया गया था.

चूंकि अजय का शव घर के अंदर मिला था और रात में उस की 25 वर्षीय बेहद खूबसूरत पत्नी मंजू उस के साथ में थी. इसलिए टीआई मीणा जानते थे कि यह संभव नहीं है कि पत्नी घर में सोती रहे और कोई बाहर से आ कर पति की हत्या कर के चला जाए.

इसलिए उन के निर्देश पर जांच अधिकारी एसआई सिंघाड ने मृतक की पत्नी मंजू से बारबार पूछताछ की, जिस में एक समय ऐसा आया कि वह खुद अपने बयानों में उलझ गई, जिस से उस ने अपने 2 प्रेमियों मनोहर और सावन निवासी राजपुरा के साथ मिल कर पति की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

पुलिस ने आरोपियों के ठिकानों पर छापे मार कर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया, जिस के बाद अपने दोनों प्रेमियों के साथ मिल कर हत्या कर दिए जाने की कहानी इस प्रकार से सामने आई.

अजय मध्य प्रदेश के जिला धार के गांव नालापुरा में अपनी पत्नी मंजू के साथ रहता था. अजय के पास आय का कोई साधन नहीं था. इसलिए अजय ने घर पर छोटीमोटी किराने की दुकान खोल रखी थी, जिस से उस का मुश्किल से ही गुजारा हो पाता था.

अजय की पत्नी मंजू जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही दिमाग से तेज भी थी इसलिए उस ने अजय को सलाह दी कि अकेला गुड़, तेल बेचने से उन की दालरोटी नहीं चलने वाली, इसलिए हम किराने की ओट में शहर से शराब ला कर बेचना शुरू कर देते हैं, जिस से काफी कमाई हो सकती है. इस काम में अजय ने पुलिस का डर होने की बात कही तो मंजू ने कहा कि यह बात तुम मुझ पर छोड़ दो.

अजय पत्नी की बात पर राजी हो गया, जिस से उस ने शहर से शराब ला कर दुकान में रख कर बेचनी शुरू कर दी थी. कहना नहीं होगा कि शराब पीने वाले रेट के चक्कर में नहीं पड़ते, इसलिए गांव के शौकीन लोग मंजू से मुंहमांगे दाम पर शराब खरीदने लगे.

गांव का संपन्न किसान मनोहर पडियार भी शराब का शौकीन था. इसलिए जब उसे पता चला कि मंजू और अजय गांव में शराब बेचने लगे हैं, तब से मनोहर ने शहर से शराब खरीदनी ही बंद कर दी.

मंजू जानती थी कि शराब के शौकीन मजबूरी में ही महंगी शराब उस से खरीदते हैं, वरना लोग शहर से ही अपने लिए शराब खरीद कर लाते थे. लेकिन मनोहर उस का रोज का ग्राहक था. इसलिए एक दिन मंजू ने मनोहर से पूछ लिया, ‘‘अब शहर से शराब खरीद कर नहीं लाते क्या?’’

‘‘मेरा यहां रोजरोज आना तुम्हें अच्छा नहीं लगता क्या?’’ मनोहर ने उलटा उसी से सवाल कर दिया.

‘‘नहीं, यह बात नहीं है, बस ऐसे ही पूछ लिया.’’ वह बोली.

‘‘अब पूछ लिया है तो कारण भी सुन लो. तुम जिस बोतल को हाथ लगा देती हो न, उस बोतल का नशा और भी बढ़ जाता है. इसलिए मुझे तुम्हारे यहां की शराब अच्छी लगती है.’’  मनोहर ने मंजू की प्रशंसा करते हुए कहा.

‘‘ऐसा है क्या?’’ मनोहर की बात सुन कर मंजू ने मुसकराते हुए बोली.

‘‘हां, क्योंकि तुम्हारे छू भर लेने से शराब में तुम्हारा नशा भी घुल जाता है.’’ मनोहर ने मुसकराते हुए कहा और शराब की बोतल पकड़ते समय मंजू की अंगुलियां दबा दीं.

मंजू बच्ची तो थी नहीं, जो इस का मतलब न समझती हो. लेकिन वह अपने रोज के ग्राहक को नाराज नहीं करना चाहती थी, इसलिए मुसकराते हुए बोली, ‘‘क्या बात है मनोहर बाबू, आज पीने से पहले ही चढ़ गई क्या?’’

‘‘हां, तुम से चार बातें जो हो गईं.’’ मनोहर ने उस से कहा और अपनी बोतल ले कर चला गया.

उस दिन के बाद से मनोहर और मंजू के बीच अनकहे तौर पर नजदीकी बढ़ने लगी. जिस से कुछ दिनों बात मनोहर मंजू के घर में ही बैठ कर शराब पीने लगा.

मंजू भी शराब पीने की शौकीन थी, सो एक दिन वह भी मनोहर के साथ पेग से पेग भिड़ाने लगी. जिस के चलते शराब के नशे में दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए.

मंजू खूबसूरत और जवान थी. मनोहर को उस की जरूरत थी और मंजू को मनोहर के पैसों की. इसलिए मनोहर उस पर पैसे लुटाते हुए लगभग रोज ही मंजू के साथ उस वक्त समय बिताने लगा, जब उस का पति अजय दुकान का सामान लेने शहर गया होता था.

राजपुरा गांव का रहने वाला सावन हेयर कटिंग सैलून चलाता था. वह शराब का शौकीन भी था और मनोहर का दोस्त भी. इसलिए कभीकभार वह मनोहर के साथ मंजू के यहां शराब पीने चला जाया करता था.

इस दौरान वह जल्दी ही समझ गया कि मनोहर और मंजू के बीच शारीरिक संबंध भी हैं तो मौके का फायदा उठा कर उस ने मनोहर से कहा कि वह उसे भी मंजू संग सोने का मौका दिलवा दे.

मनोहर ने मंजू से सावन को एक बार खुश करने को कहा तो मंजू थोड़ी नानुकुर के बाद मान गई. लेकिन इस के बाद कुछ ऐसा हुआ कि मनोहर के अलावा सावन के साथ भी मंजू के स्थाई अवैध संबंध बन गए.

चूंकि मनोहर और सावन दोनों दोस्त थे और साथ में ही शराब पीया करते थे, इस कारण कई बार वे दोनों एक साथ मंजू के संग अय्याशी कर चुके थे. लेकिन कोरोना के कारण देश में लौकडाउन लग जाने से अजय का सामान खरीदने के लिए शहर जाना बंद हो गया. दूसरा उस के पास शराब का स्टौक भी खत्म हो गया.

इस से अजय और मंजू की कमाई पर ब्रेक तो लगा ही, साथ ही मंजू के संग मनोहर और सावन की अय्याशी पर भी ब्रेक लग गया. जिस से दोनों दोस्त मंजू से मिलने के लिए परेशान होने लगे. इस बीच एक दिन गांव में अपने दोस्तों के साथ अजय को ताश खेलते देख मनोहर और सावन मंजू के घर पहुंच गए और एक साथ मंजू के संग वासना का खेल खेलने लग गए. इसी बीच अजय के घर आ जाने से तीनों रंगेहाथ पकड़े गए.

पत्नी को अय्याशी का घिनौना खेल खेलते देख अजय पागल हो कर गुस्से में उस की पिटाई करने लगा. जिस के बाद तो यह आए दिन का काम होने लगा. अजय बातबात पर उस की अय्याशी का ताना दे कर उसे पीटने लगा. इस से मंजू तंग आ गई. उस ने यह बात अपने प्रेमियों को बताई तो वे अजय के साथ रंजिश रखने लगे.

इस दौरान लौकडाउन फिर से हट जाने से मंजू अवैध शराब बेचने लगी, मनोहर शराब लेने उस की दुकान पर अभी भी जाया करता था. लेकिन अब पहले जैसी अय्याशी संभव नहीं थी. इसलिए मनोहर और सावन दोनों ही अजय को रास्ते से हटाने की सोचने लगे थे.

आरोपियों ने बताया कि घटना की रात अजय फिर मंजू को उस के अवैध संबंध को ले कर उस के साथ मारपीट कर रहा था. इस बात की जानकारी मंजू ने मनोहर को फोन पर दी तो मनोहर सावन को ले कर मंजू के घर पहुंच गया. जहां उस ने अजय को समझाबुझा कर अपने साथ शराब पीने को राजी कर लिया.

इस के बाद उस ने अजय से ही खरीद कर उसे खूब शराब पिलाई और जब उस ने देखा कि पर्याप्त नशा हो गया है तो सावन, मंजू और मनोहर तीनों ने मिल कर गला दबा कर अजय की हत्या कर दी. उस के बाद लाश को फांसी पर लटका दिया ताकि पुलिस समझे कि उस ने आत्महत्या की है.

लेकिन टीआई रतनलाल मीणा के नेतृत्व में एसआई राजेश सिंघाड की सटीक जांच से तीनों आरोपी हफ्ते भर में ही कानून की गिरफ्त में आ गए.

मंजू के बारे में बताया जाता है कि पति की हत्या करने के बाद उसे कानून का जरा भी डर नहीं था. इसलिए दोनों प्रेमियों संग मिल कर पति की हत्या के बाद उस के शव को फंदे पर लटका कर दोनों प्रेमियों संग मस्ती करते हुए शराब पीने के बाद खाना भी खाया और फिर जिस कमरे में पति की लाश लटकी थी, उसी कमरे में सो गई थी.

उस ने पुलिस को बताया कि सुबह उठने के बाद उस ने मोहल्ले वालों को बुला कर पति द्वारा आत्महत्या करने की बाद बताई.

पुलिस ने मंजू और उस के दोनों प्रेमियों मनोहर व सावन को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

प्रेमिका के चक्कर में : रितेश का हत्यारा प्रेमी

मई महीने की 15 तारीख की सुबह करीब 10 बजे प्रेमा का ढाई साल का बड़ा बेटा रितेश चौहान अपने घर के बाहर खेल रहा था. प्रेमा जब घर से बाहर निकली तो उसे रितेश दिखाई न दिया. तब उस ने बेटे को आवाज लगाई, ‘‘रितेश, बेटा कहां हो?’’

लेकिन रितेश घर के आसपास कहीं न मिला. प्रेमा रितेश को घर के बाहर न पा कर घबरा गई. वह उसी समय अपने ससुर जगराम के पास गई, क्योंकि प्रेमा का पति जवाहर लाल एक दिन पहले ही गांव से दिल्ली गया था. प्रेमा रोते हुए ससुर जगराम से बोली, ‘‘बाबूजी, रितेश अभी कुछ देर पहले घर से बाहर खेल रहा था. लेकिन अब वह कहीं दिखाई नहीं दे रहा है.’’

बहू प्रेमा की बात सुन कर जगराम भी घबरा गए और उन्होंने घर के आसपास अपने ढाई वर्षीय पोते रितेश को आवाज देनी शुरू कर दी, लेकिन रितेश का कहीं पता नहीं चला.

इस के बाद प्रेमा देवी, ससुर जगराम और प्रेमा देवी के 2 देवर सहित परिवार के सभी सदस्य बदहवासी की अवस्था में उसे इधरउधर ढूंढने लगे. लेकिन रितेश का कहीं नहीं मिला. परिवार वालों ने उसे आसपास के खेतों, बागबगीचों में हर जगह ढूंढा, पर उस के बारे में कहीं कोई जानकारी नहीं मिली.

रितेश के गायब होने की खबर एक दिन पहले दिल्ली गए उस के पिता जवाहरलाल को भी फोन द्वारा दे दी गई. बेटे के गायब होने की खबर पा कर जवाहर भी घबरा गया और वह उसी दिन दिल्ली से अपने घर के लिए चल पड़ा. इधर प्रेमा का रोरो कर बुरा हाल हो गया था.

रितेश के गायब होने की सूचना जंगल में आग की तरह आसपास के गांवों में भी फैल चुकी थी. लोग जी जान से रितेश को खोजने में लगे थे. तभी किसी ने रितेश के दादा जगराम को बताया कि चचेरा भाई संदीप चौहान रितेश को साइकिल पर बैठा कर कहीं ले जा रहा था.

रितेश के परिजनों ने संदीप को पकड़ कर उस से कड़ाई से पूछा कि रितेश के साथ उस ने क्या किया है तो संदीप बोला, ‘‘मुझे नहीं पता और न ही मैं ने रितेश को देखा है.’’

लोग बारबार संदीप से रितेश के बारे में पूछते रहे लेकिन संदीप रितेश के बारे में अनभिज्ञता ही जाहिर करता रहा.

इस के बाद लोगों के कहने पर जगराम ने स्थानीय थाने सोनहा पहुंच कर पोते के गायब होने की जानकारी देते हुए संदीप पर उसे गायब करने का आरोप लगाया.

जगराम की शिकायत को थानाप्रभारी अशोक कुमार सिंह ने गंभीरता से लिया. उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को भी घटना की सूचना दे दी.

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सूचना पा कर एसपी आशीष श्रीवास्तव, सीओ (रुधौली) धनंजय सिंह कुशवाहा, स्वाट, एसओजी और सर्विलांस और डौग स्क्वायड टीम के साथ पहुंच गए. इस के अलावा रुधौली सर्किल के सभी थानों को भी रितेश की खोज में लगा दिया गया.

पुलिस स्वाट और डौग स्क्वायड टीम के साथ रितेश को खोजने में लगी हुई थी, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चल रहा था और उधर पुलिस जगराम की शिकायत पर आरोपी संदीप के घर पहुंची तो वह भी घर पर नहीं मिला.

अगले दिन 16 मई की सुबह पुलिस ने संदीप को गांव के पास से धर दबोचा. जब पुलिस ने उस से रितेश के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह रितेश को बिसकुट टौफी दिलाने ले गया था. जिस के बाद उस ने रितेश को उस के घर पर छोड़ दिया था.

पुलिस को संदीप के बातचीत के लहजे से कुछ शक हुआ, फिर पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ शुरू कर दी, जिस से संदीप टूट गया. इस के बाद उस ने अपने रिश्ते के भतीजे ढाई वर्षीय रितेश की हत्या किए जाने की बात कबूल कर ली.

उस ने बताया कि रितेश की हत्या उस ने गांव की ही महिला पार्वती के कहने पर की थी. पार्वती उस की प्रेमिका है. उस ने पुलिस को बताया कि हत्या करने के बाद रितेश की लाश खाजेपुर के जंगल में छिपा दी थी.

पुलिस ने हत्यारोपी महिला पार्वती को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. उस के घर से पुलिस को रितेश की चप्पलें और वारदात में प्रयुक्त साइकिल भी बरामद हो गई. रितेश की लाश बरामद करने के लिए पुलिस दोनों आरोपियों को खाजेपुर के जंगल में ले गई. वहां एक गड्ढे से रितेश की लाश बरामद कर ली गई.

रितेश की हत्या और उस की लाश मिलने की जानकारी जैसे ही उस की मां प्रेमा को मिली तो वह बेसुध हो कर गिर पड़ी, उधर बाकी परिजनों का भी रोरो कर बुरा हाल था.

रितेश की लाश की बरामदगी के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. संदीप और पार्वती से विस्तार से पूछताछ की गई तो उन्होंने ढाई वर्षीय रितेश की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला बस्ती के सोनहा थाना क्षेत्र के दरियापुर जंगल टोला उकड़हवा की रहने वाली पार्वती देवी का पति अहमदाबाद में रह कर नौकरी करता था. पार्वती कुछ दिनों गांव में रहती तो कुछ दिनों अहमदाबाद में अपने पति के साथ गुजारती थी.

शादी के बाद पार्वती 4 बेटियों और एक बेटे की मां बन चुकी थी. इस के बावजूद भी वह अपने पति से संतुष्ट नहीं थी. इसलिए वह किसी ऐसे साथी की तलाश में थी, जो उस की ख्वाहिशें पूरी कर सके.

पार्वती अहमदाबाद से जब अपने गांव आती तो हरिराम का लड़का संदीप चौहान कभीकभार उस के घर आ जाता था. पार्वती जब हृष्टपुष्ट संदीप को देखती तो उस के दिल में चाहत की हिलारें उठ जाती थीं. उसे अपने जाल में फांसने के लिए वह उस से अश्लील मजाक करने लगती.

संदीप बच्चा तो था नहीं, इसलिए वह पार्वती के इशारों को समझने लगा था. आखिर एक दिन पार्वती ने मौका पा कर संदीप से अपने दिल की बात कह दी, ‘‘संदीप, तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो. तुम्हें देख कर मुझे कुछकुछ होने लगता है.’’

पार्वती की तरफ से खुला आमंत्रण पा कर संदीप भी खुद पर काबू नहीं रख सका. इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. फिर तो उन्हें जब भी मौका मिलता, अपनी हसरतें पूरी कर लेते.

इधर जब पार्वती गांव से अपने पति के पास अहमदाबाद चली जाती तो फिर उसे संदीप की याद सताती थी. इसलिए वह फिर से गांव भाग आती थी.

कहा जाता है कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपता है, उसी तरह से पार्वती और संदीप के अवैध संबंध की बात धीरेधीरे आसपड़ोस में भी फैलने लगी थी. लोग जब भी दोनों को देखते तो कानाफूसी करने लगते थे. यह बात धीरेधीरे संदीप के घर वालों को भी पता चल चुकी थी. जिस के बाद संदीप के घर वालों ने उसे समझाया भी, लेकिन पार्वती पर कोई असर नहीं पड़ा.

रितेश की हत्या के लगभग 2 महीने पहले एक दिन संदीप चौहान के रिश्ते की भाभी प्रेमा की पार्वती के साथ किसी बात को ले कर कहासुनी हो गई. इसी दौरान तूतूमैंमैं के दौरान प्रेमा ने पार्वती और संदीप के संबंधों को ले कर कटाक्ष कर दिया. बात बढ़ी तो प्रेमा ने इस की शिकायत सोनहा थाने में कर दी, जहां पुलिस ने दोनों को बुला कर समझायाबुझाया.

पार्वती को प्रेमा द्वारा थाने में बुलाया जाना नागवार लगा. उसे लगा कि उस ने कोई गलती नहीं की, उस के बावजूद भी उसे थाने बुला कर नीचा दिखाया गया. यह बात पार्वती के मन में गांठ कर गई और वह प्रेमा से बदला लेने की फिराक में लग गई.

थाने से आने के बाद पार्वती प्रेमा से बदले की फिराक में लगी रही. बदले की आग में झुलस रही पार्वती ने एक छोटी सी वजह से एक खौफनाक फैसला ले लिया था. उस ने इस के लिए अपने प्रेमी संदीप चौहान को मोहरा बनाने की चाल चली और संदीप के साथ मिल कर मासूम रितेश की हत्या की खौफनाक साजिश तैयार कर डाली.

संदीप चौहान पार्वती के साथ मिल कर पूरी प्लानिंग के साथ इस घटना को अंजाम देना चाहता था. इस के लिए उस ने प्रेमा के घर आनाजाना शुरू कर दिया और वह रोज रितेश के साथ खेलता और साइकिल पर बैठा कर अकसर उसे टौफी, बिसकुट दिलाने दुकान तक ले जाता था.

जब उसे लगा कि कोई उस पर शक नहीं करेगा तो पार्वती के साथ मिल कर रितेश की हत्या की साजिश को अंजाम तक पहुंचाने का फैसला कर लिया.

संदीप ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह हर रोज की तरह 15 मई, 2021 की सुबह करीब 10 बजे प्रेमा के घर पहुंचा, जहां रितेश को बाहर अकेले खेलते देख मौका पा कर उसे टौफी और बिसकुट दिलाने के बहाने  साइकिल पर बैठा कर ले गया.

अपनी प्रेमिका पार्वती के कहने पर वह उसे गांव से दूर खाजेपुर के जंगल में ले गया और वहीं उस की गला दबा कर हत्या कर दी. उस के शव को उस ने वहीं पर एक छोटे से गड्ढे में डाल कर पत्तियों से छिपा दिया.

ढाई वर्षीय रितेश के गायब होने के बाद खोजबीन में लगे परिजनों को जब यह पता चला कि आखिरी बार रितेश को संदीप के साथ साइकिल पर बैठे देखा गया था तो लोगों के शक की सुई संदीप पर टिक गई. जिस के बाद पुलिस के हिरासत में आने के बाद संदीप ने सब कुछ सचसच बता दिया.

जब लोगों को यह बात पता चली कि पार्वती और उस के प्रेमी संदीप ने जघन्य तरीके से मासूम रितेश की हत्या की है तो लोगों का गुस्सा बढ़ने लगा. पुलिस के उच्चाधिकारियों ने स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए कुछ दिनों के लिए गांव में पीएसी की प्लाटून के साथ पुलिस बल तैनात कर दिया था.

पुलिस ने 24 घंटे के भीतर घटना का परदाफाश कर हत्यारोपी पार्वती और संदीप चौहान के खिलाफ आईपीसी की धारा 364 (अपहरण), 302 (हत्या), 201 (हत्या के बाद शव छिपाना), 120बी (वारदात की साजिश में सम्मिलित होने) का मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

आरोपी पार्वती के गुनाहों के चलते जब उस की डेढ़ साल की बेटी को भी अपना समय जेल में बिताना होगा.

प्यार, सेक्स और हत्या : प्यार बना हैवान

‘‘सीमा, देखो शाम का समय है. मौसम भी मस्तमस्त हो रहा है. घूमने का मन कर रहा है. चलो, हम लोग कहीं घूम कर आते हैं.’’ लखनऊ के स्कूटर इंडिया के पास रहने वाली सीमा नाम की लड़की से उस के बौयफ्रैंड कैफ ने मोबाइल पर बात करते हुए कहा.

‘‘कैफ, अभी तो कोई घर में है नहीं, बिना घर वालों के पूछे कैसे चलें?’’ सीमा ने अनमने ढंग से मोहम्मद कैफ को जबाव दिया.

‘‘यार जब घर में कोई नहीं है तो बताने की क्या जरूरत है? हम लोग जल्दी ही वापस आ जाएंगे. जब तक तुम्हारे पापा आएंगे उस के पहले ही हम वापस लौट आएंगे. किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा.’’ कैफ को जैसे ही यह पता चला कि घर में सीमा अकेली है, वह जिद करने लगा. सीमा भी अपने प्रेमी कैफ को मना नहीं कर पाई.

सीमा के पिता सीतापुर जिले के खैराबाद के रहने वाले थे. लखनऊ में इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एक प्राइवेट कंपनी में वह शिफ्ट के हिसाब से काम करते थे.

सीमा ने पिछले साल बीएससी में एडमिशन लिया था. इसी बीच कोरोना के कारण स्कूलकालेज बंद हो गए. इस के बाद वह अपने पिता रमेश कुमार के पास रहने चली आई थी. सीमा के एक छोटा भाई और एक बहन भी थी.

घर में वह बड़ी थी. इसलिए पिता की मदद के लिए उस ने पढ़ाई के साथ नादरगंज में चप्पल बनाने की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली.

गांव और शहर के माहौल में काफी अंतर होता है. लखनऊ आ कर सीमा भी यहां के माहौल में ढलने लगी थी. चप्पल फैक्ट्री में काम करते समय वहां कैफ नाम के लड़के से उस की दोस्ती हो गई. यह बात फैक्ट्री के गार्ड को पता चली तो वह भी उसे छेड़ने की कोशिश करने लगा.

यह जानकारी जब सीमा के पिता को हुई तो उन्होंने चप्पल फैक्ट्री से बेटी की नौकरी छुड़वा दी.

नौकरी छोड़ने के बाद सीमा ज्वैलरी शौप पर नौकरी करने लगी. कैफ के साथ दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी. अब वह घर वालों को बिना बताए उस से मिलने जाने लगी थी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके थे. 12 जून की शाम करीब साढ़े 7 बजे सीमा के पिता रमेश कुमार अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे. सीमा उस समय शौप से वापस आ चुकी थी.

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रमेश कुमार ने सीमा को समझाते कहा, ‘‘बेटी रात में कहीं जाना नहीं. कमरे का दरवाजा बंद कर लो. खाना खा कर चुपचाप सो जाना.’’

‘‘जी पापा, आप चिंता न करें. मैं कहीं नहीं जाऊंगी. घर पर ही रहूंगी.’’

इस के बाद पिता के जाते ही कैफ का फोन आ गया और सीमा उसे मना करती रही पर उस की जबरदस्ती के आगे वह कुछ कर नहीं सकी.

शाम 8 बजे के करीब कैफ सीमा के घर के पास आया और उसे बुला लिया. मां ने शाम 5 बजे के करीब बेटी से फोन पर बात की थी. उसे हिदायत दी थी कि कहीं जाना नहीं. पिता ने भी उसे समझाया था कि घर में ही रहना, कहीं जाना नहीं. इस के बाद भी सीमा ने बात नहीं मानी. वह अपने प्रेमी मोहम्मद कैफ के साथ चली गई.

पिता जब अगली सुबह 8 बजे ड्यूटी से वापस घर आए तो सीमा वहां नहीं थी. उन्होंने सीमा के फोन पर काल करनी शुरू की तो उस का फोन बंद था. यह बात उन्होंने अपनी पत्नी को बताई तो बेटी की चिंता में वह सीतापुर से लखनऊ के लिए निकल गई.

इस बीच पिपरसंड गांव के प्रधान रामनरेश पाल ने सरोजनीनगर थाने में सूचना दी कि गहरू के जंगल में एक लड़की की लाश पड़ी है. लड़की के कपडे़ अस्तव्यस्त थे. देखने में ही लग रहा था कि पहले उस के साथ बलात्कार किया गया है. गले में दुपट्टा कसा हुआ था. पास में ही शराब, पानी की बोतल, 2 गिलास, एक रस्सी और सिगरेट के टुकड़े भी पड़े थे.

घटना की सूचना पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर, डीसीपी (सेंट्रल) सोमेन वर्मा और एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल) सी.एन. सिन्हा को भी दी गई. पुलिस ने छानबीन के लिए फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम को भी लगाया.

इस बीच तक सीमा के मातापिता भी वहां पहुंच चुके थे. पुलिस ने अब तक मुकदमा अज्ञात के खिलाफ कायम कर के छानबीन शुरू कर दी थी.

सीमा के घर वालों ने पुलिस को बताया कि मोहम्मद कैफ नाम के लड़के पर उन्हें शक है. दोनों की दोस्ती की बात सामने आई थी. पुलिस ने मोहम्मद कैफ के मोबाइल और सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स चैक करनी शुरू की.

पुलिस को कैफ के मोबाइल को चैक करने से पता चला कि उस ने सीमा से बात की थी. उस के बाद से सीमा का फोन बंद हो गया. अब पुलिस ने कैफ को पकड़ा और उस से पूछताछ की तो प्यार, सैक्स और हत्या की दर्दनाक कहानी सामने आ गई.

12 जून, 2021 की शाम मोहम्मद कैफ अपने 2 दोस्तों विशाल कश्यप और आकाश यादव के साथ बैठ कर ताड़ी पी रहा था. ये दोनों दरोगाखेड़ा और अमौसी गांव के रहने वाले थे. ताड़ी का नशा तीनों पर चढ़ चुका था. बातोंबातों में लड़की की बातें आपस में होने लगीं.

कैफ ने कहा, ‘‘ताड़ी पीने के बाद तो लड़की और भी नशीली दिखने लगती है.’’

आकाश बोला, ‘‘दिखने से काम नहीं होता. लड़की मिलनी भी चाहिए.’’

कैफ उसे देख कर बोला, ‘‘तुम लोगों का तो पता नहीं, पर मेरे पास तो लड़की है. अब तुम ने याद दिलाई है तो आज उस से मिल ही लेते हैं.’’

यह कह कर कैफ ने सीमा को फोन मिलाया और कुछ देर में वह सीमा को बुलाने चला गया.

इधर आकाश और विशाल को भी नशा चढ़ चुका था. दोनों भी इस मौके का लाभ उठाना चाहते थे. उन को पता था कि कैफ कहां जाता है. ये दोनों जंगल में पहले से ही पहुंच गए और वहीं बैठ कर पीने लगे.

सीमा और कैफ ने जंगल में संबंध बनाए. तभी विशाल और आकाश वहां पहुंच गए. वे भी सीमा से संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगे. पहले तो कैफ इस के लिए मना करता रहा, बाद में वह भी सीमा पर दबाव बनाने लगा.

जब सीमा नहीं मानी तो तीनों ने जबरदस्ती उस के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया. अब सीमा ने खुद को बचाने के लिए शोर मचाना चाहा और कच्चे रास्ते पर भागने लगी. इस पर विशाल ने सीमा की पीठ पर चाकू से वार किया. सीमा इस के बाद भी बबूल की झडि़यों में होते हुए भागने लगी.

‘‘इसे मार दो नहीं तो हम सब फंस जाएंगे.’’ विशाल और आकाश ने कैफ से कहा.

सीमा झाडि़यों से निकल कर जैसे ही बाहर खाली जगह पर आई, तीनों ने उसे घेर लिया. ताबड़तोड़ वार करने के साथ ही साथ उस के गले को भी दबा कर रखा. मारते समय चाकू सीमा के पेट में होता हुआ पीठ में फंस गया और वह टूट गया. 15 से 20 गहरे घाव से खून बहने के कारण सीमा की मौत हो गई. पेट में चाकू के वार से सीमा का यूरिनल थैली तक फट गई थी.

2 महीने पहले जब सीमा ने मोहम्मद कैफ से दोस्ती और प्यार में संबंध बनाए थे, तब यह नहीं सोचा था कि एक दिन उसे यह दिन देखना पड़ेगा.

लखनऊ पुलिस ने एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह की अगुवाई में बनी पुलिस टीम को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की. पुलिस ने मोहम्मद कैफ और उस के दोनों साथी विशाल और आकाश को भादंवि की धारा 302 में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.

(कथा में सीमा और उस के परिजनों के नाम बदल दिए गए हैं

बदनामी से बचने के लिए खेला मौत का खेल – भाग 3

इस कहानी की शुरुआत 2 साल पहले सन 2014-15 से शुरू हुई थी. 27 साल का विपिन शुक्ला खूबसूरत युवक था. हंसीमजाक करना उस की आदत में था. वह एयरफोर्स की वाइव्ज एसोसिएशन की कैंटीन में काम करता था. इस कैंटीन में एयरफोर्स के अफसरों जवानों की पत्नियां घरेलू सामान खरीदने आती हैं.

सार्जेंट शैलेश की खूबसूरत पत्नी अनुराधा भी यहां से सामान खरीदा करती थी. एक बच्चे की मां अनुराधा काफी खूबसूरत थी. उसे देखते ही शादीशुदा विपिन अपना दिल हार बैठा था. उस ने बात को आगे बढ़ाने के लिए पहल करते हुए अनुराधा से हंसीमजाक और छेड़छाड़ शुरू कर दी.

अनुराधा ने इस का विरोध करते हुए विपिन को काफी खरीखोटी भी सुनाई, पर उस ने उस का पीछा नहीं छोड़ा. धीरेधीरे अनुराधा को विपिन की छेड़छाड़ और हंसीमजाक में आनंद आने लगा. इस से विपिन की हिम्मत बढ़ गई.

पहले दोनों में प्यार का इजहार हुआ, फिर मुलाकातें शुरू हुई. वक्त के साथ दोनों के बीच अवैधसंबंध भी बन गए. उसी बीच अनुराधा गर्भवती हो गई और शादीशुदा होते हुए भी विपिन पर शादी के लिए दबाव डालने लगी. उस का कहना था कि वह अपने पति को छोड़ देगी और विपिन अपनी पत्नी को तलाक दे दे. लेकिन विपिन ने अनुराधा की इस बात को मानने से इनकार कर दिया.

उस बीच शैलेश को भी अपनी पत्नी के विपिन शुक्ला के साथ अवैध संबंध होने और उस के गर्भवती होने की जानकारी मिल गई. उस ने अनुराधा को आड़े हाथों लेते हुए खूब फटकार लगाई. इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच क्लेश भी शुरू हो गया. यह बात पिछले साल की है.

रोजरोज के क्लेश से तंग आ कर शैलेश अनुराधा को अपनी ससुराल उत्तराखंड ले गया और वहां उस ने यह बात अनुराधा के मातापिता और भाई को बताई तो उन्होंने भी अनुराधा को डांटते हुए फौरन विपिन से संबंध खत्म करने को कहा.

शैलेश और अनुराधा कुछ दिन उत्तराखंड रह कर बठिंडा लौट आए. वापस आने के बाद अनुराधा ने विपिन से बातचीत करनी बंद कर दी. बारबार बुलाने पर भी जब अनुराधा ने विपिन से बात नहीं की तो नाराज हो कर वह अनुराधा को बदनाम करने लगा.

वह कालोनी वालों और कैंटीन में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को अपने और अनुराधा के अवैधसंबंधों की कहानियां चटखारे लेले कर सुनाता. इस से सार्जेंट शैलेश और उस की पत्नी अनुराधा की बदनामी होने लगी. शैलेश अपने अधिकारियों और कालोनी वालों से नजर मिलाने में कतराने लगा.

एक दिन शैलेश ने विपिन से मिल कर उसे समझाया, ‘‘देखो शैलेश, गलती चाहे किसी की भी रही हो, अब यह बात यहीं दफन कर दो. पिछली सभी बातों को भूल कर भविष्य में हमें बदनाम करना बंद कर दो.’’

विपिन ने उस समय तो शैलेश की बात मान कर वादा कर लिया, पर वह अपनी बात पर कायम नहीं रह सका. उस की छिछोरी हरकतें जारी रहीं. विपिन जब अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा तो शैलेश ने अपने साले शशिभूषण को बठिंडा बुला लिया. शशिभूषण नेवी में नौकरी करता था.

शैलेश के बुलाने पर जब शशिभूषण बठिंडा पहुंचा तो शैलेश, अनुराधा और शशिभूषण ने रोजरोज की इस बदनामी से अपना पीछा छुड़ाने के लिए विपिन का गला घोंट कर दफन करने की योजना बना डाली.

अपनी योजना पर अच्छी तरह सोचविचार कर उसे अमली जामा पहनाने के लिए सब से पहले शैलेश ने अपने अधिकारियों को अपना क्वार्टर बदलने की अर्जी दी. उसे एयरफोर्स कालोनी में क्वार्टर नंबर 214/10 अलाट था. उस ने अधिकारियों को मौजूदा क्वार्टर में कुछ कमियां बता कर नया क्वार्टर अलाट करा लिया.

योजना के अनुसार, नए क्वार्टर में जाने की तारीख 8 फरवरी, 2017 तय की गई. 8 फरवरी को रात का खाना खा कर विपिन अपनी आदत के अनुसार टहलने के लिए निकला तो शैलेश उसे अपने क्वार्टर के पास ही मिल गया. विपिन को देखते ही शैलेश ने कहा, ‘‘यार, मैं तुम्हारे घर ही जा रहा था.’’

‘‘क्यों क्या बात हो गई?’’ विपिन ने हैरानी से पूछा तो शैलेश ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘यार, तुम तो जानते ही हो कि आज मुझे क्वार्टर बदलना है. काफी सामान तो पैक कर चुका हूं. बस कुछ सामान बचा है. तुम चल कर पैक करवा दो. उस के बाद अनुराधा के हाथ की चाय पीएंगे.’’ शैलेश ने यह बात जानबूझ कर कही थी.

सुन कर विपिन झट से तैयार हो गया. शैलेश विपिन को ले कर अपने पुराने क्वार्टर पर पहुंचा. सामान पैक करते हुए विपिन जब नीचे की ओर झुका, तभी उस ने पीछे से विपिन के सिर पर कुल्हाड़ी का भरपूर वार कर दिया. बिना चीखे ही विपिन फर्श पर ढेर हो गया. शशिभूषण ने भी उस की गरदन पर एक वार कर के सिर धड़ से अलग कर दिया.

इस के बाद तीनों ने मिल कर विपिन की लाश को एक बड़े ट्रंक में डाल कर बाहर से ताला लगा दिया और घर के अन्य सामान के साथ लाश वाला ट्रंक भी नए क्वार्टर में ले आए.

विपिन की हत्या करने के बाद जहां शैलेश ने चैन की सांस ली थी, वहीं उसे यह चिंता भी सताने लगी थी कि विपिन की लाश को ठिकाने कैसे लगाया जाए. वह कुछ सोच पाता, उस के पहले ही उसे अगले दिन अपने अधिकारियों से पता चला कि विपिन रात से घर से लापता है. यह सुन कर उस ने लाश ठिकाने लगाने का इरादा त्याग दिया.

उस ने सोचा कि कुछ दिनों में मामला ठंडा हो जाएगा तो इस विषय पर वह सोचेगा. पर विपिन की पत्नी कुमकुम के बारबार एयरफोर्स और पुलिस के अधिकारियों के पास चक्कर लगाने से मामला ठंडा होने के बजाए गरमाता गया.

लाश को ठिकाने लगाना जरूरी था. फरवरी का महीना होने के कारण मौसम बदल रहा था. ज्यादा दिनों तक लाश को रखा नहीं जा सकता था, इसलिए सोचविचार कर शैलेश ने 19 फरवरी को विपिन की लाश के छोटेछोटे 16 टुकड़े किए और उन्हें पौलिथिन की अलगअलग थैलियों में भर फ्रिज में रख दिया.

शैलेश ने सोचा था कि वह किसी रोज मौका देख कर 2-3 थैलियों को बाहर ले जा कर वीरान जगह पर फेंक देगा, जहां कुत्ते या जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे. कुछ टुकडों को जला देगा और कुछ को नाले या गटर में फेंक देगा. लेकिन इस के पहले ही 21 फरवरी को पुलिस ने उसे और उस की पत्नी अनुराधा को गिरफ्तार कर के उस के घर से फ्रिज में रखे लाश के 16 टुकड़े बरामद कर लिए.

अभियुक्त सार्जेंट शैलेश कुमार और अनुराधा को उसी दिन अदालत में पेश कर के थानाप्रभारी वेदप्रकाश ने 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि में शैलेश और अनुराधा की निशानदेही पर उन के घर से हत्या में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी और मृतक विपिन शुक्ला का मोबाइल बरामद कर लिया गया. पूछताछ और पुलिस काररवाई पूरी कर के दोनों को अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए शैलेश ने जिस तरह अपने दिमाग का इस्तेमाल किया था, वह काबिले तारीफ था. उस की योजना फूलप्रूफ थी. लेकिन लाश ठिकाने लगाने में की गई देर ने उस की पोल खोल दी. बहरहाल अब पतिपत्नी जेल में हैं और इस हत्या के लिए तीसरे दोषी शशिभूषण की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है.

बठिंडा के सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने मृतक विपिन की लाश के टुकड़ों का पोस्टमार्टम कर ने से इनकार करते हुए कहा कि तकनीकी कारणों और पुख्ता सबूतों के लिए पोस्टमार्टम फरीदकोट के मैडिकल कालेज में करवाना ठीक रहेगा.

मृतक की पत्नी कुमकुम का आरोप है कि अगर एयरफोर्स और स्थानीय पुलिस सही समय पर काररवाई करती तो उस के पति की लाश इस तरह 16 टुकड़ों में न मिलती. विपिन की लाश 12 दिनों तक सलामत थी. इस के बाद ही हत्यारों ने उस के टुकड़े किए थे.

कुमकुम का यह भी कहना है कि उस के पति के अनुराधा के साथ अवैधसंबंध नहीं थे. हकीकत में शैलेश और अनुराधा विपिन को ब्लैकमेल कर रहे थे. विपिन की हत्या करने से पहले पतिपत्नी दोनों रोजाना शाम को उन के घर आते थे और देर रात तक बैठ कर बातें व हंसीमजाक करते थे. लेकिन 8 फरवरी के बाद वे एक बार भी उन के घर नहीं आए और ना ही विपिन की तलाश में उन्होंने कोई सहयोग किया.

पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

प्रेमिका का एसिड अटैक : सोनम ने की प्रेम की हद पार

पहली मंजिल पर रह रहे किराएदार के कमरे से सुबहसुबह तेज चीखने की आवाज भूतल पर रह रहे मकान मालिक सुरेशचंद्र की पत्नी ने सुनी. आवाज सुन कर एक बार तो वह सोच में पड़ गईं. लेकिन दूसरे ही पल लगातार आ रही चीखों को सुन कर वह एक ही सांस में सीढि़यां चढ़ कर किराएदार नर्स सोनम पांडेय के कमरे में पहुंच गईं. क्योंकि चीख उसी के कमरे से आ रही थी. वहां का दृश्य देख कर उन की आंखें आश्चर्य से फटी रह गईं. पीछेपीछे मकान मालिक सुरेशचंद्र भी वहां पहुंच गए.

कमरे के फर्श पर सोनम और देवेंद्र झुलसे हुए पड़े थे. वहीं पर एक स्टील का डब्बा पड़ा था. कमरे में तेजाब की तेज दुर्गंध आ रही थी. दोनों ही तेजाब की जलन और दर्द से तड़प रहे थे. उस समय सुबह के यही कोई 7 बज रहे थे. इसी बीच झुलसी हालत में ही देवेंद्र ने अपने दोस्त शिवम को फोन किया.

कुछ ही देर में शिवम आटो ले कर वहां पहुंच गया. वह आननफानन में घायल देवेंद्र को आटो में ले कर अस्पताल जाने लगा. इस पर मकान मालिक सुरेशचंद्र ने उस से कहा कि वह घायल सोनम को भी साथ ले जाए. क्योंकि इलाज की उसे भी जरूरत है. तब शिवम ने कहा, ‘‘मैं पहले देवेंद्र को अस्पताल में भरती करा दूं वह ज्यादा झुलस गया है. इस के बाद सोनम को ले जाऊंगा.’’ इस तरह वह देवेंद्र को वहां से ले कर चला गया.

जब शिवम सोनम को काफी देर तक लेने नहीं आया तो सुरेशचंद्र ने इस की सूचना थाना हरीपर्वत के थानाप्रभारी अरविंद कुमार को दे दी. थानाप्रभारी सूचना मिलते ही मौके पर पहुंच गए. उन्होंने तेजाब से झुलसी सोनम को एक निजी अस्पताल में भरती कराया. वहीं अस्पताल में भरती 80 फीसदी झुलसे देवेंद्र की उपचार के दौरान दोपहर करीब ढाई बजे मौत हो गई.

पुलिस ने मरने से पहले देवेंद्र के मजिस्ट्रैट के सामने बयान दर्ज करा लिए थे. उस ने अपने बयान में सोनम पांडेय को एसिड अटैक के लिए जिम्मेदार बताया था. देवेंद्र के घर वालों को जब यह जानकारी उस के दोस्त शिवम ने दी तो उस के घर में रोना शुरू हो गया. वह 5 बहनों के बीच अकेला भाई था, रोतेरोते मां और बहनों की हालत बिगड़ गई. दरअसल, यह मामला उत्तर प्रदेश के आगरा शहर के थाना हरीपर्वत क्षेत्र स्थित शास्त्रीनगर का है.

देवेंद्र ने अपने बयान में बताया था कि 25 मार्च, 2021 की सुबह सोनम ने उसे अपने कमरे में लगे पंखे को ठीक करने के लिए बुलाया था. जैसे ही देवेंद्र कमरे में आया तो सोनम ने स्टील के डब्बे में रखा तेजाब उस के ऊपर उड़ेल दिया. अचानक हुए इस हमले से वह खुद को बचा नहीं सका.

एसिड अटैक के दौरान नर्स सोनम पर भी तेजाब गिर गया था, जिस से वह भी झुलस गई थी. अब प्रश्न यह था कि सोनम ने देवेंद्र के ऊपर एसिड अटैक क्यों किया?

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पुलिस ने मकान मालिक सुरेशचंद्र से बात की तो उन्होंने पुलिस को बताया कि सोनम पहले शास्त्रीनगर में ही स्थित किसी दूसरे मकान में रहती थी. 5 महीने से वह उन के मकान में किराए पर रह रही थी. देवेंद्र को वह अपना पति बताती थी. वह कमरे पर उस के पास 10-12 दिनों में आता और 1-2  दिन रुक कर चला जाता था. उस का कहना था कि पति बाहर काम करते हैं.

वहीं सूचना पा कर अस्पताल पहुंचे देवेंद्र के घर वालों ने इन सब बातों से अनभिज्ञता जताई. उन का कहना था कि  सोनम के देवेंद्र से संबंध होने की उन्हें जानकारी नहीं थी. उन्होंने बताया कि देवेंद्र अविवाहित था और उस की 28 अप्रैल को शादी होने वाली थी. देवेंद्र की मां कुसुमा ने सोनम पांडेय पर बेटे की हत्या का आरोप लगाया.

सोनम के कमरे की तलाशी के दौरान पुलिस ने स्टील का एक डब्बा बरामद किया. संभवत: इस एक लीटर वाले डब्बे में दूध लाया जाता होगा. इस में ही तेजाब रखा हुआ था. इस डब्बे की तली में तेजाब भी मिला. वहीं कमरे से देवेंद्र के जले हुए कपड़े व जूते भी मिले. पुलिस ने इन साक्ष्यों को जब्त कर जरूरी काररवाई के बाद फोरैंसिक लैब भेज दिया.

घटना की जानकारी मिलने पर एसपी (सिटी) रोहन प्रमोद बोत्रे ने घटनास्थल का निरीक्षण किया व अस्पताल भी गए. उन्होंने पत्रकारों को बताया कि सोनम और देवेंद्र के बीच प्रेम संबंध थे. आरोपी युवती को गिरफ्तार कर लिया गया है. चूंकि वह भी एसिड की चपेट में आ कर झुलसी है, इसलिए इलाज के लिए उसे अस्पताल में भरती कराया गया है.

पुलिस ने जरूरी काररवाई करने के बाद देवेंद्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया. पुलिस ने मामले की गहनता से जांच की. जांच में पता चला कि सोनम पांडेय मूलरूप से उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भागूपुर की रहने वाली शादीशुदा युवती है. सोनम की शादी करीब 10 साल पहले गुजरात में हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद ही पतिपत्नी के बीच लड़ाईझगड़ा रहने लगा. इस दौरान वह एक बेटे की मां भी बन गई. शादी के 2 साल बाद ही वह अपने बेटे को ले कर अपने मायके आ गई.

कुछ समय बाद वह आगरा आ कर नर्स की नौकरी करने लगी थी. वह सिकंदरा बाईपास स्थित एक अस्पताल में नर्स थी. बेटा ननिहाल में ही रह रहा था. सोनम ने अब तक अपने पति से तलाक नहीं लिया था. उस ने अपने साथी कर्मचारियों को भी अपने शादीशुदा होने के बारे में नहीं बताया था.

28 वर्षीय देवेंद्र राजपूत मूलरूप से उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के सहावर क्षेत्र के गांव बाहपुर का रहने वाला था. देवेंद्र चिकित्सा क्षेत्र में बचपन से ही रुचि रखता था. इसलिए उस ने लैब टैक्नीशियन का कोर्स किया था.

सुनहरे भविष्य की तलाश में वह आगरा आ गया था और पिछले 8 साल से लाल पैथ लैब में सहायक के पद पर काम कर रहा था. वह आगरा के ही खंदारी इलाके में किराए पर रहता था.

चूंकि सोनम और देवेंद्र एक ही फील्ड से जुड़े थे, एक दिन काम के दौरान दोनों की जानपहचान हो गई. साथसाथ काम करते पहले दोनों में दोस्ती हुई, जो बाद में प्यार में बदल गई.

पिछले 3 सालों से दोनों लिवइन रिलेशन में रह रहे थे. सोनम ने अपने मकान मालिक को बता रखा था कि देवेंद्र उस का पति है. इस तरह देवेंद्र का जब मन होता, वह सोनम से मिलने उस के कमरे पर चला जाता था. इसी बीच सोनम को पता चला कि देवेंद्र की शादी कहीं और तय हो गई है.

इस जानकारी से सोनम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. क्योंकि वह देवेंद्र पर शादी करने का दबाव बना रही थी. सोनम ने घटना से कुछ दिन पहले देवेंद्र से कहा, ‘‘मैं तुम से बहुत प्यार करती हूं और तुम से शादी करना चाहती हूं.’’

देवेंद्र को सोनम के बारे में पता चल चुका था कि वह शादीशुदा है और उस के एक बच्चा भी है. देवेंद्र तो सोनम के साथ पिछले 3 साल से केवल टाइम पास कर रहा था. देवेंद्र ने उसे समझाते हुए कहा,‘‘सोनम तुम शादीशुदा हो. तुम्हारे एक बेटा भी है. और तुम ने अब तक अपने पति से तलाक भी नहीं लिया है. ऐसे में हम शादी कैसे कर सकते हैं? ऐसी स्थिति में मेरे घर वाले भी शादी के लिए तैयार नहीं होंगे. फिर मेरी भी शादी तय हो चुकी है.’’

देवेंद्र की इन बातों ने आग में घी डालने का काम किया. सोनम अपना आपा खो बैठी. उस ने मन ही मन तय कर लिया कि वह अपने प्रेमी को किसी और का हरगिज नहीं होने देगी. अपने खतरनाक मंसूबे की भनक उस ने देवेंद्र को नहीं लगने दी.

इस बीच देवेंद्र ने सोनम के कमरे और उस से मिलनाजुलना भी बंद कर दिया. अपनी योजना को अंजाम देने के लिए सोनम ने 25 मार्च, 2021 की सुबह देवेंद्र को फोन कर कमरे का पंखा ठीक करने के बहाने अपने पास बुलाया था.

देवेंद्र सोनम के कमरे पर पहुंचा तो उन दोनों के बीच शादी की बात को ले कर गरमागरमी हुई. इस के बाद सोनम ने स्टील के डब्बे में पहले से लाए तेजाब से देवेंद्र पर अटैक कर दिया, जिस से वह गंभीर रूप से सिर से पैर तक झुलस गया.

जानकारी मिलने पर घटना के दूसरे दिन सोनम के पिता आगरा आ गए. उन्होंने घायल बेटी को एस.एन. मैडिकल कालेज में भरती कराया. वहां उपचार होने से उस की हालत में सुधार हुआ. हालांकि उस समय तक उस के बयान दर्ज नहीं हो सके थे.

प्रेमिका के तेजाबी हमले ने एक साथ 3 परिवारों के अरमानों को झुलसा दिया. 5 बहनों में इकलौता भाई और एक मां से उस का घर का चिराग छीन लिया. मां और बहनें देवेंद्र के सिर पर सेहरा बांधने की तैयारी में जुटी थीं. शादी के कार्ड भी छप गए थे.

शादी में बुलाने वालों को कार्ड भेजने की तैयारी चल रही थी. वहीं कासगंज की रहने वाली जिस युवती से देवेंद्र का रिश्ता तय हो गया था और एक महीने बाद दोनों को फेरे लेने थे, उस के अरमानों को भी तेजाब से हमेशा के लिए झुलसा दिया.

पोस्टमार्टम के बाद देवेंद्र का शव रात 9 बजे जब घर पहुंचा तो बेटे का शव देख कर मां बेहोश हो गईं. वहीं पांचों बहनें अपने छोटे भाई के शव से लिपट कर रोने लगीं. पूरे गांव में शोक का माहौल था. उधर जिस घर में देवेंद्र की बारात जानी थी वहां उस की मौत की खबर पहुंचने से कोहराम मच गया.

दूसरे दिन शुक्रवार की सुबह देवेंद्र का शोकपूर्ण माहौल में अंतिम संस्कार किया गया. सभी का कहना था कि देवेंद्र की हत्यारोपी को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए. कहानी लिखे जाने तक प्रेमिका का इलाज चल रहा था. ठीक होने पर उसे जेल जाना पड़ेगा.

देश भर में हर साल एसिड अटैक की तमाम घटनाएं होती हैं, वह भी तेजाब पर बैन लगाए जाने के बाद. एसिड अटैक एक खतरनाक अपराध है, जो महिला हो या पुरुष सभी की जिंदगी तबाह कर देता है. सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों के बाद भी देश में गैरकानूनी रूप से होने वाली एसिड की बिक्री पर रोक नहीं लगाई जा सकी है.

एसिड बिक्री को ले कर जो कानून हैं, उन्हें सख्ती के साथ जमीन पर उतारा जाना बेहद जरूरी है. एसिड अटैक से पीडि़त व्यक्ति के निजी, सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक जीवन पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मजे का इश्क बना आफत : खुद ही बना हत्यारा

6 जुलाई, 2021 की बात है. मध्य प्रदेश के सतना जिला मुख्यालय से तकरीबन 90 किलोमीटर दूर स्थित अमदरा थाने में किसी ने फोन कर के सूचना दी कि नैशनल हाईवे-30 पर रैगवां गांव के नजदीक एक जीप और कार में जबरदस्त भिड़ंत हुई है. सूचना देने वाले ने खुद को कार चालक बताते हुए कहा कि कि दुर्घटनास्थल पर एक बच्चा काफी रो रहा है.

यह सूचना मिलने के बाद अमदरा पुलिस कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गई. घटनास्थल सिंहवासिनी मंदिर के पास था. वहां 2 साल का एक बच्चा बहुत रो रहा था, जबकि दुर्घटना के कोई चिह्न वहां नजर नहीं आ रहे थे. वहां कुछ दूरी पर एक जीप जरूर खड़ी मिली, तब पुलिस बच्चे को थाने ले आई. थाने में भी वह बहुत रो रहा था. उसे खानेपीने की चीजें दे कर किसी तरह चुप कराया.

अब यह प्रश्न उठ रहा था कि आखिर ये बच्चा किस का हो सकता है? कौन है जो उसे वहां छोड़ कर चला गया? उस के परिजन कौन हो सकते हैं? दुर्घटना की झूठी खबर किस ने और क्यों दी? इत्यादि…

इस बात की तफ्तीश चल ही रही थी कि एक बार फिर थाने में किसी का फोन आया. उन के द्वारा दी गईसूचना सन्न कर देने वाली थी. सूचना मिली कि नैशनल हाइवे-30 पर रैगवां गांव की झाडि़यों के पास एक महिला की लाश पड़ी है.

देर न करते हुए थानाप्रभारी हरीश दुबे अपने सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. थोड़ी देर में ही मैहर की एसडीपीओ हिमाली सोनी भी पहुंच गईं. अमदरा पुलिस साथ में उस बच्चे को भी ले गई थी.

बच्चा महिला की लाश को देखते ही मम्मी…मम्मी… कह कर रोने लगा. यह देख पुलिस भी भौचक्की रह गई. बच्चे को चुप करवा कर पुलिस ने बच्चे से पूछा कि मम्मी को किस ने मारा है?

2 साल के उस बच्चे ने तुरंत जवाब दिया ‘‘पापा ने.’’

2 साल के बच्चे के इन 2 शब्दों से इतना तो स्पष्ट हो ही गया था कि करीब 30-32 साल की महिला की वह लाश उस बच्चे की मां की है. पास ही एमपी 21सीए 3195 नंबर की एक जीप भी खड़ी थी.

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पुलिस उस जीप की छानबीन करते हुए लाश के साथ उस के किसी कनेक्शन का अंदेशा भी जता रही थी. पुलिस ने बारीकी से जीप की जांच की. जीप में बच्चे के जूते, बिखरी चूडि़यां मिलीं. उस के बाद पुलिस को जीप, बच्चा और औरत की लाश के साथ कनेक्शन का मामला समझ में आ गया था.

थानाप्रभारी को 6 जुलाई, 2021 की सुबह 10 बजे की सूचना के अनुसार सिंहवासिनी मंदिर के पास बच्चा मिला था. उसी दिन दोपहर 2 बजे महिला की लाश मिली थी. इस पर सतना के एसपी धर्मवीर सिंह ने मैहर की एसडीपीओ हिमाली सोनी और अमदरा थाना टीआई हरीश दुबे के नेतृत्व में 3 टीमें गठित कर दीं.

इन टीमों में एसआई लक्ष्मी बागरी, अजीत सिंह, एएसआई दीपेश कुमार, अशोक मिश्रा, दशरथ सिंह, अजय त्रिपाठी, हैडकांस्टेबल अशोक सिंह, कांस्टेबल जितेंद्र पटेल, गजराज सिंह, नितिन कनौजिया, अखिलेश्वर सिंह, दिनेश रावत, महिला कांस्टेबल पूजा चौहान आदि को शामिल किया गया.

तीनों टीमें अलगअलग दिशाओं में आरोपियों की तलाश में जुट गई थीं. अमदरा थाने की टीम टीआई हरीश दुबे के नेतृत्व में उस जीप के मालिक के पास पहुंच गई जो मृतका के पास सड़क पर खड़ी मिली थी. वह जीप राधेश्याम नाम के व्यक्ति की थी. वह कटनी जिले में रीठी का निवासी था.

पूछताछ के दौरान राधेश्याम ने बताया वह जीप उस ने अखिलेश यादव नाम के व्यक्ति को किराए पर दी थी. पुलिस टीम तुरंत अखिलेश के घर जा धमकी थी. वह घर पर नहीं था. 2 अन्य टीमें रैपुरा और जबलपुर में भी उस की खोज कर रही थीं.

इसी सिलसिले में अखिलेश यादव के भाई से भी पूछताछ की गई. उसे विश्वास में ले कर अखिलेश की लोकेशन पर नजर रखी गई. इस तरह से घटना की जानकारी के 24 घंटे के अंदर ही अखिलेश और उस के साथी पुलिस के हाथ लग गए, जिन के संबंध महिला की हत्या से थे.

गहन छानबीन से पुलिस को पता चला कि बरामद लाश आदिवासी महिला मेमबाई (32 वर्ष) की थी. मेमबाई कटनी जिले के गांव रीठी की रहने वाली थी. पुलिस को आरोपी तक पहुंचने में ज्यादा मुश्किल इसलिए भी नहीं आई, क्योंकि कई सुराग जीप में ही मिल गए थे.

पुलिस को मेमबाई और अखिलेश के मधुर संबंधों के बारे में जो कुछ और जानकारी मिली, वह काफी चौंकाने वाली थी.

इस हत्याकांड में भले ही किसी तरह की धनसंपदा के लालच की बू नहीं आ रही थी, लेकिन शादीशुदा औरत से प्यार में अंधे व्यक्ति द्वारा मजबूरी और बौखलाहट में उठाया गया कदम जरूर कहा जा सकता है. उस की विस्तृत कहानी इस प्रकार निकली—

अखिलेश जवानी की दहलीज पर था. एक भावी जीवनसाथी के सपनों में खोया हुआ अपनी जीवनसंगिनी को ले कर कल्पनाएं करता रहता था.

2 साल पहले की बात है. अखिलेश की जिंदगी मजे में कट रही थी. उस का कामधंधा भी गति पर था. वह पेशे से ड्राइवर था.

अखिलेश रीठी गांव के सिंघइया टोला में रहता था, जबकि मेमबाई के पति गोविंद प्रसाद आदिवासी का मकान गांव रीठी में बना हुआ था.

अखिलेश एक अस्पताल की एंबुलैंस चलाता था. उस का अकसर उसी रास्ते से गुजरना होता था, जहां मेमबाई अपने पति और बच्चों के साथ रहती थी. इसी आनेजाने में एक दिन उस की निगाह अदिवासी युवती मेमबाई पर पड़ गई, जिस की खूबसूरती उस के मांसल देह से टपकती थी. उसे देखते ही अखिलेश उस का दीवाना बन बैठा था.

मेमबाई अभी जवानी के शबाब में थी. बातें भी बड़ी मजेदार करती थी. अखिलेश से उस की अचानक मुलाकात हो गई. पहली ही नजर में उसे देखा तो देखता ही रह गया था, और जब उस से बातें करने की शुरुआत की तो ऐसे लगा जैसे उस की बातें सुनता ही रहे.

फिर दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया. बात बढ़ी, परवान चढ़ी और आंखों के रास्ते दोनों एकदूसरे के दिल में उतर गए.

अखिलेश को जब मालूम हुआ कि मेमबाई 3 बच्चों की मां है, तब उसे थोड़ा झटका लगा. लेकिन तब तक तो बहुत देर हो चुकी थी. कारण वह उसे अपना दिल दे चुका था. उस के मन मिजाज में अपनी इच्छाओं और तमन्नाओं का बीजारोपण कर चुका था. उस ने मन को दृढ़ता से समझा लिया था कि ‘शादीशुदा है तो क्या हुआ, प्यार तो उसी से करेगा. वह उस का पहला प्यार जो है.’

यह ठीक वैसी ही बात थी, जैसे कहा जाता है कि प्यार अंधा होता है. अखिलेश को मेमबाई अक्की कह कर बुलाती थी. वह उस से उम्र में छोटा था. बहुत जल्द ही वह मेमबाई के प्यार में काफी हद तक अंधा हो गया. उस की वह सब तमाम जरूरतें पूरी करने लगा था, जो मेमबाई को अपने मजदूर पति गोविंद आदिवासी से नसीब नहीं हो पाती थीं.

उन के जिस्मानी संबंध भी बन गए. उन के प्रेम संबंध में एक बार यौनसंबंध की दखल हो गई तो फिर उन का यह सिलसिला बन गया. अखिलेश को इस में आनंद आने लगा. इस में कोई खलल नहीं आने पाए, इस के लिए वह मेमबाई और उस के परिवार पर पैसे खर्च करने लगा. उन की हर जरूरतों के लिए तैयार रहने लगा.

जब गोविंद अपने काम के लिए घर से बाहर होता, तब अखिलेश उस के घर के अंदर घुस जाता. उस के दिलोदिमाग पर अखिलेश का बांकपन छा गया था. वैसे गोविंद जान चुका था कि अखिलेश के उस की पत्नी से अवैध संबंध हैं, फिर भी वह चुप रहता था. इस की वजह यह थी कि अखिलेश उस की आर्थिक मदद भी करता था.

कभीकभी गोविंद की मेमबाई से कहासुनी हो जाती तो वह उलटे पति पर ही हावी हो जाती थी. वह मुंह बनाती हुई पति को कोसती, ‘‘मैं तो केवल बच्चे पैदा करने की मशीन हूं न, तुम से मुझे न सुख मिल रहा है और न सुकून.’’

पत्नी के ताने सुनसुन कर उस के कान पक गए थे, लेकिन वह पलट कर कभी जवाब नहीं देता था. कई बार उस के तंज का जवाब देने के लिए पत्नी से केवल इतना कहता, ‘‘जा, चली जा, जहां सुख मिले और चैन.’’

फिर एक दिन मेमबाई फटेहाल जिंदगी को लात मारती हुई अपने आशिक अखिलेश के साथ चली आई. साथ में अपने अबोध बेटे राज को भी ले आई.

2 बेटियों को वह पति गोविंद के भरोसे छोड़ आई. पति से बेवफाई कर मेमबाई अपने दिलदार अखिलेश के साथ कटनी के भट्टा मोहल्ला में एक किराए के मकान में रहने लगी. वहीं उस ने अपनी गृहस्थी बसा ली.

अखिलेश की कमाई से मेमबाई के कई सपने पूरे हुए. अपने बेटे राज के लिए भी ख्वाब बुनने लगी. अखिलेश भी माशूका के हाथों में अपनी महीने भर की कमाई रख देता था. इस का पता जब अखिलेश के मातापिता को चला, तब वे उस से काफी खफा हो गए और विरोध करने लगे.

वे नहीं चाहते थे कि उन का बेटा किसी शादीशुदा महिला के साथ रहे. उन्होंने अपने घर अपनी मनपसंद बहू के सपने देखे थे.

मांबाप के विरोध के आगे अखिलेश की एक नहीं चली. उसे आखिरकार उन की पसंद की लड़की से ही ब्याह करना पड़ा. उस का रूपा यादव से ब्याह हो गया. अब अखिलेश के सामने 2 महिलाओं के बीच पिसने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था.

वह प्रेमिका और पत्नी के बीच के संबंधों को ले कर चिंतित रहने लगा. मेमबाई ने भी महसूस किया कि उस के बुने सपने बिखरने में अब ज्यादा वक्त नहीं लगने वाला है.

इस पर अखिलेश और मेमबाई के बीच कहासुनी भी होने लगी. अखिलेश परिस्थितियों को संभालने के लिए अपनी कमाई का आधाआधा दोनों को देने लगा.

मेमबाई तो मान गई, लेकिन ब्याहता रूपा यादव से उस की बातबात पर तल्खी बनी रही. कई बार उस की छोटीछोटी बातों की नाराजगी या शिकायतों का गुस्सा फूट पड़ता था.

यही नहीं मेमबाई पुरानी बातों को ले कर अखिलेश को ताने देने लगी थी, ‘‘काहे लाए थे, जब दूसरी शादी करनी थी. पहले तो हमारा रूप बहुत भाता था, अब घर में सुंदरी ले आए हो तो हम बंदरिया लग रहे हैं.’’

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अखिलेश इन तानों पर प्रतिक्रिया देता, ‘‘जो मिलता है उस में आधाआधा इसलिए ही तो कर दिए हैं. इतने में ही काम चलाना होगा. हम तुम्हें घर से भगा तो नहीं रहे.’’

इस तरह से दोनों के बीच रोजाना झगड़े होने लगे थे. दिनप्रतिदिन अखिलेश टूटने लगा था. अब अखिलेश के परिवार वाले भी उस पर दवाब बनाने लगे थे. उस की पत्नी का भी पारा चढ़ने लगा था. वह भी जब तब अखिलेश को ताने मारने लगी थी.

अखिलेश ने भी मन ही मन ठान लिया कि अब मेमबाई को रास्ते से हटाना ही पड़ेगा. एक दिन अखिलेश ने एक योजना बनाई. 3 दोस्तों को बुलाया. उन के साथ उस ने मैहर की मां शारदा के दर्शन करने का प्लान बनाया. प्लान में सोहन लोधी, अजय यादव और एक नाबालिग बालक को शामिल कर लिया.

प्लान की रूपरेखा तैयार करने के बाद वह घर में नाराज बैठी मेमबाई से बोला, ‘‘चलो, एक दिन मैहर शारदा मां के दर्शन कर आते हैं. वैसे भी इस समय बहुत लोग जा रहे हैं.’’

यह सुन कर मेमबाई के चेहरे पर मुसकान आ गई. खुशी से बोली, ‘‘मैं भी सोच रही थी, लेकिन तुम जितना खर्च दे रहे हो उस से पेट भरना तक मुश्किल है.’’

अखिलेश ने कहा, ‘‘मंदिरवंदिर चल कर पहले मन को पवित्र कर के आना चाहिए. इस से मन को शांति मिलती.’’

मेमबाई ने कहा, ‘‘ठीक है फिर कल ही चलो.’’

अखिलेश तो जैसे तैयार ही बैठा था बोला, ‘‘तैयार हो जाना और राज को भी ले लेना.’’

मेमबाई तो खुश थी, जो उस के चेहरे और हावभाव से झलक रहा था. अखिलेश भी प्लान के मुताबिक सही उठ रहे कदम से मन ही मन खुश हो रहा था.

अगले ही दिन यानी 5 जुलाई, 2021 को अखिलेश ने पहले से ही 3195 रुपए किराए में राधेश्याम की जीप बुक कर ली. उस पर अपने दोस्तों को बैठा लिया. दोनों साथी मेमबाई के साथ बीच वाली सीट पर बैठ गए और एक साथी पीछे. उन दोस्तों में से एक को मेमबाई अच्छी तरह पहचानती थी, इसलिए उस ने जरा भी सवालजवाब नहीं किया. अखिलेश जीप खुद चला रहा था.

वे सभी निर्धारित समय के अनुसार मैहर पहुंच गए, लेकिन वे मंदिर में दर्शन के लिए नहीं गए. इस पर मेमबाई को शक हुआ. इस से पहले कि वह कुछ पूछती, अखिलेश ने जीप को यूटर्न दे कर घुमा ली. तब तक अंधेरा हो चुका था.

उसी समय जीप की पिछली सीट पर बैठे अखिलेश के एक साथी ने अपने लोअर का नाड़ा निकाला और मेमबाई के गले में फंसा दिया. यह देख बगल में बैठे अन्य साथियों ने मेमबाई के हाथपैर कस कर जकड़ लिए. मेमबाई छटपटा कर रह गई.

संयोग से नाड़ा टूट गया. तभी फुरती के साथ अखिलेश ने जीप रोकी और रस्सी निकालते हुए बीच वाली सीट की तरफ भागा.

तब तक जीप का गेट खोल कर मेमबाई बाहर निकलने की कोशिश करने लगी, लेकिन जीप से उतरने से पहले ही अखिलेश उस के गले में रस्सी बांध चुका था. वह जीप के अंदर ही छटपटा कर रह गई.

अंत में वह हार गई. अखिलेश और उस के साथियों ने गला घोंट कर उसे मौत के घाट उतार दिया. लाश को राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में आने वाले गांव रैगवां की झाडि़यों के बीच फेंक कर वे फरार हो गए.

इस पूरे मामले की तहकीकात के बाद अमदरा पुलिस ने सभी आरोपियों अखिलेश यादव (25 वर्ष) उर्फ अक्की निवासी ग्राम सिंघइया टोला, जिला कटनी, सोहन लोधी (19 वर्ष) व अजय यादव (18 वर्ष) निवासी ग्राम लोधी जिला पन्ना (मध्य प्रदेश) के खिलाफ हत्या कर लाश छिपाने का मामला दर्ज कर उन्हें निचली अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.