Real Crime Story in Hindi : सीआरपीएफ में कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के की पत्नी पूजा 2 बच्चों के साथ गांव में रहती थी. इस के बावजूद उस ने अन्नू से एक मंदिर में शादी कर ली. दो नावों पर सवारी करने वाला जितेंद्र ऐसा डूबा कि…
पूजा अस्के अपने घर के रोजमर्रा के काम कर रही थी, तभी किसी ने दरवाजे पर घंटी बजाई. ‘कौन आ गया’ कहते हुए वह दरवाजे की ओर बढ़ी. जैसे ही उस ने फ्लैट का दरवाजा खोला तो सामने खड़े 2 युवकों को देख कर उस के चेहरे पर मुसकान थिरक उठी थी. क्योंकि दोनों युवक उस के देवर थे. पूजा दरवाजा बंद कर दोनों को अंदर कमरे में ले आई. दोनों युवकों में से एक का नाम राहुल अस्के था, जो उस का सगा देवर था जबकि दूसरे का नाम नवीन था. नवीन राहुल की मौसी का बेटा था. अकसर दोनों कहीं भी साथ ही आतेजाते थे.
जबलपुर के धार मोहल्ले का रहने वाला राहुल अस्के प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर था. जबकि उस का बड़ा भाई जितेंद्र अस्के केंद्रीय रिजर्वपुलिस बल (सीआरपीएफ) में कंपनी कमांडर था. पूजा जितेंद्र अस्के की ही दूसरी पत्नी थी. जितेंद्र पूजा के साथ इंदौर की मल्हारगंज इलाके में स्थित कमला नेहरू कालोनी के रामदुलारी अपार्टमेंट में रहता था. दोनों अपनी भाभी से मिलने आए थे. पूजा उन्हें कमरे में बिठा कर किचन में चली गई. वह थोड़ी देर में दोनों देवरों और अपने लिए ट्रे में 3 प्याली चाय और नमकीन ले कर लौटी. तीनों साथ बैठ कर नमकीन के साथ चाय की चुस्की ले रहे थे. चाय खत्म हुई तो पूजा राहुल की ओर मुखातिब हुई, ‘‘कैसे हो देवरजी.’’
‘‘ठीक हूं भाभी. आप बताओ, कैसी हो?’’
‘‘एकदम चकाचक, फर्स्टक्लास हूं.’’ चहक कर पूजा बोली, ‘‘मम्मीपापा कैसे हैं? उन की तबीयत कैसी है? घर पर सब खैरियत तो हैं न?’’
‘‘हां…हां, सब ठीक हैं भाभी, और मम्मीपापा भी एकदम ठीकठाक हैं.’’
‘‘और आप..?’’ पूजा ने पूछा.
‘‘एकदम चंगा, शेर की माफिक…’’
राहुल ने इस अंदाज में जवाब दिया था कि सभी अपनी हंसी नहीं रोक पाए और ठहाका लगाने लगे. कई महीने बाद राहुल अपनी भाभी पूजा से मिलने आया था तो पूजा भी उन के स्वागत में कसर नहीं छोड़ रही थी. दिल खोल कर उन के आवभगत में लगी रही. बीचबीच में देवर और भाभी के बीच हंसीमजाक भी होता रहा. 4-5 घंटे का समय कैसे बीत गया, किसी को पता ही नहीं चला. यह बात 24 अप्रैल, 2021 की दोपहर की है. बात उसी दिन शाम 7 बजे की है. पूजा की पड़ोसन सीमा उस से मिलने उस के कमरे पर पहुंची तो देखा दरवाजे के दोनों पट आपस में भिड़े हुए हैं.
पूजा इतनी देर तक अपना दरवाजा कभी बंद कर के नहीं रखती थी. यह देख कर सीमा को थोड़ा अजीब लगा. फिर बाहर दरवाजे से उस ने कई बार पूजा को आवाज लगाई लेकिन भीतर से कोई हरकत नहीं हुई तो उसे और भी अजीब लगा. सीमा ने दरवाजे को हलका सा धक्का दिया तो किवाड़ अंदर की ओर खुल गए. फिर आवाज लगाती हुई वह उस के कमरे में पहुंच गई, जहां बिस्तर पर पूजा सोती हुई नजर आ रही थी. सीमा ने फिर से उसे आवाज लगाई लेकिन पूजा ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसे कुछ शक हुआ. उस ने उसे हिलाडुला कर देखा तो शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी. वह बिस्तर पर अचेत पड़ी थी और उस का शरीर गरम था. यह देख कर सीमा बुरी तरह घबरा गई और वहां से अपने कमरे में वापस लौट आई.
उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? पूजा के घर पर उस के अलावा कोई नहीं था. उस का पति जितेंद्र अस्के जबलपुर स्थित अपने घर गया था. सीमा ने पूजा के बेहोश होने की जानकारी उस के पति जितेंद्र अस्के को फोन पर दे दी थी. इस के बाद सीमा ने आसपास के फ्लैटों में रहने वाले अपने जानकारों को पूजा के बेहोश होने की जानकारी दे दी. लोगों ने पूजा की हालत देखते हुए फोन कर सरकारी एंबलेंस बुला कर पूजा को अस्पताल ले गए. लेकिन अस्पताल के डाक्टरों ने पूजा को मृत घोषित कर दिया. उधर पत्नी की बेहोशी की जानकारी पा कर जितेंद्र अस्के घबरा गया और उसी समय प्राइवेट साधन से जबलपुर से इंदौर चल दिया. सुबह होतेहोते वह इंदौर पहुंच गया था.
जैसे ही अस्पताल में उसे पत्नी की मौत की जानकारी मिली तो वह वहां बिलख कर रोने लगा. लोगों ने किसी तरह उसे सांत्वना दे कर चुप कराया तो उस ने पूजा की मौत की सूचना अपनी ससुराल वालों को दी तो सुन कर जैसे उन के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई. उस की मौत पर सहसा उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि कल तक तो पूजा अच्छीभली थी, अचानक उस की मौत कैसे हो सकती है. जरूर दाल में कुछ काला है. पूजा की छोटी बहन दुर्गा को भी बहन की मौत पर शक हो रहा था. वह घर वालों को साथ ले कर अस्पताल पहुंची, जहां पूजा की बौडी पड़ी थी. बहन की अचानक मौत पर दुर्गा अपने जीजा जितेंद्र अस्के से भिड़ गई. वह यह कतई मानने को तैयार नहीं थी कि उस की बहन की मौत अचानक हो सकती है.
क्योंकि वह बेहद जिंदादिल इंसान थी. वह भलीचंगी थी. उस की कोख में 8 माह का बच्चा पल रहा था. बच्चे को ले कर वह बेहद संजीदा थी. इस मौत को वह चीखचीख कर हत्या बता रही थी. अस्पताल में हंगामा खड़ा होता देख प्रशासन ने पुलिस को सूचित कर दिया. अस्पताल प्रशासन की सूचना पर थोड़ी देर बाद वहां मल्हारगंज थाने की पुलिस आ गई थी. अस्पताल उसी थानाक्षेत्र में आता था. पुलिस ने लाश अपने कब्जे में ले लिया. पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो पूजा के गले पर कुछ निशान नजर आए. इस से पुलिस को भी मामला संदिग्ध लगा तो पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. एक दिन बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई. रिपोर्ट में गला दबा कर हत्या किए जाने का उल्लेख किया गया था. यानी दुर्गा का शक सच था. पूजा की हत्या की गई थी.
पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी की हत्या का आरोप जिस व्यक्ति पर लगाया जा रहा था वह उस का पति जितेंद्र अस्के था. जितेंद्र अस्के कोई मामूली व्यक्ति नहीं था. वह सीआरपीएफ की 34वीं बटालियन का कंपनी कमांडर था. अर्द्धसैनिक बल के अफसर पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप मढ़ा जा रहा था. फिर क्या था, शक के आधार पर 26 अप्रैल, 2021 को मल्हारगंज के थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर ने पूछताछ के लिए जितेंद्र अस्के को थाने बुला लिया. उसी समय पूजा की बहन दुर्गा भी थाने पहुंची. उस ने थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर को बताया कि घटना से एक दिन पहले शाम 7 से 8 बजे के बीच में फोन पर उस की पूजा से बात हुई थी. तब पूजा ने बताया था कि जितेंद्र उस के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं.
चरित्र पर लांछन लगा कर वह उस के साथ मारपीट करते हैं. और तो और जीजा ने अपनी पहली शादी के बारे में दीदी से छिपाया था, उन्हें सच्चाई नहीं बताई थी कि वह पहले से शादीशुदा हैं और 2 बच्चों के पिता भी. दुर्गा के बयान ने थाने में सनसनी फैला दी थी. उस के बयान में कितनी सच्चाई थी, यह जांच का विषय था. फिलहाल, दुर्गा के बयान ने पूजा हत्याकांड से रहस्य का परदा उठा दिया था. पूजा की हत्या निश्चित ही 2 औरतों के बीच की जंग की उपज थी. दोनों औरतों की लड़ाई ने पूजा को मौत के मुंह में ढकेला था. पुलिस हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए जितेंद्र से पूछताछ कर रही थी. कंपनी कमांडर जितेंद्र ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि जिस दिन घटना घटी थी उस दिन वह जबलपुर स्थित अपने गांव आया था. पत्नी की हत्या किस ने की, उसे नहीं पता.
पूछताछ के बाद पुलिस ने जितेंद्र को इस हिदायत के साथ छोड़ दिया कि वह शहर छोड़ कर कहीं नहीं जाए और कहीं जाने से पहले इस की सूचना थाने को देनी होगी. जितेंद्र को छोड़ने के बाद थानाप्रभारी ठाकुर ने उस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उस के पीछे पुलिस लगा दी. दुर्गा की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया और जांच की काररवाई शुरू कर दी. इंसपेक्टर प्रीतम सिंह ठाकुर हत्या की जांच करने के लिए अपनी टीम के साथ जितेंद्र के आवास रामदुलारी अपार्टमेंट पहुंचे. पुलिस ने कमरे की गहराई से छानबीन की.
छानबीन के दौरान पुलिस को कोई ऐसा सुराग हाथ नहीं लगा, जिस से वह हत्यारों तक पहुंचती किंतु पड़ोसियों से की गई पूछताछ से इतना जरूर पता चल गया था कि घटना वाले दिन पूजा से मिलने उस के 2 देवर यहां आए थे. कुछ घंटों बाद वे उस के घर से चले गए थे. देवरों के जाने के बाद से पूजा के कमरे का दरवाजा लगातार बंद आ रहा था. इस का मतलब पूजा की हत्या उस के देवरों ने मिल कर की है. हत्या करने के बाद पुलिस से बचने के लिए वे मौके से फरार हो गए. अब तो उन दोनों के गिरफ्तार होने के बाद ही सच का पता चल सकता था. इस के बाद पुलिस ने अपने मुखबिर तंत्र से पता लगा लिया कि कंपनी कमांडर जितेंद्र आस्के की 2 शादियां हुई थीं.
पूजा आस्के उस की दूसरी पत्नी थी और उस ने प्रेम विवाह किया था. धोखे में रखने की वजह से दूसरी पत्नी ने पति जितेंद्र की नाक में दम कर दिया था और पहली पत्नी को छोड़ने के लिए उस पर निरंतर दबाव बनाए हुए थी. बहरहाल, थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ने घटना की सारी सच्चाई एसपी (वेस्ट) महेशचंद जैन और एएसपी (वेस्ट) प्रशांत चौबे को दी तो एसपी महेशचंद ने एएसपी के नेतृत्व में आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एक टीम बनाई, जिस में थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर को भी शामिल किया गया. पुलिस टीम ने जबलपुर के धार से पूजा के दोनों देवरों राहुल अस्के और नवीन अस्के को हिरासत में ले लिया. दोनों से कड़ाई से पूछताछ की तो राहुल अस्के ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. हत्या करने में नवीन ने बराबर का सहयोग किया था. उस ने बताया कि हत्या की साजिश बड़े भैया जितेंद्र अस्के के सामने रची गई थी.
दोनों आरोपितों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. इंदौर पुलिस दोनों आरोपितों को जबलपुर से ले कर इंदौर पहुंची. यहां पुलिस ने रामदुलारी अपार्टमेंट में दबिश दे कर जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. खैर, पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी हत्याकांड में तीनों आरोपियों जितेंद्र अस्के, जितेंद्र के भाई राहुल अस्के और नवीन अस्के को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. तीनों आरोपियों से की गई गहन पूछताछ में पूजा हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—
35 वर्षीय जितेंद्र अस्के मूलरूप से जबलपुर के धार इलाके का रहने वाला था. मांबाप के अलावा उस के परिवार में एक भाई और एक बहन थी. इन में जितेंद्र सब से बड़ा था. बचपन से ही उसे पुलिस की नौकरी अच्छी लगती थी. बड़ा हो कर वह फौज में भरती होना चाहता था. जितेंद्र को पता था फौज में भरती होने के लिए मजबूत और कसरती बदन का होना जरूरी है. अपने धुन का पक्का जितेंद्र पुलिस में भरती होने के लिए अपने खानपान और शरीर पर विशेष ध्यान देता था और उस ने खुद को पुलिस में भरती होने वाला मजबूत और गठीला जिस्म बना लिया था. आखिरकार वह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में भरती हो गया. वर्तमान में वह कंपनी कमांडर था.
जितेंद्र सीआरपीएफ में एक बड़ा अफसर बन गया था. उस की शादी के लिए अच्छेअच्छे रिश्ते आने लगे थे. घर वालों ने धार के रिश्ते को अपनी मंजूरी दे अन्नू के संग रिश्ता जोड़ कर उस की गृहस्थी बसा दी थी. पढ़ीलिखी, गुणी और संस्कारी अन्नू को पत्नी के रूप में पा कर वह बेहद खुश था. जितेंद्र और अन्नू की गृहस्थी बड़े मजे और खुशहाली से कट रही थी. उस के घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. मजे से दोनों के दिन कट रहे थे. समय से 2 बच्चे भी पैदा हुए. बच्चों की किलकारियों से जितेंद्र के आंगन का कोनाकोना महक उठा था. इसी बीच जितेंद्र अस्के ट्रांसफर हो कर इंदौर आ गया था. मांबाप के साथ पत्नी और बच्चे धार में ही रहते थे. इंदौर के आनंद बाजार में किराए का एक कमरा ले कर वह रहने लगा था. घर से ड्यूटी और ड्यूटी से घर, यही उस की दिनचर्या थी. वह कभीकभार आनंद बाजार जाता था.
एक दिन की बात है. जितेंद्र आनंद बाजार कुछ खरीदारी के लिए आया था. जिस दुकान से वह अपने लिए सामान खरीद रहा था, उसी के बगल में एक बेहद खूबसूरत युवती खड़ी सामान खरीद रही थी. अनजाने में उस युवती की कलाई कंपनी कमांडर जितेंद्र के हाथ से छू गई थी. उस युवती की कलाई के स्पर्श से जितेंद्र के जिस्म में अजीब सी लहर दौड़ गई थी. उस के बाद जितेंद्र ने पलट कर उस युवती की ओर देखा. गोरी रंगत वाली उस युवती कोे देख वह उस पर मुग्ध सा हो गया था. पलभर के लिए उस की नजरें उस के सुंदर चेहरे पर जा टिकी थीं. अपलक उसे देखते युवती भी मुसकरा पड़ी. सामान ले कर वह युवती वहां से चली गई. जितेंद्र उसे तब तक निहारता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.
बाद में जितेंद्र ने अपने स्तर से पता लगा ही लिया कि उस युवती का नाम पूजा उर्फ जाह्नवी है और वह इसी आनंद बाजार मोहल्ले में अपने परिवार के साथ रहती थी. यह घटना से करीब 3 साल पहले की बात थी. खैर, उस दिन के बाद एक दिन बाजार में फिर से पूजा से उस की मुलाकात हो गई. इस के बाद तो अकसर दोनों की मुलाकात बाजार में हो जाया करती थी. धीरेधीरे यह मुलाकात दोस्ती के जरिए प्यार में बदल गई. कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के और पूजा प्यार की डोर में बंध गए थे. पुलिस अफसर जितेंद्र के मन में इश्क की ऐसी लगन लगी थी कि उस का तन और मन धधक रहा था. बाद में वे दोनों लिवइन रिलेशन में रहने लगे.
पूजा को उस ने अपने आनंद बाजार वाले किराए के कमरे में रखा था. उस ने अपनी शादीशुदा जिंदगी को पूजा से छिपा लिया था. जितेंद्र ने खुद को कुंवारा बताया था. जितेंद्र के कुंवारा होने से पूजा के घर वाले बेहद खुश थे कि उस की लाडली बेटी ने अपने लिए कितना बढि़या वर चुना है. पूजा के घर वाले बेटी के ऐसे लिवइन रिलेशन के रिश्ते से खुश नहीं थे. वे चाहते थे कि दोनों शादी कर के रहें, जिस से कोई उन की बेटी के चरित्र पर अंगुली न उठाए. पूजा के घर वालों के दबाव से जितेंद्र कोर्ट मैरिज करने के लिए तैयार नहीं हुआ, अलबत्ता मंदिर में जा कर उस ने पूजा से विवाह कर लिया और उसे साथ ले कर रहने लगा.
जितेंद्र कानून का जानकार था. वह जानता था कि अगर पूजा को उस की पहली शादी वाली बात पता चल गई तो कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट को आधार बना कर वह उस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है, इसीलिए उस ने रजिस्टर्ड विवाह के बजाय मंदिर में शादी की थी, ताकि इस मैरिज का उस के पास कोई सबूत न बचे. पूजा से शादी रचाने के बाद जितेंद्र ने आनंद बाजार वाला किराए का कमरा छोड़ कर मल्हारगंज इलाके के रामदुलारी अपार्टमेंट में 3 कमरों वाला फ्लैट किराए पर ले लिया और ठाठ से वहां पूजा के साथ रहने लगा था. धीरेधीरे समय बीतता रहा. पूजा गर्भवती हो गई. वह बच्चे को ले कर बेहद संजीदा थी. पूजा ने एक दिन रात में पति को फोन पर किसी औरत से बात करते सुन लिया.
जब उस ने पति से पूछा कि इतनी देर रात को किस से बात कर रहे हो तो उस की बात सुन कर वह एकदम से हड़बड़ा गया और उस के माथे पर पसीने छूट गए थे. फिर वह बातें बनाते हुए औफिशियल बात कह कर टाल कर चुपचाप सो गया. न जाने क्यों पूजा को जितेंद्र पर संदेह हो गया था कि वह उस से कुछ छिपा रहा है. उस दिन के बाद से पूजा पति पर नजर रखने लगी. आखिरकार पूजा के सामने जितेंद्र की सच्चाई खुल कर आ ही गई. पूजा को पता चल गया कि जितेंद्र की जिंदगी में कोई दूसरी औरत है. वह औरत कोई और नहीं, उस की पहली बीवी है. यानी जितेंद्र पहले से शादीशुदा था और उस ने इतनी बड़ी बात उस से छिपा कर रखी थी.
उस के प्यार और विश्वास के साथ उस ने इतना बड़ा धोखा किया. पूजा को ऐसा लगा जैसे काटो तो खून नहीं. वह सिर पकड़ कर धम्म से गिर गई और कोख के ऊपर हाथ फेरते हुए सुबकने लगी थी. उस की आंखों के सामने जैसे अंधेरा छा गया था. पलभर के लिए जैसे सोच नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे, कहां जाए, किस के कंधे पर सिर रख कर रो ले, ताकि उस का दुख थोड़ा कम हो जाए. पूजा इतनी आसानी से जितेंद्र को छोड़ने वाली नहीं थी. क्योंकि उस ने उसे धोखे में रख कर उस की जिंदगी बरबाद की थी. औरत सब कुछ बरदाश्त कर सकती है, लेकिन अपने सुहाग को हिस्सों में बंटता कभी नहीं देख सकती. पहली औरत यानी सौतन को ले कर पूजा और जितेंद्र के बीच खूब झगड़ा हुआ.
उस ने जितेंद्र से सवाल किया कि मेरी जिंदगी को क्यों बरबाद किया, जब पहले से शादीशुदा थे, तो धोखा क्यों दिया? बताया क्यों नहीं उस के बच्चे भी हैं, जो कहीं और रहते हैं. पूजा चुप बैठने वालों में से नहीं थी. एक दिन उस ने पति की पहली पत्नी अन्नू को फोन कर के सारी असलियत बता दी. पति की सच्चाई जान कर अन्नू बिफर गई और सौतन को ले कर दोनों में खूब झगड़ा हुआ. अन्नू ने पति को धमकी दी कि अगर उस ने सौतन पूजा से संबंध नहीं तोड़ा तो वह बच्चों के साथ आत्महत्या कर लेगी. पत्नी की आत्महत्या कर लेने की धमकी से जितेंद्र बुरी तरह डर गया और अगले दिन धार पत्नी के पास पहुंच गया. जितेंद्र ने जो गलती की थी, उस का तो परिणाम यही होना था.
2 नावों पर सवार जितेंद्र अस्के की जिंदगी अब डगमगाने लगी थी. वह किसे छोड़े और किसे अपनाए, इसी ऊहापोह में डूबा हुआ था. दोनों पत्नियों के बीच जितेंद्र पिस कर रह गया था. मंझधार में अटका जितेंद्र किनारे की तलाश में भटक कर रहा था, लेकिन उसे वह किनारा मिल नहीं रहा था. बात 22 अप्रैल, 2021 की है. जितेंद्र धार में पहली पत्नी अन्नू के साथ था. दोनों पत्नियों को ले कर महीनों से घर में महाभारत छिड़ी थी. बात नातेरिश्तेदारों तक पहुंच गई थी. चारों ओर जितेंद्र की थूथू हो रही थी. अब पानी सिर के ऊपर से बहने लगा था. 2 दिन पहले ही जितेंद्र का छोटा भाई राहुल अस्के, जो मध्य प्रदेश पुलिस में एसआई था. उस की तैनाती छिंदवाड़ा में थी. उस समय वह घर आया था. राहुल की मौसी का बेटा नवीन भी वहां आया था.
उसी दौरान दोपहर के समय अन्नू के मोबाइल पर पूजा का फोन आया. पति के सामने फोन पर दोनों सौतनों के बीच खूब झगड़ा हुआ. पूजा ने पति को भी खूब खरीखोटी सुनाई. बड़े भाई का अपमान राहुल देख नहीं पाया. उस के तनबदन में आग लग गई थी. उसी वक्त राहुल और नवीन ने जितेंद्र के सामने उस की सहमति से पूजा की हत्या की बात कही तो जितेंद्र अपनी ओर से उसे हरी झंडी दे दी. क्योंकि पूजा के रोजरोज के झगड़े से वह ऊब चुका था. भाई की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद 23 अप्रैल की शाम राहुल और नवीन इंदौर के लिए रवाना हो गए. 24 अप्रैल को दोपहर में दोनों इंदौर के मल्हारगंज स्थित रामदुलारी अपार्टमेंट पहुंच गए. देवरों को देख कर पूजा खुश हुई थी. उसे क्या पता था कि जिन्हें देख कर वह खुश हो रही है, वह मेहमान के रूप में साक्षात यमदूत हैं, राहुल और नवीन को आते पड़ोसन सीमा ने देख लिया था.
खैर, पूजा देवरों को अंदर लाई और उन्हें कमरे में बिठाया और खुद उन के लिए चाय बनाने किचन में चली गई. थोड़ी देर बाद 3 प्याली में चाय और एक प्लेट में नमकीन ले कर आई. तीनों ने एक साथ बैठ कर चाय पी. जैसे ही पूजा खाली प्याली समेट कर किचन की ओर बढ़ी, तभी पीछे से राहुल और नवीन उस पर टूट पड़े. नवीन ने भाभी पूजा के दोनों पैर पकड़ लिए और राहुल ने गला घोंट कर उसे मार डाला. उस के बाद दोनों ने उस की लाश ले जा कर ऐसे सुला दी, जैसे वह बिस्तर पर सो रही हो. फिर बाद दोनों फरार हो गए. तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
कथा लिखे जाने तक पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी के तीनों हत्यारोपी कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के, आरक्षक राहुल अस्के और नवीन अस्के जेल की सलाखों के पीछे कैद थे. पूजा की मौत का जितेंद्र को जरा भी गम नहीं था. Real Crime Story in Hindi
—कथा में सीमा परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है.