Social Crime : कोख को किया कलंकित

Social Crime : समाज में निस्संतान दंपति को हीनभावना से देखा जाता है. मायाबेन ऐसे दंपति को किराए की कोख उपलबध कराती थी. इन सब के अलावा उस ने कोख को कलंकित करने वाला एक ऐसा धंधा भी शुरू कर दिया, जो…

गुजरात के जिला खेड़ा के इंडस्ट्रियल एरिया नडियाद और आणंद में ऐसे कई अस्पताल हैं, जो निस्संतान दंपतियों को सरोगेसी मदर (किराए की कोख यानी जो दूसरे के बच्चे को अपनी कोख में पालती हैं) की व्यवस्था करते हैं. आणंद के एक ऐसे ही निजी अस्पताल में मायाबेन दाबला काम करती थी. लगातार एक ही अस्पताल में काम करने की वजह से मायाबेन की ऐसी तमाम महिलाओं से जानपहचान हो गई थी, जो अपनी कोख किराए पर देती थीं. इस तरह का काम बहुत गरीब महिलाएं करती हैं, जिन्हें पैसे की बहुत ज्यादा जरूरत होती है या फिर कोई बहुत करीबी रिश्तेदार महिला करती है, जिसे अपने उस रिश्तेदार की बहुत फिक्र होती है.

रिश्तेदार महिला तो अपने रिश्तेदार के लिए इस तरह का काम करती है, पर जो महिलाएं पैसा ले कर किसी अन्य का बच्चा अपनी कोख में पालती हैं, उन के लिए यह एक तरह का धंधा होता है. वे तब तक यह काम करती रहती हैं, जब तक उन का शरीर साथ देता है. निस्संतान दंपतियों को, जो हर तरफ से निराश हो चुके होते हैं, उन्हें इस तरह की औरतों की तलाश रहती है. पर वे किस से कहें कि मेरे लिए तुम अपनी कोख में मेरा बच्चा पाल दो. हर किसी से या किसी अंजान से तो इस तरह की बात कही नहीं जा सकती. इसलिए इस तरह के लोग किसी दलाल के माध्यम से ऐसी महिलाएं तलाशते हैं.

मायाबेन की इस तरह की अनेक महिलाओं से जानपहचान हो गई थी, इसलिए वह निस्संतान दंपतियों और इस तरह की महिलाओं के बीच दलाली का भी काम करने लगी थी. इस के अलावा कभीकभी ऐसा भी होता था कि निस्संतान दंपति खुद अपने साथ अपने गांव की या किसी परिचित के माध्यम से किसी गरीब महिला को पैसे का लालच दे कर सरोगेट मदर के लिए ले कर आते थे. मायाबेन ऐसी महिलाओं से जानपहचान बना कर उन्हें आगे किसी जरूरतमंद के लिए तैयार कर लेती थी. ऐसी ही महिलाओं से सरोगेट मदर के लिए अन्य गरीब महिलाएं भी मिल जाती थीं. इस तरह मायाबेन को नौकरी से जो वेतन मिलता था, वह तो मिलता ही था, इस तरह की दलाली से भी उसे अच्छी कमाई हो जाती थी.

किराए की कोख दिलवाती थी मायाबेन कहते हैं इंसान बड़ा लालची होता है. उसे कहीं से चार पैसे मिलने की उम्मीद होती है तो वह लालच में यह भी नहीं देखता कि वे चार पैसे उसे सही रास्ते से मिल रहे हैं या गलत रास्ते से. उसे तो बस वे पैसे चाहिए. ऐसा ही कुछ मायाबेन के साथ भी हुआ. कुछ कमाई अलग से करने के चक्कर में मायाबेन सरोगेट मदर और निस्संतान दंपतियों के बीच दलाली करतेकरते वह बच्चे बेचने का काम भी करने लगी. वह ऐसे निस्संतान दंपतियों को बच्चे भी बेचने लगी, जो किसी भी रूप में बच्चा पैदा करने लायक नहीं होते थे.

हमारे यहां बच्चा गोद लेना भी आसान नहीं है. जबकि हर कोई अपना वारिस चाहता है. इस के लिए यानी एक संतान के लिए आदमी कुछ भी करने को तैयार हो जाता है. मायाबेन ऐसे ही लोगों के लिए मोटी रकम ले कर बच्चे उपलब्ध कराने का काम भी करने लगी थी. क्योंकि उस के पास ऐसी महिलाएं भी थीं, जो पैसे ले कर दूसरे के लिए बच्चा पैदा करने को तैयार थीं. चूंकि यह आसान काम नहीं है, इसलिए मायाबेन इस के लिए काफी पैसे लेती थी. क्योंकि इस के लिए उसे ऐसी महिलाओं को तलाशना पड़ता था, जो अपना बच्चा बेचने के लिए तैयार होती थीं. जबकि कोई भी महिला जल्दी से अपना बच्चा बेचने को तैयार नहीं होती. पर एक सच्चाई यह भी है कि पेट की भूख इंसान से कुछ भी करवा सकती है. इन कामों से उसे मोटी कमाई हो रही थी.

चूंकि ऐसा करना कानूनी रूप से गलत है, इसलिए यह काम वह चोरीछिपे करती थी. पर कोई भी गलत काम लगातार कितना भी चोरीछिपे किया जाए, उस की जानकारी लोगों को हो ही जाती है. ऐसा ही मायाबेन के इस काम के बारे में भी हुआ. जब इस बात की जानकारी कुछ लोगों को हुई तो उन्हीं में से किसी ने यह बात खेड़ा की एसपी अर्पिता पटेल तक पहुंचा दी. चूंकि यह मामला एक तरह से मानव तसकरी से जुड़ा था, इसलिए इस बात का पता चलते ही उन के कान खड़े हो गए. मायाबेन भले ही किसी गरीब महिला का बच्चा किसी धनी निस्संतान दंपति के हाथों बेचवा कर नेकी का काम कर रही थी, पर कानून की नजरों में था तो यह गलत ही.

बच्चा खरीदने वाला बच्चे का न जाने किस तरह उपयोग करता होगा? इसलिए जब बात मानव तसकरी की सामने आई तो एसपी अर्पिता पटेल ने इस मामले की सच्चाई का पता लगाने की जिम्मेदारी खेड़ा की एसओजी टीम को सौंप दी. पुलिस चाहती तो मायाबेन को गिरफ्तार कर के पूछताछ कर सकती थी. पर तब पुलिस को सबूत जुटाना मुश्किल हो जाता. एसपी खेड़ा अर्पिता पटेल इस मामले की तह तक जाने और इस काम में लिप्त महिलाओं को सबूतों के साथ गिरफ्तार करना चाहती थीं. इसीलिए उन्होंने यह काम एसओजी को सौंपा था. एसओजी प्रभारी ने यह जिम्मेदारी विभाग की तेजतर्रार महिला एसआई आर.डी. चौधरी को सौंपी.

महिला एसआई बनी डमी जरूरतमंद आर.डी. चौधरी को पता ही था कि मायाबेन बच्चा बेचती है. इसलिए उन्होंने सोचा कि वह उस से एक जरूरतमंद बन कर मिलें, तभी सच्चाई का पता चल सकता है. इस के लिए उन्होंने अपने साथ 2 महिला सिपाहियों को ले कर बच्चा बेचने वाले रैकेट की मुखिया मायाबेन लालजीभाई दाबला निवासी 104, कर्मवीर सोसायटी, पीजी रोड नडियाद से मिलने की कोशिश शुरू कर दी. उन की यह कोशिश रंग लाई और वह एक जरूरतमंद यानी डमी ग्राहक के रूप में मायाबेन से मिलने में कामयाब हो गईं. तय स्थान शांताराम नगर, नजदीक सब्जी मंडी, नडियाद में वह सहयोगियों के साथ तय समय पर पहुंच गईं. पर साथ आई महिला सिपाही इस तरह अलगअलग खड़ी हो गईं, जैसे वे उन के साथ नहीं हैं.

पर मायाबेन दाबला तय समय पर एसआई आर.डी. चौधरी से मिलने अकेली नहीं आई थी. उस के साथ 2 अन्य महिलाएं मोनिकाबेन महेश शाह निवासी किशन समोसा वाले की गली, बणियावड, नडियाद और पुष्पाबेन संदीप पटेलिया निवासी रामादूधा की चाल, मिल रोड, नडियाद भी थीं. 6 लाख में बेचती थी लड़का

मायाबेन ने पहले तो आर.डी. चौधरी को गौर से देखा, उस के बाद धीरे से बोली, ‘‘बताइए, आप क्या चाहती हैं?’’

‘‘मुझे एक बच्चा चाहिए.’’ आर.डी. चौधरी ने कहा.

‘‘क्यों? अभी तो आप की उम्र भी कोई ज्यादा नहीं है. आप चाहें तो आप को अपना बच्चा हो सकता है.’’ मायाबेन ने कहा.

‘‘डाक्टर ने कहा है कि मेरी फेलोपियन ट्यूब ब्लौक है, जो औपरेशन के बाद भी ठीक नहीं हो सकती. जबकि मुझे बच्चा चाहिए. बच्चा मुझे कहीं से गोद भी नहीं मिल रहा है. सरोगेट द्वारा बच्चा पाने में पैसा भी खर्च करो और इंतजार भी करो.

इसलिए मेरा सोचना है कि जब पैसा ही खर्च करना है तो बच्चा खरीद ही क्यों न लूं. मुझे पता चला है कि आप पैसे ले कर बच्चा दिला देती हैं, इसलिए मैं आप के पास आई हूं.’’ आर.डी. चौधरी ने एक सांस में अपनी समस्या ऐसे बताई कि मायाबेन तथा उस के साथ आई महिलाओं को उन पर जरा भी शक नहीं हुआ.

‘‘आप को लड़का चाहिए या लड़की?’’ मायाबेन ने पूछा.

‘‘मतलब?’’ डमी ग्राहक बनी एसआई आर.डी. चौधरी ने जवाब देने के बजाय सवाल किया.

‘‘मतलब यह कि लड़का चाहिए तो उस के लिए अधिक पैसे लगेंगे. लड़की कम पैसों में मिल जाएगी.’’

‘‘लड़के के लिए कितने रुपए देने होंगें?’’ आर.डी. चौधरी ने पूछा.

‘‘लड़के के लिए पूरे 6 लाख रुपए देने होंगे. अगर आप को लड़का चाहिए तो आप 6 लाख रुपए की व्यवस्था कीजिए. आप को लड़का अभी मिल जाएगा.’’ मायाबेन ने कहा. डमी ग्राहक बन कर आई आर.डी. चौधरी ने हामी भर दी तो मायाबेन ने कहा, ‘‘ठीक है, आप पैसे की व्यवस्था कीजिए. मैं बच्चा मंगा रही हूं.’’

‘‘मैं ने पैसों की व्यवस्था कर रखी है. आप बच्चा मंगाइए. मैं देखूंगी भी तो. बच्चा पसंद आ गया तो सारे पैसे एकमुश्त दे कर बच्चा ले लूंगी.’’ आर.डी. चौधरी ने कहा.

सब कुछ तय हो जाने के बाद मायाबेन ने फोन किया तो एक महिला एक नवजात बच्चा ले कर आ गई. उस महिला के आते ही आर.डी. चौधरी ने अपनी पूरी टीम बुला ली और चारों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में पता चला कि वह बच्चा उसी महिला का था. उस का नाम राधिकाबेन राहुल गेडाम था. वह नागपुर की रहने वाली थी. नडियाद में वह किडनी हौस्पिटल के सामने स्थित कंफर्ट होटल में कमरा नंबर 203 में रुकी थी. राधिका से की गई पूछताछ में पता चला कि उसे पैसों की काफी जरूरत थी, इसलिए उस ने मायाबेन और उस के साथ मिल कर यह काम करने वाली मोनिका और पुष्पा से संपर्क किया था.

माया ने उस से उस के बेटे का सौदा डेढ़ लाख रुपए में किया था. जबकि उसी बच्चे का सौदा मायाबेन ने आर.डी. चौधरी से 6 लाख रुपए में किया था. 4 महिलाएं हुईं गिरफ्तार एसओजी द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि मायाबेन और उस के साथ बच्चों का व्यापार करने वाली मोनिका और पुष्पा महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अपने सूत्रों से इस तरह की गरीब गर्भवती महिलाओं को खोजती थीं. इस के बाद उन से सौदा कर के उन्हें नडियाद ला कर उन की डिलीवरी करा कर उन्हें तय रकम दे कर उन से बच्चा ले लेती थीं. उस के बाद बच्चा चाहने वाले से मोटी रकम ले कर उसे बच्चा सौंप देती थीं.

यह भी पता चला है कि पहले भी मायाबेन ने सरोगेसी द्वारा बच्चे प्राप्त कर के अलगअलग शहरों गोवा, रायपुर और जयपुर में भी बच्चे बेचे हैं. पुलिस के अनुसार बच्चों का सौदा करने वाला यह रैकेट जरूरतमंद की जरूरत और हैसियत देख कर पैसा वसूलता था. प्राथमिक पूछताछ के बाद एसओजी टीम ने चारों महिलाओं को थाना कोतवाली नडियाद पुलिस के हवाले कर दिया, जहां थानाप्रभारी एन.जी. गोस्वामी ने चारों महिलाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 370, 144, 120बी एवं 511 के तहत मुकदमा दर्ज कर चारों को 8 अगस्त, 2021 को अदालत में पेश किया, जहां से चारों महिलाओं को मामले की विस्तृत जांच के लिए 5 दिनों के रिमांड पर लिया.

इस मामले की गंभीरता का इसी बात से पता चलता है कि जैसे ही इस मामले की जानकारी आईजी रेंज वी. चंद्रशेखर को हुई तो वह भी नडियाद आ पहुंचे. उन्होंने एसपी अर्पिता पटेल और जांच अधिकारी एन.जी. गोस्वामी से मिल कर मामले की पूरी जानकारी ली, साथ ही दिशानिर्देश भी दिए कि आगे क्या करना है. रिमांड के दौरान मायाबेन ने स्वीकार किया कि उसे बेटे की शादी के लिए पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए बच्चों को बेचने का यह घिनौना काम उस ने किया. बच्चों का सौदा करने पर उसे जो 6 लाख रुपए मिलते, उस में से ढाई लाख रुपए उसे मिलते. बाकी के साढ़े 3 लाख रुपए में से डेढ़ लाख बच्चे की मां को और एकएक लाख रुपए मोनिका तथा पुष्पा को मिलते.

पुलिस ने उन से उन लोगों के बारे में पता लगाने की कोशिश की, जिनजिन को उन्होंने बच्चे बेचे थे, पर उन से कुछ हासिल नहीं हो सका. पुलिस डीएनए जांच करा कर यह भी पता करेगी कि जिस बच्चे का सौदा किया गया था, वह राधिका का ही है या किसी और का. रिमांड के दौरान जांच में सहयोग न मिलने की वजह से पुलिस इस मामले में और ज्यादा जानकारी नहीं जुटा पाई. रिमांड अवधि खत्म होने पर फिर से चारों महिलाओं को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 12 अगस्त, 2021 को जेल भेज दिया गया. Social Crime

 

Agra Crime News : बंद बोरे का खुला राज

Agra Crime News : अवैध संबंध अकसर अपराध को जन्म देते हैं. इतना सब जानते हुए भी सुनीता उर्फ सुषमा ने पति के रहते हुए मान सिंह से नाजायज संबंध बना लिए. इस के बाद जो हुआ, वह..

8 जून, 2021 की बात है. आगरा के थाना सदर के सेवला में रात के 11 बजे एक आदमी कंधे पर बोरा ले कर जा रहा था. अचानक बोरे के वजन के कारण उस का पैर फिसला और वह बोरे सहित  गिर पड़ा. इस पर वहां से निकल रहे लोगों की नजरें उस आदमी की तरफ गईं. वह किसी तरह उठा और बोरे को उठाने का प्रयास करने लगा. उसी समय बोरा खुल गया और उस में से एक हाथ बाहर निकल आया. यह देखते ही लोग उस की ओर दौड़े और उसे पकड़ लिया. बोरे को खुलवा कर देखा तो उस में एक युवक का शव था जिसे देख कर सभी के होश उड़ गए. बोरे में युवक की लाश मिलने से वहां सनसनी फैल गई. इस घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दे दी गई.

सूचना मिलते ही थाना सदर के थानाप्रभारी अजय कौशल अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां लोग एक व्यक्ति को पकड़े हुए थे. यह माजरा देखते ही उन्होंने वहां मौजूद लोगों से जानकारी ली. लोगों ने बताया कि यही व्यक्ति कंधे पर बोरे में किसी की लाश ले कर जा रहा था. वजन के कारण वह बोरे सहित गिर गया. बोरा खुलने से लाश के बारे में पता चला. पुलिस ने देखा बोरे में एक युवक की लाश थी. शव की पहचान 40 वर्षीय जूता कारीगर संजय के रूप में हुई. पुलिस ने शव की पहचान होने के बाद उस के घरवालों को सूचना दी. जानकारी होते ही परिवार में कोहराम मच गया.

इस बीच घटना की जानकारी थानाप्रभारी द्वारा अपने उच्च अधिकारियों को दी गई. सूचना मिलते ही एसपी (सिटी) रोहन प्रमोद बोत्रे वहां पहुंच गए. उन्होंने लाश का निरीक्षण किया. युवक के गले  पर चोट के निशान दिखाई दे रहे थे. मौके की जरूरी काररवाई निपटा कर पुलिस ने शव को मोर्चरी भिजवा दिया. प्रेमी हुआ गिरफ्तार पुलिस पकड़े गए युवक मान सिंह को हिरासत में ले कर थाने लाई. थाने पर उस से पूछताछ की गई. जानकारी देने पर पुलिस ने रात में ही मृतक संजय के घर पहुंच कर उस की 35 वर्षीय पत्नी सुनीता उर्फ सुषमा से पूछताछ की.

सुनीता ने बताया कि वह दवा लेने गई हुई थी. जब लौट कर आई तो पति संजय घर पर नहीं मिले. उस ने सोचा कि कहीं गए होंगे. जब देर हो गई तो उस ने पति की तलाश शुरू की. बाद में पता चला कि उस के जाने के बाद पति की किसी ने हत्या कर दी थी. उधर हिरासत में लिए गए युवक ने बिना कुछ छिपाए पुलिस को सच्चाई बता दी. उस ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि मृतक संजय की पत्नी से उस के प्रेम संबंध हैं. पति विरोध करता था.  हम दोनों के प्यार के बीच संजय रोड़ा बना हुआ था. वह अपनी पत्नी के साथ मारपीट करता था. मुझे भी घर आने से मना करता था. इसलिए हम दोनों ने मिल कर उस की हत्या कर दी.

वह शव को बोरे में बंद कर ठिकाने लगाने ले जा रहा था. लेकिन बोरे के गिर जाने से भेद खुल गया. पुलिस समझ गई कि मृतक की पत्नी सुनीता इस हत्याकांड में शामिल होने के बावजूद अपने को निर्दोष बता रही है. जबकि उस के प्रेमी मान सिंह ने पुलिस को सारी हकीकत बता दी थी. पुलिस ने सुनीता को भी गिरफ्तार कर लिया और फोरैंसिक टीम को बुला लिया. टीम ने मृतक के घर से कई साक्ष्य जुटाए. 9 जून, 2021 को प्रैस कौन्फ्रैंस में एसएसपी मुनिराज जी. ने इस हत्याकांड का खुलासा करते हुए हत्या में शामिल मृतक की पत्नी सुनीता उर्फ सुषमा व उस के 38 वर्षीय प्रेमी मान सिंह की गिरफ्तारी की जानकारी दी. संजय की हत्या के पीछे जो कहानी निकल कर आई वह 4 प्रेमियों के प्यार के बीच कांटा बनने की इस प्रकार निकली—

मृतक संजय आगरा की एक जूता फैक्ट्री में कारीगर था. वह मूलरूप से निबोहरा के मूसे का पुरा का रहने वाला है. देवरी रोड पर मकान ले कर वह परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी सुनीता सुषमा के अलावा 3 बच्चे भी हैं. कुछ समय पहले संजय ने अपना मकान बेच दिया. मकान बेचने के बाद वह सेवला में किराए का मकान ले कर रहने लगा. संजय शराब पीने का शौकीन था. वह शराब पी कर अकसर सुनीता से झगड़ा करता और उस के साथ मारपीट करता था. सुनीता की दोस्ती थाना सदर के ही टुंडपुरा के रहने वाले मान सिंह से थी. दोनों की मुलाकात कुछ महीने पहले हुई थी. दोस्ती गहरी हो गई. एकदूसरे को पसंद करने लगे.

धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. सुनीता मान सिंह के साथ कई बार पति की गैरमौजूदगी में घूमने जा चुकी थी. संजय को यह जानकारी हो गई. वह पत्नी को भलाबुरा कहता था. उस के पास कोई सबूत नहीं था. इसलिए वह मौके की तलाश में रहता था. जब संजय पत्नी के साथ मारपीट करता तो मानसिंह बीच में पड़ कर मामला शांत करा देता. कई बार उस ने सुनीता को बचाया भी था. संजय शराब पी कर सुनीता से अभद्रता करता था. मान सिंह ने इसी बात का फायदा उठाया. सुनीता के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उसे अपनी बातों के जाल में फंसा लिया.

पति संजय को पत्नी की मान सिंह से दोस्ती पसंद नहीं थी. वह इस का विरोध करता था. जबकि मान सिंह व सुनीता के बीच प्रेम संबंध दिनप्रतिदिन पुख्ता होते जा रहे थे. दोनों एकदूसरे के बिना रह नहीं पाते थे. पति की आदतों से अब सुनीता को वह अपना दुश्मन दिखाई देता था. प्रेमी संग पकड़ी गई सुनीता सुनीता और मान सिंह को जब भी मौका मिलता दोनों तनमन की प्यास बुझा लेते थे. संजय को दोनों पर शक हो गया. एक दिन संजय ने दोनों को घर में आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. इस से मान सिंह तिलमिला कर रह गया. लेकिन वक्त की नजाकत को देखते हुए मान सिंह बिना कुछ बोले उस दिन वहां से चला गया. मान सिंह के जाने के बाद संजय ने सुनीता की पिटाई कर दी.

वह दोनों के संबंधों का विरोध करने लगा. सुनीता खून का घूंट पी कर रह गई थी. रंगेहाथों पकड़े जाने से वह विरोध की स्थिति में भी नहीं थी. संजय ने सुनीता को चेतावनी दी कि यदि मान सिंह से उस ने बात करते भी देख लिया तो दोनों को जान से मार देगा. सुनीता ने दूसरे दिन प्रेमी मान सिंह से पति द्वारा की गई पिटाई और धमकी के बारे में मोबाइल पर बताया. यह सुन कर मान सिंह का खून खौलने लगा. तब एक दिन सुनीता और मान सिंह ने अपने प्यार की राह के रोड़े को हटाने की योजना बनाई. सुनीता ने प्रेमी का प्यार पाने के लिए पति की हत्या की साजिश रची.

घटना वाले दिन सोमवार की शाम प्रेमी मान सिंह सुनीता से मिलने उस के घर गया. उस समय संजय भी घर पर मौजूद था. मान सिंह को देखते ही उस ने कहा, ‘‘जब मना कर दिया था फिर भी तू आ गया?’’

इस पर मानसिंह ने हंसते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद की चीज लाया हूं.’’ यह कहते हुए उस ने साथ लाई शराब की बोतल उसे दिखाई. मान सिंह जानता था कि संजय की कमजोरी शराब है. इसलिए वह बेधड़क घर आ गया था. मान सिंह और सुनीता ने  संजय को जम कर शराब पिलाई. जब वह नशे में बेसुध हो गया तब दोनों ने उस के गले में दुपट्टा डाल कर कस दिया. दोनों ने गला घोट कर उस की हत्या कर दी. इस से पहले सुनीता ने बच्चों को खाना खिलाया और उन्हें कमरे में टीवी चला कर बैठा दिया. कमरे की बाहर से कुंडी लगा दी थी. हत्या के बाद दोनों ने शव को बोरे में बंद कर दिया. सुनीता ने प्रेमी मान सिंह से पति की लाश इलाके से दूर ले जा कर किसी तालाब में फेंकने को कहा. ताकि लोगों को लगे कि पानी में डूबने से उस की मौत हुई है.

तब मान सिंह शव को बोरे में भर कर कंधे पर रख उसे फेंकने के लिए रात में ही चल पड़ा. जब वह शव को ठिकाने लगाने जा रहा था तभी रास्ते में पैर फिसलने से बोरा गिर गया और हत्या का भेद खुल गया. प्रेमी मान सिंह द्वारा लाश फेंकने से पहले ही लोगों ने उसे रंगेहाथों दबोच लिया. आशिकी में पत्नी ने पति की हत्या करा दी थी. सुनीता को अपने पति की हत्या का कोई अफसोस नहीं था. अपने प्यार की खातिर प्रेमी के साथ मिल कर पति की हत्या करने वाली सुनीता के चेहरे पर गिरफ्तारी के बाद भी पछतावे के भाव नहीं दिखाई दिए.

इतना ही नहीं, पति की हत्या के मामले में पकड़े जाने पर बच्चों का क्या होगा? उस ने इस बारे में भी नहीं सोचा. मगर जब उसे पता चला कि अब उस की और प्रेमी दोनों की बाकी जिंदगी जेल में कटेगी तो वह रोने लगी. सुनीता की शादी को 10 साल से अधिक हो गए थे. 3 बच्चों में सब से बड़ा बेटा 9 साल का है. लोगों की सतर्कता के चलते पुलिस ने एक हत्या का परदाफाश घटना के कुछ घंटे बाद ही कर दिया था. पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से फंदा लगाने वाला दुपट्टा, मृतक का मोबाइल फोन और आधार कार्ड बरामद कर दोनों को न्यायालय के समक्ष पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. Agra Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

UP Crime News : बेवफा बीवी बरदास्त नहीं

UP Crime News : दीक्षा की खूबसूरती पर फिदा हो कर ही हरेंद्र ने उस से विवाह किया था. लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद ही हरेंद्र को शक हो गया कि पत्नी के अन्य कई लोगों के साथ संबंध हैं. इस की पुष्टि उसे पत्नी के फोन के काल रिकौर्डर की बातों से हो गई. फिर क्या था, उस ने बेवफा पत्नी को बीच सड़क पर ऐसी सजा दी कि…

हरेंद्र और दीक्षा की शादी के 2 साल हो चुके थे, मगर उन के बीच अटूट रिश्ता नहीं बन पाया था. वे पतिपत्नी जरूर थे, लेकिन यह कहना गलत होगा कि वे एकदूसरे को बेइंतहा मोहब्बत करते थे. कारण हरेंद्र की कई आदतें दीक्षा को पसंद नहीं थीं और हरेंद्र को भी दीक्षा का बारबार मायके जाने की जिद करना अच्छा नहीं लगता था. एक तरफ दीक्षा की 17-18 साल की कच्ची उम्र थी तो वहीं दूसरी तरफ कामधंधे से बेफिक्र हरेंद्र को अपनी पुश्तैनी धनसंपत्ति पर बहुत ही गुमान था. रक्षाबंधन के एक सप्ताह पहले से ही दीक्षा मायके जाने की जिद करने लगी थी, जबकि हरेंद्र उस की बात को टालने लगा था. वह दीक्षा के मायके जाने का कारण जान गया था. उस के मोबाइल फोन में रिकौर्ड बातों से उस का संदेह और भी गहरा हो गया था.

‘‘मुझे मायके जाना है तो जाना है… मैं और कोई बहाना नहीं सुनूंगी.’’ दीक्षा अपनी बात पर अड़ती हुई बोली.

‘‘पिछले महीने ही तो तुम मायके गई थी…’’ हरेंद्र ने कहा.

‘‘गई थी, लेकिन 4 दिन बाद रक्षाबंधन है…राखी पर घर जाना है…सभी जाते हैं,’’ दीक्षा विफरती हुई बोली.

‘‘सभी जाते हैं तो क्या हुआ? आनेजाने में खर्च भी तो होगा.’’ हरेंद्र ने कहा.

‘‘तो मैं क्या करूं? कोई काम क्यों नहीं करते हो? कमातेधमाते क्यों नहीं हो?’’ दीक्षा बोली.

‘‘नहीं कमाता हूं तो क्या तुम्हें भूखा रखता हूं? खानेपहनने के लिए नहीं देता हूं? 2 महीने पहले ही तुम्हें 10 हजार रुपए का स्मार्टफोन खरीद कर दिया है.’’

‘‘वो तो तुम्हारा फर्ज बनता है पत्नी को खुश रखना और उस की अच्छी देखभाल करना,’’ दीक्षा बोली.

‘‘तुम हो तो पांचवीं फेल, पर बातें पढ़़ेलिखों जैसी करती हो. मुझे ही अधिकार और फर्ज का पाठ पढ़ा रही हो. तुम्हारा क्या कर्तव्य है, कभी समझा है?’’ हरेंद्र ने जवाबी हमला बोलते हुए ताना मारा.

‘‘तुम ने भी हमारी बात कभी नहीं मानी, जब देखो तब शराब के नशे में धुत रहते हो. बापदादा की कमाई पर गुजारा कर रहे हो, आवारा दोस्तों के साथ घूमतेफिरते रहते हो और कितने ऐब गिनवाऊं, बताओ…’’ दीक्षा लगातार बोलती जा रही थी. उस की एकएक बात हरेंद्र को चुभ रही थी. गुस्से में उस ने हाथ उठाया और एक थप्पड़ उस के गाल पर जड़ दिया. थप्पड़ खा कर दीक्षा तिलमिला गई. तन कर बोलने लगी, ‘‘ऐंऽऽ तुम ने मुझे थप्पड़ मारा. अब तो मैं यहां एक पल भी रुकने वाली नहीं हूं. अभी के अभी मायके जाऊंगी. देखती हूं कि तुम कैसे रोकते हो मुझे.’’ यह कहती हुई दीक्षा अपने कमरे से बाहर जा कर सूखने के लिए फैले कपड़े समेटने लगी.

हरेंद्र भी गुस्से से कमरे से बाहर निकल आया. बाइक स्टार्ट की और कहीं चला गया. कहां गया, इस की जानकारी केवल उस के यारों को ही थी. 2 घंटे बाद घर लौटा तो देखा, दीक्षा मायके जाने के लिए अपने सामान के साथ तैयार बैठी थी. हरेंद्र के हाथ में एक थैला था. उस का गुस्सा शांत हो चुका था. उस ने थैला उसे देते हुए सौरी बोला. फिर कहा, ‘‘इस में तुम्हारी छोटी बहन शीतल और तुम्हारे लिए सलवारसूट के कपड़े हैं, मायके में सिलवा लेना.’’

इसी के साथ उस के चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर अगले दिन सुबहसुबह मायके छोड़ आने का वादा किया. सलवारसूट का कपड़ा देख कर दीक्षा पति का थप्पड़ भूल गई. खुश हो कर बोली, ‘‘बहुत सुंदर है, तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूं.’’

दीक्षा चली गई मायके अगले रोज वह अपने मायके चली गई. दीक्षा का मायका मुरादाबाद जिले की तहसील बिलारी के गांव मुडि़या राजा का था. वह अरविंद कुमार की बेटी थी. अरविंद कुमार के 2 बेटियों दीक्षा व शीतल के अलावा 2 बेटे अभिषेक व आयुष थे. दीक्षा बड़ी बेटी थी. उन्होंने दीक्षा का विवाह 28 नवंबर, 2019 को पास के ही गांव ढकिया नरू निवासी भागीरथ के बेटे हरेंद्र के साथ किया था. बात 18 अगस्त, 2021 की है. रात के समय करीब साढ़े 9 बजे थे. अरविंद  कुमार के पिता अतर सिंह अपनी पोतियों शीतल और दीक्षा के साथ घर पर थे.

उन दिनों उन का बड़ा बेटा अपने परिवार के साथ हिमाचल के सोलन में रह रहा था. उस की रोजीरोटी वहीं से चलती थी. और छोटा बेटा राजकुमार अपनी रिश्तेदारी में गया हुआ था और रक्षाबंधन की वजह से उस की पत्नी अपने मायके गई हुई थी. इस तरह से उस समय घर में केवल दीक्षा और उस की छोटी बहन शीतल ही थी. रात को दरवाजा खटखटाने की आवाज सुन कर अतर सिंह ने अपनी पोती को आवाज दी, ‘‘शीतल बेटा, देखो तो इस वक्त कौन आया है?’’

शीतल दादा की आवाज सुन कर नीचे गई. दरवाजा खोला. देखा उस के जीजा हरेंद्र थे. शीतल वहीं से बोली, ‘‘दादाजी, जीजाजी आए हैं.’’

हरेंद्र सीढि़यां चढ़ता हुआ सीधे अतर सिंह के कमरे में जा पहुंचा. बोला, ‘‘रामराम बाबा, कैसे हैं?’’

‘‘रामराम बेटा, आओ बैठो. अच्छा हुआ तुम आ गए मैं घर में अकेला बैठा ऊब रहा था.’’ कहते हुए उन्होंने फिर शीतल को आवाज लगाई, ‘‘बेटा शीतल, दीक्षा को बोलो हरेंद्र के लिए पानी और कुछ खाने को ले कर आए.’’

‘‘अरे नहीं बाबाजी, मैं तो बस समझिए आप का हालचाल लेने आया हूं. कल रक्षाबंधन है. सुबहसुबह चला जाऊंगा.’’

अतर सिंह ने हरेंद्र को सम्मान के साथ बैठाया. वैसे भी दीक्षा रक्षाबंधन के त्यौहार की वजह से आई हुई थी. किसी तरह की कोई शिकायत नहीं थी.

‘‘बाइक से आए हो?’’ अतर सिंह ने पूछा.

‘‘नहीं कार से आया हूं.’’ थोड़ी देर में ही हरेंद्र ने अंग्रेजी शराब का एक अद्धा अपनी जेब से निकालते हुए बोला, ‘‘बाबाजी, गिलास मंगाओ. आज आप के साथ हो जाए एकएक पैग.’’

अतर सिंह हरेंद्र के इस व्यवहार को देख कर हतप्रभ रह गए.

फिर भी शांति से कहा, ‘‘बेटा तुम्हारी शादी को करीब 2 साल होने जा रहे हैं, आज तक तो तुम ने मेरे सामने कभी शराब नहीं पी. तो फिर आज तुम ऐसा कैसे कह रहे हो?’’

‘‘बाबाजी, यूं ही मूड हो आया. सोचा कि अपने दोस्तों के साथ तो पीता ही रहता हूं, क्यों न आप के साथ पी कर कुछ गिलेशिकवे दूर कर लिए जाएं.’’ हरेंद्र बोला.

‘‘लेकिन बेटा मेरी तबीयत ठीक नहीं है. ये देखो मेरी दवाई.’’ अतर सिंह ने जेब से दवाई निकाल कर दिखाते हुए कहा, ‘‘मैं शराब नहीं पीऊंगा.’’

उसी वक्त दीक्षा भी कमरे में पानी का गिलास और खाने की थाली ले कर आ गई. सामने शराब देख कर गुस्से भरी नजरों से हरेंद्र को घूरा. बोली कुछ नहीं. खाने की थाली सामने रखी और गिलास को रख कर तेजी से जाने लगी. गिलास का पानी छलक कर वहीं छोटे से स्टूल पर फैल गया.

‘‘दिखता नहीं है, यहीं मोबाइल रखा हुआ है, गीला हो गया तो..?’’ हरेंद्र की बात पूरी भी नहीं हुई कि उस के मोबाइल की रिंगटोन बजने लगी. उस ने काल रिसीव की, ‘‘हैलो…’’

उधर से जो आवाज आई, उसे सुन कर दीक्षा को आवाज लगाई, ‘‘…ये लो सुनो, तुम्हारा ही फोन है, मेरे जीजाजी हैं, तुम से ही बात करना चाहते हैं.’’

ननदोई की उस के लिए आई काल जान कर दीक्षा ने तुरंत हरेंद्र के हाथों से फोन ले लिया और नीचे सीढि़यों से उतरने लगी. हरेंद्र भी उस के पीछेपीछे आया और चुपके से दीक्षा और अपने बहनोई के बीच फोन पर हो रही बातों का अनुमान लगाने लगा. हरेंद्र ने दीक्षा को यह कहते हुए सुना, ‘‘मैं ने पहले मना किया है हरेंद्र के फोन पर मेरे लिए फोन नहीं   करें, क्योंकि उसे हम पर अब शक है.’’

वास्तव में हरेंद्र अपनी पत्नी को हमेशा ही शक की निगाह से देखता था. यहां तक कि उस ने दीक्षा को जो मोबाइल दिया था, उस में आटोमैटिक वायस रिकौर्डिंग का ऐप डाउनलोड कर दिया था. दीक्षा की गैरमौजूदगी में वह उस के सभी काल की रिकौर्डिंग सुनता था. उसी से उसे इस बात का पता चल गया था कि उस के कई चाहने वाले हैं. उन्हीं में एक उस का बहनोई भी था. उस की लच्छेदार बातों से हरेंद्र को अनुमान हो गया था कि दीक्षा उस के साथ बेवफाई कर रही है. यही नहीं हरेंद्र को यह भी शक था कि उस के मायके में भी कई प्रेमी हैं. ऐसा होना भी स्वाभाविक था. क्योंकि दीक्षा बला की खूबसूरत थी, उसे देख कर कोई भी उस पर मोहित हुए बिना नहीं रह सकता था. हरेंद्र भी उस की खूबसूरती को देख कर ही शादी करने के लिए राजी हुआ था.

दूसरी बात दीक्षा के बातें करने का लहजा और मजाक का जवाब मजाक में देने का अंदाज किसी को भी पसंद आ जाता था. वीडियो कालिंग की दीवानी थी. उस के कई वीडियो कालिंग की क्लिपिंग्स हरेंद्र भी देख चुका था. उसे देखते हुए हरेंद्र के सीने पर सांप लोटने लगते थे कि दीक्षा उस के साथ प्रेम से क्यों नहीं पेश आती है? वह उस से हमेशा रूखी बातें क्यों करती है. जबकि दूसरों के साथ वह दिल की बातें उड़ेल कर रख देती  थी. वीडियो कालिंग, फ्लाइंग किस तो ऐसे देती थी जैसै वह प्रेमी नहीं पति हो. यह सब बातें हरेंद्र को भीतर से खाए जा रही थीं. उस के वैवाहिक संबंध में मधुरता कम कड़वाहट अधिक भर गई थी.

ऊपर से दीक्षा द्वारा बारबार शराबीकबाबी कहना, नाकारा, नालायक मर्द कहते हुए ताने मारना हरेंद्र को काफी दुखी कर देता था. बातबात पर उस की दीक्षा से बहस हो जाती थी. ऐसी बहस रक्षाबंधन के कुछ रोज पहले भी हो गई थी. दीक्षा को मारी गोली कुछ समय बाद दीक्षा हरेंद्र के कमरे में आ कर उस का मोबाइल लौटाने आई. खाना स्टूल पर पड़ा देख कर बोली, ‘‘आप ने कुछ खाया नहीं?’’

‘‘अरे बेटी, इसे अपने कमरे में ले जा, वहीं तुम दोनों खाना खा लेना. और हां, शीतल को एक गिलास गर्म दूध ले कर भेज देना. सोने से पहले वाली दवाई खानी है.’’ अतर सिंह बोले.

उस के बाद दीक्षा और हरेंद्र नीचे के अपने कमरे में आ गए. अगले दिन अतर सिंह को जो सूचना मिली उस से पूरा परिवार सदमे में आ गया. बात ही कुछ ऐसी हुई कि अतर सिंह के परिवार से ले कर भागीरथ के परिवार में खलबली मच गई. हरेंद्र भागीरथ का सब से छोटा बेटा था. उन का पुश्तैनी मकान बिलारी से सिरसी जाने वाले मार्ग के किनारे ग्राम ढकिया नरू में है. भागीरथ का परिवार वहीं सालों से रहते आए हैं. सिरसी मार्ग पर सड़क के किनारे उन की अच्छी खेतीबाड़ी भी है. अतर सिंह की नींद सुबह देर से तब खुली, जब नीचे घर में कोई हलचल सुनाई दी. शीतल से कुछ लोग तेज आवाज में बातें कर रहे थे. आवाज सुन कर अतर सिंह भी नीचे गए. घर पर आए एक सिपाही को देख कर वह अचंभित हो गए.

जल्द ही उन्हें मालूम हो गया कि दीक्षा को गोली लगी है. वह मुरादाबाद अस्पताल में है. अतर सिंह अभी पूरा मामला समझ पाते इस से पहले ही सिपाही ने बताया कि दीक्षा की मौत हो चुकी है. वह बेहद घायलावस्था में थाना कुंदरकी क्षेत्र के बाईपास के किनारे पैट्रोलिंग पुलिस को मिली थी. वह खून से लथपथ तड़प रही थी. पुलिस ने इस की सूचना थानाप्रभारी संदीप कुमार को देने के बाद उसे निकट के अस्पताल पहुंचा दिया था. डाक्टर ने उस के सिर में गोली लगने की जानकारी दी और प्राथमिक उपचार के बाद जिला मुख्यालय रेफर कर दिया, परंतु उस ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

थाना कुंदरकी पुलिस मृतका की शिनाख्त में जुट गई. अभी वह इस केस की कागजी काररवाई कर ही रहे थे. तभी उन्हें कोतवाली बिलारी से सूचना मिली कि कुंदरकी बाईपास के किनारे घायलावस्था में जो युवती मिली थी, उस के हमलावर ने कोतवाली में सरेंडर कर दिया है. वह हमलावर कोई और नहीं बल्कि दीक्षा का पति हरेंद्र ही था. हरेंद्र ने ही अपनी पत्नी दीक्षा की हत्या की सूचना कोतवाली बिलारी को दे दी थी. बिलारी कोतवाली के प्रभारी आर.पी. सिंह  ने हरेंद्र से मामले की पूछताछ की. हरेंद्र ने अपना अपराध स्वीकारते हुए बताया कि उस का वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण था. विवाह के 2 महीने बाद ही उसे मालूम हो गया था कि उस की पत्नी के और भी प्रेमी हैं. इस कारण वह हमेशा मायके जाती रहती थी.

हरेंद्र ने अपनी मृतक बीवी पर यह भी आरोप लगाया कि वह किसी की चिकनीचुपड़ी बातों में तुरंत आ जाती थी और पति को छोड़ कर उस के ही प्रेम इजहार को महत्त्व देती थी. हरेंद्र का कहना था कि दीक्षा ही प्रेमी को फंसा कर रखती थी. इस कारण वह हमेशा पत्नी से नाराज रहता था. इस की वजह से घर में कलह काफी बढ़ गई थी. घटना के दिन भी रात को उस की ननदोई से फोन पर हुई बात को ले कर काफी बहस हो गई थी. उस रात बात इतनी बिगड़ गई कि जबरन रात को ही घर से बाहर उसे ले कर निकल पड़ा. उसे अपनी गाड़ी में बिठाया और बाईपास पर नीचे उतार कर उस के सिर में गोली मार दी.

उस के बाद कुछ दूर जा कर सोच में पड़ गया कि उसे अब क्या करना चाहिए. हालांकि गोली लगने से दीक्षा तड़पती हुई गिर पड़ी थी. पुलिस के आने तक उस की सांसें चल रही थीं. हरेंद्र के बयानों के आधार पर उस से पूछताछ थाना कुंदरकी में भी हुई. वहां उस ने पुलिस को घटनास्थल पर ले जा कर हत्या में इस्तेमाल तमंचा बरामद करा दिया, जो उस ने जंगल में फेंक दिया था. उस की बताई हुई जगह पर तलाशी के बाद एक बाइक भी कब्जे में ली गई. पुलिस ने दीक्षा के पिता अरविंद कुमार की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर ली. हरेंद्र से पूछताछ के बाद उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पुलिस का कहना है कि घटनास्थल पर मोटरसाइकिल बरामद हुई है. यह सवाल बना रहा कि जब हरेंद्र अपनी ससुराल कार से आया था तब मोटरसाइकिल कहां से आ गई? क्या हत्या में हरेंद्र के साथ कोई और भी शामिल था? इस बारे में पुलिस कोई जवाब नहीं दे सकी थी. बहरहाल, थानाप्रभारी संदीप कुमार चार्जशीट तैयार करने से पहले इस बात की जांच कर रहे हैं कि मृतका के पति हरेंद्र ने पत्नी पर जो आरोप लगाए थे, उन में कितनी सच्चाई है? UP Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Extramarital Affair : पति की सेज पर यार का धमाल

Extramarital Affair : औरत कब और कहां बहक जाए, कहा नहीं जा सकता. सब कुछ ठीकठाक होते हुए भी मालती ने पति फेरन के दोस्त रामऔतार  से अवैध संबंध बना लिए थे. इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि मालती ने पति की सेज पर धमाल मचाने वाले यार रामऔतार के साथ मिल कर पति को कंकाल में बदल दिया…

माना कि शराब की लत बुरी होती है, लेकिन उस से भी बुरा होता है वासना का नशा. अगर पति और पत्नी दोनों इन आदतों के शिकार हो जाएं तब तो उन की जिंदगी की गाड़ी को पटरी से उतरने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसा ही हुआ मालती और उस के पति फेरन के साथ. पति को नशे की लत थी और पत्नी अनैतिकता की मस्ती में ऐसी डूबी कि उस ने पतिपत्नी के रिश्ते को वासना की आग में झोंक दिया था. एक दिन बाजार से घर के कुछ जरूरी सामान की खरीदारी कर मालती तेज कदमों से अपने घर लौट रही थी. पीछे से साइकिल चला कर आते रामऔतार ने उसे रोका, ‘‘पैदल क्यों चल रही हो, पीछे कैरियर पर बैठ जाओ.’’ रामऔतार उस के गांव का ही रहने वाला युवक था.

‘‘अरे, नहींनहीं, तुम जाओ. गांव वाले देखेंगे तो गलत समझेंगे.’’ मालती ने उस से कहा.

‘‘गलत समझेंगे तो क्या हुआ. हम कौन भला सच्चे हैं.’’ रामऔतार बोला.

‘‘सब की नजरों में तो अच्छे हैं. पति घर आ चुका होगा. 2 हफ्ते बाद काम पर गया है.’’ मालती बोली.

‘‘अच्छा कोई बात नहीं. अपना थैला मुझे दे दो. और हां, फेरन को बोलना कि मैं शाम के 7 बजे तक आऊंगा. मैं ने उस के लिए एक बोतल खरीदी है.’’ कहते हुए रामऔतार ने मालती के हाथ से सब्जी और सामान का थैला ले लिया. उसे कैरियर पर एक हाथ से बांधने लगा, क्योंकि एक हाथ से वह विकलांग था.

‘‘तुम एक हाथ से कैसे सब काम कर लेते हो, मुझे देख कर हैरत होती है,’’ देख कर मालती बोली.

‘‘इस में हैरानी की क्या बात है, यह तो तुम्हारा प्यार है, जो तुम्हें देख कर हिम्मत आ जाती है.’’ रामऔतार उस के गाल को छूते हुए बोला.

मालती शरमा गई. बोली, ‘‘बसबस, मैं चलती हूं तुम कितना खयाल रखते हो मेरा.’’

‘‘मैं तुम्हारा सामान दरवाजे की बगल में रख कर टोकरी से ढंक कर रख दूंगा,’’ कह कर रामऔतार वहां से चला गया.

मालती खाली हाथ सड़क किनारे चलती हुई पैडल मारते रामऔतार को देखती रही. निश्चित तौर पर वह रामऔतार के बारे में ही सोचने लगी थी. मालती उसे पिछले 7 सालों से जानती थी. वह उस के पति फेरन का जिगरी दोस्त था. उस के घर से कुछ मकान छोड़ कर वह दूसरे टोले में रहता था. एक हाथ से विकलांग होने के बावजूद वह खेतीकिसानी से ले कर घर का सारा कामकाज खुद करता था. उस की शादी नहीं हुई थी. परिवार में वह अकेला था. उस की दूसरे रिश्तेदारों से जरा भी नहीं पटती थी. यही कारण था कि उस का दोस्त फेरन के घर निर्बाध रूप से आनाजाना लगा रहता था. मालती भी उस के घर बेरोकटोक आतीजाती थी. उस के यहां वह झाड़ू और साफसफाई जैसे घरेलू काम को अपने घर का कामकाज समझ निपटा दिया करती थी.

फेरन को इस का जरा भी बुरा नहीं लगता था. रामऔतार की एक ही लत थी शराब पीने की. कहते हैं कि यह लत फेरन ने ही उसे लगाई थी. हालांकि सालों से शराब का इंतजाम करने का काम रामऔतार ही करता आ रहा था. उस रोज भी वह अपने दोस्त के लिए एक बोतल शराब खरीद लाया था. मालती अंधेरा होने से पहले अपने घर पहुंच गई थी, उस का पति भी काम से लौट आया था.

‘‘कितने दिनों का काम मिला है?’’ मालती ने सामान का थैला उठाते हुए पति ने पूछा.

‘‘2 हफ्ते का है, लेकिन ठेकेदार पैसा कम दे रहा है. कहता है लौकडाउन में काम कम हो गया है.’’ फेरन ने बताया.

‘‘कोई बात नहीं, घर में कुछ तो आएगा, बैठे रहने से तो अच्छा है.’’ मालती लंबी सांस लेते हुई बोली.

‘‘आज कुछ अच्छा मसालेदार खाना पकाओ.’’ फेरन ने कहा.

‘‘हांहां, क्यों नहीं! तुम्हारा दोस्त भी आने वाला होगा, काम मिलने की खुशी में उस के साथ जश्न मनाना.’’ मालती ने चुटकी ली.

इसी बीच रामऔतार ने दरवाजे पर आवाज दी.

‘‘लो, आ गया तुम्हार यार!’’ मालती कह कर हंसने लगी.

रामऔतार के आने के बाद कुछ देर में ही घर के आंगन में फेरन और रामऔतार की दारू की महफिल सज गई थी. खाने को 3 तरह के नमकीन थे. बड़ी बोतल के साथ रखे 2 गिलासों में शराब खाली होने का नाम ही नहीं ले रहा था. जैसे ही फेरन का गिलास खाली होता, रामऔतार उस में और शराब डाल देता था. मक्के की मोटी रोटी के एक टुकड़े के साथ चटखारेदार सब्जी का आनंद लेते हुए सहज बोल पड़ता कि मीट होती तो और भी मजा आ जाता. मालती भी पति रामऔतार के गिलास से ही फेरन की नजर बचा कर एकदो घूंट पी लेती थी. धीरेधीरे दोनों दोस्त नशे में झूमने लगे थे, लेकिन फेरन पर नशा अधिक चढ़ गया था. वह एक ओर मुंह नीचे कर बड़बड़ाने लगा,

‘‘रामऔतार तू मेरा बहुत अच्छा यार है, इस कड़की में भी तूने मुझे अच्छी दारू पिलाई. मजा आ गया.’’

‘‘तू पैसे और काम की चिंता मत कर, जब तक तेरा दोस्त है तब तक दारू पिलाएगा. और अच्छीअच्छी विदेशी दारू भी पिलाएगा.’’ रामऔतार यह कहते हुए बगल में खड़ी मालती का हाथ खींच कर बिठा लिया. मालती के बैठने के धम्म की आवाज सुन कर फेरन बोला, ‘‘कौन मालती है? जरा मुझे पकड़ कर उठाना, पैर भर गया है. पेशाब करने जाना है.’’

मालती ने बैठेबैठे फेरन को हाथ का सहारा दिया. वह उठ कर कुछ पल खड़ा रह कर बोला, ‘‘अब ठीक है, मैं अभी आया.’’

यह कहता हुआ पेशाब करने के लिए घर से बाहर नाले के पास चला गया. उस के जाते ही रामऔतार ने ममता के कमर में हाथ डाल दिया. इस अंदेशे से बेखबर मालती बोल उठी, ‘‘अरे, क्या करते हो?’’

‘‘कुछ नहीं, थोड़ा प्यार करने का मन हो आया है. ये लो एक घूंट और पी लो.’’ रामऔतार ने कमर से हाथ निकाल कर अपने शराब का गिलास उस की होंठ से लगा दिया. मालती भी बिना किसी झिझक के घूंट पीने लगी. रामऔतार ने तुरंत उस का गाल को चूम लिया. मालती थोड़ी असहज हो गई.

‘‘इतना बेचैन क्यों हो रहे हो. 2 दिन पहले ही तो तुम ने…’’ मालती की बात पूरी करने से पहले ही फेरन ने आवाज दी. उस ने कहा कि वह सोने जा रहा है, अब और दारू नहीं पिएगा.

उस के बाद फेरन अपने कमरे की ओर चला गया. मालती उठी और बाहर का दरवाजा बंद कर लिया. रामऔतार ने अपने गिलास में कुछ और शराब डाली. ममता भी वहीं आ कर खाने के लिए रोटियां तोड़ने लगी. रामऔतार ने उस का हाथ पकड़ कर अपनी और खींच लिया. बगैर विरोध किए मालती उस की ओर खिसक आई. दूसरे हाथ से उस ने पास जल रही लालटेन की लौ धीमी कर दी. अगले पल मालती का सिर रामऔतार की गोद में था और रामऔतार के हाथ उस के नाजुक शरीर पर रेंगने लगे थे. जल्द ही दोनों बेकाबू हो गए. वासना की आग में जल उठे.

कुछ समय में वे एकदूसरे की कामाग्नि शांत कर निढाल हो चुके थे. मालती को होश तब आया जब फेरन ने उसे लात मारी. हड़बड़ा कर उठी. कपड़े समेटने लगी. कुछ कपड़ों पर रामऔतार बेसुध लेटा हुआ था, ब्लाउज और ब्रा उस ने खींच कर निकाला. फेरन यह सब देख कर गुस्से में तमतमा रहा था, उस के उठते ही फेरन ने पत्नी मालती के बाल पकड़ लिए. गुस्से में बदजात, बेहया, बदलचन बोलता हुआ भद्दीभद्दी गालियां देने लगा. आधी रात का समय था. फेरन को गुस्से में देख कर रामऔतार मामला समझ गया. कुछ कहेसुने बगैर वह चुपके से निकल गया. उस के जाते ही फेरन ने लातघूंसों से मालती की जम कर पिटाई कर दी. उसे तब तक पीटता रहा जब तक वह थक नहीं गया.

अगले दिन सुबह मालती चुपचाप आंगन में पड़ी रात की गंदगी को साफ करने लगी. थोड़ी देर में रामऔतार भी आ गया. वह आते ही चुपचाप दातून करते फेरन के पैरों पर गिर पड़ा. फेरन ने उसे झटक दिया. गुस्से में बोला, ‘‘तूने मेरी पीठ में खंजर घोंपा. बहुत बुरा किया. अब देखना मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूं.’’

रामऔतार ने मालती की ओर देखा. इस से पहले कि वह कुछ बोलता, मालती ने उसे चुप रहने और चले जाने का इशारा किया. थोड़ी देर में फेरन बिना कुछ खाएपिए घर से निकल पड़ा. भारत की आजादी के जश्न का दिन था. कोरोना काल की वजह से भितरवार थाने में सादगी के साथ 15 अगस्त 2020 का झंडा फहराने का कार्यक्रम संपन्न हो चुका था. दोपहर का समय था. थानाप्रभारी पंकज त्यागी रोजाना की तरह ड्यूटी पर मौजूद थे. मालती बदहवास घबराई हुई थाने आई. आते ही फफकफफक कर रोने लगी. पूछने पर उस ने बताया कि पिछले 9 दिन से उस के पति का कुछ पता नहीं चल पा रहा है, वह 6 अगस्त से ही लापता है. उस की कई जगहों पर  तलाश की जा चुकी है, लेकिन कोई पता नहीं चल पा रहा है.

उस ने बताया कि वह 6 अगस्त को काम पर निकले थे. उस के बाद वह घर नहीं लौटे. उस ने बताया कि उन के पास पुराना मोबाइल फोन था, लेकिन वह बंद आ रहा है. हो सकता है खराब हो गया हो. इसी के साथ मालती किसी अनहोनी की आशंका जताते हुए थाने में रोने लगी. थाना प्रभारी ने उसे ढांढस बंधाते हुए जल्द ही पता लगाने का आश्वासन दिया. उन्होंने उस के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कर ली. इसी के साथ उसे भी कहा कि पति के बारे में जो भी बात मालूम हो, वह थाने में तुरंत बताए. उस के बाद हर दूसरे दिन मालती थाने आती और अपने पति के बारे में पूछती थी.

एक दिन थाने में मालती पति को ले कर जोरजोर से हायहाय कर रोने लगी. देर तक थाने में हंगामा होता रहा. महिला पुलिसकर्मी ने उसे चुप कराया, खाना खिलाया. थानाप्रभारी ने उसे बताया कि उन्होंने उस के पति की तलाश के लिए कई लोगों से पूछताछ की है. काम देने वाले ठेकेदार से भी फेरन के बारे में पूछा गया है, उस के एक खास दोस्त रामऔतार से पूछताछ बाकी थी. पुलिस ने तय कर लिया था कि कोई संदिग्ध सुराग हाथ लगते ही रामऔतार को भी थाने बुला कर उस से पूछताछ की जाएगी. इस काम के लिए थानाप्रभारी ने कई भरोसेमंद मुखबिर भी लगा दिए.

कई महीने बीतने पर भी फेरन का कुछ पता नहीं चला. धीरेधीरे उस की गुमशुदगी की फाइल पर धूल जम गई. उस के ऊपर कई दूसरी फाइलें रख दी गईं. किंतु मालती चुप नहीं बैठी. उस ने 14 सितंबर, 2020 को पुलिस पर पति को नहीं ढूंढने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगा दी. इस पर कोर्ट ने ग्वालियर एसपी अमित सांघी को जांच के आदेश दिए. सांघी ने फेरन की गुमशुदगी के मामले को गंभीरता से लेते हुए एएसपी (देहात) जयराज कुबेर के नेतृत्व में टीम गठित कर दी. इस के अलावा उन्होंने भितरवार एसडीओपी अभिनव बारंगे को भी इस केस को खोलने में लगा दिया.

यह मामला पुलिस के लिए किसी अबूझ पहेली से कम नहीं था, क्योंकि पिछली तफ्तीश में पुलिस के हाथ कोई ऐसा तथ्य नहीं लग पाया था, जिस से पुलिस को कोई मदद मिल सके.  एसडीओपी  बारंगे ने इस सनसनीखेज मामले की 7 जुलाई, 2021 को नए सिरे से बारीकी से अध्ययन करते हुए जांच शुरू की. जांच की शुरुआत उस के अजीज दोस्त रामऔतार से हुई. थानाप्रभारी पंकज त्यागी को अपने साथ ले कर फेरन के गांव मोहनगढ़ गए. वहीं उस से फेरन के बारे में हर छोटीछोटी बातें पूछी गईं. उस से मिली कई जानकारियां काफी चौंकाने वाली थीं. उसी सिलसिले में मालूम हुआ कि फेरन की पत्नी मालती का चालचलन ठीक नहीं है.

फेरन के लापता होने वाले दिन से ही वह रामऔतार के घर पर रह रही है. जबकि इस बात का मालती ने पुलिस से जरा भी जिक्र तक नहीं किया था. यहां तक कि उस ने फेरन और रामऔतार के जिगरी दोस्त होने की बात तक नहीं बताई थी. पुलिस के लिए यह जानकारी महत्त्वपूर्ण थी. पंकज त्यागी ने 26 जुलाई, 2021 को रामऔतार को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. उस ने न तो फेरन के बारे में कोई खास नई जानकरी दी और न ही मालती से संबंध के बारे में कुछ बताया. उस ने अपने दोस्त के लापता होने पर काफी दुख भी जताया. मालती भी रामऔतार के फेरन का परम मित्र होने का वास्ता देती रही. दोनों की बातों पर भरोसा कर एसडीओपी ने उस दिन उन्हें छोड़ दिया, लेकिन टीआई भितरवार को दोनों पर चौकस नजर रखने को कहा.

दूसरे दिन एसडीओपी ने बिना वक्त गंवाए दूसरे राउंड की पूछताछ के लिए मालती और रामऔतार को फिर से बुलवा लिया. उन्होंने पूछताछ के लिए सब से पहले मालती को अपने कक्ष में बुलाया. उस से फेरन और रामऔतार के बारे में कई कोणों से पूछताछ की. हर सवाल का जवाब उस ने अपने सुहाग का हवाला दे कर कसम के साथ दिया. बातोंबातों में उस ने बोल दिया कि मैं अपने सुहाग को क्यों मिटाऊंगी? यही बात पुलिस के गले नहीं उतरी कि आखिर मालती के दिमाग में अपने सुहाग को मिटाने की बात क्यों आई? कहीं उस ने सच में ऐसा तो नहीं किया है? जरूर कुछ बात है, जो वह छिपा रही है.

2 दिनों बाद पुलिस ने मालती को फिर थाने बुलाया. वहां पहले से रामऔतार को देख कर वह चौंक पड़ी. उस के आते ही टीआई ने कड़कदार आवाज में कहा, ‘‘मुझे तुम्हारे बारे में बहुत कुछ मालूम हो चुका है. अब तुम सब कुछ सचसच बता दो, वरना मुझे सच्चाई पता करने के लिए दूसरा रास्ता अख्तियार करना पडे़गा. और हां, तुम्हारे पति का सुराग मिल गया है.’’

‘‘क्या कहते हैं साहब, मेरा पति कहां है?’’ मालती खुद को संभालती हुई बोली. जब तक दूसरे पुलिसकर्मी ने रामऔतार को दूसरे कमरे में बुला लिया.

‘‘तुम्हारे बारे में रामऔतार ने बहुत सारी बातें बताई हैं.’’ यह कहते हुए जांच अधिकारी ने अंधेरे में तीर चलाया, जो निशाने पर जा लगा. मालती के चेहरे का रंग उड़ गया था.

‘‘क्या बोला साहब मेरे बारे में?’’ मालती डरती हुई बोली.

‘‘यह कि तुम पति से हमेशा झगड़ती रहती थी और वह उस की मारपीट से तुम्हें बचाया करता था.’’

‘‘किस मियांबीवी के बीच झगड़ा नहीं होता है, साहब?’’ मालती बोली.

‘‘तुम बातें मत बनाओ, सहीसही बताओ कि 6 अगस्त को तुम्हारा पति से झगड़ा हुआ था या नहीं?’’ जांच आधिकारी ने पूछा.

उसी वक्त एक पुलिसकर्मी आ कर बोला, ‘‘साब, रामऔतार ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है.’’

‘‘क्याऽऽ कैसा जुर्म?’’ मालती अचानक बोल पड़ी.

जांच अधिकारी बोले, ‘‘जुर्म कुबूला है रामऔतार ने तो तुम क्यों चौंक रही हो?’’ उस के बाद वह रामऔतार से पूछताछ करने चले गए. इधर मालती सिर झुकाए बैठी रही. एसडीओपी थोड़ी देर बाद रामऔतार को ले कर मालती के पास आए. उन्होंने मालती से कहा तुम्हारा सारा राज खुल गया है. उस का सबूत कुछ मिनटों में मिल जाएगा. इसलिए भलाई इसी में है कि तुम दोनों सब कुछ सचसच बता दो. कुछ देर में ही 2 पुलिसकर्मी एक ग्रामीण को ले कर आए. उसे देखते ही रामऔतार चौंक गया, लेकिन खुद को काबू में रखते चुप रहा. एसडीओपी रामऔतार से बोले, ‘‘इसे तो तुम पहचानते ही हो. शिवराज है. इस की एक गलती ने तुम्हारा भेद खोल दिया है.’’

मालती और रामऔतार चुप रहे. अब जांच अधिकारी ने कुछ बातें विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘इस के पास जो मोबाइल है, उस में तुम्हारे दोस्त और मालती के पति फेरन के मोबाइल का खास नंबर आ चुका है.  शिवराज का कहना है कि उस ने रामऔतार के साथ मिल कर फेरन की हत्या कर दी है. उस के बाद उस के मोबाइल के सिम को फेंक कर अपना नया सिम लगा लिया था, जिस से फेरन के मोबाइल का आईएमईआई नंबर एक्टिवेट हो गया और हमारी पहुंच उस तक हो गई.’’

इतना बताने के बाद जांच अधिकारी ने रामऔतार से कहा, ‘‘अब तुम सच बताओगे या मुझे कुछ और सख्ती दिखानी होगी.’’

‘‘तो फिर रामऔतार ने अभी तक जुर्म नहीं कुबूला था, आप लोगों ने मुझ से झूठ बोला.’’ मालती सहसा बोल पड़ी.

‘‘एक जुर्म करने वाला तुम्हारे सामने आ चुका है, दूसरा तुम्हारा प्रेमी रामऔतार है, जो अपनी सच्चाई बताएगा.’’

‘‘यदि पता होता तो मैं आप को अवश्य बता देता साहब. हम दोनों तो रोज मजदूरी करने साथ जाते थे. मेरी तो उस से खूब पटती थी.’’

रामऔतार का यह बोलना था कि थानाप्रभारी पंकज त्यागी का झन्नाटेदार थप्पड़ उस के गाल पर पड़ा. वह अपना गाल पकड़ कर बैठ गया. अभी बैठाबैठा कुछ सोच ही रहा था कि एसडीओपी अभिनव बारंगे बोले, ‘‘तुम्हारा इश्क किस से और किस हद तक है, यह सब मुझे जांच के दौरान पता चल चुका है. तुम ने फेरन को क्यों और किसलिए मारा, वह भी तुम्हारे सामने है.’’ उन्होंने मालती की ओर इशारा करते हुए कहा. यह सुन कर मालती ने शर्म से नजरें झुका लीं. उसे इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं था कि टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर बनाई कहानी का अंत इतनी आसानी से हो जाएगा और पुलिस उस से सच उगलवा लेगी.

तीर निशाने पर लगता देख एसडीओपी  ने बिना विलंब किए तपाक से कहा कि अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम दोनों साफसाफ बता दो कि फेरन की हत्या क्यों की? मुझे तुम्हारे मुंह से सच जानना है. मालती और रामऔतार लगातार पुलिस अधिकारियों द्वारा फेरन को ले कर पूछे जा रहे सवालों के जवाब देने में इस कदर उलझ गए कि उन्होंने उस की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करने में ही अपनी भलाई समझा. फेरन की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह पराए मर्द की चाहत में निर्दयता की पराकाष्ठा की कहानी बयां करती है. कोई सोच भी नहीं सकता था कि पत्नी अपने ही पति का अपने प्रेमी के साथ मिल कर कत्ल कर देगी. वह भी तब जब वह अपनी पत्नी को हर सुखसुविधाएं उपलब्ध कराता हो.

रामऔतार ने अपना गुनाह कुबूल करते हुए बताया कि उस ने अपनी प्रेमिका मालती के कहने पर अपने दोस्त शिवराज के साथ मिल कर  फेरन की हत्या की थी. पूछताछ में मालती ने बताया कि उस के और रामऔतार के बीच संबंध थे. पति ने उसे एक बार रंगेहाथों पकड़ लिया था. उस के बाद से उस के फेरन के साथ संबंध बिगड़ गए थे. इसे देख कर ही फेरन को रास्ते से हटाने के लिए उस की हत्या की योजना बनाई. योजना के तहत रामऔतार ने अपने दोस्त शिवराज को भी शामिल कर लिया. इस के लिए उस ने शिवराज को 5 हजार रुपए और शराब भी उपलब्ध कराई.

6 अगस्त, 2020 को फेरन अपने मामा के गांव निमाई गया हुआ था. वहां से उस के लौट कर घर आते समय रामऔतार और शिवराज ने उसे रास्ते में ही रोक लिया. फिर शराब पिलाने के बहाने से हस्तिनापुर क्षेत्र के चपरोली गांव के बाहर खेत में ले गए. वहीं तीनों ने शराब पी. रामऔतार और उस के दोस्त शिवराज ने जानबूझ कर फेरन को कुछ ज्यादा ही शराब पिला दी. जब उसे अधिक नशा हो गया, तब उन्होंने उस के सिर पर पत्थर और लोहे के पाइप से वार कर मौत के घाट उतार दिया. फिर उस की लाश शिवराज की बाइक पर ले जा कर कृपालपुर गांव में स्थित एक सूखे कुएं में फेंक दी. बाद में उस कुएं पर मिट्टी डाल कर पौधे लगा दिए गए.

तीनों को भरोसा था कि अब वे कभी भी फेरन की हत्या के मामले में पकडे़ नहीं जाएंगे. लेकिन इस बीच शिवराज ने यह गलती कर दी कि फेरन के मोबाइल में डाली सिम निकाल कर फेंक दी और उस में अपनी सिम डाल ली. मालती और रामऔतार की निशानदेही पर पुलिस द्वारा 26 जुलाई, 2021 को कुएं से फेरन का कंकाल बरामद कर लिया गया. बाद में वह डीएनए टेस्ट के लिए प्रयोगशाला भेज दिया. थाना हस्तिनापुर में हत्यारोपियों मालती, रामऔतार और शिवराज के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर तीनों अभियुक्तों को जेल भेज दिया गया. Extramarital Affair

Love Story : इश्क का दरवाजा

Love Story : अनैतिक रिश्ते को अधिक दिनों तक परदे में नहीं छिपाया जा सकता. इस से परदा हटते ही भूचाल आ जाता है. कई बार इस कारण आक्रोश की भड़की ज्वाला में जीवनलीला ही भस्म हो जाती है. ऐसा ही कानपुर के एक बैंककर्मी के साथ हुआ. अवैध संबंध में न केवल उस की जान गई, बल्कि 3 जिंदगियां भी तबाह हो गईं गु मशुदा विशाल अग्रवाल की लाश बरामद होने पर उन्नाव के दही थाने की पुलिस ने पहली जांच में ही उस के हत्या किए जाने की पुष्टि

कर दी थी. करीब 25 वर्षीय विशाल एक बैंककर्मी था, जिस की लाश जिले में शारदा नहर के किनारे झाडि़यों में लावारिस हालत में पड़े ड्रम से मिली थी. लाश को एक प्लास्टिक के ड्रम में ठूंस कर पैक किया गया था. ड्रम पुरवा मार्ग पर स्थित बंद पड़ी एलए आयरन फैक्ट्री से एक किलोमीटर दूर सराय करियान गांव के पास गुजरने वाली नहर के किनारे पड़ा था. ड्रम से दुर्गंध आने की सूचना ग्रामीणों ने पुलिस को दी थी. सूचना के आधार पर ही खेड़ा चौकीप्रभारी अंशुमान सिंह ने ड्रम को खुलवाया, जिस में से 25 वर्षीय युवक की रक्तरंजित लाश बरामद हुई.

वहीं पास में ही एक स्कूटी की चाबी भी मिली. पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और उस की शिनाख्त के लिए जिले के सभी थानों में सूचना प्रसारित करवा दी. उन्हीं दिनों नौबस्ता थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह विशाल अग्रवाल नामक युवक की तलाशी कर रहे थे. उस के लापता होने की सूचना अंशुल अग्रवाल ने दर्ज करवाई थी. वह अंशुल का छोटा भाई था. नौबस्ता थानाप्रभारी को दही थानाक्षेत्र में एक युवक की लाश बरामद होने की सूचना मिली तो वह अंशुल को साथ ले कर उन्नाव के थाना दही जा पहुंचे.

वहां पहुंच कर उन्होंने चौकीप्रभारी अंशुमान सिंह से मुलाकात की. तब चौकीप्रभारी ने मोर्चरी ले जा कर बरामद लाश थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह और उन के साथ आए युवक अंशुल को दिखाई. अंशुल ने उस लाश की शिनाख्त अपने छोटे भाई विशाल अग्रवाल के रूप में की. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी नौबस्ता लौट आए. उन्होंने सब से पहले गुमशुदगी के मामले को हत्या में तरमीम कराया फिर वह हत्यारे की तलाश में जुट गए. उन्होंने पहले मृतक के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि उस का मोबाइल 7 सितंबर को रात 10 बजे के बाद स्विच्ड औफ हो गया था. उस मोबाइल से अंतिम बातचीत 8 बज कर 50 मिनट पर हुई थी, जबकि साढ़े 8 बजे उस पर एक मिस्ड काल भी आई थी. जांच का सिलसिला मोबाइल से मिली कुछ जानकारियों के साथ शुरू किया गया.

जिस नंबर से विशाल के मोबाइल पर काल की गई थी, वह नंबर सत्यम ओमर नाम के व्यक्ति का था. सत्यम कानपुर निवासी अनिल ओमर का बेटा था. पुलिस द्वारा उस मोबाइल नंबर पर काल की गई तो वह बंद मिला. फिर पुलिस ने नंबर से मिले पते पर दबिश दी, किंतु वहां सत्यम नहीं मिला. सिर्फ इतना मालूम हुआ कि वह इस पते पर ढाई साल पहले रहता था. हालांकि जल्द ही थानाप्रभारी को मुखबिरों से सत्यम के नए पते की जानकारी मिल गई. पता चला कि वह अब रामनारायण बाजार स्थित फ्लैट में रहता है. पुलिस को मुखबिर से उस के उस फ्लैट में उपस्थित रहने के समय का भी पता लग गया.

इस सूचना के आधार पर थानाप्रभारी ने क्राइम ब्रांच इंसपेक्टर छत्रपाल सिंह, उस्मानपुर चौकीइंचार्ज प्रमोद कुमार, बसंत विहार चौकीइंचार्ज मनीष कुमार, एसआई रवींद्र कुमार, हैडकांस्टेबल अरविंद सिंह, सुरेंद्र सिंह, दीपू भारतीय, राजीव यादव, कांस्टेबल सौरभ पाडेय, महिला सिपाही पल्लवी के साथ उक्त फ्लैट पर दबिश दी. उस समय फ्लैट से 2 युवक सीढि़यों से उतर रहे थे. पुलिसकर्मियों को देखते ही दोनों भागने लगे, लेकिन वे पकड़ लिए गए. पुलिस दोनों को ले कर उस फ्लैट में गई. उन से पूछताछ करने पर एक युवक ने अपना नाम सत्यम ओमर, जबकि दूसरे ने सरवन बताया. वहीं 16-17 साल की एक लड़की भी मौजूद थी. उस ने पुलिस को बताया कि वह सत्यम की मौसेरी बहन है और पास ही दूसरे मकान में रहती है. उस का नाम राधा (परिवर्तित) था.

उन से पूछताछ के बाद पुलिस ने फ्लैट के बारीकी से निरीक्षण में पाया कि कमरे की दीवारों को जगहजगह खुरचा गया है. इस का कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि डिस्टेंपर करवाना है. यह बात पुलिस को हजम नहीं हुई, क्योंकि वहां डिस्टेंपर के लिए किसी तरह के इंतजाम कहीं नहीं दिखा. दीवारों पर खुरचने के निशान भी जहांतहां मिले. उस बारे में सभी ने हिचकिचाट के साथ बताया. थानाप्रभारी ने राधा के चेहरे पर भी गौर किया, जिस का रंग अचानक तब फीका पड़ गया था, जब उन्होंने कहा कि वे विशाल अग्रवाल की हत्या के सिलसिले में पूछताछ करने आए हैं. इस में उस ने साथ नहीं दिया तो वह भी मुश्किल में पड़ जाएगी. इसी के साथ थानाप्रभारी दोनों युवकों को विशेष पूछताछ के लिए थाने ले आए. उन्होंने सत्यम से सीधा सवाल किया, ‘‘तुम ने 7 सितंबर की शाम साढ़े 8 बजे विशाल को मिस्ड काल क्यों की थी?’’

इस का जवाब देते हुए सत्यम हकबकाता हुआ बोला, ‘‘वह नंबर मैं नहीं, मेरी मौसेरी बहन इस्तेमाल करती है. उसी से पूछना होगा.’’

‘‘वह विशाल को कैसे जानती है?’’ सिंह ने सवाल किया.

‘‘मुझे नहीं मालूम,’’ सत्यम बोला.

उस के बाद थानाप्रभारी को उस की मौसेरी बहन राधा भी संदिग्ध लगी. उन्होंने उसे भी तुरंत थाने बुलाया और पूछताछ शुरू की. उस से फोन काल के बारे में नहीं पूछा, बल्कि सीधे लहजे में पूछ लिया कि विशाल से उस के क्या संबंध थे. यह सवाल सुन कर सामने बैठे अपने भाई और उस के दोस्त सरवन को देख कर घबरा गई. उस के कुछ बोलने से पहले ही थानाप्रभारी ने समझाया, ‘‘तुम्हारे विशाल से जो भी संबंध रहे, वे उस की मौत के साथ खत्म हो गए. तुम्हारे भाई ने भी मुझे कई बातें बताई हैं, जिस से तुम पर भी उस की हत्या में साथ देने का शक है. मुझे पता है कि विशाल ने तुम्हारे मिस्ड काल के थोड़ी देर बाद फोन किया था. तुम सिर्फ इतना बता दो कि उस से तुम्हारी क्या बात हुई थी.’’

यह सुन कर राधा कभी पुलिस को देखती, तो कभी इधरउधर देखने के बहाने से सत्यम को देखने लगती. वह यह सोच कर भीतर से डर गई कि लगता है सरवन ने पुलिस को सब कुछ बता दिया. कुछ सेकेंड बाद सिंह ने फिर सवाल किया, ‘‘बताया नहीं, तुम्हारे विशाल से क्या संबंध थे?’’

‘‘सर, मैं उसे प्यार करती थी,’’ राधा धीमी आवाज में बोली.

‘‘इस का सत्यम को पता था?’’ सिंह ने पूछा.

‘‘नहीं,’’ राधा बोली.

‘‘क्यों?’’

‘‘मैं डर गई थी.’’

‘‘भाई से डर कर कुछ नहीं बताया था या फिर कुछ और बात है?’’

‘‘सर, मैं भाई से डरती थी, इसलिए नहीं बताया.’’ राधा बोली.

‘‘अच्छा चलो, अब यह बता दो कि 7 सितंबर की शाम को तुम्हारी विशाल से क्या बात हुई थी?’’

अलगअलग तरह से बदले हुए सवालों को सुन कर राधा पसीनेपसीने हो गई थी, दुपट्टे से पसीना पोछती हुई बोली, ‘‘उस से मिलना चाहती थी.’’

‘‘वह भी रात में! मिलने के लिए कहां बुलाया था?’’ सिंह ने पूछा.

‘‘भाई के फ्लैट पर,’’ राधा ने बताया.

‘‘क्यों, क्या उसे भाई से मिलवाना था? लेकिन भाई तो बोला कि वह उस दिन कहीं गया हुआ था. घर पर था ही नहीं.’’ थानाप्रभारी के सवालों से राधा खुद को घिरा महसूस करने लगी. कुछ भी नहीं बोल पाई. बीच में सत्यम कुछ बोलने को हुआ, तब थानाप्रभारी ने उसे डपट दिया. उस के बाद राधा रोने लगी. थानाप्रभारी ने तुरंत महिला सिपाही को एक गिलास पानी लाने के लिए कहा और खुद उठ कर अलमारी खोलने लगे. महिला सिपाही से पानी पीने के बाद सिंह एक बार फिर बोले, ‘‘सचसच बताओ, 7 सितंबर को तुम्हारे और विशाल के साथ क्याक्या हुआ? अभी मैं तुम से प्यार से पूछ रहा हूं, लेकिन मुझे सच्चाई बाहर निकलवाना भी आता है. देखो उसे, जिस ने तुम्हें पानी पिलाया है, वही तुम्हारे मुंह में अंगुली डाल कर सारी बातें भी निकलवा लेगी.’’ यह कहते हुए थानाप्रभारी ने सत्यम और सरवन को दूसरे कमरे में भेज दिया.

अब तक पुलिस दबाव में आ कर राधा पूरी तरह से टूट गई थी. उस ने विशाल के साथ अपने अवैध संबंध को स्वीकार करते हुए 7 सितंबर की पूरी घटना बता दी. फिर क्या था, जो बातें थानाप्रभारी ने सत्यम और सरवन से भी नहीं पूछी थीं और उन पर विशाल की हत्या का सिर्फ संदेह था, उस की पुष्टि राधा ने ही कर दी. थानाप्रभारी के लिए राधा द्वारा दी गई जानकारी बेहद महत्त्वपूर्ण थी. वह मुसकराए और राधा को महिला सिपाही के साथ बैठा कर सत्यम व सरवन के पास जा पहुंचे. उन से भी उन्होंने विशाल अग्रवाल की हत्या के संबंध में घुमाफिरा कर कई सवाल पूछे.

कुछ सवाल उन्होंने हवा में तीर की तरह चलाए. जबकि कुछ सवालों के साथ सबूत होने के दावे और राधा द्वारा बताए जाने की बातें कह कर उन्हें उलझा दिया. नतीजा यह हुआ कि सत्यम और सरवन भी टूट गए और उन्होंने विशाल हत्याकांड से ले कर उस की लाश को ठिकाने लगाने तक की बात बता दी. राधा, सरवन और सत्यम के द्वारा जुर्म स्वीकार किए जाने के बाद सरवन ने विशाल के शव को फेंकने का खुलासा कर दिया. इस तरह राधा ने विशाल के साथ अनैतिक संबंध बनाते हुए रंगेहाथों पकड़े जाने से ले कर उस की हत्या संबंधी साक्ष्य मिटाने का जुर्म स्वीकार कर लिया. पुलिस ने साक्ष्य को मजबूत बनाने के लिए राधा का वैजाइनल टेस्ट करवाया. साथ ही आरोपियों की निशानदेही पर विशाल अग्रवाल की स्कूटी, लैपटाप तथा हत्या में प्रयुक्त लोहे की रौड बरामद कर ली. य्याशी के चक्कर में जान गंवाने वाले बैंककर्मी विशाल की प्रेम कहानी इस प्रकार सामने आई—

उत्तर प्रदेश जिला कानपुर के थाना नौबस्ता अंतर्गत संजय नगर कालोनी मछिरिया में विष्णु प्रसाद अग्रवाल के 2 बेटे अंशुल (26 वर्ष) औरविशाल (25 वर्ष) के अलावा बेटी दिव्या (23 वर्ष) थी. इन में से विशाल कुंवारा था. वह भी अपने भाई अंशुल की तरह ही  बैंक मैनेजर था और मातापिता के साथ ही रहता था. स्वभाव से वह आशिक मिजाज था. जल्द ही किसी लड़की के पीछे पड़ जाता था. आकर्षक और सैक्स अपील होने के कारण कोई भी लड़की पहली ही नजर में उस की ओर आकर्षित हो जाती थी. उस के दिलफेंक होने के कारण ही वह किसी के साथ भी यौन संबंध बनाने से परहेज नहीं करता था. उस ने मौका पा कर राधा को भी अपने प्रेमजाल में फंसा लिया था. उसे शादी के सपने दिखाते हुए ऐशोआराम की जिंदगी देने के वादे किए थे. राधा भी उस के प्रेम में फंस चुकी थी.

सत्यम ओमर अपने मातापिता के साथ पहले माहेश्वरी मोहाल में रहता था. बाद में उन के देहांत के बाद वह घंटाघर स्थित अपने मामा के यहां रहने लगा था. हालांकि 6 साल पहले उस के मामा की भी मृत्यु हो गई थी. उस की मामी अपने मायके में रहती थी, जिस कारण उस ने घंटाघर में ही एक फ्लैट किराए पर ले लिया था. वहीं विशाल अग्रवाल भी आताजाता था. बताते हैं कि वहां दोनों के एक बैंक में इंश्योरेंस का काम करने वाली युवती के साथ अवैध संबंध हो गए थे. विशाल और सत्यम के लिए वह युवती केवल मौजमस्ती का साधन भर थी. दोनों बदले में युवती को कुछ पैसे या गिफ्ट दे दिया करते थे.

वह फ्लैट सत्यम और विशाल के लिए मौजमस्ती का अड्डा बन कर रह गया था. कई बार वहां सरवन के साथ भी बैठकें होती थीं और पार्टी का दौर चलता था. उस फ्लैट पर एक और लड़की राधा का भी अकसर आनाजाना लगा रहता था. वह वहां बेधड़क आती थी और अधिकार के साथ कुछ समय वहां गुजार कर चली जाती थी. हालांकि वह दूसरे मोहल्ल्ले मनीराम बगिया में रहती थी. वास्तव में वह सत्यम की मौसेरी बहन थी. सत्यम ने एक चाबी राधा को भी दे रखी थी. वहीं करीब 2 साल पहले एक बार उस की विशाल से मुलाकात हो गई थी. पहली नजर में ही दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हो गए थे.

विशाल राधा की खिलती किशोरावस्था को देख कर हतप्रभ रह गया था, जबकि राधा उस की बातें और माचो बदन की दीवानी बन गई थी. उस के बाद से विशाल और राधा अकसर साथसाथ घूमनेफिरने लगे थे, लेकिन दोनों सत्यम की नजरों से बच कर भी रहते थे. वे नहीं चाहते थे कि उन के प्रेम संबंध के बारे में सत्यम को कोई जानकारी हो. जल्द ही विशाल ने मौका पा कर राधा से शारीरिक संबंध भी बना लिए. राधा की भी उस में स्वीकृति मिल गई थी. सत्यम की गैरमौजूदगी में राधा विशाल को उसी फ्लैट पर बुला लेती थी.  7 सितंबर, 2021 को सत्यम ओमर ने राधा को फोन पर बताया था कि वह आज वहां नहीं आएगा. बाहर बालकनी में उस के कपड़े सूख गए होंगे, उन्हें अलमारी में रख दे. किचन और दूसरे कमरे के बिखरे सामान आ कर ठीक कर दे.

अपने भाई की बातों पर अमल करते हुए राधा ने अपने प्रेमी विशाल के साथ मौज करने की भी योजना बना ली. उस ने तुरंत फोन कर इस की सूचना विशाल को दी और शाम को खानेपीने का सामान ले कर फ्लैट पर आने को कहा. शाम होने से पहले वह फ्लैट पर चली गई, किचन और कमरे को दुरुस्त किया. तब तक शाम के साढ़े 8 बज चुके थे. अब तक विशाल को आ जाना चाहिए था, क्योंकि उस ने 8 बजे तक आने को कहा था. देर होने पर राधा ने विशाल को फोन किया, जिसे विशाल ने रिसीव नहीं किया. करीब 20 मिनट बाद विशाल ने फोन कर राधा को बताया कि वह पहुंचने वाला है. और फिर वह ठीक 9 बजे फ्लैट पर पहुंच गया. वहीं अपार्टमेंट की पार्किंग में उस ने अपनी स्कूटी भी लगा दी.

राधा उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. उसे देखते ही वह उस के गले लग गई. दोनों अकेले में कई हफ्तों बाद मिले थे. इस मौके को किसी भी सूरत में गंवाना नहीं चाहते थे. राधा के लिए पूरी रात थी. विशाल भी खानेपीने के सामान के साथ आया था. दोनों बेफिक्र थे. मौजमस्ती के लिए पूरी तरह से तैयार और तत्पर भी थे. इसी तत्परता में उन से एक भूल हो गई. मुख्य दरवाजे की अंदर से कुंडी लगाना भूल गए. वे बैडरूम में थे. ड्राइंगरूम की ओर उन का जरा भी ध्यान नहीं था.

दोनों एकदूसरे पर प्यार की बौछार करते हुए कब यौनाचार में लीन हो गए, पता ही नहीं चला. दूसरी ओर वाटर प्लांट में काम समाप्त हो जाने पर सत्यम फ्लैट पर अचानक आ गया. फ्लैट का दरवाजा खुला होने पर वह सीधे ड्राइंगरूम में दाखिल हुआ. बैडरूम में रोशनी देख कर चौंक गया और वहां जा कर दरवाजे पर लगे परदे को हटाया. बैड पर अपनी बहन राधा के साथ विशाल को लिपटा देख सन्न रह गया. वे दोनों आंखें मूंदे इतने बेफिक्र थे कि सत्यम के दरवाजे पर आने की जरा भी आहट नहीं हुई. गुस्से की ज्वाला को दबाए सत्यम चुपचाप फ्लैट के नीचे आया.

नीचे से लोहे की रौड निकाली और ऊपर पहुंच कर राधा के आलिंगन में बंधे विशाल के सिर पर दे मारी. एक ही वार में सिर से खून बहने लगा. राधा अपनी जान बचाते हुए दूसरे कमरे में भागी. गुस्से में सत्यम ने विशाल के सिर पर दनादन 3-4 और वार कर दिए. सिर पर ताबड़तोड़ वार से विशाल की वहीं मौत हो गई. राधा के सामने ही विशाल की मौत हो गई थी, लेकिन वह डर गई थी कि कहीं सत्यम उसे भी न मार डाले. सत्यम ने डपटते हुए इस बारे में किसी को बताने की उसे सख्त हिदायत दे दी. उसे जल्दी से दीवार पर लगे खून के दाग मिटाने को कहा. उस के बाद तुरंत अपने दोस्त सरवन को बुलाया.

सरवन भागाभागा आया. लाश देख कर उस के होश उड़ गए, लेकिन जल्द ही सामान्य होने पर लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. तब तक रात के साढ़े 11 बज गए थे. इसलिए सरवन योजना के अनुसार अगले रोज 8 सितंबर को प्लास्टिक का एक ड्रम खरीद लाया. उस में विशाल की लाश ठूंस कर पैक कर दी. ड्रम को उस पर लगी स्टील की स्ट्रिप से पैक कर दिया. उस के बाद ड्रम को विशाल की स्कूटी पर लादकर कैंट होते हुए जाजमऊ गंगापुल से दही थाने की खेड़ा चौकी क्षेत्र जा पहुंचे. उन्होंने ड्रम को नहर के पास झाडि़यों में फेंक दिया. साथ ही विशाल का मोबाइल फोन भी नहर में फेंक दिया. उस की स्कूटी से वापस कानपुर आ गए.

सत्यम ने विशाल की स्कूटी अपने यशोदा नगर स्थित प्लौट के पास पेड़ के नीचे खड़ी कर दी. जबकि उस के खून से सने कपड़ों को कूड़ाघर में फेंक आया. आरोपियों द्वारा अपना जुर्म स्वीकार कर लेने के बाद थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह ने आईपीसी की धारा 302/201/120बी के तहत हत्यारोपी सत्यम ओमर, सरवन किशोरी राधा को न्यायालय में पेश किया. वहां से सत्यम और सरवन को कानपुर के जिला कारागार भेज दिया गया, जबकि साक्ष्य छिपाने के आरोप में राधा को नारी निकेतन के सुरक्षा गृह में भेज दिया गया. Love Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है तथा किशोरी राधा का नाम कल्पनिक है

 

Crime ki Kahani : अवैध संबंध में पति की हत्या कर शव पौलीथिन में भरकर फेंका

Crime ki Kahani : ढेलाणा गांव के बहुचर्चित संतोष हत्याकांड की अदालत में करीब 2 साल तक चली सुनवाई के बाद  माननीय न्यायाधीश ने 10 जुलाई, 2017 को फैसला सुनाने का दिन मुकर्रर कर दिया. लिहाजा उस दिन जोधपुर के अपर सेशन न्यायाधीश नरेंद्र सिंह मालावत की अदालत दर्शकों से खचाखच भरी हुई थी. जज साहब के अदालत में बैठने के बाद लोग आपस में कानाफूसी करने लगे. जज साहब ने अपने सामने रखे फैसले के नोट्स व्यवस्थित किए तो फुसफुसाहटें थम गईं और अदालत में एक पैना सन्नाटा छा गया. सभी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि पता नहीं रामेश्वरी और उस के प्रेमी भोम सिंह को क्या सजा मिलेगी.

इन दोनों ने जिस तरह का अपराध किया था, उसे देखते हुए लोग चाह रहे थे कि उन्हें फांसी होनी चाहिए. आखिर रामेश्वरी और भोम सिंह ने ऐसा कौन सा अपराध किया था, जिस की सजा को जानने के लिए तमाम लोग अदालत में समय से पहले ही पहुंच गए थे. यह जानने के लिए हमें घटना की पृष्ठभूमि में जाना होगा. राजस्थान के जिला जोधपुर के लोहावट थाने में 12 फरवरी, 2015 को कुनकुनी दोपहरी में अच्छीखासी गहमागहमी थी. एडिशनल एसपी सत्येंद्रपाल सिंह एसडीएम राकेश कुमार के साथ थाने के दौरे पर थे. उस समय दोनों अधिकारी थाने में एक जरूरी मीटिंग ले रहे थे. मीटिंग इलाके में बढ़ती आपराधिक वारदातों को ले कर बुलाई गई थी.

मीटिंग में सीओ सायर सिंह तथा लोहावट के थानाप्रभारी निरंजन प्रताप सिंह भी मौजूद थे. मीटिंग के दौरान ही थाने के बाहर हो रहे शोर की ओर अचानक अधिकारियों का ध्यान गया. शोर थमने के बजाय तेज होता जा रहा था. एडिशनल एसपी ने थानाप्रभारी को शोर के बारे में पता लगाने का इशारा किया. थानाप्रभारी तुरंत यह कहते हुए बाहर की तरफ लपके, ‘‘सर, मैं पता करता हूं.’’

कुछ ही मिनटों में थानाप्रभारी बड़ी अफरातफरी में लौट आए. उन्होंने बताया, ‘‘सर, बाहर सुतारों की बस्ती के कुछ लोग हैं, जो किसी के कत्ल की रिपोर्ट लिखाने आए हैं. जब उन्हें कुछ देर इंतजार करने को कहा तो वे बुरी तरह उखड़ गए. वे मीटिंग से पहले रिपोर्ट लिखाने की मांग कर रहे हैं.’’

थानाप्रभारी की बात सुनने के बाद एडिशनल एसपी के चेहरे पर उत्सुकता जाग उठी. सहमति जानने के लिए उन्होंने एसडीएम राकेश कुमार की ओर देखा और फिर थानाप्रभारी से बोले, ‘‘ठीक है, उन में से 1-2 खास लोगों को बुला लाओ.’’

थानाप्रभारी भीड़ में से एक आदमी को बुला लाए. एएसपी ने उस अधेड़ शख्स को कुरसी पर बैठने का इशारा किया. उस के बैठने के बाद उन्होंने पूछा, ‘‘बताओ, क्या मामला है?’’

उस आदमी ने अपना नाम कैलाश बता कर बोला कि वह ढेलाणा गांव की सुतार बस्ती में रहता है. उस के घर के पास ही उस के चाचा संतोष का मकान है, जहां वह अपनी पत्नी रामेश्वरी और 3 बेटियों व एक बेटे के साथ रहते थे. चाची रामेश्वरी उर्फ बीबा के नाजायज संबंध गांव के ही भोम सिंह के साथ हो गए थे. इस की जानकारी संतोष को भी थी. 6 फरवरी से चाचा संतोष रहस्यमय तरीके से गायब हैं. चाचा के खून से सने अधजले कपड़े ग्रेवल रोड के पास पड़े हैं. इस से मुझे लगता है कि चाची ने भोम सिंह के साथ मिल कर चाचा की हत्या कर लाश को कहीं ठिकाने लगा दिया है.

एएसपी सत्येंद्रपाल सिंह कुछ देर तक फरियादी को इस तरह देखते रहे, जैसे उस की बातों की सच्चाई जानने का प्रयास कर रहे हों. इस के बाद एसडीएम राकेश कुमार से निगाहें मिला कर अपने मातहतों की तरफ देखते हुए बोले, ‘‘चलो, ग्रेवल रोड की ओर चल कर देखते हैं.’’

लगभग आधे घंटे में ही एएसपी पूरे अमले के साथ कैलाश द्वारा बताई गई जगह पर पहुंच गए. कैलाश ने हाथ का इशारा करते हुए कहा, ‘‘साहब, वो देखिए, वहां पड़े हैं कपड़े.’’

एएसपी समेत पुलिस अधिकारियों ने आगे बढ़ कर नजदीक से देखा तो उन्हें यकीन आ गया कि कैलाश ने गलत नहीं कहा था. वास्तव में ग्रेवल रोड की ढलान पर खून सने अधजले कपड़े पड़े थे. खून आलूदा कपड़ों से जाहिर था कि मामला हत्या का न भी था तो जहमत वाला जरूर था. पुलिस को देख कर वहां गांव वालों की भीड़ लगनी शुरू हो गई. एएसपी ने थानाप्रभारी से कपड़ों को सील करने के आदेश दिए. इस के बाद कैलाश को करीब बुला कर तसल्ली करनी चाही, ‘‘तुम पूरे यकीन के साथ कैसे कह सकते हो कि ये कपड़े तुम्हारे चाचा संतोष के ही हैं?’’

‘‘साहब, आप एक बार रामेश्वरी और भोम सिंह से सख्ती से पूछताछ करेंगे तो हकीकत सामने आ जाएगी. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.’’ कैलाश ने हाथ जोड़ कर विनती के स्वर में कहा, ‘‘आप रामेश्वरी की बेटियों से पूछताछ करेंगे तो इस मामले में और ज्यादा जानकारी मिल सकती है.’’

थाने पहुंच कर एएसपी ने रामेश्वरी और उस की बेटियों मनीषा, भावना और अंकिता को थाने बुलवा लिया. पुलिस ने रामेश्वरी को अलग बिठा कर उस की बेटियों से पूछताछ की तो उन्होंने अपने पिता की नृशंस हत्या किए जाने का आंखों देखा हाल बयां कर दिया. उन्होंने बताया कि पापा की हत्या मम्मी और भोम सिंह ने की थी. तीनों बहनों की बात सुन कर सभी अधिकारी सन्न रह गए.

रामेश्वरी थाने में ही बैठी थी. एएसपी के आदेश पर थानाप्रभारी भोम सिंह के घर पहुंच गए. वह घर पर ही मिल गया. वह उसे गिरफ्तार कर के थाने ले आए. थाने में रामेश्वरी और उस के बच्चों को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. वह समझ गया कि इन लोगों ने पुलिस को सब कुछ बता दिया होगा, इसलिए उस ने पुलिस पूछताछ में सारी कहानी बयां कर दी. उस ने बताया कि उसी ने तलवार से काट कर संतोष की हत्या की थी. भोम सिंह से पूछताछ के बाद हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

संतोष कुमार लकड़ी के इमारती काम का हुनरमंद कारीगर था. इस छोटी सी ढाणी में या आसपास उसे उस के हुनर के अनुरूप मजदूरी नहीं मिल पाती थी, इसलिए 2 साल पहले वह एक जानकार के बुलाने पर मुंबई चला गया था, जहां उसे अच्छाखासा काम मिल गया था. संतोष के परिवार में पत्नी रामेश्वरी के अलावा 3 बेटियां और एक बेटा था. बेटा सब से छोटा था, जबकि बड़ी बेटी मनीषा 13 साल की है, भावना 10 साल की और अंकिता 8 साल की. संतोष काम के सिलसिले में ज्यादातर घर से बाहर ही रहता था.

इसी दौरान गांव के ही 28 साल के भोम सिंह के साथ 50 साल की रामेश्वरी का चक्कर चल गया. उस का रामेश्वरी के यहां आनाजाना बढ़ गया. भोम सिंह एक आवारा युवक था, इसलिए रामेश्वरी के ससुराल वालों ने उस के बारबार घर आने पर आपत्ति जताई. मोहल्ले के लोग भी तरहतरह की बातें करने लगे. डर की वजह से कोई भी सीधे भोम सिंह से कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था. संतोष कुमार जब मुंबई से लौटा, तब उसे लोगों के द्वारा पत्नी के कदम बहक जाने की जानकारी मिली. नतीजा यह हुआ कि संतोष ने रामेश्वरी की जम कर खबर ली.

इत्तफाक से भोम सिंह एक दिन ऐसे वक्त में रामेश्वरी से मिलने उस के घर आ टपका, जब घर में संतोष मौजूद था. संतोष तो पहले ही उस से खार खाए बैठा था. उस ने भोम सिंह को बुरी तरह आड़े हाथों लिया और उसे चेतावनी दे दी कि आइंदा वह इस घर की ओर रुख करेगा तो अच्छा नहीं होगा. अच्छीखासी लानतमलामत होने के बावजूद भी भोम सिंह ने उस के घर आना न छोड़ा और न ही रामेश्वरी ने उसे घर आने से मना किया. संतोष की मजबूरी थी कि वह ज्यादा दिन छुट्टी नहीं ले सकता था और मुंबई में रिहायशी दिक्कत के कारण परिवार को साथ नहीं ले जा सकता था. लिहाजा उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे.

एक बार संतोष ने पत्नी और भोम सिंह को फिर रंगेहाथों पकड़ लिया. लेकिन भोम सिंह फुरती से वहां से भाग गया. जातेजाते वह कह गया कि वह इस बेइज्जती का बदला ले कर रहेगा. फरवरी, 2015 में संतोष मुंबई से घर लौटा. उस के आने के बाद रामेश्वरी की इश्क की उड़ान में व्यवधान पैदा हो गया. रास्ते में रोड़ा बने पति से छुटकारा पाने के बारे में उस ने प्रेमी से बात की. फिर दोनों ने संतोष को ठिकाने लगाने की योजना बना ली. उन्होंने तय कर लिया कि इस बार वे संतोष को ठिकाने लगा कर ही रहेंगे.

योजना के अनुसार 6 फरवरी, 2015 की आधी रात को भोम सिंह छिपतेछिपाते संतोष के घर पहुंच गया. उस समय संतोष गहरी नींद में सो रहा था, जबकि रामेश्वरी प्रेमी के आने के इंतजार में जाग रही थी. उसी समय भोम सिंह ने सोते संतोष के ऊपर तलवार से वार कर दिया. संतोष की मर्मांतक चीख सुन कर तीनों बेटियां हड़बड़ा कर उठ बैठीं. वे भाग की भीतरी चौक में पहुंचीं और जो भयानक नजारा देखा तो उन्हें जैसे काठ मार गया. भोम सिंह उन के पिता पर तलवार से वार कर रहा था और वह गिरतेपड़ते छोड़ देने की मिन्नतें कर रहे थे. लेकिन उस शैतान का दिल नहीं पसीजा.

रामेश्वरी पास में खड़ी सब कुछ देख रही थी. मनीषा ने पिता को बचाने की कोशिश की तो भोम सिंह ने धमका कर उसे परे धकेल दिया और कहा कि अगर किसी को भी बताया तो तीनों को तलवार से काट देगा. संतोष की हत्या के बाद भोम सिंह ने उस के कपड़े उतार दिए और लाश एक पौलीथिन में लपेट कर बोरी में भर दी. बाद में उस बोरी को एक ड्रम में डाल कर कमरे में रख दी.

इस के बाद भोम सिंह चला गया. अगले दिन रात को वह बैलगाड़ी ले कर आया, तब रामेश्वरी और भोम सिंह ने मिल कर ड्रम को गाड़ी में डाला. वे लाश को शिवपुरी रोड पर घने जंगल में दफन कर आए. रामेश्वरी ने घर लौटने के बाद रात को पति के खून सने कपड़े चूल्हे में डाल कर जलाने की कोशिश की, लेकिन कपड़े खून से गीले होने के कारण पूरी तरह से जल नहीं पाए. फिर 11 फरवरी की रात को रामेश्वरी अधजले कपड़ों को ग्रेवल रोड पर फेंक आई. बाद में वह शोर मचाने लगी कि मेरे भरतार (पति) के खून सने कपड़े ग्रेवल रोड पर पड़े हैं, लेकिन उन का कहीं पता नहीं चल रहा है. उस की चीखपुकार सुन कर अड़ोसीपड़ोसी भी आ गए. उसी दौरान संतोष का भतीजा कैलाश भी आ गया. उस ने ग्रेवल रोड पर चाचा के खून सने अधजले कपड़े देखे तो उसे शक हो गया.

इस से पहले कैलाश व अन्य पड़ोसियों को संतोष कई दिनों तक दिखाई नहीं दिया तो पड़ोसियों ने भी रामेश्वरी से पूछा. पर रामेश्वरी ने यह कह कर टाल दिया कि यहीं कहीं होंगे. पर उस के जवाब से कोई संतुष्ट नहीं था. बच्चों ने बताया कि डर की वजह से उन्होंने भी मुंह नहीं खोला. भोम सिंह और रामेश्वरी से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन की निशानदेही पर संतोष की लाश और तलवार बरामद कर ली. पुलिस ने सारे सबूत जुटा कर दोनों अभियुक्तों के खिलाफ भादंवि की धारा 450, 302, 201, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया.

पुलिस ने फोरैंसिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट व अन्य साक्ष्यों के अलावा निर्धारित समय में आरोपपत्र तैयार कर कोर्ट में पेश कर दिया. करीब 2 सालों तक अदालत में केस की सुनवाई चली. तमाम साक्ष्य पेश करने के साथ गवाह भी पेश हुए. 10 जुलाई, 2017 को न्यायाधीश नरेंद्र सिंह मालावत ने केस का फैसला सुनाने का दिन निश्चित किया. सजा सुनाने के पहले माननीय न्यायाधीश नरेंद्र सिंह ने कहा कि अभियोजन पक्ष प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्यों, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों एवं बरामदगियों से इस घटना की कड़ी से कड़ी जोड़ने में सफल रहा है. इसी प्रकार घटना से ताल्लुक रखती फोरैंसिक रिपोर्ट में मकतूल की पत्नी अभियुक्ता रामेश्वरी के कपड़ों पर पाए गए खून के छींटे भी मकतूल संतोष कुमार के खून से मिलते पाए गए.

ऐसी स्थिति में अभियुक्तों का बचाव संभव नहीं है. एक पल रुकते हुए विद्वान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मौकाएवारदात पर मौजूद मकतूल की तीनों बेटियां अंकिता, भावना और मनीषा प्रत्यक्षदर्शी थीं.

‘‘अंकिता और भावना ने अभियोजन पक्ष की कहानी की पूरी तस्दीक की है, इसलिए बचाव पक्ष की इस दलील पर घटना को झूठा नहीं माना जा सकता कि अभियोजन पक्ष ने मनीषा को पेश नहीं किया. लड़कियां मुलजिम भोम सिंह की इस धमकी से बुरी तरह डरी हुई थीं. उन्होंने पुलिस के आने के बाद ही मुंह खोला.’’

विद्वान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कोर्ट इस सच्चाई से वाकिफ है कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में मकतूल की मौत की वजह सिर तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर घातक चोटें आना बताया गया है. वारदात में इस्तेमाल की गई तलवार की बरामदगी भी मुलजिम के कब्जे से होना उस के आपराधिक षडयंत्र को पुख्ता करती है.

‘‘हालांकि यह मामला विरल से विरलतम की श्रेणी में नहीं आता, किंतु ऐसे गंभीर अपराध की दोषसिद्धि में अपराधियों को कोई रियायत देना उचित नहीं है. इसलिए तमाम सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर अदालत मृतक की पत्नी रामेश्वरी और उस के प्रेमी भोम सिंह को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाती है.’’

सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने दोनों मुजरिमों को अपनी कस्टडी में ले लिया. अदालत में मौजूद लोगों और मृतक की बेटियों ने इस सजा पर तसल्ली व्यक्त की. Crime ki Kahani

Social Crime : शादी करके जेवर लेकर फरार होने वाली दुल्हन

Social Crime : भागवती अपने गैंग के मार्फत ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाती थी, जिन की किसी वजह से शादी नहीं हो पाती थी. फिर गैंग की सदस्या पूजा से उस युवक की शादी करा दी जाती थी. ससुराल पहुंचने के बाद पूजा वहां इतनी चालाकी से हाथ साफ करती कि…

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में पन्ना जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर बड़खेरा गांव के पुरुषोत्तम की शादी की उम्र निकल चुकी थी. वह 33 साल का हो गया था. उस के पिता पंडित सुक्कन पटेरिया उस की शादी को ले कर बहुत चिंतित थे. वह खेतीबाड़ी का काम करते थे. चिंता का एक कारण और था कि बड़े बेटे पुरुषोत्तम की शादी नहीं हो पाने के कारण उस से छोटे 2 भाइयों की उम्र भी निकलती जा रही थी. पुरुषोत्तम के लिए उस की मां और पिता दोनों ही बहुत परेशान रहते थे. वे रिश्तेदारों की मदद से पुरुषोत्तम के लिए लड़की तलाश कर थक चुके थे. इस वजह से पुरुषोत्तम भी मानसिक तनाव में रहने लगा था.

उस की शादी नहीं हो पाने का एक कारण उस की पढ़ाई भी थी. वह कुल 10वीं जमात तक ही पढ़ा था. इसलिए उसे कोई लड़की ब्याहने को तैयार नहीं था. लौकडाउन से पहले मार्च 2020 की बात है. पुरुषोत्तम टीकमगढ़ जिले के टीला गांव में एक रिश्तेदार के यहां गया था. वहीं उस की मुलाकात गांव के मुन्ना तिवारी से हुई. उस ने बातचीत के दौरान मुन्ना तिवारी से कहा, ‘‘तिवारीजी, मेरे पिताजी मेरी शादी को ले कर परेशान रहते हैं. आप की नजर में कोई लड़की इधर हो तो बताइए.’’

मुन्ना तिवारी ने छूटते ही कहा, ‘‘क्यों नहीं भाई, लगता है तुम्हारी मुराद पूरी हो गई है. देखो, मेरी एक रिश्तेदारी में भी 30 साल की युवती पूजा कुंवारी बैठी है. तुम कहो तो मैं बात उस से करूं?’’

‘‘अरे तिवारीजी, इस में पूछने की क्या बाता है? आज ही बात करो न उस के पिता से.’’ पुरुषोत्तम चहकते हुए बोला.

‘‘उस के पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं. इसी वजह से तो उस की शादी नहीं हो पा रही है. मैं देखता हूं, अगर तुम्हारी बात बन जाए तो अच्छा रहेगा.’’ मुन्ना तिवारी ने कहा.

‘‘उस की मां से बात कर लो न!’’ पुरुषोत्तम ने सुझाव दिया.

‘‘नहींनहीं, उन से डायरेक्ट बात करना सही नहीं होगा. पहले किसी नजदीकी रिश्तेदार से उन तक बात पहुंचानी होगी. तुम्हारे बारे में चर्चा करवानी होगी. अब देखना है कि कौन रिश्तेदार उन के सामने तुम्हारे और परिवार के बारे में तारीफ के पुल बांध सके.’’ तिवारी ने समझाया.

‘‘जैसा तुम उचित समझो, लेकिन जो भी करो जल्दी करो,’’ पुरुषोत्तम उम्मीद के साथ बोला.

‘‘ठीक है, होली के बाद देखता हूं.’’ वह बोला.

जैसा मुन्ना तिवारी ने कहा था, वैसा ही किया. होली के दूसरे दिन ही वह पूजा और उस की बहन भागवती मिश्रा को ले कर सुक्कन पटेरिया के घर पहुंच गया. पुरुषोत्तम को आश्चर्य हुआ कि जिस युवती से उस की शादी की बात चलने वाली है, वह भी साथ आई थी. उस ने तिवारी की ओर आश्चर्य से देखा. तिवारी ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘शुभ काम में देरी नहीं करनी चाहिए.’’

चायनाश्ते के बाद युवतयुवती को एक साथ बैठा दिया गया. उन्होंने एकदूसरे को सरसरी निगाह से देखापरखा. पुरुषोत्तम को गोरी, तीखे नाकनक्श वाली पूजा पहली ही नजर में भा गई. रीजिरिवाज से हुई सगाई पूजा की बहन भागवती ने भी पुरुषोत्तम को पसंद कर लिया. पूजा ने भी अपनी पसंद बहन को बता कर अपनी रजामंदी दे दी. दूसरी तरफ अपने बेटे की शादी का सपना संजोए सुक्कन की पत्नी ने घर आए मेहमानों का खूब स्वागतसत्कार किया. उस ने मेहमानों के लिए तरहतरह के पकवान बना कर परोसे. सुक्कन की पत्नी खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी. उस ने पति से होने वाली बहू को शगुन दे कर जल्दी से रिश्ता तय कर लेने को कहा.

फिर पतिपत्नी ने शगुन के तौर पर पूजा की गोद में नारियल, कपड़े, फल और मिठाई भेंट कर दिए. पुरुषोत्तम ने उसे अंगूठी पहना कर सगाई की रस्म अदा कर दी. साथ में कुछ पैसे भी रख दिए. सगाई की रस्म पूरा होने से पहले ही मुन्ना तिवारी ने पंडित सुक्कन पटेरिया को  साफतौर पर बता दिया था कि पूजा के पिता जीवित नहीं हैं. उस के घर की माली हालत भी ठीक नहीं है, इसलिए शादी का खर्चा उन्हें ही उठाना पड़ेगा. सुक्कन लड़की वालों की हर शर्त मानने तैयार हो गया. सगाई होते ही पुरुषोत्तम शादी के हसीन सपने संजोने लगा. जब से उस ने पूजा को देखा था, तभी से उस के मन में खुशियों के लड्डू फूटने लगे थे और वह उस के साथ जीवन की शुरुआत करने की योजनाएं बनाने लगा था.

रात को सोते समय पुरुषोत्तम अपनी होने वाली सुहागरात की कल्पना कर के खुश हो रहा था. फिल्मों की तरह उसे भी सपने में सुहागरात में गुलाब की पंखुडि़यों से सजी सेज पर बैठी लजातीशरमाती पूजा नजर आने लगी थी. इंतजार की घड़ी और निकट आ गई, लेकिन यह क्या अचानक कोरोना वायरस के कहर ने सभी को घरों में बंद कर दिया. सरकार ने लौकडाउन लगा दिया. पुरुषोत्तम एक बार फिर निराश हो गया. वह अपनी किस्मत को दोष देने लगा. खैर, उसे अनलौक की प्रक्रिया शुरू होने तक इंतजार करना पड़ा, जिस की शुरुआत मई 2020 में हुई. प्रशासन की तरफ से शादीविवाह के सार्वजनिक व सामूहिक कार्यक्रमों में सीमित संख्या में लोगों के शामिल होने की अनुमति थी.

दोनों पक्षों की आपसी सहमति के बाद 29 मई, 2020 को शादी की तारीख तय हो गई. इसी में यह भी तय हुआ कि कम से कम मेहमानों को बुलाया जाएगा. पूजा और उस की बहन भागवती 28 मई को आशा दीक्षित के घर बड़खेरा गांव आ गए. आशा पुरुषोत्तम की बुआ थी. वहीं 29 मई को 10-12 लोगों की मौजूदगी में सामाजिक रीतिरिवाज के अनुसार पुरुषोत्तम और पूजा का विवाह संपन्न हो गया. सुक्कन पटेरिया ने अपनी बहू के लिए सोनेचांदी के जेवर दिए. विवाह के दूसरे दिन पूजा के साथ आई उस की बहन भागवती ने अपनी गरीबी का हवाला दे कर पुरुषोत्तम के पिता सुक्कन से 60 हजार रुपए मांगे. सुक्कन पटेरिया ने यह सोच कर सहज भाव से रुपए दे दिए कि होने वाली बहू के परिवार की मदद करने में क्या बुराई है.

पुरुषोत्तम की मां ने नईनवेली दुलहन का स्वागत पारिवारिक और सामाजिक रीतिरिवाज के साथ किया. घर में शादी के बाद की सारी रस्में चलती रहीं. पुरुषोत्तम को अपनी सुहागरात का बेसब्री से इंतजार था. रात होते ही मेहमानों के सो जाने के बाद उस ने फिल्मी अंदाज में अपने फूलों से सजे कमरे में प्रवेश किया. सुहागसेज पर बैठी दुलहन का घूंघट हटा कर उस के हुस्न के तारीफों के पुल बांध दिए. किंतु अपने प्रेम प्रदर्शन के दौरान पुरुषोत्तम ने महसूस किया कि पूजा उस के प्रति रोमांचित नहीं थी. वह उस की तरह उमंग में नहीं थी. नववधू हो गई फुर्र हालांकि पुरुषोत्तम ने यह सोच कर पूजा के इस व्यवहार पर कोई ध्यान नहीं दिया कि शायद ऐसा शादी में थकान की वजह से हो.

इसी तरह से लगातार 5 दिन निकल गए, लेकिन पूजा के रुख में बदलाव नहीं दिखा. उस के सुस्त और नीरस व्यवहार ने पुरुषोत्तम को आहत कर दिया था. शादी के बाद छठवीं रात पुरुषोत्तम पूजा की बेरुखी से परेशान हो कर चुपचाप सो गया. सुबह 5 बजे जैसे ही उस की नींद खुली, तो पाया कि पूजा बिस्तर पर नहीं है. कुछ देर तक उस का इंतजार किया. नहीं आने पर घर के दूसरे कमरे, बरामदे आदि के बाद बाथरूम में तलाश किया, लेकिन पूजा कहीं नहीं मिली. उस के बाद बदहवास कमरे में आ कर बिछावन पर बैठ गया. जल्दी ही बैचनी की स्थिति में कमरे से निकल कर बाहर आया. इस बीच उस की मां जाग चुकी थी. उस ने मां से पूछा, ‘‘मां पूजा कहां है?’’

मां ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्यों कमरे में नहीं है क्या? बाथरूम में होगी.’’

जब पुरुषोत्तम ने अपनी मां को बताया कि पूजा घर में कहीं नहीं है, तब मांबेटे ने कमरे में जा कर देखा तो पाया कि पूजा का बैग और सूटकेस भी कमरे में नहीं था. उन्हें समझते देर नहीं लगी कि पूजा उस के जेवरात और नकदी ले कर फरार हो चुकी है. अचानक उन के दिमाग में लुटेरी दुलहन की सुनी कहानी कौंध गई. गांव में दुलहन के गायब होने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई. गांव में इस तरह की यह पहली घटना थी. पुरुषोत्तम और उस के घर वालों की बदनामी होने लगी. पुरुषोत्तम को समझ आ गया था कि उस के साथ शादी के नाम पर ठगी हुई है. सुक्कन के परिवार ने मान लिया था कि वे लुटेरी दुलहन गैंग के शिकार हो चुके हैं. परंतु लोकलाज के चलते चुप रहे.

उन्होंने सोचा कि गांव में जब यह बात फैलेगी तो कोई इस परिवार को लड़की नहीं ब्याहेगा. वे पुलिस और अदालती चक्कर में नहीं पड़ना चाहते थे. इसलिए चुपचाप नुकसान और अपमान का घूंट पी कर रह गए. पुलिस में शिकायत नहीं करने की यही गलती आगे चल कर पूरे परिवार की परेशानी का सबब बन गई. आए दिन लुटेरी गैंग की तरफ से पुरुषोत्तम और उस के घर वालों से रुपयों की मांग होने लगी. तभी उन्हें मालूम हुआ कि भागवती ही गैंग की सरगना है. वह पुरुषोत्तम को फोन कर धमकाते हुए बारबार रुपए की मांग करने लगी. वह हमेशा परिवार को दहेज मांगने के जुर्म में  केस करने की धमकी देने लगी.

रोजरोज की इन धमकियों से तंग आ कर पुरुषोत्तम 20 जून को गांव के सरपंच धीरेंद्र बाजपेई को साथ लेकर पन्ना के कोतवाली थाने गया. टीआई अरुण कुमार सोनी को पूरी बात बताई और इस साजिश की रिपोर्ट लिखाई. थानाप्रभारी अरुण कुमार सोनी ने शादी के नाम पर ठगी करने वाली घटना की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी. पन्ना जिले के एसपी धर्मराज मीणा ने इस घटना को गंभीरता से लिया और तत्काल आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए. कारण पिछले एक साल के दौरान पन्ना में झूठी शादी रचाने के नाम पर ठगी की कई घटनाएं हो चुकी थीं. इस का परदाफाश करना किसी चुनौती से कम नहीं था.

धर्मराज मीणा ने टीआई अरुण कुमार सोनी और एसआई सोनम शर्मा के साथ एक विशेष टीम का गठन कर लुटेरी दुलहन गैंग का परदाफाश करने की जिम्मेदारी सौंप दी. पुलिस टीम ने अपने मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया. 23 जून, 2021 को पुलिस को एक मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि धाम मोहल्ला के एक मकान में कुछ लोग रुके हुए हैं. उन के बीच चोरी के माल के बंटवारे को ले कर विवाद चल रहा है. तत्काल पुलिस टीम ने धाम मोहल्ला में मुखबिर के बताए मकान में दबिश दी. वहां से 6 पुरुष और 2 महिलाओं को संदेह के आधार पर दबोच लिया गया. थाने ला कर जब उन से पूछताछ की तो पता चला कि वे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लोग हैं और वह लुटेरी दुलहन के गैंग के हैं.

बना लेते थे फरजी नाम के आधार कार्ड उन्होंने यह भी बताया कि वे भोलेभाले लोगों के घर में शादी रचा कर पहले उन का विश्वास जीतते हैं, फिर पैसे, गहनों का पता चलने पर मौका पा कर भाग जाते हैं. पकड़ी गई महिलाओं से पूछताछ में यह भी पता चला कि वह लुटेरी दुलहन बन कर कई घटनाओं को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुकी हैं. पुलिस पूछताछ में जो कहानी सामने आई, उसे सुन कर भ्रष्टाचार के वैसे कारनामे का भी खुलासा हुआ, जिसे सरकार काफी सुरक्षित मानती आई है. जैसे आधार कार्ड का बनाया जाना. यह जान कर पुलिस टीम भी हैरान रह गई.

गिरोह की मुख्य सरगना छतरपुर के बिल्हा गांव की भागवती ठाकुर उर्फ भग्गो थी, जो बारबार अपना सरनेम बदल लेती थी. लौकडाउन के पहले सभी रीवा में किराए के मकान में रहते थे. वहीं से भागवती के गिरोह के लोग मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों में चोरियां करते थे. चोरी की घटनाओं को अंजाम देने के बाद उस के मन में शादी कर के भाग जाने का आइडिया आया. भागवती ने जिस पूजा नाम की युवती का रिश्ता पुरुषोत्तम से करवाया था, उस का वास्तविक नाम इंद्रा यादव निकला. पुरुषोत्तम को अपने जाल में फांसने के लिए उस ने इंद्रा को पूजा तिवारी के रूप में पेश किया था. भागवती के बनाए प्लान के मुताबिक वह शादी के 5 दिन बाद जेवरात और नकदी ले कर घर से भाग गई थी.

30 साल की पूजा उर्फ इंद्रा यादव उत्तर प्रदेश के झांसी के रहने वाले स्वामी यादव की बेटी है. वह ऐसी 4 शादियां कर चुकी थी, जो समाजपरिवार की निगाह में मान्य थीं, लेकिन वह उस के लिए महज एक ढोंग ही था. गिरोह का एक सदस्य इसरार खान निवासी इटावा (उत्तर प्रदेश) लैपटाप और प्रिंटर की मदद से गिरोह में शामिल लोगों के नकली आधार कार्ड बनाने का काम करता था. ये लोग शादी के लिए रिश्ता तय करते समय रिश्ते के हिसाब से अपनी जाति और नाम बदल लेते थे. आधार कार्ड में फोटो व नामपता देख कर किसी को इन पर शक भी नहीं होता था. उन्होंने 2015 में आई एक फिल्म ‘डौली की डोली’ से प्रेरणा ली थी. फिल्म असली अंदाज में डौली झूठी शादियां रचाती है. शादी की रात ही लड़के और उस के परिवार की कीमती चीजों को चुरा कर भाग जाती है.

पन्ना पुलिस ने जिन लुटेरी दुलहनों को पकड़ा था, वे भी झूठी शादी रचा कर कुछ दिनों तक घर में रहती थीं और फिर मौका पा कर कीमती सामान ले कर रफूचक्कर हो जाती थीं. पुलिस ने दोनों के साथ जिन 6 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया, उस में आसिफ, कमलेश केवट, रम्मू, मुन्ना तिवारी, रामजी भी थे. सभी सदस्य अलगअलग भूमिकाएं निभाते थे. पुलिस ने उन के कब्जे से एक तमंचा, एक जीवित कारतूस, 5 किलोग्राम चांदी और करीब 160 ग्राम सोने के जेवरात, फरजी आधार कार्ड, एक लैपटाप, एक प्रिंटर सहित करीब 14 लाख 25 हजार रुपए का माल बरामद किया. यह गैंग पकड़े जाने से पहले तक बुंदेलखंड, सतना, दमोह, छतरपुर, रीवा, कटनी, उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में चोरी, ठगी की करीब 21 वारदातों को अंजाम दे चुका था.

पुलिस हिरासत में लिए गए लोगों से जब अन्य घटनाओं के संबंध में पूछताछ की गई तब उन्होंने पन्ना के 5, पवई के 7, सिमरिया के 6, अमानगंज के 2 और धरमपुर के एक मामले में शामिल होना कुबूल कर लिया. पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद कोर्ट के आदेश पर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया. Social Crime

 

 

Hindi Story : ये तन मांगे मोर

Hindi Story : कुछ महिलाएं अपने घमंडी व जिद्दी स्वभाव की वजह से अपनी गृहस्थी में खुद ही आग लगा लेती हैं. 2 बच्चों की मां लता चौहान भी ऐसी ही थी. लड़झगड़ कर पति को घर से भगाने के बाद उस ने भांजे अंकित के साथ अवैध संबंध बना लिए. इस के बाद उस ने…

19 वर्षीया काजल उस समय बेचैन हो कर अपने घर में टहल रही थी. वह बारबार अपने रो रहे छोटे भाई शिवम को चुप कराती थी, मगर शिवम बारबार मां को याद कर के रोने लगता था. हरिद्वार जिले के गांव हेतमपुर की रहने वाली काजल व शिवम की मां लता चौहान (38) गत शाम को पास के ही कस्बे बहादराबाद में सब्जी खरीदने के लिए घर से निकली थी, मगर आज तक वह वापस घर नहीं लौटी थी. उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ आ रहा था. मां के वापस न लौटने व मोबाइल के स्विच्ड औफ होने से काजल व शिवम का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था.

दोनों भाईबहन पिछली शाम से ही अपने सभी रिश्तेदारों को फोन कर कर के अपनी मां के बारे में जानकारी कर रहे थे, मगर उन की मां के बारे में सभी रिश्तेदारों ने मोबाइल पर अनभिज्ञता जताई. इस के बाद सूचना पा कर कुछ रिश्तेदारों व कुछ पड़ोसियों का भी उन के घर पर आना शुरू हो गया था. सभी दोनों भाईबहन को दिलासा दे कर चले जाते. इसी प्रकार 3 दिन बीत गए थे तथा काजल व शिवम को अपनी मां के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली. इस के बाद अब उन के रिश्तेदार काजल पर लता की गुमशुदगी थाने में दर्ज कराने पर जोर देने लगे. लेकिन थाने जाने के नाम से काजल को एक अंजाना सा डर लग रहा था.

वह 14 जून, 2021 का दिन था. आखिर उस दिन काजल थाना सिडकुल पहुंच ही गई. वह थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला से मिली और उन्हें अपनी मां लता चौहान के गत 4 दिनों से लापता होने की जानकारी दी. जब थानाप्रभारी बुटोला ने काजल से उस के पिता के बारे में पूछा तो काजल ने बताया, ‘‘सर पिछले 2-3 सालों से मेरे पिता चंदन सिंह नेगी व मां लता चौहान के बीच अनबन चल रही है. मेरे पिता फरीदाबाद (हरियाणा) में रह कर ड्राइवरी करते हैं. यहां पर 2 साल पहले मेरे फुफेरे भाई अंकित चौहान ने हमें एक मकान खरीद कर दिया था. इस मकान में हम तीनों रहते हैं. घर से चलते समय मेरी मां हरे रंग का सूट सलवार व पैरों में सैंडिल पहने थी.’’

इस के बाद काजल ने मां का मोबाइल नंबर भी थानाप्रभारी बुटोला को नोट करा दिया. इस के बाद काजल वापस घर आ गई. काजल की तहरीर पर थानाप्रभारी बुटोला ने लता की गुमशुदगी दर्ज कर ली और इस केस की जांच एसआई अमित भट्ट को सौंप दी. लता की गुमशुदगी का केस हाथ में आते ही अमित भट्ट सक्रिय हो गए. उन्होंने सब से पहले लता के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए साइबर थाने से संपर्क किया था और थाने के 2 सिपाहियों को लता चौहान की डिटेल्स का पता करने के लिए सादे कपड़ों में गांव हेतमपुर में तैनात कर दिया. उसी दिन शाम को थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला ने लता की गुमशुदगी की सूचना एएसपी डा. विशाखा अशोक भडाने व एसपी (सिटी) कमलेश उपाध्याय को दी.

2 दिनों में पुलिस को लता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स मिल गई थी. काल डिटेल्स के अनुसार 10 जून, 2021 की शाम को लता चौहान व उस के भांजे अंकित चौहान की लोकेशन हेतमपुर से सलेमपुर की गंगनहर तक एक साथ थी. इस से पहले दोनों में बातें भी हुई थीं. इस के अलावा लता के मोबाइल पर अंतिम काल अंकित चौहान के ही मोबाइल से आई थी. इस के कुछ समय बाद लता चौहान व अंकित चौहान की लोकेशन भी अलगअलग हो गई थी. काल डिटेल्स की यह जानकारी तुरंत ही थानाप्रभारी ने एसपी (सिटी) कमलेश उपाध्याय को दी. इस के बाद उपाध्याय ने थानाप्रभारी बुटोला व एसआई अमित भट्ट को अंकित चौहान से पूछताछ करने के निर्देश दिए. बुटोला व भट्ट ने जब अंकित चौहान से संपर्क करने का प्रयास किया, तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला.

पुलिस ने जब अंकित चौहान के बारे में जानकारी की तो पता चला कि वह लता का सगा भांजा था. अंकित मूलरूप से बिजनौर जिले के गांव मानपुर शिवपुरी का रहने वाला था. अंकित एमएससी करने के बाद किसी अच्छी नौकरी की तलाश में था. 3 साल पहले जब लता के अपने पति से संबंध बिगड़ गए थे, तब से अंकित की लता से नजदीकियां बढ़ गई थीं. इस दौरान अंकित लता व उस के दोनों बच्चों का पूरापूरा खयाल रखता था. लता के रहनेखाने से ले कर वह उन्हें हर चीज मुहैया कराता था. यह जानकारी प्राप्त होने पर बुटोला व अमित भट्ट ने अंकित की तलाश में धामपुर व हेतमपुर में कुछ मुखबिर सतर्क कर दिए थे. विवेचक अमित भट्ट ने भी अंकित की तलाश में उस के धामपुर स्थित गांव मानपुर शिवपुरी में कई बार दबिश दी, मगर अंकित उन्हें न मिल पाया.

इसी प्रकार 9 दिन बीत गए तथा पुलिस को अंकित चौहान के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. वह 27 जून, 2021 का दिन था. शाम के 7 बज रहे थे. तभी श्री बुटोला के मोबाइल पर उन के खास मुखबिर का फोन आया. मुखबिर ने उन्हें बताया कि सर, जिस अंकित को तलाश कर रहे हो, वह इस समय यहां हरिद्वार के रोशनाबाद चौक पर खड़ा है. यह सुनते ही बुटोला की बांछें खिल गईं. बुटोला ने इस मामले में विलंब करना उचित नहीं समझा. उन्होंने तुरंत अपने साथ विवेचक अमित भट्ट व फोर्स को साथ लिया और 5 मिनट में ही रोशनाबाद चौक पर पहुंच गए. मुखबिर के इशारे पर उन्होंने वहां से अंकित को हिरासत में ले लिया. वह उसे थाने ले आए.

यहां पर जब बुटोला व भट्ट ने उस से लता के लापता होने के बारे में पूछताछ की, तो पहले तो वह पुलिस को गच्चा देने की कोशिश करता रहा. वह पुलिस को बताता रहा कि लता उस की मामी अवश्य थी, मगर अब वह कहां है, उस की उसे कोई जानकारी नहीं है. लेकिन सख्ती करने पर वह टूट गया और बोला, ‘‘साहब, अब लता इस दुनिया में नहीं है. 10 जून, 2021 की रात को मैं ने अपने दोस्त अमन निवासी कस्बा शेरकोट जिला बिजनौर, उत्तर प्रदेश के साथ मिल कर उस की गला घोंट कर हत्या कर दी थी तथा उस की लाश को हम ने गांव सलेमपुर स्थित गंगनहर में फेंक दी थी. लता को मैं घुमाने की बात कह कर सलेमपुर गंगनहर तक लाया था.’’

अंकित के मुंह से लता की हत्या की बात सुन कर थानाप्रभारी बुटोला तथा वहां मौजूद अन्य पुलिस वाले सन्न रह गए. पूछताछ में उस ने लता की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

गांव मानपुर में अपने बाप हरगोविंद, मां सरोज तथा छोटे भाई अनुज के साथ रहता था. उस ने बताया कि 3 साल पहले जब लता का अपने पति के साथ विवाद हुआ था तो उस दौरान अंकित ने ही लता की काफी मदद की थी. उसी दौरान लता उस की ओर आकर्षित हो गई थी. लता और अंकित के बीच अवैध संबंध बन गए थे. इस के बाद अंकित ने लता को हेतमपुर में एक मकान खरीद कर दे दिया था. सब कुछ ठीक चल रहा था कि करीब 2 महीने पहले अंकित ने लता को उस के पड़ोसी के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया था, यह देख कर अंकित को गुस्सा आ गया था. गुस्से में उस ने लता को उसे खरीद कर दिया हुआ मकान अपने नाम वापस करने का कहा तो वह टालने लगी और 2 लाख रुपए की मांग करने लगी.

लता की इस हरकत से अंकित परेशान हो गया था और अंत में वह उस की हत्या की योजना बनाने लगा. यह बात उस ने अपने दोस्त अमन को बताई तो वह भी अंकित का साथ देने को राजी हो गया. दोनों ने इस की योजना बनाई. योजना के अनुसार 10 जून, 2021 को अंकित अमन के साथ रात 8 बजे लता के घर पहुंचा था. इस के बाद उसे घुमाने की बात कह कर वह लता को ले कर गंगनहर किनारे गांव सलेमपुर पहुंचा था. उस समय वहां रात का अंधेरा छाया था. मौका मिलने पर अमन ने तुरंत ही लता को पकड़ कर उस का गला घोंट दिया था. लता के मरने के बाद दोनों ने उस की लाश गंगनहर में फेंक दी थी. उस समय रात के 11 बज चुके थे. इस के बाद अमन वापस अपने घर चला गया था. लता का मोबाइल उस समय अंकित के पास ही था.

जब उस ने 12 जून 2021 को मोबाइल औन किया तो उस में कालें आनी शुरू हो गई थीं. तब अंकित ने उस में से सिमकार्ड निकाल कर मोबाइल व सिम को सिंचाई विभाग की गंगनहर में फेंक दिया था. इस के बाद पुलिस ने अंकित के बयान दर्ज कर लिए और लता की गुमशुदगी के मुकदमे को हत्या में तरमीम कर दिया. पुलिस ने इस केस में आईपीसी की धाराएं 302 व 120बी और बढ़ा दी थीं. 2 जुलाई, 2021 को पुलिस ने अंकित को अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक आरोपी अंकित जेल में ही बंद था. थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला द्वारा गंगनहर में लता के शव को तलाश किया जा रहा था. दूसरी ओर पुलिस दूसरे आरोपी अमन की तलाश में जुटी थी.

—पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Delhi News : दिल्ली में बार बालाओं की हुक्का, शराब और शबाब पार्टी

Delhi News : राजधानी दिल्ली में अय्याशी, मौजमस्ती के अनेक अड्डे हैं, जो छिप कर चलाए जाते हैं. ऐसे लोग कानून की नजरों में धूल झोंकने और समाज से बचने के तरीके निकाल ही लेते हैं. पुलिस ने ऐसे ही कुछ लोगों को एक रेस्तरां से गिरफ्तार किया. जो वहां बर्थडे पार्टी के बहाने ऐसा कुछ कर रहे थे कि…

अगस्त माह के अंतिम हफ्ते में एक दिन दिल्ली के राजगढ़ एक्सटेंशन के रहने वाले मनु अग्निहोत्री के मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन रश्मि का था. उस ने अपनी खनकती आवाज में पूछा, ‘‘सर जी, काम कब से शुरू करवा रहे हो?’’

‘‘उम्मीद है अगले हफ्ते से… और सुन तुम्हें कितनी बार कहा है इस नंबर पर फोन मत किया कर.’’ मनु डपटते हुए बोला.

‘‘क्या करूं, मजबूरी में करना पड़ा. कोई काम नहीं है. कर्ज भी बहुत हो गया है.’’ रश्मि बोली.

‘‘ठीक है, ठीक है. तुम्हारे संपर्क में कितनी और लड़कियां हैं?’’ मनु ने पूछा.

‘‘10-12 तो हो ही जाएंगी.’’

‘‘सब को तैयार कर लो. अगले हफ्ते से रेस्टोरेंट और बार खुलने वाले हैं. मैं ने पता कर लिया है.’’ मनु बोला.

‘‘वही पहले वाला काम करना है?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘हांहां, वही. डांसिंग का है, साथ में थोड़ी शराब भी परोस देना. नशेडि़यों का दिल बहला देना.’’

‘‘उस से अधिक कुछ और नहीं न! कितने पैसे मिल जाएंगे?’’ रश्मि तपाक से पूछ बैठी.

‘‘तुम सवाल बहुत करती हो. अभी तो मैं इंतजाम में लगा हुआ हूं.’’ मनु ने समझाया.

‘‘फिर भी कुछ तो बताओ, तभी तो लड़कियों को तैयार रखूंगी.’’

‘‘सभी फ्रैश होनी चाहिए. एकदम से झकास. लेटेस्ट मौडल की. पढ़ीलिखी दिखने वाली. समझ गई न.’’ मनु बोला.

‘‘मेरे पास अभी एक से बढ़ कर  एक मौडल हैं, उन के सामने हीरोइनें और प्रोफैशनल मौडल फेल हो जाएंगी.’’ रश्मि चहकती हुई बोली.

‘‘चल, चल. अब फोन बंद कर, लगता है किसी क्लाइंट का फोन आ रहा है. बाद में बात करता हूं.’’ यह कहते हुए मनु ने आने वाले काल का फोन रिसीव कर लिया.

‘‘हैलो कौन?… अरे तुम. मैं तुम्हारे फोन का ही इंतजार कर रहा था. तुम ने नया नंबर ले लिया क्या? बताओ कुछ इंतजाम हुआ.’’ मनु ने जिज्ञासा से पूछा.

‘‘हां, हो गया है, लेकिन सौरी यार पहाड़गंज या कनाट प्लेस में नहीं हो पाया.’’ फोन करने वाला मनु का खास दोस्त था. उस के भरोसे मनु के कई कामधंधे चलते थे. वह जिस काम में लगता था, उसे पूरा कर के ही दम लेता था. उसे मनु ने एक ऐसा रेस्टोरेंट रेंट पर लेने का काम सौंपा था, जहां वह पार्टियां आर्गनाइज कर सके. उसी बारे में उस के दोस्त ने फोन किया था. मनु ने उस से उत्सुकता से पूछा, ‘‘तो कहां इंतजाम किया है?’’

‘‘शाहदरा के पास कृष्णा नगर में. अच्छा रेस्टोरेंट है… और हम लोगों के काम के हिसाब से सेफ भी.’’ मनु को बताया.

‘‘नाम क्या है? लोकेशन कैसी है? …आसपास का माहौल किस तरह का है? ‘‘द टाउंस कैफे नाम का रेस्टोरेंट मंदिर मार्ग पर लाल क्वार्टर में स्थित है. वहीं पर फर्स्ट फ्लोर पर अपना काम चलेगा. वहां सब कुछ सही है. लेकिन एक ही समस्या है कि उस के पास अभी पूरे कागज नहीं है.’’

‘‘तो कैसे होगा?’’ मनु ने पूछा.

‘‘अरे वह सब तो उस के मालिक का मसला है, हमें क्या? हमें रेंट देना है.’’ दोस्त के कहने पर मनु ने आगे के अपने इंतजाम के बारे में जानकारी दी. बातोंबातों में लड़कियों के बारे में भी थोड़ी बातें बता दीं.

‘‘तू तो इस का बड़ा खिलाड़ी है. तो फिर बुकिंग शुरू कर दूं?’’ कहते हुए मनु का दोस्त हंसने लगा.  मनु के धंधे में जितने भी लोग जुड़े हुए थे, उन से मनु के दोस्त की तरह ही संबंध रहते थे. मुन्ना भी उस के खास दोस्तों में से एक था. एक दिन मुन्ना दिल्ली के कनाट प्लेस में स्थित एक छोटे से रेस्टोरेंट में अपने दोस्त अमित के साथ डिनर कर रहा था. अमित केरल का रहने वाला था. वह किसी काम से दिल्ली आया था. उसी दौरान अमित ने उस से कहा, ‘‘यार, मुझे मिनिस्ट्री से एक प्रोजैक्ट पास कराना है.’’

मुन्ना ने उसे आश्वासन दिया था, ‘‘तू चिंता क्यों कर रहा है, हो जाएगा. क्योंकि मिनिस्ट्री में मेरी अच्छी जानपहचान है. मैं तेरा काम करा दूंगा.’’ मुन्ना ने भरोसा दिया.

‘‘जितनी जल्द हो सके, करा दे. वैसे एक बात बताऊं, जिस अधिकारी के हाथ में मेरा काम है, वह अय्याश किस्म का है. इसलिए उस के लिए शराब के साथसाथ कुछ और शबाब का इंतजाम भी करना होगा.’’

‘‘अभी तेरे सामने बात करता हूं.’’ यह कहते हुए मुन्ना ने बाएं हाथ से टेबल पर रखे अपने मोबाइल से एक नंबर पर काल लगाई. वह नंबर मनु का था. काल रिसीव होने के बाद तुरंत स्पीकर औन कर दिया.  बोला, ‘‘हैलो मुन्ना भाई, कैसे हो?’’

उधर से आवाज आई, ‘‘अरे भाई तुम्हें मैं ने कितनी बार समझाया है स्पीकर औन कर बातें मत किया करो.’’

‘‘सौरी यार, दरअसल खाना खा रहा था.’’ इसी के साथ मुन्ना ने स्पीकर बंद किया और बाएं हाथ से ही फोन को कान से लगा लिया.

‘‘अरे मैं पूछ रहा था कि तुम्हारा बार में पार्टी वाला काम शुरू हुआ या नहीं?’’

‘‘बस, एक दिन और इंतजार कर लो.’’

‘‘एक क्लाइंट से एडवांस ले लूं. हम 3 लोग रहेंगे. बाकी सब ठीक है न.’’ मुन्ना बोला.

‘‘उसे रेडी कर ले. बाकी बाद में बात करता हूं.’’ मनु ने कहा.

मनु की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद मुन्ना अमित को देख कर बोला, ‘‘लीजिए, मैं ने आधे मिनट में इंतजाम कर दिया, और बोलो.’’

सब कुछ सही चलने लगा. उस ने बर्थडे पार्टी के नाम पर ग्राहकों को हुक्का, शराब और डांस के नाम पर बुलाना शुरू कर दिया था. बार में कुछ लड़कियों को देह दिखाने वाली ड्रैस पहना कर शराब परोसने के लिए लगा दिया गया था, जबकि कुछ लड़कियां म्यूजिक की धुन पर डांस करती थीं. इस के लिए बाकायदा डांसिंग फ्लोर बनाई थी. चारों तरफ से डांसर पर रंगीन रोशनियां बरस रही थीं, उस में लड़कियों के उभार, सुडौल जांघें, चिकनी कमर, अधखुली पीठ, सपाट पेट की नाभि की झलक दिख जाती थी.  एकदो लड़कियों ने नाभि पर झुमकेनुमा जेवर लटका रखे थे. लड़कियां बीचबीच में उस की ओर अंगुली से अश्लील इशारे कर शराब पी रहे ग्राहकों को बुला लेती थीं.

2 सितंबर, 2021 को भी सामने की दीवार पर बड़ेबड़े उभरे सुनहरे अक्षरों में ‘हैप्पी बर्थडे’ लिखा हुआ था, लेकिन जन्मदिन किस का था, पता नहीं. कहीं किसी भी टेबल पर केक काटे जाने का नामोनिशान भी नहीं था. उस की जगह हुक्के जरूर रखे थे. टेबल के चारों ओर 2-3 की संख्या मे बैठे ग्राहक हुक्के की पाइप एकदूसरे के साथ शेयर कर रहे थे. बीचबीच में शराब परोसने वाली लड़कियां वहां से गुजर जाती थीं. कुछ समय बाद कुछ ग्राहक भी डांसिंग फ्लोर पर पहुंच चुके थे. उन के आते ही एक लड़की ने अपनी मादक अदा से नाचना शुरू कर दिया था.

एक ग्राहक उस की कमर में हाथ डालने वाला ही था कि दूसरी लड़की ने उस का हाथ पकड़ कर प्यार से अपने चारों ओर घुमा लिया. कुल मिला कर पूरा दृश्य किसी 80-90 के दशक की फिल्मों जैसा ही दिख रहा था. इस पार्टी की बात यहीं खत्म नहीं हुई. इस की भनक कृष्णानगर थाने के ड्यूटी औफिसर एसआई इमरोज को भी लग गई थी. उन्हें पता चला कि लाल क्वार्टर मार्केट में कुछ लड़के और लड़कियां शराब की पार्टी कर रहे हैं. ड्यूटी औफिसर ने यह जानकारी थानाप्रभारी रजनीश कुमार को दी. चूंकि मामला गंभीर था, इसलिए थानाप्रभारी ने एसीपी डा. चंद्रप्रकाश को भी इस से अवगत करा दिया.

इस के बाद थानाप्रभारी रजनीश कुमार एसआई नरेश कुमार, जयदीप, अरुण भाटी आदि के साथ रेस्टोरेंट पहुंच गए. उन्होंने देखा कि रेस्टारेंट के फर्स्ट फ्लोर पर कुछ लड़केलड़कियां एक साथ बैठे थे. एक बार काउंटर लगा था. कुछ लोग शराब पी रहे थे. टेबलों पर हुक्के भी रखे हुए थे. और लोग उस की पाईप से कश लगा रहे थे. कुछ लोगों से पूछने पर उन्होंने बताया कि वे पार्टी सेलिब्रेट करने आए थे. वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे थे. लेकिन डांस करती लड़कियां, हुक्के और शराब कुछ और ही कहानी बयां कर रही थीं.

इस के बाद रेस्टोरेंट में पुलिस टीम ने छापेमारी कर दी. छापेमारी में अवैध रूप से शराब व हुक्के की पार्टी का गंभीर मामला सामने आया. पुलिस ने मौके से हुक्के और शराब की बोतलें बरामद कीं. साथ ही संचालक और कर्मचारियों के साथ ही मौके पर मौजूद कुल 32 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जिन में 8 लड़कियां थीं. पुलिस सभी को थाने ले आई. उन से की गई पूछताछ में पता चला कि संचालक मनु अग्निहोत्री ने पार्टी दी थी, जिस में कर्मचारी और उस के जानकार शामिल हुए थे. पुलिस ने वहां से भारी मात्रा में शराब की बोतलें, हुक्के आदि बरामद किए. इस की सूचना पुलिस को रात के 2 बजे मिली थी. इन में से कोई भी कोरोना नियमों का पालन नहीं कर रहा था. किसी के चेहरे पर मास्क नहीं था.

पुलिस के अनुसार, संचालक मनु से शराब परोसने, हुक्का बार चलाने का लाइसैंस और देर रात तक पार्टी का अनुमति पत्र दिखाने को कहा गया तो उस के पास ये दस्तावेज नहीं थे. इस के बाद पुलिस ने रेस्तरां में मौजूद सभी लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 188, 269, 270, 285 के तहत गिरफ्तार कर सभी 32 लोगों के कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. बताया जाता है कि मनु अग्निहोत्री के दिल्ली के पहाड़गंज और कनाट प्लेस में कई रेस्तरां हैं. Delhi News

Extramarital Affair : पत्नी को फोन पर बॉयफ्रेंड से बातें करते पकड़ा तो पेचकस से कर दी हत्या

Extramarital Affair : 25 सितंबर, 2017 को सुबह के कोई 10 बजे तिमारपुर थाने के ड्यूटी औफिसर को सूचना मिली कि वजीराबाद में गली नंबर-6 में राजकुमार के मकान में एक लड़की की हत्या हो गई है. इस सूचना पर सबइंसपेक्टर मनीष कुमार कांस्टेबल धर्मेंद्र के साथ वजीराबाद में राजकुमार के मकान पर पहुंच गए. वहां कुछ लोग खड़े आपस में बातचीत कर रहे थे.

पुलिस को आया देख सब ने उन्हें अंदर जाने का रास्ता दे दिया. सबइंसपेक्टर मनीष कुमार कांस्टेबल के साथ मकान में पहुंचे तो वहां ड्राइंगरूम के आगे लौबी में एक औरत की लाश पड़ी थी. उस के मुंह में सफेद रंग का कपड़ा ठूंसा हुआ था. गले पर धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. पास में एक चाकू भी पड़ा था. पुलिस ने अनुमान लगाया कि इसी चाकू से उसे घायल किया होगा. पास में रखी वाशिंग मशीन के ऊपर एक पेचकस भी पड़ा हुआ था, जिस पर खून लगा था.

एसआई मनीष कुमार जब घर का निरीक्षण करते हुए बाथरूम की तरफ गए तो बाथरूम में भी एक लड़की की लाश मिली. उस के गले पर भी धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. घर में 2-2 लाशें मिलने पर वह हैरान रह गए.

मामले की गंभीरता को समझते हुए एसआई मनीष कुमार ने इस मामले की जानकारी थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिन्हा को देने के बाद सूचना क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम और एफएसएल टीम को भी दे दी.

पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि मरने वालों में एक मकान मालिक राजकुमार यादव की बेटी सोनी तथा दूसरी उस के भांजे मोहित की पत्नी प्रेमलता है. इसी दौरान थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिन्हा, एसआई हरेंद्र कुमार और कांस्टेबल सुनील व विनोद के साथ वहां पहुंच गए.

एसआई मनीष कुमार ने उन्हें सारे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी. इसी बीच क्राइम टीम और एफएसएल की टीम भी वहां आ गई. क्राइम टीम ने मौके के साक्ष्य उठाए और घटनास्थल की फोटोग्राफी की.

थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिन्हा ने लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि प्रेमलता अपने पति मोहित के साथ 8-9 दिन पहले ही सोनी की देखभाल करने के लिए यहां आई थी. पता चला कि सोनी के पिता राजकुमार यादव 2 दिन पहले अपने बेटे के साथ कानपुर स्थित अपने रिश्तेदार के यहां सगाई कार्यक्रम में गए हुए हैं. घर पर केवल सोनी, प्रेमलता और प्रेमलता का पति मोहित ही थे.

सोनी और प्रेमलता की हत्या हो चुकी थी और मोहित घर से फरार था. उस का फोन नंबर मिलाया गया तो फोन भी स्विच्ड औफ मिला. इस से पुलिस को उसी पर शक होने लगा. थानाप्रभारी ने सोनी के पिता राजकुमार को भी फोन कर के घटना की जानकारी दे दी. ड्राइंगरूम में बाईं ओर बैड के नीचे शराब की बोतल, बीयर की एक कैन और ग्रे रंग का एक बैग मिला. बैडरूम में टूटे हुए 2 मोबाइल फोन मिले, जिस में एक मोबाइल पर थोड़ा सा खून भी लगा था.

पुलिस ने सारे सबूत अपने कब्जे में ले लिए. फिर मौके की काररवाई पूरी कर के दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी मोर्चरी भेज दीं. इस के बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर आगे की काररवाई शुरू कर दी. आगे की जांच इंसपेक्टर संजीव वर्मा के हवाले कर दी. जांच हाथ में आते ही इंसपेक्टर संजीव वर्मा ने राजकुमार यादव को फोन किया तो उन्होंने बताया कि वह कानपुर से दिल्ली के लिए निकल चुके हैं. इस के बाद राजकुमार ने फरार हुए अपने भांजे का मोबाइल नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला.

मोहित के फरार होने से साफ लग रहा था कि उसी ने इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया है. राजकुमार ने एसआई मनीष कुमार को मोहित का मोबाइल नंबर दे दिया तब उन्होंने उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगाने के बाद उस की काल डिटेल्स निकलवा ली. मोहित के फोन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो उस की पहली लोकेशन कश्मीरी गेट बसअड्डे की मिली. इस बीच राजकुमार यादव भी कानपुर से वजीराबाद स्थित अपने घर लौट आए. वह सीधे तिमारपुर थाने पहुंचे. बेटी और भांजे की पत्नी की हत्या पर उन्हें गहरा दुख हुआ. इंसपेक्टर संजीव वर्मा ने उन से कुछ देर बात की.

राजकुमार ने बताया कि मोहित उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के गांव पंचलखा का रहने वाला है. उस की तलाश के लिए इंसपेक्टर संजीव वर्मा राजकुमार को साथ ले कर उस के गांव के लिए निकल गए. वह रास्ते में ही थे कि उसी दौरान थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिन्हा ने उन्हें फोन कर के जानकारी दी कि मोहित के फोन की लोकेशन उस के गांव की ही आ रही है. इस से स्पष्ट था कि वह पुलिस से बचने के लिए अपने गांव पहुंच गया है.

देर रात को दिल्ली पुलिस टीम स्थानीय पुलिस को साथ ले कर मोहित के गांव पंचलखा पहुंच गई. पर उस के घर पर ताला बंद मिला. तब पुलिस ने उसे और भी कई जगहों पर खोजा पर उस का पता नहीं लगा. सुबह करीब 6 बजे गांव वालों से पुलिस को पता चला कि मोहित ने अपने ताऊ के ट्यूबवैल पर आत्महत्या कर ली है. वह ट्यूबवैल वहां से 2 किलोमीटर दूर गांव सट्टी के खेतों में था. दिल्ली पुलिस वहां पहुंची तो वह ट्यूबवैल की कोठरी के भीतर लटका हुआ मिला. वह अपनी पैंट गले में बांध कर लटक गया था. उस के कपड़ों पर खून लगा हुआ था और एक हाथ की नस भी कटी हुई थी. वहीं पर एक ब्लेड भी पड़ा मिला.

आत्महत्या की बात सुन कर मोहित के घर वाले भी वहां पहुंच गए. स्थानीय पुलिस ने जरूरी काररवाई कर उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. दिल्ली पुलिस की टीम जिस मकसद से वहां गई थी, वह पूरा नहीं हो सका. दिल्ली पुलिस ने मोहित के घर वालों से बात की और दिल्ली लौट आई. राजकुमार और मोहित के घर वालों से बात करने के बाद इस मामले की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली.

उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद में राजकुमार यादव का एक 5 मंजिला मकान है, जिस में वह अपने परिवार के साथ रहते हैं. कुछ साल पहले राजकुमार की पत्नी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. अब उन के परिवार में एक बेटी सोनी और बेटा साहिल ही थे. वह अपने बच्चों के साथ ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे. उन्होंने ऊपर की मंजिलें किराए पर उठा रखी थीं. किराए से उन्हें अच्छीखासी रकम मिल जाती थी, जिस से घर का गुजारा बड़े आराम से चल जाता था.

घटना से करीब 10 दिन पहले सोनी का पथरी का औपरेशन हुआ था. चूंकि ऐसे समय में उस की देखभाल के लिए घर में कोई महिला नहीं थी, इसलिए राजकुमार ने अपने भांजे मोहित तथा उस की पत्नी प्रेमलता को सोनी की देखभाल के लिए दिल्ली बुला लिया. मोहित उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के गांव पंचलखा में रहता था. घटना से 2 दिन पहले राजकुमार अपने बेटे साहिल के साथ कानपुर स्थित अपने एक रिश्तेदार के यहां सगाई कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. घर पर सोनिया, मोहित और उस की पत्नी प्रेमलता ही रह गए थे.

12वीं पास मोहित की शादी साढ़े 3 महीने पहले एमए पास प्रेमलता के साथ सामाजिक रीतिरिवाज से हुई थी. प्रेमलता उस से ज्यादा पढ़ीलिखी थी इसलिए वह उसे ज्यादा अहमियत नहीं देती थी. पत्नी के इसी व्यवहार की वजह से उस की उस से कहासुनी होती रहती थी. वह अपना पत्नीधर्म भी नहीं निभा रही थी. पति की इच्छा को दरकिनार कर वह कभी सिरदर्द का बहाना बना देती तो कभी कुछ और. मोहित को उस की हरकतें नागवार लगतीं.

पत्नी के चालचलन को देख कर मोहित को उस पर शक होने लगा. वह किसी से फोन पर भी काफी देर तक बातें करती रहती थी. जब वह पूछता कि किस से बात करती है तो वह कोई न कोई बहाना बना देती थी. इस से मोहित को विश्वास हो गया कि जरूर किसी न किसी के साथ इस का चक्कर चल रहा है. जब किसी इंसान के दिमाग में कोई शक बैठ जाता है तो वह आसानी से दूर नहीं हो पाता बल्कि बढ़ता ही जाता है. मोहित अब यह पता लगाने में जुट गया कि आखिर वह कौन है, जिस की वजह से उस के घर में कलह होती है.

एक दिन उस ने पत्नी का फोन चैक किया तो उस ने वह नंबर हासिल कर लिया, जिस पर वह घंटों तक बातें करती थी. वह नंबर आगरा के किसी व्यक्ति का था. किसी तरह से मोहित ने आखिर पता लगा ही लिया कि उस व्यक्ति से प्रेमलता का आज से नहीं बल्कि करीब 4 साल पहले से अफेयर चल रहा है. मोहित को अब पता चला कि इसी वजह से पत्नी उसे नहीं चाहती. मोहित ने ये बातें अपने घर वालों तक को बता दीं. मोहित पत्नी को समझाने की बहुत कोशिश करता लेकिन वह उस की बातों को एक तरह से अनसुना कर देती थी. जिस से उन के संबंध असामान्य बनते चले गए. इसी बीच उन के दिल्ली के वजीराबाद में रहने वाले मामा राजकुमार ने सोनी की देखभाल के लिए उस की पत्नी प्रेमलता को बुलाया तो वह पत्नी को ले कर मामा के यहां दिल्ली आ गया.

सोनी और प्रेमलता में गहरी छनती थी, इसलिए प्रेमलता के आने पर वह बहुत खुश हुई. दोनों ननदभाभी खाली समय में हंसीठिठोली करते रहते. लेकिन मोहित पत्नी की बेवफाई से इतना आहत था कि यहां आ कर भी उस के दिलोदिमाग पर प्रेमलता की बदचलनी की बात हावी रहती. जिस की वजह से वह अधिकतर समय शराब के नशे में डूबा रहने लगा. दिल्ली में भी मौका मिलने पर प्रेमलता अपने प्रेमी से बात करती रहती. और तो और उस ने दिल्ली में भी पति को लिफ्ट नहीं दी. वह उसे अपने पास तक नहीं फटकने देती.

पुलिस के अनुसार घटना वाले दिन भी रात को मोहित ने पहले शराब पी होगी. संभव है कि इसी दौरान प्रेमलता मोबाइल पर अपने प्रेमी से बातें कर रही हो. पत्नी को फोन पर बातें करते देख कर मोहित को गुस्सा आ गया होगा. इस के बाद उस ने किचन के चाकू और पेचकस से उस पर हमला कर दिया होगा. शोर सुन कर उस समय सोनी वहां आई होगी तो उस ने उस की भी हत्या कर डाली. क्योंकि कभीकभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि व्यक्ति एक हत्या के चक्कर में कई हत्याएं कर बैठता है.

पुलिस ने प्रेमलता के मोबाइल नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवा कर अध्ययन किया तो उस में एक नंबर ऐसा मिला जिस पर वह ज्यादा देर तक बातें करती थी. यह नंबर आगरा के उस के प्रेमी का ही निकला. बहरहाल, मोहित की आत्महत्या और 2 हत्याओं का अध्याय बंद हो गया, जिस से 3 परिवारों की जिंदगियां प्रभावित हो गईं. Extramarital Affair

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित