Love Crime : पिता ने बेटी के प्रेमी के सीने में मारी गोली

Love Crime : अमित और बेबी का परचून की दुकान से शुरू हुआ प्यार पूरे गांव में आम हो गया था. दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन जाति की दीवार ने ऐसा रंग दिखाया कि दोनों के खून के छींटे पूरे गांव में फैल गए…

उत्तर प्रदेश के शहर बरेली का एक थाना है बिशारतगंज. इस्माइलपुर गांव इसी थाना क्षेत्र में आता है. गुड्डू अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा बेटी बेबी और एक बेटा प्रकाश था. बेटी बीए फाइनल में पढ़ रही थी. गुड्डू खेतीकिसानी करता था. इसी से उस के परिवार की गुजरबसर होती थी. बेबी के घर के पास गांव के 22 वर्षीय अमित गुप्ता की किराने की दुकान थी. बेबी घर का खानेपीने का सामान अमित की दुकान से लाती थी. इसी आनेजाने में वह मन ही मन अमित को पसंद करने लगी थी. लेकिन उस ने अपने मन की बात अमित पर जाहिर नहीं होने दी थी.

अमित के पिता रामकुमार का कई साल पहले निधन हो गया था, मां अभी थी. भाईबहनों से उस का परिवार भरा पूरा था. अमित का पढ़ाई में मन नहीं लगा तो उस ने परचून की दुकान खोल ली थी. एक दिन बेबी जब अमित की दुकान पर पहुंची, तो वहां उस के अलावा कोई ग्राहक नहीं था. सौदा लेने के बाद चलते समय उस ने अमित से कहा, ‘‘तुम बहुत सुंदर हो.’’

अकसर ऐसी प्यार भरी बातें चाहने वाले लड़के अपनी प्रेमिका से कहते हैं. जबकि यहां यह बात एक युवती कह रही थी. सुन कर अमित के शरीर में सिहरन सी दौड़ गई. उस ने भी मुसकरा कर कह दिया, ‘‘अच्छा…’’

और बेबी शरमा कर वहां से चली गई. दुकान पर आतेजाते उसे अमित अच्छा लगने लगा था. काफी दिनों तक तो उस ने अपने दिल पर काबू रखा था. लेकिन उस दिन उस ने हिम्मत कर के अमित से सुंदर लगने वाली बात कह ही दी थी. अब बेबी इसी ताक में रहने लगी कि जब अमित की दुकान पर कोई ग्राहक न हो तभी सामान लेने जाए. एक दिन उसे यह मौका मिल गया. सामान लेते समय अमित ने उस का हाथ पकड़ कर पूछा, ‘‘उस दिन तुम क्या कह रही थीं?’’

‘‘कुछ भी तो नहीं,’’ बेबी ने भोली बन कर हंसते हुए कहा, ‘‘तुम सच में बड़े भोले हो, तुम्हारी यह अच्छाई मुझे बहुत पसंद है.’’

अपनी प्रशंसा सुन कर अमित खुश हो गया. वह बोला, ‘‘बेबी तुम भी बहुत अच्छी लगती हो मुझे. जब भी तुम आती हो मेरे दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं.

‘‘अच्छा…’’ इतना कह कर बेबी मुसकराती हुई वहां से चली गई.

बेबी और अमित करीबकरीब हमउम्र थे. दोनों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ता गया और नजदीकियां सिमटती गईं. अमित जब भी बेबी को देखता, खुशी के मारे उस का दिल बागबाग हो उठता. बेबी भी अमित को देख कर खुश हो जाती थी. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. जब तक दोनों एकदूसरे को देख नहीं लेते, दिलों को चैन नहीं मिलता था. दोनों के इस प्रेमप्रसंग की किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी. यहां तक कि उन के घर वालों तक को भी नहीं. बाद में दोनों दुकान के अलावा चोरीछिपे भी मिलने लगे. हालांकि दोनों की जाति अलगअलग थी, इस के बावजूद उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था. एक बार बेबी ने अमित से पूछ लिया, ‘‘अमित, वैसे तो मैं जातपात में विश्वास नहीं करती, पर समाज से डर कर तुम मुझे कहीं भूल तो नहीं जाओगे?’’

इस पर अमित ने उस के होंठों पर हाथ रख कर चुप कराते हुए कहा, ‘‘बेबी, अगर हमारा प्यार सच्चा है तो चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हम जुदा नहीं होंगे.’’

दोनों ने फैसला किया कि एकदूसरे के लिए ही जिएंगे. आखिर किसी तरह बेबी के घर वालों को पता चल गया कि उन की बेटी का गांव के ही दूसरी जाति के युवक से प्रेमप्रसंग चल रहा है. इस से घर वालों की चिंता बढ़ गई. गुड्डू ने पत्नी से कहा कि वह बेटी पर ध्यान दे. उस के पांव बहक रहे हैं. हाथ से निकल गई या कोई ऊंचनीच कर बैठी तो समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. उसे अमित के करीब जाने से मना कर दे. बेबी की मां ने समझदारी दिखाते हुए यह बात बेटी को सीधे तरीके से न कह कर अप्रत्यक्ष ढंग से समझाई. वह जानती थी कि बेटी सयानी हो चुकी है. सीधेसीधे बात करने से उसे बुरा लग सकता था. वैसे भी बेबी जिद्दी स्वभाव की थी, जो मन में ठान लेती थी, उसे पूरा करती थी.

बेबी अपनी मां की बात को अच्छी तरह समझ गई थी कि वह क्या कहना चाहती है. लेकिन उस के सिर पर अमित के इश्क का भूत सवार था. उसे अमित के अलावा किसी और की बात समझ में नहीं आती थी. उस ने मां से साफसाफ कह दिया कि वह अमित से प्यार करती है और शादी भी  उसी से करेगी. अमित और बेबी जान चुके थे कि उन के प्यार के बारे में दोनों के घर वालों को पता लग चुका है. दोनों परिवार इस रिश्ते को किसी भी तरह स्वीकार नहीं करेंगे, इस बात को ले कर अमित काफी परेशान रहने लगा था. बेबी किसी भी तरह अपने मांबाप की बात मानने को तैयार नहीं हुई. अमित और बेबी के प्रेम प्रसंग के चर्चे अब गांव में भी होने लगे थे. बात जब हद से आगे निकलने लगी तो गुड्डू ने बिरादरी में होने वाली बदनामी से बचने के लिए अपने चचेरे भाई सचिन से इस संबंध में बात की.

निर्णय लिया गया कि बिना देरी किए बेबी के लिए लड़का तलाश कर उस के हाथ पीले कर दिए जाएं. इस की भनक जब बेबी को लगी तो उस ने विरोध किया. उस ने कह दिया कि अभी वह पढ़ रही है. पढ़ाई पूरी नहीं हुई है. इसलिए शादी नहीं करेगी. वह पढ़ाई कर के नौकरी करना चाहती है. लेकिन चाचा सचिन ने उस की बात का विरोध करते हुए कहा, ‘‘पढ़ाई का शादी से कोई संबंध नहीं होता. पढ़ने से तुम्हें ससुराल में भी कोई नहीं रोकेगा.’’

घर वालों ने भागदौड़ कर बदायूं के दातागंज में बेबी की शादी तय कर दी. एक माह बाद यानी 16 जून, 2020 को गांव में बेबी की बारात आनी थी. जब अमित को इस बात का पता चला, तो उस का दिल टूट गया. उस ने बेबी के साथ भविष्य के जो सपने संजोए थे, बिखरते दिखे. एक दिन अमित बेबी के घर जा पहुंचा. उस ने बेबी के घर वालों को बताया कि वह और बेबी एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. घर में मौजूद बेबी ने भी अमित के अलावा किसी दूसरे के साथ शादी करने से इनकार कर दिया. लेकिन बेबी के घर वालों के सामने अमित और बेबी की एक नहीं चली. घर वालों ने अमित से बेबी की शादी से साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा कि बेबी की शादी अपनी जाति के लड़के से ही करेंगे.

बेबी की शादी में मात्र 2 दिन शेष रह गए थे. 2 दिन बाद प्रेमिका के घर शहनाइयां बजने वाली थीं. अमित को कुछ सूझ नहीं रहा था. उस की हालत पागलों जैसी हो गई थी. अमित की दुकान भी कई दिनों से बंद थी. उस का मन बेबी में अटका हुआ था. वह किसी तरह एक बार बेबी से मिल कर दिल की बात कहना चाहता था. लेकिन बेबी पर उस के घर वालों का कड़ा पहरा था. बेबी के परिवार में खुशियों का माहौल था. शादी की तैयारियों में घर वालों के साथसाथ रिश्तेदार व गांव के परिचित भी लगे हुए थे. 14 जून की सुबह 5 बजे बेबी अपनी बुआ, तहेरी बहन और ताई के साथ खेतों की ओर निकली.

आधे घंटे बाद बेबी खेत से घर लौट रही थी. वह अपने घर के दरवाजे के पास पहुंची तभी अमित आ गया. उस ने बेबी से साथ चलने को कहा. पर बेबी ने उस के साथ जाने से मना कर दिया. अमित ने अपने प्यार की दुहाई दी, लेकिन बेबी पर कोई असर नहीं हुआ. इस से अमित आपा खो बैठा और साथ लाए तंमचे से बेबी के ऊपर फायर कर दिया. गोली बेबी की कमर व बांह में लगी, वह चीख कर वहीं गिर पड़ी. बेबी को गोली मारने के बाद अमित तमंचा लहराता हुआ गांव के बाहर भागा. कुछ देर बाद पता चला कि अमित ने बेबी के घर से लगभग 400 मीटर दूर ग्राम प्रधान के घर के पास खाली मैदान में खुद को गोली मार ली है.

सुबहसुबह गांव में गोली चलने की आवाज सुन कर गांव वाले एकत्र हो गए. अमित की रक्तरंजित लाश देख कर गांव में हड़कंप मच गया, जिस ने भी यह दृश्य देखा वह सन्न रह गया. किसी ने अमित के घर वालों को घटना की जानकारी दे दी. जानकारी मिलते ही अमित के घर वाले घटनास्थल की ओर दौड़े, अमित के सीने में गोली लगी थी. उस की मौत हो चुकी थी. लाश के पास ही तमंचा पड़ा था. अमित की मौत की खबर सुन कर उस की मां रोतेरोते बेहोश हो गई. चौकीदार नत्थूलाल की सूचना पर थाने से पुलिस टीम के साथ एसआई खेम सिंह गांव इस्माइलपुर पहुंच गए. गांव की सीमा पर भीड़ जुटी थी.

एसआई ने मैदान में युवक की लाश के पास सिपाही तैनात करने के साथ ही घायल बेबी को एंबुलेंस से मझगवां अस्पताल भिजवाया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. इस बीच जानकारी होने पर थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह व सीओ आंवला रामप्रकाश भी घटनास्थल पर पहुंच गए. थानाप्रभारी ने पुलिस के आला अधिकारियों को भी घटना की जानकारी दे दी. इस पर एसएसपी शैलेश पांडेय व एसपी (देहात) संसार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया गया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. साथ ही गांव वालों से पूछताछ भी की. मृतक व घायल युवती के घर वालों से भी घटना के संबंध में जानकारी हासिल की गई.

युवक के घर वालों ने जहां युवती के घर वालों पर औनरकिलिंग का आरोप लगाया, वहीं युवती के घर वालों ने बताया कि मृतक ने हमारी बेटी को गोली मार कर घायल किया और फिर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली. पुलिस ने मौकाएवारदात से 312 बोर का एक तमंचा बरामद किया. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. फोरैंसिक टीम ने भी युवती के दरवाजे के पास से व युवक की लाश के आसपास जांच कर आवश्यक साक्ष्य जुटाए. बेबी की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जिला अस्पताल से एक निजी मिशन अस्पताल में ले जाया गया. इस सनसनीखेज घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति बन गई थी. इसे देखते हुए गांव में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई.

पुलिस भले ही प्रेमिका को गोली मार कर प्रेमी द्वारा खुदकुशी करने की बात कह रही थी, लेकिन गांव के बहुत से लोगों के गले यह बात नहीं उतर रही थी. उन का कहना था कि यदि अमित अपनी प्रेमिका को गोली मार कर उस के साथ अपना भी जीवन खत्म करना चाहता था तो उस ने खुदकुशी करने के लिए वहां से लगभग 400 मीटर दूर जगह क्यों चुनी. दूसरी बात खुदकुशी करने वाला तमंचे से गोली अकसर अपनी कनपटी पर मारता है, जबकि अमित के सीने में गोली लगी थी. तमंचा उस के शव से 3 मीटर दूर पड़ा मिला. वहीं खोखा भी एक ही मिला, जबकि गोली 2 चली थीं. गांव में प्रेमप्रसंग में हत्या किए जाने का शक जाहिर किया जा रहा था.

बेबी की मां का कहना था कि प्रेम प्रसंग नहीं था. उन की बेटी व मृतक की बहन पक्की सहेली थीं. नौकरी के लिए फार्म भरने को बेटी ने उसे अपने प्रमाणपत्र दिए थे. मृतक की बहन अब उन्हें नहीं लौटा रही थी. जिन्हें न देने की वजह से दोनों परिवारों में तनातनी थी. बेबी अमित से प्यार नहीं करती थी. अमित की मां के अनुसार युवती की शादी तय हो जाने व उस के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगाने से अमित मानसिक रूप से परेशान था. कुछ दिन पहले उस ने नींद की गोलियां खा कर भी जान देने की कोशिश की थी. वह बेबी से शादी करना चाहता था. लड़की भी अमित से शादी की जिद पर अड़ी थी. उस के घर वालों ने धमकी दी थी कि तुझे और अमित दोनों को मार देंगे. इस के बाद भी लड़की नहीं मान रही थी.

मां ने बताया कि सुबह अमित के पास वीरपाल प्रधान का फोन आया था. वह उसे बुला रहे थे, वह उसी समय घर से चला गया था. इस के बाद यह घटना हो गई. वहीं पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे अमित के बड़े भाई राजबाबू के अनुसार अमित पिछले 2 साल से बेबी के संपर्क में था, 3 माह पूर्व दोनों ने गुपचुप तरीके से कोर्टमैरिज कर ली थी. इस बात की जानकारी घटना से कुछ दिन पहले ही अमित ने घर वालों को दी थी. लेकिन हम ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया था. उधर युवती भी दूसरी जगह शादी नहीं करना चाहती थी. वह भी अमित से शादी की जिद पर अड़ी थी. उस ने अपने घर वालों से कह दिया था कि बारात लौटा दो. यह जानकारी मिलने पर बेबी के घर वालों ने प्रधान से साजिश कर पहले अपनी बेटी और फिर उस के भाई को गोली मार दी.

शाम को पोस्टमार्टम के बाद अमित के घर वालों ने मझगवां-आंवला मार्ग पर उस का शव रख कर हंगामा किया. घर वालों का आरोप था कि अमित की हत्या बेबी के घर वालों ने की है. पुलिस उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है. सूचना पर मौके पर पहुंचे एसडीएम कमलेश कुमार सिंह व सीओ रामप्रकाश ने उन्हें समझाया, लेकिन जब वे नहीं माने तब हलका बल प्रयोग कर उन्हें वहां से हटा दिया. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में अमित द्वारा सल्फास खाने की भी पुष्टि हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक गोली ऐन दिल पर लगी थी, छर्रे आसपास भी धंसे थे. घायल युवती के पिता गुड्डू ने थाने में मृतक अमित व उस के भाइयों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई.

बेबी के पिता की तहरीर पर पुलिस ने आत्महत्या करने वाले प्रेमी अमित सहित उस के भाइयों राजबाबू, अजय, सुमित, कल्लू व विनोद गुप्ता के खिलाफ जान से मारने की नीयत से हमला करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली. वहीं एसआई खेम सिंह की ओर से भी मृतक पर अवैध तमंचा रखने तथा खुदकुशी करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया. रिपोर्ट में मृतक पर एकतरफा प्यार करने का भी आरोप लगाया गया था.

इस तरह एक प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत हो गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Family Dispute : आधी रात को इंसपेक्टर ने पत्नी का गला घोंट कर मार डाला.

Family Dispute : स्वीटी से लवमैरिज करने के बाद इंसपेक्टर अजय देसाई ने पूजा नाम की युवती से विवाह कर लिया था. एक म्यान में भला 2 तलवारें कैसे रह सकती हैं. दूसरी शादी की बात पता चलने पर स्वीटी ने घर में विवाद शुरू कर दिया. इस विवाद से निजात पाने के लिए इंसपेक्टर अजय ऐसा काम कर बैठा कि…

इसी 5 जून की बात है. गुजरात के पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई ने अपने साले जयदीप भाई पटेल को मोबाइल पर फोन कर पूछा, ‘‘भैयाजी, स्वीटी आप के पास आई है क्या?’’

जयदीप ने चौंकते हुए कहा, ‘‘नहीं जीजाजी, स्वीटी तो यहां नहीं आई, लेकिन बात क्या है?’’

‘‘दरअसल, स्वीटी रात एक बजे से आज सुबह साढ़े 8 बजे के बीच घर से कहीं चली गई. वह अपना मोबाइल भी घर पर ही छोड़ गई है.’’ अजय ने जयदीप को बताया.

‘‘जीजाजी, आप ने स्वीटी से कुछ कहा तो नहीं या घर में कोई झगड़ा वगैरह तो नहीं हुआ था?’’ जयदीप ने चिंतित स्वर में अजय से पूछा.

‘‘अरे नहीं यार, न तो घर में कोई झगड़ा हुआ और न ही मैं ने उस से कुछ कहा.’’ अजय ने अपने साले के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘वह बिना किसी को बताए पता नहीं कहां चली गई?’’

‘‘जीजाजी, मेरा भांजा अंश कहां है?’’ जयदीप ने अजय से पूछा. अंश स्वीटी का 2 साल का बेटा था.

‘‘यार, वह उसे भी घर पर ही छोड़ गई है. मुझे चिंता हो रही है कि वह अकेली कहां चली गई.’’ अजय ने कहा, ‘‘अंश अपनी मां के बिना रह भी नहीं रहा. वह लगार रो रहा है.’’

जयदीप कुछ समझ नहीं पाया कि उस की बहन स्वीटी अचानक कैसे अपने घर से बिना किसी को बताए कहीं चली गई. उस ने अजय से कहा, ‘‘जीजाजी, आप तो पुलिस में इंसपेक्टर हैं. स्वीटी का पता लगाइए. मैं भी पता करता हूं.’’

‘‘ठीक है, कुछ पता चले, तो बताना.’’ अजय ने यह कह कर फोन काट दिया. बहन स्वीटी के अचानक इस तरह गायब होने की बात सुन कर जयदीप परेशान हो गया. उस ने अपने कुछ रिश्तेदारों को फोन कर स्वीटी के बारे में पूछा, लेकिन उस का कहीं से कुछ पता नहीं चला. अजय देसाई गुजरात के वडोदरा शहर में करजण इलाके की प्रयोशा सोसायटी में रहता था. वह गुजरात पुलिस में इंसपेक्टर था. अजय ने स्वीटी पटेल से 2016 में लव मैरिज की थी. उन की मुलाकात अहमदाबाद के एक स्कूल में 2015 में हुई थी. उस स्कूल में तब माइंड पौवर नामक एक कार्यक्रम हुआ था. इसी कार्यक्रम में अजय और स्वीटी की मुलाकात हुई. दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए.

स्वीटी अजय की प्रतिभा पर रीझ गई थी और अजय उस की खूबसूरती पर फिदा हो गया था. दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं. करीब एक साल तक प्रेम प्रसंग के बाद दोनों ने साथ रहने का फैसला किया और 2016 में एक मंदिर में शादी कर ली. स्वीटी की इस से पहले एक शादी हो चुकी थी. उस का पहला पति हेतस पांड्या आस्ट्रेलिया में रहता है. बताया जाता है कि हेतस पांड्या भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हार्दिक पांड्या का रिश्ते का भाई है. हेतस पांड्या से शादी के बाद स्वीटी के एक बेटा रिदम हुआ. अब 17 साल का हो चुका रिदम भी अपने पिता के साथ आस्ट्रेलिया में रहता है.

पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई से दूसरी शादी के बाद स्वीटी के एक बेटा हुआ. उस का नाम अंश रखा गया. जयदीप को यही पता था कि स्वीटी दूसरी शादी के बाद अपने पति अजय और 2 साल के बेटे अंश के साथ खुश है. भाई पहुंच गया थाने अब अचानक स्वीटी के गायब होने की सूचना से वह बेचैन हो गया. वह तुरंत तो वडोदरा नहीं पहुंच पा रहा था. इसलिए फोन पर ही अजय से संपर्क में रह कर अपनी बहन के बारे में पूछता रहा, लेकिन हर बार उसे निराशाजनक जवाब मिला. जयदीप समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ऐसी क्या बात हुई, जो उस की बहन अचानक किसी को बताए बिना घर से चली गई?

स्वीटी पढ़ीलिखी 37 साल की मौडर्न महिला थी. जयदीप की नजर में ऐसी कोई भी बात नहीं आई थी कि वह अपने पति पुलिस इंसपेक्टर पति से किसी तरह से परेशान या नाखुश है. वह अपने छोटे से परिवार में खूब मौज में थी. फिर अचानक 2 साल के बेटे को घर पर अकेला छोड़ कर क्यों और कहां चली गई? अपना मोबाइल भी साथ नहीं ले जाने से उस से संपर्क भी नहीं हो रहा था. जयदीप स्वीटी के इस तरह गायब होने का रहस्य समझ नहीं पा रहा था. उस ने मोबाइल पर ही अपने रिश्तेदारों और जानकारों से अजय और स्वीटी के रिश्तों के बारे में पूछताछ की, लेकिन ऐसी कोई बात पता नहीं चली, जिस से स्वीटी के गायब होने का कारण समझ आता.

अजय से जब भी जयदीप ने बात की, तो वह यही कहता रहा कि हम खोजबीन कर रहे हैं, लेकिन अभी स्वीटी का कुछ पता नहीं चला है. जयदीप ने अपने जीजा को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही तो अजय ने परिवार की बदनामी की बात कहते हुए कुछ दिन रुकने को कहा. 5-6 दिन तक स्वीटी का कुछ पता नहीं चलने पर आखिर जयदीप वडोदरा आ कर अपने जीजा अजय देसाई से मिला और स्वीटी के गायब होने के बारे में सारी बातें पूछीं. अजय ने उसे बताया कि 4 जून की रात एक बजे वह स्वीटी के साथ अपने घर में सोया था. अगले दिन 5 जून को सुबह करीब साढ़े 8 बजे उठा तो स्वीटी नहीं मिली. उस का मोबाइल भी कमरे में ही था और अंश भी बैड पर सो रहा था. पूरे घर में तलाश करने पर भी स्वीटी नहीं मिली तो आसपास उस की तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला.

जयदीप ने अपने जीजा से बातोंबातों में कुरेदकुरेद कर यह पता लगाने की कोशिश की कि उन के बीच कोई झगड़ा तो नहीं हुआ था या कोई और बात नहीं थी, लेकिन ऐसी कोई बात पता नहीं चली. अंश के बारे में अजय ने बताया कि उसे रिश्तेदार के पास भेज दिया है. आखिर थकहार कर जयदीप ने 11 जून को वडोदरा के करजण पुलिस थाने में स्वीटी के लापता होने की सूचना दर्ज करा दी. अजय पहले करजण पुलिस थाने में ही तैनात था. बाद में उस का ट्रांसफर वडोदरा जिले के स्पेशल औपरेशन ग्रुप (एसओजी) शाखा में हो गया था. स्वीटी के लापता होने की सूचना दर्ज होने पर पुलिस उस की तलाश में जुट गई. एक पुलिस इंसपेक्टर की पत्नी के गायब होने का मामला होने के कारण पुलिस ने कई दिनों तक आसपास के जंगलों, नदीनालों और झीलों में स्वीटी की तलाश की, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.

ड्रोन से जंगलों में की खोजबीन पुलिस ने विभिन्न अस्पतालों में जा कर 17 लावारिस लाशों का मुआयना किया. आसपास के पुलिस थानों के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी लावारिस शव मिलने की सूचनाएं जुटाईं, लेकिन कुछ पता नहीं चला. एकएक दिन गुजरता जा रहा था. पुलिस अजय के बयानों पर भरोसा करते हुए हरसंभव स्थानों पर स्वीटी की तलाश करती रही. डौग स्क्वायड और ड्रोन के जरिए भी आसपास के जंगलों में तलाश की गई. रेलवे लाइनों के नजदीक भी काफी खोजबीन की गई. कोई सुराग नहीं मिलने पर करीब एक महीने बाद पुलिस ने अखबारों में स्वीटी के लापता होने के इश्तिहार छपवाए, लेकिन इस का भी कोई फायदा नहीं हुआ. पुलिस को कहीं से कोई सूचना नहीं मिली.

स्वीटी को लापता हुए एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका था. एसओजी के पुलिस इंसपेक्टर की गायब पत्नी का पता नहीं लग पाने पर पूरे गुजरात में तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं. लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे थे. पुलिस अधिकारियों के लिए भी स्वीटी के गायब होने का रहस्य लगातार उलझता जा रहा था. अधिकारी रोजाना मीटिंग कर स्वीटी का पता लगाने के लिए अलगअलग एंगल से जांच शुरू करते, लेकिन उस का कोई नतीजा नहीं निकल रहा था.

इस बीच, पुलिस के अधिकारी बीसियों बार इंसपेक्टर अजय देसाई से भी पूछताछ कर चुके थे. उस के फ्लैट पर जा कर भी कई बार जांचपड़ताल की जा चुकी थी. सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की जांच और स्वीटी के मोबाइल से भी पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा था. आसपास के लोगों से भी कई बार पूछताछ हो चुकी थी. पुलिस के अधिकारी समझ नहीं पा रहे थे कि स्वीटी को आसमान खा गया या जमीन निगल गई, जो उस का कुछ पता नहीं चल पा रहा. लव अफेयर्स एंगल पर भी की जांच अधिकारियों ने इस एंगल पर भी विचार किया कि स्वीटी का किसी दूसरे व्यक्ति से कोई प्रेम प्रसंग तो नहीं था. इस के लिए अजय सहित उस के मकान के आसपास के लोगों और रिश्तेदारों से पूछताछ की गई, लेकिन इस बात में कोई दम नजर नहीं आया.

पुलिस अपने तरीके से स्वीटी की तलाश में जुटी हुई थी. इस दौरान जुलाई के दूसरे सप्ताह में वडोदरा से कुछ दूर भरूच जिले के अटाली गांव के पास एक अधूरी पड़ी निर्माणाधीन बिल्डिंग के पिछवाड़े पुलिस को कुछ जली हुई हड्डियां मिलीं. पुलिस ने फोरैंसिक विशेषज्ञों से उन हड्डियों की जांच कराई तो पता चला कि वह हड्डियां किसी इंसान की थीं. जली हुई इंसानी हड्डियां मिलने पर स्वीटी के लापता होने में पुलिस अधिकारियों का शक इंसपेक्टर अजय पर गहरा गया. उस से सख्ती से पूछताछ की गई, लेकिन वह अपनी पत्नी के लापता होने की बात ही कहता रहा.

आखिर पुलिस अधिकारियों ने अजय के सच और झूठ बोलने का पता लगाने के लिए विभिन्न परीक्षण कराने का फैसला किया. इस के अलावा जली हुई हड्डियों का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का भी निर्णय लिया गया.    पुलिस ने सब से पहले गांधीनगर की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में अजय की सीडीएस जांच कराई. इजरायल की विशेष रूप से स्थापित तकनीक सीडीएस जांच के जरिए विभिन्न सवालों के जरिए संदिग्ध व्यक्ति के पसीने और शरीर के तापमान के आधार पर सच्चाई का पता लगाया जाता है. इस के बाद पुलिस ने उस के पौलीग्राफ टेस्ट और नारको टेस्ट के लिए अदालत से अनुमति मांगी.

स्वीटी के 2 साल के बेटे अंश का डीएनए टेस्ट कराया गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बरामद हुई हड्डियां स्वीटी की हैं या नहीं. इंसपेक्टर अजय का कराया पौलीग्राफ टेस्ट  बाद में अदालत से अनुमति मिलने पर पुलिस ने अजय का पौलीग्राफ टेस्ट भी कराया. पौलीग्राफ टेस्ट की प्रक्रिया 2 दिन तक चलती रही. इस बीच, पुलिस को यह बात पता चली कि स्वीटी अपने बेटे से मिलने के लिए आस्ट्रेलिया जा सकती है. इस संभावना को देखते हुए पुलिस ने स्वीटी के पहले पति हेतस पांड्या और बेटे से औनलाइन पूछताछ की. पुलिस ने हेतस पांड्या से स्वीटी के संपर्क में आने और इस के बाद दोनों के अलग होने के बारे में जानकारी ली.

इस पूछताछ में यह बात सामने आई कि स्वीटी ने अपने बेटे रिदम से कुछ महीने पहले आस्ट्रेलिया आ कर मिलने की बात कही थी, लेकिन स्वीटी आस्ट्रेलिया गई नहीं थी. हेतस पांड्या ने पूछताछ में यह भी बताया कि संभवत: स्वीटी के पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं हुआ है. स्वीटी के लापता होने के बाद से उस के पहले बेटे रिदम ने आस्ट्रेलिया से ही सोशल मीडिया के जरिए अपनी मां की तलाश का अभियान छेड़ दिया था. तमाम तरह की तकनीकी और एफएसएल जांच कराने के बावजूद कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया था. कैलेंडर की तारीखें रोजाना बदलती जा रही थीं.

स्वीटी को लापता हुए करीब डेढ़ महीने का समय बीत गया था, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला था. यह भी पता नहीं चल सका था कि वह जीवित है या मर चुकी. क्राइम ब्रांच ने संभाली जांच पुलिस की लगातार हो रही आलोचनाओं को देखते हुए गुजरात सरकार ने जुलाई के तीसरे सप्ताह में इस मामले की जांच अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को सौंप दी. क्राइम ब्रांच के अफसरों ने नए सिरे से मामले की जांचपड़ताल शुरू की. पुलिस अफसरों ने मीटिंग कर इस मामले में अब तक की जांच पर गहराई से विचारविमर्श किया. इस में यही बात सामने आई कि यह घरेलू मामला है. इस का राज उस के पति पुलिस इंसपेक्टर अजय से पूछताछ में ही निकल सकता है.

इस के लिए अजय की नारको टेस्ट कराने की अदालत से अनुमति मिल गई, लेकिन अजय ने अपनी मानसिक और शारीरिक स्थिति ठीक नहीं बताते हुए नारको टेस्ट देने में सक्षम नहीं बताया. दरअसल, अजय पुलिस इंसपेक्टर था. उसे कानून की खामियां और पुलिस की सीमा रेखा भी पता थी. पुलिस नारको टेस्ट के लिए उस से जबरदस्ती नहीं कर सकती थी और न ही उस से सख्ती से पूछताछ कर सकती थी. अजय की ओर से नारको टेस्ट कराने से इनकार करने पर क्राइम ब्रांच के अफसरों का शक उस पर गहरा गया. उन्होंने उस के शहर छोड़ कर जाने पर रोक लगा दी गई. इस के साथ ही क्राइम ब्रांच के अफसरों ने अजय के मकान से जांच शुरू करने और अटाली गांव में एक बिल्डिंग के पीछे जहां इंसानी हड्डियां मिली थीं, वहां का मौकामुआयना करने का निर्णय किया.

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने 23 जुलाई को अजय के प्रयोशा सोसायटी स्थित फ्लैट की जांचपड़ताल की.  इस में एक पुराने पुलिस वाले ने अपने अनुभव के आधार पर बाथरूम को कैमिकल से सफाई करवा कर देखा तो वहां खून के कुछ धब्बे मिले. इस के बाद पुलिस ने अपनी जांचपड़ताल तेज कर दी और कुछ जरूरी सबूत जुटाने के लिए अजय से फिर पूछताछ की. आखिर पुलिस ने 49वें दिन स्वीटी के गायब होने की गुत्थी सुलझा कर 24 जुलाई, 2021 को इस मामले का परदाफाश कर दिया. स्वीटी पटेल की हत्या हो चुकी थी.

पुलिस ने स्वीटी की हत्या के मामले में उस के पति पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई और उस के दोस्त कांग्रेस नेता किरीट सिंह जडेजा को गिरफ्तार कर लिया. किरीट सिंह ने कांग्रेस टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था. अजय देसाई और किरीट सिंह जड़ेजा से पूछताछ और पुलिस की जांचपड़ताल में स्वीटी की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है—

अजय देसाई से प्रेम विवाह करने के बाद स्वीटी खुश थी. किसी बात की कोई परेशानी नहीं थी. अजय से उस के एक बेटा भी हो गया था. वह पति और बेटे के साथ मौज की जिंदगी गुजार रही थी. स्वीटी ने भले ही अपने पहले पति हेतस पांड्या से तलाक ले लिया था, लेकिन वह अपने पहले बेटे रिदम से बहुत प्यार करती थी. आस्ट्रेलिया में अपने पापा के साथ रहने वाले रिदम से स्वीटी लगभग रोजाना फोन पर बात करती थी. हेतस को इस में कोई ऐतराज नहीं था. हेतस के मन में स्वीटी के प्रति भी कोई कटुता नहीं थी. इंसपेक्टर अजय ने कर ली थी दूसरी शादी

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. पति अजय पुलिस इंसपेक्टर था. उस का अपना रौबदाब था. इसलिए स्वीटी को अजय पर फख्र भी था. स्वीटी से प्रेम विवाह के कुछ दिनों बाद ही अजय ने अपने समाज की एक युवती पूजा से विधिवत शादी कर ली. अजय ने स्वीटी को यह बात नहीं बताई. स्वीटी को भी इस बात का पता नहीं चला. अजय ने अपनी दूसरी पत्नी पूजा को दूसरी जगह मकान दिलवा दिया. संयोग ऐसा रहा कि पूजा और स्वीटी करीब 3 साल पहले एक ही समय गर्भवती हुईं. बाद में स्वीटी ने बेटे को जन्म दिया और पूजा ने बेटी को. बच्चा होने के कई दिन बाद स्वीटी को अजय की दूसरी शादी के बारे में पता चला. इस बात पर स्वीटी का अजय से झगड़ा होने लगा. दिन पर दिन झगड़ा बढ़ता गया. अजय 2 नावों की सवारी कर रहा था. वह न तो स्वीटी को छोड़ना चाहता था और न ही पूजा को.

स्वीटी से रोज होने वाले झगड़े को देखते हुए अजय ने उस का काम तमाम करने पर विचार किया. किरीट सिंह जड़ेजा अजय का दोस्त था. किरीट के पास पैसा भी था और राजनीतिक प्रभाव भी. भरूच जिले के अटाली गांव में वह एक होटल बनवा रहा था, लेकिन उस का निर्माण कार्य किसी वजह से बीच में ही अधूरा छोड़ दिया था. गला घोंट कर की थी स्वीटी की हत्या एक दिन अजय ने किरीट से एक लाश ठिकाने लगाने के बारे में बात की. अजय ने किरीट को यह नहीं बताया कि लाश किस की होगी. उस ने बताया कि परिवार में एक महिला के गैर व्यक्ति से संबंध हो गए. इस से वह महिला गर्भवती हो गई है. परिवार के लोग उसे मार कर लाश ठिकाने लगाना चाहते हैं. किरीट सिंह ने दोस्ती में अजय से इस काम में सहयोग करने का वादा किया.

4 जून, 2021 की रात अजय जब घर पहुंचा, तो पूजा से शादी को ले कर स्वीटी से उस का फिर विवाद हुआ. रोजाना के झगड़े से तंग आ कर अजय ने उसे ठिकाने लगाने का फैसला किया. वह काफी देर तक इस पर सोचता रहा. स्वीटी जब सो गई तो आधी रात बाद उस ने गला घोंट कर उस को मार डाला. रात भर वह अपने फ्लैट पर ही रहा. सुबह नहाधो कर तैयार हुआ. उस ने अपने दोस्त किरीट सिंह को फोन कर कहा कि परिवार के लोगों ने रिश्ते की बहन को मार डाला है, अब लाश ठिकाने लगानी है. किरीट ने इस काम में सहयोग करने का वादा करते हुए कहा कि वह लाश को अटाली गांव में उस के निर्माणाधीन होटल के पिछवाड़े ले जा कर ठिकाने लगा दे.

इस के बाद अजय ने अपने साले जयदीप को फोन कर कहा कि स्वीटी रात एक बजे से सुबह साढ़े 8 बजे के बीच घर से बिना बताए कहीं चली गई है. उस समय लाश घर में थी. बाद में अजय स्वीटी की लाश को एक एसयूवी कार में रख कर अटाली गांव ले गया और दोस्त किरीट सिंह के निर्माणाधीन होटल के पिछवाड़े रख कर जला दी. इस के लिए उस ने कुछ लकडि़यां और कैमिकल का भी इंतजाम कर लिया था. लाश जलाने के बाद वह वापस अपने घर आ गया. इस के बाद की कहानी आप पढ़ चुके हैं. पुलिस ने स्वीटी की हत्या के आरोप में अजय और किरीट सिंह जडेजा को रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि के दौरान पुलिस ने

27 जुलाई को स्वीटी की हत्या से ले कर उस की लाश जलाने तक की घटना का रीक्रिएशन किया. बाद में पुलिस ने अटाली में निर्माणाधीन बिल्डिंग के पिछवाड़े से स्वीटी की अंगुलियों की हड्डियां, जला हुआ मंगलसूत्र, हाथ का ब्रैसलेट, अंगूठी आदि बरामद किए. परिवार वालों ने मंगलसूत्र स्वीटी का होने की पुष्टि की. पुरानी तसवीरों में भी स्वीटी वही मंगलसूत्र पहने हुए थी. पुलिस इसे अहम सबूत मान रही है. अजय के पौलीग्राफ टेस्ट और एसडीएस परीक्षण की रिपोर्ट भी पौजिटिव आई है. अहम सबूत मिले पुलिस को रिमांड अवधि पूरी होने पर पुलिस ने अदालत के आदेश पर अजय और किरीट सिंह को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया. स्वीटी का बेटा अंश पूजा के पास था. सरकार ने भी पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई को सस्पेंड कर दिया.

अजय भले ही पुलिस इंसपेक्टर था. वह 48 दिनों तक पुलिस को छकाता रहा, लेकिन पुरानी कहावत आज भी सच है कि अपराधी कितना भी शातिर हो, वह कोई न कोई सबूत जरूर छोड़ता है. अजय के साथ भी ऐसा ही हुआ. आखिर वह गिरफ्तार हुआ. अजय एक म्यान में दो तलवारें रखना चाहता था. यह न तो सामाजिक नजरिए से उचित था और न ही उस की सरकारी नौकरी के लिहाज से. उस ने पूजा से शादी करने की बात स्वीटी को नहीं बता कर अलग सामाजिक अपराध किया.

कोई भी महिला अपने पति का बंटवारा नहीं चाहती. पति की दो नावों की सवारी में पूजा बेमौत मारी गई. 2 शादियां करने के बाद भी उसे कफन तक नसीब नहीं हुआ और स्वीटी के दोनों बेटे भी मां की ममता से महरूम हो गए.

 

Social Crime : गुड़िया रेप मर्डर केस में आईजी व एसपी भी हुए अरेस्ट

Social Crime : वैसे तो भारत में रोजाना रेप के लगभग 88 केस दर्ज होते हैं, लेकिन शिमला में नाबालिग गुडि़या के साथ हुए रेप केस की गूंज पूरे भारत में गई. सीबीआई जांच में इस केस के आरोपी को सजा तो मिल ही गई. साथ ही हिमाचल पुलिस के आईजी, एसपी, इंसपेक्टर सहित 9 पुलिसकर्मियों को भी सीबीआई ने गिरफ्तार कर जेल भेजा. आखिर यह कैसे हुआ…

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई इलाके की बहुचर्चित गुडि़या रेप-हत्याकांड की जांच पूरी हो चुकी थी. 21 अप्रैल, 2021 को जिला सत्र न्यायालय राजीव भारद्वाज की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत में सीबीआई की ओर से सरकारी वकील अमित जिंदल दमदार तरीके से अपनी दलीलें पेश कर रहे थे तो वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता महेंद्र एस. ठाकुर ताल ठोक कर मजबूती से अपने पांव जमाए हुए थे. आरोपी था अनिल उर्फ नीलू उर्फ चरानी, जो दया का पात्र बना कठघरे में खड़ा था. इस दौरान उस के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. उस पर नाबालिग गुडि़या के रेप और मर्डर का आरोप लगा था.

उसे घटना के करीब एक साल बाद सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. नीलू के खिलाफ 29 मई, 2018 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. उस के खिलाफ चल रहे ट्रायल में कुछ बिंदुओं पर कोर्ट में बहस हुई. बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र एस. ठाकुर ने कहा, ‘‘माई लार्ड, मुकदमे की काररवाई शुरू करने की इजाजत चाहता हूं.

‘‘इजाजत है.’’ विद्वान न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने मुकदमा शुरू करने की इजाजत दी.

‘‘मी लार्ड, जैसा कि सभी जानते हैं कि नाबालिग गुडि़या रेप एंड मर्डर केस का अदालत में मुकदमा चल रहा है और यह मुकदमा अंतिम पड़ाव पर है.’’

‘‘हां, है.’’

‘‘तो मेरा मुवक्किल सीबीआई की जांच से संतुष्ट नहीं है. सीबीआई द्वारा नमूने सही नहीं लिए गए. डीएनए, सीमन (वीर्य) से ले कर अन्य जो नमूने लिए गए, वो सीबीआई ने खुद सील किए, इन सैंपल्स को डाक्टरों को सील करना चाहिए था.

‘‘यही नहीं, सीबीआई ने जांच के दौरान 100 से ज्यादा लोगों के ब्लड सैंपल लिए लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया, जबकि मेरे मुवक्किल नीलू को गिरफ्तार करने के बाद ब्लड सैंपल लिए. दलील ये दी गई कि सीबीआई ने ठोस सबूत की बिना पर ही अनिल उर्फ नीलू को गिरफ्तार किया. उस के बाद पूरे साक्ष्य इकट्ठे किए गए.

‘‘मी लार्ड, मेरे मुवक्किल नीलू को फंसाने और अन्य किसी अपराधी को बचाने लिए सीबीआई ने सारे सबूतों का जखीरा खुद ही तैयार किया. दैट्स आल मी लार्ड.’’

‘‘अभीअभी मेरे काबिल दोस्त ने किसी फिल्म का मजेदार डायलौग बड़े ही मसालेदार ढंग से पेश किया, जो काबिलेतारीफ है.’’ सीबीआई की ओर से सरकारी अधिवक्ता अमित जिंदल ने खड़े होते हुए कहा, ‘‘मनगढ़ंत और मसालेदार कहानियां पेश करने में मेरे दोस्त का जवाब नहीं है. मी लार्ड, सच ये नहीं है बल्कि सच ये है कि सरकारी जांच एजेंसी सीबीआई की जांच पूरी तरह सही है और सीबीआई ने हर पहलू को ध्यान में रख कर सैंपल लिए गए हैं.’’

‘‘सच ये नहीं है.’’ बचाव पक्ष के वकील ने जोरदार तरीके से प्रतिरोध किया.

तभी सरकारी वकील ने जवाब दिया, ‘‘यही सच है. केस के मद्देनजर एकएक बिंदु पर पैनी नजर रखते हुए रिपोर्ट तैयारी की गई है तो लापरवाही का सवाल ही नहीं पैदा होता. मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि सबूतों और गवाहों के मद्देनजर आरोपी नीलू उर्फ अनिल उर्फ चरानी को फांसी की सजा सुनाई जाए.’’

बचाव पक्ष के वकील ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल का इस से पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, माई लार्ड. यह उस का पहला अपराध है, इसलिए उस के पिछले जीवन को देखते हुए उसे कम से कम सजा देने की अदालत से मेरी गुहार है श्रीमान. और मुझे कुछ नहीं कहना है.’’

इस के बाद सम्मान के साथ न्यायाधीश के सामने सिर झुकाते हुए एडवोकेट महेंद्र एस. ठाकुर अपनी सीट पर जा कर बैठ गए तो सरकारी अधिवक्ता अमित जिंदल भी अपनी कुरसी पर जा बैठे. कोर्ट की यह सुनवाई 21 अप्रैल को दोपहर पौने 3 बजे से शुरू हो कर 4 बजे तक चली थी. कोर्टरूम में कुछ पल के लिए ऐसा गहरा सन्नाटा पसरा था कि एक सुई गिरने की आवाज साफ सुनी जा सकती थी. खैर, जज राजीव भारद्वाज ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनी. बहस सुनने के बाद अपने निर्णय को सुरक्षित रखते हुए 28 अप्रैल, 2021 को फैसला सुनाने का ऐलान करते हुए उस दिन की कोर्ट को मुल्तवी किया.

किसी कारणवश तय तिथि 28 अप्रैल को कोर्ट नहीं बैठ सकी, जिस से यह तिथि 11 मई तक बढ़ा दी गई कि मुलजिम की किस्मत का फैसला इस दिन सुनाया जाएगा. लेकिन लौकडाउन की वजह से वह तिथि भी टाल दी गई. फिर 18 जून को फैसला सुनाए जाने की तिथि तय हुई और ऐसा हुआ भी. अदालत के दाईं ओर बने कटघरे में मुलजिम नीलू उर्फ अनिल उर्फ चरानी मुंह लटकाए खड़ा था और उस के चेहरे का रंग पीला पड़ा था. जज राजीव भारद्वाज अपनी न्याय की कुरसी पर विराजमान थे. अदालत कक्ष में दोनों पक्षों यानी बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र एस ठाकुर और सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित जिंदल मौजूद थे. न्यायाधीश ने सुनाई सजा मुकदमे की काररवाई शुरू की गई.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी गईं. इस मामले में सीबीआई ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए. मामले के 14 में से 12 बिंदू नीलू के खिलाफ गए थे और 2 बिंदू आरोपी के पक्ष में. गौरतलब बात यह है कि आरोपी की हत्या वाली जगह पर मौजूदगी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट आरोपी के खिलाफ रहीं.

‘‘मिट्टी के सैंपल, शरीर पर निशान भी नीलू के दोषी होने को साबित करते हैं. नीलू के पक्ष में यह रहा कि पुलिस या सीबीआई उस की आपराधिक पृष्ठभूमि साबित नहीं कर सकी.

‘‘इस जघन्य अपराध के आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू को भादंवि की धारा 372 (2) (आई) और 376 (ए) के तहत बलात्कार का दोषी माना जाता है. साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत उसे हत्या और धारा 4 के तहत दमनकारी यौन हमला करने की सजा का दोषी माना जाता है. चूंकि पीडि़ता नाबालिग थी इसलिए अदालत उसे पोक्सो एक्ट का दोषी भी करार देती है.’’

न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने आगे कहा, ‘‘सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट के तथ्यों को आधार मानते हुए यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि दोषी अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी को नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में मरते दम तक आजीवन कारावास और हत्या के मामले में आजीवन कारावास सहित 10 हजार रुपए जुरमाना लगाती है.

‘‘जुरमाना न भरने की सूरत में दोषी को एक साल का अतिरिक्त कारावास काटना होगा. आरोपी की सजा फैसले के दिन से मानी जाएगी. आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी को न्यायिक हिरासत में लेते हुए यह अदालत उसे जेल भेजने की आदेश देती है अत: आरोपी को तत्काल पुलिस कस्टडी में लिया जाए. आज के मुकदमे की काररवाई यहीं खत्म की जाती है.’’

न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने 10 मिनट में फैसला सुना कर उस दिन की अदालत की काररवाई को विराम दिया और न्याय की कुरसी से उठ कर अपने कक्ष में चले गए. इस के बाद शिमला पुलिस ने अभियुक्त अनिल कुमार को हिरासत में लिया और उसे जेलmले गई. आइए पढ़ते हैं कि गुडि़या रेप और मर्डर केस की दिल दहला देने वाली सनसनीखेज कहानी. इस दर्दनाक और शर्मनाक घटना ने देश तक को हिला कर रख दिया था, जिस में पुलिस महानिरीक्षक से ले कर कांस्टेबल सहित 9 पुलिसकर्मियों तक को जेल की हवा खानी पड़ी थी. आखिर क्या हुआ था इस कहानी में, आइए पढ़तें हैं.

16 वर्षीय गुडि़या मूलरूप से शिमला के विधानसभा चौपाल के छोग की रहने वाली थी. पिता शिवेंद्र कुमार और मां अर्पिता की 5 संतानों में वह चौथे नंबर पर बेटियों में सब से छोटी थी लेकिन बेटा अमन से बड़ी थी. बड़ी होने के नाते गुडि़या अपने मांबाप और बहनों की लाडली और भाई की दुलारी थी. स्कूल से घर नहीं लौटी गुडि़या नाम के अनुरूप गुडि़या थी ही गुडि़या जैसी एकदम मासूम, चपल, चंचल और बेहद खूबसूरत, शिमला की खूबसूरत वादियों की तरह जिसे हर कोई प्यार किए बिना थकता नहीं था. मांबाप की लाडली गुडि़या उतनी ही अव्वल थी पढ़ने में. पढ़लिख कर वह जीवन में बड़ा अफसर बनने की जिजीविषा रखती थी. तो मांबाप भी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. बच्चों की बेहतर परवरिश और शिक्षा पर वह पानी की तरह पैसे बहाते थे.

शिवेंद्र कुमार एक बड़े किसान थे. उन का अपने क्षेत्र में बड़ा नाम था. नाम के साथसाथ बड़ी पहचान भी थी. उन के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, इसीलिए बच्चों की शिक्षा पर वह खूब पैसे खर्च करते थे. लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, जो होना है वह तो हो कर ही रहता है. ऐसा ही कुछ शिवेंद्र के साथ भी हुआ. उन्हें क्या मालूम था कि उन के साथ बड़ा भयानक और कड़वा मजाक होने वाला है जिस का जख्म समय के मरहम के साथ तो भर जाएगा, लेकिन उस के निशान ताउम्र नासूर की तरह सालता रहेगा. वह तारीख थी 4 जुलाई, 2017. गुडि़या, महासू के सीनियर सैकेंडरी हायर स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ती थी. उन दिनों शाम साढ़े 4 बजे उस के स्कूल की छुट्टी हुआ करती थी. उस दिन भी उस के स्कूल की नियत समय पर छुट्टी हुई थी.

छुट्टी होते ही गुडि़या स्कूल से घर के लिए निकल गई थी लेकिन देर शाम तक वह घर नहीं पहुंची थी. बेटी के घर न पहुंचने पर मां अर्पिता को चिंता हुई. उन्होंने फोन कर के पति को बताया, ‘‘शाम होने वाली है, बेटी अभी तक घर नहीं लौटी. मुझे चिंता हो रही है, जरा स्कूल फोन कर के पता करिए, आखिर बेटी कहां रह गई.’’

पत्नी की बात सुन कर औफिस गए शिवेंद्र भी परेशान हो गए. शिवेंद्र ने पत्नी से कहा अभी स्कूल के प्रधानाचार्य को फोन कर के पता करता हूं. तुम चिंता मत करो. फिर उन्होंने फोन काट दिया और स्कूल के प्रधानाचार्य को फोन मिला कर बेटी के बारे में पूछा. शिवेंद्र की बात सुन कर प्रधानाचार्य भी हैरान रह गए थे. उन्होंने गुडि़या के पिता को बताया कि बेटी गुडि़या स्कूल आई थी और समय से घर के लिए निकल गई थी. प्रधानाचार्य से बात करने के बाद शिवेंद्र की चिंता और बढ़ गई. उन्होंने नातेरिश्तेदारों के यहां फोन कर के बेटी के बारे में पूछा लेकिन वह वहां भी नहीं पहुंची थी. अब घर वाले यह सोच कर परेशान होने लगे कि गुडि़या गई तो गई कहां? मन में यह सवाल उठते ही शिवेंद्र की धड़कनें तेज हो गईं.

उन्हें ये समझते देर न लगी कि कहीं बेटी के साथ कोई अनहोनी तो न हो गई. औफिस से देर रात घर लौटे शिवेंद्र पत्नी के साथ सोफे पर बैठेबैठे बेटी के घर लौटने के इंतजार में मुख्यद्वार को टकटकी लगाए ताकते रहे और बेटी की चिंता में पूरी रात दोनों पतिपत्नी ने आंखों में काट दी थी. जंगल में नग्नावस्था मिली थी लाश इस बीच शिवेंद्र ने कोटखाई थाने में तहरीर दे कर बेटी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी थी. इंसपेक्टर राजिंदर सिंह मुकदमा अपराध संख्या 97/2017 पर गुमशुदगी दर्ज कर के जरूरी काररवाई में जुट गए थे.   खैर, अगली सुबह शिवेंद्र बेटी की खोज में निकल गए तो उन के व्यवहार के कायल रिश्तेदार भी गुडि़या की तलाश में शिमला के जंगलों की खाक छानते फिरते रहे लेकिन गुडि़या का कहीं पता नहीं चला.

रहस्यमय तरीके से गुडि़या को लापता हुए 24 घंटे से ऊपर बीत चुके थे. लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. 6 जुलाई की सुबह कोई पौने 8 बजे कोटखाई थाना स्थित हलाइला गांव के पास तांदी के जंगल के एक गड्ढे के भीतर एक लड़की की नग्नावस्था में लाश मिली. उस की उम्र यही कोई 16-17 साल के करीब रही होगी. लाश मिलते ही वन अधिकारी ने इस की सूचना कोटखाई थाने के इंसपेक्टर राजिंदर सिंह को दे दी थी. सूचना मिलते ही वह एसआई दीपचंद, हैडकांस्टेबल सूरत सिंह, कांस्टेबल मोहन लाल, रफीक अली, महिला कांस्टेबल नेहा को साथ ले कर घटनास्थल पहुंच गए थे.

घटनास्थल पहुंच कर उन्होंने मुआयना किया और गुडि़या के पिता शिवेंद्र को भी मौके पर बुलवा लिया था. उन्हें आशंका थी कि यह लाश कहीं 2 दिनों से लापता गुडि़या की तो नहीं है. उन के यहां होने से लाश की शिनाख्त करने में आसानी होगी. हलाइला गांव के निकट स्थित तांदी के जंगल में लड़की की लाश मिलने की सूचना मिलते ही शिवेंद्र के हाथपांव फूल गए और वह तुरंत मौकाएवारदात पर चल दिए. रास्ते भर वह यही प्रार्थना करते रहे कि बेटी जहां भी हो, सुरक्षित रहे. खैर, थोड़ी देर बाद बेटे अमन के साथ वह मौके पर पहुंच गए. वहां भारी भीड़ जमा थी और जंगल बीच एक गड्ढे के भीतर लाश के ऊपर सफेद चादर डाल दी गई थी.

चादर से ढकी लाश देख कर शिवेंद्र का दिल जोरजोर से धड़कने लगा था. मानो अभी हलक के रास्ते मुंह के बाहर आ जाएगा. पिता को एक किनारे खड़ा कर अमन ने हिम्मत जुटा कर लाश के ऊपर से चादर उठाई. चेहरा देखते ही अमन का कलेजा मुंह को आ गया और वह दहाड़ मार कर रोने लगा. पुलिस अधिकारी भी पहुंचे मौके परअमन को रोता देख इंसपेक्टर राजिंदर सिंह को समझते देर न लगी कि 2 दिनों से रहस्य बनी लाश की शिनाख्त हो गई है. बेटे को रोता देख कर पिता की आंखें भी नम हो गई थीं. तब तक घटना की सूचना पा कर एसपी डी.डब्ल्यू. नेगी, एएसपी (ग्रामीण) भजन देव नेगी और डीएसपी मनोज जोशी मौके पर पहुंच चुके थे.

लाश की स्थिति देख कर पुलिस अधिकारियों की रूह कांप गई थी. गुडि़या के शरीर पर कई जगह चोट और वक्षस्थल पर दांत काटने के निशान पाए गए थे. ये देख कर लगता था कातिलों ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दी थीं. घटना चीखचीख कर कह रही थी हत्यारों ने दुष्कर्म करने के बाद अपनी पहचान छिपाने के लिए मासूम गुडि़या को मार डाला था. खैर, काफी खोजबीन के बाद मौके पर लाश के अलावा कुछ नहीं मिला था. गुडि़या के स्कूल की ड्रेस, जूतेमोजे और स्कूल का बैग नहीं मिला था. हत्यारों ने कहां छिपा रखा था, किसी को कुछ पता नहीं था.

जंगल में आग की तरह गुडि़या की हत्या की खबर शिमला में चारों ओर फैल गई थी. खबर मिलते ही शिवेंद्र की जानपहचान वाले मौके पर पहुंचने लगे थे. ये देख कर पुलिस के पसीने छूटने लगे थे. एसपी नेगी ने जल्द लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम भेजने का आदेश दिया. आननफानन में इंसपेक्टर राजिंदर सिंह ने मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय शिमला भेज दी और गुमशुदगी की धारा को धारा 302, 376 आईपीसी एवं पोक्सो एक्ट की धारा 4 में तरमीम कर अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था. विद्रोह और जन आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार

7 जुलाई की सुबह गुडि़या रेपमर्डर केस ने शिमला की सड़कों पर विद्रोह और जनआंदोलन की जो रफ्तार पकड़ी, उस से पुलिस प्रशासन हिल गया था. शिमला प्रशासन के हाथों से यह मामला निकल कर डीजीपी के दफ्तर तक पहुंच चुका था. मामले की गंभीरता को समझते हुए डीजीपी ने कड़ा रुख अपनाया और 10 जुलाई को स्पेशल इनवैस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन करने का आदेश दिया. जिस में आईजी (दक्षिणी रेंज) जहूर हैदर जैदी, एसपी डी.डब्ल्यू. नेगी, एएसपी (ग्रामीण) भजन देव नेगी और इंसपेक्टर कोटखाई राजिंदर सिंह शामिल हुए.

अपने मातहतों को कड़े शब्दों में डीजीपी ने कह दिया था कि मासूम बेटी के कातिल हर हाल में सलाखों के पीछे कैद होने चाहिए. इस बीच गुडि़या के कातिलों को सलाखों तक पहुंचाने के लिए शिमला की जानीमानी एनजीओ मदद सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन विकास थाप्टा और उन की सहयोगी तनुजा थाप्टा जन आंदोलन में कूद पड़े थे. पुलिस की नाकामी की पोल स्थानीय समाचारपत्रों ने खोल कर रख दी थी. पुलिस के ऊपर कातिलों को गिरफ्तार करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री और डीजीपी का भारी दबाव था. वह पलपल जांच की काररवाई की रिपोर्ट तलब करा रहे थे. पुलिस की 3 दिनों की कड़ी मेहनत ने अपना रंग दिखाया. शक के आधार पर पुलिस ने 13 जुलाई की शाम को 5 लोगों को धर दबोचा. जिन के नाम सूरज सिंह, राजेंद्र सिंह उर्फ राजू निवासी हलाइला, सुभाष बिष्ट निवासी गढ़वाल, लोकजन उर्फ छोटू और दीपक निवासी पौड़ी गढ़वाल थे.

एसआईटी ने निर्दोषों को बनाया आरोपी सभी आरोपी शिमला में ही रह रहे थे और आपस में गहरे दोस्त थे. पुलिस ने उक्त पांचों को फर्द पर नामजद करते हुए रेप और मर्डर केस का आरोपी बना दिया था. पांचों आरोपियों से लगातार 5 दिनों तक थाने में कड़ाई से पूछताछ चलती रही. पुलिस ने सूरज सिंह को गैंगरेप का सरगना मानते हुए उसे खूब प्रताडि़त किया. पुलिस के बेइंतहा जुल्म से हिरासत में सूरज सिंह ने दम तोड़ दिया था. पुलिस हिरासत में गैंगरेप आरोपी सूरज सिंह की मौत होते ही शिमला की ठंडी वादियों में अचानक ज्वालामुखी फट गया, जिस की तपिश से पुलिस महकमा धूधू कर जलने लगा था. ये 18 जुलाई, 2021 की बात है.

आरोपी सूरज सिंह की मौत के बाद सियासी मामला गरमा गया. कांग्रेस के वीरभद्र सिंह की सरकार के खिलाफ भाजपा ने मोरचा खोल दिया और मामले की जांच सीबीआई को सौंपने पर अड़ गई. आखिरकार सरकार को उन के आगे झुकना पड़ा और 19 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई की झोली में आ गिरी. जांच की कमान सीबीआई के तेजतर्रार एसपी एस.एस. गुरम ने संभाली और उन का साथ दिया था डीएसपी सीमा पाहूजा ने. जांच की कमान संभालते ही एसपी गुरम ने दिल्ली मुख्यालय सीबीआई के दफ्तर में अपने तरीके से 2 अलगअलग मामले दर्ज किए.

पहला मुकदमा गुडि़या रेप और मर्डर केस में आरोपी सूरज सिंह की पुलिस हिरासत में हुई मौत का था. यह मुकदमा संख्या 101/2017 भादंवि की धारा 120बी, 302, 330, 331, 348, 323, 326, 218, 195, 196 और 201 भादंसं के तहत 22 जुलाई 2017 को दर्ज किया गया था. इस मुकदमे के आरोपी बनाए गए थे- आईजी (दक्षिणी रेंज) जहूर हैदर जैदी, एसपी डी.डब्ल्यू. नेगी, एएसपी (ग्रामीण) भजन देव नेगी, इंसपेक्टर (कोटखाई) राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद, हैडकांस्टेबल सूरत सिंह, कांस्टेबल मोहन लाल, रफीक मोहम्मद और रंजीत. पुलिस अधिकारियों पर आरोप था कि आरोपी सूरज सिंह को हिरासत में ले कर बेरहमी से पिटाई की गई थी. जिस से हिरासत में उस की मौत हो गई थी.

वहीं आईजी जैदी ने सूरज की मौत पुलिस हिरासत की बजाय आरोपी राजेंद्र सिंह उर्फ राजू के सिर पर मढ़ कर नया बवाल खड़ा कर दिया था. लेकिन जांचपड़ताल में यह बात झूठी साबित हुई थी. खैर, सीबीआई एसपी एस.एस. गुरम ने हिमाचल पुलिस द्वारा शक के बिना पर आरोपी बनाए गए चारों लोगों राजेंद्र सिंह उर्फ राजू, सुभाष बिष्ट, लोकजन उर्फ छोटू और दीपक को जमानत पर छोड़ दिया और गुडि़या रेपमर्डर केस की जांच नए सिरे से शुरू कर दी. उन्होंने जांच की काररवाई जहां से गुडि़या की लाश पाई गई थी, वहीं से शुरू की. सब से पहले उन्होंने जंगल की भौगोलिक परिस्थितियों को जांचापरखा. फिर उस के आनेजाने वाले रास्ते का अवलोकन किया.

सीबीआई के हाथ लगा चश्मदीद इधर सीबीआई के द्वारा पकड़े गए चारों आरोपियों को छोड़े जाने पर मदद सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन विकास थाप्टा और तनुजा थाप्टा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिले और सीबीआई के क्रियाकलापों पर नाराजगी जताई. उधर सीबीआई अपने कानों में तेल डाल कर अपनी जांच प्रक्रिया में जुटी रही. सीबीआई के 9 महीने के अथक प्रयास के बाद हलाइला जंगल से एक लकड़ी काटने वाले राजू नाम के संदिग्ध को पकड़ा और उस से कड़ाई से पूछताछ की. खुद को निर्दोष बताते हुए राजू ने सीबीआई अधिकारी गुरम को बताया कि 5 जुलाई के दिन जंगल में अनिल उर्फ नीलू परेशान हाल में देखा गया था. उस के बाद से वह कहीं नहीं दिखाई दिया. वह मंडी जिला के बटोर का रहने वाला है और यहां पर एक ठेकेदार के पास लकड़ी चिरान का काम करता था.

राजू के बयान के बाद एसपी गुरम ने उसे छोड़ दिया और मुखबिर के जरिए नीलू का पकड़ने के लिए जाल फैला दिया. 13 अप्रैल, 2018 को सीबीआई ने आखिरकार शिमला के हाटकोटी इलाके से अनिल उर्फ नीलू समय गिरफ्तार कर लिया जब वह शिमला छोड़ कर कहीं भागने की फिराक में जुटा था. एसपी एस.एस. गुरम गिरफ्तार नीलू को सीधे सीबीआई मुख्यालय दिल्ली ले आए और यहां उस से कड़ाई से पूछताछ की. आखिरकार सीबीआई के सवालों की बौछार के आगे नीलू टूट ही गया और अपना जुर्म कुबूलते हुए गुडि़या रेपमर्डर केस को खुद अंजाम देने की बात कुबूल ली. फिर उस ने आगे की पूरी कहानी रट्टू रोते की तरह उगल दी, जो कुछ ऐसे सामने आई—

28 वर्षीय अनिल उर्फ नीलू उर्फ कमलेश उर्फ चरानी मूलरूप से मंडी जिले के बटोर का रहने वाला था. शिमला के कोटखाई थाने के महासू में किराए का कमरा लेकर अकेला रहता था. हलाइला गांव के पास तांदी के जंगल में एक ठेकेदार के यहां वह लकड़ी चीरने का काम करता था. अनिल उर्फ नीलू अविवाहित था. इकहरे बदन का दुबलापतला नीलू देखने में तो एकदम मरियल सा था, लेकिन था अव्वल दरजे का इश्कबाज रोमियो. राह गुजरती किसी महिला को देखता तो उस के मुंह से वासना की लार टपकने लगती थी. यहीं नहीं उसे खा जाने वाली नजरों से तब तक घूरता था, जब तक वह उस की नजरों से ओझल नहीं हो जाती थी.

अनिल उर्फ नीलू की हो गई नीयत खराब गुडि़या तांदी के जंगल के रास्ते हो कर रोजाना घर से स्कूल और स्कूल से घर जाया करती थी. नीलू की गुडि़या पर कई दिनों से नजर गड़ी हुई थी. गुडि़या थी तो नाबालिग, लेकिन स्वस्थ देह में उस का अंगअंग विकसित हो चुका था. उस के बदन पर जब भी नीलू की नजरें पड़ती थीं, उस की रगों में वासना के गंदे कीड़े कुलबुलाने लगते थे. लेकिन मन मसोस कर रह जाता था. गुडि़या नीलू की आंखों के रास्ते उस के दिल में उतर चुकी थी. उस ने सोच लिया था कि गुडि़या के जिस्म को जब तक वह मन के मुताबिक नहीं भोग लेगा, तब तक उसे संतुष्टि नहीं होगी.

बात जुलाई, 2017 की है. उन दिनों बारिश की वजह से जंगल में चिरान का काम बंद चल रहा था लेकिन नीलू ठेके पर रोजाना पहुंचता था. उधर गुडि़या का स्कूल खुल चुका था. वह 10वीं कक्षा में पढ़ती थी. वह रोज समय से स्कूल जाया करती थी. उसे तांदी के जंगल के रास्ते से हो कर ही जाना पड़ता था. 4 जुलाई, 2017 को शाम साढ़े 4 बजे स्कूल से छुट्टी हुई तो वह जंगल के रास्ते घर निकल पड़ी. इधर नीलू जंगल में घात लगा कर उस के आने का इंतजार करने लगा कि आज वह अपनी हसरतें पूरी कर के ही रहेगा. नीलू ने गुडि़या को जंगल की ओर जैसे ही आते देखा, वह सतर्क हो गया और उस ने शिकारी भेडि़ए की तरह पीछे से मुंह पर हाथ रख उसे दबोच लिया.

अचानक हुए हमले से गुडि़या डर गई. और नीलू के मजबूत हाथों से छूटने की कोशिश करने लगी, लेकिन उस के चंगुल से निकल नहीं पाई. वहशी दरिंदा नीलू घसीटता हुआ उसे जंगल के बीच ले गया और उस के साथ जबरदस्ती कर डाली. जब वासना की आग ठंडी हुई तो उस के सामने जेल की सलाखें नजर आने लगीं कि अगर इसे जिंदा छोड़ दिया तो यह अपने घर वालों को जा कर बता देगी. फिर क्या था? ये सवाल दिमाग में आते ही नीलू गुडि़या पर फिर से टूट पड़ा और फिर एक बार और उस के साथ अपना मुंह काला किया और गला घोंट कर मौत के हवाले झोंक दिया.

उस की पहचान मिटाने के लिए उस के स्कूल के कपड़े, जूतेमोजे, स्कूल बैग सब जला दिए और फरार हो गया. जहां 2 दिनों बाद उस की नग्नावस्था में लाश बरामद हुई. सीबीआई पर भी अंगुली उठा रहे हैं लोग  बहरहाल, फिर शुरू हुआ एसआईटी और सीबीआई का खेल. एसआईटी ने जिन 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिन में एक आरोपी सूरज सिंह की हिरासत में मौत हो चुकी थी, उन आरोपियों को सीबीआई ने दोषी नहीं माना और उन्हें जमानत पर छोड़ दिया. सीबीआई ने गुडि़या रेप मर्डर केस में जिस एक आरोपी कमलेश उर्फ अनिल उर्फ नीलू उर्फ चरानी को आरोपी बनाया है, उस की जांच से न तो गुडि़या के घरवाले खुश हैं और न ही मदद सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन विकास थाप्टा.

सामाजिक संस्था के चेयरमैन विकास थाप्टा का कहना है, ‘‘मैं इस बात से कतई इंकार नहीं करता कि नीलू दोषी नहीं है, लेकिन मैं इस बात को भी नहीं स्वीकार करता कि एक अकेला नीलू ही इस घटना को अंजाम दे सकता है. नीलू के अलावा भी इस केस में और भी दोषी हैं, जिन्हें बचाया गया है. उन दोषियों को सजा दिलाने तक संस्था चुप नहीं बैठेगी, संघर्ष करती रहेगी.’’

इस के बाद इसी संस्था की ओर से हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में गुडि़या दुष्कर्म मामले की जांच दोबारा करवाए जाने की मांग को ले कर न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सी.बी. बारोवलिया के समक्ष एक याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई करने वाले न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान ने सुनवाई करने वाली बेंच से खुद को अलग कर लिया. खैर, गुडि़या को न्याय दिलाने के लिए मदद सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन विकास थाप्टा, उन की सहयोगी तनुजा थाप्टा और ट्रस्ट के वकील भूपेंद्र चौहान ने एड़ीचोटी एक कर दी थी. आखिरकार उन की मेहनत रंग ले आई और गुडि़या का कातिल नीलू अपने कुकर्मों की सजा मृत्यु होने तक जेल में काटता रहेगा.

सीबीआई ने आईजी और एसपी सहित जिन 9 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया था, कथा लिखने तक उन में से आईजी जहूर हैदर जैदी और एसपी डी.डब्ल्यू. नेगी जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं. इन के केस में कोर्ट से अभी फैसला नहीं हुआ है. अब देखना यह है कि रस्सी को सांप बनाने में माहिर इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत क्या सजा सुनाती है. Social Crime

(कथा में मृतका का नाम और स्थान परिवर्तित है. कथा दस्तावेजों और पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Kahani : पैसों के लालच में दोस्त का गला दबा कर मार डाला

Crime Kahani : सुरेश चौहान और लेखराज चौहान की 35 साल पुरानी इतनी गहरी दोस्ती थी कि दोनों बिजनैस भी साझे में करते थे. पिता की तरह इन दोनों के बेटे सचिन और हर्ष में भी दांतकाटी दोस्ती थी. लेकिन मोटी रकम के लालच में लेखराज के बेटे हर्ष ने यह दोस्ती पीपीई किट में दफन कर दी

21 जून, 2021 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे सचिन अपने घर पर सो रहा था, तभी उस के मोबाइल पर वाट्सऐप काल आई. सचिन उठा और जाने के लिए तैयार हुआ. लेकिन वह गया नहीं, कुछ देर बाद कपड़े उतार कर वह लेट गया. बिस्तर पर लेटे हुए वह कुछ सोचने लगा, तभी उसे भूख लगी तो उस ने मां अनीता से खाने के लिए कुछ देने को कहा. मां ने उसे सैंडविच बना कर दिया. इसी बीच दोबारा फोन आया तो सचिन टीशर्ट और लोअर में ही सैंडविच खाते हुए चप्पलें पहने ही घर से जाने लगा. मां ने कहा, ‘‘बेटा, तुम ने अभी नाश्ता भी नहीं किया है, कहां जा रहे हो, पहले नाश्ता तो कर लो?’’

उस ने कहा, ‘‘मां, बस अभी लौट कर आता हूं.’’  सचिन ने कहा और वह घर से चला गया. काफी देर तक जब सचिन नहीं आया तो मां को चिंता हुई. वह उसे लगातार उसे फोन कर रही थी, लेकिन सचिन काल रिसीव करने के बजाय बारबार फोन काट देता था. अनीता समझ नहीं पा रही थीं कि सचिन ऐसा क्यों कर रहा है. उस के आने के इंतजार में रात हो गई. रात 11.37 बजे सचिन के पिता सुरेश चौहान के फोन की घंटी बजी. लेकिन नींद में होने के कारण वह फोन उठा नहीं सके. तब अनीता ने देखा तो वह मिस्ड काल उन के बेटे सचिन की ही थी. तब उन्होंने 11.55 बजे कालबैक की.

मगर सचिन की जगह कोई और फोन पर बात कर रहा था. अनीता ने पूछा कौन बोल रहे हो? इस पर उस ने कहा, ‘‘मैं सचिन का दोस्त हूं.’’

‘‘सचिन कहां हैं?’’ अनीता ने पूछा.

‘‘उस ने शराब ज्यादा पी ली है, इसलिए वह सो रहा है. वैसे सचिन इस समय नोएडा में है.’’ उस ने बताया.

‘‘नोएडा…वह वहां कैसे पहुंचा?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘यह बात तो आप को सचिन ही बताएगा.’’

‘‘तुम मेरी सचिन से बात कराओ.’’

‘‘सचिन अभी बात करने की कंडीशन में नहीं है, आप सुबह बात कर लेना,’’ कहते हुए उस ने सचिन का फोन स्विच्ड औफ कर दिया.

उत्तर प्रदेश की ताजनगरी आगरा के थाना न्यू आगरा के दयालबाग क्षेत्र की जयराम बाग कालोनी निवासी कोल्ड स्टोरेज कारोबारी सुरेश चौहान के 25 वर्षीय इकलौते बेटे सचिन चौहान का घरवाले सारी रात बैचेनी से इंतजार करते रहे. लेकिन उस का फोन औन नहीं हुआ.  बेटे के बारे में कोई सुराग न मिलने पर दूसरे दिन मंगलवार को घर वालों ने आसपड़ोस के साथ ही रिश्तेदारी में तलाश किया. लेकिन सचिन का कोई सुराग नहीं मिला. पूरे दिन तलाश करने के बाद 22 जून की शाम तक जब सचिन नहीं लौटा और न उस का मोबाइल औन हुआ, तब पिता सुरेश चौहान अपने पार्टनर लेखराज चौहान के साथ थाना न्यू आगरा पहुंचे.

गंभीरता से नहीं लिया केस उन्होंने थानाप्रभारी को बेटे के लापता होने के बारे में बताया. पुलिस ने उन की तहरीर पर सचिन की गुमशुदगी दर्ज कर ली. पुलिस ने उन से फिरौती के लिए फोन आने के बारे में पूछा. सुरेश चौहान ने इस पर इनकार कर दिया. फिरौती के लिए फोन न आने की बात पर पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. कह दिया कि यारदोस्तों के साथ कहीं चला गया होगा और 1-2 दिन में आ जाएगा. पुलिस के रवैए से असंतुष्ट सुरेश चौहान तब खुद ही अपने बेटे की तलाश में जुट गए. उन्होंने कालोनी में रहने वाले एक सेवानिवृत्त अधिकारी से भी मदद ली. उन्हें सीसीटीवी की एक फुटेज मिली, जिस में बाइक सवार 2 युवक नजर आ रहे थे. इन में से पीछे बैठा युवक भी हेलमेट लगाए था.

यह सचिन ही था. यह जानकारी उन्होंने पुलिस को दी. फुटेज देखने के बाद पुलिस ने कहा कि इस में अपहरण जैसी कोई बात नहीं है. इस में तो आप का बेटा सचिन खुद अपनी मरजी से बाइक पर बैठा नजर आ रहा है. 3 दिन तक जब सचिन का कोई सुराग नहीं मिला तो घर वाले परेशान हो गए. पुलिस भी उन से परिचितों व रिश्तेदारी में तलाश करने की बात कहती रही. सुरेश चौहान के बिजनैस पार्टनर लेखराज चौहान के एक रिश्तेदार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में तैनात हैं. लेखराज ने उन्हें फोन किया. फिर मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद मामला एसटीएफ के सुपुर्द किया गया. एसटीएफ ने 23 जून को इस मामले में छानबीन शुरू कर दी.

सब से पहले एसटीएफ ने सीसीटीवी वाली फुटेज देखी. जिस में सचिन बाइक पर पीछे हेलमेट लगाए बैठा था. एसटीएफ ने टेक्निकल रूप से जांच शुरू की. जांच शुरू की तो कड़ी से कड़ी जुड़ती चली गई और पुलिस केस के खुलासे के नजदीक पहुंच गई. पुलिस को पता चला कि सचिन का अपहरण कर लिया गया है. 27 जून की रात को पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि इस घटना में शामिल एक आरोपी वाटर वर्क्स चौराहे पर मौजूद है. समय पर पुलिस वहां पहुंच गई और एसटीएफ ने उसे धर दबोचा. पकड़ा गया आरोपी हैप्पी खन्ना था. पता चला कि वह फरजी दस्तावेज से सिम लेने की फिराक में था. लेकिन सिम लेने से पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. उस ने बताया कि फरजी सिम से सचिन के पिता से 2 करोड़ की फिरौती मांगी जाती.

हैप्पी ने बताया कि सचिन अब इस दुनिया में नहीं है, उस की हत्या तो किडनैप करने वाले दिन ही कर दी थी. यह सुनते ही सनसनी फैल गई. पुलिस ने गुमशुदगी की सूचना को भादंवि की धारा 364ए, 302, 201, 420 में तरमीम कर दिया. दोस्त ही निकला कातिल हैप्पी से पूछताछ के आधार पर अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए ताबड़तोड़ दबिशें दे कर पुलिस ने 4 अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया. इन में मृतक के पिता के बिजनैस पार्टनर लेखराज चौहान का बेटा हर्ष चौहान के अलावा सुमित असवानी निवासी दयाल बाग,  मनोज बंसल उर्फ लंगड़ा व रिंकू  निवासी कमलानगर शामिल थे.

चौंकाने वाली बात यह निकली  कि अपने दोस्त सचिन की तलाश में पुलिस और एसटीएफ की मदद करने का दिखावा करने वाला हर्ष चौहान स्वयं भी इस साजिश में शामिल था. 27 जून, 2021 को परिजनों को जैसे ही पता चला कि सचिन की हत्या उस के कुछ दोस्तों ने कर दी है तो घर में कोहराम मच गया. परिजनों का रोरो कर बुरा हाल  हो गया. सचिन अपने घर का इकलौता चिराग था, जिसे दोस्तों ने बुझा दिया था. पुलिस की कड़ी पूछताछ में सभी आरोपी टूट गए. सभी ने स्वीकार किया कि उन्होंने सचिन का अपहरण कर उस की हत्या कर लाश का अंतिम संस्कार पीपीई किट पहना कर करने के बाद उस की अस्थियां यमुना में विसर्जित करने का जुर्म कबूल कर लिया.

28 जून, 2021 को प्रैस कौन्फ्रैंस में एसएसपी मुनिराज जी. ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का परदाफाश कर दिया. सचिन की मौत की पटकथा एक महीने पहले ही लिख ली गई थी. आरोपियों ने पहले ही तय कर रखा था कि सचिन का अपहरण कर हत्या कर देंगे. उस के बाद 2 करोड़ रुपए की फिरौती उस के पिता से वसूलेंगे. पुलिस पूछताछ में हत्यारोपियों द्वारा सचिन के अपहरण और हत्या के बाद उस के शव का दाह संस्कार की जो कहानी सामने आई, वह बड़ी ही खौफनाक थी—

मूलरूप से बरहन कस्बे के गांव रूपधनु निवासी सुरेश चौहान आगरा के दयाल बाग क्षेत्र की जयराम बाग कालोनी में रहते हैं. उन का गांव में ही एसएस आइस एंड कोल्ड स्टोरेज है. इस के अलावा वह आगरा और हाथरस में जिला पंचायत की ठेकेदारी भी करते हैं. लेखराज चौहान भी उन के गांव का ही है. दोनों ने एक साथ काम शुरू किया. ठेकेदारी भी साथ करते हैं. उन दोनों के बीच पिछले 35 सालों से बिजनैस की साझेदारी चल रही थी. सुरेश चौहान का बेटा सचिन व लेखराज का बेटा हर्ष भी दोनों अच्छे दोस्त थे और एक साथ ही व्यापार व ठेकेदारी करते थे. दयाल बाग क्षेत्र की कालोनी तुलसी विहार का रहने वाला सुमित असवानी बड़ा कारोबारी है. 2 साल पहले तक वह अपनी पत्नी व 2 बेटों के साथ चीन में रहता था.

वहां उस का गारमेंट के आयात और निर्यात का व्यापार था. लेकिन 2019 में चीन में जब कोरोना का कहर शुरू हुआ तो वह परिवार सहित भारत आ गया. दयालबाग में ही सौ फुटा रोड पर उस ने सीबीजेड नाम से स्नूकर और स्पोर्ट्स क्लब खोला. सुमित महंगी गाड़ी में चलता था. वहीं वह रोजाना दोस्तों के साथ पार्टी भी करता था. उस के क्लब में हर्ष और सचिन भी स्नूकर खेलने आया करते थे. इस दौरान सुमित की भी उन दोनों से गहरी दोस्ती हो गई. बताया जाता है कि हर्ष चौहान के कहने पर सुमित असवानी ने धीरेधीरे कर के सचिन चौहान को 40 लाख रूपए उधार दे दिए. जब उधारी चुकाने की बारी आई तो सचिन टालमटोल कर देता. जबकि उस के खर्चों में कोई कमी नहीं आ रही थी.

कई बार तकादा करने पर भी सचिन ने रुपए नहीं लौटाए. यह बात सुमित असवानी को नागवार गुजरी. तब उस ने मध्यस्थ हर्ष चौहान पर भी पैसे दिलाने का दबाव बनाया, क्योंकि उस ने उसी के कहने पर सचिन को पैसे दिए थे. सुमित था मास्टरमाइंड  हर्ष के कहने पर भी सचिन ने उधारी की रकम नहीं लौटाई. यह बात हर्ष को भी बुरी लगी. इस पर एक दिन सुमित असवानी ने हर्ष से कहा, ‘‘अब जैसा मैं कहूं तुम वैसा करना. इस के बदले में उसे भी एक करोड़ रुपए मिल जाएंगे.’’

रुपयों के लालच में हर्ष चौहान सुमित असवानी की बातों में आ गया. दोनों ने मिल कर घटना से एक महीने पहले सचिन चौहान के अपहरण की योजना बनाई. फिर योजना के अनुसार, सुमित असवानी ने इस बीच सचिन चौहान से अपने मधुर संबंध बनाए रखे ताकि उसे किसी प्रकार का शक न हो. इस योजना में सुमित असवानी ने रुपयों का लालच दे कर अपने मामा के बेटे हैप्पी खन्ना को तथा हैप्पी ने अपने दोस्त मनोज बंसल और उस के पड़ोसी रिंकू को भी शामिल कर लिया. उन्होंने यह भी तय कर लिया था कि अपहरण के बाद सचिन की हत्या कर के उस के पिता से जो 2 करोड़ रुपए की फिरौती वसूली जाएगी. उस में से एक करोड़ हर्ष चौहान को, 40 लाख सुमित असवानी को और बाकी पैसे अन्य भागीदारों में बांट दिए जाएंगे.

षडयंत्र के तहत उन्होंने अपनी योजना को अमली जामा 21 जून को पहनाया. सुमित असवानी ने अपने मोबाइल से उस दिन सचिन चौहान को वाट्सऐप काल की. उस ने सचिन से कहा, ‘‘आज मस्त पार्टी का इंतजाम किया है. रशियन लड़कियां भी बुलाई हैं. बिना किसी को बताए, चुपचाप आ जा.’’

सचिन उस के जाल में फंस गया. घर पर बिना बताए वह पैदल ही निकल आया. वे लोग क्रेटा गाड़ी से आए थे. रिंकू गाड़ी चला रहा था. मनोज बंसल उस के बगल में बैठा था. वहीं सुमित और हैप्पी पीछे की सीट पर बैठे थे. सचिन बीच में बैठ गया. सुमित असवानी व साथी शाम 4 बजे पहले एक शराब की दुकान पर पहुंचे. वहां से उन्होंने शराब खरीदी. इस के बाद सभी दोस्त कार से शाम साढ़े 4 बजे सौ फुटा रोड होते हुए पोइया घाट पहुंचे. हैप्पी के दोस्त की बहन का यहां पर पानी का प्लांट है. इन दिनों वह प्लांट बंद पड़ा था. हैप्पी ने पार्टी के नाम पर प्लांट की चाबी पहले ही ले ली थी.

पीपीई किट से लगाई लाश ठिकाने वहां पहुंच कर सभी पहली मंजिल पर बने कमरे में पहुंचे. शाम 5 बजे शराब पार्टी शुरू हुई. जब सचिन पर नशा चढ़ने लगा, तभी सभी ने सचिन को पकड़ लिया. जब तक वह कुछ समझ पाता, उन्होंने उस के चेहरे  पर पौलीथिन और टेप बांध दिया, जिस से सचिन की सांस घुटने लगी. उसी समय सुमित असवानी उस के ऊपर बैठ गया और उस का गला दबा कर हत्या कर दी. इस बीच अन्य उस के हाथपैर पकड़े रहे. सचिन की हत्या के बाद उस के शव का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया गया. इस के लिए शातिर दिमाग सुमित असवानी ने पीपीई किट में लाश को श्मशान घाट पर ले जाने का आइडिया दिया ताकि पहचान न हो सके और कोई उन के पास न आए.

इस के लिए कमला नगर के एक मैडिकल स्टोर से एक पीपीई किट यह कह कर खरीदी कि एक कोरोना मरीज के अंतिम संस्कार के लिए चाहिए. रिंकू शव को बल्केश्वर घाट पर ले जाने के लिए एक मारुति वैन ले आया. सचिन के शव को पीपीई किट में डालने के बाद वह बल्केश्वर घाट पर रात साढ़े 8 बजे पहुंचे. वहां उन्होंने बल्केश्वर मोक्षधाम समिति की रसीद कटवाई व अंतिम संस्कार का सामान खरीदा. उन्होंने मृतक का नाम रवि वर्मा और पता 12ए, सरयू विहार, कमला नगर लिखाया था. इस दौरान कर्मचारी ने मोबाइल नंबर पूछा. तब एक हत्यारोपी ने हड़बड़ी में अपने जीजा का मोबाइल नंबर बता दिया. उसे लगा कि यह गलती हो गई. तब उस ने वह नंबर कटवा दिया, बाद में परची पर फरजी मोबाइल नंबर लिखवा दिया.

यह भी बताया कि मृतक कोरोना पौजिटिव था, इस के चलते उस की मौत हो गई. शव को जलाने के बाद रात साढ़े 10 बजे सभी अपनेअपने घर चले गए.  हर्ष ने मनोज बंसल को सचिन का मोबाइल दे कर उसी शाम साढ़े 7 बजे ही खंदारी से इटावा की बस में बैठा दिया. उस से कहा गया कि इटावा पहुंच कर वह मोबाइल औन कर ले, जिस से लोकेशन इटावा की मिले. फिर इटावा से वह सचिन के घर फोन कर 2 करोड़ की फिरौती मांगे. फिरौती की काल करने के बाद वह मोबाइल औफ कर ले. इस के बाद वह वहां से कानपुर चला जाए. वहां मोबाइल चालू करे. ताकि पुलिस भ्रमित रहे और हम लोग पकड़ में न आएं.

पुलिस को भटकाने की साजिश रात 12 बजे इटावा पहुंच कर मनोज ने जैसे ही मोबाइल औन किया तो देखा मोबाइल पर सचिन की मां अनीता के लगातार फोन आ रहे थे. मनोज ने डर से फोन नहीं उठाया और न फिरौती मांगी. उस ने उसी समय फोन स्विच्ड औफ कर दिया. सुबह 4 बजे मनोज दूसरी बस पकड़ कर कानपुर पहुंचा. वहां पहुंच कर फिर से मोबाइल औन किया और बाद में उसे कानपुर के झकरकटी स्टैंड पर फेंक दिया. ऐसा इसलिए किया ताकि पुलिस सचिन की तलाश करे तो उस के मोबाइल की लोकेशन इटावा व कानपुर की मिले. पुलिस समझे कि अपहर्त्ता उसे कानपुर की तरफ से ले गए हैं. वह पुलिस को भ्रमित करना चाहते थे. पूरे घटनाक्रम के दौरान किसी ने एकदूसरे से फोन पर बात तक नहीं की, ताकि पुलिस पकड़ न सके.

दूसरे दिन 22 जून की सुबह 8 बजे जा कर हैप्पी और रिंकू ने सचिन की अस्थियां यमुना में विसर्जित कर दीं. वे लोग दोपहर 12 बजे पानी के प्लांट से सचिन की चप्पलें उठा कर जंगल में फेंक आए. बताते चलें आरोपी मनोज एक पैर से विकलांग है. उस के 2 बच्चे हैं. पिता की दुकान थी, लेकिन बंद हो गई. लौकडाउन में ढाई लाख का कर्ज हो गया था. हैप्पी सुमित का ममेरा भाई था. उस की शादी नहीं हुई है. सुमित के साथ ही काम करता है. पिता की मौत हो चुकी है. उसे रुपयों की जरूरत थी. रिंकू एक स्कूल की वैन चलाता था. लौकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से वह भी बेरोजगार था. इसलिए वे सभी पैसों के लालच में आ गए थे.

सचिन ने बीबीए तक की पढ़ाई की थी.  वह पिता के साथ उन के कारोबार में हाथ बंटाता था. जबकि उन के पार्टनर लेखराज चौहान का बेटा हर्ष सचिन से 2 साल छोटा था और बीबीए की पढ़ाई कर रहा था. वह भी पिता के साथ कारोबार में हाथ बंटाता था. 2 करोड़ की फिरौती के लालच में दोस्तों ने भरोसे को तारतार कर दिया. शातिरों ने अपहरण और हत्या की पूरी साजिश इस तरह रची कि पुलिस उलझ कर रह जाए. सामान्य काल की जगह वाट्सऐप काल की. फोन भी दूसरे शहर में ले जा कर फेंक दिया. सबूत मिटाने के लिए अंतिम संस्कार भी पीपीई किट में कर दिया ताकि कोई सवाल न उठाए. यहां तक कि अस्थियों को यमुना में विसर्जित कर दीं ताकि डीएनए टेस्ट भी न कराया जा सके.

पुलिस ने जुटाए सबूत लेकिन फिर भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बच न सके. अपहरण व हत्या के बाद फिरौती वसूलने का सारा तानाबाना सुमित व हर्ष ने ही बुना था. पुलिस ने गिरफ्तार किए गए हत्यारोपियों से 7 मोबाइल, 1200 रुपए नकदी के साथ ही 2 कारें भी बरामद कीं. इस के चलते पुलिस को न तो लाश मिली न ही अस्थियां मिलीं. ऐसे में केस में मजबूत साक्ष्य ही आरोपियों को सजा दिला पाएंगे. इस के लिए पुलिस ने फोरैंसिक एक्सपर्ट की टीम की मदद से 28 जून के बाद 29 जून को भी अन्य साक्ष्य जुटाए. जिस पानी के प्लांट में हत्याकांड को अंजाम दिया गया, वहां से फोरैंसिक एक्सपर्ट की टीम को सचिन का एटीएम कार्ड मिला. यह सचिन की हत्या के दौरान संघर्ष में गिर गया होगा.

इस के अलावा टीम को वहां फिंगर और फुटप्रिंट भी मिले हैं, ये आरोपियों के अलावा सचिन के हो सकते हैं. वहीं कुछ बाल भी मिले हैं. यह आरोपियों के हो सकते हैं. इन्हें फोरैंसिक साइंस लैब भेजा गया है. यहां से पुलिस ने जली हुई सिगरेट, खाली गिलास और पानी की बोतल बरामद की है.  इन पर फिंगरप्रिंट थे. इन्हें लिया गया है. वहीं पुलिस ने श्मशान घाट पर रवि वर्मा के नाम से रसीद कटवाई गई थी. पता सरयू विहार, कमला नगर का लिखाया गया था, मगर यहां कोई रहता नहीं है. पुलिस ने घाट के कर्मचारी के बयान दर्ज किए हैं. कमला नगर में जिस मैडिकल स्टोर से पीपीई किट खरीदी थी, उस के मालिक के बयान के साथ ही दुकान में लगे कैमरों के फुटेज भी लिए गए हैं.

इस के साथ ही पुलिस को कमला नगर व बल्केश्वर क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी मिल गई है, जिस में आरोपी साफ नजर आ रहे हैं. उन की लोकेशन भी है, जो केस में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए साक्ष्य बनेंगे. आरोपियों की कार और वैन पुलिस ने बरामद कर ली है. कार में वे सचिन को ले गए थे, जबकि वैन में शव को ले कर गए थे. इस साल सचिन की शादी की तैयारी थी. उस के लिए कई रिश्ते आए थे. बात भी चल रही थी. सोचा था कि नवंबर में उस की शादी कर देंगे. बेटे की शादी कर बहू घर लाने की ख्वाहिश अब चौहान दंपति का सपना ही बन कर रह गई.

29 जून को पुलिस ने गिरफ्तार किए गए पांचों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया. Crime Kahani

 

True Crime Stories : बॉयफ्रेंड संग मिलकर पत्नी ने चारपाई पर पति को पटक कर गला दबा डाला

True Crime Stories : दुलारी 2 बेटियों की शादी कर चुकी थी और बाकी बचे 2 बच्चे भी शादी लायक हो चुके थे. इस उम्र में अधेड़ उम्र का यह इश्क आगे चल कर किस खतरनाक मोड़ पर पहुंचेगा इस की उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी. फिर एक दिन…

बांदा जिले के बुधेड़ा गांव के रहने वाले शिवनारायण निषाद 18 जून, 2021 की रात गांव की में रामसेवक के घर एक शादी के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. जब वह देर रात तक वापस नहीं लौटे तो घर पर मौजूद पत्नी दुलारी की चिंता बढ़ने लगी. उस समय दुलारी घर पर अकेली थी. उस का 20 वर्षीय बेटा और 17 वर्षीय बेटी राधा गांव अलमोर में स्थित एक रिश्तेदारी में गए हुए थे. दुलारी ने पति की चिंता में जैसेतैसे कर के रात काटी. सुबह होने पर दुलारी ने अपने बेटे को फोन कर के रोते हुए कहा, ‘‘बेटा, तुम्हारे पिताजी गांव में ही रामसेवक चाचा के घर मंडप पूजन के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे, लेकिन अभी तक वह घर वापस नहीं लौटे हैं.’’

बेटे दीपक ने जब पिता शिवनारायण के गायब होने ही बात सुनी तो वह भी घबरा गया. फिर वह मां को समझाते हुए बोला, ‘‘घबराओ मत मां, मैं घर आ रहा हूं. हो सकता है पिताजी रात होने पर वहीं रुक गए हों. फिर भी आप उन के घर जा कर पूछ आओ.’’

‘‘ठीक है बेटा, मैं रामसेवक चाचा के घर पता करने जा रही हूं.’’ दुलारी ने दीपक से कहा. दुलारी जब रामसेवक के घर पहुंची तो रामसेवक ने बताया कि शिवनारायण गांव के ही 2 लोगों सूबेदार और चौथैया के साथ रात 10 बजे ही वहां से लौट गए थे. यह बात दुलारी ने दीपक को फोन कर के बताई तो दीपक के मन में तमाम तरह की आशंकाओं ने जन्म लेना शुरू कर दिया. उसी दिन दीपक अपनी बहन के साथ गांव अलमोर से घर वापस लौट आया. दुलारी और घर के लोग सोचने लगे कि जब वह रामसेवक चाचा के यहां से लौट आए तो कहां चले गए. अभी तक वह घर क्यों नहीं आए? उस दिन दीपक अपने ताऊ पिता रामआसरे, मां दुलारी और परिजनों के साथ पिता को आसपास खोजने में लगा रहा.

इस के बाद परिजनों ने सूबेदार और चौथैया से शिवनारायण के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि हम लोग रात में 10 बजे साथ ही लौटे थे और गांव के शिवलाखन की पान परचून की दुकान पर गए, लेकिन उस समय उस की दुकान बंद थी. तब हम लोग अलगअलग हो कर अपनेअपने घरों को वापस लौट गए थे. इस के बाद शिवनारायण कहां गया, हमें नहीं पता. शिवनारायण की 2 बेटियां, जो अपनी ससुराल में थीं, वह भी पिता के लापता होने की सूचना मिलने पर मायके आ चुकी थीं. अब शिवनारायण के घर वालों के मन में तमाम तरह की आशंकाएं जन्म लेने लगी थीं. बेटे दीपक और बेटियों का रोरो कर बुरा हाल था.

इस दौरान बेटे ने अपने सभी रिश्तेदारियों में फोन कर उन के बारे में जानना चाहा. लेकिन सभी जगह निराशा ही हाथ लग रही थी. शिवनारायण को गायब हुए 2 दिन होने वाले थे, फिर भी घर वाले पुलिस के पास न जा कर इधरउधर खोजने में ही लगे हुए थे. इसी दौरान 20 जून, 2021 की सुबह गांव के सूबेदार और अन्य लोग जब यमुना नदी किनारे से जा रहे थे. तो उन्होंने हाथपैर बंधे घुटनों के बीच डंडा फंसे एक लाश पड़ी देखी. यह बात उन्होंने गांव के अन्य लोगों को बताई. इस के बाद वह लाश देखने के लिए यमुना किनारे गए. ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा होने लगी थी. गांव वालों ने वह लाश पहचान ली. मृतक और कोई नहीं 2 दिन से गायब हुआ शिवनारायण ही था.

इधर ग्रामीणों ने नदी के किनारे लाश मिलने की सूचना स्थानीय थाने जसपुरा के थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह को भी दे दी. थानाप्रभारी सुनील इस घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को देने के बाद अपने मातहतों के साथ घटनास्थल पर रवाना हो गए. नदी के किनारे लाश मिलने की सूचना पा कर शिवनारायण निषाद के परिजन भी रोतेबिलखते वहां पहुंच चुके थे. पति की लाश देख कर दुलारी दहाड़ें मार कर रोने लगी. सूचना पा कर बांदा के एसपी अभिनंदन के अलावा एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह चौहान, सीओ (सदर) सत्यप्रकाश शर्मा के साथ मौके पर पहुंच गए.

पुलिस नें अपनी जांच में पाया कि लाश पानी में फूल कर उतरा कर नदी के किनारे आई है. ऐसे में अनुमान लगाया कि शिवनारायण की हत्या 18 जून की रात में कर दी गई थी. क्योंकि पानी में पड़ा शव करीब 24 घंटे बाद ही उतरा कर ऊपर आता है. थानाप्रभारी ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने वहां से कुछ सबूत भी जुटाए. पुलिस ने लाश को देख कर यह कयास लगाया कि हत्या में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे होंगे. क्योंकि पुलिस को घटनास्थल पर ऐसा कोई निशान और न ही दोपहिया व चार पहिया वाहनों के टायरों के निशान मिले, जिस से यह कहा जा सके कि हत्या इसी जगह पर की गई थी.

इसी को आधार बना कर पुलिस यह मान रही थी कि हत्या कहीं और की गई है. लाश को नदी में ठिकाने लगाने के उद्देश्य से यहां ला कर फेंका गया था. जिस समय बुधेड़ा गांव में पुलिस अधिकारी व थाने की पुलिस घटनास्थल का मौकामुआयना कर रही थी, पुलिस को वहां जमीन पर खून पड़ा भी मिला. साथ ही कुछ दूरी पर चूडि़यों के टुकड़े भी बरामद हुए थे. जिन्हें फोरैंसिक टीम ने अपने कब्जे में ले लिया. मौके पर मौजूद गांव वालों ने बताया कि टूटी चूडि़यां मृतक की पत्नी दुलारी की हैं. उन का कहना था कि मामले की जानकारी होने पर दुलारी वहां बैठ कर रो रही थी. हो सकता है उस दौरान चूडि़यां टूट कर बिखर गई हों.

लेकिन पुलिस किसी भी साक्ष्य को हलके में नहीं ले रही थी, इसलिए वहां मौजूद हर संदिग्ध वस्तु को अपने कब्जे में ले रही थी. इस दौरान हत्या से जुड़े साक्ष्यों को इकट्ठा करने के लिए पुलिस ने शव मिलने वाले स्थान से पैदल ही नदी किनारे करीब डेढ़ किलोमीटर तक छानबीन की, लेकिन वहां से पुलिस को कोई अन्य और खास सबूत नहीं मिला. पुलिस ने जरूरी साक्ष्यों को इकट्ठा करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस दौरान पुलिस ने परिजनों से शिवनारायण के घर वालों से किसी से रंजिश होने की बात पूछी तो उन्होंने बताया कि उन की किसी से कोई रंजिश नहीं थी.

दोपहर तक पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंट कर हत्या करने और फेफड़ों में पानी न होने की पुष्टि हुई. इस के बाद पुलिस ने शिवनारायन बेटे दीपक की तहरीर पर शिवनारायण की हत्या का मुकदमा भादंवि की धारा 302 व 201  तहत दर्ज कर लिया. रिपोर्ट दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने एसपी के निर्देश पर जांच के लिए एक टीम गठित की, जिस में कांस्टेबल शुभम सिंह, सौरभ यादव, अमित त्रिपाठी, महिला कांस्टेबल अमरावती व संगीता वर्मा को शामिल कर जांच शुरू की. थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह को शुरुआती पूछताछ में मृतक शिवनारायण के बड़े भाई रामआसरे और बेटे दीपक ने बताया कि 6 महीने पहले गांव के ही एक दुकानदार ने शिवनारायण से विवाद किया था और धमकी दी थी.

इस के बाद पुलिस ने दुकानदार और रात में दावत में साथ रहे व लाश मिलने की सूचना देने वाले सूबेदार सहित 4 लोगों को पूछताछ के लिए थाने ले गई. लेकिन पुलिस को उन लोगों से पूछताछ में ऐसी कोई बात नहीं मिली, जिस से उन पर हत्या का शक किया जा सके. जसपुरा थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह शिवनारायण निषाद के हत्या की हर एंगल से जांच कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने मृतक के घर के हर सदस्य का बयान दर्ज किया था. उन्हें जांच में पता चला कि शिवनारायण रात के 9 बजे ही दावत से अपने घर के लिए वापस लौट लिए थे. चूंकि उस समय हलकी बारिश हो रही थी, ऐसे में 45 साल की उम्र में उन के कहीं जाने का सवाल ही नहीं उठता था.

ऐसे में पुलिस यह मान कर चल रही थी कि शिवनारायण घर लौटे थे और उन के साथ घर पर ही कोई घटना हुई थी. उस दिन घर पर मृतक शिवनारायण की पत्नी ही मौजूद थी. क्योंकि शिवनारायण के बच्चे रिश्तेदारी में पैलानी थानांतर्गत अमलोर गांव गए हुए थे. मौके पर मिली चूडि़यों के टुकड़े के आधार पर पुलिस का शक पत्नी दुलारी पर और भी पुख्ता होता जा रहा था. उधर पुलिस को मृतक के हाथपांव के बांधने और घुटनों के बीच डंडा बांधने की बात समझ आ चुकी थी. यह हत्या के बाद लाश को उठा कर ले जाने में उपयोग किया गया होगा. इसी दौरान पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि उसी गांव के रहने वाले जगभान सिंह उर्फ पुतुवा का अकसर शिवनारायण निषाद के घर आनाजाना था.

चूंकि शिवनारायण जगभान के खेत में बंटाई पर खेती करता था. इसी दौरान जगभान का  शिवनारायण की पत्नी दुलारी से अवैध संबंध हो गए थे. जिस की जानकारी होने पर शिवनारायण और जगभान के बीच खटास पैदा हो गई थी. अब पुलिस शिवनारायण की पत्नी दुलारी और जगभान पर अपनी जांच केंद्रित कर आगे बढ़ रही थी. इसी सिलसिले में थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने जगभान के घर जा कर पता करना चाहा तो वह घर पर नहीं मिला. लेकिन उस की पत्नी ने पुलिस को बताया कि वह शाम को 6 बजे पास के एक गांव में शादी में गया था. वहां से वह साढ़े 11 बजे रात में लौट कर आए थे. उस की पत्नी ने यह भी बताया कि उन के साथ ही गांव के भोला निषाद की 4 बेटियां भी शादी में गई थीं. जहां भोला की 3 लड़कियां वहीं रुक गई थीं, जबकि एक उन के साथ वापस आई थी.

इस के बाद थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने जहां शादी थी, वहां पता किया तो लोगों ने बताया कि जगभान वहां से साढ़े 8 बजे ही निकल  गया था. फिर पुलिस ने भोला निषाद के घर जा कर पूछताछ की तो  लड़कियों ने बताया कि जगभान उन के घर 9 बजे आए थे, उस के बाद तुरंत वह वापस चले गए. अब पुलिस के सामने सवाल यह था कि जगभान जब भोला के घर से 9 बजे चला आया तो वह अपने घर साढ़े 11 बजे रात में पहुंचा था. तो इन ढाई घंटों के दौरान वह कहां रहा. इस आशंका के आधार पर पुलिस ने जगभान सिंह से ढाई घंटे गायब रहने का कारण पूछा तो वह उस का सही जबाब नहीं दे पाया.

पुलिस ने जब कड़ाई से मृतक की पत्नी दुलारी और जगभान सिंह से पूछताछ की गई तो उन दोनों ने शिवनारायण की हत्या किए जाने की बात स्वीकारते हुए हत्या का राज उगल दिया. उन दोनों ने शिवनारायण की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के जसपुरा थाना क्षेत्र के बुधेड़ा गांव के निवासी शिवनारायण गांव में रह कर खेती करता था. वह दूसरों के खेत बंटाई पर ले कर भी खेती करता था. शिवनारायण ने गांव के ही जगभान सिंह का खेत भी बंटाई पर ले रखा था. खेत बंटाई में लेने के कारण खेत मालिक जगभान शिवनारायण के घर आनेजाने लगा था. इस बीच जगभान और शिवनारायण की पत्नी दुलारी के बीच नजदीकियां बढ़ाने लगी थीं.

दोनों की ये नजदीकियां कब शारीरिक संबंधों में बदल गईं, उन्हें पता ही नहीं चला. लेकिन एक दिन शिवनारायण ने जगभान और दुलारी को साथ में देख लिया तो वह आगबबूला हो गया और जगभान सिंह को घर न आने कि कड़ी हिदायत दे डाली. इस के बावजूद भी जगभान सिंह शिवनारायण के घर आता रहा. लेकिन बारबार शिवनारायण द्वारा जगभान को घर आने से मना करने की वजह से बीते साल जगभान ने शिवनाराण को अपना खेत बंटाई पर नहीं दिया, तभी से दोनों के बीच मनमुटाव हो गया था. इसी बात से जगभान और दुलारी शिवनारायण से खार खाए बैठे थे. वह इसी उधेड़बुन में थे कि किसी तरह शिवनारायण को ठिकाने लगाया जाए.

हत्यारोपी दुलारी ने बताया कि घटना वाले दिन उन का अविवाहित बेटाबेटी गांव अलमोर में अपने एक दिश्तेदार के घर गए हुए थे. उस दिन घर में कोई नहीं था. उसी दिन दोनों ने शिवनरायण को ठिकाने लगाने के लिए तानाबाना बुन लिया था. जगभान दावत से लौटने के बाद  रात के 9 बजे दुलारी के घर पहुंच गया. इधर मंडप कार्यक्रम से घर लौटे शिवनरायण ने दुलारी को जगभान के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देखा तो गुस्से में उस का खून खौल गया और वह पत्नी को मारनेपीटने लगा और जगभान से गालीगलौज करने लगा. तभी दुलारी ने प्रेमी जगभान के साथ मिल कर अपने पति को चारपाई पर पटक दिया और गला दबा कर उस की हत्या कर दी. उसी दौरान उन लोगों नें लाश को ठिकाने लगाने का प्रयास किया, लेकिन गांव के लोग उस समय जग रहे थे.

ऐसे में उन्होंने शिवनारायण की लाश चारपाई के नीचे छिपा दी. इस के बाद जगभान रात के 11 बजे अपने घर चला आया. जगभान ने बताया कि रात करीब 2 बजे जब मोहल्ले के लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब वह रात के सन्नाटे में फिर से शिवनारायण के घर पहुंचा. जहां उस ने और दुलारी ने शिवनारायण के लाश के हाथपांव बांध कर दोनों पैरों के बीच डंडा डाल कर लाश को यमुना नदी में फेंक आए. इतना सब करने के बाद दुलारी और जगभान अपनेअपने घर चले गए. घर आने के बाद दुलारी ने पति के गायब होने की खबर पूरे गांव में फैला दी और जानबूझ कर पति को खोजने का नाटक करती रही. लेकिन पुलिसिया जांच में उन का जुर्म छिप नहीं सका.

पुलिस ने मृतक शिवनारायण की पत्नी दुलारी और उस के आशिक जगभान के से पूछताछ करने के बाद दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया. वहीं एसपी अभिनंदन ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को ईनाम देने की घोषणा की है. True Crime Stories

 

UP Crime News : प्रेमिका संग बनाए संबंध फिर चाकू मारकर किया कत्ल

UP Crime News : बीएससी में पढ़ने वाली सीमा एक होशियार लड़की थी. वह मोहम्मद कैफ से बहुत प्यार करती थी. इसी प्यार और सैक्स के चक्कर में वह एक दिन ऐसी फंसी कि..

‘‘सी मा, देखो शाम का समय है. मौसम भी मस्तमस्त हो रहा है. घूमने का मन कर रहा है. चलो, हम लोग कहीं घूम कर आते हैं.’’ लखनऊ के स्कूटर इंडिया के पास रहने वाली सीमा नाम की लड़की से उस के बौयफ्रैंड कैफ ने मोबाइल पर बात करते हुए कहा.

‘‘कैफ, अभी तो कोई घर में है नहीं, बिना घर वालों के पूछे कैसे चलें?’’ सीमा ने अनमने ढंग से मोहम्मद कैफ को जबाव दिया.

‘‘यार जब घर में कोई नहीं है तो बताने की क्या जरूरत है? हम लोग जल्दी ही वापस आ जाएंगे. जब तक तुम्हारे पापा आएंगे उस के पहले ही हम वापस लौट आएंगे. किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा.’’ कैफ को जैसे ही यह पता चला कि घर में सीमा अकेली है, वह जिद करने लगा. सीमा भी अपने प्रेमी कैफ को मना नहीं कर पाई. सीमा के पिता सीतापुर जिले के खैराबाद के रहने वाले थे. लखनऊ में इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एक प्राइवेट कंपनी में वह शिफ्ट के हिसाब से काम करते थे. सीमा ने पिछले साल बीएससी में एडमिशन लिया था. इसी बीच कोरोना के कारण स्कूलकालेज बंद हो गए. इस के बाद वह अपने पिता रमेश कुमार के पास रहने चली आई थी. सीमा के एक छोटा भाई और एक बहन भी थी.

घर में वह बड़ी थी. इसलिए पिता की मदद के लिए उस ने पढ़ाई के साथ नादरगंज में चप्पल बनाने की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. गांव और शहर के माहौल में काफी अंतर होता है. लखनऊ आ कर सीमा भी यहां के माहौल में ढलने लगी थी. चप्पल फैक्ट्री में काम करते समय वहां कैफ नाम के लड़के से उस की दोस्ती हो गई. यह बात फैक्ट्री के गार्ड को पता चली तो वह भी उसे छेड़ने की कोशिश करने लगा. यह जानकारी जब सीमा के पिता को हुई तो उन्होंने चप्पल फैक्ट्री से बेटी की नौकरी छुड़वा दी. नौकरी छोड़ने के बाद सीमा ज्वैलरी शौप पर नौकरी करने लगी. कैफ के साथ दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी. अब वह घर वालों को बिना बताए उस से मिलने जाने लगी थी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके थे.

12 जून की शाम करीब साढ़े 7 बजे सीमा के पिता रमेश कुमार अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे. सीमा उस समय शौप से वापस आ चुकी थी. रमेश कुमार ने सीमा को समझाते कहा, ‘‘बेटी रात में कहीं जाना नहीं. कमरे का दरवाजा बंद कर लो. खाना खा कर चुपचाप सो जाना.’’

‘‘जी पापा, आप चिंता न करें. मैं कहीं नहीं जाऊंगी. घर पर ही रहूंगी.’’

इस के बाद पिता के जाते ही कैफ का फोन आ गया और सीमा उसे मना करती रही पर उस की जबरदस्ती के आगे वह कुछ कर नहीं सकी. शाम 8 बजे के करीब कैफ सीमा के घर के पास आया और उसे बुला लिया. मां ने शाम 5 बजे के करीब बेटी से फोन पर बात की थी. उसे हिदायत दी थी कि कहीं जाना नहीं. पिता ने भी उसे समझाया था कि घर में ही रहना, कहीं जाना नहीं. इस के बाद भी सीमा ने बात नहीं मानी. वह अपने प्रेमी मोहम्मद कैफ के साथ चली गई. पिता जब अगली सुबह 8 बजे ड्यूटी से वापस घर आए तो सीमा वहां नहीं थी. उन्होंने सीमा के फोन पर काल करनी शुरू की तो उस का फोन बंद था. यह बात उन्होंने अपनी पत्नी को बताई तो बेटी की चिंता में वह सीतापुर से लखनऊ के लिए निकल गई.

इस बीच पिपरसंड गांव के प्रधान रामनरेश पाल ने सरोजनीनगर थाने में सूचना दी कि गहरू के जंगल में एक लड़की की लाश पड़ी है. लड़की के कपडे़ अस्तव्यस्त थे. देखने में ही लग रहा था कि पहले उस के साथ बलात्कार किया गया है. गले में दुपट्टा कसा हुआ था. पास में ही शराब, पानी की बोतल, 2 गिलास, एक रस्सी और सिगरेट के टुकड़े भी पड़े थे. घटना की सूचना पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर, डीसीपी (सेंट्रल) सोमेन वर्मा और एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल) सी.एन. सिन्हा को भी दी गई. पुलिस ने छानबीन के लिए फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम को भी लगाया.

इस बीच तक सीमा के मातापिता भी वहां पहुंच चुके थे. पुलिस ने अब तक मुकदमा अज्ञात के खिलाफ कायम कर के छानबीन शुरू कर दी थी. सीमा के घर वालों ने पुलिस को बताया कि मोहम्मद कैफ नाम के लड़के पर उन्हें शक है. दोनों की दोस्ती की बात सामने आई थी. पुलिस ने मोहम्मद कैफ के मोबाइल और सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स चैक करनी शुरू की. पुलिस को कैफ के मोबाइल को चैक करने से पता चला कि उस ने सीमा से बात की थी. उस के बाद से सीमा का फोन बंद हो गया. अब पुलिस ने कैफ को पकड़ा और उस से पूछताछ की तो प्यार, सैक्स और हत्या की दर्दनाक कहानी सामने आ गई.

12 जून, 2021 की शाम मोहम्मद कैफ अपने 2 दोस्तों विशाल कश्यप और आकाश यादव के साथ बैठ कर ताड़ी पी रहा था. ये दोनों दरोगाखेड़ा और अमौसी गांव के रहने वाले थे. ताड़ी का नशा तीनों पर चढ़ चुका था. बातोंबातों में लड़की की बातें आपस में होने लगीं.  कैफ ने कहा, ‘‘ताड़ी पीने के बाद तो लड़की और भी नशीली दिखने लगती है.’’

आकाश बोला, ‘‘दिखने से काम नहीं होता. लड़की मिलनी भी चाहिए.’’

कैफ उसे देख कर बोला, ‘‘तुम लोगों का तो पता नहीं, पर मेरे पास तो लड़की है. अब तुम ने याद दिलाई है तो आज उस से मिल ही लेते हैं.’’

यह कह कर कैफ ने सीमा को फोन मिलाया और कुछ देर में वह सीमा को बुलाने चला गया. इधर आकाश और विशाल को भी नशा चढ़ चुका था. दोनों भी इस मौके का लाभ उठाना चाहते थे. उन को पता था कि कैफ कहां जाता है. ये दोनों जंगल में पहले से ही पहुंच गए और वहीं बैठ कर पीने लगे. सीमा और कैफ ने जंगल में संबंध बनाए. तभी विशाल और आकाश वहां पहुंच गए. वे भी सीमा से संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगे. पहले तो कैफ इस के लिए मना करता रहा, बाद में वह भी सीमा पर दबाव बनाने लगा. जब सीमा नहीं मानी तो तीनों ने जबरदस्ती उस के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया. अब सीमा ने खुद को बचाने के लिए शोर मचाना चाहा और कच्चे रास्ते पर भागने लगी. इस पर विशाल ने सीमा की पीठ पर चाकू से वार किया. सीमा इस के बाद भी बबूल की झडि़यों में होते हुए भागने लगी.

‘‘इसे मार दो नहीं तो हम सब फंस जाएंगे.’’ विशाल और आकाश ने कैफ से कहा.

सीमा झाडि़यों से निकल कर जैसे ही बाहर खाली जगह पर आई, तीनों ने उसे घेर लिया. ताबड़तोड़ वार करने के साथ ही साथ उस के गले को भी दबा कर रखा. मारते समय चाकू सीमा के पेट में होता हुआ पीठ में फंस गया और वह टूट गया. 15 से 20 गहरे घाव से खून बहने के कारण सीमा की मौत हो गई. पेट में चाकू के वार से सीमा का यूरिनल थैली तक फट गई थी. 2 महीने पहले जब सीमा ने मोहम्मद कैफ से दोस्ती और प्यार में संबंध बनाए थे, तब यह नहीं सोचा था कि एक दिन उसे यह दिन देखना पड़ेगा.

लखनऊ पुलिस ने एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह की अगुवाई में बनी पुलिस टीम को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की. पुलिस ने मोहम्मद कैफ और उस के दोनों साथी विशाल और आकाश को भादंवि की धारा 302 में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. UP Crime News

(कथा में सीमा और उस के परिजनों के नाम बदल दिए गए हैं

Crime Story Hindi : बेटी और प्रेमी संग मिलकर कर डाला पति का कत्ल

Crime Story Hindi : लौकडाउन में पति अशोक घर पर रहा तो उस की पत्नी राजबाला की परेशानी बढ़ गई, क्योंकि पति के रहते हुए वह प्रेमी वीरेंद्र उर्फ ढिल्लू से नहीं मिल पा रही थी. प्रेमी के सिंदूर के लिए बेटी शीतल के साथ मिल कर राजबाला ने इस का ऐसा रास्ता निकाला कि…

17 मई की शाम करीब साढ़े 5 बजे थे जब दिल्ली में द्वारका सेक्टर 29 से सटे छावला के थाने के टेलीफोन की घंटी बजी. ड्यूटी औफिसर ने तुरंत फाइल समेटते हुए अपना हाथ टेलीफोन का रिसीवर उठाने के लिए आगे बढ़ाया. जैसे ही ड्यूटी औफिसर ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से किसी ने घबराते हुए बोला, ‘‘छावला पुलिस स्टेशन?’’

ड्यूटी औफिसर, ‘‘मैं छावला थाने से बोल रहा हूं. बताइए आप क्या कहना चाहते हैं?’’ ड्यूटी औफिसर ने कहा.

‘‘साहब, निर्मलधाम के पास सड़क किनारे एक आदमी की लाश पड़ी है. मैं यहां से गुजर रहा था तो मैं ने देखा. आप यहां आ कर देख लीजिए.’’

ड्यूटी औफिसर ने फोन के रिसीवर को अपने दांए कंधे और कान के सहारे दबाया, अपने दोनों हाथों को आजाद किया और टेबल पर कहीं पड़े नोट्स वाली डायरी ढूंढने लगे. वह लगातार फोन पर उस राहगीर से वारदात की घटना के बारे में पूछ रहे थे और डायरी ढूंढ रहे थे. टेबल पर बिखरे सारे सामान को उलटने पुलटने के बाद जब डायरी नहीं मिली तो एक फाइल के पीछे ही उन्होंने वारदात की जगह समेत बाकी जरूरी जानकारियां लिख डालीं. ड्यूटी औफिसर ने उस राहगीर को वारदात की जगह से कहीं भी हिलने से मना कर दिया और फोन काट दिया. ये सारी जानकारी ड्यूटी औफिसर ने उस समय थाने में मौजूद थानाप्रभारी राजवीर राणा को दी. राजवीर राणा बिना किसी देरी के थाने में मौजूद स्टाफ को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

वहां पहुंचते ही पुलिस की टीम ने उस सुनसान सी सड़क के एक किनारे पर एक बाइक खड़ी देखी. बाइक के बिलकुल बगल में खून से लथपथ एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी. लाश को देखते ही वहां मौजूद पुलिस टीम चौकन्नी हो गई और सबूत जमा करने के मकसद से घटनास्थल के इर्दगिर्द फैल गई. थानाप्रभारी राजवीर राणा जब लाश का मुआयना करने के लिए बौडी के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उस के बदन पर किसी धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. जो साफ दिखाई दे रहे थे. उन्होंने लाश के अगलबगल नजर घुमाई तो एक मोबाइल फोन वहीं पास में पड़ा था, जो कि संभवत: मरने वाले शख्स का रहा होगा. रात होने को थी.

मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने बिना किसी देरी के बाइक और मोबाइल जब्त कर लिया और लाश की काररवाई आगे बढ़ाने के लिए क्राइम इनवैस्टीगैशन टीम के आने का इंतजार करने लगे. उस सड़क से पैदल आने जाने वाले लोगों ने पुलिस और वहां मौजूद लाश को देख कर घटनास्थल पर जमावड़ा लगा दिया. सब टकटकी लगाए पुलिस को अपना काम करते देख आपस में फुसफुसाहट करने लगे. जब वहां मौजूद पुलिस ने आसपास के मूकदर्शक बने लोगों से लाश की पहचान करने के लिए पूछताछ की तो कुछ लोगों ने लाश की शिनाख्त करते हुए कहा कि इस का नाम अशोक कुमार है और यह पेशे से टैक्सी ड्राईवर है.

तब तक मौके पर क्राइम इनवैस्टीगैशन टीम भी आ पहुंची. टीम ने अपना काम शुरू किया. उन्होंने सब से पहले लाश की फोटोग्राफी की. उन्होंने सबूत के तौर पर घटनास्थल से खून लगी मिट्टी के नमूने इकट्ठा कर लिए. यह सब काम कर लेने के बाद थानाप्रभारी राजवीर राणा ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मौर्चरी भेज दिया. सारे काम निपटा लेने के बाद पुलिस की टीम थाने लौट आई तथा इस केस के संबंध में काम आगे बढ़ाने लगी. पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया और जांच की जिम्मेदारी थानाप्रभारी राजवीर राणा ने स्वयं संभाली. केस की तफ्तीश को आगे बढ़ाने के लिए थानाप्रभारी राणा ने सब से पहले घटनास्थल से बरामद किए गए मोबाइल फोन को निकलवाया. यह फोन टूटा नहीं था. सिर्फ बैटरी चार्जिंग खत्म होने की वजह से बंद हो गया था.

उस की काल डिटेल्स निकलवाई और देखा कि आखिरी बार एक नंबर से अशोक कुमार को कई बार काल की गई थी. इस के कुछ देर बाद ही अशोक कुमार की हत्या हो गई थी. शक की सूई अब इसी आखिरी नंबर पर आ कर रुक गई थी. राजवीर राणा ने अपने फोन से इस नंबर को डायल किया तो दूसरी तरफ से किसी महिला की आवाज आई. थानाप्रभारी ने पहले अपना परिचय दिया और उस के बाद उस महिला से अशोक कुमार के रिश्ते के बारे में पूछा. महिला ने अपना नाम शीतल और खुद को अशोक कुमार की बेटी बताया. राजवीर ने फोन पर बड़े दु:ख के साथ शीतल को बताया कि उस के पिता सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हो चुके हैं, यह जानने के बाद शीतल उसी समय ही बिलखने लगी.

उन्होंने उस से उस की मां के बारे में पूछा तो शीतल ने अपनी मां राजबाला से उन की बात करा दी. थानाप्रभारी ने राजबाला को अशोक की मौत की खबर देते हुए उन से शीघ्र ही थाने पहुंचने को कहा 2-3 घंटे बाद जब राजबाला थाने पहुंची तो वह राजवीर राणा को देखते ही फफकफफक कर रोने लगी. अपने पति की हत्या की खबर सुन कर वह आहत थी. राजवीर राणा ने राजबाला को हौसला रखने को कहा और उस से उस के पति से किसी से साथ दुश्मनी होने के बारे में पूछा. राजबाला ने रोते हुए कहा कि अशोक की किसी के साथ भी कोई दुश्मनी नहीं थी. राजबाला से बात करते समय थानाप्रभारी राजवीर राणा को उस की बातों से ऐसा नहीं लग रहा था कि उसे पति की मौत का दुख है. बेशक राजबाला राजवीर राणा के सामने रो रही थी और दुखी दिखाई दे रही थी. लेकिन राजवीर को राजबाला पर शक हो चुका था.

राजबाला के आंसू घडि़याली लग रहे थे. दाल में कहीं तो कुछ काला जरुर था, जिस का पता लगाना जल्द से जल्द जरुरी था. आखिर एक व्यक्ति का कत्ल जो हुआ था. राजबाला से पूछताछ खत्म होने पर वह अपने घर के लिए रवाना हो गई और पीछे कई तरह के शक और सवाल छोड़ गई. इन सभी शकों को दूर करने के लिए और इस मामले से जुडे़ सभी सवालों के जवाब ढूंढने के लिए थानाप्रभारी ने शीतल और राजबाला की काल डिटेल्स मंगवाई. उन्होंने दोनों की काल डिटेल्स को बेहद बारीकी से परखी और उस की जांच की तो वह बेहद हैरान रह गए.

काल डिटेल्स से उन्हें यह पता लगा कि शीतल जिस समय अशोक को लगातार काल कर रही थी उस के ठीक बाद उस ने एक अन्य नंबर पर काफी देर तक बातचीत की थी. यह सब देख कर पुलिस ने यह अनुमान लगाया कि यदि इस मामले में शीतल को थोडा ढंग से कुरेदा जाए तो शायद इस केस में एक और लीड मिल सकती है. राजवीर ने बिना देरी किए फिर से एक बार राजबाला और शीतल को थाने बुला लिया. उन्होंने इस बार दोनों से अलगअलग पूछताछ की. उन्होंने पहले शीतल से इस घटना के बारे में विस्तार से पूछा. शीतल का बयान लेने के बाद उन्होंने राजबाला से इस मामले में फिर से पूछताछ की. क्रास पूछताछ में दोनों की चोरी पकड़ी गई.

दोनों के बयान एक दूसरे से अलग थे. जब राजवीर राणा ने दोनों को कानून का थोड़ा डर दिखा कर उन पर दबाव बनाया तो शीतल ज्यादा देर टिक नहीं सकी. शीतल ने रोतेबिलखते, अपने हाथ से अपना सिर पीटते हुए अपनी मां राजबाला और उस के प्रेमी वीरेंद्र उर्फ ढिल्लू के साथ साजिश रच कर अपने पिता की हत्या कराने की बात कबूल कर ली. यह सब सुनते ही बेटी के सामने राजबाला का चेहरा पीला पड़ गया. उसे जैसे न तो कुछ सुनाई दे रहा था और न ही कुछ दिखाई दे रहा था. थाने में शीतल के सामने राजबाला अपनी बेटी को घूरे जा रही थी. वह उसे ऐसे घूर रही थी जैसे मानो अगर उसे मौका मिलता तो वह वहीं पर शीतल का भी कत्ल कर बैठती.

शीतल द्वारा जुर्म कबूल करते ही पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. फिर राजबाला की निशानदेही पर उस के प्रेमी वीरेंद्र को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. वीरेंद्र से पूछताछ की गई तो उस ने अशोक की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. वीरेंद्र के बताए हुए पते पर जा कर पुलिस टीम ने अशोक कुमार की हत्या में इस्तेमाल किए जाने वाले चाकू और उस की कार बरामद कर ली. तीनों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में अशोक कुमार की हत्या के पीछे अवैध संबंधों की जो सनसनीखेज दास्तान सामने आई, कुछ इस तरह थी—

अशोक कुमार दिल्ली के नजफगढ़ के नजदीक भरथल गांव में अपने परिवार के साथ रहता था. उस का 3 सदस्यों का छोटा परिवार था जिस में अशोक, उस की पत्नी राजबाला और बेटी शीतल ही थी. अशोक की कमाई का जरिया उस की टैक्सी थी. वह बेटी शीतल की शादी जाफरपुर कला के पास इशापुर गांव के रहने वाले हिमांशु से कर चुका था. शीतल अपने पति के साथ बेहद खुश थी. बेटी की शादी के बाद अशोक के सिर पर अब कोई और जिम्मेदारी नहीं थी. लेकिन पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश में लौकडाउन लगा तो ज्यादातर लोगों की तरह अशोक भी अपने घर में कैद हो कर रह गया. उस का काम न के बराबर रह गया. घर पर रहने पर अशोक बहुत ज्यादा परेशान नहीं था.

अशोक को महसूस हुआ कि वैसे भी अपने काम के दौरान वह अकसर अपने घर से बाहर ही रहता है, ऐसे में न जाने कितने अरसे बाद उसे इतने लंबे समय के लिए घर में रहना नसीब हुआ है. अपने काम से हमेशा बाहर रहने वाले व्यक्ति को जब घर में कैद होना पड़ जाए तो जाहिर सी बात है कि वह घर की हर एक चीज को बारीकी से परखता है, गौर करता है. ऐसे ही लौकडाउन के एक दिन अशोक घर का सामान लेने के लिए गांव में निकला तो दुकानदार से बातचीत के दौरान उस ने जो सुना उस से उस के होश ही उड़ गए. दुकानदार ने कहा, ‘‘क्या भई अशोक. मजा आ रहा है घर में कैद हो कर?’’

‘‘कैद होना किस को अच्छा लगता है भला. अब समस्या सिर पर बैठी है तो हम बस उसे झेलने को मजबूर हैं. घर में रहने के अलावा और कुछ कर भी तो नहीं सकते.’’ अशोक बोला.

‘‘अब तो तुम्हारी महरिया भी तुम्हारे साथ कैद हो गई होगी. अब तो लोग आ जा भी नहीं सकते तुम्हारे घर. दुकानदार ने जोर देते हुए कहा.’’

‘‘वो घर में कैद हो गई…? क्या मतलब. और घर में लोगों के आने की क्या बात कह रहे हो.’’ अशोक भौंहें चढ़ाते हुए बोला.

दुकानदार ने धीमी, दबी आवाज में कहा, ‘‘अरे वो तो लौकडाउन लग गया तब जा कर तुम्हारी महरिया घर पर रुकने को मजबूर है. नहीं तो तुम्हारे घर से निकलते ही तुम्हारी महरिया आशिकी करने निकल जाती थी.’’

‘‘यह तुम कैसी बातें कर रहे हो. कौन है उस का आशिक?’’ अशोक ने गुस्से से पूछा.

दुकानदार दबी आवाज में बोला, ‘‘अरे ढिल्लू का नाम सुना है न तुम ने? वीरेंद्र का? वही तो है जो शीतल की मां के साथ आशिकी करता फिरता है. यह बात तो पूरे गांव वालों को पता है. चाहे तो पूछ लो.’’

ये सब सुनते ही अशोक के दाएं हाथ में थामी पौलिथिन थैली छूट गई. थैली फटने से चीनी, आटा, दाल और घर का कुछ और सामान नीचे पथरीली सड़क पर गिर कर फैल गया. अशोक को इस बात पर जितना सदमा लगा था उस से कहीं ज्यादा उसे इस बात को सुन कर गुस्सा आ रहा था. लोग उस की पत्नी राजबाला और गांव के बदमाश वीरेंद्र के बारे में उलटी सीधी बातें कर रहे थे. दुकानदार से यह सब सुन कर उस ने 2-4 और लोगों से इस बारे में पूछताछ की. हर किसी ने दबी आवाज में अशोक को वही बताया जो कि उस दुकानदार ने बताया था. दरअसल 43 वर्षीय वीरेंद्र उर्फ ढिल्लू भरथल का ही निवासी था. वीरेंद्र उस इलाके का नामचीन बदमाश था. दिल्ली के कई थानों में उस के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. एक तरह से जेल उस का दूसरा घर था.

लोगों के अनुसार जब अशोक घर पर नहीं रहता था तब उस के पीठ पीछे वीरेंद्र राजबाला के साथ गुलछर्रे उड़ाता था. अशोक ने बिना किसी हिचकिचाहट के राजबाला से इस बारे में पूछा. लेकिन राजबाला ने पति की बात से कन्नी काट ली. उस ने उस की बात से साफ इनकार कर दिया. लेकिन उस दिन के बाद राजबाला अशोक की नजरों का ज्यादा देर तक सामना नहीं कर पाई. राजबाला के मोबाइल पर जब कभी भी वीरेंद्र का फोन आता तो वह पति से दूर जा कर बात करती, जब अशोक उस से पूछता कि किस का फोन आया था तो वह रिश्तेदार होने का बहाना बनाने लगती. यह सब कुछ देख कर अशोक को यह यकीन जरूर हो गया कि दाल में जरूर कुछ काला है.

अकसर पति के घर पर रहने से पत्नी को खुशी होती है लेकिन अशोक के घर पर होने से राजबाला की खुशियों पर मानो बादल छा गए थे. राजबाला वीरेंद्र से मिलने के लिए तड़पने लगी. उसे अपने पति से ज्यादा वीरेंद्र पसंद था. वीरेंद्र के साथ मां की आशिकी के किस्से बेटी शीतल से भी नहीं छिपे थे. वह भी उन के रिश्ते के बारे में बखूबी जानती थी और वह भी तो वीरेंद्र से पिता का महत्त्व देती थी. शीतल वीरेंद्र को पिता अशोक से ज्यादा पसंद करती थी. क्योंकि अशोक जब घर पर नहीं रहता था, उस समय वीरेंद्र राजबाला से मिलने आता तो शीतल के लिए महंगे तोहफे साथ लाता था. दरअसल लौकडाउन की वजह से अशोक अपनी पत्नी राजबाला, बेटी शीतल और वीरेंद्र के लिए गले की हड्डी बन गया था.

लौकडाउन के चलते जेल में बंद वीरेंद्र को भी पैरोल पर छोड़ दिया गया था. एक दिन अशोक की नजरों से बचते बचाते वीरेंद्र राजबाला से मिला. उस दिन राजबाला ने वीरेंद्र पर इस कदर प्यार लुटाया जैसे वीरेंद्र के पर लग गए हों. शारीरिक सुख भोग लेने के बाद जब राजबाला और वीरेंद्र एकदूसरे से अलग हुए तो उस ने वीरेंद्र्र से कहा कि अगर उस ने उस के पति अशोक को जल्द ठिकाने नहीं लगाया तो वह आत्महत्या कर लेगी. तब वीरेंद्र ने प्रेमिका से कहा, ‘‘तुम्हें आत्महत्या करने की जरूरत नहीं है. मैं उसे ही निपटा दूंगा.’’

इस के बाद राजबाला और वीरेंद्र ने योजना बनाई. इस योजना में उन्होंने शीतल को शामिल कर लिया. शीतल इस काम के लिए खुशी से तैयार हो गई. 17 मई, 2021 को शीतल ने अपने पिता अशोक को मिलने के लिए निर्मलधाम बुलाया. अशोक अपनी बाइक से निर्मलधाम के रास्ते में ही था. शीतल पलपल पिता को काल कर उस से खबर लेती रही. जब अशोक निर्मलधाम के नजदीक पहुंचा तो शीतल ने वीरेंद्र को काल कर यह बात बता दी. वीरेंद्र अपनी हुंडई कार से वहां पहुंच गया और अशोक को सड़क किनारे रोक कर चाकू से गोद दिया. अशोक की लाश को वहीं छोड़ कर वीरेंद्र्र वहां से फरार हो गया. काम हो जाने पर वीरेंद्र्र ने राजबाला और शीतल को इस बात की जानकारी फोन कर के दी.

राजबाला, शीतल और वीरेंद्र्र तीनों अपनी कामयाबी का जश्न मना रहे थे लेकिन पुलिस ने अपनी सूझबूझ के साथ 12 घंटे के अंदर ही अशोक कुमार हत्याकांड का परदाफाश कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. मामले की तफ्तीश थानाप्रभारी राजवीर राणा कर रहे थे. Crime Story Hindi

 

Ghar ki Kahaniyan : चाची के प्यार में भतीजे ने ताऊ की कर दी हत्या

Ghar ki Kahaniyan : रामपाल ने सविता से दूसरी शादी कर जरूर ली थी, लेकिन वह उस की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहा था. इसी दौरान सविता का दिल पति के भतीजे मंजीत पर आ गया. युवा मंजीत भी चाची की चाहत का ऐसा दीवाना हुआ कि रिश्ते की सारी दीवारें टूट गईं. और फिर…

14 जून, 2021 की सुबह के 5 बजे का वक्त रहा होगा. सचिन उठते ही सब से पहले अपने घेर की तरफ चला गया. सचिन के पिता चंद्रपाल घर के पीछे बने जानवरों के घेर में ही सोते थे. घेर में जाते ही सचिन की निगाह पिता की चारपाई पड़ी, तो उस की जोरदार चीख निकल गई. चंद्रपाल की चारपाई खून से लथपथ पड़ी थी. चंद्रपाल के ऊपर पड़ी चादर तो लहूलुहान थी ही, साथ ही तमाम खून उस की चारपाई के नीचे भी पड़ा था. सचिन की चीखपुकार सुन कर आसपड़ोस के लोग भी जाग गए थे. देखते ही देखते चंद्रपाल के घेर में लोगों का जमावड़ा लग गया. चारपाई के पास खून से सनी एक ईंट भी पड़ी थी.

हालांकि चंद्रपाल की हालत देखते हुए कहीं से भी नहीं लग रहा था कि उस की सांसें अभी भी चल रही होंगी, इस के बावजूद भी सचिन पिता को अस्पताल ले गया. जहां पर डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. इस घटना की जानकारी पुलिस को अस्पताल के द्वारा ही पता चली थी. यह घटना उत्तराखंड के शहर जसपुर के थाना कुंडा की थी. सूचना पाते ही कुंडा थानाप्रभारी अरविंद चौधरी कुछ कांस्टेबलों को साथ ले कर सीधे काशीपुर एल.डी. भट्ट अस्पताल पहुंचे. सरकारी अस्पताल में ही पुलिस ने मृतक के परिजनों से घटना की जानकारी जुटाई. इस के बाद एसआई महेश चंद ने शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. बाद में पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर खून से सनी ईंट और अन्य सबूत जुटाए.

पुलिस केस की जांच में जुट गई. सचिन ने पुलिस को बताया कि 2 दिन पहले ही उस के पिता के साथ उस की चाची सविता की किसी बात को ले कर तूतूमैंमैं हुई थी. लेकिन उसे उम्मीद है कि उस की चाची इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकती. यह जानकारी भले ही सचिन के लिए कोई मायने नहीं रखती थी. लेकिन पुलिस के लिए यह सूत्र अहम मायने रखता था. पुलिस ने सविता को पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में ले लिया. पूछताछ के दौरान सविता ने साफ शब्दों में जबाव दिया कि वह अपने जेठ का खून क्यों करेगी. उस के जेठ तो उस के बच्चों को बहुत ही प्यार करते थे. उसी दौरान चंद्रपाल के छोटे भाई ने बताया कि सविता का चालचलन ठीक नहीं है. वह 2 दिन पहले ही अपने भतीजे मंजीत को ले कर मुरादाबाद भाग गई थी. उसी बात को ले कर चंद्रपाल ने उसे काफी डांटफटकार लगाई थी.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस समझ गई कि माजरा क्या है. इस से पहले मंजीत कहीं भाग पाता, पुलिस ने उसे भी अपनी कस्टडी में ले लिया और दोनों को थाने ले आई. थाने ला कर दोनों से कड़ी पूछताछ हुई. पुलिस ने मंजीत से इस मामले में पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस रात तो वह फैक्ट्री में काम करने गया हुआ था. ऐसे में वह अपने ताऊ की हत्या कैसे कर सकता है. इस सच्चाई को जानने के लिए पुलिस की एक टीम उस फैक्ट्री में भी गई. वहां पर सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो सचमुच मंजीत की एंट्री वहां दर्ज थी. उपस्थिति वाले रजिस्टर पर उस के हस्ताक्षर भी मौजूद थे. यह सब देख कर पुलिस की जांच पर पानी फिर गया. पुलिस ने इस बारे में सविता के पति रामपाल से पूछताछ की. रामपाल ने बताया कि वह सारे दिन मेहनतमजदूरी कर इतना थक जाता है कि सोने के बाद उसे होशोहवास नहीं रहता.

उसी जांचपड़ताल के दौरान पुलिस की नजर रामपाल के दरवाजे पर पड़ी. जिस पर खून की अंगुलियों के निशान साफ नजर आ रहे थे. फिर पूरे घर की तलाशी ली गई. तभी पुलिस को बाथरूम में खून से सना एक कपड़ा भी मिला, जिस से खून साफ किया गया था. यह सब तथ्य जुटाने के बाद पुलिस ने मंजीत और सविता से अलगअलग पूछताछ की. जिस के दौरान थानाप्रभारी ने सविता से सीधा प्रश्न किया, ‘‘हमें तुम्हारी सारी सच्चाई पता चल गई है. हमें बाथरूम में वह कपड़ा भी मिल गया, जिस से खून साफ किया गया था. यह बात तो पक्की है कि चंद्रपाल की हत्या में तुम्हारा पूरा हाथ है. तुम्हारे लिए यही सही है कि सीधेसीधे सब कुछ बता दो. तुम ने चंद्रपाल की हत्या क्यों की.’’

पुलिस पूछताछ में सविता ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई. उस ने बता दिया कि उस ने ही भतीजे के साथ मिल कर अपने जेठ की हत्या की है. सविता के बाद पुलिस ने मंजीत को अलग ले जा कर कहा कि तुम्हारी प्रेमिका चाची ने हमें सब कुछ बता दिया है. लेकिन हम तुम से केवल इतना जानना चाहते हैं कि तुम ने फैक्ट्री में ड्यूटी करते हुए भी किस तरह से चंद्रपाल की हत्या की? मंजीत भी कच्चा खिलाड़ी था. उस ने भी पुलिस को सब कुछ साफसाफ बताते हुए अपना जुर्म कबूल कर लिया था. इस केस के खुलने के बाद जो चाचीभतीजे की प्रेम कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी. यह मामला उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के कुंडा थाना से उत्तर दिशा में लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित गांव टीले का है.

बहुत पहले गांव मैरकपुर पाकवाड़ा, मुरादाबाद निवासी सुमेर सिंह रोजीरोटी की तलाश में यहां आए और यहीं के हो कर रह गए. सुमेर सिंह के 4 बेटे थे, जिन में चंद्रपाल सब से बड़ा, उस के बाद विक्रम तथा रामपाल सब से छोटा था. समय के साथ तीनों की शादियां भी हो गईं. शादी होते ही सभी भाइयों ने अपनी गृहस्थी संभाल ली और अलगअलग मकान बना कर रहने लगे थे. अब से 5 साल पहले चंद्रपाल का चचेरा भाई करन अपने परिवार से मिलने आया था. करन ने यहां का रहनसहन देखा तो वह भी यहीं का दीवाना हो गया. करन के परिवार से संबंध रखने के कारण चंद्रपाल ने उसे रहने के लिए अपने ही घर में शरण दी थी. रामपाल की शादी काशीपुर के टांडा उज्जैन से हुई थी. रामपाल शुरू से ही सीधेसरल स्वभाव का था.

जबकि रामपाल की बीवी शहर की रहने वाली और तेजतर्रार थी. शादी के बाद गांव का रहनसहन उसे पसंद नहीं था. एक साल उस ने जैसेतैसे उस के साथ काटा और फिर उस ने रामपाल से संबंध विच्छेद कर लिया. उस समय तक उस की बीवी के कोई औलाद पैदा नहीं हुई थी. रामपाल की बीवी उसे छोड़ कर चली गई तो रामपाल उदास रहने लगा. इस के बाद भाइयों ने फिर से रामपाल की शादी मुरादाबाद जिले के टांडा स्वार के मानपुर की रहने वाली सविता से करा दी. सविता के साथ दूसरी शादी हो जाने से रामपाल खुश रहने लगा था. रामपाल सुबह ही मेहनतमजदूरी करने के लिए घर से निकल जाता, फिर देर शाम ही घर पहुंच पाता था. गुजरते समय के साथ सविता 2 बच्चों की मां भी बन गई. हालांकि सविता पहले से ही देखनेभालने में सुंदर थी, लेकिन 2 बच्चों को जन्म देने के बाद तो उस की देह और भी चमक उठी थी.

रामपाल के मकान के सामने ही करन सिंह अपने परिवार के साथ रहता था. उस वक्त करन का बड़ा बेटा मंजीत जवानी के दौर से गुजर रहा था. मंजीत आवारा किस्म का था. हर समय वह अपनी चाची सविता के पास ही पड़ा रहता था. उस के साथ रहने से सविता को एक सब से बड़ा फायदा था कि वह उस के बच्चों को संभालने में उस की मदद करता था. सविता को जब कभी भी अपने घर का कामकाज निपटाना होता था तो वह अपने बच्चों को मंजीत के पास ही छोड़़ देती थी. कुसगंति से मंजीत के मन में गंदगी पनपनी शुरू हुई तो चाची के प्रति उस की सोच भी बदल गई थी. हालांकि सविता उसे अपने भतीजे के रूप में ही देखती आ रही थी. लेकिन जैसे ही मंजीत का बदलता नजरिया देख कर सविता के मन में भी उथलपुथल पैदा हो गई.

उसे अब पति रामपाल का शरीर कुछ थकाथका सा महसूस होने लगा था. कई बार सविता बच्चों को मंजीत को सौंप कर उसी के सामने नहाने लगती थी, जिसे आंख चुरा कर देखने में मंजीत की आंखों को बहुत ही सुख मिलता था. सविता नहाने के बाद अपने तन को तौलिए से ढंक कर कमरे में जाती तो मंजीत की हवस भरी निगाहें उस के शरीर का पीछा करती रहती थीं. फिर एक दिन ऐसा भी आया कि सविता कमरे में तौलिए से अपने तन का पानी पोंछ रही थी, उसी दौरान उस के हाथ से तौलिया छूटा और नीचे गिर गया. सविता ने बड़ी ही फुरती से तौलिया उठाने की कोशिश की तो सामने दरवाजे के सामने ही मंजीत खड़ा देख रहा था.

‘‘अरे मंजीत, तुम यहां? तुम ने कुछ देखा तो नहीं?’’

‘‘नहींनहीं चाची, मैं ने कुछ नहीं देखा.’’

मंजीत की बात सुनते ही सविता मुसकराई, ‘बुद्धू कहीं का, पूरा सीन हो गया, लेकिन ये कुछ समझने को तैयार ही नहीं.’

एक दिन मंजीत जुलाई महीने में अपनी सविता चाची के घर पहुंचा. उस के परिवार वाले खेतों पर काम करने गए हुए थे. सविता के बच्चे सोए पड़े थे. सविता बच्चों के पास ही सोई हुई थी. उस समय नींद की आगोश में उस के अंगवस्त्र अस्तव्यस्त हो चुके थे. मंजीत ने अपनी चाची को इस हाल में सोते देखा तो उस के तनमन के तार झनझनाने लगे. उसी समय सविता की आंखें खुलीं तो उस ने सामने मंजीत को बैठे देखा. वह पहल करते हुए बोली, ‘‘मंजीत तू कब आया? तेरे आने का तो मुझे पता ही नही चला.’’

‘‘बस चाची, यूं समझो कि अभीअभी आया था. घर पर नींद नहीं आ रही थी तो सोचा चाची के पास थोड़ा वक्त काट आऊं. लेकिन यहां आ कर देखा तो आप गहरी नींद में सोई पड़ी थीं.’’

‘‘अरे नहीं, आजकल मुझे गहरी नींद कहां आ रही है. मेरी कमर में दर्द है. उसी से परेशान रहती हूं. कई बार तेरे चाचा से तेल की मालिश करने को कहती हूं, लेकिन उन के पास टाइम ही नहीं है.’’

‘‘कोई बात नहीं, चाचा के पास टाइम नहीं है तो मैं तो हर वक्त खाली ही रहता हूं. अगर आप कहें तो मैं ही आप की मालिश कर देता हूं.’’

सविता का निशाना बिलकुल सही लक्ष्य भेदने को तैयार था. मंजीत की बात सुनते ही सविता उठ खड़ी हुई. उस ने घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. फिर उस ने तेल की शीशी उस के हाथ में थमा दी और कंधे पर मालिश करने को कहा. मंजीत ने हाथ में तेल ले कर सविता के कंधों से मालिश शुरू की तो उस के हाथ धीरेधीरे कंधे से नीचे फिसलने लगे. सविता को भी उन्हीं पलों का इंतजार था. सविता की बीमारी का इलाज होना शुरू हुआ तो वह इतनी मदहोश हो गई कि उस ने अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और सीने के बल चारपाई पर लेट गई. धीरेधीरे मंजीत का धैर्य जबाव दे चुका था. दोनों की रगों में खून गर्म हो कर दौड़ने लगा था. अंत में वह पल भी आ गया कि दोनों ही कामवासना की आग से गुजर गए.

मंजीत ने उस दिन जिंदगी में पहली बार किसी औरत के शरीर का सुख पाया था. वहीं सविता भी बहुत खुश थी. उस दिन दोनों के बीच चाचीभतीजे के रिश्ते तारतार हुए तो यह सिलसिला अनवरत चलता गया. दोनों के बीच लगभग 3 साल से अनैतिक रिश्ते चले आ रहे थे. लेकिन जब दोनों के बीच नजदीकियां ज्यादा ही बढ़ गईं तो उन की प्रेम कहानी की चर्चा पूरे गांव में फैल गई. इस बात की जानकारी परिवार तक पहुंची तो चंद्रपाल ने करन से वह मकान खाली करा लिया. करन ने गांव के पास ही थोड़ी सी जमीन खरीद रखी थी, वह उसी में बच्चों को ले कर झोपड़ी डाल कर रहने लगा. इस बात को ले कर पंचायत हुई. पंचायत में सविता को भी बुलाया गया था. भरी पंचायत में सविता ने अपने ही जेठ पर उसे बदनाम करने का आरोप लगाया था.

बातों ही बातों में चंद्रपाल सविता पर गर्म पड़ा तो करन ने उसे मारने के लिए घर से कुल्हाड़ी तक निकाल ली थी. जिस के बाद से चंद्रपाल उस से डर कर रहता था. उस के बाद उस ने न तो कभी मंजीत को ही टोका और न ही सविता को. उस के कुछ समय बाद ही दोनों के बीच फिर से खिचड़ी पकने लगी थी. चंद्रपाल ने कई बार रामपाल को टोका कि तेरी बीवी जो कर रही है वह ठीक नहीं है. उसे थोड़ा समझा कर रख. इन दोनों के कारण पूरे गांव में उन के परिवार की बदनामी होती है. लेकिन रामपाल तो अपनी बीवी से इतना दब कर रहता था कि उसे कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था.

मंजीत और सविता के बीच जो कुछ चल रहा था, रामपाल भी जानता था. लेकिन वह मजबूर था. उस के बाद तो सविता रामपाल पर इस कदर हावी हो चुकी थी कि उस के सामने ही मंजीत को अपने घर पर बुला लेती थी. इस बार देश में फिर से लौकडाउन लगा तो दोनों ही एकदूसरे से मिलने के लिए परेशान रहने लगे थे. उस दौरान दोनों के बीच जो भी बात होती थी, वह मोबाइल पर ही होती थी. लेकिन दोनों ही एकदूसरे की चाहत में बुरी तरह से परेशान थे. जब मंजीत की जुदाई सविता से सहन नहीं हो पाई तो उस ने उस के सामने एक प्रश्न रखा. अगर तुम मुझे दिल से प्यार करते हो तो दुनिया की चिंता क्यों करते हो. मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं. लेकिन यह जुदाई अब मुझ से सहन नहीं

होती. मैं तुम्हारे लिए यह घर छोड़ने को तैयार हूं. लेकिन मंजीत हमेशा उस की हिम्मत तोड़ देता था. अगर हम दोनों घर से भाग कर शादी कर भी लें तो तुम्हारे बच्चों का क्या होगा? फिर उस के बाद तो हम समाज में मुंह दिखाने लायक भी नही रहेंगे. मंजीत इस वक्त काशीपुर की एक पेपर मिल में काम करता था. काम करते हुए उस ने कुछ पैसे भी इकट्ठा कर लिए थे. उस ने सोचा उन पैसों के सहारे वह सविता के साथ बाहर कुछ दिन ठीक से काट लेगा. सविता ने भी काफी समय से रामपाल की चोरी से कुछ पैसे इकट्ठा किए थे. 2 जून, 2021 को दोनों ने घर से भागने का पूरा प्लान तैयार किया और काशीपुर से ट्रेन पकड़ कर घर वालों की चोरीछिपे मुरादाबाद जा पहुंचे. मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही दोनों जीआरपी की निगाहों में संदिग्ध के रूप में चढ़ गए.

जीआरपी ने उन से पूछताछ की तो मंजीत ने साफसाफ बता दिया कि वह उस की चाची है. हम दोनों किसी बीमार रिश्तेदार को देखने के लिए आए हुए हैं. लेकिन पुलिस को उन की बातों पर विश्वास नहीं हुआ तो उन्होंने परिवार वालों से बात कराने को कहा. तब मंजीत ने अपनी बुआ की नातिन से जीआरपी वालों की बात करा दी. जिस के बाद पुलिस वालों ने उन्हें सीधे घर जाने की हिदायत देते हुए छोड़ दिया. रेलवे पुलिस से छूटने के बाद भी मंजीत बुरी तरह से घबराया हुआ था. उसे पता था कि इस वक्त देश बुरे हालात से गुजर रहा है. घर से जाने के बाद न तो उन्हें कहीं भी इतनी आसानी से नौकरी ही मिलने वाली है और न ही उस के बाद उस के घर वाले उसे शरण देने वाले हैं.

यह सब मन में विचार उठते ही सविता ने मंजीत के सामने एक प्रश्न किया, ‘‘मंजीत, मैं तेरी खातिर अपना घरबार, बच्चों तक को छोड़ आई. लेकिन तेरे अंदर इतनी भी हिम्मत नहीं कि तू अपने ताऊ को सबक सिखा सके. उस ने ही हम दोनों का जीना हराम कर रखा है. अगर वह न हो तो हमें घर से भागने की जरूरत भी नहीं होती.’’

सविता की बात मंजीत के दिल को छू गई, ‘‘चाची, तुम अब बिलकुल भी चिंता मत करो. मैं घर वापस जाते ही उस ताऊ का ऐसा इलाज करूंगा कि वह कुछ कहने लायक भी नहीं रहेगा.’’

सविता को विश्वास में ले कर मंजीत अपने घर वापस चला गया. घर जाने के बाद वही सब कुछ हुआ, जिस की उम्मीद थी. दोनों के घर पहुंचते ही परिवार वालों ने उन्हें उलटासीधा कहा. चंद्रपाल ने सविता को घर तक में नहीं जाने दिया था. जिस के कारण मंजीत ने उसी रात अपने ताऊ को मौत की नींद सुलाने का प्रण कर लिया था. 14 जून, 2021 की शाम को मंजीत अपने काम पर चला गया. लेकिन फैक्ट्री में काम करते वक्त भी उस की निगाहों के सामने उस के ताऊ की सूरत ही घूमती रही. उसी वक्त मशीनों में कोई तकनीकी खराबी आ गई, जिस के कारण मशीन बंद करनी पड़ी. मंजीत को लगा कि वक्त उस का साथ दे रहा है. उस ने तभी सविता को फोन मिलाया और आधे घंटे बाद ताऊ के घेर के पास मिलने को कहा. मंजीत की बात सुनते ही सविता के हाथपांव थरथर कांपने लगे थे.

उसे लगा कि आज वह जो काम करने जा रही है वह ठीक से हो पाएगा भी या नहीं. उस की चारपाई के पास ही पति रामपाल खर्राटे मार कर सो रहा था. रामपाल को सोते देख उस ने किसी तरह से हिम्मत जुटाई और धीरे से घर का दरवाजा खोल कर दबे पांव चंद्रपाल के घेर की तरफ बढ़ गई. मंजीत किसी तरह से फैक्ट्री की पिछली दीवार फांद कर बाहर आया और सीधे अपने ताऊ चंद्रपाल के घेर में पहुंचा. उस वक्त सभी लोग गहरी नींद में सोए हुए थे. सविता मंजीत के पहुंचने से पहले ही वहां पहुंच चुकी थी. घेर में पहुंचते ही मंजीत ने घेर में जल रहे बल्ब को उतार दिया, ताकि कोई उन्हें पहचान न सके. चंद्रपाल भी सारे दिन मेहनतमजदूरी कर के थक जाता था.

उसी थकान को उतारने के लिए वह अकसर ही रात में शराब पी कर ही सोता था. जिस वक्त मंजीत और सविता उस के पास पहुंचे, वह गहरी नींद में सोया हुआ था. चंद्रपाल को सोते देख मंजीत ने सविता को उस का मुंह बंद करने का इशारा किया, फिर उस ने अपने हाथ में थामी ईंट से लगातार कई वार कर डाले. मुंह बंद होने के कारण चंद्रपाल की चीख तक न निकल सकी. थोड़ी देर तड़पने के बाद उस की सांसें थम गईं. इस के बावजूद भी मंजीत बेरहमी दिखाते हुए उस के चेहरे व सिर पर कई वार ईंट से प्रहार किया. जब चंद्रपाल का शरीर पूरी तरह से शांत हो गया तो दोनों वहां से चले गए. सविता के हाथों पर खून लगा हुआ था, जो उस के घर के दरवाजे पर भी लग गया था.

घर पहुंच कर सविता ने एक कपड़े से हाथों का खून पोंछा. वह कपड़ा उस ने बाथरूम में डाल दिया था, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया था. ताऊ को  मौत की नींद सुला कर मंजीत सीधा फैक्ट्री में पहुंच गया, जिस के बाद उस ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की. लेकिन पुलिस के आगे उस की सारी होशियारी धरी की धरी रह गई. चंद्रपाल के बेटे सचिन की तरफ से भादंवि की धारा 302 व 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस ने इस मामले में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया था. Ghar ki Kahaniyan

 

Crime News : पिता ने प्रेमी संग बेटी को रंगेहाथों पकड़ा और कुल्हाड़ी से काट डाला

Crime News : सपना पड़ोस में रहने वाले शालू को न सिर्फ प्यार करती थी, बल्कि वह शादी भी करना चाहती थी. लेकिन इसे अपनी नाक का सवाल मान कर सपना के पिता शिवआसरे ने ऐसा नहीं होने दिया. इस के बाद ऐसा क्या हुआ कि सपना का प्यार बस अधूरा सपना बन कर रह गया. कानपुर जिले के घाटमपुर थाना अंतर्गत एक गांव है बिहारिनपुर. इसी गांव में शिवआसरे परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी मीना के अलावा 2 बेटियां सपना, रत्ना तथा 2 बेटे कमल व विमल थे. शिवआसरे ट्रक ड्राइवर था. उस के 2 अन्य भाई रामआसरे व दीपक थे, जो अलग रहते थे और खेतीबाड़ी से घर खर्च चलाते थे.

शिवआसरे की बेटी सपना भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह जैसेजैसे सयानी होने लगी, उस के रूपलावण्य में निखार आता गया. 16 साल की होतेहोते सपना की सुंदरता में चारचांद लग गए. मतवाली चाल से जब वह चलती, तो लोगों की आंखें बरबस उस की ओर निहारने को मजबूर हो जाती थीं. सपना जितनी सुंदर थी, उतनी ही पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने पतारा स्थित सुखदेव इंटर कालेज में 9वीं कक्षा में एडमिशन ले लिया था. जबकि उस की मां मीना उसे मिडिल कक्षा से आगे नहीं पढ़ाना चाहती थी, लेकिन सपना की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा. सपना के घर से कुछ दूरी पर शालू रहता था. शालू के पिता बैजनाथ किसान थे. उन के 3 बच्चों में शालू सब से बड़ा था.

17 वर्षीय शालू हाईस्कूल की परीक्षा पास कर चुका था और इंटरमीडिएट की पढ़ाई घाटमपुर के राजकीय इंटर कालेज से कर रहा था. शालू के पिता बैजनाथ और सपना के पिता शिवआसरे एक ही बिरादरी के थे, सो उन में गहरी दोस्ती थी. दोनों एकदूसरे का दुखदर्द समझते थे. किसी एक को तकलीफ हो तो दूसरे को दर्द खुद होने लगता. बैजनाथ और शिवआसरे बीते एक दशक से गांव में बटाई पर खेत ले कर खेती करते थे. हालांकि शिवआसरे ट्रक चालक था और खेतीबाड़ी में कम समय देता था. इस के बावजूद दोनों की पार्टनरशिप चलती रही. दोनों परिवारों में घरेलू संबंध भी थे. लिहाजा उन के बच्चों का भी एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था.

शालू सपना को चाहता था. सपना भी उस की आंखों की भाषा समझती थी. सपना के लिए शालू की आंखों में प्यार का सागर हिलोरें मारता था. सपना भी उस की दीवानी होने लगी. धीरेधीरे उस के मन में भी शालू के प्रति आकर्षण पैदा हो गया. सपना शालू के मन को भाई तो वह उस का दीवाना बन गया. सपना के स्कूल जाने के समय वह बाहर खड़ा उस का इंतजार करता रहता. सपना उसे दिखाई पड़ती तो वह उसे चाहत भरी नजरों से तब तक देखता रहता, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो जाती. अब वह सपना के लिए तड़पने लगा था. हर पल उस के मन में सपना ही समाई रहती थी. न उस का मन काम में लगता था, न ही पढ़ाई में.

शालू का शिवआसरे के घर जबतब आनाजाना लगा ही रहता था. घर आनाजाना काम से ही होता था. लेकिन जब से सपना शालू के मन में बसी, शालू अकसर उस के घर ज्यादा जाने लगा. इस के लिए उस के पास बहाने भी अनेक थे. शिवआसरे के घर पहुंच कर वह बातें भले ही दूसरे से करता, लेकिन उस की नजरें सपना पर ही जमी रहती थीं. शालू की अपने प्रति चाहत देख कर उस का मन भी विचलित हो उठा. अब वह भी शालू के आने का इंतजार करने लगी. दोनों ही अब एकदूसरे का सामीप्य पाने को बेचैन रहने लगे थे. लेकिन यह सब अभी नजरों ही नजरों में था. शालू की चाहत भरी नजरें सपना के सुंदर मुखड़े पर पड़तीं तो सपना मुसकराए बिना न रह पाती.

वह भी उसे तिरछी निगाहों से घूरते हुए उस के आगेपीछे चक्कर लगाती रहती. अब शालू अपने दिल की बात सपना से कहने के लिए बेचैन रहने लगा. शालू अब ऐसे अवसर की तलाश में रहने लगा, जब वह अपने दिल की बात सपना से कह सके. कोशिश करने पर चाह को राह मिल ही जाती है. एक दिन शालू को मौका मिल ही गया. उस दिन सपना के भाईबहन मां मीणा के साथ ननिहाल चले गए थे और शिवआसरे ट्रक ले कर बाहर गया था. सपना को घर में अकेला पा कर शालू बोला, ‘‘सपना, यदि तुम बुरा न मानो तो मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’

सपना जानती थी कि शालू उस से क्या कहेगा. इसलिए उस का दिल जोरजोर धड़कने लगा. घबराई सी वह शालू की ओर प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगी. शालू ने हकलाते हुए कहा, ‘‘सपना वो क्या है कि मैं तुम्हारे बारे में कुछ…’’

‘‘मेरे बारे में…’’ चौंकने का नाटक करते हुए सपना बोली, ‘‘जो भी कहना है, जल्दी कहिए.’’ शायद वह भी शालू से प्यार के शब्द सुनने के लिए बेकरार थी.

‘‘कहीं तुम मेरी बात सुन कर नाराज न हो जाओ…’’ शालू ने थोड़ा झेंपते हुए कहा.

‘‘अरे नहीं…’’ मुसकराते हुए सपना बोली, ‘‘नाराज क्यों हो जाऊंगी. तुम मुझे गालियां तो दोगे नहीं. जो भी कहना है, तुम दिल खोल कर कहो, मैं तुम्हारी बातों का बुरा नहीं मानूंगी.’’

सपना जानबूझ कर अंजान बनी थी. जब शालू को सपना की ओर से कुछ भी कहने की छूट मिल गई तो उस ने कहा, ‘‘सपना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. मुझे तुम्हारे अलावा कुछ अच्छा नहीं लगता. हर पल तुम्हारी ही सूरत मेरी नजरों के सामने घूमती रहती है.’’

शालू की बातें सुन कर सपना मन ही मन खुश हुई, फिर बोली, ‘‘शालू, प्यार तो मैं भी तुम से करती हूं, लेकिन मुझे डर लग रहा है.’’

‘‘कैसा डर सपना?’’ शालू ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘यही कि हमारेतुम्हारे प्यार को घर वाले स्वीकार करेगें क्या?’’

‘‘हम एक ही जाति के हैं. दोनों परिवारों के बीच संबंध भी अच्छे हैं. हम दोनों अपनेअपने घर वालों को मनाएंगे तो वे जरूर मान जाएंगे.’’

उस दिन दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ, तो मानो उन की दुनिया ही बदल गई. फिर वे अकसर ही मिलने लगे. सपना और शालू के दिलोदिमाग पर प्यार का ऐसा जादू चढ़ा कि उन्हें एकदूजे के बिना सब कुछ सूना लगने लगा. जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में एक साथ बैठते और अपने ख्वाबों की दुनिया में खो जाते. प्यार में वे इस कदर खो गए कि उन्होंने जीवन भर एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें भी खा लीं. एक बार मन से मन मिला तो फिर दोनों के तन मिलने में भी देर नहीं लगी. सपना और शालू ने लाख कोशिश की कि उन के संबंधों की जानकारी किसी को न हो. लेकिन प्यार की महक को भला कोई रोक सका है. एक दिन पतारा बाजार से लौटते समय गांव में ही रहने वाले उन्हीं की जाति के युवक मोहन ने उन दोनों को रास्ते में हंसीठिठोली करते देख लिया.

घर आते ही उस ने सारी बात शिवआसरे को बता दी. कुछ देर बाद जब सपना घर लौटी तो शिवआसरे ने सपना को डांटाफटकारा और पिटाई करते हुए हिदायत दी कि भविष्य में वह शालू से न मिले. सपना की मां मीना ने भी इज्जत का हवाला दे कर बेटी को खूब समझाया. सपना पर लगाम कसने के लिए मां ने उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया. साथ ही उस पर कड़ी निगरानी रखने लगी. मीना ने शालू के घर जा कर उस के मांबाप से शिकायत की कि वह अपने बेटे को समझाएं कि वह उस की इज्जत से खिलवाड़ न करे. लेकिन कहावत है कि लाख पहरे बिठाने के बाद भी प्यार कभी कैद नहीं होता. सपना के साथ भी ऐसा ही हुआ. मां की निगरानी के बावजूद सपना और शालू का मिलन बंद नहीं हुआ. किसी न किसी बहाने वह शालू से मिलने का मौका ढूंढ ही लेती थी.

कभी दोनों नहीं मिल पाते तो वे मोबाइल फोन पर बतिया लेते और दिल की लगी बुझा लेते. सपना को मोबाइल फोन शालू ने ही खरीद कर दिया था. इस तरह बंदिशों के बावजूद उन का प्यार बढ़ता ही जा रहा था. दबी जुबान से पूरे गांव में उन के प्यार के चर्चे होने लगे थे. एक शाम सहेली के घर जाने का बहाना बना कर सपना घर से निकली और शालू से मिलने गांव के बाहर बगीचे में पहुंच गई. इस की जानकारी मीना को हुई तो सपना के घर लौटने पर मां का गुस्सा फट पड़ा, ‘‘बदजात, कुलच्छिनी, मेरे मना करने के बावजूद तू शालू से मिलने क्यों गई थी. क्या मेरी इज्जत का कतई खयाल नहीं?’’

‘‘मां, मैं शालू से प्यार करती हूं. वह भी मुझे चाहता है.’’

‘‘आने दे तेरे बाप को. प्यार का भूत न उतरवाया तो मेरा नाम मीना नहीं.’’ मीना गुस्से से बोली.

‘‘आखिर शालू में बुराई क्या है मां? अपनी बिरादरी का है. पढ़ालिखा स्मार्ट भी है.’’ सपना ने मां को समझाया.

‘‘बुराई यह है कि शालू तुम्हारे चाचा का लड़का है. जातिबिरादरी के नाते तुम दोनों का रिश्ता चचेरे भाईबहन का है. अत: उस से नाता जोड़ना संभव नहीं है.’’ मां ने समझाया.

मांबेटी में नोकझोंक हो ही रही थी कि शिवआसरे घर आ गया. उस ने पत्नी का तमतमाया चेहरा देखा तो पूछा, ‘‘मीना, क्या बात है, तुम गुस्से से लाल क्यों हो?’’

‘‘तुम्हारी लाडली बेटी सपना के कारण. लगता है कि यह बिरादरी में हमारी नाक कटवा कर ही रहेगी. मना करने के बावजूद भी यह कुछ देर पहले शालू से मिल कर आई है और उस की तरफदारी कर जुबान लड़ा रही है.’’ मीना ने कहा.

पत्नी की बात सुन कर शिवआसरे का गुस्सा बेकाबू हो गया. उस ने सपना की जम कर पिटाई की और कमरा बंद कर दिया. गुस्से में उस ने खाना भी नहीं खाया और चारपाई पर जा कर लेट गया. रात भर वह यही सोचता रहा कि इज्जत को कैसे बचाया जाए. सुबह होते ही शिवआसरे शालू के पिता बैजनाथ के घर जा पहुंचा, ‘‘तुम शालू को समझाओ कि वह सपना से दूर रहे. अन्यथा अंजाम अच्छा नहीं होगा. अपनी इज्जत के लिए वह किसी हद तक जा सकता है.’’

इस घटना के बाद दोनों परिवारों के बीच दरार पड़ गई. शिवआसरे और बैजनाथ के बीच साझेदारी भी टूट गई. इधर चौकसी बढ़ने पर शालू और सपना का मिलनाजुलना लगभग बंद हो गया था. जिस से दोनों परेशान रहने लगे थे. अब दोनों की बात चोरीछिपे मोबाइल फोन पर ही हो पाती थी. 14 मई, 2021 को शिवआसरे के साले मनोज की शादी थी. शिवआसरे ने घर की देखभाल की जिम्मेदारी भाई दीपक को सौंपी और सुबह ही पत्नी मीना व 2 बच्चों के साथ बांदा के बरुआ गांव चला गया. घर में रह गई सपना और सब से छोटा बेटा विमल. दिन भर सपना घर के काम में व्यस्त रही फिर शाम होते ही उसे प्रेमी शालू की याद सताने लगी. लेकिन चाचा दीपक की निगरानी से वह सहमी हुई थी.

रात 12 बजे जब पूरा गांव सो गया, तो सपना ने सोचा कि उस का चाचा भी सो गया होगा. अत: उस ने शालू से मोबाइल फोन पर बात की और मिलने के लिए उसे घर बुलाया. शालू चोरीछिपे सपना के घर आ गया. लेकिन उसे घर में घुसते हुए दीपक ने देख लिया. वह समझ गया कि वह सपना से मिलने आया है. उस ने तब दरवाजा बाहर से बंद कर ताला लगा दिया और बड़े भाई शिवआसरे को फोन कर के सूचना दे दी. शिवआसरे को जब यह सूचना मिली तो वह साले की शादी बीच में ही छोड़ कर अकेले ही बरुआ गांव से चल दिया. 15 मई की सुबह 7 बजे वह अपने घर पहुंच गया. तब तक शालू के मातापिता सीमा और बैजनाथ को भी पता चल चुका था कि उन के बेटे शालू को बंधक बना लिया गया है.

वे लोग शिवआसरे के घर पहले से मौजूद थे. शिवआसरे घर के अंदर जाने लगा तो बैजनाथ ने पीछे से आवाज लगाई. इस पर शिवआसरे ने कहा कि वह बस बात कर मामला हल कर देगा और घर के अंदर चला गया. पीछे से बैजनाथ और सीमा भी घर के अंदर दाखिल हुए. लेकिन वे अपने बेटे शालू तक पहुंच पाते, उस के पहले ही शिवआसरे शालू और सपना को ले कर एक कमरे में चला गया और उस में लगा लोहे का गेट बंद कर लिया. शालू के पिता बैजनाथ व मां सीमा खिड़की पर खड़े हो गए, जहां से वे अंदर देख सकते थे. बैजनाथ ने एक बार फिर शिवआसरे से मामला सुलझाने की बात कही. इस पर उस का जवाब यही था कि बस 10 मिनट बात कर के मामला सुलझा देगा.

इधर पिता का रौद्र रूप देख कर सपना कांप उठी. शिवआसरे ने दोनों से सवालजवाब किए तो सपना पिता से उलझ गई. इस पर उसे गुस्सा आ गया. शिवआसरे ने डंडे से सपना को पीटा. उस ने शालू की भी डंडे से पिटाई की. लेकिन पिटने के बाद भी सपना का प्यार कम नहीं हुआ. वह बोली, ‘‘पिताजी, मारपीट कर मेरी जान भले ही ले लो, पर मेरा प्यार कम न होगा. आखिरी सांस तक मेरी जुबान पर शालू का नाम ही होगा.’’ बेटी की ढिठाई पर शिवआसरे आपा खो बैठा. उस ने कमरे में रखी कुल्हाड़ी उठाई और सपना के सिर व गरदन पर कई वार किए. जिस से उस की गरदन कट गई और मौत हो गई. इस के बाद उस ने कुल्हाड़ी से वार कर शालू को भी वहीं मौत के घाट उतार दिया.

यह खौफनाक मंजर देख कर शालू की मां सीमा की चीख निकल गई. सीमा और बैजनाथ जोरजोर से चिल्लाने लगे. सीमा ने मदद के लिए कई घरों के दरवाजे खटखटाए लेकिन कोई मदद को नहीं आया. प्रधान पति राजेश कुमार को गांव में डबल मर्डर की जानकारी हुई तो उन्होंने थाना घाटमपुर पुलिस तथा बड़े पुलिस अधिकारियों को फोन द्वारा सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी धनेश प्रसाद, एसपी (आउटर) अष्टभुजा प्रताप सिंह, एएसपी आदित्य कुमार शुक्ला तथा डीएसपी पवन गौतम पहुंच गए. शिवआसरे 2 लाशों के बीच कमरे में बैठा था. थानाप्रभारी धनेश प्रसाद ने उसे हिरासत में ले लिया. आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी कमरे में पड़ी थी. पुलिस ने उसे भी सुरक्षित कर लिया. जबकि शिवआसरे के अन्य भाई दीपक व रामआसरे पुलिस के आने से पहले ही फरार हो गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने शिवआसरे से पूछताछ की तो उस ने सहज ही जुर्म कबूल कर लिया और कहा कि उसे दोनों को मारने का कोई गम नहीं है. पुलिस अधिकारियों ने गांव वालों तथा मृतक शालू के पिता बैजनाथ से पूछताछ की. बैजनाथ ने बताया कि वह और उस की पत्नी सीमा बराबर शिवआसरे से हाथ जोड़ कर कह रहे थे कि बेटे को बख्श दे. लेकिन वह नहीं माना और आंखों के सामने बेटे पर कुल्हाड़ी से वार कर उस की जान ले ली. पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक शालू व सपना के शवों को पोस्टमार्टम हेतु हैलट अस्पताल, कानपुर भिजवा दिया.

चूंकि शिवआसरे ने डबल मर्डर का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी बरामद हो गई थी, अत: थानाप्रभारी धनेश प्रसाद ने बैजनाथ की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत शिवआसरे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे गिरफ्तार कर लिया. 16 मई, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त शिवआसरे को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित