Hindi Love Stories : साथ पढ़ते-पढ़ते देवर-भाभी को हुआ इश्क

Hindi Love Stories :  हेमलता उर्फ हेमा अपने रिश्ते के देवर योगेश के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. साथसाथ तैयारी करते उन्हें प्रेम हो गया. उन के प्रेम रोग में हेमलता का पति दिनेश वर्मा बलि का ऐसा बकरा बना कि…

राजस्थान की राजधानी जयपुर के थाना फुलेरा के गांव हिरनोदा में दिनेश वर्मा पत्नी हेमलता उर्फ हेमा एवं 2 बच्चों के साथ रहता था. बच्चों में बेटी की उम्र 5 साल और बेटे की उम्र 3 साल थी. दिनेश की शादी करीब 7 साल पहले हुई थी. दिनेश पढ़ालिखा था, मगर सरकारी नौकरी नहीं लगी तो परिवार का गुजारा करने के लिए दूसरे काम करने लगा था. वह रोज सुबह काम पर जाता और शाम को घर लौटता था. हेमलता पढ़ीलिखी थी. वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती थी. उस के पड़ोस में रहने वाला रिश्ते का देवर योगेश वर्मा भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था.

हेमलता और योगेश प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी साथ बैठ कर करते थे. प्रतियोगी परीक्षा होती तब भी दोनों साथ ही जाते थे. देवरभाभी का रिश्ता था. दोनों के बीच हंसी ठिठोली भी होती थी. गुरुवार, 4 मार्च, 2021 की बात है. रात करीब ढाई बजे हेमा के कमरे से उस के रोने की आवाज आने लगी. रोनेचिल्लाने की आवाज सुन कर मकान के दूसरे हिस्से में सो रही हेमा की सास, चाचा ससुर का परिवार और आसपास के लोग इकट्ठा हो गए. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आधी रात को क्या हो गया जो हेमा रो रही है.

उन सभी ने बंद कमरे का दरवाजा खटखटाया, ‘‘दिनेश, दरवाजा खोलो. बहू क्यों रो रही है?’’

सुन कर हेमा ने रोते हुए कमरे की चिटकनी गिरा कर दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही जो मंजर लोगों ने देखा, वह बड़ा भयावह था. दिनेश बेड पर खून से लथपथ मृत हालत में पड़ा था. उस का गला कटा हुआ था. काफी खून बिखरा हुआ था. यह दृश्य देख कर दिनेश की मां रोने लगी. किसी तरह उन्हें चुप कराया गया. हेमा ने कहा, ‘‘मैं सो रही थी. इसी दौरान इन्होंने खुद का गला काट कर खुदकुशी कर ली. मैं नींद से जागी तब यह दृश्य देख कर रोने लगी. हाय राम इन्होंने यह क्या कर लिया. अब मेरा और बच्चों का क्या होगा.’’

दिनेश की लाश के पास बेड पर खून से सना एक चाकू पड़ा था. शायद उसी से गला काट कर उस ने आत्महत्या की थी. उसी समय पुलिस थाना फुलेरा में फोन कर के घटना की सूचना दे दी गई. सूचना पा कर थानाप्रभारी रणजीत सिंह पुलिस टीम के साथ हिरनोदा स्थित दिनेश वर्मा के घर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का मौकामुआयना किया. उन्हें दिनेश की मौत संदेहास्पद लगी. इसलिए उन्होंने इस घटना की सूचना उच्चाधिकारियों को दी. सूचना पा कर दुदू के एडिशनल एसपी ज्ञान प्रकाश नवल, सीओ (सांभर) कीर्ति सिंह, सांभर के थानाप्रभारी हवा सिंह घटनास्थल पर आ गए. मौके पर एफएसएल टीम, एमओबी एवं डौग स्क्वायड को भी बुला लिया गया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

एफएसएल एवं एमओबी टीम ने साक्ष्य वगैरह उठाए. मृतक दिनेश का गला कटा हुआ था. उस के बिस्तर पर सलवटें वगैरह नहीं थीं. पुलिस अधिकारियों को पता था कि दिनेश अगर अपने हाथ से गला काटता तो चाकू का वार लगते ही वह छटपटाता. उठता या बैठता. गला काटने पर खून का फव्वारा बहता तो उस के हाथ खून से सने होते. जबकि उस के हाथ साफ थे. इस के अलावा यदि दिनेश स्वयं गला काटता तो वह इतना ज्यादा गला नहीं काट पाता. मृतक की बीवी हेमा ने पुलिस को बताया कि वह सो रही थी और उस के पति ने स्वयं गला काट कर खुदकुशी कर ली. वह नींद से जागी तब उसे यह पता चला. हेमा की बात पुलिस अधिकरियों के गले नहीं उतरी.

उपस्थित भीड़ में एक ऐसा युवक था, जो पुलिस अधिकारियों के ईर्दगिर्द मंडरा रहा था. वह पुलिस पर नजर रख रहा था. पुलिस ने उस के बारे में पूछा तो पता चला कि वह मृतक के रिश्ते का भाई योगेश है. साइबर टीम को भी घटनास्थल पर बुलाया था. सभी ने अपना कार्य पूरा किया तो शव को फुलेरा पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पुलिस अधिकारियों को मृतक की बीवी की बातों पर यकीन नहीं हुआ. तब उसे पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की. पूछताछ में पता चला कि पिछले एकडेढ़ साल से हेमलता उर्फ हेमा और पड़ोस में रहने वाले रिश्ते के देवर योगेश वर्मा के बीच नजदीकियां हैं.

बस, यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने योगेश वर्मा को भी उसी समय पूछताछ के लिए गिरफ्त में ले लिया. हेमलता उर्फ हेमा और यागेश वर्मा से पुलिस अधिकारियों ने मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की. पूछताछ में दोनों टूट गए. उन दोनों ने दिनेश वर्मा की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने मात्र 3 घंटे में ही दिनेश वर्मा हत्याकांड से परदा उठा दिया. जुर्म कबूल करते ही पुलिस ने हेमलता उर्फ हेमा और उस के प्रेमी देवर  योगेश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया.

मैडिकल बोर्ड से दिनेश के शव का पोस्टमार्टम करा शव उस के परिजनों को सौंप दिया. हेमलता उर्फ हेमा और उस के प्रेमी योगेश वर्मा से की गई पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—राजस्थान की राजधानी जयपुर के गांव हिरनोदा के बलाइयों का मोहल्ला में रहने वाले दिनेश वर्मा की शादी करीब 7 साल पहले हेमलता उर्फ हेमा से हुई थी. बाद में दिनेश 2 बच्चों का पिता बना. घर के खर्चे बढ़ गए लेकिन दिनेश की कहीं नौकरी न लगी तो वह दूसरे काम कर के परिवार का पालनपोषण करने लगा. हेमलता प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. यह बात एक साल पहले की है.

उस के पड़ोस में रहने वाला 26 वर्षीय योगेश वर्मा भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. योगेश उस का देवर लगता था. दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. इस दौरान एकदूसरे के संपर्क में आए. दिनेश सुबह काम पर घर से चला जाता था. फिर वह शाम को ही घर वापस लौटता था. हेमा की सास अपने छोटे बेटे के पास सटे मकान में रहती थी. हेमा अपने दोनों बच्चों के साथ पूरे दिन घर में अकेली रहती थी. योगेश अकसर दिनेश की गैर मौजूदगी में हेमलता के पास आ कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने लगा. दोनों सवालजवाब करते और पढ़ाई करते. थोड़े दिनों तक साथ रहतेरहते दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के साथ प्रेम परीक्षा की तैयारी में लग गए.

योगेश वर्मा जब भी हेमलता के घर आता. वह हेमा को ही ताकता रहता था. एक दिन हेमा ने कहा, ‘‘योगेश, तुम ऐसे घूरघूर कर क्या देखते हो. मैं कोई आठवां अजूबा हूं?’’

सुन कर योगेश बोला, ‘‘भाभी आप इतनी खूबसूरत हैं. मगर देखो कहां ऐसे आदमी के पल्ले बंधी हैं, जो दिन में काम और रात में शराब पी कर अपने में ही मस्त रहता है. उसे आप की परवाह नहीं है.’’

‘‘यह किस्मत का खेल है, योगेश. इस में किसी का दोष नहीं है?’’ हेमा ने उदास स्वर में कहा.

इस पर योगेश बोला, ‘‘किस्मत बनाना और बिगाड़ना खुद के हाथ में होता है. आप चाहो भाभी तो आप की और मेरी किस्मत संवर सकती है.’’ योगेश बोला.

‘‘वो भला कैसे?’’ वह चौंकते हुए बोली.

‘‘भाभी मैं आप से प्यार करता हूं. मुझे आप बहुत अच्छी लगती हैं. जब मैं आता हूं तो रूप की रानी को ही देखता रहता हूं.’’  योगेश ने कहा.

‘‘अच्छा, तो यह बात है. ऐसे में यह सब सोचना पाप है.’’ हेमलता ने समझाते हुए कहा.

योगेश ने उसी वक्त एक और तीर चलाया, ‘‘आप को देख कर लगता नहीं कि आप 2 बच्चों की मां हैं.’’ योगेश ने कहा तो हेमा मुसकरा पड़ी. तभी योगेश ने कहा, ‘‘भाभी. आई लव यू?’’

कहने के साथ योगेश ने हेमा को बांहों में भर लिया. हेमा ने दिखावे के लिए नानुकूर की. मगर उस का मन भी योगेश की बांहों में झूलने का था. उस दिन मौका मिलने पर दोनों अपनी मर्यादाएं लांघ कर एकदूसरे में समा गए. एक बार अवैध संबंध कायम हुए तो यह खेल हर रोज खेला जाने लगा. बेचारा दिनेश दिन भर काम में खपता और उस की पत्नी गैर मर्द की बांहों में झूलती. काफी समय तक दोनों के अवैध संबंधों की भनक किसी को नहीं लगी. लेकिन जब दोनों ने सावधानी बरतनी छोड़ी तो उन के अवैध संबंधों की चर्चा घर के बाहर होने लगी. एक रोज जब हेमा और योगेश आपत्तिजनक स्थिति में थे तो हेमा की सास ने उन्हें देख लिया. तब योगेश वहां से भाग गया.

योगेश के जाने के बाद सास ने हेमा को खूब खरीखोटी सुनाई. सास ने कहा, ‘‘आज के बाद योगेश को घर में देख तो मैं दिनेश से कह दूंगी. फिर वह तुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा. तू योगेश से कह दे कि वह आइंदा घर नहीं आए.’’

हेमा सास की कड़वी बातें सुनती रही. उस की चोरी पकड़ी गई थी. वह कुछ बोलती तो बखेड़ा होता. एक दिन मां ने दिनेश से भी इशारों में कहा, ‘‘बेटा, तू काम करने चला जाता है. योगेश दिनभर बहू के पास पड़ा रहता है. कहता है दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.

‘‘मुझे इन के लक्षण अच्छे नहीं लग रहे. योगेश का घर आना बंद करा और बहू पर नकेल कस. वरना वह हमें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगी.’’

मां की बात सुन कर दिनेश सब समझ गया. वह कोई दूध पीता बच्चा नहीं था. दिनेश ने पत्नी हेमा से कहा, ‘‘सुना है, योगेश दिन भर यहां पड़ा रहता है. उस को मैं आज के बाद घर में नहीं देखना चाहता. न ही तुम उस से फोन पर बात करोगी. प्रतियोगी परीक्षा कोई जरूरी नहीं.’’

सुन कर हेमा को बहुत बुरा लगा. मगर वह इतना ही बोली, ‘‘जैसी आप की मरजी.’’

थोड़े दिन तक हेमा व योगेश दूर रहे. हेमा ने फोन कर के योगेश को बता दिया था कि उन के अवैध संबंधों की पोल खुल गई है. इसलिए वह कुछ दिनों तक दूर ही रहे. इस दौरान वह मौका मिलने पर फोन पर बात कर लेते थे. लेकिन ऐसा वह ज्यादा दिनों तक नहीं कर सके. दोनों मिलने के लिए तड़पने लगे तो एक दिन योगेश ने हेमा से कहा, ‘‘हेमा एक बार तो मिलो बहुत दिन हो गए हैं.’’

‘‘मैं देखती हूं.’’ हेमा ने कहा. एक दिन सास ढाणी में किसी के घर गई तो हेमा ने फोन कर के योगेश को घर बुला लिया. योगेश और हेमा काफी दिन बाद मिले थे. इसलिए दोनों कमरे में बंद हो गए. मगर उन्हें डर था कि कोई आ जाएगा. वासना की आग जल्दी से बुझा कर योगेश घर के बाहर निकला तो सामने से आते दिनेश को उस ने देख लिया. वह सिर पर पैर रख कर भाग खड़ा हुआ. दिनेश घर आया. उस ने हेमलता को आवाज दी. पति की आवाज सुन कर हेमलता अंदर तक कांप गई. उसे यह भान हो गया था कि दिनेश ने योगेश को घर से निकलते देख लिया है. वह थरथर कांपती हाजिर हुई. तब दिनेश बोला,  ‘‘जब हम ने मना किया है तो योगेश घर किसलिए आया था.’’

‘‘वह एक सवाल पूछने आया था.’’ हेमा झूठ बोली.

दिनेश ने हेमा के गाल पर तड़ाक से एक थप्पड़ रसीद करते हुए कहा,  ‘‘तुझे मना किया है कि उस कमीने से कभी बात नहीं करना. फिर भी वह सवाल पूछने के बहाने से आया. आज आखिरी बार कह रहा हूं कि सुधर जा, नहीं तो…’’ दांत पीस कर दिनेश बोला तो हेमा डर गई. वह बोली,  ‘‘दोबारा कभी गलती नहीं होगी. आज माफ कर दें.’’

दिनेश ने कहा,  ‘‘ठीक है.’’

यह बात एक माह पहले की है. हेमा ने अगले दिन मौका मिलने पर योगेश को फोन कर के सारी बात बता दी. हेमा ने कहा,  ‘‘योगेश, अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो दिनेश को रास्ते से हटाना होगा. या फिर मुझे भूलना होगा.’’

सुन कर योगेश बोला,  ‘‘मैं तुम्हें हरगिज नहीं भुला सकता. इसलिए दिनेश को ही रास्ते से हटाते हैं.’’

उस के बाद हेमलता और योगेश ने दिनेश की हत्या की साजिश रची. साजिश के तहत दिनेश की हत्या कर के उसे आत्महत्या का रूप देना था. एक महीने से दोनों मौके की ताक में थे. बुधवार, 3 मार्च, 2021 को योगेश बाजार से 2 चाकू खरीद लाया. उन में से एक तेज धारदार था और दूसरा सब्जी काटने वाला छोटा चाकू था. यह चाकू हेमलता के घर में छिपा दिए. 4 मार्च, 2021 की शाम को दिनेश वर्मा ने शराब पी. शराब का नशा हावी हुआ तो वह खाना खा कर कमरे में जा कर बिस्तर पर सो गया. हेमा ने फोन कर के योगेश को बता दिया कि दिनेश शराब पी कर सोया है.

आज रात उस का काम तमाम करना है. आधी रात के बाद करीब 1 बजे योगेश छिपता हुआ दिनेश के घर आया. हेमा ने कमरे का दरवाजा खोला. दिनेश नशे में सो रहा था. योगेश ने हेमा से चाकू लिया और दबे पांव चल कर दिनेश के बैड के पास पहुंच गया. एक पल की देर किए बगैर योगेश सोते हुए दिनेश की छाती पर चढ़ बैठा, दिनेश के दोनों हाथ योगेश ने अपने पैरों से दबा दिए. हेमलता अपने पति के पैरों पर चढ़ बैठी. दिनेश नींद से जागता उस से पहले ही योगेश ने तेजधार चाकू से उस का गला रेत दिया. दिनेश नींद में थोड़ा छटपटाया और मौत की नींद सो गया. फिर हेमा ने छोटा चाकू दिनेश के बहते खून में डुबोया और वहीं रख दिया. योगेश गला रेतने वाला चाकू ले कर हेमा से यह कह कर कि थोड़ी देर बाद रो कर बताना कि दिनेश ने खुदकुशी कर ली है.

इस के बाद रात करीब ढाई बजे हेमा ने रोना शुरू किया तो सास, चाचा ससुर एवं पड़ोस के लोग आए. इस के बाद हेमा ने सभी को नियोजित कहानी बताई. पुलिस को संदेह हुआ तो उन दोनों से पूछताछ की और हत्या का राज खोल दिया. योगेश की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. पूछताछ पूरी होने पर हेमा और योगेश को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. Hindi Love Stories

Parivarik Kahani Hindi : अपने बचाव के लिए भाई बना हैवान, किया बहन का कत्ल

Parivarik Kahani Hindi : अंकित ने अपने बचाव के लिए अपनी उस बड़ी बहन नेहा चौधरी की हत्या कर दी जो उसी को बचाने के नाम पर उस के साथ आई थी. लेकिन ऐसा कर के क्या वह बच पाएगा? अब तो उसे एक की जगह 2-2 केसों में…

8 फरवरी, 2021 की बात है सुबह के करीब 10 बजे थे. नासिर नाम का एक कबाड़ी जोया रोड के किनारे हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास से गुजर रहा था, तभी उस की नजर स्कूल के पास पड़े खाली प्लौट में चली गई. प्लौट में एक युवती की लाश पड़ी थी. लाश देखते ही नासिर ने शोर मचा दिया. उस की आवाज सुन कर तमाम लोग जमा हो गए. नासिर ने फोन कर के इस की सूचना अमरोहा देहात थाने में दे दी. युवती की लाश की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुरेशचंद्र गौतम अपनी टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. वह जोया रोड स्थित हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास पहुंचे तो वहां एक प्लौट में काफी लोग जमा थे.

वहीं पर युवती की लाश पड़ी थी, जो खून से लथपथ थी. उस का सिर और मुंह कुचला हुआ था. लाश के पास ही खून से सनी एक ईंट पड़ी थी. पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने इसी ईंट से युवती की हत्या की होगी. मृतका की उम्र लगभग 25 साल  थी. काले रंग की जींस, नारंगी टौप और सफेद जूते पहने वह युवती किसी अच्छे परिवार की लग रही थी. उस के गले पर भी चोट के निशान थे. लाश के पास 2 मोबाइल फोन और 2 पर्स भी पड़े थे. पुलिस ने उस के पर्स की तलाशी ली तो उस में एक आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड पर नाम नेहा चौधरी लिखा था.

आधार कार्ड के फोटो से इस बात की पुष्टि हो गई कि लाश नेहा चौधरी की ही है. कार्ड पर लिखे एड्रैस के अनुसार, नेहा अमरोहा देहात थाने के पचोखरा गांव निवासी दिनेश चौधरी की बेटी थी. थानाप्रभारी ने एक कांस्टेबल को भेज कर यह खबर मृतका के घर तक पहुंचवा दी. सूचना पा कर एसपी सुनीति, एएसपी अजय प्रताप सिंह और सीओ विजय कुमार राणा भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने भी लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की. उधर खबर मिलते ही मृतका नेहा चौधरी की मां वीना चौधरी, छोटा भाई अंकित और  चाचा कमल सिंह गांव के कुछ लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश देखते ही वीना चौधरी ने उस की शिनाख्त अपनी बेटी नेहा के रूप में कर दी. घर के सभी लोगों का रोरो कर बुरा हाल था. गांव वाले उन्हें सांत्वना दे कर चुप कराने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने मृतका के घर वालों से पूछा कि उन की किसी से कोई रंजिश वगैरह तो नहीं है. इस पर वीना चौधरी ने कहा कि हमारी गांव में क्या कहीं भी किसी से कोई रंजिश नहीं है. मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल से सुबूत जुटाए. इस के बाद पुलिस ने जरूरी लिखापढ़ी के बाद उस का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. एसपी सुनीति ने इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए 3 पुलिस टीमों का गठन किया.

पुलिस ने वीना चौधरी से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि नेहा मेरठ की सुभारती यूनिवर्सिटी से एमबीए  कर रही थी. इस साल वह फाइनल की छात्रा थी. इस के अलावा वह पिछले 4 साल से नोएडा स्थित एक निजी बैंक में नौकरी भी कर रही थी और दिल्ली के लक्ष्मी नगर में किराए के मकान में रहती थी. 7 फरवरी यानी कल वह घर अमरोहा लौटने वाली थी. उस ने नोएडा से चलने के बाद अपने चाचा कमल सिंह को फोन कर के बता दिया था कि वह शाम तक अमरोहा पहुंच जाएगी. लेकिन वह घर नहीं पहुंची. पुलिस ने मृतका के चाचा कमल सिंह की तरफ से अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. पोस्टमार्टम के बाद घर वाले लाश ले कर चले गए.

पुलिस की सभी टीमें जांच में जुट गईं. जिस जगह पर नेहा चौधरी की लाश मिली थी, पुलिस ने उस के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. एक फुटेज में 7 फरवरी को रात करीब 8 बजे नेहा चौधरी के साथ एक युवक भी दिखाई दिया. दूसरे दिन पुलिस ने वह फुटेज नेहा के घर वालों को दिखाई तो वीना चौधरी और देवर कमल सिंह ने युवक को पहचानते हुए बताया कि यह तो  नेहा का छोटा भाई अंकित है. यह सुन कर पुलिस हतप्रभ रह गई. वीना चौधरी के साथ अंकित भी घटनास्थल पर आया था और फूटफूट कर रो रहा था, जबकि उस की हत्या से कुछ घंटे पहले तक वह उस के साथ था. सोचने वाली बात यह थी कि हत्या से पहले आखिर वह उस के साथ क्या कर रहा था.

अब पुलिस का मकसद अंकित से पूछताछ करना था, लेकिन वह घर से गायब था. पुलिस उस की तलाश में जुट गई. अगले दिन यानी 9 फरवरी की रात 9 बजे अंकित को पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह दिल्ली भागने की फिराक में था. थाने में पुलिस ने अंकित से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. अंकित ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी बड़ी बहन नेहा की हत्या की थी. आखिर छोटे भाई ने अपनी सगी बहन की  हत्या क्यों की, इस बारे में पुलिस ने जब अंकित से पूछा तो नेहा चौधरी की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी—

25 वर्षीय नेहा चौधरी उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा के गांव पचोखरा के रहने वाले दिनेश चौधरी की बेटी थी. पत्नी वीना चौधरी के अलावा दिनेश चौधरी के 2 बच्चे थे, बड़ी बेटी नेहा और छोटा अंकित चौधरी. करीब 20 साल पहले दिनेश चौधरी अचानक गायब हो गए थे. उन्हें बहुत तलाशा गया, लेकिन कहीं पता नहीं चला. उस समय नेहा की उम्र 5 साल और अंकित की 3 साल थी. पति के गायब हो जाने पर वीना चौधरी पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. दुख की इस घड़ी में उन का साथ दिया उन के देवर कमल सिंह ने. वह अमरोहा शहर के मोहल्ला पीरगढ़ में रहते थे. भाई के गायब हो जाने के बाद वह अपनी भाभी और दोनों बच्चों को अपने साथ ले आए और अपने घर पर ही रख कर न सिर्फ उन की परवरिश की, बल्कि पढ़ाईलिखाई भी पूरी कराई.

अंकित चौधरी की ननिहाल अमरोहा जिले के ही गांव सलामतपुर में थी. वह अकसर अपनी ननिहाल जाता रहता था. बताया जाता है कि उस ने अपने ममेरे भाई अक्षय के साथ मिल कर अपनी ननिहाल के गांव की रहने वाली एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उस के साथ बलात्कार किया था. लड़की के पिता ने 18 जनवरी, 2021 को थाना डिडौली में अंकित और अक्षय के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 363 376डी, 342, 516 पोक्सो ऐक्ट तथा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई. अमरोहा की अदालत में नाबालिग लड़की के बयान भी दर्ज कराए गए. जिस में उस ने साफ कहा कि अंकित और अक्षय ने उस का अपहरण करने के बाद उस के साथ दुष्कर्म किया था.

इस केस से बचने के लिए अंकित चौधरी ने अमरोहा के कई बड़े वकीलों से राय ली. उन्होंने अंकित को बताया कि मामला बहुत गंभीर है. इस में तुम बच नहीं सकते, जेल तो जाना ही पड़ेगा. तब शातिर दिमाग अंकित चौधरी ने अपने आप को बचाने के लिए एक खौफनाक योजना तैयार की. योजना यह थी कि वह अपनी बड़ी बहन नेहा चौधरी की हत्या करने के बाद इस का आरोप उस लड़की के पिता पर लगा देगा, जिस ने उस के खिलाफ बेटी के अपहरण व बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. ऐसा करने से क्रौस केस बन जाएगा. इस के बाद केस को रफादफा करने के लिए समझौते की बात चलेगी. समझौता हो जाने पर वह जेल जाने से बच जाएगा.

उसे बहन की हत्या कैसे करनी है, इस की भी उस ने पूरी योजना बना ली थी. योजना के अनुसार 7 फरवरी, 2021 को अंकित चौधरी ने अपनी बहन नेहा चौधरी को किसी परिचित के मोबाइल से फोन किया. उस समय नेहा नोएडा में अपनी ड्यूटी पर थी. अंकित ने उस से  कहा कि बहन मेरे ऊपर जो मुकदमा चल रहा है उस में नाबालिग लड़की के पिता से बात हो गई है. वह फैसला करने को राजी है. लेकिन फैसले के समय तुम्हारा वहां रहना जरूरी है. इसलिए मैं अमरोहा से टैक्सी ले कर तुम्हें लेने के लिए नोएडा आ रहा हूं. नेहा ने सोचा कि एकलौता भाई है, फैसला हो जाए तो अच्छा है. यही सोच कर उस ने अमरोहा आने की हामी भर दी.

योजना के अनुसार 7 फरवरी, 2021 को अमरोहा के गांधी मूर्ति चौराहे के पास स्थित टैक्सी स्टैंड से एक गाड़ी बुक करा कर अंकित नोएडा के लिए रवाना हो गया. वह उस जगह पहुंच गया, जहां उस की बहन नेहा नौकरी करती थी. नेहा अंकित के साथ नोएडा से अमरोहा के लिए चल दी. रास्ते में नेहा ने अपने चाचा कमल सिंह को फोन कर के बता दिया था कि वह अमरोहा आ रही है और शाम 6 बजे तक घर पहुंच जाएगी. वापसी में अंकित टैक्सी ले कर अमरोहा से थोड़ा पहले स्थित जोया रोड पर पहुंचा तो उस ने अमरोहा ग्रीन से थोड़ा पहले टैक्सी रुकवा ली. नेहा ने टैक्सी रोकने की वजह पूछी तो अंकित ने बताया कि पुलिस मेरे पीछे पड़ी है. ऐसे में टैक्सी से घर जाना सही नहीं है.

हम लोग यहां से किसी दूसरे रास्ते से चलेंगे. उस ने टैक्सी वाले को पैसे दे कर वहां से भेज दिया. इस के बाद वह नेहा को हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास खाली पड़े प्लौट की तरफ ले गया. नेहा ने उस से पूछा भी कि मुझे इस अनजान, सुनसान जगह से कहां ले जा रहे हो. तब अंकित ने कहा कि इधर से शौर्टकट रास्ता है. मेनरोड पर पुलिस मुझे पकड़ सकती है इसलिए मैं शौर्टकट से जा रहा हूं. नेहा ने भाई की बात पर विश्वास कर लिया और उस के साथ चलने लगी. नेहा को क्या पता था कि जिस भाई की कलाई पर वह हर साल अपनी रक्षा के लिए राखी बांधती है, वही भाई उस की हत्या करने वाला है.

वह कुछ ही दूर चली थी कि अंकित रुक गया. वह नेहा से बोला कि मैं बाथरूम कर लूं, तुम पीछे मुंह कर के खड़ी हो जाओ. जैसे ही नेहा पीछे मुंह कर के खड़ी हुई, अंकित ने अपनी जेब से एक फीता निकाला और बड़ी फुरती से नेहा के गले में डाल कर कस दिया. नेहा बस इतना ही कह पाई कि भाई यह तुम क्या कर रहे हो? इस के बाद वह मूर्छित हो कर जमीन पर गिर गई. तभी अंकित ने पास पड़ी ईंट से बहन के सिर व चेहरे पर तमाम वार किए और वह उसे ईंट से तब तक कूटता रहा, जब तक कि उस की मौत न हो गई.

अपनी सगी बहन की हत्या के बाद वह वहां से चला गया. वह सीधा अमरोहा की आवास विकास कालोनी में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार के घर गया. फिर वहां से अगली सुबह 5 बजे उठ कर चला गया. उस के कपड़ों, जूतों आदि पर खून लगा था. इसलिए उस ने अपने कपड़े, जैकेट, जूते, टोपा और गला घोंटने वाला फीता कल्याणपुर बाईपास के पास हमीदपुरा गांव के जंगल की झाडि़यों में छिपा दिए. इस के बाद वह अपने घर चला गया. सुबह होने पर एक सिपाही जब नेहा की हत्या की खबर देने उस के घर गया, तब वह अपनी मां और चाचा के साथ घटनास्थल पर पहुंचा और वहां फूटफूट कर रोने का नाटक करने लगा.

अंकित से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हमीदपुरा गांव के जंगल की झाडि़यों में छिपा कर रखे गए कपड़े, जैकेट, जूते, टोपा और फीता बरामद कर लिया. अंकित चौधरी की गिरफ्तारी के बाद सारे सबूत पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिए. 10 फरवरी, 2021 को अमरोहा की एसपी सुनीति ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया. इस पूरे मामले में एसपी सुनीति को डिडौली थाने के दरोगा मुजम्मिल की लापरवाही नजर आई. मुजम्मिल ने नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी अंकित और उस के ममेरे भाई अक्षय को गिरफ्तार करने में लापरवाही दिखाई थी.

यदि वह इन दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लेते तो शायद नेहा की हत्या नहीं होती. इसलिए एसपी सुनीति ने लापरवाही के आरोप में एसआई मुजम्मिल को लाइन हाजिर कर दिया. अंकित चौधरी से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. parivarik kahani hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Story Short Hindi : कोर्ट मैरिज से नाराज पिता ने बेटी और दामाद को मारी गोली

Love Story Short Hindi : सोनाली सिंह और अजय यादव एकदूसरे से न केवल प्यार करते थे, बल्कि कोर्ट मैरिज भी कर चुके थे. लेकिन सोनाली के पिता राजेश सिंह और घर वाले नहीं चाहते थे कि ठाकुर खानदान की बेटी यादव परिवार की बहू बने. इसलिए उन्होंने सोनाली और अजय को अलग करने के लिए…

22 फरवरी की सुबह 6 बजे रामपुर गांव के कुछ लोग मार्निंग वाक पर निकले तो उन्होंने पानी की टंकी के पास लिंक मार्ग से 50 मीटर दूर खेत में एक युवक को बुरी तरह से जख्मी हालत में पड़े देखा. युवक की जान बचाने के लिए उन में से किसी ने थाना खानपुर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना प्राप्त होते ही खानपुर थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. विश्वनाथ यादव जिस समय वहां पहुंचे, उस समय ग्रामीणों की भीड़ जुटी थी. भीड़ को परे हटाते हुए वह खेत में पहुंचे, जहां युवक जख्मी हालत में पड़ा था.

युवक की उम्र 24 साल के आसपास थी. उस के सिर में गोली मारी गई थी, जो आरपार हो गई थी. उस के एक हाथ में पिस्टल थी तथा दूसरी पिस्टल उस के पैर के पास पड़ी थी. जामातलाशी में उस के पास से 2 मोबाइल फोन, आधार कार्ड तथा पुलिस विभाग का परिचय पत्र मिला, जिस में उस का नामपता दर्ज था. परिचय पत्र तथा आधार कार्ड से पता चला कि युवक का नाम अजय कुमार यादव है तथा वह बभरौली गांव का रहने वाला है. तुरंत उस के घर वालों को सूचना दे दी गई. इंसपेक्टर विश्वनाथ यादव अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह, एएसपी गोपीनाथ सोनी तथा डीएसपी राजीव द्विवेदी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा युवक के पास से बरामद सामान का अवलोकन किया. देखने से ऐसा लग रहा था कि युवक ने आत्महत्या का प्रयास किया था. अब तक अजय के पिता रामऔतार यादव भी घटनास्थल आ गए थे. वह आत्महत्या की बात से सहमत नहीं थे. चूंकि अजय यादव मरणासन्न स्थिति में था, अत: पुलिस अधिकारियों ने उसे इलाज हेतु तत्काल सीएचसी (सैदपुर) भिजवाया लेकिन वहां के डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और उसे बीएचयू ट्रामा सेंटर रैफर कर दिया. इलाज के दौरान अजय यादव की मौत हो गई.

चूंकि अजय यादव सिपाही था, अत: उस की मौत को एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह ने गंभीरता से लिया. उन्होंने जांच के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया, जिस में क्राइम ब्रांच, सर्विलांस टीम तथा स्वाट टीम को शामिल किया गया. इस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर बरामद सामान को कब्जे में लिया. सर्विलांस सेल प्रभारी दिनेश यादव ने अजय के पास से बरामद दोनों फोन की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि 22 फरवरी की रात 3 बजे एक फोन से अजय के फोन पर एक वाट्सऐप मैसेज भेजा गया था, जिस में लिखा था, ‘तत्काल मिलने आओ, नहीं तो हम मर जाएंगे.’

जिस मोबाइल फोन से मैसेज भेजा गया था, उस फोन की जानकारी की गई तो पता चला कि वह मोबाइल फोन इचवल गांव निवासी राजेश सिंह की बेटी सोनाली सिंह के नाम दर्ज था. जबकि फोन मृतक अजय की जेब से बरामद हुआ था. अजय और सोनाली का क्या रिश्ता है? उस ने 3 बजे रात को अजय को मैसेज क्यों भेजा? जानने के लिए पुलिस टीम सोनाली सिंह के गांव इचवल पहुंची और उस के पिता राजेश सिंह से पूछताछ की. राजेश सिंह ने बताया कि उस की बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह आज सुबह से गायब है. हम ने सैदपुर कैफे से उस की औनलाइन एफआईआर भी कराई है. राजेश सिंह ने एफआईआर की कौपी भी दिखाई.

राजेश सिंह की बात सुन कर पुलिस टीम का माथा ठनका. राजेश सिंह को गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करानी थी, तो थाना खानपुर में करानी चाहिए थी. आनलाइन रिपोर्ट क्यों दर्ज कराई? दाल में जरूर कुछ काला था. यह औनर किलिंग का मामला हो सकता था. संभव था अजय और सोनाली सिंह प्रेमीप्रेमिका हों और इज्जत बचाने के लिए राजेश सिंह ने अपनी बेटी की हत्या कर दी हो. ऐसे तमाम प्रश्न टीम के सदस्यों के दिमाग में आए तो उन्होंने शक के आधार पर राजेश सिंह के घर पर पुलिस तैनात कर दी. साथ ही पुलिस सानिया उर्फ सोनाली सिंह की भी खोज में जुट गई. अजय का मोबाइल फोन खंगालने पर उस का और सोनाली सिंह का विवाह प्रमाण पत्र मिला, जिस में दोनों की फोटो लगी थी.

प्रमाण पत्र के अनुसार दोनों 5 नवंबर, 2018 को कोर्टमैरिज कर चुके थे. इस प्रमाण पत्र को देखने के बाद पुलिस टीम का शक और भी गहरा गया. पुलिस टीम ने सोनाली सिंह के पिता राजेश सिंह व परिवार के 4 अन्य सदस्यों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. 23 फरवरी, 2021 की सुबह पुलिस टीम को इचवल गांव में राजेश सिंह के खेत में एक युवती की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. पुलिस टीम तथा अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और लाश का निरीक्षण किया. मृतका राजेश सिंह की 25 वर्षीय बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह थी. उस के सिर में गोली मारी गई थी. चेहरे को भी कुचला गया था. निरीक्षण के बाद पुलिस ने सोनाली सिंह के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल गाजीपुर भेज दिया.

शव के पास से पिस्टल या तमंचा बरामद नहीं हुआ, लेकिन एक जोड़ी मर्दाना चप्पल तथा टूटी हुई चूडि़यां जरूर मिलीं. चप्पलों की पहचान मृतक सिपाही अजय के घर वालों ने की. उन्होंने पुलिस को बताया कि चप्पलें अजय की थीं. पुलिस टीम ने हिरासत में लिए गए राजेश सिंह से बेटी सोनाली सिंह की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो वह टूट गया और उस ने सोनाली सिंह तथा उस के प्रेमी अजय यादव की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं, उस ने हत्या में इस्तेमाल अजय यादव की बाइक यूपी81 एसी 5834 भी बरामद करा दी.

राजेश सिंह ने बताया कि उस की बेटी सानिया सिपाही अजय यादव से प्यार करती थी और दोनों ने कोर्ट में शादी भी कर ली थी. तब अपनी इज्जत बचाने के लिए उस ने दोनों को मौत की नींद सुलाने की योजना बनाई. इस योजना में उस ने अपने पिता अवधराज सिंह, बेटे दीपक सिंह, भतीजे अंकित सिंह तथा पत्नी नीलम सिंह को शामिल किया. इस के बाद पहले सानिया की हत्या की फिर अजय की. उस के बाद दोनों के शव अलगअलग जगहों पर डाल दिए. पुलिस अजय की हत्या को आत्महत्या समझे, इसलिए उस के एक हाथ में पिस्टल थमा दी तथा बेटी का मोबाइल फोन अजय की जेब में डाल दिया, ताकि लगे कि अजय ने पहले सोनाली सिंह की गोली मार कर हत्या की फिर स्वयं गोली मार कर आत्महत्या कर ली.

बेटी के शव के पास अजय की चप्पलें छोड़ना, सोचीसमझी साजिश का ही हिस्सा था. राजेश के बाद अन्य आरोपियों ने भी जुर्म कबूल कर लिया. थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव ने डबल मर्डर का परदाफाश करने तथा आरोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह को दी तो उन्होंने पुलिस लाइन स्थिति सभागार में प्रैसवार्ता की और आरोपियों को मीडिया के समक्ष पेश कर डबल मर्डर का खुलासा कर दिया. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव ने मृतक के पिता रामऔतार यादव की तहरीर पर धारा 302 आईपीसी के तहत राजेश सिंह, अवधराज सिंह, दीपक सिंह, अंकित सिंह तथा नीलम सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा सभी को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, उस में दोनों की हत्याओं की वजह मोहब्बत थी.

गाजीपुर जिले के खानपुर थाना अंतर्गत एक गांव है इचवल कलां. इसी गांव में ठाकुर राजेश सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी नीलम सिंह के अलावा बेटा दीपक सिंह तथा बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह थी. राजेश सिंह के पिता अवधराज सिंह भी उन के साथ रहते थे. पितापुत्र दबंग थे. गांव में उन की तूती बोलती थी. उन के पास उपजाऊ जमीन थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. राजेश सिंह की बेटी सोनाली उर्फ सानिया सुंदर, हंसमुख व मिलनसार थी. पढ़ाई में भी तेज थी. वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय डिग्री कालेज सैदपुर से बीए की डिग्री हासिल कर चुकी थी और बीएड की तैयारी कर रही थी.

दरअसल, सानिया टीचर बन कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी. इसलिए वह कड़ी मेहनत कर रही थी. सानिया उर्फ सोनाली के आकर्षण में गांव के कई युवक बंधे थे. लेकिन अजय कुमार यादव कुछ ज्यादा ही आकर्षित था. सानिया भी उसे भाव देती थी. सानिया और अजय की पहली मुलाकात परिवार के एक शादी समारोह में हुई थी. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे. इस के बाद जैसेजैसे उन की मुलाकातें बढ़ती गईं, वैसेवैसे उन का प्यार बढ़ता गया. अजय कुमार यादव के पिता रामऔतार यादव सानिया के पड़ोस के गांव बभनौली में रहते थे. वह सीआरपीएफ में कार्यरत थे. लेकिन अब रिटायर हो गए थे और गांव में रहते थे. उन की 5 संतानों में 4 बेटियां व एक बेटा था अजय कुमार.

बेटियों की वह शादी कर चुके थे और बेटा अजय अभी कुंवारा था. रामऔतार यादव, अजय को पुलिस में भरती कराना चाहते थे, सो वह उस की सेहत का खास खयाल रखते थे. अजय बीए पास कर चुका था और पुलिस भरती की तैयारी कर रहा था. उस ने पुलिस की परीक्षा भी दी. एक दिन अजय ने सानिया के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो वह गहरी सोच में डूब गई. कुछ देर बाद वह बोली, ‘‘अजय, मुझे तुम्हारा शादी का प्रस्ताव तो मंजूर है, लेकिन मुझे डर है कि हमारे घर वाले शादी को कभी राजी नही होंगे.’’

‘‘क्यों राजी नही होंगे?’’ अजय ने पूछा.

‘‘क्योंकि मैं ठाकुर हूं और तुम यादव. मेरे पिता कभी नहीं चाहेंगे कि ठाकुर की बेटी यादव परिवार में दुलहन बन कर जाए. मूंछ की लड़ाई में वह कुछ भी अनर्थ कर सकते हैं.’’

‘‘घर वाले राजी नहीं होंगे, फिर तो एक ही उपाय है कि हम दोनों कोर्ट में शादी कर लें.’’

‘‘हां, यह हो सकता है.’’ सानिया ने सहमति जताई.

इस के बाद 5 नवंबर, 2018 को सानिया उर्फ सोनाली और अजय कुमार ने गाजीपुर कोर्ट में कोर्टमैरिज कर के विवाह प्रमाण पत्र हासिल कर लिया. कोर्ट मैरिज करने की जानकारी सानिया के घर वालों को नहीं हुई, लेकिन अजय के घर वालों को पता था. उन्होंने सानिया को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. दिसंबर, 2018 में अजय का चयन सिपाही के पद पर पुलिस विभाग में हो गया. ट्रेनिंग के बाद उस की पोस्टिंग अमेठी जिले के गौरीगंज थाने में हुई. अजय और सानिया की मुलाकातें चोरीछिपे होती रहती थीं. मोबाइल फोन पर भी उन की बातें होती रहती थीं. कोर्ट मैरिज के बाद उन का शारीरिक मिलन भी होने लगा था. इस तरह समय बीतता रहा.

जनवरी, 2021 के पहले हफ्ते में राजेश सिंह को अपनी पत्नी नीलम सिंह व बेटे दीपक सिंह से पता चला कि सानिया पड़ोस के गांव बभनौली के रहने वाले युवक अजय यादव से प्रेम करती है और दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली है. दरअसल, नीलम सिंह ने बेटी को देर रात अजय से मोबाइल फोन पर बतियाते पकड़ लिया था. फिर डराधमका कर सारी सच्चाई उगलवा ली थी. यह जानकारी नीलम ने पति व बेटे को दे दी थी. राजेश सिंह ठाकुर था. उसे यह गवारा न था कि उस की बेटी यादव से ब्याही जाए, अत: उस ने सानिया की जम कर पिटाई की और घर से बाहर निकलने पर सख्त पहरा लगा दिया. नीलम हर रोज डांटडपट कर तथा प्यार से बेटी को समझाती लेकिन सानिया, अजय का साथ छोड़ने को राजी नहीं थी.

21 फरवरी को अजय की चचेरी बहन की सगाई थी. वह 15 दिन की छुट्टी ले कर अपने गांव बभनौली आ गया. सिपाही अजय के आने की जानकारी राजेश सिंह को हुई तो उस ने अपने पिता अवधराज सिंह, बेटे दीपक सिंह, भतीजे अंकित सिंह तथा पत्नी नीलम के साथ गहन विचारविमर्श किया. जिस में तय हुआ कि पहले अजय व सानिया को समझाया जाए, न मानने पर दोनों को मौत के घाट उतार दिया जाए. अवैध असलहा घर में पहले से मौजूद था. योजना के तहत 22 फरवरी की रात 3 बजे राजेश सिंह व नीलम सिंह ने सानिया को धमका कर सिपाही अजय यादव के मोेबाइल फोन पर एक वाट्सऐप मैसेज भिजवाया, जिस में लिखा, ‘तत्काल मिलने आओ, नहीं तो हम मर जाएंगे.’

अजय ने मैसेज पढ़ा, तो उसे लगा कि सानिया मुसीबत में है. अत: वह अपनी मोटरसाइकिल से सानिया के गांव इचबल की ओर निकल पड़ा. इधर मैसेज भिजवाने के बाद राजेश सिंह, नीलम सिंह, दीपक सिंह, अवधराज सिंह व अंकित सिंह ने सानिया उर्फ सोनाली को अजय का साथ छोड़ने के लिए हर तरह से समझाया. लेकिन जब वह नहीं मानी तो राजेश सिंह ने उसे गोली मार दी. फिर लाश को घर में छिपा दिया. कुछ देर बाद अजय आया, तो उसे भी समझाया गया. लेकिन वह ऊंचे स्वर में बात करने लगा. इस पर वे सब अजय को बात करने के बहाने गांव के बाहर अंबिका स्कूल के पास ले गए.

वहां अजय सानिया को अपनी पत्नी बताने लगा तो उन सब ने उसे दबोच लिया और पिस्टल से उस के सिर में गोली मार दी और मरा समझ कर रामपुर गांव के पास सड़क किनारे खेत में फेंक दिया. एक पिस्टल उस के हाथ में पकड़ा दी तथा दूसरी उस के पैर के पास डाल दी. सानिया का मोबाइल फोन भी अजय की पाकेट में डाल दिया. इस के बाद वे सब वापस घर आए और सानिया का शव घर के पीछे गेहूं के खेत में फेंक दिया. अजय की चप्पलें भी शव के पास छोड़ दीं. सुबह राजेश व नीलम ने पड़ोसियों को बताया कि उन की बेटी सानिया बिना कुछ बताए घर से गायब है.

फिर सैदपुर कस्बा जा कर कैफे से औनलाइन एफआईआर दर्ज करा दी. उधर रामपुर गांव के कुछ लोगों ने युवक को मरणासन्न हालत में देखा तो पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने काररवाई शुरू की तो डबल मर्डर की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई. 24 फरवरी, 2021 को थाना खानपुर पुलिस ने अभियुक्त राजेश सिंह, दीपक सिंह, अंकित सिंह, अवधराज सिंह तथा नीलम सिंह को गाजीपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. love story short hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

UP News : 10 लाख रुपए के लिए बचपन के दोस्त का किया कत्ल

UP News :  दोस्ती में एक विश्वास होता है, भरोसा होता है. लेकिन शैलेश प्रजापति और अर्श गुप्ता ने पैसे के लिए उस विश्वास की धज्जियां उड़ा दीं, जिस की वजह से विनय…

19 मार्च, 2021 की रात 10 बजे शीला देवी अपने देवर आनंद प्रजापति के साथ जनता नगर चौकी पहुंचीं. उस समय इंचार्ज ए.के. सिंह चौकी पर मौजूद थे. उन्होंने शीला देवी को बदहवास देखा, तो पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम घबराई हुई क्यों हो? कोई गंभीर बात है क्या?’’

‘‘हां सर. हमें किसी अनहोनी की आशंका है.’’

‘‘कैसी अनहोनी? साफसाफ पूरी बात बताओ.’’

‘‘सर, दरअसल बात यह है कि रात 8 बजे मेरा बेटा शैलेश, उस का दोस्त अर्श गुप्ता व विनय घर पर नीचे कमरे में शराब पी रहे थे. कुछ देर बाद कमरे से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आईं. फिर वे लोग बाइक से कहीं चले गए.

‘‘उन के जाने के बाद मैं कमरे में गई, तो वहां खून से सनी चादर देखी. अनहोनी की आशंका से मैं घबरा गई. मैं ने इस की जानकारी पड़ोस में रहने वाले अपने देवर आनंद को दी, फिर उन के साथ सूचना देने आप के पास आ गई. आप मेरी मदद करें.’’

शीला देवी की बात सुनकर ए.के. सिंह को लगा कि जरूर कोई अनहोनी घटना घटित हुई है. उन्होंने यह सूचना बर्रा थानाप्रभारी हरमीत सिंह को दी फिर 2 सिपाहियों के साथ शीला देवी के बर्रा भाग 8 स्थित मकान पर पहुंच गए. उन के पहुंचने के चंद मिनट बाद ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह भी आ गए. हरमीत सिंह ने ए.के. सिंह के साथ कमरे का निरीक्षण किया तो सन्न रह गए. कमरे के फर्श पर खून पड़ा था और पलंग पर बिछी चादर खून से तरबतर थी. कमरे का सामान भी अस्तव्यस्त था. खून की बूंदें कमरे के बाहर गली तक टपकती गई थीं.

निरीक्षण के बाद हरमीत सिंह ने अनुमान लगाया कि कमरे के अंदर कत्ल जैसी वारदात हुई है या फिर गंभीर रूप से कोई घायल हुआ है. शैलेश और उस का दोस्त या तो लाश को ठिकाने लगाने गए हैं या फिर अस्पताल गए हैं. कहीं भी गए हों, वे लौट कर घर जरूर आएंगे. अत: उन्होंने घर के आसपास पुलिस का पहरा लगा दिया तथा खुद भी निगरानी में लग गए. रात लगभग डेढ़ बजे शैलेश और उस का दोस्त अर्श गुप्ता वापस घर आए तो पुिलस ने उन्हें दबोच लिया और थाना बर्रा ले आए. दोनों के हाथ और कपड़ों पर खून लगा था. इंसपेक्टर हरमीत सिंह ने पूछा, ‘‘तुम दोनों ने किस का कत्ल किया है और लाश कहां है?’’

शैलेश कुछ क्षण मौन रहा फिर बोला, ‘‘साहब, मैं ने अपने बचपन के दोस्त विनय प्रभाकर का कत्ल किया है. वह बर्रा भाग दो के मनोहर नगर में रामजानकी मंदिर के पास रहता था. उस की लाश को मैं ने अर्श की मदद से रिंद नदी में फेंक दिया है. पैट्रोल खत्म हो जाने की वजह से हम ने विनय की मोटरसाइकिल खाड़ेपुर-फत्तेपुर मोड़ पर खड़ा कर दी और वापस लौट आए.’’

‘‘तुम ने अपने दोस्त का कत्ल क्यों किया?’’ थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने शैलेश से पूछा. इस सवाल पर शैलेश काफी देर तक हरमीत सिंह को गुमराह करता रहा. पहले वह बोला, ‘‘साहब, नशे में गलती हो गई. हम ने उस का कत्ल कर दिया.’’

फिर बताया कि उस के मोबाइल फोन में उस की महिला मित्र की कुछ आपत्तिजनक फोटो थीं. उन फोटो को विनय ने धोखे से अपने मोबाइल फोन में ट्रांसफर कर लिया था. वह उन फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे कर ब्लैकमेल कर रहा था, इसलिए हम ने उसे मार डाला. लेकिन थानाप्रभारी हरमीत सिंह को उस की इन दोनों बातों पर यकीन नहीं हुआ. सच्चाई उगलवाने के लिए उन्होंने सख्ती की तो दोनों टूट गए. फिर उन्होंने बताया कि उन्होंने 10 लाख रुपए की फिरौती मांगने के लिए विनय की हत्या की योजना बनाई थी. कुछ माह पहले संजीत हत्याकांड की तरह शव को ठिकाने लगाने के बाद उसी के मोबाइल फोन से उस के घर वालों को फोन कर फिरौती मांगने की योजना थी.

उस ने दौलत की चाहत में दोस्त की हत्या की थी. लेकिन फिरौती मांगने के पहले ही वे पकड़े गए. शैलेश व अर्श की जामातलाशी में उन के पास से 3 मोबाइल फोन मिले, जिस में एक मृतक विनय का था तथा बाकी 2 शैलेश व अर्श के थे. उन के पास एक पर्स भी बरामद हुआ जिस में मृतक का फोटो, आधार कार्ड तथा कुछ रुपए थे. बरामद पर्स मृतक विनय प्रभाकर का था. शैलेश व अर्श गुप्ता की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल बांका तथा लाश ठिकाने लगाने में इस्तेमाल मोटरसाइकिल बरामद कर ली. बांका उस ने अपने कमरे में छिपा दिया था और पैट्रोल खत्म होने से उस ने मोटरसाइकिल खाड़ेपुर मोड़ पर खड़ी कर दी थी.

फिरौती और हत्या के इस मामले में थानाप्रभारी हरमीत सिंह कोई कोताही नहीं बरतना चाहते थे. क्योंकि इस के पहले संजीत अपहरण कांड में बर्रा पुलिस गच्चा खा चुकी थी. अपहर्त्ताओं ने फिरौती की रकम भी ले ली थी और उस की हत्या भी कर दी थी. इस मामले में लापरवाही बरतने में एसपी व डीएसपी सहित 5 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था. अत: उन्होंने घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पा कर रात 3 बजे एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय थाना बर्रा पहुंच गए. उन्होंने घटना के संबंध में गिरफ्तार किए गए शैलेश व अर्श गुप्ता से विस्तार से पूछताछ की.

फिर दोनों को साथ ले कर रिंद नदी के पुल पर पहुंचे. इस के बाद कातिलों की निशानदेही पर नदी किनारे पड़ा विनय प्रभाकर का शव बरामद कर लिया. विनय की हत्या बड़ी निर्दयतापूर्वक की गई थी. उस का गला धारदार हथियार से काटा गया था, जिस से सांस की नली कट गई थी और उस की मौत हो गई थी. मृतक विनय की उम्र 26 वर्ष के आसपास थी और उस का शरीर हृष्टपुष्ट था. 20 मार्च की सुबह 5 बजे बर्रा थाने के 2 सिपाही मृतक विनय के घर पहुंचे और उस की हत्या की खबर घर वालों को दी. खबर पाते ही घर व मोहल्ले में सनसनी फैल गई. घर वाले रिंद नदी के पुल पर पहुंचे.

वहां विनय का शव देख कर मां विमला तथा बहन रीता बिलख पड़ीं. पिता रामऔतार प्रभाकर तथा भाई पवन की आंखों से भी अश्रुधारा बह निकली. पुलिस अधिकारियों ने उन्हे धैर्य बंधाया. पवन ने एसपी दीपक भूकर को बताया कल शाम साढ़े 7 बजे किसी का फोन आने पर उस का भाई विनय यह कह कर अपनी पल्सर मोटरसाइकिल से घर से निकला था कि अपने दोस्त से मिलने जा रहा है. उस के बाद वह घर नहीं लौटा. रात भर हम लोग उस के घर वापस आने का इंतजार करते रहे. उस का फोन भी बंद था. सुबह 2 सिपाही घर आए. उन्होंने विनय की हत्या की सूचना दी. तब हम लोग यहां आए. लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि विनय की हत्या किस ने और क्यों की?

‘‘तुम्हारे भाई की हत्या किसी और ने नहीं, उस के बचपन के दोस्त शैलेश प्रजापति व उस के साथी अर्श गुप्ता ने की है. वह तुम लोगों से फिरौती के 10 लाख रुपए वसूलना चाहते थे. लेकिन शैलेश की मां ने ही उस का भांडा फोड़ दिया और दोनों पकड़े गए.’’

यह जानकारी पा कर पवन व उस के घर वाले अवाक रह गए. क्योंकि वे सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि शैलेश ऐसा विश्वासघात कर सकता है. निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम हाउस हैलट अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद वह शैलेश के उस कमरे में पहुंचे, जहां विनय का कत्ल किया गया था. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जहां घटनास्थल का निरीक्षण किया, वहीं फोरैंसिक टीम ने भी बेंजाडीन टेस्ट कर साक्ष्य जुटाए. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल बांका भी बरामद करा दिया था, अत: थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने मृतक के भाई पवन को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/201 तथा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत शैलेश प्रजापति तथा अर्श गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

उन्हें न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस पूछताछ में दौलत की चाहत में दोस्त की हत्या की सनसनीखेज घटना का खुलासा हुआ. कानपुर शहर का एक बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है-बर्रा. इस क्षेत्र के बड़ा होने से इसे कई भागों में बांटा गया है. रामऔतार प्रभाकर अपने परिवार के साथ इसी बर्रा क्षेत्र के भाग 2 में मनोहरनगर में जानकी मंदिर के पास रहते थे. उन के परिवार में पत्नी विमला के अलावा 2 बेटे पवन कुमार, विनय कुमार तथा बेटी रीता कुमारी थी. रामऔतार प्रभाकर आर्डिनैंस फैक्ट्री में काम करते थे. किंतु अब रिटायर हो चुके थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

फैक्ट्री में रामऔतार प्रभाकर के साथ सोमनाथ प्रजापति काम करते थे. सोमनाथ भी बर्रा भाग 8 में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शीला देवी के अलावा एकलौता बेटा शैलेश था. सोमनाथ भी रिटायर हो चुके थे. सोमनाथ बीमार रहते थे. उन्हें सुनाई भी कम देता था और दिखाई भी. उन की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. रामऔतार और सोमनाथ इस के पहले अर्मापुर स्थित फैक्ट्री की कालोनी में रहते थे. 3 साल पहले दोनों ने बर्रा क्षेत्र में जमीन खरीद ली थी और अपनेअपने मकान बना कर रहने लगे थे. मकान बदलने के बावजूद दोनों की दोस्ती में कमी नहीं आई थी. दोनों परिवार के लोगों का एकदूसरे के घर आनाजाना था.

रामऔतार का बेटा विनय और सोमनाथ का बेटा शैलेश बचपन के दोस्त थे. दोनों एकदूसरे के घर आतेजाते थे. विनय ने हाईस्कूल पास करने के बाद आईटीआई से मशीनिस्ट का कोर्स किया था. वह नौकरी की तलाश में था. जबकि शैलेश ड्राइवर बन गया था. वह बुकिंग की कार चलाता था. शैलेश का एक अन्य दोस्त अर्श गुप्ता था. वह फरनीचर कारीगर था और गुजैनी गांव में रहता था. अर्श और शैलेश शराब के शौकीन थे. अकसर दोनों साथ पीते थे और लंबीलंबी डींग हांकते थे. उन दोनों ने विनय को भी शराब पीना सिखा दिया था. अब हर रविवार को शैलेश के घर शराब पार्टी होती थी. तीनों बारीबारी से पार्टी का खर्चा उठाते थे.

एक शाम खानेपीने के दौरान विनय ने शैलेश व अर्श को बताया कि उस की बहन रीता की शादी तय हो गई है. 27 अप्रैल को बारात आएगी. शादी में लगभग 10-12 लाख रुपया खर्च होगा. पिता व भाई ने रुपयों का इंतजाम कर लिया है. शादी की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. शैलेश व अर्श मामूली कमाने वाले युवक थे. वह शार्टकट से लखपति बनना चाहते थे. इस के लिए शैलेश उरई में पान मसाला का कारोबार करना चाहता था. उरई में वह जगह भी देख आया था. लेकिन कारोबार के लिए उस के पास पैसा नहीं था. पैसा कहां से और कैसे आए, इस के लिए शैलेश और अर्श ने सिर से सिर जोड़ कर विचारविमर्श किया तो उन्हें विनय याद आया.

विनय ने बताया था कि उस के यहां बहन की शादी है और घर वालों ने 10-12 लाख रुपए का इंतजाम किया है. दौलत की चाहत में शैलेश व अर्श ने दोस्त के साथ छल करने और फिरौती के रूप में 10 लाख रुपया वसूलने की योजना बनाई. संजीत हत्याकांड दोनों के जेहन में था. उसी तर्ज पर उन दोनों ने विनय की हत्या कर के उस के घर वालों से फिरौती वसूलने की योजना बनाई. योजना के तहत 19 मार्च, 2021 की रात पौने 8 बजे शैलेश ने अर्श के मोबाइल से विनय प्रभाकर के मोबाइल पर काल की और पार्टी के लिए घर बुलाया. विनय की 5 दिन पहले ही लोहिया फैक्ट्री में नौकरी लगी थी. फैक्ट्री से वह साढ़े 7 बजे घर लौटा था कि 15 मिनट बाद शैलेश का फोन आ गया. पार्टी की बात सुन कर वह शैलेश के घर जाने को राजी हो गया.

रात 8 बजे विनय अपनी पल्सर मोटरसाइकिल से बर्रा भाग 8 स्थित शैलेश के घर पहुंच गया. उस समय कमरे में शैलेश व अर्श गुप्ता थे और पार्टी का पूरा इंतजाम था. इस के बाद तीनों ने मिल कर खूब शराब पी. विनय जब नशे में हो गया तो योजना के तहत अर्श व शैलेश ने उसे दबोच लिया और उस की पिटाई करने लगे. विनय ने जब खुद को जाल में फंसा देखा तो वह भी भिड़ गया. कमरे से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं. इसी बीच शैलेश ने कमरे में छिपा कर रखा बांका निकाला और विनय की गरदन पर वार कर दिया. विनय का गला कट गया और वह फर्श पर गिर पड़ा.

इस के बाद अर्श ने विनय को दबोचा और शैलेश ने उस की गरदन पर 2-3 वार और किए. जिस से विनय की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और उस की मौत हो गई. हत्या करने के बाद उन दोनों ने शव को तोड़मरोड़ कर चादर व कंबल में लपेटा और फिर विनय की मोटरसाइकिल पर रख कर रिंद नदी में फेंक आए. वापस लौटते समय उन की बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया, इसलिए उन्होंने बाइक को खाड़ेपुर मोड़ पर खड़ा कर दिया. फिर पैदल ही घर आ गए. घर पर उन के स्वागत के लिए बर्रा पुलिस खड़ी थी, जिस से वे पकड़े गए. दरअसल, शैलेश की मां शीला ने ही कमरे में खून देख कर पुलिस को सूचना दी थी, जिस से पुलिस आ गई थी.

21 मार्च, 2021 को थाना बर्रा पुलिस ने आरोपी शैलेश प्रजापति व अर्श गुप्ता को कानपुर कोर्ट में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से उन दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. UP News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

family story hindi : ससुर ने बहू की गला दबाकर की हत्या फिर बोरी में भर कर नाले में फेंका

family story hindi : बेटे की शादी में दहेज न मिलने की जो कील कमल राय के मन में चुभी थी, उसे निकालने के लिए उसे 3 साल इंतजार करना पड़ा. उस ने अपनी संतुष्टि के लिए कील तो निकाल दी, लेकिन…

बिहार के मधुबनी जिले की गौरीगंज तालुका के गांव लालापुर के रहने वाले 50 वर्षीय सुधीर ठाकुर करीब 22-23 साल पहले मुंबई के उपनगर अंधेरी में आ बसे थे. उन्होंने यहीं कामधंधा शुरू कर दिया था. परिवार गांव में रहता था, जिस में उन की पत्नी के अलावा एक जवान बेटी नंदिनी और 2 बेटे थे. अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा वह गांव परिवार भेज दिया करते थे. परिवार खुशहाल था. गांव में मानसम्मान की कमी नहीं थी. उन के मानसम्मान को धक्का तब लगा जब उन की बेटी नंदिनी ने गांव के ही एक अलग बिरादरी के लड़के से लव मैरिज कर ली और मुंबई आ कर रहने लगी.

घरपरिवार की इज्जत के मद्देनजर उन्होंने अपना पूरा परिवार मुंबई बुला लिया था. यह सच है कि वक्त बड़े से बड़ा घाव भर देता है. विवाह भले ही अंतरजातीय हो, अगर बेटी सुखी हो तो परिवार उस का बड़े से बड़ा गुनाह माफ कर देता है. नंदिनी के साथ भी यही हुआ. परिवार ने उसे माफ कर गले लगा लिया. जबतब उस से फोन पर बात होने लगी. यह सिलसिला 2 सालों से चलता आ रहा था. लेकिन फिर अचानक नंदिनी का फोन आना बंद हो गया. 7 दिनों तक लगातार फोन करने के बाद भी जब नंदिनी से उन का संपर्क नहीं हो पाया तो पूरा परिवार किसी अनहोनी के डर से परेशान हो उठा.

नंदिनी ने अपने ससुराल वालों के विरुद्ध जा कर पंकज राय से अंतरजातीय विवाह किया था. जिस की वजह से वह अपने ससुर के दिल में जगह नहीं बना पाई थी. यह बात पूरे परिवार को मालूम थी. नंदिनी के ससुर कमल राय उसी गांव के रहने वाले थे, जिस गांव की नंदिनी थी. वह अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई में कांदिवली (पूर्व) के भाजीपाड़ा मार्केट पोयसर में रहते थे और कांदिवली (पश्चिम) से डोखरा खरीद कर मुंबई के कई इलाकों की दुकानों में सप्लाई करते थे. बेटा पंकज राय कांदिवली की ही ड्राईफ्रूट्स की एक दुकान पर सेल्समैन था. कुल मिला कर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीकठाक थी.

11 दिसंबर, 2020 को करीब 10 बजे सुधीर ठाकुर ने कांदिवली, समतानगर पुलिस थाने आ कर थानाप्रभारी राजू कसबे से मुलाकात की. उन्होंने उन्हें अपनी बेटी नंदिनी के बारे में सारी बातें बता कर उस की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी. उन्होंने नंदिनी के ससुराल वालों पर संदेह जाहिर किया. सुधीर ने बताया कि उन की बेटी नंदिनी का 4 दिसंबर, 2020 से फोन बंद है. तब से वह उस से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उन्हें उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है. जब मैं नंदिनी की ससुराल गया तो पता चला उस की ससुराल के सभी लोग गांव गए हैं. घर में ताला लटक रहा है.

जब आसपास के लोगों से पूछताछ की तो उन्हें नंदिनी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बेटी कहां है, किस स्थिति में है, आप उस का पता लगा कर मेरी मदद करें. नंदिनी की संदिग्ध गुमशुदगी का मामला दर्ज होते ही राजू कसबे ने इस की जानकारी थानाप्रभारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों डीसीपी डा. स्वामी, एसीपी जाधव को देने के बाद जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर रविंद्र पडवल को सौंप दी. साथ ही उन के सहयोग के लिए असिस्टैंट इंसपेक्टर सीधाराम मेहेत्रे, विजय ससकर, एसआई खर्डे, कांस्टेबल किरन सालुके और पाटने की एक टीम भी बना दी. चूंकि मामला संदेहपूर्ण था, इसलिए इंसपेक्टर रविंद्र पडवल ने अपने सहायकों के साथ तेजी से जांच शुरू कर दी. उन्होंने नंदिनी के ससुराल वालों को बिहार से बुला कर पूछताछ शुरू की.

नंदिनी के ससुर कमल राय ने नंदिनी की गुमशुदगी के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि वह तो नंदिनी को सकुशल घर पर छोड़ कर गांव गए थे. वह कहां चली गई, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वैसे भी वह एक कैरेक्टरलैस लड़की थी, उस का चालचलन ठीक नहीं था. अपने किसी यार के साथ भाग गई होगी. हालांकि नंदिनी का ससुर कमल राय अपने आप को नंदिनी के विषय में पाकसाफ बता रहा था, लेकिन इंसपेक्टर रविंद्र पडवल और उन के सहायकों को उस के कथन पर विश्वास नहीं था. नंदिनी के मामले की जांच की कोई और रूपरेखा तैयार कर के वह उस की तह में जाने की कोशिश करते, उस के पहले ही उन्हें जो जानकारी मिली उस से उन की सोच बदल गई.

24 दिसंबर, 2020 को लगभग 8 बजे पुलिस कंट्रोलरूम से जो खबर प्रसारित हुई, उसे समतानगर पुलिस थाना पुलिस ने भी सुना. मुंबई उपनगर मलाड मालोनी थाने की पुलिस को मलाड अक्सा बीच समुद्र के किनारे एक युवती की लाश मिली थी, जिसे एक सफेद चादर में लपेटने के बाद बोरी में भर कर किसी नाले में फेंका गया था, जो बह कर समुद्र के किनारे पहुंच गई थी. शव बुरी तरह से सड़ गया था. उम्र और हुलिया कुछ वैसा ही था, जैसा कि नंदिनी की शिकायत में दर्ज था. मलाड अक्सा बीच पिकनिक पौइंट है.

वहां सुबहसुबह घूमने गए किसी व्यक्ति ने इस मामले की जानकारी मलाड मलोनी पुलिस थाने को दे दी थी, जिस समय मलोनी पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची, तब तक वहां काफी लोगों की भीड़ एकत्र हो गई थी. पुलिस ने उन्हें हटा कर जांच शुरू कर दी. शव की स्थिति देख कर पुलिस जांच टीम और वरिष्ठ अधिकारियों को यकीन हो गया था कि उस महिला का शव कई दिनों से पानी में पड़े होने की वजह से बुरी तरह विकृत हो गया है, जिस की शिनाख्त करना मुश्किल था. शव कहीं दूर से बह कर आया था. मलाड मलोनी पुलिस ने आवश्यक काररवाई करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए बोरीवली के भगवती अस्पताल भेज दिया.

शव के पास कोई ऐसी चीज नहीं मिली थी, जिस से उस की शिनाख्त हो पाती और जांच को कोई दिशा मिलती. पुलिस के पास इस मामले को सुलझाने का एक ही रास्ता था, जिसे पुलिस हमेशा अपनाती है, उन्होंने भी वही किया. यह खबर पुलिस कंट्रोलरूम से वायरलैस द्वारा शहर के सभी थानों में प्रसारित करा दी और यह जानने की कोशिश की कि पिछले हफ्ते मृतका की किसी पुलिस थाने में गुमशुदगी तो दर्ज नहीं हुई है. इस से मलाड़ मलोनी पुलिस की समस्याओं का हल तो निकला ही नंदिनी की गुमशुदगी का रहस्य भी खुल गया.

सूचना मिलते ही समता नगर पुलिस थाने की जांच टीम मलाड़ मलोनी पुलिस थाने के अधिकारियों से संपर्क कर नंदिनी के पिता को शव की पहचान के लिए मलाड़ मलोनी पुलिस थाने ले गए, जहां से उन्हें बोरीवली के भगवती अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल में नंदिनी के पिता शव को देख कर अपनी छाती पीटपीट कर रोने लगे. साथ गई पुलिस टीम ने राहत की सांस ली और मामले की जांच तेजी से शुरू कर दी. अभी तक जहां नंदिनी का ससुर कमल राय सिर्फ संदेह के घेरे में था, अब जांच के रडार पर आ गया. इसलिए बिना किसी विलंब के समतानगर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों पुलिस थानों के अधिकारियों को इस मामले की जांच समानांतर रूप से करने का आदेश दिया. दहेजलोभी ससुर की करतूत अब तक नंदिनी की हत्या से अनजान बने उस के ससुर कमल राय पर जब पुलिस का शिकंजा कसा तो उस ने घुटने टेक दिए. पुलिस के सवालों की बौछार के आगे बचने का कोई रास्ता न पा कर उस ने अपना गुनाह स्वीकार करते हुए नंदिनी हत्याकांड और उस में शामिल अपने दोनों साथियों के नाम बता दिए. 55 वर्षीय कमल राय का अपने गांव और अपने समाज में अहम स्थान था, काफी इज्जत और मानसम्मान था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा बेटा पंकज राय था. पंकज राय उन की एकलौती संतान था, जिसे उन का पूरा परिवार प्यार करता था.

क्योंकि बिहार में अच्छे घरों के लड़कों की शादी के लिए अच्छी मांग होती है. शादी में उन्हें लड़की वालों की तरफ से काफी मानसम्मान और लाखों रुपए का दानदहेज भी दिया जाता है. मगर कमल राय का यह सपना पूरा नहीं हुआ. उन के बेटे पंकज राय ने नंदिनी ठाकुर से लवमैरिज कर कमल राय के सारे सपने तोड़ दिए. 22 वर्षीय नंदिनी ठाकुर देखने में स्वस्थ और सुंदर थी, सौम्य स्वभाव की. उस का परिवार उसी गांव में रहता था, जिस गांव में कमल राय का परिवार रहता था. ब्राह्मण होने के नाते उस के परिवार की भी गांव में खूब इज्जत थी. 23 वर्षीय पंकज राय भरीपूरी कदकाठी का युवक होने के साथसाथ तेजतर्रार और महत्त्वाकांक्षी युवक था.

नंदिनी और पंकज की दोस्ती उस समय शुरू हुई थी, जब दोनों पढ़ते थे, स्कूल साथसाथ जाते और आते थे. मौका मिलने पर दोनों साथ खेलतेकूदते थे. पढ़ाई में एक साल सीनियर होने के नाते पंकज नंदिनी की मदद किया करता था. कभी पंकज तो कभी नंदिनी अपनी पढ़ाई को ले कर एकदूसरे के घर भी आयाजाया करते थे. दोनों कम उम्र थे, इसलिए उन के घर आनेजाने पर कोई रोकटोक नहीं थी और न इस पर किसी को कोई ऐतराज था. लेकिन जैसेजैसे उन की उम्र बढ़ी, वैसेवैसे  उन की सोच में बदलाव आने लगा था. उन का मन पढ़ाईलिखाई में कम प्यारमोहब्बत की तरफ अधिक खिंचने लगा. नतीजा यह हुआ कि यह बात कमल राय तक पहुंच गई. उस ने बेटे को मुंबई बुला कर नौकरी पर लगा दिया.

पंकज के मुंबई जाने के बाद नंदिनी भी पढ़ाई छोड़ कर घर बैठ गई और घर के कामों में मां का हाथ बंटाने लगा. लेकिन इस के बावजूद पंकज और नंदिनी के दिलों की नजदीकियां कम नहीं हुईं. दोनों का इश्क मोबाइल के जरिए फलताफूलता और जवान होता रहा. दोनों एकदूसरे के दिल में कुछ इस तरह उतर गए थे कि एकदूसरे को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया था. जब यह बात उन के परिवार वालों तक पहुंची तो उन्होंने इस पर ऐतराज जताया. मगर इस का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. जैसेजैसे समय बीतता रहा, वैसेवैसे उन का प्यार और परिपक्व होता रहा. मौका देख कर कमल राय ने जब पंकज को समझाया तो उस ने बिना किसी डर के अपने मन की बात पिता से कह दी कि वह नंदिनी से प्यार करता है और उसी से शादी करेगा.

‘‘लेकिन यह संभव नहीं है.’’ पिता कमल राय ने गंभीर हो कर कहा.

‘‘क्यों पापा, आखिरी नंदिनी में क्या बुराई है. अच्छीखासी होने के साथसाथ सुंदर है. वह भी मुझे उतना ही प्यार करती है जितना कि मैं. अगर मेरी शादी उस से नहीं हुई तो मैं किसी और से शादी नहीं करूंगा.’’

पंकज अटल रहा अपने फैसले पर पंकज के इस फैसले से कमल राय को लाखों के दहेज का ख्वाब टूटता नजर आया. उस ने बेटे को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘प्यार तो तुम्हें वह लड़की भी करेगी जिसे मैं ने पसंद किया है. लड़की भी सुंदर सभ्य है. उस से शादी करोगे तो मानसम्मान तो बढ़ेगा ही, साथ में अच्छाखासा दानदहेज भी मिलेगा. समझे.’’

‘‘कुछ भी हो, मुझे नंदिनी पसंद है. मैं उसी से शादी करूंगा.’’ पंकज ने साफसाफ पिता का विरोध किया.

उस की बात सुन कर कमल राय गुस्से में बोले, ‘‘यह ठीक नहीं है. वह हमारे गांव के ब्राह्मण की बेटी है. उस से तुम शादी करोगे तो हमारी और उस की समाज में क्या इज्जत रहेगी? बदनामी होगी अलग से. इसलिए तुम्हें उस लड़की को भूलना होगा.’’

यही बात नंदिनी के परिवार वालों ने भी उस से कही और उसे समझाया. लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ. और अपने परिवार वालों के खिलाफ जा कर दोनों ने 2017 में लवमैरिज कर ली. अब नंदिनी पंकज राय बन कर पंकज के परिवार में शामिल हो गई. शादी के बाद पंकज नंदिनी को मुंबई ले आया था. समय के साथ नंदिनी के परिवार वालों ने उसे माफ कर के अपना लिया. पंकज ने भी अपने परिवार वालों को मना लिया था. मगर पंकज के पिता कमल ने उन्हें माफ नहीं किया था. उस के मन में प्रतिष्ठा को लेकर जो कील चुभी थी, वह उसे निकाल फेंकने का मौका खोज रहा था.

और यह मौका उसे 3 साल बाद मिला. लौकडाउन में जब पंकज अपनी मां को ले कर छठ पूजा में बिहार गया तो चाहते हुए भी वह नंदिनी को अपने साथ नहीं ले जा सका. उस ने नंदिनी को अपने पिता के पास छोड़ दिया, ताकि उसे खाने वगैरह की परेशानी न हो. खुद को घर में अकेला देख कमल राय ने नंदिनी के प्रति एक खतरनाक फैसला ले लिया. इस फैसले में उस ने अपने दोस्तों कृष्णा सिंह और प्रदीप गुप्ता को डेढ़ लाख रुपए का लालच दे कर अपनी योजना में शामिल कर लिया. कृष्णा और प्रदीप पेशे से आटो ड्राइवर थे औरउस के दोस्त.

कृष्णा सिंह और प्रदीप गुप्ता उसी बस्ती में रहते थे, जिस में कमल राय रहता था. कमल राय उन के आटो से अकसर अपना माल कस्टमरों तक पहुंचाता था. दोनों को अपनी योजना में शामिल करने के लिए कमल ने कृष्णा सिंह को 68 हजार रुपए काम होने के पहले दे दिए. बाकी काम होने पर देने का वादा किया. 4 दिसंबर, 2020 की रात कमल राय ने मौका देख कर पहले से ही उस रूम का लौक खराब कर दिया, जिस में नंदिनी सोती थी. उस के बाद कमल राय ने अपने दोनों दोस्तों के साथ रात 12 बजे तकिए से नंदिनी का मुंह दबा कर उस की हत्या कर दी और बोरी व चादर में लपेट कर उस के शव को आटो से ले जा कर भाजी वाड़व के नाले में फेंक आए.

नंदिनी के शव को ठिकाने लगाने के बाद कमल और प्रदीप गुप्ता अपनेअपने गांव चले गए. कमल राय के बयान और निशानदेही पर प्रदीप गुप्ता को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले से तो कृष्णा सिंह को उस के घर पोयसर मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया. उन से विस्तार से पूछताछ करने केबाद उन का अपराध भादंवि की धारा 302, 201, 34, 120बी के अंतर्गत दर्ज कर किया गया. आगे की जांच के लिए उन्हें मलाड़ मलोनी पुलिस थाने के अधिकारियों को सौंप दिया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. family story hindi

Alwar News : फैक्ट्री मालिक से बनाया अवैध संबंध फिर कराया पति का कत्ल

Alwar News : कुसुम की घरगृहस्थी जब ठीकठाक चल रही थी तो उसे अपनी फैक्ट्री के मालिक नरेश कुमार सैनी के साथ गुलछर्रे उड़ाने की क्या जरूरत थी. ऐसा कर के उस ने अपने ही सुहाग को ऐसी मुसीबत में डाला कि…

उस दिन 15 फरवरी, 2021 सोमवार का दिन था. राजस्थान के अलवर के थाना एमआईए के थानाप्रभारी शिवराम को सुबहसुबह फोन द्वारा सूचना मिली कि कल्पतरू गोदाम, हिंद कैमिकल फैक्ट्री के पास एक युवक की खून से लथपथ लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही एमआईए थानाप्रभारी शिवराम पुलिस टीम के साथ तत्काल घटनास्थल पर जा पहुंचे. घटनास्थल पर खून से लथपथ एक युवक की लाश पड़ी थी. मृतक के सिर, गरदन व छाती पर धारदार हथियार के गहरे चोट के निशान थे. थानाप्रभारी ने वहां मौजूद लोगों से मृतक की शिनाख्त करने को कहा. मगर कोई उस की पहचान नहीं कर सका. थानाप्रभारी ने इस घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी.

खबर पा कर सीओ ओमप्रकाश मीणा, एएसपी सरिता सिंह और एसपी तेजस्विनी गौतम भी घटनास्थल पर आ पहुंचीं. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल और डौग स्क्वायड को भी मौके पर बुला लिया. मृतक की तलाशी में ऐसी कोई चीज बरामद नहीं हुई, जिस से उस की शिनाख्त होती. एफएसएल टीम ने अपना काम पूरा किया. तब मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए राजीव गांधी सामुदायिक केंद्र की मोर्चरी में ले जाया गया. घटना की खबर आसपास के गांवों में फैल गई. खबर पा कर देसूला खोड़ निवासी रणजीत सिंह ग्रामीणों के साथ अस्पताल पहुंचे, क्योंकि उन का 28 साल का बेटा सोहन सिंह शेखावत कल से लापता था.

मोर्चरी ले जा कर पुलिस ने जैसे ही उन्हें लाश दिखाई तो उन की चीख निकल गई. क्योंकि खून से सनी वह लाश उन के बेटे की ही थी. बेटे की लाश देख कर रणजीत सिंह गश खा कर गिर पड़े. गांव वालों ने मुश्किल से उन्हें संभाला और सांत्वना दे कर चुप कराया. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने रणजीत सिंह की तरफ से हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. कुछ ही देर में सैकड़ों की संख्या में लोग थाने के बाहर और अस्पताल में जमा हो गए. सभी आक्रोशित थे. परिजनों और गांव वालों ने पहले पोस्टमार्टम कराने और फिर शव उठाने से इनकार कर दिया. उन की मांग थी कि जब तक हत्यारे गिरफ्तार नहीं होते, वे शव नहीं उठाएंगे.

पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों और परिजनों को काफी समझाया और आश्वासन दिया कि हत्यारे बहुत जल्द पकड़ लिए जाएंगे. तब परिजन मृतक का शव लेने को राजी हुए. पोस्टमार्टम के बाद मृतक का शव ले कर उस के परिजन देर शाम अपने गांव लौट आए. वहां उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया. एसपी ने सीओ ओमप्रकाश और थानाप्रभारी शिवराम को निर्देश दे कर तत्काल हत्याकांड का परदाफाश कर हत्यारों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए. थानाप्रभारी ने साइबर सेल की मदद से हत्याकांड के मुलजिमों की तलाश शुरू की. जांच के दौरान पुलिस टीम को पता चला कि मृतक सोहन सिंह मेरठ, उत्तर प्रदेश की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में सुपरवाइजर था.

वह मेरठ से एक दिन पहले ही देसूला खोड़ अपने घर आया था. सोहन सिंह 2 महीने बाद मेरठ से घर लौटा था. इसलिए दिन भर वह घर पर ही था. 14 फरवरी, 2021 वैलेंटाइन डे की शाम को करीब 7 बजे उस के मोबाइल पर किसी का फोन आया. सोहन सिंह फोन पर बात करने के बाद पत्नी कुसुम उर्फ कुमकुम चौहान से बोला, ‘‘कुसुम,मैं एक दोस्त से मिलने जा रहा हूं. 10-15 मिनट में वापस आता हूं.’’

यह कह कर वह घर से चला गया. जब वह वापस नहीं लौटा तो कुसुम को चिंता हुई. फिर सोचा कि दोस्त के साथ गपशप कर रहे होंगे. सोहन सिंह रात भर नहीं आया तब कुसुम ने अपनी ससुराल फोन कर के कहा, ‘‘कल 7 बजे किसी का फोन आने पर सोहन 10-15 मिनट में आने को कह कर गए थे. लेकिन वह अब तक नहीं लौटे. मुझे डर लग रहा है कि उन के साथ कहीं कोई अनहोनी न हो गई हो.’’

सुन कर ससुराल वालों ने कहा, ‘‘चिंता मत करो, दोस्त के पास ही रुक गया होगा. अभी फोन करते हैं कि वह है कहां.’’

इस के बाद सोहन सिंह के फोन पर उस के पिता रणजीत सिंह वगैरह ने फोन किया मगर उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. ऐसे में उन्हें चिंता होने लगी थी. वह कुछ करते, उस से पहले ही उन के बेटे की लाश मिलने की खबर आ पहुंची थी. इस के बाद रणजीत सिंह गांव से शहर की ओर भागे आए थे. पुलिस टीम ने सोहन सिंह की पत्नी, आसपड़ोस वालों, मृतक के दोस्तों और भी कई लोगों से पूछताछ की. अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. साइबर सेल ने मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. पुलिस टीम को पूछताछ में पता चला कि 14 फरवरी की रात सोहन सिंह शेखावत को गुर्जर कालोनी, बख्तल की चौकी निवासी नरेश सैनी के साथ देर रात तक देखा गया था.

पुलिस टीम ने तब नरेश सैनी को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की. नरेश सैनी पहले तो टालमटोल करता रहा लेकिन जब पुलिस ने सख्त रुख अपनाया तो वह टूट गया. उस ने सोहन सिंह हत्याकांड का राज उगल दिया. नरेश सैनी ने पुलिस को बताया कि मृतक की पत्नी कुसुम उर्फ कुमकुम उस की फैक्ट्री दीप कैम इंडस्ट्री में काम करती थी, जिस से उस के अवैध संबंध हो गए. वे दोनों सोहन सिंह को रास्ते से हटा कर अपना निजी जीवन जीना चाहते थे.

मृतक काफी समय से मेरठ में काम करता था और कभीकभार घर आता था. 14 फरवरी को पहले उसे शराब पिलाई और फिर हत्या कर दी. नरेश ने सोहन की हत्या अपने छोटे भाई नवीन उर्फ कपिल के सहयोग से की थी. तब पुलिस टीम ने मृतक की बीवी कुसुम और नवीन उर्फ कपिल सैनी को भी हिरासत में ले लिया. पूछताछ में इन दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने सोहन सिंह की हत्या में प्रयुक्त नरेश सैनी की डस्टर कार, खून सना चाकू, लकड़ी का डंडा और मृतक का मोबाइल फोन भी उन की निशानदेही पर बरामद कर लिया. चाकू और मोबाइल झाडि़यों से बरामद किया गया. वहीं डंडा डस्टर कार से बरामद किया गया था.

एसपी तेजस्विनी गौतम, एएसपी सरिता सिंह, सीओ ओमप्रकाश मीणा ने सोहन सिंह के हत्यारोपियों से पूछताछ कर के हत्याकांड का 17 फरवरी को खुलासा कर दिया. अलवर एसपी तेजस्विनी ने प्रैसवार्ता कर के हत्याकांड का खुलासा किया. सोहन सिंह की हत्या अवैध संबंधों के चलते की गई. मृतक की पत्नी और उस का प्रेमी नरेश अपने बीच में किसी तीसरे को रोड़ा नहीं बनने देना चाहते थे. वे अपना जीवन अपने हिसाब से खुल कर जीना चाहते थे. ऐसे में वैलेंटाइन डे पर जब सोहन सिंह मेरठ से घर आया तो वह पत्नी कुसुम और उस के प्रेमी नरेश की आंखों में ऐसा खटका कि उसे वैलेंटाइन डे पर मौत का तोहफा दे दिया. सोहनसिंह शेखावत हत्याकांड की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार से है—

राजस्थान के अलवर जिले की बानसूर तहसील के गांव गिरुड़ी के रहने वाले रणजीत सिंह शेखावत का बेटा था सोहन सिंह. सोहन ने पढ़ाई के बाद प्राइवेट नौकरी करनी शुरू कर दी. वह गांव से अलवर शहर आ गया. वहीं पर कामधंधा करने लगा. बेटा जब चार पैसे कमाने लगा तो रणजीत ने चौहान परिवार में उस की शादी कर दी. कुसुम 10वीं पास सुंदर लड़की थी. उस की शादी सोहन सिंह से हो गई. खूबसूरत गोरे रंग की बीवी पा कर सोहन सिंह अपने भाग्य पर इतराता था. सोहन सरल स्वभाव का शरीफ व्यक्ति था. कई दिनों तक बीवी कुसुम को गांव गिरुड़ी में रखने के बाद वह उसे अपने साथ देसूला खोड़, थाना एमआईए ले आया.

देसूला खोड़ में प्लौट ले कर सोहन ने मकान बना लिया. वह अपनी बीवी कुसुम के साथ वहीं रहने लगा. आज से करीब 6 साल पहले कुसुम ने एक बेटे को जन्म दिया. सोहन अपनी बीवी एवं बच्चे से बहुत प्यार करता था. वह दिन में काम पर जाता था रात में ड्यूटी से लौट आता था. इस दौरान सब कुछ ठीकठाक था. कुसुम के आसपास के घरों की महिलाएं दीप कैम इंडस्ट्री में लेबर के रूप में काम करने जाती थीं. कुसुम घर में दिन भर अकेली रह कर बोर हो  जाती थी. उस ने भी पड़ोस की महिलाओं के साथ काम करने की इच्छा पति से जताई.

पति ने पहले तो मना कर दिया मगर कुसुम के बारबार यह कहने पर कि वह दिन भर अकेली घर में बोर हो जाती है. फैक्ट्री में काम करने से उस का टाइम पास भी हो जाएगा और घर खर्च भी आसानी से चलेगा. तब सोहन सिंह मान गया. कुसुम ने दीप कैम इंडस्ट्री में लेबर के रूप में काम करना शुरू कर दिया. वह अपने बेटे को साथ ही ले जाती थी काम पर. दीप कैम इंडस्ट्री एमआईए इलाके में ही थी. यह इंडस्ट्री नरेश कुमार सैनी ने अपने एक दोस्त के साथ पार्टनरशिप में ली थी. नरेश कुमार सैनी ही इस की देखरेख करता था. कह सकते हैं कि वही इस का मालिक था. कुसुम को नरेश सैनी ने देखा तो वह उस की खूबसूरती पर मर मिटा. वह कुसुम के आगेपीछे भंवरे की तरह मंडराने लगा.

इसी दौरान सोहन सिंह जिस कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था, उसे सड़क बनाने का ठेका मेरठ में मिल गया. इस के बाद सोहन सिंह मेरठ चला आया. वह वहां पर सुपरवाइजर के पद पर काम करता था. छुट्टी मिलने पर सोहन अपने बीवीबच्चों से मिलने अलवर आता रहता था. छुट्टी पूरी होने पर 5-7 दिन बाद वापस मेरठ चला जाता था. नरेश ने जब से कुसुम को अपनी फैक्ट्री में देखा था, वह उस पर मरमिटा था. नरेश उस के इर्दगिर्द मंडराते हुए उस के सौंदर्य की तारीफें करता रहता था. कहते हैं कि औरत को अपनी तारीफ अच्छी लगती है. यही कुसुम के साथ हुआ.

वह अपने सौंदर्य की तारीफ के पुल बांधने वाले नरेश की तरफ खिंचती चली गई. नरेश उस से काम भी कम करवाता था. कभी छुट्टी लेती तो पगार भी नहीं काटता था. इस तरह वह नरेश को अपना समझने लगी और ऐसे में जब एक दिन नरेश ने मौका मिलने पर कुसुम को बांहों में भरा तो वह चुप रही. कुसुम की मौन स्वीकृति ने नरेश का उत्साह बढ़ा दिया. उस दिन दोनों तनमन से एक हो गए. एक बार वासना के दलदल में गिरे तो फिर धंसते ही चले गए. दोनों के बीच अवैध संबंध बने तो नरेश ने कुसुम को लेबर काम से हटा कर एकाउंटेंट बना दिया. कुसुम 10वीं पास थी. उस ने उस की तनख्वाह भी बढ़ा दी.

सोहन सिंह को जब बीवी ने बताया कि वह एकाउंटेंट बन गई है तो वह बहुत खुश हुआ. मगर उसे यह पता नहीं था कि उस की बीवी ने तन सौंप कर यह पद हासिल किया है. इसी दौरान करीब डेढ़ साल पहले कुसुम के यहां एक बेटी हुई. वहीं नरेश की भी अपने समाज में शादी हो गई. नरेश शादीशुदा हो कर कुसुम से संबंध जारी रखे था. वह अपनी बीवी से ज्यादा कुसुम से प्यार करता था. कुसुम अपने पति से विश्वासघात कर गैरमर्द की बांहों में झूल रही थी. समय के साथ उन दोनों ने तय कर लिया कि वे आजीवन साथ रहेंगे. उन के बीच में जो आएगा वह जिंदा नहीं बचेगा.

पिछले 2 महीने से सोहन सिंह मेरठ में था. इस दौरान नरेश और कुसुम ने तय कर लिया कि उन के बीच सोहन सिंह नाम का जो कांटा है, उस को देसूला खोड़ आने पर हमेशा के लिए हटा दिया जाएगा. सोहन सिंह 2 महीने बाद देसूला आने वाला था. नरेश के एक बेटी है जो इस समय करीब 4 महीने की है. सोहन सिंह मेरठ से देसूला आया तो इस की सूचना कुसुम ने नरेश को दे दी. नरेश ने 14 फरवरी, 2021 वैलेंटाइन डे की शाम करीब 7 बजे सोहन को फोन कर बुलाया. सोहन सिंह ने पत्नी कुसुम से 10-15 मिनट में आने को कहा और नरेश के पास चला गया. सोहन जब नरेश के पास पहुंचा तब वह अपनी डस्टर कार ले कर खड़ा था. नरेश ने कहा, ‘‘सोहनसिंह जी आप को यहीं फैक्ट्री में अच्छी नौकरी दिला देते हैं.’’

‘‘यह तो आप की मेहरबानी होगी. वैसे अगर यहां नौकरी मिल जाए तो कौन बीवीबच्चों से दूर रहना चाहेगा.’’ सोहन बोला.

तब नरेश ने झांसा दिया कि आओ बात करते हैं. सोहन सिंह डस्टर कार में बैठ गया. नरेश कार में बिठा कर सोहन सिंह को तिजारा फाटक के पास शादी समारोह में ले गया. यहां सोहन सिंह को शराब में धुत कर दिया.

इस के बाद नरेश ने शिव कालोनी से शादी समारोह में से अपने छोटे भाई नवीन उर्फ कपिल सैनी को साथ लिया. इस के बाद एमआईए फैक्ट्री की तरफ गाड़ी रोक कर सोहन सिंह को और शराब पिलाई. उसी समय नरेश ने अपने सगे भाई नवीन के साथ मिल कर सोहन की चाकू व लाठी से हमला कर हत्या कर दी. सोहन सिंह की गरदन पर नवीन ने चाकू से वार किए. फिर नरेश ने सोहन के सिर पर लाठी से वार किए. शराब के नशे में धुत सोहन अपना बचाव भी नहीं कर सका. वह थोड़ी देर में ही तड़प कर मर गया. इस के बाद दोनों भाइयों ने लाश कल्पतरू गोदाम के पास फेंक दी. वहां से जाते वक्त नवीन ने चाकू और मृतक का मोबाइल झाडि़यों में फेंक दिया.

जेब से आधारकार्ड और पर्स भी ले लिया. डंडे को कार में रख कर अपने घर ले गए. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने चाकू, डंडा और मोबाइल बरामद कर लिए. हत्या में प्रयोग की गई डस्टर कार भी जब्त कर ली. पुलिस ने पूछताछ के बाद कुसुम, उस के प्रेमी नरेश कुमार सैनी और नवीन उर्फ कपिल सैनी को कोर्ट में पेश कर के न्यायिक हिरासत में भेज दिया – Alwar News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Story : अधूरा इश्क बना मौत की वजह – प्रेमी कपल ने पेड़ से लटक कर दी जान

Love Story : विकास और आरती एक ही कुनबे के भाईबहन थे, इस के बावजूद वे रिश्ते को दरकिनार करते हुए शादी करना चाहते थे. लेकिन दोनों के घर वालों ने उन की मांग सिरे से ठुकरा दी तो…

कानपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर पश्चिम में थाना बिल्हौर के तहत एक गांव है  अलौलापुर. ज्ञान सिंह कमल इसी गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी गीता कमल के अलावा 2 बेटे विकास, आकाश तथा 2 बेटियां शोभा व विभा थीं. ज्ञान सिंह कमल किसान थे. उन के पास 10 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कृषि उपज से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे. ज्ञान सिंह का बेटा विकास अपने भाईबहनों में सब से बड़ा था. इंटरमीडिएट पास करने के बाद उस ने नौकरी पाने के लिए दौड़धूप की. लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो वह पिता के कृषि कार्य में हाथ बंटाने लगा.

उस ने ट्रैक्टर चलाना सीख लिया था. ट्रैक्टर से वह अपनी खेती तो करता ही था, दूसरे काम कर वह अतिरिक्त आमदनी भी करता था. विकास किसानी का काम जरूर करता था, लेकिन ठाटबाट से रहता था. ज्ञान सिंह के घर से चंद कदम दूर सुरेश कमल का घर था. उस के परिवार में पत्नी ममता के अलावा 2 बेटियां आरती, प्रीति तथा एक बेटा नंदू था. सुरेश और ज्ञान सिंह एक ही कुनबे के थे और रिश्ते में भाईभाई थे. सुरेश भी किसान था. उस की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. लेकिन दोनों में खूब पटती थी. दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था और सुखदुख में एकदूसरे का साथ देते थे.

दोनों परिवारोें के बच्चों का बचपन भी साथसाथ खेलते बीता था. विकास को  बचपन से ही चाचा सुरेश कमल की बेटी आरती से बहुत लगाव था. आरती भी विकास के साथ ज्यादा खेलती थी. दोनों के इस लगाव पर घर वालों ने कभी ध्यान नहीं दिया, क्योंकि बच्चे अकसर इसी तरह खेलते हैं. बचपन के दिन गुजर जाने के बाद विकास और आरती ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उन के बीच का लगाव पहले की ही तरह बना रहा. लेकिन उन के नजरिए में बदलाव जरूर आ गया था. अब उन की चंचलता खामोशी के साथ दूसरा मुकाम अख्तियार कर चुकी थी. उन के दिल में प्यार के बीज अंकुरित हो चुके थे. इसलिए अब जब भी उन्हें मौका मिलता, वे प्यार भरी बातें करते.

आरती की आंखों के सामने जब भी विकास होता, वह उसी को देखा करती. उस पल उस के चेहरे पर जो खुशी होती थी, कोई भी देख कर भांप सकता था कि दोनों के बीच जरूर कुछ चल रहा है. विकास को भी उस का इस तरह से देखना भाता था, क्योंकि उस का दिल भी तो आरती के प्यार का मरीज था. दोनों की आंखों में एकदूसरे के लिए प्यार साफ झलकता था. वे इस बात को महसूस भी करते थे. लेकिन दिल की बात एकदूसरे से कह नहीं पा रहे थे. प्यार का किया इजहार एक दिन विकास आरती के घर पहुंचा, तो उस समय वह घर में अकेली थी. आरती को देखते ही उस का दिल तेजी से धड़क उठा.

उसे लगा कि दिल की बात कहने का उस के लिए यह सब से अच्छा मौका है. आरती उसे कमरे में बिठा कर फटाफट 2 कप चाय बना लाई. चाय की चुस्कियों के बीच दोनों बातें करने लगे. अचानक विकास गंभीर हो कर बोला, ‘‘आरती मुझे तुम से एक बात कहनी है.’’

‘‘कहो, क्या कहना चाहते हो?’’ आरती भी गंभीर हो गई.

‘‘आरती, मैं तुम से प्यार करता हूं. यह प्यार आज का नहीं, बरसों का है, जो आज किसी तरह हिम्मत जुटा कर कह पाया हूं. ये आंखें सिर्फ तुम्हें देखना पसंद करती हैं. मैं तुम्हारे प्यार में इतना दीवाना हो चुका हूं कि अगर तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया, तो मैं पागल हो जाऊंगा.’’

आखिर विकास ने दिल की बात कह ही दी, जिसे सुन कर आरती का चेहरा शरम से लाल हो गया, पलकें झुक गईं. होंठों ने कुछ कहना चाहा, लेकिन जुबान ने साथ नहीं दिया. आरती की हालत देख कर विकास बोला, ‘‘कुछ तो कहो आरती, क्या मैं तुम से प्यार करने लायक नहीं हूं.’’

‘‘कहना जरूरी है क्या? तुम खुद को दीवाना कहते हो और मेरी आंखों में बसी चाहत को नहीं देख सकते. जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. मैं ने भी तुम्हें बहुत पहले से दिल में बसा लिया है. डरती थी कि कहीं यह मेरा एकतरफा प्यार न हो.’’ आरती ने भी चाहत का इजहार कर दिया. आरती की बात सुन कर विकास खुशी से झूम उठा. उसे लगा कि सारी दुनिया की दौलत, आरती के रूप में उस की झोली में आ कर समा गई है. दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो फिर एकांत में भी मिलनेजुलने का सिलसिला शुरू हो गया. दोनों गांव के बाहर सुनसान जगह पर मिलने लगे.

वे एकदूसरे पर जम कर प्यार बरसाते और हमेशा एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाते. जैसेजैसे समय बीतता गया, दोनों की चाहत बढ़ती और प्रगाढ़ होती गई. घर वालों को उन पर किसी तरह का शक इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि दोनों पारिवारिक रिश्ते में भाईबहन थे. इसी रिश्ते की आड़ में वे घर वालों को बेवकूफ बनाते रहे. उन के बीच जो प्यार उपजा था, वह भाईबहन के रिश्ते को भूल गया था. मर्यादाओं में रहते हुए वे जीवन के हसीन ख्वाब देखने लगे थे. लेकिन उन के संबंध ज्यादा दिनों तक छिपे न रह सके. एक दिन आरती की मां ममता ने उस की और विकास की बातें सुन लीं.

इस के बाद वह आरती और विकास के ज्यादा मिलने का मतलब समझ गई. शाम को उस ने इस बारे में बेटी से पूछा तो उस ने मुसकराते हुए कह दिया कि उस का विकास से इस तरह का कोई संबंध नहीं है. ममता ने भी जमाना देखा था. वह समझ गई कि बेटी झूठ बोल रही है. इसलिए उस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो आरती को सच उगलना ही पड़ा. उस ने डरतेडरते कह दिया कि वह विकास से प्यार करती है.

इस के बाद ममता का गुस्सा फट पड़ा. वह आरती की पिटाई करते हुए बोली, ‘‘कुलच्छिनी, तुझे शर्म नहीं आई. जानती है, वह तेरा क्या लगता है? कम से कम अपने रिश्ते का तो लिहाज किया होता.’’

‘‘मम्मी, वह कोई सगा भाई थोड़े ही है और जब प्यार होता है, तो वह रिश्ता नहीं देखता. हम दोनों ही एकदूसरे को चाहते हैं.’’ आरती ने रोते हुए कहा.

‘‘अच्छा, बहुत जुबान चल रही है, अभी खींचती हूं तेरी जुबान,’’ कहते हुए ममता ने उस पर लात और थप्पड़ों की बरसात कर दी. लेकिन आरती यही कहती रही कि चाहे वह उसे कितना भी मार ले, वह विकास को नहीं छोड़ेगी. आरती की पिटाई करतेकरते जब ममता हांफने लगी तो एक ओर बैठ कर उसे भलाबुरा कहने लगी. साथ ही उस ने धमकी दी, ‘‘आने दे तेरे बाप को, वही तेरी ठीक से खबर लेंगे. बहुत उड़ने लगी है न तू. अब तेरे पर कतरने ही पड़ेंगे.’’

आरती सुबकती रही. शाम को जब सुरेश आया तो ममता ने सारी बात उसे बता दी. सुरेश को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उस ने समझदारी से काम लिया. उस ने उसे दूसरे कमरे में ले जा कर समझाया, उसे भाईबहन के रिश्ते की गहराई बताते हुए कहा कि उस के इस कदम से गांव में रहना दूभर हो जाएगा. किसी के सामने वह सिर तक नहीं उठा सकेगा. पिता के समझाने का हुआ असर पिता की बातें आरती को अच्छी तो लगीं, लेकिन उस के सामने समस्या यह थी कि वह विकास से उस के साथ जीनेमरने का वादा कर चुकी थी. अब उस के सामने एक ओर पिता की इज्जत थी तो दूसरी ओर वह प्यार था, जिस के लिए वह कुछ भी करने का वादा कर चुकी थी.

अंत में वह इस नतीजे पर पहुंची कि वह घर वालों की इज्जत के लिए अपने प्यार को एक सपने की तरह भुलाने की कोशिश करेगी. इसलिए उस ने पिता से वादा कर लिया कि अब वह विकास से नहीं मिलेगी. यह बात करीब एक साल पहले की है. आरती की पिटाई वाली बात विकास को पता चल चुकी थी. उस के मन में इस बात का डर था कि कहीं चाचा सुरेश यह शिकायत उस की मां से न कर दें. इसी डर की वजह से उस ने आरती के घर जाना बंद कर दिया. दूसरी ओर आरती उसे भुलाने की कोशिश करने लगी थी. इसलिए उस ने भी विकास की देहरी नहीं लांघी.

लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सका. चूंकि दोनों लंबे समय से एकदूसरे को प्यार करते आ रहे थे, इसलिए उन की यादें जेहन में घूम रही थीं, जो उन्हें विचलित कर रही थीं. विकास का मन आरती से मिलने को विचलित था. लेकिन समस्या यह थी कि वह उस से कैसे मिले?

आरती का व्यवहार देख कर उस के घर वालों ने यही समझा कि वह विकास को भूल चुकी है. इसलिए उन्होंने उस पर निगरानी बंद कर दी. एक दिन आरती घर में अकेली थी तो विकास उस से मिलने पहुंच गया. अचानक घर में विकास को देख कर आरती बोली, ‘‘तुम यहां क्यों आ गए? कोई आ गया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’’

‘‘मैं तुम से सिर्फ यह पूछने आया हूं कि तुम मुझे इतनी जल्दी भूल कैसे गई?’’ विकास ने पूछा.

‘‘भूली नही हूं, मजबूरी है. मेरी जगह तुम होते तो तुम भी यही करते.’’ आरती ने कहा.

आरती की इस बात से विकास खुश हो गया और उस ने आरती को झट से अपने गले लगा कर कहा, ‘‘तुम चिंता मत करो, मैं मुलाकात का कोई न कोई रास्ता निकाल लूंगा.’’

प्रेमी से मिलने के बाद आरती अपने पिता से किए गए वादे को भूल गई. वह भी विकास से खूब बातें करना चाहती थी. लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं उस की मां या पिता न आ जाएं. इसलिए उस ने विकास से कहा, ‘‘विकास, इस से पहले कि यहां कोई आ जाए, तुम चले जाओ.’’

विकास वहां से चला गया. प्रेमिका से मिल कर उसे बड़ा सुकून मिला था. 2-3 दिन बाद उस ने एक मोबाइल फोन खरीद कर आरती को दे दिया. इस के बाद आरती चोरीछिपे विकास से बातें करने लगी. इस से उन के मिलने में आसानी हो गई. इस तरह उन का प्यार पहले की तरह ही चलने लगा. लेकिन उन का चोरीछिपे मिलनेमिलाने का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका. एक रात अचानक आरती की मां ममता की आंखें खुलीं तो उस ने आरती को चारपाई से गायब पाया. बेटी की तलाश में वह छत पर पहुंची तो वह वहां उसे कुरसी पर बैठी देख कर चौंकी.

मां की आहट पाते ही आरती ने प्रेमी से चल रही बातचीत बंद कर दी और मोबाइल फोन छिपाने लगी. ममता ने उसे कुछ छिपाते देख तो लिया था, लेकिन उसे यह पता नहीं था कि उस ने क्या छिपाया है. उस ने आरती से इतनी रात को छत पर अकेली बैठने की वजह पूछी, तो वह सकपका गई. तब उस ने पूछा, ‘‘तूने अभी क्या छिपाया है, दिखा?’’

‘‘कुछ नहीं छिपाया है मम्मी.’’ आरती घबरा कर बोली.

ममता ने कोई चीज रखते हुए देखा था. बेटी की बात सुन कर ममता को लगा कि वह झूठ बोल रही है. उस ने आरती के सीने पर हाथ डाला, तो वहां मोबाइल देख कर पूछा, ‘‘यह किस का मोबाइल है और किस से बातें कर रही थी?’’

‘‘किसी से नहीं मम्मी.’’ आरती सकपका कर बोली.

बेटी के झूठ बोलने पर ममता समझ गई कि वह विकास से ही बातें कर रही थी. इस का मतलब वह जरूर हमारी आंखों में धूल झोंक कर उस से लगातार मिल रही है. ममता ने रात में हंगामा करना उचित नहीं समझा. सुबह उस ने सारी सच्चाई पति को बता दी. सुरेश कमल समझ गया कि बेटी को कितना भी समझा ले, वह विकास से मिलना नहीं छोड़ेगी. इस से पहले कि समाज में उन की बदनामी हो, उस ने उस के हाथ पीले करने का फैसला कर लिया. आरती की मां ममता ने भी अपनी जेठानी गीता से उस के बेटे विकास की शिकायत कर दी. ममता की शिकायत पर गीता को बेटे पर बहुत गुस्सा आया. उस ने ममता को भरोसा दिया कि वह विकास को समझाएगी.

गीता ने विकास से इस बाबत बात की तो डरने के बजाय उस ने बेबाक कह दिया कि वह आरती से प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा. विकास की दोटूक बात सुन कर गीता को आश्चर्य हुआ. तब गुस्से में उस ने उसे 2-3 थप्पड़ जड़ दिए और बोली, ‘‘तुझे अपनी बहन के साथ शादी करने की बात कहते हुए शर्म नहीं आई?’’

लेकिन विकास अपनी जिद पर अड़ा रहा. मां के गुस्से का उस पर कोई असर न पड़ा. इधर सुरेश कमल अपनी इज्जत बचाने के लिए बेटी के लिए लड़का खोजने लगा तो आरती घबरा उठी. उस ने एक रोज किसी तरह विकास से मुलाकात की और बताया कि उस के घर वाले जल्द ही उस का रिश्ता तय करने वाले हैं. लेकिन वह किसी और की दुलहन बनने के बजाय मौत को गले लगाना पसंद करेगी. उस ने जो वादा किया है, वह जरूर निभाएगी. आरती की शादी की बात सुन कर विकास भी घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘आरती, तुम्हारी जुदाई मैं बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा. फिर तो एक ही रास्ता बचा है.’’

‘‘वह क्या?’’ आरती ने पूछा.

‘‘यही कि हम साथ जीनेमरने का वादा पूरा करे.’’

‘‘शायद, तुम ठीक कहते हो विकास.’’ इस के बाद दोनों ने एक साथ आत्महत्या करने का निश्चय किया. प्यार की विदाई. 3 जनवरी, 2021 की रात 10 बजे जब घर के लोग सो गए, तब आरती ने विकास को फोन कर के बात की. विकास ने उसे बताया कि वह घर से निकल रहा है. वह गांव के बाहर अनिल के बाग में उस का इंतजार करेगा. जितनी जल्दी हो सके आ जाए. आरती ने कमरे में सो रहे अपने मांबाप पर एक नजर डाली. फिर चुपके से दरवाजे की कुंडी खोल कर घर के बाहर आ गई और तेज कदमों से अनिल के बाग की ओर चल पड़ी.

कुछ देर बाद वह बगीचे में पहुंची तो आम के पेड़ के नीचे विकास उस का इंतजार कर रहा था. पेड़ के नीचे कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे. उस के बाद विकास ने पेड़ की डाल में रस्सी बांध कर 2 फंदे बनाए. फिर एकएक फंदा गले में डाल कर दोनों फांसी के फंदे पर झूल गए. इधर सुबह ममता की आंखें खुलीं तो आरती को चारपाई पर न पा कर उस का माथा ठनका. उस ने घरबाहर आरती की खोज की लेकिन कुछ पता न चला. उस ने सोचा कहीं विकास आरती को बहलाफुसला कर भगा तो नहीं ले गया. वह विकास के घर जा पहुंची. विकास भी घर से गायब था. अब दोनों के घर वाले विकास और आरती की खोज करने लगे.

ज्ञान सिंह व सुरेश अपने साथियों के साथ दोनों की तलाश में गांव के बाहर अनिल के बाग में पहुंचे तो उन के मुंह से चीख निकल गई. विकास और आरती पेड़ की डाल से बंधी रस्सी के सहारे फांसी के फंदे पर झूल रहे थे. इस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई. देखते ही देखते सैकड़ों लोग घटनास्थल पर आ गए. ममता और गीता अपने बच्चों को फांसी के फंदे पर झूलता देख कर फफक कर रो पड़ीं. इसी बीच गांव के किसी युवक ने थाना बिल्हौर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई घटनास्थल आ गए. उन की सूचना पर एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार तथा सीओ अशोक कुमार सिंह भी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा दोनों के घर वालों से पूछताछ की. मृतक विकास की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी तथा मृतका आरती की उम्र 20 साल थी. निरीक्षण के बाद दोनों शवों को फांसी के फंदे से उतार कर पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया गया. थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई को पूछताछ से पता चला कि विकास और आरती प्रेमीप्रेमिका थे. घर वालों को उन का रिश्ता मंजूर न था. अत: दोनों ने आत्महत्या कर ली.

थानाप्रभारी बाजपेई ने आत्महत्या प्रकरण को थाने में दर्ज तो किया, लेकिन दोनों की मौत हो जाने से प्रकरण को बंद कर दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Love Crime News : शक्की बॉयफ्रेंड ने गर्लफ्रेंड को मारी गोली

Love Crime News : मनोज जुनूनी और शक्की था. इसी के चलते उस ने अपने प्यार को तो मिटा ही दिया, अपनी जिंदगी भी बरबाद कर ली. अगर प्रतिभाशाली मेघा समय रहते उस की हरकतों से उसे समझ पाती तो…

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले का एक बड़ा कस्बा है गजरौला. यह कस्बा मुरादाबाद से दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-24 पर स्थित है. गजरौला की पहचान एक औद्योगिक नगर के रूप में भी है क्योंकि यहां पर कई बड़े कारखाने और फैक्ट्रियां हैं. मेघा चौधरी इसी कस्बे की अवंतिका कालोनी में सुधारानी के मकान में रहती थी. मेघा चौधरी गजरौला थाने में कांस्टेबल थी. 31 जनवरी, 2021 की शाम करीब 6 बजे की बात है. मेघा चौधरी किचन में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी, तभी मनोज ढल उस के पास आया. मनोज उस का प्रेमी था.

वह भी उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल था और उस की पोस्टिंग अमरोहा जिले के सैदनगली थाने में थी. मनोज अकसर मेघा चौधरी से मिलने आता रहता था. उस के आने के बाद उन दोनों के बीच कुछ देर तक बातचीत चलती रही. इसी दौरान उन की बातों में इतना तीखापन आ गया कि आवाजें कमरे से बाहर तक जाने लगीं. लग रहा था जैसे उन के बीच झगड़ा हो रहा हो. उसी समय मेघा के कमरे से गोली चलने की 2 आवाजें आईं. बराबर के कमरे में मेघा की दोस्त महिला कांस्टेबल प्रिया भी किराए पर रहती थी. गोली की आवाज सुनते ही प्रिया तुरंत मेघा के कमरे में पहुंची. गोली की आवाज सुन कर  मकान मालकिन भी वहां आ गई थी.

उन लोगों ने देखा तो वहां का दृश्य देख कर हक्कीबक्की रह गईं. कमरे में मेघा और मनोज लहूलुहान पड़े थे. दोनों को गोली लगी थी और कमरे में खून फैला हुआ था. मनोज के पास ही एक देसी तमंचा पड़ा हुआ था. प्रिया समझ गई कि दोनों को उसी तमंचे से गोली लगी है. प्रिया खुद कांस्टेबल थी. उस ने तुरंत गजरौला थाने में फोन कर के इस की सूचना दे दी. यह बात सुबह करीब सवा 6  बजे की है. थानाप्रभारी आर.पी. शर्मा रात की गश्त से लौट कर अपने क्वार्टर में आराम कर रहे थे. एसएसआई प्रमोद पाठक थाने में मौजूद थे. उन्होंने जब इस घटना के बारे में सुना तो यह जानकारी थानाप्रभारी को दी और खुद पुलिस टीम के साथ अवंतिका कालोनी में घटनास्थल पर पहुंच गए.

चूंकि मामला पुलिसकर्मियों से जुड़ा हुआ था, इसलिए थानाप्रभारी ने इस घटना से उच्च अधिकारियों को भी सूचित कर दिया. इस के बाद वह खुद घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस तुरंत दोनों घायलों को गजरौला के अस्पताल ले गई, लेकिन उन की हालत गंभीर थी इसलिए गजरौला से उन्हें मुरादाबाद के साईं अस्पताल रेफर कर दिया गया. सूचना मिलते ही सीओ विजय कुमार, एएसपी अजय प्रताप सिंह व एसपी सुनीति भी घटनास्थल पर पहुंच गईं. उन्होंने घटनास्थल का मुआयना किया और मकान मालकिन व कांस्टेबल प्रिया से पूछताछ की. पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला कि मेघा चौधरी और मनोज ढल का काफी दिनों से प्रेम संबंध चल रहा था.

अब तक की जांच के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची की इस घटना को कांस्टेबल मनोज ढल ने ही अंजाम दिया होगा. पुलिस ने मौके से मिले सबूत अपने कब्जे में लिए. उधर मुरादाबाद के साईं अस्पताल में भरती कांस्टेबल मेघा और मनोज की हालत गंभीर बनी हुई थी. डाक्टरों की टीम दोनों के इलाज में तत्परता से जुटी थी. मामला पुलिसकर्मियों से जुड़ा हुआ था, इसलिए सूचना पाते ही मुरादाबाद रेंज के आईजी रमित शर्मा, एसएसपी प्रभाकर चौधरी, एसपी (सिटी ) अमित कुमार आनंद भी साईं अस्पताल पहुंच गए. आईजी रमित शर्मा ने अमरोहा पुलिस को आदेश दिए कि वह इस मामले में निष्पक्ष तरीके से काररवाई करे.

आईजी साहब के आदेश पर अमरोहा जिले की एसपी सुनीति ने गजरौला के थानाप्रभारी आर.पी. शर्मा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बना दी. थानाप्रभारी ने सिपाही मनोज ढल के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 452, 307 व आर्म्स ऐक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. उधर इलाज के दौरान कांस्टेबल मेघा चौधरी ने 31 जनवरी की रात करीब 11 बजे दम तोड़ दिया. पुलिस मेघा चौधरी और मनोज ढल के घर वालों को पहले ही सूचना दे चुकी थी, इसलिए सुबह होते ही दोनों के घर वाले साईं अस्पताल पहुंच गए.

मेघा चौधरी के घर वालों को जब पता चला कि उस की मौत हो चुकी है तो उन का रोरो कर बुरा हाल हो गया. मेघा के भाई सागर चौधरी ने थानाप्रभारी को मनोज ढल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर दी. पहली फरवरी को मुरादाबाद में मेघा का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने उस की लाश उस के घर वालों को सौंप दी. मेघा मूलरूप से मुजफ्फरनगर जिले के सरलाखेड़ी गांव की रहने वाली थी, इसलिए घर वाले उस का शव अपने गांव ले कर चले गए. उधर मनोज की हालत में निरंतर सुधार हो रहा था. 3 फरवरी, 2021 को जब उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

थाना गजरौला ले जा कर उस से इस संबंध में पूछताछ की गई. एसपी सुनीति भी उस से पूछताछ करने के लिए थाना गजरौला पहुंच गईं. पूछताछ में मनोज ढल ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही मेघा को गोली मार कर खुद को भी गोली मारी थी. इस के पीछे की उस ने जो कहानी बताई, वह प्रेम संबंधों की बुनियाद पर रचीबसी निकली—

मेघा चौधरी और मनोज ढल वर्ष 2018 बैच के कांस्टेबल थे. करीब डेढ़ साल पहले मेघा चौधरी और मनोज ढल की तैनाती अमरोहा जिले की तहसील हसनपुर के थाना आदमपुर में थी. आदमपुर बेहद पिछड़ा हुआ इलाका है. ग्रामीण क्षेत्र में तैनाती होने के कारण मनोज अकसर मेघा की मदद कर दिया करता था. जिस कारण दोनों में घनिष्ठता बढ़ गई थी. दोनों ही अविवाहित थे. उन के बीच नजदीकियां बढ़ीं तो मामला प्यार में बदल गया. दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. ड्यूटी के दौरान दोनों समय निकाल कर अकसर मिलते रहते थे. मनोज मेघा के प्यार में आकंठ डूब चुका था.

उस के सिर पर प्यार का ऐसा नशा सवार हुआ कि वह अपनी ड्यूटी के प्रति भी लापरवाह रहने लगा. आदमपुर के थानाप्रभारी ने मनोज और मेघा को कई बार समझाया कि वह जिम्मेदारी से अपनी ड्यूटी करें. ड्यूटी के प्रति लापरवाही ठीक नहीं है. लेकिन दोनों ने उन की बात पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने उन दोनों को हिदायत दी.  मनोज तो मेघा का जैसे दीवाना हो चुका था. इसलिए अपने प्यार के चलते उस ने थानाप्रभारी की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया. तब थानाप्रभारी ने अमरोहा के तत्कालीन एसपी डा. विपिन कुमार टांडा से कांस्टेबल मेघा चौधरी और मनोज की शिकायत कर दी.

उन की शिकायत पर एसपी ने मेघा चौधरी का तबादला आदमपुर से गजरौला थाने में कर दिया और मनोज का तबादला कर के उसे थाना सैदनगली भेज दिया गया. मेघा चौधरी ने 10 सितंबर, 2020 को गजरौला थाने पहुंच कर अपनी आमद दर्ज करा दी. गजरौला थाने में ड्यूटी जौइन करते ही मेघा ने अपने कार्यों से पूरे पुलिस स्टाफ को प्रभावित किया. वह बहुत ही  महत्त्वाकांक्षी थी. उस के मन में आगे बढ़ने की लगन थी. थानाप्रभारी मेघा चौधरी के कार्य से संतुष्ट थे. उस के काम को देखते हुए उन्होंने उसे महिला डेस्क की जिम्मेदारी सौंपी.

इस के अलावा वह पुलिस की एंटी रोमियो टीम के साथ भी काम करने लगी. नारी शक्ति अभियान से जुड़ी एंटी रोमियो टीम का काम स्कूलकालेज की छात्राओं को जागरूक करना होता है. मेघा चौधरी इस काम को बड़ी गंभीरता से कर रही थी. वह स्कूलकालेज में जा कर छात्राओं को जागरूक करती थी. वह उन्हें बताती थी कि यदि रास्ते में कोई मनचला उन के साथ छेड़छाड़ या परेशान करे तो उस से कैसे निपटा जाए. वह उन्हें यह भी बताती थी कि कुछ युवक छात्राओं को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों में फंसा लेते हैं, जिस से छात्राओं का कैरियर समाप्त हो जाता है. ऐसे लोगों से उन्हें कैसे बचना है. इस के बारे में भी वह छात्राओं को अच्छी तरह समझाती थी.

गजरौला थाने में पोस्टिंग होने के बाद एक तरह से मेघा और ज्यादा जागरूक और अपने कैरियर के प्रति गंभीर हो गई थी. उस ने तय कर लिया था कि वह शादी से पहले अपना कैरियर बनाएगी. नारी शक्ति अभियान के तहत छात्राओं को जागरूक करतेकरते मेघा एक अच्छी वक्ता बन गई थी. वह बहुत प्रभावशाली भाषण देती थी. अनेक कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि बन कर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने भी जब मेघा के भाषण सुने तो वे बहुत प्रभावित हुए. अधिकारी जब उस की तारीफ करते तो वह खुश होती थी. जब वह उच्चाधिकारियों के साथ मीटिंग में बैठती थी तब उस का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता था. वह सोचती कि वह एक मामूली सिपाही होते हुए भी इतने बड़े अधिकारियों के बीच बैठती है.

यहीं से उस के मन में आगे बढ़ने की लालसा पैदा हुई. उस ने तय कर लिया कि केवल सिपाही की नौकरी के बूते वह अपनी जिंदगी नहीं काटेगी बल्कि  कंपटीशन की तैयारी कर कोई अच्छी नौकरी पाने की कोशिश करेगी. मेघा ने बीटीसी का भी फार्म भर रखा था, जिस का एग्जाम पहली फरवरी, 2021 को था. इस एग्जाम की वजह से मेघा ने 31 जनवरी को अपनी 3 दिन की छुट्टी स्वीकृत करा ली थी. छुट्टी ले कर वह परीक्षा की तैयारी कर रही थी. मेघा और उस के प्रेमी मनोज की तैनाती अलगअलग थानों में थी, इस के बावजूद मनोज मेघा से मिलने के लिए उस के पास आता रहता था. मेघा ने जब गजरौला की अवंतिका कालोनी में सुधारानी के यहां एक किराए का कमरा लिया था तो वह वहां भी मेघा से मिलने आता रहता था.

मेघा और मनोज ने अपने प्यार के बारे में अपनेअपने घर वालों को भी बता दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने कह दिया था कि वे शादी करना चाहते हैं. तब दोनों के घर वालों ने एकदूसरे का घरबार देखने के बाद शादी के लिए हामी भर दी थी. मनोज हरियाणा के जिला कैथल के थाना कुंडली के गांव पाई का निवासी था जबकि मेघा चौधरी उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर के थाना  तितली के गांव खेड़ी की रहने वाली थी. अलगअलग थानों में दोनों का ट्रांसफर हो जाने के बाद उन की मुलाकात पहले की तरह तो नहीं हो पाती थी, लेकिन दोनों फोन पर खूब बातें करते थे. लेकिन इस से मनोज का दिल नहीं भरता था. वह चाहता था कि जल्दी से जल्दी मेघा से उस की शादी हो जाए.

मनोज मेघा पर शादी करने का दबाव बना रहा था, लेकिन मेघा उसे यह कह कर टाल देती थी कि अभी उसे अपना कैरियर बनाना है. वह कैरियर बनाने के बाद ही शादी करेगी, क्योंकि सिपाही की नौकरी से वह संतुष्ट नहीं है. मनोज ने उस से कहा, ‘‘शादी के बाद भी तुम परीक्षा की तैयारी कर सकती हो.’’

तब मेघा ने कहा, ‘‘शादी के बाद घरगृहस्थी के तमाम काम होते हैं, जिस की वजह से तैयारी ढंग से नहीं हो पाएगी. इस समय मेरी तैयारी बहुत अच्छी चल रही है और इसी तरह चलती रही तो साल भर के अंदर मुझे कहीं न कहीं अच्छी नौकरी जरूर मिल जाएगी. इसलिए अभी मैं शादी के बंधन में फंसना नहीं चाहती.’’

इस बात को मनोज भी अच्छी तरह जानता था कि मेघा बहुत मेहनत से परीक्षा की तैयारी में जुटी है. लेकिन उसे इस बात की भी आशंका थी कि यदि मेघा की कहीं अच्छी जगह नौकरी लग गई तो जरूरी नहीं कि वह उस के साथ ही शादी करे. क्योंकि औफिसर बन जाने के बाद वह एक मामूली सिपाही से शादी नहीं करेगी. इसी आशंका को देखते हुए मनोज उस पर लगातार शादी का दबाव बना रहा था. शादी की बात को ले कर उन दोनों के बीच अकसर कहासुनी भी हो जाया करती थी. रोज के झगड़ों से तंग आ कर मेघा ने मनोज से फोन पर बात करनी भी कम कर दी थी. वह अपना सारा ध्यान कंपटीशन की तैयारी में लगा रही थी.

उधर मनोज के दिमाग में फितूर बैठ चुका था कि अच्छी जगह नौकरी लग जाने के बाद वह उस से शादी से इनकार कर देगी. इसी आशंका को ले कर वह अकसर खोयाखोया सा रहने लगा था. एक दिन उस ने मेघा से कह भी दिया कि यदि तुम मुझे नहीं मिली तो मैं तुम्हारे साथसाथ अपने आप को भी खत्म कर दूंगा. मेघा ने उसे बहुत समझाया कि ऐसी कोई बात नहीं है. बस, एग्जाम क्लियर कर लेने दो, फिर सब ठीक हो जाएगा. पर मनोज को सब्र कहां था. मनोज जब उसे बारबार फोन करता रहा तो तंग आ कर मेघा ने उस का फोन रिसीव करना बंद कर दिया. इस पर मनोज उस से मिल ने उस के कमरे पर पहुंच जाता. उस की एक ही जिद थी कि मेघा जल्द शादी कर ले. मेघा उस से फिलहाल शादी को मना कर देती तो वह उस से लड़झगड़ कर लौट आता था.

मेघा के व्यवहार में आए बदलाव को देख कर मनोज के मन में एक दूसरा शक यह पैदा हो गया कि कहीं मेघा का किसी और से चक्कर तो नहीं चल रहा, जिस की वजह से वह उसे लगातार इग्नोर कर रही है. वह यही सोचता कि दाल में जरूर कुछ काला है. सच्चाई जाने बिना ही वह मेघा के बारे में गलत सोचने लगा. इसी दरम्यान उस ने तय कर लिया कि वह मेघा को एक बार और समझाने की कोशिश करेगा. यदि वह शादी के लिए तैयार नहीं हुई तो फिर वही करेगा जो उस ने तय कर रखा है. इस के लिए मनोज ने एक भयंकर योजना तैयार कर ली थी.

सिपाही होने की वजह से वह कई क्रिमिनलों को जानता था. एक क्रिमिनल के सहयोग से  उस ने .315 बोर का एक तमंचा और कारतूसों का इंतजाम कर लिया. मनोज से मेघा की बेवफाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. हर समय वह उस के बारे में ही सोचता रहता था. घटना से 3 दिन पहले मनोज ने मेघा को फोन किया तो मेघा ने उस का फोन रिसीव नहीं किया. तब वह और ज्यादा परेशान हो गया. 30 जनवरी, 2021 की रात्रि ड्यूटी करने के बाद सुबह को उस ने 2 दिन का अपना रेस्ट मंजूर करा लिया. उस के दिमाग में मेघा के अलावा और कुछ नहीं था.

31 जनवरी को जब मेघा ने उस का फोन रिसीव नहीं किया तो वह शाम करीब 6 बजे मेघा के कमरे पर  पहुंच गया. मनोज ने मेघा का दरवाजा खटखटाया तो उस ने गुस्से में दरवाजा नहीं खोला. वह उस समय किचन में थी. इस के बाद वह कमरे में चली गई. तब मनोज दरवाजे के बाहर से ही जोरजोर से अनापशनाप बकने लगा. मेघा के कमरे के बराबर में ही उस का किचन था. किचन का दरवाजा खुला हुआ था. मेघा ने कमरे का दरवाजा नहीं खोला तो मनोज किचन में पहुंच गया. किचन से एक खिड़की मेघा के कमरे में खुलती थी. उसी खिड़की के रास्ते वह मेघा के कमरे में दाखिल हो गया.

उसे देख कर मेघा भड़क गई. उस ने कहा, ‘‘तुम्हें इस तरह से खिड़की के रास्ते से नहीं आना चाहिए था.’’ मनोज तो वैसे ही गुस्से से भरा हुआ था. उस ने कहा, ‘‘मेघा, मैं आज तुम से साफसाफ यह पूछना चाहता हूं कि तुम अभी शादी करोगी या नहीं क्योंकि मैं अब ज्यादा दिनों तक शादी के लिए नहीं रुक सकता.’’

इस पर मेघा ने कहा, ‘‘कुछ दिन और रुक जाओ. जब मेरा कैरियर बन जाएगा तब मैं शादी करूंगी.’’

मगर मनोज को तसल्ली कहां थी. वह तेज आवाज में झगड़ने लगा. मेघा उस की योजना से अनजान थी. वह भी गुस्से में उस से झगड़ने लगी. दोनों के चीखनेचिल्लाने की आवाजें कमरे से बाहर जाने लगीं. मेघा के पास में रहने वाली प्रिया जानती थी कि मनोज मेघा का प्रेमी है. उस ने उन के झगड़े में दखल देना उचित नहीं समझा. सोचा थोड़ी देर में दोनों सामान्य हो जाएंगे. लेकिन उसे क्या पता था कि वहां कुछ देर में खून बहने वाला है. झगड़े के दौरान मनोज को गुस्सा आया तो उस ने अपनी अंटी में खोंसा हुआ तमंचा निकाल कर मेघा के ऊपर फायर कर दिया. मेघा के सीने में गोली लगी. गोली लगते ही वह फर्श पर गिर पड़ी. तभी खुद को भी मिटाने के लिए मनोज ने दूसरी गोली अपने पेट पर  मार ली.

गोलियों की आवाज सुनते ही मकान मालकिन और बराबर में रह रही सिपाही प्रिया मेघा के कमरे पर पहुंच गईं. फिर इस की सूचना पुलिस को दे दी गई. मनोज के गिरफ्तार होने के बाद एसपी सुनीति भी थाने पहुंच गई थीं. उन्होंने भी करीब डेढ़ घंटे तक मनोज से पूछताछ की. इस के बाद थानाप्रभारी ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार मनोज को 3 फरवरी, 2021 को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. उसी दिन एसपी सुनीति ने कांस्टेबल मनोज ढल को बरखास्त कर दिया. अब मामले की जांच थानाप्रभारी आर.पी. शर्मा कर रहे हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Noida News : प्यार में फंसाया फिर किया अपहरण और मांगी 70 लाख की फिरौती

Noida News : गौरव हलधर डाक्टरी की पढ़ाई करतेकरते प्रीति मेहरा के जाल में ऐसा फंसा कि जान के लाले पड़ गए. डा. प्रीति को गौरव को रंगीन सपने दिखाने की जिम्मेदारी उस के ही साथी डा. अभिषेक ने सौंपी थी. भला हो नोएडा एसटीएफ का जिस ने समय रहते…

एसटीएफ औफिस नोएडा में एसपी कुलदीप नारायण सिंह डीएसपी विनोद सिंह सिरोही के साथ बैठे किसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. तभी अचानक दरवाजा खुला और सामने वर्दी पर 3 स्टार लगाए एक इंसपेक्टर प्रकट हुए. उन्होंने अंदर आने की इजाजत लेते हुए पूछा, ‘‘मे आई कम इन सर.’’

‘‘इंसपेक्टर सुधीर…’’ कुलदीप सिंह ने सवालिया नजरों से आगंतुक की तरफ देखते हुए पूछा.

‘‘यस सर.’’

‘‘आओ सुधीर, हम लोग आप का ही इंतजार कर रहे थे.’’ एसपी कुलदीप सिंह ने सामने बैठे विनोद सिरोही का परिचय कराते हुए कहा,  ‘‘ये हैं हमारे डीएसपी विनोद सिरोही. आप के केस को यही लीड करेंगे. जो भी इनपुट है आप इन से शेयर करो फिर देखते हैं क्या करना है.’’

कुछ देर तक उन सब के बीच बातें होती रहीं. उस के बाद कुलदीप सिंह अपनी कुरसी से खड़े होते हुए बोले, ‘‘विनोद, मैं एक जरूरी मीटिंग के लिए मेरठ जा रहा हूं. आप दोनों केस के बारे में डिस्कस करो. हम लोग लेट नाइट मिलते हैं.’’

इस बीच उन्होंने एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा को भी बुलवा लिया था. कुलदीप सिंह ने उन्हें निर्देश दिया कि गौरव अपहरण कांड में अपहर्त्ताओं को पकड़ने में वह इस टीम का मार्गदर्शन करें. एसपी के जाते ही वे एक बार फिर बातों में मशगूल हो गए. सुधीर कुमार सिंह डीएसपी विनोद सिरोही और एएसपी मिश्रा को उस केस के बारे में हर छोटीबड़ी बात बताने लगे, जिस के कारण उन्हें पिछले 24 घंटे में यूपी के गोंडा से ले कर दिल्ली के बाद नोएडा में स्पैशल टास्क फोर्स के औफिस का रुख करना पड़ा था. इस से 2 दिन पहले 19 जनवरी, 2021 की बात है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एसपी शैलेश पांडे के औफिस में सन्नाटा पसरा हुआ था. क्योंकि मामला बेहद गंभीर था और पेचीदा भी.

पड़ोसी जिले बहराइच के पयागपुर थाना क्षेत्र के काशीजोत की सत्संग नगर कालोनी के रहने वाले डा. निखिल हलधर का बेटा गौरव हलधर गोंडा के हारीपुर स्थित एससीपीएम कालेज में बीएएमएस प्रथम वर्ष का छात्र था. वह कालेज के हौस्टल में रहता था. गौरव 18 जनवरी की शाम तकरीबन 4 बजे से गायब था. इस के बाद गौरव को न तो हौस्टल में देखा गया न ही कालेज में. 18 जनवरी की रात को गौरव के पिता डा. निखिल हलधर के मोबाइल फोन पर रात करीब 10 बजे एक काल आई. काल उन्हीं के बेटे के फोन से थी, लेकिन फोन पर उन का बेटा गौरव नहीं था.

फोन करने वाले ने बताया कि उस ने गौरव का अपहरण कर लिया है. गौरव की रिहाई के लिए आप को 70 लाख रुपए की फिरौती देनी होगी. जल्द पैसों का इंतजाम कर लें, वह उन्हें बाद में फोन करेगा. डा. निखिल हलधर ने कालबैक किया तो फोन गौरव ने नहीं, बल्कि उसी शख्स ने उठाया, जिस ने थोड़ी देर पहले बात की थी. डा. निखिल ने बेटे से बात कराने के लिए कहा तो उस ने उन्हें डांटते हुए कहा, ‘‘डाक्टर, लगता है सीधी तरह से कही गई बात तेरी समझ में नहीं आती. तू क्या समझ रहा है कि हम तुझ से मजाक कर रहे हैं? अभी तेरे बेटे की लेटेस्ट फोटो वाट्सऐप कर रहा हूं देख लेना उस की क्या हालत है.

और हां, एक बात कान खोल कर सुन ले, यकीन करना है या नहीं ये तुझे देखना है. यह समझ लेना कि पैसे का इंतजाम जल्द नहीं किया तो बेटा गया तेरे हाथ से. ज्यादा टाइम नहीं है अपने पास.’’

अभी तक इस बात को मजाक समझ रहे निखिल हलधर समझ गए कि उस ने जो कुछ कहा, सच है. कुछ देर बाद उन के वाट्सऐप पर गौरव की फोटो आ गई, जिस में वह बेहोशी की हालत में था. जैसे ही परिवार को इस बात का पता चला कि गौरव का अपहरण हो गया है तो सब हतप्रभ रह गए. निखिल हलधर संयुक्त परिवार में रहते थे. उन के पूरे घर में चिंता का माहौल बन गया. बात फैली तो डा. निखिल के घर उन के रिश्तेदारों और परिचितों का हुजूम लगना शुरू हो गया. डा. निखिल हलधर शहर के जानेमाने फिजिशियन थे, शहर के तमाम प्रभावशाली लोग उन्हें जानते थे. उन्होंने शहर के एसपी डा. विपिन कुमार मिश्रा से बात की.

उन्होंने बताया कि गौरव गोंडा में पढ़ता था और घटना वहीं घटी है, इसलिए वह तुरंत गोंडा जा कर वहां के एसपी से मिलें. डा. निखिल हलधर रात को ही अपने कुछ परिचितों के साथ गोंडा रवाना हो गए. 19 जनवरी की सुबह वह गोंडा के एसपी शैलेश पांडे से मिले. शैलेश पांडे को पहले ही डा. निखिल हलधर के बेटे गौरव के अपहरण की जानकारी एसपी बहराइच से मिल चुकी थी. डा. निखिल हलधर ने शैलेश पांडे को शुरू से अब तक की पूरी बात बता दी. एसपी पांडे ने परसपुर थाने के इंचार्ज सुधीर कुमार सिंह को अपने औफिस में बुलवा लिया था. क्योंकि गौरव जिस एससीपीएम मैडिकल कालेज में पढ़ता था, वह परसपुर थाना क्षेत्र में था.

सारी बात जानने के बाद एसपी शैलेश पांडे ने कोतवाली प्रभारी आलोक राव, सर्विलांस टीम के इंचार्ज हृदय दीक्षित तथा स्वाट टीम के प्रभारी अतुल चतुर्वेदी के साथ हैडकांस्टेबल श्रीनाथ शुक्ल, अजीत सिंह, राजेंद्र , कांस्टेबल अमित, राजेंद्र, अरविंद व राजू सिंह की एक टीम गठित कर के उन्हें जल्द से गौरव हलधर को बरामद करने के काम पर लगा दिया. एसपी पांडे ने टीम का नेतृत्व एएसपी को सौंप दिया. पुलिस टीम तत्काल सुरागरसी में लग गई. पुलिस टीमें सब से पहले गौरव के कालेज पहुंची, जहां उस के सहपाठियों तथा हौस्टल में छात्रों के अलावा कर्मचारियों से जानकारी हासिल की गई. नहीं मिली कोई जानकारी मगर गौरव के बारे में पुलिस को कालेज से कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी.

इंसपेक्टर सुधीर सिंह डा. निखिल हलधर के साथ परसपुर थाने पहुंचे और उन्होंने निखिल हलधर की शिकायत के आधार पर 19 जनवरी, 2021 की सुबह भादंसं की धारा 364ए के तहत फिरौती के लिए अपहरण का मामला दर्ज कर लिया. एसपी शैलेश पांडे के निर्देश पर इंसपेक्टर सुधीर कुमार सिंह ने खुद ही जांच की जिम्मेदारी संभाली. साथ ही उन की मदद के लिए बनी 6 पुलिस टीमों ने भी अपने स्तर से काम शुरू कर दिया. चूंकि मामला एक छात्र के अपहरण का था, वह भी फिरौती की मोटी रकम वसूलने के लिए. इसलिए सर्विलांस टीम को गौरव हलधर के मोबाइल की काल डिटेल निकालने के काम पर लगा दिया गया.

मोबाइल की सर्विलांस में उस की पिछले कुछ घंटों की लोकेशन निकाली गई तो पता चला कि इस वक्त उस की लोकेशन दिल्ली में है. पुलिस टीमें यह पता करने की कोशिश में जुट गईं कि गौरव का किसी से विवाद या दुश्मनी तो नहीं थी. लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली. गौरव और उस से जुड़े लोगों के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर ले लिया गया था. पुलिस की टीमें लगातार एकएक नंबर की डिटेल्स खंगाल रही थीं. गौरव के फोन की लोकेशन संतकबीर नगर के खलीलाबाद में भी मिली थी. पुलिस की एक टीम बहराइच तो 2 टीमें खलीलाबाद व गोरखपुर रवाना कर दी गईं. खुद इंसपेक्टर सुधीर सिंह एक पुलिस टीम ले कर दिल्ली रवाना हो गए.

20 जनवरी की सुबह दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने सर्विलांस टीम की मदद से उस इलाके में छानबीन शुरू कर दी, जहां गौरव के फोन की लोकेशन थी. लेकिन अब उस का फोन बंद हो चुका था इसलिए इंसपेक्टर सुधीर सिंह को सही जगह तक पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली. इस दौरान गोंडा में मौजूद गौरव के पिता डा. निखिल हलधर को अपहर्त्ता ने एक और फोन कर दिया था. उस ने अब फिरौती की रकम बढ़ा कर 80 लाख कर दी थी और चेतावनी दी थी कि अगर 22 जनवरी तक रकम का इंतजाम नहीं किया गया तो गौरव की हत्या कर दी जाएगी.

दूसरी तरफ जब गोंडा एसपी शैलेश पांडे को पता चला कि दिल्ली पहुंची पुलिस टीम को बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिल रही है तो उन की चिंता बढ़ गई. अंतत: उन्होंने एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश को लखनऊ फोन कर के गौरव अपहरण कांड की सारी जानकारी दी और इस काम में एसटीएफ की मदद मांगी. अमिताभ यश ने एसपी शैलेश पांडे से कहा कि वे अपनी टीम को नोएडा में एसटीएफ के औफिस भेज दें. एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण गोंडा पुलिस की पूरी मदद करेंगे.

पांडे ने दिल्ली में मौजूद इंसपेक्टर सुधीर सिंह को एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण से बात कर के उन के पास पहुंचने की हिदायत दी तो दूसरी तरफ एडीजी अमिताभ यश ने नोएडा फोन कर के एसपी कुलदीप नारायण सिंह को गौरव हलधर अपहरण केस की जानकारी दे कर गोंडा पुलिस की मदद करने के निर्देश दिए. यह बात 20 जनवरी की दोपहर की थी. गोंडा कोतवाली के इंसपेक्टर सुधीर सिंह नोएडा में एसटीएफ औफिस पहुंच कर एसपी एसटीएफ कुलदीप नारायण सिंह तथा डीएसपी विनोद सिरोही से मिले.

विनोद सिरोही बेहद सुलझे हुए अधिकारी हैं. उन्होंने अपनी सूझबूझ से कितने ही अपहरण करने वालों और गैंगस्टरों को पकड़ा है. उन्होंने उसी समय अपहर्त्ताओं को दबोचने के लिए इंसपेक्टर सौरभ विक्रम सिंह, एसआई राकेश कुमार सिंह तथा ब्रह्म प्रकाश के साथ एक टीम का गठन कर दिया. काल डिटेल्स से मिले सुराग अपराधियों तक पहुंचने का सब से बड़ा हथियार इन दिनों इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस है. एसटीएफ की टीम ने उसी समय गौरव के फोन की सर्विलांस के साथ उस की सीडीआर खंगालने का काम शुरू कर दिया. गौरव के फोन की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में एक ऐसा नंबर मिला, जिस में उस के फोन पर कुछ दिनों से एक नए नंबर से न सिर्फ काल की जा रही थी, बल्कि यह नंबर गौरव की कौन्टैक्ट लिस्ट में ‘माई लव’ के नाम से सेव था.

दोनों नंबरों पर 5 से 18 जनवरी तक 40 बार बात हुई थी और हर काल का औसत समय 10 से 40 मिनट था. इस नंबर से गौरव के वाट्सऐप पर अनेकों काल, फोटो, वीडियो का भी आदानप्रदान हुआ था. इस नंबर के बारे में जानकारी एकत्र की गई तो यह नंबर दिल्ली के एक पते पर पंजीकृत पाया गया. लेकिन जब पुलिस की टीम उस पते पर पहुंची तो पता फरजी निकला. जब इस नंबर की लोकेशन खंगाली गई तो पुलिस टीम यह जान कर हैरान रह गई कि 18 जनवरी की दोपहर से शाम तक इस नंबर की लोकेशन गोंडा में हर उस जगह थी, जहां गौरव के मोबाइल की लोकेशन थी.

पुलिस टीम समझ गई कि जिस के पास भी यह नंबर है, उसी ने गौरव का अपहरण किया है. पुलिस टीमों ने इसी नंबर की सीडीआर खंगालनी शुरू कर दी. पता चला कि यह नंबर करीब एक महीना पहले ही एक्टिव हुआ था और इस से बमुश्किल 4 या 5 नंबरों पर ही फोन काल्स की गई थीं या वाट्सऐप मैसेज आएगए थे.   एसटीएफ के पास ऐसे तमाम संसाधन और नेटवर्क होते हैं, जिन से वह इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस के माध्यम से अपराधियों की सटीक जानकारी एकत्र करने के साथ उन की लोकेशन का भी सुराग लगा लेती है. एसटीएफ ने रात भर मेहनत की. जो भी फोन नंबर इस फोन के संपर्क में थे, उन सभी की कडि़यां जोड़ कर उन की मूवमेंट पर नजर रखी जाने लगी.

रात होतेहोते यह बात साफ हो गई कि अपहर्त्ता नोएडा इलाके में मूवमेंट करने वाले हैं. वे अपहृत गौरव को छिपाने के लिए दिल्ली से किसी दूसरे ठिकाने पर शिफ्ट करना चाहते हैं. बस इस के बाद सर्विलांस टीमों ने अपराधियों की सटीक लोकेशन तक पहुंचने का काम शुरू कर दिया और गोंडा पुलिस के साथ एसटीएफ की टीम ने औपरेशन की तैयारी शुरू कर दी. 21 जनवरी की देर रात गोंडा पुलिस व एसटीएफ की टीमों ने ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे जीरो पौइंट के पास अपना जाल बिछा दिया. पुलिस टीमें आनेजाने वाले हर वाहन पर कड़ी नजर रख रही थीं. किसी वाहन पर जरा भी संदेह होता तो उसे रोक कर तलाशी ली जाती. इसी बीच एक सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार पुलिस की चैकिंग देख कर दूर ही रुक गई.

उस गाड़ी ने जैसे ही रुकने के बाद बैक गियर डाल कर पीछे हटना और यूटर्न लेना शुरू किया तो पुलिस टीम को शक हो गया. एसटीएफ की टीम एक गाड़ी में पहले से तैयार थी. पुलिस की गाड़ी उस कार का पीछा करने लगी जो यूटर्न ले कर तेजी से वापस दौड़ने लगी थी. देखते ही पहचान लिया गौरव को मुश्किल से एक किलोमीटर तक दौड़भाग होती रही. आखिरकार नालेज पार्क थाना क्षेत्र में एसटीएफ की टीम ने डिजायर कार को ओवरटेक कर के रुकने पर मजबूर कर दिया. खुद को फंसा देख कार में सवार 3 लोग तेजी से उतरे और अलगअलग दिशाओं में भागने लगे. एसटीएफ को ऐसे अपराधियों को पकड़ने का तजुर्बा होता है. पीछा करते हुए एसटीएफ तथा गोंडा पुलिस की दूसरी टीम भी वहां पहुंच चुकी थी.

पुलिस टीमों ने जैसे ही हवाई फायर किए, कार से उतर कर भागे तीनों लोगों के कदम वहीं ठिठक गए. पुलिस टीमों ने तीनों को दबोच लिया. उन्हें दबोचने के बाद जब पुलिस टीमों ने स्विफ्ट डिजायर कार की तलाशी ली तो एक युवक कार की पिछली सीट पर बेहोशी की हालत में पड़ा था. इंसपेक्टर सुधीर सिंह युवक की फोटो को इतनी बार देख चुके थे कि बेहोश होने के बावजूद उन्होेंने उसे पहचान लिया. वह गौरव ही था. पुलिस टीमों की खुशी का ठिकाना न रहा, क्योंकि अभियान सफल हो गया था. पुलिस टीमें तीनों युवकों के साथ गौरव व कार को ले कर एसटीएफ औफिस आ गईं.

इंसपेक्टर सुधीर सिंह ने गौरव के पिता डा. निखिल व एसपी गोंडा शैलेश पांडे को गौरव की रिहाई की सूचना दे दी. वे भी तत्काल नोएडा के लिए रवाना हो गए. गौरव के अपहरण में पुलिस ने जिन 3 लोगों को गिरफ्तार किया था, उन में से एक की पहचान डा. अभिषेक सिंह निवासी अचलपुर वजीरगंज, जिला गोंडा के रूप में हुई. वही इस गिरोह का सरगना था और फिलहाल बाहरी दिल्ली के बक्करवाला में डीडीए के ग्लोरिया अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 310 में किराए पर रहता था. डा. अभिषेक सिंह पेशे से चिकित्सक था और नांगलोई-नजफगढ़ रोड पर स्थित राठी अस्पताल में काम करता था.

उस के साथ पुलिस ने जिन 2 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया, उन में नीतेश निवासी थाना निहारगंज, धौलपुर, राजस्थान तथा मोहित निवासी परौली, थाना करनलगंज गोंडा शामिल थे. जब उन तीनों से पूछताछ की गई, तो अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी.  डा. अभिषेक सिंह ने गौरव का अपहरण करने के लिए हनीट्रैप का इस्तेमाल किया था. यानी गौरव को पहले एक खूबसूरत लड़की के जाल में फंसाया गया था. जब गौरव खूबसूरती के जाल में फंस गया तो उस का फिरौती वसूलने के लिए अपहरण कर लिया गया.

मूलरूप से गोंडा के अचलपुर का रहने वाला डा. अभिषेक सिंह 2013-2014 में बेंगलुरु के राजीव गांधी यूनिवर्सिटी औफ हेल्थ साइंस से बीएएमएस की पढ़ाई करने के बाद जब अपने शहर लौटा तो उस के दिल में बड़े अरमान थे. डाक्टरी के पेशे से बहुत सारी कमाई करने और बड़ा सा बंगला बनाने के सपने देखे थे. लेकिन कुछ समय बाद ही ये सपने चकनाचूर होने लगे. अच्छी नौकरी नहीं मिली तो बन गया अपराधीउसे गोंडा के किसी भी अस्पताल में ऐसी नौकरी नहीं मिली, जिस से अच्छे से गुजरबसर हो सके. छोटेछोटे अस्पतालों में नौकरी करने के बाद तंग आ कर डा. अभिषेक 2018 में दिल्ली आ गया. यहां कई अस्पतालों में नौकरी करने के बाद वह सन 2019 में नजफगढ़ के राठी अस्पताल में नौकरी करने लगा.

हालांकि इस अस्पताल में उसे पहले के मुकाबले तो अच्छी तनख्वाह मिलती थी, लेकिन इस के बावजूद वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं था. इसी दौरान डा. अभिषेक की दोस्ती उसी अस्पताल में काम करने वाली एक लेडी डाक्टर प्रीति मेहरा से हो गई. प्रीति भी बीएएमएस डाक्टर थी. खूबसूरत और जवान प्रीति प्रतिभाशाली थी. उस के दिल में भी अपना अस्पताल बनाने की महत्त्वाकांक्षा पल रही थी. लेकिन इस सपने को पूरा करने में समर्थ नहीं होने के कारण अक्सर मानसिक परेशानी से घिरी रहती थी. जब अभिषेक से उस की दोस्ती हुई तो लगा कि वे दोनों एक ही मंजिल के मुसाफिर हैं. दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई.

दोनों के सपने भी एक जैसे थे, लाचारी भी एक जैसी थी. लेकिन सपनों को पूरा करने की धुन दोनों पर सवार थी. पिछली दीपावली पर नवंबर, 2019 में जब अभिषेक अपने घर गोंडा गया तो उस की मुलाकात अपनी बुआ के बेटे रोहित से हुई. बुआ की शादी बहराइच के पयागपुर इलाके में हुई थी. रोहित भी पयागपुर में ही रहता था. रोहित की जानपहचान मोहित सिंह से भी थी. मोहित सिंह गोंडा में रहने वाले अभिषेक के दोस्त राकेश सिंह का साला था. मोहित दिल्ली के करोलबाग की एक दुकान में काम करता है. रोहित भी मोहित को जानता है. रोहित व मोहित दोनों की जानपहचान एससीपीएम कालेज गोंडा से आयुर्वेदिक चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे गौरव हलधर से थी.

दोनों ही गौरव के अलावा उस के परिवार के बारे में भी अच्छी तरह से जानते थे. अभिषेक जब दीपावली पर अपने घर गया तो पयागपुर से बुआ का बेटा रोहित उस के घर आया हुआ था. रोहित के सामने अभिषेक का दर्द छलक गया. शराब पीने के बाद उस ने रोहित से यहां तक कह दिया कि अगर उसे चोरी, डाका या किसी का अपहरण भी करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगा. अभिषेक की बात सुनते ही रोहित का माथा ठनक गया. पहले तो उस ने अभिषेक को समझाना चाहा. लेकिन अभिषेक नहीं माना और बोला भाई बस तू एक बार किसी ऐसे शिकार के बारे में बता दे, जिस से मेरा सपना पूरा करने के लिए रकम मिल सकती हो.

अभिषेक नहीं माना तो रोहित ने उसे गौरव हलधर के बारे में बताया और उस के पूरे परिवार की जानकारी भी दे दी. रोहित ने अभिषेक को बताया कि डा. निखिल हलधर का बेटा गौरव गोंडा में ही फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा है. अगर किसी तरीके से उस का अपहरण कर लिया जाए तो फिरौती के रूप में बड़ी रकम मिल सकती है. डा. अभिषेक ने जब डा. प्रीति मेहरा को गौरव का अपहरण करने की अपनी योजना के बारे में बताया तो उस ने नाराजगी नहीं जताई बल्कि खुश हुई और उस ने ही अपनी तरफ से सुझाव दिया कि गौरव का अपहरण करने में वह खुद उस की मदद करेगी.

प्रीति ने अभिषेक को बताया कि एक जवान लड़के का अगर अपहरण करना हो तो किसी जवान लड़की को उस के सामने चारा बना कर डाल दो, वह खुदबखुद उस जाल में फंस जाएगा. अभिषेक से उस ने गौरव का नंबर देने के लिए कहा तो अभिषेक ने उसे रोहित से गौरव का नंबर ले कर दे दिया. इस के बाद डा. प्रीति मेहरा ने एक रौंग नंबर के बहाने गौरव को काल कर बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया. पहली ही बार में बात करने के बाद गौरव उस के जाल में फंस गया और दोनों का एकदूसरे से परिचय कुछ ऐसा हुआ कि उस दिन के बाद वे दोनों एकदूसरे से बात करने लगे.

प्रीति मेहरा वीडियो काल के जरिए जब गौरव से बात करती तो कई बार गौरव को अपने नाजुक अंग दिखा कर अपने लिए उसे बेचैन कर देती. दरअसल, साजिश के इस मुकाम तक पहुंचने से पहले डा. अभिषेक ने इसे अंजाम देने के लिए कुछ लोगों को भी अपने साथ जोड़ लिया था. करोलबाग में कपड़े की दुकान पर काम करने वाले मोहित को जब अभिषेक ने गौरव का अपहरण करने की योजना बताई और उस से मदद मांगी तो मोहित ने अभिषेक को अपने एक दोस्त  नितेश से मिलवाया. दरअसल, नितेश व मोहित एक ही जिम में व्यायाम करने के लिए जाते थे. इसीलिए दोनों के बीच दोस्ती थी. नितेश इंश्योरेंस कराने का काम करता था.

इंश्योरेंस के साथ वह लोगों के बैंक में खाते खुलवाने से ले कर उन्हें लोन दिलाने का काम करता था. इसीलिए फरजी आईडी से ले कर जाली आधार कार्ड व पैन कार्ड बनाने में उसे महारथ हासिल थी. मोहित ने उसे मोटी रकम मिलने का सब्जबाग दिखा कर अपहरण की इस वारदात में अपने साथ मिला लिया. इस के बाद नितेश ने 3 आईडी तैयार कीं और उन्हीं आईडी के आधार पर उस ने 3 सिमकार्ड खरीदे. फरजी आईडी से खरीदे गए तीनों सिम कार्ड डा. प्रीति मेहरा, डा. अभिषेक व मोहित ने अपने पास रख लिए. डा. प्रीति ने तो अपने सिम कार्ड का इस्तेमाल गौरव हलधर से दोस्ती करने के लिए शुरू कर दिया. लेकिन अभिषेक व मोहित ने अपहरण करने से चंद रोज पहले ही अपने सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था.

प्रीति मेहरा ने गौरव को अपने प्रेमजाल में इस तरह फंसा लिया कि वह उस के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था. जब सब ने यह देख लिया कि शिकार जाल में फंसने का तैयार है तो प्रीति ने गौरव को वाट्सऐप मैसेज दिया कि वह 18 जनवरी को उस से मिलने गोंडा आ रही है. रोहित भी उस समय दिल्ली आया हुआ था. दिल्ली से स्विफ्ट डिजायर कार ले कर डा. अभिषेक, डा. प्रीति मेहरा, मोहित, रोहित व नितेश गोंडा पहुंच गए. गोंडा पहुंचने से पहले रोहित बहराइच में ही उतर गया. इधर गोंडा पहुंच कर डा. प्रीति ने एक राहगीर से किसी बहाने फोन ले कर गौरव को मिलने के लिए फोन किया और उस के कालेज से एक किलोमीटर दूर एक जगह पर बुलाया.

प्रीति मेहरा का रंगीन वार प्रीति के मोहपाश में फंसा गौरव वहां चला आया. गौरव को प्रीति ने अपने साथ कार में बैठा लिया, जहां बैठे बाकी अन्य लोगों ने उसे दबोच कर नशे का इंजेक्शन दे दिया. इस के बाद वे गोंडा से चल दिए. उन की योजना गौरव को संतकबीर नगर के खलीलाबाद में रहने वाले सतीश के घर पर छिपाने की थी. वे वहां पहुंच भी गए, लेकिन बाद में इरादा बदल दिया और कुछ ही देर में कार से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. 18 जनवरी की रात को ही दिल्ली पहुंच गए. रास्ते में गाजियाबाद के पास उन्होंने गौरव के फोन से गौरव के पिता निखिल को फिरौती के लिए पहला फोन कर 70 लाख की फिरौती की मांग की.

इसके बाद उन्होंने गौरव को अभिषेक के बक्करवाला स्थित डीडीए फ्लैट में छिपा दिया. नितेश या मोहित उसे खाना देने जाते थे और डा. अभिषेक व प्रीति उसे लगातार नशे के इंजेक्शन देते थे ताकि वह होश में आ कर शोर न मचा दे. उन लोगों ने कई बार गौरव के साथ मारपीट भी की. इधर रोहित ने जब गोंडा व बहराइच में गौरव के अपहरण कांड को ले कर छप रही खबरों के बारे में अभिषेक को बताया कि पुलिस की एक टीम दिल्ली में गौरव की तलाश कर रही है तो अभिषेक ने गौरव को अपने फ्लैट से कहीं दूसरी जगह रखने की योजना बनाई.

इसीलिए डा. अभिषेक मोहित व नितेश के साथ 21 जनवरी की रात को गौरव को बेहोशी का इंजेक्शन दे कर उसे कार से ले कर ग्रेटर नोएडा जा रहा था, तभी पुलिस ने सर्विलांस के जरिए उन की लोकेशन का पता लगा कर उन्हें दबोच लिया. नितेश के पिता व गोंडा पुलिस के नोएडा पहुंचने के बाद एसटीएफ ने उन्हें  गोंडा पुलिस के हवाले कर दिया. इधर पुलिस को जब इस में रोहित व सतीश नाम के 2 और लोगों के शामिल होने की खबर लगी तो गोंडा पुलिस की टीम ने दबिश दे कर उसी रात रोहित व सतीश को भी गिरफ्तार कर लिया.

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की खबर पा कर डा. प्रीति फरार हो चुकी थी. उस की तलाश में एसटीएफ और गोंडा पुलिस ने कई जगह छापे मारे, लेकिन वह पुलिस की पकड़ में नहीं आई. गोंडा पुलिस ने प्रीति की गिरफ्तारी पर 25 हजार के इनाम की घोषणा की थी. जिस के बाद गोंडा पुलिस ने 1 फरवरी को प्रीति को उस के गांव धौर जिला झज्जर, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया. मूलरूप से हरियाणा की प्रीति मेहरा वर्तमान में दिल्ली के प्रेमनगर में रहती थी. फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं. कैसी विडंबना है कि सालों की मेहनत के बाद डाक्टर बनने वाले अभिषेक व प्रीति अपने अधूरे ख्वाब को पूरा करने के लिए शार्टकट से पैसा कमाने के चक्कर में जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए.

डीजीपी ने फिरौती के लिए हुए अपहरण कांड का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली गोंडा पुलिस की टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है.

—कथा पुलिस की जांच, पीडि़त व अभियुक्तों के बयान पर आधारित

 

Agra News : अवैध संबंध का खौफनाक अंजाम – प्रेमी से करवाया पति का मफलर से गला घोंटकर कत्ल

Agra News : कमाऊ पति प्रमोद को छोड़ कर शिखा ने 5 बच्चों के पिता अतिराज से शादी कर ली. इसी दौरान अतिराज का दिल एक दूसरी औरत से लग गया. शिखा भी कम नहीं थी. उस ने पड़ोसी युवक ऋषिकेश को फांस लिया. बिस्तर की तरह औरत बदलने का परिणाम यह निकला कि…

ताज नगरी आगरा की तहसील बाह का एक थाना है बासौनी. इसी थाने के गांव लखनपुरा के बाहर स्थित घूरे पर मायाराम की 15 वर्षीय बेटी स्नेहा सुबह करीब 7 बजे कूड़ा डालने आई  थी.  अचानक उस की नजर कुछ दूरी पर खेत के किनारे कंटीले तारों के पास संदिग्ध अवस्था में पड़े एक व्यक्ति पर गई. वह उसे देखते ही पहचान गई. वह उसी के गांव का अतिराज सिंह था. स्नेहा ने वहां से लौट कर इस की जानकारी अतिराज की पत्नी शिखा के साथ ही गांव वालों को दी. जानकारी मिलते ही वहां अतिराज के घर वाले पहुंच गए. अतिराज को गांव वालों ने हिलायाडुलाया लेकिन वह मर चुका था. घटना की जानकारी होते ही गांव में हड़कंप मच गया. बड़ी संख्या में गांव वालों की भीड़ जुट गई. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. यह बात 4 जनवरी, 2021 की है.

घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर थानाप्रभारी दीपकचंद्र दीक्षित अपनी टीम के साथ पहुंच गए. 42 वर्षीय मृतक अतिराज सिंह बघेल किसान था. मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी. इस पर एसपी (पूर्वी) अशोक वैंकट, सीओ (बाह) प्रदीप कुमार फोरैंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी. मृतक के गले व सीने पर चोट के निशान दिखाई दे रहे थे. इस से अनुमान लगाया गया कि युवक की हत्या गला दबा कर की गई है. वहीं फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए. शव के पास ही पुलिस को शराब का एक खाली पव्वा भी मिला. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव मोर्चरी भिजवा दिया.

तब तक मृतक के बेटे नोएडा से आ गए थे. बड़े बेटे विक्रम सिंह बघेल ने पुलिस को बताया कि पिताजी रात को खेत की रखवाली को गए थे. सुबह उन की लाश दूसरे खेत में मिली. उस ने बताया कि हमारी रंजिश गांव की राधा देवी व उस के देवर फौरन सिंह से चल रही है. उन्होंने एक साल पहले पिताजी को हत्या की धमकी दी थी. उन्होंने ही पिताजी की हत्या की है. पति की हत्या की जानकारी मिलते ही पत्नी शिखा का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस का खोजी कुत्ता भी राधा के घर वाली गली तक जा कर रुक गया था. राधा का परिवार घर पर न मिलने से पुलिस का शक गहरा गया.

इस संबंध में विक्रम बघेल ने 38 वर्षीय विधवा राधा देवी, उस के देवर फौरन सिंह तथा राधा देवी के भाई सोहन (काल्पनिक) निवासी दिमनी, मुरैना, मध्य प्रदेश के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. एसएसपी (आगरा) बबलू कुमार ने इस घटना के शीघ्र परदाफाश के लिए एसपी (पूर्वी) अशोक वैंकट, सीओ प्रदीप कुमार व थानाप्रभारी बासौनी की टीम गठित कर आवश्यक दिशानिर्देश दिए. ग्रामीणों से पुलिस ने इस संबंध में पूछताछ की. जानकारी में आया कि मृतक अतिराज की राधा देवी से दोस्ती थी. राधा के पति करन सिंह की मौत हो चुकी थी. करन सिंह और अतिराज दोनों मित्र थे. इस के चलते राधा और अतिराज के बीच प्रेमसंबंध हो गए. राधा के घर वाले इस का विरोध करते थे. इसी के चलते उस पर हत्या का शक गया.

पुलिस ने राधा, उस के देवर फौरन सिंह व भाई सोहन को हिरासत में ले लिया. पुलिस तीनों को ले कर थाने आई. यहां पर तीनों से इस संबंध में गहनता से पूछताछ की गई. लेकिन तीनों ने अपने को निर्दोष बताया. जांच में भी अतिराज की हत्या में उन की कोई भूमिका नहीं दिखाई दी. इस बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में गला दबा कर हत्या करना बताया गया था. इस दौरान पुलिस को पता चला कि अतिराज की हत्या में उस की दूसरी पत्नी शिखा व उस के प्रेमी का हाथ है. इस के बाद पुलिस ने अभियोग में भादंवि की धारा 120बी की बढ़ोत्तरी कर दी. सही खुलासे के लिए जांच में जुटी पुलिस टीम ने सर्विलांस सैल की भी मदद ली.

पुलिस ने 7 जनवरी, 2021 को अतिराज की दूसरी पत्नी शिखा, उस के प्रेमी ऋषिकेश तथा प्रेमी के दोस्त सुशील उर्फ भूरा को गांव से गिरफ्तार कर लिया. ऋषिकेश का घर लखनपुरा में शिखा के घर के पास ही है, जबकि सुशील बाह के गांव खोडन का निवासी है तथा वर्तमान में पश्चिमी दिल्ली के थाना निहाल विहार के गांव निलौठी में रहता है. हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने वाली टीम में थानाप्रभारी दीपकचंद्र दीक्षित, एसआई सुमित कुमार, हैडकांस्टेबल सुनील कुमार,गजेंद्र सिंह, अमित कुमार, कांस्टेबल सूरज कुमार, रनवीर सिंह, कपिल कुमार, महिला कांस्टेबल ज्योति व शांति सिंह शामिल थीं.

तीनों हत्यारोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. मृतक के बेटे ने जिन 3 लोगों को रिपोर्ट में नामजद किया था, वे जांच में निर्दोष पाए गए. इस तरह 3 निर्दोष जेल जाने से बच गए. हकीकत यह थी कि अतिराज की हत्या दूसरी पत्नी ने अपने पड़ोसी युवक से प्रेमसंबंधों के चलते की थी. एसएसपी बबलू कुमार ने प्रैस कौन्फ्रैंस में हत्याकांड का खुलासा करते हुए वास्तविक हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. इस सनसनीखेज हत्याकांड के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली निकली—

शिखा विश्वकर्मा कानपुर देहात की रहने वाली थी. उस की पहली शादी सन 2002 में औरैया जिले के गांव सराय निवासी प्रमोद विश्वकर्मा के साथ हुई थी. प्रमोद से शिखा के 3 बेटे हुए, इन में रोहित, मोहित व निक्की शामिल हैं. शिखा का पति प्रमोद पंजाब में स्थित एक सरिया मिल में काम करता था. एक दिन शिखा पति को फोन लगा रही थी कि गलती से उस का रौंग नंबर अतिराज को लग गया. दूसरी ओर से अंजान व्यक्ति की आवाज सुनते ही शिखा ने फोन काट दिया. रौंग नंबर लगने के बाद अतिराज ने उसे काल बैक किया. शिखा ने कहा, गलती से आप का नंबर लग गया था. अतिराज ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं, क्या मैं जान सकता हूं कि आप कहां रहती हैं और क्या करती हैं?’’

इस पर शिखा ने कहा, ‘‘हम तो कानपुर (देहात) में रहते हैं. पति पंजाब में काम करते हैं.’’ फिर दोनों ने एकदूसरे के बारे में जानकारी की. धीरेधीरे बातों का सिलसिला आगे बढ़ता गया. बाद में हाल यह हो गया कि दोनों दिन में जब तक कई बार बात नहीं कर लेते, दोनों को चैन नहीं मिलता था. अतिराज ने उसे बताया, ‘‘मेरी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है. अब मुझ से अकेला नहीं रहा जाता.’’

पति के पंजाब में काम करने से शिखा भी अकेली हो गई थी. दोनों के दिलों में धधक रही प्यार की आग की गरमी बढ़ती जा रही थी. दिल में लगी आग जब बुझाए नहीं बुझी तब सन 2010 में शिखा ने भाग कर अतिराज से कोर्टमैरिज कर ली. अतिराज सिंह की पहली पत्नी से 5 बच्चे थे. दोनों बेटियों की शादी हो चुकी थी. तीनों बेटे नोएडा में टेंट आदि का काम करते थे. शिखा से दूसरी शादी करने के बाद दोनों पतिपत्नी गांव में ही रहने लगे. सन 2012 में शिखा और अतिराज के घर एक बेटी अंशिका पैदा हुई. इस बीच अतिराज के गांव की 38 वर्षीय एक विधवा राधा देवी से अवैध संबंध हो गए. जब राधा से प्रेमसंबंधों की जानकारी शिखा को हुई तो उस ने इस का विरोध किया.

वह पति को राधा से संबंध तोड़ने की कहती तो वह उस के साथ मारपीट करता. खर्चे के लिए रुपए भी नहीं देता था. इस से शिखा परेशान रहने लगी. घटना से करीब एक साल पहले शिखा की पड़ोस में ही रहने वाले 32 वर्षीय ऋषिकेश से नजरें टकरा गईं. इस के बाद रोज ही शिखा उसे अपने घर से टकटकी लगाए देखती रहती थी. इस का आभास ऋषिकेश को भी हो गया. पति की बेरुखी के चलते उस का झुकाव ऋषिकेश की तरफ होने लगा. लेकिन समाज के डर से वह उस से बात नहीं कर पाती थी. इस पर ऋषिकेश ने एक छोटा मोबाइल फोन ला कर उसे दे दिया. अब पति के काम पर चले जाने के बाद शिखा ऋषिकेश को फोन मिला लेती.

दोनों मोबाइल पर बातें करते और एकदूसरे से बातें करते और अपने दिल का हाल बताते. बात करने के बाद शिखा मोबाइल को स्विच औफ कर एक पाइप में छिपा देती थी. ऋषिकेश अतिराज का पड़ोसी था. अतिराज शराब पीने का आदी था. ऋषिकेश के साथ भी उस की दिल्ली से आने पर शराब पार्टी हो जाती थी. ऋषिकेश दिल्ली में ऊबर कंपनी में टैक्सी चलाता था. शिखा और ऋषिकेश में घटना से एक साल पहले से प्रेम संबंध चल रहे थे. शिखा फोन पर अपने प्रेमी ऋषि को बताती थी कि उस का पति अतिराज शराब पी कर घर आता है और मारपीट करता है. इस बात पर ऋषिकेश ने कहा कि वह उसे दिल्ली ले जाएगा.

तब शिखा ने कहा, पहले रास्ता साफ करो तब तुम्हारे साथ दिल्ली चल कर रहूंगी, क्योंकि अतिराज के जिंदा रहते मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. वह मुझे ढूंढ कर मार डालेगा. शिखा की इस बात पर ऋषिकेश सोच में पड़ गया. उस ने अपने दूर के रिश्ते की मौसी के बेटे सुशील उर्फ भूरा से संपर्क किया, उसे सारी बात बताई और लखनपुरा के अतिराज की हत्या करने की बात की. सुशील हत्या के लिए तैयार हो गया, उस ने इस की एवज में 50 हजार रुपए की मांग की. ऋषिकेश ने शिखा के दिल्ली आने पर उस के जेवर बेच कर देने की बात कही. सुशील के राजी हो जाने के बाद 2 जनवरी, 2021 की रात को वैगनआर कार से दोनों 3 जनवरी की सुबह लखनपुरा पहुंच गए. दोपहर में अतिराज को फोन कर उस के घर पहुंच गए. शिखा व अतिराज घर पर मिले.

दोस्त के घर आने पर उस ने शिखा से दाल, रोटी बनवाई. उसी समय अतिराज किसी काम से चला गया. तब तीनों में अतिराज को मारने की योजना बनी. दोपहर डेढ़ बजे जब अतिराज घर आया उसे ऋषिकेश और सुशील शराब पीने के लिए वैगनआर कार से जरार ले गए. गाड़ी में शराब पहले से ही रखी थी. सभी ने गाड़ी में शराब पी. अतिराज को ज्यादा शराब पिलाई. इस के बाद बाह में माधव सिंह के ढाबे पर पहुंचे, जहां तीनों ने चिकन खाया. शाम को ढाबे से सभी लोग गांव के लिए वापस चल दिए. ऋषिकेश ने अपनी बगल वाली सीट पर आगे अतिराज को बैठाया. पीछे की सीट पर सुशील बैठ गया. अतिराज को मारने के लिए गाड़ी को आगरा-बाह रोड पर गुगावली जाने वाले सुनसान मार्ग पर ले गए.

सर्दियों के चलते जल्दी ही अंधेरा घिरने लगा था. अतिराज शराब के नशे में बेसुध था. दोनों को इसी का इंतजार था. इस बीच ऋषिकेश और शिखा की मोबाइल पर कई बार बात हुई. शिखा ने कहा, नशा रहते उसे जल्दी मार दो, होश में आने के बाद उसे नहीं मार पाओगे. लेकिन जब वे लोग आगे नहर के किनारे चल कर खेतों की तरफ पहुंचे. यहां गांव वाले खेतों की रखवाली कर रहे थे. इसलिए गाड़ी नहीं रोकी. आगे चल कर खिल्ला पड़कौली पहुंचे तथा गांव लखनपुरा की तरफ कार मोड़ दी. तब तक रात के 9 बज गए थे. रास्ते में अच्छा मौका देख कर गाड़ी रोक ली. ऋषिकेश के इशारे पर सुशील ने सीट बेल्ट जो पहले से ही काट ली थी, का फंदा अतिराज के गले में डाल कर गला दबा कर जान से मारने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली.

तब सुशील ने अपने मफलर का फंदा उस के गले में डाल दिया और दोनों ने एकएक सिरा खींच कर अतिराज की हत्या कर दी. हत्या के बाद लाश पीछे की सीटों के बीच लिटा दी. इस के बाद षडयंत्र के तहत अतिराज के मोबाइल से उस की प्रेमिका राधा के मोबाइल पर काल की थी. उधर से राधा हैलोहैलो करती रही, लेकिन हत्यारों ने कोई जवाब नहीं दिया. अतिराज के मोबाइल से काल राधा को फंसाने के लिए की गई थी. अतिराज की हत्या के बाद लाश को गाड़ी में ही ले कर दोनों लखनपुरा अतिराज के घर के पास पहुंचे. गाड़ी कुछ दूरी पर खड़ी कर तथा सुशील को गाड़ी में ही बैठा कर ऋषिकेश रात में ही शिखा के घर पहुंचा. उस समय उस की बेटी अंशिका सोई हुई थी. ऋषिकेश ने पूरी जानकारी शिखा को दी.

दोनों ने लाश ठिकाने लगाने के लिए आपस में बातचीत की. ऋषिकेश ने कहा, तुम कहो तो अतिराज की लाश चंबल नदी में फेंक दें, मगरमच्छ खा जाएंगे. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. इस पर शिखा ने कहा, नहीं लाश को राधा के घर की तरफ गांव के किनारे फेंक दो. सभी का शक उसी पर जाएगा. रास्ते के रोड़े को हटाने की खुशी का जश्न दोनों ने रात में ही अपने शरीर की भूख मिटा कर मनाया. जश्न के बाद ऋषिकेश कार ले कर गांव से करीब 100 मीटर दूर पहुंचा. दोनों ने महेश भदौरिया के खेत के बीच कूड़े के ढेर के पास अतिराज की लाश लिटा दी और उस के पास शराब का एक खाली पव्वा भी रख दिया. इस के बाद दोनों कार से दिल्ली निकल गए.

ऋषिकेश व सुशील अतिराज के परिवार वालों के बुलाने व पड़ोसी होने के नाते कार द्वारा दिल्ली से गांव आ गए थे. ऋषिकेश ने आगरा-बाह रोड पर हनुमान नगर के पास अपनी रिश्तेदारी में कार खड़ी की और दोनों गांव पहुंच गए. उन्होंने अतिराज की मौत पर दुख जताते हुए उस के घर वालों को सांत्वना भी दी. पुलिस ने हत्यारों की निशानदेही पर आलाकत्ल मफलर, शीट बेल्ट, वैगनआर कार तथा शिखा, ऋषिकेश व अतिराज के मोबाइल फोन बरामद कर लिए. पुलिस ने हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया. घटना का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को एसएसपी बबलू कुमार ने ईनाम के साथ प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की.

कहते हैं कि दूसरी औरत से शादी कर लो, लेकिन दूसरे की औरत से नहीं. अतिराज ने दूसरे की औरत से शादी कर के जो भूल की उसे उस का परिणाम अपनी जान दे कर भुगतना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित