MP News : जज के बेटे को सांप का जहर देकर मरवाया

MP News : एनजीओ चलाने वाली संध्या सिंह ने अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) महेंद्र कुमार त्रिपाठी को पूरी तरह अपने जाल में फांस लिया था. जब उन्होंने उस से किनारा करने की कोशिश की तो संध्या ने तंत्रमंत्र के नाम पर ऐसी खूनी साजिश रची कि जज साहब और उन के बड़े बेटे को जान से हाथ धोना पड़ा. फिर…

मध्य प्रदेश का जिला बैतूल. बैतूल का जिला मुख्यालय कालापाठा. 27 जुलाई, 2020 को कालापाठा स्थित जज आवासीय  कालोनी एक घर से रोनेधोने की चीखोपुकार से थर्रा उठी. रुदन ऐसा कि किसी का भी दिल दहल जाए. रोने की आवाजें बैतूल के जिला न्यायालय में पदस्थ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) महेंद्र कुमार त्रिपाठी के घर से आ रही थीं. लोग वहां पहुंचे तो पता चला महेंद्र त्रिपाठी और उन के जवान बेटे अभियान राज त्रिपाठी की अचानक मृत्यु हो गई थी. खबर सनसनीखेज थी. जरा सी देर कालोनी में रहने वाले तमाम जज और मजिस्ट्रैट वहां आ गए. सूचना मिली तो पुलिस अधिकारियों के अलावा प्रशासनिक अधिकारी भी जज साहब के घर पहुंच गए. यह खबर बड़ी तेजी से पूरे बैतूल में फैल गई.

जज साहब के परिवार में कुल 4 सदस्य थे. वह और उन की पत्नी भाग्य त्रिपाठी और 2 बेटे अभियान राज त्रिपाठी व आशीष राज त्रिपाठी. 4 में से अब 2 बचे थे पत्नी भाग्य त्रिपाठी और छोटा बेटा आशीष राज. पत्नी और बेटा महेंद्र त्रिपाठी और अभियान राज त्रिपाठी के शवों को देख बिलखबिलख कर रो रहे थे. महेंद्र त्रिपाठी व उन के बड़े बेटे के कफन में लिपटे शव देख कर उन की पत्नी की समझ नहीं आ रहा था कि अचानक उन की खुशियों को कौन सा ग्रहण लग गया कि देखते ही देखते हंसतीखेलती जिंदगी मातम में बदल गई.

घटनाक्रम की शुरुआत 20 जुलाई, 2020 को तब हुई थी, जब रात करीब साढ़े 10 बजे पूरे त्रिपाठी परिवार ने डाइनिंग टेबल पर एक साथ खाना खाया था. बड़े बेटे अभियान राज त्रिपाठी की पत्नी अपने मायके इंदौर में थी. खाना खाने के कुछ देर बाद छोटे बेटे आशीष को उल्टियां होने लगीं. थोड़ी देर बाद महेंद्र त्रिपाठी व उन के बड़़े बेटे अभियान के पेट में भी दर्द होने लगा. आशीष को 2-3 बार उल्टियां हुई. उस के बाद पिता व बड़े भाई के पेट में भी दर्द बढ़ता गया तो पूरा परिवार चिंता में डूब गया. चिंता इस बात की थी कि कहीं खाने की वजह से कोई फूड पौइजनिंग हो गई हो. मिसेज त्रिपाठी ने कुल 6 चपाती बनाई थीं, जिस में से एक रोटी आशीष ने खाई थी. बाकी 5 चपातियां आधीआधी महेंद्र त्रिपाठी और उन के बड़े बेटे ने खा ली थीं.

मिसेज त्रिपाठी ने दाल के साथ सुबह के रखे बासी चावल खाए थे. उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई थी. आमतौर पर घर में जब किसी को खाने के कारण फूड पौइजनिंग होती है या पेट दर्द होता है, तो लोग घरेलू उपचार पर ध्यान देते हैं. मिसेज त्रिपाठी ने भी ऐसा ही किया. उन्होंने पति और दोनों बेटों को गर्म पानी में हींग और नींबू घोल कर दे दिया. इस से छोटे बेटे आशीष की तबीयत में सुधार हुआ और उस की उल्टियां बंद हो गईं. लेकिन जज साहब और उन के बड़े बेटे का दर्द कुछ देर के लिए कम जरूर हुआ, मगर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ.

चूंकि शाम के खाने में इस्तेमाल सब्जी व दाल सुबह की बनी थी, जिन क ा इस्तेमाल सुबह के खाने में भी हुआ था. इसलिए उन से किसी तरह की फूड पौइजनिंग की संभावना कम ही थी, वैसे भी इन का इस्तेमाल शाम के खाने में मिसेज त्रिपाठी ने भी किया था और वे पूरी तरह ठीक थीं. लिहाजा सब्जी और दाल से कोई बीमारी हुई होगी, इस की आशंका कम ही थी. मिसेज त्रिपाठी ने रोटी ताजी बनाई थीं. घर में जितने भी लोग बीमारी हुए थे उन्होंने रोटी ही खाई थीं. रोटियां खाने के बाद ही सब की तबियत खराब हुई थी. रात के करीब डेढ़ बजे जज साहब और बड़े बेटे की तबियत जब ज्यादा खराब होने लगी तो मिसेज त्रिपाठी ने डाक्टर को फोन कर के घर पर बुला लिया.

21 जुलाई की अलसुबह करीब 3 बजे डाक्टर घर आया और उस ने त्रिपाठी व उन के बेटों को देखा. खाने के बारे में पूछा तो मिसेज त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने क्या खाया था. आशंका इसी बात की थी कि खाने से फूड पौइजनिंग हुई होगी. डाक्टर ने तीनों को दवा मिला कर लिक्विड पीने को दिया और उल्टी करवाई, जिस के बाद उन्हें दवाइयां दीं. बिगड़ती गई दोनों की हालत अगली दोपहर तक आशीष तो पूरी तरह ठीक हो गया. लेकिन जज साहब व उन के बड़े बेटे की तबियत वैसी ही बनी रही. इसी तरह 21 व 22 जुलाई का पूरा दिन व रात गुजर गए, सब का घर में ही इलाज चलता रहा. लेकिन 23 जुलाई को जज साहब व उन के बड़े बेटे की तबियत कुछ जयादा ही खराब होने लगी.

जिला चिकित्सालय के डा. आनंद मालवीय को घर बुला कर दिखाया तो उन्होंने उन दोनों को पाढर जिला अस्पताल, बैतूल में भरती करवा दिया. दोनों को ही आईसीयू में रखा गया. लेकिन इस के बावजूद जज साहब व उनके बेटे की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. वैसे भी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की इतनी कमी होती है कि गंभीर बीमारियों को काबू में करने के लिए कभीकभी बहुत समस्या हो जाती है. पाढर जिला अस्पताल में भी यही हालत थी. जज साहब और उन के बड़े बेटे की स्थिति जिस तरह तेजी से बिगड़ रही थी, उसे देखते हुए डाक्टरों ने परिवार वालों को सलाह दी कि दोनों को नागपुर के प्रसिद्ध एलेक्सिस अस्पताल में भरती करवा दिया जाए.

घर वालों ने डाक्टरों की बात मान कर 25 जुलाई को महेंद्र त्रिपाठी व अभियान को एंबुलेंस से ले जा कर नागपुर के एलेक्सिस अस्पताल में भरती करवा दिया, जहां दोनों के सभी तरह के टेस्ट शुरू हो गए. बापबेटे को गहन चिकित्सा कक्ष में रखा गया. लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी. 25 जुलाई की शाम को पहले अभियान की मौत हो गई. फिर 26 जुलाई को सुबह करीब साढ़े 4 बजे महेंद्र त्रिपाठी की भी मौत हो गई. बापबेटे की एक साथ मौत त्रिपाठी परिवार पर वज्रपात था. चूंकि मामला एक जज और उन के बेटे की मौत से जुड़ा था. इसलिए अस्पताल की तरफ से एमएलसी बना कर नागपुर के मानकापुर पुलिस थाने को भेज दी गई. पुलिस ने अस्पताल में पहुंच कर आशीष त्रिपाठी के बयान दर्ज किए और आवश्यक काररवाई के बाद उन के इलाज के सभी दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए.

दोनों मृतक पितापुत्र का इंदिरा गांधी मैडिकल कालेज नागपुर में विधिवत पोस्टमार्टम डाक्टरों के एक बोर्ड द्वारा किया गया. आवश्यक जांच के लिए बैतूल पुलिस के अनुरोध पर डाक्टरों ने विसरा तथा सिर के बाल और हाथ के नाखून सुरक्षित कर लिए. नागपुर पुलिस ने यह प्रकरण अपराध संख्या शून्य पर अकाल मृत्यु की धारा 174 में दर्ज कर लिया . साथ ही दोनों की मौत से जुड़ी पुलिस डायरी तथा अन्य साक्ष्य व सैंपल बैतूल पुलिस को सौंप दिए. क्योंकि अपराध का न्यायिक क्षेत्र मध्य प्रदेश का बैतूल ही था. दूसरी तरफ महेंद्र त्रिपाठी व उन के बेटे के शव का पोस्टमार्टम करवा कर जिला प्रशासन ने शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए. परिवार वाले शवों को पहले बैतूल में उन के सरकारी आवास पर ले गए, जहां उन की पहचान वालों ने शव के अंतिम दर्शन किए.

इस के बाद परिवार वाले बापबेटे के शव को अंतिम संस्कार के लिए कटनी में उन के पैतृक गांव ले गए, जहां 26 जुलाई की शाम को उन का अंतिम संस्कार कर कर दिया गया. लेकिन बापबेटे की मौत में सब से बड़ा पेंच ये था कि आखिर खाने में ऐसा क्या था कि जिसे खाने के बाद उन की तबियत खराब हो गई. चूंकि मामला एक जज और उन के बेटे की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से जुड़ा था, इसलिए बैतूल के एसपी सिमाला प्रसाद ने अपने मातहतों को बुला कर निर्देश दिया कि जांचपड़ताल और मामले की तह में जाने के लिए किसी तरह की कोताही न बरती जाए.

27 जुलाई को इस मामले में जिलाधिकारी बैतूल व जिला न्यायाधीश के आदेश पर एसपी सिमाला प्रसाद ने एक एसआईटी का गठन कर जांच का काम शुरू करवा दिया. विशेष जांच दल ने एडीशनल सेशन जज महेंद्र त्रिपाठी व उन के बेटे की विषाक्त भोजन खाने से हुई मौत के मामले की जांच शुरू कर दी.  विशेष जांच दल ने घटना की शुरुआत से सारे साक्ष्यों को जोड़ने का काम शुरू कर दिया. बैतूल पुलिस को जज महेंद्र त्रिपाठी व उन के बेटे के अस्पताल में भरती होने की पहली सूचना 24 जुलाई को पाढर अस्पताल बैतूल द्वारा मिली थी, जिस के बाद चौकी प्रभारी ने जज महेंद्र त्रिपाठी और उन के बड़े बेटे अभियान राज त्रिपाठी के बयान लिए थे. दोनों ने आशंका जताई थी कि उन्हें रोटियां खाने से फूड पौइजनिंग हुई है.

जिस आटे की रोटियां बनी थीं, उस में वह आटा भी शामिल था जो जज साहब को उन की एक महिला मित्र ने दिया था. एसआईटी ने शुरू की जांच विशेष जांच दल ने जज साहब व उन के बेटे द्वारा दिए गए बयान चौकी प्रभारी से ले लिए. साथ ही जांच दल ने नागपुर में हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी अपने कब्जे में ले ली, जिस में आशंका व्यक्त की गई थी कि दोनों की मौत खाने में तीक्ष्ण जहर मिला होने की वजह से हुई थी.  विशेष जांच दल ने जज महेंद्र त्रिपाठी की पत्नी भाग्य त्रिपाठी और छोटे बेटे आशीष त्रिपाठी के बयान भी कलमबद्ध किए. उन दोनों ने यही बताया कि जज साहब की एक महिला मित्र संध्या सिंह ने किसी तांत्रिक से अभिमंत्रित करा कर ये आटा दिया था, जिसे संध्या के बताए अनुसार घर के आटे में मिला कर रोटियां बनाई गई थीं ताकि घर में सुखसमृद्धि आ सके.

‘‘क्या वो आटा अभी भी आप के पास है?’’ एसपी सिमाला प्रसाद ने जज महेंद्र त्रिपाठी की पत्नी से पूछा.

‘‘जी हां, उस दिन खाने के बाद से हम ने उस आटे का इस्तेमाल ही नहीं किया है. सारा आटा ज्यों का त्यों रखा है.’’ मिसेज त्रिपाठी के बताने के बाद विशेष जांच दल ने उस आटे को अपने कब्जे में ले कर उसी दिन जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया. इसी दौरान जांच दल को पता चला कि 21 जुलाई को जब विषाक्त खाना खाने से जज महेंद्र त्रिपाठी की तबीयत खराब हुई थी, तब उन्होंने अपने कई जानकारों से फोन पर बात की थी. पुलिस ने महेंद्र त्रिपाठी के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाल कर उन तमाम लोगों से बातचीत की तो उन्होंने भी यही बताया कि उन की एक दोस्त संध्या सिंह ने उन्हें जो आटा दिया था, घर के आटे में उस के मिश्रण से बनी रोटियां खाने के बाद ही उन की और उन के बेटों की तबियत खराब हुई थी.

पुलिस को काल डिटेल्स में संध्या सिंह नाम की एक महिला का नंबर भी मिला, जिसे इलाज के दौरान जज साहब ने कई बार काल की थी. लेकिन किसी भी काल पर बहुत लंबी बात नहीं हुई थी. जज त्रिपाठी के छोटे बेटे आशीष राज ने भी पुलिस को बयान दिया कि जब उन के पिता व भाई को नागपुर के अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा था तो पिता ने रास्ते में उसे बताया था कि वह आटा उन की परिचित महिला संध्या सिंह ने दिया था, जिसे घर के आटे में मिला कर बनी रोटियां खाने से सब की तबियत खराब हुई थी. उन्होंने बताया था कि उस आटे की पूजा किसी पंडित ने की थी.

विशेष जांच दल को अब तक इस बात के पर्याप्त सुबूत मिल चुके थे कि एडीशनल सेशन जज महेंद्र त्रिपाठी व उन के बेटे की मौत विषाक्त आटे से बनी रोटियां खाने से हुई थी. अभी तक की जांच में संध्या सिंह नाम की महिला मुख्य किरदार के रूप में सामने आई थी. विशेष जांच दल ने एसपी सिमाला सिंह के निर्देश पर बैतूल के थाना गंज में 27 जुलाई, 2020 की सुबह जज त्रिपाठी व उन के बेटे की अकाल मृत्यु के मामले को अपराध क्रमांक 26 / 2020 पर दर्ज कर लिया. लेकिन जब इस मामले में साक्ष्य एकत्र हो गए तो इसे हत्या की धारा 302, 323, 307, 120बी में पंजीकृत किया गया.

इस मामले में मुख्य किरदार संध्या सिंह थी, इसलिए विशेष जांच दल ने उस की जोरशोर से तलाश शुरू कर दी. पुलिस के लिए सब से बड़ी परेशानी यह थी कि महेंद्र त्रिपाठी न्यायिक अधिकारी थे, उन का परिवार भी संध्या सिंह के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं दे रहा था, मसलन वह कौन है, कहां रहती है और उस के दिए गए आटे को उन्होंने क्यों इस्तेमाल किया. इस के अलावा पुलिस टीम यह भी नहीं समझ पा रही थी कि जज साहब के घर में आखिर ऐसी कौन सी कलह थी जिसे दूर करने के लिए वह पंडित या तांत्रिक का मंत्रपूरित आटा घर ले आए और उन्हें उस की बनी रोटियां खाने को विवश होना पड़ा.

सवाल अनेक थे, लेकिन उन का जवाब किसी के पास नहीं था इसलिए पुलिस ने सारा ध्यान संध्या सिंह पर फोकस कर दिया क्योंकि उस से पूछताछ करने के बाद ही इन सवालों का जवाब मिल सकता था. पुलिस लगातार संध्या सिंह के मोबाइल की लोकेशन ट्रेस करने में लगी थी क्योंकि वही एक जरिया था, जिस के माध्यम से उस तक पहुंचा जा सकता था. संध्या सिंह का मोबाइल लगातार बंद मिल रहा था. बीचबीच में वह औन होता और फिर बंद हो जाता था. पुलिस ने जब मोबाइल की लोकेशन की जांच की तो वह हाउसिंग बोर्ड कालोनी छिंदवाड़ा स्थित एक मकान की मिली. इस के बाद पुलिस टीम उस मकान पर पहुंची, तो वहां ताला लगा मिला. मिल गई संध्या पुलिस टीम संध्या सिंह तक पहुंचने के लिए लगातार काम करती रही.

30 जुलाई की शाम के समय संध्या सिंह के मोबाइल की लोकेशन रीवा में मिली. छिंदवाड़ा में भटक रही पुलिस टीम को तुरंत रीवा भेजा गया, जहां संयोग से संध्या अपने कुछ साथियों के साथ मौजूद थी. पुलिस उन सभी को हिरासत में ले कर बैतूल लौट आई. संध्या सिंह की टाटा इंडिगो कार एमपी28 सीबी-3302 भी पुलिस ने जब्त कर ली थी. संध्या सिंह की उम्र करीब 50 साल थी. पहनावे और बातचीत से वह एक आधुनिक महिला लग रही थी. शुरुआती पूछताछ में संध्या सिंह एसपी सिमाला प्रसाद से ले कर पूरे जांच दल को इधरउधर की बातें बना कर समय खराब करती रही. उस ने पुलिस को बताया कि एडीजे त्रिपाठी से उस की जानपहचान जरूर थी, लेकिन उन की मौत से उस का कोई संबध नहीं है.

लेकिन पुलिस ने जब उस के सामने उस के खिलाफ मौजूद सारे सुबूत रखे तो उस ने कबूल कर लिया कि उसी ने सर्प विष मिला आटा एडीजे त्रिपाठी को दिया दिया था. संध्या सिंह ने बताया कि उस का इरादा पूरे त्रिपाठी परिवार को खत्म करने का था. संध्या सिंह के साथ जो 5 अन्य लोग पकड़े गए थे, वे भी हत्या की इस साजिश में शामिल थे. संध्या सिंह कौन थी, जज साहब से उस की जानपहचान कैसे हुई तथा उस ने उन्हें परिवार के साथ मारने के लिए जहरीला आटा क्यों दिया, यह सब जानने के लिए पुलिस ने संध्या सिंह से सख्ती से पूछताछ की तो सारे सवालों का जवाब मिल गया.

मूलरूप से मध्य प्रदेश के सिंगरौली की रहने वाली संध्या सिंह की शादी रीवा के एक संपन्न परिवार के व्यक्ति संतोष सिंह से हुई थी. लेकिन स्वच्छंदता से जीवन व्यतीत करने वाली पढ़ीलिखी संध्या की अपनी ससुराल वालों और पति से अनबन रहने लगी. शादी के कुछ समय बाद वह अपने पति के साथ रीवा से छिंदवाड़ा आ गई. उस ने वहां दुर्गा महिला शिक्षा समिति नाम से एक एनजीओ संचालित करना शुरू कर दिया. बाद में संध्या सिंह की महत्त्वाकांक्षाएं उड़ान भरने लगीं. वह देर रात तक पार्टियों में अपना वक्त बिताने लगी तो संतोष सिंह से उस का मनमुटाव शुरू हो गया और संतोष सिंह संध्या से अलग हो गए और अपने शहर वापस चले गए. इस के बाद संध्या सिंह खुला और एकाकी जीवन बसर करने लगी.

इसी दौरान 10 साल पहले महेंद्र त्रिपाठी की नियुक्ति छिंदवाड़ा में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट के पद पर हो गई. महेंद्र त्रिपाठी की पत्नी भाग्य त्रिपाठी मध्य प्रदेश के एक सरकारी विभाग में नौकरी करती थीं. उन के दोनों बेटे भी उन्हीं के साथ भोपाल में रहते थे. कभी त्रिपाठी अपने परिवार से मिलने भोपाल चले जाते थे तो कभी उन का परिवार मिलने के लिए उन के पास आ जाता था. एक तरह से महेंद्र त्रिपाठी छिंदवाड़ा में अकेले रहते थे. तैनाती के कुछ महीने बाद ही एक समारोह में संध्या सिंह की मुलाकात जज महेंद्र त्रिपाठी से हुई. त्रिपाठी और संध्या सिंह दोनों ही एकदूसरे से प्रभावित हुए और पहली ही मुलाकात में उन की दोस्ती हो गई. ये दोस्ती इस कदर आगे बढ़ी कि कुछ ही दिनों में उन के रिश्ते आत्मीय हो गए.

दरअसल संध्या सिंह को लगा कि न्यायिक अधिकारी होने के कारण उसे महेंद्र कुमार त्रिपाठी के बडे़ लोगों के साथ रसूख का लाभ मिल सकता है और उन के जरिए वह अपने एनजीओ के लिए बहुत से लाभ ले सकती है. इंसान भले ही किसी भी पेशे से जुड़ा हो लेकिन प्रकृति का एक नियम है कि जब वह किसी महिला के आकर्षण या रूप जाल में फंस जाता है तो उस का विवेक काम करना बंद कर देता है. वह इस बात को भी भूल जाता है कि वह जिस पेशे से जुड़ा है, उस की मर्यादा क्या है. संध्या के जाल में फंसे जज साहब जैसे ही महेंद्र त्रिपाठी की संध्या सिंह के साथ आसक्ति बढ़ी तो संध्या की तरक्की भी होने लगी. उस ने अब त्रिपाठीजी को अपनी तरक्की की सीढ़ी बना कर पूरी तरह अपने आकर्षण के जाल में फंसा लिया था. उस ने त्रिपाठीजी से आर्थिक मदद ले कर कपड़ों का कारोबार भी शुरू कर दिया था.

संध्या सिंह ने दुर्गा महिला शिक्षा समिति के नाम से जो एनजीओ बना रखा था, उस के लिए वह त्रिपाठीजी के सहयोग से सरकारी प्रोजेक्ट भी हासिल करने लगी. चूंकि उस वक्त त्रिपाठीजी छिंदवाड़ा में सीजेएम जैसे महत्त्वपूर्ण ओहदे पर तैनात थे. संध्या सिंह ने छिंदवाड़ा की उसी हाउसिंग बोर्ड कालोनी में किराए का मकान भी ले कर अपना निवास बना लिया, जहां सीजेएम महेंद्र कुमार त्रिपाठी रहते थे. उन दिनों नगर निगम छिंदवाड़ा ने त्रिपाठीजी के कहने पर संध्या सिंह को आजीविका मिशन के तहत प्रशिक्षण देने का लाखों रुपए का एक प्रोजेक्ट भी दिया था. इस के अलावा संध्या सिंह महेंद्र त्रिपाठी के रसूख का इस्तेमाल कर जम कर फायदे उठाने लगी.

संध्या सिंह और महेंद्र त्रिपाठी के बीच के दोस्ताना रिश्तों की भनक उन की पत्नी व परिवार के दूसरे सदस्यों को भी लग गई थी. जिस के कारण उन के घर में कलह रहने लगी. इसी दौरान 2 साल पहले महेंद्र त्रिपाठी की पदोन्नति हो गई और वे एडीजे बन कर छिंदवाड़ा से बैतूल आ गए. महेंद्र त्रिपाठी के बैतूल आ जाने के बाद संध्या सिंह की मुश्किलें बढ़ गईं. उन के ज्यादा व्यस्त रहने की वजह से न तो आसानी से उस की उन से मुलाकात हो पाती थी और न ही वह उन से कोई फायदा ले पाती थी. हां, इतना जरूर था कि वह महेंद्र त्रिपाठी से मिलने के लिए महीने में 1-2 बार बैतूल आती रहती थी. एडीजे त्रिपाठी उस के लिए सर्किट हाउस में ठहरने की व्यवस्था करा देते थे. जहां 1-2 दिन उन से मिलने के बाद वह वापस चली जाती थी.

लेकिन संध्या सिंह से महेंद्र त्रिपाठी के इस मेलजोल की खबर भी उन के परिवार तक पहुंचने लगी, जिस के कारण उन की अपनी पत्नी व बच्चों से कलह होती रहती थी. आखिरकार महेंद्र त्रिपाठी की पत्नी ने अपनी गृहस्थी को बचाने के लिए कुछ महीने पहले अपनी नौकरी से वीआरएस ले लिया और वे जज साहब के पास बैतूल आ कर रहने लगीं. इस दौरान बड़ा बेटा अभियान भी इंदौर से उन्हीं के पास बैतूल आ कर रहने लगा. वह बैतूल में नौकरी की तलाश कर रहा था. छोटा बेटा आशीष पहले से ही मां के पास रहता था.

इधर 4 महीने से जब से महेंद्र त्रिपाठी का परिवार उन के पास आया था, तब से संध्या सिंह का न तो महेंद्र त्रिपाठी से मिलनाजुलना होता था, न ही त्रिपाठीजी उस की आर्थिक मदद करते थे. इतना ही नहीं, अब महेंद्र त्रिपाठी ने अपने बच्चों को सैटल करने के लिए संध्या सिंह से अपने दिए पैसों का हिसाबकिताब लेना भी शुरू कर दिया था. वे संध्या से अकसर कहते थे कि उन्हें अपने बच्चों को कामधंधा कराना है, इसलिए वह उन से लिए गए पैसे वापस करे. पिछले 10 सालों में महेंद्र त्रिपाठी से संध्या सिंह की दोस्ती आत्मीयता की इस हद तक पहुंच गई थी कि 4 महीने की दूरी उसे सालों की दूरी सी लगने लगी. अब वह महेंद्र त्रिपाठी से कतई दूर नहीं रहना चाहती थी. जबकि महेंद्र त्रिपाठी उस से दूरी बनाना चाहते थे.

जब महेंद्र त्रिपाठी से उस ने कटेकटे रहने और दूरी बनाने का कारण पूछा तो उन्होंने साफ कह दिया कि उस की वजह से उन के परिवार में कलह रहने लगी है, लिहाजा अब वे एकदूसरे से दूर ही रहे तो अच्छा है, साथ ही उन्होंने संध्या से उन पैसों की मांग फिर से कर दी जो संध्या ने उन से लिए थे. संध्या नहीं लौटाना चाहती थी जज साहब के पैसे इन बातों से उपजे तनाव से संध्या सिंह को लगने लगा कि अगर उसे महेंद्र त्रिपाठी का पैसा लौटाना पड़ा तो कहां से इंतजाम करेगी. वैसे भी अब उसे महेंद्र त्रिपाठी से अपनी दोस्ती पहले जैसी होने की कोई उम्मीद नहीं बची थी. अचानक संध्या सिंह के दिमाग में इन मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए एक साजिश कुलांचे मारने लगी.

उस ने अपने कुछ साथियों के साथ मिल कर एक ऐसी साजिश रची, जिस से वह महेंद्र त्रिपाठी से लिए गए पैसे लौटाने से भी बच सकती थी और उन के परिवार से उस का इंतकाम भी पूरा हो जाता. इस साजिश को अंजाम देने के लिए उस ने अपने ड्राइवर संजू और संजू के फूफा देवीलाल निवासी काशीनगर, छिंदवाड़ा, मुबीन खान निवासी छिंदवाड़ा और कमल तथा बाबा उर्फ रामदयाल को तैयार कर लिया. संध्या जानती थी कि महेंद्र त्रिपाठी तंत्रमंत्र और पंडितों पर बहुत विश्वास करते हैं. उस ने त्रिपाठीजी की इसी कमजोरी का लाभ उठाया. उस ने साथियों की मदद से सांप का विष हासिल कर लिया. फिर उस ने सर्प विष मिला आटा खिला कर महेंद्र त्रिपाठी व उन के परिवार को खत्म करने की योजना बनाई.

इस षडयंत्र को अंजाम देने के लिए संध्या कुछ दिन पहले बाबा उर्फ रामदयाल को ले कर छिंदवाडा से बैतूल पहुंची और वहां सर्किट हाउस में महेंद्र त्रिपाठी को मुलाकात के लिए बुलवाया. संध्या ने रामदयाल से महेंद्र त्रिपाठी का परिचय एक पहुंचे हुए तांत्रिक के रूप में कराया. उस ने उन्हें बताया कि बाबा ऐसे तांत्रिक हैं, जो उन के घर की आबोहवा देख कर पहचान लेंगे कि घर में किस तरह की कलह है. फिर बाबा अपने तंत्रमंत्र से घर में होने वाली कलह को दूर कर देंगे. एडीजे महेंद्र त्रिपाठी संध्या के झांसे में आ कर बाबा रामदयाल को अपने घर ले गए. जहां बाबा ने घर के हर कोने में जा कर कुछ मंत्र पढ़ने का नाटक किया और जज साहब से कहा कि वह अपने घर में रखा थोड़ा सा आटा एक पौलीथिन में ला कर उन्हें दें.

जज साहब ने वैसा ही किया. उस आटे को ले कर बाबा चला गया और कहा कि वह उस आटे को अभिमंत्रित कर के जल्द ही उन को वापस भिजवा देगा. महेंद्र त्रिपाठी थोड़ा धार्मिक प्रवृत्ति के थे. लिहाजा वे संध्या सिंह के झांसे में आ गए थे. बाबा रामदयाल ने उस आटे को ला कर संध्या सिंह को दे दिया, जो त्रिपाठीजी ने पौलीथिन में भर कर बाबा उर्फ रामदयाल को दिया था. 2 दिन उस आटे को अपने पास रख कर संध्या सिंह ने उस में सांप का विष मिला दिया. 20 जुलाई, 2020 को दोपहर में इसी आटे को ले कर संध्या सिंह अपने ड्राइवर संजू और कमल को ले कर बैतूल पहुंची. कमल को उस ने बैतूल में मुल्ला पैट्रोल पंप के पास उतार दिया. संध्या सिंह अपने ड्राइवर को ले कर कार से सर्किट हाउस बैतूल पहुंची, जहां पहले से एडीजे महेंद्र त्रिपाठी मौजूद थे.

वहां करीब एक घंटे तक संध्या महेंद्र त्रिपाठी के साथ एक बंद कमरे में रही. यहां संध्या सिंह ने उन्हें यह बात समझाने में सफलता हासिल कर ली कि उन का दिया हुआ ये आटा बाबा ने मंत्रपूरित किया है. बाबा की पूजा वाला ये आटा उन के सारे कष्टों का निवारण कर देगा. इतना ही नहीं परिवार में उन के संबंधों के कारण जो कलह हो रही थी, वह भी खत्म हो जाएगी. बस, उन्हें इस आटे को घर के आटे में मिलाना है और इस से बनी हुई रोटियां पूरे परिवार को खानी हैं. संध्या सिंह से महेंद्र त्रिपाठी की यह आखिरी मुलाकात थी. उन्होंने घर आ कर आटा अपनी पत्नी को दिया और उन्हें उस आटे को घर के आटे में मिला कर रोटी बना कर सब को खिलाने के लिए कहा.

मंत्रपूरित आटे की रोटियां बस उसी रात इसी आटे की रोटियां खाने के बाद एडीजे महेंद्र त्रिपाठी और उन के दोनों बेटों की तबियत खराब हो गई और बाद में महेंद्र त्रिपाठी तथा बड़े बेटे अभियान की मौत हो गई थी. संध्या से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के चालक संजू, उस के फूफा देवीलाल, मुबीन खान और कमल को गिरफ्तार कर लिया . पुलिस बाबा उर्फ रामदयाल नाम के उस तथाकथित तांत्रिक की भी तलाश कर रही है, जिस ने झाड़फूंक कर जहरीला आटा संध्या को दिया था. महेंद्र त्रिपाठी को न तो संध्या सिंह के इरादों का पता था और न ही यह कि उस कथित मंत्रपूरित आटे में जहर मिला है. हालांकि एडीजे त्रिपाठी और उन के बेटे की हत्या की मुख्य आरोपी संध्या सिंह से महेंद्र त्रिपाठी के संबंधों को ले कर पुलिस कुछ

भी साफ कहने से बचती रही. पुलिस का यही कहना है कि दोनों की 10 साल से दोस्ती थी. लेकिन एक न्यायिक अधिकारी की एक अकेली रहने वाली महिला से दोस्ती, उस से एकांत में होने वाली मुलाकातें, इस दोस्ती के कारण त्रिपाठी के अपने परिवार से कलह और अपने पद के प्रभाव से संध्या के एनजीओ को प्रोजैक्ट दिलवाने जैसी बातें साफ इशारा करती हैं कि दोनों के रिश्ते एकदूसरे के लिए कितने खास थे.  एसपी सिमाला प्रसाद के मुताबिक, त्रिपाठी की फैमिली में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था और एडीजे दंपति में मनमुटाव था. संध्या ने इसी का फायदा उठाया. संध्या सिंह को पता था कि महेंद्र त्रिपाठी धर्मकर्म को बहुत मानते हैं और तंत्रमंत्र तथा पूजापाठ की बातों पर बहुत यकीन करते हैं

इसीलिए उस ने उन के पूरे परिवार का खात्मा करने के लिए ऐसी चाल चली कि काम भी हो जाए और किसी को पता भी न चले कि इस काम को किस ने अंजाम दिया है. लेकिन संयोग से इस हादसे में महेंद्र त्रिपाठी की पत्नी जहां खाना नहीं खाने के कारण बच गईं, वहीं उन का छोटा बेटा कम खाने के कारण मामूली रूप से ही बीमार हुआ. इस साजिश की कडि़यां जुड़ती गईं और फूड पौइजनिंग का साधारण सा मामला हत्या की एक अनोखी कहानी में बदल गया. पूछताछ के बाद पुलिस ने संध्या सिंह से बरामद कार की तलाशी ली तो उस में रखे कुछ बैग में तंत्रमंत्र की सामग्री मिली. आवश्यक काररवाई के बाद पुलिस ने सभी छहों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है. द्य

—कहानी पुलिस की जांच व आरोपियों तथा पीडि़त परिवार के बयानों पर आधारित

Social Crime : ऑडिशन के नाम पर धोखा, लड़कियों से जबरन बनाई जा रही थी पोर्न वीडियो

Social Crime : कितने ही युवक युवतियां मौडलिंग, फिल्मों, सीरियल्स और ओटीटी प्लेटफौर्म में जाने के लिए उतावले रहते हैं. ग्लैमर के नशे में वह अपना अच्छा बुरा भी भूल जाते हैं. कई कथित निर्माता, निर्देशक उन के इस नशे का भरपूर लाभ उठाते हैं. ब्रजेंद्र और मिलिंद ऐसे ही लोगों में थे. इन लोगों ने…

जुलाई के आखिरी सप्ताह में इंदौर की एक मौडल साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह से मिली. मौडल ने खुद का नाम ऐश्वर्या बताते हुए कहा कि वह धामनोद की रहने वाली है और पिछले कई साल से इंदौर में रह कर मौडलिंग करती है. परेशान दिख रही ऐश्वर्या ने एसपी को बताया कि पिछले साल दिसंबर में उस के पास ब्रजेंद्र सिंह नाम के शख्स का फोन आया था. उस ने खुद को मुंबई का डायरेक्टर और प्रोड्यूसर बताया. वह एक बड़े बैनर पर ओटीटी प्लेटफौर्म के लिए फिल्म बनाना चाहता था. उस ने इस फिल्म में ऐश्वर्या को लौंच करने की बात कही. बाद में ब्रजेंद्र ने उसे इंदौर में एरोड्रम रोड पर एक फार्महाउस में बुलाया.

तय समय पर वह उस फार्महाउस पर पहुंची. वहां ब्रजेंद्र सिंह के अलावा मिलिंद भी मिला. कई और लोग भी थे. कैमरों लाइटों सहित फिल्म की शूटिंग का पूरा साजोसामान भी था. ऐश्वर्या मिलिंद को पहले से जानती थी. मिलिंद टी सीरीज और अल्ट बालाजी के लिए वेब सीरीज तथा सीरियलों के लिए कास्टिंग का काम करता था. ऐश्वर्या ने एसपी को बताया कि ब्रजेंद्र और मिलिंद ने उसे बालाजी की एक बोल्ड वेब सीरीज में काम दिलाने की बात कही, लेकिन इस के लिए कुछ बोल्ड सीन शूट करने की शर्त थी. मिलिंद ने ऐश्वर्या को विश्वास दिलाने के लिए मोबाइल पर एकता कपूर की कथित पीए युवती से उस की बात भी कराई.

एकता कपूर की उस कथित पीए ने उसे बालाजी की वेब सीरीज के बारे में बताया. पीए से बातें करने के बाद वह आश्वस्त हो गई कि उसे वेब सीरीज में काम मिल जाएगा. ओटीटी प्लेटफौर्म पर जाने का यह अच्छा मौका था. कथित पीए युवती ने मिलिंद से कहा कि वेब सीरीज के लिए प्रोमो बना कर कंपनी को भेजो. इस के बाद ब्रजेंद्र सिंह और मिलिंद ने उसे बोल्ड सीन देने के लिए 25 हजार रुपए देने का वादा किया. बाद में प्रोमो के नाम पर अश्लील फिल्म शूट कर ली गई. इस फिल्म में मेल एक्टर मिलिंद और गजेंद्र सिंह थे. ब्रजेंद्र सिंह और उस के साथियों ने फिल्म शूट की. इन लोगों ने कहा कि एडिटिंग के दौरान इस में से अश्लील कंटेंट हटा कर प्रोमो कंपनी को भेजा जाएगा.

इतनी बातें बताते बताते ऐश्वर्या की आंखों में आंसू आ गए. एसपी जितेंद्र सिंह ने उसे दिलासा देते हुए पूरी बात बताने को कहा ताकि अपराधियों तक पहुंचा जा सके. टेबल पर रखे गिलास से पानी के कुछ घूंट पीने के बाद ऐश्वर्या ने एसपी से कहा कि इन लोगों ने बाद में फिल्म को एडिट किए बिना ही पोर्न वेबसाइट को बेच दिया. ऐश्वर्या ने रोते हुए बताया कि वह फिल्म पोर्न वेबसाइट पर अपलोड होने के कुछ ही दिन में 4 लाख लोगों ने देख ली. कुछ दिन बाद एक परिचित से उसे इस की जानकारी मिली, तो वह घबरा गई. उस ने मिलिंद और ब्रजेंद्र सिंह से संपर्क किया, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया.

एसपी जितेंद्र सिंह ने ऐश्वर्या से लिखित शिकायत ली और उसे काररवाई करने का भरोसा दे क र भेज दिया. जातेजाते ऐश्वर्या ने एसपी को यह भी बताया कि ऐसा अकेले उस के साथ नहीं हुआ है. कई दूसरी मौडल युवतियों के साथ भी इन्होंने यही किया है. ये लोग पोर्न सीन शूट करने के नाम पर जो पैसा तय करते, शूटिंग के बाद उतना पैसा भी नहीं देते थे. ये लोग फिल्म पोर्न वेबसाइटों को बेचने के साथसाथ कई तरीकों से मौडल्स का दैहिक शोषण भी करते थे. मामला बेहद गंभीर था. ज्यादातर लोग जानते हैं कि ऐसी फिल्में बनती हैं और पोर्न साइटों पर खूब देखी जाती हैं. माना यह जाता है कि इस तरह की अधिकांश फिल्में मुंबई में बनती हैं. लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसी घिनौनी फिल्में बनना बेहद चिंता की बात थी.

मोबाइल इंटरनेट से बढ़ी पोर्न फिल्मों की मार्केट  दरअसल, जब से बच्चों से ले कर बूढ़ों तक के हाथ में इंटरनेट के साथ मोबाइल आ गया है, तब से पोर्न फिल्म अधिकांश मोबाइलधारकों तक पहुंच गई हैं. इस से सामाजिक पतन होने के साथ अपराध भी बढ़ रहे हैं और घरेलू रिश्ते भी टूट रहे हैं. पोर्न फिल्में देखना जितना बड़ा अपराध है, उस से बड़ा अपराध बिना सहमति के ऐसी फिल्में बनाना है. इस सब से न केवल युवा पीढ़ी भटक रही है बल्कि उस की मानसिकता भी घृणित होती जा रही है.

एसपी जितेंद्र सिंह ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की. इस टीम ने जरूरी जांचपड़ताल के बाद 30 जुलाई को 2 लोगों मिलिंद डावर और अंकित सिंह चावड़ा को गिरफ्तार कर लिया. इंदौर की रेसकोर्स रोड निवासी मिलिंद फैशन शो और विज्ञापन के लिए बैकग्राउंड कलाकार व कास्टिंग का काम करता था. वह एमडीएफएम नाम की मौडलिंग एजेंसी चलाने के साथसाथ टी सीरीज और अल्ट बालाजी के लिए वेब सीरीज व सीरियलों के लिए भी कास्टिंग का काम करता था. इंदौर की गुरु गोविंदसिंह कालोनी का रहने वाला अंकित चावड़ा एनएमएच फिल्म प्रोडक्शन हाउस में कैमरामैन था. पुलिस को जांचपड़ताल में पता चला कि ये लोग मौडल युवतियों को टीवी सीरियल और ओटीटी प्लेटफार्म पर वेब सीरीज में मौका दिलाने का झांसा दे कर जाल में फंसाते थे. इस का अश्लील फिल्में बनाने का काला कारोबार इंदौर के अलावा कई अन्य बड़े शहरों में चल रहा था.

इस काले धंधे में डायरेक्टर ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर, राजेश गुर्जर, गजेंद्र सिंह, सुनील जैन, अनिल द्विवेदी, अशोक सिंह व विजयानंद पांडेय आदि शामिल थे. मिलिंद डावर इस गिरोह के लिए मध्य प्रदेश की मौडल युवतियों को तरहतरह के झांसे दे कर फिल्म, वेब सीरीज या सीरियल आदि में रोल दिलाने के नाम पर जाल में फंसाता था. वह चूंकि मौडलिंग एजेंसी, फैशन शो और विज्ञापनों के लिए बैकग्राउंड कलाकारों की कास्टिंग का काम करता था, इसलिए उस के तमाम मौडलों के अलावा मुंबई के कई नामी रंगमंच कलाकारों से भी अच्छे संबंध थे.

इन्हीं संबंधों की आड़ में जब वह मौडल युवतियों को बौलीवुड में अच्छे रोल दिलाने की बात कहता, तो मौडल उस की बातों पर सहज ही भरोसा कर लेती थी. मिलिंद मौडल युवतियों को जाल में फंसाने के बाद ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर (ठाकुर) से मिलवाता था. ब्रजेंद्र खुद को मुंबई का डायरेक्टर, प्रोड्यूसर बता कर कहता था कि बोल्ड सीन आज की जरूरत हैं. प्रत्येक सीन के लिए वह 25 हजार रुपए देने की बात कहता था. जब लड़की तैयार हो जाती तो वह अपने सहयोगियों के साथ बोल्ड सीन के नाम पर अश्लील फिल्में शूट कर लेता था. शूटिंग के दौरान ये लोग मौडल युवतियों को भरोसा दिलाते थे कि इस फिल्म की एडिटिंग के दौरान अश्लील दृश्य हटा दिए जाएंगे. लेकिन बाद में इन फिल्मों को ये लोग बिना एडिट किए ही मुंबई में रहने वाले अशोक सिंह व विजयानंद पांडेय के माध्यम से लाखों रुपए में पोर्न साइटों को बेच देते थे.

पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी कि मध्य प्रदेश के रीवा और इंदौर की रहने वाली 2 मौडलों ने 31 जुलाई को साइबर सेल को ऐसी ही शिकायतें दीं. पुलिस ने दोनों के बयान दर्ज किए. इन युवतियों ने बताया कि इस गिरोह में कई बड़े लोग भी शामिल हैं. गिरोह के कुछ सदस्यों ने कुछ समय पहले स्टार फिल्म्स के नाम पर उन से मूवी बनाने का करार किया था. बाद में बोल्ड वेब सीरीज बनाने की बात कह कर अश्लील वीडियो तैयार कर ली गईं. इस पोर्न फिल्म को मुंबई में लाखों रुपए में बेचा गया. यह वीडियो क्लिप ‘देसी आयटम’ के नाम से पोर्न साइट पर डाल दी गई. इतना ही नहीं, मूवी के लिए किए गए करार के मुताबिक पैसे भी नहीं दिए गए, बल्कि ब्लैकमेल कर शारीरिक शोषण किया गया.

दूसरी ओर, पुलिस ने दोनों गिरफ्तार आरोपियों मिलिंद और अंकित को रिमांड पर ले कर एरोड्रम इलाके में गांधीनगर से लगे शिमला फार्महाउस पर छानबीन की, जहां फिल्म की शूटिंग की गई थी. पता चला इस फार्महाउस का मालिक अजय गोयल था. अजय की तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिला. इस बीच, एक उद्योगपति ने पुलिस से संपर्क कर बताया कि फार्महाउस का मालिक वह है न कि अजय गोयल. फार्म हाउस किसी का, खेल खेला किसी और ने  मालिक ने अजय को अपना फार्महाउस कुछ दिनों के लिए किराए पर दिया था. पुलिस को इस दौरान स्कीम 78 और 114 के 2 आलीशान बंगलों में भी फिल्म की शूटिंग करने का पता चला. इसी के साथ गिरोह में प्रमोद, युवराज आदि के शामिल होने की जानकारी भी मिली.

पुलिस ने शूटिंग वाले बंगलों के मालिकों, गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर और गजेंद्र सिंह सहित अन्य आरोपियों की तलाश के लिए टीम गठित की. इस के साथ ही मिलिंद व अंकित के मोबाइल व लैपटौप की भी जांच शुरू कर दी. जिन साइटों पर फिल्में अपलोड की गईं, उन के संचालकों को पुलिस ने नोटिस भेज कर जवाब मांगा. जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि वेब सीरीज के नाम पर उभरती मौडल्स के हौट वीडियो शूट करने के अलावा कई नामी ब्रांड्स के ऐड शूट करने के नाम पर भी महिला पुरुष मौडल्स से धोखाधड़ी की गई थी.

पुलिस को शिकायतें मिली कि कपड़ों, कौस्मेटिक, ज्वैलरी, गारमेंट्स, जूते व इलेक्ट्रौनिक्स प्रौडक्ट के विज्ञापनों के नाम पर हौट फोटो शूट कराए गए, लेकिन मौडल्स को न तो पैसा दिया गया और न ही कोई सर्टिफिकेट या ब्रैंड कंपनी का लेटर. पीडि़त युवतियों ने पुलिस को यह भी बताया कि जिन फार्महाउसों या बंगलों में शूटिंग की जाती थी, गिरोह के लोग उन पर उन के मालिकों से शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाते थे. पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि गिरोह में हाई प्रोफाइल एस्कार्ट सर्विस से जुड़ी युवतियां भी शामिल थीं. ये एस्कौर्ट हौट फिल्म शूट के नाम पर नई मौडल्स को शूट के लिए उकसाती थीं. फिर कैमरा बंद करने का बहाना कर उन के न्यूड सीन शूट करा देती थीं. बातों में लगा कर कई सीन बंगलों के कमरों में लगे गुप्त कैमरों से भी शूट किए जाते थे.

ऐसे सीन कैमरे में कैद हो जाने के बाद उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था. उन से अश्लील दृश्यों की शूटिंग कराई जाती थी और फाइनेंसर या फार्महाउस के मालिक से शारीरिक संबंध बनाने के लिए धमकाया जाता था. एक अन्य युवती ने पुलिस से संपर्क कर बताया कि उस के साथ भी ऐसा ही किया गया था. फिल्म शूटिंग के नाम पर उसे 10 दिन तक बंगले में बंधक बना कर रखा गया. उसे किसी से मिलने भी नहीं दिया गया. यहां तक कि उस का मोबाइल भी छीन लिया गया था. किसी को बताने पर बदनाम करने की धमकी दी गई. ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर खुद को टीवी व फिल्म प्रोडक्शन कंपनी का मालिक बताता था. सोशल मीडिया अकाउंट में कई बौलीवुड ऐक्टर उस की फ्रैंड लिस्ट में शामिल थे.

पुलिस में सब से पहली शिकायत दर्ज कराने वाली मौडल ऐश्वर्या को इसी साल फरवरी में ब्रजेंद्र सिंह और उस के साथी खजुराहो फिल्म फेस्टिवल में भी ले गए थे. वहां इन लोगों ने मौडल को कई लोगों से मिलाया और झांसा दिया कि ये लोग टीवी सीरियल और वेब सीरीज में आसानी से रोल दिलवा देंगे. पुलिस लगातार पोर्न फिल्म बनाने वाले आरोपियों की तलाश में उन के ठिकानों पर दबिश दे रही थी. इस दौरान पता चला कि बिचौली मर्दाना, रितुराज मेंशन, संपत हिल्स में रहने वाला गजेंद्र सिंह हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट मामले में 5 जुलाई से जेल में बंद है. उसे कुछ दिन पहले इंदौर की सराफा पुलिस ने एक होटल में दबिश दे कर पकड़ा था. उस होटल में वह सैक्स रैकेट से जुड़ी उजबेकिस्तान की एक मौडल युवती को सप्लाई करने गया था.

पुलिस की दबिश के दौरान गजेंद्र उर्फ गोवर्धन उर्फ गज्जू चंद्रावत के घर पर एक कार मिली. इस कार पर एक न्यूज चैनल और प्रैस का स्टीकर लगा हुआ था. वह खुद को पत्रकार बता कर घूमता था. गजेंद्र ने इंदौर की मौडल की शूट की गई पोर्न फिल्म में हीरो का रोल किया था. 5 अगस्त को एक और मौडल ने साइबर सेल में शिकायत की. उस ने बताया कि वह फिल्मों में काम करती है. 2014 में एक फोटो शूट के दौरान वह ब्रजेंद्र और शुभेंद्र से मिली थी. ब्रजेंद्र ने उसे अपनी निर्माणाधीन फिल्म में रोल और 2 लाख रुपए देने का वादा किया था. बाद में उस ने शूटिंग में अश्लील फिल्म बना ली और 2 लाख रुपए भी नहीं दिए. मौडल ने पैसों के लिए दबाव बनाया तो उस ने वीडियो वायरल करने की धमकी दी.

पिछले साल ब्रजेंद्र ने एक युवती की मुलाकात मुंबई के एक डायरेक्टर राज से करवाई. उसे फिल्म शूटिंग के मेहनताने के रूप में रोजाना 10 हजार रुपए देने की बात तय हुई. फिल्म के नाम पर अश्लील सीन शूट कर लिए गए और उन्हें पोर्न साइट पर डाल दिया गया. साइबर सेल पुलिस ने जेल में बंद गजेंद्र का अदालत से प्रोडक्शन वारंट हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की, ताकि उस से पोर्न फिल्मों के मामले में पूछताछ की जा सके. लगातार भागदौड़ के बीच, साइबर सेल पुलिस ने 10 अगस्त को गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया. वह इस मामले में अग्रिम जमानत के प्रयास में इंदौर आया था, तभी पुलिस को सूचना मिल गई और उसे पकड़ लिया गया. दूसरी ओर, गजेंद्र उर्फ गज्जू उर्फ गोवर्धन चंद्रावत को जेल से प्रोडक्शन वारंट के तहत रिमांड पर लिया गया.

ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर से पूछताछ में पता चला कि वह मूलरूप से दमोह का रहने वाला है. बीबीए और एमबीए तक शिक्षित ब्रजेंद्र 2011 में इंदौर आया था. पहले वह इंदौर में बौंबे हौस्पिटल के पीछे एक गेस्टहाउस में रहता था. बाद में टाउनशिप व पौश कालोनियों में किराए पर रहा. इस दौरान ब्रजेंद्र की मुलाकात भोपाल के राजीव सक्सेना से हुई. राजीव एक सीरियल बना रहा था. उस ने ब्रजेंद्र को अपनी प्रोडक्शन कंपनी में मैनेजर रख लिया. यहां से उस ने फिल्म व सीरियल बनाने का अनुभव प्राप्त किया. राजीव ने कुछ महीने तक काम कराने के बाद ब्रजेंद्र को उस के मेहनताने का एक रुपया भी नहीं दिया और भोपाल चला गया.

2014 में उस ने बिपाशा बसु के साथ एक फिल्म में साइड रोल किया था. इस के अलावा एक हौलीवुड फिल्म में भी उसे छोटा सा रोल मिला था. एक वीडियो एलबम अजब इश्क में शान ने एक गाना गाया था, उस का पिक्चराइजेशन ब्रजेंद्र ने किया था. फिल्मों के सिलसिले में वह मुंबई आताजाता रहता था. इस दौरान उस के कई डायरेक्टर, प्रोड्यूसरों से अच्छे संपर्क बन गए थे, लेकिन फिल्मों में उसे अच्छा मुकाम नहीं मिल पाया था. खुद डायरेक्टर बनने की ठानी आखिर ब्रजेंद्र ने खुद ही फिल्म डायरेक्टर बनने की बात सोची. उस ने खुद का प्रोडक्शन हाउस बना लिया. 2015 में ब्रजेंद्र ने मुंबई के अंधेरी स्थित रजिस्ट्रेशन औफिस में स्टार फिल्म्स के नाम से एक कंपनी रजिस्टर्ड करवाई थी. उस ने परिवर्तन नाम से एक सीरियल भी बनाया. कुछ वीडियो सौंग्स भी शूट किए.

उस ने ‘द डेट’ नाम की एक फिल्म भी बनाई, लेकिन उस की क्वालिटी अच्छी नहीं होने से कोई खरीदार नहीं मिला. अच्छी क्वालिटी की फिल्म बनाने के लिए करोड़ों रुपए की जरूरत होती है. इतना पैसा ब्रजेंद्र के पास नहीं था. ब्रजेंद्र के इंदौर में कई ऐसे लोगों से संपर्क हो गए थे, जो मौडलिंग, फैशन शो और विज्ञापन के लिए कलाकार व कास्टिंग का काम करते थे. इन के माध्यम से वह उभरती मौडल्स को अपने जाल में फांसता. खुद को मुंबई का डायरेक्टर, प्रौड्यूसर बता कर मौडल्स को वेब सीरीज व सीरियल में काम दिलाने के नाम पर इंदौर बुलाता. फिर आलीशान बंगलों व फार्महाउसों में बोल्ड सीन के नाम पर अश्लील फिल्म शूट कर ली जाती. शूटिंग के दौरान हालांकि वह मौडल को इस बात का विश्वास दिलाता था कि शूट किए गए अश्लील सीन एडिटिंग में हटा दिए जाएंगे, लेकिन वह ऐसा करता नहीं था.

फिल्मों के फाइनेंसर और बंगलों व फार्महाउस के मालिक को खुश करने के लिए भी वह मौडल्स को धमका कर या दबाव बना कर शारीरिक शोषण के लिए तैयार करता था. पोर्न फिल्म तैयार होने पर वह मुंबई के लोगों के मार्फत 10 लाख रुपए तक में फिल्म बेच देता था. वह हर बार नए चेहरे और नए कंटेंट पर ज्यादा ध्यान देता था ताकि पोर्न मार्केट में फिल्म की अच्छी कीमत मिल सके.  सन 2018 में आष्टा के ओम ठाकुर ने ‘उल्लू’ ऐप का एग्रीमेंट दिखा कर इंदौर में 4 एडल्ट एपिसोड बनाने के लिए ब्रजेंद्र से संपर्क किया था, लेकिन ओम ठाकुर का एग्रीमेंट फर्जी निकला. उस ने ब्रजेंद्र को कोई पैसा नहीं दिया.

ब्रजेंद्र ने मिलिंद डावर के जरिए इंदौर की 5 मौडल्स को कास्ट कर के ये एपिसोड बनाए थे. उस ने सैक्स रैकेट से जुड़े गजेंद्र उर्फ गज्जू को लीड हीरो के रूप में साइन किया था. इन एपिसोड की शूटिंग इंदौर में स्कीम नंबर 78 में योगेंद्र जाट का आधुनिक सुखसुविधाओं वाला फार्महाउस किराए पर ले कर की गई थी. ब्रजेंद्र ने शुभेंद्र गुर्जर के साथ मिल कर भी एक मूवी बनाई थी. शुभेंद्र भी उभरती मौडल्स के हौट वीडियो एलबम और फिल्में बनाता था. गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र ने पुलिस को बताया कि उस ने इंदौर में मौडल ऐश्वर्या के साथ जो पोर्न फिल्म शूट की थी, वह मुंबई के विजयानंद को एडिटिंग के लिए दे दी थी. विजयानंद पर भी इस तरह की पोर्न फिल्में बनाने के आरोप हैं. इस बीच, कोरोना के चलते लौकडाउन की वजह से वह फिल्म विजयानंद के पास ही रह गई.

उस ने वह फिल्म हाई डेफिनिशन कंपनी के अशोक सिंह को दे दी. अशोक ने वह फिल्म फेनियो मूवी के संजय परिहार को बेच दी. संजय ने उसे पोर्न साइट पर अपलोड कर दिया था. इस के बाद ही मौडल ऐश्वर्या को इस बात की जानकारी हुई थी. पुलिस की जांच में सामने आया कि गजेंद्र उर्फ गजानंद मूलरूप से गरोठ का रहने वाला है. उस ने 2012 में इंदौर आ कर ड्राइवर की नौकरी की. 2014 में देवास में उस की मुलाकात पवन सोनगरा से हुई. पवन ने उस से देह व्यापार एजेंट के रूप में काम कराया. 2018 में पवन के निधन के बाद उस ने खुद का काम शुरू कर दिया. उस के कई विदेशी युवतियों से भी संपर्क थे. वह वाट्सऐप पर युवतियों के फोटो भेज कर ग्राहक ढूंढता था.

इंदौर में एरोड्रम इलाके में जिस शिमला फार्महाउस में ब्रजेंद्र व मिलिंद आदि ने मौडल ऐश्वर्या के साथ पोर्न फिल्म शूट की थी, उस फार्महाउस का मालिक पहले अजय गोयल होने की बात सामने आई थी. बाद में फर्नीचर व्यवसायी ओमप्रकाश बड़के ने पुलिस को बताया कि फार्महाउस उस का है. उन्हें फार्महाउस का मेंटिनेंस कराना था. साढ़ू अशोक गोयल ने फार्महाउस की चाबी ले कर वहां का मेंटिनेंस कराने की बात कही. थी. इसी दौरान पोर्न फिल्म की शूटिंग की गई थी.

पुलिस इस मामले में बाकी आरोपियों की तलाश कर रही है. हालांकि देरसबेर आरोपी पकड़े जा सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि अश्लीलता के महासागर में इन छोटी मछलियों के पकड़ में आने से क्या पोर्न फिल्मों की गंदगी रुक जाएगी? यह इसलिए भी मुश्किल लगता है, क्योंकि आज मोबाइल हर इंसान की पहुंच में है. मोबाइल के जरिए ही यह गंदगी बच्चों से ले कर बूढ़ों तक सहजता से पहुंच रही है.

—कहानी पुलिस सूत्रों पर आधारित, मौडल ऐश्वर्या का नाम बदला हुआ है

 

Madhya Pradesh Crime : गुस्‍साए भाई ने बहन की प्रेमी की ले ली जान

Madhya Pradesh Crime : साधारण परिवार का जय कुमार जागीरदार राजेंद्र सिंह राठौर के यहां ट्रैक्टर चलाता था. उसी दौरान उसे राजेंद्र सिंह की नाबालिग बेटी संध्या से प्यार हो गया. कई सालों तक दोनों का यह खेल चलता रहा, फिर एक दिन…

16 जनवरी, 2020. हाड़ कंपा देने वाले कोहरे में डूबी ठंडी सुबह के 7 बजे थे. उसी दौरान टीकमगढ़ जिले के बम्हौरीकलां थाने की सीमा में बम्हौरीकलां जतारा रोड पर बामना तिगेला के पास गुजर रहे लोगों ने एक बंद बोरा पड़ा देखा. उस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं. जिस से लोगों को शक हुआ कि बोरे में जरूर कोई संदिग्ध चीज है, इसलिए किसी ने यह सूचना फोन द्वारा बम्हौरीकलां थाने में दे दी. सूचना मिलने के बाद थानाप्रभारी वीरेंद्र सिंह पंवार घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने जब उस बोरे को खुलवाया तो उस में 22-24 वर्षीय युवक की लाश मिली. मृतका के सिर और आंखों पर गहरी चोट के निशान थे.

थानाप्रभारी ने लाश मिलने की जानकारी एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत और एसपी अनुराग सुजानिया को दे दी. कुछ ही देर में एसडीपीओ राणावत फोरैंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद बताया कि मृतक की हत्या करीब 30-32 घंटे पहले हुई होगी. कड़ाके की ठंड होने के बाद भी वहां तमाम लोगों की भीड़ जमा थी. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से शव की शिनाख्त कराने की कवायद शुरू कर दी. लेकिन शव की पहचान कोई नहीं कर सका. संयोग से उसी समय पास के गांच पचौरा का रहने वाला एक व्यक्ति किशोरीलाल वहां पहुंचा. उस के साथ उस का बेटा नारायण सिंह और जागीरदार राजेंद्र सिंह राठौर भी थे.

दरअसल, उस से 2 दिन पहले किशोरीलाल का बेटा जयकुमार गायब हो गया था. वह अपने बेटे की रिपोर्ट दर्ज करवाने थाने जा रहा था, तभी उसे बामना तिगेला पर अज्ञात युवक का शव मिलने की खबर मिली तो वह मौके पर पहुंच गया. वहां मिली लाश की पहचान उस ने अपने बेटे जयकुमार के रूप में कर दी. मृतक के पिता ने पुलिस को बताया कि जयकुमार पहले गांव के जागीरदार राजेंद्र सिंह राठौर के यहां ट्रैक्टर चलाने का काम करता था. लेकिन कुछ दिनों से उस ने वहां काम छोड़ कर ट्रक चलाना शुरू कर दिया था. पुलिस के पूछने पर किशोरीलाल ने बताया कि जयकुमार की किसी से कोई रंजिश थी या नहीं, इस की जानकारी उसे नहीं है. मौके की जरूरी काररवाई करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

अगले दिन पुलिस को जयकुमार की जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली, उस से साफ हो गया कि मृतक के सिर, चेहरे और पसली पर किसी भारी चीज से वार किए गए थे. जिस से उस की मौत हो गई. एसपी ने इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत के निर्देशन में थानाप्रभारी बम्होरीकलां वीरेंद्र सिंह पंवार, चौकीप्रभारी कनेरा एसआई रश्मि जैन और उन के स्टाफ की 3 टीमें गठित करने के निर्देश दिए. इस टीम ने मृतक का मोबाइल नंबर ले कर उस की काल डिटेल्स निकलवाई. इस में पुलिस को 2 ऐसे नंबर मिले, जिन से मृतक की कई बार काफी देर तक बातें हुआ करती थीं. यही नहीं घटना से पहले भी दोनों नंबरों से मृतक की बात होने का पता चला. घटना के बाद से ही ये दोनों नंबर बंद थे.

इस से थानाप्रभारी पंवार समझ गए कि हत्या का संबंध किसी न किसी तरह से इन दोनों नंबरों से है. मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स से एक और खास बात सामने आई कि मृतक के गांव की कई लड़कियों से दोस्ती थी. उन से उस की फोन पर बातें हुआ करती थीं. इसलिए पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच अवैध संबंध के एंगल से भी करनी शुरू कर दी थी. पुलिस मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स से शक के घेरे में आए फोन नंबरों की जांच में जुट गई. इस के अलावा जिस जगह लाश मिली थी, उस तरफ जाने वाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी खंगाले गए. पुलिस ने इस रास्ते में काम करने वाले किसानों से पूछताछ कर सबूत जुटाने की कोशिश की.

इस दौरान पचौरा गांव का एक बड़ा किसान राजेंद्र सिंह, जयकुमार की हत्या के संबंध में लगातार पुलिस से संपर्क बनाए हुए था. राजेंद्र सिंह, जयकुमार की हत्या के बारे में आए दिन नईनई थ्यौरी भी पुलिस के दिमाग में बैठाने की कोशिश कर रहा था. उस की यह कवायद देख कर थानाप्रभारी पंवार को राजेंद्र पर ही शक होने लगा. थानाप्रभारी ने अपने शक के बारे में एसडीपीओ राणावत से चर्चा की, उन की सहमति से पंवार ने पचौरा गांव में अपने मुखबिर मृतक जयराम कुमार और जागीरदार राजेंद्र सिंह के परिवार के संबंधों की जानकारी जुटाने में लगा दिए.

इस का परिणाम यह निकला कि मुखबिरों ने थानाप्रभारी को यह खबर दी कि गांव में राजेंद्र की नाबालिग बेटी संध्या (परिवर्तित नाम) के साथ मृतक के नाम की चर्चा आम है. दूसरा यह कि नौकर का नाम बहन के साथ आने पर कुछ दिन पहले राजेंद्र के बेटे धनेंद्र और मृतक जयकुमार में विवाद भी हुआ था. जिस के बाद राजेंद्र ने जयकुमार को नौकरी से निकाल दिया था. यह बात साफ हो जाने पर पुलिस ने धनेंद्र और राजेंद्र के मोबाइल की लोकेशन निकलवाई जिस में पता चला कि जिस दिन जिस जगह पर जयकुमार की लाश मिली थी, धनेंद्र, उस के पिता और चाचा गजेंद्र के मोबाइल फोन की लोकेशन उसी जगह पर थी. इस आधार पर एसपी के निर्देश पर बम्हौरीकलां पुलिस ने धनेंद्र राजेंद्र और नाबालिग बेटी संध्या को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया.

पूछताछ में धनेंद्र और राजेंद्र पहले तो पुलिस को बरगलाने की कोशिश करते रहे लेकिन जब पुलिस ने जुटाए गए सबूत उन के सामने रखे तो उन्होंने संध्या से इश्क के चक्कर में जयकुमार की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. उन के बयानों के आधार पर पुलिस की एक टीम धनेंद्र के चाचा गजेंद्र की गिरफ्तारी के लिए गांव पहुंची तो वह घर से फरार मिला. लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर अगने दिन ही चंदेरा तिगला के पास से उसे गिरफ्तार कर लिया. हत्या की रात जयकुमार के पास 2 मोबाइल थे, क्योंकि वह उस रात अपनी भाभी का मोबाइल भी ले गया था. ये दोनों मोबाइल देवेंद्र ने कुंचेरा बांध में फेंक दिए थे, जहां से पुलिस ने दोनों मोबाइल बरामद कर लिए. इस के अलावा वह कार भी बरामद कर ली, जयकुमार की लाश फेंकने में जिस का इस्तेमाल किया गया था. इस के बाद मालिक की बेटी के संग इश्क की कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

पंचैरा गांव के जागीरदार कहे जाने वाले राजेंद्र की बेटी संध्या की खूबसूरती आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बनी हुई थी. बुंदेलखंड के ठाकुर परिवार में जन्मी संध्या के चेहरे पर बिखरा राजपूती खून उस की सुदंरता पर चारचांद लगाने लगा था. इसलिए संध्या गांव के हर युवा के दिल की धड़कन बनी हुई थी. लेकिन उस के पिता राजेंद्र सिंह और चाचा गजेंद्र सिंह के रुतबे के कारण कोई भी युवक उसे आंख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं कर पाता था. इस गांव में रहने वाले किशोरीलाल अहीरवार का बेटा जयकुमार काम की तलाश में था सो उस ने गांव के रईस ठाकुर राजेंद्र सिंह से नौकरी की याचना की तो उन्होंने उसे अपने ट्रैक्टर ड्राइवर की नौकरी पर रख लिया. उस समय जयकुमार 18 वर्ष का था जबकि संध्या 14 वर्ष के आसपास की थी.

घर परिवार की इज्जत के लिए हर एक कदम फूंकफूंक कर रखने वाले राजेंद्र यहीं धोखा खा गए. क्योंकि उन्हें यह तो पता था कि जयकुमार ट्रैक्टर चलाना जानता है. लेकिन इस बात की जानकारी नहीं थी कि 18 साल का यह लड़का उतनी लड़कियों के साथ खेल चुका है, जितनी उस की उम्र भी नहीं थी. जयकुमार भी दूसरों की तरह संध्या की खूबसूरती का कायल था. इसलिए उस ने पहले दिन ही सोच लिया था कि अगर मौका लगा तो संध्या की खूबसूरती पर कब्जा कर के ही मानेगा. इसलिए उस ने काम शुरू करने के साथ संध्या को हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी, जिस के चलते उस ने संध्या को छोटी ठकुराइन कह कर बुलाना शुरू कर दिया.

वास्तव में उस ने संध्या के लिए यह संबोधन काफी सोचसमझ कर चुना था. क्योंकि वह जानता था कि उसे इस नाम से बुला कर वह संध्या की नजर में खास बन जाएगा. हुआ भी यही. जब उस ने संध्या को पहली बार छोटी ठकुराइन कह कर बुलाया तो संध्या चौंकी ही नहीं बल्कि उस के मन में छोटी ठकुराइन होने का अहसास शहद की मिठास की तरह घुल गया. घर का यही नौकर जयकुमार उसे खास लगने लगा. इसलिए उस के मुंह से बारबार छोटी ठकुराइन शब्द सुनने के लिए अकसर उस के आसपास मंडराने लगी. जयकुमार इश्क का पुराना खिलाड़ी था. उसे लड़कियों का चेहरा देख कर उन के मन की बात जानने की महारत हासिल थी. इसलिए वह जल्द ही समझ गया कि संध्या उस के पीछे क्यों घूमती रहती है.

ठाकुर परिवार में कडे़ नियम होने की वजह से बाहरी लोगों का घर के भीतर तक आनाजाना आसान नहीं था. ऐसे में संध्या के दिल में उठने वाली तरंगों को छेड़ने वाला जयकुमार के अलावा दूसरा कोई और नहीं था. क्योंकि काम के सिलसिले में उसे घर में आनेजाने की कोई रोक नहीं थी. इस मौके का फायदा उठा कर जयकुमार संध्या के नजदीक जाने की कोशिश करने लगा. जिस के चलते उस ने धीरेधीरे संध्या से उस की तारीफ करनी शुरू कर दी. किशोर उम्र में अपनी तारीफ सुनना हर एक लड़की को अच्छा लगता है, इसलिए संध्या को लगने लगा कि जयकुमार सारा काम छोड़ कर दिन भर उस के सामने बैठ कर उस के रूप का गुणगान करता रहे.

वह जयकुमार से बात करने के लिए कभीकभी उसे अपने निजी काम भी बताने लगी, जिसे जयकुमार एक पैर पर खड़ा हो कर करने भी लगा. जब जयकुमार को लगा कि लोहा गरम है, चोट की जा सकती है तो उस ने एक दिन डरने की एक्टिंग करते हुए संध्या से कहा, ‘‘मुझे आप से एक बात कहनी है छोटी ठकुराइन.’’

‘‘कहो, क्या कहना है?’’ संध्या बोली.

‘‘नहीं डर लगता है कि आप नाराज हो जाएंगी.’’ जयकुमार ने कहा.

‘‘नहीं होऊंगी, बोलो.’’ संध्या बोली.

‘‘छोडि़ए छोटी ठकुराइन, मुझ जैसे गरीब का ऐसा सोचना भी पाप है.’’ कह कर जयराम ने बात अधूरी छोड़ दी. क्योंकि वह जानता था कि अधूरी बात संध्या के मन पर जितना असर करेगी, उतना पूरी नहीं.

हुआ भी यही. जय कुमार का बात अधूरी छोड़ना संध्या को बुरा लगा. क्योंकि सच तो यही है कि खुद संध्या मन ही मन जयकुमार से प्यार करने लगी थी. इसलिए उसे लग रहा था कि बुद्धू अपने मन की बात बोल देता तो कितना अच्छा होता. अगले कुछ दिनों तक जयकुमार के आगेपीछे घूम कर उसे अपने दिल की बात कहने का मौका देने की कोशिश करने लगी. लेकिन अपनी योजना के अनुसार जयकुमार चुप रहा, जिस से संध्या का गुस्सा बढ़ता जा रहा था. एक दिन जयकुमार ने जब उसे छोटी ठकुराइन कह कर पुकारा तो वह फट पड़ी, ‘‘मत बोल मुझे छोटी ठकुराइन.’’

‘‘क्यों कोई गलती हुई क्या हम से?’’  जय कुमार ने पूछा.

‘‘हां.’’ संध्या बोली.

‘‘क्या?’’

‘‘तुम ने उस दिन बात अधूरी क्यों छोड़ी थी? बोलो, क्या कहना चाहते हो तुम?’’

‘‘कह तो दूंगा पर वादा करो कि आप को मेरी बात अच्छी न भी लगी तो भी न तो मुझ से बात करना छोड़ोगी और न मेरी शिकायत ठाकुर साहब (पापा) से करोगी.’’

‘‘वादा रहा, अब जल्दी बोलो नहीं तो कोई आ जाएगा.’’  संध्या से उतावलेपन से कहा.

‘‘आई लव यू.’’ जयकुमार ने उस की आंखों में देखते हुए कहा तो जैसे संध्या के मन में सैकड़ों गुलाब एक साथ खिल उठे.

‘‘तुम मुझ से नाराज तो नहीं हो.’’ जय कुमार ने उसे खामोश खडे़ देख पूछा.

‘‘नहीं.’’ कह कर वह थोड़ा मुसकराई.

‘‘क्या तुम भी मुझ से प्यार करती हो?’’ उस ने पूछा.

‘‘हां,’’ संध्या ने सिर हिला कर धीरे से जवाब दिया.

‘‘तो ठीक है, कल दोपहर में जब बड़ी ठकुराइन सोती हैं, मैं काम के बहाने आऊंगा. उस समय पापा और भैया भी नहीं रहेंगे.’’

‘‘ठीक है,’’ कहते हुए संध्या शरमाते हुए अंदर भाग गई.

सचमुच दूसरे दिन जय कुमार मौका निकाल कर राजेंद्र सिंह की हवेली पर पहुंचा तो संध्या उसी का इंतजार कर रही थी. यह देख कर जयकुमार ने सीधे उस की तरफ बढ़ते हुए उसे अपनी बांहों मे लेने के साथ उस के पूरे बदन पर अपने होंठों की मुहर लगानी शुरू कर दी. जिस से संध्या के शरीर में खुशबू के फव्वारे फूटने लगे. कुछ देर तक जय कुमार उसे पागलों की तरह प्यार करता रहा, फिर वहां से चुपचाप चला गया. चूंकि राजेंद्र सिंह की हवेली काफी बड़ी थी, सो संध्या और जयकुमार को मिलने में कोई परेशानी नहीं थी. इसलिए उस दिन के बाद दोनों मौका मिलते ही एकदूसरे की बांहों में सुख की तलाश करते रहे.

जयकुमार को राजेंद्र सिंह की नाबालिग बेटी से इश्क लड़ाना कभी भी महंगा पड़ सकता था. इसलिए वह काफी डरा हुआ भी रहता था. लेकिन ठाकुर की बेटी होने के कारण इश्क के रास्ते पर निकल पड़ी संध्या को किसी का डर नहीं था. इसलिए वह जयकुमार को खुल कर प्यार करने के लिए उकसाने लगी. दिन में बात नहीं बनी तो उस ने जयकुमार को रास्ता बताया कि रात को सब के सो जाने के बाद वह उस के कमरे मे आ जाए. जयकुमार भी यही चाहता था, सो उस दिन के बाद से वह आए दिन अपनी रातें संध्या के कमरे में उस के साथ प्यार में डूब कर गुजारने लगा.

जयकुमार काफी संभल कर चल रहा था. लेकिन नादानी के दौर से गुजर रही संध्या में अभी इतनी गंभीरता नहीं थी कि वह अपने इश्क को संभाल कर रख सके. प्यार में पागल संध्या दिन भर जयकुमार के इर्दगिर्द रहने लगी, जिस के चलते संध्या के भाई धनेंद्र को दोनों के बीच पक रही खिचड़ी का आभास होने लगा. उस ने दोनों पर नजर रखनी शुरू कर दी, तो कुछ ही दिनों में उसे पूरा यकीन हो गया कि जयकुमार और उस की बहन घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर इश्कबाजी कर रहे हैं. एक मामूली नौकर द्वारा अपनी इज्जत पर हाथ डालने के दुस्साहस के कारण धनेंद्र का खून खौल उठा. लेकिन मामला इज्जत का था, सो उस ने विवाद करने के बजाय जयकुमार को डांटफटकार कर घर से निकाल दिया.

राजेंद्र के परिवार ने जयकुमार को नौकरी से निकालने का बहाना उस के द्वारा काम में लापरवाही बरतना बताया. धीरेधीरे गांव वालों में इस के सही कारण की चर्चा होने लगी. लेकिन जयकुमार और संध्या दोनों को एकदूसरे की आदत पड़ चुकी थी, इस से परिवार वालों के विरोध के बाद भी चोरीछिपे मिल कर एकदूसरे की तड़प शांत करने का खेल लगातार जारी रहा. इस के लिए जयकुमार ने संध्या को एक सिम कार्ड उपलब्ध करा दिया, जिस से वह केवल जयकुमार से बात करती थी. घटना वाले दिन भी यही हुआ. उस रोज पास के एक गांव के रईस ठाकुर धनेंद्र के लिए अपनी बेटी का रिश्ता ले कर आए थे.

दिन भर घर में मेहमानों की भीड़ रही, जिस के बाद ठाकुर परिवार ने खेत पर दारू और मुर्गा पार्टी का आयोजन किया. जिस के चलते शाम होते ही घर के सारे मर्द पार्टी के लिए खेत पर निकल गए. घर पर केवल मां और संध्या थी. संध्या को प्रेमी से मिलने के लिए यह समय काफी मुफीद लगा, इसलिए शाम को ही उस ने जयकुमार को फोन कर रात में चुपचाप अपने कमरे में प्यार की महफिल जमाने का निमंत्रण दे दिया था. जयकुमार नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद भी कई बार इसी तरह संध्या से मिला करता था. इसलिए उस रोज रात गहराते ही वह शराब पी कर चुपचाप संध्या के कमरे में दाखिल हो गया. संध्या उसी का इंतजार कर रही थी. एकदूसरे को आमनेसामने देख कर वे दुनिया को भूल कर प्यार के सागर में गोते लगाने लगे.

इधर खेत पर पार्टी खत्म कर रात 12 बजे के आसपास धनेंद्र अपने चाचा गजेंद्र के साथ घर लौटा, जिस के बाद चाचा तो अपने कमरे मे चले गए. अपने कमरे में जाते समय धनेंद्र संध्या के कमरे के सामने से गुजरा तो उसे कमरे से आवाजें सुनाई दीं. आवाज सुन कर धनेंद्र ने बहन के कमरे में झांका तो अंदर का नजारा देख कर उस का खून खौल उठा. संध्या अपने कमरे में बिस्तर पर जयकुमार के साथ प्यार के सागर में हिचकोले ले रही थी. धनेंद्र ने सब से पहले फोन लगा कर अपने चाचा को यहां आने को कहा और खुद गुस्से में कमरे के दरवाजे पर लात मार कर कमरे में दाखिल हो गया.

धनेंद्र को गुस्से में देख कर संध्या अपने कपड़े समेट कर मां के कमरे की तरफ भाग गई, धनेंद्र पास में पड़ा डंडा उठा कर जयकुमार पर पिल पड़ा. इस पिटाई में जयकुमार की मृत्यु हो गई, उसी समय धनेंद्र का चाचा गजेंद्र भी आ गया. धनेंद्र ने पूरी बात चाचा को बताई. इस के बाद चाचा और भतीजा मिल कर लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाने लगे. तभी राजेंद्र सिंह भी घर पहुंच गया. सोचविचार कर तीनों ने लाश बोरी में बंद कर अपने घर में छिपा दी और अगली रात को अपनी गाड़ी में डाल कर उसे ठिकाने लगाने निकल पड़े. इन लोगों ने बम्हौरीकलां जतारा रोड पर बामना निगेला के पास लाश डाल दी.

उधर जयकुमार 14 जनवरी, 2020 की शाम से लापता था. 2 दिन बाद भी जब वह घर नहीं लौटा तो उस के पिता किशोरीलाल को चिंता हुई. वह 16 जनवरी को बेटे के बारे में पूछने के लिए जमींदार राजेंद्र सिंह राठौर के पास गया. क्योंकि जयकुमार पहले उस के यहां काम करता था. राजेंद्र सिंह ने जयकुमार के बारे में अनभिज्ञता जताई. इतना ही नहीं, सहानुभूति दिखाते हुए वह उस के साथ थाने जाने के लिए तैयार हो गया. जब ये लोग थाने जा रहे थे तभी उन्हें बामना निगेला के पास लाश मिलने की सूचना मिली. वहां जा कर देखा तो लाश जयकुमार की ही निकली.

तीनों ने सोचा था कि किशोरी के साथ लगे रहने से पुलिस उन पर शक नहीं करेगी. लेकिन एसपी अनुराग सुजानिया के निर्देशन और एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत के नेतृत्व में गठित टीम ने केस का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों से पूछताछ कर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

 

MP News : पिता ने बेटी को जबरन जहर पिलाया और पत्थर से कूच कर मार डाला

MP News : मांबाप अगर शुरू से ही जिद्दी बच्चों पर निगाह रखें और उन की गैरवाजिब बातों को न मानें तो बच्चों का स्वभाव बदल सकता है. अगर रोशनी के साथ ऐसा किया जाता तो स्थिति यहां तक न पहुंचती. बेटा हो या बेटी, कोई भी पिता ऐसा नहीं चाहता कि…

मां डू का नाम तो जरूर सुना होगा. वही मांडू जहां की रानी रूपमती थीं, बाजबहादुर थे. उन की प्रेमकहानी है. आज भी वहां की मिट्टी में सैकड़ों साल पहले की गंध है. इसी गंध के लिए फरवरी, खासकर वैलेंटाइन डे पर तमाम प्रेमी जोड़े मांडू पहुंचते हैं. संभव है, इसीलिए मांडू की धरा की मिट्टी से रसीली गंध फूटती हो. मांडू मध्य प्रदेश के जिला धार में आता है. लेकिन धार उतना प्रसिद्ध नहीं है, जितना मांडू. बात इसी मांडू की है. 6 फरवरी, 2020 को तिर्वा के रहने वाले अजय सिंह पाटीदार ने फोन पर थाना मांडू के प्रभारी जयराज सोलंकी को फोन पर बताया कि सातघाट पुलिया के पास एक किशोरी की लाश पड़ी है, जिस का सिर कुचला हुआ है.

उस वक्त शाम के 5 बजने को थे. सूचना मिलते ही टीआई जयराज सोलंकी पुलिस टीम ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां सातघाट पुलिया के पास सूखी नदी के किनारे, पत्थरों के बीच 17-18 साल की एक किशोरी का शव पड़ा था, जिस का सिर कुचल दिया गया था. मृतका ने स्कूल ड्रैस पहन रखी थी. साथ ही वह ठंड से बचने के लिए ट्रैकसूट पहने थी. टीआई सोलंकी ने अनुमान लगाया कि मृतका आसपास के किसी स्कूल में पढ़ती होगी. हत्या एक युवती की हुई थी, इसलिए हत्या के साथ बलात्कार की आशंका भी थी. अंधेरा घिरने में ज्यादा देर नहीं थी.

थानाप्रभारी ने आसपास के क्षेत्रों के लोगों को बुला कर लाश दिखाई. लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं सका. इस पर अजय सिंह सोलंकी ने लाश पोस्टमार्टम के लिए धार के जिला अस्पताल भेज दी. साथ ही इस मामले की सूचना एसपी आदित्य प्रताप सिंह को भी दे दी. एसपी के निर्देश पर वायरलैस से धार जिले के सभी थानों को स्कूल गर्ल का शव मिलने की सूचना दे दी गई. हाल ही में पदस्थ बीएसएफ के एक कांस्टेबल ने थाने आ कर थानाप्रभारी सोलंकी को बताया कि 6 फरवरी, 2020 की रात लगभग 7 साढ़े 7 बजे जब वह बागड़ी फांटा के पास स्थित पैट्रोल पंप पर अपनी मोटरसाइकिल में पैट्रोल डलवा रहा था, तभी वहां एक इनोवा गाड़ी आई, जिस में से युवक उतरा. उस ने पैट्रोल भरने वाले को 1000 रुपए दे कर कार में डीजल डालने को कहा.

इसी बीच कार में एक युवती की ‘बचाओ बचाओ’ की आवाज सुनाई दी. इस पर डीजल भरवाने के लिए उतरा युवक बिना डीजल डलवाए ही चला गया. उस ने पैट्रोल भरने वाले से हजार रुपए भी वापस नहीं लिए. बीएसएफ के कांस्टेबल ने यह भी बताया कि उस ने कार के बारे में पूछा था, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. युवती का शव मांडू नालछा मार्ग पर मिला था. अजय सिंह सोलंकी ने पैट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी, जिस में संदिग्ध कार तो दिखी पर कार के नंबर को नहीं पढ़ा जा सका. नहीं हो पाई पहचान दूसरे दिन जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम से पहले एफएसएल अधिकारी पिंकी मेहरडे ने शव की जांच की. पता चला कि हत्या के समय मृतका का मासिक धर्म चल रहा था, इसलिए बलात्कार की बात पोस्टमार्टम से ही साफ हो सकती थी.

एफएसएल अधिकारी ने यह शंका जरूर जाहिर की कि चूंकि शव के नाखून नीले पड़ गए हैं, इसलिए उस का सिर कुचलने से पहले उसे जहर दिए जाने की आशंका है. जबकि घटनास्थल की जांच में करीब 16 फीट की दूरी तक खून फैला मिला था. इस से अनुमान लगाया गया कि मृतका की हत्या वहीं की गई थी. दूसरे दिन जिला अस्पताल में युवती के शव का पोस्टमार्टम किया गया, जिस से पता चला कि हत्या से पहले उस के साथ बलात्कार नहीं हुआ था. पोस्टमार्टम तो हो गया, लेकिन हत्यारों तक पहुंचने के लिए उस की पहचान होना जरूरी था. क्योंकि बिना शिनाख्त के जांच की दिशा तय नहीं की जा सकती थी. चूंकि मृतका स्कूल ड्रैस में थी, इसलिए जिले के अलावा आसपास के जिलों के स्कूलों से भी किसी छात्रा के लापता होने की जानकारी जुटाई जाने लगी.

इसी दौरान खरगोन के गोगांव का रहने वाला एक दंपति शव की पहचान के लिए मांडू आया. उन की बेटी पिछले 4-5 दिनों से लापता थी. इस से पुलिस को शिनाख्त की उम्मीद बंधी, लेकिन शव देख कर उन्होंने साफ कह दिया कि शव उन की बेटी का नहीं है. इस के 4 दिन बाद एसपी धार आदित्य प्रताप सिंह ने इस केस की जांच की जिम्मेदारी एसडीओपी (बदनावर) जयंत राठौर को सौंप दी. साथ ही उन का साथ देने के लिए एक टीम भी बना दी, जिस में एसडीओपी (धामनोद) एन.के. कसौटिया, टीआई (मांडू) जयराज सिंह सोलंकी, टीआई (कानवन) कमल सिंह, एएसआई त्रिलोक बौरासी, प्रधान आरक्षक रविंद्र चौधरी, संजय जगताप, राजेंद्र गिरि, रामेश्वर गावड़, सखाराम, आरक्षक राजपाल सिंह, प्रशांत लोकेश व वीरेंद्र को शामिल किया गया.

5 दिन बीत जाने के बाद भी शव की शिनाख्त नहीं हो सकी, जो पहली जरूरत थी. इस पर एसडीओपी जयंत राठौर और एन.के. कसौटिया ने उस संदिग्ध कार को खोजने में पूरी ताकत लगा दी, जो घटना से एक रात पहले बागड़ी फांटा के पैट्रोल पंप पर देखी गई थी. सीसीटीवी फुटेज में कार का नंबर साफ नहीं दिख रहा था. पुलिस ने चारों तरफ 2 सौ किलोमीटर के दायरे में स्थित टोलनाकों के सीसीटीवी फुटेज खंगालनी शुरू कर दीं. लेकिन संदिग्ध इनोवा कार के नंबर की पहचान इस से भी नहीं हो सकी. हां, पुलिस को इतना सुराग जरूर मिल गया कि कार के नंबर के पीछे के 2 अंक 77 हैं और उस के सामने वाले विंडस्क्रीन पर काली पट्टी बनी है.

पुलिस के पास इस के अलावा कोई सुराग  नहीं था. एसडीओपी जयंत राठौर के निर्देश पर उन की पूरी टीम जिले भर में ऐसी कारों की खोज में जुट गई, जिस के रजिस्ट्रेशन नंबर में अंतिम 2 अंक 77 हों और उस की सामने वाली विंडस्क्रीन पर काली पट्टी बनी हो. इस कवायद में 460 इनोवा कारों की पहचान हुई. इन सभी के मालिकों से संपर्क किया गया. अंतत: इंदौर के मांगीलाल की इनोवा संदिग्ध कार के रूप में पहचानी गई, मांगीलाल ने बताया कि कुछ दिन पहले उन की कार उन के बेटे ऋषभ का दोस्त मुकेश, जो गांव पटेलियापुरा का रहने वाला है, मांग कर ले गया था.

मुकेश को कार चलाना नहीं आता था, इसलिए वह अपने एक दोस्त पृथ्वीराज सिंह को भी साथ लाया था. मांगीलाल से मुकेश और पृथ्वीराज के मोबाइल नंबर भी मिल गए. लेकिन दोनों के मोबाइल स्विच्ड औफ थे. पटेलियापुरा मांडू इलाके का ही छोटा सा गांव है. इसलिए एसडीओपी जयंत राठौर समझ गए कि उन की जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है. शक को और पुख्ता करने के लिए उन्होंने साइबर सेल के आरक्षक प्रशांत की मदद से मुकेश और पृथ्वीराज सिंह के मोबाइल की लोकेशन निकलवाई. घटना वाली रात उन की लोकेशन उसी स्थान की मिली, जहां दूसरे दिन सुबह युवती की लाश मिली थी. सही दिशा में जांच

इस से यह साफ हो गया कि अज्ञात युवती की लाश का कुछ न कुछ संबंध मुकेश और पृथ्वीराज सिंह से रहा होगा, जिस के चलते जयंत राठौर ने गांव में अपने मुखबिर लगा दिए. जल्द ही पता चल गया कि मुकेश के चचेरे भाई ईश्वर पटेल की बेटी रोशनी 7 फरवरी से लापता है. उस ने बेटी के गायब होने की सूचना भी पुलिस को नहीं दी थी. पता चला रोशनी नालछा के उत्कृष्ट विद्यालय में 12वीं में पढ़ती थी. किशोर बेटी घर से गायब हो और पिता हाथ पर हाथ रख कर बैठा रहे, ऐसा तभी होता है जब पिता को बेटी का कोई कृत्य नश्तर की तरह चुभ रहा हो. बहरहाल, मृतका की शिनाख्त ईश्वर पटेल की बेटी रोशनी के रूप में हो गई.

एसडीओपी जयंत राठौर और एन.के. कसौटिया के निर्देश पर टीआई (मांडू) जयराज सोलंकी, टीआई (कानवन) गहलोत की टीम ने गांव से ईश्वर और उस की पत्नी को पूछताछ के लिए उठा लिया. जबकि ईश्वर का चचेरा भाई संदिग्ध मुकेश और उस का दोस्त पृथ्वीराज सिंह अपने घरों से लापता थे. संदिग्ध के तौर पर ईश्वर पटेल को पुलिस द्वारा उठा लिए जाने से गांव के लोग आक्रोशित हो गए. उन का कहना था कि ईश्वर ऐसा काम नहीं कर सकता. गांव के लोग इस बात से भी नाराज थे कि पुलिस द्वारा पिता को हिरासत में ले लिए जाने की वजह से रोशनी का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है. एसडीओपी जयंत राठौर को अभी मुकेश और पृथ्वीराज सिंह की तलाश थी, जो घटना के बाद गुजरात भाग गए थे.

दोनों की तलाश में मुखबिर लगे हुए थे, जिन से 14 फरवरी को दोनों के गुजरात से वापस लौटने की खबर मिली. पुलिस ने घेरेबंदी कर दोनों को बामनपुरी चौराहे पर घेर कर पकड़ लिया. थाने में पूछताछ के दौरान सभी आरोपी रोशनी की हत्या के बारे में कुछ भी जानने से इनकार करते रहे, लेकिन ईश्वर के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि जवान बेटी के लापता हो जाने के बाद उस ने पुलिस में रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज करवाई. उसे खोजने के बजाय वह घर में क्यों बैठा रहा. अंतत: थोड़ी सी नानुकुर के बाद वह टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि रोशनी अपने प्रेमी करण के साथ भागने की तैयारी कर रही थी. उसे इस बात की जानकारी लग चुकी थी, इसलिए अपनी इज्जत बचाने के लिए उस ने चचेरे भाई मुकेश से बात की. मुकेश ने अपने दोस्त के साथ मिल कर रोशनी की हत्या कर दी.

आरोपियों द्वारा पूरी कहानी बता देने के बाद पुलिस ने तीनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. किशोरी रोशनी की हत्या के पीछे जो कहानी पता चली, वह कुछ इस तरह थी. गांव पटेलियापुरा में रहने वाले ईश्वर पटेल की 19 वर्षीय बेटी रोशनी की खूबसूरती तभी चर्चा का विषय बन गई थी, जब उस ने किशोरावस्था में प्रवेश किया था. चंचल स्वभाव और पढ़नेलिखने में तेज रोशनी स्वभाव से काफी तेज थी. अगर पढ़ाईलिखाई में तेज होने के साथसाथ दिलदिमाग और चेहरामोहरा खूबसूरत हो तो ऐसी लड़की को पसंद करने वालों की कमी नहीं रहती. पिता ईश्वर पटेल बेटी की इन खूबियों से परिचित था, इसलिए उस ने नौंवी क्लास के बाद आगे पढ़ने के लिए उस का दाखिला नालछा के उत्कृष्ट विद्यालय में करा दिया था.

इंसान की हर उम्र की अपनी एक मांग होती है. रोशनी ने जब किशोरावस्था से यौवन में प्रवेश करने के लिए कदम बढ़ाए तो उसे किसी करीबी मित्र की जरूरत महसूस हुई. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब दिल किसी को ढूंढने लगे तो सब से पहले आसपास ही नजर जाती है, खासकर लड़कियों के मामले में. रोशनी के साथ भी यही हुआ. उसे करण मन भा गया. करण रोशनी के पिता के दोस्त का बेटा था. पारिवारिक दोस्ती के कारण रोशनी के हमउम्र करण का उस के घर में आनाजाना था. सच तो यह है कि करण रोशनी का तभी से दीवाना था, जब से उस ने अपना पहला पांव किशोरावस्था में रखा था. लेकिन रोशनी के तीखे तेवरों के कारण उस ने आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं की थी.

करण से हो गया प्यार करण के साथ रोशनी की अच्छी पटती थी. लेकिन उस ने करण की तरफ कभी ध्यान नहीं दिया था. लेकिन जब उस के दिल में प्यार की चाहत जागी तो सब से पहले करण पर ही निगाहें पड़ीं. मन में कुछ हुआ तो वह करण का विशेष ध्यान रखने लगी. जब यह बात करण की समझ में आई तो उस ने भी हिम्मत कर के रोशनी की तरफ कदम बढ़ाने की कोशिश की. एक दिन मौका पा कर उस ने रोशनी को फोन लगा कर उस से अपने दिल की बात कह दी. रोशनी मन ही मन करण से प्यार करने लगी थी, इसलिए उस ने करण का प्यार स्वीकारने में जरा भी देर नहीं लगाई. इस के बाद दोनों घर वालों से नजरें बचा कर मिलने लगे.

रोशनी बचपन से ही जिद्दी और तेजतर्रार थी. यही वजह थी कि जब उस के सिर पर करण की दीवानगी का भूत चढ़ा तो उस ने मन ही मन फैसला कर लिया कि वह करण से ही शादी करेगी. इसी सोच के चलते वह करण पर खुल कर प्यार लुटाने लगी. इतना ही नहीं, छोटे से गांव में वह करण से चोरीछिपे मिलने से भी नहीं डरती थी. जब भी उस का मन होता, गांव के किसी सुनसान खेत में करण को मिलने के लिए बुला लेती. नतीजा यह हुआ कि एक रोज गांव के कुछ लोगों ने दोनों को सुनसान खेत में एकदूसरे का आलिंगन करते देख लिया. फिर क्या था, यह खबर जल्द ही रोशनी के पिता ईश्वर तक पहुंच गई.

ईश्वर को पहले तो इस बात पर भरोसा नहीं हुआ, लेकिन जब उस ने रोशनी और करण पर नजर रखना शुरू किया तो जल्द ही सच्चाई सामनेआ गई. ईश्वर पटेल यह बात जानता था कि रोशनी जिद्दी है, इसलिए उस ने उसे कुछ कहने के बजाय कुछ और ही फैसला कर लिया. उस ने रोशनी की शादी करने की ठान ली. रोशनी को बिना बताए उस ने बेटी के लिए वर की तलाश शुरू कर दी. रोशनी के सौंदर्य और गुणों की चर्चा रिश्तेदारों और बिरादरी में थी. उस के लिए एक से बढ़ कर एक रिश्ते मिलने लगे. लेकिन रोशनी करण के साथ शादी करने का फैसला कर चुकी थी, इसलिए पिता द्वारा पसंद किए गए हर लड़के को वह नकारने लगी. इस से ईश्वर पटेल परेशान हो गया.

इसी बीच कत्ल से कुछ दिन पहले रोशनी के लिए एक अच्छा रिश्ता आया. इतना अच्छा कि इस से अच्छा वर वह बेटी के लिए नहीं खोज सकता था. इसलिए उस ने रोशनी पर दबाव डाला कि वह इस रिश्ते के लिए राजी हो जाए. लेकिन रोशनी टस से मस नहीं हुई. बेटी का हठ देख कर ईश्वर समझ गया कि रोशनी उस की नाक कटवाने पर तुली है. ईश्वर ने रोशनी पर नजर रखनी शुरू कर दी. इस से उस का अपने प्रेमी से मिलनाजुलना मुश्किल हो गया. यह देख कर रोशनी ने विद्रोह करने की ठान ली. उस ने वैलेंटाइन डे पर करण के साथ भाग कर शादी करने की योजना बना ली. चूंकि ईश्वर उस के ऊपर गहरी नजर रख रहा था, इसलिए उसे इस बात की जानकारी मिल गई.

कातिल ईश्वर जब कोई दूसरा रास्ता नहीं मिला तो उस ने अपनी इज्जत बचाने के लिए रोशनी को कत्ल करने की सोच ली. इस के लिए उस ने गांव में ही रहने वाले अपने चचेरे भाई मुकेश से बात की तो वह इस काम के लिए राजी हो गया. मुकेश को कार चलानी नहीं आती थी, इसलिए उस ने अपने एक दोस्त पृथ्वीराज सिंह पटेल को अपनी योजना में शामिल कर लिया. 5 फरवरी, 2020 को मुकेश अपने दोस्त ऋषभ से उस की इनोवा कार मांग कर ले आया और दोनों रोशनी के स्कूल पहुंच गए. दोनों ने मांडू घुमाने के नाम पर रोशनी और उस की एक सहेली पिंकी को कार में बैठा लिया.

मुकेश और पृथ्वी दोनों को ले कर दिन भर मांडू में घूमते रहे. इस बीच उन्होंने रोशनी को धामनोद ले जा कर नर्मदा पुल से फेंकने की योजना बनाई, लेकिन उस की फ्रैंड के साथ होने की वजह से उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा. शाम होने पर उन्होंने रोशनी की फ्रेंड पिंकी को सोड़पुर में उतार दिया. उस के बाद वे रोशनी को अज्ञात जगह की ओर ले कर जाने लगे. यह देख कर रोशनी ने अपने चाचा मुकेश से घर छोड़ने को कहा तो मुकेश बोला, ‘‘क्यों करण के संग मुंह काला करना है क्या?’’

चाचा के मुंह से ऐसी बात सुन कर वह डर गई. वह समझ गई कि मुकेश अब उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा. इसलिए उस ने अपने पिता को फोन कर जान की भीख मांगी. लेकिन ईश्वर ने उस की एक नहीं सुनी. इस बीच दोनों कार में डीजल डलवाने के लिए बागड़ी फांटे के पैट्रोल पंप पर रुके, जहां रोशनी के चिल्लाने पर एक पुलिस वाले को अपना पीछा करते देख वे वहां से डर कर भाग निकले. इस के बाद दोनों ने एक सुनसान इलाके में कार रोकी और रोशनी को जबरन जहर पिला दिया. फिर सातघाट पुलिया के पास ले जा कर उस का गला चाकू से रेतने के बाद पहचान छिपाने के लिए उस का चेहरा भी पत्थर से कुचल दिया.

आरोपियों ने सोचा था कि लाश की पहचान न हो पाने से पुलिस उन तक कभी पहुंच नहीं सकती, लेकिन एसडीओपी जयंत राठौर और एन.के. कसौटिया की टीम ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें कानून की ताकत का अहसास करवा दिया.

Love Stories : प्रेमिका ने प्रेमी संग पहले सुहागरात मनाई फिर पेड़ से लटक कर की आत्महत्या

Love Stories : रचना और नीरज बचपन से ही एकदूसरे को प्यार करते थे. उन का प्यार शारीरिक आकर्षण नहीं बल्कि प्लैटोनिक था, जिस में रूह को अलग तरह की अनुभूति होती है. जब घर वालों ने रचना की शादी तय कर दी तो दोनों के पास…

इसे नादानी और कम उम्र के प्यार का नतीजा कहना रचना और नीरज के साथ ज्यादती ही कहा जाएगा. दरअसल, यह दुखद हादसा सच्चे और निश्छल प्यार का उदाहरण है. जरूरत इस प्यार को समझने और समझाने की है, जिस से फिर कभी प्यार करने वालों की लाशें किसी पेड़ से लटकती हुई न मिलें. विश्वप्रसिद्ध पर्यटनस्थल खजुराहो से महज 8 किलोमीटर दूर एक गांव है बमीठा, जहां अधिकांशत: पिछड़ी जाति के लोग रहते हैं. खजुराहो आने वाले पर्यटकों का बमीठा में देखा जाना आम बात है, इन में से भी अधिकतर विदेशी ही होते हैं. बमीठा से सटा गांव बाहरपुरा भी पर्यटकों की चहलपहल से अछूता नहीं रहता.

लेकिन इस गांव में लोगों पर विदेशियों की आवाजाही का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि वे इस के आदी हो गए हैं. भैरो पटेल बाहरपुर के नामी इज्जतदार और खातेपीते किसान हैं. कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपनी 18 वर्षीय बेटी रचना की शादी नजदीक के गांव हीरापुर में अपनी बराबरी की हैसियत वाले परिवार में तय कर दी थी. शादी 11 फरवरी को होनी तय हुई थी, इसलिए भैरो पटेल शादी की तारीख तय होने के बाद से ही व्यस्त थे. गांव में लड़की की शादी अभी भी किसी चुनौती से कम नहीं होती. शादी के हफ्ते भर पहले से ही रस्मोरिवाजों का जो सिलसिला शुरू होता है, वह शादी के हफ्ते भर बाद तक चलता है. ऐसी ही एक रस्म आती है छई माटी, जिस में महिलाएं खेत की मिट्टी खोद कर लाती हैं.

बुंदेलखंड इलाके में इस दिन महिलाएं गीत गाती हुई खेत पर जाती हैं और पूजापाठ करती हैं. यह रस्म रचना की शादी के 4 दिन पहले यानी 7 फरवरी को हुई थी. हालांकि फरवरी का महीना लग चुका था, लेकिन ठंड कम नहीं हुई थी. भैरो पटेल उत्साहपूर्वक आसपास के गांवों में जा कर बेटी की शादी के कार्ड बांट रहे थे. कड़कड़ाती सर्दी में वे मोटरसाइकिल ले कर अलसुबह निकलते थे तो देर रात तक वापस आते थे. 7 फरवरी को भी वे कार्ड बांट कर बाहरपुर की तरफ वापस लौट रहे थे कि तभी उन की पत्नी का फोन आ गया. मोटरसाइकिल किनारे खड़ी कर उन्होंने पत्नी से बात की तो उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई.

पत्नी ने घबराहट में बताया कि जब वह छई माटी की रस्म पूरी कर के घर आई तो रचना घर में नहीं मिली. वह सारे गांव में बेटी को ढूंढ चुकी है. पत्नी की बात सुन कर उन्होंने बेसब्री से पूछा, ‘‘और नीरज…’’

‘‘वह भी घर पर नहीं है,’’ पत्नी का यह जवाब सुन कर उन के हाथपैर सुन्न पड़ने लगे. जिस का डर था, वही बात हो गई थी. 20 वर्षीय नीरज उन्हीं के गांव का लड़का था. उस के पिता सेवापाल से उन के पीढि़यों के संबंध थे. लेकिन बीते कुछ दिनों से ये संबंध दरकने लगे थे, जिस की अपनी वजह भी थी. इस वजह पर गौर करते भैरो पटेल ने फिर मोटरसाइकिल स्टार्ट की और तेजी से गांव की तरफ चल पड़े. रचना और नीरज का एक साथ गायब होना उन के लिए चिंता और तनाव की बात थी. 4 दिन बाद बारात आने वाली थी. आसपास के गांवों की रिश्तेदारी और समाज में बेटी की शादी का ढिंढोरा पिट चुका था.

यह सवाल रहरह कर उन के दिमाग को मथ रहा था कि कहीं रचना नीरज के साथ तो नहीं भाग गई. अगर ऐसा हुआ तो वे और उन की इज्जत दोनों कहीं के नहीं रहेंगे. ‘फिर क्या होगा’ यह सोचते ही शरीर से छूटते पसीने ने कड़ाके के जाड़े का भी लिहाज नहीं किया. गांव पहुंचे तो यह मनहूस खबर आम हो चुकी थी कि आखिरकार रचना और नीरज भाग ही गए. काफी ढूंढने के बाद भी उन का कोई पता नहीं चल पा रहा था. घर आ कर उन्होंने नजदीकी लोगों से सलाहमशविरा किया और रात 10 बजे के लगभग चंद्रपुर पुलिस चौकी जा कर बेटी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी. उन्होंने नीरज पर रचना के अपहरण का शक भी जताया. थाना इंचार्ज डी.डी. शाक्य ने सूचना दर्ज की और काररवाई में जुट गए.

बुंदेलखंड इलाके में नाक सब से बड़ी चीज होती है. एक जवान लड़की, जिस की शादी 4 दिन बाद होनी हो, अगर दुलहन बनने से पहले गांव के ही किसी लड़के के साथ भाग जाए और यह बात सभी को मालूम हो तो लट्ठफरसे और गोलियां चलते भी देर नहीं लगती. इसलिए पुलिस वालों ने फुरती दिखाई और रचना और नीरज की ढुंढाई शुरू कर दी. डी.डी. शाक्य ने तुरंत इस बात की खबर बमीठा थाने के इंचार्ज जसवंत सिंह राजपूत को दी. वह भी बिना वक्त गंवाए चंद्रपुर चौकी पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने अपनी संक्षिप्त मीटिंग में तय किया कि दोनों अभी ज्यादा दूर नहीं भागे होंगे, इसलिए तुरंत छतरपुर बस स्टैंड और खजुराहो रेलवे स्टेशन की तरफ टीमें दौड़ा दी गईं. रचना और नीरज कहीं भी जाते, उन्हें जाना इन्हीं दोनों रास्तों से पड़ता.

पुलिस ने खजुराहो रेलवे स्टेशन और छतरपुर बस स्टैंड सहित आसपास के गांवों में खाक छानी, लेकिन रचना और नीरज को नहीं मिलना था सो वे नहीं मिले. आधी रात हो चली थी, इसलिए अब सुबह देखेंगे सोच कर बात टाल दी गई. इधर बाहरपुर में भी मीटिंगों के दौर चलते रहे, जिन में नीरज और रचना के परिवारजनों को बच्चों के भागने से ज्यादा चिंता अपनी इज्जत की थी, खासतौर से भैरो सिंह को, क्योंकि वे लड़की वाले थे. ऐसे मामलों में छीछालेदर लड़की वाले की ही ज्यादा होती है. बस एक बार रचना मिल जाए तो सब संभाल लूंगा जैसी हजार बातें सोचते भैरो सिंह बारबार कसमसा उठते थे. अंत में उन्होंने भी हालात के आगे हथियार डाल दिए कि अब सुबह देखेंगे कि क्या करना है.

सुबह सूरज उगने से पहले ही नीरज की मां रोज की तरह उठ कर मवेशियों को चारा डालने गांव के बाहर अपने खेतों की तरफ गईं तो आम के पेड़ को देख चौंक गईं. रोशनी पूरी तरह नहीं हुई थी, इसलिए वे एकदम से समझ नहीं पाईं कि पेड़ पर यह क्या लटक रहा है. जिज्ञासावश वह पेड़ के नजदीक पहुंचीं, तो ऊपर का नजारा देख उन की चीख निकल गई. पेड़ पर रचना और नीरज की लाशें झूल रही थीं. वह चिल्लाते हुए गांव की तरफ भागीं. देखते ही देखते बाहरपुर में हाहाकार मच गया. अलसाए लोग खेत की तरफ दौड़ने लगे. कुछ डर और कुछ हैरानी से सकते में आए लोग अपने ही गांव के बच्चों की एक और प्रेम कहानी का यह अंजाम देख रहे थे. भीड़ में से ही किसी ने मोबाइल फोन पर पुलिस चौकी में खबर कर दी.

पुलिस आती, इस के पहले ही लव स्टोरी पूरी तरह लोगों की जुबान पर आ गई. इस छोटे से गांव में सभी एकदूसरे को जानते हैं. गांव में एक ही मिडिल स्कूल है, इस के बाद की पढ़ाई के लिए बच्चों को चंद्रपुर जाना पड़ता है. नीरज की रचना से बचपन से ही दोस्ती थी. आठवीं के बाद उन्हें भी चंद्रपुर जाना पड़ा. सभी बच्चे एक साथ जाते थे और एक साथ वापस आते थे. सब से समझदार और जिम्मेदार होने के चलते आनेजाने का जिम्मा नीरज पर था. बच्चे खेलतेकूदते मस्ताते आतेजाते थे. यहीं से इन दोनों के दिलों में प्यार का बीज अंकुरित होना शुरू हुआ.

दोनों जवानी की दहलीज पर पहला कदम रख रहे थे. बचपना जा रहा था और दोनों में शारीरिक बदलाव भी आ रहे थे. साथ आतेजाते रचना और नीरज में नजदीकियां बढ़ने लगीं और कब दोनों को प्यार हो गया, उन्हें पता ही नहीं चला. हालत यह हो गई थी कि दोनों एकदूसरे को देखे बगैर नहीं रह पाते थे. यह प्यार प्लैटोनिक था, जिस में शारीरिक आकर्षण कम एक रोमांटिक अनुभूति ज्यादा थी. बाहरपुर से ले कर चंद्रपुर तक दोनों तरहतरह की बातें करते जाते थे तो रास्ता छोटा लगता था. रचना को लगता था कि यूं ही नीरज के साथ चलती रहे और रास्ता कभी खत्म ही न हो. यही हालत नीरज की भी थी. उस का मन होता कि रचना की बातें सुनता रहे, उस के खूबसूरत सांवले चेहरे को निहारता रहे और उसे निहारता देख रचना शर्म से सर झुकाए तो वह बात बदल दे.

दुनियादारी, समाज, धर्म और जाति की बंदिशों और उसूलों से परे यह प्रेमी जोड़ा अपनी एक अलग दुनिया बसा बैठा था. अब दोनों आने वाली जिंदगी के सपने बुनने लगे थे. ख्वाबों में एकदूसरे को देखने लगे थे. अब तक घर और गांव वाले इन्हें बच्चा ही समझ रहे थे. इधर इन ‘बच्चों’ की हालत यह थी कि दिन में कई दफा एकदूसरे को ‘आई लव यू’ बोले बगैर इन का खाना नहीं पचता था. दोनों एकदूसरे की पसंद का खास खयाल रखते थे, यहां तक कि टिफिन में खाना भी एकदूसरे की पसंद का ले जाते थे और साथ बैठ कर खाते थे.

प्यार का यह रूप कोई देखता तो निहाल हो उठता, लेकिन सच्चे और आदर्श वाले प्यार को नजर जल्द लगती है यह बात भी सौ फीसदी सच है. रचना तो नीरज के प्यार में ऐसी खोई कि कौपीकिताबों में भी उसे प्रेमी का चेहरा नजर आता था. नतीजतन 9वीं क्लास में वह फेल हो गई. इस पर घर वालों ने स्कूल से उस का नाम कटा दिया. लेकिन उस के दिलोदिमाग में नीरज का नाम कुछ इस तरह लिखा था कि दुनिया की कोई ताकत उसे मिटा नहीं सकती थी. स्कूल जाना बंद हुआ तो वह बिना नीरज के और बिना उस के नीरज छटपटाने लगा. दिन भर घर में पड़ी रचना मन ही मन नीरज के नाम की माला जपती रहती थी और नीरज दिन भर उस की याद में खोया रहता था.

सुबह जैसे ही स्कूल जाने का वक्त होता था तो रचना हिरणी की तरह कुलांचे मारते सड़क पर आ जाती थी. दोनों कुछ देर बातें करते और फिर शाम का इंतजार करते रहते. जैसे ही आने का वक्त होता था तो रचना गांव के छोर पर पहुंच जाती. दोनों का दिल से अख्तियार हटने लगा था. कुछ ही दिनों बाद जैसे ही नीरज बच्चों के साथ वापस आता तो दोनों खेतों में गुम हो जाते थे और सूरज ढलने तक अकेले में बैठे एकदूसरे की बांहों में समाए दुनियाजहान की बातें करते रहते. बात छिपने वाली नहीं थी. साथ के बच्चों ने जब उन्हें इस हालत में देखा तो बात उन से हो कर बड़ों तक पहुंची. भैरो सिंह को जब यह बात पता चली तो उन्होंने वही गलती की जो आमतौर पर ऐसी हालत में एक पिता करता है.

गलती यह कि रचना पर न केवल बंदिशें लगाईं बल्कि आननफानन में उस की शादी भी तय कर दी. उन का इरादा जल्दी से जल्दी बेटी को विदा कर देना था, ताकि कोई ऐसा हादसा न हो जिस की वजह से उन की मूंछें झुक जाएं. यह रचना और नीरज के लिए परेशानियों भरा दौर था. दोनों के घर वालों ने साफतौर पर चेतावनी दे दी थी कि उन की शादी नहीं हो सकती, लिहाजा दोनों एकदूसरे को भूल जाओ. शादी तय हुई और तैयारियां भी शुरू हो गईं तो दोनों हताश हो उठे. दोनों जवानी में पहला पांव रखते ही साथ जीनेमरने की कसमें खा चुके थे, लेकिन घर वालों से डरते और उन का लिहाज करते थे. इसी समय उन्हें समाज की ताकत और अपनी बेबसी का अहसास हुआ. यह भी वे सोचा करते थे कि आखिर उन की शादी पर घर वालों को ऐतराज क्यों है.

प्रेम प्रसंग आम हो चुका था, इसलिए दोनों का मिलनाजुलना कम हो गया था. शादी की रस्में शुरू हुईं तो रचना को लगा कि वह बगैर नीरज के नहीं रह पाएगी. फिर भी वह खामोशी से वह सब करती जा रही थी जो घर वाले चाहते थे. रचना अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ी थी, जहां से कोई रास्ता नीरज की तरफ नहीं जाता था. घर वालों के खिलाफ भी वह नहीं जा पा रही थी और नीरज को भी नहीं भूल पा रही थी. उसे लगने लगा था कि वह बेवफा है. ऐसे में जब मंगेतर देवेंद्र का फोन आया तो वह और भी घबरा उठी. क्योंकि इन सब बातों से अंजान देवेंद्र भी प्यार जताते हुए यह कहता रहता था कि हम दोनों अपनी सुहागरात 11 फरवरी को नहीं बल्कि 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे पर मनाएंगे.

नीरज के अलावा कोई और शरीर को छुए, यह सोच कर ही रचना की रूह कांप उठती थी. लिहाजा उस ने जी कड़ा कर एक सख्त फैसला ले लिया और नीरज को भी बता दिया. जिंदगी से हताश हो चले नीरज को भी लगा कि जब घर वाले साथ जीने का मौका नहीं दे रहे तो न सही, रचना के साथ मरने का हक तो नहीं छीन सकते. 7 फरवरी की दोपहर जब मां दूसरी महिलाओं के साथ छई माटी की रस्म के लिए खेतों पर गई तो रचना घर से भाग निकली. नीरज उस का इंतजार कर ही रहा था. दोनों ने आत्महत्या करने से पहले पेड़ के नीचे सुहागरात मनाई और नीरज ने रचना की मांग में सिंदूर भी भरा, फिर दोनों एकदूसरे को गले लगा कर फंदे पर झूल गए.

दोनों के शव जब पेड़ से उतारे गए तो गांव वाले गमगीन थे. जिन्होंने अभी अपनी जिंदगी जीनी शुरू भी नहीं की थी, वे बेवक्त मारे गए थे. दोनों के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था. पोस्टमार्टम के बाद शव घर वालों को सौंप दिए गए और दोनों का एक ही श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार हुआ. प्रेमियों का इस तरह एक साथ या अलगअलग खुदकुशी कर लेना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस मामले से यह तो साफ हो गया कि सच्चा प्यार मर जाना पसंद करता है, जुदा होना नहीं. ऐसे प्रेमी जब परंपराएं, धर्म, जाति वगैरह की दीवारें तोड़ने में खुद को असमर्थ पाते हैं, तो उन के पास सिवाय आत्महत्या के कोई भी रास्ता नहीं रह जाता, जिन की मंशा घर वालों और समाज को उन की गलती का अहसास कराने की भी होती है.

भैरो सिंह और सेवापाल जैसे पिता अगर वाकई बच्चों को प्यार करते होते तो उन की इच्छा और अरमानों का सम्मान करते, उन्हें पूरा करते लेकिन इन्हें औलाद से ज्यादा अपने उसूल प्यारे थे तो क्यों न इन्हें ही दोषी माना जाए.

Madhya Pradesh News : बिजनैसमैन को फसाया और मांगे 20 लाख

Madhya Pradesh News : पिछले दिनों इंदौर और भोपाल में हनीट्रैप के जो मामले सामने आए, उन में बड़ेबड़े लोगों को ब्लैकमेल कर के करोड़ों रुपए वसूले गए थे. पिंकी ने भी इसी तर्ज पर जावरा के बिजनैसमैन मोहित पोरवाल को ब्लैकमेल करने की योजना बनाई. लेकिन तयशुदा रकम मिलने से पहले ही…

घटना मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की है. 29 नवंबर, 2019 को दोपहर के 2 बजे का समय था. रतलाम के पास अलकापुरी क्षेत्र में स्थित हनुमान ताल के पास कस्बा जावरा के एक प्रसिद्ध व्यापारी मोहित पोरवाल हाथ में सूटकेस लिए खड़े थे. वह काफी घबराए हुए थे, चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं, डर की छाया साफ दिखाई दे रही थी. चेहरे पर आ रहे पसीने को वह बारबार रूमाल से पोंछ रहे थे. उन की नजर सुनसान सड़क पर लगी हुई थी. जबकि वहां से कुछ दूर सुनसान जगह पर सादा कपड़ों में मौजूद 10 पुलिस वालों की नजरें मोहित कुमार पर जमी हुई थीं. साथ ही वहां आनेजाने वाले व्यक्तियों पर भी थीं.

उसी समय एक पुलिसकर्मी थाना औद्योगिक नगर के टीआई शिवमंगल सिंह सेंगर से संपर्क बनाए हुए था. मोहित के आसपास फैले पुलिसकर्मी उस समय सतर्क हो गए, जब उन्होंने 3 व्यक्तियों को चौकन्ने भाव से मोहित की तरफ आते देखा. वे तीनों मोहित के पास आ कर कुछ पल के लिए रुके और मोहित के हाथ से सूटकेस ले कर जाने के लिए तेजी से मुड़े. वे तीनों भाग पाते उस से पहले ही आसपास छिपे पुलिसकर्मियों ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया. उन युवकों ने पूछताछ में अपने नाम शिव उर्फ भोला निवासी लक्ष्मणपुरा, कालू उर्फ अविनाश, दिनेश टका निवासी बिरयाखेड़ी, रतलाम बताए. उन तीनों को पकड़ कर पुलिसकर्मी टीआई शिवमंगल सिंह सेंगर के पास ले आए.

टीआई शिवमंगल सेंगर ने उन से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने कबूल कर लिया कि उन के गिरोह की सरगना पिंकी शर्मा उर्फ प्रियांशी है, जिस ने व्यापारी मोहित को अपने जाल में फंसाया था. साइबर सेल से मिली जानकारी के बाद एसपी रतलाम को पहले से ही शक था कि पिंकी शर्मा उर्फ प्रियांशी इस गिरोह में शामिल है. जब उस का नाम सरगना के तौर पर सामने आया, तो महिला पुलिस के साथ गई टीम ने उसे एमबी नगर स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. पकड़े जाने पर पिंकी शर्मा ने स्वीकार किया कि पिछले दिनों इंदौर में चर्चाओं में रहे हनीट्रैप कांड की तरह उस ने मोहित को लालच दे कर शिकार बनाया था.

पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से लूट में प्रयुक्त एक स्कूटर, मोटरसाइकिल, मोहित की सोने की अंगूठी और नकद 2 हजार रुपए के अलावा सोने की बाली, चांदी का कड़ा, खिलौना रिवौल्वर एवं एक चाकू बरामद कर लिया. उन से की गई पूछताछ के बाद ब्लैकमेलिंग करने की पूरी कहानी इस प्रकार सामने आई—

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के रहने वाले 45 वर्षीय मोहित जावरा के जानेमाने अनाज व्यापारियों में से एक हैं. जमा हुआ खानदानी कारोबार है. शहर के रईसों में इन का नाम भी शुमार है. मोहित छोटी उम्र से ही परिवार का बिजनैस संभाल रहे थे. व्यापार के अलावा वह सोशल मीडिया में भी एक्टिव रहते थे. इसी के चलते कुछ महीने पहले वाट्सऐप पर उन की मुलाकात रतलाम की एमबी कालोनी निवासी आधुनिक विचारों वाली 22 वर्षीय सुंदरी पिंकी शर्मा से हुई. धीरेधीरे यह जानपहचान दोस्ती में बदल गई और समय के साथ इस दोस्ती में वे सब बातें भी होने लगीं, जिन्हें बेहद निजी कहा जा सकता है. धीरेधीरे वह पिंकी में काफी रुचि लेने लगे.

बताते हैं पिंकी से उन की 1-2 मुलाकातें सार्वजनिक स्थानों पर हुईं. फिर वह मोहित को अकेले में मिलने के लिए बुलाने लगी. अब तक परिवार के प्रति ईमानदार रहे मोहित, उस से अकेले में मिलने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे थे. लेकिन जवान और खूबसूरत दोस्त का खुला आमंत्रण वह भला कब तक ठुकराते, इसलिए न न करते हुए भी वह एक दिन उस की बताई जगह पर मिलने को तैयार हो गए. मिलने के लिए तारीख तय हुई 24 नवंबर की दोपहर और स्थान था विरियाखेड़ी के ईंट भट्ठों का सुनसान इलाका. मन में कुछ आशंकाएं और ढेर सारे सपने ले कर मोहित तय वक्त पर विरियाखेड़ी पहुंच गए. उन के मन में एक शंका थी कि शायद ही पिंकी उन से मिलने आए. लेकिन यह देख कर उन का दिल खुश हो गया कि पिंकी उन के पहुंचने से पहले ही वहां खड़ी उन का इंतजार कर रही थी.

‘‘कितनी देर कर दी जनाब आने में. क्या इसी तरह इंतजार करवाओगे?’’ पिंकी मुसकरा कर बोली.

‘‘नहीं यार,बस आतेआते टाइम लग गया.’’ मोहित ने कहा.

‘‘ओके चलो, पहली बार देर हुई है, इसलिए माफ करती हूं. मालूम है लड़कों को अपनी गर्लफ्रैंड से मिलने उस से पहले पहुंचना चाहिए.’’ वह बोली.

‘‘लड़कों को न, लेकिन मैं लड़का नहीं हूं.’’ मोहित ने कहा.

‘‘तो क्या हुआ, मेरे बौयफ्रैंड तो हो. लेकिन मैं आप को एक बात बताऊं कि मुझे लड़कों के बजाए परिपक्व मर्दों में रुचि है.’’ पिंकी ने बताया.

‘‘वो क्यों?’’ मोहित ने पूछा.

‘‘सब से बड़ी बात तो यह है कि वह इस मामले में अनुभवी होते हैं. दूसरे लड़कों की तरह ज्यादा परेशान भी नहीं करते.’’ पिंकी ने तिरछी नजरों से मोहित की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘अब ज्यादा समय खराब मत करो. वहां सामने एक घर है, वहां कोई नहीं आताजाता. चलो, वहीं चल कर बात करते हैं.’’

मोहित उस के साथ उस मकान में जाने से मना करना चाहते थे, लेकिन पिंकी को देखने के बाद वह उसे मना नहीं कर सके और उसे साथ ले कर उस के बताए मकान में चले गए. दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई. पिंकी की सैक्सी बातों और हरकतों से मोहित अपना होश खोने लगे. इस से पहले कि वह अपनी हसरतें पूरी कर पाते, तभी दरवाजे पर लात मार कर अंदर घुस आए 3 युवकों को देख कर मोहित घबरा गए. उन का गीला गला एक झटके में रेगिस्तान बन गया.

‘‘क्या हो रहा है बुड्ढे, बेटी की उम्र की लड़की के साथ अय्याशी की जा रही है.’’ उन में से एक युवक ने मोहित से कहा तो उन से कोई जवाब देते नहीं बना.

‘‘चल कर ले अय्याशी, हम तेरा लाइव शो देखेंगे.’’ दूसरा बोला.

‘‘देखिए, ऐसा कुछ नहीं है. हम लोग यहां यूं ही आए थे.’’ मोहित ने थूक गटकते हुए किसी तरह कहा.

लेकिन वे तीनों नहीं माने. उन्होंने चाकू की नोंक पर मोहित और पिंकी के पूरे कपड़े उतरवा दिए और फिर उसी अवस्था में दोनों के अश्लील फोटो और वीडियो अपने कैमरे में कैद करने के बाद बोले, ‘‘अब जाओ, यह वीडियो हम तुम्हारे बीवीबच्चों को भेज देंगे. फिर आराम से बैठ कर सब के साथ देखना.’’

‘‘देखिए, मैं आप के हाथ जोड़ता हूं. हम यहां ऐसा कुछ भी नहीं कर रहे थे. आप वीडियो और फोटो डिलीट कर दें.’’ मोहित ने उन तीनों से कहा तो उन्होंने इस के बदले में 20 लाख रुपयों की मांग की. उस वक्त मोहित के पास इतना रुपया नहीं था, सो तय हुआ कि हफ्ते भर में मोहित 20 लाख रुपए बदमाशों को दे कर उन से वीडियो और फोटो वापस ले लेंगे. मामला सुलट गया तो पिंकी और मोहित के वहां से जाने के पहले बदमाशों ने मोहित की सोने की अंगूठी और जेब में रखे 2 हजार रुपयों के अलावा पिंकी के जेवर भी लूट लिए.

मोहित जैसेतैसे वापस जावरा पहुंच तो गए लेकिन उन के दिल को पलभर का भी सुकून नहीं था. पिंकी के चक्कर में उन्हें पीढि़यों से बनाई बापदादाओं की इज्जत धूल में मिलती दिखाई दे रही थी. मामला अगर दुनिया के सामने आ जाता तो समाज और अपने परिवार के सामने नजरें ऊंची नहीं कर पाते. इन्हीं सब खयालों से डरे हुए मोहित को रात में नींद भी नहीं आई. पिंकी को याद करने का तो सवाल ही नहीं था. लेकिन अगले ही दिन सुबहसुबह पिंकी का फोन आ गया. उन्होंने बेमन से पिंकी से बात की तो उस ने कल की घटना पर दुख जताया लेकिन उस की बातों से ऐसा नहीं लग रहा था कि उसे इस बात की कोई टेंशन है. उस समय उन्होंने पिंकी की इस बेफिक्री पर ज्यादा गौर नहीं किया.

इधर दोपहर होते ही बदमाशों का फोन आ गया, जिस में कहा गया कि वह जल्द से जल्द उन्हें 20 लाख रुपए दे दें. इस के कुछ देर बाद पिंकी का भी फोन आ गया. उस ने बताया कि बदमाशों ने उसे भी फोन कर जल्द से जल्द 20 लाख रुपए की मांग की है. साथ ही उस ने सलाह भी दी कि वह जल्द से जल्द बदमाशों की मांग पूरी कर दें वरना अपनी दोस्ती खतरे में पड़ जाएगी. यहां पूरी बनीबनाई इज्जत खतरे में पड़ी थी और पिंकी को अब भी प्यारमोहब्बत की बातें सूझ रही थीं. मोहित को पिंकी पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन यह मौका गुस्सा दिखाने का नहीं था, इसलिए वह किसी तरह अपने गुस्से को काबू में किए रहे.

दूसरी तरफ एक के बाद एक तीनों बदमाश उन्हें बारबार फोन कर 20 लाख रुपयों की मांग करते हुए पिंकी के साथ बनाया उन का अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दे रहे थे. जितनी बार बदमाशों का फोन आता, उतनी ही बार पीछे से पिंकी का फोन आ जाता. वह हर बार मोहित को सलाह देती कि जैसे भी हो, बदमाशों की मांग जल्द पूरी कर दें. इस से मोहित को शक होने लगा कि कहीं पिंकी भी इन बदमाशों से मिली हुई तो नहीं है. क्योंकि वह जानते थे कि अगर बदमाशों ने वीडियो वायरल कर भी दी, तो पिंकी का कुछ नहीं बिगड़ेगा. लेकिन उन की पूरी इज्जत धूल में मिल जाएगी. मीडिया में न तो पिंकी का नाम आएगा और न फोटो लेकिन उन के नाम के तो पोस्टर छप जाएंगे. फिर पिंकी क्यों इतना डर रही है. वह बारबार बदमाशों को रुपए देने का दबाव क्यों बना रही है.

काफी सोचविचार के बाद मोहित ने 4 दिन बाद पूरी कहानी रतलाम के एसपी गौरव तिवारी को बता दी. मोहित की बात सुन कर एसपी साहब समझ गए कि मोहित किसी ब्लैकमेल कराने वाले गिरोह के शिकार बन गए हैं. इसलिए उन्होंने इस गिरोह को गिरफ्तार करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र के टीआई शिवमंगल सिंह सेंगर के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बना दी. पुलिस की साइबर सेल ने पिंकी के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि बदमाश जिन फोन नंबरों से मोहित से बात कर रहे थे, उन नंबरों पर काफी दिनों से पिंकी की बारबार बात होती रही है. इस से यह साफ हो गया कि पिंकी ने ही मोहित को हनीट्रैप में फंसा कर ठगने की साजिश रची है. इसलिए एसपी के निर्देश पर जांच अधिकारी शिवमंगल सिंह सेंगर ने योजना बना कर मोहित से आरोपियों को पैसों का इंतजाम हो जाने का फोन करवाया.

बदमाशों ने उन्हें 29 नवंबर, 2019 की दोपहर 2 बजे पैसा ले कर हनुमान ताल पर बुलाया. जिस के बाद योजना अनुसार एसपी रतलाम ने सुबह से ही हनुमान ताल पर सादा लिबास में पुलिसकर्मी तैनात कर दिए. दोपहर में जैसे ही तीनों बदमाश शिव, कालू और दिनेश मोहित से फिरौती के 20 लाख रुपए लेने के लिए आए, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पिंकी के बारे में बताया जाता है कि वह मूलरूप से किला मैदान, झाबुआ की रहने वाली थी. वह रतलाम में एक फाइनैंस कंपनी में नौकरी करती थी. उस कंपनी में राकेश (परिवर्तित नाम) भी नौकरी करता था. वहीं पर दोनों की दोस्ती हुई. राकेश रतलाम के ही  जावरा का रहने वाला था. चूंकि दोनों ही जवान थे, इसलिए जब उन की दोस्ती प्यार में बदली, तब उन्होंने शादी का फैसला कर लिया.

दोनों ने घर वालों की मरजी के बिना लवमैरिज कर ली. लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद ही दोनों के बीच मतभेद हो गए. हालांकि इस दौरान पिंकी एक बेटी की मां बन चुकी थी. जब दोनों के बीच ज्यादा ही कलह रहने लगी तो वह बेटी को पति के पास छोड़ कर चली आई. इस दौरान पिंकी की मुलाकात रतलाम के ही रहने वाले सन्ना नाम के बदमाश से हुई. वह सन्ना के साथ रतलाम के चांदनी चौक क्षेत्र में रहने लगी. सन्ना के जरिए पिंकी की जानपहचान लक्ष्मणपुरा, रतलाम के रहने वाले भोला, हाट की चौकी के कालू और बीरियाखेड़ा के दिनेश से हुई. ये सभी आपराधिक सोच वाले युवक थे.

पिछले दिनों इंदौर में हनीट्रैप के मामले में हाईफाई लोगों के फंसने का मामला सामने आया था. उसी से प्रेरित हो कर पिंकी और उस के इन साथियों ने मोटा पैसा कमाने के लिए प्लान बनाया. लिहाजा पिंकी के जरिए वे सब मोटी आसामी को अपने जाल में फांस कर उन्हें ब्लैकमेल करने लगे. पिंकी पिछले 5 सालों से शहर के युवकों को अपने रूपजाल में फंसा कर ठगने का काम कर रही थी. इसी योजना के तहत उस ने मोहित से दोस्ती की और एकांत जगह पर स्थित भट्ठों पर बने कमरे में ले गई और उन्हें अपने रूपजाल में फंसाने का जतन करने लगी. तभी उस के तीनों साथियों ने आ कर मोहित के साथ उस की अश्लील फिल्म बना ली.

मोहित को उस के ऊपर शक न हो इसलिए मोहित के साथ उन्होंने पिंकी के साथ भी लूटपाट का नाटक किया था. लेकिन रतलाम पुलिस ने जल्द ही इस गिरोह के नाटक का परदा गिरा दिया. आरोपी शिव उर्फ भोला, कालू, दिनेश और पिंकी से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

 

 

Murder Stories : पति की मौत का लाइव वीडियो

Murder Stories : सुनयना अपने पति रामकृष्ण से इतनी नफरत करने लगी थी कि उस ने उसे मरवाने का पुख्ता प्लान भी बना लिया. फिर हत्यारे ने घर से दूर ले जा कर न सिर्फ रामकृष्ण की हत्या की, बल्कि हत्या का लाइव वीडियो भी सुनयना को शेयर किया. आखिर सुनयना पति से इतनी खुंदक क्यों रखे थी? पढ़ें, लव क्राइम की यह कहानी.

 

जब सुनयना अपने पति से परेशान हो गई तो एक दिन उस ने प्रेमी विनोद से साफ शब्दों में कहा, ”विनोद, अगर तुम मुझे चाहते हो तो रामकृष्ण को खत्म करना होगा, वरना मेरे साथ प्यार की नौटंकी करने की कोई जरूरत नहीं. मैं अपना अलग रास्ता खुद ही चुन लूंगी.’’

सुनयना की बात सुनते ही विनोद परेशान हो उठा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह रामकृष्ण को अपने और सुनयना के बीच से कैसे हटाए. उस के बाद वह कई दिनों तक उसी उलझन में रहा. वह हर वक्त रामकृष्ण को मौत की नींद सुलाने के लिए रास्ते खोजने लगा. लेकिन उसे कोई भी ऐसा रास्ता नजर नहीं आ रहा था, जिस के बाद वह सारी उम्र सुनयना के साथ मौजमस्ती कर सके. उसे पता था कि हर अपराध की उम्र बहुत ही कम होती है, लेकिन उस से मिलने वाली सजा की उम्र बहुत बड़ी हो सकती है, जिस को झेलना इंसान के लिए बहुत ही मुश्किल होता है. लेकिन उस के बावजूद भी वह सुनयना के लिए कोई भी अपराध करने के लिए तैयार था.

विनोद ने सोचा कि इस अपराध में किसी अन्य व्यक्ति को शामिल करना ठीक नहीं. उस के लिए पैसा भी खर्च करना पड़ेगा और पकड़े जाने का डर अलग से बना रहेगा. यही सोच कर उस ने रामकृष्ण को स्वयं ही खत्म करने की योजना बनाई. हालांकि रामकृष्ण विनोद से काफी चिढ़ता था. लेकिन फिर भी आतेजाते उस से बोल ही जाता था. विनोद यह भी जानता था कि शराब पीना रामकृष्ण की सब से बड़ी कमजोरी है. उस की उसी कमजोरी के कारण वह एक दिन अपने प्लान को साकार रूप दे सकता है.

यही सोच कर विनोद मौका पा कर एक दिन सुनयना से मिला. सुनयना से मिलते ही उस ने उसे बताया कि वह जल्दी ही उस के कांटे को दूर करने वाला है. लेकिन सुनयना को विनोद की बात पर बिलकुल भी विश्वास नहीं था. सुनयना ने कहा कि वह उस की बातों पर तभी विश्वास करेगी, जब वह रामकृष्ण की मौत का लाइव वीडियो उसे दिखाएगा. साथ ही उस की हत्या की खबर कानोंकान किसी को भी नहीं होनी चाहिए, ताकि वह किसी भी मुसीबत में न पड़े.

सुनयना की बात सुनते ही विनोद ने अपने प्लान को उस के साथ साझा कर दिया था. विनोद ने सुनयना को बताया कि पहली जनवरी 2025 यानी नए साल का पहला दिन रामकृष्ण के लिए आखिरी दिन होगा. दुनिया जब नए साल की खुशी में मौजमस्ती कर रही होगी, वहीं हम रामकृष्ण की मौत की खुशियां मना रहे होंगे. उस के लिए उस ने पहले ही अपना प्लान तैयार कर लिया था.

योजनानुसार पहली जनवरी, 2025 की शाम को विनोद यादव ने रामकृष्ण को फोन कर नए साल की पार्टी करने के बहाने भरतकूप पतौड़ा के पास बुलाया. विनोद यादव का फोन आते ही रामकृष्ण उस के साथ सारी दुश्मनी को भूल गया. उस के बाद उस ने अपनी पत्नी सुनयना और पापा रामरतन से कहा कि वह अतर्रा बाजार से जैकेट खरीदने जा रहा है. वह जल्दी ही घर वापस आ जाएगा.

रामकृष्ण घर से निकल कर सीधा विनोद के पास पहुंचा. विनोद अपने साथ शराब और कुछ खानेपीने की चीजें लाया था. भरतकूप के पतौड़ा रेल पटरी के किनारे बैठ कर दोनों ने शराब पी. उस दौरान विनोद यादव ने नाममात्र की शराब पी थी, लेकिन रामकृष्ण को उस ने ज्यादा शराब पिलाई थी, जिस के कारण वह जल्दी ही नशे में झूमने लगा. जब रामकृष्ण नशे में धुत हो गया तो विनोद ने अपने मोबाइल से सुनयना को वीडियो काल की और उस की हालत उसे दिखाई.

रामकृष्ण की हालत प्रेमिका को दिखाते हुउ ही वह एक भारी पत्थर उठा कर लाया. उस वक्त रामकृष्ण नीचे गरदन झुकाए बैठा था. फिर मौका पाते ही विनोद यादव ने पीछे से रामकृष्ण के सिर पर पत्थर से जोरदार वार कर दिया. सिर पर पत्थर का वार होते ही रामकृष्ण का सिर फट गया और उस के प्राणपखेरू उड़ गए. सुनयना उस वक्त भी अपने पति की मौत का तमाशा औनलाइन देख रही थी.

रामकृष्ण की मौत हो जाने के बाद विनोद यादव ने अपने प्लान के तहत उस के शव को खींच कर लगभग 40 मीटर दूरी पर बिछी रेल लाइन पर रख दिया. फिर वह किसी ट्रेन के आने का इंतजार करने लगा. जैसे ही उसे ट्रेन आने का अहसास हुआ, उस ने वहीं पर छिपते हुए फिर से प्रेमिका सुनयना को वीडियो काल की, ताकि वह उस की मौत का आखिरी तमाशा देख सके. पलभर में वहां से ट्रेन गुजरी और रामकृष्ण का शरीर 2 हिस्सों में बंट गया. रामकृष्ण की हत्या करने के बाद विनोद सीधा अपने घर आ गया था. जिस वक्त वह अपने घर पहुंचा, उस के फेमिली वाले उसे इधरउधर खोज रहे थे.

पहली जनवरी, 2025 की देर रात रेल विभाग ने चित्रकूट के थाना भरतकूप को फोन द्वारा रेलवे ट्रैक पर शव पड़े होने की सूचना दी. सूचना पाते ही भरतकूप थाने के एसएचओ प्रवीण कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि पतोड़ा गांव के पास रेलवे ट्रैक पर एक व्यक्ति की लाश 2 हिस्सों में कटी हुई पड़ी थी, जिसे देख कर लगा कि व्यक्ति टे्रन से कट कर मर गया होगा.

लेकिन जैसे ही पुलिस ने आसपास जांच की तो रेलवे टै्रक के पास ही खून पड़ा पाया. उस के पास ही शराब की कुछ बोतलें भी पाई गई थीं. जिस से साफ जाहिर था कि युवक की हत्या करने के बाद खुदकुशी दिखाने के लिए उस की लाश को रेलवे पटरी पर डाला गया होगा. इस जानकारी पर एएसपी (चित्रकूट) चक्रपाणि त्रिपाठी व सीओ (सिटी) राजकमल, एसओजी/सर्विलांस प्रभारी एम.पी. त्रिपाठी भी घटनास्थल पर पहुंचे. घटनास्थल से सभी साक्ष्य जुटाते ही मृतक की शिनाख्त भी हो गई थी. मृतक की पहचान बांदा जिले के बिसंडा के

रहने वाले रामकृष्ण के रूप में हुई थी. पुलिस ने उस के फेमिली वालों को उस की हत्या की सूचना दी. सूचना पाते ही उस के फेमिली वाले रोतेबिलखते घटनास्थल पर पहुंचे. अपने पति की हत्या की बात सुनते ही सुनयना का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए डैडबौडी को सील कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. साथ ही पुलिस ने मृतक की पत्नी सुनयना और उस के ससुर रामरतन से पूछताछ की.

पूछताछ के दौरान पता चला कि मृतक रामकृष्ण नए साल की खुशी में बाजार से जैकेट खरीदने निकला था. लेकिन देर रात तक वह घर वापस नहीं लौटा. जबकि उस की पत्नी सुनयना ने पुलिस को बताया कि वह घर से निकलने से पहले उसे कुछ भी बता कर नहीं गए थे. लेकिन इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब रामरतन ने दबी जुबान पुलिस को जानकारी दी कि रामकृष्ण की हत्या उस की पत्नी सुनयना और उस के प्रेमी विनोद यादव ने मिल कर की होगी. रामरतन ने बताया कि सुनयना और विनोद का काफी समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिस के कारण सुनयना आए दिन पति से झगड़ती रहती थी.

इस जानकारी के बाद पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो 31 दिसंबर, 2024 मंगलवार की शाम को विनोद अपनी बाइक पर जाता दिखाई दिया. शक के आधार पर पुलिस ने पूछताछ के लिए विनोद को अपनी हिरासत में ले लिया. साथ ही उस का मोबाइल भी अपने कब्जे में ले लिया.

पुलिस ने उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि 31 दिसंबर, 2024 और पहली जनवरी, 2025 की रात को उस ने कई बार सुनयना के नंबर पर वीडियो काल की थी, जो रामकृष्ण की हत्या का सब से बड़ा प्रमाण था. इस सबूत के मिलते ही पुलिस ने सुनयना का मोबाइल भी अपने कब्जे में लेते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया था. पुलिस ने दोनों से सख्ती से पूछताछ की. तब सुनयना और उस के प्रेमी विनोद यादव ने हत्या की पूरी साजिश का खुलासा कर दिया. रामकृष्ण की हत्या के पीछे की हकीकत इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के जिला बांदा के थाना बिसंडा अंतर्गत एक गांव पड़ता है चौसड़. रामरतन इसी गांव के निवासी थे. रामरतन का जड़ीबूटियां बेचने का पुश्तैनी काम था. रामकृष्ण उन का इकलौता बेटा था. वह बचपन से ही उन के साथ दुकान पर जाया करता था. यही कारण रहा कि रामकृष्ण ने जवानी में पांव रखते ही अपने पापा का काम संभाल लिया था. फिर उस ने भी अपने पापा की जगह पर जड़ीबूटी बेचने का धंधा शुरू कर दिया था.

अब से कई साल पहले उस की शादी चित्रकूट निवासी सुनयना के साथ हुई थी. सुनयना ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी. लेकिन वह काफी सुंदर होने के साथ ही समझदार भी थी. शादी से पहले उस ने बड़ेबड़े सपने देखे थे, जिन को वह शादी के बाद पूरा करना चाहती थी. शादी के कुछ समय बाद तक तो दोनों के बीच सब कुछ ठीक प्रकार से चलता रहा. रामकृष्ण सुनयना से शादी कर के काफी खुश था. सुनयना शुरू से ही सजसंवर कर रहने वाली युवती थी. वह शहरी वातावरण में पलीबढ़ी थी. लेकिन रामकृष्ण के साथ शादी करने के बाद उस की आकांक्षाएं दब कर रह गई थीं.

समय के गुजरते सुनयना एक के बाद एक 3 बच्चों की मां बन गई, जिन में 2 बेटे और एक बेटी थी. इस दौरान रामकृष्ण ने बीवी का प्यार पाने की बहुत कोशिश की, लेकिन सुनयना को अपना पति रास नहीं आया. धीरेधीरे उस के बच्चे समझदार हो गए. दोनों ही बेटे काम करने के लिए दूसरे राज्यों में चले गए थे. घर पर उस की बेटी थी, जो सुबह ही स्कूल के लिए निकल जाती थी. उस का पति रामकृष्ण अपने पिता रामरतन के साथ जड़ीबूटी बेचने चला जाता था. उस के बाद सुनयना ही घर पर अकेली रह जाती थी.

उसी दौरान एक दिन उस की नजर विनोद यादव पर पड़ी. विनोद जिला बांदा के थाना बदौसा के गांव उदयपुर नकटा हड़हा माफी का मूल निवासी था. रामकृष्ण के घर के पास ही उस की रिश्तेदारी थी, जहां पर उस का पहले से ही आनाजाना रहता था. सुनयना जल्द ही अपने घर का कामकाज निपटा कर अपने पड़ोस में बैठने चली जाती थी. विनोद यादव अभी कुंवारा ही था. लेकिन उस के बात करने का लहजा ऐसा था कि सामने वाला व्यक्ति फौरन ही उस की बातों में आ जाता था. उस की मीठीमीठी बातें सुन कर सुनयना के दिल में कुछ हलचल होने लगी थी.

देखते ही देखते सुनयना का दिल उसे पाने के लिए बेचैन होने लगा. विनोद जब भी अपनी रिश्तेदारी में आता तो मौका पाते ही सुनयना उस से मिलने जरूर जाती थी. विनोद को भी सुनयना की बातों में रस आता था. सुनयना देखनेभालने में खूबसूरत और स्वभाव से चंचल किस्म की थी. हालांकि विनोद यादव को पता था कि सुनयना 3 बच्चों की मां है. फिर भी वह उस की बातों से इतना प्रभावित हुआ कि वह मन ही मन उसे चाहने लगा था. सुनयना का तीर बिलकुल सही निशाने पर लगा था. वह किसी भी तरह से विनोद को अपने प्यार में फंसाना चाहती थी. विनोद खुद ही उस की चाहत में दीवाना हो चुका था.

मौके का फायदा उठाने के लिए विनोद ने सुनयना के पति रामकृष्ण से भी दोस्ती गांठ ली थी. रामकृष्ण के साथ अच्छे संबंध होने के बाद वह उस के घर पर भी बिना रोकटोक आनेजाने लगा था. उस के बाद वह रामकृष्ण को भैया और सुनयना को भाभी कहने लगा था. धीरेधीरे दोनों के बीच प्यार पनपना शुरू हुआ. सुनयना भी विनोद के साथ अपने टूटे सपनों को जोड़ कर पूरा करना चाहती थी. सुनयना विनोद यादव के साथ अपनी बाकी जिंदगी को शादी के मोतियों में पिरो कर जीना चाहती थी.

एक दिन सुनयना बहुत ही परेशान लग रही थी. उस की परेशानी का कारण था उस का प्रेमी विनोद यादव. उस ने कई बार विनोद यादव को बताया, ”अब तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता. तुम्हारी याद में मेरी सारी रात किस तरह से कटती है, मैं ही जानती हूं.’’

उस का पति रामकृष्ण जड़ीबूटी बेच कर दूसरों के दुख दूर करता है. लेकिन उसे अपनी बीवी की जरा भी चिंता नहीं. दिन भर की भागदौड़ के बाद थकहार कर सो जाता है. फिर ऐसे में वह क्या करे.

तभी विनोद यादव ने सुनयना को समझाया, ”भाभी, आप का दुखदर्द समझने वाला मैं हूं तो फिर आप चिंता क्यों करती हो.’’

”बात तो तुम्हारी सही है, लेकिन मैं चाहती हूं कि हम दोनों किसी तरह से यहां से भाग कर शादी कर लें. उस के बाद हम दोनों अपनी अलग ही दुनिया बसाएंगे.’’

”लेकिन भाभी, तुम जरा सोचो कि तुम शादीशुदा और 3 बच्चों की मां हो. अगर हम दोनों घर से भाग भी जाएं तो तुम तो समाज में मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहोगी. मेरा क्या है, मेरे तो न कोई आगे और न पीछे.’’

”विनोद, मुझे समाज से कोई लेनादेना नहीं. भाड़ में जाएं बच्चे और पति. मुझे तो केवल तुम्हारा ही साथ चाहिए.’’

विनोद सुनयना को कई बार समझासमझा कर हार चुका था, लेकिन वह अपनी ही जिद पर अड़ी हुई थी. विनोद और सुनयना के बीच चल रहे प्रेम प्रसंग की जानकारी धीरेधीरे पूरे मोहल्ले वालों को हो चुकी थी.

इस जानकारी के बाद विनोद के पापा भगवानदीन यादव को बेटे की करतूतों पर बहुत ही दुख हुआ था. उन्होंने एक दिन विनोद को पास बैठा कर एक अच्छे बाप की तरह समझाने की कोशिश भी की. तब उस ने अपने पापा को वचन भी दिया था कि वह कोई ऐसा काम नहीं करेगा, जिस से उन की इज्जत पर किसी तरह का कोई दाग लगे. सुनयना की जिद के आगे वह सब वचनों को भूल गया था.

सुनयना अपने पति रामकृष्ण से तंग आ चुकी थी. वह हर रोज शराब पी कर आता और फिर खाना खाने के बाद तुरंत ही गहरी नींद में सो जाता था. विनोद के साथ उस के नाजायज रिश्ते कायम हुए कई महीने बीत चुके थे. उसी दौरान सुनयना को लगा कि रामकृष्ण और विनोद के बीच जमीनआसमान का अंतर है. वह तभी से उस के प्यार की दीवानी हो चुकी थी. उसे पाने के लिए वह अपना सब कुछ त्यागने को तैयार थी. विनोद ने भी जिंदगी में पहली बार उस के साथ ही काम वासना का आनंद महसूस किया था. फिर उसी के पीछे वह पूरी तरह से पागल हो गया था. उसे दिनरात सुनयना के अलावा कुछ नहीं सूझता था.

लेकिन यह बात ज्यादा दिनों तक उस के पति से छिपी न रह सकी. जैसे ही रामकृष्ण को अपनी पत्नी की कारगुजारी का पता चला तो उस ने अपनी तरफ से रस्सी कसना शुरू कर दिया था. वह शराब पी कर उस के साथ गालीगलौज करने के साथ ही उसे मारनेपीटने भी लगा था. साथ ही उस ने विनोद से दूरी भी बनानी शुरू कर दी थी, जिस के कारण विनोद का सुनयना से मिलना भी बंद ही हो गया था. उस के बाद सुनयना विनोद से मोबााइल से संपर्क कर बात करने लगी थी, जिसे ले कर मियांबीवी में कई बार विवाद भी हुआ. सुनयना अपने पति से पूरी तरह से नफरत करने लगी थी. सुनयना ने कई बार विनोद यादव से रामकृष्ण को खत्म करने को कहा. लेकिन विनोद यादव इस काम के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.

जब एक दिन सुनयना हाथ धो कर विनोद के पीछे पड़ गई तो उसे रामकृष्ण की हत्या का प्लान बनाना पड़ा और उस की हत्या कर दी. इस केस के खुलते ही पुलिस ने विनोद यादव और सुनयना की निशानदेही पर 3 मोबाइल, हत्या में प्रयुक्त पत्थर और एक बाइक यूपी 90 वाई 6453 भी बरामद कर ली थी. इस हत्याकांड में मृतक के पिता रामरतन की तरफ से विनोद और उस की प्रेमिका सुनयना के खिलाफ दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने धारा 102(1) बीएनएस  के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. विनोद यादव ने रामकृष्ण की हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की थी, ताकि वह और उस की प्रेमिका मौजमस्ती कर सकें, लेकिन कानून के लंबे हाथों से वह किसी भी सूरत में बच नहीं सके.

पूछताछ के बाद पुलिस ने सुनयना और विनोद यादव को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

 

 

Madhya Pradesh Crime : दो हजार रुपए की लालच में मां ने अपने ही प्रेमी से कराया बेटी का रेप

Madhya Pradesh Crime : पैसे ले कर बलात्कार के लिए अपनी नाबालिग बेटी को किसी वहशी को सौंपने वाली कई मांएं होंगी, जिन्हें मां के नाम पर कलंक ही कहा जा सकता है. ऊषा भी ऐसी ही मां थी, जिस ने मात्र 600 रुपए में अपनी नाबालिग बेटी को अपने यार महमूद को सौंप  दिया. लेकिन…

बात 21 अक्तूबर, 2019 की है. मध्य प्रदेश के धार जिले के थाना बगदून के टीआई आनंद तिवारी अपने औफिस में बैठे थे, तभी उन के पास एक महिला आई. उस महिला के साथ 12-13 साल की एक किशोरी भी थी. महिला के साथ आई किशोरी काफी डरी हुई थी. अनीता नाम की महिला ने टीआई को बताया कि इस लड़की के साथ बहुत ही घिनौना कृत्य किया गया है. महिला की बात को समझ कर थानाप्रभारी ने तुरंत एसआई रेखा वर्मा को बुला लिया. रेखा वर्मा ने उस महिला व उस के साथ आई लड़की से पूछताछ की तो उन की कहानी सुन कर वह आश्चर्यचकित रह गईं. वह सोच में पड़ गईं कि क्या कोई मां ऐसी भी हो सकती है. उन दोनों ने पूछताछ के बाद महिला एसआई रेखा वर्मा ने टीआई आनंद तिवारी को सारी बात बता दी.

सुन कर टीआई भी बुरी तरह चौंके. वही क्या कोई भी इस बात पर भरोसा नहीं कर सकता था कि एक मां अपनी मासूम बेटी के साथ एक अधेड़ व्यक्ति से बलात्कार जैसा घिनौना कृत्य करवाया. प्रारंभिक पूछताछ में थाने आई किशोरी ने बताया था कि वह कक्षा 6 में पढ़ती है. पिता मांगीराम की मौत के बाद मां 4 भाईबहनों के साथ रह कर मेहनतमजदूरी करती थी. लेकिन 4 साल पहले मां ने तब मजदूरी करनी छोड़ दी जब उस की दोस्ती मटन बेचने वाले महमूद से हुई. तब से महमूद अकसर उस के घर आने लगा था. पीडि़त बच्ची ने आगे बताया कि महमूद के आने पर मां सब भाईबहनों को बाहर के कमरे में बैठा कर खुद उस के साथ कमरे में चली जाती थी.

ऐसा बारबार होने लगा तो मैं ने एक दिन चुपचाप झांक कर देखा. मां और महमूद पूरी तरह नंगे हो कर गंदा खेल खेल रहे थे. मैं ने मां को इस बात के लिए मना किया तो उस ने उलटा मुझे डांट दिया और खामोश रहने की हिदायत दी. उस लड़की ने आगे बताया कि 15 अक्तूबर को महमूद शाम को हमारे घर आया तो मां ने मुझे उस के साथ पीछे के कमरे में भेज दिया. उस कमरे में महमूद मुझ से अश्लील हरकतें करने लगा. मैं ने भागने की कोशिश की तो मां ने मेरे हाथपैर बांध दिए और खुद दरवाजे पर आ कर खड़ी हो गई. तब महमूद ने मेरे साथ गंदा काम किया.

इस के बाद वह मां को 600 रुपए दे कर चला गया. इस बात की जानकारी मैं ने पड़ोस में रहने वाली अनीता आंटी को दी तो उन्होंने मदद करने का वादा किया. आज फिर महमूद हमारे घर आया और मुझे पकड़ कर पीछे के कमरे में ले जाने लगा, जिस पर मैं मां और उस की पकड़ से छूट कर बाहर भाग आई. काफी देर बाद जब घर वापस लौटी तो मेरी मां ने मेरे साथ मारपीट की, जिस के बाद मैं आंटी को ले कर थाने आ गई. पड़ोस में रहने वाली अनीता के साथ आई मासूम बच्ची के झूठ बोलने की कोई संभावना और कारण नहीं था, इसलिए टीआई आनंद तिवारी ने उसी वक्त मासूम किशोरी का मैडिकल परीक्षण करवाया, जिस में उस के साथ दुष्कर्म किए जाने की पुष्टि हुई.

इस के बाद टीआई ने किशोरी की आरोपी मां ऊषा और उस के आशिक महमूद शाह के खिलाफ बलात्कार एवं पोक्सो एक्ट का मामला दर्ज कर के इस घटना की जानकारी एसपी (धार) आदित्य प्रताप सिंह को दे दी. जबकि वह स्वयं पुलिस टीम ले कर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए निकल गए. दोनों आरोपी घर पर ही मिल गए. आधे घंटे में पुलिस 30 वर्षीय ऊषा और उस के 42 वर्षीय आशिक महमूद को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. पूछताछ की गई तो पहले तो मां और उस का आशिक दोनों बेटी को झूठा बताने की कोशिश करते रहे. लेकिन थोड़ी सी सख्ती करने पर उन्होंने सच्चाई बता दी. उन से पूछताछ के बाद जो हकीकत सामने आई, उस ने मां शब्द पर ही ग्रहण लगा दिया. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि मां ऐसी भी हो सकती है.

मध्य प्रदेश के धार जिले के पीतमपुर गांव की रहने वाली ऊषा के पति मांगीराम की अचानक मौत हो गई थी. पति की मौत के बाद ऊषा के सामने बच्चों को पालने की समस्या खड़ी हो गई. उस के 4 बच्चे थे. 30 वर्षीय ऊषा को किसी तरहघर का खर्च तो चलाना ही था, लिहाजा वह मेहनतमजदूरी करने लगी. जवान औरत के सिर से अगर पति का साया उठ जाए तो कितने ही लोग उसे भूखी नजरों से देखने लगते हैं. ऊषा पर भी तमाम लोगों ने डोरे डालने शुरू कर दिए थे. इसी दौरान खूबसूरत ऊषा पर मटन की सप्लाई करने वाले महमूद शाह की नजर पड़ी. महमूद का बगदून में पोल्ट्री फार्म था. अपने फार्म से वह ढाबे और होटलों में मटन सप्लाई करता था.

महमूद ऊषा के नजदीक पहुंचने के लिए जाल बुनने लगा. इस से पहले महमूद गरीब घर की ऐसी कई लड़कियों और महिलाओं को अपना शिकार बना चुका था, वह जानता था कि गरीब औरतें जल्दी ही पैसों के लालच में आ जाती हैं. उस ने काम के बहाने ऊषा से जानपहचान बढ़ाई और उस के बिना मांगे ही उसे मटन देने लगा. ऊषा ने जब उस से कहा कि वह पैसा नहीं चुका पाएगी तो उस ने कहा कि कभी मुझे अपने घर बुला कर मटन खिला देना. मैं समझ लूंगा कि सारे पैसे वसूल हो गए. जवाब में ऊषा ने कह दिया कि आज ही आ जाना, खिला दूंगी. इस पर महमूद ने मिर्चमसाले आदि के लिए उसे 200 रुपए भी दे दिए.

ऊषा खुश हुई. उस ने उस के लिए मटन बना कर रखा लेकिन महमूद नहीं आया. अगले दिन ऊषा ने महमूद से शिकायत की तो उस ने कोई बहाना बना दिया और फिर किसी दिन आने को कहा. उस के बाद अकसर ऐसा होने लगा. ऊषा मटन बना कर उस का इंतजार करती. अब वह मटन के साथ उसे खर्च के पैसे भी देने लगा. इस तरह ऊषा का उस की तरफ झुकाव होने लगा. महमूद ऊषा की बातों और मुसकराहट से समझ गया था कि वह उस के जाल में फंस चुकी है, लिहाजा एक दिन वह दोपहर के समय ऊषा के घर चला गया. उस समय ऊषा के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने गए हुए थे. महमूद को घर आया देख ऊषा खुश हुई. महमूद उस से प्यार भरी बातें करने लगा. उसी दौरान दोनों ने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं.

हालांकि महमूद शादीशुदा और 2 बच्चों का पिता था. लेकिन ऊषा ने जिस तरह उसे खुश किया, उस से वह बहुत प्रभावित हुआ. इस के बाद उसे जब भी मौका मिलता, ऊषा के घर चला आता. कुछ महीनों बाद उस के कहने पर ऊषा ने मजदूरी करना बंद कर दिया. उस के घर का पूरा खर्च महमूद ही उठाने लगा. वह भी दिन भर महमूद के साथ बिस्तर में पड़ी रहने लगी. ऊषा की बड़ी बेटी 12-13 साल की थी. मां के साथ महमूद को देख कर वह भी समझ गई थी कि मां किस रास्ते पर चल रही है. बेटी ने मां की इस हरकत का विरोध करने की कोशिश की. लेकिन ऊषा पर बेटी के समझाने का तो कोई फर्क नहीं पड़ा, उलटे महमूद की नजर बेटी पर जरूर खराब हो गई.

कुछ समय बाद महमूद ने ऊषा को 2 हजार रुपए दे कर बड़ी बेटी को उस के साथ सोने के लिए तैयार करने को कहा. 2 हजार रुपए देख कर वह लालच में अंधी हो गई और बेटी को उसे सौंपने को तैयार हो गई. जिस के चलते 15 अक्तूबर की शाम को महमूद ऊषा की बेटी के संग ऐश करने की सोच कर उस के घर पहुंचा. ऊषा ऐसी निर्लज्ज हो गई थी कि वह अपनी कोमल सी बच्ची को उस के हवाले करने को तैयार हो गई. महमूद के पहुंचने पर ऊषा ने बेटी को महमूद के साथ बात करने के लिए कमरे में भेज दिया. उसे देखते ही महमूद उस पर टूट पड़ा तो वह रोनेचिल्लाने लगी.

यह देख बेदर्द ऊषा कमरे में आई और बेटी की चीख पर दया दिखाने के बजाए उलटा उसे समझाने लगी, ‘‘कुछ नहीं होगा, थोड़ा प्यार कर लेने दे. तू महमूद को खुश कर देगी तो यह तुम्हें लैपटौप और मोबाइल दिला देंगे.’’

बच्ची डर के मारे रो रही थी. वह नहीं मानी तो बेहया ऊषा ने अपनी बेटी के हाथ और पैर बांध कर बिस्तर पर पटक दिया. इस के बाद महमूद को अपनी मन की करने का इशारा कर के वह कमरे के दरवाजे पर बैठ कर चौकीदारी करने लगी. महमूद वासना का भूखा भेडि़या बन कर उस कोमल बच्ची पर टूट पड़ा. असहाय और मासूम बच्ची दर्द से कराहती रही, लेकिन न तो उस दानव का दिल पसीजा और न ही जन्म देने वाली मां का. उस के नाजुक जिस्म को लहूलुहान करने के बाद महमूद मुसकराते हुए उठा और अपने कपड़े पहनने के बाद ऊषा को 600 रुपए दे कर दूसरे दिन फिर आने को कह कर वहां से चला गया.

बच्ची अपने शरीर से बहता खून देख कर डर गई तो ऊषा ने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘नाटक मत कर. हर लड़की के साथ पहली बार यही होता है. तू इस से मरेगी नहीं, 1-2 दिन में सब ठीक हो जाएगा.’’

दूसरे दिन हवस का भेडि़या बन कर महमूद फिर आया पर ऊषा ने उसे समझाया कि बच्ची अभी घायल है. 2-4 दिन उस से मुलाकात नहीं कर सकती. इस पर महमूद ऊषा के संग कमरे में कुछ समय बिता कर चला गया. इधर डर के मारे बच्ची कांप रही थी. वह सीधे आंटी अनीता के पास पहुंची और उन से मदद की गुहार लगाई. 21 अक्तूबर को ऊषा ने फिर अपनी बेटी को महमूद के साथ कमरे में भेजने की कोशिश की, जिस पर वह घर से बाहर भाग गई. लौटने पर ऊषा ने उस की पिटाई की तो उस ने अनीता आंटी को सारी बात बताई.

इस के बाद अनीता बच्ची को ले कर थाने पहुंच गईं. पुलिस ने कलयुगी मां ऊषा और उस के प्रेमी महमूद से पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा में अनीता परिवर्तित नाम है

 

Social Crime : लड़के ने लड़की बन कर फोन पर बातें की और लूटे लाखों

Social Crime : ह किसी के अंदर कोई कोई प्रतिभा छिपी होती है. जब यही प्रतिभा निखर कर सामने आती है तो उस की एक नई पहचान बन जाती है. मध्य प्रदेश के हरदा शहर के रहने वाले सिद्धार्थ पटेल के अंदर भी एक खास प्रतिभा थीवह तरहतरह की आवाजें निकालने में माहिर था. इतना ही नहीं, वह पुरुषों के अलावा हर आयु वर्ग की महिलाओं की आवाज इतनी स्पष्टता से निकाल लेता था कि सुनने वाले आश्चर्यचकित रह जाते थे. इस के अलावा वह अलगअलग शख्सियतों की भी मिमिक्री कर लेता था. सिद्धार्थ पटेल अगर चाहता तो अपनी इस प्रतिभा को स्टेज के जरिए एक नई पहचान दिला सकता था, लेकिन उस ने ऐसा करने के बजाए लोगों को ठगने का काम किया

सिद्धार्थ ने सब से पहले फेसबुक पर संजना के नाम से एक लड़की की फेक आईडी बनाई, जिस में उस ने दिल्ली की रहने वाली बताया. इस के बाद उस ने फेसबुक के माध्यम से रवि इनाणिया नाम के एक बिजनैसमैन से दोस्ती की. रवि जोधपुर के चौहाबो कस्बे का रहने वाला था. रवि को जब भी समय मिलता, वह संजना (सिद्धार्थ) से चैटिंग कर लेता. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ता गया. उन की फोन पर भी बात होने लगी. सिद्धार्थ फोन पर रवि से लड़की की आवाज में बात करता था. रवि को उस की आवाज और बातें बहुत अच्छी लगती थीं. उसे बात करते समय बिलकुल भी अहसास नहीं हुआ कि वह जिस संजना से बात कर रहा है, वह लड़की नहीं बल्कि लड़का है.

रवि शादीशुदा था, इस के बावजूद वह संजना से बहुत प्रभावित था. कह सकते हैं, वह संजना को चाहने लगा था और उस से शादी करने का फैसला ले चुका था. उस ने अपने मन की बात फोन पर संजना को बता दी थी. शादी के लिए संजना ने भी अपनी सहमति दे दी थी, लेकिन उस ने बताया कि उस की कुंडली में शनि और मंगल का दोष है, जब तक यह दोष दूर नहीं हो जाता तब तक शादी नहीं हो सकती. रवि उस से शादी के लिए इतना उतावला था कि कुछ भी करने को तैयार था. इस बारे में उस ने संजना के परिजनों से बात करने की इच्छा जताई तो सिद्धार्थ ने पिता, मां और भाई की आवाज में उस से फोन पर खुद ही बात की

उस ने बदली हुई आवाज में रवि को बताया कि जब तक शनि और मंगल का दोष दूर नहीं होगा, तब तक शादी नहीं हो सकेगी. दोष दूर करने के लिए उस ने 4 बार में नर्मदा नदी की 10,400 किलोमीटर की यात्रा भी करवाई. मजे की बात यह कि इस दौरान सिद्धार्थ जो संजना बन कर रवि से फोन पर बातें करता था, वह संजना का भाई बन कर रवि के साथ घूमता भी रहा. वह 3 साल तक रवि के पैसों से ही जगहजगह घूमा. उस से लाखों रुपए ऐंठे. रवि ने सिद्धार्थ से कहा कि वह अपनी बहन संजना से उस की कम से कम एक बार तो मुलाकात करा दे. तब सिद्धार्थ ने कहा कि उन के यहां शादी से पहले लड़की को अपने होने वाले पति से मिलने की अनुमति नहीं होती.

रवि फोन पर बात करते समय समझता था कि वह अपनी प्रेमिका संजना से ही फोन पर बात कर रहा है, जबकि हकीकत कुछ और ही थीसंजना के भाई बने सिद्धार्थ ने एक बार रवि से कहा कि संजना की तबीयत बहुत खराब है. इलाज कराने पर भी फायदा नहीं हो रहा है. एक पंडित ने होने वाले पति और भाई को कामाख्या मंदिर और ओंकारेश्वर की परिक्रमा करने की सलाह दी है. यदि ऐसा किया गया तो वह बच सकती है. रवि अपनी प्रेमिका संजना को हर हालत में ठीक देखना चाहता था, इसलिए वह पंडित द्वारा बताया गया उपाय करने को तैयार हो गया. सिद्धार्थ ने रवि के साथ कामाख्या मंदिर और ओंकारेश्वर की भी परिक्रमा की.

काश! रवि यह जान पाता कि सिद्धार्थ केवल खुद संजना था, बल्कि संजना की मां, पिता, मौसी सब वही था और अलगअलग आवाजों में वही रवि से बातें करता था. वही सोशल साइट पर उस से चैटिंग करता था. लेकिन रवि तो संजना की आवाज का मुरीद था. सिद्धार्थ अपनी आवाज का पूरा फायदा उठा रहा था. इस तरह सिद्धार्थ ने रवि के साथ 3 सालों में करीब 1 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्राएं कीं और समयसमय पर किसी किसी बहाने उस से पैसे भी ऐंठता रहा. लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी जब रवि को उस की प्रेमिका संजना से नहीं मिलाया गया तो रवि को शक हो गया कि आखिर सिद्धार्थ और उस के घर वाले उसे संजना से मिलने क्यों नहीं दे रहे.

रवि इनाणिया ने इस बात की शिकायत जोधपुर के चौहाबो थाना पुलिस से की. पुलिस ने रवि की शिकायत पर जांच शुरू की. पुलिस ने संजना का फेसबुक एकाउंट चैक किया. इस एकाउंट और फोन नंबर के सहारे पुलिस 16 दिसंबर, 2019 को मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले सिद्धार्थ पटेल के पास पहुंच गईसिद्धार्थ से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार किया कि वही संजना बन कर लड़की की आवाज निकाल कर रवि से बातें करता था. पुलिस को सिद्धार्थ के बारे में जानकारी मिली कि उस ने अंगरेजी मीडियम स्कूल में अपनी पढ़ाई की. 10वीं और 12वीं कक्षा में सिद्धार्थ अपने स्कूल का टौपर रहा था. स्कूल की पढ़ाई के बाद उस ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया था.

उस का सपना आईएएस बनना था, इसलिए सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए वह दिल्ली चला गया था. वह शुरू से प्रतिभावान रहा. वह बचपन से ही कई तरह की आवाजें निकाल कर दोस्तों का मनोरंजन करता था. पुलिस ने सिद्धार्थ को न्यायालय में पेश कर 7 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में सिद्धार्थ से विस्तार से पूछताछ की गई. सिद्धार्थ ने रवि के सामने संजना (लड़की) की आवाज निकाली तो रवि के अलावा पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गई. तब रवि ने कहा कि यह आवाज तो उस की प्रेमिका संजना की ही है लेकिन सिद्धार्थ संजना नहीं है. उस ने आशंका जताई कि हो सकता है कि इन लोगों ने संजना का मोबाइल छीन कर उसे जबरदस्ती कैद कर रखा हो. रवि को भले ही उस की संजना नहीं मिली पर पुलिस ने सिद्धार्थ पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

 

Murder Story : पुलिस अधिकारी ने किया पत्नी और साली का मर्डर

Murder Story : पत्नी विनीता मरावी और साली मेघा की हत्या करने के बाद सहायक सबइंसपेक्टर योगेश मरावी एक सबइंसपेक्टर की भी हत्या करना चाहता था, लेकिन इस से पहले ही वह गिरफ्तार कर लिया गया. दूसरों को कानून का पालन कराने वाले एक पुलिस अधिकारी ने आखिर क्यों उठाया ऐसा खौफनाक कदम?

पत्नी विनीता ने योगेश मरावी को धिक्कार दिया तो इस बात से भी योगेश तिलमिला गया, क्योंकि वह पत्नी से दूर नहीं होना चाहता था. योगेश को लग रहा था कि विनीता अपनी बहन मेघा के कहने पर यह सब कर रही है. ऐसे में योगेश मेघा को सबक सिखाने की प्लानिंग बनाने में लग गया था. फिर वह पत्नी से ज्यादा अपनी साली मेघा से नफरत करने लगा था.

उस दिन भोपाल आने के लिए योगेश ने  टैक्सी किराए पर ली थी और टैक्सी ड्राइवर मोहित के साथ वह भोपाल पहुंचा था. सिमी अपार्टमेंट्स के पीछे एकांत क्षेत्र में कार खड़ी करवा कर उस ने ड्राइवर को रुकने को कहा. उस के बाद पत्नी के फ्लैट के सामने वह नौकरानी के आने का इतंजार करने लगा, क्योंकि पत्नी उस के कहने पर फ्लैट का गेट नहीं खोलती. मेघा के फ्लैट में घरेलू काम करने वाली मेड सेवंती पूर्वाह्न करीब 11 बजे फ्लैट पर पहुंची. सेवंती ने जैसे ही फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से आवाज आई, ”कौन..?’’ 

योगेश से मनमुटाव के चलते विनीता पिछले कुछ महीनों से बिना जांचपड़ताल के दरवाजा नहीं खोलती थी. उसे हर समय यह डर लगा रहता था कि कहीं योगेश उस से मिलने न आ जाए.

दीदी, मैं सेवंती.’’ सेवंती की आवाज पहचानते हुए विनीता ने दरवाजा खोला.  

दरवाजा खुलते ही योगेश ने सेवंती को बाहर की तरफ धक्का दिया और खुद अंदर घुस गया. सेवंती परेशान सी घर के बाहर खड़ी कुछ समझ पाती, तभी पलभर में ही अंदर से बचाओ…बचाओकी आवाज आने लगी. नौकरानी ने मदद के लिए सामने वाले फ्लैट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला. थोड़ी देर बाद योगेश अंदर से निकला और दरवाजे के गेट पर लगे ताले में चाबी डाल कर तेज कदमों से बाहर चला गया.

इस के बाद सेवंती ने दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश किया तो अंदर का नजारा देख कर वह जोर से चीख पड़ी. अंदर कमरे में मेघा और विनीता दोनों फर्श पर खून से लथपथ पड़ी हुई थीं. तब तक आसपास के फ्लैटों में रहने वाले कुछ लोग वहां पहुंच गए और उन्होंने पुलिस को फोन कर इस की जानकारी ऐशबाग पुलिस को दी. यह घटना 3 दिसंबर, 2024 की है. सूचना मिलते ही भोपाल के ऐशबाग थाने के टीआई जितेंद्र गढ़वाल ने वरिष्ठ अधिकारियों को इस की सूचना दी और अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. थोड़ी ही देर में डीसीपी जोन-1 प्रियंका शुक्ला, डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम भी घटनास्थल पर पहुंच चुकी थी. 

मौके पर पहुंचा खोजी कुत्ता सिम्मी अपार्टमेंट्स के पीछे लगभग 50 मीटर तक जा कर वापस लौट आया था. पुलिस ने फेमिली वालों को घटना की सूचना दी और मौके की काररवाई पूरी कर दोनों डैडबौडी पोस्टमार्टम के लिए भोपाल के हमीदिया अस्पताल भेज दीं. मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा, एडिशनल पुलिस कमिश्नर पंकज श्रीवास्तव ने भी घटनास्थल का मुआयना किया और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए.

दोनों बहनों का पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर भी यह देख कर हैरान रह गए कि आरोपी ने कितनी बेरहमी से उन पर चाकू से वार किया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस को पता चला है कि आरोपी ने चाकू से साली मेघा के शरीर पर 14 और पत्नी विनीता पर 7 वार किए थे. इस में से कई वार तो उन के प्राइवेट पार्ट पर किए गए थे. इस के अलावा कमर पर 2, पेट और बाएं हाथ के अंगूठे पर भी एकएक वार किया था.

सीसीटीवी फुटेज से ऐसे मिला सुराग

जिस सिम्मी अपार्टमेंट्स में वारदात हुई, वह पौश इलाका है. अपार्टमेंट के ग्राउंड फ्लोर पर व्यावसायिक गतिविधियां चलती हैं. मेघा के फ्लैट के सामने एक जैन परिवार रहता है, जिस ने पुलिस को घटना के बारे में कुछ भी बोलने से मना कर दिया. पहली मंजिल पर रहने वाली स्वीटी वासनिक ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि मेघा खादी और ग्रामोद्योग विभाग में अकाउंट औफीसर की पोस्ट पर थी. वह सुबह औफिस जाती और शाम को वापस घर लौटती. दोनों बहनें बहुत कम ही कहीं आतीजाती थीं.

डीसीपी प्रियंका शुक्ला के निर्देश पर भोपाल पुलिस की 3 टीमें आरोपी को सर्च कर रही थीं. घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने घर में पड़ी लाशों को बरामद करने और क्राइम सीन का मुआयना करने के साथसाथ कातिल की तलाश और उस की पहचान के लिए आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की.

टीआई जितेंद्र गढ़वाल ने आसपास के सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले तो उस में एक शख्स अपार्टमेंट से बाहर पैदल ही बीवी के उस फ्लैट की तरफ बढ़ता नजर आ रहा था. उस के हाथ में एक बैग था और बैग में चाकू. शख्स की पहचान अपने ही महकमे के एएसआई योगेश मरावी के तौर पर हुई. सिम्मी अपार्टमेंट्स के ग्राउंड फ्लोर में 4 फ्लैट हैं, इन में 2 परिवार रहते हैं. उन के सामने 2 फ्लैट में ईमेजर्स सेल्स प्राइवेट लिमिटेड का औफिस था. इस कंपनी का एक सीसीटीवी कैमरा सीढिय़ों के सामने लगा था. दूसरी मंजिल पर जहां मेघा सिंह और उस की बहन विनीता मरावी की हत्या हुई, उस के बाजू वाला फ्लैट एक महिला का था, जो 2 साल से खाली पड़ा था. 

वहीं सामने एक जैन परिवार रहता था. उन के बाजू वाला फ्लैट भी खाली था. ईमेजर्स सेल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कैमरे में हत्या करने से पहले योगेश के जाने और वापस आने के समय में  सिर्फ 6 मिनट का अंतर पाया गया. सीसीटीवी फुटेज के समय से साबित हुआ कि 6 मिनटों में ही इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया गया.

पत्नी की एसआई से क्यों बढ़ीं नजदीकियां

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के बैहर में रहने वाले जयपाल सिंह सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल थे. विनीता और मेघा उन की 2 बेटियां थीं. सरकारी स्कूल से प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुए जयपाल सिंह का कोई बेटा नहीं था. अपनी दोनों बेटियों की उन्होंने बड़े प्यार से परवरिश कर अच्छी शिक्षा दिलाई थी. छोटी बेटी मेघा खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग में अकाउंट्स औफीसर बन गई, जिस के चलते वह फिलहाल भोपाल के पद्मनाभ नगर के पास सिमी अपार्टमेंट्स फेज-2 की दूसरी मंजिल पर बने फ्लैट में किराए पर रहती थी. 

विनीता की शादी योगेश मरावी से हुई थी, योगेश पुलिस विभाग में है और फिलहाल मंडला के मंडला मवई थाने में एएसआई के पद पर तैनात था. शादी के कई साल बाद भी उन की कोई संतान नहीं हुई. योगेश इस के पहले जब ग्वालियर में तैनात था तो वहां के एक एसआई के साथ उस की दोस्ती थी. एसआई अकसर योगेश के घर आता रहता था फिर विनीता और उस एसआई के बीच नजदीकियां बढ़ रही थीं. एक मामले में योगेश और एसआई सस्पेंड भी हुए थे, इस के बावजूद विनीता और एसआई के बीच नजदीकियां और बढ़ गई थीं. बाद में योगेश को भी इस की भनक लगी तो वह पत्नी के चरित्र पर शक करने लगा था. 

गैरमर्द के साथ अफेयर के कारण उन के बीच करीब 5 सालों से मनमुटाव चलता रहा. योगेश के लगातार शक करने के चलते बीते 4 महीनों में उन का झगड़ा काफी बढ़ गया था. रोजाना के झगड़ों और पति के शक के कारण मानसिक रूप से परेशान विनीता बीते 4 महीनों से अपने मायके आ कर रहने लगी थी. कुछ दिन पहले उन दोनों की फेमिली के बीच बातचीत हुई थी, जिस में दोनों का तलाक करवाने की बात हुई थी. 3 दिसंबर को ही तलाक के पेपर तैयार होने थे. मम्मीपापा के पास रह रही विनीता को भोपाल में रहने वाली उस की छोटी बहन मेघा ने कुछ दिन के लिए अपने पास बुला लिया था, लेकिन योगेश को शक था कि विनीता का भोपाल में किसी से मिलनाजुलना होता है. शक के कारण योगेश विनीता से ससुराल या मायके में रहने की बात कह चुका था. 

पुलिस जांच में सामने आया कि 40 वर्षीय योगेश मरावी अपनी 35 वर्षीय पत्नी विनीता को घर ले जाना चाहता था, लेकिन उस की साली मेघा उसे विनीता से बात नहीं करने देती थी. कुछ दिन पहले वह विनीता को समझाने के मकसद से उस से मिलने भोपाल आया था. उस समय मेघा ने पुलिस को फोन कर दिया था. योगेश इस बात से बहुत परेशान था कि जिस जीवनसाथी के साथ उस ने सात फेरे लिए थे, उस से वह बात करने के लिए भी तरस रहा था. कहने को तो वह मंडला जिले के पुलिस थाने में एएसआई था और इलाके में उस का रौब भी था, मगर घरगृहस्थी के जंजाल में उस का सुखचैन खो चुका था. 

योगेश मरावी की शादी विनीता उर्फ गुडिय़ा से 10 साल पहले हुई थी. शादी के 2-3 साल तो खुशीखुशी गुजर गए, मगर धीरेधीरे दोनों के बीच आपसी मनमुटाव बढऩे लगा. आए दिन उन के बीच नोकझोंक होने लगी. विनीता हर छोटीबड़ी बात अपनी बहन मेघा को बताने लगी तो मेघा ने उसे अपने पास भोपाल बुला लिया. करीब 3 साल से विनीता योगेश से अलग रह रही थी और योगेश उस से मिलने भोपाल जाता था. दीवाली के बाद से विनीता ने योगेश से मिलना बंद कर दिया. योगेश को पता चला कि उस की बहन मेघा के कहने पर विनीता ने उस से बात तक करनी बंद कर दी तो वह मेघा से नफरत करने लगा. योगेश का मन अब अपनी ड्यूटी में नहीं लग रहा था, अपने दांपत्य जीवन का तनाव उस से बरदाश्त नहीं हो रहा था. 

फोन पर कई बार मिन्नतें करने के बाद भी जब विनीता का दिल नहीं पसीजा तो एक दिन वह विनीता से मिलने भोपाल पहुंच गया. वह विनीता से मिल कर उसे अपने साथ फिर से ले जाना चाहता था और पुराने गिलेशिकवे दूर कर एक नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहता था. विनीता अपनी बहन मेघा के जिस फ्लैट में रहती थी, वहां जा कर जैसे ही योगेश ने डोर बेल बजाई तो अंदर से आवाज आई, ”कौन है?’’

विनीता की जानीपहचानी आवाज सुन कर योगेश बोला, ”मैं हूं योगेश, तुम से मिलने आया हूं.’’

लेकिन मुझे नहीं मिलना तुम से.’’ विनीता ने बेरुखी से जवाब दिया.

इतनी नाराजगी भी ठीक नहीं विनीतादरवाजा खोलो, फिर मैं तुम से इत्मीनान से बातें करना चाहता हूं. मैं तुम्हारे बिना मछली जैसा तड़प रहा हूं.’’ योगेश उस से गिड़गिड़ाते हुए कह रहा था.

पत्नी योगेश से क्यों नहीं कर रही थी बात

अंदर से योगेश को मेघा की आवाज भी सुनाई दे रही थी जो विनीता से कह रही थी कि दरवाजा हरगिज नहीं खोलना. काफी मिन्नतों के बाद भी विनीता ने दरवाजा नहीं खोला और अंदर से ही जबाब देते हुए कहा, ”अब हमारा आप से कोई संबंध नहीं रहा, मैं किसी भी सूरत में तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती और न ही मुझ से दोबारा मिलने की कोशिश करना. मैं ने तो तलाक के पेपर भी तैयार करवा लिए हैं. जल्द ही तलाक के पेपर भी तुम्हें मिल जाएंगे.’’

2 दिन पहले भी रात के समय योगेश ने पत्नी के फ्लैट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन किसी अनहोनी की आशंका से पत्नी विनीता ने दरवाजा नहीं खोला था. शादी के 10 साल बीतने पर भी संतान नहीं होने पर पतिपत्नी के बीच तनाव बढ़ रहा था. योगेश को शक था कि उस की पत्नी का किसी से अफेयर चल रहा है. 3 साल से योगेश लगातार विनीता उर्फ गुडिय़ा को साथ रहने के लिए मंडला बुला रहा था, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हो रही थी. गुडिय़ा अपनी बहन मेघा के साथ भोपाल के सिम्मी अपार्टमेंट्स के फेज 3 में दूसरी मंजिल के फ्लैट नंबर सी 13/10 में रहती थी.

योगेश को लगता था कि मेघा ही उस की पत्नी विनीता को लगातार भड़काती रहती है और उस से मिलने से भी रोकती है. योगेश अपने खराब हुए रिश्ते को ले कर पत्नी से समझौता करने की कोशिश भी कर रहा था.  फेमिली वाले भी योगेश और उस की पत्नी के बीच काउंसिलिंग का प्रयास कर रहे थे, लेकिन साली का व्यवहार देख योगेश पत्नी से ज्यादा साली से नफरत रखने लगा और उस ने दोनों को ही सबक सिखाने की ठानते हुए भयानक योजना बना डाली.

भोपाल पुलिस ने आरोपी एएसआई मरावी के मंडला की तरफ भागने की सूचना प्रसारित की थी. चूंकि योगेश मंडला जिले में तैनात था, ऐसे में मंडला जिले के एसपी रजत सकलेचा ने जिले के सभी थानों को इस मामले में अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए. 3 दिसंबर, 2024 की शाम को लगभग 5 बजे नैनपुर थाना क्षेत्र में पहुंचते ही मंडला जिले के थाना नैनपुर की पिंडरई चौकी प्रभारी राजकुमार हिरकने ने टैक्सी रोक कर एएसआई योगेश मरावी और ड्राइवर मोहित को हिरासत में ले लिया गया. 

जांच के दौरान एएसआई के कपड़ों से खून के निशान नहीं मिले, संभावना व्यक्त की जा रही थी कि वारदात के बाद उस ने कपड़े बदल लिए होंगे. योगेश जानता था कि मोबाइल की वजह से उस की लोकेशन ट्रेस हो सकती है, इसलिए वह मोबाइल मंडला में ही छोड़ आया था. योगेश को यह भी पता था कि उस की आवाज पर विनीता और मेघा दरवाजा नहीं खोलेगी, इसलिए वह कामवाली बाई के पीछेपीछे पत्नी व साली के फ्लैट पहुंचा और दरवाजा खुलते ही बाई को धक्का दे कर फ्लैट में अंदर घुस गया.

भीतर जा कर उस ने पत्नी और साली के शरीर पर चाकू से इतने वार किए कि उन के शरीर से निकला खून फ्लैट में चारों तरफ फर्श पर फैल गया. पुलिस को शव कपड़े में लपेट कर ले जाने पड़े थे, इस दौरान भी उन के शरीर से निकल रहा खून सीढिय़ों पर गिर रहा था. योगेश सफेद रंग की जिस कार को किराए पर ले कर भोपाल आया था, उस का रजिस्ट्रैशन नंबर सीजी04 एचएस1052 छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर का था. वह अपने साथ मोहित नाम के ड्राइवर को ले कर आया था. पत्नी के फ्लैट के पास ही यह कार खड़ी कर आया था. 

पत्नी व साली के मर्डर के बाद प्रेमी एसआई था अगला निशाना

भोपाल पुलिस ने कार और आरोपी की फोटो नजदीकी जिलों में भेज कर आरोपी की घेराबंदी की योजना बनाई थी. भोपाल से मंडला जाते समय बीच रास्ते में उस ने एक ढाबे पर रुक कर एक सुसाइड नोट भी लिखा, जिस से पता चलता है कि दोहरे कत्ल की वारदात को अंजाम देने के बाद उस का इरादा खुदकुशी करने का था, लेकिन ऐसा करने से पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. सुसाइड नोट से साफ है कि योगेश को अपनी बीवी के साथसाथ अपनी साली मेघा से भी शिकायत थी और उस से सख्त नाराजगी थी. शायद यही वजह थी कि उस ने बीवी से ज्यादा चाकू अपनी साली को मारे. 

अपनी पत्नी और साली की हत्या करने वाले एएसआई की जेब से पुलिस को एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था. एएसआई योगेश मरावी ने पत्नी और साली की हत्या से पहले अपने पिता को एक सुसाइड नोट लिखा था. पिता को लिखे पत्र में आरोपी ने लिखा था

पिताजी, मैं विनीता की हत्या करने वाला हूं. 17 साल की शादी में वह मेरे साथ 8-10 दिन भी नहीं रही. मैं उसे साथ लाने की कोशिश करता हूं तो उस की बहन मेघा भड़का देती है. मैं चाहता हूं कि विनीता मेरे साथ मंडला में रहे, लेकिन साली उसे भड़का कर कहती है कि तुम या तो भोपाल में रहो या फिर मायके में. मैं इन चीजों से बुरी तरह प्रताडि़त हो चुका हूं.

इसी पत्र में आरोपी ने विनीता के अफेयर का भी जिक्र किया. आरोपी एएसआई मरावी ने अपनी पत्नी पर किसी दूसरे के साथ अफेयर का आरोप लगाया था.

पुलिस ने योगेश से पूछा, ”आखिर तुम ने अपनी साली मेघा का कत्ल क्यों कर दिया?’’

इस पर योगेश ने कहा, ”मैं विनीता को छोडऩा नहीं चाहता था और उस के साथ रहना चाहता था. इस के लिए हरसंभव कोशिश कर चुका था, मगर वह साथ रहने को राजी नहीं थी. विनीता ने मेघा के कहने पर ही तलाक के पेपर तैयार कराए और मुझे नोटिस भेजा था. मेघा लगातार उस का ब्रेन वाश करती थी. फोन पर मुझ से बात भी नहीं करने देती थी. हमारे रिश्ते के बीच आ कर उस ने सब कुछ बेहद खराब कर दिया था. 

विनीता 4 साल पहले बिना बताए एक अन्य व्यक्ति के साथ चली गई थी. इस के बाद भी मैं उसे साथ रखने के लिए राजी था, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थी. मुझे हत्या के सिवा कोई और रास्ता नहीं सूझ रहा था. इस वजह से मैं ने उसे भी निपटा दिया.’’

जेब से मिले सुसाइड नोट के आधार पर ये तथ्य सामने आए कि आरोपी एएसआई योगेश मरावी को अपनी पत्नी पर शक था कि ग्वालियर में पदस्थ एसआई से उस के संबंध हैं.

पत्नी विनीता और साली मेघा की हत्या करने के बाद आरोपी एएसआई योगेश मरावी ग्वालियर में पदस्थ उस एसआई की भी हत्या कर के खुद आत्महत्या करने वाला था, लेकिन अगली वारदात को अंजाम देने से पहले ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया. 

4 दिसंबर, 2024 को पुलिस योगेश मरावी को घटनास्थल पर ले कर गई, जहां वारदात का रिक्रिएशन किया गया. इस के बाद पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उसे भोपाल जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित