एसडीएम पत्नी का हत्यारा बना पति – भाग 2

बड़ी बहन ने बताया निशा के पति का सच

2021 से पहले स्वप्निल निशा के पास रह कर ही स्कूल की पढ़ाई करता था, बाद में निशा की शादी मनीष से होने पर मनीष ने ऐतराज जताया तो मनीष के कहने पर निशा ने अपने पास रखने से मना कर दिया था.

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में रहने वाली निशा नापित ने छत्तीसगढ के अंबिकापुर में चौपड़ा कालोनी में रह कर अपनी पढ़ाई की थी. उन के पापा ज्ञानचंद नापित और मम्मी का पहले ही निधन हो चुका था. निशा की बड़ी बहन के अलावा उन का कोई नहीं था.

निशा बचपन से ही प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना देख रही थीं. वह जिंदगी को अपने तरीके से जीना चाहती थीं. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करतेकरते शादी की उम्र होने पर बड़ी बहन नीलिमा ने निशा से कहा, ”अब तू शादी कर ले, अधिकारी बनने के चक्कर में तेरी उम्र निकल रही है.’’

इस पर निशा ने अपना रुख साफ करते हुए कहा, ”दीदी, जब तक मैं अपना करिअर नहीं बना लेती, तब तक शादी हरगिज नहीं करूंगी.’’

निशा के इस जबाब पर नीलिमा के पास चुप रह जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था. निशा नापित ने 15 मार्च, 2003 को नायब तहसीलदार के पद पर सेवाएं मध्य प्रदेश के छिंदवाडा जिले से शुरू की थी. पदोन्नत हो कर पहले वह तहसीलदार बनीं और उस के बाद डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ हुई थीं. 2010 में निशा तहसीलदार बना कर सतना भेजी गईं और 2020 में उन का प्रमोशन डिप्टी कलेक्टर के रूप में हो गया. उस समय निशा मंडला में पोस्टेड थीं.

निशा ने दूसरी जाति के युवक से की थी शादी

प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने जब उन की बहन नीलिमा को पूरा घटनाक्रम बताया तो उन्होंने निशा के पति मनीष को ही मौत का जिम्मेदार बताया. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर की रहने वाली निशा नापित और ग्वालियर के रहने वाले मनीष शर्मा ने लवमैरिज की थी. निशा नाई जाति की थीं जबकि मनीष ब्राह्मण था.

दोनों की मुलाकात एक मैट्रीमोनियल साइट ‘शादी डौटकौम’ के जरिए हुई थी. दोनों ने एकदूसरे को पसंद कर लिया और अक्तूबर 2020 में मंडला के गायत्री मंदिर में उन्होंने शादी कर ली थी.

एसडीएम जैसे ओहदे पर बैठीं निशा नापित की मनीष से जानपहचान एक मैट्रीमोनियल साइट के जरिए हुई थी. उस समय निशा की उम्र 46 साल हो चुकी थी. घर वाले भी निशा के लिए रिश्ते तलाश रहे थे. ऐसे ही समय निशा को मनीष की प्रोफाइल ठीक लगी.

मनीष उस समय 40 साल का था और निशा से शादी करने तैयार था. एकदूसरे को जानने समझने के लिए फोन पर शुरू हुआ बातचीत का सिलसिला मुलाकातों में बदल गया और जल्द ही दोनों में प्यार भी हो गया.

इस मामले में निशा ने अपनी बड़ी बहन नीलिमा से चर्चा की तो नीलिमा ने मनीष से बातचीत कर उस के बारे में तहकीकात की. मनीष से हुई बातचीत में नीलिमा को मनीष के व्यवसाय को ले कर शक भी हुआ था और नीलिमा ने निशा को आगाह भी किया था कि वह सोच समझ कर फैसला ले.

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नीलिमा नापित 

इस के बाद निशा ने परिवार को बिना बताए शादी कर ली थी. परिवार के लोगों को बाद में जानकारी लगी. निशा एक बार नीलिमा से मिलने घर आई तो पति मनीष भी साथ में था. मंडला में पोस्टिंग के दौरान भी दोनों के बीच खूब विवाद हुआ था. तत्कालीन एसपी ने दोनों को समझाया था.

निशा छत्तीसगढ़ की रहने वाली थीं और उन की शादी ग्वालियर में हुई थी. वह बतौर डिप्टी कलेक्टर जुलाई, 2023 में डिंडोरी जिले में पदस्थ हुई थीं और उन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले शहपुरा एसडीएम की कमान सौंपी गई थी.

निशा को कुत्ते पालने का बहुत शौक था, जब वह सतना में पोस्टेड थीं, तब उन के पास 3 डौग्स थे और शहडोल जिले के अनूपपुर आने के बाद 2 डौग और रख लिए थे. मनीष से शादी होने के कुछ ही महीने बाद उन्होंने वो सारे डौग्स अपने घर अंबिकापुर भेज दिए थे.

बाद में निशा की बड़ी बहन नीलिमा नापित ने पुलिस को बताया कि शादी के तीसरे दिन से ही मनीष निशा को पैसों के लिए प्रताडि़त करने लगा था. उस का कई दूसरी महिलाओं से भी अफेयर था.

पति की इन हरकतों से परेशान निशा ने नीलिमा के बेटे स्वप्निल को सरकारी दस्तावेजों में अपना नौमिनी बना दिया था. इस से मनीष झल्लाया रहता था, क्योंकि आमतौर पर तमाम रिकौर्डों में जीवनसाथी को ही नौमिनी बनाया जाता है.

शादी के चंद दिनों बाद ही निशा को समझ आ गया था कि अकसर घर से गायब रहने वाले मनीष ने उस के रुतबेदार ओहदे, पगार और पैसों से शादी की है. आए दिन वह निशा से पैसे मांगता रहता था. एक बार तो धंधे रोजगार के लिए निशा ने बैंक लोन ले कर भी उसे 5 लाख रुपए दिए थे. मनीष शराब भी पीता था और आवारा, मनचले भंवरों की तरह तितलियों पर मंडराना भी उस की फितरत थी. जाहिर है, प्यार का भूत निशा के सिर से उतर चुका था. निशा जल्दबाजी में लिए गए अपने शादी के फैसले पर पछता रही थी.

मनीष ने निशा ने क्यों छिपाई सच्चाई

मनीष शर्मा का परिवार ग्वालियर में  रहता है. मनीष जब 14 साल का था, तभी उस ने घर छोड़ दिया था. वह घर से अलग ही रहता था. 2009 में वह घर आया था, तब उस ने कहा था कि मुझे खेती में हिस्सा चाहिए. उस के भाई नीलेश ने उस के हिस्से की 3 बीघा जमीन उस के नाम कर दी थी. इस के बाद हमारा उस से कोई रिश्ता नहीं रहा.

2018 में वह एक बार फिर घर आया और मां से कहने लगा कि मेरी उम्र 40 साल हो गई है. शादी नहीं हुई है. मेरे लिए एक रिश्ता आया है. मां ने पहले इनकार किया, लेकिन सब रिश्तेदारों ने सोचा कि चलो शादी के बाद सुधर जाएगा. यही सोच कर उस की शादी कर दी.

शादी के 3 महीने ही हुए थे कि मनीष ने उस लड़की से भी झगड़ा शुरू कर दिया. जब मां उस के कमरे में गई तो वह बोला कि तुम मेरे लिए मर गए हो. फिर हम ने अपने मामा से बात की. मामा ने समझाने की कोशिश की तो मनीष ने कहा कि तुम सब मेरे लिए मर चुके हो. बाद में फिर मनीष का उस लड़की से तलाक हो गया.

शादी डौटकौम पर अपनी प्रोफाइल में अपने आप को प्रौपर्टी डीलर बताने वाले मनीष शर्मा की जब निशा से शुरुआती मुलाकात हुई तो वो खुद को एक इंजीनियर बताता था. रिश्ते के लिए जब निशा की बड़ी बहन नीलिमा ने बात की तो वह उन के सवालों का ठीक से जवाब नहीं दे पाया. लेकिन निशा ने परिवार के मना करने के बावजूद एक दिन फोन कर बताया कि उन्होंने शादी कर ली है.

एआई से खुली मर्डर मिस्ट्री – भाग 1

उत्तरी दिल्ली के कोतवाली थानाक्षेत्र में गीता कालोनी फ्लाईओवर की झाडिय़ों में मिली इस अज्ञात लाश की सूचना किसी व्यक्ति ने थाना कोतवाली में फोन कर के दी थी. यह बात 10 जनवरी, 2024 की थी. यह काल लाल किला पुलिस चौकी  के इंचार्ज सतेंद्र सिंह को ट्रांसफर कर दी गई. यह सूचना मिलते ही पुलिस चौकी लाल किला के इंचार्ज एसआई सतेंद्र सिंह 4 कांस्टेबलों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

जब वह मौके पर पहुंचे तो गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों के पास लोगों की भीड़ जमा थी. वहां पर झाडिय़ों में एक 35-40 साल के युवक का शव नजर आ गया. उस युवक का सिर एक पेड़ के तने से सटा था और पांव पश्चिम दिशा की तरफ थे. उन्होंने पास जा कर उस लाश का गहनता से निरीक्षण किया गया.

युवक के गले पर खरोंच के निशान साफ दिखाई दे रहे थे. वह जिस स्थिति में पड़ा था, उस से अंदाजा लगाया गया कि इस की हत्या कहीं और कर के लाश इस सुनसान जगह पर झाडिय़ों में फेंक दी गई है. युवक के शरीर पर कोई ऐसा निशान नहीं नजर आ रहा था, जिस से उस की मौत का कारण समझा जा सकता था.

युवक की आंखें बंद थीं. एसआई सतेंद्र ने अनुमान लगाया कि इसे अवश्य ही गला घोंट कर मारा गया है. लाश के पास डबल बेड की प्रिंटेड चादर पड़ी थी, शायद इसी चादर में इसे लपेट कर यहां लाया गया होगा.

युवक के कपड़ों की तलाशी ली गई. उस की जेब में मोबाइल की लीड और लोहे की एक चाबी मिली. चाबी पर एक ओर गोदरेज लिखा था, दूसरी ओर 0879350 नंबर गुदा था. जेब में युवक का न तो मोबाइल फोन था, न पर्स. उस की पहचान की कोई भी चीज हत्यारों ने उस के पास नहीं छोड़ी थी.

पुलिस के सामने एक प्रकार से यह ब्लाइंड मर्डर केस था. फिर भी एसआई सतेंद्र सिंह ने वहां उपस्थित भीड़ की ओर देख कर पूछ लिया, ”क्या आप में से कोई इस युवक को पहचानता है?’’

जैसा कि उन्होंने सोचा था, वही उत्तर मिला, ”नहीं साहब.’’

आगे की जांच के लिए एसआई सतेंद्र सिंह ने फोरैंसिक टीम और फोटोग्राफर को फोन कर के वहां आने के लिए कह दिया. उन्होंने नार्थ जोन की एडिशनल डीसीपी श्वेता के. सुगाथन और एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह तथा औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार को भी इस अज्ञात युवक की लाश की सूचना दे दी. आधा घंटा में ही फोरैंसिक टीम, फोटोग्राफर और पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए.

केस सुलझाने में एआई ने कैसे की मदद

अधिकारियों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. उन की नजरों में भी यह ब्लाइंड मर्डर केस था. ऐसे मामलों में जांच का दायरा बढ़ जाता है. बारीक से बारीक बात पर ध्यान रख कर कदम बढ़ाया जाता है. ऐसे केस मुश्किल हो सकते हैं, लेकिन असंभव नहीं. पुलिस अत्यंत कड़ी मेहनत कर के मृतक का पता भी निकाल लेती है और उस की हत्या किस ने की है, यह भी मालूम कर लेती है.

        एसआई सतेंद्र

इस पेचीदा केस की जांच का काम एसआई सतेंद्र को सौंप दिया गया. औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार ने एसआई सतेंद्र को आदेश दिया कि इस युवक की पहचान के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पैंफ्लेट चिपकाए जाएं. लाश को यहां लाने के लिए किसी न किसी वाहन का भी प्रयोग हुआ होगा. वाहन की जांच के लिए सीसीटीवी कैमरों को खंगाला जाए.

एसआई सतेंद्र सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच के लिए रातदिन एक कर देंगे. फोरैंसिक टीम अपने काम में जुटी हुई थी. फोटोग्राफर ने विभिन्न कोणों से लाश के फोटो ले लिए थे.

सभी काम पूरा होने के बाद एसआई सतेंद्र सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी की मोर्चरी में भिजवा दिया. सारा काम निपटा तो उच्चाधिकारी वहां से चले गए. एसआई सतेंद्र सिंह भी अपने दल के साथ कोतवाली के लिए रवाना हो गए.

युवक कौन है, कहां रहता है, इस की जानकारी 2 दिन बाद भी नहीं हो पाई थी. एसआई सतेंद्र सिंह की देखरेख में कोतवाली के 30 पुलिसकर्मियों की विशेष टीम का गठन कर दिया गया था. इस टीम को दिल्ली के सार्वजनिक स्थानों पर पैंफ्लेट चिपकाने का काम सौंपा गया था.

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                मृतक

फोटो में चूंकि मृतक की आंखें बंद थीं, इसलिए मृतक की फोटो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से सुधार कर फोटो का बैकग्राउंड चेंज किया गया व आंखों को खोला गया.

ऐसा करने से मृतक का चेहरा जीवित व्यक्ति जैसा लगने लगा, जिस से पहचान में आसानी हो सके. इस फोटो के 2000 पैंफ्लेट तैयार कराए गए.

30 व्यक्तियों की टीम ने इन पोस्टरों को आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन, पार्कों, सड़क किनारे, बस स्टैंड, आटो स्टैंड के पास विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर चिपका दिया. दिल्ली के प्रत्येक पुलिस स्टेशन को भी सूचित किया गया.

जिस संदिग्ध वाहन में आरोपी द्वारा शव को फेंका गया था, उस का पता लगाने के लिए पुलिस की इस विशेष टीम ने लगभग 800 से अधिक सीसीटीवी कैमरे देखे. चूंकि शव को एकांत इलाके में फेंका गया था, इसलिए वहां कोई सीसीटीवी कैमरा कनेक्टिविटी नहीं थी. इसलिए वहां सीसीटीवी से किसी प्रकार की सफलता नहीं मिली.

गए थे रिपोर्ट लिखाने, मिल गई लाश

पैंफ्लेट 4 राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित हुआ था. इस के बावजूद भी किसी ने मृतक को पहचानने का दावा नहीं किया था.

पुलिस इस इंतजार में थी कि कोई न कोई व्यक्ति मृतक का इश्तहार देख कर थाने तक पहुंचेगा, लेकिन 2 दिन बीत जाने के बाद भी मृतक के किसी परिचित के पहुंचने की जानकारी नहीं मिली थी. एसआई सतेंद्र सिंह सब्र किए बैठे थे. अपनी तरफ से उन्होंने मृतक की पहचान का हरसंभव प्रयास किया था. देर बेशक हो रही थी, लेकिन सतेंद्र सिंह जानते थे कि उन्हें मृतक की पहचान में सफलता जरूर मिलेगी.

हुआ भी यही. 14 जनवरी, 2024 को बाहरी दिल्ली के छावला पुलिस स्टेशन में राहुल यादव नाम का युवक घबराया हुआ आया. उस के साथ उस की भाभी पूजा भी थी. वह भी उस समय काफी बदहवास नजर आ रही थी.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 2

कपल कार ले कर क्यों हुआ फरार

ऐसे में गोवा पुलिस भी इन दोनों मामलों को एकदूसरे से जोड़ कर देखने लगी थी और पुलिस ने फौरन कार के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया.

जांच में पता चला कि कार उस समय महाराष्ट्र के नवी मुंबई से मुंबई की तरफ दौड़ रही थी. एक बार फिर गोवा पुलिस ने कत्ल के एकदूसरे मामले में मुस्तैदी की वैसी ही मिसाल पेश की थी. इस बार गोवा पुलिस ने एक अमीर कारोबारी के कत्ल के सिलसिले में गोवा से करीब 470 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पेण इलाके से 2 संदिग्ध कातिलों को धर दबोचने में सफलता प्राप्त की.

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जब गोवा पुलिस ने नवी मुंबई पुलिस से संपर्क कर उन्हें उस संदिग्ध कार की जानकारी दी, जिस में संदिग्ध कातिल फरार हुए, उन का लोकेशन भी बताई. उस के तुरंत बाद नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 की टीम ने कार को ट्रैक करना शुरू कर दिया और आखिरकार उसे महाराष्ट्र के ही रायगढ़ जिले के अतर्गत पेण इलाके से कार में बैठे लोगों को हिरासत में ले लिया.

गोवा पुलिस की शिकायत के मुताबिक नवी मुंबई पुलिस को कार में एक संदिग्ध जोड़ा मिला, जिन्हें पुलिस ने फौरन गिरफ्तार कर लिया. वैसे तो इस जोड़े के साथ कार में एक और शख्स भी था, जो उन के साथ गोवा गया था, लेकिन वह पहले ही वहां से भाग निकला था.

इस के बाद शुरू हुआ पूछताछ का सिलसिला. मुंबई पुलिस दोनों से कार ले कर भागने की वजह जानने के साथसाथ नरोत्तम सिंह ढिल्लों के मर्डर के एंगल से भी पूछताछ करने लगी.

पहले तो काफी देर तक दोनों ने कत्ल वाली बात से इंकार किया, लेकिन जब उन की तलाशी में मृतक ढिल्लों के पास से लूटे गए गहने बरामद हो गए तो सारा मामला साफ हो गया था.

पकड़े गए जोड़े की हुई पहचान

नवी मुंबई पुलिस द्वारा पकड़े गए जोड़े की पहचान 32 वर्षीय जितेंद्र साहू और उस की 22 वर्षीय प्रेमिका नीतू शंकर राहुजा के तौर पर हुई, लेकिन दोनों से शुरू हुई पूछताछ के बाद एक कहानी जो निकल कर सामने आई, उस ने नवी मुंबई पुलिस से ले कर गोवा पुलिस तक का दिमाग ही घुमा दिया था. इस कातिल जोड़े के अनुसार कि इस कत्ल के पीछे सिर्फ लूटपाट की वजह नहीं, बल्कि धोखे और बदतमीजी की कहानी छिपी थी.

कपल ने पुलिस को बताया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों से उन की मुलाकात सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी. ढिल्लों ने उन्हें अपना परिचय देते हुए गोवा में पार्टी करने के लिए और मिलने के लिए बुलवाया था. मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली यह जोड़ी नरोत्तम सिंह ढिल्लों के बुलावे पर गोवा में उन के विला होरीजंस अजर्ड पर पार्टी करने पहुंची थी.

दोनों ने पुलिस को बताया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को पार्टी के बाद नरोत्तम सिंह ढिल्लों अपनी मेहमान लड़की से बदतमीजी पर उतर आए थे. उस के बाद जब कपल ने उन का विरोध किया तो ढिल्लों अपने रसूख का हवाला दे कर डराने धमकाने पर उतर आए थे.

बस ठीक उस के बाद गुस्से में उन की ढिल्लों से लड़ाई हो गई और इसी लड़ाई के दौरान अपना बचाव करते हुए उन के हाथों नरोत्तम सिंह ढिल्लों का अनजाने में मर्डर हो गया था. पोस्टमार्टम जांच में मौत का कारण गला घोंटना बताया गया था.

उधर नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 के वरिष्ठ निरीक्षक अबासाहेब पाटिल ने बताया, ”गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने दावा किया है कि ढिल्लों ने आरोपी महिला का यौन उत्पीडऩ किया था, इसलिए हम दोनों आरोपियों के फोटो उजागर करने में असमर्थ हैं.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने दावा किया है कि युवती के साथ यौन उत्पीडऩ करने की कोशिश करने के बाद उन्होंने नरोत्तम सिंह ढिल्लों का गला घोंट दिया था. फिर उन्होंने उन की सोने की चेन, सोने का कड़ा और मोबाइल लूट लिया. उस के बाद एक किराए की एसयूवी में मुंबई की ओर भाग गए. वे इस बात से अनजान थे कि कार में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगा हुआ है.’’

पुलिस को कई सवालों के जवाबों की थी तलाश

दोनों आरोपी कत्ल करने के बावजूद मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर ही बदतमीजी करने और यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगा रहे थे. जाहिर सी बात है कि एक सवाल यह भी था कि अगर वाकई गुस्से में आ कर ही ढिल्लों को जान ली तो फिर कत्ल के बाद उन्होंने ढिल्लों के जेवर और मोबाइल फोन जैसी कीमती चीजें क्यों लूट ली थीं?

गोवा पुलिस असल बात की तह तक पहुंचना चाहती थी कि कहीं कत्ल का मकसद केवल लूटपाट करना ही तो नहीं था? कहीं ऐसा तो नहीं है कि वे लूटपाट के अपने मकसद को छिपाने के लिए ढिल्लों के उत्पीडऩ या छेड़छाड़ वाली काल्पनिक कहानी सुना रहे हैं. गोवा पुलिस ने अब दोनों से इसी संबंध में अलगअलग विस्तृत पूछताछ करनी शुरू कर दी, जिस का नतीजा भी जल्द ही सामने आ गया था.

गोवा में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों की रहस्यमयी हत्या के आरोप में गिरफ्तार भोपाल का 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू ही इस मामले का मास्टरमाइंड निकला. गोवा पुलिस के अनुसार जितेंद्र साहू पूर्व में नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मैनेजर भी रह चुका था.

जितेंद्र साहू को इस बात का पता था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब में राजनीतिक रसूख रखने वाले परिवार से दूर अकेले रह कर गोवा में शाही जिंदगी जीते हैं. गोवा में उन के नाम पर विलाज और होटल भी हैं. जितेंद्र विला को हड़पना चाहता था और ढिल्लों से करोड़ों रुपए हड़पना चाहता था, इसलिए उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को हनीट्रैप के जाल में फंसाने की एक फुलपू्रफ योजना बनाई थी.

एसडीएम पत्नी का हत्यारा बना पति – भाग 1

शाहपुरा पुलिस फोरैंसिक टीम के साथ जब जांच के लिए एसडीएम बंगले पर पहुंची तो पाया कि एसडीएम निशा की मौत जिस कमरे में हुई थी, वहां के बैड की बैडशीट और तकिया का कवर वहां मौजूद नहीं था.  पुलिस टीम ने जब मनीष से इस के बारे में पूछा तो उस ने कहा, ”मैडम को उल्टी होने पर नाक से ब्लड आया था, जिस से कपड़े खराब हो गए थे. इसी वजह से उस ने बैडशीट और तकिए का कवर मशीन में धोने के लिए डाला था.’’

पुलिस टीम ने जब वाशिंग मशीन का ढक्कन खोला तो बैडशीट और तकिए के कवर के साथ एसडीएम निशा के कपड़े भी मशीन के सुखाने वाले पोर्शन में पड़े हुए थे. पुलिस टीम यह सोच कर हैरान थी कि एसडीएम बंगले पर मौजूद कर्मचारी से कपड़े मशीन में धुलवाने के बजाय मनीष ने खुद यह काम क्यों किया. मनीष के इसी बयान पर पुलिस का शक यकीन में बदल गया.

रविवार 28 जनवरी, 2024 का दिन था और मौसम का सब से सर्द दिन. ऐसे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात सीनियर डा. रत्नेश द्विवेदी अपने सरकारी आवास पर बैठे धूप का आनंद ले रहे थे, तभी दोपहर करीब 2 बजे उन के मोबाइल फोन पर घंटी बजी.

जैसे उन्होंने काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से हड़बड़ी में एक आवाज सुनाई दी, ”डाक्टर साहब, मैं गाड़ी भेज रहा हूं, जल्दी से एसडीएम के बंगले पर आ जाइए. मैडम की तबीयत ज्यादा खराब है.’’

फोन मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले की तहसील शहपुरा की एसडीएम निशा नापित के बंगले से आया था, लिहाजा डा. रत्नेश द्विवेदी बिना देर किए तैयार हो गए और जैसे ही गाड़ी आई, उस में बैठ कर वह एसडीएम बंगले पर पहुंच गए.

बंगले के बाहर एक शख्स उन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. जैसे ही डा. द्विवेदी गाड़ी से उतरे तुरंत ही उस शख्स ने कहा, ”डाक्टर साहब, अंदर चलिए. मैडम सुबह 10 बजे के बाद से ही कुछ बोल नहीं रहीं.’’

डा. रत्नेश द्विवेदी उस शख्स के साथ बंगले के अंदर दाखिल हुए. एसडीएम निशा नापित अपने बैड पर बेहाल पड़ी थीं. डा. द्विवेदी ने स्टेथस्कोप के एक सिरे को अपने कानों से  और उस का दूसरा सिरा मैडम के सीने के बाईं ओर लगाया और उस शख्स से मुखातिब होते हुए बोले, ”मैडम की ऐसी हालत कब से है?’’

”डाक्टर साहब, कल शनिवार को उन का व्रत था और मेरे मना करने के बाद भी वह 2 अमरूद खा गईं. मैडम का एक ही गुर्दा काम करता है और उन को सर्दीखांसी की हमेशा दिक्कत रहती थी. शायद इसी वजह से आज 10 बजे के आसपास उन को उल्टी हुई, फिर उन की नाक से ब्लड आया. इसे ले कर हमारी बहस भी हुई. वह नहीं मानीं, गुस्से में सो गईं तो मैं भी गुस्से में बाहर आ गया.’’ एसडीएम बंगले पर मौजूद उस शख्स ने बताया.

”जब उल्टी होने पर नाक से ब्लड आया था, तभी आप को मुझे फोन करना था.’’ डा. रत्नेश द्विवेदी बोले.

”रविवार को कोई काम रहता नहीं, इसलिए मैं ने जगाया ही नहीं. 10 बजे काम वाली बाई आई तो मैं घूमने चला गया. फिर बाई ने खाना बनाया और चली गई. फिर एक बजे के आसपास मैं ने सोचा खाने के लिए मैडम को जगा दूं. जब वह नहीं जागीं तो मैं ने आप को काल किया.’’

”मैडम को तत्काल अस्पताल ले चलो. हाइपरटेंशन या फिर ब्रेन हेमरेज की वजह से नाक से खून निकलता है.’’ कान से स्टेथस्कोप निकालते हुए डा. द्विवेदी ने कहा.

यह घटना 28 जनवरी, 2024 दोपहर 3 बजे की थी. उप जिलाधिकारी (एसडीएम) निशा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शहपुरा लाया गया, जहां पर मौजूद डाक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उन की मौत हो चुकी है. तहसील के सब से बड़े अधिकारी की मौत का मामला था, ऐसे में डा. रत्नेश द्विवेदी ने उन की मौत की सूचना जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.

वाशिंग मशीन देख कर पुलिस क्यों हुई हैरान

सूचना मिलते ही डिंडोरी जिले के कलेक्टर विकास मिश्रा और एसपी अखिल पटेल, बालाघाट रेंज के डीआईजी मुकेश श्रीवास्तव भी शहपुरा अस्पताल पहुंच गए. संदिग्ध हालात में मौत की वजह से पुलिस ने एसडीएम का बंगला सील कर दिया और निशा नापित के घर वालों को भी सूचना दे दी गई.

एसपी अखिल पटेल

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टरों को शक होने पर पुलिस को खबर दे कर एसडीएम निशा का इलाज शुरू किया तो पाया कि निशा की मौत तो कोई 4-5 घंटे पहले ही हो चुकी थी.

मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले डिंडोरी की शहपुरा तहसील में पिछले साल ही तहसीलदार पद से प्रमोट हुई निशा एसडीएम बनी थीं, इसलिए कस्बे में उन्हें हर कोई जानता था. शहपुरा पुलिस आई और उस ने एसडीएम के साथ रहने वाले उन के पति मनीष से पूछताछ की तो वह एक ही कहानी दोहराता रहा. पुलिस ने उन के ड्राइवर और घर के अन्य कर्मचारियों से भी पूछताछ की.

पुलिस की पूछताछ में मनीष ने कहा कि वह प्रौपर्टी ब्रोकर है और पत्नी निशा के पास आता जाता रहता है. पुलिस के शक की सुई मनीष की ओर ही घूम रही थी. एसपी अखिल पटेल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीओपी मुकेश अविंदा के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया, जिस में जांच शहपुरा पुलिस थाने के टीआई एस.एल. मरकाम को सौंप दी.

एसडीएम निशा की मौत की खबर जैसे ही उन के घर वालों को लगी तो उन्हें पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ. शहपुरा में पोस्टमार्टम के बाद 30 जनवरी को निशा का पार्थिव शरीर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर ले जाया गया, जहां उन के परिवार के लोगों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया. निशा का अंतिम संस्कार बहन नीलिमा के बेटे स्वप्निल ने किया.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 1

विला के अंदर नरोत्तम सिंह ढिल्लों की लाश उन के बिस्तर पर पड़ी थी, चारों तरफ खून बिखरा हुआ था. उन के कपड़े भी अस्तव्यस्त नजर आ रहे थे और लाश पर कुछ चोटों के निशान भी मौजूद थे. देखने से साफ साफ लग रहा था कि ढिल्लों की मौत कोई सामान्य मौत नहीं है, बल्कि मौत से पहले उन के साथ मारपीट और ज्यादती की गई थी.

पुलिस ने लाश का जब बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मोबाइल फोन और उन के सोने के जेवर भी नदारद थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों आमतौर पर सोने का कड़ा, सोने की चेन और सोने की बेशकीमती कई अंगूठियां पहनते थे, लेकिन हत्यारों ने हत्या करने के साथसाथ उन से लूटपाट भी की थी.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों पंजाब के दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई और शिरोमणी अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के भतीजे थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब मुक्तसर के बादल गांव के मूल निवासी थे.

उत्तरी गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका गोवा में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है. वैसे तो पूरा का पूरा गोवा ही एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका अपने हाईप्रोफाइल विलाज और अपनी शानदार हौस्पिटैलिटी के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है.

रविवार दिनांक 4 फरवरी को सुबह लगभग साढ़े 7 बजे इसी पिलेर्ने मार्रा इलाके से सुबहसुबह गोवा के पारवोरिम थाने में पुलिस को सूचना मिली कि यहां होरीजंस अजर्ड विला में एक शख्स की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है. मरने वाला विला का मालिक है, नरोत्तम सिंह ढिल्लों हैं.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह उर्फ निम्स ढिल्लों की गिनती इलाके के रईसों में होती थी, जो इस पिलेर्ने मार्रा इलाके में सिर्फ एक नहीं, बल्कि 3-3 आलीशान विलाज के मालिक थे. इन में एक विला का इस्तेमाल वह खुद करते थे, जबकि बाकी के 2 विलाज को उन्होंने गेस्टहाउस बना रखा था.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों की इस के अतिरिक्त एक और भी विशिष्ट पहचान थी, वह यह थी कि वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई थे. अब इतने अमीर और प्रभावशाली कारोबारी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत की खबर अपने आप में काफी गंभीर बात थी. लिहाजा यह खबर मिलते ही पोखोरिम थाने के एसएचओ राहुल परब ने इस की सूचना तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

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एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन

अगले ही पल एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन और पारवोरिम थाने के इंसपेक्टर राहुल परब अपनी पुलिस टीम के साथ आननफानन में ढिल्लों के विला में पहुंच गए.

अब तक घटनास्थल पर पुलिस के अलावा फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड भी पहुंच चुके थे. कत्ल की खबर वाकई एकदम सही थी.

विला में पहुंची पुलिस, पुलिस के खोजी कुत्ते और फोरैंसिक टीम ने अपनेअपने स्तर पर अज्ञात कातिलों के बारे में सुराग इकट्ठा करने की कोशिश की, लेकिन इस शुरुआती कोशिश में कत्ल के पीछे का मोटिव लूटपाट का ही नजर आया.

 क्यों किया गया नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मर्डर

यह भी एक अजीब सा इत्तेफाक था कि लाश मिलने और नरोत्तम सिंह की कत्ल की जांच करने से अलग उत्तरी गोवा के ही पारवोरिम पुलिस स्टेशन में बीती रात यानी कि 3 फरवरी, 2024 की रात को एक और शिकायत मिली थी. ये दूसरी शिकायत ‘रेंट ए कार’ के तहत अपनी कार किराए पर देने वाले एक शख्स ने पुलिस से की थी.

उस ने अपनी शिकायत में कहा था कि एक दिन पहले एक कपल ने उस से एक कार किराए पर ली थी. रेंट ए कार के तहत ग्राहक कार ले कर स्टेट से यानी गोवा से बाहर नहीं जा सकता, लेकिन शिकायतकर्ता का कहना था कि कार ले कर जाने वाले लोग न सिर्फ सिर्फ गोवा से बाहर मुंबई की तरफ जा रहे हैं, बल्कि बारबार फोन करने पर भी वे लोग उस का फोन नहीं उठा रहे हैं.

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होरीजंस अजर्ड’ विला

पुलिस नरोत्तम सिंह ढिल्लों हत्याकांड की जांच बड़ी सूक्ष्मता और बारीकी से कर रही थी, लेकिन इस बीच ‘होरीजंस अजर्ड’ विला की छानबीन करतेकरते पुलिस की नजर एक सीसीटीवी फुटेज पर पड़ गई, जोकि एक पास की दूसरी बिल्डिंग के कैमरे में कैद हो गई थी.

इस फुटेज की जब गोवा पुलिस ने गहनता से जांचपड़ताल की तो पाया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को तकरीबन साढ़े 3 बजे मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड विला से एक कार रवाना हुई थी.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

छानबीन करने पर गोवा पुलिस को यह बात भी पता चली कि एक नौजवान कपल 3 फरवरी, 2024 की रात को उन के निजी विला पर पार्टी के लिए पहुंचा था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों और उन के उन मेहमानों ने रात को करीब 2 बजे डिनर लिया था यानी कि कत्ल से पहले वाली रात को मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों कुछ लोगों को होस्ट कर रहे थे और उन की मेहमानवाजी में लगे थे.

जाहिर सी बात है कि ऐसी परिस्थिति में पुलिस का शक अब उन मेहमानों पर ही जा टिका था, जो नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड में बीती रात को पार्टी करने पहुंचे थे. अभी पुलिस उन लोगों के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश कर ही रही थी, तभी पुलिस को एक विशेष बात पता चली कि बीती रात उन के घर निकलने वाले लोगों ने मेनगेट का नहीं, बल्कि एक खिड़की का सहारा लिया था.

Khidki jaha se qatil bhage the

असल में ‘होरीजंस अजर्ड’ विला के कर्मचारियों को 4 फरवरी, 2024 की सुबह वह खिड़की खुली हुई मिली, जबकि वह आमतौर पर बंद ही रहती थी, जबकि मेनगेट बंद था. इस तरह अब तक की सारी तफ्तीश नरोत्तम सिंह ढिल्लों के अनजान मेहमानों पर पूरी तरह से टिक चुकी थी, लेकिन वो मेहमान कौन थे, कहां से आए थे, कहां गए, उन की पहचान आखिर क्या थी, ये अभी तक राज बना हुआ था.

इन दोनों ही मामलों में कुछ अजीब से इत्तफाक भी थे. अव्वल तो कार ले कर भागने वाला भी एक कपल था और नरोत्तम सिंह ढिल्लों के कत्ल में भी कपल के हाथ होने का शक था. कार की चोरी भी तकरीबन उसी दौरान हुई थी, जिस दौरान ढिल्लों की हत्या हुई थी, सब से बड़ी और खास बात तो यह थी कि दोनों ही मामले गोवा के पारवोरिम थाना इलाके में हुए थे.

हिना की शातिर चाल – भाग 4

हिना अनिल के घर में परिवार के सदस्य की तरह रहने लगी. इस बीच रिश्तेदारी में जाने के बहाने वह नाजिम से मिलने जेल भी गई. दोबारा जेल जाने की बात हिना ने अनिल से छिपा ली थी. अनिल प्रौपर्टी का काम करता था. हिना को भी इस का अच्छा तजुर्बा था, इसलिए अनिल ने उस से ऐसा ही कुछ करने को कहा तो उस ने नोएडा विकास प्राधिकरण में अनिल के रसूख और अपनी सुंदरता के दम पर पकड़ बनानी शुरू कर दी.

किसी भी बाहरी लड़की को घर में रखना ठीक नहीं था. फिर हिना भी वहां नहीं रहना चाहती थी, इसलिए उस ने अनिल से कोई किराए का फ्लैट दिलाने को कहा. अनिल ने उसे प्रौपर्टी डीलर जगदीप सिंह गिल के माध्यम से सेक्टर-71 स्थित फ्लैट नंबर डी-20/2 साढ़े 5 हजार रुपए महीना किराए पर दिला दिया.

उस फ्लैट में अनिल ने जरूरी सामान की भी व्यवस्था करवा दी तो हिना उस में शिफ्ट हो गई. तब तक नाजिम की जमानत हो चुकी थी. दोनोें की फोन पर बातें होती ही रहती थीं, जब तब मिलते भी रहते थे. प्रौपर्टी के काम से हिना खर्च भर के लिए कमा लेती थी.

एक दिन हिना अनिल के साथ बैठी थी तो उस ने कहा, ‘‘तुम ने मेरी बहुत मदद की है. बस एक मदद और कर दो.’’

‘‘क्या?’’

‘‘मैं ब्यूटीपार्लर का काम जानती हूं. मैं अपना ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती हूं. इस के लिए मुझे 6 लाख रुपए चाहिए. मैं तुम्हारे रुपए धीरेधीरे कर के लौटा दूंगी.’’ हिना ने कहा.

‘‘ठीक है, बड़ी रकम का मामला है, इसलिए थोड़ा सोचने का वक्त दो.’’

हिना को ले कर अनिल के परिवार में कोई मतभेद नहीं था. सभी उसे पसंद करते थे. घर में रुपयों का लेनदेन अनिल के पिता के हाथों में था. घर में किसी को भी पैसों की जरूरत होती थी तो वह उन्हीं से पैसे मांगता था.

अनिल ने हिना के पैसे मांगने की बात पिता को बताई तो वह उसे पैसे देने को तैयार हो गए. उन्होंने अनिल को 6 लाख रुपए दे दिए तो अनिल ने वे रुपए हिना को दे दिए.

पैसे मिलते ही हिना को एक बार फिर पंख लग गए. उस ने अपना दायरा बढ़ाना शुरू किया. वह प्राधिकरण में लोगों के अटके काम कराने के साथ ठेके दिलाने लगी. प्राधिकरण और प्रौपर्टी के धंधे से जुडे़ लोगों में हिना की एक अलग पहचान बन गई. उसी बीच उस की दोस्ती संदीप और रफीक से हो गई. ये दोनों गाजियाबाद के रहने वाले थे.

हिना अकेली ही रहती थी, इसलिए उस के दोस्तों का उस के फ्लैट पर आनाजाना शुरू हो गया. फ्लैट पर खानेपीने की पार्टियां भी होने लगीं. स्टेटस व दायरा बढ़ाने के लिए वह 3-3 मोबाइल फोनों का इस्तेमाल करती थी. महंगे शौकों की लत उसे पहले से ही थी. वह खूब बनसंवर कर रहती थी.

ब्यूटीपार्लर में हिना का एक बार का खर्च 10 से 20 हजार रुपए आता था. वह स्पा व मसाज थैरेपी भी लेती थी. उस ने अनिल से जो रुपए ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए थे, उन्हें वह अपने रईसी शौकों में उड़ाने लगी.

बाहर आते ही नाजिम हिना से निकाह के लिए कहने लगा. दूसरी ओर अनिल की छोटी बहन मोनिका की शादी तय हो गई. 8 मई, 2014 को उस का विवाह होना था. हिना ने एक बार फिर अनिल की शराफत का फायदा उठाया. उस ने कहा कि वह एक लड़के से प्रेम करती है और उस से निकाह करना चाहती है.

अनिल को इस में भला क्या आपत्ति होती. सुनीता भी चाहती थी कि उस का घर बस जाए. उस ने हिना को निकाह का जोड़ा खरीदवाया.

जनवरी में बिजनौर जा कर उस ने नाजिम से निकाह कर लिया. अनिल भी उस के साथ था. उसे क्या पता था कि हिना खुद तो शातिर है ही, जिस से निकाह कर रही है वह भी हिस्ट्रीशिटर है. नाजिम ने उस से बताया था कि वह दिल्ली में नौकरी करता है.

निकाह के बाद नाजिम हिना के फ्लैट पर आनेजाने लगा. चूंकि नाजिम की नीयत साफ नहीं थी, इसलिए हिना के फ्लैट पर आनेजाने वाले उस के दोस्तों से उसे कोई दिक्कत नहीं थी. समय अपनी गति से चलता रहा.

अनिल की बहन की शादी थी, इसलिए उस ने हिना से अपने पैसे मांगे. ब्यूटीपार्लर तो मात्र बहाना था, हिना ने अनिल से रुपए ऐश की जिंदगी जीने के लिए लिए थे. उस ने सोचा था कि कहीं से अचानक पैसे मिलेंगे तो वह अनिल के रुपए लौटा देगी.

हिना अनिल को टालने लगी. लेकिन जब अनिल लगातार अपने पैसे मांगने लगा तो हिना को परेशानी होने लगी. उस के पास रुपए थे नहीं जो लौटा देती. टालने की एक सीमा होती है. हद पार हो गई तो अनिल ने एक दिन धमकी वाले अंदाज में कहा, ‘‘मेरी बहन की शादी है और मुझे हर हाल में रुपए चाहिए. मैं ने हर बुरे वक्त में तुम्हारी मदद की है, इसलिए मैं नहीं चाहता कि मुझ से तुम्हें कोई परेशानी हो.’’

‘‘मैं समझती हूं अनिल लेकिन…’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, तुम मेरे रुपए जल्दी लौटा दो, बस.’’

हिना जानती थी कि अनिल रसूखदार नेता है. अगर वह चाहे तो किसी भी हद तक जा सकता है. उस ने इस मुद्दे पर नाजिम से बात की तो उस ने अनिल को रास्ते से हटाने की खतरनाक सलाह दे डाली. हिना इस के लिए तैयार भी हो गई. उस ने यह भी नहीं सोचा कि अनिल ने उस की कितने बुरे वक्त पर मदद की थी. इस के बाद हिना ने अनिल को खत्म करने की जो योजना बनाई, उस में उस ने रफीक और संदीप को भी शामिल कर लिया.

योजना बना कर 20 अप्रैल, 2014 की शाम हिना ने अनिल को फोन किया कि वह आ कर अपने रुपए ले जाए. अनिल साढ़े 8 बजे के करीब स्कूटी से हिना के फ्लैट पर पहुंचा. तो वहां शराब की महफिल सजी थी. महफिल में नाजिम, रफीक और संदीप शामिल थे. यह सब देख कर अनिल को गुस्सा आ गया. उस ने हिना को बुराभला कह कर अपने रुपए मांगे.

अनिल की हिना और वहां मौजूद लोगों से बहस हो गई. वे तो वहां उसे मारने की योजना बना कर ही बैठे थे. अनिल के साथ वहां जो होने वाला था, उस के बारे में उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. सभी एकदम से अनिल पर टूट पड़े.

अनिल ने खुद को छुड़ाना चाहा तो पीछे की ओर गिर गया. इस से उस के सिर में चोट लग गई. सब ने अनिल की हत्या का इरादा बना रखा था, इसलिए उस का गला दबा कर उसे मार दिया. इस के बाद उन्होंने उस के बाएं हाथ की कलाई काट दी.

धक्कामुक्की में मेज का शीशा टूट गया था. हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उन्होंने बैड के ऊपर  लगे पंखे से चुन्नी लटका दी. लेकिन जल्दबाजी में ऐसा कर नहीं पाए. अपना काम कर के नाजिम, संदीप और रफीक चले गए. इस के बाद हिना ने अनिल की पत्नी सुनीता को फोन कर के फ्लैट में लाश पड़ी होने की सूचना दे दी.

अनिल का भाई जब वहां पहुंचा तो हिना भी फरार हो चुकी थी. पुलिस ने दबाव बनाया तब उस ने वकील की मदद से 29 अप्रैल को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.

पुलिस ने हिना की निशानदेही पर वह चाकू भी बरामद कर लिया था, जिस से अनिल के हाथ को काटा गया था. रिमांड अवधि खत्म होने पर कोतवाली प्रभारी रीता यादव ने हिना को अदालत में पेश किया, जहां से उसे पुन: जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. उन की सरगर्मी से तलाश की जा रही थी. अनिल ने हिना को पहचानने में भूल कर दी, यही उस के लिए मुसीबत बन गया.

ऐसे पकड़ में आया फरजी आईपीएस औफीसर

राजस्थान के बानसुर विधानसभा क्षेत्र में एक गांव है हमीरपुर. वहां एक रिटायर फौजी का बेटा सुनील  सांखला आईपीएस बन गया था. उसे 2021 के यूपीएससी परीक्षा में 263 रैंक मिला था. गांव में उस के दोस्तों और रिश्तेदारों को इस की जानकारी 22 अप्रैल, 2022 को उस के सोशल मीडिया पोस्ट से लगी थी. यह खबर पूरे गांव में फैल गई और उन्होंने उस का स्वागत करने का मन बना लिया.

गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, क्योंकि उन्हें उसी ने 2020 में बताया था कि उस की इनकम टैक्स विभाग में नौकरी लगी हुई थी, इस के साथ ही वह यूपीएससी की तैयारी कर रहा है. आईपीएस बन कर ही गांव आवेगा. जैसा कहा था, वैसा उस ने कर दिखाया, गांव वाले उस की तारीफ किए बगैर नहीं थकते थे. आए दिन चौपाल पर उस की चर्चा होने लगी थी. उस के किस्से नई पीढ़ी के स्कूली लड़कों को सुनाए जाने लगे थे. वह एक तरह से प्रेरणा का स्रोत बन चुका था.

उस ने अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर पुलिस के स्टार और भारत के अशोक स्तंभ लगी पट्टी की तसवीरें थीं. कुछ अन्य तसवीरों में कुछ अखबारों की कतरनें थीं, जिस में उस के बारे में लिखा था कि उस ने किस तरह से परीक्षा पास की, कितने घंटे की रोजाना पढ़ाई की, किस का कितना सपोर्ट मिला, इंटरव्यू में क्या कुछ पूछा गया, समाज और देश के लिए वह क्या करना चाहता है. उस का लक्ष्य क्या है, उद्ïदेश्य क्या है, प्रेरणा कहां से मिली, उन से क्या सीखनी चाहिए? इत्यादि.

गांव में उस के आने का इंतजार होने लगा. 22 अप्रैल, 2022 को वह अपने गांव आया. उसे गांव वालों ने सिर आंखों पर बिठा लिया. उस के दोस्त खुशी से झूम उठे. उस के गांव आने की खुशी में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया. ग्रामीणों ने गांव की चौपाल पर उस का भव्य स्वागत किया. साफा बांधा गया, माला पहनाई गई, गांव में मिठाई बांटी गई और गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने उस की सफलता की तारीफ की. उस की पढ़ाई, मेहनत, ईमानदारी और जज्बे को प्रेरक बताया.

इस भव्य स्वागत समारोह की एक ग्रुप फोटी उतारी गई. इसे सभी ने यादगार के तौर पर अपनेअपने मोबाइल में सेव कर लिया. उस के घर में इस का प्रिंट निकाल कर दीवार पर लगा दिए गए.

देखते ही देखते उस की लोकप्रियता गांव से निकल कर आसपास के क्षेत्रों और उस के समाज में फैल गई. जिस ने भी सुना, उस की तरीफ की. उस के बाद उस के पास शादी के औफर आने लगे. उस के परिवार से अधिक हैसियत वाले समृद्ध परिवार अपनी लड़की की शादी उस से करने को लालायित हो गए.

24 वर्षीय सुनील सांखला के पिता भारतीय सेना से सेवानिवृत्त थे. उस ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि उस की पोस्टिंग महाराष्ट्र कैडर में है. फिलहाल वह वहीं ड्यूटी कर रहा है. अगले रोज उस के फेसबुक पेज पर स्वागत के ग्रुप फोटो के साथ जौइनिंग लेटर और अन्य जगहों से मिले सम्मान आदि की तसवीरें भी लगा दीं.

उस के कई शौक में एक शौक अपनी पब्लिसिटी का भी भा. वह अपने बारे में लोगों को बताने को उत्सुक रहता था कि उस का ओहदा किस तरह का है? उस की कौन सी खूबी के चलते उसे पुरस्कार, सम्मान और बधाइयां मिलती हैं. उस की सोशल साइट पेज पर 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के प्रशंसा पत्र भी लगे हुए थे. उन में एक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दूसरा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के थे.

इन सब वजहों से ही वह लोकप्रिय हो गया था. जहां उसे अपना प्रभाव जमाने और पहचान बताने की जरूरत होती थी, वहां वह इन का ही इस्तेमाल करता था. खैर, सब कुछ उस के मनमुताबिक चल रहा था. इसी बीच उस के लिए अच्छे घराने से शादी का प्रस्ताव भी आ गया. उस की सगाई भी हो गई.

सगाई के समय उस ने अपने होने वाले ससुराल वालों बताया कि उस का आईपीएस के लिए चयन महाराष्ट्र कैडर में हुआ है. उस ने यह भी बताया कि उसे सीबीआई विभाग में एक महत्त्वपूर्ण जांच की जिम्मेदारी मिली है. इसलिए वह ज्यादातर सिविल कपड़ों में ही होता है. वैसे खास मौके पर वरदी में होता है.

एक दिन आईपीएस सुनील का ससुराल वालों के साथ उदयपुर जाना हुआ. वहां सर्किट हाउस पहुंचा और अपने लिए ठहरने के लिए कमरा बुक करने का आग्रह किया.

उस ने बताया कि यहां उस का एक जांचपड़ताल के सिलसिले में आना हुआ है. संयोग से उसी समय उदयपुर के एसपी भुवन भूषण यादव भी वहां पहुंच गए. सुनील कुमार उन्हें देखते ही सैल्यूट करते हुए बोला, ”सर! जय हिंद!’’

”जय हिंद!’’ यादव भी बोले और हाथ नीचे करने से पहले सुनील के सैल्यूट करने के तरीके को देख कर वह चौंक गए.

सवालिया निगाहों से देखते हुए उन्होंने पूछा, ”आप न्यू अपौइंटमेंट! …कहां से?’’

”सर, मैं सुनील कुमार राजस्थान से, मुंबई से आया हूं…सीबीआई में हूं.’’

”ओके गुड…बैच?’’ यादव ने दूसरा सवाल किया.

”…जी…जी.’’ सुनील कोई स्पष्ट जवाब नहीं सका.

”लगता है आप थोड़ी हड़बड़ी में हैं…’’ यादव ने व्यंग्य किया, ”हो जाता है ऐसा अकसर नए अफसर को सीनियर के सामने… कोई बात नहीं…लेकिन आप के सैल्यूट करने का अंदाज मुझे कुछ ठीक नहीं लगा,’’ एसपी यादव बोले.

”अभी चलता हूं फिर मिलूंगा,’’ कहते हुए उस पर एसपी यादव परीक्षण करती एक नजर डालते हुए जाने के लिए मुड़ गए. सुनील उन की इस अदा के बारे में कुछ समझ नहीं पाया. यह सब रिसैप्शन के पास ही हो रहा था.

”सर, आप का कोई आईडी

कार्ड!’’ रिसैप्शन पर बैठा व्यक्ति बोला.

”हांहां, यह लो.’’ कहते हुए सुनील ने अपनी जेब से आईडी कार्ड निकाल कर उस के सामने बढ़ा दिया.

रिसैप्शन पर बैठे व्यक्ति ने सुनील का आईडी कार्ड ले कर स्कैन किया और वापस लौटाते हुए बोला, ”सर, इस में अच्छा फोटो नहीं लगाया है, आप के डिपार्टमेंट वालों ने, दूसरा बनवा लीजिएगा.’’

”इस में क्या खराबी है?’’ सुनील ने चौंकते हुए पूछा.

”आप के साथ और लोग भी हैं?’’ रिसैप्शनिस्ट बोला.

”हां, तो?’’ सुनील बोला.

”सर, एक साथ एक ही अलाउड है, लेकिन आप ने 3 का नाम लिखा है.’’

”अरे कुछ नहीं होता…कर लो!’’ सुनील ने समझाते हुए एक तरह से आग्रह किया.

”सर, सभी का आईडी दीजिए.’’

”अरे, मैं हूं न! आईपीएस हूं…और तुम मुझ से ही बहस कर रहे हो!’’ सुनील बोला.

”क्यों नहीं मिस्टर सुनील, वह अपनी ड्यूटी निभा रहा है. तुम गलत हो और उसे भी गलत करने के लिए दबाव दे रहे हो.’’ उसी वक्त एसपी यादव वहां आ गए और उन्होंने सख्ती भरे अंदाज में कहा.

”सर, आप इसी की तरफदारी कर रहे हैं? हम लोगों के पीछे यहां कौन कितना काम करता है, नहीं जानते क्या आप?’’ सुनील बोला.

”लाओ, दिखाओ मुझे अपना आईडी कार्ड.’’ एसपी बोले.

”सर, आप एक आईपीएस पर शक कर रहे हैं?’’

”शक नहीं, विश्वास के साथ कहता हूं कि तुम गलत हो. मैं ने मुंबई में पता कर लिया है. वहां तुम्हारे नाम का सीबीआई में कोई है ही नहीं.’’ एसपी बोले.

”क्या बोल रहे हैं सर, मेरा आईडी देखिए सीबीआई का है.’’

”ऐसा है मिस्टर सुनील, मैं ने बांद्रा मुंबई में पोस्टेड सीबीआई विभाग में अभीअभी बात की है. वहां के औफिसर का कहना है कि सीबीआई से आईडी कार्ड जारी नहीं किया जाता, तुम फरजी आईपीएस हो. मुझे तो तुम पर संदेह उसी वक्त हो गया था जब तुम ने उल्टा सैल्यूट मारा था. जिसे सही सैल्यूट का पता नहीं हो, वह पुलिस का अफसर कैसे हो सकता है…’’

”सर, आप मुझ पर गलत आरोप लगा रहे हैं.’’ सुनील हकलाता हुआ बोला. सर्दी में चेहरे पर पसीने की बूंदें भी दिखने लगी थीं.

”मैं ने तुम्हारे तीनों आदमियों से भी पूछताछ की है…उन की बातें तुम्हारी बातों से मेल नहीं खाती हैं.’’

सुनील क्यों बना फरजी आईपीएस

एसपी भुवन भूषण यादव ने तुरंत फोन कर के स्थानीय पुलिस को बुला लिया. सुनील को तुरंत हिरासत में ले लिया गया. उसे उदयपुर की हाथीपोल थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया. उस के साथ उस के परिवार के 3 अन्य लोग इंद्राज सैनी, अमित कुमार चौहान और सत्यनारायण भी गिरफ्तार कर लिए गए थे. उस से पूछताछ होने पर उस ने अपने फरजीवाड़े का जुर्म स्वीकार कर लिया.

ऐसा कदम उठाने के संबंध में उस ने बताया कि उस का सपना आईएएस बनने का था, लेकिन नहीं बन पाया. तब उस ने ऐसा किया. उस ने 4 बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन पास नहीं हो पाया. उसे बुरा लगा, लेकिन अपने आसपास के लोगों में रुतबा दिखाने के लिए दिल्ली जा कर कुछ समय गुजारा करने लगा. फिर सीबीआई का फरजी आईपीएस अधिकारी बन कर गांव लौटा.

संयोग से उसे बानसूर गांव के एक इंसपेक्टर का फरजी आईडी कार्ड भी मिल गया. एक आईपीएस में जितना रुतबा, रौब और दंबगई का जलवा होता है, उतना किसी और विभाग के अफसर में शायद नहीं होता. ऐसा सुनील सांखला का सोचना था. लेकिन शायद उस ने बचपन में पंचतंत्र की कहानी ‘रंगा सियार’ नहीं पढ़ी होगी, वरना वह न तो नकली वरदी पहनता और न ही असली पुलिस की नजरों में आ पाता.

हालांकि गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, जब उन्होंने उस की करतूत के बारे में सुना, तब भौचक रह गए. उस के शातिराना ढंग के बारे में जिस ने भी सुना, दंग रह गया. उस ने न केवल नकली आईडी बनवाई और वरदी पहनी, बल्कि 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लेटर हेड पर फरजी बधाई संदेश भी बनवा लिए. उस ने पूछताछ में बताया कि उस ने पुलिस वरदी औनलाइन मंगवाई थी. पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

इंदौर का फरजी आईएएस

इंदौर के कंट्रोल रूम में 6 सितंबर, 2023 को एक काल आई. फोन करने वाले ने धमकाते हुए कड़क आवाज में कहा, ”हैलो! मेरी बात को ध्यान से सुनो. मैं दिल्ली पीएमओ से बोल रहा हूं. मेरे लिए दिल्ली में किसी अच्छे होटल में कमरा बुक करवा दो.’’

”आप कौन साहब बोल रहे हैं?’’ कंट्रोल रूम में औपरेटर की ड्यूटी पर बैठे कर्मचारी ने शालीनता से पूछा.

”बदतमीज! जयहिंद बोलना भी नहीं सीखा. सीधे मेरे बारे में पूछता है.’’ काल करने वाला व्यक्ति फिर कड़कती आवाज में बोला.

”सर, आप बताएंगे, तभी तो मैं जानूंगा कि आप कौन साहब हैं? धमकी के यहां सैकड़ों फोन आते रहते हैं…’’ औपरेटर बोला.

”यस ओके! मैं दिल्ली कैडर का अमित सिंह आईएएस हूं. मेरे लिए तुम्हें 2 काम अर्जेंट करने हैं…’’

”जय हिंद सर!’’ आईएएस शब्द सुनते ही औपरेटर ने अभिवादन किया.

”जय हिंद!…मेरे नाम से होटल में कमरा बुक करना है और हां, 2 मोबाइल सिम भी अरेंज करवा देना.’’ यह कहते हुए उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

कंट्रोल रूम का औपरेटर दुविधा में पड़ गया कि होटल का कमरा किस नाम और आईडी से बुक करवाए…और सिम का क्या करे? जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उस ने अपने अफसर से बात करने के लिए फोन मिला दिया.

वहां उसे मालूम हुआ कि इसी तरह का फोन लसूडिय़ा इलाके के पटवारी के पास भी आया था. वहां भी फोन करने वाले ने धमकी के अंदाज में कमरा बुक करवाने के लिए कहा था. लगता है कोई सनकी है या फिर फरजी.

कंट्रोल रूम का औपरेटर इस बारे में यही सोच रहा था कि क्या करे, क्या नहीं, तभी दोबारा उसी व्यक्ति का फोन आ गया. पहले जैसे रोबीले अंदाज में उस ने बात की. औपरेटर ने बात करते हुए उस से कौंटेक्ट नंबर मांग लिया ताकि उन्हें होटल बुकिंग की सूचना दे सके.

उधर मल्हारगंज में रहने वाले पटवारी संतोष चौधरी ने भी लसूडिय़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई कि एक व्यक्ति आईएएस अधिकारी बन कर शादी करवाने के लिए धमका रहा है. वह बारबार काल कर के कह चुका है कि कोई लड़की हो तो बताओ, शादी करनी है.

उस के बाद इस की सूचना इंदौर क्राइम ब्रांच को भेज दी गई. क्राइम ब्रांच ने इस सूचना के संबंध में तहकीकात शुरू की. उन्हें संदेह इस बात का हुआ कि एक आईएएस अधिकारी विशेष तरह के प्रोटोकाल में रह कर कार्य करते हैं. उसी के तहत आदेश जारी किया जाता. सीधे कंट्रोल रूम में फोन नहीं करते हैं.

वह एक सिस्टम का हिस्सा होते हैं और उसी के तहत कामकाज किया जाता है. व्यक्तिगत काम के लिए फोन करना प्रोटोकाल के खिलाफ माना जाता है, जबकि फोन करने वाले ने न केवल होटल बुक करने का आदेश दिया था, बल्कि 2 सिमकार्ड उपलब्ध करवाने के लिए भी कहा था. इस पर तुरंत काररवाई की गई.

उसी रोज वह पकड़ा भी गया. लसुडिय़ा थाने की पुलिस ने उस से पूछताछ की, तब मालूम हुआ कि उस का नाम रामदास गुर्जर है और वह अंबाह मुरैना का रहने वाला है. उस से अपना जुर्म तुरंत स्वीकार कर लिया.  इस बारे में एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश दंडोतिया के अनुसार उस के खिलाफ फरजी आईएएस के नाम पर धमकी देने और धमकी देने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पूछताछ में उस ने बताया कि उसे यह आइडिया ‘स्पैशल 26’ फिल्म देख कर आया था. यह स्पष्ट बताने से इनकार किया कि उस ने कितनों के साथ ठगी की है.

—विजय सोनी

घर वालों को रास न आया बेटी का प्यार

हिना की शातिर चाल – भाग 3

आखिर मुखबिरों के जरिए यह बात पुलिस तक पहुंच गई. थाना लिंक रोड पुलिस ने जांच की तो पता चला कि हिना और मुमताज नकली नोटों की तस्करी से जुड़ी हैं.

तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने तुरंत काररवाई करने का आदेश दिया. पुलिस ने जानकारियां जुटा कर अपना जाल बिछाया और 23 अप्रैल, 2013 को कौशांबी बसअड्डे से हिना, उस की बहन मुमताज, रफीक, नुरैन और मोइनुद्दीन को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे नोटों का लेनदेन कर रहे थे.

पुलिस ने इन लोगों के कब्जे से 7 लाख रुपए के नकली नोट बरामद किए. इन नोटों में 5 लाख 100 के और बाकी 5 सौ के नोट थे. पूछताछ में पता चला कि अब तक ये लोग लाखों के नकली नोट खपा चुके थे. गाजियाबाद पुलिस द्वारा नकली नोटों की अब तक की यह सब से बड़ी बरामदगी थी.

इस की सूचना गृह मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों एनआईए, आईबी और रा को भी दी गई. हिना से गहन पूछताछ की गई. उस के बाद सभी को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें डासना जेल भेज दिया गया.

हिना के लिए जेल की जिंदगी गरीबी के दिनों से भी ज्यादा बदतर थी. वह बाहर आने के लिए छटपटा रही थी. लेकिन उस का कोई भी ऐसा अपना नहीं था, जो उस की जमानत कराता. जेल में ही उस की मुलाकात वर्षा से हुई. वर्षा भी किसी अपराध में जेल में बंद थी. एक ही बैरक में होने की वजह से उन में दोस्ती हो गई थी.

जेल में वर्षा से मिलने उस के तमाम परिचित आते रहते थे. जबकि हिना से मिलने कोई नहीं आता था. वर्षा से मिलने अनिल यादव भी आता था. अनिल को देखते ही हिना ताड़ गई थी कि वह न सिर्फ पैसे वाला है, बल्कि शरीफ भी है. उसी को ध्यान में रखते हुए हिना ने एक दिन वर्षा से कहा कि वह किसी भी तरह उस की जमानत करा दे.

‘‘लेकिन मैं तो खुद ही जेल में हूं. ऐसे में मैं तुम्हारी जमानत कैसे करा सकती हूं?’’ वर्षा ने कहा.

‘‘अगर तुम चाहो तो जेल में रहते हुए भी यह काम करा सकती हो.’’

‘‘वह कैसे?’’ वर्षा ने पूछा.

‘‘वह जो तुम से मिलने आए थे, क्या नाम था उन का?’’

‘‘अनिल यादव, वह बहुत अच्छे आदमी हैं.’’

‘‘वह तो देख कर ही लग रहा था. उन से कह कर मेरी जमानत करा दो. मम्मी कह रही थीं कि जमानती तो मिल गए हैं, लेकिन इतने पैसे नहीं हैं कि वह वकील कर लें.’’

‘‘ठीक है, इस बार आएंगे तो मैं बात कर के तुम्हारी मुलाकात करा दूंगी. हो सकता है, तुम्हारी जमानत करवा ही दें.’’

कुछ दिनों बाद अनिल वर्षा से मिलने गया तो उस ने हिना की मुलाकात उस से करा दी. हिना ने उस से इस तरह दुखड़ा रोया कि वह उस की बातों में आ गया.

हिना का भोलाभाला चेहरा देख कर अनिल को लगा कि यह मुसीबत की मारी है. मन में दया आ गई और उस ने उसे मदद का आश्वासन दे दिया. हिना ने मां का पता अनिल को दे दिया था. अनिल के मन में दूसरों के लिए कुछ करने का भाव था, इसलिए दिल्ली जा कर वह हिना की मां से मिला.

संतान कैसी भी हो, मांबाप के मन में उस के लिए हमेशा तड़प होती है. शकीला का भी यही हाल था. अनिल ने हिना की जमानत के लिए पैसे तो दिए ही, वकील का भी इंतजाम करा दिया. शकीला ने जमानती की व्यवस्था कर के उस की जमानत करा ली. इस के बाद हिना ने बाहर आ कर अपनी बहन मुमताज की भी जमानत करा ली.

जेल में रहते हुए हिना ने सोचा था कि अब वह कोई ऐसा काम नहीं करेगी, जिस से फिर उसे जेल जाना पड़े. लेकिन बाहर आते ही उस के इरादे बदल गए. उस ने अनिल से संपर्क बनाए रखा, क्योंकि उस से उस के कुछ सपने पूरे हो सकते थे.

सीधासादा अनिल आसानी से बातों में आ जाने वाला इंसान था. उस की इसी कमजोर नस को हिना ने पकड़ लिया था. जेल से आने के बाद वह मां के ही पास रह रही थी.

शकीला ने हिना को खूब समझाया. लेकिन वह पाई पाई के लिए मोहताज थी. उसे जिंदगी की शुरुआत फिर से करनी थी. अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वह कुछ करने के बारे में सोचने लगी. उस की एक बहन शहनाज संभल कस्बे में ब्याही थी. उस के पति का इंतकाल हो चुका था. हिना उस के यहां गई और एक ज्वैलर्स की दुकान पर खरीद के बहाने गहनों पर हाथ साफ कर दिया. उस की बदकिस्मती थी कि वह रंगेहाथों पकड़ी गई. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.

जिस परेशानी से हिना ने किसी तरह पीछा छुड़ाया था, वही फिर उस के गले पड़ गई इस के लिए वह खुद ही जिम्मेदार थी. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी उस की आजादी छिन जाएगी.  मुरादाबाद में उस का कोई अपना नहीं था, इसलिए जमानत का भी इंतजाम नहीं हो सकता था.

लेकिन शातिर हिना ने इस का इंतजाम कर लिया. उसी जेल में जिला बिजनौर के कस्बा नजीबाबाद का हिस्ट्रीशीटर नाजिम बंद था. नजीबाबाद कोतवाली में उस की हिस्ट्रीशीट खुली हुई थी. जेल में भी वह दबंगई से रह रहा था. हिना को नाजिम काम का आदमी लगा तो उस ने उस पर निशाना साध दिया. नाजिम को भी हिना अच्छी लगी. उस ने उस से दोस्ती कर ली.

हिना ने नाजिम से दोस्ती अपना काम निकालने के लिए की थी. इस के अलावा उस जैसा आदमी प्रौपर्टी के धंधे में भी काम आ सकता था. हिना उस से मिल कर अपना दर्द बयां करने लगी.

लेकिन नाजिम भी कम चलाक नहीं था. हिना ने जब उस से कहा कि वह उसे पसंद करती है. अगर वह उस की जमानत करा देगा तो वह उस की अहसानमंद रहेगी. नाजिम ने उस की जमानत कराने का वादा करते हुए कहा, ‘‘हिना, तुम्हें पसंद तो मैं भी करता हूं और तुम्हारी जमानत भी करा दूंगा. लेकिन बाहर निकल कर तुम्हें मुझ से निकाह करना पड़ेगा.’’

हिना को जरूरत थी, इसलिए उस ने हामी भर दी. नाजिम हिना पर फिदा तो था ही, उस से निकाह कर के उसे पुलिस से बचने का एक नया ठिकाना भी मिल सकता था. इसलिए उस ने अपने लोगों और वकील से संपर्क कर के हिना की जमानत करा दी.

हिना की यह हकीकत जान कर शकीला काफी नाराज थी. घर आने पर उस ने हिना को डांटाफटकारा तो वह घर छोड़ कर चली गई. वह अनिल से मिली और उसे अपनी परेशानी बताते हुए कहा, ‘‘अनिल, मुझे तुम्हारा सहारा चाहिए. मां से लड़ाई हो गई है. मेरे पास रहने की भी कोई जगह नहीं है.’’

अनिल भला आदमी था. हिना को परेशान देख कर वह उसे अपने फ्लैट पर ले गया. मामला एक जवान लड़की का था, इसलिए घर वालों ने उस से हिना के बारे में पूछा. तब अनिल ने उसे अपने दोस्तों की दोस्त बता कर घर में ही रहने की व्यवस्था करा दी. हिना तेज तो थी ही, उस ने कुछ ही देर में लच्छेदार बातें कर के अनिल की पत्नी सुनीता को वश में कर लिया.

हिना की शातिर चाल – भाग 2

अगले दिन कोतवाली प्रभारी रीता यादव ने जेल जा कर हिना से पूछताछ की. जेल में उस ने अनिल की हत्या में अपना हाथ होने से साफ मना कर दिया. जेल में हिना पर कोई दबाव नहीं बनाया जा सकता था. वैसे भी वह काफी तेजतर्रार लग रही थी, इसलिए रीता यादव ने अदालत में उस के रिमांड की अर्जी लगाई.

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनितचंद्र ने अर्जी मंजूर कर के 7 मई को हिना को 12 घंटे के पुलिस रिमांड पर दे दिया. हिना बहुत ही शातिर थी. पूछताछ में पहले तो वह पुलिस को बरगलाती रही, लेकिन जब उस ने देखा कि वह बचने वाली नहीं है तो वह फूटफूट कर रोने लगी.

पुलिस ने हिना को चुप करा कर लंबी पूछताछ की. इस पूछताछ में चौंकाने वाली जो कहानी निकल कर सामने आई, उस में अनिल ने अपनी सज्जनता और विश्वास की कीमत जान दे कर चुकाई थी.

हिना खान उर्फ रूबी कौसर मूलरूप से जिला मुरादाबाद के एक गांव के रहने वाले साबिद खान की बेटी थी. साबिद के परिवार में पत्नी शकीला के अलावा 5 बच्चे थे. हिना उन में सब से अधिक महत्वाकांक्षी थी. बचपन से ही वह ठाठबाट से रहने के सपने देखती आई थी.

साबिद की हैसियत ऐसी नहीं थी कि वह अपने बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी कर पाता. आर्थिक तंगियों से जूझ कर उस ने किसी तरह बच्चों को बड़ा किया. बेटे काम से लग गए तो उस ने दोनों बड़ी बेटियों का निकाह कर दिया.

उसी बीच साबिद का इंतकाल हो गया तो परिवार की जिम्मेदारी बेटों पर आ गई. बाप के मरने के बाद हिना के दोनों भाई आपराधिक प्रवृत्ति के हो गए. तीसरी तक पढ़ी हिना अब तक जवान हो चुकी थी. वह काफी खूबसूरत थी.

भाइयों की वजह से पुलिस आए दिन घर पर दबिशें देने लगी तो परिवार में बिखराव की स्थिति बन गई. पुलिस जब बहुत ज्यादा परेशान करने लगी तो शकीला हिना और बेटों को ले कर दिल्ली आ गई और मौजपुर में रहने लगी.

दिल्ली बिलकुल हिना के सपनों जैसी थी. यहां के लोगों की चमकदमक वाली जीवनशैली, ऊंची इमारतें और उन के पास खड़ी महंगी कारें, इन सब ने हिना को खूब लुभाया. गांव में रह कर उस ने कभी सोचा भी नहीं था कि दुनिया इस तरह की भी है. हिना भले ही न के बराबर पढ़ी थी, लेकिन भाईबहनों में वह सब से ज्यादा तेजतर्रार थी.

गरीबी की वजह से हिना ने अपने जिन सपनों को कुचला था, दिल्ली आ कर वह उन्हें पूरा करना चाहती थी. खूबसूरत हिना को तमाम आंखें ताकती रहती थीं. इस से उसे जल्दी ही अपनी अहमियत का अंदाज हो गया.

हिना किसी भी तरह ऐशोआराम की जिंदगी हासिल करना चाहती थी. उसी बीच उस की दोस्ती आसिफ से हो गई. आसिफ हिना पर खूब पैसे खर्च करता था. वह उस के साथ दिल्ली के पार्कों और रेस्टोरेंटों में घूमती जरूर रही, लेकिन वह उस की मंजिल नहीं थी.

आसिफ को हिना की सच्चाई का पता तब चला, जब उस ने दरियागंज के रहने वाले एक अन्य युवक से दोस्ती कर ली. आसिफ को यह बात बेहद नागवार गुजरी. आखिर एक दिन संदिग्ध हालातों में उस ने आत्महत्या कर ली.

समय अपनी गति से चलता रहा और हिना उस के साथ खुले आकाश में पंख फैला कर उड़ने की कोशिश रहती रही.

दरियागंज के जिस युवक के साथ हिना ने दोस्ती और प्यार का सफर शुरू किया था, वक्त के साथ वह भी उसे छोटा मोहरा नजर आने लगा. लेकिन ऐसे लोग उसे बेहतरीन जिंदगी से रूबरू करा कर उस की अहमियत का अंदाजा जरूर कराते थे.

हिना ऐसे ही लोगों की बदौलत ऊंचाइयों को छूना चाहती थी. उस के संपर्क बढ़े तो उस ने उसे भी किनारे लगा दिया. उस युवक ने हिना के रवैए से आहत हो कर जहर खा लिया. लेकिन उस की किस्मत अच्छी थी कि समय पर इलाज मिल गया, जिस से वह बच गया.

अब तक हिना के सपनों को पंख लग चुके थे. वह पैसे वाले लोगों को इस्तेमाल करना भी सीख गई थी. उस की जिंदगी में इस तरह के लोग आतेजाते भी रहे. उधर शकीला उस का निकाह करना चाहती थी. हिना ने भी सोचा कि शायद निकाह से ही जिंदगी आराम से कट जाए, इसलिए उस ने निकाह कर लिया. निकाह के साल भर बाद उसे एक बेटी भी पैदा हुई.

हिना का पति उस की हसरतों को पूरी नहीं कर पा रहा, जिस से दोनों में अनबन रहने लगी. फिर जल्दी ही दोनों अलग हो गए. हिना बेटी को अपने साथ ले आई. वह कुछ ऐसा करना चाहती थी, जिस से जिंदगी आराम से कटे,  क्योंकि उस का हर शौक महंगा था.

हिना की बहन मुमताज का भी पति से विवाद रहता था, जिस से वह भी मायके में ही रहती थी. जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए दोनों बहनों ने गाजियाबाद की ओर रुख किया. उन्होंने दिल्ली बौर्डर पर स्थित पौश इलाके वसुंधरा के सेक्टर-4 में एक फ्लैट किराए पर लिया और कुछ लोगों से संपर्क कर के प्रौपर्टी का धंधा शुरू कर दिया.

हिना खूबसूरत तो थी ही, तेजतर्रार भी थी. उसे लोगों से काम निकालने का हुनर भी बखूबी आता था, जिस से वह ठीकठाक कमाई करने लगी थी. यह सन 2011 की बात है.

उसी दौरान हिना के तार नकली नोटों के कारोबारियों से जुड़ गए. उस का संपर्क रफीक, नुरैन व मोइनुद्दीन से हुआ. ये तीनों नेपाल से बंगलादेश के रास्ते नकली नोट ला कर भारत के अलगअलग हिस्सों में खपाते थे. ये नकली नोट पाकिस्तान से आते थे. रफीक बिहार के गोपालगंज जिले का रहने वाला था तो नुरैन और मोइनुद्दीन उत्तरप्रदेश के देवरिया के रहने वाले थे.

भारत में 1 लाख रुपए नकली नोट 35 हजार रुपए में दिए जाते थे. दिल्ली या उस के आसपास के इलाकों तक आते आते इन की कीमत 50 हजार रुपए हो जाती थी. 15 हजार के फायदे के लिए लोग हिना से डील करने लगे.

दिल्ली और उस के आसपास के इलाकों में नकली नोटों की तस्करी की पूरी जिम्मेदारी हिना और मुमताज के हाथों में थी. उन के पास पैसा आने लगा तो रातोंरात उन के रंगढंग बदल गए. हिना के फ्लैट में सुखसुविधा की हर चीज आ गई. उस ने बढि़या कार भी खरीद ली.

दोनों बहनें प्रौपर्टी के बिजनैस की आड़ में नकली नोटों का धंधा कर रही थीं. राष्ट्रद्रोह का काम कर के वे ठाठ से रह रही थीं.  बड़ेबड़े तस्कर उन से फोन पर संपर्क करते थे. उन तक नोट पहुंचाने का काम रफीक, नुरैन और मोइनुद्दीन करते थे. नकली नोट ट्रेन द्वारा ले जाए जाते थे, जबकि डील बसअड्डे पर होती थी. हिना के पास अब दौलत की कमी नहीं थी. अनापशनाप पैसा आया तो उसे शेखी बघारने का चस्का लग गया.

वेटर से ले कर दुकानदारों तक को वह हजार-पांच सौ का नोट देती तो बचे रुपए वापस नहीं लेती थी. लोग रुपए लौटाने लगते तो वह गर्व से कहती, ‘‘रख लीजिए, अगर हम ने बचे हुए रुपए वापस लिए तो यह हमारी तौहीन होगी.’’

दुकानदार या वेटर उसे ताकते रह जाते और उस की दरियादिली के कायल हो जाते. हिना का पर्स हमेशा नोटों से भरा रहता था. वह सौ, 2 सौ रुपए के सामान के भी हजार रुपए दे देती थी.