UP Story : कर्जदारों से बचने के लिए व्यापारी ने रची अपने अपहरण की साजिश

UP Story : रोशनी बेगम से शादी हो जाने के बाद भी व्यवसायी सुलेमान अली अपनी प्रेमिका परवीन को नहीं भुला सका. अपने ऊपर चढ़े लाखों रुपए के कर्ज और अपने फर्ज से बचने के लिए सुलेमान ने अपने अपहरण की ऐसी झूठी कहानी गढ़ी कि…

शाम का समय था. मैनपुरी जिले के गांव दिहुली में रहने वाले शौकीन अली के मोबाइल पर इमरान का फोन आया. इमरान शौकीन अली के बेटे सुलेमान का ड्राइवर था. इमरान ने उन्हें बताया कि 4 हथियारबंद बदमाशों ने मैनपुरी बरनाहल मार्ग पर गांगसी नहर पुल के पास सुलेमान भाई का अपहरण कर लिया है. वह उन्हें अपनी स्कौर्पियो में डाल कर ले गए. ड्राइवर इमरान ने यह सूचना थाना दन्नाहार में भी फोन कर के दे दी. यह बात 21 सितंबर, 2020 की है. सुलेमान के अपहरण की बात सुनते ही उस के घर वाले परेशान हो गए. शौकीन अली अपने छोटे बेटे सद्दाम हुसैन के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

इस से पहले सूचना मिलने पर दन्नाहार थानाप्रभारी ओमहरि वाजपेयी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच चुके थे. थानाप्रभारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी व्यापारी सुलेमान के अपहरण की सूचना दे दी थी. थानाप्रभारी ने ड्राइवर इमरान से घटना के बारे में पूछताछ की. इमरान घायल था. उस के सिर से खून निकल रहा था. उस ने बताया कि सुलेमान अली जीएसटी जमा करने मैनपुरी अपनी बोलेरो से आए थे. पंजाब नैशनल बैंक में जीएसटी जमा करने के बाद वह गांव लौट रहे थे. शाम करीब 6 बजे जब उन की कार मैनपुरी बरनाहल मार्ग पर गांगसी नहर पुल के पास पहुंची तो बिना नंबर की सफेद रंग की स्कौर्पियो, जो शायद उन की बोलेरो का मैनपुरी से ही पीछा कर रही थी, ने ओवरटेक कर हमारी गाड़ी रुकवा ली.

ड्राइवर ने बताया कि गाड़ी रुकते ही हथियारबंद 4 बदमाशों ने बोलेरो के साइड के दोनों शीशे तोड़ दिए. विरोध करने पर उन्होंने हम दोनों के साथ मारपीट भी की. फिर सुलेमान को बोलेरो से खींच कर अपनी गाड़ी में डाल लिया और मैनपुरी की ओर भाग गए. चारों बदमाश मास्क लगाए हुए थे. बदमाशों ने हम दोनों के मोबाइल भी छीन लिए थे. ड्राइवर से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस का मैडिकल कराया. फिर सुलेमान के छोटे भाई सद्दाम हुसैन की तरफ से 4 अज्ञात बदमाशों के खिलाफ भादंवि की धारा 364 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस के बाद पुलिस ने बदमाशों की तलाश भी की, लेकिन उन का कोई सुराग नहीं मिला.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसपी अजय कुमार पांडेय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपहृत कारोबारी व बदमाशों की तलाश व घटना के खुलासे के लिए तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की 4 टीमें लगाईं. इतना ही नहीं, पुलिस ने देर शाम पूरे क्षेत्र में नाकाबंदी कर दी, ताकि बदमाश अगर अभी शहर में छिपे हों तो व्यवसाई को ले कर रात में शहर से बाहर भाग न सकें. दूसरे दिन मंगलवार को पुलिस ने अपहृत कारोबारी सुलेमान के वकील प्रखर दीक्षित के मैनपुरी शहर स्थित औफिस के सीसीटीवी फुटेज चैक किए. फुटेज में सोमवार घटना वाले दिन सुलेमान दोपहर एक बजे उन के औफिस पहुंचा था और 1 बज कर 52 मिनट पर वहां से बाहर निकलता दिखाई दिया.

इस के बाद शहर स्थित पंजाब नैशनल बैंक अपने ड्राइवर इमरान के साथ गया था. पुलिस ने वकील व बैंककर्मियों से भी पूछताछ की. जहांजहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे, पुलिस ने उन की फुटेज देखी. पुलिस इस की जानकारी जुटाने में लग गई कि कारोबारी के बारे में पुख्ता जानकारी जुटाई जा सके. ड्राइवर से भी पुलिस लगातार पूछताछ कर रही थी. क्योंकि केवल वही घटना का चश्मदीद था. इमरान पिछले 2 साल से सुलेमान की गाड़ी चला रहा था. पुलिस सारे दिन अपहृत व्यापारी के बारे में जानकारी जुटाती रही.

अपहरण से पहले व बाद में सुलेमान किस से मिला था, इस पर ड्राइवर इमरान ने बताया कि बैंक से निकलने के बाद उसे गाड़ी में बैठा छोड़ कर सुलेमान किसी जरूरी काम की कह कर कहीं चला गया था. फिर वह करीब डेढ़दो घंटे बाद लौटा था. इस के बाद हम लोग गांव के लिए रवाना हुए. पुलिस यह पता करने में जुट गई कि सुलेमान अपने ड्राइवर को गाड़ी में छोड़ कर कहां और किस काम के लिए गया था. सरेशाम हुए सनसनीखेज अपहरण कांड के 24 घंटे बीतने के बाद भी पुलिस को व्यापारी व अपहर्त्ताओं का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था. इस से पुलिस परेशान थी. घटना के बाद सर्विलांस टीम की भी मदद ली गई, लेकिन समस्या यह थी कि अपहर्त्ताओं ने अभी तक सुलेमान के घर वालों को फिरौती के लिए फोन नहीं किया था.

कारोबारी और उस के ड्राइवर के मोबाइल फोन स्विच्ड औफ आ रहे थे. पुलिस ने रात में आसपास के जिलों में कुछ स्थानों पर दबिश डाल कर संदिग्ध लोगों को उठाया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. व्यापारी सुलेमान के अपहरण की खबर पूरे गांव व मैनपुरी शहर में फैल चुकी थी. अपहरण की घटना के बाद व्यापारी वर्ग में हलचल व्याप्त हो गई. उधर सुलेमान के घर पर घटना के बाद बड़ी संख्या में गांव वाले, रिश्तेदार व व्यापारी जुटने लगे. सभी सुलेमान की सकुशल बरामदगी के लिए प्रार्थना कर रहे थे. सुलेमान की पत्नी व दोनों बच्चों का रोरो कर बुरा हाल था.

थानाप्रभारी ओमहरि वाजपेयी ने सुलेमान के गांव पहुंच कर उस के पिता शौकीन अली से पूछा, ‘‘आप की या सुलेमान की किसी से रंजिश तो नहीं है? या किसी पर शक है तो बताओ.’’

शौकीन अली के इनकार करने पर थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘आप के या बेटों के पास अपहर्त्ताओं का कोई फोन आए तो जरूर बताना.’’

गांव में सुलेमान के अपहरण के बाद तरहतरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं. 3 भाइयों में सुलेमान सब से बड़ा था. उस की शादी सन 2013 में रोशनी बेगम उर्फ रश्मि से हुई थी. सुलेमान के एक बेटी इरम व एक बेटा आदिल है. पुलिस ही नहीं लोगों को भी डर सता रहा था कि फिरौती की रकम न मिलने पर कहीं अपहर्त्ता सुलेमान की हत्या न कर दें.  सुलेमान के घरवालों की पूरी रात आंखों में कटी. पुलिस की नजर व्यापारिक प्रतिस्पर्धा पर भी थी. एसपी अजय कुमार पांडेय ने इस संबंध में संदिग्धों से भी पूछताछ की. इस के साथ ही ऐसे लोगों को चिह्नित भी किया गया, जो सुलेमान से व्यापारिक रंजिश रखते थे. बरनाहल के एक युवक को पुलिस ने हिरासत में भी लिया.

जांच के दौरान पुलिस को ड्राइवर से पता चला कि व्यवसाई सुलेमान पत्ती (कमेटी) का काम भी करता था. पत्ती के तहत कई दुकानदार रोजाना या सप्ताहवार रुपए उस के पास जमा करते थे. इस के बाद प्रति माह या तिमाही ड्रा के माध्यम से रुपए उठाए जाते थे. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस इस काम में किसी तरह का लेनेदेन व रंजिश को ले कर भी गहनता से जांच में जुट गई. पुलिस के लिए कारोबारी का अपहरण चुनौती साबित हो रहा था. व्यापारी के सरेशाम अपहरण की खबर इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में प्रमुखता से छाने लगी, जिस से पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था. लेकिन पुलिस अपने काम में जुटी रही.

इसी बीच व्यवसाई के अपहरण मामले में पुलिस के हाथ कई अहम सूत्र लगे. पुलिस को व्यापारी पर लाखों रुपए का कर्ज होने का पता चला ही, साथ ही उस की एक प्रेमिका के बारे में जानकारी मिली. इस से पुलिस को अपहरण पर संदेह हुआ. प्रेमिका की जानकारी मिलने पर शक और गहरा गया. पुलिस को सुलेमान के मोबाइल की काल डिटेल्स से यह पता चला कि वह आगरा के शाहगंज की महिला के संपर्क में था. तब पुलिस ने ड्राइवर इमरान से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. इस के बाद उस ने पूरा राज खोल दिया.  इधर पुलिस को अपने मुखबिर से सूचना मिली कि अपहृत व्यापारी को भिवाड़ी में देखा गया है. इस सूचना पर पुलिस टीम तुरंत भिवाड़ी रवाना हो गई.

मुखबिर के बताए स्थान पर पुलिस ने दबिश दी तो वहां व्यवसाई सुलेमान अपनी प्रेमिका परवीन व उस के 2 बच्चों के साथ मिला. जब पुलिस सुलेमान को हिरासत में ले कर जाने लगी तो परवीन भी अपने दोनों बच्चों के साथ चलने की बात कहने लगी. इस के बाद पुलिस सभी को मैनपुरी ले आई. थाने ला कर सुलेमान से उस के अपहरण के बारे में कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने अपहरण को नाटक बताते हुए अपना जुर्म कबूल कर लिया. सुलेमान ने पुलिस को बताया कि अपहरण के इस नाटक में उस का भाई सद्दाम हुसैन, ड्राइवर इमरान निवासी बिरथुआ व जिगरी दोस्त जाहिद निवासी भिवाड़ी भी शामिल था. पुलिस ने व्यापारी सुलेमान सहित चारों को गिरफ्तार कर लिया.

24 सितंबर को पुलिस लाइन सभागार में आयोजित प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी अजय कुमार पांडेय ने व्यवसाई सुलेमान के कथित अपहरण कांड का परदाफाश करते हुए अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. पत्रकारों को बताया कि व्यापारी का अपहरण तो हुआ ही नहीं था, बल्कि उस ने शादीशुदा प्रेमिका के साथ रहने व कर्जदारों से बचने के लिए योजनाबद्ध ढंग से स्वयं के अपहरण का सनसनीखेज ड्रामा रचा था.

इस झूठे अपहरण कांड के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह चाैंकाने वाली निकली—

उत्तर प्रदेश का एक जिला है मैनपुरी. जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित गांव दिहुली में सुलेमान अली अपने परिवार के साथ रहता था. गांव में ही उस का बिल्डिंग मैटीरियल का बड़ा काम था, जबकि कुछ दूर चौराहे पर ही उस के पिता शौकीन अली की गिट्टीबालू की दुकान थी. सुलेमान अली गांव की परवीन नाम की एक लड़की से पिछले 8 साल से प्यार करता था. उन दोनों की शादी भी होने वाली थी. लेकिन किसी कारणवश नहीं हो सकी. तब परवीन की शादी आगरा निवासी खुशाल नाम के युवक से हो गई, वह बैंडबाजे का काम करता था. लेकिन शादी के बाद भी परवीन और सुलेमान दोनों एकदूसरे के लगातार संपर्क में रहे.

परवीन को जब भी कोई परेशानी होती, वह सुलेमान को फोन करती थी. इस बात की जानकारी पति खुशाल को भी थी. 16 सितंबर, 2020 को प्रेमिका परवीन का सुलेमान के पास फोन आया. उस ने बताया उस के पति ने उस की काफी पिटाई की है. अब वह उस के साथ नहीं रहना चाहती थी. क्या तुम मुझे व मेरे दोनों बच्चों को अपने पास रखोगे? इस पर सुलेमान ने उसे अपनी रजामंदी दे दी. सुलेमान ने प्रेमिका को तसल्ली देते हुए कहा कि वह जल्दी ही उसे जालिम पति के चंगुल से आजाद करा देगा. वह प्रेमिका को परेशान नहीं देख सकता.

सुलेमान ने प्रेमिका व बच्चों को 18 सितंबर को सिरसागंज बुला लिया. सुलेमान अपने ड्राइवर इमरान के साथ सिरसागंज जा कर परवीन से मिला. सुलेमान ने प्रेमिका को एक नया मोबाइल फोन व सिम कार्ड दिलाया. उस ने भिवाड़ी में रहने वाले अपने जिगरी दोस्त जाहिद को फोन कर प्रेमिका परवीन के रुकने की व्यवस्था करने के लिए कह दिया. इस के बाद परवीन को 10 हजार रुपए देते हुए टैक्सी से अपने दोस्त जाहिद के पास भेज दिया. उसे तसल्ली देते हुए कहा कि वह भी जल्दी ही भिवाड़ी पहुंच जाएगा. प्रेमिका को भेजने के बाद सुलेमान अपने गांव आ गया. उधर परवीन के घर से बच्चों सहित चले जाने पर उस का पति खुशाल परेशान हो गया. उसे शक था कि वह जरूर सुलेमान के पास गई होगी.

खुशाल व उस के घर वाले सुलेमान के बारे में जानकारी करने लगे कि वह गांव में है या कहीं चला गया है. उधर परवीन के भिवाड़ी में रहने व खानेपीने का दोस्त जाहिद ने इंतजाम करा दिया था. लेकिन परवीन बारबार सुलेमान को फोन कर के भिवाड़ी आने को कहने लगी. इस से सुलेमान परेशान हो गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. उस ने अपने भाई सद्दाम से इस संबंध में बात कर सारी बात समझाई. सुलेमान पर लाखों रुपए की उधारी थी. कर्ज वालों को पैसे भी नहीं देने पड़ेंगे और प्रेमिका की बात रखते हुए वह नया परिवार बसा लेगा. इस के साथ ही इन दिनों सुलेमान अपनी पत्नी रोशनी से भी तंग आ चुका था. वह उस से छुटकारा पाना चाहता था. उस के एक कदम से सारे काम पूरे होते दिख रहे थे. यानी सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

भाई सद्दाम ने हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वह घर वालों को किसी तरह समझा लेगा. योजना के तहत 21 सितंबर को सुलेमान जीएसटी जमा करने के लिए घर से बोलेरो ले कर ड्राइवर इमरान के साथ मैनपुरी गया. काम निपटाने के बाद ईशन नदी पुल महाराजा तेज सिंह की प्रतिमा के पास बोलेरो रोक कर उस ने इमरान को पूरी योजना समझाई और योजनानुसार उस ने उस का भी मोबाइल ले लिया. ईशन नदी पुल पर बोलेरो से उतर कर सुलेमान पैदल बस स्टैंड पहुंचा. वहां से टैक्सी ले कर भिवाड़ी में अपनी प्रेमिका के पास चला गया.

योजना के मुताबिक इमरान बोलेरो ले कर गांगसी नहर पुल के पास पहुंचा. गाड़ी खड़ी कर घटना को सच दिखाने के लिए इमरान को अपने सिर में चोट पहुंचाने के लिए रुपयों का लालच दे कर सुलेमान ने पहले ही तैयार कर लिया था. उस ने बदमाशों का आना दिखाने के लिए बोलेरो के शीशे भी रिंच (स्पैनर) से तोड़ दिए. और स्पैनर से ही अपने माथे पर चोट मार कर उस ने स्वयं को घायल कर लिया. इस के बाद आगे नवाटेड़ा गांव पहुंच कर एक व्यक्ति से उस का मोबाइल फोन ले कर सुलेमान के पिता शौकीन अली व पुलिस को सुलेमान का अपहरण हो जाने की सूचना दी.

पिता ने सद्दाम को भाई सुलेमान के अपहरण के बारे में बताया. भाई सद्दाम को तो सब पता था ही. वह अपने अब्बू के साथ मौके पर पहुंचा. इस के बाद उस ने थाने पहुंच कर अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध सुलेमान के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. भिवाड़ी में रह रहे सुलेमान को उस के दोस्त जाहिद ने बताया कि पुलिस तुम्हें तलाशते हुए कभी भी यहां आ सकती है. तुम अपनी प्रेमिका व बच्चों को ले कर नेपाल चले जाओ. नेपाल में उस के परिचित हैं, वे वहां तुम्हारे रहने का इंतजाम कर देंगे. सुलेमान नेपाल भागने की फिराक में था, लेकिन उस से पहले ही पुलिस ने उसे दबोच लिया.

जाहिद सुलेमान के गांव का ही रहने वाला है, वह पिछले 5 साल से भिवाड़ी में रह कर रेडीमेड कपड़े का काम करता है. सुलेमान ने कमेटी की रकम में से आधी रकम जाहिद को देने का वादा किया था. दोस्ती व रुपयों के लालच में आ कर जाहिद भी षडयंत्र में शामिल हो गया था. पुलिस के आगे सुलेमान व सहयोगियों की सारी चालाकी धरी रह गई. इमरान के सच कुबूल करते ही सुलेमान के नाटक का परदाफाश हो गया. फिर पुलिस ने सुलेमान और उस के मददगारों को गिरफ्तार करने में देर नहीं लगाई. चारों आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गए. गिरफ्तारी के साथ ही पुलिस ने इस मुकदमे में चारों आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 364 के साथ 211/182/417/420/469/120बी/108 भी बढ़ा दी.

पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 4 मोबाइल फोन, इन में एक मोबाइल इमरान का भी था, एक बोलेरो गाड़ी, घटना में प्रयुक्त टूल रिंच (स्पैनर) तथा 2 लाख 69 हजार 500 रुपए की नकदी बरामद की. इस सनसनीखेज फरजी अपहरण कांड का पुलिस ने 24 घंटों के अंदर खुलासा कर दिया. इस के लिए आईजी ए. सतीश गणेश ने मैनपुरी पुलिस टीम को 40 हजार रुपए का तथा एसपी अजय कुमार पांडेय ने 25 हजार का इनाम दिया. आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में थानाप्रभारी ओमहरि वाजपेई, एसआई सर्विलांस प्रभारी जोगिंद्र, अमित सिंह, कांस्टेबल राजवीर सिंह, अमित, संदीप कुमार, जुगेंद्र सिंह, हरेंद्र सिंह, रोबिन सिंह, ललित छोकर, तरन सिंह व महिला कांस्टेबल निधि मिश्रा शामिल थीं.

इस मामले में कोई भूमिका न पाए जाने पर पुलिस ने सुलेमान की प्रेमिका परवीन व बच्चों को घर वालों को बुला कर उन के सुपुर्द कर दिया. व्यापारी सुलेमान सहित चारों आरोपियों को 24 सितंबर, 2020 को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से चारों को जेल भेज दिया गया. प्यार में सुना है लोग अंधे हो जाते हैं और कुछ भी कर सकते हैं. ऐसा ही सुलेमान व्यापारी ने इस मामले में किया. सुलेमान अब अपने भाई सद्दाम, दोस्त जाहिद व ड्राइवर इमरान के साथ जेल की सलाखों के पीछे है. उधर परवीन के पति खुशाल निवासी शाहगंज ने मैनपुरी में सुलेमान की गिरफ्तारी की जानकारी होने के बाद 25 सितंबर को अपनी पत्नी व 2 बच्चों के अपहरण की रिपोर्ट आगरा के थाना शाहगंज में खिलाफ दर्ज करा दी.

एसपी (सिटी) बोत्रे रोहन प्रमोद ने बताया कि खुशाल की तरफ से सुलेमान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया. अब इस मामले में सुलेमान के खिलाफ काररवाई की जाएगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. परवीन परिवर्तित नाम है

Rajasthan News : राजनीति की आड़ में चल रहा था सैक्स रैकेट

Rajasthan News : सुनीता वर्मा और पूजा उर्फ पूनम चौधरी भाजपा और कांग्रेस पार्टी की नेता थीं. क्षेत्र में उन का मानसम्मान था, साथ ही अच्छीखासी पहचान भी. लेकिन राजनीति की आड़ में दोनों महिला नेता ऐसा घिनौना काम कर रही थीं, जिस के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. जब सच्चाई सामने आई तो…

राजस्थान में बलात्कार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. मासूम बच्चियों से ले कर विवाहित महिलाएं तक शिकार बन रही हैं. बढ़ती वारदातों से ऐसा लगता है जैसे अपराधियों को न तो खाकी वर्दी का डर है और न ही सरकार का. घटना के बाद विपक्षी पार्टियों के लोग हायतौबा मचाते हैं और फिर थोड़े दिन बाद मामला शांत हो जाता है. पिछले दिनों राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर में एक ऐसा मामला सामने आया जो राजस्थान में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चित हो गया. ताज्जुब की बात यह कि इस सनसनीखेज अपराध में सत्तापक्ष और विपक्ष की जिलास्तर की महिला नेता शामिल थीं.

जिन महिलाओं की हम बात कर रहे हैं, वे दोनों सवाई माधोपुर में रहती थीं. उन में सुनीता वर्मा भारतीय जनता पार्टी (महिला मोर्चा) की जिलाध्यक्ष थी तो दूसरी पूजा उर्फ पूनम चौधरी कांग्रेस सेवा दल (महिला प्रकोष्ठ) की पूर्व जिलाध्यक्ष थी. चूंकि दोनों ही जिला स्तर की नेता थीं, इसलिए उन की क्षेत्र में अच्छी साख थी. पूजा और सुनीता वर्मा लोगों के सरकारी काम कराने में मदद करती थीं. लोग उन पर भरोसा करते थे और दोनों को गरीबों की मसीहा मानते थे. अलगअलग राष्ट्रीय पार्टियों की जिलाध्यक्ष थीं, इसलिए जिले के सरकारी महकमों में उन की अच्छी जानपहचान थी. एक दिन कांग्रेस सेवादल (महिला प्रकोष्ठ) की पूर्व जिलाध्यक्ष पूनम चौधरी नेम सिंह के घर पहुंची.

दरअसल, नेम सिंह पूनम से कई बार कह चुका था कि उसे किसी बैंक से लोन दिला देंगी तो वह कोई व्यवसाय शुरू कर देगा. पूनम ने नेम सिंह को भरोसा दिया था कि वह उस का लोन करा देगी. नेम सिंह की एक 16 वर्षीय बेटी थी उर्मिला. वह गरीब परिवार में जन्मी जरूर थी, लेकिन थी गोरीचिट्टी और खूबसूरत. पूनम ने नेम सिंह से कहा, ‘‘तुम्हारी बेटी उर्मिला दिन भर घर में पड़ी क्या करती है. इसे हमारे साथ भेज दो. साथ रहने पर दुनियादारी सीख जाएगी. देखना, इस की जिंदगी ही बदल जाएगी.’’

नेम सिंह पूनम को बड़ी नेता समझता था. उस ने सोचा कि संभव है अपनी ऊंची पहुंच के चलते पूनम उर्मिला की कहीं नौकरी लगवा दें. इसलिए उस ने बिना किसी झिझक के उर्मिला को पूनम के साथ भेज दिया. पूनम उर्मिला को भाजपा की नेता सुनीता वर्मा के पास ले कर पहुंची और कहा कि इस लड़की का नाम उर्मिला है. यह बहुत अच्छी लड़की है. आप इसे अपने पास रखो और इस की जिंदगी बना दो. उर्मिला बन गई सुनीता की हुंडी उर्मिला को देख कर सुनीता की आंखों में चमक आ गई क्योंकि वह खूबसूरत थी. सुनीता वर्मा ने मन ही मन सोचा कि लड़की काम की है. सुनीता उसे प्यार से रखने लगी. शहर में वह जहां भी जाती, उर्मिला साथ होती थी. जिला उद्योग केंद्र, कलेक्ट्रेट और बैंक वगैरह भी सुनीता उर्मिला को साथ ले जाती.

सुनीता वर्मा के घर पर एफसीआई का कर्मचारी हीरालाल मीणा आता रहता था. वह उस का जानकार था. साल 2013 में सुनीता वर्मा ने बतौर निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा था. हीरालाल ने उस वक्त उस का तनमनधन से साथ दिया था. सुनीता वर्मा वह चुनाव तो नहीं जीत पाई, मगर उस की जानपहचान का दायरा बढ़ गया था. चुनाव हारने के बाद भी हीरालाल का सुनीता के घर बदस्तूर आनाजाना जारी रहा. हीरालाल ने जब सुनीता के साथ एक किशोर युवती को देखा तो उस के बारे में पूछा. तब सुनीता ने बताया कि इस का नाम उर्मिला है और अब यह उस के साथ ही रहेगी.

हीरालाल का अधेड़ मन उर्मिला का सामीप्य पाने को लालायित हो उठा. अपने मन की बात उस ने सुनीता को बता दी. साथ ही यह भी कहा कि वह इस के लिए कुछ भी करने को तैयार है. लालची सुनीता तैयार हो गई और उस  ने एक दिन उर्मिला को हीरालाल मीणा के साथ एक कमरे में बंद कर दिया. हीरालाल ने उस मासूम से बलात्कार किया. सुनीता ने उस का वीडियो बना लिया और फोटो भी खींच लिए. इज्जत लुटने के बाद उर्मिला रोने लगी. तब सुनीता ने उसे वीडियो एवं अश्लील फोटो दिखा कर कहा, ‘‘अगर किसी से इस घटना की चर्चा की तो यह वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दूंगी. तब तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी. रोनाधोना बंद कर और भूल जा इस घटना को. यही तेरे लिए बेहतर होगा.’’

उर्मिला अपनी ब्लू फिल्म व अश्लील फोटो देख कर अंदर तक कांप गई. वह इतनी नादान नहीं थी कि कुछ समझती न हो. वह समझ गई कि अगर उस ने घर पर किसी को बताया तो यह अश्लील वीडियो और फोटो वायरल कर देगी. तब वह और उस का परिवार किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. सुनीता वर्मा अब उर्मिला का भरपूर लाभ उठाना चाहती थी. लिहाजा उस ने डराधमका कर उसे और भी कई सरकारी मुलाजिमों के सामने पेश कर उन से अपने काम निकलवाए. उर्मिला उस के हाथ की ऐसी कठपुतली बन गई थी, जो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी.

एक दिन सुनीता ने डराधमका कर उर्मिला को घर भेज दिया. वह डरीसहमी घर चली गई. उस का मन तो कर रहा था कि अपनी मम्मी को सब कुछ बता दे. मगर वीडियो और फोटो वायरल होने की बात ध्यान में आते ही उस ने चुप रहने में ही भलाई समझी. उर्मिला चुप रहने लगी. एक दिन उस की मम्मी ने वजह पूछा तो कह दिया, ‘‘दिन भर इधरउधर घूमने से थक गई हूं. थोड़ी कमजोरी है, ठीक हो जाएगी.’’

‘‘ठीक है बेटी, अगर लोन मिल जाएगा तो हमारे दिन फिर जाएंगे. तुम सुनीता दीदी के साथ रहो. वह काम करवा देंगी, अच्छी इंसान हैं?’’ मम्मी ने कहा तो उर्मिला मन ही मन सोचने लगी कि सुनीता औरत के नाम पर वह कलंक है जो अपनी बेटी की उम्र की लड़की को लोगों के साथ सोने को मजबूर करती है, अश्लील वीडियो, फोटो बनवा कर ब्लैकमेल करती है. धमकाती है. सुनीता वर्मा ने अगले रोज उर्मिला को अपने घर बुला कर एकांत में कहा, ‘‘तूने अपने साथ घटी घटना के बारे में घर पर किसी को बताया तो नहीं है?’’

‘‘नहीं, मैं ने किसी को नहीं बताया.’’ उर्मिला ने कांपते स्वर में कहा.

‘‘वेरी गुड. मुझे तुम से यही उम्मीद थी. कभी भी भूल कर भी किसी को भी नहीं बताना. वर्ना यह वीडियो और फोटो…’’ सुनीता ने धमकाया.

‘‘मैं किसी से नहीं कहूंगी.’’ उर्मिला बोली.

‘‘जब तक तुम मेरा कहना मानोगी तब तक इन्हें वायरल नहीं करूंगी. ठीक है. तुम चिंता न करो?’’ सुनीता ने कहा तो उर्मिला की जान में जान आई. सुनीता वर्मा के पास कई लड़कियां आती थीं. वे सब भी उर्मिला की तरह सुनीता के इशारों पर नाच रही थीं. हीरालाल ने उर्मिला को कई लोगों के साथ भेजा. जिन्होंने उस के साथ बलात्कार किया. 5 हजार का उधार चुकाने को सुनीता ने इलैक्ट्रिशियन से किया सौदा सुनीता वर्मा के घर पर राजूराम रेगर नाम का इलैक्ट्रिशियन आता था. उस ने सुनीता के घर बिजली का कोई काम किया था, जिस का सुनीता को 5 हजार का भुगतान करना था. मगर सुनीता ने उसे रुपए नहीं दिए. कह दिया कि दोचार दिन में दे दूंगी.

राजू अपने पैसे मांगने सुनीता के घर आने लगा. तब सुनीता ने राजू रेगर से कहा कि मेरे साथ जो लड़की रहती है उस के तन का स्वाद चखा देती हूं 5 हजार रुपए वसूल हो जाएंगे. राजू रेगर ने उर्मिला को देखा था. वह सुंदर, खिलती कली थी. सुनीता ने उर्मिला को धमका कर राजू के साथ भेजा. राजू उर्मिला को होटल स्वागत में ले गया और उस के साथ मौजमस्ती की. सुनीता वर्मा की तरह पूनम उर्फ पूजा चौधरी भी नाबालिग उर्मिला को डराधमका कर अपने साथ ले गई और एक व्यक्ति के आगे परोस दिया. उस व्यक्ति ने पीडि़ता से रेप किया.

कई ऐसे सरकारी कर्मचारी थे, जो सुनीता और पूनम का काम करते थे. कुछ ऐसे लोग थे जिन से पैसा ले कर सुनीता व पूनम पीडि़ता को उन के हवाले कर देती थीं. वे लोग उर्मिला को किसी होटल या कमरे पर ले जा कर उस के साथ यौन संबंध बनाते और फिर उसे  सुनीता या पूनम चौधरी के पास छोड़ देते थे. उर्मिला करीब 8-10 लोगों के साथ भेजी गई थी. घर वालों ने लिखाई रिपोर्ट उर्मिला पिछले काफी महीनों से यह सब सह रही थी. मगर हर चीज एक हद होती है. जब वह नाबालिग लड़की थक गई तो घर पर मां के पास रोने लगी. मां ने पूछा तो उस ने सुनीता व पूनम की काली करतूत के बारे में सारी बातें बता दीं. मां ने बेटी की पीड़ा सुनी तो उस का दिल दहल गया.

बेटी के साथ इतना कुछ घटित हो गया और उसे पता तक नहीं चला. इस के बाद मां ने तय कर लिया कि उस की नाबालिग बेटी की जिंदगी को नरक बनाने वालों को सजा दिला कर रहेगी. उर्मिला की मां ने अपने पति वगैरह को सारी बात बताई. इस के बाद घर वाले 22 सितंबर, 2020 को नाबालिग उर्मिला को ले कर महिला थाना सवाई माधोपुर गए और सुनीता वर्मा उर्फ संपति बाई, हीरालाल मीणा, पूनम उर्फ पूजा चौधरी और अन्य लोगों के खिलाफ यौनशोषण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. सवाई माधोपुर के एसपी ओम प्रकाश सोलंकी ने महिला थाने में दर्ज रिपोर्ट का अध्ययन किया और अपने नेतृत्व में एक टीम गठित कर जांच शुरू की. पुलिस ने साक्ष्य एकत्रित किए, पीडि़ता द्वारा बताए गए होटल में जा कर रिकौर्ड चैक किया.

इस के बाद भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष सुनीता वर्मा उर्फ संपति बाई, सहयोगी हीरालाल मीणा को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर ले कर पूछताछ की गई. पूछताछ में सामने आया कि राजू रेगर निवासी खड्डा कालोनी, सवाई माधोपुर ने सुनीता से बिजली फिटिंग के रुपए मांगने पर नाबालिग लड़की को साथ भेज दिया था,जिसे होटल में ले जा कर उस ने रेप किया था. पुलिस ने राजू रेगर को भी गिरफ्तार कर लिया. सुनीता और हीरालाल ने 2 सरकारी कर्मचारियों के नाम भी बताए. उन में से एक जिला उद्योग केंद्र का क्लर्क संदीप शर्मा और दूसरा कलेक्टर कार्यालय का चपरासी श्योराज मीणा था. पुलिस ने इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया.

पूनम उर्फ पूजा चौधरी को अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की जानकारी मिली तो वह घर से फरार हो गई थी. पुलिस को पता चला कि पूनम चौधरी बिहार की रहने वाली है. इसलिए अनुमान लगाया गया कि शायद वह बिहार भाग गई है. लोगों ने 30 सितंबर, 2020 तक पूनम चौधरी को सवाई माधोपुर में देखा गया था. तब पुलिस ने उसे क्यों नहीं गिरफ्तार किया? लोगों में इस बात की चर्चा होने लगी कि कहीं पुलिस के ऊपर सत्तासीन लोगों का दबाब तो नहीं था?

निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों से थे रिश्ते जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि पूनम चौधरी को अप्रैल, 2020 में उस की निष्क्रियता को देख कर पार्टी हाईकमान ने जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया था. पूनम की सवाई माधोपुर में सीमेंट की फैक्ट्री भी है. पूनम ने उर्मिला को उस फैक्ट्री के पास ले जा कर अपनी पहचान के आदमी के साथ भेज कर दुष्कर्म कराया था. सरकारी कर्मचारियों संदीप शर्मा और श्योराज मीणा ने पुलिस को बताया कि सुनीता वर्मा उन के पास कामकाज के लिए आती रहती थी. इसी से उन की जानपहचान थी. वह जिला उद्योग केंद्र व श्रम विभाग में लोन, सब्सिडी, श्रम डायरी सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने का काम करती थी.

आरोपी संदीप शर्मा ने इसी का फायदा उठा कर राज नगर स्थित नर्सिंग होम के पास अपने मकान में उर्मिला के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. सुनीता वर्मा कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन वगैरह देने जाती रहती थी. चपरासी श्योराज मीणा सुनीता वर्मा को कलेक्टर से मुलाकात के लिए भेजता था. इसी दौरान दोनों की जानपहचान हो गई थी. श्योराज मीणा लौकडाउन के दौरान सुनीता वर्मा के साथ लोगों को मास्क व सेनेटाइजर भी वितरित करता था. श्योराज मीणा ने लौकडाउन के समय सुनीता वर्मा के औफिस में ही नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया था. पीडि़त उर्मिला ने दूसरे कई लोगों द्वारा भी देह शोषण के आरोप लगाए. लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद जब यह खबर मीडिया की हाईलाइट बनी तो वे लोग फरार हो गए.

अगर पीडि़त के घर से रुपए गायब नहीं हुए होते तो शायद यह मामला अभी प्रकाश में नहीं आता. दरअसल, हुआ यह कि नेमसिंह के घर से कुछ रुपए गायब हो गए थे. इस बारे में उन्होंने बेटी उर्मिला से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रुपए उस ने चोरी किए थे. उर्मिला ने पिता से कहा कि ये रुपए सुनीता वर्मा ने मंगाए थे. रुपए क्यों मंगाए थे, यह पूछने पर बालिका ने सारा राज फाश कर दिया कि किस तरह उसे जिंदगी बनाने और अच्छे घर में शादी का प्रलोभन दे कर कई लोगों के साथ सोने पर मजबूर किया गया. ब्लैकमेलिंग के लिए उन्होंने उस की अश्लील वीडियो बना ली थी और उसे आधार बना कर उसे ब्लैकमेल कर रही थीं. सुनीता ने ही उसे घर से पैसे लाने के लिए मजबूर किया था.

पीडि़त बालिका और उस की मां ने बताया कि सुनीता और पूनम के पास करीब 30-35 लड़कियां हैं, जो उन के इशारों पर शहर से बाहर भी जाती हैं. इन लड़कियों को सरकारी कर्मचारी, अधिकारी और सफेदपोश लोगों के पास भेजा जाता है, जहां उन का देह शोषण किया जाता है. पीडि़ता ने दावा किया कि कई बड़े सफेदपोश राजनेता और अधिकारी भी इस सैक्स रैकेट में शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक यह धंधा सुनीता वर्मा और पूनम चौधरी मिल कर करती थीं. चर्चा तो यह भी रही कि लड़कियों के साथ गलत काम करने वाले पुरुषों को भी ये दोनों महिला नेता अश्लील वीडियो व फोटो के माध्यम से ब्लैकमेल करती थीं.

बदनामी के डर से वे लोग रुपए दे कर पीछा छुड़ाते थे, क्योंकि पुलिस के पास जा कर बेइज्जती के अलावा कुछ नहीं मिलना था. दोनों ब्लैकमेलर नेत्रियां मौज की जिंदगी जीती थीं. उन्होंने अच्छीखासी प्रौपर्टी बना ली थी. जब इस घटना की खबरें अखबारों में प्रकाशित हुई तो लोग हैरान रह गए. 2 राजनैतिक पार्टियों की जिलाध्यक्ष वह भी महिलाएं ऐसा काम कर रही थीं, जिस के बारे में किसी ने कभी सोचा तक नहीं था. पूछताछ पूरी होने के बाद पुलिस ने सुनीता वर्मा, हीरालाल मीणा, संदीप शर्मा, श्योराज मीणा और राजूलाल रेगर को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. पूजा उर्फ पूनम चौधरी और अन्य आरोपी भी पकड़े जाएंगे.

पीडि़ता के परिवार का कहना है कि उन्होंने सभी दुष्कर्मियों के बारे में पुलिस को बता दिया था, इस के बावजूद पुलिस ने सिर्फ 5 लोगों को गिरफ्तार किया. इस घटना के प्रकाश में आने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि अन्य पीडि़त युवतियां रिपोर्ट दर्ज करा कर अपने परिवार की रहीबची इज्जत दांव पर नहीं लगाना चाहतीं, इसलिए चुप हैं. सैक्स रैकेट की पड़ताल में जुटी पुलिस को पता चला कि अब तक वह जिस पूजा को खोज रही थी, हकीकत में वह कांगे्रस सेवादल महिला प्रकोष्ठ की पूर्व जिलाध्यक्ष पूनम चौधरी है. पूनम ने इस खेल को पूजा के रूप में अपनी छद्म पहचान बना कर अंजाम दिया था.

पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि इस सैक्स रैकेट गिरोह ने नाबालिग उर्मिला को जयपुर में बेचने का सौदा कर लिया था. इस के लिए उसे जयपुर भेजने की तैयारी थी. हीरालाल उसे सवाई माधोपुर बस स्टैंड तक छोड़ने गया, लेकिन पीडि़ता जैसेतैसे उस से बच निकली. पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि जयपुर में किन लोगों से बालिका का सौदा किया गया था. पीडि़त उर्मिला कक्षा 9 में पढ़ती थी. कोराना काल में स्कूल बंद थे. ऐसे में वह अपनी जिंदगी बनाने इन के लिए महिला नेत्रियों की शरण में गई थी. लेकिन उन्होंने उस की जिंदगी तबाह कर डाली.

 

MP News : फेरे लेने से पहले प्रेमी ने कर दी दुल्हन की हत्या

MP News :एक शादी समारोह में सोनू से मुलाकात कर के राम यादव बहुत खुश हुआ. बाद में वह अपने से उम्र में 7 साल बड़ी सोनू से दिली मोहब्बत करने लगा. लेकिन जब उसे पता चला कि सोनू की शादी किसी और के साथ होने जा रही है तो शादी वाले दिन उस ने ऐसा कदम उठाया कि…

घटना 5 जुलाई, 2020 की है. मध्य प्रदेश का शाजापुर शहर जब गहरी नींद में सो रहा था, शहर के सदर बाजार क्षेत्र में रहने वाले एक प्रतिष्ठित व्यापारी का परिवार बड़े जोरशोर से अपनी बेटी की शादी की तैयारी में जुटा था. इस परिवार की खूबसूरत और सुशील बेटी सोनू परिवार की शान मानी जाती थी. सोनू शहर के ही सरस्वती स्कूल में उपप्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत थी तथा अपनी योग्यता और व्यवहार के कारण स्कूल के सभी विद्यार्थियों की चहेती भी. सोनू की शादी उज्जैन जिले के नागदा के रहने वाले प्रतिष्ठित बागरेचा परिवार के बेटे के साथ होने जा रही थी. दूल्हे के मामा जावरा सर्राफा बाजार में रहते थे.

मामा चाहते थे कि भांजे की शादी जावरा से हो, इसलिए दोनों परिवारों ने एक मत हो कर 5 जुलाई को जावरा के कोठारी रिसोर्ट से विवाह करने की तैयारी कर ली. इसलिए सोनू का परिवार उस दिन सुबह जल्दी ही शाजापुर से जावरा के लिए निकलने वाला था. ऐसे में जिस लड़की की शादी हो, उसे नींद कैसे आ सकती है. इसलिए सोनू भी परिवार वालों के साथ जाग रही थी. सोनू के अलावा रतलाम के दीनदयाल नगर इलाके में रहने वाला एक युवक राम यादव भी जाग रहा था. वैसे राम इस परिवार का सदस्य नहीं था लेकिन राम के इस तरह जागने का कारण सोनू की शादी से जरूर जुड़ा था.

इसलिए सुबह को जिस वक्त सोनू अपने परिवार के साथ जावरा को रवाना हुई, लगभग उसी समय राम यादव भी अपने एक दोस्त पवन पांचाल के साथ मोटरसाइकल पर सवार हो कर जावरा के लिए निकल पड़ा. दोनों एक ही शहर के लिए रवाना हुए थे, मगर उन की मंजिलें अलगअलग थीं. सोनू की मंजिल उस का होने वाला पति था तो राम यादव की मंजिल सोनू थी. सुबह कोई साढ़े 8 बजे सोनू अपने परिवार के साथ जावरा के कोठारी रिसोर्ट पहुंच गई. लौकडाउन के कारण शादी में ज्यादा मेहमानों को शामिल करने की मनाही होने के कारण दोनों पक्षों के गिनेचुने खास मेहमान ही शामिल होने के लिए आए थे. इसलिए उस रिसोर्ट में बहुत ज्यादा चहलपहल नहीं थी.

सुबह के 9 बजे के आसपास सोनू अपनी चचेरी बहन के साथ शृंगार करवाने के लिए पहले से बुक किए ब्यूटीपार्लर जाने को तैयार हुई तो उस के भाई ने दोनों बहनों को कार में बैठा कर आंटिक चौराहे पर स्थित ब्यूटीपार्लर के सामने सड़क पर छोड़ दिया. इधर रतलाम से जावरा पहुंचा राम यादव पिछले 2 घंटे से पागलों की तरह सड़कों पर सोनू को तलाश रहा था. संयोग से जैसे ही चौराहे पर सोनू अपनी बहन के साथ कार से उतरी वैसे ही उस पर राम की नजर पड़ गई. लेकिन जब तक वह उस के पास पहुंचता सोनू बिल्डिंग में दाखिल हो गई. बिल्डिंग के अंदर ब्यूटीपार्लर देख कर राम समझ गया कि सोनू पार्लर में आई होगी, इसलिए उस ने दोस्त पवन के मोबाइल से सोनू के मोबाइल पर फोन लगाया.

सोनू मेकअप सीट पर बैठ चुकी थी, इसलिए उस का फोन साथ आई चचेरी बहन ने रिसीव किया. जिस से राम को पता चल गया कि सोनू पार्लर में ही है. इसलिए फोन काटने के बाद वह चारों दिशाओं का जायजा ले कर पार्लर में दाखिल हो गया. मेकअप सीट पर बैठी सोनू ने सामने लगे आइने में दरवाजे से राम को अंदर आता देखा तो उस का दिल धड़क उठा. लेकिन इस से पहले कि वह कुछ कर पाती राम ने तेजी से पास आ कर सोनू का मेकअप कर रही लड़की को जोर से धक्का दे कर एक तरफ गिरा दिया. फिर झटके के साथ जेब से बड़ा सा चाकू निकाल कर सोनू की गरदन रेत दी और वहां से फरार हो गया.

यह सूचना वरवधू के घर वालों को मिली तो वे सदमे में आ गए. घटनास्थल पर तड़पती सोनू को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां पहुंचने से पहले उस की मृत्यु हो गई. कुछ ही घंटे बाद फेरे लेने जा रही दुलहन की हत्या की खबर फैलते ही जावरा में सनसनी फैल गई. इस घटना की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी बी.डी. जोशी पुलिस टीम के साथ पहुंच गए. उन के पहुंचने के थोड़ी देर बाद सीएसपी पी.एस. राणावत भी मौके पर पहुंच गए. सोनू के साथ पार्लर गई उस की चचेरी बहन से पूछताछ की गई, लेकिन उस का कहना था कि वह हत्यारे को नहीं जानती.

उस ने बताया कि इस घटना से 2 मिनट पहले ही सोनू के मोबाइल पर एक फोन आया था. वह किस का था, यह पता नहीं. थानाप्रभारी ने वह नंबर हासिल कर लिया. वह समझ रहे थे कि हत्यारे तक पहुंचने के लिए वह नंबर पहली सीढ़ी हो सकता है. इस बीच घटना की खबर पा कर एसपी गौरव तिवारी तथा आईजी (उज्जैन) राकेश गुप्ता भी जावरा पहुंच गए. उन के निर्देश पर पुलिस टीम ने चारों तरफ नाकेबंदी कर जावरा से बाहर जाने वाले रास्तों पर संदिग्ध मोटरसाइकिल की तलाश की. इस जांच में पुलिस को एक बाइक एमपी43डीटी 8979 पर सवार 2 युवक राजस्थान की तरफ तेजी से भागते दिखे. लेकिन वह पुलिस के हाथ न लग सके.

सोनू के साथ घटना जावरा में हुई जरूर थी, लेकिन वह जावरा की रहने वाली नहीं थी, इसलिए पुलिस को शक था कि उस का हत्यारा उस के पीछे शाजापुर या किसी अन्य शहर से आया होगा. इसलिए जब बाइक नंबर के आधार पर रतलाम में बाइक की तलाश की गई तो एक सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि इस बाइक पर सवार 2 युवक सुबह करीब 6 बजे रतलाम से जावरा की तरफ निकले थे. इसलिए सीसीटीवी के आधार पर इस बात की संभावना नजर आई कि वह युवक रतलाम के ही होंगे. लिहाजा पुलिस ने सीसीटीवी से ले कर दोनों युवकों के फोटो पहचान के लिए सभी थानों में भिजवा दिए. इस प्रयास में दीनदयाल नगर थाने में तैनात एक आरक्षक ने फुटेज के फोटो देखते ही दोनों की पहचान राम यादव और पवन पांचाल के रूप में कर दी, जो जाटों का वास इलाके के रहने वाले थे.

चूंकि राम यादव पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा की जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी था, जिस से पुलिस ने उसे आसानी से पहचान लिया. इस पर पुलिस ने राजस्थान के रास्ते पर नाकाबंदी कर दी. क्योंकि सीएसपी राणावत को भरोसा था कि इन में से पवन पांचाल वापस रतलाम लौट सकता है क्योंकि ब्यूटीपार्लर में लगे सीसीटीवी कैमरे में केवल राम यादव पार्लर में जाते और निकल कर भागते दिखाई दिया था. इस से साफ था कि हत्या राम यादव ने की है जबकि पवन उस की मदद करने की गरज से साथ गया था. सीएसपी राणावत का सोचना एकदम सही साबित हुआ. पवन जल्द ही उस समय पुलिस की गिरफ्त में आ गया, जब वह राजस्थान से वापस लौट रहा था.

पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने बता दिया कि सोनू की हत्या राम यादव ने की थी तथा वह उसे बांसवाड़ा डिपो पर छोड़ कर वापस आ रहा था. राम को पवन के पकड़े जाने की खबर नहीं थी, इसलिए पुलिस ने पवन से उसे फोन करवाया. राम यादव ने उसे बताया कि कि वह सावरियाजी में है. यह पता चलते ही पुलिस ने एक टीम तुरंत सावरियाजी भेज दी. वहां से पुलिस ने राम को भी गिरफ्तार कर लिया. एक दिन में ही सोनू के हत्यारे पुलिस की गिरफ्त में आ गए थे, जिन से पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त बड़ा चाकू और राम के खून सने कपड़े भी बरामद कर लिए. पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ की तो सोनू की निर्मम हत्या के पीछे की कहानी इस प्रकार से सामने आई.

शाजापुर के व्यापारी परिवार की बेटी सोनू गुणों के संग रूप की भी खान थी. नातेरिश्तेदार, सहेलियां सभी उसे चाहते थे. सोनू के लिए उस के पिता ने काफी सोचसमझ कर वर का चुनाव कर सन 2010 में उस की शादी उज्जैन निवासी सजातीय युवक से कर दी. लेकिन पति के साथ सोनू की पटरी नहीं बैठने के कारण दोनों में विवाद होने लगा, जो इस हद तक बढ़ा कि शादी के 4 साल बाद ही उस का पति से तलाक हो गया. तलाक के बाद सोनू वापस मायके में आ कर रहने लगी. उच्चशिक्षित तो वह थी ही, इसलिए उस ने शाजापुर आ कर स्थानीय सरस्वती विद्यालय में शिक्षिका की नौकरी कर ली, जहां वह जल्द ही अपनी योग्यता के आधार पर वह उप प्राचार्य के पद तक पहुंच गई.

सोनू की हत्या की कहानी की भूमिका 3 साल पहले सन 2017 में उस वक्त शुरू हुई, जब वह अपने एक रिश्तेदार के घर शादी में शामिल होने के लिए रतलाम गई. वह रिश्तेदार रतलाम शहर के दीनदयाल नगर में रहते थे. उन के पड़ोस में ही राम यादव रहता था. ज्वैलर्स की दुकान पर काम करने वाला राम भाजयुमो का नेता था. इस शादी में राम यादव भी शामिल हुआ था. यहीं पर राम यादव की सोनू से पहली मुलाकात हुई. राम सोनू से उम्र में 7 साल छोटा था फिर भी सोनू के रूप ने उस पर ऐसा जादू डाला कि वह पूरी शादी में उस के आगेपीछे घूमता रहा. इस दौरान औपचारिकतावश दोनों में बातचीत हुई तो राम ने सोनू से उस का मोबाइल नंबर ले लिया, जिस से शादी के बाद दोनों की अकसर सोशल मीडिया पर बातचीत होेने लगी.

सोनू खुले विचारों की थी ही, इसलिए उसे समाज के इस राजनैतिक युवक की बातों में बहुत कुछ सीखने को मिलने लगा. वह भी राम से अकसर चैटिंग करने लगी. लेकिन उसे नहीं मालूम था कि राम के मन में उसे ले कर क्या चल रहा है. वह खुद राम से उम्र में काफी बड़ी थी, इसलिए वह सोच भी नहीं सकती थी कि राम उस में अपनी प्रेमिका तलाश रहा है. बहरहाल, इस सब के बीच राम के साथ सोनू की दोस्ती काफी गहरी होती गई तो राम ने एक दिन उस के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया. सोनू समझदार थी. वह जानती थी कि ऐसे दीवाने अचानक मना करने से कुछ बवाल खड़ा कर सकते हैं, इसलिए उस ने समझदारी दिखाते हुए राम को टालते हुए कहा कि उस ने कभी इस बारे में नहीं सोचा. सोचने का समय दो, फिर अपना निर्णय बता सकूंगी.

राम को लगा कि टीचर होने के नाते सोनू प्यार सीधे स्वीकार नहीं कर पा रही है, कुछ दिन बाद वह राजी हो जाएगी. इसलिए वह लगातार उस से फोन कर के या फेसबुक वाट्सऐप पर चैट करते हुए प्रणय निवेदन करता रहा. दोनों की अकसर फोन पर बातें भी होती थीं. इसलिए जून के अंतिम दिनों में फोन पर बात करते हुए जब राम ने एक बार फिर सोनू के सामने शादी कर प्रस्ताव रखा तो सोनू ने उस से कहा, ‘‘राम, यह संभव नहीं है. एक तो तुम्हारी उम्र मुझ से काफी कम है. दूसरे मैं एक बार तलाक का दंश झेल चुकी हूं, इसलिए अब मैं वहीं शादी करने जा रही हूं, जहां मेरे पिता ने कहा है.’’

‘‘क्याऽऽ तुम शादी कर रही हो?’’ राम ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘हां, 5 जुलाई को मेरी शादी है और घर वालों ने जावरा में एक रिसोर्ट भी बुक करा दिया है.’’

‘‘कहां, किस से.’’ राम ने पूछा तो मन की साफ सोनू ने उसे सब कुछ बता दिया. यह सुन कर राम गुस्से में पागल हो गया तथा उस ने सोनू को यह शादी न करने की धमकी दी. लेकिन सोनू ने उस की नहीं सुनी और आगे से उस का फोन अटैंड करना भी  बंद कर दिया.

राम सोनू को ले कर न जाने क्याक्या सपने देख चुका था. सोनू की शादी की खबर ने उस के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया. इस से उसे गुस्सा आ गया. उस ने उसी समय फैसला ले लिया कि यदि सोनू उस की नहीं हुई तो वह किसी और की नहीं हो सकती. यह बात राम ने अपने दोस्त पवन पांचाल को बताई तो वह राम का साथ देने को तैयार हो गया. उस ने 5 जुलाई को ही सोनू की हत्या करने की ठान ली. इस के बाद 5 जुलाई को उस ने दोस्त पवन के साथ जावरा पहुंच कर उस की हत्या कर दी.

इधर सोनू के परिवार वालों का कहना है कि उन की बेटी का किसी से कोई संबंध नहीं था. आरोपी अपने अपराध को छिपाने के लिए उन की बेटी पर गलत आरोप लगा रहा है. पुलिस ने आरोपी राम यादव और पवन पांचाल से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.

 

Bareilly Crime News : तोहफा देकर फंसाया दोस्त की पत्नी को फिर बनाया संबंध

Bareilly Crime News : पति रामऔतार की आंखों में धूल झोंक कर नन्ही पति के दोस्त नरेंद्र के साथ हसरतें पूरी करती रही. उसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि नन्ही ने प्रेमी नरेंद्र के साथ मिल कर खुद अपना ही सिंदूर मिटा दिया…

के गांव पचैमी की रहने वाली नन्ही रामऔतार की पत्नी थी. उस का विवाह रामऔतार से करीब 15 साल पहले हुआ था. उस के 6 बच्चे थे. रामऔतार का गांव के ही इतवारी और उस के 2 बेटों से जमीन को ले कर विवाद हुआ तो वह पत्नी व बच्चों के साथ बदायूं के कलौरा गांव में परिवार के साथ आ कर रहने लगा. यहां वह एक ईंट भट्ठे पर काम करने लगा. काम करते रामऔतार की दोस्ती कलौरा गांव के ही नरेंद्र से हो गई. नरेंद्र भी उस के साथ ही काम करता था.

35 वर्षीय नरेंद्र अविवाहित था. वह अपने भाइयों में सब से बड़ा था. उस के पास खेती की कुछ जमीन थी, जिस पर वह खेती करता था. खेती करने से बचे समय में वह ईंट भट्ठे पर काम करता था. रामऔतार और नरेंद्र में दोस्ती करीब 2 साल पहले हुई थी. दोस्ती हुई तो नरेंद्र का रामऔतार के घर आनाजाना शुरू हो गया. आनेजाने के दौरान ही कुंवारे नरेंद्र को नन्ही का रूपरंग भा गया था. रामऔतार की गैरमौजूदगी में भी वह नन्ही का हालचाल जानने के बहाने उस के घर चला आता था. नन्ही उस की खूब आवभगत करती थी. नरेंद्र मंझे हुए खिलाड़ी की तरह अपना हर कदम आगे बढ़ा रहा था. जब भी वह रामऔतार के घर जाता, उस की नजरें नन्ही के इर्दगिर्द ही घूमा करती थीं. वह उस पर दिलोजान से लट्टू था. 6 बच्चों की मां बनने के बाद भी नन्ही में आकर्षण था. उस के इकहरे बदन में मादकता का बसेरा था.

नरेंद्र दोस्त की गैरमौजूदगी में नन्ही को कभीकभी तोहफा दे आता तो कभी रुपए दे कर खुश कर देता. उस के इस आत्मीय व्यवहार से नन्ही उस का खूब सत्कार करती और उस से खुल कर बातें करती थी. एक दिन दोपहर को जब नन्ही घर में अकेली थी, अचानक नरेंद्र उस के यहां पहुंच गया. हमेशा की तरह नन्ही ने उस का स्वागत किया और चाय बना कर दी. फिर हंसते हुए बोली, ‘‘आज आप की दोस्त से मुलाकात नहीं हो पाएगी. क्योंकि वह काम से बाहर गए हैं.’’

नरेंद्र के होंठों के कोनों पर शैतानी मुसकान आ बैठी, ‘‘कोई बात नहीं भाभी, असल में आज मैं तुम से ही मिलने आया था.’’

‘‘ऐसी क्या बात है कि आप को खास मुझ से मिलने की जरूरत आ पड़ी. बताओ, मैं किस काम आ सकती हूं.’’ वह बोली.

नन्ही का मन टटोलने के लिए नरेंद्र बोला, ‘‘वक्तबेवक्त अपनों का फर्ज बनता है कि अपनों की मदद करें. तुम्हें पता है कि मैं ने तुम्हारे लिए कभी अपना हाथ नहीं खींचा. आज उसी मदद का प्रतिदान मांगने आया हूं.’’

नरेंद्र ने बढ़ाया कदम नन्ही समझ नहीं पाई कि नरेंद्र कहना क्या चाहता है. वह बस इतना कह पाई, ‘‘आप कहिए तो, मैं आप के किस काम आ सकती हूं.’’

जवाब में नरेंद्र ने उस का हाथ पकड़ कर उसे अपनी बगल में बैठा लिया. फिर उस की जांघ पर हाथ रखते हुए उस के कान में बोला, ‘‘मैं ने मन से तुम्हारी मदद की, अब तुम तन से मेरी मदद कर दो.’’ कहने के साथ ही उस ने हाथ नन्ही की कमर में डाल कर उसे खुद से सटा लिया और उसे चूमते हुए बोला, ‘‘सच कहता हूं, मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं. तुम्हें कसम है मेरे प्यार की, इनकार मत करना.’’

नन्ही हतप्रभ रह गई. उस ने नरेंद्र से हटने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे दोस्त की बीवी हूं. वह तुम पर बहुत विश्वास करते हैं. यह विश्वास टूटा तो दिल टूट जाएगा.’’

‘‘मैं तुम्हारे पति के विश्वास को कभी टूटने नहीं दूंगा. यकीन करो, हमारे बीच जो होगा, उसे मैं छिपा कर रखूंगा.’’ नरेंद्र ने कहा.

नन्ही के होंठ एक बार फिर बुदबुदाए, ‘‘कल जब यह भेद खुलेगा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे.’’

‘‘भेद खुलेगा कैसे? मैं तुम्हें अपना समझता हूं. अब न मत करो.’’ उस के बाद नरेंद्र के हाथ नन्ही के बदन पर रेंगने लगे.

उस की हरकतों से नन्ही के विवेक पर भी परदा पड़ गया. नन्ही भी सारी मानमर्यादा भूल कर नरेंद्र के साथ अनैतिक रिश्ता बना बैठी. अपने स्त्री धर्म पर दाग लगा चुकी नन्ही को यह सब करने का पछतावा इसलिए अधिक नहीं हुआ क्योंकि अविवाहित नरेंद्र का साथ उसे बहुत अच्छा लगा था. औरत एक बार जब फिसलती है तो फिर फिसलन की राह पर जाने से अपने कदमों को रोक नहीं पाती. फिर नरेंद्र जैसा बहकाने वाला मर्द हो तो नन्ही जैसी औरतें कहां खुद को रोक पाती हैं. लिहाजा नन्ही और नरेंद्र के संबंधों का सिलसिला चल निकला.

नरेंद्र नन्ही को तोहफेऔर पैसे दे कर खुश रखता तो बदले में वह भी उसे खुश रखती. लेकिन अवैध संबंध कायम रखने में चाहे कितनी सावधानी क्यों न बरती जाए, एक दिन उन की पोल खुल ही जाती है. इन दोनों का राज भी खुल गया. दरअसल, एक दिन रामऔतार अपने काम से जल्दी लौट आया, उसे कुछ अपनी तबियत ठीक नहीं लग रही थी. घर का मेनगेट खुला होने के कारण वह सीधा अंदर चला आया. उस ने अंदर का जो दृश्य देखा, वह जड़वत खड़ा रह गया. उस की बीवी नरेंद्र की बांहों में झूल रही थी. यह देखते ही रामऔतार की आंखों में खून उतर आया. वह चीखा तो दोनों हड़बड़ा कर अलग हो गए.

नरेंद्र तो तुरंत वहां से भाग खड़ा हुआ, नन्ही भला कहां भागती. वह अपराधबोध से नजरें झुकाए सामने खड़ी थी. रामऔतार ने लातघूंसों से उस की पिटाई करनी शुरू कर दी, ‘‘हरामजादी, मैं तेरी सुखसुविधाओं के लिए बाहर खट रहा हूं और तू गैरमर्द के साथ घर में गुलछर्रे उड़ा रही है. तूने एक बार मर्यादा के बारे में नहीं सोचा. कल जब तेरा कलंक गलीमोहल्ले वालों को पता लगेगा तो मैं सिर उठाने लायक रह पाऊंगा?’’

पति को गुस्से में जलता देख नन्ही ने त्रियाचरित्र दिखाया, ‘‘मैं ने बहुत विरोध किया लेकिन तुम्हारी गैरमौजूदगी में तुम्हारा दोस्त मेरे साथ जबरदस्ती पर आमादा हो गया था. घर में मुझे अकेला पा कर उस के हौसले और भी बढ़ गए. मोहल्ले वालों की मदद इसलिए नहीं ली कि बात गांव में फैलती तो और बदनामी हो जाती. मैं कसम खा कर कहती हूं कि मैं मजबूर थी.’’

नन्ही ने चालाकी से अपने आप को बचा लिया. उस दिन के बाद से नरेंद्र काफी दिनों तक रामऔतार के सामने नहीं पड़ा और न ही उस के घर गया. लेकिन जिस्म की आग भला कहां चैन लेने देती है. फिर से नरेंद्र रामऔतार के घर उस की गैरमौजूदगी में जाने लगा. लेकिन अब दोनों ही सावधानी बरतने लगे थे. 20 अगस्त, 2020 की रात रामऔतार छत पर सो रहा था. नन्ही नीचे कमरे में सो रही थी. रात सवा 11 बजे कुछ लोगों ने घर में घुस कर रामऔतार को गोली मार दी. रामऔतार की हुई हत्या गोली की आवाज सुन कर गांव के लोग घरों से जब तक बाहर निकलते, तब तक हमलावार वहां से भाग गए.

गोली की आवाज सुन कर नन्ही कमरे से बाहर निकली और छत की तरफ देखा तो उसे अनहोनी की आशंका हुई. वह सीढि़यां चढ़ कर छत पर गई तो अपने पति रामऔतार को मृत पाया. वह रोनेचिल्लाने लगी. गोली की आवाज सुन कर घर से निकले आसपड़ोस के लोगों ने रामऔतार के घर से रोने की आवाजें सुनीं तो वहां पहुंच गए. छत पर खून से लथपथ रामऔतार की लाश पड़ी हुई थी, वहीं पास बैठी नन्ही रो रही थी. उसी दौरान किसी ने 112 नंबर पर फोन कर के घटना की सूचना पुलिस को दे दी. घटनास्थल दातागंज थाने में आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से इस की सूचना दातागंज थाने को दे दी गई.

सूचना पा कर थानाप्रभारी अजीत कुमार सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर उन्होंने लाश का निरीक्षण किया. रामऔतार के सीने में गोली लगने का घाव था. छत व आसपास की लोकेशन को देखने के बाद उन्होंने नन्ही से पूछताछ की. नन्ही ने बताया कि वह नीचे कमरे में सो रही थी. गोली चलने की आवाज सुन कर बाहर आई तो यहां कोई नहीं था, न किसी को उस ने वहां से भागते देखा. छत पर आई तो पति की लाश पड़ी मिली. किसी पर शक होने के बारे में पूछने पर उस ने बताया कि वह अपने पति के साथ बरेली के फरीदपुर के पचैमी गांव में रहती थी. वहां गांव के ही इतवारी और उस के बेटों कलट्टर और अर्जुन से उस के पति का जमीनी विवाद चल रहा था.

उस विवाद की वजह से ही वह पति के साथ यहां आ कर रह रही थी. नन्ही ने आरोप लगाया कि उन तीनों ने ही उस के पति को मारा है. आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर पुलिस को ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जो केस खोलने के काम आए. पूछताछ के बाद थानाप्रभारी अजीत कुमार सिंह ने लाश मोर्चरी भेज दी. फिर नन्ही को सुबह थाने आने को कह कर वापस थाने लौट गए. सुबह थाने पहुंच कर नन्ही ने इतवारी, कलट्टर और अर्जुन के खिलाफ भादंवि की धारा 302/34 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. थानाप्रभारी सिंह ने जांच शुरू की. सब से पहले उन्होंने तीनों नामजद लोगों के बारे में पता किया.

उन के फोन नंबर ले कर घटना की रात की लोकेशन की जांच की तो घटनास्थल तो क्या दूरदूर तक उन की लोकेशन नहीं मिली. इस से थानाप्रभारी को लगा कि दुश्मनी की आड़ में कोई और ही काम को अंजाम दे गया है. थानाप्रभारी अजीत सिंह की सोच यह थी कि गांव के या आसपास के ही किसी परिचित ने इस घटना को अंजाम दिया होगा. इसलिए थानाप्रभारी सिंह ने रामऔतार के दोस्तों और उस के घर आनेजाने वाले लोगों के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि गांव के नरेंद्र नाम के युवक से रामऔतार की अच्छी दोस्ती थी. वह दिन में उस के घर के कई चक्कर लगाता था.

आरोपियों ने स्वीकारा अपराध यह जानकारी मिली तो उन्होंने 26 अगस्त को नरेंद्र को शक के आधार पर हिरासत में ले लिया. जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म स्वीकार करते हुए हत्या में साथ देने वालों के नाम भी बता दिए. हत्या में उस का साथ मृतक की पत्नी नन्ही, नरेंद्र के सगे भाई मुकेश, मौसेरे भाई रिंकू, दोस्त रामनिवास और मुकेश ने दिया था. पुलिस ने उसी दिन नन्ही और रामनिवास व मुकेश को गिरफ्तार कर लिया. उन सभी से पूछताछ करने पर पता चला कि नन्ही और नरेंद्र रामऔतार की गैरमौजूदगी में सावधानी से मिल तो रहे थे लेकिन कई बार पकड़े जाने से बालबाल बचे थे. अब पकड़े जाने पर उन्हें रामऔतार की ओर से कोई खतरनाक कदम उठाए जाने का भी अंदेशा था.

वैसे भी जब से रामऔतार ने नन्ही को नरेंद्र के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देखा था, तब से वह वक्तबेवक्त घर आ धमकता था. उस के घर आने का खौफ दोनों के दिमाग पर हावी रहने लगा. ऐसे में वे दोनों ठीक से मिल भी नहीं पाते थे. इसलिए रामऔतार नाम के खौफ को हमेशा के लिए अपनी जिंदगी से मिटाने का उन दोनों ने फैसला कर लिया. रामऔतार की हत्या में साथ देने के लिए नरेंद्र ने अपने सगे भाई मुकेश, मौसरे भाई रिंकू, दोस्त रामनिवास निवासी गांव मलौथी थाना दातागंज और दोस्त मुकेश निवासी गांव छेदापट्टी, जिला शाहजहांपुर को तैयार कर लिया. सब के साथ मिल कर नरेंद्र ने हत्या की योजना बनाई. योजना बना कर नन्ही को नरेंद्र ने पूरी योजना के बारे में बता दिया.

20 अगस्त की रात जब रामऔतार छत पर सो रहा था. नन्ही नीचे कमरे में जागी हुई उस का इंतजार कर रही थी. रात सवा 11 बजे नरेंद्र अपने साथियों के साथ रामऔतार के घर पहुंच गया और नन्ही द्वारा रामऔतार के छत पर सोने की बात बताने पर सभी छत पर पहुंच गए और सोते हुए रामऔतार के सीने पर गोली मार दी. गोली लगते ही रामऔतार ने दम तोड़ दिया. इस से पहले कि कोई वहां आए, वे लोग वहां से फरार हो गए. नन्ही योजना के अनुसार कुछ देर बाद छत पर जा कर रोनेचिल्लाने लगी. वे हत्या करने की अपनी योजना में तो सफल हो गए, लेकिन अपने आप को बचाने में सफल नहीं हो पाए और पकड़े गए. थानाप्रभारी अजीत कुमार सिंह ने मुकदमे में धारा 120बी और बढ़ा दी. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त तमंचे के साथ एक और तमंचा बरामद कर लिया.

कागजी खानापूर्ति करने के बाद चारों अभियुक्तों नन्ही, नरेंद्र, रामनिवास और मुकेश को सक्षम न्यायालय में पेश करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक नरेंद्र का भाई मुकेश और मौसेरा भाई रिंकू फरार थे, पुलिस सरगर्मी से उन की तलाश कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Crime : जींस की बेल्ट से गला दबाकर की बहन के प्रेमी की हत्या

Love Crime : शादी के वादे पर 2 साल रिलेशनशिप, रोजाना के शारीरिक संबंध, कई बार गर्भपात. आखिर कितना सह सकती है एक युवती. जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो…

हमेशा की तरह साहिल दोपहर का खाना खा कर काम पर जाने के लिए घर से निकला था. लेकिन अगले दिन सुबह 9 बजे तक घर वापस नहीं लौटा तो उस की अम्मी नसीम खान का दिल एक अनजानी आशंका में घबराने लगा. घबराहट इसलिए भी थी कि साहिल का फोन लगातार स्विच्ड औफ था. मां की घबराहट वाजिब भी थी क्योंकि साहिल उन का एकलौता बेटा था. 7 साल पहले नसीम के पति सहीम खान की मौत के बाद नसीम ने एकलौते बेटे साहिल और 3 बेटियों को कड़ी मेहनत और कष्ट उठा कर पाला था.

नसीम के पति सहीम का लेडीज टेलरिंग का काम था. उन का इंतकाल होने के बाद नसीम ने बच्चों की परवरिश के साथ पति के काम को संभालने की जिम्मेदारी भी उठा ली. दिल्ली के वजीराबाद स्थित गली नंबर- 9 में प्लौट नंबर एच-9 पर बने अपने घर में ही उस ने बुटीक का काम शुरू कर दिया. बड़ी बेटी आयशा ने भी मां का हाथ बंटाना शुरू कर दिया. साहिल (23 साल) बड़ी बहन आयशा से 1 साल छोटा था. साहिल से छोटी उस की 2 बहनें नाजिमा और फातिमा हैं. 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद साहिल ने भी अपनी मां नसीम का हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. नसीम और उन की तीनों बेटियां साहिल को प्यार से राजा पुकारते थे, इसलिए जवान होने तक उस का उपनाम राजा ही पड़़ गया.

साहिल उर्फ राजा प्रिंटिंग प्रैस में मशीनमैन के रूप में काम करता था. राजा के पिता सहीम खान के एक दोस्त हैं अब्दुल सत्तार. शास्त्री पार्क दिल्ली में उन की प्रिंटिंग प्रैस है. कोरोना वायरस महामारी के बाद लौकडाउन के कारण प्रिंटिंग प्रैस का काम बहुत अच्छा नहीं चल रहा था. फिर भी छोटामोटा काम आता रहता था. इसीलिए राजा कुछ घंटों के लिए प्रिंटिंग प्रैस जरूर जाता था. जब काम अधिक होता था तो वह रात में वहीं रुक जाता था. 10 सितंबर, 2020 को शाम करीब 4 बजे राजा अपने घर से मोटरसाइकिल ले कर प्रिंटिंग प्रैस जाने के लिए निकला था.

रात को करीब 10 बजे उस ने फोन कर के अपनी मां से बताया था कि वह रात को घर नहीं आएगा. लेकिन आमतौर पर राजा जब रात को घर से बाहर होता था तो सुबह 8 से 9 तक घर जरूर लौट आता था. 11 सितंबर को ऐसा नहीं हुआ तो मां नसीम और बहन आयशा ज्यादा परेशान हो गईं. इस दौरान आयशा प्रिंटिंग प्रैस के मालिक अब्दुल सत्तार के अलावा राजा के सभी दोस्तों और जानकारों से फोन कर के उस के बारे में पूछताछ कर चुकी थी. किसी से कुछ पता नहीं चला. मनहूस खबर इसी बीच सुबह साढे़ 11 बजे के करीब मोबाइल देखते हुए अचानक आयशा की नजर अपनी ही कालोनी के एक वाट्सऐप ग्रुप पर पड़ी.

वाट्सऐप ग्रुप में एक लाश की फोटो थी, जिस में लाश की शिनाख्त करने की अपील करते हुए जानकारी दी गई थी कि यह लाश आज सुबह पुलिस ने गली नंबर 9 में अमीना मसजिद के पास से बरामद की थी. लाश के चेहरे और कपड़ों पर नजर पड़ते ही आयशा के मुंह से चीख निकल गई, ‘हाय अल्लाह यह क्या हुआ? अम्मी… अम्मी, जल्दी आओ… देखो भाईजान के साथ यह क्या हो गया.’

रसोईघर से निकल कर नसीम बाहर आई तो देखा बेटी आयशा बदहवास हालत में जमीन पर बैठी मोबाइल की स्क्रीन को देख कर छाती पीटते हुए रो रही थी. इस के बाद आयशा ने नसीम को जो कुछ बताया, उसे जान कर उन्हें भी धरतीआसमान घूमते नजर आने लगे. इस दौरान नसीम और आयशा की चीख और करुण रुदन सुन कर बाकी दोनों बहनें भी अपने कमरों से बाहर निकल आईं. दरअसल, वाट्सऐप का यह मैसेज नसीम के परिवार पर कहर बन कर टूटा था. जिस बेटे के लौटने का वह सुबह से बेसब्री के साथ इंतजार कर रही थीं, उस की मौत हो चुकी थी.

दरअसल उसी सुबह करीब साढ़े 7 बजे वजीराबाद इलाके की अमीना मसजिद की सीढि़यों के पास राहगीरों ने सड़क पर एक युवक को अचेत अवस्था में पड़ा देखा, जिस के बाद लोगों ने पुलिस नियंत्रण कक्ष को सूचना दी. पुलिस कंट्रोल रूम की गाड़ी कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंच गई. पुलिस कंट्रोल रूम ने आगे की काररवाई के लिए वजीराबाद थाने को सूचना दे दी. क्योंकि यह इलाका इसी थाना क्षेत्र में आता था. सूचना मिलने के बाद एसएचओ पी.सी. यादव अमीना मसजिद इलाके के बीट औफिसर तथा एडिशनल एसएचओ गुलशन कुमार को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

जांचपड़ताल के बाद पता चला कि युवक की मौत हो चुकी है. मृतक की उम्र तकरीबन 20 से 25 साल रही होगी, जिस के शरीर पर गेहुंए रंग की टी शर्ट और ब्लैक कलर की जींस थी. लाश को मसजिद की सीढि़यों पर घसीट कर ला कर डाला गया था. क्योंकि मृतक के पांव में चप्पल या जूते नहीं थे, इसलिए साफ समझा जा सकता था कि उस की मौत यहां नहीं हुई थी. युवक के शरीर पर किसी चोट या घाव इत्यादि के निशान नहीं थे. न ही शरीर के किसी हिस्से से खून बह रहा था. हां, उस के गले पर कुछ निशान जरूर थे. जांच करने पर लाश के मुंह से शराब की दुर्गंध आ रही थी, इसलिए ज्यादा शराब पीने के कारण अथवा हार्ट अटैक की आशंका भी लग रही थी. पुलिस को उम्मीद थी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत की वजह साफ हो जाएगी.

पुलिस की पहली प्राथमिकता लाश की जल्द शिनाख्त करना था. एएसआई प्रदीप कुमार इलाके के बीट आफिसर थे. वजीराबाद की गली नंबर 9 एक ऐसा इलाका है, जिस से करीब 50 गलियां आपस में जुड़ती हैं. एसएचओ पी.सी. यादव के कहने पर एएसआई प्रदीप ने आसपास के लोगों को बुला कर लाश की शिनाख्त कराने का प्रयास किया. सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने लाश के फोटो खींच कर इलाके में रहने वाले अधिकांश जिम्मेदार लोगों को वाट्सऐप पर भेजे. उन्होंने इलाके के जानकार लोगों से लाश की फोटो अन्य वाट्सऐप ग्रुपों को भेजने के लिए भी कहा.

पुलिस की ये तरकीब काम आई. यही फोटो करीब साढ़े 11 बजे आयशा ने अपने मोबाइल पर कालोनी के एक वाट्सऐप ग्रुप में देखी. मरने वाला उस का छोटा भाई साहिल उर्फ राजा था. लाश के साथ जो मैसेज लिखा था, उस में स्पष्ट किया गया था कि लाश की पहचान करने वाले तत्काल वजीराबाद थाना पुलिस से संपर्क करें. वाट्सऐप मैसेज में राजा की लाश का फोटो देखने के बाद उस के घर में मातम शुरू हो गया था. तीनों बहनें और मां छाती पीटने लगीं. कुछ देर में जानकारी मिलने पर लोग उन के घर पहुंच गए. लोगों का मजमा लग गया. उस के बाद घर वाले रिश्तेदारों के साथ वजीराबाद थाने पहुंचे. वजीराबाद पुलिस तब तक गली नंबर 9 में मिले शव को पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी मोर्चरी भेज चुकी थी. इस से पहले जांचपड़ताल के लिए फोरैंसिक टीम ने घटना की सभी औपचारिकता पूरी कर ली थी.

एसएचओ पी.सी. यादव ने इलाके के एसीपी सुरेशचंद्र और डीसीपी एंटो अल्फांसो को भी इलाके में मिली लाश की सूचना दे दी थी. एसएचओ पी.सी. यादव ने घटनास्थल से लौटने के बाद वजीराबाद थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में अज्ञात व्यक्ति की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था. जांच का काम अतिरिक्त थानाप्रभारी और इंसपेक्टर इनवैस्टिगेशन का काम देख रहे गुलशन कुमार गुप्ता के सुपुर्द कर दिया. जांच का काम हाथ में लेते ही इंसपेक्टर गुलशन ने सबइंस्पेक्टर देवेंद्र, एएसआई प्रदीप और राजीव कुमार के नेतृत्व में टीम गठित की. इस टीम में हैडकांस्टेबल कैलाश, कांस्टेबल रितेश, अजय और महिला हैडकांस्टेबल सुजाता को शामिल किया गया.

घर वाले पहुंचे थाने पुलिस ने जब तक ये कवायद की, तब तक साहिल उर्फ राजा के घर वाले वाट्सऐप ग्रुप पर उस का फोटो देख कर वजीराबाद थाने पहुंच गए. एसएचओ पी.सी. यादव से मिलने के बाद राजा के परिवार वालों ने सब्जीमंडी मोर्चरी पहुंच कर इस बात की पुष्टि कर दी कि शव साहिल उर्फ राजा का ही है. शिनाख्त की काररवाई होने के बाद इंसपेक्टर गुलशन ने राजा के घर वालों को सांत्वना दे कर उन से राजा की किसी से रंजिश, लेनदेन के विवाद और तमाम शंकाओं के बारे में जानकारी हासिल की. घर वालों ने इंसपेक्टर गुलशन को ऐसे किसी भी पहलू पर कोई संदेहजनक बात नहीं बताई. उन्होंने पुलिस को 10 तारीख को राजा के घर से जाने से ले कर रात को आखिरी बार फोन पर हुई बातचीत की जानकारी दे दी.

राजा घर से अब्दुल सत्तार की प्रिंटिंग प्रैस पर गया था. इंसपेक्टर गुलशन ने अब्दुल सत्तार का एड्रेस और फोन नंबर ले कर उसी समय एक टीम भेज कर उसे थाने बुलवा लिया. इंसपेक्टर गुलशन ने अपनी टीम को 3 हिस्सों में बांट कर उन्हें अलगअलग काम सौंप दिए. एक टीम गली नंबर 9 में अमीना मसजिद के पास आने वाले रास्तों पर लगे सभी सीसीटीवी फुटेज की जांचपड़ताल का काम करने लगी. दूसरी टीम शास्त्री पार्क से प्रिंटिंग प्रैस चलाने वाले अब्दुल सत्तार को थाने ले आई. अब्दुल सत्तार ने इंसपेक्टर गुलशन को बताया कि राजा शाम 5 बजे जब प्रिंटिंग प्रैस पर आया था तो उस के साथ वजीराबाद में रहने वाला उस का दोस्त शाहजेब भी था. उस रात प्रिंटिंग प्रैस पर कोई जौब वर्क नहीं था.

रात को करीब 8 बजे उस ने राजा और शाहजेब के साथ खाना खाया. इस के कुछ देर बाद पहले शाहजेब वहां से गया, उस के बाद करीब 9 बजे वह अपनी बाइक ले कर चला गया. राजा के दोस्त शाहजेब से राजा के बारे में कोई जानकारी मिल सकती थी. इसलिए इंसपेक्टर गुलशन ने शाहजेब का पता हासिल कर उसे थाने बुलवा लिया. शाहजेब ने पूछताछ में बताया कि शाम साढ़े 4 बजे राजा उसे गली नंबर 9 में मिला था. उस के पास कोई काम नहीं था, इसलिए उस के कहने पर वह राजा के साथ प्रिंटिंग प्रैस पर चला गया. रात 8 बजे खाना खाने के बाद जब उस ने राजा से घर चलने के बारे में पूछा तो राजा ने उस से कहा कि उसे वर्षा से मिलना है, इसलिए उसे देर हो सकती है लिहाजा वह आटो पकड़ कर घर चला जाए.

कहानी में महिला का जिक्र आया तो इंसपेक्टर गुलशन ने शाहजेब से वर्षा के बारे में पूछताछ की. उस ने बताया कि वर्षा राजा की गर्लफ्रैंड है और वजीराबाद की गली नंबर 8 में अपने भाई आकाश और विशाल के साथ रहती है. शाहजेब ने बताया कि राजा और वर्षा की दोस्ती पांच 6 साल पुरानी है. एक तरह से दोनों के बीच लिवइन रिलेशनशिप थी और राजा ही वर्षा के सारे निजी खर्चे उठाता था. इंसपेक्टर गुलशन को अचानक मामले में प्रेम प्रसंग की बू आने लगी. शाहजेब से राजा की गर्लफ्रैंड के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद पुलिस की एक टीम तत्काल वर्षा के मकान पर पहुंच गई.

वह चार मंजिला मकान था, वर्षा चौथी मंजिल पर अपने भाई आकाश और विशाल के साथ रहती थी. पुलिस को वहां ताला लटका मिला. मकान मालिक से पूछताछ करने पर पता चला कि 11 तारीख की सुबह से वर्षा और उस के भाई को किसी ने नहीं देखा. वर्षा आई संदेह के दायरे में वर्षा और उस के भाइयों का घर पर नहीं मिलना पुलिस के लिए शक का आधार बन गया. इंसपेक्टर गुलशन को राजा हत्याकांड की कडि़यां वर्षा से जुड़ती नजर आने लगीं. जांच अधिकारी गुलशन ने वर्षा और उस के भाइयों पर जांच केंद्रित कर दी. वर्षा के मकान की मालकिन वंदना सक्सेना से पुलिस को वर्षा के भाई आकाश का नंबर मिल गया. उस नंबर को मिलाया गया तो वह स्विच्ड औफ मिला.

जांच अधिकारी ने आकाश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा ली. काल डिटेल्स में ज्यादा बातचीत होने वाले नंबरों की पड़ताल की गई, तो उन में एक नंबर वर्षा का निकला. जांच अधिकारी गुलशन ने अपनी टीम को लगा कर एक साथ 2 काम किए. उन्होंने सब से पहले वर्षा और राजा के लगातार स्विच्ड औफ आ रहे मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा गली नंबर 8 में, जहां वर्षा अपने भाइयों के साथ रहती थी, उस के मकान के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज हासिल की गई. तब तक इंसपेक्टर गुलशन को गली नंबर 9 में अमीना मसजिद के आसपास की तरफ आने वाले रास्तों की फुटेज मिल चुकी थी.

इस फुटेज की जांच में पता चला कि राजा को 2 लड़कियां एक आटो से उतार कर अपने कंधों का सहारा दे कर लगभग घसीटते हुए अमीना मसजिद की तरफ ले जा रही थीं. सीसीटीवी फुटेज से यह तो साफ हो गया कि जिस युवक को दोनों लड़कियां ले जा रही थीं, उस का पहनावा और हुलिया राजा से मिलताजुलता था. लेकिन एक दिक्कत यह थी कि सीसीटीवी फुटेज में उस आटो का नंबर स्पष्ट नहीं था, जिस में दोनों लड़कियां राजा को ले कर आई थीं. लेकिन काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने करीब 8 ऐसे नंबर की लिस्ट तैयार की, जो आटो के धुंधले नजर आ रहे नंबर से मिलतेजुलते थे. उन सभी आटो के पंजीकृत पते हासिल किए गए.

जांच टीम को इन में डीएल1आर वी8434 नंबर का एक ही आटो ऐसा मिला, जो घटनास्थल से सब से करीब त्रिलोकपुरी के पते पर पंजीकृत था. यह आटो रविंद्र पाल के नाम पर दर्ज था. पुलिस की एक टीम तत्काल पंजीकृत पते पर भेजी गई . रविंद्र पाल ने पूछताछ करने पर बताया कि उस का आटो 2 शिफ्ट में चलता है. दिन की शिफ्ट में वह खुद आटो चलाता है जबकि रात की शिफ्ट में उस का आटो गोकुलपुरी निवासी मुकेश चलाता है. रविंद्र पाल से आटो ड्राइवर मुकेश का पता मिल गया. मुकेश को पुलिस वजीराबाद थाने ले आई. मुकेश ने पूछताछ में बताया कि रात के समय वह कश्मीरी गेट बसअड्डे से आटो चलाता है.

10 सितंबर की आधी रात के बाद वह कश्मीरी गेट बसअड्डे से सोनिया विहार में एक सवारी छोड़ने आया था. सुबह वह जगप्रवेश चंद्र हौस्पिटल के पास खड़ा किसी सवारी का इंतजार कर रहा था कि सुबह करीब साढ़े 5 पौने 6 बजे 2 किन्नर उस के पास आए और बोले उन के एक रिश्तेदार की तबीयत खराब है, उसे वजीराबाद में उस के घर छोड़ना है. मुकेश ने बताया कि इसी बीच अस्पताल के भीतर से एक लड़का और लड़की स्टे्रचर पर किसी युवक को डाल कर बाहर लाए जो मूर्छित था. दोनों किन्नर और लड़कालड़की ने मिल कर स्टेचर पर मूर्छित पड़े युवक को उतार कर आटो की पिछली सीट पर बैठा दिया.

लड़का और लड़की मूर्छित युवक को पकड़ कर पिछली सीट पर बैठ गए जबकि एक किन्नर यह कह कर अस्पताल के अंदर चला गया कि वह डाक्टर से डिस्चार्ज के पेपर ले कर बाद में घर आ जाएगा. दूसरा किन्नर आटो चालक के साथ ही सीट पर बैठ गया. इस के बाद वे उसे वजीराबाद की तरफ ले गए. लेकिन वजीराबाद में गली नंबर 9 के पास जा कर वे शायद घर का रास्ता भूल गए और उसे इधरउधर घुमाने लगे. इस पर मुकेश ने गुस्से में आ कर लड़के और लड़की से बहस के बाद उन्हें मूर्छित युवक के साथ गली नंबर 8 के बाहर उतार दिया और चला गया.

मुकेश ने जो कुछ बताया, उस से जांच की कडि़यां आपस में जुड़ रही थीं. पुलिस ने जब अब्दुल सत्तार, शाहजेब को अमीना मसजिद के पास मिली सीसीटीवी फुटेज दिखाई तो उन्होंने भी स्पष्ट कर दिया कि फुटेज में जो 2 लड़कियां दिखाई दे रही हैं, उन में से एक वर्षा ही है. आधाअधूरा रहस्य दूसरी तरफ जांच अधिकारी गुलशन के निर्देश पर पुलिस की एक टीम ने जगप्रवेश चंद्र हौस्पिटल पहुंच कर वहां से भी सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली. सीसीटीवी की फुटेज में स्ट्रेचर पर मूर्छित युवक को अस्पताल से बाहर जो लड़कालड़की ले कर आए थे, उन में से एक लड़की वर्षा ही थी. वर्षा की मकान मालकिन वंदना सक्सेना को बुलवा कर जब फुटेज दिखाई गई तो उस ने बताया सीसीटीवी फुटेज में वर्षा के साथ जो युवक स्ट्रेचर ले कर बाहर आ रहा है वह उस का भाई विशाल है.

अमीना मसजिद के पास जो सीसीटीवी फुटेज मिली थी, उस में आटो से उतार कर एक युवक को ले जाती जो 2 लड़कियां दिख रही थीं, वंदना सक्सेना ने उन की भी पहचान कर दी. इस फुटेज में एक लड़की वर्षा थी और दूसरी लड़की कोई और नहीं, बल्कि उस का किन्नर भाई आकाश था जिसे लोग आकांक्षा के नाम से पुकारते थे. जांच अधिकारी गुलशन को मृतक साहिल उर्फ राजा और वर्षा के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच से यह भी पता चल गया कि उस रात राजा के मोबाइल की लोकेशन साढ़े 9 बजे के बाद से सुबह 4 बजे तक वर्षा के घर के आसपास थी.

वर्षा और उस के भाइयों के खिलाफ सबूत और पुख्ता करने के लिए पुलिस ने जब गली नंबर 8 में वर्षा के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच की तो उस के हाथ कुछ ऐसी फुटेज लगी, जिस से यह पता चल गया कि उस रात राजा करीब साढे़ 9 बजे वर्षा के घर पर आया था. सीसीटीवी फुटेज में साफ था उस रात राजा 4 बार वर्षा के घर में थोड़ेथोड़े अंतराल से नीचे आया और गया था. उसी सुबह करीब सवा 5 बजे 2 लड़कियां मकान से बाहर निकलीं, जो कुछ देर में एक आटो को ले कर वहां आईं. बाद में उस फोटो में एक युवक को लादा गया जो मूर्छित था. सीसीटीवी फुटेज में कुल 4 लोग दिखाई पड़ रहे थे.

वर्षा की मकान मालकिन वंदना सक्सेना को जब यह फुटेज दिखाई गई तो उस ने बताया कि उन चारों में से एक वर्षा है बाकी 2 उस के भाई विशाल और दूसरा भाई किन्नर आकाश उर्फ आकांक्षा है. सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे चौथे शख्स की वह पहचान नहीं कर पाई. लेकिन इतना जरूर बताया कि यह एक किन्नर है जो वर्षा के भाई आकाश उर्फ आकांक्षा के साथ अकसर उन के फ्लैट पर आताजाता था. अब तक की जांच में साहिल उर्फ राजा की हत्या से वर्षा और उस के भाइयों के सीधे संबंध की बात प्रमाणित हो रही थी. इसलिए पुलिस ने अब अपना ध्यान उन की गिरफ्तारी पर केंद्रित कर दिया.

जांच अधिकारी इंसपेक्टर गुलशन ने उन के फोन ट्रैकिंग पर लगवा दिए, जिस से पता चला कि उन के फोन बीचबीच में खुलते, 1- 2 लोगों से बातचीत के बाद फिर बंद हो जाते. लेकिन इस से पुलिस को उन दोनों की लोकेशन मिलती रही, जिस के मुताबिक वे उस वक्त उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में थे. पुलिस की एक टीम शाहजहांपुर पहुंच गई. दिल्ली में बैठी साइबर टीम उन्हें लगातार वर्षा और आकाश के फोन की ताजा लोकेशन से अवगत कराती रही. आखिरकार कड़ी मशक्कत और कई जगहों पर दबिश देने के बाद 13 सितंबर की रात मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से वर्षा और उस के एक भाई आकाश को गिरफ्तार कर लिया.

उन के साथ आकाश का किन्नर दोस्त अली हसन उर्फ अलका भी था, जो हत्याकांड में उन के साथ शामिल था. वर्षा, आकाश और अली हसन को पुलिस टीम 14 सितंबर को दिल्ली ले आई. दिल्ली ला कर जांच अधिकारी गुलशन व एसएचओ पी.सी. यादव के सामने कड़ी पूछताछ के बाद तीनों आरोपियों ने सच उगल दिया, जिस के बाद साहिल हत्याकांड की कहानी कुछ इस तरह सामने आई. वर्षा, विशाल और आकाश 3 भाईबहन हैं. मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के हसनापुर गांव के रहने वाले. वर्षा की मां की 21 साल पहले मौत हो गई थी. पिता पप्पू बेरोजगार और नशे का आदी था. छोटा भाई आकाश बचपन से ही किन्नरों के प्रति आकर्षित था, जिस कारण किशोरावस्था तक आतेआते वह पूरी तरह किन्नर बन गया.

पिता नाकारा था, इसलिए तीनों बहनभाई पेट पालने के लिए 7 साल पहले दिल्ली आ गए. दिल्ली आने के बाद आकाश नंदनगरी में किन्नरों की टोली में शामिल हो गया, जहां उस का नाम आकांक्षा पड़ गया. आकाश किन्नरों की टोली में रह कर जो कुछ कमाता, उसी से तीनों बहनोंभाइयों का गुजारा होता था. कुछ समय बाद वर्षा के दूसरे भाई विशाल ने भी छोटेमोटे काम कर के कमाई शुरू कर दी. करीब 5 साल पहले की बात है, तब आकाश, विशाल और वर्षा शास्त्री पार्क इलाके में किराए के फ्लैट में रहते थे. यहीं पर अब्दुल सत्तार की प्रिंटिंग प्रैस में काम करने वाले साहिल उर्फ राजा से वर्षा की आंखें चार हुईं और दोनों के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हो गया.

वर्षा गांव और गरीबी में पली जरूर थी, लेकिन तीखे नाकनक्श होने के कारण वह काफी आकर्षक और सुंदर लगती थी. राजा पहली ही नजर में वर्षा को देख कर उस पर फिदा हो गया. मांबाप का साया सिर पर नहीं होने के कारण वर्षा को अच्छेबुरे की सीख देने वाला कोई नहीं था. इसलिए राजा से आंखें मिलने के बाद वर्षा का किशोर मन बहक गया. दोनों के प्रेम की कहानी आगे बढ़ने लगी. धीरेधीरे राजा का वर्षा के घर में आनाजाना शुरू हो गया. आकाश और विशाल ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे, इसलिए उन की अनुपस्थिति में घर आनेजाने के दौरान राजा और वर्षा के बीच जिस्मानी संबंध भी कायम होने लगे.

कुछ समय बाद आकाश और विशाल को इस बात का पता चल गया कि वर्षा और राजा एकदूसरे से प्यार करते हैं. दोनों भाइयों ने राजा से इस बारे में बात की तो राजा ने कहा वह वर्षा से सच्चा प्यार करता है और उस से निकाह करना चाहता है. जब विशाल और आकाश ने पूछा कि वह कब शादी करेगा तो राजा ने कहा जैसे ही उस की बड़ी बहन आयशा की शादी हो जाएगी, वह वर्षा से शादी कर लेगा. वक्त तेजी से गुजरने लगा, राजा और वर्षा एक तरह से लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे. वर्षा के तमाम खर्चे राजा ही उठाता था. राजा ने वर्षा को अपने परिवार वालों से भी मिलवा दिया था. घर वालों को दोनों के रिश्ते पर कोई ऐतराज नहीं था.

डेढ़ साल पहले वर्षा और उस के भाइयों को जब शास्त्री पार्क वाला फ्लैट खाली करना पड़ा तो राजा ने ही उन्हें वजीराबाद की गली नंबर 8 में वंदना सक्सेना के मकान की चौथी मंजिल का फ्लैट किराए पर दिलवाया था. राजा अक्सर रात को प्रिंटिंग प्रैस में काम करने बाद खाली हो कर वर्षा के पास उस के फ्लैट पर चला आता था. यह बात राजा के घर वालों के साथ अब्दुल सत्तार व उस के दोस्त शाहजेब को भी मालूम थी. पिछले कुछ सालों से राजा के साथ लगातार जिस्मानी संबंध बनाने के कारण वर्षा कई बार प्रेग्नेंट भी हो चुकी थी. प्रेग्नेंट होने के बाद वह राजा पर शादी का दबाव बनाती तो वह ये कह कर टाल जाता कि बड़ी बहन आयशा की शादी से पहले वह शादी नहीं कर सकता.

इस कारण कुंआरी मां बनने की जगह वर्षा को अबौर्शन कराना पड़ता था. यही कारण था कि वर्षा अब राजा के साथ जिस्मानी संबंध बनाने पर ऐतराज करने लगी थी ताकि वह उस से जल्द शादी कर सके. 10 सितंबर की शाम को राजा ने वर्षा से फोन कर के कहा था कि वह 9 या 10 बजे तक फ्लैट पर पहुंचेगा. वह साढ़े 9 बजे बाइक ले कर वर्षा के फ्लैट पर पहुंचा. वहां पहले से ही वर्षा का भाई विशाल, उस का छोटा भाई किन्नर आकाश उर्फ आकांक्षा और आकाश का किन्नर शिष्य अली हसन उर्फ अलका मौजूद थे. रात 11 बजे से राजा ने उन चारों के साथ शराब पीनी शुरू कर दी. इस दौरान राजा 1-2 बार नीचे उतर कर आया और सिगरेट पी फिर दुकान से सोडा खरीद कर ऊपर ले गया.

रात में करीब डेढ़ बजे शराब खत्म होने पर वह उस गली से थोड़ी दूर रहने वाले अपने एक जानकार से शराब की बोतल भी ले कर आया. शराब लाने के बाद राजा, वर्षा, विशाल, आकाश और अली हसन ने चौथी मंजिल के ऊपर बनी छत पर पहुंचकर फिर से 2-2  पैग शराब पी. इस के बाद विशाल, आकाश और अली हसन तो नीचे उतर कर चौथी मंजिल पर आ गए. लेकिन राजा और वर्षा ऊपर ही रह गए और आपस में अपनी निजी बातें करने लगे. पांचवी मंजिल पर एक स्टोररूम नुमा कमरा बना था जो खाली था. राजा और वर्षा घर में वर्षा के भाइयों के होने पर इसी कमरे में अपनी रातें गुलजार करते थे.

राजा को शराब काफी चढ़ चुकी थी. आकाश, विशाल और अली हसन के नीचे जाने के कुछ देर बाद राजा ने सिगरेट पीते हुए वर्षा के शरीर से खेलना शुरू किया तो वर्षा ने राजा को झिड़क दिया और कहा जब तक शादी नहीं करोगे, अपने शरीर को हाथ नहीं लगाने दूंगी. एक तो शराब का नशा ऊपर से वह जिस लड़की को अपनी बपौती समझता था, उस ने झिड़क दिया लिहाजा राजा को गुस्सा आ गया. उस ने जलती सिगरेट वर्षा के सीने पर दाग दी. तेज जलन से वर्षा के मुंह से चीख निकल गई. चीख इतनी तेज थी कि चौथी मंजिल पर पर बैठे विशाल, आकाश और अली हसन चौंक गए. तीनों किसी अनिष्ट की आशंका में तेजी से 5वीं मंजिल पर पहुंचे. उन्होंने देखा राजा वर्षा को थप्पड़ मार रहा है.

विशाल और आकाश ने राजा को पकड़ कर वर्षा से दूर किया और मारपीट का कारण पूछा तो वर्षा ने भाइयों को सारी बात बता दी. जिसे सुन कर दोनों भाइयों का गुस्सा आसमान पर जा पहुंचा. शराब का नशा सभी के सिर पर हावी था, भाइयों की भावनाएं हिलोरे मारने लगीं. आकाश, विशाल और अली हसन गुस्से में राजा पर टूट पड़े. गुस्सा इतना तेज था कि विशाल ने जींस की बेल्ट निकाल कर उस का फंदा राजा के गले में डाल दिया और जोर से दबाने लगा. आकाश और अली हसन ने उसे दबोच लिया था. आकाश ने इसी अवस्था में राजा के शरीर पर 2-3 जगह जलती सिगरेट से दाग कर पूछा, ‘देखा तूने जलती सिगरेट शरीर पर लगने से कितना दर्द होता है.

अरे हरामी, मेरी बहन ने तुझे अपनी जिंदगी के 5 साल दिए और तू उसे ये सिला दे रहा है, आज तू इस का अंजाम भुगतेगा.’

इस के बाद दोनों भाइयों के गुस्से का पारावार नहीं रहा. उन्होंने जोश और गुस्से में उस की गरदन को इतना दबाया कि राजा की सांसें रुक गईं और उस की मौत हो गई. वर्षा और उस के भाइयों ने पानी के छींटे मार कर उसे होश में लाने का प्रयास किया, लेकिन जब राजा को होश नहीं आया तो चारों के होश उड़ गए, शराब का नशा काफूर हो गया. थोड़ी देर सोचने के बाद वे राजा को खींचते हुए चौथी मंजिल पर लाए और सोचने लगे कि अब क्या किया जाए. वे समझ रहे थे कि किसी अंदरूनी चोट के कारण वह बेहोश हुआ है. इसलिए चारों ने मिल कर फैसला किया कि उसे हौस्पिटल ले चलते हैं.  सलाहमशविरे के बाद सुबह करीब सवा 5 बजे चारों आटोरिक्शा से उसे जगप्रवेश चंद्र हौस्पिटल ले गए.

लगा मरा नहीं है राजा वहां डाक्टर ने नब्ज देखते ही उसे मृत घोषित कर दिया. शराब की बदबू के कारण डाक्टर को लगा कि शायद वह ज्यादा शराब पीने के कारण मर गया है. तब तक उन्होंने न तो पर्चा बनवाया था, न ही कोई लिखतपढ़त करवाई थी. वर्षा और विशाल राजा को जैसे लाए थे, वैसे ही स्ट्रेचर पर ले कर अस्पताल से बाहर आ गए. इस दौरान आकाश और अली हसन ने एक दूसरा आटो किया, जिसे ड्राइवर मुकेश चला रहा था. उन्होंने तय कर लिया था कि राजा का शव उसी के घर के आसपास कहीं सड़क पर छोड़ देंगे ताकि लोगों को लगे कि शराब पी कर गिरने से उस की मौत हो गई है. लेकिन शव को मुकेश के आटो में रख कर गली नंबर 9 पहुंचे तो वे उस के घर की लोकेशन भूल गए.

ड्राइवर मुकेश जल्दी कर रहा था, इसलिए उन्होंने शव को अमीना मसजिद के पास आटो से उतार कर मसजिद की सीढि़यों के पास छोड़ दिया. राजा का शव लावारिस अवस्था में छोड़ने के बाद पुलिस द्वारा पकड़े जाने के डर से विशाल और अली हसन उर्फ अलका तो वहीं से कहीं और चले गए, जबकि आकाश उर्फ आकांक्षा अपनी बहन वर्षा के साथ फ्लैट पर पहुंचे. राजा की चप्पलें, उस का मोबाइल फोन और पर्स वर्षा के कमरे में ही छूट गए थे, उन्होंने हसन को फोन कर के बुलाया और उस का सामान यमुना नदी में फिंकवा दिया. फ्लैट के नीचे खड़ी राजा की मोटरसाइकिल को उन्होंने गली नंबर 9 के बाहर एक जगह लावारिस खड़ी कर के लौक कर दिया.

सुबह करीब 7 बजे वर्षा, आकाश और अली हसन अपने पहनने के कुछ जरूरी कपड़े और सामान ले कर कश्मीरी गेट बसअड्डे पहुंचे. बस से तीनों पहले शाहजहांपुर गए और फिर हरदोई, जहां वे लगातार ठिकाने बदलते रहे. वर्षा ने पुलिस पूछताछ में कबूल किया कि वह राजा के द्वारा शादी न किए जाने और लगातार अपने शरीर से खिलवाड़ करते रहने के कारण उस से नाराज तो थी, लेकिन उस ने कभी भी उस की हत्या करने के बारे में नहीं सोचा था. पुलिस पूछताछ के बाद उन की शिनाख्त पर यमुना में राजा की चप्पलें, पर्स और मोबाइल की तलाश की गई, लेकिन वे बरामद नहीं हुए. अलबत्ता गली नंबर 9 के पास लावारिस हालत में खड़ी राजा की बाइक जरूर बरामद कर ली गई.

पूछताछ के बाद जांच अधिकारी गुलशन कुमार गुप्ता ने मुकदमे में हत्या की धारा 302 के साथ सबूत मिटाने की धारा 201 तथा दफा 34 जोड़ कर आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक चौथा आरोपी विशाल फरार था.

—कथा पुलिस की जांच और आरोपियों से हुई पूछताछ पर आधारित

 

Kanpur Crime News : पत्थर से कूच कर की पत्नी के प्रेमी की हत्या

Kanpur Crime News : औरत अगर संयम से काम ले तो घर संभाल लेती है और अगर बहक जाए तो घर बिगड़ते देर नहीं लगती. काश! इस बात को रूपा समझ पाती तो न तो प्रदीप की जान जाती और न ही उस के पति को जेल जाना पड़ता…

कानपुर शहर का एक घनी आबादी वाला मोहल्ला है जूही बम्हुरिया. इसी मोहल्ले के रहने वाले रामलाल के परिवार में पत्नी पार्वती के अलावा 2 बेटियां रूपा, विमला और 2 बेटे रूपेश व विमलेश थे. दोनों बेटे छोटामोटा काम कर रहे थे, जिस से रामलाल के परिवार की गुजरबसर आराम से हो रही थी. नाम के अनुरूप ही रूपा गोरी और तीखे नाकनक्श व विनम्र स्वभाव की थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उस की शोखियां एवं चंचलता और बढ़ गई थी. रूपा थी तो सुंदर लेकिन पढ़ने में उस का मन नहीं था. अत: 8वीं कक्षा पास करने के बाद उस ने स्कूल जाना बंद कर दिया था और मां के काम में हाथ बंटाने लगी थी.

चूंकि रूपा शादी के योग्य हो चुकी थी, इसलिए रामलाल और उस की पत्नी पार्वती को उस की शादी की चिंता सताने लगी. वह उस के लिए घरवर ढूंढने लगे. किसी परिचित ने उन्हें बारादेवी जूही के रहने वाले राजन के बेटे सोनू के बारे में बताया. सोनू ड्राइवर था और आटो चलाता था. रामलाल को सोनू पसंद आया तो उन्होंने अपनी बेटी रूपा का विवाह सोनू के साथ कर दिया. शादी के बाद रूपा और सोनू ने बड़े प्यार से जीवन का सफर शुरू किया. हंसीखुशी से 2 साल कब बीत गए, दोनो में से किसी को पता ही नहीं चला. इन 2 सालों में रूपा एक बेटी की मां बन गई.

बेटी के जन्म के बाद खर्चा तो बढ़ गया लेकिन आमदनी नहीं बढ़ सकी. घर में आर्थिक परेशानी होने लगी, जिस से सोनू का रूपा से झगड़ा होेने लगा. दरअसल सोनू शराब का लती था. वह अपनी कमाई के आधे पैसे अपने खानेपीने में खर्च कर देता था. रूपा उस की आधी कमाई से जैसेतैसे करके घर का खर्च चला पाती थी, जिस से दोनों में तकरार होने लगी. इसी तकरार में सोनू रूपा की पिटाई भी कर देता था. सोनू का एक दोस्त प्रदीप प्रजापति था. वह लक्ष्मीपुरवा का रहने वाला था और डिप्टी पड़ाव स्थित एक होटल में काम करता था. सोनू अकसर उसी के होटल पर खाना खाता था. वहीं पर दोनों की जानपहचान हो गई. एक शाम को प्रदीप सोनू के घर के सामने से गुजर रहा था तो सोनू ने उसे रोक लिया और चाय पी कर जाने को कहा.

प्रदीप को यही चाय पिलाना सोनू को भारी पड़ गया. सोनू की पत्नी रूपा प्रदीप के लिए चाय ले कर आई, तो उस पर नजर पड़ते ही वह उस का दीवाना हो गया. इस पहली मुलाकात में प्रदीप को रूपा का बोलनाबतियाना इतना अच्छा लगा कि वह कोई न कोई बहाना बना कर सोनू की गैरमौजूदगी में उस के घर आनेजाने लगा. वह रूपा को भाभी कहता था. वह जब भी आता, रूपा के पास बैठ कर हंसीमजाक करता रहता. रूपा को भी उस का उठनाबैठना और हंसनाबोलना अच्छा लगता था. लगातार उठनेबैठने और हंसनेबोलने का नतीजा यह हुआ कि रूपा और प्रदीप एकदूसरे को चाहने लगे.

प्रदीप की उम्र यही कोई 20 वर्ष थी. उस ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा था, इस उम्र में रूपा का अपनापन और प्यार पा कर वह बेकाबू होने लगा. लेकिन वह अपने मन की बात रूपा से नहीं कह पा रहा था. जबकि रूपा चाहती थी कि प्रदीप ही पहल करे. प्रदीप रूपा के लिए पागल था, तो रूपा भी कुंवारे प्रदीप को पाने के लिए लालायित थी. दरअसल रूपा अपने पति की शराबखोरी और मारपीट से ऊब चुकी थी. ये दूरियां ही रूपा को प्रदीप की ओर आकर्षित करने लगी थीं. जब रूपा ने देखा कि प्रदीप अपने मन की बात सीधे नहीं कह पा रहा है, तो उसी ने एक दिन उसे छेड़ते हुए कहा, ‘‘प्रदीप, तुम तो मुझे दीवानों की तरह देखते हो.’’

‘‘भाभी, मैं तुम्हारा दीवाना हूं, तो दीवानों की ही तरह देखूंगा न. अब तुम्हारे अलावा मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता. सोतेजागते मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं.’’ रूपा के उकसाने पर प्रदीप ने अपने मन की बात कह दी.

‘‘कुछ ऐसा ही हाल मेरा भी है. लेकिन तुम मुझ से छोटे हो, इसलिए मैं अपने मन की बात तुम से कह नहीं पा रही थी.’’ रूपा बोली.

‘‘लेकिन भाभी, प्यार उम्र और जाति नहीं देखता. वह सिर्फ मन देखता है.’’ प्रदीप ने कहा

‘‘मुझे बहुत लोग मिले, लेकिन मैं ने किसी को करीब नहीं आने दिया. तुम्हारे अंदर न जाने क्या है कि तुम से अलग होने का मन नहीं करता.’’ रूपा ने प्रदीप पर नजरों के तीर चलाते हुए कहा.

‘‘भाभी, लगता है कि हमारा पिछले जन्म का रिश्ता है.’’ प्रदीप बोला.

पति के दोस्त से हुआ प्यार

‘‘तुम सच कह रहे हो, क्योंकि तुम्हें देखते ही मेरा दिल तुम पर आ गया था.’’ रूपा ने मन की बात कह दी.

इस तरह प्यार का इजहार करने के बाद पहली बार दोनों ने दिल खोल कर बातें की. इस के बाद तो प्रदीप रूपा के लिए इस तरह पागल हुआ कि होटल से घर आते ही आराम करने के बजाय सीधे रूपा के यहां पहुंच जाता और वहां घंटों तक बैठा रहता. उस समय सोनू घर में नहीं होता था, इसलिए रूपा घर के कामकाज छोड़ कर उस के पास ही बैठ कर बातें करती रहती. धीरेधीरे उन के बीच की दूरी कम होती गई और फिर एक रोज दोनों ने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं.

कहा जाता है कि अगर किसी कुंवारे लड़के को विवाहित औरत से शारीरिक सुख मिलने लगता है तो वह उस के प्यार में पागल हो जाता है. उस के बाद उन्हें अलग करना आसान नहीं होता. ठीक उसी तरह प्यार की एक बूंद के प्यासे प्रदीप को रूपा के रूप में प्यार का सागर मिला तो वह उस का ऐसा दीवाना हुआ कि उसे किसी की परवाह नहीं रही. प्रदीप और रूपा को मिलतेजुलते अभी 2 महीने भी नहीं हुए थे कि मोहल्ले में उन के प्यार की चर्चाएं होेने लगीं. किसी ने इस बारे में रूपा के पति सोनू को बताया तो एकबारगी उसे विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि प्रदीप उस का दोस्त था और उसे उस पर भरोसा था.

बात सच रही हो या झूठ, इस चर्चा से उस की और पत्नी की बदनामी तो हो ही रही थी. इसलिए उस रात वह घर लौटा तो उस ने रूपा से प्रदीप से उस के संबंधों को ले कर होने वाली चर्चा के बारे में पूछा. रूपा पति की बात सुन कर सकते में आ गई. वह जल्दी से कुछ बोल नहीं पाई तो प्रदीप ने कहा, ‘‘तुम उसे घर आने से मना कर दो, बात खत्म.’’

‘‘ठीक है.’’ रूपा ने बेहद मायूसी से कहा.

‘‘लगता है तुम्हें मेरी बात बुरी लग गई.’’ सोनू ने रूपा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए कहा.

‘‘इस में बुरा लगने वाली क्या बात है, आप कह रहे हैं तो मना कर दूंगी.’’ रूपा ने रूखेपन से कहा.

सोनू ने प्रदीप को रोकने के लिए कहा जरूर, लेकिन न तो रूपा ने उसे मना किया और न ही प्रदीप ने उस के यहां आना बंद किया. हां, वे थोड़ी सतर्कता जरूर बरतने लगे थे. लेकिन लाख कोशिश के बाद भी उन का प्यार छिप नहीं सका. एक महीना भी नहीं बीता था कि किसी ने प्रदीप और रूपा के मिलने के बारे में सोनू से शिकायत कर दी. फिर क्या था, सोनू बुरी तरह तिलमिला उठा. उस आदमी से तो उस ने कुछ नहीं कहा, लेकिन कामधाम छोड़ कर वह सीधे घर पहुंच गया. वह दबेपांव घर में घुसा. कमरे के बैड पर प्रदीप और रूपा एकदूसरे से लिपटे पड़े थे. सोनू को देखते ही प्रदीप फुरती से उठा और अपने कपड़े ठीक करते हुए वहां से भाग गया.

रूपा को उस स्थिति में देख कर वह आगबबूला हो उठा. गुस्से में उस ने लातघूंसों से रूपा की पिटाई की. उस के बाद चेतावनी देते हुए बोला, ‘‘प्रदीप का घर आनाजाना तो दूर रहा, अगर तुझे उस से बातचीत करते भी देख लिया तो तेरी बोटीबोटी काट कर लाश चीलकौवों को खिला दूंगा.’’

उस दिन के बाद से रूपा के प्यार पर पहरा लग गया. इस के बाद दोनों वियोग की पीड़ा में छटपटाने लगे. दोनों एकदूसरे को बेहद प्यार करते थे. उन की चाहत रोमरोम में समा गई थी. इसलिए वे एकदूसरे के बिना जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते थे. घर में होने लगी कलह रंगेहाथों पकड़ी जाने के बाद रूपा पति की नजरों से गिर गई थी. सोनू अब उस पर जरा भी विश्वास नहीं करता था. प्रदीप को ले कर अब सोनू और रूपा के बीच रोज ही विवाद और मारपीट होती. इस तरह उन के बीच मतभेद इस कदर बढ़ गए कि दोनों एक ही छत के नीचे रहते हुए अपरिचित से हो गए थे.

सोनू रूपा के अवैध संबंधों की वजह से काफी तनाव में रहता था. इस का नतीजा यह निकला कि जराजरा सी बात पर उन दोनों के बीच झगड़ा और मारपीट होने लगी. स्थिति यह आ गई कि रूपा को उस घर में एक पल भी काटना मुश्किल लगने लगा. उधर प्रदीप की हालत भी पागलों जैसी हो गई थी. जब प्रदीप से वियोग की वेदना नहीं सही गई तो उस ने फोन पर मैसेज भेज कर रूपा को बारादेवी मंदिर बुलाया. निर्धारित समय पर रूपा मंदिर पहुंच गई. वहां दोनों एकदूसरे को देख कर भावुक हो उठे. उन की आंखों से आंसू टपकने लगे. मन का गुबार आंसू बन कर निकल गया तो रूपा ने कहा, ‘‘प्रदीप तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. यह रूपा तुम्हारी है और तुम्हारी ही रहेगी.’’

‘‘रूपा, तुम्हारे बिना मेरा एक पल नहीं कटता. अगर यही स्थिति रही तो मैं किसी दिन जहर खा कर जान दे दूंगा. क्योंकि अब मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता.’’ प्रदीप ने अपनी पीड़ा व्यक्त की.

‘‘मेरा भी यही हाल है. लेकिन मजबूर हूं, क्योंकि मैं औरत हूं.’’ निराश हो कर रूपा बोली.

‘‘रूपा, मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत है. अगर तुम साथ दोगी तो हम दोनों सुकून की जिंदगी बिता सकेंगे.’’ प्रदीप बोला.

‘‘प्रदीप, शरीर के साथसाथ मैं ने अपनी जिंदगी भी तुम्हें सौंप दी है. तुम जैसा कहो, मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूं.’’ रूपा ने विश्वास दिलाते हुए कहा.

‘‘तो फिर मेरे घर चलो. वहां मैं तुम्हें अपनी मां से मिलवाता हूं. वह राजी हो गईं तो मैं जल्द ही तुम से शादी कर अपनी जीवनसंगिनी बना लूंगा.’’ प्रदीप बोला.

प्रदीप की बात सुन कर रूपा थोड़ी सकुचाई. उस ने बहाना भी बनाया, लेकिन बाद में वह राजी हो गई. फिर प्रदीप रूपा को लक्ष्मीपुरवा स्थित अपने घर ले गया और मां मुन्नी देवी से मिलवाया. रूपा ने अपने और प्रदीप के रिश्तों की जानकारी मुन्नी देवी को दी और प्रदीप से शादी की इच्छा जताई. मुन्नी देवी यह जान कर विचलित हो उठीं कि उन का कुंवारा और कमउम्र का बेटा एक शादीशुदा और उस से बड़ी उम्र की औरत के प्रेम जाल में फंस गया है. मां मुन्नी देवी ने रूपा से साफ कह दिया कि वह शादीशुदा और एक बच्चे की मां बन चुकी औरत से अपने कुंवारे बेटे की शादी हरगिज नहीं कर सकती.

रूपा का पक्ष ले कर प्रदीप ने कुछ कहना चाहा, तो मुन्नी देवी ने उसे डपट दिया. प्रेमी के भाई से की शादी मुन्नी देवी ने प्रदीप से शादी रचाने से इनकार किया तो रूपा निराश हो गई. उस की आंखों से आंसू टपकने लगे. रूपा के आंसुओं ने मुन्नी देवी का दिल पिघला दिया. वह उस के सिर पर हाथ रख कर बोली, ‘‘रूपा, अगर तू मेरे घर की बहू बनना ही चाहती है तो प्रदीप के बजाय उस के बड़े भाई सुजीत से शादी कर ले. वह ईरिक्शा चलाता है. उस से शादी कर लेगी, तब मैं बच्ची सहित तुझे अपना लूंगी.’’

‘‘क्याऽऽ..’’ रूपा चौंकी, ‘‘मांजी, आप यह क्या कह रही हैं. मैं तो प्रदीप से प्यार करती हूं. फिर भला उस के बड़े भाई से कैसे ब्याह कर सकती हूं.’’

मुन्नी देवी और रूपा में बातचीत हो ही रही थी कि सुजीत कुमार भी आ गया. उस ने अजनबी युवती को घर में देखा, तो मां से पूछताछ की. मुन्नी देवी ने तब सुजीत को सारी बात बताई और यह भी बताया कि वह रूपा से उस का विवाह कराना चाहती है. यह सुन कर सुजीत गदगद हो गया और वह रूपा से ब्याह रचाने को तैयार हो गया. रूपा से सुजीत कई साल बड़ा था. इसलिए वह कोई निर्णय न कर सकी और वापस घर लौट आई. घर आ कर वह असमंजस में पड़ गई. प्रदीप उस का प्यार था, जबकि शादी की शर्त उस के बड़े भाई से रखी जा रही थी. वह कई रोज तक कशमकश में रही. आखिर उस ने प्रदीप से मिल कर कोई हल निकालने का निर्णय लिया.

प्रदीप से मिल कर रूपा ने इस बाबत बात की तो प्रदीप ने सुझाव दिया कि वह भाई से शादी कर ले. इस तरह वह घर में उस के साथ रहेगी और उस का प्यार भी बरकरार रहेगा.

‘‘यानी मुझे तुम्हारे घर में द्रोपदी बन कर रहना पड़ेगा.’’ रूपा ने कटाक्ष किया.

‘‘मुझे तो यही सही लग रहा है. बाकी तुम्हारी मरजी. तुम जो भी फैसला लोगी, मुझे मानना पड़ेगा.’’ प्रदीप बोला.

रूपा अपने पति सोनू से प्रताडि़त थी. उस का पति के साथ रहना मुश्किल था, यही सब देखते हुए उस ने सुजीत से ब्याह रचाने का फैसला कर लिया. इस के बाद रूपा ने 11 अगस्त, 2020 को जन्माष्टमी के दिन अपने प्रेमी प्रदीप के बड़े भाई सुजीत के साथ एक मंदिर में विवाह कर लिया और पहले पति सोनू का घर छोड़ कर सुजीत के साथ लक्ष्मीपुरवा में रहने लगी. रूपा बन गई द्रोपदी रूपा ने अपनी मांग में सुजीत के नाम का सिंदूर तो सजा लिया था, लेकिन वह पूर्णरूप से प्रदीप को समर्पित थी. वह रात में पति का बिस्तर सजाती थी और दिन में प्रेमी प्रदीप की बांहों में झूलती थी. मुन्नी देवी सब कुछ जानते हुए भी अपनी आंखों पर पट्टी बांधे रहती थी. इस तरह रूपा द्रोपदी बन कर घर में रहने लगी थी.

इधर सोनू को जब पता चला कि रूपा ने प्रदीप के भाई सुजीत से विवाह रचा लिया है तब उसे बहुत गुस्सा आया. वह मन ही मन दोनों भाइयों को सबक सिखाने की सोचने लगा. इस के लिए उस ने प्रदीप से फिर से दोस्ती कर ली और उस के साथ दारू पीने लगा. कभीकभी वह अपनी मासूम बेटी से मिलने के बहाने उस के घर भी पहुंच जाता था. सोनू ने लगाया प्रदीप को ठिकाने 26 सितंबर, 2020 को रूपा अपने पति सुजीत व देवर प्रदीप के साथ अपने मायके जूही बम्हुरिया आई. खाना खाने के बाद सुजीत अपना ईरिक्शा ले कर निकल गया. तभी प्रदीप रूपा के साथ एक कमरे में कैद हो गया.

इधर सोनू को पता चला कि रूपा मायके आई है तो वह बेटी से मिलने पहुंच गया. वहां उस ने कमरे में प्रदीप व रूपा को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. फिर तो उस का खून खौल उठा. उस ने उसी समय प्रदीप को ठिकाने लगाने की योजना बना ली. देर शाम वह प्रदीप को किसी बहाने से स्वदेशी कौटन मिल कैंपस में ले गया. वहां बैठ कर दोनों ने शराब पी. अधिक नशा होने पर प्रदीप वहीं पड़े पत्थर पर लेट गया. उसी समय सोनू ने पत्थर से कूंच कर उस की हत्या कर दी. उस ने प्रदीप के शरीर से खून सने कपड़े उतारे और वहीं झाडि़यों में छिपा दिए. खून से सना पत्थर भी उस ने वहीं छिपा दिया. इस के बाद वह फरार हो गया.

शाम को सुजीत घर आया. वहां प्रदीप नहीं दिखा तो उस ने रूपा से प्रदीप के बारे में पूछा. रूपा ने बताया कि उस के जाने के बाद सोनू आया था. वही प्रदीप को अपने साथ ले गया था. प्रदीप जब देर शाम तक घर नहीं आया तो सुजीत ने खोज शुरू की. जब वह नहीं मिला तो सुजीत ने भाई की गुमशुदगी थाना जूही में लिखा दी. 27 सितंबर, 2020 की सुबह 8 बजे थाना जूही पुलिस को स्वदेशी कौटन मिल कैंपस में एक युवक की नग्न अवस्था में लाश पड़ी होेने की सूचना मिली. सूचना पाते ही थानाप्रभारी संतोष कुमार आर्या घटनास्थल पर पहुंच गए. उन की सूचना पर एसएसपी प्रीतिंदर सिंह तथा एसपी (साउथ) दीपक भूकर भी आ गए.

चूंकि थाने में सुजीत ने प्रदीप की गुमशुदगी दर्ज कराई थी, अत: श्री आर्या ने सुजीत को भी कैंपस बुलवा लिया. सुजीत ने भाई का नग्न शव देखा तो वह रो पड़ा. उस ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि शव उस के भाई प्रदीप का है. शव की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने पोेस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया. थानाप्रभारी संतोष कुमार आर्या ने सुजीत की तहरीर पर भादंवि की धारा 364/302 के तहत सोनू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उस की तलाश में जुट गए. उन्होंने सोनू को कई संभावित जगहों पर खोजा, लेकिन जब वह नहीं मिला तो उन्होंने खास मुखबिर लगा दिए.

29 सितंबर की सुबह 7 बजे उन्हें मुखबिर से सूचना मिली कि सोनू सोनेलाल इंटर कालेज के पास मौजूद है. इस सूचना पर वह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए और उन्होंने घेराबंदी कर सोनू को हिरासत में ले लिया. उसे थाने ला कर प्रदीप की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं उस ने आलाकत्ल पत्थर तथा मृतक के खून सने कपड़े भी कौटन मिल कैंपस से बरामद करा दिए. पूछताछ में सोनू ने बताया कि प्रदीप के कारण ही उस की पत्नी रूपा उसे छोड़ कर गई थी. प्रदीप ने ही उस के घर में आग लगाई थी, जिस से उसे मजबूरी में उस की हत्या करनी पड़ी.

सोनू से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे 30 सितंबर, 2020 को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

Extramarital Affair : अवैध संबंध के शक में पत्नी को गड़ासे से काट डाला

Extramarital Affair : गृहस्थी की गाड़ी पतिपत्नी के आपसी विश्वास पर चलती है. अगर इस रिश्ते में शक की एक फांस भी लग जाए, तो गृहस्थी के बरबाद होने में देर नहीं लगती. शहनाज का पति तसलीम अगर इस बात को समझ पाता…

14 अगस्त, 2020 की सुबह के साढ़े 3 बजे का समय रहा होगा. 5 वर्षीय सायमा और उस की छोटी बहन शुमायला बुरी तरह घबराई हुई अपनी खाला फरजाना के घर पहुंचीं. खाला के घर पहुंचते ही दोनों ने जोरजोर से दरवाजा पीटना शुरू कर दिया.

‘‘खाला…खाला, किवाड़ खोलो.’’

उस वक्त फरजाना का परिवार गहरी नींद में सोया था. बच्चियों के चीखने चिल्लाने की आवाज सुन फरजाना के पति तौफीक की आंखें खुल गईं. दरवाजे पर दोनों बच्चियों को बदहवास स्थिति में देख वह भी हैरत में पड़ गया. तौफीक ने दोनों बच्चियों को घर में अंदर ले जा कर उन के आने की वजह पूछी. लेकिन दोनों बहनें डर के मारे बुरी तरह सहमी हुई थीं. तब तक तौफीक की बीवी फरजाना भी कमरे से बाहर आ गई थी. सुबहसुबह अपनी बहन की बेटियों को देख कर वह किसी अनहोनी की आशंका के चलते घबरा गई.

फरजाना ने उन से आने का कारण पूछा तो वे कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थीं. फरजाना ने दोनों बच्चियों को पीने के लिए पानी दिया और प्यार से आने की वजह पूछी तो सायना ने सुबकते हुए खाला को इतना ही बताया कि अब्बू ने अम्मी को काट डाला. खून से लथपथ अम्मी घर में पड़ी हैं. यह सुन कर फरजाना का दिल बैठ गया. वह बुरी तरह घबरा गई. बच्चियों के मुंह से यह बात सुन कर तौफीक और उस की बीवी फरजाना दोनों शहनाज के घर की ओर दौड़े. शहनाज के घर पहुंच कर देखा तो उस का दरवाजा खुला पड़ा था. सामने बरामदे में चारपाई पर शहनाज पड़ी थी. उस के बिस्तर के साथसाथ आसपास फर्श पर खून फैला था. लेकिन वहां पर तसलीम कहीं नजर नहीं आ रहा था.

दोनों मियां बीवी ने शहनाज को हिलाडुला कर देखा तो पता चला वह दम तोड़ चुकी है. इस घटना की जानकारी मिलते ही अड़ोसीपड़ोसी भी तसलीम के घर पर जमा हो गए. घटना की चश्मदीद गवाह तसलीम की 2 बेटियां थीं जो इतनी बुरी तरह से घबराई हुई थीं कि कुछ भी कहनेबताने की स्थिति में नही थीं. जबकि वहां जमा लोग मामले की सच्चाई जानने के लिए उतावले थे. तभी फरजाना ने सायना और शुमायला को प्यार करते हुए उन से जानकारी ली. सायना ने बताया कि रात में आते ही अब्बू अम्मी से लड़ने लगे. बाद में उन्होंने गड़ासे से काट कर अम्मी को मार डाला. इस खबर ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी. वहां मौजूद लोगों ने फोन द्वारा इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी.

यह घटना संभल जिले के थाना नखासा क्षेत्र के कस्बा सिरसी के मोहल्ला सराय सादक में घटी थी. घटना की जानकारी मिलते ही नखासा थानाप्रभारी देवेंद्र सिंह धामा और सीओ अरुण कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने घटनास्थल का जायजा लिया. शहनाज की रक्तरंजित लाश बरामदे में चारपाई पर पड़ी थी. उस की गरदन पर तेजधार हथियार के घाव साफ दिखाई दे रहे थे. उस घर में तसलीम अपने परिवार के साथ रहता था, जो घटना को अंजाम दे कर फरार हो गया था. घटनास्थल पर तसलीम का साढ़ू तौफीक और उस की बीवी फरजाना मौजूद थी. पूछताछ के दौरान उन दोनों ने ही पुलिस को सारी जानकारी दी.

सूचना मिलने पर संभल के एसपी यमुना प्रसाद भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने मृतका के बच्चों से घटना के बारे में पूछताछ की. इस मामले के सारे तथ्य जुटा कर पुलिस ने आवश्यक काररवाई की और लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. मृतका शहनाज की बहन फरजाना ने अपने बहनोई तसलीम के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करा दिया. मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस आरोपी तसलीम की तलाश में जुट गई. पुलिस ने आरोपी की तलाश में कई मुखबिरों को भी लगा दिया था. इसी दौरान 15 अगस्त, 2020 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर तसलीम को सिरसी बिलारी बसअड्डे से हिरासत में ले लिया.

थाने में जब उस से कड़ी पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने उस की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त गड़ासा भी बरामद कर लिया. पुलिस पूछताछ में इस मामले की जो सच्चाई सामने आई, वह इस प्रकार थी—

तसलीम मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के कस्बा नगीना का रहने वाला था. लगभग 16 साल पहले उस का विवाह हसनपुर कस्बे की शहनाज के साथ हुआ था. तसलीम का एक साढ़ू तौफीक सिरसी में रहता था, जहां पर उस का पहले से ही आनाजाना था. करीब 3 साल पहले वह रोजगार की तलाश में सिरसी में अपने साढ़ू के पास आ कर रहने लगा. तौफीक का सिरसी में अपना मकान था. तसलीम अपने बच्चों के साथ उसी के मकान में रहने लगा. समय के साथ तसलीम की बीवी 4 बेटियों की मां बन गई.

तसलीम अपने बीवीबच्चों को साढ़ू के घर छोड़ कर काम करने जम्मूकश्मीर चला गया. वहां पर वह एक ईंट भट्ठे पर काम करता था. पिछले दिनों लौकडाउन लगा तो भट्ठे का काम बंद हो गया. तब वह अपने घर वापस चला आया. उस की आमदनी खत्म हो गई थी, जिस से उस का परिवार आर्थिक तंगी से जूझने लगा. लेकिन साढ़ू के घर रहते हुए उसे बच्चों के खानेपीने की कोई चिंता नहीं थी, क्योंकि बच्चे खाला के घर रहते और वहीं पर खातेपीते थे. तसलीम को कोई काम नजर नहीं आया तो उस ने मिट्टी के बरतन बनाने शुरू कर दिए. वह उन पर रंग कर के बेचने लगा. उस का काम चल निकला तो उस ने सिरसी में ही मुरादाबाद रोड पर अपनी दुकान सजा ली. इस से उसे आमदनी होने लगी.

लेकिन तसलीम इस काम से संतुष्ट नहीं था. वह ज्यादा पैसे कमा कर अपने साढ़ू की तरह मकान बनाना चाहता था. उसे बच्चों को ले कर साढ़ू के घर में रहना अखरता था. हालांकि उस के साढ़ू तौफीक को उस के परिवार से कोई परेशानी नहीं थी. कभीकभी तसलीम अपनी बीवी शहनाज को साढ़ू से हंसतेबोलते देखता तो मन ही मन कुढ़ने लगता था. उसे शक होने लगा कि वह घर से बाहर रह कर काम करता है. कहीं ऐसा तो नहीं कि उस के पीछे उस की बीवी अपने बहनोई के साथ रंगरलियां मनाती हो. उस के दिमाग में संदेह की गांठ बनी तो वह दोनों के हावभावों पर नजर रखने लगा. तसलीम पहले से ही भांग का नशा करता था, उस का ज्यादातर वक्त नशे में ही गुजरता था. यह बात उस की बीवी को भी मालूम थी. नशे की आदत को ले कर मियांबीवी में कई बार कहासुनी भी हो जाती थी.

जब 2 परिवार एक साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं तो मिलजुल कर रहना पड़ता है. तौफीक और तसलीम के परिवारों के बीच ऐसा ही था. तसलीम की चारों बेटियां काफी समझदार हो चुकी थीं. उन में 10 वर्षीय सोफिया सब से बड़ी थी. फरजाना और शहनाज दोनों सगी बहनें थीं, इसी वजह से दोनों के परिवार और बच्चे मिलजुल कर रहते थे. लेकिन तसलीम को यह बात हजम नहीं हो रही थी. उस के मन में बीवी और साढ़ू के संबंधों को ले कर संदेह हुआ तो वह गहराता ही गया. इसे ले कर वह खोयाखोया सा रहने लगा. उस ने साढ़ू के घर से निकलने के लिए किराए का मकान लेने की योजना बनाने लगा.

घटना से 15 दिन पहले उस ने अपने साढ़ू के घर के पास ही किराए का मकान ले लिया और अपने बच्चों को उसी में शिफ्ट कर दिया. यह सब अचानक होते देख उस की बीवीबच्चों के साथ फरजाना भी परेशान हो उठी. इस तरह मकान बदलने से तौफीक, उस की बीवी फरजाना के साथ शहनाज भी परेशान हो उठी. तसलीम की 2 बड़ी बेटियां सोफिया और सानिया खाला को छोड़ कर किराए के मकान में जाने को तैयार नहीं थीं. तभी से दोनों अपनी खाला फरजाना के साथ रह रही थीं. तसलीम को अचानक ऐसा क्या हुआ कि उस ने बीवीबच्चों को बिना बताए इतना बड़ा कदम उठा लिया था. इस बारे में तौफीक और उस की बीवी फरजाना ने उस से बात की तो उस ने कहा कि अब हम तुम पर कब तक बोझ बने रहेंगे.

मुझे अपने बच्चों को साथ ले कर आप के घर पर रहना अच्छा नहीं लगता. इसीलिए मुझे किराए का मकान लेने पर मजबूर होना पड़ा. उस की यह बात किसी को हजम नहीं हुई. हालांकि तसलीम ने किराए का घर ले लिया था. लेकिन उस की बीवी और बच्चे पहले की तरह ही तौफीक के घर आतेजाते रहते थे. इसी दौरान जम्मूकश्मीर से ईंट भट्ठे के मालिक का फोन आ गया. उस ने अपना कामधंधा बंद कर जम्मूकश्मीर जाने की योजना बना ली. लेकिन उस के मन में बैठा शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा. उसे लगा कि उस के घर से जाते ही तौफीक और उस की बीवी शहनाज को मिलने की आजादी मिल जाएगी.

यही सोच कर उस ने शहनाज पर तौफीक के घर जाने पर पूरी पाबंदी लगा दी. इस के बाद ही शहनाज और उस की बहन फरजाना को उस के किराए का मकान लेने का राज समझ आया. हालांकि तसलीम ने जम्मूकश्मीर काम पर जाने का पक्का मन बना लिया था. 16 अगस्त, 2020 को उस की दिल्ली से जम्मूकश्मीर के लिए फ्लाइट थी. लेकिन वह अपनी बीवी को ले कर परेशान रहने लगा था. बाद में उस ने बीवी के साथसाथ बच्चों पर भी घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी थी, जिसे ले कर मियांबीवी के बीच विवाद खड़ा हो गया. इसी वजह से दोनों आए दिन लड़तेझगड़ते रहते थे. दोनों के बीच विवाद बढ़ता देख कर तौफीक और उस की बीवी फरजाना ने भी उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने उन दोनों को भी उलटासीधा बोल कर घर से निकाल दिया.

13 अगस्त, 2020 को तसलीम घर से निकला और देर रात लगभग 2 बजे घर पहुंचा. तसलीम ने उसी दिन सिरसी के बाजार से 200 रुपए में एक गड़ासा खरीद कर थैले में रख लिया था. घर पहुंचते ही उस ने फिर से बीवी शहनाज से लड़नाझगड़ना शुरू कर दिया. मांबाप के बीच हुई कहासुनी को सुन कर दोनों बेटियां भी जाग गईं. उसी दौरान मियांबीवी लड़तेझगड़ते दूसरे कमरे में चले गए. थोड़ी देर बाद शहनाज कमरे से निकल कर बरामदे में चारपाई डाल कर सो गई. लेकिन उस दिन तसलीम की आंखों से नींद कोसों दूर थी. उस के दिलोदिमाग पर शैतान हावी था. उस ने फैसला कर लिया था कि वह बदचलन बीवी को उस की करनी का फल दे कर ही रहेगा.

रात के लगभग 3 बजे शहनाज और उस की दोनों बच्चियां गहरी नींद सो रही थीं. चारों तरफ रात का सन्नाटा पसरा था. तभी तसलीम पर शैतान सवार हुआ और वह पहले से घर में छिपाया हुआ गड़ासा निकाल लाया. उस ने सोती हुई शहनाज के पास जाते ही उस के गले पर लगातार 2-3 वार कर डाले, शहनाज की आवाज तक नहीं निकल पाई और उस की मौत हो गई. आहट सुन कर उस की बेटी शुमायला जाग गई. घर में घोर अंधेरा था. इस के बावजूद उसे लगा कि कोई उस की अम्मी को मार रहा है. उस ने अपनी बहन सायना को उठा कर कहा कि कोई अम्मी को मार रहा है. दोनों बच्चियां बुरी तरह डर गईं, लेकिन उन दोनों ने अंधेरा होने के बावजूद अपने अब्बू को पहचान लिया था.

यह सब देख दोनों ने शोर मचाने की कोशिश की तो तसलीम ने दोनों को मारने की धमकी दी. वे दोनों डर कर सहम गईं और अपना मुंह बंद कर चारपाई पर लेट गईं. इस के काफी देर बाद तसलीम घर से निकल गया. उस के जाने के बाद सायना और शुमायला घर से निकलीं और अपनी खाला फरजाना के घर पर जा कर सारी बात बताई. तसलीम ने पुलिस को बताया कि उस ने ऐसा इसलिए किया ताकि बीवी की चरित्रहीनता का असर उस की बेटियों पर न पड़े. इसीलिए उसे अपनी बीवी की हत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा. तसलीम से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

UP News : पिता ने छुरी से रेता बेटी का गला फिर शव को कब्रिस्तान में फेंका

UP News : उत्तर प्रदेश का एक जिला है फिरोजाबाद. यह शहर कांच की नगरी के नाम से मशहूर है. यहां का एक थाना है रसूलपुर. इसी शहर के मशरूफगंज में मोहम्मद इरशाद अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में 2 बेटियों के अलावा एक बेटा था. उस की सब से छोटी बेटी पौने 2 साल की मायरा थी. वह एक राजमिस्त्री था. बात 24 अगस्त, 2020 की है. शाम करीब 8 बजे बेटी मायरा अपने घर के बाहर खेलते समय अचानक लापता हो गई. इस की जानकारी होते ही बस्ती में हलचल मच गई. पड़ोसियों के साथ ही घर वाले मायरा की खोजबीन में जुट गए. लेकिन मायरा का कोई पता नहीं चला.

इस पर घर वालों ने मसजिद से ऐलान कराने के साथ ही चाइल्ड हेल्पलाइन में भी फोन कर दिया. इस के बाद वह रात साढ़े 10 बजे थाना रसूलपुर पहुंचा और बेटी के गायब होने की सूचना दी. सूचना मिलते ही थाना रसूलपुर थानाप्रभारी प्रमोद कुमार मलिक ने ढाई वर्षीय मायरा की गुमश्ुदगी दर्ज कर के जरूरी काररवाई शुरू कर दी. इरशाद की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इसलिए फिरौती के मकसद से उस के अपहरण की गुंजाइश नजर नहीं आ रही थी. पुलिस को लग रहा था कि किसी ने दुश्मनी में उसे गायब किया होगा. धीरेधीरे रात गहराती जा रही थी. मासूम बच्ची को लापता हुए कई घंटे बीत चुके थे. बच्ची के न मिलने से घर वाले परेशान हो गए थे. मां को चिंता थी कि उस की मासूम बच्ची कहां और किस अवस्था में होगी.

रात लगभग साढ़े 12 बजे जब मायरा की खोजबीन की जा रही थी, उसी दौरान घर वालों को उस का शव मोहल्ले में स्थित ताड़ों वाली बगिया कब्रिस्तान के सामने पड़े होने की सूचना मिली. इरशाद और उस के घर वाले वहां पहुंचे तो मायरा की लाश देख कर बिलखबिलख कर रोने लगे. किसी ने उस मासूम बच्ची की हत्या गला रेत कर की थी. इस से बस्ती में सनसनी फैल गई. उसी समय किसी ने बच्ची की लाश मिलने की सूचना पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी के अलावा एसएसपी सचिंद्र पटेल, एसपी (सिटी) मुकेशचंद्र मिश्र, सीओ (सिटी) हरिमोहन सिंह मौके पर पहुंच गए.

अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. मासूम का गला कटा हुआ था. जिस जगह बच्ची का शव मिला था वहां खून नहीं मिला. इस से इस बात की पुष्टि हो गई कि बच्ची की हत्या कहीं और क रने के बाद शव को यहां ला कर फेंका गया है. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस संबंध में मृतक बच्ची मायरा के पिता इरशाद ने मोहल्ला मशरूफगंज के ही रहने वाले गफ्फार व उस के 3 बेटों वसीम, सलमान और अरबाज के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने नामजद आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 323, 504, 506 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी.

इरशाद ने आरोप लगाया गया था कि बेटी की हत्या साजिश के तहत की गई है. पहली अगस्त को भी गफ्फार और उस के बेटों ने उस के घर पर आ कर गालीगलौज करने के साथ ही जान से मारने की धमकी दी थी. वे लोग उस के भाई अबरार के ससुराल वाले हैं और हम लोगों से रंजिश मानते हैं. उस ने बताया कि इस की शिकायत पुलिस के अधिकारियों से की गई थी लेकिन आरोपियों के विरुद्ध कोई काररवाई नहीं की गई. इस के चलते उन्होंने हमारी बच्ची की हत्या कर दी. एसएसपी सचिंद्र पटेल ने इस जघन्य हत्याकांड के खुलासे के लिए एक टीम बनाई. टीम में थानाप्रभारी प्रमोद कुमार मलिक, एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह, एसआई सुशील कुमार, वासुदेव सिंह, कांस्टेबल आशीष शुक्ला व मुकेश कुमार, कन्हैया, जयनारायण, राजकुमार आदि को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने नामजद आरोपियों के मकान पर दबिश डाली तो चारों आरोपी घर पर ही मिल गए. पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. हिरासत में लिए गए आरोपियों ने अपने आप को निर्दोष बताया. उन्होंने बताया कि इरशाद उन के रिश्तेदार हैं और अपनी बेटी की हत्या के मामले में उन्हें झूठा फंसाना चाहते हैं. इस मामले में आप हम लोगों की पूरी तरह जांच करा लीजिए. अगर हम दोषी पाए जाएं तो हम हर सजा भुगतने को तैयार हैं. जिन लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया था, वे लोग पुलिस को घटना वाली रात घर पर ही मिले थे. इसलिए पुलिस ने उन के बारे में बारीकी से जांचपड़ताल शुरू की.

जांच में पता चला कि आरोपी घटना वाली रात अपने घर में ही थे. वे घर से बाहर नहीं निकले थे. इस के अलावा पुलिस ने आरोपियों के पड़ोसियों व अन्य लोगों से बात की तो इस बात की पुष्टि हो गई कि जिन लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया है, वे निर्दोष हैं. असली कातिल तो कोई और है. पुलिस के शक की सुई अब बच्ची के घर वालों की तरफ घूम गई. पुलिस ने हाइवे पर घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले तो बालिका की हत्या के कुछ सुराग हाथ लगे. जांच जैसेजैसे आगे बढ़ी शक गहराता गया. पूरी संतुष्टि के लिए सीसीटीवी फुटेज में जो व्यक्ति दिखे, सर्विलांस टीम ने उन व्यक्तियों के फोन नंबरों की लोकेशन पता की तो इस सनसनीखेज हत्याकांड की वास्तविकता को उजागर हो गई.

सीसीटीवी कैमरे में घटना से पूर्व मायरा का पिता इरशाद उसे गोद में ले कर जाता दिखाई दे रहा था. शक पुख्ता होने पर पुलिस ने इरशाद को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो पहले वह आनाकानी करता रहा. लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज दिखाई व उस के मोबाइल की लोकेशन घटनास्थल पर मिलने की बात बताई तो उस ने बिलखते हुए अपनी बेटी मायरा की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. इस हत्याकांड में उस का छोटा भाई मोहम्मद मुत्तलिव भी शामिल था. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर दोनों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल एक छुरी भी बरामद कर ली.

अपने ही हाथों अपनी मासूम बेटी की हत्या करने के पीछे अपने विरोधियों को फंसाने और 3 लाख रुपए हड़पने की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

पिछले दिनों सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) को ले कर फिरोजाबाद में हुए उपद्रव के दौरान कई लोगों की मौत हुई थी. उसी दौरान 20 दिसंबर, 2019 को इरशाद के भाई अबरार की भी मौत हो गई थी. मृतकों के घर वालों को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सहित इंडियन मुसलिम लीग ने अलगअलग आर्थिक मदद की थी. इरशाद के भाई अबरार की मौत पर इंडियन मुसलिम लीग ने इरशाद के पिता एजाज के नाम 3 लाख रुपए का चैक दिया था. जबकि अन्य दलों द्वारा दी गई मदद की राशि को ले कर अबरार की पत्नी फरहाना बेटे के साथ मशरूफगंज स्थित अपने पिता गफ्फार के पास चली गई थी. एजाज के नाम का 3 लाख रुपए का चैक इरशाद के पास था. मृतक अबरार की पत्नी व साले इस चैक पर अपना दावा जताते हुए चैक की मांग कर रहे थे. लेकिन इरशाद और छोटा भाई मुत्तलिव चैक देने को राजी नहीं थे.

वे इस धनराशि को हड़पना चाहते थे. इसी को ले कर इरशाद और उस के भाइयों से अबरार के ससुरालीजनों का कई बार विवाद हो चुका था. इसी विवाद के चलते इरशाद ने अपने छोटे भाई मुत्तलिव के साथ मिल कर अबरार के ससुरालीजनों से छुटकारा पाने व चैक की लाखों रुपए की धनराशि को हड़पने के लिए खौफनाक साजिश रची. योजनानुसार 24 अगस्त, 2020 की रात जब इरशाद की ढाई वर्षीय बेटी मायरा घर के बाहर खेल रही थी, इरशाद उसे गोद में उठा कर ले गया. उस ने मासूम मायरा को खिलौना दिलाने का झांसा भी दिया. अपने पिता के साथ वह खुशीखुशी चली गई. उसे नहीं मालूम था कि उस का पालनहार अपने विरोधियों को फंसाने के लिए उस का ही कत्ल करने के लिए ले जा रहा है.

मायरा का चाचा मुत्तलिव भी अपने साथ छुरी ले कर उस के पीछेपीछे आ गया. एक स्थान पर पिता इरशाद ने अपनी मासूम बेटी का गला छुरी से रेत कर उस की जघन्य हत्या कर दी. फिर दोनों भाई बच्ची के शव को कब्रिस्तान के सामने फेंक कर घर आ गए और मायरा के लापता होने की खबर फैला दी. दोनों कई दिनों से योजना को अमलीजामा पहनाने की फिराक में थे. लेकिन मायरा घर के बाहर भाईबहनों व अन्य बच्चों के साथ खेलती थी, इस से वे घटना को अंजाम नहीं दे पा रहे थे. 24 अगस्त को उन्हें मौका मिल गया. उस दिन मायरा घर के बाहर अकेली मिल गई थी.

हत्यारोपियों ने मृत भाई के ससुरालीजनों को केस में झूठा फंसाने की साजिश फूलप्रूफ बनाई थी, लेकिन पुलिस ने गहराई से जांच कर इस हत्याकांड का घटना के 5 दिन बाद 29 अगस्त को खुलासा कर दिया. गिरफ्तार पिता इरशाद व चाचा मुत्तलिव से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस घटना में कलयुगी पिता की ऐसी दास्तान सामने आई, जिस ने रिश्तों को शर्मसार कर दिया. घटना को सुन कर हर किसी की रूह कांप गई. जिस गोद में पिता का साया पा कर हर बच्चा अपने को सुरक्षित समझता है, उसी निर्दयी पिता ने अपने विरोधियों को हत्या के आरोप में फंसाने और मृतक भाई की विधवा व बच्चों के रुपयों को हड़पने के चक्कर में अपने ही कलेजे के टुकड़े को मौत के घाट उतार दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

Best Hindi Story : खूबसूरत लड़की और औरत की इज्जत से खेलने वाला जैसलमेर रियासत के दीवान की स्टोरी

Best Hindi Story : सालम सिंह दुष्ट, निर्दयी, कामुक ही नहीं, शातिरदिमाग भी था. हर खूबसूरत लड़की, औरत उस के लिए एक रात का खिलौना भर होती थी. लेकिन कस्तूरी उसे ऐसी मन भाई कि उस पर उस ने थोड़ी मेहरबानी की. बाद में वह कस्तूरी से पैदा अपने बेटे की वजह से ही…

जैसलमेर रियासत का दीवान सालम सिंह अपने नए बने मोतीमहल में लेटा हुआ था. दोपहर का समय था. भोजन करने के बाद वह आराम कर रहा था. कमरा हलकी खुशबू से महक रहा था. उस के मन में अजीब सी हुलस थी. झरने से टकरा कर आ रही ठंडीठंडी हवा उस के मन में ताजगी भर रही थी. वैसे बाहर लू चल रही थी. मगर खिड़की की जगह बने कृत्रिम झरने से पूरा कमरा ठंडा हो रहा था. तभी दरवाजा खुला. उस ने देखा झरने के पास बने दरवाजे से चांदी की सुराही में जल ले कर गुलाबी ऊपर आई. झरने के पास से आती हुई गुलाबी उसे अचानक प्रकट हुई हूर सी लगी. जैसे अभी कहेगी, ‘‘आप ने याद फरमाया हुजूर! बांदी आप की खिदमत के लिए हाजिर है.’’

वह मुसकराया. गुलाबी अपना आंचल संभालती धीरे से पास आई. सुराही आले में रख कर वह उस की तरफ भरपूर नजर से देखती हुई मुड़ी. सालम ने उस का हाथ पकड़ लिया. गुलाबी को जैसे विश्वास ही नहीं हुआ. आज यह दीवान साहब को क्या हो गया. वह तो सालों से हवेली में काम कर रही है. आज अचानक बरसों बाद फिर इस नाचीज पर मन कैसे आ गया. हवेली में एक से बढ़ कर एक 3-3 स्त्रियां जिन के इशारे का इंतजार कर रही हैं. सुंदर, कोमलांगी, गोरी, गुदगुदी. उन के आगे वह कहां ठहरती है.

‘‘आजकल तुम्हें मेरा खयाल ही नहीं रहा गुलाबी.’’ सालम ने उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा.

वह संकोच में खड़ी रही.

‘‘अब आप को गुलाबी की क्या जरूरत. आप ठहरे राज्य के दीवान. 3-3 लुगाइयों के धणी. अब आप वही मौसर फूटते छोरे नहीं रहे. आप राज के मालिक हैं.’’

गुलाबी का एक हाथ सालम की गिरफ्त में था. वह दूसरे हाथ से आंचल ठीक करने लगी.

‘‘मुझे पहला पाठ तो तूने ही पढ़ाया था. मेरी गुरु तो तू ही है.’’ सालम हंसा.

‘‘गुरु तो आप हैं, मैं तो आप की चेली हूं. एक दरोगन. बस, आप के पैरों की धूल.’’

‘‘तो आ न, खड़ी क्यों है?’’

‘‘नहींनहीं, अब आप को मुझ दासी के मुंह नहीं लगना चाहिए. आप रियासत के दीवान हैं.’’ गुलाबी हाथ खींचने का नाटक करने लगी.

सालम ने झटका दिया. वह वहीं ढेर हो गई.

‘‘गुलाबी, मैं रोज दाल खाखा कर उकता गया हूं.’’ सालम ने गुलाबी के चेहरे को हाथों में लेते हुए कहा.

‘‘तो आप कहो सो खिलाऊं.’’ गुलाबी ढुल गई.

तभी दरवाजे पर खटका हुआ. गुलाबी हड़बड़ा कर खड़ी हो गई. सालम ने देखा दरवाजे पर झरने के पास 15-16 साल की अनिंद्य सुंदरी खड़ी थी. अति साधारण कपड़ों में उस का गोरा रंग और दिव्य रूप छलक रहा था. जैसे भटकती हुई साक्षात अप्सरा आ गई  हो. दीवान सालम ने ऐसा सौंदर्य पहली बार देखा था. युवती ठिठकी सी हिरनी की तरह हैरत से उसे देख रही थी.

‘‘कस्तूरी, क्या बात है? यहां कैसे आई?’’ गुलाबी ने उस लड़की से पूछा. मगर सालम की नजरें उस पर से हट ही नहीं रही थीं. कस्तूरी के मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे. वह जैसे पत्थर हो गई थी. गुलाबी उस के पास गई, ‘‘यहां क्यों आई है. जा, मैं आ रही हूं.’’

कस्तूरी की मूर्ति जैसे सजीव हो गई. उस में हरकत हुई तो सालम जागा, ‘‘इसे अंदर ले आओ. कौन है यह?’’

‘‘यह कस्तूरी है. मेरी बहन की बेटी. आजकल यहां आई हुई है.’’ गुलाबी उसे अंदर ले आई.

सालम उसे देखता रह गया. गजब की सुंदरता, चेहरे पर मासूमियत. शर्मसार आंखें. लज्जा के गहनों को पलकों के कपाट से ढांके. अपने आप में सिकुड़ती. गुलाबी में खुद को छिपाने की कोशिश करती हुई.

‘‘सुंदर…यह तो कोई हूर है.’’ सालम चकित होते हुए बोला.

‘‘आप की रैयत है. कस्तूरी चल जा, मैं आ रही हूं.’’ गुलाबी ने धीरे से कहा.

कस्तूरी तुरंत भाग गई. सालम उसे जाते देखता रहा. एक हीरे की अंगूठी उतारी. गुलाबी को देते हुए बोला, ‘‘आज से यह मेरी हुई.’’

‘‘हुकम, माफ करें, यह शादीशुदा है. बचपन में ही इस का विवाह हो गया था. मुकलावा होने वाला है.’’ अंगूठी हाथ में ही रही.

‘‘मुकलावा होता रहेगा. आज की रात तू इसे यहीं लाएगी.’’ सालम ने जोर दे कर कहा.

‘‘हुकम, मेरी बहन…’’

‘‘वह तू जाने, मुझे नहीं मालूम. यह काम तुझे करना है, बस.’’ सालम की आवाज थोड़ी कड़क हो गई.

‘‘जड़ा सोरा को जोतीजेनी. बाई काढणी पड़ै.’’ (अप्रशिक्षित को जोतना सरल नहीं है. पहले उसे प्रशिक्षित करना पड़ता है)

‘‘तो तू किसलिए है. तू तो पुरानी गुरु है.’’ सालम ने हंस कर कहा. उस ने एक और अंगूठी उतार कर गुलाबी को दिखाई.

‘‘आप इतना कह रहे हैं तो…बाकी मैं संभाल लूंगी. पर आप को रात में मेरे गरीबखाने पर पधारना होगा. उसे यहां लाना मुश्किल होगा. वहां सारे इंतजाम हो जाएंगे. एक बार नथ उतरने के बाद आप चाहेंगे तो वह यहां आती रहेगी. पर पहली बार तो…’’ गुलाबी के चेहरे पर मुसकराहट तैर गई. इस मुसकराहट में डर, आशंकाएं, मजबूरियां, भोग और चापलूसी के भाव थे. ये सारे भाव एक साथ एक मुसकराहट में भर देना गुलाबी जैसी औरत के ही वश में था. सालम ने दूसरी अंगूठी भी गुलाबी को दे दी.

‘‘जा, सारे इंतजाम कर के रखना. मैं रात के दूसरे पहर में कभी भी आ जाऊंगा.’’

गुलाबी ने दोनों अंगूठियों को बेशरमी से कांचली (चोली) में रखा. आंचल को पहले हटाया फिर ढंका. मगर सालम ने ध्यान ही नहीं दिया. वह मुजरा करती हुई वहां से चली गई. घर आ कर गुलाबी ने कस्तूरी को देखा तो सोचने लगी, ‘दीवान सा गलत नहीं हैं. इस रूप के आगे दूसरी कोई भी सुंदरी कैसे ठहर सकती है. वह रोज उसे देखती थी, पर कभी गौर ही नहीं किया. वाकई वह अब बच्ची नहीं रही. वह तो रूपलावण्य की देवी बन चुकी थी. उस के रूपरंग पर तो वह खुद भी सब कुछ हार जाने को तैयार हो सकती है, फिर दीवान सा तो असली पारखी हैं.’

उस ने कस्तूरी से कहा, ‘‘तू बहुत भाग्यशाली है छोरी. तेरे रूप पर दीवान सा मर मिटे.’’

कस्तूरी लजा गई.

‘‘तेरा मुकलावा तो अब तक हो जाना था. बहन ने देखा ही नहीं. तू जवान हो गई है.’’

कस्तूरी की आंखें चंचल और होंठ थिरकने लगे. उस के गाल गुलाबी हो गए.

‘‘अब तुझे बचपन की बातें छोड़ कर जवानी की लहरों पर उतर जाना चाहिए.’’ गुलाबी शातिर आंखों से उसे देखने लगी. कस्तूरी शर्मसार हो गई. अगर उस के शरीर में खुद में ही सिकुड़ जाने की कला होती तो वह अपने आप को खुद में छिपा लेती. दिन में बात यहीं तक हुई. कस्तूरी सोचती रही. उसे अपना शरीर बड़ा लगने लगा. हथेलियां, कलाई, बांह, कंधे, चेहरा, आंखें सभी कुछ. उसे लोगों की घूरती आंखें दिखाई देने लगीं. दीवान सा की कामुक आंखें बारबार उस के आगे आ खड़ी होतीं. उस ने लाख हटाने की कोशिश की, आंखें बंद कर देखना बंद कर दिया. उन पर से ध्यान हटाने के लिए कुछ और सोचने लगती. मगर वे ढीठ आंखें सामने से हट ही नहीं रही थीं.

वह अपने पड़ोस के लड़के किशन को देखा करती. वह भी उसे देखता था. उस का देखना भी उसे अच्छा लगता था. मगर उस की आंखें दहशत को पैदा करने की हद तक पीछा नहीं करती थीं. अब तो उसे घेरते शिकारियों के बीच डरी हिरणी की तरह कंपकंपी हो रही थी. उस ने हमेशा सपना देखा. वह, उस का पति और उस का परिवार. एक सुखी और सुरक्षित जीवन. मगर दीवान सा की आंखों से तो उस में डर बैठ गया था. शाम ढलते ही गुलाबी विशेष तैयारियों में जुट गई. उस ने सारे घर में साफसफाई सजावट की. जगहजगह दीपक जलाए. सारा घर जगमगा उठा. खुद भी नहाधो कर नएकपड़े पहन कर इत्र की खुशबू से महकतीचहकती भाग रही थी. लगता था जैसे आज कोई उत्सव हो.

कस्तूरी को सुगंधित साबुन से नहलाया, सिर धो कर चमेली का तेल लगा चोटी गूंथी. नए कपड़े पहनाए. कस्तूरी की समझ में नहीं आ रहा था. वह बारबार पूछ रही थी मगर गुलाबी टालती जा रही थी. जब उसे गहने पहना कर दुलहन की तरह सजाया जाने लगा तो उस के सब्र का बांध टूट गया. वह चिल्ला पड़ी, ‘‘क्या है? क्यों मुझे इस तरह तैयार कर रही हो?’’

‘‘तू तो भाग्यशाली है. तुझ पर दीवान सा की मेहर हो गई है.’’ गुलाबी ने समझाया.

‘‘तो?’’

‘‘और सुन, आज रात दीवान सा हमारे घर आएंगे. वह भी तेरे लिए.’’

‘‘मेरे लिए?’’ कस्तूरी चौंकी.

‘‘तू आज की रात दीवान सा की रानी बनेगी.’’

‘‘मौसी, तुझे नहीं पता मैं ब्याहता हूं. मेरा मुकलावा होने वाला है.’’ कस्तूरी बेचैन हो गई. तन के कपड़े, गहने सभी उसे चुभने लगे. उस का मन किया कि अभी भाग जाए यहां से.

‘‘मैं जानती हूं. क्या बिगड़ जाएगा जो तू एक रात दीवान सा के साथ बिता देगी. शादी टूट नहीं जाएगी.’’ गुलाबी की आवाज कठोर होने लगी.

‘‘यह क्या कह रही है तू. मेरी इज्जतआबरू का भी खयाल नहीं है तुझे?’’

‘‘इज्जत आबरू?’’ गुलाबी हंसी, ‘‘गोलों की इज्जत इसी तरह ऊंचाइयां चढ़ती, उतरती रही है. हम लोग गुलाम हैं और गुलाम का काम मालिक का हुकम बजाना होता है, समझी?’’

‘‘नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती. अपने पति, सासससुर, मांबाप सब से कैसे नजरें मिला पाऊंगी.’’

‘‘हम लोग गुलाम हैं. हमें खरीदा बेचा जाता है. दहेज में दिया जाता है. तेरे मौसा को भी दहेज में दे दिया गया था. मैं अकेली रह गई हूं न. हम गुलामों की नियति यही है. पति, सासससुर, मांबाप की बात करती हो. तुम्हारा ससुराल पिथला गांव में है न. ठाकुर दानसिंह के यहां तुम्हारे ससुराल वाले गोले हैं. अगर ठाकुर सा ने तुझे अपनी बेटी के दहेज में दे दिया तो तू क्या कर लेगी. कहां होगी तेरी ससुराल. कौन होंगे तेरे पति, सासससुर… बातें करती है.’’ गुलाबी को कस्तूरी की बातों पर गुस्सा आ गया.

‘‘मैं भी इंसान हूं. औरों की तरह मेरा भी घरपरिवार हो. यह सपना तो सभी का होता है.’’ कस्तूरी बोली.

‘‘जानती है, जो सुखी हैं, सुख की नींद सोते हैं, उन्हीं को सपने देखने का अधिकार है, हम लोगों को नहीं. हमें चैन की जिंदगी नसीब नहीं. गुलाम का अपना क्या होता है. तो उस के सपने भी कैसे अपने हो सकते हैं.’’ गुलाबी की आवाज भर्राने लगी. कस्तूरी ने उस की पीठ सहलाई. वह भीगी आंखों से बोली, ‘‘अभी तक तो तुम्हारी उम्र सपने देखने की थी. आज से तुम भी हमारी तरह नरक में धकेल दी गई हो. सपने देखना छोड़ सच्चाई का सामना करो.’’

कस्तूरी रो पड़ी. गुलाबी ने उसे सांत्वना दी. उस का सिर और पीठ सहला कर उसे चुप कराती समझाती रही, ‘‘देखो, हम लोग इंसान नहीं मालिक के काम आने वाले पशु हैं. मालिक जैसा चाहे हम से काम ले. मुकलावा हुआ हो या नहीं. हो जाने के बाद क्या हमें छोड़ देंगे. यह तेरी भूल है.

‘‘शादी…शादी हमारे लिए एक रस्म भर है. होने वाली जायज या नाजायज संतानों को बाप का नाम देने की युक्ति. इस से ज्यादा कुछ नहीं. जब हमें खरीदा बेचा जा सकता है. दहेज, ईनाम में दिया जा सकता है तो कैसा पति, किस की पत्नी, किस का भाई, कौन बाप, कोई रिश्ता नहीं, कोई रिश्तेदार नहीं. ढोरडांगर की तरह कभी एक ठाण तो कभी दूसरे ठाण.’’

कस्तूरी उसे देखती रही. आज उसे मौसी में नया ही रूप दिखाई देने लगा. मौसी ही नहीं, उसे सारी दुनिया नई लगने लगी. सपनों की नहीं, क्रूर फरेबी आतंक की दुनिया. मजबूरी, लाचारी, गुरबत की दुनिया. वीभत्स, हास्यास्पद, बजबजाती दुनिया. उस का दिलोदिमाग शून्य में कहीं लुप्त हो गया था. उसे जरा भी होश नहीं था. कब वह तैयार हुई, कब दीवान सा आए, कब वह औरत बनी. कूड़े पर फेंक दी गई जूठन. दीवट जलते रहे. लौ कांपती हुई बाती से बंधी नाचती रही. धुएं की गंध के साथ पीला उजास सारे घर में भरता रहा. वह नुची हुई फूलों की तरह बिखरी पड़ी थी, जिस के फूल तोड़ कर मसल दिए गए थे और खुशबू लूटी जा चुकी थी.

रात अपने पूरे अंधेरे के साथ घर पर सवार रही. दीवान के जाते ही मुंडेर पर बैठी रात चुपके से उतरी और उस के दिलोदिमाग पर छा गई. दीवान ने जातेजाते गुलाबी से कहा, ‘‘तुम जौहरी हो. क्या हीरा छिपाए बैठी थी. इसे मेरे पूछे बिना कहीं नहीं भेजोगी. मैं कल फिर आऊंगा.’’

गुलाबी ने देखा, दीवान के चेहरे पर भरपूर तृप्ति थी. दीवान दूसरे, तीसरे, चौथे कई दिन तक आया. एक दिन उस ने कहा, ‘‘गुलाबी, कस्तूरी अब मेरी हुई. अब इस का न तो गौना होगा और न ही यह कहीं जाएगी. इस के लिए मैं एक अलग नया घर बनवा दूंगा. यह वहीं रहेगी. अब इस की सारी जिम्मेदारी मेरी.’’

गुलाबी तो जैसे धन्य हो गई. उस की भांजी अब गोली नहीं, दीवान की रखैल होगी. उस के सामने दूसरा कोई देख भी नहीं सकेगा. मगर कस्तूरी के मन में कुछ और घुमड़ रहा था. वह खुश नहीं थी. वह वहां से भाग जाना चाहती थी. पर दीवान के सामने उस का उद्धार करने वाला कौन था. उस के मन में आग लगी हुई थी. वह भी बदले की आग. कस्तूरी को गर्भ ठहर गया था. गुलाबी ने खूब समझाया, मगर वह न मानी. उस ने विरोध का एक तरीका निकाला. उस ने तय कर लिया कि वह उसे जन्म दे कर रहेगी. समय आने पर कस्तूरी ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम रखा कोजा. वह एकदम दीवान सालम की प्रतिकृति था.

कस्तूरी सोचती मेरा क्या है, मैं तो एक गोली हूं रखैल, मेरी क्या इज्जत. पर यह दुनिया के सामने दीवान के गुनाहों की सबूत की तरह घूमता रहेगा. वही रंगरूप, कोमलता, डीलडौल. कैसे कोई झुठला सकेगा इसे कि यह दीवान सालम सिंह का एक गोली की कोख से उपजा अंश नहीं है. जबजब राजा अधम हुआ है, मंत्री ने मनमानी की है, कमजोरी का फायदा तो उठाया ही जाता है. सालम सिंह एक ओर राज्य की आंतरिक व्यवस्था को अंकुश में रखे हुए था तो वहीं दूसरी ओर वह विपुल धनराशि देश में विभिन्न स्थानों पर रहने वाले रिश्तेदारों को भेज रहा था. रियासत के खजाने को लूटता जा रहा था. अपने मनमाने आदेश चला रहा था. किसी की हत्या करवा देता, किसी की इज्जत लूट लेता. अपने दुराचार, व्यभिचार और अत्याचारों से जनता को कुचल रहा था.

सालम सिंह अपने पिता स्वरूप सिंह की सरे दरबार हुई हत्या से इतना क्रूर दीवान बना कि उस ने महारावल को मंदिर व राजमहल में भक्ति करने तक सीमित कर के एकएक से बदला लिया. अपने पिता के हत्यारों को चुनचुन कर मारा. सालम को जब लगता कि यह व्यक्ति उस के लिए खतरा बन सकता है, तो वह उसे मरवा डालता था. ऐसे में राजपूतों में दहशत फैल गई. कई राजपूत भाग कर बीकानेर चले गए. कई शांत हो कर बैठ गए. उन्हें लगने लगा कि सालम से पार पाना मुश्किल है. सालम सिंह अपनी राह निष्कंटक कर निरंकुश हो गया. अब उस के सामने कोई चुनौती नहीं थी. उस ने किसी को प्रधान सेनापति नहीं बनाया. वह काम भी अपने हाथ में ले लिया. वह किसी राजपूत को इसलिए आगे नहीं आने देना चाहता था कि आगे चल कर उसे कोई चुनौती दे.

इस दरम्यान उसने सालमसागर, स्वरूपसर और जयकिशनसर तालाब खुदवाए. उन पर पक्के घाट व बारादरियां बनवाईं. पेड़ लगवाए. सालमसागर पर प्रायद्वीप की तरह आगे की तरफ निकल आई पहाड़ी पर शानदार बुर्ज बनवाया. जैसलमेर शहर से मात्र 2 कोस दूर उत्तर मे स्थित इस बुर्ज के 3 तरफ खाई थी. इस के 2 उद्देश्य थे. एक, अगर हमला हो तो अच्छे मोर्चे की तरह उस का इस्तेमाल किया जाए. क्योंकि वह मोटी दीवारों का गोल बुर्ज था, जिस में हथियार चलाने के लिए स्थान बनाए गए थे. दूसरा उपयोग अय्याशी के लिए था. बुर्ज में घुसते ही बाईं तरफ ऊपर जाने की सीढि़यां. दाईं तरफ शौचालय. बीच में हाल. हाल के बाईं तरफ बहुत बड़ा झरोखा था, जिस पर एक साथ 10 आदमी बैठ सकते थे. वहां से दूरदूर तक फैली धरती के नजारे देखने लायक थे. दूसरी तरफ भी झरोखा था. इस तरह वह हवादार हो गया था.

इस हाल के अंदर एक निजी कक्ष था. इस का झरोखा दक्षिण की तरफ था. वह झरोखा भी काफी बड़ा था. इस पर 4-5 लोग आराम से बैठ सकते थे. यह कक्ष छोटा था, मगर इस में एक बड़ा पलंग आसानी से आ सकता था. सालम ने इसे भोग का स्थान बना लिया था. राज्य की हर सुंदर स्त्री उसे अपने लिए पैदा हुई लगती थी. गुलाबी जैसी कुछ औरतें उस की मदद करती थीं. इस बुर्ज में कई स्त्रियों की चीखें घुटघुट कर रह गईं. अकसर यहां शाम होते ही किसी स्त्री की पालकी आती और देर रात वापस जाती. सारी जनता में भय था. लोग सालम से तो डरते ही थे, गुलाबी, खेमा जैसे लोगों से भी दूर रहने की कोशिश करते थे.

बहूबेटियों को हवेली के पास फटकने तक नहीं दिया जाता था. इस हद तक आतंक था कि अगर किसी को उस तरफ से जाना भी पड़ता तो चेहरे पर राख मल कर जाती ताकि उस का गोरा रंग और सुंदर रूप छिप जाए. फिर भी हर समय यही भय रहता कि कहीं सालम या उस के दलालों की नजर न पड़ जाए. अगर नजर में चढ़ गई तो दुर्भाग्य के पंजे से कोई नहीं बचा सकता था. अन्य जाति की स्त्रियों के साथ वह दुराचरण करता, मगर अपनी ही जाति बनिया (माहेश्वरी) स्त्रियों के साथ वह रियायत बरतता. यह रियायत स्त्रियों के लिए थी, लड़कियों के लिए नहीं. वह उन से विवाह कर लेता था.

सालम ने 6 विवाह किए थे. उस के 6 पत्नियां थीं. फिर भी वह हर रात बुर्ज पर जा कर किसी न किसी कि आबरू लूटता था. इज्जत लुटा कर स्त्रियां या लड़कियां चुप रह जातीं, मगर दीवान सालम ने आना भाटी की बहन की इज्जत लूटी तो वह गड़ीसर में जा कर डूब मरी. आना को सालम की करतूत पता चली तो उस ने तलवार से दीवान पर हमला किया. तलवार सालम के सिर की पगड़ी से टकरा कर बाएं कंधे में जा गड़ी. अत्यधिक गुस्से के कारण वह उस पर दूसरा वार नहीं कर पाया. आना भाटी काठ हो गया था. न हिला न भागा. तभी कई लोगों ने उसे दबोच लिया. तलवार छीन ली और पीटते हुए उसे कोतवाली ले गए. वहां पर आना को मारापीटा गया और पूछा गया कि यह सब किस का षडयंत्र था. मगर आना कुछ नहीं बोला.

सालम के बेटे बिशन सिंह ने कोतवाल से कहा कि जैसे भी हो, इस से षडयंत्रकारियों के नाम उगलवाओ. षडयंत्र था ही नहीं तो आना किस के नाम बताता. आना ने दीवान पर हमला क्यों किया, गड़ीसर पर मिली बहन की लाश ने सारी कहानी खोल कर रख दी थी. आना भाटी दीवान का सुरक्षा गार्ड था. दीवान ने उसी गार्ड की बहन की इज्जत लूटी थी. दीवान मरा नहीं था. वह घायल हो गया था. उस का वैद्य ने इलाज शुरू किया. सालम ने सातवीं शादी भी की. वह शादी तो कर लेता था लेकिन पत्नियों की शारीरिक जरूरत का खयाल नहीं रखता था. क्योंकि उसे तो किसी नई लड़की या महिला के साथ रात गुजारने की आदत बन चुकी थी.

इसलिए उस की सातवीं पत्नी घाटण बहू अपनी सौतन औरतों के कहने पर हवेली में ही अपने जिस्म की आग बुझाने का कोई उपाय ढूंढने लगी. उस की सभी सौतनों ने अपनेअपने हिसाब से टाइमपास का साधन चुन लिया था. उस की सौतन ने कहा था, ‘‘तुम्हें अपने जीने के साधन खुद तलाश करने पड़ेंगे. दीवान सा के भरोसे उम्र नहीं निकल सकती.’’

बस घाटण बहू ने यह बात गांठ बांध ली और अपने लिए साधन तलाशने लगी. ऐसे में एक रात उस की मुलाकात कस्तूरी के बेटे कोजा से हुई. उस रात गुलाबी की तबीयत खराब थी, इस कारण कोजा हवेली आया था. घाटण बहू ने दीवान सा की इस प्रतिमूर्ति को देखा तो वह उस पर मुग्ध हो गई. उस ने कोजा से कहा कि आज से तुम मेरे पास रहोगे. गुलाबी आए न आए, तुम मेरा काम करोगे. समझे. कोजा ने हां भर दी. घाटण बहू ने कोजा को हवेली में अपने सामने वाला कमरा रहने को दे दिया. कोजा हवेली में आनेजाने लगा और घाटण बहू की हाजिरी बजाने लगा. घाटण बहू ने कोजा के साथ एक दुनिया रचाई और उस में मस्त हो गई. कोजा उस का नौकर, दोस्त, हमदर्द, प्रेमी सभी कुछ बन गया था.

उधर कोजा के रंगढंग देख कर उस की मां कस्तूरी का दिल बैठ रहा था. घाटण बहू की मेहरबानी और निकटता ने कोजा के स्वभाव को बदल डाला था. पहले नौकरी पर रखना और उस के बाद वहीं रह जाना, अच्छे संकेत नहीं थे. ऐसे में मां ने कोजा को बहुत समझाया और यहां तक कहा कि सालम तेरे पिता हैं, इस नाते घाटण बहू तेरी मां है. मगर कोजा ने कहा कि मैं एक रखैल की नाजायज औलाद हूं. मैं उस पापी दीवान से बदला ले रहा हूं, जिस ने मेरी मां को ब्याहता होने के बावजूद मुकलावा करने के बजाय खुद की रखैल बनाया और इज्जत से खेलता रहा. मैं उस से बदला ले रहा हूं. चाहे वह मेरी जान ही क्यों न ले ले.

एक रोज सालम के कानों में घाटण बहू और कोजा की खिलखिलाती हंसी सुनाई दी. दीवान को पता चला कि यह हंसी उस की रखैल के बेटे और उस की सातवीं पत्नी घाटण बहू की है. दीवान ने कोजा के हवेली आने पर प्रतिबंध लगा दिया. मगर घाटण बहू ने उसे हवेली में आने की स्वीकृति दे दी. दीवान का आदेश भारी पड़ा. कोजा के विरह में घाटण बहू ने दूध में जहर मिला कर दीवान सालम सिंह को रास्ते से हटा दिया. उस के बाद वह फिर से कोजा के साथ रहने लगी. जब दीवान के बेटे को पता चला कि उस की विधवा मां एक गोले के साथ मौजमस्ती करती है तो उस ने दोनों को तलवार से काट डाला.

UP Crime : बच्चे के होंठ पर फेवीक्विक लगाया फिर गला दबाकर मार डाला

UP Crime : प्रिंस का दुर्भाग्य यह था कि उस ने एक ऐसा दृश्य देख लिया था, जो उसे नहीं देखना चाहिए था. यही उस की हत्या का कारण बना. वह सतरूपा और अंकित के आंतरिक संबंधों की भेंट चढ़ गया, लेकिन…

पुष्पा देवी सुबह 10 बजे मंदिर से घर आईं. उन्होंने पूजा का थाल चौकी पर रखा फिर चारों ओर नजर दौड़ाई. जब प्रिंस दिखाई नहीं पड़ा तो उस ने आवाज लगाई, ‘‘प्रिंस कहां हो तुम? आ कर प्रसाद ले लो.’’

8 वर्षीय प्रिंस पुष्पा का एकलौता बेटा था. उसे घर से गायब देख वह घबरा गई. घर से बाहर जा कर वह उसे गली में खोजने लगी. जब प्रिंस गली में कहीं नहीं दिखा, तब पुष्पा ने उस की खोजबीन आसपड़ोस के घरों में की, पर उस का पता नहीं चला. पुष्पा के घर से चंद घर दूर उस का देवर राकेश रहता था. उस ने सोचा कहीं वह चाचा के घर न चला गया हो. वह तुरंत देवर के घर पहुंची. राकेश घर पर ही था. पुष्पा ने उस से पूछा, ‘‘देवरजी, प्रिंस घर से गायब है. जब मैं मंदिर गई थी, तब घर के बाहर खेल रहा था. वापस आई तो नहीं था. मैं ने पासपड़ोस के घरों में खोजबीन की, पर उस का पता नहीं चला. कहीं वह तुम्हारे घर तो नही है.’’

‘‘भाभी, प्रिंस कुछ देर पहले आया था. मैं ने उसे नाश्ता भी कराया था. उस के बाद वह चला गया था. भाभी, आप घबराइए नहीं. यहीं कहीं होगा. चलो, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं.’’

फिर देवरभौजाई ने मिल कर गांव की हर गली छान मारी. आसपड़ोस के हर घर का दरवाजा खटखटा कर पूछताछ की. लेकिन प्रिंस का पता न चला. पुष्पा के मन में तरहतरह की आशंकाएं उमड़नेघुमड़ने लगी थीं. मन घबरा रहा था. राकेश के माथे पर भी चिंता की लकीरें उभर आई थीं. मन में उथलपुथल होने लगी थी. चौसड़ गांव में रहने वाली पुष्पा के पति राजेश कुमार कुशवाहा प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. वह भागीरथी डिग्री कालेज में प्रवक्ता थे. उस समय वह कालेज में थे. पुष्पा ने पति को फोन पर प्रिंस के गायब होने की जानकारी दी और तुरंत घर आने को कहा.

राकेश ने भी फोन पर बात की और चिंता जताते हुए भाई से अनुरोेध किया कि वह कैसा भी जरूरी काम हो, छोड़ कर घर आ जाएं. अपने एकलौते बेटे प्रिंस के गायब होने की जानकारी पा कर प्रोफेसर राजेश कुशवाहा घबरा गए. वह तुरंत घर आ गए. उन्होंने भी आसपास पूछताछ की लेकिन किसी से उन्हें कोेई सुराग नहीं मिला. इस से उन की चिंता बढ़ गई. उन्होंने भाई राकेश को साथ लिया और मोटरसाइकिल से पूजास्थल, बस व टैंपो स्टैंड पर प्रिंस की खोज की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. आखिरकार निराश हो कर वह घर लौट आए.

प्रोफेसर राजेश कुशवाहा के मन में बारबार सवाल उठ रहा था कि आखिर 8 साल का बच्चा कहां चला गया. अगर वह गांव में भटक गया होता तो वह उसे ढूंढ लेते. उन के मन में विचार आया, कहीं किसी ने उन के बेटे का अपहरण तो नहीं कर लिया. पुलिस को दी सूचना राजेश कुमार कुशवाहा ने जब घर आ कर बताया कि प्रिंस का कुछ पता नहीं लग रहा है. तब घर में रोनाधोना शुरू हो गया. आसपड़ोस के लोग भी आ गए. प्रिंस के गायब होने से सभी चिंतित थे. पुष्पा का तो रोरो कर बुरा हाल था. वह बारबार पति से अनुरोध कर रही थी कि जैसे भी संभव हो, उस के जिगर के टुकड़े को वापस लाओ. राजेश पुष्पा को धैर्य बंधा रहे थे. यह बात 19 अक्तूबर, 2020 की है.

जब दिन भर खोजने के बाद भी प्रिंस का कुछ पता नहीं चला तो राजेश शाम 7 बजे थाना विसंडा पहुंचे. थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह उस समय थाने में ही थे. उन्होंने उन्हें अपने 8 वर्षीय बेटे प्रिंस के अचानक घर से गायब होने की जानकारी दी और रिपोर्ट दर्ज कर प्रिंस को खोजने का अनुरोध किया. फिरौती की आई काल नरेंद्र सिंह ने तत्काल प्रिंस की गुमशुदगी दर्ज कर ली और आश्वासन दिया कि वह उन के बेटे को खोजने का पूरा प्रयास करेंगे. प्रोफेसर राजेश कुशवाहा गुमशुदगी दर्ज करा कर घर आए तो उन के मित्र व परिवार के लोग घर पर मौजूद थे. राजेश उन से प्रिंस के गायब होने के संबंध में विचारविमर्श करने लगे. अभी वह बात कर ही रहे थे कि उन के मोबाइल फोन पर काल आई.

राजेश ने काल रिसीव कर हैलो कहा तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘मास्टरजी, मेरी बात गौर से सुनो. मैं ने तुम्हारे बच्चे का अपहरण कर लिया है. 5 लाख फिरौती चाहिए, जल्दी इंतजाम करो. पुलिस को सूचना दी तो बच्चे की लाश मिलेगी.’’

इस के बाद उस ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. राजेश हैलोहैलो ही कहते रहे. अपहरण की जानकारी पा कर सभी चिंतित हो उठे. पुष्पा रोने लगी और पति से बोली, ‘‘मेरे पास जो भी पैसा है, सब ले लो. सोनेचांदी के गहने भी बेच दो. लेकिन मेरे लाल को छुड़ा कर ले आओ. उस के बिना मैं नहीं रह पाऊंगी.’’

पुष्पा के करुण रूदन से सभी की आंखें भर आईं. राजेश ने पत्नी को समझाया कि वह जल्द ही फिरौती की रकम दे कर प्रिंस को छुड़ा लेंगे. उसे कुछ नहीं होगा. राजेश और पुष्पा ने वह रात आंखोंआंखों में बिताई. सवेरा होते ही उन के घर पर फिर जमावड़ा शुरू हो गया. इसी बीच राकेश किसी काम से तालाब की ओर गया तो उस ने तालाब किनारे भतीजे प्रिंस की एक चप्पल पड़ी देखी. उस का माथा ठनका. वह सोचने लगा, ‘‘कहीं प्रिंस तालाब में तो नहीं डूब गया.’’

राकेश ने यह बात बड़े भाई राजेश को बताई तो राजेश दरजनों लोगों के साथ तालाब पर पहुंच गए. दरअसल, राजेश के घर से तालाब की दूरी मात्र 100 मीटर थी और वहां तक प्रिंस आसानी से पहुंच सकता था. अत: शक के आधार पर गांव के 2 तैराक तालाब में उतरे. उन्होंने हरसंभव प्रयास किया. लेकिन प्रिंस का पता नहीं चला. तालाब के किनारे पुआल और कंडे का ढेर लगा था. पुआल के ढेर के पास प्रिंस के पैर की दूसरी चप्पल पड़ी थी. उत्सुकतावश कुछ लोगों ने पुआल के ढेर को पलटा तो सब की आंखें फटी रह गईं. पुआल और कंडे के बीच 8 वर्षीय प्रिंस की लाश पड़ी थी. उस के मुंह पर टेप चिपका था और हाथपैर रस्सी से बंधे थे.

पुष्पा और परिवार की अन्य महिलाओं ने प्रिंस की लाश देखी तो वे बिलख पड़ीं. सब एकदूसरे को धैर्य बंधाने लगीं. पुष्पा तो रोतेरोते मूर्छित हो गईं. महिलाएं उन्हें घर ले गईं.  राकेश और राजेश भी प्रिंस का शव देख कर रो रहे थे. प्रोफेसर के मासूम बेटे प्रिंस की हत्या की खबर जंगल की आग की तरह चौसड़ और आसपास के गांवों में फैली तो भारी भीड़ उमड़ पड़ी. भीड़ हुई उत्तेजित इसी बीच थाना विसंडा पुलिस को प्रिंस की हत्या की खबर मिली तो थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह तथा डीएसपी आनंद कुमार पांडेय पुलिस टीम के साथ चौसड़ गांव आ गए. घटनास्थल पर भारी भीड़ देख कर पुलिस के हाथपांव फूल गए.

हालात तब ज्यादा बिगड़ गए, जब उत्तेजित भीड़ पुलिस विरोधी नारे लगाने लगी. उन की मांग थी कि जब तक आला अधिकारी घटनास्थल पर नहीं आएंगे, तब तक वह शव को नहीं उठने देंगे. स्थिति को भांप कर डीएसपी आनंद कुमार पांडेय ने घटना की जानकारी आला अधिकारियों को दी और जनता की मांग से अवगत कराया. जानकारी पा कर आईजी (बांदा) के. सत्यनारायण, एसपी डा. सिद्धार्थ शंकर मीणा तथा एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह चौहान चौसड़ गांव पहुंचे. सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने अतिरिक्त फोर्स मंगवा ली थी.  पुलिस अधिकारियों ने उत्तेजित जनता को आश्वासन दिया कि मासूम की हत्या का जल्द ही परदाफाश होगा और कातिल पकड़े जाएंगे.

पुलिस अधिकारियों के आश्वासन पर जनता का गुस्सा ठंडा पड़ा तो उन्होंने आननफानन में घटनास्थल का निरीक्षण किया. फिर शव को पोस्टमार्टम हेतु बांदा के जिला अस्पताल भिजवा दिया. एसपी डा. सिद्धार्थ शंकर मीणा ने हत्या का परदाफाश करने के लिए एक विशेष पुलिस टीम का गठन कर दिया. टीम की कमान एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह चौहान को सौंपी गई. इस टीम में थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह, चौकी इंचार्ज पी.आर. गौरव, एसआई अनिल सिंह, सत्येंद्र मिश्र, महिला सिपाही विमला, अंजू तथा डीएसपी आनंद कुमार पांडेय को शामिल किया गया.

गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के अनुसार प्रिंस की हत्या गला घोंट कर की गई थी. इस के बाद टीम ने मृतक प्रिंस के मातापिता व चाचा से पूछताछ की. पिता राजेश कुशवाहा ने बताया कि 19 अक्तूबर की रात 10 बजे उन के मोबाइल पर एक काल आई थी, जिस में प्रिंस के अपहरण की बात कही गई थी और 5 लाख की फिरौती मांगी गई थी. उन्हें शक है कि बेटे की हत्या में परिवार के ही किसी सदस्य का हाथ है. उन्होंने पुलिस को वह नंबर दिया, जिस से काल आई थी. उन्होंने हत्या का शक परिवार के जितेंद्र कुशवाहा व उस की पत्नी सतरूपा पर जताया.

21 अक्तूबर, 2020 की शाम 4 बजे पुलिस टीम ने शक के आधार पर जितेंद्र और उस की पत्नी सतरूपा को उस के घर से हिरासत में ले लिया और थाना विसंडा ले आई. उधर जिस नंबर से फिरौती का फोन आया था, पुलिस ने उस की जांच की तो पता चला कि वह नंबर विसंडा के छोटा गुप्ता के नाम से है. शक के आधार पर पुलिस छोटा गुप्ता को भी उस के घर से उठा कर थाना विसंडा ले आई. पुलिस टीम ने सब से पहले जितेंद्र कुशवाहा से पूछताछ की. उस ने बताया कि 19 अक्तूबर की सुबह 7 बजे वह खेत पर पानी लगाने गया था. दोपहर 12 बजे लौट कर घर आया तो पत्नी सतरूपा ने बताया कि मास्टर राजेश का लड़का प्रिंस लापता हो गया है. तब वह उन के घर गया और सब के साथ प्रिंस की खोज में जुटा रहा. प्रिंस की हत्या में उस का कोई हाथ नहीं है.

जितेंद्र के बाद पुलिस टीम ने उस की पत्नी सतरूपा से पूछताछ शुरू की. सतरूपा जब से थाने आई थी, उस का चेहरा उतरा हुआ था, वह घबराई हुई भी. पूछताछ में पहले तो वह पुलिस को बरगलाती रही . लेकिन जब सख्ती की गई तो उस ने प्रिंस की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि प्रिंस की हत्या में उस का साथ उस के प्रेमी अंकित कुशवाहा व उस के दोस्त छोटा गुप्ता ने दिया था. यह पता चलते ही पुलिस टीम ने अंकित कुशवाहा को भी रात में उस के घर में ही छापा मार कर गिरफ्तार कर लिया. यही नहीं, पुलिस टीम ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल रस्सी, टेप तथा मोबाइल फोन सतरूपा के घर से बरामद कर लिया.

सतरूपा के पति जितेंद्र कुशवाहा का हत्या में कोई हाथ नही था, अत: उसे थाने से जाने दिया गया. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आला कत्ल भी बरामद करा दिया था, अत: थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह ने मृतक के पिता राजेश कुमार कुशवाहा की तहरीर पर भादंवि की धारा 363/364/302/201/34 के तहत सतरूपा, अंकित कुशवाहा छोटा गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों से की गई पूछताछ में एक ऐसी औरत का खेल सामने आया, जिस ने अपना पाप छिपाने के लिए एक घर का चिराग बुझा दिया था. अवैध संबंधों के चलते हुई हत्या बांदा जिला की अतर्रा तहसील में एक बड़ी आबादी वाला गांव है चौसड़. इसी गांव में राजेश कुशवाहा अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी पुष्पा के अलावा एकलौता बेटा प्रिंस था.

राजेश कुशवाहा भागीरथी डिग्री कालेज में प्रवक्ता थे. उन की आर्थिक स्थिति अच्छी थी, वह गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. राजेश कुमार का बेटा प्रिंस कुशाग्र बुद्धि व चंचल स्वभाव का था. राजेश और पुष्पा उसे भरपूर प्यार देते थे. पुष्पा के लिए प्रिंस जिगर का टुकड़ा था. प्रिंस घर वालों का ही दुलारा नहीं था, बल्कि मोहल्ले के लोग भी उसे प्यार करते थे. वह घरघर का कन्हैया था. प्रिंस का चाचा राकेश तो उस पर जान छिड़कता था. वह अकसर नाश्ता उसी के साथ करता था. राजेश के घर से 4 घर दूर जितेंद्र कुशवाहा रहता था. वह किसान था. लगभग 7 साल पहले उस का विवाह सतरूपा से हुआ था. सतरूपा साधारण रंगरूप वाली मनचली औरत थी और चमकदमक से रहती थी. वह 2 बेटियों की मां बन चुकी थी.

2 बेटियों के जन्म के बाद जितेंद्र का मन स्त्री संसर्ग से उचट गया था, जबकि सतरूपा की शारीरिक भूख बढ़ गई थी. वह हर रात पति का साथ चाहती थी. लेकिन जितेंद्र उस का साथ नहीं दे पाता था. वह किसानी में ही व्यस्त रहता था. जितेंद्र के घर अंकित कुशवाहा का आनाजाना था. अंकित पड़ोस में ही रहने वाले मास्टर आनंद कुमार का बिगड़ैल बेटा था. वह शरीर से हृष्टपुष्ट तथा अविवाहित था. औरत उस की कमजोरी थी. जितेंद्र के घर आतेजाते उस की नजर जितेंद्र की पत्नी सतरूपा पर पड़ी. वह उस पर डोरे डालने लगा. सतरूपा और अंकित के बीच देवरभाभी का नाता था. सो दोनों के बीच खूब हंसीमजाक होता था. सतरूपा मनचली औरत थी और पति सुख से वंचित रहती थी, सो जल्दी ही वह अंकित के प्यार जाल में फंस गई और दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन गया.

सतरूपा अविवाहित अंकित की इतनी दीवानी बन गई कि वह जब भी प्रणय निवेदन करता सतरूपा उसे समर्पित हो जाती थी. अंकित ऐसे समय घर आता था जब सतरूपा का पति खेतों पर होता था. प्रिंस ने देख लिया था 19 अक्तूबर, 2020 की सुबह 7 बजे जितेंद्र अपने खेतों में पानी लगाने चला गया. उस के जाने के कुछ देर बाद अंकित घर आ गया. आते ही उस ने सतरूपा को बांहों में भर लिया और कमरे में ले गया. जल्दी में दोनों घर का मुख्य दरवाजा बंद करना भूल गए. कमरे के अंदर अंकित और सतरूपा जिस्म की प्यास बुझा ही रहे थे कि राजेश का 8 वर्षीय बेटा प्रिंस कमरे में आ गया. उस ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया.

प्रिंस कहीं भेद न खोल दे, अत: दोनों ने मासूम प्रिंस को पकड़ लिया और उस के हाथपैर रस्सी से बांध दिए. फेवीक्विक लगा कर होेंठ बंद कर दिए तथा मुंह पर टेप लगा दिया ताकि वह चीखचिल्ला न सके. इस के बाद गला दबा कर दोनों ने प्रिंस को मार डाला. लाश को कमरे में ही छिपा दिया. इस के बाद अंकित ने अपने दोस्त छोटा गुप्ता को सारी जानकारी दे कर मदद मांगी. छोटा गुप्ता मदद को राजी हो गया. उस ने ही रात में राजेश को अपहरण और फिरौती के लिए फोन किया था, ताकि घर वाले और पुलिस गुमराह हो जाएं. आधी रात को तीनों ने मिल कर प्रिंस के शव को घर से कुछ दूरी पर स्थित तालाब के किनारे पुआल और कंडों के बीच छिपा दिया.

उधर पुष्पा देवी मंदिर से घर लौटीं तो प्रिंस घर से नदारद था. उस ने खोज शुरू की और पति को जानकारी दी. राजेश अपने साथियों के साथ प्रिंस की खोज करता रहा, लेकिन उस का पता न चला. दूसरे रोज पुआल के ढेर से प्रिंस का शव बरामद हुआ. थाना विसंडा पुलिस ने शव को कब्जे में ले कर जांच प्रारंभ की तो प्रिंस की हत्या का परदाफाश हुआ और कातिल पकड़े गए. 22 अक्तूबर, 2020 को थाना विसंडा पुलिस ने अभियुक्त अंकित कुशवाहा, छोटा गुप्ता तथा सतरूपा को बांदा की जिला अदालत में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया. सैक्स के भूखे लोग दरवाजा क्यों खुला छोड़ देते हैं, समझ के बाहर है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित