Moradabad News : 4 बच्चों की मां ने कराई पति की हत्या

Moradabad News : शादीशुदा और 4 बच्चों की मां रीनू ने पहली गलती कपिल से अवैध संबंध बना कर की, दूसरी गलती उस ने इस संबंध को स्थाई बनाने के लिए अपनी छोटी बहन की शादी कपिल से करा कर की. उस की तीसरी गलती कपिल को रिश्तेदार बना कर घर में रखने की थी. और चौथी गलती पति शिवकुमार को मौत के घाट उतरवाने की. इतनी गलतियां करने के बाद…

20 जून, 2020 की सुबह की बात है. मुरादाबाद शहर के सिरकोई भूड़ की रहने वाली वीरवती रोजाना कीतरह सुबह की सैर के लिए निकली थीं. लेकिन उन्होंने मोहल्ले में जो कुछ देखा, उसे देख वह हक्कीबक्की रह गईं. वीरवती जब गली नंबर एक के पास पहुंचीं तो वहां एक युवक की लाश पड़ी थी. जिज्ञासावश वह लाश के नजदीक पहुंचीं तो उन की चीख निकल गई, क्योंकि वह लाश उन के सगे भांजे  शिवकुमार की थी. शिवकुमार उसी गली में रहता था, जिस गली में उस की लाश पड़ी थी. वीरवती रोती हुई शिवकुमार के घर पहुंचीं और यह खबर दी. शिवकुमार के पिता रामकुमार परिवार के लोगों के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए.

शिवकुमार का सिर कुचला हुआ था और पास में ही खून से सनी एक ईंट पड़ी थी. ईंट को देख कर वह समझ गए कि उसी से शिवकुमार का सिर कुचला गया है. घर वालों की चीखपुकार सुन कर मोहल्ले के और लोग भी वहां जमा हो गए. कुछ ही देर में शिवकुमार की हत्या की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई. फिर क्या था, थोड़ी ही देर में वहां लोगों का हुजूम जमा हो गया. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि शिवकुमार की हत्या किस ने और क्यों की. इसी दौरान किसी ने फोन कर के इस की सूचना थाना मझोला पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह उसी समय रात्रि गश्त से लौटे थे, हत्या की खबर सुन कर वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश और घटनास्थल का मुआयना किया.

उन्होंने फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया और यह सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से सुबूत जुटाए. पुलिस ने खून से सनी ईंट अपने कब्जे में ले ली. सूचना मिलने के बाद एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद और तत्कालीन एएसपी दीपक भूकर भी वहां आ गए. मृतक के घर वाले वहां मौजूद थे, मृतक की शिनाख्त हो चुकी थी. हत्यारे ने जिस तरह से शिवकुमार का सिर कुचला था, उसे देख कर लग रहा था कि हत्यारे की उस से कोई गहरी रंजिश रही होगी. मृतक के घर वालों और अन्य लोगों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने शिवकुमार का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पूछताछ में मृतक की पत्नी रीनू ने बताया कि उस के पति ने 2 लोगों से कर्ज ले रखा था. कर्ज न चुकाने की वजह से वे शिवकुमार को काफी तंग कर रहे थे. रीनू ने आरोप लगाया कि शायद उन्हीं लोगों ने उस के पति की हत्या की होगी.

जबकि मृतक के छोटे भाई राजकुमार ने हत्या का शक मृतक के साढ़ू कपिल उर्फ मोनू पर जताया. इतना ही नहीं, उस ने थाने पहुंच कर कपिल उर्फ मोनू के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करा दी. नामजद रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस ने काररवाई शुरू कर दी. संदिग्ध आरोपी कपिल मुरादाबाद शहर के ही लाइनपार इलाके के प्रकाशनगर में रहता था. पुलिस जब उस के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला. इस से उस पर पुलिस का शक बढ़ गया. कपिल से पूछताछ जरूरी थी, लिहाजा पुलिस ने उस की खोजबीन शुरू कर दी. थानाप्रभारी ने कपिल की तलाश में मुखबिर भी लगा दिए. इस का नतीजा यह निकला कि 23 जून, 2020 को एक मुखबिर से मिली सूचना के बाद पुलिस ने शिवकुमार के साढ़ू कपिल उर्फ मोनू को मुरादाबाद दिल्ली हाइवे पर स्थित बस स्टाप से  गिरफ्तार कर लिया. वह दिल्ली भागने की फिराक में था.

थाने ला कर कपिल से शिवकुमार की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई, तो उस ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि शिवकुमार की हत्या में उस की पत्नी रीनू भी शामिल थी. कपिल उर्फ मोनू से पूछताछ के बाद शिवकुमार की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी—

महानगर मुरादाबाद का एक मोहल्ला है सिरकोई भूड़. रामकुमार अपने परिवार के साथ इसी मोहल्ले में रहते थे. उन के परिवार  में 4 बेटियों के अलावा 2 बेटे थे. रामकुमार मुरादाबाद के जलकल विभाग में नलकूप औपरेटर थे. इस नौकरी से ही वह परिवार का पालनपोषण करते थे. उन्होंने सन 2007 में बड़े बेटे शिवकुमार की शादी मुरादाबाद जिले के ही  गांव मझरा निवासी नरेश कुमार की बेटी रीनू के साथ की थी. जैसेजैसे रामकुमार का रिटायरमेंट का समय नजदीक आता जा रहा था, वैसेवैसे उन की चिंता बढ़ती जा रही थी. वजह यह थी कि उन के दोनों बेटों में से कोई भी पढ़लिख कर काबिल नहीं बन सका था. करीब 2 साल पहले रामकुमार रिटायर हो गए, लेकिन इस से पहले उन्होंने नगर आयुक्त संजय चौहान से अनुरोध कर बड़े बेटे शिवकुमार को जलकल विभाग में संविदा के तौर पर नलकूप चालक की नौकरी दिलवा दी थी.

शिवकुमार की ड्यूटी उस के घर से कुछ ही दूर पर कांशीराम नगर में थी. उस का काम नलकूप चला कर पानी का टैंक भरने का था. बेटे की नौकरी लग जाने के बाद रामकुमार ने राहत की सांस ली. मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किए गए कांशीराम नगर के पास ही बुद्धा पार्क है. इस पार्क में सैकड़ों लोग घूमने आते हैं, जिस से सुबहशाम चहलपहल रहती है. इसी पार्क के बाहर कपिल उर्फ मोनू फास्टफूड का काउंटर लगाता था. वह शहर के लाइनपार स्थित प्रकाश नगर में रहता था. कपिल बहुत स्वादिष्ट फास्टफूड बनाता था, उस के पास ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी. शिवकुमार की पत्नी रीनू अकसर कपिल का फास्टफूड खाने जाती थी. कपिल बहुत बातूनी था. रीनू को भी उस से बात करना अच्छा लगता था. बातचीत के दौरान दोनों की दोस्ती हो गई.

इस के बाद कपिल रीनू के कहने पर उस के घर पर ही बर्गर, पिज्जा आदि देने के बहाने जाने लगा. दोनों जब फुरसत में होते तो फोन पर खूब बातें करते थे. बातचीत का दायरा बढ़ा तो दोनों का एकदूसरे की तरफ झुकाव हो गया, दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. रीनू यह भी भूल गई कि वह शादीशुदा ही नहीं, 4 बच्चों की मां भी है. वह जो कर रही है वह सही नहीं है. वह कपिल के आकर्षण में बंध चुकी थी. इस का नतीजा यह हुआ कि दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. रीनू का पति शिवकुमार अकसर रात की ड्यूटी करता था. उस के ड्यूटी चले जाने के बाद मीनू फोन कर के कपिल को अपने घर बुला लेती थी. उस के बाद दोनों अपनी हसरतें पूरी करते थे.

ढूंढ लिया स्थाई जुगाड़ पिछले करीब 2 साल से उन का यही सिलसिला चल रहा था. रीनू किसी भी तरह कपिल से दूर नहीं होना चाहती थी. इस के लिए उस ने एक योजना बनाई. इस योजना के तहत उस ने कपिल के सामने प्रस्ताव रखा कि यदि वह उस की छोटी बहन रिंकी से शादी कर ले तो इस रिश्ते की आड़ में उन के संबंध यूं ही बने रहेंगे और उन पर किसी को शक भी नहीं होगा. यह बात कपिल की समझ में आ गई. रीनू और कपिल ने अपने संबंधों को बनाए रखने के लिए योजना तो बना ली थी, लेकिन यह योजना शिवकुमार के बिना साकार नहीं हो सकती थी. लिहाजा एक दिन रीनू ने पति से कहा, ‘‘हम लोग काफी दिनों से रिंकी के लिए लड़का तलाश रहे हैं, लेकिन अभी तक कहीं कोई बात नहीं बनी. हम लोग बुद्धा पार्क के पास जिस कपिल के पास फास्टफूड खाने जाते हैं, वह मुझे सही लगा. तुम उस से बात कर के देखो.’’

शिवकुमार को पत्नी की चाल का पता नहीं था. उसे कपिल अच्छा लड़का नजर आया, क्योंकि वह अच्छा कमा रहा था. उस ने सोचा कि अगर रिंकी की शादी कपिल से हो जाएगी तो वह सुख से रहेगी. सोचविचार कर शिवकुमार ने कपिल के सामने अपनी साली रिंकी के साथ शादी का प्रस्ताव रखा. इस पर कपिल ने कहा कि पहले वह लड़की को देखेगा, उस के बाद ही कोई जवाब देगा. निर्धारित समय पर रीनू ने अपने घर पर ही लड़की दिखाने का प्रोग्राम निश्चित कर लिया. कपिल अपने घर वालों के साथ रीनू के घर पहुंचा. उन्होंने लड़की को पसंद कर लिया. आगे की बातचीत करने के बाद रिंकी से कपिल की शादी हो गई. यह करीब डेढ़ साल पहले की बात है. शिवकुमार ने साली की शादी में दिल खोल कर पैसा खर्च किया.

रिंकी से शादी हो जाने के बाद कपिल का रीनू के घर आनाजाना बढ़ गया. अब दोनों रिश्तेदार हो गए थे, इसलिए दोनों के रिश्ते पर किसी को शक नहीं हुआ. लेकिन गलत काम ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता. एक न एक दिन पोल खुल ही जाती है.कोरोना महामारी के बाद पूरे देश में लौकडाउन लग गया. लौकडाउन लगने के बाद कपिल का फास्टफूड का काउंटर भी बंद हो गया था. इस के बाद वह अकसर रीनू के घर पर ही पड़ा रहने लगा. शिवकुमार को शक हुआ कि वह उस के घर पर ही क्यों पड़ा रहता है. उस ने कपिल पर निगाह रखनी शुरू कर दी. अपनी पत्नी और कपिल के व्यवहार से शिवकुमार को शक हो गया कि दोनों के बीच जरूर कोई चक्कर चल रहा है.

शिवकुमार की नजरों में चढ़ा कपिल इस बारे में उस ने पत्नी से बात की तो रीनू ने उसे समझाया कि लौकडाउन में काम बंद पड़ा है, इसलिए कपिल यहां आ जाता है. लेकिन शिवकुमार पत्नी की इस बात से संतुष्ट नहीं हुआ. तब उस ने पत्नी के साथ सख्ती बरती. उस ने अपने साढ़ू कपिल से भी कह दिया कि वह घर न आया करे. पति की यह बात रीनू को बहुत बुरी लगी. वह कपिल के पक्ष में खड़ी हो गई. उस ने कहा कि जब ये हमारे रिश्तेदार हैं तो इन्हें आने से कैसे रोक सकते हैं. इस बात को ले कर शिवकुमार और कपिल के बीच कई बार झगड़ा हुआ. इस के बाद भी कपिल ने रीनू के पास आना बंद नहीं किया. शिवकुमार रात को जब अपनी ड्यूटी पर चला जाता, कपिल उस के घर पहुंच जाता था.

19-20 जून, 2020 की रात को करीब 12 बजे शिवकुमार अपनी ड्यूटी पर चला गया. पति के जाते ही मीनू ने फोन कर के कपिल को घर बुला लिया. इस के बाद दोनों अपनी हसरतें पूरी करने में जुट गए. उधर 3-4 घंटे में पानी का टैंक भरने के बाद शिवकुमार सुबह करीब 4 बजे घर लौट आया. दरवाजा खुलवाने के लिए उस ने रीनू को आवाज दी. लेकिन वह कपिल के साथ रंगरलियां मना रही थी. शिवकुमार की आवाज सुन कर दोनों हड़बड़ा गए. अपने कपड़े संभालती हुई रीनू दरवाजा खोलने आई. उस समय शिवकुमार शराब के नशे में था. उस ने कमरे में कपिल को देखा तो आगबबूला हो गया. उसे समझते देर न लगी कि कमरे में क्या हो रहा था.

गुस्से में आगबबूला शिवकुमार कपिल से भिड़ गया. रीनू उस का बचाव करने के लिए सामने आई, तो शिवकुमार ने पत्नी को भी गालियां दीं. शोरशराबा हुआ तो रीनू और कपिल को विश्वास हो गया कि अब उन की पोल खुल जाएगी. लिहाजा दोनों ने एकदूसरे की ओर देख कर आंखों ही आंखों में इशारा कर एक षडयंत्र रच लिया. फंस गया शिवकुमार इस षडयंत्र के तहत कपिल ने शिवकुमार को बिस्तर पर गिरा लिया और उस के सीने पर सवार हो गया. तभी रीनू ने तकिया उठा कर कपिल को दे दिया. कपिल ने तकिया शिवकुमार के मुंह पर रख कर जोरों से दबाया. रीनू ने पति के पैर दबा रखे थे. सांस घुटने से कुछ ही देर में शिवकुमार की मौत हो गई.

खुद को बचाने के लिए दोनों ने  शिवकुमार की लाश गली में डाल दी. वह कहीं जीवित न रह जाए, इसलिए कपिल ने गली में पड़ी एक ईंट से शिवकुमार के सिर को बुरी तरह से कुचल दिया. इस काम को अंजाम देने के बाद कपिल अपने घर चला गया. सुबह करीब 5 बजे जब शिवकुमार की मौसी वीरवती घर से सैर के लिए निकलीं, तब उन्होंने गली में शिवकुमार की लाश देखी. इस के बाद उन्होंने शोर मचा कर हत्या की जानकारी घर वालों को दी. कपिल से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने रीनू को भी गिरफ्तार कर लिया. रीनू ने भी पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने 23 जून,2020 को कपिल कुमार उर्फ मोनू और रीनू को शिवकुमार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Hardoi News : पत्नी से संबंध बना रहा था भाई, पति ने देखा तो कर दी हत्या

Hardoi News : एक कलंकित रिश्ता परिवार को बिखेर सकता है, अपने ही खून के हाथों खून करा सकता है. ऐसा ही कुछ…

शिवराज कुशवाहा जनपद हरदोई के गांव देहीचोर अंटवा में अपने परिवार के साथ रहते थे. काम था खेतीकिसानी का. परिवार में पत्नी कैलाशा देवी और 3 बेटे थे— अर्जुन, अमर सिंह और कैलाश. अर्जुन लखनऊ में एक ट्रैक्टर एजेंसी में काम करता था. अमर सिंह नोएडा की किसी फैक्टरी में कार्यरत था और कैलाश गांव में खेती करता था. शिवराज ने तीनों का विवाह कर के जमीन का बंटवारा कर दिया था. तीनों भाई परिवार के साथ अपनेअपने हिस्से में रहते थे. करीब 6 साल पहले अमर सिंह का विवाह विनीता से हुआ था. उस के 2 बच्चे थे. कैलाश की शादी 4 साल पहले कंचनलता से हुई थी. उस के 2 बच्चे थे.

घर से दूर नोएडा में रहने की वजह से अमर सिंह की पत्नी विनीता का गांव में मन नहीं लगता था. पति 2-3 महीने में घर का चक्कर लगाता था, फलस्वरूप विनीता पति से मिलने वाले सुख के लिए बेचैन रहती थी. काफी समय तक पति सुख से वंचित रहने के कारण उस का तन विद्रोह करने लगा था. विनीता का देवर कैलाश घर पर ही रहता था. जब वह उस से हंसीमजाक करता तो कभीकभी अपनी सीमाएं लांघ जाता था. विनीता समझ गई कि कैलाश भले ही शादीशुदा है, लेकिन उसे शायद घर की दाल में मजा नहीं आ रहा, इसलिए वह बाहर की बिरयानी खाने की जुगत में है. इसी वजह से वह उस पर डोरे डालने की कोशिश कर रहा है.

कैलाश भी जानता था कि उस का बड़ा भाई अमर सिंह बाहर रहता है, इसलिए उस की भाभी प्यासी मछली की तरह तड़पती होंगी. वह अपनी भाभी को अपने आगोश में लेने के लिए सारे जतन कर रहा था.  विनीता भी उस की मंशा भांप कर खुश थी. क्योंकि उस प्यासी के लिए तो कुआं घर में ही मौजूद था, बाहर तलाशने की जरूरत नहीं थी. दोनों ही एकदूसरे में समाने को आतुर हुए तो विनीता ने मिलन का रास्ता भी\ बना लिया. एक दिन दोपहर के समय विनीता चारपाई पर लेटी थी तभी कैलाश वहां आ गया. उसे देख कर विनीता पैरों में दर्द का बहाना कर के कराहने लगी. उस ने साड़ी को घुटने तक खींच लिया. कैलाश ने उस की हालत देखी तो बोला, ‘‘क्या हुआ भाभी, ऐसे कराह क्यों रही हो?’’

‘‘क्या बताऊं…पैरों में बड़ी जोर से दर्द हो रहा है.’’ विनीता अपने हाथ से दायां पैर दबाने की कोशिश करती हुई बोली.

‘‘अरे आप क्यों परेशान हो रही हैं, मैं दबा देता हूं पैर.’’ कह कर कैलाश उस के नग्न पैरों को अपने हाथों से दबाने लगा. इस पर विनीता उस को तेल की शीशी देते हुए बोली, ‘‘इस तेल से मालिश कर दो, कुछ आराम मिल जाएगा.’’

कैलाश ने उस के हाथों से तेल की शीशी ले कर थोड़ा तेल निकाला और भाभी के पैरों की मालिश करने लगा. पराए मर्द के हाथों के स्पर्श से विनीता के तन में चिंगारियां फूटने लगीं. तनबदन मचल उठा. जैसेजैसे कैलाश मालिश कर रहा था, विनीता साड़ी को थोड़ाथोड़ा ऊपर खींचते हुए मालिश करने को कहती गई, ‘‘थोड़ा और ऊपर मालिश कर दो. जैसेजैसे मालिश कर रहे हो, दर्द नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा है.’’ मस्ती से सराबोर हो कर विनीता ने कहा. इस के बाद उस ने साड़ी को कूल्हों तक खींच लिया.

कैलाश कोई नादान नहीं था. वह भाभी की मंशा समझ गया और मालिश करतेकरते अपना नियंत्रण खोने लगा. उस के हाथ आगे बढ़ते गए. अंतत: विनीता ने उसे अपने ऊपर खींच लिया. उस के बाद उन के बीच की सारी दूरियां खत्म हो गईं और उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. इस के बाद दोनों के बीच संबंधों का यह सिलसिला चलने लगा. लेकिन ऐसे संबंध एक न एक दिन उजागर हो ही जाते हैं. अमर सिंह को अपनी पत्नी व भाई के बीच के नाजायज संबंधों का पता चल गया तो वह गांव आ गया. उस ने गुस्से में विनीता को तो जम कर पीटा ही, कैलाश के साथ भी मारपीट की. विनीता और बच्चों को वह अपने साथ नोएडा ले गया.

विनीता के चले जाने के बाद कैलाश भी काम के सिलसिले में हैदराबाद चला गया. कैलाश की पत्नी कंचनलता 2 बच्चों के साथ घर पर रह रही थी. कंचनलता को घर में अकेले देख कर कैलाश का चचेरा भाई रमाकांत उस के पास आने लगा. रमाकांत पड़ोस में ही रहता था और अविवाहित था. उस की चाय समोसे की दुकान थी. कंचनलता की कंचन काया छरहरी थी. रमाकांत उस पर आसक्त हो गया. 2 बच्चों की मां कंचनलता अपने हुस्न से तमाम लड़कियों को मात दे सकती थी. खूबसूरत हुस्न की मालकिन कंचन पति कैलाश के बिना मुरझाईमुरझाई सी रहने लगी. वह हंसती तो लगता जैसे दिखावटी हंसी हंस रही हो. रमाकांत उस के मुरझाने का कारण बखूबी समझता था. इसलिए रमाकांत उस के पास जाता तो उसे हंसाने की कोशिश करता. कंचनलता को भी उस की बातें अच्छी लगती थीं. वह उस से घुलनेमिलने लगी.

एक दिन बातोंबातों में रमाकांत कंचनलता के दर्द को अपनी जुबां पर ले आया, ‘‘भाभी, मैं देख रहा हूं कि जब से कैलाश भैया गए हैं, तब से आप उदास सी रहने लगी हो.’’

‘‘तो क्या करूं, उन के जाने पर नाचूं या हंसू?’’ कंचनलता ने बड़ी कड़वाहट से जवाब दिया.

‘‘आप को भी उन के साथ चले जाना चाहिए था, आखिर आप की भी अपनी कुछ जरूरतें और इच्छाएं हैं.’’

‘‘उन को मेरी चिंता ही कहां है.’’ वह बुझे मन से बोली.

‘‘जब उन्हें आप की चिंता नहीं है तो आप भी अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जिओ. आप को भी पूरी आजादी है, मैं आप का हर तरह से साथ देने को तैयार हूं.’’ रमाकांत बोला. यह सुन कर कंचनलता मुसकराई और अपनी नजरें झुका लीं. रमाकांत ने अपने दाएं हाथ से कंचनलता की ठोढ़ी पकड़ कर चेहरा ऊपर उठाया और उस की आंखों में देखा. इस पर कंचनलता कुछ देर यूं ही उस की आंखों में देखती रही. फिर उस के अंदाज की कायल हो कर उस से लिपट गई. रमाकांत ने भी कंचनलता को अपनी बांहों में भर लिया. फिर उन के बीच की सारी मर्यादाएं टूट गईं, दोनों के जिस्म एक हो गए. उन के बीच यह खेल निरंतर खेला जाने लगा.

देश में लौकडाउन हुआ तो अमर सिंह को सपरिवार नोएडा से गांव आना पड़ा. कैलाश भी हैदराबाद से गांव वापस लौट आया. सभी के घर आ जाने के बाद कैलाश और विनीता ने मौका मिलने पर फिर से संबंध बनाने शुरू कर दिए. कैलाश रोज रात में 11 बजे गर्रा नदी किनारे अपने मक्का के खेत की रखवाली के लिए चला जाता था और सुबह 4 बजे घर लौटता था. लेकिन 22 अगस्त, 2020 की सुबह कैलाश काफी देर तक घर नहीं लौटा तो कंचनलता उसे बुलाने खेतों पर गई. वहां खेत में उसे पति की लाश पड़ी मिली. उस ने रोतेपीटते घर वालों को घटना की सूचना दी. कुछ ही देर में घर वाले और गांव के लोग वहां एकत्र हो गए.

कैलाश के दोनों भाई भी वहां पहुंच गए थे. वह समझ नहीं पा रहे थे कि कैलाश की हत्या किस ने कर दी. भाई अमर सिंह ने सांडी थाना पुलिस को घटना की सूचना दी. सूचना पा कर इंसपेक्टर अखिलेश यादव पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. थाने से रवाना होते समय उन्होंने उच्चाधिकारियों को घटना की सूचना दे दी थी. घटनास्थल पर पहुंच कर इंसपेक्टर यादव ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक के सिर व हाथों पर किसी तेज धारदार हथियार के घाव थे. आसपास का निरीक्षण करने पर उन्हें कोई सुबूत हाथ नहीं लगा. उन्होंने कंचनलता, अमर सिंह व अन्य घरवालों से आवश्यक पूछताछ की. इसी बीच एएसपी (पूर्वी) अनिल सिंह यादव और सीओ बिलग्राम एस.आर. कुशवाहा भी मौके पर पहुंच गए. उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, उस के बाद उन्होंने मृतक के घर वालों से पूछताछ की. फिर इंसपेक्टर अखिलेश यादव को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर चले गए.

घटनास्थल की जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद इंसपेक्टर यादव ने लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल स्थित मोर्चरी भेज दी और अमर सिंह को साथ ले कर थाने लौट गए. थाने पहुंच कर उन्होंने अमर सिंह की तरफ से अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. इंसपेक्टर यादव ने केस की जांच शुरू की. घर वालों ने मामला जमीनी रंजिश का बताया था, लेकिन वैसा लग नहीं रहा था. गांव वालों व पड़ोसियों से पूछताछ के बाद घटना की वजह कुछ और ही नजर आ रही थी. इंसपेक्टर यादव ने कैलाश के घर आनेजाने वालों व घर के बराबर में रहने वाले कैलाश के भाईबंधुओं के बारे में पता किया, तब उन्हें पता चला कि लाश मिलने के एक दिन पहले रात में अमर सिंह और उस के चचेरे भाई रमाकांत को एक साथ गांव के बाहर जाते देखा गया था.

यह भी पता चला कि रमाकांत कैलाश की गैरमौजूदगी में उस के घर में ही घुसा रहता था. कैलाश के संबंध अमर सिंह की पत्नी से थे, जिस की वजह से अमर सिंह पत्नी को नोएडा ले गया था. यह महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर यादव ने अमर सिंह और रमाकांत को 30/31 अगस्त की रात करीब ढाई बजे गांव बरोलिया के मंदिर के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब दोनों से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया और हत्या के पीछे की पूरी कहानी बयां कर दी. लौकडाउन में घर वापस आने के बाद कैलाश और विनीता में फिर से संबंध बनने लगे तो यह बात छिप न सकी. अमर सिंह को भी यह जानकारी मिल चुकी थी. अमर सिंह गुस्से से आगबबूला हो उठा.

उस ने अपने छोटे भाई कैलाश को काफी समझाया, पर उन दोनों पर उस के समझाने का कोई असर नहीं पड़ा. कैलाश बड़े भाई की बात मानने को तैयार नहीं था. ऐसे में अमर सिंह ने उसे मौत की नींद सुलाने का फैसला कर लिया. एक बार अमर सिंह ने चचेरे भाई रमाकांत को कैलाश की पत्नी कंचनलता से संबंध बनाते देख लिया था. तब रमाकांत ने अमर सिंह से माफी मांग ली थी और अमर सिंह भी चुप हो गया. अमर सिंह को कैलाश की हत्या में साथ देने के लिए एक साथी की जरूरत थी. वह साथी उसे रमाकांत के रूप में मिल गया. अमर सिंह ने भाई कैलाश की हत्या में रमाकांत से मदद मांगी तो वह मना करने लगा. इस पर अमर सिंह ने कहा कि उन दोनों के रास्ते का कांटा एक ही है. वह उसे इसलिए मारना चाहता है क्योंकि वह उस की पत्नी से संबंध बना कर उस का घर खराब कर रहा है. कैलाश के रास्ते से हटने पर उस का रास्ता साफ हो जाएगा, फिर वह बेरोकटोक कंचनलता से मिल सकेगा.

अमर सिंह की बात रमाकांत के भेजे में घुस गई और रमाकांत अमर सिंह का साथ देने को तैयार हो गया. 21 अगस्त, 2020 की रात 11 बजे कैलाश अपने मक्के की फसल की रखवाली के लिए घर से निकल गया. योजनानुसार रात साढे़ 12 बजे के करीब अमर सिंह और रमाकांत घर से निकले. दोनों अपने साथ एक कुल्हाड़ी भी लाए थे. दोनों खेत पर पहुंचे तो कैलाश को गहरी नींद में सोते पाया. यह देख अमर सिंह ने कुल्हाड़ी से उस के सिर पर वार किया. इस के बाद उस ने कई वार किए. रमाकांत ने भी उस से कुल्हाड़ी ले कर उस पर कई वार किए.

लहूलुहान कैलाश चारपाई से नीचे गिर गया. लेकिन कुल्हाड़ी के अनगिनत वारों के कारण कैलाश की सांसें ज्यादा देर तक चल न सकीं और उस की मौत हो गई. उसे मौत के घाट उतारने के बाद उन्होंने अपने खून सने कपड़े उतारे और दूसरे कपड़े पहन कर रक्तरंजित कपड़ों और कुल्हाड़ी को एक जगह छिपा दिया और घर वापस लौट आए. लेकिन गुनाह छिप न सका और वे पकड़े गए. उन की निशानदेही पर पुलिस ने कुल्हाड़ी और खून से सने कपड़े बरामद कर लिए. फिर कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के दोनोें को सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया, वहां से उन्हें जेल दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Aligarh News : 37 सेकेंड में चोर ले उड़े 35 लाख की जूलरी

Aligarh News :  लुटेरों ने सुंदर ज्वैलर्स शोरूम में 37 सेकेंड में 35 लाख की जूलरी लूट ली और फरार हो गए. अलीगढ़ पुलिस तो इस में कुछ नहीं कर पाई, लेकिन घटना के 6 दिन बाद नोएडा पुलिस ने तीनों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया. लेकिन तब तक 35 लाख में से 6 लाख की ही जूलरी बची थी. आखिर 6 दिन में 29 लाख की…

यूंतो ज्यादातर दुकानदार कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हैं, लेकिन बड़े दुकानदार खासकर शोरूम मालिक अपने और ग्राहकों के नजरिए से नियमों का पूरा पालन करते हैं. इस से ग्राहकों पर भी अच्छा इंप्रेशन पड़ता है. इसी के मद्देनजर सुंदर ज्वैलर्स के मालिक सुंदर वर्मा ने यह जिम्मेदारी गेट के पास बैठने वाले सेल्समैन को सौंप रखी थी. कोई भी ग्राहक आता तो सेल्समैन सेनेटाइजर की बोतल उठा कर पहले उसके हाथ सेनेटाइज कराता, फिर वेलकम के साथ अंदर जाने को कहता. उस दिन शोरूम में जूलरी खरीदने वाले 2-3 ग्राहक मौजूद थे. तभी मास्क लगाए 2 युवकों ने शोरूम में प्रवेश किया. गेट के पास काउंटर पर बैठे सेल्समैन ने सेनेटाइजर से दोनों के हाथ सेनेटाइज कराए. तभी दोनों युवकों ने अपनीअपनी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर तमंचे निकाल लिए. उसी वक्त उन का तीसरा साथी अंदर आ गया.

यह देख शोरूम में मौजूद सभी लोग दहशत में आ गए. एक युवक ने तमंचा तानते हुए काउंटर पर रखा जूलरी बौक्स उठा लिया. इतना ही नहीं, सुंदर वर्मा के बेटे यश को तमंचे के निशाने पर ले कर वह काउंटर लांघ कर तिजोरी के पास पहुंच गया. तिजोरी में कीमती जेवर रखे हुए थे. तिजोरी से जेवरों के डिब्बे, नकदी निकाल कर वह अपने साथी को देने लगा. साथी लुटेरे के पास बैग था, वह जेवर बैग में भरता रहा. इस काम में उस का तीसरा साथी भी मदद कर रहा था. बैग को जेवरों के डिब्बों और नकदी से भर कर वे तीनों तमंचे लहराते हुए शोरूम से बाहर निकल गए. यह सारा काम महज 37 सेकेंड में निपट गया. शोरूम के बाहर लुटेरों की मोटरसाइकिल खड़ी थी. तीनों बाइक पर बैठ कर भाग निकले. यह 11 सितंबर, 2020 की बात है.

लुटेरों ने शोरूम में प्रवेश कर के जब अपने हाथ सैनेटाइज किए, तभी उन के हावभाव से खतरे की आशंका भांप कर शोरूम मालिक सुंदर वर्मा फुरती से शोरूम के पिछले गेट से बाहर निकल कर पीछे बने जीने से छत पर चढ़ गए थे. ऊपर जा कर वह चोरचोर चिल्लाते हुए शोर मचाने लगे. इसी बीच लुटेरे लूट की घटना को अंजाम दे कर शोरूम से भाग निकले. सुंदर वर्मा के शोर मचाने पर आसपास के दुकानदारों और सड़क पर आतेजाते लोगों का ध्यान उन की तरफ गया, लेकिन बदमाशों के हाथों में हथियार देख कर लोग दहशत में आ गए. किसी ने भी बदमाशों को रोकने या टोकने की हिम्मत नहीं दिखाई. लुटेरे खैर रोड की ओर भाग गए. दिनदहाड़े जूलरी शोरूम में हुई लूट की जानकारी होते ही आसपास के दुकानदारों में सनसनी फैल गई.

घटना की खबर मिलने पर आईजी पीयूष मोर्डिया, एसएसपी मुनिराज, एसपी (सिटी) अभिषेक, थाना बन्नादेवी के प्रभारी निरीक्षक रविंद्र दुबे, एसओजी और सर्विलांस टीमें शोरूम पर पहुंच गईं. पुलिस अधिकारियों ने शोरूम मालिक सुंदर वर्मा से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. पुलिस पूछताछ में सुंदर वर्मा से पता चला कि 37 सेकेंड की लूट में लुटेरों ने लगभग 35 लाख की जूलरी और 50 हजार की नकदी लूट ली थी. शोरूम में मौजूद महिला ग्राहक ने लुटेरों की नजरों से बचा कर अपना बैग पीछे छिपा कर बचा लिया था. एक पुरुष ग्राहक काउंटर पर जिस बौक्स में जूलरी देख रहा था, लुटेरे ने उस बौक्स को खींच कर बैग में डाल लिया था.

इस दौरान शोरूम के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए थे. सुंदर वर्मा ने एसएसपी पर बिफर कर गुस्से का इजहार किया. उन्होंने कहा कि 4 साल पहले भी उन के शोरूम पर लूट हुई थी. आज तक न तो माल मिला और न ही लुटेरे पकड़े गए. इस पर इलाके के लोग भी सुंदर वर्मा के समर्थन में आ गए. दिनदहाड़े हुई इस लूट पर सभी ने नाराजगी जताई. एसएसपी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि संयम रखें. इलाके में पुलिस का विश्वास कायम होगा. इस में कुछ समय जरूर लग सकता है, लेकिन इस बार आप को लगेगा कि पुलिस आप के साथ है. बहरहाल, सुंदर वर्मा की तहरीर पर 3 अज्ञात लुटेरों के विरुद्ध लूट का मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जिस में 50 हजार रुपए नकदी और करीब 35 लाख रुपए मूल्य के आभूषण लूटने की बात कही गई.

खाली हाथ ही रही पुलिस घटना के बाद जांच में जुटी पुलिस टीमों ने खैर रोड के सीसीटीवी देखे तो तीनों बदमाश नादा चौराहे से पहले गोमती गार्डन गेस्टहाउस की ओर जाते दिखे. बाद में उन के खैर रोड पर भागने का पता चला. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि बदमाश खैर या खोड़ा क्षेत्र के रहे होंगे. इस को आधार बना कर पुलिस ने अपना ध्यान इसी क्षेत्र के बदमाशों पर लगाया. शोरूम के सीसीटीवी में पूरी घटना रिकौर्ड हुई थी. वहां से जो फुटेज मिले, वे बिलकुल साफ थे, उस से तीनों बदमाशों को पहचाना जा सकता था. इसलिए पुलिस ने उसी फुटेज से बदमाशों के फोटो निकलवा कर जारी कर दिए गए. इस के साथ ही लोगों को बदमाशों का हुलिया बता कर जानकारी जुटाने का प्रयास किया जाने लगा.

ज्वैलरी शोरूम में दिनदहाड़े लूट को अंजाम देने वाले तीनों लुटेरे बेशक मास्क पहने थे, लेकिन उन के चेहरे और कदकाठी सीसीटीवी में कैद हो गई थी, जिसे पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था. एसएसपी मुनिराज की ओर से लोगों से अपील की गई कि जो भी लुटेरों के बारे में जानकारी देगा, उस का नाम गुप्त रखा जाएगा, साथ में पुलिस स्तर से उसे पुरस्कार भी दिया जाएगा. लूट के खुलासे के लिए पुलिस ने एड़ीचोटी का जोर लगा दिया था. इस के साथ ही एसएसपी ने पुलिस पैट्रोलिंग में लापरवाही को ले कर इंसपेक्टर रविंद्र दुबे को निलंबित कर दिया. लूट के दूसरे दिन यानी शनिवार को एडीजी (जोन) अजय आनंद भी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने सुंदर वर्मा से पूरी घटना के बारे में बारीकी से जानकारी ली.

इस लूटकांड के लिए इंसपेक्टर बन्नादेवी को निलंबित किए जाने के बाद से जांच टीम से थाना पुलिस को अलग कर दिया गया था. एसपी (सिटी) अभिषेक और एसपी (क्राइम) के नेतृत्व में एसओजी, सर्विलांस के अलावा इंस्पेक्टर क्वार्सी छोटेलाल व एसओ (जवां) अभय कुमार की टीमें जांच में लगाई गईं. बदमाशों की कदकाठी, बालों के स्टाइल से एक सवाल यह भी खड़ा हुआ कि बदमाश कहीं पुलिस मैडीकल में शामिल होने तो नहीं आए थे. इस बात की तस्दीक करने के लिए एक टीम ने पुलिस लाइन मेडीकल बोर्ड कक्ष के अंदर व बाहर लगे सीसीटीवी चैक कर के बदमाशों के हुलिया का मिलान किया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.

इस लूटकांड की जांच में जुटी पुलिस को अब तक की जांच में कई चौंकाने वाले सुराग हाथ लगे. इन में सब से खास यह था कि घटना के समय शोरूम में मौजूद 3 ग्राहकों में जहां एक दंपति थे, वहीं एक पुरुष ग्राहक पेशेवर लुटेरा भी था, जो अपने गिरवी जेवर छुड़ाने के लिए पहुंचा था. हालांकि ज्वैलर ने उसे पुलिस के सामने क्लीन चिट दे दी थी कि वह पुराना कस्टमर है. मगर पुलिस ने उस से भी व्यापक पूछताछ की. वह मूलरूप से खैर क्षेत्र का रहने वाला था, जो थाना बन्नादेवी क्षेत्र में आता था. वह पहले भी देहली गेट की एक लूट में जेल गया था. पुलिस ने उस से पूछताछ की. कुछ हाथ नहीं लगा तो उसे छोड़ दिया गया. घटना के समय शोरूम में मौजूद ग्राहक दंपति नगला कलार के रहने वाले थे, वे भी पुराने ग्राहक थे. बदमाशों के भागते समय कुछ जेवर शोरूम के फर्श पर गिर गए थे, उन्हें महिला ने बटोर कर अपने कपड़ों में छिपा लिया था. यह दृश्य सीसीटीवी में कैद हो गया था.

पुलिस ने दंपति को पूछताछ के लिए बुला लिया. पहले तो महिला ने जेवर बटोरेने की बात से इनकार किया. लेकिन जब सीसीटीवी में घटना रिकौर्ड होने की बात बताई गई तो महिला डर गई. उस ने चुपचाप जेवर वापस कर दिए. नहीं जुड़ी टूटीफूटी कडि़यां 35 लाख के जेवरात की लूट में अभी कोई लुटेरा पुलिस के हाथ नहीं लगा था. जबकि पुलिस दावा कर रही थी कि वह लूट के खुलासे के करीब है. शिनाख्त के बाद पुलिस लूट और लुटेरों की कडि़यां जोड़ रही थी. पुलिस टीमें लुटेरों की धरपकड़ के लिए एड़ीचोटी का जोर लगाए हुए थीं. उम्मीद की जा रही थी कि जल्द ही पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगेगी. एक पुलिस टीम यह पता लगाने में जुटी थी कि लुटेरे किस की मुखबिरी से लूट करने आए थे. लूट के बाद कहां गए और उन्होंने लूटा हुआ माल कहां गलाया या छिपाया.

पुलिस ने उस बदमाश को भी क्लीनचिट नहीं दी थी जो मौके पर अपने गिरवी जेवरात छुड़ाने पहुंचा था. इसी बीच अचानक कुछ ऐसा हुआ कि अलीगढ़ पुलिस हैरान रह गई. 16 सितंबर बुधवार की शाम नोएडा पुलिस ने मुठभेड़ के बाद अलीगढ़ के एक ज्वैलर के यहां लूट करने वाले 3 लुटेरों को सेक्टर 38ए स्थित जीआईपी मौल के पास से गिरफ्तार कर लिया. मुठभेड़ के दौरान तीनों बदमाशों को पैर में गोली लगी. कोतवाली सेक्टर-39 पुलिस ने तीनों घायल लुटेरों को अस्पताल में भरती कराया. पुलिस ने उन से सुंदर ज्वैलर्स शोरूम से लूटी गई 35 लाख की जूलरी में से लगभग 6 लाख की जूलरी, एक मोटरसाइकिल और 3 तंमचे, जिंदा कारतूस व खोखे बरामद किए.

गिरफ्तार बदमाशों की पहचान अलीगढ़ के गांव सोफा खेड़ा निवासी सौरव कालिया, रोहित और मोहित के रूप में हुई. पूछताछ में तीनों ने सुंदर ज्वैलर्स शोरूम में दिनदहाड़े लूट करने का जुर्म कबूल करते हुए जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

इन बदमाशों ने सुंदर ज्वैलर्स को लूटने की योजना फरवरी महीने में ही बना ली थी. तीनों बदमाश नोएडा की एक नामचीन पान मसाला बनाने वाली फैक्टरी में नौकरी करते थे और गाहेबगाहे अपराधों को भी अंजाम देते थे. तीनों बदमाशों में से एक का चाचा अलीगड़ में खैर रोड स्थित नादा पुल के पास रहता था. बदमाश अकसर उस के पास आया करते थे. इसी दौरान इन की नजर खैर रोड स्थित सुंदर ज्वैलर्स के शोरूम पर पड़ी. फरवरी में तीनों बदमाश सुंदर ज्वैलर्स शोरूम के सामने से हो कर गुजरे थे. लूट को अंजाम देने से पहले इन बदमाशों ने शोरूम की लोकेशन देखने के साथ आसपास के पूरे इलाके की रेकी की थी.

वारदात को अंजाम देने के बाद इन्हें वापसी के लिए यह शोरूम सब से सही लगा था, लेकिन फरवरी महीने के बाद लौकडाउन लगने से ये लोग लूट को अंजाम नहीं दे पाए. इस के बाद लौकडाउन में तीनों की नौकरी चली गई. पैसों की जरूरत महसूस हुई तो तीनों को एक बार फिर खैर रोड स्थित सुंदर ज्वैलर्स के शोरूम की याद आई और फिर मौका मिलते ही इन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया. ज्वैलर लूटकांड में शामिल लुटेरे पेशेवर अपराधी हैं. खास बात यह है कि ये लोग उत्तर प्रदेश में पहली बार पकड़े गए हैं. इस से पहले इन की गिरफ्तारी गुरुग्राम में हुई थी. वहां से जमानत पर छूटने के बाद तीनों गाजियाबाद के खोड़ा में जा कर रहने लगे थे. ये लोग वहीं से इधरउधर अपराध करने जाते थे.

चूंकि तीनों बदमाश पान मसाला फैक्टरी में नौकरी करते थे, इसलिए गांव के आसपास के ज्यादा लोगों को इन पर शक नहीं होता था. बाद में जब इन के कारनामे उजागर हुए तो लोग हैरान रह गए. 11 सितंबर को अलीगढ़ स्थित जूलरी शोरूम में लूट की घटना को अंजाम के बाद तीनों मोटरसाइकिल पर सवार हो कर फरार हो गए थे. घटना के बाद ये लोग फरीदाबाद में छिप गए. मुठभेड़ वाले दिन तीनों लुटेरे मोटरसाइकिल से खोड़ा में किराए पर लिए कमरे पर जा रहे थे. पुलिस ने जब खोड़ा स्थित इन बदमाशों के कमरे की तलाशी ली तो वैसे ही कपड़े मिले जैसे एक बदमाश घटना के समय पहने था, जो सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहे थे.

लौकडाउन में आई याद ज्वैलरी शोरूम की सुंदर ज्वैलर्स के शोरूम पर लूट करने वाले तीनों बदमाशों ने एक साल पहले 12 अक्टूबर, 2019 को अपने गांव सोफा खेड़ा की प्रधान शांतिदेवी के 53 वर्षीय पति कालीचरण की गोली मार कर हत्या कर दी थी. कालीचरण की हत्या इन्होंने सुपारी ले कर की थी. कालीचरण पर गांव के ही हरिओम की हत्या का आरोप था. हरिओम का बेटा अमन जो जेल में है, ने इन तीनों लुटेरों को सुपारी दे कर कालीचरण की हत्या कराई थी. इस के बाद से ये तीनों गांव से फरार थे. तीनों बदमाशों का अपराधों से गहरा संबंध रहा है. इन का गिरोह अलीगढ़ जनपद में डी श्रेणी में सौरभ गैंग के रूप में दर्ज है. अलीगढ़ के अलावा दिल्ली एनसीआर क्षेत्र, गुरुग्राम, नोएडा, सिकंदराराऊ, अतरौली और खैर आदि में भी इन पर संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं.

इन में सौरव कालिया पर 7, रोहित पर 8 तथा मोहित पर 9 मुकदमे लूट, चोरी, धमकी देने, आर्म्स एक्ट, हत्या और हत्या के प्रयास के मुकदमे दर्ज हैं. सौरव और मोहित पर गैंगस्टर एक्ट में काररवाई भी हो चुकी है. लौकडाउन में भी गुरुग्राम की पुलिस खैर स्थित सोफा खेड़ा में इन बदमाशों के घर पहुंची थी और कुर्की नोटिस चस्पा कर गई थी. बन्नादेवी पुलिस ने न्यायालय में बी वारंट के लिए आवेदन किया था, जिस पर न्यायालय ने तीनों आरोपियों को अलीगढ़ न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया. नोएडा पुलिस ने 21 सितंबर को बी वारंट पर तीनों को अलीगढ़ न्यायालय में पेश किया. अदालत ने इन तीनों को लूट के मुकदमे में अभिरक्षा में जिला कारागार भेज दिया.

पकड़े गए बदमाशों की आजीविका का मुख्य आधार लूटपाट ही था. लूटपाट कर के ये लोग उस पैसे को अपने शौक और ऐशोआराम पर खर्च करते थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Uttar Pradesh News : नईनवेली दुलहन प्रगति ने दी पति की मौत की सुपारी

Uttar Pradesh News : प्रगति की बड़ी बहन पारुल की शादी एक करोड़पति परिवार में हुई थी. फिर प्रगति ने भी बहन के 21 वर्षीय देवर दिलीप यादव को अपने प्यार के जाल में फांस कर उस से शादी कर ली. शादी के 2 हफ्ते बाद ही ऐसा क्या हुआ कि 19 वर्षीय नईनवेली दुलहन प्रगति ने मुंहदिखाई में मिले पैसों से सुपारी दे कर पति की हत्या करा दी?

शादी के बाद 5 दिन ससुराल में रह कर प्रगति यादव अपने मायके आ गई. उस का भाई आलोक चौथी चला कर ससुराल से उसे लाया था. वह ससुराल से आई तो बेहद खुश थी. ससुराल से कोई शिकायत भी नहीं आई थी, इसलिए प्रगति के फेमिली वाले भी खुश थे. लेकिन प्रगति के दिमाग में क्या बवंडर चल रहा है, उस की खुशी में कितना जहर घुला है, इस का अंदाजा फेमिली वाले नहीं लगा सके. मायके आने के दूसरे रोज ही प्रगति ने अपने प्रेमी अनुराग उर्फ मनुज से मोबाइल फोन पर बात की और उसे मिलने के लिए औरैया हाइवे स्थित होटल बांकेबिहारी बुलाया. कुछ ही देर बाद अनुराग होटल पहुंच गया. वहां प्रगति उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. होटल में बैठ कर उन के बीच बातचीत शुरू हुई.

प्रगति बोली, ”मनुज, प्लान के मुताबिक मैं ने दिलीप से शादी कर ली और उस की दुलहन बन गई. किसी को शक न हो, इसलिए सुहागरात को भी किसी तरह का विरोध नहीं किया. हालांकि सुहाग सेज पर मुझे तुम्हारी याद सताती रही, लेकिन अब मैं अधिक दिनों तक इंतजार नहीं कर सकती. आगे का प्लान क्या है?’’

अनुराग उर्फ मनुज प्रगति का हाथ अपने हाथ में लेता हुआ बोला, ”प्रगति, तुम चिंता मत करो. तुम्हारे पति दिलीप को ठिकाने लगाने के लिए मैं ने अपने मौसेरे भाई दुर्लभ के जरिए सुपारी किलर को खोज लिया है, लेकिन समस्या रुपयों की है?’’

”रुपयों की चिंता तुम मत करो. उस का इंतजाम हो गया है. मुंहदिखाई रस्म में दिलीप के घरवालों और रिश्तेदारों ने लगभग 70 हजार रुपए मुझे दिए हैं. इस के अलावा 30 हजार रुपए दिलीप ने मुझे खर्च के लिए दिए हैं. इस तरह मेरे पास एक लाख रुपया नकद और 8 लाख रुपए कीमत के गहने हैं. तुम सुपारी किलर को बुला लो. आमनेसामने बैठ कर पति की मौत का सौदा हो जाएगा.’’

इस के बाद अनुराग उर्फ मनुज ने दुर्लभ यादव के माध्यम से औरैया जिले के थाना अछल्दा के गांव रामनगर निवासी कुख्यात अपराधी रामजी नागर उर्फ चौधरी से बात की. वह होली के 2 दिन पहले ही जेल से छूट कर आया था. उसे पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए वह सुपारी लेने को राजी हो गया था. 17 मार्च, 2025 को अनुराग व प्रगति फिर से होटल बांकेबिहारी पहुंचे. वहां अनुराग ने दुर्लभ के माध्यम से सुपारी किलर रामजी नागर उर्फ चौधरी को भी बुलवा लिया. फिर आमनेसामने बैठ कर प्रगति ने पति की हत्या का सौदा तय करना शुरू किया.

रामजी नागर ने 3 लाख रुपए मांगे, लेकिन प्रगति अधिक रकम की बात कह कर राजी नहीं हुई. बाद में दुर्लभ के माध्यम से दिलीप की मौत का सौदा 2 लाख रुपए में तय हो गया. एडवांस के तौर पर प्रगति ने एक लाख रुपया नकद सुपारी किलर रामजी नागर को दे दिए तथा शेष काम होने के बाद देने का वादा किया. पति की मौत की सुपारी देने के बाद प्रगति पति दिलीप से रसभरी मीठीमीठी बातें करने लगी. कभी काल कर तो कभी वीडियो कालिंग के जरिए बात करती. दिलीप भी नईनवेली पत्नी की बातों में खूब दिलचस्पी लेता. दिलीप को महसूस नहीं हुआ कि पत्नी का प्यार छलावा है. उस की रसभरी बातों में जहर भरा है.

19 मार्च, 2025 की सुबह 10 बजे प्रगति ने दिलीप से मोबाइल फोन पर बात की तो उस ने बताया कि वह इस समय कन्नौज के उमर्दा कस्बे में है. पुल निर्माण का काम चल रहा है. वह भी हाइड्रा (क्रेन) ले कर आया था. उस का काम आज खत्म हो गया है. कुछ देर बाद वह घर के लिए निकलने वाला है.

हत्या होने तक किलर के संपर्क में रही प्रगति

प्रगति ने तत्काल इस की सूचना अपने प्रेमी अनुराग को दी. अनुराग ने सुपारी किलर रामजी नागर को सूचित किया. रामजी नागर अपने 2 साथियों शिवम व दुर्लभ के साथ बाइक से बेला चौराहे पर पहुंच गया. दोपहर लगभग डेढ़ बजे दिलीप ने बेला चौराहा पार किया और दिबियापुर की ओर रवाना हुआ. तभी रामजी नागर व उस के 2 साथियों शिवम और दुर्लभ ने उस का पीछा किया. पटना नहर पुल के आगे पहुंचने पर एक ढाबे पर खाना खाने के लिए दिलीप रुका. पीछे से रामजी नागर भी आ गया. खाना खाते समय दिलीप ने अपने बड़े भाई संदीप को फोन किया कि वह हाइड्रा (क्रेन) ले कर वापस आ रहा है. पटना नहर पुल के पास स्थित ढाबे पर खाना खा रहा है. एक घंटे में घर पहुंच जाएगा.

इधर खाना खाने के बाद दिलीप ढाबे के बाहर निकला तो रामजी नागर ने पूछा, ”भाईसाहब, यह हाइड्रा (क्रेन) आप की है?’’

”हमारी है. कुछ काम है?’’ दिलीप ने पूछा.

”हां, बहुत जरूरी काम है. दरअसल, हमारी कार बेकाबू हो कर नहर पटरी फांद कर नहर में गिर गई है. उसे निकालना है. आप मेरे साथ चल कर रास्ता देख लें. फिर क्रेन से उसे निकाल देना. आप जो पैसे कहेंगे, हम चुकता कर देंगे.’’

दिलीप यादव लालच में आ गया. उस ने सोचा छोटे से काम के हजार-2 हजार रुपए मिल जाएंगे. अत: वह उस के साथ जगह देखने को राजी हो गया. रामजी नागर व उस के साथी शिवम और दुर्लभ दिलीप को बाइक पर बीच में बिठा कर चल पड़े. लगभग 7 किलोमीटर का सफर तय कर उन की बाइक पलिया गांव के पास नहर पटरी पर रुकी. बाइक से उतरते ही रामजी नागर, शिवम और दुर्लभ ने दिलीप को दबोच लिया और उसे घसीटते हुए नहर पटरी से कुछ दूर गेहूं के खेत में ले गए. वहां मारपीट कर तथा धारदार हथियार से हमला कर दिलीप को लहूलुहान कर दिया. लेकिन अब भी दिलीप की सांसें चल रही थीं.

फिर रामजी नागर ने कमर में खोंसा तमंचा निकाल लिया और दिलीप की कनपटी से सटा कर फायर कर दिया. उस के बाद उसे मरा समझ कर तीनों बाइक से फरार हो गए. इस बीच प्रगति प्रेमी व सुपारी किलर से मोबाइल फोन के जरिए संपर्क में रही. शाम 4 बजे पलिया गांव के कुछ लोगों ने नहर किनारे गेहूं के खेत में एक युवक को मरणासन्न हालत में पड़े देखा तो सूचना डायल 112 पुलिस को दी. पुलिस मौके पर पहुंची और सूचना थाना सहार को दी. सूचना पाते ही थाना सहार के एसएचओ पंकज मिश्रा सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उस समय युवक की सांसें चल रही थीं. अत: जान बचाने के लिए युवक को बिधूना ले गए और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भरती करा दिया.

इधर जब 2 घंटे तक दिलीप घर नहीं पहुंचा तो उस के भाई संदीप ने उसे काल लगाई. काल इंसपेक्टर पंकज मिश्रा ने रिसीव की. उन्होंने संदीप को बताया कि यह मोबाइल फोन जिस युवक का है, वह मरणासन्न हालत में सामुदायिक स्वास्थ केंद्र बिधूना में भरती है. यह सुनते ही संदीप घबरा गया. उस ने एसएचओ को बताया कि घायल युवक उस का भाई दिलीप है. वह जल्द ही बिधूना अस्पताल पहुंच रहा है. इस के बाद संदीप ने दिलीप के घायल होने की खबर अपने भाइयों, मम्मीपापा तथा दिलीप की ससुराल में दी. फिर भाई अक्षय के साथ बिधूना पहुंच गया. अस्पताल में उस ने भाई दिलीप की हालत देखी तो डाक्टरों से उस ने बात की. गंभीर हालत देख कर डाक्टरों ने दिलीप को मैडिकल कालेज सैफई रेफर कर दिया.

सैफई मैडिकल कालेज में जब दिलीप का इलाज शुरू हुआ और मस्तिष्क का सीटी स्कैन हुआ तो पता चला कि कनपटी में गोली फंसी है. अब तक दिलीप का पूरा परिवार मैडिकल कालेज आ पहुंचा था. दिलीप की पत्नी प्रगति भी अपने भाई आलोक के साथ आई थी. पति की हालत देख कर वह फफक पड़ी और बोली, ”अभी तो मेरे हाथों से मेहंदी का रंग भी नहीं छूटा और भगवान तूने ये क्या गजब ढा दिया. इन को कुछ हो गया तो मैं कैसे जिंदा रहूंगी.’’

भाई आलोक ने किसी तरह बहन को संभाला. हालांकि उसे सब पता था कि यह नाटक कर रही है.

करोड़पति बाप की औलाद निकला मृतक

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दिलीप को गोली लगने की सूचना पुलिस के आला अधिकारियों को लगी तो एसपी अभिजीत आर. शंकर, एएसपी आलोक मिश्रा, डीएसपी भरत पासवान तथा एसएचओ पंकज मिश्रा सैफई मैडिकल कालेज पहुंचे और घायल दिलीप यादव के फेमिली वालों से बातचीत की. वहीं अधिकारियों को पता चला कि दिलीप एक करोड़पति व्यापारी का बेटा है. उस की अभी हाल में ही शादी हुई थी. पर सवाल था कि दिलीप की जान कौन लेना चाहता था? इस का सही जवाब दिलीप के फेमिली वालों के पास भी नहीं था.

दूसरे रोज सैफई मैडिकल कालेज में दिलीप की हालत बिगड़ी तो घर वाले उसे ग्वालियर के अस्पताल ले गए. वहां मन नहीं भरा तो उसे आगरा ले गए. अंत में उन्होंने औरैया के चिचौली मैडिकल कालेज में भरती कराया. लेकिन 21 मार्च की सुबह दिलीप ने अंतिम सांस ली. मौत के बाद दिलीप के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया. पोस्टमार्टम के बाद शव को उस के घर वालों को सौंप दिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार दिलीप के शरीर में 9 गंभीर चोटों के निशान मिले, जो किसी धारदार हथियार के थे. सिर के पीछे 315 बोर की गोली निकली थी.

पोस्टमार्टम के बाद फेमिली वाले दिलीप का शव पैतृक गांव नगला दीपा ले गए. शव पहुंचते ही गांव में कोहराम मच गया. बेटे की लाश देख कर पापा सुमेर सिंह व मम्मी सुमन देवी बिलख पड़ीं. अन्य घर वालों की आंखों से भी आंसू बहने लगे. मृतक दिलीप की पत्नी प्रगति भी ससुराल में ही थी. प्रगति ने पति के शव पर इतने आंसू बहाए कि देखने वालों का कलेजा कांप उठा. किसी तरह उस की बहन पारुल ने उसे संभाला. फिर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

इधर सहार थाने के एसएचओ पंकज मिश्रा ने संदीप यादव की तहरीर पर पहले दिलीप पर जानलेवा हमले (बीएनएस की धारा 109) की रिपोर्ट दर्ज की, फिर मौत होने पर इस रिपोर्ट को हत्या (बीएनएस की धारा 103) में तरमीम कर दिया. चूंकि हत्या का यह मामला एक बड़े कारोबारी के बेटे का था, अत: औरैया के एसपी अभिजीत आर. शंकर ने इस मामले को बड़ी गंभीरता से लिया और इस ब्लाइंड मर्डर का रहस्य खोलने के लिए एएसपी आलोक मिश्रा तथा डीएसपी भरत पासवान की निगरानी में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में इंसपेक्टर पंकज मिश्रा, स्वाट टीम प्रभारी राजीव कुमार, तेजतर्रार पुलिसकर्मियों तथा सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

पुलिस कप्तान द्वारा गठित इस पुलिस टीम ने बड़ी तेजी से काम शुरू किया. टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर ढाबा मालिक व वहां के कर्मचारियों से पूछताछ की. उस के बाद पुलिस टीम ने ढाबा से पलिया गांव तक, जहां दिलीप गेहूं के खेत में मरणासन्न अवस्था में पड़ा था, बारीकी से निरीक्षण किया तथा लगभग 7 किलोमीटर की दूरी तक सड़क व नहर पटरी पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की. इसी जांच में पटना नहर पुल पर लगे सीसीटीवी कैमरे में एक सफेद रंग की बाइक पर 4 लोग पलिया गांव की ओर जाते दिखे, लेकिन वापसी में 3 लोग ही दिखे. इस फुटेज में एक का चेहरा साफसाफ दिख रहा था.

सुपारी किलर ऐसे चढ़ा पुलिस के हत्थे

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सीसीटीवी कैमरे की इस फुटेज को पुलिस टीम ने अन्य थानों से साझा किया तो अछल्दा थाने की पुलिस से महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. थाना अछल्दा पुलिस ने टीम को बताया कि फुटेज में बाइक चलाने वाला युवक कुख्यात अपराधी रामजी नागर उर्फ चौधरी है, जो अछल्दा थाने के ही गांव रामनगर का रहने वाला है. उस पर 10 मुकदमे दर्ज हैं. अभी एक सप्ताह पहले ही उसे गैंगस्टर एक्ट में जमानत मिली है. इस समय वह जेल से बाहर है.

पुलिस टीम समझ गई कि दिलीप की हत्या में गैंगस्टर रामजी नागर का हाथ जरूर है, अत: उसे पकडऩे के लिए पुलिस ने उस के गांव रामनगर में छापा मारा. लेकिन वह हाथ नहीं आया. इंसपेक्टर पंकज मिश्रा व स्वाट टीम प्रभारी राजीव कुमार ने तब रामजी नागर की टोह में अपने खास मुखबिरों को लगा दिया तथा खुद भी छापेमारी करते रहे. 24 मार्च, 2025 को दोपहर 12 बजे इंसपेक्टर पंकज मिश्रा को एक खास मुखबिर ने थाने आ कर खबर दी कि गैंगस्टर रामजी नागर इस समय हरपुरा मोड़ पर मौजूद है. वह किसी युवक से पैसे के लेनदेन को ले कर बहस कर रहा है. अगर तुरंत दबिश दी जाए तो उसे पकड़ा जा सकता है.

चूंकि सूचना अतिमहत्त्वपूर्ण थी, अत: एसएचओ पंकज मिश्रा पुलिस टीम के साथ हरपुरा मोड़ पहुंचे. पुलिस देख कर 2 युवक तेजी से भागे. लेकिन पुलिस टीम ने उन दोनों को दबोच लिया. उन्हें थाना सहार लाया गया. थाने में जब उन से पूछताछ की तो एक ने अपना नाम रामजी नागर उर्फ चौधरी पिता का नाम महेश नागर निवासी रामनगर, दूसरे युवक ने अपना नाम अनुराग उर्फ मनुज यादव पुत्र राम मनोहर यादव निवासी सियापुर हजियापुर थाना फफूंद, जिला औरैया बताया.

इंसपेक्टर पंकज मिश्रा ने जब रामजी नागर की जामातलाशी ली तो उस के पास से 315 बोर का एक तमंचा, 2 जीवित कारतूस, एक मोबाइल फोन, एक चाकू तथा 2 हजार रुपए नकद बरामद किए. अनुराग उर्फ मनुज की जामातलाशी में 315 बोर का एक तमंचा, 2 जीवित कारतूस, एक मोबाइल फोन तथा एक हजार रुपया नकद मिले. बरामद सामान को पुलिस ने सुरक्षित कर लिया. रामजी नागर ने हरपुरा मोड़ से वह बाइक भी बरामद करा दी, जिसे उस ने दिलीप की हत्या में प्रयोग किया था.

पुलिस टीम ने हाइड्रा चालक दिलीप यादव की हत्या के संबंध में रामजी नागर उर्फ चौधरी से पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया. इंसपेक्टर पंकज मिश्रा समझ गए कि रामजी नागर आसानी से कुछ नहीं बताएगा, अत: उन्होंने उस पर सख्ती की. कुछ ही देर बाद रामजी नागर टूट गया और उस ने दिलीप की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि दिलीप की हत्या की सुपारी उस की नईनवेली पत्नी प्रगति यादव व उस के आशिक अनुराग उर्फ मनुज ने अपने मौसेरे भाई दुर्लभ के माध्यम से दी थी. सौदा 2 लाख में तय हुआ था और एक लाख रुपया एडवांस मिला था. बाकी के रुपए लेने के लिए आज उस ने अनुराग को बुलाया था, तभी पुलिस द्वारा पकड़ा गया.

पूछताछ के दौरान रामजी नागर की चीखें अनुराग के कानों से भी टकरा रही थीं, जिस से वह घबरा उठा था. अत: जब पुलिस टीम ने अनुराग उर्फ मनुज से पूछताछ की तो वह सहज ही टूट गया. उस ने बताया कि प्रगति और वह एकदूसरे से प्यार करते हैं. शादी के बाद दिलीप उस के प्यार में बाधक बनता, इसलिए उस ने व प्रगति ने सुपारी दे कर दिलीप की हत्या करवा दी. चूंकि दिलीप की हत्या उस की नईनवेली दुलहन प्रगति यादव ने ही सुपारी दे कर कराई थी, अत: उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम प्रगति के गांव सियापुर हजियापुर पहुंची, लेकिन वह मायके में नहीं थी. उस के भाई आलोक ने बताया कि प्रगति अपनी ससुराल नगला दीपा गांव में है.

उस के बाद पुलिस टीम नगला दीपा गांव पहुंची और प्रगति यादव को गिरफ्तार कर लिया. बहू की गिरफ्तारी का ससुराल वालों ने विरोध किया तो एसएचओ पंकज मिश्रा ने उन्हें बताया कि उन की बहू प्रगति ने ही सुपारी दे कर उन के बेटे दिलीप को मरवाया है. यह जान कर परिजन सन्न रह गए. उस के बाद प्रगति को थाना सहार लाया गया, जहां उस का सामना अपने प्रेमी अनुराग व सुपारी किलर रामजी नागर से हुआ तो वह समझ गई कि पति की हत्या का राज खुल गया है. उस ने बिना किसी हीलाहवाली के अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

इंसपेक्टर पंकज मिश्रा ने दिलीप की हत्या का परदाफाश करने तथा हत्यारोपियों को पकडऩे की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो एसपी अभिजीत आर. शंकर ने एएसपी आलोक मिश्रा के साथ औरैया पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता की और दिलीप की हत्या का खुलासा किया. चूंकि हत्यारोपियों ने जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: पुलिस ने मृतक के बड़े भाई संदीप यादव को वादी बना कर बीएनएस की धारा 103(1) तथा 61(2) के तहत रामजी नागर, अनुराग उर्फ मनुज यादव तथा प्रगति यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

चूंकि आरोपी रामजी नागर व अनुराग के पास से तमंचा व कारतूस भी बरामद हुए थे, अत: पुलिस ने धारा 3/25 के तहत भी उन दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की. पुलिस की जांच, आरोपियों के बयान तथा अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर एक ऐसी युवती की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने प्रेमी के साथ जिंदगी बिताने के लिए शादी के 14 दिन बाद ही अपने पति को सुपारी दे कर मरवा दिया.

पिता के दुश्मन के बेटे को दिल दे बैठी थी प्रगति

उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद के फफूंद थानांतर्गत एक गांव है-सियापुर हजियापुर. इसी गांव में हरिगोविंद सिंह यादव सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी कमला देवी के अलावा 3 बेटे आलोक, आशुतोष, संतोष तथा 2 बेटियां पारुल व प्रगति थीं. हरिगोविंद सिंह पहले औरैया के दिबियापुर कस्बे के संजय नगर मोहल्ले में रहते थे. बाद में वह गांव आ कर रहने लगे थे. वह प्राइवेट नौकरी कर परिवार का भरणपोषण करते थे. हरिगोविंद सिंह यादव के तीनों बेटे आलोक, आशुतोष व संतोष पढऩे में तेज थे. उन्होंने औरैया के तिलक कालेज से बीएससी पास की, फिर बाहर जौब करने लगे. आशुतोष उज्जैन में एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक था. तीनों विवाहित थे और परिवार सहित बाहर रहते थे. तीजत्योहारों या शादीविवाह में ही वे पैतृक गांव आते थे.

हरिगोविंद सिंह की बेटी पारुल व प्रगति भी पढऩे में तेज थीं. उन दोनों ने 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई आदर्श शिक्षा निकेतन दिबियापुर से की, फिर इंटरमीडिएट की परीक्षा औरैया के कालेज से पास की. उस के बाद मम्मी कमला देवी ने दोनों की पढ़ाई बंद करा दी और घर के कामकाज में लगा लिया. पारुल अब तक 18 साल की हो चुकी थी, इसलिए हरिगोविंद सिंह को उस के हाथ पीले करने की चिंता सताने लगी थी. वह बेटी का विवाह ऐसे घर में करना चाहते थे, जहां संपन्नता हो और किसी चीज का अभाव न हो. काफी हाथपैर मारने के बाद उन्हें संदीप पसंद आ गया.

संदीप के पिता सुमेर सिंह यादव मैनपुरी जिले की तहसील भोगांव के अंतर्गत आने वाले गांव नगला दीपा के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सुमन देवी के अलावा 4 बेटे संदीप, अक्षय, दिलीप व सचिन तथा एक बेटी प्रियंका थी. अभी तक उन के किसी भी बेटे की शादी नहीं हुई थी, अत: वह बड़े बेटे संदीप की शादी को लालायित थे. सुमेर सिंह यादव करोड़पति धनाढ्य व्यापारी थे. उन का हाइड्रा और क्रेन मशाीन का कारोबार था. उन के पास 10 हाइड्रा व 12 क्रेन मशीनें थीं. उन का बड़ा बेटा संदीप अपने भाइयों के साथ जेसीबी और हाइड्रा जैसे उपकरणों को किराए पर चलाता था. उस की ज्यादातर मशीनें सेतु निगम में लगी रहती थीं.

सुमेर सिंह यादव का एक मकान औरैया के दिबियापुर कस्बे में सेहुद मंदिर के पास है. संदीप यादव इसी मकान में भाइयों के साथ रह कर कारोबार चलाता था. उस ने मकान के भूतल पर ‘एसएस यादव क्रेन सर्विस’ के नाम से औफिस खोल रखा था. उस का यह व्यापार औरैया से लखनऊ तक फैला था. संदीप व उस के कारोबार को देख कर हरिगोविंद सिंह ने उसे अपनी बेटी पारुल के लिए पसंद कर लिया. फिर 9 फरवरी, 2019 को पारुल का विवाह संदीप के साथ धूमधाम से कर दिया. पारुल दुलहन बन कर ससुराल आ गई. आते ही उस ने घर संभाल लिया.

पारुल से छोटी प्रगति थी. वह अपनी बड़ी बहन से ज्यादा सुंदर थी. सत्रहवां बसंत पार करते ही उस की सुंदरता में और भी निखार आ गया था. गोरा रंग, बड़ीबड़ी कजरारी आंखें और चंचल चितवन किसी को भी अपनी ओर खींच लेती थी. प्रगति के घर से 100 कदम की दूरी पर अनुराग उर्फ मनुज रहता था. उस के पिता राममनोहर यादव प्राइवेट नौकरी व खेती करते थे. परिवार में बेटे अनुराग के अलावा 2 बेटियां पप्पी व बबली थीं. बबली की शादी हो चुकी थी. वह उमर्दा में पति के साथ रहती थी.

25 वर्षीय अनुराग उर्फ मनुज आकर्षक युवक था. बीएससी पास करने के बाद उस ने नौकरी का प्रयास किया. असफल होने पर वह ट्रैक्टर चलाने लगा. अनुराग ठाटबाट से रहता था और गांव में बाइक से घूमता था. पड़ोसी होने के नाते जब कभी प्रगति व अनुराग की आंखें चार होतीं तो उन की आंखों में प्यार का समंदर उमड़ पड़ता. लेकिन चाह कर भी दोनों आपस में बात न कर पाते. क्योंकि उन्हें घर वालों का डर सताता था. यह बात कोरोना काल की है.

दरअसल, हरिगोविंद सिंह व राममनोहर के बीच 5 बीघा जमीन को ले कर विवाद चल रहा था, जिस से दोनों परिवारों के बीच दुश्मनी थी. उन का हुक्कापानी भी बंद था. लेकिन प्रगति व अनुराग एकदूसरे को मन ही मन चाहने लगे थे. प्रगति मनुज के ठाटबाट से प्रभावित थी. मनुज भी प्रगति की खूबसूरती का दीवाना था. चाहत दोनों तरफ से थी. धीरेधीरे उन की चाहत बढ़ी तो उन का मिलन घर के बाहर होने लगा. प्रगति की मौसी का घर औरैया में था. प्रगति मौसी के घर जाती फिर साईं मंदिर जाने का बहाना कर घर से निकलती और बांकेबिहारी होटल पहुंच जाती. वहीं अनुराग भी आ जाता. फिर घंटों बैठ कर दोनों प्यार भरी बातें करते.

इसी होटल में एक रोज प्रगति और अनुराग ने अपने प्यार का इजहार किया और साथ जीनेमरने का वादा किया. दुश्मनी के कारण दोनों नेे प्यार की भनक घर वालों को नहीं लगने दी. प्रगति का आनाजाना अपनी बहन पारुल की ससुराल में लगा रहता था. वह बहन व उस के परिवार के वैभव से प्रभावित थी. उस का मन करता कि उस का प्रेमी अनुराग भी ऐसा ही अमीर होता तो वह भी उस से शादी कर खुशी से जीवन बिताती. इसी सोच में उस ने एक रोज खतरनाक प्लान बना लिया और अपने प्लान से प्रेमी अनुराग को भी अवगत करा दिया.

बहन के करोड़पति देवर को ऐसे फांसा जाल में

प्रगति का प्लान था कि वह अपनी दीदी पारुल के देवर दिलीप को अपने प्यार के जाल में फंसाएगी और शादी करने के बाद उस का मर्डर करा देगी. उस के बाद प्रौपर्टी में उसे उस का हिस्सा मिल जाएगा फिर वह दोबारा प्रेमी से शादी रचा लेगी और शानोशौकत से जिंदगी बिताएगी. अनुराग को प्रगति के इस प्लान पर पहले तो आश्चर्य हुआ, लेकिन दोहरा फायदा देख कर अनुराग भी प्रगति का साथ देने को राजी हो गया. इस प्लान के बाद प्रगति का पारुल की ससुराल आनाजाना बढ़ गया. वह दिलीप पर डोरे डालने लगी. 21 वर्षीय दिलीप भी प्रगति की ओर आकर्षित होने लगा. दिलीप हाइड्रा चलाता था और दिबियापुर में रहता था.

प्रगति किसी न किसी बहाने दिबियापुर पहुंच जाती और दिलीप के साथ घूमती. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढऩे लगा. फिर एक रोज ऐसा भी आया कि दोनों एकदूसरे से ब्याह करने को उतावले हो उठे. इसी बीच घर वालों ने दिलीप का विवाह कहीं और तय कर दिया. दिलीप को शादी की बात पता चली तो उस ने साफ इंकार कर दिया. दिलीप ने फेमिली वालों को साफ बता दिया कि वह और प्रगति एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. उस की शादी कहीं और की गई तो वह आत्महत्या कर लेगा.

दिलीप की इस धमकी से घर वाले डर गए. उस के बाद सुमेर सिंह यादव ने प्रगति व उस के पिता हरिगोविंद सिंह व भाई आलोक से शादी के संबंध में बात की. दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद दिलीप का रिश्ता प्रगति के साथ तय हो गया. हालांकि इस शादी को पारुल राजी नहीं थी. शादी की तारीख तय हुई 5 मार्च 2025. इधर शादी तय होने की बात अनुराग उर्फ मनुज को मालूम हुई तो वह नाराज हुआ. इस पर प्रगति ने अनुराग से कहा कि वह ज्यादा दिनों तक ससुराल में नहीं रहेगी. आते ही वह प्लान को पूरा करेगी. वह तब तक सुपारी किलर का इंतजाम कर ले. प्रगति के इस आश्वासन पर मनुज मान गया.

5 मार्च, 2025 को दिबियापुर के ‘राधाकृष्ण मैरिज हाल’ में प्रगति का विवाह दिलीप के साथ बड़ी धूमधाम से हो गया. प्रगति दिलीप की दुलहन बन कर ससुराल नगला दीपा आ गई. यहां उस की खूब आवभगत हुई. मुंहदिखाई रस्म में उसे सोनेचांदी के उपहार के अलावा लगभग 70 हजार रुपए नकद मिले. सुहागरात को दिलीप ने भी उसे घूंघट उठाई पर सोने की अंगूठी व 30 हजार रुपए दिए. सामाजिक रीतिरिवाज के अनुसार नई दुलहन ससुराल में जलती होली नहीं देखती. अत: उस का भाई आलोक आया और 10 मार्च को प्रगति की चौथी रस्म अदा कर प्रगति को लिवा लाया. मायके आने के दूसरे रोज ही प्रगति ने अपने प्रेमी अनुराग उर्फ मनुज को होटल बुला कर बात की, फिर पति की हत्या की सुपारी 2 लाख में सुपारी किलर रामजी नागर को दे दी.

प्रगति के कुकृत्य से उस का भाई आलोक बेहद खफा है. मामला खुलने के बाद उस ने कहा कि प्रगति ने जो पाप किया है, उस की सजा उसे फांसी होनी चाहिए. जेल में वह व उस के परिवार का कोई सदस्य उस से मिलने नहीं जाएगा. न ही किसी तरह की पैरवी उसे जेल से रिहा कराने के लिए की जाएगी. पुलिस उस का एनकाउंटर कर दे तो वह उस के शव पर हाथ भी नहीं लगाएगा. मृतक दिलीप के मम्मीपापा व भाइयों ने भी प्रगति को फांसी की सजा देने की मांग की है. फांसी से कम सजा उन्हें मंजूर नहीं है. 25 मार्च, 2025 को पुलिस ने हत्यारोपी रामजी नागर, अनुराग उर्फ मनुज व प्रगति को इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

27 मार्च, 2025 की रात इंसपेक्टर पंकज मिश्रा ने चेकिंग के दौरान सुपारी किलर रामजी नागर के साथी शिवम व दुर्लभ यादव को भी गिरफ्तार कर लिया. दोनों दिलीप हत्याकांड में वांछित थे. उन के पास से 2 तमंचे तथा 4 कारतूस बरामद हुए. उन दोनों को भी जेल भेज दिया गया.

 

 

Extramarital Affair : सरिता क्यों बनी पति की कातिल

Extramarital Affair : पति की एक्सीडेंट में मौत हो जाने के बाद 34 वर्षीय सरिता ने कुख्यात बदमाश सोनू नागर से शादी कर ली थी. कुछ दिनों बाद ही ऐसा क्या हुआ कि सरिता को सोनू नागर की हत्या की सुपारी देनी पड़ी? पढ़ें, फेमिली क्राइम की यह खास स्टोरी.

मोबाइल फोन की घंटी लगातार रुकरुक कर बज रही थी. गुरमीत उस समय बाथरूम में था. जैसे ही फोन की घंटी की आवाज गुरमीत के कानों में पड़ी तो वह फटाफट नहा कर बाथरूम से बाहर आ गया. गुरमीत ने मोबाइल की स्क्रीन पर फ्लैश होते नाम को देखा तो उस के चेहरे पर मुसकान तैर गई. उस ने तुरंत काल रिसीव कर ली.

”हैलो बग्गा! आज सुबहसुबह कैसे याद आ गई अपने यार की?’’ गुरमीत ने चहक कर पूछा.

”तुझे तो मैं हर वक्त दिल में रखता हूं गुरप्रीत.’’ बग्गा सिंह दूसरी ओर से बोला, ”फिर याद तो अपनों को ही किया जाता है.’’

”ठीक है.’’ गुरमीत हंसा, ”बोल, कैसे फोन किया?’’

”एक मुरगे को टपकाना है गुरमीत.’’

”टपका देंगे.’’ गुरमीत ने लापरवाही से गरदन झटकी, ”मुरगा वजनदार तो है ना?’’

”मैं वजनदार मुरगा ही हलाल करता हूं गुरमीत. पूरे डेढ़ लाख में सौदा किया है.’’

”वाह!’’ गुरमीत ने होंठों पर जुबान फिराई, ”मोटी कटेगी यार, लेकिन सौदा फिफ्टीफिफ्टी का रहेगा बग्गा भाई.’’

”नहीं, पार्टी मेरी है इसलिए मैं तुम्हें 50 हजार दूंगा.’’ बग्गा सिंह की आवाज में अडिय़लपन था, ”देख, जब तेरी पार्टी होती है तो मैं भी वही लेता हूं जो तू देता है.’’

गुरमीत ने बात काट दी, ”वो सब ठीक है बग्गा, लेकिन 50 कुछ कम है.’’

”चल मैं 10 हजार और बढ़ा देता हूं.’’ बग्गा ने कहा, ”अब कुछ नहीं कहना.’’

”ओके.’’ गुरमीत ने गहरी सांस ली, ”मुरगा कहां टपकाना है?’’

”दिल्ली में.’’ बग्गा सिंह ने धीमी आवाज में कहा, ”तू आज ही दिल्ली पहुंच. मैं भी घर से निकल रहा हूं.’’

”तू इस वक्त कहां है?’’

”मैं भटिंडा में हूं, लेकिन हर हाल में शाम तक दिल्ली पहुंच जाऊंगा. तू मुझे फोन कर लेना. हमें कहां मिलना है, कहां ठहरना है, मैं तुझे बता दूंगा. अब तू तैयार हो, मैं काल काट रहा हूं.’’ बग्गा की तरफ से कहा गया. फिर संपर्क काट दिया गया.

गुरमीत ने मोबाइल टेबल पर रखा और दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा. आधा घंटा बाद ही वह बैग ले कर घर से निकला और बसअड्ïडे के लिए आटो से रवाना हो गया.

3 फरवरी, 2025 की सुबह उत्तरी दिल्ली में शक्ति नगर के एफसीआई गोदाम के पास बहने वाले नाले में एक युवक औंधे मुंह पड़ा हुआ था. वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने उस युवक को देखा तो वह ठिठक गया. उसे लगा कि शायद कोई शराबी नशे में गिर गया होगा. वह उसे गौर से देखने लगा. वह व्यक्ति नाले में औंधे मुंह पड़ा था, लेकिन उस के शरीर में कोई हरकत नहीं दिखी तो उस ने अनुमान लगा लिया कि शायद इस की मौत हो चुकी है. उस ने अपना शक दूर करने के लिए दूर खड़े 2 व्यक्तियों को इशारे से अपने पास आने को कहा. वे दोनों व्यक्ति आपस में बातें कर रहे थे. इशारा मिलने पर वह उस व्यक्ति के पास आ गए.

”क्या आप हमें जानते हैं?’’ उन में से एक व्यक्ति ने पूछा.

”नहीं भाई, मैं आप दोनों को नहीं जानता. मुझे तो यहां नाले में पड़े इस युवक को देख कर संदेह हो रहा है कि वह युवक जीवित भी है या नहीं. आप देख कर बताएं.’’

नाले में मिली लाश

दोनों व्यक्ति नाले में देखने लगे. वहां पड़े युवक को देख कर वे घबरा गए. उन में से एक बोला, ”नूर, सरक ले यहां से. यह लाश है, यदि पुलिस आ गई तो बेकार के लफड़े में फंस जाएंगे हम लोग.’’

उस के साथ वाला व्यक्ति यह सुनते ही तेजी से एक तरफ चल पड़ा. उस के साथ वाला व्यक्ति उस के पीछे लपका. वहां खड़ा पहले वाला व्यक्ति जिम्मेदार नागरिक था. वह वहां से नहीं भागा, बल्कि उस ने जेब से मोबाइल निकाल कर वहां पड़ी लाश की सूचना दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. कंट्रोल रूम से उसे वहीं खड़े रहने को कह दिया गया. करीब आधा घंटा बाद पुलिस वैन वहां सायरन बजाती हुई आ गई. इस वैन में रूपनगर थाने के एसएचओ रमेश कौशिक थे. उन के साथ पुलिस के 5 कांस्टेबल भी थे. सभी सावधानी से नाले में उतर गए. वह लाश औंधे मुंह पड़ी थी, उसे सीधा करने से पहले उस लाश की बहुत बारीकी से जांच की गई.

पीठ की ओर उन्हें कोई जख्म नजर नहीं आया. इसी एंगल से उस की मोबाइल द्वारा फोटो खींची गईं, फिर उसे सीधा किया गया. यह कोई 40-45 साल का व्यक्ति था. उस के शरीर पर पैंटशर्ट थी. उस के चेहरे पर गौर से देखने पर खिंचाव महसूस हो रहा था. एसएचओ रमेश कौशिक को लगा कि वह व्यक्ति जान निकलते समय बहुत तड़पा है. ऐसा उस हाल में होता है जब किसी का गला घोंटा जाता है. सांसें रुकने से व्यक्ति छटपटाता है और तड़पते हुए उस के प्राण निकलते हैं. कौशिक ने उस आदमी के गले का निरीक्षण किया तो उन का अनुमान सही साबित हुआ. उस के गले पर दबाब के कारण लाल निशान पड़ गए थे, जो साफ दिखाई दे रहे थे.

लाश की जेबों की तलाशी ली गई तो उस की जेब में कुछ नहीं मिला. इस से अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या करने के बाद जेब से सारा सामान निकाल लिया गया है, ताकि कोई सुराग पुलिस के हाथ न आ पाए. रमेश कौशिक की सूचना पर नौर्थ डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी राजा बांठिया और एसीपी (सिविल लाइंस) विनीता त्यागी भी थोड़ी देर में मौके पर पहुंच गईं. उस से पहले एसएचओ रमेश कौशिक ने एक बार और मृतक की जेबें टटोलीं. हाथ की कलाई देखी, ताकि कोई गुदा हुआ नाम दिख जाए. लेकिन न जेबों में कुछ मिला, न उस की कलाई पर कुछ गुदा हुआ था.

नाले के ऊपर अब तक लाश की सूचना पा कर काफी लोग एकत्र हो गए थे. रमेश कौशिक ने ऊपर आ कर उन लोगों से लाश की पहचान करने को कहा, लेकिन किसी ने भी उस युवक को नहीं पहचाना. इस से यह अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या कहीं और कर के उसे यहां ला कर फेंक दिया गया है, इस क्षेत्र में इस आदमी की लाश को शायद ही कोई पहचान पाएगा. यह व्यक्ति इस क्षेत्र का नहीं है. काफी पूछताछ करने के बाद भी उस व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाई. उसी दौरान फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट की टीम भी वहां पहुंच चुकी थी. 2 फोटोग्राफर्स भी इस टीम में थे.

आते ही यह टीम अपने काम में लग गई. एसएचओ ने डीसीपी को बताया कि लाश की शिनाख्त नहीं हो पा रही है, लगता है इसे कहीं और मारा गया है. पहचान न हो, इसलिए इस की लाश को यहां ला कर नाले में फेंक दिया गया है.

”इंसपेक्टर कौशिक, लाश की पहचान तो आवश्यक है. अपराधी तक हम तभी पहुंचेंगे, जब इस की पहचान होगी.’’ डीसीपी गंभीर स्वर में बोले.

”जी सर.’’ एसएचओ ने सिर हिलाया, ”हम पूरी कोशिश कर रहे हैं.’’

डीसीपी बांठिया ने युवक की लाश का निरीक्षण किया. गले पर लाल निशान देख कर वह समझ गए थे कि इस की हत्या गला घोंट कर की गई है. वहां ऐसे सुराग नजर नहीं आ रहे थे, जिस से समझा जा सके कि इसे यहीं खत्म किया गया है. हत्या कहीं और कर के इस की लाश को यहां फेंक दिया गया है.

पूरा निरीक्षण कर लेने के बाद डीसीपी ने इंसपेक्टर कौशिक से कहा, ”मामला पेचीदा लग रहा है. मैं आप की हैल्प के लिए स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित को भी बुला लेता हूं.’’

”यह उचित रहेगा सर. स्पैशल स्टाफ के आने से यह केस आसानी से सौल्व हो जाएगा. आप रोहितजी को बुलवा लीजिए.’’

डीसीपी बांठिया ने स्पैशल स्टाफ (नौर्थ डिस्ट्रिक्ट) के इंसपेक्टर रोहित से बात की और पूरी बात बता कर उन्हें घटनास्थल पर बुला लिया. इंसपेक्टर रोहित अपनी टीम के साथ कुछ ही देर में वहां आ गए. उन की टीम ने युवक की लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. इंसपेक्टर रोहित ने फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट से बात कर के कुछ निर्देश दिए और इंसपेक्टर कौशिक को लाश पोस्टमार्टम हेतु हिंदूराव हौस्पिटल भेजने को कह दिया.

दिशानिर्देश दे कर डीसीपी और एसीपी भी घटनास्थल से चले गए. इंसपेक्टर कौशिक लाश का पंचनामा बनाने में जुट गए. यह काम पूरा होने तक स्पैशल स्टाफ वहां नहीं रुक सकता था, वे आगे की जांच के लिए वहां से निकल गए. इंसपेक्टर कौशिक ने लाश की शेष काररवाई निपटा कर पोस्टमार्टम के लिए हिंदूराव हौस्पिटल भेज दी और थाना रूपनगर लौट आए. यह केस बहुत पेचीदा था. मरने वाला व्यक्ति कौन है, उसे किस ने गला घोंट कर मारा, उस का कुसूर क्या था. इन सभी बातों का जवाब तभी मिल सकता था, जब उस की पहचान हो जाती. उस की लाश उस के परिजनों के लिए पोस्टमार्टम करवा कर सुरक्षित रखवा दी गई थी. अभी तक उस की पहचान नहीं हुई थी.

मृतक था दिल्ली का घोषित बदमाश

उस की पहचान करने के लिए इंसपेक्टर कौशिक और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन कोई सूत्र हाथ नहीं लग रहा था, लाश को ज्यादा दिनों तक रखा भी नहीं जा सकता था. पुलिस ने उस के शव की शिनाख्त के लिए पैंफ्लेट छपवा कर शक्ति नगर, रूपनगर और आसपास के क्षेत्र मे चस्पा कर दिए थे. अखबारों में भी शव की पहचान करने की अपील छपवाई गई, लेकिन कोई रिस्पौंस नहीं मिला. अब स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने आखिरी उपाय करने के लिए युवक के फिंगरप्रिंट्स को कमला मार्किट क्रिमिनल रिकौर्ड औफिस (सीआरओ) भेजा गया. आशा नहीं थी, यह उपाय कारगर सिद्ध होगा, लेकिन ऐसा करने से पुलिस को सफलता मिल गई. उस के फिंगरप्रिंट्स क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो में पहले से दर्ज फिंगरप्रिंट्स से मेल खा गए.

पहले वाले फिंगरप्रिंट्स सोनू नागर नाम के अपराधी के थे. यह युवक हौजकाजी थाने का घोषित बदमाश था और इस पर 10 से अधिक आपराधिक मामले कई थानों में दर्ज थे, विशेष कर हौजकाजी थाने में. यहां से उस के घर का एड्रैस मिल गया. यह युवक गुलाबी बाग, सीनियर सैकेंड्री गवर्नमेंट स्कूल के पास टाइप वन के क्वार्टर में रहता था. क्वार्टर का नंबर 570 था. इंसपेक्टर रमेश कौशिक और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित सारस्वत, मनोज कुमार और हैडकांस्टेबल जितेंद्र के साथ उस क्वार्टर पर पहुंच गए. क्वार्टर 570 में एक महिला मिली. इस का नाम सरिता था. उस की उम्र करीब 34 साल थी. दरवाजे पर पुलिस को देख कर उस के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया, किंतु तुरंत ही उस ने खुद को संभाल कर प्रश्न कर दिया, ”आप कोई अच्छी खबर ले कर आए हैं मेरे लिए.’’

इंसपेक्टर रोहित सारस्वत उस महिला के चेहरे पर नजरें जमाए हुए थे. पुलिस को सामने वाले के चेहरे के उतारचढ़ाव से उस की मनोस्थिति का अनुमान लगाना सिखाया जाता है. इंसपेक्टर रोहित मन ही मन मुसकराए. प्रत्यक्ष में वह चौंकने का अभिनय करते हुए बोले, ”अच्छी खबर! क्या तुम्हें उम्मीद थी कि पुलिस तुम्हारे दरवाजे पर अच्छी खबर ले कर आने वाली है?’’

”जी हां.’’ सरिता ने सिर हिलाया, ”मेरे पति कुछ दिनों से गुम हैं. मैं समझ रही हूं कि आप उन के बारे में अच्छी खबर ले कर आए हैं.’’

”तुम्हारे पति गुम हैं?’’ इंसपेक्टर ने चौंकते हुए कहा, ”क्या नाम है तुम्हारे पति का?’’

”सोनू… सोनू नागर पूरा नाम है जी.’’

”वह कब से लापता है?’’

”2 फरवरी की रात से.’’ सरिता ने बताया.

”क्या तुम ने सोनू नागर के गुम होने की सूचना लिखवाई है?’’

”हां साहब,’’ सरिता ने सिर हिलाया, ”मैं ने 7 फरवरी को थाना गुलाबी बाग में पति के गुम होने की सूचना लिखवा दी थी. वह 2 फरवरी की रात 10 बजे घर से गए थे, तब से वापस नहीं लौटे हैं. क्या वह आप को मिल गए हैं?’’

”मिले तो हैं लेकिन,’’ इंसपेक्टर रोहित ने बात अधूरी छोड़ दी.

”लेकिन क्या साहब, जल्दी बताइए… मेरा दिल बैठा जा रहा है.’’

”तुम्हारा पति अब इस दुनिया में नहीं रहा है, उस की डैडबौडी हमें शक्तिनगर में गंदे नाले के पास मिली है.’’

”ओहऽऽ नहींऽऽ’’ सरिता जोर से चीखी और दहाड़े मार कर रोने लगी.

उस की रोने की आवाज सुन कर अंदर से एक महिला निकल कर बाहर आ गई. सरिता को रोती देख कर उस ने घबरा कर पूछा, ”क्या हुआ बहू, तू रो क्यों रही है?’’

”मांजी हम लुट गए, बरबाद हो गए. पुलिस को तुम्हारे बेटे की लाश मिल गई है.’’ सरिता ने रोते हुए बताया.

वह महिला भी रोने लगी. पुलिस ने उन का मन हलका होने दिया. फिर सरिता को टोका, ”हमें सोनू नागर की हत्या की जांच करनी है. तुम हमारे साथ थाने चलो, वहीं तुम से कुछ बात करनी है.’’

”चलिए साहब. अब तो यही सब होगा, मेरा पति जान से गया है. मुझे अन्य सभी टोकेंगे.’’

पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया कि वह क्या बोल रही है. वह तो दोनों को ले कर थाने में आ गए. सरिता की सास का नाम मिथिलेश था. फिलहाल उन दोनों का रोनाधोना थम गया था. इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने सरिता से पूछा, ”2 फरवरी की रात को तुम्हारा पति सोनू नागर घर से गया तो क्या वह तुम्हें कुछ बता कर गया था?’’

”सिर्फ इतना कहा था साहब, मैं बाहर ही हूं, इन से बात कर के मैं आ रहा हूं. फिर वह उन दोनों व्यक्तियों के साथ बाहर चले गए थे. तब से उन का कुछ पता नहीं चल रहा था.’’

”वह 2 व्यक्ति आखिर कौन थे

जिन के साथ तुम्हारे पति सोनू नागर बाहर

गए थे?’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने पूछा.

”मैं उन्हें नहीं जानती. वे दोनों साढ़े 11 बजे बाइक से मेरे घर आए थे. उन से मेरे पति की कुछ बातें हुईं. क्या बातें हुईं, यह मैं नहीं सुन सकी. मेरे पति उन के साथ घर से निकलते हुए इतना ही बोले कि मैं थोड़ी देर में वापस आ रहा हूं. लेकिन काफी देर बीत जाने पर भी वह नहीं लौटे तो मुझे चिंता होने लगी. मैं ने उन्हें फोन लगाया, लेकिन उस वक्त उन की काल नहीं लगी. यह सोच कर कि वह किसी काम में उलझ गए होंगे, मैं सो गई थी.’’

”फिर अगले दिन तुम्हारे पति नहीं लौटे तो क्या तुम ने उन्हें तलाश करने की जरूरत नहीं समझी?’’ सारस्वत ने प्रश्न किया.

”दूसरे दिन मैं ने उन्हें तलाश किया था साहब. दोस्तों, रिश्तेदारी सब जगह तलाश किया था, लेकिन वह नहीं मिले.’’ सरिता ने बताया, ”उन को 2-4 दिन और ढूंढा, फिर हार कर गुलाबी बाग थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी.’’

”वह 2 व्यक्ति दिखने में कैसे लग रहे थे?’’ इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने पूछा.

”उन की उम्र 35-40 के बीच की थी. रंग सांवला था. सामान्य कदकाठी के थे. एक के सिर पर ब्लैक कलर की कैप थी, जिस के हेड पर क्करू्र लिखा था.’’

”हूं, तुम मोबाइल इस्तेमाल करती हो?’’ कौशिक ने प्रश्न किया.

”जी हां.’’ सरिता ने कह कर अपना मोबाइल दिखाया.

मोबाइल फोन में मिले अहम सबूत

इंसपेक्टर कौशिक ने वह मोबाइल ले लिया और बाहर निकल गए. बाहर आ कर उन्होंने मोबाइल से की गई काल लिस्ट देखी, उस में काफी नंबर थे. इंसपेक्टर ने 2 और 3 तारीख की आउटगोइंग काल्स देखी. वह चौंक पड़े. 2 फरवरी की रात को सरिता की ओर से 12 बजे रात को किसी एक नंबर पर फोन किया गया था. वही नंबर बाद में भी था. यानी सरिता ने उस नंबर पर रात में 3-4 बार अलगअलग समय पर काल कर के काफी देरदेर तक बातें की थी.

इंसपेक्टर रमेश कौशिक के चेहरे पर कुटिल मुसकान तैर गई. वह अंदर आ गए और सरिता से बोले, ”तुम्हारा मोबाइल हम कस्टडी में ले रहे हैं. इस की जांच करनी है हमें.’’

”ज…जी, मेरे फोन में ऐसा क्या है साहब,’’ सरिता अचकचा कर बोली.

”वह बाद में मालूम हो जाएगा. तुम यह बताओ, यह सोनू नागर तुम्हारी जिंदगी में कैसे आया? यह तो यहां के हौजकाजी थाने का घोषित अपराधी था. इस पर 10 अपाराधिक मामले दर्ज हैं.’’

सरिता ने नीचे सिर झुका लिया. कुछ देर वह खामोश रही, फिर एक गहरी सांस भर कर वह बोली, ”साहब, मेरा नाम सरिता है. मेरी शादी पहले किसी और से हुई थी. उस से मुझे एक लड़की और एक लड़का हुआ. मेरा पति तीस हजारी कोर्ट के पास पान की दुकान लगाता था. यहां पर सोनू नागर आताजाता रहता था. यहीं से मैं सोनू नागर को जानने लगी.

”अभी 8 महीने पहले मेरे पति की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई. तब सोनू मेरी मदद के लिए आगे आया. मैं उस के अहसान तले दब गई और उस के सहारे रहने लगी. फिर मैं ने उस से शादी कर ली. नियति को मुझ से न जाने क्या नाराजगी है, उस ने मेरा यह दूसरा पति भी मुझ से छीन लिया.’’ कहतेकहते सरिता भावुक हो गई और रोने लगी.

”अपने आप को संभालो और घर जाओ, जरूरत पड़ी तो बुलवा लेंगे.’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने उस से कहा और उठ कर खड़े हो गए.

सरिता अपनी सास के साथ थाने से बाहर निकल गई. उन के जाने के बाद इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने कहा, ”मुझे सरिता पर संदेह है. इस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाइए. इस ने पति के लापता होने वाली रात यानी 2 फरवरी को रात में 3-4 बार एक ही नंबर पर बातें की थीं. मालूम करना है वह नंबर किस का और क्या सरिता पहले भी इस नंबर के संपर्क में रही है?’’

इंसपेक्टर सारस्वत ने हैडकांस्टेबल जितेंद्र कुमार को मोबाइल दे दिया और जनवरीफरवरी माह की तमाम काल डिटेल्स निकलवा कर लाने का आदेश दे दिया. अगले दिन उन की टेबल पर सरिता के मोबाइल की जनवरी-फरवरी माह की काल डिटेल्स रखी थी. उस को बहुत बारीकी से देखा गया. सरिता द्वारा एक नंबर पर जनवरी फरवरी माह की 10 तारीख तक कईकई बार बातें की गई थीं. इस नंबर की फोन प्रदाता कंपनी से जांच की गई तो यह नंबर पंजाब के किसी बग्गा सिंह नाम के व्यक्ति का निकला. उस का एड्रैस भी मिल गया. यह था गांव लांबी, जिला श्रीमुक्तसर साहिब, पंजाब. इस के बाद गुप्तरूप से सोनू नागर के घर गुलाबी बाग के आसपास इस नंबर की जांच की गई तो पुलिस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. 2 फरवरी की रात साढ़े 11 बजे से 12 बजे तक इस नंबर की लोकेशन वहां थी.

इस तरह सरिता ने खोला राज

यह विश्वास हो जाने के बाद कि बग्गा सिंह का सोनू नागर की हत्या में कोई न कोई रोल है, श्रीमुक्तसर साहिब जा कर बग्गा सिंह को घर से उठा लिया गया. उसे दिल्ली लाया गया. थाने में जब 19 वर्षीय बग्गा सिंह से सरिता से संबंध के विषय में पूछा गया तो पहले वह किसी सरिता को पहचानने से इंकार करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो वह कांपते हुए बोला, ”साहब, मैं सरिता को पहचानता हूं. उस से मेरी मुलाकात एक महीने पहले भटिंडा में हुई थी.’’

”सरिता वहां क्या करने गई थी?’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने पूछा.

”वहां उस की बहन रहती है.’’

”हूं.’’ इंसपेक्टर ने सिर हिलाया, ”सरिता तुम से किस मकसद से मिली थी?’’

”साहब, वह मुझ से अपने पति का खून करवाना चाहती थी.’’ बग्गा सिंह ने चौंकाने वाला खुलासा किया.

”ओह!’’ इंसपेक्टर हैरानी से बोले, ”यानी सरिता अपने पति सोनू नागर की हत्या तुम से करवाना चाहती थी.’’

”जी साहब.’’ बग्गा ने सिर हिलाया.

”इस सुपारी की तुम्हें कितनी रकम मिली बग्गाï?’’

”डेढ़ लाख रुपए में यह सौदा हुआ था. सरिता ने 50 हजार रुपए पेशगी दी थी.’’

”पेशगी लेने के बाद तुम ने सोनू की हत्या कैसे की, अब यह भी बता दो हमें.’’ बग्गा के चेहरे पर नजरें जमा कर इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने पूछा.

”साहब, मेरा एक दोस्त है गुरमीत, वह भी सुपारी किलर है. मैं ने उसे फोन कर के 2 फरवरी को दिल्ली पहुंचने को कहा. मैं भी दिल्ली आ गया. हम कश्मीरी गेट बस अड्ïडा पर मिले, वहां से एक होटल में ठहर गए. सरिता से संपर्क कर के हम ने उसे बता दिया कि हम दिल्ली आ गए हैं. सरिता ने हमें सोनू नागर का काम तमाम करने के लिए रात को आने को कहा. हम ने दिन में ही सरिता के मकान की रेकी कर ली थी और रात को साढ़े 11 बजे हर ओर सन्नाटा होने पर उस के दरवाजे पर पहुंच गए.

”सरिता ने चुपके से घर का कुंडी खोल दी. हम दबे पांव अंदर घुसे. सोनू नागर उस वक्त सो चुका था. हम ने सोते हुए सोनू नागर को दबोच लिया. सरिता ने पांव पकड़े. गुरमीत ने सोनू नागर के हाथ पकड़े. मैं ने छाती पर चढ़ कर सोनू की गरदन दबा कर उस की हत्या कर दी.

”सोनू नागर की हत्या करने के बाद उस की लाश को हम ने बाइक पर बीच में इस तरह बिठा लिया, जैसे वह जीवित हो और हम कहीं जा रहे हों. हम सोनू की लाश ले कर शक्ति नगर के एरिया में आए और सुनसान पड़े नाले में इस लाश को फेंक दिया. इस के बाद सरिता को सब बता कर हम होटल चले गए. अगले दिन हम सरिता से रुपए ले कर श्रीमुक्तसर साहिब गुरमीत के घर आ गए.’’

बग्गा सिंह का यह बयान कलमबद्ध कर लिया गया. सरिता को पकड़ कर थाने लाने के लिए इंसपेक्टर रमेश कौशिक अपनी पुलिस टीम के साथ गुलाबी बाग पहुंच गए. सरिता घर में ही थी. उसे महिला पुलिस ने पकड़ कर पुलिस की गाड़ी में बिठा लिया. सरिता चिल्लाई, ”मुझे इस तरह पकड़ कर पुलिस की गाड़ी में क्यों बिठाया गया है? इंसपेक्टर साहब, यह कैसी बेहूदगी है?’’

”बेहूदगी कहां है सरिताजी, हम तो तुम्हें थाने ले जा रहे हैं, वहां हम ने तुम्हारे पति के कातिल को पकड़ कर बिठा लिया है. तुम्हें वही दिखाने ले जा रहे हैं.’’ इसपेक्टर कौशिक ने मुसकरा कर कहा. सरिता यह सुन कर खामोश बैठ गई.

थाने में उसे जब बग्गा सिंह के सामने ला कर खड़ा किया गया तो उस के चेहरे का रंग उड़ गया, वह धम्म से कुरसी पर बैठ गई. सरिता ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. पूछताछ में उस ने कहा कि पहले पति की मौत के बाद उस की जिंदगी में सोनू नागर आ गया. कुछ दिनों तक वह सोनू नागर के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रही, फिर उस से शादी कर ली. शादी के बाद उसे मालूम हुआ कि सोनू नागर अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है, उस की नजर उस की दुकान और मकान पर थी. वह उन्हें बेचने के चक्कर में था.

उस ने मेरी बेटी, जो स्कूल में पढ़ती थी, उस की इज्जत पर भी हाथ डाला. मैं सोनू से डरती थी, इसलिए खून का घूंट पी कर रह गई. सोनू मुझ से गालीगलौज और मारपीट भी करने लगा था. मुझे यह भी लगा कि मेरी जायदाद के लिए वह मेरी हत्या कर सकता है, इसलिए तंग आ कर मैं ने बग्गा सिंह को उस के कत्ल की सुपारी डेढ़ लाख रुपए में दे दी.

बग्गा ने अपने साथी गुरमीत के साथ

सोनू की हत्या 2 फरवरी, 2025 की रात को कर दी और लाश शक्ति नगर ले जा कर नाले में फेंक दी, जो 3 फरवरी को रूपनगर पुलिस को मिली थी. सरिता के इकबालिया बयान के बाद इस अपराध को भारतीय न्याय संहिता की धारा-103(1) के तहत सरिता और सुपारी किलर बग्गा सिंह को सक्षम न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. गुरमीत को पकडऩे के लिए पुलिस टीम श्री मुक्तसर साहिब में छापेमारी करने गई तो वह फरार हो गया था. कथा लिखे जाने तक वह पुलिस के हाथ नहीं आया था.

 

 

Crime News : डब्ल्यूटीसी और भूटानी ग्रुप ने लोगों के हड़पे कई सौ करोड़

Crime News : शहर में अपनी छत, अपना घर हर इंसान का सपना होता है. इसीलिए पिछले 2 दशकों में लोगों के इस सपने को पूरा करने के लिए देश भर में बिल्डरों, रियल एस्टेट ग्रुप्स और डेवलपर्स की बाढ़ आ गई है. इन में कुछ ईमानदारी से काम करते हैं तो कुछ जनता के सपने पूरा करने का सपना दिखा कर उन के खूनपसीने की कमाई पर डाका डालते हैं. कुछ रियल एस्टेट ग्रुप्स ने आशियाने का ख्वाब दिखा कर लोगों की जेब से सैकड़ों करोड़ रुपए इतनी आसानी से निकाल लिए कि…

रियल एस्टेट के ये ग्रुप इतने चतुर होते हैं कि वे जनता के पैसे का ही इस्तेमाल कर उन की अपनी संपत्ति का मालिक बनाने के ऐसे सपने दिखाते हैं, जो कभी पूरा ही नहीं होता. अपनी संपत्ति का सपना दिखाने वाले लोगों को बताते हैं कि वे अगर उन के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में पैसा लगाएंगे तो कुछ समय बाद उन्हें अच्छा रिटर्न मिलेगा. यानी प्रोजेक्ट के लिए एडवांस में एक निश्चित रकम निवेश करने के बाद जब वे अपनी संपत्ति के मालिक बनेंगे तो उस की कीमत कई गुना बढ़ जाएगी. अपनी संपत्ति होने का रंगीन सपना देखने वाले ये लोग भूल जाते हैं कि रियल एस्टेट कई तरह के घोटालों से भरा हुआ उद्योग है.

रियल एस्टेट में जुड़े धोखेबाज कई तरह झूठे वादे कर के खरीदारों, विक्रेताओं और निवेशकों का शोषण करते हैं, जिस से वे अपनी खूनपसीने की कमाई गंवा देते हैं और कानूनी परेशानियों का सामना करने लगते हैं. अपना घर, दुकान या औफिस के लिए निवेश करते समय रियल एस्टेट से जुड़े लोग कई प्रोजेक्ट लांच होने से पहले ही रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश कर देते हैं, ताकि उन्हें अच्छा रिटर्न मिल सके. लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट्स में डेवलपर या तो समय पर काम पूरा नहीं कर पाते या फिर प्रोजेक्ट को पूरी तरह से छोड़ देते हैं, जिस से खरीदार वित्तीय संकट में फंस जाते हैं.

कोविड से ठीक पहले की बात है. दिल्लीएनसीआर में ऐसे कई रियल एस्टेट डेवलपर्स थे, जिन्होंने बहुत सारे प्रोजेक्ट लांच किए, लेकिन उन में से कई बहुत देरी से ग्राहकों को डिलीवर हुए तो कई डिलीवर ही नहीं हुए. इस बीच में कुछ रियल एस्टेट कंपनियां ऐसी आईं, जिन्होंने ग्राहकों के इस भरोसे को फिर से जीतने का काम किया. तभी कोविड के बाद रियल एस्टेट की डिमांड भी बढ़ी तो इन का नाम भरोसे की पहचान बन गया. इन्हीं में से 2 नाम वल्र्ड ट्रेड सेंटर्स और भूटानी इंफ्रा थे. लेकिन अचानक ये दोनों रियल एस्टेट ग्रुप और डेवलपर्स ईडी जांच एजेंसी और इनकम टैक्स विभाग के निशाने पर आ गए.

इसी साल मार्च के पहले हफ्ते में देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों में अपना आशियाना खरीदने की चाहत रखने वाले सैकड़ों लोगों के साथ धोखाधड़ी कर उन के सपनों को तारतार करने वाली कंपनियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने ताबड़तोड़ ऐक्शन लिया. ईडी ने रियल एस्टेट सेक्टर की 2 नामी कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस से दिल्ली से ले कर नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद तक में हड़कंप मच गया.

इस काररवाई से हजारों करोड़ की संपत्तियों का पता चला है. इस के अलावा बड़ी संख्या में संवेदनशील दस्तावेज भी बरामद किए गए. ये कंपनियां घर खरीदारों और निवेशकों के पैसों पर कुंडली मार कर बैठ गई थीं. 10 साल से भी ज्यादा का समय होने के बावजूद न तो घर दिए गए और न ही वादे के अनुसार प्लौट ही सौंपे गए.

ईडी ने क्यों की कई ग्रुप्स के खिलाफ काररवाई

ईडी ने रियल्टी फर्म डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप के खिलाफ दिल्लीएनसीआर में छापेमारी के बाद हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति की पहचान की. दरअसल, ईडी ने 27 फरवरी को दिल्ली, नोएडा (उत्तर प्रदेश), फरीदाबाद और गुरुग्राम (दोनों हरियाणा में) में एक दरजन स्थानों पर डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भल्ला और भूटानी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भूटानी के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामले के तहत छापेमारी की.

ईडी ने यह काररवाई दिल्ली पुलिस की इकोनौमिक आफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) और फरीदाबाद पुलिस द्वारा डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भल्ला, सुपर्णा भल्ला, अभिजीत भल्ला और भूटानी इंफ्रा और अन्य के खिलाफ दर्ज कथित धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और सैकड़ों घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में हुई दरजनों एफआईआर के आधार पर की.

दूसरी बार छापेमारी मार्च के पहले सप्ताह में की गई. छापेमारी की काररवाई और पड़ताल के बाद ईडी ने डब्ल्यूटीसी ग्रुप के प्रमोटर आशीष भल्ला को गिरफ्तार कर लिया. इस पर करोड़ों रुपए के फ्रौड के आरोप हैं. नोएडा में डब्ल्यूटीसी के करीब आधा दरजन प्रोजेक्ट अभी अंडर कंस्ट्रक्शन में हैं. ईडी ने कंपनी के अकाउंट, एफडी को फ्रीज कर लिया.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, रियल्टी फर्म के खिलाफ सैकड़ों घर खरीदारों और इनवेस्टर्स ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन से पैसे तो ले लिए गए, लेकिन घर, दुकान, औफिस व प्लौट अब तक नहीं दिए गए. इस के आधार पर ही ईडी ने मामला दर्ज किया था. अब आगे की काररवाई की जा रही है. हालांकि भूटानी इंफ्रा ने छापे के बाद कहा था कि उस ने हाल ही में डब्ल्यूटीसी ग्रुप के साथ अपने सभी संबंध तोड़ लिए हैं और अब वह जांच में ईडी के साथ पूरा सहयोग कर रहा है.

पुलिस एफआईआर में साफ लिखा है कि डब्ल्यूटीसी फरीदाबाद इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और उस के प्रमोटरों ने शहर के सेक्टर 111-114 में रेजिडेंशियल प्लौट के लिए अपने प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए आम जनता को प्रलोभन दिया था. इस में कहा गया कि प्रमोटरों/निदेशकों ने एक आपराधिक साजिश रची और निर्धारित समय के भीतर परियोजना को पूरा न कर के और 10 साल से अधिक समय तक भूखंडों की डिलीवरी न कर के प्लौट खरीदारों की गाढ़ी कमाई को हड़प लिया.

निवेशकों की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि भूटानी इंफ्रा समूह ने डब्ल्यूटीसी समूह का अधिग्रहण कर लिया और फरीदाबाद सेक्टर 111-114 में प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया, जिस से प्लौट खरीदारों को अंधेरे में रखा गया है और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है. उन्हें अपनी यूनिट्स सरेंडर करने के लिए लुभाया गया है. ईडी को छापेमारी में दिल्लीएनसीआर में 15 प्रोजेक्ट के खिलाफ विभिन्न निवेशकों से 3,500 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली से संबंधित दस्तावेज मिले हैं. हालांकि, ईडी ने यह नहीं बताया कि ये दस्तावेज कहां से बरामद किए गए.

डब्ल्यूटीसी ग्रुप द्वारा शुरू की जा रही 15 प्रमुख परियोजनाओं में से बहुत कम की डिलीवरी दी गई है, जो एक सुनियोजित पोंजी स्कीम और अन्य संस्थाओं के नाम पर संपत्ति बनाने और विदेशों में धन की हेराफेरी का संकेत देती है. सिंगापुर और अमेरिका भी पैसा भेजे जाने के सबूत मिलने के दावे किए गए हैं. ईडी की काररवाई चल ही रही थी कि इनकम टैक्स अधिकारियों ने भी 4 से 10 मार्च के बीच कोलकाता के 2, गुडग़ांव के 2, गाजियाबाद के 5, दिल्ली के 4, नोएडा के 12  बिल्डरों समेत 40 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर के रियल एस्टेट वालों की नींद उड़ा दी.

इनकम टैक्स के 100 से अधिक अफसरों ने छापेमारी के बाद बरामद दस्तावेजों के आधार पर पूरा ब्यौरा खंगाला. कई सौ करोड़ के कैश और 50 करोड़ के गलत लेनदेन की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हाथ लगी है. पता चला कि इन बिल्डरों ने कामर्शियल प्रौपर्टी में 40 फीसदी नकद खपाया था. बड़े स्तर पर टैक्स चोरी के इनपुट के चलते छापेमारी को आगे बढ़ाया गया.

इनकम टैक्स विभाग भी आया हरकत में

इनकम टैक्स अधिकारियों की पूछताछ और दस्तावेजों की छानबीन में भूटानी और 108 ग्रुप के काले कारनामों को भी इनकम टैक्स टीम ने उजागर किया. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम ने इस छापेमारी के दौरान 2 हजार करोड़ लोन में खेल का खुलासा किया. लौजिक्स, एडवेंट और ग्रुप 108 बिल्डर समेत 2 ब्रोकर कंपनियों के यहां भी रेड डाली गई थी. ये ग्रुप कैश में प्रोजेक्ट बेचते थे. लौजिक्स ग्रुप ने इंडिया बुल्स से करीब 2000 करोड़ का लोन लिया. इस लोन के बाद उस ने नोएडा में 5 से 6 प्लौट लिए. ये प्लौट औफिस कामर्शियल स्पेस के लिए थे. यहां निर्माण शुरू किया गया, लेकिन आधेअधूरे निर्माण के बाद लौजिक्स ने काम बंद कर दिया.

उधर लगातार इंडिया बुल्स की ओर से लोन जमा करने का प्रेशर बना, जिस के चलते लौजिक्स ने भूटानी ग्रुप के साथ एक एग्रीमेंट साइन किया, जिस के तहत भूटानी ग्रुप इन का कामर्शियल स्पेस बनाएगा और बेचेगा. धीरेधीरे लोन के पैसे लौजिक्स को देगा. हुआ भी ऐसा ही. लेकिन यहां अधिकतर खेल टैक्स चोरी कर किया गया. दरअसल, डेढ़ साल पहले फरवरी 2022 में इनकम टैक्स विभाग को पहला इनपुट मिला था. इस के बाद उन्होंने दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया. इस दौरान उन्हें जानकारी मिली कि भूटानी ग्रुप 2 भागों में बंट गया.

पहला भूटानी इंफ्रा और दूसरा ग्रुप 108. इन का पैसा भी इस कामर्शियल स्पेस में लगा. इसी तरह एडवंट बिल्डर भी पहले भूटानी के साथ कोलेबोरेशन में काम करता था. उस का पैसा भी इस में लगा है. इसीलिए इन चारों बिल्डरों पर भी एक साथ रेड की गई है. कामर्शियल स्पेस बेचने में टैक्स चोरी का पूरा खेल बेहद दिलचस्प तरीके से अंजाम दिया गया. इस फरजीवाड़े में 40 प्रतिशत कैश लिया जाता था. यह पूरा खेल लौजिक्स ग्रुप के कामर्शियल प्लौट स्पेस को बेचने को ले कर किया गया. लौजिक्स ने इस के लिए भूटानी ग्रुप से इंटरनल एग्रीमेंट किया, जिस के तहत भूटानी ने इस स्पेस को बेचना शुरू किया. यहां अधिकांश पैसा ब्लैक में खपाया गया.

प्लौट को बेचने में 40 प्रतिशत तक की धनराशि कैश में ली गई. इस के न कोई पक्के दस्तावेज होते थे और न ही कोई लीगल डाक्यूमेंट. इसी कामर्शियल स्पेस में नामीगिरामी लोगों ने अपना ब्लैक मनी भूटानी ग्रुप में खपाया.

डब्ल्यूटीसी से हुई घपले की शुरुआत

इस घपले की शुरुआत होती है डब्ल्यूटीसी यानी वल्र्ड ट्रेड सेंटर्स कंपनी से. डब्ल्यूटीसी समूह एक रियल एस्टेट कंपनी है, जो दिल्ली एनसीआर में कई परियोजनाओं पर काम करती थी. इस के कर्ताधर्ता हैं आशीष भल्ला, जो एक आदतन अपराधी है. आशीष भल्ला का काम करने का तरीका यह है कि वह डब्ल्यूटीसी एसोसिएशन यूएसए से फ्रेंचाइजी लेता है. मुख्य रूप से भारत में इनवैस्टर क्लिनिक और विदेशों में स्क्वायर यार्ड और उन के विभिन्न बिक्री एजेंटों के माध्यम से प्रोजेक्ट बेचता है. इन प्रौपर्टी एजेंट्स के माध्यम से डब्ल्यूटीसी नोएडा के प्रोजेक्ट को डब्ल्यूटीसी यूएसए परियोजनाओं का बता कर बेचा जाता है. इस के बाद फिर खरीदारों से भारी प्रीमियम लिया जाता है.

डब्ल्यूटीसी नोएडा प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले हजारों बायर्स ने अपनी जीवन भर की जमापूंजी डब्ल्यूटीसी के प्रोजेक्ट में लगाई,  लेकिन अब भी वे अपने निवेश पर ठगे महसूस कर रहे हैं. डब्ल्यूटीसी नोएडा के डायरेक्टर आशीष भल्ला ने लगभग 5 हजार करोड़ रुपए और 20 हजार से अधिक खरीदारों और निवेशकों को धोखा दिया है. बायर्स ने विभिन्न प्रोजेक्ट्स जैसे टेक-1 और 2, 1डी, 1ई, सिग्नेचर टेक जोन, प्लाजा, क्वाड, क्यूबिक और रिवरसाइड रेजिडेंसी में निवेश करने वालों को अब तक उन का हक नहीं मिला है.

बायर्स अब तक 13 से अधिक विरोध प्रदर्शन और प्रैस कौन्फ्रेंस कर चुके हैं. उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों और नेताओं से भी संपर्क किया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. बायर्स ने रेरा, उपभोक्ता अदालतों, हाईकोर्ट और एनसीएलटी सहित कई जगहों पर शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन अब तक कोई ठोस काररवाई नहीं हुई थी. नोएडा प्रशासन और अन्य सरकारी एजेंसियां भी जिम्मेदारी लेने से बचती रहीं. बायर्स को 27 से अधिक मामलों की सुनवाई के बावजूद कोई राहत नहीं मिली.

बायर्स ने डब्ल्यूटीसी नोएडा व आशीष भल्ला के खिलाफ विभिन्न भारतीय अदालतों में कई कानूनी मामले दर्ज कराए थे. दरअसल, इस प्रोजेक्ट में भूटानी ग्रुप द्वारा शेयर खरीद कर एक और बड़े फ्राड को अंजाम देने की भूमिका तैयार की जा रही थी. भूटानी डब्ल्यूटीसी नोएडा परियोजना को भूटानी अल्फातम परियोजना में बदलने की पेशकश करने लगा. डब्ल्यूटीसी नोएडा आशीष भल्ला प्रौपर्टी एजेंटों को भारी कमीशन देता था. हकीकत यह थी कि डब्ल्यूटीसी यूएसए का नोएडा डब्ल्यूटीसी से कोई संबध था ही नहीं. डब्ल्यूटीसी यूएसए ने कभी आशीष भल्ला को अपना नाम इस्तेमाल करने या उन की कंपनी से संबध जोडऩे की अनुमति नहीं दी थी.

जब डब्ल्यूटीसी नोएडा की धोखाधडिय़ों के बारे में उन के बायर्स ने डब्ल्यूटीसी यूएसए के साथ पत्राचार कर उस के कारनामों के बारे में शिकायत की तो यूएसए की कंपनी ने साफ कर दिया कि उन की डब्ल्यूटीसी नोएडा में कोई जिम्मेदारी नहीं है. बायर्स ने जब 2 कदम आगे बढ़ा कर कारपोरेट मामलों के मंत्रालय में छानबीन की तो पता चला कि डब्ल्यूटीसीए यूएसए और डब्ल्यूटीसी नोएडा (वेरिडन रेड) के बीच कोई संबंध नहीं है. इस के बाद साफ हो गया कि आशीष भल्ला आदतन अपराधी होने के कारण ही कभी भी अपना कोई प्रोजेक्ट पूरा नहीं करता है और खरीदारों का सारा पैसा अपनी शेल कंपनियों में जमा कर देता है.

भूटानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट में शेयर खरीद कर एक और बड़ा घोटाला किया. भूटानी ग्रुप, डब्ल्यूटीसी नोएडा को भूटानी अल्फातम प्रोजेक्ट में बदलने का प्रयास करने लगी और बाजार दर से अधिक कीमत वसूलने की योजना बनाई. आयकर विभाग की काररवाई से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने डब्ल्यूटीसी नोएडा और आशीष भल्ला-भूटानी ग्रुप के 12 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिस में 3,500 करोड़ रुपए के अवैध दस्तावेज बरामद हुए थे. सिंगापुर में फंड ट्रांसफर का खुलासा हुआ. मनी लांड्रिंग की इसी जांच के लिए ईडी ने आशीष भल्ला को गिरफ्तार कर 7 दिनों के रिमांड पर भी लिया.

आशियाने के लिए दरदर भटक रहे हैं लोग

डब्ल्यूटीसी में इनवैस्ट करने वालों की अपनीअपनी कहानियां है. एक बायर सुजीत सिंह ने साल 2018 में डब्ल्यूटीसी बिल्डर के यहां लाखों रुपए इनवैस्ट किया था. लेकिन कुछ समय बाद उन्हें अपना पैसा डूबता हुआ नजर आ रहा था, लेकिन भूटानी के आने से अब उन्हें थोड़ी राहत मिलती दिखी. क्योंकि भूटानी ने उन से कहा कि आप हमारी कुछ शर्तों पर फार्म भर दीजिए, जिस के बाद अधिकांश बायर्स ने नई शर्तों के साथ फार्म भर दिए. उन्हें उम्मीद थी कि उन की यूनिट मिल जाएगी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका तो बायर्स ने फिर सरकार से गुहार लगाई और भूटानी बिल्डर से भी कहा कि जल्द से जल्द उन के औफिस बना कर पजेशन दिए जाएं.

एक अन्य बायर तरुण रावत का भी यही दर्द है, उन्होंने बताया कि दुबई से उन के भाई ने डब्ल्यूटीसी में लाखों रुपए इनवैस्ट किया था. अब वे काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. प्रोजेक्ट भूटानी में शिफ्ट होने के बाद उम्मीद थी कि भूटानी जल्द से जल्द उन की यूनिट बना कर देंगे. लेकिन उन्होंने भी धोखा दे दिया. डब्ल्यूटीसी के साथ वित्तीय या परिचालन संबंधों के आरोपों के जवाब में, भूटानी इंफ्रा ने एक बयान जारी कर विवादास्पद रियल एस्टेट समूह से भूमि या फंड ट्रांसफर में किसी भी तरह की संलिप्तता से साफ इनकार किया. कंपनी ने स्पष्ट किया कि डब्ल्यूटीसी के साथ अपने संक्षिप्त जुड़ाव के दौरान भूटानी इंफ्रा को कोई भूमि या फंड ट्रांसफर नहीं किया गया, जिस में भूटानी इंफ्रा या उस के निदेशकों को भूमिधारक कंपनियों में कोई शेयर ट्रांसफर शामिल है.

भूटानी इंफ्रा ने कहा कि उस ने जुलाई, 2024 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के 6 महीने बाद फरवरी, 2025 में डब्ल्यूटीसी समूह के साथ अपने संबंध पूरी तरह से तोड़ लिए थे. कंपनी ने इस बात पर जोर दिया कि उस का डब्ल्यूटीसी से कोई वित्तीय या परिचालन संबंध नहीं है और इस के विपरीत कोई भी सुझाव गलत और धोखे से भरे हुए हैं. डब्ल्यूटीसी से संबंधित कोई दायित्व न होने के बावजूद भूटानी इंफ्रा ने कहा कि वह चल रही जांच में ईडी के साथ पूरा सहयोग करते हुए संकटग्रस्त ग्राहकों को सहायता और मार्गदर्शन दे रही है.

इस बीच, वल्र्ड  ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन के तत्त्वावधान में हजारों घर खरीदार और निवेशक आशीष भल्ला और डब्ल्यूटीसी  नोएडा डेवलपमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े भारत के सब से बड़े रियल एस्टेट धोखाधड़ी में तत्काल सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. 4 राज्यों— उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व गुजरात और 17 परियोजनाओं में फैले इस घोटाले ने 20,000 से अधिक खरीदारों को अधूरे विकास और हजारों करोड़ रुपए के वित्तीय नुकसान के साथ फंसा दिया है.

आखिर निवेशकों को क्यों नहीं मिल रहा न्याय

वल्र्ड ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन का कहना है कि निवेशकों से धोखाधड़ी गतिविधियों के पर्याप्त सबूतों के बावजूद, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) और उपभोक्ता मंचों जैसे नियामक निकाय प्रभावी काररवाई करने में विफल रहे हैं,  जिस से निवेशकों के पास कोई सहारा नहीं बचा है. सब से बड़ी विफलता गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की है, जहां कंपनी अधिनियम की धारा 241 के तहत एक आपातकालीन आवेदन 28 महीने से अधिक समय से अनसुलझा है.

एसोसिएशन का दावा है कि 24 जुलाई, 2022 को उस ने वल्र्ड ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन नोएडा डेवलपमेंट कंपनी के खिलाफ एसएफआईओ को एक व्यापक शिकायत प्रस्तुत की, जिस में धोखाधड़ी वाली सुनिश्चित रिटर्न योजनाओं से जुड़े बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ. जवाब में एसएफआईओ ने 29 सितंबर, 2022 को एनसीएलटी के साथ एक आवेदन (सीपी-156/2022) दायर किया, जिस में गंभीर कुप्रबंधन और धोखाधड़ी गतिविधियों के कारण कंपनी के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप की मांग की गई.

डब्ल्यूटीसीए का आरोप है, ‘हालांकि, एक आपातकालीन प्रावधान होने के बावजूद, मामले में बारबार देरी हुई है. 28 महीनों में 29 सुनवाई के बाद भी कोई खास प्रगति नहीं हुई है. प्रत्येक सुनवाई एसएफआईओ के कानूनी प्रतिनिधियों या अभियुक्तों के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के कारण रुकी हुई है, जिस से सिस्टम में हेरफेर करने और जवाबदेही से बचने के लिए धोखेबाजों द्वारा संभावित हस्तक्षेप के बारे में चिंता बढ़ रही है.’

डब्ल्यूटीसीए की अध्यक्ष अलका जैन कहती हैं कि एनसीएलटी का मामला अभी भी अटका हुआ है, न तो एसएफआईओ और न ही किसी अन्य प्राधिकरण ने आरोपियों को गिरफ्तार किया और न ही उन की संपत्ति जब्त की, जिस से वे निवेशकों को धोखा देते रहे हैं. सैकड़ों शिकायतें प्राप्त करने के बावजूद, 4 राज्यों से रेरा ने मामले में फोरैंसिक औडिट शुरू नहीं किया. पंजाब रेरा के समक्ष आधिकारिक फाइलिंग से पता चलता है कि 372 करोड़ रुपए एकत्र किए गए, 284 करोड़ रुपए निकाले गए और जीरो प्रतिशत परियोजना पूरी हुई, फिर भी कोई काररवाई नहीं की गई.

इस के अलावा, डब्ल्यूटीसी समूह के खिलाफ यूपी रेरा में 338 शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन कोई सार्थक हस्तक्षेप नहीं हुआ. डब्ल्यूटीसीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कारपोरेट मामलों के मंत्रालय से हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि डब्ल्यूटीसी समूह के घर खरीदारों और निवेशकों को बिना किसी देरी के न्याय मिले.

 

 

UP News : गीता हुई भतीजे के प्यार में दीवानी

UP News : 28 वर्षीय गीता का पति प्रकाश कनौजिया मुंबई में था. वह मायके में रहते हुए 2 बच्चों की जिम्मेदारियां संभाले हुए थी. निजी जिंदगी जैसेतैसे तनहाई में गुजर रही थी. हमउम्र भतीजे विकास का जरा सा सहारा क्या मिला, उसी से दिल लगा बैठी. एक तरफ प्रेम की दीवानगी थी, अनैतिक संबंध और वासना का उफान था तो दूसरी तरफ पैसे की तंगी भी थी. फिर जो कुछ हुआ, उस में गेहूं के साथ घुन पिसने की कहावत चरितार्थ हो गई. क्या हुआ, कैसे हुआ, पढ़ें मांबेटी हत्याकांड की पूरी कहानी…

मलीहाबाद में मिर्जागंज बाजार स्थित एक चर्चित कपड़े की दुकान ‘प्रेम वस्त्रालय’ में बैठा विकास बारबार आ रहे फोन काल से परेशान हो गया था. त्यौहार का सीजन था. ग्राहकों की भीड़ थी. 2 दिन बाद ही करवाचौथ आने वाला था. वह ग्राहक को देखे या फिर फोन सुने. तंग आ कर उस ने मोबाइल ही स्विच औफ कर दिया.

दुकान पर जब ग्राहकों की भीड़ कम हुई, तब उस ने लंच करने के लिए अपने टिफिन का थैला उठाया और दुकान के पीछे छोटे से गोदाम में चला गया. लंच बौक्स खोला, साथ ही अपने मोबाइल को औन किया. मोबाइल औन होते ही स्क्रीन पर पर 22 मिस काल और 8 वाट्सऐप मैसेज चमकने लगे. ये सभी मिस्ड काल और मैसेज गीता के थे. कुछ घंटे पहले गीता ही लगातार उसे काल पर काल किए जा रही थी. काल करने के बजाए उस ने मैसेज पढऩा शुरू किया. विकास का मन कड़वा हो गया. सोचा खाना खाने के बाद या दुकान से छुट्टी होने पर गीता को काल कर लेगा. उस ने फटाफट 5-7 मिनट में लंच कर लिया.

लंच बौक्स संभालते वक्त गीता के 2 और वाट्सऐप मैसेज आ गए. मैसेज क्या थे, पूरी शिकायत थी. उस में धमकी भी शामिल थी. लिखा था, ”मैं आ रही हूं दुकान पर, देखती हूं कि तुम मुझे कैसे कपड़े नहीं दिलवाते हो?’’

मैसेज पढ़ कर वह भुनभुनाया, ”कहां से कपड़े दिलवाऊं? वैसे ही दुकान का मालिक पिछला बकाया मांग रहा है…’’

वह झुंझला उठा था. उस के मन में बेचैनी आ गई थी. सिर खुजलाता हुआ किसी तरह खुद को सहज बनाने की कोशिश की और दुकान पर जा बैठा. वहां ग्राहकों की भीड़ लग गई थी. वह जल्दीजल्दी उन्हें निपटाने के लिए अपने सहयोगी सेल्समैन का हाथ बंटाने लगा. अचानक उस की नजर सामने सड़क की ओर गई. उस ने गीता को दुकान में घुसते देखा तो सकपका गया. दुकान के एक किनारे चला गया. तब तक गीता वहां पहुंच गई. आते ही शिकायती लहजे में बोल पड़ी, ”तुम ने फोन क्यों नहीं उठाया, कितनी बार काल किया.’’

”देख रही हो दुकान पर कितने ग्राहक हैं!’’ विकास बोला.

”तुम ने फोन ही बंद कर दिया, लाओ कहां है मेरी साड़ी?’’ गीता सीधे अपनी बात पर आ गई थी.

विकास रिश्ते में गीता का भतीजा था. वह कपड़े की दुकान में सेल्समैन की नौकरी करता था. उसे उस ने 2 दिन पहले ही करवाचौथ के लिए साड़ी लाने को कहा था. विकास गीता की बातों का कोई जवाब नहीं दे पाया था.

”अब मुझे टुकुरटुकुर क्या देख रहे हो. साड़ी दो उस में फाल लगवानी है. मैचिंग ब्लाउज भी सिलवाना है. पेटीकोट भी बनवाना है.’’ गीता बोलने लगी.

”गीता, तुम अभी घर जाओ, मैं शाम को साड़ी लेता आऊंगा. पूजा का सामान भी ला दूंगा.’’ विकास बोला.

”यह तो तुम हफ्ते भर से बोल रहे हो, नहीं ले कर आए, तभी तो मुझे यहां आना पड़ा.’’ गीता बोली.

”अभी तुम जाओ, प्लीज तुम यहां से चली जाओ. दुकान पर बहुत काम है!’’ विकास बोला.

”ठीक है, जाती हूं. लेकिन साड़ी, पूजा का सामान ले कर आना और कुछ पैसे भी देना.’’ बोलती हुई गीता वहां से चली गई.

विकास ने राहत की सांस ली. कुछ पल वह मौन बना रहा. फिर काम में लग गया.

दुुकान से निकल कर गीता मायूस थी. वह सोचती हुई जा रही थी, विकास के व्यवहार में कितना बदलाव आ गया है. जो विकास एक समय में उस की हर बात को तुरंत मान लेता था, एक पैर पर खड़े हो कर उस का हर काम करने के लिए तैयार हो जाता था. लेकिन अब वह क्यों बदल गया है. उसे अपनी बदहाल और अभावग्रस्त जिंदगी को ले कर रोना आ रहा था. खुद को कोस रही थी. खुद से बातें करती घर जा रही थी, ‘आखिर वह किस अधिकार से करवाचौथ के लिए उस से साड़ी मांगने गई थी, जबकि उस का पति प्रकाश मुंबई में बैठा था. उस ने त्यौहार के मौके पर छुट्टी नहीं मिलने के कारण घर नहीं आने की खबर कर दी थी. उसी ने विकास से कपड़े आदि खरीदवाने को कहा था. इसी आस में वह विकास से उम्मीद लगा बैठी थी.’

प्रेमी के प्रति गीता के मन में क्यों हुई नफरत

दूसरी तरफ विकास दुकान में अपनी अंगुलियों पर हिसाब लगा रहा था. वह कर्ज के बोझ की चिंता में डूबा था. वह समझ नहीं पा रहा था कि दुकान के मालिक से कैसे साड़ी और कुछ पैसे उधार देने की मांग करे. उस ने पहले से ही जो कर्ज ले रखा था, उसे चुकाने में कई महीने लग जाएंगे. वह और कर्ज लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. गीता ने करवाचौथ के मौके पर बेमन से आए दिन पहनने वाली साड़ी में ही चावल, बतासे और जल से चंद्रमा को अघ्र्य दे कर छोटीमोटी रस्में पूरी कर लीं. छलनी से पति की तसवीर को निहार लिया. चंद्रमा को प्रणाम किया और व्रत तोडऩे के बाद पास बैठी 6 वर्षीय बेटी दीपिका को प्रसाद खाने के लिए दे दिया.

आधी रात का वक्त होने को आया था. गीता भूखीप्यासी थी. उसे नींद नहीं आ रही थी. अचानक दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई दी. उस ने कमरे के बाहर जा कर देखा. सामने विकास उसे देख कर मुसकरा रहा था. खाली हाथ उसे देख रहा था.

”अब यहां क्या लेने आया है, वह भी आधी रात को, चलो भागो यहां से. जाओ, आज के बाद से मेरे घर में कदम मत रखना. मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है.’’ गीता विकास को देखते ही आंखे तरेर कर बोली.

”गीता, मेरी मजबूरी तो समझो…’’ विकास के आगे बोलने से पहले ही गीता भद्ïदी सी गाली के साथ बोली, ”हरामी कहीं का, जब देखो मुंह उठाए मेरे यहां चला आता है और जब मुझे जरूरत होती है, तब मुंह फेर लेता है.’’

गीता लगातार गालियां दिए जा रही थी और विकास बेशरमी से सुनता रहा. वह अजीबोगरीब स्थिति में था. जबकि गीता उसे बोलने का मौका ही नहीं दे रही थी. वह ऐसे कर रही थी, जैसे उसे चबा ही जाएगी. भूखी शेरनी की तरह गुर्राने के कारण विकास के बोल नहीं निकल पा रहे थे. बोलते हुए उस के शब्द अटक रहे थे. बोलतेबोलते गीता एक झटके से मुड़ी और कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया. बाहर विकास कुछ सेकेंड तक ठिठका रहा, फिर वापस अपने घर लौट आया. उधर गीता ने सौगंध ले ली कि वह भविष्य में विकास को यहां कभी आने नहीं देगी और न ही वह उस से कभी मिलेगी.

हुआ भी ऐसा ही. हफ्तों बीत गए, गीता ने विकास से मिलना तो दूर उसे फोन तक करना मुनासिब नहीं समझा. यहां तक कि नए साल की शुभकामनाओं का मैसेज तक नहीं दिया. जबकि विकास गीता को फोन करता था, लेकिन गीता उस का फोन कट कर देती थी. विकास के घर आने पर वह बेरुखी से तुरंत दरवाजा बंद कर लेती थी. विकास जब भी दुकान पर होता, तब उस की बारबार बाहर जाने वाली नजर गीता को तलाशती रहती थी. वह उसे एक बार मिल कर बता देना चाहता था कि उस की  मजबूरियां क्या हैं? वह उसे कितना प्यार करता है. उस पर कितना खर्च करता रहा है और उस कारण वह किस कदर कर्जदार बना हुआ है.

विकास को एक दिन संयोग से गीता बाजार में खरीदारी करती दिख गई. वह अपने पापा सिद्धनाथ, बेटे दीपांशु और बेटी के साथ थी. दरअसल, उस की ससुराल ईशापुर में है. पति प्रकाश मुंबई में प्राइवेट नौकरी करता है. लखनऊ से 6 किलोमीटर की दूरी पर उस का मायका दिलावर नगर है. उस के पापा सिद्धनाथ अकसर गीता की देखरेख करने और जरूरत की चीजें दिलवाने के लिए उस की ससुराल आया करते थे. उस दिन विकास गीता को बाजार में देख कर दुकान से तुरंत उतर कर पीछे से गीता के सामने जा कर खड़ा हो गया. उस वक्त गीता अकेली एक कौस्मेटिक्स की दुकान के सामने खड़ी थी. विकास गीता का हाथ पकड़ कर एक किनारे ले गया.

”क्या इरादा है तुम्हारा? क्यों तुम मेरे हाथों मरना चाहती हो?’’ विकास ने एक सांस में ही गीता को बहुत खरीखोटी सुना दी. उस ने यहां तक कह दिया, ”या तो तुम मेरी जान ले लो या मैं तुम्हारी जान ले लूं!’’ गीता मौके की नजाकत को देख कर विकास की बात को सुनती रही. कुछ देर में विकास खुद शांत हो गया. तब गीता बच्चों को साथ ले कर चुपचाप अपने घर चली गई.

दोहरे मर्डर से सकते में आई पुलिस

बात 17 जनवरी, 2025 की है. मलीहाबाद पुलिस के बीट प्रभारी एसआई अमन श्रीवास्तव को सुबहसुबह ईशापुर गांव में एक महिला और 6 वर्षीय बच्ची की मकान के अंदर हत्या किए जाने की सूचना मिली. उन्होंने इस की सूचना एसएचओ सतीशचंद्र साहू को दे दी. साहू ने भी फौरी काररवाई करते हुए अमन श्रीवास्तव को पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जाने के आदेश दिए.

थोड़ी देर में ही एसीपी अमोल मुरकर और पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. अमन श्रीवास्तव के साथ एसआई अश्वनी कुमार और विवेक कुमार के अलावा सिपाही गौरीशंकर यादव, उत्तम राठी और हैडकांस्टेबल कामरान खान भी ईशापुर पहुंच गए थे. घर के भीतर दोहरे हत्याकांड की मौके पर की गई जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि मृतका की उम्र 28 साल थी और उस का नाम गीता और 6 साल की बच्ची उस की बेटी दीपिका है. दोनों की हत्या धारदार हथियार से की गई थी. मौके पर गीता की गरदन कटी पाई गई.

पुलिस की जांच में रात 2 से 3 बजे के बीच घटना को अंजाम दिए जाने की आशंका जताई गई. पुलिस दल ने दोनों लाशों का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस ने जांच में गीता की ससुराल ईशापुर और मायका दिलावर नगर के बीच 2 केंद्र चिह्निïत किए. हत्यारे का पता लगाने के लिए सर्विलांस टीम और डौग स्क्वायड ने दिन में 12 बजे ईशापुर गांव जा कर जांच की. खोजी कुत्ता घर से 20 मीटर की दूरी तक लखनऊ रेलवे लाइनों के किनारे कुछ दूर गया और ठहर कर वापस लौट आया. पुलिस ने अनुमान लगाया कि रेलवे ट्रैक के सहारे किनारेकिनारे हमलावर आए होंगे और पैदल गीता के घर तक गए होंगे.

पुलिस ने इस हत्याकांड में किसी परिचित के शामिल होने की आशंका जताई. ग्रामीणों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि गीता के घर में ज्यादातर उस के परिवार के लोगों का ही आनाजाना था, जो ससुराल और मायके के होते थे. वैसे इस हत्याकांड की सूचना गीता के पापा सिद्धनाथ कनौजिया को भेज दी गई थी. वह लखनऊ में दिलावर नगर, रहीमाबाद थाने के रहने वाले हैं. उन की तहरीर पर मलीहाबाद थाने में धारा 103(1) बीएनएस के तहत केस दर्ज कर लिया गया.  इस की आगे की जांच के लिए डीसीपी (पश्चिम) विश्वजीत श्रीवास्तव द्वारा पुलिस की टीमों का गठन किया गया.

डीसीपी और एडीसीपी धनंजय कुमार कुशवाहा ने क्राइम टीम के सर्विलांस की टीम को इंसपेक्टर सतीशचंद्र साहू के साथ शामिल कर दिया. पुलिस कमिश्नर कार्यालय के इंसपेक्टर शिवानंद मिश्रा, एसआई आशुतोष पांडेय, शुभम पाराशर और हबीब के अलावा पवन, दिलीप व सूरज सिंह सिपाहियों को ले कर 5 टीमें बनाई गईं.

प्रकाश घर क्यों नहीं आ पाता था पत्नी से मिलन

सभी जांच टीमों की मेहनत ने 12 घंटे में रंग दिखा दिया. गीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स मालूम हो चुकी थी. उस के मुताबिक गीता के मोबाइल फोन पर एक साल के भीतर 1100 काल विकास के द्वारा किए गए थे. फिर क्या था, घटना के अगले दिन ही 17 जनवरी, 2025 को ईशापुर निवासी राजेश के बेटे विकास को मलीहाबाद में हाइवे के किनारे से पकड़ लिया गया.

विकास से थाने में सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. जल्द ही उस ने स्वीकार कर लिया कि वह गीता से बहुत प्यार करता था, लेकिन कुछ दिनों से उस की बेरुखी से तंग आ गया था. उस के बाद वारदात की तह में छिपी कहानी इस तरह बताई—

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अंतर्गत 24 राजमार्ग के किनारे मलीहाबाद से 3 किलोमीटर की दूरी पर ईशापुर गांव में प्रकाश कनौजिया का परिवार रहता है. प्रकाश के पापा का नाम रामखिलावन था. उस के घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. गांव में रह कर गुजरबसर होनी काफी मुश्किल थी. इस कारण रामखिलावन का भाई रामविलास सन 2010 में गांव से मुंबई चला गया था. किसी तरह वहां कामधंधा किया. बाद में उस ने वहां एक लौंड्री की दुकान खोल ली. जल्द ही लौंड्री का व्यवसाय चलने लगा. धंधा जमते ही रामविलास अपने बुजुर्ग मम्मीपापा के गुजरबसर के लिए हर महीने कुछ पैसा भेजने लगा. रामखिलावन ने रामविलास के कहने पर 2014 में प्रकाश का विवाह दिलावर नगर निवासी सिद्धनाथ कनौजिया की बेटी गीता के साथ करवा दिया.

शादी के बाद गीता अपनी ससुराल ईशापुर आ गई. प्रकाश और गीता का दांपत्य जीवन हंसीखुशी से शुरू हुआ. शादी के एक साल बाद गीता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम दीपांशु रखा गया. रामविलास के मुंबई जाने के बाद घर के खर्चों की जिम्मेदारी प्रकाश पर आ गई. प्रकाश चाहता था कि वह भी कोई कामधंधा शुरू करे. लेकिन उस के सामने मजबूरी थी. वह पत्नी और मम्मीपापा को अकेला नहीं छोडऩा चाहता था. शादी के 3 साल बाद गीता ने एक बेटी को जन्म दिया. प्रकाश और गीता को अब दोनों बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी. गीता प्रकाश पर मुंबई जा कर रामविलास के साथ ही कोई कामधंधा करने के लिए दबाव बनाने लगी.

इस बारे में गीता ने अपने ससुर से भी बात कर उन्हें राजी कर लिया. साल 2018 की होली के मौके पर रामविलास अपने घर आया, तब गीता ने उस से भी प्रकाश को साथ ले जाने की विनती की. वह खुशीखुशी तैयार हो गया. होली के बाद अप्रैल, 2018 के पहले सप्ताह में प्रकाश भी मुंबई के उपनगर कल्याण पहुंच गया. रामविलास ने उस के लिए एक छोटी खोली किराए पर ले ली और उस की भी लौंड्री की दुकान खुलवा दी. प्रकाश ने खूब मेहनत की और अपने मधुर व्यवहार से धंधा जमा लिया. किंतु इस बीच वह गीता और बच्चों को एकदम से भूल गया. हालांकि वह चाहता था कि कमाई से पैसा जमा करे और दीवाली के मौके पर ढेर सारा पैसा ले कर घर जाए.

हालांकि करीब 6 महीने बाद प्रकाश पैसा देने के लिए एक रात के लिए अपने गांव  आया और अगले दिन ही मुंबई लौट गया. गीता को पति का इस तरह जल्दी में जाना अच्छा नहीं लगा, लेकिन वह उसे चाह कर भी नहीं रोक पाई. धीरेधीरे एक साल बीतने को आया. प्रकाश गांव नहीं आ पाया. साल 2020 के आते ही कोरोना काल आ गया. लौकडाउन लग गया. वह चाह कर भी गांव नहीं जा पाया.

2022 के फरवरी-मार्च में होली पर प्रकाश ने एक बार फिर गांव ईशापुर आने की तैयारी की. लेकिन दोबारा लौकडाउन के चलते वह मुंबई में ही फंसा रहा. पत्नी और बच्चों से मिलने नहीं आ सका. इस का असर उस के धंधे पर भी हुआ. कमाई बहुत कम हो गई.

चाची का विकास पर कैसे आया दिल

गीता को भी घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया. प्रकाश ने उसे जो पैसे भेजे थे, वे सब खर्च हो गए थे. गीता को अपने परिवार के भरणपोषण के लिए परेशान रहने लगी. इसी बीच प्रकाश ने अपने रिश्ते के चचेरे भाई राजेश के बेटे विकास से मदद मांगी. उसे  अपनी चाची गीता और दोनों बच्चों का खयाल रखने का अनुरोध किया. इस बारे में प्रकाश ने गीता को भी फोन पर बता दिया कि वह बेझिझक विकास से किसी भी तरह की मदद ले सकती है. उस के बाद से विकास और गीता का मिलनाजुलना होने लगा था. विकास गीता से मिलने घर पर बेरोकटोक आने लगा था. उन के बीच चाचीभतीजे का रिश्ता था, इस वजह से पासपड़ोस और मायके के लोगों को उन के मिलनेजुलने पर कोई आपत्ति नहीं थी.

चाचा प्रकाश से किए वायदे को विकास अच्छी तरह निभा रहा था. विकास जब भी काम से फुरसत पाता, चाची गीता से मिलने चला आता था. दोनों घंटों साथ बैठ कर बातें करते रहते थे. विकास उसे जरूरत की चीजें भी ला कर दे दिया करता था. गरमी के दिन थे. रात के 9 बज रहे थे. धीरेधीरे रात पैर पसार रही थी. गीता के दोनों बच्चे आंगन में पड़ी चारपाई पर सो रहे थे. सन्नाटे में घर के अंदर दोनों अकेले थे. विकास जब अपने घर को चलने को हुआ तो गीता ने कहा कि आज रात को खाना यहीं खा कर यहीं सो जाओ.

विकास गीता की बात सुन कर कुछ ठिठक सा गया. जेहन में एक विचार कौंध गया. लालटेन की मध्यम रोशनी में वह गौर से गीता के गोरे चेहरे को निहारने लगा. तभी विकास का कुंवारापन जाग उठा था. वह 25 साल का नवयुवक था. काफी देर तक उस का चेहरा निहारने के बाद बोला, ”आज मुझे घर जाने दो. मैं कल शाम को अपनी मां से यहां रुकने के लिए कह कर आऊंगा.’’

विकास की बात सुन कर गीता मुसकराई और बोली, ”कल जरूर आ कर रुकना, तुम्हें मेरी कसम है.’’

गीता के आग्रह के साथ बोलने और कसम देने की बात कहने पर विकास का दिलदिमाग और भी झनझना उठा था. वह उस की चाहत को समझ गया था. जातेजाते बोला, ”यहीं आ कर रात को रुकूंगा और खाना भी यहीं खाऊंगा.’’

विकास मलीहाबाद में एक कपड़े की दुकान में नौकरी करता था और रोजाना की तरह बाजार से शाम को अपने घर वापस लौटते समय अकसर गीता से बातें करने के लिए उस के पास चला जाता था. उस का मन धीरेधीरे उस की आकर्षित होने लगा था.

एक झटके में टूट गई मर्यादा की दीवार

अगले दिन विकास पूरी तैयारी के साथ गीता के पास गया. उस ने नौनवेज खरीदा. इस के अलावा शराब की एक बोतल भी खरीद कर रख ली. ये चीजें दिन में बाइक से गीता के घर जा कर दे आया और रात में आने को बोल गया. रात के 10 बजे विकास गीता के घर पहुंचा. गीता खाना खाने का इंतजार कर रही थी. विकास ने खाना खाने के पहले शराब के 2 पैग लेने की योजना बनाई. जब तक गीता खाना गर्म करने रसोई में गई, तब तक विकास ने शराब के पैग पीने शुरू कर दिए.

जब खाना ले कर गीता आई, तब उस ने नशे की हालत में गीता को भी जबरन 2 पैग शराब पिला दी. उस रात दोनों पर शराब का नशा इस कदर हावी हो गया कि वे आपस में छेड़छाड़ और नोकझोंक करते हुए वासना की आग में तप गए. एक बार जब उन के बीच रिश्ते की पवित्रता पर धूल पड़ी, तब उस के बाद वे इस के लिए अपनी मनमरजी के मालिक बन गए. गीता को पति से यौनसुख नहीं मिल पा रहा था. विकास भी कुंवारा था. इस में गीता ने खुले विचार से विकास का साथ दिया. बदले में विकास उस की जरूरतों को पूरा करने लगा.

प्रकाश का पिछले साल जनवरी के महीने में लखनऊ आना हुआ. एक सप्ताह घर पर रहने के बाद वह मुंबई वापस चला गया. पति के मुंबई चले जाने के बाद गीता अपने मायके में आ कर रहने लगी थी. इस बार अक्तूबर, 2024 से अपने मायके नहीं आई थी. वह ससुराल में अलग से बने बाग के मकान में अपने बच्चों के साथ रहने चली गई थी. वह मकान रामविलास और प्रकाश ने मिल कर बनवाया था. इसी मकान के आगे बाग की सीमा खत्म हो जाती थी और उस से सटी रेलवे लाइन गुजरती थी. गीता और विकास अकसर वहीं मिलने लगे थे.

गीता उस से मोहब्बत करने लगी थी. दिन निकलने के पहले विकास गीता के घर से चला जाता था और झटपट दोपहर का खाना ले कर मलीहाबाद दुकान पर रवाना हो जाता था. वह रोजाना शाम को जब भी अपने गांव वापस लौटता तो वह गीता के पास जा कर के प्यारमोहब्बत की बातों में मशगूल हो जाता था. विकास जब भी बाजार से घर आता तो गीता के बच्चे उस की जेब में हाथ डाल देते थे. गीता के पास बेटी दीपिका ही रहती थी, जबकि बेटा दीपांशु अपने नाना के पास था.

विकास और गीता की मोहब्बत काफी गहरी हो चुकी थी. वे एकदूसरे के बिना नहीं रह पाते थे. विकास गीता की आशनाई में अपनी नौकरी की कमाई उस पर खर्च करने लगा था. जबकि विकास के परिवार में उस के अलावा 2 बहनें और थीं. पूरे परिवार का खर्च उस की नौकरी पर निर्भर था. फेमिली वालों से उस की हरकतें छिपी न रहीं. उन्होंने  विकास को गीता के मकडज़ाल से मुक्त करवाने की योजना बनानी शुरू की. वे उसे लखनऊ से दूर कहीं दूसरे शहर भेजने की योजना बनाने लगे. विकास गीता पर पैसे खर्च करने के चक्कर में कर्जदार बन गया था.

अपने पापा के कहने पर 2023 में वह साढ़े 3 लाख रुपया खर्च कर कुवैत चला गया. इस बीच गीता अकेली रह गई. विकास के कुवैत में नौकरी करते कुल 2 महीने ही बीते थे कि गीता अपने फोन से उसे रोजाना रात को फोन कर देती थी. फोन पर वह अपना दुखड़ा सुनाने लगती थी. उसे ईशापुर लौटने के लिए कहती थी. गीता के लगातार जिद करने पर केवल 2 महीने में ही वह कुवैत से वापस आ गया. कुवैत से लखनऊ वापस आने के कारण विकास लगभग 4 लाख रुपए का कर्जदार हो चुका था. गीता की जिद पर विकास जब अपने गांव वापस आया तो वह कपड़ों के उसी शोरूम पर जा कर फिर से नौकरी करने लगा.

अक्तूबर, 2024 में करवाचौथ से 2 दिन पहले विकास गीता से मिलने गया था. गीता ने त्यौहार पर आने वाले खर्च की फरमाइशें सुना दीं. साथ ही उस ने बताया कि उस के चाचा प्रकाश इस मौके पर भी नहीं आ रहे हैं, इसलिए पूजा का सामान और साड़ी उसे ही ला कर देनी होगी. उस के सारे कपड़े और गहने मायके में ही रखे हैं. इस पर विकास ने आश्वासन दिया, साथ ही पैसा नहीं होने की मजबूरी बताई. उस ने कहा कि वह अभी बहुत कर्ज में डूबा हुआ है. इसी आश्वासन को पा कर गीता करवाचौथ के दिन विकास से रुपया लेने के लिए दुकान पर गई थी.

विकास के व्यवहार से नाराज हो कर गीता ने उस सेे संबंध तोडऩे का मन बना लिया था. वह विकास को फोन करना भी बंद कर चुकी थी. गीता की इस बेरुखी से तंग आ कर विकास दिनरात परेशान रहने लगा था.

एक के चक्कर में ऐसे हुए 2 मर्डर

15 जनवरी, 2025 की रात को विकास ने अपनी प्रेमिका चाची गीता को फोन किया और उस से मिलने के लिए कहा तो गीता ने फोन पर दोटूक उत्तर देते हुए कहा, ”मैं तुम्हारी ब्याहता थोड़े हूं. मेरे यहां अब मत आना, तुम मेरा बोझ नहीं उठा सकते हो तो तुम्हें कोई हक नहीं है. मुझ से अब कोई उम्मीद मत रखो.’’ इतना कह कर गीता ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

विकास फोन पर गीता की बातें सुनने के बाद बुरी तरह तिलमिला कर रह गया. उस ने गीता को सबक सिखाने के लिए योजना बना डाली. रात के करीब एक बजे विकास गीता के घर के पास लगे बिजली के खंभे के सहारे चढ़ कर उस के मकान के अंदर घुस गया. गीता के कमरे के सामने पहुंच कर उस ने गीता से कमरा खोलने के लिए कहा. विकास की आवाज पहचान गई थी, इसलिए उस ने अंदर से ही कहा कि वह वहां से चला जाए. करीब आधा घंटा बीतने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो विकास किचन के अंदर जा कर बरतनों को इधरउधर फेंकने लगा. ऐसा करते हुए उसे एक बड़ा चाकू हाथ लग गया. उस ने उसे अपने पास छिपा लिया.

इसी दौरान गीता बरतनों की आवाज सुन कर बाहर आई और उसे डांटने लगी. पहले से ही तिलमिलाया हुआ विकास गुस्से में बोला,  ”आज मैं अपना और तुम्हारा दुख दूर किए देता हूं.’’

इतना कह कर विकास ने हाथ में लिए डंडे से गीता के सिर पर हमला कर दिया. वह उस पर तब तक हमला करता रहा, जब तक कि वह बुरी तरह बेहोश नहीं हो गई. गीता  के जमीन पर गिरते ही वह अपनी कमर में खोंसे चाकू से उस की गरदन रेतने लगा. इसी बीच गीता की बेटी दीपिका जाग गई. उस ने विकास को इतने गुस्से में पहली बार देखा था. वह तेजी से रोने लगी. विकास ने उसे पकड़ कर चाकू से उस की भी हत्या कर दी. आंगन में रखी बाल्टी में हाथपैर धोने के बाद वह खंभे के सहारे ही मकान से उतर कर बाहर आया और रेलवे लाइन के किनारे होता हुआ फरार हो गया.

विकास ने पुलिस को हत्या में प्रयोग की गई बाइक नंबर यूपी32 जीयू1335, चाकू और कुछ गहने, 760 रुपए नकद बरामद करवा दिए. उस ने पुलिस टीम के सामने स्वीकार किया कि वह गीता से बहुत प्यार करता था और उस के ऊपर गीता की खातिर 4 लाख रुपए का कर्ज हो गया था. उस ने कर्जा उतारने के लिए ही उस ने गीता के गहने चुराने का प्लान भी बनाया था.

विकास से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

 

 

Punjab News : आप नेता की डिनर डैथ साजिश

Punjab News : आम आदमी पार्टी के नेता अनोख मित्तल ने 34 वर्षीय पत्नी मानवी मित्तल उर्फ लिप्सी के साथ एक रिसौर्ट में पहुंच कर एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर खूब डांस किया, फिर वहीं डिनर किया. इस के ठीक एक घंटे बाद लिप्सी का मर्डर हो गया. किस ने किया उस का मर्डर? लुधियाना पुलिस ने जब हत्या के राज से परदा हटाया तो ऐसी चौंकाने वाली कहानी सामने आई कि…

15 फरवरी, 2025 को लुधियाना निवासी अनोख मित्तल और उस की पत्नी ने बाहर डिनर करने का प्लान बनाया. इस के लिए उन्हें मैक्स रिसौर्ट पसंद आया, जो लुधियाना से करीब 25 किलोमीटर दूर था. चूंकि उन के पास कार थी, इसलिए उन के लिए यह दूरी ज्यादा नहीं थी. वैसे भी अनोख मित्तल आम आदमी पार्टी का नेता था. अनोख मित्तल पत्नी मानवी मित्तल उर्फ लिप्सी को ले कर रात करीब 10 बजे रिसौर्ट पहुंच गया. रिसौर्ट में डीजे की तेज धुन पर मस्त हो कर दोनों ने काफी देर तक डांस किया. पतिपत्नी दोनों बेहद खुश थे. उस दिन अनोख मित्तल ने अपने मोबाइल से डांस के कई वीडियो बनाए, जिन्हें उस ने अपने वाट्सऐप के स्टेटस पर भी लगाया.

इस के बाद डिनर कर दोनों खुशीखुशी अपनी कार से रात करीब 12 बजे वापस घर के लिए चल दिए.  रास्ते में अनोख मित्तल ने पेशाब के लिए अपनी कार को सड़क किनारे रोका और कार से उतर कर सड़क किनारे गया ही था कि इसी बीच पीछे से कार में आए अज्ञात लोगों ने हमला कर कार में बैठी उस की पत्नी लिप्सी को घायल कर दिया.  पत्नी की चीख सुन कर अनोख मित्तल उसे बचाने कार की तरफ दौड़ा तो उस के ऊपर भी हमलावरों ने चाकुओं से हमला कर घायल कर दिया.  हमलावरों ने अनोख मित्तल के चेहरे पर कुछ नशीला कैमिकल फेंका, जिस से वह बेहोश हो कर कार के पास गिर गया. इस बीच हमलावरों ने लिप्सी को कार के बाहर खींच लिया और उस के आभूषण लूट कर अनोख की कार ले क र भाग गए.

वहीं कुछ दूरी पर स्थित एक ढाबे का मालिक जब ढाबा बंद कर उधर से गुजर रहा था तो उस ने कार के बाहर सड़क पर घायल एक महिला व पुरुष को देख कर पुलिस को सूचना दी. सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई और दोनों घायलों को अस्पताल में उपचार के लिए भरती कराया. अनोख मित्तल ने पुलिस को सारी कहानी बता दी. तब पुलिस को पता चला कि घायल व्यक्ति आम आदमी पार्टी का नेता था.  डाक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद उस की पत्नी लिप्सी को नहीं बचाया जा सका. जबकि अनोख मित्तल के हाथ व पैर में चोट आई थी. उस का प्राथमिक इलाज कर दिया गया.

16 फरवरी की सुबह होतेहोते इस घटना से पूरे लुधियाना में सनसनी फैल गई. लुटेरों द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अनोख मित्तल की पत्नी का कत्ल और लूटपाट की घटना अचानक एक राजनीतिक मुद्दा बन गई.  बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकत्र्ता उस हौस्पिटल के बाहर धरने पर बैठ गए, जिस में लिप्सी का शव रखा हुुआ था. धरना दे रहे लोगों की मांग थी कि लुटरों को जल्द पकड़ा जाए. जानकारी होते ही मीडियाकर्मी भी हौस्पिटल पहुंच गए.  उधर पुलिस घटना के बाद लुटेरों की तलाश में जुट गई. आप नेता अनोख मित्तल व उस के परिवार के लोग भी धरने में शामिल थे. पत्नी की हत्या से अनोख मानसिक रूप से परेशान दिखाई दे रहा था. मीडिया ने उस से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. 

उस ने मीडिया को बताया, ”हत्यारों ने मेरे ऊपर चाकू से हमला किया और मुंह पर कोई नशीला पदार्थ डाल दिया, जिस के बाद मुझे चक्कर आ गया और मंै गिर गया. इस के बाद मुझे नहींं पता, मैं कब उठा हूं. उठने के बाद आसपास देखा, सब सुनसान था. मैं ने अपनी वाइफ को आवाज लगाई, उस ने जवाब दिया, ‘हां जी.मैं ने 2-3 बार आवाज लगाई. इस के बाद मैं फालो करता हुआ उस तक पहुंचा. एक घंटा मैं वहां चीखताचिल्लाता रहा. वहां से गुजर रहे बंंदों (लोगों) को मदद के लिए आवाज लगाई, लेकिन कोई नहीं रुका. मुझे बताया गया कि वहां से किसी ने पुलिस को फोन किया. यहां कोई आदमी चीख रहा है. उस के बाद पुलिस करीब एक घंटे बाद आई.’’

अनोख ने मीडिया को बताया कि वे लोग रात सवा 10 साढ़े 10 बजे के करीब रिसौर्ट पहुंचे थे. यह पूछने पर कि आप पुलिस से क्या मांग करते हो? तब अनोख मित्तल ने कहा कि मेरा सब कुछ बरबाद हो गया. मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई. उन का (हत्यारों) भी कुछ बचेगा नहीं, जिन्होंने ये काम किया है. 

मामला हाईप्रोफाइल पुलिस हुई सक्रिय

देहलों थाने के एसएचओ सुखजिंदर सिंह ने मीडिया को बताया कि 5 हथियारबंद लुटेरों ने सिधवान नहर पुल के पास अनोख मित्तल पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया. हमले में पत्नी की मौत हो गई, जबकि पति घायल हो गया. लुटेरे पत्नी के आभूषण व कार लूट कर फरार हो गए. हमलावरों की पहचान के लिए सीसीटीवी कैमरों की जांच की जा रही है. लिप्सी के शव का पोस्टमार्टम 4 डाक्टरों के पैनल ने किया. इस पैनल में डा. अंकुर उप्पल, डा. अजय पाल, डा. सुचेता और डा. सौरव सिंगला शामिल थे. पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि लिप्सी के सिर के बाईं तरफ, बाजू, कंधे और दाएं बाजू और दोनों हाथों पर तेजधार हथियार से हमला किया गया था. बाईं तरफ सिर पर तेजधार हथियार से किए गए हमले के कारण और खून बहने से ही लिप्सी की मौत हुई थी. 

मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण हमलावरों तक पहुंचने के लिए पुलिस तत्परता से जांच में जुट गई. पुलिस ने निर्णय लिया कि अनोख पर डाले गए कैमिकल, जिस से वह बेहोश हो गया था, की पहचान कराई जाए. इस के लिए पुलिस धरनास्थल पर पहुंची और अनोख मित्तल से कहा कि आप का मैडिकल चैकअप कराना है, क्योंकि आप के चेहरे पर लुटेरों ने कोई नशीला पदार्थ डाला था. उस का टेस्ट कराना है. चैकअप के बहाने पुलिस अनोख को अपनी गाड़ी में बैठा कर धरनास्थल से अपने साथ ले गई. हुआ यह था कि जांच के दौरान पुलिस की जब डाक्टरों से बात हुुई, तब डाक्टरों ने बताया कि इलाज के दौरान जब चैक किया गया तो घायल अनोख के चेहरे पर उन्हें कोई कैमिकल नहीं मिला था. इस से पुलिस का शक और बढ़ गया. पुलिस ने तुरंत ऐक्शन लेने का निर्णय लिया.

उधर लुधियाना पुलिस के दिमाग में कुछ और चल रहा था. पुलिस का यह भी मानना था कि लुटेरों ने जब लिप्सी के आभूषण लूट ही लिए थे, फिर उन्होंने उस का कत्ल क्यों किया? लिप्सी की बांह व गले पर चाकुओं से प्रहार कर उस की हत्या की गई थी. पति अनोख ने विरोध किया था, लेकिन लुटेरों  ने उसे मामूली रूप से ही घायल किया. उस के पैर की चोट भी संदेह के घेरे में थी.  इसी के साथ पुलिस ने खामोशी के साथ घटना वाली रात अनोख की लोकेशन खंगाली. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि अनोख द्वारा घटना के तुरंत बाद किसी को मैसेज किया गया था, जिस में केवल एक शब्द डनलिखा था. 

छानबीन में पता चला कि उस ने अपनी गर्लफ्रेंड को यह मैसेज भेजा था. उस ने अपने मोबाइल से रिसौर्ट में पत्नी के साथ किए डांस का वीडियो बना कर अपने वाट्सऐप के स्टेटस पर भी लगाया था. पुलिस की पारखी नजर इसी स्टेटस पर पड़ी. ऐसा उस ने क्यों किया? क्योंकि इस से पहले उस ने कभी अपनी पत्नी के साथ कोई फोटो या वीडियो नहीं बनाया था, न अपलोड किया था. यह बात पुलिस को लिप्सी के मायके वालों ने पूछताछ के दौरान बताई थी.  ये सभी सबूत पुलिस को अनोख की ओर इशारा कर रहे थे. शक की सुई पूरी तरह अनोख पर रुक रही थी. लेकिन पुलिस उसे हिरासत में ले कर पूछताछ करने से बच रही थी. क्योंकि वह पार्टी के समर्थकों व रिश्तेदारों के साथ धरने पर बैठा था. सभी की हमदर्दी उस के साथ थी. 

धरने से उठा कर उसे कैसे गिरफ्तार करें? पुलिस नहीं चाहती थी कि उस की किसी काररवाई से कोई बवाल हो. क्योंकि पंजाब में आप की सरकार थी. कुछ गड़बड़ होने पर पुलिस के ऊपर गाज गिरते देर नहीं लगती. तब पुलिस ने यह योजना बनाई थी.  पुलिस उसे धरनास्थल से हौस्पिटल न ले जा कर सीधे थाने ले गई. थाने में पुलिस ने सभी सबूतों को दिखाते हुए अनोख मित्तल से सच्चाई बताने को कहा. पुलिस के रंगढंग देख कर अनोख मित्तल की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. वह ज्यादा देर नहीं ठहर सका. उस ने पुलिस के सामने सच्चाई उगल दी और अपना जुर्म कुबूल कर लिया. अनोख मित्तल ने बताया कि उस ने अवैध संबंधों के चलते ही पत्नी की हत्या सुपारी दे कर कराई थी. 

इस मामले में चौंकाने वाले खुलासे हुए. रिसौर्ट में पार्टी के नाम पर उस ने पत्नी के साथ विश्वासघात किया. हत्या वाली रात उस ने पत्नी को शातिराना तरीके से षडयंत्र रच कर सुपारी किलरों के हाथों अपने सामने ही मौत के घाट उतरवाया. पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल ने बताया कि वह काफी समय से पत्नी की हत्या कराना चाहता था. पिछले एक साल से उसे इस काम के लिए आदमी नहीं मिल रहे थे. अपनी गर्लफ्रेंड की मदद से वह हत्या में शामिल गुरदीप सिंह उर्फ मान से मिला, जिस ने इस हत्याकांड के लिए आदमी उपलब्ध कराए. 2 प्रयास विफल होने के बाद वह तीसरे प्रयास में सफल हो गया था.

इस के बाद से थाना डेहलों, सीआईए-3 की टीमों ने आरोपी पति अनोख व उस की गर्लफ्रेंड प्रतीक्षा को हिरासत में ले लिया. दिन भर एक के बाद एक आरोपियों को पकड़ते हुए इस हत्याकांड का परदाफाश 24 घंटे के अंदर ही पुलिस ने कर दिया. दरअसल, गर्लफ्रेंड की वजह से ही यह हत्याकांड हुआ था. अनोख मित्तल अपने वार्ड का आप पार्टी का अध्यक्ष था. करीब 3 महीने पहले वह आप पार्टी में शामिल हुआ था. अनोख को पार्टी में एक विधायक ने शामिल कराया था. इस से पहले वह कांग्रेस पार्टी में था. पुलिस ने इस हत्याकांड के 6 आरोपियों गुरदीप सिंह उर्फ मान, सोनू सिंह, अमृतपाल सिंह उर्फ बल्ली निवासी नंदपुर साहनेवाल, सागरदीप सिंह उर्फ तेजी निवासी ढंडारी कलां, अनोख मित्तल, प्रेमिका प्रतीक्षा निवासी जमालपुर को गिरफ्तार कर लिया,

जबकि सातवां आरोपी कौन्ट्रैक्ट किलर गिरोह का सरगना गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी निवासी ढंडारी कलां फरार है. पुलिस ने अनोख व हमलावरों की कारें भी बरामद कर लीं. धरने पर बैठे लोग उस समय सन्न रह गए, जब उन के सामने हत्यारे का चेहरा सामने आया. 15 घंटे पहले उस की पत्नी की हत्या हो चुुकी थी. वह कातिलों को पकडऩे की पुलिस से मांग कर रहा था. उस की हमदर्दी में आप पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता उस के साथ धरने पर बैठे थे. लेकिन पत्नी के हत्यारे के रूप में अनोख मित्तल का नाम सामने आते ही धरना समाप्त कर आंदोलनकारी उसे ही कोसने लगे.

अनोख और प्रेमिका की थी खूनी साजिश

उस के सिर प्रेमिका प्रतीक्षा का जादू इस कदर पर चढ़ा था कि उसे न तो पत्नी लिप्सी के साथ 12 साल बिताया समय दिखा और न ही अपने बच्चे नजर आए. जब लिप्सी पूरी तरह से घायल हो गई और मौत के करीब पहुंच गई, तब हमलावर उसे मरा समझ कर फरार हो गए. पुलिस के अनुसार, घटना के 45 मिनट बाद अनोख ने पुलिस को फोन किया. 10 मिनट में पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई और दोनों घायलों को डीएमसी अस्पताल में भरती कराया. अस्पताल में भी अनोख फूटफूट कर रोता रहा कि उस का परिवारय लुट गया और वह बरबाद हो गया. 

इस हत्या में बराबर की भागीदार अनोख की प्रेमिका प्रतीक्षा पुलिस और परिवार वालों की आंखों में धूल झोंकने के लिए लिप्सी की ससुराल पहुंची और परिवार के साथ सांत्वना प्रकट की. अनोख मित्तल का उस की कार बैटरी की दुकान पर काम करने वाली 24 वर्षीय प्रतीक्षा से लव अफेयर पिछले 2 सालों से चल रहा था. धीरेधीरे दोनों के शारीरिक संबंध हो गए. दोनों ही दीनदुनिया से बेफिक्र अपनी ही दुनिया में मस्त रहने लगे. अब अनोख मित्तल एक पल भी प्रतीक्षा के बिना नहीं रह पाता था. एक साल पहले पति के व्यवहार में आए बदलाव से पत्नी लिप्सी को शक हुआ कि जरूर दाल में कुछ काला है. किसी तरह लिप्सी को अपने पति व उस की दुकान में काम करने वाली प्रतीक्षा के नाजायज संबंधों की जानकारी हो गई. जानकारी होते ही लिप्सी ने विरोध शुरू कर दिया. 

इस के बाद तो आए दिन पतिपत्नी के बीच इसी बात को ले कर झगड़ा होने लगा. अनोख मित्तल ने पत्नी को सफाई देते हुए कहा, ”तुम बेकार में शक कर रही हो. वह कर्मचारी है और मेरे कारोबार को अच्छी तरह से चला रही है. इस से कुछ लोगों ने तुम्हारे कान भर दिए हैं. तुम बेकार ही शक कर रही हो.’’ कुछ दिन सब कुछ ठीक रहा. लेकिन लिप्सी को कुछ दिन बाद ही पता चल गया कि प्रतीक्षा और उस के बीच नाजायज संबंध अभी भी बने हुए हैं. रोजरोज के झगड़ों से परेशान हो कर अनोख ने पत्नी से तलाक लेना चाहा. लेकिन लिप्सी तलाक देने को तैयार नहीं हुई. 

लिप्सी ने पति अनोख से साफसाफ कह दिया, ”प्रतीक्षा को नौकरी से तुरंत हटा दो.’’ 

लेकिन अनोख ने पत्नी से स्पष्ट कह दिया कि प्रतीक्षा उस के कारोबार की अच्छी तरह देखभाल कर रही है. उसे हटाने से कारोबार में भारी घाटा हो जाएगा, इसलिए वह उसे नहीं हटा सकता. अनोख चाहता था कि लिप्सी से उस का किसी भी तरह तलाक हो जाए, ताकि वह अपनी जिंदगी अपनी तरह से जी सके. इस की भनक लिप्सी के मायके वालों को भी लग गई थी. लेकिन वे लिप्सी के परिवार में किसी प्रकार के हस्तक्षेप से इसलिए बच रहे थे, ताकि बेटी का परिवार न बिखरे. अनोख के काफी जोर डालने के बावजूद लिप्सी किसी भी कीमत पर तलाक के लिए राजी नहीं हुई. तब अनोख मित्तल और प्रतीक्षा ने अपने प्यार के रास्ते के रोड़े को हटाने के लिए एक खौफनाक साजिश रची.

शक न हो, इसलिए वीकेंड पर डिनर का प्रोग्राम बनाया. उस ने जानबूझ कर शहर से बाहर के रिसौर्ट को चुना, क्योंकि वहां के रास्ते में सन्नाटा रहता है. आने वाले पल से पूरी तरह अंजान लिप्सी पति के कहने पर डिनर के लिए खुशीखुशी तैयार हो गई थी. रिसौर्ट में अनोख व लिप्सी ने डिनर से पहले एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर देर तक डांस किया. यह अनोख की साजिश का पहला पड़ाव था. इस के बाद दोनों ने डिनर किया. अनोख जानता था कि जिस पत्नी के साथ वह डिनर कर रहा है, अब से ठीक एक घंटे बाद वह मौत की नींद सो चुकी होगी. उस ने डांस के वीडियो अपने वाट्सऐप की स्टेटस पर लगाए थे, ताकि लोगों को यकीन हो सके कि पतिपत्नी कितने खुश थे. जबकि इस से पहले कभी उस ने एक भी तसवीर या वीडियो स्टेटस पर नहीं लगाई थी. यह उस की चाल थी. वह चाहता था कि कत्ल इस अंदाज में हो कि किसी को शक न हो.  

अनोख ने पत्नी लिप्सी की हत्या के लिए इस से पहले 2 बार प्लानिंग की थी. दोनों ही बार प्लान नाकाम होने के बाद उस ने फुलप्रूफ प्लान बनाया था. उस ने शातिर अपराधी की तरह प्लानिंग की, फिर सोचसमझ कर लिप्सी को मरवा दिया. उस ने स्टोरी के रूप में पूरी घटना को अंजाम दिया.

पति ने ऐसे दिया मौत का सिगनल

घटना वाली रात 12 बजे के आसपास  रिट्ज कार से पतिपत्नी हंसीखुशी अपने घर के लिए रवाना हुए थे. रिसौर्ट से लगभग 200 मीटर की दूरी पर रास्ते में एक सुनसान जगह पर पेशाब जाने के बहाने उस ने कार रोक दी और कार से निकल कर चला गया. लेकिन काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी सुपारी किलर नहीं आया. जबकि इस के लिए उस ने व प्रतीक्षा ने सुपारी किलर से संपर्क किया था. यह सुपारी किलर गुरदीप सिंह उर्फ मान, अनोख के यहां पहले काम कर चुका था. हत्या का ढाई लाख रुपए में सौदा तय हो जाने के बाद अनोख ने उसे 50 हजार रुपए एडवांस भी दे दिए थे. शेष 2 लाख रुपए काम होने के बाद देना तय हुआ था. 

अनोख और प्रतीक्षा की योजना यह थी कि लिप्सी को रास्ते से हटाने के बाद दोनों शादी कर लेंगे. जब सुपारी किलर गुरदीप सिंह अनोख के बताए अनुसार घटना को अंजाम देने नहीं पहुंचा तो अनोख ने समझा कि गुरदीप की नीयत खराब हो गई है. अनोख तब कार में आ कर बैठ गया और कार फिर से चल दी. लेकिन यह अनोख मित्तल की भूल थी. अचानक उसे याद आया कि गुरदीप से जो प्लान तय हुआ था, उस के अनुसार वह उसे सिगनल देना भूल गया था. अनोख और गुरदीप के बीच तय हुआ था कि जब वह वाशरूम के लिए कार को सड़क की साइड में रोक कर जाएगा, तब वह सिगनल के रूप में पार्किंग लाइट जलाएगा. इस पार्किंग लाइट का मतलब था कि अब सुपारी किलर अपने काम को अंजाम दे दे. 

अपनी इस भूल के सुधार के लिए अनोख ने कुछ दूर जाने के बाद कार साइड में फिर रोक दी. 6 मिनट के दौरान अनोख ने दूसरी बार कार रोकी थी. इस पर लिप्सी ने पूछा, ”अब कार क्यों रोक दी?’’ 

अनोख ने कहा, ”जी कुछ अजीब सा हो रहा है. वोमिटिंग (उल्टी) आ रही है.’’ 

कार रोकते ही उस ने कार की पार्किंग लाइट जला दी और कार से उतर कर सड़क किनारे चला गया.  पार्किंग लाइट का सिगनल मिलते ही अनोख की कार के पीछे आ रही सुपारी किलर की कार उस की कार के पास आ कर रुकी और कार में बैठी लिप्सी को बाल पकड़ कर 4-5 हमलावरों ने बाहर खींच लिया और चाकू से वार कर उस की हत्या कर उस के पहने आभूषण लूट लिए. लूटपाट की घटना वास्तविक लगे, इस के लिए अनोख ने अपने हाथ और पैर पर चाकू से हल्के वार करा लिए. घटना को अंजाम देने के बाद हमलावर अनोख की कार ले कर भाग गए, ताकि सीन परफेक्ट लगे.

कहते हैं कि क्रिमिनल चाहे जितना चालाक हो, लेकिन खुशी के अतिरेक में कोई न कोई भूल कर ही जाता है. यही बात अनोख के साथ हुई. एक चीज ने उसे पूरे तौर पर हत्यारा साबित कर दिया. हुआ यह कि सुपारी किलर द्वारा घटना को अंजाम दे कर जाने के बाद अनोख ने उत्साह में अपने मोबाइल से प्रेमिका को वाट्सऐप से एक मैसेज किया डन’. बस उस की यही भूल उस के गले की फांस बन गई. पुलिस ने जब अनोख के मोबाइल को चैक किया तो पता चल गया कि उस ने मैसेज अपनी प्रेमिका प्रतीक्षा को किया था. भले ही उस ने शातिराना तरीके से षडयंत्र रच कर घटना को अंजाम दिया था, लेकिन घटना के 24 घंटे में ही वह कानून के शिंकजे में पूरी तरह से आ चुका था.

लिप्सी के फेमिली वालों ने रिसौर्ट में जो वीडियो रिकौर्ड हुआ था, उसे भी देखा. इस से पहले अनोख द्वारा अपने मोबाइल के स्टेटस पर लगाए फोटो और वीडियो देख कर मायके वाले भी हैरान थे. वे सोच रहे थे कि अचानक से इतना प्रेम कैसे पैदा हो गया, जो डांस करते हुए वीडियो स्टेटस पर लगा रहा है? अनोख लिप्सी से प्यार नहीं करता था, उस दिन उस ने दिखावा किया था. मायके वालों ने सोचा कि चलो कुछ तो अच्छा हो रहा है. लेकिन इस दिखावे के पीछे अनोख की क्या मंशा है, वे नहीं समझ पाए. पतिपत्नी बहुत खुश थे. लिप्सी के कत्ल से पहले बेहद खूबसूरत लम्हे इस खूबसूरत जोड़े ने गुजारे. यह अनोख की खूनी साजिश थी, उस के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था. उसे मालूम था कि अगले एक घंटे के बाद उस के साथ डांस कर रही उस की खूबसूरत पत्नी लिप्सी का कत्ल हो जाएगा और वह उस की कैद से हमेशाहमेशा के लिए मुक्त हो जाएगा. लिप्सी पति के इस षडयंत्र से पूरी तरह अंजान थी.

पतिपत्नी के जिस रिश्ते को 7 जन्मों का बंधन माना जाता है, वही रिश्ते एक जन्म भी नहीं चल पा रहे हैं. इस मामले में भी अवैध संबंधों की बात सामने आई है. अवैध संबंधों की परिणति क्या होती है, इस स्टोरी से भलीभांति समझा जा सकता है. अपनी पत्नी का कत्ल कराने के बाद अनोख को प्रेमिका प्रतीक्षा भी नहीं मिली, जबकि उस ने अपनी बसीबसाई गृहस्थी  को उजाड़ लिया. हत्या के जुर्म में गिरफ्तार सभी आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया गया.

 

 

Social Crime : गोल्ड स्मगलिंग में फंसी आईपीएस अफसर की बेटी

Social Crime : 33 वर्षीय कन्नड़ अभिनेत्री और कर्नाटक के सीनियर आईपीएस अफसर रामचंद्र राव की सौतेली बेटी रान्या राव दुबई से सोने की तस्करी के आरोप में बेंगलुरु के केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर ली गई. उस के कब्जे से लगभग 15 किलोग्राम सोने के बिसकुट बरामद हुए. हाईप्रोफाइल रान्या राव आखिर क्यों और कब से कर रही थी यह धंधा?

बेंगलुरु के केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 3 मार्च, 2025 को एमिरेट्स की फ्लाइट ईके566 शाम के लगभग साढ़े 6 बजे समय से लैंड कर चुकी थी. सभी यात्री लगेज बेल्ट से सामान ले कर ग्रीन चैनल की तरफ बढऩे लगे थे. उन में 33 साल की एक कन्नड़ एक्ट्रैस भी थी. वह खास किस्म की जैकेट पहने हुई थी. उस ने बेल्ट भी लगा रखा था. वह तेज कदमों से चल रही थी, किंतु चेहरे पर तनाव साफ नजर आ रहा था. हालांकि वह पूरी तरह से पुलिस के प्रोटोकाल में थी. उस के साथ चलने वाला सिपाही बसवराजू उसे पहचानता था.

तभी एयरपोर्ट पर पहले से मौजूद डायरेक्टरेट औफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) टीम की नजर उस पर पड़ी. जैसे ही टीम ने कन्नड़ एक्ट्रैस को रुकने का इशारा किया, तभी बतौर प्रोटोकाल चल रहे जवान बसवराजू ने कहा, ”मैडम डीजीपी रामचंद्र राव की बेटी रान्या राव हैं. कन्नड़ फिल्मों को मशहूर ऐक्ट्रैस हैं.’’ इस पर डीआरआई की टीम चौंक गई, फिर भी उन्हें मैटल डिटेक्टर के दरवाजे डीएफएमडी से गुजरने को कहा. टीम का एक अधिकारी बोला, ”कोई भी हो, उन्हें जांच तो करवानी ही होगी. ग्रीन चैनल से जाने वाले हर पैसेंजर को मैटल डिटेक्टर से हो कर ही जाना होता है.’’

यह सुनते ही रान्या राव के चेहरे पर घबराहट साफ दिखने लगी. उस के चेहरे की भावभंगिमा बता रही थी वह उधर से हो कर नहीं गुजरना चाहती थी. उस ने साथ के सिपाही की ओर देखा. मुंह बिचकाती हुई खुद को वीवीआईपी बताना चाहा. सिपाही ने जांच टीम के सीनियर अधिकारी से बात की और उन्हें बगैर मैटल डिटेक्टर से जाने देने के लिए रिक्वेस्ट किया.

नहीं चाहते हुए भी रान्या राव को मैटल डिटेक्टर मशीन से हो कर गुजरना पड़ा. जैसे ही वह उस से हो कर गुजरी, वहां मौजूद तमाम अधिकारी हैरान रह गए. रान्या राव की खास बेल्ट और माडरेट किए गए जैकेट में सोने के टुकड़े छिपे पाए गए. उन की तलाशी ली गई. इस जांच में उन के शरीर पर बैंडेज और टिशू की मदद से लपेटे गए सोने के बिसकुट, जूतों और जैकेट की जेबों में छिपाए गए सोने के टुकड़े बरामद हुए. उन की कीमत करीब साढ़े 12 करोड़ रुपए आंकी गई. उन को तुरंत आगे की पूछताछ के लिए डीआरआई मुख्यालय ले जाया गया.

पूछताछ के बाद पता चला कि वह सोने की स्मगलिंग कर रही थी. पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया गया.

ऐक्ट्रैस रान्या यूं बनी गोल्ड स्मगलर

जेल में बंद रान्या राव की जमानत 27 मार्च, 2025 को तीसरी बार भी नामंजूर कर दी गई थी. उस पर आरोप लगा कि उस ने सोना तस्करी के लिए अपने आईपीएस पिता के ओहदे का बखूबी इस्तेमाल किया. इस के लिए तरहतरह के हथकंडे अपनाए और दूसरों की भी मदद ली. पकड़े जाने से पहले महज 15 दिनों के भीतर ही उस ने 4 बार तस्करी की. अनुमान लगाया गया कि वह प्रति किलोग्राम सोने पर एक लाख रुपए कमाती थी. आशंका जताई गई कि इस मामले में कई और लोग  शामिल हो सकते हैं. उन की गोल्ड स्मगलिंग का तरीका भी कुछ कम अनोखा नहीं था.

डीआरआई की जांच टीम इस की कड़ी से कड़ी जोड़ कर यह जानने का प्रयास कर रही है कि आखिर इस खेल में एक्ट्रैस का किसकिस ने साथ दिया और किस तरह से इसे अंजाम दिया जाता था. कहने को तो रान्या राव कन्नड़ फिल्मों की एक एक्ट्रैस थी, लेकिन उन की खास पहचान आईपीएस रामचंद्र राव की बेटी के तौर पर भी थी. वैसे राव उस के सौतेले पिता थे. रान्या ने बेंगलुरु के दयानंद सागर कालेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और साल 2014 में पहली बार एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था. उन की पहली फिल्म ‘माणिक्य’ थी. इस के बाद साल 2016 में ‘वाघा’ और ‘पटकी’ जैसी फिल्मों में काम करने के बाद अचानक फिल्म इंडस्ट्री से गायब हो गई.

इस के बाद रान्या ने अपना नया ठिकाना दुबई बना लिया था. वहां का रेजिडेंस आइडेंटिटी कार्ड भी हासिल कर लिया था. कम समय में अधिक पैसा कमाने की चाहत में वह जुर्म के धंधे में जा धंसी. उस ने गोल्ड स्मगलिंग के इंडिविजुअल गैंग को जौइन कर लिया था. सोने की तस्करी पर उसे गैंग से रुपए मिलते थे. वह अपने आईपीएस पिता के ओहदे का इस्तेमाल कर जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंक देती थी. कारण उसे एयरपोर्ट पर ग्रीन चैनल क्रौस करने के लिए आसानी से प्रोटोकाल मिल जाता था. इसी प्रोटोकाल का फायदा उठा कर रान्या राव महज 15 दिनों में ही 4 बार दुबई से गोल्ड स्मगलिंग को अंजाम दे चुकी थी.

उल्लेखनीय है कि उस की गिरफ्तारी के समय भारत में एक किलोग्राम सोने की कीमत करीब 86.4 लाख रुपए थी, जबकि दुबई में सोने की कीमत करीब 83 लाख रुपए. इस तरह से यानी बिना कस्टम ड्यूटी चुकाए भारत में सोना लाने पर 3.4 लाख रुपए का मुनाफा हो रहा था. रान्या एक ट्रिप में करीब 15 किलो सोना भारत लाती थी, जिस से सीधेसीधे करीब 50 लाख रुपए का फायदा होता था. इस फायदे की रकम में रान्या का 15 लाख रुपए का हिस्सा होता था.

रान्या राव ने कुछ महीने पहले ही बेंगलुरु के रहने वाले एक आर्किटेक्ट से शादी की थी. बताते हैं कि पति भी उसे स्मगलिंग के धंधे में मदद करता था. जब डीआरआई ने रान्या को हिरासत में लिया था, तब उस ने धमकियां दी थीं. गिरफ्तारी से बचने के लिए रान्या ने कई मंत्री और विधायकों तक को फोन किए थे, लेकिन डीआरआई के पास पुख्ता सबूत मिल चुके थे और वह सोने के साथ पकड़ी गई थी. इस कारण रान्या बच नहीं सकी. उस के सौतेले पिता ने भी उस की मदद करने से इनकार करते हुए कह दिया था कि रान्या की व्यक्तिगत जिंदगी से उन का कोई लेनादेना नहीं है. उस की गिरफ्तारी से सोने की तस्करी नेटवर्क खुल कर सामने आ गया.

तस्करी में रान्या को किस ने की थी मदद

सोना तस्करी में साथ देने वाला उस का एक बेहद करीबी अभिनेता विराट कोंडुरु भी रहा है. वह 3 मार्च, 2025 को दुबई में रान्या के साथ था, लेकिन उस का भारत लौटना अलग हुआ था. विराट कोंडुरु ने दुबई हवाई अड्डे पर स्मगलिंग औपरेशन को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने अमेरिकी पासपोर्ट का उपयोग किया था और रान्या राव को लगभग करोड़ रुपए के सोने की तस्करी में सहायता की थी. इस बारे में डीआरआई के वकील ने अदालत को बताया कि कोंडुरु को 3 मार्च को दुबई टिकट बुक करने के लिए रान्या राव से पैसे मिले थे. उसी दिन रान्या ने भी टिकट बुक किया था. तरुण कोंडुरु राजू उर्फ विराट कोंडुरु भी कन्नड़ फिल्मों का अभिनेता है. वह तस्करी के सिलसिले में ही रान्या के साथ यूएई शहर गया था, लेकिन कर्नाटक की राजधानी के बजाय हैदराबाद लौट आया था.

कोंडुरु ने अपने अमेरिकी पासपोर्ट का इस्तेमाल यह जताने के लिए किया था कि जिनेवा जा रहा गया था, जबकि वास्तव में उस ने ही दुबई हवाई अड्डे पर रान्या राव को भारत में तस्करी करने के लिए सोना दिया था. दोनों कलाकारों के बीच इस संबंध का खुलासा तब हुआ, जब बेंगलुरु में आर्थिक अपराधों के लिए एक विशेष अदालत में जमानत पर बहस हो रही थी. रान्या पर नया आरोप लग गया था कि उस ने तस्करी को सुविधाजनक बनाने के लिए कोंडुरु की अमेरिकी नागरिकता का उपयोग किया था.

डीआरआई वकील मधु एन. राव ने जांच के आधार पर अदालत को बताया कि कोंडरु एक अमेरिकी नागरिक होने के नाते रान्या को तस्करी की गतिविधियों में मदद करता था. उस के उकसावे और सहयोग से ही दुबई के सीमा शुल्क को लांघने के बाद भारत में सोने की तस्करी की गई. ऐसा करने के बाद दोनों अलगअलग उड़ानों से भारत लौटे थे. कोंडुरु द्वारा उस के जिनेवा जाने की जानकारी का उद्देश्य स्मगलिंग का एक हिस्सा था. डीआरआई के वकील ने बताया कि रान्या और कोंडुरु 3 मार्च को दुबई एयरपोर्ट पर दाखिल हुए. कोंडुरु ने जिनेवा जाने का दावा कर कस्टम्स के जरिए सोना पास करवा लिया था. इस के बाद उस ने सोना राव को सौंप दिया.

राव ने इसे अपने जैकेट, बेल्ट, जूते आदि में छिपा लिया था. उस वक्त कोंडुरु के पास जिनेवा का टिकट था, जबकि राव के पास बेंगलुरु की फ्लाइट की टिकट थी. कोंडुरु और रान्या की यात्रा की योजना अलगअलग थी. इस की पुष्टि डीआरआई द्वारा रान्या के मोबाइल फोन और लैपटाप की जांच के बाद हुई. जांच में तकनीकी कोडवर्ड के तथ्यों की जानकारी सामने आई. इस बारे में डीआरआई के वकील ने अदालत को बताया कि ‘दुबई में ए2 की मौजूदगी का उद्देश्य सोना ए1 को सौंपना था.’ इस के बाद ही कोंडुरु की पहचान हो पाई और एक लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया गया.

जैसे ही कोंडुरु ने देश छोडऩे का प्रयास  किया, उसे हैदराबाद में इमिग्रेशन अधिकारियों ने रोक लिया. इस तरह वह 8 मार्च, 2025 को एक समन के आधार पर बेंगलुरु में डीआरआई के समक्ष पेश हुआ. पूछताछ के बाद 9 मार्च को उसे गिरफ्तार कर लिया गया. इस आधार पर ही वकील मधु राव ने अदालत में बहस के दौरान कोंडुरु पर आरोप लगाया कि उस ने भारत में तस्करी की गतिविधि को बढ़ावा दिया है, इसलिए उसे जमानत नहीं दी जाए. डीआरआई ने तर्क दिया कि रान्या ने दुबई में कोंडुरु की सेवाओं का उपयोग यह घोषित करने के लिए किया था कि सोना जिनेवा/बैंकाक ले जाया जा रहा था.

यही कारण था कि कोंडुरु ने दुबई से जिनेवा और बैंकाक की यात्रा के लिए टिकट बनवाए थे, जबकि उस ने वहां की यात्रा नहीं की थी. उस ने टिकटों का उपयोग केवल सोने की तस्करी के संचालन के लिए किया था. इस आधार पर डीआरआई ने माना कि दोनों कलाकार सोने की तस्करी करने वाले सिंडिकेट का हिस्सा हैं और कथित तौर पर एक ही तरीके का उपयोग कर कई बार दुबई से भारत में सोने की तस्करी कर चुके हैं. ऐसा वे कम से कम 25 बार कर चुके हैं. दोनों एक साथ दुबई गए, लेकिन साथ नहीं लौटे.

3 मार्च, 2025 को गिरफ्तारी के बाद बेंगलुरु में रान्या राव के आवास पर तलाशी ली गई. इस तलाशी में डीआरआई को 2024 में दुबई सीमा शुल्क को जिनेवा में सोने की खेप ले जाने के लिए दी गई 2 घोषणाओं के दस्तावेज मिले. इसे डीआरआई के वकील ने अदालत में एक सबूत की तरह पेश किया और तर्क दिया कि उन का दुबई में कारोबार था.

प्रोटोकाल का ले रही थी नाजायज फायदा

प्राप्त दस्तावेजों में उन के द्वारा दुबई में धन हस्तांतरण, सोने की खरीद और उसे भारत लाने के तरीके से संबंधित विवरण था. डीआरआई के वकील ने यह भी बताया कि वह इस आधार पर अंतरराष्ट्रीय संबंधों का पता लगा रहे हैं. इस कारण आरोपी को रिहा करना नुकसानदेह होगा. हालांकि कोंडुरु के वकील एम.एम. देवराज ने अपने मुवक्किल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि उन के कब्जे में कोई सोना नहीं मिला और रान्या ने गिरफ्तारी के बाद अपने बयानों में उन का नाम भी नहीं लिया. इस अपराध के लिए उन के मुवक्किल को अधिकतम 7 साल की जेल की सजा हो सकती है, जो प्रथमदृष्टया मामला नहीं बनता है. इस बात पर जोर दिया कि कोंडुरु ने देश से भागने का प्रयास नहीं किया था, बल्कि सम्मन मिलने पर डीआरआई के साथ सहयोग किया.

जन्म से अमेरिकी नागरिक कोंडुरु अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने परिवार के साथ भारत लौट आया था. उस के बाद से वह अपने परिवार के पास रहता है. उस के पास ओवरसीज सिटिजन औफ इंडिया कार्ड है. इस तर्क पर हुई सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने कोंडुरु की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जबकि अदालत ने 14 मार्च को रान्या की जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जिस में उस के पास ‘यूएई का निवासी पहचान पत्र’ और उन के दुबई की लंबी यात्रा का हवाला दिया गया था.

डीआरआई ने रान्या राव पर आरोप लगाया है कि उस ने लगभग 12 करोड़ रुपए मूल्य के करीब 15 किलोग्राम सोने की तस्करी कर के बेंगलुरु लाने का प्रयास करते हुए 4.83 करोड़ रुपए के सीमा शुल्क की चोरी की है. उस की गिरफ्तारी के बाद तलाशी के दौरान उस के घर से 2.67 करोड़ रुपए नकद और 2.07 करोड़ रुपए के आभूषण भी जब्त किए जा चुके हैं. इस पर रान्या ने डीआरआई को दिए गए बयानों में बताया कि उसे दुबई एयरपोर्ट के बाहर एक अजनबी से सोने की खेप मिली थी. जब उस के दावे की जांच की गई, तब पता चला कि उस ने तस्करी के काम में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जो एक जानबूझ कर की गई हरकत से कम नहीं थी.

इस तरह रान्या राव पर जनवरी से अब तक 27 बार दुबई जाने का आरोप लग चुका था. वह 3 मार्च, 2025 को बेंगलुरु से दुबई के लिए सुबह 4 बजे की फ्लाइट से गई थी. उसी दिन शाम 6.20 बजे सोने के साथ वापसी की उड़ान से उतरी. यही नहीं, उस की कोंडुरु के साथ दुबई की 25 बार एक दिवसीय यात्राएं संपन्न हुईं. इस पर रान्या ने दावा किया कि वह दुबई में एक ‘रियल एस्टेट फ्रीलांसर’ थी, जिस कारण उसे यूएई की लगातार यात्राएं करनी पड़ीं. फिल्मी करिअर में ज्यादा सफल नहीं होने वाली रान्या राव 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी के. रामचंद्र राव की सौतेली बेटी है. वह कर्नाटक में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर नियुक्त हैं. इस कारण उस पर आरोप लगा कि उस ने गोल्ड स्मगलिंग के दरम्यान बेंगलुरु एयरपोर्ट पर अपने सौतेले पिता को मिली वीआईपी सेवाओं का इस्तेमाल किया.

रामचंद्र राव कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर के करीबी माने जाते हैं. सोने की तस्करी के रैकेट में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही कई जांचों के बीच सरकार ने उन्हें 15 मार्च को ‘अनिवार्य छुट्टी’ पर भेज दिया था. रान्या और कोंडुरु एकदूसरे को एक दशक से अधिक समय से जानते हैं. उन्होंने यूएई में एक हीरा व्यापार कंपनी में भागीदार बता रखा था, जिस में सोने की खेप के लिए दुबई के अधिकांश दस्तावेज का काम कथित तौर पर फर्म का उपयोग कर के किया गया था. अब केंद्रीय एजेंसियां उन दावों की जांच कर रही हैं कि वे थाईलैंड, स्विट्जरलैंड और अफ्रीका से दुबई में सोना आयात करने और बेचने में शामिल थे.

डीआरआई ने अदालत में यह भी संकेत दिया है कि तस्करी को सुविधाजनक बनाने के लिए सोने की खेपों के लिए भुगतान भारत से हवाला चैनल के माध्यम से किया गया था. रान्या और कोंडुरु का फिल्मी करिअर सफल नहीं रहा है. कोंडुरु एक प्रमुख आंध्र मूल बेंगलुरु व्यवसायी परिवार का सदस्य है. उस की रुचि आतिथ्य, शिक्षा, बिजली और केबल टीवी के कारोबार में है. उस ने 2018 की फिल्म ‘परिचयम’ में हीरो की भूमिका निभाई थी. वही उन की इकलौती फिल्म है. रान्या की सोना तस्करी के तार एक व्यवसायी से भी जुड़े थे. वह बेल्लारी का रहने वाला साहिल सकारिया जैन है.

सकारिया पर भी आरोप है कि उस ने रान्या राव की कई मौकों पर मदद की. रान्या राव के साथ तेलुगु अभिनेता विराट कोंडुरु से जुड़े सोने की तस्करी मामले में तीसरी गिरफ्तारी साहिल सकारिया जैन की हुई. उस पर भारत में तस्करी कर लाए गए सोने को बेचने में कथित तौर पर मदद करने का आरोप लगाया गया. दरअसल, डीआरआई द्वारा सीसीटीवी फुटेज चैक करने पर पता चला कि वह 15 दिनों के दरम्यान दुबई से भारत आई है. एयरपोर्ट से हर बार बाहर निकलने के लिए एक ही तरह का प्रोटोकाल फालो किया गया, लेकिन सब से बड़ी बात यह कि चारों बार रान्या राव ने एक ही तरह ही खास जैकेट और बेल्ट पहनी हुई थी, जोकि संयोग नहीं था. बस, यहीं से डीआरआई को रान्या पर शक हुआ. जैसे ही रान्या की जांच की गई, तब सच यकीन में बदल गया.

भारत में 1962 के सीमा शुल्क अधिनियम के तहत सोने, नकद सीमा, जुरमाना और सजा पर सीमा शुल्क नियमों का सख्ती से पालन करना पड़ता है. रान्या राव का बेंगलुरु के केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगभग 15 किलोग्राम सोने के साथ पकड़ा जाना एक विवाद बन चुका है. यह हाल के दिनों में सोने की सब से बड़ी जब्ती में से एक है. इस का खुलासा डीआरआई ने एयरपोर्ट सुरक्षा जांच के सिलसिले में किया है. राव को एक आर्थिक अपराध अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उस पर आरोप लगा कि पिछले एक साल में उस ने कथित तौर पर सोने की तस्करी करते हुए हर बार एक ही पोशाक पहन कर सऊदी अरब की 30 यात्राएं कीं.

गोल्ड स्मगलिंग के तरीके

दुबई से भारत तक फैले गोल्ड स्मगलिंग के नेटवर्क में रान्या अकेली खिलाड़ी नहीं है. पिछले एक साल में दुबई से भारत लाया गया करोड़ों रुपए का सोना पकड़ा जा चुका है. भले ही सोने की इस तस्करी का रूट एक हो, लेकिन तरीके अलगअलग रहे हैं. सोने की तस्करी में ऐसे दरजनों तरीके हैं, जिन्हें कस्टम और अन्य एजेंसियां अभी तक पकड़ चुकी हैं, लेकिन यह गोल्ड तस्कर एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए स्मगलिंग के नए तौरतरीके ईजाद कर लेते हैं.

खजूर में सोना: इसी साल 26 फरवरी को दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग की टीम ने जेद्दा से आ रहे एक यात्री को रोका था. जब उस के सामान की जांच की गई, तब उस के बैग से खजूर का एक पैकेट मिला. खजूर के साइज पर कस्टम टीम को शक हुआ. टीम ने उस की जांच की, तब खजूर में सोना छिपे होने का पता चला. कस्टम अधिकारियों ने खजूर से 172 ग्राम सोना बरामद किया. बैग की बेल्ट में सोना: इस के ठीक 2 दिन पहले 24 फरवरी को जेद्दा से कुवैत होते हुए आईजीआई एयरपोर्ट पहुंची फ्लाइट में एक यात्री गले में स्लिंग बैग डाल कर उतरा था. वह बेहद परेशान दिख रहा था. उस के चेहरे पर तनाव साफ नजर आ रहा था.

कस्टम की टीम ने ग्रीन चैनल के पास शक के आधार पर उसे रोका. जैसे ही उस का बैग स्कैनिंग मशीन में डाला तो सोना तस्करी का एक और तरीका सामने आ गया. यात्री के स्लिंग बैग और ब्रीफकेस की बेल्ट से 1585 ग्राम सोने का पेस्ट बरामद हुआ. बरामद सोने के पेस्ट की भारत में कीमत करीब एक करोड़ 30 लाख रुपए आंकी गई. हैंड ग्राइंडर में सोना: इसी तरह 8 फरवरी, 2025 को एक पैसेंजर रियाद से दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचा था. उस के बैग में एक हैंड ग्राइंडर और मिक्सर मशीन थी. कस्टम ने उस की जांच की तो हैंड ग्राइंडर और मिक्सर से 466 और 427 ग्राम सोना बरामद हुआ.

टूल बौक्स में सोना: इसी साल 28 जनवरी को रियाद से दिल्ली आने वाले एक पैसेंजर को कस्टम विभाग ने आईजीआई एयरपोर्ट के ग्रीन चैनल पर रोका था. उस के बैग में रखे टूल बौक्स को चैक किया. कस्टम विभाग को टूल बौक्स का लाना आश्चर्यजनक था, क्योंकि वह भारत में आसानी से मिल जाता है. टूल बौक्स में औजारों को जब खोला गया, तब उस में से करीब 13 लाख रुपए का सोना बरामद हुआ. अचार और क्रीम के डिब्बे में सोना: सोने की तस्करी करने वालों द्वारा अपनाया गया यह तरीका भी कुछ कम अनोखा नहीं था.

जेद्दा से आने वाले यात्री के पास से अचार के डिब्बे से 100 ग्राम के 2 सोने के बिस्कुट बरामद हुए, जबकि रियाद से आने वाले यात्री के पास से बेहद चालाकी से क्रीम और बाम के डिब्बे में छिपा कर लगे गए वाइट गोल्ड के 18 बिसकुट बरामद हुए.

विदेश से कौन व्यक्ति कितना ला सकता है सामान

भारत में प्रवेश करने वाले सभी यात्रियों को सीमा शुल्क जांच के दौर से गुजरना होता है. उन्हें सीमा शुल्क घोषणा फार्म भरने की आवश्यकता हो सकती है. यदि आप 5 हजार डालर से अधिक मूल्य के विदेशी मुद्रा नोट या 10 हजार डालर से अधिक की कुल विदेशी मुद्रा राशि ले जा रहे हैं तो यह घोषणा अनिवार्य है.

  1. उपयोग की गई व्यक्तिगत वस्तुएं और यात्रा स्मृति चिह्न को शुल्कमुक्त रखा गया है.
  2. 15 हजार रुपए तक की वस्तुओं पर वैसे यात्रियों को छूट है जो नेपाल, भूटान या म्यांमार से आते हैं.
  3. अंतरराष्ट्रीय यात्री 50 हजार रुपए तक का सामान शुल्क मुक्त ला सकते हैं, बशर्ते कि वे प्रतिबंधित वस्तुएं न ले जा रहे हों.
  4. लैपटाप, कंप्यूटर आदि के संबंध में कोई 18 वर्ष या उस से अधिक आयु के प्रत्येक यात्री को एक लैपटाप शुल्क मुक्त लाने की अनुमति है.
  5. एक यात्री को 2 लीटर तक शराब शुल्क मुक्त लाने की अनुमति है.
  6. तंबाकू के पदार्थों में 100 सिगरेट या 25 सिगार या फिर 125 ग्राम तंबाकू शुल्क मुक्त लाने की अनुमति है.
  7. एनआरआई को हर 6 महीने में एक बार 10 हजार ग्राम सोना भारत लाने की अनुमति है, बशर्ते कि वे कम से कम 6 महीने तक विदेश में रहे हों. हालांकि इस भत्ते का केवल एक हिस्सा शुल्क से मुक्त है, जबकि बाकी सीमा शुल्क के अधीन है.
  8. पुरुष यात्री 50 हजार रुपए तक की कीमत के साथ 20 ग्राम सोना ला सकता है.
  9. महिला यात्री एक लाख रुपए तक की कीमत के साथ 40 ग्राम सोना ला सकती है.
  10. बच्चे 20/40 ग्राम सोना ला सकते हैं. लड़का और लड़की के आधार पर क्रमश: 50 हजार रुपए या एक लाख रुपए की मूल्य सीमा का सोना होना चाहिए.

नकदी ले जाने की सीमा

कोई यात्री बिना घोषणा के 25 हजार रुपए तक की भारतीय मुद्रा ला सकते हैं. हालांकि 5 हजार डालर या इस के बराबर की विदेशी मुद्रा की घोषणा करनी होती है.

तस्करी के लिए सजा

सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के तहत तस्करी एक गंभीर अपराध है. तस्करी के लिए इस तरह के दंड होते हैं—

कारावास: अपराध की गंभीरता के आधार पर तस्करों को 3 से 7 साल तक की कैद हो सकती है.

जुरमाना: कारावास के अलावा, तस्करों पर जुरमाना भी लगाया जा सकता है, जिस की राशि अकसर शामिल माल के मूल्य से 3 गुना होती है.

माल की जब्ती: तस्करी किए गए सामान को सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जब्त किया जा सकता है.

 

 

Extramarital Affair : देवर के साथ मिलकर किया पति का कत्ल

Extramarital Affair : कुछ लोग स्वभाव से सीधे होते हैं, जबकि आज के परिवेश में सीधे व्यक्ति को मूर्ख समझा जाता है. प्रियंका और मोहन ने सीधे स्वभाव के सत्यशील को मूर्ख समझ कर अपने रास्ते से हटा तो दिया, लेकिन…

16 जुलाई, 2020 की रात के 2 बजे सांती गांव के चौकीदार रामनरेश ने थाना मक्खनपुर में फोन कर के बताया कि सिक्सलेन बाईपास पर सांती पुल के पास सर्विस रोड पर एक युवक का शव पड़ा है. इस सूचना पर थानाप्रभारी मक्खनपुर विनय कुमार मिश्र पुलिस टीम ले कर रात में ही घटनास्थल पर पंहुच गए. प्रभारी निरीक्षक ने शव व घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 28-29 साल के आसपास थी. शव देखने से ऐसा लग रहा था जैसे मृतक को किसी वाहन ने रौंदा हो. उस की मौत हो चुकी थी. मृतक के सीधे हाथ की कलाई पर प्रमोद यादव गुदा (लिखा) हुआ था.

इस से यह तो पता चल गया कि मृतक का नाम प्रमोद यादव है लेकिन नाम से यह पता नहीं चल सकता था कि वह कहां का रहने वाला था. इस बीच सुबह हो गई थी. सर्विस रोड पर पुलिस को देख आसपास के लोग एकत्र हो गए. पुलिस ने उन से शव की शिनाख्त कराने का प्रयास किया लेकिन कोई भी मृतक को नहीं पहचान सका. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने  मृतक की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल फिरोजाबाद भेज दी. पुलिस ने मृतक की शिनाख्त के लिए उस का फोटो और दाहिनी बांह जिस पर उस का नाम था, का फोटो सोशल मीडिया पर डाल कर शिनाख्त कराने का प्रयास किया. 17 जुलाई की सुबह मृतक की शिनाख्त फिरोजाबाद जिला के गांव जेबड़ा निवासी 30 वर्षीय सत्यशील उर्फ प्रमोद यादव के रूप में हो गई.

मृतक के घर वालों ने उस की शिनाख्त मोर्चरी जा कर की. जब गांव वालों को सत्यशील की मौत की बात पता चली, तो गांव में मातम छा गया. सत्यशील सीधासादा युवक था, वह रात में सांती पुल पर क्या करने गया था, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही थी. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट देख कर पुलिस के होश उड़ गए. पुलिस जिसे अब तक दुघर्टना मान रही थी, वह हत्या थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत का कारण विषैले पदार्थ का सेवन और गला घोंटना बताया गया था. मृतक की शिनाख्त होने के बाद 19 जुलाई को मृतक  के चाचा लालता प्रसाद ने थाना मक्खनपुर में प्रमोद की पत्नी प्रियंका और सत्यशील के ममेरे भाई मोहन सिंह के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. मोहन सिंह गांव बनकट का रहने वला था.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि मृतक सत्यशील के ममेरे भाई मोहन से मृतक की पत्नी प्रियंका के अवैध संबंध थे. इस की जानकारी सत्यशील को हो गई थी. इसे ले कर सत्यशील और प्रियंका में आए दिन झगड़ा होता था. रास्ते का कांटा निकालने के लिए दोनों ने षडयंत्र रच कर सत्यशील की हत्या करा दी है. उधर पति की दुर्घटना में आकस्मिक मौत पर प्रियंका का रोरो कर बुरा हाल था. जबकि ससुराल वालों द्वारा पति की हत्या में उस का हाथ होने की बात से वह बुरी तरह आहत थी. पुलिस ने चाचा की तहरीर पर भादंवि की धारा 302,201,120बी, 328, 34 के तहत हत्या का मुकदमा  दर्ज करने के बाद गहनता से जांच शुरू कर दी. इस संबंध में पुलिस ने सब से पहले मृतक की पत्नी प्रियंका से पूछताछ की. उस ने बताया, 15 जुलाई की शाम साढ़े 7 बजे सत्यशील किसी कारखाने में काम करने की बात करने के लिए घर से निकले थे.

जब वह देर रात तक लौट कर नहीं आए तो उसे चिंता हुई और उस ने रात में ही अपने मायके वालों को फोन कर इस संबंध में बताया था. उस ने मोहन से अवैध संबंधों की बात सिरे से नकार दी. उस ने पुलिस को बताया कि मोहन उस का ममेरा देवर है और सत्यशील से मिलने घर आता था. पुलिस ने प्रियंका के बयानों की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल को खंगाला. उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर शक के दायरे में आया, जिस पर प्रियंका सब से ज्यादा बातें करती थी. पुलिस ने उस नंबर को ट्रेस किया तो नंबर मोहन का निकला. पता चला कि 15/16 जुलाई की घटना वाली रात प्रियंका और मोहन की कई बार बातें हुई थीं.

शक के दायरे में प्रियंका प्रियंका को संदेह के दायरे में लाने के लिए इतना ही काफी था. पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की. प्रियंका  बारबार अपने बयान बदलती रही. इस से वह पूरी तरह संदेह के घेरे में आ गई. महिला सिपाही ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो प्रियंका टूट गई. वह थाने में ही फूटफूट कर रोने लगी. उस ने अपना जुर्म कबूल करते हुए पुलिस को बताया कि मोहन ने उसे 15 जुलाई को फोन किया था कि सत्यशील को शाम 7 बजे कारखाने में नौकरी की बात करने के बहाने मेरे पास पायनियर तिराहे पर भेज देना. मोहन के कहे अनुसार उस ने पति को पायनियर तिराहे पर भेज दिया था. पति की हत्या कैसे और कहां करनी है, ये काम मोहन को करना था. पुलिस समझ गई कि सत्यशील की हत्या प्रियंका और उस के प्रेमी मोहन ने षडयंत्र रच कर योजनाबद्ध तरीके से की थी.

एसएसपी सचिंद्र पटेल ने इस केस के मुख्य आरोपी मोहन की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार को सौंपी. साथ ही उन्होंने क्षेत्राधिकारी शिकोहाबाद इंदुप्रभा सिंह और थाना मक्खनपुर के प्रभारी विनय कुमार मिश्र की मदद के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम के सहयोग के लिए सर्विलांस टीम को भी लगा दिया गया. पुलिस टीम मुख्य आरोपी मोहन की गिरफ्तारी के लिए पूरी तैयारी के साथ जुट गई. क्योंकि उस की गिरफ्तारी के बाद ही हत्या के इस रहस्य से परदा उठ सकता था. 21 जुलाई को थानाप्रभारी विनय कुमार  मिश्र पुलिस टीम के साथ क्षेत्र में गश्त पर थे. तभी मुखबिर ने सूचना दी कि सत्यशील की हत्या में शामिल नामजद मोहन हाईवे स्थित उसायनी मंदिर पर खड़ा है.

इस सूचना पर पुलिस उसायनी मंदिर के पास पहुंच गई. वहां आरोपी मोहन कार के पास खड़ा था. पुलिस को देख कर वह भागने लगा साथ ही कार में बैठे उस के 2 अन्य साथी भी भागे. पुलिस ने घेराबंदी कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया. मोहन सिंह के साथ पकड़े गए उस के दोस्त थे. इन में नीरज मिश्रा नगला सदा का रहने वाला था और जयवीर, गांव कुतकपुर जारखी में रहता था. हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में थानाप्रभारी विनय कुमार मिश्र, सब इंस्पेक्टर धीरेंद्र सिंह, कास्टेबल सुमनेश कुमार, राहुल चौधरी, पवन कुमार, महिला कास्टेबल रेनू सिंह शामिल थे.

पुलिस ने सत्यशील की हत्या में शामिल पत्नी प्रियंका उस के प्रेमी मोहन, दोस्त नीरज व जयवीर को गिरफ्तार कर के सभी से पूछताछ की. आरोपियों ने सत्यशील की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. प्रियंका को पसंद नहीं था पति का सीधापन एसएसपी सचिंद्र पटेल ने पुलिस लाइन, दबरई में प्रैसवार्ता में हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. कहानी यह निकल कर सामने आई कि अपने पति सत्यशील के सीधेपन से प्रियंका शादी के 2 साल बाद ही ऊब गई थी. मोहन का प्रियंका के घर काफी दिनों से आनाजाना था. 23 साल का मोहन उम्र में प्रियंका से 2 साल छोटा था. वह रिश्ते में उस का ममेरा देवर था, प्रियंका उस की रोमाटिंक बातों में खूब रस लेती थी.

भाभी के प्रेम में दीवाना मोहन प्यार की राह में आ रहे कांटे को हटाने के लिए तैयार था. प्रियंका और मोहन ने मिल कर सत्यशील की हत्या का षडयंत्र रचा. मोहन ने इस में अपने 2 दोस्तों को भी शामिल कर लिया. हत्यारोपियों ने इस खौफनाक हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—

उत्तर प्रदेश के शहर फिरोजाबाद का एक थाना है मक्खनपुर. जेबड़ा गांव इसी थाना क्षेत्र में आता है. सत्यशील उर्फ प्रमोद यादव अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी प्रियंका के अलावा 3 बेटियां और वृद्ध मां थीं. सत्यशील मांबाप का इकलौता बेटा था. शादी से पहले वह अकसर गांव बनकट स्थित अपने मामा पप्पू के घर चला जाता था. वहां वह कईकई दिन ठहरता था. उस के मामा के दूसरे नंबर के 23 वर्षीय बेटे मोहन सिंह से उस की खूब पटती थी. सत्यशील के हाईस्कूल कर लेने के बाद घर वालों ने उस की शादी गांव भढ़ाईपुरा निवासी एक युवती से कर दी.

शादी के बाद सत्यशील के 2 बेटियां हुईर्ं. उस की बड़ी बेटी मानसी इस समय 7 साल की व मानवी 6 साल की हैं. तीसरी डिलीवरी के दौरान सत्यशील की पत्नी की मृत्यु हो गई. दोनों बेटियां छोटी थीं. उन की परवरिश करने वाला घर में कोई नहीं था. सत्यशील के पिता महेश चंद्र की मौत हो चुकी थी जबकि मां दिमाग से कमजोर होने के कारण घरगृहस्थी का काम नहीं कर पाती थी. इस के चलते सत्यशील के ससुराल वालों ने 2 साल पहले उस की शादी गांव उतरारा की अपनी जानकार 25 वर्षीय प्रियंका से करा दी. प्रियंका की एक साल की एक बेटी है किट्टू. सत्यशील के पास ढाई बीघा जमीन थी. वह अपनी खेती के साथ बटाई पर जमीन ले कर खेतीकिसानी करता था. इसी से उस के परिवार की गुजरबसर होती थी. सत्यशील ने बच्चों के लिए घर में गाय भी पाल ली थी. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था.

सत्यशील फसल की सिंचाई व देखभाल के लिए रात में अकसर खेतों पर चला जाता था. आराम करने के लिए खेतों पर झोपड़ी बनी थी. कभीकभी वह उस झोपड़ी में ही सो जाता था. सुबह होने पर वह घर आ जाता था. ममेरे भाई मोहन के पास निजी टीयूवी कार थी, जिसे वह टैक्सी के रूप में चलाता था. वह अकसर सत्यशील के गांव जेबड़ा आताजाता रहता था. दोनों भाइयों में खूब पटती थी. प्रियंका मोहन की भाभी थी, सो दोनों अकसर एकदूसरे से दिल्लगी करते रहते थे. बातों ही बातों में एक बार मोहन बोला, ‘‘भाभी, रात में भैया तो खेतों पर सोने चले जाते हैं, तुम्हें नींद कैसे आती है?’’

इंटरमीडिएट तक पढ़ी प्रियंका देवर की शरारत समझ कर भी अनजान बनी रही. बोली, ‘‘जैसे तुम्हें नींद आ जाती है वैसे ही मुझे आ जाती है.’’ प्रियंका ने कहा, ‘‘वैसे मोहन, अब तुम शादी कर लो.’’

एक दिन मोहन रात में गाड़ी चलाने के बाद सत्यशील के घर आ गया. सत्यशील खाना खा कर खेत की सिंचाई के लिए जाने वाला था. मोहन के आने पर उस ने प्रियंका से कहा, ‘‘कल्लू को खाना खिला देना.’’ फिर उस ने कल्लू से कहा, ‘‘मुझे खेत पर जाने के लिए देर हो रही है. इसलिए जाता हूं.’’

सत्यशील खेतों पर चला गया.  प्रियंका ने मोहन के लिए खाना बनाया. फिर देवर को बड़े प्यार से खिलाया. खाना खाते और बातचीत करते कब समय निकल गया दोनों को पता ही नहीं चला. प्रियंका ने मोहन से कहा, ‘‘रात ज्यादा हो गई है, सुबह चले जाना.’’

इस पर मोहन ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं अपनी गाड़ी में सो जाऊंगा.’’

इस पर प्रियंका ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम्हें घर में सोने के लिए कौन मना कर रहा है. इतना बड़ा घर है और सोओगे गाड़ी में.’’

प्रियंका की बातों से मोहन को मन की मुराद पूरी होती लगी. उस रात प्रियंका और मोहन दोनों अपनेअपने बिस्तर पर करवटें बदलबदल कर सोने का प्रयास करने लगे. मगर 2 जवान दिलों की बढ़ती धड़कनों ने उन्हें सोने नहीं दिया. प्रियंका के पैरों की पायल की रूनझुन ने मोहन की आंखों से नींद उड़ा दी थी. आखिर जब मोहन से नहीं रहा गया तो वह अपने बिस्तर से उठ कर बोला, ‘‘भाभी, नींद नहीं आ रही क्या?’’

प्रियंका मुसकरा कर बोली, ‘‘तुम्हें आ रही है?’’

मोहन बोला, ‘‘तुम्हारे बिना कैसे आएगी?’’

फिर प्यासी नदी के 2 किनारों को मिलने में देर नहीं लगी. इस के बाद जब भी मौका मिलता दोनों मिल लेते थे. उन्हें रोकने टोकने वाला घर में कोई नहीं था.

लौकडाउन में तो मोहन रोज ही सत्यशील के घर जाता था. इस बीच सत्यशील कहीं भी आजा नहीं रहा था. यहां तक कि पुलिस के डर से रात में अपने खेतों पर सोने भी नहीं जाता था. इस के चलते प्रेमी युगल को क्वालिटी टाइम स्पेंड करने का मौका नहीं मिल पा रहा था. दोनों के दिलों में सुलग रही आग बाहर आने लगी थी. बाद में दोनों ने राह के कांटे को हमेशा के लिए निकालने की खौफनाक साजिश रची. दोनों ने इस षडयंत्र को 15/16 जुलाई को अंजाम भी दे दिया. मक्खनपुर क्षेत्र में कांच के कई कारखाने हैं. साजिश के तहत प्रियंका ने अपने पति सत्यशील से कहा, ‘‘तुम किसी कारखाने में काम कर लो. मोहन तुम्हारा काम लगवा देगा. इस से घर का खर्च भी अच्छी तरह चल जाएगा.’’

सीधासादा सत्यशील पत्नी की शतरंजी चाल को समझ नहीं पाया. प्रियंका ने 15 जुलाई की शाम साढ़े 7 बजे सत्यशील को काम के बहाने मोहन के पास भेज दिया. पायनियर तिराहे पर मोहन पहले से ही अपनी कार में अपने 2 साथियों के साथ सत्यशील का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. जैसे ही वह वहां पहुंचा मोहन ने उसे कार में बैठा लिया. आगे चल कर मोहन ने एक होटल से कोल्ड ड्रिंक की 4 बोतलें खरीदीं. पीछे बैठे उस के दोनों साथियों ने पहले से साथ लाई नशे की गोलियां एक बोतल में मिला दीं. आगे की सीट पर मोहन की बगल में बैठे सत्यशील को इस का पता नहीं चला. कोल्ड ड्रिंक पीने के कुछ देर बाद सत्यशील पर बेहोशी छाने लगी.

मोहन का इशारा मिलते ही जयवीर व नीरज ने मिल कर सत्यशील के गले में पड़े सफेद रंग के अंगोछे से उस का गला दबा कर गाड़ी में ही हत्या करने की कोशिश की.  लेकिन उस के मुंह से खून आने लगा. इस पर मोहन गाड़ी को सांती पुल के नीचे ले गया और सत्यशील को सर्विस रोड पर फेंक दिया. उस की मौत की पुष्टि के लिए इन लोगों ने कार 2 बार उस के ऊपर चढ़ाई. जब उन्हें पूरी तसल्ली हो गई कि सत्यशील मर चुका है, तब मोहन ने प्रियंका को रात में ही फोन कर के बता दिया कि काम हो गया है. इस पर प्रियंका ने कहा, कार चढ़ाने के बाद तुम ने देख भी लिया है कि उस की मौत हुई या नहीं. मोहन ने उसे तसल्ली दी कि तुम किसी बात की चिंता मत करो.

नहीं बना पाए दुर्घटना मोहन ने हत्या को दुर्घटना दिखाने के लिए सत्यशील के ऊपर 2 बार कार चढ़ाई थी. मुख्य आरोपी मोहन ने हत्या की योजना में शामिल करने के लिए दोनों साथियों को 15 हजार रुपए देने का प्रलोभन दिया था. साथ ही नीरज मिश्रा को एक मोबाइल भी खरीद कर दिया था. पुलिस ने उस मोबाइल के साथ ही मृतक का सैमसंग मोबाइल, प्रियंका का मोबाइल, मृतक की चप्पलें, हत्यारोपियों के कब्जे से खून से सना सत्यशील का गमछा, कोल्ड ड्रिंक की 4 बोतलें, हत्या में इस्तेमाल टीयूवी कार आदि चीजें बरामद कर लीं. पुलिस ने सत्यशील की हत्या करने के आरोप में प्रियंका, मोहन, नीरज व जयवीर को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

प्रियंका की बेटी किट्टू व गाय को प्रियंका की मां अपने साथ ले गई. जबकि पहली पत्नी के मायके वाले दोनों बेटियों को अपने साथ ले गए. प्रियंका ने आशनाई के चक्कर में अपने सुहाग व सुखी गृहस्थी को अपने ही हाथों उजाड़ लिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित