Murder Stories : सल्फास की गोली खिलाकर विवाहिता ने प्रेमी को मार डाला

Murder Stories : सोशल मीडिया ने दूर के लोगों को भी पास ला दिया है. जब चाहे एक मिनट में संदेश भेजो या औनलाइन बात करो. इस सब के लिए फेसबुक और वाट्सऐप सब से सशक्त माध्यम हैं. लेकिन इन्हीं माध्यमों का दुरुपयोग कर के लोगों को प्रताडि़त भी किया जाता है और ठगी भी खूब होती है…  

40 वर्षीय प्रशांत कुमार सोशल मीडिया में कुछ इस तरह खो गए थे कि उन का ज्यादातर समय मोबाइल पर ही बीतने लगा था. वह वाट्सऐप, फेसबुक मैसेंजर, ट्विटर पर फोटो, कविताएं, शायरी और तरहतरह के विचार डालते रहते थे. लोग लाइक या प्रशंसा में कमेंट करते तो वह और उत्साहित होते. वैसे उन्हें लिखनेपढ़ने का कोई शौक नहीं था. एक दिन उन्होंने फेसबुक खोला तो एक फ्रैंड रिक्वेस्ट आई हुई थी. उन्होंने प्रोफाइल खोल कर देखी, वह किसी लड़की की फ्रैंड रिक्वेस्ट थी. प्रोफाइल में लड़की का सुंदर सा फोटो लगा था. उन की फ्रैंड लिस्ट में तमाम लड़कियां और महिलाएं थीं, लेकिन ये सब वह थीं, जिन्हें प्रशांत ने अपनी ओर से फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी. उन्हें किसी लड़की ने पहली बार फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी.

लड़की की फ्रैंड रिक्वेस्ट कन्फर्म कर के वह फेसबुक सर्च कर रहे थे कि मैसेंजर पर एक मैसेज आया. उन्होेंने तुरंत मैसेंजर खोल कर देखा. उसी लड़की का मैसेज था, जिसे उन्होंने थोड़ी देर पहले कन्फर्म किया था. मैसेज में लिखा था, ‘हैलो’.

इस के बाद दोनों के बीच मैसेजबाजी शुरू हो गई. लड़की ने पूछा, ‘‘आप क्या करते हैं?’’

‘‘नौकरी करता हूं. क्यों?’’ प्रशांत ने मैसेज का जवाब मैसेज से दिया.

‘‘कितना वेतन मिलता है आप को?’’ लड़की ने पूछा.

लड़की के इस सवाल पर प्रशांत को गुस्सा गया. उन्होंने मैसेज भेजा, ‘‘मुझ से शादी करनी है क्या, जो मेरे वेतन के बारे में पूछ रही हो?’’

‘‘आप मेरे सवाल से नाराज हो गए?’’ लड़की ने मैसेज भेजा, ‘‘मैं ने तो यूं ही पूछ लिया था. वैसे आप बहुत अच्छे आदमी हैं.’’

‘‘आप को कैसे पता?’’ प्रशांत ने पूछा.

‘‘आप की पोस्ट से पता चला. आप अपनी वाल पर बड़ी अच्छी पोस्ट डालते हैं.’’ लड़की ने मैसेज भेजा.

यह मैसेज पढ़ कर प्रशांत की नाराजगी तुरंत दूर हो गई. उन्होंने भीधन्यवादलिख कर भेज दिया. साथ ही उन्होंने यह भी लिखा, ‘‘आप भी तो बहुत सुंदर हैं. मेरी फ्रैंड लिस्ट में जितनी भी लड़कियां हैं, उन सब से ज्यादा सुंदर.’’

प्रशांत ने यह संदेश लड़की को खुश करने के लिए भेजा था. उन्होंने जानबूझ कर उस की सुंदरता की तारीफ की थी. लड़की नेथैंक्यूके साथ मैसेज में यह भी लिखा, ‘‘आप भी तो बहुत अच्छे हैं और स्मार्ट भी.’’

लड़की की इस तारीफ पर प्रशांत खुश हो गए. मैसेज के माध्यम से दोनों के बीच बातों का दायरा बढ़ा तो बढ़ता ही गया. बातोंबातों में प्रशांत ने कह दिया कि कोई काम हो तो बताना.

 इस पर लड़की ने मैसेज भेजा, ‘‘जो काम बताऊंगी, आप कर देंगे?’’

‘‘मेरे करने लायक हुआ तो जरूर करूंगा.’’ 

प्रशांत के मैसेज भेजते ही लड़की का लंबा सा मैसेज आया, ‘‘मैं हौस्टल में रहती हूं. घर वालों ने जो पैसे दिए थे, खर्च हो गए. आप मेरा फोन रिचार्ज करा दीजिए, प्लीज.’’

‘‘इस से मुझे क्या फायदा होगा?’’ प्रशांत ने पूछा तो उस ने मैसेज भेजा, ‘‘आप से बातें करूंगी. जैसी आप चाहेंगे. वीडियो कालिंग भी.’’

बिना सोचेसमझे मैसेज भेजना भी खतरनाक मैसेजबाजी में बात यहां तक पहुंची कि लड़की कपड़े उतार कर वीडियो कालिंग करने को तैयार हो गई. प्रशांत के साथ ऐसा पहली बार हुआ था. कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने चाहते हुए भी एक मैसेज भेज दिया, ‘‘मैं कैसे मानूं कि आप लड़की ही हैं. फेसबुक पर तो…’’

‘‘आप मुझ पर विश्वास कीजिए, मैं लड़की ही हूं.’’ मैसेज के साथ लड़की का फोटो भी गया. डीपी में भी वही फोटो लगा हुआ था. फोटो देख कर प्रशांत को समझते देर नहीं लगी कि वह फोटो फेसबुक से ही डाउनलोड की गई है. उन्होंने संदेश भेजा, ‘‘ठीक है, आप नंबर दो.’’

‘‘प्लीज, रिचार्ज करा दोगे ?’’ दूसरी ओर से संदेश आया.

‘‘इसीलिए तो नंबर मांग रहा हूं.’’ प्रशांत ने मैसेज भेजा. एक बार प्रशांत ने सोचा भी कि हो हो लड़की परेशानी में हो, इसलिए 3 महीने का नहीं तो एक महीने का पैक डलवा देते हैं.

लेकिन तुरंत उन के दिमाग में आया कि उन के रिचार्ज कराते ही उस ने उन्हें ब्लौक कर दिया तो. उन्होंने यह आशंका मैसेज द्वारा प्रकट की तो लड़की का संदेश आया, ‘‘मां कसम मैं ऐसा नहीं करूंगी. आप जिस तरह चाहेंगे, आप से उस तरह बातें करूंगी.’’

प्रशांत का दिमाग बड़ी तेजी से चल रहा था. वह समझ गए कि यह कोई फ्रौड है, वरना 400 रुपए के लिए कोई लड़की कपड़े उतार कर वीडियो काल क्यों करेगी? उन्होंने यह देखने के लिए उस से उस का नंबर मांग लिया कि वह नंबर देती है या नहीं. प्रशांत के मांगते ही उस ने नंबर के साथ शहर और कंपनी का नाम भी भेज दिया. थोड़ी देर बाद उन्होंने उस नंबर पर फोन किया. फोन उठा तो लड़के की आवाज आई. उन्होंने उसे धमका कर फोन काट दिया. इस के बाद उन्होंने इस बात की चर्चा अपने कुछ साथियों से की तो सब ने कहा कि वे बच गए. इस तरह के मैसेज अकसर आते रहते हैं और यह सब लड़के करते हैं.

इस से प्रशांत को पता चल गया कि फेसबुक मात्र दोस्तों को मिलाने, अपने विचार रखने और दूसरों के विचार जानने का ही मंच नहीं है. इस के माध्यम से बहुत कुछ होता हैनीरज की अलग कहानी प्रशांत की ही तरह नीरज भी फेसबुक पर काफी समय बिताते थे. उन की उम्र प्रशांत से कुछ ज्यादा थी. वह नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके थे, इसलिए अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर ही बिताते थे. इस की एक खास वजह यह थी कि उन की फ्रैंड लिस्ट में कुछ ऐसे लड़के और कथित लड़कियां (जिन के नाम तो लड़कियों के थे, असल में वे लड़के थे) थीं. जिन से वह अश्लील चैट करते थे.

नीरज की फ्रैंडलिस्ट में एक लड़का था, जिस का नाम पीयूष मिश्रा था. उसी ने नीरज को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी. प्रोफाइल के हिसाब से लड़का ठीकठाक लगा था. इसलिए उन्होंने उस की रिक्वेस्ट कन्फर्म कर दी थी. एक सुबह वह फेसबुक सर्च कर रहे थे, फेसबुक से जुड़े मैसेंजर पर मैसेज आया. खोलने पर पता चला कि पीयूष मिश्रा ने गुडमार्निंग का संदेश भेजा था. उन्होंने भी जवाब में गुडमार्निंग लिख दिया. इस के बाद दोनों के बीच मैसेजबाजी का सिलसिला जुड़ा तो बात अश्लील मैसेजों पर जा कर रुकी. इस के बाद पीयूष ने अश्लील मैसेज भेजने शुरू कर दिए. नीरज ने सोचा था, सच्चाई जान कर उसे ब्लौक कर देंगे. पर जब संदेशों का आदानप्रदान होने लगा तो उन्हें भी मजा आने लगा. उन के लिए यह टाइम पास करने का साधन बन गया था

जैसेजैसे बात बढ़ती गई दोनों एकदूसरे से खुलते गए. नीरज ने पीयूष से ही बात करने के लिए मैसेंजर डाउनलोड कर लिया. जिस से मैसेज करने में ही नहीं, फोटो और वीडियो भेजने में आसानी रहे. जल्दी ही उन की हालत यह हो गई कि दोनों एकदूसरे को दिगंबर अवस्था में अपनेअपने फोटो भेजने लगे. फेसबुक की हकीकत जान कर नीरज फेसबुक पर ढूंढ कर स्मार्ट लड़कों को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने लगे. रिक्वेस्ट कन्फर्म होने पर वह मैसेज भेज कर इसी तरह की बातें करने को उकसाते. ज्यादातर लड़के इस तरह की बातें करने से मना कर देते. जो तैयार हो जाते, उन से अश्लील चैट कर के वह अपना समय पास करते हैं.

नीरज इस तरह की चैटिंग में ऐसे रम गए कि उन्हें लगा कि फेसबुक सिर्फ इसी के लिए है. जो उन के मानमाफिक बातें करने से मना कर देता, तो उसे वह तुरंत ब्लौक कर देते. क्योंकि उन के लिए वह फालतू का आदमी होता था. इस तरह की अश्लील चैटिंग मात्र लड़के या बड़ी उम्र के पुरुष ही नहीं करते, कुछ महिलाएं और लड़कियां भी करती हैं, जो ऐसी चैटिंग कर के मजे लेती हैं. फेसबुक यानी सोशल मीडिया पर यह सब क्यों, कैसे और क्याक्या होता है, यह जानने से पहले आइए थोड़ा सोशल मीडिया के बारे में जान लेते हैं. क्योंकि लगभग सभी के मन में यह उत्सुकता होती है कि आखिर यह सोशल मीडिया है क्या?

सोशल मीडिया का अस्तित्व कहना गलत नहीं होगा कि सोशल मीडिया का अस्तित्व इंटरनेट की वजह से है. क्योंकि इंटरनेट से ही सोशल मीडिया चलता है. इंटरनेट पर विश्व की कुछ ऐसी जानीमानी वेबसाइटें हैं, जिन्होंने हमें सोशल मीडिया से अवगत कराया. इन में फेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, यूट््यूब, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट जैसी कई वेबसाइटें हैं. ये सभी वेबसाइटें मिल कर इंटरनेट के जमाने में सोशल मीडिया बनाती हैं. आज सोशल मीडिया एक ऐसा साधन बन गया है, जब आम आदमी भी अपने दिल की बात दुनिया के सामने रख सकता है और इस के लिए उसे किसी तरह की मेहनत भी करने की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं, इस सोशल मीडिया ने बहुत लोगों को रातोंरात स्टार बना दिया है. क्योंकि सोशल मीडिया पर किसी की फोटो या वीडियो वायरल होने में समय नहीं लगता.

यही नहीं, सोशल मीडिया ऐसे तमाम लोगों को भी सामने लाया है, जिन की प्रतिभा कोई नहीं जानता था. यूट्यूब एक ऐसी वेबसाइट है, जिस के माध्यम से लोग करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, जबकि यह वेबसाइट औनलाइन डेटिंग के लिए बनाया गया था. लेकिन इसे गूगल ने खरीद लिया, जिस के बाद यह लोगों की कमाई का जरिया बन गया. अब आते हैं सोशल वेबसाइट फेसबुक पर. इस वेबसाइट के जरिए घर बैठे हजारों दोस्त बनाए जा सकते हैं. इस समय सोशल मीडिया में फेसबुक नंबर एक पर है. क्योंकि इस के यूजर्स सब से ज्यादा हैं. लेकिन सेलिब्रिटी और बड़ी हस्तियों की बात की जाए तो उन की पहली पसंद ट्विटर है. ट्विटर के जरिए ही वे अपनी बात आम लोगों और दुनिया के सामने रखते हैं. सोशल मीडिया द्वारा हम जो दोस्त बनाते हैं. उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

आमतौर पर फेसबुक पुराने मित्रों को खोजने, उन से जुड़ने और परिचितों के साथ संदेश और चर्चा करने के लिए उत्तम माध्यम है. इस माध्यम से लोग अपने फोटो, वीडियो और पसंद की अन्य चीजें, समाचार, जानकारियां और रचनाएं अपने मित्रों के साथ शेयर कर सकते हैं. मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक पुराने दोस्तों को खोजने, संपर्क करने, नए दोस्त बनाने और अपने विचार आसानी से दुनिया के सामने रखने और बिजनैस प्रमोशन के लिए किया था. यह अलग बात है कि हमारे यहां लोग इस का उपयोग दूसरे तरीके से करने लगे हैं. इसीलिए फेसबुक आज युवाओं की पहली पसंद बन चुका है. वे रात ढाईतीन बजे तक सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं. इस में लड़केलड़कियां ही नहीं, बड़ी उम्र के पुरुष और गृहिणियां भी शामिल हैं.

जो लड़केलड़कियां घर से बाहर रहते हैं, उन्हें तो किसी का कोई डर नहीं है. इसलिए वे इस में खासा समय गंवाते हैं. ऐसा ही हाल उन पुरुषों का है जो परिवार से दूर अकेले रहते हैं. इसी तरह वे गृहिणियां भी इस का खूब आनंद लेती हैं, जिन के पति बाहर रहते हैं. इस की मुख्य वजह है चैटिंग, औडियो वीडियो कालिंग, अश्लील चैटिंग. इस के बारे में हर किसी को पता नहीं. लेकिन जिन्हें पता है, वे इस तरह के साथी खोज निकालते हैं, जो उन की पसंद की बातें करते हैं. विकास को भी पहले इस बारे में कुछ पता नहीं था. उस ने तो अपने दोस्तों से जुड़ने के लिए फेसबुक डाउनलोड किया था. दोस्तों से चैट के लिए वह मैसेंजर का उपयोग करता था.

दो दोस्तों की कहानी एक दिन वह अपने दोस्त रवि से चैटिंग कर रहा था, उसी दौरान उस ने विकास को कुछ फोटो भेजे. वे फोटो देख कर विकास यह सोच कर हैरान रह गया कि ये फोटो रवि के पास कहां से आए. फोटो एक 30-32 साल की महिला के थे, जिस के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. गले में मंगलसूत्र जरूर लटक रहा था, जिस से साफ पता लगता था कि वह शादीशुदा थी. हां, उस ने इतना जरूर किया था कि गरदन के ऊपर का हिस्सा काट दिया, जिस से उसे कोई पहचान सके.

फोटो देख कर विकास ने रवि से पूछा, ‘‘ये किस के फोटो हैं, तुझे कहां से मिले?’’

‘‘एक फेसबुक फ्रैंड ने भेजी हैं,’’ रवि ने कहा तो विकास ने मैसेज द्वारा हैरानी व्यक्त की, ‘‘फेसबुक फ्रैंड इस तरह के भी फोटो भेजती हैं?’’

‘‘वह मुझ से अश्लील चैटिंग करती थी. ऐसे में मैं ने उस से फोटो भेजने को कहा तो उस ने ये फोटो भेज दिए.’’ रवि ने बताया.

‘‘तू ने भी इसी तरह के अपने फोटो भेजे होंगे?’’ विकास ने पूछा.

  ‘‘नहीं, उस ने मांगे ही नहीं, इसलिए मैं ने नहीं भेजे.’’

  ‘‘अगर मांगे तो…?’’

‘‘पहले तो टालूंगा, नहीं मानी तो भेजना ही पड़ेगा. ऐसे दोस्त को छोड़ा तो नहीं जा सकता.’’ रवि ने मैसेज से जवाब दिया.

रवि से यह बात होने के बाद विकास की भी इस तरह की लड़कियों और औरतों से चैटिंग करने की इच्छा हुई. वह खोज में जुट गयाआखिर उस की मेहनत रंग लाई और अब उस की ऐसी कई महिला मित्र हैं, जो उस से अश्लील चैटिंग करती हैं. अब विकास दिन में तो इन से चैटिंग करता ही है, रात को भी देर तक मोबाइल पर लगा रहता है. मित्र बनाने के लिए उस ने वही तरीका अपनाया था, जैसा उस के दोस्त ने बताया था. मित्र यानी रवि द्वारा दी गई सलाह के अनुसार विकास ढूंढढूंढ कर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता. कन्फर्म होने पर पहले वह उन के मैसेज बौक्स में हायहैलो और गुड मार्निंग के मैसेज भेजता. जवाब जाता तो वह पूछता, ‘‘कहां से हो, कैसी हो, क्या करती हो?’’

इन के भी जवाब जाते तो विकास समझ जाता कि महिला बात करने में उत्सुकता दिखा रही है. आगे पूछता, ‘‘आप के शौक यानी आप को क्या पसंद है?’’

इन सवालों के जवाब मिल जाते तो विकास को सारा रहस्य समझ में जाता और फिर शुरू हो जाती चैटिंग. चैटिंग होतेहोते ही फोटो के आदानप्रदान होने लगते हैं. कुछ दिनों बाद बिना कपड़ों के फोटो भेजे जाते हैं. यह सब अच्छा तो बहुत लगता है, लेकिन इस में खतरा भी बहुत है. लोग मजे लेने के लिए उत्तेजना में ऐसे फोटो भेज देते हैं, लेकिन कभीकभी इस तरह के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं या फिर लोग ब्लैकमेल होने लगते हैं. जिस से बदनामी तो होती ही है, घर तक छूट जाते हैं.

सुमन का भी कुछ ऐसा ही मामला है. घर में अकेली होने की वजह से उसे चैटिंग का चस्का लग गया था. पति सुबह निकल जाते तो रात साढ़े 10-11 बजे घर लौटते थे. घर में काम करने के लिए कामवाली आती थी. पति का दोनों टाइम का खाना लगभग बाहर ही यानी आफिस कैंटीन में होता था. सुमन का कोई बच्चा भी नहीं था, जो उसी के साथ समय कट जाता. पति के जाने के बाद रात साढ़े 10-11 बजे तक सुमन घर में अकेली रहती थी. कोई कामधाम भी नहीं रहता था. दोपहर का खाना वह कामवाली से बनवा लेती थी. टीवी भी कितना देखती. टीवी से ऊब जाती तो फोन में लग जाती.

फेसबुक, वाट्सऐप पर समय बिताती, पति से उस की चैटिंग होती ही रहती थी. इस के बावजूद कुछ सहेलियां थीं, जिन से वह चैटिंग करती थी. उस के मैसेंजर पर अन्य लोगों के भी मैसेज आते रहते थे. जिन्हें वह बिना देखे ही डिलीट कर दिया करती थी. एक दिन वह बोर हो रही थी तो इनबौक्स में पडे़ पेंडिंग मैसेज खोल कर पढ़ने लगी. इसी बीच एक और मैसेज आया तो टाइम पास के लिए उस ने उस का जवाब दे दिया. इस के बाद एकदूसरे का हालचाल पूछा गया. सुमन ने उस आदमी की प्रोफाइल खोल कर देखी तो प्रोफाइल के हिसाब से वह ठीकठाक लगा. फिर तो सुमन की उस आदमी से चैटिंग होने लगी. शुरूशुरू में यह चैटिंग समान्य रही, लेकिन कुछ ही दिनों में यह बैडरूम तक पहुंच गई यानी अश्लील चैटिंग होने लगी.

सुमन को भी इस में मजा रहा था, क्योंकि उस का समय आसानी से कट जाता था. पुरुष तो वैसे भी चालाक होता है. उस की नजर हमेशा स्त्री देह पर होती है. उस आदमी ने भी सुमन को बरगला कर उस के निर्वस्त्र फोटो प्राप्त कर लिए. पुरुषों में सब से गंदी आदत यह होती है कि इस तरह की बातें वे छिपा कर यानी अपने दिल तक नहीं रख पाते. दोस्तों पर रौब जमाने के लिए वे इस तरह की बातों को बढ़ाचढ़ा कर बताते हैं. इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. विकास के मामले की तरह सुमन से चैटिंग करने वाले उस आदमी ने सुमन के फोटो दोस्तों में बांट दिए.

चैटिंग में पुरुष भी बन जाते हैं महिलाएं नतीजतन सुमन के फोटो एकदूसरे से होते हुए आगे बढ़ते गए और वायरल हो कर वे उस के पति के परिचित तक पहुंच गए. इस से सुमन की बड़ी बदनामी हुई. अच्छा यह था कि पति समझदार था, जिस से घर टूटने से बच गया. इस तरह सोशल मीडिया का चस्का और मजा सुमन के लिए सजा बन गया. सुमन के तो फोटो ही वायरल हुए पर राजेश के साथ जो हुआ, वह किसी से कह भी नहीं सकता. उसे तो इस तरह ब्लैकमेल किया गया कि पैसे भी दिए और इज्जत भी गंवाई. राजेश युवा था, इसलिए वह लड़कियों को ही फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था और फिर उन्हें मैसेज भेज कर बातें करने की कोशिश करता था. ऐसे ही उस की सुनीता नाम की एक लड़की से चैटिंग होने लगी

इस तरह के मामले में अकसर लोग लड़कियों के फोटो मांगते हैं, पर यहां उल्टा हुआ. सुनीता ने राजेश से उस के इस तरह के फोटो मंगवा लिए, जिन्हें देख कर कोई भी शरमा जाए. राजेश सुनीता के प्यार में इस कदर पागल था कि उस ने अपना पूरा फोटो उसे भेज दिया यानी चेहरे सहित. इस का नतीजा यह निकला कि सुनीता उसे ब्लैकमेल कर के पैसे ऐंठने लगी. यह बात यहीं तक सीमित नहीं रही. राजेश पढ़ाई कर रहा था, इसलिए वह ज्यादा पैसे कहां से देता. उस ने हाथ जोड़ लिए. तब सुनीता ने मिलने के लिए संदेश भेजा, ‘‘तुम ने मुझे बहुत पैसे दिए हैं. इसलिए मैं चाहती हूं कि तुम मुझ से कम से कम एक बार तो मिल लो. तुम्हें भी तो पैसे के बदले कुछ मिल जाए.’’

राजेश ने सोचा, चलो कुछ तो सुनीता ने उस पर दया की. वह सुनीता से मिलने उस के घर पहुंचा तो पता चला, वह लड़की नहीं 40 साल का आदमी था. कुछ मिलने की उम्मीद में गए राजेश को काफी कुछ गंवाना पड़ा. उस आदमी ने राजेश के साथ कुकर्म भी किया. वह आगे भी राजेश को परेशान करना चाहता था. लेकिन अब तक परेशान हो चुके राजेश ने उसे धमकी दे दी कि कुछ भी हो, अगर उस ने पैसे मांगे या किसी भी तरह परेशान किया तो वह उस की शिकायत पुलिस में कर देगा. राजेश की यह धमकी कारगर साबित हुई और उस आदमी ने राजेश के फोटो डिलीट कर दिए.

राजेश तो मात्र एक उदाहरण है. उस की तरह जाने कितनी लड़कियां और महिलाएं थोड़ा मजा लेने के चक्कर में ब्लैकमेल तो हो ही रही हैं, दुष्कर्म का शिकार होती हैं. अपनी जरा सी गलती की वजह से वे मुंह भी नहीं खोल पातीं. कई बार लड़कियों को मांबाप की कमाई भी चोरी कर के देनी पड़ती है. इस तरह की खबरें तो आए दिन अखबारों में पढ़ने को मिल रही हैं कि फेसबुक पर हुई दोस्ती के बाद लड़की को बुला कर नशीला पदार्थ दे कर दुष्कर्म कियामजे की बात तो यह है कि फेसबुक पर फ्रैंड लिस्ट में पता ही नहीं चलता कि फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने वाली लड़की है या लड़का या जिसे फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज रहे हैं, वह कौन है.

इस बारे में कई लड़कियों से पूछने पर पता चला, उन के पास दिन में 50 से 60 फ्रैंड रिक्वेस्ट जाना आम बात है. कहने को तो ये सभी रिक्वेस्ट लड़कियों की होती हैं, जबकि असलियत यह होती है कि उन में एक भी लड़की नहीं होती. आज ज्यादातर लड़के या अश्लील चैटिंग करने वाले लड़की के नाम से फेसबुक आईडी बना कर प्रोफाइल में सुंदर लड़की की फोटो लगा देते हैं, जिस से कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि वह लड़की है या लड़का. इस का पता चैटिंग करने पर चलता है. क्योंकि लड़का जल्दी ही अश्लील चैटिंग करने लगता है

चैटिंग शुरू होते ही हायहैलो के बाद पहला सवाल यही होता है लड़का या लड़की. कुछ तो तुरंत बता देते हैं. लेकिन धूर्त टाइप के लड़के नहीं बताते. वे भी यही सवाल करते हैं. फिर जैसा जवाब मिलेगा. वैसा जवाब दे कर थोड़ी देर चैटिंग करेंगे. उस के बाद कहेंगे, ‘‘दीदी, आप से मेरा भाई या ब्वायफ्रैंड बात करना चाहता है.’’ इस के बाद अपना फोटो भेज कर पूछेंगे, ‘‘कैसा लगता है?’’

एक सर्वे के अनुसार सुंदर फोटो लगे जितने भी फेसबुक पेज हैं, उन में 99 प्रतिशत लड़कों के हैं. कोई भी लड़की या महिला किसी अजनबी लड़की या महिला को जल्दी फ्रैंड रिक्वेस्ट नहीं भेजती. इसलिए फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने या स्वीकारने के पहले यह जरूर सोच लें कि जो शुरुआत ही गलत काम से हो रहा हो, उस के इरादे नेक नहीं हो सकते. यमुना ने लिखी बरबादी की स्क्रिप्ट इस तरह छोटामोटा मजा कभीकभी ऐसी सजा बन जाता है कि किसी की जान जाती है तो कइयों की जिंदगी बरबाद होने के साथ घरपरिवार तबाह हो जाता है. हरियाणा के रोहतक में अभी कुछ दिनों पहले ऐसा ही हुआ. रोहतक के सूर्यनगर की रहने वाली यमुना की समालखा के इनेलो नेता के मौल में सिक्योरिटी सुपरवाइजर की नौकरी करने वाले दीपक से फेसबुक पर दोस्ती हो गई

यमुना के पति सुरेश कुमार सीआरपीएफ में डीएसपी थे. वह जम्मू में तैनात थे. पति के बाहर रहने की वजह से यमुना सोशल मीडिया पर खासा समय बिताती थी. ऐसे में ही दीपक से उस की दोस्ती हो गई. पहले दोनों की मैसेंजर चैटिंग होती थी. साथ ही वाट्सऐप पर चैटिंग भी. कभीकभी दोनों की फोन पर बातें हो जाती थीं.  इस सब के चलते मिलने की बातें करने लगे. अंतत: यमुना दीपक से मिलने को राजी हो गई. दीपक तो उस से मिलने के लिए बेचैन था ही. दोनों की यह बात चल ही रही थी कि यमुना के पति सुरेश ने फोन कर के बताया कि वह एक महीने की छुट्टी ले कर घर रहे हैं. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया था कि वह किस तारीख को आएंगे. पति के आने से यमुना और दीपक के मिलने का प्रोग्राम एक महीने टल सकता था, इसलिए यमुना ने सोचा, वह पति के आने से पहले ही अपने इस नए प्रेमी से मिल ले.

यमुना ने 29 सितंबर की रात दीपक को बुला लिया. दीपक अपने एक दोस्त काली के साथ रहता था. काली से मौल जाने की बात कह कर दीपक अपनी मोटरसाइकिल से यमुना से मिलने निकल गया. रोहतक पहुंच कर उस ने मोटरसाइकिल बस अड्डे पर खड़ी कर दी. क्योंकि यमुना ने मना किया था कि वह किसी वाहन से नहीं आएगा, क्योंकि वाहन देख कर लोगों को शक हो सकता है. इस के बाद वह यमुना के घर पहुंच गया.दीपक ने रात यमुना के साथ उस के घर में बिताई. सुबह वह यमुना के घर से निकल पाता, उस के पहले ही उस का पति सुरेश कुमार घर गया. पत्नी के साथ किसी अजनबी को देख कर सुरेश कुमार ने दोनों को घर के अंदर बंद कर दिया और ससुराल वालों को इस बात की सूचना दे दी. यमुना ने गलती तो की ही थी. इस गलती को छिपाने के लिए उस ने एक और भयंकर गलती कर डाली.

इज्जत बचाने के लिए उस ने दीपक को जबरदस्ती सल्फास की गोली खिला दी, जिस से उस की मौत हो गई. कहते हैं दीपक जान बचाने के लिए गुहार लगा रहा था, लेकिन सुरेश घर के बाहर ही बैठा था. इसलिए मदद के लिए कोई नहीं सका. साले के आने पर सुरेश कुमार ने दरवाजा खोला तो दीपक को मरा हुआ पाया. निर्दोष फौजी पति भी फंस गया बीवी की वजह से इज्जत बचाने के लिए सुरेश कुमार ने साले की मदद से लाश को स्कूटी से ले जा कर ठिकाने लगा दिया. इन लोगों का सोचना था कि पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाएगी. लेकिन लाश मिलने पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो काल डिटेल्स और फोन की लोकेशन से यमुना तक पहुंच गई. सख्ती से की गई पूछताछ में सारा रहस्य खुल गया.

इस तरह सोशल मीडिया पर मजा लेने के चक्कर में उस ने जो गलती की, उस के लिए वह खुद तो जेल गई ही, अच्छीभली नौकरी वाले पति तथा भाई को भी जेल भेज दिया. देखा जाए तो यमुना के लिए सोशल मीडिया का मजा सजा बन गया. अच्छाखासा घर बरबाद कर दिया. दूसरी ओर दीपक को भी जान से हाथ धोना पड़ा. इस सब के अलावा एक चीज अकसर देखने को मिलती है. फेसबुक पर किसी सुंदर लड़की के फोटो के साथ एक मोबाइल नंबर दिया रहता है, जिस के साथ लिखा रहता है कि जिसे मुझ से दोस्ती करनी हो इस नंबर पर वाट्सऐप करे. उस नंबर पर मैसेज करते ही तुरंत जवाब आएगा, ‘अगर आप को मुझ से बातें करनी है तो आप 2000 रुपए पेटीएम करें.’ मांगने पर लड़की, अपने उत्तेजक फोटो भी भेज देगी. पर पैसे मिलने पर गालियां दे कर ब्लौक कर देगी.

इसी तरह यह भी लिखा मिल जाएगा कि मेरा मोबाइल नंबर 7599760333 है. मैं 200 रुपए ले कर वीडियो सैक्स करती हूं. जिस के पास पेटीएम हो, वह मुझे वाट्सऐप करे. लोग बिना मतलब परेशान करते हैं. इसलिए पैसे मिलने के बाद ही मैं फोटो भेजूंगी. अगर पैसे भेजने से पहले मैसेज किया तो ब्लौक कर दूंगी. यह सब तो लड़कियों की बातें हैं. इसी तरह की सूचनाएं लड़के भी अश्लील फोटो के साथ अपनी प्रोफाइल पर फोन नंबर के साथ देते हैं. इस में जिगोलो यानी कालबौय भी होते हैं और गंदी चैट करने वाले भी होते हैं.  सोशल मीडिया का सशक्त माध्यम कहे जाने वाले फेसबुक के माध्यम से ठगी भी होती है. किसी को सस्ता सामान या मकान दिलाने के बहाने ठगा जाता है तो किसी को शादी के नाम पर तो किसी को प्यार के नाम पर. सारा कुछ देखते हुए यही कहा जा सकता है कि बडे़ धोखे हैं इस राह में

   

Suicide story : करवाचौथ पर पति नहीं आया तो पत्‍नी ने गले में लगाया फंदा

Suicide story :  कहावत है कि डोर से कटी पतंग का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता. वह कहीं जा कर गिरे तो भी किसी काम की नहीं बचती. अपनी गृहस्थी की डोर को काट कर भागी मोहसिना का भी यही हश्र हुआ. कैसे…

18 अक्तूबर, 2019 को करवाचौथ था. खुशी उर्फ मोहसिना बानो ने भी पहली बार व्रत रखा था. मोहसिना बानो मुसलिम थी. उस ने अपनी मरजी से महेंद्र को पति के रूप में चुना था. चूंकि उस ने महेंद्र से शादी कर ली थी, इसलिए अपना नाम खुशी उर्फ परी रख लिया था. महेंद्र से शादी के बाद वह लखनऊ के थाना सरोजनी नगर क्षेत्र के गांव दादूपुर की नई कालोनी में रहने लगी थी. पति की दीर्घायु के लिए उस ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखा था. पड़ोसी महिलाओं से पूछ कर उस ने दिन में पूजा वगैरह भी की थी.

लाल रंग के जोड़े में सजनेसंवरने के बाद उस ने अपने पैरों में महावर लगाई, मांग में गहरे लाल रंग का सिंदूर भरा. साजशृंगार के बाद वह काफी खूबसूरत लग रही थी. शाम के 7 बज चुके थे लेकिन महेंद्र घर नहीं लौटा था. भूखे पेट रह कर उस ने महेंद्र का मनपसंद खाना भी बना लिया था. उसे महेंद्र के लौटने का इंतजार था ताकि चंद्रमा निकलने पर वह अर्ध्य दे सके. खुशी मन ही मन काफी उल्लासित थी. उस ने कई बार महेंद्र को फोन किया, लेकिन बात नहीं हो पाई. शाम को 5 बजे भी उस ने काल रिसीव नहीं की. पति के फोन न उठाने पर खुशी को बहुत गुस्सा आया. काफी देर बाद महेंद्र ने उस की काल रिसीव की तो खुशी ने इतना ही कहा कि तुम घर जल्दी आ जाओ. मैं इंतजार कर रही हूं. इतना कह कर खुशी ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

चंद्रमा निकल आया, लेकिन महेंद्र घर नहीं लौटा. पड़ोस की सभी महिलाएं अपनेअपने पति को देख कर चंद्रमा को अर्घ्य दे रही थीं. लेकिन खुशी पति के न आने से परेशान थी. वह खुशी की काल भी रिसीव नहीं कर रहा था. खुशी सोचसोच कर परेशान थी कि कम से कम आज पूजा के समय तो उन्हें घर पर होना चाहिए था. चंद्रमा निकलने के 2 घंटे बाद भी महेंद्र घर नहीं लौटा तो खुशी ने उसे गुस्से में वाट्सऐप मैसेज भेजे, उन का भी उस ने कोई जवाब नहीं दिया. रात करीब 12 बजे महेंद्र घर लौटा तो वह इस स्थिति में नहीं था कि पत्नी खुशी से कुछ कह सके.

अगले दिन लखनऊ के ही थाना बंथरा के निकटवर्ती जंगल में पुराहीखेड़ा से नरेरा गांव की तरफ जाने वाले रास्ते पर लोगों ने सुबहसुबह एक युवती का शव पड़ा देखा. शव खेत की सिंचाई के लिए बनाई गई नाली में अर्द्ध नग्नावस्था में था. किसी ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. सूचना पा कर थाना बंथरा के थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत अपने साथ इंसपेक्टर (क्राइम) प्रहलाद सिंह, एसएसआई शिव प्रताप सिंह, एसआई अरुण प्रताप सरोज, सिपाही जी.एल. सोनकर, हैडकांस्टेबल अरविंद कुमार और अविनाश चौरसिया को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने घटना स्थल का निरीक्षण किया तो देखा,युवती के हाथपैरों में महावर और मेहंदी लगी थी. उस का चेहरा थोड़ा सा झुलसा हुआ था. मेहंदी रची हथेली पर ‘एम’ लिखा हुआ था. माथे पर बिंदी और मांग में सिंदूर था. घटनास्थल पर शव के पास नीले रंग की पालीथिन में एसिड की 3 खाली शीशियां मिली थीं, जिन में से एक शीशी में बचा हुआ थोड़ा सा एसिड था. लाश के पास ही नीले रंग का एक पर्स भी पड़ा मिला. पर्स की तलाशी ली गई तो उस में एक मोबाइल फोन मिला. पुलिस ने मौके पर मिला फोन और शीशियां अपने कब्जे में ले लीं.

निरीक्षण में पुलिस को युवती के गले पर किसी चीज के कसने के गहरे निशान दिखे. नाक से खून रिस कर सूख चुका था. उस के पैरों में न तो पायल थीं न ही बिछिया. नाक में सोने का एक फूल जरूर नजर आ रहा था. पुलिस ने वहां जमा भीड़ से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका. पुलिस ने अनुमान लगाया कि युवती शायद कहीं बाहर की रहने वाली रही होगी. उस की हत्या कहीं और कर, शव यहां ला कर फेंक दिया है.

पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया. इस के बाद थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत ने महिला की बरामद की गई लाश के फोटो जिले के सभी थानों में भेजने के अलावा वाट्सऐप पर डाल दिए ताकि उस की शिनाख्त हो सके. इस के अलावा अज्ञात महिला की लाश बरामद करने की सूचना समाचारपत्रों में भी प्रकाशित करा दी. 22 अक्तूबर, 2019 को 2 व्यक्ति थाना बंथरा पहुंचे. थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत ने उन से पूछा तो उन में एक व्यक्ति ने अपना नाम मुश्ताक अहमद बताया. वह गांव हामी का पुरवा जगदीशपुर, जिला अमेठी का रहने वाला था. उस ने अखबार में छपी युवती की तसवीर दिखाते हुए बताया कि ये जो फोटो छपी है, मेरी बेटी मोहसिना बानो (27) की है.

मुश्ताक अहमद ने आगे बताया कि करीब 8 साल पहले उस ने मोहसिना बानो का निकाह अपने गांव के ही मोहम्मद नसीम के साथ किया था. निकाह के बाद वह अपने शौहर के साथ मुंबई में रहने लगी थी. अब से करीब 4 महीने पहले मोहसिना मुंबई से कहीं गायब हो गई थी. हम सब ने उसे काफी तलाश किया, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. जब उस की कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली तो दामाद मोहम्मद नसीम ने 29 जून, 2019 को पवई (मुंबई) थाने में मोहसिना के गुम होने की सूचना लिखाई थी.

मुश्ताक ने आगे बताया कि साथ आए मेरे भतीजे अरमान ने अखबार में छपी तसवीर पहचानी तो हम लोग यहां आए. मुझे विश्वास है कि मोहसिना मुंबई से जिस व्यक्ति के साथ भागी थी, उसी ने उस की हत्या कर लाश खेतों में डाली होगी. थानाप्रभारी ने मुश्ताक अहमद को मोर्चरी ले जा कर लाश दिखाई तो उस ने लाश की शिनाख्त अपनी बेटी मोहसिना के रूप में कर दी. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने मुश्ताक की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या कर लाश छिपाने का मामला दर्ज कर लिया. मुकदमा दर्ज हो गया तो थानाप्रभारी ने खुद ही इस केस की जांच शुरू कर दी.

थानाप्रभारी ने सब से पहले मृतका के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि उस की ज्यादा बातें महेंद्र से होती थीं. महेंद्र भेलपुर कालोनी (जगदीशपुर) का रहने वाला था. पुलिस ने महेंद्र के बारे में पूछताछ की तो पता चला वह मोहसिना का पति था. उसी के साथ मोहसिना मुंबई से भाग कर आई थी और अपना नाम खुशी रख कर उसी के साथ रह रही थी. महेंद्र भी शादीशुदा था. उस की पहली पत्नी गांव में रहती थी. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने महेंद्र की काल डिटेल्स देखी तो पता चला कि संदीप नाम के युवक से महेंद्र की अकसर बातें होती थीं. जांच करने पर पता चला कि संदीप अमेठी जिले के गांव नियावा का रहने वाला था, जो महेंद्र की बोलेरो चलाता था.

इन दोनों से पूछताछ करने के बाद ही जांच आगे बढ़ सकती थी. लिहाजा पुलिस ने इन दोनों की तलाश शुरू कर दी. दोनों में से कोई भी घर पर नहीं मिला तो उन की खोजखबर के लिए मुखबिर लगा दिए गए. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने 24 अक्तूबर, 2019 को रात करीब 12 बजे दोनों को दादूपुर गांव के शराब ठेके के पास से हिरासत में ले लिया. महेंद्र और संदीप से मोहसिना के बारे में पूछताछ की गई तो महेंद्र ने बताया कि उस ने मोहसिना की हत्या नहीं की थी. करवाचौथ वाली रात को जब वह घर पहुंचा तो वह मृत अवस्था में थी. उस ने तो उस की लाश केवल ठिकाने लगाई थी. दोनों से विस्तार से पूछताछ के बाद मोहसिना की मौत की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी.

मोेहसिना बानो जनपद अमेठी के गांव हामी का पुरवा, जगदीशपुरके रहने वाले मुश्ताक अहमद की बेटी थी. मोहसिना अपने परिवार में सब से बड़ी थी. उस के अलावा उस की 2 बहनें व एक भाई और था. मोहसिना आधुनिक विचारों की महत्त्वाकांक्षी युवती थी. वह बहुत चतुर दिमाग की थी. घर के रोजमर्रा के काम निपटाने के बाद वह वाट्सऐप व फेसबुक पर लगी रहती थी. फेसबुक पर नएनए लोगों से दोस्ती कर के उन से घंटों बातें करना उस का शगल बन गया था. कभीकभी तो वह किसी से फोन पर घंटों बातें किया करती थी. एक दिन उस की अम्मी नूरजहां ने उस की फोन पर हो रही रोमांस भरी बातें सुन लीं.

तब उन्होंने झल्लाते हुए मोहसिना को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘तुझे दीनमजहब की बातों का बिलकुल डर नहीं है. पता नहीं किसकिस से बतियाती रहती है. तेरी यह बातें ठीक नहीं हैं, इन बातों से बदनामी के सिवा कुछ नहीं मिलता.’’

एक दिन यह बात नूरजहां ने अपने पति मुश्ताक अहमद को बताई और कहा कि मोहसिना के लिए अब कोई लड़का देख लो. कहीं ऐसा न हो कि हम हाथ मलते ही रह जाएं. पत्नी की बात सुन कर मुश्ताक अहमद की चिंता बढ़ गई. वह मोहसिना के लिए लड़का देखने लगे. इसी दौरान मुश्ताक के भतीजे अरमान ने अपने खानदानी भाई नसीम के बारे में चर्चा की. नसीम मुंबई में रहता था.

इस के बाद मुश्ताक ने नसीम के पिता सुलेमान से बात की. बात परिवार की थी, इसलिए सुलेमान मोहसिना के साथ बेटे का विवाह करने के लिए तैयार हो गए. सामाजिक रीतिरिवाज से सन 2011 में मोहसिना का निकाह नसीम से कर दिया गया. शादी के कुछ दिनों बाद नसीम मोहसिना को अपने साथ मुंबई ले गया. वह मुंबई के पवई इलाके में रहता था. मोहसिना मुंबई क्या पहुंची, जैसे उसे खुशियों का जहां मिल गया. उस ने शौहर नसीम के साथ अपनी जिंदगी के 8 साल हंसीखुशी से बिता दिए. इस दौरान वह 3 बेटों की मां बन गई. मुंबई में रह कर वह पूरी तरह आजाद हो गई. नसीम के काम पर चले जाने के बाद वह सैरसपाटा करने निकल जाती और शाम को वापस लौटती.

साल 2018 दिसंबर की बात है. परिवार में किसी की शादी का कार्यक्रम था. मोहसिना अपने शौहर के साथ मुंबई से अपने गांव हामी का पुरवा जगदीशपुर आई हुई थी. शादी के बाद नसीम उसे एकदो महीने के लिए उस के मायके में छोड़ गया. मोहसिना की ससुराल भी गांव में थी, इसलिए कुछ दिन वह ससुराल में भी रह लेती थी. अब वाट्सऐप पर बातें करना उस की रोजाना की आदतों में शुमार था.

शादी के दौरान ही मोहसिना की मुलाकात महेंद्र नाम के युवक से हुई थी. वह अपनी बोलेरो गाड़ी से वहां कोई सामान ले कर आया था. महेंद्र रसिक स्वभाव का था. पहली ही नजर में वह मोहसिना की तरफ आकर्षित हो गया था. सामान उतारने के दौरान जब वह घर में बैठ कर चाय पी रहा था तो उस ने मोहसिना से उस के बारे में पूछ लिया. मोहसिना ने बताया कि वह मुंबई में अपने शौहर के साथ रहती है. बातोंबातों में महेंद्र ने मोहसिना से उस का मोबाइल नंबर और मुंबई का पता भी पूछ लिया था.

मोहसिना के पूछने पर महेंद्र ने बताया कि वह अमेठी जिले के गांव कठौरा कमरोली का रहने वाला है, लेकिन इस समय भेल कालोनी जगदीशपुर, अमेठी में रह रहा है. उस की बोलेरो गाड़ी बुकिंग पर अलगअलग शहरों में जाती रहती है. मोहसिना ने पूछा क्या आप को मुंबई की बुकिंग भी मिलती है. महेंद्र ने बताया कि महीने में 1-2 बुकिंग उसे मुंबई की मिल जाती हैं. तब वह अपने ड्राइवर संदीप के साथ वहां जाता है. इसी बहाने उस का मुंबई में घूमनाफिरना भी हो जाता है. मोहसिना ने कहा कि अब की बार जब मुंबई आना हो तो उस के पास पवई जरूर आए. महेंद्र ने उस से इस बात का वादा कर दिया.

उस दिन की मुलाकात के बाद मोहसिना और महेंद्र की मोबाइल और वाट्सऐप पर अकसर बातचीत होने लगी. अपनी बातों के प्रभाव से महेंद्र ने मोहसिना को अपने जाल में फांस लिया. मोहसिना अपने दिल की बात उस से कह लेती थी. दोनों के बीच होने वाली बातों का दायरा बढ़ने लगा. यह दायरा उन्हें प्यार के मुकाम तक ले गया. इस बीच उन्होंने 2-3 बार चोरीछिपे मुलाकात भी कर ली. फिर एक दिन मोहसिना अपने मायके से पति के साथ मुंबई चली गई. जाने से पहले उस ने महेंद्र से कह दिया कि वह मुंबई का चक्कर जल्द लगा ले ताकि मुंबई में वह साथसाथ घूमफिर सके.

मोहसिना के मुंबई पहुंचने के बाद भी उस की महेंद्र से पहले की तरह वाट्सऐप पर रोजाना बातचीत चलती रही. वह शाम को पति के सामने भी वाट्सऐप और फेसबुक पर व्यस्त रहती थी. नसीम ने उसे काफी समझाया लेकिन वह नहीं मानी. एक दिन महेंद्र को मुंबई की बुकिंग मिल गई. यह जानकारी उस ने मोहसिना को दी तो वह काफी खुश हुई. उसे लगा जैसे उस की मुंहमांगी मुराद मिल गई हो. बुकिंग ले कर महेंद्र जब मुंबई पहुंचा तो वह मोहसिना से बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर मिला. महेंद्र से मिल कर वह बहुत खुश थी. इस के बाद महेंद्र ने उसे अपनी गाड़ी से घुमाया. दोनों ने काफी देर तक जुहू चौपाटी पर मस्ती की. इस के बाद महेंद्र उसे एक होटल में ले गया, जहां दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद महेंद्र ने उसे उस के बच्चों के स्कूल के पास छोड़ दिया. स्कूल से बच्चों को साथ ले कर मोहसिना वापस घर लौट आई.

महेंद्र मुंबई में 2 दिन रुका. दोनों दिन उस ने मोहसिना के साथ खूब मौजमस्ती की. नसीम मोहसिना की इस बात से बिलकुल अंजान था. महेंद्र व मोहसिना की यह मुलाकात ऐसे प्यार में बदली कि दोनों ने जीवनभर साथ रहने का इरादा कर लिया. मुंबई में मोहसिना की महेंद्र से हुई मुलाकात यादगार बन कर रह गई. वह दिनरात सपने बुनने लगी. वह पंख लगा उड़ कर महेंद्र के पास पहुंच जाना चाहती थी. महेंद्र ने भी मुंबई में मुलाकात के दौरान मोहसिना से वादा किया कि जब वह उस के साथ लखनऊ आ कर रहने लगेगी तो वह दरोगाखेड़ा में एक मकान खरीद कर उस के अलग रहने का बंदोबस्त कर देगा.

बातों के दौरान ही मोहसिना को यह जानकारी मिल ही गई थी कि महेंद्र पहले से ही विवाहित है और उस की पत्नी अपने बच्चों के साथ उस के पुश्तैनी घर कठौरा कमरोली, जनपद अमेठी में रहती है. महेंद्र अब हर महीने मोहसिना से मिलने मुंबई जाने लगा. वहां कुछ समय बिताने के बाद वह जगदीशपुर लौट आता था. एक दिन महेंद्र ने मोहसिना को वाट्सऐप मैसेज भेजा कि वह अपने पति का साथ छोड़ कर रहने के लिए लखनऊ आ जाए. मोहसिना महेंद्र की इतनी दीवानी हो चुकी थी कि उस की खातिर वह अपने पति और बच्चों को छोड़ कर जून 2019 के महीने में अकेले ही मुंबई से भाग कर लखनऊ आ गई और महेंद्र के पास आ कर रहने लगी. मोहसिना के घर से गायब होने के बाद पति नसीम ने उसे काफी तलाश किया.

वह कई दिनों तक अपनी रिश्तेदारियों में और अन्य जगहों पर उसे तलाश करता रहा. जब उस का कोई पता नहीं चला तो 29 जून, 2019 को उस ने मुंबई के पवई थाने में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. मोहसिना जब महेंद्र के पास पहुंची तो वह कुछ दिनों तक मोहसिना के साथ सरोजनी नगर थाने के दरोगाखेड़ा में किराए के मकान में रहा. इस के बाद उस ने दादूपुर गांव के पास नई कालोनी में 9 लाख रुपए का मकान खरीद लिया. यह मकान उस ने अपने दोस्त संदीप के नाम से खरीदा था. मोहसिना उसी मकान में रहने लगी. वह जब भी लखनऊ आता तो रात को मोहसिना के पास रहता. दादूपुर के मकान की बागडोर महेंद्र ने मोहसिना को सौंप दी थी.

इस के बाद महेंद्र ने एक मंदिर में उस से शादी भी कर ली. शादी के बाद उस ने अपना नाम खुशी उर्फ परी रख लिया था. वह हिंदू महिला की तरह ही रहती थी. पड़ोस में रहने वाली महिलाओं को पता नहीं था कि खुशी मुसलिम है और उस ने अपने पति व बच्चों को छोड़ कर महेंद्र के साथ दूसरी शादी की है. चूंकि खुशी उर्फ मोहसिना बातूनी थी इसलिए वह जल्दी ही मोहल्ले के लोगों से घुलमिल गई. समाज, घरपरिवार, शौहर और अपने 3 बेटों की परवाह न कर के मोहसिना पता नहीं किस नशे में मदमस्त हो कर प्रेमी महेंद्र के साथ लखनऊ में रह कर जिंदगी को ढो रही थी.

धीरेधीरे मोहसिना की परीक्षा की वो घड़ी आ गई, जहां महिलाओं को धर्म और संयम की मर्यादाओं से गुजरना पड़ता है. यानी करवाचौथ का त्यौहार आ गया. खुशी ने भी पड़ोसिनों के साथ करवाचौथ का निर्जला व्रत रखा. उस दिन महेंद्र घर पर अपनी ब्याहता और बच्चों से मिलने कठौरा कमरोली चला गया. उधर खुशी उस का इंतजार कर रही थी. उस का यह पहला व्रत था इसलिए उस के मन में ज्यादा उत्सुकता थी. लेकिन फोन करने के बावजूद महेंद्र उस के पास नहीं पहुंचा. रात को जब चंद्रमा दिखाई दिया तो पूजा के समय भी महेंद्र खुशी के पास मौजूद नहीं था. इस से खुशी को गुस्सा आ गया. उस ने वाट्सऐप पर महेंद्र को एक भावुक मैसेज भेजा, जिस में उस ने कहा कि तुम बेवफा निकले. मैं ने तुम्हारे प्यार की खातिर अपने बच्चे, पति और समाज को छोड़ा लेकिन तुम ने मेरी भावनाओं की कद्र नहीं की.

मैं सारे दिन (करवाचौथ वाले दिन) प्रतीक्षा करती रही, न तुम आए और न ही तुम ने फोन पर बताया कि कहां हो, इसे मैं क्या समझूं. जहां तक मैं समझती हूं, शायद तुम्हें मेरे प्यार की जरूरत नहीं रह गई है, तुम्हारी नजर में औरत सिर्फ एक खिलौना है, तुम्हें मेरे प्यार की नहीं जिस्म की ज्यादा जरूरत थी, इस से ज्यादा मैं क्या जानू. महेंद्र ने पुलिस को बताया कि 18-19 अक्तूबर, 2019 की रात को 12 बजे जब वह दादूपुर दरोगाखेड़ा के मकान पर आया तो उस ने देखा खुशी उर्फ मोहसिना गले में फंदा डाले पंखे से लटकी हुई थी. उस ने आत्महत्या कर ली थी. पत्नी को इस हालत में देख वह घबरा गया और उस ने नायलोन की डोरी का फंदा काट कर खुशी के शव को नीचे उतारा.

साथ ही उस ने अपने दोस्त संदीप को बोलेरो गाड़ी ले कर आने को कहा. संदीप रात 2 बजे करीब बोलेरो ले कर बंथरा पहुंचा. फिर दोनों ने खुशी उर्फ मोहसिना के शव को ठिकाने लगाने और सबूत नष्ट करने के उद्देश्य से बोलेरो में डाला. फिर उसे 5 किलोमीटर दूर पुराई खेड़ा, थाना बंथरा इलाके के एक खेत में डाल आए. मोहसिना का शव ले जाते समय महेंद्र टौयलैट क्लीन करने वाला ऐसिड साथ ले गया था. वह एसिड उस ने खुशी उर्फ मोहसिना के चेहरे पर डाल दिया, जिस से चेहरा थोड़ा झुलस गया था. घबराहट की वजह से वे दोनों खुशी उर्फ मोहसिना का पर्स, मोबाइल फोन और एसिड की खाली शीशियां वहीं छोड़ कर भाग निकले.

अगले दिन पुलिस को खुशी उर्फ मोहसिना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई, जिस में मौत की वजह गले में फंदा डाल कर दम घुटना बताया गया. पुलिस ने हत्या की जगह आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज कर दिया. आरोपी महेंद्र और संदीप की निशानदेही पर पुलिस ने लाश ठिकाने लगाने में प्रयुक्त हुई महेंद्र की बोलेरो नंबर यूपी 36 टी 2331 भी बरामद कर ली.

पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

 

Kanpur Crime : सामाजिक संस्था की आड़ में चलता जिस्मफरोशी का धंधा

Kanpur Crime : कुछ लड़कियां अपनी महत्त्वाकांक्षा के चलते, तो कुछ मजबूरी में बरखा उर्फ लवली जैसी धंधेबाज औरतों के जाल में फंस जाती हैं. देह व्यापार की पुरानी खिलाड़ी महिलाएं उन्हें ऐसी दलदल में उतारती हैं, जहां से…

कानपुर (साउथ) की एसपी रवीना त्यागी को एक मुखबिर ने जो जानकारी दी थी, वह वाकई चौंकाने वाली थी. एकबारगी तो उन्हें खबर पर विश्वास ही नहीं हुआ, पर इसे अविश्सनीय समझना भी ठीक नहीं था. अत: उन्होंने फोन द्वारा तत्काल सीओ (नजीराबाद) गीतांजलि सिंह को अपने कार्यालय आने को कहा. कुछ देर बाद ही गीतांजलि सिंह एसपी (साउथ) रवीना त्यागी के कार्यालय पहुंच गईं. रवीना त्यागी ने गीतांजलि की ओर मुखातिब हो कर कहा, ‘‘गीतांजलि, नजीराबाद थाना क्षेत्र के लाजपत नगर के मकान नंबर 120/18 में हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट चलने की जानकारी मुझे मिली है.

रैकेट की संचालिका लवली चक्रवर्ती उर्फ बरखा मिश्रा है, जो सामाजिक संस्था की आड़ में यह धंधा करती है. यह भी पता चला है कि नजीराबाद थाना और चौकी के कुछ पुलिसकर्मी भी कालगर्ल्स को संरक्षण दे कर उन की मदद कर रहे हैं. आप इस मामले में जल्द से जल्द काररवाई करो. इस बात का खयाल रखना कि यह खबर लीक न हो.’’

आगे की काररवाई के लिए एसपी (साउथ) रवीना त्यागी ने एक टीम का भी गठन कर दिया. टीम में सीओ (नजीराबाद) गीतांजलि सिंह, सीओ (बाबूपुरवा) मनोज कुमार अग्रवाल, इंसपेक्टर मनोज रघुवंशी, महिला थानाप्रभारी अर्चना गौतम, महिला सिपाही कविता, पूजा, सरिता आदि को शामिल किया गया. 24 नवंबर, 2019 की रात 8 बजे पुलिस टीम लाजपत नगर पहुंची और मकान नंबर 120/18 का दरवाजा खटखटाया. चंद मिनट बाद एक खूबसूरत महिला ने दरवाजा खोला. सामने पुलिस को देख कर वह बोली, ‘‘कहिए, आप लोगों का कैसे आना हुआ?’’

‘‘क्या आप का नाम लवली उर्फ बरखा मिश्रा है?’’ सीओ गीतांजलि सिंह ने पूछा.

‘‘जी हां, कहिए क्या बात है?’’ वह महिला बोली.

‘‘मैडम, पता चला है कि इस मकान में जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा है.’’ सीओ गीतांजलि ने कहा.

यह सुन कर भी लवली उर्फ बरखा मिश्रा न डरी और न सहमी, बल्कि वह मुसकरा कर बोली, ‘‘आप जिस लवली या बरखा की तलाश में आई हैं, मैं वह नहीं हूं. मैं तो समाजसेविका हूं. भ्रष्टाचार निरोधक कमेटी की मैं वाइस प्रेसीडेंट हूं.’’ कहते हुए उस ने कमेटी का परिचयपत्र सीओ को दिखाया. लवली उर्फ बरखा मिश्रा ने सीओ साहिबा को झांसे में लेने की पूरी कोशिश की लेकिन वह उस के दबाव में नहीं आईं. साथ आए पुलिसकर्मियों को साथ ले कर मकान के अंदर पहुंचीं तो वहां का नजारा कुछ और था.

पहले ही कमरे में एक युवक एक युवती के साथ आपत्तिजनक स्थिति में था. दूसरे कमरे में 3 अन्य युवतियां सजीसंवरी बैठी थीं. वे या तो ग्राहकों के इंतजार में थीं या फिर किसी होटल में ग्राहकों के लिए जाने वाली थीं. सीओ गीतांजलि सिंह ने महिला पुलिसकर्मियों के सहयोग से संचालिका लवली उर्फ बरखा मिश्रा सहित चारों युवतियों को कस्टडी में ले लिया. जबकि इंसपेक्टर मनोज रघुवंशी ने युवक को दबोच लिया. पुलिस ने फ्लैट की तलाशी ली तो वहां से 50 हजार रुपए नकद, शक्तिवर्द्धक दवाएं, कंडोम तथा अन्य आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुईं. संचालिका बरखा मिश्रा के पास से प्रैस कार्ड, भ्रष्टाचार निरोधक कमेटी का कार्ड तथा आधार कार्ड व पैन कार्ड बरामद हुए. पुलिस बरामद सामान के साथ हिरासत में लिए गए युवक व युवतियों को थाना नजीराबाद ले आई.

सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ होने की जानकारी मिलने पर एसएसपी अनंतदेव तिवारी तथा एसपी (साउथ) रवीना त्यागी भी नजीराबाद आ गईं. पुलिस अधिकारियों के समक्ष जब आरोपियों से पूछताछ की गई तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. देह व्यापार में लिप्त युवतियों में से एक ने अपना नाम सविता उर्फ विनीता, निवासी आर्यनगर, थाना स्वरूपनगर कानपुर बताया. दूसरी युवती ने अपना नाम नीतू चौधरी, मूल निवासी अमृतसर, पंजाब और वर्तमान पता दिल्ली बताया. तीसरी युवती ने अपना नाम पूजा कर्मकार निवासी करनाल (हरियाणा) बताया. चौथी युवती ने अपना नाम प्रीति आचार्य, मूल निवासी कोलकाता तथा वर्तमान पता लक्ष्मी नगर, दिल्ली बताया.

संचालिका लवली चक्रवर्ती उर्फ बरख मिश्रा ने अपना मूल निवास 14-बी, मधुर मिलन, ए-2 खार, मुंबई तथा वर्तमान पता 120/18 लाजपत नगर, नजीराबाद, कानपुर बताया. अय्याशी करते पकड़े गए युवक ने अपना नाम सलमान, निवासी आजाद पार्क, चकेरी कानपुर नगर बताया. चमड़े का व्यवसाय करने वाले सलमान को रिहा कराने के लिए कई व्यापारियों, नेताओं व रसूखदार लोगों ने अपने स्तर से पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाया लेकिन वे नाकाम रहे. संचालिका लवली उर्फ बरखा मिश्रा भी देर रात तक मामले को निपटाने की डील करती रही लेकिन मामला वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में था,इसलिए यह डील नहीं हो सकी.

गीतांजलि सिंह ने हिरासत में ली गई सविता उर्फ विनीता, नीतू चौधरी, पूजा कर्मकार, प्रीति आचार्य, लवली उर्फ बरखा मिश्रा तथा सलमान के विरुद्ध अनैतिक देह व्यापार अधिनियम 1956 की धारा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. एसीपी ने इस केस की जांच सीओ (बाबूपुरवा) मनोज कुमार अग्रवाल को सौंप दी. सीओ मनोज कुमार ने आरोपियों से पूछताछ की तो सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई. सैक्स रैकेट की संचालिका लवली उर्फ बरखा मिश्रा व अन्य आरोपियों के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो चौंकाने वाली बातें उजागर हुईं. बरखा मिश्रा का पूरा नेटवर्क औनलाइन चल रहा था.

उस ने कई वेबसाइट पर युवतियों की फोटो व मोबाइल नंबर अपलोड किए थे, जिन के जरिए ग्राहक संपर्क करते थे. यही नहीं, वाट्सऐप, फेसबुक के जरिए भी ग्राहकों को युवतियों की फोटो व मैसेज भेज कर संपर्क किया जाता था. कानपुर नगर ही नहीं दिल्ली, आगरा, इलाहाबाद, बनारस, दिल्ली व मुंबई के दलालों के जरिए वह ग्राहकों की डिमांड पर रशियन व नेपाली युवतियों को भी मंगाती थी. जिस के लिए वह युवतियों को अच्छाखासा पैसा चुकाती थी. बरखा को संरक्षण देने में कुछ मीडियाकर्मी, रसूखदार व प्रशासनिक अधिकारी भी लिप्त थे. समाजसेवा का लबादा ओढ़े कुछ सफेदपोश भी बरखा मिश्रा को संरक्षण देते थे तथा खुद भी रंगरलियां मनाते थे.

सैक्स रैकेट की संचालिका लवली उर्फ बरखा मिश्रा बचपन से ही बेहद खूबसूरत थी. साधारण परिवार में पली बरखा ने जब जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उस के रूप में निखार आ गया. जब वह बनसंवर कर कालेज जाती तो मनचले युवक उस पर फब्तियां कसते. उस ने उन में से कुछ बौयफ्रैंड बना लिए थे, जो कालेज के छात्र थे. वह उन के साथ घूमतीफिरती और मौजमस्ती करती थी. बरखा के जवान होने पर मांबाप ने उस की शादी कर दी. ससुराल में बरखा कुछ समय तक तो बहू बन कर रही, उस के बाद वह खुलने लगी. दरअसल बरखा ने जैसे सजीले युवक से शादी का सपना देखा था, उस का पति वैसा नहीं था. उस का पति दुकानदार था और उस की सीमित आमदनी थी. वह न तो पति से खुश थी और न उस की आमदनी से उस की जरूरतें पूरी होती थीं. जिस से घर में आए दिन कलह होने लगी.

पति चाहता था कि बरखा मर्यादा में रहे और देहरी न लांघे. लेकिन बरखा को बंधन मंजूर नहीं था. वह तो चंचल हिरणी की तरह विचरण करना चाहती थी. उसे घर का चूल्हाचौका और कठोर बंधन में रहना पसंद नहीं था. बस इन्हीं सब बातों को ले कर पति व बरखा के बीच झगड़ा बढ़ने लगा. पति का साथ छोड़ने के बाद बरखा मिश्रा कौशलपुरी में किराए पर रहने लगी. वह पढ़ीलिखी व खूबसूरत थी. उसे विश्वास था कि जल्द ही उसे कहीं न कहीं नौकरी मिल जाएगी और उस का जीवनयावन मजे से होने लगेगा.

इसी दिशा में उस ने कदम बढ़ाया और नौकरी की तलाश में जुट गई. वह जहां भी नौकरी के लिए जाती, वहां उसे नौकरी तो नहीं मिलती, लेकिन उस के शरीर को पाने की चाहत जरूर दिखती. उस ने सोचा कि जब शरीर ही बेचना है तो वह नौकरी क्यों करे. वह खूबसूरत और जवान थी. उसे ग्राहकों की कोई कमी की. शुरूशुरू में तो उसे इस धंधे में झिझक हुई, लेकिन कुछ समय बाद वह खुल गई. उस ने अपने जाल में कई लड़कियां फंसा लीं और सैक्स रैकेट चलाने लगी. इस धंधे से उसे आमदनी होने लगी तो उस ने अपना कद और दायरा भी बढ़ा लिया. अब वह किराए पर फ्लैट लेती और नई उम्र की लड़कियों को सब्जबाग दिखा कर अपने जाल में फंसाती और देह धंधे में उतार देती. वह स्कूलकालेज की ऐसी लड़कियों को ज्यादा फंसाती थी, जो अभावों की जिंदगी गुजार रही होतीं.

बरखा खूबसूरत होने के साथसाथ मृदुभाषी भी थी. अपनी भाषाशैली से वह सामने वाले को जल्द प्रभावित कर लेती थी. इसी का फायदा उठा कर उस ने समाजसेवी नेताओं, मीडिया वालों व पुलिसकर्मियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों से मधुर संबंध बना लिए. इन्हीं की मदद से वह बड़े मंच साझा करने लगी. पुलिस थानों में पंचायत करने लगी तथा शासनप्रशासन के कार्यों में भी दखल देने लगी. यही नहीं उस ने एक मीडियाकर्मी को ब्लैकमेल कर उस से प्रैस कार्ड भी बनवा लिया था. साथ ही कई सामाजिक संस्थाओं में पद भी हासिल कर लिए थे. लवली उर्फ बरखा मिश्रा को देहव्यापार से कमाई हुई तो उस ने अपना दायरा और अधिक बढ़ा लिया. दिल्ली, मुंबई, आगरा व बनारस के कई बड़े दलालों से उस का संपर्क बन गया.

इन्हीं दलालों की मार्फत वह लड़कियों को शहर के बाहर भेजने लगी तथा डिमांड पर दलालों के जरिए विदेशी लड़कियों को शहर में बुला लेती थी. रशियन व नेपाली बालाओं की उस के यहां ज्यादा डिमांड रहती थी. ये बालाएं हवाईजहाज से आतीं फिर हफ्ता भर रुक कर वापस चली जाती थीं. बरखा के अड्डे पर 5 से 50 हजार रुपए तक लड़की बुक होती थी. होटल व खानपान का खर्च अलग से. बरखा मिश्रा देह व्यापार का पूरा नेटवर्क औनलाइन चलाने लगी थी. वाट्सऐप ग्रुप के अलावा उस ने लोकांटो नाम की एक वेबसाइट भी बना रखी थी. वेबसाइट पर उस ने अपने नंबर का प्रचार करते हुए लड़कियों की सप्लाई का विज्ञापन डाल रखा था. वहीं वाट्सऐप पर कई दलालों के अलावा कालगर्ल्स को भी जोड़ रखा था. वहां वे फोटो और लड़कियों की डिटेल्स क्लायंट को भेजी जाती थी.

बरखा इस धंधे में कोर्ड वर्ड का प्रयोग करती थी. एजेंट को वह चार्ली नाम से बुलाती थी और कालगर्ल को चिली नाम देती थी. किसी युवती को भेजने के लिए वाट्सऐप पर भी चार्ली टाइप करती थी. वापस मैसेज में भी वह इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करती थी. चार्ली नाम के उस के दरजनों एजेंट थे, जो युवतियों को सप्लाई करते थे. एजेंट से जब उसे लड़की मंगानी होती तो वह कहती, ‘‘हैलो चार्ली, चिली को पास करो.’’

बरखा मिश्रा एक क्षेत्र में कुछ महीने ही धंधा करती थी. जैसे ही धंधे की सुगबुगाहट दूसरे लोगों को होने लगती तो वह क्षेत्र बदल देती. पहले वह गुमटी क्षेत्र में धंधा करती थी. फिर उस ने क्षेत्र बदल दिया और स्वरूपनगर क्षेत्र में धंधा करने लगी. उस ने स्वरूपनगर स्थित रतन अपार्टमेंट में किराए पर फ्लैट लिया था. इस के बाद उस ने फीलखाना क्षेत्र के पटकापुर स्थित सूर्या अपार्टमेंट में ग्राउंड फ्लोर पर एक फ्लैट किराए पर लिया. यह फ्लैट किसी वकील का था. उस ने वकील से कहा कि वह पत्रकार है. समाचार पत्र के लिए कार्यालय खोलना है. उस ने यह भी कहा कि वैसे वह वर्तमान में आजादनगर स्थित रतन अपार्टमेंट में किराए के फ्लैट में रहती है.

दरअसल, एक मीडियाकर्मी ने ही बरखाको सुझाव दिया था कि वह समाचार पत्र का कार्यालय खोल ले. इस से पुलिस तथा फ्लैटों में रहने वाले लोग दबाव में रहेंगे. मीडियाकर्मी का सुझाव उसे पसंद आया और इसी बहाने उस ने फ्लैट किराए पर ले लिया और सैक्स रैकेट चलाने लगी. उस ने फ्लैट के बाहर समाचार पत्र का बोर्ड लगा दिया. यही नहीं, उस ने फ्लैट पर धंधा करने आने वाली लड़कियों से कहा कि अगर कोई उन से यहां आने का मकसद पूछे तो बता देना कि वे प्रैस कार्यालय में काम करती हैं. देह व्यापार के अड्डे से पकड़ी गई 19 वर्षीय सविता उर्फ सबी उर्फ विनीता सक्सेना आर्यनगर में रहती थी. मध्यम परिवार में पलीबढ़ी विनीता बेहद खूबसूरत थी. इंटरमीडिएट पास करने के बाद जब उस ने डिग्री कालेज में प्रवेश लिया तो वह रंगीन सपनों में खोने लगी.

उस की कई सहेलियां ऐसी थीं, जो रईस घरानों की थीं. वे महंगे कपड़े पहनतीं और ठाटबाट से रहतीं. महंगे मोबाइल से बात करतीं. रेस्टोरेंट जातीं और खूब सैरसपाटा करतीं. विनीता

जब उन्हें देखती तो सोचती, ‘काश!

ऐसे ठाटबाट उस के नसीब में भी होते.’

एक रोज एक संस्था के मंच पर विनीता की मुलाकात बरखा मिश्रा से हुई. उस ने विनीता को बताया कि वह समाजसेविका है. राजनेताओं, समाजसेवियों, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों में उस की अच्छी पैठ है. बरखा मिश्रा की बातों से विनीता प्रभावित हुई, फिर वह उस से मिलने उस के घर जाने लगी. घर आतेजाते बरखा ने विनीता को रिझाना शुरू कर दिया और उस की आर्थिक मदद करने लगी. बरखा समझ गई कि विनीता महत्त्वाकांक्षी है. यदि उसे रंगीन सपने दिखाए जाएं तो वह उस के जाल में फंस सकती है.

इस के बाद विनीता जब भी उस के घर आती, बरखा उस से प्यार भरी बातें करती. उस के अद्वितीय सौंदर्य की तारीफ करती तथा उस की जवानी को जगाने का प्रयास करती. धीरेधीरे बरखा ने विनीता को अपने जाल में फंसा कर देह व्यापार में उतार दिया. विनीता जवान और खूबसूरत थी, सो उस के लिए आसानी से ग्राहक मिल जाते. सैक्स रैकेट चलते अभी एक महीना ही बीता था कि किसी ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. पुलिस ने सैक्स रैकेट का परदाफाश कर लवली उर्फ बरखा मिश्रा को जेल भेज दिया. लवली उर्फ बरखा लगभग 6 महीने जेल में रही, उस के बाद जुलाई, 2018 में उसे जमानत मिल गई.

कानपुर जेल से छूटने के बाद लवली उर्फ बरखा मिश्रा मुंबई चली गई. वहां उस ने अपने दलाल के मार्फत 14बी रोड मधुर मिलन ए-2 खार में एक कमरा किराए पर ले लिया और वहीं रहने लगी. इस बीच उस ने कई कालगर्ल्स संचालिकाओं से संबंध बना लिए. वहां भी वह धंधा करने लगी. लवली उर्फ बरखा मिश्रा कानपुर शहर में एक बार फिर पैर जमाना चाहती थी, क्योंकि यह उस का जानासमझा शहर था. अनेक सफेदपोश नेताओं, कथित मीडियाकर्मियों व पुलिस से उस के अच्छे संबंध थे. अगस्त 2019 में लवली उर्फ बरखा मिश्रा वापस कानपुर आ गई. यहां उस ने पौश कालोनी लाजपत नगर में सुजैन सचान नाम की महिला का मकान 20 हजार रुपए प्रतिमाह के किराए पर ले लिया और हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट चलाने लगी.

सैक्स रैकेट चलाते अभी 2 महीने ही बीते थे कि किसी ने इस की सूचना एसपी (साउथ) रवीना त्यागी को दे दी. रवीना त्यागी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और एक टीम गठित की. इस टीम ने छापा मारा और लवली को बंदी बना लिया. उस के अड्डे से 4 युवतियां और एक युवक को रंगेहाथों पकड़ लिया. सैक्स रैकेट में पकड़ी गई 25 वर्षीय नीतू चौधरी मूलरूप से भटिंडा, पंजाब की रहने वाली थी. बीमार मातापिता की मौत के बाद वह एक करीबी रिश्तेदार के माध्यम से अपनी छोटी बहन के साथ दिल्ली आ गई. वह पढ़ीलिखी थी, अत: प्राइवेट नौकरी करने लगी.

नीतू अपनी छोटी बहन को पढ़ालिखा कर योग्य बनाना चाहती थी ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके. लेकिन दिल्ली जैसे बड़े शहर में प्राइवेट नौकरी से मकान का किराया, घर तथा बहन की पढ़ाई का खर्च जुटाना संभव नहीं था. अत: वह कमाने के लालच में दलाल के मार्फत सैक्स रैकेट से जुड़ गई और देह का धंधा करने लगी. नीतू चौधरी ने बताया कि दलाल के मार्फत वह कानपुर की देह संचालिका लवली उर्फ बरखा के संपर्क में आई. बरखा ने उसे यह कह कर कानपुर बुलाया था कि एक होटल में बैचलर पार्टी है. एक रात का 20 हजार रुपए मिलेगा. सौदा तय होने पर वह कानपुर आ गई. घटना वाली रात वह सजसंवर कर होटल जाने वाली थी, तभी पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ी गई.

पुलिस द्वारा पकड़ी गई पूजा कर्मकार करनाल (हरियाणा) की रहने वाली थी. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी. बीकौम करने के बाद पूजा ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया. इस के बाद वह नौकरी करने लगी. पूजा का भाई बीमार रहता था. उस की किडनी खराब हो गई थी. किडनी बदलवाने के लिए पूजा को 10 लाख रुपए चाहिए थे, इतनी बड़ी रकम वह प्राइवेट नौकरी से नहीं जुटा सकती थी. पूजा परेशान थी, तभी उस की मुलाकात एक दलाल से हो गई. उस दलाल ने पूजा को रकम जुटाने के लिए देह बेचने का रास्ता सुझाया.

पूजा कई दिनों तक पसोपेश में पड़ी रही. फिर उस ने देह का धंधा अपना लिया. दलाल के जरिए वह दिल्ली, मुंबई, बनारस तथा विदेश तक जाने लगी. पूजा शरीर से हृष्टपुष्ट व जवान थी. अत: उस की खूब डिमांड होने लगी. पूजा कर्मकार ने बताया कि दलाल के मार्फत ही वह कानपुर की देह संचालिका लवली उर्फ बरखा के संपर्क में आई थी. बरखा ने उसे 20 हजार रुपए में बुक किया था. लाजपत नगर स्थित लवली के अड्डे पर वह 24 नवंबर की दोपहर पहुंची थी. उस समय वहां 3 अन्य युवतियां मौजूद थीं. सभी को किसी होटल की बैचलर पार्टी में जाना था. लेकिन होटल जाने के पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गई.

पूजा ने बताया कि उस की अगली बुकिंग कनाडा के एक होटल के लिए हो चुकी थी. उस के साथ दिल्ली की 2 अन्य युवतियों को भी जाना था. फ्लाइट पकड़ कर उसे मंगलवार को दिल्ली पहुंचना था. कनाडा में उसे एक हफ्ते के 6 लाख रुपए मिलने वाले थे. कानपुर में वह महज 20 हजार रुपए में आई थी. जिस्मफरोशी के धंधे में पकड़ी गई 30 वर्षीया युवती प्रीति आचार्य मूलरूप से कोलकाता की रहने वाली थी. उस का पति अभिजीत आचार्य दिल्ली के लक्ष्मीनगर में रहता था, पांडव नगर स्थित मदर डेयरी में कामकरता था. प्रीति का पति शराबी था. वह जो कमाता, सब शराब में उड़ा देता था. प्रीति रोकती तो उसे मारतापीटता था.

परेशान हो कर आखिर उस ने पति का साथ छोड़ दिया और नौकरी करने लगी. लेकिन जिस्म के भूखे लोगों ने नौकरी के बजाय उस के जिस्म को ज्यादा तवज्जो दी. प्रीति ने सोचा जब जिस्म ही बेचना है तो नौकरी क्यों करे. प्रीति के साथ काम करने वाली एक युवती जिस्मफरोशी का धंधा करती थी. उस युवती ने प्रीति को देह के दलाल से मिलवा दिया. दलाल के माध्यम से प्रीति देह का धंधा करने लगी. दलाल के मार्फत ही उस की बुकिंग 10 हजार रुपए में कानपुर के लिए हुई थी. वह शाम 4 बजे लाजपत नगर स्थित लवली के अड्डे पर पहुंची थी. लवली उसे तथा एक अन्य युवती को गुमटी नंबर- 5 स्थित एक ब्यूटीपार्लर ले गई थी.

उसे बताया गया था कि एक होटल में पार्टी में जाना है. वह सजसंवर कर आई ही थी कि पुलिस का छापा पड़ा और वह भी अन्य युवतियों के साथ पकड़ी गई. सैक्स रैकेट के अड्डे से पकड़ा गया सलमान आजाद पार्क चकेरी में रहता था. वह चमड़े का व्यवसाय करता था और अय्याश प्रवृत्ति का था. घटना वाले दिन वह दलाल के मार्फत लाजपत नगर स्थित लवली के अड्डे पर पहुंचा था. लवली ने उसे सविता उर्फ विनीता को दिखा कर पूरी रात का 10 हजार रुपए में सौदा किया था. सलमान पूजा के साथ कमरे में आपत्तिजनक स्थिति में था, तभी पुलिस का छापा पड़ा और कालगर्ल के साथ वह भी पकड़ा गया.

25 नवंबर, 2019 को थाना नजीराबाद पुलिस ने आरोपी लवली उर्फ बरखा मिश्रा, सविता उर्फ विनीता, नीतू चौधरी, पूजा कर्मकार तथा अभियुक्त सलमान को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट आर.के. शर्मा की अदालत में पेश किया, जहां से उन सभी को जिला जेल भेज दिया गया.

 

Madhya Pradesh Crime : दोस्‍त के शराब में नींद की गोली मिला कर किया मर्डर

Madhya Pradesh Crime : शराब और शबाब तब घातक बन जाते हैं, जब आदमी उन का आदी बन जाए. अगर अवैध रिश्ते के साथ कोई शराब को भी प्रेमिका बना ले तो उसे अपनी उलटी गिनती शुरू कर देनी चाहिए. मयंक के मामले में भी यही हुआ…  

टना 25 सितंबर, 2019 की है. शाम के करीब 4 बजे थे. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ क्षेत्र का रहने वाला मयंक जब रात 10 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो उस के पिता सुभाष खरे ने उसे खोजना शुरू कर दिया. मयंक शाम को कार ले कर घर से निकला थामयंक खरे के छोटे भाई प्रियंक खरे ने जब मयंक के मोबाइल पर फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. मयंक अविवाहित और बेरोजगार था. कोई काम करने के बजाए वह अपने पिता की कार ले कर दिन भर इधरउधर घूमता रहता था, जिस से उस के पिता परेशान थे.

मयंक के पिता सुभाष खरे शिक्षा विभाग में क्लर्क थे. उस समय टीकमगढ़ में भारी बारिश हो रही थी. समस्या यह थी कि ऐसे मौसम में उसे खोजने जाएं भी तो कहां जाएं. पिता सुभाष ने यह सोच कर मयंक के खास दोस्त इशाक खान को फोन लगाया कि हो हो उसे मयंक के बारे में कोई जानकारी हो. लेकिन उस के फोन की घंटी बजती रही, उस ने काल रिसीव नहीं की. इस से सुभाष खरे का माथा ठनका कि इशाक ने फोन क्यों नहीं उठाया

रात भर परिवार के सभी लोग मयंक की चिंता करते रहे. अगले दिन पिता सुभाष ने टीकमगढ़ थाने में मयंक की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. टीआई अनिल मौर्य ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह जानकारी टीकमगढ़ के एसपी अनुराग सुजनिया को दे दी. साथ ही मयंक का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया. मयंक का परिवार उस की खोज में लगा हुआ था. परिवार वालों की दूसरी चिंता यह थी कि मयंक के दोस्त इशाक खान ने उन का फोन क्यों रिसीव नहीं किया, उस की दुकान भी बंद थी. इशाक का भी कोई अतापता नहीं था. उस के घर वालों से जब उस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जताई

दरअसल, इशाक और मयंक के बीच कुछ कहासुनी हुई थी. वजह यह थी कि मयंक और इशाक की पत्नी शबाना के बीच नजदीकी संबंध थे. इस बात की जानकारी उस के परिवार वालों को भी थी. इसलिए पूरा संदेह इशाक पर जा रहा था. इशाक के इस तरह लापता होने मयंक के परिवार वालों का फोन नहीं उठाने से उन की चिंता बढ़ने लगी थी. मयंक के परिवार वालों ने इशाक और मयंक के बीच हुई कहासुनी की सारी जानकारी टीआई अनिल मौर्य को दी. टीआई मौर्य को घटना में अवैध संबंधों की बात पता लगी तो उन्हें मामला गंभीर नजर आया

उन्होंने इस नई सूचना से एसपी अनुराग सुजनिया को अवगत करा दिया. एसपी ने इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी एडिशनल एसपी एम.एल.चौरसिया को सौंप दी. उन्होंने एसडीपीओ सुरेश सेजवार की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में टीआई अनिल मौर्य, टीआई (जतारा) आनंद सिंह परिहार, टीआई (बमोरी कलां) एसआई बीरेंद्र सिंह पंवार आदि तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया. इस पुलिस टीम ने तेजी से जांचपड़ताल शुरू कर दी. पुलिस जांच में एक महत्त्वपूर्ण जानकारी यह मिली कि इस घटना में मयंक खरे के पड़ोसी इशाक के अलावा उस का एक रिश्तेदार इकबाल नूरखान भी शामिल है. पुलिस ने दोनों के घर दबिश दी, लेकिन दोनों ही घर से फरार मिले.

4-5 दिन कोशिश करने के बाद भी जब ये लोग नहीं मिले तो पुलिस ने पहली अक्तूबर को दोनों के खिलाफ मयंक खरे के अपहरण का मामला दर्ज कर लियाकई दिन बीत जाने के बाद भी जब पुलिस मयंक खरे के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा सकी तो कायस्थ समाज ने विरोध प्रदर्शन कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. यह प्रदर्शन पूरे जिले में व्यापक स्तर पर किया था, जिस की गूंज आईजी सतीश सक्सेना के कानों तक पहुंची. आईजी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी अनुराग सुजनिया को निर्देश दिए कि केस का जल्द से जल्द परदाफाश किया जाए. उन्होंने अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर दिया. उच्चाधिकारियों के दबाव में जांच टीम रातदिन काम करने लगी.

आखिर पता चल ही गया मयंक का मयंक के लापता होने के एक हफ्ता के बाद पुलिस को पहली सफलता उस समय मिली, जब उस ने 4 अक्तूबर को मयंक के अपहरण के मामले में इशाक खान, इकबाल और इन का साथ देने वाले रहीम खान, मजीद खान, रहमान खान को गिरफ्तार कर लियापुलिस ने उन से मयंक के बारे में पूछताछ की तो आरोपियों ने स्वीकार कर लिया कि वे मयंक की हत्या कर चुके हैं और उस की लाश घसान नदी में फेंक दी थी. हत्या की बात सुन कर पुलिस चौंकी. लाश बरामद करने के लिए पुलिस पांचों आरोपियों को ले कर उस जगह पहुंची, जहां उन्होंने मयंक खरे की लाश घसान नदी में फेंकी थी. पुलिस ने नदी में गोताखोरों से लाश तलाश कराई, लेकिन लाश वहां नहीं मिली.

घटना की रात तेज बारिश की वजह से नदी में बाढ़ जैसी स्थिति थी. इस से लाश दूर बह जाने की आशंका थी. एक आशंका यह भी थी कि लाश बरामद हो, इस के लिए आरोपी झूठ बोल रहे हों, इसलिए टीकमगढ़ के आसपास नदी तालाबों में लाश की तलाश तेज कर दी गई. आरोपियों से पूछताछ के बाद मयंक खरे की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह नाजायज संबंधों की बुनियाद पर टिकी थी. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ शहर के चकरा तिराहा इलाके में एक आवासीय इलाका है शिवशक्ति नगर. सुभाष खरे अपने परिवार के साथ शिवशक्ति नगर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे थे, जिन में मयंक बड़ा था. सुभाष खरे के घर के ठीक बगल में रहमान खान का घर था. इशाक रहमान का ही बेटा था. इशाक की शादी हो चुकी थी, उस की बीवी शबाना बहुत खूबसूरत थी.

मयंक और इशाक की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं था. दोनों की बचपन से अच्छी दोस्ती थी. इशाक ड्राइवर था, जिस की वजह से वह अधिकांश समय घर से बाहर रहता था. छोटीमोटी आमदनी घर बैठे होती रहे, इस के लिए उस ने परचून की दुकान खोल ली थी, जिस पर उस की पत्नी शबाना बैठती थी. मयंक के घर में जरूरत का सामान शबाना की दुकान से ही आता था. मयंक खाली घूमता था, इसलिए शबाना की दुकान पर खड़े हो कर उस से बातें करता रहता था. शबाना खूबसूरत और चंचल स्वभाव की थी, इसलिए मयंक उसे चाहने लगा. शबाना को भी मयंक की बातों में रस आता था, इसलिए उस का झुकाव मयंक खरे की तरफ हो गया

मयंक ने खुद डाला आग में हाथ कुछ ही दिनों में मयंक शबाना का ऐसा दीवाना हो गया कि उसे दिनरात उस के अलावा कुछ सूझता ही नहीं था. इशाक से दोस्ती होने के कारण वह शबाना को भाभीजान कहता था. शबाना का दिल भी मयंक के लिए धड़कने लगा. आग दोनों तरफ लगी थी, इसलिए उन के बीच जल्द ही अवैध संबंध बन गए. इशाक जब कभी शहर से बाहर जाता तो मयंक और शबाना को वासना का खुला खेल खेलने का मौका मिल जाता था. जिस के चलते शबाना को मयंक अपने शौहर से ज्यादा अच्छा लगने लगा. लेकिन यह बात इशाक से ज्यादा दिनों तक छिपी रह सकी

धीरेधीरे इशाक को अपनी पत्नी और मयंक के बीच पक रही अवैध रिश्तों की खिचड़ी की महक महसूस हुई. फिर भी उस ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब पानी सिर के ऊपर जाने लगा तो वह दोनों पर कड़ी नजर रखने लगा. आखिर एक दिन उस ने शबाना को मयंक के साथ नैनमटक्का करते देख लिया. उस दिन उस ने शबाना की खासी पिटाई की. साथ ही उस ने मयंक से भी दूरी बनानी शुरू कर दी. लेकिन एक बार पास आने के बाद दूर जाने की बात तो मयंक को सुहाई और शबाना इस के लिए राजी थी, इसलिए शौहर के विरोध के बावजूद शबाना ने मयंक के साथ रिश्ते खत्म नहीं किए. इस के चलते इशाक और मयंक के बीच एकदो बार विवाद भी हुआ. इशाक के मना करने के बावजूद शबाना और मयंक अपनी इश्कबाजी से बाज नहीं रहे थे.

यही नहीं, इस बीच इशाक के घर में कुछ दिनों के लिए उस के रिश्तेदार की एक नाबालिग लड़की आई तो मयंक ने उस किशोरी से भी संबंध बना लिए. इस बात की खबर इशाक को लगी तो उस का खून खौल उठा. लिहाजा इशाक ने ऐसे दगाबाज दोस्त को ठिकाने लगाने की ठान ली. इशाक की मयंक से अनबन हो चुकी थी, जबकि अपनी योजना को अंजाम देने के लिए इशाक की मयंक से नजदीकी जरूरी थी. उस स्थिति में योजना को आसानी से अंजाम दिया जा सकता था. मयंक से फिर से दोस्ती बढ़ाने के लिए इशाक ने अपने चचेरे भाई इकबाल का सहारा लिया. इकबाल के सहयोग से उस ने मयंक से बात की.

मयंक वैसे तो काफी चालाक था. इशाक से वह सतर्क भी रहता था. लेकिन इशाक ने उसे समझाया कि देख भाई जो हुआ, सो हुआ अब आगे से ध्यान रखना कि ऐसा हो. रही हमारी दोस्ती की बात तो वह पहले की तरह चलती रहेगी. क्योंकि हमारे झगड़े में दूसरों को हंसने का मौका मिल जाता है. इशाक की बात सुन कर मयंक खुश हो गया. उसे लगा कि इस से वह अपनी भाभीजान शबाना से पुरानी नजदीकी पा लेगा. लिहाजा उस का फिर से इशाक के यहां आनाजाना शुरू हो गया. लेकिन उसे यह पता नहीं था कि इशाक के रूप में मौत उस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है.

इशाक ने मयंक को ठिकाने लगाने के लिए अपने चचेरे भाई इकबाल, पत्नी शबाना और दोस्त पन्नालाल कल्लू के साथ योजना बना ली. शराब का घातक दौर योजना के अनुसार 25 सितंबर, 2019 को इशाक ने फोन कर के मयंक को शराब की पार्टी के लिए बीलगाय कलां बुलाया. शाम के समय मयंक अपनी कार से 30 किलोमीटर दूर बीलगाय कलां पहुंच गया. वहां पर इशाक, इकबाल, कल्लू और पन्नालाल उस का इंतजार कर रहे थे. इशाक का एक घर बीलगाय कलां में भी था. सब उसी घर में बैठ कर सब शराब पीने लगे.

इशाक के दोस्त इकबाल ने मौका मिलते ही मयंक के शराब के गिलास में नींद की गोलियां डाल दीं. शराब पीने के बाद वे सभी मयंक की कार में बैठ गए. कार इशाक चला रहा था और मयंक उस के बराबर में बैठा था. एक जगह कार रोक कर इशाक ने अपने साथ लाई लाइसेंसी दोनाली बंदूक से मयंक पर गोली चलाई जो उस के कंधे में लगी. मयंक घबरा गया. डर की वजह से उस का नशा उतर चुका था. इशाक ने उस पर दूसरी गोली चलाई तो मयंक झुक गया, जिस से गोली कार का शीशा तोड़ कर निकल गई. इशाक केवल 2 गोलियां लोड कर के लाया था जो इस्तेमाल हो चुकी थीं.

मयंक को बचा देख इशाक ने इकबाल की मदद से मयंक का गला घोंट दिया. फिर वे लाश को ठिकाने लगाने के लिए निकल पड़े. कार ले कर वे वहां से 7-8 किलोमीटर दूर इटाली गांव पहुंचे, जहां कार खराब हो गई. इस से सभी परेशान हो गए, क्योंकि कार में लाश थी. वहां से 3-4 किलोमीटर दूर बाबई गांव था, जहां इकबाल के रिश्तेदार रहते थे, जो कार मैकेनिक थे. इकबाल ने फोन किया तो सईद, रईस और मजीद वहां पहुंच गए. उन्होंने कार ठीक कर दी तो वे लाश को नौगांवा ले गए और लाश चादर में लपेट कर घसान नदी में फेंक दी. इस के बाद इशाक बाबई गांव में अपने दूल्हाभाई रहमान के यहां गया. रात को  सभी वहां रुके और अगले दिन अपने घर गए.

हत्यारोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने रईस, शबाना, पन्नालाल को भी गिरफ्तार कर लिया. एक आरोपी कल्लू फरार था. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने लाइसेंसी बंदूक, मयंक की कार, चप्पल, खून सना कार सीट कवर बरामद कर लिया. सीट कवर के खून को पुलिस ने जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया. साथ ही मयंक के पिता का खून का सैंपल भी ले लिया ताकि डीएनए जांच से यह पता चल सके कि कार के सीट कवर पर लगा खून मयंक का था.

 

Murder story : बेटी ने ही सुपारी देकर कराई मां की हत्‍या

Murder story : पैसा और जमीनजायदाद इंसान को अपनों से अलग कर के ऐसे मुकाम तक ले जाते हैं, जहां उन्हें अपराध करने में भी कोई संकोच नहीं होता. तभी तो इंदरराज कौर उर्फ विक्की को अपनी मां का कत्ल करवाते हुए जरा भी दर्द नहीं हुआ…   

दिन अमृतसर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश कर्मजीत सिंह की अदालात में सुबह से ही बहुत गहमागहमी थी. वकील और मीडियाकर्मियों के अलावा तमाम लोग भी वहां मौजूद थे. सभी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि पता नहीं अदालत आज विक्की और उस के प्रेमी गणेश को क्या सजा सुनाएगी. इन दोनों पर आरोप यह था कि विक्की ने अपने प्रेमी गणेश से अपनी मां राजिंदर कौर की हत्या कराई थी. दोनों पर यह केस करीब 3 साल से चल रहा था. पूरा मामला क्या था, जानने के लिए हमें 3 साल पीछे जाना पड़ेगा.

21 जनवरी, 2015 की बात है. नरेश नाम के एक व्यक्ति ने अमृतसर के थाना मकबूलपुरा में फोन द्वारा सूचना दी थी कि दीदार गैस एजेंसी की मालकिन 67 वर्षीय राजिंदर कौर की किसी से उन की गोल्डन एवेन्यू स्थित कोठी नंबर 5 में हत्या कर दी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अमरीक सिंह, एसआई कुलदीप सिंह, एएसआई बलजिंदर सिंह, सुरजीत सिंह, हवलदार प्रेम सिंह, मुख्तियार सिंह और लेडी हवलदार गुरविंदर कौर को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गएपता चला कि घटना वाली रात राजिंदर कौर अपनी कोठी में अकेली थीं. उन का बेटा तजिंदर सिंह 2 दिन पहले ही डलहौजी गया था और बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की किसी रिश्तेदारी में दिल्ली गई हुई थी.

राजिंदर कौर की हत्या बहुत ही सुनियोजित तरीके से की गई थी. हत्या के वक्त वे शायद कोठी की दूसरी मंजिल पर थीं, क्योंकि उन का खून दूसरी मंजिल से बह कर घर की पहली मंजिल पर वहां तक गया था, जहां खून से लथपथ उन की लाश पड़ी थी. घटनास्थल को देख कर यह साफ लग रहा था कि हत्यारों को इस बात की पूरी जानकारी रही होगी कि राजिंदर कौर घर में अकेली हैं. इतना ही नहीं वो इस घर के चप्पेचप्पे से वाकिफ रहे होंगे. क्योंकि हत्यारे गेट के पास लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ कर बड़ी सावधानी से घर में घुसे थे और अपना काम कर के चुपचाप वहां से निकल गए थे.

मौका वारदात पर बिखरा हुआ सामान इस बात की गवाही दे रहा था कि मरने से पहले मृतका की हत्यारों से काफी हाथापाई हुई होगी. प्राथमिक तफ्तीश में पता चला कि राजिंदर कौर की नौकरानी सुबह के लगभग 11 बजे घर में काम करने के लिए आई थी. उस ने देखा कि घर की मालकिन राजिंदर कौर की लाश जमीन पर खून से लथपथ पड़ी थी. उस ने घबरा कर गैस एजेंसी फोन कर के यह बात नरेश को बताई और नरेश ने कर पुलिस के अलावा इस घटना की सूचना राजिंदर कौर की बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की को भी दी जो किसी रिश्तेदारी में दिल्ली गई हुई थी

मां की मौत की खबर मिलते ही विक्की भी उसी दिन पंजाब लौट आई. नरेश ने पुलिस को बताया कि गैस एजेंसी का 2 दिन का कैश कोठी में ही था. छुट्टी होने के कारण कैश बैंक में जमा नहीं करवाया गया था. पुलिस को यह मामला लूट और हत्या का लग रहा था. घटना की सूचना मिलने पर डीसीपी विक्रमपाल भट्टी, डीसीपी (क्राइम) जगजीत सिंह वालिया, एडीसीपी परमपाल सिंह, एसीपी बालकिशन सिंगला, एसीपी गौरव गर्ग, फोरैंसिक टीम सहित घटनास्थल पर पहुंच गए. फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से फिंगरप्रिंट और खून के सैंपल लिए.

हत्यारे कोठी से कितना कैश और जेवर ले गए थे इस बात का कोई पता नहीं लग सका. बहरहाल पुलिस ने 21 जनवरी, 2015 इंदरराज कौर उर्फ विक्की के बयान पर राजिंदर कौर की हत्या का मुकदमा अज्ञात हत्यारों के खिलाफ दर्ज कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दी. अमृतसर के न्यू गोल्डन एवेन्यू की कोठी नंबर-5 में मेजर दीदार सिंह औजला का परिवार रहता था. उन के परिवार में पत्नी राजिंदर कौर के अलावा बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की और बेटा तजिंदर सिंह उर्फ लाली थे. सन 1981 में मेजर साहब की मौत के बाद सरकार ने अनुकंपा के आधार पर फौजियों की विधवाओं को पेट्रौल पंप और गैस एजेंसियां वितरित की थीं. तभी राजिंदर कौर को भी एक गैस एजेंसी आवंटित हुई थी

राजिंदर कौर ने गैस एजेंसी का गोदाम और शोरूम सुल्तानभिंड रोड के अजीत नगर में खोला था. गैस एजेंसी को वह स्वयं ही संभालती थीं. कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद बेटी विक्की भी एजेंसी पर जाने लगी थी. लाली अभी पढ़ रहा था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार राजिंदर कौर की हत्या दम घुटने से हुई थी. हालांकि उन के सिर पर चोटों के गहरे घाव थे पर उन की मौत गला घोंटे जाने के कारण ही हुई थी

2 दिन तक पुलिस को इस केस का कोई सिरा हाथ नहीं आया था. पुलिस इस बात को मान कर चल रही थी कि हत्यारा राजिंदर कौर के परिवार का परिचित रहा होगा. लेकिन 2 दिन बाद पुलिस ने अपनी जांच की दिशा बदल दीपुलिस ने राजिंदर कौर, उन के बेटे तजिंदर उर्फ लाली, इंदरराज कौर उर्फ विक्की के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो विक्की की काल डिटेल से पुलिस को कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं. विक्की की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर आया जिस पर विक्की की दिनरात कईकई घंटे बातें होती थीं. वह नंबर किसी गणेश नाम के व्यक्ति का था.

इस बार पुलिस के हाथ कुछ ऐसा क्लू लगा था, जिस के सहारे वह अपनी जांच को आगे बढ़ा सकती थी. इस के पहले पुलिस अंधेरी गलियों में ही भटक रही थी. पुलिस ने राजिंदर कौर के पड़ोसियों और गैस एजेंसी पर काम करने वालों से भी पूछताछ की थी.  इस पूछताछ में पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे थे, यह बात तय थी कि जो कुछ भी हुआ था. वह कोठी के अंदर से ही हुआ था. बाहर के किसी व्यक्ति का इस हत्याकांड से कोई लेनादेना नहीं था. हत्यारे एक रहे हों या 2 इस से अभी कोई फर्क नहीं पड़ना था. समझने वाली बात यह थी कि आखिर राजिंदर कौर की ही हत्या क्यों की गई थी. उन की हत्या से किसे फायदा पहुंचने वाला था. आखिर घटना के चौथे दिन 2 ऐसे गवाह खुद पुलिस के सामने आए, जिन्होंने इस केस का रुख पलट कर हत्यारों का चेहरा पुलिस के सामने रख दिया था.

28 जनवरी, 2015 को पुलिस ने राजिंदर कौर की हत्या के आरोप में 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. उन में से एक खुद मृतका की बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की थी और दूसरा उस का प्रेमी गणेश था, जो स्थानीय भुल्लर अस्पताल में कंपाउंडर थागणेश गुंदली चौगान, नूरपुर, हिमाचल प्रदेश का निवासी था और पिछले कई सालों से उस के विक्की के साथ नाजायज संबंध थे. गणेश विक्की के बीमार भाई तजिंदर की देखभाल के लिए उस के घर आता था और इसी बीच विक्की के साथ उस के अवैध संबंध बन गए थे. बेटी ने ही सुपारी दे कर अपनी मां की हत्या करवाई थी यह बात सुन कर सभी रिश्तेदारों के होश उड़ गए. विक्की को उस के मांबाप ने बड़े लाड़प्यार से पाला था. अपनी मां की मौत का दिल दहलाने वाला मंजर देख कर उस ने घडि़याली आंसू भी बहाए थे.

इतना ही नहीं पुलिस को भी इस असमंजस में डाले रखा था कि उसे अपनी मां की मौत का बहुत दुख है. जबकि हकीकत यह थी कि विक्की शुरू से ही पुलिस को झूठ बोल कर गुमराह करती रही थी. जब असलियत का खुलासा हुआ तो पुलिस के साथ उस के सगे संबंधियों के भी होश उड़ गए. अकसर देखा गया है कि जायदाद की खातिर इंसान अपने सभी रिश्ते भुला कर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे देता है, मगर विक्की ने तो दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी थीं. उस ने अपने प्रेमी को 5 लाख की सुपारी दे कर जन्म देने वाली मां को ही मरवा डाला था. पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान पुलिस ने गणेश की निशानदेही पर लोहे की रौड, खून सने कपड़े आदि बरामद कर लिए. बाद में दोनों को जेल भेज दिया गया.

पुलिस को राजिंदर कौर की हत्या की जो कहानी पता चली और जिस के आधार पर उस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की, उस में बताया गया था कि इस हत्याकांड की मूल वजह वो जायदाद थी जो मृतका राजिंदर कौर ने विक्की के नाम कर के अपने बेटे तजिंदर उर्फ लाली के नाम कर दी थीदरअसल लाड़प्यार से पली विक्की बचपन से ही अपनी मनमरजी करने वाली जिद्दी और अडि़यल स्वभाव की लड़की थी. उम्र के साथ उस का यह पागलपन और भी बढ़ता गया था. पिता की मृत्यु के समय वह मात्र 4-5 साल की रही होगी. पिता की मृत्यु के बाद मां राजिंदर कौर का सारा वक्त गैस एजेंसी संभालने में गुजरता था. ऐसे में विक्की बेलगाम होती चली गई.

यहां यह कहना भी गलत होगा कि बच्चों को सुविधाओं के साथ मातापिता के दिशानिर्देशों की भी सख्त जरूरत होती है. अन्यथा परिणाम भयानक ही निकलते हैं. इस मामले में भी यही हुआ था. कालेज तक पहुंचतेपहुंचते वह दिशाहीन, भटकी हुई युवती बन चुकी थी. शराब के नशे और क्लबों में खुशी तलाशना उस की आदत बन चुकी थी. दूसरे सहपाठियों को नीचा दिखाना उस का मनपसंद शौक था. मां के द्वारा मेहनत से कमाया पैसा वह पानी की तरह बहाने लगी थी. उस के दोस्तों में लड़कियां कम लड़के अधिक थे. कपड़ों की तरह बौयफ्रैंड बदलना उस का स्वभाव बन गया था

मां की किसी बात का जवाब देना, आधीआधी रात को घर लौटना विक्की की आदतों में शुमार हो गया था. पढ़ाई पूरी कर उस ने मां के साथ गैस एजेंसी पर बैठना शुरू कर दिया, वह भी अपने स्वार्थ की खातिर. गैस एजेंसी से पैसे उड़ा कर वह अपनी अय्याशियों में उड़ा देती थी. उस की इन हरकतों से राजिंदर कौर बहुत दुखी थीं. वह मन ही मन घुटती रहती थीं. वे यह सोच कर मन पर पत्थर रख लेती थीं कि शादी के बाद जब वह अपनी ससुराल चली जाएगी. तभी वह चैन की सांस ले पाएंगी. पर यह उन की भूल थी. 37 साल की हो जाने के बाद भी विक्की शादी करने को तैयार नहीं थी. ऐसे में आपसी रिश्तों में जहर घुल गया था

राजिंदर कौर विक्की को समझासमझा कर हार चुकी थीं. लेकिन विक्की की नादानियां दिन पर दिन बढ़ती जा रही थीं. इसी बीच उस के गणेश से संबंध बन गए थे. राजिंदर कौर को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने हंगामा करते हुए विक्की को बहुत कुछ समझाया पर विक्की ने इस सब की जरा भी परवाह नहीं की. वह घर में ही गणेश के साथ अय्याशी करती रही. घटना से कुछ दिन पहले विक्की और राजिंदर कौर के बीच पैसों को ले कर जबरदस्त झगड़ा हुआ था. विक्की को सुधरता देख राजिंदर कौर ने उस का गैस एजेंसी पर आना बंद करवा दिया. साथ ही उस के जेब खर्च पर भी पाबंदी लगा दी थी. यह सब देख विक्की तिलमिला उठी थी

उस ने मां से इस विषय में बात की तो उन्होंने कहा कि जब तक वह अपने आप को नहीं सुधारती और घर में एक शरीफ घर की बच्ची की तरह पेश नहीं आती तब तक उस का उन से कोई संबंध नहीं रहेगा. राजिंदर कौर ने यह कदम उठाया था विक्की को सुधारने के लिए, मगर इस का उलटा ही परिणाम निकला. विक्की यारदोस्तों और अपनी जानपहचान वालों से पैसे उधार ले कर अपने शौक पूरे करने लगी. इस बात का राजिंदर कौर को और ज्यादा दुख पहुंचा. बेटी के कर्ज को ले कर उन की बड़ी बदनामी भी हो रही थी.

अंत में राजिंदर कौर ने एक और सख्त कदम उठाया जो आगे चल कर उन की जान का दुश्मन बन गया. राजिंदर कौर ने अपनी सारी चलअचल संपत्ति, बिजनैस आदि अपने बेटे तजिंदर सिंह के नाम कर दिया. विक्की के नाम उन्होंने एक पैसा भी नहीं छोड़ा थाइस बात का पता लगने पर विक्की आगबबूला हो उठी. उसे यह उम्मीद नहीं थी कि उस की मां ऐसा भी कुछ कर सकती है. घटना से कुछ दिन पहले इसी बात को ले कर मांबेटी में जम कर झगड़ा भी हुआ था. राजिंदर कौर अब किसी भी कीमत पर विक्की को आजादी नहीं देना चाहती थीं  गणेश और विक्की के बीच लगभग ढाई सालों से अवैध संबंध थे. गणेश पूरी तरह से विक्की के चंगुल में फंस कर उस का गुलाम बना हुआ था. दोनों को ही पैसों की सख्त जरूरत थी

विक्की इतनी शातिर दिमाग थी कि जहां वह खुद अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए गणेश का इस्तेमाल कर रही थी, वहीं उस का खुराफाती दिमाग गणेश के हाथों अपनी ही मां की हत्या करवाने की साजिश रचने में लगा था. जब से विक्की को पता चला था कि मां ने करोड़ों की जायदाद छोटे भाई तजिंदर सिंह के नाम कर दी है, उसी दिन से विक्की ने राजिंदर कौर की हत्या करने का मन बना लिया था. अपनी मां के खिलाफ उस के मन में जहर भर गया था. योजना बनाने के बाद उस ने अपने प्रेमी गणेश शर्मा को 5 लाख रुपए की सुपारी दे कर मां का कत्ल कराने के लिए तैयार कर लिया.

अपनी योजना के तहत विक्की ने सब से पहले अपने भाई तजिंदर को 3 दिन पहले घूमनेफिरने के लिए मनाली डलहौजी भेज दिया. इस के बाद 21 जनवरी को वह खुद भी दिल्ली जाने का बहाना कर के घर से निकल गई. इस से गणेश का रास्ता साफ हो गया था. तसल्ली करने के लिए हत्या से एक दिन पहले विक्की ने भाई को फोन कर के पूछा कि वह घर वापस कब लौट रहा है. तजिंदर ने बताया था कि वह अभी कुछ दिन और मनाली में रहेगा. गणेश के लिए राजिंदर कौर की हत्या करने के लिए रास्ता साफ था. 20-21 जनवरी की आधी रात को वह सीसीटीवी कैमरों को तोड़ कर कोठी में दाखिल हुआ और उस ने कमरे में सो रही राजिंदर कौर के सिर पर पहले लोहे की रौड से वार कर के उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया

उस के बाद गणेश ने बिजली की तार से उन का गला घोंट कर मौत के घाट उतार दिया. चुपचाप अपना काम खत्म कर के वह वहां से कुछ दूरी पर स्थित अपने कमरे पर लौट गया और फोन कर के विक्की को काम हो जाने की खबर दे दी. राजिंदर कौर की हत्या के समय विक्की ने पुलिस को गुमराह करने के लिए यह बयान दिया था कि उस का भाई मनाली गया हुआ था और वह किसी काम से दिल्ली गई थी. जबकि वह अमृतसर के ही एक होटल में ठहरी हुई थी. हत्या के 2 दिन बाद गणेश शर्मा गायब हो गया थाविक्की और गणेश की काल डिटेल्स देखने के बाद और गणेश के गायब हो जाने के बाद हत्या की सीधी सुई इन दोनों पर चली गई थी. इस बीच वहां के पूर्व पार्षद तरसेम भोला ने मामले को नया मोड़ दे दिया था.

हत्या के इस मामले की तहकीकात के बीच पुलिस को पूर्व पार्षद तरसेम सिंह भोला ने 27 जनवरी, 2015 को यह जानकारी दी थी कि इंदरराज कौर उर्फ विक्की उस के पास आई थी और उस ने बताया था कि उस की मम्मी ने अपनी सारी जायदाद की वसीयत उस के भाई तेजिंदर सिंह लाली के नाम कर दी है. उस की मम्मी द्वारा उसे कोई भी जायदाद दिए जाने के कारण वह बहुत ही गुस्से में थीइसलिए उस ने भुल्लर अस्पताल में काम करने वाले गणेश कुमार को 5 लाख रुपए का लालच दे कर अपनी मम्मी राजिंदर कौर की हत्या करवा दी है. उस से बहुत बड़ी गलती हो गई है. किसी किसी तरह वह उस का बचाव करवा दें.

इसी तरह मकबूलपुरा निवासी एक स्वतंत्र गवाह कश्मीर सिंह ने भी उसी दिन पुलिस को जानकारी दी थी कि भुल्लर अस्पताल में काम करने वाले गणेश कुमार ने उसे बताया था कि वह अपनी प्रेमिका इंदरराज उर्फ विक्की के कहने पर उस की मां राजिंदर कौर की हत्या कर बैठा हैइस मामले में पुलिस उसे कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. इसलिए वह किसी भी तरह उस का बचाव करवा दे. इन दोनों गवाहों के सामने आने पर हत्या डकैती माने जा रहे इस मामले में एकदम नया मोड़ गया था. इस केस में पुलिस ने जितने भी गवाह बनाए थे उन में से अहम गवाह पूर्व पार्षद तरसेम सिंह भोला और एक अन्य व्यक्ति था. पुलिस ने इस केस की तफ्तीश में अपनी तरफ से कोई कोरकसर नहीं छोड़ी थी और पुख्ता सबूतों के आधार पर चार्जशीट बना कर अदालत में पेश की थी.

लेकिन गवाहियों के दौरान इस केस में काफी उठापटक हुई थी. जिस कारण कई गवाह अपनी बात से मुकर गए थे. फिर भी पुलिस के पास गणेश शर्मा के खिलाफ पक्के सबूत थे, जिसे लाख कोशिशों के बाद भी अदालत में झुठलाया नहीं जा सकता था. गवाहों के बयान और मौके से मिले साक्ष्यों के आधार पर माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश कर्मजीत सिंह की अदालत ने 25 मई, 2018 को मृतका की जिस बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की पर सुपारी दे कर अपनी मां की हत्या करवाने के आरोप लगाए गए थे, अदालत ने उसे साक्ष्यों के अभाव में संदेह का लाभ दे कर बरी कर दिया था

लेकिन हत्यारोपी गणेश शर्मा पर लगाए गए आरोप सही पाए जाने पर अदालत ने उसे भादंवि की धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा के साथसाथ 10 हजार रुपए जुरमाने की भी सजा सुनाई.

 

Kanpur crime : देवर को मोहरा बनाकर कराया बड़ी बहन का मर्डर

Kanpur crime : कभीकभी इंसान इश्क में इतना अंधा हो जाता है कि वह अच्छेबुरे का फर्क भी नहीं समझता. बबीता ने बड़ी बहन बबली के सुहाग पर डाका डाल कर उसे अपने कब्जे में कर लिया था. इस का अंजाम इतना खतरनाक निकला कि…   

11 सितंबर, 2018 की सुबह करीब 8 बजे कानपुर शहर के थाना कैंट के थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी थाने में पहुंचे ही थे कि उसी समय एक व्यक्ति बदहवास हालत में उन के पास पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी को सैल्यूट किया फिर बताया, ‘‘सर, मेरा नाम दिलीप कुमार है. मैं सिपाही पद पर पुलिस लाइन में तैनात हूं और कैंट थाने के पुलिस आवास ब्लौक 3, कालोनी नंबर 29 में रहता हूं. बीती रात मेरी दूसरी पत्नी बबीता ने पंखे से फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है. आप को सूचना देने थाने आया हूं.’’

चूंकि विभागीय मामला था. अत: थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी ने दिलीप की सूचना से अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया फिर सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस टीम जब दिलीप के आवास पर पहुंची तो बबीता का शव पलंग पर पड़ा था. उस की उम्र करीब 23 साल थी. उस के गले में खरोंच का निशान था. वहां एक दुपट्टा भी पड़ा था. शायद उस ने दुपट्टे से फांसी का फंदा बनाया था. थानाप्रभारी अभी जांच कर ही रहे थे कि एसएसपी अनंत देव, एसपी राजेश कुमार यादव तथा सीओ (कैंट) अजीत प्रताप सिंह फोरैंसिक टीम के साथ वहां गए. पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर सिपाही दिलीप कुमार उस की पत्नी बबली से पूछताछ की.

 दिलीप ने बताया कि उस की ब्याहता पत्नी बबली है. बाद में उस ने साली बबीता से दूसरा ब्याह रचा लिया था. दोनों पत्नियां साथ रहती थीं. बीती रात बबीता ने पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली जबकि बबली ने बताया कि बबीता को मिरगी का दौरा पड़ता था. वह बीमार रहती थी, जिस से परेशान हो कर उस ने आत्महत्या कर ली. पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ के बाद मृतका के परिवार वालों को भी सूचना भिजवा दी. फोरैंसिक टीम ने जांच की तो पंखे, छत के कुंडे रौड पर धूल लगी थी. अगर पंखे से लटक कर बबीता ने जान दी होती तो धूल हटनी चाहिए थी. मौके से बरामद दुपट्टे पर भी किसी तरह की धूल नहीं लगी थी

गले पर मिला निशान भी फांसी के फंदे जैसा नहीं था. टीम को यह मामला आत्महत्या जैसा नहीं लगा. फोरैंसिक टीम ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अपने शक से अवगत कराया और शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों के पैनल से कराने का अनुरोध किया. इस के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भिजवा दी. एसएसपी अनंत देव ने तब मृतका बबीता के शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों के पैनल से कराने को कहा. डाक्टरों के पैनल ने बबीता का पोस्टमार्टम किया और अपनी रिपोर्ट पुलिस अधिकारियों को भेज दी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ कर थानाप्रभारी चौंक पड़े, क्योंकि उस में साफ कहा गया था कि बबीता की मौत गला दबा कर हुई थी. यानी वह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या का मामला निकला. श्री त्रिपाठी ने अपने अधिकारियों को भी बबीता की हत्या के बारे में अवगत करा दिया. फिर उन के आदेश पर सिपाही दिलीप कुमार को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. अब तक मृतका बबीता के मातापिता भी कानपुर गए थे. आते ही बबीता के पिता डा. बृजपाल सिंह ने थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी सीओ अजीत प्रताप सिंह चौहान से मुलाकात की. उन्होंने आरोप लगाया कि सिपाही दिलीप उस के परिवार वालों ने दहेज के लिए उन की बेटी बबीता को मार डाला. उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की.

चूंकि बबीता की मौत गला घोंटने से हुई थी और सिपाही दिलीप कुमार शक के घेरे में था. अत: थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी ने मृतका के पिता डा. बृजपाल सिंह की तहरीर पर सिपाही दिलीप कुमार उस के पिता सोनेलाल मां मालती के खिलाफ दहेज उत्पीड़न गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. बबीता की मौत की बारीकी से जांच शुरू की तो उन्होंने सब से पहले हिरासत में लिए गए सिपाही दिलीप कुमार से पूछताछ की. दिलीप कुमार ने हत्या से साफ इनकार कर दिया. उस की ब्याहता बबली से पूछताछ की गई तो वह भी साफ मुकर गई. पासपड़ोस के लोगों से भी जानकारी जुटाई गई, पर हत्या का कोई क्लू नहीं मिला.

सिपाही दिलीप के पिता सोनेलाल भी यूपी पुलिस में एसआई हैं. वह पुलिस लाइन कानपुर में तैनात हैं. सोनेलाल भी इस केस में आरोपी थे. फिर भी उन्होंने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की और बताया कि बबीता की हत्या उन के बेटे दिलीप ने नहीं की है. उन्होंने कहा कि बबीता के पिता बृजपाल ने झूठा आरोप लगा कर पूरे परिवार को फंसाया है. पुलिस जिस तरह चाहे जांच कर ले, वह जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि यदि जांच में मेरा बेटा और मैं दोषी पाया जाऊं तो कतई बख्शा जाए. एसपी राजेश कुमार यादव सीओ प्रताप सिंह भी चाहते थे कि हत्या जैसे गंभीर मामले में कोई निर्दोष व्यक्ति जेल जाए, अत: उन्होंने एसआई सोनेलाल की बात को गंभीरता से लिया और थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी को आदेश दिया कि वह निष्पक्ष जांच कर जल्द से जल्द हत्या का खुलासा कर दोषी के खिलाफ काररवाई करें.

अधिकारियों के आदेश पर थानाप्रभारी ने केस की सिरे से जांच शुरू की. उन्होंने मामले का क्राइम सीन दोहराया. इस से एक बात तो स्पष्ट हो गई कि बबीता का हत्यारा कोई अपना ही है. क्योंकि घर में उस रात 4 सदस्य थे. सिपाही दिलीप कुमार, उस की ब्याहता बबली, 3 वर्षीय बेटा और दूसरी पत्नी बबीता. अब रात में बबीता की हत्या या तो दिलीप ने की या फिर बबली ने या फिर दोनों ने मिल कर की या किसी को सुपारी दे कर कराई. दिलीप कुमार बबीता की हत्या से साफ मुकर रहा था. उस का दरोगा पिता सोनेलाल भी उस की बात का समर्थन कर रहा था. यदि दिलीप ने हत्या नहीं की तो बबली जरूर हत्या के राज से वाकिफ होगी. अब तक कई राउंड में पुलिस अधिकारी दिलीप तथा उस की ब्याहता बबली से पूछताछ कर चुके थे. पर किसी ने मुंह नहीं खोला था.

इस पूछताछ में बबली शक के घेरे में रही थी. पुष्टि करने के लिए पुलिस ने बबली के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि उस ने घटना वाली शाम को अपने देवर शिवम से बात की थी. अत: 14 सितंबर को बबली को पूछताछ के लिए थाने बुलवा लियामहिला पुलिसकर्मियों ने जब उस से उस की छोटी बहन बबीता की हत्या के संबंध में पूछा तो वह साफ मुकर गई. लेकिन मनोवैज्ञानिक तरीके से की गई पूछताछ से बबली टूट गई. उस ने बबीता की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. बबली ने बताया कि उस की सगी छोटी बहन बबीता उस की सौतन बन गई थी. पति बबीता के चक्कर में उस की उपेक्षा करने लगा था. इतना ही नहीं, वह शारीरिक और मानसिक रूप से भी उसे प्रताडि़त करता था. पति की उपेक्षा से उस का झुकाव सगे देवर शिवम की तरफ हो गया. फिर शिवम की मदद से ही रात में बबीता की रस्सी से गला कस कर हत्या कर दी.

बबली के बयानों के आधार पर पुलिस ने शिवम को चकेरी से गिरफ्तार कर लिया. शिवम चकेरी में कमरा ले कर रह रहा था और पढ़ाई तथा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. थाने में भाभी बबली को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. फिर उस ने भी हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. शिवम ने बताया कि बबली भाभी उस के बीच प्रेम संबंध थे. भाभी उस से मिलने चकेरी आती थी. किसी तरह बबीता को यह बात पता लग गई थी तो वह शिकायत दिलीप भैया से कर देती थी. फिर दिलीप भैया हम दोनों को पीटते थे. इसी खुन्नस में हम दोनों ने गला घोट कर बबीता को मार डाला. शिवम ने हत्या में प्रयुक्त रस्सी भी पुलिस को बरामद करा दी जो उस ने झाडि़यों में फेंक दी थी.

चूंकि बबीता की हत्या की वजह साफ हो गई थी, इसलिए थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी ने दहेज हत्या की रिपोर्ट को खारिज कर बबली शिवम के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली और दोनों को गिरफ्तार कर सिपाही दिलीप उस के मातापिता को क्लीन चिट दे दी. पुलिस द्वारा की गई जांच, आरोपियों के बयानों और अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर नाजायज रिश्तों एवं सौतिया डाह की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का एक छोटा सा गांव है रूपापुर. इसी गांव में डा. बृजपाल सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी ममता के अलावा 2 बेटियां बबली और बबीता थीं. बृजपाल सिंह गांव के सम्मानित व्यक्ति थे. वह डाक्टरी पेशे से जुड़े थे. उन के पास उपजाऊ जमीन भी थी. कुल मिला कर वह हर तरह से साधनसंपन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. उन्होंने बड़ी बेटी बबली की शादी फर्रुखाबाद जिले के गंज (फतेहगढ़) निवासी सोनेलाल के बेटे दिलीप कुमार के साथ तय कर दी. दिलीप कुमार उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही था. सोनेलाल भी उत्तर प्रदेश पुलिस में एसआई थे. उन का छोटा बेटा शिवम पढ़ रहा था. सोनेलाल का परिवार भी खुशहाल था.

दोनों ही परिवार पढ़ेलिखे थे, इसलिए सगाई से पहले ही परिजनों ने एकांत में बबली और दिलीप की मुलाकात करा दी थी. क्योंकि जिंदगी भर दोनों को साथ रहना है तो वे पहले ही एकदूसरे को देखसमझ लें. दोनों ने एकदूसरे को पसंद कर लिया तो 11 दिसंबर, 2012 को सामाजिक रीतिरिवाज से दोनों की शादी हो गई. शादी के बाद बबली कुछ महीने ससुराल में रही फिर दिलीप को कानपुर के कैंट थाने में क्वार्टर मिल गया. क्वार्टर आवंटित होने के बाद दिलीप अपनी पत्नी को भी गांव से ले आया. वहां दोनों हंसीखुशी से जिंदगी व्यतीत करने लगे.

दिलीप जब ससुराल जाता तो उस की निगाहें अपनी खूबसूरत साली बबीता पर ही टिकी रहती थीं. वह महसूस करने लगा कि बबली से शादी कर के उस ने गलती की. उस की शादी तो बबीता से होनी चाहिए थी. ऐसा नहीं था कि बबली में किसी तरह की कमी थी. वह सुंदर, सुशील के साथ घर के सभी कामों में दक्ष थी. लेकिन बबीता अपनी बड़ी बहन से ज्यादा सुंदर और चंचल थी, इसलिए दिलीप का मन साली पर इतना डोल गया कि उस ने फैसला कर लिया कि वह बबीता को अपने प्यार के जाल में फंसा कर उस से दूसरा विवाह करने की कोशिश करेगा.

रिश्ता जीजासाली का था सो दिलीप और बबीता के बीच हंसीमजाक होता रहता था. एक दिन दिलीप ससुराल में सोफे पर बैठा था तभी बबीता उसी के पास सोफे पर बैठ कर उस की शादी का एलबम देखने लगी. दोनों के बीच बातों के साथ हंसीमजाक हो रहा था. अचानक दिलीप ने एलबम में लगे एक फोटो की ओर संकेत किया, ‘‘देखो बबीता, मेरे बुरे वक्त में कितने लोग साथ खड़े हैं.’’

बबीता ने गौर से उस फोटो को देखा, जिस में दिलीप दूल्हा बना हुआ था और कई लोग उस के साथ खड़े थे. फिर वह खिलखिला कर हंसने लगी, ‘‘शादी और आप का बुरा वक्त. जीजाजी, बहुत अच्छा मजाक कर लेते हैं आप.’’

‘‘बबीता, मैं मजाक नहीं कर रहा हूं सच बोल रहा हूं.’’ चौंकन्नी निगाहों से इधरउधर देखने के बाद दिलीप फुसफुसा कर बोला, ‘‘बबली से शादी कर के मैं तो फंस गया यार.’’

‘‘पापा ने दहेज में कोई कसर छोड़ी है और दीदी में किसी तरह की कमी है.’’ हंसतेहंसते बबीता गंभीर हो गई, ‘‘फिर आप दिल दुखाने वाली ऐसी बात क्यों कर रहे हैं.’’

‘‘बबली को जीवनसाथी चुन कर मैं ने गलती की थी.’’ कह कर दिलीप बबीता की आंखों में देखने लगा फिर बोला, ‘‘सच कहूं, मेरी पत्नी के काबिल तो तुम थी.’’

गंभीरता का मुखौटा उतार कर बबीता फिर खिलखिलाने लगी, ‘‘जीजाजी, आप भी खूब हैं.’’

‘‘अच्छा, एक बात बताओ. अगर बबली से मेरा रिश्ता हुआ होता और मैं तुम्हें प्रपोज करता तो क्या तुम मुझ से शादी करने को राजी हो जाती.’’ कह कर दिलीप ने उस के मन की टोह लेनी चाही.

बबीता से कोई जवाब देते बना, वह गहरी सोच में डूब गई.

‘‘सच बोलूं?’’ बबीता ने कहा, ‘‘आप बुरा तो नहीं मानेंगे.’’

दिलीप का दिल डूबने सा लगा, ‘‘बिलकुल नहीं, लेकिन सच बोलना.’’

‘‘सच ही बोलूंगी जीजाजी,’’ शर्म से बबीता के गालों पर गुलाबी छा गई, ‘‘और सच यह है कि मैं आप से शादी करने को फौरन राजी हो जाती.’’

यह सुन कर दिलीप का दिल बल्लियों उछलने लगा किंतु मन में एक संशय भी था, सो उस ने तुरंत पूछ लिया, ‘‘कहीं मेरा मन रखने के लिए तो तुम यह जवाब नहीं दे रही.’’

‘‘हरगिज नहीं, बहुत सोचसमझ कर ही मैं ने आप को यह जवाब दिया है.’’ बबीता आहिस्ता से निगाहें उठा कर बोली, ‘‘आप हैं ही इतने हैंडसम और स्मार्ट कि किसी भी लड़की के आइडियल हो सकते हैं.’’

दिलीप ने अपनी आंखें उस की आंखों में डाल दीं, ‘‘तुम्हारा भी…’’

‘‘मैं कैसे शामिल हो सकती हूं.’’ बबीता बौखलाई सी थी, ‘‘आप तो मेरे जीजाजी हैं.’’

बबीता ने मुंह खोला ही था कि तभी उस की मां ममता वहां गईं. अत: दोनों की बातों पर वहीं विराम लग गया. दिलीप से हुई बातों को बबीता ने सामान्य रूप से लिया, मगर दिलीप का दिमाग दूसरी ही दिशा में सोच रहा था. उसे विश्वास हो गया कि बबीता भी उस पर फिदा है. लिहाजा वह बबीता पर डोरे डालने लगा. शादी के ढाई साल बाद बबली गर्भवती हुई तो उस की खुशी का ठिकाना रहा. दिलीप को भी बाप बनने की खुशी थी. एक रोज बबली ने पति से कहा कि उसे अब घरेलू काम खाना बनाने में दिक्कत होने लगी है. अत: वह बबीता को घर की देखरेख के लिए लिवा लाए. कम से कम वह घर का काम तो कर लिया करेगी.

पत्नी की बात सुन कर दिलीप खुशी से झूम उठा. उस ने बबली से कहा कि वह अपने मातापिता से बबीता को भेजने की बात कर ले. कहीं ऐसा हो कि वह उसे भेजने से इनकार कर देंबबली ने मां से बात की तो वह बबीता को दिलीप के साथ भेजने को राजी हो गईं. इस के बाद दिलीप ससुराल गया और बबीता को साथ ले आया. बबीता ने आते ही घर का कामकाज संभाल लिया. साली घर गई तो दिलीप के जीवन में भी बहार गई. वह उसे रिझाने के लिए उस पर डोरे डालने लगा. पहले दोनों में मौखिक छेड़छाड़ शुरू हुई. फिर धीरेधीरे मगर चालाकी से दिलीप ने उस से शारीरिक छेड़छाड़ भी शुरू कर दी.

उन दिनों बबीता की उम्र 19-20 साल थी. उस के तनमन में यौवन का हाहाकारी सैलाब थमा हुआ था. दिलीप की कामुक हरकतों से उसे भी आनंद की अनुभूति होने लगी. दिलीप को छेड़ने पर वह उस का विरोध करने के बजाय मुसकरा देती. इस से दिलीप का हौसला बढ़ता गया. बबीता भी दिलीप में रुचि लेने लगी. फिर एक दिन मौका मिलने पर दोनों ने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं. साली के शरीर को पा कर जहां दिलीप की प्रसन्नता का पारावार था, वहीं बबीता को प्रसन्नता के साथ ग्लानि भी थी. उस ने कहा, ‘‘जीजाजी, यह अच्छा नहीं हुआ. तुम्हारे साथ मैं भी बहक गई.’’

‘‘तो इस में बुरा क्या है?’’

‘‘बुरा यह है कि मैं ने बड़ी बहन के हक पर अपना हक जमा लिया. यह पाप है.’’ वह बोली.

‘‘प्यार में पापपुण्य नहीं देखा जाता. भूल जाओ कि तुम ने कुछ गलत किया है. बबली का जो हक है, वह उसे मिलता रहेगा.’’ कहते हुए दिलीप ने बबीता को फिर से बांहों में समेटा तो वह भी अच्छाबुरा भूल कर उस से लिपट गईउसी दिन से दोनों के पतन की राह खुल गई. देर रात जब बबली सो जाती तो बबीता दिलीप के बिस्तर पर पहुंच जाती फिर दोनों हसरतें पूरी करते. बबली ने बेटे को जन्म दिया तो घर में खुशी छा गई. पति के अलावा सासससुर सभी खुश थे. कुछ समय बाद बबली ने महसूस किया कि छोटी बहन बबीता उस के पति से कुछ ज्यादा ही नजदीकियां बढ़ा रही है. उस ने उस पर नजर रखनी शुरू की तो सच सामने गया

उस ने नाजायज रिश्तों का विरोध किया तो दिलीप बबीता दोनों ही उस पर हावी हो गए. तब बबली ने बबीता को घर वापस भेजने का प्रयास किया लेकिन दिलीप ने उसे नहीं जाने दिया. एक रात जब बबली ने पति को छोटी बहन के साथ बिस्तर पर रंगेहाथ पकड़ा तो दिलीप बोला कि वे एकदूसरे को प्यार करते हैं और जल्द ही शादी भी कर लेंगे. यदि उस ने विरोध किया तो वह उसे घर से निकाल देगाइस धमकी से बबली डर गई. अब वह डरसहमी रहने लगी. बबली का विरोध कम हुआ तो दिलीप और बबीता खुल्लमखुल्ला रासलीला रचाने लगे. इसी बीच चोरीछिपे दिलीप ने बबीता के साथ आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली और उसे पत्नी का दरजा दे दिया.

डा. बृजलाल सिंह को जब दामाद की इस नापाक हरकत का पता चला तो वह किसी तरह बबीता को घर ले आए. घर पर मां ने उसे समझाया और बहन का घर उजाड़ने की नसीहत दी. लेकिन बबीता जीजा के प्यार में इस कदर डूब चुकी थी कि उसे मां की नसीहत अच्छी नहीं लगी. उस ने मां से साफ कह दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह दिलीप का साथ नहीं छोड़ेगी. डा. बृजपाल सिंह ने बड़ी बेटी बबली का घर टूटने से बचाने के लिए पुलिस में दिलीप की शिकायत की. जांच के दौरान पुलिस ने बबीता का बयान दर्ज किया

बबीता ने तब हलफनामा दे कर कहा कि उस ने दिलीप से आर्यसमाज में शादी कर ली है. अब वह उस की पत्नी है और उसी के साथ रहना चाहती है. मांबाप उसे बंधक बनाए हैं. बबीता के इस बयान के बाद डा. बृजपाल मायूस हो गए. इस के बाद बबीता दिलीप के साथ चली गई. दिलीप ने अब बबीता को पत्नी का दरजा दे दिया था और उसे सुखपूर्वक रखने लगा था. बबली और बबीता दोनों सगी बहनें अब एक ही छत के नीचे रहने लगी थींबबीता ने बहन के सुहाग पर कब्जा भले ही कर लिया था लेकिन बबली ने मन से बबीता को स्वीकार नहीं किया था. बल्कि यह उस की मजबूरी थी. दोनों एकदूसरे से मन ही मन जलती थीं लेकिन दिखावे में साथ रहती थीं और हंसतीबतियाती थीं.

बबीता सौतन बन कर घर में रहने लगी तो दिलीप बबली की उपेक्षा करने लगा. वह बबीता की हर बात सुनता था, जबकि बबली को झिड़क देता था. ब्याहता की उपेक्षा कर वह बबीता के साथ घूमने और शौपिंग के लिए जाता. कभीकभी किसी बात को ले कर दोनों बहनों में झगड़ा हो जाता तो दिलीप बबीता का पक्ष ले कर बबली को ही बेइज्जत कर देता. बिस्तर पर भी बबीता ही दिलीप के साथ होती, जबकि बबली रात भर करवटें बदलती रहती थी. बबली का एक देवर था शिवम. शिवम चकेरी में रहता था और पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. शिवम बबली भाभी से मिलने आताजाता रहता था. शिवम को बबली से तो लगाव था लेकिन बबीता उसे फूटी आंख भी नहीं सुहाती थी

उस का मानना था कि बबीता ने दिलीप से शादी कर के अपनी बड़ी बहन के हक को छीन लिया है. उसे बहन की सौतन बन कर नहीं आना चाहिए था. बबली की उपेक्षा जब घर में होने लगी तो उस की नजर अपने देवर शिवम पर पड़ी. उस ने अपने हावभाव से शिवम से दोस्ती कर ली. दोस्ती प्यार में बदली और फिर उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. बबली अकसर देवर शिवम से मिलने जाने लगी. देवरभाभी के मिलन की शिकायत बबीता ने बढ़ाचढ़ा कर दिलीप से कर दीदिलीप ने निगरानी शुरू की तो बबली को छोटे भाई शिवम के साथ घूमते पकड़ लिया. इस के बाद उस ने बीच सड़क पर गिरा कर शिवम को पीटा तथा बबली की पिटाई घर पहुंच कर की. फिर तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. बबीता की शिकायत पर बबली शिवम की जबतब पिटाई होती रहती थी.

देवरभाभी के मिलन में बबीता बाधक बनने लगी तो बबली ने शिवम के साथ मिल कर उसे रास्ते से हटाने का फैसला ले लिया. बबली जानती थी कि जब तक बबीता जिंदा है, वह उस की छाती पर मूंग दलती रहेगी और तब तक उसे तो घर में इज्जत मिलेगी और ही पति का प्यार.  उसे यह भी शक था कि बबीता ने उस से उस का पति तो छीन ही लिया है, अब वह धन और गहने भी छीन लेगी इसलिए उस ने शिवम को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों के जाल में उलझा कर ऐसा उकसाया कि वह बबीता की हत्या करने को राजी हो गया. 10 सितंबर, 2018 की शाम बबली बबीता में किसी बात को ले कर झगड़ा हुआ. इस झगड़े ने बबली के मन में नफरत की आग भड़का दी.

उस ने एकांत में जा कर शिवम से बात की और उसे घर बुला लिया. शिवम घर आया तो बबली ने उसे बाहर वाले कमरे में पलंग के नीचे छिपने को कहा. शिवम तब पलंग के नीचे छिप गया. बबीता को शिवम के आने की भनक नहीं लगी. देर शाम दिलीप जब घर आया तो बबीता ने उस के साथ खाना खाया फिर दोनों कमरे में कूलर चला कर पलंग पर लेट गए. आधी रात के बाद बबीता लघुशंका के लिए कमरे से निकली तभी घात लगाए बैठे शिवम बबली ने उसे दबोच लिया और घसीट कर वह उसे कमरे में ले आए इस के बाद शिवम ने बबीता का मुंह दबोच लिया ताकि वह चिल्ला सके और बबली ने रस्सी से उस का गला घोट दिया. हत्या करने के बाद शिवम रस्सी का टुकड़ा ले कर भाग गया और बबली अपने मासूम बच्चे के साथ कर कमरे में लेट गई.

इधर सुबह को दिलीप की आंखें खुलीं तो बिस्तर पर बबीता को पा कर कमरे से बाहर निकला. दूसरे कमरे में बबली बच्चे के साथ पलंग पर लेटी थी. बबीता को खोजते हुए दिलीप जब बाहर वाले कमरे में पहुंचा तो पलंग पर बबीता की लाश पड़ी थी. लाश देख कर दिलीप चीखा तो बबली भी कमरे से बाहर गई. बबीता की लाश देख कर बबली रोने लगी. उस के रोने की आवाज सुन कर पासपड़ोस के लोग गए. फिर तो पुलिस कालोनी में हड़कंप मच गया. इसी बीच दिलीप कुमार थाने पहुंचा और पुलिस को पत्नी बबीता द्वारा आत्महत्या करने की सूचना दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी पुलिस बल के साथ पहुंचे और फिर आगे की काररवाई हुई.

15 सितंबर, 2018 को पुलिस ने अभियुक्त शिवम और बबली को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी.   

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Gurugram crime : छुट्टी न मिलने पर जज की पत्नी और बेटे को मारी गोली

Gurugram crime : एडिशनल सेशन जज कृष्णकांत के सुरक्षाकर्मी महिपाल ने उन की पत्नी और युवा बेटे की सरेआम हत्या कर दी. महिपाल को जेल भी भेज दिया गया, लेकिन यह बात पूरी तरह साफ नहीं हो सकी कि महिपाल ने गोरीबारी क्यों…  

सी 13 अक्तूबर की बात है. साइबर सिटी गुड़गांव के सेक्टर-29 साउथ सिटी-2 स्थित आर्केडिया मार्केट में रोजाना की तरह सब कुछ सामान्य तरीके से चल रहा था. लेकिन दोपहर करीब साढे़ 3 बजे पूरा मार्केट गोलियों की आवाज से गूंज उठा. भारी भीड़भाड़ वाले इस बाजार में हरियाणा पुलिस के एक कांस्टेबल ने एक महिला और एक युवक पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी. फायरिंग करते हुए कांस्टेबल बड़बड़ाते हुए गालियां दे रहा था. गोलियां लगने से दोनों ही सड़क पर गिर पड़े. उन के शरीर से बड़ी तेजी से खून बह रहा था. फायरिंग के बाद कांस्टेबल सफेद रंग की होंडा सिटी कार में बैठ कर पहले कुछ कदम आगे गया, फिर कार को पीछे लाया और सड़क पर लहूलुहान पड़े युवक को घसीट कर कार की पिछली सीट पर डालने की कोशिश करने लगा

लेकिन इस प्रयास में वह सफल नहीं हुआ तो दोनों को वहीं पड़ा छोड़ कर कार ले कर भाग गया. फिल्मी अंदाज में हुई इस घटना से पूरे मार्केट में सनसनी फैल गई. फायरिंग के दौरान वहां मौजूद लोग तमाशबीन की तरह खड़े रहे, कई लोग तो अपने मोबाइल से वीडियो बना रहे थे. किसी ने भी उस कांस्टेबल को रोकने या पकड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई.  हमलावर के जाने के बाद लोग घायलों के नजदीक आए तो उन में से किसी ने उन्हें पहचान लिया. दोनों घायल गुड़गांव के एडिशनल सेशन जज कृष्णकांत की पत्नी रितु और बेटा ध्रुव थे. आननफानन में यह खबर पूरे बाजार में फैल गई कि जज साहब की बीवी और बेटे को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया. लोगों ने हिम्मत कर के घायल मांबेटे को औटो से नजदीक के पार्क अस्पताल पहुंचाया और पुलिस को सूचना दे दी. कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई.

पुलिस ने जांचपड़ताल की तो पता चला, एडीजे की पत्नी और बेटे को गोली मारने वाला कांस्टेबल जज का गनर महिपाल यादव था. महिपाल करीब डेढ़ साल से एडीजे के गनमैन के रूप में तैनात था. वह जज साहब की सुरक्षा करने के साथ उन की निजी कार भी चलाता था. उस दिन जज साहब की पत्नी रितु और बेटा ध्रुव अपनी निजी कार से शौपिंग करने आर्केडिया मार्केट आए थे. उन्हें कार से गनमैन महिपाल ही लाया था. मार्केट से शौपिंग कर रितु और ध्रुव जब अपनी कार के पास लौटे, तो उस ने अपनी सर्विस रिवौल्वर से रितु और ध्रुव पर गोलियां चलाईं.

पुलिस की एक टीम मौके पर जांचपड़ताल में जुट गई, जबकि दूसरी टीम पार्क अस्पताल पहुंची. इस बीच, एडीजे कृष्णकांत को भी घटना की सूचना मिल गई थी. वह भी अस्पताल पहुंच गए थे. कई पुलिस टीमें आरोपी सिपाही की तलाश में निकल गईं. प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल के डाक्टरों ने रितु और ध्रुव की गंभीर हालत देखते हुए उन्हें मेदांता अस्पताल रेफर कर दिया. मेदांता अस्पताल में डाक्टरों ने जांच की तो पता चला रितु के सीने में 2 गोलियां लगी थीं और ध्रुव की गरदन में 2 तथा सिर में एक गोली लगी थी. सूचना मिलने पर एडीजे कृष्णकांत के मिलने वालों का तांता लग गया. कई जज और वकीलों के अलावा आला पुलिस अधिकारी भी अस्पताल पहुंच गए.

सिपाही महिपाल को पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच सेक्टर-39 और 40 की टीमें लगी हुई थीं. साइबर टीम की सूचना के आधार पर दोनों टीमें इसलामपुर, सोहना रोड, गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड, फरीदाबाद रोड पर उस का पीछा कर रही थीं. उसी दौरान ग्वाल पहाड़ी के नजदीक रेडलाइट पर जाम होने से महिपाल की होंडा सिटी कार वहां फंस गई, जिस से वह पुलिस की पकड़ में गया. पुलिस ने वारदात के डेढ़दो घंटे अंदर ही उसे हिरासत में ले लिया. पुलिस थाने ला कर महिपाल से पूछताछ की गईपुलिस को बताया कि रितु और ध्रुव को गोलियां मार कर मौके से भागने के बाद उस ने एडीजे कृष्णकांत को मोबाइल पर फोन कर के यह बात बता दी थी कि मैं ने आप की पत्नी और बेटे को गोली मार दी है, उन्हें संभाल लेना. इस के बाद उस ने अपनी मां और एकदो अन्य रिश्तेदारों को भी फोन किए थे.

इधर पुलिस महिपाल से पूछताछ में जुटी थी, उधर 13 अक्तूबर की देर रात में एडीजे की 37 वर्षीय पत्नी रितु ने मृत्यु से संघर्ष करते हुए दम तोड़ दिया. अगले दिन रितु के शव का पोस्टमार्टम हुआ. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि रितु को करीब 2 फीट की दूरी से गोली मारी गई थीउन के सीने में 2 गोलियां लगी थीं. हालांकि डाक्टरों ने रितु के सीने से गोलियां निकाल दी थीं और जरूरी औपरेशन भी कर दिए थे, इस के बावजूद भी रितु को बचाया नहीं जा सका. रितु के सीने, कंधे और बाएं बाजू पर घूंसों की चोट के निशान भी मिले. मेदांता अस्पताल में गंभीर हालत में भरती एडीजे के बेटे ध्रुव को डाक्टरों ने ब्रेन डैड घोषित कर दिया. ध्रुव के सिर और दिमाग से गोली पार हो गई थी. अस्पताल में ध्रुव को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था.

इस बीच, एडीजे कृष्णकांत की तरफ से गनमैन महिपाल के खिलाफ गुड़गांव के सेटर-50 थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई. मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए पुलिस अधिकारियों ने 14 अक्तूबर को इस की जांच एसआईटी को सौंप दीड्यूटी से परेशान था महिपाल डीसीपी (ईस्ट) सुनीता गजराज के नेतृत्व में 3 एसीपी और 4 इंसपेक्टरों को जांच टीम में शामिल किया गया. उसी दिन डीजी (क्राइम) पी.के. अग्रवाल और सीबीसीआईडी चीफ अनिल राव ने भी आरोपी गनमैन से पूछताछ की, लेकिन ऐसी कोई बात सामने नहीं आई, जिस से वारदात की ठोस वजह का पता चलता.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में महिपाल ने आरोप लगाया कि पर्सनल सिक्यूरिटी गार्ड होने के बावजूद उस से घर के काम कराए जाते थे, जिस से वह नाराज था. इस के अलावा घटना से एक सप्ताह पहले छोटी बेटी के बीमार होने पर उस ने  छुट्टी मांगी थी, लेकिन उन्होंने उसे छुट्टी नहीं दी. इस से भी वह काफी गुस्से में थापूछताछ में यह बात भी सामने आई कि घटना वाले दिन सुबह एडीजे साहब के बेटे ध्रुव से महिपाल की किसी बात पर बहस हो गई थी. बहस के दौरान ध्रुव ने उसे कुछ बुराभला कह दिया था, जिस से महिपाल तिलमिला उठा था.

प्रारंभिक पूछताछ के बाद पुलिस ने गिरफ्तार गनमैन महिपाल यादव को गुड़गांव की ड्यूटी मजिस्ट्रैट प्रियंका जैन के समक्ष पेश किया. मजिस्ट्रैट ने आरोपी गनमैन को 4 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया. हरियाणा सरकार ने आरोपी गनमैन कांस्टेबल महिपाल यादव को घटना के दूसरे ही दिन नौकरी से बर्खास्त कर दिया. पुलिस ने गनमैन महिपाल के रहनसहन और चालचलन के बारे में जांचपड़ताल की. पता चला वह हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में नांगल चौधरी इलाके के गांव भुनगारका का रहने वाला है. गुड़गांव में वह पुलिस लाइन के टावर डी में मकान नंबर 601 में रह रहा था. इस मकान में महिपाल के साथ उस की मां, पत्नी और 2 बच्चे भी रहते थे.

पुलिस ने महिपाल का मोबाइल जब्त कर उस की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस से उस की गतिविधियों के बारे में पता चल सके. महिपाल के फेसबुक अकाउंट की भी जांच की गई. उस ने पिछले साल अक्तूबर में फेसबुक अकाउंट बनाया था. फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार महिपाल सन 2007 में हरियाणा पुलिस में भरती हुआ थावारदात से कुछ समय पहले महिपाल ने फेसबुक पर एक मैसेज पोस्ट किया था, जिस में उस ने लिखा था कि शरीर को चंगा रखो, दिमाग को ठंडा रखो, जेब को गरम रखो, आंखों में शर्म रखो, जुबान को नरम रखो और दिल में रहम रखो. इसी में आगे लिखा था कि क्रोध पर लगाम रखो, व्यवहार को साफ रखो, होंठों पर मुसकराहट रखो, फिर स्वर्ग में जाने की क्या जरूरत है, यहीं स्वर्ग है.

पड़ोसियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि महिपाल पहले शांत स्वभाव का था, लेकिन कुछ महीनों से उस के व्यवहार में काफी बदलाव दिखाई दे रहा था. इन दिनों वह काफी चिड़चिड़ा हो गया था और अजीब व्यवहार करने लगा था. इस वजह से आए दिन उस का अपनी पत्नी से भी झगड़ा होता था. महिपाल की पत्नी हरियाणवी गीत लिखती है, पिछले दिनों उस की एक अलबम भी रिलीज हुई थी. एडीजे कृष्णकांत भी मूलरूप से हरियाणा के हिसार के रहने वाले हैं. उन की पत्नी रितु का शव 15 अक्तूबर को हिसार के प्रीति नगर स्थित उन के आवास पर पहुंचा तो माहौल गमगीन हो गया. रितु लुधियाना की रहने वाली थीं. उन के मायके वाले भी गए थे. उसी दिन हिसार के श्मशान घाट पर रितु का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

अंतिम संस्कार के समय हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला, विधायक डा. कमल गुप्ता, जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रमोद गोयल, हिसार एवं गुड़गांव सहित हाईकोर्ट के कई न्यायिक अधिकारी और वकीलों के अलावा पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी और गणमान्य लोग मौजूद थे. इस मौके पर हिसार जिला बार एसोसिएशन ने आपात बैठक कर इस केस का ट्रायल फास्ट ट्रेक कोर्ट में करने और 6 माह में सुनवाई पूरी कर हत्यारोपी गनमैन को फांसी की सजा देने की मांग की. साथ ही एसोसिएशन ने न्यायाधीशों और अधिकारियों की सुरक्षा में तैनात जवानों की काउंसिलिंग के साथ नियमित हेल्थ और मेंटली चेकअप कराए जाने की भी मांग की.

इस वारदात के बाद चंडीगढ़ में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों की उच्चस्तरीय  बैठक कर गुड़गांव की घटना से पैदा हुए हालात की समीक्षा की. उन्होंने जजों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों की सघन स्क्रीनिंग करने को कहा. साथ ही ऐसे पुलिसकर्मियों से संवेदनशीलता से दोस्ताना व्यवहार करने के निर्देश दिए, जो किसी कारण से डिप्रेशन में रहते हैं. खबरों का बाजार भी रहा गर्म इधर, गुड़गांव पुलिस ने वारदात के कारणों का पता लगाने के लिए गनमैन महिपाल की मां और ममेरे भाई से भी पूछताछ की. क्योंकि महिपाल ने वारदात के बाद अपनी मां और ममेरे भाई को फोन किया था. इन दोनों से पूछताछ के बाद ऐसी कोई बात पता नहीं चली, जिस से इस वारदात की वजह सामने आती.

महिपाल यादव जब पुलिस रिमांड पर था, तब सोशल मीडिया पर तरहतरह की खबरें फैलनी शुरू हो गईं. इन में दावा किया गया कि गनमैन का बेटा बीमार था, जिस की वजह से वह उन से लगातार छुट्टी मांग रहा था. लेकिन उसे छुट्टी नहीं मिल रही थी. इसी गुस्से परेशानी में उस ने जज की पत्नी और बेटे को गोली मारी. पुलिस अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर फैल रही इन खबरों को अफवाह बताया. साइबर सेल ने भी इस तरह की अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखनी शुरू कर दी.

पुलिस ने वारदात के संबंध में चश्मदीदों से पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज देखे. सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक रितु और ध्रुव को ले कर गनमैन महिपाल उस दिन दोपहर 3 बज कर 2 मिनट पर आर्केडिया मार्केट पहुंचा. कार से उतर कर रितु ध्रुव शौपिंग करने चले गए. महिपाल कार खड़ी कर के आसपास टहलने लगा. करीब 18 मिनट बाद खरीदारी कर जब मांबेटे वापस लौट कर आए तो गनमैन महिपाल ने रितु के लिए कार का पीछे का दरवाजा खोला. रितु ने पहले कार में सीनरी रखी. इस के बाद वह खुद बैठीं. बेटा ध्रुव आगे की सीट पर बैठ गया. उस वक्त तक महिपाल ध्रुव की सीट की तरफ ही था. इस के बाद महिपाल ने रिवौल्वर निकाली और ध्रुव को कार से बाहर खींच कर गोलियां मार दीं

अचानक हुए इस हमले से घबरा कर रितु कार से बाहर निकलीं तो महिपाल ने उन्हें भी गोलियां मार दीं. इस के बाद महिपाल कार में बैठा और उसे 5-7 फुट आगे ले गया. फिर कार को पीछे लाया और सड़क पर लहूलुहान पड़े ध्रुव को उठा कर कार की पिछली सीट पर डालने की कोशिश करने लगा, इस में नाकाम रहने पर वह कार ले कर चला गया. घटना के चौथे दिन 16 अक्तूबर को भी वारदात की वजह साफ नहीं हो सकी. पुलिस के खामोश रहने से लोग तरहतरह के कयास लगाते रहे. इस बीच, आरोपी गनमैन महिपाल के मामा धनसिंह ने महिपाल के शोषण का आरोप लगाते हुए मामले की निश्पक्ष जांच की मांग की.

दूसरी ओर, अस्पताल में भरती ध्रुव की हालत स्थिर बनी हुई थी. डाक्टरों ने एडीजे साहब को बताया कि ध्रुव ब्रेन डैड है, लेकिन उस के शरीर में हलचल है. अगर ब्रेन में कुछ सुधार हो जाए तो ध्रुव के बचने की उम्मीद की जा सकती है. 17 अक्तूबर को एसआईटी प्रमुख आईपीएस अधिकारी सुलोचना गजराज और डीसीपी (क्राइम) सुमित कुमार ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर दावा किया कि जज के बेटे से बहस होने पर गनमैन महिपाल ने गोली चलाई थीउन्होंने कहा कि 13 अक्तूबर को रितु और ध्रुव जब मार्केट से शौपिंग कर कार के पास लौटे तो उन्हें गनमैन महिपाल वहां नहीं मिला. कुछ देर ढूंढने के बाद महिपाल जब वहां आया तो ध्रुव से उस की कहासुनी हो गई. इस पर ध्रुव ने महिपाल से कार की चाबी मांगी.

महिपाल को ध्रुव की यह बात अच्छी नहीं लगी और तैश में कर उस ने ध्रुव पर सरकारी रिवौल्वर तान दी. बेटे पर रिवौल्वर तनी हुई देख कर रितु जब बीचबचाव करने के लिए आईं तो महिपाल ने दोनों को गोली मार दी. बाद में पुलिस ने महिपाल को ग्वाल पहाड़ी के पास पकड़ लियाउस से वह सरकारी रिवौल्वर भी बरामद कर ली गई, जिस से उस ने जज की पत्नी बेटे पर गोलियां चलाई थीं. पकड़े जाने पर महिपाल ने खुद को मानसिक रूप से परेशान बताने की बात कह कर पुलिस को वारदात की वजह के संबंध में तरहतरह की कहानियां बताईं.

अधिकारियों ने दावा किया कि महिपाल पुलिस की नौकरी करने के साथ दूसरे काम भी करता था. उस के परिचित की कुछ कैब ओला कंपनी में चलती हैं. कई बार महिपाल शिफ्ट पूरी करने के बाद बतौर ड्राइवर कैब चलाने जाता था. साथ ही वह किसी मल्टीलेवल कंपनी के साथ भी जुड़ा था. काम के दबाव की वजह से वह चिड़चिड़ा हो गया था और बहुत गुस्सा करता था. महिपाल ने सबूत मिटाने के लिए घटना के बाद ध्रुव को कार में डाल कर ले जाने की कोशिश भी की थी. पुलिस को बरगलाने की कोशिश महिपाल द्वारा रितु के लिए शैतान की मां और ध्रुव के लिए शैतान शब्द का प्रयोग करने के सवाल का पुलिस अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया था. घटना के पांचवें दिन मीडिया के सामने आए पुलिस अधिकारी पत्रकारों के सवालों के ठोस जवाब नहीं दे सके. वे केवल यही बात कहते रहे कि महिपाल ने क्षणिक आवेश में ऐसा कदम उठाया.

जबकि महिपाल के परिचितों ने जज की पत्नी बेटे पर उसे परेशान करने तथा बुरा बर्ताव करने के आरोप लगाए थे. सीसीटीवी फुटेज ओर घटना के बाद मीडिया में सामने आए चश्मदीदों के बयान भी पुलिस की बताई कहानी पर संदेह पैदा करने वाले रहे. रिमांड अवधि पूरी होने पर पुलिस ने आरोपी महिपाल यादव को 18 अक्तूबर को अदालत में पेश किया. ड्यूटी मजिस्ट्रैट प्रियंका जैन ने उसे भोंडसी जेल भेज दिया. इधर, मेदांता अस्पताल में भरती ध्रुव की हालत में सुधार नहीं हुआ. उसे वेंटिलेटर पर रखा हुआ था. ध्रुव की सांसें तो चल रही थीं लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी.

अंगदान से बचीं 3 जिंदगियां 10 दिन तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करने के बाद 23 अक्तूबर को तड़के करीब 4 बजे ध्रुव की सांसें भी थम गईं. पत्नी के बाद बेटे की भी मौत हो जाने से एडीजे कृष्णकांत पर वज्रपात सा हुआ. संकट की इस घड़ी में उन्होंने बेटे के अंगदान करने का निर्णय लिया. उन की सहमति के बाद ध्रुव की 2 किडनियां और लिवर सर्जरी कर निकाल लिए गए. ध्रुव का ब्रेन डैड होने के बावजूद उस का लीवर किडनियां सहीसलामत थीं. ध्रुव के ये अंग 3 अलगअलग मरीजों को ट्रांसप्लांट किए गए. उन तीनों लोगों को नया जीवनदान मिला. ध्रुव भले ही दुनिया से चला गया, लेकिन वह 3 लोगों में जीवित रहेगा.

17 साल का ध्रुव गुड़गांव के सेक्टर-14 स्थित डीएवी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ता था. ध्रुव का छोटा भाई 10 साल का राघव भी इसी स्कूल में 5वीं कक्षा में पढ़ता था. 28 अक्तूबर को राघव का जन्मदिन था. यह विडंबना रही कि उस के जन्मदिन पर उसे बधाई देने के लिए तो मम्मी रहीं और ही भैया. मां और भाई की मौत के बाद राघव उदास और चुप रहता है. कृष्णकांत के परिवार में अब केवल छोटा बेटा राघव ही बचा है. ध्रुव का अंतिम संस्कार 24 अक्तूबर को हिसार में ऋषि नगर श्मशान घाट पर किया गया. ध्रुव की चिता को मुखाग्नि एडीजे के बड़े भाई सीए संजय आर्य ने दी

ध्रुव को श्रद्धांजलि देने के लिए हाईकोर्ट के न्यायाधीश महेश ग्रोवर, गुड़गांव के जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर. के. सौंधी, हिसार के सेशन जज प्रमोद गोयल सहित कई जगहों के न्यायाधीश और बार एसोसिएशन के पदाधिकारी सदस्य वकील, नेता, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी और गणमान्य लोग पहुंचे थे. गुड़गांव की इस कहानी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस की कहानी के अनुससार, महिपाल ने क्षणिक आवेश में कर जज की पत्नी और बेटे को गोली मारी थीबड़ा सवाल यह है कि क्या क्षणिक आवेश में कोई व्यक्ति ऐसा कर सकता है? यह माना जाए कि महिपाल के पास रिवौल्वर थी और गुस्सा निकालने के लिए वह हवाई फायर भी कर सकता था. क्षणिक आवेश में कोई आदमी किसी को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन लक्ष्य बना कर हत्या करने जैसी बात गले नहीं उतरती. पुलिस की कहानी भी गले उतरने वाली नहीं है

पुलिस की कहानी और चश्मदीद सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि जब रितु और ध्रुव शौपिंग कर के आए तब गनमैन महिपाल कार के पास ही मौजूद था. उस की ध्रुव से कहासुनी जरूर हुई थी. कहासुनी के पीछे जज के परिवार का महिपाल के प्रति व्यवहार भी हो सकता है. ऐसा पहले भी कई बार सामने आया है कि पुलिस और प्रशासन के अलावा न्यायिक सेवा के अधिकारियों और नेताओं की सुरक्षा में तैनात जवानों से उन की ड्यूटी के अलावा कई दूसरे काम भी लिए जाते हैं. कई बार उन्हें मांगने पर भी छुट्टी नहीं मिलती. इस से सुरक्षाकर्मी मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं.

महिपाल के मामले में भी ऐसा हो सकता है. क्योंकि उस के रिमांड पर रहने के दौरान सोशल मीडिया पर कई ऐसी बातें सामने आईं थीं. हालांकि एडीजे के परिजन ऐसे सभी आरोपों से इनकार करते हुए कह रहे हैं कि महिपाल से अगर उन का व्यवहार ठीक नहीं था, तो वह अपनी ड्यूटी हटवा सकता था. महिपाल ने रितु और ध्रुव को गोलियां क्यों मारीं, यह बात महिपाल ही जानता है लेकिन पुलिस इन कारणों की तह में नहीं जा सकती. जज की पत्नी और बेटे के खून से अपने हाथ रंगने वाले महिपाल की नौकरी चली गई. उस के परिवार के सामने भी अब कई तरह के संकट रहेंगे. महिपाल ने अपराध किया है तो कानून उसे सजा देगा, लेकिन जज साहब को किस बात की सजा मिली, यह सवाल ज्यों का त्यों बना रहेगा.

Jaipur crime news : नौकरानी ने करवाई मालिक के घर में 24 लाख की चोरी

Jaipur crime news : कृष्णकांत गुप्ता अपनी नौकरानी प्रिया को मोटी सैलरी के अलावा सारी सुविधाएं देते थे ताकि वह खुश रहे. इस के बावजूद प्रिया ने अपने प्रेमी नदीम के साथ मिल कर कृष्णकांत गुप्ता से ऐसा विश्वासघात किया कि…   

18 जुलाई, 2018 की बात है. रात के करीब 11 बजने वाले थे. रिटायर्ड बैंक अधिकारी कृष्णकांत गुप्ता ने कुछ देर पहले ही रात का भोजन किया था. इस के बाद कुछ देर टीवी देखा और ड्राइंग रूम में बैठ कर पत्नी चंद्रकांता से इधरउधर की बातें कीं. गुप्ता और उन की पत्नी जब घरपरिवार की बातें कर रहे थे तो उन की 10 महीने की पोती नितारा दादी की गोद में ही सो गई थी. इस बीच नौकरानी प्रिया ने भोजन के बरतन वगैरह साफ कर लिए थे.

अब कोई काम भी नहीं था. कृष्णकांत गुप्ता को नींद आने लगी तो उन्होंने पत्नी चंद्रकांता से कहा, ‘‘मैं तो सोने जा रहा हूं. तुम भी दिन भर की थकी हुई हो, अब सो जाओ और नितारा को भी अपनी गोद से बिस्तर पर लिटा दो.’’

‘‘हां, मैं भी थक गई हूं, अपने कमरे में जा कर सोती हूं.’’ चंद्रकांता ने कहा.

कृष्णकांत गुप्ता ड्राइंग रूम से उठ कर अपने कमरे में जाने लगे तो उन्हें अपने मकान के पोर्च में कुछ हलचल सी महसूस हुई. उन्होंने गेट खोल कर देखा तो 3 अनजान लोग घर के अंदर खड़े मिले. उन्होंने उन लोगों से पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम कौन हो और यहां क्यों खड़े हो?’’

कृष्णकांत गुप्ता के सवालों से घबरा कर वे तीनों आदमी सौरी बोलते हुए यह कह कर वहां से चले गए कि रात के अंधेरे में हम गलती से रामदेव का घर समझ कर आप के घर के अंदर गए. हमें रामदेव के घर जाना है. वे तीनों अनजान आदमी भले ही वहां से चले गए. लेकिन गुप्ताजी के मन में कई तरह की शंकाएं उठने लगीं. कृष्णकांत गुप्ता जयपुर के गोपालपुरा बाईपास पर स्थित पौश कालोनी 10बी स्कीम में रहते थे. 3 साल पहले ही वह इलाहाबाद बैंक से अधिकारी पद से रिटायर हुए थेइस मकान में वह अपनी पत्नी चंद्रकांता और 10 महीने की पोती नितारा के साथ रहते थे. उन का बेटा अंकुर और बहू अंकिता मुंबई में रहते हैं. बेटा अंकुर मुंबई में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में काम करता है

कृष्णकांत गुप्ता ने घर के छोटेमोटे कामकाज और पोती की देखभाल के लिए एक नौकरानी प्रिया साहू को काम पर रख लिया था. उसे रहने के लिए अपने मकान में ही एक कमरा दे दिया था. उसे वह 16 हजार रुपए महीने की सैलरी देते थे. वह पश्चिम बंगाल की रहने वाली थी. कृष्णकांत गुप्ता को शंका हुई तो उन्होंने कालोनी समिति के अध्यक्ष हंसराज और सचिव गोपाल को फोन कर के अपने घर बुलाया. इसी के साथ उन्होंने पुलिस को भी सूचना दे दी. 3 संदिग्ध लोगों की बात सुन कर कालोनी के लोग उन के यहां जमा हो गए. लोगों ने रात में ही गलियों में घूम कर उन संदिग्ध लोगों को ढूंढा, लेकिन वे नहीं मिले.

इस बीच सूचना पा कर 2 पुलिसकर्मी वहां पहुंच गए. कृष्णकांत गुप्ता ने उन्हें अपने यहां आए 3 संदिग्ध लोगों के बारे में बताया तो उन पुलिस वालों ने भी मोटरसाइकिल से गलियों के चक्कर लगाए और वहां से चले गए. तब तक रात के करीब 1 बज गए थे. उन तीनों अनजान लोगों का कुछ पता नहीं चला तो कालोनी के लोग भी गुप्ताजी को सावधान रहने की बात कह कर अपनेअपने घर जा कर सो गए. तड़के करीब 3 बजे कृष्णकांत गुप्ता अपने कमरे में जब गहरी नींद में सो रहे थे तो उन की नींद घर में कुछ लोगों की हलचल की आवाज से टूट गई. वह कुछ समझ पाते, इस से पहले ही 2-3 बदमाश उन के घर में घुस आए और उन का मुंह हाथपैर साड़ी चुनरी से बांध दिए. इस के बाद बदमाश चंद्रकांता के कमरे में पहुंचे. बदमाश उन्हें चाकू दिखा कर धमकाते हुए उन के पति के कमरे में ले आए.

इस के बाद बदमाशों ने उन के घर से तमाम कीमती सामान बटोर लिया. बदमाशों ने अलमारी के ऊपर रखे चांदी के बरतन उतारने के लिए चंद्रकांता से कहा तो चंद्रकांता ने अपने पैर में रौड लगी होने की वजह से ऊपर चढ़ने से इनकार कर दियाबदमाशों ने चाकू दिखा कर उन्हें जान से मारने की धमकी दी तो चंद्रकांता ने कहा कि टेबल पर चढ़ कर गिरने से मरूंगी, इस से अच्छा है कि तू ही मुझे मार दे. बाद में एक बदमाश ने टेबल पर चढ़ कर चांदी के बरतन उतारे. लूटपाट के दौरान बदमाशों ने अपने साथ टिफिन में लाया खाना भी खाया. उस टिफिन को बाद में वह मकान के बाहर फेंक गए थे.

करीब आधे घंटे तक लूटपाट करने के बाद बदमाश वहां से करीब 15 लाख रुपए के गहने, चांदी के बरतन और ढाई लाख रुपए नकद बटोरने के बाद गुप्ता दंपति की 10 महीने की पोती नितारा को साथ ले जाने की धमकी देने लगे. इस पर चंद्रकांता बिफर गईं. वह बोलीं कि सब कुछ ले जाओ लेकिन मेरी पोती की तरफ आंख उठा कर भी मत देखना. मेरे जीते जी तुम मेरी पोती को नहीं ले जा सकते. चंद्रकांता का रौद्र रूप देख कर बदमाशों ने नितारा को तो छोड़ दिया लेकिन वह 3 मोबाइल फोन और एक टैबलेट तथा कृष्णकांत गुप्ता का एटीएम कार्ड भी ले गए. बदमाशों ने लूटे गए माल को बैगों में भर लिया. फिर उन्होंने चंद्रकांता और उन की पोती को एक कमरे में बंद कर दिया और कृष्णकांत गुप्ता को दूसरे कमरे में.

इस के बाद बदमाश पोर्च में खड़ी गुप्ताजी की टोयटा इटियोस कार नंबर आरजे14सी आर5236 में सवार हो कर नौकरानी प्रिया को भी अपने साथ ले गए. जिस समय बदमाश घर में लूटपाट कर रहे थे, उस समय नौकरानी प्रिया चुपचाप तमाशा देख रही थी. प्रिया अपना सारा सामान समेट कर उन बदमाशों के साथ चली गई थी. बदमाशों के जाने के बाद चंद्रकांता ने कमरे की खिड़की से पड़ोसियों को कई आवाजें लगाईं, लेकिन किसी ने नहीं सुनीं. इस बीच, दूसरे कमरे में हाथपैर बंधे पड़े कृष्णकांत ने किसी तरह खुद को आजाद किया. उन्होंने पत्नी चंद्रकांता को आवाज दी तो पता चला कि वह कमरे में बंद है. उन्होंने पत्नी और पोती को कमरा खोल कर बाहर निकाला. इस के बाद मौर्निंग वाक पर निकले कालोनी के लोगों को बुला कर वारदात की जानकारी दी.

इस के बाद पुलिस को सूचना दी गई. शिप्रापथ थाना पुलिस ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल शुरू की. फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट्स ने मकान से अंगुलियों के निशान लिए. डौग स्क्वायड की भी मदद ली गई. बाद में डीसीपी डा. विकास पाठक और अन्य पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और गुप्ता दंपति से बदमाशों के हुलिया, बोलचाल आदि के बारे में पूछताछ की. पूछताछ में पता चला कि घर में लूटपाट करते हुए 3 बदमाश नजर आए थे. इन में एक ने सफेद रंग की शर्ट और 2 बदमाशों ने टीशर्ट जींस पहन रखी थी. बदमाशों के साथ प्रिया के भी जाने से यह बात साफ हो गई कि नौकरानी प्रिया पहले से ही बदमाशों से मिली हुई थी

उसी ने बदमाशों के लिए मकान का गेट खोला था. बाद में वह उन्हीं बदमाशों के साथ चली गई. पुलिस का अनुमान था कि घर में भले ही 3 बदमाश घुसे थे, लेकिन उन के साथी आसपास बाहर निगरानी पर जरूर रहे होंगे. पुलिस ने नौकरानी प्रिया साहू के बारे में जांचपड़ताल की तो पता चला कि करीब 4 महीने पहले जयपुर सर्वेंट सेंटर के मार्फत उसे 16 हजार रुपए महीने की तनख्वाह पर रखा था. तब उन्हें बताया गया था कि प्रिया साहू 3 साल तक भीलवाड़ा में एक डाक्टर के घर पर भी काम कर चुकी हैएजेंसी ने प्रिया का पुलिस वेरिफिकेशन होने का भी दावा किया था. उसी समय कृष्णकांत गुप्ता ने प्रिया को सैलरी के अलावा रहने और खानेपीने की सुविधाएं देने की बात कही थी. कुछ दिनों अपने यहां काम पर रखने के बाद कृष्णकांत गुप्ता ने प्रिया को मुंबई में अपने बेटेबहू के पास एक महीने तक काम करने के लिए भी भेजा था.

पुलिस ने जब जयपुर सर्वेंट सेंटर के संचालक फहीम को थाने बुला कर पूछताछ की तो पता चला कि उस ने प्रिया का पुलिस सत्यापन नहीं कराया था. इस के अलावा उस का नाम प्रिया नहीं बल्कि परवीन खातून था. प्रिया फर्राटे से अंगरेजी बोलती थी और समझती भी थी लेकिन वह हिंदी नहीं जानने और घड़ी में समय नहीं देखने आने की बात कहती थी. कृष्णकांत ने पुलिस को बताया कि बेटे ने अमेरिका से लाया हुआ एक मोबाइल फोन वारदात से 12 घंटे पहले ही कुरियर से भेजा था. बदमाश उन दोनों के फोनों के अलावा उस नए मोबाइल को भी ले गए. चंद्रकांता जिस टैबलेट पर रात को समय काटने के लिए फिल्म वगैरह देखती थी. वह टैबलेट भी बदमाश ले गए थे.

वारदात की सूचना मिलने पर कृष्णकांत गुप्ता के बेटेबहू भी 19 जुलाई को ही मुंबई से जयपुर पहुंच गए. गुप्ता के बड़े भाई अशोक गुप्ता जयपुर के ही प्रतापनगर और छोटे भाई अनिल मानसरोवर में रहते हैंचंद्रकांता के सासससुर भी जयपुर में मानसरोवर कालोनी में रहते हैं. उन की बेटी भी पति के साथ हैदराबाद से जयपुर गई. वारदात का पता चलने पर उन के घर रिश्तेदारों और जानपहचान वालों की भीड़ जुड़ने लगी थी. पुलिस के लिए चुनौती की बात यह थी कि कालोनी के जिस मकान में डकैती की वारदात हुई, उस के पास ही राजस्थान के पूर्व पुलिस महानिदेशक मनोज भट्ट और जयपुर के महापौर अशोक लाहोटी रहते थे. वारदात का पता चलने पर महापौर कृष्णकांत गुप्ता के घर पहुंचे और मामला दर्ज कराने उन के साथ शिप्रापथ थाने भी गए.

मामला दर्ज होने पर डीसीपी (दक्षिण) डा. विकास पाठक ने अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) मनोज चौधरी के निर्देशन और एसीपी (मानसरोवर) दीपक कुमार की अध्यक्षता में एक विशेष टीम गठित की. इस के अलावा अभियुक्तों की तलाश में शिप्रापथ थानाप्रभारी सुरेंद्र यादव और श्यामनगर थानाप्रभारी अनिल कुमार जैमिनी के नेतृत्व में 2 अलगअलग टीमें पश्चिम बंगाल भेजी गईं. इन में एक पुलिस टीम हवाई मार्ग से गई थी. इस बीच पुलिस अपने तरीके से बदमाशों के बारे में सुराग लगाती रही. इस में पता चला कि वारदात से करीब 20 दिन पहले कृष्णकांत के घर पर नौकरानी प्रिया से मिलने एक युवक आया था. प्रिया ने उस युवक को अपना पति बताया था.

पुलिस कृष्णकांत गुप्ता की उस कार का भी पता लगाने में जुट गई, जिस में सवार हो कर बदमाश नौकरानी के साथ भागे थे. जांच में पता चला कि वह कार जयपुर से आगरा रोड हो कर 19 जुलाई की सुबह करीब साढ़े 10 बजे आगरा का मथुरा टोलनाका पार कर के गई थी. इस के अलावा गुप्ता के एटीएम कार्ड से गाजियाबाद में 3 बार में 12 हजार रुपए निकाले गए थे. ये जानकारियां मिलने पर पुलिस की एक टीम गाजियाबाद भेजी गई. तकनीकी जानकारियों और खुफिया सूचनाओं के आधार पर वारदात के पांचवें दिन जयपुर पुलिस ने 23 जुलाई, 2018 को नौकरानी परवीन खातून उर्फ प्रिया के अलावा उस के प्रेमी नदीम और एक अन्य बदमाश आमिर खान उर्फ समीर खान को गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया

इन के कब्जे से पुलिस ने कृष्णकांत गुप्ता की लूटी गई कार और वारदात में प्रयोग किए 2 चाकू तथा 34 हजार 460 रुपए नकद बरामद किए. इन बदमाशों ने लूट का बाकी सामान अपने एक अन्य साथी के पास होना बताया. इस के बाद पुलिस ने 24 जुलाई को वारदात के मुख्य मास्टरमाइंड दयाराम सिंह को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया. बाद में 26 जुलाई को पांचवें आरोपी दिलशाद को भी गिरफ्तार किया गया. इन अभियुक्तों से पुलिस ने गुप्ता के घर से लूटे गए गहने, चांदी के बरतन अन्य सामान बरामद कर लिया. बदमाशों ने लूटी गई धनराशि में से करीब एक लाख रुपए खर्च कर दिए थे. चूंकि वारदात में 5 लोग शामिल थे, इसलिए पुलिस ने केस में डकैती की धाराएं जोड़ दीं

इन के अलावा पुलिस ने फरजी दस्तावेज के आधार पर परवीन खातून को प्रिया साहू के नाम से गुप्ता के घर पर नौकरानी पर लगवाने वाले जयपुर सर्वेंट सेंटर के संचालक फहीम को भी 26 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया. इन सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद डकैती डालने की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी

नदीम उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कांठ थाना इलाके के गांव पैगंबरपुर सुखवासी लाल के रहने वाले आरिफ का बेटा था. कांठ थाने के गांव बिच्छपुरी का रहने वाला आमिर खान उर्फ समीर खान और पास के ही गांव देहरी जुम्मन का रहने वाला दयाराम उर्फ विकास करीब डेढ़ साल पहले यूपी की जेल में बंद थेचूंकि तीनों एक ही जिले के रहने वाले थे, इसलिए तीनों की ही जेल में दोस्ती हो गई. वहां से जमानत पर बाहर आने के बाद भी ये आपस में एकदूसरे के संपर्क में रहे. बाद में नदीम अहमदाबाद चला गया. अहमदाबाद में प्रिया की बड़ी बहन अपने पति के साथ रहती थी. वह नदीम के साथ ही एक फैक्ट्री में काम करती थी. प्रिया की बहन ने नदीम को अपना एक मोबाइल फोन बेचा था. उस फोन में प्रिया के घर वालों के नंबर भी सेव थे

उस फोन में जो नंबर लड़कियों के नाम से सेव थे, फुरसत मिलने पर नदीम एकएक कर के उन नंबरों पर बात करता. इसी दौरान एक दिन उस ने प्रिया का नंबर मिलाया. प्रिया ने उस से प्यार से बात की. नदीम को उस की बातें अच्छी लगीं. इस के बाद वह अकसर प्रिया से बातें करने लगा. प्रिया का अपने पति से तलाक हो चुका था. वह अकेली रहती थी. धीरेधीरे नदीम और प्रिया की दोस्ती हो गई. परवीन खातून उर्फ प्रिया कोलकाता के 24 परगना में रहने वाले आबिद हुसैन की बेटी थी. परवीन खातून घरों में नौकरानी का काम और नवजात शिशुओं की देखभाल का काम करती थी. उस ने प्रिया साहू के नाम से फरजी आईडी बनवा रखी थी. इस आईडी के जरिए वह जयपुर सर्वेंट सेंटर के माध्यम से कृष्णकांत गुप्ता के घर पर नौकरी करने आई थी.

प्रिया उर्फ परवीन खातून ने ही अपने प्रेमी नदीम को जयपुर में रिटायर्ड बैंक अधिकारी कृष्णकांत गुप्ता के घर की सारी जानकारी दी थी. उस ने नदीम को बताया था कि यह अमीर परिवार है और घर में केवल बुड्ढेबुढि़या और उन की पोती रहती है. प्रिया से गुप्ता के परिवार की जानकारी हासिल करने के बाद नदीम ने प्रिया से शादी करने का वादा भी कर दिया था. इस के बाद वारदात से पहले 5 जुलाई, 2018 को नदीम अपने साथी दयाराम उर्फ विकास के साथ जयपुर चला आयानदीम उस दिन अकेला ही गुप्ता के घर जा कर प्रिया से मिला और उसे शादी करने का विश्वास दिलाने के लिए अंगूठी पहनाई. इस दौरान प्रिया ने गुप्ता और उन की पत्नी चंद्रकांता को बताया था कि वह उस का पति है. प्रिया ने नदीम को चायनाश्ता भी कराया था

नदीम ने कुछ देर प्रिया से बातचीत के दौरान ही गुप्ता के मकान की रेकी कर ली. नदीम के साथी दयाराम ने गुप्ता के मकान के बाहर रह कर कालोनी की रेकी की और आनेजाने के रास्ते देखे. इस के बाद पूरी योजना बना कर नदीम, आमिर और दयाराम 18 जुलाई को जयपुर पहुंचे. वे सीधे कृष्णकांत गुप्ता के घर पहुंचे. वे तीनों रात को 11 बजे ही वारदात के लिए पहुंच गए. लेकिन कृष्णकांत गुप्ता ने उन्हें देख लिया तो वे वहां से भाग कर आसपास छिप गए. बाद में उन्होंने रात करीब ढाई बजे परवीन खातून उर्फ प्रिया के मोबाइल पर फोन कर के गेट खुलवाया और लूटपाट की वारदात की.

वारदात के बाद वे नौकरानी प्रिया को साथ ले कर गुप्ता की टोयटा इटियोस कार से भाग गए थे. इस के बाद पुलिस ने काल डिटेल्स और एटीएम कार्ड प्रयोग करने की लोकेशन के आधार पर अभियुक्तों तक पहुंचने में सफलता हासिल की. गिरफ्तार अभियुक्त नदीम के खिलाफ चोरी, बलात्कार और आर्म्स एक्ट के 5 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं. आमिर खान उर्फ समीर खान के खिलाफ भी 8 आपराधिक मामले गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद मुरादाबाद में दर्ज हैं. आमिर खान ने लूट की वारदात के बाद कृष्णकांत की कार की फरजी आरसी और खुद का फरजी ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा लिया था

अभियुक्त दयाराम उर्फ विकास के खिलाफ चोरी, अपहरण, लूट, एनडीपीएस एक्ट आदि के 9 मामले दर्ज हैं. गुप्ता के घर डाली गई डकैती में गिरफ्तार पांचवें अभियुक्त दिलशाद ने बाकी चारों आरोपियों को गाजियाबाद में फ्लैट में छिपाने में मदद की थी. वह इस वारदात में भी शामिल था. दिलशाद अपहरण के मामले में मुरादाबाद में गिरफ्तार हो चुका है. पुलिस ने जयपुर सर्वेंट सेंटर के संचालक फहीम को गिरफ्तार कर जांचपड़ताल की तो पता चला कि उस की भूमिका कई मामलों में संदिग्ध हैफहीम ने केवल प्रिया उर्फ परवीन खातून को ही फरजी पहचानपत्र के आधार पर नौकरी नहीं दिलवाई बल्कि कई अन्य लड़कियों को भी कोलकाता से ला कर राजस्थान में कई अन्य लोगों के घरों में बतौर नौकरानी रखवाया था

इन लड़कियों की पुलिस तसदीक कराने का काम सेंटर संचालक फहीम ही करता था, लेकिन फहीम जानबूझ कर इन युवतियों के फरजी नाम पते से पहचानपत्र बनवा कर लोगों की जानमाल को खतरे में डालता था, इसलिए पुलिस ने उस के खिलाफ अलग से मुकदमा दर्ज किया. यह विडंबना रही कि प्रिया उर्फ परवीन खातून जिस नदीम के साथ जीवन भर साथ निभाने के सपने देख रही थी, उसी नदीम और उस के साथियों के साथ वह जेल पहुंच गई. प्रिया ने केवल गुप्ता परिवार के साथ ही विश्वासघात नहीं किया बल्कि नौकरानी की पूरी जमात से भरोसा उठा दिया.

                                           

UP Crime : बहनोई के बड़े भाई ने ही छोटे भाई के साले की हत्या कराई

UP Crime : सीधीसादी खूबसूरत रश्मि का विवाह एक ऐसे आदमी से हो गया, जिसे इंसान से कम, शराब से ज्यादा प्यार था. उत्तर प्रदेश (UP Crime) के जिला गोरखपुर के थाना कैंट का सब से व्यवस्ततम है इलाका अग्रसेन चौराहा. फर्नीचर व्यवसायियों की सब से बड़ी मार्केट होने की वजह से यहां पूरे दिन भीड़ लगी रहती है. इस मार्केट की दुकानगीता फर्नीचरकाफी बड़ी और प्रतिष्ठित मानी जाती है. फर्नीचर व्यवसायी अभिषेक रंजन अग्रवाल की यह दुकान उन की पत्नी गीता के नाम पर है. दुकान के पीछे ही उन का मकान भी है.

18 जून, 2013 की रात साढ़े 8 बजे अभिषेक अग्रवाल ने दुकान के कर्मचारियों सनी प्रजापति और राजेंद्र साहनी से दुकान बढ़ाने को कह कर खुद दुकान से बाहर कर अपने परिचित रवि अग्रवाल के साथ खड़े हो कर बातें करने लगे. इसी बीच बैंक रोड की ओर से एक मोटरसाइकिल उन के करीब कर रुक गईउस पर 2 युवक सवार थे. वे कौन हैं, यह देखने के लिए जैसे ही अभिषेक पलटे, पीछे बैठे युवक ने रिवाल्वर निकाल कर उन पर 2 गोलियां दाग दीं. दोनों ही गोलियां उन के सिर में लगीं. गोलियां लगते ही अभिषेक जहां जमीन पर गिर गए, वहीं मोटरसाइकिल युवक भाग निकले. उन के हाथों में रिवाल्वर थे, इसलिए कोई भी उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं कर सका.

अप्रत्याशित घटी इस घटना से जहां सभी हैरान थे, वहीं पूरी बाजार में हड़कंप सा मच गया था. दोनों नौकर पहले तो भाग कर घायल हो कर गिरे अभिषेक के पास आए. उन्हें तड़पता देख कर सनी जहां रवि अग्रवाल की मदद से उन्हें संभालने लगा, वहीं रवींद्र घर के अंदर की ओर घटना की सूचना देने के लिए भागा. घर के सदस्य सूचना पा कर बाहर आते, उस के पहले ही पड़ोस के दुकानदारों ने अभिषेक को एक रिक्शे पर बैठाया और पास के विंध्यवासिनीनगर स्थित स्टार नर्सिंगहोम के लिए रवाना हो गए. पीछेपीछे अभिषेक के घर वाले भी अस्पताल की ओर भागे. लेकिन अभिषेक को अस्पताल ले जाने का कोई फायदा नहीं हुआ. क्योंकि अस्पताल पहुंचने के पहले ही उस की मौत हो चुकी थी. डाक्टरों ने देखते ही उसे मृत घोषित कर दिया था. मौत की जानकारी होते ही घरवाले बिलखबिलख कर रोने लगे.

सूचना पा कर अभिषेक के तमाम परिचित भी अस्पताल पहुंच चुके थे. किसी ने घटना की सूचना फोन द्वारा पुलिस कंट्रोलरूम को दे दी थी, जहां से सूचना पा कर थाना कैंट के इंस्पेक्टर टी.पी. श्रीवास्तव सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए थे. वहीं से उन्होंने इस घटना की सूचना अधिकारियों को दे कर खुद अस्पताल जा पहुंचे. इस के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शलभ माथुर, पुलिस अधीक्षक (नगर) परेश पांडेय, क्षेत्राधिकारी (कैंट) वी.के. पांडेय, कोतवाली के इंसपेक्टर बृजेंद्र कुमार सिंह भी वहां पहुंच गए.

पुलिस ने लाश कब्जे में ले कर औपचारिक काररवाई निपटाने के बाद पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कालेज भिजवा दी. पुलिस ने घटनास्थल से 9 एमएम के 2 खोखे बरामद किए थे. सारी काररवाई निपटाने के बाद थाने लौट कर पुलिस ने मृतक अभिषेक के पिता अर्जुन कुमार अग्रवाल द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर अभिषेक के बहनोई विवेक कुमार लाट, उस के मंझले भाई विनय कुमार लाट तथा 2 अज्ञात बदमाशों के खिलाफ अपराध संख्या 513/2013 पर भादंवि की धारा 302/120 बी/34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

मुकदमा दर्ज होने के बाद थाना कैंट पुलिस ने उसी दिन विनय कुमार लाट को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई. पहले तो वह पुलिस को बरगलाता रहा, लेकिन वह कोई पेशेवर अपराधी तो था नहीं, इसलिए पुलिस ने जब उस के साथ थोड़ी सख्ती की तो उसे टूटते देर नहीं लगी. उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने सुपारी दे कर किराए के हत्यारों से अभिषेक की हत्या कराई थी. विनय द्वारा अपराध स्वीकार कर लेने और हत्यारों के नाम बता देने के बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

इस मामले में नामजद दूसरा अभियुक्त विनय का भाई विवेक पहले से ही जेल में बंद था. पुलिस अन्य अभियुक्तों की तलाश में जुट गई. इस मामले में सोचने वाली बात यह थी कि आखिर बहनोई के बड़े भाई ने ही छोटे भाई के साले की हत्या क्यों कराई? अभिषेक का बहनोई जेल में क्यों बंद था? यह सब जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा. गोरखपुर के थाना कैंट के रहने वाले 72 वर्षीय अर्जुन कुमार अग्रवाल ढुनमुनदास बालमुकुंददास इंटर कालेज से 30 जून, 2003 को रिटायर होने के बाद अपने एकलौते बेटे अभिषेक रंजन के साथ उस के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगे थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 4 बच्चों में 3 बेटियां रश्मि, शालिनी, दिवीता और एकलौता बेटा अभिषेक रंजन था. उन का यह बेटा तीसरे नंबर पर था.

अध्यापक होने की वजह से अर्जुन कुमार खुद तो संस्कारी थे ही, उन के चारों बच्चे भी उन्हीं की तरह संस्कारी थे. अर्जुन की बड़ी बेटी रश्मि सीधीसादी, बेहद सुशील थी. उस ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर (UP Crime) विश्वविद्यालय से संस्कृत से एमए करने के बाद नेट परीक्षा भी पास कर ली थी. अर्जुन कुमार अग्रवाल के सभी बच्चे इसी तरह पढ़ेलिखे थे. बायोलौजी से प्रथम श्रेणी में बीएससी करने के बाद अभिषेक रंजन अग्रवाल ने पढ़ाई छोड़ कर व्यवसाय की ओर कदम बढ़ाया था. अपने घर के आगे पड़ी जमीन में दुकान बनवा कर उस ने फर्नीचर और हार्डवेयर का काम शुरू कर दिया था. जल्दी ही उस का यह व्यवसाय चल निकला.

घर में हर तरह से खुशहाली थी. रश्मि शादी लायक हुई तो अर्जुन कुमार उस के लिए लड़का ढूंढ़ने लगे. एक दिन अर्जुन कुमार अग्रवाल की नजर स्थानीय अखबार के शहनाई कालम मेंवधु चाहिएमें छपे एक विज्ञापन पर पड़ी तो उन्हें लगा कि यहां बात बन सकती है. यह विज्ञापन रामस्वरूप लाट ने अपने बेटे के विवाह के लिए छपवाया था. उस  में फोन नंबर भी दिया था, इसलिए अर्जुन कुमार अग्रवाल ने तुरंत फोन कर के बात कर लीआखिर वहां बात बन गई. जल्दी गोदभराई कर के कुल 15 दिनों में अर्जुन कुमार ने अपनी बड़ी बेटी रश्मि का विवाह रामस्वरूप लाट के बेटे विवेक कुमार से कर दिया था. पहली और बड़ी बेटी का विवाह था, इसलिए अर्जुन कुमार ने अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा इस शादी में खर्च किया था.

रामस्वरूप लाट ने यह विवाह इतनी जल्दी में कराया था कि अर्जुन कुमार को मौका ही नहीं मिला था कि वह लड़के या उस के घर वालों के बारे में ठीक से पता कर पाते. बाद में जो पता चला, उस के अनुसार गोरखपुर की कोतवाली के आर्यनगर के दक्षिणी हुमायूंपुर मोहल्ले के राज नर्सिंग होम के पास रहने वाले रामस्वरूप लाट ठेकेदारी करते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 4 बेटे, कमलेश कुमार लाट, विनय कुमार लाट, विवेक कुमार लाट, विकास कुमार लाट तथा 3 बेटियां, कमला, वंदना और एप्पुल थीं

कमलेश प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. उस से छोटे विनय, विवेक और विकास विजय चौक स्थित फोटो विजन स्टूडियो को संभालते थे. रामस्वरूप लाट सुखी और संपन्न थे, इसलिए उन की समाज में एक हैसियत थी. रामस्वरूप की बड़ी बेटी कमला की शादी कोलकाता में हुई थी. बेटों में भी कमलेश और विनय की शादी हो चुकी थी. अब उन्हें 2 बेटों और 2 बेटियों की शादी करनी थी. उसी बीच उन का बड़ा बेटा कमलेश अपने परिवार के साथ कैंट स्थित हरिओमनगर कालोनी में रहने चला गया. बाद में उस ने अपने लिए लखनऊ में मकान बनवा लिया तो अपना वह मकान सब से छोटे भाई विकास को दे कर परिवार के साथ लखनऊ चला गया.

विकास उस में रहने लगा तो विनय ने कोतवाली के विष्णु मंदिर स्थित बशारतपुर मोहल्ले में अपने लिए मकान बनवा लिया. विवेक उस की दोनों, बहनें वंदना और एप्पुल तथा मांबाप आर्यनगर स्थित पुश्तैनी मकान में एक साथ रहते थे. रहते भले ही सभी भाई अलगअलग थे, लेकिन एकदूसरे से दिल से जुड़े थे. अभिषेक को जब भी मौका मिलता, बहन का हालचाल लेने उस के घर जाता रहता था. इस के अलावा विवेक का स्टूडियो अभिषेक के घर के नजदीक ही था, इसलिए सालेबहनोई की मुलाकात अकसर होती रहती थी. रश्मि जब भी मायके आती, खुश नजर आती. इसलिए मायके वालों को यही लगता था कि वह ससुराल में खुश है.

लेकिन रश्मि की यह खुशी ऊपरी तौर पर थी, जबकि अंदर से वह बहुत दुखी थी. इस की वजह थी पति का शराबी होना. इस में दुख देने वाली बात यह थी कि शराब का घूंट हलक के नीचे उतरते ही विवेक किसी को भी नहीं पहचानता था, वह उस की पत्नी की क्यों हो. उस स्थिति में अगर रश्मि कुछ कह देती तो विवेक उसे भद्दीभद्दी गालियां तो देता ही था, पिटाई करने में भी पीछे नहीं रहता थाइस की एक वजह यह भी थी कि विवेक की कल्पना के अनुरूप रश्मि खूबसूरत नहीं थी, इसलिए वह उसे पत्नी नहीं मानता था.पति के इस उपेक्षित व्यवहार को रश्मि ने अपना भाग्य मान लिया था और ससुराल में उस के साथ क्या होता है, मायके वालों से नहीं बताया

बात उन दिनों की है कि जब रश्मि को 7 माह का गर्भ था. नवरात्र चल रहे थे. विवेक स्टूडियो बंद कर के घर पहुंचा ही था कि उस की मां का फोन गया. मां उन दिनों लखनऊ में थी. विवेक ने फोन रिसीव किया तो मां ने बिना हालचाल पूछे ही कहा, ‘‘कैसे कहूं, समझ में नहीं रहा है. कहूंगी तो कहोगे कि मेरे पत्नी के पीछे हाथ धो कर पड़ी हूं.’’

‘‘कहो तो बात क्या है?’’ विवेक ने कहा.

‘‘तेरी पत्नी कह रही थी कि बहुओं को पीटना इस घर का रिवाज है. अब तुम्हीं बताओ, मैं ने कब किस के साथ मारपीट की है, जो मुझ पर इस तरह के आरोप लग रहे हैं. जब से सुना है, कलेजे में आग लगी है. पूछ तो अपनी लुगाई से, आखिर वह चाहती क्या है? मांबेटे के बीच दरार क्यों डाल रही है?’’

मां ने ये बातें जिस तरह कही थीं, सुनते ही विवेक की देह में आग लग गई. उस ने आव देखा ताव, रश्मि पर पिल पड़ा. उस के हाथ में जो भी आया वह उसी से उसे मारता रहा. उस समय उस ने यह भी नहीं सोचा कि रश्मि गर्भवती है. कहीं उल्टासीधा चोट लग गई तो क्या होगा. आखिर इस पिटाई से रश्मि की हालत बिगड़ गई. वह चलनेफिरने लायक नहीं रही. तब विवेक उसे रिक्शे पर बैठा कर ससुराल छोड़ आया. मांबाप और अभिषेक उस की हालत देख कर दंग रह गए. यह सब कैसे हुआ, सभी पूछते रह गए. लेकिन रश्मि ने बताया नहीं. उस ने झूठ बोल दिया कि पीरियड नजदीक होने की वजह से उसे कुछ तकलीफ हो गई है

जिस की वजह से इतनी रात को यहां गई. मांबाप ने उस की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. इस की वजह यह थी कि उस के साथ यह सब जो हुआ था, उस के बारे में उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था. उन्होंने उसे आराम करने के लिए कह दिया. विवेक उसे छोड़ कर उसी समय अपने घर लौट गया. पति ने इतना मारापीटा था, इस के बावजूद रश्मि ने इस बात को दिल से नहीं लिया. शायद यही वजह थी कि उस ने मायके वालों से सच्चाई छिपा ली थी. उसे यह भी पता था कि अगर भाई को सच्चाई का पता चल गया तो हंगामा हो जाएगा. इसलिए चुप रहने में ही सब की भलाई है.

यही सोच कर रश्मि ने इस बात को भुला दिया. 3 दिनों बाद विवेक ने फोन किया. माफी मांगते हुए उस ने कहा कि उसे अपने किए पर काफी पछतावा है. इतने में ही रश्मि का दिल पसीज गया और उस ने विवेक को माफ कर दिया. यही नहीं, उस के साथ वह ससुराल भी गई.

रश्मि के ससुराल आने के बाद 2-4 दिनों तक घर का माहौल ठीक रहा. उस के बाद फिर पहले जैसे ही हालात हो गए. छोटीछोटी बातों को ले कर तूफान खड़ा होने लगा. विवेक पहले की तरह फिर रश्मि के साथ बदसलूकी और मारपीट करने लगा. जबकि उसे मना कर लाते समय उस ने वादा किया था कि अब वह उस के साथ बदसलूकी करेगा मारपीट. लेकिन घर आते ही वह अपना वादा भूल गया. धीरेधीरे रोज की यही नियति बन गई. समय पर रश्मि ने बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम श्रद्धा रखा गया. विवेक बेटी को पा कर निहाल था. उस की एप्पुल बुआ उस पर जान छिड़कती थी. वैसे तो सब कुछ ठीक रहता था, लेकिन विवेक की मां के आते ही घर का माहौल खराब हो जाता.

वह उलटासीधा पढ़ाती तो मां के प्रेम में अंधा विवेक वही करता, जो मां उसे करने को कहती. जब तक वह घर में नहीं रहती, घर में सुखचैन रहता. वैसे वह ज्यादातर बड़े बेटेबहू के साथ लखनऊ में रहती थी. श्रद्धा 2-3 महीने की थी, तभी एक दिन विवेक की बहन वंदना ने विवेक और रश्मि को अपने घर खाने पर बुलाया. बेटी को साथ ले कर रश्मि पति के साथ ननद के यहां पहुंची. हंसीठिठोली के बीच विवेक बातबात में रश्मि को जलील करने लगा. रश्मि वहां तो कुछ नहीं बोली, लेकिन घर कर वह विवेक से जलील करने की वजह पूछने लगी. विवेक ने ठीक से जवाब नहीं दिया तो इसी बात पर दोनों में नोकझोंक हो गई. विवेक दूसरे कमरे में जा कर सो गया और रश्मि अपने कमरे में सुबह रश्मि ने विवेक से कुछ कहा तो रात की खुन्नस निकालने के लिए वह उस की पिटाई करने लगा.

पति की इस हरकत से क्षुब्ध हो कर उसी समय रश्मि बेटी को ले कर मायके गई. रश्मि के अकेली आने पर मांबाप को समझते देर नहीं लगी कि बेटीदामाद में ऐसा कुछ जरूर हुआ है, जिस की वजह से रश्मि को घर छोड़ कर अकेली आना पड़ा. जब उन्होंने ध्यान से देखा तो उस के जिस्म पर उभरे नीले निशान दामाद की दरिंदगी की कहानी कह रहे थे. पहली बार उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने बेटी को गलत हाथों में सौंप दिया है. आगे से ऐसा हो, इस के लिए अर्जुन कुमार ने बेटी का मेडिकल करवाया और उसे ले कर महिला थाने पहुंच गए. महिला थाने की थानाप्रभारी से रश्मि के साथ हुए अत्याचार के बारे में बता कर कानूनी काररवाई करने को कहा, ताकि भविष्य में बेटी के साथ कोई अनहोनी हो तो इस के लिए उस के दामाद विवेक को जिम्मेदार माना जाए.

रश्मि नहीं चाहती थी कि उस के पिता कोई ऐसा काम करें, जिस से ससुराल जाने पर उसे परेशानी हो. इसलिए थानाप्रभारी से उस ने कोई भी काररवाई करने से मना कर दिया. इस के बावजूद रश्मि के लिए परेशानी खड़ी हो गई. विवेक को पता चल ही गया था कि रश्मि पिता के साथ महिला थाने गई थी. इस बात से रश्मि के प्रति उस का व्यवहार और बदल गया. अब वह पहले से ज्यादा शराब पी कर आने लगा और रश्मि को परेशान करने लगा. इसी तरह 3 साल बीत गए. इन 3 सालों में रश्मि ने ससुराल में एक दिन भी सुख का अनुभव नहीं किया. कोई भी ऐसा दिन नहीं बीता, जिस दिन पतिपत्नी के बीच लड़ाईझगड़ा या मारपीट हुई हो. शारीरिक उत्पीड़न और प्रताड़ना उस की जिंदगी का हिस्सा बन गई थी. एक तरह से उस की जिंदगी नरक बन कर रह गई थी.

शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न सहतेसहते रश्मि पूरी तरह से टूट गई थी. जब उस की सहनशक्ति खत्म हो गई तो ससुराल में उस के साथ क्याक्या हुआ, उस ने एकएक बात मांबाप को बता दी. बेटी की दुखद कहानी सुन कर मांबाप के पैरों तले से जमीन खिसक गई. वे हैरानी से बेटी का मुंह ताकते रह गए कि इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी उस ने उफ तक नहीं की. उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि नाजों से पलीबढ़ी बेटी ससुराल में दुख के अंगारों पर झुलस रही है. वह ऐसे गुनाह की सजा वह काट रही है, जिसे उस ने कभी किया ही नहीं है. बिना वजह रश्मि को परेशान किए जाने की बात से अर्जुन कुमार और अभिषेक बहुत दुखी हुए. अब उन के पास कानून का सहारा लेने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं था. इसलिए उन्होंने बेटी से दामाद द्वारा मारपीट करने की तहरीर महिला थाने में दिलवा दी.

रश्मि द्वारा दी गई तहरीर ने आग में घी का काम किया. महिला थाने की थानाप्रभारी ने विवेक को थाने बुलवा कर सब के सामने उसे इस तरह जलील किया कि वह भीगी बिल्ली बन कर रह गया. उस ने सब के सामने माफी मांगी और वादा किया कि भविष्य में वह फिर कभी किसी तरह की शिकायत का मौका नहीं देगा. विवेक के घडि़याली आंसू पर रश्मि तो पिघल गई, लेकिन उस के इस नाटक पर तो अर्जुन और अभिषेक को यकीन हुआ, ही थानाप्रभारी को. रश्मि के कहने पर उस के घर वाले और पुलिस उसे इस शर्त पर विवेक के साथ भेजने को राजी हुई कि भविष्य में अगर रश्मि के साथ किसी भी तरह की कोई अनहोनी होती है तो इस के लिए वही जिम्मेदार होगा. विवेक ने यह शर्त मान ली तो रश्मि को उस के साथ भेज दिया गया.

रश्मि पति के साथ ससुराल तो गई, लेकिन इस के बाद उसे मायके वालों का मुंह देखना नसीब नहीं हुआ. विवेक का सख्त आदेश था कि वह तो मायके जाएगी और ही वहां फोन करेगी. यही नहीं, मायके वालों का फोन आता है, तब भी वह बात नहीं करेगी. इस तरह विवेक ने ससुराल वालों से संबंध लगभग तोड़ लिए. उसे नाराजगी इस बात की थी कि ससुर और साले ने दूसरी बार पत्नी से उस की शिकायत करा दी थी, जिस की वजह से उसे थाने में सब के साने जलील किया गया था. यह अपमान वह भूल नहीं पा रहा था.

रश्मि ने सब कुछ भाग्य के भरोसे छोड़ दिया था. अब बेटी ही उस के लिए एकमात्र जीने का सहारा रह गई थी. उसे ही देख कर वह जी रही थी. सासससुर, ननददेवर सभी ने मुंह मोड़ लिया था. शायद उस ने भी ठान लिया था कि वह वही करेगी, जो भारतीय नारियां करती आई हैं. जिस इज्जत के साथ वह ब्याह कर ससुराल आई है, उसी इज्जत के साथ उस की अर्थी ससुराल से ही उठेगी. इसी तरह 5 साल बीत गए. सन 2008 में रश्मि की छोटी बहन दिवीता की शादी तय हुई. बेटी की शादी तय होने की बात अर्जुन कुमार ने बेटी रश्मि और दामाद विवेक को भी बताई. बहन की शादी तय होने की बात सुन कर रश्मि बहुत खुश हुई. जाने क्या सोच कर विवेक ने रश्मि को शादी में जाने की अनुमति दे दी. यही नहीं, वह खुद भी उस शादी में शामिल हुआ.

बेटीदामाद के आने से सभी को खुशी हुई. अर्जुन कुमार और उन की पत्नी को लगा, शायद अब सब ठीक हो जाएगा. इस के बाद विवेक खुद भी ससुराल आनेजाने लगा और रश्मि को भी साथ ले जाने लगा. 2 बार वह रश्मि को ले कर सिंगापुर भी घूमने गया. विवेक भले ही ससुराल आनेजाने लगा था और रश्मि को देश के बाहर घुमाने भी ले गया था, लेकिन रश्मि के साथ वह जो व्यवहार करता आया था, उस में कोई बदलाव नहीं आया थावह अभी भी रश्मि को जलील करने से चूकता था, उस के साथ मारपीट करने में पीछे रहता था. उस में सब से बड़ी कमी यह थी कि वह यह भी नहीं देखता था कि पत्नी से कहां और कैसा व्यवहार किया जाए. बाप के इस व्यवहार से श्रद्धा भी दुखी रहती थी. कहने का मतलब यह था कि विवेक ने शराफत का जो चोला ओढ़ रखा था, वह मात्र दिखावा था, जबकि उस की आदत में कोई सुधार नहीं आया था.

विवेक का जब मन होता, वह गंदीगंदी गालियां देते हुए रश्मि की पिटाई करने लगता. जबकि रश्मि को गालियों से बहुत चिढ़ थी. ऐसे में रश्मि विरोध करती तो घर का माहौल बिगड़ जाता. मजबूरन समझदारी का परिचय देते हुए रश्मि को ही चुप होना पड़ता. मार्च महीने की बात है. रश्मि मायके आई हुई थी. उसी बीच एक दिन उस ने देवर विकास और उस की पत्नी को खाने पर अपने घर बुलाया. रात में विवेक भी गया. खाना खा कर विकास तो पत्नी के साथ चला गया, लेकिन विवेक ससुराल में ही रुक गया. सब के जाने के बाद विवेक सोने के लिए लेटा तो पत्नी से लाइट बंद करने को कहा. काम में व्यस्त होने की वजह से रश्मि सुन नहीं पाई. इसलिए लाइट औफ नहीं की. विवेक गुस्से में उठा तो शराब की खाली पड़ी बोतल उस के पैर से टकरा गई.

फिर तो विवेक का गुस्सा इस कदर बढ़ा कि उस ने चप्पल निकाली और रश्मि के घर में ही उस की पिटाई करने लगा, साथ ही गंदीगंदी गालियां भी दे रहा था. हद तो तब हो गई, जब गिलास में रखी शराब उस ने उस के मुंह पर उड़ेल दी. इस पर रश्मि को भी गुस्सा गया. उस ने आवाज दे कर मांबाप को बुला लिया. इस के बाद उस रात विवेक से खूब झगड़ा हुआ. विवेक अकेला था, जबकि रश्मि का पूरा परिवार था. अंत में रश्मि ने ही बीचबचाव कर के मामला शांत कराया. इस के बाद एक बार फिर विवेक के संबंध ससुराल वालों से खराब हो गए. इतना सब होने के बावजूद रश्मि बेटी को ले कर पति के साथ ससुराल गई.

3 अप्रैल, 2013 की शाम 4 बजे के आसपास रश्मि ने अभिषेक को फोन कर के बताया कि विवेक ने उसे और श्रद्धा को खाने की चीज में जहर मिला कर खिला दिया है. इस के आगे वह कुछ नहीं कह पाई, क्योंकि दूसरी ओर से फोन कट गया था. शायद किसी ने फोन छीन कर काट दिया था. अभिषेक के पास सोचने का भी समय नहीं था. उस ने जल्दी से गाड़ी निकाली और पिता को साथ ले कर रश्मि की ससुराल जा पहुंचाविवेक घर में ही था. लेकिन उस से कोई बात किए बगैर बापबेटे सीधे रश्मि के कमरे में पहुंचे. श्रद्धा और रश्मि बिस्तर पर पड़ी तड़प रही थीं. बापबेटे ने मिल कर दोनों को गाड़ी में लिटाया और विंध्यवासिनीनगर स्थित स्टार नर्सिंग होम ले गए. दोनों का इलाज शुरू हुआ. इस बीच ससुराल का कोई भी सदस्य उन्हें देखने नहीं आया. रात करीब 11 बजे रश्मि की ननद वंदना जरूर आई. थोड़ी देर रुक कर वह भी चली गई.

श्रद्धा की हालत तो स्थिर रही, लेकिन रश्मि की हालत बिगड़ती गई. तब अर्जुन कुमार और अभिषेक, दोनों को वहां से डिस्चार्ज करा कर डा. मल्ल नर्सिंगहोम ले गए. श्रद्धा तो जैसेतैसे बच गई, लेकिन 2 दिनों तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करते हुए 5 अप्रैल की शाम 6 बजे रश्मि मौत से हार गई और यह दुनिया छोड़ कर चली गई. रश्मि की मौत की सूचना पा कर कोतवाली पुलिस अस्पताल पहुंची और लाश को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कालेज भिजवा दिया. इस के बाद श्रद्धा के बताए अनुसार अभिषेक ने कोतवाली पुलिस को जो तहरीर दी, उस के आधार पर कोतवाली पुलिस ने अपराध संख्या 139/2013 पर भादंवि की धारा 302, 307, 498 के तहत विवेक कुमार लाट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. इस मामले की जांच कोतवाल प्रभारी इंसपेक्टर बृजेंद्र सिंह ने स्वयं संभाली.

6 अप्रैल, 2013 की सुबह बृजेंद्र सिंह ने विवेक कुमार को आर्यनगर स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद उसी दिन उसे अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. जांच के दौरान इंस्पेक्टर बृजेंद्र सिंह को अभिषेक ने रश्मि के हाथों के लिखी 13 बिंदुओं में 7 पृष्ठों की मर्मस्पर्शी एक चिट्ठी सौंपी. उस चिट्ठी में रश्मि ने पति के हर जुर्म को विस्तार से लिखा था. जांच के दौरान कोतवाली प्रभारी ने उस में लिखा एकएक शब्द सच पाया. इस मामले में पुलिस ने 29 जून, 2013 को विवेक कुमार लाट के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया.

श्रद्धा ने अपने बयान में पुलिस को बताया था कि उस के पापा ने ही उसे और उस की मां को खाने के चीज में जहर मिला कर जबरदस्ती खिलाया था. जिसे खाने के कुछ देर बाद दोनों की हालत बिगड़ने लगी थी. अभिषेक ने पुलिस को बताया था कि उस की बहन बहुत ज्यादा सुंदर नहीं थी. वह निहायत सीधीसादी और परंपराओं में जीने वाली नारी थी. उस की यही बातें विवेक की पसंद नहीं थीं. वह अय्याश था. उस के कई औरतों से नाजायज संबंध थे. रश्मि ने इस का विरोध किया तो वह उस के साथ मारपीट करने लगा. 15 सालों तक वह तिलतिल मरती रही.

अभिषेक बहन की मौत का बदला लेना चाहता था. इसी वजह से वह बहन की हत्या के मामले की पैरवी ठीक से कर रहा था. विवेक के घर वालों ने जब उस की जमानत के लिए अदालत में याचिका दायर की तो अभिषेक की पैरवी की वजह से उस की जमानत याचिका खारिज हो गई. विवेक का मंझला भाई विनय कुमार लाट अभिषेक पर दबाव बना रहा था कि इस मामले से धारा 302 हटवा दे. अभिषेक इस के लिए तैयार नहीं था. अभिषेक और अर्जुन कुमार रश्मि की ससुराल वालों की धमकियों की परवाह किए बगैर मामले की पैरवी करते रहे. आखिरकार वही हुआ, जिस की उन्होंने परवाह नहीं थी. 18 जून, 2013 को भाड़े के शूटरों से विनय कुमार लाट ने अभिषेक रंजन अग्रवाल की हत्या करवा दी. मृतक अभिषेक के पिता अर्जुन कुमार अग्रवाल ने बेटे की हत्या की नामजद रिपोर्ट विवेक, उस के मंझले भाई विनय कुमार और 2 अज्ञात शूटरों के खिलाफ थाना कैंट में दर्ज कराई थी.

मुकदमा दर्ज होने के बाद थाना कैंट के इंस्पेक्टर टी.पी. श्रीवास्तव ने जांच के दौरान पाया कि यह हत्या पूर्व में हुए झगड़े की वजह से जेल में बंद एक बाहुबली सफेदपोश अपराधी को सुपारी दे कर कराई गई थी. विनय ने पुलिस के सामने अपना अपराध स्वीकार भी किया था. लेकिन हत्यारे कौन थे, कहां से आए थे? पुलिस इस का पता नहीं लगा सकी. जबकि इस मामले में नामजद अभियुक्त विनय और विवेक के बड़े भाई और प्रौपर्टी डीलर कमलेश कुमार लाट का कहना था कि रश्मि ने पारिवारिक कारणों से आजिज कर खुद ही जहर खा लिया था और श्रद्धा को भी खिलाया था. अस्पताल में उस ने सब के सामने यही कहा भी था. लेकिन अर्जुन कुमार और अभिषेक ने जबरदस्ती उस के निर्दोष भाई को जेल भिजवा दिया. उस की जमानत तक नहीं होने दी. अभिषेक की हत्या में भी उन का कोई हाथ नहीं है.

इस लड़ाई में एकमात्र गवाह 14 वर्षीया श्रद्धा लाट की जान खतरे में है. शूटरों के पकड़े जाने से अर्जुन कुमार का परिवार दहशत में है. उन की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात है. पुलिस ने विवेक कुमार और विनय कुमार पर 8 नवंबर, 2013 को गैंगस्टर एक्ट भी लगा दिया है. कथा लिखे जाने तक दोनों अभियुक्तों विवेक और विनय की जमानत नहीं हुई थी.

   —कथा परिजनों और पुलिस सूत्रों पर आधारित

Social Crime story : 20 लाख सुपारी देकर लिया थप्पड़ का बदला

Social Crime story : तमाचे के कई रंग होते हैं, अगर कमजोर या गरीब के गाल पर पड़े तो वह मन मसोस कर रह जाता है, लेकिन यही तमाचा किसी समृद्ध व्यक्ति के गाल पर पड़े तो वह लाशें भी बिछवा सकता है. महेंद्र सिंह पूनिया और हरवीर की दुश्मनी बस एक तमाचे की थी, जो…   

राजस्थान के जिला बीकानेर की सेंट्रल जेल में 3500 कैदियों के रखने की क्षमता है, लेकिन यहां फिलहाल  1500 कैदी ही हैं. सरकार भले ही जेलों को सुधार गृह की उपमा दे, पर अंदर की सच्चाई इस से इतर है. विभिन्न आरोपों में जितने लोग जेल भेजे जाते हैं, उन में से अधिकांश लोग सुधरने के बजाय और ज्यादा कुख्यात हो कर आते हैं. बीकानेर जेल में कम से कम 10 ऐसे हार्डकोर अपराधी चिह्नित किए जा सकते हैं, जिन के एक धमकी भरे फोन से सामने वाला बिना किसी नानुकुर के लाख-2 लाख रुपए उस के गुर्गे के पास पहुंचा देता है. यह भी एक कटु सत्य है कि जेल के अंदर जेल प्रशासन की जगह इन हार्डकोर अपराधियों का ही राज चलता है. नए आने वाले कैदियों को डराधमका कर उन के परिजनों से चौथ वसूली मामूली सी बात है.

बीकानेर जेल में एक ऐसा ही कैदी था अजीत यादव. अजीत यादव झुंझुनू जिले का हार्डकोर क्रिमिनल था. हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अजीत के खिलाफ विभिन्न अदालतों में लगभग एक दरजन मुकदमे विचाराधीन हैं. एक तरह से अजीत यादव जेल में बौस थासन 2017 की एक घटना है. रावतसर के चाइया निवासी रामनिवास जाट ने रंजिश के चलते एक टोलनाका कर्मी से मारपीट कर के टोलनाका पर लगे बैरियर को तोड़ दिया था. बाद में महाजन थाने की पुलिस ने रामनिवास को गिरफ्तार कर बीकानेर जेल में भिजवा दिया था.

रामनिवास जब जेल में पहुंचा तो उसे अन्य कैदियों से कुख्यात अपराधी अजीत यादव के बारे में जानकारी मिली. पता चला कि जेल में उस का ही राज चलता है, इसलिए पुराने कैदियों की सलाह पर रामनिवास अजीत यादव की बैरक में पहुंचा और जाते ही उस ने उस के पैर छुए. अजीत ने उस की बांहें पकड़ कर उठाते हुए पूछा, ‘‘अरे जवान, कहां से आए हो?’’

‘‘जी, रावतसर थानाक्षेत्र का रहने वाला हूं. महाजन पुलिस ने गिरफ्तार किया था.’’ रामनिवास ने जवाब दिया.

‘‘तूने किस का कत्ल किया था?’’ अजीत ने अपने चिरपरिचित अंदाज में रामनिवास से पूछा.

‘‘भैया, कत्ल नहीं, मारपीट के आरोप में जेल आया हूं.’’ कहते हुए रामनिवास हीनभावना से ग्रसित हो गया. उस का जवाब सुन कर अजीत खिलखिला कर हंस पड़ा, ‘‘तेरी कदकाठी डीलडौल देख कर मैं ने कत्ल की बात कही थी. मारपीट, छेड़छाड़, चोरीचकारी वगैरह सैकेंडहैंड गुंडों को शोभा देती हैं. तेरे जैसे को तो कातिल की उपमा ही शोभा देती है.’’

जाने क्यों अजीत को रामनिवास भा गया. दूसरी ओर रामनिवास ने भी अपराध की दुनिया के बादशाह अजीत को मन ही मन अपना गुरु मान लिया. ऐसे बनते हैं क्रिमिनल रामनिवास ने धीरेधीरे सभी कैदियों से संपर्क बना लिए. 1-2 घंटे अजीत की बैरक में बिताना उस का नित्यक्रम बन गया था. अजीत भी रामनिवास को छोटे भाई की तरह चाहने लगा था. एक दिन रामनिवास ने अजीत का मूड सही देख कर कहा, ‘‘भैया, एक मसले पर आप से मार्गदर्शन लेना है. आप नाराज हों तो जिक्र करूं?’’

‘‘अरे छोटे भाई से कैसी नाराजगी, तू खुल कर बता.’’ अजीत ने कहा.

‘‘भैया, एक आदमी को सुलटाना है.’’ रामनिवास ने कहा.

‘‘कौन है निशाने पर?’’ अजीत ने पूछा.

‘‘रावतसर नगर पालिका की चेयरपरसन का पति है, खुद भी पार्षद है और इस बार नोहर विधानसभा क्षेत्र से एमएलए का चुनाव भी लड़ रहा है. आप शार्पशूटर की व्यवस्था कर दें तो मेरा काम आसानी से हो जाएगा. और हां, 4-5 लाख की सुपारी भी मिल जाएगी, मुझे प्रस्ताव मिल चुका है.’’ रामनिवास ने कहा.

‘‘अरे पगले, लगता है तू निरा बुद्धू है. भावी विधायक की कीमत केवल 5 लाख रुपए. इतने रुपयों में तो कोई सड़कछाप शख्स को भी ठिकाने नहीं लगाएगा. तू एक करोड़ की मांग कर. 50 लाख तक सैटिंग बिठा ले. मैं तुझे शार्पशूटर उपलब्ध करवा दूंगा. याद रखना, मिलने वाली आधी रकम मेरी होगी.’’ अजीत ने कहा.

करीब एक साल बाद जमानत मिलने पर रामनिवास जेल से बाहर गया. जेल में बिताया हर पल उस के दिलोदिमाग पर हावी था. अजीत द्वाराकत्लीकी उपमा ले कर जेल जाने का ताना गाहेबगाहे उस के दिलोदिमाग में घूम रहा था. कभीकभी वह अजीत से फोन पर बतिया भी लेता था. उस दिन 23 सितंबर, 2018 का दिन था. बड़े भैया अजीत ने वादे के अनुसार शार्पशूटर के रूप में हरियाणा निवासी मंजीत सिंह 2 अन्य को रामनिवास के पास भेज दिया. रामनिवास अपने लक्ष्य को साधने में किसी तरह की खामी नहीं छोड़ना चाहता था. वह शूटर मंजीत अन्य को साथ ले कर अपने दोस्त अमनदीप के खेत में बनी ढाणी पर चला गया.

योजना को अंजाम देने के लिए 24 सितंबर का दिन चुना गया था. रामनिवास ने पार्षद चेयरपरसन के पति हरवीर सिंह की रैकी करने और एकएक पल की सूचना देने के लिए अपने दोस्तों अशोक रैगर और फोटोग्राफर रमेश सुथार के साथ अमनदीप को तैनात कर दिया था. रैकी की सूचना कोड वर्ड में दी जानी थी. हरवीर के घर के आगे सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. वहां वारदात को अंजाम देना खतरे से खाली नहीं था. करीब 11 बजे पार्षद हरवीर अपने बेटे हनुमंत राजू सैनी के साथ एसडीएम कोर्ट पहुंचे. रैकी करने वालों ने अविलंब यह सूचना शूटरों तक पहुंचा दी. एसडीएम कोर्ट पुलिस थाने से मात्र 300 मीटर की दूरी पर है.

लगातार 2-3 दिनों की छुट्टियां होने के कारण उस दिन भीड़ अपेक्षाकृत ज्यादा थी. एसडीएम डा. अवि गर्ग से मिलने के बाद हरवीर सहारण कोर्ट की तरफ चल दिए. वहीं पर उन की कार खड़ी थी. तभी अचानक एक सफेद रंग की कार गेट के सामने कर रुकी. कार से 3-4 लोग बड़ी फुरती से उतरे और कोर्ट परिसर में जा पहुंचेगोलियों से भून दिया पार्षद हरवीर को  2 लोगों ने सामने रहे हरवीर सहारण को अपने हाथों में थामे तमंचों के निशाने पर ले लिया. अगले ही पल दोनों हमलावरों ने हरवीर पर 2-2 फायर झोंक दिए.

अचानक गोलियों की आवाज से कोर्ट परिसर दहल उठा. कचहरी में सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोग समझ नहीं सके कि गोलियां की आवाज कहां से रही है. अचानक हुए हमले से हरवीर भी सकते में गए थेजान बचाने के लिए वह फिर से एसडीएम के चैंबर की तरफ भागे पर एक शख्स ने टांग अड़ा कर उन्हें जमीन पर गिरा दिया. तभी एक अन्य शख्स उन के पास कर बोला, ‘‘तूने मेरे आदमी को थप्पड़ मारा था. आज मैं तेरा खेल ही खत्म कर देता हूं.’’

कहने के साथ ही उस ने हरवीर के सिर पर पिस्तौल की नाल सटा कर एक और फायर झोंक दिया. इस के बाद हमलावर फुरती से वहां से भाग कर गेट के सामने स्टार्ट खड़ी अपनी कार में सवार हो गए. कार तेज गति से वहां से चली गई. इन में से एक हमलावर, जिस ने हरवीर के सिर में गोली मारी थी, वह पहचान लिया गया था. वह और कोई नहीं बल्कि रामनिवास जाट था, जो रावतसर पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर था. कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड को ले कर सभी हतप्रभ थे. कोर्ट परिसर में सन्नाटा पसर गया था. वकीलों ने अपने चैंबर्स के शटर डाल दिए थे. गंभीर रूप से घायल हरवीर सिंह को जिला चिकित्सालय हनुमानगढ़ ले जाया गया

सूचना मिलने पर प्रदेश के सिंचाई मंत्री डा. रामप्रताप जो हनुमानगढ़ वासी हैं, अस्पताल पहुंच गए. डाक्टरों के अथक प्रयासों के बाद भी हरवीर सिंह को नहीं बचाया जा सका.  हरवीर के मारे जाने की घटना जंगल की आग की तरह कुछ ही देर में पूरे क्षेत्र में फैल गई. व्यापारी वर्ग इस घटना के विरोध में अपनी दुकानें बंद कर सड़क पर उतर आया. कुछ घंटों में देहात क्षेत्र के लोग भी रावतसर पहुंचने शुरू हो गए. आम लोगों के बढ़ते आक्रोश दबाव को देख कर प्रशासन के हाथपांव फूल गए. आपसी रंजिश या राजनैतिक प्रतिद्वंदिता को ले कर यह हत्याकांड हाईप्रोफाइल बन गया था. क्षेत्र की स्थिति कभी भी विस्फोटक हो सकती थी

इस घटना की सूचना राजस्थान के तेजतर्रार निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल तक पहुंच चुकी थी. हनुमान बेनीवाल तीसरे मोर्चे के संस्थापक मृतक हरवीर के राजनीतिक आका थे. सूचना मिलते ही वह भी रावतसर के लिए निकल पड़े. हरवीर की हत्या, हनुमान बेनीवाल का आगमन क्षेत्र के हालात की जानकारी बीकानेर संभाग के आईजी दिनेश एम.एन. तक भी पहुंच गई. आईजी जानते थे कि सत्र के दौरान सरकार को घेरने वाले विधायक बेनीवाल आक्रोशित आमजन को कहीं भी झोंकने का माद्दा रखते हैं

दूध का धुला नहीं था हरवीर सहारण पार्षद हरवीर का नाम आईजी दिनेश एम.एन. के जेहन में था, क्योंकि कुछ महीने पहले ही एसओजी के प्रमुख होने के नाते उन्होंने इसी हरवीर को रावतसर क्षेत्र में घटित एक हत्याकांड में प्रमुख आरोपी मानते हुए गिरफ्तार करवाया था. गिरफ्तारी के लगभग महीने भर बाद ही हरवीर को राजस्थान उच्च न्यायालय ने जमानत पर रिहा कर दिया था. बता दें कि आईजी दिनेश एम.एन. राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में न्यायिक अभिरक्षा में रहे थे. बाद में ऊपरी अदालत ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया था. उन का नाम प्रदेश ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस अफसरों की पहली पंक्ति में शुमार है

दिनेश एम.एन. को पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का प्रमुख, बाद में एसओजी प्रमुख और हाल ही में बीकानेर का आईजी बनाया था. हनुमान बेनीवाल के आगमन को देखते हुए आईजी खुद कनिष्ठ अधिकारियों के साथ रावतसर पहुंच गए. शहर में अतिरिक्त पुलिस फोर्स के साथ आरएसी (राजस्थान आर्म्ड कंपनी) के जवान भी तैनात कर दिए गए थेमाना जा रहा था कि मृतक का शव आते ही हालात बेकाबू हो सकते हैं. नियत समय तक मृतक का पोस्टमार्टम हो पाने के कारण शव हनुमानगढ़ के जिला अस्पताल में रखा रहा.

शाम घिरते ही हनुमान बेनीवाल रावतसर पहुंच गए. परिजनों को ढांढस बंधा कर विधायक बेनीवाल जिला मुख्यालय पहुंचे. वहां बेनीवाल ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर मामले की सीबीआई जांच, हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी रावतसर के जिम्मेदार अधिकारियों का तुरंत ट्रांसफर किए जाने की मांग उठा दीं. बेनीवाल ने यह आरोप भी लगाया कि हरवीर की हत्या के पीछे असली चेहरे कुछ सफेदपोशों के हैं. वारदात के बाद पुलिस ने नाकाबंदी करवा दी थी पर हमलावर कच्चे रास्तों से किसी तरह हरियाणा में घुस गए थे. सभी आरोपी हरियाणा में तितरबितर हो गए थे. मुख्य आरोपी रामनिवास प्राइवेट गाड़ी से राजस्थान के झुंझुनू  जिले में घुस गया था.

25 सितंबर को थाने में आईजी के साथ पुलिस अधिकारियों की एक हाईलेवल मीटिंग चल रही थी. बैठक में एसपी अनिल कयाल, एएसपी नरेंद्र, सीआई अरविंद बरेड़, डीएसपी दिनेश राजौरा मौजूद थे. मामले का सुपरविजन आईजी खुद कर रहे थे. अब तक की जांच में पुलिस को यह पता चल चुका था कि इस मामले में हिस्ट्रीशीटर रामनिवास का हाथ है. अधिकारियों का मानना था कि मुख्य आरोपी की जल्द गिरफ्तारी होने पर इलाके में हालात बेकाबू हो सकते हैंरामनिवास का फोन बंद था, उस के फोन नंबरों के ट्रैसआउट नहीं होने की सूरत में उस की गिरफ्तारी मुश्किल थी. तेजतर्रार आईजी के निर्देश पर अधिकारियों ने रामनिवास की एक प्रेमिका तमन्ना (परिवर्तित नाम) को ढूंढ निकाला. एसआई अनीता लाखर तमन्ना को हिरासत में थाने ले आई थीं

पुलिस ने प्रेमिका पर साधा निशाना  थाने में आईजी ने तमन्ना से पूछताछ करनी शुरू कर दी, ‘‘देखो मैडम, कत्ल का मामला है. झूठ बोलना आप पर भारी पड़ सकता है. पुलिस को रामनिवास का वह नंबर चाहिए, जिस से आप उस से बात करती हैं.’’

आईजी ने कहा तो तमन्ना ने अगले ही पल अपने मोबाइल में सहेली के नाम से फीड किए गए नंबर बता दिए. तमन्ना से मिले मोबाइल नंबर जिला मुख्यालय में स्थित साइबर सेल ने सर्विलांस पर लगा दिए. स्वयं आईजी दिनेश एम.एन. वीडियो कौन्फ्रैंसिंग में जुड़ चुके थे. आईजी के निर्देश पर तमन्ना ने रामनिवास को फोन किया तो रामनिवास ने फोन उठा लिया

‘‘कोई गया है, 10 मिनट बाद फिर फोन करूंगी.’’ कह कर तमन्ना ने फोन डिसकनेक्ट कर दियाउसी समय साइबर सेल ने रामनिवास की लोकेशन पता कर ली. वह फतेहपुररतनगढ़ के नजदीक सांखू फांटा में था. यानी वह वहां के एक ढाबे में था. आईजी के निर्देश पर क्षेत्र के सभी थानों की पुलिस गाडि़यों में भर कर सांखू फांटा पहुंच गई. पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया. अब तमन्ना के फोन से आईजी ने रामनिवास को काल कराई. फोन रिसीव होते ही आईजी बोले, ‘‘देखो रामनिवास, मैं आईजी बोल रहा हूं. तुम चारों ओर से पुलिस से घिर चुके हो. भागने या गोली चलाने की कोशिश की तो तुम्हें गोली मार दी जाएगी. मैं ने सभी अधिकारियों को शूटआउट का आदेश दे दिया है. भलाई इसी में है कि तुम सरेंडर कर दो और हाथ ऊपर उठाए ढाबे से बाहर जाओ.’’

अगले ही पल दोनों हाथ ऊपर उठाए रामनिवास ढाबे से बाहर गया. नोहर थाने के कांस्टेबल दुनीराम गोदारा ने रामनिवास की पुख्ता पहचान कर दी थी. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. रामनिवास की गिरफ्तारी की सूचना अविलंब फ्लैश कर दी गई. उस के गिरफ्तार होने पर जिला पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली. 25 सितंबर की शाम पोस्टमार्टम के बाद हरवीर का शव रावतसर गया. हरवीर की शवयात्रा में रिकौर्ड भीड़ एकत्र हुई. पुलिस अमला रामनिवास जाट को ले कर रावतसर गया था. आईजी की मौजूदगी में रामनिवास ने पूछताछ में जो बताया, उसे सुन कर हर कोई हतप्रभ रह गया

रामनिवास के बताए अनुसार, हनुमानगढ़ के केंद्रीय सहकारी बैंक के चेयरमैन महेंद्र पूनिया ने हरवीर की हत्या की 20 लाख की सुपारी दी थी. इस में से 5 लाख रुपए रामनिवास को अग्रिम दे दिए गए थे. यह खुलासा होते ही पुलिस ने महेंद्र पूनिया की मौजूदगी को ट्रैस आउट कर के उसे सूरतगढ़ क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. हरवीर की आपराधिक पृष्ठभूमि कौन थे हरवीर महेंद्र पूनिया और रामनिवास ने हरवीर को क्यों मौत की नींद सुला दिया था? जानने के लिए हमें अतीत में जाना पड़ेगा. राजस्थान पुलिस के रिटायर्ड एसआई रामजस सहारण शांति देवी सहारण (पूर्व अध्यक्षा कृषि उपज मंडी समिति, रावतसर) का इकलौता बेटा था हरवीर. एक बेटी एक बेटे का पिता हरवीर ज्यादा पढ़ालिखा तो नहीं था, पर राजनीति में उस का अच्छा दखल था.

इसी के चलते हरवीर अपनी मां को कृषि उपज मंडी समिति की अध्यक्ष बनाने में सफल रहा था. खुद भी वह नगर पालिका का पार्षद बन गया था. हरवीर भले ही पार्षद उस की पत्नी नीलम सहारण चेयरपरसन निर्वाचित हुए थे, पर उस का दामन भी कथित रूप से दागदार था. आरोप है कि सन 2001 में हरवीर ने एक युवक प्रेम कुमार की गरदन मरोड़ कर इसलिए कत्ल कर दिया था कि वह उस की मां को चुनाव में हरवाना चाहता था. प्रेम के शव को कहीं दूर जंगल में जला कर सबूत नष्ट कर दिए थे. इसी तरह रुपयों के लेनदेन के चक्कर में हरवीर ने लीलाधर सोनी नामक शख्स की कथित हत्या कर दी थी. लीलाधर का शव भी नहीं मिला था.

मृतकों के परिजनों ने पुलिस अदालत की मार्फत मुकदमे दर्ज करवाए थे, पर दोनों मामलों की जांच में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. इसी साल हरवीर के विरोधी इन मामलों को हाई लेवल की सिफारिश के दम पर एसओजी तक ले जाने में सफल हो गए थे. एसओजी के तत्कालीन प्रमुख दिनेश एम.एन. ने 13 मई, 2018 को हरवीर को गिरफ्तार करवा कर जेल भिजवा दिया था. 20-25 दिनों बाद हरवीर जमानत पर रिहा हुआ तो उस के समर्थक करीब 400 गाडि़यां ले कर बीकानेर जेल तक पहुंचे थे. हरवीर विधायक हनुमान बेनीवाल का चहेता था. वह इस चुनाव में नोहर विधानसभा क्षेत्र, जहां से भाजपा के युवा विधायक अभिषेक मटोरिया लगातार 2 बार जीतते रहे हैं, अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाना चाहता था. इस 30 सितंबर को हरवीर नोहर में एक विशाल रैली करने वाले थे, पर 24 सितंबर को ही उन की हत्या कर दी गई.

एक अन्य घटनाक्रम भी काबिलेगौर है. सन 2015 में एक भाजपा नेता एक पूर्व विधायक ने मिल कर नगरपालिका चुनाव में नागरिक मोर्चा का गठन किया था. इस चुनाव में हरवीर उस की पत्नी नीलम पार्षद चुने गए थे. नागरिक मोर्चा ने 25 वार्डों में 13 वार्डों पर विजय हासिल की थी. महिला हेतु आरक्षित चेयरपरसन पद पर नीलम सहारण चुनी गई थीसन 2016 में नगर पालिका प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था. कहा जाता है कि इस अभियान में हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक के जिलाध्यक्ष महेंद्र पूनिया रामनिवास जाट को कथित अतिक्रमणकारी चिह्नित कर उन के प्लौट्स पर पालिका  प्रशासन नेनगर पालिका संपत्तिके बोर्ड लगा दिए थे.

इस अभियान से घबरा कर शहर के कथित अतिक्रमणकारियों नेरावतसर बचाओअभियान चला कर एक दिन रावतसर बंद का आह्वान किया था. इसी बंद के दौरान रावतसर धान मंडी में जबरदस्ती दुकानें बंद करवाने की बात सुन कर हरवीर भी धान मंडी पहुंच गए थे. महेंद्र पूनिया ने रची थी हरवीर की हत्या की साजिश कहा जाता है कि जबरन दुकानें बंद करवा रहे महेंद्र पूनिया को देख कर चेयरपरसन के पति हरवीर ताव खा गए थे और उन्होंने भरे बाजार में सहकारी बैंक के जिलाध्यक्ष को 2-3 चांटें रसीद कर दिए थे. इस प्रकरण में महेंद्र पूनिया ने पुलिस में हरवीर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. उसी दिन महेंद्र पूनिया ने हरवीर को सबक सिखाने की ठान ली थी.

फर्श से अर्श पर पहुंचने वाले महेंद्र पूनिया का अतीत भी रोचक रहा है. नोहर क्षेत्र के गांव पदमपुरा का मूल निवासी है महेंद्र पूनिया. वह सन 1996-97 में रावतसर आया था. एक जानकार ठेकेदार के सहयोग से वह सार्वजनिक निर्माण विभाग के छिटपुट निर्माण कार्यों के ठेके लेने लगा था. इसी दौर में वह एक भाजपाई विधायक का खास बन गया था. आर्थिक हालत पटरी पर आई तो महेंद्र पूनिया ने हरियाणा में एंट्री मार दी. राजनैतिक पहुंच के बल पर महेंद्र पूनिया हरियाणा में करोड़ों में खेलने लगा तो फिर से रावतसर लौट आया. बड़े व्यवसाय में दखल के साथसाथ महेंद्र ने राजनीति में भाग लेना शुरू कर दिया था. विधायकजी की शह पर पूनिया सहकारी बैंक का जिलाध्यक्ष बन गया था.

मृतक के बेटे हनुमंत सहारण की तहरीर पर पुलिस ने रामनिवास, महेंद्र पूनिया 4-5 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. नामजद दोनों हत्यारोपी गिरफ्त में चुके थे. अदालत में पेश कर दोनों को 8 दिन के रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड अवधि में दोनों आरोपियों के खुलासे के बाद पुलिस ने रेकी करने वाले रमेश सुथार, अशोक रैगर, अमनदीप जाट, सहकारी बैंक के संचालक मंडल सदस्य रामचंद्र भील, जो महेंद्र पूनिया का खास है को भी गिरफ्तार कर लिया. आरोप है कि रामचंद्र भील षडयंत्र रचने का सूत्रधार था.

शूटर मंजीत सिंह की निगरानी के बाद पुलिस ने बीकानेर जेल में बंद अजीत यादव को भी गिरफ्तार कर लिया. मंजीत सिंह ने खुलासा किया कि हमले के दिन उस के और रामनिवास के अलावा 2 और शूटर जोगेंद्र सिंह उर्फ धोलिया निवासी महेंद्रगढ़ मोहित उर्फ जैलदार निवासी लुहारू कोर्ट में हथियारों सहित घुसे थे. हरवीर की हत्या किए जाने का विरोध होने पर चारों हमलावर कोर्ट में गोलियां बरसाने को तत्पर थे. दोनों शार्पशूटरों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. व्यापक पूछताछ अपेक्षित बरामदगी के बाद पुलिस ने सभी 10 आरोपियों को अदालत में पेश किया. अदालत ने उन्हें जेल भिजवा दिया.

इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड में यह अफवाह भी उड़ी कि सुपारी की एक नहीं बल्कि 2 डील हुई थीं. दूसरी सुपारी हरवीर को गोली मारने वाले रामनिवास की हत्या की सुपारी अन्य शार्पशूटरों को दी गई थी. अगर रामनिवास की हत्या हो जाती तो यह मामला ब्लाइंड मर्डर बन कर रह जाता और षडयंत्रकर्ता बेनकाब नहीं होते. कहा जाता है कि रामनिवास को शक हो गया था और फरारी के कुछ देर बाद ही वह चालाकी से शूटरों से अलग हो गया था. हालांकि जांच अधिकारी ने इस तथ्य का खंडन किया है. पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से मृतक हरवीर सहारण के परिवार को सशस्त्र गार्ड उपलब्ध करवा दिए थे.

अपेक्षाकृत अमनचैन शांत रहने वाले रावतसर क्षेत्र में रंजिशन हुआ यह हत्याकांड भविष्य में क्या गुल खिलाएगा, कहा नहीं जा सकता.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित