True Crime Stories : कोल्ड ड्रिंक पिलाकर की पांच लोगों की हत्या

True Crime Stories : पुलिस अधिकारियों को बरामदे में ही 2 महिलाएं घायल पड़ी दिखाई दीं. पूछने पर सुभाष ने बताया कि एक महिला उस की बहू डौली है तथा दूसरी रिश्तेदार सुषमा है. पुलिस अधिकारियों ने इन दोनों को इलाज हेतु सैफई अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारी आंगन में पहुंचे तो वहां 3 लाशें पड़ी थीं. इन की हत्या गला काट कर बड़ी बेरहमी से की गई थी. आंगन में खून ही खून फैला था.

पूछने पर सुभाष ने बताया कि एक लाश उस के छोटे बेटे अभिषेक उर्फ भुल्लन (20 वर्ष) की है, जबकि दूसरी लाश दामाद सौरभ (26 वर्ष) की है. तीसरी लाश बेटे के दोस्त दीपक (21 वर्ष) की है.

Bhullan (Mratak)               Sonu (Mratak)

     अभिषेक उर्फ भुल्लन                                 मृतक सोनू

लाश के पास ही खून सना फरसा पड़ा था. शायद उसी फरसे से उन का कत्ल किया गया था, इसलिए फरसे को पुलिस ने सुरक्षित कर लिया.

एसपी विनोद कुमार सहयोगियों के साथ आंगन से जीने के रास्ते छत पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर वह चौंक गए. कमरे के अंदर सुभाष के बेटे सोनू व उस की नई नवेली दुलहन True Crime Stories सोनी की लाश पड़ी थी. उन दोनों के हाथ की मेहंदी व पैरों की महावर अभी छूटी भी न थी कि उन्हें मौत की नींद सुला दिया गया था. उन दोनों की हत्या भी गला काट कर ही की गई थी. सोनू की उम्र 23 साल के आसपास थी, जबकि सोनी की उम्र 20 वर्ष थी.

निरीक्षण करते हुए एसपी विनोद कुमार जब मकान के पिछवाड़े पहुंचे तो वहां एक और युवक की लाश पड़ी थी. पूछताछ से पता चला कि वह लाश सुभाष के बड़े बेटे शिववीर (Shivvir) की है.

पता चला कि शिववीर ने ही पूरे परिवार का कत्ल किया था, फिर पकड़े जाने के डर से खुदकुशी कर ली थी. शिववीर की उम्र 28 साल के आसपास थी.

शिववीर के शव के पास ही एक तमंचा पड़ा था. इसी तमंचे से गोली मार कर उस ने खुदकुशी की थी. पुलिस ने तमंचे को सुरक्षित कर लिया. पुलिस ने शिववीर की तलाशी ली तो उस की जेब से मिर्च स्प्रे तथा नींद की गोलियों के 2 खाली पत्ते मिले. पुलिस ने इसे भी सुरक्षित कर लिया.

इस के अलावा पुलिस ने कमरे से कुल्हाड़ी व फावड़ा भी कब्जे में लिया, जिस से शिववीर ने पत्नी, भाभी व पिता पर हमला किया था.  यह बात 24 जून, 2023 की है.

शिववीर ने घर के 5 जनों को क्यों काटा

यह वीभत्स घटना उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी (Mainpuri) जिले के किशनी थाने के गांव गोकुलपुरा अरसारा में बीती रात घटित हुई थी. सामूहिक नरसंहार (Mainpuri Mass Murder Case) की खबर थाना किशनी पुलिस को मिली तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया.

पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल की तरफ रवाना हो लिए. कुछ ही देर में एसएचओ अनिल कुमार, एसपी विनोद कुमार, एएसपी राजेश कुमार तथा सीओ चंद्रशेखर सिंह घटनास्थल पर आ गए.

सुभाष के दरवाजे पर अब तक भारी भीड़ जुट चुकी थी. ग्रामीणों की इतनी भीड़ देख कर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए. उन्हें लगा कि असामाजिक तत्त्व भीड़ को गुमराह कर कहीं कोई बवाल खड़ा न कर दें. इसलिए उन्होंने अतिरिक्त फोर्स मंगा कर गोकुलपुरा गांव में तैनात करा दी.

सामूहिक हत्याकांड (Mainpuri Mass Murder) की खबर सुन कर अब तक सुभाष यादव के घर पर रिश्तेदारों का जमावड़ा शुरू हो गया था. जब भी कोई खास रिश्तेदार आता, महिलाओं का करुण रुदन कलेजा चीरने लगता. माहौल उस समय तो बेहद गमगीन हो उठा, जब नईनवेली दुलहन True Crime Stories मृतका सोनी के मम्मीपापा के साथ सैकड़ों लोग आ गए.

वेदराम व उन की पत्नी सुषमा बेटी दामाद का शव देख कर बिलख पड़े. उन का करुण रुदन इतना द्रवित कर देने वाला था कि वहां मौजूद शायद ही कोई ऐसा हो, जिस की आंखों में आंसू न आए हों. पुलिसकर्मी तक अपने आंसू न रोक सके.

Deepak (Mratak)                  Saurabh (Mratak)

मृतक दीपक                                              मृतक सौरभ

मृतक दीपक के मम्मीपापा भी फिरोजाबाद से आ गए थे. वह भी बेटे की लाश के पास सुबक रहे थे. प्रियंका भी पति सौरभ की लाश के पास बिलख रही थी. उस की मम्मी शारदा देवी उसे ढांढस बंधा रही थी. यह बात दीगर थी कि उन की आंखों से भी लगातार आंसू बह रहे थे. क्योंकि उन की आंखों के सामने ही बेटे, बहू और दामाद की लाश पड़ी थी.

पुलिस अधिकारियों ने संवेदना व्यक्त करते हुए किसी तरह समझाबुझा कर मृतकों के घर वालों को शवों से अलग किया, फिर पंचनामा भरवा कर मृतक सोनू, भुल्लन, दीपक, सौरभ, शिववीर तथा सोनी के शवों को पोस्टमार्टम के लिए मैनपुरी के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद एसपी विनोद कुमार ने घर के मुखिया सुभाष यादव से घटना के बारे में जानकारी जुटाई. सुभाष यादव ने बताया कि यह खूनी खेल उस के बड़े बेटे शिववीर ने ही खेला है. 22 जून को उस के मंझले बेटे सोनू की शादी थी. बारात गंगापुरा (इटावा) गई थी. 23 जून को दोपहर बाद बारात वापस आई. घर में बहू की मुंहदिखाई व अन्य रस्में पूरी हुईं. खूब गाना बजाना हुआ.

रात 12 बजे तक डीजे पर सब नाचतेझूमते रहे. शिववीर भी जश्न में शामिल रहा. लेकिन उस के मन में क्या चल रहा है, हम लोग भांप नहीं पाए. रात के अंतिम पहर में इस क्रूर हत्यारे ने हमला कर 5 जनों को काट कर मौत की नींद सुला दिया. शायद उस का इरादा सभी को खत्म करने का था, लेकिन पत्नी बेटी सहित वह बच गए.

Ghar Ke Mukhiya Se Puch-Tach Karte S.P. Vinod Kumar

घर के मुखिया सुभाषचंद यादव से बातचीत करते हुए एसपी विनोद कुमार

एसपी विनोद कुमार ने गोकुलपुरा अरसारा गांव में डेरा जमा लिया था. शवों के अंतिम संस्कार तक वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. देर शाम एडीजी राजीव कृष्ण व आईजी दीपक कुमार गोकुलपुरा पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण कर घर के मुखिया सुभाषचंद यादव से बातचीत की. उन्होंने एसपी विनोद कुमार से भी घटना से संबंधित जानकारी हासिल की तथा कुछ आवश्यक निर्देश दिए.

मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के साथ 3 डाक्टरों के पैनल ने किया. वहां क्षेत्रीय विधायक बृजेश कठेरिया मृतकों के परिजनों के साथ रहे और उन्हे धैर्य बंधाते रहे.

पोस्टमार्टम के बाद शव उन के परिजनों को सौंप दिए गए. पुलिस व्यवस्था के साथ दीपक का शव फिरोजाबाद तथा सौरभ का शव उस के गांव चांद हविलिया (किशनी) भेज दिया गया. 3 बेटों सोनू, भुल्लन व शिववीर का दाह संस्कार सुभाष ने किया.

इधर वेदराम यादव अपनी बेटी सोनी का शव ले कर अपने गांव गंगापुरा पहुंचे तो माहौल बेहद गमगीन हो गया. लाडली बेटी का शव देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. हर आंख में आंसू थे.

दर्द इस बात का था कि जिस बेटी को पूरे गांव ने हंसी खुशी से ससुराल भेजा था, उस का कफन में लिपटा शव गांव आया था. पूर्व दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री रामसेवक यादव भी बेहद दुखी थे. क्योंकि लाडली बेटी सोनी उन के गांव व परिवार की थी. वेदराम को ढांढस बंधाते वह स्वयं भी रो रहे थे.

Ghatna Sthal Par Pahuchi Sansad Dimple Yadav

घटनास्थल पर पहुंची डिंपल यादव

सामूहिक नरसंहार से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल शुरू हो गई थी. चूंकि मामला यादव परिवार से जुड़ा था और डिंपल यादव भी मैनपुरी से सांसद हैं, इसलिए वह दूसरे रोज ही गोकुलपुरा गांव जा पहुंचीं.

पर्यटन राज्यमंत्री जयवीर सिंह ने भी सामूहिक नरसंहार (Mainpuri Mass Killing) पर गहरा दुख व्यक्त किया. शिववीर ने अपने सगे भाइयों की हत्या क्यों की? परिवार के प्रति उस के मन में ईष्र्या, द्वेष और नफरत की भावना क्यों पनपी? वह क्या हासिल करना चाहता था? यह सब जानने के लिए हमें उस की पारिवारिक पृष्ठभूमि को समझना होगा.

 

Crime Stories : कार में मिली खोपड़ी और हड्डियां

Crime Stories :  रानी को फांसा तो था देशराज ने, लेकिन मजबूरन उसे इस अवैध रिश्ते में रंजीत को भी हिस्सेदार बनाना पड़ा. जाहिर है इस तरह की हिस्सेदारी ज्यादा दिनों तक नहीं चलती. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ.    लखनऊ के थाना मडि़यांव के थानाप्रभारी रघुवीर सिंह को सुबहसुबह किसी ने फोन कर के सूचना दी कि ककौली में बड़ी खदान के पास एक कार में आग लगी है. सूचना मिलते ही रघुवीर सिंह ककौली की तरफ रवाना हो गए. थोड़ी ही देर में वह ककौली की बड़ी खदान के पास पहुंच गए. उन्होंने एक जगह भीड़ देखी तो समझ गए कि घटना वहीं घटी है. जब तक पुलिस वहां पहुंची, कार की आग बुझ चुकी थी. पुलिस ने देखा, कार के अंदर कोई भी सामान सलामत नहीं बचा था.

यहां तक कि कार की नंबर प्लेट का नंबर भी नहीं दिखाई दे रहा था. इसी से अंदाजा लगाया गया कि आग कितनी भीषण रही होगी. जली हुई कार के अंदर कुछ हड्डियां और 2 भागों में बंटी इंसान की एक खोपड़ी पड़ी थी. उन्हें देख कर थानाप्रभारी चौंके. हड्डियों और खोपड़ी से साफ लग रहा था कि कार के अंदर कोई इंसान भी जल गया था. थानाप्रभारी ने अपने आला अधिकारियों को भी इस घटना की सूचना दे दी थी. इस के बाद थोड़ी ही देर में क्षेत्राधिकारी (अलीगंज) अखिलेश नारायण सिंह फोरेंसिक टीम के साथ वहां पहुंच गए. कार के अंदर जली अवस्था में एक छोटा गैस सिलेंडर Crime Stories और शराब की खाली बोतल भी पड़ी थी. फोरेंसिक टीम ने अपना काम निपटा लिया तो पुलिस ने अपनी जांच शुरू की.

कार की स्थिति देख कर पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि यह दुर्घटना नहीं, बल्कि साजिशन इसे अंजाम दिया गया है. कार एक खुले मैदान में थी. आबादी वहां से कुछ दूरी पर थी. इसलिए Crime Stories हत्यारों ने वारदात को आसानी से अंजाम दे दिया था. यह 4 दिसंबर, 2013 की बात है. कार में कोई ऐसी चीज नहीं मिली थी, जिस से जल कर खाक हो चुके व्यक्ति की शिनाख्त हो पाती. इसलिए पुलिस ने घटनास्थल की आवश्यक काररवाई निपटा कर बरामद हड्डियों और खोपड़ी को पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भेज दिया, जहां से हड्डियों को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया.

अब तक इस घटना की खबर जंगल की आग की तरह आसपास फैल चुकी थी. ककौली के ही रहने वाले सुरजीत यादव का छोटा भाई रंजीत यादव 3 दिसंबर को कार से कटरा पलटन छावनी एरिया में किसी शादी समारोह में शामिल होने के लिए घर से निकला था. उसे उसी रात को लौट आना था. लेकिन वह नहीं लौटा तो घर वालों को उस की चिंता हुई. यही वजह थी कि यह खबर सुनते ही सुरजीत बड़ी खदान की तरफ चल पड़ा. वहां पहुंच कर कार देखते ही वह समझ गया कि यह कार उसी की है. सुरजीत ने थानाप्रभारी रघुवीर सिंह को अपने भाई के गायब होने की पूरी बात बता कर आशंका जताई कि कार में जल कर जो व्यक्ति मरा है, वह उस का भाई रंजीत हो सकता है. इस के बाद सुरजीत की तहरीर पर थानाप्रभारी ने अज्ञात लोगों के खिलाफ रंजीत की हत्या Crime Stories की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

सुरजीत से बातचीत के बाद थानाप्रभारी रघुवीर सिंह ने तहकीकात शुरू की तो पता चला कि रंजीत शादी समारोह में जाने के लिए घर से निकला तो था, लेकिन समारोह में पहुंचा नहीं था. अब सोचने वाली बात यह थी कि वह शादी समारोह में नहीं पहुंचा तो गया कहां था. यह जानने के लिए उन्होंने मुखबिर लगा दिए. एक मुखबिर ने बताया कि 3 दिसंबर की शाम रंजीत को देशराज और अजय के साथ देखा गया था. देशराज हरिओमनगर में रह कर सिक्योरिटी एजेंसी चलाता था. रंजीत उसी की सिक्योरिटी एजेंसी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था.

देशराज से पूछताछ के बाद ही सच्चाई का पता चल सकता था, इसलिए पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी. 5 दिसंबर, 2013 को सुबह 5 बजे के करीब उसे रोशनाबाद चौराहे के पास से गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब देशराज से पूछताछ की गई तो उस ने सारा सच उगल दिया. इस के बाद उस ने रंजीत यादव को जिंदा जलाने की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी. मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर का रहने वाला देशराज लखनऊ के हरिओमनगर में एक सिक्योरिटी एजेंसी चलाता था. वहीं पर उस ने एक मकान किराए पर ले रखा था. वह लखनऊ में अकेला रहता था, जबकि उस की पत्नी और बच्चे सीतापुर में रहते थे. समय मिलने पर वह अपने परिवार से मिलने सीतापुर जाता रहता था.

उस की एजेंसी अच्छी चल रही थी. जिस से उसे हर महीने अच्छी आमदनी होती थी. कहते हैं, जब किसी के पास उस की सोच से ज्यादा पैसा आना शुरू हो जाता है तो कुछ लोगों में नएनए शौक पनप उठते हैं. देशराज के साथ भी यही हुआ. वह शराब और शबाब का शौकीन हो गया था. वह पास के ही ककौली गांव भी आताजाता रहता था. वहीं पर एक दिन उस की नजर रानी नाम की एक औरत पर पड़ी तो वह उस पर मर मिटा. रानी की अजीब ही कहानी थी. उस का विवाह उस उम्र में हुआ था, जब वह विवाह का मतलब ही नहीं जानती थी. नाबालिग अवस्था में ही वह 2 बेटों अजय, संजय और एक बेटी सीमा की मां बन गई थी. उसी बीच किसी वजह से उस के पति की Crime Stories मौत हो गई. पति का साया हटने से उस के ऊपर जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. जब कमाने वाला ही न रहा तो उस के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया. मेहनतमजदूरी कर के जैसेतैसे वह दो जून की रोटी का इंतजाम करने लगी.

देशराज ने उस की भोली सूरत देखी तो उसे लगा कि वह उसे जल्द ही पटा लेगा. रानी से नजदीकी बढ़ाने के लिए वह उस से हमदर्दी दिखाने लगा. रानी देशराज के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी. बस इतना ही जानती थी कि वह पैसे वाला है. एक पड़ोसन से रानी ने देशराज के बारे में काफी कुछ जान लिया था. इस के बाद धीरेधीरे उस का झुकाव भी उस की तरफ होता गया. एक दिन देशराज रानी के घर के सामने से जा रहा था तो वह घर की चौखट पर ही बैठी थी. उस समय दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था. मौका अच्छा देख कर देशराज बोल पड़ा, ‘‘रानी, मुझे तुम्हारे बारे में सब पता है. तुम्हारी कहानी सुन कर ऐसा लगता है कि तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ दुख ही दुख है.’’

‘‘आप के बारे में मैं ने जो कुछ सुन रखा था, आप उस से भी कहीं ज्यादा अच्छे हैं, जो दूसरों के दुख को बांटने की हिम्मत रखते हैं. वरना इस जालिम दुनिया में कोई किसी के बारे में कहां सोचता है?’’

‘‘रानी, दुनिया में इंसानियत अभी भी जिंदा है. खैर, तुम चिंता मत करो. आज से मैं तुम्हारा पूरा खयाल रखूंगा. चाहो तो बदले में तुम मेरे घर का कुछ काम कर दिया करना.’’

‘‘ठीक है, आप ने मेरे बारे में इतना सोचा है तो मैं भी आप के बारे में सोचूंगी. मैं आप के घर के काम कर दिया करूंगी.’’

इतना कह कर देशराज ने रानी के कंधे पर सांत्वना भरा हाथ रखा तो रानी ने अपनी गरदन टेढ़ी कर के उस के हाथ पर अपना गाल रख कर आशा भरी नजरों से उस की तरफ देखा. देशराज ने मौके का पूरा फायदा उठाया और रानी के हाथ पर 500 रुपए रखते हुए कहा, ‘‘ये रख लो, तुम्हें इस की जरूरत है. मेरी तरफ से इसे एडवांस समझ लेना.’’

रानी तो वैसे भी अभावों में जिंदगी गुजार रही थी, इसलिए उस ने देशराज द्वारा दिए गए पैसे अपने हाथ में दबा लिए. इस से देशराज की हिम्मत और बढ़ गई. वह हर रोज रानी से मिलने उस के घर पहुंचने लगा. वह जब भी उस के यहां जाता, रानी के बच्चों के लिए खानेपीने की कोई चीज जरूर ले जाता. कभीकभी वह रानी को पैसे भी देता. इस तरह वह रानी का खैरख्वाह बन गया. रानी हालात के थपेड़ों में डोलती ऐसी नाव थी, जिस का कोई मांझी नहीं था. इसलिए देशराज के एहसान वह अपने ऊपर लादती चली गई. पैसे की वजह से उस की बेटी सीमा भी स्कूल नहीं जा रही थी. देशराज ने उस का दाखिला ही नहीं कराया, बल्कि उस की पढ़ाई का सारा खर्च उठाने का वादा किया.

स्वार्थ की दीवार पर एहसान की ईंट पर ईंट चढ़ती जा रही थी. अब रानी भी देशराज का पूरा खयाल रखने लगी थी. वह उसे खाना खाए बिना जाने नहीं देती थी. लेकिन देशराज के मन में तो रानी की देह की चाहत थी, जिसे वह हर हाल में पाना चाहता था. एक दिन उस ने कहा, ‘‘रानी, अब तुम खुद को अकेली मत समझना. मैं हर तरह से तुम्हारा बना रहूंगा.’’

यह सुन कर रानी उस की तरफ चाहत भरी नजरों से देखने लगी. देशराज समझ गया कि वह शीशे में उतर चुकी है, इसलिए उस के करीब आ गया और उस के हाथ को दोनों हथेलियों के बीच दबा कर बोला, ‘‘सच कह रहा हूं रानी, तुम्हारी हर जरूरत पूरी करना अब मेरी जिम्मेदारी है.’’

हाथ थामने से रानी के शरीर में भी हलचल पैदा हो गई. देशराज के हाथों की हरकत बढ़ने लगी थी. इस का नतीजा यह निकला कि दोनों बेकाबू हो गए और अपनी हसरतें पूरी कर के ही माने. देशराज ने वर्षों बाद रानी की सोई भावनाओं को जगाया तो उस ने देह के सुख की खातिर सारी नैतिकताओं को अंगूठा दिखा दिया. अब वह देशराज की बन कर रहने का ख्वाब देखने लगी. देशराज और रानी के अवैध संबंध बने तो फिर बारबार दोहराए जाने लगे. रानी को देशराज के पैसों का लालच तो था ही, अब वह उस से खुल कर पैसों की मांग करने लगी.

देशराज चूंकि उस के जिस्म का लुत्फ उठा रहा था, इसलिए उसे पैसे देने में कोई गुरेज नहीं करता था. इस तरह एक तरफ रानी की दैहिक जरूरतें पूरी होने लगी थीं तो दूसरी तरफ देशराज उस की आर्थिक जरूरतें पूरी करने लगा था. वर्षों बाद अब रानी की जिंदगी में फिर से रंग भरने लगे थे. ककौली गांव में ही भल्लू का परिवार रहता था. पेशे से किसान भल्लू के 2 बेटे रंजीत, सुरजीत और 2 बेटियां कमला, विमला थीं. चारों में से अभी किसी की भी शादी नहीं हुई थी. 24 वर्षीय रंजीत और 22 वर्षीय सुरजीत, दोनों ही भाई देशराज की सिक्योरिटी एजेंसी में काम करते थे. रंजीत और देशराज की उम्र में काफी लंबा फासला था. देशराज की जवानी साथ छोड़ रही थी, जबकि रंजीत की जवानी पूरे चरम पर थी. वैसे भी वह कुंवारा था. देशराज और रंजीत के बीच बहुत अच्छी दोस्ती थी. दोनों साथसाथ खातेपीते थे.

एक दिन शराब के नशे में देशराज ने रंजीत को अपने और रानी के संबंधों के बारे में बता दिया. यह सुन कर रंजीत चौंका. यह उस के लिए चिराग तले अंधेरे वाली बात थी. उसी के गांव की रानी अपने शबाब का दरिया बहा रही थी और उसे खबर तक नहीं थी. वह किसी औरत के सान्निध्य के लिए तरस रहा था. रानी की हकीकत पता चलने के बाद जैसे उसे अपनी मुराद पूरी होती नजर आने लगी. रंजीत के दिमाग में तरहतरह के विचार आने लगे. वह मन ही मन सोचने लगा कि जब देशराज रानी के साथ रातें रंगीन कर सकता है, तो वह क्यों नहीं? वह देशराज की ब्याहता तो है नहीं.

अगले दिन रंजीत देशराज से मिला तो बोला, ‘‘रानी की देह में मुझे भी हिस्सा चाहिए, नहीं तो मैं तुम दोनों के संबंधों की बात पूरे गांव में फैला दूंगा.’’

देशराज को रानी से कोई दिली लगाव तो था नहीं, वह तो उस की वासना की पूर्ति का साधन मात्र थी. उसे दोस्त के साथ बांटने में उसे कोई परेशानी नहीं थी. वैसे भी रंजीत का मुंह बंद करना जरूरी था. इसलिए उस ने रानी को रंजीत की शर्त बताते हुए समझाया, ‘‘देखो रानी, अगर हम ने उस की बात नहीं मानी तो वह हमारी पोल खोल देगा. पूरे गांव में हमारी बदनामी हो जाएगी. इसलिए तुम्हें उसे खुश करना ही पड़ेगा.’’

रानी के लिए जैसा देशराज था, वैसा ही रंजीत भी था. उस ने हां कर दी. इस बातचीत के बाद देशराज ने यह बात रंजीत को बता दी. फलस्वरूप वह उसी दिन शाम को रानी के घर पहुंच गया. एक ही गांव का होने की वजह से दोनों न केवल एकदूसरे को जानते थे, बल्कि उन में बातें भी होती थीं. रंजीत उसे भाभी कह कर बुलाता था.

सारी बातें चूंकि पहले ही तय थीं, सो दोनों के बीच अब तक बनी संकोच की दीवार गिरते देर नहीं लगी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने तो रानी को एक अलग ही तरह की सुखद अनूभूति हुई. रंजीत के कुंवारे बदन का जोश देशराज पर भारी पड़ने लगा. उस दिन के बाद तो वह अधिकतर रंजीत की बांहों में कैद होने लगी. रंजीत भी रानी की देह का दीवाना हो चुका था. इसलिए वह भी उस पर दिल खोल कर पैसे खर्च करने लगा. रंजीत ने मारुति आल्टो कार ले रखी थी, जो उस के भाई सुरजीत के नाम पर थी. रंजीत रानी को अपनी कार में बैठा कर घुमाने ले जाने लगा. वह उसे रेस्टोरेंट वगैरह में ले जा कर खिलातापिलाता और गिफ्ट भी देता.

रानी की जिंदगी में रंजीत आया तो वह देशराज को भी और उस के एहसानों को भूलने लगी. रंजीत उस के दिलोदिमाग पर ऐसा छाया कि उस ने देशराज से मिलनाजुलना तक छोड़ दिया. इस से देशराज को समझते देर नहीं लगी कि रानी रंजीत की वजह से उस से दूरी बना रही है. उसे यह बात अखरने लगी. रानी को फंसाने में सारी मेहनत उस ने की थी, जबकि रंजीत बिना किसी मेहनत के फल खा रहा था. इसी बात को ले कर रंजीत और देशराज में मनमुटाव रहने लगा. देशराज ने रंजीत से उस की कुछ जमीन खरीदी थी, जिस का करीब 5 लाख रुपया बाकी था. रंजीत जबतब देशराज से अपने पैसे मांगता रहता था. इस बात को ले कर रंजीत कई बार उसे जलील तक कर चुका था.

एक तरफ रंजीत ने देशराज की मौजमस्ती का साधन छीन लिया था तो दूसरी ओर उसे 5 लाख रुपए भी देने थे. इसलिए सोचविचार कर उस ने रंजीत को अपने रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. इस के लिए उस ने अपने यहां सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहे अजय पांडेय को भी लालच दे कर अपनी योजना में शामिल कर लिया. अजय सीतापुर के कमलापुर थानाक्षेत्र के गांव रूदा का रहने वाला था. 3 दिसंबर की शाम को रंजीत को कटरा पलटन छावनी में एक वैवाहिक समारोह में जाना था. यह बात देशराज को पता थी. उस ने उसी दिन अपनी योजना को अंजाम देने के बारे में सोचा.

उस दिन देर शाम रंजीत घर से तैयार हो कर कार से कटरा पलटन जाने के लिए निकला. रास्ते में एक जगह उसे देशराज और अजय पांडेय मिल गए. वहां से वे हाइवे पर ट्रामा सेंटर के पास गए और शराब खरीद कर बड़ी खदान के पास आ गए. तीनों ने कार के अंदर बैठ कर शराब पी. देशराज और अजय ने खुद कम शराब पी, जबकि रंजीत को ज्यादा पिलाई. जब रंजीत नशे में धुत हो गया तो दोनों ने उसे पिछली सीट पर लिटा दिया. कार में एक छोटा गैस सिलेंडर भरा रखा था, जिसे रंजीत घर से गैस भराने के लिए लाया था. साथ ही कार में एक बोतल पेट्रोल भी रखा था. देशराज ने कार के सभी शीशे चढ़ा कर गैस सिलेंडर की नौब खोल दी, जिस से तेजी से गैस रिसने लगी.

देशराज पेट्रोल की बोतल उठा कर कार से बाहर आ गया और कार के सभी दरवाजे बंद कर दिए. इस के बाद उस ने कार के ऊपर सारा पेट्रोल छिड़क कर आग Crime Stories लगा दी. चूंकि कार के अंदर गैस भरी थी, इसलिए आग की लपटें तेजी से बाहर निकलीं. देशराज का चेहरा और हाथ जल गए. गैस और पेट्रोल की वजह से कार धूधू कर के जलने लगी. नशे में धुत अंदर लेटे रंजीत ने बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन वह नाकामयाब रहा. अपना काम कर के देशराज और अजय वहां से भाग खडे़ हुए.

देशराज मौके से तो भाग गया, लेकिन कानून से नहीं बच सका. इंसपेक्टर रघुवीर सिंह ने रानी से भी पूछताछ की. हत्या के इस मामले में उस की कोई भूमिका नहीं थी. अलबत्ता जब गांव वालों को यह पता चला कि हत्या की वजह रानी थी तो लोगों ने उस के साथ भी मारपीट की.

पुलिस ने देशराज को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. कथा संकलन तक पुलिस अजय पांडेय को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime Stories : पिता ने दामाद के साथ मिलकर किया बेटी के प्रेमी का कत्ल

Crime Stories :  जिस इज्जत और बेटी की जिंदगी बचाने के लिए सुरेश ने राजू की हत्या की, उस के जेल जाने से इज्जत तो गई ही, बेटी की जिंदगी भी बरबाद हो गई राजू को पड़ोस में रहने वाली सर्वेश से प्यार हुआ तो हर वक्त वह उस की एक झलक पाने की फिराक में रहने लगा. पूरापूरा दिन वह उसे देखने के लिए दरवाजे पर चारपाई डाले पड़ा रहता. वह उस से मिल कर अपने दिल की बात कहना चाहता था. मौके तो उसे तमाम मिले, लेकिन उन मौकों पर वह उस से दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं कर सका.

राजू जिला कांशीरामनगर की कोतवाली खोरो के गांव दतलाना के रहने वाले रामवीर के 2 बेटों में छोटा बेटा था. बड़े बेटे अमर की शादी हो गई थी. शादी के बाद वह खेती के कामों में पिता की मदद करने लगा था. राजू ने हाईस्कूल कर के भले पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन घर का लाडला होने की वजह से घर का कोई काम नहीं करता था. घर का कोई आदमी उस से किसी काम के लिए कहता भी नहीं था. मांबाप के लिए वह अभी भी बच्चा था, इसलिए वे नहीं चाहते थे कि उन का लाडला उन की आंखों से ओझल हो, इसलिए राजू ने दिल्ली जा कर नौकरी करने की इच्छा जताई तो उन्होंने उसे वहां भी नहीं जाने दिया. क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उन का लाडला बेटा अभी से किसी की गुलामी करे. इसलिए कोई कामधाम न होने की वजह से राजू दिनभर इधरउधर भटकता रहता था.

चारपाई पर पड़ेपड़े ही उस की नजर सर्वेश पर पड़ी थी तो कोई कामधाम न होने की वजह से उस की ओर आकर्षित हो गया था. कोई कामधाम न होने की ही वजह से हुआ था. जबकि सर्वेश को वह बचपन से ही देखता आया था. पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ था. सर्वेश राजू के पड़ोस में ही रहने वाले सुरेश की बेटी थी. वह कासगंज में किसी मशीनरी स्टोर पर नौकरी करता था, इसलिए सुबह टे्रन से कासगंज चला जाता था तो रात को ही लौटता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा बेटी सर्वेश तथा एक बेटा नीरज था. अपने इस छोटे से परिवार को सुखी रखने के लिए वह रातदिन मेहनत करता था.

पड़ोसी होने के नाते सर्वेश और राजू का आमनासामना होता ही रहता था. लेकिन जब से उस के लिए राजू के मन में आकर्षण पैदा हुआ, तब से सर्वेश के सामने पड़ने पर उस का दिल तेजी से धड़कने लगता. राजू अब सर्वेश के लिए बेचैन रहने लगा था. बेचैनी बरदाश्त से बाहर होने लगी तो एक दिन सर्वेश जब अपने दरवाजे पर खड़ी थी तो उस के पास जा कर राजू ने कहा, ‘‘सर्वेश, मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं. अगर आज शाम को तुम प्राइमरी स्कूल में आ जाओ तो मैं वह बात कह कर अपने दिल का बोझ हलका कर लूं.’’

‘‘जो बात कहनी है, यहीं कह दो. अंधेरे में वहां जाने की क्या जरूरत है?’’ सर्वेश ने बोली.

‘‘नहीं, वह बात यहां नहीं कही जा सकती. शाम को स्कूल में मिलना.’’ कह कर राजू चला गया.

सर्वेश इतनी भी बेवकूफ नहीं थी कि वह स्कूल में बुलाने का मकसद न समझती. वह सोच में पड़ गई कि उस का वहां जाना ठीक रहेगा या नहीं? वह भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी. उस के मन में भी लालसा उठ रही थी कि वह स्कूल जा कर देखे तो राजू उस से क्या कहता है? वहां जाने में हर्ज ही क्या है? शाम होतेहोते उस ने स्कूल जा कर राजू से मिलने जाने का निर्णय कर लिया. शाम को वह प्राइमरी स्कूल पहुंची तो राजू उसे वहां इंतजार करता मिल गया. राजू ने उस के पास आ कर कहा, ‘‘मुझे पूरा विश्वास था कि तुम जरूर आओगी.’’

‘‘लेकिन अब बताओ तो सही कि तुम ने मुझे यहां बुलाया क्यों है?’’

राजू ने उस का हाथ पकड़ कह कहा, ‘‘सर्वेश, मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’

सर्वेश को पता था कि राजू कुछ ऐसी ही बात कहेगा. लेकिन अभी वह इस के लिए तैयार नहीं थी. इसलिए अपना हाथ छुड़ा कर बोली, ‘‘यह अच्छी बात नहीं है. अगर यह बात मेरे पापा को पता चल गई तो वह दोनों को ही मार डालेंगे.’’

‘‘अब प्यार हो गया है तो मरने से कौन डरता है. तुम भले ही मुझ से प्यार न करो, लेकिन मैं तुम से प्यार करता रहूंगा.’’ राजू ने कहा.

राजू की इस दीवानगी पर सर्वेश ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘‘तुम पागल तो नहीं हो गए हो? मुझे मरवाना चाहते हो क्या?’’

‘‘प्यार में आदमी पागल ही हो जाता है. सर्वेश सचमुच मैं पागल हो गया हूं. अगर तुम ने मना किया तो मैं मर जाऊंगा.’’ राजू रुआंसा सा हो कर बोला. प्यार सचमुच दीवाना होता है. इस का नशा दिल और दिमाग में चढ़ने में देर कहां लगती है. राजू ने सर्वेश की जवान उमंगों को हवा दी तो उस पर भी प्यार का सुरूर चढ़ने लगा. उसे राजू की बात भा गई. प्रेमी के रूप में वह उसे अच्छा लगने लगा. लेकिन उसे मांबाप का भी डर लग रहा था. इस के Crime Stories बावजूद उस ने अपना हाथ राजू की ओर बढ़ा दिया.

उसी दिन के बाद यह प्रेमी युगल जिंदगी के रंगीन सपने देखने लगा. जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में मिल लेते. इन मुलाकातों में दोनों साथसाथ जीनेमरने की कसमें खाने लगे थे. लेकिन एक बात का डर तो था ही कि वे कसमें चाहे जितनी खाते, यह इतना आसान नहीं था. मुलाकातों में दोनों इतने करीब आ गए कि उन के शारीरिक संबंध भी बन गए. सर्वेश जानती थी कि उस के मांबाप उस की शादी किसी अच्छे परिवार के कमाने वाले लड़के से करना चाहते हैं. जबकि राजू कोई कामधाम नहीं करता था. वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं था. इसलिए किसी दिन एकांत में मिलने पर उस ने राजू से कहा, ‘‘राजू, अगर तुम मुझे पाना चाहते हो तो अपने पिता की खेती संभालो या फिर कोई नौकरी कर लो. तभी हमारे घर वाले मेरा हाथ तुम्हें दे सकते हैं.’’

गांव में कोई नौकरी तो थी नहीं, खेती वह कर नहीं सकता था. इसलिए उस ने कहा, ‘‘सर्वेश, मैं तुम से दूर जाने की सोच भी नहीं सकता. खेती मुझ से हो नहीं सकती. लेकिन तुम कह रही हो तो कुछ न कुछ तो करना ही होगा.’’

राजू और सर्वेश अपने प्यार को मंजिल तक पहुंचा पाते, उस के पहले ही लोगों की नजर उन पर पड़ गई. गांव के किसी आदमी ने दोनों को एकांत में मिलते देख लिया. उस ने यह बात सुरेश को बताई तो घर आ कर उस ने हंगामा खड़ा कर दिया. उस ने पत्नी को भी डांटा और सर्वेश को भी. उस ने सर्वेश को चेतावनी भी दे दी, ‘‘अब तुम अकेली कहीं नहीं जाओगी.’’

सुरेश जानता था कि बेटी इतनी आसानी से नहीं मानेगी. इसलिए खाना खा कर वह पत्नी मोहिनी के पास लेटा तो चिंतित स्वर में बोला, ‘‘मुझे लगता है, अब हमें सर्वेश की शादी कर देनी चाहिए. क्योंकि अगर कोई ऊंचनीच हो गई तो हम गांव में मुंह दिखाने लायक नहीं रह पाएंगे.’’

‘‘मैं भी यही सोच रही हूं. आप लड़का देख कर उस की शादी कर दीजिए. सारा झंझट अपने आप खत्म हो जाएगा.’’ मोहिनी ने कहा.

सुरेश ने रामवीर से भी कहा था कि वह राजू को सर्वेश से मिलने से रोके. गांव का मामला था, इसलिए रामवीर को राजू को डांटाफटकारा ही नहीं, गांव के लड़कों के साथ दिल्ली भेज दिया. वे लड़के पहले से ही दिल्ली में रहते थे. उन्होंने राजू को भी दिल्ली में नौकरी दिलवा दी. राजू दिल्ली चला गया तो सुरेश को थोड़ी राहत महसूस हुई. उस ने सोचा कि राजू के वापस आने से पहले वह अगर सर्वेश की शादी कर दे तो ठीक रहेगा. किसी रिश्तेदार की मदद से उस ने अलीगढ़ के थाना दादों के गांव बरतोलिया के रहने वाले डोरीलाल के बेटे भूरा से सर्वेश की शादी तय कर दी.

डोरीलाल का खातापीता परिवार था. बेटा भूरा गुजरात में रहता था. सुरेश का सोचना था कि शादी के बाद भूरा सर्वेश को ले कर गुजरात चला जाएगा तो वह पूरी तरह से निश्चिंत हो जाएगा. यही सब सोच कर सुरेश ने सर्वेश की शादी भूरा से कर दी. सर्वेश की शादी की जानकारी राजू को हुई तो पहले उसे विश्वास ही नहीं हुआ. सर्वेश ने कसम तो उस के साथ जीनेमरने की खाई थी, फिर उस ने दूसरे से शादी क्यों कर ली. प्रेमिका की बेवफाई पर उसे बहुत गुस्सा आया. इस के बाद उस का मन नौकरी में नहीं लगा और वह नौकरी छोड़ कर गांव आ गया.

राजू का आना मांबाप को बहुत अच्छा लगा. अब उन्हें चिंता भी नहीं थी, क्योंकि सर्वेश की शादी हो गई थी. लेकिन राजू काफी तनाव में था. वह सर्वेश से मिलना चाहता था, लेकिन वह ससुराल में थी. इसलिए तनाव कम करने के लिए उस ने शराब का सहारा लिया. कुछ दिनों बाद भूरा अपनी नौकरी पर गुजरात चला गया तो सुरेश सर्वेश को लिवा लाया. राजू को सर्वेश के आने का पता चला तो वह उस से मिलने की कोशिश करने लगा. चाह को राह मिल ही जाती है, राजू को भी सर्वेश मिल गई. सुरेश अपनी नौकरी पर कासगंज चला गया था तो मोहिनी दवा लेने डाक्टर के पास गई थी. उसी बीच सर्वेश ने राजू को गली में जाते देखा तो घर के अंदर बुला लिया. अंदर आते ही राजू ने कहा, ‘‘तुम बेवफा कैसे हो गई सर्वेश?’’

‘‘मैं बेवफा कहां हुई. बेवफा होती तो तुम्हें क्यों बुलाती. मेरी मजबूरी थी. किस के भरोसे मैं विरोध करती. तुम दिल्ली में थे और तुम्हें संदेश देने का मेरे पास कोई उपाय नहीं था. भूरा से शादी कर के मैं बिलकुल खुश नहीं हूं. तुम कुछ करो वरना मैं मर जाऊंगी.’’

‘‘अभी तुम्हें थोड़ा इंतजार करना होगा. पहले मैं कामधाम की व्यवस्था कर लूं. उस के बाद तुम्हें अपने साथ दिल्ली ले चलूंगा.’’ राजू ने कहा.

सर्वेश को राजू पर पूरा भरोसा था. इसलिए उस ने उस की यह बात भी मान ली और मौका निकाल कर उस से मिलने लगी. उन के इस तरह एकांत में मिलने की जानकारी सुरेश को हुई तो वह परेशान हो उठा. शादीशुदा बेटी पर वह हाथ भी नहीं उठा सकता था. क्योंकि बात खुल जाती तो उसी की बदनामी होती. दामाद गुजरात में था. वह चाहता था कि दामाद सर्वेश को अपने साथ ले जाए. उस ने यह बात भूरा से कही भी. तब भूरा ने कहा, ‘‘बाबूजी, मेरी इतनी कमाई नहीं है कि मैं पत्नी को अपने साथ रख सकूं. इसलिए सर्वेश को अभी वहीं रहने दो.’’

सुरेश दामाद को असली बात बता भी नहीं सकता था. बहरहाल इज्जत बचाने के लिए वह सर्वेश को उस की ससुराल पहुंचा आया. लेकिन इस से भी उस की परेशानी दूर नहीं हुई, क्योंकि राजू सर्वेश से मिलने उस की ससुराल भी जाने लगा. ससुराल में पति नहीं था, इसलिए सर्वेश का जब मन होता, मायके आ जाती. मायके आने पर सुरेश सर्वेश पर नजर तो रखता था, लेकिन वह राजू से मिल ही लेती थी. इसी का नतीजा था कि एक रात सुरेश ने छत पर सर्वेश को राजू के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया.

सुरेश को देख कर राजू तो भाग गया, लेकिन सर्वेश पकड़ी गई. वह उसे खींचता हुआ नीचे लाया और फिर उस की जम कर पिटाई की. सुरेश की समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपनी बेटी को राजू से मिलने से रोके. उस ने उस की शादी भी कर दी थी. इस के बावजूद सर्वेश ने उस से मिलना बंद नहीं किया था.

काफी सोचविचार कर सुरेश भूरा के आने का इंतजार करने लगा. वह जानता था कि एक न एक दिन दामाद को बेटी की करतूतों का पता चल ही जाएगा. तब वह सर्वेश को छोड़ भी सकता था. ऐसे में सर्वेश की जिंदगी तो बरबाद होती ही, बदनामी भी होती. इसलिए उस ने सोचा कि वह खुद ही दामाद को सब कुछ बता कर कोई उचित राय मांगे. इस के बाद भूरा गांव आया तो उस ने कहा, ‘‘बेटा भूरा, गांव का ही राजू सर्वेश के पीछे पड़ा है. मैं ने कई बार उसे समझाया, लेकिन वह मानता ही नहीं है.’’

‘‘ठीक है, मैं उस से बात करता हूं.’’ भूरा ने कहा.

‘‘इस तरह बात करने से काम नहीं चलेगा. इस से हमारी ही बदनामी होगी. मैं इस कांटे को जड़ से ही खत्म कर देना चाहता हूं, जिस से सर्वेश और तुम चैन से जिंदगी जी सको.’’ सुरेश ने कहा.

भूरा को भी ससुर की बात उचित लगी. फिर दोनों ने राजू को मौत के घाट उतारने की योजना बना डाली. उसी योजना के तहत भूरा सर्वेश को लिवा कर अपने यहां चला गया.

इस के सप्ताह भर बाद ही थाना खोरों के थानाप्रभारी रामअवतार कर्णवाल को उठेर बांध के पास एक कंकाल के पड़े होने की सूचना मिली. सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद थानाप्रभारी घटनास्थल पर पहुंच गए. नरकंकाल सिरविहीन था. कंकाल के पास एक बनियान और पैंट पड़ी थी. उन्हें याद आया कि 7 दिनों पहले दतलाना के रहने वाले रामवीर के भाई फूल सिंह ने भतीजे राजू की गुमशुदगी दर्ज कराई थी. उन्होंने सूचना दे कर फूल सिंह को वहीं बुला लिया. कंकाल से तो कुछ पता चल नहीं सकता था, उस के पास पड़े पैंट को देख कर फूल सिंह ने बताया कि यह पैंट उस के भतीजे राजू की है.

फूल सिंह ने राजू की हत्या का संदेह सुरेश पर व्यक्त किया था. उस ने पुलिस को वजह भी बता दी थी कि राजू के संबंध उस की बेटी सर्वेश से थे. थानाप्रभारी ने सुरेश को बुलाने के लिए सिपाही भेजा तो पता चला कि वह घर पर नहीं है. वह दामाद के साथ गुजरात चला गया था. इस से पुलिस को विश्वास हो गया कि राजू की हत्या कर के सुरेश गुजरात भाग गया था. कपड़ों के अनुसार कंकाल राजू का ही हो सकता था, लेकिन पक्के सुबूत के लिए उस की डीएनए जांच जरूरी थी. डीएनए जांच के लिए हड्डियां विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ भेज दी गईं. रिपोर्ट आने से पहले रामअवतार कर्णवाल का तबादला हो गया. उन की जगह पर आए सुरेश कुमार.

जनवरी महीने में डीएनए रिपोर्ट आई तो पता चला कि वह कंकाल रामवीर के बेटे राजू का ही था. पुलिस को सुरेश पर ही नहीं, उस के दामाद भूरा, गंगा सिंह और रूप सिंह पर भी संदेह था. क्योंकि ये सभी उसी समय से गायब थे. संयोग से उसी बीच गंगा सिंह गांव आया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई तो उस ने राजू की Crime Stories हत्या का सारा राज उगल दिया. गंगाराम ने बताया था कि 1 अक्तूबर की शाम को भूरा ने राजू को शराब और मुर्गे की दावत के लिए बुलाया. उस दावत में राजू को इतनी शराब पिला दी गई कि उसे होश ही नहीं रहा. इस के बाद उस की गला दबा कर हत्या कर दी गई.

उस की लाश Crime Stories को ठिकाने लगाने के लिए उठेर बांध पर ले जाया गया, जहां उस के सिर को धड़ से अलग कर दिया गया. सिर को नहर में फेंक दिया गया, जबकि धड़ को बांध के पास ही छोड़ दिया गया. पूछताछ के बाद पुलिस ने गंगा सिंह को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस ने मोहिनी से फोन करा कर सुरेश को बहाने से गांव बुलवाया और उसे भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने भी राजू की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस का कहना था कि इज्जत और बेटी की जिंदगी बचाने की खातिर उस ने यह कदम उठाया था. पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे भी अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक भूरा और रूप सिंह पकड़े नहीं जा सके थे. शायद उन्हें गंगा सिंह और सुरेश के पकड़े जाने की जानकारी हो गई थी, इसलिए पुलिस के बहाने से लाख बुलाने पर भी वे गांव नहीं आए. दोनों गुजरात में कहीं छिपे हैं. सुरेश ने जिस इज्जत को बचाने के लिए यह कू्रर कदम उठाया, राज खुलने पर इज्जत तो गई ही, सब के सब जेल भी पहुंच गए. बेटी की भी जिंदगी बरबाद हुई. एक तरह इसे नासमझी ही कहा जाएगा. अगर वह चाहता तो किसी और तरीके से इस मामले को सुलझा सकता था.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Tantric Stories : मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए भाई ने दी बहन की बलि

Tantric Stories : कलावती गुप्ता अपने बेटे की बीमारी ठीक कराने के लिए तांत्रिक सर्वजीत कहार के पास जाती थी. उसे क्या पता था कि तांत्रिक और उस के पास आने वाले लोग एक दिन उसी की बलि चढ़ा देंगे.

ठाणे जिले के अंतर्गत आता है वसई का धानीव बाग गांव. 17 नवंबर, 2013 को यहां से सोपारा फाटा की तरफ जानेवाले रास्ते के किनारे झाडि़यों में एक अंजान महिला की लाश पड़ी मिली. इस सिरविहीन लाश के पास एक गाउन और एक गद्दी पड़ी हुई थी. धानीव गांव के लोगों को जब झाडि़यों में बिना सिर वाली लाश पड़ी होने की जानकारी मिली तो तमाम गांव वाले वहां पहुंच गए. गांव वालों ने यह जानकारी मुखिया अविनाश पाटिल को दी तो वह भी वहां आ गए.

गांव का मुखिया होने के नाते अविनाश पाटिल ने फोन कर के महिला की लाश मिलने की जानकारी थाना वालीव पुलिस को दे दी. सुबहसुबह खबर मिलते ही वालीव के वरिष्ठ पुलिस इंसपेक्टर राजेंद्र मोहिते पुलिस टीम के साथ मुखिया द्वारा बताई उस जगह पर पहुंच गए, जिस जगह पर लाश पड़ी थी. राजेंद्र मोहिते ने वहां का बारीकी से निरीक्षण किया तो वहां काफी मात्रा में खून फैला हुआ था, जो सूख कर काला पड़ चुका था. वहीं पर एक चौकी के पास पूजा का कुछ सामान भी रखा था. इस से उन्होंने अनुमान लगाया कि किसी तांत्रिक वगैरह ने सिद्धि साधना या अन्य काम के लिए महिला की बलि चढ़ाई होगी.

महिला की गरदन को उन्होंने आसपास काफी तलाशा, लेकिन वह नहीं मिली. मामला हत्या का था, इसलिए उन्होंने अपर पुलिस अधिक्षक संग्राम सिंह निशाणदार और उपविभागीय अधिकारी प्रशांत देशपांडे को फोन द्वारा इस की जानकारी दी. उक्त दोनों अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच गए. चूंकि मृतका का सिर नहीं मिल पा रहा था, इसलिए घटनास्थल पर मौजूद लोगों में से कोई भी उस अधेड़ उम्र की शिनाख्त नहीं कर सका. बहरहाल, पुलिस ने मौके की जरूरी काररवाई निपटा कर लाश को जे.जे. अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया और उच्चाधिकारियों के निर्देश पर अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और अन्य धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कर जरूरी काररवाई शुरू कर दी.

महिला की हत्या क्यों और किस ने की, यह पता लगाने के लिए उस की शिनाख्त होनी जरूरी थी. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक राजेंद्र मोहिते के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई गई, जिस में सहायक पुलिस इंसपेक्टर आव्हाड तायडे, सहायक सबइंसपेक्टर प्रकाश सावंत, हवलदार सुभाष गोइलकर, पुलिस नायक अशोक चव्हाण, कांस्टेबल अनवर, मनोज चव्हाण, शिवा पाटिल, 2 महिला कांस्टेबल फड और पाटिल को शामिल किया गया.

पुलिस टीम लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश में लग गई. सब से पहले टीम ने सिरविहीन महिला की लाश के फोटो मुंबई के समस्त थानों में भेज कर यह जानने की कोशिश की कि कहीं किसी थाने में इस कदकाठी की महिला की गुमशुदगी तो दर्ज नहीं है. इस के अलावा उन्होंने पूरे जिले में सार्वजनिक जगहों पर महिला की शिनाख्त के संबंध में पैंफ्लेट भी चिपकवा दिए. पुलिस टीम को इस केस पर काम करते हुए करीब 3 हफ्ते बीत गए, लेकिन लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी.

8 दिसंबर, 2013 को उदय गुप्ता नाम का एक व्यक्ति भिवंडी के शांतीनगर थाने पहुंचा. उस ने बताया कि उस की मां कलावती गुप्ता पिछले महीने की 17 तारीख से लापता है. शांति नगर थाने के नोटिस बोर्ड पर वालीव थाना क्षेत्र में मिली एक अज्ञात महिला की सिरविहीन लाश की फोटो लगी हुई थी. इसलिए थानाप्रभारी ने उदय गुप्ता से कहा, ‘‘पिछले महीने वालीव थाना क्षेत्र में एक अज्ञात महिला की लाश मिली थी, जिस का फोटो नोटिस बोर्ड पर लगा हुआ है. आप उस फोटो को देख लीजिए.’’

उदय गुप्ता तुरंत नोटिस बोर्ड के पास गया और वहां लगे फोटो को देखने लगा. उन में एक फोटो पर उस की नजर पड़ी. उस फोटो को देख कर उदय गुप्ता रोआंसा हो गया. क्योंकि उस की मां फोटो में दिखाई दे रही महिला की कद काठी से मिलतीजुलती थी और वैसे ही कपड़े पहने हुए थी. उस तसवीर के नीचे वालीव थाने का फोन नंबर लिखा था. उदय गुप्ता तुरंत वालीव थाने जा कर वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक राजेंद्र मोहिते से मिला और अपनी मां के गायब होने की बात बताई. राजेंद्र मोहिते उदय गुप्ता को जे.जे. अस्पताल ले गए.

मोर्चरी में रखी लाश और उस के कपड़े जब उदय गुप्ता को दिखाए गए तो वह फूटफूट कर रोने लगा. उस ने लाश की पहचान अपनी मां कलावती गुप्ता के रूप में की. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस का अगला काम हत्यारों तक पहुंचना था. उदय गुप्ता ने यह सूचना अपने पिता रामआसरे गुप्ता को दे दी थी. खबर मिलते ही वह वालीव थाने पहुंच गए थे. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक राजेंद्र मोहिते ने घर वालों से पूछा कि कलावती गुप्ता जब घर से निकली थी तो उस के साथ कौन था. उदय ने बताया, ‘‘उस दिन मां एक परिचित रामधनी यादव के साथ गई थी. उस के बाद वह वापस नहीं लौटी. हम ने रामधनी से पूछा भी था, लेकिन उस ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया था.’’

रामधनी यादव सांताकु्रज क्षेत्र स्थित गांव देवी में रहता था. पुलिस टीम ने पूछताछ के लिए रामधनी यादव को उठा लिया. उस से कलावती गुप्ता की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि कलावती गुप्ता की बलि चढ़ाई गई थी और इस में कई और लोग शामिल थे. उस से की गई पूछताछ में कलावती गुप्ता की बलि चढ़ाए जाने की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी. 55 वर्षीया कलावती गुप्ता मुंबई के सांताकु्रज (पूर्व) के वाकोला पाइप लाइन के पास गांवदेवी में रहती थी. उस के 2 बेटे थे उदय गुप्ता और राधेश्याम गुप्ता. राधेश्याम विकलांग था और अकसर बीमार रहता था. बेटे की वजह से कलावती काफी चिंतित रहती थी. एक दिन पास के ही रहने वाले रामधनी ने उसे सांताकु्रज की एअर इंडिया कालोनी क्षेत्र के कालिना में रहने वाले ओझा सर्वजीत कहार के बारे में बताया.

बेटा ठीक हो जाए, इसलिए वह रामधनी के साथ ओझा के पास गई. इस के बाद तो वह हर मंगलवार और रविवार को रामधनी के साथ उस तांत्रिक के पास जाने लगी. सिर्फ कलावती का बेटा ही नहीं, बल्कि रामधनी की बीवी भी बीमार रहती थी. रामधनी उसे भी उस तांत्रिक के पास ले जाता था. रामधनी का एक भाई था गुलाब शंकर यादव. गुलाब की बीवी बहुत तेजतर्रार थी. वह किसी न किसी बात को ले कर अकसर उस से झगड़ती रहती थी. जिस से घर में क्लेश रहता था. घर का क्लेश किसी तरह खत्म हो जाए, इस के लिए गुलाब भी उस तांत्रिक के पास जाता था.

एक दिन तांत्रिक Tantric Stories सर्वजीत कहार ने रामधनी और गुलाब को सलाह दी कि अगर वह किसी इंसान की बलि चढ़ा देंगे तो सारी मुसीबतें हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी. दोनों भाई अपने घर में सुखशांति चाहते थे, लेकिन बलि किस की चढ़ाएं, यह बात उन की समझ में नहीं आ रही थी. इसी बीच उन के दिमाग में विचार आया कि कलावती की ही बलि क्यों न चढ़ा दी जाए. कलावती सीधीसादी औरत थी, साथ ही वह खुद भी तांत्रिक के पास जाती थी. इसलिए वह उन्हें आसान शिकार लगी. यह बात उन लोगों ने तांत्रिक से बताई. चूंकि बलि देना तांत्रिक के बस की बात नहीं थी, इसलिए उस ने अपने फुफेरे भाई सत्यनारायण, उस के बेटे पंकज नारायण और श्यामसुंदर से बात की तो वे यह काम करने के लिए तैयार हो गए.

15 नवंबर, 2013 को सांताकु्रज के वाकोला इलाके में रहने वाले गुलाब शंकर यादव के घर तांत्रिक सर्वजीत कहार, श्यामसुंदर, सत्यनारायण, पंकज और रामधनी ने एक मीटिंग कर के योजना बनाई कि कलावती की कब और कहां बलि देनी है. उन्होंने बलि चढ़ाने के लिए मुंबई से काफी दूर नालासोपारा के वसई इलाके में स्थित मातामंदिर को चुना. इसी के साथ तांत्रिक ने रामधनी को पूजा के सामान की लिस्ट भी बनवा दी. अगले दिन 16 नवंबर, 2013 को रामधनी कलावती गुप्ता के घर पहुंच गया. उस ने उस से कहा कि अगर उसे अपने बेटे की तबीयत हमेशा के लिए ठीक करनी है तो आज नालासोपारा स्थित माता के मंदिर में होने वाली पूजा में शामिल होना पड़ेगा. यह पूजा तांत्रिक सर्वजीत ही कर रहे हैं. बेटे की खातिर कलावती तुरंत रामधनी के साथ चलने को तैयार हो गई. रामधनी कलावती को ले कर पहले अपने भाई गुलाब यादव के घर गया.

वहां योजना में शामिल अन्य लोग भी बैठे थे. कलावती को देख कर वे लोग खुश हो गए और पूजा का सामान और कलावती को ले कर सीधे नालासोपारा स्थित मंदिर पहुंच गए. वहां पहुंच कर ओझा ने एक गद्दी डाल कर उस पर पूजा का सारा सामान रख कर मां काली की पूजा करनी शुरू कर दी. उस ने कलावती के हाथ में भी एक सुलगती हुई अगरबत्ती दे दी तो वह भी पूजा करने लगी. थोड़ी देर में तांत्रिक इस तरह से नाटक करने लगा, जैसे उस के अंदर देवी का आगमन हो गया हो. वहां मौजूद अन्य लोग तांत्रिक के सामने हाथ जोड़ कर अपनीअपनी तकलीफें दूर करने को कहने लगे. रामधनी ने कलावती से कहा कि वह भी सिर झुका कर देवी से अपनी परेशानी दूर करने को कहे. भोलीभाली कलावती को क्या पता था कि सिर झुकाने के बहाने उस की बलि चढ़ाई जाएगी.

उस ने जैसे ही तांत्रिक के चरणों में सिर झुकाया, श्यामसुंदर गुप्ता ने पीछे से उस के बाल कस कर पकड़ते हुए चाकू से उस की गरदन पर वार कर दिया. चाकू लगते ही कलावती खून से लथपथ हो कर तड़पने लगी. वहां मौजूद अन्य लोगों ने उसे कस कर दबोच लिया और उसी चाकू से उस की गरदन काट कर धड़ से अलग कर दी. कलावती की बलि चढ़ा कर रामधनी और उस का भाई खुश हो रहे थे कि अब उन के यहां की सारी परेशानियां खत्म हो जाएंगी. वे कलावती की कटी गरदन को वहां से दूर डालना चाहते थे, ताकि उस की लाश की शिनाख्त न हो सके. उन लोगों ने उस की गरदन को अपने साथ लाई गई काले रंग की प्लास्टिक की थैली में रख लिया. तत्पश्चात वह थैली मुंबई अहमदाबाद राजमार्ग पर स्थित वासाडया ब्रिज से नीचे पानी में फेंक दी.

रामधनी से पूछताछ के बाद पुलिस ने कलावती गुप्ता की हत्या में शामिल रहे अन्य अभियुक्तों, तांत्रिक सर्वजीत कहार, श्यामसुंदर जवाहर गुप्ता, सत्यनारायण और पंकज को भी गिरफ्तार कर उन की निशानदेही पर कलावती का सिर, हत्या में प्रयुक्त चाकू और अन्य सुबूत बरामद कर लिए. पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. ढोंगी Tantric Stories तांत्रिक, पाखंडी आए दिन लोगों को अपने चंगुल में फांसते रहते हैं. इन के चंगुल में फंस कर अनेक परिवार बर्बाद हो चुके हैं. ऐसे तांत्रिकों, पाखंडियों पर शिकंजा कसने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने जादूटोना प्रतिबंध विधेयक पारित किया था.

यह विधेयक पिछले 18 सालों से विवादों से घिरा हुआ था. लेकिन इस बिल को पारित हुए एक दिन भी नहीं बीता था कि 55 वर्षीय कलावती गुप्ता की बलि चढ़ा दी गई. सरकार को चाहिए कि इस बिल को सख्ती के साथ अमल में लाए, ताकि तांत्रिकों, पाखंडियों पर अंकुश लग सके.

 

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2. पापा को मरवाने की सुपारी दे डाली प्रेम में पागल बेटी ने

कुलदीप की पत्नी गीता पुलिस को दिए अपने बयान में खुद ही बुरी तरह फंस गई थीउस ने पुलिस को बताया कि जब वह सुबह उठी तो सीढि़यों के दरवाजे की कुंडी उस ने ही खोली थी. नीचे आई तो घर के मेन गेट के लौक में अंदर से चाबी लगी थी और वह खुला हुआ था. पुलिस को संदेह हुआ तो. अपनी नौकरी के चलते गीता को घर का काम निपटा कर जल्दी सोना होता था और सुबह जल्दी ही उठना पड़ता था.

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3. शादीशुदा महिला ने दो प्रेमियों के साथ मिलकर किया तीसरे का कत्ल

उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के थाना औरास के अंतर्गत आने वाले गांव गागन बछौली का रहने वाला उमेश कनौजिया बहुत ही हंसमुख और मिलनसार स्वभाव का था. इसी वजह से उस का सामाजिक और राजनीतिक दायरा काफी बड़ा था. उन्नाव ही नहीं, इस से जुड़े लखनऊ और बाराबंकी जिलों तक उस की अच्छीखासी जानपहचान थी. वह अपने सभी परिचितों के ही सुखदुख में नहीं बल्कि पता चलने पर हर किसी के सुखदुख में पहुंचने की कोशिश करता था

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4. दोस्त से कराई प्रेमिका की हत्या

सूचना गंभीर थी, इसलिए घटना की सूचना अपने सीनियर पुलिस इंसपेक्टर चंद्रशेखर नलावड़े को दे कर वह तुरंत कुछ सिपाहियों के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. सबइंसपेक्टर माली के पहुंचने तक वहां काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. आग बुझाने वाली गाडि़यां भी चुकी थीं और उन्होंने आग पर काबू भी पा लिया था. सबइंसपेक्टर माली साथियों के साथ फ्लैट के अंदर पहुंचे तो वहां की स्थिति देख कर स्तब्ध रह गए

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5. बाइक रोक कर प्रेमिका के मुंह में कट्टा घुसेड़ मारी गोली

पहनावे से मृतका मध्यमवर्गीय परिवार की लग रही थी. उस की उम्र यही कोई 25 साल के आसपास थी. उस के मुंह और सीने में एकदम करीब से गोलियां मारी गई थीं. मुंह में गोली मारी जाने की वजह से चेहरा खून से सना था. घावों से निकल कर बहा खून सूख चुका था. मृतका की कदकाठी ठीकठाक थी. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे कम से कम 2 तो रहे ही होंगे. पुलिस ने घटनास्थल से 315 बोर के 2 खोखे बरामद किए थे.

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Family dispute : छोटे भाई की सुहागरात पर बड़े भाई ने ली परिवार में 5 की जान

Family dispute : पुलिस अधिकारियों को बरामदे में ही 2 महिलाएं घायल पड़ी दिखाई दीं. पूछने पर सुभाष ने बताया कि एक महिला उस की बहू डौली है तथा दूसरी रिश्तेदार सुषमा है. पुलिस अधिकारियों ने इन दोनों को इलाज हेतु सैफई अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारी आंगन में पहुंचे तो वहां 3 लाशें पड़ी थीं. इन की हत्या गला काट कर बड़ी बेरहमी से की गई थी. आंगन में खून ही खून फैला था.

पूछने पर सुभाष ने बताया कि एक लाश उस के छोटे बेटे अभिषेक उर्फ भुल्लन (20 वर्ष) की है, जबकि दूसरी लाश दामाद सौरभ (26 वर्ष) की है. तीसरी लाश बेटे के दोस्त दीपक (21 वर्ष) की है.

Bhullan (Mratak)               Sonu (Mratak)

     अभिषेक उर्फ भुल्लन                                 मृतक सोनू

लाश के पास ही खून सना फरसा पड़ा था. शायद उसी फरसे से उन का कत्ल किया गया था, इसलिए फरसे को पुलिस ने सुरक्षित कर लिया. एसपी विनोद कुमार सहयोगियों के साथ आंगन से जीने के रास्ते छत पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर वह चौंक गए. कमरे के अंदर सुभाष के बेटे सोनू व उस की नई नवेली दुलहन सोनी की लाश पड़ी थी. उन दोनों के हाथ की मेहंदी व पैरों की महावर अभी छूटी भी न थी कि उन्हें मौत की नींद सुला दिया गया था. उन दोनों की हत्या भी गला काट कर ही की गई थी. सोनू की उम्र 23 साल के आसपास थी, जबकि सोनी की उम्र 20 वर्ष थी.

निरीक्षण करते हुए एसपी विनोद कुमार जब मकान के पिछवाड़े पहुंचे तो वहां एक और युवक की लाश पड़ी थी. पूछताछ से पता चला कि वह लाश सुभाष के बड़े बेटे शिववीर (Shivvir) की है. पता चला कि शिववीर ने ही पूरे परिवार का कत्ल किया था, फिर पकड़े जाने के डर से खुदकुशी कर ली थी. शिववीर की उम्र 28 साल के आसपास थी. शिववीर के शव के पास ही एक तमंचा पड़ा था. इसी तमंचे से गोली मार कर उस ने खुदकुशी की थी. पुलिस ने तमंचे को सुरक्षित कर लिया. पुलिस ने शिववीर की तलाशी ली तो उस की जेब से मिर्च स्प्रे तथा नींद की गोलियों के 2 खाली पत्ते मिले. पुलिस ने इसे भी सुरक्षित कर लिया.

इस के अलावा पुलिस ने कमरे से कुल्हाड़ी व फावड़ा भी कब्जे में लिया, जिस से शिववीर ने पत्नी, भाभी व पिता पर हमला किया था.  यह बात 24 जून, 2023 की है.

शिववीर ने घर के 5 जनों को क्यों काटा

यह वीभत्स घटना उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी (Mainpuri) जिले के किशनी थाने के गांव गोकुलपुरा अरसारा में बीती रात घटित हुई थी. सामूहिक नरसंहार (Mainpuri Mass Murder Case) की खबर थाना किशनी पुलिस को मिली तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल की तरफ रवाना हो लिए. कुछ ही देर में एसएचओ अनिल कुमार, एसपी विनोद कुमार, एएसपी राजेश कुमार तथा सीओ चंद्रशेखर सिंह घटनास्थल पर आ गए. सुभाष के दरवाजे पर अब तक भारी भीड़ जुट चुकी थी. ग्रामीणों की इतनी भीड़ देख कर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए. उन्हें लगा कि असामाजिक तत्त्व भीड़ को गुमराह कर कहीं कोई बवाल खड़ा न कर दें. इसलिए उन्होंने अतिरिक्त फोर्स मंगा कर गोकुलपुरा गांव में तैनात करा दी.

सामूहिक हत्याकांड (Mainpuri Mass Murder) की खबर सुन कर अब तक सुभाष यादव के घर पर रिश्तेदारों का जमावड़ा शुरू हो गया था. जब भी कोई खास रिश्तेदार आता, महिलाओं का करुण रुदन कलेजा चीरने लगता. माहौल उस समय तो बेहद गमगीन हो उठा, जब नईनवेली दुलहन मृतका सोनी के मम्मीपापा के साथ सैकड़ों लोग आ गए.

वेदराम व उन की पत्नी सुषमा बेटी दामाद का शव देख कर बिलख पड़े. उन का करुण रुदन इतना द्रवित कर देने वाला था कि वहां मौजूद शायद ही कोई ऐसा हो, जिस की आंखों में आंसू न आए हों. पुलिसकर्मी तक अपने आंसू न रोक सके.

Deepak (Mratak)                  Saurabh (Mratak)

मृतक दीपक                                              मृतक सौरभ

मृतक दीपक के मम्मीपापा भी फिरोजाबाद से आ गए थे. वह भी बेटे की लाश के पास सुबक रहे थे. प्रियंका भी पति सौरभ की लाश के पास बिलख रही थी. उस की मम्मी शारदा देवी उसे ढांढस बंधा रही थी. यह बात दीगर थी कि उन की आंखों से भी लगातार आंसू बह रहे थे. क्योंकि उन की आंखों के सामने ही बेटे, बहू और दामाद की लाश पड़ी थी.

पुलिस अधिकारियों ने संवेदना व्यक्त करते हुए किसी तरह समझाबुझा कर मृतकों के घर वालों को शवों से अलग किया, फिर पंचनामा भरवा कर मृतक सोनू, भुल्लन, दीपक, सौरभ, शिववीर तथा सोनी के शवों को पोस्टमार्टम के लिए मैनपुरी के जिला अस्पताल भिजवा दिया. शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद एसपी विनोद कुमार ने घर के मुखिया सुभाष यादव से घटना के बारे में जानकारी जुटाई. सुभाष यादव ने बताया कि यह खूनी खेल उस के बड़े बेटे शिववीर ने ही खेला है. 22 जून को उस के मंझले बेटे सोनू की शादी थी. बारात गंगापुरा (इटावा) गई थी. 23 जून को दोपहर बाद बारात वापस आई. घर में बहू की मुंहदिखाई व अन्य रस्में पूरी हुईं. खूब गाना बजाना हुआ.

रात 12 बजे तक डीजे पर सब नाचतेझूमते रहे. शिववीर भी जश्न में शामिल रहा. लेकिन उस के मन में क्या चल रहा है, हम लोग भांप नहीं पाए. रात के अंतिम पहर में इस क्रूर हत्यारे ने हमला कर 5 जनों को काट कर मौत की नींद सुला दिया. शायद उस का इरादा सभी को खत्म करने का था, लेकिन पत्नी बेटी सहित वह बच गए.

Ghar Ke Mukhiya Se Puch-Tach Karte S.P. Vinod Kumar

घर के मुखिया सुभाषचंद यादव से बातचीत करते हुए एसपी विनोद कुमार

एसपी विनोद कुमार ने गोकुलपुरा अरसारा गांव में डेरा जमा लिया था. शवों के अंतिम संस्कार तक वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. देर शाम एडीजी राजीव कृष्ण व आईजी दीपक कुमार गोकुलपुरा पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण कर घर के मुखिया सुभाषचंद यादव से बातचीत की. उन्होंने एसपी विनोद कुमार से भी घटना से संबंधित जानकारी हासिल की तथा कुछ आवश्यक निर्देश दिए.

मृतकों के शवों का पोस्टमार्टम वीडियोग्राफी के साथ 3 डाक्टरों के पैनल ने किया. वहां क्षेत्रीय विधायक बृजेश कठेरिया मृतकों के परिजनों के साथ रहे और उन्हे धैर्य बंधाते रहे. पोस्टमार्टम के बाद शव उन के परिजनों को सौंप दिए गए. पुलिस व्यवस्था के साथ दीपक का शव फिरोजाबाद तथा सौरभ का शव उस के गांव चांद हविलिया (किशनी) भेज दिया गया. 3 बेटों सोनू, भुल्लन व शिववीर का दाह संस्कार सुभाष ने किया.

इधर वेदराम यादव अपनी बेटी सोनी का शव ले कर अपने गांव गंगापुरा पहुंचे तो माहौल बेहद गमगीन हो गया. लाडली बेटी का शव देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. हर आंख में आंसू थे. दर्द इस बात का था कि जिस बेटी को पूरे गांव ने हंसी खुशी से ससुराल भेजा था, उस का कफन में लिपटा शव गांव आया था. पूर्व दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री रामसेवक यादव भी बेहद दुखी थे. क्योंकि लाडली बेटी सोनी उन के गांव व परिवार की थी. वेदराम को ढांढस बंधाते वह स्वयं भी रो रहे थे.

Ghatna Sthal Par Pahuchi Sansad Dimple Yadav

घटनास्थल पर पहुंची डिंपल यादव

सामूहिक नरसंहार से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल शुरू हो गई थी. चूंकि मामला यादव परिवार से जुड़ा था और डिंपल यादव भी मैनपुरी से सांसद हैं, इसलिए वह दूसरे रोज ही गोकुलपुरा गांव जा पहुंचीं. पर्यटन राज्यमंत्री जयवीर सिंह ने भी सामूहिक नरसंहार (Mainpuri Mass Killing) पर गहरा दुख व्यक्त किया. शिववीर ने अपने सगे भाइयों की हत्या क्यों की? परिवार के प्रति उस के मन में ईष्र्या, द्वेष और नफरत की भावना क्यों पनपी? वह क्या हासिल करना चाहता था? यह सब जानने के लिए हमें उस की पारिवारिक (Family dispute) पृष्ठभूमि को समझना होगा.

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के किशनी थाना अंतर्गत एक गांव है-गोकुलपुरा अरसारा. यादव बाहुल्य इसी गांव में सुभाषचंद्र यादव सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शारदा देवी के अलावा 3 बेटे शिववीर, सोनू, अभिषेक उर्फ भुल्लन तथा एक बेटी प्रियंका थी. सड़क किनारे उन का पक्का मकान था. वह किसान थे. खेती से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे.

सुभाषचंद्र यादव खुद तो पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन बेटों को पढ़ालिखा कर योग्य बनाना चाहते थे. इसलिए वह उन की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देते थे. अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा वह बेटों की पढ़ाई पर खर्च करते थे. 2 बेटे सोनू व भुल्लन तो पढऩे में तेज थे, लेकिन बड़ा बेटा शिववीर पढऩे में कमजोर था. इंटरमीडिएट की परीक्षा जैसेतैसे पास कर उस ने पढऩा बंद कर दिया और पिता के साथ खेती में हाथ बंटाने लगा.

Shiv veer (Hatyara)

हत्यारा शिववीर

लेकिन शिववीर का मन खेती किसानी में भी नहीं लगा. इस के बाद वह नौकरी की तलाश में जुट गया. काफी प्रयास के बाद उसे मैनपुरी में स्थित एक फर्म में सेल्समैन की नौकरी मिल गई. चूंकि कृषि यंत्र बेचने में उसे कमीशन भी मिलता था, इसलिए उस की अच्छी कमाई होने लगी. अब वह ठाठबाट से रहने लगा. शिववीर कमाने लगा तो सुभाषचंद्र उस के ब्याह की सोचने लगे. वह ऐसी लड़की चाहते थे, जो उन का घर संभाल सके, भले ही वह ज्यादा पढ़ीलिखी न हो. उन्हीं दिनों करहल (मैनपुरी) निवासी हरीसिंह यादव अपनी बेटी डौली का रिश्ता ले कर सुभाष के पास आए.

सुभाष यादव तो शिववीर के रिश्ते के लिए लालायित ही थे, सो उन्होंने रिश्ता मंजूर कर लिया. फिर दोनों तरफ से बात तय होने के बाद 8 फरवरी, 2019 को हरीसिंह ने डौली का विवाह शिववीर के साथ कर दिया. डौली शिववीर की दुलहन बन कर ससुराल आई तो उस के जीवन में बहार आ गई. डौली सुंदर तो थी ही, साथ ही सुशील व सदाचारी भी थी. उस ने ससुराल आते ही घर संभाल लिया था. वह पति की सेवा तो करती ही थी, सासससुर की सेवा में भी कोई कसर न छोड़ती थी.

शादी के एक साल बाद डौली ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने पीहू रखा. पीहू के जन्म से घर की खुशियां और बढ़ गई. शिववीर डौली से बहुत प्यार करता था. वह उस के प्यार में ऐसा खोया कि कामधंधा ही भूल गया. लापरवाही बरतने व काम पर न जाने के कारण उस की नौकरी भी छूट गई. शिववीर बेरोजगार हुआ तो वह आवारा घूमने लगा. उस की संगत कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोगों से हो गई, जिन के साथ वह नशापत्ती करने लगा. डौली मना करती तो वह उसे झिड़क देता. कभीकभी उस पर हाथ भी उठा देता था.

बेटे को गलत रास्ते पर जाते देख कर सुभाष की चिंता बढ़ गई. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह शिववीर को कैसे सुधारें. काफी विचारविमर्श के बाद उन्होंने किशनी कस्बे में शिववीर को फ्लैक्स की दुकान खुलवा दी. बैनर, पोस्टर बनाने के इस धंधे में शिववीर को शुरू में तो आमदनी हुई, लेकिन उधारी के कारण बाद में नुकसान होने लगा. यहां तक कि दुकान का किराया तथा कारीगरों की मजदूरी भी निकालनी मुश्किल हो गई. धंधे में नुकसान हुआ तो उस ने दुकान बंद कर दी. इस धंधे में वह कमाने के बजाय कर्जदार हो गया.

घर वालों ने शिववीर की क्यों नहीं की मदद

सुभाषचंद्र की बेटी प्रियंका अब तक जवान हो गई थी. वह उस के हाथ जल्द ही पीले कर देना चाहते थे. प्रियंका खूबसूरत तो थी, लेकिन ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी. आठवीं कक्षा पास करते ही मां शारदा ने उस की पढ़ाई बंद करा दी थी और अपने साथ घरेलू काम में लगा लिया था. उन का मानना था कि ज्यादा पढ़ीलिखी लड़की के लिए योग्य लड़का खोजना मुश्किल होता है. जबकि सुभाष यादव पत्नी की बात से सहमत नहीं थे. सुभाष यादव ने प्रियंका के लिए योग्य वर की खोज शुरू की तो उन्हें एक लड़का सौरभ पसंद आ गया. सौरभ के पिता रामकिशन यादव मैनपुरी जिले के गांव चांद हविलिया के रहने वाले थे. 24 वर्षीय सौरभ दूध का व्यवसाय करता था और पिता के साथ खेती में भी हाथ बंटाता था.

सुभाष को सौरभ पसंद आया तो उन्होंने 6 जून, 2021 को प्रियंका का विवाह सौरभ के साथ कर दिया. प्रियंका को ससुराल में किसी चीज की कमी न थी, सो वह सुखपूर्वक ससुराल में पति के साथ जीवन बिताने लगी. सुभाष जहां अपने बड़े बेटे शिववीर से दुखी था तो वहीं अन्य 2 बेटों से संतुष्ट भी था. मंझला बेटा सोनू पढ़लिख कर अकाउंटेंट की नौकरी पा गया था. वह राजस्थान की खुशखेरा स्थित एक फैक्ट्री में काम करता था. उसे अच्छी सैलरी मिलती थी.

सब से छोटे अभिषेक उर्फ भुल्लन को नौकरी तो नहीं मिली थी, लेकिन उस ने किशनी तहसील के पास फोटोकापी की दुकान खोल ली थी. दुकान से उसे अच्छी आमदनी होने लगी थी. अभिषेक व सोनू पिता की मरजी से हर काम करते थे, इसलिए वे दोनों उन की आंखों के तारे बन गए थे. इधर शिववीर ने फ्लैक्स के काम में पैसा गंवाने के बाद कर्ज ले कर गल्ले का धंधा किया, लेकिन इस में भी वह मात खा गया. अब वह पहले से ज्यादा कर्जदार हो गया. उस ने पिता व भाइयों से कर्ज (Family dispute) उतारने के लिए पैसा मांगा, लेकिन उन्होंने पैसा नहीं दिया. कर्जदार होने से घर वाले उस की उपेक्षा करने लगे.

कर्जदारों से परेशान शिववीर घर छोड़ कर पुणे चला गया. वहां वह किसी फैक्ट्री में काम करने लगा. एक साल तक शिववीर घर से गायब रहा. उस के बाद फिर घर वापस आ गया. वापस आते ही कर्ज वाले उस के घर के चक्कर लगाने लगे. शिववीर ने फिर घर वालों से पैसे मांगे, लेकिन सभी ने उसे दुत्कार दिया. एक पैसा भी नहीं दिया.

पत्नी भी क्यों हुई शिववीर के खिलाफ

शिववीर ने तब लड़झगड़ कर डौली के जेवर छीन लिए और बेच दिए. एकदो लोगों का उस ने मामूली कर्ज अदा किया. फिर घर छोड़ कर खोड़ा (नोएडा) आ गया. यहां वह किसी प्रिंटिंग प्रेस में काम करने लगा. कुछ दिनों बाद वह अपनी पत्नी डौली को भी ले आया. डौली एकदो माह तो उस के साथ खुश रही, फिर दोनों में झगड़ा होने लगा. झगड़ा जेवर बेचने को ले कर होता था. एक रोज तो झगड़े ने बड़ा रूप ले लिया. शिववीर ने पहले तो पत्नी को पीटा, फिर दीवार में उस का सिर पटक दिया, जिस से डौली का सिर फट गया. गुस्से में डौली ने अपनी मासूम बच्ची को साथ लिया और आनंद विहार बसअड्डे आ गई.

यहां से बस पर सवार हो कर करहल आ गई, फिर वहां से अपने मायके आ गई. मम्मीपापा को उस ने पति की करतूत बताई तो उन्होंने बेटी को गले लगा लिया और बेटी को शिववीर के साथ न भेजने का फैसला लिया. कुछ दिनों बाद शिववीर डौली को लेने ससुराल आया तो डौली के मम्मीपापा का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने शिववीर को खूब खरीखोटी सुनाई और बेटी को साथ भेजने से साफ मना कर दिया. शिववीर ने डौली को लाख मनाने की कोशिश की. माफी भी मांगी, लेकिन डौली नरम नहीं हुई. उस ने भी पति के साथ जाने को साफ मना कर दिया. अपमानित हो कर शिववीर घर आ गया. उस ने सारी बात अपने मम्मीपापा को बताई, फिर वह नोएडा चला गया.

इधर जब डौली कई माह तक ससुराल वापस नहीं आई तो डौली को ले कर गांव में कानाफूसी होने लगी. इज्जत बचाने के लिए सुभाष बहू के मायके गए और उसे किसी तरह मना कर विदा करा लाए. डौली के मम्मीपापा ने कई शर्तों के साथ डौली को उस समय ससुराल भेजा था. कुछ दिन बाद डौली के वापस आने की जानकारी शिववीर को हुई तो वह उसे लेने आ पहुंचा. लेकिन सुभाष ने डौली को यह कह कर उस के साथ नोएडा नहीं भेजा कि बहू के जाने से घर में रोटीपानी की परेशानी होगी. क्योंकि डौली की सास शारदा की तबियत खराब चल रही थी.

शिववीर अब 15 दिन में घर आता. 2-3 दिन रहता, उस के बाद फिर नौकरी पर नोएडा चला जाता. लेकिन जब भी आता, पापा से पैसों की डिमांड करता. न देने पर लड़ाईझगड़ा करता. मां शारदा से भी उलझ जाता. एक दिन तो हद ही हो गई. शिववीर ने पापा सुभाष (Family dispute) पर हाथ छोड़ दिया. पति पर हाथ छोडऩा शारदा को नागवार लगा, इसलिए वह उस से भिड़ गई और कई तमाचे शिववीर के गाल पर जड़ दिए.

घर आतेजाते एक रोज शिववीर को पता चला कि पापा व दोनों भाइयों ने मिल कर सड़क किनारे एक प्लौट तथा 5 बीघा उपजाऊ भूमि खरीदी है. लेकिन प्लौट व जमीन में उस का नाम दर्ज नहीं कराया गया है. वह मन ही मन जलभुन उठा. उस के मन में घर वालों के प्रति नफरत की आग सुलगने लगी. शिववीर ने इस बाबत पापा से पूछा तो उन्होंने कहा कि सोनूू और भुल्लन ने अपनी कमाई से खेत खरीदे हैं. यह सुन कर शिववीर गुस्से से बोला, ”खेत, प्लौट खरीदने को तुम लोगों के पास पैसा है, लेकिन हमारा कर्ज चुकाने को तुम्हारे पास पैसा नहीं है. यह नाइंसाफी है.’’

शिववीर ने इस नाइंसाफी के बारे में बहनोई सौरभ तथा मामा विनोद से भी बात की, लेकिन उन लोगों ने भी उस की एक न सुनी. शिववीर अब मामा व बहनोई से भी नफरत करने लगा. सुभाष का मंझला बेटा सोनू राजस्थान की खुशखेरा स्थित जिस फैक्ट्री में काम करता था, उसी में वेदराम यादव भी नौकरी करता था. वेदराम यादव इटावा जिले के गंगापुरा गांव का रहने वाला था. चूंकि सोनू और वेदराम एक ही क्षेत्र के रहने वाले थे, इसलिए परिचय होने के बाद दोनों के बीच घनिष्ठता बढ़ गई थी. जब भी दोनों को फुरसत मिलती तो साथ बैठ कर घरगांव की बातें करते थे. चूंकि दोनों यादव जाति के थे, सो दिन पर दिन उन की दोस्ती बढ़ती गई.

वेदराम यादव के परिवार में पत्नी सुषमा के अलावा 4 बेटियां सोनी (18 वर्ष), अंजलि (16 वर्ष), खुशबू (14 वर्ष), खुशी (13 वर्ष) तथा एक बेटा यश (7 वर्ष) था. वेदराम स्वयं तो नौकरी करता था, लेकिन उस की पत्नी सुषमा घरखेत की जिम्मेदारी संभाले थी. पांचों बच्चों की देखरेख व पालनपोषण की जिम्मेदारी सुषमा की ही थी.

वेदराम की बेटी सोनी भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह खूबसूरत तो बचपन से ही थी, लेकिन 16 बसंत पार कर जब उस ने जवानी की डगर पर कदम रखा तो उस की खूबसूरती में और भी निखार आ गया था. असित इंटर कालेज, गंगापुरा से उस ने हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी. वह आगे पढऩा चाहती थी, लेकिन मम्मी ने उस की पढ़ाई बंद करा दी थी और घरेलू काम में लगा दिया था. वेदराम अपनी जवान बेटी के ब्याह के लिए चिंतित रहता था. वह फैक्ट्री में जब भी सोनू से मिलता तो उसे अपनी बेटी सोनी की याद आ जाती. उसे लगता कि सोनू ही उस की बेटी के योग्य है. वह उसे सदा खुश रखेगा.

रिश्ता हो गया तो दोनों की जोड़ी खूब फबेगी. इशारेइशारे में वेदराम ने कई बार सोनू का मन टटोला तो वह हंस कर टाल गया और बोला, ”शादी विवाह मम्मीपापा की मरजी से होते हैं. पहले उन की हां फिर मेरी हां.’’

वेदराम सोनू का इशारा समझ गया. इस बार मार्च, 2023 में होली त्यौहार की छुट्टी में जब वेदराम घर आया तो वह बेटी का रिश्ता ले कर सोनू के गांव गोकुलपुरा अरसारा पहुंच गया. उस ने बिना कोई भूमिका बांधे सोनू के पापा सुभाष यादव से कहा कि वह अपनी बेटी सोनी का रिश्ता ले कर उन के पास आए हैं. उन का बेटा सोनू उन्हें पसंद है.

Soni (Mratika)

मृतका सोनी

आपस की बातचीत के बाद सोनी का रिश्ता सोनू के साथ तय हो गया. शादी की तारीख 22 जून, 2023 तय हुई. इस के बाद दोनों परिवार शादी की तैयारी में जुट गए.

भाई की शादी पर क्यों चिढ़ा शिववीर

शिववीर को सोनू का ब्याह तय होने की बात पता चली तो वह मन ही मन जल उठा. वह नोएडा से घर आया तो मम्मीपापा से झगडऩे लगा और बोला, ”तुम्हारे पास शादी रचाने को रकम है, लेकिन मेरा कर्ज चुकाने को नहीं. क्या मैं सौतेला बेटा हूं या फिर किसी की नाजायज औलाद. आखिर घर में मेरी अनदेखी क्यों की जा रही है?’’

शिववीर ने शादी की तैयारी के बहाने सुभाष से 20 हजार रुपया मांगा, लेकिन उन्होंने पैसा देने से साफ इंकार कर दिया. इस इंकार से शिववीर की नफरत चरम पर पहुंच गई. वह सोचने लगा कि उसे इस तरह तो कुछ भी हासिल न होगा. उसे सब कुछ छीनना ही पड़ेगा. उस ने मन ही मन तय कर लिया कि वह पूरे परिवार का सफाया कर देगा. उस के बाद आराम की जिंदगी बिताएगा. जमीनजायदाद, घर, प्लौट का वही मालिक होगा.

अपने खतरनाक मंसूबों को सफल बनाने के लिए वह तैयारी में जुट गया. सब से पहले उस ने चारा काटने वाली मशीन के ब्लेड से तेज धार वाला फरसा तैयार कराया. इस के बाद उस ने एक स्थानीय अपराधी की मदद से तमंचा व कारतूस खरीदा. फरसे व तमंचे को उस ने अपने कमरे में सुरक्षित रख दिया. यही नहीं, उस ने हर खतरे से निपटने के लिए अन्य तैयारियां भी पूरी कर लीं. मिर्च का स्प्रे व नींद की गोलियों का इंतजाम भी उस ने कर लिया.

शिववीर ने अपने खतरनाक मंसूबों की किसी को भनक तक न लगने दी. वह सामान्य तरीके से रहने लगा. सुभाष यादव व उस के दोनों बेटे शादी की तैयारियों में जुटे थे. निमंत्रण कार्ड आदि बांटे जा चुके थे. गांव में शादी की रस्में एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती हैं. रिश्तेदारों व महिलाओं का आनाजाना भी शुरू हो गया था. सोनू की बहन प्रियंका, मौसी, मामी भी आ चुकी थीं. 20 जून को मंडप गाड़ा गया. उस के बाद से मंडप के नीचे ढोलक की थाप पर मंगल गीत गाए जाने लगे.

सुभाष यादव ने बड़े बेटे शिववीर को शादी में नहीं बुलाया था, फिर भी वह 3 दिन पहले ही नोएडा से घर आ गया. वह हर काम हंसीखुशी से करने लगा. उस ने भाइयों को तनिक भी आभास नहीं होने दिया कि उस के मन में क्या चल रहा है. 22 जून, 2023 को गाजेबाजे के साथ निकासी हुई और शाम 4 बजे बारात गंगापुरा के लिए रवाना हुई. रात 8 बजे वेदराम व उस के परिजनों ने बारात का स्वागत किया. बारात में शिववीर ने जम कर डांस किया. डीजे की धुन पर दूल्हा दुलहन भी खूब थिरके.

शिववीर वैसे तो खुश था, लेकिन छोटीछोटी बातों को ले कर वह लड़की पक्ष के लोगों से भिड़ जा रहा था. कभी लाइट को ले कर तो कभी पानी को ले कर वह नाराज हो रहा था. घर वालों के समझाने पर वह चुप हो जाता. डीजे बंद होने पर तो वह इतना नाराज हुआ कि वह रात में ही मोटरसाइकिल से घर वापस आ गया. 23 जून की सुबह वेदराम व उस की पत्नी सुषमा ने अपनी लाडो को लाल जोड़े में आंसुओं के बीच विदा किया. दोपहर बाद बारात गोकुलपुरा गांव वापस आ गई. उस के बाद ज्यादातर रिश्तेदार तो चले गए, लेकिन सोनू की बहन प्रियंका, जीजा सौरभ, मामी सुषमा तथा दोस्त दीपक उपाध्याय रुक गए. शाम तक मुंहदिखाई व अन्य रस्मेें होती रहीं.

ढोलक की थाप पर नाचगाना भी हुआ. फिर देर रात तक डीजे पर डांस होता रहा. सोनू, सोनी भी खूब थिरके. दीपक, सौरभ व शिववीर ने भी खूब डांस किया.

क्या हुआ था नशीली कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद

रात 12 बजे कर्ज से परेशान शिववीर कोल्ड ड्रिंक लाया. बस यहीं से उस ने अपने मंसूबों को अंजाम देना शुरू कर दिया. उस ने चालाकी से कोल्ड ड्रिंक में नशीली गोलियों का पाउडर मिला दिया. फिर एकएक गिलास सभी को थमा दिया. सभी कोल्ड ड्रिंक पीने लगे. कोल्ड ड्रिंक पीने के दौरान ही सोनी की मां सुषमा की काल आई. सोनी ने काल रिसीव की और बताया कि ससुराल में सब ठीक है. अभी चंद मिनट पहले ही डांस बंद हुआ है. जेठजी (शिववीर) कोल्ड ड्रिंक ले कर आए हैं, हम सभी पी रहे हैं.

इधर कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद सौरभ, भुल्लन व दोस्त दीपक उपाध्याय आंगन में जा कर लेट गए तथा सोनू की मामी सुषमा, भाभी डौली, बहन प्रियंका तथा मां शारदा देवी बरामदे में सो गईं. बरामदे के पास ही सुभाषचंद्र खटिया पर लेट गए. सोनू व उस की पत्नी सोनी सुहागरात मनाने छत पर बने कमरे में जा कर लेट गए. उन्होंने जीने का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.

नशीली कोल्ड ड्रिंक पी कर कुछ देर बाद सभी सो गए. लेकिन शिववीर की आंखों से नींद कोसों दूर थी. रात 3 बजे के बाद वह कमरे में आया. उस ने छिपा कर रखा तमंचा निकाला, फिर लोड कर कमर में खोंस लिया. इस के बाद फरसा ले कर कमरे से बाहर आया. चूंकि जीने का दरवाजा बंद था, अत: वह दीवार के सहारे सीढ़ी लगा कर छत पर पहुंचा. कमरे के अंदर सोनू व सोनी अस्तव्यस्त हालत में लेटे थे. शायद वे सुहागरात मनाने के बाद सुख की नींद सो रहे थे. शिववीर ने एक घृणाभरी नजर दोनों पर डाली फिर फरसे से गले पर वार कर दोनों को मार डाला.

Ghatna Sthan Par Pada Nav-Dampati Ke Shav

घटनास्थल पर पड़े नव दंपति के शव

नवदंपति की हत्या करने के बाद शिववीर जीने का दरवाजा खोल कर आंगन में आया. यहां भाई भुल्लन, बहनोई सौरभ व भाई का दोस्त दीपक सो रहा था. शिववीर ने फरसे से गरदन व चेहरे पर बारीबारी से वार कर तीनों को मौत की नींद सुला दिया. 5 हत्याएं करने के बाद शिववीर आंगन से बरामदे में आया. यहां उस ने फावड़े से अपनी पत्नी डौली व मामी सुषमा पर वार किया. डौली का पैर तथा सुषमा का हाथ जख्मी हो गया. वे दोनों चीखीं तो सुभाष, उस की पत्नी शारदा तथा बेटी प्रियंका जाग गईं.

उन तीनों ने शिववीर का रौद्र रूप देखा तो वे कांप उठीं. फिर भी वह उसे पकडऩे दौड़ीं. इसी बीच शिववीर ने फरसे से पिता पर वार कर दिया. लेकिन फरसा घूम जाने से उस की जान बच गई. केवल हाथ में ही मामूली चोट आई. हिम्मत जुटा कर सुभाष, शारदा व प्रियंका ने शिववीर को पकडऩे का प्रयास किया तो वह मकान के पीछे की ओर भागा. परिवार का कत्ल करने के बाद शिववीर ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और कनपटी से सटा कर फायर कर दिया. फायर की आवाज सुन कर प्रियंका व शारदा वहां पहुंचीं तो शिववीर की मौत हो चुकी थी. मांबेटी तब चीखनेचिल्लाने लगीं.

शारदा व प्रियंका की चीखपुकार सुन कर आसपड़ोस के लोग आ गए. उन्होंने घर के अंदर का खौफनाक मंजर देखा तो सभी की रूह कांप उठी. उस के बाद तो गांव में सनसनी फैल गई. गोकुलपुरा ही नहीं, बल्कि आसपास के गांव के (Family dispute) लोग उमड़ पड़े.

पुलिस को सूचना मिली तो आला अधिकारी भी मौके पर आ गए और जांच में जुट गए. प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया के पत्रकारों का जमावड़ा भी शुरू हो गया.

Deepak Kumar (I.G.)

आईजी दीपक कुमार

पुलिस अधिकारियों ने सब से पहले घायलों को अस्पताल भेजा, फिर जरूरी काररवाई पूरी कर शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाया. उस के बाद घटना के संबंध में घर के मुखिया सुभाष से जानकारी हासिल की.

Rajesh Kumar (A.S.P.)

एएसपी राजेश कुमार

पूछताछ के बाद किशनी थाने के एसएचओ अनिल कुमार ने घर के मुखिया सुभाषचंद्र यादव की तहरीर पर बड़े शिववीर के खिलाफ हत्या का मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन आरोपी द्वारा भी आत्महत्या कर लेने से उन्होंने फाइल बंद कर दी. कथा संकलन तक डौली और सुषमा का इलाज सैफई के अस्पताल में चल रहा था. उन की जान तो बच गई, लेकिन दिल के जख्म शायद ही जीवन में भर सकें.

प्रियंका का सुहाग भाई ने ही उजाड़ दिया. उस के जीवन में अब शायद ही कभी बहार आए. सुभाष यादव व उन की पत्नी शारदा भी पश्चाताप के आंसू बहा रहे थे. उन का कहना था कि जब परिवार ही नष्ट हो गया तो वह जिंदा रह कर क्या करेंगे?

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Murder Story : होटल में मिली ब्यूटीशियन की लाश, ट्रैक पर प्रेमी का शव

Murder Story : दिल्ली के पश्चिम विहार में स्थित एक होटल में ब्यूटीशियन का शव और अगले दिन रेलवे ट्रैक पर उस के प्रेमी का शव मिलने से सनसनी फैल गई है. इन दोनों घटनाओं ने लोगों के जहन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

होटल में मिली लाश की पहचान 28 वर्षीय काजल के रूप में हुई. वह मंगोलपुरी के आर ब्लौक में रहती थी और पेशे से ब्यूटीशियन थी. पुलिस को जांच में पता चला कि काजल का विवाह जोधपुर निवासी रवि नाम के युवक के साथ हुआ था, लेकिन उस की पति से नहीं बनी. जब उन दोनों के बीच ज्यादा तकरार रहने लगी तो काजल ने पति रवि से साल 2022 में तलाक ले लिया था.

फिर एक सहेली के माध्यम से काजल की जानपहचान जोधपुर के सुरेंद्र नाम के युवक से हुई. यह जानपहचान बाद में प्यार में बदल गई. इस के बाद काजल सुरेंद्र के साथ ही रहने लगी. कुछ दिनों तो दोनों मौजमजे में रहे, लेकिन किसी बात पर काजल की सुरेंद्र के साथ भी कलह रहने लगी. लगभग एक महीने पहले इन दोनों के बीच झगड़ा हुआ तो काजल दिल्ली के मंगोलपुरी में स्थित अपने मायके आ गई. काजल के 3 भाई और 2 बहनें हैं.

14 दिसंबर, 2024 को साक्षी नाम की एक सहेली ने काजल को अपने बच्चे के जन्मदिन पार्टी में बुलाया. काजल जब देर रात घर नहीं पहुंची तो उस के घर वालों ने उसे फोन किया, लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ था. घर वालों ने साक्षी से उस के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि काजल उस से मिलने के बाद चली गई थी. तब घर वालों ने थाना राज पार्क में 16 दिसंबर को उस की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी.
उधर काजल के प्रेमी सुरेंद्र (23 साल) ने दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में स्थित एक होटल में 14 दिसंबर को एक कमरा बुक करा रखा था.

14-15 दिसंबर की रात करीब डेढ़ बजे काजल उस होटल में पहुंची. फिर 15 दिसंबर को सुरेंद्र अकेला ही होटल से चला गया. 17 दिसंबर को होटलकर्मियों ने कमरे का दरवाजा न खुलने पर पुलिस को सूचना दी. पुलिस मौके पर पहुंची तो कमरे में काजल की लाश (Murder Story) मिली. मृतका के गले और चेहरे पर निशान मिले हैं.
शुरुआती जांच में पुलिस समझ नहीं पाई कि यह हत्या का मामला है या आत्महत्या का. पुलिस ने मृतका का विसरा सुरक्षित कर जांच के लिए भेज दिया.

इस घटना के अगले दिन गुरुग्राम पुलिस को पटौदी रेलवे ट्रैक पर काजल के प्रेमी सुरेंद्र का शव मिला. उस के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. पुलिस को फिलहाल दोनों की मौत की असली वजह पता नहीं लग सकी है. फोरैंसिक जांच रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी. बहरहाल, प्रेमीप्रेमिका की अलगअलग जगहों पर हुई मौत क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है.

क्यों बेटा बना Fashion Designer मां का कातिल

4 नवंबर, 2018 की बात थी. उस समय सुबह के करीब 9 बजे थे. मुंबई के उपनगर अंधेरी वेस्ट के थाना ओशिवारा के थानाप्रभारी को एक अहम खबर मिली. खबर देने वाले ने टेलीफोन पर थानाप्रभारी शैलेश पासलकर को बताया कि अंधेरी लोखंडवाला कौंप्लेक्स स्थित क्रौसगेट कोऔपरेटिव हाउसिंग सोसायटी लिमिटेड बिल्डिंग के बी विंग के फ्लैट नंबर 301 के अंदर कोई हादसा हो गया है. फ्लैट में एक महिला मृत पड़ी हुई है.

इस जानकारी को थानाप्रभारी शैलेश पासलकर ने गंभीरता से लिया. बिना देर किए वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. चूंकि घटना अंधेरी के पौश इलाके के कौंप्लेक्स की सोसायटी में घटी थी, इसलिए उन्होंने इस की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम और फोरैंसिक ब्यूरो को भी दे दी. घटनास्थल ओशिवारा पुलिस थाने से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर था. पुलिस टीम को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. 10 मिनट के अंदर पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. तब तक इस मामले की खबर पूरी सोसायटी में फैल चुकी थी और तमाम लोग वहां एकत्र हो गए थे.पुलिस टीम भीड़ को हटा कर बिल्डिंग की लिफ्ट से तीसरी मंजिल के फ्लैट नंबर 301 के सामने पहुंच गई. फ्लैट का दरवाजा बाहर से बंद था.

पूछताछ में सोसायटी के लोगों ने बताया कि कई सालों से उस फ्लैट में बौलीवुड की सुप्रसिद्ध मौडल और फैशन डिजाइनर सुनीता सिंह लाठर अपने बेटे लक्ष्य सिंह लाठर के साथ किराए पर रहती थी. उन के साथ अकसर उन के बेटे लक्ष्य सिंह लाठर की प्रेमिका और मंगेतर ऐशप्रिया बनर्जी भी आतीजाती थी. सोसायटी के लोगों के बताने और फ्लैट बाहर से बंद होने की वजह से थानाप्रभारी शैलेश पासलकर को मामला काफी रहस्यमय लगा. उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर के दरवाजा तोड़ने का फैसला किया, तभी वहां पर सुनीता सिंह लाठर का बेटा लक्ष्य सिंह लाठर आ गया.

उस ने बताया कि वह मंदिर गया था और उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. पुलिस अधिकारियों की तरह उस ने भी कई बार फ्लैट की कालबेल बजाने के बाद अपनी चाबी से दरवाजा खोला. दरवाजा खुलने पर जब पुलिस टीम फ्लैट के अंदर गई तो वहां की स्थिति देख कर सभी स्तब्ध रह गए. हौल के बीचोंबीच फैशन डिजाइनर सुनीता सिंह लाठर का शव पड़ा था. उस के शरीर पर हाफ टी शर्ट और हाफ लैगी थी. सिर पर एक गहरा घाव था, जिस में से काफी खून बह चुका था.

अपनी मां सुनीता सिंह लाठर को मृत देख लक्ष्य दहाड़ें मारमार कर रोने लगा. पुलिस टीम और पड़ोसी उसे सांत्वना दे रहे थे. पुलिस टीम घटनास्थल का निरीक्षण कर के हादसे के बारे में पूछताछ कर ही रही थी कि डीसीपी मनोज शर्मा, क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम और फोरैंसिक टीम भी वहां पहुंच गई. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो जाने के बाद डीसीपी मनोज शर्मा ने घटनास्थल का बारीकी से जायजा लिया. मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण उन्होंने जांच का दायित्व स्वयं संभाला. उस समय थानाप्रभारी शैलेश पासलकर को केस से संबंधित आवश्यक दिशानिर्देश दे कर वह वापस लौट गए.

थानाप्रभारी शैलेश पासलकर ने क्राइम ब्रांच टीम के साथ मिल कर घटनास्थल का मुआयना किया. मृतक सुनीता सिंह लाठर के शव को पोस्टमार्टम के लिए विलेपार्ले के कूपर अस्पताल भेज दिया गया. प्राथमिक काररवाई निपटा कर पुलिस टीम थाने लौट आई. केस की जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस सुनीता सिंह लाठर के मौडल बेटे लक्ष्य सिंह लाठर को थाने ले आई.

पिता की आत्मा ने मारा मां को

पुलिस अफसरों ने मौडल लक्ष्य सिंह लाठर के बयान पर केस दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. लक्ष्य सिंह लाठर ने अपने बयान में बताया कि उस की मां सुनीता सिंह लाठर की मौत की वजह उस के मृतक पिता की आत्मा है, जो कभी भी उन के ऊपर हावी हो जाती थी. जिस की वजह से वह मानमर्यादा सब भूल जाती थी. अजीबअजीब सी हरकतें करने लगती थी.

कभी वह उस से शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहती तो कभी शराब और ड्रग्स के नशे में उस से पैसों और कई चीजों की मांग करती थी, जो उस के लिए संभव नहीं था. घटना के समय वह घर में नहीं था. मां सुनीता सिंह ने रात को सोते समय ड्रग्स का हैवी डोज लिया था. सुबह बाथरूम में शायद वह अपने आप को संभाल नहीं पाई होंगी या फिर पिता की आत्मा का असर हुआ होगा. बाथरूम में गिर कर उन की मौत हो गई होगी.

मौडल लक्ष्य सिंह लाठर के इस बयान से पुलिस अफसर भी हैरान रह गए. वह मामले को जितना सीधा समझ रहे थे, दरअसल वह उतना सीधा नहीं था. जब उस की मां सुनीता सिंह लाठर पर पिता की मृत आत्मा का असर होता था. तब वह उस से मुक्ति पाने के लिए किसी न किसी बाबा की शरण में जाता था. हालांकि आत्मा जैसी बातों को पुलिस और कानून नहीं मानता. पुलिस अफसरों ने अपने सूत्रों से सुनीता सिंह लाठर की हत्या की कडि़यों को जोड़ा. रहीसही कमी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरी कर दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुनीता सिंह लाठर की मौत को हादसा नहीं बल्कि हत्या बताया गया था.

सुनीता के शरीर पर मारपीट के निशान और गरदन पर गहरी चोट का निशान पाया गया था. इस के बावजूद लक्ष्य सिंह लाठर अपना गुनाह स्वीकार नहीं कर रहा था. वह 36 घंटों तक जांच अफसरों को नएनए रहस्यों में उलझाता रहा. पुलिस अफसरों के सामने सब से बड़ी समस्या यह थी कि वह ड्रग एडिक्ट लक्ष्य सिंह लाठर से सख्ती से पूछताछ भी नहीं कर सकते थे. मृत्यु के समय सुनीता सिंह ने भी ड्रग का हैवी डोज लिया था.

मंगेतर ऐशप्रिया से की पूछताछ

इस के लिए पुलिस अधिकारियों ने लक्ष्य सिंह की मंगेतर ऐशप्रिया बनर्जी और उस के मित्र निखिल को पुलिस ने थाने बुला कर पूछताछ की. इस पूछताछ में सुनीता सिंह मर्डर केस की कडि़यां खुद जुड़ती चली गईं. 45 वर्षीय मौडल और फैशन डिजाइनर सुनीता सिंह लाठर मूलरूप से हरियाणा के पानीपत के असंध रोड स्थित अग्रसेन कालोनी की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम रोहताश ढांडा था. वह पानीपत के जानेमाने कारोबारी थे, जिस की वजह से शहर में उन का काफी मानसम्मान और प्रतिष्ठा थी. परिवार में उन की पत्नी के अलावा एक बेटा देवेंद्र ढांडा और 2 बेटियां थीं. सुनीता सिंह लाठर भाईबहनों में सब से छोटी थी.

सुनीता सिंह लाठर पढ़ाईलिखाई में भी होशियार थी और खूबसूरत भी थी. सुनीता सुंदर होने के साथसाथ स्मार्ट और महत्त्वाकांक्षी थी. वह मायानगरी मुंबई की फैशन डिजाइनर बन कर अपना कैरियर और नाम रोशन करना चाहती थी. इस के लिए उस ने काफी मेहनत भी की. जब भी किसी मैगजीन में फैशन डिजाइनरों के बनाए कपड़ों में लिपटी मौडल को देखती तो उस की आंखों में भी वैसा ही सपना रूप लेने लगता था. वह भी बौलीवुड के उन डिजाइनरों में शामिल हो कर शोहरत की उन बुलंदियों पर पहुंचना चाहती थी, जिस बुलंदी पर फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा, रोहित बल, नीता लुल्ला, मनीषा अरोड़ा, रितु कुमार और रितु बेरी थीं.

इस के लिए सुनीता ने पढ़ाई के साथसाथ फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर के डिप्लोमा भी लिया. इस के पहले कि वह अपने पंखों को उड़ान दे पाती, उस की शादी करनाल के रहने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार के युवक कुलदीप सिंह लाठर से कर दी गई.

गांव में पलीबढ़ी थी सुनीता सिंह

अपने परिवार और खानदान की इज्जत और मानमर्यादा का सम्मान करते हुए सुनीता सिंह अपने पति कुलदीप सिंह लाठर के साथ पारिवारिक महिला की तरह रहने लगी. देखतेदेखते वह 2 बच्चों की मां बन गई, जिस में एक लड़का था और एक लड़की. लेकिन इस के बावजूद उस के मन से बौलीवुड फैशन डिजाइनर का भूत नहीं उतरा था. 2 बच्चों की मां होने के बावजूद सुनीता ने अपने आप को पूरी तरह फिट रखा था. देखने में वह 2 बच्चों की मां नहीं लगती थी.

सुनीता सिंह फैशन डिजाइनर और बौलीवुड का सपना शायद भूल भी जाती, लेकिन कुलदीप सिंह लाठर के व्यवहार ने ऐसा नहीं होने दिया. वह अकसर शराब के नशे में धुत रहता था. सुनीता सिंह ने उस की शराब छुड़ाने के लिए काफी कोशिश की. लेकिन वह इस में कामयाब नहीं हो सकी. आखिर में परेशान हो कर उस ने कुलदीप सिंह लाठर को ही छोड़ दिया. उसे छोड़कर वह अपने मायके आ गई. मायके में उस के भाई देवेंद्र ढांडा ने सुनीता सिंह की काफी मदद की और प्रोत्साहन भी दिया.

फलस्वरूप वह अपने बच्चों को कुछ दिनों के लिए मायके में छोड़ कर सन 2000 में मुंबई आ गई और फैशन डिजाइनिंग की दुनिया में अपने पैर जमाने की कोशिश करने लगी. शुरूशुरू में सुनीता सिंह को फैशन की दुनिया में अपने पांव जमाने में काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन धीरेधीरे मुंबई के टौप फैशन डिजाइनरों में उस का नाम शुमार हो गया. मुंबई में अपने पांव जमाने के बाद सुनीता अपने दोनों बच्चों को मुंबई ले आई. बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया. बौलीवुड में सुनीता लाठर के डिजाइन किए कपड़ों की मांग तो बढ़ी ही, साथ ही कुछ डिजाइनरों ने सुनीता को मौडलिंग का भी औफर दिया. सुनीता सिंह खूबसूरत और स्मार्ट तो थी ही, उस ने मौडलिंग के औफर भी स्वीकार कर लिए. अब वह फैशन डिजाइनर के साथसाथ मौडलिंग भी करने लगी.

एक कहावत है कि कभीकभी बिल्ली घी हजम नहीं कर पाती है. सुनीता सिंह लाठर का भी यही हाल हुआ. जिस समय उस के सितारे बुलंदी पर थे, तभी उसे ड्रग्स की लत लग गई थी. पति कुलदीप सिंह लाठर ने अपना रिश्ता सुधारने की कोशिश की लेकिन सुनीता ने उस की तरफ ध्यान नहीं दिया. इस की जगह सुनीता ने उसे अपने तलाक का नोटिस भेज दिया.

सुनीता ने पति से लिया तलाक

सन 2014 में सुनीता सिंह और कुलदीप सिंह का तलाक हो गया. कुलदीप सिंह अपने बच्चों को बहुत प्यार करता था. उन की जुदाई वह सहन नहीं कर सका. जिस शराब की वजह से उस का जीवन और घर बरबाद हुआ था, उसे छोड़ कर वह रेहान चला गया, उस ने डेढ़ साल का कोर्स कर के रिहैबिलिटेशन सेंटर में काउंसलिंग का काम करना शुरू कर दिया.

उस की अपनी अलग दुनिया बन गई थी लेकिन वह अपने बच्चों और सुनीता सिंह को भूल नहीं पाया था. जब वह किसी शो में सुनीता सिंह को देखता तो उस के दिल में एक हूक सी उठती थी. सुनीता सिंह इस सब से बेखबर थी. वह कुलदीप सिंह को अपनी जिंदगी से निकाल चुकी थी. साथ ही उस ने अपने बच्चों को बता दिया था कि उन का पिता मर चुका है.

उस ने पति की मृत्यु की आड़ ले कर बच्चों को बता दिया था कि उस पर उन के पिता की आत्मा आती है. इस के लिए वह नाटक भी करती थी. ऐसा वह ड्रग का ओवरडोज ले कर करती थी. जब वह नशे में होती थी तो सुनीता के बेटे लक्ष्य की प्रेमिका ऐशप्रिया बनर्जी और उस के मातापिता कहते थे कि वह काले जादू का प्रभाव है. वे लोग उसे किसी तांत्रिक के पास ले जाने की बात भी करते थे. सुनीता का बेटा लक्ष्य भी उन की बातों में आ गया था. वह भी अपने पिता को मरा समझ कर उन की बात पर विश्वास करने लगा था.

सुनीता सिंह लाठर के दोनों बच्चे जब अपनी शिक्षा पूरी कर के लौटे तो घर का माहौल उन के अनुकूल नहीं था. सुनीता सिंह का ड्रग्स एडिक्शन और घर के अंदर ड्रग्स पार्टी सुनीता सिंह की बेटी को रास नहीं आई. वह मां से अलग हो कर अपने नानानानी के साथ पानीपत में रहने लगी, जिस के कारण वह इस सब से बच गई थी. यह तो सभी जानते हैं कि सूरज अगर सुबह को निकलता है तो शाम को अस्त भी हो जाता है. यही हाल बौलीवुड का भी है. फिल्म इंडस्ट्री में किस का अस्तित्व कम या खत्म हो जाए, कहा नहीं जा सकता. ड्रग्स और शराबशबाब के नशे में सुनीता सिंह कुछ इस तरह डूबी कि उस की सारी चमक फीकी पड़ गई.

उस का काम लगभग बंद सा हो गया था. धीरेधीरे उस की आर्थिक स्थिति भी खराब होने लगी थी. अपने घर की स्थिति सुधारने के लिए सुनीता ने अपने बेटे लक्ष्य सिंह को मौडलिंग के क्षेत्र में उतार दिया था.

लक्ष्य सिंह भी बन गया मौडल

23 वर्षीय लक्ष्य सिंह लाठर सुंदर और स्वस्थ युवक  था. वह मौडलिंग के क्षेत्र के लिए किसी भी मायने में कम नहीं था. लेकिन जिस की जड़ें मजबूत न हों, वह भला कितना मजबूत हो सकता है. मां के फैशन डिजाइनर और मौडलिंग में माहिर होने के कारण लक्ष्य को मौडलिंग में काफी लाभ मिला. उसे अभिनेता रणधीर कपूर और फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा ने काफी सहयोग दिया.

मौडलिंग का यह सूरज धीरेधीरे ऊपर चढ़ ही रहा था कि घर के माहौल और वातावरण ने उसे भी अपनी चपेट में ले लिया. वह प्रतिबंधित ड्रग्स लेने लगा. इस ड्रग्स का इस्तेमाल यौन संबंधों और बौडी बनाने के लिए किया जाता है. ऐसे ही माहौल के एक रेव पार्टी में लक्ष्य की मुलाकात ऐशप्रिया बनर्जी और निखिल से हुई. निखिल मुंबई का रहने वाला था, जबकि ऐशप्रिया बनर्जी का परिवार बंगाल का था, जो जादूटोना और काला जादू जैसी बातों पर विश्वास करता था.

रेव पार्टी में जब ये तीनों मिले तो यह एकदूसरे के गहरे दोस्त बन गए. लक्ष्य सिंह लाठर और ऐशप्रिया बनर्जी एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे, जिस की वजह से ऐशप्रिया अकसर लक्ष्य सिंह लाठर के घर आनेजाने लगी थी. ऐशप्रिया बनर्जी के व्यवहार और प्रेम को देख कर सुनीता सिंह ने उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था.

मांबेटे हो गए ड्रग एडिक्ट

सुनीता सिंह लाठर की तरफ से रास्ता साफ होने के कारण ऐशप्रिया बनर्जी अधिकतर सुनीता के फ्लैट में लक्ष्य के साथ रहने लगी. कभीकभी उस का दोस्त निखिल भी वहां पहुंच जाता था. लक्ष्य अपने इन दोस्तों के साथ अपने फ्लैट में जम कर ड्रग्स की पार्टी करता था, जिस में सुनीता सिंह लाठर भी शामिल हो जाती थी. इस पार्टी में किसी तरह का भेदभाव या मर्यादा नहीं होती थी.

सुनीता सिंह लाठर बेटे लक्ष्य के साथ पूरी तरह ड्रग एडिक्ट हो गई. सारा काम भी चौपट हो गया. उस की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. यह सुन कर कुलदीप सिंह लाठर दुखी हुआ. उस ने सुनीता सिंह को फोन कर के समझाते हुए कहा, ‘‘ड्रग्स का नशा ठीक नहीं है. इसे छोड़ दो. अगर तुम्हें मुझ से कोई सहयोग चाहिए, तो मैं तैयार हूं. अब मैं नशामुक्ति केंद्र में ही काम करता हूं.’’ लेकिन सुनीता सिंह पर उस की बातों का कोई असर नहीं हुआ.

लक्ष्य बौलीवुड में मौडलिंग का एक नया चेहरा था, मगर ड्रग्स की चपेट में आ जाने के कारण वह उतनी कमाई नहीं कर पा रहा था, जितनी कि उस के परिवार को जरूरत थी. इसे ले कर सुनीता सिंह काफी तनाव में थी. घटना की शाम 4 बजे लक्ष्य सिंह लाठर ने अपनी मंगेतर ऐशप्रिया बनर्जी और अपने दोस्त निखिल के साथ ड्रग्स की पार्टी की, जिस में उस की मां सुनीता सिंह भी शामिल थी. पार्टी के बाद लक्ष्य और सुनीता में आर्थिक तंगी और पैसों को ले कर विवाद हो गया, जिसे लक्ष्य बरदाश्त नहीं कर पाया.

मां की हत्या के बाद घबरा गया था लक्ष्य

पहले तो लक्ष्य सिंह ने मां को काफी समझाया लेकिन जब वह नहीं मानी तो लक्ष्य को क्रोध आ गया. उस ने मां को मारापीटा. उस के बाद उसे बाथरूम में जोर का धक्का दे कर बाथरूम का दरवाजा बाहर से लौक कर दिया. इस के बाद वह अपने दोस्तों के साथ फ्लैट से बाहर निकल गया. रात को वह काफी देर से आया और आ कर अपने बैडरूम में सो गया. सुबह जब उस ने बाथरूम का दरवाजा खोला तो देखा कि उस की मां बाथरूम में मरी पड़ी है. बाथरूम में जोर से धक्का देने के कारण उस का सिर नल से टकरा गया था और उस की मौत हो गई थी. लेकिन वह यह बात समझ नहीं पाया कि ड्रग्स के नशे में उस ने मां के साथ कैसा व्यवहार किया.

उसे लगा कि रात में उस के पिता की आत्मा आई थी, जिस ने मां को बेहोश कर दिया था. यह सोच कर वह भाग कर पास के ही एक बाबा को लाया और बाबा को अपनी मां सुनीता सिंह को दिखाया. बाबा सुनीता सिंह को देखते ही यह कह कर चला गया कि उन्हें बाबा नहीं डाक्टर की जरूरत है. तब घबरा कर लक्ष्य ने एंबुलेंस बुलाई, मगर एंबुलेंस ने सुनीता को अस्पताल ले जाने से मना कर कहा कि मामला अब पुलिस का है, क्योंकि उस की मौत हो चुकी है. मां सुनीता सिंह की मौत और पुलिस का नाम सुनते ही लक्ष्य के होश उड़ गए.

एंबुलेंस के लौट जाने के बाद लक्ष्य दत्त मंदिर गया, वहां अपने किए गुनाहों की माफी मांगी. इस के बाद उस ने अपने दोस्तों की राय ले कर यह बात एक ज्वैलर को बताई ताकि वह कोई मदद कर सके. इस के पहले कि उस के दोस्त उस की मदद के लिए पहुंच पाते, ज्वैलर ने मामले की खबर ओशिवारा पुलिस को दे दी. पुलिस अफसरों ने लक्ष्य सिंह और उस के दोस्तों से विस्तृत पूछताछ करने के बाद लक्ष्य के खिलाफ भादंवि की धारा 304 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया और उसे गैरइरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

सुनीता सिंह की अपने बेटे द्वारा हत्या का समाचार कुलदीप सिंह लाठर को मिला तो वह भी मुंबई पहुंच गया. वह जब अपने बेटे से मिलने पुलिस थाने पहुंचा तो पुलिस अधिकारी उसे देख कर चौंके. इतने सालों के बाद जब लक्ष्य के पिता उस के सामने आए तो वह भी चौंका. लेकिन फिर पहचान कर उन के गले लग कर रोया. मृत पिता की आत्मा और काला जादू के विषय में जब पुलिस अधिकारियों ने लक्ष्य से पूछा तो उस ने बताया कि उस की मां ने तो उसे यही बताया था कि उस के पिता की मौत हो चुकी है और उन की आत्मा जबतब उस पर सवार हो जाती है.

उस के पिता कुलदीप सिंह लाठर ने भी पुलिस को यही बताया कि सुनीता ने बच्चों को यही जानकारी दी थी कि पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं. वह अपने ऊपर आत्मा सवार होने का ढोंग किया करती थी. ऐसा शायद वह ड्रग्स लेने का शौक पूरा करने के लिए करती थी. बहरहाल, लक्ष्य सिंह लाठर के पिता ने उसे धीरज बंधा कर कहा कि वह उस की जल्द जमानत कराने की कोशिश करेंगे. कथा लिखे जाने तक लक्ष्य भायखला की आर्थर रोड जेल में बंद था.

Gangster बनने के लिए किए 4 मर्डर

27अगस्त, 2022 की रात को मध्य प्रदेश के सागर जिले के कैंट थाना टीआई अजय कुमार सनकत को सूचना मिली कि भैंसा गांव में ट्रक बौडी रिपेयरिंग कारखाने में चौकीदार की हत्या हुई है. सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने मौके पर पहुंच कर जांच शुरू कर दी. जांच के दौरान पता चला कि भैंसा गांव का 50 साल का कल्याण लोधी कारखाने में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था. सुबह जब वह घर नहीं पहुंचा तो उस का बड़ा बेटा संजय उस की तलाश में कारखाने पहुंच गया.

कारखाने के बाहर लोगों की भीड़ और पुलिस देख कर उस के होश उड़ गए. पास जा कर देखा तो उस के पिता कल्याण का शव पड़ा हुआ था. पिता की लाश को देख कर वह चीखचीख कर रोने लगा. पुलिस ने उसे ढांढस बंधाते हुए बताया कि किसी हमलावर ने सिर पर हथौड़ा मार कर उस की हत्या कर दी है. मृतक कल्याण का मोबाइल भी उस के पास नहीं मिला था. घटनास्थल की सभी काररवाई पूरी कर के पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. मृतक के बेटे संजय लोधी की तरफ से हत्या का मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस इस केस की जांच में जुट गई.

सागर पुलिस कल्याण लोधी के अंधे कत्ल की जांच कर ही रही थी कि 2 दिन बाद 29 अगस्त को सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में गवर्नमेंट आर्ट ऐंड कामर्स कालेज के चौकीदार 60 साल के शंभुदयाल दुबे की हत्या हो गई. उस की हत्या सिर पर पत्थर मार कर की गई थी. घटनास्थल पर जांच के दौरान पुलिस को शव के पास से एक मोबाइल मिला. पहले वह मोबाइल मृतक चौकीदार दुबे का माना जा रहा था, लेकिन बाद में पता चला कि वह मोबाइल कैंट थाना क्षेत्र के भैंसा के कारखाने में मारे गए चौकीदार कल्याण लोधी का है.

इस आधार पर पुलिस अधिकारियों को इस बात का पूरा भरोसा हो गया था कि दोनों वारदातों के पीछे एक ही हत्यारे का हाथ होगा. दोनों अंधे कत्ल के खून की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि मोतीनगर थाना क्षेत्र के गांव रतौना में एक निर्माणाधीन मकान में चौकीदारी कर रहे 40 साल के मंगल अहिरवार पर जानलेवा हमला हो गया. मंगल की लाश के पास खून से सना फावड़ा मिला था, जिस के आधार पर माना जा रहा था कि मंगल की हत्या सिर पर फावड़ा मार कर की गई थी.

एक के बाद एक 3 वारदातों ने अमूमन शांत रहने वाले सागर शहर में दहशत का माहौल पैदा कर दिया था. हत्या करने वाले आरोपी का न कोई नाम था, न कोई सुराग. हत्याओं के पीछे का मकसद भी समझ नहीं आ रहा था. सुराग के नाम पर हाथ खाली थे, आरोपी को तलाशना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसी चुनौती थी. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल का शहर सागर वैसे तो झीलों और डा. हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे शैक्षणिक संस्थान के लिए जाना जाता है, लेकिन अगस्त महीने के आखिरी 4 दिनों में हुई 3 सिक्योरिटी गार्डों की हत्याओं से सुर्खियों में आ चुका था. सागर में हुईं ये हत्याएं रात के एक निश्चित समय और एक ही पैटर्न से की गई थीं.

हत्या में किसी तरह की लूटपाट और किसी खास किस्म के हथियार का इस्तेमाल भी नहीं किया था. हत्या की कोई वजह सामने नहीं आ रही थी और न ही मरने वाले सिक्योरिटी गार्डों का आपस में कोई संबंध था. लिहाजा पुलिस का अनुमान था कि इन हत्याओं के पीछे किसी सीरियल किलर का हाथ हो सकता है.

पुलिस अधिकारियों की बढ़ गई चिंता

सागर जिले के एसपी तरुण नायक और एडिशनल एसपी विक्रम सिंह इन घटनाओं को ले कर खुद मोर्चे पर आ चुके थे. उन्होंने जिले की पुलिस फोर्स को मुस्तैद कर दिया था. एसपी तरुण नायक ने चौकीदारों की सिलसिलेवार हत्या की वारदातों को अंजाम देने वाले आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एएसपी विक्रम सिंह कुशवाहा, एएसपी ज्योति ठाकुर और सीएसपी (सिटी) के निर्देशन में पुलिस अधिकारियों की टीम बनाई. इस टीम में सिविल लाइंस टीआई नेहा सिंह गुर्जर, मोतीनगर टीआई सतीश सिंह, कैंट टीआई अजय कुमार सनकत, गोपालगंज टीआई कमलसिंह ठाकुर को शामिल किया.

एक के बाद एक हो रही चौकीदारों की हत्या को ले कर शहर में भी डर और दहशत का माहौल बन गया था. पुलिस रातरात भर गश्त कर पूरे शहर में तैनात सिक्योरिटी गार्डों को सचेत कर रही थी. तीनों घटनाओं से जुड़े लोगों से पूछताछ और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर पुलिस ने हत्यारे का स्कैच जारी कर शहर के लोगों को सावधान कर दिया था. पुलिस के सामने सब से बड़ी चुनौती यह थी कि यदि एक व्यक्ति ही यह वारदात कर रहा है तो उस का अगला टारगेट अब कहां होगा. जैसेजैसे समय निकल रहा था, वैसेवैसे वारदात होने की आशंका बढ़ती जा रही थी.

पुलिस को किलर के अगली वारदात को अंजाम देने की चिंता ज्यादा थी. पुलिस टीमों ने शहर कवर कर लिया था, लेकिन टेंशन ग्रामीण इलाकों की थी. जांच के दौरान मिले साक्ष्यों और लोगों के अनुसार किलर का स्कैच जारी किया गया. इस के बावजूद आरोपी की न तो पहचान हुई और न ही उस के बारे में कोई सुराग मिल सका. चौकीदार शंभुदयाल दुबे की हत्या की वारदात के बाद आक्रोशित ब्राह्मण समाज ने मकरोनिया चौराहे पर परिजनों की मौजूदगी में शव रख कर प्रदर्शन किया. शव को सड़क से हटाने की कोशिश के दौरान युवा ब्राह्मण समाज प्रदेश अध्यक्ष दिनकर तिवारी व प्रदर्शनकारियों की अधिकारियों व पुलिस से तीखी बहस भी हुई.

आक्रोश बढ़ता देख डीएम दीपक आर्य एवं नरयावली विधायक प्रदीप लारिया मौके पर पहुंचे और दुबे के परिवार को 4 लाख रुपए की आर्थिक मदद स्वीकृत करने के आश्वासन के साथ ही तात्कालिक सहायता के रूप में 50 हजार रुपए की राशि भी उपलब्ध कराई. वहीं आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने का भी वायदा किया. तब जा कर मृतक के घर वाले लाश को सड़क से हटाने को तैयार हुए. काफी मानमनौवल के बाद चौकीदार शंभुदयाल दुबे का अंतिम संस्कार पुलिस बल की मौजूदगी में मकरोनिया के श्मशान घाट में किया गया.

भोपाल में मिली मोबाइल लोकेशन

तीसरे गार्ड की हत्या के बाद सागर से भोपाल तक हड़कंप मच गया. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सागर एसपी तरुण नायक से बात कर सीरियल किलर को जल्द पकड़ने के निर्देश दिए. लिहाजा पुलिस चारों तरह फैल गई. सीरियल किलर ने सागर में आर्ट ऐंड कामर्स कालेज में गार्ड शंभुदयाल को मार कर उन का मोबाइल अपने पास रख लिया था. मोबाइल उस ने स्विच औफ कर रखा था.  उधर, सागर पुलिस ने भी शंभुदयाल के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा रखा था. सागर शहर में नाकाबंदी कर पुलिस टीमें संदिग्ध की तलाश कर रही थीं.  पुलिस नाइट गश्त में लगी थी.

किलर ने पहली सितंबर, 2022 की रात 11 बजे चंद सेकेंड के लिए जैसे ही मोबाइल औन किया, पुलिस टीम के अधिकारियों के चेहरों पर चमक आ गई. मोबाइल की लोकेशन ट्रेस होते ही 10 सदस्यीय टीम बनाई और 2 कारों से उसे भोपाल रवाना किया गया. पुलिस टीम भोपाल तो पहुंच गई, मगर मोबाइल बंद होने की वजह से किलर को खोजना आसान काम नहीं था. भोपाल में साइबर सेल की टीम लोकेशन ट्रेस कर खजूरी थाना क्षेत्र में कई घंटों तक आरोपी की तलाश में इधरउधर भटकती रही.

रात करीब डेढ़ बजे से पुलिस उसे बैरागढ़, कोहेफिजा, लालघाटी इलाके में खोजती रही, लेकिन वह नहीं मिला. रात करीब साढ़े 3 बजे किलर ने एक बार फिर मोबाइल को औन किया. पुलिस को उस की लोकशन लालघाटी इलाके में पता चली.

सीरियल किलर चढ़ गया हत्थे

पुलिस टीम उस की तलाश में करीब सुबह 5 बजे जैसे ही लालघाटी पहुंची तो लाल कलर की शर्ट पहने करीब 19-20 साल का एक नौजवान संदिग्ध हालत में घूमता नजर आया. पुलिस ने उसे रोक कर पूछताछ की तो उस ने अपना नाम शिवप्रसाद धुर्वे बताया. उस की तलाशी के दौरान पुलिस को शंभुदयाल का वही मोबाइल फोन मिल गया, जिस की लोकेशन के आधार पर पुलिस उस तक पहुंची थी. पुलिस ने उसे दबोच लिया.

भोपाल से सागर ले जाने के लिए पुलिस उसे ले कर करीब 40 किलोमीटर दूर पहुंची ही थी कि उस ने पुलिस को बताया कि थोड़ी देर पहले ही उस ने भोपाल में मार्बल दुकान में एक गार्ड की हत्या कर दी है. पुलिस को शिवप्रसाद के पास से भोपाल वाले गार्ड का भी मोबाइल फोन मिला. सागर पुलिस ने तुरंत ही भोपाल पुलिस के अधिकारियों को सूचना दी. खजूरी रोड पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो गार्ड सोनू वर्मा खून से लथपथ मिला. मरने वाला सिक्योरिटी गार्ड सोनू वर्मा था.

शिवप्रसाद ने पुलिस को बताया कि 1-2 सितंबर की दरमियानी रात करीब डेढ़ बजे खजूरी रोड स्थित गोराजी मार्बल की दुकान पर काम करने वाले गार्ड सोनू वर्मा की मार्बल के टुकड़ों से हमला कर हत्या की है. सोनू का परिवार मूलरूप से भिंड जिले का रहने वाला है. 2005 में उन का परिवार रोजगार के लिए भोपाल आ कर बस गया. भोपाल आ कर उस के पिता सुरेश वर्मा ने गोराजी मार्बल की दुकान पर चौकीदार की नौकरी शुरू कर दी. उन के 4 बेटे और एक बेटी है. सोनू चौथे नंबर का था. कुछ महीने पहले ही सोनू के पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी, जिस के बाद सोनू गोराजी मार्बल की दुकान पर चौकीदारी करने लगा था.

25 साल का सोनू पांचवीं तक ही पढ़ा था. सोनू रात में चौकीदारी करता था. वह शाम 7 बजे ड्यूटी पर आता और सुबह 7 बजे घर जाता था. 12 घंटे की ड्यूटी के बाद उसे महीने के 5 हजार रुपए मिलते थे. घर चलाने के लिए सोनू दिन के समय पानी सप्लाई करने वाले टैंकर पर पार्टटाइम काम करता था. वहां काम करने के बाद उसे मुश्किल से 3-4 हजार रुपए मिलते थे. महीने में इस तरह दिनरात काम करने के बाद भी वह मुश्किल से 8-9 हजार रुपए ही कमा पाता था. सागर आ कर पुलिस अधिकारियों ने जब साइकोकिलर शिवप्रसाद से विस्तार से पूछताछ की तो उस ने चारों गार्डों की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया.

किलर शिवप्रसाद की गिरफ्तारी पर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित पुलिस के आला अधिकारियों ने सागर पुलिस को बधाई दी. साथ ही सागर शहर के लागों ने भी राहत की सांस ली. 6 दिनों में हुई 4 सिलसिलेवार हत्याओं की वजह से चर्चा में आए सीरियल किलर की कहानी भी बेहद दिलचस्प है.

सागर जिले के केसला ब्लौक के केकरा गांव का रहने वाला 19 साल का शिवप्रसाद धुर्वे अपने पिता नन्हेलाल का छोटा बेटा है. उस का बड़ा भाई पुणे में मजदूरी करता है, जबकि 2 बेटियों की शादी हो चुकी है. नन्हेलाल के पास करीब 2 एकड़ जमीन है, जिस पर खेतीबाड़ी कर वह अपने परिवार की गुजरबसर करता है. शिवप्रसाद कुल 8वीं जमात तक ही पढ़ा है. वह बचपन से ही लड़ाकू प्रवृत्ति का था. स्कूल में पढ़ते समय गांव के लड़कों को छोटीछोटी बात पर पीट देता था. सभी से झगड़ते रहने के कारण गांव में किसी से भी उसकी दोस्ती नहीं  थी. मातापिता भी उस की हरकतों से परेशान रहने लगे थे.

2016 में 13 साल की उम्र में किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही उस ने एक लड़की के साथ छेड़छाड़ कर दी, जिस की वजह से गांव के लोगों ने उस की पिटाई कर दी. उसी दौरान वह घर से भाग कर सागर आया और ट्रेन में बैठ कर पुणे चला गया. फिर वहां एक होटल में नौकरी करने लगा. शिवप्रसाद बीचबीच में होली, दीवाली पर एकदो दिन के लिए गांव आता था, लेकिन किसी से मिलताजुलता नहीं था. पुणे में एक दिन होटल मालिक के साथ किसी बात को ले कर विवाद हो गया तो शिवप्रसाद ने उसे इतना पीटा कि उसे अस्पताल में भरती कराना पड़ा.

उस के खिलाफ पुलिस ने काररवाई कर  उसे बाल सुधार गृह भेज दिया था. बाद में उस के पिता नन्हेलाल आदिवासी उसे छुड़ा कर गांव ले आए. गांव में कुछ समय रहने के बाद वह गोवा चला गया था. गोवा में काम करतेकरते वह अच्छीखासी इंग्लिश बोलनेसमझने लगा. अभी हाल ही में रक्षाबंधन पर वह 7-8 दिनों के लिए गांव आया था, इस के बाद बिना किसी को कुछ बताए वह घर से चला गया. पिता नन्हेलाल को कभी भी उस ने यह नहीं बताया कि वह क्या काम करता है. मां सीताबाई भी उस से पूछती,  ‘‘बेटा, यह तो बता तू शहर में कामधंघा क्या करता है?’’

तो शिवप्रसाद कहता, ‘‘मां, तू काहे को चिंता करती है मैं ऐसा काम करता हूं कि जल्द ही मुझे लोग जानने लगेंगे.’’

मां यही समझ कर चुप हो जाती कि उस का बेटा अमीर आदमी बन कर नाम कमाने वाला है.

फिल्मों से प्रभावित हो कर बना किलर

सागर में 3 और भोपाल में एक सिक्योरिटी गार्ड्स की हत्या करने के आरोपी सीरियल किलर शिवप्रसाद धुर्वे फिल्में देखने का शौकीन था. फिल्में देख कर उस ने गैंगस्टर बनने की ठानी थी. वह बिना मेहनत किए पैसा कमा कर फेमस होना चाहता था. वारदात को अंजाम देने से पहले मोबाइल पर उस ने कई फिल्में और वीडियोज देखे.  सागर पुलिस को पूछताछ में उस ने बताया कि मध्य प्रदेश के उज्जैन के गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप को वह रोल मौडल मानता है और उस के जैसा बनने की चाहत उस के दिल में थी.

उस ने जल्द फेमस होने का सपना देखा और जुर्म की दुनिया में कदम बढ़ा दिए.   शिवप्रसाद दिन भर सोता रहता था और रात होते ही अपने शिकार की तलाश में निकल पड़ता था. चर्चित फिल्म ‘पुष्पा’ के पुष्पा की तरह वह साइकिल से चलता था. वह केसली से 65 किलोमीटर दूर सागर साइकिल से ही आया था. केकरा गांव से शिवप्रसाद साइकिल ले कर 65 किलोमीटर का सफर तय कर के  सागर पहुंचा था.

25 अगस्त को वह कोतवाली क्षेत्र के कटरा बाजार स्थित एक धर्मशाला में रूम ले कर रुका था. और यहां कैंट थाना क्षेत्र में 27 अगस्त की रात कारखाने में तैनात चौकीदार कल्याण लोधी (50) के सिर पर हथौड़ा मार कर हत्या कर दी. शिवप्रसाद भी पुष्पा की तरह गिरफ्तार होने के बाद पुलिस के सामने नहीं झुका, बल्कि उस ने विक्ट्री साइन दिखाया. उसे इन  वारदातों को ले कर किसी तरह का अफसोस नहीं था. इसी तरह ‘हैकर’ मूवी को देख कर शिवप्रसाद ने साइबर क्राइम सीखने की कोशिश की.

सागर में चौकीदार की हत्या के बाद आरोपी उस का मोबाइल ले कर भागा था और उस का पैटर्न लौक भी उस ने खोल लिया था. सीरियल किलर शिवप्रसाद वारदात को अंजाम देने के बाद दिन भर सोशल मीडिया के साथ खबरों पर पैनी नजर रखता था. सागर से भोपाल आने के बाद भी वह दिन भर इंटरनेट, मीडिया व खबरों पर नजर बनाए रखे था. इसी वजह से उसे पता चल गया था कि पुलिस किलर की गिरफ्तारी के लिए सक्रिय हो गई है. वह भोपाल में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड के आसपास घूमता रहा.

जब उस ने कल्याण लोधी का कत्ल किया तो उस के मोबाइल का सिम कार्ड फेंकने के बाद मोबाइल अपने साथ ले गया. सागर में आर्ट ऐंड कामर्स कालेज के गार्ड शंभुदयाल को मार कर उस ने कल्याण का मोबाइल वहां छोड़ शंभुदयाल का मोबाइल अपने पास रख लिया था. मोबाइल उस ने स्विच्ड औफ कर रखा था. इधर सागर पुलिस ने भी शंभु के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा रखा था. शिवप्रसाद ने पहली सितंबर की रात करीब 11 बजे मोबाइल चालू किया तो सागर पुलिस को लोकेशन पता चल गई. टीम भोपाल के लिए रवाना हो गई. सागर पुलिस भोपाल पहुंचती, इस से पहले शिवप्रसाद ने मोबाइल बंद कर दिया.

रात करीब डेढ़ बजे से पुलिस उसे बैरागढ़, कोहेफिजा, लालघाटी इलाके में खोजती रही, लेकिन वह नहीं मिला. रात करीब साढ़े 3 बजे शिवप्रसाद ने टाइम देखने के लिए एक बार फिर मोबाइल औन किया तो पुलिस को उस की लोकशन लालघाटी इलाके में पता चली. पुलिस ने तड़के उसे दबोच लिया.

खबरों पर रखता था कड़ी नजर

4 चौकीदारों की हत्या करने वाला सीरियल किलर 19 वर्षीय शिवप्रसाद वारदात के बाद इंटनरेट मीडिया व अखबारों पर पैनी नजर रखता था. वह वारदात के बाद सुबह ही अखबार पढ़ता. वहीं इंटरनेट और सोशल मीडिया पर भी वारदात को ले कर आने वाली प्रतिक्रियाओं पर नजर रखता था. वारदात के पहले वह वहां की अच्छी तरह से पड़ताल करता और हत्या करते समय कोशिश करता कि उस का चेहरा सीसीटीवी कैमरे में कैद न होने पाए. सागर में हुई हत्या की ये वारदातें उस ने रक्षाबंधन के बाद अपने गांव केकरा से आ कर ही प्लान की थीं.

वह अपनी मां से बोल कर आया था कि वह बहुत जल्द नाम कमाएगा, इस के बाद उस ने सागर में 3 हत्याएं कर दीं. सागर के बाद उस ने अलगअलग जिलों में हत्या करने की योजना बनाई थी, लेकिन भोपाल में एक अन्य चौकीदार की हत्या के बाद वह पकड़ा गया. शिवप्रसाद ने 27 अगस्त को भैंसा गांव के एक कारखाने में काम करने वाले 57 वर्षीय कल्याण सिंह के सिर पर हथौड़ा मार कर हत्या की. वारदात के बाद आरोपित कल्याण सिंह का मोबाइल अपने साथ ले आया. उस ने मोबाइल की सिम फेंक दी.

शंभुदयाल की हत्या के बाद शिवप्रसाद शंभुदयाल की साइकिल व मोबाइल अपने साथ ले गया और कटरा क्षेत्र के एक लौज में रुका. उस ने सुबह उठ कर सारे अखबार भी पढ़े और अपनी अगली रणनीति पर लग गया. 30 अगस्त की रात वह रतौना गांव पहुंचा और मंगल सिंह की हत्या कर दी, इस के बाद वह ट्रेन से भोपाल चला गया.

सीरियल किलर शिवप्रसाद धुर्वे को सागर पुलिस ने रिमांड पर ले कर जब पूछताछ की तो उस ने पुलिस को बताया कि 2016 में वह घर से निकला. पुणे, गोवा, चेन्नै, केरल समेत अन्य जगह मजदूरी की. उसे जल्द ही इस बात का आभास हो गया कि मजदूरी कर के पेट भरा जा सकता है, लेकिन ऐशोआराम हासिल नहीं हो सकते. अपराधियों को देख कर वह भी फेमस होने का सपना देखने लगा. उसे अपराध की दुनिया का रास्ता सब से आसान लगा. आरोपी इतना शातिर है कि रिमांड के दौरान वह पूछताछ के दौरान जरा भी नहीं घबराया और पुलिस को कई कहानियां सुनाता रहा.

आधुनिक हथियार खरीद कर बनना चाहता था गैंगस्टर

सीरियल किलर शिवप्रसाद ने बेबाकी से बताया कि उसे बेकसूर लोगों को मारने का मलाल तो है. उस के निशाने पर पुलिसकर्मी भी थे. उसे अफसोस भी है कि उस का सपना अधूरा रह गया. रिमांड पूरी होने के बाद उसे 6 सितंबर को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस पूछताछ में उस ने इस बात को स्वीकार किया कि उस का अगला निशाना ड्यूटी के दौरान सोने वाले पुलिसकर्मी थे.

भोपाल के गांधी मैडिकल कालेज में मनोरोग विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर और एचओडी डा. आर.एन. साहू ने इस प्रकार के बरताव को एक तरह का दिमागी रोग बताया है. उन का कहना है कि इस प्रकार के व्यक्ति की मानसिकता गड़बड़ रहती है. दिमाग में एक ही सोच आती है और वे बिना उद्देश्य के किसी को भी मार देते हैं. यह एक प्रकार का दिमागी रोग है, इस में आदमी के भीतर पैथोलौजिक चैंजेस आते हैं और कैमिकल इमबैलेंस हो जाता है. ऐसे में उन का व्यवहार असामान्य हो जाता है. सामान्य रूप से वे बाहर से तो ठीक दिखते हैं, इस कारण उन्हें पहचानना मुश्किल होता है.

ऐसे लोगों के व्यवहार को वही लोग ज्यादा समझते हैं, जो उन के नजदीकी रहते हैं. घर वाले, दोस्त या रिश्तेदार ही उन की मनोदशा को अच्छी तरह बता सकते हैं. ऐसे रोगी का समय रहते इलाज कराने के बाद ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है.

बहन की लाश को लटका कर दिया आत्महत्या का रूप

नाजिम और आयशा ने प्रेम ही नहीं किया, बल्कि निकाह की भी पूरी तैयारी कर ली थी. इस के लिए दोनों के मांबाप भी तैयार थे. लेकिन आयशा के भाई इमरान ने इस निकाह को रोकने के लिए जो किया, वह बिलकुल ही जायज नहीं था. उत्तर प्रदेश के जिला इलाहाबाद के थाना धूमनगंज के थानाप्रभारी रामसूरत सोनकर अपने कार्यालय में जैसे ही आ कर बैठे, एक बुजुर्ग उन के सामने आ कर खड़ा हो गया. उन्होंने उस की ओर देखा तो वह हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘साहब, मेरा नाम मोहम्मद आरिफ है. मैं दामूपुर गांव का रहने वाला हूं. मेरा 26 वर्षीय बेटा नाजिम 14 सितंबर की सुबह 10 बजे घर से काम पर जाने के लिए निकला था. शाम को वह घर नहीं लौटा तो मैं उस की तलाश करने लगा.

लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. आज सुबह 5 बजे गांव में शोर मचा कि सुमित पाल के बाजरे के खेत में एक लड़के की लाश पड़ी है. मैं ने वहां जा कर देखा तो वह मेरे बेटे नाजिम की लाश थी. उस में से बदबू आ रही थी. साहब, मैं उसी की रिपोर्ट दर्ज कराने आया हूं.’’

सुबहसुबह हत्या की खबर से थानाप्रभारी रामसूरत सोनकर का दिमाग चकरा गया. उन्होंने स्वयं को संभाल कर मोहम्मद आरिफ से पूछा, ‘‘बता सकते हो कि तुम्हारे बेटे की हत्या किस ने की होगी?’’

‘‘जी मेरे ही गांव के मोहम्मद इब्राहीम के बेटे इमरान ने यह काम किया है. साहब, मेरा बेटा नाजिम उस की बहन आयशा से प्यार करता था. वह उस से निकाह करना चाहता था. जबकि इमरान को यह पसंद नहीं था.’’

आरिफ की सूचना पर थानाप्रभारी रामसूरत सोनकर ने अपराध संख्या-520/2013 पर भादंवि की धारा 302/364/201 के तहत मोहम्मद इब्राहीम के बेटे इमरान तथा 2 अन्य  लोगों, इमरान के मौसेरे भाई उस्मान और दोस्त सुफियान के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर अपने साथ एसएसआई उमाशंकर यादव, एसआई जीतेंद्र बहादुर सिंह, एसआई (टे्रनिंग) संगीता सिंह तथा कुछ सिपाहियों को ले कर गांव दामूपुर के लिए रवाना हो गए. पुलिस बल के साथ इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर दामूपुर गांव के उस बाजरे के खेत पर जा पहुंचे, जहां लाश पड़ी थी. लाश निर्वस्त्र थी. देखने से ही लग रहा था कि हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के बाद उसे चाकुओं से भी गोदा गया था. यह हत्या भी कहीं दूसरी जगह की गई थी. उस के बाद लाश को यहां ला कर फेंका गया था. लाश से तेज दुर्गंध आ रही थी.

इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर ने घटनास्थल की आवश्यक काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद अभियुक्तों को गिरफ्तार करने दामूपुर गांव जा पहुंचे. लेकिन वहां कोई नहीं मिला. इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर अभियुक्त इमरान की बहन आयशा, अम्मी परवीन बेगम तथा अब्बा इब्राहीम को पूछताछ के लिए थाने ले आए. पूछताछ में इब्राहीम और उन की पत्नी ने बताया कि न तो उन्होंने यह हत्या की है और न ही उन्हें हत्यारों के बारे में कुछ पता है. इस के बाद इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर ने आयशा को अलग ले जा कर पूछताछ की तो उस ने नाजिम से अपना प्रेमसंबंध स्वीकार करते हुए बताया, ‘‘मेरे भाई इमरान ने मेरी मौसी के बेटे उस्मान और दोस्त सुफियान के साथ मिल कर नाजिम की हत्या की है.

इमरान ने मुझ से निकाह करने का आश्वासन दे कर नाजिम को शनिवार की रात घर बुलाया. उसी रात तीनों ने नाजिम की गला दबा कर और चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी. आधी रात के बाद गांव में सन्नाटा पसर गया तो वे नाजिम की लाश को गांव के बाहर बाजरे के खेत में फेंक आए थे.’’

इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर ने इमरान के पिता इब्राहीम को रोक कर आयशा और उस की मां परवीन बेगम को घर भेज दिया था. यह 16 सितंबर की बात है. 19 सितंबर को सूरज ने अभी पूरी तरह आंखें खोली भी नहीं थी कि इब्राहीम के घर की महिलाओं के चीखचीख कर रोने की आवाज से पूरा गांव जाग गया. गांव वाले इब्राहीम के घर पहुंचे तो पता चला कि उस की बेटी आयशा ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है. गांव वालों के कहने पर परवीन बेगम ने इस घटना की सूचना थाना धूमनगंज पुलिस को दी. इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर को परवीन बेगम की बातों पर कतई विश्वास नहीं हुआ. फिर भी उन्होंने उस के बताए अनुसार अपराध संख्या-529/2013 पर भादंवि की धारा 309 के तहत मुकद्दमा दर्ज करा कर साथियों के साथ दामूपुर स्थित इब्राहीम के घर जा पहुंचे.

आयशा की लाश मकान की पहली मंजिल बने कमरे में दरवाजे के ऊपर के रोशनदान से रस्सी के सहारे लटक रही थी. इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर ने लाश का निरीक्षण करने के दौरान देखा कि लटक रही लाश के पैर फर्श को छू रहे थे. शरीर पर 2 जगहों पर जले के निशान थे. कपड़ों से मिट्टी के तेल की गंध आ रही थी. वहीं मिट्टी के तेल का डिब्बा भी पड़ा था. स्थितियों से यही लग रहा था कि पहले उस पर मिट्टी का तेल डाल कर जला कर मारने का प्रयास किया गया था. किसी वजह से इरादा बदल गया तो गला दबा कर उस की हत्या कर दी गई. उस के बाद लाश को रस्सी के सहारे लटका कर आत्महत्या का रूप दे दिया गया. पुलिस ने जब हत्या की शंका व्यक्त की लेकिन घर वाले यह बात मानने को तैयार नहीं थे.

इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर ने लाश को नीचे उतरवा कर आवश्यक काररवाई निपटाई और लाश को पोस्टमार्टम के लिए स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल भिजवा दिया. अब उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा थी. पोस्टमार्टम के बाद आयशा की लाश अंतिम संस्कार के लिए उस के घर वालों को सौंप दी गई. इंसपेक्टर रामसूरत को पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मिली तो उन का शक विश्वास में बदल गया, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आयशा की मौत एंटीमार्टम इंजरी स्ट्रांगग्यूलेशन यानी गला दबा कर हत्या करना बता रही थी. इस बीच इंसपेक्टर रामसूरत सोनकर ने इस मामले में अपने मुखबिरों से बहुत सारी जानकारियां प्राप्त कर ली थीं. प्राप्त जानकारियों के अनुसार आयशा के भाई को उस रात गांव में देखा गया था. चर्चा थी कि आयशा नाजिम की हत्या की पूरी कहानी पुलिस को बता कर मुख्य गवाह बन गई थी, इसीलिए उसे उस के भाई ने मार दिया था.

अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए थाना धूमनगंज पुलिस ने ताबड़तोड़ छापे मारने शुरू किए. परिणामस्वरूप 20 सितंबर को पुलिस ने इमरान के मौसेरे भाई उस्मान को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद अगले दिन पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया. इस के बाद 28 सितंबर को आयशा का भाई इमरान भी पुलिस गिरफ्त में आ गया. पुलिस ने पूछताछ कर के अगले दिन उसे भी अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में इमरान और उस्मान ने नाजिम और आयशा की हत्या की जो कहानी पुलिस को बताई, वह प्रेमसंबंध और औनर किलिंग की निकली. इलाहाबाद के थाना धूमनगंज के गांव दामूपुर में मोहम्मद आरिफ अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 6 बेटे थे. बेटों में नाजिम सब से छोटा था. वह मकानों में मार्बल लगाने का ठेका लेता था, जिस से वह अच्छीखासी कमाई कर रहा था. जबकि मोहम्मद आरिफ गांव में ही पान की दुकान चलाते थे.

इसी गांव के रहने वाले मोहम्मद इब्राहीम मोटर मैकेनिक थे. जीटी रोड चौफटका पर उस की अपनी दुकान थी. घर में पत्नी परवीन बेगम के अलावा 3 बेटे और 4 बेटियां थीं. 18 वर्षीया आयशा तीसरे नंबर पर थी. एकहरे बदन की गोरीचिट्टी आयशा देखने में ठीकठाक लगती थी. आयशा के भाई इमरान की नाजिम से खूब पटती थी. उन की यह दोस्ती बचपन की थी. नाजिम का उस के घर भी आनाजाना था. इसी आनेजाने में आयशा को नाजिम कब पसंद आ गया, उसे खुद ही पता नहीं चला. नाजिम आयशा को 1-2 दिन दिखाई न देता तो वह बेचैन हो उठती. उस की आंखें नाजिम के दीदार को तड़पने लगतीं. जल्दी ही नाजिम को आयशा की इस तड़प का अहसास हो गया. यही वजह थी कि जिस आग में आयशा जल रही थी, उसी आग मे नाजिम भी जलने लगा. वह जब भी आयशा के घर आता, चाहतभरी नजरों से उसे देखता रहता.

ऐसे में ही किसी दिन आयशा और नाजिम को तनहाई में मिलने का मौका मिला तो दोनों के दिल की तड़प होठों पर आ गई. नाजिम ने आयशा का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘आयशा, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. जी चाहता है मैं तुम्हें हमेशा देखता रहूं.’’

‘‘नाजिम, मेरा भी यही हाल है.’’ आयशा उस के नजदीक आकर बोली, ‘‘मेरा भी मन करता है कि हर पल तुम्हें ही देखती रहूं, तुम से खूब बातें करूं, तुम्हारे साथ घूमूं. तुम मेरे दिलोदिमाग में रचबस गए हो. दिन में चैन नहीं मिलता तो रातों को नींद नहीं आती. बस, तुम्हारी ही यादों में खोई रहती हूं.’’

आयशा अपनी बात कह ही रही थी कि नाजिम ने उसे अपनी बांहों में भींच लिया. इस के बाद धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. गुपचुप तौर पर दोनों कभी घर में तो कभी घर के बाहर रात के अंधेरों में मिलनेजुलने लगे. आयशा जब भी नाजिम से मिलती, अपने प्यार की दुनिया बसाने का स्वप्न उस के सीने पर सिर रख कर देखती. आयशा नाजिम पर कुछ इस कदर दीवानी हुई कि एक दिन अपना सबकुछ उस के हवाले कर दिया. इस के बाद नाजिम ने उसे भरोसा दिलाया कि दुनिया भले ही इधर से उधर हो जाए, लेकिन वह उसे इधर से उधर नहीं होने देगा. वह उसी से निकाह करेगा. प्यारमोहब्बत कोई छिपने की चीज तो है नहीं, यही वजह थी कि नाजिम और आयशा की मोहब्बत का भी खुलासा हो गया. गांव में उन की मोहब्बत की चर्चाएं होने लगीं.

यह खबर इब्राहीम और उस के बेटे इमरान तक भी पहुंच गई. बहन की इस करतूत से इमरान को आग सी लग गई. वह आयशा पर नजर रखने लगा. उस ने आयशा का घर से निकलना बंद करा दिया. इस के बाद उस ने नाजिम को भी धमकाया, ‘‘खबरदार, अब कभी आयशा से मिलने की कोशिश की तो अंजाम बहुत बुरा होगा.’’

लेकिन नाजिम और आयशा की मोहब्बत इतनी गहरी हो चुकी थी कि इमरान की कोई भी कोशिश सफल नहीं हुई. किसी न किसी बहाने आयशा और नाजिम मिल ही लेते थे. ऐसे ही पलों में एक दिन आयशा ने कहा, ‘‘नाजिम, मेरे भाईजान इमरान को हमारी मोहब्बत पर सख्त ऐतराज है. वह नहीं चाहते कि मैं तुम से मिलूं. उन्होंने मुझ पर इतनी सख्ती कर दी है कि तुम से मिलना मेरे लिए मुश्किल हो गया है. गांव में भी हमारी मोहब्बत के चर्चे आम हो गए हैं. वैसे मेरी अम्मी और अब्बू को हमारी मोहब्बत पर ज्यादा ऐतराज नहीं है. अगर तुम अपने अब्बू को निकाह के लिए मेरे अब्बू के पास भेजो तो बात बन सकती है.

नाजिम को आयशा की बात उचित लगी. उस ने आयशा को आश्वासन दिया कि घर पहुंचते ही वह अम्मीअब्बू से निकाह की बात करेगा. नाजिम ने कहा ही नहीं, बल्कि घर आते ही बात भी की. तब अगले ही दिन उस के अब्बू आयशा के अब्बू इब्राहीम से मिलने उन के कारखाने पर जा पहुंचे. उन्होंने उन से आयशा और नाजिम के निकाह की बात की तो पहले तो इब्राहीम ने मना कर दिया. लेकिन बाद में कहा, ‘‘देखो आरिफ भाई, मुझे तो इस निकाह से कोई ऐतराज नहीं है. लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि इमरान इस निकाह के लिए तैयार नहीं होगा. फिर भी मैं घर में बात चलाऊंगा.’’

इमरान को जब पता चला कि आयशा के निकाह के लिए नाजिम के अब्बू उस के अब्बू के पास आए थे तो वह स्वयं को रोक नहीं सका और जा कर नाजिम से झगड़ा करने लगा. तब गांव के कुछ लोगों ने उसे समझाबुझा कर शांत किया. कहीं कुछ उलटासीधा न हो जाए, यह सोच कर गांव के कुछ बुजुर्गों ने इकट्ठा हो कर इमरान को समझाया कि नाजिम खाताकमाता है, आयशा भी बालिग हो चुकी है, इसलिए दोनों का निकाह करने में उसे परेशानी किस बात की है? कोई ऊंचनीच हो, इस से बेहतर है कि दोनों का निकाह कर दिया जाए. बुजुर्गों के सामने तो इमरान कोई विरोध नहीं कर सका, लेकिन दिल से वह इस निकाह के लिए तैयार नहीं हुआ.

आयशा और नाजिम की मोहब्बत की उम्र 2 साल से अधिक हो चुकी थी. लाख कोशिश कर के भी इमरान आयशा और नाजिम को अलग नहीं कर सका. बुजुर्गों के समझाने के बाद नाजिम और आयशा को लगने लगा था कि अब उन का निकाह हो जाएगा. इस की वजह यह थी कि दोनों के अम्मीअब्बू राजी थे. बात सिर्फ इमरान की थी. उन्हें विश्वास था कि एक न एक दिन वह भी मान जाएगा. 15-20 दिनों तक इमरान ने भी विरोध नहीं किया तो आयशा और नाजिम को लगा कि अब सारी रुकावटें दूर हो गई हैं. जबकि आयशा ने जो किया था, उस से इमरान अंदर ही अंदर सुलग रहा था. वह किसी भी कीमत पर आयशा का निकाह नाजिम से नहीं होने देना चाहता था. इस के लिए जब उसे कोई राह नहीं सूझी तो उस ने गुपचुप तरीके से साजिश रच डाली. इस साजिश में उस ने अपने मौसेरे भाई उस्मान, जो बेगम बाजार, बमरौली का रहने वाला था तथा अपने दोस्त सुफियान को विश्वास में ले कर शामिल कर लिया.

पूरी योजना तैयार कर के इमरान ने 14 सितंबर, शनिवार को बहन से कहा, ‘‘आयशा, मुझे लगता है कि नाजिम तुझे खुश रखेगा. इसलिए तेरा निकाह उस से कर देना ही ठीक है. ऐसा करो, आज रात 9 बजे नाजिम को फोन कर के तुम घर पर बुला लो. निकाह कब और कैसे किया जाए, बात कर लेते हैं.’’

इमरान की बात सुन कर आयशा को यकीन नहीं हुआ. इसलिए उस ने कहा, ‘‘भाईजान, आप यह क्या कह रहे हैं?’’

‘‘मैं सच कह रहा हूं,’’ इमरान ने विश्वास दिलाते हुए कहा, ‘‘जब घर के सभी लोग तैयार हैं तो मैं ही तेरी खुशी में टांग क्यों अड़ाऊं?’’

इमरान में बदलाव देख कर आयशा खुश हो उठी. उस ने कहा, ‘‘भाईजान, मैं अभी नाजिम को फोन किए देती हूं. वह काम से लौटते हुए सीधे अपने घर आ जाएगा.’’

इस के बाद आयशा ने अपने मोबाइल फोन से नाजिम को फोन कर के कहा, ‘‘नाजिम, आज काम से लौटते समय तुम सीधे मेरे घर आ जाना. इमरान भाई मान गए हैं. वह तुम से बात कर के निकाह की तारीख पक्की करना चाहते हैं.’’

आयशा ने अपनी यह बात पूरे विश्वास के साथ कही थी, इसलिए नाजिम ने हामी ही नहीं भरी, बल्कि ठीक समय पर वह उस के घर आ गया. इमरान उस से बड़ी आत्मीयता से मिला. नाजिम को उस ने ऊपर के कमरे में ले जा कर बैठा दिया. उस कमरे में पहले से ही उस्मान और सुफियान बैठे थे. नाजिम उन्हें जानता था, इसलिए उन से बातें करने लगा. नाजिम को नाश्ता भी कराया गया. इस के बाद निकाह कब और कैसे किया जाए, इस पर बातचीत होने लगी. रात 11 बजे तक निकाह के बारे में बहुत सी बातें तय हो गईं. इस के बाद इमरान ने कहा, ‘‘नाजिम, अम्मी तुम्हारे लिए भी खाना बना रही हैं, खाना खा कर जाना.’’

नाजिम को लगा कि अब सब ठीक हो गया है, इसलिए उस ने हामी भर ली. अब तक गांव में सन्नाटा पसर गया था. दिन भर का थकामांदा नाजिम लापरवाह चारपाई पर बैठा था, इसी का फादया उठा कर उस्मान और सुफियान ने अचानक नाजिम के हाथपैर पकड़ लिए तो इमरान ने झपट कर नाजिम का गला पकड़ लिया और दबाने लगा. छटपटा कर नाजिम ने प्राण त्याग दिए. वह जिंदा न रह जाए, इस के लिए उस पर चाकू से भी वार किए गए. इस के बाद रात में ही नाजिम की लाश गांव के बाहर बाजरे के खेत में बीचोबीच फेंक दी गई.

काम हो जाने के बाद सुफियान और उस्मान अपनेअपने घर चले गए. आयशा, उस की अम्मी और अब्बू तथा घर के अन्य लोग नाजिम की हत्या होते देखते रहे, लेकिन डर के मारे कोई विरोध नहीं कर सका. आयशा ने कुछ कहना चाहा तो इमरान चीख कर बोला, ‘‘खबरदार, अगर किसी ने कुछ भी बोलने या कहने की हिम्मत की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा. उस का भी वही हाल कर दूंगा, जो मैं ने नाजिम का किया है.’’

घर वालों को धमका कर इमरान उस कमरे में गया, जिस में उस ने नाजिम की हत्या की थी. उस की साफसफाई कर के सुबह से पहले ही घरवालों को बिना कुछ बताए वह भी फरार हो गया. 3 दिनों तक नाजिम के बारे में किसी को कुछ पता नहीं चला. 18 सितंबर को जब लाश से दुर्गंध आने लगी तो कुछ लोग खेत के भीतर यह देखने के लिए घुसे कि दुर्गंध किस चीज की आ रही है. तब नाजिम की हत्या का पता चला. मोहम्मद आरिफ की सूचना पर पुलिस इमरान और साथियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी तो दबाव बनाने के लिए इमरान के अम्मीअब्बू तथा बहन आयशा को थाने ले आई थी. पूछताछ के बाद थानाप्रभारी रामसूरत सोनकर ने इब्राहीम को थाने में रोक कर परवीन बेगम और आयशा को घर भेज दिया.

इमरान को साथियों से पता चल गया था कि आयशा ने नाजिम की हत्या की एकएक बात पुलिस को बता दी है. यही नहीं, वह अदालत में भी यह कहने को तैयार है कि नाजिम की हत्या उस के भाई इमरान ने अपने मौसेरे भाई उस्मान तथा दोस्त सुफियान के साथ मिल कर की है. आयशा चश्मदीद गवाह थी. अगर वह अदालत में गवाही देती तो इमरान और उस के साथियों को सजा निश्चित थी. इसलिए इमरान को लगा कि किसी भी तरह आयशा को रोका जाए. वह उसी रात छिपतेछिपाते घर आया और आयशा को समझाने लगा कि वह उस के खिलाफ गवाही न दे. लेकिन आयशा अपनी जिद पर अड़ी थी. क्योंकि उस के प्रेमी को मारा गया था. उस ने कहा, ‘‘दुनिया भले ही इधर से उधर हो जाए, मैं अपनी बात से नहीं डिगूंगी. अदालत में मैं वही कहूंगी, जो मैं ने आंखों से देखा है.’’

इस के बाद इमरान को इतना गुस्सा आया कि उस ने तय कर लिया कि इसे मार देना ही ठीक है. उस ने मिट्टी के तेल का डिब्बा उठाया और उस पर तेल डालने लगा. आयशा जान बचाने के लिए चीखते हुए भागी. तब उसे लगा कि अगर उस ने आग लगाई तो यह शोर मचा देगी. शोरशराबा न हो, यह सोच कर उस ने आयशा को पकड़ा और अपने दोस्त जहीद की मदद से उस का गला दबा कर मार दिया. इस के बाद हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उस ने आयशा की लाश को रस्सी का फंदा बना कर दरवाजे के ऊपर बने रोशानदान से लटका दिया और अपने साथी जहीद के साथ घर से भाग गया.

कथा लिखे जाने तक नाजिम की हत्या में शामिल तीसरे अभियुक्त सुफियान तथा आयशा की हत्या में शामिल जहीद को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. पुलिस उन की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह छापे मार रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.