Crime Story in Hindi : बैंकाक का सैक्स स्कैंडल

Crime Story in Hindi : 34 साल की विलावान सिका गोल्फ एम्सावत उर्फ मिस गोल्फ ऐसी सुंदरी थी, जो अच्छेअच्छे संन्यासियों तक को अपने रूपजाल में फांस लेती थी. अपनी मोहिनी अदा के चलते उस ने बैंकाक के प्रसिद्ध बौद्ध मंदिरों के मठाधीशों से न सिर्फ अवैध संबंध बनाए, बल्कि उन के अश्लील फोटो व वीडियो के जरिए उन से 91 करोड़ से अधिक रुपए भी वसूले. आखिर मिस गोल्फ कैसे फांसती थी बौद्ध संन्यासियों को अपने जाल में?

थाईलैंड के बैंकाक में स्थित वाट त्रि थोत्सथेप वोराविहान बौद्ध मंदिर के मठाधीश चाओखुन अर्ज एक आकर्षक कदकाठी का व्यक्ति है. उस की दैहिक बनावट, बौडी लैंग्वेज और बातचीत करने के लहजे को देख कर कोई भी उस की उम्र 58 वर्ष होने का अनुमान नहीं लगा पाता था. यह कहें कि वह किसी फिल्मी नायक की तरह जवान दिखता था. उस की सोच पर भी उम्र का कोई असर नहीं हुआ था. कहने को वह बौद्ध धर्म का एक संत था, लेकिन आधुनिक सोच से भरा हुआ था. उस की बातें नए जमाने के गैजेट और इंटरनेट और सोशल मीडिया फ्रेंडली युवाओं की तरह होती थीं.

चाओखुन अर्ज का असली नाम फ्राथेप वाचिरापामोक था, लेकिन वह मठ के लोगों के बीच अर्ज के नाम से लोकप्रिय था. त्रि थोत्सथेप वोराविहान थाईलैंड के सब से महत्त्वपूर्ण बौद्ध मंदिरों में से एक है. इस का ऐतिहासिक महत्त्व है. इस का निर्माण 19वीं सदी में वहां के तत्कालीन राजतंत्र के शासक द्वारा किया गया था. इस की भव्यता में शाही झलक दिखती है. यहां सभी तरह की आधुनिक और उत्तम रहनसहन की सुविधाएं उपलब्ध हैं. चाओखुन जब से मठाधीश के पद पर नियुक्त हुआ था, तब से उसे मंदिर प्रशासन की तरफ से शाही सुविधाएं और संसाधन मिल गए थे.

साथ ही उस के पास अपने निजी कामकाज के लिए पर्याप्त समय भी होता था. जब भी वह फुरसत में होता, अपना लैपटाप खोल कर देशदुनिया से जुड़ जाता था, उस ने फेसबुक पर अपनी आईडी भी बना रखी थी. उस के हजारों में वर्चुअल फ्रेंड थे. उन के साथ वह अध्यात्म, सेहत, सलाह और समाज सरोकार की बातें करता रहता था. इस दौरान उस की नजर रील्स, गेम्स, औफर आदि पर बनी रहती थी.

वह इस में कम से कम 2 से 3 घंटे तक गुजारता था. फेसबुक में नएनए दोस्त तलाशने से ले कर उस के बारे में जांचपड़ताल करने आदि पर ध्यान देता था. वैसे तो वह फ्रेंड रिक्वेस्ट को बहुत सोचसमझ कर ही स्वीकारता था. हालांकि उन में अधिकतर उस के परिचित या फिर अनुयायी थे. उन के साथ फेसबुक, वाट्सऐप और मैसेंजर के माध्यम से संपर्क बनाता था. वह किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत या पारिवारिक समस्या या परेशानी से निकालने का भी काम करता था.

बात 16 मई, 2024 की थी. रात का वक्त था. पूरे बौद्ध मठ का परिसर नींद के आगोश में था. नि:शब्द शांति थी. इसी एकांत में चाओखुन अर्ज की अंगुलियां लैपटाप के कीबोर्ड पर चल रही थीं. सामने स्क्रीन पर फेसबुक से निकली रोशनी में उस के चेहरे पर चमक बनी हुई थी. माउस पैड में अंगुली सरकाते हुए अचानक उस की नजर एक रिक्वेस्ट पर ठहर गई. बेहद खूबसूरत तसवीर थी. दोस्ती करना चाहती थी. चाओखुन ने तुरंत उस की प्रोफाइल खोली. उस का अबाउट पढऩा शुरू किया.

नाम विलावान सिका गोल्फ एम्सावत उर्फ मिस गोल्फ लिखा था. उम्र 34 वर्ष थी. प्रोफाइल में उस ने स्वयं को नोनयाबुरी में एक आलीशान विला की मालकिन और महिला उद्यमी बताया था. उस ने खुद को बौद्ध धर्म का अनुयायी बताया था. वह चाओखुन अर्ज की पहले से ही फालोअर भी थी. मिस गोल्फ की प्रोफाइल में कई तसवीरें भी थीं. कई तसवीरों में अल्ट्रा मौडर्न ड्रेस पहने थी.

उस की तसवीरों ने संन्यासी चाओखुन की कामुकता को उकसा दिया था. एक बार मन भटका तो मिस गोल्फ की सुंदरता और सैक्स अपील का कीड़ा उस संत के मस्तिष्क को कुरेदने लगा था. फिर उस की अंगुली ने कब रिक्वेस्ट बटन को दबा दिया, पता ही नहीं चला. अगले पल संन्यासी का मन कुछ और जिज्ञासाओं से भर गया था. मैसेजिंग शुरू कर दिया. ‘हाय!’ के बाद दनादन 2-3 सवाल कर डाले…

”कहां से हैं?’’

”क्या करती हैं?’’

”आप की सुंदरता का राज क्या है?’’

इन के जवाब में उस ने लिखा, ”मैं महसूस करती हूं कि आप के दिल के करीब हूं… आप से फ्रेंडशिप कर भाग्यशाली बनना चाहती हूं. देखिए, आप से दोस्ती के बगैर मेरी आध्यात्मिक पिपासा शांत नहीं हो पाएगी. मन को शांति के लिए जरूरी है, संत समागम किया जाए!’’

मिस गोल्फ का भावुक मैसेज चाओखुन अर्ज के दिल की गहराइयों तक चला गया था. वह खुद को चाह कर भी नहीं रोक पाया और धड़कते दिल से अपनी इस नई दोस्त पर लिख डाला, ‘मिस गोल्फ! जितनी सुंदर आप हो, उस से अधिक खूबसूरत आप के शब्द! मन आनंदित हो गया!’

दोनों के दिलों में भावनाओं का उफान आ चुका था. दनादन मैसेजिंग का दौर शुरू हो गया. काफी समय तक यह सब चलता रहा. वह चाओखुन के लिए बहुत ही खुशनुमा था. फिर वह सो गया. अच्छी नींद आई. अगले रोज दिनचर्या में लगा हुआ था…

उस के भीतर एक नई सी स्मृति का संचार हो गया था. हर काम को वह बड़ी समझदारी और मुसकराते हुए कर रहा था, लेकिन उस की आंखें बारबार हाल में टंगी दीवार घड़ी पर भी बराबर लगी हुई थीं. आज समय उसे काफी बड़ा और लंबा सा लग रहा था. जैसेतैसे चाओखुन ने रात के 9 बजे तक का समय किसी तरह पास किया. रात के भोजन करने के बाद उस ने अपने सभी अनुचरों को छुट्टी दे दी. अब वह हमेशा की तरह अपने एकांत के निजी समय में था, किंतु उस रात उस में गजब का उतावलापन था. लैपटाप औन करते ही तुरंत फेसबुक के अपने पेज पर था. कई मैसेज उस के जवाब के इंतजार में थे.

मैसेज को पढऩे के बाद चाओखुन अर्ज के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. वह मैसेज मिस गोल्फ के थे. अपने प्रतिष्ठित पद की गरिमा और मैसेज भेजने वाली की उम्र के अंतर को ले कर वह सतर्कता बरतना चाहता था. तभी ‘गुड नाइट!’ के साथ ‘हाय हैंडसम!’ का मैसेज आया.

चाओखुन ने भी जवाब में ‘हैलो!…हाउ आर यू?’ लिख दिया.

”आप की फ्रेंडशिप पा कर बहुत खुशी हुई है. मैं आप को दिल से शुक्रिया अदा करती हूं. मेरे लिए यह प्यार की तरह मिला उपहार है. मैं कितनी खुश हूं, इस का बयान नहीं कर सकती. इस के लिए आप का तहेदिल से धन्यवाद करती हूं मिस्टर चाओखुन! आप बहुत हैंडसम दिखते हैं… कितनी उम्र होगी आप की?’’ मिस गोल्फ ने लिखा.

”जी, 2 साल बाद 60 का हो जाऊंगा.’’ चाओखुन ने लिखा.

”अच्छा! लेकिन लगते तो 40 प्लस के हैं.’’ मिस गोल्फ ने हैरानी जताई.

”तुम भी तो 20 प्लस की दिखती हो, लेकिन प्रोफाइल के अनुसार 33 साल की हो. ईश्वर ने गजब की सुंदरता दी है. भाग्यशाली हो!’’

”मुझे आज तक आप जैसा हैंडसम इंसान ही नहीं मिला, आप को पा कर धन्य हो गई हूं… मिलना चाहूंगी.’’ इसी के साथ गोल्फ ने प्यार का धड़कता हुआ इमोजी भेज दिया.

”किंतु मिस गोल्फ, आप को दोस्ती और प्यार करने के लिए बहुत से नौजवान मिल सकते थे, फिर मैं ही क्यों?’’ चाओखुन ने गोल्फ के इशारे को समझते हुए लिखा.

”मैं उम्र से नहीं, बल्कि वैसा पुरुष चाहती हूं, जिस में पुरुषार्थ हो. गंभीरता हो. विचार हो. आजादी पसंद हो. व्यवहारिक हो. आस्थावान हो… अब भला आप से बेहतर मेरे लिए और कोई नहीं हो सकता. प्यार तो आंतरिक भावना की अनुभूति है… मुझे तो ऐसा लगता है, जैसे वह सभी गुण आप में हैं और मेरी चाहत आप को पा कर पूरी हो गई.’’ मिस गोल्फ ने लिखा.

”तुम बातें बहुत लुभावनी करती हो. मन मोह लिया.’’

”क्यों न हम लोग कहीं मिलें?’’

”जरूर, जल्द समय बताऊंगा.’’

इस के बाद चाओखुन और मिस गोल्फ का प्यार तेजी से परवान चढऩे लगा था. पहले वे वर्चुअल थे, जल्द ही दोनों वास्तविकता की धरातल पर आ चुके थे. उन का आपस में मिलनाजुलना भी शुरू हो गया… और चाओखुन अर्ज ने अपने संत की गरिमा, मानमर्यादा और संकल्प के बावजदू गोल्फ के साथ अवैध संबंध तक बना लिया. कहते हैं न कि सुखचैन की बंसी ज्यादा समय तक नहीं बजती. अगर यह बंसी अय्याशी से भरी हो, तब तो कभी भी इस पर ग्रहण लग सकता है. ऐसा ही कुछ बौद्ध संत चाओखुन अर्ज के साथ हुआ.

चाओखुन अर्ज और गोल्फ की मौजमस्ती एक साल तक खूब परवान चढ़ी. उन के बीच काफी लेनदेन हुआ. इस का अड्डा मिस गोल्फ का आलीशान घर था, जहां अय्याशी के सारे संसाधन थे. चाओखुन ने इसे अपने शौक में शामिल कर लिया था, जबकि गोल्फ के लिए यह आमदनी का जरिया था. गोल्फ अपने कामधंधे को सात तालों में छिपा कर रखती थी. इस बारे में उस ने कभी भी चाओखुन को कुछ नहीं बताया. फिर भी न जाने कैसे गोल्फ के कुछ कारनामों की जानकारी बैंकाक की पुलिस को हो गई.

पुलिस को मिलीं 56 हजार पोर्न वीडियो

अचानक जुलाई 2025 के पहले सप्ताह में मिस गोल्फ के महलनुमा घर पर छापेमारी हुई. उसे जानने वाले लोग हैरान रह गए कि आखिर गोल्फ ने क्या किया, जो उस के घर पर पुलिस की पूरी फौज आ गई. थाईलैंड सरकार की नजर में उस ने क्या गैरकानूनी काम किया? खैर, इस का खुलासा 15 जुलाई, 2025 को हो गया. चौतरफा सनसनीखेज खबर फैल गई. जिस ने भी उस बारे में सुना, उस ने दांतों तले अंगुली दबा ली. और फिर यह मामला पूरी दुनिया में फैल गया.

दरअसल, थाइलैंड पुलिस ने एक बड़े सैक्स ब्लैकमेल रैकेट का खुलासा किया था. इस बारे में सबूत जुटाए थे. उस में लिप्त लोगों में बौद्ध भिक्षुकों की सूची भी थी, जबकि इस का मुख्य आरोपी मिस गोल्फ थी. उस के घर से 56,000 पोर्न यानी अश्लील वीडियो और 80,000 न्यूड तसवीरें बरामद की गई थीं. उस में उन बौद्ध भिक्षुओं के अश्लील अय्याशी के वीडियो थे, जिन्होंने बौद्ध धर्म में त्याग, पवित्रता और संन्यास की सौगंध खाई थी. उन्हीं भिक्षुओं में चाओखुन अर्ज का नाम भी था. उस के गोल्फ के साथ अंतरंग संबंधों के कई वीडियो थे.

इस मामले में पकड़ी गई 35 साल की विलावान सिका गोल्फ एम्सावत उर्फ मिस गोल्फ पर कई बौद्ध भिक्षुकों को यौन संबंध बनाने के लिए उकसाने और फिर उन्हें ब्लैकमेल करने का आरोप लगा. रौयल थाई पुलिस सेंट्रल इनवैस्टिगेशन ब्यूरो के अनुसार उस के घर की तलाशी के दौरान बौद्ध भिक्षुकों को ब्लैकमेल के लिए इस्तेमाल की गई हजारों अश्लील तसवीरें और हजारों अश्लील वीडियो जब्त कर लिए. साथ ही इस में संलिप्त थाईलैंड के 9 बौद्ध भिक्षुकों के नाम सामने आने के बाद उन्हें उन के मठों से निष्काषित कर दिया गया.

पुलिस को बैंकाक के उत्तर में नौथबुरी प्रांत में रहने वाली मिस गोल्फ के पास से कई चोरी के सामान भी मिले. उस के बैंक खातों से यह भी पता चला कि कई बौद्ध भिक्षुकों एवं एक बौद्ध मंदिर के बैंक खाते से एक वरिष्ठ भिक्षुक चाओखुन अर्ज ने उस के खाते में 11.9 मिलियन अमेरिकी डौलर यानी 102.33 करोड़ रुपए ट्रांसफर करवाए थे. इन में से ज्यादातर रकम बौद्ध भिक्षुकों द्वारा मिस गोल्फ के खाते में ट्रांसफर की गई थी. जांच में इस बात का भी पता चला कि इन में से अधिकांश रकम मिस गोल्फ द्वारा औनलाइन खेली जाने वाली जुए वाली वेबसाइट पर खर्च की गई थी.

कौन है मिस गोल्फ

इस गंभीर और संवेदनशील मामले के सामने आने के बाद थाईलैंड के मठ प्रशासन पर कई सवालिया निशान खड़े हो गए. देश भर में थेरवाद संप्रदाय के बौद्ध भिक्षुकों की संख्या काफी अधिक है, जिन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. महिलाओं को केवल छूने मात्र से इन के ब्रह्मचर्य पर सवाल उठने लगते हैं. सैक्स स्कैंडल और ब्लैकमेलिंग में फंसी विलावान सिका गोल्फ एम्सावत उर्फ सिका गोल्फ उर्फ मिस गोल्फ फिचित प्रांत के साकलेक जिले की मूल निवासी है. मीडिया में उस का नाम ‘सिका गोल्फ’ प्रचारित है. ‘सिका’ बौद्ध भिक्षुओं द्वारा महिलाओं के लिए एक आदर की उपाधि है.

गोल्फ एक गरीब परिवार में पलीपढ़ी युवती है. पापा उस की मम्मी जेनी को उस के जन्म के कुछ सालों बाद ही छोड़ कर चले गए थे. गरीबी से जूझते हुए उस की मम्मी ने किसी तरह से पालापोसा. इस कारण उस की ज्यादा पढ़ाई नहीं हो पाई. बड़ी होने पर उस में स्वच्छंदता आ गई. अपने मन की मालिक बन गई. युवावस्था आतेआते वह बेहद खूबसूरत दिखने लगी. उस की सुंदरता पर हर कोई मोहित हो जाता था. वह इस का नाजायज फायदा उठाने लगी.

पढ़ाई से कोई वास्ता नहीं था, लेकिन अच्छे रहनसहन, फैशन और पहनावे की ललक थी. इस की पूर्ति के लिए उस ने अमीर लड़कों को फंसाना शुरू किया. उन से दोस्ती की, बौयफ्रेंड बनाया. उन के साथ घूमनेफिरने और मटरगश्ती करने लगी. यह सब करते हुए उस का कौमार्य कब भंग हुआ, उसे यह सब याद नहीं. इस बात की उसे कोई चिंता नहीं थी. जब वह हर क्लास में बारबार फेल हो जाती थी, तब उस की मम्मी जेनी उसे बारबार अच्छेबुरे की नसीहतें देती थी, लेकिन गोल्फ पर उस का कोई असर नहीं होता था.

गरीबी और अभाव में घुटन महसूस कर चुकी गोल्फ कभीकभी तो अपनी मम्मी से भी झगड़ पड़ती थी. ताने देती थी कि तुम ने मेरे उस धोखेबाज पापा से शादी कर मुझे क्यों पैदा किया, जब तुम मुझे अच्छे कपड़े, अच्छा खाना, अच्छा रहना नहीं दिलवा सकती थी. मुझे इस दुनिया में क्यों आने दिया. वैसे गोल्फ ने एक स्टोर में जब नौकरी की शुरुआत की थी, तभी उस की मम्मी की तबीयत अचानक एक दिन ज्यादा खराब हो गई. अच्छी देखरेख नहीं होने के कारण उस की मम्मी जेनी की मृत्यु हो गई.

मम्मी की मौत के बाद गोल्फ पूरी तरह से आजाद हो गई थी. उस ने अपना घर और अपनी मम्मी के सारे गहने बेच दिए. नई नौकरी और सुनहरे भविष्य को बनाने के लिए पुश्तैनी शहर छोड़ कर बैंकाक आ गई. एक बड़े जनरल स्टोर में रिसैप्शनिस्ट की नौकरी कर ली. एक छोटा सा घर किराए पर ले लिया. यहां रहते हुए उस के सपनों ने एक नई सुनहरी उड़ान भरनी शुरू कर दी थी. उसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम पर चैटिंग का शौक चढ़ गया था. उसे नएनए पुरुष दोस्त बनाना और फिर उन के साथ अश्लील चैटिंग करना बहुत पसंद था.

वर्ष 2018 के शुरू में उस की फेसबुक द्वारा एक बौद्ध भिक्षु सोमचाई (परिवर्तित नाम) के साथ दोस्ती हो गई. उस के बाद उन दोनों ने आपस में अपने मोबाइल नंबर शेयर किए. प्यार भी ऐसा रंग लाने लगा कि दोनों मिलने लगे. एक मुलाकात में ही दोनों में प्यार का रंग ऐसा चढ़ा कि सोमचाई ने गोल्फ के लिए एक खूबसूरत फ्लैट किराए पर दिलवा दिया. सोमचाई उस के बाद गोल्फ से मिलने अकसर उस फ्लैट पर आने लगा. दोनों लिवइन  में रहने लगे. गोल्फ कुछ दिनों बाद गर्भवती हो गई और उस ने एक बेटे को जन्म दिया. 2019 में बेटा होने के बाद सोमचाई ने गोल्फ से दूरी बढ़ानी शुरू कर दी तो उस ने उसे मीडिया के सामने बदनाम करने की धमकी दे डाली.

इस धमकी का बौद्ध भिक्षुक सोमचाई पर असर हुआ. उस ने बचने के लिए गोल्फ को एकमुश्त 86,206 डौलर (लगभग 74,99,922 रुपए) और प्रतिवर्ष 2,294 डौलर (लगभग 1,99,578 रुपए) बेटे की परवरिश करने के लिए देने को तैयार हो गया. इस के बाद दोनों का मिलनाजुलना लगभग समाप्त होता चला गया था. उन के बीच केवल पैसों का ही लेनदेन होता था.

उस के बाद गोल्फ के दिमाग में तो मानो नया आइडिया आ गया. स्वच्छंदता के मानो पंख लग गए. उस ने अपना टारगेट अब बौद्ध मठाधीशों और बौद्ध भिक्षुओं को बनाना शुरू कर दिया. वह हमेशा 50 वर्ष से अधिक उम्र के बौद्ध मठाधीशों को अपना शिकार बनाने लगी. पहले वह उन बौद्ध भिक्षुओं से फेसबुक के माध्यम से दोस्ती करती थी, फिर अपनी कामोत्तेजक जवानी की तसवीरें भेज कर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती थी. उस के बाद जैसे ही उसे शिकार फंसता नजर आता तो उन के साथ रसीली और कामवासना उकसाने वाली बातें करनी शुरू कर देती थी.

जब उसे लगता कि शिकार फंस चुका है, तब वह उसे अपनी रसीली बातों में फंसा कर किसी अनजान होटल या अपने फ्लैट पर अवैध संबंध बनाने के लिए बुला लेती थी.  उस ने अपने फ्लैट के बैडरूम और बाथरूम में हिडन कैमरे लगा रखे थे. यहां तक कि जब वह किसी होटल में बौद्ध भिक्षुओं को आमंत्रित करती तो वह उन के आने से पहले ही बैडरूम और बाथरूम में हिडन कैमरे लगा देती थी. इस तरह उन की अश्लील वीडियो बना कर रख लेती थी. करीब 5-6 महीने के बाद वह अपने प्रैगनेंट होने का झांसा दे कर उन्हें अश्लील तसवीरें और वीडियो दिखाती थी. उस के बाद ब्लैकमेल शुरू कर देती थी.

गोल्फ का खेल ऐसा हुआ खत्म

उस के इस खेल के अंत की शुरुआत 14 जून, 2025 को तब हो गई, जब विलावान सिका यानी गोल्फ ने बैंकाक की रौयल थाई पुलिस में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई. अपनी शिकायत में विलावान ने लिखा कि वाट त्रि थोत्सथेप वोराविहान के बौद्ध मठाधीश फ्राथेप वाचिरापामोक उर्फ चाओखुन अर्ज उस के पति हैं और उन से उन का एक बेटा भी है. विलावान सिका ने दावा किया कि पहले कुछ समय तक चाओखुन अर्ज उस के और बच्चे के भरणपोषण के लिए पैसे नियमित रूप से देते रहे, मगर अब पैसे देने से मुकर रहे हैं. पिछले काफी समय से चाओखुन अर्ज ने उसे बिलकुल भी पैसा नहीं दिया है.

सिका ने यह भी दावा किया कि गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद से अब तक चाओखुन अर्ज के ऊपर उस के 7.2 मिलियन बाट (भारतीय करेंसी में लगभग एक करोड़ 70 लाख 7 हजार 200 रुपए) बकाया हैं. कृपया चाओखुन अर्ज से मेरे बकाया रुपए दिलवाने की कृपा की जाए.

धर्मगुरु ने करोड़ों रुपए लुटा दिए मिस गोल्फ पर

यह खबर जैसे ही बैंकाक राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख पोल जनरल कितरत फनफेट तक पहुंची तो उन्होंने इस की विस्तृत जांच के लिए तुरंत केंद्रीय जांच ब्यूरो के डिप्टी कमिश्नर पोल मेजर जनरल जारुनाकियात पंकव के नेतृत्व में एक विशेष पुलिस टीम का गठन कर दिया. वाट त्रि थोत्सथेप वोराविहान मंदिर, बैंकाक, थाईलैंड का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे आमतौर पर ‘वाट फो’ के नाम से जाना जाता है. इस प्रसिद्ध मंदिर का इतिहास 16वीं शताब्दी से जुड़ा है, जब इसे एक मठ के रूप में स्थापित किया गया था.

थाईलैंड के राजा राम प्रथम ने 18वीं शताब्दी में इस का जीर्णोद्धार कराया और राजा राम तृतीय के शासन काल में इसे वर्तमान स्वरूप दिया गया, जिस में लेटे हुए बुद्ध की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई. 18 जून, 2025 को राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख के आदेश के बाद बैंकाक की रौयल थाई पुलिस के केंद्रीय जांच ब्यूरो के डिप्टी कमिश्नर पोल मेजर जनरल जारुनकियात पंकव के  नेतृत्व में वाट त्रि थोत्सयेप मंदिर वोराविहान के मठाधीश चाओखुन अर्ज की तलाशी के लिए छापा मारा.

पुलिस ने जब मंदिर के अन्य भिक्षुओं से बातचीत की तो पता चला कि मठाधीश चाओखुन वहां से सीमा पार लाओस भाग चुका है. उस के बाद पुलिस टीम ने जब मठ के खाते की विस्तृत जांचपड़ताल शुरू की तो जांच में यह पाया गया कि मठाधीश फ्राथेप वाचिरा पामोक उर्फ चाओखुन अर्ज ने मंदिर के खातों से 9.05 मिलियन डालर (भारतीय करेंसी में लगभग 75 करोड़ 43 लाख 91 हजार 723 रुपए) की धनराशि अपने निजी खाते में ट्रांसफर की थी.

लेकिन असली जानकारी तभी सामने आ सकती थी, जब चाओखुन अर्ज से पूछताछ होती, इसलिए रौयल थाई पुलिस अब चाओखुन अर्ज की तलाश में जगहजगह छापे मारने लगी. चाओखुन भी जानता था कि वह अधिक समय तक पुलिस की नजरों से छिपा नहीं रह सकता है, इसलिए अंतत: चाओखुन अर्ज ने 27 जून, 2025 को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.

पुलिस द्वारा विस्तृत पूछताछ में चाओखुन अर्ज ने बताया कि करीब 2 साल पहले विलावान सिका उर्फ मिस गोल्फ ने उस से फेसबुक के माध्यम से संपर्क किया था और दोस्ती बढ़ाई. बाद में हमारे बीच यौन संबंध स्थापित हो गए, उस के बाद हमारा एक बेटा भी हो गया. फिर विलावान मुझ से पैसे की मांग करने लगी. पहले मैं उसे काफी पैसे देता रहा. लेकिन जब मुझे इस बात की जानकारी हुई कि विलावान के अन्य बौद्ध भिक्षुओं के साथ भी संबंध हैं तो मैं ने धीरेधीरे उस से दूरियां बढ़ानी शुरू कर दी.

उस के बाद विलावान मुझ से फोन कर के मुझ से पैसे मांगने लगी, जब मैं ने और पैसे देने से इंकार कर दिया तो उस ने मेरे साथ एक सौदा किया कि अगर उसे एकमुश्त 7.2 मिलियन बाट (लगभग 17 करोड़ भारतीय रुपए) दे दूं तो वह मेरे साथ खींचे गए अश्लील वीडियो और अश्लील फोटो मुझे दे देगी. यह रकम काफी ज्यादा थी और इसलिए मैं ने इतनी धनराशि देने से साफसाफ मना कर दिया, क्योंकि मैं उसे पहले ही काफी रकम दे चुका था. उस के बाद विलावान ने मुझे धमकी दी कि यदि इसे यह रकम यहीं दी तो वह मेरी पुलिस से लिखित शिकायत दर्ज करा देगी.

मैं उस से नहीं डरा. उसे पैसा देने से इनकार कर दिया. मुझे उम्मीद थी कि वह पैसे ऐंठने के लिए पुलिस की धमकी दे रही थी, लेकिन जब उस ने सही में पुलिस से मेरे खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी, तब बदनामी के डर से सीमा पार लाओस भागना पड़ा. इस के बाद चाओखुन को 27 जून, 2025 को वाट त्रि थोत्सथेप वोराविहान के मठाधीश पद से हटा दिया गया था.

ब्लैकमेलर मिस गोल्फ हुई गिरफ्तार

अब रौयल थाई पुलिस की विशेष जांच टीम गोपनीय ढंग से विलावान सिका के पीछे लग गई और उस की हर गतिविधि पर अपनी पैनी नजर रखे हुई थी. इस के लिए विशेष जांच टीम ने अपने गुप्त मुखबिरों को अलगअलग जानकारियां एकत्रित करने के लिए लगा रखा था. विलावान सिका के घर के आसपास भी मुखबिर उस पर कड़ी नजर रखे हुए थे. इसी क्रम में जांच प्रमुख पोल मेजर जनरल जारुनकियात पंकव के नेतृत्व में पुलिस टीम ने विलावान सिका के घर पर छापा मारा तो पुलिस टीम की आंखें खुली की खुली रह गईं.

पुलिस जांच में पाया गया कि विलावान सिका को कुछ सालों में बौद्ध भिक्षुओं की ओर से उस के खाते में 385 मिलियन बाट (भारतीय रुपयों में लगभग 91 करोड़ 57 लाख 75 हजार 635 रुपए) मिले थे. पुलिस द्वारा मीडिया को साझा किए एक वीडियो में एक बौद्ध भिक्षु को सोफे पर विलावान सिका के साथ लेटा हुआ दिखाया गया. विलावान बौद्ध भिक्षु पर उस के सिर में थप्पड़ मारती दिखी.  पुलिस ने वीडियो क्लिप और कई तसवीरों में यौन क्रियाओं वाली वीडियो भी जब्त कर लीं. पुलिस पूछताछ में एक बौद्ध भिक्षु ने स्वीकार किया कि उस ने विलावान को एक कार भी गिफ्ट की थी.

बैंकाक के वाट माई याई पेन के एक बौद्ध भिक्षु ने पुलिस को बताया कि विलावान सिका गोल्फ ने धार्मिक वस्तुओं की मदद मांगने के बहाने उन से संपर्क किया था. यह भी स्वीकार किया कि वह विलावान के घर पूरी रात रुका था. उस ने दावा किया कि विलावान सिका ने उस के साथ अंतरंग संबंध बनाने की पहल खुद की और उस के बाद विलावान ने उस से एक लाख थाई बाट (भारतीय रुपयों में लगभग 2 लाख 26 हजार 643 रुपए) उधार भी लिए थे.

वाट चुजित थम्मारम के पूर्व मठाधीश फ्रा थेप्पाचारापोर्न, जिसे मठाधीश पद से हटा दिया गया है, जिसे अब सोम्पोंग के नाम से जाना जाता है. उस के भी अश्लील वीडियो विलावान के साथ मिले थे. सोम्पोंग ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि उस ने 12 मिलियन थाई बाट (भारतीय रुपयों में लगभग 32 करोड़ 40 लाख रुपए) से अधिक की राशि विलावान के खातों में हस्तांतरित की थी. पुलिस ने अब तक 12 भिक्षुओं द्वारा विलावान सिका के अवैध संबंधों की पुष्टि की है, जिन में से 9 बौद्ध भिक्षुओं को उन के मठाधीश पद से हटा दिया गया है, जबकि अन्य की जांच अभी जारी है. पुलिस ने बौद्ध भिक्षुओं पर 2 आरोप लगाए हैं.

आपराधिक संहिता की धारा 147 के तहत एक राज्य अधिकारी द्वारा गबन तथा धारा 157 के तहत एक राज्य अधिकारी द्वारा कार्यालय में कदाचार के आरोप थे. दूसरी ओर विलावान सिका पर भ्रष्टाचार निरोधक प्रभाग द्वारा 4 आरोप लगाए गए हैं. आपराधिक संहिता की धारा 147 के तहत संपत्ति के गबन में एक राज्य अधिकारी का समर्थन करना, धारा 157 के तहत कर्तव्य के कदाचार में एक राज्य अधिकारी का समर्थन करना, धन शोधन की साजिश और चोरी की संपत्ति प्राप्त करना है.

इस पूरे प्रकरण में थाईलैंड के राजा वजीरालोंगकोर्न ने दिनांक 22 जुलाई, 2025 को एक शाही आदेश जारी कर दिया. जिस में दरजनों वरिष्ठ भिक्षुओं को मठाधीश संबंधी उपाधियां प्रदान करने की पूर्व घोषणाओं को रद्द कर दिया गया है. राजा ने कहा कि बौद्ध धर्म में आस्था तो बनी रहेगी, लेकिन भिक्षुओं पर भरोसा कम हो सकता है. भिक्षु शायद अपनी वासनाओं में खो गए हैं. Crime Story in Hindi

कथा लिखने तक बैंकाक पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही थी.

 

 

Crime Story in Hindi : विश्वासघात का खंजर

Crime Story in Hindi : नवीन पटेल गोवा के एक बड़े व्यापारी थे. वह अपने शोरूम पर काम करने वाले नौकर निशांत पर विश्वास करते हुए अपने घर के सदस्य की तरह ही मानते थे. लेकिन इसी नौकर ने मोटी रकम के लालच में दोस्तों के साथ मिल कर उन्हें विश्वासघात का ऐसा खंजर घोंपा कि…

वीरेंद्र कुमार (25 वर्ष) को गोवा के लोग वीरेंद्र बिहारी कहते थे. कारण वह बिहार के मधुबनी के एक गांव का रहने वाला था. कोरोना काल में अपने गांव चला गया था. घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही बिगड़ी हुई थी. पढ़ाई के नाम पर 8वीं पास था. उसे किसी भी तरह की नौकरी मिलने की उम्मीद कतई नहीं थी. काम के नाम पर वह खेतीकिसानी जानता था. कुछ महीने पहले ही रोजीरोटी की तलाश में गोवा आया था. उत्तरी इलाके में अपने कुछ परिचितों के यहां रह रहा था. उन की मदद से ही वह गाडि़यों की देखरेख के लिए एक गैरेज में लग गया था.

किसी भी काम को वह बहुत जल्द सीख लेता था. गाडि़यों की देखरेख करते हुए, गाड़ी से संबंधित वह कई तरह के काम करने में माहिर हो गया था. कई गाडि़यों की अच्छी जानकारी भी हो गई थी. गाड़ी खोलना, गाड़ी चलाना आदि से ले कर इंजन की आवाज पहचान कर उस की खराबी के बारे मालूम कर लेना अच्छी तरह जान गया था. उस ने ड्राइविंग लाइसैंस भी बनवा लिया थे. उस के बाद मानो उस के सपनों को पंख लग गए थे. गैरेज का काम छोड़ कर टैंपो की ड्राइवरी करनी शुरू कर दी थी. इस काम की वजह से उस की जानपहचान निशांत मोगन कैंडोलिम से हो गई थी. वह भी उसी की उम्र का था. वह मंगलूर का रहने वाला था. शहर के चर्चित एक शोरूम आशीर्वाद और गोदाम के मालिक नवीन पटेल के यहां कई सालों से काम कर रहा था.

निशांत को हमेशा माल लानेपहुंचाने के लिए टैंपो की जरूरत पड़ती थी. इसी कारण वह वीरेंद्र के संपर्क में आया. उस ने वीरेंद्र का टैंपो किराए पर लेना शुरू कर दिया. उस का काम, समय की पाबंदी और स्वभाव मालिक को पसंद आया. इस तरह वीरेंद्र भी शोरूम या गोदाम में अकसर सामान की डिलीवरी के लिए जाने लगा. उन में गहरी दोस्ती होने का यही कारण था. जब कभी मौका मिलता तो दोनों इकट्ठे बैठते थे. खातेपीते थे. मौजमस्ती करते थे. एकदूसरे से अपनी बातें शेयर किया करते थे. निशांत के अलावा 25 वर्षीय सुरजीत केसकर, 28 वर्षीय मंजूनाथ और 51 वर्षीय सुभाष भोसले भी कभीकभार वीरेंद्र बिहारी के टैंपो किराए पर लिया करते थे. सुभाष और सुजीत महाराष्ट्र में कोल्हापुर के रहने वाले थे.

इन के परिवार में पुश्तैनी काश्तकारी का काम होता था, जिस से गुजरबसर करना मुश्किल हो रहा था. इस कारण वे भी कामधंधे की तलाश में गोवा आ गए थे. उन का तीसरा साथी मंजूनाथ दक्षिणी गोवा के कांदोली गांव का रहने वाला था. उसे गोवा के चप्पेचप्पे की अच्छी जानकारी थी. दुर्गम से दुर्गम और निर्जन दूरदराज के इलाके के बारे में अच्छी तरह से जानता था. वह भी अच्छी कमाई के मकसद से गांव छोड़ कर शहर आया था. पांचों की दोस्ती के केंद्र में वीरेंद्र बिहारी था. सभी उसे इसलिए भी पसंद करते, क्योंकि वह उन्हें पैसा कमाने के नएनए आइडिया देता था. वह खुद भी खूब पैसा कमाना चाहता था.

कोरोना काल का हुआ असर जब कभी पांचों मिलते तब पैसे कमाने की योजना बनाया करते थे. कोरोना के कहर से गोवा भी तबाह हो गया था. शहर की स्थिति खराब हो गई थी. शहर के अधिकतर कामधंधे और रोजगार ठप पड़ गए थे. इस का सब से अधिक प्रभाव दिहाड़ी पर काम करने वालों पर पड़ा था. काफी लोग अपने गांव चले गए, किंतु कोरोना कम होने के बाद जब वे वापस लौटे तब उन में से कुछ को ही काम मिल पाया. काम नहीं पाने वालों में ये पांचों दोस्त भी थे. वीरेंद्र बिहारी शातिर दिमाग का था. जब उसे कोई ढंग का काम नहीं मिला, तो उस ने वाहन की चोरियां और राहजनी का काम शुरू कर दिया, जिस से उस के खिलाफ थाने में कई शिकायतें भी दर्ज हो गई थीं.

एक के बाद एक जब कई शिकायतें उस के खिलाफ थानों में दर्ज हुईं तो वह कई बार गिरफ्तार भी हुआ. लेकिन किसी तरह जमानत पर छूट कर जेल से बाहर आ गया. इस से वह समझ गया था कि किस तरह के मामले में कैसे छूटा जा सकता है और किस में कितना खर्च कर बचा जा सकता है. वीरेंद्र बिहारी के मन में एक लंबा हाथ मारने का विचार आया. लेकिन यह काम उस के अकेले के वश का नहीं था. उस की योजना के मुताबिक उसे और लोगों की जरूरत थी. वह अपनी योजना को सही तरह से सफल बनाने के लिए एक टीम बनाना चाहता था. इस बारे में उस ने सब से पहले निशांत से बात की. उस ने उसे अपनी योजना के बारे में बताया. पहले तो निशांत उस की योजना सुनते ही घबरा गया. उस ने इनकार कर दिया. कहा कि इस काम में उस का बनाबानाया काम छूट जाएगा.

तब वीरेंद्र ने उस से कहा, ‘‘हमें इस काम में मोटे पैसे एक बार में ही मिल जाएंगे तो कोई दूसरा काम करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.’’ यह बात निशांत की समझ में आ गई और उस ने इस काम में हामी भर दी. उस के बाद दोनों ने मिल कर टीम को पूरा करने का काम शुरू किया. उन्होंने बाकी के 3 दोस्तों से बात की. सभी उन की योजना सुन कर निशांत की तरह ही घबरा गए थे. लेकिन जब उन्हें समझाया गया कि इस में कानून और पुलिस से कैसे बचा जा सकता है, तब वे भी राजी हो गए. फिर उन्हें एक झटके में लाखों रुपए आने का लालच भी था. नवीन पटेल को लिया निशाने पर इस तरह से पूरी योजना की तैयारी के बाद उन्हें एक ऐसी पार्टी की तलाश थी, जो मालदार हो और उन की थोड़ी सी धमकी पर ही आसानी से उन की बात मान ले. उन की योजना किसी का अपहरण कर मोटी फिरौती वसूलने की थी.

ऐसे में घूमफिर कर के उन की नजर में जिस व्यक्ति की तसवीर उभर कर सामने आई, वह निशांत के मालिक नवीन पटेल की थी. निशांत कई सालों से उन के यहां काम कर रहा था. इसलिए उसे उन के घर, परिवार के लोगों के अलावा उन की अमीरी के बारे में अच्छी जानकारी थी. योजना के अनुसार, उन्होंने नवीन पटेल के औफिस की अच्छी तरह से रेकी की. इस काम को निशांत ने किया. साथ में वीरेंद्र की भी मदद ली. रेकी के बाद दिन और समय तय कर वीरेंद्र बिहारी ने एक एसयूवी कार किराए पर ली. उसी कार से उन्होंने औपरेशन करोड़पति की शुरुआत की. उस दिन अगस्त की 4 तारीख थी. पांचों साथी कार में सवार नवीन पटेल के शोरूम पहुंचे. समय साढ़े 12 बजे का था.

वीरेंद्र अपने 4 साथियों को ले कर शोरूम में घुसा, जबकि एक साथी कार में ही बैठा रहा. वह निशांत था. वह कार में लगे काले शीशे के कारण बाहर से नहीं दिख रहा था. वीरेंद्र ने नवीन पटेल को अपना परिचय एक प्लाईवुड व्यापारी के रूप में दिया. नवीन पटेल से परिचय करने के बाद उस ने अपने 3 सहयागियों के तौर पर बाकी का परिचय करवाया. थोड़ी देर तक इधरउधर की बातें करने के बाद वीरेंद्र ने बताया कि कुछ समय में ही उन का कारपेंटर आने वाला है. वही प्लाईवुड के बारे में बाकी जानकारी देगा. चालाकी से किया अपहरण नवीन पटेल ने उन्हें सामने के सोफे पर बैठने को कहा और अपने एक कर्मचारी को पानी और चाय लाने के लिए बोल कर अपना काम निपटाने लगे. कर्मचारी के वहां से हटते ही वीरेंद्र के एक साथी ने अचानक ही शोरूम का शटर बंद कर दिया.

नवीन पटेल चौंक गए. उन्होंने समझा कि शटर अपने आप गिर गया है. क्योंकि ऐसा पहले भी 2-3 बार हो चुका था. उन्होंने तुरंत अपने कर्मचारी को आवाज लगाई, ‘‘कितनी बार कहा है कि शटर ठीक करवा लो, लेकिन नहीं.’’

नवीन बात पूरी करने वाले ही थे कि वीरेंद्र बिहारी ने फुरती से नवीन  के गले पर चाकू रख दिया. नवीन बौखलाते हुए बोले, ‘‘अरे, यह क्या बदतमीजी है? कौन…कौन हो तुम लोग? यह क्या कर रहे हो?’’

‘‘अगर अपनी जान की सलामती चाहते हो, तो एक करोड़ रुपया निकालो. अभी के अभी.’’ वीरेंद्र कड़कती आवाज में बोला.

‘‘छोड़ो मुझे, मुझे छोड़ दो.’’ नवीन अपना हाथ पीछे ले जा कर दूसरे बदमाश का हाथ पकड़ने की कोशिश करने लगे, जो पीछे से उन के दोनों कंधे पकड़े था.

‘‘नहीं छोड़ेंगे तुम्हें, जब तक कि तुम पैसे नहीं दे देते हो. वरना जिंदा भी नहीं बचोगे.’’ वीरेंद्र बोला. नवीन अचानक आई इस मुसीबत से बुरी तरह घबरा गए. अपने पुराने कर्मचारी निशांत को आवाज दी. चाय लाने के लिए गया कर्मचारी शोरगुल सुन कर वहां आ चुका था. उसे तीसरे बदमाश ने धर दबोचा. नवीन समझ चुके थे कि वे अपहर्त्ताओं के चंगुल में फंस चुके हैं. वह उन से विनती करने लगे, ‘‘मेरे पास पैसा नहीं है. लौकडाउन में इतना बिजनैस भी नहीं हो रहा है.’’

‘‘कहीं से भी लाओ हम नहीं जानते. घरवाली को फोन कर अभी पैसे मंगवाओ. वरना…’’ कहते हुए वीरेंद्र चाकू उन की गरदन पर रेतने की स्थिति में ले आया. काफी कोशिश और मारपीट करने के बाद भी बात नहीं बनी. बारबार नवीन एक ही रट लगाए रहे कि उन के पास पैसे नहीं है. वीरेंद्र ने अपने एक साथी को उन की आंखों और मुंह पर पट्टी बांधने को कहा. फटाफट बदमाशों ने नवीन की आंखों और मुंह पर पट्टी बांधी, फिर चाकू की नोक पर ढकेलते हुए कार के पास ले गए. कार में पहले बैठे निशांत ने उसे तुरंत अंदर बिठा दिया. कार की ड्राइविंग सीट पर वीरेंद्र जा बैठा. कुछ समय में  ही कार सुनसान सड़क पर दौड़ने लगी. एक करोड़ रुपए की मांगी फिरौती यहां तक तो पांचों बदमाशों को सफलता मिल गई थी, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता हुई कि वे फिरौती की काल कैसे करें? किस से पैसे मंगवाएं? कहां पर मंगवाएं?

अचानक उन के प्रोग्राम में बदलाव होने से सभी दुविधा में आ गए थे. भीतर से उन्हें पकड़े जाने का डर भी लग रहा था. अपहरण जैसे अपराध का यह उन का पहला अनुभव था. वह अभी तक छोटीमोटी चोरियां और लूटपाट ही किया करते थे. उन्हें यह भी डर था कि अपना फोन इस्तेमाल करने पर तुरंत पुलिस की नजर में आ जाएंगे. ऐसे में हो सकता है कि वह फिरौती मिलने से पहले ही पकड़े जाएं. वीरेंद्र को सामने मोबाइल पर बात करते हुए मजदूरों को देख कर एक आइडिया आया. उस ने तुरंत गाड़ी रोकी और 2 मजदूरों के मोबाइल छीन लिए. फिर गाड़ी तेजी से आगे बढ़ा दी. फोन निशांत को देते हुए नवीन की पत्नी को काल लगाने के लिए कहा.

नवीन पटेल की पत्नी मीनाक्षी का नंबर निशांत को मालूम था. उस ने तुरंत से फोन लगा दिया. मीनाक्षी द्वारा फोन रिसीव करते ही निशांत ने स्पीकर   औन कर दिया.

‘‘हैलो, कौन बोल रहा है?’’ मीनाक्षी ने पूछा.

‘‘मैडम, अगर तुम अपने पति की खैरियत चाहती हो तो एक करोड़ रुपए का बंदोबस्त जल्द कर लो. वरना उन्हें भूल जाओ.’’ वीरेंद्र  कर्कश आवाज में बोला.

‘‘हैलो…हैलो, आप कौन बोल रहे हैं?’’ मीनाक्षी कांपती आवाज में बोली.

‘‘मैं कौन बोल रहा हूं, इस से तुम्हें कोई मतलब नहीं है. तुम सिर्फ उतना ही करो जितना हम कह रहे हैं. पैसा कहां लाना है, यह हम तुम्हें जल्द बातएंगे.’’ वीरेंद्र बोला.

‘‘लेकिन…. लेकिन तुम हो कौन? मेरे पति कहां हैं?’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं. बस, तुम इतना याद रखना कि पुलिस के पास भूल कर भी मत जाना. नहीं तो नतीजा बुरा होगा, समझी. और हां, तुम्हारा पति हमारे कब्जे में अभी तक सुरक्षित है.’’ कहते हुए वीरेंद्र ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. मीनाक्षी हो गई परेशान दूसरी तरफ नवीन पटेल की पत्नी मीनाक्षी यह समझ गई थीं कि उस के पति का का अपहरण हो चुका है. वह बेहद घबरा गईं. यह बात किसे बताएं, किसे नहीं समझ नहीं पा रही थीं. कुछ पल रुक कर उन्होंने निशांत को फोन लगाया. निशांत ने काल रिसीव की, लेकिन आवाज उस की नहीं थी. कोई और भद्दी गाली देते हुए बोला, ‘‘..आखिर तूने होशियारी दिखा दी न?’’ निशांत का फोन वीरेंद्र ने रिसीव किया था, ‘‘अब किसी को काल मत करना और रुपए के साथ हमारे फोन का इंतजार करना.’’

मीनाक्षी ने झट से फोन कट कर दिया. उन्होंने समझा कि शायद निशांत भी उस के पति के साथ है या फिर उस का फोन अपहर्त्ताओं के पास है. उस के सामने बड़ी समस्या यह भी थी कि एक करोड़ रुपए कहां से लाएगी? अपहर्त्ताओं की इस शर्त से परिवार में कोहराम मच गया. इस समस्या का समाधान कैसे करें, यह उन की समझ में नहीं आ रहा था. मीनाक्षी की मानसिक स्थिति बिगड़ गई. वह डिप्रेशन में चली गईं. परिवार वालों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभाला. समझाबुझा कर पुलिस की मदद लेने को कहा. तब तक रात के 9 बज चुके थे. मीनाक्षी हिम्मत कर 4 अगस्त, 2021 को रात साढ़े 9 बजे अपने रिश्तेदारों के साथ पणजी पुलिस स्टेशन पहुंचीं. 3 रिश्तेदारों के साथ होने के बावजूद वह काफी घबराई हुई थीं. उन की हालत देख थानाप्रभारी विजय चौडणखर ने हैरानी से पूछा, ‘‘क्या बात है? आप इतना घबराई हुई क्यों हैं?’’

नवीन पटेल गोवा के एक जानेमाने कारोबारी थे, इस कारण थानाप्रभारी मीनाक्षी को पहले से पहचानते थे. हाल में ही वह नवीन की मैरिज एनिवर्सरी में शामिल हुए थे. तब मीनाक्षी ने उन की अच्छी आवभगत की थी. उत्तरी गोवा में थिविन गांव के रहने वाले 30 वर्षीय नवीन पटेल गोवा के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. उन का गोवा के मौडल टाउन में आशीर्वाद नाम का एक शोरूम और एक प्लाईवुड का गोदाम था. पुलिस को दी सूचना नवीन की पत्नी को अपने पास आया देख कर थानाप्रभारी चौंक गए. उन की हालत देख किसी अनहोनी की आशंका के साथ उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हुआ भाभीजी? आप इतनी घबराई हुई क्यों हैं?’’ इसी के साथ उन्होंने मीनाक्षी को बैठने को कहा.

सामने की कुरसी पर बैठते ही मीनाक्षी फूटफूट कर रोने लगीं. थानाप्रभारी ने उन्हें शांत करवाया. एक ग्लास पानी पिलाया और पूरी बात बताने को कहा. जब मीनाक्षी ने नवीन पटेल के अपहरण की बात बताई तो थानाप्रभारी चिंता में पड़ गए. उन्होंने पूरी बात विस्तार से बताने को कहा. मीनाक्षी ने अपहर्त्ताओं से हुई सभी बातें उन्हें बताईं. साथ ही अपने मोबाइल पर आए अपहर्त्ताओं के काल के समय को बताया. थानाप्रभारी विजय चोडणखर मीनाक्षी का स्मार्टफोन ले कर जांचपरख करने लगे. संयोग से फोन में आटो रिकौर्डिंग का ऐप था. विजय ने काल की रिकौर्डिंग औन कर मीनाक्षी के सामने ही कई बार सुना. फोन में शोरूम के कर्मचारी निशांत का भी नाम था.

उसे काल करने पर मिले जवाब के बारे में पूछने पर मीनाक्षी ने सिर्फ इतना बताया कि वह उन का बहुत ही भरोसेमंद कर्मचारी है और उस का हमारे घर भी आनाजाना होता था. इस वक्त वह कहां है, पूछने पर मीनाक्षी ने बताया कि अब उस का फोन बंद आ रहा है. थानाप्रभारी इतना तो जानते ही थे कि अधिकतर अपहरण के मामले में किसी न किसी नजदीकी का ही हाथ होता है. इसी अंदेशे के साथ उन्होंने निशांत के जरिए अपहर्त्ताओं तक पहुंचने की योजना बनाई. इस के बाद थानाप्रभारी ने मीनाक्षी और उन के साथ आए लोगों के बयानों के आधार पर नवीन पटेल के अपहरण की शिकायत दर्ज कर ली गई. थानाप्रभारी ने उन्हें इस आश्वासन के साथ घर भेज दिया कि पुलिस उन के पति को अवश्य छुड़ा लेगी.

मीनाक्षी के जाने के बाद थानाप्रभारी ने मामले की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को देने के साथ ही तुरंत पूरे शहर की नाकेबंदी कर दी. पुलिस हो गई सक्रिय शहर के पुलिस महकमे में नवीन पटेल के अपहरण की सूचना फैल गई. इस की जानकारी व्यापारी वर्ग को भी लग गई, किंतु वे पुलिस की हिदायत के मुताबिक शांत बने रहे. पुलिस ने सब से पहले निशांत की तलाशी का लक्ष्य बनाया, ताकि अपहरण का कोई सुराग हाथ लग सके. उस के मोबाइल फोन की ट्रैकिंग की जाने लगी. अपहरण कांड की सूचना पा कर अगले दिन गोवा के डीजीपी मुकेश कुमार मीणा और एसपी शोभित सक्सेना ने थानाप्रभारी विजय चोडणखर के साथ मिल कर घटनास्थल यानी नवीन पटेल के शोरूम का जा कर निरीक्षण किया.

आसपास के शोरूम वालों से पूछताछ करने पर उन्हें कोई विशेष जानकारी नहीं मिली. शोरूम के कुछ कर्मचारियों ने घटना के दिन शटर बंद करने और चाकू की नोंक पर नवीन को गाड़ी में जबरन बिठाने के अलावा अधिक बातें नहीं बताईं. उन्होंने इस कांड में 5 लोगों के शामिल होने के साथसाथ दोपहर 12 से एक बजे के बीच शोरूम के सामने सफेद एसयूवी कार खड़ी होने की बात कही. निशांत के बारे में पूछने पर कर्मचारियों ने कहा कि उस रोज वह छुट्टी पर था. इस छानबीन के बाद पुलिस अधिकारी अपने औफिस लौट आए. थाने आ कर थानाप्रभारी नवीन पटेल के शोरूम का बारीकी से निरीक्षण करने के अलावा उन्होंने वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की भी जांच की.

जल्द ही उन्हें उन फोन नंबरों की काल डिटेल्स मिल गई, जिस से पता चला कि काल के वक्त वे गोवा के किस इलाके में थे. इस के बाद नए सिरे से मामले की रूपरेखा तैयार कर तफ्तीश के लिए पुलिस की 4 टीमों का गठन किया गया. सभी टीमें गोवा के अलगअलग इलाकों में फैल गईं. इस मामले में गोवा के आगशी और अगाकैन पुलिस की भी मदद ली गई. अपहर्त्ताओं के मोबाइल फोन की सर्विलांस से मालूम हुआ कि वे नंबर पुराने गोवा सांताक्रुज केवसा के इलाके से एक्टिव करवाए गए थे. उस का आईएमईआई नंबर गोवा के एक व्यक्ति के मोबाइल का था. पुलिस की जांच टीम उस के सहारे आगशी और अगाकैन पुलिस को सतर्क करती हुई उस व्यक्ति के पते पर पहुंच गई.

वहां जा कर मालूम हुआ कि जिन फोन नंबरों से फिरौती की रकम मांगी गई थी, वह फोन दिहाड़ी मजदूरों के थे, जो एक दिन पहले ही कार सवार युवकों ने छीन लिए थे. उन की कार उन युवकों के हुलिया के बारे में पुलिस ने मजदूरों से पूछा तो उन के बारे में उस का हुलिया सीसीटीवी की तसवीरों वाले कार से मेल खाने जैसी थी. उस वक्त वे मेनरोड से अपने घर लौट रहे थे. तभी उन के पास एक कार आ कर रुकी थी, जिस में 5 लोग बैठे थे. एक रास्ता पूछने के लिए बाहर निकला था. उस ने यह भी बताया कि कार में एक आदमी सिर झुकाए 2 लोगों के बीच बैठा हुआ था. दोनों उसे पीछे से हाथ किए ऐसे पकड़ रखे थे, जैसे वे गिरने वाले हों.

मजदूरों से मिली अहम जानकारी मजदूर के बताए गए बदमाशों के हुलिए से जांच टीम को काफी राहत मिली. अपहरण कांड के तार एकदूसरे से जुड़ने लगे थे, लेकिन सब से अहम था अपहर्त्ताओं का पकड़ा जाना और नवीन पटेल को सकुशल बरामद करना. पुलिस ने गोवा में घटित हाल की आपराधिक वारदातों में शामिल लोगों की जानकारी निकलवाई. उस के आधार पर सब से पहला नाम राहजनी और वाहन चोरी के कई गंभीर इलजाम वाले वीरेंद्र कुमार बिहारी का सामने आया. इस नई जानकारी के बाद पुलिस टीम की तफ्तीश वीरेंद्र कुमार बिहारी की तरफ घूम गई. पुलिस टीम ने जब वीरेंद्र के ठिकाने पर छापा मारा तो वह हाथ नहीं लगा, लेकिन उस का एक साथी पुलिस टीम के हत्थे चढ़ गया.

उसे पुलिस टीम थाने ले आई. उस से पूछताछ शुरू होने के साथ ही पुलिस को एक और महत्त्वपूर्ण सुराग मिल गया. वीरेंद्र का पकड़ा गया साथी कोई और नहीं, नवीन पटेल का कर्मचारी निशांत था. पहले तो उस ने अपहरण कांड से अनजान और और खुद को बेकुसूर बताया, लेकिन सख्ती से पूछताछ करने पर उस ने सच कुबूल लिया. उस ने अपने अन्य साथियों के नाम भी बता दिए और यह भी बताया कि वह अपहृत नवीन को कहीं छिपा कर रखने का इंतजाम करने के लिए कमरे पर आया था. अपहर्त्ताओं के चंगुल से सकुशल छुड़ाया पुलिस को अपहर्त्ताओं तक पहुंचने के लिए इतनी जानकारी काफी थी. पुलिस टीम नवीन पटेल को उन के चंगुल से छुड़ाने के लिए निशांत को साथ ले कर उस के बताए अनुसार उस ठिकाने पर जा पहुंची, जहां वे मीनाक्षी को काल कर पैसे मांग रहे थे.

वे सभी पुराने गोवा में एक जर्जर इमारत में थे. पुलिस ने वहां बंधक बना कर रखे गए नवीन पटेल को अपहर्त्ताओं के चंगुल से सकुशल बरामद कर लिया. नवीन पटेल को  सकुशल आजाद करवाने के बाद तीनों थाने के अधिकारियों की मदद से नवीन पटेल अपहरण कांड में शामिल सभी  आरोपियों को निशांत मोगन की निशानदेही पर गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब उन से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने नाम वीरेंद्र कुमार बिहारी, सुरजीत केसकर, सुभाष भोसले और मंजूनाथ कारवार बताए. सभी से अपहरण से संबंधित मोबाइल फोन और चाकू बरामद कर लिया. उन के खिलाफ नवीन पटेल के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर दिया गया. दूसरे दिन उन्हें गोवा मेट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर गोवा की सेंट्रल जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक आगे की तफ्तीश गोवा कोतवाली पुलिस थाने के थानाप्रभारी विजय चोडणखर कर रहे थे. Crime Story in Hindi

 

Crime Story in Hindi : ऊधम सिंह नगर में धंधा पुराना लेकिन तरीके नए

Crime Story in Hindi : देशदुनिया की शायद ही कोई औरत हो, जो अपनी इच्छा से देहव्यापार को पेशा बनाना चाहती है. किसी भी स्त्री की देह वह बेशकीमती दौलत है, जिस का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता, फिर भी इस की बोली लगाने वाले बाजारों की कमी नहीं है. ऐसा ही उत्तराखंड के काशीपुर में एक बाजार है, जो राजारजवाड़ों के जमाने से काफी विख्यात रहा है.

सदियों पहले उस दौर की बात है, जब देश में राजेरजवाड़ों का अपना साम्राज्य हुआ करता था. समूचे इलाके में उन की तूती बोलती थी. उन के मनोरंजन के 2 ही मुख्य साधन हुआ करते थे. एक, जंगली जानवरों का शिकार करना और दूसरा, सुंदर स्त्री की लुभावनी अदाओं के नाचगाने का आनंद उठाने के अलावा यौनाचार में लिप्त हो जाना. ऐसा ही कुछ आज के उत्तराखंड स्थित ऊधमसिंह नगर के काशीपुर में था. तब काशीपुर के कई मोहल्ले तो इस के लिए दूरदूर तक विख्यात थे. उस मोहल्ले की मुख्य सड़क के दोनों ओर वेश्याएं रहती थीं.

देह व्यापार में लिप्त ऐसी औरतें अब वैश्या कहलाना पसंद नहीं करतीं, उन्हें सैक्स वर्कर कहा जाता है. यहां पर कई छोटेबड़े नगरों के लोग अपनी कामपिपासा शांत करने आते थे. बाद में ऐसी औरतों की संख्या बढ़ने पर उन के धंधे को जबरन बंद करवाना पड़ा. सामाजिक दबाव और प्रशासन की सख्ती के आगे इन वेश्याओं को नगर छोड़ कर जाने पर मजबूर होना पड़ा था. उस के बाद उन्होंने मेरठ शहर के लिए पलायन कर लिया था. उन्हीं में कुछ वेश्याएं ऐसी भी थीं, जिन्होंने नगर के आसपास रह कर गुप्तरूप से चोरीछिपे धंधे में लिप्त रहीं. वही सिलसिला बदस्तूर आज भी जारी है.

पुलिस समयसमय पर उन के ठिकानों पर छापामारी करती रहती है. उन्हें हिरासत में ले कर नारी सुधार गृह या जेल भेज दिया जाता है. बात 30 जुलाई की है. पुलिस को जानकारी मिली थी कि काशीपुर के ढकिया गुलाबो मोहल्ले का एक दोमंजिला मकान काफी समय से देह व्यापार का ठिकाना बना हुआ है. इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए सीओ अक्षय प्रह्लाद कोंडे के निर्देश पर एक पुलिस टीम गठित की गई. टीम में महिला इंसपेक्टर धना देवी, कोतवाली एसएसआई देवेंद्र गौरव, टांडा चौकी इंचार्ज जितेंद्र कुमार, कांस्टेबल भूपेंद्र जीना, देवानंद, कांस्टेबल गिरीश कांडपाल, दीपक, मुकेश कुमार शामिल थे.

पुलिस टीम ने काफी सावधानी से छापेमारी को अंजाम दिया. सभी पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में थे. छापेमारी में उन्हें बताए गए ठिकाने से 4 महिलाएं और 2 पुरुषों को धर दबोचने में सफलता मिली. वे मकान के अलगअलग कमरों में आपत्तिजनक स्थिति में पाए गए थे. देह व्यापार मामले में आरोपी को रंगेहाथों पकड़ना जरूरी होता है. वरना वे संदेह के आधार पर आसानी से छूट जाते हैं. इस छापेमारी में देहव्यापार की सरगना फरार हो गई. पकड़े गए आरोपियों को पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया. वैसे काशीपुर में इस तरह की छापेमारी पहली बार नहीं हुई थी. पहले भी कई बार इलाके में देह व्यापार के ठिकानों पर छापेमारी हो चुकी थी. देह के गंदे धंधे में लगे लोग हमेशा अड्डा बदलते रहते हैं.

देह व्यापार के धंधे में आधुनिकता और बदलाव कई रूपों में सामने आया है, जिस का एक मामला हल्द्वानी पुलिस के सामने 3 अगस्त को आया. पुलिस को सूचना मिली कि हाइडिल गेट स्थित स्पा सेंटर में काफी समय से देह व्यापार का खुला खेल चल रहा है. इस सूचना के आधार पर हल्द्वानी सीओ शांतनु पराशर ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम को साथ ले कर स्पा सेंटर पर छापा मारा. छापेमारी के दौरान एक युवक को युवती के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया. स्पा सेंटर में पुलिस की रेड पड़ते ही हलचल मच गई. सेंटर की संचालिका दिल्ली निवासी सुमन और स्वाति वर्मा फरार हो गईं. जबकि सेंटर के मैनेजर पश्चिम बंगाल के वरुणपारा वारूईपुरा, निवासी नादिया पकड़े गए.

छापेमारी के दौरान स्पा सेंटर से देह व्यापार से संबंधित कई आपत्तिजनक वस्तुएं भी बरामद हुईं. यहां तक कि उस के बेसमेंट से 9 लड़कियां निकाली गईं. उन में 2 उत्तर प्रदेश, एक मध्य प्रदेश, एक मणिपुर, 2 पश्चिम बंगाल और 3 हरियाणा की थीं. पकड़ा गया युवक आशीष उनियाल काठगोदाम का रहने वाला निकला. वह एक निजी कंपनी में काम करता था. स्पा सेंटर में सुनियोजित तरीके से देह व्यापार का धंधा चलाया जा रहा था. धंधेबाजों ने बड़े पैमाने पर मसाज की आड़ में यौनाचार के सारे इंतजाम कर रखे थे. वहां से पकड़ी गई सभी युवतियों के रहने की व्यवस्था सेंटर के बेसमेंट में की गई थी. उन के खानेपीने की पूरी सुविधाएं वहीं की गई थीं.

ग्राहक को स्पा सेंटर आने से पहले ही वाट्सऐप पर युवती की फोटो दिखा कर उस का सौदा कर लिया जाता था. ग्राहक को युवतियों के टाइम के हिसाब से अपौइंटमेंट तय किया जाता था. स्पा सेंटर आते ही ग्राहक को रिसैप्शन पर बाकायदा बिल चुकाना होता था, जो स्पा से संबंधित होते थे. उस के बाद उसे कमरे में बने केबिन में जाने की इजाजत मिलती थी. अपने फिक्स टाइम पर ग्राहक स्पा सेंटर पहुंच जाता था. उन्हें स्पीकर पर आवाज लगाई जाती थी. उस के साथ फिक्स युवती को इस की सूचना पहले होती थी और कुछ समय में ही अपने ग्राहक के पास चली जाती थी. एक युवती को एक दिन में 3 सर्विस देनी होती थी.

सेंटर में आने वाले ग्राहकों का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं था. जबकि उन की बिलिंग होती थी. उसे किसी रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता था. फिर भी पुलिस ने जांच में पता लगाया कि सेंटर को प्रतिदिन 50 हजार की कमाई होती थी. स्पा सेंटर से बरामद सभी युवतियों ने स्वीकार किया कि वे किसी न किसी मजबूरी की वजह से मसाज की आड़ में देह बेचने का काम करती हैं. इसी के साथ उन्होंने सेंटर के मालिक पर आरोप भी लगाया कि उन्हें बहुत कम पैसा मिलने के कारण मजबूरी के चलते बेसमेंट में रहना होता है, जहां काफी मुश्किल होती है. पुलिस पूछताछ के बाद सीओ के निर्देश पर सभी युवतियों को मुखानी स्थित वन स्टौप सेंटर में भेज दिया गया. उसी दौरान 7 अगस्त, 2021 को पुलिस को पता चला कि स्पा सेंटर की आड़ में कई जगहों पर देह व्यापार चल रहा है.

इस सूचना के आधार पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट प्रभारी ने सीओ अमित कुमार के साथ मीटिंग कर इस अपराध को जड़ से मिटाने का निर्णय लिया. इस की जानकारी एसएसपी दलीप सिंह को दे कर अनुमति मांगी गई. अनुमति मिलते ही अमित कुमार ने ठोस कदम उठाए. उस योजना को अंजाम देने के लिए पुलिस ने नगर में चल रहे स्पा सेंटरों पर मुखबिरों का जाल बिछा दिया. पुलिस को जहां से भी जानकारी मिलती, वहां तुरंत छापेमारी की जाने लगी. इस सिलसिले में मैट्रोपोलिस सिटी बिग बाजार स्थित सेवेन स्काई स्पा सेंटर में कुछ संदिग्ध युवकयुवतियां दबोचे गए. एक कमरे के केबिन से 2 युवकों को 3 युवतियों के साथ, जबकि दूसरे कमरे में बने केबिनों में 2-2 युवकयुवतियां मसाज में तल्लीन पकड़े जाने पर दबोचा गया. सभी अर्धनग्नावस्था में थे.

सेंटर की गहन छानबीन में प्रयोग किए गए और नए महंगे कंडोम बरामद हुए. रिसैप्शन काउंटर से भी कंडोम बरामद किए गए. कस्टमर एंट्री रजिस्टर से पुलिस को ग्राहकों के एंट्री की तारीख और समय का पता चला. सेंटर की संचालिका सोनू थी. उस ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि स्पा सेंटर का मालिक हरमिंदर सिंह हैं, उन के निर्देश पर ही सेंटर में सब कुछ होता रहा है. सेंटर से बरामद 5 युवतियों ने स्वीकार किया कि उन्हें एक ग्राहक के साथ हमबिस्तर होने पर 500 रुपए मिलते थे. इस मामले को पंतनगर थाने में दर्ज किया गया. गिरफ्तार युवकयुवतियों और सेंटर के मालिक हरमिंदर सिंह के खिलाफ रिपोर्ट लिख ली गई. बिलासपुर जिला रामपुर निवासी हरमिंदर सिंह फरार था.

पुलिस उस की तलाश में लगा दी गई थी. इसी तरह ऊधमसिंह नगर में चल रहे स्पा सेंटर पर भी 13 अगस्त को छापेमारी की गई. उस के बाद वहां बसंती आर्या ने सभी स्पा सेंटरों व होटल मालिकों को आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए. उन से कहा गया कि सभी ठहरने वाले ग्राहकों के आईडी की फोटो कौपी रखें और उन के नाम व पते रिसैप्शन सेंटर पर जरूर दर्ज करें. साथ ही होटल में सभी जगह पर सीसीटीवी कैमरे चालू हालत में रखने अनिवार्य कर दिए गए. कहते हैं, जहां चाह वहां राह, तो इस धंधे को स्मार्टफोन से नई राह मिल गई है. देह व्यापार में लिप्त काशीपुर की सैक्स वर्करों ने स्मार्टफोन को ग्राहक तलाशने का जरिया बना लिया है. पुरुष भी धंधेबाज औरतों की तलाश आसानी से करने लगे हैं.

देह व्यापार में लिप्त महिलाएं मोबाइल पर चंद अश्लील बातें कर अपने ग्राहकों को फंसा लेती हैं. पैसे का लेनदेन भी उसी के जरिए हो जाता है. वाट्सऐप और वीडियो कालिंग तो इस धंधे के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस पर वे अपनी अश्लील फोटो या वीडियो भेज कर उन को लुभा लेती हैं. फिर वह ग्राहक की सुविधानुसार कुछ समय के लिए किराए पर ले रखे कमरे पर ही उसे बुला लेती हैं या उस के बताए ठिकाने पर पहुंच जाती हैं. जो महिलाएं कल तक मंडी से जुड़ी हुई थीं, वे अब इसी तरीके से अपना धंधा चला रही हैं, यही उन की रोजीरोटी का साधन बन चुका है.

जांच में यह भी पता चला कि काशीपुर में कुछ ऐसी बस्तियां हैं, जहां पर कई औरतें अपना धंधा चला कर मोटी कमाई कर रही हैं. उन में कुछ औरतें अधेड़ उम्र की हैं, वे  नई लड़कियों के लिए ग्राहक ढूंढने के साथसाथ उन की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाती हैं. ऐसी औरतें ही किराए का मकान या कमरा ले कर रखती हैं. उन में वह खुद रहती हैं. किसी ग्राहक की मांग आते ही वह उन से सौदा तय कर आगे के काम में लग जाती हैं. उन्हें थोड़े समय के लिए अपना घर उपलब्ध करवा देती हैं. ग्राहक को 15 मिनट से ले कर आधे घंटे तक का समय मिलता है. इसी समय के लिए 300 से 500 रुपए वसूले जाते हैं.  इस आय में आधा हिस्सा लड़की को मिलता है. कभीकभी लड़की को ज्यादा भी मिलता है.

यह ग्राहक की संतुष्टि और उस से मिलने वाले अतिरिक्त बख्शीश पर निर्भर करता है. इस गिरोह में घरेलू किस्म की औरतें, स्टूडेंट या पति से प्रताडि़त या उपेक्षित सफेदपोश संभ्रांत किस्म की महिलाएं शामिल होती हैं, जिन के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता कि उस पर भी गंदे धंधे के दाग लगे हुए हैं. उन की पब्लिसिटी पोर्न वेबसाइटों के जरिए भी होती रहती है. इस तरह के देह व्यापार का धंधा काशीपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड में अपने पैर पसारता जा रहा है. बताते हैं कि यहां लड़कियां तस्करी के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती हैं, जिन में अधिकतर मजबूर महिलाएं और युवतियां ही होती हैं.

इसी साल जुलाई माह की भी ऐसी एक घटना 21 तारीख को रुद्रपुर में सामने आई. एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट के प्रभारी को ट्रांजिट कैंप गंगापुर रोड के पास मोदी मैदान में खड़ी एक संदिग्ध कार के बारे में सूचना मिली. मुखबिर ने एक कार यूके06एए3844 में कुछ पुरुष और महिलाओं के द्वारा अश्लील हरकतें करने की जानकारी दी. इस सूचना पर काररवाई करते हुए इंसपेक्टर बसंती आर्या अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचीं. अपनी टीम के साथ चारों तरफ से कार को घेरते हुए उस कार से 3 लोगों को पकड़ा गया. उन में एक आदमी और 2 औरतें थीं. जब वे पकड़े गए, तब उन की हरकतें बेहद आपत्तिजनक थीं. तीनों को अपनी कस्टडी में ले कर पूछताछ के लिए थाने लाया गया.

आदमी की पहचान उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के बहेड़ी थाना के रहने वाले 29 वर्षीय भगवान दास उर्फ अर्जुन के रूप में हुई. महिला की पहचान 32 वर्षीया भारती के रूप में हुई. उस ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश में रामपुर जिले के अंतर्गत दिनकरी की रहने वाली है, लेकिन अब वह ऊधमसिंह नगर जिला में  सिडकुल ढाल ट्रांजिट कैंप में रहती है. इसी तरह से दूसरी 21 वर्षीया युवती ने अपना नाम पूजा यादव बताया. उस ने कहा कि उस का पति उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के गांव सनसडा में रहता है. तीनों से गहन पूछताछ के बाद उन की तलाशी ली गई. तलाशी में उन के पास से 2 स्मार्टफोन बरामद हुए. मोबाइलों में तमाम अश्लील फोटो, वीडियो के साथ ही अनेक अश्लील मैसेज भी भरे हुए थे.

उन्हीं मैसेज से मालूम हुआ कि ये दोनों महिलाएं एक रात के 1000 से 1500 रुपए लेकर ग्राहकों की रातें रंगीन करती थीं. उन के साथ पकड़ा गया भगवान दास का काम ग्राहक तलाशना होता था. वह उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने का काम करता था. बदले में 500 रुपए वसूलता था. दास ने बताया कि वह ग्राहक की जानकारी होटलों में ठहरने वालों से जुटाता था. इस के लिए अपने संपर्क में आई युवतियों को किसी एकांत जगह पर कार में बैठा कर रखता था और फिर वहीं से ग्राहकों के फोन का इंतजार करता था. जैसे ही किसी ग्राहक का फोन आता वह 10 से 15 मिनट में उस के बताए स्थान पर लड़की को पहुंचा देता था.

तीनों 21 जुलाई को ग्राहक का फोन आने का ही इंतजार कर रहे थे. उन की कोई सूचना नहीं मिल पाने के कारण वे आपस में ही हंसीमजाक करते हुए टाइमपास कर रहे थे. ऐसा करते हुए वे बीचबीच में अश्लील हरकतें भी करने लगे थे. उस दिन भगवान दास ने दोनों को 1500-1500 रुपयों में तय किया था. लेकिन जब काफी समय गुजर जाने के बाद भी उसे कोई ग्राहक नहीं आया था. पुलिस मुखबिर की निगाह उन पर गई और उन्होंने पुलिस को इस की सूचना दे दी. पूछताछ में भगवान दास ने कई मोबाइल नंबर दिए, जो देहव्यापार करने वाली महिलाओं के थे.

वे अपनी बुकिंग एक दिन पहले करवा लेती थीं. बुकिंग के आधार पर ही उन्हें होटल या किसी निजी घर पर ले जाया जाता था. उन्हें ले जाने वाला ही उन का सौदा पक्का कर देता था. औनलाइन पेमेंट आने के बाद ही बताए जगह पर पहुंचती थीं. इस मामले को थाना ट्रांजिट कैंप में दर्ज किया गया. पकड़े गए व्यक्तियों पर  सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें कर अनैतिक देह व्यापार करने के संबंध में रिपोर्ट दर्ज की गई. उन पर आईपीसी की धारा 294/34 लगाई गईं. इसी के साथ उन्हें अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 5/7/8 के तहत काररवाई की गई. Crime Story in Hindi

Crime Story in Hindi : ऑनलाइन एस्कॉर्ट साइट से चलता था देह व्यापार का धंधा

Crime Story in Hindi : अभिषेक वेबसाइट के जरिए देहरादून में एस्कार्ट सर्विस चलाता था. इंटरनेट पर ग्राहक ढूंढना, उन से सौदेबाजी करना और बताई गई जगह पर लड़कियों को भेजना उस का रोज का काम था. राजधानी देहरादून के अलावा पर्यटन नगरी मसूरी, ऋषिकेश व हरिद्वार में आने वाले पर्यटक ही ज्यादातर उस के ग्राहक होते. उस का सपना पूरे उत्तराखंड में अपना जाल फैलाने का था, लेकिन…

एक कमरे में बैठे संदीप की निगाहें मोबाइल की स्क्रीन पर टिकी हुई थीं. वह वाट्सऐप पर चैट कर रहा था, उस चैट में कई लड़कियों के फोटो थे. वह बारीबारी से उन्हें ध्यान से उन्हें देख रहा था. उस ने एक फोटो की तरफ अंगुली से इशारा करते हुए अपने दोस्त मुकेश से पूछा, ‘‘यह कैसी लग रही है?’’

‘‘अच्छी लग रही है.’’

‘‘मस्ती करेगा इस के साथ?’’ संदीप ने पूछा.

‘‘मतलब?’’ मुकेश उस की बात पर चौंका.

‘‘अब इतना भोला भी मत बन मेरे दोस्त. मतलब यह कालगर्ल है,’’ संदीप ने बताया तो मुकेश ने थोड़ा आश्चर्य से पूछा, ‘‘यह तो तुम्हारे साथ चैट कर रही है?’’

‘‘हां तो क्या हुआ, वाट्सऐप पर तो यह खूब चलता है. अब जमाना बदल गया है मेरे दोस्त. इस तरह की लड़कियां और दलाल अब इसी तरह अपने ग्राहकों से बात करते हैं. वह फोटो भी भेज देते हैं, जो लड़की पसंद आए उस के उन से रेट तय कर लो.’’ संदीप ने बताया.

‘‘तुम्हें यह आइडिया कहां से आया?’’

‘‘मेरे भी एक दोस्त ने मुझे बताया था. तू इतने दिनों बाद मिला है तो सोचा कि थोड़ा तेरा भी मनोरंजन करा दूं.’’

‘‘कोई खतरा तो नहीं है?’’ मुकेश बोला.

‘‘बिलकुल सेफ है यार, कालगर्ल के मामले में 2 ही औप्शन होते हैं या तो लड़की को अपने पास बुलवा लो या खुद उस के ठिकाने पर चले जाओ. यह चालाक होती हैं. अच्छी सोसाइटी में फ्लैट किराए पर ले कर कई लड़कियां एक साथ रहती हैं. वहीं से बुकिंग करती हैं. आजकल यह धंधा खूब हो रहा है.’’ संदीप ने मुकेश को बताया.

‘‘तो ठीक है चलते हैं.’’ मुकेश ने खुश होते हुए कहा.

दरअसल, संदीप उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रह कर नौकरी करता था. मुकेश उस का दोस्त था, जो उस के पास मिलने के लिए आया था. कालगर्ल से बातचीत पक्की होने के बाद दोनों उस के बताए गए पते पर पहुंच गए. यह अड्डा पटेलनगर थाना क्षेत्र में देहराखास मितांस अपार्टमेंट, देवऋषि एनक्लेव के लेन नंबर-7 में था, जिस कालगर्ल से उन की बात हुई थी, वहां वह अकेली नहीं थी, बल्कि उस के जैसी अन्य लड़कियां भी थीं.

कालगर्ल व उन के बीच पैसों का लेनदेन हुआ और फिर करीब एक घंटा रुक कर दोनों खुशीखुशी वहां से वापस चले आए. कालगर्ल के अड्डे पर जाने वाले संदीप व मुकेश कोई अकेले नहीं थे, बल्कि उन की तरह वहां अनेक लोगों का आवागमन भी बना रहता था कहते हैं कि बुराई कोई भी हो, उस की उम्र ज्यादा लंबी कभी नहीं होती और इस तरह की बातें छिपती भी नहीं हैं. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. एक दिन पटेलनगर थानाप्रभारी प्रदीप कुमार राणा के पास एक व्यक्ति का फोन आया. उस ने बताया, ‘‘सर, आप के इलाके में बहुत कुछ गलत हो रहा है.’’

‘‘मतलब?’’

‘‘मेरा मतलब गलत धंधे से है सर, मैं आप से मिलना चाहता हूं.’’

‘‘ठीक है मैं थाने में ही हूं, तुम आ सकते हो.’’ कुछ देर बाद वह व्यक्ति थाने आ कर उन से मिला और कुछ देर बातचीत कर के वापस चला गया. उस ने मितांस अपार्टमेंट में चल रहे सैक्स रैकेट के अड्डे के बारे में ही सूचना दी थी.

दरअसल, वह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि पुलिस का मुखबिर था. पुलिस ने इस संबंध में कुछ और जानकारियां जुटाईं तो यह भी पता चला कि वहां लड़कियों की बुकिंग औनलाइन एस्कार्ट वेबसाइट से भी की जाती थी. राजधानी में देह व्यापार का इस तरह का धंधा गंभीर था. पुलिस के सामने बड़ा सवाल यह भी था कि इस धंधे में शामिल लड़कियां कौन थीं और उन का जाल कहां तक फैला था, इस गलत धंधे पर चोट करना जरूरी था.

थानाप्रभारी ने इस की सूचना एसएसपी डा. योगेंद्र सिंह रावत, एसपी (सिटी) सरिता डोभाल व सीओ अनुज कुमार को दी. उन्होंने पटेलनगर पुलिस को इस संबंध में काररवाई करने के निर्देश दिए.

काररवाई के लिए एसएसपी ने सीओ अनुज कुमार के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस पुलिस टीम में सीनियर एसआई भुवनचंद्र पुजारी, एसआई कुंदन राम, बाजार चौकीप्रभारी विवेक राठी, महिला एसआई ज्योति कन्याल, सरिता बिष्ट, कांस्टेबल पिंकी भंडारी, निकिता,  ऊषा भट्ट, अजय कुमार, प्रदीप कुमार, रिंकू, योगेश व संदीप कुमार को शामिल किया गया.

26 जुलाई, 2021 की बात थी, जब पुलिस टीम दनदनाते हुए देवऋषि एनक्लेव पहुंच गई. फ्लैट में दबिश दी गई तो वहां का नजारा देख कर टीम हैरान रह गई. वहां बाहर के कमरे में एक महिला व पुरुष आपत्तिजनक अवस्था में एकदूसरे से अलिंगनबद्ध थे. पुलिस दूसरे कमरे में पहुंची, तो वहां 6 लड़कियों के साथ 5 लोग फर्श पर बिछे बिस्तरों पर रंगरलियां मना रहे थे. पुलिस को देखते ही सभी सकपका गए.

‘‘क्या हो रहा है ये सब यहां?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘सर, ये तो हमारे गेस्ट हैं,’’ एक लड़की ने सकपकाते हुए कहा, तो एसआई ज्योति कल्याण ने उसे हड़काया, ‘‘हमें मालूम है किस तरह के गेस्ट हैं तुम्हारे. तुम लोगों की पूरी कुंडली ले कर ही आए हैं हम लोग. गेस्ट का स्वागत कैसे होता है, यह भी हम ने अपनी आंखों से देख लिया है.’’

‘‘सर, गलती हो गई, माफ कर दीजिए,’’ एक व्यक्ति हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाया.

‘‘गलत काम भी करोगे और माफी भी चाहिए, क्या नाम है तुम्हारा?’’ पुलिसकर्मी ने पूछा.

‘‘सर, मेरा नाम अभिषेक कुशवाह है.’’

‘‘ओह! तुम्हीं अभिषेक हो, तुम ही इस रैकेट के लीडर हो.’’ पुलिसकर्मियों ने सभी लोगों को कस्टडी में ले लिया और कमरों की तलाशी ली.

तलाशी में पुलिस को वहां से कई आपत्तिजनक चीजें मिलीं. पुलिस ने उन के कब्जे से 17 मोबाइल फोन, एक लैपटाप, 13 एटीएम कार्ड, एक स्विफ्ट डिजायर कार, 3 ड्राइविंग लाइसैंस व 16 हजार रुपए नकद बरामद किए. पुलिस मौके पर पकड़े गए सभी लोगों को ले कर थाने आ गई.

पकड़े गए लोगों में देह व्यापार रैकेट का मुख्य संचालक अभिषेक कुशवाह उर्फ वरुण उर्फ साहिल निवासी शाहदरा, दिल्ली, नौशाद हुसैन निवासी बिजनौर, राजवीर गिल निवासी पंजाब, संजीत निवासी पीलीभीत, उत्तर प्रदेश, सुरेंद्र निवासी ऊधमसिंह नगर, प्रीति सोनिया, लाबोनी, नूरेशा खातून, कुसुमा भूसाल सभी निवासी दिल्ली, महिमा निवासी कोलकाता व पलक निवासी हरियाणा शामिल थे. पुलिस ने सभी से बारीबारी से गहराई से पूछताछ की. पुलिस पूछताछ व जांचपड़ताल में औनलाइन व औफलाइन दोनों तरह से देह व्यापार करने वाले रैकेट की कहानी निकल कर सामने आई—

अभिषेक कुशवाह ने देवऋषि एनक्लेव के इस फ्लैट को अपना हैड औफिस बनाया हुआ था. वह इंटरनेट से वेबसाइट के जरिए एस्कार्ट सर्विस चलाता था. इंटरनेट पर ग्राहक ढूंढना, उन से सौदेबाजी करना और बताई गई जगह पर लड़कियों को भेजना उस का प्रतिदिन का काम था. समयसमय पर वह अपना नाम बदलता रहता था. वाट्सऐप के जरिए भी ग्राहकों से बातचीत कर के लड़कियों के फोटोग्राफ भेजे जाते थे. लड़कियों के अलगअलग रेट होते थे. ग्राहक को कोई लड़की पसंद आ जाती थी, तो एडवांस में पैसे मंगा लिए जाते थे.

राजधानी देहरादून के अलावा पर्यटक नगरी मसूरी, ऋषिकेश व हरिद्वार में बाहरी लोग घूमने के लिए आते हैं. ऐसे लोग ही ज्यादातर उन के ग्राहक होते हैं. अभिषेक के तार कई ऐसी लड़कियों से जुड़े हुए थे, जो देह व्यापार करने के लिए तैयार रहती थीं. पकड़ी गई लड़कियों में किसी की मजबूरी थी तो कोई खुशी से पैसों के लिए यह काम करती थी. लड़कियों को एजेंट के जरिए अड्डे पर लाया जाता था. अभिषेक के संपर्क में दिल्ली, हरियाणा, बिहार व पश्चिमी बंगाल की लड़कियां होती थीं.

लड़कियों को कई बार एक महीने व 15 दिनों के हिसाब से ठेके पर लाया जाता था. इतने दिनों की एक तयशुदा एकमुश्त रकम के बदले लड़की को ग्राहकों के सामने परोसा जाता था. लड़कियों को ग्राहक होटल या अन्य जगहों पर ले जाते थे. ग्राहकों से दिन व रात के हिसाब से पैसे लिए जाते थे. फुल नाइट का चार्ज ज्यादा होता था. किसी लड़की के साथ एक रात साथ बिताने की कीमत 7 से 15 हजार रुपए तक होती थी. लड़कियों को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए अभिषेक के पास कार भी थी और सुरेंद्र नाम का ड्राइवर भी. ड्राइवर की जिम्मेदारी लड़कियों को ग्राहकों तक पहुंचाने और फिर तय वक्त पर वापस लाने की होती थी. इस के अलावा फ्लैट पर भी देह व्यापार होता था.

जो ग्राहक लड़कियों के साथ थोड़ा ही वक्त बिताना चाहते थे, उन्हें फ्लैट पर ही बुलवा लिया जाता था. अभिषेक अपने रैकेट में लड़कियां बदलता रहता था. उस की कोशिश होती थी कि ग्राहकों को नईनई लड़कियां मिलती रहें, ताकि उस का धंधा ज्यादा से ज्यादा आबाद हो. फ्लैट में रहने वाले ज्यादातर लोगों को अपने आसपास के लोगों से ज्यादा मतलब नहीं होता, इसलिए किसी को शक नहीं होता था कि फ्लैट में रह कर क्या कुछ धंधा किया जा रहा है. यदि रैकेट में किसी को ऐसा लगता था कि शक किया जा रहा है तो वे लोग जगह बदल दिया करते थे. अभिषेक के रैकेट में शामिल लड़कियां भी कुछ कम नहीं थीं.

अभिषेक के जरिए जो बुकिंग होती थी, उस के अलावा भी वह अपने लिए अलग से सोशल प्लेटफार्म पर अपने फोटोग्राफ अपलोड कर के ग्राहक ढूंढती थीं. कई लोग उन के जाल में फंस जाते थे. इन ग्राहकों से होने वाली कमाई को वह खुद रखती थीं. इस में कोई दूसरा हिस्सेदार नहीं होता था. अभिषेक को देह व्यापार के धंधे में खूब फायदा हो रहा था. वह इसे पूरे उत्तराखंड में फैलाने का सपना देख रहा था. उस का यह सपना पूरा हो पाता, उस से पहले ही वह पुलिस के शिकंजे में आ गया. विस्तृत पूछताछ के बाद पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ अनैतिक देह व्यापार अधिनियम की धाराओं 3/4/6/7 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर के अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. Crime Story in Hindi

Crime Story in Hindi : मंगेतर का खूनी सरप्राइज

Crime Story in Hindi : बदचलन गुडि़या की किसी तरह किशन कश्यप से शादी तो तय हो गई लेकिन किशन के घर वालों को गुडि़या के चरित्र के बारे में पता चला तो उन्होंने शादी तोड़ने की धमकी दी. इस से पहले कि यह शादी टूट पाती मंगेतर गुडि़या और उस के घर वालों ने किशन को ऐसा खूनी सरप्राइज दिया कि…

उत्तर प्रदेश के जिला अमेठी के गांव पीपरपुर के रहने वाले निवासी शिवनाथ कश्यप के बेटे किशन की शादी  सुलतानपुर के थाना धम्मौर के हाजीपट्टी गांव निवासी गुडि़या उर्फ प्रभावती से तय हो चुकी थी और 25 जून, 2020 को उन की शादी की तारीख भी तय हो गई थी. शादी तय हो जाने के बाद आजकल मंगेतर से फोन पर बातचीत करना, उस के साथ घूमनाफिरना, शौपिंग करना आम बात हो गई है. किशन और गुडि़या भी 2-4 बार फोन पर बात करते थे. वाट्सएप द्वारा तो उन की रोजाना ही बात होती थी. 11 जून, 2020 को सुबह 4 बजे किशन को गुडि़या ने फोन कर के कहा, ‘‘मुझे अपने लिए कुछ शौपिंग करनी है. यदि आप यहां आ जाओगे तो हम दोनों अपनी पसंद की शौपिंग कर लेंगे.’’

किशन ने हां कर दी और वह उस दिन अपनी मंगेतर के बताए स्थान पर चला गया. जाने से पहले उस ने यह बात अपने घर वालों को बता दी थी. वह चला तो गया, लेकिन वापस नहीं लौटा. घर वालों ने किशन के मोबाइल पर फोन किया गया तो वह बंद मिला. गुडि़या और उस के घर वालों को फोन किया तो उन के मोबाइल भी बंद मिले. अगले दिन शिवनाथ अपने गांव से 30 किलोमीटर दूर हाजीपट्टी गांव स्थित गुडि़या के घर पहुंच गए. वहां गुडि़या और उस के पिता राजाराम ने बताया कि किशन वहां नहीं आया था. शिवनाथ चिंता में डूबे वापस घर लौट आए.

घर पहुंचे तो घर पर गुडि़या की मां कुसुमा और मामा कांशीराम को मौजूद पाया. उन से पूछा तो बताया कि वह किशन के घर न आने की बात बताने आए थे. इस के बाद वे लोग चले गए. इस के बाद शिवनाथ बाजार व भीड़भाड़ वाले इलाकों में जा कर अपने बेटे किशन की फोटो दिखा कर उस के बारे में पूछने लगे कि उन्होंने उसे कहीं देखा है. लेकिन कोई किशन के बारे में कुछ न बता पाया. 14 जून, 2020 को शिवनाथ ने पीपरपुर थाने में किशन की गुमशुदगी दर्ज कराई. 16 जून, 2020 को सुलतानपुर के थाना कोतवाली देहात के अलहदादपुर में शारदा सहायक नहर में किसी नवयुवक की लाश पड़ी मिली. लोगों ने उस की सूचना कोतवाली देहात पुलिस को दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी देवेंद्र सिंह हमराह सिपाहियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतक की उम्र लगभग 25-26 साल थी. लाश कई  दिन पुरानी लग रही थी और पानी में पड़े रहने के कारण फूल गई थी. अनुमान लगाया गया कि लाश कहीं से बह कर वहां आई थी. फिर भी वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की गई, लेकिन कोई भी लाश की शिनाख्त नहीं कर पाया. लाश के कई कोणों से फोटो खींच कर देवेंद्र सिंह ने लाश को मोर्चरी में रखवा दिया और फोटो अखबारों में छपवा कर लाश की शिनाख्त की अपील की गई.

किशन के किसी परिचित ने अखबार में फोटो देखा तो वह पहचान गया कि यह तो किशन की लाश का फोटो है. उस व्यक्ति ने वह अखबार शिवनाथ कश्यप को दिखाया. फोटो देखते ही उन की चीख निकल गई और उन के घर में भी सभी रोने लगे. शिवनाथ घर वालों के साथ सुलतानपुर के थाना कोतवाली देहात पहुंच गए. वहां उन्होंने लाश देखी तो उस की शिनाख्त किशन के रूप में कर दी. किशन बचपन में जल गया था, उस जले का निशान उस की पीठ पर था. वही निशान उस की पीठ पर मिला. लेकिन मुकदमा देहात कोतवाली में दर्ज नहीं किया गया. क्योंकि अमेठी के पीपरपुर थाने में गुमशुदगी पहले से दर्ज थी, इसलिए वहीं हत्या का मुकदमा दर्ज कराने को कहा गया.

शिवनाथ पीपरपुर थाने पहुंचे, लेकिन वहां उन की एक न सुनी गई. उन्होंने थाने के कई चक्कर लगाए, लेकिन कोई काररवाई नहीं हुई. अपनी शिकायत ले कर एसपी (सुलतानपुर) डा. विपिन मिश्रा के पास गए तो एसपी विपिन मिश्रा ने कोतवाली देहात के थानाप्रभारी को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. जिस के बाद थानाप्रभारी देवेंद्र सिंह ने शिवनाथ की लिखित तहरीर के आधार पर गुडि़या, उस की मां कुसुमा, पिता राजाराम, मामा कांशीराम व लालता के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201/394/411 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. मुकदमा दर्ज होने की खबर लगते ही सभी आरोपी घर से फरार हो गए थे. इसलिए थानाप्रभारी देवेंद्र सिंह ने उन की सुरागरसी के लिए अपने मुखबिरों को लगा दिया. लेकिन काफी प्रयास के बावजूद आरोपित पकड़ में नहीं आ रहे थे.

समय बीतता गया. लगभग एक साल का समय होने को आया ही था कि 9 जून, 2021 को कोतवाली देहात थानाप्रभारी देवेंद्र सिंह ने एक मुखबिर की सूचना पर गुडि़या, उस की मां कुसुमा, पिता राजाराम और मालती देवी को लोहरामऊ बाईपास से गिरफ्तार कर लिया. मालती देवी को घटना के बाद गुडि़या को अपने घर में पनाह देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. थाने ला कर जब चारों आरोपियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया और हत्या के पीछे की कहानी बयां कर दी. सुलतानपुर जिले के धम्मौर थाना क्षेत्र के हाजीपट्टी गांव में रहता था राजाराम कश्यप. राजाराम मेहनतमजदूरी कर के अपने परिवार का पेट पालता था. परिवार में पत्नी कुसुमा, बेटी गुडि़या उर्फ प्रभावती व आरती और 2 बेटे बिन्नू और विमल थे.

24 वर्षीय गुडि़या काफी खूबसूरत और महत्त्वाकांक्षी थी. वह स्वच्छंद स्वभाव की थी. इसलिए हर किसी से बात करने में संकोच नहीं करती थी. शोख और चंचल गुडि़या का यह रूप गांव के मनचलों को खूब भाता था. उसे पाने के लिए हर कोई मचलता था. गुडि़या इस बात को बखूबी जानती थी और चाहती भी यही थी कि लोग उस के दीवाने हो जाएं. जैसा वह चाहती थी ठीक वैसा ही हो रहा था. अपने दीवानों के साथ वह खुल कर बात करती और मजाक करती थी. एक तरह से वह गांव के युवकों के सपनों की रानी बन गई. गांव के ही उन युवकों में शादाब (परिवर्तित नाम) भी था. शादाब दिखने में काफी आकर्षक था और बातें भी अच्छी कर लेता था. गुडि़या की नजरों को शादाब भा गया.

गुडि़या ने महसूस किया था कि जब भी शादाब उस के आसपास होता था तो उस की नजरें उसी पर टिकी रहती थीं. आसपास न होता तो उस की नजरें शादाब को तलाशती रहती थीं. अभी तक वह सिर्फ दूसरों की चाहत थी, लेकिन आज उसे अपनी पहली चाहत का अहसास हुआ था. उस का दिल तो ऐसे मचल रहा था कि जैसे सीने से निकल कर बाहर ही आ जाएगा. उस की चाहत नजरों से साफ झलकने लगी थी. जिसे पढ़ने की कोशिश करता था शादाब. शादाब की हालत भी इस से जुदा नहीं थी. वह भी गुडि़या के रूपरंग में खोया रहता था. दोनों में बातें होने लगीं. वह पहले से ज्यादा मिलने लगे. दोनों की आंखें एकदूसरे के लिए प्यार जता भी रही थीं. लेकिन जुबां से दोनों ही इस बात को कह नहीं रहे थे.

एक दिन जब दोनों मिले तो शादाब गुडि़या का हाथ अपने हाथों मे ले कर सहलाते हुए बोला, ‘‘गुडि़या, यूं तो मैं ने कई लड़कियां देखीं, उन से दोस्ती भी हुई. लेकिन वह मेरी कसौटी पर खरी नहीं उतरीं. लेकिन जब से मेरी तुम से मुलाकात और दोस्ती हुई है, मैं ने तुम को बहुत नजदीक से जानापहचाना. जितना मैं ने आज तक तुम्हें पहचाना है, उस से यह साफ जाहिर होता है कि तुम्हारा दिल और तुम्हारी आत्मा बहुत खूबसूरत है. जिस की वजह से तुम इतनी प्यारी लगती हो कि तुम्हारी मूरत मेरे छोटे से दिल में बस गई है.

‘‘उस मूरत को मैं हमेशा अपने दिल में बसाए रखना चाहता हूं. ये मेरी गुस्ताख नजरें भी हमेशा तुम को अपने सामने रखना चाहती हैं. ऐसे में मेरा यह जानना जरूरी है कि तुम मेरे दिल और नजरों की चाहत को पूरा करने की तमन्ना रखती हो कि नहीं?’’

शादाब के खूबसूरत जज्बातों को बड़े ही प्यार से गुडि़या सुन रही थी. उस के जज्बात सुन कर गुडि़या भी अपने जज्बात न रोक सकी, ‘‘शादाब, मैं भी तुम से यही कहना चाह रही थी, लेकिन बारबार मेरे जज्बात मेरे सीने में कैद हो कर रह जाते थे. यह सोच कर कि कहीं तुम मेरे जज्बातों को न समझ पाए तो मैं अंदर से टूट ही जाऊंगी. लेकिन आज तुम्हारे जज्बात सुन कर मेरे दिल को बहुत सुकून पहुंचा है. हम दोनों के जज्बात आपस में मिलते हैं, यह जान कर मुझे बेहद खुशी हुई है. मैं भी तुम्हारे साथ ही जिंदगी बिताने का सपना देख रही थी, जो आज सच हो गया.’’ भाव विह्वल हो कर गुडि़या शादाब के सीने से लग गई.

शादाब ने भी उसे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. इस से दोनों ने राहत की सांस ली और एकदूसरे के प्यार की गरमी को नजदीक से महसूस किया. इस के बाद दोनों का प्यार दिनोंदिन परवान चढ़ने लगा. एक दिन दोपहर का समय था और घड़ी की सुइयां 2 बजे का समय बता रही थीं. गुडि़या घर पर खाना खाने के बाद आराम कर रही थी. उस की नजर जब घड़ी पर गई तो बिस्तर से उठ कर तैयार होने लगी. उस ने धानी रंग का टौप और काले रंग की स्किन टाइट जींस पहनी तो उस के खूबसूरत बदन को चार चांद लग गए. कपड़े पहनने के बाद जब उस ने आईने में अपने आप को निहारा तो खुशी से फूली नहीं समाई.

यह उस की आदत में भी शुमार था कि रोज आईने के सामने अपने संगमरमरी बदन को देख कर एक बार दिल से मुसकराती जरूर थी. वह तैयार हो कर घर से निकल कर उस स्थान की तरफ बढ़ गई, जहां वह हर रोज अपने प्रेमी शादाब से मिलने जाती थी. वह जब उस स्थान पर पहुंची तो उस ने शादाब को वहां पहले से बैठा देखा, जोकि उस का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. वह चुपचाप शादाब के पीछे पहुंची और उस की आंखों को अपने हाथों से बंद कर लिया. यह देख कर पहले तो शादाब हड़बड़ाया लेकिन गुडि़या के हाथों को छू कर वह जान गया कि वह कोई और नहीं बल्कि गुडि़या है. उस ने गुडि़या के हाथों को अपनी आंखोें से हटाया तो उस की खूबसूरती देख कर उस की आंखें चौंधिया गईं.

‘‘क्या बात है, गुडि़या? आज तो बिलकुल बिजली गिरा रही हो.’’ गुडि़या को देखते ही बोला.

‘‘धत्त लगता है आज तुम ने मुझे बेवकूफ बनाने का इरादा बना रखा है.’’ वह इतराते हुए बोली.

‘‘नहीं गुडि़या, मैं तुम्हें बेवकूफ नहीं बना रहा हूं. सच में तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो. फिर हीरा अपनी चमक और कीमत खुद नहीं जानता, वह तो सिर्फ जौहरी ही बता सकता है.’’ उस ने कहा.

‘‘अच्छा जौहरी साहब, आप ने इस हीरे की पहचान कर ली हो तो अब जरा यह भी बता दीजिए कि यह हीरे की चमक है या कुछ और…’’

‘‘यह खूबसूरती और चमक सिर्फ खालिस हीरे की ही हो सकती है. लेकिन इस जौहरी ने अगर अपना जौहर इस हीरे पर दिखा दिया तो इस हीरे की खूबसूरती और चमक दोगुनी हो जाएगी.’’ शादाब ने गुडि़या की आंखों में आंखें डाल कर प्यार से अपनी बात कही तो गुडि़या को भी उस की बात की गहराई समझते देर नहीं लगी. इसलिए उस ने लजा कर पलकें झुकाईं और बोली, ‘‘इस हीरे की चाहत तुम हो और यह तुम को जल्द से जल्द पाना चाहता है.’’

इतना कह कर उसने आस भरी नजरों से शादाब की तरफ देखा तो वह मुसकरा रहा था. उस के बाद उन दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी कायम हो गया. गुडि़या की आम शोहरत सही नहीं थी. गांव में सब उस की दिलफेंक हरकतों के बारे में जानते थे. शादाब के अलावा भी उस के दूसरे युवकों से प्रेम संबंध थे. पूरे गांव में उस की हरकतों के चर्चे होने लगे तो पिता राजाराम और कुसुमा को चिंता हुई. इस से पहले कि देर हो जाए, वह गुडि़या के लिए रिश्ते की तलाश में जुट गए. अमेठी जिले के गांव पीपरपुर में शिवनाथ कश्यप रहते थे. उन के परिवार में 3 बेटे मुरली, किशन व मनोज और 2 बेटी राजकुमारी और शिवकुमारी थीं.

मुरली सूरत (गुजरात) में साडि़यां बनाने वाली फैक्ट्री में काम करता था. वह विवाहित था. पत्नी और 2 बच्चों के साथ वहीं रहता था. किशन भी 5 साल पहले भाई मुरली के पास सूरत चला गया. किशन वहां गत्ता बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने लगा. किशन की उम्र 26 साल थी और वह कमाने भी लगा था. इसलिए शिवनाथ ने उस का विवाह करने का निर्णय ले लिया. वैसे भी उस के लिए रिश्ते आने लगे थे. ऊधर गुडि़या के पिता राजाराम भी गुडि़या के हाथ जल्द पीले करने को आतुर थे. उन को किसी से किशन के बारे में पता चला तो शिवनाथ से जा कर रिश्ते की बात की. बात आगे बढ़ी. शिवनाथ ने घर के लोगों के साथ जा कर गुडि़या को देख लिया और पसंद कर लिया.

विवाह की तारीख तय हुई 25 जून 2020. विवाह की तारीख जैसेजैसे नजदीक आने लगी, दोनों परिवार विवाह की तैयारियों में लग गए. लेकिन इसी बीच शिवनाथ और उस के परिवार तक गुडि़या के बदचलन होने की बात पहुंच गई. यह बात पता चलते ही सब सकते में आ गए. ऐसी लड़की को घर की बहू बनाना   किसी तरह से सही नहीं होगा, आगे चल कर दिक्कतें खड़ी होंगी. समय रहते पता चल गया है तो समय रहते इस रिश्ते को तोड़ दिया जाए तो बेहतर होगा. यही सोच कर शिवनाथ ने किशन का गुडि़या से रिश्ता  तोड़ देने की बात गुडि़या के घर वालों को बता दी. यह सुन कर गुडि़या के घर वाले बौखला गए.

गुडि़या की वजह से वैसे भी पूरे गांव में बदनामी हो चुकी थी. अब रिश्ता टूटने की बात और उस की वजह गांव के लोगों को पता चलेगी तो गांव के लोग उन का उपहास उड़ाएंगे.  ऐसे में सब ने किशन के घर वालों को सबक सिखाने के लिए किशन की हत्या करने का फैसला कर लिया. इस सब के पीछे गुडि़या के मामा कांशीराम का सब से बड़ा हाथ था. 11 जून, 2020 को गुडि़या ने सुबह फोन कर के किशन को अपने घर बुलाया. किशन ने मना किया लेकिन गुडि़या ने उसे आने के लिए मना लिया. गुडि़या गांव आने वाले रास्ते पर पहले से खड़ी हो गई. किशन आया तो वहीं रास्ते में गुडि़या ने उसे रोक लिया. वह उसे घर न ले जा कर कुछ दूरी पर नहर के पास सुनसान जगह पर ले गई. वहां राजाराम, कुसुमा और कांशीराम पहले से मौजूद थे. वहां मौजूद सभी लोगों ने किशन को दबोच लिया. किशन को सपने में भी आभास नहीं था कि उस के साथ ऐसा कुछ हो जाएगा.

किशन को दबोच कर उस पर चाकू से कई प्रहार कर के उस की हत्या कर दी और लाश और हत्या में प्रयुक्त चाकू को नहर में फेंक दिया. लाश नहर के पानी के बहाव के साथ बह गई. हत्या करने के बाद सभी लोग अपने घरों को लौट गए.  जब मुकदमा दर्ज हुआ तो सभी घरों से फरार हो गए. गुडि़या ने थाना लंभुआ क्षेत्र के  करवर नंबर 3 नया बाग में रहने वाली मालती देवी के यहां शरण ले ली. मालती ने सब की नजरों से बचा कर उसे अपने घर में रखा. लेकिन गुनाह करने के बाद गुनहगार का बच पाना असंभव होता है. गुडि़या, कुसुमा, राजाराम भी बच न सके और पकडे़ गए. गुडि़या को शरण देने के मामले में मालती को भी गिरफ्तार किया गया. उसे भादंवि की धारा 216 का आरोपी बनाया गया.

कानूनी खानापूर्ति करने के बाद चारों को 10 जून, 2021 को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. गुडि़या के दोनों मामा कांशीराम और लालता फरार थे, जिन की तलाश पुलिस सरगरमी से कर रही थी.  कांशीराम की लोकेशन कानपुर में मिली थी, जब तक पुलिस टीम वहां पहुंची, कांशीराम वहां से निकल गया. पुलिस को लालता की लोकेशन घटना वाले दिन घटनास्थल पर नहीं मिली, लेकिन घटना के बाद उस के द्वारा काफी देर तक कई बार घर वालों से बात की गई. इस से पुलिस का मानना है कि घटना के अंजाम देने में शायद वह शामिल नहीं था, लेकिन उसे घटना के बारे में सब पता था. फिलहाल कथा लिखे जाने तक पुलिस उन दोनों की तलाश में लगी थी. Crime Story in Hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story in Hindi : बच्चे की ख्वाहिश बनी जिंदगी की तबाही

Crime Story in Hindi : रमन की शादी हुए 6 साल हो गए, मगर अभी तक कोई औलाद नहीं हुई. चूंकि दोनों पतिपत्नी धार्मिक स्वभाव के थे, इसलिए वे देवीदेवता से मन्नतें मांगते रहते थे, लेकिन तब भी बच्चा न हुआ. तभी उन्हें पता चला कि एक चमत्कारी बाबा आए हैं. अगर उन का आशीर्वाद मिल जाए, तो बच्चा हो सकता है. यह जान कर रमन और उस की बीवी सीमा उस बाबा के पास पहुंचे. सीमा बाबा के पैरों पर गिर पड़ी और कहने लगी, ‘‘बाबा, मेरा दुख दूर करें. मैं 6 साल से बच्चे का मुंह देखने के लिए तड़प रही हूं.’’

‘‘उठो, निराश मत हो. तुम्हें औलाद का सुख जरूर मिलेगा…’’ बाबा ने कहा, ‘‘अच्छा, कल आना.’’

अगले दिन सीमा ठीक समय पर बाबा के पास पहुंच गई. बाबा ने कहा, ‘‘बेटी, औलाद के सुख के लिए तुम्हें यज्ञ कराना पड़ेगा.’’

‘‘जी बाबा, मैं सबकुछ करने को तैयार हूं. बस, मुझे औलाद हो जानी चाहिए,’’ सीमा ने कहा, तो बाबा ने जवाब दिया, ‘‘यह ध्यान रहे कि इस यज्ञ में कोई भी देवीदेवता किसी भी रूप में आ कर तुझे औलाद दे सकते हैं, इसलिए किसी भी हालत में यज्ञ भंग नहीं होना चाहिए, नहीं तो तेरे पति की मौत हो जाएगी.’’

‘‘जी बाबा,’’ सीमा ने कहा और बाबा के साथ एकांत में बने कमरे में चली गई. वहां बाबा खुद को भगवान बता कर उस के अंगों के साथ खेलने लगा. सीमा कुछ नहीं बोली. वह समझी कि बाबाजी उसे औलाद का सुख देना चाहते हैं, इसलिए वह चुपचाप सबकुछ सहती रही. लेकिन शरद ऐसे बाबाओं के चोंचलों को अच्छी तरह जानता था, इसलिए जब उस की बीवी टीना ने कहा, ‘‘हमें भी बच्चे के लिए किसी साधुसंत से औलाद का आशीर्वाद ले लेना चाहिए,’’ तब शरद बोला, ‘‘औलाद केवल साधुसंत के आशीर्वाद से नहीं होती है. इस के लिए जब तक पतिपत्नी दोनों कोशिश न करें, तब तक कोई बच्चा नहीं दे सकता.’’

‘‘मगर हम यह कोशिश पिछले 5 साल से कर रहे हैं. हमें बच्चा क्यों नहीं हो रहा है?’’ टीना ने पूछा.

‘‘इस की जांच तो डाक्टर से कराने पर ही पता चल सकती है कि हमें बच्चा क्यों नहीं हो रहा है. समय मिलते ही मैं डाक्टर से हम दोनों की जांच कराऊंगा.’’

टीना ने कहा, ‘‘ठीक है.’’

दोपहर को टीना की सहेली उस से मिलने आई, जो उसे एक नीमहकीम के पास ले गई. नीमहकीम ने टीना से कुछ सवाल पूछे, जिस का उस ने जवाब दे दिया. इस दौरान ही उस नीमहकीम ने यह पता लगा लिया था कि टीना को माहवारी हुए आज 14वां दिन है, इसलिए वह बोला, ‘‘तुम्हारे अंग की जांच करनी पड़ेगी.’’

‘‘ठीक है, डाक्टर साहब. मैं कब आऊं?’’ टीना ने पूछा.

‘‘जांच आज ही करा लो, तो अच्छा रहेगा,’’ नीमहकीम ने कहा, तो टीना राजी हो गई.

तब वह नीमहकीम टीना को अंदर के कमरे में ले गया, फिर बोला, ‘‘आप थोड़ी देर यहीं बैठिए और इस थर्मामीटर को 5 मिनट तक अपने अंग में लगाइए.’’

टीना ने ऐसा ही किया.

5 मिनट बाद डाक्टर आया. उस के एक हाथ में अंग फैलाने का औजार और दूसरे हाथ में एक इंजैक्शन था, जिस में कोई दवा भरी थी, जिसे देख कर टीना ने पूछा, ‘‘यह क्या है डाक्टर साहब?’’ ‘‘इस से तुम्हारे अंग की दूसरी जांच की जाएगी,’’ कह कर नीमहकीम ने टीना से थर्मामीटर ले लिया और टीना को मेज पर लिटा दिया. इस के बाद वह उस के अंग में औजार लगा कर जांच करने लगा.

जांच के बहाने नीमहकीम ने टीना के अंग में इंजैक्शन की दवा डाल दी और कहा, ‘‘कल फिर अपनी जांच कराने आना.’’ टीना अभी तक घबरा रही थी, मगर आसान जांच देख कर खुश हुई. फिर दूसरे दिन भी यही हुआ. मगर उस दिन इंजैक्शन को अंग में आगेपीछे चलाया गया था. इस के बाद उसे 14 दिन बाद आने को कहा गया.

टीना जब 14 दिन बाद नीमहकीम के पास गई, तब वह सचमुच मां बनने वाली थी.

यह जान कर टीना बहुत खुश हुई. मगर जब यही खुशी उस ने अपने पति शरद को सुनाई, तो वह नाराज हो गया.

‘‘बता किस के पास गई थी?’’ शरद चीख पड़ा.

‘‘यह मेरा बच्चा नहीं है. मैं ने कल ही अपनी जांच कराई थी. डाक्टर का कहना है कि मेरे शरीर में बच्चा पैदा करने की ताकत ही नहीं है. तब मैं बाप कैसे बन गया?’’ शरद ने कहा.

शरद के मुंह से यह सुनते ही टीना सब माजरा समझ गई. वह जान गई कि नीमहकीम ने जांच के बहाने उस के अंग में अपना वीर्य डाल दिया था. मगर अब क्या हो सकता था. टीना औलाद के नाम पर ठगी जा चुकी थी. आज के जमाने में औलाद पैदा करने की कई विधियों का विकास हो चुका है. परखनली से भी कई बच्चे पैदा हो चुके हैं. यह सब विज्ञान के चलते मुमकिन हुआ है. फिर भी लोग पुराने जमाने में जीते हुए ऐसे धोखेबाजों के पास बच्चा मांगने जाते हैं. इस से बढ़ कर दुख की बात और क्या हो सकती है. Crime Story in Hindi

Crime Story in Hindi : पार्टी की रात दोस्त को दूसरी मंजिल से धक्का देकर मार डाला

Crime Story in Hindi : अपने पिता के जन्मदिन की पार्टी बीच में छोड़ कर जाह्नवी अपने बौयफ्रैंड श्री जोगधनकर और सहेली दीया पडनकर के साथ नए साल की पार्टी मनाने चली गई थी. उस नए साल की पार्टी में ऐसा क्या हुआ कि जोगधनकर और दीया पडनकर को जाह्नवी को दर्दनाक मौत के मुंह में धकेलने को मजबूर होना पड़ा…

मुंबई के सांताकु्रज स्थित एक आलीशान फ्लैट के बड़े से कमरे में पार्टी चल रही थी. यह पार्टी बिजनैसमैन प्रकाश कुकरेजा के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित थी. इस पार्टी में उन की पत्नी निधि कुकरेजा और एकलौती बेटी जाह्नवी कुकरेजा के अलावा परिवार के और भी लोग शामिल थे. उस दिन 31 दिसंबर, 2020 की तारीख थी और रात के साढ़े 11 बज रहे थे. सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. बड़े से कमरे में एक वर्गाकार मेज पर बड़ा सा केक रखा था. पापा के जन्मदिन पर उन की लाडली बेटी जाह्नवी बेहद खुश थी. बारबार जाह्नवी की नजर मुख्यद्वार की ओर दौड़ जाती थी. लग रहा था कि जैसे उसे किसी के आने का बेसब्री से इंतजार हो. तभी उस का चेहरा खिल उठा था.

उसे जिस का इतंजार था, वह पार्टी में आ गए थे. वह कोई और नहीं बल्कि जाह्नवी के पड़ोस में रहने वाली उस की बेस्ट फ्रैंड दीया पडनकर और बौयफ्रैंड श्री जोगधनकर थे. मुसकराते हुए श्री जोगधनकर और दीया पडनकर जाह्नवी के पापा प्रकाश कुकरेजा के करीब पहुंचे और उन्हें दोनों ने जन्मदिन की बधाइयां दीं तो उन्होंने दोनों को ‘धन्यवाद’ कहा. इस के बाद दीया पडनकर जाह्नवी की मां निधि के पास आई और मुसकराते हुए बोली, ‘‘आंटी, जाह्नवी को कुछ देर के लिए अपने साथ ले जा रही हूं, आधे घंटे में हम घर लौट आएंगे.’’

इस पर निधि ने कहा, ‘‘इस वक्त घर पर पार्टी चल रही है और फिर केक कटने जा रहा है. जाह्नवी अभी कहीं नहीं जा सकती.’’

‘‘मां प्लीज,’’ तुनक कर जाह्नवी मां से बोली, ‘‘थोड़ी देर की तो बात है. नए साल के मौके पर दोस्तों ने पार्टी दी है, एंजौय कर के लौट आऊंगी. फिर मैं वहां अकेली थोड़ी न जा रही हूं और भी लड़कियां पार्टी में जा रही हैं. प्लीज मां, जाने की परमिशन दे दो.’’

जाह्नवी मां के सामने दोस्तों के साथ पार्टी में जाने के लिए जिद करने लगी तो श्री जोगधनकर और दीया पडनकर भी जाह्नवी के समर्थन में उतर आए थे. हार कर निधि ने बेटी को जाने की अनुमति दे दी. मां की इजाजत मिलते ही जाह्नवी उछल पड़ी. हंसते मुसकराते तीनों घर की पार्टी बीच में छोड़ कर नए साल की पार्टी मनाने चल दिए थे. घर से जाह्नवी कुकरेजा को निकले करीब 3 घंटे बीत गए थे. न तो वह घर लौटी थी और न ही फोन कर के घर वालों को बताया कि कब तक घर वापस लौटेगी. और तो और जाह्नवी का फोन भी बंद आ रहा था. बेटी को ले कर मां निधि और पिता प्रकाश कुकरेजा को चिंता सताने लगी थी.

निधि कुकरेजा की चिंता तब और बढ़ गई थी जब बेटी के साथसाथ श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के फोन भी स्विच्ड औफ आ रहे थे. ऐसा पहली बार हुआ था, जब निधि ने तीनों के पास फोन मिलाया था और तीनों में से किसी का फोन नहीं लगा था. सभी के फोन स्विच्ड औफ आ रहे थे. किसी अनहोनी की आशंका से निधि और प्रकाश कुकरेजा की धड़कनें बढ़ गई थीं. बेटी के घर लौटने की आस में मांबाप ने पूरी रात आंखों में काट दी थी. अस्पताल से मिली सूचना अगली सुबह यानी पहली जनवरी, 2021 की सुबह 5 बजे के करीब निधि कुकरेजा के फोन की घंटी बजी तो उन्होंने झट से फोन उठा लिया. स्क्रीन पर उभर रहा नंबर अज्ञात था. निधि कुकरेजा ने काल रिसीव की तो दूसरी ओर से एक अंजान व्यक्ति की आवाज आई, ‘‘क्या मैं जाह्नवी के घर वालों से बात कर रहा हूं?’’

‘‘हां…हां… मैं जाह्नवी की मां निधि बोल रही हूं. आप कौन बोल रहे हैं?’’ निधि ने जवाब दिया.

‘‘मैं भाभा हौस्पिटल से बोल रहा हूं. आप की बेटी की हालत सीरियस है, आ कर मिल लें.’’

दूसरी ओर से अंजान व्यक्ति ने इतना कहा था कि मानो निधि कुकरेजा के हाथों से मोबाइल फोन छूट कर फर्श पर गिर जाता. निधि खुद घबरा कर सोफे पर जा बैठी. उन का दिल जोरजोर से धड़कने लगा था. खैर, कुछ देर में जब वह थोड़ी सामान्य हुई तो उन्होंने पति को आवाज दी. वह दूसरे कमरे में जा कर सो गए थे. पत्नी के साथ उन्होंने पूरी रात आंखों में काट दी थी. जम्हाई लेते दूसरे कमरे से प्रकाश कुकरेजा पत्नी के पास पहुंचे तो रोती हुई पत्नी उन के सीने से लिपट गई और जोरजोर से रोने लगी. पत्नी को रोते देख प्रकाश की नींद गायब हो गई. उन्होंने रोने का कारण पूछा. इस पर निधि ने फोन वाली बात पति से बता दी. वह पत्नी की बात सुन कर अवाक रह गए और उसी समय दोनों जिस हालत में थे, वैसे ही हौस्पिटल के लिए निकल गए.

हौस्पिटल पहुंच कर दोनों ने देखा वहां परिसर में पुलिस के बड़ेबड़े अधिकारी खड़े थे. परिसर पुलिस छावनी में तब्दील था. इतनी बड़ी तादाद में पुलिस को देख कर पतिपत्नी के मन में बेटी को ले कर तरहतरह की आशंकाएं होने लगीं. आखिरकार उन्हें जिस बात का डर था, वही हो गया था. मांबाप की लाडली बेटी जाह्नवी इस दुनिया में नहीं रही. बेटी की मौत की खबर सुनते ही मानो उन पर बज्रपात हुआ हो. वे दोनों दहाड़ मारमार कर रो रहे थे. रोतेरोते दोनों बारबार एक ही बात कह रहे थे कि श्री जोगधनकर और दीया पडनकर ने ही मेरी बेटी की हत्या की है. वही दोनों बेटी को पार्टी के बहाने घर से बुला कर ले गए थे. मौके पर मौजूद खार थाने के इंसपेक्टर दिलीप उरेकर और जोन 9 के डीसीपी अभिषेक त्रिमुख उन्हें दिलासा दे रहे थे.

जांचपड़ताल में पाया गया कि जाह्नवी के सिर में सब से ज्यादा चोटें आई थीं. देखने से ऐसा लगता था जैसे हत्यारों ने उस का सिर किसी चीज से टकराटकरा कर उसे मौत के घाट उतार दिया हो. उस का सिर आगे और पीछे दोनों ओर से फूटा हुआ था. साथ ही उस के घुटनों, हाथ, हथेली, पीठ, कोहनी और दोनों पांवों पर भी खुरचने के निशान मौजूद थे. जख्म बता रहे थे कि जाह्नवी के शरीर पर जुल्म की बेइंतहा कहानी लिखी गई थी. पुलिस जिस वक्त जाह्नवी को घायल अवस्था में ले कर अस्पताल आई थी, ज्यादा खून बहने से उस की मौत हो चुकी थी. डाक्टरों का कहना था कि अगर जाह्नवी को आधा घंटा पहले हौस्पिटल लाया गया होता तो शायद उस की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन उसे यहां लाने में देर कर दी गई थी.

नामजद लिखाई रिपोर्ट फिलहाल हर घड़ी मस्त रहने वाली जाह्नवी कुकरेजा इस दुनिया से रुखसत हो गई थी. पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर के जख्म को मौत की वजह बताया गया था. मृतका जाह्नवी के पिता प्रकाश कुकरेजा की नामजद तहरीर पर पुलिस ने श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के खिलाफ धारा 302, 34 भादंवि के तहत मुकदमा दर्ज कर दोनों की तेजी से तलाश जारी कर दी थी. जाह्नवी कोई छोटीमोटी हैसियत वाले घर की बेटी नहीं थी. वह एक बड़े बिजनैसमैन परिवार की बेटी थी, जिन की मुंबई की राजनीति में ऊंची पहुंच थी. जाह्नवी की मौत हाईप्रोफाइल थी. इसलिए जाह्नवी स्थानीय अखबारों की सुर्खियां बनी हुई थी.

आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए खार पुलिस पर दबाव बना हुआ था. 2 जनवरी को पुलिस ने श्री जोगधनकर को सायन हौस्पिटल और दीया पडनकर को हिंदुजा हौस्पिटल से गिरफ्तार कर लिया. श्री जोगधनकर के हाथ और चेहरे पर चोटें आई थीं तो दीया के चेहरे पर चोट थी. दोनों इलाज कराने के लिए हौस्पिटल में भरती हुए थे. श्री जोगधनकर और दीया को खार पुलिस गिरफ्तार कर के थाने ले आई और जाह्नवी की हत्या के संबंध में उन से गहन पूछताछ शुरू की. दोनों आरोपी जाह्नवी की हत्या करने से साफ मुकर गए. दोनों आरोपियों ने एक साथ एक सुर में एक ही बात कही कि भगवती हाइट्स बिल्डिंग के 15वें माले पर न्यू ईयर की पार्टी चल रही थी.

सभी लोग नशे में चूर थे. जाह्नवी के साथ कब और कैसे हादसा हुआ, पता ही नहीं चला. उन्हें कुछ याद नहीं है, उस रोज पार्टी में क्या हुआ था. पूछताछ के बाद पुलिस ने बांद्रा अदालत में दोनों आरोपितों को पेश कर जेल भेज दिया. श्री जोगधनकर और दीया के बयान के बाद पार्टी की स्थिति स्पष्ट हुई थी कि पार्टी में शामिल सभी नशे में चूर थे. पुलिस ने जब पता लगाया तो जानकारी मिली कि पार्टी बिल्डिंग दूसरे माले पर रहने वाले यश आहूजा ने नए साल पर आयोजित की थी. पार्टी में कुल 15 लोग शामिल थे, जिन में 5 महिलाएं और 10 पुरुष थे. अधिकांशत: टीनएजर थे.

आर्गनाइजर यश आहूजा के माध्यम से पुलिस ने पार्टी में शामिल सभी टीनएजर को घटनास्थल भगवती हाइट्स बुलवाया और सभी के ब्लड सैंपल, यूरिन और बाल के सैंपल ले कर उन्हें जांच के लिए फोरैंसिक लैब भिजवा दिया ताकि यह पता चल सके की घटना वाली रात पार्टी में किस ने किस तरह के नशे का सेवन किया था? उस में कहीं प्रतिबंधित ड्रग्स का तो सेवन नहीं किया था? उसी के हिसाब से उन पर कानूनी काररवाई सुनिश्चित की जा सके. हालांकि नए साल पर पार्टी आयोजित करना मुंबई में पूरी तरह से मना था, बावजूद इस के नए साल की पार्टी मनाई गई? पुलिस इस बात की जांच करने लगी कि यश आहूजा ने इस के लिए किस से परमिशन ली थी, ताकि उसी अनुरूप उस पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके.

ऐसे खुला हत्या का राज बहरहाल, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के गोलमोल जवाब से जाह्नवी की हत्या की गुत्थी रहस्यमयी बन गई थी. हत्या के रहस्य से परदा उठाने के लिए जाह्नवी के घर वाले सोशल ऐक्टीविस्ट आसिफ भमला से मिले. आसिफ भमला मृतका के मांबाप को ले कर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पास पहुंच गए. कुकरेजा दंपति ने पुलिस कमिश्नर को उन के दफ्तर जा कर एक ज्ञापन सौंपा और न्याय की मांग की. इस के बाद खार पुलिस ने जाह्नवी की हत्या का राज उगलवाने के लिए अदालत में दोनों आरोपियों के रिमांड की मांग की. अदालत ने श्री जोगधनकर और दीया को 7 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया.

पूछताछ में पहले तो दोनों फिर वही पुराना राग अलापते रहे, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे आखिरकार दोनों आरोपी टूट गए और अपना जुर्म कबूल लिया कि जाह्नवी की हत्या उन्हीं दोनों ने मिल कर की थी. आखिर दोनों की ऐसी क्या मजबूरी थी, जो जाह्नवी की जान लेना उन की मजबूरी बन गई थी. पुलिस पूछताछ में कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

19 वर्षीय जाह्नवी कुकरेजा मूलरूप से मुंबई (ठाणे) के सांताक्रुज की रहने वाली थी. प्रकाश कुकरेजा और निधि कुकरेजा के 2 बच्चों में जाह्नवी बड़ी थी. जाह्नवी से छोटी एक और बेटी है. होनहार और कर्मठी जाह्नवी पढ़ने में अव्वल थी. ह्यूमन साइकोलौजी की वह छात्रा थी. बेटी की पढ़ाई देख कर मांबाप उसे आस्ट्रेलिया भेजने की तैयारी करने लगे थे. मांबाप ने उस के पासपोर्ट और वीजा भी बनवा लिए थे. बस उसे विदेश जाने भर की देरी थी. जाह्नवी कुकरेजा के पड़ोस में रहने वाले समीर पडनकर की बेटी दीया पडनकर उस की बेस्ट फ्रैंड थी. दोनों ही हमउम्र थीं और उन की पढ़ाई के विषय भी एक ही थे. दीया पडनकर जाह्नवी के नोट्स बनवाने में दिल खोल कर मदद करती थी.

घंटों दोनों साथ बैठ कर पढ़ती थीं. उस दौरान अपने दिल का हाल भी एकदूसरे से शेयर करती थीं. 22 वर्षीय श्री जोगधनकर मुंबई के वडाला के न्यू कफे परेड स्थित टावर-7 ए-विंग का रहने वाला था. अंबादास जोगधनकर का वह एकलौता बेटा था. अपनी लच्छेदार बातों से वह किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता था. वह बौक्सिंग में भी चैंपियन था. श्री जोगधनकर और जाह्नवी कुकरेजा एक ही कालेज में पढ़ते थे. इस वजह से 3 साल से दोनों एकदूसरे को जानते थे और दोनों गहरे दोस्त भी थे. यहीं नहीं दोनों एकदूसरे के घर भी आतेजाते थे. यह बात उन के घर वालों से छिपी नहीं थी. दोस्ती बदली प्यार में दोनों ही हाई सोसाइटी के रहने वाले थे. उन के मांबाप रसूखदार थे, इसलिए वे अपने बच्चों पर अंधा विश्वास करते थे कि उन के बच्चे कोई गलत काम नहीं कर सकते हैं.

बच्चों पर अंधे विश्वास के कारण ही उन्हें कहीं भी, कभी भी, जानेआने की खुली छूट मिली हुई थी. इसलिए वे दोनों अपनेअपने तरीके से जीते थे. बहरहाल, श्री जोगधनकर और जाह्नवी कुकरेजा दोस्त से कब एकदूसरे को दिल दे बैठे, उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें अपने प्यार का एहसास तो तब हुआ जब दोनों एकदूसरे से अलग होते और मिलने के लिए बेताब हो जाते थे. जब तक वे मिल नहीं लेते थे या एक दूसरे से फोन पर बातें नहीं कर लेते थे तब तक वे बेचैन रहते थे. जाह्नवी के घर वाले बेटी के प्यार वाली बात नहीं जानते थे. वे बस इतना ही जानते थे कि दोनों गहरे दोस्त हैं, इस के अलावा इन के बीच कोई और रिश्ता नहीं है.

जाह्नवी के पड़ोस में दीया पडनकर रहती थी. दीया अकसर जाह्नवी से मिलने और उसे नोट्स बनाने के लिए शाम के समय उस के घर आ जाया करती थी. यह इत्तफाक ही होता था कि जब दीया जाह्नवी से मिलने उस के घर आती, उसी समय श्री जोगधनकर भी जाह्नवी से मिलने वहां आ जाया करता था. फिर तीनों मिल घंटों बातें करते थे. इस बीच कनखियों से श्री जोगधनकर दीया को देखा करता था. दूध जैसी रंगत वाली गोरीचिट्टी दीया थी तो बेहद खूबसूरत, उतनी ही प्यारी भी थी कि कोई भी उस की ओर सहज ही आकर्षित हो जाए. दीया पर वह फिदा हो गया था. दीया के मन के किसी कोने में श्री के लिए जगह बन गई थी. वह उसे चाहने लगी थी.

धीरेधीरे श्री जोगधनकर और दीया जाह्नवी से छिप कर मिलने लगे. दोनों ने अपने प्यार का इजहार एकदूसरे से कर भी दिया था. जान से प्यारी सहेली दीया उस के प्यार को उस से छीन लेगी, यह बात जाह्नवी ने सपने में भी नहीं सोची होगी. अब यहां मामला त्रिकोण प्रेम का बन गया था. श्री जोगधनकर को जाह्नवी टूट कर चाहती थी जबकि वह दीया को चाहने लगा था. दीया जब से श्री जोगधनकर की जिंदगी में आई थी, वह जाह्नवी से कटाकटा रहने लगा था. यह बात जाह्नवी ने महसूस की थी, लेकिन वह यह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर उस से ऐसा क्या हो गया जो उस का प्यार उस से कटाकटा सा रहने लगा था. मिलने पर उस में पहले जैसी फीलिंग नहीं आ रही थी. यह सोचसोच कर जाह्नवी परेशान रहती थी.

सहेली ने लगाई प्यार में सेंध जल्द ही उसे यह पता चल गया कि श्री जोगधनकर और उस की बेस्ट सहेली दीया के बीच कुछ चल रहा है. वह हरगिज यह बरदाश्त करने के लिए तैयार नहीं थी कि कोई और उस का प्यार उस से छीने. पुलिस के अनुसार, जाह्नवी ने जोगधनकर को समझाया भी था कि वह दीया से नजदीकियां बढ़ाना छोड़ दे, नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. यह बात जाह्नवी ने गुस्से में कही थी. उस समय जोगधनकर को उस की यह बात बहुत बुरी लगी थी. वह नहीं चाहता था कोई दीया को ले कर उसे कुछ कहे. उस समय उस ने कुछ नहीें कहा लेकिन यह बात उस ने दीया को फोन कर के बता दी कि जाह्नवी को उन के बारे में जानकारी हो गई है.

दीया उस की बात सुन कर सजग हो गई. फिर दोनों ने मिल कर योजना बनाई कि कुछ ऐसा किया जाए कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.  31 दिसंबर, 2020 को जाह्नवी के पिता प्रकाश कुकरेजा का जन्मदिन था. वे धूमधाम से जन्मदिन की पार्टी मनाने में जुटे हुए थे. घर के अलावा उन के खास मेहमान उस पार्टी में आए हुए थे. पापा की बर्थडे पार्टी पर जाह्नवी सब से ज्यादा खुश थी. खुश हो भी क्यों न, प्रकाश कुकरेजा ने यह पार्टी बेटी के विदेश जाने से पहले आयोजित की थी. अभी केक कटने वाला ही था कि उसी बीच जाह्नवी का बौयफ्रैंड श्री जोगधनकर और उस की बेस्ट फ्रैंड दीया पडनकर वहां आ गई. दोनों कुछ देर पार्टी में रुके. फिर दोनों ने जाह्नवी से कहा कि नए साल की खुशी में भगवती हाइट्स में पार्टी रखी गई है, चलो मजे करेंगे वहां मिल कर.

और भी फ्रैंड्स आ रहे हैं वहां. जाह्नवी घर की पार्टी बीच में छोड़ कर बाहर की पार्टी में जाने के लिए तैयार हो गई. बातों में फंसा कर ले गए थे आरोपी जाह्नवी जानती थी कि आज उसे घर से बाहर जाने की परमिशन नहीं मिलेगी तो उस ने श्री जोगधनकर और दीया को समझाया कि वे पार्टी में चलने के लिए मेरे मम्मीपापा से बात करें. दोनों ने वैसा ही किया, जैसा जाह्नवी ने कहा था. जाह्नवी की मां ने उसे पार्टी में जाने की इजाजत दे दी. तीनों खुश हुए और पार्टी एंजौय करने मस्तानी चाल में भगवती हाइट्स की ओर चल दिए. भगवती हाइट्स के 15वें फ्लोर पर पार्टी चल रही थी. पार्टी इसी बिल्डिंग में दूसरे माले पर रहने वाले यश आहूजा ने आयोजित की थी. डीजे जोरजोर से बज रहा था.

सभी नशे में चूर हो, मस्ती में झूम रहे थे, डांस कर रहे थे. जोगधनकर, दीया और जाह्नवी भी डांस करने लगे. डांस करतेकरते अचानक से जोगधनकर और दीया पार्टी से गायब हो गए थे. जाह्नवी को अचानक होश आया तो वह दोनों को ढूंढने लगी. वहां न तो जोगधनकर था और न ही दीया. वह सोचने लगी कि अचानक दोनों कहां जा सकते हैं. तभी उस के दिमाग की घंटी बजी कि कहीं दोनों कोई गुल तो नहीं खिला रहे हैं. मन में यह खयाल आते ही जाह्नवी पागल हो गई और डांस छोड़ कर दोनों को खोजने में जुट गई. वह सीढि़यों से कई मंजिल नीचे उतरी, लेकिन दोनों वहां नहीं थे. फिर वह उन्हें खोजते हुए ऊपर 16वें फ्लोर पर आई. वह छत पर खोजते हुए वहां बनी पानी के टंकी के पास पहुंची तो वहां का नजारा देख कर सन्न रह गई.

श्री जोगधनकर और दीया पडनकर दोनों एकदूसरे में खोए हुए थे. उन्हें इस अवस्था में देख कर जाह्नवी जोर से चीखी. उस की चीख सुन कर दोनों सकपका गए और अपनेअपने कपड़े दुरुस्त कर जाह्नवी के सामने हाथ जोड़ कर किसी से न बताने की विनती करने लगे. जाह्नवी ने उन की एक न सुनी. तीनों के बीच खूब झगड़ा हुआ. एकदूसरे से हाथापाई भी हो गई. उस के बाद जाह्नवी रोती हुई सीढि़यों से नीचे उतरने लगी. उधर पार्टी में म्यूजिक जोर से बजने के कारण उन के झगड़े की आवाज किसी को सुनाई नहीं दी. दोनों की पोल जाह्नवी किसी के सामने खोल न दे, यह सोच कर दोनों उस के पीछेपीछे हो लिए.

सीसीटीवी में हो गए थे कैद  जाह्नवी, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के सीढि़यों से नीचे उतरने की फुटेज सीसीटीवी में कैद हो गई थी. उस समय रात के साढ़े 12 बज रहे थे. अपनी करतूत छिपाने के लिए श्री जोगधनकर और दीया ने पांचवें फ्लोर से दूसरे फ्लोर तक जाह्नवी का सिर सीढि़यों की रेलिंग से लड़ा कर मौत के घाट उतार दिया. उस के बाद उसे दूसरे फ्लोर से उठा कर नीचे फेंक दिया. इस झगड़े में जाह्नवी अपने बचाव के लिए श्री और दीया से लड़ी थी, जिस में उन दोनों को भी चोटें आई थीं. जाह्नवी को मौत के घाट उतारने के बाद दोनों पुलिस से बचने के लिए अस्पताल में जा कर भरती हो गए थे. लेकिन मुंबई पुलिस और फोरैंसिक जांच ने उन की कलई खोल दी थी. मारपीट के दौरान जाह्नवी के शरीर पर कुल 48 चोटें पाई गई थीं.

फोरैंसिक जांच में जोगधनकर और दीया के कपड़ों पर जाह्नवी के खून के धब्बे भी पाए गए थे. बहरहाल, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर जाह्नवी की हत्या के जुर्म में सलाखों के पीछे कैद थे. पुलिस ने दोनों आरोपितों के खिलाफ 30 मार्च, 2021 को अदालत में 600 पेज का आरोप पत्र दाखिल कर दिया था. इस बीच श्री जोगधनकर और दीया के वकीलों ने दोनों की जमानत के लिए बांद्रा अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन जाह्नवी के तेजतर्रार वकील त्रिमुखे ने उन की याचिका खारिज करा दी. कथा लिखे जाने तक दोनों आरोपी जेल में बंद थे. Crime Story in Hindi

—कथा जाह्नवी के वकील और पुलिस सूत्रों पर आधार

Family Crime Stories : पत्नी के टुकड़े कर पानी में उबाले

Family Crime Stories : पुट्टा गुरुमूर्ति ने पत्नी वेंकट माधवी की हत्या करने के बाद लाश के टुकड़े कर उन्हें न सिर्फ उबाला, बल्कि उस की हड्डियों को मिक्सी में पीस कर ठिकाने लगा दिया. आखिर ऐसी क्या वजह रही, जो गुरुमूर्ति इतना क्रूर बन गया…

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के मीरपेट थाने के जिल्लेलागुड़ा की न्यू वेंकटेश्वर कालोनी में किराए पर कमरा ले कर रहने वाले पुट्टा गुरुमूर्ति (39) और वेंकट माधवी (35) की शादी को 13 साल बीत चुके थे. दोनों इतना लंबा समय खट्टेमीठे अनुभवों के साथ गुजारते आए थे. गुरुमूर्ति की जब 2013 में शादी हुई थी, तब वह सेना में नायब सूबेदार था और ठीकठाक कमाता था, इसलिए माधवी गुरुमूर्ति से विवाह कर के खुश थी. लेकिन गुरुमूर्ति में कमी यह थी कि वह माधवी को अपने साथ नौकरी वाले शहर में नहीं ले जाता था. जबकि माधवी को शुरुआत में सासससुर के साथ रहना कतई अच्छा नहीं लगता था. वह पति के साथ उस के नौकरी वाले शहर में रहना चाहती थी, लेकिन गुरुमूर्ति इस के लिए तैयार नहीं था.

ऐसी स्थिति में पति के दबाव के चलते माधवी अपने सासससुर के साथ आंध्र प्रदेश के प्रकाशम में रह कर घरपरिवार को संभालने में जुट गई थी. सासससुर को कैसे खुश रखा जाए, गृहस्थी की जरूरतें कैसे पूरी हों, परिवार के अन्य सदस्यों के साथसाथ सामाजिक मानमर्यादा का खयाल किस तरह से रखा जाए? इस बात का खयाल माधवी खासतौर से रखती थी. एक तरह से उस ने अपना एक संतुलित परिवार बना लिया था. वह एक बेटा और बेटी की मां बन गई, उस के दोनों ही बच्चे एक अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढऩे जाते थे.

5 साल पहले पति के भारतीय सेना की नौकरी से रिटायर हो जाने के बाद वह पति और दोनों बच्चों के साथ हैदराबाद के उपनगर जिल्लेलागुडा की न्यू वेंकटेश्वर कालोनी में रहने लगी थी. किराए का मकान और गृहस्थी के बढ़ते खर्च, बेटेबेटी की बेहतर पढ़ाईलिखाई को ले कर माधवी काफी परेशान रहने लगी थी. बच्चों के भविष्य को ले कर उसे काफी फिक्र रहती थी. उधर गुरुमूर्ति की माधवी के मातापिता से किसी बात को ले कर खटपट हो गई थी. गुरुमूर्ति ने अपने सासससुर से बोलचाल बंद करने के साथ ही माधवी का मायके जाना बंद कर दिया था.

दामाद से बात कर परेशान क्यों हुईं सुब्बम्मा

गृहस्थी ठीकठाक पहले की तरह चल सके, इसलिए गुरुमूर्ति ने 2020 से कंचन बाग में स्थित डीआरडीओ कार्यालय में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करनी शुरू कर दी थी. लेकिन बीते कुछ दिनों से गुरुमूर्ति को अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह होने लगा था. गुरुमूर्ति को शक था कि माधवी उस की गैरमौजूदगी में अपने रिश्तेदार को बुला कर उस के साथ रंगरलियां मनाती है. हालांकि कुछ दिनों तक तो माधवी की समझ में ही नहीं आया कि पति ऐसा सलूक उस के साथ क्यों करने लगा गया है?

उधर गुरुमूर्ति के मन में पत्नी के चालचलन को ले कर नफरत बढ़ती जा रही थी. उस ने पत्नी से इस बारे में पूछताछ की तो उस ने साफ कह दिया कि उस का किसी के साथ कोई चक्कर वगैरह कुछ नहीं है. लेकिन गुरुमूर्ति को उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. उसे लगा कि माधवी झूठ बोल रही है, इसलिए उस ने पत्नी को ठिकाने लगाने का प्लान बना लिया.

फिर प्लान के अनुसार, 15 जनवरी, 2025 को अपने बच्चों और पत्नी को अपनी बहन सुजाता के घर मेलमिलाप के बहाने ले गया. दोनों बच्चों को बहन के घर पर ही छोड़ कर पत्नी के साथ उसी रात को घर पर लौट आया था. 16 जनवरी की सुबह माधवी ने अपने पति से कहा कि मैं पोंगल के लिए अपने मायके नंदयाल जाना चाहती हूं, लेकिन अपने सासससुर से खफा गुरुमूर्ति ने दोटूक शब्दों में माधवी को वहां जाने से मना कर दिया. इस बात को ले कर दोनों में तूतूमैंमैं होने लगी. उसी दिन गुरुमूर्ति ने अपनी सास उप्पला सुब्बम्मा के मोबाइल पर काल कर दिया, ”हैलो सासू मां, आप मेरी बात सुन रही हैं?’’

”हांहां बोलो, दामादजी, तुम्हारी आवाज  मुझे बिलकुल स्पष्ट सुनाई दे रही है. बोलो न, क्या बता रहे थे मेरी बेटी के बारे में? आप को क्या शिकायत है माधवी से, मुझे साफसाफ बताओ, मैं बात करूंगी माधवी से इस बारे में.’’

”पिछले कुछ महीनों से माधवी के चालचलन में काफी बदलाव आ गया है. वह बेहया हो गई है. आप वक्त निकाल कर उसे जरा समझा देना, वरना मेरे हाथों से किसी दिन अनर्थ हो जाएगा.’’ गुरुमूर्ति ने एक तरह से धमकी भरे अंदाज में कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

दरअसल, उप्पला सुब्बम्मा अपने दामाद की बातों को पूरी तरह से समझ नहीं पाई थी. फिर भी उस ने अपने दामाद के कहने पर माधवी से बात कर लेना उचित समझा, अत: बिना किसी हिचकिचाहट के उस के नंबर पर काल कर दिया, ”हैलो माधवी, तू कैसी है? तेरे दोनों बच्चे कैसे हैं?’’

”अम्मा, मैं ठीक हूं, दोनों बच्चे तो अपनी बुआ के यहां  गए हुए हैं. आप और बापू कैसे हैं? घर पर सब खैरियत तो है न?’’

”अरे माधवी, दामादजी का फोन आया था. कुछ देर पहले तुम्हारे बारे में ही ही बोल रहे थे कि तुम्हारा चालचलन ठीक नहीं है और बड़ी बेहया हो गई हो? कोई इस तरह की बात है क्या?’’ सुब्बम्मा बोली.

”अरे नहीं अम्मा, आप उन की बातों को कोई अहमियत न दो, यह मेरे और गुरुमूर्ति के बीच की बात है.’’ माधवी ने अपनी मां को फोन पर समझाया.

”तेरे बच्चों की पढ़ाईलिखाई ठीकठाक चली है न. उन दोनों से मुलाकात किए 7 साल हो गए. छुट्टी वाले दिन उन्हें ले आना.’’ उप्पला सुब्बम्मा ने कहा.

उस दिन तो बात आईगई हो गई न तो माधवी ने अपने पति के साथ आए दिन होने वाली तकरार के बारे में अपनी अम्मा को कुछ बताया और न ही सुब्बम्मा ने बेटी की निजी जिंदगी में दखल देने की कोशिश की. लेकिन यह क्या? कुछ ही देर बाद गुरुमूर्ति ने अपनी सास को फिर से फोन कर वही बात दुहराई. कहने लगा, ”अपनी बेटी को संभाल लो, वरना मेरे हाथों अनर्थ हो जाएगा.’’

उस ने बिना किसी हिचकिचाहट के सीधे आरोप लगा दिया कि माधवी का एक करीबी रिश्तेदार के साथ चक्कर चल रहा है. एक तरह से गुरुमूर्ति ने उस दिन माधवी पर बदचलन होने और रिश्तेदार के साथ नाजायज संबंध होने का सीधेसीधे आरोप लगा दिया था. बेटी के बारे में दामाद से यह सब सुन कर सुब्बम्मा ने बेटी को फोन कर काफी डांट लगाई. उन्होंने गुस्से में बेटी से दोटूक कह दिया कि वह सिर्फ अपने पति और बच्चों पर ध्यान दे और अपने दोनों बच्चों का उज्जवल भविष्य बनाए, गलत रास्ते पर कतई न जाए, यदि दोबारा तुम्हारे बारे में दामादजी की शिकायत आई तो तुम्हारे लिए मायके के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे.

दूसरी तरफ सुब्बम्मा ने गुरुमूर्ति को भरोसा दिलाया कि वह कल सुबह तुम्हारे ड्यूटी पर निकलने से पहले घर पर आ कर माधवी को समझा देगी, लेकिन उस के लिए वह दिन नहीं आया. उसे अपनी बेटी को उस बारे में आमनेसामने बैठ कर बातें करने का मौका ही नहीं मिला.

सुब्बम्मा पति के साथ क्यों गई बेटी की ससुराल

शाम के 7 बजे के करीब सुब्बम्मा बेटी और उस के बच्चों के लिए बाजार से कुछ सामान लेने जाने के लिए तैयार हो रही थी. तभी अचानक गुरुमूर्ति का फोन आ गया. मोबाइल के डिसप्ले पर दामाद का नंबर देख कर सुब्बम्मा चौंक गई. कुछ क्षण के लिए वह यह सोचने लगा गई कि जब सुबह 2 बार बात हो चुकी है तो शाम के वक्त दामाद ने फोन क्यों किया है? जरूर कोई खास बात होगी. सुब्बम्मा दामाद का फोन रिसीव करते हुए बोली, ”हां दामादजी, बोलो क्या बात हो गई, जो शाम के वक्त फोन किया?’’

दूसरी तरफ से दामाद की घबराहट भरी आवाज सुन कर उप्पला सुब्बम्मा किसी अनहोनी से आशंकित हो गई. उस ने पूछा, ”क्या बात है दामादजी, तुम्हारी आवाज में मुझे घबराहट क्यों लग रही है. तुम मुझे काफी परेशान से लग रहे हो, घर में सब खैरियत तो है न?’’

”अरे सासू मां, कतई खैरियत नहीं है. तुम्हारी बेटी मुझ से लड़झगड़ कर दोपहर बाद से कहीं चली गई, उस के बारे में कुछ भी पता नहीं चल रहा है.’’

इतना सुनते ही चौंकते हुए सुब्बम्मा ने गुरुमूर्ति से माधवी को ले कर तमाम सारे सवाल कर डाले, ”अरे, आप फोन पर ही मुझ से सवाल पर सवाल कर के वक्त जाया करती रहोगी या फिर अपनी बेटी को ढूंढने का प्रयास भी करोगी.’’

”चलो दामादजी, मैं फोन रखती हूं और माधवी के बारे में रिश्तेदारों और परिचितों के यहां पता करती हूं.’’

इस के बाद सुब्बम्मा ने बेटी के बारे में जानकारी लेने के लिए रिश्तेदारों से ले कर परिचितों को फोन लगा कर मालूमात की, लेकिन उस के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका. माधवी को गायब हुए 48 घंटे से अधिक का समय गुजर चुका था. न तो उस का मोबाइल फोन लग रहा था और न ही उस के बारे में कोई जानकारी मिल पा रही थी. अत: अपने पति को साथ ले कर उप्पला सुब्बम्मा ने अपने दामाद के घर जाने का फैसला लिया.

आटोरिक्शा पकड़ कर वह पति के बाद साथ न्यू वेंकटेश्वर कालोनी पहुंच गई. आटोरिक्शा चालक को भाड़ा चुकाने के बाद उप्पला सुब्बम्मा ने गुरुमूर्ति के आसपड़ोस में रहने वाले लोगों के घरों में जा कर बेटी माधवी के बारे में पूछताछ की. पड़ोसियों ने बताया कि उन्हें तो 16 जनवरी की सुबह 7 बजे के बाद से माधवी नहीं दिखी.

पति ने लाश के टुकड़े क्यों उबाले

आखिरकार माधवी के मम्मीपापा ने निर्णय लिया कि थाने में माधवी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी जाए, इसलिए मीरपेट थाने में उप्पला सुब्बम्मा ने अपने पति के साथ जा कर बेटी माधवी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करवा दी. उसी वक्त गुरुमूर्ति की बहन और बहनोई को भी इस घटनाक्रम की जानकारी दे दी गई. बुआ से मम्मी के अचानक घर से लापता होने की जानकारी मिलते ही माधवी के बच्चे भी बुआ के घर से अपने घर पर वापस लौटने के लिए हठ करने लगे. बुआ के घर का माहौल काफी बोझिल हो गया.

गुरुमूर्ति के चाचा ने उस से घुमाफिरा कर माधवी के लापता होने के बारे में पूछा. चाचा के पूछने पर आखिरकार गुरुमूर्ति को सच बोलने के लिए मजबूर होना पड़ा. उस ने बताया, ”माधवी, इस बात को ले कर काफी नाराज थी कि मेरी मां को फोन कर मेरे रिश्तेदार से संबंध होने की बात क्यों बताई. इसी बात को ले कर हम दोनों में जम कर तूतूमैंमैं हुई. इस के बाद वह अपने मायके जाने की हठ करने लगी. तभी मैं ने माधवी को जोर से थप्पड़ मार दिया. माधवी दीवार के पास खड़ी थी, गुस्से में मैं ने उस का सिर जोर से दीवार पर 4-5 बार दे मारा. मेरे द्वारा ऐसा करने से सिर में चोट लगने से माधवी बेहोश हो गई.’’

उस ने आगे बताया कि माधवी को बेहोश देख कर मैं बुरी तरह घबरा गया. मुझे लगा कि माधवी मर गई है. मैं ने उस की नब्ज टटोली, जो चल रही थी. मुझे लगा कि होश में आने के बाद माधवी अपनी मम्मी के साथ मीरपेट थाने में जा कर उस की शिकायत कर देगी तो मुझे मारपीट करने के केस में जेल जाना पड़ेगा, इसलिए मैं ने फैसला किया कि माधवी के होश में आने से पहले ही उस की गला दबा कर हत्या कर दी जाए और फिर उस की लाश को बड़ी सफाई के साथ ठिकाने लगा दिया जाए. यह 16 जनवरी, 2025 की बात है.

गुरुमूर्ति ने गुस्से में आ कर माधवी की हत्या तो कर दी, लेकिन अब वह इस सोच में पड़ गया कि लाश को किस तरह ठिकाने लगाया जाए कि वह पुलिस की पकड़ में न आ सके. वह काफी देर तक इस बारे में सोचता रहा. फिर उसे ध्यान में आया कि माधवी की लाश को ठिकाने लगाने का आइडिया क्यों न ओटीटी प्लेटफार्म पर कोई क्राइम थिलर देख कर ले लिया जाए. गुरुमूर्ति को लाश को ठिकाने लगाने और सारे सबूत मिटाने के लिए क्राइम थ्रिलर का आइडिया सब से ज्यादा पसंद आया, इसेिलए वह सुबह करीब 10 बजे माधवी की लाश को घसीट कर वाशरूम में ले गया और तेज धार वाले चाकू से उस की लाश के 4 टुकड़े कर दिए.

सब से पहले दोनों हाथ फिर पैर काटे. उस के बाद शरीर के शेष हिस्सों के छोटे छोटेटुकड़े करने के बाद सबूत मिटाने की मंशा से सभी टुकड़ों को घर में रखी पेंट की खाली बाल्टी में डाल कर पानी गर्म करने वाली रौड की मदद से पानी में उबाल कर मांस और हड्डियों को अलग किया. उस ने एक बार फिर से मांस के टुकड़ों को उबाला. रसोई गैस के बर्नर पर माधवी के शरीर की हड्डियों को भी काफी देर तक प्रेशर कुकर में पकाया. इस के बाद मांस से अलग हुई हड्डियों को मिक्सी में डाल कर पाउडर बना दिया. पके हुए मांस के टुकड़ों और पाउडर को अलगअलग पौलीथिन की थैलियों में बंद कर घर के करीब स्थित चंंदन झील में मछलियों को खाने के लिए फेंक आया.

माधवी के शव के टुकड़ों को ठिकाने लगाने के बाद गुरुमूर्ति ने घर लौट कर बाथरूम, पेंट की खाली बाल्टी, चाकू, मिक्सी, इमरसन रौड व जमीन पर फैले खून को वाशिंग पाउडर और फिनाइल डाल कर अच्छी तरह रगडऱगड़ कर साफ किया. बड़ी होशियारी से हत्या के सारे सबूत उस ने नष्ट कर दिए. गुरुमूर्ति ने अपने चाचा के द्वारा माधवी के बारे में बारबार पूछने पर उन्हें  माधवी की हत्या के बारे में सब कुछ बता दिया था. गुरुमूर्ति की बात सुन कर चाचा के पैरों तले जमीन खिसक गई. चाचा ने गुरुमूर्ति से कहा कि यह तुम क्या बक रहे हो.

गुरुमूर्ति ने कहा कि चाचा मेरी सहनशक्ति की सीमा खत्म हो गई तो मैं ने माधवी को मौत के घाट उतार दिया. भतीजे के मुंह से माधवी की हत्या करने की बात सुन कर चाचा बुरी तरह घबरा गए. उन्हें लगा कि भतीजे के साथ पुलिस उन्हें बात छिपाने के आरोप में गिरफ्तार न कर ले, इसलिए चाचा ने बिना देरी किए मीरपेट थाने पहुंच कर उस की हैवानियत के बारे में सब कुछ टीआई को बता दिया. उधर गुरुमूर्ति की सास थाने में अपनी बेटी माधवी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा चुकी थी, इसलिए टीआई ने गुरुमूर्ति को हिरासत में ले कर पूछताछ की.

गुरुमूर्ति को पता नहीं था कि उस के चाचा ने टीआई को उस के द्वारा माधवी की हत्या किए जाने और लाश ठिकाने लगाने की सूचना दे दी है, इसलिए वह तरहतरह की कहानियां बता कर पुलिस को उलझाता रहा. आखिरकार वह घुमावदार बातों में खुद उलझ गया तो उस ने सच्चाई उगल दी. फिर उस ने माधवी की हत्या करने की सारी कहानी पुलिस को बता दी. हत्या का गुनाह कुबूल करने पर पुलिस ने गुरुमूर्ति को 28 जनवरी, 2025 की सुबह विधिवत अपनी हिरासत में ले लिया.

गुरुमूर्ति के इस कबूलनामे के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) हत्या 238 (अपराध के सबूत को गायब करना) और 85 (महिला के प्रति क्रूरता के तहत मामला दर्ज कर लिया है). चौंकाने वाली बात यह थी कि गुरुमूर्ति का जुर्म की दुनिया से कोई वास्ता नहीं था, लेकिन उस ने पेशेवर हत्यारे को भी मात दे दी थी. उस ने अपनी पत्नी की हत्या और सबूत मिटाने की योजना को बड़ी होशियारी से अंजाम दिया.

राचकोंडा के पुलिस आयुक्त जी. सुधीर बाबू का कहना है कि हत्या के इस मामले की गुत्थी को सुलझाने और इस मामले से जुड़े सभी सबूत जुटाने के लिए देश भर के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञों  की मदद ली गई थी. इस के लिए दिल्ली और गुजरात के फोरैंसिक विशेषज्ञों को घटनास्थल और चंदन झील का मौकामुआयना कराया था और उन के द्वारा सबूत इकट्ठे करने का भरसक प्रयास किया गया. इसी का परिणाम है कि पुलिस के हाथ चंदन झील के किनारे माधवी के शव के टुकड़ों में एक मांस का टुकड़ा बतौर सबूत हाथ लग गया. सबूत हाथ लगते ही पुलिस ने माधवी के मम्मीपापा का डीएनए ले कर चंदन झील से बरामद इंसान के मांस के टुकड़े का डीएनए टेस्ट करवाया. जांच के बाद दोनों का डीएनए मैच कर गया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस गुरुमूर्ति की निशानदेही पर घर के भीतर से हत्या के सबूत मिटाने में प्रयुक्त किया गया गैस बर्नर, पेंट की खाली बाल्टी, चाकू और पानी गर्म करने वाली रौड, मिक्सी सहित खून से लथपथ कपड़ों को बरामद कर पुट्टा गुरुमूर्ति के घर को सील कर चुकी थी. उधर माधवी की हत्या के बाद से उस के माइनर बेटाबेटी को उन के नानानानी अपने साथ ले गए. सनसनीखेज तरीके से पति द्वारा की गई हत्या हैदराबाद से ले कर समूचे भारत में चर्चा का विषय बन गई है. आम और खास लोग अब यह जानने को उत्सुक हैं कि कोर्ट गुरुमूर्ति को क्या दंड देता है?

 

 

Andhra Pradesh Crime : कोल्डड्रिंक वाली सीरियल किलर महिलाएं

Andhra Pradesh Crime : कंबोडिया से लौटने के बाद 32 वर्षीय मडियाला वेंकटेश्वरी ने ऐसी महिलाओं का गैंग बना लिया, जो उस के साथ क्राइम कर सकें. इस के बाद यह गैंग सायनाइड से एक के बाद एक हत्याएं करता गया. हत्याओं के पीछे गैंग का क्या मकसद था? पढ़ें, सायनाइड सीरियल किलर गैंग की दिल दहला देने वाली कहानी.

आंध्र प्रदेश के जिला गुंटूर के गांव तेनाली की रहने वाली मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी की फेमिली में 3 बहनें और 2 भाई थे. उन के पास थोड़ी सी खेती थी, उसी में परिवार का गुजारा होता था. गांव के सरकारी स्कूल से वेंकटेश्वरी ने 12वीं की परीक्षा अच्छे अकों में पास कर ली थी. वेंकटेश्वरी बचपन से ही बहुत महत्त्वाकांक्षी थी, वह थोड़े ही समय में काफी सारे पैसे कमा लेना चाहती थी. उसे ऐश करने और नएनए कपड़े पहनने का बहुत शौक था. उस की आदतें और व्यवहार परिवार के अन्य सदस्यों से काफी उलटा था.

वह स्वार्थी और रूखे स्वभाव की थी, इसलिए घर के सभी सदस्यों को उस की आदतें पसंद नहीं थीं. वेंकटेश्वरी को घर, पढ़ाई करने के साथसाथ खेती का काम भी करना पड़ता था. इस बीच वेंकटेश्वरी कंप्यूटर का कोर्स भी करने लगी थी. वेंकटेश्वरी घर और खेतीबाड़ी का काम करती तो थी, लेकिन बुझे मन से. उस का इन सब कामों में मन नहीं लगता था. इसलिए जैसे ही उस का कंप्यूटर का कोर्स पूरा हो गया, उसे एक एनजीओ में नौकरी मिल गई. वहां पर उस ने 4 साल तक काम किया.

वेंकटेश्वरी की कई सहेलियां अपनी बहनों के साथ कंबोडिया में जा कर पैसा कमा रही थीं. वह उन सभी के संपर्क में रहती थी. वह उन को बराबर फोन करती रहती थी. 4 साल पहले अप्रैल, 2018 में वेंकटेश्वरी ने अपना पासपोर्ट और वीजा कंबोडिया जाने के लिए एक एजेंट के माध्यम से बनवा लिया और फिर एजेंट ने उसे कंबोडिया भेज दिया. वेंकटेश्वरी के फेमिली वाले नहीं चाहते थे कि वह कंबोडिया जाए, मगर उस ने किसी की भी नहीं सुनी और उस ने अब तक इतने पैसे तो जमा कर ही लिए थे, इसलिए उसे अपने फेमिली वालों से भी पैसे लेने की जरूरत नहीं हुई.

कंबोडिया जाने के बाद तो जैसे वेंकटेश्वरी ने अपने फेमिली वालों को भुला ही दिया था. फेमिली वाले भी उस के व्यवहार और आदतों से काफी दुखी रहते थे, इसलिए उन्होंने भी वेंकटेश्वरी से कोई संपर्क करने की जरूरत नहीं समझी. 2 साल तक तो वेंकटेश्वरी अपने जानपहचान वाली युवतियों के संपर्क में व उन के साथसाथ ही रहती थी. धीरेधीरे उस का संपर्क कंबोडिया की ऐसी युवतियों के साथ भी होने लगा, जो काफी शानोशौकत के साथ रहा करती थीं.

वेंकटेश्वरी ने उन से धीरेधीरे जानपहचान बढ़ाने के साथसाथ उन से नजदीकियां बढ़ानी भी शुरू कर दी थी. उन कंबोडियन युवतियों को जब वेंकटेश्वरी काम की लगी तो उन्होंने उसे अपने पास रहने के लिए बुलवा लिया. फिर धीरेधीरे वेंकटेश्वरी को पता चलने लगा था कि इन कंबोडियन युवतियों का काम क्या था. इतने सारे पैसे कमा कर वह कैसे ऐश से रहा करती थीं. दरअसल, वे कंबोडियन युवतियां लोगों को बहलाफुसला कर कहीं एकांत में ले जाया करती थीं और उस के बाद उन को सायनाइड मिला ड्रिंक मिला कर पिला देती थीं, जिस से कुछ समय बाद उस की मौत हो जाती थी और वे युवतियां उस युवक या युवती से सारा माल लूट लिया करती थीं.

 

वेंकटेश्वरी भी अब उन के ग्रुप में शामिल हो कर लोगों से लूट करने लगी थी. कंबोडियन युवतियों के गिरोह में कुल 8 सदस्य थे. लूट का पैसा आपस में बंट जाता था. 2 साल तक वेंकटेश्वरी उन के ग्रुप में काम करती रही. फिर उस ने सोचा कि यदि वह ऐसा काम अपने देश में जा कर करेगी तो उसे इस से ज्यादा फायदा मिल सकेगा. अपना सारा सामान बेच कर वेंकटेश्वरी 10 जनवरी, 2022 को भारत लौट आई. उसे अपने फेमिली वालों से न तो लगाव था और न ही उस के फेमिली वाले उस से मिलने के इच्छुक थे, इसलिए वेंकटेश्वरी अपने घर नहीं गई और उस ने एक कस्बे में किराए के 2 कमरे ले लिए और उस के पास अब तक कई लाख रुपए भी इकट्ठा हो चुके थे.

वह अपने इन लाखों रुपयों को करोड़ों में तब्दील करना चाहती थी. अब वेंकटेश्वरी अपने ग्रुप के लिए ऐसी महिलाओं की तलाश करने में जुट गई, जिन पर विश्वास किया जा सके. इस के अलावा वह निर्दयी प्रवृत्ति की हों और जल्द से जल्द ढेर सारा पैसा कमाना चाहती हों. वेंकटेश्वरी की तलाश मुनगप्पा रजनी और गुलरा रामनम्मा पर जा कर खत्म हो गई. मुनगप्पा रजनी की उम्र 40 वर्ष की थी और वह विधवा थी, जबकि गुलरा रामनम्मा की उम्र 60 वर्ष थी, जो मुनगप्पा रजनी की मम्मी थी. अपने पति की मृत्यु के बाद मुनगप्पा रजनी अपनी मम्मी गुलरा रामनम्मा के साथ अपने मायके में रहने लगी थी.

दोनों मांबेटी को अच्छे से शीशे में उतारने के बाद वेंकटेश्वरी ने उन दोनों मांबेटी को ऐसे लोगों की तलाश करने में लगा दिया, जिन के पास काफी मात्रा में ज्वेलरी व नकदी रहती हो. उस के बाद वेंकटेश्वरी ने उन को प्लान बताया कि ऐसे लोगो को चिह्निïत करने के बाद उन लोगों से दोस्ती कैसे बढ़ानी है और फिर उन्हें अकेले बुला कर उन को सायनाइड मिला कोल्डड्रिंक पिला दिया जाएगा, जिस से उन की मौत हो जाएगी और हम आसानी से ज्वैलरी और नकदी लूट सकेंगे.

मुनगप्पा रजनी अपनी ससुराल भी कभीकभी इसलिए जाया करती थी कि उस की शादी के समय जो गहने उसे दिए गए थे, उन गहनों को उस की सास सुब्बालक्ष्मी उसे वापस नहीं दे रही थी. उस ने यह बात जब वेंकटेश्वरी यानी कि अपनी गैंग लीडर को बताई तो वेंकटेश्वरी ने उस से कहा कि अब वह बराबर अपनी सास से मिलने अपनी ससुराल जाया करे और हर बार कुछ न कुछ उपहार अपनी सास को देती रहे और उस से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करे.

अब रजनी ने धीरेधीरे अपनी सास सुब्बालक्ष्मी का दिल जीतना शुरू कर दिया था, जिस से वह अकसर रात को भी उस के घर ही रुकने लगी थी. एक रात जब घर वाले किसी फंक्शन में गए थे तो वह रात को चुपचाप अपनी सास के घर गई. घर पर उस समय कोई नहीं था और उस ने दूध में सायनाइड मिला कर अपनी सास को पिला दिया, जिस के कारण उस की तत्काल मृत्यु हो गई. उस के बाद मुनगप्पा रजनी अपनी सास के सारे गहने ले कर चुपचाप अपने घर पर आ गई. सुबह जब लोगों ने सुब्बालक्ष्मी को घर पर मृत पड़े देखा तो इसे स्वाभाविक मौत समझ कर दाह संस्कार कर दिया.

नवंबर 2022 में नगमा नाम की एक महिला, जोकि मुनगप्पा रजनी की पड़ोसी थी, उस ने रजनी को काफी समय पहले 20 हजार रुपए उधार दे रखे थे और नगमा बारबार रुपयों का तकादा कर रही थी. कई बार तो वह लोगों के सामने भी रजनी की बेइज्जती कर देती थी. रजनी ने उस के साथ भी दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी. एक शाम रजनी ने उसे पास के शहर में सिनेमा देखने को राजी किया. वहीं रास्ते में रजनी की मां गुलरा रामनम्मा और वेंकटेश्वरी भी मिल गए. वे तीनों नगमा को एक सुनसान जगह पर ले गए और फिर उसे कोल्डड्रिंक में सायनाइड मिला कर पिला दिया, जिस के कारण उस की मृत्यु हो गई.

उस के बाद तीनों ने उस के सारे गहने निकाल लिए और उस की लाश को झाडिय़ों में फेंक दिया. तेनाली निवासियों ने इस मौत को भी स्वाभाविक समझा और नगमा का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अगस्त 2023 में तेनाली निवासी 60 वर्षीय नागप्पा से इस गैंग ने दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी. रजनी ने नागप्पा का परिचय वेंकटेश्वरी से कराया और बताया कि वह कई साल कंबोडिया में भी रह चुकी है.  रजनी ने नागप्पा को यह भी बताया कि वेंकटेश्वरी का कारोबार अभी भी कंबोडिया और भारत के बड़ेबड़े शहरों में फैला हुआ है. यदि उसे रकम या गहने दिए जाएं तो व डेढ़ साल के बाद दोगुना कर लौटा देती है.

नागप्पा फिर वेंकटेश्वरी से अकसर मिलने लगा. वेंकटेश्वरी ने उसे समझाया कि आप रजनी की जानपहचान वाले हो, इसलिए वह उन का काम कर देगी, परंतु उसे यह बात घर पर किसी को भी नहीं बतानी होगी. क्योंकि इस से सभी मोहल्ले वाले और अन्य लोग भी उस के पीछे पड़ जाएंगे. वह किसीकिसी का ही काम करती है. नागप्पा उस के बहकावे में आ गया. उस के पास गहने व पैसे ले कर वेंकटेश्वरी ने उसे एक सुनसान इलाके में बुलवाया और फिर कोल्डड्रिंक्स में सायनाइड मिला कर उस की हत्या कर दी और उस के सारे गहने और पैसे लूट लिए. उस के बाद तीनों ने उसे सुनसान सड़क के किनारे डाल दिया. यहां पर भी नागप्पा की मृत्यु को स्वाभाविक मृत्यु मान कर उस का दाह संस्कार कर दिया गया.

आसामी के अनुसार लेती थी सुपारी

अप्रैल 2024 में तेनाली निवासी पीसू उर्फ मोशे जोकि एक सरकारी नौकरी से रिटायर हो कर पेंशन ले रहा था, उस की पत्नी का नाम भूदेवी था. पीसू उर्फ मोशे लगभग हर दिन रात को शराब पी कर अपनी पत्नी से जम कर मारपीट करता था और दिन भर उस के साथ गालीगलौज करता रहता था. भूदेवी का एक ही बेटा था, जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कुवैत में ही परमानेंट रूप से रहने लगा था. भूदेवी की अपनी भी कुछ ख्वाहिशें थीं कि वह अच्छेअच्छे कपड़े पहने, अपने लिए खूब सारे गहने बनवाए और अच्छा खानापीना करे, परंतु उस का पति अपने दोस्तों के साथ शराब की पार्टियां करता रहता था और अपने आप में ही मस्त रहने वाला इंसान था. वह औरत को बस अपने पांव की जूती से अधिक नहीं समझता था और तरहतरह से भूदेवी को प्रताडि़त करता रहता था.

मुनगप्पा रजनी भूदेवी की इस स्थिति को काफी अच्छी तरह से जान चुकी थी, इसलिए उस ने धीरेधीरे भूदेवी से बातचीत कर उस से घर की बातें उगलवानी शुरू कर दीं. रोतेरोते भूदेवी रोज अपने ऊपर हुए जुल्मों की दास्तान अब रजनी को बताने लगी थी. एक दिन रजनी ने भूदेवी को समझाया कि यदि हम मिल कर तुम्हारे पति को ही तुम्हारे रास्ते से हटा देंगे तो हमें क्या मिलेगा. इस पर भूदेवी ने रजनी से पूछा, ”रजनी, वैसे तो मैं यही चाहती हूं कि मेरा पति मोशे मर जाए. पर इस से मेरा क्या फायदा होगा. यदि मुझे कुछ फायदा होगा, तभी न मैं बता पाऊंगा कि मैं तुम्हें क्या दे सकती हूं. इस समय तो मेरे हाथ में फूटी कौड़ी तक नहीं है.’’

”अच्छा अम्मा, ये बताओ कि तुम्हारे पति ने कितने रुपए का बीमा करा रखा है?’’ रजनी ने पूछा.

”उस के 2 बीमे हैं. एक 25 लाख का और दूसरा 30 लाख का है,’’ भूदेवी ने कहा.

”आप के पति ने कितने रुपए की एफडी करा रखी है?’’ रजनी ने पूछा.

”एफडी भी 3 हैं. एक 10 लाख की, दूसरी 25 लाख की और एक तीसरी एफडी भी है जो 15 लाख की है.’’ भूदेवी ने सोचते हुए बताया.

”अरे अम्मा, फिर तो अंकल के मरते ही आप करोड़पति हो जाएंगी. एक करोड़ 5 लाख रुपए मिलेंगे तुम्हें और पेंशन भी तुम्हारे नाम पर हो जाएगी. तब ऐश से रहना. न तुम्हें गालियों की चिंता रहेगी और न ही मारपीट का का डर रहेगा. देखो, हम इतनी साफसफाई से मर्डर का प्लान करेंगे कि किसी को कभी भी हम पर शक तक नहीं हो पाएगा.’’ रजनी ने कहा.

उस के बाद रजनी ने 20 लाख रुपए में सौदा कर लिया और उस ने भूदेवी को उस शराब में सायनाइड मिलाने को दे दिया और आगे का सारा प्लान समझा दिया. भूदेवी यह सब अकेले करने में डर रही थी, इसलिए शाम को जब मोशे बाजार से शराब लाने गया था तो मुनगप्पा रजनी अंधेरे में चुपचाप सब की नजर बचा कर भूदेवी के कमरे में छिप गई. फिर रजनी ने भूदेवी को खुद शराब का गिलास ले कर उस के पति पीसू उर्फ मोशे के पास जाने को कहा. उस दिन पीसू उर्फ मोशे भी अपनी पत्नी की दयालुता और सेवाभाव का कायल हो गया था. उस ने यह कहा भी था, ”अरे भूदेवी, आज सूरज क्या पश्चिम से निकला है, जो तुम आज मेरे ऊपर इतनी मेहरबान हो गई हो.’’

”देखिए जी, मैं आप को हर रोज कुछ न कुछ कह कर आप का पूरा दिन खराब कर दिया करती थी. आज आप के दोस्त भी नहीं आए हैं, इसलिए मैं ने सोचा कि क्यों न अपने हाथों से आप को शराब का जाम दे दूं. आज मैं ने आप के लिए मछली के पकौड़े भी तले हैं.’’ भूदेवी ने मछली के पकौड़ों की ट्रे उस के सामने रखते हुए कहा. अपनी पत्नी भूदेवी के इस कायाकल्प से तो मोशे आज बहुत ही अधिक खुश हो गया था. वह सोचने लगा था कि उस की पत्नी भूदेवी उस का कितना खयाल रखती है, उस से कितना प्यार करती है. वह सचमुच कितना बेवकूफ था, जो अपनी पत्नी को रोजरोज प्रताडि़त करता रहता था.

उस के बाद अगला जाम जो भूदेवी अपने पति के लिए ले कर जा रही थी, उस में रजनी ने सायनाइड मिला दिया और जब वह गिलास भूदेवी ने मोशे को दिया तो अगले चंद सेकेंडों के बाद ही अपनी कुरसी से नीचे गिर गया. रजनी समझ चुकी थी कि मोशे अब मर चुका है, इसलिए उस ने भूदेवी के साथ मिल कर मोशे के मृत शरीर को उस की चारपाई पर डाल दिया और ऊपर से चादर ओढ़ा दी. उस के बाद रजनी ने भूदेवी के कान में समझाते हुए कुछ कहा और वह चुपचाप लोगों की नजर से बचती हुई अकेली के घर से निकल गई.

सुबहसुबह 5 बजे भूदेवी के विलाप से पूरी तेनाली कालोनी के लोग चौंक गए. कुछ ही देर के बाद भूदेवी के घर पर आसपड़ोस के बहुत से लोग आ गए थे. भूदेवी ने लोगों को बताया कि सुबह जब मैं अपने पति को बैड टी देने के लिए कमरे में गई तो उन्होंने कोई हरकत ही नहीं की. लोगों ने जब वहां पर देखा तो शराब के गिलास और खाली बोतलें पड़ी हुई थीं. सब ने यही अनुमान लगाया कि रात को मोशे ने रोज की तरह ही ज्यादा शराब पी ली होगी और फिर सोते हुए उसे साइलेंट अटैक आया होगा, जिस के कारण उस की मौत हो गई होगी. पड़ोसियों ने इसे भी स्वाभाविक मौत समझा और उस के बाद गांव वालों ने मिल कर पीसू उर्फ मोशे का अंतिम संस्कार कर दिया.

28 जून, 2024 को चेब्रोल पुलिस को जानकारी मिली कि वडलामुडी गांव के बाहरी इलाके में एक महिला का क्षतविक्षत अवस्था में शव पड़ा हुआ है. पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो पुलिस को वडलामुडी गांव के बाहरी इलाके में एक 35 से 40 साल की उम्र की एक महिला का शव सड़ीगली अवस्था में मिला. पुलिस ने आसपास शव की शिनाख्त करने की कोशिश की, परंतु गांव के आसपास के लोग शव की शिनाख्त नहीं कर सके. वडलामुडी गांव के राजस्व अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर चेब्रोल थाने के एसआई पी. महेश ने अज्ञात मौत और अज्ञात हत्यारे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया और अज्ञात महिला की डैडबौडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच के लिए गुंटूर रेंज आईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने गुंटूर जिला एसपी सतीश कुमार के निर्देशन में 2 टीमें गठित की गईं. टीम में तेनाली डीएसपी बी. जनार्दन राव, पोन्नुरु ग्रामीण सीआई वाई. कोटेश्वर राव और चेब्रोल एसआई डी. वेंकट कृष्णा को शामिल किया गया.

आटो ड्राइवर के एक क्लू से खुला केस

आंध्र प्रदेश की 2 विशेष पुलिस टीमें अब इस ब्लाइंड मर्डर की तह तक जाने की कोशिशों में जुट गई थीं. जांच के दौरान पुलिस ने मृतका की पहचान गुंटूर जिले के तेनाली के यहला लिंगैया कालोनी निवासी शेख नागूर बी (48 वर्ष) के रूप में की. मृतका शेख नागूर बी के बेटे शेख तमीज ने अपनी मम्मी की मौत पर संदेह जताया. शेख तमीज ने पुलिस को बताया कि घर से निकलने से पहले उस की मम्मी शेख नागूर बी ने मुनगप्पा रजनी और मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी से काफी लंबी बातचीत की थी.

तकनीकी सर्विलांस का उपयोग करते हुए पुलिस ने आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज का गहनता से अध्ययन किया तो उस में एक आटो सामने आया, जिस के ड्राइवर का नाम महेश था. पुलिस द्वारा आटो चालक महेश को थाने बुला कर सीसीटीवी फुटेज दिखा कर उस से पूछताछ की गई. आटो ड्राइवर ने खुलासा किया कि 5 जून, 2024 को एक महिला ने तेनाली शहर के सोमसुंदरपालम स्थान में एक पुल पर उस का आटो किराए पर लिया था.

कुछ ही देर के बाद 2 अन्य महिलाएं भी उस के साथ आ गईं और तीनों महिलाएं आटो पर सवार हो गईं, जबकि एक अन्य महिला स्कूटी पर सवार हो कर उस के आटो के पीछेपीछे चलने लगी. आटो में सवार एक महिला ने उसे वडलामुडी जंक्शन तक ले जाने को कहा और उसे किराए के लिए 500 रुपए देने का वादा किया. रास्ते में एक जगह पर एक महिला ने आटो रुकवाया और सामने शराब की दुकान से एक बोतल शराब लाने को कहा. शराब की बोतल की कीमत 500 रुपए थी, जो महेश ने ला कर उन्हें दे दी थी.

आटो चालक महेश ने आगे बताया कि उस ने 3 महिलाओं को अपने आटो से वडलामुडी के बाहरी इलाके में खदानों के पास छोड़ा था, जिन में से एक महिला जिस ने मेरा आटो बुक किया था, उस ने फोनपे के जरिए उस का 500 रुपए का किराया चुकाया. काल रिकौर्ड और डंप डाटा से पुलिस को इस बात की पुष्टि हो गई थी कि आटो चालक महेश, मृतका शेख नागूर बी और 3 संदिग्ध लोगों की 5 जून, 2024 की लोकेशन अपराध स्थल की ही थी. जब उन तीनों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकाली गई तो वे तीनों फोन नंबर मुनगप्पा रजनी (40 वर्ष), गुलरा रामनम्मा (60 वर्ष) और मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी (32 वर्ष) के थे.

पुलिस ने जब तीनों महिलाओं से पुलिसिया अंदाज में पूछताछ शुरू की तो तीनों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ चुकी थी, जिस में मौत का कारण शराब में सायनाइड मिलना बताया गया था. पूछताछ के दौरान तीनों आरोपियों ने कुबूल किया कि पैसे दुगना करने का लालच दे कर उन्होंने पैसे और सोना चुराने के इरादे से शेख नागूर बी को बहलाफुसला कर सुनसान इलाके में बुलाया और फिर उसे सायनाइड मिली शराब पिला कर मार डाला. उस की मौत के बाद उन्होंने उस की ज्वेलरी और नकदी लूट ली और उस के शव को झाडिय़ों में फेंक दिया था.

तीनों आरोपियों ने इस हत्या से पहले और अन्य 4 हत्याओं की बात भी कुबूल कर ली. आगे की पूछताछ में तीनों आरोपियों ने यह भी कुबूल किया कि उन्होंने 3 अन्य महिलाओं अन्नपूर्णा, वरलक्ष्मी और मीराबी को भी मारने का प्रयास किया था, लेकिन ऐन वक्त पर जब हम उन्हें सायनाइड युक्त शराब और कोल्ड ड्रिंक पिलाने ही वाले थे कि तभी उन तीनों के परिचितों, रिश्तेदारों के फोन उसी समय उन के मोबाइल पर आ गए थे, जिस में उन्होंने हमारे साथ पार्टी करने की बात कही तो राज खुलने के डर से हम ने उस समय उन की हत्या नहीं की.

पुलिस पूछताछ में तीनों आरोपियों ने बताया कि उन्होंने सायनाइड कृष्णा नाम के एक शख्स से 4 हजार रुपए में 2 बार खरीदा था. कृष्णा तेनाली गांव में ही एक ज्वेलरी शाप में काम करता था. कहानी लिखे जाने तक पुलिस तीनों आरोपियों को जेल भेज चुकी थी, जबकि कृष्णा और भूदेवी फरार थीं, जिन की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

 

Gujarat News : 3 गुने का लालच दे कर ले उड़े 6 हजार करोड़

Gujarat News : 30 वर्षीय भूपेंद्र सिंह झाला ने बीजेड कंपनी में 11 हजार लोगों से 6 हजार करोड़ रुपए जमा कर के ठगी की. आखिर हजारों लोग किस तरह फंसते गए इस शातिर के जाल में? पढ़ें, कई हजार करोड़ के स्कैम की यह चौंकाने वाली कहानी…

नवंबर के दूसरे सप्ताह में गुजरात की सीआईडी पुलिस को जानकारी मिली कि हिम्मतनगर, अरवल्ली, मेहसाणा, गांधीनगर बड़ौदा आदि जिलों में बीजेड नाम की संस्था द्वारा पोंजी स्कीम चला कर लोगों को बेवकूफ बना कर उन से पैसा जमा कराया जा रहा है. इस के बाद सीआईडी के एडिशनल डीजीपी राजकुमार पांडियन के निर्देश पर सीआईडी टीम ने 26 नवंबर, 2024 को उक्त 5 जिलों में छापा मारा, जिस में बीजेड ग्रुप के औफिसों से पोंजी स्कीम के डाक्यूमेंट और वहां काम करने वाले कुछ लोग मिले. इसी के साथ रुपए जमा कराने वाला एक एजेंट आनंद दरजी भी मिला. छापे के दौरान टीम ने 16 लाख रुपए नकद, कंप्यूटर, फोन, डाक्यूमेंट आदि जब्त किए.

इन सभी लोगों से पूछताछ में पता चला कि यह पोंजी स्कीम साल 2020-21 से चलाई जा रही थी. इस का मुख्य सूत्रधार यानी कर्ताधर्ता भूपेंद्र सिंह झाला है, जिस का मेन औफिस गुजरात के जिला साबरकांठा की तहसील तालोद के रणासण में है. इस संस्था के औफिस हर जिले में हैं. यह भी पता चला कि इस के टारगेट अध्यापक और रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी रहते हैं.

 

ऐसे लोगों को मौखिक रूप से लालच दिया जाता था कि उन के यहां इनवेस्टमेंट करने पर उन्हें एक साल बाद 36 प्रतिशत रिटर्न दिया जाएगा. जबकि एग्रीमेंट में 7 प्रतिशत ही बताया जाता था. इस के अलावा इनवेस्ट करने वालों को गिफ्ट में मोबाइल फोन, टीवी आदि भी दिए जाते थे. साथ ही रुपए इनवेस्ट कराने वाले एजेंटों को भी अच्छा इंसेटिव 5 प्रतिशत से ले कर 25 प्रतिशत तक दिया जाता था.

बीजेड ग्रुप का सीईओ भूपेंद्र सिंह झाला और बाकी के तमाम कर्मचारी फरार हो गए थे. सीआईडी ने बीजेड के औफिसों से जो डाक्यूमेंट जब्त किए थे, उन की जांच से महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. पता चला कि भूपेंद्र सिंह झाला की इन स्कीमों में लोगों का थोड़ा पैसा नहीं लगा, बल्कि लगभग 6 हजार करोड़ रुपए लगे हैं यानी यह बहुत बड़ी ठगी थी. लोगों को उल्लू बना कर भूपेंद्र सिंह ने उन के 6 हजार करोड़ रुपयों की ऐसीतैसी कर दी थी. लोगों को लालच दे कर उन के जीवन भर की कमाई हड़प कर वह खुद मजे की जिंदगी जी रहा था.

ऐसे गिरफ्त में आया मास्टरमाइंड

तब सीआईडी की टीम उसे गिरफ्तार करने के लिए छापे मारने लगी. लगभग डेढ़ महीने की दौड़भाग के बाद सीआईडी के डीसीपी चैतन्य मांडलिक की टीम भूपेंद्र सिंह के भाई रणजीत झाला का पीछा करते हुए हिम्मतनगर के ग्रोमोर गांव पहुंची. वहां जा कर पता चला कि भूपेंद्र सिंह झाला मेहसाणा भाग गया है. इस के बाद सीआईडी टीम को सूचना मिली कि भूपेंद्र सिंह मेहसाणा के दवाडा गांव में छिपा है. इस सूचना पर सीआईडी की टीम दवाडा गांव पहुंच गई, पर टीम को यह पता नहीं था कि भूपेंद्र सिंह किस के यहां छिपा है. तब कई टीमों ने सर्च औपरेशन शुरू किया. पर वह गांव में नहीं मिला.

पुलिस को पक्की खबर मिली थी कि भूपेंद्र सिंह दवाडा गांव में ही छिपा है, इसलिए पुलिस ने उसे खेतों में भी तलाशना शुरू किया. आखिर एक फार्महाउस में भूपेंद्र सिंह झाला मिल गया. सीआईडी की टीमों ने उसे घेर कर हिरासत में ले लिया.

राजनीति की डगर पर क्यों रखा कदम

भूपेंद्र सिंह झाला को हिरासत में लेने के बाद उसे स्पैशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 7 दिनों की रिमांड पर ले लिया. सरकारी वकील ने अदालत को बताया था कि बीजेड कंपनी की अलगअलग 18 शाखाओं में रुपए जमा कराए गए थे. उन रुपयों से कौनकौन सी संपत्ति किस के नाम खरीदी गई, इस की जांच करनी है. इस के अलावा भूपेंद्र सिंह ने जो 8 कंपनियां बनाई थीं, उन का हिसाब करना है. एक शाखा से 52 करोड़ रुपए का हिसाब मिला, वे रुपए रिकवर करने हैं.

भूपेंद्र सिंह झाला के पास 10 करोड़ रुपयों का कारों का काफिला है, इन कारों को खरीदने का पैसा कहां से आया, कारें किस के नाम से खरीदी गई हैं, इस की जांच करनी है. वकील ने यह भी बताया कि भूपेंद्र सिंह झाला एक महीने से फरार था, इस बीच वह कहांकहां रहा, उस की किसकिस ने मदद की, इस की भी जांच करनी है. भूपेंद्र सिंह ने एक साल में 17 संपत्तियां खरीदी हैं. इस के अलावा गुजरात के बाहर कितनी संपत्ति खरीदी गई है, यह भी पता करना है. सरकारी वकील की इन्हीं बातों को सुन कर कोर्ट ने उस की 7 दिनों की रिमांड मंजूर की थी.

भूपेंद्र सिंह झाला के खिलाफ सीआईडी ने जीपीआईडी (गुजरात प्रोटेक्शन इंटरेस्ट औफ डिपौजिटर्स) के अंतर्गत मामला दर्ज किया था. इस के अंतर्गत 5 साल तक की कैद और 10 लाख रुपए तक के जुरमाने का प्रावधान है. यहां सोचने वाली बात यह है कि लोगों का करोड़ों रुपए हजम कर जाने वाले को 5 साल ही जेल में रहना होगा. जिस ने लोगों के करोड़ों रुपए ले लिए हों, उस के लिए 10 लाख रुपए के जुरमाने की क्या अहमियत है.

गुजरात और राजस्थान में पोंजी स्कीम से करीब 6 हजार करोड़ रुपए की ठगी करने वाले मुख्य आरोपी भूपेंद्र सिंह झाला से पुलिस ने पूछताछ की तो जानकारी मिली कि भूपेंद्र सिंह झाला भाजपा से जुड़ा हुआ है. गुजरात और राजस्थान में पोंजी स्कीम चला कर हजारों करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा करने वाले भूपेंद्र सिंह ने जीरो से 6 हजार करोड़ का साम्राज्य आखिर कैसे स्थापित किया?

गुजरात के जिला साबरकांठा की तहसील हिम्मतनगर के रायगढ़, झालानगर का रहने वाले 30 वर्षीय भूपेंद्र सिंह झाला ने बीएससी, एमएड करने के बाद वकालत की पढ़ाई की और फिर वह फोरेक्स ट्रेडिंग की एक प्राइवेट कंपनी के औफिस में नौकरी करने लगा. तब वह अलगअलग लोगों से अलगअलग तरह से पैसे जमा कराता था. बाद में वह खुद भी अन्य लोगों से क्रिप्टो करेंसी में रुपए इनवैस्ट कराने लगा. उस ने अलगअलग लोगों से रुपए उधार ले कर करीब 9 करोड़ रुपए क्रिप्टो करेंसी में लगा दिए.

4 कंपनियां, 5 बैंक और 20 अकाउंट

भूपेंद्र सिंह झाला ने ये 9 करोड़ रुपए वाईएफआई कोइन में लगाए थे, जिस के प्रौफिट के रूप में उसे 9 करोड़ रुपए मिले थे. इस रकम से उस ने उधार लिए गए 9 करोड़ रुपए लौटा दिए. सभी के रुपए अदा करने के बाद उसे करीब करोड़ों रुपए का प्रौफिट हुआ था, इसलिए उसे यह धंधा फायदे का नजर आया.

इतना मोटा प्रौफिट होने के बाद भूपेंद्र सिंह ने नौकरी छोड़ दी और अपना अलग धंधा शुरू किया. अपना धंधा करने के लिए उस ने साल 2020 में 4 अलगअलग नामों से कंपनियां खोलीं. उन कंपनियों का नाम रखा बीजेड फाइनेंस, बीजेड प्रौफिट प्लस, बीजेड मल्टी ट्रेड ब्रोकिंग और बीजेड इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिटेड. चारों कंपनियों में पहली 2 कंपनियों का मालिक वह खुद था, जबकि तीसरी और चौथी कंपनी के रजिस्ट्रैशन उस ने पार्टनरशिप में कराया था.

कंपनी शुरू होने बाद अब लोगों से रुपए जमा कराने थे. उस रुपए का ट्रांजेक्शन हो सके, इस के लिए उस ने एक बैंक में कंपनी के नाम से 4 अकाउंट खुलवाए. इतना ही नहीं, इसी तरह उस ने 5 प्राइवेट बैंकों में कुल 20 अकाउंट खुलवाए. इस तरह भूपेंद्र सिंह झाला ने एक तरह से चेन मार्केटिंग जैसी मोडस आपरेंडी अपनाई. भूपेंद्र सिंह झाला ने लोगों से पैसा वसूलने के लिए अलगअलग लेयर बना रखे थे. लेयर के अनुसार रुपए जमा कराने वालों को कमीशन दिया जाता था. 5 लेयर में रुपए जमा करने की पूरी चेन चलती थी. 5 लेयर पूरी होने के बाद सब से पहले रुपए जमा कराने वाले को मिलने वाला कमीशन बंद हो जाता था.

अगर पहली बार रुपए जमा कराने वाले को अपना कमीशन चालू रखना होता था तो उसे फिर से नए लोगों से रुपए जमा कराने होते. पांचवें व्यक्ति तक यह चेन चलती रहती थी. जमा कराया गया रुपया जब तक वापस नहीं हो जाता था, यानी जब तक उस का समय पूरा नहीं हो जाता था, तब तक कमीशन की रकम मिलती रहती थी. धंधे की शुरुआत करने से पहले ही भूपेंद्र सिंह झाला ने 5 प्राइवेट बैंकों में 20 अकाउंट खुलवा रखे थे. यह था उस का मनी सर्कुलेशन का फार्मूला. इसी फार्मूले के आधार पर वह रुपए जमा कराने वालों को मोटी रकम ब्याज से देता था. अनेक गिफ्ट भी देता था और खुद भी रईसों वाली जिंदगी जी रहा था.

भूपेंद्र सिंह झाला पहली बैंक के अकाउंट में एक करोड़ रुपए पूरे एक महीने के लिए जमा कराता था. उस खाते में एक महीने बाद जो ब्याज आता था, उसे निकाल कर एक करोड़ रुपए को उसी बैंक के दूसरे अकाउंट में जमा करा देता था. एक महीने बाद दूसरे अकाउंट में जमा कराई रकम का एक करोड़ का एक महीने का ब्याज वह निकाल कर उस एक करोड़ की रकम को तीसरे अकाउंट में जमा करा देता था. इस तरह 5 बैंकों के 20 अकाउंटों में हमेशा एक करोड़ की रकम घूमती रहती थी. इस पद्धति को मनी सर्कुलेशन भी कहा जाता है.

मनी सर्कुलेशन का खेल अच्छी तरह से जान लेने के बाद भूपेंद्र सिंह झाला अलगअलग 20 स्टेप में अलगअलग बैंकों में मनी सर्कुलेशन करता रहता. इस ट्रांजेक्शन से मिलने वाले ब्याज की रकम वह रुपया जमा कराने अपने इनवैस्टर्स को अच्छा ब्याज और महंगे गिफ्ट के रूप में देता था. जो लोग बड़ी रकम जमा कराते थे, उन्हें वह 3 प्रतिशत महीना

की दर से ब्याज देता था और छोटी रकम वालों को डेढ़ प्रतिशत महीना की दर से ब्याज देता था. भूपेंद्र सिंह झाला जिस तरह लोगों से कैश में रुपए लेता था, उसी तरह ब्याज भी कैश में देता था. इस कैश का किसी के पास कोई हिसाब न रहे अथवा किसी कानूनी काररवाई में न फंस जाए, इस के लिए वह जरूरत पडऩे पर अपने स्कूल के स्टाफ के अकाउंट में रुपए जमा कर के उन से कैश ले लेता था. स्टाफ के बैंक अकाउंट में जो रकम जमा कराता था, उस का टीडीएस झाला अदा कर देता था.

भूपेंद्र सिंह झाला की गिरफ्तारी होने के साथ ही सीआईडी के इकोनौमिक सेल में लोगों की चहलपहल बढ़ गई थी. औफिस में ज्यादातर भीड़ ऐसे लोगों की देखने को मिल रही थी, जो भूपेंद्र सिंह झाला की ठगी का शिकार हुए थे.

आम लोगों से ले कर खास तक ऐसे फंसे उस के जाल में

जांच में यह भी सामने आया है कि केवल आम लोग और टीचर ही इस घोटाले का शिकार नहीं हुए, बल्कि 3 क्रिकेटर भी भूपेंद्र सिंह झाला की इस ठगी का शिकार हुए 2 क्रिकेटरों ने क्रमश: 10 और 25 लाख रुपए भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में जमा कराए थे तो तीसरे क्रिकेटर शुभमन गिल ने एक करोड़ से अधिक की रकम जमा कराई थी. ये क्रिकेटर एजेंट द्वारा फंसाए गए थे. पुलिस उन एजेंटों की तलाश में जुट गई.

भूपेंद्र सिंह झाला ने अपनी कंपनी में इनवैस्ट करने के लिए साल 2020 में सब से पहले एक टीचर को अपने जाल में फंसाया था. मोडासा के एक स्कूल में नौकरी करने वाले उस टीचर को उस ने एक साल में पूरी होने वाली 10 लाख रुपए की एक स्कीम बताई. 10 लाख रुपए की उस स्कीम में हर महीने 3 प्रतिशत ब्याज देने की बात बताई. एक साल तक लगातार ब्याज देने के बाद भूपेंद्र सिंह ने उस अध्यापक के 10 लाख रुपए वापस कर दिए थे. इस के अलावा बढ़ा हुआ ब्याज भी दिया था.

इस तरह अध्यापक को अपनी मूल रकम के साथ ब्याज तथा एक साल बढ़ा हुआ ब्याज मिला तो उसे भूपेंद्र सिंह झाला पर विश्वास हो गया. तब उसने अन्य अध्यापकों को भी उस की स्कीम में रुपए जमा कराने की सलाह दी. इस तरह धीरेधीरे भूपेंद्र सिंह झाला का धंधा बढऩे लगा. पुलिस ने उस अध्यापक का भी बयान दर्ज किया है, जिस ने सब से पहले भूपेंद्र सिंह झाला की कंपनी में रुपए जमा कराए थे और अन्य अध्यापकों को रुपए जमा करने की सलाह दी थी. सीआईडी जब भूपेंद्र सिंह झाला के औफिस में जांच करने पहुंची थी, झाला ने उस के पहले ही अपनी वेबसाइट बंद करने के साथ सारा डाटा डिलीट कर दिया था. पुलिस अब उस डाटा को रिकवर करने का प्रोसेस कर रही है.

फिर भी जानकारी मिली है कि भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में सब से अधिक साल 2021 में 6.5 करोड़ रुपए जमा हुए थे. भूपेंद्र सिंह झाला की इस स्कीम में रुपए जमा करने वाले लगभग 11,200 लोग शामिल हो गए थे. मात्र 30 साल का अविवाहित भूपेंद्र सिंह झाला तब लोगों के बीच चर्चा में आया था, जब उस ने पिछले (2024) लोकसभा चुनाव में साबरकांठा से भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय पर्चा भर दिया था. लेकिन फिर अपना नौमिनेशन वापस ले लिया था. तब भाजपा के एक बड़े नेता ने मोडासा की एक सभा में कहा था कि भूपेंद्र सिंह झाला ने उन के कहने पर अपना नाम वापस लिया था.

भूपेंद्र सिंह झाला ने नौमिनेशन के समय जो एफिडेविट दिया था, उस के अनुसार परिवार में पिता परबत सिंह और मां मधुबेन हैं. घोटाले का खुलासा होने के बाद उस के फरार होने से रायगढ़ के झालानगर में स्थित उस की राजमहल जैसी कोठी सुनसान थी. कोठी के सामने लग्जरीयस कारें खड़ी थीं. शपथपत्र के अनुसार लोकसभा के चुनाव तक उस के खिलाफ किसी भी तरह का कोई मुकदमा दर्ज नहीं था.

भूपेंद्र दुबई में क्यों बनाना चाहता था ठगी का अड्डा

बीजेड समूह की ब्रांचों में पुलिस द्वारा छापा मारने से गुजरात के ऐसे राजनेताओं में खलबली फैल गई है, जिन का भूपेंद्र के बीजेड समूह से सीधा संबंध था. एक का डबल करने की बात कह कर अभी तक ठगी करने की बात सामने आती रही है, पर भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में एक का 3 करने की बात कही जा रही थी. इस स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारियों और टीचर्स को लालच दे कर उन से रुपए जमा कराए जा रहे थे. पर यह आधा सच है. भूपेंद्र सिंह की स्कीम में तमाम नेता और पुलिस अफसर अपनी काली कमाई जमा करा रहे थे. सुनने में तो यह भी आया कि झाला की स्कीम में कुछ डाक्टरों ने भी रुपए इनवैस्ट कराए थे.

ग्रुप से जुड़े लोगों का कहना था कि झाला को ब्याज से अधिक कमाई क्रिप्टो करेंसी से होती थी. उस का धंधा इतना अधिक फूलाफला था कि कुछ समय पहले आणंद में ब्राच खोलने के साथ ही वह दुबई में औफिस खोलने की सोच रहा था. भूपेंद्र के साथ उस के कुछ पार्टनर भी थे, जो जमा रकम को व्यवस्थित करते थे. जमा रकम क्रिप्टो करेंसी में ट्रांसफर होती थी. भूपेंद्र सिंह दुबई में इसलिए शिफ्ट होना चाहता था, क्योंकि दुबई में यह काम गैरकानूनी नहीं माना जाता.

बीजेड समूह के सीईओ भूपेंद्र सिंह झाला को मुंबई में आयोजित बीआईएए बौलीवुड कार्यक्रम में बौलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने अवार्ड दे कर सम्मानित भी किया था. जबकि भूपेंद्र सिंह झाला ने सोनू सूद को हाथ की बनी उन की तसवीर भेंट की थी. गुजरात में बायड के विधायक धवल सिंह का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिस में वह एक तरह से भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम का प्रचार करते हुए कह रहे हैं कि किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. जिसे रुपए डबल करना आता है, वह सब कुछ कर सकता है.

भूपेंद्र सिंह झाला के गिरफ्तार होने से पहले सीआईडी ने बीजेड पोंजी स्कीम में जिन 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, अहमदाबाद की ग्रामीण कोर्ट ने उन की जमानत की अरजी को कैंसिल करते हुए सभी को जेल भेज दिया था. सरकारी वकील ने उन की जमानत देने के खिलाफ दलील दी थी कि यह कुल 6 हजार करोड़ का स्कैम है, जिस में पता चला है कि शुरुआत में 1.09 करोड़ रुपए एजेंट मयूर दरजी ने वसूल किया है. वर्तमान जांच में 360 करोड़ रुपए के लेनदेन का पता चला है. हिम्मतनगर के औफिस की डायरी में 52 करोड़ रुपए के लेनदेन का पता चला है.

ठगी की रकम से खरीदी प्रौपर्टी

इस मामले में आरोपियों के वकील का कहना था कि आरोपी बीजेड कंपनी में काम करने वाले चपरासी या औफिस बौय हैं. उन का इस ठगी से कोई लेनादेना नहीं है. पुलिस मुख्य आरोपी को नहीं पकड़ सकी थी, इसलिए इन्हें पकड़ लिया था. जबकि सरकारी वकील का कहना था कि बीजेड कंपनी में आरोपी राहुल राठौर 10 हजार रुपए महीने के वेतन पर नौकरी करता था तो उस के बैंक खाते में 10,91,472 रुपए का बैलेंस और 17.40 लाख रुपए के लेनदेन की हिस्ट्री क्यों मिली है?

आरोपी विशाल झाला को 12,500 रुपए सैलरी मिलती थी, लेकिन इस के अकाउंट में भी 19, 77,676 रुपए जमा मिले. 19 करोड़ से अधिक का लेनदेन हुआ था. साथ ही एक करोड़ 85 लाख ट्रांसफर भी हुए थे. आरोपी रणबीर चौहाण 12 हजार रुपए महीने की सैलरी पर नौकरी करता था. उस के खाते से 13,35,000 रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ था. आरोपी संजय परमार 7 हजार रुपए मासिक वेतन पर सफाई का काम करता था. उस के खाते में 4,54,000 रुपए जमा थे. इस के अलावा 1.56 करोड़ रुपए का लेनदेन तथा 60 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे.

आरोपी दिलीप सोलंकी 10 हजार महीने की सैलरी पर नौकरी करता था. उस के अकाउंट में 10,072 मिले और 1.20 करोड़ रुपए का लेनदेन मिला. आरोपी आशिक भरथरी 7 हजार रुपए पर सफाई का काम करता था. उस के अकाउंट में 8,400 रुपए मिले और 44.98 लाख का हेरफेर तथा 8,04,620 रुपए का ट्रांजैक्शन मिला. सरकारी वकील की इन्हीं दलीलों पर अदालत ने सभी आरोपियों को जमानत देने से मना कर दिया था.

बीजेड कंपनी की आमदनी से खरीदी गई संपत्ति में मोडासा में 10 बीघा जमीन, साकरिया गांव में 10 बीघा जमीन, लिंभोई गांव में 3 बीघा जमीन, हिम्मतनगर के रायगढ़ में 5 दुकानों का एक कौंप्लेक्स, हडियोल गांव में 10 दुकानें, ग्रोमोर कैंपस के पीछे 4 बीघा जमीन हिम्मतनगर के अडपोदरा गांव में 5 बीघा जमीन, तालोद के रणासण गांव में 4 दुकानें, मोडासा चौराहे पर एक दुकान, मालपुरा में एक दुकान की जानकारी मिली.

ठगी से जुटाई गई रकम वापस करने के लिए पुलिस ने तमाम संपत्ति जब्त करने की काररवाई शुरू कर दी है. यह काररवाई पूरी हो जाने के बाद सरकार के आदेश पर जब्त की गई संपत्ति नीलाम कर के लोगों का पैसा वापस किया जाएगा. सीआईडी कथा लिखने तक बीजेड के औफिसों से जब्त किए गए 250 करोड़ रुपए लोगों को दे चुकी थी. अभी 172 करोड़ रुपए और देने हैं, जो नीलामी की रकम से दिए जाएंगे.