गर्लफ्रेंड के लिए विमान का अपहरण – भाग 1

8 अगस्त, 2023 को गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और एम.आर. मेंगडे की डिवीजन बेंच में बिरजू सल्ला उर्फ अमर सोनी बनाम गुजरात सरकार की सुनवाई चल रही थी. 2019 में बिरजू सल्ला को एनआईए की स्पैशल कोर्ट से आजीवन कारावास एवं 5 करोड़ रुपए के जुरमाने की सजा सुनाई गई थी. इस के अलावा उन की तमाम प्रौपर्टी भी जब्त करने का आदेश दिया गया था. इस के बाद बिरजू सल्ला ने इस सजा के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अपील की थी.

बिरजू सल्ला ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए हाईकोर्ट के सीनियर वकीलों की पूरी फौज खड़ी कर दी थी. उन की ओर से सीनियर एडवोकेट हार्दिक मोध अपने सहयोगियों के साथ बहस के लिए खड़े थे. उन के सहायक भी उन के साथ खड़े थे.

एडवोकेट हार्दिक मोध ने कहा, ”माई लार्ड, मेरा मुवक्किल एक बहुत बड़ा बिजनैसमैन है, जिसकी समाज में ही नहीं, व्यापार जगत में बड़ी इज्जत है. जैसा कि उस के बारे में कहा गया है कि उस ने एक लड़की के लिए जेट एयरवेज को बदनाम करने के लिए जेट एयरवेज के हवाई जहाज के टायलेट में एक धमकी भरा पत्र रखा था कि अगर हवाई जहाज को पीओके यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर नहीं ले जाया गया तो उसे उड़ा दिया जाएगा.

सबूत के तौर पर वह पत्र अदालत में पेश किया गया था. अब सवाल यह उठता है कि पुलिस ने यह कैसे साबित कर दिया कि टायलेट में वह पत्र हमारे मुवक्किल ने ही रखा था?’’

फाइल पलट रहे दोनों न्यायाधीशों ने एक बार सीनियर एडवोकेट हार्दिक मोध की ओर देखा, उस के बाद सरकारी वकील की ओर देखा तो सरकार की ओर से मुकदमे की पैरवी करने के लिए खड़ी सीनियर एडवोकेट सुश्री वृंदा सी शाह ने कहा, ”माई लार्ड, उस पत्र को भले ही किसी ने बिरजू सल्ला को रखते नहीं देखा, पर क्रू मेंबर की एक एयरहोस्टेस शिवानी मल्होत्रा ने उन्हें टायलेट की ओर जाते देखा था. उस का कहना था कि बिरजू सल्ला के अलावा उस समय तक और कोई दूसरा बिजनैस क्लास के उस टायलेट में नहीं गया था.’’

न्यायाधीश श्री सुपेहिया ने कहा, ”आप यह दावे के साथ कैसे कह सकती हैं कि बिरजू सल्ला के पहले बिजनैस क्लास से कोई और टायलेट नहीं गया था.’’

”माई लार्ड एयरहोस्टेस का यही कहना है,’’ एडवोकेट वृंदा शाह ने कहा.

”किसी एक आदमी के कह देने से आप ने उसे दोषी मान लिया और आजीवन कारावास की सजा दे दी यानी उस की पूरी जिंदगी बरबाद कर दी.’’ न्यायाधीश श्री मेंगड़े ने कहा.

”नहीं सर, टायलेट में जो पत्र मिला था, वह बिरजू सल्ला के ही कंप्यूटर से टाइप किया गया था और उन्हीं के प्रिंटर से प्रिंट हुआ था,’’ एडवोकेट वृंदा शाह ने कहा.

जवाब में बिरजू सल्ला के एडवोकेट हार्दिक मोध ने कहा, ”माई लार्ड, इस का क्या सबूत है कि वह पत्र बिरजू सल्ला के कंप्यूटर में ही टाइप किया गया था और उन के प्रिंटर से ही प्रिंट किया गया था.’’

”माई लार्ड पत्र की जो स्याही थी, वह बिरजू सल्ला के प्रिंटर से मेल खा रही थी,’’ वृंदा शाह बोलीं.

”तो क्या वह स्याही केवल बिरजू सल्ला के प्रिंटर के लिए ही बनाई गई थी?’’ न्यायाधीश श्री सुपेहिया ने पूछा.

”जी नहीं माई लार्ड, कंपनी ने केवल बिरजू सल्ला के लिए स्याही नहीं बनाई थी.’’ वृंदा शाह ने कहा.

”तब यह क्यों मान लिया गया कि वह पत्र बिरजू सल्ला के ही प्रिंटर से प्रिंट हुआ था? यह तो कोई इस तरह का साक्ष्य नहीं है कि उस के आधार पर किसी को दोषी मान लिया जाए.’’

”माई लार्ड, बिरजू सल्ला ने खुद स्वीकार किया है कि उस ने कंपनी को बदनाम करने के लिए यह सब किया था, जिस से जेट एयरवेज का दिल्ली का औफिस बंद हो जाए और उस की गर्लफ्रेंड की नौकरी छूट जाए, जिस से वह मुंबई चली जाए.’’ एडवोकेट वृंदा शाह बोलीं.

इस पर बिरजू सल्ला के एडवोकेट हार्दिक मोध ने कहा, ”माई लार्ड, यह भी कोई बात हुई. किसी के द्वारा अपहरण का धमकी भरा एक पत्र रख देने से भला इतनी बड़ी कंपनी का औफिस बंद हो जाएगा. माई लार्ड इस मामले में मेरा मुवक्किल निर्दोष है. पुलिस ने इस मामले में कायदे से जांच नहीं की और एक इज्जतदार बिजनैसमैन को फंसा दिया.

”पुलिस की लापरवाही की वजह से मेरे मुवक्किल को 8 साल जेल में बिताने पड़े. उसे 5 करोड़ रुपए जुरमाना भी भरना पड़ा, साथ ही उस की तमाम संपत्ति भी जब्त कर ली गई. माई लार्ड, मेरी आप से यही विनती है कि बिरजू सल्ला को बाइज्जत बरी किया जाए.’’

इस बहस के बाद डिवीजन बेंच के न्यायाधीश श्री सुपेहिया और श्री मेंगड़े ने अपना जो फैसला सुनाया, वह जानने से पहले आइए यह पूरी कहानी जान लेते हैं.

हाइजैक की सूचना पर प्लेन की हुई इमरजेंसी लैंडिंग

बात 30 अक्तूबर, 2017 की है. जेट एयरवेज की उड़ान मुंबई से दिल्ली जा रही थी. इस के उडऩे का समय दोपहर 2 बज कर 55 मिनट था. इस हवाई जहाज में कुल 116 यात्री सवार थे. मुंबई से दिल्ली की लगभग 2 घंटे की दूरी थी. इस का मतलब 5 बजे इस हवाई जहाज को दिल्ली में लैंड करना था. इस प्लेन में बिजनैस क्लास भी था और इकोनामी क्लास भी. प्लेन ने अपने निश्चित समय 2 बज कर 55 मिनट पर उड़ान भरी.

करीब 25 मिनट बाद 3 बज कर 20 मिनट पर यानी प्लेन को हवा में 25 मिनट बीत चुके थे, तभी एक केबिन रूम एयरहोस्टेस शिवानी मल्होत्रा बिजनैस क्लास के टायलेट में गई. टायलेट में जा कर उस ने देखा कि वहां रखे सारे टिश्यू पेपर लगभग खत्म हो गए हैं.

यह देख कर वह दंग रह गई. क्योंकि प्लेन को उड़े अभी 25 मिनट ही हुए थे. ज्यादा पैसेंजर टायलेट गए भी नहीं थे, तब भी टिश्यू पेपर खत्म गया था.

टायलेट से निकल कर उस ने यह बात अपनी सहयोगी निकिता जुनेजा से बता कर कहा कि बिजनैस क्लास के टायलेट में टिश्यू पेपर खत्म हो गए हैं, इसलिए जा कर फिर से टिश्यू पेपर रिफिल कर दे.

निकिता ने टिश्यू पेपर का दूसरा बंडल निकाला और टायलेट में जा कर उसे रखने लगी तो उसे लगा कि अंदर कुछ फंसा हुआ है. जब तक वह निकलेगा नहीं, तब तक दूसरा पेपर अंदर जा नहीं सकता. उस ने पेपर अंदर डालने की काफी कोशिश की, पर जब किसी भी तरह पेपर अंदर नहीं गया तो उस ने उस के अंदर हाथ डाला तो उसे लगा कि अंदर पेपर जैसा कुछ फंसा हुआ है.

निकिता ने उसे बाहर निकाला तो उस ने देखा कि उन पेपरों में कुछ लपेट कर अंदर डाला गया था. उस ने उसे खोल कर देखा तो उस में 2 पत्र थे. दोनों पत्रों में एक अंगरेजी में था तो दूसरा उर्दू में. वे दोनों पत्र कंप्यूटर द्वारा टाइप किए हुए थे.

निकिता को उर्दू तो आती नहीं थी, इसलिए उस ने अंगरेजी वाला लेटर पढ़ा. लेटर पढ़ कर उस के चेहरे पर हवाइयां उडऩे लगीं. उस लेटर में अंगरेजी में जो लिखा था, उस का हिंदी में अर्थ यह था, ‘फ्लाइट नंबर 9डब्ल्यू 339 में हाइजैकर हैं और प्लेन को हाइजैक कर लिया गया है.’

‘इस प्लेन में इस समय यात्रियों के बीच कुल 12 हाइजैकर हैं. इस प्लेन को यहां से सीधे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके ले चलें और अगर ऐसा नहीं किया गया तो थोड़ी देर में इसे उड़ा दिया जाएगा. आप इसे मजाक मत समझिए, क्योंकि कार्गो एरिया में एक बम रखा गया है और अगर आप ने इसे पीओके के बजाय दिल्ली में लैंड करने की कोशिश की तो धमाका हो जाएगा और प्लेन उड़ जाएगा.’

लेटर पढऩे के बाद निकिता ने उस लेटर को सीधे ला कर कैप्टन जय जरीवाला को थमा दिया. इस लेटर को देखने के बाद कैप्टन को लगा कि मामला तो बहुत ही संवेदनशील है. उस समय प्लेन गुजरात के अहमदाबाद के नजदीक था. उन्होंने तुरंत अहमदाबाद के (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) एटीसी से संपर्क किया और कहा कि इमरजेंसी के तहत वह अपना हवाई जहाज अहमदाबाद में लैंड करना चाहते हैं.

जब अहमदाबाद एयरपोर्ट के अधिकारियों ने पूछा कि ऐसी क्या इमरजेंसी है कि उन्हें अपना प्लेन अहमदाबाद में लैंड करने की जरूरत पड़ गई तो उन्होंने बताया कि दरअसल प्लेन में धमकी भरे लेटर मिले है. प्लेन में हाइजैकर हैं और उन्होंने कार्गो में बम रखा है.

इतना सुन कर अहमदाबाद एयरपोर्ट के अधिकारी तुरंत हरकत में आ गए. मैनेजर ने बड़े अधिकारियों से बात की. इस के बाद कैप्टन को इजाजत दी गई कि वह अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे पर अपना हवाई जहाज लैंड कर सकते हैं.

अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हुई सख्त जांच

इसी के बाद अहमदाबाद एयरपोर्ट पर तैयारी शुरू हो गई, क्योंकि कैप्टन के बताए अनुसार प्लेन में बम भी था और हाइजैकर भी. इसलिए लोकल पुलिस को भी सूचना दे गई थी और फायरब्रिगेड को भी बुला लिया गया था.

सूचना पा कर थाना एयरपोर्ट की पुलिस तो मौके पर पहुंच ही गई थी, क्राइम ब्रांच की भी पूरी टीम एयरपोर्ट पर पहुंच गई थी. थोड़ी देर में फ्लाइट नंबर 9डब्ल्यू 339 ने सहीसलामत एयरपोर्ट पर लैंड किया.

अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या

हीरा कारोबारी हत्याकांड में फंसी ‘गोपी बहू’

डीपफेक : टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल

जब से प्रो. वरिंदर कालेज के मास कम्युनिकेशन विभाग में आए थे, तब से इस विभाग में स्टूडेंट्स काफी बढ़ गए थे. हर स्टूडेंट प्रो. वरिंदर के पढ़ाने के तरीके से प्रभावित था. यह हिमाचल के रहने वाले थे और कालेज के हौस्टल में ही रहते थे. सभी स्टूडेंट्स उन के दीवाने थे, क्योंकि वह काफी हैंडसम थे.

किसी को भी अंदाजा नहीं था कि प्रो. वरिंदर का अश्लील वीडियो वायरल हो जाएगा. सभी तरफ इस वीडियो की ही चर्चा हो रही थी. प्रो. वरिंदर खुद हैरान थे कि यह कैसे हो सकता है.

कालेज, शहर, देशविदेश में यह वीडियो जंगल की आग की तरह फैल गया था. प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह ने प्रो. वरिंदर को अपनी केबिन में बुलाया और उस वायरल वीडियो के बारे में पूछा.

”सर, यह वीडियो मेरा नहीं है.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने प्रिंसिपल साहब को सफाई दी.

”लेकिन वीडियो में तो आप ही हैं. वरिंदरजी, आप खुद देखो न, आप खुद हो, साथ में लड़की नैना है, जो बार बार आप से कई टौपिक पर पूछती रहती थी. यह कमरा, बैडरूम, दीवार अपने ही हैं. दीवार पर अलगअलग स्टिकर लगे हुए हैं. यह कमरा तो अपने ही हौस्टल का ही है. सौरी वरिंदरजी, हम कालेज की बदनामी नहीं करा सकते. जब तक यह वीडियो वाली बात साफ नहीं हो जाती, सच्चाई पता नहीं चल जाती, प्लीज आप कालेज मत आना. मुझे इस की जानकारी पुलिस को देनी पड़ेगी.’’

”पर सर, मैं नहीं हूं. जो लड़की है वह मेरी स्टूडेंट है, फिर मैं यह कैसे कर सकता हूं.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने कहा.

प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह ने खुद ही इंसपेक्टर को फोन मिलाया और कहा, ”मलकीतजी, कालेज जल्दी आना.’’

इंसपेक्टर मलकीत सिंह पिं्रसिपल का दोस्त था.

”कोई खास वजह?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”मेरे कालेज के प्रो. वरिंदर हैं, उन का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है.’’

”अच्छा…. वो वाला वीडियो… यह तो काफी वायरल है. मैं आता हूं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

प्रो. वरिंदर काफी उदास थे. उन का एक स्टूडेंट रमन उन्हें काफी हौसला दे रहा था. रमन मास कम्युनिकेशन का स्टूडेंट था. उसे तकनीकी जानकारी बहुत थी. अच्छे वीडियो बनाता था. उसे फोटोग्राफी का भी शौक था. मौडलिंग भी करता था. कालेज के स्टूडेंट्स को ले कर वह शार्ट मूवीज भी बनाता रहता था.

उस ने प्रो. वङ्क्षरदर से कहा, ”सर,  आप चिंता न करें. हम इस का हल ढूंढ निकालेंगे.’’

प्रो. वरिंदर को रमन की बातें सुन कर हौसला मिलता था कि मेरा यह कितना खयाल रख रहा है.

इंसपेक्टर मलकीत सिंह पुलिस टीम के साथ कालेज पहुंच गए. कालेज में छुट्टी होने के कारण स्टूडेंट्स नहीं थे. पुलिस ने प्रिंसिपल गुरदयाल के साथ काफी लंबी बातचीत की. प्रो. वरिंदर को भी बुलाया.

”प्रो. साहब, यह वीडियो आप की है?’’ इंसपेक्टर मलकीत सिंह ने पूछा.

”नहीं सर, मेरी नहीं है.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने बताया.

”पर लग तो आप ही रहे हैं.’’

”नहीं सर, यह मेरी वीडियो नहीं है.’’

”यह लड़की कौन है?’’

”सर, यह लड़की नैना है. पर सर, मैं तो इस लड़की से मिला ही नहीं. बस यह किसी टौपिक के बारे में मुझ से पूछती और चली जाती थी. वह हमेशा अपनी सहेलियों के साथ ही आती थी.

“पर प्रोफेसर साहब, यह वीडियो तो आप की ही लगती है.’’

”नहीं इंसपेक्टर साहब, यह मैं नहीं हूं. आप मेरा रिकौर्ड चैक करवा सकते हैं.’’

”रिकौर्ड तो सामने ही है,’’ इंसपेक्टर मलकीत ने हंसते हुए कहा.

”नहीं सर, सच मानो मैं नहीं हूं.’’

वीडियो देख कर प्रिंसिपल को क्यों आया पसीना

इस मौके पर लड़की नैना को भी बुलाया गया, जो काफी रो रही थी. वह भी बोली, ”सर, यह मैं नहीं हूं. मैं तो अकेली सर को मिली ही नहीं. जब भी मिली हूं तो मेरी सहेलियां नमिता, नीतिका साथ में ही होती थीं.’’

”बेटा हम समझते हैं, पर आप हमारा साथ दोगे तो अच्छा रहेगा.’’ इंसपेक्टर ने समझाया.

”सर, मैं सच कहती हूं, यह मैं नहीं हूं. मैं तो अकेले कभी सर से मिली ही नहीं.’’

वे बात ही कर रहे थे कि प्रिंसिपल गुरदयाल के चेहरे पर पसीना छलक आया था. वह कोई वीडियो मोबाइल पर देख रहे थे, जिस में 2 निर्वस्त्र लड़कियां थीं…

इंसपेक्टर मलकीत सिंह ने कहा, ”गुरदयाल सिंहजी क्या हुआ..?’’

प्रिंसिपल ने साइड में इंसपेक्टर मलकीत को ले जा कर वीडियो दिखाते हुए कहा, ”यह भी कालेज की लड़कियों का है जो बिलकुल नंगी हैं और एकदूसरे के साथ चिपक रही हैं.’’

नीचे एक मैसेज भी लिखा था ‘आप देखते जाओ, मेरे पास आप के कालेज के काफी वीडियो हैं. जो एक के बाद एक बाहर आऐंगे. हां प्रिंसिपल साहब, आप के वीडियो भी हैं मेरे पास… जितने मरजी एक्सपर्ट बुला लें, आप को नहीं पता चलेगा कि वीडियो कहां से लोड हो रही है.’

इंसपेक्टर मलकीत ने प्रो. वरिंदर और नैना को जाने को कहा.

”गुरदयालजी, यह मामला सिर्फ प्रो. वरिंदर और नैना का नहीं है. यह तो आप के कालेज का मामला लगता है. ये दोनों लड़कियां कौन हैं?’’

”ये हमारे कालेज की ही रानी और मोना हैं. ये इतनी घटिया हरकत कर सकती हैं, मैं ने सोचा नहीं था.’’

इंसपेक्टर ने प्रिंसिपल गुरदयाल, प्रो. वरिंदर, नैना, रानी, मोना सभी के मोबाइल नंबर लिए और कालेज से चले गए. उन को थाने से फोन आया था कि गांव के सरपंच ने अपनी बुजुर्ग मां को घर से बाहर निकाल दिया है, सारा गांव ही थाने आया है.

प्रिंसिपल की हालत बहुत खराब थी. प्रो. वरिंदर का मामला सुलझा नहीं था कि एक और वीडियो सामने आ गया. प्रिंसिपल सोच में डूबे थे कि स्टूडेंट रमन उन के पास आया, ”सर, मेरे कई दोस्त एक्सपर्ट हैं, जो पता लगा सकते हैं कि वीडियो कहां से अपलोड हो रहे हैं. ये साइबर एक्सपर्ट हैं.’’

रमन की बात प्रिंसिपल गुरदयाल को अच्छी लगी. रमन ने प्रिंसिपल के कहने पर अपने एक्सपर्ट दोस्तों को कालेज के बाहर ही रूम ले कर दे दिया. वे खोज खबर में लग गए. रमन अपने दोस्तों के साथ रात को जाम भी छलकाने लगा.

प्रिंसिपल गुरदयाल को उम्मीद थी कि बहुत जल्दी ही दोषी पकड़ा जाएगा.

शाम 5 बजे कालेज से सभी स्टूडैंट्स चले जाते थे. इंसपेक्टर मलकीत अपनी टीम के साथ आए और काफी बातें कीं.

”आप की पत्नी डा. नीता कहां है?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने प्रिंसिपल से पूछा.

पत्नी का नाम सुन कर प्रिंसिपल हैरान हो गए.

प्रिंसिपल का चेहरा पढ़ते हुए वह बोले, ”जी हां, आप की पत्नी डा. नीता जी…’’

”मेरी पत्नी से कई साल से बोलचाल बंद है. हमारे संबंध ठीक नहीं हैं. क्या यह मेरी पत्नी ने..?

”नहीं, नहीं… मैं ने ऐसा नहीं कहा. दरअसल, हम ने कालेज के कई पुराने लोगों से बात की तो पता चला कि आप की पत्नी के साथ आप के संबंध ठीक नहीं हैं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

डा. नीता क्यों हुई पति के खिलाफ

इंसपेक्टर मलकीत ने उन से डा. नीता का मोबाइल नंबर लिया. उन्होंने डा. नीता को थाने बुलाया. पूछताछ करने पर डा. नीता ने कहा, ”इस प्रिंसिपल ने तो मेरी जिंदगी ही बरबाद कर दी. मैं पछता रही हूं इन से शादी कर के.’’

”डा. नीताजी, आप यह बताएं कि आप के पति प्रिंसिपल गुरदयाल कैसे आदमी हैं?

”बहुत ही घटिया हैं,’’ डा. नीता ने बिंदास कहा, ”मैं तो शादी कर के पछता रही हूं. मुझे पता है कि मैं ने अपनी बेटी को कैसे पाला. फिर विदेश भेजा, इन को तो पूरी जिंदगी कालेज से ही फुरसत नहीं मिली. मैं तो डाक्टर थी, काम अच्छा था तो मैं ठीक रही, नहीं तो मैं भी इन के साथ किताबों में गुम हो जाती.’’

”डा. नीता, कालेज के एक प्रोफेसर का वीडियो काफी वायरल हुआ है. इसी के लिए मैं ने आप को बुलाया है.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

”आप का मतलब यह मैं ने किया…’’

”नहीं, हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप ने किया, हमें तो सिर्फ यह जानना था कि आप के पास भी कारण है कि प्रिंसिपल साहब को बदनाम करने का…’’

”क्या फालतू सवाल है? मुझे इन को बदनाम करना होता तो 12 साल पहले ही कर देती, जब मैं इन से अलग हुई थी. नहीं, यह सब झूठ है. आप मेरा मोबाइल चैक कर सकते हैं… मेरा नंबर तो आप के पास है ही, मेरी बेटी का यह नंबर है.

आप के पास तो अडवांस टैक्निक है, आप पता कर सकते हैं. हमारे रिश्ते बेशक ठीक नहीं हैं, मैं एक डाक्टर के नाते ऐसा नहीं कर सकती. मेरी भी सोशल इमेज है. मेरे अस्पताल जा कर भी आप मेरे बारे में पूछ सकते हैं.’’ डा. नीता ने सफाई दी.

”वह हम पता लगा लेंगे, लेकिन जब तक यह केस हल नहीं हो जाता, आप शहर के बाहर हमें बता कर जाना.’’

रमन और उस की टीम कोई न कोई खबर बना कर प्रिंसिपल गुरदयाल से काफी पैसे ले चुकी थी. रमन और दोस्तों का शाम का दारू और लेट नाइट बार डांस अच्छा चल रहा था.

इंसपेक्टर ने प्रो. वरिंदर को फिर थाने बुलाया. उन्होंने पूछा, ”आप के प्रिंसिपल सर कैसे हैं?’’

”सर अच्छे हैं.’’

”उन के पत्नी के साथ रिलेशन कैसे हैं?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”इतना ही पता है कि पत्नी अलग रहती है और बेटी विदेश में है.’’

रमन प्रिंसिपल से जब भी मिलता तो कुछ न कुछ पैसे ले लेता.

”सर, ये वीडियो विदेश की आईडी से लोड किए गए हैं.’’ सीआईए स्टाफ के रणजीत सिंह की टीम ने जांच कर इंसपेक्टर मलकीत से कहा.

इंसपेक्टर मलकीत ने प्रो. वरिंदर को फिर बुलाया और उन से पूछा, ”आप की यहां पर कोई दुश्मनी, कालेज स्टडी समय हिमाचल में कोई दुश्मनी आदि तो नहीं थी?’’

”दुश्मनी तो मेरी किसी से नहीं… लेकिन एक बार रमन के साथ झगड़ा हुआ था, जब इस ने एक लड़की की कुछ अश्लील तसवीरें खींची थीं. मैं ने रमन को मना किया था तो उस ने सौरी भी बोला था कि आगे से ऐसा नहीं करेगा… यह बात जब प्रिंसिपल सर को पता चली तो उन्होंने रमन को थप्पड़ मारा था. यह मामला तो 2 साल पहले का है. पर रमन तो अब काफी बदल चुका है.’’ प्रो. वरिंदर ने बताया.

पुलिस ने कई ऐंगल से इस को ध्यान से देखा. अपने खबरी भी अलर्ट किए. हर छोटी से छोटी जानकारी हासिल की.

छात्रों ने प्रिंसिपल से किस बात का लिया बदला

संडे का दिन था, प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह नाश्ता कर रहे थे. तभी इंसपेक्टर मलकीत पुलिस टीम के साथ कालेज के हौस्टल में पहुंच गए. गुरदयाल ने उन से नाश्ता करने को कहा.

तभी इंसपेक्टर ने कहा, ”नहीं सर, पहले काम बाकी बातें और नाश्ता बाद में. प्रिंसिपल साहब, आप यह बताएं कि पिछले कुछ दिनों से आप एक नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर रहे हैं. वह बैंक खाता यूपी का है, लेकिन पैसे कालेज के एटीएम से निकाले जा रहे हैं.’’

”पैसे… कौन से पैसे…’’ प्रिंसिपल ने अनजान बनते हुए कहा.

”प्रिंसिपल साहब, झूठ न बोलो, असल मुद्दे पर आओ.’’

प्रिंसिपल को पता चल गया था कि अब झूठ बोल कर कोई फायदा नहीं, इसलिए उन्होंने हकीकत बयां कर दी.

उन्होंने कहा, ”दरअसल, हमारे कालेज के स्टूडेंट रमन ने मुझ से कहा था कि उस के कई दोस्त साइबर एक्सपर्ट हैं. वह पता कर लेंगे कि वीडियो कहां से अपलोड हुई है.’’

”फिर पता चला?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”नहीं…’’

”प्रिंसिपल साहब, यह सब फ्रौड है. यह तो यूपी बिहार के टौप के क्रिमिनल हैं, जो आप को लाखों का चूना लगा रहे हैं.’’

प्रिंसिपल ने अपनी गलती मानी. कालेज के नजदीक नया बाजार में रमन को, जो घर किराए पर ले कर दिया था, पुलिस ने वहां रेड की तो सभी फरार हो चुके थे.

रमन के कई मोबाइल नंबर थे. पुलिस ने अलगअलग स्थानों पर रेड कर के रमन को रेलवे स्टेशन से पकड़ लिया, लेकिन उस के साथी फरार हो गए.

थाने पहुंचते ही रमन ने सारे राज उगल दिए. उस ने कहा, ”मैं ने प्रिंसिपल साहब से बदला लेने के लिए यह सब किया. प्रिंसिपल साहब ने सब स्टूडैंट्स के सामने मुझे थप्पड़ मारे थे, वह भी प्रो. वरिंदर की वजह से. फिर मैं ने डीपफेक तकनीक से चेहरे बदल कर यह सब किया.’’

रमन ने आगे बताया, ”सर, इस वीडियो में वरिंदर सर नहीं हैं, न ही वह लड़की… यह सब मैं ने तैयार करवाए. जो 2 लड़कियों का वीडियो था, वह किसी विदेश की साइट से लिया वीडियो था. मेरे पास मौडलिंग की काफी फोटो थीं, उन्हीं से मैं ने आसानी से वीडियो तैयार कर लिया. वीडियो के पीछे जो बैकग्राऊंड है, वह हमारे कालेज की है.

रमन की स्टोरी सुन कर पुलिस हैरान थी.

पुलिस ने रमन के महंगे मोबाइल को जब देखा तो उस में और भी वीडियो मिले, जिन्हें देख कर इंसपेक्टर मलकीत हैरान रह गए. लड़कियों के नहाने के कई असल वीडियो भी थे. पुलिस ने रमन के कमरे की तलाशी ली तो वहां से ढेर सारी अश्लील मैगजीन, कई लड़कियों के नग्न फोटो, विदेशी अश्लील फिल्में, क्राइम पर लिखी गई कई किताबें मिलीं.

पुलिस यह भी देख कर दंग रह गई कि प्रिंसिपल गुरदयाल का वीडियो तैयार किया जा रहा था. वहां से पुलिस ने कंप्यूटर, सीडी, हार्डडिस्क, टूटा लैपटाप अपने कब्जे में ले लिया.

हकीकत सामने आने के बाद प्रिंसिपल साहब को विश्वास हो गया कि प्रो. वरिंदर बेकुसूर हैं, इसलिए उन्होंने प्रो. वरिंदर को फिर कालेज में रख लिया. इस के बाद उन्होंने कालेज में मोबाइल लाने पर सख्त पाबंदी लगा दी. डीपफेक का राज उजागर कर पुलिस ने रमन के साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया.

जी का जंजाल बनी प्रेमिका – भाग 3

मनोहर ने अपने पिता केदार सिंह से शादी के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया. लेकिन मनोहर ने जिद पकड़ ली कि वह शादी करेगा तो सीमा से ही करेगा अन्यथा कुंवारा ही रहेगा. तब मजबूर हो कर केदार सिंह को झुकना पड़ा. वह सीमा से उस की शादी कराने को राजी तो हो गए लेकिन उन्होंने शर्त रख दी कि सीमा को उन के हिसाब से घर में रहना होगा. जबकि वह जानते थे कि सीमा ज्यादा दिनों तक उन की इच्छानुरूप नहीं रह सकती. इसीलिए उन्होंने यह शर्त रखी थी.

मनोहर से शादी के बाद सीमा ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम आयुष रखा गया. लेकिन घर में उसे सब प्यार से शिवा कहते थे. केदार सिंह ने सीमा पर काफी बंदिशें लगा रखी थीं. उसे परेशान करने के लिए वह बात बात पर उसे प्रताडि़त करते रहते थे.

सीमा को बंदिशें वैसे भी कभी रास नहीं आईं, वह तो खुले आकाश में विचरण करने वाली युवती थी. यही वजह थी कि जल्दी ही वह उस घर के माहौल से तंग आ गई. वह उस घर से भागने की कोशिश करने लगी. आखिर एक दिन मौका मिलते ही वह बेटे को ले कर उस घर से हमेशा हमेशा के लिए भाग निकली.

सीमा मायके आई तो उस का पिता कमल सिंह किसी मामले में गोरखपुर जेल में बंद था. सीमा अकसर अपने पिता से मिलने जेल जाती रहती थी. वहीं उस की मुलाकात मणिकांत मिश्रा से हुई. वह भी अपने पिता विश्वंभरनाथ मिश्रा से मिलने जेल आता रहता था.

मणिकांत के पिता विश्वंभरनाथ मिश्रा जिला महाराजगंज में कोऔपरेटिव बैंक की नौतनवां शाखा में सचिव थे. 2008 में उन्हें गबन और धोखाधड़ी के मामले में गोरखपुर जेल भेज दिया गया था. मणिकांत मिश्रा मांबाप का एकलौता बेटा था.

मणिकांत भी अपने पिता से मिलने जेल आता रहता था और सीमा भी. अकसर दोनों की मुलाकात हो जाती थी. कभी दोनों ने एकदूसरे के बारे में पूछ लिया तो उस के बाद उन में बातचीत होने लगी. बातचीत होतेहोते उन में दोस्ती हुई और फिर प्यार.

बाप जेल में था, मुकदमा चल रहा था. आमदनी का कोई और जरिया नहीं था इसलिए मणिकांत दिल्ली चला गया और वहां वह कढ़ाई का काम करने लगा. रहने के लिए उस ने डाबड़ी की सीतापुरी कालोनी में अवधेश के मकान में एक कमरा किराए पर ले लिया. मणिकांत दिल्ली में रहता था और सीमा गोरखपुर में. लेकिन दोनों में फोन पर बातें होती रहती थीं. सीमा ने उस से कहा कि उसे वहां अच्छा नहीं लगता. इस पर मणिकांत ने उसे दिल्ली बुला लिया. वह बेटे को ले कर दिल्ली पहुंच गई.

सीमा को दिल्ली आए 2-3 दिन ही हुए थे कि एक रात उस ने कहा, ‘‘मणि, हम दोनों एकदूसरे को पसंद ही नहीं करते, बल्कि एकदूसरे को जीजान से चाहते भी हैं. हमें एकदूसरे से दूर रहना भी अच्छा नहीं लगता. क्यों न हम दोनों शादी कर लें?’’

सीमा की इस बात पर मणिकांत गंभीर हो गया. कुछ देर सोचने के बाद उस ने कहा, ‘‘सीमा, प्यार करना अलग बात है और शादी करना अलग बात. मैं तुम से प्यार तो करता हूं, लेकिन शादी नहीं कर सकता.’’

‘‘क्यों, प्यार करते हो तो शादी करने में क्या परेशानी है?’’

‘‘तुम शादीशुदा ही नहीं, किसी दूसरे के एक बच्चे की मां भी हो. ऐसे में मैं तुम से कैसे शादी कर सकता हूं?’’

‘‘तो क्या तुम मुझे बेसहारा छोड़ दोगे? मैं तो बड़ी उम्मीद ले कर तुम्हारे पास आई थी कि तुम मुझ से प्यार करते हो, इसलिए मुझे अपना लोगे.’’

‘‘सीमा, मैं तुम्हें बेसहारा भी नहीं छोड़ सकता और शादी भी नहीं कर सकता. अगर तुम चाहो तो एक रास्ता है.’’

‘‘क्या?’’

‘‘लिवइन रिलेशनशिप. यानी हम दोनों बिना शादी के एक साथ पतिपत्नी की तरह रह सकते हैं.’’

सीमा मरती क्या न करती, वह राजी हो गई. इस के बाद दोनों बिना शादी के ही पतिपत्नी की तरह साथ रहने लगे. मणिकांत ने पास के ही चाणक्य प्लेस स्थित एक प्ले स्कूल में आयुष का एडमिशन करा दिया. सीमा की भी उस ने एक कालसेंटर में नौकरी लगवा दी. वहां सीमा को 5 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता था.

सीमा जल्दी ही अपने रंग दिखाने लगी. वह घूमने, फिल्में देखने और महंगा खाना खाने पर जरूरत से ज्यादा पैसे खर्च करने लगी. उस का पूरा वेतन इसी में खर्च हो जाता. पैसे खत्म हो जाते तो वह परेशान हो उठती. तब वह आसपड़ोस से उधार लेने लगी. उन पैसों को भी वह अपने शौक पूरा करने में उड़ा देती.

उधार देने वालों के पैसे सीमा वापस न करती तो वे मणिकांत से पैसे मांगते. सीमा की इन हरकतों से मणिकांत परेशान रहने लगा. उस ने सीमा को कई बार समझाया, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ.

धीरेधीरे उसे सीमा के चरित्र पर भी शक होने लगा. क्योंकि सीमा हर किसी से इस तरह खुल कर बात करती थी जैसे वह उस का बहुत खास हो. इस के अलावा उसे लोगों से पैसा भी बड़े आराम से उधार मिल जाता था. इस से मणिकांत को लगने लगा कि सीमा ने ऐसे लोगों से संबंध बना रखे हैं. इन्हीं बातों को ले कर दोनों के बीच आए दिन झगड़ा होने लगा.

हद तब हो गई, जब सीमा मणिकांत पर दबाव बनाने लगी कि वह गोरखपुर की अपनी सारी संपत्ति बेच कर दिल्ली में एक अच्छा सा मकान ले कर यहीं रहे. मणिकांत सीमा की हरकतों से वैसे भी परेशान था. जब वह उस पर संपत्ति बेचने के लिए ज्यादा दबाव बनाने लगी तो वह सीमा से छुटकारा पाने के बारे में सोचने लगा. उसे पता था कि यह औरत सीधे उस का पीछा नहीं छोड़ेगी. इसलिए उस ने उसे खत्म करने का विचार बना लिया.

पूरी योजना बना कर उस ने सीमा से गोरखपुर के अपने गांव चलने को कहा तो वह खुशी खुशी चलने को तैयार हो गई. 15 सितंबर की दोपहर मणिकांत ने सीमा और आयुष को साथ ले कर लखनऊ जाने के लिए गोमती एक्सप्रेस पकड़ी.

रात 10 बजे वह लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर उतरा. उस ने सीमा से कहा कि इस समय गोरखपुर जाने के लिए कोई बस या ट्रेन नहीं मिलेगी, इसलिए आज रात यहीं किसी होटल में रुक जाते हैं.

सीमा क्या कहती, वह होटल में रुकने को तैयार हो गई. रिक्शे पर बैठ कर उस ने रिक्शे वाले से किसी छोटे और सस्ते होटल में चलने को कहा. रिक्शे वाला तीनों को नाका हिंडोला थाने के विजयनगर स्थित सिंह होटल एंड पंजाबी रसोई ले गया. वहां मणिकांत ने  होटल के रिसैप्शन पर बैठे मैनेजर रामकुमार से एक कमरे की डिमांड की तो उस ने उस से आईडी मांगी.

मणिकांत ने सुबह को आईडी की फोटोकौपी देने को कहा. तब उस ने उस का आधार कार्ड ले कर उस का नंबर, मोबाइल नंबर और पता दर्ज कर लिया. कमरे का किराया 350 रुपए ले कर उस ने कमरा नंबर 102 की चाबी मणिकांत को दे दी. वह सीमा और आयुष को ले कर कमरे में चला गया.

सीमा और आयुष को कमरे में छोड़ कर मणिकांत चारबाग गया और वहां किसी ढाबे से खाना ले आया. खाना खा कर वह सीमा से बातें करने लगा. तभी किसी बात पर उस की  सीमा से बहस हो गई तो वह सीमा को पीटने लगा. सीमा जोरजोर से रोने लगी. मां की पिटाई और उसे रोता देख कर मासूम आयुष भी रोने लगा.

मणिकांत सीमा की पिटाई करते हुए उसे बाथरूम में ले गया. वहां उस ने उसे इस तरह पीटा की वह बेहोश हो गई. उसे उसी हालत में छोड़ कर वह आयुष के पास आया और उसे बिस्तर पर लिटा कर किसी तरह सुला दिया. इस के बाद उस ने घर से बैग में रख कर लाया सब्जी काटने वाला चाकू निकाला और बाथरूम में बेहोश पड़ी सीमा का बेरहमी से गला काट दिया, जिस से उस की मौत हो गई. रात भर वह उसी कमरे में रहा. सवेरा होने पर उस ने मैनेजर से अपना आधार कार्ड लिया और बैग ले कर निकल गया. होटल से निकल कर वह गोरखपुर स्थित अपने घर चला गया.

उस ने अपनी ओर से होटल में कोई सुबूत नहीं छोड़ा था, लेकिन पुलिस आयुष की स्कूल ड्रेस के टैग के सहारे उस तक पहुंच ही गई. सारी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के पुलिस ने मणिकांत को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.

पुलिस ने आयुष को चाइल्डलाइन भेज कर सीमा के पति मनोहर और उस के घर वालों से संपर्क किया तो उस के चाचा चाची आ कर उसे ले गए. कथा लिखे जाने तक पुलिस होटल के मालिक के खिलाफ भी काररवाई करने की तैयारी कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

हनीमून पर दी हत्या की सुपारी

साजिश का तोहफा

जी का जंजाल बनी प्रेमिका – भाग 2

थाना नाका हिंडोला के थानाप्रभारी विजय प्रकाश बच्चे को साथ ले कर थाने आ गए और होटल मालिक राजकुमार की ओर से मृतका सीमा के पति बबलू के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने होटल में दर्ज आधार कार्ड के पते और मोबाइल नंबर की जांच कराई तो दोनों फरजी निकले.

आधार कार्ड के अनुसार बबलू का पता आरजेड-30, स्मितापुरी, पार्क रोड, नई दिल्ली लिखा था जो फरजी पाया गया. आधार कार्ड के नंबर में 2 अंक गलत थे. कमरे में ऐसा कुछ भी नहीं मिला था, जिस से हत्यारे के बारे में या मृतका के बारे में कुछ पता चलता.

इंसपेक्टर विजय प्रकाश सिंह सोच रहे थे कि अब क्या किया जाए. तभी उन की नजर आयुष पर पड़ी. वह स्कूल की ड्रेस पहने था. उन्होंने उस की स्कूली शर्ट के कालर पर लगे टैग को देखा. उस में जो लेबल लगा था, उस में स्टार यूनिफार्म लिखा था. इस का मतलब ड्रेस जिस कंपनी में तैयार की गई थी, उस का नाम स्टार यूनिफार्म था.

स्कूल ड्रेस तैयार करने वाली इस कंपनी के बारे में शायद इंटरनेट से कुछ पता चल जाए, यह सोच कर उन्होंने इंटरनेट पर सर्च किया तो कंपनी का पता और फोन नंबर मिल गया. पुलिस ने उस नंबर पर फोन कर के संपर्क किया. जब कंपनी के बारे में पता चल गया तो पुलिस ने वाट्सएप द्वारा आयुष और उस की ड्रेस की फोटो कंपनी को भेजी तो कंपनी ने बताया कि यह ड्रेस एक प्ले स्कूल की है, जिस का पता है एम-24, चाणक्य प्लेस, डाबड़ी, नई दिल्ली.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस की एक टीम नई दिल्ली पहुंच गई. इस पुलिस टीम ने प्ले स्कूल के प्रबंधक को आयुष का फोटो दिखा कर पूरी बात बताई तो प्रबंधक ने स्कूल के रजिस्टर से आयुष के घर का पता लिखा दिया. आयुष के मातापिता स्कूल से कुछ दूरी पर सीतापुरी कालोनी में अवधेश के मकान में किराए पर कमरा ले कर रहते थे.

पुलिस टीम ने अवधेश से पूछताछ की तो पता चला कि उस के किराएदार का नाम बबलू नहीं बल्कि मणिकांत मिश्रा है और वह गोरखपुर के थाना सहजनवां के मोहल्ला डुगडुइया का रहने वाला है. उस के पिता का नाम विश्वंभरनाथ मिश्रा है. सीमा उस की ब्याहता पत्नी नहीं थी बल्कि दोनों लिवइन रिलेशन में रहते थे.

पुलिस टीम ने दिल्ली से ही इंसपेक्टर विजय प्रकाश को फोन कर के सीमा के असली हत्यारे का नाम पता बता दिया. इस के बाद विजय कुमार ने दूसरी पुलिस टीम गोरखपुर भेज दी.

19 सितंबर को गोरखपुर गई पुलिस टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से मणिकांत के घर छापा मारा तो वह घर पर ही मिल गया. पूछताछ में उस ने न केवल सीमा की हत्या का अपना अपराध कुबूल कर लिया बल्कि हत्या में प्रयुक्त सब्जी काटने वाला चाकू भी बरामद करा दिया. पुलिस टीम मणिकांत को गिरफ्तार कर के लखनऊ ले आई. थाने में की गई पूछताछ में मणिकांत ने सीमा की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह कुछ इस प्रकार थी.

उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के थाना पिपराइच के पुखरभिंडा गांव में रहता था कमल सिंह. उस के परिवार में पत्नी और एक ही बेटी थी सीमा. वह अपराधी प्रवृत्ति का था, इसलिए पत्नी और बच्चों पर खास ध्यान नहीं देता था. वैसे भी वह ज्यादातर जेल में ही रहता था, इसलिए पत्नी और बेटी अपने मन की मालिक थीं.

सीमा खूबसूरत भी थी और महत्त्वाकांक्षी भी. वह जवान हुई तो उस की खूबसूरती लोगों की आंखों में बैठ गई. उसे जो भी देखता, देखता ही रह जाता. जिस का बाप अपराधी हो, उस के घर का माहौल तो वैसे भी अच्छा नहीं होता क्योंकि उस के साथ उठने बैठने वाले कोई अच्छे लोग तो होते नहीं.

कमल के यहां भी उसी के जैसे लोग आते थे. जवान बेटी को ऐसे लोगों से दूर रखना चाहिए, लेकिन कमल को इस बात की कोई चिंता ही नहीं थी. वह सभी को घर के अंदर ही बैठाता था. बदमाश प्रवृत्ति का व्यक्ति किसी का नहीं होता, इसलिए उन सब की नजरें कमल की जवान बेटी पर जम गई थीं.

बगल के ही गांव भरहट का रहने वाला एक लड़का कमल के यहां आता रहता था. वह भी अपराधी प्रवृत्ति का था. वह कुंवारा था, इसलिए उस ने कमल सिंह के सामने सीमा से शादी करने का प्रस्ताव रखा तो कमल सिंह ने सोचा कि उसे बेटी की शादी तो करनी ही है. अगर वह अपने हिसाब से शादी करेगा तो दुनिया भर का इंतजाम और दानदहेज के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ेंगे.

और यदि वह सीमा की शादी इस लड़के से कर देता है तो उसे अपने पास से एक पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा. इतना ही नहीं बल्कि वह चाहे तो इस लड़के से कुछ पैसे भी ले लेगा. लड़का उसे पसंद था इसलिए उस ने कहा, ‘‘सीमा की शादी तो मैं तुम से कर दूंगा लेकिन कुछ देने के बजाय मुझे तुम से कुछ चाहिए.’’

लड़का भी सीमा के लिए बेचैन था. इसलिए उस ने कहा, ‘‘चाचाजी, मैं सीमा के लिए अपना सब कुछ आप को दे सकता हूं.’’

‘‘मुझे तुम्हारा सब कुछ नहीं चाहिए. सब कुछ दे दोगे तो मेरी बेटी को खिलाओगे पिलाओगे कहां से. मुझे कुछ रुपए चाहिए. क्योंकि मेरे ऊपर काफी कर्ज हो गया है.’’

वह लड़का कमल द्वारा मांगी गई रकम देने को तैयार हो गया तो उस ने सीमा का विवाह उस युवक से करा दिया. सीमा पिता के घर से ससुराल पहुंच गई. वहां कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीकठाक रहा, लेकिन बाद में वह लड़का बातबात पर सीमा से मारपीट करने लगा तो परेशान हो कर सीमा उस से तलाक ले कर मायके चली आई.

सीमा पहले से ही बिना अंकुश की थी. शादी के बाद वह और आजाद हो गई. उसे किसी से भी बात करने या मिलने में जरा भी हिचक नहीं होती थी. कोई रोकटोक भी नहीं थी इसलिए वह कहीं भी किसी के भी साथ घूमने चली जाती थी. इस की सब से बड़ी वजह थी उस की जरूरतें. इसलिए जो भी उस की जरूरतें पूरी करता, वह उसी की हो जाती.

ऐसे में ही उस की मुलाकात थाना पिपराइच के गांव पकडि़यार के रहने वाले केदार सिंह के बेटे मनोहर सिंह से हुई तो वह उस से जुड़ गई. केदार सिंह खेतीकिसानी करते थे. मनोहर सीमा को इस कदर चाहने लगा कि वह उस से शादी करने के बारे में सोचने लगा.

जी का जंजाल बनी प्रेमिका – भाग 1

प्रदेश की राजधानी होने के नाते रोजाना लाखों लोग लखनऊ आते जाते रहते हैं. इसी वजह से लखनऊ के रेलवे स्टेशन चारबाग के आसपास तो हर तरह के होटलों की भरमार है ही, उस से सटे इलाकों का भी यही हाल है. ऐसा ही एक इलाका है नाका हिंडोला. यहां भी छोटे बड़े तमाम होटल हैं.

नाका हिंडोला के मोहल्ला विजयनगर में गुरुद्वारे के पीछे एक होटल है सिंह होटल एंड पंजाबी रसोई. 16 सितंबर की सुबह 11 बजे के आसपास होटल का कर्मचारी मोहन बहादुर बेसमेंट में बने कमरों की ओर गया तो गैलरी में उसे एक बच्चा रोता हुआ दिखाई दिया.

वह लपक कर बच्चे के पास पहुंचा. बच्चा 4 साल के आसपास रहा होगा. उस ने उसे गोद में उठा कर पुचकारते हुए पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा, मम्मी ने मारा क्या?’’

‘‘नहीं, मम्मी ने नहीं मारा. मम्मी को पापा मार कर भाग गए.’’ बच्चे ने कहा.

‘‘मार कर कहां भाग गए पापा?’’ मोहन ने पूछा तो बच्चा रोते हुए बोला, ‘‘पता नहीं?’’

मोहन बहादुर को पहले लगा कि पतिपत्नी में मारपीट हुई होगी या हो रही होगी, इसलिए बच्चा रोते हुए बाहर आ गया होगा. लेकिन अब उसे मामला कुछ और ही लगा, इसलिए उस ने पूछा, ‘‘मम्मी कहां हैं?’’

‘‘वह बाथरूम में पड़ी है.’’ बच्चे ने कहा.

‘‘तुम किस कमरे से बाहर आए हो?’’ मोहन ने जल्दी से पूछा तो बच्चे ने कमरा नंबर 102 की ओर इशारा कर दिया.

मोहन बच्चे को गोद में लिए कमरे के अंदर बने बाथरूम में पहुंचा तो वहां की हकीकत देख कर परेशान हो उठा. बाथरूम में एक महिला की अर्धनग्न लाश पड़ी थी. बच्चे ने उस लाश की ओर अंगुली से इशारा कर के कहा, ‘‘यही मेरी मम्मी है. पापा इन्हें मार कर भाग गए हैं.’’

लाश देख कर मोहन बच्चे को गोद में उठाए लगभग भागते हुए होटल के मैनेजर रामकुमार के पास पहुंचा. उस ने पूरी बात उन्हें बताई तो होटल में अफरातफरी मच गई. होटल के सारे कर्मचारी इकट्ठा हो गए.

मैनेजर रामकुमार ने स्वयं कमरे में जा कर देखा. लाश देख कर उन के भी हाथपांव फूल गए. उन्होंने तुरंत होटल मालिक राजकुमार और स्थानीय थाना नाका हिंडोला पुलिस को घटना की सूचना दी.

सूचना मिलते ही इंसपेक्टर विजय प्रकाश सिंह ने पहले तो इस घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी, उस के बाद खुद पुलिसकर्मियों को साथ ले कर सिंह होटल पहुंच गए.

होटल मालिक राजकुमार उन का इंतजार बाहर कर रहे थे. उन के पहुंचते ही वह उन्हें साथ ले कर बेसमेंट स्थित उस कमरे पर पहुंचे, जिस में लाश पड़ी थी. लाश कमरे के बाथरूम में अर्धनग्न अवस्था में थी. सरसरी तौर पर निरीक्षण के बाद उन्होंने मृतका के नग्न हिस्से पर कपड़ा डलवाया.

मृतका की उम्र 22-23 साल रही होगी. उस के गले को किसी तेज धारदार हथियार से काटा गया था, जिस से निकला खून गरदन से ले कर पीठ के नीचे तक जमीन पर फैला था.

इंसपेक्टर विजय प्रकाश सिंह लाश का निरीक्षण कर ही रहे थे कि एएसपी (पश्चिम) अजय कुमार और सीओ कैसरबाग हृदेश कठेरिया भी फोरेंसिक टीम के साथ होटल पहुंच गए. फोरेंसिक टीम घटनास्थल से साक्ष्य जुटाने में लग गई तो पुलिस अधिकारी होटल के मालिक और मैनेजर से पूछताछ करने लगे.

कमरे की तलाशी में ऐसी कोई भी चीज नहीं मिली, जिस से मृतका या उस के पति के बारे में कुछ पता चलता. पुलिस अधिकारियों ने बच्चे को अपने पास बुला कर पुचकारते हुए प्यार से पूछा, ‘‘बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘आयुष. यह मेरा स्कूल का नाम है. घर में मुझे सब शिवा कहते थे.’’ बच्चे ने जवाब में बताया.

‘‘तुम्हारी मम्मी को किस ने मारा?’’

‘‘पापा ने मारा है.’’

‘‘पापा ने मम्मी को कैसे मारा?’’ एएसपी अजय कुमार ने पूछा तो बच्चे ने कहा, ‘‘पहले तो पापा ने मम्मी को खूब मारा. मम्मी खूब रो रही थीं. फिर भी पापा उन को मारते रहे. पापा उन्हें मारते हुए बाथरूम में ले गए. वहीं मम्मी बेहोश हो गईं. मम्मी को मारते देख मैं जोरजोर से रो रहा था. पापा ने मुझे गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया. कुछ देर में मैं सो गया. सुबह उठ कर देखा तो मम्मी मर चुकी थी. पापा नहीं दिखाई दिए तो मैं रोने लगा. रोते हुए कमरे से बाहर आया तो अंकल ने मुझे गोद में ले लिया.’’

पुलिस अधिकारियों ने बच्चे को एक महिला सिपाही के हवाले कर के उसे बच्चे को कुछ खिलाने पिलाने को कहा. इस के बाद होटल के मैनेजर रामकुमार से मृतका के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया, ‘‘कल यानी 15 सितंबर की रात 11 बजे एक आदमी पत्नी और बेटे के साथ आया था.

उस ने अपना नाम बबलू, पत्नी का सीमा और 4 वर्षीय बेटे का नाम आयुष उर्फ शिवा बताया. कमरा मांगने पर मैं ने उस से आईडी मांगी तो उस ने अपना आधार कार्ड दिया. तब काफी रात हो चुकी थी, इसलिए उस की फोटोकौपी नहीं हो सकती थी. इसलिए मैं ने उस का आधार कार्ड रख लिया और उसे कमरा नंबर 102 की चाबी दे दी. होटल का वेटर उस का सामान ले कर उसे कमरे तक पहुंचाने गया.

‘‘कमरे में जाने के कुछ देर बाद बबलू चारबाग गया और वहां से खाना ले आया. सुबह साढ़े 6 बजे बबलू ने मेरे पास आ कर कहा कि मुझे आधार कार्ड की जरूरत है इसलिए आप मुझे मेरा आधार कार्ड दे दीजिए. थोड़ी देर में दुकान खुल जाएगी तो मैं फोटोकौपी करा कर दे दूंगा. चिंता की कोई बात नहीं, मेरी पत्नी और बच्चा होटल में ही है.

‘‘मैं ने आधार कार्ड दे दिया तो वह कमरे में गया और अपना बैग ले कर चला गया. उस की पत्नी और बच्चा होटल में ही था, इसलिए मैं ने सोचा वह लौट कर आएगा ही. लेकिन वह लौट कर नहीं आया. जब आयुष रोता हुआ कमरे से बाहर आया तो पता चला कि वह पत्नी की हत्या कर के भाग गया है.’’

बबलू भले ही आधार कार्ड ले कर चला गया था, लेकिन उस का नंबर, उस पर लिखा पता और मोबाइल नंबर होटल के रजिस्टर में लिख लिया गया था. पुलिस ने उस का आधार नंबर, पता और मोबाइल नंबर नोट कर लिया. इस के बाद घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भिजवा दिया गया.

कंकाल से खुला हत्या का राज

कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने सब से पहले कंकाल का निरीक्षण किया. इस के बाद उन्होंने आसपास की झाडिय़ों पर नजर दौड़ाई. पास में एक फटा सलवारसूट पड़ा था, जिसे देख कर लग रहा था कि यह कंकाल किसी युवती का रहा होगा. इस के बाद उन्होंने आसपास पड़ी किसी अन्य वस्तु को भी खोजना शुरू किया जिस से उन्हें इस कंकाल के बारे में और जानकारी प्राप्त हो सके.

3 दिन बीत गए थे. मगर युवती के कंकाल की शिनाख्त नहीं हो सकी थी. इस के बाद एसएसपी अजय सिंह ने इस कंकाल की शिनाख्त के लिए एसओजी प्रभारी विजय सिंह तथा थाना सिडकुल के एसएचओ नरेश राठौर को लगा दिया था. साथ ही पुलिस टीम कंकाल मिलने वाली जगह के आसपास चलने वाले मोबाइल फोनों की डिटेल भी जुटा रही थी.

हरिद्वार के रानीपुर क्षेत्र में स्थित शिवालिक पर्वत की निचली सतह की ओर घनी झाडिय़ां फैली हुई थीं. कई दिनों से क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण ये झाडिय़ां काफी घनी हो गई थीं. इन्हीं झाडिय़ों के पास से हो कर गांवों से एक रास्ता जिला मुख्यालय की ओर जाता है. सैकड़ों लोग अकसर सुबहशाम इसी रास्ते से हो कर अपने घर आतेजाते थे.

कई दिनों से कुछ लोग यह महसूस कर रहे थे कि झाडिय़ों के एक कोने से काफी बदबू आ रही है. पहले तो लोगों को यह लग रहा था कि यह बदबू किसी कुत्ते या बिल्ली की लाश से आ रही होगी, मगर जब यह बदबू ज्यादा हो गई थी और इसे सहन करना भी असहनीय हो गया था तो कुछ लोगों ने नाक पर रुमाल रख इसे देखने का फैसला किया था.

उधर से गुजरने वाले कई लोग उत्सुकता से जब झाडिय़ों से लगभग 100 मीटर अंदर की ओर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर उन सब की चीख निकल गई थी. वहां पर एक मानव कंकाल पड़ा हुआ था.

कंकाल के पास ही किसी युवती के कपड़े भी पड़े थे, जो बारिश के कारण भीगे हुए थे. तब सभी लोग सहम कर वापस सड़क पर आ गए थे और उन्होंने झाडिय़ों में कंकाल पड़ा होने की जानकारी पुलिस को देने का विचार बनाया था.

यह स्थान उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रोशनाबाद मुख्यालय के निकट कोतवाली रानीपुर के क्षेत्र टिबड़ी में पड़ता है. घटनास्थल कोतवाली रानीपुर से मात्र 3 किलोमीटर तथा एसएसपी कार्यालय से केवल 5 किलोमीटर दूर है. इस के बाद राहगीरों ने टिबड़ी क्षेत्र में कंकाल पड़े होने की सूचना कोतवाल रानीपुर नरेंद्र बिष्ट को दे दी. अपने क्षेत्र में कंकाल मिलने की सूचना पा कर नरेंद्र बिष्ट चौंक पड़े थे.

सब से पहले उन्होंने यह सूचना एसपी (क्राइम) रेखा यादव, सीओ (ज्वालापुर) निहारिका सेमवाल व एसएसपी अजय सिंह को दी. इस के बाद नरेंद्र बिष्ट अपने साथ कोतवाली के एसएसआई नितिन चौहान तथा अन्य पुलिसकर्मियों को ले कर घटनास्थल की ओर चल पड़े. घटनास्थल वहां से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए पुलिस टीम 10 मिनट में ही मौके पर पहुंच गई थी.

जब पुलिस टीम मौके पर पहुंची थी तो उस वक्त कुछ लोग उस कंकाल के आसपास खड़े थे. जिस स्थान पर कंकाल मिला था, वह स्थान सुनसान होने के साथसाथ वन्य क्षेत्र से लगा हुआ है. हिंसक पशु गुलदार व जंगली हाथी अकसर इस क्षेत्र में घूमते हुए देखे जा सकते हैं.

आखिर किस का था वह कंकाल

कोतवाल नरेंद्र बिष्ट अभी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण कर ही रहे थे कि तभी वहां एसएसपी अजय सिंह, एसपी (क्राइम) रेखा यादव तथा (सीओ) ज्वालापुर निहारिका सेमवाल सहित कुछ मीडियाकर्मी भी पहुंच गए थे. इस के बाद पुलिसकर्मियों ने कंकाल के अलगअलग कोणों से फोटो लिए थे.

कंकाल की शिनाख्त करने के लिए अजय सिंह ने कोतवाल नरेंद्र बिष्ट को निर्देश दिए कि वह आसपास के पुलिस स्टेशनों से यह जानकारी करे कि इस हुलिए की कोई युवती उन के क्षेत्र से कहीं लापता तो नहीं है. शिनाख्त न होने पर इस बाबत अखबारों में कंकाल के इश्तहार छपवाने को कहा था. यह बात 26 जुलाई, 2023 की है.

पुलिस ने कंकाल का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए हरमिलापी अस्पताल हरिद्वार भेज दिया था. अब सब से पहले कोतवाल नरेंद्र बिष्ट के सामने युवती की शिनाख्त न होने की समस्या थी. यदि युवती की शिनाख्त हो जाती तो पुलिस उस की काल डिटेल्स आदि के आधार पर जांच में जुट जाती. अगले दिन जब कंकाल के फोटो अखबारों में छपे तो कोई भी व्यक्ति उसे पहचानने वाला पुलिस के पास नहीं आया था.

इस के अलावा पुलिस स्टेशनों से भी कोई खास जानकारी नहीं मिली. एक बार तो नरेंद्र बिष्ट के दिमाग में यह भी आया कि युवती को कहीं किसी नरभक्षी गुलदार ने निवाला न बना लिया हो. मगर बाद में उन्हें ऐसा नहीं लगा था.

युवती के कंकाल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी पुलिस को ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली जिस से कि पुलिस कातिल तक पहुंच पाती.

वह 30 जुलाई, 2023 का दिन था. थाना सिडकुल के एसएचओ नरेश राठौर के पास करीब 55 वर्षीय राम प्रसाद निवासी कस्बा किरतपुर बिजनौर उत्तर प्रदेश अपनी बेटी प्रवीना के साथ वहां पहुंचा था. राम प्रसाद ने नरेश राठौर को बताया कि उस की 21 वर्षीया बेटी रवीना इसी महीने की 11 जुलाई से लापता है.

राम प्रसाद ने बताया कि रवीना सिडकुल की एक कंपनी में नौकरी करती थी तथा उस के बाद से ही वह लापता हो गई थी.

इस के बाद राठौर ने राम प्रसाद को कोतवाली रानीपुर भेज दिया था. राम प्रसाद व उन की बेटी रवीना कोतवाल नरेंद्र बिष्ट से मिले और उन्हें 11 जुलाई से रवीना के लापता होने की बात बता दी. जब बिष्ट ने राम प्रसाद को गत 26 जुलाई को उन के क्षेत्र में रवीना जैसी युवती का कंकाल मिलने की जानकारी दी थी तो राम प्रसाद ने कंकाल के पास मिले कपड़े देखने की इच्छा जताई.

जब कोतवाल ने कंकाल के पास मिले कपड़े ला कर दिखाने को कहा तो मुंशी कपड़े ले आया. राम प्रसाद व उन की बेटी प्रवीना उन कपड़ों को देखते ही फफक कर रो पड़े थे.

इस से पुष्टि हो गई कि टिबड़ी क्षेत्र में मिला कंकाल रवीना का ही था. खैर, किसी तरह बिष्ट ने दोनों बापबेटी को चुप कराया था और उन से रवीना के बारे में जानकारी हासिल की.

पुनीत से रवीना की कैसे हुई दोस्ती

राम प्रसाद ने बिष्ट को बताया कि पिछले 2 साल से रवीना की धामपुर बिजनौर निवासी पुनीत धीमान से खासी दोस्ती थी तथा उन की आपस में शादी करने की योजना भी थी. मगर बीच में कुछ गड़बड़ हो गई थी. कुछ समय पहले पुनीत ने किसी अन्य युवती से शादी कर ली थी. पुनीत व रवीना सिडकुल की कंपनी ऋषिवेदा में साथसाथ काम करते थे. पुनीत कंपनी में सुपरवाइजर था.

यह जानकारी मिलते ही नरेंद्र बिष्ट ने तुरंत पुनीत धीमान व रवीना के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगालने के लिए एसओजी प्रभारी विजय सिंह को कहा था. उसी दिन शाम को ही पुलिस को दोनों के नंबरों की काल डिटेल्स मिल गई थी.

दोनों की काल डिटेल्स जब पुलिस ने देखी तो उस से पुनीत खुद ही संदेह के दायरे में आ गया. इस के बाद पुलिस ने पुनीत से पूछताछ करने की योजना बनाई.

उसी दिन रात को ही पुलिस टीम ने पुनीत को पूछताछ के लिए सिडकुल से हिरासत में ले लिया था. इस के बाद पुलिस उसे पूछताछ करने के लिए कोतवाली रानीपुर ले आई. पुनीत से पूछताछ करने के लिए एसपी (क्राइम) रेखा यादव व एसएसपी अजय सिंह भी वहां पहुंच गए.

पहले तो पुलिस ने पुनीत से रवीना के उस के साथ प्रेम संबंधों व उस की हत्या की बाबत पूछताछ की थी, मगर पुनीत पुलिस को गच्चा देते हुए बोला कि मेरा तो रवीना से या उस की हत्या से कोई लेनादेना नहीं है.

पुनीत के मुंह से यह बात सुन कर वहां खड़े कोतवाल नरेंद्र बिष्ट को गुस्सा आ गया और उन्होंने पुनीत को डांटते हुए कहा, ”पुनीत, या तो तुम सीधी तरह से रवीना की मौत का सच बता दो अन्यथा याद रखो, पुलिस के सामने मुर्दे भी सच बोलने लगते हैं.’’

बिष्ट के इस वाक्य का पुनीत पर जादू की तरह असर हुआ था. पुनीत ने रवीना की हत्या की बात कुबूल करते हुए पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार है—

क्यों नहीं हो सकी प्रेमी युगल की शादी

बात 4 साल पुरानी है. पुनीत और रवीना सिडकुल की कंपनी ऋषिवेदा में साथसाथ काम करते थे. हम दोनों में पहले दोस्ती हुई थी, जो बाद में प्यार में बदल गई थी. फिर दोनों ने भविष्य में शादी करने की भी योजना बना ली थी. यह अंतरजातीय प्यार गहरा हो गया. इस बाबत जब पुनीत ने अपने घर वालों से बात की तो दोनों की जातियां अलगअलग होने के कारण घर वालों ने शादी करने से साफ मना कर दिया था.

इस के बाद पुनीत के घर वाले किसी और सजातीय लड़की से उस की शादी कराने के प्रयास में जुट गए. उन्होंने फरवरी 2023 में उस की शादी कर दी थी. दूसरी ओर रवीना के पिता राम प्रसाद ने भी उस की सगाई कहीं और कर दी थी. इस के बाद पुनीत ने रवीना पर अपनी सगाई तोडऩे के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. रवीना ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया.

रवीना के मना करने से पुनीत तिलमिला गया. इस के बाद रवीना ने उस का फोन अटैंड करना भी बंद कर दिया था और अपना फोन नंबर भी बदल लिया. यह बात पुनीत को बहुत बुरी लगी. वह गुस्से में पागल हो गया था. तभी उस ने रवीना की हत्या की योजना बनाई.

योजना के अनुसार, पुनीत 11 जुलाई, 2023 को रवीना से मिला था और उसे घुमाने के लिए टिबड़ी रोड पर ले गया था. वहां सुनसान होने के कारण उस ने रवीना की गला घोंट कर हत्या कर दी और धामपुर आ कर रहने लगा था.

इस के बाद कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने पुनीत के ये बयान दर्ज कर लिए थे. फिर बिष्ट ने रवीना की गुमशुदगी को हत्या की धाराओं 302 व 201 में तरमीम कर दिया था. अगले दिन रोशनाबाद स्थित पुलिस कार्यालय में एसएसपी अजय सिंह ने प्रैसवार्ता का आयोजन कर के इस ब्लाइंड मर्डर केस का परदाफाश कर दिया.

अजय सिंह ने इस केस को सुलझाने वाली पुलिस टीम में शामिल कोतवाल नरेंद्र बिष्ट, एसओजी प्रभारी विजय सिंह, एसएचओ (सिडकुल) नरेश राठौर की पीठ थपथपाई.

इस के बाद पुलिस ने हत्या के आरोपी पुनीत धीमान को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. इस हत्याकांड की विवेचना कोतवाल नरेंद्र बिष्ट द्वारा की जा रही थी. वह शीघ्र ही इस केस की विवेचना पूरी कर के पुनीत के खिलाफ चार्जशीट अदालत में भेजने की तैयारी कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित