Uttarakhand News : अंकिता के हत्यारों को मिली उम्रकैद

Uttarakhand News : उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों की नजर 19 वर्षीय अंकिता भंडारी मर्डर केस के फैसले पर टिकी हुई थी. इस की वजह यह थी कि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्वमंत्री डा. विनोद आर्य का बेटा था. इस हत्याकांड के विरोध में व्यापक स्तर पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो चुके इस केस का 30 मई, 2025 को डिस्ट्रिक्ट जज ने ऐसा क्या फैसला सुनाया, जिसे सुन कर लोग आश्चर्यचकित रह गए?

30 मई, 2025 शुक्रवार को हरिद्वार से 70 किलोमीटर दूर स्थित कोटद्वार की जिला अदालत के बाहर सुबह से ही शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए 700 से अधिक पुलिसकर्मियों की फौज लगाई जा चुकी थी. अदालत की ओर आने वाले सभी रास्तों को लगभग बंद कर दिया गया था. वकीलों के अलावा अदालत परिसर में किसी अन्य को आने की छूट नहीं थी. फिर भी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज रीना नेगी का फैसला सुनने के लिए हजारों लोगों की भीड़ बाहर इकट्ठा हो चुकी थी. मजे की बात यह है कि कोर्ट की स्थापना होने के बाद से आज से पहले कभी इतनी भीड़ अदालत के बाहर इकट्ठा नहीं हुई थी.

उस दिन किस मामले का फैसला आने वाला था? आखिर उस मामले में ऐसी क्या बात थी, जिसे जानने के लिए अदालत के बाहर इतनी भीड़ इकट्ठा हुई थी? यह सब जानने के लिए थोड़ा अतीत में चलते हैं. उत्तराखंड के जिला पौड़ी गढ़वाल का एक छोटा सा गांव है डोभ श्रीकोट. इसी गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह भंडारी और सोना देवी के पास केवल एक ही बेटा था. उस के बाद जब एक बेटी पैदा हुई तो पतिपत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था. बेटी का नाम उन्होंने अंकिता रखा था. पर पिता तो उसे खुशियों का साक्षी मानते थे, इसलिए वह उसे अंकिता के बजाय साक्षी कह कर बुलाते थे.

पढ़ाई में होशियार अंकिता ने बारहवीं में 89 प्रतिशत नंबर पाए थे, लेकिन इस के आगे की पढ़ाई की गांव में कोई व्यवस्था नहीं थी. परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति अंकिता को पता ही थी, इसलिए आगे पढ़ाई करने बजाय होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर के कोई अच्छी नौकरी कर के वह परिवार की आर्थिक मदद करने के बारे में सोचने लगी थी. देहरादून में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए बढिय़ा कालेज था. बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए पिता वीरेंद्र सिंह ने देहरादून में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार से बात की. उन्होंने विश्वास दिलाया कि अंकिता उन के यहां आराम से रह सकती है. उन्होंने उस के खाने की व्यवस्था भी अपने यहां कर दी थी. कालेज की फीस वीरेंद्र सिंह ने उधार ले कर भर दी तो अंकिता होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए देहरादून आ गई.

अंकिता अपने जिस रिश्तेदार के यहां रहती थी, वह उसे अपनी सगी बेटी की तरह रखते थे. 2 साल की फीस भरतेभरते वीरेंद्र सिंह की हालत खराब हो गई थी. तीसरे साल की फीस भरने तक उन की हालत ऐसी हो गई थी कि अब आगे की फीस भरना उन के लिए मुश्किल हो गया था. रुआंसे हो कर उन्होंने अपनी मजबूरी बेटी को बताई तो बिना किसी तरह की किचकिच किए अंकिता घर वापस आ गई. घर आने के बाद उस ने मम्मीपापा से कहा कि अपनी इस 2 साल की पढ़ाई के आधार पर वह कोई नौकरी खोज निकालेगी. पैसा कमा कर परिवार की मदद करने का जुनून था, इसलिए अंकिता ने अलगअलग होटलों के विज्ञापन देख कर नौकरी के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया था.

उस की मेहनत रंग लाई और ऋषिकेश के पास यमकेश्वर इलाके में स्थित वनंतरा  रिसौर्ट से जवाब आया कि उन के यहां रिसैप्शनिस्ट के रूप में काम करने की इच्छा हो तो वह जल्दी से आ जाएं. अंकिता को नौकरी मिलने की बात से पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. पर 19 साल की लड़की को एकदम अंजान जगह पर अंजान लोगों के बीच नौकरी करने जाना था. पेरेंट्स को इस बात की चिंता थी. अंकिता ने पूरे आत्मविश्वास के साथ मम्मीपापा को विश्वास दिलाया कि वह ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिस से उन्हें परेशानी हो.

28 अगस्त, 2022 को वीरेंद्र सिंह खुद बेटी को पहुंचाने रिसौर्ट तक आए और उसी दिन से अंकिता की नौकरी शुरू हो गई. इस वनंतरा रिसौर्ट के मालिक का नाम पुलकित आर्य था. पुलकित के पिता डा. विनोद आर्य भाजपा के बड़े नेताओं में थे. वह राज्य मंत्री रह चुके थे. इसलिए पार्टी में उन्हें एक बड़ा ओहदा मिला था. उन का फार्मेसी का काम था. पुलकित की भी भाजपा में अग्रणी कार्यकर्ताओं में गिनती होती थी. यही नहीं, उसे एक सरकारी कारपोरेशन में बड़ा ओहदा मिला था. वह पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष था.

देहरादून में पढ़ाई के दौरान अंकिता की जम्मू के एक अपनी ही तरह की आर्थिक स्थिति वाले लड़के से दोस्ती हो गई थी. उस लड़के का नाम था पुष्पदीप. वह देहरादून के उसी कालेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था. दोनों एकदूसरे से हर तरह की खुल कर बातें करते थे. उसे एक रिसौर्ट में नौकरी मिल गई है, इस बात की जानकारी अंकिता ने पुष्पदीप को वाट्सऐप मैसेज से दे दी थी. पुष्पदीप ने शुभकामनाएं देते हुए बताया था कि अभी वह नौकरी खोज रहा है. इस के बाद रिसौर्ट की वे बातें, जो वह अपने पेरेंट्स से नहीं बता सकती थी, पुष्पदीप के साथ शेयर करती रहती थी.

17 सितंबर, 2022 को अंकिता ने पुष्पदीप को मैसेज किया कि ‘यह रिसौर्ट बहुत गंदा है और मैं यहां से निकलना चाहती हूं. यहां कोई वीवीआईपी मेहमान आने वाला है. मुझ पर दबाव डाला जा रहा है कि मैं उस मेहमान को ‘स्पैशल सेवा’ दूं.’

हैरान रह गए पुलकित ने तुरंत पूछा, ”स्पैशल सेवा यानी सैक्स?’’

”हां,’’ में जवाब देते हुए अंकिता ने आगे लिखा, ”मैं गरीब हूं, इसलिए ये लोग मुझे पैसा दे कर …. बनाना चाहते हैं.’’ इस के आगे उस ने लिखा, ”यहां का मालिक पुलकित आर्य और उस का पर्सनल असिस्टेंट अंकित गुप्ता और रिसौर्ट का मैनेजर सौरभ भास्कर, ये तीनों इस काम के लिए मुझ पर जबरदस्त रूप से दबाव डाल रहे हैं. जबकि इस काम के लिए मैं हरगिज तैयार नहीं हूं. मेरे संस्कार भी ऐसे नहीं हैं. मुझे अपनी सुरक्षा की चिंता है. इसलिए आज ही मैं यह रिसौर्ट छोड़ कर घर चली जाऊंगी.’’

पुष्पदीप ने जवाब में लिखा, ”तुम्हारा निर्णय एकदम सही है. तुम वहां से तत्काल निकल जाओ. कोई तकलीफ हो या मेरे लायक कोई काम हो तो बिना संकोच बताना. मेरी मानो तो तुम वहां से तुरंत निकल जाओ.’’

19 सितंबर, 2022 की सुबह पुलकित आर्य रिसौर्ट के नजदीक के लक्ष्मण झूला थाने पहुंचा. उस ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि 20 दिन पहले ही उस ने अपने रिसौर्ट के लिए एक नई रिसैप्शनिस्ट नियुक्त की थी. वह 19 साल की रिसैप्शनिस्ट अंकिता भंडारी कल शाम से गायब है. पुलिस ने लड़की का फोटो और पूरी जानकारी ले कर पूछा कि वह लड़की रिसौर्ट से कुछ ले कर तो नहीं भागी है? तब पुलकित ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है. पूर्व राज्य मंत्री स्तर के बेटे ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी और वह खुद भी सत्ताधारी पार्टी का नेता था, इसलिए सीनियर इंसपेक्टर मनोहर सिंह रावत ने तुरंत मामले की जांच शुरू कर दी थी.

जब अंकिता के अचानक गायब होने की जानकारी पुष्पदीप को हुई तो एक मित्र के रूप में उस ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह तुरंत भाग कर थाना लक्ष्मण झूला आया और अंकिता द्वारा किए गए वाट्सऐप मैसेज एसएचओ मनोहर सिंह रावत को दिखा कर कहा कि अंकिता को गायब करने में इन्हीं तीनों का हाथ है. उन मैसेज की सत्यता की जांच करने के बाद मनोहर सिंह रावत ने समय बरबाद किए बगैर उन तीनों को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. इस तरह 24 घंटे के अंदर ही पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई थी.

गहराई से की गई पूछताछ में पुलकित ने स्वीकार कर लिया था कि 18 सितंबर को मैं, अंकित और सौरभ अंकिता को साथ ले कर रिसौर्ट की खरीदारी के लिए ऋषिकेश गए थे. रात 9 बजे लौटते समय गंगा की चीला नहर के पास बैराज पर हम सभी खड़े थे. तभी हंसीमजाक में अंकिता ने मेरा मोबाइल नहर में फेंकने की कोशिश की, तभी उस का पैर फिसला और वह नहर में चली गई. हम लोगों ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की, पर बचा नहीं सके और वह नहर में बह गई. पुलकित का यह बयान जब अखबारों में छपा तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. 22 सितंबर को पुलिस तीनों को घटनास्थल पर ले जा कर घटना की जांच करना चाहती थी.

इस की जानकारी किसी ने वाट्सऐप ग्रुप में डाल दी. इस के बाद तो ऋषिकेश, पौडी गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल के हजारों लोग वहां इकट्ठा हो गए. लोगों का कहना था कि अंकिता हमारी बेटी थी, इसलिए उसे गायब करने वाले तीनों लोगों को हमें सौंप दिया जाए, हम न्याय करेंगे. लोगों में काफी गुस्सा था. 10 सिपाहियों की टीम के साथ पुलिस तीनों आरोपियों को ले कर वहां पहुंची. घटनास्थल पर इकट्ठा लोगों का गुस्सा देख कर इंसपेक्टर ने तुरंत फोन कर के अन्य थानों की पुलिस वहां बुलवा ली थी.

लोगों ने पत्थर चलाने शुरू कर दिए थे, जिस से पुलिस की गाडिय़ों के शीशे टूट गए थे. तीनों आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस ने जीप की खिड़की और दरवाजे बंद कर दिए थे तथा जीप को 40 सिपाहियों ने घेर लिया था. इस के बावजूद गुस्साई भीड़ जीप को उठा कर नहर में फेंकने पर आमादा थी. बड़ी मशक्कत से पुलिस ने लाठीचार्ज कर के जीप के निकलने के लिए रास्ता बनाया और किसी तरह तीनों आरोपियों को अदालत तक पहुंचाया. इस के बाद गुस्साई भीड़ रिसौर्ट पर पहुंची और वहां तोडफ़ोड़ की. पुलिस ने अंकिता की लाश की खोज शुरू की तो 25 सितंबर, 2022 को घटनास्थल से 14 किलोमीटर दूर नहर से अंकिता की लाश मिली.

अंकिता की लाश का पोस्टमार्टम एम्स के 4 डाक्टरों के पैनल ने किया. प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टरों के अनुसार अंकिता के शरीर पर किसी बिना धार वाली चीज से की गई चोटों के निशान मिले थे. रिपोर्ट के अनुसार अंकिता की मौत पानी में डूबने से आक्सीजन का स्तर कम होने से हुई थी. यही नहीं, अंकिता की लाश जब नहर से निकाली गई थी तो उस की एक आंख निकली हुई थी. बेटी की लाश देख कर पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी का दिल रो रहा था. बेटी की हत्या से वह पूरी तरह टूट चुके थे. उन का कहना था कि जब तक उन की बेटी के हत्यारों को फांसी नहीं मिल जाती, वह थाना लक्ष्मण झूला से नहीं जाएंगे. वह बेटी का अंतिम संस्कार भी नहीं करेंगे.

लेकिन जब मुख्यमंत्री धामी ने उन से फोन पर बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि हर हालत में उन्हें न्याय मिलेगा, तब वह बेटी का अंतिम संस्कार करने को राजी हुए थे. इस के बाद अलकनंदा नदी के किनारे आईटीआई घाट पर पुलिस की मौजूदगी में अंकिता का अंतिम संस्कार कर दिया गया था. इस घटना से पूरा उत्तराखंड गुस्से में था. अंकिता को न्याय दिलाने के लिए राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संस्थाएं रैलियां और प्रदर्शन कर रही थीं. इस की आग दिल्ली तक पहुंची तो विनोद आर्य और उन के आरोपी बेटे पुलकित आर्य को पार्टी से निकाल दिया गया था.

लोगों के गुस्से को देख कर धामी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए डीआईजी (कानून व्यवस्था) रेणुका देवी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर दिया था. इतना ही नहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री धामी ने अंकिता के पिता को 25 लाख रुपए देने के साथ उन्हें तथा उन के बेटे को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की थी. जबकि इस पूरे मामले में पुलकित के पिता पूर्व राज्यमंत्री डा. विनोद आर्य का कहना था कि वे जिम्मेदार लोग हैं. मामले की जांच प्रभावित न हो, इसलिए उन लोगों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. पुलकित ने भी पिछड़ा आयोग से इस्तीफा दे दिया है.

उन का बेटा कांड पर कांड करता रहा और वह उस के गुनाहों पर परदा डालते रहते थे. यही वजह थी कि अंकिता को नहर में फेंकते समय उस के हाथ नहीं कांपे थे. पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने के बाद भी उस की ठसक कम नहीं हुई थी. इतना बड़ा अपराध करने के बाद भी पिता विनोद आर्य उसे सीधासादा लड़का कह रहे थे. उन का कहना था कि वह अपने काम से काम रखने वाला लड़का है. वह अपने बिजनैस पर ध्यान रखता था. काफी दिनों से पुलकित पिता से अलग ज्वालापौर में अपने घर में रहता था. पुलिस के लिए आगे का काम काफी मुश्किल था. कोई चश्मदीद गवाह नहीं था. रिसौर्ट का स्टाफ पुलिस को उल्टे रास्ते पर ले जा रहा था. सभी पुलिस को गोलगोल घुमा रहे थे.

कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था. रिसौर्ट के सीसीटीवी कैमरों की तमाम रिकार्डिंग नष्ट कर दी गई थी. इस के अलावा आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण मिला था. इसीलिए इस घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी की टीम ने लगातार मेहनत कर के 40 हजार मोबाइल रिकार्डिंग और 800 सीसीटीवी फुटेज की जांच कर के 16 दिसंबर, 2022 को अंकिता हत्याकांड की 500 से अधिक पेजों की चार्जशीट 97 गवाहों की लिस्ट के साथ अदालत में पेश की थी. आरोपियों के वकीलों की दलील थी कि रात 9 बजे अंकिता नहर में गिर पड़ी थी. उस समय चंद्रमा के कुदरती उजाले में इन तीनों ने उसे बचाने की काफी कोशिश की थी. एम्स के विशेषज्ञ डाक्टरों से अंकिता की लाश का पोस्टमार्टम कराया गया था. इस के अलावा क्राइम सीन का विजिट भी कराया गया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टरों ने स्पष्ट लिखा था कि घटनास्थल पर ऐसा कोई स्थान नहीं था, जहां से फिसल कर नहर में गिरा जा सके. अंकिता को उठा कर नहर में फेंका गया था. पुलिस ने कोलकाता की केंद्रीय वेधशाला को ईमेल कर के पूछा था कि घटना वाली रात चंद्रमा कितने बजे निकला था. इस ईमेल का जो जवाब आया था, उस के अनुसार उस तारीख को कृष्णपक्ष की अष्टमी होने की वजह से घटनास्थल पर चंद्रमा का उदय रात 11 बजे हुआ होगा. इसलिए रात 9 बजे कुदरती प्रकाश की दलील एकदम गलत थी.

32 महीने यानी 2 साल 8 महीने तक दोनों पक्षों की दलीलों के बाद 19 मई, 2025 को अंकिता हत्याकांड के मामले की सुनवाई पूरी हुई. उसी दिन एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज रीना नेगी ने आरोप तय कर दिया था. इस के बाद 30 मई, 2025 को फैसला सुनाने की तारीख तय कर दी थी. 30 मई को कोटद्वार की अदालत के पास अभूतपूर्व भीड़ इकट्ठा होने की आशंका के मद्ïदेनजर शांति और सुरक्षा के लिए काफी पुलिस बल का बंदोबस्त किया गया था, जिस से किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति न खड़ी हो. पौड़ी गढ़वाल के एसएसपी लोकेश्वर सिंह सुरक्षा की देखभाल के लिए वहां खुद उपस्थित थे.

एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज रीना नेगी ने जो फैसला सुनाया था, उस के अनुसार अभियुक्त पुलकित आर्य को आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत कठोर आजीवन कारावास व 50 हजार रुपए का जुरमाना, आईपीसी की धारा 201 के अंतर्गत 5 साल का कठोर कारावास व 10 हजार रुपए जुरमाना, आईपीसी की धारा 354क में 2 साल का कठोर कारावास व 10 हजार रुपए जुरमाना व आईटीपीए एक्ट की धारा 5(1)घ में 5 साल का कठोर कारावास व 2 हजार रुपए के जुरमाने की सजा सुनाई.

रिसौर्ट के मैनेजर आरोपी सौरभ भास्कर और पुलकित के असिस्टेंट आरोपी अंकित गुप्ता को आईपीसी की धारा 302 में कठोर आजीवन कारावास व 50 हजार जुरमाना, आईपीसी की धारा 201 में 5 साल का कठोर कारावास व 10 हजार रुपए जुरमाना व आईटीपीए एक्ट की धारा 5(1)घ में 5 साल का कठोर कारावास व 2 हजार रुपए जुरमाना की सजा सुनाई गई. दोनों को कुल 62 हजार रुपए जुरमाना की सजा सुनाई थी. तीनों की सारी सजाएं साथसाथ चलेंगी. आईपीसी की धारा 354 क के तहत कुल 4 लाख रुपए प्रतिकर मृतका अंकिता के घर वालों को दिया जाएगा.

सिसकसिसक कर रोने वाली मृतका अंकिता की मां सोनी देवी इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. उन का कहना है कि उन की मासूम बेटी की जिस कारण और जिस तरह हत्या की गई, उन नराधमों को फांसी होनी चाहिए थी. वह इस के लिए ऊपरी अदालतों में जाने की बात कर रही हैं. बेचारी अंकिता उस दिन शाम को अपने तमाम कपड़े और सर्टिफिकेट्स बैग में रख कर घर जाने की तैयारी कर रही थी. बैग वजनदार था, इसलिए उस ने रिसौर्ट के एक कर्मचारी से विनती की कि वह उस का बैग सड़क तक पहुंचा दे. उस समय पुलकित ने उस आदमी को किसी काम में फंसा कर अंकिता से कहा कि अभी शाम को हमें खरीदारी के लिए ऋषिकेश चलना है. इसलिए वह कल घर जाए.

जबकि पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर ने मिल कर तय कर लिया था कि अगर इस लड़की ने बाहर जा कर ‘स्पैशल सेवा’ की पोल खोल दी तो उन सभी को परेशानी हो जाएगी. इसलिए इसे हमेशा के लिए चुप करा देना ही ठीक होगा. इस तरह तीनों ने अंकिता की हत्या की योजना बना डाली और अंकिता को ले जा कर नहर में फेंक दिया था. इस पूरे मामले में एक महत्त्वपूर्ण मुद्ïदा यह रहा कि पुलिस के इतनी गंभीरतापूर्वक जांच करने, तमाम जहमत उठाने, लोगों द्वारा अनेक बार पूछने के बावजूद एक सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया कि किस वीवीआईपी मेहमान की स्पैशल सेवा के लिए अंकिता पर दबाव डाला जा रहा था और यह रहस्य खुलने न पाए, इस के लिए उस की हत्या कर दी गई थी.

आखिर उस वीवीआईपी मेहमान की पहचान अभी तक क्यों गुप्त रखी गई, यह भी एक बड़ा सवाल है. पुलकित के पिता विनोद आर्य को पार्टी से निकाल दिया गया था. पार्टी से निकाले जाने के बाद उन की भी परेशानी बढ़ गई है. उन के 24 साल के ड्राइवर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उसे जान से मारने की धमकी दे कर विनोद आर्य उस के साथ अप्राकृतिक सैक्स करते हैं. बहरहाल, अदालती काररवाई पूरी हो जाने के बाद पुलिस ने तीनों मुजरिमों को कस्टडी में ले कर जेल भेज दिया. Uttarakhand News

 

 

Best Crime Story : प्रेमिका का चुन्नी से गला घोंटा फिर सबूत मिटाने के लिए चुन्नी और मोबाइल फोन नहर में फेंका

Best Crime Story : राजेंद्र और रीता बालबच्चेदार थे. दोनों के बच्चे जवान थे. इस के बावजूद दोनों के बीच नाजायज संबंध बन गए. अधेड़ उम्र के संबंध इतने खतरनाक साबित हुए कि…

36 वर्षीया रीता मनचली भी थी और महत्त्वाकांक्षी भी. कस्बे के तमाम लोग उस से नजदीकियां बढ़ाना चाहते थे. मगर पिछले 4 सालों से उस के मन में बसा हुआ था, पड़ोस में रहने वाला 41 वर्षीय राजेंद्र सिंह. वह उस का रिश्तेदार भी था और हर समय उस का ध्यान भी रखता था. शादीशुदा होते हुए भी रीता और राजेंद्र के संबंध बहुत गहरे थे. राजेंद्र 3 बच्चों का बाप था तो रीता भी 2 बच्चों की मां थी. राजेंद्र और रीता का पति मनोज दोनों ईंट भट्ठे पर काम करते थे. वहीं पर दोनों के बीच नजदीकियां बनी थीं.

राजेंद्र व रीता के संबंधों की जानकारी रीता के पति मनोज को भी थी और कस्बे के लोगों को भी. इस बाबत रीता के पति मनोज ने दोनों को समझाने का काफी प्रयास भी किया था, मगर न तो रीता मानी और न ही राजेंद्र. उन दोनों का आपस में मिलनाजुलना चलता रहा. दोनों का लगाव इस स्थिति तक पहुंच गया था कि दोनों एकदूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे. इसी दौरान 16 मार्च, 2021 को रीता गायब हो गई. उस के पति मनोज ने उसे सभी संभावित जगहों पर ढूंढा. वह नहीं मिली तो वह झबरेड़ा थाने जा पहुंचा. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार को उस ने बताया, ‘‘साहब, कल मेरी पत्नी रीता काम से अपनी सहेली हुस्नजहां के साथ बैंक गई थी लेकिन आज तक वापस नहीं लौटी है.

मैं उसे आसपास व अपनी सभी रिश्तेदारियों में जा कर तलाश कर चुका हूं, मगर उस का कुछ पता नहीं चल सका.’’

थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने रीता की बाबत मनोज से कुछ जानकारी ली. साथ ही उस का मोबाइल नंबर भी नोट कर लिया. पुलिस ने रीता की गुमशुदगी दर्ज कर मनोज को घर भेज दिया. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने रीता की गुमशुदगी को गंभीरता से लिया. उन्होंने रीता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और इस प्रकरण की जांच थाने के तेजतर्रार थानेदार संजय नेगी को सौंप दी. मामला महिला के लापता होने का था, इसलिए रविंद्र कुमार ने इस बाबत सीओ पंकज गैरोला व एसपी (क्राइम) प्रदीप कुमार राय को जानकारी दी. अगले दिन रीता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स पुलिस को मिल गई.

संजय नेगी ने विवेचना हाथ में आते ही क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में रीता अपने पड़ोसी राजेंद्र के साथ बाइक पर बैठ कर जाती दिखाई दी. इस के बाद शक के आधार पर एसआई संजय नेगी ने राजेंद्र को हिरासत में ले लिया और उस से रीता के लापता होने के बारे में गहन पूछताछ की. पूछताछ के दौरान राजेंद्र पुलिस को बरगलाते हुए कहता रहा कि उस की रीता से रिश्तेदारी है और उस ने 2 दिन पहले रीता को थोड़ी दूर तक बाइक पर लिफ्ट दी थी. लेकिन अब रीता कहां है, उसे इस बाबत कोई जानकारी नहीं है.

शाम तक राजेंद्र इसी बात की रट  लगाए रहा. शाम को अचानक ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी कि सैदपुरा के पास गंगनहर में एक महिला का शव तैर रहा है. इस सूचना पर थानेदार संजय नेगी अपने साथ रीता के पति मनोज को ले कर वहां पहुंचे. संजय नेगी ने ग्रामीणों की मदद से शव को गंगनहर से बाहर निकलवाया. मनोज ने शव को देखते ही पहचान लिया कि वह शव उस की पत्नी रीता का ही है. शव के गले पर निशान थे. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर शव पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दिया. रीता का शव बरामद होने की सूचना पा कर एसपी (क्राइम) प्रदीप कुमार राय थाना झबरेड़ा पहुंचे.

राय ने जब राजेंद्र से पूछताछ की तो वह अपने को बेगुनाह बताने लगा. राय व थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने जब सख्ती से राजेंद्र से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने रीता की हत्या करना स्वीकार कर लिया और उस से पिछले कई सालों से चल रहे आंतरिक संबंधों को भी कबूल कर लिया. रीता की हत्या करने की राजेंद्र ने पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस तरह थी—

राजेंद्र जिला हरिद्वार के कस्बा झबरेड़ा स्थित एक ईंट भट्ठे पर पिछले 20 साल से काम कर रहा था. उस के परिवार में उस की पत्नी सुनीता, बेटी प्रिया (21), दूसरी बेटी खुशी (15) व बेटा कार्तिक (12) था. ईंट भट्ठे पर काम कर के राजेंद्र को 15 हजार रुपए प्रतिमाह की आमदनी हो जाती थी. इस तरह से राजेंद्र के परिवार की गाड़ी अच्छी से चल रही थी. उसी ईंट भट्ठे पर रीता का पति मनोज भी काम करता था. साथ काम करतेकरते मनोज और राजेंद्र में दोस्ती हो गई. फिर दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना शुरू हो गया. इस आनेजाने में रीता और राजेंद्र के बीच नाजायज संबंध बन गए.

वह दोनों आपस में दूर के रिश्तेदार भी थे. दोनों के संबंधों की खबर उन के घर वालों को ही नहीं बल्कि गांव वालों को भी हो गई थी. इस के बावजूद उन्होंने एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ा. उन के संबंध करीब 7 सालों तक बने रहे. पिछले साल अचानक राजेंद्र व रीता के जीवन में एक ऐसा मोड़ आ गया कि दोनों के बीच में दूरियां बढ़ने लगीं. 30 मार्च, 2020 का दिन था. उस समय देश में लौकडाउन चल रहा था. उस दिन जब राजेंद्र से रीता मिली तो उस ने राजेंद्र के सामने शर्त रखी कि वह उस के साथ शादी कर के अलग घर में रहना चाहती है.

रीता की बात सुन कर राजेंद्र सन्न रह गया. उस ने रीता को समझाया कि अब इस उम्र में यह सब करना हम दोनों के लिए ठीक नहीं होगा, क्योंकि हम दोनों पहले से ही शादीशुदा व बड़े बच्चों वाले हैं. अलग रहने से हम दोनों के परिवार वालों की जगहंसाई होगी. हम किसी परेशानी में भी पड़ सकते हैं. राजेंद्र के काफी समझाने पर भी रीता नहीं मानी और राजेंद्र से शादी करने के लिए जिद करने लगी. खैर उस वक्त तो राजेंद्र किसी तरह से रीता को समझाबुझा कर वापस आ गया. इस के बाद उस ने रीता से दूरी  बनानी शुरू कर दी. उस ने उस का मोबाइल अटैंड करना कम कर दिया और उस से कन्नी काटने लगा.

अपनी उपेक्षा से आहत रीता घायल शेरनी की तरह क्रोधित हो गई. उस ने मन ही मन में राजेंद्र से बदला लेने का निश्चय कर लिया. उस दौरान राजेंद्र अपनी बड़ी बेटी प्रिया की शादी के लिए वर की तलाश में था. राजेंद्र अपनी बिरादरी के लोगों से शादी के लिए प्रिया के संबंध में बात करता रहता था. जब इस बात का पता रीता को चला कि राजेंद्र अपनी बेटी के लिए लड़का तलाश रहा है तो उस ने राजेंद्र की बेटी की शादी में अड़ंगा लगाने का निश्चय किया. इस के बाद जो भी लोग प्रिया को शादी के लिए देखने आते रीता उन लोगों से संपर्क करती और उन्हें बताती कि राजेंद्र की बेटी प्रिया का किसी से चक्कर चल रहा है.

रीता के मुंह से यह सुन कर राजेंद्र की बेटी से शादी करने वाले लोग शादी का विचार बदल देते थे. इस तरह रीता ने प्रिया से शादी करने वाले 2 परिवारों को झूठी व भ्रामक जानकारी दे कर प्रिया के रिश्ते तुड़वा दिए थे. जब इस बात की जानकारी राजेंद्र को हुई तो वह तिलमिला कर रह गया. धीरेधीरे समय बीतता गया. वह 28 फरवरी, 2021 का दिन था. उस दिन अचानक एक ऐसी घटना घट गई, जिस से राजेंद्र तड़प उठा और उस ने रीता की हत्या करने की योजना बना डाली. हुआ यूं कि 28 फरवरी, 2021 को कस्बे में रविदास जयंती मनाई जा रही थी. उस समय राजेंद्र की छोटी बेटी खुशी ट्यूशन पढ़ कर वापस घर जा रही थी. तभी रास्ते में उसे रीता का बेटा सौरव खड़ा दिखाई दिया.

खुशी कुछ समझ पाती, इस से पहले ही सौरव ने खुशी के साथ अश्लील हरकतें करनी शुरू कर दीं. इस पर खुशी ने शोर मचा दिया. खुशी के शोर मचाने पर सौरव वहां से भाग गया. खुशी ने घर आ कर इस छेड़खानी की जानकारी अपने पिता राजेंद्र को दी. इस के बाद राजेंद्र ने रीता को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. राजेंद्र रीता की हत्या का तानाबाना बुनने लगा. दूसरी ओर रीता राजेंद्र के इस खतरनाक इरादे से बेखबर थी. योजना के तहत राजेंद्र ने 15 मार्च, 2021 को रीता को फोन कर के कहा कि वह उसे 20 हजार रुपए देना चाहता है, इस के लिए उसे मंगलौर आ कर मिलना पड़ेगा.

उस की इस बात पर लालची रीता राजी हो गई. 16 मार्च को रीता उस के साथ बाइक पर बैठ कर मंगलौर के लिए चल पड़ी. जब दोनों सैदपुरा की गंगनहर पटरी पर पहुंचे तो राजेंद्र ने बाइक रोक कर रीता से कहा, ‘‘मैं तुम्हें सरप्राइज दे कर 20 हजार रुपए देना चाहता हूं, तुम जरा मुंह दूसरी ओर घुमा लो.’’

जैसे ही रीता ने मुंह दूसरी ओर घुमाया तो राजेंद्र ने रीता के गले में लिपटी चुन्नी से उस का गला घोंट दिया. रीता की हत्या के सबूत मिटाने के लिए उस ने उस का मोबाइल व चुन्नी गंगनहर के पानी में फेंक दिए. फिर वह बाइक से अपने घर लौट आया. पुलिस ने राजेंद्र के बयान दर्ज कर लिए और इस प्रकरण में उस के खुलासे के बाद इस मुकदमे में धारा 302 व 201 बढ़ा दी. एसआई संजय नेगी ने अभियुक्त की निशानदेही पर गंगनहर की पटरी से सही झाडि़यों में फंसी रीता की चुन्नी बरामद कर ली. रीता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस की मौत का कारण गला घोंटने से दम घुटना बताया गया. राजेंद्र से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. Best Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Uttarakhand Crime : प्रेमी संग मिलकर पत्नी ने किया पति का कत्ल, बताया जिन्न का साया था वजह

Uttarakhand Crime : लोकडाउन के दौरान कत्ल के कई ऐसे मामले आए जिन में आरोपियों ने कोरोना का बहाना बना कर हत्या के आरोप से बचने की कोशिश की. बबली ने इस से भी चार कदम आगे निकल कर बताया कि उस के पति बालेश पर रात में जिन्न आता था, जो उस की और बेटे अरुण की पिटाई करता था. उन दोनों ने मिल कर जिन्न की…

उस दिन अगस्त 2020 की 20 तारीख थी. सुबह के 8 बज रहे थे. हरिद्वार जिले के थाना भगवानपुर के थानाप्रभारी संजीव थपलियाल थाना स्थित अपने आवास में थे और औफिस आने के लिए तैयार हो रहे थे. तभी थाने के संतरी ने आ कर सूचना दी कि गांव खुब्वनपुर की लाव्वा रोड पर एक आदमी का कत्ल हो गया है. उस की लाश सब्जी के एक खेत में पड़ी है. सुबहसुबह कत्ल की सूचना पा कर थपलियाल का मन कसैला हो गया. वह तुरंत थाने आए पुलिस टीम को ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. उन्होंने इस कत्ल की सूचना सीओ अभय प्रताप सिंह, एसपी (देहात) एस.के. सिंह और एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णाराज एस. को दे दी. इस के बाद थपलियाल अपने साथ खुब्वनपुर क्षेत्र के इंचार्ज थानेदार मनोज ममगई सहित मौके पर पहुंच गए.

थपलियाल मौके पर पहुंचे तो वहां ग्रामीणों की भीड़ जमा थी. पुलिस को देख कर भीड़ तितरबितर हो गई. थपलियाल ने शव पर नजर डाली. वह 47-48 साल का अधेड़ व्यक्ति था, जिस का गला 2 जगह से कटा हुआ था. उस के कपड़े खून से सने थे. वहां मौजूद लोगों में से एक ग्रामीण ने मृतक की शिनाख्त कर दी थी. उस ने बताया कि मृतक ग्राम खुब्वनपुर के पूर्व प्रधान ब्रह्मपाल का भाई बालेश है. पुलिस ने तुरंत ब्रह्मपाल के घर सूचना भिजवा दी. इस के बाद थपलियाल ने वहां खड़े ग्रामीणों से बालेश के बारे में जानकारी लेनी शुरू कर दी. जब वे जानकारी ले रहे थे, तभी वहां सीओ (मंगलौर) अभय प्रताप सिंह व एसपी (देहात) एस.के. सिंह भी पहुंच गए. दोनों अधिकारियों ने भी थपलियाल व ग्रामीणों से बालेश की हत्या की बाबत जानकारी ली और थपलियाल को आवश्यक निर्देश दे कर चले गए.

थपलियाल ने थानेदार मनोज ममगई को बालेश के शव का पंचनामा भरने को कहा और फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट की एक टीम बालेश के घर भेजी दी. प्राथमिक काररवाई कर के पुलिस ने बालेश का शव पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस खुब्वनपुर स्थित बालेश के घर पहुंची और उस की पत्नी बबली व उस के बेटे अरुण से पूछताछ की. बबली ने बताया कि बालेश बीती रात खाना खा कर बीड़ी पीने के लिए पड़ोस में गया था, इस के बाद वह वापस नहीं लौटा. वह रात भर उस का इंतजार करती रही थी. बबली ने बताया कि पिछले 2 सालों में बालेश पर 2 बार हमला हो चुका था.

पुलिस ने उस समय जब इन हमलों की जांच की थी, तो मामला पारिवारिक निकला था. पूछताछ के दौरान थपलियाल ने पाया कि बबली व अरुण के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. लगता था, वे पुलिस से कुछ छिपा रहे हैं. इस के बाद पुलिस ने बालेश की हत्या का मामला धारा 302 के तहज दर्ज कर के जांच शुरू की दी. सब से पहले थपलियाल ने बालेश के परिवार की सुरागरसी व पतारसी करने के लिए सादे कपड़ों में 2 पुलिसकर्मी खुब्वनपुर में तैनात कर दिए. अगले दिन उन दोनों ने जो जानकारी थपलियाल को दी, उसे सुन कर वह चौंके. जानकारी यह थी कि 25 साल पहले बालेश की शादी पास के ही गांव भक्तोवाली निवासी बबली से हुई थी. जिस से उसे 6 संतान हुईं. बालेश व बबली का बड़ा बेटा अरुण है. बालेश के पास मात्र 7 बीघा खेती की जमीन थी. घर का खर्च चलाने के लिए बबली नौकरी ढूढने लगी.

3 साल पहले बबली को घर से 3 किलोमीटर दूर सिकंदरपुर स्थित मां दुर्गा इंडस्ट्रीज में नौकरी मिल गई थी. दूसरी ओर बालेश अकसर नशा कर के बबली व अपने बेटे अरुण से मारपीट करता रहता था. इसी बीच बबली की दोस्ती फैक्ट्री के एक सहकर्मी लाल सिंह से हो गई थी. बबली अपने पति बालेश से खासी परेशान थी. कुछ समय बाद लाल सिंह और बबली के बीच अवैध संबंध बन गए थे. लालसिंह अकसर बालेश के घर आने जाने लगा था. जब लालसिंह का ज्यादा आनाजाना बढ़ गया, तो इस की चर्चा गांव में आम हो गई. पड़ोसियों को इस बात की जानकारी तो थी कि बालेश अपनी बीबी बबली व बेटे अरुण की अकसर रात में मारपीट करता है,

मगर जब पड़ोसियों को इस बात की जानकारी हुई कि बबली के साथ फैक्ट्री में काम करने वाले लाल सिंह के उस से अवैध संबंध है तो गांव में कानाफूसी होने लगी. कुछ समय बाद दोनों के अवैध संबंधों की जानकारी बालेश को भी हो गई थी. एक दिन बालेश ने अपने घर पर आए लाल सिंह को घर आने के लिए मना कर दिया और बबली को भी फटकारा. इस के बाद लाल सिंह के घर न आने से बबली खोईखोई सी रहने लगी थी. एक दिन लाल सिंह व बबली फैक्ट्री के बाहर मिले और उन्होंने अपने रास्ते के रोड़े बालेश को हटाने की योजना बनानी शुरू कर दी. योजना के तहत बबली ने गांव में यह कहना शुरू कर दिया था कि उस के पति बालेश पर जिन्न का साया है और जिन्न रात को आता है.

जिन्न के सवार होने पर बालेश उसे व उस के बेटे को मारतापीटता है. इस के बाद अरुण को भी अपने बाप बालेश पर संदेह होने लगा था कि सचमुच उस के बाप पर जिन्न का ही साया है. अरुण पास ही एक दूसरी फैक्ट्री में कर्मचारी था. वह भी मां के कहने पर विश्वास करने लगा था और उसे बाप से नफरत हो गई थी. गांव खुब्वनपुर के गांव वालों को यह संदेह था कि बालेश की हत्या के तार बबली व लाल सिंह से कहीं न कहीं जुडे़ हुए हैं. इस बारे में थानाप्रभारी संजीव थपलियाल को सटीक सूचना मिली थी, अत: उन्होंने बालेश की हत्या के मामले में उस की पत्नी बबली को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ के दौरान बबली पुलिस को इतना ही बता पाई कि बालेश घटना वाले दिन खाना खा कर बीड़ी पीने के लिए पड़ोस में गया था और रात भर वापस नहीं लौटा था. उसे सुबह पुलिस द्वारा उस की हत्या की सूचना मिली थी.

बालेश की हत्या के बारे में बबली से कोई सूत्र न मिलने पर सीओ अभय प्रताप सिंह ने थपलियाल को लाल सिंह व बबली के मोबाइलों की काल डिटेल्स निकलवाने को कहा. जब दोनों के मोबाइलों की लोकेशन व कालडिटेल्स पुलिस को मिली, तो पुलिस को यकीन हो गया कि बालेश की हत्या में दोनों शामिल हैं. इस के बाद थपलियाल ने लाल सिंह निवासी ग्राम बढेड़ी थाना भगवानपुर को बालेश की हत्या के बारे में पूछताछ के लिए बुलवाया और उस से पूछताछ करने लगे. पहले तो लाल सिंह पुलिस को गच्चा देने का प्रयास करता रहा, मगर जब थपलियाल ने उस से बालेश की हत्या वाले दिन उस की मौजूदगी के सवाल पूछे, तो वह टूट गया. उस ने पुलिस के सामने बालेश की हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली.

लाल सिंह द्वारा बालेश की हत्या की कबूल करने की सूचना पा कर बालेश का पूर्व प्रधान भाई ब्रह्मपाल, सीओ अभय प्रताप सिंह व एसपी (देहात) एस.के. सिंह भी थाना भगवानपुर पहुंच गए थे. पूछताछ के दौरान लाल सिंह ने पुलिस को बताया कि कई सालों से वह और बबली फैक्ट्री में साथसाथ काम करते थे. उन दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए थे. बबली अकसर मुझ से कहती रहती थी कि मेरा पति बालेश मुझ से तथा मेरे बच्चों से मारपीट करता है. मुझ पर शक करते हुए घर का खर्च भी नहीं देता है. इस के बाद मैं और बबली बालेश की हत्या की योजना बनाने लगे. 19 अगस्त, 2020 को मैं ने एक स्थानीय मैडिकल स्टोर से नींद की 20 गोलियों की स्ट्रिप खरीदी थी, जो बबली को दे दिया था.

उसी रात को बबली ने मुझे मोबाइल पर बताया कि उस ने बालेश को नींद की 10 गोलियां खाने में डाल कर खिला दी हैं और वह घर में बेहोश पड़ा है. फिर मैं तुरंत बाइक से बबली के घर पहुंच गया. वहां पहुंच कर मैं ने व बबली ने कमरे में बेहोश पड़े बालेश का गला घोंट कर मार डाला. बालेश की हत्या करने के बाद बबली व उस के बेटे अरुण के सहयोग से मैं ने बालेश की लाश को एक बोरे में डाल दिया. लाश वाले बोरे को ले कर वह और अरुण लाव्वा रोड पर एक सब्जी के खेत में फेंक कर अपनेअपने घर चले गए. पुलिस ने लालसिंह के बयान दर्ज कर लिए थे. तभी पुलिस बबली व उस के बेटे अरुण को भी थाने ले आई. बबली व अरुण ने जब हवालात में बंद लालसिंह को देखा, तो सारा माजरा समझ गए. उन दोनों ने अपने बयानों में लालसिंह के ही बयानों का समर्थन करते हुए बालेश की हत्या का सच पुलिस को बता दिया.

बबली ने पुलिस को जानकारी दी कि वह रोजरोज की मारपीट से परेशान थी. उस के मन में बालेश के प्रति नफरत पैदा हो गई थी.

जब लाल सिंह व अरुण बालेश के शव को सब्जी के खेत में फेंक कर वापस आ गए थे, तो भी मुझे चैन नहीं था. इस के बाद मैं खुद अपने बेटे अरुण के साथ दरांती ले कर उस जगह पर गई, जहां बालेश की लाश पड़ी थी. वहां पहुंच कर मैं ने ही दरांती से बालेश का गला रेता था. अपने बेटे को बता रखा था कि बालेश पर जिन्न का साया है, जिस की वजह से वह हम लोगों से मारपीट करता है. मैं ने अपनी इस योजना में अरुण को भी शामिल कर लिया था. बबली के बयान दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी संजीव थपलियाल ने लाल सिंह, बबली व अरुण को बालेश की हत्या के आरोप में भादंवि की धाराओं 302, 201 व 34 के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णाराज एस. ने कोतवाली सिविललाइन रुड़की में प्रैसवार्ता के दौरान बालेश हत्याकांड का परदाफाश किया और तीनों आरोपियों कोे मीडिया के सामने पेश किया. पति पर जिन्न का सांया है इसलिए पत्नी ने कराई पति की हत्या

प्रैसवार्ता में एसएसपी द्वारा 24 घंटे में बालेश हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की तारीफ की. पुलिस ने हत्याकांड के आरोपियों लाल सिंह, बबली व अरुण का मैडिकल कराने के बाद उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. तीनों आरोपी अपने बुने जाल में फंस गए. इन तीनों की प्लानिंग थी कि बालेश को नींद की गोलियां खिला कर उस का गला दबा कर हत्या कर देंगे. बालेश की हत्या के बाद समाज के लोगों से कह देंगे कि वह बुखार से पीडि़त था, हो सकता है कोरोना वायरस से पीडि़त रहा होगा. कुछ समय बाद लोग बालेश की मौत को भूल जाएंगे. पुलिस ने बालेश की हत्या में इस्तेमाल बाइक, नींद की गोलियों का रैपर तथा बालेश के शव को ले जाने वाले बोरे को बरामद कर लिया. बालेश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस की मौत कारण गला घोंटा जाना तथा धारदार हथियार से गला कटने से ज्यादा खून बहना बताया गया था.

—पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Love Crime : प्रेमिका ने बेवफाई की तो प्रेमी ने कर दिया कत्ल

Love Crime : किसी खूबसूरत लड़की से प्यार हो जाना स्वाभाविक है, फिर शिवानी तो खूबसूरत के साथसाथ टिकटौक स्टार भी थी. अगर आरिफ को उस से एकतरफा प्यार हो गया था तो शिवानी को उसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए था. उस की यही भूल उस के लिए…

17 वर्षीय शिवानी खोबियान 24 जून, 2020 को भी रोजाना की तरह नियत समय पर अपने ब्यूटी पार्लर टच एंड फेयर पहुंच गई थी. उस का यह पार्लर कुंडली थाने के पौश एरिया टीडीसी सिटी में था. शिवानी ने पार्लर की देखरेख के लिए अपनी छोटी बहन श्वेता के दोस्त नीरज को जौब पर रख लिया था. वह सुबह साढ़े 10 बजे तक पार्लर की साफसफाई कर के रेडी रखता था. शिवानी 11 बजे तक पार्लर आती थी. सुंदर और गुणी शिवानी टिकटौक स्टार थी. उस के लाखों फौलोअर्स थे. दीवाने उस की मोहक अदाओं पर मर मिटे थे. कई तो उसे प्रेम निवेदन भी भेज चुके थे, लेकिन शिवानी पागल दीवानों की अनदेखी कर टिकटौक प्लेटफार्म पर वीडियो बना कर पोस्ट करती रहती थी. वह सोनीपत के कुंडली में अपने मांबाप और 3 बहनों के साथ रहती थी.

24 जून दोपहर 2 बजे की बात है. शिवानी ने ग्राहकों से फारिग हो कर पार्लर का मुख्य द्वार बंद कर दिया और टिकटौक के लिए वीडियो शूट करने लगी. उस ने वीडियो बना कर टिकटौक पर पोस्ट कर दी और फिर अपने काम में जुट गई. रात के 8 बज गए. लेकिन शिवानी घर नहीं लौटी तो उसे ले कर घर वालों को थोड़ी चिंता हुई. छोटी बहन श्वेता ने उस के फोन पर काल किया. लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ  था. शिवानी कभी फोन औफ नहीं रखती थी. श्वेता ने अपने फोन से उस के वाट्सऐप पर मैसेज किया, ‘‘दी, तुम कहां हो? तुम्हारा फोन औफ क्यों आ रहा है? मम्मीपापा और हम सभी तुम्हारे लिए परेशान हैं, जल्दी बताओ.’’

श्वेता के मैसेज भेजने के कुछ देर बाद शिवानी ने श्वेता के वाट्सऐप पर जवाब दिया, ‘‘श्वेता, मैं जरूरी काम से हरिद्वार जा रही हूं. 3-4 दिन बाद घर लौटूंगी, तुम लोग परेशान मत होना, तब तक मम्मीपापा का ध्यान रखना.’’

शिवानी का मैसेज पढ़ कर श्वेता ने यह बात मम्मीपापा को बता दी. सुन कर सभी ने चैन की सांस ली.  शिवानी के पिता विनोद खोबियान बेटी की ओर से इसलिए भी निश्चिंत हो गए, क्योंकि वह अकसर पार्लर से ही बाहर चली जाती थी लेकिन कहीं जाने से पहले वह घर पर बता देती थी. इस बार उस ने बाहर जाने की बात घर में नहीं बताई थी. 26 जून की सुबह साफसफाई करने नीरज 11 बजे ब्यूटी पार्लर पहुंचा. उसे शिवानी के हरिद्वार जाने की बात पता चल गई थी, इसलिए वह शिवानी के हरिद्वार से लौटने वाले दिन आया था. दुकान खोल कर नीरज जैसे ही अंदर गया, दुकान के भीतर से  किसी चीज के सड़ने की इतनी तेज दुर्गंध आई कि वह उल्टे पांव बाहर आ गया.

उस ने सोचा कि दुकान कई दिनों से बंद थी, हो सकता है कोई चूहा मर गया हो और उसी के सड़ने की बदबू आ रही हो. फिर वह नाक पर रूमाल बांध कर दुकान के अंदर गया. दुकान के भीतर ग्राहकों के मसाज के लिए एक बैड बिछा था. कई मामलों में शिवानी बैड पर लेटा कर अपने ग्राहकों को मसाज किया करती थी. उस ने महंगे क्रीम पाउडर रखने के लिए एक बड़ी अलमारी भी रखी हुई थी. हो गया शिवानी का कत्ल नीरज ने फौरी तौर पर कमरे का निरीक्षण किया. अलमारी भी देख ली. उसे कहीं भी कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिस में से दुर्गंध आ रही हो. लेकिन जब वह बैड के पास पहुंचा तो वहां से तेज बदबू आई.

उसे लगा जैसे बदबू के मारे अभी उल्टी हो जाएगी. वह नाकमुंह दबा कर तेजी से बाहर निकल आया. बाहर आ कर उस ने ताजा सांस ली. उस के बाद वह फिर दुकान के अंदर गया और बैड पर लगे कुंडे को पकड़ कर बैड का बड़ा ढक्कन उठाया. ढक्कन उठाते ही वह बुरी तरह चौंका. उस के हाथ से ढक्कन तेजी से छूट गया और वह एक बार फिर तेजी से बाहर की ओर भागा. बैड के भीतर टिकटौक स्टार और ब्यूटी पार्लर की मालकिन शिवानी खोबियान की लाश पड़ी हुई थी. बदबू उसी बैड में से आ रही थी. शिवानी का शव देख कर नीरज के हाथपांव थरथर कांपने लगे. एक पल के लिए उस के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे?

थोड़ी देर बाद जब वह सामान्य हुआ तो उस ने सब से पहले अपनी दोस्त श्वेता को फोन कर के शिवानी दीदी की लाश के बारे में जानकारी दी और पार्लर पर आने को कहा. यह 28 जून की बात है. शिवानी की लाश मिलने की जानकारी होते ही घर में कोहराम मच गया था. श्वेता, उस की मम्मी और पापा तथा कुछ परिचित तत्काल पार्लर पहुंच गए, जहां शिवानी की लाश बैड के अंदर पड़ी थी. मौके पर पहुंचे मृतका के पिता विनोद खोबियान ने फोन कर के घटना की जानकारी कुंडली थाने को दे दी. सूचना मिलते ही कुंडली थाने के थानेदार रविंदर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. तब तक वहां भारी भीड़ जमा हो गई थी. पुलिस को आया देख भीड़ छंट गई.

सभी को इस बात पर ताज्जुब हो रहा था कि शिवानी ने मैसेज से जब हरिद्वार जाने की बात कही थी तो उस की लाश बैड के भीतर कैसे आई?

थानाप्रभारी रविंदर ने भीड़ को हटाया और टीम के साथ दुकान के भीतर गए. उन्होंने सरसरी निगाह से एकएक चीज की जांचपड़ताल की. दुकान के भीतर रखे ब्यूटी प्रसाधन और अन्य चीजें अपनी जगह थीं. हत्यारे ने किसी चीज को छुआ तक नहीं था. इस से एक बात तय थी कि हत्यारे की मंशा लूटपाट करने की नहीं थी. उस का लक्ष्य सिर्फ शिवानी थी और उस ने उस के प्राण लिए थे. शिवानी की हत्या कर के लाश को बैड के अंदर छिपाया ही नहीं गया था, बल्कि बाहर से दुकान का ताला भी बंद कर दिया गया था. इस से साफ पता लग रहा था कि इस घटना में उस का कोई जानने वाला जरूर शामिल था. एसओ रविंदर ने लाश का मुआयना किया. लाश बैड के भीतर आड़ीतिरछी पड़ी हुई थी.

शरीर पर एक खरोंच तक नहीं थी. लाश से बदबू उठ रही थी, इस से अनुमान लगाया गया कि शिवानी की मौत 2 से 3 दिनों के बीच हुई होगी. घटनास्थल और लाश का मौकामुआयना करने के बाद एसओ रविंदर ने डीएसपी वीरेंद्र सिंह और एसपी जे.एस. रंधावा को फोन कर के घटना की सूचना दे दी. थोड़ी देर बाद डीएसपी सिंह मौके पर आ गए. लाश के परीक्षण से यह बात साफ हो गई कि शिवानी की हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के गले पर निशान मौजूद थे. पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल सोनीपत भेज दिया और आगे की कार्रवाई में जुट गई.

एसओ रविंदर ने मृतका के पिता विनोद से उस की किसी से दुश्मनी अथवा लड़ाईझगड़े की बात पूछी तो उन्होंने ऐसी किसी भी बात से इनकार किया लेकिन इतना जरूर बताया कि आरिफ नाम का एक लड़का सालों से शिवानी को परेशान कर रहा था, उसी पर शक है. पिता की बात सुन कर श्वेता को याद आया कि 26 जून की दोपहर में जब शिवानी से उस की बात हुई थी तो उस ने बताया कि आरिफ पार्लर पर आया है और परेशान कर रहा है. इस के बाद उस ने यह कहते हुए फोन काट दिया था कि वह बाद में बात करेगी. लेकिन शिवानी ने कालबैक नहीं किया. ऐसा पहली बार हुआ था कि शिवानी देर रात तक घर नहीं लौटी थी.

श्वेता ने आगे बताया कि जब उस ने शिवानी के फोन पर काल लगाई तो फोन बंद आने था. तब मैं ने उस के वाट्सऐप पर मैसेज दिया तो थोड़ी देर बाद उस के फोन से रिप्लाई आया कि जरूरी काम से हरिद्वार आई हूं. मंगलवार तक घर लौट आऊंगी. इंसपेक्टर रविंदर ने श्वेता की बातें बड़े गौर से सुनीं. उस की बातें सुन कर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि शिवानी की हत्या में कहीं न कहीं आरिफ का हाथ जरूर है. संभव है शिवानी की हत्या उसी ने की हो और वहां से भागते समय शिवानी का फोन अपने साथ ले गया हो. फिर घर वालों को गुमराह करने के लिए उसी फोन से शिवानी की ओर से मैसेज का जवाब दिया हो.

घर वालों के बयानों से शक की कोई गुजाइश नहीं बची थी. आरिफ ही संदिग्ध लग रहा था, लेकिन वजह अभी भी साफ नहीं हो पा रही थी कि आखिर उस ने शिवानी की हत्या क्यों की? इस सवाल का जवाब उस के पकड़े जाने के बाद ही मिल सकता था. उसी दिन शाम को मृतका शिवानी के पिता विनोद खोबियान ने एसओ रविंदर को आरिफ मोहम्मद को नामजद करते हुए एक लिखित तहरीर दी. तहरीर के आधार पर कुंडली थाने की पुलिस ने आरिफ मोहम्मद के खिलाफ धारा 302, 201 भादंवि एवं एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के साथ ही आरोपी की खोजबीन शुरू हो गई. इस मामले की जांच डीएसपी वीरेंद्र सिंह को मिली थी. वीरेंद्र सिंह ने अपनी काररवाई शुरू कर दी.

आरिफ मोहम्मद कुंडली थाना क्षेत्र के प्याऊ मनियारी का रहने वाला था. पुलिस ने अपना तंत्र चारों ओर बिछा दिया था. मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी आरोपी आरिफ अपने घर में छिपा हुआ है. मुखबिर की सूचना पर डीएसपी वीरेंद्र सिंह ने 29 जून की दोपहर में पुलिस टीम के साथ आरिफ के घर पर दबिश दी. पुलिस टीम में थानाप्रभारी रविंदर भी शामिल थे. प्याऊ मनियारी पहुंच कर पुलिस ने आरिफ के घर को चारों ओर से घेर लिया. पुलिस को देख कर आरिफ ने भागने की कोशिश की लेकिन वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. आरिफ मोहम्मद को गिरफ्तार कर के पुलिस थाना कुंडली ले आई. डीएसपी वीरेंद्र सिंह ने आरिफ को इंट्रोगेशन रूम में ले जा कर पूछताछ शुरू की.

पुलिस के सवालों के सामने वह ज्यादा देर नहीं टिक सका. पुलिस के सवालों की बौछार से आरिफ ने घुटने टेक दिए. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने पुलिस के सामने कहा कि शिवानी ने उस के साथ बेवफाई की थी, धोखा दिया था उसे. आरिफ ने बताया, उस के प्यार में लाखों रुपए पानी की तरह बहाने के बाद भी शिवानी ने मेरे प्यार का ऐसा सिला दिया कि मैं खुद को ठगा महसूस कर रहा था. पिछले 5 दिनों से वह मुझ से बात नहीं कर रही थी. उस ने दूसरा प्रेमी ढूंढ लिया था. मैं उस से मिलने गया तो उस ने मुझे देख कर भीतर से दरवाजा बंद करने की कोशिश की. शिवानी का यह व्यवहार मुझे अच्छा नहीं लगा, मुझे गुस्सा आ गया. मैं ने उसे धक्का दे कर दरवाजा खोल दिया. वह मुझ पर भड़क गई और चिल्लाने लगी, यह देख मैं आपे से बाहर हो गया.

मेरे दोनों हाथ उस की गर्दन तक पहुंच गए. मैं ने जोर से उस का गला दबा दिया. शिवानी मर गई. मैं समझ गया कि मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई. दिमाग को शांत कर सोचा तो लगा, मुझे वहां से निकल जाना चाहिए. बाद में शिवानी के मोबाइल पर श्वेता का वाट्सऐप मैसेज आया तो मैं ने शिवानी की ओर से मैसेज का जवाब दे दिया ताकि घर वालों को यकीन हो जाए कि शिवानी हरिद्वार गई है. इस के बाद आरिफ ने पूरी कहानी विस्तार से सुना दी. आरिफ से पूछताछ के बाद पुलिस ने देर शाम उसे अदालत के सामने पेश कर जेल भेज दिया. कहानी की बुनियाद कुछ इस तरह थी—

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के सोरपा निवासी विनोद खोबियान सालों पहले हरियाणा के जिला सोनीपत के कुंडली के प्याऊ मनियारी मोहल्ले में किराए का मकान ले कर परिवार सहित आ बसे थे. पत्नी और 2 बेटियां यही उन का घरसंसार था. दोनों बेटियों में शिवानी बड़ी, खूबसूरत और समझदार थी.  श्वेता छोटी थी. मामूली परिवार था शिवानी का विनोद खोबियान शहर की एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करते थे. वो इतना कमा लेते थे जिस से उन के परिवार का भरणपोषण हो जाता था. साथ ही बच्चों की जरूरतें भी पूरी हो जाती थीं. 18 साल की हो चुकी शिवानी अल्हड़पन और मदमस्त किस्म की लड़की थी. एक तो जवान ऊपर से सुंदर व चंचल, वह किसी के भी मन को भा सकती थी.

शिवानी 12वीं में पढ़ती थी. उस ने अमीरी के जो ख्वाब आंखों में संजो रखे थे, वह महंगाई के जमाने में पिता के लिए पूरे करना मुमकिन नहीं था. ख्वाब चाहे खुली आंखों से देखा गया हो या सोते में, ख्वाब ही होता है. ख्वाब पूरे करने के लिए साधन, मेहनत की जरूरत होती है. शिवानी यह बात जानती थी, इसलिए ख्वाबों को साकार करने के लिए वह लगातार कोशिशों में जुटी हुई थी. सुंदर तो वह थी ही, उस में अभिनय प्रतिभा भी थी. फिल्मी दुनिया में किस्मत आजमाने के लिए उसे मायानगरी मुंबई जाना पड़ता, जो उस के लिए मुमकिन नहीं था.

पिछले 2-3 सालों से चाइनीज ऐप टिकटौक प्लेटफौर्म पीक पर था. लोग अपने वीडियो बना कर टिकटौक पर पोस्ट कर देते थे. इस तरह उन के अभिनय का शौक तो पूरा हो ही जाता था, फालोअर बढ़ने पर लाखों की कमाई भी होती थी. शिवानी को यह बात पता थी. सो उस ने भी टिकटौक प्लेटफार्म पर अपने पांव जमाने शुरू कर दिए. सितारा बनने के लिए उस ने दिनरात एक कर दिया. फालोअर्स को रिझाने के लिए वह मनमोहक अदाओं के वीडियो बना कर टिकटौक पर पोस्ट करने लगी. इस से शिवानी खोबियान को तमाम लोग पसंद करने लगे. अपनी चंचल अदाओं से उस ने थोडे़ ही समय में लाखों फालोअर्स बना लिए और पैसे भी कमाने लगी.

शिवानी के टिकटौक अभिनय से घर वाले परिचित थे. बेटी के इस काम से उन्हें कोई ऐतराज नहीं था. परिवार की ओर से मिले समर्थन के बाद शिवानी खुल कर टिकटौक प्लेटफार्म पर उतर आई. टिकटौक की बदौलत आरिफ आया जिंदगी में शिवानी खोबियान के लाखों फालोअर्स में से एक फालोअर ऐसा भी था जो अपने परिवार के साथ उसी के पड़ोस में रहता था. उस नाम था आरिफ मोहम्मद. 25 वर्षीय आरिफ मोहम्मद मध्यमवर्गीय परिवार से था. उस के पिता का खुद का छोटामोटा बिजनैस था. उसी की कमाई से परिवार का खर्च चलता था. आरिफ के भी 2 भाई और एक बहन थी. भाई बहनों में वह सब से बड़ा था. आरिफ पढ़ाई के साथसाथ पिता के व्यवसाय में भी अपना हाथ बंटाता था.

करीब 6 साल पहले विनोद खोबियान जब सपरिवार बागपत से सोनीपत आए थे तो उन्होंने कुंडली के मोहल्ला प्याऊ मनियारी में रहने के लिए मकान लिया था. आरिफ का मकान उन के पड़ोस में था. बात 4 साल पहले की है. घर से बाहर जातेआते एक दिन आरिफ की नजर शिवानी पर पड़ गई. उसे देखा तो वह देखता रह गया. वह शिवानी को तब तक देखता रहा जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.  उस दिन के बाद से आरिफ शिवानी की एक झलक पाने के लिए अपने घर के बाहरी दरवाजे पर खड़ा हो जाता था. जब तक वह शिवानी का दीदार नहीं कर लेता था तब तक वहां से हटता नहीं था.

आरिफ शिवानी से एकतरफा प्यार करने लगा था. उस के इस प्यार में पागलपन था. वह शिवानी को अपने दिल का हाल बताने के लिए बेताब था. लेकिन उसे ऐसा कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था जिस से शिवानी तक पहुंच जाए. आखिरकार आरिफ ने शिवानी तक पहुंचने का रास्ता बना ही लिया. जब भी वह शिवानी के पिता को देखता तो उन्हें अदब के साथ नमस्कार करता ताकि उन की निगाहों में आ जाए. पड़ोसी तो वह था ही, इसलिए वह त्यौहारों वगैरह पर विनोद खोबियान और उन के परिवार को निमंत्रित करने लगा.

इस तरह वह शिवानी तक पहुंचने में कामयाब हो गया. शिवानी के घर वाले उस के व्यवहार के कायल थे. वे लोग उसे अपने यहां जबतब चाय पर बुलाने लगे. इस आनेजाने से शिवानी और आरिफ के बीच नजदीकियां बनती गईं. शिवानी जल्दी ही जान गई कि आरिफ उस से एकतरफा प्यार करता है लेकिन वह प्यार के पचड़े में नहीं पड़ना चाहती थी. वह सच्चे दोस्त की तरह व्यवहार करती थी. तब शिवानी टिकटौक प्लेटफौर्म से दूर थी. वह बाद में टिकटौक स्टार बनी थी. टिकटौक स्टार बनते ही शिवानी के तेवर बदल गए. वह जानती थी आरिफ उस के प्यार में पागल है. उस ने आरिफ को झांसा दे कर उसे अपने प्यार का धोखे वाला रसगुल्ला खिला दिया.

मतलब दिखाने या कहने को शिवानी भी उस से प्यार करती थी पर हकीकत में उसे धोखे में रखे थी, वह भी अपना उल्लू सीधा करने के लिए. इसी बीच जब शिवानी ने अपना ब्यूटी पार्लर खोलने की योजना बनाई तो आरिफ ने पार्लर खोलने के लिए थोड़ाथोड़ा कर के उसे लाखों रुपए दिए. चाहे दिन हो या रात, उस की एक आवाज पर वह एक पैर पर खड़ा रहता था. जबकि शिवानी उस की भावनाओं से खेल रही थी. शिवानी के दीवाने आरिफ को इस बात की जरा भी भनक नहीं थी कि वह उस से प्यार नहीं करती, बल्कि दिखावे के लिए उस की भावनाओं से खेल रही है, पैसों के लिए उस का इस्तेमाल कर रही है. आरिफ ने शिवानी के सामने निकाह करने का प्रस्ताव रखा तो शिवानी ने शादी से साफ इनकार कर दिया.

उधर आरिफ की शादी के लिए रिश्ते आ रहे थे. उस ने शिवानी से निकाह के चक्कर में घर आए कई रिश्ते ठुकरा दिए थे. बता दें कि शुरुआती दिनों में शिवानी ने आरिफ मोहम्मद के खिलाफ छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज करवा कर उसे जेल तक भिजवा दिया था. जेल से बाहर आने के बाद आरिफ का प्यार और जुनूनी हो गया था. उस के जुनून को देखते हुए शिवानी ने आरिफ से फिर दोस्ती कर ली. आरिफ शिवानी से इतना प्यार करता था कि उस ने अपने दाहिने हाथ पर उस का नाम गुदवा लिया था. जब शिवानी ने शादी करने से इनकार कर दिया तो उस ने अपने हाथ की नस काट कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. इस पर भी शिवानी का दिल नहीं पसीजा. उस ने आरिफ के प्यार को ठुकरा दिया. उस की यह बात आरिफ को पसंद नहीं आई और उस ने उसी समय फैसला कर लिया कि अगर शिवानी उस की नहीं हो सकती तो वह किसी और की भी नहीं होगी.

घटना से 15 दिन पहले की बात है. कल तब जो शिवानी आरिफ से हंसहंस कर बातें करती थी, वो उसे देख क र मुंह मोड़ने लगी. शिवानी की यह बात आरिफ के दिल में शूल बन कर चुभने लगी थी. उसे शिवानी से ऐसी उम्मीद नहीं थी कि उसे देख कर वह अपना मुंह मोड़ लेगी. आरिफ ने पता लगाया कि वह उसे देख कर आखिर मुंह क्यों मोड़ रही है तो जो बात पता चली, उसे जान कर उस के दिल को गहरा धक्का लगा. शिवानी किसी लड़के से बातचीत करती थी. वह लड़का उस का बौयफ्रैंड था. यह जान कर आरिफ तिलमिला उठा. फिर भी शिवानी को पाने के लिए आरिफ ने ऐड़ीचोटी एक कर दी.

20 जून, 2020 को आरिफ ने शिवानी को मनाने के लिए उस के पार्लर के लिए हजारों रुपए का सामान खरीद कर दिया था. नानुकुर करने की बजाय उस ने सामान ले भी लिया था. आरिफ सोच रहा था कि वह एक न एक दिन उस का दिल जीत कर ही रहेगा. लेकिन हुआ इस के विपरीत. 22 जून को शिवानी ने आरिफ के नंबर को ब्लैकलिस्ट में डाल दिया. इस से आरिफ और भी पागल हो गया. वह उस की आवाज सुनने के लिए तरस गया था. शिवानी को देखने के लिए जब भी वह उस के पार्लर पहुंचता, उसे देख कर शिवानी पार्लर का दरवाजा बंद कर लेती थी. कई दिनों तक ऐसा ही होता रहा.

शिवानी का व्यवहार ही बना दुश्मन 26 जून की दोपहर में आरिफ शिवानी से मिलने उस के ब्यूटी पार्लर पहुंचा. वह जानता था दोपहर के समय ग्राहक कम ही आते हैं. यह समय उस से बात करने के लिए ठीक था. उस के पार्लर की देखभाल करने वाला नीरज दोपहर में खाना खाने घर चला जाता था. बहरहाल, आरिफ जब ब्यूटी पार्लर पहुंचा, तो उसे देख कर शिवानी ने पार्लर का दरवाजा बंद कर लिया. उस समय वह फोन पर बात कर रही थी. यह देख आरिफ गुस्से के मारे पागल हो गया. उस ने बलपूर्वक दरवाजे पर जोर लगा कर दरवाजा खोल लिया और जबरन पार्लर के भीतर घुस गया. उस ने भीतर से दरवाजे पर सिटकनी लगा दी. आरिफ की हिमाकत देख कर शिवानी गुस्से से पागल हो गई और चिल्लाने लगी.

उसी समय मोबाइल पर शिवानी की छोटी बहन श्वेता का फोन आ गया. दोनों के बीच गरमागरम बहस चल रही थी. शिवानी ने ही श्वेता को बताया कि आरिफ दुकान में घुस आया है. उस से झगड़ा कर रहा है. तुम फोन रखो, उसे यहां से भगाने के बाद फोन करती हूं. इस के बाद श्वेता ने फोन काट दिया. शिवानी फिर चिल्लाने लगी. उस के चिल्लाने से आरिफ डर गया और उस के सामने हाथ जोड़ कर चुप रहने के लिए कहने लगा. वह बारबार यही कहता रहा कि तुम चुप हो जाओ, चुप हो कर मेरी बात सुन लो. मैं वापस चला जाऊंगा, फिर तुम से मिलने भी नहीं आऊंगा. लेकिन शिवानी उस की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थी.

काफी मिन्नतों के बावजूद जब शिवानी उस की बात सुनने के लिए तैयार नहीं हुई तो वह अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाया और उस ने दोनों हाथ शिवानी की गर्दन पर कस गए. कुछ ही पलों में शिवानी की सांस रुक गई और वह फर्श पर गिर गई. शिवानी मर चुकी थी. यह देख कर आरिफ के होश उड़ गए. उसे जेल की सलाखें नजर आने लगीं. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि लाश का क्या करे, उसे कहां ठिकाने लगाए. तभी उस की निगाह दुकान में पड़े बैड पर गई. आरिफ ने बैड का ढक्कन उठाया और शिवानी की लाश आड़ीतिरछी उस में डाल कर ढक्कन बंद कर दिया. साक्ष्य मिटाने के लिए शिवानी का फोन वह अपने साथ लेता गया. उस ने फोन का स्विच औफ कर दिया था. फिर पार्लर पर ताला लगा कर घर चला गया.

कुछ देर बाद जब नीरज दुकान पहुंचा तो ताला बंद देख उस ने सोचा शिवानी पार्लर बंद कर किसी काम से चली गई होगी. उस ने शिवानी के फोन पर काल किया तो फोन बंद था. यह देख कर नीरज कुछ परेशान हुआ जरूर, लेकिन बाद में उस ने इस बात को दिमाग से निकाल दिया. देर शाम पार्लर से जब शिवानी घर नहीं पहुंची तो घर वालों को थोड़ी चिंता हुई. पिता विनोद खोबियान ने छोटी बेटी श्वेता से कहा कि शिवानी को फोन कर के पूछो कि कहां है. घर लौटने में इतनी देर क्यों लगा दी. श्वेता ने जब शिवानी के फोन पर काल की तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. उस ने उस के फोन पर कई बार काल की, लेकिन हर बार एक ही आवाज आई कि फोन स्विच्ड औफ है.

बात न हो पाने की दशा में श्वेता ने उस के वाट्सऐप पर मैसेज दे कर पूछा कि वह कहां है. घर कब तक लौटेगी. घंटों बाद आरिफ ने शिवानी का फोन औन कर के जांच किया कि कहीं उस के फोन पर किसी का मैसेज तो नहीं आया है. उस ने फोन औन किया तो उस ने श्वेता का मैसेज देखा. उस ने शिवानी की ओर से श्वेता के वाट्सऐप पर मैसेज भेज दिया कि वह हरिद्वार आई है. मंगलवार तक घर लौट आएगी. मैसेज भेज कर आरिफ ने फोन बंद कर दिया. श्वेता ने जब शिवानी का मैसेज पढ़ा तो उसे थोड़ी हैरानी हुई. उस ने मम्मीपापा को बता दिया कि वह हरिद्वार गई है, मंगलवार तक घर लौट आएगी. इस से घर वाले निश्चिंत हो गए.

28 जून, 2020 को जब नीरज पार्लर की सफाई करने वहां पहुंचा और पार्लर खोली तो टिकटौक स्टार शिवानी खोबियान की हत्या के राज से परदा उठा. कानून की आंख में धूल झोंकने के लिए आरिफ ने जिस चालाकी का परिचय दिया था, उस की चालाकी धरी की धरी रह गई और वह जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधार

Crime Stories : पति की धमकी से तंग आकर पत्नी ने कराया पति का कत्ल

Crime Stories : पति पत्नी के बीच के झगड़े और मतभेद आम सी बात है. वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है. लेकिन अगर हमदर्द बन कर कोई तीसरा दोनों के बीच कूद जाए तो परिणाम भयावह…

वह 26 जून, 2020 की मध्यरात्रि थी. समय सुबह के 3 बजकर 20 मिनट. उत्तराखंड के जिला हरिद्वार की लक्सर कोतवाली के कोतवाल हेमेंद्र सिंह नेगी देहात क्षेत्र के गांवों में गस्त कर रहे थे, तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी. नेगी ने मोबाइल स्क्रीन देखी, कोई अज्ञात नंबर था. इतनी रात में कोई यूं ही फोन नहीं करता. नेगी ने मोबाइल काल रिसिव की. दूसरी ओर कोई अपरीचित था, जिस की आवाज डरीसहमी सी लग रही थी. हेमेंद्र सिंह के परिचय देने पर उस ने कहा, ‘‘सर, मेरा नाम अभिषेक है और मैं आप के थाना क्षेत्र के गांव झीबरहेडी से बोल रहा हूं.

मुझे आप को यह सूचना देनी थी कि आधा घंटे पहले बदमाशों ने मेरे चचेरे भाई प्रदीप की हत्या कर दी है.’’

‘‘हत्या, कैसे? पूरी बात बताओ’’

‘‘सर मुझे हत्यारों की तो कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि उस वक्त मैं गहरी नींद में था. करीब आधा घंटे पहले मेरे मकान की दीवार से किसी के कूदने की आवाज आई थी. मुझे लगा कि गांव में बदमाश आ गए हैं. मैं तुरंत नीचे आ कर दरवाजा बंद कर के लेट गया.

‘‘थोड़ी देर बाद चचेरे भाई प्रदीप के कराहने की आवाज आई तो मैं बाहर आया. मैं ने देखा कि प्रदीप लहूलुहान पड़ा था, उस के पेट, छाती व सिर पर धारदार हथियारों से प्रहार किए गए थे.’’ अभिषेक बोला.

‘‘फिर?’’

‘‘सर, फिर मैं ने अपने घरवालों को जगाया और प्रदीप को  तत्काल अस्पताल ले जाने को कहा. लेकिन हम प्रदीप को अस्पताल ले जाते, उस ने दम तोड़ दिया.’’ अभिषेक बोला.

‘प्रदीप किसान था?’ नेगी ने पूछा

‘नहीं सर प्रदीप स्थानीय श्री सीमेंट कंपनी में ट्रक चलाता था और गत रात ही वह देहरादून से लौटा था. रात को वह अकेला ही अपने घर की छत पर सो रहा था.’ अभिषेक बोला.

‘‘प्रदीप की गांव में किसी से कोई रंजिश तो नहीं थी?’ नेगी ने पूछा.

‘‘नहीं सर वह तो हंसमुख स्वभाव का था और गांव के सभी बिरादरी के लोग उस की इज्जत करते थे. प्रदीप ज्यादातर अपने काम से काम रखने वाला आदमी था.’’ अभिषेक बोला.

‘‘ठीक है अभिषेक, पुलिस 15 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच जाएगी.’’

कोतवाल हेमेंद्र नेगी ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया. नेगी ने सब से पहले लक्सर कोतवाली की चेतक पुलिस को गांव झीबरहेड़ी में प्रदीप के घर पहुंचने का आदेश दिया. फिर इस हत्या के बारे में सीओ राजन सिंह, एसपी देहात स्वप्न किशोर सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सेंथिल अबुदई कृष्णाराज एस. को सूचना दी. नेगी गांव झीबरहेड़ी की ओर चल दिए. 20 मिनट बाद नेगी प्रदीप के घर पर पहुंच गए. उस समय सुबह के 4 बज गए थे और अंधेरा छंटने लगा था. प्रदीप के घर में उस का शव आंगन में चादर से ढका रखा था, आसपास गांव वालों की भीड़ जमा थी. नेगी व चेतक पुलिस के सिपाहियों ने सब से पहले ग्रामीणों को वहां से हटाया. इस के बाद शव का निरीक्षण किया. हत्यारों ने प्रदीप की हत्या बड़ी बेरहमी से की थी.

बदमाशों ने प्रदीप का पूरा शरीर धारदार हथियारों से गोद डाला था. जब नेगी ने प्रदीप के बीबी बच्चों की बाबत, पूछा तो घर वालों ने बताया कि कई सालों से प्रदीप की बीबी ममता बच्चों के साथ अपने मायके बादशाहपुर में रहती है. घरवालों से नंबर ले कर नेगी ने ममता को प्रदीप की हत्या की जानकारी दी. इस के बाद नेगी ने गांव वालों से प्रदीप की दिनचर्या के बारे में जानकारी ली और पूछा कि उस की गांव में किसी से दुश्मनी तो नहीं थी. नेगी का अनुमान था कि प्रदीप की हत्या का कारण रंजिश भी हो सकता है, क्योंकि यह मामला लूट का नहीं लग रहा था.

नेगी ग्रामीणों से प्रदीप के बारे में जानकारी जुटा ही रहे थे, कि सीओ राजन सिंह, एसपी देहात एसके सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सेंथिल अबुदई कृष्णाराज एस भी पहुंच गए. तीनों अधिकारियों ने वहां मौजूद ग्रामीणों से प्रदीप की हत्या के बारे में पूछताछ की. इस के बाद अधिकारियों ने कोतवाल नेगी को प्रदीप के शव को पोस्टमार्टम के लिए जेएन सिन्हा स्मारक राजकीय अस्पताल रुड़की भेजने के निर्देश दिए और चले गए. शव को अस्पताल भेज कर नेगी थाने लौट आए. उन्होंने प्रदीप के भाई सोमपाल की ओर से धारा 302 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया और मामले की जांच शुरू कर दी. प्रदीप की हत्या का मामला थोड़ा पेचीदा था, क्योंकि न तो प्रदीप का कोई दुश्मन था और न लूट हुई थी.

अगले दिन 27 जून को एसपी देहात एसके सिंह ने इस केस का खुलासा करने के लिए लक्सर कोतवाली में मीटिंग की, जिस में सीओ राजन सिंह, कोतवाल हेमेंद्र नेगी, थानेदार मनोज नोटियाल, लोकपाल परमार, आशीष शर्मा, यशवीर नेगी सहित सीआईयू प्रभारी एनके बचकोटी, एएसआई देवेंद्र भारती व जाकिर आदि शामिल हुए. एसके सिंह ने सीओ राजन सिंह के निर्देशन में इन सभी को जल्द से जल्द प्रदीप हत्याकांड का खुलासा करने के निर्देश दिए. निर्देशानुसार सीआईयू प्रभारी एनके बचकोटी ने झीबरहेड़ी में घटी घटना का साइट सैल डाटा उठाया. साथ ही रात में हत्या के समय आसपास चले मोबाइलों की काल डिटेल्स खंगाली. इस के बाद पुलिस द्वारा उन मोबाइल नंबरों की पड़ताल की गई.

साथ ही बचकोटी ने सीआईयू के एएसआई देवेंद्र भारती व जाकिर को प्रदीप हत्याकांड की सुरागरसी करने के लिए सादे कपड़ों में झीबरहेड़ी भेजा. सिपाहियों कपिलदेव व महीपाल को उन्होंने प्रदीप की पत्नी ममता के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उस के मायके बादशाहपुर भेजा था. इस का परिणाम यह निकला कि 28 जून, 2020 की शाम को पुलिस और सीआईयू के हाथ प्रदीप हत्याकांड के पुख्ता सबूत लग गए. पुलिस को जो जानकारी मिली, वह यह थी कि मृतक प्रदीप के साथ अमन भी ट्रक चलाता था. वह गांव हरीपुर, जिला सहारनपुर का रहने वाला था. इसी के चलते वह प्रदीप के घर आताजाता था. प्रदीप की पत्नी ममता का चालचलन ठीक नहीं था, इस वजह से पति पत्नी में अकसर मनमुटाव रहता था.

घर में आनेजाने से अमन की आंखे ममता से लड़ गई थीं और वे दोनों प्रदीप की गैरमौजूदगी में रंगरलियां मनाने लगे थे. गत वर्ष जब प्रदीप को ममता व अमन के अवैध संबंधों की जानकारी हुई तो उस ने दोनों को धमकाया भी, मगर 42 वर्षीया ममता अपने 23 वर्षीय प्रेमी अमन को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी. इस विवाद के चलते वह अपने बच्चों के साथ मायके बादशाहपुर जा कर रहने लगी थी. उस के जाने के बाद प्रदीप अपने झीबरहेडी स्थित मकान पर अकेला रहने लगा. 29 जून, 2020 को पुलिस को प्रदीप की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई, जिस में उस की मौत का कारण शरीर पर धारदार हथियारों के प्रहारों से ज्यादा खून बहना बताया गया था.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस को अमन पर शक हो गया. दूसरी ओर सीआईयू प्रभारी एनके बचकोटी को जिस मोबाइल नंबर पर शक था, वह अमन का ही नंबर था. सीआईयू ने अमन की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछा दिया था. अमन को शाम को ही पुलिस ने लक्सर क्षेत्र से उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह ममता से मिलने जा रहा था. अमन को पकड़ने के बाद पुलिस उसे कोतवाली ले आई. इस के बाद एसपी देहात एसके सिंह व सीओ राजन सिंह ने उस से प्रदीप की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की. अमन ने पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार है—

अमन ने अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि वह प्रदीप के साथ गत 3 वर्षो से ट्रक चलाता था. उस का प्रदीप के घर आना जाना होता रहता था. प्रदीप की बीवी ममता पति के रूखे व्यवहार से परेशान रहती थी. जब उस ने ममता से प्यार भरी बातें करनी शुरू कर दीं, तो वह भी उसी टोन में बतियाने लगी. तनीजा यह हुआ कि उस के ममता से अवैध संबंध बन गए. यह जानकारी मिलने पर प्रदीप ने मुझे धमकी दी, जिस से मैं बुरी तरह डर गया. इस के बाद उस ने प्रदीप द्वारा दी गई धमकी की जानकारी ममता को दी. तब उस ने ममता की सहमति से प्रदीप की हत्या की योजना बनाई. 26 जून को उस ने प्रदीप के बेटे शकुन को फोन किया और उस से प्रदीप के बारे में पूछा.

शकुन के मुताबिक प्रदीप उस शाम घर पर ही था. रात 12 बजे मैं छुरी ले कर झीबरहेडी की ओर निकल गया. प्रदीप के मकान के पीछे खेत थे रात करीब 2 बजे वह खेतों की ओर से मकान पर चढ़ गया. उस समय प्रदीप मकान की छत पर अकेला बेसुध सोया पड़ा था. उसे देख कर उस का खून खौल गया. इस के बाद उस ने पूरी ताकत लगा कर प्रदीप के गले पर वार करने शुरू कर दिए. उस ने प्रदीप के गले, सिर व पेट पर कई वार किए. इस के बाद वह मकान की छत से कूद कर, वापस लक्सर आ गया. लक्सर से बादशाहपुर ज्यादा दूर नहीं था. इसलिए लक्सर पुलिस ममता को भी कोतवाली ले आई. जब ममता ने अमन को पुलिस हिरासत में देखा, तो वह सारा माजरा समझ गई और पुलिस के सामने अपने पति की हत्या का षडयंत्र रचने में अपनी संलिप्तता मान कर ली.

इस के बाद एसपी देहात एसके सिंह ने प्रदीप हत्याकांड का खुलासा होने और 2 आरोपियों के गिरफ्तार होने की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार सेंथिल अबुदई कृष्णाराज को दी. 30 जून, 2020 को एसपी देहात एसके सिंह ने लक्सर कोतवाली में प्रैसवार्ता के दौरान मीडियाकर्मियों को प्रदीप हत्याकांड के खुलासे की जानकारी दी. इस के बाद पुलिस ने अमन व ममता को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. 3 बच्चों की मां होने के बाद भी ममता अमन के प्रेम में इस कदर डूबी कि उस ने पति की हत्या अपने प्रेमी से कराने में कोई संकोच नहीं किया, बल्कि इस हत्याकांड को छिपाए रखा.

प्रदीप से ममता की शादी वर्ष 2001 में हुई थी. प्रदीप का 18 वर्षीय बेटा सन्नी हैदराबाद में कोचिंग कर रहा है और 17 साल की बेटी आंचल और 12 साल का बेटा शकुन मां ममता के साथ बादशाहपुर में रहते थे.

(पुलिस सूत्रों पर आधारित)

Uttarakhand Crime : कर्ज में छिपा कत्ल का राज

Uttarakhand Crime : कर्ज लेनदेन के जाल में रुबीना ऐसी फंसी कि उस का जीना मुहाल हो गया था. किंतु उस से निकलने के लिए उस ने जो तरीका अपनाया, वह कानून के फंदे में फंसने वाला था. उस पर आसमान से गिरे और खजूर पर अटके वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ हो गई. आखिर उस ने किया क्या था? पढ़ें, इस मर्डर स्टोरी में.

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में रुड़की के मच्छी मोहल्ले में रहने वाली करीब 40 साल की रुबीना छोटे से घर में अपने शौहर शमशेर और 3 बच्चों के साथ रहती थी. बेटियां स्कूल जाती थीं. पति पत्थर टाइल्स का काम करता था और वह खुद पिछले 6 सालों से जरूरतमंद महिलाओं को लोन दिलवाने के लिए बिचौलिए का काम करती थी.

लेकिन पिछले कई महीने से वह परेशान चल रही थी. उस के घर का गुजारा किसी तरह से बस चल पा रहा था.

”तुम कब से कह रही हो नई ड्रेस दिलवा दूंगी, क्यों नहीं दिलातीं?’’ एक दिन रुबीना की 10 साल की बेटी ठुनकती हुई बोली.

”दिलवा दूंगी…तुम्हें भी दिला दूंगी.’’ रुबीना ने समझाने की कोशिश की.

”नहींनहीं अम्मी, मुझे आज ही चाहिए. तुम दीवाली पर बोली थी, वह भी निकल गई…’’ कहतेकहते बेटी रोने को हो आई.

”अरे चुप हो जा मेरी बच्ची, थोड़े पैसे आ जाने दे.’’

”उतने सारे पैसे थे तो तुम्हारे पास, मैं ने देखा था रात को तुम गिन रही थी…’’

”अरे वो पैसे मेरे नहीं थे, वो तो ब्याज के थे.’’ रुबीना बोली.

”उसी में से दिला देतीं, और पैसे आने पर उस से ब्याज दे देतीं.’’ बेटी का मासूमियत भरा सुझाव था.

”उस में एक पैसा खर्च नहीं कर सकती मेरी बच्ची…समझा कर! ब्याज नहीं चुकाऊंगी, तब कर्ज का बोझ कैसे उतरेगा. लोन वाले किस्त मांगने घर पर आ धमकेंगे.’’ रुबीना बोली.

”कर्ज लिया क्यों?’’ बेटी बोली.

”अब तुम्हें कैसे सब कुछ समझाऊं? यही तो हमारा कामधंधा है…बाप की कमाई से कहां गुजारा होता है.’’ रुबीना बोली.

”अरे इधर आ, तुझे मैं समझाती हूं.’’ रुबीना की बड़ी बेटी अपनी बहन का हाथ खींचती हुई कमरे से बाहर चली गई.

”अरे, क्या हुआ, फिर छुटकी ने किसी फरमाइश की जिद कर दी?’’ शौहर शमशेर कमरे में घुसते ही बोला.

”उस कमीनी के चलते आज यह दिन देखने पड़ रहे हैं…न वह मरती और न मुझे उस का लोन चुकाना पड़ता…’’ रुबीना बिफरती हुई बोली.

”किंतु रुबीना, तुम ने भी कुछ कम लोगों से लोन नहीं ले रखे हैं. ऊपर से दूसरों की गारंटर भी बनी हो.’’ शमशेर बोला.

”ऐसा नहीं करूं तो भला जो भी कमीशन के पैसे आ रहे हैं वह भी नहीं आएंगे और तुम्हारे काम की कमाई का तो मुझे कुछ पता ही नहीं चलता है.’’ रुबीना ने कहा.

”तुम्हारे लोन लेनेदिलवाने के चक्कर में मैं भी फंसता जा रहा हूं. क्या जरूरत थी सगीरन को लोन दिलवाने की, जब वह बीमारी के दौर से गुजर रही थी.’’ शौहर बोला.

”मैं उस की देह के भीतर घुस कर देखने गई थी कि कैसी बीमारी है उसे. अब भला किसी की बीमारी में नहीं मदद होगी, तब कब होगी?’’

लोन कैसे बना जी का जंजाल

रुबीना कई स्थानीय लोगों के अलावा 4 बैंकों की कर्जदार थी. उन की किस्तें और ब्याज के पैसे चुकाने के चलते बच्चे अच्छा खानेपहनने को तरस रहे थे. परिवार का गुजारा मुश्किल से हो पा रहा था. शौहर की कमाई से जो कुछ आता, उस में से आधे से अधिक कर्ज चुकाने में ही चले थे. दरअसल, वह खुद लोन लेने और दिलवाने का धंधा करती थी. उस ने बीते 2 साल से महिलाओं का एक ग्रुप बना रखा था, जिन्हें जरूरत के अनुसार अपनी जिम्मेदारी पर लोन दिलवाती थी. इस के बदले में रुबीना को हर एक महिला से 500 रुपए कमीशन मिल जाता था.

उस ने 2 साल पहले ही अपनी आईडी से सगीरन नामक महिला को एक लाख रुपए का लोन रेखा नाम की महिला से दिलवाया था. रेखा उस के घर के पास में ही सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र के सत्ती मोहल्ले में मसजिद के पीछे पति घनश्याम के साथ रहती थी. घनश्याम रुड़की की पुरानी सब्जी मंडी में सब्जी की दुकान चलाता है. घर में घनश्याम और उस की पत्नी रेखा (50 वर्ष) के अलावा और कोई नहीं रहता था. उन के 3 बच्चे अंबाला, हरियाणा ही रहते थे.

रेखा भी घर से लोन का धंधा कई सालों से कर रही थी. रुबीना की उस से जानपहचान बीते 5 सालों से थी. रेखा के पास लोन देने के लिए अच्छीखासी रकम थी. उस की समस्या थी कि वह बीमारी के चलते अधिक चलफिर नहीं सकती थी, इस वजह से वह घर पर ही रहती थी. कर्ज लेने वाले उस के घर आते थे और लोन की किस्त आदि चुका कर चले जाते थे. इन में ज्यादातर महिलाएं ही थीं. रुबीना भी उन्हीं में से एक थी, जो लोन के लिए ग्राहक लाती थी. बदले में उसे रेखा कमीशन देती थी.

रुबीना कर्ज से परेशान रहते हुए हमेशा इस चिंता में रहती थी कि कैसे उस के पास मोटी रकम आए कि कर्ज का कुछ बोझ हलका हो पाए. जब भी वह रेखा के पास जाती, तब उसे अकेली देखती थी. उस की नजर बरबस उस के पहनावे और गहनों पर चली जाती थी. उस ने महंगा मंगलसूत्र पहन रखा था. कान में भारी कुंडल थे. पति घनश्याम दिन में अपनी सब्जी की दुकान पर चला जाता था. रुबीना समझती थी कि उस के पास काफी पैसा है. वह रेखा की भी कर्जदार थी. उसे सगीरन के साथसाथ अपने भी पैसे रेखा को चुकाने थे. इस वजह से वह उस से और अधिक कर्ज नहीं ले सकती थी.

रुबीना कई दिनों से यह महसूस करने लगी थी कि रेखा के गहने उस की आंखों को चुभने लगे हैं. मन ही मन वह उस की कीमत का भी हिसाब लगाने लगी थी. एक दिन नहीं रहा गया तब उस ने पूछ लिया, ”दीदी, आप का मंगलसूत्र कितने भर सोने का है?’’

”क्यों तुम्हें बनवाना है, जो पूछ रही है?’’ रेखा ने कमेंट के मूड में बोल दिया.

”नहीं दीदी, यूं ही पूछ रही थी…और वो कान का कुंडल दीदी!’’ रुबीना फिर बोली.

”बड़ी मुश्किल से धनश्याम से लड़झगड़ कर इसे बनवाया है. अरे चलचल, अपने काम पर ध्यान दे. अपनी और दूसरों के लोन की किस्तें समय पर चुकाने का इंतजाम कर…’’ रेखा बोली.

रुबीना को उस रोज रेखा की बात थोड़ी कड़वी लगी. रेखा ने एक तरह से उसे लोन चुकाने को ले कर धमकी दे डाली थी. रुबीना भी क्या करती, उस ने अपनी आईडी उस के पास जमा करवा रखी थी.

सोमवार के दिन 25 नवंबर, 2024 को पौने 11 बज चुके थे. घर का कामकाज निपटा कर रुबीना रेखा के घर जाने के लिए निकली थी. उस रोज भी उस के पास ब्याज चुकाने तक के पूरे पैसे नहीं थे, किस्त की तो बात ही दूर थी. ऊपर से बेटी की फरमाइश थी. उस के दिमाग में खलबली हो रही थी. सब कुछ एकसाथ कौंध रहा था. चल कहीं और रही थी, ध्यान कहीं और ही था. 2 बार ऊबडख़ाबड़ सड़क पर गिरतेगिरते बची और एक बार तो स्कूटी से टकरातेटकराते! हाथ में बैग मजबूती से थामे थी. उसी में उस का साधारण मोबाइल फोन भी था. उस वक्त उस के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था…! कुछ अच्छा, तो कुछ बुरा! कुल मिला कर उस का इरादा कुछ नेक नहीं लग रहा था.

लालच की नाव ने कैसे पहुंचाया जेल

कर्ज से मुक्ति की कुछ योजना उस ने बना रखी थी और और कुछ के बारे में सोचती हुई रेखा के घर की तरफ कदम बढ़ाती जा रही थी. उसे यह भी ध्यान में था कि रेखा का पति अभी सब्जी की दुकान से नहीं आया होगा. वह दोपहर को ही घर पर रहता था. वह 11 बजे रेखा के घर पहुंच गई थी. जैसे ही वह रेखा के कमरे में गई, शिकायती लहजे में बोली, ”देख, आज बहाना मत बनाना…सगीरन का पैसा भी देना…और अपना बेशक सिर्फ ब्याज चुका दो…आज तुम्हारे मोहल्ले की ही सबीना आने वाली है…उसे 2 लाख चाहिए…तुम्हारा नाम ले कर कल आई थी…’’

रुबीना चुपचाप सुनती रही. कोई जवाब नहीं दिया.

”क्यों कुछ बोल क्यों नहीं रही…उस के लोन का कमीशन तुम्हारे ब्याज में कम कर दूंगी.’’

”लेकिन दीदी…मेरे पास तो अपने ही ब्याज के पूरे पैसे नहीं हैं…वो 2 दिन बाद कर दूंगी…’’

”देख, फिर तूने कर दी न…छिछोरीछिनारों वाली बात!…हराम…’’

रेखा के मुंह से गालियां निकलनी शुरू ही हुईं कि रुबीना गुस्से में आ गई, ”दीदी, मैं तुम्हारी कर्जदार हूं… लिहाज करती हूं, इस का मतलब यह नहीं कि मुझे गालियां दो. दोबारा ऐसी गलती मत करना वरना बहुत बुरा हो जाएगा…’’

”क्या बुरा हो जाएगा…क्या कर लेगी तू…मैं अपना पैसा मांगती हूं…गालियां बुरी लगती हैं तो मेरा पैसा चुकाओ, वरना भुगतने के लिए तैयार हो जाओ…’’ रेखा चीखती हुई बोली.

”मैं भी देखती हूं कौन किसे दबाता है?’’ यह कहती हुई रुबीना ने वहीं कोने में रखा लोहे का पाइप रिंच उठा लिया. रेखा सहम गई, फिर भी तनी हुई आवाज में बोली, ”तो तू मुझे मारेगी, एक फोन मिलाऊंगी कि तुम्हारी बोलती बंद हो जाएगी…’’

रेखा अपना फोन निकालने के लिए तकिए को हटाने लगी, तभी रुबीना ने रेखा के सिर पर पाइप रिंच से जोरदार वार कर दिया. जिस से रेखा एक ओर चीखती हुए लुढ़क गई. चोट सिर पर लगी थी. वह अर्धबेहोशी की हालत में आ गई थी. उस की उठने की हिम्मत नहीं हो रही थी. रुबीना ने तुरंत रेखा के गले में लिपटी चुन्नी को कस दिया. इस के बाद फटाफट रुबीना ने रेखा के घर की अलमारी में रखे सोनेचांदी के जेवर, 10 हजार रुपए की नगदी और रेखा का मोबाइल फोन अपने एक छोटे बैग में ठूंस कर रखा फिर चुपचाप अपने घर आ गई.

उधर घनश्याम अपनी सब्जी की दुकान पर व्यस्त था. जब वह सब्जी बेच कर दुकान से निकला तो उसे कुछ भूख लगने लगी. उस ने सोचा कि पहले घर पर जा कर खाना खाया जाए. तेज कदमों से घनश्याम घर पहुंचा. घर में सन्नाटा पसरा हुआ था. उस ने रेखा को आवाज लगाई. पीछे वाले कमरे से रेखा की दबी हुई आवाज आई, ”मैं यहां हूं.’’ घनश्याम दौड़ कर वहां पहुंचा. वहां देखा तो रेखा कराह रही थी. उस के सिर से खून रिस रहा था. गले में चुन्नी लिपटी हुई थी. घनश्याम ने उस की हालत देख कर तुरंत पड़ोसियों को बुलाया. उसे ईरिक्शा में बैठा कर सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी में ले गया. जैसे ही डाक्टरों ने रेखा का इलाज शुरू किया, उस ने दम तोड़ दिया. रेखा को पहले से ही शुगर की बीमारी थी. मरने से पहले वह घटना के बारे में कुछ भी नहीं बता पाई.

डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार में पाया कि रेखा के सिर पर किसी भारी चीज से हमला किया गया था. उस के गले में भी किसी रस्सी आदि के कसने के निशान थे. उस की मौत डाक्टरों को सामान्य नहीं, बल्कि हत्या लगी, इसलिए तुरंत पुलिस को सूचना दे दी गई. मामला रुड़की कोतवाली सिविल लाइंस का था. वहां से ऐश्वर्य पाल सूचना पा कर अस्पताल पहुंच गए. सूचना मिलने पर कोतवाल नरेंद्र सिंह बिष्ट भी अस्पताल पहुंच गए. इस मामले की तत्काल काररवाई करते हुए नरेंद्र बिष्ट ने घनश्याम से पूछताछ की. उसे जितनी जानकारी थी, वह कोतवाल को दे दी. महिला की संदिग्ध हत्या की गई थी. वह भी दिन में ही. कोतवाल ने सीओ नरेंद्र पंत और एसपी (देहात) स्वप्न किशोर सिंह को भी घटना से अवगत करा दिया.

दूसरी तरफ डाक्टरों ने रेखा के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में भिजवा दिया. मामले की छानबीन के लिए नरेंद्र बिष्ट अपने साथ एसएसआई धर्मेंद्र राठी, एसआई मंसूर अली, हैडकांस्टेबल मनमोहन भंडारी और नूर आलम को ले कर घनश्याम के घर पर गए. रेखा की संदिग्ध मौत की सूचना पा कर उन के बच्चे अंबाला से रुड़की के लिए निकल पड़े. कोतवाल नरेंद्र सिंह बिष्ट ने रेखा के मकान का बारीकी से निरीक्षण किया. रेखा के पति घनश्याम ने पुलिस को बताया कि जब वह घर आया तो उसे लगा कि शायद रेखा बैड से नीचे गिर कर घायल हो गई होगी. मगर जब अस्पताल से लौट कर देखा तो घर के काफी जेवर गायब थी.

घर में अकसर ब्याज पर कर्ज लेने और ब्याज की रकम लौटाने के लिए महिलाएं आती रहती थीं. इन में वे महिलाएं भी थीं, जो कर्ज दिलवाने का काम करती थीं. उन में घनश्याम ने अंजुम, गजाला  और रुबीना का नाम बताया, जिन का अकसर आनाजाना होता था. घर पर आनेजाने वाली महिलाओं के अलावा पुलिस ने रेखा की दिनचर्या की जानकारी जुटाई. इस के बाद पुलिस टीम ने पड़ोसियों से भी पूछताछ की. साथ ही मोहल्ले में आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक करने की योजना बनाई गई.

पुलिस टीम ने वहां लगे लगभग 50 सीसीटीवी कैमरे चैक किए. इन कैमरों की लगभग 200 फुटेजों में घटना वाले रोज 15-16 लोगों का रेखा के घर में आनाजाना दिखा. पुलिस ने सब से पहले उन लोगों की शिनाख्त की और उन के बारे में जानकारी जुटा कर उन से पूछताछ की. उन्हीं फुटेज में एक महिला घटना वाले दिन रेखा के घर से एक छोटा बैग ले कर जाती दिखाई दी थी, जो बाकी महिलाओं से थोड़ी अलग दिखी थी. वह महिला उस दिन 2 बार रेखा के घर जाती हुई दिखाई दी थी. फोरैंसिक टीम द्वारा घटनास्थल की जांच पूरी करने के बाद जब पुलिस ने रेखा की हत्या का मुकदमा उस के बेटे दीपक कुमार की तरफ से धारा 103, 309 (6) बीएनएस के तहत दर्ज कर लिया.

सीसीटीवी फुटेज में नजर आए लोगों से पूतछाछ के सिलसिले में कोतवाल नरेंद्र बिष्ट को बैग ले कर 2 बार रेखा के घर जाने वाली मुसलिम पहनावे वाली महिला संदिग्ध लगी. वह रुबीना थी, जो मृतका रेखा के घर से एक छोटा बैग ले कर वापस जाते हुए दिखाई दी थी. इसलिए पुलिस ने रुबीना से दोबारा पूछताछ के लिए महिला थानेदार अंशु चौधरी के माध्यम से थाने बुलवाया. वह 28 नवंबर, 2024 की शाम थी, जब रुबीना कोतवाली में आ गई थी. थानेदार अंशु चौधरी, कोतवाल नरेंद्र बिष्ट तथा सीओ नरेंद्र पंत ने रेखा की मौत के बारे में उस से पूछताछ करनी शुरू की.

श्री बिष्ट ने जब रुबीना को सीसीटीवी कैमरों की फुटेज दिखाई तो उस के चेहरे पर घबराहट दिखाई दी. उन्होंने घटना से संबंधित कुछ सवाल पूछे तो वह पुलिस के प्रश्नों के सही उत्तर नहीं दे सकी और जल्द ही टूट गई थी. जेल जाने के डर से रुबीना ने पुलिस के सामने रेखा की हत्या करना स्वीकार कर लिया. अपनी मजबूरियों की खातिर रेखा की हत्या करने की सिलसिलेवार जानकारी  रख दी.

रेखा से अपने पुराने संबंधों और उस की हत्या के बारे में रुबीना ने जो खुलासा किया, वह बहुत ही शर्मनाक था, क्योंकि अपनी समस्या का समाधान निकालने का उस ने जो तरीका अपनाया था, वह सोचीसमझी साजिश थी. हालांकि इस के पीछे की वजह उस ने सगीरन के कर्ज चुकाने की अपनी मजबूरी भी बताई. उस ने बताया कि उस ने अपना कर्ज उतारने के लिए रेखा की हत्या कर के उसे लूटने की योजना बनाई थी.

कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने रुबीना की निशानदेही पर उस के घर से रेखा की हत्या करने में इस्तेमाल किया गया पाइप रिंच, रेखा का मोबाइल फोन तथा गहने मंगलसूत्र, सोने की अंगूठियां, कानों के झुमके, कानों के टौप्स, नाक की लौंग, गले की चेन, पाजेब, बिछवे, बच्चों के कड़े व नकद 10 हजार रुपए बरामद कर लिए.

रुबीना से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

 

Comedian Sunil Pal : फोटो खिंचवाने के बहाने फैन ने किया किडनैप

Comedian Sunil Pal : किडनैपर्स ने कामेडियन सुनील पाल को किडनैप कर के उन से फिरौती की रकम हासिल करने के बाद उन्हें मुंबई वापसी के लिए हवाई जहाज का टिकट भी दे दिया था. सब निपट जाने के बावजूद ऐसी क्या वजह रही कि किडनैपर्स पुलिस के चंगुल में आ गए?

2 दिसंबर, 2024 की शाम को जानेमाने कामेडियन सुनील पाल हवाई जहाज से दिल्ली पहुंचे तो उन्हें हरिद्वार ले जाने के लिए इवेंट कंपनी को ओर से एक कार भेजी गई थी. वह कार में सवार हो गए तो कार उन्हें ले कर रवाना हो गई. मेरठ के पास वह खाना खाने के लिए एक ढाबे पर रुके. सुनील पाल खाने के लिए मेज तलाश रहे थे कि 3 युवक उन के पास आ कर खड़े हो गए. उन में से एक युवक ने कहा, ”सर, आप जानेमाने कामेडियन सुनील पालजी हैं न?’’

सुनील ने उस युवक की तरफ घूर कर देखते हुए कहा, ”जी, मैं सुनील पाल ही हूं. बताइए क्या काम है?’’

”सर, काम कोई नहीं है. हम तो आप के बहुत बड़े फैन हैं. इसीलिए तो आप को देखते ही पहचान गए. आप की कामेडी मुझे बहुत पसंद है. सर, आज आप हमारे इलाके में हैं, इसलिए आप हमारे मेहमान हैं और मेहमान का डिनर हमारी ओर से.’’

सुनील पाल उन अंजान युवकों का निमंत्रण स्वीकार नहीं करना चाहते थे. पर वे युवक उन के पीछे पड़ गए. मजबूरन सुनील को उन की बात माननी पड़ी. एक मेज पर बैठ कर युवकों ने सभी के लिए खाने का और्डर कर दिया. 4 लोगों का खाना लगाने में समय तो लगता ही है. खाना आता, उस के पहले ही उसी युवक ने कहा, ”सुनील सर, आज ही मैं ने अपने लिए नई कार खरीदी है. आप चल कर उस में बैठ कर हम लोगों के साथ एक फोटो खिंचवा लेंगे तो यह पल हम सभी के लिए हमेशाहमेशा के लिए यादगार बन जाएगा कि आप हमारी कार में बैठे थे.’’

यह कोई बड़ा काम तो था नहीं. फिर हर आदमी तारीफ और चाहने वालों का भूखा होता है. कवि और कामेडियन तो चाहते ही हैं कि उन के चाहने वाले बहुत हों और उन की हर बात पर तालियां बजाएं. ऐसे में जब उन युवकों ने सुनील से कहा कि वे उन के बहुत बड़े फैन हैं और वे उन से मिल कर खुद को बड़ा भाग्यशाली मान रहे हैं तो सुनील पाल ने सोचा कि इन की खुशी के लिए इन की कार में क्षण भर बैठने और इन के साथ फोटो खिंचववाने में क्या बुराई है.

ज्यादातर कवि और कामेडियन भोले होते हैं. शायद इसीलिए सुनील को यह नहीं पता था कि दुनिया बहुत बदल गई है. आजकल कोई भी भरोसा करने लायक नहीं है. लेकिन भोले होने की वजह से Comedian Sunil Pal सुनील पाल उन युवकों की बातों में आ गए और उन के कहने पर उन की कार में बैठने के लिए कार के पास जा पहुंचे. जैसे ही वह उन की कार में बैठे, उन के अगलबगल 2 युवक बैठ गए और एक युवक आगे ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. सुनील कुछ समझ पाते, ड्राइविंग सीट पर बैठे युवक ने कार स्टार्ट कर के आगे बढ़ा दी.

ऐसे वसूल की 8 लाख की फिरौती

सुनील पाल उन युवकों से कुछ कहते या पूछते, उन में से सुनील की बगल में बैठे दोनों युवकों में से एक ने कहा, ”सुनीलजी, आप चुपचाप बैठे रहिए. क्योंकि हम लोगों ने आप को किडनैप कर लिया है. अगर आप ने जरा भी शोर मचाया तो हम आप को मार देंगे. इस के बाद सुनील का किडनैप करने वाले उन युवकों ने उन के चेहरे पर कपड़ा बांध दिया, ताकि सुनील न कुछ देख सकें और न सुनील को ही कोई देख सके. इस तरह उन युवकों ने सुनील पाल को बंधक बना लिया.

इस के बाद युवक करीब घंटे भर कार चलाते रहे. घंटे भर बाद कार एक मकान के सामने रुकी तो सुनील को उसी हालत में कार से उतारा गया. आंखों पर पट्टी बंधी होने के कारण सुनील यह भी नहीं जान सके कि उन्हें कहां और किस मकान में लाया गया है. उस मकान में सुनील को दूसरी मंजिल पर ले जा कर बंद कर दिया गया. कमरे में आने के बाद सुनील के चेहरे पर बंधा कपड़ा खोला गया तो उन्होंने देखा कि उन्हीं तीनों युवकों में से एक युवक एक इंजेक्शन लिए खड़ा है. उस ने वह इंजेक्शन सुनील को दिखाते हुए कहा, ”इस इंजेक्शन में जहर है. अगर आप ने जरा भी शोर मचाने की कोशिश की तो यह इंजेक्शन लगा कर आप को हमेशा हमेशा के लिए सुला दूंगा.’’

”यह तो ठीक है, पर आप लोग मुझे यह तो बताइए कि आप चाहते क्या हैं? आप लोगों ने मेरा किडनैप क्यों किया है?’’ सुनील पाल ने पूछा.

”यह भी कोई पूछने वाली बात है. आप को पता नहीं कोई किसी का किडनैप क्यों करता है? अरे किडनैप पैसे के लिए किया जाता है. हम लोगों ने भी आप का अपहरण पैसे के लिए किया है.’’ किडनैपर्स में से सरगना जैसे लगने वाले युवक ने कहा.

”मुझे छोडऩे के लिए आप लोगों को कितने रुपए चाहिए?’’ सुनील ने पूछा.

तीनों किडनैपर्स ने एकदूसरे की ओर देखा. उस के बाद उसी सरगना जैसे लगने वाले युवक ने कहा, ”आप मुझे 20 लाख रुपए दे दीजिए, उस के बाद हम आप को सहीसलामत छोड़ देंगे.’’

”पर मेरे पास 20 लाख रुपए नहीं हैं. हम कोई बहुत बड़े आदमी नहीं हैं. लोगों को हंसा कर किसी तरह दालरोटी चलाते हैं.’’ सुनील पाल ने सफाई दी.

”क्यों झूठ बोलते हो. मुझे पता है कि आप बहुत बड़े कामेडियन हैं. आप अकसर टीवी पर आते हैं. फिल्मों में भी दिखाई देते हो. आप के पास पैसों की कमी नहीं है. फिर भी 20 लाख रुपए नहीं देना चाहते तो 10 लाख ही दे दो.’’ एक किडनैपर ने कहा.

”पर इतने रुपए ले कर मैं घूम तो रहा नहीं हूं कि आप ने मांगा और मैं 10 लाख रुपए निकाल कर दे दूं.’’ सुनील ने कहा.

”आप के पास एटीएम तो होगा. एटीएम से निकाल कर दे दीजिए.’’

”मैं एटीएम कार्ड नहीं रखता.’’ सुनील ने कहा.

”तो पत्नी को फोन कर के रुपए मंगवा लीजिए.’’

”नहीं, मेरे घर फोन मत करना. मेरे घर वालों को अगर मेरा किडनैप होने के बारे में पता चलेगा तो सभी परेशान हो जाएंगे. मैं अपने दोस्तों को फोन कर के रुपए मंगवा लेता हूं.’’ सुनील ने कहा.

सुनील ने दोस्तों से रुपए कैसे मंगवाए और वह इन किडनैपर्स के चंगुल से कैसे छूटे? यह जानने से पहले आइए थोड़ा सुनील पाल के बारे में जान लेते हैं, साथ ही यह भी जान लेते हैं कि वह इन किडनैपर्स के चंगुल में कैसे फंसे?

सुनील पाल का जन्म 1975 में वरदा, महाराष्ट्र में एक मध्यमवर्गीय मराठी भाषी परिवार में हुआ था. उन के पिता रेलवे में नौकरी करते थे. साल 1995 में उन के पिता का तबादला मुंबई हो गया तो पिता के साथ वह भी मुंबई आ गए. पढ़ाई के दौरान ही वह टीचर्स और फिल्म के मशहूर ऐक्टरों की नकल करने लगे थे. कालेज की पढ़ाई के बाद उन्होंने 3 साल तक स्ट्रगल किया. फिल्मों में काम पाने के लिए उन्होंने सांताक्रुज में एक चाय की दुकान पर वेटर की नौकरी भी की. उसी दौरान टीवी चैनल स्टार वन ने एक शो चलाया ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर’. इस शो में वह चैंपियन बने. यह शो जीतने के बाद उन्हें फिल्मों में भी काम के औफर मिलने लगे. उन की पहली फिल्म थी ‘बौंबे टू गोवा’. इस के बाद उन्होंने कई फिल्मों में छोटीछोटी भूमिकाएं निभाईं.

लगातार टीवी पर आने के कारण वह देश के जानेमाने हास्य कलाकार बन गए और लोग उन्हें जाननेपहचानने लगे. लोग इस तरह के कलाकारों को मोटी रकम दे कर शादीब्याह या जन्मदिन आदि पर भी बुलाते हैं.

इवेंट के बहाने ऐसे हुआ किडनैप

सुनील पाल को भी नवंबर महीने के तीसरे सप्ताह में किसी अमित नाम के व्यक्ति ने फोन कर के खुद को इवेंट मैनेजर बताते हुए कहा कि हरिद्वार में 2 दिसंबर को एक बर्थडे पार्टी में कार्यक्रम करना है. सुनील पाल हास्य कलाकार हैं ही. पैसे ले कर कार्यक्रम करना इन का पेशा है. इसलिए उन्होंने हामी भर दी. सुनील के हामी भरने के बाद उन के अकाउंट में एडवांस पैसे भेजने के साथसाथ कार्यक्रम में आने के लिए 2 दिसंबर का मुंबई से दिल्ली का हवाई जहाज का टिकट भी भेज दिया गया था. तय कार्यक्रम के अनुसार जब सुनील पाल दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे तो हरिद्वार ले जाने के लिए एयरपोर्ट पर एक कार खड़ी मिली. उसी कार से हरिद्वार जाते समय जब वह रास्ते में एक ढाबे पर खाने के लिए रुके, तभी उन का किडनैप कर लिया गया था.

आखिर, सुनील पाल ने अपने दोस्तों को फोन कर के 10 लाख रुपए का इंतजाम कर के अपने फोन पर भेजने को कहा. तब दोस्तों ने 10 लाख तो नहीं 8 लाख रुपए की व्यवस्था कर के सुनील पाल के मोबाइल पर भेज दिए. पैसे आने के बाद सुनील Comedian Sunil Pal का किडनैप करने वाले युवकों ने अपने खाते में रुपए ट्रांसफर न करा कर मेरठ के सदर इलाके में स्थित आकाश गंगा ज्वैलर्स के यहां से 4.15 लाख रुपए के और लालकुर्ती इलाके में स्थित राधेलाल रामअवतार सर्राफ के मालिक अक्षित सिंघल से 2.25 लाख रुपए के गहने खरीदे और यह रकम सुनील पाल के यूपीआई से ट्रांसफर करा दी गई. इन गहनों का बिल भी उन्होंने सुनील पाल का आधार कार्ड और पैन कार्ड दे कर बनवाया था.

इस तरह फिरौती की रकम ले कर किडनैपर्स ने सुनील पाल को फ्लाइट की टिकट के लिए 20 हजार रुपए दे कर 3 दिसंबर को मेरठ के थाना लालकुर्ती इलाके में सड़क पर छोड़ कर फरार हो गए थे. दूसरी ओर 2 दिसंबर को घर से निकले सुनील पाल से जब 24 घंटे तक संपर्क नहीं हो पाया तो उन की पत्नी थाना सांताक्रुज में सुनील पाल की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंच गई थीं. पत्नी ने पुलिस को बताया था कि उन के कामेडियन पति सुनील पाल अपने एक शो के लिए मुंबई से बाहर गए थे. उन्होंने 3 दिसंबर को लौट आने के लिए कहा था. लेकिन न ही वह घर लौटे हैं और न ही उन का फोन लग रहा है. पुलिस ने उस समय शिकायत तो नहीं दर्ज की थी, लेकिन जांच जरूर शुरू कर दी थी.

पुलिस ने सुनील पाल की तलाश शुरू करते हुए उन के करीबियों से पूछताछ शुरू की तो पता चला कि उन का फोन खराब था, जिस की वजह से वह पत्नी से संपर्क नहीं कर पा रहे थे. 4 दिसंबर को वह घर लौट आएंगे. इसी वजह से जब किडनैपर्स के चंगुल से छूटने के बाद सुनील पाल 4 दिसंबर को जब घर पहुंचे तो सूचना पा कर थाना सांताक्रुज पुलिस ने उन्हें थाने बुला कर विस्तार से पूछताछ की. पूछताछ के बाद जब पुलिस को पता चला कि उन का किडनैप हुआ था और उन से 8 लाख रुपए ट्रांसफर करा कर उन्हें छोड़ा गया है तो पुलिस ने सुनील के मोबाइल से उन दोनों अकाउंट नंबरों को ले कर उन्हें फ्री करा दिया, जिन अकाउंट नंबरों में किडनैपर्स ने सुनील से रुपए ट्रांसफर कराए थे.

यही नहीं, सांताक्रुज पुलिस ने अक्षित सिंघल को फोन कर के बताया भी था कि उन के खाते में जो रुपए ट्रांसफर की गई थी, वह कामेडियन सुनील पाल के किडनैप के बाद फिरौती की रकम थी. इसलिए उन का खाता फ्रीज कराया जा रहा है.

फिरौती की रकम ज्वैलर के खाते में कैसे पहुंची

5 दिसंबर, 2024 को राधेलाल रामअवतार सर्राफ के मालिक अक्षित सिंघल एक्सिस बैंक के अपने अकाउंट में रुपए जमा कराने पहुंचे तो बैंक मैनेजर ने उन्हें बताया कि महाराष्ट्र पुलिस की शिकायत पर उन का अकाउंट फ्रीज कर दिया है, जिस की वजह से उन के अकाउंट से कोई भी ट्रांजैक्शन नहीं हो सकती. अकाउंट क्यों फ्रीज कराया गया है, इस बात की जानकारी अक्षित सिंघल को थी ही. वह अपनी शिकायत ले कर मेरठ के थाना लालकुर्ती पहुंचे तो पूरा मामला सामने आया. थाना लालकुर्ती पुलिस ने जब उन से पूरी बात बताने को कहा तो उन्होंने पुलिस को जो बताया, वह कुछ इस प्रकार था.

अक्षित सिंघल की जवाहर क्वार्टर में राधेलाल रामअवतार सर्राफ के नाम से गहनों की दुकान है. 3 दिसंबर की दोपहर 12 बजे 2 युवक उन की दुकान पर आए. उन्होंने अक्षित से सोने की चेन और सोने के सिक्के दिखाने को कहा. उन युवकों ने 7.240 ग्राम की एक सोने की चेन और 10-10 ग्राम के 2 सिक्के पसंद किए, जिन की कीमत 2,25,000 थी. उन्होंने अक्षित सिंघल को 10 हजार रुपए देते हुए कहा, ”हमारा यह सामान आप पैक करा कर रख दीजिए. बाकी पैसा हम औनलाइन जमा करा देंगे. आप अपना अकाउंट नंबर हमें दे दीजिए.’’

अक्षित सिंघल से उन का अकाउंट नंबर ले कर दोनों युवक चले गए.

इस के बाद दुकान के अकाउंट में दोपहर 11.35 बजे 50 हजार रुपए जमा कराए गए. फिर 2.12 बजे 80 हजार रुपए, 2.18 पर 50 हजार रुपए तो शाम 4.17 बजे 50 हजार रुपए जमा कराए गए. इस तरह कुल 2,30,000 की पेमेंट की गई. युवकों ने रुपए ट्रांसफर करने की स्क्रीन शौट वाट्सऐप पर भेज कर अक्षित सिंघल से पेमेंट होने के बारे में बताया. इस के बाद वही दोनों युवक अक्षित सिंघल की दुकान पर आए और अपना सामान और औनलाइन पेमेंट से बचे साढ़े 4 हजार रुपए ले कर चले गए थे. इस के बाद करीब सवा 8 बजे मुंबई के थाना सांताक्रुज पुलिस ने उन्हें फोन कर के बताया था कि उन के अकाउंट में जो रकम ट्रांसफर की गई थी, वह कामेडियन Comedian Sunil Pal सुनील पाल के किडनैप की फिरौती के रूप में हुई थी.

कामेडियन सुनील पाल की शिकायत पर उन के किडनैप और जबरन वसूली का यह मामला थाना सांताक्रुज में बीएनएस की धारा 138, 140 (2), 308 (2), 308 (5) और 3 (5) के तहत दर्ज किया गया. मामला दर्ज होने के बाद काररवाई करते हुए मुंबई पुलिस ने इस मामले को मेरठ, उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया. अब इस मामले की जांच मेरठ के थाना लालकुर्ती पुलिस कर रही है. मामले की जांच मिलने के बाद भी थाना लालकुर्ती पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया था. लेकिन जब यह मामला मीडिया में उछला तो पुलिस अलर्ट हुई. एसएसपी डा. विपिन ताडा ने पुलिस की 10 टीमें बना कर मामले के खुलासे और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगा दिया.

आरोपियों तक पहुंचने के लिए पुलिस ने करीब 400 सीसीटीवी खंगाले और करीब हजारों लोगों से पूछताछ की. रास्ते के एकएक ढाबे वालों से जानकरी ली गई. तब कहीं जा कर पुलिस को पता चला कि आरोपी बिजनौर के थे. पुलिस ने सब से पहले दोनों सर्राफों के यहां से सीसीटीवी फुटेज निकलवाई थी. सर्राफ अक्षित सिंघल के यहां मिली सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को बदमाशों की पहचान में काफी मदद मिली. पुलिस ने दोनों की फोटो ले कर ढाबों पर पता किया तो पता चला कि फोटो वाले दोनों युवक बिजनौर के रहने वाले हैं. लेकिन सुनील के किडनैप में करीब 9 लोग शामिल थे.

पुलिस को इन सभी के नामों का भी पता चल गया था. फोटो में दिखाई देने वाले दोनों युवकों का नाम लवी पाल और अर्जुन कर्णवाल था. यही दोनों इस पूरे कांड के सरगना थे. इन्हीं के निर्देश पर बाकी लोग काम कर रहे थे. आरोपियों की पहचान होने के बाद पुलिस पूछताछ और जगहजगह छापा मारते हुए बिजनौर की नई बस्ती निवासी आरोपी लवी पाल और अर्जुन कर्णवाल तक पहुंच गई और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. मुख्य आरोपी लवी पाल के साथ पूर्व सभासद का भी नाम जुड़ रहा है. लवी पाल उर्फ लवी चौधरी उर्फ सुशांत सिंह ब्याज पर रुपए देने का काम करता था. साल 2017 में उस ने नगर पालिका बिजनौर के वार्ड नंबर एक से सभासद का चुनाव भी लड़ा था.

उस ने यह चुनाव सुशांत सिंह के नाम से लड़ा था. 4 सौ वोटों से हार कर वह दूसरे नंबर पर रहा था. साल 2016 में एक कार की चोरी के मामले में यह जेल भी गया था. दरअसल, बिजनौर के इस गैंग ने किसी कार्यक्रम में सुनील पाल और मुश्ताक खान को बिना सुरक्षाकर्मी के शिरकत करते देखा था. तभी से आरोपी इन का अपहरण कर के फिरौती वसूलने की योजना बनाने लगे थे. इस के बाद वे यह पता करने के लिए गूगल पर सर्च करने लगे कि इन से कैसे संपर्क किया जा सकता है. इस के लिए उन्होंने यूट्यूब का भी सहारा लिया था. लवी और अर्जुन ने सोशल मीडिया पर भी नजर रखी थी.

इस के बाद अपनी योजना को सफल बनाने के लिए उन्होंने दोनों कलाकारों से संपर्क कर उन्हें कार्यक्रम के लिए आमंत्रित कर दिया. एक तरह से वे अपनी योजना में सफल भी रहे, पर जिस परिणाम की उन्हें उम्मीद थी, वैसा शायद नहीं हो सका. इस किडनैप कांड के बाद एक आडियो सामने आया है, जिस में सुनील पाल और किडनैपर लवी पाल बातचीत कर रहे हैं. आडियो मे हुई बातचीत से लगता है कि यह सचमुच का किडनैप नहीं, बल्कि मिलीभगत थी. जब इस बारे में मीडिया ने सुनील पाल से पूछा तो उन का कहना था कि फोन लवी पाल ने किया था. वह घबराया हुआ था, इसलिए उल्टासीधा बोल गया.

वहीं मेरठ के एसएसपी विपिन ताडा का कहना है कि वह उस वीडियो की जांच कराएंगे. जांच के बाद उचित काररवाई की जाएगी. फिलहाल किडनैपर्स को पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया है. बाकी लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापे मारे जा रहे हैं.

 

 

पुलिस अफसर ने क्यों किए 2 मर्डर

वह सर्दी का महीना था तथा उस समय आसपास काफी कोहरा छाया हुआ था. कोहरा इतना घना था कि 50 मीटर की दूरी के बाद कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था. उस समय सुबह के 8 बज रहे थे. थाना झबरेड़ा (हरिद्वार) के एसएचओ अंकुर शर्मा उस वक्त नहा रहे थे. तभी उन्हें अपने बाथरूम के दरवाजे पर किसी के खटखटाने की आवाज सुनाई दी.

आवाज सुनते ही जल्दीजल्दी नहा कर वह बोले, ”कौन है?’’

तभी बाहर से उन के थाने के सिपाही मुकेश ने बताया, ”सर, गांव भिश्तीपुर के प्रधान जोगेंद्र का अभी फोन आया था, वह बता रहा था कि गांव भिश्तीपुर अकबरपुर झोझा की सड़क के नाले में एक लड़के की लाश पड़ी है. लाश के गले में खून के निशान उभरे हुए हैं.’’

”ठीक है मुकेश, मैं जल्दी तैयार हो कर आता हूं.’ शर्मा बोले.

इस के बाद अंकुर शर्मा जल्दीजल्दी तैयार होने लगे थे. सुबह होने के कारण उस वक्त थानेदार भी थाने में नहीं आए थे. मामला चूंकि हत्या का था, इसलिए एसएचओ ने देर करना उचित नहीं समझा.

इस के बाद उन्होंने इस हत्या की सूचना फोन द्वारा हरिद्वार के एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल, एसपी (देहात) स्वप्न किशोर सिंह व सीओ (मंगलौर) विवेक कुमार को दी थी. फिर वह अपने साथ सिपाही मुकेश व रणवीर को ले कर घटनास्थल की ओर चल पड़े. घटनास्थल थाने से महज 7 किलोमीटर दूर था, इसलिए उन्हें वहां पहुंचने में 15 मिनट लगे.

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      मृतक बच्चा राजा

घटनास्थल पर काफी भीड़ इकट्ठी थी. वहां पर नाले में एक लड़के का शव पड़ा हुआ था. मृतक की उम्र 15 साल के आसपास थी. पुलिस को देख कर वहां खड़ी भीड़ तितरबितर होने लगी थी. वहां खड़े लोगों से एसएचओ ने शव के बारे में पूछताछ करनी शुरू कर दी थी. यह घटना 9 फरवरी, 2024 को उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के थाना झबरेड़ा क्षेत्र में घटी थी.

वहां मौजूद लोगों ने उन्हें बताया था कि यह शव आज सुबह ही लोगों ने देखा था. ऐसा लग रहा है कि हत्यारों ने इस की हत्या कहीं और की होगी तथा हत्या करने के बाद शव को यहां फेंक दिया होगा. इस के बाद एसएचओ अंकुर शर्मा ने मौजूद लोगों से बच्चे की शिनाख्त करने को कहा था, मगर बच्चे की पहचान नहीं हो सकी थी.

इस के बाद पुलिसकर्मियों ने शव की जामातलाशी ली तो लड़के की शर्ट की जेब में पुलिस को एक टेलर का विजिटिंग कार्ड मिला था. उस टेलर की दुकान हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्र में थी. पुलिस ने उस टेलर के पास जा कर संपर्क किया. लड़की की लाश के फोटो देखने के बाद टेलर ने भी इस बालक के शव को पहचानने में अपनी अनभिज्ञता जताई.

उधर मौके पर एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल, एसओजी प्रभारी रविंद्र शाह व पुलिस के पीआरओ विपिन चंद पाठक भी फोरैंसिक टीम के साथ पहुंच गए थे.

कैसे हुई मृतक की शिनाख्त

लोगों से जानकारी मिलने के बाद एसएसपी इस नतीजे पर पहुंचे थे कि मृतक का कोई न कोई लिंक सिडकुल क्षेत्र से जरूर है. इस के बाद उन्होंने एसएचओ जरूरी काररवाई करने के निर्देश दिए. उन्होंने एसपी (देहात) स्वप्न किशोर सिंह की अध्यक्षता और सीओ विवेक कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एसएचओ अंकुर शर्मा व एसओजी के इंसपेक्टर को शामिल किया. उन्होंने टीम को सिडकुल क्षेत्र में जा कर बच्चे की जानकारी करने के निर्देश दिए.

श्री डोबाल का निर्देश पा कर पुलिस टीम सिडकुल पहुंच गई थी. यहां पर पुलिस टीम ने बच्चे के फोटो कुछ दुकानदारों को दिखाए. पुलिस की कई घंटों की मशक्कत के बाद एक दुकानदार ने पुलिस को बताया कि यह फोटो 15 वर्षीय नरेंद्र उर्फ राजा की है, जो यहां अपनी दृष्टिहीन मां ममता के साथ रहता था. इस के बाद पुलिस टीम जब ममता के मकान पर पहुंची तो वहां परचून की दुकान चलाने वाला हेमराज मिला.

जब पुलिस ने हेमराज से ममता व उस के बेटे राजा के बारे में पूछताछ की तो हेमराज ने पुलिस को बताया, ”सर, यह मकान मैं ने ममता से पिछले महीने 20 लाख 70 हजार रुपए में खरीदा था. 3 दिन पहले ही ममता ने मकान खाली कर के मुझे कब्जा दिया है. कब्जा देते समय पुलिस लाइंस में तैनात एएसआई छुन्ना यादव व शहजाद नामक युवक भी ममता के साथ थे. मुझे कब्जा दे कर ममता व राजा छुन्ना यादव की न्यू आल्टो कार में बैठ कर गए थे.’’

पुलिस को जब यह जानकारी हुई तो सीओ विवेक कुमार व एसओजी प्रभारी रविंद्र शाह तुरंत ही पुलिस लाइंस पहुंचे और वहां से वे पूछताछ करने के लिए छुन्ना सिंह यादव को अपने साथ ले कर थाना झबरेड़ा आ गए.

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थाने में एसपी (देहात) स्वप्न किशोर सिंह व सीओ विवेक कुमार ने जब एएसआई छुन्ना सिंह से ममता व राजा के बारे में पूछताछ की तो वह पुलिस अधिकारियों को काफी देर तक वह इधरउधर की बातें बताता रहा. छुन्ना यादव कहता रहा कि ममता मेरी परिचित तो थी, मगर मुझे नहीं मालूम कि वह अब कहां है?

इस के बाद जब एसपी (देहात) स्वप्न किशोर ने सख्ती से छुन्ना सिंह से उस की नई आल्टो कार के बारे में पूछा तो वह कोई संतोषजनक उत्तर न दे सका.

तभी एसपी स्वप्न किशोर ने छुन्ना सिंह से कहा, ”देखो छुन्ना, तुम्हें पता है कि पुलिस के सामने मुरदे भी बोलने लग जाते हैं. इसलिए या तो तुम हमें सीधी तरह से राजा की मौत की सच्चाई बता दो, नहीं तो हम तुम्हारे साथ वह सब करेंगे, जो पुलिस अपराधियों के साथ करती है.’’

एएसआई ने ऐसे कुबूला जुर्म

एसपी साहब की इन बातों का छुन्ना यादव के ऊपर जादू की तरह असर हुआ और वह पुलिस को राजा की हत्या की सच्चाई बताने को तैयार हो गया था. फिर छुन्ना यादव ने पुलिस को राजा की हत्या की जो कहानी बताई, उसे सुन कर वहां मौजूद सभी पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए.

एएसआई छुन्ना यादव ने बताया था कि वह 9 फरवरी, 2024 को अपनी नई आल्टो कार में राजा व उस की नेत्रहीन मां ममता को बैठा कर मंगलौर हाईवे की ओर लाया था.

इसी बीच मैं और मेरे दोस्त शहजाद व विनोद ममता का सिडकुल वाला मकान हेमराज को 20 लाख 70 हजार रुपए में बिकवा चुके थे. ममता की रकम को हड़पने के लिए हम तीनों ने मांबेटे की हत्या की योजना बनाई.

योजना के मुताबिक हम तीनों जब मांबेटे को कार में बैठा कर ले जा रहे थे तो चलती कार में हम तीनों ने शहजाद के गमछे से पहले ममता का गला घोंट कर उसे मार डाला था, फिर इस के बाद हम ने नरेंद्र उर्फ राजा का गला घोंट कर उस की हत्या कर दी थी. गला घोंटते वक्त मांबेटा चलती कार में चीखतेचिल्लाते रहे.

दोनों की हत्या करने के बाद हम ने पहले थाना मंगलौर के अंतर्गत लिब्बरहेड़ी नहर पटरी की झाडिय़ों में ममता के शव को फेंक दिया था. इस के बाद 15 वर्षीय राजा की लाश गांव भिश्तीपुर रोड के नाले में फेंक दी थी. दोनों मांबेटे के शवों को ठिकाने लगा कर तीनों लोग आराम से वापस अपनेअपने घर चले गए थे.

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एएसआई छुन्ना यादव के इस अपराध से जहां एक ओर पुलिस की छवि धूमिल हुई थी तो दूसरी ओर छुन्ना जैसे वरदीधारियों से आम जनता में पुलिस पर विश्वास डगमगाने जैसे हालात हो गए थे. इस के बाद एसपी (देहात) स्वप्न किशोर ने छुन्ना की इस करतूत की जानकारी एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल को दे दी.

एक नहीं की थीं 2-2 हत्याएं

श्री डोबाल ने वरदी को दागदार करने वाले छुन्ना सिंह यादव के खिलाफ तुरंत कानूनी काररवाई करने तथा छुन्ना की निशानदेही पर मंगलौर की लिब्बरहेड़ी नहर पटरी की झाडिय़ों से ममता का शव बरामद करने के निर्देश एसएचओ अंकुर शर्मा व एसओजी प्रभारी रविंद्र शाह को दिए. दोनों अधिकारी छुन्ना यादव को ले कर लिब्बरहेड़ी नहर पटरी पर पहुंच गए.

छुन्ना यादव ने वह जगह पुलिस को दिखाई, जहां उस ने अपनी आल्टो कार से ममता के शव को फेंका था. छुन्ना की निशानदेही पर पुलिस ने ममता के शव को झाडिय़ों से बरामद कर लिया. शव बरामद होने के बाद अंकुर शर्मा ने ममता के शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए राजकीय जे.एन. सिन्हा स्मारक अस्पताल भेज दिया.

ममता का शव बरामद होने के बाद एसओजी प्रभारी रविंद्र शाह अपने साथियों अशोक, रविंद्र खत्री, राहुल, नितिन व महीपाल के साथ इस दोहरे हत्याकांड के शेष बचे 2 आरोपियों शहजाद व विनोद की गिरफ्तारी हेतु निकल पड़े थे. हालांकि छुन्ना यादव की गिरफ्तारी की जानकारी शहजाद व विनोद को मिल चुकी थी. तब वह किसी सुरक्षित स्थान पर छिपने की योजना बना रहे थे.

इस से पहले कि वे दोनों फरार होते, एसओजी टीम ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. इस के बाद एसओजी टीम ने शहजाद निवासी गांव अकबरपुर झोझा तथा विनोद निवासी मोहल्ला सराय ज्वालापुर को हिरासत में ले लिया था. पुलिस टीम उन्हें ले कर थाना झबरेड़ा आ गई थी.

वहां पुलिस ने इन तीनों आरोपियों का आमनासामना कराया था. फिर तीनों आरोपियों ने पुलिस के सामने ममता व राजा की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. आरोपियों से पूछताछ के बाद इस दोहरे हत्याकांड की जो  कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

छुन्ना यादव उत्तर प्रदेश के शहर औरैया के गांव राठा के रहने वाले भोलानाथ यादव का बेटा है. इस समय वह हरिद्वार पुलिस लाइन में एएसआई के पद पर तैनात है. साल 1995 में वह उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर भरती हुआ था. सन 2000 में जब उत्तर प्रदेश से काट कर उत्तराखंड का पुनर्गठन हुआ तो छुन्ना यादव उत्तराखंड पुलिस में चला गया. बाद में उस का प्रमोशन होता गया तो वह एएसआई बन गया. वर्ष 2011 से 2014 तक मैं यातायात पुलिस हरिद्वार में तैनात रहा था. शहजाद से पिछले 4 सालों से उस की दोस्ती थी.

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मृतका ममता

पिछले साल शहजाद ने छुन्ना यादव को ममता नामक महिला से मिलवाया था, जो अपने 15 वर्षीय बेटे राजा के साथ मोहल्ला सूर्यनगर सिडकुल (हरिद्वार) में रहती थी. ममता मूलरूप से कस्बा कांठ, जिला मुरादाबाद की रहने वाली थी. वह दृष्टिहीन थी. पिछले साल ममता मुरादाबाद से अपनी पुश्तैनी प्रौपर्टी बेच कर सिडकुल में मकान खरीद कर रहने लगी थी.

मुन्ना और शहजाद का अकसर ममता के घर पर आनाजाना लगा रहता था. इसी दौरान दोनों को यह पता चल गया कि किसी दूर के रिश्तेदार तक का ममता के पास आनाजाना नहीं है. इस से इन के मन में लालच आ गया था.

पुलिस वाले के मन में ऐसे जन्मा अपराध

इस के बाद छुन्ना यादव ने शहजाद के साथ मिल कर ममता का मकान बिकवा कर वह रकम हड़पने की योजना बनाई. छुन्ना ने ममता को उस का मकान बिकवा कर उसे रुड़की में मकान खरीदवाने का झांसा दिया.

चूंकि ममता उस की बातों पर विश्वास करती थी, इसलिए उस की बात वह मान गई थी. फिर उस ने व शहजाद ने ममता के पड़ोसी किनारा दुकानदार हेमराज को 20 लाख 70 हजार रुपए में मकान बिकवा दिया था और अधिकांश रकम दोनों शातिरों ने कब्जे में कर ली थी.

ममता के मकान बेचने से मिली रकम में से छुन्ना ने नई आल्टो कार खरीद ली थी. 9 फरवरी, 2024 को ममता को मकान खाली कर हेमराज को कब्जा देना था.

योजना के मुताबिक 9 फरवरी की सुबह को छुन्ना और शहजाद आल्टो कार से उसी समय ममता के घर पहुंचे. उसी समय शहजाद का बेटा भी वहां मिनी ट्रक ले कर आ गया था. उन्होंने ममता के घर का सामान उस मिनी ट्रक में रख कर मकान खाली कर दिया था.

शहजाद का बेटा वहां से मिनी ट्रक ले कर चला गया. छुन्ना ने ममता को आल्टो कार में अगली सीट पर बैठा लिया था. पिछली सीट पर शहजाद व नरेंद्र उर्फ राजा बैठ गए थे. कार ले कर वह रोशनाबाद की ओर चले थे तो रास्ते में उन्हें विनोद भी मिल गया था. छुन्ना ने कार रोक कर उसे भी पीछे बैठा लिया था. इस के बाद वे लोग हर की पौड़ी पहुंचे थे. यहां पर ममता व राजा नहाने लगे थे. उसी दौरान उन तीनों ने कार में बैठ कर शराब पी थी.

शाम को जब कुछ अंधेरा छाने लगा तो हम लोग कार ले कर रुड़की की ओर चल पड़े थे. जब कार रुड़की से पुरकाजी की ओर जा रही थी तो अचानक शहजाद ने अपने गमछे का फंदा बना लिया था और कार में आगे बैठी ममता के गले में डाल कर उस का गला घोंट दिया था.

राजा ने शोर मचाते हुए विरोध किया तो शहजाद और विनोद ने उसे दबोच लिया. ममता के दम तोडऩे के बाद शहजाद व विनोद ने उसी गमछे से नरेंद्र उर्फ राजा का भी गला घोंट कर उसे मार डाला था. फिर उन्होंने ममता के शव को लिब्बरहेड़ी गंगनहर पटरी की झाडिय़ों में फेंक कर भिश्तीपुर की ओर चले गए थे.

रकम बांट कर रह रहे थे बेखौफ

इस के बाद उन्होंने राजा के शव को भिश्तीपुर के एक नाले में फेंक दिया था. ममता व राजा के शवों को ठिकाने लगाने के बाद उन्होंने ममता के मकान को बेचने में मिली रकम को आपस में बांट लिया था और अपने अपने घरों को लौट गए थे.

तीनों आरोपियों छुन्ना यादव, शहजाद व विनोद से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने आईपीसी की धाराओं 302, 201, 34 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया था.

वैसे तो ममता के बुरे दिनों की शुरुआत तब से शुरू हो गई थी, जब से वह शहजाद व छुन्ना यादव के संपर्क में आई थी. उस वक्त शहजाद सिडकुल के मोहल्ला सूर्यनगर में ममता के घर के पास ही किराए के कमरे में रहता था.

इस हत्याकांड के मास्टरमाइंड छुन्ना यादव ने पुलिस को बताया था कि ममता अपनी रकम हड़पने की शिकायत पुलिस से भी कर सकती थी, इसलिए उस ने ममता व उस के बेटे की हत्या की साजिश रची थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ममता व राजा उर्फ नरेंद्र की मौत का कारण गला घोंटने से हुई मौत बताया गया है. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने ममता पत्नी मुनेश व राजा के शवों को सिडकुल निवासी उन के दूर के रिश्तेदार को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पहले पति से तलाक दूसरे से मर्डर

झाड़ी के पीछे लगभग 30-35 साल की एक महिला हरे रंग का फूलदार सलवार सूट पहने खून में लथपथ पड़ी थी तथा दर्द से कराह रही थी. उस में चलने फिरने की भी हिम्मत नहीं थी. उस के शरीर पर धारदार हथियार के घाव थे और लग रहा था कि शायद वह महिला अपने जीवन की अंतिम घड़ियां ही गिन रही थी.

वह रात के 8 बजे का समय था. जेठ के महीने की भीषण गरमी के बाद उस समय ठंडी ठंडी हवा चल रही थी. आसपास के क्षेत्रों के किसान व मजदूर भी अपनेअपने खेतों में धान की बुवाई के लिए खेतों को तैयार करने के बाद, पैदल ही अपने घरों की ओर वापस लौट रहे थे. खेत में काम कर के कुछ किसान थके हुए थे, इसलिए वे जल्दी में अपने घरों की ओर बढ़ रहे थे.

तभी एक किसान प्रवीण सैनी को पास में बह रहे पानी के रजवाहे के पास से किसी महिला के कराहने की चीख सुनाई दी थी. वैसे तो वह जल्दी में था, मगर महिला के कराहने की आवाज सुन कर प्रवीण सैनी के कदम ठिठक गए थे. उस ने सोचा था कि यह महिला के कराहने व चीखने की आवाज कहां से आ रही है, इस का पता करना चाहिए.

इस के बाद प्रवीण सैनी ने वहां से गुजर रहे कुछ किसानों व मजदूरों को रोका और उन्हें भी रजवाहे के पास से आ रही महिला के चीखने की आवाज से अवगत कराया. इस के बाद सब ने मिल कर जहां से महिला के चीखने व कराहने की आवाज आ रही थी, वहां पर जाने का मन बनाया. फिर सभी लोग उधर ही एक झाड़ी की ओर बढ़ गए, जहां से महिला की आवाज आ रही थी.

शुरू में तो प्रवीण सैनी को कुछ डर भी लग रहा था कि वहां कहीं कोई बदमाश या लुटेरे आदि न मिल जाएं, मगर वे हिम्मत कर के अंधेरे में ही उस झाड़ी की ओर चल पड़े, जहां से महिला की चीख सुनाई दे रही थी. थोड़ी देर में ही वे सभी लोग झाड़ी के पास पहुंच गए थे.

प्रवीण सैनी ने जब अपने मोबाइल की टौर्च जलाई तो झाड़ी के पीछे का दृश्य देख कर उस की व उस के सभी साथियों की रूह कांप गई थी.

प्रवीण सैनी ने उसी वक्त इस घटना की बाबत पुलिस कंट्रोल रूम को 112 नंबर पर सूचना दे दी. जहां पर महिला घायलावस्था में पड़ी थी, वह स्थान हरिद्वार जिले के थाना पिरान कलियर अंतर्गत बावनदरा कहलाता है. जंगल व गंगनहर होने के कारण यह काफी सुनसान क्षेत्र है. गुलदार आदि कुछ जंगली जानवर भी अकसर वहां घूमते रहते हैं.

पुलिस टीमें जुटीं जांच में

लगभग 10 मिनट बाद ही प्रवीण सैनी व उस के साथियों को पुलिस की गाड़ी का सायरन साफ साफ सुनाई देने लगा था. 2 मिनट बाद थाना कलियर के एसएचओ जहांगीर अली वहां पहुंच गए थे.

रुंधे गले से महिला बस केवल इतना ही बता पाई थी कि उस का नाम तसगिरा उर्फ सकीना है तथा वह सहारनपुर के कस्बा गंगोह में अपने दूसरे पति सुहेल के साथ रहती है. आज वह अपने शौहर सुहेल व अपनी 9 महीने की बच्ची के साथ दरगाह पिरान कलियर घूमने आई थी. दरगाह घूमने के बाद शौहर ने इस सुनसान स्थान पर उस के ऊपर चाकुओं से हमला कर दिया.

पुलिस तुरंत ही उसे अस्पताल ले गई, लेकिन रास्ते में ही उस ने दम तोड़ दिया. इस के बाद एसएचओ जहांगीर अली ने इस घटना से सीओ पल्लवी त्यागी व हरिद्वार के एसएसपी अजय सिंह को अवगत करा दिया. अजय सिंह ने तुरंत ही इस संगीन वारदात की गंभीरता को समझते हुए तत्काल ही कलियर क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान चलाने के आदेश कलियर थाना पुलिस व सीआईयू टीम को दिए.

सीआईयू टीम व कलियर पुलिस द्वारा सकीना के शौहर सुहेल की गिरफ्तारी के लिए एक सघन तलाशी अभियान चलाया, लेकिन सुहेल का कुछ भी पता नहीं चल सका था. इस के बाद सीओ (रुड़की) पल्लवी त्यागी ने पुलिस की एक टीम को सुहेल के सहारनपुर के कस्बा गंगोह में स्थित घर भेजा, मगर यहां भी पुलिस को सुहेल की कोई जानकारी नहीं मिली.

सुहेल के घर वालों ने पुलिस को बताया था कि वह हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्र में स्थित एक फैक्ट्री में काम करता है तथा वह अब अपनी बीवी सकीना के साथ सहारनपुर के गांव दाबकी में रह रहा है.

इस के बाद पुलिस टीम सुहेल की तलाश में गांव दाबकी के लिए चल पड़ी थी, मगर यहां भी पुलिस को सुहेल के मकान पर ताला लगा दिखाई दिया था. वहां से निराश हो कर सुहैल को पकडऩे गई पुलिस टीम वापस कलियर आ गई थी.

सुहेल को पकडऩे के लिए जब सीआईयू टीम ने उस के मोबाइल फोन की लोकेशन चैक की तो वह लोकेशन सहारनपुर में मिली थी. इस के बाद कलियर पुलिस व सीआईयू की टीम वापस सहारनपुर पहुंच गई. यहां पर पुलिस टीम ने सुहेल को ढंूढा तो वह नहीं मिला. काफी तलाश करने पर आखिर सुहेल को पुलिस टीम ने सहारनपुर के गंगोह रोड पर स्थित एक ढाबे से पकड़ लिया.

सुहेल को गिरफ्तार करने की सूचना एसएचओ जहांगीर अली ने सीओ पल्लवी त्यागी व एसएसपी अजय सिंह को दे दी.

लगभग एक घंटे में पुलिस सुहेल को ले कर थाना कलियर आ गई थी. वहां पर सीओ पल्लवी त्यागी व एसएचओ जहांगीर अली ने सुहेल से सकीना की हत्या के बारे में सिलिसिलेवार पूछताछ की और उस के बयानों को रिकौर्ड कर लिया. सुहेल ने बीवी की हत्या के बारे में जो जानकारी दी, वह इस प्रकार निकली—

पहले पत्नी ने क्यों दिया तलाक

सुहेल मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर के कस्बा गंगोह का रहने वाला था. 5 साल पहले वह हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्र की एक फैक्ट्री में काम करने के लिए आया था.

इसी फैक्ट्री में एक तलाकशुदा महिला सकीना उर्फ तसगिरा भी उस के साथ काम करती थी. दोनों साथ काम करते हुए अपने दुखदर्द की बातें करते थे. कुछ समय बाद उस की सकीना से दोस्ती हो गई, जो बाद में प्यार में बदल गई.

सकीना का परिवार मूलरूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला था, मगर अब उस का परिवार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रह रहा है. 12 साल पहले उस का निकाह गोलाघाट प्रयागराज के हकीम से हुआ था. हकीम से वह 2 बेटियों व एक बेटे की मां बनी.

सकीना के पति हकीम को नशा करने और जुआ खेलने की आदत थी. सकीना उस से यह करने को मना करती थी, लेकिन वह नहीं माना, जिस से उन के बीच कलह शुरू हो गई. शौहर की बुरी आदत से वह तंग आ गई थी. इस के बाद वर्ष 2017 में उस का हकीम से तलाक हो गया था.

2018 में सकीना अपने तीनों बच्चों को हकीम के पास छोड़ कर सिडकुल हरिद्वार आ गई थी और एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगी थी. सुहेल और सकीना का प्यार गहरा हो गया था. वह सकीना से निकाह करना चाहता था. जब सुहेल ने सकीना के बारे में अपने घर वालों से कहा तो उन्होंने उसे सकीना के साथ निकाह करने के लिए साफ मना कर दिया.

सुहेल तो उस वक्त सकीना के प्यार में अंधा था और उस से निकाह करना चाहता था, इसलिए उस ने अपने घर वालों के विरोध के बावजूद सकीना के साथ निकाह कर लिया और अपने गंगोह स्थित घर को छोड़ कर सहारनपुर के गांव दाबकी में रहने लगा था. इस के बाद सुहेल से सकीना के 3 बच्चे हुए, जिन में सब से छोटी बेटी 9 महीने की थी. सुहेल सकीना को प्यार से तसगिरा कहता था.

कुछ समय तक उन का दांपत्य जीवन ठीकठाक चला, मगर शादी के 3 साल बाद उन दोनों में मनमुटाव शुरू हो गया था. इस के बाद दोनों में अकसर झगड़े होने लगे थे. इस कारण वह काफी परेशान रहने लगा था, क्योंकि सुहैल ने सकीना के लिए अपने घर वालों तक को छोड़ दिया था. घर आने पर सकीना उस से झगड़ती थी. इस कारण परेशान हो कर उस ने सकीना को तलाक दे दिया.

तलाक से सकीना काफी भड़क गई और अकसर सुहेल से मारपीट करने लगी. तलाक के बाद वह उस से गुजारे के लिए रुपए की मांग करने लगी थी और जैसे ही वह घर जाता तो वह उस पर हमला करने लगी थी.

सकीना की इन हरकतों से वह टूट चुका था. उस ने इस झगड़े से परेशान हो कर सकीना की हत्या की योजना बनाई डाली. अपनी इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए वह 21 अप्रैल, 2023 को गंगोह स्थित अपने घर गया था.

वहां से सुहेल ने सकीना की हत्या के लिए एक छुरा खरीदा था. इस के बाद उस ने सकीना को कलियर दरगाह घूमने के लिए चलने को कहा था. सकीना कलियर घूमने के लिए तैयार हो गई थी.

दोपहर 3 बजे सकीना अपनी 9 माह की बेटी आयत के साथ बाइक पर बैठ गई थी और तीनों कलियर आ कर शाम तक खूब घूमे थे और वहां की दरगाहों पर जियारत भी की.

दूसरे शौहर ने क्यों की हत्या

उस वक्त शाम के 7 बज गए थे. अंधेरा भी हो चला था. तभी सकीना ने सुहेल से वापस सहारनपुर चलने को कहा. सुहेल बेटी के साथ बाइक पर बैठी सकीना को ले कर कलियर धनौरी रोड पर पानी के रजवाहे बावनदरे की ओर चल दिया. वहां पर जब सुहेल ने बाइक रोकी थी तो सकीना कहने लगी कि मुझे यहां पानी के शोर और अंधेरे से काफी डर लग रहा है.

तभी सुहेल ने फुरती से सकीना की गोद से 9 महीने की बच्ची ले ली और उसे पास ही घास पर लिटा दिया. इस के बाद उस ने पैंट की जेब से छुरा निकाल कर सकीना की छाती, गले व पेट पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए. फिर वह बेटी को ले कर वापस सहारनपुर के कस्बा गंगोह लौट गया.

देखभाल के लिए उस ने बेटी अपने घर वालों को दे दी. पुलिस से बचने के लिए वह इधरउधर छिपता घूम रहा था, लेकिन पुलिस की पकड़ में आ ही गया. एसएचओ जहांगीर अली ने सुहेल की निशानदेही पर सकीना की हत्या में प्रयुक्त छुरा व सकीना को मौके तक ले जाने वाली बाइक भी कस्बा गंगोह से बरामद कर ली थी.

अगले दिन 22 मई, 2023 को सीओ रुड़की पल्लवी त्यागी ने कलियर थाने में आयोजित प्रैसवार्ता में हत्यारोपी सुहेल को मीडिया के सामने पेश कर के सकीना हत्याकांड का परदाफाश कर दिया.

उसी दिन पुलिस ने सुहेल को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया था. सकीना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस की मौत का कारण धारदार हथियार से घायल होने पर ज्यादा खून निकलना बताया. कथा लिखे जाने तक जहांगीर अली द्वारा सकीना हत्याकांड की विवेचना पूरी होने के बाद सुहेल के खिलाफ चार्जशीट अदालत में भेजने की तैयारी की जा रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित