Latest Crime Story in Hindi : रिलेशनशिप में रह रही प्रेमिका की चाकू मारकर की हत्या

Latest Crime Story in Hindi : नोएडा के खोड़ा कालोनी के वंदना एनक्लेव स्थित 4 मंजिला मकान में कुल 33 कमरे थे. सभी कमरों में नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली में काम करने वाले किराएदार रह रहे थे. इन में से कुछ लोग अपने परिवार के साथ रहते थे. लेकिन ज्यादातर लोग ऐसे थे जो अकेले ही रहते थे. चूंकि सभी लोग नौकरीपेशा थे, इसलिए वे सुबह ही अपनी ड्यूटी पर चले जाते और देर शाम या रात को वापस अपने कमरों पर लौटते थे.

12 जून, 2018 की रात करीब 11 बजे की बात है. उस समय अधिकांश लोग अपने कमरों में सोने की तैयारी में थे. तभी कुछ लोगों को भयंकर बदबू आई. बदबू कहां से आ रही है, यह जानने के लिए कुछ किराएदार अपने कमरों से बाहर निकल आए. उसी समय एक युवक चौथी मंजिल से एक बड़े आकार का भूरे रंग का ट्रौली बैग अपने साथ ले कर सीढि़यों से उतरता दिखा.

वहां रहने वाले उस युवक के बारे में केवल इतना जानते थे कि वह ऊपर की मंजिल पर रहता है. उस का नाम किसी को मालूम नहीं था. ट्रौली बैग ले कर वह जिधर जा रहा था, उधर ही बदबू बढ़ती जा रही थी.

लोगों को शक हुआ कि उस के बैग में ऐसा क्या है जो इतनी बदबू आ रही है. एकदो लोगों ने उस से इस बारे में पूछा भी, लेकिन उस ने ठीक से कोई जवाब देने के बजाए उन्हें झिड़क दिया. इस के बाद उन लोगों को उस पर और भी ज्यादा शक बढ़ गया और वे उत्सुकतावश नीचे ग्राउंड फ्लोर पर आ गए.

दरअसल, पिछले 2 दिनों से उस मकान में एक अजीब तरह की सड़ांध आ रही थी. कई किराएदारों ने सड़ांध का पता लगाने की कोशिश की थी लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया था. लेकिन ट्रौली बैग देख कर वे लोग समझ गए कि सड़ांध उसी बैग से आ रही है.

ग्राउंड फ्लोर पर उतरने के बाद वह युवक लाल रंग की कार की तरफ बढ़ रहा था, तभी लोगों ने इस की सूचना उस मकान के केयरटेकर राधेमोहन त्रिपाठी को दे दी. राधेमोहन त्रिपाठी उस ट्रौली बैग वाले युवक के पास पहुंचे. वह उस युवक को पहचान गए. वह युवक चौथी मंजिल पर रहने वाला किराएदार शिवम विरदी था.

राधेमोहन ने शिवम से बैग के बारे में पूछा तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. इस पर राधेमोहन ने उसे कार में बैठने से रोक लिया और नोएडा पुलिस के कंट्रोलरूम को फोन कर दिया. जो किराएदार नीचे उतर आए थे, वे उस लाल रंग की कार के आगे खड़े हो गए ताकि वह कार ले कर वहां से न भाग सके. तब तक शिवम वह ट्रौली बैग ले कर कार में बैठ चुका था. उस ने कार का हौर्न बजा कर सामने खडे़ लोगों से हट जाने का संकेत किया. लेकिन वे नहीं हटे तो शिवम के चेहरे पर घबराहट दिखाई देने लगी.

शिवम ने जब देखा इतने सारे लोग उस के पीछे पड़ गए हैं तो वह कार से उतरा और उसे लौक कर के वहां से पैदल ही भाग खड़ा हुआ. लोग उस के पीछे भागे भी पर वह किसी की पकड़ में नहीं आया.

थोड़ी देर में खोड़ा थाने के थानाप्रभारी धर्मेंद्र कुमार वहां आ गए. लोगों ने उन्हें पूरी बात बताई. कार के सामने पहुंच कर वह उस का मुआयना करने लगे. कार के दरवाजे लौक थे, इस के बावजूद कार से कुछ बदबू बाहर आ रही थी. उन्होंने साथ में आए स्टाफ से कार का शीशा तोड़ कर कार में रखा ट्रौली बैग बाहर निकालने को कहा.

पुलिसकर्मियों ने कार का शीशा तोड़ कर ट्रौली बैग बाहर निकाला तो उस में से बहुत तेज बदबू आ रही थी. इस से थानाप्रभारी ने बैग खुलवाया तो उन की शंका सच साबित हुई. उस में एक लड़की की लाश थी.

लाश काफी खराब अवस्था में थी. लाश देख कर लोगों ने बताया कि लाश शिवम की पत्नी ज्योति की है. ज्योति कई दिनों से दिखाई भी नहीं दे रही थी. लाश का मुआयना करने पर थानाप्रभारी ने देखा उस पर घाव के निशान थे. थानाप्रभारी धर्मेंद्र कुमार ने वरिष्ठ अधिकारियों को फोन कर के मामले की सूचना दे दी और जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. उन्होंने लाल रंग की स्विफ्ट कार अपने कब्जे में ले ली.

मकान के केयरटेकर राधेमोहन त्रिपाठी से पुलिस ने पूछताछ की तो उस ने बताया कि कार छोड़ कर फरार हुआ शिवम लुधियाना, पंजाब का रहने वाला है और पिछले 8 महीने से वह अपनी पत्नी ज्योति के साथ यहां रह रहा था. केयरटेकर को साथ ले कर थानाप्रभारी चौथी मंजिल स्थित शिवम के कमरे पर पहुंचे.

कमरे पर ताला लगा हुआ था. ताला तोड़ कर पुलिस टीम अंदर पहुंची तो देखा फर्श की अच्छी तरह सफाई कर दी गई थी. कमरे की तलाशी में पुलिस को कुछ कागजात मिले, उन में से एक में ज्योति के भाई का पता और फोन नंबर मिल गया.

थानाप्रभारी ने उस के भाई को फोन कर के बताया कि उस की बहन के साथ अनहोनी हो गई है, इसलिए वह जितनी जल्दी हो सके, नोएडा के खोड़ा थाने पहुंच जाए. उस कमरे को सील कर के पुलिस टीम थाने लौट गई.

अगले दिन सुबह फरार शिवम का हुलिया पता कर के नोएडा के बसस्टैंड तथा मैट्रो स्टेशन पर उस की तलाश की गई, मगर वह कहीं नहीं मिला. उधर थानाप्रभारी को बेसब्री से ज्योति के भाई के आने का इंतजार था. उस के आने के बाद ही आगे की काररवाई की जानी थी.

12 जून, 2018 की शाम को ज्योति का भाई लोधी सिंह वर्मा खोड़ा थाने पहुंच गया. थानाप्रभारी ने सब से पहले उसे अस्पताल में रखी लाश दिखाई. लाश देखते ही वह रोने लगा. उस ने उस की शिनाख्त अपनी छोटी बहन ज्योति के रूप में कर दी. लोधी सिंह की शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

पुलिस ने लोधी सिंह से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की बहन पिछले साल अक्तूबर में दिल्ली के एक सैलून में जौब मिलने की बात बता कर लुधियाना से नोएडा चली आई थी.

चूंकि उस ने परिवार को अच्छी सैलरी मिलने की बात बताई थी, वैसे भी ज्योति तेजतर्रार थी, इसलिए उस के दिल्ली आने पर किसी ने ऐतराज नहीं किया था.

नौकरी लग जाने पर उस ने बताया था कि वह दिल्ली में अपनी एक सहेली के साथ किराए पर कमरा ले कर रहती है. यहां आने के बाद भी वह प्रतिदिन अपने घर फोन कर के अपने बारे में जानकारी देती रहती थी. जब तक वह यहां रही, परिवार का कोई सदस्य उसे देखने के लिए नहीं आया.

इस वारदात के बाद लोधी सिंह को पता लगा कि वह किसी सहेली के साथ नहीं बल्कि शिवम के साथ रह रही थी. लोधी सिंह से बात करने के बाद थानाप्रभारी ने फरार शिवम को तलाशने के लिए मुखबिर लगा दिए.

13 जून, 2018 की शाम को खोड़ा के कुछ लोगों ने नोएडा के लेबर चौक के पास शिवम को खड़े देखा. वह शायद किसी गाड़ी के इंतजार में वहां खड़ा था. पुलिस को सूचना देने से पहले ही लोगों ने उसे पकड़ लिया और इस की सूचना खोड़ा पुलिस को दे दी.

शिवम के पकड़े जाने की बात सुन कर थानाप्रभारी धर्मेंद्र कुमार फौरन पुलिस टीम के साथ लेबर चौक पहुंच गए. वहां कुछ लोग शिवम को दबोचे खड़े थे. पुलिस ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उस से उस की पत्नी ज्योति की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि ज्योति की हत्या उस ने नहीं की है, बल्कि उस ने आत्महत्या की थी.

शिवम ने बताया कि 9 जून की रात को वह शराब पी कर घर लौटा तो ज्योति उस से नाराज हो गई. दोनों के बीच कहासुनी हुई तो ज्योति गुस्से में बाथरूम में गई और फंदा बना कर लटक गई.

आधी रात होने पर जब उस का नशा उतरा तो उस ने ज्योति को ढूंढना शुरू किया. वह उसे ढूंढते हुए बाथरूम में पहुंचा तो उस की लाश फंदे में झूल रही थी. यह देख कर वह घबरा गया और पुलिस से बचने के डर से उस ने 2 दिनों तक उस की लाश कमरे में ही छिपाए रखी. कल जब वह उसे ठिकाने लगाने के लिए जा रहा था, तभी लोगों ने उसे घेर लिया और लाश ठिकाने नहीं लगा सका.

यह सब बतातेबताते शिवम थानाप्रभारी से बारबार नजरें चुरा रहा था. यह देख कर थानाप्रभारी को उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. इस के बाद उन्होंने शिवम से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि ज्योति की हत्या उस ने ही की थी. उस ने ज्योति की हत्या के पीछे की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

26 वर्षीय शिवम लुधियाना के फतेहपुर अवाना राजगुरू नगर में अपने पिता जगदीश विरदी और मां के साथ रहता था. उस के पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे. 2 साल पहले वह लुधियाना के एक मौडर्न सैलून के सामने से गुजर रहा था, तो उस की मुलाकात ज्योति से हुई. ज्योति उसी सैलून में नौकरी करती थी.

पहली ही नजर में ज्योति की खूबसूरती उस के दिल को भा गई. उस ने उत्सुकतावश पूछ लिया कि इस सैलून में लेडीज और जेंट्स दोनों की हेयर सेटिंग होती है? इस पर ज्योति ने उसे बताया कि यहां दोनों के लिए अलगअलग सैलून हैं और वह भी इसी सैलून में काम करती है. अगर उसे कभी जरूरत हो तो उसे फोन कर के आ जाए.

इस के बाद उस ने अपना फोन नंबर बताया तो शिवम ने जल्दी से उस का नाम पूछ कर उस का नंबर अपने मोबाइल में सेव कर लिया. इस के बाद उस ने अपना नाम और नंबर भी ज्योति को बता दिया. यह उन दोनों की पहली मुलाकात थी. इस के बाद तो आए दिन किसी न किसी बहाने से दोनों की मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया जो जल्दी ही प्यार में बदल गया.

दोनों का जब भी दिल करता, आपस में प्यार की मीठीमीठी बातें कर अपनी चाहतों का इजहार करने से नहीं चूकते थे. धीरेधीरे 2 साल गुजर गए. इस बीच शिवम ने लुधियाना के नामी इंस्टीट्यूट से बीसीए का कोर्स भी पूरा कर लिया. अब उसे भी नौकरी की तलाश थी. वह जल्द से जल्द अपने पैरों पर खड़ा हो कर ज्योति को अपनी दुलहन बनाना चाहता था.

ज्योति के परिवार में उस के पिता की कुछ साल पहले ही मौत हो चुकी थी. इस समय घर में 2 बडे़ भाई धर्मेंद्र सिंह वर्मा और लोधी सिंह वर्मा तथा 5 बहनें थीं. बहनों में वह सब से छोटी थी.

दोनों को ऐसा लगता था कि उन की शादी में परिवार वाले बाधक नहीं बनेंगे. फिर भी दोनों फूंकफूंक कर कदम रख रहे थे. मजे की बात यह थी कि काफी समय गुजर जाने के बाद भी उन के परिवार वालों को उन के अफेयर की जानकारी नहीं थी.

इस बीच एक दिन जब दोनों मिले तो शिवम ने उसे बताया कि वह नौकरी की तलाश में दिल्ली जा रहा है और नौकरी मिलते ही उसे भी वहां बुला लेगा. ज्योति इस के लिए पहले से ही राजी थी, इसलिए उस ने शिवम के प्रस्ताव पर फौरन हामी भर दी.

ज्योति के साथ नया जीवन गुजारने की उमंग में वह मन में नएनए सपने बुनता हुआ नोएडा आ गया. यहां उसे वीवो कंपनी में नौकरी मिल गई. वह कंपनी के कस्टमर केयर डिपार्टमेंट में काम करने लगा.

6 महीने बाद उस ने ज्योति को भी फोन कर के अपने पास बुला लिया. अक्तूबर में ज्योति नोएडा आ गई. साथ रहने के लिए दोनों ने खोड़ा कालोनी के वंदना एनक्लेव में वन रूम सेट किराए पर ले लिया और लिवइन में रहने लगे. वहां शिवम ने ज्योति को अपनी पत्नी बताया था. कुछ दिन बाद ज्योति वर्मा को भी गाजियाबाद के वसुंधरा एनक्लेव के एक ब्यूटीपार्लर में ब्यूटीशियन की नौकरी मिल गई. चूंकि दोनों ही नौकरी कर रहे थे, इसलिए उन्हें अब किसी तरह की टेंशन नहीं थी. दोनों खुश थे.

ज्योति और शिवम के शुरुआत के 3-4 महीने बेहद खुशनुमा थे, लेकिन परेशानी तब शुरू हुई, जब ज्योति शिवम के जल्दी शादी करने के प्रस्ताव को किसी न किसी बहाने टालने लगी. यह देख कर शिवम मन ही मन बहुत परेशान रहने लगा. इस के अलावा उन दोनों की सैलरी में भी भारी अंतर था. शिवम को जहां 14 हजार रुपए मिलते थे, वहीं ज्योति की सैलरी 22 हजार रुपए महीने थी.

इस के अलावा ज्योति ने अप्रैल महीने से घर लेट पहुंचना शुरू कर दिया था. इस से शिवम ने मन में सोचा कि ज्योति को कोई अमीर आशिक मिल गया है, इसलिए वह उस से किनारा करना चाह रही है. अपना शक दूर करने के लिए वह रोज ज्योति के घर लौटने पर उस का मोबाइल चैक करने लगा.

शिवम को अपना मोबाइल चैक करते देख कर ज्योति लपक कर उस से मोबाइल छीन लेती थी, साथ ही ऐसा करने से मना भी करती थी. इस के बाद शिवम का शक और बढ़ गया. नतीजतन आए दिन दोनों के बीच रोज लड़ाई होने लगी. शिवम को अब पक्का यकीन हो गया कि ज्योति जरूर किसी के साथ डेट पर जाने लगी है.

9 जून, 2018 की शाम शिवम विरदी ने शराब पी. उस ने सोचा कि आज वह ज्योति का मोबाइल छीन कर उस के वाट्सऐप और फेसबुक की फ्रैंडलिस्ट चैक करेगा. देर शाम जब ज्योति घर लौटी तो पहले से गुस्से में भरे बैठे शिवम ने उस से मोबाइल छीन लिया. जब ज्योति ने इस का पुरजोर विरोध किया तो दोनों के बीच जम कर लड़ाई हो गई.

गुस्से में शिवम रसोई से चाकू उठा लाया और उस के पेट पर कई वार कर दिए. थोड़ी देर तड़प कर ज्योति ने दम तोड़ दिया. ज्योति के मरने के बाद शिवम को लगा, उस से बहुत बड़ी गलती हो गई. लेकिन अब क्या हो सकता था. वह 72 घंटों तक लाश को एक ट्रौली बैग में बंद कर के रखे रहा और उसे ठिकाने लगाने के बारे में सोचता रहा.

12 जून को उस ने दिल्ली के लक्ष्मीनगर से एक सेल्फ ड्राइव स्विफ्ट कार किराए पर ली और उसे वंदना एनक्लेव स्थित मकान के सामने ले आया. जब वह ट्रौली बैग को उस में रखने जा रहा था, उसी समय ज्योति की लाश से निकलने वाली बदबू के कारण उस का भांडा फूट गया और वह खोड़ा के थानाप्रभारी के हत्थे चढ़ गया.

14 जून, 2018 को नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण, एसपी आकाश तोमर ने नोएडा स्थित अपने औफिस में प्रैस कौन्फ्रैंस कर मीडिया को ज्योति वर्मा मर्डर केस का खुलासा होने की जानकारी दी.

उसी दिन आरोपी शिवम विरदी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

तमाम युवक और युवतियां लिवइन में रहते हैं और अपनीअपनी नौकरी करते हैं, लेकिन सभी के अनुभव अच्छे नहीं होते. इस की वजह होती है दोनों की अंडरस्टैंडिंग ठीक न बन पाना. ज्योति और शिवम के मामले में भी यही हुआ. Latest Crime Story in Hindi

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Hindi Stories Love : कल्पना की अधूरी उड़ान – हत्यारा आशिक

Hindi Stories Love : उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी के थाना एलाऊ क्षेत्र में एक गांव है नगला लालमन. उसी गांव के 2 भाई यशपाल और शेषपाल सुबह 10 बजे किसी काम से जा रहे थे. गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित जल्लापुर निवासी दिनेश यादव के खेत के पास से गुजर रहे थे. तभी उन की नजर खेत में झाड़ी की ओर गई तो वहां का दृश्य देख कर दोनों भाइयों के पैर थम गए.

झाड़ी के पीछे 21-22 साल की युवती की लाश पड़ी थी. पास जा कर देखा तो पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. वह लाश गांव के ही फेरू सिंह की 22 वर्षीय बेटी कल्पना की थी. उस के चारों ओर खून फैला हुआ था. किसी ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी थी. उसी समय दोनों भाइयों ने कल्पना के भाई अवधपाल सिंह को इस बात की जानकारी फोन से दे दी. यह बात अवधपाल ने अपने घर बताने के साथ ही पड़ोसियों को भी बताई.  खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया. घरवालों के साथ ही लालमन गांव के लोग खेत की ओर दौड़े.

गांव की युवती को दिनदहाड़े खेतों पर गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया गया था. इस से गांव में सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई. यह 17 मार्च, 2021 की सुबह की बात है. भाई अवधपाल व ग्रामीणों ने पास जा कर देखा तो कल्पना की कनपटी पर गोली मारी गई थी. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी थी. सूचना मिलते ही थाना एलाऊ के थानाप्रभारी सुरेशचंद्र शर्मा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. युवती की हत्या की खबर आसपास के गांवों में भी फैल चुकी थी, जिस से वहां देखने वालों की भीड़ जमा हो गई.

लाश देख कर लोग आक्रोशित थे और हंगामा कर रहे थे. थानाप्रभारी ने बिना देर किए अपने उच्चधिकारियों को भी घटना से अवगत करा दिया.

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सूचना मिलने पर एसपी अविनाश पांडेय, एएसपी मधुबन सिंह, सीओ (सिटी) अभय नारायण राव के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. एसपी के आदेश पर फोरैंसिक टीम, डौग स्क्वायड की टीम भी वहां पहुंच गई. उच्चाधिकारियों ने युवती के शव का निरीक्षण किया. शव की दशा इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि गोली मारने से पहले उस के साथ मारपीट भी की गई थी. क्योंकि उस के दाएं हाथ पर चोट के निशान थे, जिन्हें देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वह टूटा हुआ है. गोली बाएं कान के नीचे सटा कर मारी गई थी. इस से लग रहा था कि हत्यारे जानपहचान वाले ही होंगे. चेहरे के चारों ओर खून फैला हुआ था.

पुलिस ने मृतका के घरवालों से बात की. उन्होंने बताया कि कल्पना आज तड़के साढ़े 5 बजे अपने घर से दिशामैदान के लिए निकली थी. लेकिन जब वह 2 घंटे तक वापस नहीं आई तो घर वाले उस की तलाश में जुट गए. जब उस की तलाश की जा रही थी, तभी उन्हें उस की हत्या की खबर मिली. घर वालों ने बताया कि कल्पना अपने पास मोबाइल रखती थी, लेकिन वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गई थी. पुलिस अधिकारियों ने जब उन से पूछा कि उन की किसी से दुश्मनी या रंजिश तो नहीं है तो कल्पना के भाई अवधपाल सिंह ने बताया कि गांव में उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. फिर सवाल यह था कि हत्या किस ने और क्यों की है?

फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से जरूरी सबूत जुटाए. मृतका के कपड़ों से कुछ भी नहीं मिला. हां, उस का दुपट्टा वहीं खेत की मेड़ पर तह बना कर हुआ रखा मिला. पुलिस का खोजी कुत्ता भी घटनास्थल से कुछ दूरी तक खेतों में गया. इस पर पुलिस ने खेतों की तलाशी की. लेकिन ऐसा कोई सुराग नहीं मिल सका, जिस से हत्यारे का सुराग मिलता. पानी का डिब्बा गायब था. कई घंटे तक जांच करने के बाद जब पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए शव को उठाना चाहा तो ग्रामीणों ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि गुत्थी सुलझने के बाद ही कल्पना का शव उठने दिया जाएगा.

एसपी अविनाश पांडेय ने आक्रोशित ग्रामीणों को समझाया कि मृतका के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाल कर हत्यारों का पता लगाया जाएगा. उन्होंने आक्रोशित लोगों को आश्वासन दिया कि पुलिस शीघ्र ही हत्यारों को गिरफ्तार कर लेगी. उन के आश्वासन के बाद ग्रामीण शांत हो गए. तब पुलिस ने काररवाई कर शव को मोर्चरी भेज दिया. मृतका के भाई अवधपाल ने इस संबंध में गांव के ही 2 सगे भाइयों दिनेश और विक्रम के खिलाफ कल्पना की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. आरोपित दिनेश शिक्षक है और कुरावली क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत है. वहीं उस का भाई विक्रम गांव में रोजगार सेवक है.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस जांच में जुट गई. पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी के लिए उन के घर पर दबिश दी, लेकिन वे घर पर नहीं मिले. मृतका के घर वालों से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन परिवार के लोग कल्पना की हत्या का कारण नहीं बता सके. जबकि भाई अवधपाल ने गांव के ही 2 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अवधपाल ने बताया कि दोनों आरोपित घटना के समय से फरार हैं, इसलिए उन पर शक है. घर वालों की ओर से बताए गए घटनाक्रम पर पुलिस पूरे तौर पर विश्वास नहीं कर रही थी. युवती की हत्या के मामले में पुलिस की नजर में परिवार के लोग भी शक के दायरे में थे. पुलिस किसी भी तथ्य को नजरंदाज नहीं कर रही थी.

जांच शुरू हुई तो नामजद आरोपियों के खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं मिला. इस के चलते अन्य पहलुओं पर पुलिस ने जांच शुरू की. घटना का राजफाश करने के लिए सीओ (सिटी) अभय नारायण राय के नेतृत्व में स्वाट और सर्विलांस सहित 4 टीमों को लगाया गया. शाम तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. इस में गोली से मौत होने के साथ ही मृतका की बांह पर चोट के निशान थे लेकिन बांह की हड्डी नहीं टूटी थी. इस बात से यह स्पष्ट हो गया कि युवती का हत्यारे के साथ संघर्ष हुआ था. इसी के चलते उस की बांह में चोट लगी थी.

पुलिस ने ग्रामीणों से भी इस संबंध में पूछताछ की. पुलिस की जानकारी में आया कि मृतका के गांव के ही एक युवक से प्रेम संबंध थे. पुलिस ने इस बीच कल्पना का मोबाइल फोन कब्जे में ले लिया. काल डिटेल्स की जांच की गई. मोबाइल में एक नंबर ऐसा था, जिस पर सब से ज्यादा बातें होती थीं. पुलिस ने जब इस संबंध में जानकारी की तो पता चला कि यह नंबर गांव के ही अजब सिंह का है. अजब सिंह की तलाश हुई तो वह गायब था. इस से पुलिस के शक की सुई उस की तरफ घूम गई. जांच के दौरान पता चला कि अजब सिंह अपनी ससुराल फर्रुखाबाद में है. सर्विलांस के जरिए पुलिस को उस के बारे में अहम सुराग मिलने शुरू हो गए.

दूसरे दिन गुरुवार की रात इंसपेक्टर एलाऊ सुरेशचंद्र शर्मा पूछताछ के लिए उसे ससुराल से थाने ले आए.  पुलिस ने जब उस से पूछताछ शुरू की उस ने युवती के घर वालों पर ही हत्या करने का आरोप लगाते हुए बताया कि जब उस के बुलावे पर कल्पना खेत पर आ गई तो हम लोग झाड़ी की आड़ में बातचीत करने लगे. इसी बीच कल्पना के घर वाले आ गए. हम लोगों को बातचीत करते देख उन लोगों ने कल्पना के साथ मारपीट शुरू कर दी. जब मैं ने उन्हें रोका तो मेरे साथ भी मारपीट की. कल्पना को गोली मारने के बाद उस के परिवार वाले उसे भी गाड़ी में डाल कर ले गए थे.

एक स्थान पर उसे मुंह बंद करने की हिदायत दे कर वे लोग गाड़ी से उतार कर चले गए थे. राहगीरों ने उसे अस्पताल में भरती कराया. इस के बाद वह अपनी ससुराल चला गया. इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिस को घटना की सूचना क्यों नहीं दी? पुलिस के सवालों में वह उलझ गया. पुलिस की सख्ती करने पर फिर उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. अजब सिंह ने बताया कि उसी ने नाराज हो कर अपनी प्रेमिका कल्पना की गोली मार कर हत्या की थी. उस की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में प्रयुक्त बाइक और तमंचा तथा अजब सिंह का मोबाइल भी बरामद कर लिया.

19 मार्च को प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी अविनाश पांडेय ने इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया. शादीशुदा और 2 बच्चों के पिता आरोपी अजब सिंह और मृतका के बीच प्रेम संबंध थे. कल्पना की शादी तय होने की जानकारी मिलने के बाद अजब सिंह बौखला गया था. उस ने कल्पना के सामने हमेशा साथ रहने की फरमाइश रख दी. जब इस बात पर वह राजी नहीं हुई तो उस ने उस की गोली मार कर हत्या कर दी. इस घटना को औनर किलिंग का मामला बनाने के लिए उस ने ड्रामा रचा, लेकिन पुलिस ने सर्विलांस के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया. इस संबंध में जो खौफनाक कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

कल्पना का पिता फेरू सिंह दिल्ली में काम करता है. अवधपाल की गांव में खुद की जमीन कम होने के कारण वह उगाही पर गांव के लोगों की जमीन ले कर खेती करता था. गांव के ही अजब सिंह की छोटी उम्र में ही शादी हो गई थी. वह 2 बच्चों का पिता है.  खेतीकिसानी के कारण उस के कल्पना के घर वालों के साथ अच्छे संबंध थे. उस का कल्पना के घर भी आनाजाना था. एक दिन अजब सिंह की नजर उस पर पड़ी. कल्पना सुंदर थी. वह उस की सुंदरता देख ठगा सा रह गया. उस ने उसी क्षण उस से दोस्ती करने का निर्णय ले लिया.

अजब सिंह टकटकी लगाए उसे निहारता रहा. कल्पना को भी इस बात का अहसास हो गया कि अजब सिंह उसे देख रहा है. अजब सिंह कसी हुई कदकाठी का युवक था. जवानी की दलहीज पर पहुंची कल्पना का दिल भी उस पर रीझ गया. उसे देख कल्पना का दिल तेजी से धड़कने लगा था. अब जब भी अजब सिंह कल्पना के घर आता, वह पीने के लिए पानी मांगता. जब कल्पना उसे पानी का गिलास देती वह उस का धीरे से हाथ दबा देता. कल्पना उस के मन की बात जान कर मुसकरा देती. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती हुई फिर प्यार हो गया.

दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए थे, जिस से फोन पर भी उन की बातें होने लगीं. इस के बाद उन का प्यार और गहराता गया. उन के प्रेम संबंधों की किसी को भनक तक नहीं लगी. अजब सिंह के शादीशुदा होने से कल्पना के परिजनों को उस पर शक नहीं हुआ. इसी आड़ में वह लगातार कल्पना से मिलताजुलता रहा और उस पर काफी पैसा खर्च करने लगा. कल्पना अब जवान हो गई थी. घर वालों को उस की शादी की चिंता होने लगी. घर वालों ने भागदौड़ कर कल्पना की शादी तय कर दी थी. इस की जानकारी अजब सिंह को हो गई थी.

17 मार्च की सुबह साढ़े 5 बजे अजब सिंह ने मैसेज कर कल्पना को मिलने खेत पर बुलाया. वह भी अपने खेतों की सिंचाई के बहाने बाइक से वहां पहुंच गया था. कुछ ही देर में कल्पना भी आ गई. अजब सिंह ने उस से कहा, ‘‘कल्पना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. लेकिन अब मैं देख रहा हूं कि जब भी फोन करता हूं तुम्हारा फोन बिजी मिलता है. तुम शायद अपने मंगेतर से ज्यादा बातें करती हो. कल्पना, तुम अपने मंगेतर से बात करना बंद कर दो.’’

अजब सिंह और कल्पना के बीच पिछले 4 साल से दोस्ती थी. दोनों के बीच गहरे प्रेम संबंध थे. अजब सिंह अपनी 2 बीघा जमीन भी प्यार की भेंट चढ़ा चुका था. वह कल्पना पर बहुत पैसा खर्च करता था. उस ने 4 सालों में कई मोबाइल फोन भी ला कर उसे दिए थे. सब कुछ ठीक चल रहा था. कल्पना के घर वालों ने कल्पना की शादी तय कर दी थी. यह बात प्रेमी अजब सिंह को नागवार गुजरी. उस ने कल्पना से कहा, ‘‘कल्पना, मैं तुम्हें पहले की तरह प्यार करता रहूंगा. तुम्हारी शादी जरूर हो रही है लेकिन तुम शादी के बाद भी मुझ से संबंध खत्म मत करना.’’

‘‘देखो, मेरे और तुम्हारे बीच अब तक जो कुछ था, वह अब सब खत्म हो गया है. अब तुम मुझे फोन और मुझ से मिलने की कोशिश भी मत करना. क्योंकि मेरी शादी होने वाली है. और हां, मैं अपने मंगेतर से बात करनी बंद नहीं करूंगी.’’ कल्पना ने जवाब दिया.

अपनी प्रेमिका की इस बेरुखी से अजब सिंह बौखला गया. उसे डर था कि शादी के बाद उस की मोहब्बत उस से छिन जाएगी. इसी बात को ले कर दोनों के बीच बहस होने लगी. गुस्से में उस ने कल्पना की बांह मोड़ दी, जिस से वह दर्द से कराह उठी और खेत में गिर गई. इसी बीच अजब सिंह ने तमंचा निकाल कर उस की कनपटी पर रख कर गोली चला दी. कुछ देर तड़पने के बाद कल्पना ने दम तोड़ दिया. इस के बाद अजब सिंह बाइक से वहां से चला गया. आरोपी अजब सिंह गजब का ड्रामेबाज निकला. उस ने कल्पना के घर वालों को औनर किलिंग में फंसाने के लिए पूरा घटनाक्रम तैयार किया था.

उस ने हत्या करने के बाद कुछ दूरी पर अपना मोबाइल तो कुछ दूर जा कर तमंचा फेंक दिया. इस के बाद सीने पर अपने नाखूनों से खरोंच करने के बाद सिर पत्थर पर मार कर खुद को घायल किया. फिर उस ने कानपुर नगर के बिल्हौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रास्ते में जा रहे राहगीरों की मदद से अपने ऊपर गांव के कुछ युवकों द्वारा मारुति वैन में डाल कर पीटने और यहां फेंकने की बात कह कर स्वास्थ्य केंद्र में भरती हो गया. वहां से खुद को कन्नौज के एक अस्पताल में रेफर कराया, जहां से अपनी ससुराल फर्रुखाबाद आ गया.

अपने ऊपर हमले की झूठी अफवाह फैलाई. पुलिस को उस की यह कहानी समझ नहीं आई थी. कल्पना के घर वालों को फंसाने में वह कामयाब होता, इस से पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने अजब सिंह को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. इस प्रकार 2 निर्दोष भाई जेल जाने से बच गए. कल्पना ने एक बालबच्चेदार व्यक्ति से मोहब्बत कर जो भूल की थी, उस का खामियाजा उसे अपनी जान दे कर चुकाना पड़ा. Hindi Stories Love

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फंदे पर लटकी मोहब्बत : असहमति का अंजाम

Suicide Case : कानपुर शहर से 30 किलोमीटर दूर बेला-बिधूना मार्ग पर एक गांव है-कंजती. कंजती गांव कानपुर देहात जनपद के चौबेपुर थाना अंतर्गत आता है. इसी गांव में रहने वाले सुनील की बेटी सोनी शिवली में स्थित ताराचंद्र इंटर कालेज में पढ़ती थी. इस कालेज में लड़केलड़कियां साथ पढ़ते थे. सोनी के साथ उसी की कक्षा में शिववीर भी पढ़ता था.

शिववीर धनपत का बेटा था. वह सोनी के घर के पास ही रहता था. शिववीर पढ़ने में होशियार था. जब वह 8वीं कक्षा में पढ़ता था, तभी उस की दोस्ती सोनी से हो गई थी. गंभीर प्रवृत्ति का शिववीर सोनी को इतना अच्छा लगता था कि उस का दिल चाहता था कि हर घड़ी वह उसी के साथ रहे. शायद उस का यही लगाव जल्दी ही प्यार में बदल गया. शिववीर को भी सोनी अच्छी लगती थी. वैसे तो क्लास में और भी लड़कियां थीं, लेकिन शिववीर को सोनी सब से अलग दिखती थी.

जैसे ही दोनों को लगा कि वे एकदूसरे से प्यार करने लगे हैं, अन्य प्रेमियों की तरह उन्होंने भी साथ जीनेमरने की कसमें खा लीं. उसी बीच एक दिन सोनी के पिता ने उसे बुला कर कहा, ‘‘पता चला है कि तू किसी जाटव के लड़के के साथ घूमतीफिरती है. तुझे पता नहीं कि हम यादव हैं. यादव और जाटव का कोई जोड़ नहीं, इसलिए तू उस से दूर ही रह.’’

पिता की बातें सुन कर सोनी सन्न रह गई. जाति की बात तो उस ने सोची ही नहीं थी. बस, शिववीर उसे अच्छा लगता था, इसलिए वह उसे प्यार करने लगी थी. अब उस की समझ में आया कि प्यार भी जाति पूछ कर किया जाता है. वह सोच में पड़ गई कि अब क्या होगा.

अगले रोज शिववीर कालेज में मिला तो उस ने उसे पिता की चेतावनी के बारे में बताया. शिववीर ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘प्यार करने वालों की राह आसान नहीं होती सोनी. हमें मजबूत बनना होगा. तभी हमें मंजिल मिलेगी.’’

सोनी को लगा कि शिववीर सब संभाल लेगा. लेकिन 8वीं पास करतेकरते सोनी और शिववीर के प्यार की चर्चा गांव वालों तक पहुंच गई थी. इस के बाद गांव वाले सुनील से कहने लगे कि वह अपनी बेटी पर नजर रखें, वरना वह नाक कटा कर रहेगी.

सुनील को लगा कि गांव वाले सच कह रहे हैं, इसलिए उस ने सोनी की पढ़ाई पर रोक लगा दी. जबकि शिववीर पढ़ता रहा. सुनील का सोचना था कि शिववीर से अलग हो कर सोनी उसे भूल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. दोनों लगातार मिलते रहे. जब इस बात की जानकारी सुनील को हुई तो उसे गहरा आघात लगा. उस ने बेटी को डांटा कि अगर उस ने उस जाटव के लड़के से मिलना नहीं छोड़ा, तो सख्त रुख अपनाना पड़ेगा.

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गांव में सुनील की बेटी की आशिकी चर्चा का विषय बनती जा रही थी. लेकिन सुनील को ही नहीं, पूरे गांव को चिंता थी कि अगर यादव की बेटी जाटव के साथ भाग गई, तो उन की बिरादरी पर कलंक लग जाएगा. सुनील पर गांव वालों का दबाव बढ़ने लगा कि वह अपनी बेटी को संभाले.

सोनी को जब पता चला कि उसे शिववीर से दूर करने की साजिश रची जा रही है तो वह घबरा गई. लेकिन उस के इरादे कमजोर नहीं पड़े. उस ने तय कर लिया कि कुछ भी हो, वह किसी भी कीमत पर शिववीर को नहीं छोड़ेगी.

इस के बाद वह बागी होती गई. एक दिन उस ने अपनी मां संतोषी से खुल कर कह दिया, ‘‘आखिर क्या कमी है शिववीर में? दिखने में भी अच्छा है. पढ़ाई में भी ठीक है. सब से बड़ी बात तो यह है कि वह मुझे प्यार करता है.’’

बेटी की बात सुन कर संतोषी सन्न रह गई. उसे लगता था कि अभी बेटी छोटी है. डांटनेफटकारने से रास्ते घर आ जाएगी. लेकिन बेटी तो बहुत आगे निकल चुकी थी. तब मां ने सोनी को डांटा, ‘‘एक जाटव के लड़के के साथ तेरी शादी कभी नहीं हो सकती. समाज में रहने के लिए उस के नियमों को मानना पड़ता है.’’

लेकिन सोनी ने तय कर लिया था कि वह किसी की नहीं मानेगी. वह वही करेगी जो उस का दिल चाहता है. दूसरी ओर शिववीर के पिता धनपत को पता नहीं था कि वह यादव की बेटी से प्यार करता है. लेकिन जब इस बात की जानकारी उन्हें हुई तो उन्होंने उसे समझाया कि वह जो कुछ कर रहा है, वह ठीक नहीं है.

आज भी समाज में ऊंचनीच की दीवार कायम है. अगर किसी ने उस दीवार को तोड़ने की कोशिश की है तो उस के साथ बुरा ही हुआ है.

धनपत बेटे के लिए परेशान रहने लगा था, उसे डर था कि यादव जाति के लोग उसे कोई नुकसान न पहुंचा दें. उसे शिववीर के सिर पर खतरा मंडराता नजर आया तो वह उस पर नजर रखने लगा. ऐसे में सोनी ने जब शिववीर से पूछा कि उस ने भविष्य के बारे में क्या सोचा है तो उस ने कहा, ‘‘हम समाज की बेडि़यों से बंधे हैं. अगर यह समाज हमें साथ जीने नहीं देगा तो हमें साथ मरने से तो नहीं रोक सकता.’’

‘‘मरने की बात कहां से आ गई शिववीर? मैं अभी जीना चाहती हूं, वह भी तुम्हारे साथ.’’ सोनी बोली.

शिववीर ने उसे समझाया कि जीना तो वह भी चाहता है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. तब सोनी ने कहा, ‘‘चलो, हम घर छोड़ कर भाग चलते हैं.’’

तभी शिववीर ने कहा, ‘‘नहीं, ऐसा करने से दोनों के घर बरबाद हो जाएंगे. हम अपनी खुशियों के लिए अपने घर वालों की खुशियां नहीं छीन सकते. सोनी, हमारे सामने जो हालात हैं, उन्हें देख कर यही लगता है कि अब हमारे सामने एक ही रास्ता है कि हम मर कर सभी को दिखा दें कि हमारा प्यार सच्चा था. हमें मिलने से कोई नहीं रोक सका.’’

इधर सोनी पर घर वालों की बंदिशें इतनी बढ़ चुकी थीं कि वह परेशान रहने लगी थी. एक दिन उस ने शिववीर को फोन कर के बताया, ‘‘शिव, मुझे तो लगता है कि हम कभी नहीं मिल पाएंगे. क्योंकि घर वाले मेरी शादी की बात कर रहे हैं.’’

शिववीर ने सोचा कि अब उसे कोई निर्णय ले ही लेना चाहिए. समाज की पाबंदियों की वजह से जीवन के प्रति उस की उदासीनता बढ़ रही थी. उस के पास न तो ऐसे कोई साधन थे और न ही हिम्मत कि वह अपनी प्रेमिका को कहीं दूर ले जा कर अपना आशियाना बसा ले.

ऐसे में उस के सामने एक ही रास्ता था कि वह प्रेमिका के साथ मौत को गले लगा ले. ताकि इस जहान में न सही, उस जहान में तो मिल सके. वहां उन्हें रोकने के लिए न तो समाज होगा और न ही ऊंचनीच की कोई दीवार.

एक शाम गांव के बाहर रवि के बगीचे में दोनों का आमनासामना हुआ. बातचीत के दौरान सोनी ने पूछा, ‘‘शिववीर, क्या सोचा है तुम ने? क्योंकि अब मैं बंदिशों से परेशान हो गई हूं. घर वाले मुझ से काफी नाराज हैं.’’

‘‘सोनी, हम ने साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं. अब तक हमारी समझ में यह आ गया है कि हम साथसाथ जी नहीं सकते. लेकिन हम साथसाथ इस जालिम दुनिया को अलविदा तो कर ही सकते हैं.’’

‘‘शिववीर, मैं ने तुम्हें जीवन भर साथ निभाने का वचन दिया है, इसलिए पीछे नहीं हटूंगी. लेकिन मेरी इच्छा है कि मैं सुहागन हो कर मरूं. अगर हम ने इस जन्म में शादी नहीं की तो अगले जन्म में भी साथ नहीं रह सकेंगे.’’

शिववीर ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘तुम जैसा चाहती हो, वैसा ही होगा. मरने से पहले हम शादी कर लेंगे.’’

इधर परेशान सुनील ने अपनी बेटी सोनी की शादी बिल्हौर थाना क्षेत्र के धंसी निवादा रहने वाले मेवाराम यादव के बेटे अमर के साथ तय कर दी. 20 मार्च को तिलक और 30 मार्च, 2021 को शादी की तारीख भी तय हो गई. इस के बाद वह शादी की तैयारी में जुट गया.

सोनी को अपनी शादी की बाबत पता चला तो वह परेशान हो उठी. उस ने शादी तय होने और 30 मार्च को बारात आने की जानकारी शिववीर को दी तो वह भी परेशान हो उठा. उस ने सोनी को समझाया भी. लेकिन सोनी ने साफ कह दिया कि वह दुलहन तो बनेगी, लेकिन किसी और की नहीं, केवल अपने मन के मीत की.

सुनील बेटी की शादी धूमधाम से करना चाहता था. घर में खुशी का माहौल था. घर में नातेरिश्तेदारों का आना शुरू हो गया था. मंडप भी गड़ गया था और मंडप के नीचे मंगल गीत गाए जाने लगे थे. सोनी की काया को निखारने के लिए उस के शरीर पर उबटन लगाया जाने लगा था.

28 मार्च, 2021 को होली का त्यौहार था. रात 10 बजे होली जलाई गई. रात 12 बजे जब घर के लोग सो गए तो सोनी ने शिववीर को फोन किया और पूरी तैयारी के साथ उसे गांव के बाहर शीतला देवी के मंदिर पर मिलने को कहा.

उसी रात शिववीर घर से निकल कर शीतला देवी मंदिर पहुंच गया, जहां सोनी उस का इंतजार कर रही थी. रात में ही उन्होंने मां शीतला को साक्षी मान कर मंदिर में शादी कर ली. शिववीर ने सोनी की मांग भर कर उसे पत्नी बना लिया.

रात भर दोनों एकदूसरे की बांहों में समाए रहे. रात का अंधेरा और तारे उन की मोहब्बत के गवाह बने.

सुबह 4 बजे शिववीर ने कहा, ‘‘सोनी, अब हमें लंबे सफर पर चलना होगा.’’

इस के बाद सोनी और शिववीर कमल कटियार के खेत पहुंचे. खेत के किनारे नीम का पेड़ था. इस पेड़ पर दोनों चढ़ गए. सामान को उन्होंने 2 शाखाओं के बीच रखा, फिर रस्सी का फंदा गले में डाल कर दोनों झूल गए. कुछ देर में ही उन के प्राणपखेरू उड़ गए.

सुबह 7 बजे कंजती गांव का आशू कटियार दिशामैदान को गया तो उस ने नीम के पेड़ पर रस्सी के सहारे प्रेमी युगल को लटकते देखा. वह भाग कर गांव आया और गांव वालों को जानकारी दी. इस के बाद तो कंजती गांव में सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई.

सुनील की बेटी सोनी तथा धनपत का बेटा शिववीर भी अपनेअपने घर से नदारद थे. उन का माथा ठनका. सुनील अपनी पत्नी संतोषी के साथ घटनास्थल पहुंचा. वहां अपनी बेटी सोनी को फांसी के फंदे पर झूलता देख कर वह दहाड़ मार कर रो पड़ा. धनपत भी बेटे की मौत पर आंसू बहाने लगा.

इसी बीच गांव के प्रधान राजेश ने प्रेमी युगल द्वारा जीवनलीला समाप्त करने की सूचना थाना चौबेपुर पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी कृष्णमोहन राय पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

मृतका सोनी और मृतक शिववीर कंजती गांव के ही रहने वाले थे. सोनी करीब 21 वर्ष की थी, जबकि शिववीर 22 वर्ष का था. सोनी की मांग में सिंदूर था. देखने से ऐसा लग रहा था कि मरने के पहले दोनों ने शादी कर ली थी.

थानाप्रभारी कृष्णमोहन राय अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि यादव और जाटव बिरादरी के लोगों में कहासुनी होने लगी. तनाव बढ़ता देख श्री राय ने सूचना पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पा कर एसपी (देहात) केशव कुमार चौधरी तथा डीएसपी संदीप सिंह वहां आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा दोनों पक्षों के लोगों को समझा कर शांत किया. इस के बाद उन्होंने फंदे पर लटके दोनों शवों को नीचे उतरवाया. उन्होंने मृतकों के घर वालों से पूछताछ की.

मृतक शिववीर की जामातलाशी ली गई तो उस की जेब से मोबाइल फोन, पैन कार्ड, आधार कार्ड, डेबिट कार्ड तथा 597 रुपए मिले. इस के अलावा पेड़ की डाल पर चुनरी, गमछा, मोबाइल फोन, हाथ घड़ी, 2 जींस, पेड़ के नीचे लेडीज चप्पलें तथा पानी की बोतल मिली. पुलिस ने बरामद सामान को सुरक्षित किया तथा दोनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस माती भिजवा दिया.

थाना चौबेपुर पुलिस ने प्रेमी युगल आत्महत्या प्रकरण को जीडी में दर्ज तो किया, लेकिन दोनों की मृत्यु होने से उन्होंने इस प्रकरण की फाइल बंद कर दी. बेटी के गलत कदम से सुनील का सिर झुक गया था. यादव समाज का तिरस्कार उसे भारी पड़ रहा था.

UP Crime News : पेड़ की डाल से लटका मिला कपल का शव

UP Crime News : कानपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर पश्चिम में थाना बिल्हौर के तहत एक गांव है अलौलापुर. ज्ञान सिंह कमल इसी गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी गीता कमल के अलावा 2 बेटे विकास, आकाश तथा 2 बेटियां शोभा व विभा थीं. ज्ञान सिंह कमल किसान थे. उन के पास 10 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कृषि उपज से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे.

ज्ञान सिंह का बेटा विकास अपने भाईबहनों में सब से बड़ा था. इंटरमीडिएट पास करने के बाद उस ने नौकरी पाने के लिए दौड़धूप की. लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो वह पिता के कृषि कार्य में हाथ बंटाने लगा. उस ने ट्रैक्टर चलाना सीख लिया था. ट्रैक्टर से वह अपनी खेती तो करता ही था, दूसरे काम कर वह अतिरिक्त आमदनी भी करता था. विकास किसानी का काम जरूर करता था, लेकिन ठाटबाट से रहता था.

ज्ञान सिंह के घर से चंद कदम दूर सुरेश कमल का घर था. उस के परिवार में पत्नी ममता के अलावा 2 बेटियां आरती, प्रीति तथा एक बेटा नंदू था. सुरेश और ज्ञान सिंह एक ही कुनबे के थे और रिश्ते में भाईभाई थे. सुरेश भी किसान था. उस की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. लेकिन दोनों में खूब पटती थी.

दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था और सुखदुख में एकदूसरे का साथ देते थे. दोनों परिवारोें के बच्चों का बचपन भी साथसाथ खेलते बीता था.

विकास को  बचपन से ही चाचा सुरेश कमल की बेटी आरती से बहुत लगाव था. आरती भी विकास के साथ ज्यादा खेलती थी. दोनों के इस लगाव पर घर वालों ने कभी ध्यान नहीं दिया, क्योंकि बच्चे अकसर इसी तरह खेलते हैं.

बचपन के दिन गुजर जाने के बाद विकास और आरती ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उन के बीच का लगाव पहले की ही तरह बना रहा. लेकिन उन के नजरिए में बदलाव जरूर आ गया था.

अब उन की चंचलता खामोशी के साथ दूसरा मुकाम अख्तियार कर चुकी थी. उन के दिल में प्यार के बीज अंकुरित हो चुके थे. इसलिए अब जब भी उन्हें मौका मिलता, वे प्यार भरी बातें करते.

आरती की आंखों के सामने जब भी विकास होता, वह उसी को देखा करती. उस पल उस के चेहरे पर जो खुशी होती थी, कोई भी देख कर भांप सकता था कि दोनों के बीच जरूर कुछ चल रहा है.

विकास को भी उस का इस तरह से देखना भाता था, क्योंकि उस का दिल भी तो आरती के प्यार का मरीज था. दोनों की आंखों में एकदूसरे के लिए प्यार साफ झलकता था. वे इस बात को महसूस भी करते थे. लेकिन दिल की बात एकदूसरे से कह नहीं पा रहे थे.

प्यार का किया इजहार

एक दिन विकास आरती के घर पहुंचा, तो उस समय वह घर में अकेली थी. आरती को देखते ही उस का दिल तेजी से धड़क उठा. उसे लगा कि दिल की बात कहने का उस के लिए यह सब से अच्छा मौका है. आरती उसे कमरे में बिठा कर फटाफट 2 कप चाय बना लाई. चाय की चुस्कियों के बीच दोनों बातें करने लगे. अचानक विकास गंभीर हो कर बोला, ‘‘आरती मुझे तुम से एक बात कहनी है.’’

‘‘कहो, क्या कहना चाहते हो?’’ आरती भी गंभीर हो गई.

‘‘आरती, मैं तुम से प्यार करता हूं. यह प्यार आज का नहीं, बरसों का है, जो आज किसी तरह हिम्मत जुटा कर कह पाया हूं. ये आंखें सिर्फ तुम्हें देखना पसंद करती हैं. मैं तुम्हारे प्यार में इतना दीवाना हो चुका हूं कि अगर तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया, तो मैं पागल हो जाऊंगा.’’

आखिर विकास ने दिल की बात कह ही दी, जिसे सुन कर आरती का चेहरा शरम से लाल हो गया, पलकें झुक गईं. होंठों ने कुछ कहना चाहा, लेकिन जुबान ने साथ नहीं दिया. आरती की हालत देख कर विकास बोला, ‘‘कुछ तो कहो आरती, क्या मैं तुम से प्यार करने लायक नहीं हूं.’’

‘‘कहना जरूरी है क्या? तुम खुद को दीवाना कहते हो और मेरी आंखों में बसी चाहत को नहीं देख सकते. जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. मैं ने भी तुम्हें बहुत पहले से दिल में बसा लिया है. डरती थी कि कहीं यह मेरा एकतरफा प्यार न हो.’’ आरती ने भी चाहत का इजहार कर दिया.

आरती की बात सुन कर विकास खुशी से झूम उठा. उसे लगा कि सारी दुनिया की दौलत, आरती के रूप में उस की झोली में आ कर समा गई है.

दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो फिर एकांत में भी मिलनेजुलने का सिलसिला शुरू हो गया. दोनों गांव के बाहर सुनसान जगह पर मिलने लगे. वे एकदूसरे पर जम कर प्यार बरसाते और हमेशा एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाते. जैसेजैसे समय बीतता गया, दोनों की चाहत बढ़ती और प्रगाढ़ होती गई.

घर वालों को उन पर किसी तरह का शक इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि दोनों पारिवारिक रिश्ते में भाईबहन थे. इसी रिश्ते की आड़ में वे घर वालों को बेवकूफ बनाते रहे. उन के बीच जो प्यार उपजा था, वह भाईबहन के रिश्ते को भूल गया था. मर्यादाओं में रहते हुए वे जीवन के हसीन ख्वाब देखने लगे थे. लेकिन उन के संबंध ज्यादा दिनों तक छिपे न रह सके. एक दिन आरती की मां ममता ने उस की और विकास की बातें सुन लीं. इस के बाद वह आरती और विकास के ज्यादा मिलने का मतलब समझ गई. शाम को उस ने इस बारे में बेटी से पूछा तो उस ने मुसकराते हुए कह दिया कि उस का विकास से इस तरह का कोई संबंध नहीं है.

ममता ने भी जमाना देखा था. वह समझ गई कि बेटी झूठ बोल रही है. इसलिए उस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो आरती को सच उगलना ही पड़ा. उस ने डरतेडरते कह दिया कि वह विकास से प्यार करती है.

इस के बाद ममता का गुस्सा फट पड़ा. वह आरती की पिटाई करते हुए बोली, ‘‘कुलच्छिनी, तुझे शर्म नहीं आई. जानती है, वह तेरा क्या लगता है? कम से कम अपने रिश्ते का तो लिहाज किया होता.’’

‘‘मम्मी, वह कोई सगा भाई थोड़े ही है और जब प्यार होता है, तो वह रिश्ता नहीं देखता. हम दोनों ही एकदूसरे को चाहते हैं.’’ आरती ने रोते हुए कहा.

‘‘अच्छा, बहुत जुबान चल रही है, अभी खींचती हूं तेरी जुबान,’’ कहते हुए ममता ने उस पर लात और थप्पड़ों की बरसात कर दी. लेकिन आरती यही कहती रही कि चाहे वह उसे कितना भी मार ले, वह विकास को नहीं छोड़ेगी.

आरती की पिटाई करतेकरते जब ममता हांफने लगी तो एक ओर बैठ कर उसे भलाबुरा कहने लगी. साथ ही उस ने धमकी दी, ‘‘आने दे तेरे बाप को, वही तेरी ठीक से खबर लेंगे. बहुत उड़ने लगी है न तू. अब तेरे पर कतरने ही पड़ेंगे.’’

आरती सुबकती रही. शाम को जब सुरेश आया तो ममता ने सारी बात उसे बता दी. सुरेश को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उस ने समझदारी से काम लिया. उस ने उसे दूसरे कमरे में ले जा कर समझाया, उसे भाईबहन के रिश्ते की गहराई बताते हुए कहा कि उस के इस कदम से गांव में रहना दूभर हो जाएगा. किसी के सामने वह सिर तक नहीं उठा सकेगा.

पिता के समझाने का हुआ असर

पिता की बातें आरती को अच्छी तो लगीं, लेकिन उस के सामने समस्या यह थी कि वह विकास से उस के साथ जीनेमरने का वादा कर चुकी थी. अब उस के सामने एक ओर पिता की इज्जत थी तो दूसरी ओर वह प्यार था, जिस के लिए वह कुछ भी करने का वादा कर चुकी थी.

अंत में वह इस नतीजे पर पहुंची कि वह घर वालों की इज्जत के लिए अपने प्यार को एक सपने की तरह भुलाने की कोशिश करेगी. इसलिए उस ने पिता से वादा कर लिया कि अब वह विकास से नहीं मिलेगी. यह बात करीब एक साल पहले की है.

आरती की पिटाई वाली बात विकास को पता चल चुकी थी. उस के मन में इस बात का डर था कि कहीं चाचा सुरेश यह शिकायत उस की मां से न कर दें. इसी डर की वजह से उस ने आरती के घर जाना बंद कर दिया. दूसरी ओर आरती उसे भुलाने की कोशिश करने लगी थी. इसलिए उस ने भी विकास की देहरी नहीं लांघी.

लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सका. चूंकि दोनों लंबे समय से एकदूसरे को प्यार करते आ रहे थे, इसलिए उन की यादें जेहन में घूम रही थीं, जो उन्हें विचलित कर रही थीं. विकास का मन आरती से मिलने को विचलित था. लेकिन समस्या यह थी कि वह उस से कैसे मिले?

आरती का व्यवहार देख कर उस के घर वालों ने यही समझा कि वह विकास को भूल चुकी है. इसलिए उन्होंने उस पर निगरानी बंद कर दी. एक दिन आरती घर में अकेली थी तो विकास उस से मिलने पहुंच गया. अचानक घर में विकास को देख कर आरती बोली, ‘‘तुम यहां क्यों आ गए? कोई आ गया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’’

‘‘मैं तुम से सिर्फ यह पूछने आया हूं कि तुम मुझे इतनी जल्दी भूल कैसे गई?’’ विकास ने पूछा.

‘‘भूली नही हूं, मजबूरी है. मेरी जगह तुम होते तो तुम भी यही करते.’’ आरती ने कहा.

आरती की इस बात से विकास खुश हो गया और उस ने आरती को झट से अपने गले लगा कर कहा, ‘‘तुम चिंता मत करो, मैं मुलाकात का कोई न कोई रास्ता निकाल लूंगा.’’

प्रेमी से मिलने के बाद आरती अपने पिता से किए गए वादे को भूल गई. वह भी विकास से खूब बातें करना चाहती थी. लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं उस की मां या पिता न आ जाएं. इसलिए उस ने विकास से कहा, ‘‘विकास, इस से पहले कि यहां कोई आ जाए, तुम चले जाओ.’’

विकास वहां से चला गया. प्रेमिका से मिल कर उसे बड़ा सुकून मिला था. 2-3 दिन बाद उस ने एक मोबाइल फोन खरीद कर आरती को दे दिया. इस के बाद आरती चोरीछिपे विकास से बातें करने लगी. इस से उन के मिलने में आसानी हो गई.

इस तरह उन का प्यार पहले की तरह ही चलने लगा. लेकिन उन का चोरीछिपे मिलनेमिलाने का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका.

एक रात अचानक आरती की मां ममता की आंखें खुलीं तो उस ने आरती को चारपाई से गायब पाया. बेटी की तलाश में वह छत पर पहुंची तो वह वहां उसे कुरसी पर बैठी देख कर चौंकी.

मां की आहट पाते ही आरती ने प्रेमी से चल रही बातचीत बंद कर दी और मोबाइल फोन छिपाने लगी. ममता ने उसे कुछ छिपाते देख तो लिया था, लेकिन उसे यह पता नहीं था कि उस ने क्या छिपाया है. उस ने आरती से इतनी रात को छत पर अकेली बैठने की वजह पूछी, तो वह सकपका गई. तब उस ने पूछा, ‘‘तूने अभी क्या छिपाया है, दिखा?’’

‘‘कुछ नहीं छिपाया है मम्मी.’’ आरती घबरा कर बोली.

ममता ने कोई चीज रखते हुए देखा था. बेटी की बात सुन कर ममता को लगा कि वह झूठ बोल रही है. उस ने आरती के सीने पर हाथ डाला, तो वहां मोबाइल देख कर पूछा, ‘‘यह किस का मोबाइल है और किस से बातें कर रही थी?’’

‘‘किसी से नहीं मम्मी.’’ आरती सकपका कर बोली.

बेटी के झूठ बोलने पर ममता समझ गई कि वह विकास से ही बातें कर रही थी. इस का मतलब वह जरूर हमारी आंखों में धूल झोंक कर उस से लगातार मिल रही है.

ममता ने रात में हंगामा करना उचित नहीं समझा. सुबह उस ने सारी सच्चाई पति को बता दी. सुरेश कमल समझ गया कि बेटी को कितना भी समझा ले, वह विकास से मिलना नहीं छोड़ेगी. इस से पहले कि समाज में उन की बदनामी हो, उस ने उस के हाथ पीले करने का फैसला कर लिया.

आरती की मां ममता ने भी अपनी जेठानी गीता से उस के बेटे विकास की शिकायत कर दी. ममता की शिकायत पर गीता को बेटे पर बहुत गुस्सा आया. उस ने ममता को भरोसा दिया कि वह विकास को समझाएगी.

गीता ने विकास से इस बाबत बात की तो डरने के बजाय उस ने बेबाक कह दिया कि वह आरती से प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा. विकास की दोटूक बात सुन कर गीता को आश्चर्य हुआ. तब गुस्से में उस ने उसे 2-3 थप्पड़ जड़ दिए और बोली, ‘‘तुझे अपनी बहन के साथ शादी करने की बात कहते हुए शर्म नहीं आई?’’

लेकिन विकास अपनी जिद पर अड़ा रहा. मां के गुस्से का उस पर कोई असर न पड़ा.

इधर सुरेश कमल अपनी इज्जत बचाने के लिए बेटी के लिए लड़का खोजने लगा तो आरती घबरा उठी. उस ने एक रोज किसी तरह विकास से मुलाकात की और बताया कि उस के घर वाले जल्द ही उस का रिश्ता तय करने वाले हैं. लेकिन वह किसी और की दुलहन बनने के बजाय मौत को गले लगाना पसंद करेगी. उस ने जो वादा किया है, वह जरूर निभाएगी.

आरती की शादी की बात सुन कर विकास भी घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘आरती, तुम्हारी जुदाई मैं बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा. फिर तो एक ही रास्ता बचा है.’’

‘‘वह क्या?’’ आरती ने पूछा.

‘‘यही कि हम साथ जीनेमरने का वादा पूरा करे.’’

‘‘शायद, तुम ठीक कहते हो विकास.’’ इस के बाद दोनों ने एक साथ आत्महत्या करने का निश्चय किया.

 प्यार की विदाई

3 जनवरी, 2021 की रात 10 बजे जब घर के लोग सो गए, तब आरती ने विकास को फोन कर के बात की. विकास ने उसे बताया कि वह घर से निकल रहा है. वह गांव के बाहर अनिल के बाग में उस का इंतजार करेगा. जितनी जल्दी हो सके आ जाए.

आरती ने कमरे में सो रहे अपने मांबाप पर एक नजर डाली. फिर चुपके से दरवाजे की कुंडी खोल कर घर के बाहर आ गई और तेज कदमों से अनिल के बाग की ओर चल पड़ी.

कुछ देर बाद वह बगीचे में पहुंची तो आम के पेड़ के नीचे विकास उस का इंतजार कर रहा था. पेड़ के नीचे कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे. उस के बाद विकास ने पेड़ की डाल में रस्सी बांध कर 2 फंदे बनाए. फिर एकएक फंदा गले में डाल कर दोनों फांसी के फंदे पर झूल गए.

इधर सुबह ममता की आंखें खुलीं तो आरती को चारपाई पर न पा कर उस का माथा ठनका. उस ने घरबाहर आरती की खोज की लेकिन कुछ पता न चला.

उस ने सोचा कहीं विकास आरती को बहलाफुसला कर भगा तो नहीं ले गया. वह विकास के घर जा पहुंची. विकास भी घर से गायब था. अब दोनों के घर वाले विकास और आरती की खोज करने लगे.

ज्ञान सिंह व सुरेश अपने साथियों के साथ दोनों की तलाश में गांव के बाहर अनिल के बाग में पहुंचे तो उन के मुंह से चीख निकल गई. विकास और आरती पेड़ की डाल से बंधी रस्सी के सहारे फांसी के फंदे पर झूल रहे थे. इस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई. देखते ही देखते सैकड़ों लोग घटनास्थल पर आ गए. ममता और गीता अपने बच्चों को फांसी के फंदे पर झूलता देख कर फफक कर रो पड़ीं.

इसी बीच गांव के किसी युवक ने थाना बिल्हौर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई घटनास्थल आ गए. उन की सूचना पर एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार तथा सीओ अशोक कुमार सिंह भी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा दोनों के घर वालों से पूछताछ की.

मृतक विकास की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी तथा मृतका आरती की उम्र 20 साल थी. निरीक्षण के बाद दोनों शवों को फांसी के फंदे से उतार कर पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया गया.

थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई को पूछताछ से पता चला कि विकास और आरती प्रेमीप्रेमिका थे. घर वालों को उन का रिश्ता मंजूर न था. अत: दोनों ने आत्महत्या कर ली.

थानाप्रभारी बाजपेई ने आत्महत्या प्रकरण को थाने में दर्ज तो किया, लेकिन दोनों की मौत हो जाने से प्रकरण को बंद कर दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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UP News : जीजा के प्यार में बहन का किया कत्ल

UP News : फिरोजाबाद जिले के थाना शिकोहाबाद का एक गांव है नगला सैंदलाल. इसी गांव में  राजमिस्त्री रामभरोसे अपने परिवार के साथ रहता था. रामभरोसे की पहली शादी बिरमा देवी के साथ हुई थी. उस से 2 बेटियां सुनीता, गीता के अलावा एक बेटा विक्रम है. बिरमा देवी की बीमारी से मौत हो जाने के बाद रामभरोसे ने अपनी तीसरे नंबर की साली सोमवती से शादी कर ली. इस से एक बेटा करन व 3 बेटियां विनीता, खुशी और हिमांशी पैदा हुईं.

बात 9 मार्च, 2021 की है. सुबह करीब 7 बजे रामभरोसे की सब से छोटी बेटी 6 वर्षीय हिमांशी खेत पर जाते समय रास्ते से अचानक गायब हो गई. हुआ यह कि रामभरोसे की 21 वर्षीय बड़ी बेटी सुनीता छोटी बहन हिमांशी के साथ घर से खेत के लिए निकली थी. रास्ते में हिमांशी पीछे रह गई और सुनीता खेत पर पहुंच गई.

सुनीता हिमांशी के आने का इंतजार करती रही. जब करीब आधा घंटा बीत गया और हिमांशी नहीं आई तो सुनीता को चिंता हुई. उस ने लौट कर मां को बताया कि हिमांशी उस के साथ खेत पर जाने के लिए निकली थी, लेकिन वह रास्ते से कहीं गायब हो गई. इस पर मां ने सोचा कि रास्ते में कहीं खेलती रह गई होगी, आ जाएगी.

लेकिन जब लगभग 2 घंटे बाद भी हिमांशी घर नहीं आई तो घर वालों को चिंता हुई. पड़ोसियों के साथ ही घर वाले हिमांशी की खोजबीन में जुट गए. लेकिन हिमांशी का कोई पता नहीं चला. इसी बीच गांव वालों की नजर रामभरोसे के घर के दरवाजे पर चिपके एक पत्र पर गई. पत्र में सब से ऊपर पवन तोमर का नाम लिखा था. पत्र में लिखा था कि यदि सुनीता की शादी पवन से नहीं कराई तो बच्ची को मार दूंगा.

हिमांशी के अपहरण की बात पता चलते ही पिता रामभरोसे गांव के कुछ लोगों के साथ थाना शिकोहाबाद पहुंच गया और पुलिस को बेटी के अपहरण होने की पूरी जानकारी दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर अपनी टीम के साथ गांव पहुंच गए. उन्होंने सुनीता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. अपने स्तर से पुलिस ने गांव में व आसपास के क्षेत्र में हिमांशी की तलाश की, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला. दिनदहाड़े गांव से लड़की के लापता होने से घर वालों के साथ ही गांव वालों की चिंता और आक्रोश बढ़ता जा रहा था.

इस पर थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी. जानकारी होते ही एसएसपी अजय कुमार पांडेय एसपी (ग्रामीण) अखिलेश नारायण सिंह, सीओ बलदेव सिंह खनेडा, एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह सहित कई थानों की फोर्स व डौग स्क्वायड की टीम के साथ गांव पहुंच गए.

अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. खोजी कुत्ते को हिमांशी के पुराने कपड़े सुंघाए गए. इस के बाद उसे छोड़ा गया तो वह घर के पीछे ईंट भट्ठा तक पहुंचा. पुलिस आसपास सुराग खोजती रही, लेकिन बालिका हिमांशी का पता नहीं चला.

पुलिस जांच में सामने आया कि गांव के ही पवन और सुनीता के बीच प्रेमसंबंध थे. रामभरोसे के दरवाजे पर चिपके पत्र में भी लिखा था कि पवन का तलाक करवा कर सुनीता से शादी करवा दो. इस से साफ हो गया कि कहीं न कहीं सुनीता का इस मामले में हाथ हो सकता है. सुनीता या तो हिमांशी के अपहरण में खुद शामिल है या फिर उस ने किसी से यह काम करवाया है. जांच के दौरान कुछ नाम और भी सामने आए.

सुनीता से इस संबंध में पूछताछ की गई तो वह पूरे घटनाक्रम से अनभिज्ञता व्यक्त करती रही. वह एक ही बात की रट लगाए जा रही थी कि खेत पर जाते समय हिमांशी पीछे रह गई थी और वह रास्ते से ही गायब हो गई थी.

शादीशुदा पवन से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन उस ने हिमांशी के संबंध में कुछ भी जानकारी होने से इनकार कर दिया. एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने दीवार पर चस्पा किए गए पत्र की लिखावट को पढ़ा. पवन की हैंडराइटिंग का मिलान कराया गया, लेकिन उस की हैंडराइटिंग अलग थी.

इस के बाद सुनीता से पूछताछ की गई.  पत्र की बारीकी से जांच के बाद शक की सुई सुनीता पर टिक गई. तब पुलिस सुनीता और पवन को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. इस बीच एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में उन की टीम गांव में जा कर जांच में जुटी रही.

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थाने ला कर पुलिस ने पवन व सुनीता से कड़ाई से पूछताछ की. पूछताछ पूरी करने के बाद शाम 3 बजे दोनों को ले कर पुलिस अधिकारी गांव पहुंचे. सुनीता को गांव के तालाब पर ले जाया गया. जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में गांव वाले भी तालाब पर पहुंच गए.

सुनीता की निशानदेही पर तालाब के एक किनारे से हिमांशी का शव बरामद कर लिया गया. हिमांशी की तलाश के लिए पुलिस की तत्परता देख मां सोमवती को अपनी बेटी के मिलने का भरोसा था, लेकिन उसे यह उम्मीद नहीं थी कि वह मृत अवस्था में मिलेगी. हिमांशी का शव मिलने की जानकारी होते ही वह बुरी तरह फूट पड़ी. अन्य भाईबहन भी तालाब के किनारे पहुंच कर रोनेबिलखने लगे.

अपनी लाडली बेटी की हत्या से गमगीन पिता रामभरोसे को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि बड़ी बहन घटिया सोच के चलते अपनी छोटी बहन की हत्या कर देगी.

पुलिस ने जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया. सुनीता पुलिस से यही कहती रही कि पैर फिसलने से हिमांशी तालाब में गिर गई और डूब गई थी. सुनीता का अब भी यह कहना था कि यह बात उस ने डर की वजह से घर वालों को नहीं बताई थी. पुलिस ने उसी दिन शाम को शव का पोस्टमार्टम करा दिया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने  दूसरे दिन 10 मार्च, 2021 को हिमांशी हत्याकांड का परदाफाश कर दिया. शादीशुदा युवक के इश्क में पागल सुनीता ने ही अपनी छोटी बहन हिमांशी का गला घोंट कर हत्या करने के बाद शव को तालाब में फेंक दिया था.

हत्यारोपी सुनीता ने ही घर वालों, पुलिस और गांव वालों को गुमराह करने के लिए दरवाजे के बाहर अपहरण का पत्र चिपकाया था. पुलिस ने पिता द्वारा दर्ज कराए गए अपहरण के मुकदमे को हत्या में तरमीम कर दिया.

सुनीता कंप्यूटर कोर्स कर रही थी. एसओजी टीम ने उस के बैग की कौपियां देखीं तो एक कौपी का पन्ना फटा था, जिस का मिलान पत्र से हो गया. असल में सुनीता ने पत्र लिखने के लिए जो कागज इस्तेमाल किया था, वह उस ने अपनी ही कौपी से फाड़ा था. उसे चिपकाने की लेई भी उस ने खुद बनाई थी. लेई की कटोरी भी घर के अंदर से बरामद कर ली गई. इस सनसनीखेज कांड का खुलासा करने वाली टीम को एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने 20 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की.

सुनीता से पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि उस ने अपने ही हाथों अपनी मासूम बहन की हत्या कर के अपने प्रेमी पवन को फंसाने की एक गहरी साजिश रची थी. इस केस की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

अपनी मां की मौत के बाद पिता ने उस की मौसी सोमवती से शादी कर ली. सौतेली मां सोमवती के व्यवहार से सुनीता परेशान रहती थी. कुछ समय पहले एक प्लौट पिता ने खरीदा था. उस प्लौट को भी सोमवती ने अपने नाम करा लिया था.

सारे दिन सुनीता घर के काम में ही लगी रहती थी. इसलिए उस ने कंप्यूटर सीख कर नौकरी करने का निर्णय लिया. सोमवती इस बात से खुश नहीं थी. वह चाहती थी सुनीता उस के साथ घरगृहस्थी के काम में हाथ बंटाए.

सुनीता ने गांव के पवन तोमर जो शिकोहाबाद में मैनपुरी चौराहा पर एक जनसेवा केंद्र चलाता था, के सेंटर पर कंप्यूटर ट्रेनिंग लेने का निर्णय लिया. वह उस के सेंटर पर जाने लगी. कंप्यूटर ट्रेनिंग के दौरान पवन और सुनीता का झुकाव एकदूसरे के प्रति हो गया. धीरेधीरे पवन और सुनीता के प्रेमसंबंध हो गए.

पवन शादीशुदा था और उस की पत्नी व 2 बेटियां हैं. पवन भी सुनीता को बहुत प्यार करता था. अगर किसी दिन सुनीता सेंटर पर नहीं आती तो वह बेचैन हो जाता था. वे मिलने में पूरी सावधानी बरतते थे. दोनों कंप्यूटर सेंटर पर ही एकदूसरे से मिलते थे. और गांव में तो वे एकदूसरे से बात तक नहीं करते थे.

कंप्यूटर सेंटर गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए दोनों के प्रेम संबंधों के बारे में गांव में किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई थी.

सुनीता ने एक दिन पवन से कहा, ‘‘पवन, ऐसा कब तक चलेगा. हम दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं. आखिर हम छिपछिप कर कब तक मिलते रहेंगे? तुम मुझ से शादी कर लो.’’

‘‘सुनीता तुम तो जानती हो कि मेरी पत्नी और 2 बेटियां हैं, ऐसे में मैं तुम से कैसे शादी कर सकता हूं.’’ पवन ने कहा.

सुनीता समझ गई कि पवन के शादीशुदा होने से शादी में पेंच फंस रहा था. वह कुछ क्षण सोचने के बाद बोली, ‘‘पवन, इस का एक उपाय यह है कि तुम अपनी पत्नी को तलाक दे दो और मुझ से शादी कर लो. क्योंकि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.’’

पवन ने सुनीता को समझाया कि वह उस से प्यार तो करता रहेगा लेकिन शादी नहीं कर सकता.

जब सुनीता के लाख समझाने का भी पवन पर कोई असर नहीं हुआ तो उस ने पवन पर दवाब बनाने के लिए एक खौफनाक षडयंत्र रचा. सुबह खेत पर जाते समय सुनीता छोटी बहन हिमांशी को भी साथ ले गई.

तालाब के किनारे पेड़ों और झाडि़यों की आड़ में ले जा कर उस ने अपने हाथों से सौतेली बहन हिमांशी की गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद उस के शव को तालाब में फेंक दिया.

इस के बाद वह घर आ कर हिमांशी के लापता होने का नाटक करने लगी. इसी बीच उस ने पहले से लिखे पत्र को घर के दरवाजे पर लेई से चिपका दिया. गांव के एक कोने पर घर होने से सुनीता की कारगुजारी को कोई देख नहीं पाया था. 10 मार्च, 2021 को पुलिस ने सुनीता को सौतेली बहन की हत्या के अपराध में गिरफ्तार कर के न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया.

अपराध करने वाला कितना भी शातिर हो, वह अपराध के बाद निशान छोड़ ही जाता है. फिर सुनीता तो अभी 21 साल की ही थी. गेम प्लान सुनीता ने रचा था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

गले में अंगोछा डाल कर मरवाया पति को

Husband Murder : अनिल जब जेल गया तो अपने गलत धंधे के सहयोगी गोविंद को अपने बिजनैस और परिवार की जिम्मेदारी सौंप गया. उस ने पलभर को भी नहीं सोचा कि गलत काम करने वाला उस का साथी सही कैसे हो सकता है. नतीजा यह निकला कि गोविंद ने उस की पत्नी के साथ मिल कर एक खतरनाक साजिश…

17 सितंबर, 2018 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे सिपाही सुजान सिंह अपनी पिकेट ड्यूटी पूरी करने के बाद अपने कमरे पर जा रहे थे. रास्ते में उन्होंने बहोरिकपुर गांव के पास काली नदी के किनारे सड़क पर एक सैंट्रो कार खड़ी देखी. वह लावारिस कार के नजदीक पहुंचे तो चौंक गए, क्योंकि कार के आगेपीछे लाशें पड़ी हुई थीं. दोनों लाशें पुरुषों की थीं. मामला गंभीर था. सुजान सिंह ने घर न जा कर इस की सूचना तुरंत थाना जहानगंज को दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी संजीव सिंह राठौर पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. काली नदी के किनारे सड़क पर खड़ी सैंट्रो कार के आगेपीछे पड़ी दोनों लाशें कुचली हुई थीं.

कार का एक पहिया खुला हुआ था. जो पहिया खुला था, उसी तरफ जैक लगा हुआ था. ऐसा लग रहा था जैसे कार का पहिया बदलते वक्त कोई दूसरा वाहन उन दोनों को रौंदता हुआ निकल गया था. इसी बीच एसपी संतोष कुमार मिश्रा, एएसपी त्रिभुवन सिंह फील्ड यूनिट और डौग स्क्वायड ले कर वहां पहुंच गए. लाशों का बारीकी से निरीक्षण किया गया तो दोनों मृतकों के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान मिले. उन के हाथों पर बांधे जाने और किसी चीज से गला कसने के निशान भी मिले. कार की पिछली सीट खुली हुई थी. उस खाली जगह पर खून से सना करीब 3 मीटर काला कपड़ा पड़ा मिला, इस से जाहिर था दोनों की हत्या करने के बाद उन्हें वहां ला कर डाला गया था और इसे रोड ऐक्सीडेंट का रूप देने की कोशिश की गई.

लाशों की हुई शिनाख्त मृतकों की तलाशी ली तो उन की जेब से 2 मोबाइल फोन बरामद हुए. उन में मिले नंबरों पर बात कर के थानाप्रभारी को उन के घर वालों के फोन नंबर मिल गए तो उन्होंने मृतकों के घर वालों को घटना की सूचना दे दी. थोड़ी देर में दोनों के परिजन रोतेबिलखते वहां पहुंच गए. उन्होंने मृतकों को पहचान लिया. जिस की लाश कार के अगले दाहिने पहिए के पास पड़ी थी, उस का नाम अनिल सिंह (36) था और दूसरी लाश सुरजीत सिंह उर्फ गोधन (20) की थी. दोनों पड़ोसी जिले कन्नौज के सौरिख थानाक्षेत्र के गांव टड़ारायपुर के रहने वाले थे. गोधन अनिल का सगा भतीजा था.

दोनों के परिवार वालों से पूछताछ की गई. अनिल की पत्नी आरती ने बताया कि अनिल 16 सितंबर की शाम को घर से निकले थे, कहां जा रहे थे, इस बाबत उन्होंने कुछ नहीं बताया था. पूछताछ के बाद दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया गया. मृतक गोधन के मामा चंद्रपाल सिंह ने थानाप्रभारी संजीव राठौर को बताया कि उन का भांजा गोधन और गोधन के चाचा अनिल कन्नौज के गांव टिउला निवासी गोविंद के साथ मिल कर अवैध शराब का धंधा करते थे.

घटना से 10-12 दिन पहले पैसों को ले कर दोनों का गोविंद से झगड़ा हो गया था. गोविंद ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी, आज दोनों की लाशें मिल गईं. चंद्रपाल की तहरीर पर पुलिस ने गोविंद व अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. केस की जांच के लिए एसपी संतोष मिश्रा द्वारा स्वाट टीम प्रभारी कुलदीप दीक्षित को संजीव राठौर की मदद के लिए लगा दिया. मृतक अनिल के मोबाइल पर आनेजाने वाले मोबाइल नंबरों को चैक किया गया. उन में एक नंबर ठाकुर के नाम से सेव था. उस नंबर की 2 मिस्ड काल आई हुई थीं. थानाप्रभारी ने वह नंबर मिलाया तो रिंग जाने पर भी दूसरी ओर से फोन नहीं उठाया गया.

पत्नी पर हुआ संदेह पुलिस ने पूछताछ के लिए अनिल की पत्नी आरती को थाने बुला लिया. आरती से अलगअलग बिंदुओं पर पूछताछ की गई. पुलिस को उस पर शक हुआ तो उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई. उस से पता चला कि घटना वाले दिन की शाम को आरती ने एक मोबाइल नंबर पर काल की थी. फिर देर रात उसी नंबर से आरती को काल आई थी. शक बढ़ने पर थानाप्रभारी संजीव राठौर ने महिला आरक्षी की उपस्थिति में उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने घटना में शामिल सभी लोगों के नाम बता दिए. इस के बाद पुलिस ने ढाबा संचालक नीरज राजपूत को 21 सितंबर को दोपहर के समय उस के छाचा भोगांव स्थित ढाबे से गिरफ्तार कर लिया. आरती और नीरज ने पूछताछ में पूरी कहानी बयां कर दी.

उत्तर प्रदेश के जिला कन्नौज के सौरिख थाना क्षेत्र के गांव टड़ारायपुर में जाहर सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शकुंतला देवी के अलावा 2 बेटे थे—सुनील उर्फ गंगू और अनिल. सुनील मानसिक विक्षिप्त था. जबकि अनिल गलत संगत में पड़ कर आपराधिक प्रवृत्ति का बन गया था. मेहनत करने के बजाय उसे गैरकानूनी कामों में पैसा ज्यादा नजर आता था. वह ज्यादा पैसे कमाने लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था. इसी सोच के चलते उस की दोस्ती ज्यादातर गैरकानूनी काम करने वालों से थी. उस के दोस्त अवैध शराब के धंधे में लिप्त थे. अनिल भी इस धंधे में घुसता चला गया. इस काम से उस के पास खूब पैसा आने लगा.

इसी बीच 10 साल पहले उस का विवाह आरती से हो गया. आरती काफी खूबसूरत थी, वह भी उस के साथ खुश था. कालांतर में आरती 2 बेटों की मां बन गई. 2 नंबर की कमाई से बना अमीर अनिल ने शराब के धंधे में काफी पैसा कमाया. उस पैसे को दूसरे कामों में लगा कर उस ने और भी ज्यादा कमाई करनी शुरू कर दी. उस ने एक ढाबा भी खोल लिया, जोकि काफी अच्छा चल रहा था. इसी की आड़ में उस का अवैध शराब का धंधा बेरोकटोक चलता रहा. कई बार वह पुलिस के हत्थे भी चढ़ा. उस के खिलाफ कन्नौज के सौरिख और छिबरामऊ थाने में लूट, वाहन चोरी और शराब के धंधे के 13 मुकदमे दर्ज थे.

अनिल के साथ कन्नौज के इंदरगढ़ थाने के टिउला गांव का रहने वाला गोविंद उर्फ सुमित भी काम करता था. 25 वर्षीय गोविंद अविवाहित था. 4 बहनों में वह इकलौता भाई था और दूसरे नंबर का था. गोविंद को शराब का धंधा सिखाने वाला अनिल ही था, इसलिए गोविंद अनिल को अपना गुरु मानता था. धीरेधीरे गोविंद शराब के धंधे में इतना माहिर हो गया कि उस ने कन्नौज के तिर्वा कस्बे में अपनी खुद की अवैध शराब की फैक्ट्री लगा ली, जिसे वह अपने पिता कुंवर सिंह और दोस्त रमन यादव निवासी गांव कुंडेपुरवा की मदद से चला रहा था. वह अनिल के शराब के धंधे को खूब बढ़ा रहा था.

2 साल पहले अनिल को नकली शराब बेचने के जुर्म में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जेल जाने से पहले अनिल गोविंद को अपने परिवार, होटल और शराब के धंधे को संभालने की जिम्मेदारी सौंप गया था. अनिल की गैरमौजूदगी में गोविंद ने उस के होटल को तो संभाल ही लिया, साथ ही वह उस के परिवार की भी देखभाल कर रहा था. घर आनेजाने के दौरान अविवाहित Husband Murder गोविंद का आरती पर मन डोल गया. वह अपने मन की बात नजरों से ही आरती पर जाहिर कर चुका था. आरती भी उस से नजरें मिलने पर मुसकरा देती थी. गोविंद ने आरती की आंखों में प्यास देख ली थी. उधर आरती ने भी गोविंद की आंखों में कामना देख ली थी.

गोविंद ने भाभी पर डाले डोरे गोविंद आरती को भाभी कहता था. आरती उस से महज एक साल बड़ी थी, जबकि अनिल आरती से 10 साल बड़ा था. उम्र के इस बड़े फासले ने आरती को गोविंद की तरफ बढ़ने के लिए मजबूर कर दिया. एक दिन जब गोविंद उस के घर पहुंचा तो आरती को देख कर उस से रहा नहीं गया. मौका देखते ही वह आरती से बोला, ‘‘एक बात कहूं भाभी?’’

‘‘कहो,’’ आरती ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘आप हो बहुत अच्छी. जब से आप को देखा है, आप को बारबार देखने को मन मचलता है.’’

‘‘यह सब कहने की बातें हैं. पहले अनिल भी यही कहते थे. सब मर्द एक जैसे होते हैं. बाहर से कुछ, अंदर से कुछ.’’ आरती ने ताना मारा.

‘‘अनिल भाई तो तुम्हारी कद्र करना ही नहीं जानते,’’ गोविंद को जैसे मौका मिल गया, ‘‘उन को आप के सुख की परवाह है कहां?’’

‘‘तुम को कैसे पता?’’ आरती ने भौंहें सिकोड़ीं.

‘‘भाभी, इंसान की आंखें भी तो दिल का हाल बयां कर देती हैं. मैं ने तुम्हारी आंखों में तुम्हारे दिल का दर्द देखा है.’’

गोविंद की बातों में आरती को भी मजा आ रहा था. यही वजह थी कि वह चाय तक बनाना भूल गई. अचानक खयाल आया तो वह बोली, ‘‘मैं तो चाय बनाना ही भूल गई.’’

‘‘रहने दो भाभी, बस आप को देख लिया तो मन भर गया. अब मैं चलता हूं.’’ यह कह कर गोविंद चला तो गया लेकिन आरती की हसरतों को हवा दे गया. कामनाओं के ठौर की तलाश में आरती गोविंद पर आ कर ठहर गई. अनिल से कभीकभार मिलने वाला सुख वह गोविंद की बांहों में पाने को आतुर हो गई. अब दोनों के बीच होने वाला हंसीमजाक छेड़छाड़ तक पहुंच गया था. गोविंद जब भी घर आता तो बच्चों के लिए खानेपीने की चीजें ले आता था. एक दिन आरती ने उसे दबे स्वर में टोका, ‘‘तुम्हें बच्चों की खुशी का तो बहुत खयाल रहता है, लेकिन भाभी की खुशी का कोई खयाल नहीं.’’ कह कर वह मुसकराई.

गोविंद फौरन उस का इशारा समझ गया. बात यहां तक पहुंच गई कि गोविंद उचित मौके की तलाश में रहने लगा. एक दिन वह आरती के पास उस समय पहुंचा जब बच्चे स्कूल गए हुए थे. उस के अंदर आते ही आरती बोली, ‘‘मुझे मालूम है, तुम क्यों आए हो?’’

‘‘तुम ने ही तो बुलाया था.’’ गोविंद हंसा.

‘‘अरे मैं ने कब बुलाया तुम्हें?’’

गोविंद एक कदम आगे बढ़ा, ‘‘अच्छा भाभी सच बताना, जब भी मैं तुम से बात करता हूं, क्या तुम्हारी आंखों की चाहत मुझे नहीं बुलातीं?’’ कह कर उस ने आरती का हाथ पकड़ लिया, ‘‘उन्हीं के बुलाने पर आया हूं मैं.’’

‘‘बात कहने का अंदाज अच्छा है. हाथ छोड़ो तो चाय बना कर लाऊं.’’

‘‘इस तनहाई में मैं चाय पीने नहीं, आप की आंखों के जाम पीने आया हूं.’’ गोविंद आरती के नजदीक खिसक आया, ‘‘बोलो पिलाओगी?’’

‘‘मैं ने कब मना किया है,’’ आरती का भी धैर्य जवाब दे गया था. वह गोविंद के सीने से लगते हुए बोली, ‘‘पर पहले ये जो दरवाजा खुला हुआ है, इसे तो बंद कर लो.’’

आरती का खुला आमंत्रण पा कर गोविंद की बांछें खिल गईं. वह फटाफट दरवाजा बंद कर आया. उस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. फिर तो दोनों एकदूसरे के ऐसे दीवाने हुए कि हर रोज ही उन के बीच यह खेल खेला जाने लगा. गोविंद अब अनिल के होटल में रहने के बजाय उस के घर में रहने लगा. वह भी आरती के पति की तरह से. अनिल एक बात भूल गया था कि गलत काम में साथ देने वाले से वफादारी की उम्मीद करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होता है. जिस इंसान को उस ने धंधा सिखाया, गुरु बन कर उसे धंधे के गुर सिखाए, वही आस्तीन का सांप बन कर उस की बसीबसाई गृहस्थी को निगल रहा था.

जमानत पर आने के बाद अनिल को पता चली हकीकत मार्च, 2018 में अनिल जमानत पर जेल से छूट कर आया तो उसे अपनी पत्नी और गोविंद के रिश्ते के बारे में पता चल गया. इस के बाद उस ने आरती को खूब पीटा और गोविंद को अपने धंधे से निकाल कर उस से दूरी बना ली. इस के कुछ समय बाद ही गोविंद की तिर्वा स्थित अवैध शराब फैक्ट्री पुलिस ने पकड़ ली, जिस में गोविंद के पिता Husband Murder कुंवर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. जबकि गोविंद और रमन मुकदमे में वांछित थे. गोविंद को शक था कि उस की फैक्ट्री अनिल ने पकड़वाई है. वह अनिल को इस का सबक सिखाना चाहता था. साथ ही वह इस साजिश में उस की पत्नी आरती को भी शामिल करना चाहता था.

गोविंद मानता था कि अनिल की वजह से उस का बहुत नुकसान हुआ है. इसलिए वह उस से बदला लेना चाहता था. इस के अलावा उस की नजर अनिल की करोड़ों की संपत्ति और उस की बीवी पर भी थी. इस बारे में उस ने आरती से बात की तो वह भी तैयार हो गई. सोचविचार कर गोविंद और आरती ने अनिल को मौत के घाट उतारने का फैसला कर लिया.

‘‘कैसे मारोगे? पकड़े नहीं जाओगे?’’ आरती ने उस से पूछा.

‘‘हम होशियारी से ऐसी चाल चलेंगे कि हमें कोई नहीं पकड़ पाएगा.’’ गोविंद बोला.

‘‘ऐसी क्या योजना है जरा हम भी तो जानें?’’ आरती ने उत्सुकता दिखाई.

‘‘यह काम मेरे दोस्त नीरज राजपूत, रमन और मेरा ममेरा भाई सोनू कर देंगे. लेकिन इन सब के लिए पैसे देने पड़ेंगे.’’

‘‘कितने?’’

‘‘यही कोई ढाई लाख रुपए.’’

‘‘ठीक है, मेरे एकाउंट में 5 लाख रुपए पड़े हैं. उन में से दे दूंगी.’’ आरती बोली.

आरती के तैयार होने के बाद गोविंद ने अनिल की हत्या की सुपारी एक लाख रुपए में अपने दोस्त नीरज राजपूत को दे दी. नीरज एटा के नयागांव थाना क्षेत्र के गुनामई गांव में रहता था. छाचा भोगांव में उस का एक होटल चल रहा था. शराब कंपनियों द्वारा शराब में प्रयोग होने वाला कैमिकल टैंकरों में भर कर सप्लाई होता है. टैंकरों के ड्राइवरों से सांठगांठ कर के नीरज उन से कम पैसों में कैमिकल की 4-5 कैन भरवा लेता था. फिर वह कैमिकल शराब माफियाओं को सप्लाई करता था. शराब के धंधे से जुड़ा हर माफिया उसे जानता था और कैमिकल के लिए उस के पास जाता था. अनिल और गोविंद भी उस के पास जाते थे.

गोविंद ने नीरज राजपूत से बातचीत कर के अनिल की हत्या की योजना बना ली और उसे एडवांस में 30 हजार रुपए भी दे दिए. इस के अलावा उस ने रमन और ममेरे भाई अवनीश उर्फ सोनू को भी इस साजिश में शामिल कर लिया. रमन तो उस के धंधे का साथी था. अवनीश कानपुर देहात के गमीरापुर गांव में रहता था. लेकिन इस समय कन्नौज के कस्बा थाना तिर्वा के कालका नगर में गोविंद के साथ रह रहा था. अवनीश को अपने काम से घाटा हो गया था, जिस से वह कर्ज में डूब गया था. उसे तुरंत एक लाख रुपए की जरूरत थी. उस ने गोविंद से पैसे मांगे तो उस ने पैसे देने के बदले अनिल की हत्या में साथ देने को कहा. इस के लिए अवनीश तैयार हो गया. इस के बाद सभी ने मिल कर हत्या की योजना बनाई.

नीरज ने 15 सितंबर, 2018 को फोन कर के अनिल को कैमिकल ले जाने के लिए अपने होटल पर बुलाया, क्योंकि अनिल नकली शराब बनाने में कैमिकल प्रयोग करता था. गोविंद, रमन और सोनू पूरी रात नीरज के होटल पर रुके, लेकिन अनिल वहां नहीं आया तो 16 सितंबर की सुबह तीनों लौट गए. 16 सितंबर की शाम को अनिल ने नीरज को फोन किया और बताया कि वह किसी वजह से कल नहीं आ सका था. अभी कुछ देर में होटल पहुंच जाएगा. इस के बाद आरती ने भी गोविंद को अनिल के घर से निकलने की बात बता दी. अनिल अपनी सैंट्रो कार से अपने भतीजे सुरजीत उर्फ गोधन को ले कर नीरज के होटल के लिए निकला. उन के पीछेपीछे गोविंद भी रमन और सोनू के साथ अपनी कार से चल दिया. होटल से कुछ पहले ही गोविंद ने अपनी कार रोक दी. फिर तीनों होटल में पीछे के गेट से दाखिल हो गए और ऊपरी मंजिल पर बने कमरे में पहुंच गए.

उन्होंने नीरज से कहा कि वह अनिल को ऊपर के कमरे में ही ले कर आ जाए. नीरज अनिल को ले कर जैसे ही ऊपर के कमरे में पहुंचा, गोविंद और सोनू ने अनिल के सिर पर लोहे की रौड से प्रहार किए, जिस से अनिल गिर पड़ा. गोविंद ने दोनों साथियों की मदद से अनिल के गले में अंगौछा डाल कर कस दिया, जिस से उस की मृत्यु हो गई. इस के बाद नीरज ने अनिल की जेब में रखे एक लाख रुपए निकाल लिए. इसी बीच नीरज के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया तो वह वहां से चला गया. बिना वजह मारा गया सुरजीत इस के बाद गोधन को ऊपर दूसरे कमरे में बुलाया गया. गोधन ऊपर आया तो उन लोगों को सामने देख कर चिल्लाने लगा. गोविंद ने उस का मुंह दबा कर कमरे के अंदर कर लिया. सोनू ने उस के पैर पकड़े और रमन ने हाथ. इस के बाद गोविंद ने उस के गले में अंगौछा डाल कर कस दिया, जिस से दम घुटने से उस की भी मृत्यु हो गई.

दोनों की हत्या करने के बाद सभी लोग पूरी रात होटल में ही रहे. सुबह 4 बजे के करीब एक लाश को अनिल की कार में दूसरी लाश को गोविंद की कार में रख कर ये लोग छिबरामऊ फतेहगढ़ मार्ग पर काली नदी के कनारे ले गए. फिर सड़क किनारे अनिल की कार खड़ी कर के उस की लाश को कार के आगे और गोधन की लाश कार के पीछे डाल दी. कार के पिछले पहिए को सूजा Husband Murder मार कर पंक्चर कर दिया. इस के बाद गोविंद ने अपनी कार से जैक निकाल कर अनिल की कार में लगाया और एक पहिया खोल दिया. फिर अपनी कार दोनों की लाशों पर 2 बार चढ़ाई ताकि मामला एक्सीडेंट का लगे. तब तक लोगों का आनाजाना शुरू हो गया था.

दोनों लाशों को ऐसे ही छोड़ कर ये लोग होटल गए. कार को और कमरे को अच्छी तरह साफ कर के सब अपनेअपने घर को लौट गए. गोविंद ने आरती को फोन कर के कह दिया, ‘‘भाईसाहब को जहां पहुंचना था, पहुंच गए.’’

लेकिन उन की होशियारी उन के काम नहीं आई और पकडे़ गए. 24 सितंबर, 2018 को ये लोग थानाप्रभारी संजीव राठौर और स्वाट प्रभारी कुलदीप दीक्षित के हत्थे चढ़ गए. दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल लोहे की 2 रौड, एक अंगौछा और हत्या की सुपारी की रकम में से बचे 15 हजार रुपए भी बरामद कर लिए. इस से पहले गिरफ्तार नीरज की निशानदेही पर अनिल की जेब से निकाले गए एक लाख रुपए, एक सूजा और 4 मोबाइल फोन पुलिस ने बरामद कर लिए थे. हत्याभियुक्त रमन एक दूसरे मुकदमे में कोर्ट में हाजिर हो कर जेल चला गया था.

कानूनी लिखापढ़ी के बाद सभी अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर के न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Extramarital Afaair : 4 साल बाद मिले कंकाल ने बयां की इश्क की कहानी

Extramarital Afaair गाजियाबाद के थाना नंदग्राम के गांव सिकरोड का रहने वाला चंद्रवीर बहुत खुश था. क्योंकि उस ने अपनी पैतृक जमीन का छोटा सा टुकड़ा अच्छे दामों में एक बनिए को जो बेच डाला था. बनिया वहां अपनी दुकान बनाना चाहता था. अब बनिया वहां दुकान खोले या कुछ और बनवाए, चंद्रवीर को इस से कोई मतलब नहीं रह गया था. वह तो नोटों को अपने अंगौछे में बांध कर घर की ओर लौट पड़ा था. रास्ते से उस ने देशी दारू की बोतल भी खरीद कर अंटी में खोंस ली थी.

घर के पास पहुंच कर उस ने अपने पास वाले घर के दरवाजे पर जोर से आवाज लगाई, ‘‘अरुण…ओ अरुण.’’

कुछ ही देर में दरवाजा खोल कर दुबलापतला गोरे रंग का युवक सामने आया. चंद्रवीर के चेहरे की चमक और खुशी देख कर ही वह ताड़ गया कि चंद्रवीर ने बेकार पड़ा जमीन का वह टुकड़ा बेच डाला है, जिसे बेचने की वह पिछले एक महीने से कोशिश कर रहा था. फिर भी अरुण उर्फ अनिल ने पूछा, ‘‘क्या बात है भैया, काहे पुकार रहे थे मुझे? और इतने खुश काहे हो आप?’’

‘‘अरुण, मैं ने अपनी जमीन का बलुआ रेत वाला वह टुकड़ा बनिए को एक लाख रुपए में बेच डाला है. आज मैं बहुत खुश हूं.यह लो 2 सौ रुपए, दौड़ कर चिकन ले आओ. तुम्हारी भाभी से चिकन बनवाएंगे. जब तक चिकन पकेगा, हमारी महफिल में जाम छलकते रहेंगे, आज जी भर कर पीएंगे.’’

अरुण हंस पड़ा, ‘‘होश में रहने तक ही पीनी होगी भैया. ज्यादा पी ली तो भाभी बाहर चौराहे पर चारपाई लगा देंगी.’’

ही..ही..ही.. चंद्रवीर ने खींसें निपोरी, ‘‘होश में ही रहूंगा अरुण, तुम्हारी भाभी के गुस्से का शिकार थोड़े ही होना है. अब तुम देर मत करो, जल्दी चिकन खरीद लाओ.’’

‘‘यूं गया और यूं आया भैया.’’ अरुण ने हाथ नचा कर कहा और भीतर घुस गया.

कुछ ही देर में वह थैला ले कर बाहर आया, ‘‘भैया, आप पानी गिलास तैयार करिए, मैं दौड़ कर चिकन ले आता हूं.’’

अरुण तेजी से मुरगा मंडी की तरफ चला गया तो चंद्रवीर ने अपने घर में प्रवेश किया.

बैठक में पहुंच कर उस ने पत्नी को आवाज लगाई, ‘‘सविता…’’

नहाते समय देख लिया था सविता को

उस की पत्नी चुन्नी के पल्लू से हाथ पोंछती हुई बैठक में आ गई. वह सुंदर और गेहुंए रंग की थी. चेहरे पर अब उम्र की रेखाएं उभरने लगी थीं लेकिन उस के भरे हुए मांसल जिस्म की बनावट के कारण वह प्रौढ़ावस्था में भी जवान ही दिखाई पड़ती थी.

‘‘यह एक लाख रुपया है, संभाल लो. अपने लिए कान के झुमके बनवा लेना. एक अच्छा सा सूट, स्वेटर और शाल भी खरीद लाना. इस में से 500 रुपए मैं ने अपने शौक के लिए लिया है. अरुण को चिकन लेने बाजार भेजा है.’’

‘‘अरुण!’’ सविता ने मुंह बिगाड़ा, ‘‘उसे काहे भेजा बाजार?’’

‘‘भाई है मेरा, वो काम नहीं करेगा तो कौन करेगा?’’ चंद्रवीर ने कहा, ‘‘वैसे तुम काहे इस बात पर नाराज हो रही हो. कुछ कहा क्या उस ने?’’

‘‘आज…’’ सविता कुछ कहतेकहते रुक गई और पति की ओर देखने लगी.

‘‘क्या हुआ आज?’’ चंद्रवीर ने उस की ओर प्रश्नसूचक नजरों से देखा.

‘‘आज मैं ने बालों में डालने के लिए तेल की शीशी उठाई तो उस में तेल खत्म था. मैं ने अरुण को बुला कर तेल लाने के लिए कहा तो वह मना कर के चला गया. कह रहा था कि उसे नींद आ रही है.’’

चंद्रवीर हंस पड़ा, ‘‘अरे नींद आ ही रही होगी उसे, तभी तो मना कर दिया होगा. इस में नाराज क्या होना, जाओ यह रुपए बक्से में रख दो और ताला लगा देना. हां, मिर्चमसाला भी पीस लो, चिकन पकेगा आज.’’

सविता ने रुपए लिए और अंदर के हिस्से में बने उस बैडरूम में आ गई, जिस में वे लोग सोते थे. उस में एक संदूक रखा था. सविता ने रुपए संदूक में संभाल कर रख दिए. इस के बाद सविता किचन में आ गई. उस ने आज पति चंद्रवीर से झूठ बोला था, बात को वह बड़ी सफाई से घुमा गई थी जबकि मामला दूसरा ही था. बात यह थी कि आज जब वह दोपहर में घर के आंगन में लगे हैंडपंप पर नहाने बैठी थी तो उस ने अपने अंगवस्त्र तक उतार कर धोने के लिए डाल दिए थे. वह अपनी देह को मल रही थी. कड़क धूप में बाहर बैठ कर नहाना उसे अच्छा लगता था. उस की पीठ चारदीवारी के दरवाजे की तरफ थी.

उस का देवर अरुण न जाने कब आंगन में आ गया था और उसे बड़ी ललचाई नजरों से नहाते हुए देख रहा था. वह उस के नग्न जिस्म को घूर रहा था. सविता को इस की भनक तक नहीं लगी थी, नहाने के बाद वह तौलिया उठाने के लिए खड़ी हो कर घूमी तो उस की नजर अरुण पर चली गई. वह घबरा गई. उस ने जल्दी से तौलिया उठाया और शरीर पर लपेट कर कमरे की ओर भागी. अरुण उस की बदहवासी देख कर खिलखिला कर हंस पड़ा. सविता ने कमरे में आ कर किवाड़ बंद कर लिए. तौलिया उस के हाथों से नीचे गिर पड़ा. उस ने अपने बदन को देखा तो खुद ही लजा गई. उस की सांसें अभी भी धौंकनी की तरह चल रही थीं.

वह यह सोच कर ही शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी कि उस के इसी नग्न जिस्म को अरुण ने बड़ी बेशर्मी से देखा है. अरुण की आंखों में वासना और चेहरे पर वहशी चमक थी. सविता को उस समय लगा था कि यदि वह क्षण भर भी और आंगन में रह जाती तो अरुण लपक कर उसे बांहों में भर लेता. अरुण उर्फ अनिल था तो चचिया ससुर का लड़का, लेकिन था तो मर्द और यह सविता की जिंदगी का पहला वाकया था कि उस के पति चंद्रवीर के अलावा किसी दूसरे मर्द ने उस की नग्न देह को देखा था.

कमरे में वह काफी देर तक अपनी उखड़ी सांसों को दुरुस्त करती रही, उस के बाद अपने कपड़े पहन कर उस ने दरवाजा खोल कर बाहर झांका था. अरुण आंगन से जा चुका था. सविता ने राहत की सांस ली और बाहर आई थी. फिर वह अपने कपड़े धोने बैठ गई थी. सारा दिन यही सोच कर वह शरम महसूस करती रही कि अब अरुण से वह नजरें कैसे मिलाएगी.

कुसूर इस में अरुण का नहीं था. वह नहाने बैठी थी तो उसे दरवाजा अंदर से बंद कर लेना चाहिए था. अरुण अचानक आ गया तो इस में दोष उस का कैसे हुआ? हां, यदि वह नग्न नहा रही थी तो अरुण को तुरंत वापस चले जाना चाहिए था.

अरुण से नहीं मिलाना चाहती थी नजरें

सविता यह सोच कर सारा दिन पशोपेश में रही कि अरुण से वह नजरें कैसे मिलाएगी. कम से कम दोचार दिन वह अरुण के सामने नहीं जाएगी, सविता ने सोच कर दिल को समझा लिया था, लेकिन चंद्रवीर ने अरुण को शराब की दावत दे कर चिकन लाने बाजार भेज रखा था. अब अरुण घर जरूर आएगा, उस से उस का सामना भी होगा. उफ! सविता का वह दिल फिर तेजी से धड़कने लगा था, जिसे दोपहर में उस ने बड़ी कोशिश कर के काबू में किया था.

रसोई में आ कर वह काम तो कर रही थी, लेकिन सामान्य नहीं थी.

‘‘सविता…’’ उस के कानों में पति की आवाज पड़ी. चंद्रवीर उसे पुकार रहा था, इस का मतलब था अरुण चिकन ले आया था. सविता अरुण के सामने नहीं आना चाहती थी. सविता ने किचन से आवाज लगाई, ‘‘क्या है, क्यों आवाज लगा रहे हो?’’

‘‘अरुण चिकन ले आया है, ले जाओ.’’ चंद्रवीर ने बताया.

‘‘आप ही यहां ला दो, मैं ने मसाला तवे पर डाला है, जल जाएगा.’’

चंद्रवीर थैला ले कर आ गया. थैला रख कर उस ने 2 कांच के गिलास, पानी का लोटा व प्लेट उठाई और चला गया.

सविता ने जैसेतैसे खाना तैयार किया और चंद्रवीर को आवाज लगाई, ‘‘खाना बन गया है, मैं थाली लगा रही हूं. आ कर ले जाओ.’’

‘‘तुम ही ले आओ.’’ चंद्रवीर ने कहा तो सविता को थाली में भोजन रख कर खुद ही बैठक में लाना पड़ा. उस ने उस वक्त चुन्नी को अपने सिर पर इतना खींच लिया था कि अरुण की नजरें उस की नजरों से न मिल सकें.

थालियां पति और अरुण के सामने रखते हुए उस के हाथ कांप रहे थे, उस का दिल बुरी तरह धड़क रहा था और सांसें धौंकनी सी चल रही थीं. उस ने चोर नजरों से देखा. अरुण उसे देख कर बेशर्मी से मुसकरा रहा था.

खाना परोस कर वह तेजी से बैठक से बाहर आ गई. जैसेतैसे चंद्रवीर और अरुण की वह दावत रात के 10 बजे तक खत्म हुई. अरुण चला गया तो सविता की जान में जान आई. दूसरे दिन चंद्रवीर किसी काम से चला गया तो सविता ने कुछ सोच कर अरुण के घर की तरफ कदम बढ़ा दिए. वह रात को ही इस बात का फैसला कर चुकी थी कि अरुण से कल की बेशर्मी भरी हरकत पर सख्ती से बात करेगी. अगर वह चुप रहेगी तो अरुण फिर से वैसी हरकत कर सकता है.

अरुण का दरवाजा ढुलका हुआ था. सविता ने दरवाजा धकेला तो वह अंदर की तरफ खुल गया. सविता सीधा अरुण के कमरे में आ गई. अरुण उस वक्त बिस्तर में लेटा टीवी देख रहा था. आहट पा कर उस ने नजरें घुमाईं तो सविता को देख कर हड़बड़ा कर चारपाई पर उठ बैठा, ‘‘भाभी आप?’’ उस ने हैरानी से कहा.

‘‘हां, मैं.’’ सविता रूखे स्वर में बोली.

‘‘बैठो.’’ अरुण जल्दी से चारपाई से उतर गया.

‘‘मैं बैठने नहीं आई हूं. तुम से कुछ पूछने आई हूं.’’ सविता तीखे स्वर में बोली, ‘‘मुझे यह बताओ, तुम ने वह बेहूदा हरकत क्यों की थी?’’

‘‘कैसी बेहूदा हरकत भाभी?’’ अरुण ने खुद को संभाल कर संयत स्वर में पूछा.

‘‘कल मैं जब नहा रही थी तो तुम अंदर घुस आए और मुझे आंखें फाड़ कर देखते रहे… क्यों?’’

‘‘भाभी,’’ अरुण बेशरमी से मुसकराया, ‘‘आप हो ही इतनी हसीन कि मैं चाह कर भी अपनी नजरें नहीं हटा सका.’’

सविता उस की बात पर अचकचा गई. उसे कुछ नहीं सूझा कि वह क्या कहे.

अरुण अपनी ही धुन में बोलता चला गया, ‘‘भाभी, आप का गदराया यौवन है ही इतना हसीन कि उस पर से कोई मूर्ख ही अपनी नजरें हटाएगा. मैं बेवकूफ और मूर्ख नहीं हूं, कसम ले लो भाभी मैं ने आप की पीठ के तिल भी गिने हैं…’’

सविता शरम से जमीन में जैसे गड़ गई. उस के मुंह से धीरे से निकला, ‘‘चुप हो जाओ अरुण. प्लीज, अब आगे कुछ मत कहना.’’

अरुण ने गहरी सांस ली, ‘‘हकीकत बयां कर रहा हूं भाभी. भले ही आप की शादी हुए 14 साल हो गए, लेकिन आप की सुंदरता एक बेटी की मां बनने के बाद भी कम नहीं हुई है. आप रूप की देवी हो. चंद्रवीर भैया आप की पूजा नहीं करते होंगे. कसम ले लो यदि आप मेरी किस्मत में लिखी होती तो मैं आप को सिंहासन पर बिठा कर पूजता.’’

सविता अपनी तारीफ सुन कर मंत्रमुग्ध हो गई थी. अरुण की एकएक बात उस के रोमरोम को पुलकित कर रही थी. उस के मन में अजीब सी हलचल मच गई थी. उसे अरुण की अंतिम बात ने रोमांच से भर दिया. उसे लगा अरुण उसे शिद्दत से प्यार करता है. उस के यौवन का वह प्यासा भंवरा है, तभी तो उस की चाहत शब्दों के रूप में उस के होंठों पर आ गई है.

शिकायत करतेकरते हो गई शिकार

वह अरुण को डांटने आई थी. अब उस की बातों ने उसे मोह में बांध लिया. सविता से कुछ कहते नहीं बना तो अरुण ने उस की कलाई पकड़ ली और हथेली अपने सीने पर रख कर दीवानों की तरह आह भरते हुए बोला, ‘‘इस सीने में जो दिल है भाभी, वह सिर्फ तुम्हें चाहता है. आज से नहीं बरसों से मैं तुम्हें मन ही मन प्यार करता आ रहा हूं.’’

‘‘तो कहा क्यों नहीं…’’ सविता आंखें बंद कर के धीरे से फुसफुसाई.

‘‘डरता था भाभी, कहीं तुम बुरा न मान जाओ. तुम चंद्रवीर भैया की अमानत हो. मैं अमानत में खयानत करना नहीं चाहता था.’’

‘‘अब क्या कर रहे हो?’’ सविता मदहोशी के आलम में बोली, ‘‘तुम मेरी हथेली सहला रहे हो, यह भी तो गुनाह है न.’’

‘‘आज हिम्मत बटोर ली है भाभी. देखता रहूंगा तो जी जलता रहेगा. आज तुम्हें संपूर्ण पा लेने की इच्छा है, तभी मन में ठंडक पड़ेगी.’’

सविता 35 वर्षीय अरुण की बातों और उस के प्यार भरे स्पर्श से अपना होश गंवा चुकी थी. उस ने आंखें बंद कर के फुसफुसा कर कहा, ‘‘लो कर लो अपने दिल की, तुम्हारे दिल में जो आग भड़क रही है, उसे शांत कर लो.’’

सविता की इजाजत मिली तो अरुण ने उसे बांहों में समेट लिया. देवरभाभी के पवित्र रिश्ते की दीवार को ढहने में फिर वक्त नहीं लगा. सविता जब अरुण के कमरे से निकली तो उस का गुस्सा कपूर की गंध की तरह उड़ चुका था. जिस अरुण ने उसे नहाते हुए नग्न हालत में देखा था, वही अरुण अब उस के तनमन पर छा गया था. सविता बहुत खुश थी. उस ने अपने पति चंद्रवीर के साथ देवर अरुण को भी दिल में जगह दे दी थी. यह बात सन 2017 की है.

42 वर्षीय चंद्रवीर को पैतृक संपत्ति का काफी बड़ा हिस्सा बंटवारे में मिला था. वह उसी संपत्ति का थोड़ाथोड़ा हिस्सा बेच कर अपने परिवार का गुजरबसर कर रहा था. परिवार में 3 ही प्राणी थे— वह, उस की पत्नी सविता और बेटी दीपा (काल्पनिक नाम). चंद्रवीर घर में  किसी चीज की कमी नहीं होने देता था. उस की गृहस्थी की गाड़ी बड़े आराम से चल रही थी.

28 सितंबर, 2018 को चंद्रवीर लापता हो गया. सविता के बताने के अनुसार चंद्रवीर अपने खेत का एक बड़ा हिस्सा बेचने के इरादे से घर से निकला था. शाम ढल गई और अंधेरा जमीन पर उतर आया तो सविता के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. उस ने अपनी बेटी दीपा को साथ लिया और पति चंद्रवीर को उन जगहों पर तलाश करने निकल गई, जहांजहां वह उठताबैठता था.

सविता और दीपा ने हर संभावित जगहों पर पति की तलाश की, उस के विषय में पूछताछ की लेकिन हर जगह से उन्हें निराशा मिली. चंद्रवीर आज उन जगहों पर नहीं आया था. दोनों घर आ गईं. जैसेतैसे रात गुजर गई. सुबह सविता ने अरुण को बुला कर बताया कि चंद्रवीर कल सुबह से घर से निकला है, अभी तक वापस नहीं लौटा है. उसे रिश्तेदारी में तलाश करो.

अचानक लापता हो गया चंद्रवीर

अरुण अपने साथ 2-3 लोगों को ले कर उन रिश्तेदारियों में गया, जहांजहां चंद्रवीर आनाजाना करता था. उस ने कितनी ही रिश्तेदारियों में मालूम किया, लेकिन चंद्रवीर कई दिनों से उन लोगों से मिलने नहीं आया था. 2 दिन की तलाश करने के बाद अरुण वापस आ गया. उसे मालूम हुआ कि 3 दिन बीत जाने पर भी चंद्रवीर घर नहीं लौटा है. उस ने सविता को बताया कि चंद्रवीर किसी रिश्तेदारी में भी नहीं पहुंचा है. सुन कर सविता दहाड़े मार कर रोने लगी.

अब तक पूरे गांव में यह बात फैल चुकी थी कि चंद्रवीर 3 दिनों से लापता है. गांव वाले चंद्रवीर की तलाश में सविता की मदद के लिए इकट्ठे हो गए. पूरे गांव में चंद्रवीर को ढूंढा जाने लगा. नदी तालाब, खेत खलिहान हर जगह चंद्रवीर को खोजा गया, लेकिन वह नहीं मिला. इन लोगों में चंद्रवीर का भाई भूरे भी था. भूरे से चंद्रवीर की बनती नहीं थी, वह चंद्रवीर के घर आताजाता नहीं था लेकिन चंद्रवीर था तो सगा भाई, इसलिए उस की तलाश में वह भी जान लड़ा रहा था.

चंद्रवीर जब 5 दिन की खोजखबर के बाद भी नहीं मिला तो 5 अक्तूबर, 2018 को भूरे ने गाजियाबाद के नंदग्राम थाने में चंद्रवीर के लापता होने की सूचना दर्ज करवा दी. नंदग्राम थाने के तत्कालीन एसएचओ पुलिस टीम के साथ सिकरोड गांव में स्थित सविता के घर पहुंच गए. सविता 5 दिनों से आंसू बहा रही थी. दीपा भी पिता की याद में सिसक रही थी. वह एकदम बेसुध और बेहाल सी नजर आ रही थी.

एसएचओ ने सविता के सामने पहुंच कर उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘देखो रोओ मत, चंद्रवीर की तलाश करने में हम लोग पूरी जान लड़ा देंगे. तुम हमें यह बताओ कि चंद्रवीर के घर से जाने से पहले तुम्हारा क्या चंद्रवीर से झगड़ा हुआ था?’’

‘‘नहीं, मैं उन से आज तक नहीं लड़ी, वह भी मुझ से नहीं लड़ते थे. वह दिल के बहुत अच्छे और नेक इंसान थे. मुझे और अपनी बेटी को बहुत प्यार करते थे.’’ सविता ने आंसू पोंछते हुए कहा.

‘‘चंद्रवीर ने जाने से पहले तुम्हें बताया था कि वह कहां और क्यों जा रहा है?’’ एसएचओ ने दूसरा प्रश्न किया.

‘‘कहां जा रहे हैं, यह भी नहीं बताया था. मेरे सामने वह घर से नहीं निकले थे साहब, वह अंधेरे में ही निकल कर चले गए थे. हम मांबेटी तब सोई हुई थीं.’’

‘‘तुम्हें किसी पर संदेह है?’’

‘‘मेरे पति का अपने भाई भूरे से संपत्ति विवाद रहता था. मुझे लगता है कि वो अंधेरे में घर से नहीं गए, बल्कि उन्हें अंधेरे में गायब कर दिया गया है. यह काम भूरे ने किया है साहब. उस ने शायद मेरे पति की हत्या कर दी है.’’

‘‘यह पक्का हो, ऐसा तो नहीं कह सकते. जांच के बाद ही पता चलेगा कि क्या भूरे ने संपत्ति विवाद के कारण चंद्रवीर को लापता करने की हिमाकत की है.’’ एसएचओ ने कहा और उठ कर उन्होंने एसआई को भूरे को पकड़ कर थाने लाने का आदेश दे दिया.

चंद्रवीर के भाई से की पूछताछ

आवश्यक जानकारी जुटा लेने के बाद एसएचओ अकेले ही थाने लौट आए. एसआई अपने साथ 2 कांस्टेबल ले कर भूरे को हिरासत में लेने के लिए निकल गए थे. थोड़ी देर में ही भूरे को ले कर एसआई और कांस्टेबल थाने आ गए. भूरे ने कभी थाना कचहरी नहीं देखा था. वह काफी डरा हुआ था. आते ही उस ने एसएचओ के पांव पकड़ लिए, ‘‘साहब, मुझे क्यों पकड़ा है आप ने? मैं ने ऐसा क्या अपराध किया है?’’

‘‘तुम ने अपने भाई चंद्रवीर को कहां लापता किया है भूरे?’’ एसएचओ ने उसे खुद से परे कर सख्त स्वर में पूछा.

‘‘मैं चंद्रवीर को कहां लापता करूंगा साहब, वह मेरा भाई है.’’

‘‘तुम्हारा अपने भाई से संपत्ति का विवाद था?’’

‘‘नहीं साहब,’’ भूरे तुरंत बोला, ‘‘हमारा आपस में संपत्ति का बंटवारा बहुत प्रेम से हुआ था. कौन कहता है कि हमारा संपत्ति का विवाद था?’’

‘‘सविता कह रही है,’’ एसएचओ ने भूरे को घूरते हुए कहा, ‘‘सविता का कहना है कि संपत्ति विवाद में तुम ने उस के पति को लापता किया है और उस की हत्या कर दी है.’’

यह सुनते ही भूरे ने सिर थाम लिया. कुछ देर तक वह स्तब्ध सा बैठा रहा फिर तैश में आ कर बोला, ‘‘सविता मुझ से जलती है साहब, वह मुझ पर झूठा आरोप लगा रही है. आप ही बताइए, मैं ने यह काम किया होता तो थाने में आ कर खुद उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट क्यों लिखवाता?’’

‘‘रिपोर्ट लिखवाने से तुम निर्दोष थोड़ी हो गए. हम तुम्हारे घर की तलाशी लेंगे.’’

‘‘बेशक तलाशी लीजिए साहब, मैं अपने मांबाप की कसम खा कर कहता हूं कि मैं निर्दोष हूं. चंद्रवीर कहां गया, मैं नहीं जानता.’’

एसएचओ को लगा भूरे सच कह रहा है लेकिन वह पूरी तसल्ली कर लेना चाहते थे. उन्होंने भूरे को साथ लिया और उस के घर की तलाशी ली. उन्हें उस के घर में ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिस से यह साबित होता कि भूरे ने चंद्रवीर की हत्या की है या उसे लापता किया है. उन्होंने भूरे को छोड़ दिया. पुलिस कई दिनों तक चंद्रवीर को अपने तरीके से तलाश करती रही. सविता ने इस बीच यह शक भी व्यक्त किया कि उस के पति की हत्या कर के भूरे ने शव उस के घर में या अपने घर में गाड़ दिया है.

अपना शक दूर करने के लिए पुलिस ने भूरे और चंद्रवीर का आंगन और कमरों को खुदवा कर भी देख डाला लेकिन तब भी कोई ऐसा सूत्र नहीं हाथ आया, जिस से समझा जाता कि चंद्रवीर की हत्या कर के उस का शव जमीन में दबा दिया गया है. पुलिस ने चंद्रवीर के मामले में काफी माथापच्ची की, जब कोई सुराग हाथ नहीं आया तो पुलिस ने चंद्रवीर के लापता होने वाली फाइल वर्ष 2021 में बंद कर दी गई. सविता ने दिल पर पत्थर रख लिया. पहले चोरीछिपे अरुण से उस की आशनाई चलती थी अब तो अरुण का ज्यादा समय उसी के घर में बीतने लगा. सविता अपनी बेटी की गैरमौजूदगी में अरुण के साथ रास रचाती.

उस ने यह आसपड़ोस में जाहिर करना शुरू कर दिया था कि चंद्रवीर के बाद अरुण उस के परिवार का सच्चे मन से साथ दे रहा है. लोगों को क्या लेनादेना था. वैसे भी लोगों की नजर में अरुण सविता का चचेरा देवर था, कोई गैर नहीं था.

4 साल बाद फिर खुली फाइल

समय तेजी से सरकता रहा. चंद्रवीर को लापता हुए पूरे 4 साल बीत गए, तब 2021 में बंद हुई एकाएक उस की बंद धूल चाट रही फाइल दोबारा से खुल गई. दरअसल, 4 अप्रैल, 2022 को गाजियाबाद के नए नियुक्त हुए एसएसपी मुनिराज जी. ने वह तमाम फाइलें खुलवाईं, जिन के केस अनसुलझे थे. इन्हीं में एक फाइल चंद्रवीर की भी थी. एसएसपी मुनिराज जी. ने यह फाइल थाना नंदग्राम गेट से ले कर क्राइम ब्रांच की एसपी दीक्षा शर्मा के हवाले कर दी.

दीक्षा शर्मा ने इस केस की जांच इंसपेक्टर (क्राइम ब्रांच) अब्दुर रहमान सिद्दीकी को सौंप दी. क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर ने पूरी फाइल का गहराई से अध्ययन किया तो उन्हें लगा कि चंद्रवीर कोई बच्चा नहीं था जिसे चुपचाप गोद में उठा कर लापता कर दिया गया हो. यह काम 2 या उस से अधिक लोग कर सकते हैं. वह लोग जब चंद्रवीर के घर में आए होंगे तो कुछ शोरशराबा होना चाहिए था. चंद्रवीर को खामोशी से गायब नहीं किया जा सकता. अगर कुछ आहट वगैरह हुई तो सविता और उस की बेटी ने जरूर सुनी होगी. पूछताछ इन्हीं से शुरू की जाए तो कुछ सूत्र हाथ आ सकता है.

इंसपेक्टर अपने साथ पुलिस टीम को ले कर सविता के घर पहुंच गए.

तब सविता घर पर नहीं थी. उस की 16 वर्षीय बेटी दीपा घर में ही थी. इंसपेक्टर ने उस से ही पूछताछ शुरू की. दीपा को सामने बिठा कर उन्होंने गंभीरता से पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम दीपा है न बेटी?’’

‘‘जी,’’ दीपा ने सिर हिलाया.

‘‘तुम्हारे पापा रात के अंधेरे में लापता हुए, क्या यह बात ठीक है?’’

‘‘सर…’’ दीपा गहरी सांस भर कर एकाएक रोने लगी.

इंसपेक्टर ने उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरा, ‘‘मुझे इतना अनुभव तो है बेटी कि कोई बात तुम्हारे सीने में दफन है, जो बाहर आना चाहती है. लेकिन तुम्हारी हिचक उसे बाहर आने से रोक रही है. क्यों, मैं ठीक कह रहा हूं न दीपा?’’

दीपा ने आंसू पोंछे और सिर हिलाया, ‘‘हां सर, मेरे दिल में एक बात 4 साल से दबी पड़ी है. मैं बताती तो किसे, मां को बताने का मतलब होता मेरी भी मौत. चाचा को भी नहीं बता सकती थी, वह मां से मिले हुए हैं. आसपड़ोस में बताती तो मेरे पिता की बदनामी होती…’’

बेटी ने बयां कर दी हकीकत

इंसपेक्टर की आंखों में चमक आ गई. चंद्रवीर के लापता होने का राज दीपा के दिल में छिपा हुआ है, यह समझते ही वह पूरे उत्साह से भर गए. सहानुभूति से उन्होंने दीपा के सिर पर फिर हाथ घुमाया, ‘‘देखो दीपा, मैं चाहता हूं कि तुम्हारे पापा के साथ न्याय हो. मुझे बताओ तुम्हारे मन में कौन सी बात दबी हुई है. डरो मत, अब तुम्हारी सुरक्षा हम करेंगे.’’

‘‘सर, मेरे पिता की हत्या हो चुकी है. मेरी मां और चाचा अरुण ने उन्हें मारा है.’’ दीपा ने बताया, ‘‘यह हत्या मेरी मां के चाचा से अवैध संबंधों के कारण हुई है.’’

‘‘ओह, क्या तुम ने अपनी आंखों से देखा था पिता की हत्या होते हुए?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

‘‘जी हां, उस दिन 28 सितंबर, 2018 की रात थी. अरुण चाचा को मां ने आधी रात को घर बुलाया. पापा गहरी नींद में थे. अरुण चाचा ने साथ लाए तमंचे से मेरे पापा के सिर में गोली मार दी. मैं बहुत डर गई. मैं कंबल में दुबक गई. मुझे नहीं पता कि दोनों ने पापा की लाश का क्या किया. सुबह मां ने पापा के रात में कहीं चले जाने की बात उड़ा दी और उन्हें तलाश करने का नाटक करने लगी.’’

‘‘हूं, मैं तुम्हें सरकारी गवाह बनाऊंगा. तुम्हारी सुरक्षा अब हमारी जिम्मेदारी है बेटी.’’ इंसपेक्टर ने कहा और उठ कर खड़े हो गए.

उन्होंने यह बात तुरंत एसपी (क्राइम ब्रांच) दीक्षा शर्मा को बता कर उन से आदेश मांगा. एसपी दीक्षा शर्मा ने सविता और अरुण को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए. क्राइम ब्रांच टीम ने 13 नवंबर, 2022 को सविता को अरुण के घर से अरुण के साथ ही हिरासत में ले लिया. दोनों को क्राइम ब्रांच के औफिस में लाया गया और उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों टूट गए. सविता ने अपने पति की हत्या अरुण के साथ मिल कर करने की बात कुबूल करते हुए बताया, ‘‘साहब, मेरे अपने देवर अरुण से अवैध संबंध हो गए थे. एक दिन चंद्रवीर ने हमें आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. उसी दिन से वह मुझे बातबात पर गाली देता और मारता था.

‘‘मैं कब तक मार खाती. मैं ने अरुण को उकसाया तो उस ने चंद्रवीर की हत्या करने के लिए 28 सितंबर, 2018 का दिन तय किया. वह पहले अपने मांबाप को मेरठ में अपने दूसरे घर में छोड़ आया फिर उस ने अपने घर में गहरा गड्ढा खोदा.

‘‘28 सितंबर की रात को वह तमंचा ले कर मेरे इशारे पर घर में आया. चंद्रवीर तब खापी कर चारपाई पर गहरी नींद सो गया था. अरुण ने उस के सिर में गोली मार दी. मैं ने चंद्रवीर के सिर से निकलने वाले खून को एक बाल्टी में भरने के लिए चारपाई के नीचे बाल्टी रख दी. ऐसा इसलिए किया कि खून से फर्श खराब न हो.’’

‘‘तुम लोगों ने लाश क्या उसी गड्ढे में छिपाई है, जिसे अरुण ने खोद कर तैयार किया था?’’ इंसपेक्टर ने प्रश्न किया.

‘‘जी सर,’’ अरुण ने मुंह खोला, ‘‘मैं ने 7 फुट गहरा गड्ढा अपने घर में खोदा था. लाश और खून सना तकिया उसी में डाल कर मिट्टी भर दी, फिर उस पर पहले की तरह फर्श बनवा दिया.’’

पति की हत्या कर शव ठिकाने लगाने के बाद भी सविता नंदग्राम थाने में हर सप्ताह चक्कर लगा कर पति को ढूंढने की गुहार लगाती थी.

हत्या की बात कुबूल करने के बाद अरुण उर्फ अनिल और सविता को विधिवत हिरासत में ले कर उन पर भादंवि की धारा 302, 201 व 120बी के तहत केस दर्ज कर लिया गया.

पुलिस ने निकलवाया 4 साल पहले दफन किया शव

मजिस्ट्रैट, क्राइम ब्रांच की टीम और एसपी (क्राइम ब्रांच) दीक्षा शर्मा की मौजूदगी में अरुण के कमरे में गड्ढा खुदवाया गया तो उस में तकिया और चंद्रवीर की सड़ीगली लाश मिली गई, जिसे बाहर निकाल कर कब्जे में ले लिया गया. अरुण और सविता को न्यायालय में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. क्राइम ब्रांच ने रिमांड अवधि के दौरान अरुण से तमंचा और एक कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली. वह बाल्टी भी कब्जे में ले ली गई, जिस में चंद्रवीर को गोली मारने के बार सिर से निकलने वाला खून इकट्ठा किया गया था.

खून बाथरूम में बहा कर पानी चला दिया गया था. बाल्टी का इस्तेमाल सविता ने नहीं किया था, उस ने बाल्टी धो कर कोलकी में रख दी थी. कुल्हाड़ी के बारे में पूछने पर अरुण ने बताया, ‘‘सर, चंद्रवीर के हाथ में चांदी का कड़ा था, जिस पर उस का नाम खुदा हुआ था. इस कुल्हाड़ी से मैं ने उस का हाथ काट कर कैमिकल फैक्ट्री के पीछे गड्ढा खोद कर दबा दिया था.’’

‘‘हाथ इसलिए काटा होगा कि कड़े से लाश पहचान ली जाती, क्यों?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

‘‘जी हां, अगर लाश पुलिस के हाथ आती तो तब तक वह सड़ चुकी होती लेकिन इस कड़े से यह पता चल जाता कि लाश चंद्रवीर की है.’’ अरुण ने कुबूल करते हुए बताया.

क्राइम ब्रांच की टीम अरुण को कैमिकल फैक्ट्री के पीछे ले कर गई. वहां अरुण ने एक जगह बताई, जहां पुलिस ने खुदाई कर के हाथ का पिंजर बरामद कर लिया. सभी चीजें सीलमोहर कर कब्जे में ले ली गईं. सविता और अरुण को 2 दिन बाद न्यायालय में पेश किया गया तो वहां से दोनों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने का आदेश दे दिया. पुलिस टीम अब चंद्रवीर की लाश जो अस्थिपंजर के रूप में थी, का डीएनए टेस्ट करवाने के प्रयास में थी ताकि यह साबित किया जा सके कि 7 फुट गहरे गड्ढे से बरामद लाश चंद्रवीर की ही है.

जिस औरत की खुशियों के लिए चंद्रवीर हमेशा एक पांव पर खड़ा रहता था, उसी औरत ने क्षणिक सुख पाने के लिए अपने देवर पर खुद को न्यौछावर कर दिया और उसी के साथ मिल कर अपने पति चंद्रवीर की जघन्य हत्या कर दी.

बेवफाई का बदला : क्या था बच्ची का कसूर

दिल्ली के पुल प्रह्लादपुर में रहने वाली विवाहिता गीता के नाजायज संबंध पड़ोसी कालूचरण से हो गए थे, जिस की वजह से उस ने अपने पति घनश्याम से भी दूरी बना ली थी. इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि कालूचरण ने गीता को सबक सिखाने के लिए उस की 6 साल की बेटी गुनीषा की हत्या कर दी…

समय- रात साढ़े 3 बजे

दिन-29 मई, बुधवार

स्थान- राजस्थान का कोटा शहर

कोटा के तुल्लापुर स्थित पुरानी रेलवे कालोनी के सेक्टर-3 के क्वार्टर नंबर 169 से गुनीषा नाम की 6 साल की बच्ची गायब हो गई. यह क्वार्टर श्रीकिशन कोली का था जो रेलवे कर्मचारी था. 6 वर्षीय गुनीषा श्रीकिशन की बेटी गीता की बेटी थी. रात को जब परिवार के सभी सदस्य गहरी नींद में थे, तभी कोई गुनीषा को उठा ले गया था. बच्ची के गायब होने से सभी हैरान थे, क्योंकि गीता अपनी बेटी गुनीषा के साथ दालान में सो रही थी. क्वार्टर का मुख्य दरवाजा बंद था. किसी के भी अंदर आने की संभावना नहीं थी.

श्रीकिशन के क्वार्टर में शोरशराबा हुआ तो अड़ोसपड़ोस के सब लोग एकत्र हो गए. पता चला घर में 9 सदस्य थे, जिन में गुनीषा गायब थी. जिस दालान में ये लोग सो रहे थे, उस के 3 कोनों में कूलर लगे थे. रात में करीब एक बजे गीता की मां पुष्पा पानी पीने उठी तो उस ने गुनीषा को सिकुड़ कर सोते देखा. कूलरों की वजह से उसे ठंड लग रही होगी, यह सोच कर पुष्पा ने उसे चादर ओढ़ा दी और जा कर अपने बिस्तर पर सो गई. रात को साढ़े 3 बजे गीता जब बाथरूम जाने के लिए उठी तो बगल में लेटी गुनीषा को गायब देख चौंकी. उस ने मम्मीपापा को उठाया. उन का शोर सुन कर बाकी लोग भी उठ गए. गुनीषा को घर के कोनेकोने में ढूंढ लिया गया, लेकिन वह नहीं मिली. उन लोगों के रोनेचीखने की आवाजें सुन कर पासपड़ोस के लोग भी आ गए.

मासूम बच्चियों के साथ हो रही दरिंदगी की सोच कर लोगों ने श्रीकिशन कोली को सलाह दी कि हमें तुरंत पुलिस के पास जाना चाहिए. पड़ोसियों और घर वालों के साथ श्रीकिशन कोली जब रेलवे कालोनी थाने पहुंचा, तब तक सुबह के 4 बज चुके थे. गुनीषा की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी अनीस अहमद ने इस की सूचना एसपी सुधीर भार्गव को दी और श्रीकिशन के साथ पुलिस की एक टीम घटनास्थल की छानबीन के लिए भेज दी. अनीस अहमद ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना देते हुए अलर्ट भी जारी करवा दिया. मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने पूरे मकान को खंगाला. पुलिस टीम को श्रीकिशन की इस बात पर नहीं हुआ कि मकान का मुख्य दरवाजा भीतर से बंद रहते कोई अंदर नहीं आ सकता. लेकिन जब पुलिस की नजर पिछले दरवाजे पर पड़ी तो उन की धारणा बदल गई.

पिछले दरवाजे की कुंडी टूटी हुई थी. दरवाजा तकरीबन आधा खुला हुआ था. 3 कमरों वाले उस क्वार्टर में एक रसोई के अलावा बीच में दालान था. मकान की छत भी करीब 10 फीट से ज्यादा ऊंची नहीं थी. पूरे मकान का मुआयना करते हुए एसआई मुकेश की निगाहें बारबार पिछले दरवाजे पर ही अटक जाती थीं. इसी बीच एक पुलिसकर्मी रामतीरथ का ध्यान छत की तरफ गया तो उस ने श्रीकिशन से छत पर जाने का रास्ता पूछा. लेकिन उस ने यह कह कर इनकार कर दिया कि ऊपर जाने के लिए सीढि़यां नहीं हैं. आखिर पुलिसकर्मी कुरसी लगा कर छत पर पहुंचा तो उसे पानी की टंकी नजर आई. उस ने उत्सुकतावश टंकी का ढक्कन उठा कर देखा तो उस के होश उड़ गए. रस्सियों से बंधा बच्ची का शव टंकी के पानी में तैर रहा था.

बच्ची की लाश देख कर पुलिसकर्मी रामतीरथ वहीं से चिल्लाया, ‘‘सर, बच्ची की लाश टंकी में पड़ी है.’’

रामतीरथ की बात सुन कर सन्नाटे में आए एसआई मुकेश तुरंत छत पर पहुंच गए. यह रहस्योद्घाटन पूरे परिवार के लिए बम विस्फोट जैसा था. बालिका की हत्या और शव की बरामदगी की सूचना मिली तो थानाप्रभारी अनीस अहमद भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने देखा कि बच्ची का गला किसी बनियाननुमा कपड़े से बुरी तरह कसा हुआ था. गुनीषा की हत्या ने घर में हाहाकार मचा दिया. यह खबर कालोनी में आग की तरह फैली. पुलिस टीम ने गुनीषा के शव को कब्जे में कर तत्काल रेलवे हौस्पिटल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. बच्ची की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के बाद पुलिस ने यह मामला धारा 302 में दर्ज कर लिया.

एडिशनल एसपी राजेश मील और डीएसपी भगवत सिंह हिंगड़ भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे. पुलिस ने मौके पर पहुंचे अपराध विशेषज्ञों तथा डौग स्क्वायड टीम की भी सहायता ली. लेकिन ये प्रयास निरर्थक रहे. न तो अपराध विशेषज्ञ घटनास्थल से कोई फिंगरप्रिंट ही उठा सके और न ही खोजी कुत्ते कोई सुराग ढूंढ सके. लेकिन एडिशनल एसपी राजेश मील को 3 बातें चौंकाने वाली लग रही थीं, पहली यह कि जब घर में पालतू कुत्ता था तो वह भौंका क्यों नहीं. इस का मतलब बच्ची का अपहर्त्ता परिवार के लिए कोई अजनबी नहीं था.

दूसरी बात यह थी कि गीता का अपने पति घनश्याम यानी गुनीषा के पिता से तलाक का केस चल रहा था. कहीं इस वारदात के पीछे घनश्याम ही तो नहीं था. श्रीकिशन कोली ने भी घनश्याम पर ही शक जताया. उस ने मौके से 3 मोबाइल फोन के गायब होने की बात बताई. राजेश मील यह नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर उन मोबाइलों में क्या राज छिपा था कि किसी ने उन्हें गायब कर दिया. गुरुवार 30 मई को पोस्टमार्टम के बाद बच्ची का शव घर वालों को सौंप दिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची का गला घोंटा जाना ही मृत्यु का मुख्य कारण बताया गया.

जिस निर्ममता से बच्चों की हत्या की गई थी, उस का सीधा मतलब था कि किसी पारिवारिक रंजिश के चलते ही उस की हत्या की गई थी. पुलिस अधिकारियों के साथ विचारविमर्श के बाद एसपी सुधीर भार्गव ने एडिशनल एसपी राजेश मील के नेतृत्व में एक टीम गठित की, जिस में डीएसपी भगवत सिंह हिंगड़, रोहिताश्व कुमार और सीआई अनीस अहमद को शामिल किया गया. पूरे घटनाक्रम का अध्ययन करने के बाद एएसपी राजेश मील ने हर कोण से जांच करने के लिए पहले श्रीकिशन के उन नातेरिश्तेदारों को छांटा, जो परिवार के किसी भलेबुरे को प्रभावित कर सकते थे. साथ ही इलाके के ऐसे बदमाशों की लिस्ट भी तैयार की, जिन की वजह से परिवार के साथ कुछ अच्छाबुरा हो सकता था.

पुलिस ने गीता से उस के पति  घनश्याम से चल रहे विवाद के बारे में पूछा तो वह सुबकते हुए बोली, ‘‘वह शराब पी कर मुझ से मारपीट करता था. इसलिए मुझे उस से नफरत हो गई थी. मैं तलाक दे कर उस से अपना रिश्ता खत्म कर लेना चाहती थी.’’

उस का कहना था कि उस की वजह से मैं पहले ही अपनी एक औलाद खो चुकी हूं. यह बात संदेह जताने वाली थी, इसलिए डीएसपी भगवत सिंह हिंगड़ ने फौरन पूछा, ‘‘क्या घनश्याम पहले भी तुम्हारे बच्चे की हत्या कर चुका है?’’

गीता ने जवाब दिया तो हिंगड़ हैरान हुए बिना नहीं रहे. उस ने बताया, ‘‘साहबजी, उस के साथ लड़ाईझगड़े के दौरान मेरा गर्भपात हो गया था.’’

पुलिस संभवत: इस विवाद की छानबीन कर चुकी थी, इसलिए हिंगड़ ने पूछा कि तुम ने तो घनश्याम के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज करा रखा है. गीता जवाब देने के बजाए इधरउधर देखने लगी तो हिंगड़ को लगा कि कुछ न कुछ ऐसा है, जिसे छिपाया जा रहा है. थाने में चली लगातार 12 घंटे की पुलिस पूछताछ में श्रीकिशन यह तो नहीं बता पाया कि गुनीषा के गले में कसा पाया गया बनियान किस का था, लेकिन 2 बातें पुलिस के लिए काफी अहम थीं. पहली, जब आरोपी गुनीषा को उठा कर ले जा रहा था तो उस ने चीखनेचिल्लाने की कोशिश की होगी. लेकिन उस की आवाज किसी को सुनाई क्यों नहीं दी?

इस सवाल पर श्रीकिशन सोचते हुए बोला, ‘‘साहबजी, आवाज तो जरूर हुई होगी, लेकिन अपहरण करने वाले ने बच्ची का मुंह दबा दिया होगा. यह भी संभव है कि हलकीफुलकी चीख निकली भी होगी, तो 3 कूलरों की आवाज में सुनाई नहीं दी होगी.’’

पुलिस ने श्रीकिशन से पूछा कि मौके से जो 3 मोबाइल गायब हुए, वे किसकिस के थे. इस बात पर श्रीकिशन ने भी हैरानी जताई. फिर उस ने बताया कि उस का, गीता का और उस के बेटे राजकुमार के मोबाइल गायब थे. पुलिस अधिकारियों ने घटना के समय घर में मौजूद सभी परिजनों के अलावा अन्य नातेरिश्तेदारों, इलाके में नामजद अपराधियों सहित करीब 100 लोगों से पूछताछ की, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई. संदेह के घेरे में आए गीता के पति घनश्याम की टोह लेने के लिए थानाप्रभारी अनीस अहमद गुरुवार 30 मई को तड़के उडि़या बस्ती स्थित उस के घर जा पहुंचे. उस का पता भी श्रीकिशन कोली ने ही बताया था. पुलिस जब घनश्याम तक पहुंची तो वह अपने घर में सो रहा था.

इतनी सुबह आधीअधूरी नींद से जगाए जाने और एकाएक सिर पर खड़े पुलिस दस्ते को देख कर घनश्याम के होश फाख्ता हो गए. अजीबोगरीब स्थिति से हक्काबक्का घनश्याम बुरी तरह सन्नाटे में आ गया. उस के घर वाले भी जाग गए. घनश्याम के पिता मच्छूलाल और परिवार के लोगों ने ही पूछने का साहस जुटाया, ‘‘साहब, आखिर हुआ क्या? क्या कर दिया घनश्याम ने?’’

उसे जवाब देने के बजाए थानाप्रभारी अनीस अहमद ने उसे डांट दिया. मच्छूलाल ने एक बार अपने रोआंसे बेटे की तरफ देखा, फिर हिम्मत कर के बोला, ‘‘साहब, आप बताओ तभी तो पता चलेगा?’’

‘‘गुनीषा बेटी है न घनश्याम की?’’ थानाप्रभारी ने कड़कते स्वर में कहा, ‘‘तुम्हारा बेटा सुबह 3 बजे उस की हत्या कर के यहां आ कर सो गया.’’

मच्छूलाल तड़प कर बोला, ‘‘क्या कहते हो साहब, घनश्याम तो रात एक बजे ही दिल्ली से आया है. वहीं नौकरी करता है. खानेपीने के बाद हमारे साथ बातें करते हुए सुबह 4 बजे सोया था.’’

थानाप्रभारी अनीस अहमद के चेहरे पर असमंजस के भाव तैरने लगे. लेकिन उन का शक नहीं गया. उन्होंने घनश्याम को थाने चलने को कहा. घनश्याम के साथ तमाम लोग थाने आए. भीड़ में उन्हें दिलीप नामक शख्स ऐतबार के काबिल लगा. उस का कहना था, ‘‘साहब, खूनखराबा घनश्याम के बस का नहीं है. यह तो अपनी बेटी से इतना प्यार करता था कि उस के बारे में बुरा करना तो दूर, सोच भी नहीं सकता. वैसे भी यह दिल्ली रेलवे में नौकरी करता है. कल रात ही तो आया था. नहीं साहब, किसी ने आप को गलत सूचना दी है.’’

घनश्याम के पक्ष की बातें सुन कर अनीस अहमद को उस की डोर ढीली छोड़ना ही बेहतर लगा. उन्होंने उसे अगले दिन सुबह आने को कह कर जाने दिया. शुक्रवार 31 मई को घनश्याम नियत समय पर थाने पहुंच गया. इस से पहले कि पुलिस उस से कुछ पूछती, उस की आंखों में आंसू आ गए, ‘‘साहब, गीता से तो मेरी नहीं पटी पर अपनी बेटी गुनीषा से मुझे बहुत प्यार था. मुझे गीता से अलग होने का कोई दुख नहीं था लेकिन मुझे बेटी गुनीषा की बहुत याद आती थी. इतना घिनौना काम तो मैं…’’

‘‘तुम्हारे बीच अलगाव कैसे हुआ?’’ पूछने पर घनश्याम कुछ देर जमीन पर नजरें गड़ाए रहा. उस ने डबडबाई आंखों को छिपाने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘सर, छोटी तनख्वाह में बड़े अरमान कैसे पूरे हो सकते हैं?’’

कोटा शहर में रेलवे कर्मचारियों के लिए बनाए गए आवास 2 कालोनियों में बंटे हुए हैं. अधिकारी और उन के मातहत कर्मचारी नई कालोनी में रहते हैं. यह कालोनी कोटा रेलवे जंक्शन से सटी हुई है. नई कालोनी करीब 2 रकबों में फैली है. जबकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को नजदीक की तुल्लापुर इलाके में आवास आवंटित किए गए हैं. रेलवे स्टेडियम के निकट बनी इस कालोनी को पुरानी रेलवे कालोनी के नाम से जाना जाता है. लगभग 300 क्वार्टरों वाली इस कालोनी में क्वार्टर नंबर 169 में श्रीकिशन रह रहा था. श्रीकिशन की पत्नी का नाम पुष्पा था.

इस दंपति के गीता और मीनाक्षी 2 बेटियों के अलावा 2 बेटे राजकुमार और राहुल थे. श्रीकिशन की संगीता और जैमा नाम की 2 बहनें भी थीं. दोनों बहनें विवाहित थीं. लेकिन घटना के दिन श्रीकिशन के घर आई हुई थीं. लगभग 25 साल की सब से बड़ी बेटी गीता विवाहित थी. लापता हुई 6 वर्षीया गुनीषा उसी की बेटी थी. करीब 7 साल पहले गीता का विवाह तुल्लापुरा के निकट ही उडि़या बस्ती में रहने वाले मच्छूलाल के बेटे घनश्याम से हुआ था.

घनश्याम दिल्ली स्थित तुगलकाबाद रेलवे स्टेशन पर नौकरी कर रहा था. घनश्याम और गीता का दांपत्य जीवन करीब 4 साल ही ठीकठाक चला. बाद में उन के बीच झगड़े शुरू हो गए. पतिपत्नी के रिश्ते इतने तनावपूर्ण हो गए थे कि नौबत तलाक तक आ पहुंची. गीता पिछले 3 सालों से अपने पिता के पास कोटा में ही रह रही थी. तलाक का मामला कोटा अदालत में विचाराधीन था. गीता ने कोटा के महिला थाने में घनश्याम के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला भी दर्ज करा रखा था.

छानबीन के इस दौर में पुलिस के सामने 3 बातें आईं. इन गुत्थियों को सुलझा कर ही  हत्यारे तक पहुंचा जा सकता था. पहली यह कि आरोपी जो भी था, घर के चप्पेचप्पे से वाकिफ था. ऐसा कोई परिवार का सदस्य भी हो सकता था और परिवार से बेहद घुलामिला व्यक्ति भी, जिस निर्दयता से मासूम बच्ची की हत्या की गई थी, निश्चित रूप से वह गीता से गहरी नफरत करता होगा. गीता ज्यादा कुछ बोलनेबताने की स्थिति में नहीं थी. वह सदमे में थी और बारबार बेहोश हो रही थी. वैवाहिक विवाद की स्थिति में घनश्याम सब से ज्यादा संदेहास्पद पात्र था. पुलिस ने हर कोण और हर तरह से उस से पूछताछ की लेकिन वह कहीं से भी अपराधी नहीं लगा. आखिर उसे इस हिदायत के साथ जाने दिया गया कि वह पुलिस को बताए बिना कोटा से बाहर न जाए.

राजेश मील को यह बात बारबार कचोट रही थी कि गीता जवान है, कमोबेश खूबसूरत भी है. लेकिन ऐसा क्या था कि अपनी बसीबसाई गृहस्थी छोड़ कर पिता के पास रह रही थी. पति घनश्याम के बारे में जो जानकारी पुलिस ने जुटाई थी, उस से उस का हत्या का कोई ताल्लुक नहीं दिखाई दे रहा था. इस बीच पुलिस को यह भी पता चल चुका था कि वह सीधासादा नेकनीयत का आदमी था. इतना सीधा कि उसे कोई भी घुड़की दे कर डराधमका सकता था. सवाल यह था कि दिल्ली जैसे शहर में रहते हुए क्या पतिपत्नी के बीच कोई तीसरा भी था? ऐसे किस्से की तसदीक तो मोबाइल ही हो सकती है. लिहाजा राजेश मील ने फौरन सीआई को हिदायत देते हुए कहा, ‘‘अनीस, गीता के गायब हुए मोबाइल का नंबर है न तुम्हारे पास? फौरन उस की काल डिटेल्स ट्रैस करने का बंदोबस्त करो.’’

अनीस अहमद फौरन इस काम पर लग गए. काल ट्रैसिंग के नतीजे वाकई चौंकाने वाले थे. अनीस अहमद ने जो कुछ बताया, उस ने एसपी राजेश मील की आंखों में चमक पैदा कर दी. गीता के मोबाइल की मौजूदगी दिल्ली के तुगलकाबाद में होने की तसदीक कर रही था. साफ मतलब था कि आरोपी दिल्ली के तुगलकाबाद में मौजूद था. सीआई अनीस अहमद के नेतृत्व में दिल्ली पहुंची पुलिस टीम ने जो जानकारी जुटाई, उस के मुताबिक आरोपी का नाम कालूचरण बेहरा था. कालूचरण को पुलिस ने घनश्याम के पुल प्रह्लादपुर स्थित घर के पास वाले मकान से धर दबोचा.

कालूचरण घनश्याम का पड़ोसी निकला. गीता के दिल्ली में रहते हुए कालूचरण से प्रेमिल संबंध बन गए थे. घनश्याम और गीता के बीच अलगाव की बड़ी वजह यह भी थी. दिल्ली गई पुलिस टीम ने घनश्याम के मकान सहित अन्य जगहों से कई महत्त्वपूर्ण सुराग एकत्र किए. कालूचरण दिल्ली स्थित कानकोर में औपरेटर था. पुलिस कालूचरण बेहरा को दिल्ली से हिरासत में ले कर सोमवार 3 जून को कोटा पहुंची. यहां शुरुआती पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की गिरफ्तारी दिखा कर मंगलवार 4 जून को न्यायालय में पेश कर 3 दिन के रिमांड पर ले लिया. पुलिस की शुरुआती पूछताछ में मासूम गुनीषा की हत्या को ले कर कालूचरण ने जो खुलासा किया, वह चौंकाने वाला था.

दक्षिणपूर्वी दिल्ली के पुल प्रह्लादपुर में घनश्याम के पड़ोस में रहने के दौरान ही कालूचरण के घनश्याम की पत्नी गीता से प्रेमिल संबंध बन गए थे. गीता के कोटा चले जाने के बाद भी कालू कोटा आ कर गीता से मिलताजुलता रहा. लेकिन पिछले कुछ दिनों से गीता के किसी अन्य युवक से संबंध बन गए थे. नतीजतन उस ने कालू से कन्नी काटनी शुरू कर दी थी. कालू ने जब उसे समझाने की कोशिश की तो उस ने उसे बुरी तरह दुत्कार दिया था. बेवफाई और अपमान की आग में सुलगते कालू ने गीता को सबक सिखाने की ठान ली. इस रंजिश की बलि चढ़ी मासूम गुनीषा.

पड़ोसी होने के नाते घनश्याम और कालू के बीच अच्छा दोस्ताना था. पतिपत्नी के बीच अकसर होने वाले झगड़े में कालू गीता का पक्ष लेता था. नतीजतन गीता का झुकाव कालू की तरफ होने लगा. गीता का रंगरूप बेशक गेहुआं था, लेकिन भरे हुए बदन की गीता के नैननक्श काफी कटीले थे. कालू से निकटता बढ़ी तो गीता पति की अनुपस्थिति में कालू के कमरे पर भी आने लगी. यहीं दोनों के बीच अनैतिक संबंध बने. अनैतिक संबंध बनाने के लिए कालू ने उसे अपने प्यार का भरोसा दिलाते हुए कहा था कि वह शादी नहीं करेगा और सिर्फ उसी का हो कर रहेगा.

दिल्ली में पतिपत्नी के बीच झगड़े इस कदर बढे़ कि गीता ने घनश्याम को छोड़ने का फैसला कर लिया और बेटी गुनीषा को ले कर कोटा आ गई. पिता के लिए बेटी का साझा दुख था. इसलिए उस ने भी बेटी का साथ दिया. यह 3 साल पहले की बात है. इस बीच गीता ने घनश्याम पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए तलाक का मुकदमा दायर कर दिया था. यह मामला अभी अदालत में विचाराधीन है. गीता के कोटा आ जाने के बावजूद कालू के साथ उस के संबंध बने रहे. कालू अकसर कोटा आता रहता था और 4-5 दिन गीता के घर पर ही रुकता था. कालू ने गीता को खुश रखने के लिए पैसे लुटाने में कोई कसर नहीं रखी थी.

पिछले करीब 6 महीने से कालू को अपने और गीता के रिश्तों में कुछ असहजता महसूस होने लगी. दिन में 10 बार फोन करने वाली गीता न सिर्फ उस का फोन काटने लगी थी, बल्कि अपने फोन को व्यस्त भी दिखाने लगी थी. कालू ने गीता की बेरुखी का सबब जानने की जुगत लगाई तो पता चला कि उस की माशूका किसी और के हाथों में खेल रही है. उस ने अपने रसूखों से इस बात की तसदीक भी कर ली.

हालात भांपने के लिए जब वह कोटा पहुंचा तो गीता में पहले जैसा जोश नहीं था. उस ने कालू को यहां तक कह दिया कि अब वह यहां न आया करे. गुस्से में उबलता हुआ कालू दिल्ली लौटा तो इसी उधेड़बुन में जुट गया कि गीता को कैसे उस की बेवफाई का ताजिंदगी याद रखने वाला सबक सिखाए. उस ने गीता की बेटी और पूरे परिवार की चहेती गुनीषा को मारने का तानाबाना बुन लिया. अपनी योजना को अंजाम देने के लिए वह 29 मई की रात को ट्रेन से कोटा आया. घर का चप्पाचप्पा उस का देखाभाला था.  30 मई की देर रात वह करीब 2 बजे पीछे के रास्ते से घर में घुसा और सब से पहले उस ने तख्त पर पड़े तीनों मोबाइल कब्जे में किए. फिर गीता के पास सोई गुनीषा को चद्दर समेत ही उठा लिया.

नींद में गाफिल गुनीषा कुनमुनाई भी, लेकिन कालू ने उस का मुंह बंद कर दिया. कूलरों के शोर में वैसे भी गुनीषा की कुनमुनाहट दब गई. गुनीषा का गला घोंट कर टंकी में डालने की योजना वह पहले ही बना चुका था. छत पर जाने का रास्ता भी उसे पता था. गुनीषा को दबोचे हुए वह छत पर पहुंचा. अलगनी से उठाई गई बनियान से उस का गला घोंट कर कालू ने उसे पानी की टंकी में डाल दिया फिर वह जिस खामोशी से आया था, उसी खामोशी से बाहर निकल गया. मोबाइल इस मंशा से उठाए थे, ताकि इस बात की तह तक पहुंचा जा सके कि गीता के आजकल किस से संबंध थे. लेकिन मोबाइल ही उस की गिरफ्तारी का कारण बन गए.

दुलारी की साजिश : प्रियंका बनी हत्यारी – भाग 3

उन के रिश्ते के मामा राधा उरांव राजनीति के पुराने खिलाड़ी थे. राजनीति का ककहरा अनिल ने उसी मामा से सीखा और किस्मत आजमाने रामविलास पासवान के पास पहुंच गए. उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप अपना हाथ अनिल के सिर पर रख दिया और उन्हें आदिवासी प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.

खद्दर का सफेद कुरता पायजामा पहन कर अनिल उरांव ताकतवर हो गए थे. यह घटना से 7 साल पहले की बात है.

अमीरों की तरह ठाठबाट थे प्रियंका के अनिल के पास अब पैसों के साथ साथ सत्ता की पावर थी और बड़ेबड़े माननीयों के बीच में उठनाबैठना भी. पहली बार अनिल ने सत्ता के गलियारे का मीठा स्वाद चखा था. माननीयों के सामने जब नौकरशाह सैल्यूट मारते थे, यह देख कर अनिल का दिल बागबाग हो जाता था.

यहीं से प्रियंका उर्फ दुलारी नाम की महिला अनिल उरांव की किस्मत में दुर्भाग्य की कुंडली मार कर बैठ गई थी. तब कोई नहीं जानता था कि यही प्रियंका एक दिन नागिन बन कर अनिल को डस लेगी.

36 वर्षीया प्रियंका हाट थानाक्षेत्र में स्थित केसी नगर कालोनी में दूसरे पति राजा के साथ रहती थी. पहला पति उसे बहुत पहले तलाक दे चुका था. उस के कोई संतान नहीं थी लेकिन दोनों बड़े ठाठबाट से रहते थे, अमीरों की तरह.

कई कमरों वाले उस के शानदार और आलीशान मकान में सुखसुविधाओं की सारी चीजें मौजूद थीं. घर में कमाने वाला सिर्फ उस का पति था. एक आदमी की कमाई में ऐसी शानोशौकत देख कर मोहल्ले वाले दंग रहते थे.

प्रियंका की शानोशौकत देख कर मोहल्ले वालों का दंग रहना जायज था. उस का पति राजा पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजनाथ यादव का एक मामूली सा कार ड्राइवर था. उस की इतनी आमदनी भी नहीं थी कि वह घर खर्च के अलावा नवाबों जैसी जिंदगी जिए. ये ऐशोआराम तो प्रियंका की खूबसूरती की देन थी.

गोरीचिट्टी और तीखे नयननक्श वाली प्रियंका की मोहल्ले में बदनाम औरतों में गिनती होती थी. शहर के बड़ेबड़े धन्नासेठों, भूमाफियाओं और नेताओं का उस के घर पर उठनाबैठना था. उस में लोजपा का युवा नेता अनिल उरांव का नाम भी शामिल था.

शादीशुदा होते हुए भी अनिल उरांव प्रियंका की गोरी चमड़ी के इस कदर दीवाने हुए कि उसे देखे बिना रह नहीं पाते थे. लेकिन प्रियंका उन से तनिक भी प्यार नहीं करती थी. वह तो केवल उन की दौलत से प्यार करती थी. वह जानती थी कि अनिल एक एटीएम मशीन है. बस, उस से दौलत निकालते जाओ, निकालते जाओ और ऐश करते जाओ.

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प्रियंका ने बनाई योजना

अनिल उरांव जिस प्रियंका के प्यार में दीवाने थे, पूर्णिया का शूटर अंकित यादव उर्फ अनंत भी उसी प्रियंका को बेपनाह चाहता था. अनिल का उस की प्रेमिका प्रियंका की ओर आकर्षित होना, अंकित के सीने पर सांप लोटने जैसा था.

उस ने प्रियंका से कह दिया था ‘‘तू अपने आशिक से कह देना कि मेरी चीज पर नजर न डाले, वरना जिस दिन मेरा भेजा गरम हो गया तो उस की खोपड़ी में रिवौल्वर की सारी गोलियां डाल दूंगा.’’

फिर उस ने अपने प्रेमी अंकित को समझाया, ‘‘देखो अंकित, तुम ठहरे गरम खून के इंसान. जब देखो गोली, कट्टा और बंदूक की बातें करते हो, कभी ठंडे दिमाग से काम नहीं लेते. जिस दिन से ठंडे दिमाग से सोचना शुरू कर दोगे, उस दिन बिना गोली, कट्टे के सारे काम बन जाएंगे. क्यों बेवजह परेशान हो कर अपना ब्लड प्रैशर बढ़ाते हो. मैं क्या कहती हूं, उसे ध्यान से सुनो. मेरे पास एक नायाब तरीका है. जिस से सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.’’

‘‘बता क्या कहना चाहती है तू.’’ अंकित ने पूछा.

‘‘यही कि अनिल उरांव का अपहरण कर लेते हैं और बदले में उस के घर वालों से फिरौती की एवज में मोटी रकम ऐंठ लेते हैं. नेताजी की जान के बदले उस के घर वालों के लिए 10-20 लाख देना कोई बहुत बड़ी बात

नहीं होगी. बोलो क्या कहते हो?’’ प्रियंका ने प्लान बनाया.

‘‘ठीक है जो करना हो, जल्दी करना. उस गैंडे को तेरे नजदीक देख कर मेरे तनबदन में आग सी लग जाती है, कहीं ऐसा न हो कि मैं अपना आपा खो दूं और तू भी स्वाहा हो जाए. जो करना है, जल्दी करना, समझी.’’ अंकित बोला.

‘‘ठीक है, बाबा ठीक है. क्यों बिना मतलब के अपना खून जलाते हो. समझो कि काम हो गया और तुम्हारी राह का कांटा भी हट गया.’’ प्रियंका ने कहा.

प्रियंका और अंकित ने मिल कर अनिल के अपहरण की योजना बना ली. योजना के मुताबिक, 29 अप्रैल, 2021 की सुबह प्रियंका ने अनिल उरांव को फोन कर के अपने घर आने को कहा. अनिल भतीजे राजन को साथ ले कर मोटरसाइकिल से निकले और बीच रास्ते में खुद मोटरसाइकिल से नीचे उतर कर कहा प्रियंका के यहां जा रहा हूं. जब फोन करूं तो बाइक ले कर चले आना.

फिरौती ले कर बदल गई नीयत

अनिल प्रियंका के यहां पहुंचे तो उस के घर पर पहले से शूटर अंकित यादव उर्फ अनंत, उस का भांजा मिट्ठू कुमार यादव उर्फ मिट्ठू, मोहम्मद सादिक उर्फ राहुल और चुनमुन झा उर्फ बटेसर मौजूद थे.

अंकित को देख कर अनिल घबरा गए और वापस लौटने लगे तो चारों ने लपक कर उन्हें पकड़ लिया. अनिल ने बदमाशों के चंगुल से बचने के लिए खूब संघर्ष किया. कब्जे में लेने के लिए बदमाशों ने अनिल को लातघूंसों से खूब मारा और कपड़े वाली मोटी रस्सी से उन के हाथपैर बांध कर उन्हें कमरे में बंद कर दिया और उन का फोन भी अपने कब्जे में ले लिया ताकि वह किसी से बात न कर सकें.

फिर उन्हीं के फोन से अंकित ने अनिल के घर वालों को फोन कर के अपहरण होने की जानकारी देते हुए फिरौती के 10 लाख रुपए की मांग की. उस के बाद मोबाइल फोन से सिम निकाल कर तोड़ कर फेंक दिया ताकि पुलिस उन तक पहुंच न पाए.

30 अप्रैल, 2021 को फिरौती की रकम मिलने के बाद बदमाशों की नीयत बदल गई. चारों ने प्रियंका के घर पर ही अनिल की गला दबा कर हत्या कर दी और पेचकस जैसे नुकीले हथियार से अंकित ने अनिल की दोनों आंखें फोड़ दीं.

फिर उसी रात अनिल की लाश के. नगर थाने के डंगराहा के एक खेत में गड्ढा खोद कर दफना दी. जल्दबाजी में लाश दफन करते समय मृतक का एक हाथ बाहर निकला रह गया और वे कानून के शिकंजे में फंस गए.

कथा लिखे जाने तक फरार चल रहा मुख्य आरोपी अंकित यादव उर्फ अनंत और उस का भांजा मिट्ठू कुमार यादव दोनों दरभंगा जिले से नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिए गए थे. दोनों आरोपियों ने लोजपा नेता अनिल उरांव के अपहरण और हत्या  करने का जुर्म स्वीकार लिया था.

जांचपड़ताल में प्रियंका के असम में करोड़ों रुपए संपत्ति का पता चला है, जो अपराध से कमाई गई थी. पुलिस ने संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी.

कथा लिखे जाने तक पुलिस पांचों आरोपियों प्रियंका उर्फ दुलारी, अंकित यादव, मिट्ठू कुमार यादव, मोहम्मद सादिक और चुनमुन झा के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी कर रही थी. पांचों आरोपी जेल की सलाखों के पीछे अपने किए की सजा भुगत रहे थे.