ऊधमसिंह नगर में धंधा पुराना लेकिन तरीके नए : भाग 3

इसी तरह से दूसरी 21 वर्षीया युवती ने अपना नाम पूजा यादव बताया. उस ने कहा कि उस का पति उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के गांव सनसडा में रहता है. तीनों से गहन पूछताछ के बाद उन की तलाशी ली गई. तलाशी में उन के पास से 2 स्मार्टफोन बरामद हुए. मोबाइलों में तमाम अश्लील फोटो, वीडियो के साथ ही अनेक अश्लील मैसेज भी भरे हुए थे.

उन्हीं मैसेज से मालूम हुआ कि ये दोनों महिलाएं एक रात के 1000 से 1500 रुपए लेकर ग्राहकों की रातें रंगीन करती थीं.

उन के साथ पकड़ा गया भगवान दास का काम ग्राहक तलाशना होता था. वह उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने का काम करता था. बदले में 500 रुपए वसूलता था. दास ने बताया कि वह ग्राहक की जानकारी होटलों में ठहरने वालों से जुटाता था.

इस के लिए अपने संपर्क में आई युवतियों को किसी एकांत जगह पर कार में बैठा कर रखता था और फिर वहीं से ग्राहकों के फोन का इंतजार करता था. जैसे ही किसी ग्राहक का फोन आता वह 10 से 15 मिनट में उस के बताए स्थान पर लड़की को पहुंचा देता था.

तीनों 21 जुलाई को ग्राहक का फोन आने का ही इंतजार कर रहे थे. उन की कोई सूचना नहीं मिल पाने के कारण वे आपस में ही हंसीमजाक करते हुए टाइमपास कर रहे थे. ऐसा करते हुए वे बीचबीच में अश्लील हरकतें भी करने लगे थे.

उस दिन भगवान दास ने दोनों को 1500-1500 रुपयों में तय किया था. लेकिन जब काफी समय गुजर जाने के बाद भी उसे कोई ग्राहक नहीं आया था. पुलिस मुखबिर की निगाह उन पर गई और उन्होंने पुलिस को इस की सूचना दे दी.

पूछताछ में भगवान दास ने कई मोबाइल नंबर दिए, जो देहव्यापार करने वाली महिलाओं के थे. वे अपनी बुकिंग एक दिन पहले करवा लेती थीं. बुकिंग के आधार पर ही उन्हें होटल या किसी निजी घर पर ले जाया जाता था. उन्हें ले जाने वाला ही उन का सौदा पक्का कर देता था. औनलाइन पेमेंट आने के बाद ही बताए जगह पर पहुंचती थीं.

इस मामले को थाना ट्रांजिट कैंप में दर्ज किया गया. पकड़े गए व्यक्तियों पर  सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें कर अनैतिक देह व्यापार करने के संबंध में रिपोर्ट दर्ज की गई.

उन पर आईपीसी की धारा 294/34 लगाई गईं. इसी के साथ उन्हें अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 5/7/8 के तहत काररवाई की गई.

किसान आंदोलन का भी  पड़ा धंधे पर असर

3 साल पहले यानी 2018 तक काशीपुर की अनाज मंडी भी इस धंधे के लिए काफी बदनाम थी. आज भी स्थिति कमोबेश वैसी ही बनी हुई है. हालांकि कोरोना काल की वजह से उस में थोड़े समय के लिए मंदी जरूर आई, फिर पहले जैसी स्थिति बन गई.

मंडी देह का फूलनेफलने की भी वजह है. फसल ले कर आने वाले किसानों के अनाज की साफसफाई के लिए आढ़तियों की दुकानों पर औरतें काम करती हैं. उन की संख्या वे 2 ढाई सौ के करीब है.

फसल के ढेर पर झाड़ू लगाने वाली अधिकतर औरतें बिजनौर जिले की रहने वाली हैं, लेकिन काशीपुर में ही किराए का कमरा ले कर रहती हैं.

वे औरतें सुबहसुबह सजसंवर कर मंडी पहुंच जाती हैं. अपनी खूबसूरती का जलवा दिखा कर किसानों और व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. वह मजदूरों को भी अपने जाल में आसानी से फांस लेती हैं. यह सब उन की आमदनी का एक अतिरिक्त जरिया होता है.

जितने पैसे वे मंडी में अनाजों के ढेर पर झाड़ू लगा कर नहीं कमा पातीं, उस से कहीं ज्यादा पैसा उन्हें देह व्यापार के धंधे में मिल जाता है.

हालांकि वह सब उन को ठीक भी नहीं लगता. उन्हें न केवल परिवार और समाज की नजरों से छिप कर रहना पड़ता है, बल्कि पुलिसप्रशासन से बच कर भी रहना जरूरी होता है. ऊपर से बदनामी का भी डर लगा रहता है.

उन की कोशिश रहती कि वे किसी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नहीं पकड़ी जाएं. जबकि हमेशा उन के मन के अनुकूल स्थिति बनी रहना संभव नहीं होती. नतीजा पुलिस की छापेमारी में कुछ पकड़ी जाती हैं तो कुछ अड्डे से भागने में सफल हो जाती हैं.

देह व्यापार के धंधे में लगे रहने की उन की मजबूरी थी. एक अड्डा बंद होता है तो उन के द्वारा तुरंत नया ठिकाना बना लिया जाता है. वैसे अधिकतर औरतों के पति दिहाड़ी मजदूरी करने वाले या फिर रिक्शा चलाने वाले हैं. वह शाम तक जितना कमाते हैं, उस का बड़ा हिस्सा शराब में उड़ा देते हैं.

शाम को घर पहुंचने पर घर का खर्च बीवी से चलाने की उम्मीद करते हैं. घर चलाने के खर्च से ले कर कमरे का किराया, कपड़ेलत्ते, बच्चों की परवरिश आदि तक उन्हीं के कंधों पर रहती है.

उस के बावजूद शराबी पतियों की मारपीट भी झेलनी पड़ती है. यह उन की दिनचर्या में शामिल हो चुका है. इस तरह देह के धंधे को अपनाने की मजबूरी बन गई है.

किसान कानून में बदलाव आने का असर उन के धंधे पर भी हुआ. कारण इस कानून के लागू होने पर किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए आजाद हो गए. इस वजह से उन का काशीपुर की मंडी में आनाजाना बहुत कम हो गया. इस का असर उन औरतों के धंधे पर भी हुआ.

अनाज की मंडियों का काम ढीला होने से पहले के मुकाबले वहां औरतें कम आने लगी हैं. मजबूरी में उन्होंने नया तरीका निकाला और अपने घरों में ही धंधा करना शुरू कर दिया. जबकि वह जानती हैं कि यह धंधा किसी भी सूरत में महफूज नहीं है.

अपना ही तमाशा बनाने वाली एक लड़की : भाग 3

उर्वशी अपने पिता व भाईबहनों के साथ उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में रहती थी. उस की मां की कुछ समय पहले मौत हो गई थी. उस के पिता मानसिक रूप से कमजोर थे. परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी. उर्वशी के 2 भाई और 2 बहनें हैं.

करीब 2 साल पहले घर में उर्वशी का अपने अविवाहित भाई से झगड़ा हो गया था. तब वह नाराज हो कर अपनी बुआ के पास काशीपुर चली गई थी. काशीपुर में रहते हुए वह प्राइवेट ग्रैजुएशन की तैयारी करने लगी, साथ ही वह सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी.

करीब 5-6 महीने पहले ऋषिराज मीणा किसी काम से काशीपुर गया था, जहां उस की मुलाकात उर्वशी से हुई. उर्वशी उसे स्वच्छंद लड़की लगी. 2-4 दिन वहां रहने के दौरान ऋषिराज की उर्वशी से घनिष्ठता हो गई. दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए. बाद में ऋषिराज जयपुर आ गया. इस के बाद भी उर्वशी और ऋषिराज में लगातार बातें होती रहीं.

उर्वशी आगरा जा कर रहने लगी तो उस दौरान भी ऋषिराज की उस से लगातार बातें होती रहीं. कई बार बातोंबातों में उर्वशी ने ऋषिराज को अपनी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं होने और नौकरी करने की बात बताई. इस पर ऋषिराज ने उसे जल्दी ही रेलवे में नौकरी लगवाने का विश्वास दिलाया.

घटना से करीब ढाई-3 महीने पहले ऋषिराज ने उर्वशी को फोन कर के कहा कि वह जयपुर आ जाए. वह उसे किराए का मकान दिलवा देगा. जयपुर में रहेगी तो नौकरी तलाशने में आसानी रहेगी. ऋषिराज के कहने पर उर्वशी जयपुर आ गई. ऋषिराज ने जगतपुरा की सरस्वती कालोनी में उसे किराए का मकान दिलवा दिया. ऋषिराज तो उर्वशी का पहले से ही परिचित था. जयपुर में उस की कई अन्य युवकों से भी दोस्ती हो गई. युवकों से दोस्ती के चलते मकान मालिक ने उसे निकाल दिया.

उर्वशी ने ऋषिराज को समस्या बताई तो उस ने जगतपुरा में ही जगदीशपुरी कालोनी में उसे किराए का दूसरा मकान दिलवा दिया. कुछ समय बाद उर्वशी अपने पिता व छोटे भाई को भी जयपुर ले आई. जयपुर आ कर वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी. उस ने कुछ समय पहले स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की परीक्षा के लिए फार्म भरा था.

उस का परीक्षा केंद्र अलवर में पड़ा था. 9 जनवरी को उस की परीक्षा थी. इस के लिए वह जयपुर से अलवर गई. परीक्षा समाप्त होने के बाद वह 9 जनवरी को अलवर से शाम को मुजफ्फरनगर-पोरबंदर एक्सप्रैस टे्रन में सवार हो कर शाम सवा 7 बजे जयपुर जंक्शन पर उतरी. ट्रेन से उतर कर उर्वशी ने करीब 7 बज कर 20 मिनट पर अपने छोटे भाई को फोन कर के कहा कि उसे घर पहुंचने में देर हो जाएगी. वे लोग खाना खा कर सो जाएं. वह जब घर आएगी तो दरवाजा खटखटा देगी.

उर्वशी जयपुर जंक्शन से औटो में बैठ कर जगतपुरा पहुंची. वहां उसे ऋषिराज मीणा मिला. ऋषिराज ने औटो का 180 रुपए किराया चुकाया और उसे अपनी पल्सर बाइक पर बैठा कर जगतपुरा में ही प्रेमनगर स्थित अपने फ्लैट नंबर 280 पर ले गया. तय योजना के अनुसार, उर्वशी ने रात करीब 10 बजे अपने परिचित युवक संदीप लांबा को अपने पास बुला लिया.

संदीप को उर्वशी ने 9 जनवरी को दिन में ही फोन कर के कहा था कि रात को उस के घर वाले घर पर नहीं रहेंगे, इसलिए वह रात को उस के घर आ जाए. जयपुर जंक्शन से औटो में जगतपुरा जाते समय भी उर्वशी ने संदीप को बता दिया था कि वह रात को 280 प्रेमनगर, जगतपुरा आ जाए.

उर्वशी के इस तरह बुलाने से संदीप लांबा खुश था. संदीप ने अपनी गर्लफ्रैंड उर्वशी के पास जाने के लिए अपने एक मित्र पोलू जाट से 5 सौ रुपए उधार लिए और सजधज कर अपने कमरे से निकला. संदीप नर्सिंग के द्वितीय वर्ष का छात्र था. वह जयपुर में गुर्जर की थड़ी पर किराए के मकान में रहता था. उस की उर्वशी से दोस्ती इस घटना से करीब एक महीने पहले हुई थी.

दोनों एक महीने से फोन पर संपर्क में थे. संदीप ने घर से निकल कर उर्वशी के लिए चौकलेट खरीदी. इस के बाद वह लो फ्लोर बस से रात करीब 10 बजे जगतपुरा पहुंचा. रात का समय होने और उस फ्लैट की सही लोकेशन न मिलने पर संदीप ने उर्वशी को 3-4 बार फोन किया. इस पर उर्वशी उसे लेने के लिए पैदल ही जगतपुरा रेलवे लाइन तक अकेली आई.

रेलवे लाइन से वह संदीप को अपने साथ ऋषिराज के प्रेमनगर स्थित फ्लैट पर ले गई. संदीप के पहुंचने पर ऋषिराज फ्लैट में छिप गया. उर्वशी संदीप को एक कमरे में ले गई, जहां बिस्तर लगा था. कमरे की बिजली जल रही थी. कमरे की बिजली जली होने पर संदीप को कुछ शक हुआ, लेकिन उर्वशी ने उसे बातों में लगा लिया. इस के बाद उर्वशी और संदीप उस कमरे में एक साथ रहे. इस दौरान उन्होंने कई बार शारीरिक संबंध बनाए.

सुबह करीब 3 बजे जब दोनों थक गए तो शांत हुए. उर्वशी ने संदीप का मोबाइल ले कर यह कहते हुए उस का सारा रिकौर्ड डिलीट कर दिया कि किसी को पता लग जाएगा. बाद में उर्वशी ने संदीप के पर्स की तलाशी ली और उस के डेबिट व क्रेडिट कार्ड देखे. इस के बाद उर्वशी ने पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे कर उस से मोटी रकम मांगी.

संदीप के इनकार करने पर उर्वशी ने उस का एटीएम कार्ड ले लिया और उस का पासवर्ड भी पूछ लिया. इस के बाद उसे घर से निकल जाने को कहा. वह वहां से निकला तो करीब आधे घंटे बाद उर्वशी ने उसे फोन कर के जल्दी से रकम का इंतजाम करने को कहा.

संदीप के जाने के बाद उसी फ्लैट में छिपा ऋषिराज मीणा कमरे में आ गया. सुबह करीब 5 बजे वह उर्वशी को मोटरसाइकिल पर बिठा कर एमएनआईटी के समने ले गया. वहां उस ने उर्वशी के मुंह पर कीटनाशक एल्ड्रीन का घोल लगाया और उस के कपड़ों पर भी कीटनाशक छिड़क दिया. ऋषिराज ने उर्वशी से कहा कि वह पुलिस कंट्रोल रू म को फोन कर के अपने साथ गैंगरेप होने की सूचना दे.

हेलीकॉप्टर ब्रदर्स ने की 600 करोड़ की ठगी

भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर तंजावुर जिला मुख्यालय है. इसी जिले का एक प्राचीन शहर कुंभकोणम है. यह शहर तंजावुर जिला मुख्यालय से कोई 40 किलोमीटर दूर है.

कुंभकोणम शहर के उत्तर में कावेरी और दक्षिण में अरसालर नदी बहती है. यह शहर टेंपल टाउन के नाम से भी विख्यात है. इस का कारण है कि यहां बड़ी संख्या में मंदिर हैं. कुंभकोणम शहर में हर साल होने वाले ‘महामहम’ फेस्टिवल में पूरे देश से लोग आते हैं.

मूलरूप से तिरवरूर जिले के गांव मरियूर के रहने वाले 2 भाई मरियूर रामदास गणेश और मरियूर रामदास स्वामीनाथन कोई 5-6 साल पहले कुंभकोणम शहर में आ कर बसे थे. इन के पिता रामदास बिजली विभाग में अधिकारी थे.

नौकरी के सिलसिले में रामदास पहले मदुलमपेट्टई और बाद में चेन्नई रहने लगे थे. बाद में वे सिंगापुर चले गए. सिंगापुर से कुंभकोणम में आ कर बसने पर उन्होंने विदेशी नस्ल की गायों से डेयरी कारोबार शुरू किया. दोनों भाई शहर के पौश इलाके श्रीनगर कालोनी में रहते थे.

देखते ही देखते ही उन का कारोबार तेजी से फलनेफूलने लगा. उन के व्यापार में खूब बरकत होने लगी. पैसा आने लगा तो वे अपना कारोबार धीरेधीरे बढ़ाने लगे. उन्होंने सिंगापुर सहित दूसरे देशों में भी अपना व्यापार फैला लिया. फार्मास्युटिकल का काम शुरू कर दिया.

इस बीच, उन्होंने कुंभकोणम में ही विक्ट्री फाइनेंस नामक एक वित्तीय कंपनी शुरू कर दी. यह कंपनी कर्ज देने और लोगों के पैसे जमा करने का काम करती थी. कुछ दिनों बाद उन्होंने अर्जुन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड नामक एक विमानन कंपनी बना ली.

इस कंपनी को केंद्र सरकार से पंजीकृत भी करा लिया. इस कंपनी के नाम से उन्होंने एक हेलीकौप्टर भी खरीद लिया. उन्होंने हेलीकौप्टरों के लिए कोरुक्कई गांव में एक विशाल हेलीपैड भी बना लिया. उस समय प्रचारित किया गया कि एंबुलेंस सेवा और यात्रा के लिए हेलीकौप्टर उपलब्ध रहेंगे.

2 साल पहले की बात है. जून 2019 के पहले सप्ताह में एक दिन सुबह के समय कुंभकोणम शहर के आसमान में एक हेलीकौप्टर मंडरा रहा था. इस हेलीकौप्टर से काफी देर तक पूरे शहर पर गुलाब के फूलों की वर्षा की गई. हेलीकौप्टर ने पुष्पवर्षा के लिए कई बार उड़ान भरी.

फूलों की वर्षा देख कर शहर के लोगों को आश्चर्य हुआ, क्योंकि इस शहर में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था. उन दिनों न तो कोई बड़ा त्यौहार था और न ही कोई नेता शहर में आ रहा था. इसलिए लोग इस बात पर चर्चा करने लगे.

पता चला कि उस दिन एम.आर. गणेश (मरियूर रामदास गणेश) के बेटे अर्जुन का जन्मदिन था. बेटे के जन्मदिन की खुशी में ही एम.आर. गणेश ने पूरे शहर पर हेलीकौप्टर से पुष्पवर्षा कराई थी. उस दिन गणेश ने अपने बेटे के जन्मदिन की खुशी में बड़े स्तर पर भोज का भी आयोजन किया था.

दोनों भाइयों को हेलीकौप्टर ब्रदर्स के नाम से जानते थे लोग

गणेश के बेटे के जन्मदिन पर हुए भव्य आयोजन ने दोनों भाइयों को पूरे शहर में चर्चित कर दिया. उस दिन से लोग उन्हें ‘हेलीकौप्टर ब्रदर्स’ के नाम से पुकारने लगे.

दोनों भाई गणेश और रामदास जल्दी ही आसपास के इलाके में ही नहीं, राजधानी चेन्नई सहित पूरे तमिलनाडु में हेलीकौप्टर ब्रदर्स के नाम से मशहूर हो गए. इस के बाद से इन भाइयों का हेलीकौप्टर कई बार शहर में मंडराता और इधरउधर उड़ान भरता नजर आता था.

कारोबार अच्छा चलने से वे पैसा तो पहले ही खूब कमा रहे थे. नए नाम से ख्याति मिलने से उन का रुतबा भी बढ़ गया था. आलीशान जिंदगी जीते हुए लग्जरी गाडि़यों के काफिले और सुरक्षाकर्मियों के साथ तो वे पहले से ही चलते थे. बाद में राजनीति में भी आ गए.

भारतीय जनता पार्टी ने गणेश को ट्रेडर्स विंग में जिला अध्यक्ष बना दिया. भाजपा में शामिल होने से पूरे प्रदेश में उन की राजनीतिक ताकत भी बढ़ गई. दिग्गज भाजपा नेता उन के घर आनेजाने लगे.

कोई 2 साल पहले उन्होंने अपनी कंपनी विक्ट्री फाइनेंस और दूसरी कंपनियों के जरिए एक साल में दोगुनी रकम करने का वादा कर लोगों से पैसा जमा करना शुरू कर दिया.

अच्छाखासा कारोबार करने और कई कंपनियां चलाने के कारण हेलीकौप्टर ब्रदर्स ने पहले से ही शहर की जनता पर अपना विश्वास बना लिया था. इसी विश्वास के भरोसे लोग उन की कंपनी में पैसा जमा कराने लगे.

सैकड़ों लोगों ने अपनी जमापूंजी उन की कंपनी में जमा करा दी. योजना की अवधि पूरी होने पर इन भाइयों ने लोगों को वादे के मुताबिक समय पर दोगुनी रकम वापस दे दी. इस से लोगों का विश्वास जमता गया. इस से उन की जमापूंजी भी बढ़ने लगी. पिछले साल तक सब कुछ ठीकठाक चला. जमाकर्ताओं को अपना पैसा वापस मिल गया.

हालांकि न तो सरकारी स्तर पर और न ही चिटफंड कंपनियों तथा साहूकारी स्तर पर एक साल में पैसा दोगुना करने की पहले कोई योजना थी और न अब है. लेकिन लालच में लोग हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में अपनी मेहनत की कमाई जमा कराते रहे. जिन लोगों ने पहले पैसा जमा कराया था, उन्होंने दोगुनी रकम वापस मिलने पर वही रकम फिर से एक साल के लिए जमा करा दी.

लोगों के लालच का दोनों भाइयों ने फायदा उठाया. उन्होंने पैसा जमा कराने के लिए कमीशन पर अपने एजेंट नियुक्त कर दिए. एक साल में उन की कंपनी की साख बन गई थी.

लालच में फंस रहे थे लोग

इस का नतीजा यह हुआ कि रोजाना सैकड़ों लोग बिना आगेपीछे सोचे उन की कंपनी में पैसा जमा कराने लगे. बहुत से लोगों ने बैंकों या साहूकारों के पास जमा अपनी रकम निकाल कर हेलीकौप्टर ब्रदर्स की फाइनेंस कंपनी में जमा करा दी.

नौकरीपेशा लोगों ने भी एक साल में रकम दोगुनी होने के लालच में अपनी जमापूंजी का निवेश उन की कंपनी में कर दिया. दोनों भाइयों के झांसे में आ कर कई व्यापारियों और अमीर लोगों ने भी उन की कंपनी में करोड़ों रुपए की राशि जमा करा दी.

इस साल जब अवधि पूरे होने पर जमाकर्ता अपने पैसे वापस मांगने लगे तो कंपनी की ओर से उन्हें कोरोना महामारी के कारण कामकाज ठप होने की बात कह कर कुछ दिन रुकने के लिए कहा गया.

अप्रैल के महीने में कोरोना का असर ज्यादा बढ़ने पर लोगों को पैसों की आवश्यकता हुई तो उन्हें फिर टाल दिया गया. जमाकर्ताओं को दोगुनी रकम तो दूर कुछ राशि या ब्याज का पैसा भी नहीं दिया गया.

छोटे जमाकर्ता रोजाना उन की कंपनियों के चक्कर लगा कर निराश लौट जाते थे. जिन लोगों के करोड़ों रुपए जमा थे, वे सब से ज्यादा परेशान थे. अवधि पूरी होने के बावजूद न तो उन का मूलधन वापस मिल रहा था और न ही कोई ब्याज दिया जा रहा था.

कुछ बड़े जमाकर्ताओं ने अपनी रकम वापस लेने के लिए हेलीकौप्टर ब्रदर्स गणेश और रामदास स्वामीनाथन से संपर्क किया तो उन्होंने कोरोना के कारण नुकसान होने की बात कह कर उन सभी को जल्द भुगतान करने का आश्वासन दिया.

ले भागे 600 करोड़ रुपए

भुगतान में लगातार देर हो रही थी. जमाकर्ताओं को किसी न किसी बहाने से टाला जा रहा था. ज्यादा बातें करने पर जमाकर्ताओं को धमकाया भी गया.

इस से लोगों को कंपनी के मालिकों की नीयत पर शक होने लगा. उन्हें अपनी जमापूंजी की चिंता होने लगी. कुछ ही दिनों में पूरे शहर में यह बात फैलने लगी कि दोनों भाइयों का अब जमाकर्ताओं को पैसा वापस देने का मन नहीं है.

लोगों को असलियत का पता चलने पर दोनों भाई शहर से लापता हो गए. इस पर कुछ लोगों ने इसी साल के जुलाई महीने में शहर में जगहजगह हेलीकौप्टर ब्रदर्स के पोस्टर लगवा दिए. इन में आरोप लगाया था कि दोनों भाई लोगों के 600 करोड़ रुपए ले कर उड़ गए हैं.

इन पोस्टरों के माध्यम से लोगों ने दोनों भाइयों के खिलाफ काररवाई की मांग की. कहा जाता है कि ये पोस्टर दोनों भाइयों के एजेंटों ने लगवाए थे, क्योंकि इन भाइयों ने एजेंटों को भी उन का कमीशन नहीं दिया था.

पुलिस कोई काररवाई करने की सोच रही थी कि एक दंपति जफरुल्लाह और फैराज बानो ने तंजावुर जिले के एसपी देशमुख शेखर संजय के पास जुलाई के तीसरे सप्ताह में एक शिकायत दी.

इस शिकायत में दंपति ने कहा कि उन्होंने दोनों भाइयों की कंपनी में 15 करोड़ रुपए जमा कराए थे. योजना की अवधि पूरी होने के बाद भी उन्हें पैसे वापस नहीं दिए गए. दोनों भाइयों ने उन्हें अपने निजी सुरक्षाकर्मियों से पिटवाने की धमकी भी दी.

पुलिस ने दंपति की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

इन के अलावा एक निवेशक गोविंदराज ने पुलिस को बताया कि उस ने दोस्तों और परिवार से कर्ज ले कर हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में 25 लाख रुपए जमा कराए थे, लेकिन ये रकम वापस नहीं दे रहे हैं.

एक और निवेशक ए.सी.एन. राजन ने 50 लाख रुपए जमा कराने की बात पुलिस को बताई. पुलिस के पास कई और शिकायतें भी दोनों भाइयों के खिलाफ आईं.

कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें कुछ राशि का चैक दिया गया, लेकिन वह बाउंस हो गया. कोरकाई के रहने वाले पझानिवेल ने 10 लाख रुपए जमा कराए थे. बदले में उसे 20 लाख रुपए मिलने थे, लेकिन बारबार चक्कर काटने पर भी उसे पैसे नहीं मिले.

भाजपा ने गणेश को पार्टी से निकाला

ज्यादा कहासुनी करने पर एक दिन 10 लाख रुपए का चैक दिया. वह चैक बाउंस हो गया. जब उस ने चैक बाउंस होने की बात इन भाइयों को बताई तो उन्होंने अपने राजनीतिक संपर्क होने की धमकी दी.

मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस ने दोनों भाइयों गणेश और रामदास स्वामीनाथन की तलाश शुरू की, लेकिन उन के मकान और दफ्तर बंद मिले.

इस बीच, भाजपा ने गणेश को पार्टी के जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया. इस संबंध में तंजावुर (उत्तर) के भाजपा नेता एन. सतीश कुमार ने 18 जुलाई को बयान जारी किया.

दोनों भाइयों के आवास, कार्यालय और दूसरे ठिकाने बंद मिलने पर पुलिस ने उन की तलाश के लिए कई टीमों का गठन किया. मोबाइल फोन की लोकेशन से उन का

पता लगाने का प्रयास किया. पता नहीं चलने पर पुलिस की टीमों को विभिन्न स्थानों पर भेजा गया. दोनों भाइयों के विभिन्न कारोबार के ब्यौरे जुटाए गए. साथ ही पुलिस ने इन भाइयों की कंपनियों में काम करने वाले लोगों का पता लगाना शुरू किया.

कुछ कर्मचारियों का पता चलने पर पुलिस ने उन से पूछताछ की, लेकिन दोनों भाइयों का सुराग नहीं मिला. कर्मचारी यह नहीं बता सके कि दोनों भाई कहां गए.

पूछताछ के बाद पुलिस ने 23 जुलाई को इन भाइयों की कंपनी के मैनेजर 56 साल के श्रीकांत को गिरफ्तार कर लिया.

जांचपड़ताल में पता चला कि दोनों भाइयों के विदेशों में भी कारोबारी संपर्क हैं. इस से उन के विदेश भाग जाने की आशंका हुई. इस आधार पर पुलिस ने उन के पासपोर्ट का पता लगा कर विदेश भागने से रोकने के लिए काररवाई शुरू कर दी.

पुलिस ने इन भाइयों के ठिकानों का पता लगाया. इन्होंने कई जगह अपने कार्यालय और ठहरने के ठिकाने बना रखे थे. एक बड़ा मकान तो केवल कारें रखने के लिए ही था. इन के पास दरजनों लग्जरी कारें थीं.

जांच के दौरान पुलिस ने इन के ठिकानों से 2 बीएमडब्ल्यू सहित 12 लग्जरी कारें जब्त कीं. एक कार्यालय से कंप्यूटर, हार्ड डिस्क और दस्तावेज जब्त किए.

दोनों भाइयों की तलाश के दौरान पुलिस ने एक दिन उन की कंपनी में अकाउंटेंट का काम करने वाले भाईबहन मीरा और श्रीराम को कुंभकोणम के बसस्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. वे शहर छोड़ कर भाग रहे थे. इन के अलावा दोनों भाइयों की कंपनी के एक और मैनेजर वेंकटेशन को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

इन से पूछताछ के आधार पर फरार एम.आर. गणेश की पत्नी अखिला को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े हेलीकौप्टर ब्रदर

लगातार कई दिनों की भागदौड़ के बाद तंजावुर जिले की क्राइम ब्रांच पुलिस ने 5 अगस्त, 2021 को दोनों भाइयों एम.आर. गणेश और एम.आर. स्वामीनाथन को पुडुककोट्टई जिले में वेंथनपट्टी गांव के एक फार्महाउस से गिरफ्तार कर लिया. यह फार्महाउस उन के दोस्त का था. इसे उन्होंने छिपने के लिए किराए पर लिया था.

कथा लिखे जाने तक दोनों भाइयों के अलावा गणेश की पत्नी और इन की कंपनी के 2 मैनेजर व 2 अकाउंटेंट गिरफ्तार किए जा चुके थे.

पुलिस इन से पूछताछ कर जमा की गई रकम का पूरा ब्यौरा हासिल करने के प्रयास में जुटी थी. इस के साथ ही इन के बैंक खाते भी सीज करने की काररवाई चल रही थी.

बहरहाल, अभी यह तो किसी को नहीं पता कि हेलीकौप्टर ब्रदर्स की कंपनी में निवेश करने वाले लोगों को उन का पैसा वापस मिल सकेगा या नहीं.

लेकिन इस में कोई दोराय नहीं कि लोगों ने एक साल में रकम दोगुनी होने के लालच में बिना कोई जांचपड़ताल किए एक निजी फाइनेंस कंपनी में अपनी जमापूंजी निवेश कर दी. यह लालच ही अब उन निवेशकों की रात की नींद और दिन का चैन छीने हुए है.

यह अकेले तमिलनाडु की बात नहीं है. पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है. चालाक लोग लोगों की लालच की मानसिकता का फायदा उठा कर ठगी कर रहे हैं.

भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में एक साल में कोई भी सरकारी या निजी कंपनी पैसा दोगुना नहीं करती. ऐसा करने का दावा करने वाले केवल ठगी करते हैं. लोगों को ऐसे ठगों की यह मानसिकता पहचाननी चाहिए.

स्मार्ट वाच में छिपा हत्या का राज

ग्रीस में 20 वर्षीया युवती कैरोलिन क्राउच की हत्या हुई थी. उस के 33 वर्षीय पति बाबिस एनाग्नोस्टोपोलोस, जोकि हेलीकौप्टर पायलट था, ने 11 मई को पुलिस को फोन द्वारा सूचना दी थी कि उस की पत्नी की हत्या अज्ञात लुटेरों ने ग्लयका नेरा स्थित उस के ही घर के बैडरूम में कर दी है.

सूचना पा कर ग्रीक पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने देखा कि घर में बाबिस की पत्नी कैरोलिन की लाश के अलावा एक कुत्ता भी मरा पड़ा था. घर का सामान भी बिखरा पड़ा था. पुलिस को मामला लूट का ही लग रहा था.

बाबिस ने पुलिस को बताया कि उन्हें लुटेरों ने बांध दिया था. वे 3 थे. उन्होंने घर से पैसे लूटने के बाद उस की पत्नी का गला घोंट डाला था. उस ने लुटेरों से अपने परिवार को नुकसान नहीं पहुंचाने की गुहार भी लगाई थी.

पुलिस ने घटनास्थल से सारे सबूत इकट्ठे कर जांच शुरू कर दी. इतना ही नहीं, पुलिस ने इस हाईप्रोफाइल अपराध की जानकारी देने वाले को 2,57,000 पाउंड स्टर्लिंग (करीब 2 करोड़ 65 लाख रुपए) ईनाम देने की भी घोषणा कर दी. इस ईनाम की घोषणा एथेंस की पुलिस औफिसर्स एसोसिएशन के डिप्टी चेयरमैन निकोस रिगास ने की थी.

उन्होंने मीडिया को भी जांच में अपनाई जाने वाली तमाम लेटेस्ट सिस्टम इस्तेमाल करने की बात कहते हुए दावा किया कि बहुत जल्द ही वे इस मामले का पता लगा लेंगे.

इस पर मीडिया ने उन्हें निशाने पर ले लिया था. कारण कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हुए लौकडाउन के बाद से महिलाओं की हत्या और घरेलू अपराध की घटनाएं वहां काफी बढ़ गई थीं.

इसे देखते हुए रिगास ने घटनास्थल से मोबाइल उपकरणों, एक स्मार्टवाच और कैमरों की जांच करने के लिए एक समयरेखा भी निर्धारित कर दी.

घटनास्थल की सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद एथेंस पुलिस  की क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम इस नतीजे पर पहुंची थी कि युवती की हत्या जिन 3 लुटेरों ने की, उन्हें दबोचा जाना बाकी है. क्योंकि पुलिस को वहां से काफी सबूत मिल चुके थे.

इसी बीच पुलिस के अधिकारी ने अपने सहकर्मियों से सवाल किया, ‘‘तुम यह कैसे कह सकते हो कि हत्या प्रोफैशनल लुटेरों ने ही की है?’’

‘‘सर घटनास्थल पर मिले सारे प्रमाण तो यही बताते हैं. इस के अलावा, लुटेरों ने युवती के हाथपांव बांध दिए थे, और…’’ एक सहकर्मी पुलिस ने कहा.

‘‘… और उस ने पालतू कुत्ते को भी मार डाला था. तुम तो यही कहोगे न?’’ अधिकारी ने दूसरे सहकर्मी को देखते हुए सवाल किया.

‘‘ यस सर! ’’

‘‘वाट यस सर..? लुटेरों ने घर से जो रुपए लूटे, वे कहां रखे थे? तुम लोगों को तो केवल 13 हजार पाउंड अमाउंट के बारे पता चला है.’’

‘‘उस की डिटेल्स नहीं मिली सर. कोई निशान नहीं मिल पाया.’’ फोरैंसिक जांच वाले ने सफाई दी.

‘‘तुम्हें तो यह भी पता नहीं चला है कि लुटेरों के गिरोह ने युवती को कैसे बांधा, उस की मौत दम घुटने से हुई या फिर कोई और वजह थी.’’ अधिकारी ने सभी को जबरदस्त डांट पिलाई.

‘‘सर, सीसीटीवी कैमरे घटना के समय बंद थे,’’ तकनीकी जांच करने वाले ने बताया.

‘‘अब तुम लोग मुझे यह समझाओ कि मृत युवती की बगल में सिरहाने 11 माह की बच्ची चुपचाप कैसे लेटी थी?’’ जांच अधिकारी ने सख्ती के साथ पूछा.

ग्रीक जांच अधिकारी की बात सुन कर सभी चुप हो गए थे. क्योंकि यह मामला साधारण नहीं था.

मृतका के पति पायलट बाबिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पुलिस ने जांच शुरू की, जिस में कई विरोधाभास देखने को मिले. बाबिस ने मीडिया को बताया था कि वह घटना के समय लुटेरों से घिरा हुआ था.

जबकि पुलिस जांच में पता चला कि उस दौरान वह घर के बाहर चारों ओर घूम रहा था. उस का आवागमन बेसमेंट से ले कर बालकनी तक हुआ था. इस विरोधाभास पर पुलिस को बाबिस पर ही शक हो गया.

डेटा एनालिस्ट की ली मदद

इस आधार पर पुलिस औफिसर निकोस रिगास ने अपने सहकर्मियों को नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया. उन्होंने जांच टीम से कहा, ‘‘संदिग्ध युवती का पति भी हो सकता है. यह भी हो सकता है कि क्राइम सीन उस के द्वारा बनाया गया हो. वह खुद को बचाने की कोशिश में हो.’’

‘‘…लेकिन सर, इस पालतू कुत्ते को किस ने मारा होगा?और सर वह छोटी बच्ची..?’’ एक सहकर्मी ने जिज्ञासा जताई.

‘‘यही तो समझने की बात है, जिस ओर तुम लोगों का ध्यान ही नहीं गया?’’ निकोस रिगास बोले.

‘‘वह कैसे सर?’’ फोरैंसिक जांचकर्ता ने सवाल किया.

‘‘मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि पालतू कुत्ते को संदिग्ध ने ही मारा होगा और हत्या को सही ठहराने के लिए बच्ची को उस की मां के मृत शरीर के बगल में रख दिया. हैरत की बात है कि उसे कोई चोट नहीं आई. यह भी हो सकता है उस वक्त बच्ची कहीं और सो रही हो.’’ रिगास ने समझाया.

‘‘तो सर, हमें अब क्या करना चाहिए?’’

‘‘आप लोग इस में अब कुछ अधिक नहीं कर पाएंगे. इस केस को डेटा एनलिस्ट की मदद से हैंडल किया जाएगा.’’

‘‘वह कैसे सर?’’ सभी चौंक पड़े.

‘‘बस आप सभी देखते जाइए और अपनीअपनी रिपोर्ट का डेटा सौफ्ट कौपी के साथ हार्ड कौपी में 12 घंटे के भीतर उपलब्ध करवाइए.’’ रिगास ने आदेश दिया.

‘‘यस सर!’’ सभी सहकर्मियों ने एक साथ कहा.

‘‘और हां, आईटी के क्राइम सेल के साथ अभी घंटे भर के अंदर मीटिंग तय करवाइए.’’ यह आदेश उन्होंने अपने पीए को दिया.

इसी दौरान एक सहकर्मी ने उत्सुकता के साथ बताया, ‘‘सर, क्या मृतका के पति बाबिस एनाग्नोस्टोपोलास से पूछताछ की जाए?’’

‘‘अभी उस पर नजर रखिए. मुझे जानकारी मिली है कि वह इस समय ग्रीस में नहीं है, लेकिन इंस्टाग्राम पर सक्रिय है. उस ने पुर्तगाल यात्रा के दौरान अपनी पत्नी के साथ एक तसवीर पोस्ट की है.’’

‘‘जी सर, मैं ने वह तसवीर देखी है. उस में उस ने लिखा है— हमेशा एक साथ! विदाई, मेरे प्यार!’’ महिला सहकर्मी तपाक से बोल पड़ी.

‘‘तुम उस पर नजर रखो. उस के डेटा का कलेक्शन करो. हर तरह की डिटेल्स जुटाओ… जैसे उन के आपसी संबंध, शादीब्याह, अफेयर, डेटिंग, चैटिंग, डिनर, साथसाथ ट्रैवलिंग, फैमिली बैकग्राउंड, हौबी, उन के फ्रैंड सर्कल, प्रोफेशन इत्यादिइत्यादि. इंस्टाग्राम के अतिरिक्त दूसरे सोशल साइट्स और डेटिंग ऐप को भी खंगालो.’’

जांच दल की महिला सहकर्मी के द्वारा हेलीकौप्टर पायलट बाबिस और कैरोलिन के बारे में जुटाई गई जानकारी के बाद पता चला कि कैरोलिन क्राउच और बाबिस का प्रेम विवाह हुआ था. उन की शादी जुलाई, 2019 में अलगार्वे में हुई थी.

सोशल साइट पर उस की शादी की कई यादगार तसवीरें देखने को मिलीं. उन में एक मार्मिक तसवीर उस की शादी के लिए तैयार होने की है, जिस में उस के बाल और मेकअप 2 स्थानीय स्टाइलिस्टों द्वारा किया गया था.

इस तसवीर को उतारने वाले फोटोग्राफर को जब कैरोलिन की हत्या की जानकारी मिली तो वह स्तब्ध हो गया था, क्योंकि उसे मिला वह पहला असाइनमेंट था.

 

कैरोलिन जब 15 साल की थी, तभी उस की मुलाकात बाबिस से हुई थी. उन के बीच प्यार हो गया. उन की शादी एथेंस के उसी अपमार्केट इलाके में हुई थी, जहां कैरोलिन मृत पाई गई.

शादी के समय वह 18 साल की थी. बाबिस के मातापिता एथेंस में रहते हैं, जबकि कैरोलिन के मातापिता एलोनिसोस द्वीप पर वहां से 6 घंटे की दूरी पर रहते हैं. हालांकि कैरोलिन का जन्म यूके में हुआ था, जिस से वह ब्रिटिश नागरिक बन गई थी.

शादी के बाद वह अपने पति और बच्ची के साथ ग्लाइका नेरा में रह रही थी. इसी तरह से पुलिस ने उन के बारे में कई जानकारियां जुटाईं, जिन में कैरोलिन द्वारा लिखी गई डायरी भी थी. डायरी में उस ने अपने से करीब दोगुनी उम्र के पति के साथ संबंधों की अंतरंगता के बारे में लिखा था.

कैरोलिन की हत्या की जांच ग्रीक पुलिस ने नए सिरे से शुरू की. उन्होंने तमाम तकनीकी उपकरणों को अपने कब्जे में ले लिया और उन में दर्ज डेटा का विश्लेषण किया.

इसी क्रम में पुलिस अधिकारी को वह सुराग मिल गया, जिस की उन्हें तलाश थी. वह सुराग कैरोलिन के स्मार्टवाच में छिपा था.

खास तरह की उस बायोमैट्रिक घड़ी में उन की मौत का दिन और उन की नाड़ी के जीवित रहने तक चलने की रीडिंग दर्ज थी. उस के साथ बाबिस के मोबाइल की काल डिटेल्स आदि का मिलान किया गया. इस काम के लिए पुलिस ने गूगल के सर्विलांस सिस्टम का उपयोग किया.

इस तरह से की गई तकनीकी जांच में संदिग्ध के तौर पर कैरोलिन के पति बाबिस के होने का शक पुख्ता हो गया. बाबिस ने भले ही कहा कि उसे लुटेरों ने बांध दिया था, लेकिन जांच में इस बात का पुष्टि हो गई कि उस दौरान उस का फोन इस्तेमाल में था. उस का डेटा उस की पत्नी के स्मार्टवाच के डेटा से मेल नहीं खा रहा था.

कैरोलिन की स्मार्टवाच से पता चला कि कैरोलिन का दिल उस वक्त भी धड़क रहा था, जिस वक्त उस के पति द्वारा हत्या किए जाने का दावा किया गया था. उस के फोन पर गतिविधि ट्रैकर ने उसे घर के चारों ओर घूमते हुए दिखाया, जबकि उस ने कहा कि वह बंधा हुआ था.

इस तरह से रिकौर्ड किए गए समय, जिस पर घर के सीसीटीवी कैमरे से डेटा कार्ड निकाल लिए गए थे, से घटना की अलग ही कहानी सामने आई.

बाबिस ने पुलिस को बताया था कि 11 मई, 2021 की सुबह 5 बजे के आसपास लुटेरों ने उस के घर में दरवाजा तोड़ कर प्रवेश किया और उस के साथ कैरोलिन को बांध दिया. घर में लूटपाट की और कैरोलिन की गला घोंट कर हत्या कर दी. सुबह 6 बजे पुलिस को बुलाने पर लुटेरे भाग गए.

दिल की धड़कनें घड़ी में हुईं कैद

इस के विपरीत जांच में पाया गया कि आधी रात को 12 बज कर 35 मिनट पर दंपति की ग्राउंड फ्लोर पर लगी सीसीटीवी कैमरे ने आखिरी तसवीर उतारी थी. उस में बाबिस सोफे पर बैठा दिखा था. उस की गोद में बेटी बैठी थी, उस के हाथ में फोन था. उस समय उस की कैरोलिन से बातचीत चल रही थी, जो किसी बात को ले कर कड़वी बहस में बदल गई थी.

रात 1.20 बजे कैमरे की डिवाइस में स्टोर डेटा के अनुसार उस में से मेमोरी कार्ड हटा दिया गया था. पुलिस का कहना है कि ऐसा कैरोलिन द्वारा स्टूपिड कहने के बाद किया गया. पुलिस ने पाया कि मेमोरी कार्ड को आधा काट कर शौचालय में बहा दिया गया था. इसे अधिकारी ने पूर्वनियोजित हत्या की योजना बताया.

रात 12.35 बजे से सुबह 4 बजे तक बाबिस और कैरोलिन के बीच टेक्स्ट मैसेज के साथ बहस होती रही. उस दौरान कैरोलिन ने अपने एक दोस्त को भी मैसेज किया, जिस में उस ने लिखा कि वह अपने पति को छोड़ रही है और अभी रात में ही घर से किसी होटल में चली जाएगी.

उसी बहस में बात इतनी बिगड़ गई कि कैरोलिन ने बाबिस से तलाक लेने तक के लिए कह दिया.

कैरोलिन की कलाई से जुड़े फिटनैस ट्रैकर से पुलिस को पता लग गया कि उस दिन सुबह 4 बजे कैरोलिन के दिल की धड़कनें बढ़ गई थीं. अचानक दिल की बदली हुई गतिविधि से पता चला कि इस से दंपति के बीच लड़ाई बढ़ गई थी.

बाबिस ने इस बारे में पूछने पर बताया कि कैरोलिन ने उसे मारा, जिस से उसे भी उस पर गुस्सा आ गया और उसे बिस्तर पर धकेल दिया. उस के बाद उस ने तकिए से चेहरा दबा दिया.

कैरोलिन के फिटनैस ट्रैकर से ही पता चला कि 4.11 बजे उस के दिल की धड़कनें रुक गईं. उस समय वह मर चुकी थी. पुलिस जांच में पता चला कि बाबिस ने उस के मुंह में रुई भर दी थी और फिर उस का गला घोंट दिया था.

इस के बाद बाबिस ने ठंडे दिमाग से हत्या को नाटकीय रूप देने की योजना बनाई. पुलिस जांच के अनुसार, उस ने खिड़की के नीचे की कुंडी तोड़ी और अलमारी में थोड़ी तोड़फोड़ की. घर में लूटपाट का सीन बनाया.

इसी तरह से उस ने अपने पालतू कुत्ते को मार कर सीढ़ी के डब्बे में लटका दिया. उसे दिखा कर ही पुलिस को बताया लुटेरों ने उसे रास्ते में ही मार डाला होगा. फिर उस ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और खुद को बिस्तर से बांध लिया. उस के बाद पड़ोसी को फोन कर लुटेरों के बारे में बताया.

इस डेटा ट्रेल के आगे बाबिस की एक नहीं चली. हालांकि उसे दबोचने में भी पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.

कारण जब तक पुलिस को उस के आरोपी होने का प्रमाण मिला था, तब तक वह दूसरे देश में जा छिपा था. इस तरह से स्मार्टवाच ने कैरोलिन के अंतिम क्षण की जानकारी दे कर इस केस को खोलने में मदद की.

बाद में पुलिस ने बाबिस को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली. उसे ग्रीक की बड़ी जेल कोरयाडालोस में रखा गया. उस की गिरफ्तारी एक बहुचर्चित घटना थी.

मीडिया जगत से ले कर सोशल एक्टिविस्टों में उन की घोर निंदा हुई. सामाजिक संस्थाओं ने उसे सख्त सजा देने की मांग के साथ प्रदर्शन किए.

पुलिस के सामने बाबिस को जेल से कोर्ट तक ले जाने की समस्या थी. इस की वजह यह थी कि प्रदर्शनकारी बाबिस को अपने हाथों से सजा देने की मांग कर रहे थे. रास्ते में बाबिस की जान को खतरा भी था, इसलिए भारी पुलिस सुरक्षा के बीच बाबिस को बुलेटपू्रफ जैकेट पहना कर जेल ले जाया गया और जज के सामने पेश किया.

वकीलों की शुरू हुई बहस में वह जल्द ही टूट गया और उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने 17 जून, 2021 को अपनी पत्नी को गला घोंट कर मारने की बात स्वीकार कर ली.

साथ ही भावुकता के साथ कहा कि वह उस दौर के 6 मिनट का समय कभी नहीं भूल सकता है. क्योंकि पत्नी का गला घोंटते वक्त उस की बेटी लिडिया का चेहरा उस के सामने ही था.

हालांकि उस ने हत्या का नाटक रचने के बारे में बताया कि ऐसा उस ने इसलिए किया, क्योंकि वह जेल नहीं जाना चाहता था और अपनी बेटी की परवरिश करना चाहता था.

पूछताछ में बाबिस ने अपने पालतू कुत्ते का गला घोंटने की भी बात स्वीकार ली. उस ने कहा कि उस ने ऐसा बनावटी घटना को प्रभावशाली दिखाने के लिए किया.

हैलीकौप्टर पायलट बाबिस एनाग्नोस्टोपोलोस के अपना जुर्म स्वीकार करने के बाद अदालत ने 17 जून, 2021 को उसे कैरोलिन क्राउच और पालतू कुत्ते की हत्या का दोषी ठहराते हुए 15 साल जेल की

सजा सुनाई.

खूबसूरत पत्नी की हत्या के बाद बाबिस को अब पछतावा हो रहा है, जबकि उस की बेटी लिडिया के पालनपोषण की जिम्मेदारी कैरोलिन क्राउच के ब्रिटिश पिता ने उठा ली है.

हालांकि बाबिस चाहता है कि सजा काटने के बाद वही अपनी बेटी की देखभाल करे, लेकिन लिडिया के नानानानी नहीं चाहते कि वह अपनी ही मां के हत्यारे पिता की

बेटी कहलाए.

सुकेश चंद्रशेखर : सिंह बंधुओं से 200 करोड़ ठगने वाला नया नटवरलाल-भाग-2

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने रेलिगेयर फिनवेस्ट में धोखाधड़ी के मामले में अक्तूबर 2019 में दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया था. सिंह बंधुओं की गर्दिश के दिन रैनबेक्सी कंपनी बेचने के बाद ही शुरू हो गए थे. हालांकि उन्होंने फोर्टिस के 66 हौस्पिटल की शृंखला बना कर अपने पैर जमाने की कोशिश की थी, लेकिन वित्तीय गड़बडि़यों और कई गलतियों ने उन्हें जेल की सींखचों के पीछे पहुंचा दिया.

बाद में उन पर दूसरे मामले भी जुड़ते गए. इस कारण दोनों सिंह बंधु अक्तूबर 2019 से दिल्ली की जेल से बाहर नहीं निकल सके. उन की जमानत की कोशिशें बेकार हो गईं.

हालांकि गिरफ्तारी से पहले ही दोनों भाइयों में मतभेद हो गए थे. फिर भी दोनों भाइयों के परिवार अपनेअपने तरीकों से उन को जेल से बाहर निकालने की कोशिशों में जुटे हुए थे.

अरबों रुपए की संपत्तियां होने और भारत ही नहीं कई देशों में मंत्रियों, संतरियों से ले कर टौप ब्यूरोक्रेट्स से अच्छे संबंध होने के बावजूद वह पैसा उन के कोई काम नहीं आ पा रहा था.

ठग सुकेश चंद्रशेखर 2017 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था. उस के तिहाड़ जेल पहुंचने की कहानी आप आगे पढ़ेंगे. जेल में बंद सुकेश को जब सिंह बंधुओं की अकूत दौलत और जमानत की सारी कोशिशें बेकार होने का पता चला तो उस ने उन के घरवालों को ठगने की योजना बनाई.

इस के लिए योजनाबद्ध तरीके से ही अदिति सिंह को कानून मंत्रालय के सचिव अनूप कुमार के नाम से फोन किया गया.

कुछ दिन बाद फिर उसी शख्स का फोन अदिति सिंह के पास आया. ट्रूकालर पर फोन नंबर प्रधानमंत्री कार्यालय में सलाहकार पी.के. मिश्रा का प्रदर्शित हो रहा था.

फोन पर अनूप कुमार ने कहा कि मैं स्पीकर फोन पर हूं. मेरे साथ गृहमंत्री अमित शाह साहब हैं. अनूप ने कहा मेरे जूनियर अभिनव के टच में रहो और मुझे अपने पति के केस से जुड़े सभी दस्तावेज भेजो ताकि उन की जेल से जल्द रिहाई की व्यवस्था हो सके और वे कोविड के इस दौर में सरकार के साथ काम कर सकें.

बाद में अभिनव ने खुद को अंडर सेक्रेटरी बताते हुए अदिति सिंह से टेलीग्राम पर संपर्क किया. उस ने कहा कि सरकार उन का पूरा सपोर्ट करेगी. लेकिन वह यह बात किसी को नहीं बताएं, क्योंकि उस पर खुफिया एजेंसियों की नजर है.

इसीलिए सरकार के बड़े लोग लैंडलाइन फोन से बात करते हैं या टेलीग्राम पर संपर्क रखते हैं, क्योंकि वाट्सऐप भी अब सुरक्षित नहीं है. अभिनव ने यह भी बताया कि कई कारोबारी घराने उस के प्रोटेक्शन में हैं.

इस तरह संपर्क कर अभिनव अदिति सिंह का भरोसा जीतता गया. उसे उन की कंपनियों और तमाम कारोबार सहित घरपरिवार की पूरी जानकारी थी.

एक दिन अनूप का फोन आया. उस ने अदिति से कहा कि पार्टी फंड में 20 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे. इस के बाद उन्हें अमित शाहजी या रविशंकर प्रसादजी से पार्टी औफिस अथवा नार्थ ब्लौक में मिलना होगा.

अनूप ने पार्टी फंड का पैसा विदेश भेजने को कहा. बाद में उस ने कहा कि हमारा आदमी आप से यह पैसा ले जाएगा.

अदिति के लिए 100-50 करोड़ रुपए बड़ी बात नहीं थी. वह अपने पति को जेल से बाहर निकालने के लिए सही या गलत तरीके से हर कीमत देने को तैयार थीं.

पैसे का इंतजाम होने पर रोहित नाम का एक युवक सेडान गाड़ी से एक महिला के साथ आया और उन से 20 करोड़ रुपए ले गया. बाद में फिर एक बार अनूप का फोन आया. उस ने कहा कि पार्टी आप से खुश है. इस बार उस ने 30 करोड़ रुपए और मांगे.

अदिति ने पूछा कि ये पैसे किस काम के लिए होंगे, तो उसे धमकाया गया कि उन के पति पर सरकार नए केस लगा देगी और उन की जमानत में ज्यादा मुश्किलें आ जाएंगी.

अदिति ने 30 करोड़ रुपए भी दे दिए. फिर एक दिन अनूप का फोन आया. उस ने कहा कि गृह सचिव अजय भल्ला आप से बात करेंगे. अजय भल्ला ने कहा कि आप के पति को आप से जल्दी ही मिलवाया जाएगा.

इस तरह कभी किसी मंत्री और कभी किसी टौप ब्यूरोक्रेट के नाम से फोन आते रहे. ये लोग अदिति को उन के पति की जेल से रिहाई की दिलासा दिलाते रहे और बदले में किसी न किसी बहाने से मोटी रकम मांगते रहे.

सरकार के भरोसे अपने पति की रिहाई की उम्मीद में अदिति ने अपनी जमापूंजी, निवेश और जेवरात आदि दांव पर लगा कर इन लोगों को एक साल में अलगअलग किस्तों में 200 करोड़ रुपए दे दिए.

इतनी रकम लेने के बाद भी ये लोग उसे धमकाते रहे और विदेश में पढ़ रहे बच्चों को देख लेने की धमकी देते रहे.

सरकार के सपोर्ट के बावजूद एक साल बाद भी कुछ नहीं होने पर अदिति ने अनूप कुमार, अभिनव, अजय भल्ला आदि से हुई बातों को याद कर उन पर गौर किया. उसे महसूस हुआ कि ये सब लोग दक्षिण भारतीय हैं. उन की बातचीत का लहजा दक्षिण भारत का था.

अदिति को ठगी होने का शक हुआ, तो उस ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी से शिकायत की. ईडी के अधिकारी ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को यह जानकारी दी.

इसी साल अगस्त के पहले सप्ताह में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को इस मामले की भी जांच सौंपी गई. जांच में पता चला कि अदिति सिंह को दिल्ली की रोहिणी जेल से फोन किए गए थे.

पुलिस ने 8 अगस्त को रोहिणी जेल में छापा मार कर सुकेश को गिरफ्तार कर लिया. उस के पास से 2 स्मार्टफोन बरामद हुए. सुकेश से पूछताछ के आधार पर दिल्ली के रहने वाले 2 भाइयों दीपक रामदानी और प्रदीप रामदानी को गिरफ्तार किया गया. वे ठगी की साजिश में भागीदार थे.

सुकेश से पूछताछ में ठगी के मामले में जेल अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई. इस पर जेल प्रशासन ने 23 डिप्टी सुपरिटेंडेंट के तबादले कर दिए. और 6 जेल अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया.

पुलिस ने जेल अधिकारियों से पूछताछ के बाद एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट सुभाष बत्रा और एक असिस्टेंट जेल सुपरिटेंडेंट धर्मसिंह मीणा को गिरफ्तार कर लिया.

सुकेश की ठगी की काली कमाई को कमीशन ले कर सफेद करने के मामले में दिल्ली के एक निजी बैंक के वाइस प्रेसीडेंट मैनेजर कोमल पोद्दार और उस के 2 सहयोगियों अविनाश कुमार व जितेंद्र नरूला को गिरफ्तार किया गया.

इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने 23 अगस्त को सुकेश और उस की फिल्म अभिनेत्री पत्नी लीना मारिया पाल सहित उन के साथियों के विभिन्न ठिकानों पर छापे मारे.

इन के चेन्नई में समुद्र के ठीक सामने बने आलीशान बंगले पर ईडी अधिकारियों ने जब छापेमारी की, तो दौलत की चकाचौंध देख कर उन की आंखें फटी रह गईं.

इन छापों में 16 लग्जरी और महंगी कारें, 82 लाख रुपए से ज्यादा नकदी और 2 किलोग्राम सोने के जेवरात के अलावा कपड़े, जूते व चश्मों सहित काफी कीमती सामान जब्त किया गया.

चेन्नई में समुद्र के ठीक सामने बना सुकेश लीना का बंगला किसी रिसौर्ट से कम नहीं है. इस बंगले में ऐशोआराम की चीजें मौजूद थीं. करोड़ों रुपए के इंटीरियर डेकोरेशन, होम थिएटर और तमाम सुखसुविधाएं थीं. बंगले में बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, बेंटले, फैरारी, रोल्स रायस घोस्ट और रेंज रोवर जैसी करोड़ों रुपए की गाडि़यां मिलीं.

कीमती फरनीचर से सुसज्जित बंगले में दुनिया के नामी ब्रांड फरागमो, चैनल, डिओर, लुइस वुइटटो, हरमेस आदि के सैकड़ों जोड़ी जूते तथा बैग मिले.

पत्रकार दानिश सिद्दीकी : सच बोलती तस्वीरों का नायक

भारत के पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान का कंधार शहर इस वक्त तालिबान के हमले से जूझ रहा है. यही कारण है कि तालिबान भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. तालिबान चाहता है कि अफगानिस्तान में 2001 से पहले जैसे उस ने शासन किया, उसी प्रकार उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता और पहचान मिले.

अफगानिस्तान के लगभग 85 फीसदी हिस्से पर वो अपना कब्जा जमा चुका है और वह अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार और उस के सैनिकों को खत्म करने पर आमादा है. तालिबान को इस बात का पूरा यकीन हो चला है कि अब उस के रास्ते में कोई आने वाला नहीं है.

तालिबान पाकिस्तान सीमा से लगे ज्यादातर प्रमुख इलाकों पर कब्जा कर चुका है. जबकि अफगान के बाकी क्षेत्र को दोबारा हासिल करने की कोशिश में अफगान बलों और तालिबान के लड़ाकों के बीच काबुल के स्पिन बोल्डक शहर में लगातार झड़प चल रही है.

भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी इसी इलाके में युद्ध हालात को कवर कर रहे थे. वह अपने कैमरे की नजर से तालिबानी हमले से हो रही हिंसा से दुनिया को रूबरू करा  रहे थे.

हर दिन अफगान सेना और तालिबान लड़ाकों के बीच गोलाबारूद से होने वाली खूनी झड़पों में सैकड़ों मौतें हो रही हैं, उन्हीं  में 15 जुलाई, 2021 को हुई एक भारतीय फोटो पत्रकार की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है.

दानिश सिद्दीकी 15 जुलाई  को कंधार में तब अपनी जान गंवा बैठे, जब वह तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच चल रही लड़ाई को कवर कर रहे थे.

दानिश सिद्दीकी दुनिया की सब से बड़ी समाचार एजेंसी रायटर्स के लिए बतौर फोटो जर्नलिस्ट काम करते थे और युद्धग्रस्त अफगान क्षेत्र में अफगान सुरक्षा बलों के साथ एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट पर थे.

दानिश सिद्दीकी 13 जुलाई को भी उस समय बालबाल बचे थे, जब अफगान सेना पर तालिबानी हमला हुआ था. उस दिन वह अफगानिस्तान में मौत से पहली बार रूबरू हुए थे.

दरअसल, उस दिन वह अफगान सेना के उस वाहन में मौजूद थे, जो हिंसाग्रस्त इलाकों से लोगों को बचाने जा रहा था. उस वक्त सेना की गाड़ी पर भी गोलीबारी की गई थी, जिस में दानिश बालबाल बचे थे.

दानिश ने इस घटना के वीडियो व फोटो ट्विटर पर पोस्ट किए थे, जिस में गाड़ी पर आरपीजी की 3 राउंड फायरिंग होती नजर आई. उस दौरान दानिश ने लिखा था कि भाग्यशाली हूं कि सुरक्षित हूं.

उसी दिन उन्होंने ट्विटर पर एक तसवीर भी साझा की थी, जिस में उन्होंने लिखा था कि 15 घंटे के औपरेशन के बाद उन्हें महज 15 मिनट का ब्रेक मिला.

भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने कंधार में भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की कवरेज के दौरान हत्या किए जाने की सूचना सार्वजनिक की.

अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने 17 जुलाई को सुबह ट्वीट किया, ‘कल रात कंधार में एक दोस्त दानिश सिद्दीकी की हत्या की दुखद खबर से बहुत परेशान हूं. भारतीय पत्रकार और पुलित्जर पुरस्कार विजेता अफगान सुरक्षा बलों के साथ कवरेज कर रहे थे. मैं उन से 2 हफ्ते पहले उन के काबुल जाने से पहले मिला था. उन के परिवार और रायटर के प्रति संवेदना.’

पत्नी व बच्चे थे जर्मनी में

एजेंसी रायटर्स से जुड़े फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी पुलित्जर पुरस्कार विजेता थे. हालांकि तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने सिद्दीकी की मौत पर दुख जाहिर करते हुए कहा, ‘‘हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि किस की गोलीबारी में पत्रकार दानिश की मौत हुई. हम नहीं जानते उन की मौत कैसे हुई. लेकिन युद्ध क्षेत्र में प्रवेश कर रहे किसी भी पत्रकार को हमें सूचित करना चाहिए. हम उस व्यक्ति का खास ध्यान रखेंगे.’’

दानिश का यूं असमय चले जाना उन के पूरे परिवार को तोड़ गया है. दानिश सिद्दीकी का जन्म साल 1980 में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था. दानिश सिद्दीकी के पिता  प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी जामिया मिलिया इस्लामिया से रिटायर्ड हैं. इस के अलावा अख्तर सिद्दीकी राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निदेशक भी रह चुके हैं.

दानिश सिद्दीकी के परिवार में उन की पत्नी और 2 बच्चे हैं. दानिश सिद्दीकी की पत्नी जर्मनी की रहने वाली हैं. उन का 6 साल का एक बेटा और 3 साल की एक बेटी है.

घटना के समय उन की पत्नी व बच्चे जर्मनी में ही थे. दानिश की मौत की खबर मिलने के बाद वे भारत के लिए रवाना हो गए.

दानिश सिद्दीकी ने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया से पढ़ाई की थी. यहीं से उन्होंने इकोनौमिक्स में स्नातक किया था. जामिया से 2005-07 बैच में उन्होंने मास कम्युनिकेशन की मास्टर डिग्री हासिल की. पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद दानिश ने ‘आजतक’ टीवी चैनल में बतौर पत्रकार अपना करियर शुरू किया था.

इस के बाद उन का रुझान फोटो जर्नलिज्म की तरफ बढ़ता चला गया और सन 2010 में वह अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रायटर्स के साथ बतौर इंटर्न जुड़ गए. दानिश सिद्दीकी ने जब कैमरे से फोटो लेनी शुरू कीं तो उन की तसवीरें पसंद की जाने लगीं.

रिपोर्टर से की करियर की शुरुआत

क्योंकि उन की तसवीरें बोलती थीं. उन के पीछे एक सच छिपा होता था, जो पूरी व्यवस्था और घटनाक्रम को बयां करती थीं. उन की एकएक तसवीर लाखों शब्दों के बराबर होती थी, जो पूरी कहानी बयान कर देती थी.

दानिश के करियर के शुरुआती सहयोगियों में से एक वरिष्ठ पत्रकार राना अयूब बताती हैं कि उस वक्त उन लोगों की उम्र 23-24 साल थी. हम लोग मुंबई में ‘न्यूज एक्स’ में काम कर रहे थे और दानिश जामिया से नयानया निकल कर आया स्टूडेंट था.

वह था तो रिपोर्टर, लेकिन उसे कैमरे से इतना ज्यादा लगाव था कि मौका मिलते ही वह फोटोग्राफरों और वीडियोग्राफरों से उन का कैमरा ले कर खुद शूट करने लग जाता था.

हम लोग उस से कहते भी थे कि जब तुम इतनी अच्छी फोटोग्राफी करते हो, तो फोटाग्राफर क्यों नहीं बन जाते हो और बाद में वही हुआ. दानिश ने करियर में अपने हार्ड वर्क और लगन से एक ऐसी जंप लगाई कि सब को पीछे छोड़ दिया.

दानिश के फोटोग्राफर बनने की कहानी भी कम रोचक नहीं है. उन के मित्र कमर सिब्ते ने बताया कि दानिश ने पहले न्यूज एक्स और उस के बाद हेडलाइंस टुडे में बतौर पत्रकार काम किया था.

चूंकि उसे फोटोग्राफी का बहुत शौक था. उसी दौरान एक बार वह अपने काम से छुट्टी ले कर मोहर्रम की कवरेज के लिए उत्तर प्रदेश के शहर अमरोहा चला गया, जहां उस की मुलाकात रायटर्स के चीफ फोटोग्राफर से हुई.

रायटर्स के फोटोग्राफर ने जब दानिश के फोटोज देखे, तो वह उस से इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने कुछ ही समय बाद उसे अपनी एजेंसी में जौब का औफर दिया और उस के बाद दानिश की लाइफ ही बदल गई.

मुंबई में टाइम्स औफ इंडिया के स्पैशल फोटो जर्नलिस्ट एस.एल. शांता कुमार बताते हैं कि दानिश हर फोटो को स्टोरी के नजरिए से शूट करता था. हम लोग जब भी मिलते थे, उस से हमें कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता था.

जब उसे पुलित्जर पुरस्कार मिला तो मैं ने सुबहसुबह उठ कर उसे फोन पर बधाई दी और बाद में उस से मिल कर उस के साथ सेल्फी भी ली थी.

दिल्ली दंगों की भी की थी कवरेज

दानिश ने दिल्ली दंगों के दौरान भी फोटोग्राफी की थी. इस दंगे के दौरान जब दानिश एक शख्स पर हमला कर रही भीड़ का फोटो शूट कर रहे थे तो उस वक्त मारने वाले लोगों का ध्यान उन पर नहीं था.

लेकिन जैसे ही उन्होंने नोटिस किया कि कोई उन की फोटो खींच रहा है तो वो लोग दानिश को पकड़ने के लिए उन के पीछे भी भागे, लेकिन दानिश किसी तरह वहां से भाग कर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे.

यूं कहें तो गलत न होगा कि इस वक्त भारत में दानिश से अच्छा और कोई फोटो जर्नलिस्ट नहीं था. पिछले एकडेढ़ साल के दौरान देश में जितनी भी बड़ी घटनाएं हुई थीं, उन के सब से बेहतरीन फोटो दानिश ने ही लिए थे.

चाहे वो नौर्थईस्ट दिल्ली के दंगों के दौरान खून से लथपथ एक शख्स पर हमला कर रही भीड़ की तसवीर हो या कोविड वार्ड में एक ही बैड पर औक्सीजन लगा कर लेटे 2 मरीजों की फोटो हो या फिर श्मशान घाट में जलती चिताओं की तसवीर हो, उन का काम अलग ही बोलता था और उस की खातिर वह किसी भी खतरे का सामना करने और कहीं भी जाने के लिए हर वक्त तैयार रहते थे.

2018 में दानिश को मिला पुलित्जर अवार्ड

भारतीय फोटो पत्रकार दानिश अंतिम सांस तक तसवीरों के जरिए दुनिया को अफगानिस्तान के हालातों से रूबरू कराते रहे. अब दानिश हमारे बीच नहीं हैं, मगर उन के काम हमारे बीच हमेशा जिंदा रहेंगे.

उन की तसवीरें बोलती थीं, यही वजह है कि दानिश सिद्दीकी को उन के बेहतरीन काम के लिए पत्रकारिता का प्रतिष्ठित पुलित्जर अवार्ड भी मिला था.

दानिश सिद्दीकी ने रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को अपनी तसवीरों से दिखाया था और ये तसवीर उन तसवीरों में शामिल हैं, जिस की वजह से उन्हें 2018 में पुलित्जर अवार्ड मिला था.

दानिश सिद्दीकी अपनी तसवीरों के जरिए आम आदमी की भावनाओं को सामने लाते थे. वह इन दिनों भारत में रायटर्स की फोटो टीम के हैड थे.

कोरोना काल की वह तसवीर किसे याद नहीं होगी, जब लोग लौकडाउन में अपने घरों की ओर भागने लगे थे. तब हाथ में कपड़ों की पोटली और कंधों पर बच्चे को लादे लोगों की तसवीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं. ऐसी तमाम दर्दनाक तसवीरें दानिश ने ही अपने कैमरे में कैद की थीं और प्रवासी मजदूरों की व्यथा को देशदुनिया के सामने लाए थे.

दानिश की उस वायरल तसवीर को भी कोई नहीं भूला होगा, जब  12 सितंबर, 2018 को उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में एक चिडि़याघर का दौरा करते हुए महिला सैनिक आइसक्रीम खाते हुए कैमरे में कैद हुई थी.

दानिश सिद्दीकी ने अपने करियर के दौरान साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप, साल 2016-17 में मोसुल की लड़ाई, रोहिंग्या नरसंहार से पैदा हुए शरणार्थी संकट और हांगकांग को कवर किया.

इस के अलावा साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान भी दानिश सिद्दीकी की तसवीरें खासी चर्चा में रहीं. दिल्ली दंगों के दौरान जामिया के पास गोपाल शर्मा नाम के शख्स की फायरिंग करते हुए तसवीर दानिश सिद्दीकी ने ही ली थी. यह तसवीर उस समय दिल्ली दंगों की सब से चर्चित तसवीरों में से एक थी.

जामिया नगर की गफ्फार मंजिल के रहने वाले दानिश सिद्दीकी के गमजदा परिवार में 17 जुलाई की सुबह से ही मिलनेजुलने वालों और परिचितों के दुख जताने का सिलसिला जारी हो गया. पिता प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी को विश्वास ही नहीं हो रहा कि उन का बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा.

वे बताते हैं कि 2 दिन पहले ही दानिश से उन की फोन पर बातचीत हुई थी. उन्होंने दानिश से अपनी सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए कहा तो दानिश ने कहा था कि वे फिक्र न करें अफगानी आर्म्ड फोर्स उन्हें पूरी सुरक्षा दे रही है. अविश्वसनीय भाव से बेटे की तसवीर को निहारते प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी की आंखों से आंसू टपक रहे थे.

अफगानी फोर्स की थी सुरक्षा

दूसरी तरफ दानिश की तालिबानी हमले में मौत के बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने यूएनएससी की बैठक में कहा कि भारत अफगानिस्तान में पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या की कड़ी निंदा करता है.

साथ ही सशस्त्र संघर्ष के हालात में मानवीय कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा पर गंभीर चिंता व्यक्त भी की है. भारत में अधिकांश राजनेताओं ने दानिश की मौत पर दुख व्यक्त किया.

रायटर्स के अध्यक्ष माइकल फ्रिडेनबर्ग और एडिटर इन चीफ एलेसेंड्रा गैलोनी ने भी दानिश सिद्दीकी की हत्या पर शोक जाहिर किया है.

18 जुलाई, 2021 को जब एयर इंडिया के विमान से उन का पार्थिव शरीर भारत लाया गया तो एयरपोर्ट पर उन के पिता ने शव रिसीव किया.

पार्थिव शरीर आने से पहले ही सरकार ने जरूरी इंतजाम किए हुए थे, जिस की वजह से क्लीयरेंस व अन्य किसी चीज में दिक्कत नहीं आई. शव ले कर एंबुलेंस जब जामिया नगर पहुंची तो सड़क के दोनों ओर गमगीन लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

दिल्ली के जामिया नगर के गफ्फार मंजिल इलाके में स्थित उन के घर पर लोगों का तांता लग गया. सभी ने उन की मौत पर शोक व्यक्त किया. रविवार यानी 18 जुलाई की देर रात को उन्हें जामिया के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.

अब फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी भले ही हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन इन की तसवीरें हमेशा उन के साहसिक कार्य की कहानी बयां करती रहेंगी.

 

प्यार में किया बॉर्डर पार : एक अनोखी प्रेम कहानी

कहते हैं प्यार को सीमा में बांध कर नहीं रखा जा सकता. तभी तो पश्चिम बंगाल के रहने वाले जयकांतोचंद्र राय को फेसबुक के जरिए बांग्लादेश की परिमिता से प्यार हो गया. जयकांतो ने बांग्लादेश जा कर उस से विधिविधान से शादी भी कर ली, लेकिन…

पश्चिम बंगाल के जिला नदिया के थाना शांतिपुर के गांव बल्लवपुर के रहने वाले नोलिनीकांत राय के 20 साल के बेटे जयकांतोचंद्र राय ने कालेज में दाखिला ले लिया था. कालेज की पढ़ाई के साथसाथ वह पिता के साथ खेती के काम में हाथ भी बंटा देता था.

नोलिनीकांत के पास खेती की जमीन के अलावा कई तालाब थे, जिन में वह मछली पालन करते थे. मछली पालन से उन्हें अच्छीखासी आमदनी हो रही थी, इसलिए उन्हें किसी बात की चिंता नहीं थी. साधनसंपन्न होने की वजह से गांव में भी रह कर वह सुख की जिंदगी जी रहे थे.

जयकांतो उन का इकलौता बेटा था, इसलिए उन के पास इतना कुछ था कि उन के बेटे को कहीं बाहर जाने की जरूरत ही नहीं थी. जब वह घर में रहता तो स्मार्टफोन में लगा रहता. यह फोन उस के पिता ने कालेज में दाखिला लेने के बाद दिया था.

फोन हाथ में आते ही जयकांतो सोशल मीडिया पर ऐक्टिव हो गया था.

जयकांतो ज्यादातर उन्हीं लड़कियों को फेसबुक पर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था, जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली होती थीं. इस के अलावा वह बांग्लादेश की भी उन लड़कियों को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था, जो उस की किसी फ्रैंड की कौमन फ्रैंड होतीं. रिक्वेस्ट कंफर्म होने बाद वह उन से मैसेंजर द्वारा चैटिंग (मैसेज द्वारा बातचीत) करने की कोशिश करता.

20-21 साल का लड़का किसी हमउम्र लड़की से घरपरिवार की बात तो करेगा नहीं, वह जो बातें करता था, वह ज्यादातर लड़कियों को पसंद नहीं आती थीं. तब वे उसे ब्लौक कर देतीं.

जयकांतो को ऐसी लड़कियों से बड़ी चिढ़ और कोफ्त भी होती थी कि ये कैसी लड़कियां हैं, जो उस के दिल की बात नहीं समझतीं.

फेसबुक पर अब तक के अनुभव के बाद जयकांतो अब मैसेंजर पर अपने मन की बात नहीं, बल्कि जो बात लड़कियों को अच्छी लगती थीं, उस तरह की बातें करने लगा. इस का नतीजा यह निकला कि लड़कियां जवाब भले न देतीं, पर उसे ब्लौक नहीं करती थीं.

जयकांतो की इस तरह की तमाम लड़कियों और महिलाओं से बातचीत भी होती थी, जो मैसेंजर पर अश्लील बातचीत करने के साथसाथ अश्लील फोटो और वीडियो भेजती थीं. लेकिन इस में दिक्कत यह होती है कि इस तरह के लड़कियों और महिलाओं की दोस्ती टिकाऊ नहीं होती. 2-4 दिन बातचीत कर के वे दोस्ती खत्म कर देती थीं.

जयकांतो अब इस तरह के दोस्तों से ऊब गया था. वह कोई ऐसी दोस्त चाहता था, जो उस से सिर्फ प्यार की बातें करे. पर काफी प्रयास के बाद भी इस तरह की कोई दोस्त नहीं मिल रही थी.

बौर्डर के उस पार मिला दिल

जयकांतो की गांव या कालेज में भी कोई इस तरह की दोस्त नहीं थी, जो अपने दिल की बात उस से कहती और उस के दिल की बात सुनती.

उस ने बहुत लड़कियों से अपने दिल की बात कहने की कोशिश की थी, पर किसी ने भी उस के दिल की बात नहीं सुनी थी. जिस से भी उस ने दिल की बात कहने की कोशिश की, उस ने हंसी में उड़ा दिया था. फिर भी जयकांतो निराश नहीं हुआ. वह कोशिश करता रहा.

आखिर उस की कोशिश रंग लाई और उस की दोस्ती एक ऐसी लड़की से हो गई, जो उस के दिल की बात सुनने को तैयार हो गई. वह लड़की परिमिता बांग्लादेश के थाना नेरेल की रहने वाली थी. उस समय उस की उम्र मात्र 15 साल थी और जयकांतो की 20 साल.

उस मासूम को जयकांतो की बातें पसंद आने लगी थीं. जयकांतो उस से जो भी पूछता, वह खुशीखुशी उस की बातों का जवाब देती थी. ऐसे में ही एक दिन जयकांतो ने मैसेज कर के उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा कोई बौयफ्रैंड भी है?’’

‘‘अभी तो नहीं है, पर अब बनाने की सोच रही हूं.’’ परिमिता ने मैसेज कर के जवाब दिया.

‘‘कौन है वह भाग्यशाली, जिसे तुम्हारा बौयफ्रैंड बनने का मौका मिल रहा है?’’ जयकांतो ने पूछा.

‘‘कोई भी हो सकता है. तुम भी हो सकते हो. क्यों तुम मेरे बौयफ्रैंड बनने लायक नहीं क्या?’’ परिमिता ने पूछा.

‘‘मैं इतना भाग्यशाली कहां, जो तुम जैसी लड़की मुझे अपना बौयफ्रैंड बनाए. अगर ऐसा हो जाए तो मैं खुद को बड़ा ही खुशनसीब समझूंगा.’’ आह सी भरते हुए जयकांतो ने जवाब भेजा.

‘‘अगर मैं कहूं कि मैं तुम्हें ही अपना बौयफ्रैंड बनाना चाहती हूं तो..’’

‘‘यह तो मेरा बड़ा सौभाग्य होगा,’’ जयकांतो ने जवाब दिया, ‘‘तुम्हारे इस मैसेज से मैं मारे खुशी के फूला नहीं समा रहा हूं.’’

‘‘एक बात बताऊं?’’ परिमिता ने मैसेज किया.

‘‘बताओ,’’ जयकांतो ने मैसेज द्वारा पूछा.

‘‘जितना तुम खुश हो, उस से कहीं ज्यादा मैं खुश हूं तुम्हें बौयफ्रैंड बना कर.’’

‘‘सच?’’

‘‘अब कसम खाऊं तब विश्वास करोगे क्या?’’ परिमिता ने यह मैसेज भेज कर अपनी दोस्ती का विश्वास दिला दिया.

इस के बाद दोनों में पक्की दोस्ती हो गई. अब दोनों एकदूसरे से अपनेअपने दिल की बात कहनेसुनने लगे. धीरेधीरे उन का बात करने का समय बढ़ता गया तो उन के दिलों में  एकदूसरे के लिए जगह बनने लगी.

दोनों ही एकदूसरे से बात करने के लिए बेचैन रहने लगे. बेचैनी ज्यादा बढ़ने लगी तो एक दिन जयकांतो ने परिमिता को मैसेज किया, ‘‘परिमिता, मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं. पर डरता हूं कि कहीं तुम नाराज न हो जाओ?’’

‘‘मुझे पता है तुम क्या कहना चाहते हो. लड़के इस तरह की बात तभी करते हैं, जब उन्हें अपने प्यार का इजहार करना होता है. तुम यही कहना चाहते होगे. परिमिता ने मैसेज किया.

प्यार का हुआ इजहार

‘‘बात तो तुम्हारी सच है परिमिता. मैं कहना तो यही चाहता था. पर तुम्हें कैसे पता चला कि मैं प्यार का इजहार करने वाला हूं?’’ जयकांतो ने पूछा.

‘‘और कोई ऐसी बात हो ही नहीं सकती, जिसे सुन कर नाराज होने वाली होती. रही प्यार की बात तो उस में भी क्यों नाराज होना. मरजी की बात है. मन हो तो हां कर दो, वरना मना कर दो. फिर तुम तो वैसे भी मेरे बौयफ्रैंड हो, फ्रैंड की बात पर तो कोई नाराज नहीं होता.’’ परिमिता ने जवाब में मैसेज भेजा.

‘‘तो फिर मैं हां समझूं?’’ एक बार फिर जयकांतो ने पूछा.

‘‘अब किस तरह कहूं. कसम खानी होगी क्या?’’

‘‘मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि तुम ने हां कर दिया है.’’ जयकांतो ने कहा.

‘‘विश्वास करो जयकांतो, मैं भी तुम्हें प्यार करती हूं. मैं तो कब से इंतजार कर रही थी तुम्हारे इस इजहार का. अगर तुम से प्यार न कर रही होती तो तुम्हारे पीछे अपना इतना समय क्यों बरबाद करती.’’

परिमिता के इस जवाब से जयकांतो बहुत खुश हुआ. इसी बात के लिए तो वह कब से राह देख था. न जाने कितनी लड़कियों की गालियां सुनी थीं, उपेक्षा और तिरस्कार सहा था.

आज कितने दिनों बाद उस का सपना पूरा हुआ था. यही शब्द सुनने के लिए उस ने अपना कितना समय बरबाद किया था.

परिमिता द्वारा प्यार स्वीकार कर लेने पर अब जयकांतो फूला नहीं समा रहा था. भले ही परिमिता सीमा पार की रहने वाली थी, पर जयकांतो को इस बात की खुशी थी कि कोई तो है इस संसार में जो उसे प्यार करती है. इस की वजह यह थी कि सोशल मीडिया पर न तो कोई दोस्त होता है और न कोई प्यार करने वाला.

प्यार हो भी कैसे सकता है. जिसे कभी देखा नहीं, जिस के बारे में कुछ जानते नहीं, उस ने फेसबुक पर जो अपने बारे में जानकारी दी है, वह गलत है या सही, ऐसे आदमी से दोस्ती या प्यार कैसे हो सकता है.

फेसबुक के दोस्त सिर्फ कहने के दोस्त हो सकते हैं. इन में न कोई भावनात्मक लगाव होता है और न किसी तरह की संवेदना होती है.

ऐसे में अगर जयकांतो को कोई प्यार करने वाली मिल गई थी तो वह सचमुच भाग्यशाली था. भले ही वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी.

जब जयकांतो और परिमिता एकदूसरे को प्यार करने लगे तो दोनों ही एकदूसरे को ज्यादा से ज्यादा समय देने लगे. जो परिमिता कभी अपना नंबर जयकांतो को देने को तैयार नहीं थी, प्यार होने के बाद उस ने तुरंत अपना नंबर जयकांतो को दे दिया था. फिर तो दोनों में लंबीलंबी बातें भी होने लगीं.

अब तक जयकांतो और परिमिता को फेसबुक द्वारा संपर्क में आए करीब 2 साल बीत चुके थे. प्यार की बात कहने में उन्हें 2 साल लग गए थे. लेकिन मनमाफिक परिणाम मिलने से उन्हें इस बात का जरा भी गम नहीं था कि उन का इतना समय बरबाद हो गया.

दोनों के घर वाले हुए राजी

बेटे को हर समय फोन पर लगे देख कर नोलिनीकांत सोचने लगे कि आखिर बेटा फोन में इतना क्यों लगा रहता है. ऐसा कोई रिश्तेदार भी नहीं है, जिस से वह इतनी लंबीलंबी बातें करे. जितनी लंबीलंबी बातें जयकांतो करता था, कोई भी बाप सोचने को मजबूर हो जाता.

कई बार उन्होंने उसे रात में भी किसी से बातें करते सुना था. उन से नहीं रहा गया तो एक दिन उन्होंने टोक दिया. बाप के पूछने पर जयकांतो ने भी कुछ छिपाया नहीं और अपने तथा परिमिता के प्यार की पूरी कहानी बता कर कह दिया कि वह उस से शादी करना चाहता है.

नोलिनीकांत को बेटे की शादी परिमिता से करने में कोई ऐतराज नहीं था. वह इस के लिए तैयार भी थे, पर परेशानी की बात यह थी कि वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी.

उस से शादी करने के लिए उन्हें बहुत झमेला करना पड़ता. पासपोर्ट बनवाना पड़ता, वीजा लगवाना पड़ता, इसलिए उन्होंने बेटे को समझाया कि जब यहीं तमाम लड़कियां हैं तो बांग्लादेश की लड़की के झमेले में वह क्यों पड़ रहा है.

पर जयकांतो ने तो परिमिता से सच्चा प्यार किया था, इसलिए उस ने बाप से साफ कह दिया कि वह शादी करेगा तो परिमिता से ही करेगा, वरना शादी नहीं करेगा. इस के लिए उसे कुछ भी करना पड़े.

नोलिनीकांत मजबूर हो गए. ऐसा ही कुछ हाल परिमिता का भी था. वह भी जयकांतो के अलावा किसी और से विवाह करने को राजी नहीं थी. बात जब दोनों के घर वालों की जानकारी में आई तो उन्होंने आपस में भी बात की. इस मामले को कैसे हल किया जाए, अब वे इस बात पर विचार करने लगे.

परिमिता के घर वालों का कहना था कि जयकांतो अकेला ही बांग्लादेश आ जाए, वे बेटी की शादी उस के साथ कर देंगे. उस के बाद जयकांतो दुलहन ले कर लौट जाएगा. नोलिनीकांत ने जब इस बात की चर्चा अपने कुछ दोस्तों से की तो सब ने यही सलाह दी कि दस्तावेज तैयार कराने के झमेले में वह न पड़े.

रोजाना न जाने कितने लोग अवैध रूप से सीमा पार से इस पार आते हैं तो न जाने कितने लोग उस पार जाते हैं. उसी तरह किसी दलाल से बात कर के जयकांतो को सीमा पार करा दिया जाए. वह वहां शादी कर के उसी तरह दलाल के माध्यम से पत्नी के साथ सीमा पार कर के आ जाएगा.

बांग्लादेश में हो गई शादी

नोलिनीकांत को यह रास्ता ठीक लगा. वह अप्पू नामक एक दलाल से मिला तो सीमा पार कराने के लिए उस ने 10 हजार रुपए मांगे. जयकांतो को परिमिता से मिलने के लिए इतनी रकम ज्यादा नहीं लगी. 10 हजार रुपए अप्पू को दे कर जयकांतो 8 मार्च, 2021 को सीमा पार परिमिता के घर पहुंच गया.

परिमिता के घर वाले शादी के लिए तैयार थे ही. उन्होंने शादी की पूरी तैयारी कर रखी थी. 10 मार्च को उन्होंने परिमिता का ब्याह जयकांतो से करा दिया.

ब्याह के बाद जयकांतो कुछ दिन ससुराल में रुका रहा. लेकिन कितने दिन वह ससुराल में पड़ा रहता. उसे घर तो आना ही था. वह जिस तरह चोरीछिपे से सीमा पार कर के बांग्लादेश गया था, अब उसी तरह चोरी से ही उसे बांग्लादेश से भारत आना था.

इस के लिए उस ने वहां दलाल की तलाश की तो उस की मुलाकात राजू मंडल से हुई. उस ने सीमा पार कराने के लिए 10 हजार बांग्लादेशी टका मांगे. जयकांतो राजू मंडल को यह रकम दे कर 26 जून, 2021 को भारत की सीमा में घुस रहा था कि बीएसएफ (बौर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी सीमा सुरक्षा बल) ने दोनों को पकड़ लिया.

दरअसल, बीएसएफ की खुफिया शाखा ने मधुपुरा सीमा पर तैनात जवानों को सूचना दी कि कुछ लोग बांग्लादेश की ओर से भारत की सीमा में घुस रहे हैं. इसी सूचना के आधार पर बीएसएफ के जवानों ने शाम करीब 4 बजे जयकांतो और परिमिता को भारतबांग्लादेश की सीमा पर गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में जयकांतो और परिमिता ने फेसबुक द्वारा होने वाले अपने प्यार से ले कर विवाह तक की पूरी कहानी सुना दी.

जयकांतो ने अपनी पहचान बताने के साथ अपने भारतीय होने के सारे साक्ष्य भी उपलब्ध करा दिए. लेकिन उस की पत्नी परिमिता तो बांग्लादेश की रहने वाली थी.

विस्तृत पूछताछ के लिए दोनों को मधुपुरा चौकी लाया गया, जहां बीएसएफ की इंटेलिजेंस शाखा के कमांडिंग औफिसर संजय प्रसाद सिंह ने दोनों से विस्तार से पूछताछ की.

दरअसल, अकसर लोग प्यार या विवाह के नाम पर बांग्लादेश की मासूम लड़कियों को फंसा कर देहव्यापार के दलदल में धकेल देते हैं.

इस तरह की मानव तस्करी को रोकने के लिए दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने बौर्डर पर एंटी ट्रैफिकिंग रैकेट तैनात किया है. बीएसएफ ऐसे मामलों में हर तरह से जांच करती है, जिस से किसी गरीब मासूम का शोषण न हो सके.

पूछताछ के बाद बीएसएफ ने जयकांतो और परिमिता को कानूनी कररवाई के लिए थाना भीमपुर पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने भी दोनों से विस्तारपूर्वक पूछताछ की. उस के बाद दोनों को अदालत में पेश किया गया.

अदालत से जयकांतो को तो जमानत मिल गई, पर परिमिता को नारी निकेतन भेज दिया गया. अब दोनों को एक होने के लिए एक बार फिर संघर्ष करना पड़ेगा. लेकिन जहां प्यार है, वहां कुछ भी संभव है. परिमिता भारत आ गई है तो जयकांतो की हो कर रहेगी.

बेखौफ गैंग्स्टर : 2 पुलिस अफसरों की हत्या

फिरोजपुर निवासी कुख्यात बदमाश जयपाल भुल्लर ने जगराओं में 2 पुलिस अधिकारियों की हत्या कर अपने आतंक का रौब दिखाने की कोशिश की थी. इस घटना ने पंजाब पुलिस के 4 सालों में 3300 से ज्यादा गैंगस्टरों को गिरफ्तार करने के दावे पर सवालिया निशान लगा दिया है.

पंजाब का लुधियाना शहर हौजरी और गर्म कपड़ों के थोक व्यापार के लिए पूरे भारत में जाना जाता है. लुधियाना और उस के आसपास गर्म कपड़े बनाने के सैकड़ों छोटेबड़े उद्योग हैं. हर साल सर्दियों की शुरुआत से पहले ही खरीदारी के लिए यहां देश भर के व्यापारी आते हैं. इसी लुधियाना शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर एक शहर जगराओं है.

इसी साल 15 मई की बात है. पुलिस के सीआईए स्टाफ के एएसआई दलविंदर सिंह और भगवान सिंह को शाम को करीब 6 बजे सूचना मिली कि जगराओं की नई दाना मंडी में एक ट्र्रक में नशे की बड़ी खेप आई है. इस सूचना पर दोनों एएसआई एक होमगार्ड जवान राजविंदर के साथ अपनी निजी स्विफ्ट कार से मौके पर रवाना हो गए.

15-20 मिनट बाद जब वह वहां पहुंचे तो उन्होंने वहां एक कैंटर ट्र्रक खड़ा देखा. पुलिस वाले अपनी गाड़ी एक तरफ साइड में खड़ी कर उस ट्र्रक के पास पहुंचे और आसपास खड़े लोगों से पूछताछ करने लगे.

वहां मौजूद लोगों से उन्हें कुछ पता नहीं चला, तो एएसआई भगवान सिंह ट्र्रक में आगे बने ड्राइवर केबिन में चढ़ गए. भगवान सिंह ने ट्र्रक में ड्राइविंग सीट पर बैठे शख्स को पहचान लिया. उसे देखते ही बोले, ‘‘ओए पुत्तर, तू तो जयपाल भुल्लर है.’’

वह शख्स भी भगवान सिंह की बात सुन कर समझ गया कि यह पुलिसवाला है. उस ने फुरती से अपने कपड़ों में से पिस्तौल निकाली और उस की कनपटी पर गोलियां मार दीं. गोलियां लगने से भगवान सिंह ट्र्रक से नीचे गिर गए. उन के सिर से खून बह निकला. गोली की आवाज सुन कर ट्र्रक के पास खड़े दूसरे एएसआई दलविंदर सिंह तेजी से ट्र्रक में चढ़ने लगे, तो पास में खड़ी एक आई-10 कार में सवार कुछ लोग बाहर निकल आए.

वे लोग उन पुलिस वालों से मारपीट करने लगे. मारपीट के दौरान एक शख्स ने दलविंदर सिंह को भी गोली मार दी. गोली लगने से वह भी लहूलुहान हो गए. इस के बाद भी बदमाश नहीं रुके बल्कि दलविंदर और होमगार्ड जवान राजविंदर सिंह से मारपीट करते रहे. राजविंदर जैसेतैसे बदमाशों से अपनी जान बचा कर भाग निकला.

जब यह घटनाक्रम चल रहा था तो मंडी में कुछ युवक क्रिकेट खेल रहे थे. उन युवकों ने गोलियां चलने की आवाज सुनी तो वे वीडियो बनाने लगे और बदमाशों को पकड़ने के लिए दौड़े. इस पर बदमाशों ने गोलियां चला कर उन युवकों को धमकाया.

उन युवकों के डर कर रुक जाने पर बदमाशों ने ट्र्रक से सामान निकाल कर अपनी आई-10 कार में रखा. इस के बाद बदमाशों ने वहां लहूलुहान पड़े पुलिस के दोनों अधिकारियों की पिस्तौलें निकालीं और उस ट्र्रक व कार में सवार हो कर भाग गए.

पुलिस के दोनों एएसआई गोलियां लगने से तड़प रहे थे. बदमाशों के भागने के बाद वहां लोगों की भीड़ जुट गई. पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस ने घायल पड़े दोनों एएसआई को अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया.

सरेआम दिनदहाड़े पुलिस के 2 अधिकारियों की गोलियां मार कर हत्या कर देने की घटना से पूरे शहर और आसपास के इलाकों में सनसनी फैल गई. अफसरों ने पहुंच कर मौकामुआयना किया. जांच शुरू कर दी गई. बदमाशों की तलाश में शहर के सभी रास्तों पर नाके लगा दिए. पूरे पंजाब में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया.

बदमाशों की तलाश में भागदौड़ कर रही पुलिस को कुछ ही देर बाद मोगा रोड पर एक ढाबे के बाहर वह ट्र्रक खड़ा मिल गया, जिसे बदमाश भगा ले गए थे. ट्र्रक में अफीम और चिट्टा बरामद हुआ. ट्र्रक के पिछले हिस्से में तलाशी के दौरान पुलिस को कई ब्रांडेड कपड़े मिले. इस से यह अंदाज लगाया गया कि ट्र्रक में कई लोग सवार थे. पुलिस ने वह ट्र्रक जब्त कर लिया.

ट्र्रक के नंबर की जांचपड़ताल की, तो वह फरजी निकला. यह नंबर फरीदकोट के एक जमींदार की मर्सिडीज कार का निकला. जांच में पता चला कि यह ट्र्रक मोगा के गांव धल्ले के रहने वाले एक शख्स के नाम पर था. उस ने ट्र्रक दूसरे को बेच दिया. इस के बाद भी यह ट्र्रक 2 बार आगे बिकता रहा.

पुलिस अधिकारियों ने बदमाशों के चंगुल से जान बचा कर भागे होमगार्ड जवान राजविंदर सिंह से पूछताछ की तो पता चला कि ड्रग्स की सूचना पर वे मौके पर गए थे. वहां ट्र्रक की चैकिंग के दौरान एएसआई भगवान सिंह ने जयपाल भुल्लर को पहचान लिया था. इस पर जयपाल ने उसे गोलियां मार दी थीं.

बाद में एएसआई दलविंदर आगे बढ़े तो जयपाल के साथी बदमाशों ने उन पर भी गोलियां चला दीं. होमगार्ड जवान राजविंदर सिंह के परचा बयान पर पुलिस ने जयपाल भुल्लर और उस के साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

दूसरे दिन पुलिस ने दोनों शहीद एएसआई भगवान सिंह और दलविंदर सिंह के शवों का पोस्टमार्टम कराया. इस के बाद शव उन के घरवालों को सौंप दिए. दलविंदर का शव उन के घर वाले अपने पैतृक गांव तरनतारन ले गए.

भगवान सिंह का अंतिम संस्कार जगराओं में शेरपुरा रोड पर राजकीय सम्मान से किया गया. उन के 11 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी. भगवान सिंह के अंतिम संस्कार में डीजीपी (रेलवे) संजीव कालड़ा, आईजी नौनिहाल सिंह, डीसी वरिंदर शर्मा आदि मौजूद रहे. डीजीपी ने ट्वीट कर दोनों शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार वालों को एकएक करोड़ रुपए और आश्रित को नौकरी देने का ऐलान किया.

पुलिस ने जांचपड़ताल के लिए मौके के आसपास और बदमाशों के भागने के रास्तों की सीसीटीवी फुटेज देखी. इन से साफ हो गया कि दोनों पुलिसकर्मियों की हत्या कुख्यात गैंगस्टर जयपाल भुल्लर और उस के साथियों ने की थी.

पुलिस ने जयपाल के 3 साथियों की पहचान खरड़ निवासी जसप्रीत सिंह जस्सी, लुधियाना के सहोली निवासी दर्शन सिंह और मोगा के माहला खुर्द निवासी बलजिंदर सिंह उर्फ बब्बी के रूप में की.

हमलावरों पर किया ईनाम घोषित

जगराओं पुलिस ने इन चारों के पोस्टर जारी कर ईनाम भी घोषित कर दिया. पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने जयपाल पर 10 लाख रुपए, बलजिंदर सिंह उर्फ बब्बी पर 5 लाख रुपए, जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी और दर्शन सिंह पर 2-2 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया.

जयपाल भुल्लर का नाम पंजाब पुलिस के लिए नया नहीं है. पुलिस का हर नयापुराना मुलाजिम उस के नाम से परिचित है. जयपाल पर हत्या, अपहरण, डकैती, तसकरी, फिरौती आदि संगीन अपराधों के 45 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. बलजिंदर उर्फ बब्बी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज है. जस्सी और दर्शन कुख्यात तसकर हैं. जयपाल पंजाब सहित कई राज्यों का मोस्टवांटेड अपराधी है.

जयपाल का दोनों एएसआई की हत्या की वारदात से 5 दिन पहले ही पुलिस से आमनासामना हुआ था. 10 मई को लुधियाना के दोराहा में जीटी रोड पर नाकेबंदी के दौरान पुलिस ने कार में सवार 2 युवकों को रोका था. चैकिंग के दौरान बहसबाजी होने पर दोनों युवकों ने वहां तैनात एएसआई सुखदेव सिंह और हवलदार सुखजीत सिंह को हमला कर घायल कर दिया था. बाद में दोनों युवक कार से भाग गए थे.

हुलिया बदलने में माहिर था जयपाल

भागते समय ये युवक एएसआई सुखदेव सिंह से पिस्तौल भी छीन ले गए थे. पुलिस वालों से मारपीट करने वाले दोनों युवक करीब 25-30 साल के पगड़ीधारी सिख थे. उन्होंने सफेद कुरतापायजामा पहन रखा था. हाथापाई के दौरान एक युवक का पर्स गिर गया था. इस पर्स में गुरप्रीत सिंह के नाम से ड्राइविंग लाइसैंस मिला था.

पुलिस को बाद में जांच में पता चला कि इस घटना में हमलावरों में एक युवक जयपाल था. पर्स भी उसी का गिरा था. पर्स में मिले ड्राइविंग लाइसैंस पर फोटो जयपाल की लगी थी, लेकिन फरजी नाम गुरप्रीत सिंह लिखा हुआ था.

खास बात यह थी कि जगराओं में दोनों एएसआई की हत्या की वारदात के वक्त जयपाल क्लीन शेव था. यानी उस ने 5 दिन में ही अपना हुलिया बदल लिया था. वह बारबार हुलिया बदल कर ही पुलिस को चकमा देता रहता था.

पुलिस ने जयपाल और उस के साथियों की तलाश में छापे मारे, तो पता चला कि गैंगस्टर जयपाल भुल्लर जोधां के गांव सहोली में अपने साथी कुख्यात तसकर दर्शन सिंह के खेतों में पिछले डेढ़ महीने से रहा था. दोराहा नाके पर हुई घटना से पहले वह केशधारी सरदार के रूप में रहता था. बाद में उस ने अपना रूप बदल कर चेहरा क्लीन शेव कर लिया.

जयपाल की तलाश में पुलिस ने सर्च अभियान शुरू किया. पुलिस को इनपुट मिले थे कि वारदात से पहले और बाद में जयपाल लुधियाना के आसपास के गांवों में आताजाता रहा है. इन गांवों में उस के ठिकाने हैं.

इसे देखते हुए 17 मई को एडिशनल डीपीसी जसकिरणजीत सिंह तेजा, एसीपी जश्नदीप सिंह और डेहलो थानाप्रभारी सुखदेह सिंह बराड़ के नेतृत्व में पुलिस ने करीब डेढ़ दरजन गांवों में एकएक घर की तलाशी ली. इस दौरान किराएदारों का भी रिकौर्ड जुटाया गया.

दूसरी ओर, कुछ सूचनाओं के आधार पर लुधियाना और जगराओं पुलिस ने चंडीगढ़ में छापे मारे. इन छापों में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया. इन लोगों से पता चला कि जयपाल फरजी ड्राइविंग लाइसैंस दिखा कर कई महीने तक चंडीगढ़ में एक एनआरआई के मकान में किराए पर भी रहा था.

जयपाल के छिपने के ठिकानों का पता लगाने के लिए पुलिस की आर्गनाइज्ड क्राइम कंट्र्रोल यूनिट (ओक्कू) टीम ने उस के भाई अमृतपाल को बठिंडा जेल से प्रोडक्शन वारंट पर हासिल किया. उस से पूछताछ की, लेकिन कोई पते की बात मालूम नहीं हो सकी. बाद में पुलिस ने उसे वापस जेल भेज दिया.

बदमाशों की तलाश में पुलिस ने लुधियाना, अमृतसर और मालेरकोटला सहित कई शहरों में छापे मारे और कई लोगों से पूछताछ की. विभिन्न जेलों में बंद जयपाल के साथियों से भी पूछताछ की.

इन में पता चला कि दोनों पुलिस मुलाजिमों की हत्या की वारदात तक जयपाल करीब 6 महीने से जगराओं के गांव कोठे बग्गू में किराए के मकान में रह रहा था. वह इसी मकान से नशीले पदार्थों की तसकरी का धंधा चला रहा था.

पुलिस ने 19 मई, 2021 को जयपाल के साथी ईनामी बदमाश दर्शन सिंह के मकान की तलाशी ली. इस में जिम की एक किट बरामद हुई. इस किट में हथियार और 300 कारतूस मिले.

इस के अलावा अलगअलग वाहनों की 8-10 आरसी भी मिलीं. ये आरसी उन वाहनों की थीं, जो हाईवे पर लूटे या चोरी किए गए थे. पुलिस ने दर्शन सिंह की पत्नी सतपाल कौर को हिरासत में ले कर उस से पूछताछ की.

8 राज्यों की पुलिस जुटी तलाश में

पुलिस ने पंजाब और राजस्थान के उस के छिपने के संभावित ठिकानों पर भी छापे मारे. इस के अलावा ओक्कू टीम ने जयपाल के साथी गगनदीप जज को बठिंडा जेल से प्रोडक्शन वारंट पर हासिल किया.

गगनदीप ने जयपाल के साथ मिल कर फरवरी 2020 में लुधियाना में एक कंपनी से 32 किलोग्राम सोना लूटा था. गगनदीप को जयपाल के लगभग हर राज पता थे. इसी उम्मीद में उस से पूछताछ की गई, लेकिन पुलिस उस से भी कुछ नहीं उगलवा सकी. गगन से मिली कुछ जानकारियों के आधार पर पुलिस ने जयपाल की तलाश में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के 8-10 गांवों में छापे मारे, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.

2 पुलिसकर्मियों की हत्या की वारदात के एक सप्ताह बाद भी जयपाल और उस के साथियों का कोई सुराग नहीं मिलने पर पंजाब पुलिस ने अन्य राज्यों की पुलिस से संपर्क किया. इस के बाद 8 राज्यों की पुलिस की कोऔर्डिनेशन टीम बनाई गई. इस में पंजाब के अलावा हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनिंदा पुलिस अफसरों को शामिल किया गया.

जयपाल के साथ फरार उस के साथी खरड़ निवासी जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी की पत्नी लवप्रीत कौर को मोहाली की सोहाना थाना पुलिस ने 20 मई को गिरफ्तार कर लिया. मोहाली में पूर्वा अपार्टमेंट में उस के फ्लैट से करीब 8 बैंकों की पासबुक और दूसरे अहम दस्तावेज मिले. पुलिस ने बैंकों से स्टेटमेंट निकलवाई, तो पता चला कि इन खातों में करोड़ों रुपए का लेनदेन हो रहा था.

कहा जाता है कि लवप्रीत इस फ्लैट में अकेली रहती थी जबकि उस की ससुराल खरड़ गांव में है.

लोगों को गुमराह करने के लिए जसप्रीत उस से अलग रहता था, लेकिन असल में उस का पत्नी लवप्रीत से लगातार संपर्क था. वह इसी फ्लैट में आ कर पत्नी से मिलता था.

लगातार चल रहे तलाशी अभियान के दौरान पुलिस ने जयपाल को शरण देने और उस की मदद करने वाले 5 लोगों को 21 मई को गिरफ्तार कर लिया. इन से कई हथियार और कारतूसों के अलावा 29 वाहनों की फरजी आरसी, 8 खाली आरसी कार्ड, टेलीस्कोप, पंप एक्शन गन आदि भी बरामद हुए.

गिरफ्तार आरोपियों में कैंटर मालिक मोगा के गांव धल्ले का रहने वाला गुरुप्रीत सिंह उर्फ लक्की और उस की पत्नी रमनदीप कौर, दर्शन सिंह का दोस्त सहोली गांव निवासी गगनदीप सिंह, जगराओं के आत्मनगर का रहने वाला जसप्रीत सिंह और सहोली गांव के रहने वाले नानक चंद धोलू शामिल रहे.

इन से पूछताछ में पता चला कि जयपाल और उस के साथी गाडि़यां लूटने और चोरी करने के बाद उन की फरजी आरसी और नंबर प्लेट तैयार करते थे. फरजी आरसी तैयार करने के लिए उन्होंने एक माइक्रो मशीन ले रखी थी.

पूछताछ के बाद पुलिस ने जयपाल और जसप्रीत सिंह के सोशल मीडिया अकाउंट ब्लौक करवा दिए. पता चला था कि ये बदमाश अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए युवाओं को जोड़ते और गैंग में शामिल होने के लिए तैयार करते थे.

फिरोजपुर निवासी जयपाल भुल्लर पंजाब ही नहीं कई राज्यों में खौफ का पर्यायवाची नाम है. जिस जयपाल के पीछे 8 राज्यों की पुलिस लगी हुई थी, उस जयपाल के पिता भूपिंदर सिंह पंजाब पुलिस में इंसपेक्टर थे. कहा जाता है कि पिता के कारण ही जयपाल के पुलिस महकमे में कई मुलाजिम अच्छे जानकार हैं. इसलिए वह पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहता था.

पुलिस को जांच में यह भी पता लग गया था कि इस वारदात में जयपाल और उस का साथी जस्सी शामिल था. इसी का नतीजा रहा कि जयपाल ने 5 दिन बाद ही 15 मई को जगराओं में 2 एएसआई को मौत की नींद सुला दिया.

बदमाश दर्शन सिंह कुख्यात तसकर है. उस के खिलाफ भी कई मामले दर्ज हैं. उस के नजदीकी रिश्तेदार पंजाब पुलिस में एसपी के पद पर हैं. दर्शन सिंह जेल भी जा चुका है.

करीब 5 साल पहले हत्या के मामले में अच्छा चालचलन बता कर लुधियाना की ब्रोस्टल जेल से 2 साल 4 महीने की उस की सजा माफ कर दी गई थी. जेल से बाहर आने के बाद वह जयपाल के साथ मिल कर नशा तसकरी और लूटपाट की बड़ी वारदातें करने लगा.

पंजाब पुलिस की ओक्कू टीम ने दोनों एएसआई की हत्या की वारदात में शामिल गैंगस्टर दर्शन सिंह और बलजिंदर सिंह उर्फ बब्बी को 29 मई, 2021 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से गिरफ्तार कर लिया. इन को पनाह देने वाले हरचरण सिंह को भी पकड़ लिया गया है.

अपराध की दुनिया में जयपाल भले ही ऊंची उड़ान भर रहा था, लेकिन उस का हश्र भी वही हुआ, जो ऐसे अपराधियों का होता है. पकड़े गए उस के सहयोगियों से पुलिस को जयपाल का सुराग मिल गया. इस के बाद 9 जून, 2021 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुए एक एनकाउंटर में जयपाल भुल्लर और उस का साथी जसप्रीत जस्सी मारा गया.

ये लोग फरजी नाम से कोलकाता के पास बीरभूम के सिगुरी इलाके के शापूरजी हाउसिंग कौंप्लैक्स में छिपे हुए थे. इन के किराए के इस फ्लैट में लाखों रुपए नकद, आधुनिक हथियार, ड्रग्स के पैकेट, फरजी ड्राइविंग लाइसैंस, पासपोर्ट आदि बरामद हुए. पंजाब पुलिस को जयपाल का सुराग मध्य प्रदेश के एक टोलनाके के सीसीटीवी कैमरों से मिला था. इन बदमाशों के मारे जाने से इन के आतंक का अंत हो गया.

 

ब्यूटी पार्लर: क्वीन का मायाजाल

प्रियंका चौधरी अपनी खूबसूरती और टैलेंट से 2019 में मिसेज इंडिया राजस्थान चुनी गई थी. इस ब्यूटी क्वीन की लाइफ में आखिर ऐसी कौन सी वजह रही, जिस के कारण उसे हनीट्रैप के आरोप में जेल जाना पड़ा?

3 जून, 2021 की बात है. सरिया व्यापारी घासीराम चौधरी जब जयपुर में श्यामनगर थाने पहुंचा, तो उसे गेट पर संतरी खड़ा मिला. उस ने संतरी से पूछा, ‘‘एसएचओ मैडम बैठी हैं क्या?’’

संतरी ने उस पर एक नजर डालते हुए पूछा, ‘‘मैडम से क्या काम है?’’

‘‘भाईसाहब, एक रिपोर्ट दर्ज करानी है, इसलिए मैडम से मिलना है.’’ घासीराम ने संतरी को अपने हाथ में लिए कागज दिखाते हुए कहा.

‘‘मैडम तो अपने औफिस में बैठी हैं. अगर आप को रिपोर्ट लिखानी है तो वहां ड्यूटी औफिसर के पास चले जाओ.’’ संतरी ने हाथ से इशारा करते हुए घासीराम से कहा.

‘‘भाईसाहब, रिपोर्ट लिखाने वहां चला तो जाऊंगा, लेकिन पहले मैं एक बार मैडम से मिलना चाहता हूं.’’ घासीराम ने विनती करते हुए कहा.

‘‘ठीक है, आप की जैसी मरजी. मैडम अपने औफिस में बैठी हैं. जा कर मिल लो.’’ संतरी ने घासीराम को हाथ के इशारे से थानाप्रभारी का कमरा बता दिया.

घासीराम थानाप्रभारी के कमरे के सामने जा कर एक बार ठिठका. फिर गेट खोल कर सीधा उन के कमरे में चला गया. सामने एसएचओ संतरा मीणा किसी फाइल को पढ़ रही थीं. कमरे में आगंतुक की आहट सुन कर उन्होंने सिर उठा कर देखा तो सामने 40-45 साल का एक शख्स खड़ा था.

उन्होंने उस से पूछा, ‘‘बताएं, क्या काम है?’’

‘‘मैडम, मैं बड़ी परेशानी में फंसा हुआ हूं. एक महिला मुझ से नजदीकियां बढ़ा कर लाखों रुपए ऐंठ चुकी है और अब बलात्कार का झूठा मामला दर्ज कराने की धमकी  दे रही है.’’ घासीराम ने खड़ेखड़े ही अपनी व्यथा बताई.

‘‘आप कुरसी पर बैठ जाओ और बताओ कि आप कौन हैं और आप को ब्लैकमेल करने वाली महिला कौन है?’’ मैडम ने अपने हाथ में पकड़ी फाइल को बंद कर मेज पर रखते हुए उस से कहा.

‘‘मैडम, मेरा नाम घासीराम चौधरी है. जयपुर में निर्माण नगर की पार्श्वनाथ कालोनी में रहता हूं और सरियों का व्यापारी हूं.’’ घासीराम ने कुरसी पर बैठते हुए अपना परिचय दिया.

‘‘ठीक है, घासीरामजी, आप के साथ हुआ क्या है, वह बताएं?’’ एसएचओ ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘अगर आप को कोई ब्लैकमेल कर रहा है तो हम काररवाई करेंगे.’’

‘‘मैडम, मैं इसी उम्मीद से आप के पास आया हूं.’’ घासीराम ने चेहरे पर संतोष के भाव ला कर कहा, ‘‘मैडम, परेशानी यह है कि उस महिला का पति आप के पुलिस डिपार्टमेंट में ही हैडकांस्टेबल है. इसलिए मुझे संदेह है कि पुलिस कोई काररवाई करेगी या नहीं?’’

‘‘घासीरामजी, अपराधी कोई भी हो. अपराधी सिर्फ अपराधी होता है. पति के पुलिस डिपार्टमेंट में होने से किसी महिला को अपराध करने की छूट नहीं मिल जाती है.’’ थानाप्रभारी मीणा ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, ‘‘आप के साथ क्या वाकयात पेश आए हैं, तफसील से सारी बात बताओ.’’

थानाप्रभारी के आश्वासन पर घासीराम ने प्रियंका चौधरी से मुलाकात होने और बाद में उस से किसी न किसी बहाने से लाखों रुपए ऐंठने और अब बलात्कार का झूठा मामला दर्ज करवाने की धमकी देने तक की सारी बातें विस्तार से बता दीं.

घासीराम से सारा वाकया सुनने के बाद थानाप्रभारी संतरा मीणा ने उस से कहा, ‘‘आप सारी बातें लिख कर दे दें. हम रिपोर्ट दर्ज कर लेंगे. जांच में जो भी दोषी मिलेगा, उस पर काररवाई होगी.’’

‘‘मैडम, मैं तहरीर लिख कर लाया हूं.’’ घासीराम ने कुछ कागज उन की ओर बढ़ाते हुए कहा.

थानाप्रभारी ने उन कागजों पर सरसरी नजर डाली. फिर घंटी बजा कर अर्दली को बुलाया. अर्दली कमरे में आया, तो उसे वे कागज दे कर कहा, ‘‘इन साहिबान को ड्यूटी औफिसर के पास ले जाओ और ड्यूटी औफिसर से कहना कि यह रिपोर्ट दर्ज कर लें.’’

थानाप्रभारी ने घासीराम को अर्दली के साथ जाने का इशारा किया. घासीराम कुरसी से उठ कर मैडम को धन्यवाद देता हुआ ड्यूटी औफिसर के पास चला गया. पुलिस ने उसी दिन उस की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

घासीराम की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह था कि सन 2016 में प्रियंका चौधरी अपने पति रामधन चौधरी के साथ एक दिन उस के घर आई थी. प्रियंका राजस्थान के टोंक जिले की रहने वाली थी. घासीराम की ससुराल भी टोंक जिले में प्रियंका के गांव के पास ही थी. इसलिए घासीराम की पत्नी सीता उसे पहचान गई. प्रियंका को वह अच्छी तरह जानती थी. शादी होने के बाद सीता जयपुर आ गई थी.

प्रियंका उस दिन जयपुर में पहली बार सीता के घर आई थी. सीता ने अपने पति घासीराम का परिचय प्रियंका से कराते हुए कहा कि यह मेरी छोटी बहन जैसी है. प्रियंका कहां चूकने वाली थी. उस ने घासीराम की ओर मुसकरा कर देखते हुए सीता से कहा कि दीदी, अब मैं इन को जीजाजी ही कहूंगी. जीजासाली का रिश्ता बनने पर घासीराम मंदमंद मुसकरा कर रह गए.

इस दौरान प्रियंका ने भी अपने पति का परिचय कराया कि ये रामधन चौधरीजी पुलिस में हैडकांस्टेबल हैं. सीता के पीहर वालों के प्रियंका के परिवार वालों से गांव में अच्छे संबंध थे. इसलिए सीता और घासीराम ने प्रियंका और उस के पति रामधन की खूब आवभगत की.

बातों ही बातों में प्रियंका ने घासीराम से कहा, ‘‘जीजाजी, हम जयपुर में किराए का मकान तलाश कर रहे हैं, लेकिन हमें कोई अच्छा मकान नहीं मिल रहा है. आप की नजर में कोई अच्छा मकान हो तो हमें किराए पर दिलवा दीजिए.’’

प्रियंका आई घासीराम के संपर्क में

प्रियंका को किराए के मकान की जरूरत का पता लगने पर सीता ने अपने पति से कहा कि अपना गौतम मार्ग निर्माण नगर वाला फ्लैट खाली पड़ा है, वो इन्हें ही किराए पर दे दो. हमें इन से अच्छा किराएदार और कौन मिलेगा?

पत्नी से बात करने के बाद घासीराम ने प्रियंका को अपना निर्माण नगर वाला फ्लैट किराए पर दे दिया. इस के बाद प्रियंका का घासीराम के घर आनाजाना शुरू हो गया. कई बार प्रियंका पूरेपूरे दिन सीता के घर पर ही रहती और उस के साथ घर के कामों में भी हाथ बंटाती थी.

सीता के घर पर लगातार आनेजाने से प्रियंका ने उस के परिवार की तमाम जानकारियां हासिल कर लीं. घासीराम के व्यापार और कमाई वगैरह की जानकारी भी ले ली.

प्रियंका जब सीता के घर आती थी, तब अगर घासीराम मिल जाते तो वह जीजाजी जीजाजी कह कर चुहलबाजी भी कर लेती थी. घासीराम भी कभीकभी अपनी पत्नी के साथ प्रियंका के फ्लैट पर चले जाते. इस तरह दोनों परिवारों में घनिष्ठ संबंध बन गए.

आरोप है कि कुछ दिनों बाद प्रियंका ने किसी काम से घासीराम को अपने फ्लैट पर बुलाया. घर पर प्रियंका अकेली थी. घासीराम ने उस के पति रामधन के बारे में पूछा तो प्रियंका ने बताया कि वे कहीं गए हुए हैं. इस दौरान अकेली प्रियंका ने घासी से नजदीकियां बढ़ाने की बातें कीं.

नजदीकियों से हुई जेब खाली

बाद में धीरेधीरे उस ने घासी से नजदीकियां बढ़ा लीं. एक बार प्रियंका ने घासी से कहा कि जीजाजी, आप के पास पैसे की कोई कमी नहीं है. हमारा कुछ सहयोग कर दोगे तो हम भी जयपुर में एक फ्लैट या मकान ले लेंगे. इस के लिए जितना लोन मिलेगा, लेंगे और बाकी पैसे आप उधार दे देना. घासीराम ने उस समय उसे टाल दिया.

बाद में प्रियंका और उस के पति रामधन ने घासीराम के मकान के पास ही फ्लैट खरीद लिया. घासीराम ने बताया कि यह फ्लैट खरीदने और वुडन वर्क के नाम पर प्रियंका ने उस से 49 लाख रुपए ले लिए. इस रकम के बदले प्रियंका और उस के पति ने उसे ब्लैंक चैक दिए और स्टांप पेपर पर लिखित लेनदेन किया. इस फ्लैट की किस्त 28 हजार रुपए महीना थी.

इस बीच, सन 2019 में जयपुर में हुए आयोजन में प्रियंका मिसेज इंडिया राजस्थान चुनी गई. ब्यूटी पीजेंट पौश इंफोटेनमेंट के इस आयोजन में 100 से ज्यादा महिलाओं ने भाग लिया था. फाइनल के अलगअलग राउंड में 27 महिलाओं ने भागीदारी की थी. इस में प्रियंका चौधरी विनर घोषित हुई थी.

बाद में प्रियंका फ्लैट के लोन के रुपए जमा कराने की बात कह कर घासीराम से रुपए मांगने लगी और नहीं देने पर बलात्कार का मामला दर्ज कराने की धमकी देने लगी.

घासीराम डर गया. वह झूठे केस में जेल जाने और व्यापार बरबाद होने की चिंता में दबाव में आ गया. वह समयसमय पर प्रियंका को लाखों रुपए देता रहा और उस की फरमाइशें पूरी करता रहा. प्रियंका की फरमाइश पर घासी ने उसे 30 लाख रुपए के जेवर भी दिलवा दिए. उसे नई लग्जरी कार दिलवाई.

घासी के पैसों से ही प्रियंका ने अपने फ्लैट में महंगे सोफे, एसी, एलईडी और दूसरे कीमती सामान ले लिए. बच्चों की फीस के नाम पर 5 लाख रुपए लिए. प्रियंका ने अपनी बेटियों के नाम सुकन्या योजना के पैसे भी घासीराम से ही जमा करवाए.

घासीराम का आरोप है कि प्रियंका और उस के पति रामधन ने अलगअलग बहाने से उस से करीब सवा करोड़ रुपए ऐंठ लिए थे. इस के बाद प्रियंका उस से 400 गज का प्लौट मांग रही थी.

इसी साल अप्रैल में वाट्सऐप काल कर प्रियंका ने घासी से प्लौट दिलाने की बात कही थी. वह जिस प्लौट की बात कर रही थी, उस की कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपए के आसपास थी.

घासीराम ने प्लौट दिलाने से इनकार कर दिया तो उस ने बलात्कार का मामला दर्ज कराने की धमकी दी. प्रियंका की धमकियों से डर कर घासीराम ने उस के खाली चैक और स्टांप पेपर उसे लौटा दिए.

प्रियंका ने कराई रिपोर्ट दर्ज

बाद में पूर्व मिसेज इंडिया राजस्थान प्रियंका चौधरी ने 21 मई, 2021 को श्यामनगर थाने में घासीराम के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस में कहा कि घासीराम 20 मई को मेरे घर पर आया और गालीगलौज की. घर में घुसने से रोकने पर मारपीट करने लगा. मैं ने बचाव किया तो हाथ पर काट खाया. मेरे सीने और पेट पर लात मारी. मैं नीचे भाग कर आई. मेरी बहन और बेटियों के चिल्लाने पर आसपास के लोग बाहर आ गए, तब वह वहां से भाग गया.

बाद में मुझे और मेरे पति को जान से मारने की धमकी दी. मुझ से कहा कि तेजाब फेंक कर जला दूंगा. पुलिस ने प्रियंका की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर उस का मैडिकल कराया.

आरोप है कि घासीराम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद प्रियंका ने उसे धमकी दी कि यह तो ट्रेलर है. चाहती तो बलात्कार का मामला भी दर्ज करा सकती थी और अब भी करा सकती हूं. राजीनामा करने के लिए वह 400 गज का प्लौट और रुपए मांग रही थी.

प्रियंका की धमकियों और उस की डिमांड से परेशान हो कर घासीराम ने 3 जून, 2021 को प्रियंका और उस के पति रामधन चौधरी के खिलाफ श्यामनगर थाने में मामला दर्ज करा दिया.

डीसीपी (दक्षिण) हरेंद्र महावर ने इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच के लिए एडिशनल डीसीपी अवनीश कुमार, सोडाला एसीपी भोपाल सिंह भाटी के निर्देशन और श्यामनगर थानाप्रभारी संतरा मीणा के नेतृत्व में पुलिस टीम गठित की. इस टीम में एएसआई जयसिंह, कांस्टेबल राजेश और महिला कांस्टेबल बीना व बाला कुमारी को शामिल किया गया.

पुलिस ने जांचपड़ताल के बाद हनीट्रैप का मामला बताते हुए 12 जून, 2021 को 33 वर्षीया पूर्व मिसेज इंडिया राजस्थान प्रियंका चौधरी को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उसे रिमांड पर ले कर पूछताछ की.

पूछताछ के आधार पर पुलिस ने प्रियंका के कब्जे से 3 एसी, एलईडी और लैपटौप आदि बरामद किए. पुलिस ने 13 जून को उसे अदालत में पेश किया. अदालत ने उसे जेल भेज दिया.

लग्जरी लाइफ थी प्रियंका की

प्रियंका चौधरी के ब्यूटी क्वीन बनने से जेल जाने तक का सफर उस के लग्जरी लाइफ जीने के सपनों से भरा रहा है. टोंक जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली प्रियंका सरकारी स्कूल में पढ़ी थी.

वह भले ही गांव में रहती थी, लेकिन उस का रूपसौंदर्य सब से अलग था. प्रियंका को अपनी सुंदरता पर नाज था, लेकिन गांव में रहने के कारण वह अपने सपनों की उड़ान नहीं भर पा रही थी.

सन 2008 में उस की शादी रामधन से हो गई. रामधन राजस्थान पुलिस में नौकरी करता है. रामधन जैसे गबरू जवान को पति के रूप में पा कर प्रियंका मन ही मन निहाल हो उठी. रामधन भी खुश था और प्रियंका भी. समय अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता रहा. प्रियंका ने 2 बेटियों को जन्म दिया.

प्रियंका के अपने सपने थे. वह महत्त्वाकांक्षी थी, इसलिए शादी के बाद भी वह पढ़ाई करती रही. पति पुलिस में नौकरी करता था, लेकिन उस की तनख्वाह से उस के शौक पूरे नहीं हो सकते थे. उस ने अपने शौक पूरे करने के लिए जयपुर में रहने का फैसला किया. वह 2016 में जयपुर आ गई.

2019 में जब उसे पता चला कि जयपुर में मिसेज इंडिया राजस्थान कांटेस्ट हो रहा है, तो उस ने इस में भाग लेने का फैसला किया. रूपसौंदर्य में वह किसी से कम नहीं थी. इसलिए उसे पूरा भरोसा था कि वह कंटेस्ट जीतेगी. हुआ भी वही. प्रियंका मिसेज इंडिया राजस्थान चुनी गई.

आरोप है कि ब्यूटी क्वीन बनने के बाद प्रियंका की दबी हुई महत्त्वाकांक्षाएं हिलोरें मारने लगीं. उस के लग्जरी लाइफ जीने के सपने उड़ान भरने लगे. पति की तनख्वाह से ऐशोआराम की जिंदगी संभव नहीं थी. इसलिए उस ने घासीराम से नजदीकियां बढ़ाईं. वह उस से समयसमय पर रुपए ऐंठती रही.

2 बेटियों के भविष्य के नाम पर जब उस ने घासीराम पर 400 गज का प्लौट दिलाने का दबाव बनाया तो बात बिगड़ गई. नतीजा यह हुआ कि प्रियंका को जेल जाना पड़ा. लग्जरी लाइफ जीने की शौकीन प्रियंका के पास लग्जरी गाड़ी, फ्लैट है. उस की 2 बेटियां महंगे स्कूलों में पढ़ती हैं.

ब्यूटी क्वीन हुई गिरफ्तार

प्रियंका कितनी पाकसाफ है, यह अदालत तय करेगी, लेकिन उस की गिरफ्तारी को ले कर पुलिस पर आरोप लग रहे हैं. पुलिस ने घासीराम की रिपोर्ट पर प्रियंका को गिरफ्तार कर लिया.

उस से न तो किसी तरह की कोई अश्लील वीडियो बरामद हुई और न ही कोई दूसरी आपत्तिजनक सामग्री मिली, जिस से यह साबित हो कि प्रियंका उस आधार पर उसे बलात्कार के झूठे मामले में फंसाने की धमकी दे रही थी. पुलिस ने घासीराम के मोबाइल में रिकौर्ड बातचीत के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया. पैसों के लेनदेन के मामले में पुलिस जांचपड़ताल कर रही है.

दूसरी तरफ, प्रियंका ने 21 मई को श्यामनगर थाने में घासीराम के खिलाफ घर आ कर मारपीट करने और तेजाब डालने की धमकी देने का जो मामला दर्ज कराया था, उस पर पुलिस ने कोई काररवाई नहीं की.

पुलिस का कहना है कि इस मामले की अभी जांच चल रही है. घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गई हैं. उस में घासीराम कहीं नजर नहीं आ रहा है. उस आवासीय परिसर में रहने वाले लोगों ने भी मारपीट की घटना होने से इनकार किया है.

क्षेत्र में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आखिर प्रियंका के हाथ व्यापारी घासीराम की ऐसी कौन सी कमजोर कड़ी हाथ लग गई थी, जिस से उस ने लाखों रुपए प्रियंका को आसानी से दे दिए. वरना बिना किसी लालच व स्वार्थ के कोई किसी पर इतनी बड़ी राशि खर्च नहीं कर सकता. जरूर कोई तो ऐसा राज है, जिसे केवल घासीराम और प्रियंका ही जानते हैं. अब देखना यह है कि पुलिस जांच में वह राज सामने आ सकेगा या नहीं.

बहरहाल, घासीराम की रिपोर्ट पर पुलिस ने प्रियंका के साथ उस के पति रामधन चौधरी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है. रामधन टोंक जिले में हैडकांस्टेबल के पद पर तैनात है. कथा लिखे जाने तक पुलिस को रामधन के खिलाफ इस मामले में कोई सबूत नहीं मिले थे.