Hindi love Stories : एक्ट्रेस शनाया काटवे के प्यार में रोड़ा बना भाई तो करा दी हत्या

Hindi love Stories : शनाया काटवे एक उभरती हुई अभिनेत्री थी. उसे नियाज अहमद से मोहब्बत हो गई. उस की मोहब्बत में उस का भाई राकेश काटवे कांटा बना तो शनाया ने अपनी फिल्म की प्रमोशन वाले दिन ऐसी खूनी साजिश रची कि…

वह वर्गाकार बड़ा हाल था. हाल में मुख्यद्वार से सटे 3×6 के 2 मेज एकदूसरे को आपस में सटा कर बिछाए गए थे. नया और रंगीन कवर उन पर बिछाया गया था. मेज से सटी 4 कुरसियां थीं. कुरसियों पर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की उभरती हुई अभिनेत्री शनाया काटवे, फिल्म के डायरेक्टर राघवंका प्रभु और 2 अन्य मेहमान बैठे हुए थे. मेज के सामने करीब 4 फीट की दूरी पर कुछ और कुरसियां रखी हुई थीं. उन पर शहर के नामचीन, वीआईपी, रिश्तेदार, दोस्त और स्थानीय समाचारपत्रों के खबरनवीस बैठे हुए थे. हाल का कोनाकोना दुलहन की तरह सजा था. रंगीन और दूधिया रौशनी के सामंजस्य से पूरा हाल नहा उठा था. खूबसूरत और शानदार सजावट से किसी की आंखें हट ही नहीं रही थीं.

अभिनेत्री शनाया काटवे की ओर से यह शानदार पार्टी उस के फिल्म प्रमोशन ‘ओंडू घंटेया काठे’ के अवसर पर आयोजित की गई थी. पार्टी देर रात तक चलती रही. घूमघूम कर शनाया मेहमानों का खयाल रख रही थी. पार्टी में शामिल आगंतुकों ने वहां जम कर लुत्फ उठाया था. पार्टी खत्म हुई तो देर रात शनाया काटवे अपने मांबाप के साथ घर पहुंची. वह बहुत थक गई थी. कपड़े वगैरह बदल कर हाथमुंह धो कर अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी तो दिन भर की थकान के चलते लेटते ही सो गई. उस के मांबाप अपने कमरे में जा कर सो गए थे. यह बात 9 अप्रैल, 2021 की है. अगली सुबह जब शनाया और उस के मांबाप की नींद खुली और वे फ्रैश हो कर डायनिंग हाल में नाश्ता करने बैठे तो उन्हें अपने इर्दगिर्द एक कमी का एहसास हुआ.

जब वे देर रात घर वापस लौटे थे तो भी घर पर उन का बेटा राकेश काटवे कहीं नजर नहीं आया था. जब सुबह नाश्ता करने के लिए सभी एक साथ डायनिंग हाल में बैठे तो भी राकेश वहां भी मौजूद नहीं था. यह देख कर शनाया के पापा बलदेव काटवे थोड़ा परेशान हो गए कि आखिर वह कहां है, घर में कहीं दिख भी नहीं रहा है. ऐसा पहली बार हुआ था जब वह घर से कहीं बाहर गया और हमें नहीं बताया, लेकिन वह जा कहां सकता है. यह तो हैरान करने वाली बात हुई. बलदेव काटवे और उन की पत्नी सोनिया का नाश्ता करने का मन नहीं हो रहा था. दोनों एकएक प्याली चाय पी कर वहां से उठ गए. मांबाप को उठ कर जाते देख शनाया भी नाश्ता छोड़ कर उठ गई और उन के कमरे में जा पहुंची, जहां वे बेटे को ले कर परेशान और चिंतित थे.

बात चिंता करने वाली थी ही. जो इंसान घर छोड़ कर कहीं न जाता हो और फिर वह अचानक से गायब हो जाए तो यह चिंता वाली बात ही है. बलदेव, सोनिया और शनाया ने अपनेअपने स्तर से परिचितों और दोस्तों को फोन कर के राकेश के बारे में पता किया, लेकिन वह न तो किसी परिचित के वहां गया था और न ही किसी दोस्त के वहां ही. उस का कहीं पता नहीं चला. राकेश का जब कहीं पता नहीं चला तो बलदेव काटवे ने बेटे की गुमशुदगी की सूचना हुबली थाने में दे दी. एक जवान युवक के गायब होने की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी एस. शंकराचार्य हरकत में आए और राकेश की खोजबीन में अपने खबरियों को लगा दिया. यह 10 अप्रैल, 2021 की बात है.

राकेश काटवे कोई छोटामोटा आदमी नहीं था. उस के नाम के पीछे अभिनेत्री शनाया काटवे का नाम जुड़ा था, इसलिए यह मामला हाईप्रोफाइल बन गया था. मुकदमा दर्ज कर लेने के बाद पुलिस राकेश काटवे का पता लगाने में जुटी हुई थी. 5 टुकड़ों में मिली लाश इसी दिन शाम के समय हुबली थाना क्षेत्र के देवरागुडीहल के जंगल में एक कटा हुआ सिर बरामद हुआ तो इसी थाना क्षेत्र के गदर रोड से एक कुएं में गरदन से पैर तक शरीर के कई टुकड़े पानी पर तैरते बरामद हुए. टुकड़ों में मिली इंसानी लाश से इलाके में दहशत फैल गई थी. जैसे ही कटा सिर और टुकड़ों में बंटे शरीर के अंग पाए जाने की सूचना थानाप्रभारी एस. शंकराचार्य को मिली, वह चौंक गए. वह तुरंत टीम ले कर देवरागुडीहल जंगल की तरफ रवाना हो गए थे.

चूंकि राकेश काटवे की गुमशुदगी की सूचना थाने में दर्ज थी, घर वालों ने उस की एक रंगीन तसवीर थाने में दी थी. कटा हुआ सिर तसवीर से काफी हद तक मेल खा रहा था, इसलिए थानाप्रभारी ने घटनास्थल पर बलदेव काटवे को भी बुलवा लिया, जिस से उस की शिनाख्त हो जाए. छानबीन के दौरान संदिग्ध अवस्था में घटनास्थल से कुछ दूरी पर एक मारुति रिट्ज और एक हुंडई कार बरामद की थी. दोनों कारों की पिछली सीटों पर खून के धब्बे लगे थे, जो सूख चुके थे. पुलिस का अनुमान था कि हत्यारों ने कार को लाश ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किया होगा. पुलिस ने दोनों कारों को अपने कब्जे में ले लिया.

दोनों कारों को कब्जे में लेने के बाद उन्होंने इस की सूचना एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत और पुलिस कमिश्नर लभु राम को दे दी थी. दिल दहला देने वाली घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे. उन्होंने घटनास्थल और कटे हुए अंगों का निरीक्षण किया. शरीर के अंगों को देखने से ऐसा लगता था जैसे हत्यारों ने बड़े इत्मीनान से किसी  धारदार हथियार से उसे छोटेछोटे टुकड़ों में काटा होगा. पुलिस उन तक पहुंच न पाए, इसलिए लाश जंगल में ले जा कर अलगअलग जगहों पर फेंक दी, ताकि लाश की शिनाख्त न हो सके. बहरहाल, थानाप्रभारी की यह तरकीब वाकई काम कर गई. उन्होंने जब बलदेव काटवे को सिर के फोटो दिखाए तो फोटो देखते ही बलदेव काटवे पछाड़ मार कर जमीन पर गिर गए.

यह देख कर पुलिस वालों को समझते देर न लगी कि कटे हुए सिर की पहचान उन्होंने कर ली है. थोड़ी देर बाद जब वह सामान्य हुए तो वह दहाड़ मारमार कर रोने लगे. वह कटा हुआ सिर उन के लाडले बेटे राकेश काटवे का था. पुलिस यह जान कर और भी हैरान थी कि कहीं गदग रोड स्थित कुएं से बरामद कटे अंग राकेश के तो नहीं हैं. लेकिन पुलिस की यह आशंका भी जल्द ही दूर हो गई थी. बलदेव काटवे ने हाथ और पैर की अंगुलियों से लाश की पहचान अपने बेटे के रूप में कर ली थी. 24 घंटे के अंदर पुलिस ने राकेश काटवे की गुमशुदगी के रहस्य से परदा उठा दिया था. हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से उसे मौत के घाट उतारा था.

पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. लेकिन एक बात से राकेश के मांबाप और पुलिस हैरान थे कि राकेश की जब किसी से दुश्मनी नहीं थी तो उस की हत्या किस ने और क्यों की? इस का जबाव न तो पुलिस के पास था और न ही उस के मांबाप के पास. दोनों ही इस सवाल से निरुत्तर थे. किस ने और क्यों, का जबाव तो पुलिस को ढूंढना था. राकेश की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को अपना हथियार बनाया. पुलिस ने सब से पहले राकेश काटवे के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में जुट गई कि आखिरी बार राकेश से किस की और कब बात हुई थी?

जांचपड़ताल में आखिरी बार उस की बहन शनाया से बातचीत के प्रमाण मिले थे. रात में 7 और 8 बजे के बीच में शनाया और राकेश के बीच लंबी बातचीत हुई थी. उस के बाद उस के फोन पर किसी और का फोन नहीं आया था. इस का मतलब आईने की तरह साफ था कि राकेश की हत्या रात 8 बजे के बाद की गई थी. पुलिस के सामने एक और हैरानपरेशान कर देने वाली सच्चाई सामने आई थी. घटना वाले दिन शनाया ने अपने फिल्म के प्रमोशन पर एक पार्टी रखी थी. उस पार्टी में राकेश को छोड़ घर के घर सभी सदस्य शमिल थे तो उस का भाई राकेश पार्टी में शामिल क्यों नहीं हुआ? वह कहां था?

इंसपेक्टर एस. शंकराचार्य के दिमाग में यह बात बारबार उमड़ रही थी कि जब घर के सभी सदस्य पार्टी में शमिल थे तो राकेश किस वजह से घर पर रुका रहा? इस ‘क्यों’ का जबाव मिलते ही हत्या की गुत्थी सुलझ सकती थी. आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई. घटनास्थल से बरामद हुई दोनों कारों में से एक मारुति रिट्ज कार मृतक राकेश काटवे की बहन शनाया काटवे के नाम पर रजिस्टर्ड थी. दूसरी हुंडई कार किसी अमन नाम के व्यक्ति के नाम पर थी. यह जान कर पुलिस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई कि शनाया काटवे की कार घटनास्थल पर कैसे पहुंची? राकेश के मर्डर से शनाया का क्या संबंध हो सकता है? क्या शनाया का हत्यारों के साथ कोई संबंध है? ऐसे तमाम सवालों ने पुलिस कमिश्नर लभु राम, एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत और थानाप्रभारी को हिला कर रख दिया था.

एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत के नेतृत्व में राकेश काटवे हत्याकांड की बिखरी कडि़यों को जोड़ने के लिए थानाप्रभारी बेताब थे. उन्होंने घटना का परदाफाश करने के लिए मुखबिरों को लगा दिया था. घटना के 4 दिनों बाद 14 अप्रैल को मुखबिर ने जो सूचना दी, उसे सुन कर थानाप्रभारी को मामले में प्रगति नजर आई. मुखबिर ने उन्हें बताया था कि भाईबहन शनाया और राकेश के बीच में अच्छे रिश्ते नहीं थे. बरसों से उन के बीच में छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ था. मुखबिर की यह सूचना पुलिस के लिए काम की थी. पुलिस ने दोनों के बिखरे रिश्तों का सच तलाशना शुरू किया तो जल्द ही सारा सच सामने आ गया. दरअसल, राकेश शनाया के प्रेम की राह में एक कांटा बना हुआ था. शनाया का नियाज अहमद काटिगार के साथ प्रेम संबंध था. इसी बात को ले कर अकसर दोनों भाईबहन के बीच में झगड़ा हुआ करता था.

राकेश को बहन का नियाज से मेलजोल अच्छा नहीं लगता था, जबकि शनाया को भाई की टोकाटोकी सुहाती नहीं थी. यही दोनों के बीच खटास की वजह थी. घटना के खुलासे के लिए इतनी रौशनी काफी थी. सबूतों के आधार पर 17 अप्रैल को हुबली पुलिस ने नियाज अहमद काटिगार को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आई. अपराधी चढ़े पुलिस के हत्थेथाने में कड़ाई से हुई पूछताछ में नियाज अहमद पुलिस के सामने टूट गया और राकेश की हत्या का अपना जुर्म कबूल कर लिया. आगे की पूछताछ में उस ने यह भी बताया कि इस घटना में उस के साथ उस के 3 साथी तौसीफ चन्नापुर, अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला और अमन गिरनीवाला शमिल थे. उस के बयान के आधार पर उसी दिन तीनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

पुलिस पूछताछ के दौरान नियाज अहमद ने प्रेमिका शनाया काटवे के कहने पर राकेश की हत्या करना कबूल किया था. 5 दिनों बाद 22 अप्रैल, 2021 को राकेश हत्याकांड की मास्टरमाइंड शनाया काटवे को हुबली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. शनाया ने बड़ी आसानी से पुलिस के सामने घुटने टेक दिए. उस ने भाई राकेश की हत्या कराने का अपना जुर्म मान लिया था. पुलिस पूछताछ में राकेश काटवे हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—

25 वर्षीया शनाया काटवे मूलरूप से उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ जिले की हुबली की रहने वाली थी. वह मां सोनिया काटवे और पिता बलदेव की इकलौती संतान थी. इस के अलावा काटवे दंपति की कोई और संतान नहीं थी. एक ही संतान को पा कर दोनों खुश थे और खुशहाल जीवन जी रहे थे. लेकिन बेटे की चाहत कहीं न कहीं पतिपत्नी के मन में बाकी थी. पतिपत्नी जब भी अकेले में होते तो एक बेटे की अपनी लालसा जरूर उजागर करते. आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि वे एक बेटे को गोद लेंगे, अपनी कोख से नहीं जनेंगे. जल्द ही काटवे दंपति की वह मंशा पूरी हो गई. गोद लिया भाई था राकेश उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के बेटे को कानूनी तौर पर गोद ले लिया और पालपोस कर उसे बड़ा किया. तब राकेश साल भर का रहा होगा. काटवे दंपति के गोद में राकेश पल कर बड़ा हुआ.

उन की अंगुलियां पकड़ कर चलना सीखा. सयाना और समझदार हुआ तो मांबाप के रूप में उन्हें ही सामने पाया. वही उस के मांबाप थे, राकेश यही जानता था. उन्होंंने भी शनाया और राकेश के बीच कभी फर्क नहीं किया. लेकिन शनाया जानती थी कि राकेश उस का सगा भाई नहीं है, उसे मांबाप ने गोद लिया है. बचपन से ही शनाया राकेश से नफरत करती थी, उस से चिढ़ती थी. चिढ़ उसे इस बात से हुई थी कि उस के हिस्से की आधी खुशियां और सुख राकेश की झोली में जा रहे थे. शनाया फुरसत में जब भी होती, यही सोचती कि वह नहीं होता तो जो सारी खुशियां, लाड़प्यार राकेश को मिलता है, उसे ही नसीब होता. लेकिन उस के हिस्से के प्यार पर डाका डालने न जाने वह कहां से आ गया.

यही वह खास वजह थी जब शनाया बचपन से ले कर जवानी तक राकेश को फूटी आंख देखना नहीं चाहती थी. उस से नफरत करती थी. लेकिन इस से राकेश को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि शनाया उसे प्यार करती थी या नफरत. वह तो उस की परछाईं को अपना समझ कर उस के पीछे भागता था, उसे बहन के रूप में प्यार करता था. क्योंकि उस के मांबाप ने उसे यही बताया था. खैर, शनाया और राकेश बचपन की गलियों को पीछे छोड़ अब जवानी की दहलीज पर खड़े थे. जिस प्यार को मांबाप ने दोनों में बराबर बांटा था, दोनों के अपने रास्ते अलगअलग थे. हुबली से ही स्नातक की डिग्री हासिल कर शनाया काटवे की बचपन से रुपहले परदे पर स्टार बन कर चमकने की दिली ख्वाहिश थी.

अपने सपने पूरे करने के लिए वह दिनरात मेहनत करती थी. इस के लिए उस ने मौडलिंग की दुनिया को सीढ़ी बना कर आगे बढ़ना शुरू किया. शनाया बला की खूबसूरत और बिंदास लड़की थी. अपनी सुंदरता पर उसे बहुत नाज था. आदमकद आईने के सामने घंटों खड़ी हो कर खुद को निहारना उस के दिल को सुकून देता था. यही नहीं, जीने की हसरत उस में कूटकूट कर भरी थी. उस के खयालों में नियाज अहमद काटिगार सुनहरे रंग भर रहा था. अमीर बाप की बिगड़ी औलाद था नियाज हुबली का रहने वाला 22 वर्षीय नियाज अहमद अमीर मांबाप की बिगड़ी हुई औलाद था. बाप के खूनपसीने से कमाई दौलत यारदोस्तों में दोनों हाथों से पानी की तरह बहा रहा था. उन यारदोस्तों में एक नाम शनाया काटवे का भी था.

नियाज के दिल की धड़कन थी शनाया. उस के रगों में बहने वाला खून थी शनाया. शनाया के बिना जीने की वह कभी कल्पना नहीं कर सकता था. शनाया और नियाज एकदूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. दोनों की मुलाकात एक पार्टी में हुई थी. शनाया की खूबसूरती देख कर नियाज घायल हो गया था. वह पहली नजर में ही शनाया को दिल दे बैठा था. उठतेबैठते, सोतेजागते, खातेपीते हर जगह उसे शनाया ही नजर आती थी. ऐसा नहीं था कि मोहब्बत की आग एक ही तरफ लगी हो. शनाया भी उसी मोहब्बत की आग में जल रही थी. मोहब्बत की आग दोनों ओर बराबर लगी थी. एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें दोनों ने खाईं और भविष्य को ले कर सपने देख रहे थे.

खुले आसमान के नीचे अपनी बांहें फैलाए नियाज और शनाया भूल गए थे कि उन का प्यार ज्यादा दिनों तक चारदीवारी में कैद नहीं रह सकता. वह फिजाओं में खुशबू की तरह फैल जाता है. शनाया और नियाज की मोहब्बत भी ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रही. शनाया के भाई राकेश काटवे को बहन के प्रेम की सूचना मिली तो वह आगबबूला हो गया था. उस ने अपनी तरफ से सच्चाई का पता लगाया तो बात सच निकली. बहन को हिदायत दी थी राकेश ने शनाया एक मुसलिम युवक नियाज अहमद से प्यार करती थी. उस ने बड़े प्यार से एक दिन बहन से पूछा, ‘‘यह मैं क्या सुन रहा हूं शनाया?’’

‘‘क्या सुन रहे हो भाई, मुझे भी तो बताओ.’’ शनाया ने पूछा.

‘‘क्या तुम सचमुच नहीं जानती कि मैं क्या कहना चाहता हूं?’’ वह बोला.

‘‘नहीं, सचमुच मैं नहीं जानती, आप क्या कहना चाहते हो और मेरे बारे में आप ने क्या सुना है?’’ शनाया ने सहज भाव से कहा.

‘‘उस नियाज से तुम दूरी बना लो, यही तुम्हारी सेहत के अच्छा होगा. मैं अपने जीते जी खानदान की नाक कटने नहीं दूंगा. अगर  तुम ने मेरी बात नहीं सुनी या नहीं मानी तो यह नियाज मियां के सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा.’’ भाई के मुंह से नियाज का नाम सुनते ही शनाया के होश उड़ गए.

‘‘जैसा तुम सोच रहे हो भाई, हमारे बीच में ऐसी कोई बात नहीं है. हम दोनों एक अच्छे दोस्त भर हैं.’’ शनाया ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन वह घबराई हुई थी.

‘‘मेरी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश मत करना. तुम दोनों के बारे में मुझे सब पता है. कई बार मैं ने खुद तुम दोनों को एक साथ बांहों में बांहें डाले देखा है. जी तो चाहा कि तुम्हें वहीं जान से मार दूं, लेकिन मम्मीपापा के बारे में सोच कर मेरे हाथ रुक गए. तुम अब भी संभल जाओ. तुम्हारी सेहत के लिए यही अच्छा होगा. नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा हो सकता है, जो न मैं जानता हूं और न ही तुम, समझी.’’

‘‘प्लीज भाई, मम्मीपापा से कुछ मत कहना,’’ शनाया भाई के सामने गिड़गिड़ाई, ‘‘नहीं तो उन के दिल को बहुत ठेस लगेगी. वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे. मेरी उन की नजरों में सारी इज्जत खत्म हो जाएगी. प्लीज…प्लीज… प्लीज, मम्मीपापा से कुछ मत कहना, मेरे अच्छे भाई.’’

‘‘ठीक है, ठीक है, सोचूंगा. मुझे क्या करना होगा लेकिन तुम ने अपनी आदत में बदलाव नहीं लाया तो सोचना कि मैं तुम्हारे लिए कितना खतरनाक बन जाऊंगा, मैं खुद भी नहीं जानता.’’

राकेश ने शनाया को प्यार से समझाया भी और धमकाया भी. उस के बाद उस ने मम्मीपापा से बहन की पूरी हकीकत कह सुनाई. बेटी की करतूत सुन कर वे शर्मसार हो गए. मांबाप ने भी बेटी को समझाया और नियाज से दूर रहने की सलाह दी. वैसे भी शनाया भाई से छत्तीस का आंकड़ा रखती थी. उस के मना करने के बावजूद राकेश ने उस के प्यार वाली बात मांबाप से बता दी थी.  यह सुन कर उस के सीने में भाई के प्रति नफरत की आग धधक उठी थी. प्यार की राह का कांटा बना राकेश राकेश बहन के प्रेम की राह का कांटा बना हुआ था. राकेश के कई बार समझाने के बावजूद शनाया ने नियाज से मिलना बंद नहीं किया था. इसे ले कर दोनों में अकसर झगड़े होते रहते थे.

रोजरोज की किचकिच से शनाया ऊब चुकी थी. वह नहीं चाहती थी कि उस के और उस के प्यार के बीच में कोई कांटा बने. भाई की टोकाटोकी से तंग आ कर शनाया ने उसे रास्ते से हटाने की खतरनाक योजना बना ली. शनाया ने अपनी अदाओं से प्रेमी नियाज अहमद को उकसाया कि अगर मुझे प्यार करते हो तो हमारे प्यार के बीच कांटा बने भाई राकेश को रास्ते से हटा दो, नहीं तो मुझे हमेशा के लिए भूल जाओ. नियाज अहमद शनाया से दूर हो कर जीने की कल्पना भी कर नहीं सकता था. उस ने प्रेमिका का दिल जीतने के लिए राकेश को रास्ते से हटाने के लिए हामी भर दी. इस खतरनाक योजना को अंजाम देने के लिए उस ने अपने 3 साथियों तौसीफ चन्नापुर, अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला और अमन गिरनीवाला को शमिल कर लिया.

इस के बाद राकेश को रास्ते से हटाने की योजना बनी. खतरनाक योजना खुद शनाया ने ही बनाई. इसे 9 अप्रैल, 2021 को अंजाम देने की तारीख तय की गई. उस दिन उस ने अपनी नई फिल्म ‘आेंडू घंटेया काठे’ की प्रमोशन रखवाई थी. चतुर शनाया ने इसलिए यह तारीख निर्धारित की थी ताकि उस पर किसी का शक न जाए और रास्ते का कांटा सदा के लिए हट भी जाए. यानी सांप भी मर जाए, लाठी भी न टूटे. योजना के मुताबिक, 9 अप्रैल, 2021 को शनाया काटवे फिल्म प्रमोशन के लिए जब पार्टी में पहुंची, तभी उस ने नियाज अहमद को फोन कर के बता दिया कि राकेश पार्टी में नहीं आएगा, वह घर पर अकेला है. मांबाप भी पार्टी में आए हुए हैं. यही सही वक्त है, काम को अंजाम दे दो.

घर पर ही किए थे राकेश के टुकड़े शनाया की ओर से हरी झंडी मिलते ही नियाज अहमद, साथियों के साथ अमन गिरनीवाला की हुंडई कार ले कर पार्टी वाली जगह पहुंचा. वहां से शनाया की मारुति रिट्ज कार ले कर रात साढ़े 8 बजे उस के घर पहुंचा. उस की कार नियाज अहमद खुद ड्राइव कर रहा था. उस कार में नियाज के साथ तौसीफ चन्नापुर बैठा था जबकि अमन गिरनीवाला की हुंडई कार में अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला सवार था. खैर, रात साढ़े 8 बजे जब नियाज शनाया के घर पहुंचा तो राकेश काटवे घर पर ही था. नियाज ने कालबैल बजाई तो राकेश ने दरवाजा खोल दिया. सामने नियाज को देख कर वह चौंक गया. इस से पहले कि वह सावधान हो पाता, नियाज और उस के साथी अचानक उस पर टूट पड़े.

नियाज ने गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया. फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए नियाज ने अपने साथ लाए धारदार चाकू से राकेश के शरीर को 5 टुकड़ों में काट दिया और फर्श पर पड़े खून को एक कपड़े से साफ कर साक्ष्य मिटा दिए. फिर एक पैकेट में सिर और दूसरे पैकेट में बाकी अंग रख कर चारों लोग 2 गाडि़यों में सवार हो कर देवरागुडीहल जंगल की तरफ रवाना हो गए. नियाज ने राकेश का कटा सिर जंगल में फेंक दिया और दोनों कार वहीं छोड़ कर चारों गदग रोड जा पहुंचे. वहां एक कुएं में कटे अंग डाल कर सभी फरार हो गए.

शनाया काटवे ने मौत की परफैक्ट प्लानिंग की थी. लेकिन वह यह भूल गई थी कि अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो, कोई न कोई सुराग छोड़ ही जाता है. शनाया ने भी वैसा ही किया. वह कानून के लंबे हाथों से बच नहीं पाई और पुलिस के हत्थे चढ़ गई. सभी अभियुक्तों से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. Hindi love Stories

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

UP Crime : तकिए से मुंह तब तक दबाया जब तक पत्नी की सांसें थम नहीं जाएं

UP Crime : सरकारी स्कूल की शिक्षिका चंदा अय्याश पति संजय लूथरा को अपनी आदतें सुधारने के लिए समझाती थी, लेकिन संजय अपने दोस्त डा. रजत भारद्वाज के साथ घर में ही बाहरी लड़कियों को बुला कर अय्याशी करता था. एक दिन चंदा ने उन्हें रंगेहाथ पकड़ लिया. फिर…

उस समय सुबह के करीब 4 बज रहे थे. इतनी सुबह मोबाइल की घंटी बजने पर मोहित ने काल रिसीव करने से पहले सोचा कि सुबहसुबह किस का फोन आ गया? उस ने काल रिसीव कर जैसे ही हैलो कहा. दूसरी ओर से उस के जीजा संजय लूथरा की भर्राई आवाज सुनाई दी, ‘‘रात को चंदा का कोलेस्ट्राल बढ़ने से अटैक पड़ गया, जिस से उस की मौत हो गई.’’ चंदा मोहित की बहन थी. यह सुनते ही मोहित के मुंह से चीख निकल गई. मोहित की चीख सुन कर घर वालों की नींद टूट गई. पता नहीं सुबहसुबह मोहित क्यों रो रहा है, यह जानने के लिए सभी उस के कमरे की ओर दौड़े.

मोहित ने उन्हें बताया कि बहन चंदा की मौत हो गई है. संजय का फोन आया था. यह सुनते ही घर में कोहराम मच गया. यह बात 21 फरवरी, 2021 की है. यह दुखद खबर मिलने के बाद चंदा के पिता ओमप्रकाश अरोड़ा घर के अन्य लोगों के साथ सुबह ही खतौली से मेरठ के शास्त्रीगनर स्थित चंदा की ससुराल जा पहुंचे. वहां घर के बाहर टेंट लगा था और बैठने के लिए कुरसियां लगी थीं. 38 वर्षीय शिक्षिका चंदा का शव बैड पर पड़ा था. लाडली बेटी के शव को देखते ही मां सुनीता, पिता ओमप्रकाश, बहन ज्योति व भाई मोहित बिलखने लगे. मायके वालों ने शव को गौर से देखा. शव पर चोटों के निशान देखते ही घर वालों ने हंगामा कर दिया.

पति संजय पर चंदा की हत्या का आरोप लगाते हुए मोहित ने पुलिस को सूचना दे दी. कुछ देर में थाना नौचंदी पुलिस शास्त्रीनगर थानाप्रभारी प्रेमचंद्र शर्मा ने हंगामा कर रहे मृतका के घर वालों को शांत कराया. हंगामे की जानकारी होने पर सीओ (सिविल लाइंस) देवेश सिंह फोरैंसिक टीम के साथ  घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस बीच वहां काफी भीड़ जमा हो गई. चंदा के मायके वालों ने आरोप लगाया कि चंदा की उस के पति संजय ने पीटपीट कर हत्या की है. उस के शरीर पर चोट के निशान भी हैं. मायके वालों ने बताया कि पति संजय की गंदी आदतों का चंदा विरोध करती थी. इस बात को ले कर दोनों के बीच झगड़ा रहता था.

पुलिस ने किसी तरह समझाबुझा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. पुलिस संजय को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. चूंकि मृतका एक शिक्षिका थी, इसलिए सूचना मिलने पर मुजफ्फरनगर शिक्षक संघ के अध्यक्ष बालेंद्र सिंह अपने साथियों संजीव, ओमप्रकाश, अभिषेक, सुमित, नीतू, रजनीश, अशोक, मनीष आदि के साथ थाने पहुंच गए और दोषी के खिलाफ काररवाई की मांग की. पूछताछ में संजय ने पुलिस को बताया, ‘‘रात करीब ढाई बजे चंदा को हार्ट अटैक आया था. इस के चलते वह बैड से नीचे गिर गई और उस की मौके पर ही मौत हो गई.’’

पुलिस को मृतका की जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली, उस में हत्या का कारण स्पष्ट नहीं था. तब पुलिस ने संजय को निर्दोष मानते हुए क्लीन चिट दे दी और थाने से छोड़ दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई संदिग्ध  पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका के शरीर की चोटों का कोई उल्लेख ही नहीं किया गया था. वहीं हत्या का कारण जानने के लिए मृतका के विसरा को सुरक्षित रखवा दिया गया. इस से नौचंदी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे. मृतका के मायके वालों का आरोप था कि चंदा के शरीर पर चोट के निशान थे. उन का जिक्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्यों नहीं किया गया. और पूरी जांच किए बिना ही नौचंदी पुलिस ने उस के पति संजय को क्लीन चिट कैसे दे दी?

मृतका के पिता ओमप्रकाश अरोड़ा का आरोप था कि मर्डर प्रीप्लान हुआ है. क्योंकि चंदा की मौत होने के बाद उस का जल्दी अंतिम संस्कार करने की पूरी तैयारी संजय ने पहले से ही कर ली थी. यहां तक कि श्मशान घाट तक शव ले जाने के लिए शव वाहन भी मंगा लिया था. मायके वालों की शिकायत पर एसएसपी अजय साहनी ने मामला अपने हाथ में ले कर जांच शुरू कराई. उन्होंने संजय के जब्त किए गए मोबाइल की जांच की जिम्मेदारी नौचंदी थाने के इंसपेक्टर (क्राइम) राम सजीवन को सौंपी. उन्होंने इस मोबाइल को जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया. फोरैंसिक जांच में खुलासा हुआ कि मोबाइल से फोटो घटना वाली रात ही डिलीट किए गए थे.

वह फोटो पुलिस ने रिकवर कराए तो पुलिस के पांव तले जमीन खिसक गई. उन फोटो से पूरे केस का परदाफाश हो गया. उन में से एक फोटो में एक व्यक्ति बैड पर लेटी चंदा का तकिए से मुंह दबाता हुआ नजर आ रहा था. इस के बाद एसएसपी ने चंदा के पति संजय को दोबारा हिरासत में ले कर उस से गहनता से पूछताछ की. संजय खुद को निर्दोष बताता रहा. वह एक ही राग अलापता रहा कि चंदा की मौत हार्ट अटैक से हुई थी. पुलिस ने संजय को मोबाइल से रिकवर फोटो दिखाया, जिस में चंदा की तकिए से मुंह दबा कर हत्या की जा रही थी. फोटो देखते ही संजय के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं. पूछताछ के दौरान वह सवालों में घिर गया. आखिर में उस ने पत्नी चंदा की

हत्या का आरोप अपने दोस्त डा. रजत भारद्वाज पर लगाते हुए चंदा की हत्या की सच्चाई उगल दी. एसएसपी अजय साहनी ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का परदाफाश 24 फरवरी, 2021 को आयोजित प्रैस कौन्फ्रैंस में कर दिया. एसएसपी ने 2 हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. पुलिस ने दोनों की निशानदेही पर तकिया, नशीली गोलियां और कपड़े बरामद कर लिए. दोनों से चंदा हत्याकांड के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने चंदा की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. हत्याकांड के पीछे अपनी अय्याशी के रास्ते की कांटा बनी पत्नी चंदा को हटाने और उस के बीमे की धनराशि हड़पने की योजना थी.

इस षडयंत्र में जागृति विहार निवासी दोस्त डा. रजत भारद्वाज भी शामिल था. उसी ने हत्या की सुपारी ली थी.  इस हत्याकांड के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह इस तरह निकली—

टेंट कारोबारी संजय लूथरा की शादी करीब 9 साल पहले 2012 में खतौली के अशोक मार्केट निवासी ओमप्रकाश अरोड़ा की बेटी चंदा के साथ हुई थी. चंदा खतौली के लौहड्डा स्थित प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात थी. चंदा और संजय लूथरा के दांपत्य जीवन में काफी पहले खटास आ चुकी थी. वर्ष 2015 में दोनों के बीच संबंध काफी बिगड़ गए, तब दोनों के बीच तलाक भी हो गया था. तलाक के बाद चंदा अपने 3 साल के बेटे को ले कर मायके चली गई थी. 6 महीने तक दोनों अलग रहे. परिवार की पंचायत में समझौता होने और संजय द्वारा माफी मांगे जाने के बाद  फिर से दोनों ने कोर्ट मैरिज की और साथ रहने लगे.

कुछ दिन सब ठीकठाक रहा. इस के बाद संजय अपनी बुरी आदतों से बाज नहीं आया. वह अपने बचपन के दोस्त डा. रजत भारद्वाज के साथ घर पर फिर से बाहरी युवतियों को लाने लगा. एक दिन चंदा स्कूल से लौटी तो घर का नजारा देख कर शर्म से पानीपानी हो गई. घर में एक बाहरी युवती के साथ संजय और उस का दोस्त डा. रजत मौजूद था. उस ने दोनों को घर में अय्याशी करते रंगेहाथों पकड़ लिया. चंदा ने दोनों को जम कर खरीखोटी सुनाई. उस ने कहा, वह पहले भी इस गलत काम के लिए मना कर चुकी है लेकिन तुम लोगों पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

चंदा बनी अय्याशी में रोड़ा उस समय तो संजय खून का घूंट पी कर रह गया, पर रात में उस ने चंदा की बेरहमी से पिटाई की. यह बात घटना से लगभग डेढ़ महीने पहले की थी. अपनी अय्याशी में रोड़ा बनने वाली पत्नी को उस ने रास्ते से हटाने का फैसला ले लिया. संजय ने चंदा की हत्या की योजना बनाने के बाद उस का 50 लाख रुपए का जीवन बीमा भी करा दिया था, ताकि उस की हत्या के बाद ऐश की जिंदगी जी सके. पत्नी को रास्ते से हटाने के लिए संजय ने पूरी प्लानिंग की. संजय की अपने पड़ोसी और बचपन के दोस्त डा. रजत भारद्वाज पर 1.35 लाख की रकम उधार थी, जिसे माफ करने की एवज में संजय ने रजत को अपनी पत्नी चंदा की हत्या के लिए राजी कर लिया.

कुछ दिनों से चंदा बीमार चल रही थी. संजय डा. रजत से ही उस का इलाज करा रहा था. इस का फायदा उठाते हुए 20 फरवरी, 2021 को डा. रजत ने संजय को नशीली गोलियां देते हुए रात को दवा के बहाने खिलाने की सलाह दी. घटना वाली रात पौने 2 बजे डा. रजत उस के घर पहुंच गया. इस से पहले ही संजय अपनी पत्नी को नशीली गोलियां खिला कर सुला चुका था. डा. रजत ने बैड पर सो रही चंदा के मुंह पर तकिया रखा और फिर जान निकलने तक दबाए रखा. नींद व नशे में होने के कारण वह विरोध भी नहीं कर सकी. इस दौरान संजय ने घटना के फोटो खींच लिए थे. लेकिन जानकारी होने पर डाक्टर ने वे फोटो तत्काल डिलीट करा दिए. संजय को उम्मीद थी कि कत्ल का उस का मास्टर प्लान राज ही रहेगा. लेकिन कहते हैं न कि गुनाह कभी छिपता नहीं और गुनहगार कभी बचता नहीं. आखिर कत्ल

का राज उस की जेब में रखे मोबाइल में ही मिल गया. पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों संजय लूथरा और डा. रजत भारद्वाज को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. इसी के साथ इस मामले में आननफानन में मृतका के पति को क्लीन चिट देने वाले इंसपेक्टर नौचंदी प्रेमचंद्र शर्मा की भी एसएसपी द्वारा जांच कराई जा रही थी. कथा लिखने तक चंदा का 8 वर्षीय बेटा अपनी नानी के पास रह रहा था. UP Crime

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Parivarik Kahani : भाभी के प्यार में छोटे भाई ने रची साजिश फिर कर डाला बड़े भाई का कत्ल

Parivarik Kahani : दिव्यांग सिकंदर शरीर से कमजोर था पर मेहनतकश था. लेकिन इस मेहनत में वह पत्नी ललिता की खुशियों का गला घोंटता रहा. सिकंदर की यह लापरवाही ललिता पर भारी पड़ने लगी. इसी दौरान ललिता ने अपने कदम देवर जितेंद्र की तरफ बढ़ा दिए. यहीं से ललिता की ऐसी खतरनाक लीला शुरू हुई कि…

32 वर्षीया ललिता झारखंड के कोडरमा जिले के गांव दौंलिया की रहने वाली थी. उस की मां का नाम राजवती और पिता का नाम दुल्ली था. वह 4 भाइयों की इकलौती बहन थी. इसलिए घर में सभी की लाडली थी. 16 साल की होते ही उस पर यौवन की बहारें मेहरबान हो गई थीं. बाद में समय ऐसा भी आया कि वह किसी प्रेमी की मजबूत बांहों का सहारा लेने की कल्पना करने लगी. गांव के कई नवयुवक ललिता पर फिदा थे. ललिता भी अपनी पसंद के लड़के से स्वयं नैन लड़ाने लगी. इस के बाद तो दिन प्रतिदिन उस की आकांक्षाएं बढ़ने लगीं तो अनेक लड़कों के साथ उस के नजदीकी संबंध हो गए.

दुल्ली के कुछ शुभचिंतक उसे आईना दिखाने लगे, ‘‘तुम्हारी बेटी ने तो यारबाजी की हद कर दी. खुद तो खराब है, गांव के लड़कों को भी खराब कर रही है. लड़की जब दरदर भटकने की शौकीन हो जाए तो उसे किसी मजबूत खूंटे से बांध देना चाहिए. जितनी जल्दी हो सके, ललिता का विवाह कर दो, वरना तुम बहुत पछताओगे.’’

अपमान का घूंट पीने के बाद दुल्ली ने एक दिन ललिता को समझाया. उसी दौरान राजवती ने ललिता की पिटाई करते हुए चेतावनी दी, ‘‘आज के बाद तेरी कोई ऐसीवैसी बात सुनने को मिली तो मैं तुझे जिंदा जमीन में दफना दूंगी.’’

उस समय तो ललिता ने कसम खा कर किसी तरह अपनी मां को यकीन दिला दिया कि वह किसी लड़के से बात नहीं करेगी. ललिता बात की पक्की नहीं, बल्कि ख्वाहिशों की गुलाम थी. कुछ समय तक ललिता ने अपनी जवानी के अरमानों को कैद रखा, लेकिन अरमान बेलगाम हो कर उस के जिस्म को बेचैन करते तो वह अंकुश खो बैठी और फिर से लड़कों के साथ मटरगश्ती करने लगी. लेकिन यह मटरगश्ती अधिक दिनोें तक नहीं चल सकी. इस की वजह थी कि उस के पिता दुल्ली ने उस का रिश्ता तय कर दिया था. ललिता का विवाह कोडरमा जनपद के ही गांव करौंजिया निवासी काली रविदास के बेटे सिकंदर रविदास से तय हुआ था.

सिकंदर किसान था और काफी सीधासादा इंसान था. लेकिन एक पैर से दिव्यांग था. उस का एक छोटा भाई जितेंद्र रविदास था. सिकंदर की उम्र विवाह योग्य हो चुकी थी, इसलिए ललिता का रिश्ता सिकंदर के लिए आया तो काली रविदास मना नहीं कर सके. 12 साल पहले दोनों का विवाह बड़ी धूमधाम से हो गया. कालांतर में ललिता 3 बेटों की मां बन गई. विवाह के बाद से ही सिकंदर ललिता के साथ अलग मकान में रहने लगा था. सिकंदर का छोटा भाई जितेंद्र अपने मातापिता के साथ रहता था. सिकंदर पैर से दिव्यांग होने पर भी खेतों में दिनरात मेहनत करता रहता था. इसलिए जब वह घर पर आता तो थकान से चूर हो कर सो जाता था, जिस से ललिता की ख्वाहिशें अधूरी रह जाती थीं.

पति के विमुख होने से ललिता बेचैन रहने लगी. इस स्थिति में कुछ औरतों के कदम गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं, ऐसा ही ललिता के साथ भी हुआ. अब उसे ऐसे शख्स की तलाश थी, जो उसे भरपूर प्यार दे और उस की भावनाओं की इज्जत करे. उस शख्स की तलाश में उस की नजरों को अधिक भटकना नहीं पड़ा. घर में ही वह शख्स उसे मिल गया, वह था जितेंद्र. सिकंदर जहां अपने भविष्य के प्रति गंभीर तथा अपनी जिम्मेदारियों को समझने वाला था, वहीं जितेंद्र गैरजिम्मेदार था. जितेंद्र का किसी काम में मन नहीं लगता था. जितेंद्र की निगाहें ललिता पर शुरू से थीं. वह देवरभाभी के रिश्ते का फायदा उठा कर ललिता से हंसीमजाक भी करता रहता था.  जितेंद्र की नजरें अपनी ललिता भाभी का पीछा करती रहती थीं.

दरअसल जितेंद्र ने ललिता को विवाह मंडप में जब पहली बार देखा था, तब से ही वह उस के हवास पर छाई हुई थी. अपने बड़े भाई सिकंदर के भाग्य से उसे ईर्ष्या होने लगी थी. वह सोचता था कि ललिता जैसी सुंदरी के साथ उस का विवाह होना चाहिए था. काश! ललिता उसे पहले मिली होती तो वह उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाता और उस की जिंदगी इस तरह वीरान न होती, उस की जिंदगी में भी खुशियां होतीं. ललिता के रूप की आंच से आंखें सेंकने के लिए ही वह ललिता के घर के चक्कर लगाता. चूंकि वह घर का ही सदस्य था, इसलिए उस के आनेजाने और वहां हर समय बने रहने पर कोई शक नहीं करता था. जितेंद्र की नीयत साफ नहीं थी, इसलिए वह ललिता से आंखें लड़ा कर और हंसमुसकरा कर उस पर डोरे डाला करता था.

सिकंदर सुबह खेत पर जाता तो दीया बाती के समय ही लौट कर आता. जितेंद्र के दिमाग में अब तक ललिता के रूप का नशा पूरी तरह हावी हो गया था. इसलिए ललिता को पाने की चाह में उस के सिकंदर के घर के फेरे जरूरत से ज्यादा लगने लगे. ललिता घर पर अकेली होती थी, इसलिए जितेंद्र के पास मौके ही मौके थे. एक दिन जितेंद्र दोपहर के समय आया तो ललिता दोपहर के खाने में तहरी बनाने की तैयारी कर रही थी, जिस के लिए आलू व टमाटर काट रही थी. जितेंद्र ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘लगता है, आज अपने हाथों से स्वादिष्ट तहरी बनाने जा रही हो.’’

‘‘हां, खाने का इरादा है क्या?’’

‘‘मेरा ऐसा नसीब कहां, जो तुम्हारे हाथों का बना स्वादिष्ट खाना खा सकूं. नसीब तो सिकंदर भैया का है, जो आप जैसी रूपसी उन को पत्नी के रूप में मिलीं.’’

यह सुन कर ललिता मुसकान बिखेरती हुई बोली, ‘‘ठीक है, मुझ से विवाह कर के तुम्हारे भैया ने अपनी किस्मत चमका ली तो तुम भी किसी लड़की की मांग में सिंदूर भर कर अपनी किस्मत चमका लो.’’

‘‘मुझे कोई दूसरी नहीं, तुम पसंद हो. अगर तुम तैयार हो तो मैं तुम्हारे साथ अपना घर बसाने को तैयार हूं.’’

ललिता जितेंद्र के रोज हावभाव पढ़ती रहती थी. इसलिए जान गई थी कि जितेंद्र के दिल में उस के लिए नाजुक एहसास है. वह इस तरह चाहत जाहिर कर के उस से प्यार की सौगात मांगेगा, ललिता ने सोचा तक न था. अचानक सामने आई ऐसी असहज स्थिति से निपटने के लिए वह उस से आंखें चुराने लगी और कटी हुई सब्जी उठा कर रसोई की तरफ चल दी. तभी उस के बच्चे भी घर आ गए. प्यार में विघ्न पड़ता देख कर जितेंद्र भी वहां से उठ गया. उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, वह ललिता के पास पहुंच जाता और अपने प्यार का विश्वास दिलाता. धीरेधीरे ललिता को उस के प्यार पर यकीन होने लगा. उसे भी अपने प्रति जितेंद्र की दीवानगी लुभाने लगी थी. उस की दीवानगी को देख कर ललिता के दिल में उस के लिए प्यार उमड़ पड़ा. कल तक जो ललिता जितेंद्र के हवास पर छाई थी, अब जितेंद्र ललिता के हवास पर छा गया.

एक दिन जितेंद्र ने फिर से ललिता के सामने अपने प्यार का तराना सुनाया तो वह बोली, ‘‘जितेंद्र, मेरे प्यार की चाहत में पागल होने से तुम्हें क्या मिलेगा. मैं विवाहित होने के साथसाथ 3 बच्चों की मां भी हूं. इसलिए मुझे पाने की चाहत अपने दिल से निकाल दो.’’

‘‘यही तो मैं नहीं कर पा रहा, क्योंकि यह दिल पूरी तरह से तुम्हारे प्यार में गिरफ्तार है.’’

ललिता कुछ नहीं बोल सकी. जैसे उस के जेहन से शब्द ही मिट गए थे. जितेंद्र ने अपने हाथ उस के कंधे पर रख दिए, ‘‘भाभी, कब तक तुम अपने और मेरे दिल को जलाओगी. कुबूल कर लो, तुम्हें भी मुझ से प्यार है.’’

ललिता ने सिर झुका कर जितेंद्र की आंखों में देखा और फिर नजरें नीची कर लीं. प्रेम प्रदर्शन के लिए शब्द ही काफी नहीं होते, शारीरिक भाषा भी मायने रखती है. जितेंद्र समझ गया कि मुद्दत बाद सही, ललिता ने उस का प्यार कुबूल कर लिया है. उस ने ललिता के चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. ललिता भी सुधबुध खो कर जितेंद्र से लिपट गई. उस समय मन के मिलन के साथ तन की तासीर ऐसी थी कि ललिता का जिस्म पिघलने लगा.  इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. यह बात करीब 6 साल पहले की है. बाद में यह मौका मिलने पर चलता रहा.

13 मई, 2021 को दोपहर करीब 12 बजे सिकंदर दास लोचनपुर गांव के निजी कार चालक विजय दास के साथ चरवाडीह के संजय दास के यहां शादी समारोह में गया. सिकंदर और विजय दोनों कार से गए थे. कार विजय की थी. साढ़े 3 बजे शादी समारोह से दोनों निकल आए. लेकिन सिकंदर दास घर नहीं लौटा. उस के नंबर पर सिकंदर के चाचा ने फोन किया गया तो विजय ने उठाया. उस से पूछा गया कि सिकंदर कहां है तो विजय द्वारा अलगअलग ठिकाने का पता बताते हुए फोन काट दिया. इस के बाद सिकंदर की काफी तलाश की गई, वह नहीं मिला. 16 मई को ललिता ने कोडरमा थाने और एसपी को एक पत्र दिया, जिस में उस ने अपने पति सिकंदर दास के लापता होने की बात लिखी. सिकंदर के गायब होने का आरोप उस ने कार चालक विजय दास पर लगाया था.

चूंकि मामला चांदवारा थाना क्षेत्र के करौंजिया गांव का था. इसलिए कोडरमा पुलिस ने मामला चांदवारा पुलिस को ट्रांसफर कर दिया. चांदवारा थाने के थानाप्रभारी सोनी प्रताप सिंह ने पूरा मामला जान कर थाने में सिकंदर की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थानाप्रभारी सोनी प्रताप ने 20 मई को जामू खाड़ी से विजय दास को गिरफ्तार कर लिया. सख्ती से पुलिस ने पूछताछ की तो विजय ने सिकंदर की हत्या करने की बात स्वीकारी. उस ने इस हत्या में सिकंदर की पत्नी ललिता और भाई जितेंद्र का भी हाथ होने की बात बताई. 20 मई को विजय के बाद ललिता और जितेंद्र को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर रात में कोटवारडीह के बंद पड़े मकान से सिकंदर की लाश बरामद कर ली.

वह अर्द्धनिर्मित मकान सिकंदर का था. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद चांदवारा थाने के थानाप्रभारी सोनी प्रताप सिंह अभियुक्तों को ले कर थाने आ गए. थाने में सख्ती से की गई पूछताछ में उन्होंने हत्या के पीछे की पूरी कहानी बयां कर दी. एक दोपहर को जितेंद्र और ललिता घर में बेधड़क रंगरलियां मना रहे थे कि अचानक किसी काम से सिकंदर खेतों से घर लौटा तो उस ने उन दोनों को रंगरलियां मनाते रंगेहाथों पकड़ लिया. यह देख कर उसे एक बार तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि उस की पत्नी ऐसा भी कर सकती है. वह ललिता पर खुद से भी ज्यादा विश्वास करता था. लेकिन हकीकत तो सामने उस की दगाबाजी की तरफ इशारा कर रही थी. दूसरी ओर सगा छोटा भाई जितेंद्र था, जिसे वह बहुत प्यार करता था, उस का खूब खयाल रखता था.

वही उस की गृहस्थी में आग लगा रहा था. अपनों की इस दगाबाजी से सिकंदर इतना आहत हुआ कि उस ने पूरे घर को सिर पर उठा लिया. ललिता और जितेंद्र ने भी उस से अपनी गलती की माफी मांग ली और भविष्य में ऐसा कुछ न करने का वादा किया तो सिकंदर शांत हुआ. जितेंद्र और ललिता ने उस समय तो अपनी जान छुड़ाने के लिए वादा कर दिया था, लेकिन वे इस पर अमल करने को कतई तैयार नहीं थे. लेकिन उन का भेद खुल चुका था, इसलिए मिलन में उन को बहुत ऐहतियात बरतनी पड़ती थी. वे चोरीछिपे फिर से मिल लेते थे. सिकंदर ने देखा तो उस ने विरोध किया. मामला घर की चारदीवारी से निकल कर गांव के लोगों तक पहुंच गया. पंचायत तक बैठ गई. भरी पंचायत में ललिता ने जितेंद्र के साथ रहने की बात कही. लेकिन फैसला हो न सका.

इस के बाद सिकंदर उन दोनों के बीच की एक बड़ी दीवार था, जिसे गिराए बिना वे हमेशा के लिए एक नहीं हो सकते थे. इसलिए ललिता और जितेंद्र ने सिकंदर की हत्या करने की ठान ली. सिकंदर दास ने विजय दास से लोन दिलाने के नाम पर डेढ़ लाख रुपए लिए थे. सिकंदर ने जब लोन नहीं दिलाया तो विजय उस से अपने दिए रुपए वापस मांगने लगा. सिकंदर रुपए देने में टालमटोल कर रहा था. ऐसे में ललिता ने जितेंद्र से बात कर के विजय को अपने प्लान में शामिल करने की बात कही. उस ने यह भी कहा कि सिकंदर का काम तमाम होने के बाद वह अकेले विजय को उस की हत्या में फंसवा देगी, जिस से वे दोनों बच जाएंगे.

जितेंद्र को उस की बात सही लगी. दोनों ने विजय से बात की तो वह सिकंदर की हत्या में उन दोनों का साथ देने को तैयार हो गया. 13 मई, 2021 को एक शादी समारोह से लौटने के बाद विजय सिकंदर को ले कर कोटवारडीह में उस के अर्धनिर्मित मकान पर ले गया. वहां ललिता और जितेंद्र पहले से मौजूद थे. तीनों ने मिल कर सिकंदर की गला दबा कर हत्या कर दी और लाश एक कमरे में डाल कर कमरा बंद कर दिया. लेकिन सिकंदर की हत्या में विजय को फंसाने की योजना ही ललिता और जितेंद्र को भारी पड़ गई. ललिता ने उस पर शक जताया तो पुलिस विजय को पकड़ कर उन तक पहुंच गई. तीनों अभियुक्तों के विरुद्ध हत्या व साक्ष्य छिपाने का मुकदमा दर्ज कर के चांदवारा पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. Parivarik Kahani

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Real Crime Story in Hindi : एक देवर ने भाभी के पैर पकड़े दूसरे ने गला दबा कर मार डाला

Real Crime Story in Hindi : सीआरपीएफ में कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के की पत्नी पूजा 2 बच्चों के साथ गांव में रहती थी. इस के बावजूद उस ने अन्नू से एक मंदिर में शादी कर ली. दो नावों पर सवारी करने वाला जितेंद्र ऐसा डूबा कि…

पूजा अस्के अपने घर के रोजमर्रा के काम कर रही थी, तभी किसी ने दरवाजे पर घंटी बजाई. ‘कौन आ गया’ कहते हुए वह दरवाजे की ओर बढ़ी. जैसे ही उस ने फ्लैट का दरवाजा खोला तो सामने खड़े 2 युवकों को देख कर उस के चेहरे पर मुसकान थिरक उठी थी. क्योंकि दोनों युवक उस के देवर थे. पूजा दरवाजा बंद कर दोनों को अंदर कमरे में ले आई. दोनों युवकों में से एक का नाम राहुल अस्के था, जो उस का सगा देवर था जबकि दूसरे का नाम नवीन था. नवीन राहुल की मौसी का बेटा था. अकसर दोनों कहीं भी साथ ही आतेजाते थे.

जबलपुर के धार मोहल्ले का रहने वाला राहुल अस्के प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर था. जबकि उस का बड़ा भाई जितेंद्र अस्के केंद्रीय रिजर्वपुलिस बल (सीआरपीएफ) में कंपनी कमांडर था. पूजा जितेंद्र अस्के की ही दूसरी पत्नी थी. जितेंद्र पूजा के साथ इंदौर की मल्हारगंज इलाके में स्थित कमला नेहरू कालोनी के रामदुलारी अपार्टमेंट में रहता था. दोनों अपनी भाभी से मिलने आए थे. पूजा उन्हें कमरे में बिठा कर किचन में चली गई. वह थोड़ी देर में दोनों देवरों और अपने लिए ट्रे में 3 प्याली चाय और नमकीन ले कर लौटी.  तीनों साथ बैठ कर नमकीन के साथ चाय की चुस्की ले रहे थे. चाय खत्म हुई तो पूजा राहुल की ओर मुखातिब हुई, ‘‘कैसे हो देवरजी.’’

‘‘ठीक हूं भाभी. आप बताओ, कैसी हो?’’

‘‘एकदम चकाचक, फर्स्टक्लास हूं.’’ चहक कर पूजा बोली, ‘‘मम्मीपापा कैसे हैं? उन की तबीयत कैसी है? घर पर सब खैरियत तो हैं न?’’

‘‘हां…हां, सब ठीक हैं भाभी, और मम्मीपापा भी एकदम ठीकठाक हैं.’’

‘‘और आप..?’’ पूजा ने पूछा.

‘‘एकदम चंगा, शेर की माफिक…’’

राहुल ने इस अंदाज में जवाब दिया था कि सभी अपनी हंसी नहीं रोक पाए और ठहाका लगाने लगे. कई महीने बाद राहुल अपनी भाभी पूजा से मिलने आया था तो पूजा भी उन के स्वागत में कसर नहीं छोड़ रही थी. दिल खोल कर उन के आवभगत में लगी रही. बीचबीच में देवर और भाभी के बीच हंसीमजाक भी होता रहा. 4-5 घंटे का समय कैसे बीत गया, किसी को पता ही नहीं चला. यह बात 24 अप्रैल, 2021 की दोपहर की है. बात उसी दिन शाम 7 बजे की है. पूजा की पड़ोसन सीमा उस से मिलने उस के कमरे पर पहुंची तो देखा दरवाजे के दोनों पट आपस में भिड़े हुए हैं.

पूजा इतनी देर तक अपना दरवाजा कभी बंद कर के नहीं रखती थी. यह देख कर सीमा को थोड़ा अजीब लगा. फिर बाहर दरवाजे से उस ने कई बार पूजा को आवाज लगाई लेकिन भीतर से कोई हरकत नहीं हुई तो उसे और भी अजीब लगा. सीमा ने दरवाजे को हलका सा धक्का दिया तो किवाड़ अंदर की ओर खुल गए. फिर आवाज लगाती हुई वह उस के कमरे में पहुंच गई, जहां बिस्तर पर पूजा सोती हुई नजर आ रही थी. सीमा ने फिर से उसे आवाज लगाई लेकिन पूजा ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसे कुछ शक हुआ. उस ने उसे हिलाडुला कर देखा तो शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी. वह बिस्तर पर अचेत पड़ी थी और उस का शरीर गरम था. यह देख कर सीमा बुरी तरह घबरा गई और वहां से अपने कमरे में वापस लौट आई.

उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? पूजा के घर पर उस के अलावा कोई नहीं था. उस का पति जितेंद्र अस्के जबलपुर स्थित अपने घर गया था. सीमा ने पूजा के बेहोश होने की जानकारी उस के पति जितेंद्र अस्के को फोन पर दे दी थी. इस के बाद सीमा ने आसपास के फ्लैटों में रहने वाले अपने जानकारों को पूजा के बेहोश होने की जानकारी दे दी. लोगों ने पूजा की हालत देखते हुए फोन कर सरकारी एंबलेंस बुला कर पूजा को अस्पताल ले गए. लेकिन अस्पताल के डाक्टरों ने पूजा को मृत घोषित कर दिया. उधर पत्नी की बेहोशी की जानकारी पा कर जितेंद्र अस्के घबरा गया और उसी समय प्राइवेट साधन से जबलपुर से इंदौर चल दिया. सुबह होतेहोते वह इंदौर पहुंच गया था.

जैसे ही अस्पताल में उसे पत्नी की मौत की जानकारी मिली तो वह वहां बिलख कर रोने लगा. लोगों ने किसी तरह उसे सांत्वना दे कर चुप कराया तो उस ने पूजा की मौत की सूचना अपनी ससुराल वालों को दी तो सुन कर जैसे उन के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई. उस की मौत पर सहसा उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि कल तक तो पूजा अच्छीभली थी, अचानक उस की मौत कैसे हो सकती है. जरूर दाल में कुछ काला है. पूजा की छोटी बहन दुर्गा को भी बहन की मौत पर शक हो रहा था. वह घर वालों को साथ ले कर अस्पताल पहुंची, जहां पूजा की बौडी पड़ी थी. बहन की अचानक मौत पर दुर्गा अपने जीजा जितेंद्र अस्के से भिड़ गई. वह यह कतई मानने को तैयार नहीं थी कि उस की बहन की मौत अचानक हो सकती है.

क्योंकि वह बेहद जिंदादिल इंसान थी. वह भलीचंगी थी. उस की कोख में 8 माह का बच्चा पल रहा था. बच्चे को ले कर वह बेहद संजीदा थी. इस मौत को वह चीखचीख कर हत्या बता रही थी. अस्पताल में हंगामा खड़ा होता देख प्रशासन ने पुलिस को सूचित कर दिया. अस्पताल प्रशासन की सूचना पर थोड़ी देर बाद वहां मल्हारगंज थाने की पुलिस आ गई थी. अस्पताल उसी थानाक्षेत्र में आता था. पुलिस ने लाश अपने कब्जे में ले लिया. पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो पूजा के गले पर कुछ निशान नजर आए. इस से पुलिस को भी मामला संदिग्ध लगा तो पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. एक दिन बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई. रिपोर्ट में गला दबा कर हत्या किए जाने का उल्लेख किया गया था. यानी दुर्गा का शक सच था. पूजा की हत्या की गई थी.

पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी की हत्या का आरोप जिस व्यक्ति पर लगाया जा रहा था वह उस का पति जितेंद्र अस्के था. जितेंद्र अस्के कोई मामूली व्यक्ति नहीं था. वह सीआरपीएफ की 34वीं बटालियन का कंपनी कमांडर था. अर्द्धसैनिक बल के अफसर पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप मढ़ा जा रहा था. फिर क्या था, शक के आधार पर 26 अप्रैल, 2021 को मल्हारगंज के थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर ने पूछताछ के लिए जितेंद्र अस्के को थाने बुला लिया. उसी समय पूजा की बहन दुर्गा भी थाने पहुंची. उस ने थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर को बताया कि घटना से एक दिन पहले शाम 7 से 8 बजे के बीच में फोन पर उस की पूजा से बात हुई थी. तब पूजा ने बताया था कि जितेंद्र उस के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं.

चरित्र पर लांछन लगा कर वह उस के साथ मारपीट करते हैं. और तो और जीजा ने अपनी पहली शादी के बारे में दीदी से छिपाया था, उन्हें सच्चाई नहीं बताई थी कि वह पहले से शादीशुदा हैं और 2 बच्चों के पिता भी. दुर्गा के बयान ने थाने में सनसनी फैला दी थी. उस के बयान में कितनी सच्चाई थी, यह जांच का विषय था. फिलहाल, दुर्गा के बयान ने पूजा हत्याकांड से रहस्य का परदा उठा दिया था. पूजा की हत्या निश्चित ही 2 औरतों के बीच की जंग की उपज थी. दोनों औरतों की लड़ाई ने पूजा को मौत के मुंह में ढकेला था. पुलिस हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए जितेंद्र से पूछताछ कर रही थी. कंपनी कमांडर जितेंद्र ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि जिस दिन घटना घटी थी उस दिन वह जबलपुर स्थित अपने गांव आया था. पत्नी की हत्या किस ने की, उसे नहीं पता.

पूछताछ के बाद पुलिस ने जितेंद्र को इस हिदायत के साथ छोड़ दिया कि वह शहर छोड़ कर कहीं नहीं जाए और कहीं जाने से पहले इस की सूचना थाने को देनी होगी. जितेंद्र को छोड़ने के बाद थानाप्रभारी ठाकुर ने उस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उस के पीछे पुलिस लगा दी. दुर्गा की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया और जांच की काररवाई शुरू कर दी. इंसपेक्टर प्रीतम सिंह ठाकुर हत्या की जांच करने के लिए अपनी टीम के साथ जितेंद्र के आवास रामदुलारी अपार्टमेंट पहुंचे. पुलिस ने कमरे की गहराई से छानबीन की.

छानबीन के दौरान पुलिस को कोई ऐसा सुराग हाथ नहीं लगा, जिस से वह हत्यारों तक पहुंचती किंतु पड़ोसियों से की गई पूछताछ से इतना जरूर पता चल गया था कि घटना वाले दिन पूजा से मिलने उस के 2 देवर यहां आए थे. कुछ घंटों बाद वे उस के घर से चले गए थे. देवरों के जाने के बाद से पूजा के कमरे का दरवाजा लगातार बंद आ रहा था. इस का मतलब पूजा की हत्या उस के देवरों ने मिल कर की है. हत्या करने के बाद पुलिस से बचने के लिए वे मौके से फरार हो गए. अब तो उन दोनों के गिरफ्तार होने के बाद ही सच का पता चल सकता था. इस के बाद पुलिस ने अपने मुखबिर तंत्र से पता लगा लिया कि कंपनी कमांडर जितेंद्र आस्के की 2 शादियां हुई थीं.

पूजा आस्के उस की दूसरी पत्नी थी और उस ने प्रेम विवाह किया था. धोखे में रखने की वजह से दूसरी पत्नी ने पति जितेंद्र की नाक में दम कर दिया था और पहली पत्नी को छोड़ने के लिए उस पर निरंतर दबाव बनाए हुए थी. बहरहाल, थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ने घटना की सारी सच्चाई एसपी (वेस्ट) महेशचंद जैन और एएसपी (वेस्ट) प्रशांत चौबे को दी तो एसपी महेशचंद ने एएसपी के नेतृत्व में आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एक टीम बनाई, जिस में थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर को भी शामिल किया गया. पुलिस टीम ने जबलपुर के धार से पूजा के दोनों देवरों राहुल अस्के और नवीन अस्के को हिरासत में ले लिया. दोनों से कड़ाई से पूछताछ की तो राहुल अस्के ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. हत्या करने में नवीन ने बराबर का सहयोग किया था. उस ने बताया कि हत्या की साजिश बड़े भैया जितेंद्र अस्के के सामने रची गई थी.

दोनों आरोपितों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. इंदौर पुलिस दोनों आरोपितों को जबलपुर से ले कर इंदौर पहुंची. यहां पुलिस ने रामदुलारी अपार्टमेंट में दबिश दे कर जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. खैर, पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी हत्याकांड में तीनों आरोपियों जितेंद्र अस्के, जितेंद्र के भाई राहुल अस्के और नवीन अस्के को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. तीनों आरोपियों से की गई गहन पूछताछ में पूजा हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—

35 वर्षीय जितेंद्र अस्के मूलरूप से जबलपुर के धार इलाके का रहने वाला था. मांबाप के अलावा उस के परिवार में एक भाई और एक बहन थी. इन में जितेंद्र सब से बड़ा था. बचपन से ही उसे पुलिस की नौकरी अच्छी लगती थी. बड़ा हो कर वह फौज में भरती होना चाहता था. जितेंद्र को पता था फौज में भरती होने के लिए मजबूत और कसरती बदन का होना जरूरी है. अपने धुन का पक्का जितेंद्र पुलिस में भरती होने के लिए अपने खानपान और शरीर पर विशेष ध्यान देता था और उस ने खुद को पुलिस में भरती होने वाला मजबूत और गठीला जिस्म बना लिया था. आखिरकार वह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में भरती हो गया. वर्तमान में वह कंपनी कमांडर था.

जितेंद्र सीआरपीएफ में एक बड़ा अफसर बन गया था. उस की शादी के लिए अच्छेअच्छे रिश्ते आने लगे थे. घर वालों ने धार के रिश्ते को अपनी मंजूरी दे अन्नू के संग रिश्ता जोड़ कर उस की गृहस्थी बसा दी थी. पढ़ीलिखी, गुणी और संस्कारी अन्नू को पत्नी के रूप में पा कर वह बेहद खुश था. जितेंद्र और अन्नू की गृहस्थी बड़े मजे और खुशहाली से कट रही थी. उस के घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. मजे से दोनों के दिन कट रहे थे. समय से 2 बच्चे भी पैदा हुए. बच्चों की किलकारियों से जितेंद्र के आंगन का कोनाकोना महक उठा था. इसी बीच जितेंद्र अस्के ट्रांसफर हो कर इंदौर आ गया था. मांबाप के साथ पत्नी और बच्चे धार में ही रहते थे. इंदौर के आनंद बाजार में किराए का एक कमरा ले कर वह रहने लगा था. घर से ड्यूटी और ड्यूटी से घर, यही उस की दिनचर्या थी. वह कभीकभार आनंद बाजार जाता था.

एक दिन की बात है. जितेंद्र आनंद बाजार कुछ खरीदारी के लिए आया था. जिस दुकान से वह अपने लिए सामान खरीद रहा था, उसी के बगल में एक बेहद खूबसूरत युवती खड़ी सामान खरीद रही थी. अनजाने में उस युवती की कलाई कंपनी कमांडर जितेंद्र के हाथ से छू गई थी. उस युवती की कलाई के स्पर्श से जितेंद्र के जिस्म में अजीब सी लहर दौड़ गई थी. उस के बाद जितेंद्र ने पलट कर उस युवती की ओर देखा. गोरी रंगत वाली उस युवती कोे देख वह उस पर मुग्ध सा हो गया था. पलभर के लिए उस की नजरें उस के सुंदर चेहरे पर जा टिकी थीं. अपलक उसे देखते युवती भी मुसकरा पड़ी. सामान ले कर वह युवती वहां से चली गई. जितेंद्र उसे तब तक निहारता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.

बाद में जितेंद्र ने अपने स्तर से पता लगा ही लिया कि उस युवती का नाम पूजा उर्फ जाह्नवी है और वह इसी आनंद बाजार मोहल्ले में अपने परिवार के साथ रहती थी. यह घटना से करीब 3 साल पहले की बात थी. खैर, उस दिन के बाद एक दिन बाजार में फिर से पूजा से उस की मुलाकात हो गई. इस के बाद तो अकसर दोनों की मुलाकात बाजार में हो जाया करती थी. धीरेधीरे यह मुलाकात दोस्ती के जरिए प्यार में बदल गई. कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के और पूजा प्यार की डोर में बंध गए थे. पुलिस अफसर जितेंद्र के मन में इश्क की ऐसी लगन लगी थी कि उस का तन और मन धधक रहा था. बाद में वे दोनों लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

पूजा को उस ने अपने आनंद बाजार वाले किराए के कमरे में रखा था. उस ने अपनी शादीशुदा जिंदगी को पूजा से छिपा लिया था. जितेंद्र ने खुद को कुंवारा बताया था. जितेंद्र के कुंवारा होने से पूजा के घर वाले बेहद खुश थे कि उस की लाडली बेटी ने अपने लिए कितना बढि़या वर चुना है. पूजा के घर वाले बेटी के ऐसे लिवइन रिलेशन के रिश्ते से खुश नहीं थे. वे चाहते थे कि दोनों शादी कर के रहें, जिस से कोई उन की बेटी के चरित्र पर अंगुली न उठाए. पूजा के घर वालों के दबाव से जितेंद्र कोर्ट मैरिज करने के लिए तैयार नहीं हुआ, अलबत्ता मंदिर में जा कर उस ने पूजा से विवाह कर लिया और उसे साथ ले कर रहने लगा.

जितेंद्र कानून का जानकार था. वह जानता था कि अगर पूजा को उस की पहली शादी वाली बात पता चल गई तो कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट को आधार बना कर वह उस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है, इसीलिए उस ने रजिस्टर्ड विवाह के बजाय मंदिर में शादी की थी, ताकि इस मैरिज का उस के पास कोई सबूत न बचे. पूजा से शादी रचाने के बाद जितेंद्र ने आनंद बाजार वाला किराए का कमरा छोड़ कर मल्हारगंज इलाके के रामदुलारी अपार्टमेंट में 3 कमरों वाला फ्लैट किराए पर ले लिया और ठाठ से वहां पूजा के साथ रहने लगा था. धीरेधीरे समय बीतता रहा. पूजा गर्भवती हो गई. वह बच्चे को ले कर बेहद संजीदा थी. पूजा ने एक दिन रात में पति को फोन पर किसी औरत से बात करते सुन लिया.

जब उस ने पति से पूछा कि इतनी देर रात को किस से बात कर रहे हो तो उस की बात सुन कर वह एकदम से हड़बड़ा गया और उस के माथे पर पसीने छूट गए थे. फिर वह बातें बनाते हुए औफिशियल बात कह कर टाल कर चुपचाप सो गया. न जाने क्यों पूजा को जितेंद्र पर संदेह हो गया था कि वह उस से कुछ छिपा रहा है. उस दिन के बाद से पूजा पति पर नजर रखने लगी. आखिरकार पूजा के सामने जितेंद्र की सच्चाई खुल कर आ ही गई. पूजा को पता चल गया कि जितेंद्र की जिंदगी में कोई दूसरी औरत है. वह औरत कोई और नहीं, उस की पहली बीवी है. यानी जितेंद्र पहले से शादीशुदा था और उस ने इतनी बड़ी बात उस से छिपा कर रखी थी.

उस के प्यार और विश्वास के साथ उस ने इतना बड़ा धोखा किया. पूजा को ऐसा लगा जैसे काटो तो खून नहीं. वह सिर पकड़ कर धम्म से गिर गई और कोख के ऊपर हाथ फेरते हुए सुबकने लगी थी. उस की आंखों के सामने जैसे अंधेरा छा गया था. पलभर के लिए जैसे सोच नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे, कहां जाए, किस के कंधे पर सिर रख कर रो ले, ताकि उस का दुख थोड़ा कम हो जाए. पूजा इतनी आसानी से जितेंद्र को छोड़ने वाली नहीं थी. क्योंकि उस ने उसे धोखे में रख कर उस की जिंदगी बरबाद की थी. औरत सब कुछ बरदाश्त कर सकती है, लेकिन अपने सुहाग को हिस्सों में बंटता कभी नहीं देख सकती. पहली औरत यानी सौतन को ले कर पूजा और जितेंद्र के बीच खूब झगड़ा हुआ.

उस ने जितेंद्र से सवाल किया कि मेरी जिंदगी को क्यों बरबाद किया, जब पहले से शादीशुदा थे, तो धोखा क्यों दिया? बताया क्यों नहीं उस के बच्चे भी हैं, जो कहीं और रहते हैं. पूजा चुप बैठने वालों में से नहीं थी. एक दिन उस ने पति की पहली पत्नी अन्नू को फोन कर के सारी असलियत बता दी. पति की सच्चाई जान कर अन्नू बिफर गई और सौतन को ले कर दोनों में खूब झगड़ा हुआ. अन्नू ने पति को धमकी दी कि अगर उस ने सौतन पूजा से संबंध नहीं तोड़ा तो वह बच्चों के साथ आत्महत्या कर लेगी. पत्नी की आत्महत्या कर लेने की धमकी से जितेंद्र बुरी तरह डर गया और अगले दिन धार पत्नी के पास पहुंच गया. जितेंद्र ने जो गलती की थी, उस का तो परिणाम यही होना था.

2 नावों पर सवार जितेंद्र अस्के की जिंदगी अब डगमगाने लगी थी. वह किसे छोड़े और किसे अपनाए, इसी ऊहापोह में डूबा हुआ था. दोनों पत्नियों के बीच जितेंद्र पिस कर रह गया था. मंझधार में अटका जितेंद्र किनारे की तलाश में भटक कर रहा था, लेकिन उसे वह किनारा मिल नहीं रहा था. बात 22 अप्रैल, 2021 की है. जितेंद्र धार में पहली पत्नी अन्नू के साथ था. दोनों पत्नियों को ले कर महीनों से घर में महाभारत छिड़ी थी. बात नातेरिश्तेदारों तक पहुंच गई थी. चारों ओर जितेंद्र की थूथू हो रही थी. अब पानी सिर के ऊपर से बहने लगा था. 2 दिन पहले ही जितेंद्र का छोटा भाई राहुल अस्के, जो मध्य प्रदेश पुलिस में एसआई था. उस की तैनाती छिंदवाड़ा में थी. उस समय वह घर आया था. राहुल की मौसी का बेटा नवीन भी वहां आया था.

उसी दौरान दोपहर के समय अन्नू के मोबाइल पर पूजा का फोन आया. पति के सामने फोन पर दोनों सौतनों के बीच खूब झगड़ा हुआ. पूजा ने पति को भी खूब खरीखोटी सुनाई. बड़े भाई का अपमान राहुल देख नहीं पाया. उस के तनबदन में आग लग गई थी. उसी वक्त राहुल और नवीन ने जितेंद्र के सामने उस की सहमति से पूजा की हत्या की बात कही तो जितेंद्र अपनी ओर से उसे हरी झंडी दे दी. क्योंकि पूजा के रोजरोज के झगड़े से वह ऊब चुका था. भाई की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद 23 अप्रैल की शाम राहुल और नवीन इंदौर के लिए रवाना हो गए. 24 अप्रैल को दोपहर में दोनों इंदौर के मल्हारगंज स्थित रामदुलारी अपार्टमेंट पहुंच गए. देवरों को देख कर पूजा खुश हुई थी. उसे क्या पता था कि जिन्हें देख कर वह खुश हो रही है, वह मेहमान के रूप में साक्षात यमदूत हैं, राहुल और नवीन को आते पड़ोसन सीमा ने देख लिया था.

खैर, पूजा देवरों को अंदर लाई और उन्हें कमरे में बिठाया और खुद उन के लिए चाय बनाने किचन में चली गई. थोड़ी देर बाद 3 प्याली में चाय और एक प्लेट में नमकीन ले कर आई. तीनों ने एक साथ बैठ कर चाय पी. जैसे ही पूजा खाली प्याली समेट कर किचन की ओर बढ़ी, तभी पीछे से राहुल और नवीन उस पर टूट पड़े. नवीन ने भाभी पूजा के दोनों पैर पकड़ लिए और राहुल ने गला घोंट कर उसे मार डाला. उस के बाद दोनों ने उस की लाश ले जा कर ऐसे सुला दी, जैसे वह बिस्तर पर सो रही हो. फिर बाद दोनों फरार हो गए. तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी के तीनों हत्यारोपी कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के, आरक्षक राहुल अस्के और नवीन अस्के जेल की सलाखों के पीछे कैद थे. पूजा की मौत का जितेंद्र को जरा भी गम नहीं था. Real Crime Story in Hindi

—कथा में सीमा परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है.

Hindi Stories love : अवैध संबंध का खौफनाक अंत – भतीजे ने चाची के प्यार में घोंटा चाचा का गला

Hindi Stories love : चाचीभतीजे का रिश्ता मांबेटे जैसा होता है. लेकिन जमना देवी ने 18 वर्षीय भतीजे मदनमोहन को अपने मोहपाश में ऐसा फांसा कि वह निकल न सका. फिर एक दिन…

राजस्थान के अलवर जिले के भिवाड़ी शहर के थाना यूआईटी के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को 15 फरवरी, 2021 की सुबह फोन पर सूचना मिली कि सेक्टर 4 व 5 के बीच सड़क पर एक व्यक्ति का शव पड़ा है. सूचना पा कर थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. मौके पर उन्हें वास्तव में एक युवक का शव पड़ा मिला. उन्होंने जब शव की जांच की तो उस के दोनों पैरों के अंगूठों से चमड़ी उधड़ी हुई दिखी. प्रथमदृष्टया ऐसा लग रहा था मानो मृतक की हत्या कहीं और कर के शव यहां ला कर डाला गया हो. पुलिस ने इस नजर से भी जांच की कि मृतक कहीं दुर्घटना का शिकार तो नहीं हो गया. मगर मौकाएवारदात और शव को देखने से ऐसा नहीं लग रहा था.

शव पर और किसी जगह चोट या रगड़ के निशान या खून निकला हुआ नहीं था. मामला सीधे हत्या का लग रहा था. मामला संदिग्ध लगा तो थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार ने मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी के संज्ञान में मामला आया तो उन्होंने एएसपी अरुण मच्या को घटनास्थल पर जा कर मामला देखने के निर्देश दिए. एएसपी अरुण मच्या और फूलबाग थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल टीम को भी वहां बुला कर साक्ष्य इकट्ठा करवाए. पुलिस अधिकारियों ने जांचपड़ताल के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. शव की शिनाख्त नहीं हुई थी. लेकिन जब तक शिनाख्त नहीं हो जाती.

तब तक पुलिस हाथ पर हाथ धर कर बैठने वाली नहीं थी. पुलिस ने अज्ञात शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया. इस केस को सुलझाने के लिए एएसपी अरुण मच्या के निर्देशन में एक पुलिस टीम गठित की गई. इस टीम में यूआईटी थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार के साथ फूलबाग थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह सोलंकी, एसआई अखिलेश, हैडकांस्टेबल मुकेश कुमार, राकेश कुमार, मोहनलाल, कर्मवीर, रामप्रकाश, राजेंद्र, संतराम, सुरेश, ओमप्रकाश व ऊषा को शामिल किया गया. मृतक की हुई शिनाख्त इस पुलिस टीम ने मृतक के फोटो एवं पैंफ्लेट बना कर भिवाड़ी में सार्वजनिक स्थानों पर लगवा कर लोगों से शव की शिनाख्त की अपील की. साथ ही पुलिस टीम ने 2 दिन में लगभग 800 घरों में संपर्क कर शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की. वहीं पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले.

सीसीटीवी फुटेज में एक बाइक पर एक युवक और महिला किसी व्यक्ति को बीच में बैठा कर ले जाते दिखे. पुलिस ने मृतक की शिनाख्त कर ली. मृतक का नाम कमल सिंह उर्फ कमल कुमार था. मृतक कमल निवासी उमराया, छाता, जिला मथुरा का रहने वाला था और इन दिनों भिवाड़ी की प्रधान कालोनी, सेक्टर-2 में रह रहा था. पुलिस ने मृतक कमल के घर जा कर पूछताछ की तो मृतक की बीवी जमना देवी अपने पति की हत्या की बात सुन कर रोने लगी. पुलिस ने उसे ढांढस बंधाया और पूछताछ की. जमना देवी ने बताया कि उस का पति कमल एटीएम से रुपए निकलवाने गया था. जबकि मृतक के बड़े भाई भीम सिंह ने पुलिस को बताया कि 14 फरवरी, 2021 की रात कमल सिंह की पत्नी जमना देवी उन के घर आई थी. वह उस से बाइक की चाबी यह कह कर मांग कर लाई थी कि कमल को बल्लभगढ़ जाना है.

भीम सिंह ने तब बाइक की चाबी जमना को दे दी थी. पुलिस को लगा कि मृतक की बीवी गुमराह कर रही है. तब पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ करने के साथ ही सीसीटीवी फुटेज जमना देवी को दिखाई. सीसीटीवी फुटेज में बाइक पर बैठी महिला के कपड़े एवं जमना के पहने कपड़े एक ही थे. पुलिस को पक्का यकीन हो गया कि कमल की हत्या में उस की पत्नी जमना का हाथ है. तब पुलिस ने जमना से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में जमना टूट गई. उस ने कबूल कर लिया कि अपने प्रेमी और भतीजे मदनमोहन के साथ मिल कर पति की हत्या की थी. तब पुलिस ने मृतक कमल सिंह की बुआ के पोते 19 वर्षीय मदनमोहन को फरीदाबाद, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने मदनमोहन को मोबाइल की लोकेशन के आधार पर साइबर सेल एक्सपर्ट की मदद से धर दबोचा था.

पुलिस गिरफ्त में आते ही मदनमोहन समझ गया कि उस का भांडा फूट गया है. इसलिए उस ने भी कमल सिंह की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. इस तरह 19 फरवरी, 2021 को पुलिस ने हत्या के इस मामले से परदा हटा दिया. मदनमोहन को यूआईटी थाना पुलिस थाने ले आई. शव की शिनाख्त होने के बाद कमल सिंह के शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया गया. मृतक के भाई भीम सिंह की तरफ से जमना देवी उर्फ लक्ष्मी जादौन और मदनमोहन जादौन के खिलाफ भादंसं की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. आरोपियों जमना देवी उर्फ लक्ष्मी और उस के प्रेमी भतीजे मदनमोहन से की गई पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार निकली—

कमल सिंह और भीम सिंह जादौन सगे भाई थे. कई साल पहले वह अपने गांव उमराया, थाना छाता, जिला मथुरा, उत्तरप्रदेश से राजस्थान के अलवर के भिवाड़ी शहर में आ बसे थे. दोनों भाई भिवाड़ी में किराए के मकान में रहते थे. दोनों भाई माश मेटल कंपनी चौक भिवाड़ी में नौकरी करते थे. शादी के बाद दोनों भाई अलग हो गए थे. कमल सिंह अपनी पत्नी जमना देवी उर्फ लक्ष्मी के साथ प्रधान कालोनी, सेक्टर-2 में किराए के मकान में रहता था. वहीं भीम सिंह अपने बीवीबच्चों के साथ रामनिवास कालोनी, भिवाड़ी में रहता था. दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे. दोनों की तनख्वाह भी अच्छीखासी थी. जिस से घरपरिवार का खर्च आराम से चल रहा था.

शादी में दे बैठे दिल जमना करीब एक साल पहले कमल की बुआ के पोते की शादी में गांव सांखी, मथुरा गई थी. शादी में वैसे भी सब लोग अच्छे कपड़े और शृंगार कर के शामिल होते हैं. महिलाएं और युवतियां तो ऐसे मौके पर सजनेसंवरने में कोई कसर नहीं छोड़तीं. जमना ने भी मेकअप करा कर अच्छे कपड़े पहने. वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. शादी श्रीचंद जादौन के बड़े बेटे की थी. दूल्हे का छोटा भाई मदनमोहन भी उस समय खूब सजाधजा हुआ था. वह शक्लसूरत से भी ठीक ही था. दूल्हे के आसपास घूमते मदनमोहन और जमना की नजरें एकदूसरे से मिलीं तो दोनों एकदूसरे से नजरें नहीं हटा सके. मदन को जहां जमना प्यारी लगी थी, वहीं जमना को भी मदन भा गया था. मदन उस समय 18 साल का गबरू जवान था. दोनों का रिश्ता वैसे तो चाचीभतीजे का था मगर उन की आंखों में एकदूजे के लिए अलग ही चाहत थी.

दोनों एकदूसरे को ऐसे देख रहे थे, मानो उन के अलावा उन के लिए वहां कोई और था ही नहीं. मदन ने जब भी इधरउधर देख कर जमना की तरफ देखा, वह उसे ही देखती मिली. मदनमोहन ने तब मौका पा कर जमना चाची से कहा, ‘‘चाची, क्या खूबसूरत लग रही हो. नयनों के तीर चुभो कर मेरा दिन घायल कर दिया.’’

सुन कर जमना हंस कर बोली, ‘‘तुम्हारे नयनों ने मेरा भी दिल घायल कर दिया. अब इस की मरहमपट्टी तुम्हें ही करनी पड़ेगी.’’

‘‘बंदा अभी हाजिर है. आप हुक्म करें. मैं दिल का नया डाक्टर हूं.’’ वह बोला.

‘‘अच्छा, तो डाक्टर साहब से दिल घायल हुआ उस का इलाज आज जरूर कराएंगे.’’ जमना ने हंस कर कहा.

ये बातें हो तो मजाक में रही थीं मगर दोनों के मन में एकदूजे के लिए चाहत जाग उठी थी. दोनों शादी के दौरान एकदूसरे से मिलते रहे. एकदूसरे की खूबसूरती की तारीफों के पुल बांधते रहे. मौका रात में मिला तो दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. उन का चाचीभतीजे का रिश्ता वासना की आग में जल कर खाक हो गया. दोनों में एक नया रिश्ता कायम हो गया, जिस का अंत बहुत बुरा होने वाला था. अगले दिन जमना जब गांव सांखी बुआ सास के घर से भिवानी आने की तैयारी कर रही थी तो मदनमोहन ने कहा, ‘‘चाची, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे जाने के बाद मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी.’’

‘‘आज के बाद चाची नहीं जमना कहोगे.’’ जमना बोली.

तब मदनमोहन बोला, ‘‘जैसा आप का हुकम मेरी प्यारी डार्लिंग जमना. मुझे हर रोज फोन करना. मिलने भी बुलाना. क्योंकि मैं तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा.’’

‘‘जरूर मेरे राजा, मुझे भी तुम्हारी बहुत याद सताएगी. याद करूं तब दौड़े आना.’’ वह बोली.

‘‘जरूर आऊंगा.’’ मदन ने जमना की ओर देखते हुए रुआंसे स्वर में कहा.

इस के बाद दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर लिया. जमना भिवाड़ी आ गई. वह भिवाड़ी आ जरूर गई थी, लेकिन अपना दिल तो भतीजे मदनमोहन के पास छोड़ आई थी. यही हाल मदनमोहन का भी था. उसे जमना के बगैर कुछ भी अच्छा नहीं लगता था. मगर करते भी तो क्या. दोनों फोन पर बातें कर के दिल को तसल्ली देते रहते. एकदो बार मदनमोहन भिवाड़ी भी आया और हसरतें पूरी कर वापस गांव मथुरा लौट आया. उन के बीच अवैध संबंध बने तो दोनों को दुनिया फीकी लगने लगी. मौका मिलने पर मदन भिवाड़ी आ कर जमना देवी से मिल जाता. दोनों कमल सिंह की गैरमौजूदगी में रास रचाते थे.

दोनों एकदूसरे से कोसों दूर रहते थे. एक भिवाड़ी में तो दूसरा मथुरा में. ऐसे में हर रोज मिलना संभव नहीं था. ऐसे में वे दोनों फोन पर बातें कर जी हलका करते थे. घटना से 6 महीने पहले एक दिन कमल ने अपनी पत्नी जमना को किसी से हंसहंस कर अश्लील बातें करते पकड़ लिया. तब कमल ने उस से पूछा कि किस से बातें कर रही थी. जमना ने बताया कि वह मदनमोहन से ही बात कर रही थी. तब उस ने कहा, ‘‘अरे शर्म नहीं आई तुझे उस से ऐसी बातें करते. अगर आज के बाद किसी से भी इस तरह की बात की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

तब जमना ने कसम खा कर पति से कहा कि वह भविष्य में कभी भी मदनमोहन से बात नहीं करेगी. जमना ने पति से यह वादा कर तो लिया लेकिन मदन से बात किए बिना उस का मन नहीं लग रहा था. तब उस ने एक नई सिम ले ली. फिर वह उस नए नंबर से चोरीछिपे मदन से बतिया लेती. कमल ने सोचा कि बीवी ने मदनमोहन से बात करनी छोड़ दी है. 2 महीने बाद जमना को पुन: मदनमोहन से फोन पर बातें करते समय कमल ने पकड़ लिया. तब कमल ने जमना को जम कर पीटा और मदनमोहन को भी फोन कर के धमकाया, ‘‘हरामजादे, तेरे खिलाफ अपनी बीवी से बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज कराऊंगा. तब तू सुधरेगा.’’

इतनी पिटाई के बाद भी जमना नहीं सुधरी. उसे अपने प्रेमी से बात करनी नहीं छोड़ी. इस के बाद कमल सिंह ने एक बार फिर बीवी को मदनमोहन से बात करते पकड़ा. तब बीवी को पीटा और मदनमोहन को धमकी दी कि उस ने अगर 2 लाख रुपए नहीं दिए तो वह बलात्कार का मामला दर्ज करा कर सारे परिवार व रिश्तेदारों से तुम दोनों के अवैध संबंधों की पोल खोल देगा. मदनमोहन डर गया. उस ने कहा कि उस के पास इतने रुपए नहीं हैं. वह रुपए किस्तों में दे देगा. वह बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज न कराएं. इस के बाद कमल ने 14 फरवरी, 2021 को फोन कर मदनमोहन को भिवाड़ी बुलाया. शाम 5 बजे मदनमोहन भिवाड़ी स्थित कमल के घर आया. इस के बाद कमल और मदनमोहन ने साथ बैठ कर शराब पी.

जब शराब का नशा चढ़ा तो कमल ने मदनमोहन से पूछा कि 2 लाख रुपए देगा तो बलात्कार का मामला दर्ज नहीं कराऊंगा. तब मदनमोहन ने कहा कि वह किस्तों में रुपए जरूर दे देगा. इस के बाद कमल, जमना व मदनमोहन कमरे में एक ही बैड पर सो गए. कमल के दिमाग में तो उस समय कुछ और ही चल रहा था. वह चुपके से उठा और पास में सो रही अपनी बीवी और मदनमोहन के इस तरह फोटो खींचने लगा जैसे वे दोनों एक साथ सो रहे हैं. फोटो खींच कर कमल ने मदनमोहन और जमना को जगा कर कहा, ‘‘अब मैं रिश्तेदारों को फोन कर के बुलाता हूं और पूरी कालोनी के लोगों को बुला कर बताता हूं कि मैं ने तुम दोनों को शारीरिक संबंध बनाते रंगेहाथों पकड़ा है.’’

तब कमल की पत्नी जमना बोली कि ऐसा मत करो. लेकिन कमल नहीं माना और जिद करने लगा कि वह लोगों को तुम्हारे अवैध संबंधों के बारे में बता कर ही रहेगा. अपनी पोल खुलने के डर से मदनमोहन ने कमल सिंह को पकड़ लिया और जमना ने अपनी चुन्नी पति के गले में डाल कर जोर से कस दी, जिस से कमल की मृत्यु हो गई. तब मदन और जमना के हाथपांव फूल गए. मगर कमल तो मर चुका था. तब दोनों ने कमल की लाश ठिकाने लगाने की योजना बनाई, जिस के तहत जमना उसी समय अपने जेठ भीम सिंह के घर गई और उन की बाइक की चाबी यह कह कर ले आई कि कमल को अभी एटीएम से पैसे निकालने बल्लभगढ़ जाना है.

जमना और मदन ने कमल की बाइक पर रात करीब एक बजे कमल के शव को इस तरह दोनों के बीच बिठा कर रखा जैसे किसी बीमार को अस्पताल ले जा रहे हैं. दोनों बाइक पर शव को बाबा मोहनराम के जंगलों में डालने के लिए रवाना हुए लेकिन सड़क पर आने पर बाइक के पीछे पुलिस गश्त की मोटरसाइकिल देख कर मदनमोहन ने बाइक हेतराम चौक से सेक्टर-5 की तरफ मोड़ दी. सेक्टर-5 व 6 वाली रोड पर बस की लाइट दिखाई देने पर दोनों ने शव को सेक्टर-5 में खाली प्लौट के सामने सड़क किनारे पटक दिया और वापस घर आ गए. मोटरसाइकिल पर मृतक कमल के पैर जमीन पर लटक रहे थे, जिस के कारण दोनों पैरों के अंगूठे आगे से रगड़ कर छिल गए थे. लाश ठिकाने लगाने के बाद आरोपी मदनमोहन फरीदाबाद चला गया.

अगली सुबह यानी 15 फरवरी, 2021 सड़क पर शव देख कर साढ़े 7 बजे थाना यूआईटी भिवाड़ी फेज-3 के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को किसी राहगीर ने शव पड़े होने की सूचना दी. इस के बाद थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस ने मृतक की बाइक और जमना देवी व मदनमोहन के मोबाइल जब्त कर के पूछताछ के बाद दोनों को भिवाड़ी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. Hindi Stories love

Family Story Hindi : पति का गला दबाया फिर साड़ी से शव पंखे पर लटका दिया

Family Story Hindi : कभीकभी कुछ महिलाएं मौजमस्ती के चक्कर में अपनी बसीबसाई घरगृहस्थी खुद ही उजाड़ लेती हैं. काश! मंजू इस बात को समझ पाती तो शायद…

21 अप्रैल, 2021 को सुबह के यही कोई 6 बजे थे. तभी गांव सबरामपुरा के रहने वाले राकेश ओझा के घर से रोने की आवाज आने लगी. घर में एक महिला जोरजोर से रोते हुए कह रही थी, ‘‘अरे मेरे भाग फूट गए रे…मेरे पति ने फांसी लगा ली रे…कोई आओ रे…बचाओ रे…’’

रुदन सुन कर आसपड़ोस के लोग दौड़ कर राकेश ओझा के घर पहुंचे. तब तक मृतक की पत्नी मंजू ओझा ने कमरे में पंखे के हुक से साड़ी का फंदा बना कर झूलते मृत पति को फंदे से नीचे उतार लिया था. मृतक की लाश के पास उस की पत्नी मंजू सुबकसुबक कर रो रही थी. मृतक का बड़ा भाई राजकुमार ओझा भी खबर सुन कर वहां पहुंच गया था. वह भी भाई की मौत पर आश्चर्यचकित रह गया. राजकुमार ओझा ने यह सूचना थाना कालवाड़ में दे दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. घटनास्थल की जांच कर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई. मृतक की पत्नी मंजू ओझा से भी पूछताछ की गई. मंजू ने बताया कि रात में राकेश ने किसी समय साड़ी का फंदा गले में डाल कर फांसी लगा ली.

आज सुबह जब मैं उठ कर कमरे में आई तो इन्हें फांसी पर लटका देख कर नीचे उतारा कि शायद जिंदा हों. मगर यह तो चल बसे थे. इतना कह कर वह फिर रोने लगी. पुलिस ने वहां मौजूद मृतक के भाइयों और अन्य परिजनों से भी पूछताछ की. पूछताछ के बाद पुलिस को मामला संदिग्ध लग रहा था. आसपास के लोगों ने थानाप्रभारी को बताया कि राकेश आत्महत्या नहीं कर सकता. उसी समय मंजू रोने का नाटक करते हुए पुलिस की बातों को गौर से सुन रही थी. पुलिस वाले जब चुप होते तो वह रोने लगती. पुलिस वाले आपस में बोलते तो मृतक की पत्नी चुप हो कर सुनने लगती. थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी ने संदिग्ध घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे कर दिशानिर्देश मांगे.

जयपुर (पश्चिम) डीसीपी प्रदीप मोहन शर्मा के निर्देश पर एडिशनल डीसीपी राम सिंह शेखावत, झोटवाड़ी एसीपी हरिशंकर शर्मा ने कालवाड़ थानाप्रभारी से राकेश ओझा की संदिग्ध मौत मामले की पूरी जानकारी ले कर उन्हें कुछ दिशानिर्देश दिए. थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी ने घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया. मृतक राकेश का शव ले कर उस की पत्नी मंजू ओझा अपने देवर, जेठ वगैरह एवं तीनों बच्चों के साथ अपने पति के पुश्तैनी गांव रुआरिया, मुरैना लौट गई. पुलिस को मामला लगा संदिग्ध गांव रुआरिया में राकेश का अंतिम संस्कार कर दिया गया. राकेश ओझा बेहद जिंदादिल इंसान था.

ऐसे में उस के इस तरह आत्महत्या करने की बात किसी के भी गले नहीं उतर रही थी. राकेश ओझा की मौत पुलिस को संदिग्ध लगी थी. पुलिस को जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली तो शक पुख्ता हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतक राकेश को गला घोंट कर मारा गया था. तब डीसीपी प्रदीप मोहन शर्मा ने एक टीम गठित कर निर्देश दिए कि जल्द से जल्द राकेश ओझा हत्याकांड का परदाफाश कर हत्यारोपियों को गिरफ्तार किया जाए. टीम में एसीपी हरिशंकर शर्मा थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी आदि को शामिल किया गया. टीम का निर्देशन एडिशनल डीसीपी रामसिंह शेखावत के हाथों सौंपा गया. पुलिस टीम ने साइबर सेल की मदद लेने के साथ मृतक के पड़ोस के लोगों से भी जानकारी ली. पुलिस टीम को जानकारी मिली कि मृतक की बीवी मंजू के पड़ोस में रहने वाले बीरेश उर्फ सोनी ओझा से अवैध संबंध थे.

राकेश और बीरेश ओझा दोस्त थे और दोनों पीओपी का काम करते थे. बीरेश अकसर राकेश की गैरमौजूदगी में उस के घर आयाजाया करता था. लोगों ने यहां तक कहा कि बीरेश जैसे ही राकेश की गैरमौजूदगी में उस के घर जाता, मंजू और बीरेश कमरे में बंद हो जाते थे. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मंजू और बीरेश उर्फ सोनी ओझा के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पता चला कि जिस रात को राकेश की हत्या हुई थी, उस रात 10 बजे मंजू और बीरेश के बीच बात हुई थी. उस के बाद भी हर रोज दिन में कईकई बार बात होती रही. राकेश की हत्या से पहले भी मंजू और बीरेश के बीच दिन में कई बार बात होने का पता चला.

आरोपी चढ़े पुलिस के हत्थे पुलिस को पुख्ता प्रमाण मिल गए थे कि राकेश की हत्या कर के उसे आत्महत्या दिखाने की साजिश रची गई थी. इस के बाद पुलिस ने बीरेश ओझा की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू किए. मगर वह कहीं चला गया था. कुछ दिन बाद वह जैसे ही अपने घर आया, कांस्टेबल सुनील कुमार को इस की खबर मिल गई. तब पुलिस ने 27 अप्रैल, 2021 को उसे हिरासत में ले लिया. बीरेश को थाना कालवाड़ ला कर पूछताछ की गई. पूछताछ में वह ज्यादा देर तक पुलिस के सवालों के आगे टिक नहीं पाया और राकेश ओझा की हत्या अपनी प्रेमिका मंजू ओझा के कहने पर राकेश ओझा की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. इस के बाद पुलिस ने मृतक की पत्नी मंजू को भी गिरफ्तार कर लिया.

मंजू ओझा और बीरेश ओझा उर्फ सोनी ओझा से पूछताछ के बाद जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार से है—

राकेश ओझा मूलरूप से मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के गांव रुआरिया का रहने वाला था. वह काफी पहले गांव से जयपुर आ कर पीओपी का कामधंधा करने लगा था. राकेश की शादी मंजू से हुई थी. मंजू गोरे रंग की अच्छे नैननक्श की खूबसूरत युवती थी. शादी के कुछ महीने बाद राकेश पत्नी मंजू को भी अपने साथ जयपुर ले आया था. राकेश तीजानगर इलाके के सबरामपुरा में किराए का घर ले कर बीवी के साथ रहता था. वक्त के साथ मंजू 3 बच्चों की मां बन गई. इन में एक बेटी और 2 बेटे हैं, जिन की उम्र 7 साल, 4 साल और 2 साल है.

राकेश पीओपी का अच्छा कारीगर था. इस कारण उस की मजदूरी भी अच्छी थी. वह महीने में 20-25 हजार रुपए आसानी से कमा लेता था. इस कारण उस के परिवार कागुजरबसर अच्छे से हो जाता था. राकेश दिन भर काम कर के राकेश का छोटा भाई घनश्याम और बड़ा भाई राजकुमार भी जयपुर में काम करते थे. ये भी अपने परिवारों के साथ अलगअलग किराए पर रहते थे. राकेश के पड़ोस में बीरेश उर्फ सोनी ओझा भी रहता था. बीरेश भी पीओपी का काम करता था. इसलिए दोनों दोस्त बन गए. बीरेश कुंवारा था और देखने में हैंडसम था. दोस्ती के नाते वह राकेश के घर आनेजाने लगा. बीरेश की नजर राकेश की बीवी मंजू पर पड़ी तो वह उस के रूपयौवन पर मर मिटा.

मंजू की उम्र उस समय 33 साल थी और वह उस समय 2 बच्चों की मां थी. इस के बावजूद उस की उम्र 20-22 से ज्यादा नहीं लगती थी. मंजू का गोरा रंग व मादक बदन बीरेश की निगाहों में चढ़ा तो वह मंजू के इर्दगिर्द मंडराने लगा. बीरेश अकसर मौका पा कर राकेश की गैरमौजूदगी में उस के घर आता और मंजू की खूबसूरती की तारीफें करता. मंजू समझ गई कि बीरेश उस से क्या चाहता है. पति के दोस्त से बने संबंध राकेश ज्यादातर समय अपने काम पर बिताता और रात को घर लौटता तो खाना खा कर सो जाता. पत्नी की इच्छा पर वह ध्यान नहीं देता था. ऐसे में मंजू ने अपने से उम्र में 6 साल छोटे बीरेश से पहले नजदीकियां बढ़ाईं और फिर अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद यह सिलसिला चलता रहा.

बीरेश नई उम्र का जवान लड़का था. ऊपर से वह कुंवारा भी था. ऐसे में मंजू उसे पति से ज्यादा चाहने लगी. काफी समय तक दोनों लुपछिप कर गुलछर्रे उड़ाते रहे. किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई. मगर जब अकसर राकेश की गैरमौजूदगी में बीरेश उस के घर आ कर दरवाजा बंद करने लगा तो आसपास के लोगों में कानाफूसी होने लगी. इसी दौरान मंजू तीसरे बच्चे की मां बन गई. मंजू और बीरेश की बातें और आपस में व्यवहार देख कर राकेश को उन के संबंधों पर शक होने लगा था. ऐसे में राकेश को एक पड़ोसी ने इशारों में कह दिया कि बीरेश से दोस्ती खत्म करो. उस का घर आना बंद कराओ. यही ठीक रहेगा.

इस के बाद राकेश ने मंजू से सख्ती करनी शुरू कर दी तो मंजू बौखला गई. उस की आंखों में पति खटकने लगा. मौका मिलने पर मंजू अपने प्रेमी बीरेश से मिली. दोनों काफी दिनों बाद मिले थे. मंजू ने बीरेश से कहा, ‘‘राकेश को हमारे संबंधों पर शक हो गया है. वह तुम से बात करने की मनाही करता है. लेकिन मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगी. राकेश हम दोनों को जीने नहीं देगा. ऐसा कुछ करो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.’’

‘‘मंजू, मैं भी तुम्हारे बिना जी नहीं सकता. राकेश को रास्ते से हटा कर हम दोनों शादी कर लेंगे. इस के बाद हम अपने हिसाब से मौजमजे से जिंदगी जिएंगे.’’ बीरेश बोला.

‘‘मैं भी तुम से शादी करना चाहती हूं, मगर यह राकेश की मौत के बाद ही संभव है. हमें ऐसी योजना बनानी है कि राकेश की हत्या को आत्महत्या साबित करें. बाद में जब मामला ठंडा पड़ जाएगा तब हम शादी कर लेंगे.’’ मंजू ने कहा. गला दबा कर की हत्या इस के बाद दोनों ने योजना बना ली. 20 अप्रैल, 2021 की रात मंजू ने तीनों बच्चों को खाना खिला कर कमरे में सुला दिया और उन के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया. मंजू ने राकेश को खाने में नींद की गोलियां दे दी थीं, जिस से वह कुछ ही देर में गहरी नींद में चला गया. फिर रात 10 बजे मंजू ने बीरेश को फोन कर घर बुला लिया.

बीरेश और मंजू राकेश के कमरे में पहुंचे. बीरेश ने राकेश के गले में कपड़ा लपेट कर कस दिया. थोड़ा छटपटाने के बाद वह मौत की आगोश में चला गया. राकेश मर गया. तब बीरेश और मंजू ने साड़ी राकेश के गले में लपेट कर उस के शव को पंखे के हुक से लटका दिया ताकि लोगों को लगे कि राकेश ने आत्महत्या की है. इस के बाद बीरेश अपने घर चला गया और मंजू सो गई. अगली सुबह 6 बजे उठ कर मंजू ने योजनानुसार राकेश के कमरे में जा कर रोनाचिल्लाना शुरू कर दिया. तब रोने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग और मृतक के भाई वगैरह घटनास्थल पर आए. तब तक मंजू ने राकेश का शव फंदे से उतार कर फर्श पर रख लिटा दिया था. इस के बाद पुलिस को सूचना दी गई और पुलिस ने काररवाई कर राकेश ओझा हत्याकांड का परदाफाश किया.

पुलिस ने राजकुमार ओझा की तरफ से मंजू ओझा और उस के प्रेमी बीरेश ओझा उर्फ सोनी के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. आरोपियों से मोबाइल और गला घोंटने का कपड़ा व साड़ी जिस का फंदा बनाया गया था, पुलिस ने बरामद कर ली. पूछताछ के बाद मंजू और बीरेश को 28 अप्रैल, 2021 को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिराससत में भेज दिया गया.

Hindi Crime Story : दोस्त संग मिलकर प्रेमिका का गला घोंटा फिर शव नहर में फेंका

Hindi Crime Story : पति से अनबन होने के बाद रोनिका सिंह मायके आ गई. दूसरा पति पाने की चाहत उसे सोनू पटेल तक ले गई. सोनू रोनिका का पति तो नहीं बन सका लेकिन…

थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह को सुबह 8 बजे सूचना मिली कि दुवाही गांव के पास शारदा सहायक नहर में किसी महिला की लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. रवाना होने से पहले उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. यह बात 20 फरवरी, 2021 की है. थाना मऊ आइमा से दुवाही गांव करीब 4 किलोमीटर दूर था, अत: पुलिस को वहां पहुंचने में 20-25 मिनट का समय लगा. गांव के पास ही नहर किनारे भीड़ जुटी थी. वहीं पर नहर में एक महिला की लाश पड़ी थी. उन्होंने साथ आए पुलिसकर्मियों की मदद से महिला के शव को पानी से बाहर निकाला. फिर निरीक्षण में जुट गए. उन्होंने इस की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी.

महिला की उम्र 28 वर्ष के आसपास थी. उस की मांग में सिंदूर तथा पैरों में बिछिया थे, जिस से स्पष्ट था कि वह शादीशुदा थी. उस के गले में रगड़ के निशान भी थे. देखने से ऐसा लग रहा था कि महिला की हत्या रस्सी से गला घोंट कर की गई होगी. चंद्रभान सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी (प्रयागराज) सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी व एसपी (गंगापार) धवल जायसवाल भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और वहां मौजूद कई लोगों से पूछताछ की. घटनास्थल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे. लेकिन कोई भी शव को पहचान न सका था. जाहिर था कि मृतका महिला दुवाही एवं उस के आसपास के गांव की नहीं थी. उस की हत्या कहीं और की गई थी और शव को नहर में फेंका गया था.

महिला के शव की शिनाख्त न होने पर पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई करने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए प्रयागराज भिजवा दिया. इस के बाद एसएसपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने इस ब्लाइंड मर्डर का परदाफाश करने की जिम्मेदारी एसपी (गंगापार) धवल जायसवाल व थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह को सौंपी. दूसरे दिन मृत महिला की फोटो, हुलिया सहित प्रयागराज के समाचार पत्रों में छपी. फोटो देख कर फाफामऊ निवासी संदीप सिंह का माथा ठनका. वह तुरंत अपनी मौसी गायत्री के घर पहुंचा. उस ने अखबार में छपी फोटो दिखाई तो गायत्री घबरा गई और रोने लगी.

कुछ देर बाद गायत्री संदीप के साथ थाना मऊ आइमा पहुंची. वहां मौजूद थानाप्रभारी को उस ने बताया, ‘‘सर, मेरा नाम गायत्री है. मैं कोरांव थाने के खजूरी खुर्द गांव की रहने वाली हूं. मुझे शक है कि अखबार में जो फोटो छपी है, वह हमारी बेटी रोनिका सिंह की है.’’

गायत्री की बात सुन कर थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह की बांछे खिल उठीं. उन्हें लगा कि अब मृत महिला की शिनाख्त हो जाएगी. अत: वह गायत्री को अपने साथ ले कर पोस्टमार्टम हाउस आए और युवती का शव उन्हें दिखाया. शव देखते ही गायत्री फूट कर रो पड़ी. उस ने बताया कि यह शव उस की बेटी रोनिका सिंह का ही है. चंद्रभान सिंह ने गायत्री को धैर्य बंधाया फिर उस से पूछताछ की. गायत्री ने बताया कि उस ने रोनिका सिंह का विवाह करछना (प्रयागराज) निवासी महीप सिंह के साथ किया था. लेकिन पति से अनबन के चलते वह नैनी में रहने लगी थी. एक तरह से उस ने पति से रिश्ता खत्म कर लिया था. पता नहीं बेटी की हत्या किस ने और क्यों कर दी.

‘‘कहीं तुम्हारी बेटी की हत्या उस के पति ने तो नहीं कर दी?’’ चंद्रभान सिंह ने आशंका जताई.

‘‘नहीं सर, मुझे उस पर शक नहीं है. वह तो सीधासादा इंसान है.’’ गायत्री ने जवाब दिया.

प्रभारी निरीक्षक चंद्रभान सिंह ने मृत महिला की शिनाख्त होने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. फिर रोनिका सिंह के हत्यारों को पकड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. उन्होंने सब से पहले मृतका के पति महीप सिंह को पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया और उस से कड़ी पूछताछ की. महीप सिंह ने बताया कि रोनिका फैशनपरस्त, मनचली और स्वच्छंद थी. उस की कमाई से वह संतुष्ट नहीं थी, जिस से उस ने नाता तोड़ लिया था और मायके में रहने लगी थी. बाद में पता चला कि वह नैनी (प्रयागराज) में रह रही है. वह रंगीनमिजाज थी. उस के किसी आशिक ने ही उस की हत्या की होगी. लेकिन उस का रोनिका की हत्या से कोई वास्ता नहीं है.

चंद्रभान सिंह को भी लगा कि महीप सिंह कातिल नहीं है. अत: उन्होंने उसे थाने से इस हिदायत के साथ घर भेज दिया कि जरूरत पड़ने पर उसे उपस्थित होना पड़ेगा. थानाप्रभारी ने जांच आगे बढ़ाई और मकान मालिक से पूछताछ की, जहां नैनी में रोनिका सिंह किराए पर रहती थी. मकान मालिक ने बताया कि रोनिका सिंह से मिलने सोनू नाम का युवक उस के पास अकसर आता था. कभीकभी वह रात में रुक भी जाता था. रोनिका सिंह सोनू को अपना खास रिश्तेदार बताती थी. अब थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह ने सोनू का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने में अपनी ताकत लगा दी. एसपी (गंगापार) धवल जायसवाल उन का पूरा सहयोग कर रहे थे.

उन्होंने क्राइम ब्रांच की टीम को भी इंसपेक्टर चंद्रभान सिंह के सहयोग के लिए लगा दिया. उन्होंने सर्विलांस सेल का भी सहयोग लिया. मृतका की मां गायत्री से रोनिका सिंह का मोबाइल नंबर थानाप्रभारी को मिल गया था. उस फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाने पर पाया गया कि रोनिका सिंह एक मोबाइल नंबर पर सब से ज्यादा बातें करती थी. इस नंबर की छानबीन की गई तो पता चला कि यह मोबाइल नंबर सोनू कुमार पटेल निवासी मातादीन का पुरा, फाफामऊ (प्रयागराज) के नाम दर्ज है. सोनू का पता मिल गया तो थानाप्रभारी ने सोनू का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवाया तो उस की लोकेशन ट्रेस होने लगी. सर्विलांस सेल से मिली जानकारी के आधार पर 2 मार्च, 2021 की सुबह करीब 7 बजे फाफामऊ बसअड्डे से पुलिस ने सोनू को हिरासत में ले लिया.

सोनू को थाना मऊ आइमा ला कर पूछताछ की गई. साधारण पूछताछ में वह पुलिस को गुमराह करता रहा. लेकिन सख्ती करने पर वह टूट गया और रोनिका सिंह की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि रोनिका सिंह की हत्या उस ने अपने 2 साथियों रामनरेश प्रजापति तथा नंचू पासी उर्फ संदीप की मदद से की थी और शव को मऊ आइमा थाना क्षेत्र के दुवाही गांव के समीप शारदा नहर में फेंक दिया था. चंद्रभान सिंह ने सोनू की निशानदेही पर गेहूं के खेत से मृतका का आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, 2 टूटे मोबाइल फोन, पाकेट डायरी, लेडीज पर्स तथा रस्सी बरामद की. पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद कर ली.

यह कार शिवकुटी के तेलियरगंज, स्वराजनगर निवासी संतोष कुमार की थी, जिसे वह सोनू के गैराज में मरम्मत के लिए खड़ी कर गए थे. बरामद सामान को पुलिस ने सबूत के तौर पर सुरक्षित कर लिया. हत्या में शामिल सोनू के साथियों रामनरेश प्रजापति व नंचू पासी उर्फ संदीप को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने उन के घरों पर छापा मारा. लेकिन दोनों फरार थे. भरसक प्रयास के बाद भी कथा लिखे जाने तक पुलिस दोनों को पकड़ नहीं सकी थी. चंद्रभान सिंह ने रोनिका सिंह हत्याकांड का परदाफाश करने तथा उस के आशिक हत्यारे को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी (गंगापार) धवल जायसवाल को दी. इस के बाद उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता कर रोनिका सिंह की हत्या का खुलासा किया.

थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह ने मृतका की मां गायत्री को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/201 के तहत सोनू कुमार पटेल, रामनरेश प्रजापति तथा नंचू पासी उर्फ संदीप के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा सोनू कुमार पटेल कोे न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई, जिस ने दूसरे पति की चाहत में अपनी जान गंवा दी. प्रयागराज जिले के कोरांव थाना अंतर्गत एक गांव है-खजूरी खुर्द. गुलाब सिंह इसी गांव के निवासी थे. परिवार में पत्नी गायत्री के अलावा एक बेटी थी रोनिका सिंह. गुलाब सिंह सांस के रोगी थे. इलाज के बावजूद उन की मृत्यु हो गई थी. गायत्री ने ही किसी तरह कर बेटी को पालपोस कर बड़ा किया था.

गायत्री घरबाहर के कामों में व्यस्त रहती थी. इस का परिणाम यह हुआ कि सुंदर और चंचल रोनिका निरंकुश हो गई. इसी निरंकुशता के चलते रोनिका सिंह गांव के आवारा लड़कों के साथ घूमने लगी. वह कहां जाती थी, किसलिए जाती थी, देखने वाले खूब समझते थे. गांव में रोनिका की बदनामी हुई तो गायत्री परेशान हो उठी, ‘यह लड़की हमारी नाक कटा कर रहेगी. हम किसी को मुंह दिखाने लायक भी नहीं बचेंगे.’ इज्जत बचाने के लिए गायत्री ने आननफानन में 5 साल पहले रोनिका का विवाह महीप सिंह से कर दिया. महीप सिंह करछना (प्रयागराज) का रहने वाला था. पेशे से वह ड्राइवर था. रोनिका फैशनपरस्त, चंचल स्वभाव की युवती थी, जबकि महीप सिंह सीधासादा इंसान था.

ड्राइवर होने के कारण उसे कईकई दिनों तक घर से बाहर रहना पड़ता था. रोनिका को पति से दूरी बरदाश्त नहीं थी. पति से दूर रहने पर रोनिका चिड़चिड़ी हो गई. जब पति घर लौटता तो वह उस से झगड़ती. दोनों में अनबन बढ़ी तो रोनिका पति का घर छोड़ कर मायके आ गई. गायत्री ने बेटी को बहुत समझाया, लेकिन वह ससुराल जाने को राजी नहीं हुई. रोनिका मां की परेशानी नहीं बढ़ाना चाहती थी. अत: उस ने मां का घर छोड़ दिया और नैनी (प्रयागराज) में आ कर किराए पर कमरा लेकर रहने लगी. इसी मकान में कुछ महिलाएं मार्केटिंग का काम करती थीं. उन के साथ रोनिका भी मार्केटिंग करने लगी.

मार्केटिंग के काम के दौरान ही एक रोज रोनिका सिंह की मुलाकात सोनू कुमार पटेल से हुई. पहली मुलाकात में ही दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए. उस के बाद दोनों की मुलाकातें अकसर होने लगीं. मोबाइल फोन पर भी बातें होने लगी. सोनू रोनिका के कमरे पर भी जाने लगा. परिणाम यह हुआ कि जल्दी ही दोनों के बीच अवैध रिश्ता बन गया. सोनू कुमार पटेल फाफामऊ के मातादीन का पुरा का रहने वाला था. वह कुशल मोटर मैकेनिक भी था और खूब कमाता था. फाफामऊ के शांतिपुरम में उस का मोटर गैराज था. वह शादीशुदा व 2 बच्चों का बाप था. सोनू के दिल में न रोनिका के लिए चाहत थी, न मन के किसी कोने में प्यार. वह तो सिर्फ उस का तन पाने को लालायित रहता था.

रूपसी रोनिका सोनू के बल की दीवानी थी. महीप सिंह से उस का मन खट्टा हो गया था. अब उसे दूसरे पति की चाहत थी. वह सोनू की पत्नी बन कर उस के साथ रहना चाहती थी. रोनिका को हासिल करने के लालच में सोनू भी उसे विवाह के सब्जबाग दिखाया करता था. रोनिका और सोनू के बीच कुछ माह मौजमस्ती से बीते. उस के बाद रोनिका सोनू पर विवाह करने का दबाव डालने लगी. वह उसे विवाह न करने पर फंसाने की भी धमकी देने लगी. लेकिन सोनू तो शादीशुदा था. वह रोनिका से शादी करना ही नहीं चाहता था. रोनिका सिंह से पीछा छुड़ाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं मिला तो सोनू ने अपने दोस्त रामनरेश प्रजापति तथा नंचू पासी उर्फ संदीप के साथ मिल कर रोनिका की हत्या की योजना बनाई.

योजना के तहत 19 फरवरी, 2021 की शाम करीब 5 बजे सोनू कुमार पटेल ने अपने गैराज से कार निकाली, यह कार संतोष कुमार की थी, जो उस के गैराज में मरम्मत के लिए आई थी. इस कार में सोनू के दोस्त रामनरेश प्रजापति व नंचू पासी भी थे. फाफामऊ तिराहा पहुंच कर सोनू ने रोनिका को फोन किया और घूमने के बहाने उसे बुला लिया. रोनिका बनसंवर कर आ गई, फिर वे सोरांव की ओर चल पड़े. रास्ते में सोनू ने रोनिका को समझाया कि वह शादीशुदा है, इसलिए वह उस से शादी नहीं कर सकता. हम दोनों यूं ही मौजमस्ती करते रहेंगे. यह सुन कर रोनिका भड़क गई और धमकी देने लगी कि शादी नहीं करोगे तो वह पुलिस में यौनशोषण का मामला दर्ज करा कर उसे जेल भिजवा देगी.

रोनिका की धमकी से सोनू का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने रोनिका को दबोच लिया और चलती कार में रामनरेश की मदद से रस्सी से गला घोंट दिया. हत्या के बाद उन्होंने शव को मऊ आइमा थाने के दुवाही गांव के समीप शारदा नहर में फेंक दिया. रोनिका के दोनों मोबाइल फोन तोड़ कर तथा उस का पर्स, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, डायरी, रस्सी आदि सामान घटनास्थल से कुछ दूर गेहूं के एक खेत में फेंक दिया. फिर कार से वे वापस फाफामऊ आ गए और कार शांतिपुरम स्थित अपने गैराज में खड़ी कर तीनों फरार हो गए. 20 फरवरी, 2021 को दुवाही गांव के कुछ लोगोें ने सहायक शारदा नहर में महिला की लाश देखी तो सूचना मऊ आइमा पुलिस को दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह मौके पर आए और शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की. जांच में अवैध रिश्तों में हुई हत्या का परदाफाश हुआ. 3 मार्च, 2021 को पुलिस ने सोनू कुमार पटेल को प्रयागराज कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक अन्य 2 अभियुक्त फरार थे. Hindi Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story in Hindi : पार्टी की रात दोस्त को दूसरी मंजिल से धक्का देकर मार डाला

Crime Story in Hindi : अपने पिता के जन्मदिन की पार्टी बीच में छोड़ कर जाह्नवी अपने बौयफ्रैंड श्री जोगधनकर और सहेली दीया पडनकर के साथ नए साल की पार्टी मनाने चली गई थी. उस नए साल की पार्टी में ऐसा क्या हुआ कि जोगधनकर और दीया पडनकर को जाह्नवी को दर्दनाक मौत के मुंह में धकेलने को मजबूर होना पड़ा…

मुंबई के सांताकु्रज स्थित एक आलीशान फ्लैट के बड़े से कमरे में पार्टी चल रही थी. यह पार्टी बिजनैसमैन प्रकाश कुकरेजा के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित थी. इस पार्टी में उन की पत्नी निधि कुकरेजा और एकलौती बेटी जाह्नवी कुकरेजा के अलावा परिवार के और भी लोग शामिल थे. उस दिन 31 दिसंबर, 2020 की तारीख थी और रात के साढ़े 11 बज रहे थे. सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. बड़े से कमरे में एक वर्गाकार मेज पर बड़ा सा केक रखा था. पापा के जन्मदिन पर उन की लाडली बेटी जाह्नवी बेहद खुश थी. बारबार जाह्नवी की नजर मुख्यद्वार की ओर दौड़ जाती थी. लग रहा था कि जैसे उसे किसी के आने का बेसब्री से इंतजार हो. तभी उस का चेहरा खिल उठा था.

उसे जिस का इतंजार था, वह पार्टी में आ गए थे. वह कोई और नहीं बल्कि जाह्नवी के पड़ोस में रहने वाली उस की बेस्ट फ्रैंड दीया पडनकर और बौयफ्रैंड श्री जोगधनकर थे. मुसकराते हुए श्री जोगधनकर और दीया पडनकर जाह्नवी के पापा प्रकाश कुकरेजा के करीब पहुंचे और उन्हें दोनों ने जन्मदिन की बधाइयां दीं तो उन्होंने दोनों को ‘धन्यवाद’ कहा. इस के बाद दीया पडनकर जाह्नवी की मां निधि के पास आई और मुसकराते हुए बोली, ‘‘आंटी, जाह्नवी को कुछ देर के लिए अपने साथ ले जा रही हूं, आधे घंटे में हम घर लौट आएंगे.’’

इस पर निधि ने कहा, ‘‘इस वक्त घर पर पार्टी चल रही है और फिर केक कटने जा रहा है. जाह्नवी अभी कहीं नहीं जा सकती.’’

‘‘मां प्लीज,’’ तुनक कर जाह्नवी मां से बोली, ‘‘थोड़ी देर की तो बात है. नए साल के मौके पर दोस्तों ने पार्टी दी है, एंजौय कर के लौट आऊंगी. फिर मैं वहां अकेली थोड़ी न जा रही हूं और भी लड़कियां पार्टी में जा रही हैं. प्लीज मां, जाने की परमिशन दे दो.’’

जाह्नवी मां के सामने दोस्तों के साथ पार्टी में जाने के लिए जिद करने लगी तो श्री जोगधनकर और दीया पडनकर भी जाह्नवी के समर्थन में उतर आए थे. हार कर निधि ने बेटी को जाने की अनुमति दे दी. मां की इजाजत मिलते ही जाह्नवी उछल पड़ी. हंसते मुसकराते तीनों घर की पार्टी बीच में छोड़ कर नए साल की पार्टी मनाने चल दिए थे. घर से जाह्नवी कुकरेजा को निकले करीब 3 घंटे बीत गए थे. न तो वह घर लौटी थी और न ही फोन कर के घर वालों को बताया कि कब तक घर वापस लौटेगी. और तो और जाह्नवी का फोन भी बंद आ रहा था. बेटी को ले कर मां निधि और पिता प्रकाश कुकरेजा को चिंता सताने लगी थी.

निधि कुकरेजा की चिंता तब और बढ़ गई थी जब बेटी के साथसाथ श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के फोन भी स्विच्ड औफ आ रहे थे. ऐसा पहली बार हुआ था, जब निधि ने तीनों के पास फोन मिलाया था और तीनों में से किसी का फोन नहीं लगा था. सभी के फोन स्विच्ड औफ आ रहे थे. किसी अनहोनी की आशंका से निधि और प्रकाश कुकरेजा की धड़कनें बढ़ गई थीं. बेटी के घर लौटने की आस में मांबाप ने पूरी रात आंखों में काट दी थी. अस्पताल से मिली सूचना अगली सुबह यानी पहली जनवरी, 2021 की सुबह 5 बजे के करीब निधि कुकरेजा के फोन की घंटी बजी तो उन्होंने झट से फोन उठा लिया. स्क्रीन पर उभर रहा नंबर अज्ञात था. निधि कुकरेजा ने काल रिसीव की तो दूसरी ओर से एक अंजान व्यक्ति की आवाज आई, ‘‘क्या मैं जाह्नवी के घर वालों से बात कर रहा हूं?’’

‘‘हां…हां… मैं जाह्नवी की मां निधि बोल रही हूं. आप कौन बोल रहे हैं?’’ निधि ने जवाब दिया.

‘‘मैं भाभा हौस्पिटल से बोल रहा हूं. आप की बेटी की हालत सीरियस है, आ कर मिल लें.’’

दूसरी ओर से अंजान व्यक्ति ने इतना कहा था कि मानो निधि कुकरेजा के हाथों से मोबाइल फोन छूट कर फर्श पर गिर जाता. निधि खुद घबरा कर सोफे पर जा बैठी. उन का दिल जोरजोर से धड़कने लगा था. खैर, कुछ देर में जब वह थोड़ी सामान्य हुई तो उन्होंने पति को आवाज दी. वह दूसरे कमरे में जा कर सो गए थे. पत्नी के साथ उन्होंने पूरी रात आंखों में काट दी थी. जम्हाई लेते दूसरे कमरे से प्रकाश कुकरेजा पत्नी के पास पहुंचे तो रोती हुई पत्नी उन के सीने से लिपट गई और जोरजोर से रोने लगी. पत्नी को रोते देख प्रकाश की नींद गायब हो गई. उन्होंने रोने का कारण पूछा. इस पर निधि ने फोन वाली बात पति से बता दी. वह पत्नी की बात सुन कर अवाक रह गए और उसी समय दोनों जिस हालत में थे, वैसे ही हौस्पिटल के लिए निकल गए.

हौस्पिटल पहुंच कर दोनों ने देखा वहां परिसर में पुलिस के बड़ेबड़े अधिकारी खड़े थे. परिसर पुलिस छावनी में तब्दील था. इतनी बड़ी तादाद में पुलिस को देख कर पतिपत्नी के मन में बेटी को ले कर तरहतरह की आशंकाएं होने लगीं. आखिरकार उन्हें जिस बात का डर था, वही हो गया था. मांबाप की लाडली बेटी जाह्नवी इस दुनिया में नहीं रही. बेटी की मौत की खबर सुनते ही मानो उन पर बज्रपात हुआ हो. वे दोनों दहाड़ मारमार कर रो रहे थे. रोतेरोते दोनों बारबार एक ही बात कह रहे थे कि श्री जोगधनकर और दीया पडनकर ने ही मेरी बेटी की हत्या की है. वही दोनों बेटी को पार्टी के बहाने घर से बुला कर ले गए थे. मौके पर मौजूद खार थाने के इंसपेक्टर दिलीप उरेकर और जोन 9 के डीसीपी अभिषेक त्रिमुख उन्हें दिलासा दे रहे थे.

जांचपड़ताल में पाया गया कि जाह्नवी के सिर में सब से ज्यादा चोटें आई थीं. देखने से ऐसा लगता था जैसे हत्यारों ने उस का सिर किसी चीज से टकराटकरा कर उसे मौत के घाट उतार दिया हो. उस का सिर आगे और पीछे दोनों ओर से फूटा हुआ था. साथ ही उस के घुटनों, हाथ, हथेली, पीठ, कोहनी और दोनों पांवों पर भी खुरचने के निशान मौजूद थे. जख्म बता रहे थे कि जाह्नवी के शरीर पर जुल्म की बेइंतहा कहानी लिखी गई थी. पुलिस जिस वक्त जाह्नवी को घायल अवस्था में ले कर अस्पताल आई थी, ज्यादा खून बहने से उस की मौत हो चुकी थी. डाक्टरों का कहना था कि अगर जाह्नवी को आधा घंटा पहले हौस्पिटल लाया गया होता तो शायद उस की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन उसे यहां लाने में देर कर दी गई थी.

नामजद लिखाई रिपोर्ट फिलहाल हर घड़ी मस्त रहने वाली जाह्नवी कुकरेजा इस दुनिया से रुखसत हो गई थी. पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर के जख्म को मौत की वजह बताया गया था. मृतका जाह्नवी के पिता प्रकाश कुकरेजा की नामजद तहरीर पर पुलिस ने श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के खिलाफ धारा 302, 34 भादंवि के तहत मुकदमा दर्ज कर दोनों की तेजी से तलाश जारी कर दी थी. जाह्नवी कोई छोटीमोटी हैसियत वाले घर की बेटी नहीं थी. वह एक बड़े बिजनैसमैन परिवार की बेटी थी, जिन की मुंबई की राजनीति में ऊंची पहुंच थी. जाह्नवी की मौत हाईप्रोफाइल थी. इसलिए जाह्नवी स्थानीय अखबारों की सुर्खियां बनी हुई थी.

आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए खार पुलिस पर दबाव बना हुआ था. 2 जनवरी को पुलिस ने श्री जोगधनकर को सायन हौस्पिटल और दीया पडनकर को हिंदुजा हौस्पिटल से गिरफ्तार कर लिया. श्री जोगधनकर के हाथ और चेहरे पर चोटें आई थीं तो दीया के चेहरे पर चोट थी. दोनों इलाज कराने के लिए हौस्पिटल में भरती हुए थे. श्री जोगधनकर और दीया को खार पुलिस गिरफ्तार कर के थाने ले आई और जाह्नवी की हत्या के संबंध में उन से गहन पूछताछ शुरू की. दोनों आरोपी जाह्नवी की हत्या करने से साफ मुकर गए. दोनों आरोपियों ने एक साथ एक सुर में एक ही बात कही कि भगवती हाइट्स बिल्डिंग के 15वें माले पर न्यू ईयर की पार्टी चल रही थी.

सभी लोग नशे में चूर थे. जाह्नवी के साथ कब और कैसे हादसा हुआ, पता ही नहीं चला. उन्हें कुछ याद नहीं है, उस रोज पार्टी में क्या हुआ था. पूछताछ के बाद पुलिस ने बांद्रा अदालत में दोनों आरोपितों को पेश कर जेल भेज दिया. श्री जोगधनकर और दीया के बयान के बाद पार्टी की स्थिति स्पष्ट हुई थी कि पार्टी में शामिल सभी नशे में चूर थे. पुलिस ने जब पता लगाया तो जानकारी मिली कि पार्टी बिल्डिंग दूसरे माले पर रहने वाले यश आहूजा ने नए साल पर आयोजित की थी. पार्टी में कुल 15 लोग शामिल थे, जिन में 5 महिलाएं और 10 पुरुष थे. अधिकांशत: टीनएजर थे.

आर्गनाइजर यश आहूजा के माध्यम से पुलिस ने पार्टी में शामिल सभी टीनएजर को घटनास्थल भगवती हाइट्स बुलवाया और सभी के ब्लड सैंपल, यूरिन और बाल के सैंपल ले कर उन्हें जांच के लिए फोरैंसिक लैब भिजवा दिया ताकि यह पता चल सके की घटना वाली रात पार्टी में किस ने किस तरह के नशे का सेवन किया था? उस में कहीं प्रतिबंधित ड्रग्स का तो सेवन नहीं किया था? उसी के हिसाब से उन पर कानूनी काररवाई सुनिश्चित की जा सके. हालांकि नए साल पर पार्टी आयोजित करना मुंबई में पूरी तरह से मना था, बावजूद इस के नए साल की पार्टी मनाई गई? पुलिस इस बात की जांच करने लगी कि यश आहूजा ने इस के लिए किस से परमिशन ली थी, ताकि उसी अनुरूप उस पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके.

ऐसे खुला हत्या का राज बहरहाल, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के गोलमोल जवाब से जाह्नवी की हत्या की गुत्थी रहस्यमयी बन गई थी. हत्या के रहस्य से परदा उठाने के लिए जाह्नवी के घर वाले सोशल ऐक्टीविस्ट आसिफ भमला से मिले. आसिफ भमला मृतका के मांबाप को ले कर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पास पहुंच गए. कुकरेजा दंपति ने पुलिस कमिश्नर को उन के दफ्तर जा कर एक ज्ञापन सौंपा और न्याय की मांग की. इस के बाद खार पुलिस ने जाह्नवी की हत्या का राज उगलवाने के लिए अदालत में दोनों आरोपियों के रिमांड की मांग की. अदालत ने श्री जोगधनकर और दीया को 7 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया.

पूछताछ में पहले तो दोनों फिर वही पुराना राग अलापते रहे, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे आखिरकार दोनों आरोपी टूट गए और अपना जुर्म कबूल लिया कि जाह्नवी की हत्या उन्हीं दोनों ने मिल कर की थी. आखिर दोनों की ऐसी क्या मजबूरी थी, जो जाह्नवी की जान लेना उन की मजबूरी बन गई थी. पुलिस पूछताछ में कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

19 वर्षीय जाह्नवी कुकरेजा मूलरूप से मुंबई (ठाणे) के सांताक्रुज की रहने वाली थी. प्रकाश कुकरेजा और निधि कुकरेजा के 2 बच्चों में जाह्नवी बड़ी थी. जाह्नवी से छोटी एक और बेटी है. होनहार और कर्मठी जाह्नवी पढ़ने में अव्वल थी. ह्यूमन साइकोलौजी की वह छात्रा थी. बेटी की पढ़ाई देख कर मांबाप उसे आस्ट्रेलिया भेजने की तैयारी करने लगे थे. मांबाप ने उस के पासपोर्ट और वीजा भी बनवा लिए थे. बस उसे विदेश जाने भर की देरी थी. जाह्नवी कुकरेजा के पड़ोस में रहने वाले समीर पडनकर की बेटी दीया पडनकर उस की बेस्ट फ्रैंड थी. दोनों ही हमउम्र थीं और उन की पढ़ाई के विषय भी एक ही थे. दीया पडनकर जाह्नवी के नोट्स बनवाने में दिल खोल कर मदद करती थी.

घंटों दोनों साथ बैठ कर पढ़ती थीं. उस दौरान अपने दिल का हाल भी एकदूसरे से शेयर करती थीं. 22 वर्षीय श्री जोगधनकर मुंबई के वडाला के न्यू कफे परेड स्थित टावर-7 ए-विंग का रहने वाला था. अंबादास जोगधनकर का वह एकलौता बेटा था. अपनी लच्छेदार बातों से वह किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता था. वह बौक्सिंग में भी चैंपियन था. श्री जोगधनकर और जाह्नवी कुकरेजा एक ही कालेज में पढ़ते थे. इस वजह से 3 साल से दोनों एकदूसरे को जानते थे और दोनों गहरे दोस्त भी थे. यहीं नहीं दोनों एकदूसरे के घर भी आतेजाते थे. यह बात उन के घर वालों से छिपी नहीं थी. दोस्ती बदली प्यार में दोनों ही हाई सोसाइटी के रहने वाले थे. उन के मांबाप रसूखदार थे, इसलिए वे अपने बच्चों पर अंधा विश्वास करते थे कि उन के बच्चे कोई गलत काम नहीं कर सकते हैं.

बच्चों पर अंधे विश्वास के कारण ही उन्हें कहीं भी, कभी भी, जानेआने की खुली छूट मिली हुई थी. इसलिए वे दोनों अपनेअपने तरीके से जीते थे. बहरहाल, श्री जोगधनकर और जाह्नवी कुकरेजा दोस्त से कब एकदूसरे को दिल दे बैठे, उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें अपने प्यार का एहसास तो तब हुआ जब दोनों एकदूसरे से अलग होते और मिलने के लिए बेताब हो जाते थे. जब तक वे मिल नहीं लेते थे या एक दूसरे से फोन पर बातें नहीं कर लेते थे तब तक वे बेचैन रहते थे. जाह्नवी के घर वाले बेटी के प्यार वाली बात नहीं जानते थे. वे बस इतना ही जानते थे कि दोनों गहरे दोस्त हैं, इस के अलावा इन के बीच कोई और रिश्ता नहीं है.

जाह्नवी के पड़ोस में दीया पडनकर रहती थी. दीया अकसर जाह्नवी से मिलने और उसे नोट्स बनाने के लिए शाम के समय उस के घर आ जाया करती थी. यह इत्तफाक ही होता था कि जब दीया जाह्नवी से मिलने उस के घर आती, उसी समय श्री जोगधनकर भी जाह्नवी से मिलने वहां आ जाया करता था. फिर तीनों मिल घंटों बातें करते थे. इस बीच कनखियों से श्री जोगधनकर दीया को देखा करता था. दूध जैसी रंगत वाली गोरीचिट्टी दीया थी तो बेहद खूबसूरत, उतनी ही प्यारी भी थी कि कोई भी उस की ओर सहज ही आकर्षित हो जाए. दीया पर वह फिदा हो गया था. दीया के मन के किसी कोने में श्री के लिए जगह बन गई थी. वह उसे चाहने लगी थी.

धीरेधीरे श्री जोगधनकर और दीया जाह्नवी से छिप कर मिलने लगे. दोनों ने अपने प्यार का इजहार एकदूसरे से कर भी दिया था. जान से प्यारी सहेली दीया उस के प्यार को उस से छीन लेगी, यह बात जाह्नवी ने सपने में भी नहीं सोची होगी. अब यहां मामला त्रिकोण प्रेम का बन गया था. श्री जोगधनकर को जाह्नवी टूट कर चाहती थी जबकि वह दीया को चाहने लगा था. दीया जब से श्री जोगधनकर की जिंदगी में आई थी, वह जाह्नवी से कटाकटा रहने लगा था. यह बात जाह्नवी ने महसूस की थी, लेकिन वह यह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर उस से ऐसा क्या हो गया जो उस का प्यार उस से कटाकटा सा रहने लगा था. मिलने पर उस में पहले जैसी फीलिंग नहीं आ रही थी. यह सोचसोच कर जाह्नवी परेशान रहती थी.

सहेली ने लगाई प्यार में सेंध जल्द ही उसे यह पता चल गया कि श्री जोगधनकर और उस की बेस्ट सहेली दीया के बीच कुछ चल रहा है. वह हरगिज यह बरदाश्त करने के लिए तैयार नहीं थी कि कोई और उस का प्यार उस से छीने. पुलिस के अनुसार, जाह्नवी ने जोगधनकर को समझाया भी था कि वह दीया से नजदीकियां बढ़ाना छोड़ दे, नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. यह बात जाह्नवी ने गुस्से में कही थी. उस समय जोगधनकर को उस की यह बात बहुत बुरी लगी थी. वह नहीं चाहता था कोई दीया को ले कर उसे कुछ कहे. उस समय उस ने कुछ नहीें कहा लेकिन यह बात उस ने दीया को फोन कर के बता दी कि जाह्नवी को उन के बारे में जानकारी हो गई है.

दीया उस की बात सुन कर सजग हो गई. फिर दोनों ने मिल कर योजना बनाई कि कुछ ऐसा किया जाए कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.  31 दिसंबर, 2020 को जाह्नवी के पिता प्रकाश कुकरेजा का जन्मदिन था. वे धूमधाम से जन्मदिन की पार्टी मनाने में जुटे हुए थे. घर के अलावा उन के खास मेहमान उस पार्टी में आए हुए थे. पापा की बर्थडे पार्टी पर जाह्नवी सब से ज्यादा खुश थी. खुश हो भी क्यों न, प्रकाश कुकरेजा ने यह पार्टी बेटी के विदेश जाने से पहले आयोजित की थी. अभी केक कटने वाला ही था कि उसी बीच जाह्नवी का बौयफ्रैंड श्री जोगधनकर और उस की बेस्ट फ्रैंड दीया पडनकर वहां आ गई. दोनों कुछ देर पार्टी में रुके. फिर दोनों ने जाह्नवी से कहा कि नए साल की खुशी में भगवती हाइट्स में पार्टी रखी गई है, चलो मजे करेंगे वहां मिल कर.

और भी फ्रैंड्स आ रहे हैं वहां. जाह्नवी घर की पार्टी बीच में छोड़ कर बाहर की पार्टी में जाने के लिए तैयार हो गई. बातों में फंसा कर ले गए थे आरोपी जाह्नवी जानती थी कि आज उसे घर से बाहर जाने की परमिशन नहीं मिलेगी तो उस ने श्री जोगधनकर और दीया को समझाया कि वे पार्टी में चलने के लिए मेरे मम्मीपापा से बात करें. दोनों ने वैसा ही किया, जैसा जाह्नवी ने कहा था. जाह्नवी की मां ने उसे पार्टी में जाने की इजाजत दे दी. तीनों खुश हुए और पार्टी एंजौय करने मस्तानी चाल में भगवती हाइट्स की ओर चल दिए. भगवती हाइट्स के 15वें फ्लोर पर पार्टी चल रही थी. पार्टी इसी बिल्डिंग में दूसरे माले पर रहने वाले यश आहूजा ने आयोजित की थी. डीजे जोरजोर से बज रहा था.

सभी नशे में चूर हो, मस्ती में झूम रहे थे, डांस कर रहे थे. जोगधनकर, दीया और जाह्नवी भी डांस करने लगे. डांस करतेकरते अचानक से जोगधनकर और दीया पार्टी से गायब हो गए थे. जाह्नवी को अचानक होश आया तो वह दोनों को ढूंढने लगी. वहां न तो जोगधनकर था और न ही दीया. वह सोचने लगी कि अचानक दोनों कहां जा सकते हैं. तभी उस के दिमाग की घंटी बजी कि कहीं दोनों कोई गुल तो नहीं खिला रहे हैं. मन में यह खयाल आते ही जाह्नवी पागल हो गई और डांस छोड़ कर दोनों को खोजने में जुट गई. वह सीढि़यों से कई मंजिल नीचे उतरी, लेकिन दोनों वहां नहीं थे. फिर वह उन्हें खोजते हुए ऊपर 16वें फ्लोर पर आई. वह छत पर खोजते हुए वहां बनी पानी के टंकी के पास पहुंची तो वहां का नजारा देख कर सन्न रह गई.

श्री जोगधनकर और दीया पडनकर दोनों एकदूसरे में खोए हुए थे. उन्हें इस अवस्था में देख कर जाह्नवी जोर से चीखी. उस की चीख सुन कर दोनों सकपका गए और अपनेअपने कपड़े दुरुस्त कर जाह्नवी के सामने हाथ जोड़ कर किसी से न बताने की विनती करने लगे. जाह्नवी ने उन की एक न सुनी. तीनों के बीच खूब झगड़ा हुआ. एकदूसरे से हाथापाई भी हो गई. उस के बाद जाह्नवी रोती हुई सीढि़यों से नीचे उतरने लगी. उधर पार्टी में म्यूजिक जोर से बजने के कारण उन के झगड़े की आवाज किसी को सुनाई नहीं दी. दोनों की पोल जाह्नवी किसी के सामने खोल न दे, यह सोच कर दोनों उस के पीछेपीछे हो लिए.

सीसीटीवी में हो गए थे कैद  जाह्नवी, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के सीढि़यों से नीचे उतरने की फुटेज सीसीटीवी में कैद हो गई थी. उस समय रात के साढ़े 12 बज रहे थे. अपनी करतूत छिपाने के लिए श्री जोगधनकर और दीया ने पांचवें फ्लोर से दूसरे फ्लोर तक जाह्नवी का सिर सीढि़यों की रेलिंग से लड़ा कर मौत के घाट उतार दिया. उस के बाद उसे दूसरे फ्लोर से उठा कर नीचे फेंक दिया. इस झगड़े में जाह्नवी अपने बचाव के लिए श्री और दीया से लड़ी थी, जिस में उन दोनों को भी चोटें आई थीं. जाह्नवी को मौत के घाट उतारने के बाद दोनों पुलिस से बचने के लिए अस्पताल में जा कर भरती हो गए थे. लेकिन मुंबई पुलिस और फोरैंसिक जांच ने उन की कलई खोल दी थी. मारपीट के दौरान जाह्नवी के शरीर पर कुल 48 चोटें पाई गई थीं.

फोरैंसिक जांच में जोगधनकर और दीया के कपड़ों पर जाह्नवी के खून के धब्बे भी पाए गए थे. बहरहाल, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर जाह्नवी की हत्या के जुर्म में सलाखों के पीछे कैद थे. पुलिस ने दोनों आरोपितों के खिलाफ 30 मार्च, 2021 को अदालत में 600 पेज का आरोप पत्र दाखिल कर दिया था. इस बीच श्री जोगधनकर और दीया के वकीलों ने दोनों की जमानत के लिए बांद्रा अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन जाह्नवी के तेजतर्रार वकील त्रिमुखे ने उन की याचिका खारिज करा दी. कथा लिखे जाने तक दोनों आरोपी जेल में बंद थे. Crime Story in Hindi

—कथा जाह्नवी के वकील और पुलिस सूत्रों पर आधार

Hindi love Story in Short : प्रेमिका को घर बुलाकर घोंटा गला फिर गड्ढा खोदकर शव दफनाया

Hindi love Story in Short : अपनेअपने जीवनसाथी को छोड़ चुके संतोष और छायाबाई के बीच काफी नजदीकी रिश्ता बन गया था. लेकिन दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ कि उन की यह नजदीकी एक दिन 2 गज जमीन के नीचे दफन हो गई?

साल 2020 समाप्त होने में गिनती के दिन बचे थे. नया साल शीत लहर की चौखट पर खड़ा था. ऐसे में खरगोन जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर स्थित भीकनगांव के टीआई जगदीश प्रसाद गोयल पुलिस टीम के साथ गांव में रहने वाली छायाबाई के पिता को ले कर मोहनखेड़ी पहुंचे. पुलिस को देख कर गांव वालों की भीड़ भी संतोष गोलकर के नए बने मकान के सामने जमा हो गई. दरअसल 2 दिन पहले गांव में अपने पिता के घर पर रहने वाली 25 वर्षीय छायाबाई अचानक लापता हो गई थी. जिस दिन छायाबाई लापता हुई, उसी रोज संतोष भी गांव से गायब था. दोनों का पे्रम प्रंसग पूरे गांव के लोगों की जुबान पर था, इसलिए गांव वालों का मानना था कि संतोष ही छायाबाई को ले कर भाग गया.

लेकिन छायाबाई के पिता को शक था कि उस की बेटी को संतोष ने अपने नए मकान में छिपा रखा है. इसी बात की जांच करने के लिए पुलिस मोहनखेड़ी आई थी. छायाबाई हुई लापता संतोष के मकान में ताला पड़ा था. गांव में रहने वाले उस के मातापिता भी गायब थे. इसलिए पुलिस ने ताला तोड़ कर पूरे घर की तलाशी ली, लेकिन वहां केवल छिपकली और मकडि़यों के अलावा कोई तीसरा जीव दिखाई नहीं दिया. इसलिए पुलिस टीम वापस लौट आई. गांव वाले तो पहले ही मान चुके थे कि छायाबाई संतोष के साथ कहीं भाग गई है. अब पुलिस ने भी ऐसा ही मान लिया, लेकिन ऐसा मानने वालों के बीच केवल छायाबाई का परिवार ही ऐसा था, जो इस बात को मानने को राजी नहीं हो रहा था.

इसलिए  उन के बारबार कहने पर संतोष के मकान में एक कमरे के फर्श की खुदाई भी कर के देखी गई, लेकिन कुछ हाथ नहीं आया. धीरेधीरे गांव के लोग छायाबाई और संतोष को भूलने लगे और अपने कामों में जुट गए थे. लेकिन छायाबाई के पिता लगातार बेटी की खोज में लगे हुए थे. कोई महीने भर बाद संतोष के बंद पडे़ मकान से आने वाली अजीब सी बदबू से लोग परेशान होने लगे. पहले तो लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन बदबू लगातार बढ़ने से पड़ोसियों का ध्यान संतोष के बंद मकान पर गया, जहां से यह बदबू आ रही थी. इस बात की खबर छायाबाई के पिता को लगी तो वह दौड़ेदौड़े अपने समाज के नेता के पास पहुंचे और उन्हेें सारी बात बताई.

वह नेता छायाबाई के पिता को खंडवा एसपी के पास ले गया और एसपी को सारी कहानी से अवगत कराया. संतोष छायाबाई के लापता होने के मामले में संदिग्ध तो था ही, इसलिए उस के मकान से आने वाली बदबू की जानकारी को खंडवा एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने गंभीरता से लिया. उन के निर्देश पर एएसपी (ग्रामीण) जितेंद्र पंवार ने अपने आदेश पर एसडीपीओ प्रवीण कुमार उइके के नेतृत्व में एक पुलिस टीम प्रशासनिक अधिकारियों के साथ 27 जनवरी, 2021 को एक बार फिर मोहनखेड़ी पहुंची. संतोष गोलकर का मकान खोलते ही बदबू का तेज झोंका आने से पुलिस समझ गई की यह मांस सड़ने की बदबू है. इसलिए पूरे मकान की बारीकी से जांच की गई.

जिस से पता चला कि तीसरे कमरे के फर्श में ताजा सीमेंट लगाया गया है. इसलिए शक के आधार पर पुलिस ने उस जगह की खुदाई करवाई तो डेढ़ फुट नीचे एक कान की बाली और लगभग ढाई फुट नीचे एक लेडीज चप्पल मिली. जिन के बारे में बताया कि ये दोनों ही चीजें छायाबाई की हैं. सड़ागला मिला शव खुदाई की गहराई बढ़ने के साथ बदबू भी बढ़ती जा रही थी. वास्तव में पुलिस का शक उस समय सही साबित हुआ, जब कोई 4 फुट की गहराई पर छायाबाई का सड़ागला शव बरामद हो गया. इस के बाद जांच के लिए एफएसएल अधिकारी सुनील मकवाना भी पहुंच गए. जांच के बाद उन्होंने शव को लगभग एक महीने पुराना बताया.

जिस के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. लेकिन शव की हालत अत्यधिक खराब होने की वजह से उस का पोस्टमार्टम इंदौर के एमवाई अस्पताल में किया गया. जाहिर सी बात है कि अब तक पुलिस का मानना था कि संतोष छायाबाई को ले कर भाग गया है. लेकिन अब छायाबाई की लाश संतोष के मकान में दफन मिल चुकी थी. जबकि संतोष और उस का परिवार गायब था. इसलिए पुलिस का सीधा शक यही था की संतोष ने ही छायाबाई की हत्या की है. चूंकि उस के परिवार के सभी सदस्य गायब थे, इसलिए वे भी शक के घेरे में थे. एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एक टीम गठित कर दी, जिस ने मुखबिरों से मिली सूचना के आधार पर 6 फरवरी, 2021 को संतोष की मां सकुबाई, भाई सुनील एवं बुआ के बेटे अनिल को गिरफ्तार कर लिया.

संतोष की तलाश पुलिस तत्परता से कर रही थी. जिस के चलते टीआई जगदीश प्रसाद गोयल की टीम में शामिल एएसआई लक्ष्मीनारायण पाल, प्रधान आरक्षक नंदकिशोर राय, आरक्षक अभिलाष डोंगरे, जितेंद्र एवं कमलेश की टीम ने सूचना मिलने पर उसे बैतूल से गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद यह कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

16 साल की उम्र में छायाबाई की शादी पास के ही गांव एकतासा में रहने वाले युवक  के साथ हुई थी. दोनों के 3 बच्चे भी हुए किंतु दोनों के बीच रिश्ता कुछ यूं बिगड़ा कि छायाबाई अपने पति का घर छोड़ कर मोहनखेड़ी में पिता के घर आ कर रहने लगी. मोहनखेड़ी में ही संतोष भी रहता था. संतोष छायाबाई की उम्र का था और छायाबाई की शादी से पहले वह उस की गली में चक्कर लगाया करता था. संतोष की दीवानगी की जानकारी छायाबाई को भी थी, लेकिन उन का इश्क परवान चढ़ पाता, उस से पहले ही छायाबाई की शादी हो गई थी. इस के बाद यह कहानी वहीं खत्म हो गई थी.

कुछ दिन बाद संतोष की भी शादी हो गई. लेकिन करीब 3 साल पहले ही उस की पत्नी भी उसे छोड़ कर अपने मायके में जा कर रहने लगी. संतोष ने कुछ दिनों तक तो ध्यान नहीं दिया, लेकिन पत्नी की गैरमौजूदगी में शारीरिक जरूरतें परेशान करने लगीं तो उसे छायाबाई का ध्यान आया जो खुद भी अपने पति को छोड़ कर बैठी थी. इसलिए उस ने अगले दिन ही छायाबाई की खातिर उस की गली में चक्कर लगाने शुरू कर दिए. छायाबाई भी कई साल से पति से अलग रह रही थी. जैसे ही उस ने संतोष को देखा तो उसे अपने किशोर उम्र की याद आ गई, जब संतोष उस के लिए गली में चक्कर लगाया करता था.

इसलिए एक दिन छायाबाई ने भी मौका देख कर उसे सकारात्मक संदेश दे दिया. जिस के 4 दिन बाद ही दोनों गांव के बाहर एकांत में मिले और अपनी हसरतें पूरी कर प्यार के बंधन में बंध गए छायाबाई मायके में रहते हुए अपने मातापिता के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहती थी. इसलिए वह गांव के कुछ घरों में झाड़ूपोंछा करने लगी थी. वह सुबह घर से निकल कर पहले अपना काम करती थी फिर सीधे संतोष के पास पहुंच जाती थी, जहां दोनों एकदूसरे के तन की प्यास पूरी करते थे. फिर छायाबाई वापस घर चली जाती थी. दोनों एकांत में रोज मिला करते थे, इसलिए इस बात की जानकारी गांव वालों को हो गई थी. छायाबाई के परिवार तक भी यह खबर पहुच चुंकी थी. पिता ने अपनी बेटी को समझाने की कोशिश की, लेकिन मामला हाथ से निकल चुका था.

छायाबाई ने तोड़ा विश्वास इधर छायाबाई के साथ घर बसाने की ठान चुके संतोष ने अपना खेत बेच कर छायाबाई के लिए सपनों का घर बनवा दिया था. कुछ दिनों में संतोष का मकान बन कर तैयार हो गया तो वह छायाबाई को इस मकान में ला कर अय्याशी करने लगा. बताया जाता है कि इसी दौरान छायाबाई की नजरें गांव के ही एक दूसरे युवक से लड़ गई थीं. वह संतोष की तुलना में रईस और जवान था. इसलिए छायाबाई संतोष से दूर जाने की कोशिश करने लगी. इस बात की जानकारी लगने पर संतोष काफी खफा था. बताया जाता है कि उस ने छायाबाई की हत्या की योजना पहले से ही बना रखी थी. इसलिए उस ने पानी का एक टैंक बनाने के नाम पर एक कमरे में गहरा गड्ढा खुदवा लिया था.

जिस के बाद उस ने 24 दिसंबर की रात को छायाबाई को अपने घर बुला कर पहले तो उस के साथ संबंध बनाए और फिर इसी दौरान मौका पा कर उस का गला दबा कर हत्या कर के शव को गड्ढे में डाल कर उस के ऊपर मिट्टी डाल दी और फरार हो गया. उस ने सोचा था कि घर के अंदर लाश की खबर पुलिस को कभी नहीं मिल पाएगी. लेकिन एक महीने के बाद मकान से आ रही बदबू के बाद शक होने पर पुलिस ने लाश बरामद कर हत्या में सहयोग करने वाली संतोष की मां, भाई और अन्य 2 को गिरफ्तार कर लिया. छायाबाई के लापता होने पर उस के पिता को उस की हत्या का शक हो गया था.

इसलिए पिता के कहने पर पुलिस ने पहले भी एक बार संतोष के घर नए पर बने फर्श की खुदाई लाश की तलाश करने के लिए की थी. लेकिन उस समय कुछ नहीं मिला था. लेकिन बदबू आने पर जब दूसरे कमरे में खुदाई की गई तो वहां से छायाबाई का शव बरामद हुआ. गिरफ्तार किए मुख्य आरोपी संतोष के भाई ने बताया कि छायाबाई की हत्या कर लाश को गड्ढे में दबाने वाली बात संतोष ने सुबह घर आ कर बताई थी. इस के बाद वह घर से भाग गया था. संतोष के भाग जाने के बाद घर वालों ने पुलिस से बचने के लिए खुदाई वाली जगह पर फर्श बनवा दिया और घर का ताला लगा कर फरार हो गए. Hindi love Story in Short

पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

UP Crime News : मामा के इश्क में भांजी ने कराई पति की हत्या

UP Crime News : पवन निशा और अजय के रास्ते की बाधा नहीं था. न ही उस ने कभी टोकाटाकी की थी. लेकिन मामाभांजी के रिश्ते से बेपरवाह वे दोनों खुल कर खेलना चाहते थे. इसी के चलते दोनों ने पवन को…

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी के थाना सुबेहा क्षेत्र में एक गांव है ताला रुकनुद्दीनपुर. पवन सिंह इसी गांव में रहता था. 14 सितंबर, 2020 की शाम पवन सिंह अचानक गायब हो गया. उस के घर वाले परेशान होने लगे कि बिना बताए अचानक कहां चला गया. किसी अनहोनी की आशंका से उन के दिल धड़कने लगे. समय के साथ धड़कनें और बढ़ने लगीं. पवन का कोई पता नहीं चल पा रहा था. पवन की तलाश अगले दिन 15 सितंबर को भी की गई. लेकिन पूरा दिन निकल गया, पवन का कोई पता नहीं लगा. 16 सितंबर को पवन के भाई लवलेश बहादुर को उस के मोबाइल पर सोशल मीडिया के माध्यम से एक लाश की फोटो मिली.

फोटो लवलेश के एक परिचित युवक ने भेजी थी. लाश की फोटो देखी तो लवलेश फफक कर रो पड़ा. फोटो पवन की लाश की थी. दरअसल, पवन की लाश पीपा पुल के पास बेहटा घाट पर मिली थी. लवलेश के उस परिचित ने लाश देखी तो उस की फोटो खींच कर लवलेश को भेज दी. जानकारी होते ही लवलेश घर वालों और गांव के कुछ लोगों के साथ बेहटा घाट पहुंच गया. लाश पवन की ही थी. पीपा पुल गोमती नदी पर बना था. गोमती के एक किनारे पर गांव ताला रुकनुद्दीनपुर था तो दूसरे किनारे पर बेहटा घाट. लेकिन बेहटा घाट थाना सुबेहा में नहीं थाना असंद्रा में आता था. लवलेश ने 112 नंबर पर काल कर के घटना की सूचना पुलिस को दे दी. कुछ ही देर में एसपी यमुना प्रसाद और 3 थानों असंद्रा, हैदरगढ़ और सुबेहा की पुलिस टीमें मौके पर पहुंच गईं.

पवन के शरीर पर किसी प्रकार के निशान नहीं थे और लाश फूली हुई थी. एसपी यमुना प्रसाद ने लवलेश से आवश्यक पूछताछ की तो पता चला कि वह अपनी हीरो पैशन बाइक से घर से निकला था. बाइक पुल व आसपास कहीं नहीं मिली. पवन वहां खुद आता तो बाइक भी वहीं होती, इस का मतलब था कि वह खुद अपनी मरजी से नहीं आया था. जाहिर था कि उस की हत्या कर के लाश वहां फेंकी गई थी. पवन की बाइक की तलाश की गई तो बाइक कुछ दूरी पर टीकाराम बाबा घाट पर खड़ी मिली. यह क्षेत्र हैदरगढ़ थाना क्षेत्र में आता था. वारदात की पहल वहीं से हुई थी, इसलिए एसपी यमुना प्रसाद ने घटना की जांच का जिम्मा हैदरगढ़ पुलिस को दे दिया.

हैदरगढ़ थाने के इंसपेक्टर धर्मेंद्र सिंह रघुवंशी ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. फिर लवलेश को साथ ले कर थाने आ गए. इंसपेक्टर रघुवंशी ने लवलेश की लिखित तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु की सही वजह पता नहीं चल पाई. इंसपेक्टर रघुवंशी के सामने एक बड़ी चुनौती थी. क्योंकि कोई भी सुराग हाथ नहीं लगा था. उन्होंने पवन की पत्नी शिम्मी उर्फ निशा और भाई लवलेश से कई बार पूछताछ की, लेकिन कोई भी अहम जानकारी नहीं मिल पाई. पवन के विवाह के बाद ही उस की मां ने घर का बंटवारा कर दिया था. पवन अपनी पत्नी निशा के साथ अलग रहता था. इसलिए घर के अन्य लोगों को ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी.

स्वार्थ की शादी समय गुजरता जा रहा था, लेकिन केस का खुलासा नहीं हो पा रहा था. जब कहीं से कुछ हाथ नहीं लगा तो इंसपेक्टर रघुवंशी ने अपनी जांच पवन की पत्नी पर टिका दी. वह उस की गतिविधियों की निगरानी कराने लगे. घर आनेजाने वालों पर नजर रखी जाने लगी तो एक युवक उन की नजरों में चढ़ गया. वह पवन के गांव का ही अजय सिंह उर्फ बबलू था. अजय का पवन के घर काफी आनाजाना था. वह घर में काफी देर तक रुकता था. अजय के बारे में और पता किया गया तो पता चला कि अजय ने ही पवन से निशा की शादी कराई थी. निशा अजय की बहन की जेठानी की लड़की थी. यानी रिश्ते में वह अजय की भांजी लगती थी. पहले तो उन को यही लगा कि अजय अपना फर्ज निभा रहा है लेकिन जैसेजैसे जांच आगे बढ़ी तो उन्हें दोनों के संबंधों पर संदेह होने लगा.

इंसपेक्टर रघुवंशी ने उन दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला, दोनों के बीच हर रोज काफी देर तक बातें होती थीं. दोनों के बीच जो रिश्ता था, उस में इतनी ज्यादा बात होना दाल में काला होना नहीं, पूरी दाल ही काली होना साबित हो रही थी. 7 फरवरी, 2021 को इंसपेक्टर धर्मेंद्र रघुवंशी ने अजय को टीकाराम मंदिर के पास से और निशा को गांव अलमापुर में उस की मौसी के घर से गिरफ्तार कर लिया. जिला बाराबंकी के सुबेहा थाना क्षेत्र के गांव ताला रुकनुद्दीनपुर में अजय सिंह उर्फ बबलू रहता था. अजय के पिता का नाम मान सिंह था और वह पेशे से किसान थे. अजय 3 बहनों में सब से छोटा था. इंटर तक पढ़ाई करने के बाद अजय अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करने लगा था.

निशा उर्फ शिम्मी अजय की बड़ी बहन अनीता (परिवर्तित नाम) की जेठानी की लड़की थी. शिम्मी के पिता चंद्रशेखर सिंह कोतवाली नगर क्षेत्र के भिखरा गांव में रहते थे, वह दिव्यांग थे, किसी तरह खेती कर के अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. निशा की एक बड़ी बहन और 2 बड़े भाई बबलू और मोनू थे. बबलू पंजाब में फल की दुकान लगाता था. मोनू सऊदी अरब काम करने चला गया था. निशा अलमापुर में रहने वाली अपनी मौसी के यहां रहती थी. हमउम्र अजय और निशा रिश्ते में मामाभांजी लगते थे. जहां निशा हसीन थी, वहीं अजय भी खूबसूरत नौजवान था. निशा ने 11वीं तक तो अजय ने इंटर तक पढ़ाई की थी.

दोनों जब भी मिलते, एकदूसरे के मोहपाश में बंध जाते. दोनों मन ही मन एकदूसरे को चाहने लगे थे. लेकिन रिश्ता ऐसा था कि वे अपनी चाहत को जता भी नहीं सकते थे. लेकिन चाहत किसी भी उम्र और रिश्ते को कहां मानती है, वह तो सिर्फ अपना ही एक नया रिश्ता बनाती है, जिस में सिर्फ प्यार होता है. ऐसा प्यार जिस में वह कोई भी बंधन तोड़ सकती है. दोनों बैठ कर खूब बातें करते. बातें जुबां पर कुछ और होतीं लेकिन दिल में कुछ और. आंखों के जरिए दिल का हाल दोनों ही जान रहे थे लेकिन पहल दोनों में से कोई नहीं कर रहा था. दोनों की चाहत उन्हें बेचैन किए रहती थीं. दोनों एकदूसरे के इतना करीब आ गए थे कि एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते थे. लेकिन प्यार के इजहार की नौबत अभी तक नहीं आई थी.

आखिरकार अजय ने सोच लिया कि वह अपने दिल की बात निशा से कर के रहेगा. संभव है, निशा किसी वजह से कह न पा रही हो. अगली मुलाकात में जब दोनों बैठे तो अजय निशा के काफी नजदीक बैठा. निशा के दाहिने हाथ को वह अपने दोनों हाथों के बीच रख कर बोला, ‘‘निशा, काफी दिनों की तड़प और बेचैनी का दर्द सहने के बाद आज मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’ कह कर अजय चुप हो गया. निशा अजय के अंदाज से ही जान गई कि वह आज तय कर के आया है कि अपने दिल की बात जुबां पर ला कर रहेगा. इसलिए निशा ने उस के सामने अंजान बनते हुए पूछ लिया, ‘‘ऐसी कौन सी बात है जो तुम बेचैन रहे और तड़पते रहे, मुझ से कहने में हिचकते रहे.’’

अजय ने एक गहरी सांस ली और हिम्मत कर के बोला, ‘‘मेरा दिल तुम्हारे प्यार का मारा है. तुम्हें बेहद चाहता है, दिनरात मुझे चैन नहीं लेने देता. इस के चक्कर में मेरी आंखें भी पथरा गई हैं, आंखों में नींद कभी अपना बसेरा नहीं बना पाती. अजीब सा हाल हो गया है मेरा. मेरी इस हालत को तुम ही ठीक कर सकती हो मेरा प्यार स्वीकार कर के… बोलो, करोगी मेरा प्यार स्वीकार?’’

‘‘मेरे दिल की जमीन पर तुम्हारे प्यार के फूल तो कब के खिल चुके थे, लेकिन रिश्ते की वजह से और नारी सुलभ लज्जा के कारण मैं तुम से कह नहीं पा रही थी. इसलिए सोच रही थी कि तुम ही प्यार का इजहार कर दो तो बात बन जाए. तुम भी शायद रिश्ते की वजह से हिचक रहे थे, तभी इजहार करने में इतना समय लगा दिया.’’

‘‘निशा, यह जान कर मुझे बेहद खुशी हुई कि तुम भी मुझे चाहती हो और तुम ने मेरा प्यार स्वीकार कर लिया. नाम का यह रिश्ता तो दुनिया का बनाया हुआ है, उसे हम ने तो नहीं बनाया. हमारी जिंदगी है और हम अपनी जिंदगी का फैसला खुद करेंगे न कि दूसरे लोग. रिश्ता हम दोनों के बीच वही रहेगा जो हम दोनों बना रहे हैं, प्यार का रिश्ता.’’

निशा अजय के सीने से लग गई, अजय ने भी उसे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. दोनों ने एकदूसरे का साथ पा लिया था, इसलिए उन के चेहरे खिले हुए थे. कुछ ही दिनों में दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी कायम हो गया. समय के साथ दोनों का रिश्ता और प्रगाढ़ होता चला गया. दोनों जानते थे कि वे विवाह के बंधन में नहीं बंध पाएंगे, फिर भी अपने रिश्ते को बनाए रखे थे. निशा का विवाह उस के घर वाले कहीं और करें और निशा उस से दूर हो जाए, उस से पहले अजय ने निशा का विवाह अपने ही गांव में किसी युवक से कराने की ठान ली. जिस से निशा हमेशा उस के पास रह सके.

पवन सिंह अजय के गांव ताला रुकनुद्दीनपुर में ही रहता था. पवन के पिता दानवीर सिंह चौहान की 2008 में मत्यु हो चुकी थी. परिवार में मां शांति देवी उर्फ कमला और 3 बड़ी बहनें और 3 बड़े भाई थे. मनमर्जी की शादी अजय ने निशा का विवाह पवन से कराने का निश्चय कर लिया. अजय ने इस के लिए अपनी ओर से कोशिशें करनी शुरू कर दीं. इस में उसे सफलता भी मिल गई. 2012 में दोनों परिवारों की आपसी सहमति के बाद निशा का विवाह पवन से हो गया. निशा मौसी के घर से अपने पति पवन के घर आ गई. विवाह के बाद पवन की मां ने बंटवारा कर दिया. पवन निशा के साथ अलग रहने लगा. इस के बाद पवन की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. पवन पिकअप चलाने लगा.

लेकिन अधिक आमदनी हो नहीं पाती थी. जो होती थी, वह उसे दारू की भेंट चढ़ा देता था. कालांतर में निशा ने एक बेटी शिवांशी (7 वर्ष) और एक बेटे अंश (5 वर्ष) को जन्म दिया. अजय ने भी निशा के विवाह के एक साल बाद फैजाबाद की एक युवती जया से विवाह कर लिया था. जया से उसे एक बेटा था. लेकिन निशा और अजय के संबंध बदस्तूर जारी थे. पवन शराब का इतना लती था कि उस के लिए कुछ भी कर सकता था. एक बार शराब पीने के लिए पैसे नहीं थे तो पवन निशा के जेवरात गिरवी रख आया. मिले पैसों से वह शराब पी गया. वह जेवरात निशा को अजय ने दिए थे.

पवन की हरकतों से निशा और अजय बहुत परेशान थे. अपनी परेशानी दूर करने का तरीका भी उन्होंने खोज लिया. दोनों ने पवन को दुबई भेजने की योजना बना ली. इस से पवन से आसानी से छुटकारा मिल जाता. उस के चले जाने से उस की हरकतों से तो छुटकारा मिलता ही, साथ ही दोनों बेरोकटोक आसानी से मिलते भी रहते. निशा और अजय ने मिल कर अयोध्या जिले के भेलसर निवासी कलीम को 70 हजार रुपए दे कर पवन को दुबई भेजने की तैयारी की. लेकिन दोनों की किस्मत दगा दे गई. लौकडाउन लगने के कारण पवन का पासपोर्ट और वीजा नहीं बन पाया. पवन को दुबई भेजने में असफल रहने पर उस से छुटकारा पाने का दोनों ने दूसरा तरीका जो निकाला, वह था पवन की मौत. अजय ने निशा के साथ मिल कर पवन की हत्या की योजना बनाई.

13 सितंबर को अजय ने पवन से कहा कि वह बहुत अच्छी शराब लाया है, उसे कल पिलाएगा. अच्छी शराब मिलने के नाम से पवन की लार टपकने लगी. अगले दिन 14 सितंबर की रात 9 बजे पवन अपनी बाइक से अजय के घर पहुंच गया. वहां से अजय उसे टीकाराम बाबा के पास वाले तिराहे पर ले गया. अजय ने वहां उसे 2 बोतल देशी शराब पिलाई. पिलाने के बाद वह उसे पीपा पुल पर ले गया. वहां पहुंचतेपहुंचते पवन बिलकुल अचेत हो गया. अजय ने उसे उठा कर गोमती नदी में फेंक दिया. उस के बाद वह घर लौट गया. लेकिन अजय और निशा की होशियारी धरी की धरी रह गई और दोनों पकड़े गए. आवश्यक कागजी खानापूर्ति करने के बाद इंसपेक्टर धर्मेंद्र रघुवंशी ने दोनों को न्यायालय में पेश कर दिया, वहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया. UP Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधार