Extramarital affair : नरेंद्र की अच्छीभली गृहस्थी थी. सरकारी नौकरी कर रही बीवी और 2 बच्चे. लेकिन वह रूबी के हुस्न में ऐसा अंधा हुआ कि घरपरिवार छोड़ कर उस के साथ किराए के मकान में रहने लगा. लेकिन जब वही रूबी सिपाही योगेश के इश्क में अंधी हुई तो…
जिला अमरोहा के थाना रजबपुर के गांव शकरपुर निवासी नरेंद्र कुमार 27 सितंबर, 2019 को अपनी पत्नी वालेश देवी की दवा लाने के लिए नजीबाबाद के लिए निकला. दरअसल, उस की पत्नी वालेश को एलर्जी की शिकायत रहती थी, जिस का इलाज वह नजीबाबाद के एक डाक्टर से करा रहा था. नरेंद्र घर से दोपहर 12 बजे निकला था. हर बार की तरह उसे शाम तक घर आ जाना चाहिए था. लेकिन उस दिन जब वह शाम तक घर नहीं लौटा तो पत्नी वालेश को चिंता हुई. उस ने पति को फोन किया तो फोन नहीं लगा. यह कोशिश उस ने कई बार की लेकिन असफलता ही हाथ लगी. रात करीब 12 बजे वालेश ने फिर से पति को फोन लगाया. इस बार भी उस का फोन स्विच्ड औफ आया.
वालेश ने सोचा कि संभव है, पति के फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई हो. इसलिए वह सो गई. अगले दिन वालेश ने फिर से पति का नंबर मिलाया. इस बार भी उस का फोन स्विच्ड औफ मिला. नरेंद्र को अगर कहीं रुकना होता तो वह बता कर जाता, लेकिन वह ऐसा कुछ भी बता कर नहीं गया था. वालेश ने पति की जानपहचान वालों को फोन कर के पति नरेंद्र के बारे में पूछताछ की. लेकिन उस के बारे कहीं भी कुछ पता नहीं लगा. इस के बाद वालेश ने अपने ससुर समरपाल सिंह को यह जानकारी दे दी. समरपाल सिंह ने अपने सभी रिश्तेदारों, परिचितों में नरेंद्र को ढुंढवाया लेकिन उस का कहीं पर भी पता नहीं लग पाया. देखतेदेखते 8 दिन गुजर गए तो गांव वालों और रिश्तेदारों ने उन्हें थाने में उस की गुमशुदगी दर्ज कराने की सलाह दी.
6 अक्तूबर, 2019 को वालेश ससुर समरपाल सिंह के साथ थाना रजबपुर पहुंची और थानाप्रभारी सत्येंद्र सिंह को अपने पति नरेंद्र कुमार (30) के गायब होने की बात विस्तार से बता दी. थानाप्रभारी ने उस की गुमशुदगी दर्ज कर ली. कई दिन बीत जाने के बाद भी जब पुलिस ने नरेंद्र का पता नहीं लगाया तो वालेश ने फिर से थानाप्रभारी से संपर्क किया. तब थानाप्रभारी सत्येंद्र सिंह ने उस से कहा कि पुलिस अपने स्तर से आप के पति को तलाश रही है, इस के अलावा अगर आप को किसी पर शक हो तो बताओ.
‘‘साहब, मुझे अपने पति की रखैल रूबी पर शक है.’’ वालेश ने बताया.
‘‘रूबी रहती कहां है?’’ सत्येंद्र सिंह ने पूछा.
‘‘साहब, वह मुरादाबाद के कांशीराम नगर में रहती है. उस का मकान मालिक योगेश है, जो यूपी पुलिस में सिपाही है. इस समय वह मुरादाबाद के थाना बिलारी में तैनात है. रूबी के चक्कर में कई बार योगेश से उस का झगड़ा भी हुआ था. मुझे पता चला है कि अब रूबी योगेश के साथ खुलेआम घूमती है.’’ वालेश ने बताया. वालेश ने थानाप्रभारी को रूबी का मोबाइल नंबर भी दे दिया. यह जानकारी मिलने के बाद थानाप्रभारी को इस मामले में किसी अप्रिय घटना की आशंका नजर आने लगी. उन्होंने उसी दिन 19 अक्तूबर को नरेंद्र के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर सूचना अमरोहा के एसपी डा. विपिन टाडा को दे दी.
थानाप्रभारी ने सब से पहले नरेंद्र के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई, तो उस के फोन पर अंतिम काल रूबी ने की थी, जिस की लोकेशन कांशीराम नगर, मुरादाबाद की मिली. पुलिस ने रूबी के फोन को सर्विलांस पर लगवा दिया. पता चला कि रूबी के फोन से एक अन्य फोन नंबर पर भी कई बार बात की गई थी. सिपाही योगेश आया संदेह के घेरे में पुलिस ने उक्त नंबर को ट्रैस किया, तो पता चला, वह नंबर सिपाही योगेश का है. थानाप्रभारी ले उस नंबर पर बात की और योगेश को थाना रजबपुर आने को कहा. योगेश ने थानाप्रभारी से कहा, ‘‘मैं बिलारी थाने में तैनात हूं, बताइए क्या बात करनी है?’’
‘‘कुछ पूछताछ करनी है, जो फोन पर नहीं हो सकती?’’ थानाप्रभारी ने कहा.
इस के बाद योगेश थाना रजबपुर पहुंच गया. थानाप्रभारी सत्येंद्र सिंह ने उस से पूछा, ‘‘योगेश, क्या तुम नरेंद्र कुमार को जानते हो?’’
‘‘हां सर, वह तो मेरा किराएदार है. वह अपनी पत्नी रूबी के साथ मेरे यहां रहता है. लेकिन पिछले कुछ समय से वह नहीं आ रहा है. उस के कमरे में ताला लगा हुआ है.’’ उस ने बताया.
‘‘पता है, वह कहां है?’’
‘‘सर, मैं तो अपनी ड्यूटी पर बिलारी चला जाता हूं, मुझे कुछ नहीं मालूम.’’
‘‘देखो योगेश, तुम पुलिस में हो. यह तो जानते ही होगे कि पुलिस के हाथ कितने लंबे होते हैं. हमें तुम्हारे और रूबी के फोन की काल डिटेल्स से पता चल चुका है कि रूबी से तुम्हारी लंबीलंबी बातें होती रहती हैं. तुम उसे अपने साथ घुमानेफिराने भी ले जाते थे. इसलिए अपने आप ही बता दो कि नरेंद्र कहां है?’’
‘‘सर, आजकल वह मुझे दिखाई नहीं दे रहा है. दिखाई दिया तो जरूर आप को बताऊंगा.’’ बातचीत के दौरान योगेश के होश उडे़ हुए थे. थानाप्रभारी ने योगेश से फिर कहा, ‘‘योगेश, अब तुम पुलिस की गिरफ्त में हो. अगर सच बता दोगे तो हम तुम्हारे बचाव का रास्ता भी ढूंढ लेंगे.’’
थानाप्रभारी सत्येंद्र सिंह को उसी समय एक मामले में दबिश में जाना था, इसलिए उन्होंने पहरेदार (संतरी) को बुला कर कहा कि ये पुलिस हिरासत में है. इसे हवालात में डाल दो. मैं इस से बाद में बात करूंगा. इतना कह कर वह थाने से बाहर चले गए. थाने में एसएसआई ओमपाल सिंह मौजूद थे. योगेश ने उन्हें बताया कि साहब मैं स्टाफ का आदमी हूं. इंचार्ज साहब को मेरे बारे में कुछ गलतफहमी हो गई है. इस पर एसएसआई ओमपाल सिंह ने कहा, ‘‘देखो योगेश, साहब बहुत सुलझे हुए अफसर हैं. जो भी बात है, उन्हें सचसच बता दो, इसी में तुम्हारी भलाई है. उन्हें तुम्हारे व नरेंद्र की कथित रखैल रूबी के बारे में सब मालूम है.’’
इस पर भी योगेश कुछ नहीं बोला, वह उस समय घबराया हुआ था. थानाप्रभारी आधे घंटे बाद थाने लौटे तो उन्होंने योगेश से पूछताछ की. अंतत: वह टूट गया. उस ने जो कुछ उन्हें बताया, उसे सुन कर थानाप्रभारी सत्येंद्र सिंह के भी होश उड़ गए. योगेश ने उन्हें बताया कि नरेंद्र कुमार अब इस दुनिया में नहीं है. मैं ने रूबी व अपने 2 साथियों के साथ मिल कर उस की हत्या कर दी. हम ने उस की लाश थाना बिलारी के गांव अमरपुर काशी के एक कुएं में मिट्टी डाल कर दफन कर दी थी. इतना सुनते ही थानाप्रभारी सत्येंद्र सिंह ने सब से पहले इस की सूचना एसपी डा. विपिन टाडा को दी. चूंकि हत्यारों ने लाश दूसरे जिले (मुरादाबाद) में ठिकाने लगाई थी, इसलिए एसपी डा. विपिन टाडा ने फोन पर मुरादाबाद के एसएसपी अमित पाठक से बात कर नरेंद्र की लाश थाना बिलारी क्षेत्र के कुएं से बरामद कराने के लिए सहयोग मांगा.
मुरादाबाद के एसएसपी अमित पाठक ने सीओ (बिलारी) महेंद्र कुमार शुक्ला को केस के बारे में समझा कर अमरोहा पुलिस का सहयोग करने को कहा. नरेंद्र सिंह की लाश बरामद करने के लिए थाना रजबपुर (अमरोहा) की पुलिस आरोपी सिपाही योगेश को उसी बिलारी थाने में ले कर पहुंची, जहां उस की तैनाती थी. योगेश को पुलिस कस्टडी में देख कर वहां सभी चौंके. इस के बाद सीओ महेंद्र कुमार शुक्ला, थानाप्रभारी (बिलारी) गजेंद्र त्यागी और एसआई उमेश कुमार यादव को ले कर अमरपुर काशी में उस सूखे कुएं पर पहुंचे, जहां नरेंद्र कुमार की लाश फेंक कर ऊपर से मिट्टी डाली गई थी.
कई घंटों की मशक्कत के बाद पुलिस ने रात में ही 25 फीट गहरे कुएं से नरेंद्र का शव निकलवा लिया. शव की शिनाख्त मृतक की पत्नी वालेश व उस के पिता समरपाल सिंह ने कर दी. योगेश ने बताए 2 साथियों के नाम थाना रजबपुर पुलिस को योगेश ने हत्या में शामिल अपने 2 दोस्तों के नाम पहले ही बता दिए थे. लिहाजा पुलिस ने योगेश की निशानदेही पर अमरपुर काशी गांव के ही 2 युवकों वीरपाल और विशेष सैनी को हिरासत में ले लिया. इस हत्याकांड में नरेंद्र कुमार की प्रेमिका रूबी अग्रवाल भी शामिल थी. पुलिस ने उसे भी हिरासत में ले लिया. चारों आरोपियों से रजबपुर थाना पुलिस ने विस्तार से पूछताछ की तो उन्होंने नरेंद्र कुमार की हत्या की जो कहानी बताई, वह प्रेम प्रसंग की बुनियाद पर गढ़ी हुई निकली—
नरेंद्र कुमार मूलत: अमरोहा (ज्योतिबा फुले नगर) के थाना रजबपुर के पास स्थित गांव शकरपुर का रहने वाला था. उस के पिता समरपाल सिंह किसान थे. पिता ने सन 2003 में नरेंद्र की शादी अमरोहा जिले के ही कस्बा धनौरा के निकटवर्ती गांव नेकपुर की वालेश के साथ कर दी थी. वालेश स्वास्थ्य विभाग में आशा वर्कर थी. नरेंद्र की घरगृहस्थी ठीक चल रही थी. समय के साथ पर वह एक बेटी व 2 बेटों का पिता बन गया था. उस की सब से बड़ी बेटी 13 साल की थी. नरेंद्र दबंग युवक था. उस की अमरोहा के पूर्व सांसद देवेंद्र नागपाल से घनिष्ठता थी. वह एक तरह से उन का बौडीगार्ड बन कर रहता था. पूर्व सांसद देवेंद्र नागपाल का गजरौला में ‘मेला रेस्टोरेंट’ है, जहां कुछ समय के लिए दिल्ली आनेजाने वाली रोडवेज की बसें रुकती हैं.
इसी रेस्टोरेंट पर नरेंद्र ने जनरल स्टोर खोल ली थी. अपनी दुकान चलाने के अलावा वह पूरे दिन रेस्टोरेंट की देखभाल करता था. उस का धंधा अच्छा चल रहा था. इस रेस्टोरेंट में बने उड़द और खीर बहुत प्रसिद्ध थे. इसी दौरान नरेंद्र का संपर्क रूबी अग्रवाल से हुआ था. रूबी अग्रवाल अकसर उस रेस्टोरेंट पर खाना खाने आती थी. वह मूलत: मुजफ्फरनगर निवासी सुरेश अग्रवाल की बेटी थी. उस के 2 भाई थे. उस के बड़े भाई की शादी गजरौला में हुई थी. शादी के बाद वह गजरौला के बस्ती मोहल्ले में रहने लगा था, जबकि दूसरा भाई पानीपत में रहता था.
रूबी अग्रवाल की शादी हसनपुर निवासी उमेश कुमार अग्रवाल के बेटे संजीव अग्रवाल से हुई थी. रूबी अग्रवाल शुरू से ही खुले विचारों वाली पढ़ीलिखी युवती थी. उसे घर में रहने के बजाय बाहर घूमनाफिरना पसंद था. जबकि पति ऐसा नहीं चाहता था, इसलिए रूबी पति को पसंद नहीं करती थी. वह गजरौला में रहने वाले अपने भाई के पास गई तो उसे पता चला कि मेला रेस्टोरेंट की उड़द और खीर बहुत स्वादिष्ट होती है. जब वह उस रेस्टोरेंट पर गई तो उस की मुलाकात नरेंद्र कुमार से हुई. पहली मुलाकात में ही वह नरेंद्र के मन को भा गई. उस की ससुराल से गजरौला 14 किलोमीटर दूर था, इसलिए वह अकसर रेस्टोरेंट पर जा कर नरेंद्र से मिलने लगी.
रूबी को उस के ससुराल वालों ने कई बार समझाया, लेकिन उस ने अपनी आदत नहीं छोड़ी. उधर नरेंद्र से दोस्ती हो जाने के बाद रूबी की उस से नजदीकियां भी बढ़ गईं. एक तरह से रूबी नरेंद्र पर पूरी तरह फिदा हो गई थी. नरेंद्र के लिए उस ने अपने पति तक को छोड़ने का फैसला कर लिया था. कई बार वह नरेंद्र के साथ रेस्टोरेंट पर ही रुक जाती थी. इस बात को ले कर नरेंद्र व रूबी के ससुराल वालों के बीच कई बार झगड़ा भी हुआ. बात थाने तक पहुंची तो रूबी ने साफ कह दिया कि उस का पति नरेंद्र है. वह उसी के साथ रहेगी. समाज के लोगों ने पंचायत कर दोनों को काफी समझाया लेकिन दोनों में से कोई भी नहीं माना.
घरपरिवार तक छोड़ दिया था रूबी के लिए नरेंद्र और रूबी के संबंधों की जानकारी नरेंद्र के पिता और उस की पत्नी वालेश को भी हो गई थी. दोनों ने उसे बहुत समझाया लेकिन नरेंद्र रूबी का साथ छोड़ने को राजी नहीं हुआ. इस पर उन्होंने लड़झगड़ कर रेस्टोरेंट पर चल रही उस की दुकान भी बंद करवा दी. तब नरेंद्र घर रहने लगा तो रूबी उस के घर पहुंच गई. तब भी घर वालों ने काफी हंगामा किया. इतना ही नहीं नरेंद्र के पिता समरपाल रूबी को थाना रजबपुर ले गए. रूबी ने थाने में भी कह दिया कि वह नरेंद्र को हरगिज नहीं छोड़ेगी. पुलिस ने भी समझाबुझा कर उसे भेज दिया तो वह फिर नरेंद्र के घर ही चली गई.
इस के बाद नरेंद्र रूबी को ले कर गजरौला में किराए का कमरा ले कर रहने लगा. तब रूबी की ससुराल वाले वहां पहुंच गए. उन्होंने रूबी और नरेंद्र से झगड़ा किया. चूंकि रूबी ने अपने पति संजीव अग्रवाल से कानूनन तलाक नहीं लिया था, लिहाजा रूबी की ससुराल वाले थाने पहुंच गए. संजीव अग्रवाल की शिकायत पर गजरौला पुलिस ने नरेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के उसे जेल भेज दिया. करीब 3 महीने बाद उसे जमानत मिली. यह बात करीब 11 साल पहले की है. जेल से बाहर आने के बाद नरेंद्र फिर से रूबी के साथ रहने लगा. उस की खातिर उस ने अपना घरबार बीवीबच्चों तक को छोड़ दिया था. उस की पत्नी वालेश बहुत परेशान रहने लगी. वह बारबार पति के पास आ कर झगड़ती थी, पर नतीजा कुछ नहीं निकला.
आए दिन के झगड़ों से तंग आ कर नरेंद्र ने मुरादाबाद के थाना मझोला क्षेत्र में स्थित कांशीराम नगर में किराए पर एक कमरा ले लिया. यह मकान उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही योगेश कुमार का था. नरेंद्र अकसर अपने गांव शकरपुर आताजाता रहता था. नरेंद्र शराब पीने का शौकीन था. कुछ ही दिनों में नरेंद्र और योगेश के बीच दोस्ती हो गई. इस के बाद दोनों की घर में ही शराब की महफिल जमने लगी. रूबी खूबसूरत थी. वह योगेश से भी बातें कर लेती थी. योगेश उसे भाभी कहता था और उस से कभीकभी मजाक भी कर लेता था. रूबी उस की बातों का बुरा नहीं मानती थी. इस से योगेश का हौसला बढ़ता गया. वह उसे चाहने लगा.
एक बार बातचीत के दौरान योगेश कुमार ने रूबी को झूठ बोलते हुए बताया, ‘‘भाभी, मैं कुंवारा हूं और मुझे तो बस तुम्हारी जैसी हसीन बीवी चाहिए.’’
जबकि हकीकत यह थी कि वह शादीशुदा था. उस की पत्नी मेरठ के गांव में स्थित ससुराल में एक बच्चे के साथ रहती थी. अपनी तारीफ सुन कर रूबी खुश हुई. धीरेधीरे योगेश ने रूबी को अपनी लच्छेदार बातों में फांस लिया. फिर एक दिन ऐसा भी आया कि योगेश और रूबी के बीच शारीरिक संबंध बन गए. एक बार शुरुआत हुई तो यह सिलसिला शुरू हो गया. मौका मिलते ही दोनों हसरतें पूरी कर लेते थे. किसी तरह नरेंद्र को योगेश व रूबी के संबंधों का पता चला तो उस ने रूबी से बात की. रूबी ने साफ कह दिया कि अब तुम्हारा मेरा कोई साथ नहीं है. मेरा पीछा छोड़ कर तुम अपनी घरगृहस्थी देखो. मैं ने योगेश से शादी का मन बना लिया है, क्योंकि वह भी कुंवारा है और अपना घर भी बसाना चाहता है. यह बात घटना से एक साल पहले की थी.
नरेंद्र ने योगेश से इस संबंध में बात की. योगेश ने कहा, ‘‘देखो नरेंद्र, अब तुम रूबी का साथ छोड़ कर अपने घर चले जाओ, क्योंकि रूबी अब मेरी है.’’
इस बातचीत के बाद नरेंद्र ने योगेश को दबंगई दिखाते हुए कहा, ‘‘योगेश, तुम मुझे नहीं जानते. मेरे ऊपर पूर्व सांसद देवेंद्र नागपाल का हाथ है. तुम्हें 2 मिनट में उठवा लूंगा.’’
इस के बाद दोनों में झगड़ा इतना बढ़ गया कि मारपीट तक हो गई. उसी दौरान नरेंद्र ने योगेश से कह दिया था कि मैं ने रूबी के चक्कर में अपना घरबार सब कुछ छोड़ा है. तुम मेरे और रूबी के बीच से नहीं हटे तो अंजाम बुरा होगा. योगेश ने उस की धमकी को गंभीरता से नहीं लिया. क्योंकि उसे इस बात का घमंड था कि वह पुलिस में है और नरेंद्र उस का कुछ नहीं कर सकता. बहरहाल, अब योगेश रूबी को ले कर खुलेआम घूमने लगा. रूबी योगेश के प्यार में पागल थी, क्योंकि वह एक तो सरकारी नौकर था और दूसरे वह उस की हर जरूरत को पूरा कर रहा था.
नरेंद्र की धमकी से डर गया था योगेश एक दिन नरेंद्र ने योगेश से कहा, ‘‘योगेश, तुम मान जाओ, वरना मैं तुम्हारी शिकायत पुलिस के आला अफसरों से कर दूंगा.’’
अधिकारियों से शिकायत की बात सुन कर योगेश सहम गया. यह बात योगेश ने रूबी को बता दी. तब योगेश ने रूबी से अपने घर में बात करनी बंद कर दी. अब उन्होंने बाहर मिलने की प्लानिंग कर ली. रूबी ब्यूटीपार्लर का काम भी जानती थी. वह मोहल्ले की औरतों से यह कह कर घर से निकल जाती थी कि वह ब्यूटीपार्लर के काम के सिलसिले में बाहर जा रही है. नरेंद्र आए तो बता देना. इस के बाद रूबी अपने कथित प्रेमी योगेश के साथ होटलों में रात गुजारती थी. नरेंद्र जब कमरे पर लौटता तो रूबी को न देख कर वह खून का घूंट पी कर रह जाता था. उधर रूबी ने योगेश को बता दिया था कि नरेंद्र दबंग है. वह किसी से डरता नहीं है. रूबी ने नरेंद्र की दबंगई के तमाम किस्से योगेश को बताते हुए कहा कि नरेंद्र नाम के इस कांटे को तुम जल्दी से निकाल फेंको वरना यह बारबार चुभ कर नासूर बना देगा. यह सलाह योगेश को सही लगी. वैसे भी नरेंद्र सिपाही योगेश पर भारी पड़ रहा था.
रूबी व योगेश ने एक योजना बना ली. घटना से 2 महीने पहले योगेश से नरेंद्र की मुलाकात हुई थी. योगेश ने नरेंद्र से कहा कि देखो नरेंद्र भाई, मेरा ट्रांसफर बाहर किसी दूसरे जिले में होने वाला है. मैं अब यहां से चला जाऊंगा. तुम लोग आराम से रहना. इस के बाद उस ने नरेंद्र से मिलनाजुलना छोड़ दिया. रूबी ने भी नरेंद्र से मीठीमीठी बातें करनी शुरू कर दीं. नरेंद्र को दोनों के प्लान का जरा सा भी आभास नहीं हुआ. वैसे भी रूबी का योगेश के साथ रहने पर नरेंद्र अपने गांव अपनी पत्नी के पास चला गया था. रूबी उस से कभीकभी फोन पर बात कर लेती थी.
27 सितंबर, 2019 को नरेंद्र के पास रूबी का फोन आया. उस ने कहा कि तुम मुरादाबाद आ जाओ तो नरेंद्र ने कहा कि मुझे वालेश की दवा के लिए नजीबाबाद (बिजनौर) जाना है. तुम जोया आ जाओ तो साथ चलेंगे. रूबी जोया पहुंच गई. वहां नरेंद्र उस का इंतजार कर रहा था. दोनों जोया में बिजनौर जाने वाली बस का इंतजार कर रहे थे. ठीक उसी समय सिपाही योगेश योजनानुसार कार ले कर वहां आ गया. उस ने पूछा, ‘‘कहां जा रहे हो?’’
नरेंद्र ने कहा कि मुझे दवा लेने नजीबाबाद जाना है. बस का इंतजार कर रहे हैं तो योगेश बोला, ‘‘आओ, तुम दोनों गाड़ी में बैठो. मैं तुम्हें नजीबाबाद छोड़ दूंगा. क्योंकि मुझे भी कोटद्वार जाना है.’’
नरेंद्र से रूबी बोली, ‘‘चलो, बैठो. पता नहीं बस कब तक आएगी.’’
रूबी और नरेंद्र कार में बैठ गए. रास्ते में योगेश बोला, ‘‘नरेंद्र, अब तो मुझ से आप को कोई शिकायत नहीं है?’’
नरेंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया. योजना के मुताबिक रास्ते में वीरपाल और विशेष सैनी भी मिल गए, जो योगेश के दोस्त थे. योगेश ने उन्हें भी कार में बैठा लिया. फिर उस ने नरेंद्र से पूछा, ‘‘थोड़ीथोड़ी ले लें क्या?’’
नरेंद्र ने तबीयत ठीक न होने की बात कह कर इनकार कर दिया. पर बारबार कहने पर वह पीने को तैयार हो गया. कार में ही मार डाला नरेंद्र को नरेंद्र और योगेश नूरपुर-मुरादाबाद मार्ग के एक ढाबे पर बैठ कर शराब पीने लगे. योगेश ने योजनानुसार कम पी, नरेंद्र को ज्यादा पिलाई. इस के बाद सभी ने ढाबे पर खाना खाया. नशा चढ़ने पर नरेंद्र कार में सो गया. मौका पा कर रूबी ने नरेंद्र के पैर पकडे़ और योगेश व उस के साथियों ने उस की गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद वह गाड़ी ले कर मुरादाबाद की तरफ चलते हुए लाश ठिकाने लगाने की जगह देखने लगे. पर उन्हें कहीं मौका नहीं मिला. कई जगह लाश फेंकने की कोशिश भी की गई, लेकिन उसी समय कोई न कोई व्यक्ति दिखाई दे जाता था.
सिपाही की गाड़ी में वीरपाल और विशेष सैनी भी बैठे हुए थे. इन दोनों ने कहा, ‘‘दीवानजी, ऐसे लाश कहीं फेंकेंगे तो पकड़े जाएंगे, क्योंकि दिन का समय है. यह रात में ही ठिकाने लग सकती है.’’
इस के बाद चारों रात होने का इंतजार करने लगे. वे फिर अमरोहा लौटे. शाम हो चुकी थी. वीरपाल और विशेष थाना बिलारी के गांव अमरपुर काशी के रहने वाले थे. उन के कहने पर योगेश लाश सहित कार को अमरपुर काशी ले गया. विशेष ने योगेश से कहा कि नरेंद्र की लाश को इधरउधर डालेंगे तो पकड़े जा सकते हैं. मेरे निजी नलकूप का 25 फीट गहरा कुआं है. नरेंद्र की लाश उसी में डाल देते हैं. ऊपर से मिट्टी डाल देंगे तो किसी को पता भी नहीं चलेगा. इस के बाद योगेश, वीरपाल और विशेष ने मिल कर नरेंद्र की लाश कुएं में डाल दी. ऊपर से कुएं में कूड़ाकरकट डाल दिया. फिर दूसरे दिन एक ट्रौली मिट्टी भी डलवा दी. इस तरह लाश ठिकाने लगा कर सभी निश्चिंत हो गए थे.
योजना को अंजाम देने के बाद योगेश अपनी ड्यूटी पर थाना बिलारी चला गया. रूबी अपने घर चली गई थी. पुलिस ने आरोपी योगेश कुमार, रूबी, वीरपाल और विशेष सैनी से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.