Honeytrap Gang में शामिल पत्रकार और वकील

Honeytrap Gang बलोदा बाजार भाटापारा के इस हनीट्रैप गैंग में एडवोकेट से ले कर पत्रकार तक शामिल थे. ये लोग शहर के नामी व्यक्तियों को अपने जाल में इतनी आसानी से फांस लेते थे कि शिकार को लाखों रुपए ढीले करने पर मजबूर होना पड़ता था. जैसे ही यह बात पुलिस तक पहुंची तो…

रघुवीर सहाय की जब से कोमल से फेसबुक पर फ्रेंडशिप हुई थी, वह बहुत बेचैन हुए जा रहा था. वह उस से मिलने के लिए लालायित था. रघुवीर सहाय ने आखिर एक दिन कोमल से रिक्वेस्ट करते हुए कह दिया, ”हां तो कोमलजी, हम लोग कब मिल रहे हैं?’’

”मिलेंगे, मगर आप इतना जल्दी क्यों कर रहे हैं?’’ दूसरी तरफ से इठला कर कोमल ने कहा.

”देखो भाई, आज हम मिलें या फिर कल, मिलना तो है. ऐसे में आज के काम को आज ही क्यों न निपटा लें.’’

”वाह! आप का तो कोई जवाब नहीं. आप से बातों में मैं भला कहां जीत पाऊंगी.’’ कोमल ने कहा तो रघुवीर सहाय हंसते हुए बोला, ”तो फिर ठीक है, बताओ कहां आऊं?’’

”ठीक है, मैं आप को एक घंटे में बताती हूं कि हम को कहां मिलना चाहिए.’’

”ओके… जरा जल्दी बताना. मैं तुम से मिलने को बेताब हूं.’’

यह सुन कर कोमल हंसने लगी फिर बोली, ”अभी 4 दिन ही तो हुए हैं हमें फेसबुक पर मुलाकात किए हुए और आप इतनी जल्दी मिलना चाहते हैं. सच कहूं तो मैं भी आप से मिलने को आतुर हूं. मगर…’’ यह बात कर के कोमल चुप हो गई.

”कहो न क्या बात है, तुम्हारी

यही अदा मुझे बहुत अच्छी लगती

है. बातोंबातों में एक ऐसा रहस्य खड़ा कर देती हो कि बस पूछो मत.’’

”दरअसल , मेरा पति मुझे परेशान करता है, मैं उसे जल्द छोड़ दूंगी.’’

”ठीक है. अच्छा मिल कर बात करेंगे, तुम मुझे बताना मैं अपना कुछ काम भी निपटा लेता हूं तब तक.’’

आखिरकार रात को 10 बजे कोमल ने अपने घर पर ही मिलने का मैसेज रघुवीर सहाय को भेज दिया. उस ने बताया कि पति महाशय रायपुर गए हुए हैं और अब अगले दिन ही लौटेंगे, इसलिए हम यहां बड़े आराम से मिल सकते हैं. रघुवीर सहाय कोमल के यहां पहुंच गया और उसे वहां पहुंचे हुए अभी 15 मिनट ही हुए थे कि बाहर होहल्ला मचने लगा. वह कुछ करते, एक व्यक्ति और 2 वरदीधारी पुलिस वाले भीतर आ गए और एक शख्स रघुवीर सहाय को गालियां देते हुए मारने लगा. उस व्यक्ति ने कहा, ”मैं इस का पति हूं और मुझे इस हरामजादी पर पहले से शक था.’’

फिर उस ने मोबाइल निकाल कर के वीडियो बनानी शुरू कर दी और चिल्ला कर बोला, ”तुम को तो मैं जेल भिजवाऊंगा.’’

एक पुलिस वाले ने घुड़क कर कहा, ”चलो थाने! वहां तुम्हारी ठीक से खातिरदारी करेंगे.’’

यह सुन कर रघुवीर सहाय घबरा गया और हाथ जोड़ कर माफी मांगने लगा. एक पुलिस वाले ने कोमल के पति को शांत करते हुए कहा, ”देखो, यह इज्जतदार आदमी लगता है और थाने पुलिस से तुम्हारी भी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.’’

”हांहां, यह सच है…’’ रघुवीर सहाय ने कहा.

”इसे यहीं दंड दो और भगा दो.’’ दूसरे पुलिस वाले ने सलाह देते हुए कहा.

”चलो ठीक है, मुझे 10 लाख रुपए तुम अभी के अभी दो.’’

”मैं…मैं दे दूंगा.’’ रुपए देने का वादा कर रघुवीर सहाय घिघियाते हुए किसी तरह जान बचा कर वहां से नौ दो ग्यारह हो गया. यह बात छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार भाटापारा जिले की है.

पीडि़त ने एसपी को सुनाई आपबीती

दोपहर के यही कोई 12 बजे थे. बलौदा बाजार भाटापारा के एसपी सदानंद कुमार अपने औफिस में रोजमर्रा के काम निपटाते हुए फाइलों पर दस्तखत कर रहे थे और मिलनेजुलने वालों से बातें भी कर रहे थे कि तभी रघुवीर सहाय उन के समक्ष हाथ जोड़ कर खड़ा हुआ और बोला, ”सर, मैं आप से कुछ अकेले में कुछ बात करना चाहता हूं?’’

एसपी सदानंद कुमार ने एक नजर उस शख्स पर डाली फिर मामले की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने कुछ देर में वहां मौजूद अन्य लोगों को बाहर भेज कर उस से रूबरू हुए तो रघुवीर सहाय रुआंसा होते हुए बोला, ”सर, मैं बरबाद हो गया हूं. दरअसल, मुझ से 20 लाख रुपए कुछ लोगों ने डराधमका कर ले लिए हैं.’’

यह सुन कर के सदानंद कुमार उस की ओर गौर से देखने लगे और बैठा कर पानी पीने को कहा और फिर कहा, ”अपनी बात को विस्तार से बताओ.’’

इस के बाद रघुवीर सहाय ने जो बातें पुलिस कप्तान के समक्ष रखीं तो उन के मुंह से बरबस निकला, ”ओह, तो यह सब (Honeytrap) हनीट्रैप का मामला है.’’

‘हनीट्रैप’ शब्द सुनते ही वह आश्चर्यचकित हो कर एसपी साहब का मुंह ताकता रह गया.

”देखो, तुम निश्चिंत रहो, इस के पीछे जो लोग भी हैं, पुलिस और कानून से बच नहीं सकते.’’ सदानंद कुमार ने उसे आश्वस्त कर के वहां से भेज दिया.

 इस के बाद उन्होंने अपने तरीके से जब जिला बलौदा बाजार भाटापारा के कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण लोगों और सूत्रों से बातचीत की तो यह बातें सामने आ गईं कि शहर में ऐसी  लगभग 10 घटनाएं घटित हो चुकी हैं और नगर के गणमान्य लोग इस में अपनी इज्जत बचाने के चक्कर में पुलिस के समक्ष शिकायत करने नहीं आ रहे हैं. एसपी सदानंद कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की 5 टीमें बनाईं. उन्होंने सभी टीमों को निर्देश दिए कि वह जल्द से जल्द इस मामले को सौल्व कर हनीट्रैप के आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेजें.

कोतवाली, बलौदा बाजार के टीआई अजय झा और पुलिस की टीमों ने एसपी के निर्देशन में जांच शुरू कर दी और बहुत जल्द आरोपियों को सबूत के साथ गिरफ्त में भी ले लिया. एसडीओपी निधि नाग ने 31 मार्च, 2024 को मामले का खुलासा करते हुए पत्रकारों को बताया कि मामले की जांच में मुख्य आरोपी प्रत्यूष मरैया उर्फ मोंटी, कनक टंडन, पूर्व विधायक प्रतिनिधि शिरीष पांडेय, एडवोकेट महान मिश्रा समेत दूसरे आरोपियों के नाम सामने आए हैं.

ये सभी आरोपी गैंग की महिलाओं को जाल में फांसे गए लोगों के घर भेजते थे, जहां महिलाएं जा कर संबंधित शख्स को झूठे मामले में फंसाने की धमकी देती थीं. धमकी के बाद बदनामी के डर से आरोपी पीडि़त से मोटी रकम की उगाही करते थे. इस के बाद सर्च वारंट जारी कर पुलिस ने आरोपियों के निवास और दूसरे ठिकानों में सर्च अभियान चलाया. मुख्य आरोपी कनक टंडन, मोंटी उर्फ प्रत्यूष मरैया, शिरीष पांडेय फरार थे. कनक टंडन के घर के बाहर पुलिस बल लगाया गया और सरगना की तलाश के लिए पुलिस की टीमें लगातार पतासाजी करने लगीं.

पुलिस लगातार छापेमारी करती रही. शहर के नामी लोगों को टारगेट बना कर गिरोह लगातार ब्लैकमेल करता रहा.

मंत्री की दखल से तेज हुई पुलिस काररवाई

यह चर्चित सैक्स स्कैंडल जब कुछ समय तक ठंडे बस्ते में चला गया और आरोपी नहीं पकड़े गए तो शहर में इस की चर्चा होने लगी. समाचार पत्रों में यह मामला सुर्खियां बटोरने लगा. ऐसे में छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में बनी थी. हनीट्रैप मामले की जानकारी स्थानीय विधायक और राज्य सरकार में खेल और युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा को हुई तो उन्होंने एसपी को शीघ्र काररवाई के लिए कहा. आखिरकार कोतवाली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली.

बलौदा बाजार के इस सैक्स स्कैंडल मामले में टारगेट को फंसा कर रकम वसूल करने में जनप्रतिनिधि, पुलिस और कथित पत्रकार की भी भूमिका सामने आई. मंगलवार 9 जुलाई, 2024 को आखिरकार  लंबे समय से चर्चा में रहे हनीट्रैप मामले में एक महिला आरोपी को पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद कोर्ट के पास गिरफ्तार कर लिया तो यह मामला फिर सुर्खियों में आ गया. पकड़ी गई महिला विनीता (27 वर्ष) शिव मंदिर, बलौदा बाजार की रहने वाली थी.

पूछताछ में विनीता ने पुलिस के सामने आखिर हथियार डाल दिए और सारेघटनाक्रम को सिलसिलेवार बयान किया. एसपी सदानंद कुमार के निर्देश पर पुलिस ने 3 युवतियों और एक युवक को पहले गिरफ्तार किया था. आरोपियों में कई नामचीन लोग शामिल थे. ये सभी एक रैकेट बना कर धनवान, शासकीय एवं प्राइवेट नौकरी से रिटायर्ड लोगों को हनीट्रैप में फंसा रहे थे. फिर उन्हें बदनाम करने की धमकी दे कर उन से मोटी रकम वसूल रहे थे.

जांच के दौरान पुलिस ने अनेक पीडि़तों से विस्तार से पूछताछ की गई, जिस में यह तथ्य सामने आया कि मुख्य सरगना शिरीष पांडे, गीतांजलि फेकर, मोंटी उर्फ प्रत्यूष मरैया, कनक टंडन, महान मिश्रा व अन्य इस सैक्स स्कैंडल में शामिल थे. पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. उन्होंने हनीट्रैप (Honeytrap) के जरिए 41 लाख रुपए की वसूली करने की बात कुबूल कर ली.

गैंग में वकील और पत्रकार भी शामिल

यह गिरोह बड़े ही शातिर तरीके से अपने काम को अंजाम दिया करता था तथा गिरोह के सभी सदस्यों के काम अलगअलग थे. गिरोह का मुख्य सरगना एवं मास्टरमाइंड शिरीष पांडे एवं विनीता थे. शिरीष पांडे एवं विनीता द्वारा बलौदा बाजार नगर में मोटे पैसे वाले लोगों को चिह्निïत किया जाता था. उस के बाद शिरीष पांडे द्वारा खुद की पहुंच अपनी राजनीतिक दखल एवं पहचान का प्रभाव दिखाते हुए टारगेट से मेलजोल बढ़ा कर उन को लड़की उपलब्ध करने का झांसा दिया जाता था.

दोनों मुख्य आरोपी स्थानीय बलौदा बाजार के निवासी हैं. ये दोनों ही लड़कियों के शहर में रहने, खानेपीने एवं अन्य सुविधाओं का इंतजाम करते थे. इस के बाद उन लड़कियों को अपने टारगेट के पास भेजते थे. लड़की के जाने के थोड़ी देर बाद खुद दोनों आरोपी मौके पर पहुंच कर स्वयं को लड़की के परिजन बता कर टारगेट को ब्लैकमेल कर पैसे की मांग करते थे. इस दौरान पीडि़त उन से डर कर पैसे देने के लिए तैयार हो जाता था. इन में दीप्ति बंजारे नाम की महिला टारगेट को फंसाने के लिए लड़कियों का इंतजाम करती थी.

यही गिरोह से संपर्क के माध्यम से लड़कियों को बुला कर टारगेट के पास भी भेजती थी. खुद को पत्रकार बताने वाला आशीष शुक्ला पत्रकारिता की आड़ में हनीट्रैप (Honeytrap) में फंसे व्यक्ति को धमकाने का काम करता था. आरोपी शुक्ला धमकी देता था कि यह अपराध प्रैस के माध्यम से लोगों तक प्रसारित कर दिया जाएगा. इस प्रकार डर दिखा कर वसूली करने का काम चल रहा था. आशीष शुक्ला द्वारा एक टारगेट से सवा लाख रुपए की मांग की गई थी, जिस में पीडि़त व्यक्ति ने 75 हजार रुपए का भुगतान आरोपी आशीष शुक्ला की दुकान में जा कर किया था.

बताया जाता है कि एक आरोपी महान मिश्रा पेशे से वकील है. यह अपनी पहुंच एवं पहचान का रौब दिखा कर उगाही की गई रकम को संभालने एवं आपस में बंटवारा करने का काम करता था. पुलिस द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार कर जुडिशियल रिमांड पर भेजा गया तथा अन्य फरार आरोपी दीप्ति बंजारे, आशीष शुक्ला, शिरीष पांडे की तलाश की जा रही थी.

पुलिस ने यह कथा लिखे जाने तक आरोपी कनक टंडन (30 साल), उस के पति प्रत्यूष उर्फ मोंटी मरैया (28 साल), डा. अब्दुल कलाम बलोदा बाजार, साकिन अब्दुल कलाम बलौदा बाजार, प्रत्यूषा (22 साल) निवासी बिल्हा जिला बिलासपुर सहित एक अन्य आरोपी महान मिश्रा को गिरफ्तार किया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में पात्रों के नाम परिवर्तित है.

 

 

Facebook पर लाइक करके ठगा और कमाए 3700 करोड़

दिल्ली के लक्ष्मीनगर के रहने वाले गौरव अरोड़ा नोएडा की एक रियल एस्टेट कंपनी में बढि़या नौकरी करते थे. लेकिन पिछले 2 सालों से वह काफी परेशान थे. इस की वजह यह थी कि जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई, तब से रियल एस्टेट के क्षेत्र में मंदी आ गई है. पहले जहां प्रौपर्टी की कीमतें आसमान छू रही थीं, अब वह स्थिर हो चुकी हैं. केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से इनवैस्टर भी अब प्रौपर्टी में इनवैस्ट करने से कतरा रहे हैं.

इस का सीधा प्रभाव उन लोगों पर पड़ रहा है, जिन की रोजीरोटी रियल एस्टेट के धंधे से चल रही थी. गौरव को हर महीने अपनी कंपनी का कुछ टारगेट पूरा करना होता था. पहले तो वह उस टारगेट को आसानी से पूरा कर लेता था, लेकिन प्रौपर्टी के क्षेत्र में आई गिरावट से अब बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चल रहा था. बच्चों की पढ़ाई के खर्च के अलावा उसे घर के रोजाना के खर्च पूरे करने में खासी परेशानी हो रही थी. एक दिन बौस ने उसे अपनी केबिन में बुला कर पूछा, ‘‘गौरव, यहां नौकरी के अलावा तुम और कोई काम करते हो?’’

‘‘नहीं सर, समय ही नहीं मिलता.’’ गौरव ने कहा.

‘‘देखो, मैं तुम्हें एक काम बताता हूं, जिसे तुम कहीं भी और दिन में कभी भी कर सकते हो. काम इतना आसान है कि तुम्हारी पत्नी या बच्चे भी घर बैठे कर कर सकते हैं.’’ बौस ने कहा.

‘‘सर, ऐसा क्या काम है, जो कोई भी कर सकता है?’’ गौरव ने पूछा.

‘‘नोएडा की ही एक कंपनी है सोशल ट्रेड. इस कंपनी के अलगअलग पैकेज हैं. आप जो पैकेज लेंगे, कंपनी उसी के अनुसार आप को लाइक करने को देगी. हर लाइक का 5 रुपए मिलता है.’’ बौस ने कहा.

‘‘सर, मैं कुछ समझा नहीं.’’ गौरव ने कहा.

‘‘मैं तुम्हें विस्तार से समझाता हूं.’’ कह कर बौस ने एक खाली पेपर निकाला और उस पर समझाने लगे, ‘‘देखो, कंपनी के 4 तरह के प्लान हैं. पहला है एसटीपी-10, दूसरा है एसटीपी-20, तीसरा है एसटीपी-50 और चौथा है एसटीपी-100.

‘‘एसटीपी-10 का पैकेज 5750 रुपए का है. इस में तुम्हें रोजाना 10 लाइक करनी होंगी. एसटीपी-20 का पैकेज 11500 रुपए का है. इस में तुम को रोजाना 20 लाइक करने को मिलेंगे. एसटीपी-50 के पैकेज में 28,750 रुपए जमा कर के 50 लाइक प्रतिदिन करने को मिलेंगे और एसटीपी-100 के पैकेज में 57,500 रुपए जमा कर के 125 लाइक तुम्हारी आईडी पर करने को आएंगे.

‘‘पैकेज की इस धनराशि में 15 प्रतिशत टैक्स भी शामिल है. यह लाइक शनिवार, रविवार और सरकारी छुट्टियों को छोड़ कर एक साल तक आएंगे. हर लाइक के 5 रुपए मिलेंगे. तुम्हें जो इनकम होगी, उस में से सरकार के नियम के अनुसार टैक्स भी काटा जाएगा.

‘‘तुम्हें फायदे की एक बात बताता हूं. तुम जिस पैकेज में जौइन करोगे, 21 दिनों के अंदर उसी पैकेज में 2 और लोगों को जौइन करा दिया तो तुम्हारी आईडी बूस्टर हो जाएगी. यानी उस आईडी पर दोगुने लाइक आएंगे. अगर और ज्यादा कमाई करनी है तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को जौइन कराओ, इस से डाइरेक्ट इनकम के अलावा बाइनरी इनकम भी मिलेगी.’’

बौस ने आगे बताया, ‘‘कंपनी हंडरेड परसेंट लीगल है. बिना किसी डर के तुम यहां काम कर के अच्छी कमाई कर सकते हो. यकीन न हो तो तुम मेरी बैंक पासबुक देख सकते हो.’’ इतना कह कर बौस ने गौरव को अपनी पासबुक दिखाई. गौरव ने पासबुक देखी तो सचमुच उस में कंपनी की तरफ से कई हजार रुपए आने की एंट्री थी. उसे यह स्कीम अच्छी लगी. उसे लगा कि यह तो बहुत अच्छा काम है, जो घर पर कोई भी कर सकता है. उस ने बौस से कह दिया कि अभी उस के पास पैसे नहीं हैं. जैसे ही पैसों का जुगाड़ हो जाएगा, वह काम शुरू कर देगा.

घर पहुंचने के बाद गौरव के दिमाग में बौस द्वारा दिखाया गया सोशल ट्रेड कंपनी का प्लान ही घूमता रहा. उस ने सोचा कि अगर वह 57,500 रुपए जमा कर देगा तो 625 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे. सब कटनेकटाने के बाद 1,33,594 रुपए मिलेंगे यानी एक साल में उस के पैसे दोगुने से अधिक हो जाएंगे.

गौरव ने इस बारे में पत्नी को बताया तो पत्नी ने कहा कि इस तरह की कई कंपनियां लोगों के पैसे ले कर भाग चुकी हैं. इन के चक्कर में न पड़ा जाए तो बेहतर है. वैसे आप की मरजी. गौरव ने पत्नी की सलाह को अनसुना कर दिया. सोचा कि इसे कंपनी के बारे में जानकारी नहीं है, इसलिए यह ऐसी बातें कर रही है. बहरहाल उस ने ठान लिया कि वह यह काम जरूर करेगा. अगले दिन उस के एक नजदीकी दोस्त ने भी सोशल ट्रेड के प्लान के बारे में बताते हुए कहा कि वह खुद पिछले एक महीने से इस प्लान से अच्छी इनकम हासिल कर रहा है.

दोस्त ने गौरव से भी सोशल ट्रेड जौइन करने को कहा. गौरव को सोशल ट्रेड में काम करना ही था, इसलिए उस ने बौस के बजाय दोस्त के साथ जुड़ कर सोशल ट्रेड में काम करना उचित समझा. गौरव के पास कुछ पैसे बैंक में थे, कुछ पैसे बैंक से लोन ले कर उस ने 1,15,000 रुपए कंपनी के खाते में जमा करा कर 2 आईडी ले लीं. उस की आईडी के बाईं साइड में उस की एक और आईडी लग चुकी थी. अगर उस के दाईं साइड में 57,500 रुपए की एक आईडी और लग जाती तो उस की मुख्य आईडी पर बूस्टर लग सकता था.

इसलिए गौरव इस फिराक में था कि 57,500 रुपए की एक आईडी किस की लगवाई जाए. उस ने अपने बड़े भाई कपिल अरोड़ा को सोशल ट्रेड के प्लान की इनकम के बारे में बताया. लालच में कपिल भी तैयार हो गया और उस ने भी 25 जनवरी, 2017 को 57,500 रुपए जमा करा दिए. कपिल अरोड़ा की आईडी लगते ही गौरव की मुख्य आईडी बूस्टर हो गई और उस पर 125 के बजाए 250 लाइक आने लगे, जिस से उसे रोजाना 1250 रुपए की इनकम होने लगी. गौरव ने पेमेंट मोड 15 दिन का रखा था. 23 जनवरी, 2017 को उसे पहला पेआउट 4800 रुपए का मिला. कपिल की आईडी लग जाने के बाद उसे अगला पेआउट इस से डबल आने की उम्मीद थी, पर अगले 15 दिनों बाद उस का पेआउट नहीं आया.

यह बात गौरव ने अपने उस दोस्त से कही, जिस ने उसे जौइन कराया था. दोस्त ने उसे बताया कि कंपनी में अपग्रेडेशन का काम चल रहा है, इसलिए सभी के पेमेंट रुके हुए हैं. चिंता की कोई बात नहीं है, जो भी पेमेंट इकट्ठा होगा, वह सारा मिल जाएगा. यही नहीं, उस ने गौरव से कहा कि वह अपनी टीम बढ़ाए, जिस से इनकम बढ़ सके. गौरव रोजाना अपनी आईडी पर आने वाले लाइक करता रहा. चूंकि उस का पेआउट नहीं आ रहा था, इसलिए उस ने और किसी को सोशल ट्रेड में जौइन नहीं कराया. उस का भाई कपिल भी अपनी आईडी पर आने वाले 125 लाइक रोजाना करता रहा. गौरव और कपिल कंपनी के एफ-472, सेक्टर-63 नोएडा स्थित औफिस भी गए.

उन की तरह अन्य सैकड़ों लोग वहां अपनी इसी समस्या को ले कर आजा रहे थे. सभी को यही बताया जा रहा था कि आईटी एक्सपर्ट सिस्टम को अपग्रेड करने में लगे हुए हैं. सोशल ट्रेड कंपनी से लाखों लोग जुड़े थे. उन में से अधिकांश के मन में इसी बात का संशय था कि पता नहीं कंपनी उन का रुका हुआ पेआउट देगी या नहीं. बहरहाल बड़े लीडर्स और कंपनी की ओर से परेशानहाल लोगों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिल रहा था.

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के सूरजपुर के रहने वाले दिनेश सिंह और पूर्वी दिल्ली के आजादनगर की रहने वाली पूजा गुप्ता ने भी दिसंबर, 2016 में अलगअलग 57,500 रुपए कंपनी के खाते में जमा करा कर आईडी ली थीं. ये भी रोजाना अपनी आईडी पर 125 लाइक करते थे. जौइनिंग के एक महीना बाद भी इन को इन के किए गए लाइक का पैसा नहीं मिला तो इन्हें भी चिंता होने लगी. न तो इन्हें अपने अपलाइन से और न ही कंपनी से कोई संतोषजनक जवाब मिल रहा था.

थकहार कर दिनेश सिंह ने 31 जनवरी, 2017 को गौतमबुद्धनगर के थाना सूरजपुर में कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस की जांच एसआई मदनलाल को सौंपी गई. पेआउट न मिलने से असंतुष्ट कई लोगों ने पुलिस और जिला प्रशासन से शिकायतें करनी शुरू कर दी थीं. सोशल ट्रेड कंपनी के खिलाफ  ज्यादा शिकायतें मिलने पर पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया. नोएडा पुलिस ने जांच की तो पता चला कि सोशल ट्रेड कंपनी के नोएडा सेक्टर-63 स्थित कंपनी के औफिस में देश के अलगअलग शहरों से सैकड़ों लोग अपने पेमेंट न मिलने की शिकायत करने आ रहे हैं. तमाम लोगों ने कंपनी में मोटी रकम जमा करा रखी है.

पुलिस को मामला बेहद गंभीर लगा, इसलिए नोएडा पुलिस प्रशासन ने पुलिस महानिदेशक को इस मामले से अवगत करा दिया. पुलिस महानिदेशक ने स्पैशल टास्क फोर्स के एसएसपी अमित पाठक को इस मामले में आवश्यक काररवाई करने के निर्देश दिए. एसएसपी अमित पाठक ने एसटीएफ के एडिशनल एसपी राजीव नारायण मिश्र के नेतृत्व में एक टीम बनाई, जिस में एसटीएफ लखनऊ के एडिशनल एसपी त्रिवेणी सिंह, एसटीएफ के सीओ आर.के. मिश्रा, एसआई सौरभ विक्रम, सर्वेश कुमार पाल आदि को शामिल किया गया.

टीम ने करीब 15 दिनों तक इस मामले की जांच कर के रिपोर्ट एसएसपी अमित पाठक को सौंप दी. कंपनी के जिस औफिस पर पहले सोशल ट्रेड का बोर्ड लगा था, उस पर हाल ही में 3 डब्ल्यू का बोर्ड लग गया. एसटीएफ को जांच में यह जानकारी मिल गई थी कि सोशल ट्रेड के जाल में कोई 100-200 नहीं, बल्कि कई लाख लोग फंसे हुए हैं. इस के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर स्पैशल स्टाफ टीम ने सोशल ट्रेड के एफ-472, सेक्टर-63 नोएडा औफिस पर छापा मार कर वहां से कंपनी के डायरेक्टर अनुभव मित्तल, सीओओ श्रीधर प्रसाद और टेक्निकल हैड महेश दयाल से पूछताछ कर के हिरासत में ले लिया. इसी के साथ पुलिस ने उन के औफिस से जरूरी दस्तावेज और अन्य सामान जांच के लिए जब्त कर लिए.

एसटीएफ टीम ने सूरजपुर स्थित अपने औफिस ला कर तीनों से पूछताछ की. इस पूछताछ में सोशल ट्रेड के शुरुआत से ले कर 37 अरब रुपए इकट्ठे करने की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

अनुभव मित्तल उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुआ कस्बे के रहने वाले सुनील मित्तल का बेटा था. उन की हापुड़ में मित्तल इलैक्ट्रौनिक्स के नाम से दुकान है. अनुभव मित्तल शुरू से ही पढ़ाई में तेज था. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुभव का रुझान कोई नौकरी करने के बजाए अपना खुद का कोई बिजनैस करने का था. उस का रुझान आईटी क्षेत्र में ही कुछ नया करने का था, इसलिए वह नोएडा के ही एक संस्थान से कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने लगा.

सन 2011 में उस का बीटेक पूरा होना था. वह समय के महत्त्व को अच्छी तरह समझता था, इसलिए नहीं चाहता था कि बीटेक पूरा होने के बाद वह खाली बैठे. बल्कि कोर्स पूरा होते ही वह अपना काम शुरू करना चाहता था. पढ़ाई के दौरान ही वह इसी बात की प्लानिंग करता रहता था कि बीटेक के बाद कौन सा काम करना ठीक रहेगा. बीटेक पूरा होने के एक साल पहले ही उस ने अपने एक आइडिया को अंतिम रूप दे दिया. सन 2010 में इंस्टीट्यूट के हौस्टल में बैठ कर उस ने अब्लेज इंफो सौल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बना ली और इस का रजिस्ट्रेशन 878/8, नई बिल्डिंग, एसपी मुखर्जी मार्ग, चांदनी चौक, नई दिल्ली के पते पर करा लिया. अनुभव ने अपने पिता सुनील मित्तल को इस का डायरेक्टर बनाया.

बीटेक फाइनल करने के बाद उस ने छोटे स्तर पर सौफ्टवेयर डेवलपमेंट का काम शुरू कर दिया. अपनी इस कंपनी से उस ने सन 2015 तक मात्र 3-4 लाख रुपए का बिजनैस किया. जिस गति से उस का यह बिजनैस चल रहा था, उस से वह संतुष्ट नहीं था. इसलिए इसी क्षेत्र में वह कुछ ऐसा करना चाहता था, जिस से उसे अच्छी कमाई हो. उसी दौरान सन 2015 में उस ने सोशल ट्रेड डौट बिज नाम से एक औनलाइन पोर्टल बनाया और सदस्यों को जोड़ने के लिए 5750 रुपए से 57,500 रुपए का जौइनिंग एमाउंट फिक्स कर दिया. इस में 15 प्रतिशत टैक्स भी शामिल कर लिया. जौइन होने वाले सदस्यों को यह बताया गया कि औनलाइन पोर्टल पर कुछ पेज लाइक करने पड़ेंगे. एक पेज लाइक करने के 5 रुपए देने की बात कही गई.

शुरुआत में अनुभव ने अपने जानपहचान वालों की आईडी लगवाई. धीरेधीरे लोगों ने माउथ टू माउथ पब्लिसिटी करनी शुरू कर दी. जिन लोगों की जौइनिंग होती गई, उन्हें कंपनी से समय पर पैसा भी दिया जाता रहा, जिस से लोगों का विश्वास बढ़ने लगा और कंपनी में लोगों की जौइनिंग बढ़ने लगी. कंपनी ने सन 2015 में 9 लाख रुपए का बिजनैस किया. लोगों को बिना मेहनत किए पैसा मिल रहा था. उन्हें काम केवल इतना था कि कंपनी का कोई भी पैकेज लेने के बाद अपनी आईडी पर निर्धारित लाइक करने थे. एक लाइक लगभग 30 सैकेंड में पूरी हो जाता था. इस तरह कुछ ही देर में यह काम पूरा कर के एक निर्धारित धनराशि सदस्य के बैंक एकाउंट में आ जाती थी. शुरूशुरू में लोगों ने इस डर से कंपनी में कम पैसे लगाए कि कंपनी भाग न जाए. पर जब जौइन किए हुए सदस्यों के पैसे समय से आने लगे तो अधिकांश लोगों ने अपनी आईडी बड़े पैकेज में अपग्रेड करा लीं.

सन 2016 में ही अनुभव ने श्रीधर प्रसाद को अपनी कंपनी का चीफ औपरेटिंग औफीसर (सीओओ) बनाया. श्रीधर प्रसाद भी एक टेक्निकल आदमी था. उस ने सन 1994 में कौमर्स से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली के एनआईए इंस्टीट्यूट से एमबीए किया था. इस के बाद उस ने 1996 में ऊषा माटेन टेलीकौम कंपनी में सेल्स डिपार्टमेंट में काम किया. मेहनत से काम करने पर सेल्स मैनेजर बन गया. सन 2001 में उस की नौकरी विजय कंसलटेंसी हैदराबाद में बिजनैस डेवलपर के पद पर लग गई. इस दौरान वह कई बार यूके भी गया. सन 2005 में उस ने आईबीएम कंपनी जौइन कर ली. इस कंपनी में वह सौफ्टवेयर सौल्यूशन कंसल्टैंट के पद पर बंगलुरु में काम करने लगा. यहां पर उसे कंट्री हैड बनाया गया. आईबीएम कंपनी में सन 2009 तक काम करने के बाद उस ने नौकरी छोड़ कर सन 2010 में ओरेकल कंपनी जौइन कर ली.

कंपनी ने उसे बिजनैस डेवलपर के रूप में नाइजीरिया भेज दिया. बिजनैस डेवलपमेंट में उस का विशेष योगदान रहा. सन 2013 में श्रीधर प्रसाद बंगलुरु आ गया. लेकिन सफलता न मिलने पर वह सन 2014 में वापस नाइजीरिया ओरेकल कंपनी में चला गया. सन 2016 में श्रीधर प्रसाद की पत्नी ने किसी के माध्यम से सोशल ट्रेड डौट बिज में अपनी एंट्री लगाई. पत्नी ने यह बात उसे बताई तो श्रीधर को यह बिजनैस मौडल बहुत अच्छा लगा. बिजनैस मौडल समझने के लिए वह कई बार अभिनव मित्तल से मिला.

बातचीत के दौरान अभिनव श्रीधर प्रसाद की काबिलियत को जान गया. उसे लगा कि यह आदमी उस के काम का है, इसलिए उस ने श्रीधर को अपनी कंपनी में नौकरी करने का औफर दिया. विदेश जाने के बजाय श्रीधर को अच्छे पैकेज की अपने देश में ही नौकरी मिल रही थी, इसलिए वह अनुभव मित्तल की कंपनी में नौकरी करने के लिए तैयार हो गया और सीओओ के रूप में नौकरी जौइन कर ली.

अनुभव मित्तल ने मथुरा के महेश दयाल को कंपनी में टेक्निकल हैड के रूप में नौकरी पर रख लिया. अनुभव के पास टेक्निकल विशेषज्ञों की एक टीम तैयार हो चुकी थी. उन के जरिए वह कंपनी में नएनए प्रयोग करने लगा. लालच ही इंसान को ले डूबता है. जिन लोगों की सोशल टे्रड डौट बिज से अच्छी कमाई हो रही थी, उन्होंने वह कमाई अपने सगेसंबंधियों व अन्य लोगों को दिखानी शुरू की तो उन की देखादेखी उन लोगों ने भी कंपनी में मोटे पैसे जमा करा कर काम शुरू कर दिया.

बड़ेबड़े होटलों में कंपनी के सेमिनार आयोजित होने लगे. फिर तो लोग थोक के भाव से जुड़ने लगे. इस तरह से भेड़चाल शुरू हो गई और सन 2016 तक कंपनी से 4-5 लाख लोग जुड़ गए. जब इतने लोग जुड़े तो जाहिर है कंपनी का टर्नओवर बढ़ना ही था. सन 2016 में कंपनी का कारोबार उछाल मार कर 26 करोड़ हो गया. कारोबार बढ़ा तो कंपनी ने आगामी योजनाएं बनानी शुरू कीं. पहला कदम ईकौमर्स में रखना था. इस के जरिए वह जरूरत की हर चीज ग्राहकों को उपलब्ध कराना चाहता था. सोशल ट्रेड डौट बिज के बाद उस ने फ्री हब डौटकौम नाम की कंपनी  बनाई. ईकौमर्स के लिए उस ने इनमार्ट डौटकौम नाम की कंपनी बनाई. इस के जरिए खरीदारी करने पर भी उस ने अतिरिक्त इनकम का प्रावधान रखा.

अभिनव जानता था कि भारत में करोड़ों लोग फेसबुक यूज करते हैं, जिस से मोटी कमाई फेसबुक के ओनर को होती है. फेसबुक की ही तरह भारतीय सोशल साइट बनाने का विचार उस के दिमाग में आया. इस बारे में उस ने अपनी आईटी टीम से विचारविमर्श किया. अपनी टीम के साथ मिल कर अनुभव ने इस तरह की सोशल साइट बनाने पर काम शुरू कर दिया, जिस में फेसबुक से ज्यादा फीचर हों. अपनी इस सोशल साइट का नाम उस ने डिजिटल इंडिया डौट नेट रखा. इस में इस तरह की तकनीक डालने की उन की कोशिश थी कि किसी की आवाज या फोटो डालने पर उस व्यक्ति के एकाउंट पर पहुंचा जा सके.

उधर सोशल ट्रेड में भारत से ही नहीं, विदेशों से भी एंट्री लगनी शुरू हो चुकी थीं. इनवेस्टरों ने भी मोटा पैसा यहां इनवेस्ट करना शुरू कर दिया. अब कंपनी को करोड़ों रुपए की कमाई होने लगी. किसी वजह से कंपनी ने लोगों को पेआउट देना बंद कर दिया. लोगों ने अपने सीनियर लीडर्स और कंपनी औफिस जा कर संपर्क किया तो उन्हें यही बताया गया कि कंपनी के सौफ्टवेयर में अपग्रेडिंग का काम चल रहा है. जैसे ही यह काम पूरा हो जाएगा, सारे पेआउट रिलीज कर दिए जाएंगे.

अब तक कंपनी में करीब साढ़े 6 लाख लोगों ने 9 लाख से अधिक आईडी लगा रखी थीं. कंपनी के पास इन्होंने लगभग 3 हजार 726 करोड़ रुपए जमा करा रखे थे. जब उन्हें कंपनी की तरफ से पैसे आने बंद हो गए तो लोगों में बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक थी. कुछ लोगों ने मोटी रकम लगाई थी, उन की तो नींद हराम हो गई. सीनियर लीडर उन्हें यही भरोसा दिलाते रहे कि उन का पैसा कहीं नहीं जाएगा. जो लोग कंपनी से लंबे समय से जुड़े थे, उन्हें विश्वास था कि कंपनी कहीं जाने वाली नहीं है. अपग्रेडेशन का काम पूरा होने के बाद सभी के पैसे खाते में भेज देगी. लेकिन जिन लोगों को जौइनिंग के बाद फूटी कौड़ी भी नहीं मिली थी, उन की चिंता लगातार बढ़ती जा रही थी. आखिर वे भरोसे की गोली कब तक लेते रहते.

लोगों ने नोएडा के जिला और पुलिस प्रशासन से सोशल ट्रेड की शिकायतें करनी शुरू कर दीं. लोगों ने सोशल ट्रेड के औफिस पर जब 3 डब्ल्यू का बोर्ड लगा देखा तो उन्हें शक हो गया कि कंपनी भाग गई है. कंपनी के अंदर ही अंदर बदलाव की क्या प्रक्रिया चल रही है, इस से लोग अनजान थे. 15 दिनों की गोपनीय जांच करने के बाद पुलिस प्रशासन को भी लगा कि अनुभव मित्तल ने सोशल ट्रेड कंपनी के नाम पर लोगों से अरबों रुपए की ठगी की है. तब पुलिस ने 1 फरवरी, 2017 को अनुभव मित्तल और कंपनी के 2 पदाधिकारियों श्रीधर प्रसाद और महेश दयाल को हिरासत में ले लिया.

अनुभव मित्तल से पूछताछ के बाद पता चला कि उस की कंपनी के गाजियाबाद के राजनगर में कोटक महिंद्रा बैंक में एक एकाउंट, यस बैंक में 2 एकाउंट, एक्सिस बैंक में 2 एकाउंट, केनरा बैंक में 3 एकाउंट हैं. जांच में पुलिस को केनरा बैंक में 480 करोड़ रुपए और यस बैंक में 44 करोड़ रुपए मिले. पुलिस ने इन खातों को फ्रीज करा दिया. जांच में पुलिस को जानकारी मिली है कि कंपनी ने दिसंबर, 2016 के अंत में सोशल ट्रेड डौट बिज से माइग्रेट कर के फ्री हब डौटकौम लांच कर दिया और उस के 10 दिन के अंदर ही फ्री हब डौटकौम से इनमार्ट डौटकौम पर माइग्रेट किया. इस के बाद 27 जनवरी, 2017 को इनमार्ट से फ्रिंजअप डौटकौम पर माइग्रेट कर लिया.

कंपनी में इतनी जल्दीजल्दी बदलाव करने के बाद अनुभव मित्तल ने गिरफ्तारी के 7 दिनों पहले ही दिल्ली की एक नई कंपनी 3 डब्ल्यू खरीद कर उस का बोर्ड भी अपने औफिस के बाहर लगा दिया. इस के अलावा अनुभव मित्तल ने सोशल ट्रेड डौट बिज के डोमेन पर प्राइवेसी प्रोटेक्शन प्लान भी ले लिया था, ताकि कोई भी व्यक्ति या जांच एजेंसी डोमेन की डिटेल के बारे में पता न लगा सके.

पुलिस को पता चला कि वह फेसबुक पेज लाइक करने के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहा था. कंपनी द्वारा सदस्यों को धोखे में रख कर उन से पैसे लिए जाते थे और जब अपने पेज को लौगइन करते तो विज्ञापन पेजों के या तो गलत यूआरएल होते थे या उन्हीं सदस्यों के यूआरएल को आपस में ही लाइक कराया जा रहा था. कंपनी द्वारा कोई वास्तविक विज्ञापन या कोई लौजिकल या रियल सर्विस नहीं उपलब्ध कराई जा रही थी.

कंपनी के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं था, वह सदस्यों के पैसों को ही इधर से उधर घुमा रही थी, जोकि द प्राइज चिट्स ऐंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बैनिंग) एक्ट 1978 की धारा 2(सी)/3 के तहत अवैध है. इस एक्ट की धारा 4 में यह अपराध है. पुलिस ने अनुभव मित्तल, सीओओ श्रीधर प्रसाद और टेक्निकल हैड महेश दयाल को विस्तार से पूछताछ करने के बाद 2 फरवरी, 2017 को गौतमबुद्धनगर के सीजेएम-3 की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

पुलिस ने लखनऊ की फोरैंसिक साइंस लेबोरैटरी, रिजर्व बैंक औफ इंडिया, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, सेबी, कारपोरेट अफेयर मंत्रालय की फ्रौड इनवेस्टीगेशन टीम को भी जानकारी दे दी है. सभी विभागों के अधिकारी अपनेअपने स्तर से मामले की जांच में लग गए हैं. जांच में पता चला है कि अनुभव मित्तल ने लाइक के जरिए 3700 करोड़ रुपयों की ठगी की है.

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद ने मामले की गहन जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है. आईजी (क्राइम) भगवानस्वरूप के नेतृत्व में बनी इस जांच टीम में मेरठ रेंज के डीआईजी के.एस. इमैनुअल, एडिशनल एसपी (क्राइम) गौतमबुद्धनगर, एसटीएफ के एडिशनल एसपी राजीव नारायण मिश्रा, सीओ राजकुमार मिश्रा, गौतमबुद्धनगर के 2 इंसपेक्टर, एसआई सर्वेश कुमार पाल, सौरभ आदि को शामिल किया गया है.

टीम ने इस ठगी में फंसे लोगों को अपनी शिकायत भेजने के लिए एक ईमेल आईडी सार्वजनिक कर दी है. मीडिया में यह ईमेल जारी हो जाने के बाद देश से ही नहीं, विदेशों से भी भारी संख्या में शिकायतें आनी शुरू हो गई हैं. कथा लिखे जाने तक एसटीएफ के पास करीब साढ़े 6 हजार शिकायतें ईमेल से आ चुकी थीं. इन में से 100 से अधिक नाइजीरिया से मिली है. केन्या और मस्कट से भी पीडि़तों ने ईमेल से शिकायतें भेजी हैं.

पुलिस अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि अभिनव ने इतनी मोटी रकम आखिर कहां इनवैस्ट की है. बहरहाल जिन लोगों ने अनुभव मित्तल की कंपनी में पैसा लगाया है, अब उन्हें पछतावा हो रहा होगा.

कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

जुर्म की दुनिया में दहशत फैलाने वाली Lady Don

शक्लसूरत से भले ही वह बहुत ज्यादा खूबसूरत नहीं है लेकिन वह है बहुत आकर्षक. कंधे तक झूलते बाल उसके सांवले लंबे चेहरे पर खूब फबते हैं. उस की नाजुक कलाइयों में शायद ही कभी किसी ने चूडि़यां देखी हों, लेकिन एके 47 को वह खिलौना गन की तरह चलाती थी. नाम है उस का अनुराधा सिंह चौधरी. वह अकसर लोगों को पैंटशर्ट या टीशर्ट जींस जैसे वेस्टर्न लुक में नजर आई. साड़ी सरीखा कोई परंपरागत भारतीय परिधान पहने भी उसे किसी ने शायद नहीं देखा.

लंबी, दुबलीपतली, छरहरी 36 वर्षीय इस महिला के चेहरे से दुनिया भर की मासूमियत टपकती थी. लेकिन वह थी कितनी खूंखार, इस का अंदाजा उस के गुनाहों की लिस्ट देख कर लगाया जा सकता है. राजस्थान के सीकर के गांव अलफसर के एक मध्यमवर्गीय जाट परिवार में जन्मी अनुराधा का घर का नाम मिंटू रखा गया था. जब वह बहुत छोटी थी तभी उस की मां चल बसी. पिता रामदेव की कमाई बहुत ज्यादा नहीं थी, इसलिए वह दिल्ली आ गए. मिंटू जैसेजैसे बड़ी और समझदार होती गई, उसे यह एहसास होता गया कि जिंदगी में अगर कुछ बनना है तो पढ़ाईलिखाई बहुत जरूरी है. लिहाजा उस ने दिल लगा कर पढ़ाई की और वक्त रहते बीसीए और फिर एमबीए की भी डिग्री ले ली.

पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वह स्थाई रूप से सीकर वापस आई तो वही हुआ जो इस उम्र में लड़कियों के साथ होना आम बात है. अनुराधा को फैलिक्स दीपक मिंज नाम के युवक से प्यार हो गया और उस ने घर और समाज वालों के विरोध और ऐतराज की कोई परवाह नहीं की और दीपक से लवमैरिज कर ली. यहां तक अनुराधा ने कुछ गलत नहीं किया था. दीपक के साथ वह खुश थी और आने वाली जिंदगी के सपने आम लड़कियों की तरह देखने लगी थी. दीपक सीकर में ही शेयर ट्रेडिंग का कारोबार करता था. अब पढ़ीलिखी अनुराधा भी उस के काम में हाथ बंटाने लगी, लेकिन शेयर मार्किट में खुद के लाखों और अपने क्लाइंट्स के करोड़ों रुपए इन दोनों ने तगड़े मुनाफे की उम्मीद में लगवा दिए थे, जो नातुजर्बेकारी और जोश के चलते एक झटके में डूब गए.

लेनदारों के बढ़ते दबाव से निबटने के लिए अनुराधा ने जुर्म का रास्ता चुना, जिस ने उस की जिंदगी बदल डाली. अनुराधा की मुलाकात राजस्थान के हिस्ट्रीशीटर बलबीर बानूड़ा से हुई, जिस ने उस की मुलाकात आनंदपाल सिंह से करवा दी. दोनों ने एकदूसरे को देखापरखा और देखते ही देखते अनुराधा की सारी परेशानियां दूर हो गईं. आनंदपाल सिंह की दहशत राजस्थान में किसी सबूत या पहचान की मोहताज कभी नहीं रही. जिस के रसूख से सियासी गलियारे भी कांपते थे.

आनंद ने अनुराधा को जुर्म की दुनिया के गुर और उसूल सिखाए. अनुराधा ने देखा और महसूस किया कि आनंद अपने रुतबे और दहशत को कैश नहीं करा पाता और थोड़े से में ही संतुष्ट हो जाता है तो उस ने आनंद को बदलना शुरू कर दिया. देखते ही देखते आनंद का हुलिया, आदतें, रहनसहन सब बदल गया. उधर जैसे ही दीपक को पत्नी के एक जरायमपेशा गिरोह में शामिल होने की बात पता चली तो उस ने उस से नाता तोड़ लिया. अनुराधा अब न केवल बिनब्याही पत्नी की हैसियत से बल्कि तेजतर्रार आला दिमाग की मालकिन होने की वजह से भी आनंद के गिरोह में नंबर 2 की हैसियत रखने लगी थी, जिस ने जरूरत से कम समय में हथियार चलाना सीख लिया था. गैंग और अपराध की दुनिया से जुड़े लोग उसे मैडम मिंज भी कहने लगे थे.

अनुराधा ने सीखे अपराध के गुर

अब अनुराधा ही किए जाने वाले अपराधों की प्लानिंग करने लगी थी. आनंद एक बात अनुराधा को और अच्छे से सिखा चुका था कि अपराध की दुनिया उस कार सरीखी होती है, जिस में रिवर्स गियर नहीं होता. अनुराधा जल्द ही पेशेवर मुजरिम बन गई थी और उस का नाम भी चलने लगा था. वह जहां से गुजरती थी वहां लोगों के सर अदब से झुकें न झुकें, खौफ से जरूर झुक जाते थे. अब वह धड़ल्ले से वारदातों को अंजाम देने लगी थी.

वह चर्चा और सुर्खियों में साल 2013 में तब आई थी, जब उस पर रंगदारी का पहला मामला दर्ज हुआ था. जिस पर पुलिस ने उस पर पहली दफा 10 हजार रुपए का ईनाम भी रखा था.

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राजस्थान में बवंडर उस वक्त खड़ा हुआ, जब एक चर्चित हत्याकांड के गवाह का अपहरण हो गया. दरअसल, 27 जून, 2006 को जीवनराम गोदारा नाम के शख्स की हत्या आनंद ने दिनदहाड़े कर दी थी, जिस से पूरा राज्य हिल उठा था. जीवनराम का भाई इंद्रचंद्र गोदारा इस हत्याकांड का गवाह था, जिस की गवाही आनंद को लंबा नपवा देती. अपने आशिक को बचाने के लिए अनुराधा ने साल 2014 में इंद्रचंद्र को अगवा कर लिया और पुणे ले गई. जहां एक फ्लैट में उसे बंधक बना कर रखा गया था.

एक दिन मौका पा कर इंद्रचंद्र ने एक परची खिड़की से नीचे फेंक दी, जिस पर लिखा था, ‘मैं किडनैप हो गया हूं और मुझे यहां पर मदद की जरूरत है.’ परची जिस ने भी पढ़ी, उस ने औरों को बताया तो फ्लैट के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई और फ्लैट को घेर लिया. तब अनुराधा और उस के गुर्गे बमुश्किल वहां से भागने में कामयाब हो पाए थे. जैसेतैसे बचतेबचाते वह राजस्थान वापस आ गई और आनंद के जेल में होने के चलते खुद उस का गैंग चलाने लगी. इस दौरान उस ने कारोबारियों को अगवा कर फिरौती से खूब पैसा कमाया.

लेकिन उसे झटका तब लगा जब पुलिस ने साल 2017 में एनकाउंटर में नाटकीय तरीके से आनंद पाल सिंह को मार गिराया. जिस के बाद डरीसहमी अनुराधा फरार हो गई. जान बचाने के खौफ और गैंग के टूट जाने से अनुराधा इधरउधर भागती रही. इसी फरारी के दौरान सहारा ढूंढती अनुराधा लारेंस बिश्नोई गैंग में शामिल हो गई. मकसद था, जैसे भी हो पुलिस से बचना. हालांकि जुर्म की दुनिया में भी उस के खासे चर्चे और किस्से फैल चुके थे. इस नए गिरोह से उस की पटरी ज्यादा नहीं बैठी और जल्द ही वह काला जठेड़ी उर्फ संदीप के संपर्क में आई.

आनंद की मौत से आया खालीपन उसे काला जठेड़ी से भरता नजर आया तो इस की वजहें भी थीं. अनुराधा बगैर किसी एंट्रेंस एग्जाम के जठेड़ी गैंग में न केवल शामिल हो गई, बल्कि देखते ही देखते इस गैंग में भी उस ने वही जगह और रुतबा हासिल कर लिए, जो उसे आनंद के गैंग में हासिल था. दोनों ने हरिद्वार के एक मंदिर में विधिविधान से शादी भी कर ली. किशोरावस्था से ही जुर्म की दुनिया में दाखिल हो चुके काला पर हत्या, अपहरण लूटपाट, जमीनों पर जायजनाजायज कब्जे और फिरौती वगैरह के कोई 3 दरजन मामले दर्ज हो चुके थे. अनुराधा की आपराधिक जन्मपत्री से पूरे 36 गुण उस से मिले थे.

काला भी उस के व्यक्तित्व से प्रभावित हुआ था और उस के आला खुराफाती दिमाग का कायल हो गया था. काला की दहशत अपने इलाकों में ठीक वैसी ही थी, जैसी राजस्थान में आनंद की थी. दोनों को एकदूसरे की जरूरत थी, कारोबारी भी जिस्मानी भी और जज्बाती भी. काला के गिरोह के मेंबर भी अनुराधा के एके 47 चलाने की स्टाइल से इतने इंप्रैस थे कि उन्होंने उसे रिवौल्वर रानी का खिताब दे दिया था.

फिर जैसे ही सागर धनखड़ हत्याकांड में नामी पहलवान सुशील कुमार का नाम आया तो दिल्ली गरमा उठी, क्योंकि इस वारदात में गैंगस्टर नीरज बवाना और काला जठेड़ी का नाम भी आया. जेल में बंद सुशील पहलवान ने उस से अपनी जान को खतरा जताया था.

काला जठेड़ी की तलाश में जुटी स्पैशल सेल

अब पुलिस की स्पैशल सैल ने काला की तलाश को मुहिम की शक्ल दे दी तो वह अनुराधा के साथ भागता रहा. काला की तलाश में पुलिस की स्पैशल सैल जुटी तो अनुराधा फिर चिंतित हो उठी.

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क्योंकि अगर आनंद की तरह काला भी किसी एनकाउंटर में मारा जाता तो वह फिर बेसहारा हो जाती. दूसरे गिरफ्तारी की तलवार अब उस के सिर पर भी लटकने लगी थी. पुलिस को अंदेशा इन दोनों के नेपाल में होने का था, जबकि हकीकत में दोनों भारत भ्रमण करते आंध्र प्रदेश के अलावा पंजाब और मुंबई भी गए थे और बिहार के पूर्णिया में भी रुके थे. मध्य प्रदेश के इंदौर और देवास में भी इन्होंने फरारी काटी थी. हर जगह इन्होंने खुद को पतिपत्नी बताया और लिखाया था.

काला को घिरता देख अनुराधा ने 70-80 के दशक के मशहूर जासूसी उपन्यासकार सुरेंद्र मोहन पाठक के एक किरदार विमल का सहारा लिया, जिस ने पुलिस से बचने के लिए सरदार का हुलिया अपना लिया था. अपनी नई पत्नी के कहने पर काला जठेड़ी विमल की तर्ज पर सरदार बन गया. उस ने अपना नया नाम पुनीत भल्ला और अनुराधा का नाम पूजा भल्ला रखा. सोशल मीडिया पर भी दोनों ने नए नामों से आईडी बना ली थी. अनुराधा ने जठेड़ी गैंग के गुर्गों को यह हिदायत भी दी थी कि अगर उन में से कोई कभी पुलिस के हत्थे चढ़ जाए तो काला के बारे में यही बताए कि वह इन दिनों नेपाल में है और वहीं से गैंग चला रहा है. इस हिदायत का मकसद पुलिस को भटकाए और उलझाए रखना था.

आनंदपाल के गिरोह में रहते अनुराधा कई बार नेपाल भी गई थी और वहां के अड्डों से भी वाकिफ थी, इसलिए वह काला को भी 2 बार नेपाल ले गई थी. मकसद था विदेश भागने की संभावनाएं टटोलना और जमा पैसों की ट्रोल को रोकना. अनुराधा के खुराफाती दिमाग का आनंद भी कायल था और अब काला भी हो गया था, जिसे अनुराधा ने सख्त हिदायत यह दे रखी थी कि वह भारत में फोन पर किसी से बात न करे जोकि आजकल पुलिस को मुजरिम तक पहुंचने का सब से आसान और सहूलियत भरा जरिया और रास्ता होता है.

अब काला को जिस से भी बात करनी होती थी तो वह विदेश में बैठे अपने किसी गुर्गें की मदद से करता था. काला और अनुराधा तक पहुंचने के लिए पुलिस की स्पैशल सेल ने लारेंस बिश्नोई को मोहरा बनाया जो जेल में बंद था. पुलिस ने अपने मुखबिरों के जरिए बिश्नोई तक एक फोन पहुंचाया, जिस से वह अपने गुर्गों से बात करता रहा और पुलिस खामोशी से तमाशा देखती रही. एक बार वही हुआ जो पुलिस चाहती थी कि बिश्नोई ने काला से भी बात कर डाली. उस का फोन सर्विलांस पर तो था ही जिस से उस के सहारनपुर के अमानत ढाबे पर होने की लोकेशन मिली. पुलिस तुरंत हरकत में आई और आसानी से काला और अनुराधा को गिरफ्तार कर लिया. दोनों हतप्रभ थे. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि वे चूहेदानी में फंस चुके हैं.

बिलाशक पुलिस की स्पैशल सेल ने दिमाग से काम लिया, जिसे उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल बिश्नोई काला से जरूर बात करेगा और ऐसा हुआ भी.

किडनैपिंग क्वीन अर्चना शर्मा

अनुराधा जुर्म की दुनिया की छोटी मछली थी, जिस का हल्ला मीडिया ने ज्यादा मचाया क्योंकि आमतौर पर औरतों के बहुत ज्यादा क्रूर होने की उम्मीद कोई नहीं करता. लेकिन वक्तवक्त पर महिलाएं जुर्म की दुनिया में आ कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचती रही हैं. ऐसा ही एक नाम अर्चना शर्मा का है, जिसे किडनैपिंग क्वीन के खिताब से नवाज दिया गया. अर्चना की कहानी एकदम फिल्मों सरीखी है. उज्जैन में एक मामूली पुलिस कांस्टेबल बालमुकुंद शर्मा के यहां जन्मी अर्चना भी अनुराधा की तरह पढ़ाईलिखाई में तेज थी, इसलिए सैंट्रल स्कूल के स्टाफ की चहेती भी थी.

4 भाईबहनों में सब से बड़ी अर्चना पेंटिंग की शौकीन थी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी. रामलीला में सीता का रोल निभाना उसे बहुत भाता था. सभी लोगों को उम्मीद थी कि महत्त्वाकांक्षी और बहुमुखी प्रतिभा की धनी यह लड़की एक दिन नाम करेगी. अर्चना ने नाम किया, लेकिन जुर्म की दुनिया में. जिसे जान कर हर कोई दांतों तले अंगुली दबा लेता है. एक दिन अचानक उस ने पढ़ाई छोड़ देने का ऐलान कर दिया, जिस से घर वाले हैरान रह गए, उन्होंने उसे समझाया लेकिन वह टस से मस नहीं हुई.

असल में वह पिता की तरह पुलिस विभाग में नौकरी करना चाहती थी, जो उस ने कर भी ली. लेकिन जल्द ही वह इस नौकरी से ऊब गई और नौकरी छोड़ भी दी, जिस से गुस्साए घर वालों ने उस से नाता तोड़ लिया. पुलिस की छोटे ओहदे की नौकरी में मेहनत के मुकाबले पगार कम मिलती थी, जबकि अर्चना का सोचना था कि वह इस से ज्यादा डिजर्व करती है. कुछ कर गुजरने की चाह लिए वह उज्जैन से भोपाल आ गई और वहां एक छोटी नौकरी कर ली.

यहीं से उस के जुर्म की दुनिया में दाखिले के द्वार खुले. अब अर्चना घरेलू बंदिशों से आजाद थी. लिहाजा बेरोकटोक अपनी जिंदगी खुद जीने लगी और उसे एक छोटे नेता से प्यार हो गया. लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाया, क्योंकि इस नेता की मंशा केवल एक खूबसूरत लड़की के साथ टाइम पास करने की थी. पहले ही प्यार में धोखा खाई अर्चना को समझ आ गया कि न तो छोटी नौकरी से उस के सपने पूरे होने वाले और न ही रोमांटिक ख्वावों से जिंदगी का मकसद पूरा होने वाला. लिहाजा वह भोपाल छोड़ कर मुंबई चली गई.

लेकिन जिंदगी का मकसद क्या है, यह वह खुद भी तय नहीं कर पा रही थी. मुंबई में उस ने बाबा सहगल का आर्केस्ट्रा ग्रुप जौइन कर लिया और प्रोग्राम देने खाड़ी देशों तक गई और जल्द ही ऐक्ट्रेस बनने के सपने देखने लगी. लेकिन उसे यह भी समझ आ गया कि मुंबई में जम पाना कोई हंसीखेल नहीं है. इसी दौरान अर्चना को अहमदाबाद के एक कारोबारी से प्यार हो गया, लेकिन यहां भी उसे नाकामी मिली. उस कारोबारी ने प्यार नहीं, बल्कि कारोबार ही किया था और खुद अर्चना की भी मंशा किसी पैसे वाले को फांस कर सेटल हो जाने की थी, जोकि पूरी नहीं हुई.

देखा जाए तो अर्चना एक भटकाव का शिकार हो चुकी थी. एक दिन यही भटकाव उसे यूं ही दुबई ले गया, जहां उस की मुलाकात अंडरवर्ल्ड के सरगनाओं से हुई, इन में से एक नाम अपने दौर के चर्चित अपराधी बबलू श्रीवास्तव का भी था. बहुत जल्द अर्चना को तीसरी बार प्यार हुआ. बबलू श्रीवास्तव भी उस पर जान छिड़कने लगा था. लेकिन कुख्यात बबलू को यह पसंद नहीं था कि अर्चना किसी से हंसेबोले इस को ले कर अपने ही साथियों से कई बार उस का झगड़ा भी हुआ. आजाद जिंदगी जीने की आदी हो चली अर्चना को प्यार का यह तरीका और बबलू का पजेसिव नेचर नागवार गुजरने लगा. कुछ दिनों बाद बबलू उसे ले कर नेपाल चला आया. यहां अर्चना को चौथी बार प्यार हुआ राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता दिलशाद बेग से.

अब तक अर्चना किस्मकिस्म के मर्दों से मिल चुकी थी और उन की कमजोरियां भी समझने लगी थी. दिलशाद पर उस ने अपने हुस्न और प्यार का जादू चलाया तो वह भी बबलू की तरह उस पर मरने लगा. असल में अर्चना की मंशा दिलशाद को मोहरा बना कर बबलू से छुटकारा पाने की थी. दोनों को वह मैनेज करती रही. साल 1994 में बबलू गिरफ्तार हुआ तो अर्चना भारत वापस चली आई और बबलू का गिरोह संभालने लगी. अब वह एक पेशेवर मुजरिम बन चुकी थी और जुर्म की दुनिया में लेडी डौन का खिताब हासिल कर चुकी थी. कई उद्योगपतियों को अगवा कर उस ने मोटी फिरौती वसूली. इस काम की वह स्पैशलिस्ट हो गई थी.

धीरेधीरे बबलू और उस का साथ छूट गया और अर्चना देश के कई गिरोहों के संपर्क में आई, जिन में गैंगस्टर हिंदू सिंह यादव का नाम भी शामिल था. आए दिन अर्चना पुलिस से आंखमिचौली खेलने लगी और मध्य प्रदेश को अपना गढ़ बनाने की कोशिश करने लगी, पर बना नहीं पाई. क्योंकि पुलिस उस के पीछे थी. अब अर्चना कहां है, यह किसी को नहीं मालूम क्योंकि उस की गतिविधियां बंद हैं और अफवाह यह भी उड़ी थी कि वह तो साल 2010 में बांग्लादेश में मारी गई. अर्चना को ले कर पुलिस कितनी परेशान थी, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक वक्त में पुलिस ने उस की बाबत 40 देशों को अलर्ट जारी किया था.

जेनाबाई, जिस के इशारे पर अंडरवर्ल्ड डौन भी नाचते थे

अनुराधा और अर्चना तो अभी सुर्खियों में हैं, क्योंकि उन के मामले ताजेताजे हैं लेकिन देश में लेडी डौन की लिस्ट काफी लंबी है, जिन के कारनामे भी हैरतंगेज हैं और दिलचस्प भी. इस लिस्ट को देख कर लगता है कि औरतों का अंडरवर्ल्ड से पुराना नाता है और वे समयसमय पर जुर्म की दुनिया में अपनी हाजिरी दर्ज कराती रही हैं. माफिया क्वीन जेनाबाई दारू वाली आज जिंदा होती तो उस की उम्र 100 साल होती, जिस का नाम आज भी एक मिसाल के तौर पर लिया जाता है. जेनाबाई दूसरी महिला डौनों की तरह किसी जरायमपेशा के इशारों पर कभी नहीं नाची, बल्कि उस ने कई नामी अपराधियों को इशारों पर नचाते लंबे वक्त तक राज किया.

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सांप्रदायिक हिंसा और दीगर अपराधों के लिए जाने जाने वाले मुंबई के बदनाम डोंगरी इलाके, जहां की एक चाल में उस का परिवार रहता था, से शराब की तसकरी करने वाली यह लेडी डौन आला दिमाग की मालकिन और चालाक थी. दाऊद इब्राहिम, हाजी मस्तान और करीम लाला जैसे मुंबइया डौन जिन के नाम और खौफ के सिक्के चलते थे. वे महारथी अगर किसी के इशारे पर नाचते थे तो वह जेनाबाई दारू वाली थी, जिस के दरबार में मुंबई क्राइम ब्रांच के छोटेबड़े अफसर भी सिर नवा कर दाखिल होते थे.

जेना थी तो एक दुस्साहसी और असाधारण महिला, जो आजादी की लड़ाई में भी शरीक हुई थी. उस का पति उसे छोड़ कर पाकिस्तान चला गया था, लेकिन 5 बच्चों की जिम्मेदारी जेना पर छोड़ गया था. गरीब जेना ने पहले चावल और फिर शराब की तसकरी शुरू कर दी. कई बार वह पकड़ी गई, लेकिन छूट भी गई. इस परेशानी से बचने के लिए जेना पुलिस की मुखबिर बन गई. उस का एक बेटा गैंगवार में मारा गया तो जुर्म से उस का जी उचट गया और वह धर्मकर्म करने लगी और 1994 में उस की मौत हो गई.

संतोकबेन जडेजा जिस की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘गौडमदर’

गौडमदर संतोक बेन जडेजा ने 90 के दशक में फिल्मी स्टाइल में अपने पति सरमन जडेजा की हत्या का बदला लेने के लिए जुर्म का रास्ता अख्तियार किया था, लेकिन जल्द ही वह दहशत का दूसरा नाम बन गई थी. एक वक्त में पूरा गुजरात उस के नाम से खौफ खाता था. संतोक ने बाकायदा अपना गिरोह बना लिया था, जिस में सैकड़ों छोटेबड़े बदमाश काम करते थे. ये लोग रियल एस्टेट, फिरौती, तसकरी और जबरिया वसूली करते थे.

संतोक का खौफ इतना था कि कोई उस के गुर्गों के लिए न कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था और जो करता था वह अगली सुबह का सूरज नहीं देख पाता था. पोरबंदर इलाके में तो उस की हुकूमत चलती थी. वह इतनी निर्दयी और खूंखार हो गई थी कि उस के खिलाफ हत्या के 14 मामले दर्ज हुए थे और उस के गैंग के सदस्यों के खिलाफ 550 के लगभग मामले विभिन्न अपराधों के दर्ज थे. लेकिन अपने चाहने वालों और गरीबों पर वह मेहरबान रही, जिस से उसे गौडमदर का खिताब मिल गया.

संतोक बेन देश की पहली लेडी डौन थी जिस की जिंदगी पर विनय शुक्ला ने फिल्म ‘गौडमदर’ साल 1999 में बनाई थी, जिस में उस का रोल शबाना आजमी ने निभाया था. यह फिल्म जबरदस्त हिट साबित हुई थी, जिसे 6 नैशनल अवार्ड सहित एक फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला था. अपने खौफ और रसूख को संतोक ने राजनीति में भी इस्तेमाल किया और साल 1990 में वह जनता दल के टिकट पर कुतियाना सीट से 35 हजार वोटों से जीत कर विधायक भी चुनी गई थी. उस का एक बेटा कांधल जडेजा कुतियाना सीट से ही एनसीपी के टिकट पर जीत कर विधायक बना. साल 2011 की होली के पहले संतोक की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी.

खतरनाक सायनाइड किलर केमपंमा

सायनाइड मल्लिका के.डी. केमपंमा बेंगलुरु के नजदीक कमालीपुरा गांव की रहने वाली सीरियल किलर थी, जिस ने कितनों को सायनाइड दे कर मौत की नींद सुलाया. इस की सही गिनती किसी के पास नहीं. के.डी. केमपंमा ने हत्या करने का नायाब लेकिन पुराना तरीका चुन रखा था. वह अपने शिकार को एकांत में बुलाती थी और वहां उस की हत्या कर उसे लूट लेती थी. जुर्म करने के लिए वह उन महिलाओं को चुनती थी, जो पारिवारिक या दूसरे कारणों से परेशान रहती थीं और मन्नतें मांगने व पूजापाठ करने मंदिर जाया करती थीं.

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के.डी. इन के सामने खुद को एक जानकार तांत्रिक की तरह पेश करती थी और पूजापाठ कर परेशानी दूर करने का झांसा दे कर शिकार को किसी वीरान मंदिर बुलाती थी और वहीं सायनाइड खिला कर हमेशा के लिए परेशान जिंदगी से ही छुटकारा दिला देती थी. गिरफ्तार होने के बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. लेकिन बाद में उसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया था. बेहद गरीब घर की केमपंमा ने एक दरजी से शादी की थी और खुद चिटफंड कंपनी चलाती थी. पर रातोंरात अमीर बनने के लालच में साल 1999 में उस ने पहली हत्या की थी और फिर मुड़ कर नहीं देखा. साल 2008 में गिरफ्तार होने तक उस का खासा खौफ बेंगलुरु में रहा.

कोठों की बादशाहत वाली सायरा बेगम

सायरा बेगम कोठे वाली के नाम से इसलिए मशहूर हुई थी कि उस ने देह व्यापार के धंधे में तकरीबन 5 हजार लड़कियों को धकेला. हैदराबाद की रहने वाली इस मौसी सायरा बेगम की दिल्ली के बदनाम रेडलाइड इलाके जीबी रोड पर बादशाहत लंबे समय तक कायम रही. उस पर दरजनों आपराधिक मामले भी दर्ज हुए थे. देह व्यापार के धंधे से सायरा ने करोड़ों रुपए कमाए. साल 2016 में जब वह गिरफ्तार हुई तो पता चला कि 6 कोठे तो उस के जीबी रोड पर ही हैं और दिल्ली में ही आलीशान फार्महाउस के अलावा बेंगलुरु में भी उस के बेशकीमती 3 फ्लैट हैं. उस के बैंक खातों में ही करोड़ों रुपए जमा थे. सायरा का पति अफाक हुसैन इस धंधे में उस का साथ देता था.

ये लोग पूर्वोत्तर भारत और नेपाल से लड़कियां ला कर उन से धंधा कराते थे. जिस सायरा ने कोई 5 हजार लड़कियों को देह धंधे के दलदल में धकेला, खुद उस की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं. मांबाप की मौत के बाद वह साल 1990 में दिल्ली रोजगार की तलाश में आई थी, लेकिन वह नहीं मिला तो वह कालगर्ल बन गई. बेरोजगारी और दुश्वारियां झेल चुकी सायरा को कभी मजबूर गरीब लड़कियों की हालत पर तरस नहीं आया, जो कम उम्र लड़कियों को जल्द जवान बनाने के लिए हारमोंस के इंजेक्शन भी देती थी. लड़कियों को इस धंधे में लाने के लिए उस ने गिरोह भी बना लिया था, जिस की वह डौन थी.

इन का भी बजता था डंका

इसी तरह खूबसूरती की वजह से रूबीना सिराज सैय्यद ने अपराध की दुनिया में हीरोइन नाम से पहचान बनाई. कभी जानीमानी ब्यूटीशियन रही रूबीना ने पैसों के लालच में छोटा राजन से हाथ मिला लिया. उस ने अपनी खूबसूरती से कइयों को काबू किया. पुलिस वाले भी उस की खूबसूरती पर लट्टू हो जाते थे. इसी का फायदा उठा कर 70 के दशक में वह जेल में बंद छोटा शकील के गुर्गों तक हथियार और नशे का सामान पहुंचाती थी. महाराष्ट्र सरकार ने उस की आपराधिक गतिविधियों की वजह से उस पर मकोका भी लगाया था. दूध बेचने वाली शशिकला ने पैसों के लालच में ड्रग्स की तसकरी शुरू की और जल्द ही मुंबई में कुख्यात हो गई. अपराध की दुनिया में उसे बेबी नाम से जाना जाने लगा.

वर्ष 2015 में मुंबई पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया, तब तक ड्रग्स की तसकरी से वह 100 करोड़ रुपए की संपत्ति खड़ी कर चुकी थी. शशिकला उर्फ बेबी को मुंबई का सब से बड़ा ड्रग्स माफिया माना जाता है. बेला आंटी को तो मुंबई की सब से बड़ी शराब माफिया के रूप में जाना जाता था. 70 के दशक में जब अवैध शराब के खिलाफ सख्ती बढ़ी, तब भी बेला आंटी ने ट्रकों में भर कर पूरी मुंबई में अवैध शराब की तसकरी की. अधिकारियों का मुंह बंद कराने के लिए बेला ने उन्हें मोटी रिश्वत दी. उस ने शराब की तसकरी जारी रखने के लिए तब के गैंगस्टरों, अधिकारियों और राजनेताओं सब को डरा रखा था.

किसी में हिम्मत नहीं थी कि अवैध शराब की तसकरी में लगी उस की गाडि़यों को कोई रोक सके. यहां तक कि उस वक्त का अंडरवर्ल्ड डौन वर्धाभाई भी उसे अपने एरिया धारावी में शराब की तसकरी करने से नहीं रोक सका था. भारत के मोस्टवांटेड दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर वो नाम है, जो किसी परिचय का मोहताज नहीं. दाऊद इब्राहिम के भारत से भागने के बाद मुंबई में उस के अवैध धंधों की बागडोर बहन हसीना पारकर ने ही संभाली. अपराध की दुनिया में उस की पहचान गौडमदर औफ नागपाड़ा और अप्पा मतलब बड़ी बहन के तौर पर रही है.

इस में कोई संदेह नहीं कि उस में मुंबई के अपराध जगत में एकछत्र राज किया है. वर्ष 2014 में हार्ट अटैक से उस की मौत हो गई.

अफ्रीकन ब्यूटी Facebook पर लड़को को फंसाती

बिजनैसमैन संजय दिल्ली में रह रही तंजानिया मूल की युवती ग्लोरी से मिल कर फूला नहीं समा रहा था. बाद में इसी ब्लैक ब्यूटी ने संजय को ब्लैकमेल कर लाखों रुपए ऐंठ लिए. जब पुलिस ने इस मामले की जांच की तो यह एक ऐसा गैंग निकला कि…

23 मार्च, 2018 की बात है. इंदौर साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह अपने औफिस में बैठे थे. तभी उन के औफिस में एक युवक आया. चारों तरफ शकभरी निगाहों से देख रहे उस युवक को देख वहां मौजूद पुलिस वालों को इस बात का एहसास हो गया कि वह युवक किसी बड़ी मुसीबत में है. युवक ने एसपी जितेंद्र सिंह से तत्काल मिलने की इच्छा जाहिर की. वहां मौजूद एएसआई ने एसपी से पूछ कर उस युवक को अंदर भेज दिया.

जितेंद्र सिंह ने युवक को बैठने का इशारा कर के उस के आने का कारण पूछा. उस युवक का नाम संजय था, उस ने बताया कि कुछ दिन पहले उस की मुलाकात दिल्ली में रह रही तंजानिया निवासी युवती ग्लोरी से हुई थी. दोनों में दोस्ती हो गई. मुलाकात के समय ग्लोरी ने मदद के नाम पर उस से 2-3 हजार रुपए मांगे, जो उसे दे दिए. यहां तक तो ठीक था. लेकिन जल्दी ही उस की मांग लगातार बढ़ गई. यहां तक कि वह धमकी और ब्लैकमेलिंग पर उतर आई. बाद में उस की मांग लाखों तक पहुंच गई. संजय ने इस बात का खुलासा भी किया कि अब तक वह उसे करीब 15 लाख रुपए दे चुका है.

संजय ने आगे बताया कि ग्लोरी ने उस से कहा कि वह गर्भवती हो गई. उस ने गर्भ गिराने की कोशिश की, जिस से उस की तबीयत खराब हो गई और कुछ दिन पहले उस की मौत हो गई. ग्लोरी की मौत के बाद उस की बहन और उस का एक साथी पैसा मांगने लगे. ग्लोरी के एक फ्रैंड का आज ही फोन आया था. उस ने उसे धमकी दी कि कल दोपहर तक उस के बैंक एकाउंट में 5 लाख रुपए जमा नहीं किए तो वह मेरा वीडियो वायरल कर देगा. संजय ने एसपी जितेंद्र सिंह को बताया कि वह बुरी तरह परेशान हो चुका है. अब उस के पास 2 ही रास्ते थे, या तो वह आत्महत्या कर ले या पुलिस की मदद ले. यही सोच कर वह यहां आया है. एसपी जितेंद्र सिंह ने उसे रिपोर्ट लिखाने को कहा ताकि आगे की काररवाई की जा सके.

संजय जाने लगा तो जितेंद्र सिंह ने उस से पूछा, ‘‘आप एक ही बार ग्लोरी से मिले थे?’’

‘‘जी सर.’’

‘‘आप ने उसे गर्भावस्था में देखा.’’

‘‘जी नहीं, सर.’’ संजय ने जवाब दिया तो एसपी साहब ने अगला सवाल पूछा, ‘‘उस की शवयात्रा में शामिल हुए?’’

‘‘नहीं, मैं एक बार के बाद कभी नहीं मिला, शवयात्रा में शामिल होने का तो कोई सवाल ही नहीं था.’’

‘‘उस की बहन और भाई से कभी मिले?’’

‘‘नहीं, बस फोन पर ही बातें होती हैं.’’

‘‘ठीक है, रिपोर्ट लिखा दीजिए. हम देखेंगे सच क्या है.’’ कह कर जितेंद्र सिंह ने बात खत्म कर दी.

संजय ने एसपी साहब की बात मान कर 23 मार्च, 2018 को तंजानिया निवासी ग्लोरी के खिलाफ धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग की रिपोर्ट लिखवा दी. उस ने यह भी बता दिया कि ग्लोरी छतरपुर, दिल्ली में रहती है. साथ ही उस का और उस के तथाकथित रिश्तेदारों के फोन नंबर भी पुलिस को दे दिए. संजय ने उस बैंक एकाउंट के नंबर भी दे दिए, जिन में उस ने पैसा डाला था. रिपोर्ट दर्ज होने के दूसरे ही दिन एसपी जितेंद्र सिंह ने इंसपेक्टर राशिद अहमद के साथ इस मामले को ले कर लंबी मीटिंग की. इस मीटिंग में जांच की रूपरेखा तय की गई. इस के साथ ही उन्होंने राशिद अहमद के नेतृत्व में काम करने के लिए एक पुलिस टीम बना दी.

इस टीम में एसआई पूजा मुवैल, आमोद, विनोद, एएसआई धीरज, हेडकांस्टेबल रामप्रकाश, रामपाल, प्रभाकर, गजेंद्र, राकेश, रमेश, करिश्मा और रजनी को शामिल किया गया. पुलिस की इस टीम के सदस्यों को अलगअलग जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं. उसी दिन से यह टीम अपने काम पर लग गई. एसपी जितेंद्र सिंह टीम की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थे और सब को गाइड कर रहे थे. छानबीन में जल्दी ही यह बात साफ हो गई कि संजय ने पुलिस को जो फोन नंबर दिए थे, वे सभी छतरपुर एक्सटेंशन, दिल्ली में चल रहे थे. साथ ही पुलिस ने उन खातों का भी पता लगा लिया जिन में संजय पैसा डालता रहा था.

ये खाते संदीप और सुमित प्रजापति निवासी दिल्ली और रीता काटजू के नाम पर थे. ग्लोरी ने जिस नंबर से फेसबुक मैसेंजर पर मैसेज और बाद में वाट्सऐप पर चैटिंग कर के संजय से दोस्ती की थी, उसी के आधार पर साइबर टीम ने कुछ ही दिनों में ग्लोरी के दिल्ली के ठिकाने और उस की गतिविधियों की जानकारी जुटा ली. चूंकि यह मामला एक विदेशी युवती से जुड़ा था, इसलिए साइबर सेल की टीम फूंकफूंक कर कदम रख रही थी. क्योंकि जरा सी गलती भी इंदौर पुलिस को भारी पड़ सकती थी. लेकिन एसपी यह बात अच्छी तरह जानते थे कि गलती के डर से कुछ न करने से अच्छा है कि कुछ किया जाए.

पूरी तैयारी के साथ इंदौर से दिल्ली गई टीम ने 4 रातें और 5 दिन की मेहनत के बाद महरौली पुलिस की मदद से सुमित प्रजापति और साउमी एलियास ग्लोरी, निवासी तंजानिया जो दिल्ली के छतरपुर एक्सटेंशन में रह रही थी, को गिरफ्तार कर लिया. जैसी कि पुलिस को पहले आशंका थी, गिरफ्तारी के बाद थाना महरौली जा कर ग्लोरी ने आसमान सिर पर उठा लिया. विदेशी नागरिक होने के नाम पर वह पुलिस को सबक सिखाने की धमकी देने लगी. लेकिन पुलिस टीम उस की धमकियों में नहीं आई और सुमित और ग्लोरी को इंदौर ले गई.

यह बात पहले ही स्पष्ट थी कि विदेश में बैठी जो लड़की लोगों के साथ धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग कर रही हो, वह सीधीसादी नहीं बल्कि शातिर होगी. इंदौर में ग्लोरी को महिला थाने में रखा गया, लेकिन वहां के हवालात की दीवारें 2 दिन तक ग्लोरी के आतंक से कांपती रहीं. स्टेट साइबर सेल ने ग्लोरी को अदालत से रिमांड पर ले कर पूछताछ की. शुरू में ग्लोरी ने पुलिस को बिलकुल सहयोग नहीं किया, लेकिन जब उस ने देखा कि एसपी जितेंद्र सिंह ने उस के गिरोह को कानून के जाल में फंसाने के लिए काफी मेहनत से मोहरे चले हैं तो उस ने अपने साथी तंजानिया निवासी एडवर्ड किंग्सले का नाम भी बता दिया था.

एडवर्ड को पुलिस की इसी टीम ने 4 दिन बाद दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद ब्लैकमेलर ब्लैक ब्यूटी की पूरी कहानी सामने आ गई, जो इस प्रकार निकली—

करीब 7-8 महीने पहले की बात है. इंदौर के तुकोगंज निवासी 27 वर्षीय फरनीचर व्यवसाई संजय को अपने फेसबुक मैसेंजर पर ग्लोरी नाम की ब्लैक ब्यूटी और हौट लगने वाली लड़की का मैसेज मिला था. सोशल मीडिया पर डीपी में खूबसूरत लड़कियों की फोटो लगा कर मजे लेने वाले लड़कों की कमी नहीं है. यह बात संजय भी जानता था, इसलिए उस ने उस मैसेज पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. डेढ़ 2 महीने बाद एक दिन फुरसत में फेसबुक देखते वक्त संजय की नजर फिर से गलोरी के पुराने मैसेज पर पड़ी तो उस ने भी जवाब में उसे हाय लिख दिया. 2-4 दिन बाद ग्लोरी की तरफ से जवाब आ गया. ग्लोरी ने इस बार डीपी पर पहले से भी ज्यादा सैक्सी फोटो लगा रखी थी.

चूंकि पुरानी और नई डीपी में एक ही लड़की की फोटो थी, इसलिए संजय को भरोसा हो गया कि मैसेज भेजने वाली लड़की ही है. सोचविचार कर संजय ने भी बातचीत शुरू कर दी. बात बढ़ी तो दोनों ने एकदूसरे को अपना परिचय दे दिया. फिर दोनों फेसबुक मैसेंजर से निकल कर वाट्सऐप पर मैसेज भेजने लगे. इसी दौरान ग्लोरी ने संजय को अपने ऐसे फोटो भी शेयर किए, जिन्हें देख कर संजय फैंटेसी की दुनिया में डूबने लगा. उस ने ग्लोरी से मिलने का निश्चय किया. बिजनैस के सिलसिले में संजय दिल्ली जाता रहता था.

ग्लोरी से बात होने के बाद संजय दिल्ली के एक होटल में ग्लोरी से मिला. दोनों के बीच बातें हुईं तो उस ने कुछ परेशानी बता कर संजय से मदद मांगी. नतीजतन संजय ने उस के बताए एकाउंट में 2 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए. तंजानिया अफ्रीकी महाद्वीप के प्रमुख देशों में से एक है. संजय को अफ्रीकन ब्लैक ब्यूटी ग्लोरी काफी पसंद आई. डार्क कलर के बावजूद वह काफी सैक्सी और सुंदर लग रही थी. 2 हजार रुपए मिलने के अगले 10 दिनों में ग्लोरी ने संजय से एक बार 6 हजार और एक बार 12 सौ रुपए मांगे. चूंकि संजय के लिए यह कोई बड़ी रकम नहीं थी. इसलिए उस ने बिना सोचेसमझे 6 हजार और 12 सौ रुपए ग्लोरी के एकाउंट में ट्रांसफर कर दिए.

लेकिन हकीकत यह थी कि ग्लोरी छोटीछोटी रकम लेने के बहाने हांडी में चावल टटोलने का काम कर रही थी. जब उस ने देखा कि संजय जाल में फंस चुका है तो 10 दिनों बाद ग्लोरी ने उस से सीधे सवा लाख रुपए की मांग की. उस ने संजय को बताया कि वह एक मुसीबत में फंस गई है, इसलिए अपनी मां के पास तंजानिया जाना चाहती है.

‘‘ऐसी क्या मुसीबत आ गई?’’ संजय ने सवा लाख देने से बचने की कोशिश करते हुए पूछा.

‘‘तुम नहीं समझोगे संजय, मुझे बस पैसा दे दो.’’ ग्लोरी ने बिना कुछ बताए पैसे मांगे तो संजय ने असमर्थता जाहिर करते हुए कहा, ‘‘सौरी, इतना पैसा मेरे पास नहीं है.’’ संजय का इनकार सुनते ही ग्लोरी के तेवर बदल गए. उस ने संजय से कहा, ‘‘सुनो संजय उस दिन तुम ने मेरे साथ जो रेप किया था, उस से मुझे गर्भ ठहर गया है. यह गर्भ साफ कराने के लिए मैं तंजानिया जाना चाहती हूं. मेरे पास तुम्हारे द्वारा किए गए रेप का वीडियो है. अगर तुम ने मेरी मदद नहीं की तो मैं इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दूंगी.’’

ग्लोरी के मुंह से रेप की बात सुन कर संजय पागल हो गया. उस का गर्भवती हो जाना सचमुच बड़ा संकट था, इसलिए उस ने चुपचाप ग्लोरी द्वारा बताए गए खाते में एक लाख 20 हजार रुपए डाल दिए. इस के बाद कुछ दिनों तक ग्लोरी की कोई खबर नहीं मिली तो संजय ने राहत की सांस ली. उसे लगा कि ग्लोरी तंजानिया चली गई होगी और उस ने वहां जा कर गर्भपात करवा लिया होगा. लेकिन कहानी अभी बाकी थी.

कुछ दिनों बाद एक युवती ने संजय को फोन किया. उस ने बताया कि वह तंजानिया से ग्लोरी की बड़ी बहन बोल रही है. ग्लोरी के गर्भपात के दौरान गड़बड़ हो जाने से ग्लोरी की हालत काफी खराब है. हम ने उसे अस्पताल में भरती करवा दिया है, इसलिए तुम इलाज के लिए तुरंत एक लाख रुपए एकाउंट में डाल दो. संजय की समझ में कुछ नहीं आ रहा था. उसे नहीं मालूम था कि ब्लैक ब्यूटी का शौक उसे इतना भारी पड़ेगा. वह बुरी तरह फंस चुका था. मजबूरी में उसे ग्लोरी की बहन की बात माननी पड़ी. इस के बाद तो तंजानिया से उस के पास कभी ग्लोरी की बहन का तो कभी अस्पताल के डाक्टर के फोन आने लगे. मजबूरी में चुपचाप उन के बताए खाते में पैसे डालता रहा.

मार्च के दूसरे सप्ताह में संजय को खबर मिली कि ग्लोरी की मृत्यु हो गई है. जिस ग्लोरी को संजय अब तक दुनिया की सब से अधिक हौट और कौपरेटिव पार्टनर मान कर याद करता था, उस की मौत की खबर सुन कर दुखी होने के बजाए उस ने राहत की सांस ली. उसे लगा कि चलो पीछा छूटा. इसलिए मौत के बाद मांगी गई रकम भी उस की बहन के बतए गए खाते में ट्रांसफर कर दी. लेकिन इस के हफ्ते भर बाद ही ग्लोरी के साथ उस के नग्न वीडियो वायरल कर देने की धमकी दे कर एक युवक ने उस से 2 लाख रुपए की मांग की तो संजय समझ गया कि ग्लोरी का भूत जिंदगी भर उस का पीछा नहीं छोड़ेगा. इसलिए सोचविचार के बाद उस ने कानून की मदद लेने का फैसला किया.

उस ने इंदौर की साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह से मिल कर उन्हें पूरा किस्सा सुना दिया. इस के बाद अजय की रिपोर्ट के आधार पर जितेंद्र सिंह की टीम ने महीने भर में ग्लोरी और उस के पूरे गिरोह को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. ग्लोरी के बारे में पुलिस की जांच में जो जानकारी सामने आई, उस के अनुसार ग्लोरी 3 साल पहले अपनी मां का इलाज करवाने मैडिकल वीजा पर भारत आई थी. इलाज के बाद मां तो वापस चली गई, लेकिन ग्लोरी दिल्ली में ही रह गई. यहां वह छतरपुर एक्सटेंशन के पौश इलाके में एक अन्य लड़की के साथ किराए के फ्लैट में रहती थी.

दिल्ली में रहते हुए ग्लोरी जल्द ही देह व्यापार से जुड़ गई. किसी भी ग्राहक से वह फोन पर बात नहीं करती थी. संजय ने जितना अपने दोस्तों के बारे में सुना था, उस के अनुसार वह जानता था कि अफ्रीकी मूल की लड़की काफी कौपरेटिव होती हैं. आमतौर पर अफ्रीकन लड़की किसी दूसरे महाद्वीप के व्यक्ति को वक्त नहीं देती और अगर वक्त देती है तो खुद भी ऐसे मौके को पूरा एंजौय करती है. ग्लोरी जिस खुले लहजे में संजय से दोस्ती बढ़ा रही थी, उस से संजय को लगने लगा था कि ब्लैक ब्यूटी के साथ वक्त बिताने की उन की फैंटेसी सच होने वाली है. हुआ भी ऐसा ही.

व्यापार के सिलसिले में एक रोज संजय दिल्ली गया तो काम से फ्री हो कर उस ने ग्लोरी से बात कर के खुद के दिल्ली में होने की बात कही. इस पर ग्लोरी ने उसे अपने फ्लैट का पता दे कर छतरपुर एक्सटेंशन में आने को कहा. संजय के लिए यह सुनहरा मौका था. वह पंख लगा कर ग्लोरी के फ्लैट पर जा पहुंचा. ग्लोरी से मुलाकात के पहले संजय ने जैसा सोचा था, ग्लोरी उस से भी अधिक हौट थी. भरापूरा जिस्म 5 फुट 7 इंच लंबी ग्लोरी ने संजय के स्वागत में जाली जैसे कपड़े की स्लीवलेस कुरती और जींस का काफी तंग और छोटा सा शौर्ट पहन रखा था. कुछ देर बाद कातिल अदा से मुसकराते हुए ग्लोरी ने संजय को ड्रिंक्स औफर किया. 2 ढाई घंटे चली पहली मुलाकात के बाद जब संजय उस के फ्लैट से बाहर निकला मारे खुशी के उस के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे.

वह नहीं जानता था कि ग्लोरी के साथ उस की इस ग्लोरियस मीटिंग का सुखद अध्याय इस मुलाकात के साथ ही खत्म हो जाएगा. दिल्ली से वापस लौट कर संजय जल्द ही एक बार फिर दिल्ली जाने की योजना बनाने लगा था. लेकिन 2-4 दिन बाद ही ग्लोरी ने उस से वाट्सऐप पर चैटिंग करते हुए कहा कि उसे 2 हजार रुपए की जरूरत है. संजय ने पेटीएम के जरिए भेज दिए. ग्लोरी वाट्सऐप पर अपनी फोटो भेजती, रेट तय करती और फिर सौदा पट जाने पर या तो ग्राहक को अपने फ्लैट पर बुला लेती थी या उस के साथ चली जाती थी. अकेले दिल्ली शहर में अफ्रीकी मूल के लगभग 20 हजार युवकयुवती रहते हैं. इन में से कई विभिन्न तरह की आपराधिक गतिविधियों में शामिल होते हैं, ग्लोरी भी दूसरे शहरों के रईस युवकों को फंसा कर उन्हें ब्लैकमेल करने लगी थी.

इस दौरान तंजानिया का एडवर्ड किंग्सले 3 महीने के वीजा पर भारत आने के बाद लंबे समय से गैर कानूनी रूप से यहां रह रहा था. ग्लोरी उस की गर्लफैंड थी. वह ब्लैकमेलिंग के काम में अपनी प्रेमिका की मदद करने लगा था. ग्लोरी के साथ पकड़ा गया सुमित प्रजापति ग्लोरी को बैंक खाते उपलब्ध कराता था. सुमित अपने 3 भाइयों के साथ छतरपुर एक्सटेंशन इलाके में डिपार्टमेंटल स्टोर चलाता था. उस के स्टोर में एक काउंटर बायवा नाम की लड़की का भी था. ग्लोरी अकसर बायवा के काउंटर पर खरीदारी करने आती थी.

सुमित ने ग्लोरी को पहली बार वहीं देखा था और उस का दीवाना हो गया था. बाद में बायवा ने सुमित की ग्लोरी से दोस्ती करवा दी थी. जिस से सुमित भी ब्लैक ब्यूटी के शौक में ग्लोरी के फ्लैट पर आनेजाने लगा था. लेकिन ग्लोरी ने सुमित को ब्लैकमेल नहीं किया. हां, वह उस से बैंक खाते का उपयोग लोगों से ठगी का पैसा जमा करवाने में करने लगी थी. ग्लोरी के कहने पर सुमित ने अपने एक भाई के खाते का नंबर भी उसे दे दिया था.

ग्लोरी ने काफी पैसा रीटा काटजू नाम की महिला के खाते में भी जमा करवाया था. 65 वर्षीय रीटा काटजू की बेटी हांगकांग में नौकरी करती है. जबकि इंडियन एयरलाइंस की नौकरी से रिटायर होने के बाद रीटा दिल्ली में अपने प्रेमी के साथ लिवइन रिलेशन में रहती हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में संजय नाम बदला हुआ है.