Extramarital Affair : सरिता क्यों बनी पति की कातिल

Extramarital Affair : पति की एक्सीडेंट में मौत हो जाने के बाद 34 वर्षीय सरिता ने कुख्यात बदमाश सोनू नागर से शादी कर ली थी. कुछ दिनों बाद ही ऐसा क्या हुआ कि सरिता को सोनू नागर की हत्या की सुपारी देनी पड़ी? पढ़ें, फेमिली क्राइम की यह खास स्टोरी.

मोबाइल फोन की घंटी लगातार रुकरुक कर बज रही थी. गुरमीत उस समय बाथरूम में था. जैसे ही फोन की घंटी की आवाज गुरमीत के कानों में पड़ी तो वह फटाफट नहा कर बाथरूम से बाहर आ गया. गुरमीत ने मोबाइल की स्क्रीन पर फ्लैश होते नाम को देखा तो उस के चेहरे पर मुसकान तैर गई. उस ने तुरंत काल रिसीव कर ली.

”हैलो बग्गा! आज सुबहसुबह कैसे याद आ गई अपने यार की?’’ गुरमीत ने चहक कर पूछा.

”तुझे तो मैं हर वक्त दिल में रखता हूं गुरप्रीत.’’ बग्गा सिंह दूसरी ओर से बोला, ”फिर याद तो अपनों को ही किया जाता है.’’

”ठीक है.’’ गुरमीत हंसा, ”बोल, कैसे फोन किया?’’

”एक मुरगे को टपकाना है गुरमीत.’’

”टपका देंगे.’’ गुरमीत ने लापरवाही से गरदन झटकी, ”मुरगा वजनदार तो है ना?’’

”मैं वजनदार मुरगा ही हलाल करता हूं गुरमीत. पूरे डेढ़ लाख में सौदा किया है.’’

”वाह!’’ गुरमीत ने होंठों पर जुबान फिराई, ”मोटी कटेगी यार, लेकिन सौदा फिफ्टीफिफ्टी का रहेगा बग्गा भाई.’’

”नहीं, पार्टी मेरी है इसलिए मैं तुम्हें 50 हजार दूंगा.’’ बग्गा सिंह की आवाज में अडिय़लपन था, ”देख, जब तेरी पार्टी होती है तो मैं भी वही लेता हूं जो तू देता है.’’

गुरमीत ने बात काट दी, ”वो सब ठीक है बग्गा, लेकिन 50 कुछ कम है.’’

”चल मैं 10 हजार और बढ़ा देता हूं.’’ बग्गा ने कहा, ”अब कुछ नहीं कहना.’’

”ओके.’’ गुरमीत ने गहरी सांस ली, ”मुरगा कहां टपकाना है?’’

”दिल्ली में.’’ बग्गा सिंह ने धीमी आवाज में कहा, ”तू आज ही दिल्ली पहुंच. मैं भी घर से निकल रहा हूं.’’

”तू इस वक्त कहां है?’’

”मैं भटिंडा में हूं, लेकिन हर हाल में शाम तक दिल्ली पहुंच जाऊंगा. तू मुझे फोन कर लेना. हमें कहां मिलना है, कहां ठहरना है, मैं तुझे बता दूंगा. अब तू तैयार हो, मैं काल काट रहा हूं.’’ बग्गा की तरफ से कहा गया. फिर संपर्क काट दिया गया.

गुरमीत ने मोबाइल टेबल पर रखा और दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा. आधा घंटा बाद ही वह बैग ले कर घर से निकला और बसअड्ïडे के लिए आटो से रवाना हो गया.

3 फरवरी, 2025 की सुबह उत्तरी दिल्ली में शक्ति नगर के एफसीआई गोदाम के पास बहने वाले नाले में एक युवक औंधे मुंह पड़ा हुआ था. वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने उस युवक को देखा तो वह ठिठक गया. उसे लगा कि शायद कोई शराबी नशे में गिर गया होगा. वह उसे गौर से देखने लगा. वह व्यक्ति नाले में औंधे मुंह पड़ा था, लेकिन उस के शरीर में कोई हरकत नहीं दिखी तो उस ने अनुमान लगा लिया कि शायद इस की मौत हो चुकी है. उस ने अपना शक दूर करने के लिए दूर खड़े 2 व्यक्तियों को इशारे से अपने पास आने को कहा. वे दोनों व्यक्ति आपस में बातें कर रहे थे. इशारा मिलने पर वह उस व्यक्ति के पास आ गए.

”क्या आप हमें जानते हैं?’’ उन में से एक व्यक्ति ने पूछा.

”नहीं भाई, मैं आप दोनों को नहीं जानता. मुझे तो यहां नाले में पड़े इस युवक को देख कर संदेह हो रहा है कि वह युवक जीवित भी है या नहीं. आप देख कर बताएं.’’

नाले में मिली लाश

दोनों व्यक्ति नाले में देखने लगे. वहां पड़े युवक को देख कर वे घबरा गए. उन में से एक बोला, ”नूर, सरक ले यहां से. यह लाश है, यदि पुलिस आ गई तो बेकार के लफड़े में फंस जाएंगे हम लोग.’’

उस के साथ वाला व्यक्ति यह सुनते ही तेजी से एक तरफ चल पड़ा. उस के साथ वाला व्यक्ति उस के पीछे लपका. वहां खड़ा पहले वाला व्यक्ति जिम्मेदार नागरिक था. वह वहां से नहीं भागा, बल्कि उस ने जेब से मोबाइल निकाल कर वहां पड़ी लाश की सूचना दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. कंट्रोल रूम से उसे वहीं खड़े रहने को कह दिया गया. करीब आधा घंटा बाद पुलिस वैन वहां सायरन बजाती हुई आ गई. इस वैन में रूपनगर थाने के एसएचओ रमेश कौशिक थे. उन के साथ पुलिस के 5 कांस्टेबल भी थे. सभी सावधानी से नाले में उतर गए. वह लाश औंधे मुंह पड़ी थी, उसे सीधा करने से पहले उस लाश की बहुत बारीकी से जांच की गई.

पीठ की ओर उन्हें कोई जख्म नजर नहीं आया. इसी एंगल से उस की मोबाइल द्वारा फोटो खींची गईं, फिर उसे सीधा किया गया. यह कोई 40-45 साल का व्यक्ति था. उस के शरीर पर पैंटशर्ट थी. उस के चेहरे पर गौर से देखने पर खिंचाव महसूस हो रहा था. एसएचओ रमेश कौशिक को लगा कि वह व्यक्ति जान निकलते समय बहुत तड़पा है. ऐसा उस हाल में होता है जब किसी का गला घोंटा जाता है. सांसें रुकने से व्यक्ति छटपटाता है और तड़पते हुए उस के प्राण निकलते हैं. कौशिक ने उस आदमी के गले का निरीक्षण किया तो उन का अनुमान सही साबित हुआ. उस के गले पर दबाब के कारण लाल निशान पड़ गए थे, जो साफ दिखाई दे रहे थे.

लाश की जेबों की तलाशी ली गई तो उस की जेब में कुछ नहीं मिला. इस से अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या करने के बाद जेब से सारा सामान निकाल लिया गया है, ताकि कोई सुराग पुलिस के हाथ न आ पाए. रमेश कौशिक की सूचना पर नौर्थ डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी राजा बांठिया और एसीपी (सिविल लाइंस) विनीता त्यागी भी थोड़ी देर में मौके पर पहुंच गईं. उस से पहले एसएचओ रमेश कौशिक ने एक बार और मृतक की जेबें टटोलीं. हाथ की कलाई देखी, ताकि कोई गुदा हुआ नाम दिख जाए. लेकिन न जेबों में कुछ मिला, न उस की कलाई पर कुछ गुदा हुआ था.

नाले के ऊपर अब तक लाश की सूचना पा कर काफी लोग एकत्र हो गए थे. रमेश कौशिक ने ऊपर आ कर उन लोगों से लाश की पहचान करने को कहा, लेकिन किसी ने भी उस युवक को नहीं पहचाना. इस से यह अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या कहीं और कर के उसे यहां ला कर फेंक दिया गया है, इस क्षेत्र में इस आदमी की लाश को शायद ही कोई पहचान पाएगा. यह व्यक्ति इस क्षेत्र का नहीं है. काफी पूछताछ करने के बाद भी उस व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाई. उसी दौरान फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट की टीम भी वहां पहुंच चुकी थी. 2 फोटोग्राफर्स भी इस टीम में थे.

आते ही यह टीम अपने काम में लग गई. एसएचओ ने डीसीपी को बताया कि लाश की शिनाख्त नहीं हो पा रही है, लगता है इसे कहीं और मारा गया है. पहचान न हो, इसलिए इस की लाश को यहां ला कर नाले में फेंक दिया गया है.

”इंसपेक्टर कौशिक, लाश की पहचान तो आवश्यक है. अपराधी तक हम तभी पहुंचेंगे, जब इस की पहचान होगी.’’ डीसीपी गंभीर स्वर में बोले.

”जी सर.’’ एसएचओ ने सिर हिलाया, ”हम पूरी कोशिश कर रहे हैं.’’

डीसीपी बांठिया ने युवक की लाश का निरीक्षण किया. गले पर लाल निशान देख कर वह समझ गए थे कि इस की हत्या गला घोंट कर की गई है. वहां ऐसे सुराग नजर नहीं आ रहे थे, जिस से समझा जा सके कि इसे यहीं खत्म किया गया है. हत्या कहीं और कर के इस की लाश को यहां फेंक दिया गया है.

पूरा निरीक्षण कर लेने के बाद डीसीपी ने इंसपेक्टर कौशिक से कहा, ”मामला पेचीदा लग रहा है. मैं आप की हैल्प के लिए स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित को भी बुला लेता हूं.’’

”यह उचित रहेगा सर. स्पैशल स्टाफ के आने से यह केस आसानी से सौल्व हो जाएगा. आप रोहितजी को बुलवा लीजिए.’’

डीसीपी बांठिया ने स्पैशल स्टाफ (नौर्थ डिस्ट्रिक्ट) के इंसपेक्टर रोहित से बात की और पूरी बात बता कर उन्हें घटनास्थल पर बुला लिया. इंसपेक्टर रोहित अपनी टीम के साथ कुछ ही देर में वहां आ गए. उन की टीम ने युवक की लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. इंसपेक्टर रोहित ने फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट से बात कर के कुछ निर्देश दिए और इंसपेक्टर कौशिक को लाश पोस्टमार्टम हेतु हिंदूराव हौस्पिटल भेजने को कह दिया.

दिशानिर्देश दे कर डीसीपी और एसीपी भी घटनास्थल से चले गए. इंसपेक्टर कौशिक लाश का पंचनामा बनाने में जुट गए. यह काम पूरा होने तक स्पैशल स्टाफ वहां नहीं रुक सकता था, वे आगे की जांच के लिए वहां से निकल गए. इंसपेक्टर कौशिक ने लाश की शेष काररवाई निपटा कर पोस्टमार्टम के लिए हिंदूराव हौस्पिटल भेज दी और थाना रूपनगर लौट आए. यह केस बहुत पेचीदा था. मरने वाला व्यक्ति कौन है, उसे किस ने गला घोंट कर मारा, उस का कुसूर क्या था. इन सभी बातों का जवाब तभी मिल सकता था, जब उस की पहचान हो जाती. उस की लाश उस के परिजनों के लिए पोस्टमार्टम करवा कर सुरक्षित रखवा दी गई थी. अभी तक उस की पहचान नहीं हुई थी.

मृतक था दिल्ली का घोषित बदमाश

उस की पहचान करने के लिए इंसपेक्टर कौशिक और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन कोई सूत्र हाथ नहीं लग रहा था, लाश को ज्यादा दिनों तक रखा भी नहीं जा सकता था. पुलिस ने उस के शव की शिनाख्त के लिए पैंफ्लेट छपवा कर शक्ति नगर, रूपनगर और आसपास के क्षेत्र मे चस्पा कर दिए थे. अखबारों में भी शव की पहचान करने की अपील छपवाई गई, लेकिन कोई रिस्पौंस नहीं मिला. अब स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने आखिरी उपाय करने के लिए युवक के फिंगरप्रिंट्स को कमला मार्किट क्रिमिनल रिकौर्ड औफिस (सीआरओ) भेजा गया. आशा नहीं थी, यह उपाय कारगर सिद्ध होगा, लेकिन ऐसा करने से पुलिस को सफलता मिल गई. उस के फिंगरप्रिंट्स क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो में पहले से दर्ज फिंगरप्रिंट्स से मेल खा गए.

पहले वाले फिंगरप्रिंट्स सोनू नागर नाम के अपराधी के थे. यह युवक हौजकाजी थाने का घोषित बदमाश था और इस पर 10 से अधिक आपराधिक मामले कई थानों में दर्ज थे, विशेष कर हौजकाजी थाने में. यहां से उस के घर का एड्रैस मिल गया. यह युवक गुलाबी बाग, सीनियर सैकेंड्री गवर्नमेंट स्कूल के पास टाइप वन के क्वार्टर में रहता था. क्वार्टर का नंबर 570 था. इंसपेक्टर रमेश कौशिक और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर रोहित सारस्वत, मनोज कुमार और हैडकांस्टेबल जितेंद्र के साथ उस क्वार्टर पर पहुंच गए. क्वार्टर 570 में एक महिला मिली. इस का नाम सरिता था. उस की उम्र करीब 34 साल थी. दरवाजे पर पुलिस को देख कर उस के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया, किंतु तुरंत ही उस ने खुद को संभाल कर प्रश्न कर दिया, ”आप कोई अच्छी खबर ले कर आए हैं मेरे लिए.’’

इंसपेक्टर रोहित सारस्वत उस महिला के चेहरे पर नजरें जमाए हुए थे. पुलिस को सामने वाले के चेहरे के उतारचढ़ाव से उस की मनोस्थिति का अनुमान लगाना सिखाया जाता है. इंसपेक्टर रोहित मन ही मन मुसकराए. प्रत्यक्ष में वह चौंकने का अभिनय करते हुए बोले, ”अच्छी खबर! क्या तुम्हें उम्मीद थी कि पुलिस तुम्हारे दरवाजे पर अच्छी खबर ले कर आने वाली है?’’

”जी हां.’’ सरिता ने सिर हिलाया, ”मेरे पति कुछ दिनों से गुम हैं. मैं समझ रही हूं कि आप उन के बारे में अच्छी खबर ले कर आए हैं.’’

”तुम्हारे पति गुम हैं?’’ इंसपेक्टर ने चौंकते हुए कहा, ”क्या नाम है तुम्हारे पति का?’’

”सोनू… सोनू नागर पूरा नाम है जी.’’

”वह कब से लापता है?’’

”2 फरवरी की रात से.’’ सरिता ने बताया.

”क्या तुम ने सोनू नागर के गुम होने की सूचना लिखवाई है?’’

”हां साहब,’’ सरिता ने सिर हिलाया, ”मैं ने 7 फरवरी को थाना गुलाबी बाग में पति के गुम होने की सूचना लिखवा दी थी. वह 2 फरवरी की रात 10 बजे घर से गए थे, तब से वापस नहीं लौटे हैं. क्या वह आप को मिल गए हैं?’’

”मिले तो हैं लेकिन,’’ इंसपेक्टर रोहित ने बात अधूरी छोड़ दी.

”लेकिन क्या साहब, जल्दी बताइए… मेरा दिल बैठा जा रहा है.’’

”तुम्हारा पति अब इस दुनिया में नहीं रहा है, उस की डैडबौडी हमें शक्तिनगर में गंदे नाले के पास मिली है.’’

”ओहऽऽ नहींऽऽ’’ सरिता जोर से चीखी और दहाड़े मार कर रोने लगी.

उस की रोने की आवाज सुन कर अंदर से एक महिला निकल कर बाहर आ गई. सरिता को रोती देख कर उस ने घबरा कर पूछा, ”क्या हुआ बहू, तू रो क्यों रही है?’’

”मांजी हम लुट गए, बरबाद हो गए. पुलिस को तुम्हारे बेटे की लाश मिल गई है.’’ सरिता ने रोते हुए बताया.

वह महिला भी रोने लगी. पुलिस ने उन का मन हलका होने दिया. फिर सरिता को टोका, ”हमें सोनू नागर की हत्या की जांच करनी है. तुम हमारे साथ थाने चलो, वहीं तुम से कुछ बात करनी है.’’

”चलिए साहब. अब तो यही सब होगा, मेरा पति जान से गया है. मुझे अन्य सभी टोकेंगे.’’

पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया कि वह क्या बोल रही है. वह तो दोनों को ले कर थाने में आ गए. सरिता की सास का नाम मिथिलेश था. फिलहाल उन दोनों का रोनाधोना थम गया था. इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने सरिता से पूछा, ”2 फरवरी की रात को तुम्हारा पति सोनू नागर घर से गया तो क्या वह तुम्हें कुछ बता कर गया था?’’

”सिर्फ इतना कहा था साहब, मैं बाहर ही हूं, इन से बात कर के मैं आ रहा हूं. फिर वह उन दोनों व्यक्तियों के साथ बाहर चले गए थे. तब से उन का कुछ पता नहीं चल रहा था.’’

”वह 2 व्यक्ति आखिर कौन थे

जिन के साथ तुम्हारे पति सोनू नागर बाहर

गए थे?’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने पूछा.

”मैं उन्हें नहीं जानती. वे दोनों साढ़े 11 बजे बाइक से मेरे घर आए थे. उन से मेरे पति की कुछ बातें हुईं. क्या बातें हुईं, यह मैं नहीं सुन सकी. मेरे पति उन के साथ घर से निकलते हुए इतना ही बोले कि मैं थोड़ी देर में वापस आ रहा हूं. लेकिन काफी देर बीत जाने पर भी वह नहीं लौटे तो मुझे चिंता होने लगी. मैं ने उन्हें फोन लगाया, लेकिन उस वक्त उन की काल नहीं लगी. यह सोच कर कि वह किसी काम में उलझ गए होंगे, मैं सो गई थी.’’

”फिर अगले दिन तुम्हारे पति नहीं लौटे तो क्या तुम ने उन्हें तलाश करने की जरूरत नहीं समझी?’’ सारस्वत ने प्रश्न किया.

”दूसरे दिन मैं ने उन्हें तलाश किया था साहब. दोस्तों, रिश्तेदारी सब जगह तलाश किया था, लेकिन वह नहीं मिले.’’ सरिता ने बताया, ”उन को 2-4 दिन और ढूंढा, फिर हार कर गुलाबी बाग थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी.’’

”वह 2 व्यक्ति दिखने में कैसे लग रहे थे?’’ इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने पूछा.

”उन की उम्र 35-40 के बीच की थी. रंग सांवला था. सामान्य कदकाठी के थे. एक के सिर पर ब्लैक कलर की कैप थी, जिस के हेड पर क्करू्र लिखा था.’’

”हूं, तुम मोबाइल इस्तेमाल करती हो?’’ कौशिक ने प्रश्न किया.

”जी हां.’’ सरिता ने कह कर अपना मोबाइल दिखाया.

मोबाइल फोन में मिले अहम सबूत

इंसपेक्टर कौशिक ने वह मोबाइल ले लिया और बाहर निकल गए. बाहर आ कर उन्होंने मोबाइल से की गई काल लिस्ट देखी, उस में काफी नंबर थे. इंसपेक्टर ने 2 और 3 तारीख की आउटगोइंग काल्स देखी. वह चौंक पड़े. 2 फरवरी की रात को सरिता की ओर से 12 बजे रात को किसी एक नंबर पर फोन किया गया था. वही नंबर बाद में भी था. यानी सरिता ने उस नंबर पर रात में 3-4 बार अलगअलग समय पर काल कर के काफी देरदेर तक बातें की थी.

इंसपेक्टर रमेश कौशिक के चेहरे पर कुटिल मुसकान तैर गई. वह अंदर आ गए और सरिता से बोले, ”तुम्हारा मोबाइल हम कस्टडी में ले रहे हैं. इस की जांच करनी है हमें.’’

”ज…जी, मेरे फोन में ऐसा क्या है साहब,’’ सरिता अचकचा कर बोली.

”वह बाद में मालूम हो जाएगा. तुम यह बताओ, यह सोनू नागर तुम्हारी जिंदगी में कैसे आया? यह तो यहां के हौजकाजी थाने का घोषित अपराधी था. इस पर 10 अपाराधिक मामले दर्ज हैं.’’

सरिता ने नीचे सिर झुका लिया. कुछ देर वह खामोश रही, फिर एक गहरी सांस भर कर वह बोली, ”साहब, मेरा नाम सरिता है. मेरी शादी पहले किसी और से हुई थी. उस से मुझे एक लड़की और एक लड़का हुआ. मेरा पति तीस हजारी कोर्ट के पास पान की दुकान लगाता था. यहां पर सोनू नागर आताजाता रहता था. यहीं से मैं सोनू नागर को जानने लगी.

”अभी 8 महीने पहले मेरे पति की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई. तब सोनू मेरी मदद के लिए आगे आया. मैं उस के अहसान तले दब गई और उस के सहारे रहने लगी. फिर मैं ने उस से शादी कर ली. नियति को मुझ से न जाने क्या नाराजगी है, उस ने मेरा यह दूसरा पति भी मुझ से छीन लिया.’’ कहतेकहते सरिता भावुक हो गई और रोने लगी.

”अपने आप को संभालो और घर जाओ, जरूरत पड़ी तो बुलवा लेंगे.’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने उस से कहा और उठ कर खड़े हो गए.

सरिता अपनी सास के साथ थाने से बाहर निकल गई. उन के जाने के बाद इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने कहा, ”मुझे सरिता पर संदेह है. इस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाइए. इस ने पति के लापता होने वाली रात यानी 2 फरवरी को रात में 3-4 बार एक ही नंबर पर बातें की थीं. मालूम करना है वह नंबर किस का और क्या सरिता पहले भी इस नंबर के संपर्क में रही है?’’

इंसपेक्टर सारस्वत ने हैडकांस्टेबल जितेंद्र कुमार को मोबाइल दे दिया और जनवरीफरवरी माह की तमाम काल डिटेल्स निकलवा कर लाने का आदेश दे दिया. अगले दिन उन की टेबल पर सरिता के मोबाइल की जनवरी-फरवरी माह की काल डिटेल्स रखी थी. उस को बहुत बारीकी से देखा गया. सरिता द्वारा एक नंबर पर जनवरी फरवरी माह की 10 तारीख तक कईकई बार बातें की गई थीं. इस नंबर की फोन प्रदाता कंपनी से जांच की गई तो यह नंबर पंजाब के किसी बग्गा सिंह नाम के व्यक्ति का निकला. उस का एड्रैस भी मिल गया. यह था गांव लांबी, जिला श्रीमुक्तसर साहिब, पंजाब. इस के बाद गुप्तरूप से सोनू नागर के घर गुलाबी बाग के आसपास इस नंबर की जांच की गई तो पुलिस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. 2 फरवरी की रात साढ़े 11 बजे से 12 बजे तक इस नंबर की लोकेशन वहां थी.

इस तरह सरिता ने खोला राज

यह विश्वास हो जाने के बाद कि बग्गा सिंह का सोनू नागर की हत्या में कोई न कोई रोल है, श्रीमुक्तसर साहिब जा कर बग्गा सिंह को घर से उठा लिया गया. उसे दिल्ली लाया गया. थाने में जब 19 वर्षीय बग्गा सिंह से सरिता से संबंध के विषय में पूछा गया तो पहले वह किसी सरिता को पहचानने से इंकार करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो वह कांपते हुए बोला, ”साहब, मैं सरिता को पहचानता हूं. उस से मेरी मुलाकात एक महीने पहले भटिंडा में हुई थी.’’

”सरिता वहां क्या करने गई थी?’’ इंसपेक्टर रोहित सारस्वत ने पूछा.

”वहां उस की बहन रहती है.’’

”हूं.’’ इंसपेक्टर ने सिर हिलाया, ”सरिता तुम से किस मकसद से मिली थी?’’

”साहब, वह मुझ से अपने पति का खून करवाना चाहती थी.’’ बग्गा सिंह ने चौंकाने वाला खुलासा किया.

”ओह!’’ इंसपेक्टर हैरानी से बोले, ”यानी सरिता अपने पति सोनू नागर की हत्या तुम से करवाना चाहती थी.’’

”जी साहब.’’ बग्गा ने सिर हिलाया.

”इस सुपारी की तुम्हें कितनी रकम मिली बग्गाï?’’

”डेढ़ लाख रुपए में यह सौदा हुआ था. सरिता ने 50 हजार रुपए पेशगी दी थी.’’

”पेशगी लेने के बाद तुम ने सोनू की हत्या कैसे की, अब यह भी बता दो हमें.’’ बग्गा के चेहरे पर नजरें जमा कर इंसपेक्टर रमेश कौशिक ने पूछा.

”साहब, मेरा एक दोस्त है गुरमीत, वह भी सुपारी किलर है. मैं ने उसे फोन कर के 2 फरवरी को दिल्ली पहुंचने को कहा. मैं भी दिल्ली आ गया. हम कश्मीरी गेट बस अड्ïडा पर मिले, वहां से एक होटल में ठहर गए. सरिता से संपर्क कर के हम ने उसे बता दिया कि हम दिल्ली आ गए हैं. सरिता ने हमें सोनू नागर का काम तमाम करने के लिए रात को आने को कहा. हम ने दिन में ही सरिता के मकान की रेकी कर ली थी और रात को साढ़े 11 बजे हर ओर सन्नाटा होने पर उस के दरवाजे पर पहुंच गए.

”सरिता ने चुपके से घर का कुंडी खोल दी. हम दबे पांव अंदर घुसे. सोनू नागर उस वक्त सो चुका था. हम ने सोते हुए सोनू नागर को दबोच लिया. सरिता ने पांव पकड़े. गुरमीत ने सोनू नागर के हाथ पकड़े. मैं ने छाती पर चढ़ कर सोनू की गरदन दबा कर उस की हत्या कर दी.

”सोनू नागर की हत्या करने के बाद उस की लाश को हम ने बाइक पर बीच में इस तरह बिठा लिया, जैसे वह जीवित हो और हम कहीं जा रहे हों. हम सोनू की लाश ले कर शक्ति नगर के एरिया में आए और सुनसान पड़े नाले में इस लाश को फेंक दिया. इस के बाद सरिता को सब बता कर हम होटल चले गए. अगले दिन हम सरिता से रुपए ले कर श्रीमुक्तसर साहिब गुरमीत के घर आ गए.’’

बग्गा सिंह का यह बयान कलमबद्ध कर लिया गया. सरिता को पकड़ कर थाने लाने के लिए इंसपेक्टर रमेश कौशिक अपनी पुलिस टीम के साथ गुलाबी बाग पहुंच गए. सरिता घर में ही थी. उसे महिला पुलिस ने पकड़ कर पुलिस की गाड़ी में बिठा लिया. सरिता चिल्लाई, ”मुझे इस तरह पकड़ कर पुलिस की गाड़ी में क्यों बिठाया गया है? इंसपेक्टर साहब, यह कैसी बेहूदगी है?’’

”बेहूदगी कहां है सरिताजी, हम तो तुम्हें थाने ले जा रहे हैं, वहां हम ने तुम्हारे पति के कातिल को पकड़ कर बिठा लिया है. तुम्हें वही दिखाने ले जा रहे हैं.’’ इसपेक्टर कौशिक ने मुसकरा कर कहा. सरिता यह सुन कर खामोश बैठ गई.

थाने में उसे जब बग्गा सिंह के सामने ला कर खड़ा किया गया तो उस के चेहरे का रंग उड़ गया, वह धम्म से कुरसी पर बैठ गई. सरिता ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. पूछताछ में उस ने कहा कि पहले पति की मौत के बाद उस की जिंदगी में सोनू नागर आ गया. कुछ दिनों तक वह सोनू नागर के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रही, फिर उस से शादी कर ली. शादी के बाद उसे मालूम हुआ कि सोनू नागर अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है, उस की नजर उस की दुकान और मकान पर थी. वह उन्हें बेचने के चक्कर में था.

उस ने मेरी बेटी, जो स्कूल में पढ़ती थी, उस की इज्जत पर भी हाथ डाला. मैं सोनू से डरती थी, इसलिए खून का घूंट पी कर रह गई. सोनू मुझ से गालीगलौज और मारपीट भी करने लगा था. मुझे यह भी लगा कि मेरी जायदाद के लिए वह मेरी हत्या कर सकता है, इसलिए तंग आ कर मैं ने बग्गा सिंह को उस के कत्ल की सुपारी डेढ़ लाख रुपए में दे दी.

बग्गा ने अपने साथी गुरमीत के साथ

सोनू की हत्या 2 फरवरी, 2025 की रात को कर दी और लाश शक्ति नगर ले जा कर नाले में फेंक दी, जो 3 फरवरी को रूपनगर पुलिस को मिली थी. सरिता के इकबालिया बयान के बाद इस अपराध को भारतीय न्याय संहिता की धारा-103(1) के तहत सरिता और सुपारी किलर बग्गा सिंह को सक्षम न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. गुरमीत को पकडऩे के लिए पुलिस टीम श्री मुक्तसर साहिब में छापेमारी करने गई तो वह फरार हो गया था. कथा लिखे जाने तक वह पुलिस के हाथ नहीं आया था.

 

 

Crime News : डब्ल्यूटीसी और भूटानी ग्रुप ने लोगों के हड़पे कई सौ करोड़

Crime News : शहर में अपनी छत, अपना घर हर इंसान का सपना होता है. इसीलिए पिछले 2 दशकों में लोगों के इस सपने को पूरा करने के लिए देश भर में बिल्डरों, रियल एस्टेट ग्रुप्स और डेवलपर्स की बाढ़ आ गई है. इन में कुछ ईमानदारी से काम करते हैं तो कुछ जनता के सपने पूरा करने का सपना दिखा कर उन के खूनपसीने की कमाई पर डाका डालते हैं. कुछ रियल एस्टेट ग्रुप्स ने आशियाने का ख्वाब दिखा कर लोगों की जेब से सैकड़ों करोड़ रुपए इतनी आसानी से निकाल लिए कि…

रियल एस्टेट के ये ग्रुप इतने चतुर होते हैं कि वे जनता के पैसे का ही इस्तेमाल कर उन की अपनी संपत्ति का मालिक बनाने के ऐसे सपने दिखाते हैं, जो कभी पूरा ही नहीं होता. अपनी संपत्ति का सपना दिखाने वाले लोगों को बताते हैं कि वे अगर उन के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में पैसा लगाएंगे तो कुछ समय बाद उन्हें अच्छा रिटर्न मिलेगा. यानी प्रोजेक्ट के लिए एडवांस में एक निश्चित रकम निवेश करने के बाद जब वे अपनी संपत्ति के मालिक बनेंगे तो उस की कीमत कई गुना बढ़ जाएगी. अपनी संपत्ति होने का रंगीन सपना देखने वाले ये लोग भूल जाते हैं कि रियल एस्टेट कई तरह के घोटालों से भरा हुआ उद्योग है.

रियल एस्टेट में जुड़े धोखेबाज कई तरह झूठे वादे कर के खरीदारों, विक्रेताओं और निवेशकों का शोषण करते हैं, जिस से वे अपनी खूनपसीने की कमाई गंवा देते हैं और कानूनी परेशानियों का सामना करने लगते हैं. अपना घर, दुकान या औफिस के लिए निवेश करते समय रियल एस्टेट से जुड़े लोग कई प्रोजेक्ट लांच होने से पहले ही रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश कर देते हैं, ताकि उन्हें अच्छा रिटर्न मिल सके. लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट्स में डेवलपर या तो समय पर काम पूरा नहीं कर पाते या फिर प्रोजेक्ट को पूरी तरह से छोड़ देते हैं, जिस से खरीदार वित्तीय संकट में फंस जाते हैं.

कोविड से ठीक पहले की बात है. दिल्लीएनसीआर में ऐसे कई रियल एस्टेट डेवलपर्स थे, जिन्होंने बहुत सारे प्रोजेक्ट लांच किए, लेकिन उन में से कई बहुत देरी से ग्राहकों को डिलीवर हुए तो कई डिलीवर ही नहीं हुए. इस बीच में कुछ रियल एस्टेट कंपनियां ऐसी आईं, जिन्होंने ग्राहकों के इस भरोसे को फिर से जीतने का काम किया. तभी कोविड के बाद रियल एस्टेट की डिमांड भी बढ़ी तो इन का नाम भरोसे की पहचान बन गया. इन्हीं में से 2 नाम वल्र्ड ट्रेड सेंटर्स और भूटानी इंफ्रा थे. लेकिन अचानक ये दोनों रियल एस्टेट ग्रुप और डेवलपर्स ईडी जांच एजेंसी और इनकम टैक्स विभाग के निशाने पर आ गए.

इसी साल मार्च के पहले हफ्ते में देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों में अपना आशियाना खरीदने की चाहत रखने वाले सैकड़ों लोगों के साथ धोखाधड़ी कर उन के सपनों को तारतार करने वाली कंपनियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने ताबड़तोड़ ऐक्शन लिया. ईडी ने रियल एस्टेट सेक्टर की 2 नामी कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस से दिल्ली से ले कर नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद तक में हड़कंप मच गया.

इस काररवाई से हजारों करोड़ की संपत्तियों का पता चला है. इस के अलावा बड़ी संख्या में संवेदनशील दस्तावेज भी बरामद किए गए. ये कंपनियां घर खरीदारों और निवेशकों के पैसों पर कुंडली मार कर बैठ गई थीं. 10 साल से भी ज्यादा का समय होने के बावजूद न तो घर दिए गए और न ही वादे के अनुसार प्लौट ही सौंपे गए.

ईडी ने क्यों की कई ग्रुप्स के खिलाफ काररवाई

ईडी ने रियल्टी फर्म डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप के खिलाफ दिल्लीएनसीआर में छापेमारी के बाद हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति की पहचान की. दरअसल, ईडी ने 27 फरवरी को दिल्ली, नोएडा (उत्तर प्रदेश), फरीदाबाद और गुरुग्राम (दोनों हरियाणा में) में एक दरजन स्थानों पर डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भल्ला और भूटानी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भूटानी के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामले के तहत छापेमारी की.

ईडी ने यह काररवाई दिल्ली पुलिस की इकोनौमिक आफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) और फरीदाबाद पुलिस द्वारा डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उस के प्रमोटर आशीष भल्ला, सुपर्णा भल्ला, अभिजीत भल्ला और भूटानी इंफ्रा और अन्य के खिलाफ दर्ज कथित धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और सैकड़ों घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में हुई दरजनों एफआईआर के आधार पर की.

दूसरी बार छापेमारी मार्च के पहले सप्ताह में की गई. छापेमारी की काररवाई और पड़ताल के बाद ईडी ने डब्ल्यूटीसी ग्रुप के प्रमोटर आशीष भल्ला को गिरफ्तार कर लिया. इस पर करोड़ों रुपए के फ्रौड के आरोप हैं. नोएडा में डब्ल्यूटीसी के करीब आधा दरजन प्रोजेक्ट अभी अंडर कंस्ट्रक्शन में हैं. ईडी ने कंपनी के अकाउंट, एफडी को फ्रीज कर लिया.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, रियल्टी फर्म के खिलाफ सैकड़ों घर खरीदारों और इनवेस्टर्स ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन से पैसे तो ले लिए गए, लेकिन घर, दुकान, औफिस व प्लौट अब तक नहीं दिए गए. इस के आधार पर ही ईडी ने मामला दर्ज किया था. अब आगे की काररवाई की जा रही है. हालांकि भूटानी इंफ्रा ने छापे के बाद कहा था कि उस ने हाल ही में डब्ल्यूटीसी ग्रुप के साथ अपने सभी संबंध तोड़ लिए हैं और अब वह जांच में ईडी के साथ पूरा सहयोग कर रहा है.

पुलिस एफआईआर में साफ लिखा है कि डब्ल्यूटीसी फरीदाबाद इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और उस के प्रमोटरों ने शहर के सेक्टर 111-114 में रेजिडेंशियल प्लौट के लिए अपने प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए आम जनता को प्रलोभन दिया था. इस में कहा गया कि प्रमोटरों/निदेशकों ने एक आपराधिक साजिश रची और निर्धारित समय के भीतर परियोजना को पूरा न कर के और 10 साल से अधिक समय तक भूखंडों की डिलीवरी न कर के प्लौट खरीदारों की गाढ़ी कमाई को हड़प लिया.

निवेशकों की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि भूटानी इंफ्रा समूह ने डब्ल्यूटीसी समूह का अधिग्रहण कर लिया और फरीदाबाद सेक्टर 111-114 में प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया, जिस से प्लौट खरीदारों को अंधेरे में रखा गया है और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है. उन्हें अपनी यूनिट्स सरेंडर करने के लिए लुभाया गया है. ईडी को छापेमारी में दिल्लीएनसीआर में 15 प्रोजेक्ट के खिलाफ विभिन्न निवेशकों से 3,500 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली से संबंधित दस्तावेज मिले हैं. हालांकि, ईडी ने यह नहीं बताया कि ये दस्तावेज कहां से बरामद किए गए.

डब्ल्यूटीसी ग्रुप द्वारा शुरू की जा रही 15 प्रमुख परियोजनाओं में से बहुत कम की डिलीवरी दी गई है, जो एक सुनियोजित पोंजी स्कीम और अन्य संस्थाओं के नाम पर संपत्ति बनाने और विदेशों में धन की हेराफेरी का संकेत देती है. सिंगापुर और अमेरिका भी पैसा भेजे जाने के सबूत मिलने के दावे किए गए हैं. ईडी की काररवाई चल ही रही थी कि इनकम टैक्स अधिकारियों ने भी 4 से 10 मार्च के बीच कोलकाता के 2, गुडग़ांव के 2, गाजियाबाद के 5, दिल्ली के 4, नोएडा के 12  बिल्डरों समेत 40 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर के रियल एस्टेट वालों की नींद उड़ा दी.

इनकम टैक्स के 100 से अधिक अफसरों ने छापेमारी के बाद बरामद दस्तावेजों के आधार पर पूरा ब्यौरा खंगाला. कई सौ करोड़ के कैश और 50 करोड़ के गलत लेनदेन की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हाथ लगी है. पता चला कि इन बिल्डरों ने कामर्शियल प्रौपर्टी में 40 फीसदी नकद खपाया था. बड़े स्तर पर टैक्स चोरी के इनपुट के चलते छापेमारी को आगे बढ़ाया गया.

इनकम टैक्स विभाग भी आया हरकत में

इनकम टैक्स अधिकारियों की पूछताछ और दस्तावेजों की छानबीन में भूटानी और 108 ग्रुप के काले कारनामों को भी इनकम टैक्स टीम ने उजागर किया. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम ने इस छापेमारी के दौरान 2 हजार करोड़ लोन में खेल का खुलासा किया. लौजिक्स, एडवेंट और ग्रुप 108 बिल्डर समेत 2 ब्रोकर कंपनियों के यहां भी रेड डाली गई थी. ये ग्रुप कैश में प्रोजेक्ट बेचते थे. लौजिक्स ग्रुप ने इंडिया बुल्स से करीब 2000 करोड़ का लोन लिया. इस लोन के बाद उस ने नोएडा में 5 से 6 प्लौट लिए. ये प्लौट औफिस कामर्शियल स्पेस के लिए थे. यहां निर्माण शुरू किया गया, लेकिन आधेअधूरे निर्माण के बाद लौजिक्स ने काम बंद कर दिया.

उधर लगातार इंडिया बुल्स की ओर से लोन जमा करने का प्रेशर बना, जिस के चलते लौजिक्स ने भूटानी ग्रुप के साथ एक एग्रीमेंट साइन किया, जिस के तहत भूटानी ग्रुप इन का कामर्शियल स्पेस बनाएगा और बेचेगा. धीरेधीरे लोन के पैसे लौजिक्स को देगा. हुआ भी ऐसा ही. लेकिन यहां अधिकतर खेल टैक्स चोरी कर किया गया. दरअसल, डेढ़ साल पहले फरवरी 2022 में इनकम टैक्स विभाग को पहला इनपुट मिला था. इस के बाद उन्होंने दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया. इस दौरान उन्हें जानकारी मिली कि भूटानी ग्रुप 2 भागों में बंट गया.

पहला भूटानी इंफ्रा और दूसरा ग्रुप 108. इन का पैसा भी इस कामर्शियल स्पेस में लगा. इसी तरह एडवंट बिल्डर भी पहले भूटानी के साथ कोलेबोरेशन में काम करता था. उस का पैसा भी इस में लगा है. इसीलिए इन चारों बिल्डरों पर भी एक साथ रेड की गई है. कामर्शियल स्पेस बेचने में टैक्स चोरी का पूरा खेल बेहद दिलचस्प तरीके से अंजाम दिया गया. इस फरजीवाड़े में 40 प्रतिशत कैश लिया जाता था. यह पूरा खेल लौजिक्स ग्रुप के कामर्शियल प्लौट स्पेस को बेचने को ले कर किया गया. लौजिक्स ने इस के लिए भूटानी ग्रुप से इंटरनल एग्रीमेंट किया, जिस के तहत भूटानी ने इस स्पेस को बेचना शुरू किया. यहां अधिकांश पैसा ब्लैक में खपाया गया.

प्लौट को बेचने में 40 प्रतिशत तक की धनराशि कैश में ली गई. इस के न कोई पक्के दस्तावेज होते थे और न ही कोई लीगल डाक्यूमेंट. इसी कामर्शियल स्पेस में नामीगिरामी लोगों ने अपना ब्लैक मनी भूटानी ग्रुप में खपाया.

डब्ल्यूटीसी से हुई घपले की शुरुआत

इस घपले की शुरुआत होती है डब्ल्यूटीसी यानी वल्र्ड ट्रेड सेंटर्स कंपनी से. डब्ल्यूटीसी समूह एक रियल एस्टेट कंपनी है, जो दिल्ली एनसीआर में कई परियोजनाओं पर काम करती थी. इस के कर्ताधर्ता हैं आशीष भल्ला, जो एक आदतन अपराधी है. आशीष भल्ला का काम करने का तरीका यह है कि वह डब्ल्यूटीसी एसोसिएशन यूएसए से फ्रेंचाइजी लेता है. मुख्य रूप से भारत में इनवैस्टर क्लिनिक और विदेशों में स्क्वायर यार्ड और उन के विभिन्न बिक्री एजेंटों के माध्यम से प्रोजेक्ट बेचता है. इन प्रौपर्टी एजेंट्स के माध्यम से डब्ल्यूटीसी नोएडा के प्रोजेक्ट को डब्ल्यूटीसी यूएसए परियोजनाओं का बता कर बेचा जाता है. इस के बाद फिर खरीदारों से भारी प्रीमियम लिया जाता है.

डब्ल्यूटीसी नोएडा प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले हजारों बायर्स ने अपनी जीवन भर की जमापूंजी डब्ल्यूटीसी के प्रोजेक्ट में लगाई,  लेकिन अब भी वे अपने निवेश पर ठगे महसूस कर रहे हैं. डब्ल्यूटीसी नोएडा के डायरेक्टर आशीष भल्ला ने लगभग 5 हजार करोड़ रुपए और 20 हजार से अधिक खरीदारों और निवेशकों को धोखा दिया है. बायर्स ने विभिन्न प्रोजेक्ट्स जैसे टेक-1 और 2, 1डी, 1ई, सिग्नेचर टेक जोन, प्लाजा, क्वाड, क्यूबिक और रिवरसाइड रेजिडेंसी में निवेश करने वालों को अब तक उन का हक नहीं मिला है.

बायर्स अब तक 13 से अधिक विरोध प्रदर्शन और प्रैस कौन्फ्रेंस कर चुके हैं. उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों और नेताओं से भी संपर्क किया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. बायर्स ने रेरा, उपभोक्ता अदालतों, हाईकोर्ट और एनसीएलटी सहित कई जगहों पर शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन अब तक कोई ठोस काररवाई नहीं हुई थी. नोएडा प्रशासन और अन्य सरकारी एजेंसियां भी जिम्मेदारी लेने से बचती रहीं. बायर्स को 27 से अधिक मामलों की सुनवाई के बावजूद कोई राहत नहीं मिली.

बायर्स ने डब्ल्यूटीसी नोएडा व आशीष भल्ला के खिलाफ विभिन्न भारतीय अदालतों में कई कानूनी मामले दर्ज कराए थे. दरअसल, इस प्रोजेक्ट में भूटानी ग्रुप द्वारा शेयर खरीद कर एक और बड़े फ्राड को अंजाम देने की भूमिका तैयार की जा रही थी. भूटानी डब्ल्यूटीसी नोएडा परियोजना को भूटानी अल्फातम परियोजना में बदलने की पेशकश करने लगा. डब्ल्यूटीसी नोएडा आशीष भल्ला प्रौपर्टी एजेंटों को भारी कमीशन देता था. हकीकत यह थी कि डब्ल्यूटीसी यूएसए का नोएडा डब्ल्यूटीसी से कोई संबध था ही नहीं. डब्ल्यूटीसी यूएसए ने कभी आशीष भल्ला को अपना नाम इस्तेमाल करने या उन की कंपनी से संबध जोडऩे की अनुमति नहीं दी थी.

जब डब्ल्यूटीसी नोएडा की धोखाधडिय़ों के बारे में उन के बायर्स ने डब्ल्यूटीसी यूएसए के साथ पत्राचार कर उस के कारनामों के बारे में शिकायत की तो यूएसए की कंपनी ने साफ कर दिया कि उन की डब्ल्यूटीसी नोएडा में कोई जिम्मेदारी नहीं है. बायर्स ने जब 2 कदम आगे बढ़ा कर कारपोरेट मामलों के मंत्रालय में छानबीन की तो पता चला कि डब्ल्यूटीसीए यूएसए और डब्ल्यूटीसी नोएडा (वेरिडन रेड) के बीच कोई संबंध नहीं है. इस के बाद साफ हो गया कि आशीष भल्ला आदतन अपराधी होने के कारण ही कभी भी अपना कोई प्रोजेक्ट पूरा नहीं करता है और खरीदारों का सारा पैसा अपनी शेल कंपनियों में जमा कर देता है.

भूटानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट में शेयर खरीद कर एक और बड़ा घोटाला किया. भूटानी ग्रुप, डब्ल्यूटीसी नोएडा को भूटानी अल्फातम प्रोजेक्ट में बदलने का प्रयास करने लगी और बाजार दर से अधिक कीमत वसूलने की योजना बनाई. आयकर विभाग की काररवाई से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने डब्ल्यूटीसी नोएडा और आशीष भल्ला-भूटानी ग्रुप के 12 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिस में 3,500 करोड़ रुपए के अवैध दस्तावेज बरामद हुए थे. सिंगापुर में फंड ट्रांसफर का खुलासा हुआ. मनी लांड्रिंग की इसी जांच के लिए ईडी ने आशीष भल्ला को गिरफ्तार कर 7 दिनों के रिमांड पर भी लिया.

आशियाने के लिए दरदर भटक रहे हैं लोग

डब्ल्यूटीसी में इनवैस्ट करने वालों की अपनीअपनी कहानियां है. एक बायर सुजीत सिंह ने साल 2018 में डब्ल्यूटीसी बिल्डर के यहां लाखों रुपए इनवैस्ट किया था. लेकिन कुछ समय बाद उन्हें अपना पैसा डूबता हुआ नजर आ रहा था, लेकिन भूटानी के आने से अब उन्हें थोड़ी राहत मिलती दिखी. क्योंकि भूटानी ने उन से कहा कि आप हमारी कुछ शर्तों पर फार्म भर दीजिए, जिस के बाद अधिकांश बायर्स ने नई शर्तों के साथ फार्म भर दिए. उन्हें उम्मीद थी कि उन की यूनिट मिल जाएगी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका तो बायर्स ने फिर सरकार से गुहार लगाई और भूटानी बिल्डर से भी कहा कि जल्द से जल्द उन के औफिस बना कर पजेशन दिए जाएं.

एक अन्य बायर तरुण रावत का भी यही दर्द है, उन्होंने बताया कि दुबई से उन के भाई ने डब्ल्यूटीसी में लाखों रुपए इनवैस्ट किया था. अब वे काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. प्रोजेक्ट भूटानी में शिफ्ट होने के बाद उम्मीद थी कि भूटानी जल्द से जल्द उन की यूनिट बना कर देंगे. लेकिन उन्होंने भी धोखा दे दिया. डब्ल्यूटीसी के साथ वित्तीय या परिचालन संबंधों के आरोपों के जवाब में, भूटानी इंफ्रा ने एक बयान जारी कर विवादास्पद रियल एस्टेट समूह से भूमि या फंड ट्रांसफर में किसी भी तरह की संलिप्तता से साफ इनकार किया. कंपनी ने स्पष्ट किया कि डब्ल्यूटीसी के साथ अपने संक्षिप्त जुड़ाव के दौरान भूटानी इंफ्रा को कोई भूमि या फंड ट्रांसफर नहीं किया गया, जिस में भूटानी इंफ्रा या उस के निदेशकों को भूमिधारक कंपनियों में कोई शेयर ट्रांसफर शामिल है.

भूटानी इंफ्रा ने कहा कि उस ने जुलाई, 2024 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के 6 महीने बाद फरवरी, 2025 में डब्ल्यूटीसी समूह के साथ अपने संबंध पूरी तरह से तोड़ लिए थे. कंपनी ने इस बात पर जोर दिया कि उस का डब्ल्यूटीसी से कोई वित्तीय या परिचालन संबंध नहीं है और इस के विपरीत कोई भी सुझाव गलत और धोखे से भरे हुए हैं. डब्ल्यूटीसी से संबंधित कोई दायित्व न होने के बावजूद भूटानी इंफ्रा ने कहा कि वह चल रही जांच में ईडी के साथ पूरा सहयोग करते हुए संकटग्रस्त ग्राहकों को सहायता और मार्गदर्शन दे रही है.

इस बीच, वल्र्ड  ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन के तत्त्वावधान में हजारों घर खरीदार और निवेशक आशीष भल्ला और डब्ल्यूटीसी  नोएडा डेवलपमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े भारत के सब से बड़े रियल एस्टेट धोखाधड़ी में तत्काल सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. 4 राज्यों— उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व गुजरात और 17 परियोजनाओं में फैले इस घोटाले ने 20,000 से अधिक खरीदारों को अधूरे विकास और हजारों करोड़ रुपए के वित्तीय नुकसान के साथ फंसा दिया है.

आखिर निवेशकों को क्यों नहीं मिल रहा न्याय

वल्र्ड ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन का कहना है कि निवेशकों से धोखाधड़ी गतिविधियों के पर्याप्त सबूतों के बावजूद, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) और उपभोक्ता मंचों जैसे नियामक निकाय प्रभावी काररवाई करने में विफल रहे हैं,  जिस से निवेशकों के पास कोई सहारा नहीं बचा है. सब से बड़ी विफलता गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की है, जहां कंपनी अधिनियम की धारा 241 के तहत एक आपातकालीन आवेदन 28 महीने से अधिक समय से अनसुलझा है.

एसोसिएशन का दावा है कि 24 जुलाई, 2022 को उस ने वल्र्ड ट्रेड कस्टमर एसोसिएशन नोएडा डेवलपमेंट कंपनी के खिलाफ एसएफआईओ को एक व्यापक शिकायत प्रस्तुत की, जिस में धोखाधड़ी वाली सुनिश्चित रिटर्न योजनाओं से जुड़े बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ. जवाब में एसएफआईओ ने 29 सितंबर, 2022 को एनसीएलटी के साथ एक आवेदन (सीपी-156/2022) दायर किया, जिस में गंभीर कुप्रबंधन और धोखाधड़ी गतिविधियों के कारण कंपनी के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप की मांग की गई.

डब्ल्यूटीसीए का आरोप है, ‘हालांकि, एक आपातकालीन प्रावधान होने के बावजूद, मामले में बारबार देरी हुई है. 28 महीनों में 29 सुनवाई के बाद भी कोई खास प्रगति नहीं हुई है. प्रत्येक सुनवाई एसएफआईओ के कानूनी प्रतिनिधियों या अभियुक्तों के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के कारण रुकी हुई है, जिस से सिस्टम में हेरफेर करने और जवाबदेही से बचने के लिए धोखेबाजों द्वारा संभावित हस्तक्षेप के बारे में चिंता बढ़ रही है.’

डब्ल्यूटीसीए की अध्यक्ष अलका जैन कहती हैं कि एनसीएलटी का मामला अभी भी अटका हुआ है, न तो एसएफआईओ और न ही किसी अन्य प्राधिकरण ने आरोपियों को गिरफ्तार किया और न ही उन की संपत्ति जब्त की, जिस से वे निवेशकों को धोखा देते रहे हैं. सैकड़ों शिकायतें प्राप्त करने के बावजूद, 4 राज्यों से रेरा ने मामले में फोरैंसिक औडिट शुरू नहीं किया. पंजाब रेरा के समक्ष आधिकारिक फाइलिंग से पता चलता है कि 372 करोड़ रुपए एकत्र किए गए, 284 करोड़ रुपए निकाले गए और जीरो प्रतिशत परियोजना पूरी हुई, फिर भी कोई काररवाई नहीं की गई.

इस के अलावा, डब्ल्यूटीसी समूह के खिलाफ यूपी रेरा में 338 शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन कोई सार्थक हस्तक्षेप नहीं हुआ. डब्ल्यूटीसीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कारपोरेट मामलों के मंत्रालय से हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि डब्ल्यूटीसी समूह के घर खरीदारों और निवेशकों को बिना किसी देरी के न्याय मिले.

 

 

UP News : गीता हुई भतीजे के प्यार में दीवानी

UP News : 28 वर्षीय गीता का पति प्रकाश कनौजिया मुंबई में था. वह मायके में रहते हुए 2 बच्चों की जिम्मेदारियां संभाले हुए थी. निजी जिंदगी जैसेतैसे तनहाई में गुजर रही थी. हमउम्र भतीजे विकास का जरा सा सहारा क्या मिला, उसी से दिल लगा बैठी. एक तरफ प्रेम की दीवानगी थी, अनैतिक संबंध और वासना का उफान था तो दूसरी तरफ पैसे की तंगी भी थी. फिर जो कुछ हुआ, उस में गेहूं के साथ घुन पिसने की कहावत चरितार्थ हो गई. क्या हुआ, कैसे हुआ, पढ़ें मांबेटी हत्याकांड की पूरी कहानी…

मलीहाबाद में मिर्जागंज बाजार स्थित एक चर्चित कपड़े की दुकान ‘प्रेम वस्त्रालय’ में बैठा विकास बारबार आ रहे फोन काल से परेशान हो गया था. त्यौहार का सीजन था. ग्राहकों की भीड़ थी. 2 दिन बाद ही करवाचौथ आने वाला था. वह ग्राहक को देखे या फिर फोन सुने. तंग आ कर उस ने मोबाइल ही स्विच औफ कर दिया.

दुकान पर जब ग्राहकों की भीड़ कम हुई, तब उस ने लंच करने के लिए अपने टिफिन का थैला उठाया और दुकान के पीछे छोटे से गोदाम में चला गया. लंच बौक्स खोला, साथ ही अपने मोबाइल को औन किया. मोबाइल औन होते ही स्क्रीन पर पर 22 मिस काल और 8 वाट्सऐप मैसेज चमकने लगे. ये सभी मिस्ड काल और मैसेज गीता के थे. कुछ घंटे पहले गीता ही लगातार उसे काल पर काल किए जा रही थी. काल करने के बजाए उस ने मैसेज पढऩा शुरू किया. विकास का मन कड़वा हो गया. सोचा खाना खाने के बाद या दुकान से छुट्टी होने पर गीता को काल कर लेगा. उस ने फटाफट 5-7 मिनट में लंच कर लिया.

लंच बौक्स संभालते वक्त गीता के 2 और वाट्सऐप मैसेज आ गए. मैसेज क्या थे, पूरी शिकायत थी. उस में धमकी भी शामिल थी. लिखा था, ”मैं आ रही हूं दुकान पर, देखती हूं कि तुम मुझे कैसे कपड़े नहीं दिलवाते हो?’’

मैसेज पढ़ कर वह भुनभुनाया, ”कहां से कपड़े दिलवाऊं? वैसे ही दुकान का मालिक पिछला बकाया मांग रहा है…’’

वह झुंझला उठा था. उस के मन में बेचैनी आ गई थी. सिर खुजलाता हुआ किसी तरह खुद को सहज बनाने की कोशिश की और दुकान पर जा बैठा. वहां ग्राहकों की भीड़ लग गई थी. वह जल्दीजल्दी उन्हें निपटाने के लिए अपने सहयोगी सेल्समैन का हाथ बंटाने लगा. अचानक उस की नजर सामने सड़क की ओर गई. उस ने गीता को दुकान में घुसते देखा तो सकपका गया. दुकान के एक किनारे चला गया. तब तक गीता वहां पहुंच गई. आते ही शिकायती लहजे में बोल पड़ी, ”तुम ने फोन क्यों नहीं उठाया, कितनी बार काल किया.’’

”देख रही हो दुकान पर कितने ग्राहक हैं!’’ विकास बोला.

”तुम ने फोन ही बंद कर दिया, लाओ कहां है मेरी साड़ी?’’ गीता सीधे अपनी बात पर आ गई थी.

विकास रिश्ते में गीता का भतीजा था. वह कपड़े की दुकान में सेल्समैन की नौकरी करता था. उसे उस ने 2 दिन पहले ही करवाचौथ के लिए साड़ी लाने को कहा था. विकास गीता की बातों का कोई जवाब नहीं दे पाया था.

”अब मुझे टुकुरटुकुर क्या देख रहे हो. साड़ी दो उस में फाल लगवानी है. मैचिंग ब्लाउज भी सिलवाना है. पेटीकोट भी बनवाना है.’’ गीता बोलने लगी.

”गीता, तुम अभी घर जाओ, मैं शाम को साड़ी लेता आऊंगा. पूजा का सामान भी ला दूंगा.’’ विकास बोला.

”यह तो तुम हफ्ते भर से बोल रहे हो, नहीं ले कर आए, तभी तो मुझे यहां आना पड़ा.’’ गीता बोली.

”अभी तुम जाओ, प्लीज तुम यहां से चली जाओ. दुकान पर बहुत काम है!’’ विकास बोला.

”ठीक है, जाती हूं. लेकिन साड़ी, पूजा का सामान ले कर आना और कुछ पैसे भी देना.’’ बोलती हुई गीता वहां से चली गई.

विकास ने राहत की सांस ली. कुछ पल वह मौन बना रहा. फिर काम में लग गया.

दुुकान से निकल कर गीता मायूस थी. वह सोचती हुई जा रही थी, विकास के व्यवहार में कितना बदलाव आ गया है. जो विकास एक समय में उस की हर बात को तुरंत मान लेता था, एक पैर पर खड़े हो कर उस का हर काम करने के लिए तैयार हो जाता था. लेकिन अब वह क्यों बदल गया है. उसे अपनी बदहाल और अभावग्रस्त जिंदगी को ले कर रोना आ रहा था. खुद को कोस रही थी. खुद से बातें करती घर जा रही थी, ‘आखिर वह किस अधिकार से करवाचौथ के लिए उस से साड़ी मांगने गई थी, जबकि उस का पति प्रकाश मुंबई में बैठा था. उस ने त्यौहार के मौके पर छुट्टी नहीं मिलने के कारण घर नहीं आने की खबर कर दी थी. उसी ने विकास से कपड़े आदि खरीदवाने को कहा था. इसी आस में वह विकास से उम्मीद लगा बैठी थी.’

प्रेमी के प्रति गीता के मन में क्यों हुई नफरत

दूसरी तरफ विकास दुकान में अपनी अंगुलियों पर हिसाब लगा रहा था. वह कर्ज के बोझ की चिंता में डूबा था. वह समझ नहीं पा रहा था कि दुकान के मालिक से कैसे साड़ी और कुछ पैसे उधार देने की मांग करे. उस ने पहले से ही जो कर्ज ले रखा था, उसे चुकाने में कई महीने लग जाएंगे. वह और कर्ज लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. गीता ने करवाचौथ के मौके पर बेमन से आए दिन पहनने वाली साड़ी में ही चावल, बतासे और जल से चंद्रमा को अघ्र्य दे कर छोटीमोटी रस्में पूरी कर लीं. छलनी से पति की तसवीर को निहार लिया. चंद्रमा को प्रणाम किया और व्रत तोडऩे के बाद पास बैठी 6 वर्षीय बेटी दीपिका को प्रसाद खाने के लिए दे दिया.

आधी रात का वक्त होने को आया था. गीता भूखीप्यासी थी. उसे नींद नहीं आ रही थी. अचानक दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई दी. उस ने कमरे के बाहर जा कर देखा. सामने विकास उसे देख कर मुसकरा रहा था. खाली हाथ उसे देख रहा था.

”अब यहां क्या लेने आया है, वह भी आधी रात को, चलो भागो यहां से. जाओ, आज के बाद से मेरे घर में कदम मत रखना. मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है.’’ गीता विकास को देखते ही आंखे तरेर कर बोली.

”गीता, मेरी मजबूरी तो समझो…’’ विकास के आगे बोलने से पहले ही गीता भद्ïदी सी गाली के साथ बोली, ”हरामी कहीं का, जब देखो मुंह उठाए मेरे यहां चला आता है और जब मुझे जरूरत होती है, तब मुंह फेर लेता है.’’

गीता लगातार गालियां दिए जा रही थी और विकास बेशरमी से सुनता रहा. वह अजीबोगरीब स्थिति में था. जबकि गीता उसे बोलने का मौका ही नहीं दे रही थी. वह ऐसे कर रही थी, जैसे उसे चबा ही जाएगी. भूखी शेरनी की तरह गुर्राने के कारण विकास के बोल नहीं निकल पा रहे थे. बोलते हुए उस के शब्द अटक रहे थे. बोलतेबोलते गीता एक झटके से मुड़ी और कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया. बाहर विकास कुछ सेकेंड तक ठिठका रहा, फिर वापस अपने घर लौट आया. उधर गीता ने सौगंध ले ली कि वह भविष्य में विकास को यहां कभी आने नहीं देगी और न ही वह उस से कभी मिलेगी.

हुआ भी ऐसा ही. हफ्तों बीत गए, गीता ने विकास से मिलना तो दूर उसे फोन तक करना मुनासिब नहीं समझा. यहां तक कि नए साल की शुभकामनाओं का मैसेज तक नहीं दिया. जबकि विकास गीता को फोन करता था, लेकिन गीता उस का फोन कट कर देती थी. विकास के घर आने पर वह बेरुखी से तुरंत दरवाजा बंद कर लेती थी. विकास जब भी दुकान पर होता, तब उस की बारबार बाहर जाने वाली नजर गीता को तलाशती रहती थी. वह उसे एक बार मिल कर बता देना चाहता था कि उस की  मजबूरियां क्या हैं? वह उसे कितना प्यार करता है. उस पर कितना खर्च करता रहा है और उस कारण वह किस कदर कर्जदार बना हुआ है.

विकास को एक दिन संयोग से गीता बाजार में खरीदारी करती दिख गई. वह अपने पापा सिद्धनाथ, बेटे दीपांशु और बेटी के साथ थी. दरअसल, उस की ससुराल ईशापुर में है. पति प्रकाश मुंबई में प्राइवेट नौकरी करता है. लखनऊ से 6 किलोमीटर की दूरी पर उस का मायका दिलावर नगर है. उस के पापा सिद्धनाथ अकसर गीता की देखरेख करने और जरूरत की चीजें दिलवाने के लिए उस की ससुराल आया करते थे. उस दिन विकास गीता को बाजार में देख कर दुकान से तुरंत उतर कर पीछे से गीता के सामने जा कर खड़ा हो गया. उस वक्त गीता अकेली एक कौस्मेटिक्स की दुकान के सामने खड़ी थी. विकास गीता का हाथ पकड़ कर एक किनारे ले गया.

”क्या इरादा है तुम्हारा? क्यों तुम मेरे हाथों मरना चाहती हो?’’ विकास ने एक सांस में ही गीता को बहुत खरीखोटी सुना दी. उस ने यहां तक कह दिया, ”या तो तुम मेरी जान ले लो या मैं तुम्हारी जान ले लूं!’’ गीता मौके की नजाकत को देख कर विकास की बात को सुनती रही. कुछ देर में विकास खुद शांत हो गया. तब गीता बच्चों को साथ ले कर चुपचाप अपने घर चली गई.

दोहरे मर्डर से सकते में आई पुलिस

बात 17 जनवरी, 2025 की है. मलीहाबाद पुलिस के बीट प्रभारी एसआई अमन श्रीवास्तव को सुबहसुबह ईशापुर गांव में एक महिला और 6 वर्षीय बच्ची की मकान के अंदर हत्या किए जाने की सूचना मिली. उन्होंने इस की सूचना एसएचओ सतीशचंद्र साहू को दे दी. साहू ने भी फौरी काररवाई करते हुए अमन श्रीवास्तव को पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जाने के आदेश दिए.

थोड़ी देर में ही एसीपी अमोल मुरकर और पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. अमन श्रीवास्तव के साथ एसआई अश्वनी कुमार और विवेक कुमार के अलावा सिपाही गौरीशंकर यादव, उत्तम राठी और हैडकांस्टेबल कामरान खान भी ईशापुर पहुंच गए थे. घर के भीतर दोहरे हत्याकांड की मौके पर की गई जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि मृतका की उम्र 28 साल थी और उस का नाम गीता और 6 साल की बच्ची उस की बेटी दीपिका है. दोनों की हत्या धारदार हथियार से की गई थी. मौके पर गीता की गरदन कटी पाई गई.

पुलिस की जांच में रात 2 से 3 बजे के बीच घटना को अंजाम दिए जाने की आशंका जताई गई. पुलिस दल ने दोनों लाशों का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस ने जांच में गीता की ससुराल ईशापुर और मायका दिलावर नगर के बीच 2 केंद्र चिह्निïत किए. हत्यारे का पता लगाने के लिए सर्विलांस टीम और डौग स्क्वायड ने दिन में 12 बजे ईशापुर गांव जा कर जांच की. खोजी कुत्ता घर से 20 मीटर की दूरी तक लखनऊ रेलवे लाइनों के किनारे कुछ दूर गया और ठहर कर वापस लौट आया. पुलिस ने अनुमान लगाया कि रेलवे ट्रैक के सहारे किनारेकिनारे हमलावर आए होंगे और पैदल गीता के घर तक गए होंगे.

पुलिस ने इस हत्याकांड में किसी परिचित के शामिल होने की आशंका जताई. ग्रामीणों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि गीता के घर में ज्यादातर उस के परिवार के लोगों का ही आनाजाना था, जो ससुराल और मायके के होते थे. वैसे इस हत्याकांड की सूचना गीता के पापा सिद्धनाथ कनौजिया को भेज दी गई थी. वह लखनऊ में दिलावर नगर, रहीमाबाद थाने के रहने वाले हैं. उन की तहरीर पर मलीहाबाद थाने में धारा 103(1) बीएनएस के तहत केस दर्ज कर लिया गया.  इस की आगे की जांच के लिए डीसीपी (पश्चिम) विश्वजीत श्रीवास्तव द्वारा पुलिस की टीमों का गठन किया गया.

डीसीपी और एडीसीपी धनंजय कुमार कुशवाहा ने क्राइम टीम के सर्विलांस की टीम को इंसपेक्टर सतीशचंद्र साहू के साथ शामिल कर दिया. पुलिस कमिश्नर कार्यालय के इंसपेक्टर शिवानंद मिश्रा, एसआई आशुतोष पांडेय, शुभम पाराशर और हबीब के अलावा पवन, दिलीप व सूरज सिंह सिपाहियों को ले कर 5 टीमें बनाई गईं.

प्रकाश घर क्यों नहीं आ पाता था पत्नी से मिलन

सभी जांच टीमों की मेहनत ने 12 घंटे में रंग दिखा दिया. गीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स मालूम हो चुकी थी. उस के मुताबिक गीता के मोबाइल फोन पर एक साल के भीतर 1100 काल विकास के द्वारा किए गए थे. फिर क्या था, घटना के अगले दिन ही 17 जनवरी, 2025 को ईशापुर निवासी राजेश के बेटे विकास को मलीहाबाद में हाइवे के किनारे से पकड़ लिया गया.

विकास से थाने में सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. जल्द ही उस ने स्वीकार कर लिया कि वह गीता से बहुत प्यार करता था, लेकिन कुछ दिनों से उस की बेरुखी से तंग आ गया था. उस के बाद वारदात की तह में छिपी कहानी इस तरह बताई—

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अंतर्गत 24 राजमार्ग के किनारे मलीहाबाद से 3 किलोमीटर की दूरी पर ईशापुर गांव में प्रकाश कनौजिया का परिवार रहता है. प्रकाश के पापा का नाम रामखिलावन था. उस के घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. गांव में रह कर गुजरबसर होनी काफी मुश्किल थी. इस कारण रामखिलावन का भाई रामविलास सन 2010 में गांव से मुंबई चला गया था. किसी तरह वहां कामधंधा किया. बाद में उस ने वहां एक लौंड्री की दुकान खोल ली. जल्द ही लौंड्री का व्यवसाय चलने लगा. धंधा जमते ही रामविलास अपने बुजुर्ग मम्मीपापा के गुजरबसर के लिए हर महीने कुछ पैसा भेजने लगा. रामखिलावन ने रामविलास के कहने पर 2014 में प्रकाश का विवाह दिलावर नगर निवासी सिद्धनाथ कनौजिया की बेटी गीता के साथ करवा दिया.

शादी के बाद गीता अपनी ससुराल ईशापुर आ गई. प्रकाश और गीता का दांपत्य जीवन हंसीखुशी से शुरू हुआ. शादी के एक साल बाद गीता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम दीपांशु रखा गया. रामविलास के मुंबई जाने के बाद घर के खर्चों की जिम्मेदारी प्रकाश पर आ गई. प्रकाश चाहता था कि वह भी कोई कामधंधा शुरू करे. लेकिन उस के सामने मजबूरी थी. वह पत्नी और मम्मीपापा को अकेला नहीं छोडऩा चाहता था. शादी के 3 साल बाद गीता ने एक बेटी को जन्म दिया. प्रकाश और गीता को अब दोनों बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी. गीता प्रकाश पर मुंबई जा कर रामविलास के साथ ही कोई कामधंधा करने के लिए दबाव बनाने लगी.

इस बारे में गीता ने अपने ससुर से भी बात कर उन्हें राजी कर लिया. साल 2018 की होली के मौके पर रामविलास अपने घर आया, तब गीता ने उस से भी प्रकाश को साथ ले जाने की विनती की. वह खुशीखुशी तैयार हो गया. होली के बाद अप्रैल, 2018 के पहले सप्ताह में प्रकाश भी मुंबई के उपनगर कल्याण पहुंच गया. रामविलास ने उस के लिए एक छोटी खोली किराए पर ले ली और उस की भी लौंड्री की दुकान खुलवा दी. प्रकाश ने खूब मेहनत की और अपने मधुर व्यवहार से धंधा जमा लिया. किंतु इस बीच वह गीता और बच्चों को एकदम से भूल गया. हालांकि वह चाहता था कि कमाई से पैसा जमा करे और दीवाली के मौके पर ढेर सारा पैसा ले कर घर जाए.

हालांकि करीब 6 महीने बाद प्रकाश पैसा देने के लिए एक रात के लिए अपने गांव  आया और अगले दिन ही मुंबई लौट गया. गीता को पति का इस तरह जल्दी में जाना अच्छा नहीं लगा, लेकिन वह उसे चाह कर भी नहीं रोक पाई. धीरेधीरे एक साल बीतने को आया. प्रकाश गांव नहीं आ पाया. साल 2020 के आते ही कोरोना काल आ गया. लौकडाउन लग गया. वह चाह कर भी गांव नहीं जा पाया.

2022 के फरवरी-मार्च में होली पर प्रकाश ने एक बार फिर गांव ईशापुर आने की तैयारी की. लेकिन दोबारा लौकडाउन के चलते वह मुंबई में ही फंसा रहा. पत्नी और बच्चों से मिलने नहीं आ सका. इस का असर उस के धंधे पर भी हुआ. कमाई बहुत कम हो गई.

चाची का विकास पर कैसे आया दिल

गीता को भी घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया. प्रकाश ने उसे जो पैसे भेजे थे, वे सब खर्च हो गए थे. गीता को अपने परिवार के भरणपोषण के लिए परेशान रहने लगी. इसी बीच प्रकाश ने अपने रिश्ते के चचेरे भाई राजेश के बेटे विकास से मदद मांगी. उसे  अपनी चाची गीता और दोनों बच्चों का खयाल रखने का अनुरोध किया. इस बारे में प्रकाश ने गीता को भी फोन पर बता दिया कि वह बेझिझक विकास से किसी भी तरह की मदद ले सकती है. उस के बाद से विकास और गीता का मिलनाजुलना होने लगा था. विकास गीता से मिलने घर पर बेरोकटोक आने लगा था. उन के बीच चाचीभतीजे का रिश्ता था, इस वजह से पासपड़ोस और मायके के लोगों को उन के मिलनेजुलने पर कोई आपत्ति नहीं थी.

चाचा प्रकाश से किए वायदे को विकास अच्छी तरह निभा रहा था. विकास जब भी काम से फुरसत पाता, चाची गीता से मिलने चला आता था. दोनों घंटों साथ बैठ कर बातें करते रहते थे. विकास उसे जरूरत की चीजें भी ला कर दे दिया करता था. गरमी के दिन थे. रात के 9 बज रहे थे. धीरेधीरे रात पैर पसार रही थी. गीता के दोनों बच्चे आंगन में पड़ी चारपाई पर सो रहे थे. सन्नाटे में घर के अंदर दोनों अकेले थे. विकास जब अपने घर को चलने को हुआ तो गीता ने कहा कि आज रात को खाना यहीं खा कर यहीं सो जाओ.

विकास गीता की बात सुन कर कुछ ठिठक सा गया. जेहन में एक विचार कौंध गया. लालटेन की मध्यम रोशनी में वह गौर से गीता के गोरे चेहरे को निहारने लगा. तभी विकास का कुंवारापन जाग उठा था. वह 25 साल का नवयुवक था. काफी देर तक उस का चेहरा निहारने के बाद बोला, ”आज मुझे घर जाने दो. मैं कल शाम को अपनी मां से यहां रुकने के लिए कह कर आऊंगा.’’

विकास की बात सुन कर गीता मुसकराई और बोली, ”कल जरूर आ कर रुकना, तुम्हें मेरी कसम है.’’

गीता के आग्रह के साथ बोलने और कसम देने की बात कहने पर विकास का दिलदिमाग और भी झनझना उठा था. वह उस की चाहत को समझ गया था. जातेजाते बोला, ”यहीं आ कर रात को रुकूंगा और खाना भी यहीं खाऊंगा.’’

विकास मलीहाबाद में एक कपड़े की दुकान में नौकरी करता था और रोजाना की तरह बाजार से शाम को अपने घर वापस लौटते समय अकसर गीता से बातें करने के लिए उस के पास चला जाता था. उस का मन धीरेधीरे उस की आकर्षित होने लगा था.

एक झटके में टूट गई मर्यादा की दीवार

अगले दिन विकास पूरी तैयारी के साथ गीता के पास गया. उस ने नौनवेज खरीदा. इस के अलावा शराब की एक बोतल भी खरीद कर रख ली. ये चीजें दिन में बाइक से गीता के घर जा कर दे आया और रात में आने को बोल गया. रात के 10 बजे विकास गीता के घर पहुंचा. गीता खाना खाने का इंतजार कर रही थी. विकास ने खाना खाने के पहले शराब के 2 पैग लेने की योजना बनाई. जब तक गीता खाना गर्म करने रसोई में गई, तब तक विकास ने शराब के पैग पीने शुरू कर दिए.

जब खाना ले कर गीता आई, तब उस ने नशे की हालत में गीता को भी जबरन 2 पैग शराब पिला दी. उस रात दोनों पर शराब का नशा इस कदर हावी हो गया कि वे आपस में छेड़छाड़ और नोकझोंक करते हुए वासना की आग में तप गए. एक बार जब उन के बीच रिश्ते की पवित्रता पर धूल पड़ी, तब उस के बाद वे इस के लिए अपनी मनमरजी के मालिक बन गए. गीता को पति से यौनसुख नहीं मिल पा रहा था. विकास भी कुंवारा था. इस में गीता ने खुले विचार से विकास का साथ दिया. बदले में विकास उस की जरूरतों को पूरा करने लगा.

प्रकाश का पिछले साल जनवरी के महीने में लखनऊ आना हुआ. एक सप्ताह घर पर रहने के बाद वह मुंबई वापस चला गया. पति के मुंबई चले जाने के बाद गीता अपने मायके में आ कर रहने लगी थी. इस बार अक्तूबर, 2024 से अपने मायके नहीं आई थी. वह ससुराल में अलग से बने बाग के मकान में अपने बच्चों के साथ रहने चली गई थी. वह मकान रामविलास और प्रकाश ने मिल कर बनवाया था. इसी मकान के आगे बाग की सीमा खत्म हो जाती थी और उस से सटी रेलवे लाइन गुजरती थी. गीता और विकास अकसर वहीं मिलने लगे थे.

गीता उस से मोहब्बत करने लगी थी. दिन निकलने के पहले विकास गीता के घर से चला जाता था और झटपट दोपहर का खाना ले कर मलीहाबाद दुकान पर रवाना हो जाता था. वह रोजाना शाम को जब भी अपने गांव वापस लौटता तो वह गीता के पास जा कर के प्यारमोहब्बत की बातों में मशगूल हो जाता था. विकास जब भी बाजार से घर आता तो गीता के बच्चे उस की जेब में हाथ डाल देते थे. गीता के पास बेटी दीपिका ही रहती थी, जबकि बेटा दीपांशु अपने नाना के पास था.

विकास और गीता की मोहब्बत काफी गहरी हो चुकी थी. वे एकदूसरे के बिना नहीं रह पाते थे. विकास गीता की आशनाई में अपनी नौकरी की कमाई उस पर खर्च करने लगा था. जबकि विकास के परिवार में उस के अलावा 2 बहनें और थीं. पूरे परिवार का खर्च उस की नौकरी पर निर्भर था. फेमिली वालों से उस की हरकतें छिपी न रहीं. उन्होंने  विकास को गीता के मकडज़ाल से मुक्त करवाने की योजना बनानी शुरू की. वे उसे लखनऊ से दूर कहीं दूसरे शहर भेजने की योजना बनाने लगे. विकास गीता पर पैसे खर्च करने के चक्कर में कर्जदार बन गया था.

अपने पापा के कहने पर 2023 में वह साढ़े 3 लाख रुपया खर्च कर कुवैत चला गया. इस बीच गीता अकेली रह गई. विकास के कुवैत में नौकरी करते कुल 2 महीने ही बीते थे कि गीता अपने फोन से उसे रोजाना रात को फोन कर देती थी. फोन पर वह अपना दुखड़ा सुनाने लगती थी. उसे ईशापुर लौटने के लिए कहती थी. गीता के लगातार जिद करने पर केवल 2 महीने में ही वह कुवैत से वापस आ गया. कुवैत से लखनऊ वापस आने के कारण विकास लगभग 4 लाख रुपए का कर्जदार हो चुका था. गीता की जिद पर विकास जब अपने गांव वापस आया तो वह कपड़ों के उसी शोरूम पर जा कर फिर से नौकरी करने लगा.

अक्तूबर, 2024 में करवाचौथ से 2 दिन पहले विकास गीता से मिलने गया था. गीता ने त्यौहार पर आने वाले खर्च की फरमाइशें सुना दीं. साथ ही उस ने बताया कि उस के चाचा प्रकाश इस मौके पर भी नहीं आ रहे हैं, इसलिए पूजा का सामान और साड़ी उसे ही ला कर देनी होगी. उस के सारे कपड़े और गहने मायके में ही रखे हैं. इस पर विकास ने आश्वासन दिया, साथ ही पैसा नहीं होने की मजबूरी बताई. उस ने कहा कि वह अभी बहुत कर्ज में डूबा हुआ है. इसी आश्वासन को पा कर गीता करवाचौथ के दिन विकास से रुपया लेने के लिए दुकान पर गई थी.

विकास के व्यवहार से नाराज हो कर गीता ने उस सेे संबंध तोडऩे का मन बना लिया था. वह विकास को फोन करना भी बंद कर चुकी थी. गीता की इस बेरुखी से तंग आ कर विकास दिनरात परेशान रहने लगा था.

एक के चक्कर में ऐसे हुए 2 मर्डर

15 जनवरी, 2025 की रात को विकास ने अपनी प्रेमिका चाची गीता को फोन किया और उस से मिलने के लिए कहा तो गीता ने फोन पर दोटूक उत्तर देते हुए कहा, ”मैं तुम्हारी ब्याहता थोड़े हूं. मेरे यहां अब मत आना, तुम मेरा बोझ नहीं उठा सकते हो तो तुम्हें कोई हक नहीं है. मुझ से अब कोई उम्मीद मत रखो.’’ इतना कह कर गीता ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

विकास फोन पर गीता की बातें सुनने के बाद बुरी तरह तिलमिला कर रह गया. उस ने गीता को सबक सिखाने के लिए योजना बना डाली. रात के करीब एक बजे विकास गीता के घर के पास लगे बिजली के खंभे के सहारे चढ़ कर उस के मकान के अंदर घुस गया. गीता के कमरे के सामने पहुंच कर उस ने गीता से कमरा खोलने के लिए कहा. विकास की आवाज पहचान गई थी, इसलिए उस ने अंदर से ही कहा कि वह वहां से चला जाए. करीब आधा घंटा बीतने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो विकास किचन के अंदर जा कर बरतनों को इधरउधर फेंकने लगा. ऐसा करते हुए उसे एक बड़ा चाकू हाथ लग गया. उस ने उसे अपने पास छिपा लिया.

इसी दौरान गीता बरतनों की आवाज सुन कर बाहर आई और उसे डांटने लगी. पहले से ही तिलमिलाया हुआ विकास गुस्से में बोला,  ”आज मैं अपना और तुम्हारा दुख दूर किए देता हूं.’’

इतना कह कर विकास ने हाथ में लिए डंडे से गीता के सिर पर हमला कर दिया. वह उस पर तब तक हमला करता रहा, जब तक कि वह बुरी तरह बेहोश नहीं हो गई. गीता  के जमीन पर गिरते ही वह अपनी कमर में खोंसे चाकू से उस की गरदन रेतने लगा. इसी बीच गीता की बेटी दीपिका जाग गई. उस ने विकास को इतने गुस्से में पहली बार देखा था. वह तेजी से रोने लगी. विकास ने उसे पकड़ कर चाकू से उस की भी हत्या कर दी. आंगन में रखी बाल्टी में हाथपैर धोने के बाद वह खंभे के सहारे ही मकान से उतर कर बाहर आया और रेलवे लाइन के किनारे होता हुआ फरार हो गया.

विकास ने पुलिस को हत्या में प्रयोग की गई बाइक नंबर यूपी32 जीयू1335, चाकू और कुछ गहने, 760 रुपए नकद बरामद करवा दिए. उस ने पुलिस टीम के सामने स्वीकार किया कि वह गीता से बहुत प्यार करता था और उस के ऊपर गीता की खातिर 4 लाख रुपए का कर्ज हो गया था. उस ने कर्जा उतारने के लिए ही उस ने गीता के गहने चुराने का प्लान भी बनाया था.

विकास से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

 

 

Punjab News : आप नेता की डिनर डैथ साजिश

Punjab News : आम आदमी पार्टी के नेता अनोख मित्तल ने 34 वर्षीय पत्नी मानवी मित्तल उर्फ लिप्सी के साथ एक रिसौर्ट में पहुंच कर एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर खूब डांस किया, फिर वहीं डिनर किया. इस के ठीक एक घंटे बाद लिप्सी का मर्डर हो गया. किस ने किया उस का मर्डर? लुधियाना पुलिस ने जब हत्या के राज से परदा हटाया तो ऐसी चौंकाने वाली कहानी सामने आई कि…

15 फरवरी, 2025 को लुधियाना निवासी अनोख मित्तल और उस की पत्नी ने बाहर डिनर करने का प्लान बनाया. इस के लिए उन्हें मैक्स रिसौर्ट पसंद आया, जो लुधियाना से करीब 25 किलोमीटर दूर था. चूंकि उन के पास कार थी, इसलिए उन के लिए यह दूरी ज्यादा नहीं थी. वैसे भी अनोख मित्तल आम आदमी पार्टी का नेता था. अनोख मित्तल पत्नी मानवी मित्तल उर्फ लिप्सी को ले कर रात करीब 10 बजे रिसौर्ट पहुंच गया. रिसौर्ट में डीजे की तेज धुन पर मस्त हो कर दोनों ने काफी देर तक डांस किया. पतिपत्नी दोनों बेहद खुश थे. उस दिन अनोख मित्तल ने अपने मोबाइल से डांस के कई वीडियो बनाए, जिन्हें उस ने अपने वाट्सऐप के स्टेटस पर भी लगाया.

इस के बाद डिनर कर दोनों खुशीखुशी अपनी कार से रात करीब 12 बजे वापस घर के लिए चल दिए.  रास्ते में अनोख मित्तल ने पेशाब के लिए अपनी कार को सड़क किनारे रोका और कार से उतर कर सड़क किनारे गया ही था कि इसी बीच पीछे से कार में आए अज्ञात लोगों ने हमला कर कार में बैठी उस की पत्नी लिप्सी को घायल कर दिया.  पत्नी की चीख सुन कर अनोख मित्तल उसे बचाने कार की तरफ दौड़ा तो उस के ऊपर भी हमलावरों ने चाकुओं से हमला कर घायल कर दिया.  हमलावरों ने अनोख मित्तल के चेहरे पर कुछ नशीला कैमिकल फेंका, जिस से वह बेहोश हो कर कार के पास गिर गया. इस बीच हमलावरों ने लिप्सी को कार के बाहर खींच लिया और उस के आभूषण लूट कर अनोख की कार ले क र भाग गए.

वहीं कुछ दूरी पर स्थित एक ढाबे का मालिक जब ढाबा बंद कर उधर से गुजर रहा था तो उस ने कार के बाहर सड़क पर घायल एक महिला व पुरुष को देख कर पुलिस को सूचना दी. सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई और दोनों घायलों को अस्पताल में उपचार के लिए भरती कराया. अनोख मित्तल ने पुलिस को सारी कहानी बता दी. तब पुलिस को पता चला कि घायल व्यक्ति आम आदमी पार्टी का नेता था.  डाक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद उस की पत्नी लिप्सी को नहीं बचाया जा सका. जबकि अनोख मित्तल के हाथ व पैर में चोट आई थी. उस का प्राथमिक इलाज कर दिया गया.

16 फरवरी की सुबह होतेहोते इस घटना से पूरे लुधियाना में सनसनी फैल गई. लुटेरों द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अनोख मित्तल की पत्नी का कत्ल और लूटपाट की घटना अचानक एक राजनीतिक मुद्दा बन गई.  बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकत्र्ता उस हौस्पिटल के बाहर धरने पर बैठ गए, जिस में लिप्सी का शव रखा हुुआ था. धरना दे रहे लोगों की मांग थी कि लुटरों को जल्द पकड़ा जाए. जानकारी होते ही मीडियाकर्मी भी हौस्पिटल पहुंच गए.  उधर पुलिस घटना के बाद लुटेरों की तलाश में जुट गई. आप नेता अनोख मित्तल व उस के परिवार के लोग भी धरने में शामिल थे. पत्नी की हत्या से अनोख मानसिक रूप से परेशान दिखाई दे रहा था. मीडिया ने उस से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. 

उस ने मीडिया को बताया, ”हत्यारों ने मेरे ऊपर चाकू से हमला किया और मुंह पर कोई नशीला पदार्थ डाल दिया, जिस के बाद मुझे चक्कर आ गया और मंै गिर गया. इस के बाद मुझे नहींं पता, मैं कब उठा हूं. उठने के बाद आसपास देखा, सब सुनसान था. मैं ने अपनी वाइफ को आवाज लगाई, उस ने जवाब दिया, ‘हां जी.मैं ने 2-3 बार आवाज लगाई. इस के बाद मैं फालो करता हुआ उस तक पहुंचा. एक घंटा मैं वहां चीखताचिल्लाता रहा. वहां से गुजर रहे बंंदों (लोगों) को मदद के लिए आवाज लगाई, लेकिन कोई नहीं रुका. मुझे बताया गया कि वहां से किसी ने पुलिस को फोन किया. यहां कोई आदमी चीख रहा है. उस के बाद पुलिस करीब एक घंटे बाद आई.’’

अनोख ने मीडिया को बताया कि वे लोग रात सवा 10 साढ़े 10 बजे के करीब रिसौर्ट पहुंचे थे. यह पूछने पर कि आप पुलिस से क्या मांग करते हो? तब अनोख मित्तल ने कहा कि मेरा सब कुछ बरबाद हो गया. मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई. उन का (हत्यारों) भी कुछ बचेगा नहीं, जिन्होंने ये काम किया है. 

मामला हाईप्रोफाइल पुलिस हुई सक्रिय

देहलों थाने के एसएचओ सुखजिंदर सिंह ने मीडिया को बताया कि 5 हथियारबंद लुटेरों ने सिधवान नहर पुल के पास अनोख मित्तल पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया. हमले में पत्नी की मौत हो गई, जबकि पति घायल हो गया. लुटेरे पत्नी के आभूषण व कार लूट कर फरार हो गए. हमलावरों की पहचान के लिए सीसीटीवी कैमरों की जांच की जा रही है. लिप्सी के शव का पोस्टमार्टम 4 डाक्टरों के पैनल ने किया. इस पैनल में डा. अंकुर उप्पल, डा. अजय पाल, डा. सुचेता और डा. सौरव सिंगला शामिल थे. पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि लिप्सी के सिर के बाईं तरफ, बाजू, कंधे और दाएं बाजू और दोनों हाथों पर तेजधार हथियार से हमला किया गया था. बाईं तरफ सिर पर तेजधार हथियार से किए गए हमले के कारण और खून बहने से ही लिप्सी की मौत हुई थी. 

मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण हमलावरों तक पहुंचने के लिए पुलिस तत्परता से जांच में जुट गई. पुलिस ने निर्णय लिया कि अनोख पर डाले गए कैमिकल, जिस से वह बेहोश हो गया था, की पहचान कराई जाए. इस के लिए पुलिस धरनास्थल पर पहुंची और अनोख मित्तल से कहा कि आप का मैडिकल चैकअप कराना है, क्योंकि आप के चेहरे पर लुटेरों ने कोई नशीला पदार्थ डाला था. उस का टेस्ट कराना है. चैकअप के बहाने पुलिस अनोख को अपनी गाड़ी में बैठा कर धरनास्थल से अपने साथ ले गई. हुआ यह था कि जांच के दौरान पुलिस की जब डाक्टरों से बात हुुई, तब डाक्टरों ने बताया कि इलाज के दौरान जब चैक किया गया तो घायल अनोख के चेहरे पर उन्हें कोई कैमिकल नहीं मिला था. इस से पुलिस का शक और बढ़ गया. पुलिस ने तुरंत ऐक्शन लेने का निर्णय लिया.

उधर लुधियाना पुलिस के दिमाग में कुछ और चल रहा था. पुलिस का यह भी मानना था कि लुटेरों ने जब लिप्सी के आभूषण लूट ही लिए थे, फिर उन्होंने उस का कत्ल क्यों किया? लिप्सी की बांह व गले पर चाकुओं से प्रहार कर उस की हत्या की गई थी. पति अनोख ने विरोध किया था, लेकिन लुटेरों  ने उसे मामूली रूप से ही घायल किया. उस के पैर की चोट भी संदेह के घेरे में थी.  इसी के साथ पुलिस ने खामोशी के साथ घटना वाली रात अनोख की लोकेशन खंगाली. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि अनोख द्वारा घटना के तुरंत बाद किसी को मैसेज किया गया था, जिस में केवल एक शब्द डनलिखा था. 

छानबीन में पता चला कि उस ने अपनी गर्लफ्रेंड को यह मैसेज भेजा था. उस ने अपने मोबाइल से रिसौर्ट में पत्नी के साथ किए डांस का वीडियो बना कर अपने वाट्सऐप के स्टेटस पर भी लगाया था. पुलिस की पारखी नजर इसी स्टेटस पर पड़ी. ऐसा उस ने क्यों किया? क्योंकि इस से पहले उस ने कभी अपनी पत्नी के साथ कोई फोटो या वीडियो नहीं बनाया था, न अपलोड किया था. यह बात पुलिस को लिप्सी के मायके वालों ने पूछताछ के दौरान बताई थी.  ये सभी सबूत पुलिस को अनोख की ओर इशारा कर रहे थे. शक की सुई पूरी तरह अनोख पर रुक रही थी. लेकिन पुलिस उसे हिरासत में ले कर पूछताछ करने से बच रही थी. क्योंकि वह पार्टी के समर्थकों व रिश्तेदारों के साथ धरने पर बैठा था. सभी की हमदर्दी उस के साथ थी. 

धरने से उठा कर उसे कैसे गिरफ्तार करें? पुलिस नहीं चाहती थी कि उस की किसी काररवाई से कोई बवाल हो. क्योंकि पंजाब में आप की सरकार थी. कुछ गड़बड़ होने पर पुलिस के ऊपर गाज गिरते देर नहीं लगती. तब पुलिस ने यह योजना बनाई थी.  पुलिस उसे धरनास्थल से हौस्पिटल न ले जा कर सीधे थाने ले गई. थाने में पुलिस ने सभी सबूतों को दिखाते हुए अनोख मित्तल से सच्चाई बताने को कहा. पुलिस के रंगढंग देख कर अनोख मित्तल की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. वह ज्यादा देर नहीं ठहर सका. उस ने पुलिस के सामने सच्चाई उगल दी और अपना जुर्म कुबूल कर लिया. अनोख मित्तल ने बताया कि उस ने अवैध संबंधों के चलते ही पत्नी की हत्या सुपारी दे कर कराई थी. 

इस मामले में चौंकाने वाले खुलासे हुए. रिसौर्ट में पार्टी के नाम पर उस ने पत्नी के साथ विश्वासघात किया. हत्या वाली रात उस ने पत्नी को शातिराना तरीके से षडयंत्र रच कर सुपारी किलरों के हाथों अपने सामने ही मौत के घाट उतरवाया. पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल ने बताया कि वह काफी समय से पत्नी की हत्या कराना चाहता था. पिछले एक साल से उसे इस काम के लिए आदमी नहीं मिल रहे थे. अपनी गर्लफ्रेंड की मदद से वह हत्या में शामिल गुरदीप सिंह उर्फ मान से मिला, जिस ने इस हत्याकांड के लिए आदमी उपलब्ध कराए. 2 प्रयास विफल होने के बाद वह तीसरे प्रयास में सफल हो गया था.

इस के बाद से थाना डेहलों, सीआईए-3 की टीमों ने आरोपी पति अनोख व उस की गर्लफ्रेंड प्रतीक्षा को हिरासत में ले लिया. दिन भर एक के बाद एक आरोपियों को पकड़ते हुए इस हत्याकांड का परदाफाश 24 घंटे के अंदर ही पुलिस ने कर दिया. दरअसल, गर्लफ्रेंड की वजह से ही यह हत्याकांड हुआ था. अनोख मित्तल अपने वार्ड का आप पार्टी का अध्यक्ष था. करीब 3 महीने पहले वह आप पार्टी में शामिल हुआ था. अनोख को पार्टी में एक विधायक ने शामिल कराया था. इस से पहले वह कांग्रेस पार्टी में था. पुलिस ने इस हत्याकांड के 6 आरोपियों गुरदीप सिंह उर्फ मान, सोनू सिंह, अमृतपाल सिंह उर्फ बल्ली निवासी नंदपुर साहनेवाल, सागरदीप सिंह उर्फ तेजी निवासी ढंडारी कलां, अनोख मित्तल, प्रेमिका प्रतीक्षा निवासी जमालपुर को गिरफ्तार कर लिया,

जबकि सातवां आरोपी कौन्ट्रैक्ट किलर गिरोह का सरगना गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी निवासी ढंडारी कलां फरार है. पुलिस ने अनोख व हमलावरों की कारें भी बरामद कर लीं. धरने पर बैठे लोग उस समय सन्न रह गए, जब उन के सामने हत्यारे का चेहरा सामने आया. 15 घंटे पहले उस की पत्नी की हत्या हो चुुकी थी. वह कातिलों को पकडऩे की पुलिस से मांग कर रहा था. उस की हमदर्दी में आप पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता उस के साथ धरने पर बैठे थे. लेकिन पत्नी के हत्यारे के रूप में अनोख मित्तल का नाम सामने आते ही धरना समाप्त कर आंदोलनकारी उसे ही कोसने लगे.

अनोख और प्रेमिका की थी खूनी साजिश

उस के सिर प्रेमिका प्रतीक्षा का जादू इस कदर पर चढ़ा था कि उसे न तो पत्नी लिप्सी के साथ 12 साल बिताया समय दिखा और न ही अपने बच्चे नजर आए. जब लिप्सी पूरी तरह से घायल हो गई और मौत के करीब पहुंच गई, तब हमलावर उसे मरा समझ कर फरार हो गए. पुलिस के अनुसार, घटना के 45 मिनट बाद अनोख ने पुलिस को फोन किया. 10 मिनट में पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई और दोनों घायलों को डीएमसी अस्पताल में भरती कराया. अस्पताल में भी अनोख फूटफूट कर रोता रहा कि उस का परिवारय लुट गया और वह बरबाद हो गया. 

इस हत्या में बराबर की भागीदार अनोख की प्रेमिका प्रतीक्षा पुलिस और परिवार वालों की आंखों में धूल झोंकने के लिए लिप्सी की ससुराल पहुंची और परिवार के साथ सांत्वना प्रकट की. अनोख मित्तल का उस की कार बैटरी की दुकान पर काम करने वाली 24 वर्षीय प्रतीक्षा से लव अफेयर पिछले 2 सालों से चल रहा था. धीरेधीरे दोनों के शारीरिक संबंध हो गए. दोनों ही दीनदुनिया से बेफिक्र अपनी ही दुनिया में मस्त रहने लगे. अब अनोख मित्तल एक पल भी प्रतीक्षा के बिना नहीं रह पाता था. एक साल पहले पति के व्यवहार में आए बदलाव से पत्नी लिप्सी को शक हुआ कि जरूर दाल में कुछ काला है. किसी तरह लिप्सी को अपने पति व उस की दुकान में काम करने वाली प्रतीक्षा के नाजायज संबंधों की जानकारी हो गई. जानकारी होते ही लिप्सी ने विरोध शुरू कर दिया. 

इस के बाद तो आए दिन पतिपत्नी के बीच इसी बात को ले कर झगड़ा होने लगा. अनोख मित्तल ने पत्नी को सफाई देते हुए कहा, ”तुम बेकार में शक कर रही हो. वह कर्मचारी है और मेरे कारोबार को अच्छी तरह से चला रही है. इस से कुछ लोगों ने तुम्हारे कान भर दिए हैं. तुम बेकार ही शक कर रही हो.’’ कुछ दिन सब कुछ ठीक रहा. लेकिन लिप्सी को कुछ दिन बाद ही पता चल गया कि प्रतीक्षा और उस के बीच नाजायज संबंध अभी भी बने हुए हैं. रोजरोज के झगड़ों से परेशान हो कर अनोख ने पत्नी से तलाक लेना चाहा. लेकिन लिप्सी तलाक देने को तैयार नहीं हुई. 

लिप्सी ने पति अनोख से साफसाफ कह दिया, ”प्रतीक्षा को नौकरी से तुरंत हटा दो.’’ 

लेकिन अनोख ने पत्नी से स्पष्ट कह दिया कि प्रतीक्षा उस के कारोबार की अच्छी तरह देखभाल कर रही है. उसे हटाने से कारोबार में भारी घाटा हो जाएगा, इसलिए वह उसे नहीं हटा सकता. अनोख चाहता था कि लिप्सी से उस का किसी भी तरह तलाक हो जाए, ताकि वह अपनी जिंदगी अपनी तरह से जी सके. इस की भनक लिप्सी के मायके वालों को भी लग गई थी. लेकिन वे लिप्सी के परिवार में किसी प्रकार के हस्तक्षेप से इसलिए बच रहे थे, ताकि बेटी का परिवार न बिखरे. अनोख के काफी जोर डालने के बावजूद लिप्सी किसी भी कीमत पर तलाक के लिए राजी नहीं हुई. तब अनोख मित्तल और प्रतीक्षा ने अपने प्यार के रास्ते के रोड़े को हटाने के लिए एक खौफनाक साजिश रची.

शक न हो, इसलिए वीकेंड पर डिनर का प्रोग्राम बनाया. उस ने जानबूझ कर शहर से बाहर के रिसौर्ट को चुना, क्योंकि वहां के रास्ते में सन्नाटा रहता है. आने वाले पल से पूरी तरह अंजान लिप्सी पति के कहने पर डिनर के लिए खुशीखुशी तैयार हो गई थी. रिसौर्ट में अनोख व लिप्सी ने डिनर से पहले एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर देर तक डांस किया. यह अनोख की साजिश का पहला पड़ाव था. इस के बाद दोनों ने डिनर किया. अनोख जानता था कि जिस पत्नी के साथ वह डिनर कर रहा है, अब से ठीक एक घंटे बाद वह मौत की नींद सो चुकी होगी. उस ने डांस के वीडियो अपने वाट्सऐप की स्टेटस पर लगाए थे, ताकि लोगों को यकीन हो सके कि पतिपत्नी कितने खुश थे. जबकि इस से पहले कभी उस ने एक भी तसवीर या वीडियो स्टेटस पर नहीं लगाई थी. यह उस की चाल थी. वह चाहता था कि कत्ल इस अंदाज में हो कि किसी को शक न हो.  

अनोख ने पत्नी लिप्सी की हत्या के लिए इस से पहले 2 बार प्लानिंग की थी. दोनों ही बार प्लान नाकाम होने के बाद उस ने फुलप्रूफ प्लान बनाया था. उस ने शातिर अपराधी की तरह प्लानिंग की, फिर सोचसमझ कर लिप्सी को मरवा दिया. उस ने स्टोरी के रूप में पूरी घटना को अंजाम दिया.

पति ने ऐसे दिया मौत का सिगनल

घटना वाली रात 12 बजे के आसपास  रिट्ज कार से पतिपत्नी हंसीखुशी अपने घर के लिए रवाना हुए थे. रिसौर्ट से लगभग 200 मीटर की दूरी पर रास्ते में एक सुनसान जगह पर पेशाब जाने के बहाने उस ने कार रोक दी और कार से निकल कर चला गया. लेकिन काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी सुपारी किलर नहीं आया. जबकि इस के लिए उस ने व प्रतीक्षा ने सुपारी किलर से संपर्क किया था. यह सुपारी किलर गुरदीप सिंह उर्फ मान, अनोख के यहां पहले काम कर चुका था. हत्या का ढाई लाख रुपए में सौदा तय हो जाने के बाद अनोख ने उसे 50 हजार रुपए एडवांस भी दे दिए थे. शेष 2 लाख रुपए काम होने के बाद देना तय हुआ था. 

अनोख और प्रतीक्षा की योजना यह थी कि लिप्सी को रास्ते से हटाने के बाद दोनों शादी कर लेंगे. जब सुपारी किलर गुरदीप सिंह अनोख के बताए अनुसार घटना को अंजाम देने नहीं पहुंचा तो अनोख ने समझा कि गुरदीप की नीयत खराब हो गई है. अनोख तब कार में आ कर बैठ गया और कार फिर से चल दी. लेकिन यह अनोख मित्तल की भूल थी. अचानक उसे याद आया कि गुरदीप से जो प्लान तय हुआ था, उस के अनुसार वह उसे सिगनल देना भूल गया था. अनोख और गुरदीप के बीच तय हुआ था कि जब वह वाशरूम के लिए कार को सड़क की साइड में रोक कर जाएगा, तब वह सिगनल के रूप में पार्किंग लाइट जलाएगा. इस पार्किंग लाइट का मतलब था कि अब सुपारी किलर अपने काम को अंजाम दे दे. 

अपनी इस भूल के सुधार के लिए अनोख ने कुछ दूर जाने के बाद कार साइड में फिर रोक दी. 6 मिनट के दौरान अनोख ने दूसरी बार कार रोकी थी. इस पर लिप्सी ने पूछा, ”अब कार क्यों रोक दी?’’ 

अनोख ने कहा, ”जी कुछ अजीब सा हो रहा है. वोमिटिंग (उल्टी) आ रही है.’’ 

कार रोकते ही उस ने कार की पार्किंग लाइट जला दी और कार से उतर कर सड़क किनारे चला गया.  पार्किंग लाइट का सिगनल मिलते ही अनोख की कार के पीछे आ रही सुपारी किलर की कार उस की कार के पास आ कर रुकी और कार में बैठी लिप्सी को बाल पकड़ कर 4-5 हमलावरों ने बाहर खींच लिया और चाकू से वार कर उस की हत्या कर उस के पहने आभूषण लूट लिए. लूटपाट की घटना वास्तविक लगे, इस के लिए अनोख ने अपने हाथ और पैर पर चाकू से हल्के वार करा लिए. घटना को अंजाम देने के बाद हमलावर अनोख की कार ले कर भाग गए, ताकि सीन परफेक्ट लगे.

कहते हैं कि क्रिमिनल चाहे जितना चालाक हो, लेकिन खुशी के अतिरेक में कोई न कोई भूल कर ही जाता है. यही बात अनोख के साथ हुई. एक चीज ने उसे पूरे तौर पर हत्यारा साबित कर दिया. हुआ यह कि सुपारी किलर द्वारा घटना को अंजाम दे कर जाने के बाद अनोख ने उत्साह में अपने मोबाइल से प्रेमिका को वाट्सऐप से एक मैसेज किया डन’. बस उस की यही भूल उस के गले की फांस बन गई. पुलिस ने जब अनोख के मोबाइल को चैक किया तो पता चल गया कि उस ने मैसेज अपनी प्रेमिका प्रतीक्षा को किया था. भले ही उस ने शातिराना तरीके से षडयंत्र रच कर घटना को अंजाम दिया था, लेकिन घटना के 24 घंटे में ही वह कानून के शिंकजे में पूरी तरह से आ चुका था.

लिप्सी के फेमिली वालों ने रिसौर्ट में जो वीडियो रिकौर्ड हुआ था, उसे भी देखा. इस से पहले अनोख द्वारा अपने मोबाइल के स्टेटस पर लगाए फोटो और वीडियो देख कर मायके वाले भी हैरान थे. वे सोच रहे थे कि अचानक से इतना प्रेम कैसे पैदा हो गया, जो डांस करते हुए वीडियो स्टेटस पर लगा रहा है? अनोख लिप्सी से प्यार नहीं करता था, उस दिन उस ने दिखावा किया था. मायके वालों ने सोचा कि चलो कुछ तो अच्छा हो रहा है. लेकिन इस दिखावे के पीछे अनोख की क्या मंशा है, वे नहीं समझ पाए. पतिपत्नी बहुत खुश थे. लिप्सी के कत्ल से पहले बेहद खूबसूरत लम्हे इस खूबसूरत जोड़े ने गुजारे. यह अनोख की खूनी साजिश थी, उस के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था. उसे मालूम था कि अगले एक घंटे के बाद उस के साथ डांस कर रही उस की खूबसूरत पत्नी लिप्सी का कत्ल हो जाएगा और वह उस की कैद से हमेशाहमेशा के लिए मुक्त हो जाएगा. लिप्सी पति के इस षडयंत्र से पूरी तरह अंजान थी.

पतिपत्नी के जिस रिश्ते को 7 जन्मों का बंधन माना जाता है, वही रिश्ते एक जन्म भी नहीं चल पा रहे हैं. इस मामले में भी अवैध संबंधों की बात सामने आई है. अवैध संबंधों की परिणति क्या होती है, इस स्टोरी से भलीभांति समझा जा सकता है. अपनी पत्नी का कत्ल कराने के बाद अनोख को प्रेमिका प्रतीक्षा भी नहीं मिली, जबकि उस ने अपनी बसीबसाई गृहस्थी  को उजाड़ लिया. हत्या के जुर्म में गिरफ्तार सभी आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया गया.

 

 

Social Crime : गोल्ड स्मगलिंग में फंसी आईपीएस अफसर की बेटी

Social Crime : 33 वर्षीय कन्नड़ अभिनेत्री और कर्नाटक के सीनियर आईपीएस अफसर रामचंद्र राव की सौतेली बेटी रान्या राव दुबई से सोने की तस्करी के आरोप में बेंगलुरु के केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर ली गई. उस के कब्जे से लगभग 15 किलोग्राम सोने के बिसकुट बरामद हुए. हाईप्रोफाइल रान्या राव आखिर क्यों और कब से कर रही थी यह धंधा?

बेंगलुरु के केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 3 मार्च, 2025 को एमिरेट्स की फ्लाइट ईके566 शाम के लगभग साढ़े 6 बजे समय से लैंड कर चुकी थी. सभी यात्री लगेज बेल्ट से सामान ले कर ग्रीन चैनल की तरफ बढऩे लगे थे. उन में 33 साल की एक कन्नड़ एक्ट्रैस भी थी. वह खास किस्म की जैकेट पहने हुई थी. उस ने बेल्ट भी लगा रखा था. वह तेज कदमों से चल रही थी, किंतु चेहरे पर तनाव साफ नजर आ रहा था. हालांकि वह पूरी तरह से पुलिस के प्रोटोकाल में थी. उस के साथ चलने वाला सिपाही बसवराजू उसे पहचानता था.

तभी एयरपोर्ट पर पहले से मौजूद डायरेक्टरेट औफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) टीम की नजर उस पर पड़ी. जैसे ही टीम ने कन्नड़ एक्ट्रैस को रुकने का इशारा किया, तभी बतौर प्रोटोकाल चल रहे जवान बसवराजू ने कहा, ”मैडम डीजीपी रामचंद्र राव की बेटी रान्या राव हैं. कन्नड़ फिल्मों को मशहूर ऐक्ट्रैस हैं.’’ इस पर डीआरआई की टीम चौंक गई, फिर भी उन्हें मैटल डिटेक्टर के दरवाजे डीएफएमडी से गुजरने को कहा. टीम का एक अधिकारी बोला, ”कोई भी हो, उन्हें जांच तो करवानी ही होगी. ग्रीन चैनल से जाने वाले हर पैसेंजर को मैटल डिटेक्टर से हो कर ही जाना होता है.’’

यह सुनते ही रान्या राव के चेहरे पर घबराहट साफ दिखने लगी. उस के चेहरे की भावभंगिमा बता रही थी वह उधर से हो कर नहीं गुजरना चाहती थी. उस ने साथ के सिपाही की ओर देखा. मुंह बिचकाती हुई खुद को वीवीआईपी बताना चाहा. सिपाही ने जांच टीम के सीनियर अधिकारी से बात की और उन्हें बगैर मैटल डिटेक्टर से जाने देने के लिए रिक्वेस्ट किया.

नहीं चाहते हुए भी रान्या राव को मैटल डिटेक्टर मशीन से हो कर गुजरना पड़ा. जैसे ही वह उस से हो कर गुजरी, वहां मौजूद तमाम अधिकारी हैरान रह गए. रान्या राव की खास बेल्ट और माडरेट किए गए जैकेट में सोने के टुकड़े छिपे पाए गए. उन की तलाशी ली गई. इस जांच में उन के शरीर पर बैंडेज और टिशू की मदद से लपेटे गए सोने के बिसकुट, जूतों और जैकेट की जेबों में छिपाए गए सोने के टुकड़े बरामद हुए. उन की कीमत करीब साढ़े 12 करोड़ रुपए आंकी गई. उन को तुरंत आगे की पूछताछ के लिए डीआरआई मुख्यालय ले जाया गया.

पूछताछ के बाद पता चला कि वह सोने की स्मगलिंग कर रही थी. पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया गया.

ऐक्ट्रैस रान्या यूं बनी गोल्ड स्मगलर

जेल में बंद रान्या राव की जमानत 27 मार्च, 2025 को तीसरी बार भी नामंजूर कर दी गई थी. उस पर आरोप लगा कि उस ने सोना तस्करी के लिए अपने आईपीएस पिता के ओहदे का बखूबी इस्तेमाल किया. इस के लिए तरहतरह के हथकंडे अपनाए और दूसरों की भी मदद ली. पकड़े जाने से पहले महज 15 दिनों के भीतर ही उस ने 4 बार तस्करी की. अनुमान लगाया गया कि वह प्रति किलोग्राम सोने पर एक लाख रुपए कमाती थी. आशंका जताई गई कि इस मामले में कई और लोग  शामिल हो सकते हैं. उन की गोल्ड स्मगलिंग का तरीका भी कुछ कम अनोखा नहीं था.

डीआरआई की जांच टीम इस की कड़ी से कड़ी जोड़ कर यह जानने का प्रयास कर रही है कि आखिर इस खेल में एक्ट्रैस का किसकिस ने साथ दिया और किस तरह से इसे अंजाम दिया जाता था. कहने को तो रान्या राव कन्नड़ फिल्मों की एक एक्ट्रैस थी, लेकिन उन की खास पहचान आईपीएस रामचंद्र राव की बेटी के तौर पर भी थी. वैसे राव उस के सौतेले पिता थे. रान्या ने बेंगलुरु के दयानंद सागर कालेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और साल 2014 में पहली बार एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था. उन की पहली फिल्म ‘माणिक्य’ थी. इस के बाद साल 2016 में ‘वाघा’ और ‘पटकी’ जैसी फिल्मों में काम करने के बाद अचानक फिल्म इंडस्ट्री से गायब हो गई.

इस के बाद रान्या ने अपना नया ठिकाना दुबई बना लिया था. वहां का रेजिडेंस आइडेंटिटी कार्ड भी हासिल कर लिया था. कम समय में अधिक पैसा कमाने की चाहत में वह जुर्म के धंधे में जा धंसी. उस ने गोल्ड स्मगलिंग के इंडिविजुअल गैंग को जौइन कर लिया था. सोने की तस्करी पर उसे गैंग से रुपए मिलते थे. वह अपने आईपीएस पिता के ओहदे का इस्तेमाल कर जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंक देती थी. कारण उसे एयरपोर्ट पर ग्रीन चैनल क्रौस करने के लिए आसानी से प्रोटोकाल मिल जाता था. इसी प्रोटोकाल का फायदा उठा कर रान्या राव महज 15 दिनों में ही 4 बार दुबई से गोल्ड स्मगलिंग को अंजाम दे चुकी थी.

उल्लेखनीय है कि उस की गिरफ्तारी के समय भारत में एक किलोग्राम सोने की कीमत करीब 86.4 लाख रुपए थी, जबकि दुबई में सोने की कीमत करीब 83 लाख रुपए. इस तरह से यानी बिना कस्टम ड्यूटी चुकाए भारत में सोना लाने पर 3.4 लाख रुपए का मुनाफा हो रहा था. रान्या एक ट्रिप में करीब 15 किलो सोना भारत लाती थी, जिस से सीधेसीधे करीब 50 लाख रुपए का फायदा होता था. इस फायदे की रकम में रान्या का 15 लाख रुपए का हिस्सा होता था.

रान्या राव ने कुछ महीने पहले ही बेंगलुरु के रहने वाले एक आर्किटेक्ट से शादी की थी. बताते हैं कि पति भी उसे स्मगलिंग के धंधे में मदद करता था. जब डीआरआई ने रान्या को हिरासत में लिया था, तब उस ने धमकियां दी थीं. गिरफ्तारी से बचने के लिए रान्या ने कई मंत्री और विधायकों तक को फोन किए थे, लेकिन डीआरआई के पास पुख्ता सबूत मिल चुके थे और वह सोने के साथ पकड़ी गई थी. इस कारण रान्या बच नहीं सकी. उस के सौतेले पिता ने भी उस की मदद करने से इनकार करते हुए कह दिया था कि रान्या की व्यक्तिगत जिंदगी से उन का कोई लेनादेना नहीं है. उस की गिरफ्तारी से सोने की तस्करी नेटवर्क खुल कर सामने आ गया.

तस्करी में रान्या को किस ने की थी मदद

सोना तस्करी में साथ देने वाला उस का एक बेहद करीबी अभिनेता विराट कोंडुरु भी रहा है. वह 3 मार्च, 2025 को दुबई में रान्या के साथ था, लेकिन उस का भारत लौटना अलग हुआ था. विराट कोंडुरु ने दुबई हवाई अड्डे पर स्मगलिंग औपरेशन को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने अमेरिकी पासपोर्ट का उपयोग किया था और रान्या राव को लगभग करोड़ रुपए के सोने की तस्करी में सहायता की थी. इस बारे में डीआरआई के वकील ने अदालत को बताया कि कोंडुरु को 3 मार्च को दुबई टिकट बुक करने के लिए रान्या राव से पैसे मिले थे. उसी दिन रान्या ने भी टिकट बुक किया था. तरुण कोंडुरु राजू उर्फ विराट कोंडुरु भी कन्नड़ फिल्मों का अभिनेता है. वह तस्करी के सिलसिले में ही रान्या के साथ यूएई शहर गया था, लेकिन कर्नाटक की राजधानी के बजाय हैदराबाद लौट आया था.

कोंडुरु ने अपने अमेरिकी पासपोर्ट का इस्तेमाल यह जताने के लिए किया था कि जिनेवा जा रहा गया था, जबकि वास्तव में उस ने ही दुबई हवाई अड्डे पर रान्या राव को भारत में तस्करी करने के लिए सोना दिया था. दोनों कलाकारों के बीच इस संबंध का खुलासा तब हुआ, जब बेंगलुरु में आर्थिक अपराधों के लिए एक विशेष अदालत में जमानत पर बहस हो रही थी. रान्या पर नया आरोप लग गया था कि उस ने तस्करी को सुविधाजनक बनाने के लिए कोंडुरु की अमेरिकी नागरिकता का उपयोग किया था.

डीआरआई वकील मधु एन. राव ने जांच के आधार पर अदालत को बताया कि कोंडरु एक अमेरिकी नागरिक होने के नाते रान्या को तस्करी की गतिविधियों में मदद करता था. उस के उकसावे और सहयोग से ही दुबई के सीमा शुल्क को लांघने के बाद भारत में सोने की तस्करी की गई. ऐसा करने के बाद दोनों अलगअलग उड़ानों से भारत लौटे थे. कोंडुरु द्वारा उस के जिनेवा जाने की जानकारी का उद्देश्य स्मगलिंग का एक हिस्सा था. डीआरआई के वकील ने बताया कि रान्या और कोंडुरु 3 मार्च को दुबई एयरपोर्ट पर दाखिल हुए. कोंडुरु ने जिनेवा जाने का दावा कर कस्टम्स के जरिए सोना पास करवा लिया था. इस के बाद उस ने सोना राव को सौंप दिया.

राव ने इसे अपने जैकेट, बेल्ट, जूते आदि में छिपा लिया था. उस वक्त कोंडुरु के पास जिनेवा का टिकट था, जबकि राव के पास बेंगलुरु की फ्लाइट की टिकट थी. कोंडुरु और रान्या की यात्रा की योजना अलगअलग थी. इस की पुष्टि डीआरआई द्वारा रान्या के मोबाइल फोन और लैपटाप की जांच के बाद हुई. जांच में तकनीकी कोडवर्ड के तथ्यों की जानकारी सामने आई. इस बारे में डीआरआई के वकील ने अदालत को बताया कि ‘दुबई में ए2 की मौजूदगी का उद्देश्य सोना ए1 को सौंपना था.’ इस के बाद ही कोंडुरु की पहचान हो पाई और एक लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया गया.

जैसे ही कोंडुरु ने देश छोडऩे का प्रयास  किया, उसे हैदराबाद में इमिग्रेशन अधिकारियों ने रोक लिया. इस तरह वह 8 मार्च, 2025 को एक समन के आधार पर बेंगलुरु में डीआरआई के समक्ष पेश हुआ. पूछताछ के बाद 9 मार्च को उसे गिरफ्तार कर लिया गया. इस आधार पर ही वकील मधु राव ने अदालत में बहस के दौरान कोंडुरु पर आरोप लगाया कि उस ने भारत में तस्करी की गतिविधि को बढ़ावा दिया है, इसलिए उसे जमानत नहीं दी जाए. डीआरआई ने तर्क दिया कि रान्या ने दुबई में कोंडुरु की सेवाओं का उपयोग यह घोषित करने के लिए किया था कि सोना जिनेवा/बैंकाक ले जाया जा रहा था.

यही कारण था कि कोंडुरु ने दुबई से जिनेवा और बैंकाक की यात्रा के लिए टिकट बनवाए थे, जबकि उस ने वहां की यात्रा नहीं की थी. उस ने टिकटों का उपयोग केवल सोने की तस्करी के संचालन के लिए किया था. इस आधार पर डीआरआई ने माना कि दोनों कलाकार सोने की तस्करी करने वाले सिंडिकेट का हिस्सा हैं और कथित तौर पर एक ही तरीके का उपयोग कर कई बार दुबई से भारत में सोने की तस्करी कर चुके हैं. ऐसा वे कम से कम 25 बार कर चुके हैं. दोनों एक साथ दुबई गए, लेकिन साथ नहीं लौटे.

3 मार्च, 2025 को गिरफ्तारी के बाद बेंगलुरु में रान्या राव के आवास पर तलाशी ली गई. इस तलाशी में डीआरआई को 2024 में दुबई सीमा शुल्क को जिनेवा में सोने की खेप ले जाने के लिए दी गई 2 घोषणाओं के दस्तावेज मिले. इसे डीआरआई के वकील ने अदालत में एक सबूत की तरह पेश किया और तर्क दिया कि उन का दुबई में कारोबार था.

प्रोटोकाल का ले रही थी नाजायज फायदा

प्राप्त दस्तावेजों में उन के द्वारा दुबई में धन हस्तांतरण, सोने की खरीद और उसे भारत लाने के तरीके से संबंधित विवरण था. डीआरआई के वकील ने यह भी बताया कि वह इस आधार पर अंतरराष्ट्रीय संबंधों का पता लगा रहे हैं. इस कारण आरोपी को रिहा करना नुकसानदेह होगा. हालांकि कोंडुरु के वकील एम.एम. देवराज ने अपने मुवक्किल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि उन के कब्जे में कोई सोना नहीं मिला और रान्या ने गिरफ्तारी के बाद अपने बयानों में उन का नाम भी नहीं लिया. इस अपराध के लिए उन के मुवक्किल को अधिकतम 7 साल की जेल की सजा हो सकती है, जो प्रथमदृष्टया मामला नहीं बनता है. इस बात पर जोर दिया कि कोंडुरु ने देश से भागने का प्रयास नहीं किया था, बल्कि सम्मन मिलने पर डीआरआई के साथ सहयोग किया.

जन्म से अमेरिकी नागरिक कोंडुरु अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने परिवार के साथ भारत लौट आया था. उस के बाद से वह अपने परिवार के पास रहता है. उस के पास ओवरसीज सिटिजन औफ इंडिया कार्ड है. इस तर्क पर हुई सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने कोंडुरु की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जबकि अदालत ने 14 मार्च को रान्या की जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जिस में उस के पास ‘यूएई का निवासी पहचान पत्र’ और उन के दुबई की लंबी यात्रा का हवाला दिया गया था.

डीआरआई ने रान्या राव पर आरोप लगाया है कि उस ने लगभग 12 करोड़ रुपए मूल्य के करीब 15 किलोग्राम सोने की तस्करी कर के बेंगलुरु लाने का प्रयास करते हुए 4.83 करोड़ रुपए के सीमा शुल्क की चोरी की है. उस की गिरफ्तारी के बाद तलाशी के दौरान उस के घर से 2.67 करोड़ रुपए नकद और 2.07 करोड़ रुपए के आभूषण भी जब्त किए जा चुके हैं. इस पर रान्या ने डीआरआई को दिए गए बयानों में बताया कि उसे दुबई एयरपोर्ट के बाहर एक अजनबी से सोने की खेप मिली थी. जब उस के दावे की जांच की गई, तब पता चला कि उस ने तस्करी के काम में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जो एक जानबूझ कर की गई हरकत से कम नहीं थी.

इस तरह रान्या राव पर जनवरी से अब तक 27 बार दुबई जाने का आरोप लग चुका था. वह 3 मार्च, 2025 को बेंगलुरु से दुबई के लिए सुबह 4 बजे की फ्लाइट से गई थी. उसी दिन शाम 6.20 बजे सोने के साथ वापसी की उड़ान से उतरी. यही नहीं, उस की कोंडुरु के साथ दुबई की 25 बार एक दिवसीय यात्राएं संपन्न हुईं. इस पर रान्या ने दावा किया कि वह दुबई में एक ‘रियल एस्टेट फ्रीलांसर’ थी, जिस कारण उसे यूएई की लगातार यात्राएं करनी पड़ीं. फिल्मी करिअर में ज्यादा सफल नहीं होने वाली रान्या राव 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी के. रामचंद्र राव की सौतेली बेटी है. वह कर्नाटक में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर नियुक्त हैं. इस कारण उस पर आरोप लगा कि उस ने गोल्ड स्मगलिंग के दरम्यान बेंगलुरु एयरपोर्ट पर अपने सौतेले पिता को मिली वीआईपी सेवाओं का इस्तेमाल किया.

रामचंद्र राव कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर के करीबी माने जाते हैं. सोने की तस्करी के रैकेट में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही कई जांचों के बीच सरकार ने उन्हें 15 मार्च को ‘अनिवार्य छुट्टी’ पर भेज दिया था. रान्या और कोंडुरु एकदूसरे को एक दशक से अधिक समय से जानते हैं. उन्होंने यूएई में एक हीरा व्यापार कंपनी में भागीदार बता रखा था, जिस में सोने की खेप के लिए दुबई के अधिकांश दस्तावेज का काम कथित तौर पर फर्म का उपयोग कर के किया गया था. अब केंद्रीय एजेंसियां उन दावों की जांच कर रही हैं कि वे थाईलैंड, स्विट्जरलैंड और अफ्रीका से दुबई में सोना आयात करने और बेचने में शामिल थे.

डीआरआई ने अदालत में यह भी संकेत दिया है कि तस्करी को सुविधाजनक बनाने के लिए सोने की खेपों के लिए भुगतान भारत से हवाला चैनल के माध्यम से किया गया था. रान्या और कोंडुरु का फिल्मी करिअर सफल नहीं रहा है. कोंडुरु एक प्रमुख आंध्र मूल बेंगलुरु व्यवसायी परिवार का सदस्य है. उस की रुचि आतिथ्य, शिक्षा, बिजली और केबल टीवी के कारोबार में है. उस ने 2018 की फिल्म ‘परिचयम’ में हीरो की भूमिका निभाई थी. वही उन की इकलौती फिल्म है. रान्या की सोना तस्करी के तार एक व्यवसायी से भी जुड़े थे. वह बेल्लारी का रहने वाला साहिल सकारिया जैन है.

सकारिया पर भी आरोप है कि उस ने रान्या राव की कई मौकों पर मदद की. रान्या राव के साथ तेलुगु अभिनेता विराट कोंडुरु से जुड़े सोने की तस्करी मामले में तीसरी गिरफ्तारी साहिल सकारिया जैन की हुई. उस पर भारत में तस्करी कर लाए गए सोने को बेचने में कथित तौर पर मदद करने का आरोप लगाया गया. दरअसल, डीआरआई द्वारा सीसीटीवी फुटेज चैक करने पर पता चला कि वह 15 दिनों के दरम्यान दुबई से भारत आई है. एयरपोर्ट से हर बार बाहर निकलने के लिए एक ही तरह का प्रोटोकाल फालो किया गया, लेकिन सब से बड़ी बात यह कि चारों बार रान्या राव ने एक ही तरह ही खास जैकेट और बेल्ट पहनी हुई थी, जोकि संयोग नहीं था. बस, यहीं से डीआरआई को रान्या पर शक हुआ. जैसे ही रान्या की जांच की गई, तब सच यकीन में बदल गया.

भारत में 1962 के सीमा शुल्क अधिनियम के तहत सोने, नकद सीमा, जुरमाना और सजा पर सीमा शुल्क नियमों का सख्ती से पालन करना पड़ता है. रान्या राव का बेंगलुरु के केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगभग 15 किलोग्राम सोने के साथ पकड़ा जाना एक विवाद बन चुका है. यह हाल के दिनों में सोने की सब से बड़ी जब्ती में से एक है. इस का खुलासा डीआरआई ने एयरपोर्ट सुरक्षा जांच के सिलसिले में किया है. राव को एक आर्थिक अपराध अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उस पर आरोप लगा कि पिछले एक साल में उस ने कथित तौर पर सोने की तस्करी करते हुए हर बार एक ही पोशाक पहन कर सऊदी अरब की 30 यात्राएं कीं.

गोल्ड स्मगलिंग के तरीके

दुबई से भारत तक फैले गोल्ड स्मगलिंग के नेटवर्क में रान्या अकेली खिलाड़ी नहीं है. पिछले एक साल में दुबई से भारत लाया गया करोड़ों रुपए का सोना पकड़ा जा चुका है. भले ही सोने की इस तस्करी का रूट एक हो, लेकिन तरीके अलगअलग रहे हैं. सोने की तस्करी में ऐसे दरजनों तरीके हैं, जिन्हें कस्टम और अन्य एजेंसियां अभी तक पकड़ चुकी हैं, लेकिन यह गोल्ड तस्कर एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए स्मगलिंग के नए तौरतरीके ईजाद कर लेते हैं.

खजूर में सोना: इसी साल 26 फरवरी को दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग की टीम ने जेद्दा से आ रहे एक यात्री को रोका था. जब उस के सामान की जांच की गई, तब उस के बैग से खजूर का एक पैकेट मिला. खजूर के साइज पर कस्टम टीम को शक हुआ. टीम ने उस की जांच की, तब खजूर में सोना छिपे होने का पता चला. कस्टम अधिकारियों ने खजूर से 172 ग्राम सोना बरामद किया. बैग की बेल्ट में सोना: इस के ठीक 2 दिन पहले 24 फरवरी को जेद्दा से कुवैत होते हुए आईजीआई एयरपोर्ट पहुंची फ्लाइट में एक यात्री गले में स्लिंग बैग डाल कर उतरा था. वह बेहद परेशान दिख रहा था. उस के चेहरे पर तनाव साफ नजर आ रहा था.

कस्टम की टीम ने ग्रीन चैनल के पास शक के आधार पर उसे रोका. जैसे ही उस का बैग स्कैनिंग मशीन में डाला तो सोना तस्करी का एक और तरीका सामने आ गया. यात्री के स्लिंग बैग और ब्रीफकेस की बेल्ट से 1585 ग्राम सोने का पेस्ट बरामद हुआ. बरामद सोने के पेस्ट की भारत में कीमत करीब एक करोड़ 30 लाख रुपए आंकी गई. हैंड ग्राइंडर में सोना: इसी तरह 8 फरवरी, 2025 को एक पैसेंजर रियाद से दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचा था. उस के बैग में एक हैंड ग्राइंडर और मिक्सर मशीन थी. कस्टम ने उस की जांच की तो हैंड ग्राइंडर और मिक्सर से 466 और 427 ग्राम सोना बरामद हुआ.

टूल बौक्स में सोना: इसी साल 28 जनवरी को रियाद से दिल्ली आने वाले एक पैसेंजर को कस्टम विभाग ने आईजीआई एयरपोर्ट के ग्रीन चैनल पर रोका था. उस के बैग में रखे टूल बौक्स को चैक किया. कस्टम विभाग को टूल बौक्स का लाना आश्चर्यजनक था, क्योंकि वह भारत में आसानी से मिल जाता है. टूल बौक्स में औजारों को जब खोला गया, तब उस में से करीब 13 लाख रुपए का सोना बरामद हुआ. अचार और क्रीम के डिब्बे में सोना: सोने की तस्करी करने वालों द्वारा अपनाया गया यह तरीका भी कुछ कम अनोखा नहीं था.

जेद्दा से आने वाले यात्री के पास से अचार के डिब्बे से 100 ग्राम के 2 सोने के बिस्कुट बरामद हुए, जबकि रियाद से आने वाले यात्री के पास से बेहद चालाकी से क्रीम और बाम के डिब्बे में छिपा कर लगे गए वाइट गोल्ड के 18 बिसकुट बरामद हुए.

विदेश से कौन व्यक्ति कितना ला सकता है सामान

भारत में प्रवेश करने वाले सभी यात्रियों को सीमा शुल्क जांच के दौर से गुजरना होता है. उन्हें सीमा शुल्क घोषणा फार्म भरने की आवश्यकता हो सकती है. यदि आप 5 हजार डालर से अधिक मूल्य के विदेशी मुद्रा नोट या 10 हजार डालर से अधिक की कुल विदेशी मुद्रा राशि ले जा रहे हैं तो यह घोषणा अनिवार्य है.

  1. उपयोग की गई व्यक्तिगत वस्तुएं और यात्रा स्मृति चिह्न को शुल्कमुक्त रखा गया है.
  2. 15 हजार रुपए तक की वस्तुओं पर वैसे यात्रियों को छूट है जो नेपाल, भूटान या म्यांमार से आते हैं.
  3. अंतरराष्ट्रीय यात्री 50 हजार रुपए तक का सामान शुल्क मुक्त ला सकते हैं, बशर्ते कि वे प्रतिबंधित वस्तुएं न ले जा रहे हों.
  4. लैपटाप, कंप्यूटर आदि के संबंध में कोई 18 वर्ष या उस से अधिक आयु के प्रत्येक यात्री को एक लैपटाप शुल्क मुक्त लाने की अनुमति है.
  5. एक यात्री को 2 लीटर तक शराब शुल्क मुक्त लाने की अनुमति है.
  6. तंबाकू के पदार्थों में 100 सिगरेट या 25 सिगार या फिर 125 ग्राम तंबाकू शुल्क मुक्त लाने की अनुमति है.
  7. एनआरआई को हर 6 महीने में एक बार 10 हजार ग्राम सोना भारत लाने की अनुमति है, बशर्ते कि वे कम से कम 6 महीने तक विदेश में रहे हों. हालांकि इस भत्ते का केवल एक हिस्सा शुल्क से मुक्त है, जबकि बाकी सीमा शुल्क के अधीन है.
  8. पुरुष यात्री 50 हजार रुपए तक की कीमत के साथ 20 ग्राम सोना ला सकता है.
  9. महिला यात्री एक लाख रुपए तक की कीमत के साथ 40 ग्राम सोना ला सकती है.
  10. बच्चे 20/40 ग्राम सोना ला सकते हैं. लड़का और लड़की के आधार पर क्रमश: 50 हजार रुपए या एक लाख रुपए की मूल्य सीमा का सोना होना चाहिए.

नकदी ले जाने की सीमा

कोई यात्री बिना घोषणा के 25 हजार रुपए तक की भारतीय मुद्रा ला सकते हैं. हालांकि 5 हजार डालर या इस के बराबर की विदेशी मुद्रा की घोषणा करनी होती है.

तस्करी के लिए सजा

सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के तहत तस्करी एक गंभीर अपराध है. तस्करी के लिए इस तरह के दंड होते हैं—

कारावास: अपराध की गंभीरता के आधार पर तस्करों को 3 से 7 साल तक की कैद हो सकती है.

जुरमाना: कारावास के अलावा, तस्करों पर जुरमाना भी लगाया जा सकता है, जिस की राशि अकसर शामिल माल के मूल्य से 3 गुना होती है.

माल की जब्ती: तस्करी किए गए सामान को सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जब्त किया जा सकता है.

 

 

Extramarital Affair : देवर के साथ मिलकर किया पति का कत्ल

Extramarital Affair : कुछ लोग स्वभाव से सीधे होते हैं, जबकि आज के परिवेश में सीधे व्यक्ति को मूर्ख समझा जाता है. प्रियंका और मोहन ने सीधे स्वभाव के सत्यशील को मूर्ख समझ कर अपने रास्ते से हटा तो दिया, लेकिन…

16 जुलाई, 2020 की रात के 2 बजे सांती गांव के चौकीदार रामनरेश ने थाना मक्खनपुर में फोन कर के बताया कि सिक्सलेन बाईपास पर सांती पुल के पास सर्विस रोड पर एक युवक का शव पड़ा है. इस सूचना पर थानाप्रभारी मक्खनपुर विनय कुमार मिश्र पुलिस टीम ले कर रात में ही घटनास्थल पर पंहुच गए. प्रभारी निरीक्षक ने शव व घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 28-29 साल के आसपास थी. शव देखने से ऐसा लग रहा था जैसे मृतक को किसी वाहन ने रौंदा हो. उस की मौत हो चुकी थी. मृतक के सीधे हाथ की कलाई पर प्रमोद यादव गुदा (लिखा) हुआ था.

इस से यह तो पता चल गया कि मृतक का नाम प्रमोद यादव है लेकिन नाम से यह पता नहीं चल सकता था कि वह कहां का रहने वाला था. इस बीच सुबह हो गई थी. सर्विस रोड पर पुलिस को देख आसपास के लोग एकत्र हो गए. पुलिस ने उन से शव की शिनाख्त कराने का प्रयास किया लेकिन कोई भी मृतक को नहीं पहचान सका. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने  मृतक की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल फिरोजाबाद भेज दी. पुलिस ने मृतक की शिनाख्त के लिए उस का फोटो और दाहिनी बांह जिस पर उस का नाम था, का फोटो सोशल मीडिया पर डाल कर शिनाख्त कराने का प्रयास किया. 17 जुलाई की सुबह मृतक की शिनाख्त फिरोजाबाद जिला के गांव जेबड़ा निवासी 30 वर्षीय सत्यशील उर्फ प्रमोद यादव के रूप में हो गई.

मृतक के घर वालों ने उस की शिनाख्त मोर्चरी जा कर की. जब गांव वालों को सत्यशील की मौत की बात पता चली, तो गांव में मातम छा गया. सत्यशील सीधासादा युवक था, वह रात में सांती पुल पर क्या करने गया था, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही थी. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट देख कर पुलिस के होश उड़ गए. पुलिस जिसे अब तक दुघर्टना मान रही थी, वह हत्या थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत का कारण विषैले पदार्थ का सेवन और गला घोंटना बताया गया था. मृतक की शिनाख्त होने के बाद 19 जुलाई को मृतक  के चाचा लालता प्रसाद ने थाना मक्खनपुर में प्रमोद की पत्नी प्रियंका और सत्यशील के ममेरे भाई मोहन सिंह के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. मोहन सिंह गांव बनकट का रहने वला था.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि मृतक सत्यशील के ममेरे भाई मोहन से मृतक की पत्नी प्रियंका के अवैध संबंध थे. इस की जानकारी सत्यशील को हो गई थी. इसे ले कर सत्यशील और प्रियंका में आए दिन झगड़ा होता था. रास्ते का कांटा निकालने के लिए दोनों ने षडयंत्र रच कर सत्यशील की हत्या करा दी है. उधर पति की दुर्घटना में आकस्मिक मौत पर प्रियंका का रोरो कर बुरा हाल था. जबकि ससुराल वालों द्वारा पति की हत्या में उस का हाथ होने की बात से वह बुरी तरह आहत थी. पुलिस ने चाचा की तहरीर पर भादंवि की धारा 302,201,120बी, 328, 34 के तहत हत्या का मुकदमा  दर्ज करने के बाद गहनता से जांच शुरू कर दी. इस संबंध में पुलिस ने सब से पहले मृतक की पत्नी प्रियंका से पूछताछ की. उस ने बताया, 15 जुलाई की शाम साढ़े 7 बजे सत्यशील किसी कारखाने में काम करने की बात करने के लिए घर से निकले थे.

जब वह देर रात तक लौट कर नहीं आए तो उसे चिंता हुई और उस ने रात में ही अपने मायके वालों को फोन कर इस संबंध में बताया था. उस ने मोहन से अवैध संबंधों की बात सिरे से नकार दी. उस ने पुलिस को बताया कि मोहन उस का ममेरा देवर है और सत्यशील से मिलने घर आता था. पुलिस ने प्रियंका के बयानों की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल को खंगाला. उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर शक के दायरे में आया, जिस पर प्रियंका सब से ज्यादा बातें करती थी. पुलिस ने उस नंबर को ट्रेस किया तो नंबर मोहन का निकला. पता चला कि 15/16 जुलाई की घटना वाली रात प्रियंका और मोहन की कई बार बातें हुई थीं.

शक के दायरे में प्रियंका प्रियंका को संदेह के दायरे में लाने के लिए इतना ही काफी था. पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की. प्रियंका  बारबार अपने बयान बदलती रही. इस से वह पूरी तरह संदेह के घेरे में आ गई. महिला सिपाही ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो प्रियंका टूट गई. वह थाने में ही फूटफूट कर रोने लगी. उस ने अपना जुर्म कबूल करते हुए पुलिस को बताया कि मोहन ने उसे 15 जुलाई को फोन किया था कि सत्यशील को शाम 7 बजे कारखाने में नौकरी की बात करने के बहाने मेरे पास पायनियर तिराहे पर भेज देना. मोहन के कहे अनुसार उस ने पति को पायनियर तिराहे पर भेज दिया था. पति की हत्या कैसे और कहां करनी है, ये काम मोहन को करना था. पुलिस समझ गई कि सत्यशील की हत्या प्रियंका और उस के प्रेमी मोहन ने षडयंत्र रच कर योजनाबद्ध तरीके से की थी.

एसएसपी सचिंद्र पटेल ने इस केस के मुख्य आरोपी मोहन की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार को सौंपी. साथ ही उन्होंने क्षेत्राधिकारी शिकोहाबाद इंदुप्रभा सिंह और थाना मक्खनपुर के प्रभारी विनय कुमार मिश्र की मदद के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम के सहयोग के लिए सर्विलांस टीम को भी लगा दिया गया. पुलिस टीम मुख्य आरोपी मोहन की गिरफ्तारी के लिए पूरी तैयारी के साथ जुट गई. क्योंकि उस की गिरफ्तारी के बाद ही हत्या के इस रहस्य से परदा उठ सकता था. 21 जुलाई को थानाप्रभारी विनय कुमार  मिश्र पुलिस टीम के साथ क्षेत्र में गश्त पर थे. तभी मुखबिर ने सूचना दी कि सत्यशील की हत्या में शामिल नामजद मोहन हाईवे स्थित उसायनी मंदिर पर खड़ा है.

इस सूचना पर पुलिस उसायनी मंदिर के पास पहुंच गई. वहां आरोपी मोहन कार के पास खड़ा था. पुलिस को देख कर वह भागने लगा साथ ही कार में बैठे उस के 2 अन्य साथी भी भागे. पुलिस ने घेराबंदी कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया. मोहन सिंह के साथ पकड़े गए उस के दोस्त थे. इन में नीरज मिश्रा नगला सदा का रहने वाला था और जयवीर, गांव कुतकपुर जारखी में रहता था. हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में थानाप्रभारी विनय कुमार मिश्र, सब इंस्पेक्टर धीरेंद्र सिंह, कास्टेबल सुमनेश कुमार, राहुल चौधरी, पवन कुमार, महिला कास्टेबल रेनू सिंह शामिल थे.

पुलिस ने सत्यशील की हत्या में शामिल पत्नी प्रियंका उस के प्रेमी मोहन, दोस्त नीरज व जयवीर को गिरफ्तार कर के सभी से पूछताछ की. आरोपियों ने सत्यशील की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. प्रियंका को पसंद नहीं था पति का सीधापन एसएसपी सचिंद्र पटेल ने पुलिस लाइन, दबरई में प्रैसवार्ता में हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. कहानी यह निकल कर सामने आई कि अपने पति सत्यशील के सीधेपन से प्रियंका शादी के 2 साल बाद ही ऊब गई थी. मोहन का प्रियंका के घर काफी दिनों से आनाजाना था. 23 साल का मोहन उम्र में प्रियंका से 2 साल छोटा था. वह रिश्ते में उस का ममेरा देवर था, प्रियंका उस की रोमाटिंक बातों में खूब रस लेती थी.

भाभी के प्रेम में दीवाना मोहन प्यार की राह में आ रहे कांटे को हटाने के लिए तैयार था. प्रियंका और मोहन ने मिल कर सत्यशील की हत्या का षडयंत्र रचा. मोहन ने इस में अपने 2 दोस्तों को भी शामिल कर लिया. हत्यारोपियों ने इस खौफनाक हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—

उत्तर प्रदेश के शहर फिरोजाबाद का एक थाना है मक्खनपुर. जेबड़ा गांव इसी थाना क्षेत्र में आता है. सत्यशील उर्फ प्रमोद यादव अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी प्रियंका के अलावा 3 बेटियां और वृद्ध मां थीं. सत्यशील मांबाप का इकलौता बेटा था. शादी से पहले वह अकसर गांव बनकट स्थित अपने मामा पप्पू के घर चला जाता था. वहां वह कईकई दिन ठहरता था. उस के मामा के दूसरे नंबर के 23 वर्षीय बेटे मोहन सिंह से उस की खूब पटती थी. सत्यशील के हाईस्कूल कर लेने के बाद घर वालों ने उस की शादी गांव भढ़ाईपुरा निवासी एक युवती से कर दी.

शादी के बाद सत्यशील के 2 बेटियां हुईर्ं. उस की बड़ी बेटी मानसी इस समय 7 साल की व मानवी 6 साल की हैं. तीसरी डिलीवरी के दौरान सत्यशील की पत्नी की मृत्यु हो गई. दोनों बेटियां छोटी थीं. उन की परवरिश करने वाला घर में कोई नहीं था. सत्यशील के पिता महेश चंद्र की मौत हो चुकी थी जबकि मां दिमाग से कमजोर होने के कारण घरगृहस्थी का काम नहीं कर पाती थी. इस के चलते सत्यशील के ससुराल वालों ने 2 साल पहले उस की शादी गांव उतरारा की अपनी जानकार 25 वर्षीय प्रियंका से करा दी. प्रियंका की एक साल की एक बेटी है किट्टू. सत्यशील के पास ढाई बीघा जमीन थी. वह अपनी खेती के साथ बटाई पर जमीन ले कर खेतीकिसानी करता था. इसी से उस के परिवार की गुजरबसर होती थी. सत्यशील ने बच्चों के लिए घर में गाय भी पाल ली थी. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था.

सत्यशील फसल की सिंचाई व देखभाल के लिए रात में अकसर खेतों पर चला जाता था. आराम करने के लिए खेतों पर झोपड़ी बनी थी. कभीकभी वह उस झोपड़ी में ही सो जाता था. सुबह होने पर वह घर आ जाता था. ममेरे भाई मोहन के पास निजी टीयूवी कार थी, जिसे वह टैक्सी के रूप में चलाता था. वह अकसर सत्यशील के गांव जेबड़ा आताजाता रहता था. दोनों भाइयों में खूब पटती थी. प्रियंका मोहन की भाभी थी, सो दोनों अकसर एकदूसरे से दिल्लगी करते रहते थे. बातों ही बातों में एक बार मोहन बोला, ‘‘भाभी, रात में भैया तो खेतों पर सोने चले जाते हैं, तुम्हें नींद कैसे आती है?’’

इंटरमीडिएट तक पढ़ी प्रियंका देवर की शरारत समझ कर भी अनजान बनी रही. बोली, ‘‘जैसे तुम्हें नींद आ जाती है वैसे ही मुझे आ जाती है.’’ प्रियंका ने कहा, ‘‘वैसे मोहन, अब तुम शादी कर लो.’’

एक दिन मोहन रात में गाड़ी चलाने के बाद सत्यशील के घर आ गया. सत्यशील खाना खा कर खेत की सिंचाई के लिए जाने वाला था. मोहन के आने पर उस ने प्रियंका से कहा, ‘‘कल्लू को खाना खिला देना.’’ फिर उस ने कल्लू से कहा, ‘‘मुझे खेत पर जाने के लिए देर हो रही है. इसलिए जाता हूं.’’

सत्यशील खेतों पर चला गया.  प्रियंका ने मोहन के लिए खाना बनाया. फिर देवर को बड़े प्यार से खिलाया. खाना खाते और बातचीत करते कब समय निकल गया दोनों को पता ही नहीं चला. प्रियंका ने मोहन से कहा, ‘‘रात ज्यादा हो गई है, सुबह चले जाना.’’

इस पर मोहन ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं अपनी गाड़ी में सो जाऊंगा.’’

इस पर प्रियंका ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम्हें घर में सोने के लिए कौन मना कर रहा है. इतना बड़ा घर है और सोओगे गाड़ी में.’’

प्रियंका की बातों से मोहन को मन की मुराद पूरी होती लगी. उस रात प्रियंका और मोहन दोनों अपनेअपने बिस्तर पर करवटें बदलबदल कर सोने का प्रयास करने लगे. मगर 2 जवान दिलों की बढ़ती धड़कनों ने उन्हें सोने नहीं दिया. प्रियंका के पैरों की पायल की रूनझुन ने मोहन की आंखों से नींद उड़ा दी थी. आखिर जब मोहन से नहीं रहा गया तो वह अपने बिस्तर से उठ कर बोला, ‘‘भाभी, नींद नहीं आ रही क्या?’’

प्रियंका मुसकरा कर बोली, ‘‘तुम्हें आ रही है?’’

मोहन बोला, ‘‘तुम्हारे बिना कैसे आएगी?’’

फिर प्यासी नदी के 2 किनारों को मिलने में देर नहीं लगी. इस के बाद जब भी मौका मिलता दोनों मिल लेते थे. उन्हें रोकने टोकने वाला घर में कोई नहीं था.

लौकडाउन में तो मोहन रोज ही सत्यशील के घर जाता था. इस बीच सत्यशील कहीं भी आजा नहीं रहा था. यहां तक कि पुलिस के डर से रात में अपने खेतों पर सोने भी नहीं जाता था. इस के चलते प्रेमी युगल को क्वालिटी टाइम स्पेंड करने का मौका नहीं मिल पा रहा था. दोनों के दिलों में सुलग रही आग बाहर आने लगी थी. बाद में दोनों ने राह के कांटे को हमेशा के लिए निकालने की खौफनाक साजिश रची. दोनों ने इस षडयंत्र को 15/16 जुलाई को अंजाम भी दे दिया. मक्खनपुर क्षेत्र में कांच के कई कारखाने हैं. साजिश के तहत प्रियंका ने अपने पति सत्यशील से कहा, ‘‘तुम किसी कारखाने में काम कर लो. मोहन तुम्हारा काम लगवा देगा. इस से घर का खर्च भी अच्छी तरह चल जाएगा.’’

सीधासादा सत्यशील पत्नी की शतरंजी चाल को समझ नहीं पाया. प्रियंका ने 15 जुलाई की शाम साढ़े 7 बजे सत्यशील को काम के बहाने मोहन के पास भेज दिया. पायनियर तिराहे पर मोहन पहले से ही अपनी कार में अपने 2 साथियों के साथ सत्यशील का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. जैसे ही वह वहां पहुंचा मोहन ने उसे कार में बैठा लिया. आगे चल कर मोहन ने एक होटल से कोल्ड ड्रिंक की 4 बोतलें खरीदीं. पीछे बैठे उस के दोनों साथियों ने पहले से साथ लाई नशे की गोलियां एक बोतल में मिला दीं. आगे की सीट पर मोहन की बगल में बैठे सत्यशील को इस का पता नहीं चला. कोल्ड ड्रिंक पीने के कुछ देर बाद सत्यशील पर बेहोशी छाने लगी.

मोहन का इशारा मिलते ही जयवीर व नीरज ने मिल कर सत्यशील के गले में पड़े सफेद रंग के अंगोछे से उस का गला दबा कर गाड़ी में ही हत्या करने की कोशिश की.  लेकिन उस के मुंह से खून आने लगा. इस पर मोहन गाड़ी को सांती पुल के नीचे ले गया और सत्यशील को सर्विस रोड पर फेंक दिया. उस की मौत की पुष्टि के लिए इन लोगों ने कार 2 बार उस के ऊपर चढ़ाई. जब उन्हें पूरी तसल्ली हो गई कि सत्यशील मर चुका है, तब मोहन ने प्रियंका को रात में ही फोन कर के बता दिया कि काम हो गया है. इस पर प्रियंका ने कहा, कार चढ़ाने के बाद तुम ने देख भी लिया है कि उस की मौत हुई या नहीं. मोहन ने उसे तसल्ली दी कि तुम किसी बात की चिंता मत करो.

नहीं बना पाए दुर्घटना मोहन ने हत्या को दुर्घटना दिखाने के लिए सत्यशील के ऊपर 2 बार कार चढ़ाई थी. मुख्य आरोपी मोहन ने हत्या की योजना में शामिल करने के लिए दोनों साथियों को 15 हजार रुपए देने का प्रलोभन दिया था. साथ ही नीरज मिश्रा को एक मोबाइल भी खरीद कर दिया था. पुलिस ने उस मोबाइल के साथ ही मृतक का सैमसंग मोबाइल, प्रियंका का मोबाइल, मृतक की चप्पलें, हत्यारोपियों के कब्जे से खून से सना सत्यशील का गमछा, कोल्ड ड्रिंक की 4 बोतलें, हत्या में इस्तेमाल टीयूवी कार आदि चीजें बरामद कर लीं. पुलिस ने सत्यशील की हत्या करने के आरोप में प्रियंका, मोहन, नीरज व जयवीर को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

प्रियंका की बेटी किट्टू व गाय को प्रियंका की मां अपने साथ ले गई. जबकि पहली पत्नी के मायके वाले दोनों बेटियों को अपने साथ ले गए. प्रियंका ने आशनाई के चक्कर में अपने सुहाग व सुखी गृहस्थी को अपने ही हाथों उजाड़ लिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime Story : हंसिए से काट डाली प्रेमिका के पिता और मां की गर्दन

Crime Story : बबीता और लालमणि भले ही अलगअलग बिरादरी के थे, लेकिन उन का प्यार अटूट था. लालमणि ने बबीता के मातापिता से जब शादी के बारे में बात की तो उन्होंने शादी करने से इनकार कर दिया. इस के बाद ऐसा क्या हुआ कि बबीता के घर में एक नहीं, बल्कि 2 हत्याएं हुईं?

थाना गोसाईगंज के थानाप्रभारी एस.के. सिंह को सुबहसुबह सलारपुर गांव में डबल मर्डर की सूचना मिली तो वह विचलित हो उठे. उन्होंने वारदात की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी फिर पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. यह बात 25 मई, 2020 की सुबह 8 बजे की है. एस.के. सिंह को दोहरे हत्याकांड की सूचना सलारपुर गांव के किसी व्यक्ति ने मोबाइल फोन से दी थी. उस ने अपना नाम तो नहीं बताया था, पर यह जरूर बताया था कि गांव के बुजुर्ग दंपति की निर्मम हत्या हुई है. एस.के. सिंह कुछ और पूछते, उस से पहले ही फोन डिसकनेक्ट कर दिया गया था. सलारपुर गांव से थाना गोसाईगंज 8 किलोमीटर दूर था. पुलिस को वहां पहुंचने में करीब आधा घंटा लगा.

सलारपुर पहुंचते ही एस.के. सिंह को पता चल गया कि हत्या राममिलन व उस की बीवी राजकुमारी की हुई है. उस समय घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जुटी थी. पूछने पर पता चला कि शव घर की छत पर पड़े हैं. एस.के. सिंह साथी पुलिसकर्मियों के साथ छत पर पहुंचे. वहां एक 20-22 वर्षीय युवती चीखचीख कर रो रही थी. वह मृतक दंपति की बेटी वंदना थी. थानाप्रभारी ने उसे समझाबुझा कर शव से अलग किया फिर निरीक्षण में जुट गए. राममिलन और उस की पत्नी राजकुमारी के शव अगलबगल पड़े थे. शवों के पास ही खून सना हंसिया पड़ा था. संभवत: उसी हंसिया से वार कर दोनों को मौत के घाट उतारा गया था. दोनों के गले पर गहरे जख्म थे. चेहरों पर भी वार किए गए थे.

मृतक राममिलन की उम्र 60 वर्ष के आसपास थी, जबकि उस की पत्नी राजकुमारी 55 वर्ष के आसपास थी. पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर आला कत्ल हंसिया जाब्ते में लिया. थानाप्रभारी एस.के. सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी शिवहरी मीणा, एएसपी (ग्रामीण) शिवराज तथा सीओ दलबीर सिंह भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जहां घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, वहीं फौरेंसिक टीम ने जांच कर साक्ष्य जुटाए और कई जगह से फिंगरप्रिंट उठाए. डौग स्क्वायड ने खोजी कुतिया लूसी को मौका ए वारदात पर छोड़ा.

लूसी दोनों शवों को सूंघ कर छत से जीने के रास्ते घर के बाहर आई और भौकते हुए आगे बढ़ी फिर प्राथमिक पाठशाला के पास लगे हैंडपंप पर जा कर रुक गई.

उस ने हैंडपंप को कई बार सूंघा और भौंकने लगी. इस के बाद वह वापस लौट आई. टीम के सदस्यों ने अनुमान लगाया कि हत्यारों ने हत्या करने के बाद हाथपैरों पर लगे खून को संभवत: इसी हैंडपंप पर धोया होगा. घटनास्थल पर मृतक की बेटी वंदना मौजूद थी. उस की आंखों बहते आंसुओं का सैलाब थम नहीं रहा था. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछताछ की तो वंदना ने बताया कि उस के मांबाप का कातिल कोई और नहीं उस का प्रेमी लालमणि उर्फ लल्लू है. वह पड़ोसी गांव कसमऊ का रहने वाला है. वह बीती रात 8 बजे घर आया था. उस ने मातापिता पर शादी करने का दबाव डाला था, लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया था. इस से नाराज हो कर वह वापस चला गया था.

आधी रात के बाद लगभग 3 बजे वह घर से सटे पेड़ पर चढ़ कर छत पर आया और छत पर सो रहे मातापिता की हंसिया से वार कर हत्या कर दी और फरार हो गया. आप उसे जल्दी गिरफ्तार कर लीजिए वरना वह मुझे भी मार डालेगा.

‘‘लालमणि के अलावा कोई और भी उस के साथ था?’’ सीओ दलबीर सिंह ने वंदना से पूछा.

‘‘नहीं साहब, कोई दूसरा उस के साथ नहीं था. उस ने अकेले ही घटना को अंजाम दिया है.’’ वंदना बोली.

वंदना से पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर राममिलन और राजकुमारी के शव पोस्टमार्टम के लिए सुलतानपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिए. इस के बाद वंदना की तहरीर पर थाना गोसाईगंज थाने में भादंवि की धारा 302 के तहत लालमणि उर्फ लल्लू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया. चूंकि मामला डबल मर्डर का था और क्षेत्र में दहशत थी. इसलिए हत्यारोपी को पकड़ने के लिए एसपी शिवहरी मीणा ने एएसपी शिवराज की अगुवाई में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में गोसाईगंज थानाप्रभारी एस.के. सिंह, सीओ दलबीर सिंह, एसआई जगदेव सिंह, रामकुमार, आरक्षी अनूप कुमार तथा सिपाही लाल को सम्मिलित किया गया. टीम के साथ सर्विलांस टीम को भी लगा दिया गया.

गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, वंदना का बयान दर्ज किया तथा उस नीम के पेड़ का जायजा लिया, जिस पर चढ़ कर हत्यारा छत पर आया था. टीम ने वंदना के पड़ोसियों और उस के चाचा गिरिराज व चाची सरिता से भी पूछताछ की और उन के बयान दर्ज किए. लालमणि की तलाश इस के बाद देर रात पुलिस टीम ने कसमऊ गांव निवासी लालमणि के घर छापा मारा. लालमणि घर से फरार था, पुलिस टीम ने उस के पिता तुलसीराम से उस के बेटे के बारे में सख्ती से पूछताछ की. तुलसीराम ने टीम को उन ठिकानों की जानकारी दी जहां लालमणि छिप सकता था.

जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस टीम ने उन ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे मारे लेकिन लालमणि हाथ नहीं लगा. उस ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया था, जिस से सर्विलांस टीम उस की लोकेशन पता नहीं कर पा रही थी. पुलिस टीम ने खास मुखबिर भी लगाए पर हत्यारोपी का पता न चल सका. 2 जून, 2020 की शाम सर्विलांस टीम को लालमणि की लोकेशन गोपालगंज और कसमऊ गांव के बीच की मिली. लोकेशन ट्रेस होते ही पुलिस टीम ने उस का पीछा किया और रात 8 बजे उसे कसमऊ गांव के बाहर से धर दबोचा. वह अपने पिता तुलसीराम से रात के अंधेरे में मिलने जा रहा था. पुलिस टीम उसे पकड़ कर थाना गोसाईगंज ले आई.

थाने में जब लालमणि से दोहरे हत्याकांड के बारे में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. उस ने कहा कि वह तो वंदना से प्यार करता है, भला उस के मातापिता की हत्या कैसे कर सकता है. वंदना के मांबाप की हत्या उस के परिवार वालों ने की है. वे लोग उन की जमीन और घर हड़पना चाहते थे. उसे झूठा फंसाया जा रहा है. उस के इस झूठ पर थानाप्रभारी एस.के. सिंह को गुस्सा आ गया. उन्होंने उस से सख्ती के साथ पूछताछ की. इस के बाद वह टूट गया और दोहरी हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं उस ने खून से सने कपड़े भी बरामद करा दिए, जो उस ने अपने खेत के पास झाडि़यों में छिपा दिए थे. उस ने बताया कि वह वंदना से शादी करना चाहता था.

दोनों एक दूसरे से मोहब्बत करते थे. लेकिन वंदना के मांबाप राजी नहीं थे. इसलिए उस ने दोनों को मौत की नींद सुला दिया. चूंकि लालमणि ने दोहरी हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, उस ने खून सने कपड़े भी बरामद करा दिए थे. इस के अलावा पुलिस आला कत्ल हंसिया पहले ही बरामद कर चुकी थी. अत: पुलिस ने उसे हत्या के जुर्म में विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में प्यार के प्रतिशोध में हुई दोहरी हत्या की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई—

सुलतानपुर जिले का गांव सलारपुर, थाना गोसाईगंज क्षेत्र में आता है. राममिलन अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी राजकुमारी के अलावा 3 बेटियां गीता, अनीता और वंदना थीं. राममिलन के पास उपजाऊ खेती की जमीन तो नाम मात्र की थी, लेकिन वह पंपिंग मशीन का बेहतरीन कारीगर था. अपने हुनर से वह अपने परिवार का पालनपोषण करता था. मशीनरी का कारीगर होने के कारण राममिलन आसपास के दरजनों गांव में चर्चित था. लोग उस की इज्जत करते थे. राममिलन ने गीता और अनीता की शादी कर दी थी. लालमणि बना राममिलन का शागिर्द वंदना राममिलन की सब से छोटी बेटी थी. वह अपनी 2 बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी, सादे कपड़ों और बिना मेकअप के भी उस की सुंदरता पहली ही नजर में मन में उतर जाती थी.

उस ने गांव के गांधी स्मारक माध्यमिक विद्यालय से हाईस्कूल पास किया था. इस के बाद उस की पढ़ाई पर विराम लग गया था. वह मां के घरेलू कामों में हाथ बंटाने लगी थी. एक रोज राममिलन पंपिंग इंजन ठीक  करने पड़ोसी गांव कसमऊ गया. वहां उस की मुलाकात युवा लालमणि उर्फ लल्लू से हुई. लालमणि कसमऊ गांव निवासी तुलसीराम का बेटा था. तुलसीराम राजमिस्त्री था. उस के 2बच्चों में लालमणि बड़ा था. इंटर पास लालमणि नौकरी की कोशिश में लगा था. राममिलन ने चंद घंटों में इंजन की मरम्मत कर उसे   चालू कर दिया और मालिक से 1000 रुपए मेहनताना ले लिया. राममिलन के इस हुनर को देख कर लालमणि प्रभावित हुआ और उसे अपने घर ले गया.

घर ला कर लालमणि ने राममिलन का खूब आदरसत्कार किया फिर बोला, ‘‘चाचा, आप हुनरमंद हैं. आप अपने इस हुनर को मुझे भी सिखा दें तो मेरी बेरोजगारी दूर हो जाएगी. मैं जीवन भर आप का एहसान मानूंगा.’

‘‘एहसान किस बात का, पर तुम्हें हुनर सीखने के लिए मेहनत और लगन से काम करना होगा, समय भी देना होगा. भूखप्यास से भी जूझना पड़ सकता है.’’ राममिलन ने उसे टटोला.

‘‘मुझे आप की हर शर्त मंजूर है, बस आप अपना हुनर सिखा दीजिए.’’ लालमणि बेताब हो कर बोला.

इस के बाद लालमणि, राममिलन के साथ जाने लगा. राममिलन उसे इंजन खोलना, बांधना सिखाने लगा. लालमणि में हुनर सीखने का जज्बा था. साल बीततेबीतते वह हुनर सीख गया. अब राममिलन बैठा रहता और लालमणि इंजन को सुधारने का काम करता. लालमणि की मेहनत व लगन से राममिलन खुश था. उसे जो भी मेहनताना मिलता, उस का आधा लालमणि को दे देता. लालमणि राममिलन के घर भी आनेजाने लगा था. घर आतेजाते ही उस की निगाह उस की खूबसूरत जवान बेटी वंदना पर पड़ी. वंदना पहली ही नजर में लालमणि के दिल में रचबस गई. वह उसे मन ही मन प्यार करने लगा. वंदना भी लालमणि से प्रभावित थी.

जब भी दोनों का आमनासामना होता तो एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. लेकिन अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत दोनों में से कोई नहीं जुटा पाता था. एक रोज वंदना घर की साफसफाई कर रही थी, तभी लालमणि दरवाजे पर आ कर खड़ा हो गया और टकटकी लगा कर वंदना को निहारने लगा. लालमणि को अपनी ओर निहारते देख वंदना के चेहरे पर मुसकान तैर गई, ‘‘आइए लल्लूजी आइए.’’ आंखें मिली तो दोनों के दिल के तार झनझना उठे.

‘‘चाचा नहीं दिखाई पड़ रहे, कहीं गए हैं क्या?’’ लालमणि ने वंदना से पूछा.

‘‘हां, पापा गोसाईगंज बाजार गए हैं. दोपहर बाद ही लौट पाएंगे.’’

‘अच्छा, तो मैं चलता हूं, चाचा आ जाएं तो बता देना लल्लू आया था.’

‘‘अरे, ऐसे कैसे चले जाओगे. चायनाश्ता कर लो, फिर चले जाना. नहीं तो पापा नाराज होंगे. कहेंगे उन का शागिर्द आया था और तुम ने चायपानी को भी नहीं पूछा.’’ कहते हुए वंदना ने आंगन में कुरसी डाल दी.

लालमणि कुरसी पर बैठ गया. वंदना उस समय साधारण कपड़ों में थी. लेकिन उस सादगी में भी वह गजब की खूबसूरत लग रही थी. लालमणि के मन में आया कि वह उस के सौंदर्य की जी भर कर प्रशंसा करे, मगर संकोच के झीने परदे ने उस के होंठों को हिलने से रोक लिया. हालांकि मनमस्तिष्क में जज्बातों की खुशनुमा हवाएं काफी देर तक हिलोरें लेती रहीं. दिल में एक आशंका यह भी आ रही कि कही वंदना ने किसी दूसरे को अपने दिल में न बसा रखा हो. ऐसा हुआ तो उस के अरमानों को ग्रहण लगने का खतरा हो सकता था. इश्क हर किसी से तो नहीं होता, बस एक बार और फिर आर या पार.

आंगन में कुरसी पर बैठे लालमणि के मस्तिष्क में सुखद विचारों का मंथन चल रहा था. उधर वंदना के दिलोदिमाग में एक अलग तरह की हलचल मची हुई थी. उन्हीं विचारों में खोई वंदना चायनाश्ता ले कर आ गई, ‘‘लीजिए गरमागरम चाय पीजिए.’’

उस रोज वंदना के हाथों बनाई चाय पीते समय लालमणि की आंखें लगातार उस के शबाबी जिस्म का जायजा लेती रहीं. दिन के उजाले में ही लालमणि की आंखें उस के हुस्न के दरिया में डूब जाने के सपने देखने लगी. इस मुलाकात के बाद वंदना की मोहब्बत की आस में उस पर ऐसी दीवानगी सवार हुई कि वह उसे अपनी आंखों का काजल बना बैठा. कुछ ही दिनों में आंखों से उठ कर वंदना ने लालमणि की रूह में आशियाना बना लिया. लालमणि जैसा ही हाल वंदना का भी था. रात में वह सोने के लिए बिस्तर पर लेटती तो नींद के भौरे पलकों पर आआ कर चले जाते. वे उड़ जाते तो लालमणि का मुसकराता चेहरा पलकों में आ कर छिप जाता. तब वह रोमांचित हो उठती और सुखद अनुभूति महसूस करती.

प्यार का इजहार आखिर जब लालमणि से नहीं रहा गया तो एक रोज उस ने प्यार का इजहार कर ही दिया, ‘‘वंदना, मैं तुम से बेहद प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब मैं खुद को अधूरा समझता हूं. तुम मेरे दिल में रचबस गई हो. तुम्हारे अलावा मुझे कुछ सूझता ही नहीं.’’

वंदना कुछ क्षण मौन रही फिर बोली, ‘‘लल्लू, प्यार तो मैं भी तुम से करती हूं, पर हम दोनों के बीच ऊंचनीच, बिरादरी का मतभेद है. पता नहीं मेरे मांबाप इस रिश्ते को स्वीकार करेंगे भी या नहीं. मुझे इस बात का डर सता रहा है.’’

‘‘तुम डरो नहीं वंदना, हम चाचाचाची को मना लेंगे. मुझे उम्मीद है वह मेरी बात मान जाएंगे. क्योंकि चाचा राममिलन जानते हैं कि अब मैं कमाने लगा हूं. मुझ में नशाखोरी जैसा कोई ऐब भी नहीं है. सब से बड़ी बात हम दोनों हमउम्र हैं और दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं.’’ लालमणि बोला. इस के बाद वंदना और लालमणि का प्यार परवान चढ़ने लगा. उन के बीच की दूरियां कम होने लगीं. फिर उन का शारीरिक मिलन भी होने लगा. लालमणि ऐसे समय पर घर आता जब राममिलन घर के बाहर होता. वंदना मां की आंखों में धूल झोंक कर प्रेमी से मिलन कर लेती. उन्हें घर में मौका न मिलता तो खेतखलिहान, बागबगीचे में भूख मिटा लेते. इस मिलन का परिणाम यह हुआ कि गांव भर में दोनों के अवैध संबंधों की चर्चा होने लगी.

वंदना के बहकते कदमों की खबर जल्द ही उस के पिता राममिलन और मां राजकुमारी के कानों तक जा पहुंची. दोनों को जमीन घूमती हुई नजर आई. इज्जत ही गरीब की दौलत होती है और उसी दौलत को उन की बेटी नीलाम करने पर उतारू थी. यह बात उन्हें भला कैसे गवारा होती. लिहाजा दोनों ने बेटी डांटाफटकारा भी और समझाया भी, ‘‘वंदना, लल्लू छोटी जाति का है. उस से तुम्हारा रिश्ता हरगिज नहीं हो सकता. अगर तूने मनमानी की तो बिरादरी के लोग हमारा हुक्कापानी बंद कर देंगे. उस हालात में हमारा जीना दूभर हो जाएगा. इसलिए तू अपना रास्ता बदल ले.’’

मांबाप की नसीहत सौ फीसदी सच थी, इसलिए वंदना ने उन की बात मान ली और लालमणि से मिलनाजुलना बंद कर दिया. उस ने लल्लू को बता भी दिया कि उस के मांबाप उस के साथ शादी को राजी नहीं हैं. यह पता चलते ही लालमणि का गुस्सा फट पड़ा. वह राममिलन तथा राजकुमारी को अपने प्यार में बाधक मानने लगा. जब उस का गुस्सा शांत होता तो वह वंदना के घर पहुंच जाता और चाचाचाची के पैर छू कर उन्हें शादी के लिए मनाता. इतना ही नहीं, उन के न मानने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी देता. उस ने वंदना पर भाग कर शादी करने का भी दबाव डाला, पर वंदना राजी नहीं हुई. इस से लालमणि वंदना से भी नाराज रहने लगा.

24 मई, 2020 की रात 8 बजे भी लालमणि, राममिलन के घर पहुंचा और उस पर तथा उस की पत्नी राजकुमारी पर उस से वंदना की शादी करने का दबाव डाला. लेकिन वह दोनों राजी नहीं हुए. इस पर लालमणि ने उन्हें धमकी दी कि इस का परिणाम अच्छा नहीं होगा. लालमणि की धमकी बनी काल धमकी देने के बाद लालमणि ने प्यार के प्रतिशोध में वंदना के मातापिता को शादी का रोड़ा मानते हुए ठिकाने लगाने का निश्चय कर लिया और घर चला गया. उस ने घर में पहले से रखी शराब पी फिर आधी रात के बाद घर से निकला और वंदना के घर पहुंच गया. राममिलन के घर का मुख्य दरवाजा बंद था. इस पर वह घर के पिछवाड़े पहुंचा और नीम के पेड़ पर चढ़ कर वंदना के घर की छत पर पहुंच गया.

वंदना नीचे कमरे में सोई थी. छत पर राममिलन व उस की पत्नी राजकुमारी गहरी नींद में सो रहे थे. जीने के रास्ते लालमणि किचन में चाकू लाने पहुंचा, पर उसे चाकू नहीं मिला, तभी उस की निगाह सामने रखी हंसिया पर पड़ी. वह हंसिया ले कर छत पर आया और सो रहे राममिलन की गरदन पर हंसिया से वार पर वार करने लगा. हंसिया के वार से राममिलन की गरदन कट गई और खून बहने लगा. कुछ देर तड़पने के बाद राममिलन की मौत हो गई. इस के बाद इसी तरह उस ने राजकुमारी पर हंसिया से वार किया तो वह चीख पड़ी. उस की चीख सुन कर वंदना छत पर आ गई, लेकिन तब तक वह राजकुमारी को भी मौत के घाट उतार चुका था.

वंदना को आया देख कर लालमणि ने हंसिया वहीं फेंक दिया और पेड़ के रास्ते छत से नीचे आ गया. उस ने प्राइमरी स्कूल के पास जा कर खून सने हाथपांव और मुंह धोया, फिर घर जा कर कपड़े बदले. इस के बाद उस ने खून सने कपड़े अपने खेत के पास झाडि़यों में छिपा दिए. सवेरा होने से पहले ही वह घर से फरार हो गया. इधर वंदना मांबाप की लाशें देख कर चेतनाशून्य हो गई. जब उसे होश आया तो उस ने चीखनाचिल्लाना शुरू किया. उस की चीख सुन कर पासपड़ोस के लोग आ गए. फिर तो सूरज की किरण बिखरते ही पूरे गांव में डबल मर्डर का शोर मच गया.

इसी बीच किसी व्यक्ति ने मोबाइल फोन से डबल मर्डर की सूचना गोसाईगंज पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी एस.के. सिंह घटनास्थल पर आ गए. लालमणि उर्फ लल्लू से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे 3 जून, 2020 को सुलतानपुर की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक लालमणि की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी. वंदना अपनी बड़ी बहन गीता के साथ उस की ससुराल अमेठी चली गई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

UP Crime : 3 लाख की सुपारी देकर कराई पति की हत्या

UP Crime : अपने दोस्त रामदीन को कल्लू ने ही घर लाना शुरू किया था. उस ने जब पंचवटी की आंखों में अजीब सी प्यास देखी तो वह कल्लू के पीछे भी घर आने लगा. बस यहीं से उस की घरगृहस्थी की नींव हिलने लगी. फिर एक दिन गृहस्थी की दीवार ऐसी भरभरा कर गिरी कि उस ने कल्लू को ही…

पंपंचवटी ने जो कुछ बताया, वह किसी के भी गले उतरने वाला नहीं था, फिर सिद्धार्थ शंकर तो आईपीएस थे. घटनाक्रम का खाका दिमाग में उतारने के बाद उन्होंने गहरी सांस ले कर पूछा, ‘‘तुम कितने समय से मायके में थीं पंचवटी?’’

‘‘जी, एक साल से मायके में थी. मेरा मायका हमीरपुर के गांव रूरीपहरी में है. पिता सिपाही लाल अरहर का व्यापार करते हैं. अरहर गांवों से…’’

पंचवटी मायके का और बखान करना चाहती थी, लेकिन सिद्धार्थ शंकर ने उसे बीच में टोक दिया, ‘‘सिर्फ उतना बताओ जितना पूछा जाए.’’

उन की आवाज में घुले रोष को समझ पंचवटी सहम गई. उन्होंने उस से अगला सवाल किया, ‘‘तुम्हारी अपनी घरगृहस्थी थी, सालभर मायके में रहने की कोई खास वजह? मायके वालों ने रोक रखा था या आने का मन नहीं किया. हां, सोचसमझ कर जवाब देना, क्योंकि हम सभी से पूछताछ करेंगे.’’

‘‘हम दोनों में अनबन हो गई थी, साहब. इसलिए मायके चली गई थी. लौट कर आना तो था ही, सो आ गई.’’ पंचवटी ने कहा तो एसपी साहब ने पूछा, ‘‘खुद कहां आईं, तुम्हारा पति लाया था. अच्छा, यह बताओ, ससुराल आने के लिए पति को तुम ने बुलाया था या वह खुद ही तुम्हें लाने के लिए पहुंचा?’’

‘‘वह नाराज थे, मैं ने ही उन्हें फोन कर के बुलाया था. वह मेरे गांव रूरीपहरी आए और मैं उन के साथ चली आई.’’

‘‘…और वापसी में कुछ बदमाशों ने तुम्हारे पति को मार डाला, उस का मोाबइल भी ले गए.’’ सिद्धार्थ शंकर ने पंचवटी के आंसुओं से भरे चेहरे पर तीखी नजर डालते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारा मोबाइल, जिस से तुम ने पुलिस को खबर दी, पति से महंगा रहा होगा. बदमाशों ने तुम से न मांगा न छीना. तुम पर ऐसी मेहरबानी क्यों?’’

‘‘मैं क्या जानूं साहब, जो सच था मैं ने बता दिया.’’ पंचवटी ने गालों पर ढुलक आए आंसुओं को पोंछ कर चेहरा झुका लिया. एसपी साहब ने उस पर उपेक्षा की नजर डाल कर कहा, ‘‘कुछ सच बाद के लिए बचा कर रखो, शाम को फिर पूछताछ होगी. खयाल रखना मुझे झूठ पसंद नहीं है.’’

जहां सिद्धार्थ शंकर मीणा पंचवटी से पूछताछ कर रहे थे, वहां से थोड़ी सी दूरी पर उस के पति कालीचरण उर्फ कल्लू की गोली और घावों से छलनी लाश पड़ी थी. आसपास लोगों की भीड़ जमा थी, जो कभी कल्लू की लाश को देख रही थी तो कभी जमीन पर पड़ी उस की मोटरसाइकिल को. कुछ लोगों की नजर पंचवटी पर भी अटकी हुई थी. बांदा शहर कोतवाली प्रभारी इंसपेक्टर दिनेश सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल का नक्शा बनाने, लाश पर गोलियों और चोटों के निशान गिनने और लोगों से पूछताछ में लगे थे. एसपी सिद्धार्थ शंकर और एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह को इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने ही सूचना दे कर बुलाया था. वह अपने साथ फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड को भी लाए थे, जिन्होंने अपनाअपना काम निपटा लिया था.

वापस जाते समय एसपी साहब ने इंसपेक्टर दिनेश सिंह को निर्देश दिया, ‘‘लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और मृतक के घर वालों से कहो, रिपोर्ट लिखाएं. हां, इस औरत को शाम को कोतवाली बुला लेना, पूछताछ करनी है.’’

यह घटना 28 जून, 2020 की है. कोतवाली प्रभारी दिनेश सिंह को कंट्रोल रूम से फोन पर सूचना मिली थी कि सोहाना गांव के बाहर एक युवक की हत्या हो गई है. गांव सोहाना कोतवाली से 12 किलोमीटर दूर था. इंसपेक्टर दिनेश सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने एसपी सिद्धार्थ शंकर और एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह को घटना के बारे में बता दिया था. घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जमा थी. वहीं तालाब के पास कल्लू की लाश पड़ी थी, उस की मोटरसाइकिल भी. लाश के पास बैठी उस की पत्नी पंचवटी रो रही थी. मृतक की लाश देख पुलिस टीम भी सिहर उठी. हत्यारों ने कल्लू का कत्ल बड़ी बेरहमी से किया था. न केवल उस के सीने में गोली मारी गई थी, बल्कि किसी तेजधार हथियार से उस की गरदन और शरीर के दूसरे अंगों पर भी वार किए गए थे. उस की गरदन आधी कट गई थी.

दिनेश सिंह ने पंचवटी को धैर्य बंधाने के बाद उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस का पति कल्लू उसे मायके से ले कर आ रहा था. 4 बजे जब हम लोग गांव के बाहर तालाब के पास पहुंचे तो बदमाशों ने मोटरसाइकिल रुकवा कर उस के पति के सीने में गोली मार दी. फिर उन पर कुल्हाड़ी से कई वार किए और उन का मोबाइल ले कर फरार हो गए. इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने घटनास्थल का निरीक्षण करने और लोगों से बातचीत के बाद कल्लू के शव को पोस्टमार्टम के लिए बांदा जिला अस्पताल भिजवा दिया. संदिग्धों में पंचवटी का भी नाम उसी दिन मृतक कल्लू के भाई रामशरण ने थाना कोतवाली बांदा में कल्लू के कत्ल की नामजद रिपोर्ट लिखाई. उस ने इस रिपोर्ट में रामदीन, रज्जन और चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा को नामजद किया.

रिपोर्ट में पंचवटी का भी नाम था. इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने रामशरण से कहा कि कल को वह एसपी साहब के औफिस जा कर उन से मिल ले. एसपी साहब पंचवटी से पूछताछ करना चाहते हैं लेकिन उस से पहले वह कुछ जानकारियां हासिल करना चाहते हैं. उधर एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा ने कल्लू हत्याकांड का जल्दी खुलासा करने के लिए एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की. इस टीम में इंसपेक्टर दिनेश सिंह, दरोगा राजीव यादव, मुन्नालाल, सिपाही कुंवर सिंह, मेवालाल, महिला सिपाही पार्वती, एसओजी प्रभारी आनंद कुमार सिंह और सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

अगले दिन रामशरण एसपी सिद्धार्थ शंकर से मिला. उन के यह पूछने पर कि उस ने अपने भाई कल्लू की हत्या में जिन लोगों को नामजद किया है, उन पर शक क्यों है. इस पर रामशरण ने बताया कि रामदीन अपराधी प्रवृत्ति का दबंग आदमी है. उस के और पंचवटी के नाजायज संबंध हैं. कल्लू इन संबंधों का विरोध करता था. पतिपत्नी में मारपीट भी होती थी. इसी वजह से पंचवटी ने उसे मरवा दिया.

‘‘और बाकी लोग, उन की क्या भूमिका है?’’

‘‘बाकी 2 लोग रज्जन और चंद्रप्रकाश रामदीन के रिश्तेदार हैं, अपराधी भी हैं. रामदीन ने उन्हें साथ लिया होगा. पैसे वाला आदमी है. कुछ रकम दे दी होगी.’’ रामशरण ने बताया.

एसपी साहब ने रामशरण को घर भेज दिया. पंचवटी पर उन्हें पहले ही शक था. अब उस से पूछताछ के लिए मजबूत आधार मिल गया था. अगले दिन एसपी सिद्धार्थ शंकर के आदेश पर पंचवटी को कोतवाली बुलाया गया. एसपी साहब ने महिला सिपाहियों की मौजूदगी में पंचवटी से पूछताछ की. उन का पहला सवाल था, ‘‘रामदीन से तुम्हारा क्या रिश्तानाता है?’’

‘‘वह मेरे पति कल्लू का दोस्त था. वही उसे घर ले कर आते थे.’’

‘‘मैं ने तुम से कहा था कि झूठ मुझे पसंद नहीं है, लेकिन तुम ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया. सच बताओ, तुम ने रामदीन के साथ कल्लू की हत्या क्यों कराई? अगर तुम ने झूठ बोला तो तुम्हारे सिर पर खड़ी ये महिला सिपाही मारमार कर तुम्हारी खाल उधेड़ देंगी.’’

एसपी साहब की पूछताछ में पंचवटी ने यह तो मान लिया कि रामदीन से उस के संबंध थे और कल्लू इस का विरोध करता था. लेकिन हत्या के बारे में उस ने कुछ नहीं बताया. कुछ सोच कर एसपी साहब ने उसे घर भेज दिया. एसपी सिद्धार्थ शंकर द्वारा गठित विशेष पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया, फिर कल्लू के घर वालों के बयान दर्ज किए. इस के बाद सोहाना गांव निवासी रामदीन व रज्जन के घर दबिश दी गई, लेकिन दोनों घर से फरार थे. उन की सुरागसी के लिए टीम ने उन के परिवार वालों पर दबाव बनाया, उन्हें हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की गई. लेकिन रामदीन व रज्जन का पता नहीं चला.

उधर सर्विलांस टीम ने मृतक की पत्नी पंचवटी के मोबाइल फोन को खंगाला तो पता चला कि पंचवटी एक नंबर पर अकसर बात करती थी. उस नंबर का पता लगाया गया तो जानकारी मिली कि वह नंबर सोहाना गांव के ही रामदीन का है. इस नंबर पर 28 जून कोे सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक पंचवटी बराबर बात करती रही थी. उसी दिन कल्लू का कत्ल हुआ था. सर्विलांस टीम ने लोकेशन ट्रेस करने के लिए रामदीन के नंबर को सर्विलांस पर ले लिया और पंचवटी के नंबर को लिसनिंग पर लगा दिया गया, ताकि दोनों बात करें तो पुलिस को जानकारी हो जाए. इतना ही नहीं टीम ने मृतक के मोबाइल फोन को भी सर्विलांस पर लगाया ताकि फोन चालू करते ही उस की लोकेशन पुलिस को मिल जाए.

पंचवटी पर पुलिस का पहरा पंचवटी ससुराल वालों को चकमा दे कर कहीं फरार न हो जाए, इसलिए जांच कर रही टीम ने उस की निगरानी के लिए घर के बाहर 2 महिला और 2 पुरुष सिपाहियों को तैनात कर दिया. घर वालों को भी सतर्क किया गया कि वे अपनी बहू पर नजर रखें. 2 जुलाई, 2020 की सुबह 7 बजे सर्विलांस टीम को रामदीन के मोबाइल फोन की लोकेशन केन नदी किनारे सिद्ध बाबा देवस्थान के पास की मिली. सर्विलांस टीम ने इस की जानकारी विशेष पुलिस टीम को दे दी. चूंकि जानकारी अतिमहत्त्वपूर्ण थी, इसलिए टीम सादे कपड़ों में वहां पहुंच गई. लगभग 8 बजे सुबह केन नदी की ओर से सिद्ध बाबा देवस्थान की तरफ 3 आदमी आते दिखे. पुलिस टीम ने उन्हें टोका तो तीनों देवस्थान की ओर भागे. लेकिन पुलिस टीम ने उन्हें दबोच लिया.

तीनों को थाना बांदा कोतवाली लाया गया. थाने पर जब उन से नामपता पूछा गया तो एक ने अपना नाम रामदीन, दूसरे ने अपना नाम रज्जन बताया. जबकि तीसरे का नाम चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा, निवासी वनसखा गिरवां जिला बांदा पता लगा. तब तक एएसपी महेंद्र प्रताप चौहान भी कोतवाली आ गए थे. उन्होंने उन तीनों से कल्लू हत्याकांड के संबंध में पूछा तो वे साफ मुकर गए. उन्होंने बताया कि मृतक के घर वाले उन से रंजिश रखते हैं, इसलिए उन्हें फंसा रहे हैं. यह सुनते ही पास खड़े कोतवाल दिनेश सिंह को गुस्सा आ गया. वह तीनों को अलग कक्ष में ले गए और तीनों की जम कर पिटाई की. इस से तीनों टूट गए. फिर उन्होंने एएसपी चौहान के सामने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

यही नहीं, पुलिस टीम ने उन तीनों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल 2 तमंचे, 2 जिंदा कारतूस, 2 खोखे और खून सनी कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली, जिसे उन्होंने घटनास्थल से कुछ दूरी पर झाडि़यों में छिपा दिया था. पुलिस ने रामदीन से मृतक कल्लू का मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया. बरामद सामान को साक्ष्य के लिए सीलमोहर कर दिया गया. पूछताछ में हत्यारोपी रज्जन ने बताया कि मृतक कल्लू की पत्नी पंचवटी से रामदीन के नाजायज संबंध थे. रामदीन पंचवटी से शादी करना चाहता था. लेकिन उस का पति कल्लू बाधक बना हुआ था. कल्लू को रास्ते से हटाने के लिए पंचवटी और रामदीन ने मिल कर मुझे 3 लाख की सुपारी दी थी. साथ ही रामदीन ने 10 बिस्वा जमीन भी देने का वादा किया था.

सुपारी मिलने के बाद मैं ने अपने रिश्तेदार चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा को डेढ़ लाख रुपया देने का लालच दे करअपने साथ मिला लिया. इस के बाद हम लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से कल्लू की हत्या कर दी. रज्जन के बयान से स्पष्ट था कि कल्लू की हत्या में उस की पत्नी पंचवटी बराबर की साझेदार थी. पुलिस टीम ने महिला पुलिस के सहयोग से पंचवटी को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. थाना कोतवाली में जब उस का सामना प्रेमी रामदीन और उस के सहयोगी रज्जन से हुआ तो वह सब कुछ समझ गई. उस ने सहज ही पति की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल कुल्हाड़ी तथा तमंचा भी बरामद करा दिया था, इसलिए इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने सब को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच और मुलजिमों से विस्तृत पूछताछ में एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई, जिस ने देह सुख के लिए अपने उस पति को मौत के घाट उतरवा दिया, शादी के समय जिस के साथ पूरी जिंदगी गुजारने का वचन दिया था. 6 साल पहले उस के इसी पति को ढूंढने के लिए उस के पिता सिपाही लाल ने महीनों धक्के खाए थे. और जब कालीचरण उर्फ कल्लू मिल गया तो पिता ने इसे बेटी की किस्मत माना था. बाद में 18 जून, 2014 को पिता ने पंचवटी का हाथ इसी कल्लू के हाथ में दे दिया था.

कालीचरण को सब लोग भले ही कल्लू कहते थे, लेकिन वह था गोराचिट्टा और स्मार्ट. ऐसा पति पा कर पंचवटी खुश थी. कल्लू भी पंचवटी सी सुंदर बीवी पा कर फूला नहीं समाता था. शादी के बाद कई सालों तक पंचवटी और कल्लू की गृहस्थी खूब मजे से चलती रही. लेकिन फिर धीरेधीरे उन के आंतरिक रिश्ते में खटास आती गई. वजह यह कि एक तो कल्लू दिन भर काम कर के हाराथका घर लौटता था, दूसरे उस के जोशोखरोश में कमी आ गई थी. इसी बीच पंचवटी ने कल्लू के परिवार से अलग रहने की जिद करनी शुरू कर दी. कल्लू के पिता चिनकावन को जब पता चला कि छोटी बहू परिवार से अलग रहना चाहती है, तो उन्होंने उसे रहने को 2 कमरों वाला अलग मकान दे दिया.

परिवार से अलग होने के बाद पंचवटी पूरी तरह आजाद हो गई. अब वह पति को अपनी अंगुलियों पर नचाने लगी. पति के साथ वह सैरसपाटे के लिए बांदा शहर भी जाने लगी. कल्लू की जानपहचान रामदीन से थी. वह सोहाना गांव के पूर्वी छोर पर रहता था. अपराधी प्रवृत्ति का रामदीन दबंग आदमी था. उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. रामदीन की शराब पार्टी में कभीकभी कल्लू भी शामिल होता था, जिस से दोनों में दोस्ती हो गई थी. हालांकि कल्लू रामदीन से 3-4 साल छोटा था, फिर भी दोनों गहरे दोस्त बन गए थे. एक रोज रामदीन, कल्लू के घर आया, तो उस की नजर उस की खूबसूरत पत्नी पंचवटी पर पड़ी. पंचवटी पहली ही नजर में रामदीन के दिल में रचबस गई. इस के बाद वह अकसर पंचवटी से मिलने आने लगा.

रामदीन अपनी लच्छेदार बातों से पंचवटी को रिझाने की कोशिश करने लगा. पंचवटी भी उस की बातों में रुचि लेने लगी थी. धीरेधीरे वह रामदीन की ओर आकर्षित होने लगी. काम पर जाने के लिए कल्लू सुबह 9 बजे घर से निकलता और फिर रात 8 बजे ही घर लौटता. इस बीच पंचवटी घर में अकेली रहती थी. ऐसे ही समय में रामदीन उस से मिलने आता था. चूंकि आकर्षण दोनों तरफ था, इसलिए जल्द ही दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन गया. कल्लू की अपेक्षा रामदीन पौरुष में बलवान था, सो पंचवटी उस की दीवानी हो गई. रामदीन का कल्लू के घर आनाजाना बढ़ा तो पासपड़ोस के लोगों में दोनों के अवैध रिश्तों को ले कर कानाफूसी होने लगी. बात कल्लू के कानों में पड़ी, तो उस का माथा ठनका. उस ने पंचवटी से सवाल किया, ‘‘यह रामदीन मेरी गैरमौजूदगी में क्यों आता है? तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है?’’

पंचवटी डरने या लजाने के बजाय त्यौरियां चढ़ा कर बोली, ‘‘रामदीन तुम्हारा दोस्त है. तुम्हीं उसे घर ले कर आते थे. मैं तो उसे बुलाने नहीं गई थी. अब जब वह घर आ जाता है, तो मैं उसे कैसे मना करूं. तुम्हें ऐतराज है, तो उसे मना कर दो. वैसे लगता है मोहल्ले वालों ने तुम्हारे कान भरे हैं. इसलिए मेरे चरित्र पर अंगुली उठा रहे हो.’’

कल्लू उस समय तो चुप रह गया, लेकिन उस के दिमाग में शक गहरा गया. वह पंचवटी पर नजर रखने लगा. इस का परिणाम भी जल्द ही सामने आ गया. एक शाम उस ने पंचवटी व रामदीन को रंगरेलियां मनाते रंगेहाथ पकड़ लिया. उस रोज कल्लू ने पत्नी की जम कर पिटाई की, उसे खूब जलील किया. रामदीन से भी कल्लू की कहासुनी हुई लेकिन रामदीन ने उलटे उसे ही हड़का दिया. इस के बाद तो रामदीन को ले कर आए दिन कल्लू और पंचवटी में झगड़ा और मारपीट होने लगी. तंग आ कर पंचवटी जून 2019 में अपने मायके चली गई. कुछ दिन बाद कल्लू उसे लेने गया तो उस ने साथ चलने से साफ मना कर दिया. उस ने पति कल्लू के खिलाफ अपने मांबाप के भी कान भरे, जिस से उन्होेंने भी बेटी का ही साथ दिया.

पंचवटी मायके रूरीपहरी आ कर रहने लगी, तो रामदीन उस से मिलने वहां भी आने लगा. एक रोज रामदीन ने पंचवटी से कहा कि वह उसे बहुत प्यार करता है और शादी करना चाहता है. इस पर पंचवटी बोली, ‘‘प्यार तो मैं भी करती हूं, शादी भी करना चाहती हूं. लेकिन पति के रहते यह संभव नहीं है.’’

‘‘कल्लू की चिंता तुम छोड़ दो. उस का बंदोबस्त हम कर देंगे.’’ रामदीन ने उसे आश्वासन दिया. दे दी हत्या की सुपारी इस के बाद रामदीन और पंचवटी ने कल्लू की हत्या का षडयंत्र रचा. रामदीन ने रज्जन से संपर्क किया. अपराधी प्रवृत्ति का रज्जन सोहाना गांव का ही रहने वाला था. वह अपनी अंटी में तमंचा लगा कर चलता था. रामदीन और पंचवटी ने मिल कर रज्जन से कल्लू की हत्या का सौदा 3 लाख रुपए में कर दिया. साथ ही रामदीन ने उसे 10 बिस्वा जमीन भी देने का लालच दिया. हत्या की सुपारी लेने के बाद रज्जन अपने रिश्तेदार चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा से मिला. बनसखा गिरवां गांव का रहने वाला चंद्रप्रकाश भी कमर में तमंचा खोसे रहता था.

रज्जन ने उसे हत्या की सुपारी लेने की बात बताई और डेढ़ लाख रुपया देने का लालच दिया. इस पर भूरा तैयार हो गया. फिर सब ने मिल कर हत्या की योजना बनाई. योजना के तहत 26 जून, 2020 को पंचवटी ने अपने पति कल्लू से मोबाइल फोन पर बात की. उस ने कहा कि वह उस के साथ रहने को तैयार है, आ कर लिवा ले जाए. कल्लू तो पहले ही चाहता था कि पत्नी उस के साथ रहे. वह 27 जून की शाम अपनी ससुराल रूरीपहरी पहुंच गया. वहां उस की खूब आवभगत हुई. 28 जून, 2020 की दोपहर बाद पंचवटी सजधज कर ससुराल जाने के लिए पति कल्लू के साथ मोटरसाइकिल से निकली.

उस दिन सुबह से ही पंचवटी मोबाइल फोन पर प्रेमी रामदीन के संपर्क में थी. वह उसे हर जानकारी दे रही थी. पति के साथ घर से निकलने की जानकारी भी वह दे चुकी थी. फिर रास्ते भर वह रामदीन से जानकारी शेयर करती रही. उधर जानकारी पा कर रामदीन कुल्हाड़ी हाथ में ले कर सोहाना गांव के बाहर तालाब के पास पहुंच गया. उस ने वहीं पर रज्जन और भूरा को भी बुलवा लिया था. पंचवटी की सूचना के अनुसार उन दोनों को मोटरसाइकिल पर यहीं से गुजरना था. कल्लू शाम 4 बजे पंचवटी के साथ तालाब के पास पहुंचा, तभी घात लगाए बैठे रामदीन, रज्जन और चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा ने कल्लू को घेर लिया. पंचवटी मोटरसाइकिल से उतर कर मुंह घुमा कर कुछ दूर जा कर खड़ी हो गई. कल्लू कुछ समझ पाता, तभी भूरा ने उस पर फायर झोंक दिया. लेकिन उस का फायर मिस हो गया.

कल्लू जान बचा कर भागने लगा तो सामने से रज्जन ने फायर कर दिया. गोली कल्लू के सीने में समा गई और वह जमीन पर गिर कर छटपटाने लगा. उसी समय रामदीन ने उस पर कुल्हाड़ी से वार पर वार किए, जिस से उस की गरदन कट गई और उस की मौत हो गई. हत्या के बाद हत्यारों ने तालाब के दूसरे छोर पर जा कर हाथपैर धोए फिर कुल्हाड़ी, तमंचा, तालाब किनारे झाडि़यों में छिपा कर फरार हो गए. दूसरी ओर त्रियाचरित्र दिखाते हुए पंचवटी रोनेपीटने लगी. उस ने अपने मोबाइल फोन द्वारा ससुराल वालों को पति की हत्या की जानकारी दी. इस पर घर में कोहराम मच गया. मातापिता, भाई व गांव के तमाम लोग घटनास्थल पर आ गए.

इस बीच पंचवटी ने पुलिस कंट्रोल रूम को भी हत्या की सूचना दे दी थी. कंट्रोल रूम से मिली सूचना पर थाना कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक दिनेश सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर आ गए. उन्होंने जांच शुरू की तो हत्या का परदाफाश हो गया. 3 जुलाई, 2020 को थाना कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त रामदीन, रज्जन, चंद्रप्रकाश व पंचवटी को बांदा कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime News : दो प्रेमियों के साथ मिलकर किया पति का कत्ल

Crime News : अपने 2 बच्चों और पति सुखपाल की परवाह करने के बजाए मंजू अपने ननदोई राजीव और दूसरे प्रेमी राजकुमार के साथ इश्क लड़ा रही थी. फिर एक दिन अपने लालची प्रेमियों के साथ मिल कर मंजू ने ऐसी योजना बनाई कि…

15 जुलाई, 2020 की सुबह करीब 9 बजे मंजू नाम की महिला गांव के कुछ लोगों के साथ जनपद मुरादाबाद के थाना मूंडा पांडे पहुंची. उस ने थानाप्रभारी नवाब सिंह को बताया कि वह 4 दिन पहले अपने पति सुखपाल के साथ ननद ऊषा की ससुराल खाईखेड़ा आई थी. कल 14 जुलाई, 2020 की रात को उस का पति वहीं से अचानक गायब हो गया. पुलिस पूछताछ में मंजू ने यह भी बताया कि उस का पति देर रात अपने बहनोई राजीव के साथ घर से निकला था. लेकिन उस के बाद उस का बहनोई तो घर वापस आ गया लेकिन उस के पति का कोई अतापता नहीं है.

किसी मामले में अगर किसी आरोपी का नाम पहले ही सामने आ जाता है तो पुलिस की सिरदर्दी काफी कम हो जाती है. इस मामले में भी पुलिस ने कुछ राहत की सांस ली और सब से पहले इस आरोपी राजीव कुमार को हिरासत में लेना जरूरी समझा. थानाप्रभारी उसी वक्त राजीव के गांव खाईखेड़ा पहुंचे तो राजीव तो घर पर नहीं मिला. लेकिन उस की पत्नी ऊषा ने जो बताया, उस ने इस केस को और भी उलझा दिया. ऊषा ने बताया कि उस की भाभी के साथ मुरादाबाद निवासी राजकुमार भी था, जिसे वह भैया बता रही थी. 14 जुलाई की देर रात वह सभी मेहमानों को खाना खिलाने के बाद घर का काम खत्म कर अपने बच्चों को ले कर छत पर सोने चली गई थी. उस के बाद उस का भाई सुखपाल अचानक कहां गायब हो गया उसे कुछ नहीं मालूम.

उस रात उस के भाई सुखपाल, राजकुमार ने उस के पति के साथ शराब भी पी थी. जिस के बाद तीनों पर ज्यादा नशा हावी हो गया तो गांव के पास बगीचे में आम खाने की बात कह कर घर से निकल गए थे. वहां पर आम खाने के बाद राजीव और राजकुमार तो घर वापस आ गए, लेकिन सुखपाल अचानक गायब हो गया था. पुलिस जिस केस को आसान समझ रही थी, इस जानकारी के बाद वह पुलिस के लिए काफी जटिल बन गया. क्योंकि ऊषा ने पुलिस को जो जानकारी दी थी, वह सुखपाल की बीवी मंजू ने ही उस के पूछने पर बताई थी. इस मामले में पुलिस को सब से पहले सुखपाल की बीवी मंजू की बातों में झोल नजर आ रहा था. लेकिन पुलिस को लिखित तहरीर मंजू ने दी थी.

इसलिए पुलिस पहले इस मामले में जानकारी जुटाना चाहती थी. पुलिस ने सब से पहले राजीव कुमार से पूछताछ करना ठीक समझा. उस की तलाश की गई तो वह जल्दी ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया. राजीव ने पुलिस को गुमराह करते हुए बताया कि उस रात वह उन सभी के साथ आम खाने बाग में गया जरूर था, लेकिन आते समय सुखपाल न जाने अचानक कहां गायब हो गया. राजीव ने पुलिस को यह भी बताया कि उस की बीवी मंजू भी उस के साथ थी. उस के बाद उन्होंने उसे काफी ढूंढने की कोशिश की, लेकिन उस का कहीं पता न चला. उन्होंने सोचा कि उसे शायद कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था. जिस के कारण वह पीछे आतेआते कहीं बैठ गया होगा.

उन्हें उम्मीद थी कि वह खुद ही घर चला आएगा. लेकिन हम सब देर रात तक उस का इंतजार करते रहे, वह नहीं आया. उस के बाद उसे सुबह में भी सब जगह पर तलाशा लेकिन उस का कहीं भी अतापता न चल सका. इस मामले की पूछताछ की हर कड़ी में एक नई जानकारी जुड़ रही थी. जिस से पुलिस को लगने लगा था कि सुखपाल इस दुनिया में नहीं रहा. राजीव कुमार की बातों से पुलिस को सारी कहानी समझ आ गई थी. पुलिस यह भी जानती थी कि यह मामला इतनी जल्दी खुलने वाला नहीं है. तभी थानाप्रभारी ने अपनी चाल चलते हुए राजीव कुमार से प्रश्न किया, ‘‘लेकिन उस की बीवी मंजू का कहना है कि तुम ने उस की हत्या कर डाली है.’’

यह सुनते ही राजीव बोला, ‘‘वो सरासर झूठ बोल रही है, सर. सुखपाल की हत्या की पूरी योजना तो उसी की थी. इस में वह खुद शामिल थी.’’

इस के बाद पुलिस ने सुखपाल की पत्नी मंजू को भी हिरासत में ले लिया. इस केस के खुलते ही पुलिस ने मंजू और उस के ननदोई राजीव कुमार की निशानदेही पर कुएं से सुखपाल का शव बरामद कर लिया. शव मिलने के बाद पुलिस ने काररवाई कर के उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम हो जाने के बाद पुलिस ने उस की डैडबौडी सुखपाल के परिवार वालों को सौंप दी. पुलिस पूछताछ में राजीव, मंजू और उस के प्रेमी राजकुमार के जुर्म की जो दास्तान उभर कर सामने आई. वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के मुरादाबादरामपुर हाईवे से उत्तर दिशा में एक छोटा सा गांव है हरसैनपुर. इस गांव में ठाकुर जाति के लोग रहते हैं. आज भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही आधुनिक सुखसुविधा प्रदान करने के बाद भी यह गांव पिछड़ा हुआ सा लगता है. यहां के घरों में आज तक बाथरूम और शौचालय तक नहीं है. इसी गांव में रहता था, रतन सिंह का परिवार. रतन सिंह के पास गांव में लगभग 8 बीघा खेती की जमीन थी, जिस के सहारे उस के परिवार का पालनपोषण होता था. रतन सिंह का सीमित परिवार था. उस के घर में उस की बीवी और 3 बच्चों को मिला कर 5 सदस्य थे.

3 बच्चों में सब से बड़ी बेटी ऊषा थी. उस के बाद राजबाला तथा सुखपाल थे. दोनों बेटियों की शादी हो चुकी था. सुखपाल ने बड़े होते ही घर की जिम्मेदारी संभाल ली. सुखपाल राजगीर का काम करता था. अब से लगभग 6 साल पहले उस का विवाह गांव कनौबी निवासी राजेंद्र की बेटी मंजू के साथ हो गया था. शुरू से मंजू का सपना किसी शहरी युवक से शादी करने का था. जो सुखपाल के साथ शादी होने के बाद एक छोटे से घर में आ कर बिखर गया था. मंजू सुखपाल को कभी भी अपने दिल में जगह नहीं दे पाई थी. दूसरी तरफ सुखपाल उस के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था. मांबाप की मौत के बाद सुखपाल अकेला पड़ गया था. उस के घरेलू खर्च भी बढ़ गए थे. लेकिन खेती से सीमित आय ही होती थी.

जिस के कारण उसे गांव में राजगीरी करनी पड़ती थी. वह सारे दिन काम करने के बाद शाम को थकाहारा घर लौटता और रात का खाना खा कर जल्दी सो जाता. यह बात मंजू को बिलकुल पसंद नहीं थी. उस के बावजूद भी वह सुखपाल से तरहतरह की फरमाइशें पूरी कराती रहती थी, जिन्हें वह किसी न किसी तरह से पूरी करता था. लेकिन मंजू को इतने से भी तसल्ली नहीं होती थी. वह जानती थी कि सुखपाल उसे बहुत प्यार करता है. इसी का लाभ उठाते हुए वह उस पर हावी होती गई. इसी बीच मंजू ने एक बेटे को जन्म दिया. जिस का नाम अभिमन्यु रखा गया. लेकिन प्यार से सब उसे अभि कह कर पुकारते थे. सुखपाल को उम्मीद थी कि बच्चा हो जाने के बाद पत्नी के व्यवहार में बदलाव आ जाएगा, लेकिन उस का दिमाग और भी सातवें आसमान पर चढ़ गया था.

घर में तकरार बढ़ी तो सुखपाल शराब का आदी हो गया. एक बच्चे की मां बन जाने के बाद मंजू की खूबसूरती में चार चांद लग गए थे. इस वह और भी ज्यादा सजसंवर कर रहने लगी थी. राजीव का गांव सुखपाल के गांव के पास ही था. वह वक्तबेवक्त ससुराल आताजाता रहता था. मंजू के बच्चा होने के समय राजीव काफी समय तक अपनी बीवी ऊषा के साथ वहीं पर रहा था. सुखपाल दिन निकलते ही अपने काम पर चला जाता, लेकिन राजीव दामाद होने के नाते घर पर ही पड़ा रहता था. मौके का फायदा उठाते हुए वह मंजू के साथ लच्छेदार बातें करने लगा. जो उस के मन को भी भाने लगी थीं.

राजीव मंजू से कभीकभी मजाक भी कर लेता था. मंजू उस की बात का बुरा नहीं मानती थी. उसी दौरान राजीव मंजू के सौंदर्य को देख विचलित हो उठा. यही हाल मंजू का भी था. उस के दिल पर ननदोई हावी हुआ तो उस की खुशी चेहरे पर नजर आने लगी. वैसे भी वह अपने पति के साथ अनचाहा रिश्ता रख रही थी. मंजू पहले से ही खुले गले का कुरता पहनती थी, जिस में से उस के वक्ष झांकते दिखाई देते थे. मंजू जब कभी घर के कामकाज करती तो वह बिना चुन्नी गले में डाले काम पर लग जाती थी. राजीव घर में अकेला होता तो उस की निगाहें उसी के गले पर टिकी रहतीं. मंजू इतनी अंजान नहीं थी कि कुछ समझ न सके. चूंकि वह भी राजीव की भावनाओं से खेलना चाह रही थी, इसलिए हवा देती रही.

एक दिन मंजू घर में अकेली थी. सुखपाल किसी काम से बाहर गया हुआ था. उस का बेटा अभि सोया था. घर में बाथरूम न होने के कारण मंजू घर का दरवाजा बंद कर अंदर चारपाई खड़ी कर नहाने लगी. उस वक्त राजीव घर में मौजूद था. मंजू को नहाते देख उस का दिल बेकाबू हो उठा. मंजू का वह सैक्सी रूप देख राजीव मदहोश सा हो गया. उस के बाद मंजू पेटीकोट और ब्लाज में ही कमरे के अंदर आ गई. राजीव मंजू के आमंत्रण को समझ चुका था. मौका पाते ही राजीव ने मंजू को अपनी आगोश में समेट लिया. राजीव की बाहों में आ कर मंजू का शरीर ढीला पड़ गया. वह रोमांचित हो कर राजीव के शरीर से चिपक गई. राजीव ने मंजू को कमरे में पड़ी चारपाई पर लिटा दिया और अपने होंठ उस के होठों पर रख दिए. मंजू जिस प्यार के लिए सालों से छटपटा रही थी, राजीव ने उसे पल भर में दे दिया था.

इस के बाद मंजू दूसरे बच्चे की मां भी बन गई थी. इस बार उस ने एक बच्ची को जन्म दिया था. दोनों के बीच अवैध संबंधों का सिलसिला अनवरत चलता रहा. अपनी पत्नी को भुला कर राजीव ससुराल में पड़ा रहता था. सुखपाल काम में व्यस्त रहता था. इस के बावजूद उसे अपनी बीवी के कारनामों की जानकारी हो गई थी. सुखपाल ने मंजू को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह उस की एक भी सुनने को तैयार नहीं थी. इस का नतीजा यह हुआ कि दोनों में आए दिन मनमुटाव रहने लगा. मनमुटाव के चलते मंजू एक दिन सुखपाल से झगड़ा कर के मुरादाबाद शहर के गोविंद नगर में रहने वाली अपनी मौसी के घर चली गई. उस के बाद वह काफी समय तक मौसी के घर ही रही.

इसी दौरान उस की मुलाकात राजकुमार से हुई. राजकुमार उस की मौसी का पड़ोसी था. उस का मौसी के घर पर पहले से ही आनाजाना था. राजकुमार ने मंजू को देखा तो वह उस की खूबसूरती पर मोहित हो गया. एक दिन उस की मौसी ने राजकुमार को उस के पति द्वारा प्रताडि़त करने की सारी दास्तान सुना दी. राजकुमार के हाथों में मंजू की कमजोर नस आई, तो वह उस का फायदा उठाने की सोचने लगा. एक दिन राजकुमार ने मंजू के सामने सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि उसे कभी भी कोई मदद चाहिए तो वह हर समय तैयार है. राजकुमार भी सुंदरसजीला युवक था. वह भी मंजू के दिल को भाने लगा था. जब मंजू को अपनी मौसी के घर गए हुए काफी समय हो गया तो सुखपाल उस से मिलने के लिए गोविंद नगर चला गया. काफी दिन बाद सुखपाल के आने से नाराज मंजू उस से सीधे मुंह नहीं बोली.

दोनों के मनमुटाव को देख मंजू की मौसी ने दोनों को आमनेसामने बिठा कर बात की, ताकि उन की समस्या का समाधान हो सके. लेकिन मंजू ने उस के साथ गांव जाने से साफ मना कर दिया. मंजू ने सुखपाल को सलाह दी कि अगर वह उसे साथ रखना चाहता है तो गांव छोड़ कर मुरादाबाद आ कर बस जाए. मंजू की बात सुनते ही सुखपाल का पारा हाई हो गया. लेकिन वह अपने बच्चों को बहुत ही प्यार करता था. इसलिए कुछ नहीं बोला. उसी दौरान राजकुमार भी वहां आ गया. राजकुमार ने भी मंजू की हां में हां मिलाते हुए सुखपाल को मुरादाबाद आने की सलाह दे डाली. राजकुमार ने सुखपाल को यह बात भी बता दी थी कि उस की मौसी के पास एक प्लौट बिक रहा है.

अगर वह चाहे तो उसे खरीद कर वहां मकान बना कर रह सकता है. राजकुमार जानता था कि सुखपाल राजगीरी का काम जानता है. उस ने सुखपाल को बताया कि गांव में राजगीरी में काफी कम पैसा मिलता है. अगर शहर में काम करेगा तो अच्छी आमदनी होगी. अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए सुखपाल का मन बदल गया. बीवी की चाहत और बच्चों के प्यार को देखते हुए उस ने गांव जाते ही अपने खेत की 6 बीघा जमीन बेच दी. उस ने राजकुमार के घर के पास ही गोविंद नगर में 12 लाख रुपए का बनाबनाया मकान खरीद लिया. फिर वह गांव छोड़ कर बीवीबच्चों के साथ मुरादाबाद के गोविंद नगर में रहने लगा था. सुखपाल के हाथ में जो हुनर था, वह उस के सहारे कहीं भी पैसा कमा सकता था.

मुरादाबाद जाने के बाद वह वहीं पर राजगिरि का काम करने लगा. सुखपाल सुबह काम पर निकल जाता और देर रात तक घर लौटता था. राजकुमार ने मंजू के साथ मौज मस्ती करने के लिए जो जाल फैलाया था, वह उस में कामयाब हो गया था. सुखपाल की गैरमौजूदगी में वह मंजू के पास जाने लगा. मंजू यह तो पहले ही जानती थी कि उस का पति उस की देह को पढ़ने में पूरी तरह नाकाबिल है. गांव में रहते हुए उस ने अपने शरीर का सुख अपने ननदोई के साथ भोगा था. शहर आ कर उस की मुलाकात राजकुमार से हुई तो उस ने उस के साथ भी अवैध संबंध बना लिए. राजकुमार से अवैध संबंध बनने के बाद वह दुनियादारी को भूल गई.

राजकुमार चालाक युवक था. उस ने अपनी चालाकी से मंजू को फंसा कर उस की गांव की जमीन बिकवा कर मकान भी खरीदवा दिया था. उस का अगला कदम सुखपाल को अपने रास्ते से हटा कर मंजू को पूरी तरह से अपने कब्जे में करना था. अपनी इस चाहत को पूरा करने के लिए उस ने सुखपाल और मंजू के बीच मतभेद बढ़ाने का काम किया. राजकुमार ने मंजू को चढ़ा कर सुखपाल के नाम की बाकी जमीन बेचने के लिए उस पर दबाव बनाने को कहा. जिसे सुन कर सुखपाल बिगड़ गया. इसे ले कर मियांबीवी के बीच काफी समय तक मनमुटाव रहा. सुखपाल पत्नी के चरित्र को पूरी तरह से समझ चुका था. लेकिन बच्चों की वजह से वह उस से कुछ नहीं कहता था.

एक दिन सुखपाल सुबहसुबह काम के लिए घर से निकला. लेकिन काम नहीं मिला तो वह जल्दी घर लौट आया. उस वक्त मंजू और राजकुमार दोनों एक ही चारपाई पर पड़े हुए थे. घर पर राजकुमार को देख कर सुखपाल का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उसे आया देख राजकुमार चुपचाप घर से निकल गया. तब उस ने मंजू को काफी खरीखोटी सुनाई. उस दिन पहली बार सुखपाल को शहर में मकान खरीदने का मतलब समझ आया था. अपनी बीवी की हकीकत सामने आते ही सुखपाल ने गोविंद नगर, मुरादाबाद का मकान बेचने की बात चलाई. यह बात जब मंजू को पता चली तो उस ने राजकुमार के साथ मिल कर उसे काफी मारापीटा. बीवी के इस व्यवहार से तंग आ कर सुखपाल अपने दोनों बच्चों को साथ ले कर अपने गांव आ गया.

बच्चों के चले जाने के बाद मंजू अकेली पड़ गई. वह बच्चों से मिलने के लिए परेशान रहने लगी. लेकिन बच्चों को वापस लाने का उसे कोई भी रास्ता नहीं सूझ रहा था. गांव से उस की बेटी को उस का मामा अपने साथ अपने गांव ले गया. लेकिन उस का बेटा अभि सुखपाल के पास ही था. बेटे अभि को अपने पास बुलाने के लिए उस ने अपने ननदोई राजीव से संपर्क किया. उस ने राजीव को 30 हजार रुपए का लालच देते हुए कहा कि अगर वह उस के बेटे को सुखपाल के पास से ले आए तो उसे 30 हजार रुपए देगी. लौकडाउन में 30 हजार रुपए मिलने वाली बात सुनते ही राजीव ने सुखपाल को अपने विश्वास में ले कर अभि को साथ लिया और उसे मुरादाबाद पहुंचा दिया.

देश में लौकडाउन लगते ही सभी अपने घरों में कैद हो कर रह गए थे. शहर या गांव सभी जगह कामकाज मिलना बंद हुआ तो सुखपाल खर्च के लिए पैसेपैसे को तरसने लगा. उस ने गांव की जो जमीन बेची थी उस का बाकी पैसा भी मंजू के पास ही था. मंजू से कुछ खर्च के लिए पैसे मिल जाएं यह सोच कर वह हिम्मत कर के गोविंद नगर जा पहुंचा. सुखपाल को अचानक घर आया देख पहले तो मंजू उस से बोलने तक को तैयार न थी. लेकिन पता नहीं उस के दिमाग में ऐसा क्या चल रहा था कि जल्द ही वह मोम की तरह पिघल गई. उस ने पति को खाना बना कर दिया. फिर वह उस के साथ गांव आ गई.

गांव आ कर वह सुखपाल के साथ हंसीखुशी से रहने लगी. जब राजीव को सुखपाल के गांव आने वाली बात पता चली तो वह भी उस के घर के चक्कर लगाने लगा. मंजू और राजीव के बीच पहले से ही अवैध संबंध थे. राजीव से मंजू का पुनर्मिलन हुआ तो उस का दिल बागबाग हो उठा. लौकडाउन के चलते राजीव भी अपनी ससुराल में आ कर पड़ा रहने लगा. उसी दौरान मंजू ने अपने ननदोई को विश्वास में लेते हुए कहा कि अगर वह सुखपाल को अपने बीच से हटाने में उस का साथ दे तो उस की 2 बीघा जमीन बेच कर वह सारे पैसे उसे देगी. तब दोनों के मिलने को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं होगा.

मंजू की बात सुनते ही राजीव लालच में आ कर अपने साले को ही मौत की नींद सुलाने के लिए साजिश में शामिल हो गया. राजीव को साथ देने के लिए पक्का कर के मंजू फिर से मुरादाबाद पहुंची. मुरादाबाद जाते ही उस ने राजकुमार को भी अपने लटकेझटके दिखाने के बाद उसे भी मकान का लालच दे कर साजिश में शामिल होने को कहा. राजकुमार तो पहले ही उस मकान पर निगाहें गड़ाए बैठा था. जिस राह की खोज में वह काफी समय से भटक रहा था, वह राह उसे मंजू ने स्वयं दिखा दी. मंजू ने राजकुमार को गोविंद नगर का मकान और उस के साथ सदा के लिए जीवनयापन करने की पट्टी पढ़ा कर अपनी योजना में शामिल कर लिया.

जब मंजू को पूरा यकीन हो गया कि उस के दोनों दीवाने उस की हर तरफ से सहायता करने को तैयार हैं तो उस ने सुखपाल को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली. राजकुमार से बात करने के बाद वह फिर से सुखपाल के पास गांव आ गई. पति के पास आ कर उस ने प्रेम का नाटक करना शुरू किया. सुखपाल उस की मंशा को जाने बिना उस की मीठीमीठी बातों में फंस कर उस के साथ बिताए बुरे दिनों को पल भर में भुला बैठा. इस घटना को अंजाम देने से 5 दिन पहले मंजू ने सुखपाल से अपनी ननद ऊषा देवी के पास जाने की मंशा जाहिर की. सुखपाल अब किसी भी तरह उस के दिल को कोई ठेस नहीं पहुंचाना चाहता था. इसीलिए वह उसे साथ ले कर अपनी बहन ऊषा के गांव खाईखेड़ा पहुंच गया.

अपनी ननद के पास 4 दिन तक मेहमाननवाजी करते हुए वह सुखपाल को मौत की नींद सुलाने की योजना बनाती रही. लेकिन वह योजना को अंतिम रूप नहीं दे पा रही थी. अपनी ननद के घर से ही उस ने राजकुमार को फोन कर के वहीं पर बुला लिया. राजकुमार के आते ही ऊषा के घर पर हर रोज दावत होने लगी. राजकुमार ने अपनी शानशौकत दिखाते हुए वहां पर शराब और मीट मछली बनाने खाने में काफी पैसा खर्च कर दिया. खाना खाने के बाद राजकुमार, राजीव और मंजू को एकांत में ले जा कर सुखपाल को मौत के घाट उतारने की योजना बनाते रहे. उसी योजनानुसार मंगलवार 14 जुलाई की रात फिर से राजीव के घर पर दावत का प्रोग्राम बना.

उस शाम राजकुमार और राजीव ने सुखपाल को जम कर शराब पिलाई. काफी देर तक खानेपीने का प्रोग्राम चलता रहा. जब रात काफी हो गई तो सारे दिन की थकीहारी ऊषा अपने दोनों बच्चों को साथ ले कर मकान की छत पर चली गई. ऊषा के छत पर जाते ही मौका पा कर मंजू ने राजीव, राजकुमार व सुखपाल से गांव के पास ही बाग में आम खाने की बात कही और रात 11 बजे उन को साथ ले कर घर से निकल गई. आम खाने की बात सुनते ही सुखपाल नशे में धुत होने के बावजूद उन के साथ जाने को तैयार हो गया था. चारों एक साथ गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर हसनगंज गांव की सीमा में ईट भट्ठे के पास पीपल के पेड़ से लगे कुएं के पास पहुंचे. कुएं की दीवार पर बैठते ही नशे में डूबा सुखपाल फैल गया.

उस के नशे से बेहोश होते ही मंजू अपना आपा खो बैठी. उस ने बड़ी ही फुरती से पति के पैर पकड़े और अपने ननदोई राजीव और राजकुमार से धारदार हथियार से बार करने को कहा. उस समय वैसे भी रात का अंधेरा छाया हुआ था, ऊपर से राजीव और राजकुमार बुरी तरह नशे में धुत थे. मंजू के कहते ही राजीव और राजकुमार कसाई बन सामने बेहोश पड़े सुखपाल पर ताबड़तोड़ प्रहार करने लगे. सुखपाल पर पहला प्रहार होते ही वह उठ बैठा था. लेकिन उस के बाद तीनों ने उसे दबोच लिया और तेजधार वाले हथियार से उसे काट कर मार डाला. सुखपाल को मौत की नींद सुलाने के बाद तीनों ने उस की गरदन भी काट दी. फिर उस की लाश कुएं में फेंक दी.

लाश को छिपाने के लिए उन्होंने बाग में से पत्ते इकट्ठे किए और उस की लाश के ऊपर डाल दिए. सुखपाल की हत्या करने के बाद तीनों चोरीछिपे घर पर आ कर सो गए. उस समय तक सुखपाल की बहन ऊषा गहरी नींद में सो चुकी थी. उसे कुछ पता नहीं चल पाया था. सुबह होने पर उस ने मंजू और अपने पति राजीव से भाई सुखपाल के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रात सुखपाल ने कुछ ज्यादा ही पी ली थी. उस के बाद वह सो गया था. लेकिन वह रात में पता नहीं कहां गायब हो गया था. यह सुनते ही ऊषा ने अपने भाई के साथ किसी अनहोनी होने की आशंका के चलते मंजू से थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने मृतक की बीवी मंजू उस के ननदोई प्रेमी राजीव पर भादंवि की धारा 364/302/201 के अंतर्गत केस दर्ज कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. कहानी लिखे जाने तक इस मामले का तीसरा अभियुक्त राजकुमार पुलिस की पकड़ से बाहर था. मंजू ने अपने पति की जिंदगी के साथ जो खेल खेला उस से उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा. पति की हत्या में गिरफ्तार हुई मंजू के चेहरे पर गम की कोई शिकन तक नहीं थी. उस का कहना था कि उसे पति की हत्या का कोई पछतावा नहीं है.

मंजू ने पुलिस को दोटूक जबाव दिया कि वह जेल से आने के बाद भी दोनों प्रेमियों के साथ रहेगी. उसे अपने बच्चों के भविष्य को ले कर किसी तरह की चिंता नहीं थी, जो अनाथ हो गए थे. उस का बेटा अभि उस की तहेरी दादी गंगा देवी के पास रह रहा था. जबकि उस की बेटी उस की नानी के साथ चली गई थी.

 

Crime Story : बीवी पर था शक पर ले ली 2 साल की बेटी की जान

Crime Story : सुदर्शन पत्नी प्रीति पर शक ही नहीं करता था बल्कि वह अपनी बेटी देविका को भी नाजायज समझता था. इसी के चलते एक दिन उस ने अपनी 2 साल की बेटी की हत्या कर दी और फिर…

कहा जाता है कि शक का कोई इलाज नहीं है. पतिपत्नी के संबंध विश्वास की बुनियाद पर ही कायम रहते हैं. यदि इन संबंधों से भरोसा उठा कर बेवजह शक का कीड़ा मन में बैठा लिया जाए तो जिंदगी दुश्वार हो जाती है. ये कहानी भी ऐसे ही एक शक्की पति सुदर्शन वाल्मीकि की है, जिस ने अपनी पत्नी पर किए गए शक की वजह से अपनी गृहस्थी खुद उजाड़ दी. मध्य प्रदेश के जबलपुर के तिलवारा थाना क्षेत्र के अंतर्गत मदनमहल की पहाडि़यों के पास के एक इलाके का नाम भैरों नगर है,  इस जगह पर गिट्टी क्रेशर लगे होने के कारण इसे क्रेशर बस्ती के नाम से भी जाना जाता है. इसी बस्ती में दशरथ वाल्मीकि का परिवार रहता है.

दशरथ के परिवार में उस की पत्नी के अलावा उस का 39 साल का बेटा सुदर्शन उर्फ मोनू वाल्मीकि, उस की पत्नी प्रीति और 22 माह की बेटी देविका भी रहती थी. दशरथ के परिवार के सभी वयस्क सदस्य जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मैडिकल कालेज में साफसफाई का काम करते थे. सुदर्शन मैडिकल कालेज में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करता था. परिवार के सदस्यों के कामधंधा करने से अच्छीखासी आमदनी हो जाती है और परिवार हंसीखुशी से अपनी जिंदगी गुजार रहा था. 17 जनवरी, 2020 की सुबह सभी लोग अभी बिस्तर से सो कर उठे भी नहीं थे कि सुदर्शन और उस की पत्नी ने घर में यह कह कर कोहराम मचा दिया कि उन की बेटी देविका बिस्तर पर नहीं है.

उन्होंने अपने मातापिता को बताया कि शायद किसी ने देविका का अपहरण कर लिया है. देविका के दादादादी का तो यह खबर सुन कर बुरा हाल हो गया था. देविका को वे बहुत लाड़प्यार करते थे. जैसे ही बस्ती में देविका के कमरे के भीतर से गायब होने की खबर फैली तो आसपास के लोगों की भीड़ सुदर्शन के घर पर जमा हो गई. लोगों को यह यकीन ही नहीं हो रहा था कि कैसे कोई व्यक्ति इतनी छोटी सी बच्ची का अपहरण कर सकता है. चूंकि कुछ दिनों पहले ही जबलपुर नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने सुदर्शन के मकान का पिछला हिस्सा तोड़ दिया था, जिस की वजह से पीछे की ओर ईंटें जमा कर उस हिस्से को बंद कर दिया था. लोगों ने अनुमान लगाया कि इसी दीवार की ईंटों को हटा कर अपहर्त्ता शायद अंदर घुसे होंगे.

देविका की मां प्रीति लोगों को रोरो कर बता रही थी कि 16 जनवरी की रात वे अपनी बेटी देविका को बीच में लिटा कर ही सोए थे, पर अपहर्त्ताओं ने देविका के अपहरण को इतनी चालाकी से अंजाम दिया कि उन्हें इस की आहट तक नहीं हुई. लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर कौन ऐसा दुस्साहस कर सकता है कि अपने मां बाप के बीच सो रही बच्ची का अपहरण कर के ले जाए. मासूम बच्ची देविका की खोजबीन आसपास के इलाकों में लोगों द्वारा करने के बाद भी उस का कोई अतापता नहीं चला तो उस के गायब होने की रिपोर्ट जबलपुर के तिलवारा पुलिस थाने में दर्ज करा दी.

रहस्यमय ढंग से गायब हुई पुलिस थाने में सुदर्शन ने उस के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि रात को 11 बजे वह खाना खा कर पत्नी और बच्ची के साथ सो गया था, रात लगभग 2 बजे देविका ने उठने की कोशिश की तो उसे दोबारा सुला दिया गया. सुबह 8 बजे वह सो कर उठे तो विस्तर से देविका गायब थी. तिलवारा थाने की टीआई रीना पांडेय ने आईपीसी की धारा 363 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर जानकारी तुरंत ही पुलिस के आला अधिकारियों को दे दी और वह घटनास्थल की ओर निकल पड़ीं. जैसे ही रीना पांडेय भैरों नगर पहुंचीं, वहां तब तक भारी भीड़ जमा हो चुकी थी. उन्होंने एफएसएल टीम और डौग स्क्वायड को भी वहां बुला कर मौका मुआयना करवाया. खोजी कुत्ता सुदर्शन के घर के आसपास ही चक्कर लगाता रहा.

घटना की गंभीरता को देखते हुए जबलपुर के एसपी अमित सिंह ने एडीशनल एसपी (ग्रामीण) शिवेश सिंह बघेल एवं एसपी (सिटी) रवि सिंह चौहान के मार्गदर्शन में थानाप्रभारी तिलवारा रीना पांडेय के नेतृत्व में एक टीम गठित की. टीम में क्राइम ब्रांच के एएसआई राजेश शुक्ला, विनोद द्विवेदी आदि को शामिल किया गया. पुलिस ने भैरों नगर के तमाम लोगों से जानकारी ले कर कुछ संदिग्ध लोगों को पुलिस थाने में बुला कर पूछताछ भी की, मगर किसी से भी देविका का कोई सुराग हासिल नहीं हो सका. इस घटनाक्रम से भैरों नगर में रहने वाले वाल्मीकि समाज के लोगों की पुलिस के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही थी. उन्होंने प्रशासन के खिलाफ धरना देना शुरू कर दिया था. वे पुलिस प्रशासन से मांग कर रहे थे कि जल्द ही मासूम बच्ची देविका को खोज निकाला जाए.

इधर पुलिस प्रशासन की नींद हराम हो चुकी थी. देविका को गायब हुए एक माह से अधिक का समय बीत चुका था, पर पुलिस को यह समझ नहीं आ रहा था कि देविका का अपहरण आखिर किसलिए किया गया है. यदि फिरोती के लिए अपहरण हुआ है तो अभी तक किसी ने फिरोती की रकम के लिए सुदर्शन के परिवार से संपर्क क्यों नहीं किया. पुलिस टीम को जांच करते एक माह से अधिक समय हो गया था, लेकिन वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी. कुएं से मिली लाश  26 फरवरी 2020 को भैरों नगर की नई बस्ती इलाके में बने एक कुएं के इर्दगिर्द बच्चे खेल रहे थे.

खेल के दौरान कुएं में अंदर झांकने पर उन्हें कोई चीज तैरती दिखाई दी, तो बच्चों ने चिल्ला कर आसपास के लोगों को इकट्ठा कर लिया. बस्ती के लोगों ने कुएं में उतराते शव को देखा तो इस की सूचना तिलवारा पुलिस को दे दी. सूचना पा कर पुलिस दल मौके पर पहुंचा और शव को कुएं से बाहर निकलवाया गया. शव की हालत इतनी खराब हो चुकी थी, कि उसे पहचान पाना मुश्किल था. शव के सिर की ओर से रस्सी से लगभग 15 किलोग्राम वजन का पत्थर बंधा हुआ था. पुलिस की मौजूदगी में आसपास के लोगों ने मोटरपंप लगा कर कुएं का पानी खाली किया तो कुएं की निचली सतह पर कपड़े मिले, जिस के आधार पर सुदर्शन के परिजनों द्वारा उस की पहचान देविका के रूप में की गई.

पुलिस ने काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टर द्वारा देविका की मृत्यु पानी में डूबने के कारण होनी बताई. परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने प्रकरण में धारा 364, 302 और इजाफा कर दी. अब पुलिस के सामने बड़ी चुनौती यही थी कि देविका के हत्यारे तक कैसे पहुंचा जाए. 40 दिनों तक चली तफ्तीश में टीआई रीना पांडेय को बस्ती के लोगों ने बताया था कि सुदर्शन और उस की पत्नी में अकसर विवाद होता रहता था. सुदर्शन अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था. जब सुदर्शन के शक का कीड़ा कुलबुलाता तो उन के बीच विवाद हो जाता.

इसी आधार पर पुलिस टीम को यह संदेह भी हो रहा था कि कहीं इसी वजह से सुदर्शन ने ही तो देविका की हत्या नहीं की? जांच टीम ने जब देविका की मां प्रीति और पिता सुदर्शन से अलगअलग पूछताछ की तो दोनों के बयानों में विरोधाभास नजर आया. पूछताछ के दौरान प्रीति ने जब यह बताया कि कुछ माह पहले सुदर्शन देविका को जान से मारने का प्रयास कर चुका है, तो पुलिस को पूरा यकीन हो गया कि देविका का कातिल उस का पिता ही है. जब पुलिस ने सुदर्शन से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने जल्द ही अपना गुनाह कबूल कर लिया. अपनी फूल सी नाजुक बेटी की हत्या करने का गुनाह करने वाले सुदर्शन उर्फ मोनू ने पुलिस को जो कहानी बताई उस ने तो बस यही साबित कर दिया कि अपने दिमाग में शक का कीड़ा पालने वाला मोनू देविका को अपनी बेटी ही नहीं मानता था.

सुदर्शन की शादी अब से 3 साल पहले बड़े धूमधाम से रांझी, जबलपुर निवासी प्रीति से हुई थी. शादी के पहले से सुदर्शन रंगीनमिजाज नौजवान था और उस की आशिकमिजाजी शादी के बाद भी जारी रही. इसी के चलते भेड़ाघाट में एक लड़की के बलात्कार के मामले में शादी के 2 माह बाद ही उसे जेल की हवा खानी पड़ी थी. जैसेतैसे वह कुछ माह बाद जमानत पर आया तो उसे मालूम हुआ कि उस की पत्नी गर्भ से है. बस उसी समय से सुदर्शन के दिमाग के अंदर शक का कीड़ा बैठ गया. वह बारबार यही बात सोचता कि मेरे जेल के अंदर रहने पर प्रीति गर्भवती कैसे हो गई. देविका के जन्म के बाद तो अकसर पतिपत्नी में इसी बात को ले कर विवाद होता रहता. सुदर्शन प्रीति को हर समय यही ताने देता कि यह लड़की न जाने किस की औलाद  है. इसी तरह लड़तेझगड़ते जिंदगी गुजारते प्रीति फिर से गर्भवती हो गई.

पत्नी के चरित्र पर हरदम शक करने वाले सुदर्शन को लगता था कि देविका उस की बेटी नहीं है. उस का मन करता कि देविका का काम तमाम कर दे. एक बार तो उस ने देविका को मारने की कोशिश भी की थी, मगर वह कामयाब न हो सका. पतिपत्नी के विवाद की वजह से देविका की देखभाल भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रही थी, जिस की वजह से वह अकसर बीमार रहती थी. बेटी को समझता था नाजायज 16 जनवरी, 2020 की रात 10 बजे सुदर्शन मैडिकल कालेज के बाहर बैठा अपने दोस्तों के साथ शराब पी रहा था. तभी उस की पत्नी प्रीति का फोन आया कि जल्दी से घर आ जाओ, देविका की तबीयत ठीक नहीं है. सुदर्शन को तो देविका की कोई फिक्र ही नहीं थी. वह तो चाहता था कि उस की मौत हो जाए.

इधर प्रीति देविका की तबीयत को ले कर परेशान थी. वह बारबार पति को फोन लगाती और वह जल्दी आने की कह कर शराब पीने में मस्त था. प्रीति के बारबार फोन आने पर वह तकरीबन 11 बजे अपने घर पहुंचा तब तक उस के मातापिता दूसरे कमरे में सो चुके थे. देविका की तबीयत के हालचाल लेने की बजाय वह बारबार फोन लगाने की बात पर पत्नी से विवाद करने लगा, जिसे देख कर मासूम देविका रोने लगी. सुदर्शन ने गुस्से में देविका का गला दबा दिया, जिस के कारण उस की मौत हो गई. देविका की हालत देख कर प्रीति जोरजोर से रोने लगी तो सुदर्शन ने उसे डराधमका कर चुप करा दिया.

सुदर्शन ने प्रीति को धमकाया कि यदि इस के बारे में किसी को कुछ बताया तो वह उस के गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ उसे भी खत्म कर देगा. बेचारी प्रीति अपने होने वाले बच्चे की खातिर इस दर्द को चुपचाप सह कर रह गई. सुदर्शन ने प्रीति को पाठ पढ़ाया कि सुबह लोगों को देविका के अपहरण की कहानी बता कर मामले को शांत कर देंगे. इस के लिए उस ने घर के पिछले हिस्से में रखी कुछ ईंटों को हटा दिया, जिस से लोग यह अनुमान लगा सकें कि यहीं से घुस कर देविका का अपहरण किया गया है. रात के लगभग 2 बजे सुदर्शन एक रस्सी ले कर देविका के शव को कंधे पर रख कर घर के बाहर कुछ दूरी पर बने एक कुएं के पास ले गया.

वहां पर उस ने रस्सी के सहारे शव को एक पत्थर से बांध कर कुएं में फेंक दिया और वापस आ कर चुपचाप सो गया. सुबह उठते ही उस ने अपनी बेटी देविका के गायब होने की खबर फैला दी.  6 मार्च 2010 को जबलपुर के पुलिस कप्तान अमित सिंह, एसपी (सिटी) रवि सिंह चौहान, एडीशनल एसपी (ग्रामीण) शिवेश सिंह बघेल, टीआई तिलवारा रीना पांडेय की मौजूदगी में प्रैस कौन्फ्रैंस कर हत्याकांड के राज से परदा उठाते हुए आरोपी को प्रेस के समक्ष पेश किया. सुदर्शन को देविका की हत्या के अपराध में धारा 363, 364, 302, 201 आईपीसी के तहत गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जबलपुर जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित