Family Story in Hindi : स्मार्ट मदर जवान प्रेमी और मर्डर

Family Story in Hindi : रेखा 2 बच्चों की मां जरूर बन गई थी, लेकिन अपनी खूबसूरती और शारीरिक कसावट की वजह से वह वास्तविक उम्र से कम की दिखती थी. तभी तो गांव का ही रहने वाला 18 वर्षीय मंजीत उस पर फिदा हो गया था. वह अपनी कार से रोजाना रेखा को उस के औफिस छोडऩे जाने लगा. इसी दौरान इस एकतरफा प्यार ने रेखा पर ऐसा खूनी वार किया कि… 

दिन के 9 बजने को आए थे. झज्जर जिले के गांव बहू में रहने वाले रवि की पत्नी रेखा ने जल्दीजल्दी घर के काम निपटा लिए थे और काम पर जाने के लिए तैयार होने लगी थी. उस की एक नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर थी. जैसे ही घड़ी ने सवा 9 बजाए, रेखा अपना बैग कंधे पर टांग कर घर से बाहर हो गई. वह लंबेलंबे कदम बढ़ाते हुए घर से कुछ दूर बने बस स्टाप पर आ गई और बस का इंतजार करने लगी. समय धीरेधीरे आगे बढ़ रहा था. बस उसे दूरदूर तक आती हुई नजर नहीं आ रही थी.

रेखा के माथे पर पसीने की बूंदें चमकने लगीं, क्योंकि 10 से ज्यादा का समय हो गया, किंतु बस नदारद थी. ‘इस मुई बस के चक्कर में मुझे रोज ही काम पर पहुंचने में लेट होना पड़ता है.’ वह झल्लाते हुए बड़बड़ाई. अभी तक उस बस स्टाप पर रेखा अकेली ही खड़ी थी, कोई दूसरा व्यक्ति वहां नहीं आया था. रेखा की झल्लाहट बढऩे लगी. आज उस बस का दूर तक कोई अतापता नहीं था, जो रोज 10 बजे तक बस स्टाप पर आ जाती थी. ‘लगता है आज बस खराब हो गई है, मुझे अब पैदल ही झाड़ली के एनटीपीसी पावर प्लांट तक जाना पड़ेगा. क्योंकि वह उसी प्लांट में नौकरी करती थी. मौसम बड़ा ठंडा है.

लेकिन घबराहट में मुझे पसीने छूटने लगे हैं, लगता है किसी दिन मुझे इस बस के चक्कर में काम से हाथ धोना पड़ेगा.’ सोचते हुए रेखा ने दूरदूर तक सुनसान नजर आ रही उस डामर की सड़क पर कदम बढ़ा दिए. सफर लंबा था. अभी वह थोड़ी ही दूरी पार कर पाई थी कि पीछे से उसे किसी गाड़ी का हार्न सुनाई दिया. रेखा ने पीछे मुड़ कर देखा. यह एक कार थी, जो उसी की साइड पर आ रही थी. रेखा जल्दी से सड़क से नीचे कच्चे राह पर उतर गई. कार तेजी से आ कर उस के बराबर में रुक गई. ब्रेक लगने से कार के टायर सड़क पर रगड़ खा गए थे और उस में से अजीब सी आवाज आई थी. रेखा की ओर की खिड़की खुली और उस में से एक युवक का सिर बाहर निकला. यह युवक 18-19 साल का युवा ही नजर आता था.

”आज बस नहीं आई है क्या, जो तुम पैदल ही सफर करने के लिए निकल गई हो?’’ उस युवक ने पूछा.

रेखा उसे देख कर उपेक्षा से कंधे झटक कर बोली, ”बस खराब हो गई होगी. मैं काम पर जाने के लिए लेट हो रही हूं, इसलिए पैदल जाना पड़ रहा है.’’

”आओ, मेरी कार में बैठ जाओ, मैं तुम्हें तुम्हारे काम पर पहुंचा देता हूं.’’ युवक ने कहा.

”नहीं, मैं पैदल ही चली जाऊंगी.’’ रेखा ने गंभीरता से कहा और आगे बढ़ गई.

”मैं तुम्हारे लिए अजनबी हो सकता हूं रेखा, लेकिन मैं तुम्हें अच्छे से जानता हूं. आओ कार में बैठ जाओ.’’

युवक की बात पर रेखा चौंकी, ”तुम मुझे कैसे जानते हो, मेरा नाम भी तुम्हें मालूम है.’’

युवक ने बताया, ”मैं बहू गांव में ही रहता हूं, तुम्हारा घर मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं है.’’ युवक ने बताया, ”मैं ने तुम्हें कई बार हाटबाजार में देखा है. एक ही गांव का हूं, इसलिए नाम भी जानता हूं. संकोच मत करो, मैं गांव के नाते से तुम्हारी मदद करना चाहता हूं, ज्यादा सोचोगी तो लेट हो जाओगी काम से.’’

रेखा को युवक की बात पर विश्वास करना पड़ा. वैसे भी उसे काम पर पहुंचने में देर हो रही थी. वह कार में बैठ गई. युवक ने उसे अपनी बाईं ओर बिठा लिया था. कार को युवक ने तेजी से आगे बढ़ा दिया. थोड़ी देर तक दोनों मौन रहे, फिर रेखा ने ही मुंह खोला, ”तुम मेरा नाम जानते हो, लेकिन तुम ने अपना नाम नहीं बताया मुझे.’’

”मेरा नाम मंजीत है.’’ युवक बोला.

”क्या करते हो मंजीत?’’

”फिलहाल कुछ नहीं. अभी मैं ने 12वीं पास की है. सोच रहा हूं कालेज में दाखिला ले लूं.’’

”अच्छा विचार है, आजकल पढऩेलिखने से ही अच्छी नौकरी मिलती है. तुम किसी कालेज में एडमिशन ले लो.’’

”हां.’’ मंजीत ने धीरे से कहा और कार की विंडस्क्रीन से बाहर देखने लगा. कुछ ही दूरी पर झाड़ली पावर प्लांट नजर आ रहा था. कार जब वहां पहुंची तो रेखा ने जल्दी से कहा, ”मंजीत, यहीं कार रोक दो. मैं यहीं पर काम करती हूं.’’

मंजीत ने कार एक साइड कर के रोक दी. रेखा दरवाजा खोल कर नीचे उतरी और उस ने शिष्टाचार दिखाते हुए मंजीत का मुसकरा कर शुक्रिया किया, फिर अपने काम पर झाड़ली पावर प्लांट की तरफ बढ़ गई. मंजीत कुछ देर तक रेखा को देखता रहा, जब वह आंखों से ओझल हो गई तो उस ने कार को घुमा लिया और वापस गांव की ओर लौटने लगा. उस के जेहन में रेखा को ले कर तरहतरह के विचार आने लगे थे. रेखा बला की हसीन और भरेपूरे बदन की युवती थी. वह उस के मन को भा गई थी. मंजीत उसे अपने दिल में जगह देने का सपना संजोने लगा.

इस के बाद वह अकसर रोजाना ही अपनी कार से रेखा को बस स्टाप से एनटीपीसी पावर प्लांट तक छोडऩे जाने लगा. इस तरह दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई. शाम ढलने को थी. भैंसें चराने वाला चरवाहा अपनी भैंसों को ले कर अब गांव के लिए लौट जाने की तैयारी करने लगा था. उस ने पेड़ के सहारे रखा लट्ठ उठाया और उठ कर खड़ा हो गया. भैंसें अभी भी खेतों में चर रही थीं. उस ने उन्हें इकट्ठा करना शुरू किया और पानी पिलाने के विचार से उन्हें पास में ही स्थित तालाब की तरफ हांक कर ले आया. जैसे ही वह तालाब पर पहुंचा, उस के मुंह से चीख निकल गई.

तालाब की सतह पर एक युवती की लाश तैर रही थी. चरवाहा बुरी तरह घबरा गया. वह कुछ क्षण बुत बना वहां खड़ा लाश को देखता रहा. फिर गांव की तरफ दौड़ पड़ा. यह झज्जर जिले का ही रुडिय़ावास गांव था, जो हरियाणा के झज्जर जिले के अंतर्गत आता है. चरवाहा यहां अकसर भैंसें चराने आता रहता था, इसलिए वह गांव के चौकीदार को अच्छी तरह जानता था. चरवाहे को चौकीदार गांव की चौपाल पर हुक्का पीता हुआ मिल गया. वहां गांव के कुछ बड़ेबूढ़े भी बैठे हुए थे. बदहवास हालत में चरवाहे को वहां भागता हुआ आया देख कर चौकीदार उठ कर खड़ा हो गया. उस ने उसे देख कर हैरानी से पूछा, ”क्या हुआ, तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’

”चाचा…म..मैं ने तालाब में एक युवती की लाश देखी है.’’ चरवाहे ने हांफते हुए बताया.

”लाश!’’ चौकीदार घबरा कर बोला, ”सुबह तो तालाब में कुछ नहीं था.’’

”मैं ने अपनी आंखों से देखी है.’’ चरवाहे ने कहा, ”तुम चल कर देख लो.’’

लाश की बात सुन कर वहां बैठे गांव वाले भी घबरा कर खड़े हो गए. चौकीदार के साथ वह लोग भी तालाब की तरफ चल पड़े. चरवाहा भी उन के पीछे था.

कुछ ही देर में वह सब तालाब पर पहुंच गए. वास्तव में तालाब में एक युवती की लाश तैर रही थी.

रुडिय़ावास गांव के चौकीदार और गांव वाले बुजुर्गों ने उस युवती की लाश को ध्यान से देखा.

वह जवान और सुंदर थी. पेट में पानी चले जाने की वजह से लाश फूल कर पानी के ऊपर तैरने लगी थी.

”यह गांव की तो नहीं है चौधरी.’’ एक बुर्जुग बोला, ”मुझे तो लग रहा है किसी ने इसे मार कर यहां ला कर डाल दिया है.’’

”ऐसा ही लग रहा है ताऊ.’’ दूसरा व्यक्ति जो उम्र में इन से कम लग रहा था, अपनी बात कहता हुआ चौकीदार की तरफ घूमा, ”भाई, तुम पुलिस थाना साल्हावास में इस लाश की खबर दे दो. पुलिस तहकीकात कर लेगी कि यहां यह लाश कैसे आई.’’

चौकीदार ने सिर हिलाया और जेब से मोबाइल निकाल कर उस ने थाना साल्हावास से संपर्क कर लिया. कुछ देर घंटी बजती रही फिर किसी ने काल अटेंड की, ”हैलो! मैं थाना साल्हावास से एसएचओ हरीश कुमार बोल रहा हूं. आप को किस से बात करनी है?’’

”मैं साल्हावास गांव का चौकीदार बोल रहा हूं साहब. यहां तालाब में एक युवती की लाश तैर रही है.’’

”लाश!’’ दूसरी ओर एसएचओ चौंके, ”लाश तुम ने देखी है क्या?’’

”हां साहब, मैं इस समय तालाब के किनारे पर ही खड़ा हूं. लाश अभी भी तालाब में तैर रही है.’’ चौकीदार ने बताया.

”तुम वहीं रहो. मैं आधा घंटा में वहां पहुंच रहा हूं.’’ एसएचओ हरीश कुमार बोले. चौकीदार ने मोबाइल स्विच्ड औफ किया और मोबाइल को जेब में डाल लिया.

अब तक इस लाश की खबर गांव रुडिय़ावास में फैल गई थी. गांव के तमाम लोग वहां लाश देखने के लिए आ कर इकट्ठा हो गए. चौकीदार ने सभी को तालाब से दूर खड़े रहने की हिदायत दे दी. सभी लाश को बड़ी हैरानी से देख रहे थे. अभी तक एक भी ऐसा व्यक्ति सामने नहीं आया, जो मृतका को पहचानने का दावा करता हो. पुलिस वहां पौना घंटा में पहुंची. सूरज इस बीच पश्चिम दिशा में आ चुका था और अस्त होने जा रहा था. रोशनी घटने लगी थी, लेकिन अभी लाश दूर से भी देखी जा सकती थी. एसएचओ ने उस युवती की लाश को पानी से निकलवाने के बाद उस का बारीकी से निरीक्षण किया.

वह युवती गोरे रंग की बेहद खूबसूरत थी. नाकनक्श सांचे में ढले प्रतीत हो रहे थे. मृतका के शरीर पर कहीं भी चोट का निशान नजर नहीं आ रहा था. कपड़े भी सहीसलामत दिखाई दे रहे थे. ऐसा नहीं लग रहा था कि किसी ने इस के साथ जोरजबरदस्ती की हो और फिर मार कर फेंक दिया हो. डैडबौडी पर कहीं भी खरोंच के निशान नहीं थे. एसएचओ ने अनुमान लगाया कि इस का गला दबा कर मारा गया है. यह आपसी रंजिश का मामला नजर आता था. जांच पूरी कर लेने के बाद एसएचओ ने कागजों की खानापूर्ति की और फिर ऊंची आवाज में वहां मौजूद लोगों से पूछा, ”क्या आप में से कोई इस युवती को पहचानता है?’’

”नहीं साहब.’’ कई स्वर एक साथ उभरे.

लाश की जामातलाशी में भी कुछ हाथ नहीं आया था. एक प्रकार से उस मृतका की शिनाख्त नहीं हो पाई थी. एसएचओ हरीश कुमार ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए झज्जर के सरकारी अस्पताल में भिजवा दिया.

यहां के काम को पूरा कर के उन्होंने चौकीदार से पूछा, ”तुम्हें इस लाश की जानकारी कैसे मिली थी?’’

”यह चरवाहा यहां भैंसें चराने आया हुआ था साहब, इस ने ही तालाब में इस की लाश देखी और मुझे इत्तला देने दौड़ता हुआ गांव रुडिय़ावास पहुंच गया.’’ चौकीदार ने बताते हुए चरवाहे के कंधे पर हाथ रख दिया.

”तुम यहां भैंसें चराने कब से आते हो?’’

”मैं सर्दी में यहां आता हूं साब, गरमी में मैं गांव बहू के खेतों में जानवर चरा लेता हूं. मैं ने आज शाम को घर जाने से पहले भैंसें इकट्ठी कीं और इन्हें पानी पिलाने के लिए तालाब पर आया तो उस लाश तैरती देखी थी.’’

”दिन भर तुम यहीं थे आज?’’ एसएचओ ने पूछा.

”जी हां.’’ चरवाहे ने बताया, ”लेकिन मैं ने दिन में इधर किसी को भी नहीं देखा है.’’

”तुम यहां कितने बजे आ गए थे?’’

”मैं दोपहर में एक बजे यहां भैंसें ले कर आया था. तब से कोई इधर आया ही नहीं.’’

”शायद हत्या कहीं और कर के कोई यहां लाश फेंकने आया होगा तो वह एक बजे से पहले आया होगा.’’ एसएचओ हरीश कुमार ने गंभीर स्वर में कहा, ”अब तुम अपना नामपता दरोगाजी को लिखवा दो और चले जाओ. जरूरत पडऩे पर तुम्हें याद कर लिया जाएगा.’’

”ठीक है साहब.’’ चरवाहे ने धीरे से कहा और भैंसें ले कर वह गांव बहू की ओर रवाना हो गया. रुडिय़ावास गांव के लोग भी गांव में लौट गए. एसएचओ जीप में सवार हुए और थाने की तरफ रवाना हो गई.

हरियाणा के झज्जर जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव बहू का रहने वाला रवि 4 मई, 2025 को बारबार घड़ी देख रहा था. घड़ी शाम के 7 बजा रही थी. उस की पत्नी रेखा 6 बजे तक रोज ड्ïयूटी से लौट कर घर आ जाती थी, लेकिन उस दिन एक घंटा ऊपर हो गया था, वह काम से घर नहीं लौटी थी. रवि के माथे पर अब चिंता की रेखाएं उभरने लगी थीं. घड़ी ने जब साढ़े 7 बजाए तो वह पत्नी रेखा की तलाश में पैदल ही बस स्टाप की तरफ बढ़ गया.

बस स्टैंड दूर था और अंधेरा भी घिर आया था. रवि जब बस स्टैंड पर पहुंचा तो वहां गहरा सन्नाटा फैला हुआ था. दूरदूर तक कोई इंसान वहां नजर नहीं आ रहा था. रवि परेशान हालत में घर लौट कर आया तो रेखा अभी तक घर नहीं पहुंची थी.

‘कहां रह गई यह… साढ़े 8 से ऊपर का समय हो गया. पहले तो वह कभी इतनी देर घर से बाहर नहीं रही.’ रवि बड़बड़ाया और उस ने अपने छोटे भाई को बताया कि रेखा घर नहीं आई है आज.

”कहीं वह अपने मायके में तो नहीं चली गई है भैया!’’ नवीन (काल्पनिक नाम) ने कहा, ”आप उन के घर फोन कर के पूछो. हो सकता है वहीं गई हों.’’

रवि ने मोबाइल निकाल कर झज्जर जिले के ही कड़ौधा गांव में रहने वाले रेखा के पापा अजमेर को काल लगा दी. रेखा से उस की शादी 8 साल पहले हुई थी, जिस के 2 बच्चे भी हैं. दूसरी ओर घंटी बजी और फिर काल उठा ली गई, ”हां दामादजी, कैसे फोन कर रहे हो? घर में सब ठीकठाक है न?’’ अजमेर ने पूछा.

”सब ठीक है पापा.’’ रवि जल्दी से बोला, ”क्या रेखा वहां पहुंची है? अभी तक वह काम से नहीं लौटी है.’’

”नहीं दामादजी, रेखा तो यहां नहीं आई.’’ अजमेर के स्वर में परेशानी के भाव थे, ”रेखा से तुम्हारी कहासुनी हुई थी क्या?’’

”नहीं पापाजी, वह सुबह अच्छे मूड में काम पर निकली थी.’’ कहने के बाद रवि ने फोन काट दिया.

”नवीन, रेखा कडौधा में नहीं गई है. उस के पापा ने बताया है.’’ रवि चिंतित स्वर में बोला, ”तुम अपनी भाभी के काम पर झाड़ली जा कर पता लगाओ, यारदोस्तों से भी कहो, वह रेखा को ढूंढें. मुझे तो बहुत घबराहट हो रही है.’’

”आप बैठ जाइए, आप की तबियत वैसे भी ठीक नहीं रहती है. मैं झाड़ली में पावर प्लांट पर जा कर मालूम करता हूं. 1-2 दोस्तों को भी साथ ले जाऊंगा. हो सकता है भाभी का ओवरटाइम चल रहा हो.’’ नवीन ने कहा और घर से साइकिल ले कर निकल गया.

नवीन ने झाड़ली जा कर पावर प्लांट में भाभी रेखा के बारे में मालूम किया तो उसे बताया गया कि रेखा आज तो काम पर आई ही नहीं थी. नवीन हैरान रह गया. उस ने सुबह भाभी रेखा को बैग कंधे पर टांग कर काम के लिए घर से निकलते देखा था. अगर वह काम पर नहीं पहुंची तो फिर कहां चली गई. नवीन अपने एक दोस्त श्याम को साथ ले कर आया था. वह उस के साथ भाभी को तलाश करने लगा. झाड़ली की तरफ आने वाले रास्ते के दोनों ओर उन्होंने अच्छी तरह देखा कि कहीं रेखा भाभी का सुबह रास्ते में एक्सीडेंट वगैरह न हुआ हो. वह रेखा को तलाश करते हुए गांव बहुलौर आए. गांव में भी रेखा की ढूंढाढांढी चलती रही, लेकिन उस का कहीं पर भी पता नहीं चला.

रेखा की तलाश करते हुए सुबह हो गई. पूरा घर और पड़ोसी पूरी रात रेखा को ढूंढते रहे, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. किसी पड़ोसी ने अपने वाट्सऐप पर सुबह एक युवती के शव का फोटो देखा. वह रेखा लग रही थी. उस ने यह बात नवीन और रवि को बताई तो उन्होंने वाट्सऐप पर पुलिस की ओर से शेयर की गई उस युवती की तसवीर को देख कर पहचान लिया कि वह रेखा ही है. तसवीर एक मृत युवती की थी और पुलिस की ओर से इस मृत युवती की पहचान करने की अपील की गई थी. रेखा की यह तसवीर देखते ही घर में कोहराम मच गया. सभी रोने लगे. थोड़ी देर बाद नवीन, रवि और 2-3 पड़ोस के लोग साल्हावास थाने के लिए एक ट्रैक्टर से निकल गए. रेखा की यह तसवीर वाट्सऐप पर यहीं के थाने से शेयर की गई थी.

उधर जब पुलिस को मृत युवती की पहचान कराने में सफलता नहींमिली तो उस का फोटो गांव वालों के वाट्सऐप पर शेयर कर दिया. इस के अलावा किसी सूत्र की तलाश में 2 कांस्टेबल रुडिय़ावास भेजे गए. उन्हें वहां तालाब के किनारे घास में एक महिला का पर्स मिला था. उस पर्स में एक आईकार्ड मिला, जो एनटीपीसी पावर प्लांट झाड़ली का था. इस से अनुमान लगाया गया कि मृत मिली वह युवती इस पावर प्लांट में नौकरी करती थी. एसएचओ झाड़ली जा कर इस आईकार्ड के बारे में मालूम करना चाहते थे कि उस से पहले एक कांस्टेबल ने अंदर कक्ष में आ कर बताया, ”सर, एक ट्रैक्टर में कुछ ग्रामीण लोग थाने आए ओर वह आप से मिलना चाहते हैं.’’

एसएचओ उठ कर बाहर आ गए. ट्रैक्टर से आए लोग उतर कर उन के पास आ गए. उन्हें ‘रामराम’ करने के बाद नवीन ने आगे आ कर बताया, ”साहब, हम गांव बहू से आए हैं. वाट्सऐप पर जिस युवती की लाश का फोटो शेयर किया गया है, पहचान के लिए वह मेरी भाभी रेखा से मिलतीजुलती है. मेरी भाभी रेखा कल शाम को काम से घर नहीं लौटी है.’’

”क्या? तुम्हारी भाभी रेखा झाड़ली में एनटीपीसी पावर प्लांट में नौकरी करती थी?’’ एसएचओ हरीश कुमार ने पूछा.

”हां साहब,’’ नवीन ने कहा.

”तो हमें जो लाश रुडिय़ावास तालाब में मिली है, वह रेखा की है. हमें एक पर्स तालाब के पास से मिला है. उसे पहचान कर बताओ क्या वह पर्स तुम्हारी भाभी रेखा का ही है.’’ कहने के बाद एसएचओ ने कांस्टेबल को कक्ष में रखा पर्स ले कर आने को कहा.

कांस्टेबल वह पर्स उठा लाया तो नवीन ने देखते ही बता दिया, ”यह पर्स मेरी भाभी रेखा का ही है साहब.’’

”लाश पोस्टमार्टम के लिए झज्जर भेजी गई है.’’ एसएचओ ने बताया, ”तुम यह बताओ कि तुम्हें किसी पर शक है? ऐसा व्यक्ति जो तुम्हारी भाभी से खुंदक रखता हो.’’

नवीन कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया फिर बोला, ”ऐसा तो कोई व्यक्ति नहीं था साहब, मेरी भाभी लड़ाकू टाइप की नहीं थी. वह किसी से ज्यादा वास्ता भी नहीं रखती थी.’’

”लेकिन कोई ऐसा व्यक्ति तुम्हारी भाभी की जिंदगी में जरूर रहा है नवीन, जिस ने किसी बात पर उस की हत्या कर दी और लाश को रुडिय़ावास में ले जा कर तालाब में फेंक दिया.’’ एसएचओ ने बहुत गंभीर स्वर में कहा, ”तुम्हारी भाभी अकेली तो रुडिय़ावास नहीं जा सकती.’’

”ऐसा कौन हो सकता है साहब!’’ नवीन ने दिमाग पर जोर डाला फिर जैसे कोई तसवीर उस की आंखों के सामने उभरी. नवीन ने राजदाराना अंदाज में कहा, ”साहब, आजकल भाभी किसी की कार में बैठ कर झाड़ली पावर प्लांट पर जाने लगी थी. मैं ने खुद भाभी को उस कार में बस स्टैंड से बैठते हुए कई बार देखा था. शुरू मे मुझे लगा कि गाड़ी पावर प्लांट वालों की ओर से लगाई गई है, उस में पावर प्लांट में काम करने वाले और भी वर्कर आते होंगे, लेकिन बाद में मुझे संदेह हुआ कि कार में सिर्फ भाभी ही बैठती है, दूसरा कोई और नहीं.’’

”कार किस रंग की है?’’

”रंग को छोडि़ए साहब, मैं ने उस कार का नंबर दिमाग में बिठा रखा है. मैं इस के विषय में मौका देख कर भाभी से पूछताछ करने वाला था कि यह हादसा हो गया.’’

”मुझे कार का नंबर बताओ.’’ एसएचओ ने उत्सुकता से पूछा.

नवीन ने कार का नंबर बता दिया, जिसे एसएचओ हरीश कुमार ने डायरी में नोट कर लिया. फिर उन्होंने एक कांस्टेबल के साथ इन लोगों को झज्जर के सरकारी हौस्पिटल जाने के लिए भेज दिया और केस डायरी में अज्ञात के खिलाफ रेखा की हत्या का मामला दफा दर्ज कर लिया.

एसएचओ ने एसआई को बुला कर उसे नवीन द्वारा नोट कराए कार का नंबर दे कर कहा कि वह मालूम करें कि यह कार किस के नाम से रजिस्टर्ड है. एसआई ने एक घंटे में ही उस कार के नंबर से उस के मालिक का नामपता मालूम कर लिया और एसएचओ को जानकारी दे दी. यह कार गांव बहू के एक व्यक्ति के नाम रजिस्टर थी, जिस का नाम जयपाल (काल्पनिक) था. गांव बहू का नाम सुन कर एसएचओ हरीश कुमार बुरी तरह से चौंके. रेखा भी तो गांव बहू की ही थी. एसएचओ तुरंत 4 कांस्टेबल साथ ले कर उस व्यक्ति से मिलने गांव बहू के लिए चल पड़े, जिस के नाम से कार का रजिस्ट्रैशन था. वह व्यक्ति गांव बहू में अपने घर पर ही मिल गया.

पूछताछ करने पर उस ने कहा, ”साहब, यह कार मेरे ही नाम से है, लेकिन मैं ने यह अपने भांजे मंजीत को दे रखी है. मेरी बहन आजकल बीमार रहती है. मेरे जीजा का 2021 में रोड एक्सीडेंट हो गया था. उन के बाद अपनी बहन के घर की मैं ही देखभाल करता हूं. कार मैं ने इसलिए दी कि मंजीत अपनी मम्मी को इलाज के लिए अस्पताल ले जाए और ले कर आए. क्या कुछ एक्सीडेंट कर दिया मंजीत ने?’’

”नहीं. बात कुछ और है, तुम हमें अपनी बहन के घर ले चलो. हमें मंजीत से कुछ पूछताछ करनी है.’’ एसएचओ ने कहा.

जयपाल एसएचओ को अपनी बहन के घर ले गया. यहां मंजीत के बारे में पूछने पर मालूम हुआ कि वह कल से कहीं गया हुआ है. कार घर पर खड़ी कर गया है.

एसएचओ का शक मंजीत पर गहरा हो गया. उन्होंने मंजीत का फोटो मंजीत की मम्मी से मांगा और उसे ले कर थाने लौट आए. उन्होंने मंजीत का फोटो मुखबिरों को दिखा कर उन्हें मंजीत की टोह लेने के काम पर लगा दिया. मुखबिर अपने काम में लग गए. एसएचओ खुद मंजीत के मिलने वाली संभावित स्थानों पर दबिश देने लगे.

काफी भागदौड़ करने के बाद मंजीत 10 मई, 2025 को एक मुखबिर की काल आने के बाद पकड़ लिया गया. उसे थाना साल्हावास लाया गया. वह अभी 18 वर्ष का युवा था. वह काफी डरा हुआ था. उस से कड़ी पूछताछ शुरू की गई तो उस ने रेखा की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

”तुम ने रेखा की हत्या क्यों की?’’ एसएचओ हरीश कुमार ने पूछा.

”सर, यह सुनने से पहले आप मेरे प्रेम की दास्तां सुन ले, आप को मालूम हो जाएगा, मुझे रेखा की हत्या क्यों करनी पड़ी.’’ मंजीत ने गंभीर स्वर में कहा और बगैर इजाजत मिले वह अपनी प्रेम कहानी के पन्ने खोलने लगा.

”सर, मैं गांव बहू का रहने वाला हूं, रेखा भी इसी गांव की थी. मैं ने उसे कई बार देखा था. उस का पति शराबी और कामचोर था, इसलिए रेखा ने घर चलाने के लिए झाड़ली पावर प्लांट में साफसफाई का काम पकड़ लिया था. वह रोज बस से झाड़ली जाती थी. एक दिन वह मुझे गांव के बाहर बस स्टाप पर परेशान हालत में मिली थी. उस दिन बस खराब थी, आई नहीं थी.’’

मंजीत ने आगे बताया, ”मैं ने रेखा को कार में लिफ्ट देनी चाही. काफी नानुकुर के बाद वह मेरी कार में बैठी. मैं उसे झाड़ली छोड़ कर आया. उस दिन के बाद से मैं हर रोज रेखा को उस के काम पर छोडऩे जाने लगा. साथ मिला तो मेरे दिल में रेखा के लिए प्यार का अंकुर फूट गया. मैं रेखा को चाहने लगा. उस का खयाल रखने लगा.

”मुझे अपने पापा रामपाल के एक्सीडेंट क्लेम का रुपया मिलता था. मेरे मामा हरपाल भी मदद करते थे. मैं उन पैसों में से रेखा को गिफ्ट वगैरह देने लगा तो धीरेधीरे रेखा भी मेरी तरफ झुक गई. हम दोनों प्यार करने लगे.’’

मंजीत कुछ देर के लिए रुका, फिर सांसें दुरुस्त कर के आगे बताने लगा.

”सर, रेखा को मैं सच्चा प्यार करने लगा था. वह 2 बच्चों की मां जरूर थी, लेकिन लगती नहीं थी. मैं रेखा को अपनी बनाने का ख्वाब सजाने लगा था कि एक दिन यानी 4 मई, 2025 को मैं ने रेखा को अपनी कार में बस स्टाप से बिठाया तो वह काफी खुश थी.

”मैं ने उस से खुशी का कारण पूछा तो उस ने कुछ नहीं बताया. कार चलाते हुए मैं ने यूं ही रेखा का मोबाइल हाथ में ले लिया और उसे औन किया तो उस में किसी के साथ रेखा की चैटिंग देख कर चौंक पड़ा. मैं ने रेखा से पूछा कि वह किस के साथ चैटिंग कर रही थी?

”रेखा ने मुझे जवाब नहीं दिया. मैं ने कहा तुम मेरे सामने उस युवक को काल लगा कर बात करो, लेकिन रेखा ने यह कह कर बात समाप्त करनी चाही कि वह उस युवक से मिल कर काल आदि करने के लिए मना कर देगी. चूंकि मेरे मन में शक घर कर गया था, इसलिए मैं रेखा पर दबाव बनाने लगा कि वह उस युवक से मेरे सामने बात करे.’’

मंजीत ने गहरी सांस ली, ”रेखा नहीं मानी सर. मैं ने गुस्से में उस का फोन छीन कर तोड़ डाला. इस बात पर रेखा को गुस्सा आ गया. उस ने मुझे थप्पड़ मार दिया. कोई लड़की लड़के को थप्पड़ मारेगी तो कहां बरदाश्त होगा. मैं ने क्रोध में रेखा की चुन्नी से उस का गला घोंटना शुरू कर दिया.

 

”कार मैं ने सड़क के किनारे खड़ी कर दी थी. यहां गहरा सन्नाटा था. मैं ने क्रोध में रेखा का गला इतनी जोर से दबाया कि उस की सांसें थम गईं. वह मर गई तो मैं बुरी तरह घबरा गया. मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं.

”मैं काफी देर तक बेमतलब कार को सड़क पर दौड़ाता रहा, फिर मैं रुडिय़ावास की ओर चला गया. वहां एक तालाब मुझे दिखाई दिया. यहां सन्नाटा था. मैं ने रेखा की लाश उस तालाब में फेंक दी और उस का बैग झाडिय़ों में डाल कर वापस गांव बहू आ गया.

”यहां घर पर मैं ने कार खड़ी की और राजस्थान भाग गया. एक हफ्ते बाद मैं गांव की तरफ लौटते वक्त मुखबिर द्वारा पहचान लिया गया और मुझे पकड़ लिया गया. मैं रेखा की हत्या का गुनाह कुबूल करता हूं.’’

चूंकि मंजीत ने गुनाह कुबूल कर लिया था और रेखा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट हो गया था कि उस की मौत गला घुटने से हुई है. एसएचओ हरीश कुमार ने दोबारा मंजीत को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस ने मंजीत की कार, रेखा का बैग और मोबाइल जो टूटी दशा में था, जब्त कर लिया. रेखा की लाश उस के फेमिली वालों को सौंप दी. वह लोग रेखा का अंतिम क्रियाकर्म करने में व्यस्त हो गए. अपने से कम उम्र के लड़के की ओर रेखा ने झुक कर अपना विवेक, पति और बच्चे खोए और भरी जवानी में ही वह प्रेमी के हाथों अपना जीवन गंवा बैठी. Family Story in Hindi

Parivarik Kahani : ब्लेड से पत्नी के हाथों की काटी कलाई फिर रेत डाला गला

Parivarik Kahani  : अर्चना और चेतन के बीच का झगड़ा गंभीर नहीं था. दोनों चाहते तो समझदारी से निपटा सकते थे. लेकिन अर्चना के जिद्दी स्वभाव ने ऐसा नहीं होने दिया. इस का जो नतीजा निकला…

चेतन घोरपड़े और अर्चना घोरपड़े कोई नवदंपति नहीं थे. कई साल हो गए थे दोनों की शादी को. पतिपत्नी पिछले 3 सलों से कोल्हापुर जिले के तालुका शिरोल बाईपास स्थित जयसिंह सोसायटी में रह रहे थे. दोनों ही एमआईडीसी परिसर की एक गारमेंट कंपनी में काम करते थे. कंपनी 2 शिफ्टों में चलती थी इसलिए उन दोनों का काम अलगअलग शिफ्टों में था. अर्चना सुबह 8 बजे काम पर जाती और शाम 5 बजे तक घर आ जाती थी. लेकिन चेतन का काम ऐसा नहीं था. उस को कभीकभी दोनों शिफ्टों में काम करना पड़ता था. दोनों खुश थे. उन की लवमैरिज की जिंदगी सुकून से गुजर रही थी.

मगर इसी बीच कुछ ऐसा हुआ जो नहीं होना चाहिए था. दरअसल, 20 फरवरी, 2021 को अचानक 2 बजे के करीब एक ऐसी लोमहर्षक घटना घटी कि जिस ने भी देखा, उस का कलेजा मुंह को आ गया. कामकाज का दिन होने की वजह से सोसायटी के सभी पुरुष और महिलाएं अपनेअपने कामों के कारण घरों से बाहर थे. सोसायटी में सिर्फ बच्चे, कुछ बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष ही थे. दोपहर का खाना खा कर सभी अपनेअपने घरों में आराम कर रहे थे कि तभी चीखनेचिल्लाने और बचाओ… बचाओ की आवाजें आने लगीं. आवाजें पड़ोस के रहने वाले चेतन घोरपड़े के घर से आ रही थीं.

लोगों को आश्चर्य हुआ क्योंकि पतिपत्नी दोनों अकसर अपने काम पर रहते थे. अर्चना घोरपड़े के चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर लोग अपनेअपने घरों से बाहर आए तो उन्होंने देखा कि दरवाजा अंदर से बंद था. लोगों ने दरवाजा थपथपाया, आवाजें दीं. लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. इस से लोगों ने समझा कि हो सकता है पतिपत्नी का कोई मामला हो, जिसे ले कर दोनों के बीच झगड़ा हो गया हो. वैसे भी पतिपत्नी के झगड़े आम बात होते हैं. बहरहाल, उन्होंने पतिपत्नी का आपसी मामला समझ कर खामोश ही रहना उचित समझा. तभी बाहर शांति देख कर चेतन घोरपड़े ने धीरे से दरवाजा खोला. उस के कपड़ों पर खून लगा था.

इस के पहले कि पड़ोसी कुछ समझ पाते, चेतन दरवाजे की कुंडी लगा कर तेजी से सोसायटी के बाहर निकल गया और वहां से सीधे शिरोल पुलिस थाने पहुंचा. थाने की ड्यूटी पर तैनात एपीआई शिवानंद कुमार और उन के सहायकों ने थाने में चेतन घोरपड़े को देखा तो वह स्तब्ध रह गए. उस का हुलिया और उस के कपड़ों पर पड़े खून के छींटे किसी बड़ी वारदात की तरफ इशारा कर रहे थे. एपीआई शिवानंद कुमार उस से कुछ पूछते, उस के पहले ही उस ने उन्हें जो कुछ बताया, उसे सुन कर उन के होश उड़ गए. मामला काफी गंभीर था. एपीआई शिवानंद कुमार और उन के सहायकों ने उसे तुरंत हिरासत में ले लिया. साथ ही साथ उन्होंने इस की जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों के साथ पुलिस कंट्रोल रूम जयसिंहपुर को भी दे दिया.

शिवानंद पुलिस टीम ले कर घटनास्थल की ओर निकल ही रहे थे कि अचानक चेतन घोरपड़े की तबीयत बिगड़ने लगी. उस की बिगड़ती तबीयत को देख कर एपीआई शिवानंद कुमार ने अपने सहायकों के साथ उसे तुरंत स्थानीय अस्पताल भेज दिया और खुद हैडकांस्टेबल डी.डी. पाटिल और सागर पाटिल को ले कर घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. जिस घर में घटना घटी थी, वहां पर काफी भीड़ एकत्र थी, जिसे हटाने में पुलिस टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी. भीड़ को हटा कर इंसपेक्टर शिवानंद कुमार जब घर के अंदर गए तो वहां का दृश्य काफी मार्मिक और डरावना था.

फर्श पर एक लहूलुहान युवती का शव पड़ा था. उस के पास ही 2 महिलाएं बैठी छाती पीटपीट कर रो रही थीं. पूछताछ में मालूम हुआ कि वे दोनों महिलाएं मृतका की मां और सास थीं, जिन का नाम वसंती पुजारी और आशा घोरपड़े था. पुलिस टीम ने दोनों महिलाओं को सांत्वना दे कर घर से बाहर निकला और अपनी काररवाई शुरू कर दी. अभी पुलिस घटना के विषय में पूछताछ कर ही रही थी कि वारदात की जानकारी पा कर कोल्हापुर के एसपी शैलेश वलकवड़े मौकाएवारदात पर आ गए. उन के साथ 2 फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट ब्यूरो के लोग भी थे.

घर के अंदर का मंजर दिल दहला देने वाला था. पूरे फर्श पर खून ही खून फैला हुआ था. बैडरूम में युवती का शव पड़ा था, जिस की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. उस की कलाई और गालों पर किसी तेज धारदार वाले हथियार से वार किए गए थे. गले में मोबाइल चार्जर का वायर लिपटा था, जिसे देख कर सहज अंदाजा लगाया जा सकता था कि उस का गला घोंटने में इसी वायर का इस्तेमाल किया गया था. फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट ब्यूरो का काम खत्म होने के बाद एसपी शैलेश वलकवड़े ने अपने सहायकों के साथ घटनास्थल की बारीकी से जांच की. इस के बाद उन्होंने जांचपड़ताल की सारी जिम्मेदारी एपीआई शिवानंद कुमार को सौंपते हुए उन्हें जरूरी निर्देश दिए.

एपीआई शिवानंद कुमार ने अपने सहायकों के साथ घटनास्थल पर पड़े ब्लेड और मोबाइल चार्जर के वायर को अपने कब्जे में ले लिया और मृतका अर्चना घोरपड़े के शव को पोस्टमार्टम के लिए जयसिंहपुर के जिला अस्पताल भेज दिया. वहां की सारी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के शिवानंद पुलिस थाने आ गए. साथ ही घटनास्थल पर आई मृतका की मां बसंती पुजारी को भी पुलिस थाने ले आए और उन की शिकायत पर अर्चना घोरपड़े के पति चेतन घोरपड़े के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. आगे की जांच के लिए उन्हें चेतन घोरपड़े के बयान का इंतजार था जो अभी अस्पताल में डाक्टरों की निगरानी में था.

पत्नी की हत्या के बाद अपराधबोध के कारण उस ने आत्महत्या के लिए घर में रखा कीटनाशक फिनायल पी लिया था और फिर पुलिस थाने आ गया था. डाक्टरों के अथक प्रयासों के बाद चेतन घोरपड़े को जब होश आया तो उस से पूछताछ की गई. उस ने जो कुछ बताया, उस से घटना का विवरण सामने आया. 25 वर्षीय अर्चना पुजारी जितनी सुंदर और स्वस्थ थी, उतनी ही खुले मन और आधुनिक विचारों वाली थी. वह किसी से भी बेझिझक बातें करती और उस के साथ घुलमिल जाती थी, लेकिन अपनी हद में रह कर. उस की मीठी और सीधीसरल बातें हर किसी के मन को मोह लेती थीं.

यही वजह थी जो उस की मौत का कारण बनी. उस के पिता रामा पुजारी की मृत्यु हो गई थी. घर की सारी जिम्मेदारी मां बसंती पुजारी के कंधों पर थी. घर की आर्थिक स्थिति कुछ खास नहीं थी, इसलिए उस की शिक्षादीक्षा ठीक से नहीं हो पाई थी. 30 वर्षीय चेतन मनोहर घोरपड़े ने सजीसंवरी अर्चना पुजारी को अपने एक दोस्त की पार्टी में देखा था और उस का दीवाना हो गया था. जब तक वह उस पार्टी में रही, तब तक चेतन की आंखें उसी पर टिकी रहीं. देर रात पार्टी खत्म होने के बाद चेतन घोरपड़े ने जब घर के लिए आटो लिया तब अपने दोस्त के कहने पर अर्चना पुजारी को उस के घर तक छोड़ते हुए गया.

उस रात आटो के सफर में दोनों ने एकदूसरे को जानासमझा. दोनों ने बेझिझक एकदूसरे से बातें कीं. घर पहुंचने के बाद अर्चना पुजारी ने चेतन का शुक्रिया अदा किया और अपना मोबाइल नंबर उसे दे दिया और उस का भी ले लिया. घर पहुंचने के बाद दोनों की एक जैसी ही स्थिति थी. रात भर दोनों सोच के दायरे में एकदूसरे के व्यक्तित्व को अपनेअपने हिसाब से टटोलते, तौलते रहे. दोनों की ही आंखों से नींद कोसों दूर थी. सारी रात उन की आंखों के सामने एकदूसरे का चेहरा नाचता रहा, जिस का नतीजा यह हुआ कि वे दोनों जल्दी ही एकदूसरे के करीब आ गए.

फोन पर लंबीलंबी बातों के बाद मुलाकातों से शुरू हुई दोस्ती जल्दी ही प्यार में बदल गई और कुछ महीनों बाद दोनों ने शादी का निर्णय ले लिया. उन के इस निर्णय से अर्चना पुजारी की मां को तो कोई ऐतराज नहीं था लेकिन चेतन की मां को इस शादी से आपत्ति थी. वह गैरजाति की लड़की को अपनी बहू बनाने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन चेतन घोरपड़े की पसंद के कारण मां की एक नहीं चली. 2013 के शुरुआती महीने में अर्चना बहू बन कर चेतन के घर आ गई. चेतन ने अपने कुछ रिश्तेदारों की उपस्थिति में अर्चना से लवमैरिज कर ली. लवमैरिज के बाद दोनों का सांसारिक जीवन हंसीखुशी से शुरू तो जरूर हुआ लेकिन कुछ ही दिनों के लिए.

शादी के बाद से ही अर्चना और चेतन की मां की किचकिच शुरू हो गई थी. चेतन अकसर दोनों को समझाबुझा कर शांत कर देता था. लेकिन कब तक, आखिरकार उन के झगड़ों से परेशान हो कर चेतन घोरपड़े अपनी मां का घर छोड़ कर अर्चना के साथ जयसिंहपुर में किराए के घर में आ कर रहने लगा. किराए के घर में आने के बाद अर्चना भी उसी कंपनी में सर्विस करने लगी, जिस में चेतन काम करता था. इस घर में आने के कुछ दिन बाद ही अर्चना का रहनसहन बदल गया था. हाथों में महंगा मोबाइल फोन, महंगे कपड़े उस के शौक बन गए. घूमनाफिरना, शौपिंग करना, ज्यादा समय फोन पर बातें करना उस की हौबी बन गई थी. चेतन जब भी उसे समझाने की कोशिश करता तो वह उस से उलझ जाती और उस की बातों पर ध्यान नहीं देती थी.

अर्चना की आए दिन की इन हरकतों से परेशान हो कर चेतन को लगने लगा था जैसे वह अर्चना से शादी कर के फंस गया है. अर्चना जैसी दिखती थी, वैसी थी नहीं. यह सोचसोच कर उस का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा था, जिसे शांत करने के लिए वह दोस्तों के साथ शराब पीने लगा था. इस से उस के घर का माहौल और खराब होने लगा था. अर्चना का खुले विचारों का होना और कंपनी के लोगों से हिलमिल जाना आग में घी का काम कर रहा था, जो अर्चना के चरित्र को कठघरे में खड़ा करता था. इसी सब को ले कर चेतन घोरपड़े शराब के नशे में अर्चना के साथ अकसर झगड़ा और मारपीट करने लगा था. इस से परेशान हो कर अर्चना अपने मायके शिरोल चली जाती थी और वहीं से काम पर कंपनी आती थी.

यह दूरियां तब और बढ़ गईं जब अर्चना अपनी शादी की सालगिरह के एक हफ्ते पहले चेतन से लड़ कर अपनी मां के पास चली गई और फिर वापस नहीं आई. इस बार चेतन घोरपड़े ने अर्चना से माफी मांग कर उसे घर लौट आने के लिए कहा लेकिन अर्चना ने उसे इग्नोर कर दिया. वह अपने मायके शिरोल से लंबी दूरी तय कर के कंपनी आती थी लेकिन चेतन घोरपड़े की लाख मिन्नतों के बाद भी उस के पास नहीं आई और न ही शादी की सालगिरह की बधाई का फोन ही उठाया. लाचार हो कर चेतन घोरपड़े ने अर्चना को शादी की सालगिरह का मैसेज भेज कर शुभकामनाएं दीं. लेकिन उस का भी कोई जवाब नहीं आया तो मजबूरन शादी की सालगिरह के 2 दिन बाद वह अर्चना के मायके गया.

जहां उस का स्वागत अर्चना की मां बसंती पुजारी ने किया और चेतन को काफी खरीखोटी सुनाई. साथ ही उसे पुलिस थाने तक ले जाने की धमकी भी दी. फिर भी चेतन घोरपड़े ने अर्चना से अपनी गलतियों की माफी मांगते हुए उसे अपने घर चलने के लिए कहा. मगर अर्चना पर उस की माफी का कोई असर नहीं पड़ा. नाराज हो कर चेतन अपने घर लौट आया. जब इस बात की जानकारी उस के दोस्तों को हुई तो उन्होंने उस के जले पर नमक छिड़क दिया, जिस ने आग में घी का काम किया था. उन्होंने बताया कि अर्चना का किसी कार वाले से अफेयर चल रहा है जो उसे अपनी कार से कंपनी लाता और ले कर जाता है. इस से चेतन के मन में अर्चना के प्रति उपजे संदेह को और हवा मिल गई.

वह जितना अर्चना के बारे में गहराई से सोचता, उतना ही परेशान हो जाता. इस का नतीजा यह हुआ कि उस के मन में अर्चना के प्रति घोर नफरत भर गई. उसके प्यार का दर्द छलक गया और उस ने एक खतरनाक निर्णय ले लिया. अपने निर्णय के अनुसार, घटना वाले दिन चेतन कंपनी में गया और अर्चना को कंपनी के बाहर बुला कर कुछ जरूरी काम के लिए घर चलने के लिए कहा. कंपनी में तमाशा न बने, इसलिए अर्चना बिना कुछ बोले उस के साथ घर आ गई. घर आने के बाद दोनों के बीच जोरदार झगड़ा हुआ तो पहले से ही तैयार चेतन ने अपनी जेब से ब्लेड निकाल कर अर्चना के हाथों की कलाई काट दी.

जब अर्चना चिल्लाई तो उस के गालों पर भी ब्लेड मार कर पास पड़े मोबाइल चार्जर से उस का गला घोंट कर उसे मौत के घाट उतार दिया. अर्चना घोरपड़े की जीवनलीला खत्म करने के बाद अब उस के जीने का कोई मकसद नहीं बचा था. उस ने अपने जीवन को भी खत्म करने का फैसला कर अपनी चाची को फोन कर सारी कहानी बताई. फिर साफसफाई के लिए घर में रखी फिनायल पी कर पुलिस थाने पहुंच गया. जांच अधिकारी एपीआई शिवानंद कुमार और उन की टीम ने चेतन मनोहर घोरपड़े से विस्तृत पूछताछ करने के बाद मामले को भादंवि की धारा 302, 34 के तहत दर्ज कर के चेतन को न्यायिक हिरासत में जयसिंहपुर जेल भेज दिया. Parivarik Kahani

Hindi Love Story in Short : मंगेतर की हत्या – प्रेमी संग मिलकर कुत्ते की बांधने वाली जंजीर से घोंटा गला

Hindi Love Story in Short : हसमतुल निशां शाने अली से प्यार करती थी तो उसे अपने घर वालों से साफसाफ बता देना चाहिए था और उसे शहाबुद्दीन से मंगनी हरगिज नहीं करनी चाहिए थी. इस दौरान ऐसा क्या हुआ कि उस ने अपने मंगेतर शहाबुद्दीन को ही बलि का बकरा बना दिया…

शहाबुद्दीन ने अपनी होने वाली पत्नी हसमतुल निशां से कहा. ‘‘निशां अपने जन्मदिन की पार्टी पर हमें दावत नहीं दोगी क्या?’’

‘‘क्यों नहीं, जब आप ने मांगी है तो पार्टी जरूर मिलेगी. हम कार्यक्रम तय कर के आप को बताते हैं.’’ निशा ने अपने मंगेतर को भरोसा दिलाया. निशां घर वालों के दबाव में बेमन से शहाबुद्दीन से शादी करने के लिए तैयार हुई थी, क्योंकि वह तो शाने अली को प्यार करती थी. इसलिए मंगेतर द्वारा शादी की पार्टी मांगने वाली बात उस ने अपने प्रेमी शाने अली को बताई तो वह भड़क उठा. उस ने कहा ‘‘निशा तुम एक बात साफ समझ लो कि जन्मदिन की पार्टी में शहाबुद्दीन और मुझ में से केवल एक ही शामिल होगा. तुम जिसे चाहो बुला लो.’’

निशा को इस बात का अंदाजा पहले से था कि शाने अली को यह बुरा लगेगा. उस ने कहा, ‘‘शाने अली, तुम तो खुद जानते हो कि मुझे वह पसंद नहीं है. लेकिन अब घर वालों की बात को नहीं टाल सकती.’’

‘‘निशा, तुम यह समझ लो कि यह शादी केवल दिखावे के लिए है.’’ शाने अली ने जब यह कहा तो निशा ने साफ कह दिया कि शादी दिखावा नहीं होती. शादी के बाद उस का मुझ पर पूरा हक होगा.’’

‘‘नहीं, शादी के पहले और शादी के बाद तुम्हारे ऊपर हक मेरा ही रहेगा. जो हमारे बीच आएगा, उसे हम रास्ते से हटा देंगे.’’ यह कह कर शाने अली ने फोन रख दिया. हसमतुल निशां ने बाद में शाने अली से बात की और उन्होंने यह तय कर लिया कि वे दोनों एक ही रहेंगे. उन को कोई जुदा नहीं कर पाएगा. दोनों के बीच जो भी आएगा, उसे राह से हटा दिया जाएगा. शहाबुद्दीन की शादी हसमतुल निशां के साथ तय हुई थी. निशां लखनऊ स्थित पीजीआई के पास एकता नगर में रहती थी. वह अपने 2 भाइयों में सब से छोटी और लाडली थी. शहाबुद्दीन भी अपने घर में सब से छोटा था. वह निशां के घर से करीब 35 किलोमीटर दूर बंथरा में रहता था.

शहाबुद्दीन ट्रांसपोर्ट नगर में एक दुकान पर नौकरी करता था, जो दोनों के घरों के बीच थी. हसमतुल निशां ने अपने घर वालों के कहने पर शहाबुद्दीन के साथ शादी के लिए हामी तो भर दी थी पर वह अपने प्रेमी शाने अली को भूलने के लिए भी तैयार नहीं थी. ऐसे में जैसेजैसे शहाबुद्दीन के साथ शादी का दिन करीब आ रहा था, दोनों के बीच तनाव बढ़ रहा था. हसमतुल निशां ने पहले ही फैसला ले लिया था कि वह शादी का दिखावा ही करेगी. बाकी मन से तो अपने प्रेमी शाने अली के साथ रहेगी. शहाबुद्दीन के साथ हसमतुल निशां की सगाई होने के बाद दोनों के बीच बातचीत होने लगी. शहाबुद्दीन अकसर उसे फोन करने लगा.

मिलने के लिए भी दबाव बनाने लगा. यह बात निशां को अच्छी नहीं लग रही थी. शाने अली भी नहीं चाहता था कि निशां अपने होने वाले पति शहाबुद्दीन से मिलने जाए. जब भी उसे यह पता चलता कि दोनों की फोन पर बातचीत होती है और वे मिलते भी हैं. इस बात को ले कर वह निशां से झगड़ता था. दोनों के बीच लड़ाईझगड़े के बाद यह तय हुआ कि अब शहाबुद्दीन को रास्ते से हटाना ही होगा. शहाबुद्दीन को अपनी होने वाली पत्नी और उस के प्रेमी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. वह दोनों को आपस में रिश्तेदार समझता था और उन पर भरोसा भी करता था.

अपनी होने वाली पत्नी हसमतुल निशां को अच्छी तरह से जाननेसमझने के लिए वह उस के करीब आने की कोशिश कर रहा था. उसे यह नहीं पता था कि उस की यह कोशिश उसे मौत की तरफ ले जा सकती है. शहाबुद्दीन अपनी मंगेतर के साथ संबंधों को मधुर बनाने की कोशिश कर रहा था पर प्रेमी के मायाजाल में फंसी हसमतुल निशां अपने को उस से दूर करना चाहती थी. परिवार के दबाव में वह खुल कर बोल नहीं पा रही थी. 12 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज थाना क्षेत्र में स्थित कल्लू पूरब गांव के पास झाडि़यों में शहाबुद्दीन उर्फ मनीष की खून से लथपथ लाश पड़ी मिली. करीब 26 साल के शहाबुद्दीन के सीने में चाकू से कई बार किए गए थे.

गांव वालों की सूचना पर पुलिस ने शव को बरामद किया. शव मिलने वाली जगह से कुछ दूरी पर ही एक बाइक खड़ी मिली. बाइक में मिले कागजात से पुलिस को पता चला कि वह बाइक मृतक शहाबुद्दीन की ही थी. इस के आधार पर पुलिस ने उस के घर पर सूचना दी. शहाबुद्दीन के भाई ने अनीस ने शव को पहचान भी लिया. अनीस की तहरीर पर पुलिस ने धारा 302 आईपीसी के तहत मुकदमा कायम किया. हत्या की घटना को उजागर करने और अपराधियों को पकड़ने के लिए डीसीपी (दक्षिण लखनऊ) रवि कुमार, एडिशनल डीसीपी पुर्णेंदु सिंह, एसीपी (दक्षिण) दिलीप कुमार सिंह ने घटनास्थल पर पहुंच कर फोरैंसिक टीम व डौग स्क्वायड बुला कर मामले की पड़ताल शुरू की.

शहाबुद्दीन के शव की तलाशी लेने पर पर्स और मोबाइल गायब मिला. शव के पास 2 टूटी कलाई घडि़यां और एक चाबी का गुच्छा मिला. यह समझ आ रहा था कि हत्या के दौरान आपसी संघर्ष में यह हुआ होगा. पुलिस के सामने शहाबुद्दीन के घर वालों ने उस की होने वाली पत्नी हसमतुल निशां के परिजनों पर हत्या का आरोप लगाया. डीसीपी रवि कुमार ने इस केस को सुलझाने के लिए एसीपी दिलीप कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की. टीम में इंसपेक्टर दीनानाथ मिश्रा, एसआई रमेश चंद्र साहनी, राजेंद्र प्रसाद, धर्मेंद्र सिंह, महिला एसआई शशिकला सिंह, कीर्ति सिंह, हैडकांस्टेबल अश्वनी दीक्षित, कांस्टेबल संतोश मिश्रा, शिवप्रताप और विपिन मौर्य के साथ साथ सर्विलांस सेल के सिपाही सुनील कुमार और रविंद्र सिंह को शामिल किया गया. पुलिस ने सर्विलांस की मदद से जांच शुरू की.

शहाबुद्दीन बंथरा थाना क्षेत्र के बनी गांव का रहने वाला था. वह ट्रांसपोर्ट नगर में खराद की दुकान पर काम करता था. 11 मार्च, 2021 को वह अपने पिता मीर हसन की बाइक ले कर घर से जन्मदिन की पार्टी में हिस्सा लेने के लिए निकला था. शहाबुद्दीन की मंगेतर हसमतुल निशां ने उसे जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया था. शहाबुद्दीन ने यह बात अपने घर वालों को बताई और दुकान से सीधे पार्टी में शामिल होने चला गया था. देर रात वह घर वापस नहीं आया. अगले दिन यानी 12 मार्च की सुबह 11 बजे पुलिस ने उस की हत्या की सूचना उस के घर वालों को दी.

अनीस ने पुलिस का बताया कि 27 मई को शहाबुद्दीन और हसमतुल निशां का निकाह होने वाला था. बारात लखनऊ में पीजीआई के पास एकता नगर में नवाबशाह के घर जाने वाली थी. शहाबुद्दीन की हत्या की सूचना पा कर पिता मीर हसन, मां कमरजहां, भाई इश्तियाक, शफीक, अनीस और राजू बिलख रहे थे. मां कमरजहां रोते हुए कह रही थी, ‘‘मेरे बेटे की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. वह घर का सब से सीधा लड़का था. उस ने किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ा था. ऐसे में उस के साथ क्या हुआ?’’

पुलिस ने जन्मदिन में बुलाए जाने और लूट की घटना को सामने रख कर छानबीन शुरू की. शहाबुद्दीन की हत्या को ले कर परिवार के लोगों को एक वजह शादी लग रही थी. परिवार को शहाबुद्दीन की हत्या के पीछे उस की होने वाली पत्नी और उस के भाइयों पर शक था. इसलिए अनीस की तहरीर पर पुलिस ने हसमतुल निशां और उस के भाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने तीनों को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. पुलिस की विवेचना में यह बात खुल कर सामने आई कि शहाबुद्दीन की हत्या में उस की होने वाली पत्नी हसमतुल निशां का हाथ था. यह भी साफ था कि हसमतुल निशां का साथ उस के भाइयों ने नहीं, बल्कि उस के प्रेमी शाने अली ने दिया था.

शहाबुद्दीन उर्फ मनीष की हत्या की साजिश उस की मंगेतर हसमतुल निशां और उस के प्रेमी शाने अली ने अपने 6 अन्य साथियों के साथ मिल कर रची थी. मोहनलालगंज कोतवाली के इंसपेक्टर दीनानाथ मिश्र के मुताबिक बंथरा कस्बे के रहने वाले शहाबुद्दीन की शादी हसमतुल निशां के साथ 27 मई को होनी थी. इस से हसमतुल खुश नहीं थी. वह पीजीआई के पास रहने वाले शाने अली से प्यार करती थी. इस के बाद भी परिवार वालों के दबाव में शहाबुद्दीन से मिलती रही. जैसेजैसे शादी का समय पास आता जा रहा हसमतुल निशां अपने मंगेतर शहाबुद्दीन से पीछा छुड़ाने के बारे में सोचने लगी.

इस के लिए उस ने अपने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर योजना बनाई. हसमतुल निशां चाहती थी कि शाने अली उस के मंगेतर शहाबुद्दीन को किसी तरह रास्ते से हटा दे. योजना को अंजाम देने के लिए शाने अली ने अपने जन्मदिन के अवसर पर 11 मार्च, 2021 को शहाबुद्दीन को मिलने के लिए बुलाया. गुरुवार रात के करीब साढ़े 8 बजे शाने अली और उस के दोस्त बाराबंकी निवासी अरकान, मोहनलालगंज निवासी संजू गौतम, अमन कश्यप और पीजीआई निवासी समीर मोहम्मद बाबूखेड़ा में जमा हुए. जैसे ही शहाबुद्दीन वहां पहुंचा शाने अली और उस के दोस्तों ने उस पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया.

अपने ऊपर चाकू से हमला होने के बाद भी शहाबुद्दीन ने हार नहीं मानी और अपनी जान बचाने के लिए वह हमलावरों से भिड़ गया. शाने अली और उस के हमलावर दोस्तों को जब लगा कि शहाबुद्दीन बच निकलेगा तो उन लोगों ने कुत्ते को बांधी जाने वाली जंजीर से शहाबुद्दीन का गला कस दिया, जिस से शहाबुद्दीन अपना बचाव नहीं कर पाया और अपनी जान से हाथ धो बैठा. अगले दिन जब शहाबुद्दीन का शव मिला तो उस के भाई अनीस ने हसमतुल निशां के भाइयों पर हत्या का शक जताया. पुलिस ने संदेह के आधार पर ही उन से पूछताछ शुरू की थी. इस बीच पुलिस को हसमतुल निशां और शाने अली के प्रेम संबंधों के बारे में पता चला. पुलिस ने जब हसमतुल निशां से पूछताछ शुरू की तो वह टूट गई.

हसमतुल निशां ने पुलिस को बताया कि उस ने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर मंगेतर शहाबुद्दीन की हत्या कर दी. इस के बाद पुलिस ने शाने अली और उस साथियों को पकड़ने के लिए उन के घरों पर दबिशें दे कर गिरफ्तार कर लिया. शहाबुद्दीन की हत्या के आरोप में पुलिस ने हसमतुल निशां, शाने अली, अरकान, संजू गौतम, अमन कश्यप, समीर मोहम्मद को जेल भेज दिया. पुलिस को आरोपियों के पास से एक चाकू, गला घोटने के लिए प्रयोग में लाई गई चेन, संजू की मोटरसाइकिल, 2 कलाई घडि़यां, 6 मोबाइल फोन और आधार कार्ड बरामद हुए.

सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. 24 घंटे के अंदर केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की डीसीपी (दक्षिण) रवि कुमार ने सराहना की. Hindi Love Story in Short

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इसी साल जनवरी में सीनियर आईपीएस अधिकारी हवासिंह घुमरिया ने जब जयपुर रेंज आईजी का पदभार संभाला, तो उन के सामने पपला को पकड़ने की सब से बड़ी चुनौती थी. विक्रम गुर्जर उर्फ पपला कुख्यात बदमाश था, जिस पर पुलिस की ओर से 5 लाख रुपए का इनाम घोषित था. करीब डेढ़ साल पहले 6 सितंबर, 2019 को अलवर जिले के बहरोड़ पुलिस थाने पर दिनदहाड़े एके 47 से अंधाधुंध फायरिंग कर हथियारबंद बदमाश उसे छुड़ा ले गए थे. तब से वह फरार था. इस से पहले 2017 में वह हरियाणा पुलिस की हिरासत से भाग गया था. इसलिए राजस्थान और हरियाणा पुलिस उस की तलाश कर रही थी, लेकिन उस का कुछ पता नहीं था.

आईजी घुमरिया ने बहरोड़ थाने से पपला की फाइल मंगवा कर उसे कई बार पढ़ा. उन्होंने पपला के बहरोड़ थाने से फरार होने के बाद पकड़े गए उस के गिरोह के साथियों की फाइलें भी पढ़ी. हरियाणा से भी मंगा कर पपला के अपराधों की कुंडलियां खंगाली गईं. तमाम फाइलों को पढ़ने के बाद आईजी घुमरिया को पक्का विश्वास हो गया कि पपला की पहलवानी का शौक ही उसे पकड़वा सकता है. आईजी का मानना था कि पपला पहलवानी करता है. इसलिए किसी अखाड़े या जिम में जरूर जाता होगा. इस आधार पर पुलिस ने राजस्थान के अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में तमाम अखाड़े और जिम में पपला की तलाश की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

अलबत्ता यह जरूर पता चला कि पपला प्रेम प्यार के मामले में कमजोर है. वह कोई न कोई गर्लफ्रैंड जरूर रखता है. अब पुलिस के पास 2 क्लू थे. एक तो पपला का पहलवानी का शौक और दूसरा उस की इश्कबाजी. इस बीच, जनवरी के तीसरे सप्ताह में आईजी घुमरिया को महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में रहने वाली युवती जिया उससहर सिगलीगर के बारे में कुछ सुराग मिले. पता चला कि जिया जिम भी चलाती है और पपला की गर्लफ्रैंड हो सकती है. जिम और गर्लफ्रैंड, इन 2 सुरागों पर आईजी घुमरिया को उम्मीद की किरण नजर आई. उन्होंने चुनिंदा पुलिस अफसरों की स्पैशल 26 टीम बना कर पपला को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी.

एडिशनल एसपी सिद्धांत शर्मा के नेतृत्व में बनाई इस टीम में अलवर और भिवाड़ी पुलिस जिलों के अफसरों और कमांडो को भी शामिल किया गया. स्पैशल 26 टीम के कुछ पुलिस अफसरों और कमांडो को कोल्हापुर भेजा गया. उन्होंने जिया और उस के जिम का पता लगाया. पुलिस टीम ने कई दिनों की जांचपड़ताल के बाद यह पता लगा लिया कि जिया वाकई पपला की गर्लफ्रैंड है. पपला उसी के साथ कोल्हापुर में रह रहा है. यकीन हो जाने के बाद आईजी घुमरिया ने स्पैशल 26 टीम के बाकी पुलिस अफसरों और सशस्त्र कमांडो को भी कोल्हापुर भेज दिया. यह टीम अलगअलग हिस्सों में बंट गई.

टीम के कुछ सदस्य जिया के जिम वाले मकान की कालोनी में किराएदार बन कर कमरा तलाशने लगे. कुछ सदस्य हैल्थवर्कर बन गए और कोरोना की जांच के बहाने आसपास के मकानों की रैकी करने लगे.  टीम के कुछ सदस्यों ने जिम जौइन करने के बहाने जिया के जिम में अलगअलग समय पर जा कर पूरी टोह ली. जिया जिस मकान में जिम चलाती थी, वह 3 मंजिला था. 3-4 दिन की रैकी और तमाम रूप बदलने के बाद 25 जनवरी को यह निश्चित हो गया कि पपला इसी मकान में रहता है. पपला कोई छोटामोटा अपराधी नहीं था. उस के पास अत्याधुनिक हथियार होने की पूरी संभावना थी.

पुलिस टीम ने जिया के मकान और आसपास के इलाकों का वीडियो और फोटो बना कर आईजी घुमरिया को जयपुर भेजे. आईजी ने स्पैशल 26 टीम के अफसरों से सारे हालात पर चर्चा करने के बाद नीमराना के एडिशनल एसपी राजेंद्र सिंह सिसोदिया को भी कोल्हापुर भेज दिया. औपरेशन पपला की तारीख तय हुई 27 जनवरी. 27 जनवरी की आधी रात के करीब स्पैशल 26 टीम ने सादा कपड़ों में जिया के मकान को घेर लिया. एक साथ 25-30 हथियारबंद लोगों को देख कर आसपास रहने वाले लोगों ने उन्हें डकैत समझ लिया और पथराव करना शुरू कर दिया. हालात बिगड़ सकते थे और डेढ़ साल से आंखों में धूल झोंक रहा पपला फिर भाग सकता था.

इसलिए टीम के एडिशनल एसपी सिद्धांत शर्मा ने जयपुर मोबाइल काल कर आईजी घुमरिया को सारी बात बताई. आईजी ने तुरंत कोल्हापुर एसपी से बात की. कोल्हापुर पुलिस ने मौके पर पहुंच कर कालोनी के लोगों को समझाया, तब तक स्पैशल 26 टीम के कुछ जवान जिया के मकान में तीसरी मंजिल तक पहुंच चुके थे. हलचल सुन कर एक कमरे में सो रहा पपला जाग गया. हथियारबंद जवानों को देख वह समझ गया कि पुलिस वाले हैं. खुद को पुलिस से घिरा देख कर पपला ने अपनी गर्लफ्रैंड जिया को ही बचाव का हथियार बना लिया. उस ने जिया की गरदन पर चाकू लगा कर पुलिस वालों से कहा, ‘पीछे हट जाओ और मुझे जाने दो, नहीं तो इस लड़की की गरदन उड़ा दूंगा.’

पहले से ही हर हालात का आंकलन कर पहुंची पुलिस की स्पैशल 26 टीम को इस पर कोई हैरानी नहीं हुई. पपला की धमकी पर पुलिस टीम ने पीछे हटने के बजाय उस पर चारों तरफ से शिकंजा बना लिया. आखिर पुलिस से बचने के लिए वह जिया को छोड़ कर तीसरी मंजिल से नीचे कूद गया. नीचे और आसपास पहले ही पुलिस टीम के कमांडो पोजीशन लिए खड़े थे. उन्होंने पपला को दबोच लिया और उसे चारों तरफ से घेर कर स्टेनगन तान दी. इस बीच पुलिस ने जिया को अपनी हिरासत में ले लिया था. तीसरी मंजिल से कूदने से पपला के बाएं पैर के घुटने की हड्डी टूट गई.

वह जमीन से उठ नहीं सका, तो पुलिस टीम ने उसे सहारा दे कर खड़ा किया और कपड़ों की तलाशी ली. उस के पास कोई हथियार नहीं मिला. मकान के अंदर पहुंची पुलिस टीम ने सभी कमरों की तलाशी ली. तलाशी में कोई हथियार तो नहीं मिला, लेकिन पपला का फरजी आधार कार्ड जरूर मिला. इस में उस का नाम उदल सिंह और पता कोल्हापुर दर्ज था. पैर में फ्रैक्चर होने से पपला चलफिर नहीं सकता था. इसलिए पुलिस टीम ने 28 जनवरी को सब से पहले उस की मरहमपट्टी कराई. बहरोड़ पुलिस पपला से पहले धोखा खा चुकी थी.

इसलिए उसे और उस की गर्लफ्रैंड जिया को राजस्थान लाने के लिए पुलिस की अलगअलग टीमें बनाई गईं ताकि उस के साथियों को यह पता न चल सके कि कौन सी टीम उसे ले कर कहां पहुंचेगी. एक टीम हवाईजहाज से दिल्ली के लिए उड़ी और दूसरी टीम जयपुर के लिए. पपला जयपुर पहुंचा और जिया दिल्ली. 29 जनवरी को पुलिस ने जिया और व्हीलचेयर पर पपला को बहरोड़ की अदालत में पेश किया. अदालत ने पपला को शिनाख्तगी के लिए 2 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया, जबकि जिया को 7 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया.

थाने से छुड़ा लिया था पपला को पपला को जेल भेजने से पहले नीमराना थाने में आईजी हवासिंह घुमरिया, भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी, अलवर एसपी तेजस्विनी गौतम, स्पैशल औपरेशन ग्रुप के एडिशनल एसपी सिद्धांत शर्मा और नीमराना के एडिशनल एसपी राजेंद्र सिंह सिसोदिया ने पपला और जिया से अलगअलग पूछताछ की. पुलिस की पूछताछ और जांचपड़ताल में पपला के दुर्दांत अपराधी बनने और महाराष्ट्र के कोल्हापुर पहुंच कर प्यार का चक्कर चलाने की जो कहानी उभर कर सामने आई, उस से पहले पपला के बहरोड़ थाने से फरार होने की कहानी जान लीजिए.

5 सितंबर, 2019 की रात भिवाड़ी जिले की बहरोड़ थाना पुलिस ने पपला को दिल्लीजयपुर हाइवे पर एक कार में 32 लाख रुपए ले कर जाते हुए पकड़ा था. पुलिस ने पपला से 32 लाख रुपए के बारे में पूछताछ की, तो उस ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. उस समय तक बहरोड़ के तत्कालीन थानाप्रभारी सुगनसिंह को पपला के आपराधिक बैकग्राउंड का पता नहीं था. वह उसे कोई व्यापारी या छोटामोटा प्रौपर्टी डीलर समझ रहे थे. पपला ने खुद के पकड़े जाने की सूचना मोबाइल से अपने साथियों को दे दी थी. पपला के पकड़े जाने पर कुछ लोगों ने पुलिस से लेदे कर उसे छोड़ने के लिए भी बात की थी, लेकिन बात नहीं बनी. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर हवालात में बंद कर दिया.

कहा जाता है कि पपला अपने साथी जसराम पटेल की हत्या का बदला लेने के लिए बहरोड़ आया था. वह बहरोड़ में विक्रम उर्फ लादेन को मारना चाहता था. इस से पहले उस ने किसी बड़े व्यापारी से रंगदारी वसूली थी. उस के पास रंगदारी के वही 32 लाख रुपए थे. पकड़े जाने पर उस ने पुलिस से कहा था कि वह जमीन का सौदा करने आया था, लेकिन सौदा नहीं बना. पपला के पकड़े जाने के कुछ घंटों बाद ही 6 सितंबर को सुबह करीब 9 बजे 3 गाडि़यों में भर कर आए उस के साथियों ने बहरोड़ पुलिस थाने पर नक्सलियों की तरह दिनदहाड़े धावा बोल दिया. ये लोग एके 47 और एके 56 से करीब 50 राउंड गोलियां बरसा कर पपला को लौकअप से निकाल ले गए.

बदमाशों की गोलियों से थानाप्रभारी के कमरे के गेट और थाने की दीवारों पर गोलियों के निशान बन गए थे, जो एक खतरनाक हमले की गवाही दे रहे थे. जब पपला को उस के साथी थाने से छुड़ा ले गए, तब पुलिस को पता चला कि वह हरियाणा का दुर्दांत अपराधी विक्रम गुर्जर उर्फ पपला था. राजस्थान में इस तरह का यह पहला मामला था. पुलिस थाने पर हमले की घटना ने राजस्थान सरकार को हिला दिया. इस से पुलिस की बदनामी भी हुई. पपला की फरारी पर अधिकारियों ने इसे पुलिस की लापरवाही मानते हुए कई पुलिस अफसरों पर काररवाई की. 2 पुलिस वालों को बर्खास्त किया गया. डीएसपी और थानाप्रभारी सहित 5 पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया गया. कुछ के तबादले और 69 पुलिस वाले लाइन हाजिर किए गए.

पुलिस ने पपला को तलाश करने के लिए पहले तो जोरशोर से कई दिनों तक अभियान चलाया. जगहजगह छापे मार कर पूरे देश की खाक छान ली, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. पपला को अकेली राजस्थान की पुलिस ही तलाश नहीं कर रही थी, बल्कि हरियाणा पुलिस भी उस पर आंखें गड़ाए हुए थी. लेकिन सफलता दोनों राज्यों की पुलिस को नहीं मिल रही थी. धीरेधीरे पुलिस के अभियान भी ठंडे पड़ गए. पपला के न पकड़े जाने से यह बात भी उठने लगी कि उसे राजनीतिक या जातिगत संरक्षण मिला हुआ है. इसीलिए पुलिस जानबूझ कर उसे नहीं पकड़ रही है. एक बार हरियाणा की पूर्व सरकार के एक मंत्री के बेटे की पपला से बातचीत का औडियो भी वायरल हुआ था.

हालांकि बहरोड़ पुलिस ने पपला को थाने से छुड़ा ले जाने और संरक्षण देने के मामले में 17 महीने के दौरान 30 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया. इन में अधिकांश लोग राजस्थान के अलवर और झुंझुनूं जिले के अलावा हरियाणा के महेंद्रगढ़, नारनौल और रेवाड़ी के रहने वाले थे. पपला का खौफ खत्म करने के लिए जुलूस राजस्थान पुलिस के स्पैशल औपरेशन ग्रुप और अलवर पुलिस ने 22 सितंबर, 2019 को पपला के गिरोह के 16 बदमाशों का बहरोड़ में केवल अंडरवियर और बनियान में सड़कों पर पैदल जुलूस निकाला था. पुलिस ने यह काम आमजन के मन से ऐसे बदमाशों का खौफ खत्म करने के लिए किया था.

पहली बार राजस्थान में बदमाशों का इस तरह निकाला गया जुलूस चर्चा का विषय बन गया था. पपला के 30 से ज्यादा साथी पकड़े गए और इन में से आधे से ज्यादा बदमाशों का बनियान अंडरवियर में जुलूस निकाला गया. इस के बावजूद पुलिस उन से यह नहीं उगलवा सकी कि पपला का पताठिकाना अब कहां है? कौन लोग उसे पैसा पहुंचा रहे हैं और कौन उसे शरण दे रहे हैं?

राजस्थान पुलिस पर पपला की फरारी से लगा काला दाग अब उस के फिर पकड़े जाने से हालांकि मिट गया है, लेकिन 2 बार गच्चा दे कर भाग चुके पपला को ले कर पुलिस की चिंताएं अभी कम नहीं हुई हैं. इस का कारण यह है कि उस की मदद करने वाले उस के साथी अभी खुले घूम रहे हैं. विक्रम गुर्जर उर्फ पपला हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के खैरोली गांव के रहने वाले मनोहरलाल के 2 बेटों में बड़ा है. उस ने 12वीं पास करने के बाद फौज में जाने का मन बना लिया था. इसी दौरान उसे पहलवानी का शौक लग गया. वह अपने गांव के ही शक्ति सिंह के पास पहलवानी सीखने लगा. शक्ति सिंह को वह गुरु मानता था.

खैरोली गांव के ही रहने वाले संदीप फौजी का पास के गांव की एक युवती से प्रेम प्रसंग चल रहा था. गांव के लोग इस से नाखुश थे. पंचायत ने फैसला किया कि संदीप फौजी उस युवती से नहीं मिलेगा. इस के बाद भी संदीप नहीं माना, तो शक्ति सिंह और पपला ने उसे पीट दिया. संदीप ने इसे अपना अपमान माना. उस ने हरियाणा के चीकू बदमाश को सुपारी दे कर 4 फरवरी, 2014 को शक्ति सिंह की हत्या करवा दी. अपने गुरु शक्ति सिंह की हत्या का बदला लेने के लिए विक्रम गुर्जर उर्फ पपला अपराध की दुनिया में कूद गया. पपला हरियाणा के कुख्यात बदमाश कुलदीप उर्फ डाक्टर के गिरोह में शामिल हो गया. पपला ने बंदूक थाम कर एक साल में ही अपने गुरु की हत्या का बदला ले लिया.

जनवरी, 2015 में उस ने संदीप फौजी की हत्या कर दी. इस के बाद उस ने संदीप की मां विमला, मामा महेश और नाना श्रीराम को भी मौत के घाट उतार दिया. 4 लोगों की हत्या के बाद पपला अपराध की दलदल में धंसता चला गया. पपला के खिलाफ हत्या, लूट और रंगदारी के करीब 2 दरजन से ज्यादा मामले दर्ज हुए. उस का दक्षिणी हरियाणा के जिलों खासकर रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नारनौल व धारूहेड़ा के अलावा राजस्थान के राठ और शेखावटी इलाके में आतंक था. हरियाणा के अलावा वह राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस का भी वांटेड रहा. हरियाणा की नारनौल पुलिस ने उसे 2016 में पकड़ा था.

इस के कुछ समय बाद 2017 में महेंद्रगढ़ की अदालत में उस के गिरोह के बदमाश पुलिस पर फायरिंग कर उसे छुड़ा ले गए थे. इस मामले में हरियाणा पुलिस के एक एसआई सहित 7 पुलिस वाले घायल हुए थे. हरियाणा पुलिस ने पपला पर 2 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था. पुलिस की हिरासत से पपला को छुड़ा ले जाने में उस का छोटा भाई मिंटू भी आरोपी था. वह जेल में 20 साल की सजा भुगत रहा है. अब जिया की कहानी. जिया आयुर्वेद डाक्टर बनने की पढ़ाई कर रही थी. वह अभी दूसरे वर्ष की छात्रा थी. तलाकशुदा जिया के पिता डाक्टर हैं. जिया को पपला ने अपना नाम मानसिंह और काम व्यापार बता रखा था.

महाराष्ट्र के सतारा जिले की रहने वाली 26 साल की जिया कोल्हापुर में 3 मंजिला मकान में जिम भी चलाती थी. वह फिजिकल ट्रेनर है. पपला ने अपने पहलवानी के शौक के कारण जिम जौइन किया था. वहां मासूम और फूल सी नाजुक जिया को देख कर वह उस पर लट्टू हो गया. जिया के तलाकशुदा होने का पता चलने पर पपला ने उस से नजदीकियां बढ़ाई. जिया भी कसरती बदन वाले पपला के प्यार में उलझ गई. पपला ने जिया की जिम वाली बिल्डिंग में ही 4500 रुपए में किराए पर कमरा ले लिया. फिर दोनों लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे. पकड़े जाने से 2 दिन पहले ही पपला ने जिया के पिता से भी मुलाकात की थी. पपला जिया से शादी कर कोल्हापुर में बसना चाहता था, लेकिन उन के प्यार की कहानी 2 महीने से कम समय में ही खत्म हो गई.

पपला ने जिया से मुलाकात से पहले कोल्हापुर में ही एक मराठी महिला को अपने प्यार के जाल में फंसाया था. अकेली रहने वाली उस महिला का 4 साल का एक बेटा है. उस महिला के साथ भी वह कुछ दिन लिवइन रिलेशनशिप में रहा. उस महिला से प्यार की पींगें आगे बढ़तीं, उस से पहले ही पपला की जिया से मुलाकात हो गई और उस का जिया पर दिल आ गया. पपला कोल्हापुर में 3-4 महीने से रह रहा था. इस दौरान उस ने कई ठिकाने भी बदले थे. पपला के पकड़े जाने के बाद जिया पुलिस से उस की असलियत के बारे में पूछती रही. राजस्थान पुलिस की स्पैशल 26 टीम जब पपला और जिया को कोल्हापुर से राजस्थान ले जाने के लिए पुणे एयरपोर्ट पहुंची, तो आमनासामना होने पर जिया ने पपला से पूछा, ‘आखिर तुम हो कौन?’

तब पपला ने जवाब दिया, ‘मैं विक्रम गुर्जर उर्फ पपला हूं. राजस्थान और हरियाणा पुलिस ने मुझ पर 5 लाख रुपए का इनाम रखा हुआ है. यूपी और दिल्ली की पुलिस भी मुझे तलाश कर रही है.’ पपला की असलियत जान कर जिया फूटफूट कर रोने लगी. जेल में पपला की शिनाख्तगी होने के बाद पुलिस ने उसे अदालत से रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान पुलिस पूछताछ में सामने आया कि पपला बहरोड़ थाने से फरार होने के बाद करीब 2 महीने तक अलवर जिले के तिजारा, दिल्ली और हरियाणा के पलवल शहर में रहा. इस के बाद उस ने एनसीआर और उत्तर प्रदेश में अपना समय बिताया.

इस दौरान उस ने अपना मोबाइल बंद कर दिया. घर वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से वह सीधे तौर पर संपर्क में नहीं रहा. उस के फरार होने के करीब 6 महीने बाद कोरोना के कारण लौकडाउन लग गया. इस दौरान पुलिस भी ठंडी पड़ गई. बाद में जब अनलौक होना शुरू हुआ, तो पुलिस ने डाक्टर और हैल्थ वर्कर बन कर भी कई राज्यों में पपला की तलाश की. पुलिस ने पपला की तलाश में राजस्थान के अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, बेंगलुरु, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पंजाब आदि 14 राज्यों की धूल छानी थी.

पपला के काली भक्त होने का पता चलने पर पुलिस पश्चिम बंगाल भी गई थी. महाकालेश्वर और शिरडी सहित देश के बड़े धार्मिक स्थलों पर भी उस की तलाश की गई थी. नवंबर 2019 में भी पुलिस टीम कोल्हापुर गई थी. जांच में यह भी पता चला कि पपला को पुलिस के छापे की जानकारी पहले मिल जाती थी. गहराई में जाने पर पता चला कि पपला को पकड़ने वाले एडिशनल एसपी सिद्धांत शर्मा का पहले गनमैन रहा सुधीर कुमार पुलिस की प्लानिंग की जानकारी पपला के साथियों तक पहुंचाता था. पुलिस वाला ही खबरी था पपला का सिद्धांत शर्मा 2017 में भिवाड़ी के डीएसपी थे, तब सुधीर कुमार उन का गनमैन था.

बाद में सिद्धांत शर्मा का तबादला नीमराना डीएसपी के पद पर हो गया, तो सुधीर भी उन के साथ गनमैन के रूप में नीमराना आ गया. पपला की फरारी के दौरान सिद्धांत नीमराना में ही तैनात थे. बहरोड़ और नीमराना में केवल 20 किलोमीटर की दूरी है. पपला को पकड़ने की सारी योजनाएं नीमराना थाने में ही बनती थी. इसलिए गनमैन सुधीर को सारी बातें पता चल जाती थीं. पुलिस की योजनाएं लीक होने से पपला पुलिस से और दूर हो जाता था. बाद में सिद्धांत शर्मा एडिशनल एसपी बन कर एसओजी में चले गए. इस दौरान सुधीर नीमराना थाने की क्यूआरटी की गाड़ी का ड्राइवर था.

पपला की गिरफ्तारी के 2 दिन बाद ही भेद खुलने पर 29 जनवरी को भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी ने सुधीर को निलंबित कर दिया. पपला से पूछताछ में पुलिस को उस के कुछ साथियों और हथियारों के बारे में पता चला है. पुलिस उन की तलाश कर रही है. रिमांड अवधि पूरी होने पर जिया को अदालत ने 4 फरवरी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया. पपला को भी अदालत ने 13 दिन का रिमांड पूरा होने पर जेल भेज दिया. जेल से अलवर जिले की मुंडावर थाना पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट पर ले गई.

अपने साथियों द्वारा एके 47 और एके 56 जैसे अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग के बाद बहरोड़ थाने से भागा पपला अब बैसाखियों के सहारे चल रहा है. वह जिस बहरोड़ शहर से भागा था, उसी शहर की जेल में पहुंच गया. पुलिस को उस की सुरक्षा की ज्यादा चिंता है. अभी उस के कई विश्वसनीय साथी फरार हैं. इस के अलावा हरियाणा का चीकू गैंग भी उस की जान का दुश्मन बना हुआ है. इसलिए पुलिस ड्रोन से पपला पर नजर रखे हुए है. पुलिस की तमाम चौकसी के बावजूद पपला के भागने का खतरा अभी मंडरा रहा है. 15 फरवरी को उसे बहरोड़ से अलवर जिले की किशनगढ़बास जेल में शिफ्ट किया जा रहा था, तभी 6 संदिग्ध कारें पुलिस के काफिले में घुस गईं.

बाद में पुलिस ने इन कारों को पकड़ लिया. इन में बहरोड़ थाने के हिस्ट्रीशीटर बचिया यादव सहित 24 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इन लोगों का पपला से कोई संबंध तो नहीं है. 2 बार पहले फरार हो चुके पपला के फिर भागने की आशंका और उस पर दुश्मन गिरोह के मंडराते खतरे को देखते हुए अब उसे अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट कर दिया गया है. पपला के घपले ने जिया को तोड़ दिया है. वह उबर नहीं पा रही है. तलाकशुदा जिया को दूसरी बार प्यार मिला, तो वह खुशियों का संसार बसाने के सपने देखने लगी थी. पपला के धोखे ने उस की दुनिया उजाड़ दी.love story hindi kahani

Hindi Love Stories : साथ पढ़ते-पढ़ते देवर-भाभी को हुआ इश्क

Hindi Love Stories :  हेमलता उर्फ हेमा अपने रिश्ते के देवर योगेश के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. साथसाथ तैयारी करते उन्हें प्रेम हो गया. उन के प्रेम रोग में हेमलता का पति दिनेश वर्मा बलि का ऐसा बकरा बना कि…

राजस्थान की राजधानी जयपुर के थाना फुलेरा के गांव हिरनोदा में दिनेश वर्मा पत्नी हेमलता उर्फ हेमा एवं 2 बच्चों के साथ रहता था. बच्चों में बेटी की उम्र 5 साल और बेटे की उम्र 3 साल थी. दिनेश की शादी करीब 7 साल पहले हुई थी. दिनेश पढ़ालिखा था, मगर सरकारी नौकरी नहीं लगी तो परिवार का गुजारा करने के लिए दूसरे काम करने लगा था. वह रोज सुबह काम पर जाता और शाम को घर लौटता था. हेमलता पढ़ीलिखी थी. वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती थी. उस के पड़ोस में रहने वाला रिश्ते का देवर योगेश वर्मा भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था.

हेमलता और योगेश प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी साथ बैठ कर करते थे. प्रतियोगी परीक्षा होती तब भी दोनों साथ ही जाते थे. देवरभाभी का रिश्ता था. दोनों के बीच हंसी ठिठोली भी होती थी. गुरुवार, 4 मार्च, 2021 की बात है. रात करीब ढाई बजे हेमा के कमरे से उस के रोने की आवाज आने लगी. रोनेचिल्लाने की आवाज सुन कर मकान के दूसरे हिस्से में सो रही हेमा की सास, चाचा ससुर का परिवार और आसपास के लोग इकट्ठा हो गए. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आधी रात को क्या हो गया जो हेमा रो रही है.

उन सभी ने बंद कमरे का दरवाजा खटखटाया, ‘‘दिनेश, दरवाजा खोलो. बहू क्यों रो रही है?’’

सुन कर हेमा ने रोते हुए कमरे की चिटकनी गिरा कर दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही जो मंजर लोगों ने देखा, वह बड़ा भयावह था. दिनेश बेड पर खून से लथपथ मृत हालत में पड़ा था. उस का गला कटा हुआ था. काफी खून बिखरा हुआ था. यह दृश्य देख कर दिनेश की मां रोने लगी. किसी तरह उन्हें चुप कराया गया. हेमा ने कहा, ‘‘मैं सो रही थी. इसी दौरान इन्होंने खुद का गला काट कर खुदकुशी कर ली. मैं नींद से जागी तब यह दृश्य देख कर रोने लगी. हाय राम इन्होंने यह क्या कर लिया. अब मेरा और बच्चों का क्या होगा.’’

दिनेश की लाश के पास बेड पर खून से सना एक चाकू पड़ा था. शायद उसी से गला काट कर उस ने आत्महत्या की थी. उसी समय पुलिस थाना फुलेरा में फोन कर के घटना की सूचना दे दी गई. सूचना पा कर थानाप्रभारी रणजीत सिंह पुलिस टीम के साथ हिरनोदा स्थित दिनेश वर्मा के घर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का मौकामुआयना किया. उन्हें दिनेश की मौत संदेहास्पद लगी. इसलिए उन्होंने इस घटना की सूचना उच्चाधिकारियों को दी. सूचना पा कर दुदू के एडिशनल एसपी ज्ञान प्रकाश नवल, सीओ (सांभर) कीर्ति सिंह, सांभर के थानाप्रभारी हवा सिंह घटनास्थल पर आ गए. मौके पर एफएसएल टीम, एमओबी एवं डौग स्क्वायड को भी बुला लिया गया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

एफएसएल एवं एमओबी टीम ने साक्ष्य वगैरह उठाए. मृतक दिनेश का गला कटा हुआ था. उस के बिस्तर पर सलवटें वगैरह नहीं थीं. पुलिस अधिकारियों को पता था कि दिनेश अगर अपने हाथ से गला काटता तो चाकू का वार लगते ही वह छटपटाता. उठता या बैठता. गला काटने पर खून का फव्वारा बहता तो उस के हाथ खून से सने होते. जबकि उस के हाथ साफ थे. इस के अलावा यदि दिनेश स्वयं गला काटता तो वह इतना ज्यादा गला नहीं काट पाता. मृतक की बीवी हेमा ने पुलिस को बताया कि वह सो रही थी और उस के पति ने स्वयं गला काट कर खुदकुशी कर ली. वह नींद से जागी तब उसे यह पता चला. हेमा की बात पुलिस अधिकरियों के गले नहीं उतरी.

उपस्थित भीड़ में एक ऐसा युवक था, जो पुलिस अधिकारियों के ईर्दगिर्द मंडरा रहा था. वह पुलिस पर नजर रख रहा था. पुलिस ने उस के बारे में पूछा तो पता चला कि वह मृतक के रिश्ते का भाई योगेश है. साइबर टीम को भी घटनास्थल पर बुलाया था. सभी ने अपना कार्य पूरा किया तो शव को फुलेरा पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पुलिस अधिकारियों को मृतक की बीवी की बातों पर यकीन नहीं हुआ. तब उसे पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की. पूछताछ में पता चला कि पिछले एकडेढ़ साल से हेमलता उर्फ हेमा और पड़ोस में रहने वाले रिश्ते के देवर योगेश वर्मा के बीच नजदीकियां हैं.

बस, यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने योगेश वर्मा को भी उसी समय पूछताछ के लिए गिरफ्त में ले लिया. हेमलता उर्फ हेमा और यागेश वर्मा से पुलिस अधिकारियों ने मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की. पूछताछ में दोनों टूट गए. उन दोनों ने दिनेश वर्मा की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने मात्र 3 घंटे में ही दिनेश वर्मा हत्याकांड से परदा उठा दिया. जुर्म कबूल करते ही पुलिस ने हेमलता उर्फ हेमा और उस के प्रेमी देवर  योगेश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया.

मैडिकल बोर्ड से दिनेश के शव का पोस्टमार्टम करा शव उस के परिजनों को सौंप दिया. हेमलता उर्फ हेमा और उस के प्रेमी योगेश वर्मा से की गई पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—राजस्थान की राजधानी जयपुर के गांव हिरनोदा के बलाइयों का मोहल्ला में रहने वाले दिनेश वर्मा की शादी करीब 7 साल पहले हेमलता उर्फ हेमा से हुई थी. बाद में दिनेश 2 बच्चों का पिता बना. घर के खर्चे बढ़ गए लेकिन दिनेश की कहीं नौकरी न लगी तो वह दूसरे काम कर के परिवार का पालनपोषण करने लगा. हेमलता प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. यह बात एक साल पहले की है.

उस के पड़ोस में रहने वाला 26 वर्षीय योगेश वर्मा भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. योगेश उस का देवर लगता था. दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. इस दौरान एकदूसरे के संपर्क में आए. दिनेश सुबह काम पर घर से चला जाता था. फिर वह शाम को ही घर वापस लौटता था. हेमा की सास अपने छोटे बेटे के पास सटे मकान में रहती थी. हेमा अपने दोनों बच्चों के साथ पूरे दिन घर में अकेली रहती थी. योगेश अकसर दिनेश की गैर मौजूदगी में हेमलता के पास आ कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने लगा. दोनों सवालजवाब करते और पढ़ाई करते. थोड़े दिनों तक साथ रहतेरहते दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के साथ प्रेम परीक्षा की तैयारी में लग गए.

योगेश वर्मा जब भी हेमलता के घर आता. वह हेमा को ही ताकता रहता था. एक दिन हेमा ने कहा, ‘‘योगेश, तुम ऐसे घूरघूर कर क्या देखते हो. मैं कोई आठवां अजूबा हूं?’’

सुन कर योगेश बोला, ‘‘भाभी आप इतनी खूबसूरत हैं. मगर देखो कहां ऐसे आदमी के पल्ले बंधी हैं, जो दिन में काम और रात में शराब पी कर अपने में ही मस्त रहता है. उसे आप की परवाह नहीं है.’’

‘‘यह किस्मत का खेल है, योगेश. इस में किसी का दोष नहीं है?’’ हेमा ने उदास स्वर में कहा.

इस पर योगेश बोला, ‘‘किस्मत बनाना और बिगाड़ना खुद के हाथ में होता है. आप चाहो भाभी तो आप की और मेरी किस्मत संवर सकती है.’’ योगेश बोला.

‘‘वो भला कैसे?’’ वह चौंकते हुए बोली.

‘‘भाभी मैं आप से प्यार करता हूं. मुझे आप बहुत अच्छी लगती हैं. जब मैं आता हूं तो रूप की रानी को ही देखता रहता हूं.’’  योगेश ने कहा.

‘‘अच्छा, तो यह बात है. ऐसे में यह सब सोचना पाप है.’’ हेमलता ने समझाते हुए कहा.

योगेश ने उसी वक्त एक और तीर चलाया, ‘‘आप को देख कर लगता नहीं कि आप 2 बच्चों की मां हैं.’’ योगेश ने कहा तो हेमा मुसकरा पड़ी. तभी योगेश ने कहा, ‘‘भाभी. आई लव यू?’’

कहने के साथ योगेश ने हेमा को बांहों में भर लिया. हेमा ने दिखावे के लिए नानुकूर की. मगर उस का मन भी योगेश की बांहों में झूलने का था. उस दिन मौका मिलने पर दोनों अपनी मर्यादाएं लांघ कर एकदूसरे में समा गए. एक बार अवैध संबंध कायम हुए तो यह खेल हर रोज खेला जाने लगा. बेचारा दिनेश दिन भर काम में खपता और उस की पत्नी गैर मर्द की बांहों में झूलती. काफी समय तक दोनों के अवैध संबंधों की भनक किसी को नहीं लगी. लेकिन जब दोनों ने सावधानी बरतनी छोड़ी तो उन के अवैध संबंधों की चर्चा घर के बाहर होने लगी. एक रोज जब हेमा और योगेश आपत्तिजनक स्थिति में थे तो हेमा की सास ने उन्हें देख लिया. तब योगेश वहां से भाग गया.

योगेश के जाने के बाद सास ने हेमा को खूब खरीखोटी सुनाई. सास ने कहा, ‘‘आज के बाद योगेश को घर में देख तो मैं दिनेश से कह दूंगी. फिर वह तुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा. तू योगेश से कह दे कि वह आइंदा घर नहीं आए.’’

हेमा सास की कड़वी बातें सुनती रही. उस की चोरी पकड़ी गई थी. वह कुछ बोलती तो बखेड़ा होता. एक दिन मां ने दिनेश से भी इशारों में कहा, ‘‘बेटा, तू काम करने चला जाता है. योगेश दिनभर बहू के पास पड़ा रहता है. कहता है दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.

‘‘मुझे इन के लक्षण अच्छे नहीं लग रहे. योगेश का घर आना बंद करा और बहू पर नकेल कस. वरना वह हमें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगी.’’

मां की बात सुन कर दिनेश सब समझ गया. वह कोई दूध पीता बच्चा नहीं था. दिनेश ने पत्नी हेमा से कहा, ‘‘सुना है, योगेश दिन भर यहां पड़ा रहता है. उस को मैं आज के बाद घर में नहीं देखना चाहता. न ही तुम उस से फोन पर बात करोगी. प्रतियोगी परीक्षा कोई जरूरी नहीं.’’

सुन कर हेमा को बहुत बुरा लगा. मगर वह इतना ही बोली, ‘‘जैसी आप की मरजी.’’

थोड़े दिन तक हेमा व योगेश दूर रहे. हेमा ने फोन कर के योगेश को बता दिया था कि उन के अवैध संबंधों की पोल खुल गई है. इसलिए वह कुछ दिनों तक दूर ही रहे. इस दौरान वह मौका मिलने पर फोन पर बात कर लेते थे. लेकिन ऐसा वह ज्यादा दिनों तक नहीं कर सके. दोनों मिलने के लिए तड़पने लगे तो एक दिन योगेश ने हेमा से कहा, ‘‘हेमा एक बार तो मिलो बहुत दिन हो गए हैं.’’

‘‘मैं देखती हूं.’’ हेमा ने कहा. एक दिन सास ढाणी में किसी के घर गई तो हेमा ने फोन कर के योगेश को घर बुला लिया. योगेश और हेमा काफी दिन बाद मिले थे. इसलिए दोनों कमरे में बंद हो गए. मगर उन्हें डर था कि कोई आ जाएगा. वासना की आग जल्दी से बुझा कर योगेश घर के बाहर निकला तो सामने से आते दिनेश को उस ने देख लिया. वह सिर पर पैर रख कर भाग खड़ा हुआ. दिनेश घर आया. उस ने हेमलता को आवाज दी. पति की आवाज सुन कर हेमलता अंदर तक कांप गई. उसे यह भान हो गया था कि दिनेश ने योगेश को घर से निकलते देख लिया है. वह थरथर कांपती हाजिर हुई. तब दिनेश बोला,  ‘‘जब हम ने मना किया है तो योगेश घर किसलिए आया था.’’

‘‘वह एक सवाल पूछने आया था.’’ हेमा झूठ बोली.

दिनेश ने हेमा के गाल पर तड़ाक से एक थप्पड़ रसीद करते हुए कहा,  ‘‘तुझे मना किया है कि उस कमीने से कभी बात नहीं करना. फिर भी वह सवाल पूछने के बहाने से आया. आज आखिरी बार कह रहा हूं कि सुधर जा, नहीं तो…’’ दांत पीस कर दिनेश बोला तो हेमा डर गई. वह बोली,  ‘‘दोबारा कभी गलती नहीं होगी. आज माफ कर दें.’’

दिनेश ने कहा,  ‘‘ठीक है.’’

यह बात एक माह पहले की है. हेमा ने अगले दिन मौका मिलने पर योगेश को फोन कर के सारी बात बता दी. हेमा ने कहा,  ‘‘योगेश, अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो दिनेश को रास्ते से हटाना होगा. या फिर मुझे भूलना होगा.’’

सुन कर योगेश बोला,  ‘‘मैं तुम्हें हरगिज नहीं भुला सकता. इसलिए दिनेश को ही रास्ते से हटाते हैं.’’

उस के बाद हेमलता और योगेश ने दिनेश की हत्या की साजिश रची. साजिश के तहत दिनेश की हत्या कर के उसे आत्महत्या का रूप देना था. एक महीने से दोनों मौके की ताक में थे. बुधवार, 3 मार्च, 2021 को योगेश बाजार से 2 चाकू खरीद लाया. उन में से एक तेज धारदार था और दूसरा सब्जी काटने वाला छोटा चाकू था. यह चाकू हेमलता के घर में छिपा दिए. 4 मार्च, 2021 की शाम को दिनेश वर्मा ने शराब पी. शराब का नशा हावी हुआ तो वह खाना खा कर कमरे में जा कर बिस्तर पर सो गया. हेमा ने फोन कर के योगेश को बता दिया कि दिनेश शराब पी कर सोया है.

आज रात उस का काम तमाम करना है. आधी रात के बाद करीब 1 बजे योगेश छिपता हुआ दिनेश के घर आया. हेमा ने कमरे का दरवाजा खोला. दिनेश नशे में सो रहा था. योगेश ने हेमा से चाकू लिया और दबे पांव चल कर दिनेश के बैड के पास पहुंच गया. एक पल की देर किए बगैर योगेश सोते हुए दिनेश की छाती पर चढ़ बैठा, दिनेश के दोनों हाथ योगेश ने अपने पैरों से दबा दिए. हेमलता अपने पति के पैरों पर चढ़ बैठी. दिनेश नींद से जागता उस से पहले ही योगेश ने तेजधार चाकू से उस का गला रेत दिया. दिनेश नींद में थोड़ा छटपटाया और मौत की नींद सो गया. फिर हेमा ने छोटा चाकू दिनेश के बहते खून में डुबोया और वहीं रख दिया. योगेश गला रेतने वाला चाकू ले कर हेमा से यह कह कर कि थोड़ी देर बाद रो कर बताना कि दिनेश ने खुदकुशी कर ली है.

इस के बाद रात करीब ढाई बजे हेमा ने रोना शुरू किया तो सास, चाचा ससुर एवं पड़ोस के लोग आए. इस के बाद हेमा ने सभी को नियोजित कहानी बताई. पुलिस को संदेह हुआ तो उन दोनों से पूछताछ की और हत्या का राज खोल दिया. योगेश की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. पूछताछ पूरी होने पर हेमा और योगेश को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. Hindi Love Stories

Parivarik Kahani Hindi : अपने बचाव के लिए भाई बना हैवान, किया बहन का कत्ल

Parivarik Kahani Hindi : अंकित ने अपने बचाव के लिए अपनी उस बड़ी बहन नेहा चौधरी की हत्या कर दी जो उसी को बचाने के नाम पर उस के साथ आई थी. लेकिन ऐसा कर के क्या वह बच पाएगा? अब तो उसे एक की जगह 2-2 केसों में…

8 फरवरी, 2021 की बात है सुबह के करीब 10 बजे थे. नासिर नाम का एक कबाड़ी जोया रोड के किनारे हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास से गुजर रहा था, तभी उस की नजर स्कूल के पास पड़े खाली प्लौट में चली गई. प्लौट में एक युवती की लाश पड़ी थी. लाश देखते ही नासिर ने शोर मचा दिया. उस की आवाज सुन कर तमाम लोग जमा हो गए. नासिर ने फोन कर के इस की सूचना अमरोहा देहात थाने में दे दी. युवती की लाश की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुरेशचंद्र गौतम अपनी टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. वह जोया रोड स्थित हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास पहुंचे तो वहां एक प्लौट में काफी लोग जमा थे.

वहीं पर युवती की लाश पड़ी थी, जो खून से लथपथ थी. उस का सिर और मुंह कुचला हुआ था. लाश के पास ही खून से सनी एक ईंट पड़ी थी. पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने इसी ईंट से युवती की हत्या की होगी. मृतका की उम्र लगभग 25 साल  थी. काले रंग की जींस, नारंगी टौप और सफेद जूते पहने वह युवती किसी अच्छे परिवार की लग रही थी. उस के गले पर भी चोट के निशान थे. लाश के पास 2 मोबाइल फोन और 2 पर्स भी पड़े थे. पुलिस ने उस के पर्स की तलाशी ली तो उस में एक आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड पर नाम नेहा चौधरी लिखा था.

आधार कार्ड के फोटो से इस बात की पुष्टि हो गई कि लाश नेहा चौधरी की ही है. कार्ड पर लिखे एड्रैस के अनुसार, नेहा अमरोहा देहात थाने के पचोखरा गांव निवासी दिनेश चौधरी की बेटी थी. थानाप्रभारी ने एक कांस्टेबल को भेज कर यह खबर मृतका के घर तक पहुंचवा दी. सूचना पा कर एसपी सुनीति, एएसपी अजय प्रताप सिंह और सीओ विजय कुमार राणा भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने भी लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की. उधर खबर मिलते ही मृतका नेहा चौधरी की मां वीना चौधरी, छोटा भाई अंकित और  चाचा कमल सिंह गांव के कुछ लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश देखते ही वीना चौधरी ने उस की शिनाख्त अपनी बेटी नेहा के रूप में कर दी. घर के सभी लोगों का रोरो कर बुरा हाल था. गांव वाले उन्हें सांत्वना दे कर चुप कराने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने मृतका के घर वालों से पूछा कि उन की किसी से कोई रंजिश वगैरह तो नहीं है. इस पर वीना चौधरी ने कहा कि हमारी गांव में क्या कहीं भी किसी से कोई रंजिश नहीं है. मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल से सुबूत जुटाए. इस के बाद पुलिस ने जरूरी लिखापढ़ी के बाद उस का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. एसपी सुनीति ने इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए 3 पुलिस टीमों का गठन किया.

पुलिस ने वीना चौधरी से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि नेहा मेरठ की सुभारती यूनिवर्सिटी से एमबीए  कर रही थी. इस साल वह फाइनल की छात्रा थी. इस के अलावा वह पिछले 4 साल से नोएडा स्थित एक निजी बैंक में नौकरी भी कर रही थी और दिल्ली के लक्ष्मी नगर में किराए के मकान में रहती थी. 7 फरवरी यानी कल वह घर अमरोहा लौटने वाली थी. उस ने नोएडा से चलने के बाद अपने चाचा कमल सिंह को फोन कर के बता दिया था कि वह शाम तक अमरोहा पहुंच जाएगी. लेकिन वह घर नहीं पहुंची. पुलिस ने मृतका के चाचा कमल सिंह की तरफ से अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. पोस्टमार्टम के बाद घर वाले लाश ले कर चले गए.

पुलिस की सभी टीमें जांच में जुट गईं. जिस जगह पर नेहा चौधरी की लाश मिली थी, पुलिस ने उस के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. एक फुटेज में 7 फरवरी को रात करीब 8 बजे नेहा चौधरी के साथ एक युवक भी दिखाई दिया. दूसरे दिन पुलिस ने वह फुटेज नेहा के घर वालों को दिखाई तो वीना चौधरी और देवर कमल सिंह ने युवक को पहचानते हुए बताया कि यह तो  नेहा का छोटा भाई अंकित है. यह सुन कर पुलिस हतप्रभ रह गई. वीना चौधरी के साथ अंकित भी घटनास्थल पर आया था और फूटफूट कर रो रहा था, जबकि उस की हत्या से कुछ घंटे पहले तक वह उस के साथ था. सोचने वाली बात यह थी कि हत्या से पहले आखिर वह उस के साथ क्या कर रहा था.

अब पुलिस का मकसद अंकित से पूछताछ करना था, लेकिन वह घर से गायब था. पुलिस उस की तलाश में जुट गई. अगले दिन यानी 9 फरवरी की रात 9 बजे अंकित को पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह दिल्ली भागने की फिराक में था. थाने में पुलिस ने अंकित से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. अंकित ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी बड़ी बहन नेहा की हत्या की थी. आखिर छोटे भाई ने अपनी सगी बहन की  हत्या क्यों की, इस बारे में पुलिस ने जब अंकित से पूछा तो नेहा चौधरी की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी—

25 वर्षीय नेहा चौधरी उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा के गांव पचोखरा के रहने वाले दिनेश चौधरी की बेटी थी. पत्नी वीना चौधरी के अलावा दिनेश चौधरी के 2 बच्चे थे, बड़ी बेटी नेहा और छोटा अंकित चौधरी. करीब 20 साल पहले दिनेश चौधरी अचानक गायब हो गए थे. उन्हें बहुत तलाशा गया, लेकिन कहीं पता नहीं चला. उस समय नेहा की उम्र 5 साल और अंकित की 3 साल थी. पति के गायब हो जाने पर वीना चौधरी पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. दुख की इस घड़ी में उन का साथ दिया उन के देवर कमल सिंह ने. वह अमरोहा शहर के मोहल्ला पीरगढ़ में रहते थे. भाई के गायब हो जाने के बाद वह अपनी भाभी और दोनों बच्चों को अपने साथ ले आए और अपने घर पर ही रख कर न सिर्फ उन की परवरिश की, बल्कि पढ़ाईलिखाई भी पूरी कराई.

अंकित चौधरी की ननिहाल अमरोहा जिले के ही गांव सलामतपुर में थी. वह अकसर अपनी ननिहाल जाता रहता था. बताया जाता है कि उस ने अपने ममेरे भाई अक्षय के साथ मिल कर अपनी ननिहाल के गांव की रहने वाली एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उस के साथ बलात्कार किया था. लड़की के पिता ने 18 जनवरी, 2021 को थाना डिडौली में अंकित और अक्षय के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 363 376डी, 342, 516 पोक्सो ऐक्ट तथा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई. अमरोहा की अदालत में नाबालिग लड़की के बयान भी दर्ज कराए गए. जिस में उस ने साफ कहा कि अंकित और अक्षय ने उस का अपहरण करने के बाद उस के साथ दुष्कर्म किया था.

इस केस से बचने के लिए अंकित चौधरी ने अमरोहा के कई बड़े वकीलों से राय ली. उन्होंने अंकित को बताया कि मामला बहुत गंभीर है. इस में तुम बच नहीं सकते, जेल तो जाना ही पड़ेगा. तब शातिर दिमाग अंकित चौधरी ने अपने आप को बचाने के लिए एक खौफनाक योजना तैयार की. योजना यह थी कि वह अपनी बड़ी बहन नेहा चौधरी की हत्या करने के बाद इस का आरोप उस लड़की के पिता पर लगा देगा, जिस ने उस के खिलाफ बेटी के अपहरण व बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. ऐसा करने से क्रौस केस बन जाएगा. इस के बाद केस को रफादफा करने के लिए समझौते की बात चलेगी. समझौता हो जाने पर वह जेल जाने से बच जाएगा.

उसे बहन की हत्या कैसे करनी है, इस की भी उस ने पूरी योजना बना ली थी. योजना के अनुसार 7 फरवरी, 2021 को अंकित चौधरी ने अपनी बहन नेहा चौधरी को किसी परिचित के मोबाइल से फोन किया. उस समय नेहा नोएडा में अपनी ड्यूटी पर थी. अंकित ने उस से  कहा कि बहन मेरे ऊपर जो मुकदमा चल रहा है उस में नाबालिग लड़की के पिता से बात हो गई है. वह फैसला करने को राजी है. लेकिन फैसले के समय तुम्हारा वहां रहना जरूरी है. इसलिए मैं अमरोहा से टैक्सी ले कर तुम्हें लेने के लिए नोएडा आ रहा हूं. नेहा ने सोचा कि एकलौता भाई है, फैसला हो जाए तो अच्छा है. यही सोच कर उस ने अमरोहा आने की हामी भर दी.

योजना के अनुसार 7 फरवरी, 2021 को अमरोहा के गांधी मूर्ति चौराहे के पास स्थित टैक्सी स्टैंड से एक गाड़ी बुक करा कर अंकित नोएडा के लिए रवाना हो गया. वह उस जगह पहुंच गया, जहां उस की बहन नेहा नौकरी करती थी. नेहा अंकित के साथ नोएडा से अमरोहा के लिए चल दी. रास्ते में नेहा ने अपने चाचा कमल सिंह को फोन कर के बता दिया था कि वह अमरोहा आ रही है और शाम 6 बजे तक घर पहुंच जाएगी. वापसी में अंकित टैक्सी ले कर अमरोहा से थोड़ा पहले स्थित जोया रोड पर पहुंचा तो उस ने अमरोहा ग्रीन से थोड़ा पहले टैक्सी रुकवा ली. नेहा ने टैक्सी रोकने की वजह पूछी तो अंकित ने बताया कि पुलिस मेरे पीछे पड़ी है. ऐसे में टैक्सी से घर जाना सही नहीं है.

हम लोग यहां से किसी दूसरे रास्ते से चलेंगे. उस ने टैक्सी वाले को पैसे दे कर वहां से भेज दिया. इस के बाद वह नेहा को हिल्टन कौन्वेंट स्कूल के पास खाली पड़े प्लौट की तरफ ले गया. नेहा ने उस से पूछा भी कि मुझे इस अनजान, सुनसान जगह से कहां ले जा रहे हो. तब अंकित ने कहा कि इधर से शौर्टकट रास्ता है. मेनरोड पर पुलिस मुझे पकड़ सकती है इसलिए मैं शौर्टकट से जा रहा हूं. नेहा ने भाई की बात पर विश्वास कर लिया और उस के साथ चलने लगी. नेहा को क्या पता था कि जिस भाई की कलाई पर वह हर साल अपनी रक्षा के लिए राखी बांधती है, वही भाई उस की हत्या करने वाला है.

वह कुछ ही दूर चली थी कि अंकित रुक गया. वह नेहा से बोला कि मैं बाथरूम कर लूं, तुम पीछे मुंह कर के खड़ी हो जाओ. जैसे ही नेहा पीछे मुंह कर के खड़ी हुई, अंकित ने अपनी जेब से एक फीता निकाला और बड़ी फुरती से नेहा के गले में डाल कर कस दिया. नेहा बस इतना ही कह पाई कि भाई यह तुम क्या कर रहे हो? इस के बाद वह मूर्छित हो कर जमीन पर गिर गई. तभी अंकित ने पास पड़ी ईंट से बहन के सिर व चेहरे पर तमाम वार किए और वह उसे ईंट से तब तक कूटता रहा, जब तक कि उस की मौत न हो गई.

अपनी सगी बहन की हत्या के बाद वह वहां से चला गया. वह सीधा अमरोहा की आवास विकास कालोनी में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार के घर गया. फिर वहां से अगली सुबह 5 बजे उठ कर चला गया. उस के कपड़ों, जूतों आदि पर खून लगा था. इसलिए उस ने अपने कपड़े, जैकेट, जूते, टोपा और गला घोंटने वाला फीता कल्याणपुर बाईपास के पास हमीदपुरा गांव के जंगल की झाडि़यों में छिपा दिए. इस के बाद वह अपने घर चला गया. सुबह होने पर एक सिपाही जब नेहा की हत्या की खबर देने उस के घर गया, तब वह अपनी मां और चाचा के साथ घटनास्थल पर पहुंचा और वहां फूटफूट कर रोने का नाटक करने लगा.

अंकित से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हमीदपुरा गांव के जंगल की झाडि़यों में छिपा कर रखे गए कपड़े, जैकेट, जूते, टोपा और फीता बरामद कर लिया. अंकित चौधरी की गिरफ्तारी के बाद सारे सबूत पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिए. 10 फरवरी, 2021 को अमरोहा की एसपी सुनीति ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया. इस पूरे मामले में एसपी सुनीति को डिडौली थाने के दरोगा मुजम्मिल की लापरवाही नजर आई. मुजम्मिल ने नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी अंकित और उस के ममेरे भाई अक्षय को गिरफ्तार करने में लापरवाही दिखाई थी.

यदि वह इन दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लेते तो शायद नेहा की हत्या नहीं होती. इसलिए एसपी सुनीति ने लापरवाही के आरोप में एसआई मुजम्मिल को लाइन हाजिर कर दिया. अंकित चौधरी से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. parivarik kahani hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Story Short Hindi : कोर्ट मैरिज से नाराज पिता ने बेटी और दामाद को मारी गोली

Love Story Short Hindi : सोनाली सिंह और अजय यादव एकदूसरे से न केवल प्यार करते थे, बल्कि कोर्ट मैरिज भी कर चुके थे. लेकिन सोनाली के पिता राजेश सिंह और घर वाले नहीं चाहते थे कि ठाकुर खानदान की बेटी यादव परिवार की बहू बने. इसलिए उन्होंने सोनाली और अजय को अलग करने के लिए…

22 फरवरी की सुबह 6 बजे रामपुर गांव के कुछ लोग मार्निंग वाक पर निकले तो उन्होंने पानी की टंकी के पास लिंक मार्ग से 50 मीटर दूर खेत में एक युवक को बुरी तरह से जख्मी हालत में पड़े देखा. युवक की जान बचाने के लिए उन में से किसी ने थाना खानपुर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना प्राप्त होते ही खानपुर थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. विश्वनाथ यादव जिस समय वहां पहुंचे, उस समय ग्रामीणों की भीड़ जुटी थी. भीड़ को परे हटाते हुए वह खेत में पहुंचे, जहां युवक जख्मी हालत में पड़ा था.

युवक की उम्र 24 साल के आसपास थी. उस के सिर में गोली मारी गई थी, जो आरपार हो गई थी. उस के एक हाथ में पिस्टल थी तथा दूसरी पिस्टल उस के पैर के पास पड़ी थी. जामातलाशी में उस के पास से 2 मोबाइल फोन, आधार कार्ड तथा पुलिस विभाग का परिचय पत्र मिला, जिस में उस का नामपता दर्ज था. परिचय पत्र तथा आधार कार्ड से पता चला कि युवक का नाम अजय कुमार यादव है तथा वह बभरौली गांव का रहने वाला है. तुरंत उस के घर वालों को सूचना दे दी गई. इंसपेक्टर विश्वनाथ यादव अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह, एएसपी गोपीनाथ सोनी तथा डीएसपी राजीव द्विवेदी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा युवक के पास से बरामद सामान का अवलोकन किया. देखने से ऐसा लग रहा था कि युवक ने आत्महत्या का प्रयास किया था. अब तक अजय के पिता रामऔतार यादव भी घटनास्थल आ गए थे. वह आत्महत्या की बात से सहमत नहीं थे. चूंकि अजय यादव मरणासन्न स्थिति में था, अत: पुलिस अधिकारियों ने उसे इलाज हेतु तत्काल सीएचसी (सैदपुर) भिजवाया लेकिन वहां के डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और उसे बीएचयू ट्रामा सेंटर रैफर कर दिया. इलाज के दौरान अजय यादव की मौत हो गई.

चूंकि अजय यादव सिपाही था, अत: उस की मौत को एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह ने गंभीरता से लिया. उन्होंने जांच के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया, जिस में क्राइम ब्रांच, सर्विलांस टीम तथा स्वाट टीम को शामिल किया गया. इस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर बरामद सामान को कब्जे में लिया. सर्विलांस सेल प्रभारी दिनेश यादव ने अजय के पास से बरामद दोनों फोन की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि 22 फरवरी की रात 3 बजे एक फोन से अजय के फोन पर एक वाट्सऐप मैसेज भेजा गया था, जिस में लिखा था, ‘तत्काल मिलने आओ, नहीं तो हम मर जाएंगे.’

जिस मोबाइल फोन से मैसेज भेजा गया था, उस फोन की जानकारी की गई तो पता चला कि वह मोबाइल फोन इचवल गांव निवासी राजेश सिंह की बेटी सोनाली सिंह के नाम दर्ज था. जबकि फोन मृतक अजय की जेब से बरामद हुआ था. अजय और सोनाली का क्या रिश्ता है? उस ने 3 बजे रात को अजय को मैसेज क्यों भेजा? जानने के लिए पुलिस टीम सोनाली सिंह के गांव इचवल पहुंची और उस के पिता राजेश सिंह से पूछताछ की. राजेश सिंह ने बताया कि उस की बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह आज सुबह से गायब है. हम ने सैदपुर कैफे से उस की औनलाइन एफआईआर भी कराई है. राजेश सिंह ने एफआईआर की कौपी भी दिखाई.

राजेश सिंह की बात सुन कर पुलिस टीम का माथा ठनका. राजेश सिंह को गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करानी थी, तो थाना खानपुर में करानी चाहिए थी. आनलाइन रिपोर्ट क्यों दर्ज कराई? दाल में जरूर कुछ काला था. यह औनर किलिंग का मामला हो सकता था. संभव था अजय और सोनाली सिंह प्रेमीप्रेमिका हों और इज्जत बचाने के लिए राजेश सिंह ने अपनी बेटी की हत्या कर दी हो. ऐसे तमाम प्रश्न टीम के सदस्यों के दिमाग में आए तो उन्होंने शक के आधार पर राजेश सिंह के घर पर पुलिस तैनात कर दी. साथ ही पुलिस सानिया उर्फ सोनाली सिंह की भी खोज में जुट गई. अजय का मोबाइल फोन खंगालने पर उस का और सोनाली सिंह का विवाह प्रमाण पत्र मिला, जिस में दोनों की फोटो लगी थी.

प्रमाण पत्र के अनुसार दोनों 5 नवंबर, 2018 को कोर्टमैरिज कर चुके थे. इस प्रमाण पत्र को देखने के बाद पुलिस टीम का शक और भी गहरा गया. पुलिस टीम ने सोनाली सिंह के पिता राजेश सिंह व परिवार के 4 अन्य सदस्यों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. 23 फरवरी, 2021 की सुबह पुलिस टीम को इचवल गांव में राजेश सिंह के खेत में एक युवती की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. पुलिस टीम तथा अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और लाश का निरीक्षण किया. मृतका राजेश सिंह की 25 वर्षीय बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह थी. उस के सिर में गोली मारी गई थी. चेहरे को भी कुचला गया था. निरीक्षण के बाद पुलिस ने सोनाली सिंह के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल गाजीपुर भेज दिया.

शव के पास से पिस्टल या तमंचा बरामद नहीं हुआ, लेकिन एक जोड़ी मर्दाना चप्पल तथा टूटी हुई चूडि़यां जरूर मिलीं. चप्पलों की पहचान मृतक सिपाही अजय के घर वालों ने की. उन्होंने पुलिस को बताया कि चप्पलें अजय की थीं. पुलिस टीम ने हिरासत में लिए गए राजेश सिंह से बेटी सोनाली सिंह की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो वह टूट गया और उस ने सोनाली सिंह तथा उस के प्रेमी अजय यादव की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं, उस ने हत्या में इस्तेमाल अजय यादव की बाइक यूपी81 एसी 5834 भी बरामद करा दी.

राजेश सिंह ने बताया कि उस की बेटी सानिया सिपाही अजय यादव से प्यार करती थी और दोनों ने कोर्ट में शादी भी कर ली थी. तब अपनी इज्जत बचाने के लिए उस ने दोनों को मौत की नींद सुलाने की योजना बनाई. इस योजना में उस ने अपने पिता अवधराज सिंह, बेटे दीपक सिंह, भतीजे अंकित सिंह तथा पत्नी नीलम सिंह को शामिल किया. इस के बाद पहले सानिया की हत्या की फिर अजय की. उस के बाद दोनों के शव अलगअलग जगहों पर डाल दिए. पुलिस अजय की हत्या को आत्महत्या समझे, इसलिए उस के एक हाथ में पिस्टल थमा दी तथा बेटी का मोबाइल फोन अजय की जेब में डाल दिया, ताकि लगे कि अजय ने पहले सोनाली सिंह की गोली मार कर हत्या की फिर स्वयं गोली मार कर आत्महत्या कर ली.

बेटी के शव के पास अजय की चप्पलें छोड़ना, सोचीसमझी साजिश का ही हिस्सा था. राजेश के बाद अन्य आरोपियों ने भी जुर्म कबूल कर लिया. थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव ने डबल मर्डर का परदाफाश करने तथा आरोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह को दी तो उन्होंने पुलिस लाइन स्थिति सभागार में प्रैसवार्ता की और आरोपियों को मीडिया के समक्ष पेश कर डबल मर्डर का खुलासा कर दिया. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव ने मृतक के पिता रामऔतार यादव की तहरीर पर धारा 302 आईपीसी के तहत राजेश सिंह, अवधराज सिंह, दीपक सिंह, अंकित सिंह तथा नीलम सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा सभी को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, उस में दोनों की हत्याओं की वजह मोहब्बत थी.

गाजीपुर जिले के खानपुर थाना अंतर्गत एक गांव है इचवल कलां. इसी गांव में ठाकुर राजेश सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी नीलम सिंह के अलावा बेटा दीपक सिंह तथा बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह थी. राजेश सिंह के पिता अवधराज सिंह भी उन के साथ रहते थे. पितापुत्र दबंग थे. गांव में उन की तूती बोलती थी. उन के पास उपजाऊ जमीन थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. राजेश सिंह की बेटी सोनाली उर्फ सानिया सुंदर, हंसमुख व मिलनसार थी. पढ़ाई में भी तेज थी. वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय डिग्री कालेज सैदपुर से बीए की डिग्री हासिल कर चुकी थी और बीएड की तैयारी कर रही थी.

दरअसल, सानिया टीचर बन कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी. इसलिए वह कड़ी मेहनत कर रही थी. सानिया उर्फ सोनाली के आकर्षण में गांव के कई युवक बंधे थे. लेकिन अजय कुमार यादव कुछ ज्यादा ही आकर्षित था. सानिया भी उसे भाव देती थी. सानिया और अजय की पहली मुलाकात परिवार के एक शादी समारोह में हुई थी. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे. इस के बाद जैसेजैसे उन की मुलाकातें बढ़ती गईं, वैसेवैसे उन का प्यार बढ़ता गया. अजय कुमार यादव के पिता रामऔतार यादव सानिया के पड़ोस के गांव बभनौली में रहते थे. वह सीआरपीएफ में कार्यरत थे. लेकिन अब रिटायर हो गए थे और गांव में रहते थे. उन की 5 संतानों में 4 बेटियां व एक बेटा था अजय कुमार.

बेटियों की वह शादी कर चुके थे और बेटा अजय अभी कुंवारा था. रामऔतार यादव, अजय को पुलिस में भरती कराना चाहते थे, सो वह उस की सेहत का खास खयाल रखते थे. अजय बीए पास कर चुका था और पुलिस भरती की तैयारी कर रहा था. उस ने पुलिस की परीक्षा भी दी. एक दिन अजय ने सानिया के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो वह गहरी सोच में डूब गई. कुछ देर बाद वह बोली, ‘‘अजय, मुझे तुम्हारा शादी का प्रस्ताव तो मंजूर है, लेकिन मुझे डर है कि हमारे घर वाले शादी को कभी राजी नही होंगे.’’

‘‘क्यों राजी नही होंगे?’’ अजय ने पूछा.

‘‘क्योंकि मैं ठाकुर हूं और तुम यादव. मेरे पिता कभी नहीं चाहेंगे कि ठाकुर की बेटी यादव परिवार में दुलहन बन कर जाए. मूंछ की लड़ाई में वह कुछ भी अनर्थ कर सकते हैं.’’

‘‘घर वाले राजी नहीं होंगे, फिर तो एक ही उपाय है कि हम दोनों कोर्ट में शादी कर लें.’’

‘‘हां, यह हो सकता है.’’ सानिया ने सहमति जताई.

इस के बाद 5 नवंबर, 2018 को सानिया उर्फ सोनाली और अजय कुमार ने गाजीपुर कोर्ट में कोर्टमैरिज कर के विवाह प्रमाण पत्र हासिल कर लिया. कोर्ट मैरिज करने की जानकारी सानिया के घर वालों को नहीं हुई, लेकिन अजय के घर वालों को पता था. उन्होंने सानिया को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. दिसंबर, 2018 में अजय का चयन सिपाही के पद पर पुलिस विभाग में हो गया. ट्रेनिंग के बाद उस की पोस्टिंग अमेठी जिले के गौरीगंज थाने में हुई. अजय और सानिया की मुलाकातें चोरीछिपे होती रहती थीं. मोबाइल फोन पर भी उन की बातें होती रहती थीं. कोर्ट मैरिज के बाद उन का शारीरिक मिलन भी होने लगा था. इस तरह समय बीतता रहा.

जनवरी, 2021 के पहले हफ्ते में राजेश सिंह को अपनी पत्नी नीलम सिंह व बेटे दीपक सिंह से पता चला कि सानिया पड़ोस के गांव बभनौली के रहने वाले युवक अजय यादव से प्रेम करती है और दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली है. दरअसल, नीलम सिंह ने बेटी को देर रात अजय से मोबाइल फोन पर बतियाते पकड़ लिया था. फिर डराधमका कर सारी सच्चाई उगलवा ली थी. यह जानकारी नीलम ने पति व बेटे को दे दी थी. राजेश सिंह ठाकुर था. उसे यह गवारा न था कि उस की बेटी यादव से ब्याही जाए, अत: उस ने सानिया की जम कर पिटाई की और घर से बाहर निकलने पर सख्त पहरा लगा दिया. नीलम हर रोज डांटडपट कर तथा प्यार से बेटी को समझाती लेकिन सानिया, अजय का साथ छोड़ने को राजी नहीं थी.

21 फरवरी को अजय की चचेरी बहन की सगाई थी. वह 15 दिन की छुट्टी ले कर अपने गांव बभनौली आ गया. सिपाही अजय के आने की जानकारी राजेश सिंह को हुई तो उस ने अपने पिता अवधराज सिंह, बेटे दीपक सिंह, भतीजे अंकित सिंह तथा पत्नी नीलम के साथ गहन विचारविमर्श किया. जिस में तय हुआ कि पहले अजय व सानिया को समझाया जाए, न मानने पर दोनों को मौत के घाट उतार दिया जाए. अवैध असलहा घर में पहले से मौजूद था. योजना के तहत 22 फरवरी की रात 3 बजे राजेश सिंह व नीलम सिंह ने सानिया को धमका कर सिपाही अजय यादव के मोेबाइल फोन पर एक वाट्सऐप मैसेज भिजवाया, जिस में लिखा, ‘तत्काल मिलने आओ, नहीं तो हम मर जाएंगे.’

अजय ने मैसेज पढ़ा, तो उसे लगा कि सानिया मुसीबत में है. अत: वह अपनी मोटरसाइकिल से सानिया के गांव इचबल की ओर निकल पड़ा. इधर मैसेज भिजवाने के बाद राजेश सिंह, नीलम सिंह, दीपक सिंह, अवधराज सिंह व अंकित सिंह ने सानिया उर्फ सोनाली को अजय का साथ छोड़ने के लिए हर तरह से समझाया. लेकिन जब वह नहीं मानी तो राजेश सिंह ने उसे गोली मार दी. फिर लाश को घर में छिपा दिया. कुछ देर बाद अजय आया, तो उसे भी समझाया गया. लेकिन वह ऊंचे स्वर में बात करने लगा. इस पर वे सब अजय को बात करने के बहाने गांव के बाहर अंबिका स्कूल के पास ले गए.

वहां अजय सानिया को अपनी पत्नी बताने लगा तो उन सब ने उसे दबोच लिया और पिस्टल से उस के सिर में गोली मार दी और मरा समझ कर रामपुर गांव के पास सड़क किनारे खेत में फेंक दिया. एक पिस्टल उस के हाथ में पकड़ा दी तथा दूसरी उस के पैर के पास डाल दी. सानिया का मोबाइल फोन भी अजय की पाकेट में डाल दिया. इस के बाद वे सब वापस घर आए और सानिया का शव घर के पीछे गेहूं के खेत में फेंक दिया. अजय की चप्पलें भी शव के पास छोड़ दीं. सुबह राजेश व नीलम ने पड़ोसियों को बताया कि उन की बेटी सानिया बिना कुछ बताए घर से गायब है.

फिर सैदपुर कस्बा जा कर कैफे से औनलाइन एफआईआर दर्ज करा दी. उधर रामपुर गांव के कुछ लोगों ने युवक को मरणासन्न हालत में देखा तो पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने काररवाई शुरू की तो डबल मर्डर की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई. 24 फरवरी, 2021 को थाना खानपुर पुलिस ने अभियुक्त राजेश सिंह, दीपक सिंह, अंकित सिंह, अवधराज सिंह तथा नीलम सिंह को गाजीपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. love story short hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

UP News : 10 लाख रुपए के लिए बचपन के दोस्त का किया कत्ल

UP News :  दोस्ती में एक विश्वास होता है, भरोसा होता है. लेकिन शैलेश प्रजापति और अर्श गुप्ता ने पैसे के लिए उस विश्वास की धज्जियां उड़ा दीं, जिस की वजह से विनय…

19 मार्च, 2021 की रात 10 बजे शीला देवी अपने देवर आनंद प्रजापति के साथ जनता नगर चौकी पहुंचीं. उस समय इंचार्ज ए.के. सिंह चौकी पर मौजूद थे. उन्होंने शीला देवी को बदहवास देखा, तो पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम घबराई हुई क्यों हो? कोई गंभीर बात है क्या?’’

‘‘हां सर. हमें किसी अनहोनी की आशंका है.’’

‘‘कैसी अनहोनी? साफसाफ पूरी बात बताओ.’’

‘‘सर, दरअसल बात यह है कि रात 8 बजे मेरा बेटा शैलेश, उस का दोस्त अर्श गुप्ता व विनय घर पर नीचे कमरे में शराब पी रहे थे. कुछ देर बाद कमरे से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आईं. फिर वे लोग बाइक से कहीं चले गए.

‘‘उन के जाने के बाद मैं कमरे में गई, तो वहां खून से सनी चादर देखी. अनहोनी की आशंका से मैं घबरा गई. मैं ने इस की जानकारी पड़ोस में रहने वाले अपने देवर आनंद को दी, फिर उन के साथ सूचना देने आप के पास आ गई. आप मेरी मदद करें.’’

शीला देवी की बात सुनकर ए.के. सिंह को लगा कि जरूर कोई अनहोनी घटना घटित हुई है. उन्होंने यह सूचना बर्रा थानाप्रभारी हरमीत सिंह को दी फिर 2 सिपाहियों के साथ शीला देवी के बर्रा भाग 8 स्थित मकान पर पहुंच गए. उन के पहुंचने के चंद मिनट बाद ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह भी आ गए. हरमीत सिंह ने ए.के. सिंह के साथ कमरे का निरीक्षण किया तो सन्न रह गए. कमरे के फर्श पर खून पड़ा था और पलंग पर बिछी चादर खून से तरबतर थी. कमरे का सामान भी अस्तव्यस्त था. खून की बूंदें कमरे के बाहर गली तक टपकती गई थीं.

निरीक्षण के बाद हरमीत सिंह ने अनुमान लगाया कि कमरे के अंदर कत्ल जैसी वारदात हुई है या फिर गंभीर रूप से कोई घायल हुआ है. शैलेश और उस का दोस्त या तो लाश को ठिकाने लगाने गए हैं या फिर अस्पताल गए हैं. कहीं भी गए हों, वे लौट कर घर जरूर आएंगे. अत: उन्होंने घर के आसपास पुलिस का पहरा लगा दिया तथा खुद भी निगरानी में लग गए. रात लगभग डेढ़ बजे शैलेश और उस का दोस्त अर्श गुप्ता वापस घर आए तो पुिलस ने उन्हें दबोच लिया और थाना बर्रा ले आए. दोनों के हाथ और कपड़ों पर खून लगा था. इंसपेक्टर हरमीत सिंह ने पूछा, ‘‘तुम दोनों ने किस का कत्ल किया है और लाश कहां है?’’

शैलेश कुछ क्षण मौन रहा फिर बोला, ‘‘साहब, मैं ने अपने बचपन के दोस्त विनय प्रभाकर का कत्ल किया है. वह बर्रा भाग दो के मनोहर नगर में रामजानकी मंदिर के पास रहता था. उस की लाश को मैं ने अर्श की मदद से रिंद नदी में फेंक दिया है. पैट्रोल खत्म हो जाने की वजह से हम ने विनय की मोटरसाइकिल खाड़ेपुर-फत्तेपुर मोड़ पर खड़ा कर दी और वापस लौट आए.’’

‘‘तुम ने अपने दोस्त का कत्ल क्यों किया?’’ थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने शैलेश से पूछा. इस सवाल पर शैलेश काफी देर तक हरमीत सिंह को गुमराह करता रहा. पहले वह बोला, ‘‘साहब, नशे में गलती हो गई. हम ने उस का कत्ल कर दिया.’’

फिर बताया कि उस के मोबाइल फोन में उस की महिला मित्र की कुछ आपत्तिजनक फोटो थीं. उन फोटो को विनय ने धोखे से अपने मोबाइल फोन में ट्रांसफर कर लिया था. वह उन फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे कर ब्लैकमेल कर रहा था, इसलिए हम ने उसे मार डाला. लेकिन थानाप्रभारी हरमीत सिंह को उस की इन दोनों बातों पर यकीन नहीं हुआ. सच्चाई उगलवाने के लिए उन्होंने सख्ती की तो दोनों टूट गए. फिर उन्होंने बताया कि उन्होंने 10 लाख रुपए की फिरौती मांगने के लिए विनय की हत्या की योजना बनाई थी. कुछ माह पहले संजीत हत्याकांड की तरह शव को ठिकाने लगाने के बाद उसी के मोबाइल फोन से उस के घर वालों को फोन कर फिरौती मांगने की योजना थी.

उस ने दौलत की चाहत में दोस्त की हत्या की थी. लेकिन फिरौती मांगने के पहले ही वे पकड़े गए. शैलेश व अर्श की जामातलाशी में उन के पास से 3 मोबाइल फोन मिले, जिस में एक मृतक विनय का था तथा बाकी 2 शैलेश व अर्श के थे. उन के पास एक पर्स भी बरामद हुआ जिस में मृतक का फोटो, आधार कार्ड तथा कुछ रुपए थे. बरामद पर्स मृतक विनय प्रभाकर का था. शैलेश व अर्श गुप्ता की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल बांका तथा लाश ठिकाने लगाने में इस्तेमाल मोटरसाइकिल बरामद कर ली. बांका उस ने अपने कमरे में छिपा दिया था और पैट्रोल खत्म होने से उस ने मोटरसाइकिल खाड़ेपुर मोड़ पर खड़ी कर दी थी.

फिरौती और हत्या के इस मामले में थानाप्रभारी हरमीत सिंह कोई कोताही नहीं बरतना चाहते थे. क्योंकि इस के पहले संजीत अपहरण कांड में बर्रा पुलिस गच्चा खा चुकी थी. अपहर्त्ताओं ने फिरौती की रकम भी ले ली थी और उस की हत्या भी कर दी थी. इस मामले में लापरवाही बरतने में एसपी व डीएसपी सहित 5 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था. अत: उन्होंने घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पा कर रात 3 बजे एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय थाना बर्रा पहुंच गए. उन्होंने घटना के संबंध में गिरफ्तार किए गए शैलेश व अर्श गुप्ता से विस्तार से पूछताछ की.

फिर दोनों को साथ ले कर रिंद नदी के पुल पर पहुंचे. इस के बाद कातिलों की निशानदेही पर नदी किनारे पड़ा विनय प्रभाकर का शव बरामद कर लिया. विनय की हत्या बड़ी निर्दयतापूर्वक की गई थी. उस का गला धारदार हथियार से काटा गया था, जिस से सांस की नली कट गई थी और उस की मौत हो गई थी. मृतक विनय की उम्र 26 वर्ष के आसपास थी और उस का शरीर हृष्टपुष्ट था. 20 मार्च की सुबह 5 बजे बर्रा थाने के 2 सिपाही मृतक विनय के घर पहुंचे और उस की हत्या की खबर घर वालों को दी. खबर पाते ही घर व मोहल्ले में सनसनी फैल गई. घर वाले रिंद नदी के पुल पर पहुंचे.

वहां विनय का शव देख कर मां विमला तथा बहन रीता बिलख पड़ीं. पिता रामऔतार प्रभाकर तथा भाई पवन की आंखों से भी अश्रुधारा बह निकली. पुलिस अधिकारियों ने उन्हे धैर्य बंधाया. पवन ने एसपी दीपक भूकर को बताया कल शाम साढ़े 7 बजे किसी का फोन आने पर उस का भाई विनय यह कह कर अपनी पल्सर मोटरसाइकिल से घर से निकला था कि अपने दोस्त से मिलने जा रहा है. उस के बाद वह घर नहीं लौटा. रात भर हम लोग उस के घर वापस आने का इंतजार करते रहे. उस का फोन भी बंद था. सुबह 2 सिपाही घर आए. उन्होंने विनय की हत्या की सूचना दी. तब हम लोग यहां आए. लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि विनय की हत्या किस ने और क्यों की?

‘‘तुम्हारे भाई की हत्या किसी और ने नहीं, उस के बचपन के दोस्त शैलेश प्रजापति व उस के साथी अर्श गुप्ता ने की है. वह तुम लोगों से फिरौती के 10 लाख रुपए वसूलना चाहते थे. लेकिन शैलेश की मां ने ही उस का भांडा फोड़ दिया और दोनों पकड़े गए.’’

यह जानकारी पा कर पवन व उस के घर वाले अवाक रह गए. क्योंकि वे सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि शैलेश ऐसा विश्वासघात कर सकता है. निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम हाउस हैलट अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद वह शैलेश के उस कमरे में पहुंचे, जहां विनय का कत्ल किया गया था. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जहां घटनास्थल का निरीक्षण किया, वहीं फोरैंसिक टीम ने भी बेंजाडीन टेस्ट कर साक्ष्य जुटाए. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल बांका भी बरामद करा दिया था, अत: थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने मृतक के भाई पवन को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/201 तथा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत शैलेश प्रजापति तथा अर्श गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

उन्हें न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस पूछताछ में दौलत की चाहत में दोस्त की हत्या की सनसनीखेज घटना का खुलासा हुआ. कानपुर शहर का एक बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है-बर्रा. इस क्षेत्र के बड़ा होने से इसे कई भागों में बांटा गया है. रामऔतार प्रभाकर अपने परिवार के साथ इसी बर्रा क्षेत्र के भाग 2 में मनोहरनगर में जानकी मंदिर के पास रहते थे. उन के परिवार में पत्नी विमला के अलावा 2 बेटे पवन कुमार, विनय कुमार तथा बेटी रीता कुमारी थी. रामऔतार प्रभाकर आर्डिनैंस फैक्ट्री में काम करते थे. किंतु अब रिटायर हो चुके थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

फैक्ट्री में रामऔतार प्रभाकर के साथ सोमनाथ प्रजापति काम करते थे. सोमनाथ भी बर्रा भाग 8 में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शीला देवी के अलावा एकलौता बेटा शैलेश था. सोमनाथ भी रिटायर हो चुके थे. सोमनाथ बीमार रहते थे. उन्हें सुनाई भी कम देता था और दिखाई भी. उन की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. रामऔतार और सोमनाथ इस के पहले अर्मापुर स्थित फैक्ट्री की कालोनी में रहते थे. 3 साल पहले दोनों ने बर्रा क्षेत्र में जमीन खरीद ली थी और अपनेअपने मकान बना कर रहने लगे थे. मकान बदलने के बावजूद दोनों की दोस्ती में कमी नहीं आई थी. दोनों परिवार के लोगों का एकदूसरे के घर आनाजाना था.

रामऔतार का बेटा विनय और सोमनाथ का बेटा शैलेश बचपन के दोस्त थे. दोनों एकदूसरे के घर आतेजाते थे. विनय ने हाईस्कूल पास करने के बाद आईटीआई से मशीनिस्ट का कोर्स किया था. वह नौकरी की तलाश में था. जबकि शैलेश ड्राइवर बन गया था. वह बुकिंग की कार चलाता था. शैलेश का एक अन्य दोस्त अर्श गुप्ता था. वह फरनीचर कारीगर था और गुजैनी गांव में रहता था. अर्श और शैलेश शराब के शौकीन थे. अकसर दोनों साथ पीते थे और लंबीलंबी डींग हांकते थे. उन दोनों ने विनय को भी शराब पीना सिखा दिया था. अब हर रविवार को शैलेश के घर शराब पार्टी होती थी. तीनों बारीबारी से पार्टी का खर्चा उठाते थे.

एक शाम खानेपीने के दौरान विनय ने शैलेश व अर्श को बताया कि उस की बहन रीता की शादी तय हो गई है. 27 अप्रैल को बारात आएगी. शादी में लगभग 10-12 लाख रुपया खर्च होगा. पिता व भाई ने रुपयों का इंतजाम कर लिया है. शादी की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. शैलेश व अर्श मामूली कमाने वाले युवक थे. वह शार्टकट से लखपति बनना चाहते थे. इस के लिए शैलेश उरई में पान मसाला का कारोबार करना चाहता था. उरई में वह जगह भी देख आया था. लेकिन कारोबार के लिए उस के पास पैसा नहीं था. पैसा कहां से और कैसे आए, इस के लिए शैलेश और अर्श ने सिर से सिर जोड़ कर विचारविमर्श किया तो उन्हें विनय याद आया.

विनय ने बताया था कि उस के यहां बहन की शादी है और घर वालों ने 10-12 लाख रुपए का इंतजाम किया है. दौलत की चाहत में शैलेश व अर्श ने दोस्त के साथ छल करने और फिरौती के रूप में 10 लाख रुपया वसूलने की योजना बनाई. संजीत हत्याकांड दोनों के जेहन में था. उसी तर्ज पर उन दोनों ने विनय की हत्या कर के उस के घर वालों से फिरौती वसूलने की योजना बनाई. योजना के तहत 19 मार्च, 2021 की रात पौने 8 बजे शैलेश ने अर्श के मोबाइल से विनय प्रभाकर के मोबाइल पर काल की और पार्टी के लिए घर बुलाया. विनय की 5 दिन पहले ही लोहिया फैक्ट्री में नौकरी लगी थी. फैक्ट्री से वह साढ़े 7 बजे घर लौटा था कि 15 मिनट बाद शैलेश का फोन आ गया. पार्टी की बात सुन कर वह शैलेश के घर जाने को राजी हो गया.

रात 8 बजे विनय अपनी पल्सर मोटरसाइकिल से बर्रा भाग 8 स्थित शैलेश के घर पहुंच गया. उस समय कमरे में शैलेश व अर्श गुप्ता थे और पार्टी का पूरा इंतजाम था. इस के बाद तीनों ने मिल कर खूब शराब पी. विनय जब नशे में हो गया तो योजना के तहत अर्श व शैलेश ने उसे दबोच लिया और उस की पिटाई करने लगे. विनय ने जब खुद को जाल में फंसा देखा तो वह भी भिड़ गया. कमरे से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं. इसी बीच शैलेश ने कमरे में छिपा कर रखा बांका निकाला और विनय की गरदन पर वार कर दिया. विनय का गला कट गया और वह फर्श पर गिर पड़ा.

इस के बाद अर्श ने विनय को दबोचा और शैलेश ने उस की गरदन पर 2-3 वार और किए. जिस से विनय की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और उस की मौत हो गई. हत्या करने के बाद उन दोनों ने शव को तोड़मरोड़ कर चादर व कंबल में लपेटा और फिर विनय की मोटरसाइकिल पर रख कर रिंद नदी में फेंक आए. वापस लौटते समय उन की बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया, इसलिए उन्होंने बाइक को खाड़ेपुर मोड़ पर खड़ा कर दिया. फिर पैदल ही घर आ गए. घर पर उन के स्वागत के लिए बर्रा पुलिस खड़ी थी, जिस से वे पकड़े गए. दरअसल, शैलेश की मां शीला ने ही कमरे में खून देख कर पुलिस को सूचना दी थी, जिस से पुलिस आ गई थी.

21 मार्च, 2021 को थाना बर्रा पुलिस ने आरोपी शैलेश प्रजापति व अर्श गुप्ता को कानपुर कोर्ट में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से उन दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. UP News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

family story hindi : ससुर ने बहू की गला दबाकर की हत्या फिर बोरी में भर कर नाले में फेंका

family story hindi : बेटे की शादी में दहेज न मिलने की जो कील कमल राय के मन में चुभी थी, उसे निकालने के लिए उसे 3 साल इंतजार करना पड़ा. उस ने अपनी संतुष्टि के लिए कील तो निकाल दी, लेकिन…

बिहार के मधुबनी जिले की गौरीगंज तालुका के गांव लालापुर के रहने वाले 50 वर्षीय सुधीर ठाकुर करीब 22-23 साल पहले मुंबई के उपनगर अंधेरी में आ बसे थे. उन्होंने यहीं कामधंधा शुरू कर दिया था. परिवार गांव में रहता था, जिस में उन की पत्नी के अलावा एक जवान बेटी नंदिनी और 2 बेटे थे. अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा वह गांव परिवार भेज दिया करते थे. परिवार खुशहाल था. गांव में मानसम्मान की कमी नहीं थी. उन के मानसम्मान को धक्का तब लगा जब उन की बेटी नंदिनी ने गांव के ही एक अलग बिरादरी के लड़के से लव मैरिज कर ली और मुंबई आ कर रहने लगी.

घरपरिवार की इज्जत के मद्देनजर उन्होंने अपना पूरा परिवार मुंबई बुला लिया था. यह सच है कि वक्त बड़े से बड़ा घाव भर देता है. विवाह भले ही अंतरजातीय हो, अगर बेटी सुखी हो तो परिवार उस का बड़े से बड़ा गुनाह माफ कर देता है. नंदिनी के साथ भी यही हुआ. परिवार ने उसे माफ कर गले लगा लिया. जबतब उस से फोन पर बात होने लगी. यह सिलसिला 2 सालों से चलता आ रहा था. लेकिन फिर अचानक नंदिनी का फोन आना बंद हो गया. 7 दिनों तक लगातार फोन करने के बाद भी जब नंदिनी से उन का संपर्क नहीं हो पाया तो पूरा परिवार किसी अनहोनी के डर से परेशान हो उठा.

नंदिनी ने अपने ससुराल वालों के विरुद्ध जा कर पंकज राय से अंतरजातीय विवाह किया था. जिस की वजह से वह अपने ससुर के दिल में जगह नहीं बना पाई थी. यह बात पूरे परिवार को मालूम थी. नंदिनी के ससुर कमल राय उसी गांव के रहने वाले थे, जिस गांव की नंदिनी थी. वह अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई में कांदिवली (पूर्व) के भाजीपाड़ा मार्केट पोयसर में रहते थे और कांदिवली (पश्चिम) से डोखरा खरीद कर मुंबई के कई इलाकों की दुकानों में सप्लाई करते थे. बेटा पंकज राय कांदिवली की ही ड्राईफ्रूट्स की एक दुकान पर सेल्समैन था. कुल मिला कर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीकठाक थी.

11 दिसंबर, 2020 को करीब 10 बजे सुधीर ठाकुर ने कांदिवली, समतानगर पुलिस थाने आ कर थानाप्रभारी राजू कसबे से मुलाकात की. उन्होंने उन्हें अपनी बेटी नंदिनी के बारे में सारी बातें बता कर उस की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी. उन्होंने नंदिनी के ससुराल वालों पर संदेह जाहिर किया. सुधीर ने बताया कि उन की बेटी नंदिनी का 4 दिसंबर, 2020 से फोन बंद है. तब से वह उस से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उन्हें उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है. जब मैं नंदिनी की ससुराल गया तो पता चला उस की ससुराल के सभी लोग गांव गए हैं. घर में ताला लटक रहा है.

जब आसपास के लोगों से पूछताछ की तो उन्हें नंदिनी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बेटी कहां है, किस स्थिति में है, आप उस का पता लगा कर मेरी मदद करें. नंदिनी की संदिग्ध गुमशुदगी का मामला दर्ज होते ही राजू कसबे ने इस की जानकारी थानाप्रभारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों डीसीपी डा. स्वामी, एसीपी जाधव को देने के बाद जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर रविंद्र पडवल को सौंप दी. साथ ही उन के सहयोग के लिए असिस्टैंट इंसपेक्टर सीधाराम मेहेत्रे, विजय ससकर, एसआई खर्डे, कांस्टेबल किरन सालुके और पाटने की एक टीम भी बना दी. चूंकि मामला संदेहपूर्ण था, इसलिए इंसपेक्टर रविंद्र पडवल ने अपने सहायकों के साथ तेजी से जांच शुरू कर दी. उन्होंने नंदिनी के ससुराल वालों को बिहार से बुला कर पूछताछ शुरू की.

नंदिनी के ससुर कमल राय ने नंदिनी की गुमशुदगी के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि वह तो नंदिनी को सकुशल घर पर छोड़ कर गांव गए थे. वह कहां चली गई, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वैसे भी वह एक कैरेक्टरलैस लड़की थी, उस का चालचलन ठीक नहीं था. अपने किसी यार के साथ भाग गई होगी. हालांकि नंदिनी का ससुर कमल राय अपने आप को नंदिनी के विषय में पाकसाफ बता रहा था, लेकिन इंसपेक्टर रविंद्र पडवल और उन के सहायकों को उस के कथन पर विश्वास नहीं था. नंदिनी के मामले की जांच की कोई और रूपरेखा तैयार कर के वह उस की तह में जाने की कोशिश करते, उस के पहले ही उन्हें जो जानकारी मिली उस से उन की सोच बदल गई.

24 दिसंबर, 2020 को लगभग 8 बजे पुलिस कंट्रोलरूम से जो खबर प्रसारित हुई, उसे समतानगर पुलिस थाना पुलिस ने भी सुना. मुंबई उपनगर मलाड मालोनी थाने की पुलिस को मलाड अक्सा बीच समुद्र के किनारे एक युवती की लाश मिली थी, जिसे एक सफेद चादर में लपेटने के बाद बोरी में भर कर किसी नाले में फेंका गया था, जो बह कर समुद्र के किनारे पहुंच गई थी. शव बुरी तरह से सड़ गया था. उम्र और हुलिया कुछ वैसा ही था, जैसा कि नंदिनी की शिकायत में दर्ज था. मलाड अक्सा बीच पिकनिक पौइंट है.

वहां सुबहसुबह घूमने गए किसी व्यक्ति ने इस मामले की जानकारी मलाड मलोनी पुलिस थाने को दे दी थी, जिस समय मलोनी पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची, तब तक वहां काफी लोगों की भीड़ एकत्र हो गई थी. पुलिस ने उन्हें हटा कर जांच शुरू कर दी. शव की स्थिति देख कर पुलिस जांच टीम और वरिष्ठ अधिकारियों को यकीन हो गया था कि उस महिला का शव कई दिनों से पानी में पड़े होने की वजह से बुरी तरह विकृत हो गया है, जिस की शिनाख्त करना मुश्किल था. शव कहीं दूर से बह कर आया था. मलाड मलोनी पुलिस ने आवश्यक काररवाई करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए बोरीवली के भगवती अस्पताल भेज दिया.

शव के पास कोई ऐसी चीज नहीं मिली थी, जिस से उस की शिनाख्त हो पाती और जांच को कोई दिशा मिलती. पुलिस के पास इस मामले को सुलझाने का एक ही रास्ता था, जिसे पुलिस हमेशा अपनाती है, उन्होंने भी वही किया. यह खबर पुलिस कंट्रोलरूम से वायरलैस द्वारा शहर के सभी थानों में प्रसारित करा दी और यह जानने की कोशिश की कि पिछले हफ्ते मृतका की किसी पुलिस थाने में गुमशुदगी तो दर्ज नहीं हुई है. इस से मलाड़ मलोनी पुलिस की समस्याओं का हल तो निकला ही नंदिनी की गुमशुदगी का रहस्य भी खुल गया.

सूचना मिलते ही समता नगर पुलिस थाने की जांच टीम मलाड़ मलोनी पुलिस थाने के अधिकारियों से संपर्क कर नंदिनी के पिता को शव की पहचान के लिए मलाड़ मलोनी पुलिस थाने ले गए, जहां से उन्हें बोरीवली के भगवती अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल में नंदिनी के पिता शव को देख कर अपनी छाती पीटपीट कर रोने लगे. साथ गई पुलिस टीम ने राहत की सांस ली और मामले की जांच तेजी से शुरू कर दी. अभी तक जहां नंदिनी का ससुर कमल राय सिर्फ संदेह के घेरे में था, अब जांच के रडार पर आ गया. इसलिए बिना किसी विलंब के समतानगर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों पुलिस थानों के अधिकारियों को इस मामले की जांच समानांतर रूप से करने का आदेश दिया. दहेजलोभी ससुर की करतूत अब तक नंदिनी की हत्या से अनजान बने उस के ससुर कमल राय पर जब पुलिस का शिकंजा कसा तो उस ने घुटने टेक दिए. पुलिस के सवालों की बौछार के आगे बचने का कोई रास्ता न पा कर उस ने अपना गुनाह स्वीकार करते हुए नंदिनी हत्याकांड और उस में शामिल अपने दोनों साथियों के नाम बता दिए. 55 वर्षीय कमल राय का अपने गांव और अपने समाज में अहम स्थान था, काफी इज्जत और मानसम्मान था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा बेटा पंकज राय था. पंकज राय उन की एकलौती संतान था, जिसे उन का पूरा परिवार प्यार करता था.

क्योंकि बिहार में अच्छे घरों के लड़कों की शादी के लिए अच्छी मांग होती है. शादी में उन्हें लड़की वालों की तरफ से काफी मानसम्मान और लाखों रुपए का दानदहेज भी दिया जाता है. मगर कमल राय का यह सपना पूरा नहीं हुआ. उन के बेटे पंकज राय ने नंदिनी ठाकुर से लवमैरिज कर कमल राय के सारे सपने तोड़ दिए. 22 वर्षीय नंदिनी ठाकुर देखने में स्वस्थ और सुंदर थी, सौम्य स्वभाव की. उस का परिवार उसी गांव में रहता था, जिस गांव में कमल राय का परिवार रहता था. ब्राह्मण होने के नाते उस के परिवार की भी गांव में खूब इज्जत थी. 23 वर्षीय पंकज राय भरीपूरी कदकाठी का युवक होने के साथसाथ तेजतर्रार और महत्त्वाकांक्षी युवक था.

नंदिनी और पंकज की दोस्ती उस समय शुरू हुई थी, जब दोनों पढ़ते थे, स्कूल साथसाथ जाते और आते थे. मौका मिलने पर दोनों साथ खेलतेकूदते थे. पढ़ाई में एक साल सीनियर होने के नाते पंकज नंदिनी की मदद किया करता था. कभी पंकज तो कभी नंदिनी अपनी पढ़ाई को ले कर एकदूसरे के घर भी आयाजाया करते थे. दोनों कम उम्र थे, इसलिए उन के घर आनेजाने पर कोई रोकटोक नहीं थी और न इस पर किसी को कोई ऐतराज था. लेकिन जैसेजैसे उन की उम्र बढ़ी, वैसेवैसे  उन की सोच में बदलाव आने लगा था. उन का मन पढ़ाईलिखाई में कम प्यारमोहब्बत की तरफ अधिक खिंचने लगा. नतीजा यह हुआ कि यह बात कमल राय तक पहुंच गई. उस ने बेटे को मुंबई बुला कर नौकरी पर लगा दिया.

पंकज के मुंबई जाने के बाद नंदिनी भी पढ़ाई छोड़ कर घर बैठ गई और घर के कामों में मां का हाथ बंटाने लगा. लेकिन इस के बावजूद पंकज और नंदिनी के दिलों की नजदीकियां कम नहीं हुईं. दोनों का इश्क मोबाइल के जरिए फलताफूलता और जवान होता रहा. दोनों एकदूसरे के दिल में कुछ इस तरह उतर गए थे कि एकदूसरे को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया था. जब यह बात उन के परिवार वालों तक पहुंची तो उन्होंने इस पर ऐतराज जताया. मगर इस का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. जैसेजैसे समय बीतता रहा, वैसेवैसे उन का प्यार और परिपक्व होता रहा. मौका देख कर कमल राय ने जब पंकज को समझाया तो उस ने बिना किसी डर के अपने मन की बात पिता से कह दी कि वह नंदिनी से प्यार करता है और उसी से शादी करेगा.

‘‘लेकिन यह संभव नहीं है.’’ पिता कमल राय ने गंभीर हो कर कहा.

‘‘क्यों पापा, आखिरी नंदिनी में क्या बुराई है. अच्छीखासी होने के साथसाथ सुंदर है. वह भी मुझे उतना ही प्यार करती है जितना कि मैं. अगर मेरी शादी उस से नहीं हुई तो मैं किसी और से शादी नहीं करूंगा.’’

पंकज अटल रहा अपने फैसले पर पंकज के इस फैसले से कमल राय को लाखों के दहेज का ख्वाब टूटता नजर आया. उस ने बेटे को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘प्यार तो तुम्हें वह लड़की भी करेगी जिसे मैं ने पसंद किया है. लड़की भी सुंदर सभ्य है. उस से शादी करोगे तो मानसम्मान तो बढ़ेगा ही, साथ में अच्छाखासा दानदहेज भी मिलेगा. समझे.’’

‘‘कुछ भी हो, मुझे नंदिनी पसंद है. मैं उसी से शादी करूंगा.’’ पंकज ने साफसाफ पिता का विरोध किया.

उस की बात सुन कर कमल राय गुस्से में बोले, ‘‘यह ठीक नहीं है. वह हमारे गांव के ब्राह्मण की बेटी है. उस से तुम शादी करोगे तो हमारी और उस की समाज में क्या इज्जत रहेगी? बदनामी होगी अलग से. इसलिए तुम्हें उस लड़की को भूलना होगा.’’

यही बात नंदिनी के परिवार वालों ने भी उस से कही और उसे समझाया. लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ. और अपने परिवार वालों के खिलाफ जा कर दोनों ने 2017 में लवमैरिज कर ली. अब नंदिनी पंकज राय बन कर पंकज के परिवार में शामिल हो गई. शादी के बाद पंकज नंदिनी को मुंबई ले आया था. समय के साथ नंदिनी के परिवार वालों ने उसे माफ कर के अपना लिया. पंकज ने भी अपने परिवार वालों को मना लिया था. मगर पंकज के पिता कमल ने उन्हें माफ नहीं किया था. उस के मन में प्रतिष्ठा को लेकर जो कील चुभी थी, वह उसे निकाल फेंकने का मौका खोज रहा था.

और यह मौका उसे 3 साल बाद मिला. लौकडाउन में जब पंकज अपनी मां को ले कर छठ पूजा में बिहार गया तो चाहते हुए भी वह नंदिनी को अपने साथ नहीं ले जा सका. उस ने नंदिनी को अपने पिता के पास छोड़ दिया, ताकि उसे खाने वगैरह की परेशानी न हो. खुद को घर में अकेला देख कमल राय ने नंदिनी के प्रति एक खतरनाक फैसला ले लिया. इस फैसले में उस ने अपने दोस्तों कृष्णा सिंह और प्रदीप गुप्ता को डेढ़ लाख रुपए का लालच दे कर अपनी योजना में शामिल कर लिया. कृष्णा और प्रदीप पेशे से आटो ड्राइवर थे औरउस के दोस्त.

कृष्णा सिंह और प्रदीप गुप्ता उसी बस्ती में रहते थे, जिस में कमल राय रहता था. कमल राय उन के आटो से अकसर अपना माल कस्टमरों तक पहुंचाता था. दोनों को अपनी योजना में शामिल करने के लिए कमल ने कृष्णा सिंह को 68 हजार रुपए काम होने के पहले दे दिए. बाकी काम होने पर देने का वादा किया. 4 दिसंबर, 2020 की रात कमल राय ने मौका देख कर पहले से ही उस रूम का लौक खराब कर दिया, जिस में नंदिनी सोती थी. उस के बाद कमल राय ने अपने दोनों दोस्तों के साथ रात 12 बजे तकिए से नंदिनी का मुंह दबा कर उस की हत्या कर दी और बोरी व चादर में लपेट कर उस के शव को आटो से ले जा कर भाजी वाड़व के नाले में फेंक आए.

नंदिनी के शव को ठिकाने लगाने के बाद कमल और प्रदीप गुप्ता अपनेअपने गांव चले गए. कमल राय के बयान और निशानदेही पर प्रदीप गुप्ता को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले से तो कृष्णा सिंह को उस के घर पोयसर मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया. उन से विस्तार से पूछताछ करने केबाद उन का अपराध भादंवि की धारा 302, 201, 34, 120बी के अंतर्गत दर्ज कर किया गया. आगे की जांच के लिए उन्हें मलाड़ मलोनी पुलिस थाने के अधिकारियों को सौंप दिया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. family story hindi

Alwar News : फैक्ट्री मालिक से बनाया अवैध संबंध फिर कराया पति का कत्ल

Alwar News : कुसुम की घरगृहस्थी जब ठीकठाक चल रही थी तो उसे अपनी फैक्ट्री के मालिक नरेश कुमार सैनी के साथ गुलछर्रे उड़ाने की क्या जरूरत थी. ऐसा कर के उस ने अपने ही सुहाग को ऐसी मुसीबत में डाला कि…

उस दिन 15 फरवरी, 2021 सोमवार का दिन था. राजस्थान के अलवर के थाना एमआईए के थानाप्रभारी शिवराम को सुबहसुबह फोन द्वारा सूचना मिली कि कल्पतरू गोदाम, हिंद कैमिकल फैक्ट्री के पास एक युवक की खून से लथपथ लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही एमआईए थानाप्रभारी शिवराम पुलिस टीम के साथ तत्काल घटनास्थल पर जा पहुंचे. घटनास्थल पर खून से लथपथ एक युवक की लाश पड़ी थी. मृतक के सिर, गरदन व छाती पर धारदार हथियार के गहरे चोट के निशान थे. थानाप्रभारी ने वहां मौजूद लोगों से मृतक की शिनाख्त करने को कहा. मगर कोई उस की पहचान नहीं कर सका. थानाप्रभारी ने इस घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी.

खबर पा कर सीओ ओमप्रकाश मीणा, एएसपी सरिता सिंह और एसपी तेजस्विनी गौतम भी घटनास्थल पर आ पहुंचीं. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल और डौग स्क्वायड को भी मौके पर बुला लिया. मृतक की तलाशी में ऐसी कोई चीज बरामद नहीं हुई, जिस से उस की शिनाख्त होती. एफएसएल टीम ने अपना काम पूरा किया. तब मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए राजीव गांधी सामुदायिक केंद्र की मोर्चरी में ले जाया गया. घटना की खबर आसपास के गांवों में फैल गई. खबर पा कर देसूला खोड़ निवासी रणजीत सिंह ग्रामीणों के साथ अस्पताल पहुंचे, क्योंकि उन का 28 साल का बेटा सोहन सिंह शेखावत कल से लापता था.

मोर्चरी ले जा कर पुलिस ने जैसे ही उन्हें लाश दिखाई तो उन की चीख निकल गई. क्योंकि खून से सनी वह लाश उन के बेटे की ही थी. बेटे की लाश देख कर रणजीत सिंह गश खा कर गिर पड़े. गांव वालों ने मुश्किल से उन्हें संभाला और सांत्वना दे कर चुप कराया. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने रणजीत सिंह की तरफ से हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. कुछ ही देर में सैकड़ों की संख्या में लोग थाने के बाहर और अस्पताल में जमा हो गए. सभी आक्रोशित थे. परिजनों और गांव वालों ने पहले पोस्टमार्टम कराने और फिर शव उठाने से इनकार कर दिया. उन की मांग थी कि जब तक हत्यारे गिरफ्तार नहीं होते, वे शव नहीं उठाएंगे.

पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों और परिजनों को काफी समझाया और आश्वासन दिया कि हत्यारे बहुत जल्द पकड़ लिए जाएंगे. तब परिजन मृतक का शव लेने को राजी हुए. पोस्टमार्टम के बाद मृतक का शव ले कर उस के परिजन देर शाम अपने गांव लौट आए. वहां उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया. एसपी ने सीओ ओमप्रकाश और थानाप्रभारी शिवराम को निर्देश दे कर तत्काल हत्याकांड का परदाफाश कर हत्यारों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए. थानाप्रभारी ने साइबर सेल की मदद से हत्याकांड के मुलजिमों की तलाश शुरू की. जांच के दौरान पुलिस टीम को पता चला कि मृतक सोहन सिंह मेरठ, उत्तर प्रदेश की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में सुपरवाइजर था.

वह मेरठ से एक दिन पहले ही देसूला खोड़ अपने घर आया था. सोहन सिंह 2 महीने बाद मेरठ से घर लौटा था. इसलिए दिन भर वह घर पर ही था. 14 फरवरी, 2021 वैलेंटाइन डे की शाम को करीब 7 बजे उस के मोबाइल पर किसी का फोन आया. सोहन सिंह फोन पर बात करने के बाद पत्नी कुसुम उर्फ कुमकुम चौहान से बोला, ‘‘कुसुम,मैं एक दोस्त से मिलने जा रहा हूं. 10-15 मिनट में वापस आता हूं.’’

यह कह कर वह घर से चला गया. जब वह वापस नहीं लौटा तो कुसुम को चिंता हुई. फिर सोचा कि दोस्त के साथ गपशप कर रहे होंगे. सोहन सिंह रात भर नहीं आया तब कुसुम ने अपनी ससुराल फोन कर के कहा, ‘‘कल 7 बजे किसी का फोन आने पर सोहन 10-15 मिनट में आने को कह कर गए थे. लेकिन वह अब तक नहीं लौटे. मुझे डर लग रहा है कि उन के साथ कहीं कोई अनहोनी न हो गई हो.’’

सुन कर ससुराल वालों ने कहा, ‘‘चिंता मत करो, दोस्त के पास ही रुक गया होगा. अभी फोन करते हैं कि वह है कहां.’’

इस के बाद सोहन सिंह के फोन पर उस के पिता रणजीत सिंह वगैरह ने फोन किया मगर उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. ऐसे में उन्हें चिंता होने लगी थी. वह कुछ करते, उस से पहले ही उन के बेटे की लाश मिलने की खबर आ पहुंची थी. इस के बाद रणजीत सिंह गांव से शहर की ओर भागे आए थे. पुलिस टीम ने सोहन सिंह की पत्नी, आसपड़ोस वालों, मृतक के दोस्तों और भी कई लोगों से पूछताछ की. अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. साइबर सेल ने मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. पुलिस टीम को पूछताछ में पता चला कि 14 फरवरी की रात सोहन सिंह शेखावत को गुर्जर कालोनी, बख्तल की चौकी निवासी नरेश सैनी के साथ देर रात तक देखा गया था.

पुलिस टीम ने तब नरेश सैनी को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की. नरेश सैनी पहले तो टालमटोल करता रहा लेकिन जब पुलिस ने सख्त रुख अपनाया तो वह टूट गया. उस ने सोहन सिंह हत्याकांड का राज उगल दिया. नरेश सैनी ने पुलिस को बताया कि मृतक की पत्नी कुसुम उर्फ कुमकुम उस की फैक्ट्री दीप कैम इंडस्ट्री में काम करती थी, जिस से उस के अवैध संबंध हो गए. वे दोनों सोहन सिंह को रास्ते से हटा कर अपना निजी जीवन जीना चाहते थे.

मृतक काफी समय से मेरठ में काम करता था और कभीकभार घर आता था. 14 फरवरी को पहले उसे शराब पिलाई और फिर हत्या कर दी. नरेश ने सोहन की हत्या अपने छोटे भाई नवीन उर्फ कपिल के सहयोग से की थी. तब पुलिस टीम ने मृतक की बीवी कुसुम और नवीन उर्फ कपिल सैनी को भी हिरासत में ले लिया. पूछताछ में इन दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने सोहन सिंह की हत्या में प्रयुक्त नरेश सैनी की डस्टर कार, खून सना चाकू, लकड़ी का डंडा और मृतक का मोबाइल फोन भी उन की निशानदेही पर बरामद कर लिया. चाकू और मोबाइल झाडि़यों से बरामद किया गया. वहीं डंडा डस्टर कार से बरामद किया गया था.

एसपी तेजस्विनी गौतम, एएसपी सरिता सिंह, सीओ ओमप्रकाश मीणा ने सोहन सिंह के हत्यारोपियों से पूछताछ कर के हत्याकांड का 17 फरवरी को खुलासा कर दिया. अलवर एसपी तेजस्विनी ने प्रैसवार्ता कर के हत्याकांड का खुलासा किया. सोहन सिंह की हत्या अवैध संबंधों के चलते की गई. मृतक की पत्नी और उस का प्रेमी नरेश अपने बीच में किसी तीसरे को रोड़ा नहीं बनने देना चाहते थे. वे अपना जीवन अपने हिसाब से खुल कर जीना चाहते थे. ऐसे में वैलेंटाइन डे पर जब सोहन सिंह मेरठ से घर आया तो वह पत्नी कुसुम और उस के प्रेमी नरेश की आंखों में ऐसा खटका कि उसे वैलेंटाइन डे पर मौत का तोहफा दे दिया. सोहनसिंह शेखावत हत्याकांड की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार से है—

राजस्थान के अलवर जिले की बानसूर तहसील के गांव गिरुड़ी के रहने वाले रणजीत सिंह शेखावत का बेटा था सोहन सिंह. सोहन ने पढ़ाई के बाद प्राइवेट नौकरी करनी शुरू कर दी. वह गांव से अलवर शहर आ गया. वहीं पर कामधंधा करने लगा. बेटा जब चार पैसे कमाने लगा तो रणजीत ने चौहान परिवार में उस की शादी कर दी. कुसुम 10वीं पास सुंदर लड़की थी. उस की शादी सोहन सिंह से हो गई. खूबसूरत गोरे रंग की बीवी पा कर सोहन सिंह अपने भाग्य पर इतराता था. सोहन सरल स्वभाव का शरीफ व्यक्ति था. कई दिनों तक बीवी कुसुम को गांव गिरुड़ी में रखने के बाद वह उसे अपने साथ देसूला खोड़, थाना एमआईए ले आया.

देसूला खोड़ में प्लौट ले कर सोहन ने मकान बना लिया. वह अपनी बीवी कुसुम के साथ वहीं रहने लगा. आज से करीब 6 साल पहले कुसुम ने एक बेटे को जन्म दिया. सोहन अपनी बीवी एवं बच्चे से बहुत प्यार करता था. वह दिन में काम पर जाता था रात में ड्यूटी से लौट आता था. इस दौरान सब कुछ ठीकठाक था. कुसुम के आसपास के घरों की महिलाएं दीप कैम इंडस्ट्री में लेबर के रूप में काम करने जाती थीं. कुसुम घर में दिन भर अकेली रह कर बोर हो  जाती थी. उस ने भी पड़ोस की महिलाओं के साथ काम करने की इच्छा पति से जताई.

पति ने पहले तो मना कर दिया मगर कुसुम के बारबार यह कहने पर कि वह दिन भर अकेली घर में बोर हो जाती है. फैक्ट्री में काम करने से उस का टाइम पास भी हो जाएगा और घर खर्च भी आसानी से चलेगा. तब सोहन सिंह मान गया. कुसुम ने दीप कैम इंडस्ट्री में लेबर के रूप में काम करना शुरू कर दिया. वह अपने बेटे को साथ ही ले जाती थी काम पर. दीप कैम इंडस्ट्री एमआईए इलाके में ही थी. यह इंडस्ट्री नरेश कुमार सैनी ने अपने एक दोस्त के साथ पार्टनरशिप में ली थी. नरेश कुमार सैनी ही इस की देखरेख करता था. कह सकते हैं कि वही इस का मालिक था. कुसुम को नरेश सैनी ने देखा तो वह उस की खूबसूरती पर मर मिटा. वह कुसुम के आगेपीछे भंवरे की तरह मंडराने लगा.

इसी दौरान सोहन सिंह जिस कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था, उसे सड़क बनाने का ठेका मेरठ में मिल गया. इस के बाद सोहन सिंह मेरठ चला आया. वह वहां पर सुपरवाइजर के पद पर काम करता था. छुट्टी मिलने पर सोहन अपने बीवीबच्चों से मिलने अलवर आता रहता था. छुट्टी पूरी होने पर 5-7 दिन बाद वापस मेरठ चला जाता था. नरेश ने जब से कुसुम को अपनी फैक्ट्री में देखा था, वह उस पर मरमिटा था. नरेश उस के इर्दगिर्द मंडराते हुए उस के सौंदर्य की तारीफें करता रहता था. कहते हैं कि औरत को अपनी तारीफ अच्छी लगती है. यही कुसुम के साथ हुआ.

वह अपने सौंदर्य की तारीफ के पुल बांधने वाले नरेश की तरफ खिंचती चली गई. नरेश उस से काम भी कम करवाता था. कभी छुट्टी लेती तो पगार भी नहीं काटता था. इस तरह वह नरेश को अपना समझने लगी और ऐसे में जब एक दिन नरेश ने मौका मिलने पर कुसुम को बांहों में भरा तो वह चुप रही. कुसुम की मौन स्वीकृति ने नरेश का उत्साह बढ़ा दिया. उस दिन दोनों तनमन से एक हो गए. एक बार वासना के दलदल में गिरे तो फिर धंसते ही चले गए. दोनों के बीच अवैध संबंध बने तो नरेश ने कुसुम को लेबर काम से हटा कर एकाउंटेंट बना दिया. कुसुम 10वीं पास थी. उस ने उस की तनख्वाह भी बढ़ा दी.

सोहन सिंह को जब बीवी ने बताया कि वह एकाउंटेंट बन गई है तो वह बहुत खुश हुआ. मगर उसे यह पता नहीं था कि उस की बीवी ने तन सौंप कर यह पद हासिल किया है. इसी दौरान करीब डेढ़ साल पहले कुसुम के यहां एक बेटी हुई. वहीं नरेश की भी अपने समाज में शादी हो गई. नरेश शादीशुदा हो कर कुसुम से संबंध जारी रखे था. वह अपनी बीवी से ज्यादा कुसुम से प्यार करता था. कुसुम अपने पति से विश्वासघात कर गैरमर्द की बांहों में झूल रही थी. समय के साथ उन दोनों ने तय कर लिया कि वे आजीवन साथ रहेंगे. उन के बीच में जो आएगा वह जिंदा नहीं बचेगा.

पिछले 2 महीने से सोहन सिंह मेरठ में था. इस दौरान नरेश और कुसुम ने तय कर लिया कि उन के बीच सोहन सिंह नाम का जो कांटा है, उस को देसूला खोड़ आने पर हमेशा के लिए हटा दिया जाएगा. सोहन सिंह 2 महीने बाद देसूला आने वाला था. नरेश के एक बेटी है जो इस समय करीब 4 महीने की है. सोहन सिंह मेरठ से देसूला आया तो इस की सूचना कुसुम ने नरेश को दे दी. नरेश ने 14 फरवरी, 2021 वैलेंटाइन डे की शाम करीब 7 बजे सोहन को फोन कर बुलाया. सोहन सिंह ने पत्नी कुसुम से 10-15 मिनट में आने को कहा और नरेश के पास चला गया. सोहन जब नरेश के पास पहुंचा तब वह अपनी डस्टर कार ले कर खड़ा था. नरेश ने कहा, ‘‘सोहनसिंह जी आप को यहीं फैक्ट्री में अच्छी नौकरी दिला देते हैं.’’

‘‘यह तो आप की मेहरबानी होगी. वैसे अगर यहां नौकरी मिल जाए तो कौन बीवीबच्चों से दूर रहना चाहेगा.’’ सोहन बोला.

तब नरेश ने झांसा दिया कि आओ बात करते हैं. सोहन सिंह डस्टर कार में बैठ गया. नरेश कार में बिठा कर सोहन सिंह को तिजारा फाटक के पास शादी समारोह में ले गया. यहां सोहन सिंह को शराब में धुत कर दिया.

इस के बाद नरेश ने शिव कालोनी से शादी समारोह में से अपने छोटे भाई नवीन उर्फ कपिल सैनी को साथ लिया. इस के बाद एमआईए फैक्ट्री की तरफ गाड़ी रोक कर सोहन सिंह को और शराब पिलाई. उसी समय नरेश ने अपने सगे भाई नवीन के साथ मिल कर सोहन की चाकू व लाठी से हमला कर हत्या कर दी. सोहन सिंह की गरदन पर नवीन ने चाकू से वार किए. फिर नरेश ने सोहन के सिर पर लाठी से वार किए. शराब के नशे में धुत सोहन अपना बचाव भी नहीं कर सका. वह थोड़ी देर में ही तड़प कर मर गया. इस के बाद दोनों भाइयों ने लाश कल्पतरू गोदाम के पास फेंक दी. वहां से जाते वक्त नवीन ने चाकू और मृतक का मोबाइल झाडि़यों में फेंक दिया.

जेब से आधारकार्ड और पर्स भी ले लिया. डंडे को कार में रख कर अपने घर ले गए. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने चाकू, डंडा और मोबाइल बरामद कर लिए. हत्या में प्रयोग की गई डस्टर कार भी जब्त कर ली. पुलिस ने पूछताछ के बाद कुसुम, उस के प्रेमी नरेश कुमार सैनी और नवीन उर्फ कपिल सैनी को कोर्ट में पेश कर के न्यायिक हिरासत में भेज दिया – Alwar News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित