Murder Story : भतीजे के इश्क में मारी गई पति के हाथों फरहीन

निकाह के 3 साल बाद जब 28 वर्षीय फरहीन बानो को बच्चा नहीं हुआ तो वह पति गुलफाम की मर्दानगी पर ही सवाल उठाने लगी. इसी दौरान पति से बगावत कर अपनी उम्र से छोटे भतीजे आमिर से संबंध बना लिए. उस से उसे बच्चा तो नहीं मिला, लेकिन उस के जीवन में ऐसा कुछ हो गया कि…

गुलफाम ने बीवी को बेवफाई का सबक सिखाने के लिए पूरी योजना बनाई. उस ने अपनी खतरनाक योजना में घर के किसी सदस्य को शामिल नहीं किया. योजना के तहत वह इटावा के कटरा बाजार गया और 200 रुपए में एक तेज धार वाला बांका खरीद लाया और झोले में रख दिया. 3 सितंबर, 2024 की सुबह 10 बजे गुलफाम झोले में छिपा कर रखा गया बांका ले कर घर से निकला, फिर उझैदी स्थित शराब ठेके पर पहुंचा. वहां उस ने शराब पी, फिर कुछ देर तक बकझक करता रहा. 

लगभग 12 बजे गुलफाम नशे की हालत में अपनी ससुराल नई बस्ती कटरा शमशेर खां, इटावा पहुंचा. उस समय उस की पत्नी फरहीन बानो अपनी बहन रूबी की मासूम बेटी जोया से बातचीत कर रही थी. उस के मां व भाई काम पर गए थे और बहन रूबी पड़ोस में किसी काम से गई थी. शौहर गुलफाम को नशे की हालत में देख कर फरहीन सिहर उठी. वह वहां से उठ कर कमरे में चली गई तो पीछे से गुलफाम भी कमरे में पहुंच गया और उस ने कमरा अंदर से बंद कर लिया. फिर वह बोला, ”फरहीन, मैं तुम्हें आखिरी बार मनाने आया हूं. बोलो, मेरे साथ घर चलोगी या नहीं.’’
मैं एक बार नहीं सौ बार कह चुकी हूं कि मैं तुम्हारे साथ नही जाऊंगी. पता नही क्यों बेशर्म बन कर यहां कुत्ते की तरह पूंछ हिलाते हुए चले आते हो?’’ फरहीन गुस्से से बोली. 

यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ गुलफाम ने पूछा.

हां, यह मेरा आखिरी फैसला है.’’ फरहीन ने जवाब दिया. 

तो अब मेरा फैसला भी सुन ले. यदि तू मेरी बीवी बन कर नहीं रह सकती तो मैं तुझे किसी और की बीवी भी नही बनने दूंगा. तुझ जैसी बेवफा औरत को आज मैं सबक सिखा कर ही दम लूंगा.’’ कह कर गुलफाम ने झोले से बांका निकाल लिया. उस का गुस्सा सातवें आसमान पर था. 

शौहर के रूप में साक्षात मौत देख कर फरहीन बचाओ…बचाओचीखने लगी. उस की चीख सुन कर उस की बहन रूबी आ गई. अब तक गुलफाम हमलावर हो चुका था. उस ने बांके से कई वार फरहीन के सिर, गरदन व शरीर के अन्य हिस्सों पर किए. बचाव में फरहीन के दोनों हाथों की अंगुलियां भी कट गई थीं और वह खून से लथपथ हो कर जमीन पर गिर गई थी. बहन रूबी ने यह सब नजारा खिड़की से देखा था. उस ने सोचा गुलफाम भाग न जाए, इसलिए उस ने कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और फिर मां, भाइयों व पुलिस को सूचना दी. 

सूचना पाते ही सदर कोतवाल विक्रम सिंह कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर मौके पर पहुंच गए. हमलावर गुलफाम कमरे में बंद था. पुलिस ने उसे बाहर निकाला. कोतवाल विक्रम सिंह ने उसे आला कत्ल बांका सहित हिरासत में ले लिया. फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया और सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. कुछ देर में एसएसपी (इटावा) संजय कुमार वर्मा, एएसपी अमरनाथ त्रिपाठी और डीएसपी अमित कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. कमरे के अंदर एक युवती मरणासन्न स्थिति में पड़ी थी. वहां मौजूद तहमीदा ने बताया कि वह उस की बेटी फरहीन बानो है और हमलावर गुलफाम उस का दामाद है. फरहीन के शरीर पर आधा दरजन घाव थे. पुलिस अधिकारियों ने फरहीन बानो को तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान उस की मौत हो गई. एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने घटना की प्रत्यक्षदर्शी गवाह मृतका की बहन रूबी से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह पड़ोस में गई थी. बहन के चीखने की आवाज सुन कर वह घर आई तो कमरे में गुलफाम उस की बहन पर हमलावर था. वह बांके से प्रहार कर रहा था. गुलफाम बहन की हत्या कर भाग न जाए, इसलिए उस ने बाहर से कमरे को बंद कर दिया.

पुलिस आरोपी गुलफाम को थाने ले आई. उस से वारदात के बारे में पूछताछ की तो उस ने पत्नी फरहीन बानो की हत्या की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों की चाशनी में सराबोर निकली

तहमीदा पर टूट पड़ा दुखों का पहाड़

उत्तर प्रदेश के जिला औरैया का एक कस्बा है- दिबियापुर. रेलवे में यह फफूंद स्टेशन के नाम से जाना जाता है. इसी कस्बे के नहर पुल के समीप लाल मोहम्मद वारिसी सपरिवार रहते थे. उस के परिवार में बीवी तहमीदा बानो के अलावा 4 बेटे नासिर, वाजिद, वारिस, साबिर तथा 4 बेटियां वहीदा, फरहीन, रूबी व शमीम थीं. लाल मोहम्मद कबाड़ का धंधा करते थे. इसी से ही वह अपने भारीभरकम परिवार का पालनपोषण करता था.

लाल मोहम्मद के बच्चे जब बड़े हुए तो वे भी उस के धंधे में हाथ बंटाने लगे. इस से उन की आमदनी बढ़ी और परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगा. वारिसी परिवार के ही कुछ लोग उन से जलते थे, जिस से वे लोग अकसर बातबेबात झगड़ते रहते थे. बेटियों को भी तंग करते थे. आखिर परेशान हो कर लाल मोहम्मद के परिवार ने वहां से हट जाने का निश्चय कर लिया. वर्ष 2017 में उन्होंने दिबियापुर कस्बा छोड़ दिया और इटावा शहर आ गए. यहां उन्होंने सदर कोतवाली क्षेत्र के नई बस्ती कटरा शमशेर खां मोहल्ले में एक मकान किराए पर ले लिया और सपरिवार रहने लगे. 

अब तक उन के बच्चे जवान हो चुके थे. इसलिए वह अपना कारोबार करने लगे थे. 2 बेटे नासिर व वाजिद अलग हो गए थे. वे अपना घर बसा कर अलग रहने लगे. लाल मोहम्मद बड़ी बेटी वहीदा का भी निकाह कर चुके थे. वहीदा से छोटी फरहीन बानो थी. वह अपनी अन्य बहनों से ज्यादा खूबसूरत तथा निपुण थी. वह ज्यादा पढ़ीलिखी तो नहीं थी, लेकिन उस की बातों से लोग यही समझते थे कि वह अच्छीखासी पढ़ीलिखी है. हालांकि 5 जमात पास करने के बाद फरहीन बानो आगे पढऩा चाहती थी, लेकिन अम्मी तहमीदा ने साफ मना कर दिया था. उस के बाद उस ने भी चुप्पी साध ली और अम्मी के घरेलू काम में हाथ बंटाने लगी थी. 

फरहीन बानो शरीर से स्वस्थ व चेहरेमोहरे से खूबसूरत दिखती थी. वह जब भी घर से हाटबाजार के लिए निकलती, हमउम्र लड़के उसे देख कर फिकरे कसते, लेकिन फरहीन बानो उन आवारा लड़कों को लिफ्ट नहीं देती थी. लाल मोहम्मद व उस की बीवी तहमीदा वारिसी को भी अहसास हो गया था कि उन की बेटी जवान हो गई है, अत: वह उस के योग्य लड़के की तलाश में जुट गए. लेकिन इसी बीच लाल मोहम्मद गंभीर बीमार पड़ गए. उसी दौरान उन की मृत्यु हो गई.

शौहर की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी तहमीदा वारिसी पर आ गई. वह अपने बेटे वारिस व साबिर की मदद से परिवार को संभालने लगी. तहमीदा वारिसी को जवान बेटी फरहीन बानो के निकाह की चिंता सता रही थी. वह इज्जत के साथ उस के हाथ पीले कर उसे ससुराल भेज देना चाहती थी. इस के लिए वह जीजान से जुटी थी. एक रोज एक करीबी रिश्तेदार ने तहमीदा वारिसी को गुलफाम के बारे में बताया. गुलफाम को तहमीदा ने देखा तो उसे अपनी बेटी फरहीन बानो के लिए पसंद कर लिया. गुलफाम उत्तर प्रदेश के ही शहर इटावा की सदर कोतवाली के मोहल्ला उझैदी में रहता था. गल्ला मंडी में वह सब्जी का ठेला लगाता था. फेरी लगा कर भी सब्जी बेचता था. उस के मांबाप का इंतकाल हो चुका था. बस भाई अनवर था, जो परिवार के साथ अलग मकान में रहता था. 

न सासससुर के तानों का झंझट था और न ही जेठजेठानी के झगड़ों का. गुलफाम भी स्वस्थ और कमाऊ था. तहमीदा वारिसी ने सोचा कि ससुराल जाते ही उस की बेटी घर की मालकिन बन जाएगी. अत: अगस्त 2018 की 13 तारीख को तहमीदा वारिसी ने फरहीन बानो का निकाह गुलफाम के साथ कर दिया.
फरहीन बानो निकाह के बाद गुलफाम की जीनत बन कर अपनी ससुराल आ गई. ससुराल आते ही फरहीन ने घर संभाल लिया. गुलफाम हर तरह से बीवी का खयाल रखता था. वह जिस चीज की डिमांड करती, गुलफाम उसे पूरा करता था. वह उसे कभीकभी सैरसपाटे के लिए भी ले जाता. 

गुलफाम मेहनती इंसान था. वह सुबह उठ कर सब्जीमंडी जाता और 8 बजे के आसपास सब्जी खरीद कर वापस आता. फिर मियांबीवी मिल कर ठेले पर सब्जी सजाते. उस के बाद नाश्ता कर गुलफाम सब्जी का ठेला ले कर फेरी पर निकल जाता. शौहर के जाने के बाद फरहीन बानो घर का काम निपटाती, फिर खाना पका कर शौहर के लौटने का इंतजार करने लगती. गुलफाम लगभग 2 बजे वापस लौटता फिर दोनों साथ बैठ कर खाना खाते और खूब बातें करते. 

फरहीन बानो पति से क्यों करने लगी नफरत

इस तरह हंसीखुशी व मौजमस्ती से 3 साल बीत गए. लेकिन इन सालों में फरहीन बानो को कोई औलाद नहीं हुई. औलाद का सुख पाना हर औरत के लिए सौभाग्य की बात होती है. लेकिन फरहीन बानो वंचित थी. उस के मन में सवाल उठने लगे कि आखिर वह इस सुख से क्यों वंचित है. वह यह भी सोचने लगी कि जरूर उस के शौहर में ही कोई कमी है. फरहीन बानो अब उदास रहने लगी. उस का स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो गया. वह शौहर से लडऩेझगडऩे भी लगी.

पत्नी को उदास व स्वभाव में परिवर्तन देख कर गुलफाम सोच में पड़ गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि फरहीन उदास क्यों रहती है और क्यों बातबात पर झगड़ती है. आखिर जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने पूछा, ”फरहीन, मैं तुम्हारा हर तरह से खयाल रखता हूं, फिर तुम मुझ से बेरुखी से पेश क्यों आती हो?’’

फरहीन बानो शौहर को घूरते हुए बोली, ”सुखसाधन से कोई औरत संतुष्ट नहीं होती, उसे तो संतुष्टि तब मिलती है जब उस की गोद भरती है. हमारी शादी को 3 साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन हमारी अभी भी कोई औलाद नहीं है. घरपरिवार की औरतें ताने कसती हैं. वे मुझे बांझ समझने लगी हैं.’’

बीवी की बात सुन कर गुलफाम भी भड़क उठा, ”इस में मेरा क्या दोष है. खुदा जब चाहेगा, तभी औलाद होगी. मुझे विश्वास है कि वह जरूर हम पर रहम करेगा. तुम परेशान न हो. रही बात औरतों के तानों की तो तुम उस पर ध्यान मत दिया करो.’’

फरहीन गुस्से से बोली, ”खुदा को बीच में मत लाओ. सारा दोष तुम्हारा ही है. तुम मर्द होते तो एक नहीं, 2 औलाद हमारी गोद में अब तक होतीं. तुम अपना इलाज कराओ. दुआ ताबीज लो. वरना हमारी तुम्हारे साथ नहीं बनेगी.’’

फरहीन ने मर्दानगी पर चोट की तो गुलफाम भी भड़क उठा, ”मुझ में कोई कमी नही है. जो भी कमी है, वह सब तुझ में है. इसलिए न मैं इलाज कराऊंगा और न ही किसी फकीर के पास दुुआताबीज के लिए जाऊंगा. तुझे ही अपना इलाज कराना होगा.’’

इस के बाद तो आए दिन फरहीन और गुलफाम के बीच औलाद न होने को ले कर तकरार होने लगी. कभीकभी तकरार इतनी अधिक बढ़ जाती कि दोनों के बीच हाथापाई हो जाती. गुस्से में गुलफाम शराब के ठेके पर जाता और जम कर शराब पी कर लौटता. धीरेधीरे गुलफाम की शराब पीने की लत पड़ गई. वह पक्का शराबी बन गया. अभी तक फरहीन और गुलफाम के बीच औलाद को ले कर ही झगड़ा होता था, लेकिन अब शराब पीने को ले कर भी झगड़ा होने लगा. कभीकभी झगड़ा इतना बढ़ जाता कि गुलफाम फरहीन को जानवरों की तरह पीट देता. फरहीन समझ गई कि वह शराबी व नाकाबिल शौहर से कभी औलाद का सुख नहीं पाएगी. अत: वह शौहर से नफरत करने लगी. 

इन्हीं दिनों फरहीन बानो के घर आमिर का आनाजाना शुरू हुआ. रिश्ते में आमिर फरहीन का भतीजा था. वह भी नई बस्ती कटरा शमशेर खां मोहल्ले में रहता था. आमिर शरीर से हृष्टपुष्ट तथा सजीला युवक था. वह जो कमाता था, अपनी ही फैशनपरस्ती में खर्च करता था. फरहीन को वह बुआ कहता था. उम्र में वह फरहीन से छोटा था.

फरहीन को किस तरह हुआ भतीजे से प्यार

28 साल की बुआ फरहीन बानो से आमिर की खूब पटती थी. बुआभतीजे के बीच हंसीठिठोली भी होती थी. आमिर को बुआ की सुंदरता और अल्हड़पन बहुत भाता था. कभीकभी वह उसे एकटक प्यार भरी नजरों से देखा करता था. अपनी ओर टकटकी लगाए देखते समय जब कभी फरहीन की नजरें उस से टकरा जातीं तो दोनों मुसकरा देते थे. आमिर फरहीन के शौहर गुलफाम से ज्यादा स्मार्ट और अच्छी कदकाठी का था. इस से फरहीन का झुकाव आमिर के प्रति बढ़ता गया. 

फरहीन बानो स्वभाव से मिलनसार थी. आमिर बुआ के प्रति सम्मोहित था. जब दोनों साथ चाय पीने बैठते, तब फरहीन उस से खुल कर हंसीमजाक करती. फरहीन का यह व्यवहार धीरेधीरे आमिर को ऐसा बांधने लगा कि उस के मन में फरहीन का सौंदर्यरस पीने की कामना जागने लगी. एक दिन आमिर दोपहर को आया तो फरहीन उस के लिए थाली ले कर आई और जानबूझ कर गिराए गए आंचल को ठीक करते हुए बोली, ”लो आमिर, खाना खा लो. आज मैं ने तुम्हारी पसंद का खाना बनाया है.’’

आमिर को बुआ की यह अदा बहुत अच्छी लगी. वह उस का हाथ पकड़ कर बोला, ”बुआ, तुम भी अपनी थाली परोस लो. साथ खाने में मजा आएगा.’’

खाना खाते वक्त दोनों के बीच बातों का सिलसिला जुड़ा तो आमिर बोला, ”बुआ, तुम खूबसूरत और खिदमतगार हो. लेकिन फूफाजान तुम्हारी कद्र नहीं करते. मुझे पता है कि अभी तक तुम्हारी गोद सूनी क्यों है? वह अपनी कमजोरी की खीझ तुम पर उतारते हैं. लेकिन मैं तुम से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं.’’

यह कह कर आमिर ने फरहीन की दुखती रग पर हाथ रख दिया था. सच में फरहीन शौहर से संतुष्ट नहीं थी. उसे न तो औलाद का सुख मिला था और न ही शारीरिक सुख, जिस से उस का मन विद्रोह कर उठा. उस का मन बेइमान हो चुका था. आखिरकार उस ने फैसला कर लिया कि अब वह असंतुष्ट नहीं रहेगी. औलाद के लिए उसे रिश्तों को तारतार क्यों न करना पड़े. उस ने यह भी तय कर लिया कि भले ही उस की कितनी भी बदनामी क्यों न हो. लेकिन वह आमिर का साथ नहीं छोड़ेगी. 

औरत जब जानबूझ कर बरबादी के रास्ते पर कदम रखती है तो उसे रोक पाना मुश्किल होता है. यही फरहीन बानो के साथ हुआ. फरहीन जवान भी थी और शौहर से असंतुष्ट भी. वह औलाद सुख भी चाहती थी. अत: उस ने भतीजे आमिर के साथ नाजायज रिश्ता बनाने का निश्चय कर लिया. आमिर वैसे भी फरहीन का दीवाना था. एक रोज सुबह 9 बजे जैसे ही गुलफाम सब्जी का ठेला ले कर फेरी के लिए निकला, तभी आमिर आ गया. फरहीन उस समय कमरे में चारपाई पर लेटी थी. कमरे में पहुंचते ही वह उस की खूबसूरती को निहारने लगा. फरहीन को आमिर की आंखों की भाषा पढऩे में देर नहीं लगी. फरहीन ने उसे करीब बैठा लिया और उस का हाथ सहलाने लगी. आमिर के शरीर में हलचल मचने लगी.

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद होश दुरुस्त हुए तो फरहीन ने आमिर की ओर देख कर कहा, ”आमिर तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो, लेकिन हमारे बीच रिश्ते की दीवार है. अब मैं इस दीवार को तोडऩा चाहती हूं.’’

आमिर ललचाई नजरों से देखता हुआ बोला, ”मैं तुम्हें कभी धोखा नही दूंगा. तुम अपना बनाओगी तो तुम्हारा ही बन कर रहूंगा.’’ कह कर आमिर ने फरहीन को बाहों में भर लिया. ऐसे ही कसमेवादों के बीच संकोच की सारी दीवारें कब टूट गईं, दोनों को पता ही नहीं चला. उस दिन के बाद आमिर और फरहीन बिस्तर पर सामाजिक रिश्तों और मानमर्यादाओं की धज्जियां उड़ाने लगे. वासना की आग ने इन के इन रिश्तों को जला कर खाक कर दिया. 

आमिर अपनी बुआ की मोहब्बत में इतना अंधा हो गया कि उसे जब भी मौका मिलता, वह फरहीन से मिलन कर लेता. फरहीन भी भतीजे के पौरुष की दीवानी थी. उन के मिलन की किसी को कानोंकान खबर नहीं थी. 

इस तरह खुली बुआभतीजे के संबंधों की पोल

कहते हैं कि वासना का खेल कितनी भी सावधानी से खेला जाए, एक न एक दिन भांडा फूट ही जाता है. ऐसा ही फरहीन और आमिर के साथ भी हुआ. एक दोपहर पड़ोस में रहने वाली जेठानी खातून ने रंगरलियां मना रहे आमिर और फरहीन को चोरीछिपे देख लिया. इस के बाद तो इन की पापलीला की चर्चा पड़ोस में होने लगी. गुलफाम को जब फरहीन और उस के भतीजे आमिर के नाजायज रिश्तों की जानकारी हुई तो उस का माथा घूम गया. उस ने इस बाबत फरहीन से बात की तो उस ने नाजायज रिश्तों की बात सिरे से खारिज कर दी. उस ने कहा, ”आमिर उस का भतीजा है. कभीकभार घर आ जाता है तो उस से हंसबोल लेती हूं. चायनाश्ता करने के बाद वह चला जाता है. पड़ोसी इस का गलत मतलब निकालते हैं. उन्होंने ही तुम्हारे कान भरे हैं.’’

गुलफाम ने उस समय तो फरहीन की बात मान ली, लेकिन मन में शक पैदा हो गया. इसलिए वह चुपकेचुपके बीवी पर नजर रखने लगा. परिणामस्वरूप एक दोपहर गुलफाम ने बुआभतीजे को रंगेहाथ पकड़ लिया. आमिर तो भाग गया, लेकिन फरहीन की गुलफाम ने जम कर पिटाई की. साथ ही संबंध तोडऩे की चेतावनी दी. लेकिन इस चेतावनी का असर न तो फरहीन पर पड़ा और न ही आमिर पर. हां, इतना जरूर हुआ कि अब वे सावधानी बरतने लगे. जिस दिन गुलफाम को पता चलता कि आमिर उस के घर के चक्कर लगा रहा था. उस दिन शराब पी कर वह फरहीन को जानवरों की तरह पीटता और भद्दीभद्दी गालियां बकता. 

फरहीन शौहर की पिटाई से तंग आ चुकी थी, अत: मार्च 2024 के पहले सप्ताह में गुलफाम को बिना बताए अपने मायके नई बस्ती कटरा शमशेर खां आ गई. उस ने मां व भाइयों को आंसू बहा कर बताया कि गुलफाम शराब पी कर उसे बेतहासा पीटता था. उसे भूखाप्यासा रखता था. चरित्र पर लांछन लगाता था, जिस से उसका ससुराल में जीना दूभर हो गया था. इसलिए वह मायके आ गई. आंसू देख कर मां व भाइयों ने सहज ही उस की बातों पर भरोसा कर लिया. मां ने उसे धैर्य बंधाया और कहा कि गुलफाम जब आएगा, तब उसे सबक सिखाएगी. उसे जलील करेगी और माफी मांगने पर भी उसे ससुराल नहीं भेजेगी. 

इधर गुलफाम घर आया तो फरहीन घर पर नहीं थी. उस ने उसे फोन किया, लेकिन फरहीन ने काल रिसीव नहीं की. दूसरे ही दिन गुलफाम अपनी ससुराल जा पहुंचा. ससुराल पहुंचते ही गुलफाम की सास तहमीदा वारिसी उस पर बरस पड़ी, ”गुलफाम, तू इंसान नहीं जानवर है. तू शराब पी कर मेरी बेटी को पीटता था और उसे भूखाप्यासा रखता था. चला जा यहां से, वरना अंजाम बुरा होगा.’’

गुलफाम नरमी से बोला, ”सासू मां, फरहीन ने आप को जो कुछ बताया, वह सब सही नहीं है. फरहीन मेरी इज्जत पर धब्बा लगा रही है. भतीजे आमिर से उस के नाजायज ताल्लुकात हैं. में ने मना किया तो मुझ से ही उलझ गई. रंगेहाथ पकड़ा तो शराब के नशे में उसे पीट दिया. नाराज हो कर वह यहां आ गई.’’

गुलफाम ने लाख सफाई दी, लेकिन उस की बात पर किसी ने यकीन नहीं किया. फरहीन के भाई वारिस व साबिर ने भी गुलफाम को खूब खरीखोटी सुनाई, गालियां भी बकी. धमकी भी दी कि यहां से चला जाए वरना कुछ अनर्थ हो जाएगा. ससुराल में अपमान का घूंट पी कर गुलफाम अपने घर वापस आ गया. गम को भुलाने के लिए उस रात उस ने जम कर शराब पी. गुलफाम को अपमानित कर भगाया गया तो फरहीन मन ही मन खुश हुई. अब वह मायके में स्वच्छंद रूप से रहने लगी. भतीजा आमिर भी बेरोकटोक उस से मिलने आने लगा. आमिर अब उसे खर्च के लिए रुपए भी देने लगा. 

जिस दिन मां और भाई घर पर नहीं होते, उस दिन फरहीन फोन कर आमिर को बुला लेती और मिलन कर लेती. घर में मौका न मिलता तो आमिर के साथ होटल चली जाती.

और प्रेमी आमिर के साथ फुर्र हो गई फरहीन

एक रोज फरहीन ने बिस्तर पर मस्ती के दौरान कहा, ”आमिर, हम कब तक इस तरह छिपतेछिपाते मिलते रहेंगे. यदि तुम मुझे अपना बनाना चाहते हो तो मुझे अपने साथ कहीं और ले चलो, जहां हम खुल कर जी सकें.’’

मई 2024 में फरहीन भतीजे आशिक आमिर के साथ मायके से भाग गई. लेकिन मायके वालों ने फरहीन के भाग जाने की जानकारी उस के शौहर गुलफाम को नहीं दी. लेकिन ऐसी बातें छिपती कहां हैं? एक सप्ताह बाद ही गुलफाम को पता चल गया कि फरहीन अपने आशिक आमिर के साथ फरार हो गई है. बेटी के भाग जाने की रिपोर्ट तहमीदा वारिसी ने पुलिस में दर्ज नहीं कराई. वह अपने बेटों के साथ उस की खोज करने लगी. गुलफाम भी अपने स्तर से बीवी की तलाश में जुट गया. लेकिन सफलता नहीं मिली. 

लगभग 3 महीने बाद फरहीन घर वापस आ गई. मां ने डांटाफटकारा तो वह बोली, ”मां, मैं आमिर के साथ धार्मिक स्थानों पर माथा टेकने गई थी. अजमेर शरीफ एक महीने तक रही. दिल्ली, आगरा शहर भी घूमा. इस के बाद वापस आ गई.’’

बेटी की बात सुन कर तहमीदा को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह अपने गुस्से को पी गई और फरहीन को शराफत से रहने की नसीहत दी. उस ने आमिर को भी खूब खरीखोटी सुनाई और फरहीन से मिलने पर रोक लगा दी. इधर गुलफाम बीवी के बिना बेचैन रहता था. अधिक शराब पीने से उस का सब्जी का धंधा चौपट हो गया था. उस पर कर्ज भी चढ़ गया था. एक रोज उसे पता चला कि फरहीन वापस घर आ गई है तो वह उसे मनाने ससुराल पहुंच गया. लेकिन फरहीन ने उस के साथ जाने से साफ मना कर दिया. तहमीदा अब तक जान गई थी कि बेटी के कदम बहक गए हैं, सो वह भी चाहती थी कि वह ससुराल चली जाए. उस ने उसे समझाया भी. लेकिन फरहीन ने शौहर के साथ जाने से इंकार कर दिया. 

इस के बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. गुलफाम हर हफ्ते बीवी को मनाने ससुराल जाता. लेकिन वह उसे दुत्कार कर भगा देती. अगस्त के दूसरे सप्ताह में वह अपने बड़े भाई अनवर को भी साथ ले गया. अनवर ने फरहीन की मां व भाइयों से बात की तथा फरहीन को भी समझाया. लेकिन फरहीन राजी नहीं हुई. अपमानित हो कर गुलफाम व अनवर वापस घर आ गए. गुलफाम बखूबी जानता था कि फरहीन पर इश्क का भूत सवार है. वह भतीजे आमिर के प्यार में अंधी हो चुकी है. इसलिए वह उस के साथ आने को नानुकुर कर रही है. काफी सोचविचार के बाद गुलफाम ने सोच लिया कि वह आखिरी बार और फरहीन को मनाने जाएगा. यदि इस बार उस ने इंकार किया तो वह बरदाश्त नहीं करेगा और बेवफा बीवी को सबक सिखा कर ही रहेगा. 

इस के लिए उस ने एक बांका भी खरीद लिया था. फिर वह 3 सितंबर, 2024 को अपनी ससुराल पहुंच गया. उस ने बड़े प्यार से बीवी फरहीन को मनाने की कोशिश की, लेकिन फरहीन ने उस की एक नहीं सुनी. इतना ही नहीं, उस ने पति गुलफाम की उस दिन भी बेइज्जती की. तब गुलफाम ने बांके से वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया. गुलफाम से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने मृतका के भाई वारिस की तहरीर पर बीएनएस की धारा 103 के तहत गुलफाम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. 

4 सितंबर, 2024 को पुलिस ने हत्यारोपी गुलफाम को इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

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अवैध संबंधों की राह बड़ी ढलवां होती है. दीपा ने इस राह पर एक बार कदम रखा तो वह संभल नहीं सकी. फिर इस का जो नतीजा निकला, वह बड़ा ही भयावह था. टना 18 मई, 2018 की है. माधव नगर थाने के थानाप्रभारी गगन बादल अपने औफिस में बैठे विभागीय कार्य निपटा रहे थे तभी उन्हें सूचना मिली कि थाना क्षेत्र के वल्लभ नगर में मां बादेश्वरी मंदिर के सामने रहने वाली दीपा वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में धुआं निकल रहा है. शायद वहां आग लग गई है. यह थाना मध्य प्रदेश के जिला उज्जैन के अंतर्गत आता है

थानाप्रभारी ने यह जानकारी दमकल विभाग के अलावा एसपी सचिन अतुलकर को भी दे दी. इस के बाद वह खुद सूचना में बताए गए पते की तरफ रवाना हो गए. जब तक वह मौके पर पहुंचे, तब तक दमकल विभाग की गाड़ी भी वहां पहुंच चुकी थी. पता चला कि दीपा वर्मा के घर में आग लगी थी. इस से पहले कि आग भयावक रूप लेती, दमकलकर्मी वहां पहुंच गए थे. उन्होंने कुछ देर में आग बुझा दी. आग बुझने के बाद दमकल कर्मियों के साथ थानाप्रभारी जब उस मकान के अंदर पहुंचे तो किचिन में लिहाफ गद्दे वगैरह पड़े मिले. वह अधजले थे. उन कपड़ों से धुआं उठ रहा था

दमकलकर्मियों ने उन अधजले लिहाफगद्दों को हटाया तो वहां का नजारा देख कर पुलिस चौंक गई. क्योंकि उन लिहाफगद्दों के नीचे एक महिला का शव औंधे मुंह पड़ा हुआ था. उस की दोनों कलाइयों की नशें भी कटी हुई थीं. साथ ही उस की गरदन पर धारदार हथियार का घाव थामकान मालिक ने मृतका की पहचान 35 वर्षीय दीपा वर्मा के रूप में की. उस ने बताया कि यह 5 महीने से अशोक वर्मा के साथ इस मकान में रह रही थी. अशोक के अलावा इस के पास और भी कई युवक आते थे. कुछ ही देर में एसपी सचिन अतुलकर और एफएसल अधिकारी डा. प्रीति भी टीम के साथ मौके पर पहुंच गईं

पुलिस ने जब जांच की तो बेडरूम में खून के धब्बों के अलावा सामान भी अस्तव्यस्त मिला. बेडरूम का दरवाजा भी टूटा हुआ था. इस से यह अनुमान लगाया कि घटना से पहले दीपा और हमलावर के बीच संघर्ष हुआ होगा. इस के बाद उस की हत्या कर लाश किचिन में ले जा कर जलाने की कोशिश कीलाश को जलाने का तरीका भी अनोखा था. हत्यारे ने दीपा वर्मा की हत्या के बाद एलपीजी गैस सिलेंडर की नली चूल्हे से निकालने के बाद उसे दीपा वर्मा की जांघों के बीच डाल कर ऊपर से लिहाफगद्दे डाल दिए. फिर रैग्युलेटर से गैस औन कर के आग लगाई थी.

इस से इस बात की आशंका को बल मिला कि हत्या का मामला अवैध संबंधों से जुड़ा हो सकता है. दीपा वर्मा की हत्या की सूचना पा कर भैरवगढ़ में जेल रोड की ज्ञान टेकरी पर रहने वाला दीपा का भाई भी मौके पर पहुंच गया. उस ने दीपा के साथ लिवइन रिलेशन में रहने वाले अशोक शर्मा पर उस की हत्या का आरोप लगाया. उस का कहना था कि दीपा पिछले 8 सालों से अशोक के साथ रह रही थी. पुलिस ने दीपा के भाई की तहरीर पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के दीपा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

पुलिस ने दीपा के साथ लिवइन रिलेशन में रहने वाले अशोक के बारे में जानकारी हासिल की. पता चला कि अशोक पहले से शादीशुदा है. उस की ब्याहता गांव में रहती है. वह दीपा के पास 1-2 दिन में चक्कर लगाता था. उधर 3 डाक्टरों के पैनल ने दीपा का पोस्टमार्टम किया जिस में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि दीपा को जिंदा ही जलाया गया था. मरने से पहले दीपा के साथ बलात्कार किया गया था या नहीं इस की जांच के लिए उस की स्लाइड बना कर सागर जिले की लैबोरेटरी भेज दीमामला गंभीर था इसलिए एसपी सचिन अतुलकर ने थाना माधव नगर के थानाप्रभारी गगन बादल के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. एसआई बी.एस. मंडलोई, संजय राजपूत आदि के साथ साइबर सेल प्रभारी इंसपेक्टर दीपिका शिंदे और संतोष राव को उन की टीम में शामिल किया गया

इंसपेक्टर शिंदे ने सब से पहले अशोक को पूछताछ के लिए बुलाया. अशोक ने बताया कि वह पिछले 8 सालों से दीपा के संपर्क में था. इसलिए वह अब उसे क्यों मारेगा. साथ ही उस ने बताया कि मेरी गैरमौजूदगी में दीपा दूसरे कई युवकों को अपने पास बुलाती और उन के साथ मौजमस्ती करती थी. उस ने उसे कई बार समझाया लेकिन दीपा ने अपनी आदत नहीं बदली थी. अशोक ने दीपा के पे्रमियों के नाम भी पुलिस को बता दिए. उन में 2 को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. उन दोनों से पूछताछ में दीपा के एक और प्रेमी धर्मेंद्र गहलोत का नाम सामने आया. धर्मेंद्र देवास रोड पर रहता था. इंसपेक्टर दीपिका शिंदे और थानाप्रभारी गगन बादल दोनों टीम के साथ धर्मेंद्र के घर जा धमके

संयोग से धर्मेंद्र घर पर ही मौजूद था. उस के दोनों हाथ की अंगुलियों में ताजे घाव थे. इंसपेक्टर शिंदे उस की चोट देखते ही समझ गईं कि दीपा वर्मा का कातिल उन के हाथ लग चुका है. इसलिए उन्होंने उस से सीधे सवाल किया, ‘‘दीपा को तूने क्यों मारा.’’

धर्मेंद्र को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि पुलिस इतनी जल्दी उस तक पहुंच जाएगी. इंसपेक्टर शिंदे का सवाल सुन कर वह हतप्रभ सा रह गया. वह इधरउधर की बातें करने लगा. तभी पुलिस ने उस के घर की तलाशी ली तो घर में छिपा कर रखे खून सने कपड़े और दीपा के दोनों मोबाइल फोन मिल गए. इस के बाद धर्मेंद्र के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं बचा था. सो उस ने चुपचाप अपना जुर्म कबूल कर लिया.

उस से पूछताछ के बाद दीपा वर्मा की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली

दीपा वर्मा का परिवार उज्जैन का रहने वाला था. भैरवगढ़ इलाके में जेल रोड की ज्ञान टेकरी पर दीपा की मां अपने 2 बेटों के साथ रहती थी. दीपा बेहद खूबसूरत और चंचल स्वभाव की थी. उस के इस स्वभाव को निमंत्रण समझ कर मोहल्ले के युवक उस की गली के चक्कर लगाने लगे थे. बेटी के पैर बहक जाएं, इसलिए महज 14 साल की उम्र में उस के पिता ने दीपा की शादी देवास के जलाल खेड़ी में रहने वाले राकेश वर्मा के साथ कर दी थी. इस तरह खेलनेकूदने की उम्र में ही दीपा पति के साथ वयस्कों की दुनिया देख चुकी थीपति राकेश उस की सुंदरता का कायल था. उम्र बढ़ने के साथ दीपा ने जब जवानी में कदम रखा तो उस की शारीरिक जरूरतें पहले से ज्यादा बढ़ गईं. लेकिन अब तक राकेश वर्मा को घरपरिवार की चिंता सताने लगी थी. इसलिए राकेश रोजीरोटी के चक्कर में यहांवहां भटकने लगा था, इस से परेशान हो कर दीपा ने इधरउधर ताकाझांकी शुरू कर दी

राकेश को जब पता चला तो वह शराब पी कर उस के साथ मारपीट करने लगा. पति की ज्यादती से दीपा बहुत परेशान हो गई थी. शादी के 10 साल बाद 24 साल की दीपा गुस्से में पति को छोड़ कर मायके में कर रहने लगीअपना गुजारा करने के लिए उस ने फ्रीगंज इलाके में फाल, पीको की दुकान कर ली. मायके में कर कुछ समय तक तो दीपा की जिंदगी आराम से कटी लेकिन फिर उसे अपनी शारीरिक जरूरतें महसूस होने लगींयूं तो दीपा चाहती तो उस के बचपन के दीवाने अब भी मोहल्ले में मौजूद थे, जो उसे अभी भी ललचाई नजरों से घूरते रहते थे. लेकिन दीपा अब बच्ची नहीं थी. उस की आंखों को अब ऐसे मर्द की तलाश थी, जो उस की दैहिक के अलावा दूसरी तमाम जरूरतें भी पूरी कर सके.

एक दिन उस की मुलाकात अशोक से हुई तो दीपा ने अशोक के लिए अपने दिल की लगाम ढीली छोड़ दी. राजनीति में दखल रखने वाला अशोक वर्मा शादीशुदा और एक बच्चे का पिता था. लेकिन उस के पास इतना पैसा था कि वह दीपा की जिंदगी भर तमाम जरूरतें पूरी कर सकता था. दीपा का रूप उस के दिल को भा चुका था. इसलिए दीपा को राजी देख उस ने उस के सामने साथ रहने का प्रस्ताव रखा, जिसे दीपा ने तुरंत स्वीकार कर लियातब अशोक ने दीपा को किराए का मकान दिला कर घर की तमाम जरूरतें भी पूरी कर दीं. जिस के बाद दीपा अशोक के साथ बिना शादी किए ही पत्नी की तरह रहने लगी. यह करीब 8 साल पहले की बात है

अशोक राजनीति में भी दखल रखता था. उस के पास पैसा भी खूब था, इसलिए दीपा को काम करने की जरूरत नहीं रह गई थी. फिर भी समय काटने के लिए उस ने फाल लगाने और पीको करने का काम बंद नहीं किया था. लेकिन ऐसे मामले में वही हुआ जो होता हैदीपा के साथ 4-5 साल गुजारने के बाद अशोक का मन उस से भर गया. हालांकि वह अपने वादे से तो नहीं मुकरा, वह दीपा की हर आर्थिक जरूरत पूरी करता रहा. पर दीपा के पास उस का आनाजाना जरूर कम हो गया. अब वह 1-2 दिन बाद दीपा के पास आता. लेकिन दीपा जिस मिट्टी से बनी थी उस के चलते उसे रोजाना पुरुष संग की जरूरत थी. इसलिए अशोक की गैरमौजूदगी का फायदा उठा कर उस ने कई दूसरे युवकों से दोस्ती कर ली. वह उन्हें रात के अंधेरे में अपने घर बुलाने लगी. लेकिन ऐसी बातें छिपती कहां हैं

यानी अशोक को यह बात पता चल गई. अशोक ने उसे बहुत समझाया, पर उस ने अपनी आदत नहीं बदली. अशोक की गैरमौजूदगी में दूसरे युवक दीपा के घर में कर रात गुजारने लगे. अशोक तो दीपा का दीवाना था इसलिए उस के बदचलन होने के बावजूद भी उस ने दीपा का साथ नहीं छोड़ा. जिस मकान में दीपा की हत्या हुई वह मकान इसी साल जनवरी के महीने में अशोक ने ही किराए पर ले कर उसे रहने के लिए दिया था. कोई 3 साल पहले धर्मेंद्र की पत्नी दीपा की दुकान पर अपनी साड़ी पर फाल लगवाने के लिए साड़ी दे कर चली गई थी. बाद में धर्मेंद्र दीपा की दुकान पर वह साड़ी लेने गया था. तभी दीपा से उस की पहली मुलाकात हुई थीवैसे दीपा धर्मेंद्र से उम्र में काफी बड़ी थी. लेकिन उस की खूबसूरती देख कर धर्मेंद्र का मन पागल हो गया. इसलिए उस के हाथ से साड़ी लेते समय उस ने जानबूझ कर उस की अंगुलियों को छू दिया

ऐसा कर के धर्मेंद्र को इस बात का डर था कि कहीं वह बुरा मान जाए. लेकिन दीपा काफी बोल्ड थी. उस ने सीधे कहा, ‘‘बड़े हिम्मत वाले हो जो पहली ही मुलाकात में अंगुली पकड़ रहे हो. इस बार अंगुली पकड़ी है तो लगता है अगली बार सीधे पहुंचा पकड़ोगे.’’ 

यह सुन कर धर्मेंद्र झेंप गया तो वह जोर से हंस दी. जिस के बाद दोनों की दोस्ती हो गई और फोन पर बातें होने लगीं. धर्मेंद्र दीपा से मिलना चाहता था. लेकिन उस से कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था. 10-15 दिन बाद एक रोज खुद दीपा ने ही कहा कि कब तक फोन पर बातें कर के आग भड़काते रहोगे, मिलोगे नहीं क्या?

‘‘मिलना तो चाहता हूं पर कहां मिलूं. यह बात समझ में नहीं रही है. अच्छा तुम एक काम करो, कल महाकाल मंदिर जाओ, वहीं मिलते हैं.’’ धर्मेंद्र बोला.

‘‘क्यों, मेरे साथ वहां क्या भजन करना है, जो मंदिर में बुला रहे हो. तुम सीधे मेरे घर जाओ, वहीं घंटा बजाएंगे.’’ कहते हुए दीपा ने अपने घर का पता बता दिया

उसी दिन शाम को धर्मेंद्र दीपा के किराए वाले मकान में पहुंच गया. दोनों ने एकांत का लाभ उठाते हुए अपनी हसरतें पूरी कीं. जल्द ही दीपा ने धर्मेंद्र को अपनी अदाओं से वश में कर लियाइस के बाद धर्मेंद्र उस पर काफी पैसे भी लुटाने लगा था. दीपा से मिलनेजुलने में दिक्कत हो इसलिए धर्मेंद्र ने उस के पति अशोक से भी दोस्ती बना ली थी. जब मन होता दोनों शराब और चिकन की पार्टी भी करते. लेकिन कुछ समय बाद ही धर्मेंद्र को पता चल गया कि अशोक दीपा का पति नहीं है, बल्कि वह उस के साथ रखैल बन कर रह रही है. इतना ही नहीं दूसरे और युवकों के साथ भी दीपा के संबंध होने की जानकारी धर्मेंद्र को लग गई. यहां तक कि धर्मेंद्र जिन दोस्तों को दीपा के यहां ले गया था, उन के साथ भी दीपा ने अवैध संबंध बना लिए थे

धर्मेंद्र ने दीपा को समझाया कि वह ऐसा करे लेकिन उस ने उलटे धर्मेंद्र से ही मिलना बंद कर दिया. धर्मेंद्र उस से मिलने की चाहत व्यक्त करता तो वह किसी किसी बहाने से उसे टाल देती थी. धर्मेंद्र की पत्नी को भी यह जानकारी मिल गई कि उस का पति दीपा नाम की किसी महिला के पास जाता है. धर्मेंद्र पत्नी से लगातार झूठ बोलता रहा. जब उस ने दीपा से मिलना नहीं छोड़ा तो वह उस से झगड़ने लगीएक दिन धर्मेंद्र दीपा के पास गया तो वहां पर उस के 2 दोस्त कुक्कू और रवि मिले. दीपा ने उस दिन धर्मेंद्र को घर से बाहर निकाल कर दरवाजा बंद कर दिया था.

धर्मेंद्र अपने घर वापस गया लेकिन उस की नजरों के सामने दीपा की कुक्कू और रवि के साथ अय्याशी की तसवीरें किसी फिल्म की तरह चलती रहीं. इसलिए सुबह होते ही वह फिर से दीपा के घर पहुंचा. उस समय दीपा अकेली थीकुक्कू और रवि के साथ मस्ती करने के फेर में रात भर शायद वह सोई नहीं थी. इसलिए अपनी नींद में खलल पड़ने से वह धर्मेंद्र पर नाराज होते हुए को उलटासीधा बोलने लगी. यह देख कर धर्मेंद्र का खून खौल उठा और उस ने दीपा की पिटाई की. गुस्से में उस ने उस की दोनों कलाइयों की नसें भी काट दीं, जिस से कमरे में खून फैल गया और वह बेहोश हो गई. अब वह उसे जीवित नहीं छोड़ना चाहता था.

लिहाजा वह उसे खींच कर रसोई में ले गया और उस की सलवार निकाल कर उस ने एलपीजी सिलेंडर का पाइप गैस चूल्हे से निकाल कर उस की दोनों जांघों के बीच फंसा कर ऊपर से लिहाफ, दरी, गद्दा डाल कर रैग्युलेटर से गैस चालू कर दी, फिर आग लगा कर वह वहां से चला गया. उस ने सोचा कि सिलेंडर फटने के बाद लोग इसे दुर्घटना समझेंगे और वह बच जाएगा. लेकिन जब मकान में धुआं निकलना शुरू ही हुआ था, तभी पड़ोसी राकेश वर्मा ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. धर्मेंद्र से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. बैडरूम का दरवाजा कैसे टूटा, यह बात पुलिस पता नहीं लगा सकी

उज्जैन के आईजी राकेश गुप्ता ने केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम के कार्य की सराहना करते हुए पुरस्कृत करने की घोषणा की.

   (कथा में कुछ नाम परिवर्तित हैं)

Love Crime : विवाहिता के प्यार में 4 हत्याएं

सरकारी टीचर सुनील गौतम अपनी पत्नी पूनम भारती और 2 बेटियों के साथ अमेठी में रहता था. वह अपने काम से काम रखता था. फिर एक दिन किसी ने सुनील, उस की पत्नी और दोनों बेटियों को घर में घुस कर गोलियों से भून डाला. आखिर कौन था हत्यारा और क्यों की उस ने ये हत्याएं?

चंदन वर्मा ने 12 सितंबर, 2024 को अपने वाट्सऐप पर लिखा, ‘5 लोग मरने वाले हैं. मैं जल्दी कर के दिखाऊंगा (5 people are going to die. I will show you soon.)उस का इशारा अपनी प्रेमिका पूनम व उस के परिवार, स्वयं और पूनम के भाई सोनू की तरफ था. चंदन वर्मा ने इस के लिए अवैध पिस्टल का इंतजाम तो कर लिया था, लेकिन गोलियों का इंतजाम नहीं हो पा रहा था. इस के लिए उस ने जानपहचान के अपराधियों से संपर्क किया और 10 राउंड गोलियों वाली मैगजीन मुंहमांगी कीमत पर खरीद कर रख ली, लेकिन यह इंतजाम करने में उसे 15 दिन का समय लग गया था. 

3 अक्तूबर, 2024 को नवरात्रि का प्रथम दिन था. जगहजगह पंडाल सजे थे. चंदन वर्मा पिस्टल में मैगजीन लोड कर शाम करीब साढ़े 6 बजे बाइक से अमेठी के मंदिर रोड अहोरवा चौराहा स्थित मुन्ना अवस्थी के मकान पर पहुंचा. इसी मकान में पूनम अपने पति सुनील व 2 बच्चों के साथ किराए पर रहती थी. चंदन वर्मा ने घर से करीब 50 मीटर दूर स्थित दीपक की मोबाइल शाप के सामने अपनी बाइक खड़ी कर दी. उस ने दीपक से कहा कि वह मंदिर दर्शन करने जा रहा है. जल्दी ही वापस आ जाएगा. 

इस के बाद वह पूनम के घर पहुंचा. पूनम उस समय घर पर ही थी. वह पति व बच्चों से बतिया रही थी. चंदन वर्मा को देख कर पूनम व सुनील सहम गए. चंदन वर्मा ने जेब से 10-10 के 2 नोट निकाले. उस ने एक नोट सुनील की बेटी 5 वर्षीया सृष्टि के हाथ में तथा दूसरा नोट 2 वर्षीया समीक्षा के हाथ में थमा दिया. इस के बाद वह पूनम की तरफ मुखातिब होते हुए बोला, ”पूनम, तुम मेरे साथ चलो. तुम्हारे बिना मैं जी नहीं पाऊंगा.’’

यह सुनते ही पूनम बोली, ”तुम पागल हो गए हो क्या? मैं अपने पति व बच्चों को छोड़ कर भला कैसे जा सकती हूं. तुम ने तो मेरा जीना हराम कर दिया है. चले जाओ यहां से वरना मैं पुलिस बुला लूंगी.’’

पूनम की धमकी सुन कर चंदन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने लोडेड पिस्टल निकाली और 2 गोलियां पूनम के सीने में दाग दीं. सुनील सामने आया तो उस पर भी 3 गोलियां दाग दीं. इस के बाद उस ने सृष्टि और मासूम समीक्षा पर भी एकएक गोली चला दी. सभी खून से लथपथ हो कर जमीन पर बिछ गए. कुछ क्षण बाद ही सभी ने दम तोड़ दिया. चारों को मौत के घाट उतारने के बाद चंदन वर्मा ने सुसाइड करने के लिए खुद को गोली मारनी चाही. लेकिन पिस्टल की स्प्रिंग निकल कर गिर गई, जिस से गोली नहीं चली. इस के बाद वह डर गया और बाइक मोबाइल की दुकान पर ही छोड़ कर घर के पीछे के रास्ते से फरार हो गया.

अवस्थी निवास में ही रोड पर अमित मैडिकल स्टोर था. इस के संचालक रामनारायन यादव ने जब लगातार गोलियों के चलने की आवाज सुनी तो वह घबरा गए. लगभग 100 मीटर की दूरी पर देवी पंडाल सजा था. वहां पुलिस तैनात थी. रामनारायन पुलिस के पास तेज कदमों से पहुंचे और गोलियां चलने की जानकारी दी. यह खबर सुन कर 2 सिपाही मकान के अंदर दाखिल हुए तो वहां 4 लाशें बिछी देख कर उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी.  4 हत्याओं की सूचना मिलते ही अमेठी के शिवरतनगंज थाने की पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए. कुछ देर बाद ही अमेठी के एसपी अनूप कुमार सिंह, एएसपी हरेंद्र सिंह तथा डीएम निशा अनंत घटनास्थल पहुंच गईं. शिवरतनगंज थाने की पुलिस पहले से ही वहां मौजूद थी. सूचना पर मीडियाकर्मियों का भी जमावड़ा लग गया. 

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो उन के माथे पर बल पड़ गए और वे सिहर उठे. घर के अंदर 4 लाशें खून से लथपथ पड़ी थीं. अधिकारियों ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि इस मकान में शिक्षक सुनील कुमार गौतम अपनी पत्नी पूनम व 2 बेटियों के साथ किराए पर रहते थे. इन्हीं की गोली मार कर हत्या की गई थी. 

सुनील कुमार व उन की पत्नी पूनम के शव नल के पास पड़े थे, जबकि दोनों बेटियों के शव जीने के पास पड़े थे. मृतक सुनील की उम्र 34 वर्ष के आसपास तथा पूनम की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. उन की बेटियों की उम्र क्रमश: 5 वर्ष और 2 वर्ष थी. निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने वारदात की सूचना मृतकों के घर वालों को दे दी. 

मुख्यमंत्री योगी क्यों हुए सक्रिय

इसी बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दलित परिवार की हत्या की जानकारी हुई तो उन्होंने शोक संवेदना प्रकट की और पुलिस के आला अधिकारियों को तत्काल घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया. आदेश पाते ही आईजी (अयोध्या जोन) प्रवीण कुमार तथा एडीजी (लखनऊ जोन) एस.वी. शिरोडकर घटनास्थल (अमेठी) पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और घटना के संबंध में एसपी अनूप कुमार सिंह से जानकारी हासिल की. 

उन्होंने निरीक्षण और साक्ष्य जुटाने में जुटी फोरैंसिक टीम से भी जानकारी ली. घटनास्थल से टीम ने कारतूस के 9 खोखे, एक जिंदा कारतूस तथा बाइक बरामद की. अब तक सूचना पा कर मृतक सुनील के पिता रामगोपाल गौतम घटनास्थल पर आ चुके थे. बेटाबहू व नातिनों के शवों को देख कर वह बदहवास हो गए. पूछताछ में रामगोपाल ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि इस घटना को अंजाम उस के बेटे सुनील के दोस्त चंदन वर्मा ने दिया है, जो रायबरेली के मटिया इलाके में रहता है.

घटनास्थल की जांच और पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने चारों शवों को पोस्टमार्टम हेतु अमेठी के जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद रामगोपाल की तहरीर पर शिवरतनगंज थाने में बीएनएस की धारा 103 (1) के तहत चंदन वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. चूंकि मामला दलित परिवार की सामूहिक हत्या का था, अत: पुलिस अधिकारियों ने चंदन वर्मा को गिरफ्तार करने के लिए एसटीएफ की 4 टीमें लगा दीं. ये टीमें आरोपी की टोह में लग गईं. 

पुलिस ने रात में ही चारों शवों का पोस्टमार्टम करा दिया. सीएमओ अंशुमान सिंह की देखरेख में डा. विवेक चौधरी व डा. अभय गोयल की टीम ने पोस्टमार्टम किया. पूनम को 2, सुनील को 3 तथा बेटियों को 1-1 गोली मारी गई थी. पोस्टमार्टम के बाद शव सुनील के पिता रामगोपाल को सौंप दिए गए. 4 अक्तूबर, 2024 की सुबह पुलिस सुरक्षा में चारों शव मृतक शिक्षक सुनील के पैतृक गांव सुदामापुर (रायबरेली) पहुंचे तो गांव मेें कोहराम मच गया. पूरा गांव शवों को देखने उमड़ पड़ा. शवों को देख कर सुनील की मां राजवती तथा पूनम की मां कृष्णावती बदहवास हो गईं. पूजा व सोनू भी बहनबहनोई का शव देख कर बिलख पड़ी थीं. भीड़ में गम व रोष था. वहां पुलिस विरोधी नारे भी गूंजने लगे थे. 

राजनीतिक लाभ पाने की क्यों मची होड़

इस घटना को ले कर राजनीतिक गलियारे में भी भूचाल आ गया था. सब से पहले अमेठी के सांसद किशोरी लाल शर्मा सुदामापुर गांव पहुंचे. उन्होंने मृतक के पिता रामगोपाल को धैर्य बंधाया और राहुल गांधी से उन की मोबाइल पर बात कराई. राहुल गांधी ने कानूनव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए रामगोपाल को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. भाजपा के राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण तथा ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडेय भी सुदामापुर गांव पहुंचे. उन्होंने पीडि़त परिवार को हरसंभव मदद का भरोसा दिया. यही नहीं, इन दोनो नेताओं ने अंतिम संस्कार के बाद पीडि़त परिवार की मुलाकात लखनऊ ले जा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कराई. 

रामगोपाल गौतम ने मुख्यमंत्री सेे आर्थिक मदद, आवास व बड़े बेटे को सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की. मुख्यमंत्री ने सभी मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया. इधर एसटीएफ की एक टीम को पता चला कि आरोपी चंदन वर्मा प्रयागराज में है. अत: एसटीएफ की टीम प्रयागराज पहुंच गई. लेकिन वहां पता चला कि वह बस से दिल्ली की ओर रवाना हो चुका है. सर्विलांस के जरिए एसटीएफ की टीम ने उस का पीछा किया और 4 अक्तूबर की अपराह्नï पौने 3 बजे उसे नोएडा के जेवर टोल प्लाजा से गिरफ्तार कर लिया. रात 11 बजे अमेठी के एसपी अनूप सिंह ने प्रैसवार्ता की और इस चौहरे हत्याकांड का खुलासा कर दिया.

5 अक्तूबर, 2024 की सुबहसुबह पुलिस टीम आरोपी चंदन वर्मा को ले कर हत्या में इस्तेमाल पिस्टल बरामद कराने को ले जा रही थी. इस दौरान मोहनगंज थाना क्षेत्र के पियरे विंध्या दीवान नहर पटरी पर पहुंचने पर चंदन वर्मा ने फुरती से थानेदार मदन वर्मा की रिवौल्वर छीन ली और फायर करते हुए भागने की कोशिश करने लगा. पुलिस की जवाबी फायरिंग में उस के पैर में गोली लगी. वह घायल हो गया. पुलिस ने उसे सीएचसी सिंहपुर में भरती कराया. इस मामले की रिपोर्ट थानेदार मदन वर्मा ने थाना मोहनगंज में बीएनएस की धारा 109 के तहत चंदन वर्मा के खिलाफ दर्ज कराई. 

6 अक्तूबर, 2024 की शाम ऊंचाहार क्षेत्र के विधायक मनोज पांडेय, प्रभारी मंत्री राकेश सचान के साथ सुदामापुर गांव पहुंचे. वहां उन्होंने मृतक शिक्षक सुनील कुमार के पिता रामगोपाल गौतम व मां राजवती से मुलाकात की. उन्होंने उन्हें 5 लाख रुपए का चैक दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक आवास, 5 बीघा कृषि भूमि का पट्टा आवंटन तथा परिजनों को आयुष्मान व अंत्योदय कार्ड दिए. इस के अलावा अत्याचार से उत्पीडि़त राशि 33 लाख रुपए का चैक भी सौंपा. साथ ही मृतक के भाई को मृतक आश्रित कोटे से सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया. 

आरोपी चंदन वर्मा से पूछताछ करने के बाद इस चौहरे हत्याकांड के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह बहुत हैरान कर देने वाली निकली.

हंसमुख स्वभाव की पूनम ने संभाली घर की जिम्मेदारी

सुनील कुमार के पिता राम गोपाल गौतम उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के सुदामापुर गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी राजवती के अलावा 2 बेटे सोनू, सुनील व एक बेटी रूपा थी. राम गोपाल गरीब किसान थे. उन के पास मात्र एक बीघा जमीन थी. इस कम उपजाऊ भूमि से उन के परिवार का भरणपोषण नहीं हो पाता था. अत: वह मेहनतमजदूरी कर किसी तरह परिवार का गुजारा करते थे. रामगोपाल गौतम के दोनों बेटे सोनू व सुनील जब बड़े हुए तो वह भी पिता के साथ मेहनत मजदूरी करने लगे. रामगोपाल अपने बेटों को अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ा सके. बड़ा बेटा सोनू तो पढऩे में कमजोर था, लेकिन छोटा बेटा सुनील पढऩे में तेज था. वह मेहनतमजदूरी के साथ पढ़ाई भी करता था. 

चूंकि गांव में मजदूरी कम मिलती थी, इसलिए सोनू का मन गांव में नहीं लगता था. गांव के कुछ लड़के मुंबई में काम करते थे. सोनू भी उन्हीं के साथ मुंबई चला गया और वहीं काम करने लगा. अब वह गांव में तीजत्यौहारों पर ही आता और कुछ दिन तक रुक कर वापस चला जाता था. सुनील पहले बीए करने के बाद सरकारी नौकरी पाने की कोशिश में जुट गया था. अब तक रामगोपाल बड़े बेटे सोनू व बेटी रूपा की शादी कर चुके थे. सब से छोटा सुनील था. वह 20 वर्ष की उम्र पार कर चुका था. अत: रामगोपाल उस की शादी करना चाहते थे. 

एक रोज कृष्णावती अपनी बेटी पूनम भारती का रिश्ता लेकर रामगोपाल के घर आई. कृष्णावती रायबरेली के उत्तर पारा बेला भेला गांव की रहने वाली थी. परिवार में पति राजाराम भारती के अलावा 2 बेटे मोनू व भानू के अलावा 2 बेटियां पूजा व पूनम थीं. बड़ी बेटी पूजा की शादी हो चुुकी थी. छोटी बेटी पूनम थी. वह पढ़ीलिखी व दिखने में सुंदर थी. कृष्णावती ने सुनील को देखा तो उस ने अपनी बेटी पूनम भारती के लिए उसे पसंद कर लिया. उस के बाद पूनम और सुनील ने भी एकदूसरे को देखा और फिर दोनों शादी के लिए राजी हो गए. दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद कृष्णावती ने 12 अप्रैल, 2016 को पूनम का विवाह सुनील कुमार के साथ कर दिया. 

वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 41,250 पदों पर पुलिस भरती निकाली. सुनील ने भी सिपाही पद पर भरती के लिए आवेदन किया. इस के बाद वह जीजान से तैयारी में जुट गया. सुनील की मेहनत रंग लाई. उस का चयन सिपाही पद पर हो गया था. ट्रेनिंग के बाद उसे नियुक्ति मिल गई. इन्हीं दिनों उसे एक और खुशी मिली. पूनम ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने सृष्टि रखा. सृष्टि के जन्म से उस का घरआंगन किलकारियों से गूंजने लगा था. उस के मातापिता भी खुश थे. 

सुनील पुलिस में भरती तो हो गया था, लेकिन उसे वह नौकरी रास नहीं आ रही थी. क्योंकि एक तो वह परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पा रहा था और दूसरे उसे पुलिसिया भाषा अच्छी नहीं लगती थी. पुलिस की नौकरी से मन हटा तो वह शिक्षा विभाग में नौकरी खोजने लगा. बीएड तो वह कर ही चुका था, फिर उस ने बीए शिक्षक पात्रता परीक्षा भी पास कर ली. जब शिक्षक की वैकेंसी निकली तो उस ने भी आवेदन कर दिया. 

शहर जा कर क्यों उडऩे लगी पूनम भारती

10 दिसंबर, 2020 को सुनील कुमार की बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी लग गई. उस की पहली तैनाती रायबरेली में बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में हुई. शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के बाद सुनील ने सिपाही पद से इस्तीफा दे दिया. शिक्षा विभाग में नौकरी मिलने पर घर में एक बार फिर खुशी की लहर दौड़ गई. सुनील कुमार का गांव सुदामापुर, रायबरेली से 35 किलोमीटर दूर था. नौकरी के लिए उसे रोजाना अपडाउन करना पड़ता था. इस में पैसा तो खर्च होता ही था, समय की बरबादी भी होती थी. इसलिए उस ने रायबरेली के मटिया इलाके में 2 कमरे वाला मकान किराए पर लिया और पत्नी पूनम भारती और बेटी सृष्टि के साथ रहने लगा.

पूनम भारती गांव से शहर आई तो उस के रंगढंग ही बदल गए. वह खूब सजसंवर कर रहने लगी और स्वच्छंद हो कर बाजारहाट घूमने लगी. पति की जिस दिन छुट्टी होती, उस दिन वह बेटी को साथ ले कर पति के साथ सैरसपाटे के लिए निकल जाती. रेस्टोरेंट में खाना खाती. सुनील पत्नी की हर बात मान लेता था. एक तरह से वह सुनील को अपनी अंगुलियों पर नचाने लगी थी. सुनील कुमार गौतम ने मटिया इलाके के जिस मकान में कमरा किराए पर लिया था, उसी मकान के पीछे वाले भाग में चंदन वर्मा नामक युवक किराए पर रहता था. 25-26 वर्षीय चंदन वर्मा मैकेनिकल इंजीनियर था. वह अस्पतालों की एक्सरे, सीटी स्कैन और दूसरी अन्य मशीनों की मरम्मत करता था. इस में उस की अच्छीखासी कमाई हो जाती थी. 

चंदन वर्मा के पिता मायाराम वर्मा मूलरूप से अंबेडकर नगर के टांडा के रहने वाले थे. उस के 7 भाई और थे. मायाराम 1990 के दशक में अपने भाइयों के साथ टांडा छोड़ कर रायबरेली आ गए थे. रायबरेली के तेलिया कोट मोहल्ले में वह भाइयों के साथ अवधेश गुप्ता के मकान में किराए पर रहने लगे थे. साल 2010 में मायाराम वर्मा अपने परिवार के साथ रायबरेली छोड़ कर दिल्ली चले गए, लेकिन उस के अन्य भाई उस के साथ नहीं गए. उन भाइयों ने तेलिया कोट में ही जमीन खरीद कर अपने घर बना लिए. दिल्ली जाने के बाद भाइयों ने मायाराम से दूरियां बना ली. 

लेकिन वर्ष 2019 के नवंबर माह में मायाराम फिर रायबरेली आ गए. इस बार उन्होंने तेलिया कोट के बजाय मटिया इलाके में कमरा किराए पर लिया, जो तेलिया कोट से 2 किलोमीटर दूर था. यहां पर वह अपनी पत्नी व बेटे चंदन के साथ रहने लगा. चूंकि चंदन वर्मा अच्छा कमाता था, अत: उस को कोई चिंता नहीं थी. चूंकि शिक्षक सुनील कुमार गौतम व चंदन वर्मा एक ही मकान में किराएदार थे, अत: उन दोनों के बीच जल्द ही जानपहचान हो गई. धीरेधीरे जानपहचान दोस्ती में बदल गई. सुनील से मिलने के बहाने चंदन वर्मा का पूनम के घर आनाजाना शुरू हो गया. खूबसूरत पूनम पहली ही नजर में चंदन के दिल में रचबस गई थी. नजदीकियां बढ़ाने को वह उस के करीब आने की कोशिश करने लगा था. 

पूनम की बेटी सृष्टि अब तक 2 साल की हो चुकी थी. चंदन वर्मा उसे खिलाने के बहाने अपने साथ ले जाता और खूब लाड़प्यार करता. उसे कभी चौकलेट तो कभी खिलौने ला कर देता. चंदन जब कभी पूनम की गोद से सृष्टि को अपनी गोद में लेता तो जानबूझ कर उस के नाजुक अंगों को छेड़ देता. पूनम तब बनावटी गुस्सा दिखाती फिर हंस कर टाल देती. चंदन पूनम की खूबसूरती की भी खूब तारीफ करता और उसे अपनी लच्छेदार बातों से रिझाने की कोशिश करता. साथ ही वह उस के नजदीक जाने की कोशिश करता. 

घर आतेजाते चंदन वर्मा और पूनम भारती की नजदीकियां बढऩे लगीं. पूनम को भी चंदन के दिल की बात का आभास हो गया था. वह भी उस की ओर आकर्षित होने लगी थी. दोनों के बीच अब हंसीमजाक भी होने लगा था. चंदन ऐसे समय पूनम से मिलने आता था, जब सुनील घर पर नहीं होता था. 

चंदन की बांहों में ऐसे समा गई पूनम

एक दिन चंदन आया तो पूनम सजधज कर बाजार जाने की तैयारी कर रही थी. उस की खूबसूरती देख कर चंदन मचल उठा. उस ने पूनम को बांहों में भर लिया और बोला, ”भाभी, मैं तुम से बेहद प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब रहा नहीं जाता.’’

चंदन, यह दीवानापन छोड़ो और अब चुपचाप चले जाओ. कहीं मास्टर साहब आ गए तो पता नहीं क्या सोचेंगे.’’ पूनम ने उस की आंखों में झांकते हुए कहा. 

भाभी, मैं चला तो जाऊंगा, लेकिन खाली हाथ नहीं जाऊंगा. आज तो तुम्हारा प्यार ले कर ही जाऊंगा.’’ कहते हुए उस ने पूनम को फिर से बाहों में कैद कर लिया. पूनम ने उस की बांहों से छूटने का बनावटी विरोध किया. उस के बाद स्वयं सहयोग करने लगी. फिर तो उस रोज दोनों के बीच मर्यादा की दीवार ढह गई.

मर्यादा की दीवार टूटी तो पूनम को अपने किए पर पछतावा हुआ था, लेकिन जो नहीं होना चाहिए था, वह हो चुका था. लेकिन पछतावे के बावजूद पूनम के कदम नहीं रुके. जब भी पूनम और चंदन को मौका मिलता, वे सुनील के साथ विश्वासघात करने से नहीं चूकते थे. पूनम और चंदन जो भी करते थे, पूरी चौकसी से करते थे, लेकिन उन के ये संबंध ज्यादा दिनों तक छिपे नहीं रह सके. एक दिन सुनील को पूनम के मोबाइल पर वाट्सऐप चैट दिखी. उसे यकीन हो गया कि दोनों के बीच नाजायज रिश्ता है. उस ने पूनम और चंदन दोनों को समझाया, लेकिन चंदन नहीं माना. वह किसी न किसी बहाने उस के घर आ जाता. 

12 मार्च, 2021 को सुनील कुमार गौतम का तबादला अमेठी हो गया. अमेठी जिले के सिंहपुर ब्लौक के पनहौना प्राथमिक विद्यालय में उसे शिक्षक पद पर तैनाती मिली. दरअसल, सुनील ने अपना परिवार टूटने से बचाने के लिए रायबरेली से दूर अपना ट्रांसफर खुद कराया था, ताकि चंदन वर्मा वहां आजा न सके.  तबादले के बाद सुनील ने रायबरेली वाला कमरा खाली कर दिया और जुलाई, 2024 में अमेठी में मुन्ना अवस्थी के मकान में परिवार के साथ रहने लगा. अमेठी में कुछ माह तो सुकून से बीते, उस के बाद चंदन वर्मा फिर चोरीछिपे वहां आने लगा. पूनम और चंदन के बीच हर रोज मोबाइल फोन पर वीडियो कालिंग के जरिए बात होती. दोनों खूब बतियाते. 

पूनम के प्यार में चंदन वर्मा इतना अंधा हो गया था कि वह पूनम को अपनी पत्नी बनाने का ख्वाब देखने लगा था. वह जो कमाता था, उस का आधा भाग पूनम पर खर्च करता था. उस ने अपने घर के जेवर तक पूनम को दे दिए थे. वह पूनम से कहता भी था कि इस मास्टर को छोड़ दो और उस की बीवी बन जाओ, लेकिन पूनम राजी नहीं होती थी. अप्रैल 2024 में सुनील कुमार ने मकान बनाने के लिए अमेठी में 2 बिस्वा जमीन खरीदी. जमीन की लिखापढ़ी में गवाह की जरूरत थी. पूनम के कहने पर सुनील ने चंदन वर्मा को गवाह बना लिया. इस के बाद चंदन का बेधड़क घर में आनाजाना फिर बढ़ गया. हालांकि चंदन का घर आना सुनील को कांटे की तरह चुभता था. 

सुनील क्यों डरने लगा पत्नी के प्रेमी से

एक रोज सुनील शाम को स्कूल से घर आया तो चंदन घर में मौजूद था. वह पूनम से बतिया रहा था. यह देख कर उस का खून खौल उठा. उस के जाने के बाद सुनील ने पूनम को आड़े हाथों लिया और कहा कि वह चंदन को लिफ्ट न दे. उस से दूरियां बनाए ताकि उस का परिवार न बिखरे. पति की बात मान कर पूनम ने चंदन को लिफ्ट देना बंद कर दिया. वह अब न तो उस से मोबाइल फोन पर बात करती और न ही वीडियो काल पर. इस पर वह घर आ कर पूनम को धमकाता कि वह बात नहीं करेगी तो वह सिर में गोली मार कर आत्महत्या कर लेगा. पूनम तब डर जाती और उस की बात मान लेती. 

अब तक सुनील 2 बेटियों का बाप बन चुका था. बड़ी बेटी सृष्टि 5 साल की थी और छोटी बेटी समीक्षा डेढ़ वर्ष की थी. चंदन वर्मा दबंग था. उस के संबंध अपराधियों से भी थे. शराब पीना तथा दबंगई दिखाना उस का शौक था. वह अपने चाचा के घर तेलिया कोट में भी दबंगई दिखाता था. हालांकि वे लोग चंदन से ज्यादा संपर्क नहीं रखते थे. चंदन पूनम को धमकाता कि मास्टर को छोड़ कर उस से ब्याह रचा ले, अन्यथा तुम्हारे कुछ आपत्तिजनक फोटो मेरे मोबाइल में हैं. मैं उन्हें वायरल कर दूंगा. फिर तुम और मास्टर किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे. 

चंदन वर्मा की धमकी से पूनम और सुुनील डरेसहमे रहने लगे. सुनील ने पूनम से कहा भी कि वह चंदन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दे. लेकिन पूनम उस सनकी और दबंग चंदन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं करा सकी. 18 अगस्त, 2024 को पूनम की बड़ी बेटी सृष्टि की तबियत खराब थी. वह उसे डाक्टर को दिखाने सुनील के साथ रायबरेली के सुमित्रा हौस्पिटल गई. बेटी को दिखाने के बाद जब वह वापस घर आ रही थी तो रास्ते में उसे चंदन मिल गया. वह पूनम को छेडऩे लगा और साथ चलने का दबाव बनाने लगा. 

सुनील ने विरोध किया तो वह उस से भिड़ गया. पहले उस ने जातिसूचक गालियां बकीं, फिर 4-5 थप्पड़ सुनील के गाल पर जड़ दिए. दोनों को जान से मारने की धमकी भी दी. सुनील के सब्र का बांध अब टूट चुका था, अत: वह पूनम को साथ ले कर सीधा सदर कोतवाली पहुंच गया और पूनम से रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा. पूनम अब भी रिपोर्ट दर्ज कराने को राजी नहीं थी, लेकिन पति के कहने पर किसी तरह वह राजी हुई. इस के बाद पूनम ने तहरीर दी. तहरीर के आधार पर कोतवाली पुलिस ने चंदन वर्मा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 74, 115(2) तथा 352 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. 

दूसरे रोज पुलिस ने चंदन वर्मा को गिरफ्तार कर लिया. सप्ताह भर के भीतर ही उस की जमानत हो गई. जमानत पर छूटने के बाद चंदन वर्मा ने फिर नौटंकी शुरू की. उस ने आत्महत्या का प्रयास किया. अस्पताल से छुट्टी मिली तो उस ने पूनम व सुनील से माफी मांग ली और भविष्य में ऐसी गलती न करने का वादा किया. लेकिन वह अपनी जुबान से पलट गया. वह फिर पूनम तक पहुंचने का प्रयास करने लगा. वह पूनम से मोबाइल फोन पर बात करने का प्रयास करता, लेकिन पूनम उस की काल रिसीव ही नहीं करती. इस से उस का गुस्सा बढ़ गया. 

उस ने पूनम की उस के साथ खिंची आपत्तिजनक तसवीरें उस के मायके वालों तथा ससुराल वालों को भेज दीं. यही नहीं, उस ने पूनम की मां कृष्णावती व भाई सोनू को भी धमकाया कि वे पूनम को समझा दें. वह उस की बन जाए, अन्यथा अंजाम बुरा होगा. पूनम की बेरुखी से चंदन वर्मा को गहरा आघात पहुंचा था. वह समझ गया था कि पूनम उस के हाथ से फिसल गई है. उस का दिन का चैन और रात की नींद हराम हो गई थी. आखिर उस ने फैसला किया कि वह पूनम व उस के परिवार को मिटा देगा. इस के लिए वह योजना बनाने लगा. अपनी योजना उस ने किसी अन्य के साथ साझा नहीं की. 

फिर 12 सितंबर, 2024 को उस ने न सिर्फ पूनम बल्कि उस के पति सुनील और दोनों बच्चों की गोली मार कर हत्या कर दी. 5 अक्तूबर, 2024 को उपचार के बाद पुलिस ने चंदन वर्मा से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे जिला सत्र न्यायाधीश के आवास पर पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.  दरअसल, उसे न्यायाधीश के समक्ष कोर्ट में पुलिस को पेश करना था, लेकिन कोर्ट में जनता व वकीलों में भारी रोष था. अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी.

 

 

प्रेमी संग पति की हत्या कर लाश फेंकी कुएं में

एक बच्चे की मां ज्योति अपने ममेरे देवर सुरेंद्र के साथ खूब गुलछर्रे उड़ा रही थी. एकडेढ़ साल से उन के बीच यह संबंध बिना किसी रुकावट के चल रहे थे. फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि ज्योति को अपने पति महावीर शरण कौरव की हत्या कराने के लिए मजबूर होना पड़ा?

सुरेंद्र के आगोश में समाई ज्योति को जब संतुष्टि मिल गई तो वह अलग होते हुए बोली, ”हम ऐसे कब तक यूं ही मिलते रहेंगे. आज भी तुम्हारे भैया ने मुझ से मारपीट की. मैं कब तक उस गंजेड़ी के हाथों पिटती रहूंगी, बात अब बरदाश्त से बाहर होती जा रही है.’’ 

पलंग पर लेटे हुए सुरेंद्र ने ज्योति को फिर से अपनी बाहों में खींचते हुए कहा, ”मेरी जान, तुम चिंता क्यों करती हो? महावीर भैया तो बेवकूफ है. वह सारी सच्चाई जानता है, फिर भी तुम पर अत्याचार करता है. अब वह अगर ज्यादा परेशान करे तो उसे पलट कर जवाब देना.’’ 

यह बात तो ठीक है, लेकिन अगर तुम हमेशा के लिए मुझे अपनी बना कर रखना चाहते हो तो इस गंजेड़ी आदमी को मेरी जिंदगी से दूर कर दो,’’ ज्योति ने सुरेंद्र की बाहों में कसमसाते हुए कहा. 

सुरेंद्र ने ज्योति का मन टटोलते हुए पूछा, ”तुम चाहो तो मैं तुम्हें उस से तलाक दिलवा सकता हूं.’’ 

इस पर ज्योति बोली, ”वह इस जन्म में मुझे तलाक नहीं देगा. मेरी मानो तो उसे इस दुनिया से विदा कर दो. इस काम में मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी.’’ ज्योति की बात सुन कर सुरेंद्र की आंखों में चमक आ गई, फिर भी उस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ज्योति तुम ने तो बहुत दूर की बात सोच ली. महावीर को मरवा कर खुद भी जेल जाओगी और मुझे भी जेल भिजवा दोगी. 

ज्योति ने सुरेंद्र के चेहरे को हाथ से अपनी ओर करते हुए कहा, ”तुम भी क्या बकवास करते हो? मेरी बनाई योजना से उस का टेंटुआ दबाओगे तो तुम्हें कुछ नहीं होगा. अगर इस गंजेड़ी पति से जल्द छुटकारा नहीं मिला तो मैं खुदकुशी कर लूंगी.’’ 

ज्योति के मुंह से खुदकुशी की बात सुन कर सुरेंद्र की आंखों में खून उतर आया. वह तैश में आ कर बोला, ”मैं तुम्हें खुदकुशी करने की नौबत नहीं आने दूंगा. जल्दी ही महावीर का टेंटुआ दबा कर उस का काम तमाम कर दूंगा. तुम चिंता मत करो.’’ 

सुरेंद्र के मुंह से पति को दुनिया से विदा करने की बात सुन कर ज्योति खुश होते हुए बोली, ”ठीक है, मंगलवार को तुम महावीर को ग्वालियर जेल में हत्या के मामले में बंद रिश्तेदार से मिलने के बहाने घर से बुला कर साथ ले जाना और जेल में मुलाकात के बाद ररुआ गांव जाने की बात कह कर रास्ते में सुनसान जगह पर उसे मौत के घाट उतार देना. यह काम तुम्हें बड़ी होशियारी से करना होगा. अगर यह कांटा निकल गया तो जीवन भर मैं तुम्हारी ही बन कर रहूंगी.’’ 

इतना कह कर ज्योति ने सुरेंद्र का हाथ पकड़ लिया. सुरेंद्र ने ज्योति का हाथ अपने सीने पर रख कर कहा कि तुम अपने इस आशिक पर भरोसा रखो, मैं ने तुम से प्यार किया है और मरते दम तक तुम्हारा दामन छोडऩे वाला नहीं हूं. मैं जीवन भर साथ निभाऊंगा. यह कह कर सुरेंद्र ज्योति के घर से चला गया. यह बात 3 सितंबर, 2024 की सुबह की थी. उसी दिन सुबह करीब 10 बजे महावीर अपने घर लौटा तो ज्योति सजधज कर उस का इंतजार कर रही थी. सजीधजी ज्योति को देख कर महावीर को हैरानी हुई. वह कुछ पूछता, इस से पहले ही ज्योति चाय बना कर ले आई और पति महावीर से मीठीमीठी बातें करने लगी. 

ज्योति ने पति से कहा कि तुम्हें मेरा बदला हुआ रूप देख कर अचंभा हो रहा होगा. दरअसल, आज पड़ोस में रहने वाली गुप्ता आंटी के साथ मैं एक ज्योतिषी के पास गई थी. उन्होंने मेरा हाथ देख कर कहा कि तुम्हारा अपने पति से अकसर विवाद होता रहता है.

ऐसे हुई हत्या की प्लानिंग

पत्नी ज्योति की ओर मुखातिब हो कर महावीर ने आंखें दिखाते हुए कहा, ”यह बात ज्योतिषी ने कही या तुम ने खुद उस की चिकनीचुपड़ी बातों में आ कर बताई.’’  इस पर ज्योति बोली, ”भला मैं क्यों ज्योतिषी को ऐसी बातें बताने लगी, वैसे भी हमारे बीच कोई विवाद है ही कहां? मैं तुम्हारे ममेरे भाई सुरेंद्र से थोड़ा हंसबोल लेती हूं. इतनी सी बात पर तुम मुझ से झगड़ा करने लगे और उल्टासीधा बोलने लगे. अब ज्योतिषी ने कहा है कि मैं हमेशा तुम्हारा सहयोग करूं और तुम्हारी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ूं, इस से हमारा प्यार बना रहेगा.’’ 

ज्योति की ये बातें सुन कर महावीर का गुस्सा शांत हो गया. वह चाय पीने के बाद अपने काम में लग गया.  उसी दिन दोपहर करीब 3 बजे योजना के अनुसार सुरेंद्र महावीर के घर पहुंचा. उस ने महावीर से कहा कि मैं ग्वालियर जेल में हत्या के मामले में बंद रिश्तेदार से मुलाकात करने जा रहा हूं, अगर तुम्हारी भी चलने की इच्छा हो तो अपनी बाइक निकालो, दोनों साथ चलते हैं. ग्वालियर जेल में रिश्तेदार से मिलने जाने की बात पर महावीर तैयार हो गया. उस ने अपनी बाइक निकाली. दोनों ग्वालियर के लिए चल दिए. जब वे ग्वालियर जेल पहुंचे, तब तक बंदियों से मुलाकात का समय खत्म हो चुका था. इस पर सुरेंद्र और महावीर ने वह रात रेलवे स्टेशन के बाहर गुजारी. 

अगले दिन यानी 4 सितंबर की सुबह सुलभ शौचालय में दैनिक कार्यों से निवृत्त हो कर उन्होंने नाश्ता किया. इस के बाद दोनों ने ग्वालियर जेल में बंद रिश्तेदार से मुलाकात की. मुलाकात के बाद सुरेंद्र और महावीर चल दिए, तब तक दोपहर हो गई थी. उन्हें भूख भी लग रही थी. दोनों ने एक होटल पर खाना खाया. भोजन के पैसे सुरेंद्र ने दिए. खाना खाने के बाद सुरेंद्र ने ज्योति की योजना के मुताबिक महावीर से कहा कि तुम्हारे गांव ररुआ चलते हैं. मुझे भी बुआफूफा से मिले बहुत समय हो गया है. तुम अपने मातापिता से मिल लेना. ररुआ से मैं अपने गांव मुरावली चला जाऊंगा और तुम अपने घर गुडीगुडा नाका चले जाना. रास्ते में पीने के लिए मैं गांजा खरीद लेता हूं. 

दोनों गांजा पीने के शौकीन थे. इसलिए सुरेंद्र की बात पर महावीर खुश हो गया. सुरेंद्र ने ग्वालियर में ही एक जगह से गांजा खरीदा. इस के बाद वे दोनों बाइक पर ररुआ गांव की तरफ चल दिए.  रास्ते में वे आपस में बातें करते हुए जा रहे थे. उटीला के पास सुरेंद्र के मोबाइल पर ज्योति का 2 बार फोन आया तो सुरेंद्र ने महावीर से कह कर बाइक रुकवाई और ज्योति से हां हूं करते हुए बात की. इस के बाद दोनों फिर चल दिए. कुछ दूर चलने पर भोगीपुरा से आगे सुनसान जगह पर पेड़ों की छाया देख कर सुरेंद्र ने गांजा पीने के बहाने कुएं के पास बाइक रुकवाई. महावीर और सुरेंद्र वहां मंदिर के बाहर बने चबूतरे पर बैठ गए. वे गांजा पीने लगे. इस बीच महावीर ने सुरेंद्र से पूछा कि ज्योति का फोन तेरे मोबाइल पर क्यों आ रहा है

इसी बात पर दोनों में विवाद होने लगा. विवाद के बीच सुरेंद्र ने महावीर के सिर पर बड़े से पत्थर से वार कर दिया. महावीर के सिर पर गहरी चोट लगी और तेजी से खून बहने लगा. महावीर वहीं लुढ़क गया. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. सुरेंद्र को जब यह पूरा विश्वास हो गया कि महावीर मर चुका है तो वह नफरत से उस पर थूकता हुआ बोला, ”मर गया कमीना. मेरे और ज्योति के बीच का कांटा हमेशा के लिए निकल गया.’’ 

इस के बाद सुरेंद्र ने खुद को संभाला और महावीर की लाश चबूतरे से घसीट कर वहां पास ही बने कुएं में डाल दी. सुरेंद्र को भरोसा था कि दूसरे गांव में महावीर की शिनाख्त नहीं हो पाएगी तो मामला रफादफा हो जाएगा. पूरी तरह निश्चिंत हो कर सुरेंद्र ने ज्योति को फोन किया और कहा कि महावीर का काम तमाम कर दिया है. सबूत मिटाने के लिए सुरेंद्र ने महावीर की बाइक नहर के पास लावारिस छोड़ दी. उस का मोबाइल और खुद के खून सने कपड़े रतनगढ़ माता मंदिर मार्ग पर झाडिय़ों में फेंक दिए. 

इस के बाद रात को सुरेंद्र अपनी प्रेमिका ज्योति के पास पहुंचा. ज्योति भी उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. दोनों ने मौजमस्ती कर महावीर की मौत का जश्न मनाया. ज्योति और सुरेंद्र ने पूरी रात एकदूसरे की बाहों में गुजारी. सुबह होने पर ज्योति के कहने पर सुरेंद्र अयोध्या घूमने चला गया.

किस की थी कुएं में मिली लाश

5 सितंबर की सुबह रोजाना की तरह चरवाहे अपने पशुओं को ले कर भोगीपुरा में रोड किनारे पिंटू गुर्जर के खेत में बने कुएं पर पानी पिलाने पहुंचे तो एक चरवाहे की नजर अनायास ही कुएं में पड़ी युवक की लाश पर चली गई. लाश देख कर भय के मारे चरवाहे के मुंह से चीख निकल गई. उस ने आवाज लगा कर अपने साथी चरवाहों को वहां बुला लिया और उन्हें भी कुएं में पड़ी लाश दिखाई. लाश देख कर चरवाहे आपस में बतियाने लगे. उन्हीं में से किसी ने उटीला थाने में फोन कर कुएं में युवक की लाश पड़ी होने की सूचना दे दी.

इस सूचना को एसएचओ शिवम राजावत ने गंभीरता से लिया. वह जब तक कुछ सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक कुएं में लाश पड़ी होने का पता चलने पर आसपास के गांवों के लोगों की अच्छीखासी भीड़ कुएं के पास जमा हो चुकी थी. इन में महिलाओं से ले कर बड़ेबूढ़े और बच्चे भी शामिल थे. मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को घटनास्थल से दूर हटाया. वे लोग युवक की लाश को ले कर तरहतरह की चर्चा में मशगूल थे. इस बीच एसएचओ की सूचना पर एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई. 

बेहट एसडीओपी संतोष पटेल और उटीला थाने के एसएचओ शिवम राजावत की मौजूदगी में एसडीआरएफ टीम के एक सदस्य को रस्सी के जरिए कुएं में उतार कर युवक के शव को रस्सी से बांध कर बाहर निकाला गया. अधिकारियों ने शव का निरीक्षण किया तो उस के सिर में एक बड़ा सा घाव दिखाई दिया. इस से यह बात तय हो गई कि युवक की मौत पानी में डूबने से नहीं हुई थी. उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया, जिस से उस की मौत हुई होगी. 

लाश देख कर अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि उस की हत्या 15-16 घंटे पहले की गई होगी. मृतक की उम्र 32 साल से ज्यादा नहीं लग रही थी. शक्लसूरत और पहनावे से वह मध्यमवर्गीय परिवार का लग रहा था. एसएचओ ने मौके पर मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी मृतक की पहचान नहीं कर सका. इस से यह बात साफ हो गई कि मृतक आसपास का रहने वाला नहीं है. उस की हत्या करने के बाद लाश को कुएं में फेंका गया था. घटनास्थल की जांचपड़ताल में अधिकारियों को खून लगे पत्थर के अलावा ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिस से यह पता चलता कि मृतक कौन है? उस की हत्या किस ने और क्यों की

पुलिस ने लाश के फोटोग्राफ कराने के बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस बीच ग्वालियर के एडिशनल एसपी शियाज के.एम. ने एसएचओ शिवम राजावत और एसडीओपी संतोष पटेल को फोन कर इस मामले का जल्द खुलासा करने का निर्देश देते हुए बताया कि एसपी राकेश सगर ने इस घटना के हत्यारों पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया है. अधिकारियों के सामने लाश की शिनाख्त करना सब से बड़ी चुनौती थी. आमतौर पर ऐसे मामलों में पुलिस आसपास के थानों से गुमशुदा लोगों के बारे में पता करती है. एसएचओ शिवम राजावत ने भी यही किया. उन्होंने ग्वालियर के सभी पुलिस थानों से पता कराया कि कहीं इस हुलिए के किसी युवक की गुमशुदगी तो दर्ज नहीं है. उन की यह कोशिश बेकार गई, क्योंकि इस तरह के हुलिए वाले युवक की ग्वालियर के किसी भी थाने में कोई गुमशुदगी दर्ज नहीं थी. 

इस के बाद उन्होंने एसआई शुभम शर्मा, एएसआई हरिओम शर्मा, हैडकांस्टेबल सुनील गोयल व प्रमोद रावत, कांस्टेबल अनिल शर्मा, मुकेश, शैलेंद्र राजीव, सोनू राजपूत, मनीष राठौर, जितेंद्र, अभिलाष तोमर की टीम गठित कर इस केस को खोलने में लगा दिया. इस के अलावा उन्होंने कत्ल की इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अपने भरोसेमंद मुखबिरों की भी मदद ली. साथ ही खुद भी अपने स्तर पर जानकारी जुटाने में जुट गए. यह केस उटीला के एसएचओ शिवम राजावत के लिए किसी अबूझ पहेली से कम नहीं था, क्योंकि घटनास्थल पर उन्हें कोई ऐसा सबूत नहीं मिला था, जिस से लाश की शिनाख्त होती या कत्ल के बारे में कोई सुराग मिलता. 

उन की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मृतक से हत्यारे की क्या दुश्मनी थी, जो उसे मार कर उस की लाश कुएं में फेंकी गई. इसी केस पर सोचविचार के दौरान 6 सितंबर की सुबह उन के दिमाग में ई-रक्षा ऐप का खयाल आया. 

ई-रक्षा ऐप से हुई लाश की शिनाख्त

एसएचओ ने ई-रक्षा ऐप पर गुम व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई तो उन्हें सफलता मिल गई. कुएं से मिली लाश के हुलिए के आधार पर मृतक की शिनाख्त महावीर शरण कौरव निवासी गांव ररुआ आलमपुर भिंड हाल निवास गुड़ीगुडा नाका ग्वालियर के रूप में हो गई. उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट 5 सितंबर को भिंड जिले के आलमपुर थाने में दर्ज हुई थी. मृतक की शिनाख्त होते ही एसएचओ ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 103 (1) 238 के तहत दर्ज कर जांच शुरू कर दी. अब पुलिस टीम महावीर के हत्यारे की खोज में जुट गई.

एसएचओ शिवम राजावत ने इस मामले की तफ्तीश की शुरुआत भोगीपुरा में तिराहे पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने से की. उन्होंने सीसीटीवी से मिले फुटेज महावीर के जानपहचान वालों और रिश्तेदारों को दिखाए और उन से पूछताछ की. इन फुटेज में दिखाई दिए एक युवक की पहचान महावीर के रिश्तेदारों ने सुरेंद्र कौरव के रूप में करते हुए यह भी बताया कि सुरेंद्र के साथ मृतक की पत्नी के अवैध संबंध हैं. अवैध संबंधों की बात सामने आने पर मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस ने महावीर की पत्नी ज्योति और सुरेंद्र कौरव निवासी मुरावली को संदेह के घेरे में लेते हुए हिरासत में ले लिया. 

उन्होंने सब से पहले ज्योति से पूछताछ की, लेकिन उस ने महावीर की हत्या और सुरेंद्र से अवैध संबंधों के बारे में कुछ भी नहीं बताया. तब उन्होंने उस के मोबाइल फोन को चैक किया तो वह फार्मेट किया हुआ मिला. इस से यह बात साफ हो गई कि दाल में कुछ काला है. एसएचओ ने अपनी जांचपड़ताल आगे बढ़ाने के लिए ज्योति के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स देख कर वे हैरान रह गए. ज्योति के मोबाइल पर एक ही नंबर से तकरीबन 500 से ज्यादा फोन आए थे. 

तफ्तीश के दौरान पता चला कि मृतक महावीर की पत्नी ज्योति और सुरेंद्र के बीच रोजाना मोबाइल फोन पर लंबी बातचीत होती थी. 3 से 5 सितंबर के बीच भी ज्योति और सुरेंद्र के बीच कई बार काफी देर तक बातचीत हुई थी. जांच के दौरान सुरेंद्र और ज्योति पूरी तरह संदेह के दायरे में आ चुके थे. पुलिस टीम ने सुरेंद्र को दबोचने के लिए कई जगह दबिश डाली, लेकिन वह नहीं मिला. पुलिस ने मुरावली गांव में उस के घर पर भी दबिश दी, लेकिन वह वहां भी नहीं मिला. उस के घर वालों सेे पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि वह 5 सितंबर को अयोध्या में रामलला के दर्शन करने गया था. 

इस पर पुलिस टीम उस की तलाश में अयोध्या पहुंची. वहां श्रीराम जन्मभूमि तीर्थस्थल और आसपास के घाट सहित अयोध्या के थाना कोतवाली क्षेत्र में सुरेंद्र की तलाश की, लेकिन पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली. अयोध्या से पुलिस टीम खाली हाथ लौट आई. लगातार असफलता मिलने के बाद भी पुलिस टीम सरगर्मी से सुरेंद्र की तलाश में जुटी हुई थी. सुरेंद्र के फोटो ले कर पुलिस टीम विभिन्न इलाकों में उस की तलाश कर रही थी. इस बीच मुखबिर ने एसएचओ को महत्त्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि सुरेंद्र कौरव इस वक्त रनगवां तिराहे के पास स्थित यात्री प्रतीक्षालय के निकट किसी वाहन के इंतजार में खड़ा है. 

पुलिस टीम तत्काल मुखबिर की बताई जगह पर पहुंची. पुलिस को सुरेंद्र वहां खड़ा मिल गया. वह वहां से वाहन में सवार हो कर कहीं भागने की फिराक में था. पुलिस ने आरोपी सुरेंद्र को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से महावीर की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई. पहले तो वह साफ मुकर गया, लेकिन जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. उस ने महावीर शरण कौरव की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि महावीर की पत्नी ज्योति के कहने पर उस की हत्या की थी. सुरेंद्र का कुबूलनामा सुन कर एसडीओपी संतोष पटेल और एसएचओ शिवम राजावत हैरान रह गए. देखने में भोलीभली लगने वाली ज्योति नागिन से भी ज्यादा खतरनाक निकली, जिस ने इश्क के नशे में चूर हो कर अपने ही पति को डस लिया. 

सुरेंद्र और ज्योति इस तरह आए करीब

सुरेंद्र और ज्योति से की गई पूछताछ में महावीर की हत्या की लव क्राइम की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है

महावीर शरण कौरव मध्य प्रदेश के भिंड जिले के गांव ररुआ का रहने वाला था. उस के पिता महेंद्र कौरव गांव में रह कर खेतीकिसानी कर अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. महेंद्र का बड़ा बेटा महावीर शादी के बाद अपने हिस्से में मिली 12 बीघा जमीन बंटाई पर दे कर पत्नी ज्योति और 3 साल के बेटे के साथ ग्वालियर के गुडीगुडा नाका क्षेत्र में किराए पर कमरा ले कर रहने लगा था. महावीर और सुरेंद्र आपस में रिश्तेदार थे. इस वजह से सुरेंद्र अकसर महावीर के घर आताजाता रहता था. जब कभी सुरेंद्र फुरसत में होता तो सुबह से ही महावीर के घर पर गांजा ले कर पहुंच जाता था. फिर सुरेंद्र और महावीर पूरे दिन चिलम में गांजा भर कर पीते थे. रात होने पर महावीर के घर से खाना खा कर सुरेंद्र अपने घर चला जाता था. 

इसी दौरान ज्योति की सुरेंद्र से आंखें चार हो गईं. सुरेंद्र जब भी खूबसूरत ज्योति को देखता तो उस के दिल में हलचल मच जाती थी. सुरेंद्र पर दिल आया तो ज्योति ने उस पर डोरे डालने शुरू कर दिए. ज्योति का पति महावीर अनपढ़ और भोलाभाला था. उसे मोबाइल पर इंस्टाग्राम भी चलाना नहीं आता था, जबकि 10वीं फेल ज्योति इंस्टाग्राम की शौकीन थी. महावीर का ममेरा भाई सुरेंद्र भले ही अनपढ़ था, लेकिन उसे इंस्टाग्राम चलाना आता था. इसलिए भी ज्योति सुरेंद्र को पसंद करने लगी थी. ज्योति के जेहन में क्या है, यह बात सुरेंद्र की समझ में जल्दी ही आ गई. ज्योति की निगाहों में जो प्यास झलकती थी, उसे सुरेंद्र ने भांप लिया था. इस के बाद तो ज्योति उसे हूर की परी नजर आने लगी. वह ज्योति की खूबसूरती पर फिदा हो कर उस के मोहपाश में बंधता चला गया. 

कोई डेढ़ साल पहले महावीर 2-4 दिन के लिए अपने गांव ररुआ गया हुआ था. सुरेंद्र को जब इस बात का पता चला तो पूरे दिन उस का मन किसी काम में नहीं लगा. वह ज्योति के बारे में ही सोचता रहा. दिन ढलने के बाद सुरेंद्र महावीर के घर पहुंचा तो ज्योति सजसंवर कर दरवाजे पर खड़ी मिली. उसे देख कर सुरेंद्र का दिल बेकाबू हो गया. सुरेंद्र बिना किसी हिचकिचाहट के घर के अंदर चला गया. सुरेंद्र को घर आया देख कर ज्योति ने अपनी मुसकराहट छिपा ली और भोलेपन से कहा, ”तुम्हारे भैया तो गांव गए हुए हैं.’’

भौजी, यह बात तो हमें पता है. इसीलिए तो आए हैं.’’ सुरेंद्र ने हंस कर जवाब दिया.

सुरेंद्र की बात सुन कर ज्योति बोली, ”भैया, आज आप के पास कोई काम नहीं था क्या?’’

भौजी, काम तो था, लेकिन काम करने में हमारा मन बिलकुल भी नहीं लगा.’’ सुरेंद्र ने कहा.

आखिर ऐसी क्या बात थी?’’ ज्योति ने फिर पूछा.

सच बताऊं भौजी, तुम्हारी खूबसूरती ने मुझे बेचैन कर के रख दिया है,’’ सुरेंद्र बोला.

अरे, ऐसी खूबसूरती किस काम की जिस की कोई कद्र न हो.’’ ज्योति ने बिना किसी लागलपेट के लंबी सांस ले कर कहा.

महावीर भैया आप की जरा भी कद्र नहीं करते क्या भौजी?’’ सुरेंद्र ने ज्योति के मन को टटोलते हुए कहा.

जानबूझ कर अनजान मत बनो सुरेंद्र, तुम अच्छी तरह जानते हो कि तुम्हारे भैया को गांजा पीनेपिलाने से ही फुरसत नहीं मिलती है. ऐसी स्थिति में मेरी रातें कैसे गुजरती हैं, यह मैं ही जानती हूं.’’ ज्योति रुआंसी हो कर बोली. 

भौजी, जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. कैंसर से पत्नी की मौत के बाद उस की याद में रात भर करवट बदलता रहता हूं. यदि दिल से तुम मेरा साथ देने को तैयार हो तो हम दोनों को इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है.’’ सुरेंद्र ने यह बात कह कर ज्योति को अपनी बाहों में भर लिया.

ज्योति ने क्यों ठिकाने लगवाया पति

ज्योति तो यही चाहती थी, लेकिन उस ने दिखावे के तौर पर आंखें तरेरते हुए कहा, ”सुरेंद्र भैया, यह क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे. इन बातों का पता घर और मोहल्ले वालों को चल गया तो मैं बदनाम हो जाऊंगी और कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.’’

नहीं भौजी, अब यह संभव नहीं है. कोई सिरफिरा ही होगा जो रूपयौवन के इस प्याले के इतने करीब पहुंच कर अपने कदम पीछे खींचेगा.’’ यह कह कर सुरेंद्र ने ज्योति पर अपनी बाहों का कसाव बढ़ा दिया.

दिखावे के लिए ज्योति न.. न… न… करती रही, जबकि वह खुद कामोत्तेजना के चलते सुरेंद्र से लिपटी जा रही थी. सुरेंद्र कोई बच्चा नहीं था जो ज्योति की इच्छा को समझ नहीं पाता. कुछ ही देर में दोनों ने मर्यादा भंग कर दी. एक बार झिझक मिटी तो सिलसिला शुरू हो गया. दोनों को जब भी मौका मिलता, वे उस का फायदा उठाते. ज्योति और सुरेंद्र अब खुश रहने लगे थे, क्योंकि दोनों की शारीरिक भूख मिटने लगी थी.  पुरानी कहावत है इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. ऐसा ही ज्योति और सुरेंद्र के संबंधों में भी हुआ, उन के नाजायज संबंधों को ले कर अड़ोसपड़ोस में बातें होने लगी. कुछ दिनों में इस की भनक महावीर को भी लग गई. 

पहले तो उस ने समाज की ऊं चनीच बता कर ज्योति को समझाया, लेकिन कोई असर न होता देख कर उस ने ज्योति पर सख्ती करनी शुरू कर दी. ज्योति पर पति की सख्ती का कोई असर नही हुआ, क्योंकि पिछले डेढ़ साल में वह सुरेंद्र के प्यार में आकंठ डूब चुकी थी. पति की सख्ती से ज्योति और सुरेंद्र को एकदूसरे से मिलने का मौका नहीं मिल रहा था. ज्योति से न मिल पाने पर सुरेंद्र की तड़प भी बढ़ती जा रही थी. दोनों के लिए यह बरदाश्त से बाहर की बात हो गई थी. आखिर एक दिन पति की गैरमौजूदगी में ज्योति ने सुरेंद्र को बुलाकर सारी बातें बताईं. फिर दोनों ने मिल कर महावीर को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. अपनी योजना पर सुरेंद्र और ज्योति यह सोच कर खुश थे कि पुलिस उन तक कभी नहीं पहुंच पाएगी और वे महावीर की गांव वाली 12 बीघा जमीन बेच कर आराम से शहर में रहेंगे, लेकिन कानून के लंबे हाथों ने उन के मंसूबों पर पानी फेर दिया. 

दोनों जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए. मृतक महावीर का मासूम बेटा अपने बाबा महेंद्र कौरव के पास पैतृक गांव ररुआ आ गया और दादादादी के साथ रह रहा था.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

एनिवर्सरी पर पत्नी ने पति को बालकनी से फेंका

प्रेमिका सोफिया के लिए डिसिल्वा अपनी पैसे वाली पत्नी मैरी को जिस तरह मारना चाहता था, ठीक उसी तरह मैरी ने उसे ही ठिकाने लगा कर शिकारी को ही शिकार बना डाला सुबह नहाधो कर मैरी बाथरूम से निकली तो उस की दमकती काया देख कर डिसिल्वा खुद को रोक नहीं पाया और लपक कर उसे बांहों में भर कर बेतहाशा चूमने लगा. मैरी ने मोहब्बत भरी अदा के साथ खुद को उस के बंधन से आजाद किया और कमर मटकाते हुए किचन की ओर बढ़ गई. उस के होंठों पर शोख मुसमान थी. थोड़ी देर में वह किचन से बाहर आई तो उस के हाथों में कौफी से भरे 2 मग थे. एक मग डिसिल्वा को थमा कर वह उस के सामने पड़े सोफे पर बैठ गई

डिसिल्वा कौफी का आनंद लेते हुए अखबार पढ़ने लगा. उस की नजर अखबार में छपी हत्या की एक खबर पर पढ़ी तो तुरंत उस के दिमाग यह बात कौंधी कि वह अपनी बीवी मैरी की हत्या किस तरह करे कि कानून उस का कुछ बिगाड़ सके. वह ऐसा क्या करे कि मैरी मर जाए और वह साफ बच जाए. वह उस कहावत के हिसाब से यह काम करना चाहता था कि सांप भी मर जाए और लाठी भी टूटे. डिसिल्वा ने 2 साल पहले ही मैरी से प्रेमविवाह किया था. अब उसे लगने लगा था कि मैरी ने उस पर जो दौलत खर्च की है, उस के बदले उस ने उस से अपने एकएक पाई की कीमत वसूल कर ली है. अब उसे अपनी सारी दौलत उस के लिए छोड़ कर मर जाना चाहिए, क्योंकि उस की प्रेमिका सोफिया अब उस का और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती. वह खुद भी उस से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकता.

लेकिन यह कमबख्त मैरी रास्ते का रोड़ा बनी हुई है. इस रोड़े को हटाए बगैर सोफिया उस की कभी नहीं हो सकेगी. लेकिन इस रोड़े को हटाया कैसे जाए? डिसिल्वा मैरी को ठिकाने लगाने के बारे में सोचते हुए इस तरह डूब गया कि कौफी पीना ही भूल गया. डिसिल्वा को सोच में डूबा देख कर मैरी बोली, ‘‘तुम कहां खोए हो कि कौफी पीना भी भूल गए. तुम्हारी कौफी ठंडी हो रही है. और हां, हमारी बालकनी के एकदम नीचे एक गुलाब खिल रहा है. जरा देखो तो सही, कितना खूबसूरत और दिलकश लग रहा है. शाम तक वह पूरी तरह खिल जाएगा. सोच रही हूं, आज शाम की पार्टी में उसे ही अपने बालों में लगाऊं. डार्लिंग, आज हमारी मैरिज एनवरसरी है, तुम्हें याद है ना?’’

‘‘बिलकुल याद है. और हां, गुलाब कहां खिल रहा है?’’ डिसिल्वा ने मैरी की आंखों में शरारत से झांकते हुए हैरानी से पूछा.

‘‘बालकनी के ठीक नीचे जो गमला रखा है, उसी में खिल रहा है.’’ मैरी ने कहा.

बालकनी के ठीक नीचे गुलाब खिलने की बात सुन कर डिसिल्वा के दिमाग में तुरंत मैरी को खत्म करने की योजना गई. उस ने सोचा, शाम को वह गुलाब दिखाने के बहाने मैरी को बालकनी तक ले जाएगा और उसे नीचे खिले गुलाब को देखने के लिए कहेगा. मैरी जैसे ही झुकेगी, वह जोर से धक्का देगा. बस, सब कुछ खत्म. मैरी बालकनी से नीचे गमलों और रंगीन छतरियों के बीच गठरी बनी पड़ी होगी. इस के बाद वह एक जवान गमजदा पति की तरह रोरो कर कहेगा, ‘हाय, मेरी प्यारी बीवी, बालकनी से इस खूबसूरत गुलाब को देखने के लिए झुकी होगी और खुद को संभाल पाने की वजह से नीचे गई.’

अपनी इस योजना पर डिसिल्वा मन ही मन मुसकराया. उसे पता था कि शक उसी पर किया जाएगा, क्योंकि बीवी की इस अकूत दौलत का वही अकेला वारिस होगा. लेकिन उसे अपनी बीवी का धकेलते हुए कोई देख नहीं सकेगा, इसलिए यह शक बेबुनियाद साबित होगा. सड़क से दिखाई नहीं देगा कि हुआ क्या था? जब कोई गवाह ही नहीं होगा तो वह कानून की गिरफ्त में कतई नहीं सकेगा. इस के बाद पीठ पीछे कौन क्या सोचता है, क्या कहता है, उसे कोई परवाह नहीं है. डिसिल्वा इस बात को ले कर काफी परेशान रहता था कि सोफिया एक सस्ते रिहाइशी इलाके में रहती थी. वैसे तो उस की बीवी मैरी बहुत ही खुले दिल की थी. वह उस की सभी जरूरतें बिना किसी रोकटोक के पूरी करती थी. तोहफे देने के मामले में भी वह कंजूस नहीं थी, लेकिन जेब खर्च देने में जरूर आनाकानी करती थी. इसीलिए वह अपनी प्रेमिका सोफिया पर खुले दिल से खर्च नहीं कर पाता था

सोफिया का नाम दिमाग में आते ही उसे याद आया कि 11 बजे सोफिया से मिलने जाना है. उस ने वादा किया था, इसलिए वह उस का इंतजार कर रही होगी. अब उसे जाना चाहिए, लेकिन घर से बाहर निकलने के लिए वह मैरी से बहाना क्या करे? बहाना तो कोई भी किया जा सकता है, हेयर ड्रेसर के यहां जाना है या शौपिंग के लिए जाना है. वैसे शौपिंग का बहाना ज्यादा ठीक रहेगा. आज उस की शादी की सालगिरह भी है. इस मौके पर उसे मैरी को कोई तोहफा भी देना होगा. वह मैरी से यही बात कहने वाला था कि मैरी खुद ही बोल पड़ी, ‘‘इस समय अगर तुम्हें कहीं जाना है तो आराम से जा सकते हो, क्योंकि मैं होटल डाआर डांसिंग क्लास में जा रही हूं. आज मैं लंच में भी नहीं सकूंगी, क्योंकि आज डांस का क्लास देर तक चलेगा.’’

‘‘तुम और यह तुम्हारी डांसिंग क्लासमुझे सब पता है.’’ डिसिल्वा ने मैरी को छेड़ते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है, तुम उस खूबसूरत डांसर पैरी से प्यार करने लगी हो, आजकल तुम उसी के साथ डांस करती हो ?’’

‘‘डियर, मैं तो तुम्हारे साथ डांस करती थी और तुम्हारे साथ डांस करना मुझे पसंद भी था. लेकिन शादी के बाद तो तुम ने डांस करना ही छोड़ दिया.’’ मैरी ने कहा.

‘‘आह! वे भी क्या दिन थे.’’ आह भरते हुए डिसिल्वा ने छत की ओर देखा. फिर मैरी की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, ‘‘तुम्हें जुआन के यहां वाली वह रात याद है , जब हम ने ब्लू डेनूब की धुन पर एक साथ डांस किया था?’’ 

डिसिल्वा ने यह बात मैरी से उसे जज्बाती होने के लिए कही थी. क्योंकि उस ने तय कर लिया था कि अब वह उस के साथ ज्यादा वक्त रहने वाली नहीं है. इसलिए थोड़ा जज्बाती होने में उसे कोई हर्ज नहीं लग रहा था.

‘‘मैं वह रात कैसे भूल सकती हूं. मुझे यह भी याद है कि उस रात तुम ने अपना इनाम लेने से मना कर दिया था. तुम ने कहा था, ‘हम अपने बीच रुपए की कौन कहे, उस का ख्याल भी बरदाश्त नहीं कर सकते.’ तुम्हारी इस बात पर खुश हो कर मैं ने तुम्हारा वह घाटा पूरा करने के लिए तुम्हें सोने की एक घड़ी दी थी, याद है तुम्हें?’’

‘‘इतना बड़ा तोहफा भला कोई कैसे भूल सकता है.’’ डिसिल्वा ने कहा. इस के बाद डिसिल्वा सोफिया से मिलने चला गया तो मैरी अपने डांस क्लास में चली गई. डिसिल्वा सोफिया के यहां पहुंचा. चाय पीने के बाद आराम कुर्सी पर सोफिया को गोद में बिठा कर डिसिल्वा ने उसे अपनी योजना बताई. सोफिया ने उस के गालों पर एक चुंबन जड़ते हुए कहा, ‘‘डार्लिंग, आप का भी जवाब नहीं. बस आज भर की बात है, कल से हम एक साथ रहेंगे.’’

दूसरी ओर होटल डाआर में मैरी पैरी की बांहों में सिमटी मस्ती में झूम रही थी. वह अपने पीले रंग के बालों वाले सिर को म्यूजिक के साथ हिलाते हुए बेढं़गे सुरों में पैरी के कानों में गुनगुना रही थी. पैरी ने उस की कमर को अपनी बांहों में कस कर कहा, ‘‘शरीफ बच्ची, इधरउधर के बजाए अपना ध्यान कदमों पर रखो. म्यूजिक की परवाह करने के बजाए बस अपने पैरों के स्टेप के बारे में सोचो.’’

‘‘मैं तुम्हारे साथ डांस कर रही होऊं तो तुम मुझ से इस तरह की उम्मीद कैसे कर सकते हो? फिर यह क्या मूर्खता है, तुम मुझे बच्ची क्यों कह रहे हो?’’

‘‘बच्ची नहीं तो और क्या हो तुम?’’ पैरी ने कहा, ‘‘एक छोटी सी शरीफ, चंचल लड़की, जो अपने अभ्यास पर ध्यान देने के बजाए कहीं और ही खोई रहती है. अच्छा आओ, अब बैठ कर यह बताओ कि रात की बात का तुम ने बुरा तो नहीं माना? रात को मैं ने तुम्हारे पैसे लेने से मना कर दिया था ना. इस की वजह यह थी कि मैं इस खयाल से भी नफरत करता हूं कि हमारी दोस्ती के बीच पैसा आए.’’

‘‘मैं ने बिलकुल बुरा नहीं माना. उसी कसर को पूरा करने के लिए मैं तुम्हारे लिए यह प्लैटिनम की घड़ी लाई हूं, साथ में चुंबनों की बौछार…’’ कह कर मैरी पैरी के चेहरे को अपने चेहरे से ढक कर चुंबनों की बौछार करने लगी. डिसिल्वा ने मैरी को तोहफे में देने के लिए हीरे की एक खूबसूरत, मगर सेकेंड हैंड क्लिप खरीदी थी. उस के लिए इतने पैसे खर्च करना मुश्किल था, लेकिन उस ने हिम्मत कर ही डाली थी. क्योंकि बीवी के लिए उस का यह आखिरी तोहफा था. फिर मैरी की मौत के बाद यह तोहफा सोफिया को मिलने वाला था. जो आदमी अपनी बीवी की शादी की सालगिरह पर इतना कीमती तोहफा दे सकता है, उस  पर अपनी बीवी को कत्ल करने का शक भला कौन करेगा?

डिसिल्वा ने हीरे की क्लिप मैरी को दी तो वाकई वह बहुत खुश हुई. वह  नीचे पार्टी में जाने को तैयार थी. उस ने डिसिल्वा का हाथ पकड कर बालकनी की ओर ले जाते हुए कहा, ‘‘आओ डार्लिंग, तुम भी देखो वह गुलाब कितना खूबसूरत लग रहा है. ऐसा लग रहा है, कुदरत ने उसे इसीलिए खिलाया है कि मैं उसे अपने बालों में सजा कर सालगिरह की पार्टी में शिरकत करूं.’’ डिसिल्वा के दिल की धड़कन बढ़ गई. उसे लगा, कुदरत आज उस पर पूरी तरह मेहरबान है. मैरी खुद ही उसे बालकनी की ओर ले जा रही है. सब कुछ उस की योजना के मुताबिक हो रहा है. किसी की हत्या करना वाकई दुनिया का सब से आसान काम है.

डिसिल्वा मैरी के साथ बालकनी पर पहुंचा. उस ने झुक कर नीचे देखा. उसे झटका सा लगा. उस के मुंह से चीख निकली. वह हवा में गोते लगा रहा था. तभी एक भयानक चीख के साथ सब कुछ  खत्म. वह नीचे छोटीछोटी छतरियों के बीच गठरी सा पड़ा था. उस के आसपास भीड़ लग गई थी. लोग आपस में कह रहे थे, ‘‘ओह माई गौड, कितना भयानक हादसा है. पुलिस को सूचित करो, ऐंबुलेंस मंगाओ. लाश के ऊपर कोई कपड़ा डाल दो.’’ थोड़ी देर में पुलिस गई.

दूसरी ओर फ्लैट के अंदर सोफे पर हैरानपरेशान उलझे बालों और भींची मुट्ठियां लिए, तेजी से आंसू बहाते हुए मैरी आसपास जमा भीड़ को देख रही थी. लोगों ने उसे दिलासा देते हुए इस खौफनाक हादसे के बारे में पूछा तो मैरी ने रोते हुए कहा, ‘‘मेरे खयाल से वह गुलाब देखने के लिए बालकनी से झुके होंगे, तभी…’’ कह कर मैरी फफक फफक कर रोने लगी.

 

क्या प्यार में अंधी सिपाही पत्नी ने फैमिली के 5 लोगों का किया कत्ल

प्रेमी पंकज से विवाह करने के बाद नीतू ठाकुर खुश थी, लेकिन बिहार पुलिस में सिपाही की नौकरी मिल जाने के बाद वह घमंडी हो गई. इसी दौरान उस का सिपाही सूरज ठाकुर के साथ चक्कर चल गया. वासना की आग में वह इतनी अंधी हो गई कि खूनी खेल के नतीजे में 5 मौतों का मंजर सामने आया…

बिहार पुलिस की कांस्टेबल नीतू ठाकुर रात होने पर औफिस से अपने क्वार्टर पर आई थी. उस के 2 बच्चे, सास और पति काफी समय से उस का इंतजार कर रहे थे. छोटी बेटी श्रेया तो सो गई थी. सास आशा कुंवर रसोई में खाना पका रही थीं, पति पंकज कुमार सिंह साढ़े 4 साल के बेटे शिवांश के साथ बैडरूम में था. बाहर खिड़की से कमरे में बाइक की जैसे ही तेज रोशनी आई, शिवांश बोल उठा, ”मम्मी आ गइल…आ गइल.’’

भागता हुआ वह घर के मेन दरवाजे पर जा पहुंचा. मम्मी को देख कर उसे दोनों हाथों से पकड़ लिया. नीतू उसे गोद में उठाते हुए बोली, ”शिब्बू, खाना खइल!’’

ना मम्मी!’’ प्यार से शिकायती लहजे में शिवांश बोला.

ना खइल अभी तक, दादी ने कुछ देले बिया… आ पापा कहां बाडऩ हो बेटा!’’ नीतू गोद में लिए बेटे को पुचकारने लगी.

का हो कनिया, आज फिर देर से अइलू? देख तो श्रेया दूध पीए खातिर तोहरा के इंतजार करतेकरते सुत गइल बिया!’’

काहे, दूध नइखे देवलो होकरा के!’’ नीतू बोली.

कहत रही, महतारी से दूध पीयब!’’ 

सास रसोई में रोटी बेलती हुई बोली.

पंकज का करत रहुवें? हम औफिसो में ड्यूटी करीं और घर संभालीं…आ उहां के घर में खाली पलंग तोडि़हें…कोई काम करत नइखे तो कम से कम बचवन के तो संभाले के चाही!’’

उल्टा! तू रोजरोज देर से घर आवतारु, आ हमरे के ताना मारतारु…आज केकरा साथ अइलू ह! आफिस में तहार ड्यूटी तो सांझे के खत्म हो जा ला!’’ नीतू का पति पंकज नाराजगी के साथ बोला.

तू सरकारी नौकरी करब तबे न पता चली कि केतना काम करे पड़े ला…सीनियर के बात माने पड़े ला… ओकरा के बात नइखे मानब, तब हमार नौकरिए खतरा में पड़ जाई…’’

हमरा के मूरख बनवा तारु? हम नइखे जानत तहरा के काम और आफिस में ड्यूटी!’’ पंकज बोला.

का जान तर हो! जरा हमहूं तो सुनीं? …पुलिस के नौकरी बा कोने प्राइवेट नइखे! पचहत्तर गो काम करे पड़ेला…’’ नीतू बिफरती हुई बोली.

हांहां पचहत्तर गो काम में घूमेफिरे के भी बा… दोस्तयार संगे!’’ पंकज ने ताना मारा.

नीतू ठाकुर (30) बिहार में भागलपुर एसएसपी औफिस के आरटीआई सेक्शन में कांस्टेबल थी. वह रहने वाली भोजपुर जिलांतर्गत बक्सर की थी. उस ने  पुलिस में नौकरी लगने के बाद सवर्ण जाति के युवक पंकज कुमार सिंह (32 वर्ष) से प्रेम विवाह किया था. हालांकि दोनों का प्रेम संबंध काफी पहले से चल रहा था. नीतू की पहली जौइनिंग 2015 में सिपाही के तौर पर नवगछिया में हुई थी. उस के 7 साल बाद 2022 में उस की पोस्टिंग भागलपुर के एसएसपी औफिस स्थित आरटीआई सेक्शन में हो गई थी. इस तैनाती के बाद नीतू पूरे परिवार के साथ भागलपुर पुलिस लाइन के क्वार्टर नंबर सीबी-38 में आ गई थी. 

पंकज पहले अपने पैतृक शहर बक्सर के एक माल में काम करता था. वह भी पत्नी के साथ भागलपुर आ गया था और प्राइवेट जौब करने लगा था. साथ में नीतू की 65 वर्षीया सास और 2 बच्चे भी रहते थे. 

कैसे आगे बढ़ी नीतू की प्रेम कहानी

पंकज ने जब नीतू से शादी करने का फैसला लिया था, तब उसे परिवार के काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. उन की प्रेम कहानी भी कुछ कम अनोखी नहीं थी. वे पहली बार बक्सर के एक माल में मिले थे. नीतू की मां शांति देवी जनवरी 2003 में अपने पति के निधन के बाद 4 बेटियों और एक बेटे को ले कर सारण के हरपुर जान गांव से बक्सर आ गई थीं. उन का बक्सर के नई बाजार स्थित तातो मोहल्ले में मायका था. मायके में पिता गणेश ठाकुर और भाई नागेंद्र ठाकुर के परिवार के साथ आ कर अपने पांचों बच्चों की परवरिश के लिए रहने लगी थी. इस तरह से नीतू का बक्सर ननिहाल है. उस की 2 बहनों की शादी हो चुकी थी, जबकि एक कुंवारी थी और भाई सेना में नौकरी करता था.

नीतू ने बक्सर में ही ग्रैजुएशन किया. पंकज कुमार सिंह भोजपुर जिले के मझियांव गांव का रहने वाला था. उस ने भी बक्सर कालेज से पढ़ाई की थी और बक्सर के एक माल में काम करता था. वहीं घरेलू खर्च में सहयोग देने के लिए नीतू भी काम करने आई थी, जहां उस की मुलाकात पंकज से हुई. जल्द ही वे एकदूसरे से प्यार करने लगे. जबकि वे यह जानते थे कि उन की जातियां अलगअलग हैं. पंकज नीतू से प्यार जरूर करता था और शादी भी करना चाहता था, लेकिन उसे आशंका थी कि उस के घर वाले नीतू को पसंद नहीं करेंगे. इस का मुख्य कारण नीतू का पिछड़ी जाति से होना था, जबकि पंकज सवर्ण था.

नीतू का ध्यान प्रेम संबंध को ले कर जितना था, उस से कहीं अधिक वह अपने करिअर को ले कर गंभीर थी. वह बिहार सरकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होती रहती थी. पढ़ाई में अव्वल थी. दिखने में भी सुंदर और कदकाठी भी मजबूत थी. बातचीत का लहजा एकदम से स्पष्ट और ठोस था. बातें बनाना उसे नहीं आता था, लेकिन हर बात का जवाब वह तर्क के साथ देती थी. यह कहना गलत नहीं होगा कि वह एक समझदार और सुलझी हुई युवती थी और किसी को भी अपनी पहली मुलाकात में मोह लेती थी. यह बात पंकज को पसंद थी. पंकज भी कुछ इसी मिजाज का था. घर से सुखीसंपन्न था. खेतीबाड़ी थी. उस ने ठान रखा था कि सरकारी नौकरी मिले न मिले, वह एक दिन अपने पैरों पर खड़ा हो कर कुछ अलग काम करेगा. अपनी पहचान बनाएगा. 

उस के दिमाग में नई योजनाओं का आइडिया चलता रहता था. उस की यह बात नीतू को पसंद थी और उसे अपना दिल दे बैठी थी.

सिपाही बन कर नीतू क्यों हो गई घमंडी

एक दिन नीतू के लिए खुशी की वह घड़ी आ गई, जब उस ने बिहार पुलिस की प्रतियोगिता परीक्षा पास कर ली और कांस्टेबल की नौकरी मिल गई. यह जान कर पंकज भी बहुत खुश हुआ और उस ने ठान लिया कि चाहे जो अड़चन आए, वह उस से शादी जरूर करेगा. पंकज की जिंदगी में एक तरफ खुशी आई थी तो दूसरी तरफ वह तनाव से भी घिर गया था. पत्नी के ड्ïयूटी जाने पर घर संभालने की सारी जिम्मेदारी उस पर आ गई थी. न चाहते हुए उसे वह सब काम करने पड़े जो घरेलू महिलाएं करती हैं. यहां तक कि बच्चों की देखभाल में उन्हें नहलानाधुलाना, उन के कपड़ेलत्ते धोना, मलमूत्र साफ करना आदि जैसे काम भी करने पड़े. 

वह नीतू के लिए महज अपने कामधंधे के खयालों में डूबा रहने वाला एक बेरोजगार पति बन कर रह गया था. हालांकि उस के साथ उस की 65 वर्षीय मां आशा कुंवर भी रहती थीं. जैसेजैसे नीतू पर नौकरी का रंग चढऩे लगा, वैसेवैसे वह खुद को एक रुतबे वाली समझने लगी और पंकज के प्रति उस के व्यवहार में भी रूखापन आने लगा. छोटीछोटी बातों पर पंकज के काम में मीनमेख निकालने लगी थी. कई बार तो वह घर के काम में कोई गलती हो जाने पर पंकज से काफी उलझ जाती थी और बेरोजगारी का ताना मारने लगती थी.

पंकज उस के बदले हुए बरताव को समझ नहीं पा रहा था कि वह अपना बचाव कैसे करे? वह भीतर ही भीतर घुटने लगा था. उस की भावनाएं आहत होने लगी थीं. पुलिस असोसिएशन चुनाव के बाद जब से नीतू डेलिगेट्स बनी, तब से उस के व्यवहार में काफी फर्क आ गया था. उस के प्रति प्रेम में कमी आने लगी थी. इसी बीच कोरोना का दौर भी आ गया. लौकडाउन में नीतू की ड्यूटी सख्त हो गई. पंकज पर भी जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ गया. इस दौरान नीतू पंकज पर और अधिक हुकुम जताने लगी. उस के प्रति जरा भी प्यार के बोल नहीं निकलते थे. वह उसे आदेश देने लगी, जिस से वह चिड़चिड़ा हो गया. 

वह भीतरी पीड़ा से आहत था. जब भी समय मिलता, वह अपने दोनों बच्चों संग समय बिता कर या फिर खास दोस्त को दिल की बात बता कर मन हलका कर लिया करता था. नीतू के साथ खराब होते रिश्तों के कारण बच्चों पर भी असर पडऩे लगा था. तब नीतू का तबादला भागलपुर हो गया था. शिवांश की पढ़ाई को ले कर वह चिंतित रहता था. वहीं बेटे के लिए पंकज ने घर पर महिला ट्यूटर को लगा दिया था. बाद में ट्यूशन बंद करने के बाद बेटे का टेक्नो मिशन में एडमिशन करवा दिया था.

भागलपुर के पुलिस लाइन क्वार्टर में रहते पंकज और भी परेशान हो गया था. नीतू के बदले मनमिजाज और घरपरिवार के प्रति लापरवाही को ले कर पंकज ने एक दोस्त अवध को बताया था कि वह किस हद तक बेपरवाह हो गई है. घर आते ही एसी औन कर देती है और बैड पर लेट कर मोबाइल देखने लगती है. मानो उसे किसी से कोई लेनादेना ही न हो. वह बात करते हुए भाव खाती और बातबात पर उसे दुत्कार देती थी. वह उसे कमाने के लिए शहर जाने को कहती और उस की बेरोजगारी पर तंज कसती थी. वह उसे क्वार्टर से जाने के लिए भी दबाव देने लगी थी.

इसी बीच उसे नीतू के चालचलन को ले कर भी संदेह हो गया था. कारण, नीतू का पुलिस विभाग में ही काम करने वाले सूरज ठाकुर से मेलजोल काफी बढ़ गया था. उस के साथ काम करने वाला सूरज बक्सर का ही रहने वाला था. ड्यूटी खत्म होने के बाद नीतू सूरज के साथ समय गुजारने के लिए शहर में घूमने निकल जाती थी. दोनों क्लब, पार्क आदि में घंटों साथ उठतेबैठते थे. देर से क्वार्टर पर आना उस की नियमित आदत बन गई थी. वह अकसर जब सूरज के साथ बाइक पर आती थी, तब आसपास के लोग उसे गलत निगाहों से देखते थे. कई बार पड़ोसियों ने पंकज को टोका भी था और पत्नी को गैरमर्द के साथ अधिक समय तक रहने से मना करने के लिए भी कहा था.

नवगछिया में रहते हुए पंकज नीतू के रूखेपन से आहत था, जबकि भागलपुर में उस के सामने एक नई समस्या उस की बदचलनी की आ गई थी. इस की जानकारी बहुतों को थी. भोजपुर जिले के पीरो का रहने वाला उस का दोस्त अवध भी सब कुछ जानता था. उस ने जब पंकज से कोई कदम उठाने की बात कही. तब वह मायूस हो कर अपनी भाषा में बोला, ”का बोलीं अवध… बहुते प्रयास करनी कि नीतू पहिले जेंखां हो जास, लेकिन कुछो सुने के तैयारे नइखे… अब त हमरा मारे के भी उठ जा तारी… हमरे पर हाथ देत बिया… का करी दोस्त! हम नीतू के खातिर आपन गांवजवार, रिश्तानाता सभे छोड़ देहलीं, इन का के कुछो असरे ना होता…’’

जा एक बार फिर ओकरा के प्यार से समझाव… बालबच्चे के भविष्य की खातिर बोल… शायद मन बदल जाय!!’’ अवध ने सुझाव दिया.

तू कहा तार त, जा तानी आज ड्यूटी खतम होखे समय. सूरजो से बात करब, ओकरा के समझाइब.’’ पंकज बोला.

हां, यही ठीक रही.’’

और घर में मिलीं 5 लाशें

तारीख 12 अगस्त, 2024 की सोमवार का दिन था. पंकज अपने दोस्त के कहने पर शाम के वक्त नीतू के औफिस गया. दोनों वहां नहीं मिले. पता चला कि उन दोनों को साथसाथ क्लब में जाते देखा गया है. पंकज भी वहां जा पहुंचा और सूरज को नीतू के साथ हंसहंस कर बातें करते देखा. उस के इस रोमांस को देख कर पंकज और भी चिढ़ गया. उस ने नीतू को सूरज के साथ रंगेहाथों पकड़ा था. उन्हें देखते ही पंकज आगबबूला हो गया. सूरज को समझाना तो दूर वह नीतू संग ही उलझ गया. जबरदस्त बहस होने लगी. नीतू उसे गालियां देने लगी थी. उसे बेरोजगार और नामर्द तक कह डाला था. दोनों वहीं लडऩेझगडऩे लगे. उन का झगड़ा सड़क पर आ गया.

दोनों के बीच धक्कामुक्की की नौबत आ गई. पंकज नीतू को घर चलने के लिए घसीटने लगा, इस पर नीतू ने उस पर थप्पड़ जड़ दिए थे. अचानक नीतू के इस हमले से पंकज लडख़ड़ा कर गिर पड़ा था. नीतू उस पर पैर चलाने लगी थी. वहां भीड़ जुट गई थी, जबकि मौके की नजाकत को देख कर सूरज वहां से चला गया था. थोड़ी देर बाद नीतू और पंकज अपनेअपने रास्ते चले गए थे. अगले रोज 13 अगस्त, 2024 की सुबह करीब 9 बजे नीतू के घर दूध पहुंचाने वाला दूधिया आया था. काफी देर तक आवाज लगाने के बाद भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला, तब तक वहां आसपास के क्वार्टरों में रहने वाले पुलिसकर्मी और उस के परिवार के लोग पहुंच गए. जैसे ही उन में से एक पड़ोसी कादिर ने दरवाजे पर पैर मारा तो वह टूट गया. 

क्वार्टर के पहले कमरे में जहां नीतू की सास आशा कुंवर का गला रेता हुआ शव पड़ा था. वहीं, उस कमरे के भीतर की ओर जाने वाले बरामदे की छत से लगी लकड़ी में नायलौन की रस्सी के फंदे से पंकज का शव लटका हुआ था. बरामदे के साथ के एक दूसरे कमरे में नीतू और उस के दोनों बच्चों के भी गला रेते हुए शव पड़े थे. घटना की जानकारी मिलने पर भागलपुर (पूर्वी क्षेत्र) के डीआईजी विवेकानंद, एसएसपी आनंद कुमार, एसपी (सिटी) राज, डीएसपी (सिटी) अजय कुमार चौधरी, डीएसपी (लाइन) संजीव कुमार सहित कई पुलिस पदाधिकारी मौके पर पहुंच गए. 

घटनास्थल पर पुलिस को महिला कांस्टेबल नीतू ठाकुर (30 वर्ष), उस के 2 बच्चे यानी बेटा शिवांश उर्फ शिब्बू (साढ़े 4 वर्ष) और बेटी श्रेया (साढ़े 3 वर्ष) सहित सास आशा कुंवर (65 वर्ष) का गला रेता हुआ मिला. जबकि, नीतू के पति पंकज कुमार सिंह (32 वर्ष) का शव क्वार्टर के कमरे के बाहर फंदे से लटका हुआ मिला था. पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिस में पंकज ने इस बात का उल्लेख किया था कि उस की पत्नी नीतू ने पहले बच्चों और उस की मां आशा कुंवर की गला रेत कर हत्या कर दी थी. इसलिए नीतू की हत्या कर वह खुद फांसी लगा कर खुदकुशी कर रहा है.

पुलिस को घटनास्थल से घटना में प्रयुक्त चाकू और खून से सनी ईंट भी मिली. इस से यह स्पष्ट हो गया था कि नीतू की सास और उस के दोनों बच्चों का गला रेता गया होगा. जबकि नीतू की गला रेतने के बाद ईंट से कूच कर हत्या किए जाने के सबूत मिले. पुलिस इस बात की जांच में जुट गई थी सुसाइड नोट के मुताबिक पहले नीतू ने बच्चों और अपनी सास की हत्या की या फिर सभी की हत्या पंकज ने ही कर के खुदकुशी कर ली. या फिर घर में घुसे किसी अन्य व्यक्ति ने घटना को अंजाम दिया और घर के पीछे आंगन से हो कर वहां से फरार हो गया. यानी कि 4 हत्याएं और एक आत्महत्या का मामला काफी गंभीर था.

सिपाही सूरज ठाकुर के प्यार से परिवार में क्यों घुला जहर

बरामद सुसाइड नोट में पंकज ने क्राइम शाखा में कार्यरत कांस्टेबल सूरज ठाकुर को इस के लिए जिम्मेदार ठहराया था. उस ने पत्नी नीतू का अवैध संबंध होने का जिक्र भी किया था. इस कारण उस पर ही वारदात का संदेह हो गया था. उसी रोज घटना की सूचना में नीतू के मामा नागेंद्र ठाकुर को सूचना दे दी गई. उन्होंने इशाकचक थाने में केस दर्ज करवा दिया. उन्होंने दर्ज शिकायत में पंकज कुमार सिंह को ही सब का हत्यारा बताया. कांस्टेबल सूरज ठाकुर को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया. पुलिस इस हत्याकांड की जांच में जुट गई. 

पुलिस ने बीएनएस की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करते हुए 14 अगस्त, 2024 को आरोपी सूरज ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया. उस के बारे में पता चला कि वह उस दिन दोपहर से ड्यूटी से गायब था. किशनगंज जिले के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र में भातढाला का रहने वाला आरोपी सिपाही सूरज ठाकुर ने बिना किसी झिझक के नीतू से अपने प्रेमसंबंध कुबूल कर लिए. उस से शारीरिक संबंध की बात स्वीकार कर ली, लेकिन इस बात से इनकार किया कि इस सामूहिक हत्याकांड में उस का कोई हाथ है. सूरज के अनुसार नीतू से उस की जानपहचान भागलपुर में ही तब हुई थी, जब वह नवगछिया से ट्रांसफर हो कर एसएसपी कार्यालय के आरटीआई विभाग में आई थी. सूरज भी उसी कार्यालय के डीसीबी शाखा में तैनात था. दोनों शाखाएं एक ही कमरे में थीं. इस कारण उन की जानपहचान जल्द हो गई. उन के बीच एक संयोग और था कि दोनों एक ही बिरादरी के थे. इस कारण वे जल्द ही एकदूसरे के दोस्त बन गए थे.

सूरज सरकारी क्वार्टर में रहने के बजाय भागलपुर के सुरखीलाल मोहल्ले में किराए पर अकेले रहता था. सितंबर 2023 में सूरज कई दिनों से औफिस नहीं आया था. उसे डेंगू हो गया था. यह जान कर नीतू चिंतित हो गई थी. उन्हीं दिनों वह सूरज के कमरे पर गई. वहां उस की हालत देख कर और भी चिंतित हो गई. उस ने वहां जा कर कुछ घरेलू कामकाज निपटाए, दवाइयां दीं. इस आत्मीयता को पा कर सूरज के मन को काफी संतोष मिला. नीतू का सूरज के घर आनेजाने का सिलसिला कई दिनों तक बना रहा. वह औफिस से छुट्टी होने के बाद सूरज के पास चली जाती थी. सूरज भी उस की तीमारदारी से स्वस्थ होने लगा था. 

इस बीच इधरउधर की बातें कर एकदूसरे का मन बहला लिया करते थे. बातों ही बातों में एक दिन सूरज ने टोक दिया, ”यदि तुम पहले मिली होती तो मैं तुम से शादी कर लेता.’’  इस का जवाब नीतू ने हंसते हुए दिया था, ”अभी भी मैं जवान हूं, कहो तो पंकज को तलाक दे दूं?’’  उस के बाद दोनों हंसने लगे. सूरज बोला, ”और पंकज क्या करेगा?’’

कुछ भी करे, मुझे उस से क्या? कोई अच्छी नौकरी तो कर नहीं रहा.’’ नीतू तुनकती हुई बोली.

सूरज ने उस का हाथ थाम लिया था. धीरे से दबाता हुआ बोला, ”आई लव यू नीतू!’’

सेम टू’’ नीतू शरमाती हुई बोली.

कौन था 4 हत्याओं का जिम्मेवार

उस रोज नीतू और सूरज ने अपनेअपने दिल की बात कह डाली थी. बातों ही बातों में सूरज ने कहा था कि वह तो उसी की बिरादरी का है, चाहे तो वह उस से शादी कर सकता है. यहां तक कि उस ने नीतू और पंकज के बच्चों को अपनाने के लिए भी स्वीकृति दे दी. उस रोज एक तरह से दोनों ने विवाह करने की शपथ ले ली थी. मई 2024 में आम चुनाव होने के दरम्यान नीतू और सूरज को साथ रहने के कई मौके मिले. इसी बीच वे कामाख्या मंदिर भी घूमने गए और मौका मिलते ही दोनों ने शारीरिक संबंध भी बना लिए.

इसी साल दोनों घूमने के लिए जुलाई में दार्जिलिंग गए थे. पति पंकज से नीतू ने झूठ बोला था कि उसे वहां विशेष प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है. वहां भी उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए. वारदात के दिन 12 अगस्त को नीतू ने शाम को 6 बजे सूरज को काल कर बताया कि वह पूजा करने मंदिर जा रही है. वहां से लौट कर दोबारा काल करेगी. फिर रात के करीब 8 बजे नीतू का सूरज को काल आया, लेकिन व्यस्तता की वजह से काल रिसीव नहीं कर पाया. अगले रोज जब सूरज औफिस पहुंचा, तब उसे नीतू के परिवार समेत आकस्मिक मौत की खबर मिली. वह भागाभागा नीतू के क्वार्टर पर गया. वहां बहुत भीड़ लगी थी. उस के पहुंचते ही पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.

लव क्राइम की इस लोमहर्षक वारदात का एकमात्र आरोपी कांस्टेबल सूरज ठाकुर ही था, जिस के खिलाफ कथा लिखे जाने तक इशाकचक एसएचओ उत्तम कुमार की जांच जारी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह संशय बना हुआ था कि किस की मौत कब हुई और किस ने किसे मारा? रेंज डीआइजी विवेकानंद के निर्देश पर एसपी (सिटी) मिस्टर राज के नेतृत्व में गठित एसआईटी इस दिशा में तेजी से काम कर रही थी. एसएसपी आनंद कुमार स्वयं मामले की मौनिटरिंग कर रहे थे. फोरैंसिक जांच टीम ने घटनास्थल पर मिले खून लगे चाकू, तौलिया के अलावा क्वार्टर के दोनों कमरों के बैड से भी फिंगर प्रिंट के नमूने ले लिए थे.

कथा लिखने तक पुलिस नीतू के प्रेमी कांस्टेबल सूरज से पूछताछ कर रही थी. बहरहाल, नीतू के घमंड और अवैध संबंधों से एक हंसताखेलता परिवार खत्म हो गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

25 लाख के लिए प्रेमी से पति का कराया मर्डर

जब प्रेमी के चक्कर में फंसी पत्नी पति की दुश्मन बन जाए तो उसे कौन बचा सकता है? प्रतिभा ने प्रेमी ऋषि के साथ मिल कर पति के साथ यही किया, लेकिन…   

कृष्णा आगरा के थाना सदर के अंतर्गत आने वाले मधुनगर इलाके में अपने मांबाप और भाई अवनीत के साथ रहता था. इटौरा में उस की स्टील रेलिंग की दुकान थी जो काफी अच्छी चल रही थी. कृष्णा की अभी शादी नहीं हुई थी. उस की शादी के लिए जिला मैनपुरी के कस्बा बेवर की युवती प्रतिभा से बात चल रही थी. कृष्णा ने अपने परिवार के साथ जा कर लड़की देखी तो सब को लड़की पसंद गई. देखभाल के बाद शादी की तारीख भी नियत कर दी गई. फिर हंसीखुशी से शादी हो गई. नई दुलहन को सब ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन कृष्णा की मां ने महसूस किया कि दुलहन के चेहरे पर जो खुशी होनी चाहिए थी, वह नहीं है. जबकि कृष्णा बहुत खुश था. मां ने सोचा कि प्रतिभा जब घर में सब से घुलमिल जाएगी तो ठीक हो जाएगी.

हफ्ते भर बाद जब सारे रिश्तेदार अपनेअपने घर चले गए तो प्रतिभा का भाई उसे लेने के लिए गया. किसी ने भी इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया कि प्रतिभा आम लड़कियों की तरह खुश क्यों नहीं है. वह भाई के साथ पगफेरे के लिए चली गई और 4-6 दिन बाद कृष्णा उसे फिर ले आया. इस के बाद कृष्णा की पुरानी दिनचर्या शुरू हो गई. इसी बीच आगरा की आवासविकास कालोनी का रहने वाला ऋषि कठेरिया उस की दुकान पर आनेजाने लगा. ऋषि ठेके पर मकान बना कर देता था. धीरेधीरे कृष्णा का ऋषि के साथ व्यापारिक संबंध जुड़ने लगा. ऋषि कृष्णा को स्टील रेलिंग के ठेके दिलवाने लगा

दूसरी ओर प्रतिभा का व्यवहार परिवार वालों की समझ में नहीं रहा था. वह जबतब मायके जाने की जिद करने लगती तो सास उसे समझाती कि शादी के बाद बारबार मायके जाना ठीक नहीं है, ससुराल की जिम्मेदारियां भी संभालनी होती हैं. एक दिन प्रतिभा ने कृष्णा से कहा कि उसे अपने मांबाप की याद रही है, वह अपने मायके जाना चाहती है. इस पर कृष्णा ने कहा कि जब उसे फुरसत मिलेगी, वह उसे छोड़ आएगाठीक उसी समय प्रतिभा के मोबाइल पर किसी का फोन आया तो प्रतिभा ने फोन यह कह कर काट दिया कि वह फिर बात करेगी. लेकिन मायके जाने की बात पर वह अड़ी रही. आखिर कृष्णा ने कहा, ‘‘ठीक है, तुम तैयारी कर लो, मैं तुम्हें कल तुम्हारे मायके छोड़ आऊंगा.’’

अगले दिन घर वालों की इच्छा के खिलाफ कृष्णा उसे ससुराल ले गया. बस में बैठते ही प्रतिभा का मूड एकदम बदल गया. अब वह काफी खुश थी. शादी के 4 महीने बाद भी कृष्णा अपनी पत्नी के मूड को समझ नहीं पाया था. पर कृष्णा की मां की समझ में यह बात अच्छी तरह आ गई थी कि बहू कुछ तो उन से छिपा रही है. प्रतिभा ने मायके जाने से पहले फोन द्वारा किसी को खबर तक नहीं दी थी. अत: जब वह मायके पहुंची तो उसे देख कर उस की मां हैरान हो कर बोली, ‘‘अरे दामादजी, आप अचानक ही… फोन कर के खबर तो कर दी होती.’’ इस से पहले कि कृष्णा कुछ कहता प्रतिभा बोली, ‘‘मम्मी, हमारा फोन खराब था, इसलिए खबर नहीं कर पाई.’’

कृष्णा पत्नी की इस बात पर हैरान था कि प्रतिभा मां से झूठ क्यों बोली. उस ने महसूस किया कि उस की सास लक्ष्मी के माथे पर बल पड़े हुए थे. पत्नी को मायके छोड़ने के बाद कृष्णा जैसे ही आगरा वापस जाने के लिए घर से निकला तो उसे ऋषि दिख गया. उस ने पूछा, ‘‘अरे ऋषि, तुम यहां कैसे?’’ ‘‘मैं गुप्ताजी से मिलने आया हूं.’’ उस ने एक घर की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘वह रहा गुप्ताजी का घर.’’

‘‘अरे वो तो प्रतिभा के चाचा का घर है.’’ कृष्णा बोला.

‘‘हां, वही गुप्ताजी. मेरे पुराने जानकार हैं.’’ ऋषि ने कहा. कृष्णा हैरान था. तभी उस ने पूछा, ‘‘तब तो तुम यह भी जानते होगे कि गुप्ताजी के बड़े भाई मेरे ससुर हैं?’’

‘‘हांहां जानता हूं, प्रतिभा उन की ही तो बेटी है.’’ ऋषि ने लापरवाही से कहा.

‘‘लेकिन तुम ने यह बात मुझे पहले कभी नहीं बताई.’’ ऋषि ने पूछा.

‘‘कभी जरूरत ही नहीं पड़ी.’’ ऋषि ने  कहा तो कृष्णा ने मुड़ कर प्रतिभा को देखा. शक का एक कीड़ा उस के दिमाग में घुस चुका था. उस ने सामने से जाते हुए ईरिक्शा को रोका और बसअड्डे पहुंच गया. रास्ते भर वह यही सोचता रहा कि यदि ऋषि का प्रतिभा के चाचा के घर आनाजाना था तो यह बात उस ने या प्रतिभा ने उसे क्यों नहीं बताई. उस के जेहन में यह बात भी खटकने लगी कि मां ने उसे एकदो बार बताया था कि ऋषि उस की गैरमौजूदगी में भी कई बार उस के घर आया था. यह बातें सोच कर वह काफी तनाव में आ गया. 

अभी तक तो वह यह समझ रहा था कि नईनई शादी होने की वजह से प्रतिभा को मायके वालों की याद आती होगी, इसलिए उस का मन नहीं लग रहा होगा, लेकिन अब उसे लगने लगा कि उस का जल्दीजल्दी मायके आने का कोई और ही मकसद है. इसी तनाव में वह घर पहुंचा तो मां ने छूटते ही कहा, ‘‘बेटा, तेरी बीवी के रंगढंग हमें समझ नहीं रहे. उस का रोजरोज मायके जाना ठीक नहीं है.’’ उस समय कृष्णा ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि अभी उसे केवल शक ही था, जब तक वह मामले की तह तक नहीं पहुंचता तब तक घर में बता कर बेकार का फसाद फैलाना ठीक नहीं था.

हफ्ते भर बाद वह पत्नी को मायके से लिवा लाया. कुछ दिन बाद पता चला कि प्रतिभा गर्भवती है. पिता बनने की चाह में कृष्णा के मन की कड़वाहट पिघलने लगी. लेकिन उस ने अब ऋषि से घुलमिल कर बातें करनी बंद कर दीं. इधर ऋषि भी समझ गया था कि कृष्णा के तेवर कुछ बदले हुए से हैं, इसलिए वह भी सतर्क हो गया. शक का कीड़ा जो कृष्णा के दिमाग में रेंग रहा था, वह उसे चैन से नहीं रहने दे रहा था. वह अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं सकता था. एक दिन कृष्णा के बहनबहनोई घर आए तो बहनोई ने बातों ही बातों में कृष्णा से पूछा, ‘‘आजकल लगता है दुकान पर तुम्हारा मन नहीं लगता. क्या कोई परेशानी है?’’

‘‘नहीं जीजाजी, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल तबीयत कुछ ठीक नहीं है.’’ कृष्णा ने जवाब दिया.

‘‘लगता है, प्रतिभा तुम्हारा ठीक से खयाल नहीं रखती.’’ बहनोई ने पूछा तो कृष्णा की मां ने कह दिया, ‘‘अरे दामादजी, खयाल तो वो तब रखे जब उसे मायके आनेजाने से फुरसत मिले.’’ सास की बात प्रतिभा को अच्छी नहीं लगी. उस ने छूटते ही कहा, ‘‘इस घर में किसी को मेरी खुशी भी नहीं सुहाती.’’ कह कर वह दनदनाती हुई अपने कमरे में चली गई. इस से कृष्णा के बहनबइनोई समझ गए कि पतिपत्नी के संबंध सामान्य नहीं हैं. कृष्णा को पत्नी का यह व्यवहार बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. बहनबहनोई तो चले गए, लेकिन कमरे में आने के बाद उस ने प्रतिभा को दो  तमाचे जड़ते हुए कहा, ‘‘अपना व्यवहार सुधारो वरना अच्छा नहीं होगा.’’

‘‘अब इस से ज्यादा बुरा क्या होगा कि तुम्हारे जैसे आदमी के साथ मेरी शादी हो गई.’’ कह कर प्रतिभा बैड पर जा कर बैठ गई. उस दिन के बाद उन दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. दूसरी ओर प्रतिभा रात में देरदेर तक ऋषि के साथ मोबाइल पर बातें करती. एक दिन कृष्णा की नींद खुल गई तो उस ने देखा कि प्रतिभा किसी से बातें कर रही थी. वह समझ गया कि ऋषि से ही बातें कर रही होगी. कृष्णा समझ गया कि प्रतिभा अब आपे से बाहर होती जा रही है. पर करे तो क्या करे, यह उस की समझ में नहीं आ रहा था. इसी बीच प्रतिभा ने एक बेटी को जन्म दिया. पूरे घर में जैसे खुशी छा गई. बच्ची का नाम राधिका रखा गया. कृष्णा को उम्मीद थी कि मां बन जाने के बाद शायद प्रतिभा के व्यवहार में कोई फर्क आ जाए, पर ऐसा हुआ नहीं. कृष्णा को इस बात की पुष्टि हो गई थी कि ऋषि के साथ प्रतिभा के नाजायज संबंध शादी से पहले से थे. चूंकि ऋषि शादीशुदा था, इसलिए उस के साथ शादी करना प्रतिभा की मजबूरी थी.

प्रतिभा के मांबाप को सब कुछ मालूम था, इसीलिए उन्होंने बेटी को कृष्णा के गले बांध दिया और सोचा कि शादी के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा. लेकिन प्रतिभा का रवैया नहीं बदला. कृष्णा अपनी बेटी को बहुत प्यार करता था. वह प्रतिभा को भी खुश रखने का भरसक प्रयास करता था लेकिन अपनी परेशानी घर में किसी को बता नहीं पा रहा था. जबकि प्रतिभा के व्यवहार से कोई भी खुश नहीं था. धीरेधीरे समय गुजर रहा था. मौका मिलते ही प्रतिभा चोरीछिपे ऋषि से यहांवहां मिल लेती पर वह जानती थी कि कृष्णा जैसे व्यक्ति के साथ वह पूरा जीवन नहीं गुजार सकती. दूसरी ओर ऋषि भी शादीशुदा था, उसे लगता था कि उस का जीवन कटी पतंग की तरह है. प्रेमी ने कभी उसे इस बात के लिए आश्वस्त नहीं किया कि वह उसे अपने साथ रख सकता है.

संभवत: इसी कशमकश में प्रतिभा भी समझ नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे. कृष्णा से छुटकारा पाने के बारे में वह सोचने लगी पर वह जानती थी कि मायके वाले भी ऋषि के कारण उस के खिलाफ थेइसी बीच कृष्णा ने 25 लाख रुपए में अपनी एक जमीन बेच दी. वह रकम उस ने घर में ही रख दी थी. यह बात प्रतिभा को पता चल गई थी और अचानक उसे लगा कि पति के इस पैसे से वह प्रेमी को बाध्य कर देगी कि वह उस के साथ अपनी दुनिया बसा ले. प्रेमी को पाने की धुन में वह गुनहगार बनने को भी तैयार हो गई. एक दिन उस ने ऋषि को फोन कर के कहा कि वह उसे बड़ा फायदा करा सकती है.

ऋषि हंसने लगा, ‘‘अरे तुम तो हमेशा ही मुझे खुशियां देती हो.’’ ‘‘लेकिन तुम तो मुझे केवल सपने ही दिखाते हो जो आंखें खुलते ही टूट जाते हैं.’’ प्रतिभा ने तल्ख स्वर में कहा. ‘‘प्रतिभा, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो कि मेरी मजबूरियां क्या हैं. मेरी पत्नी है, बच्चे हैं. मैं उन्हें किस के सहारे छोड़ सकता हूं.’’ ऋषि ने कहा. प्रतिभा गुस्से में भर उठी, ‘‘तो मुझ से प्यार क्यों किया? क्यों मुझे झूठे सपने दिखाए? तुम ने तो सिर्फ अपना मतलब पूरा किया है. तुम्हें तो कभी मुझ से प्यार था ही नहीं.’’ प्रतिभा ने उस दिन ऋषि को साफसाफ कह दिया, ‘‘या तो तुम मुझे अपने साथ रखो अन्यथा मैं तुम्हारी जिंदगी से दूर चली जाऊंगी. समझ लो मैं आत्महत्या भी कर सकती हूं, जिस का दोष तुम्हारे ऊपर आएगा.’’

ऋषि ऐसे किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता था. अत: उस ने उस दिन प्रतिभा को किसी तरह समझाबुझा दिया कि वह कुछ सोचेगा. तभी प्रतिभा ने धीरे से कहा, ‘‘कृष्णा ने अपनी जमीन बेची है. 25 लाख की बिकी है.’’ ऋषि के कान खड़े हो गए. प्रतिभा ने आगे कहा, ‘‘इन 25 लाख के सहारे हम कहीं दूर जा कर अपनी दुनिया बसा सकते हैं.’’ ‘‘तुम पागल हो गई हो क्या, चोरी के इलजाम में जेल भिजवाओगी हमें.’’ ऋषि ने कहा. लेकिन वह जानता था कि प्रतिभा उस के प्यार में अंधी है और थोड़ाबहुत लाभ उसे हो सकता है. ऋषि ने उसे 2 दिन बाद किसी होटल में मिलने को कहा.

इस के बाद ऋषि को भी लालच गया. उस ने प्रतिभा से फोन पर बात की. प्रतिभा ने उस से साफ कह दिया, ‘‘मैं तो सिर्फ तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं. लेकिन कृष्णा हमारी खुशियों की राह में रोड़ा बना हुआ है.’’ फिर एक दिन बेटी को डाक्टर को दिखाने का बहाना कर प्रतिभा घर से निकली और एक कौफीहाउस में ऋषि से मिली. दोनों ने मिल कर एक षडयंत्र रचा, जिस में कृष्णा को रास्ते से हटाने की बात तय कर ली गई. नादान प्रतिभा प्रेमी की आशिकी में अंधी हो चुकी थी. उसे भलाबुरा नहीं सूझ रहा था. उस ने यह भी नहीं सोचा कि उस की 9 माह की बेटी का क्या होगा. इधर प्रतिभा के बदले हुए तेवर देख कर एक दिन सास ने कहा, ‘‘बहू, क्या बात है आजकल तू हर वक्त घर से निकलने के बहाने ढूंढती रहती है?’’

‘‘नहीं तो मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है. राधिका की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए परेशान रहती हूं.’’ प्रतिभा ने बहाना बनाया.

‘‘देख बहू, हमारे परिवार का समाज में सम्मान है. हमारे परिवार में बहुएं सिर्फ घर के बच्चों और पति के लिए ही जीतीमरती हैं.’’ कह कर सास अपने कमरे में चली गई. कृष्णा को रास्ते से हटाने की योजना बन चुकी थी और 25 लाख रुपए में से 5 लाख रुपए देने का वादा कर ऋषि ने इस साजिश में अपने दोस्त पवन निवासी रायमा, जिला मथुरा को भी शामिल कर लिया था. 13 फरवरी, 2018 को कृष्णा के पास ऋषि का फोन आया. उस ने बताया कि उसे एक बहुत बड़ा ठेका मिला है. उस बिल्डिंग में स्टील ग्रिल भी लगनी है. अगर तुम यह काम करना चाहते हो तो बात करने के लिए रायमा जाओ. कृष्णा ने पहले तो सोचा कि वह उस से कोई संबंध नहीं रखना चाहता, क्योंकि वह विश्वास के काबिल नहीं है. पर फिर उसे लगा कि पारिवारिक बातों को व्यापार से अलग ही रखना चाहिए. अत: उस ने कह दिया कि वह शाम तक रायमा पहुंच जाएगा.

कृष्णा ने घर से निकलते वक्त अपनी मां को बता दिया कि एक सौदा करने के लिए वह रायमा जा रहा है. पति के घर से निकलने के बाद प्रतिभा ने अपने प्रेमी ऋषि को फोन कर के बता दिया कि कृष्णा घर से चल दिया है. घर में किसी को भी नहीं मालूम था कि कौन सा कहर टूटने वाला था. कृष्णा रायमा पहुंचा तो वहां ऋषि, पवन और रायमा निवासी टिल्लू बातों में उलझा कर कृष्णा को खेतों की ओर ले गए. लेकिन तभी वहां कुछ लोग गए और वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके. जब रात में कृष्णा घर पहुंचा तो उसे देख कर प्रतिभा हैरान रह गई. देर रात को प्रतिभा ने ऋषि को फोन किया तो उस ने प्रेमिका को सारी बात बता दी. अगले दिन ऋषि ने कृष्णा के फोन पर बता दिया कि उस की पवन से बात हो गई है. वह अब अपने घर में रेलिंग लगाने का ठेका देने को तैयार हो गया है, तुम जाओ.

सीधासादा कृष्णा बिना कुछ सोचेसमझे 14 फरवरी, 2018 को अपनी मां से रायमा जाने की बात कह कर घर से निकल गया, जहां स्टेशन पर ही उसे ऋषि मिल गया. ऋषि उसे बातों में लगा कर इधरउधर घुमाता रहा. तब तक शाम हो गई. तभी पवन का फोन गया. उस के कहे मुताबिक, ऋषि कृष्णा को खेतों की तरफ ले गया. तब तक अंधेरा होने लगा था. तभी वहां उसे पवन दिखाई दिया, जिस ने इशारा कर के उन्हें सड़क पार कर खेत में आने को कहा. कृष्णा को जब तक कुछ समझ में आता तब तक काफी देर हो चुकी थी. वहीं टिल्लू भी आ गया तो कृष्णा ने कहा, ‘‘अगर तुम्हें सौदा मंजूर है तो अब जल्दी से कुछ एडवांस दे दो. रात भी हो रही है, मुझे घर पहुंचना है. प्रतिभा इंतजार कर रही होगी.’’

यह सुनते ही पवन हंसने लगा, ‘‘ओह क्या सचमुच तेरी बीवी तेरा इंतजार करती है. हमें तो यह पता है कि वह ऋषि का इंतजार करती है.’’ कृष्णा की समझ में अब कुछकुछ आने लगा था. उस ने कहा, ‘‘यह क्या बदतमीजी है, जल्दी करो मुझे जाना है.’’ यह कहते हुए वह अपनी बाइक की तरफ बढ़ा लेकिन तीनों झपट कर उसे खेत के अंदर ले गए और डंडों से उस की पिटाई शुरू कर दी. डंडों से पीटपीट कर उन्होंने उस की हत्या कर लाश वहीं छोड़ दी और चले गए.

इधर कृष्णा घर नहीं पहुंचा था. घर से जाने के बाद उस ने कोई फोन भी नहीं किया था. उस का फोन भी स्विच्ड औफ रहा था. सभी रिश्तेदारों को फोन कर पूछ लिया गया, पर वह कहीं नहीं था. अंतत: आगरा के थाना सदर में उस की गुमशुदगी लिखवा दी गई. प्रतिभा के मायके वालों को फोन किया गया तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि ऋषि से पूछताछ करें. थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह ने सभी थानों को वायरलैस द्वारा कृष्णा की गुमशुदगी की सूचना दे दी

16 फरवरी को पुलिस को रायमा के खेत में एक लाश मिलने की सूचना मिली, जिसे कृष्णा के भाई अवनीश ने पहचान कर शिनाख्त कर दी. घर वालों से पूछताछ की गई तो कृष्णा की मां ने कहा कि कृष्णा ने उसे बताया था कि रेलिंग का ठेका लेने के लिए वह रायमा जा रहा है. पर वह कहां जा रहा था, उसे पता नहीं था. 13 और 14 फरवरी को भी वह रायमा गया था. 13 को वह देर रात घर लौटा था. वह नहीं बता पाई कि कृष्णा रायमा में किस के पास गया था. पुलिस टीम हत्यारे की खोजबीन में लग गई. पुलिस की एक टीम बेवर भेजी गई तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता, लेकिन यदि कृष्णा के दोस्त ऋषि से पूछताछ की जाए तो कुछ पता चल सकता है. जांच अधिकारी ने महसूस किया कि प्रतिभा के मायके वाले कुछ छिपा रहे हैं.

इस के बाद थानाप्रभारी ने कृष्णा के घर जा कर प्रतिभा से पूछताछ की तो महसूस किया कि उसे पति की मौत का जैसे कोई दुख नहीं था. इसी बीच पुलिस को एक मुखबिर ने बताया कि ऋषि की दोस्ती रायमा निवासी पवन के साथ है. अगर उसे हिरासत में लिया जाए तो केस खुल सकता है. पुलिस ने रायमा में पवन को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि मृतक की पत्नी प्रतिभा के साथ ऋषि के नाजायज संबंध थे. मृतक की पत्नी प्रतिभा ने ऋषि को बता दिया था कि कृष्णा ने जो 25 लाख रुपए की जमीन बेची है, उन पैसों से वे एक अच्छी जिंदगी की बुनियाद रख सकते हैं. इस के बाद पवन ने कृष्णा की हत्या की सारी कहानी बता दी.

पुलिस ने 18 फरवरी को प्रतिभा को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस बीच पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि ऋषि ने बाह थाने में अपने अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिस में उस ने बताया था कि वह किसी तरह अपहर्त्ताओं के चंगुल से छूट कर भागा है. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने ऋषि और टिल्लू को भी गिरफ्तार कर लिया. प्रतिभा ने योजना बना कर अपने हाथों अपना सुहाग तो उजाड़ दिया, लेकिन उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिन 25 लाख रुपयों के लालच में उस ने यह सब किया, वह रकम कृष्णा ने अपने कमरे में न रख कर अपनी मां के पास रख दी थी.

पुलिस ने ऋषि, प्रतिभा, पवन और टिल्लू से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. 9 माह की राधिका अनाथ हो चुकी है. मां जेल में है और पिता की हत्या कर दी गई है. बूढ़ी दादी अब कैसे उसे पाल पाएगी, यह बड़ा सवाल है.

इस फोटो का इस घटना से कोई संबंध नहीं है, यह एक काल्पनिक फोटो है

प्रैगनेंट बुआ का कत्ल क्यों किया भतीजे ने

प्यार के नाम पर कमलजीत और अमिता ने रिश्तों को तारतार कर के जो संबंध बनाए थे, उन्हें घातक साबित होना ही था. इस मामले में अमिता तो जान से गई ही, कमलजीत को भी जेल जाना पड़ा. निर्णय क्या होगा, यह वक्त बताएगा.   

त्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के थाना रेहड़ के अंतर्गत एक गांव है लालबाग. गुरदास इसी गांव में अपने परिवार के साथ रहते थे. पतिपत्नी और 2 बच्चे, यही उन का छोटा सा घरसंसार था. खेतीबाड़ी काफी थी, जिस से उन के परिवार की गाड़ी बड़े आराम से चल रही थी. उन के यहां ऐशोआराम की हर चीज मौजूद थी. परिवार को खुश रखने के लिए वह कड़ी मेहनत करते थे. गुरदास के दोनों बच्चों में अमिता सब से बड़ी थी. वह पिता की आंखों का तारा थी तो बेटा बुढ़ापे की लाठी. अपने बच्चों पर वह बहुत गर्व करते थेबेटी के प्रति अटूट ममता को देख कर कभीकभी पत्नी सुखविंदर कौर पति से दिल्लगी कर बैठती थी कि बेटी तो पराई अमानत होती है. बेटी जब अपनी ससुराल चली जाएगी, तब उस के बिना कैसे रहोगे?

इस पर गुरदास पत्नी को टका सा जवाब दे देते, ‘‘तब की तब देखी जाएगी. नहीं होगा तो दामाद को घरजंवाई बना कर अपने पास रख लेंगे. तब तो मेरी बेटी मेरी आंखों के सामने रहेगी. आखिरकार दामाद भी तो बेटे जैसा होता है. जैसे मेरा एक बेटा वैसे दामाद दूसरा बेटा.’  पति का टका सा जवाब सुन कर सुखविंदर कौर खामोश हो जाती. 21 दिसंबर, 2017 की बात है. गुरदास किसी काम से सुबहसुबह ही निकल गए थे. सुबह के 9-10 बजे के करीब अमिता मां से कुछ देर में वापस लौट कर आने की बात कह कर कहीं चली गई. घर से निकलते वक्त उस ने मां को ये नहीं बताया कि वह कहां और किस काम से जा रही है. बस इतना ही कहा कि थोड़ी देर में वापस लौट आऊंगी. 

थोड़ी देर में लौट आने की बात कह कर घर से निकली अमिता को करीब 3 घंटे बीत गए थे. इतनी देर बाद भी वह घर नहीं लौटी थी. मां सुखविंदर कौर को चिंता सताने लगी कि थोड़ी देर में लौट कर आने को कह कर गई अमिता 3 घंटे बाद भी लौटी क्यों नहीं. सुखविंदर ने अमिता का मोबाइल नंबर मिलाया पर वह स्विच्ड औफ मिला. सुखविंदर ने कई बार फोन लगाने की कोशिश की लेकिन फोन हर बार बंद ही मिला. उस का फोन बारबार स्विच्ड औफ बता रहा था. इस से सुखविंदर अमिता को ले कर जहां चिंतित हो रही थी, वहीं दूसरी ओर उसे उस पर गुस्सा भी रहा था कि कम से कम घर पर फोन तो कर सकती थी. उस दिन अमिता स्कूल भी नहीं गई थी. स्कूल का बैग उस के कमरे की मेज पर वैसे ही पड़ा था, जैसे उसे रख कर गई थी.

अमिता का कुछ पता नहीं चला तो परेशान हो कर सुखविंदर ने पति को फोन कर के बेटी के वापस लौटने की सूचना दे दी. अमिता 17 साल की थी. उस के गायब होने से घर वालों की चिंता बढ़नी स्वाभाविक थी. पत्नी के मुंह से बेटी के गायब होने की खबर सुन कर गुरदास के हाथपांव फूल गए. वह बुरी तरह घबरा गए और कुछ ही देर में घर लौट आए. इधर सुखविंदर ने अपने बड़े बेटे गुलजार के बेटे यानी पोते कमलजीत को अमिता का पता लगाने के लिए गांव में भेजा. करीब एक घंटे में वह सारा गांव छान कर लौट आया लेकिन अमिता का कहीं पता नहीं लगा

धीरेधीरे दिन ढल रहा था. शाम हो गई लेकिन अमिता अब तक घर नहीं लौटी थी. बेटी के रहस्यमय तरीके से गायब होने से घर ही नहीं, गांव में भी कोहराम मच गया था. गुरदास और सुखविंदर का रोरो कर बुरा हाल था. वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. काफी सोचविचार करने के बाद गुरदास बेटी की गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए अपने पोते कमलजीत और गांव वालों के साथ रात 8 बजे थाना रेहड़ पहुंच गए. थानाप्रभारी सुभाष सिंह थाने में मौजूद थे. गुरदास ने थानाप्रभारी को अपनी 17 वर्षीय बेटी अमिता के गायब होने की बात बताई. उन्होंने अमिता की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद उन्हें घर भेज दिया.

अगले दिन यानी 22 दिसंबर, 2017 की सुबह थानाप्रभारी को मुखबिर ने सूचना दी कि जिम कार्बेट नैशनल पार्क बौर्डर के पास एक युवती की लाश पड़ी है. लाश पाए जाने की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ जिम कार्बेट नैशनल पार्क की तरफ रवाना हो गए. वहां पहुंच कर उन्होंने लाश का मुआयना किया तो ऐसा लगा जैसे युवती ने कोई जहरीला पदार्थ खा कर अपनी जान दी हो क्योंकि उस का पूरा शरीर नीला पड़ा हुआ था. ऐसा तभी होता है जब कोई जहरीले पदार्थ का सेवन करता है. इस के अलावा सरसरी तौर पर उस के शरीर पर चोट का भी कोई निशान नजर नहीं आ रहा था. देखने से युवती किसी भले घर की लग रही थी. तभी थानाप्रभारी को याद आया कि बीती रात लालबाग के रहने वाले गुरदास अपनी बेटी की गुमशुदगी लिखाने आए थे. उन्होंने अपनी बेटी का जो हुलिया बताया था, वह मृतका से काफी मेल खा रहा था.

लाश की शिनाख्त के लिए उन्होंने एक सिपाही को भेज कर गुरदास को साथ लाने को कहा. सिपाही के साथ गुरदास घर और गांव के कुछ लोगों के साथ मौके पर पहुंच गए. युवती की लाश देखते ही वे फफकफफक कर रोने लगे. उन्हें रोता देख पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि मृतका उन की ही बेटी है. थोड़ी देर बाद जब गुरदास शांत हुए तो पुलिस ने उन से अमिता द्वारा खुदकुशी किए जाने के बारे में सवाल पूछे कि आखिर अमिता के साथ ऐसा क्या हुआ था कि उस ने इतना बड़ा कदम उठाया. यह सुन कर गुरदास सकते में गए. वह खुद ही नहीं समझ पा रहे थे कि अमिता ने आत्महत्या क्यों की? इसलिए वह थानाप्रभारी के सवाल पर सुबकने लगे.

पुलिस ने उस समय गुरदास से ज्यादा पूछताछ कर के मौके की काररवाई निपटाई और लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. अब पुलिस की निगाह पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर कर टिक गई थी कि रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि अमिता की मृत्यु कैसे हुई? 2 दिनों बाद अमिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी गई. रिपोर्ट पढ़ कर थानाप्रभारी सुभाष सिंह चौंक गए. क्योंकि पोस्टमार्टम में बताया गया था कि अमिता 4 माह की गर्भवती थी और जहर खाने के साथसाथ किसी चौड़े दुपट्टे या शौल से उस का गला घोंटा गया था.  पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरी कहानी ही उलटपलट कर रख दी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद घटना शीशे की तरह साफ हो गई थी. पूरा मामला प्रेमप्रसंग का नजर आने लगा. अब पुलिस को इस में 2 ही वजह दिखाई देने लगीं. पहली तो यह कि या तो उस के प्रेमी ने छुटकारा पाने के लिए उस की हत्या कर दी थी या फिर उस के घर वालों ने सामाजिक लोकलाज के चलते हत्या कर के लाश ठिकाने लगा दी थी

यह मामला काफी पेचीदा हो गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद थानाप्रभारी ने गुरदास को थाने बुलवाया और उन से अमिता के प्रैगनेंट होने की बात बताई तो यह बात सुनते ही उन के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई. गुरदास को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि थानाप्रभारी ने जो उन से कहा है, वह सच है? वह तो यह सोचसोच कर हैरानपरेशान हो रहे थे कि जब लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे. फिर समाज में वह अपना मुंह कैसे दिखाएंगे? पुलिस ने उन से यह बात भी पूछी कि क्या अमिता का किसी से चक्कर चल रहा था? पर वह कुछ भी बताने में असमर्थ रहे. अमिता हत्याकांड की गुत्थी उलझ कर रह गई थी. धीरेधीरे 4 दिन बीत गए. कोई ऐसी कड़ी पुलिस के हाथ नहीं लग रही थी जिस से वह हत्यारों तक पहुंच पाती. पुलिस ने अमिता के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में भी कोई ऐसा संदिग्ध नंबर नहीं मिला, जिसे संदेह के घेरे में लिया जा सके.

गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने मुखबिर लगा दिए. इधर घर वाले भी इस बात से काफी परेशान रहने लगे कि आखिर अमिता के पेट में किस का बच्चा पल रहा था. उस का प्रेमी कौन था? पुलिस विवेचना कर रही थी तो उधर घर वाले भी अमिता के प्रेमी की जानकारी के लिए जुट गए. पता नहीं क्यों गुरदास का पोता कमलजीत कुछ परेशान सा रहने लगा था. उस के बातव्यवहार में भी अचानक से परिवर्तत गया था. बेटे की परेशानी देख उस के पिता गुलजार ने कमलजीत से बात की और पूछा कि आखिर वह इतना परेशान क्यों है? इस से पहले तो उसे इतना परेशान कभी नहीं देखा था. आखिर क्या बात हो सकती है, जो वह इतना परेशान है

उधर मुखबिर ने पुलिस को कमलजीत के संदिग्ध चरित्र के बारे में बता दिया था. मुखबिर ने पुलिस को यह भी बताया था कि घटना वाले दिन सुबह के समय कमलजीत को अमिता के साथ जिम कार्बेट नैशनल पार्क की तरफ जाते देखा गया था. मुखबिर की दी गई खबर पक्की थी. पुलिस ने इस की पड़ताल की तो बात सच निकली. सचमुच कमलजीत अमिता के साथ जिम कार्बेट नैशनल पार्क की तरफ जाते देखा गया था. इस के बाद पुलिस बिना समय गंवाए लालबाग पहुंच गई. कमलजीत घर पर ही मिल गया. वह घर छोड़ कर कहीं भागने की फिराक में था. पुलिस को देखते ही उस के मंसूबे पर पानी फिर गया. पुलिस ने कमलजीत को हिरासत में ले लिया और थाने लौट आई. थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सारी बातें बता दीं. उस ने कहा, ‘हां सर, मैं ने ही अपनी बुआ को मारा है. मैं करता भी क्या? मेरे पास अपने बचाव का कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा था. वह मुझ पर शादी करने के लिए दबाव बना रही थी. उस से छुटकारा पाने के लिए मजबूरन मुझे ये कदम उठाना पड़ा.’’ 

कमलजीत से पूछताछ के बाद अमिता की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह रिश्तों को तारतार करने वाली निकली. अमिता और कमलजीत एकदूसरे से रिश्तों के जिन पवित्र धागों से बंधे थे, वहां कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि बुआ और भतीजा यानी मांबेटे जैसे पवित्र रिश्ते की आड़ में समाज की मानमर्यादा को ताख पर रख कर इश्क के दरिया में डूबा जा सकता है. 22 वर्षीय कमलजीत गुरदास का एकलौता पौत्र था. गुरदास उसे बहुत प्यार करते थे. एक तरह से कमलजीत उन के दिल का टुकड़ा था. उन का संयुक्त परिवार था. एक ही छत के नीचे सारा परिवार हंसीखुशी से रहता था. उन की एकता की मिशाल की सारे गांव में चर्चा थी.

कमलजीत था तो दुबलापतला, लेकिन था बेहद फुरतीला और स्मार्ट. यही नहीं वह मजाकिया किस्म का भी था. बच्चों से ले कर बड़ेबूढ़ों के बीच बैठ अकसर वह गप्पें लड़ाया करता था. उस की गप्पें सुन कर सभी हंसतेहंसते लोटपोट हो जाया करते थे. अमिता, कमलजीत की सगी बुआ थी. उन के बीच 4-5 साल का अंतर था. अमिता 17 साल की थी तो वहीं कमलजीत 22 साल का था. अमिता बेहद खूबसूरत थी. कमलजीत मन ही मन अमिता को चाहने लगा. एक दिन की बात है. अमिता, आंगन में बैठी अधखुले तन से नहा रही थी. उस ने बरामदे के दरवाजे को ऐसे ही भिड़ा दिया था. अकसर वो ऐसे ही बेपरवाह हो कर नहाया करती थी. यह सोच कर उस पर सिटकनी नहीं चढ़ाई थी कि झट से नहा कर उठ जाएगी. वैसे भी उस वक्त घर के सारे पुरुष बाहर दरवाजे पर बैठे थे.

उसी समय कमलजीत अचानक किसी काम से आया और बरामदे का दरवाजा खोल कर धड़धड़ाता हुआ आंगन में दाखिल हो गया. अमिता उसे देख कर हड़बड़ा गई और गीले कपड़ों से जल्दीजल्दी अपने तन को ढकने की कोशिश करने लगी. तब तक कमलजीत की नजरें अमिता के बदन से टकरा चुकी थीं. उसे उस हालत में देख कर कमलजीत का मन बेचैन और बेकाबू हो गया. उस समय उस ने खुद पर जैसेतैसे काबू पाया, लेकिन इस के बाद से वह अमिता बुआ के जिस्म को पाने के लिए मचल उठा. अमिता को पाने के लिए उस ने धीरेधीरे उस के चारों तरफ इश्क का जाल बिछा कर प्यार का दाना डालना शुरू कर दिया. कमलजीत का प्यार तो एक छलावा था. उस का एकमात्र उद्देश्य जिस्म की भूख थी. इस के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था. अमिता अपने भतीजे कमलजीत के नापाक और घिनौने इरादों से एकदम अंजान थीं.

योजना के मुताबिक, अमिता के दिल में जगह बनाने के लिए कमलजीत उस के पास ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा. उस की छोटी से छोटी बातों का खयाल रखने लगाये देख कर अमित कमलजीत से काफी प्रभावित रहने लगी. कमलजीत जिस आशिकाना नजरों से उसे देखता था, अमिता को समझते देर नहीं लगी कि वह दीवानों वाला प्यार करने लगा है. अमिता उम्र के जिस दौर से गुजर रही थी, उस उम्र में अकसर लड़केलड़कियों के पांव फिसल जाया करते हैं. अमिता के भी पांव भतीजे के इश्क में फिसल गए. वह भी उसे उसी आशिकाना अंदाज से देखने लगी थी, जैसा कमलजीत उसे अपलक निहारता रहता था. धीरेधीरे दोनों में प्यार हो गया और मौका देख कर उन्होंने अपने प्यार का इजहार भी कर दिया.

चूंकि, अमिता और कमलजीत एक ही छत के नीचे रहते थे इसलिए घर के किसी भी सदस्य को उन के नापाक रिश्तों की भनक नहीं लगी और ही उन पर किसी ने कोई शक किया. उन्हें जो भी बातें करनी होती थीं घर वालों से नजरें बचा कर कर लेते थे. कमलजीत अमिता का पहलापहला प्यार था. वह उसे समुद्र की गहराइयों से भी ज्यादा चाहने लगी थी. प्यार में बंधे दोनों यह तक भूल गए कि उन के बीच रिश्ता क्या है? जब उन के प्यार का राजफाश होगा तो समाज के लोग उन के बारे में क्या सोचेंगे? उन की कितनी जगहंसाई होगी. इस का दोनों को तनिक भी खयाल नहीं हुआ. यह बात सन 2016 की है.

कमलजीत के प्यार का जादू अमिता के सिर चढ़ कर बोल रहा था. उसे कमलजीत के सिवाय कुछ नजर नहीं रहा था. कमलजीत भी इसी दिन के इंतजार में कब से बेताब बैठा था. अमिता भतीजे के बिछाए इश्क के जाल में अच्छी तरह से फंस चुकी थी. बेहद भोलीभाली और सीधीसादी अमिता लोमड़ी से भी अधिक चालाक और शातिर भतीजे कमलजीत के रचे चक्रव्यूह को समझ नहीं पाई और अपनी आबरू लुटा बैठी. प्यार के अंधे कुआं में डूबी अमिता कमलजीत के बांहों में गिरी. उन के बीच के सारे फासले, सारे रिश्ते पल भर में सिमट कर रह गए. दोनों एक जिस्मानी रिश्ते में समा गए. एक बार जो मिलन का खेल शुरू हुआ तो सिलसिला बन गया.

जिस का परिणाम यह हुआ कि अमिता के पांव भारी हो गए. जब उस के गर्भ में कमलजीत का 4 माह का पाप पांव पसारने लगा तो अमिता को अहसास हुआ कि वह कितनी बड़ी गलती कर बैठी थी. जब मांबाप इस हालात के लिए उस से पूछेंगे तो वह क्या जवाब देगी. ये सोचसोच कर उस की रातों की नींद और दिन का चैन लुट चुका था. हर घड़ी वह परेशानी की मौत मरती रही. उस की समझ में यह नहीं आ रहा था कि क्या करे? किसे अपने मन का हाल सुना कर जी हलका करे. जब कुछ समझ में नहीं आया तो उस ने कमलजीत से बात की कि वह उस के बच्चे की मां बनने वाली है. जल्द से जल्द कोई उपाय करे नहीं तो समाज में जीना मुश्किल हो जाएगा.

अमिता के मुंह से ये सुनते ही कमलजीत के होश उड़ गए. घबराहट के मारे पसीना छूटने लगा. उसे ऐसा लगा जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो. उस के सिर से अमिता के इश्क का सारा भूत उतर गया. उस ने अमिता को समझाया कि उसे सोचने के लिए थोड़ा मौका दे. जल्द से जल्द कोई कोई उपाय निकाल लेगा. उधर अमिता उस पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी. शादी का नाम सुन कर कमलजीत बुरी तरह घबरा गया. वह सोचने लगा कि लोग उस के बारे में क्या सोचेंगे की बुआभतीजे के रिश्ते को तारतार कर दिया. वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगा. कमलजीत ने शादी के लिए इनकार करते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि रिश्ते में हम बुआभतीजे लगते हैं. दुनिया क्या कहेगी? समाज हम पर थूकेगा.

इस पर अमिता ने कहा, ‘‘तुम ने उस समय यह बात क्यों नहीं सोची थी. अब मामला बिगड़ गया तो दुनियादारी याद आ रही है. मैं कुछ नहीं जानती. तुम्हें मुझ से शादी करनी ही होगी.’  काफी सोचनेविचारने के बाद कमलजीत ने कहा, ‘‘मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है. इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए हम दोनों खुदकुशी कर लेते हैं. तब तो हम पर कोई अंगुली नहीं उठाएगा.’’ कमलजीत का यह आइडिया अमिता को पसंद आ गया. इस के बाद दोनों ने सुसाइड करने का प्लान बना लिया. प्लान के मुताबिक कमलजीत 20 दिसंबर, 2017 को बाजार से एक घातक कीटनाशक दवा खरीद लाया. 

अगले दिन वह बहलाफुसला कर अमिता को घर से बाहर जिम कार्बेट नैशनल पार्क ले गया. दोनों को पार्क की ओर जाते हुए मोहल्ले के कई लोगों ने देखा था. पार्क पहुंच कर सामने मौत देख कर कमलजीत की रूह कांप उठी. उस ने मरने का अपना फैसला बदल दिया. बडे़ शातिराना अंदाज में उस ने अमिता से कहा, ‘‘तुम पहले जहर खा लो, फिर मैं खा लूंगा.’’ भतीजे की बातों पर यकीन कर के अमिता ने पहले जहर खा लिया. उस के बाद उस ने अपने प्रेमी कमलजीत से भी जहर खाने को कहा तो उस ने फिल्मी खलनायकों के अंदाज में हंसते हुए अमिता की तरफ घूर कर देखा और कहा, ‘‘मेरी प्यारी बुआ, तुम अभी भी मेरी फितरत को नहीं समझ पाई. तुम्हें पता नहीं कि तुम से पीछा छुड़ाने के लिए मैं ने यह कदम उठाया था. तुम तो मर जाओगी, लेकिन मैं… मैं अभी मरना नहीं चाहता.’’

जहर ने अमिता पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. अमिता का शरीर ढीला पड़ने लगा. तभी कमलजीत ने उस के गले में लिपटे दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया. अमिता कटे वृक्ष की तरह जमीन पर धड़ाम से जा गिरी. कमलजीत ने उसे हिलाडुला कर देखा. वह मर चुकी थी. उस के बाद कमलजीत लाश को वहीं ठिकाने लगा कर इत्मीनान से घर लौट आया. जिस चालाकी और सफाई से कमलजीत ने अपना काम किया था. उसे ऐसा लगा था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी. लेकिन अपराध कभी छिपता नहीं है. आखिरकार अपराधी को उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचना ही होता है. कमलजीत के साथ भी यही हुआ. उस से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

 — कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

इस फोटो का इस घटना से कोई संबंध नहीं है, यह एक काल्पनिक फोटो है

L01, 501 कोड में छिपी मर्डर मिस्ट्री

मुंबई में ट्रेन से कट कर सुसाइड करने वाले 24 वर्षीय वैभव बुरेंगलु की जेब से मिली परची पर एक कोड लिखा था. उस कोड की जांच की गई तो उस के पीछे छिपी एक 19 वर्षीय युवती वैष्णवी की ऐसी मर्डर मिस्ट्री सामने आई कि…

शाम का वक्त था. मुंबई के जुई नगर रेलवे स्टेशन पर काफी चहलपहल थी. ट्रेनें आतीं, रुकतीं और सवारियां उतरतींचढ़तीं फिर ट्रेन आगे बढ़ जाती. उसी क्रमानुसार जैसे ही रेलवे ट्रैक पर एक लोकल ट्रेन आती दिखाई दी, यात्रियों में हलचल बढ़ गई थी. उस वक्त अधिकांश यात्रियों की निगाहें आती टे्रन पर ही जमी हुई थीं. 

जैसे ही टे्रन प्लेटफार्म पर आ कर रुकी, यात्री उस में चढऩेउतरने के लिए आपाधापी करने लगे थे. तभी उसी भीड़ में से निकल कर एक युवक रेलवे ट्रैक की तरफ बढ़ गया था. जैसे ही ट्रेन प्लेटफार्म से आगे बढ़ी, उस युवक ने चलती टे्रन के आगे छलांग लगा दी. उस के बाद टे्रन आगे बढ़ गई. 

कुछ देर पहले तक जो युवक जिंदा था, अब रेलवे ट्रैक पर उस का शव ही पड़ा था. उस के बाद रेल के पायलट ने इस दुर्घटना की सूचना रेलवे स्टेशन अधिकारी गजेंद्र सिंह को दी.

थोड़ी देर बाद ही घटनास्थल पर रेलवे पुलिस पहुंची और अपनी काररवाई कर इस की सूचना जुई नगर थाने को दी. उस के तुरंत बाद ही वहां पर काफी संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई थी. लेकिन लोगों की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि युवक ने इस तरह रेल के आगे कूद कर आत्महत्या क्यों की थी. 

पुलिस ने उस युवक की तलाशी ली तो उस की जेब से कुछ पेपरों के साथ कुछ रुपए और एक मोबाइल फोन मिला. उन पेपरों से उस युवक की शिनाख्त भी हो गई थी. मृतक युवक का नाम वैभव बुरुंगले था और वह कलंबोली का रहने वाला था. 

रेलवे स्टेशन अधिकारी गजेंद्र सिंह ने तुरंत ही एक एंबुलेंस को बुलाया, फिर पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश को हौस्पिटल पहुंचाया. चूंकि युवक ने चलती टे्रन के आगे कूद कर आत्महत्या की थी, इसी कारण जीआरपी पुलिस ने वैभव बुरुंगले की मौत के मामले में आत्महत्या का केस दर्ज कर लिया था. यह बात 12 दिसंबर, 2023 की है.

 

पुलिस भी उलझ गई L01, 501 कोड में

मुंबई पुलिस ने उस युवक की जांचपड़ताल की तो उस की जेब से एक परची मिली, जिस पर डेथ डेट और डेथ कोड L01, 501 लिखा हुआ था. उस परची को देख कर पुलिस को लगा कि यह उस का कोई पर्सनल पेपर रहा होगा. उस के बावजूद भी पुलिस ने उस पेपर को संभाल कर रख लिया था. पुलिस ने उस के मोबाइल को औन करने की कोशिश की तो वह खुल गया. युवक ने अपने मोबाइल को आम लोगों की तरह लौक कर के नहीं रखा था. 

पुलिस ने उस मोबाइल से कुछ जानकारी जुटाने के लिए उस की फाइलों को खोल कर देखा तो उस में 2 पेज का एक सुसाइड नोट भी मिला. उस ने पहली 2 लाइनों में अंगरेजी में लिखा था, ÒVaibhav 1998, Vaishnavi 2005. Death reason, Finally we got married in 2023 and we both died accidentally together at the year of 2023. Saddest death ever in history I kill my love and then I finished myself.इस से यह तो साबित हो ही गया था कि यह किसी युवती को प्रेम करता था. युवक ने अपनी प्रेमिका की हत्या करने के बाद ही टे्रन के आगे कूद कर आत्महत्या की थी. लेकिन वह युवती कौन थी और उस ने उस की हत्या कहां पर की थी, यह पुलिस के लिए एक बहुत ही बड़ा सिरदर्द बन कर रह गया था. 

पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि इस मर्डर मिस्ट्री को किस तरह से हल किया जाए. पुलिस इस L01, 501 कोड वर्ड को ले कर कशमकश में उलझ गई.

उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि 12 दिसंबर, 2023 की शाम को ही खारघर थाने में अरुणा नाम की एक महिला ने अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अरुणा ने पुलिस को तहरीर देते हुए बताया था कि उस की बेटी वैष्णवी एसआईईएस कालेज की डेटा साइंस की छात्रा थी. वह 12 दिसंबर की सुबह 10 बजे सायन से निकली थी, लेकिन घर वापस नहीं लौटी. 

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने खारघर पहुंच कर उस की मां अरुणा से उस के बारे में अधिक जानकारी जुटाई. अरुणा से पूछताछ के दौरान जो जानकारी मिली थी, उस से यह तो पता चल गया था कि मृतक वैभव और गायब युवती वैष्णवी दोनों ही एक साथ पढ़ते थे. 

वैभव ने अपने सुसाइड नोट में उसी वैष्णवी का जिक्र किया था. उस के सुसाइड नोट से यह तो साफ हो गया था कि उस ने पहले वैष्णवी की हत्या की, फिर उस ने रेल के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी. लेकिन युवक ने अपनी प्रेमिका वैष्णवी की हत्या कहां पर की थी, उस सुसाइड नोट में कुछ भी नहीं लिखा था.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने खारघर, कलबोली और वाशी रूट तक हर जगह वैष्णवी को खंगाला. लेकिन कहीं भी वह न मिली. उस के बाद पुलिस ने स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला, लेकिन पुलिस को इस मामले में कोई भी सफलता नहीं मिली. पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हरसंभव स्थान पर लोगों से पूछताछ की, पर कहीं से भी कोई जानकारी नहीं मिली. 

वैभव ने आत्महत्या करने से पहले पुलिस के लिए एक कोड वर्ड छोड़ा था, जिस से यह तो तय था कि वैष्णवी के गायब होने में वही कारगर साबित हो सकता है. लेकिन काफी माथापच्ची करने के बाद भी पुलिस कुछ समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उस कोड वर्ड का मतलब क्या है. 

उसी दौरान पुलिस के सामने बौलीवुड फिल्म धमालका एक दृश्य दौडऩे लगा था. जिस में प्रेम चोपड़ा मरने से पहले गोवा में एक शब्द डब्लूके निशान के नीचे एक करोड़ रुपए के खजाने के दबे होने का जिक्र करता है.

 

 

प्रेम चोपड़ा ने उस फिल्म में एक डायलौग भी बोला था कि मरने वाला व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता. लेकिन उस फिल्म और इस केस में अंतर था. इस में वैभव ने जो कोड वर्ड दिया था, उस के नीचे वैष्णवी की लाश दबी हुई थी. वैभव के इस कोड को ले कर मुंबई पुलिस कई दिनों तक यूं ही इधरउधर भटकती रही. लेकिन इस कोड वर्ड की कहीं से भी जानकरी नहीं मिल सकी. 

पुलिस को पहले तो लगा कि कहीं युवक ने पुलिस को यूं ही घुमाने के लिए तो कोड वर्ड नहीं लिखा था. आशंका यह भी लग रही थी कि कहीं वैष्णवी जिंदा तो नहीं. मगर दूसरी ओर यह भी शंका थी कि वैष्णवी अगर जिंदा होती तो अब तक उसे अपने घर वापस आ जाना चाहिए था. 

जब मुंबई पुलिस इस मामले में हर तरफ से हार चुकी तो उस के सामने बड़ा सवाल आ खड़ा हुआ कि अखिरकार इतने घने पहाड़ों और जंगलों में वैष्णवी को कैसे खोजा जाए. उस के बाद भी पुलिस ने इस मामले में दमकल कर्मियों से ले कर डौग स्क्वायड, बीएमसी की सर्च टीम, प्राइवेट रेस्क्यू टीम, सिडको (सिटी ऐंड इंडस्ट्रियल डेलवपमेंट कारपोरेशन औफ महाराष्ट्र लिमिटेड) की टीम व पुलिस की सर्च टीम को वैष्णवी की खोज में लगाया, लेकिन कहीं से भी उस का अतापता नहीं चल सका. 

तब पुलिस ने खारघर की पहाड़ी और जंगलों में सर्च औपरेशन भी चलाया. वहां भी कोई सफलता नहीं मिली. मुंबई पुलिस ने इस मामले को ले कर कई बार अधिकारियों की मीटिंग भी की, लेकिन इस कोड का तोड़ किसी के पास नहीं निकला. 

पुलिस के लिए पहेली बन गया कोड वर्ड

उस के बाद नवी मुंबई पुलिस की एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट के सीनियर इंसपेक्टर अतुर अहेर के नेतृत्व में एक टीम ने इलाके के चप्पेचप्पे को छान मारा. शव की तलाश में हर जगह ड्रोन भी उड़ाए गए, लेकिन कहीं भी वैष्णवी के शव का पता नहीं लग सका. 

12 दिसंबर से वैष्णवी को ढूंढतेढूंढते पूरा एक महीना होने वाला था. इस मामले में पुलिस ने हर तरीका अपनाया, लेकिन हर तरफ से पुलिस का हाथ खाली निकला. यह मुंबई का पहला केस था, जिस के आगे पुलिस पूरी तरह से निराश हो रही थी. लेकिन नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर मिलिंद भारंबे ऐसे अधिकारी थे, जो इस केस से किसी भी तरह से हार मानने को तैयार नहीं थे. वह इस से पहले मुंबई में ही क्राइम ब्रांच में चीफ के तौर भी काम कर चुके थे. 

पुलिस कमिश्नर मिलिंद भारंबे ने इस केस को ले कर सभी पुलिस अधिकारियों को बुला कर एक मीटिंग की. उसी मीटिंग के दौरान कमिश्नर ने कुछ तेजतर्रार अधिकारियों को ले कर एक टास्क फोर्स बनाई, जिस का काम केवल इसी केस को देखना था. इस टास्क फोर्स की जिम्मेदारी क्राइम बांच के डीसीपी अमित काले को दी गई.

केस को सुलझाने के लिए टास्क फोर्स बनते ही सभी अधिकरियों को अलगअलग काम सौंप दिया था. उस के बाद टास्क फोर्स के सभी अधिकारियों ने संबंधित विभागों से मिलना शुरू किया, लेकिन किसी भी विभाग के पास इस कोड को ले कर कोई जानकारी नहीं थी. 

उस के बाद पुलिस कमिश्नर ने फिर से आदेश दिया कि यह मामला जंगल से जुड़ा है. इस क्षेत्र में दूरदूर तक जंगल और पहाड़ी ही हैं. वन विभाग वाले जंगल में हर जगह गश्त पर घूमते रहते हैं. शायद इस बारे में उन से कोई जानकारी मिल सके. 

इस आदेश के बाद टास्क फोर्स वन विभाग के अधिकारियों से मिली. टास्क फोर्स के सदस्यों ने उन से मिलते ही सारी जानकारी देने के बाद वह पेपर पर लिखा कोड दिखाया तो वहीं से इस केस का पुख्ता क्लू मिल गया. 

वन विभाग अधिकारियों ने कोड को देखते ही बताया कि यह तो जंगल में खड़े पेड़ों की गिनती का कोड नंबर है. यह सुनते ही टास्क फोर्स को लगा कि वह इस केस के बिलकुल ही नजदीक खड़े हैं. उस के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने अपने रजिस्टर निकाल कर उस नंबर की दिशा के हिसाब से जानकारी दी. साथ ही पुलिस टास्क फोर्स का साथ देते हुए वन विभाग अधिकारियों ने उस पेड़ की तलाश शुरू की.

पुलिस कोड वर्ड से पहुंची कंकाल तक

फारेस्ट डिपार्टमेंट के रिकौर्ड के अनुसार यह कोड खारघर से लगभग 6 किलोमीटर दूर कलंबोली इलाके में दिया गया था. उस के बाद टास्क फोर्स वन विभाग अधिकारियों के साथ उस पेड़ के पास पहुंची तो वहीं ग्राउंड की झाडिय़ों में वैष्णवी की लाश के नाम पर अस्थिपंजर ही पड़े मिले. उस के पूरे शरीर को जंगली जानवर खा चुके थे. 

उस के बाद वैष्णवी के घर वालों ने घटनास्थल पर पहुंच कर उस के कपड़ों, कलाई घड़ी और उस के आईडी कार्ड से ही उस की पहचान की थी. तभी पुलिस को दोनों की प्रेम कहानी का पता चला.

लापता वैष्णवी की लाश मिलते ही पुलिस ने राहत की सांस ली. लेकिन हकीकत यह थी कि इस केस ने पूरे पुलिस डिपार्टमेंट को हिला कर रख दिया था. इस सब से बड़े रहस्य की बात यह थी कि वैभव ने वैष्णवी को मारने के बाद भी आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया. उस के बाद फिर क्यों उस की लाश की मिस्ट्री के लिए वह कोड सुसाइड नोट में लिखा. 

वैभव वैष्णवी को बेइंतहा प्यार करता था. उस का प्रूफ पुलिस के हाथ उस के मोबाइल फोन से मिला था. उस ने उस की हत्या करने का काफी पहले ही आसान तरीका ढूंढा था. इस के लिए उस ने कई बार गूगल पर सर्च कर के तरीका भी खोजा.

वैभव के मोबाइल से पुलिस को एक जिप टैग मिला. गूगल में उस की तसवीर भी मिली. उसी के आधार पर उस ने एक जिप टैग खरीदा और उसी से गला दबा कर हत्या की थी. 

अपने सुसाइड नोट में वैभव ने लिखा कि वैष्णवी को ज्यादा तकलीफ न हो, इस के लिए उस का गला घोंटने से पहले उस ने जिप टैग को अपने गले पर आजमाया था. उस की हत्या करने के बाद उस ने लिखा था कि अगले जन्म में हम दोनों साथसाथ रहेंगे. दोनों की यह एक दर्दभरी प्रेम कहानी है.

नवी मुंबई के रायगढ़ (कोलाबा) जिले के अंतर्गत आता है कलंबोली. यह एक परिवहन केंद्र है, जो सायन पनवेल राजमार्ग पर स्थित है. इसी कलंबोली इलाके में रहते थे वैभव बुरेंगलु और वैष्णवी के परिवार. दोनों के परिवार पड़ोस में ही रहते थे. इसी कारण दोनों की पढ़ाई भी शुरू से एक साथ ही हुई थी. 

शुरू से ही दोनों एक साथ खेलेकूदे थे. वैभव बुरेंगलु को किसी वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही रोक देनी पड़ी. जबकि वैष्णवी उस वक्त 12वीं की छात्रा थी. पढ़ाई छोड़ देने के बावजूद वैभव उसे पहले की तरह ही प्यार करता था. यही हाल वैष्णवी का भी था. वह भी उस के बिना एक पल अकेली नहीं रहना चाहती थी. 

बढ़ती उम्र के साथ वैभव और वैष्णवी की दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया था. उस के साथ ही दोनों एकदूसरे के साथ शादी करने का फैसला भी कर चुके थे. लेकिन जैसे ही इस बात की जानकारी वैष्णवी के घर वालों को हुई तो उन्होंने वैष्णवी से वैभव के मिलनेजुलने पर पाबंदी लगा दी थी. क्योंकि उस के घर वाले इस रिश्ते से खुश नहीं थे. 

इस के बावजूद दोनों की मोहब्बत में कोई कमी नहीं आई थी. उस के बाद भी दोनों का प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि वे एकदूसरे के करीब आ गए और घर वालों से चोरीछिपे उन्होंने 2023 में शादी भी कर ली थी. उस के बाद 24 वर्षीय वैभव और 19 वर्षीय वैष्णवी रिलेशनशिप में रहने लगे थे.  

अब से कुछ समय पहले ही वैष्णवी को पता चला कि उस के घर वाले उस के लिए अलग ही रिश्ता ढूंढ रहे हैं. यह जानकारी मिलते ही उसे अपने घर वालों की सोच पर बहुत ही दुख हुआ. तब वैष्णवी ने अपनी मां अरुणा से साफसाफ कह दिया कि वह शादी करेगी तो वैभव के साथ ही करेगी. वह किसी दूसरे लड़के के साथ हरगिज नहीं करेगी. 

वैष्णवी की जिद के आगे अरुणा ने उसे समझाने की कोशिश की, ”बेटी, वे लोग हमारी जातिबिरादरी के नही हैं. जिस के कारण हमारे रिश्तेदार उस के साथ शादी करने के बाद हमारा जीना ही हराम कर देंगे. इसी कारण किसी भी कीमत पर तेरी शादी वैभव के साथ होनी संभव नहीं है.’’

वैभव को वैष्णवी पर क्यों हुआ शक

वैभव की शादी को ले कर उस के घर वालों की भी कुछ ऐसी ही सोच थी. वे भी वैष्णवी के दूसरी बिरादरी का होने के नाते उसे अपने घर की बहू बनाने के लिए राजी नहीं थे. वैभव ने उन्हें समझाने की काफी कोशिश की थी. जबकि उस के घर वालों को दोनों के संबंधों के बारे में काफी पहले से जानकारी थी. फिर भी वह उस की शादी अपनी जाति में ही करना चाहते थे. 

इस बात से वैभव बुरेंगलु काफी परेशान रहता था. लेकिन उस के बाद से वैष्णवी का व्यवहार उस के प्रति कुछ बदल सा गया था. वह उस से पहले की तरह प्यार के साथ बात नहीं कर रही थी. वैभव ने कई बार वैष्णवी से घर से भागने की बात कही. लेकिन वह उस की बातों को यूं ही हलके में ले कर हमेशा ही टाल देती थी. वैष्वणी का कहना था कि जब हमारी शादी तो हो ही चुकी है, फिर ऐसे में घर से भागने में क्या फायदा. एक न एक दिन जब दोनों के घर वालों को हमारी शादी की बात पता चलेगी तो वे मान ही जाएंगे. 

घर वालों के शादी के खिलाफ होने के बावजूद भी वैष्णवी के चेहरे पर चिंता के कोई भाव नहीं थे, जिस से वैभव को उस पर शक होने लगा था कि कहीं उस का किसी अन्य युवक के साथ तो चक्कर नहीं चल रहा. उस ने कई बार उसे किसी के साथ फोन पर बात करते भी देखा था. 

इस शक के पैदा होते ही वैभव ने इस बात की खोजबीन शुरू की तो पता चला कि वैष्णवी उस के अलावा भी एक अन्य लड़के से फोन पर बात करती है. उस लड़के का अकसर उस के साथ मिलनाजुलना भी होता था. 

उस की इस बेवफाई से वैभव अपनी जिंदगी से पूरी तरह से टूट चुका था. उसे वैष्णवी पर भी विश्वास नहीं हो रहा था. उस के बाद से ही उस ने अपने मोबाइल में एक सुसाइड नोट लिखना शुरू कर दिया था. 

वैभव ने एक नोट में लिखा कि अब हमारे मरने के बाद किसी को भी तकलीफ नहीं होगी. इस के लिए कोई जिम्मेदार नहीं. उस ने लिखा था कि वह वैष्णवी को बहुत प्यार करता था, वह उस से शादी कर अपनी दुनिया बसाना चाहता था. काफी समय से दोनों के बीच शारीरिक रिश्ते भी थे, लेकिन वैष्णवी ने ही मेरे साथ दगा की है. 

वैभव ने वैष्णवी के साथ बिताए अंतरंग पलों के वीडियो भी बना रखे थे. वैभव ने लिखा था कि वह चाहता था कि वैष्णवी की लाश किसी को न मिले. उस के लिए ही उस ने डेथ पौइंट को डेथ कोड के रूप में एक परची पर लिख कर अपनी जेब में डाल ली थी

उसे विश्वास था कि दोनों की मौत के बाद पुलिस एक न एक दिन तो उस की लाश को खोज ही लेगी. लेकिन वैष्णवी को उस के किए की सजा ऐसी मिलेगी कि कोई भी उस की लाश को पहचान भी नहीं पाएगा. 

सच में वैष्णवी की लाश की मिस्ट्री सुलझाने के लिए दिनरात एक करते हुए मुंबई पुलिस को पूरा एक महीना लग गया था. तब तक उस की लाश कंकाल में बदल चुकी थी. इस योजना को बनाने के बाद वह उसे मिलने के बहाने जंगल में ले गया और उस की वहां पर हत्या करने के बाद खुद भी ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी. 

कीवर्ड (लव क्राइम)

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एक्ट्रैस श्वेता तिवारी की बहन बिल्डिंग से कूदी या किसी ने फेंका

फिल्मनगरी मुंबई में कितने ही लड़केलड़कियां मन में रुपहले परदे पर आने का ख्वाब सजा कर आते हैं. ऐसे में फिल्मी लाइन से जुड़े किसी कलाकार का भाई या बहन कोशिश करे तो उसे थोड़ीबहुत सफलता मिल ही जाती है. श्वेता तिवारी की बहन अर्पिता के साथ भी यही हुआ, लेकिन…  

 

मायानगरी मुंबई के मलाड में 24 वर्षीय मशहूर टीवी एंकर, गायिका और अभिनेत्री अर्पिता तिवारी मीरा रोड स्थित एक फ्लैट में अकेली रहती थी. वह काफी बिंदास और जिंदादिल युवती थी और अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहती थी. अपने काम में किसी का हस्तक्षेप करना या उस पर बंदिश लगाना उसे पसंद नहीं था. वह खुले आसमान में आजाद पक्षियों की तरह उड़ना चाहती थी.

त्रिवेणीनाथ तिवारी की 3 बेटियों में से वह सब से छोटी थी. बिगबौस सीजन-4 की विजेता, टीवी एंकर और भोजपुरी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री श्वेता तिवारी उन की सब से बड़ी बेटी है. श्वेता तिवारी अपने पति अभिनव कोहली और 2 बेटियों के साथ रहती हैं. वहीं त्रिवेणीनाथ तिवारी पत्नी निर्मला और मंझली बेटी विनीता के साथ मुंबई के घोड़ाबांधा के सरस्वती अपार्टमेंट में रहते थे.

हाईसोसायटी और हाइफाइ लाइफस्टाइल में जीने वाली अर्पिता तिवारी ने 9 दिसंबर, 2017 की सुबह तकरीबन 11 बजे पिता त्रिवेणीनाथ तिवारी को फोन कर के बताया कि वह एक इवेंट के लिए एस्सेल टावर जा  रही है. वहां कुछ जरूरी काम है, काम निपटा कर वह शाम तक लौट आएगी. वैसे भी अर्पिता जब भी घर से कहीं बाहर जाती थी तो पिता को जरूर सूचित करती थी. उस दिन भी घर से निकलते समय उस ने उन्हें बता दिया था.

देर रात 11 बजे तक जब अर्पिता का फोन नहीं आया तो त्रिवेणीनाथ थोड़े चिंतित हुए. उन का मन नहीं माना तो बेटी को फोन किया. अर्पिता घर लौट आई थी, उस ने पिता का फोन रिसीव कर के बताया कि वह घर आ चुकी है और डिनर भी कर लिया है, अब सोने जा रही है. बेटी का हालचाल मिल जाने के बाद त्रिवेणीनाथ को तसल्ली हो गई तो वह भी पत्नी के साथ सोने के लिए चले गए.

अगले दिन यानी 10 दिसंबर, 2017 की सुबह करीब 9 बजे त्रिवेणीनाथ तिवारी की मंझली बेटी विनीता के फोन पर एक काल आई. उस समय विनीता अपने औफिस में थी. फोन की स्क्रीन पर डिसप्ले हो रहे नंबर को देखा तो वह पहचान गई कि वह वह काल छोटी बहन अर्पिता के बौयफ्रैंड पंकज जाधव की है. विनीता ने काल रिसीव की तो पंकज ने उस से पूछा, ‘‘अर्पिता घर पर है?’’

यह सुन कर विनीता चौंक गई. उसे बड़ा अटपटा लगा कि वह यह बात क्यों पूछ रहा है. उस ने कहा, ‘‘वह घर पर है या नहीं, मुझे नहीं पता. लेकिन मैं पापा से पूछ कर अभी बताती हूं.’’

आधे घंटे बाद फिर पंकज का फोन आया. विनीता काल रिसीव करते हुए बोली, ‘‘सौरी पंकज, काम में बिजी थी. पापा से बात नहीं कर पाई. तुम कुछ टाइम दो, मैं अभी पापा से बात करती हूं.’’

‘‘रहने दो, अब इस की जरूरत नहीं है.’’ पंकज जाधव बोला.

‘‘क्या मतलब, तुम्हें अर्पिता की खबर मिल गई?’’ विनीता ने पूछा.

‘‘हां, मुझे खबर मिल गई है.’’ पंकज जाधव मायूस से स्वर में बोला.

‘‘क्या बात है पंकज, आज तुम्हारी जुबान कैसे लड़खड़ा रही है?’’

‘‘बात ही कुछ ऐसी है विनीता, तुम भी सुनोगी तो चक्कर खा जाओगी.’’

‘‘पहेलियां मत बुझाओ पंकज, सीधेसीधे बताओ कि तुम कहना क्या चाहते हो?’’

‘‘विनीता, एक बुरी खबर है.’’

‘‘बुरी खबर है…’’ विनीता घबरा गई, ‘‘कैसी बुरी खबर? जल्दी बताओ, ये मजाक का समय नहीं है.’’

  ‘‘अर्पिता अब इस दुनिया में नहीं रही. उस ने 15वीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली है.’’

‘‘क्या बकवास कर रहे हो तुम, होश में भी हो, इस तरह की बात कर रहे हो. कहीं तुम ने सुबहसुबह चढ़ा तो नहीं ली?’’ विनीता घबराते हुए बोली.

‘‘मैं नशे में नहीं, पूरे होश में हूं.’’ पंकज जाधव ने सफाई देते हुए कहा, ‘‘विनीता, मैं सच बोल रहा हूं, अर्पिता ने बिल्डिंग से कूद कर जान दे दी है.’’

‘‘ये सब कब और कैसे हुआ?’’ विनीता ने खुद को संभालते हुए सवाल किया.

‘‘मलाड की मानवस्थल बिल्डिंग से…’’

इस के बाद पंकज जाधव पूरी कहानी बताता चला गया.

 

अर्पिता की मौत ने तिवारी परिवार को हिला दिया

 

बहन की मौत की सूचना पा कर विनीता का माथा घूम गया. उस के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे. थोड़ी देर बाद जब उस ने खुद को संभाला तो पिता के पास फोन करने के बजाए बड़ी बहन श्वेता तिवारी को फोन किया. उस ने उसे पूरी बात बता दी. विनीता ने पिता को अर्पिता की मौत की खबर इसलिए नहीं दी क्योंकि वह कुछ दिनों पहले ही पथरी का औपरेशन करवा कर अस्पताल से लौटे थे. श्वेता ने जब बहन की मौत की खबर सुनी तो वह भी सन्न रह गई.

विनीता श्वेता से मौके पर पहुंचने की बात कहते हुए औफिस से मलाड स्थित मानवस्थल के लिए रवाना हो गई. तब तक अर्पिता की मौत की सूचना मालवणी थाने को मिल चुकी थी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी दीपक देशराज टीम के साथ मौके पर पहुंच चुके थे. डीसीपी जोन-11 विक्रम देशमाने भी वहां पहुंच गए. अर्पिता की लाश बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर एसी डक्ट पर अर्द्धनग्न अवस्था में पड़ी मिली.

अर्पिता कोई छोटीमोटी हस्ती नहीं थी. ग्लैमर की दुनिया का एक बेहतरीन नगीना थी वह. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उस ने जी तोड़ मेहनत की थी. जीवन के सपनों को हकीकत में लाने के लिए उस ने दिनरात मेहनत की थी, तब कहीं जा कर वह टीवी एंकर, गायिका और हीरोइन बनी थी. उस की मौत की खबर पूरे बौलीवुड में फैल गई.

अर्पिता की मौत की सूचना मिलते ही बौलीवुड के तमाम कलाकार मौके पर पहुंच चुके थे. विनीता के अलावा श्वेता भी अपने पति अभिनव कोहली के साथ मौके पर पहुंच चुकी थीं. पुलिस अपने काम में जुटी थी. लाश की अवस्था देख कर यही अनुमान लगाया जा रहा था कि अर्पिता के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसे ऊपर से फेंक दिया गया होगा. लेकिन शव नीचे आने के बजाय दूसरी मंजिल पर एसी डक्ट पर आ गिरा. पुलिस ने अनुमान लगाया कि निश्चय ही इस घटना को अंजाम देने में एक से अधिक लोग शामिल रहे होंगे.

कागजी खानापूर्ति पूरी कर के पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. श्वेता और विनीता दोनों बहनों ने साफसाफ कहा कि अर्पिता खुदकुशी नहीं कर सकती. वह बेहद जिंदादिल इंसान थी. अपने सपनों के साथ जीती थी. सपनों को हासिल करने के लिए जीतोड़ संघर्ष करती थी. उस का मर्डर हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि अर्पिता के प्रेमी पंकज जाधव का उस की हत्या में हाथ संभव है.

अर्पिता की मौत की खबर दोनों बहनें अपने पिता से भला कब तक छिपा कर रख सकती थीं. यह बात आखिर उन्हें पता लगनी ही थी, इसलिए उन्होंने पिता को भी यह सूचना दे दी. त्रिवेणीनाथ ने जैसे ही यह खबर सुनी, वे धम्म से बिस्तर पर जा गिरे. निर्मला देवी भी बेसुध हो कर बैठ गईं.

 

त्रिवेणीनाथ की समझ में यह नहीं आ रहा था कि जब देर रात 11 बजे अर्पिता से उन की बात हुई थी तो उस समय उस ने खुद को अपने फ्लैट में मौजूद होने की बात कही थी. फिर वह कब और कैसे मानवस्थल बिल्डिंग पहुंच गई. यह बात उन्हें परेशान कर रही थी.

उन्होंने यह सच्चाई जब बेटियों को बताई तो वे चौंके बिना नहीं रह पाईं. वाकई मामला पेचीदा और रहस्यमय बन गया था. जिस मंजिल पर अर्पिता की लाश मिली थी, उसी मंजिल पर उस के प्रेमी पंकज जाधव का फ्लैट था. इन दिनों अर्पिता और पंकज के बीच प्रेम संबंधों को ले कर विवाद चल रहा था.

श्वेता तिवारी का आरोप

 

अर्पिता पंकज से शादी करना चाहती थी, जबकि पंकज इस के लिए तैयार नहीं था. पिछले 8 सालों तक दोनों के बीच चले आ रहे प्रेम संबंध टूटने के कगार पर पहुंच चुके थे.

श्वेता तिवारी ने आरोप लगाया कि पंकज और अर्पिता के बीच अकसर लड़ाई होती रहती थी और दोनों जल्द ही अलग होना चाहते थे. अर्पिता की मौत किसी घटना का परिणाम है. यह न तो सुसाइड है और न ही एक्सीडेंट. यह सुनियोजित तरीके से रेप और मर्डर का मामला है. उस ने मांग की कि इस घटना में हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.

पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक कुछ भी कहने से बचने की कोशिश करती रही. 12 दिसंबर को अर्पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई. रिपोर्ट ने उस की मौत को और रहस्यमय बना दिया था. एक ओर जहां परिवार वाले रेप के बाद हत्या का आरोप लगा रहे थे, वहीं अर्पिता की मौत के मामले में आई प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सभी को चौंका कर रख दिया.

रिपोर्ट के मुताबिक, उस के साथ किसी तरह की जोरजबरदस्ती नहीं की गई थी. लेकिन मौत की वजह मल्टीपल इंजरी बताई गई. ये इंजरी या तो कूदने की वजह से या फिर ऊपर से नीचे फेंकने की वजह से आई थीं. अर्पिता के सिर और शरीर के कई हिस्सों में चोट के गहरे निशान थे. यही नहीं, उस के खून में अल्कोहल की मात्रा भी पाई गई.

  थानाप्रभारी इंसपेक्टर दीपक देशराज ने घटना की जांच शुरू की. घटनास्थल पर पहुंच कर उन्होंने बिल्डिंग के चौकीदार से पूछताछ की. चौकीदार ने उन्हें एक चौंकाने वाली जानकारी दी. उस ने बताया कि 9 दिसंबर की रात साढ़े 11 बजे के करीब अर्पिता अपने प्रेमी पंकज जाधव के साथ उस के फ्लैट पर आई थी. दोनों बहुत खुश थे. कमरे में जाते ही दोनों झगड़ने लगे. दोनों के बीच हाथापाई भी हुई थी. उस के बाद उन्होंने भीतर से दरवाजा बंद कर लिया. फिर क्या हुआ, कुछ पता नहीं चला.

 

पार्टी में क्या हुआ कि अर्पिता को मौत के मुंह में जाना पड़ा

 

पुलिसिया जांच पड़ताल में पता चला कि उसी रात पंकज जाधव के दोस्त और 3डी डिजाइनर अमित हाजरा, जोकि मानवस्थल बिल्डिंग में 15वीं मंजिल पर रहता है, ने अपने फ्लैट में एक पार्टी रखी थी. उस पार्टी में अर्पिता तिवारी, पंकज जाधव के अलावा अमित का पेइंगगेस्ट मनीष, उस का साथी श्रवण सिंह और कृष्णा मौजूद थे.

  पार्टी भोर के 4 बजे तक चली थी. पार्टी में सभी ने जम कर ड्रिंक की थी. 4 बजे के बाद सभी सोने के लिए चले गए. पंकज जाधव, अर्पिता और अमित हाजरा हाल में जा कर सो गए, बाकी के 2 मनीष और कृष्णा कमरे में सोने चले गए. सुबह 9 बजे जब आंखें खुलीं तो वहां अर्पिता नहीं थी. खोजबीन करने पर उसी बिल्डिंग के दूसरी मंजिल पर उस की लाश डक्ट पर झूलती हुई मिली.

 

पुलिस ने कमरे की तलाशी ली तो कमरे में महंगी शराब की कई खाली बोतलें मिलीं. जांचपड़ताल से पता चला कि अर्पिता की मौत वाशरूम की खिड़की से गिरने से हुई थी. पुलिस ने जब वाशरूम का दरवाजा खोला तो वह भीतर से बंद था. फिर इस से अनुमान लगाया गया कि अर्पिता ने आत्महत्या के लिए वाशरूम की खिड़की तोड़ कर छलांग लगाई होगी. पुलिस वाशरूम का दरवाजा तोड़ कर भीतर दाखिल हुई. खिड़की के कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे, अब तक की परिस्थितियां आत्महत्या की ओर इशारा कर रही थीं.

जहां पुलिस अभिनेत्री अर्पिता तिवारी की मौत को एक हादसा मान कर चल रही थी, वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद उस का नजरिया बदल गया. रिपोर्ट में मल्टीपल इंजरी यानी शरीर पर लगी जगहजगह चोट किसी और तरफ इशारा कर रही थी. यानी अर्पिता की मौत एक हादसा नहीं, बल्कि हत्या थी.

 

श्वेता जैसी बनना चाहती थी अर्पिता

 

त्रिवेणीनाथ तिवारी की तहरीर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मालवणी पुलिस ने मृतका के प्रेमी पंकज जाधव सहित 5 आरोपियों अमित हाजरा, श्रवण सिंह, मनीष जायसवाल और कृष्णा के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

जैसेजैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ती गई, वैसेवैसे अर्पिता की मौत का राज भी गहराता गया. पुलिस ने पांचों आरोपियों पंकज, अमित, श्रवण, मनीष और कृष्णा को थाने बुला कर उन से पूछताछ की.

एंकर अर्पिता तिवारी की रहस्यमयी मौत को तकरीबन एक महीना होने जा रहा था, लेकिन अभी तक मौत की वजह को ले कर पुलिस के हाथ खाली थे. इस गुत्थी को सुलझाने के लिए मुंबई पुलिस ने वारदात के दौरान अर्पिता के साथ मौजूद रहे पांचों लोगों का कलिना स्थित डाइरेक्टोरेट औफ फोरैंसिक साइंस लेबोरेटरी (डीएफएसएल) में लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया. डीएफएसएल स्टाफ ने पौलीग्राफी टेस्ट करने से पहले जांच करने वाले पुलिस अधिकारी से भी पूछताछ की.

5 लोग जिन में एक कुक भी था, उन्हें मालवणी पुलिस स्टेशन में बुला कर रोज पूछताछ की जा रही थी, लेकिन पुलिस पांचों आरोपियों द्वारा दिए गए बयानों की कडि़यों को मिलाने में नाकाम रही.

पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच की तो जो जानकारी सामने निकल कर आई, वह काफी दिलचस्प निकली.

24 वर्षीया अर्पिता त्रिवेणीनाथ तिवारी की 3 बेटियों में सब से छोटी और चुलबुली थी. तिवारीजी मूलत: झारखंड के जमशेदपुर जिले के रहने वाले थे. कालांतर में वे मुंबई में आ कर बस गए थे और घोड़ाबाधा के सरस्वती अपार्टमेंट में परिवार सहित रहने लगे थे.

बड़ी बेटी श्वेता तिवारी ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा तो उन की किस्मत के सितारे चमक उठे. एंकरिंग से कैरियर शुरू करने वाली श्वेता तिवारी ने कई धारावाहिकों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया. इस के बाद उन्होंने भोजपुरी फिल्मों में भी अभिनय कर के सफलता हासिल की.

 

बड़ी बहन की कामयाबी देख कर बचपन से ही अर्पिता के मन में भी फिल्मी दुनिया में जाने का शौक था. वह भी रुपहले परदे पर चमकते सितारों की तरह खुद दिखने के सपने देखने लगी थी. तब वह छोटी थी और जमशेदपुर के हिलटौप स्कूल में पढ़ती थी. पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मुंबई में पिता के पास आ कर रहने लगी, जिस के बाद उस ने इवेंट मैनेजमेंट का कोर्स किया और एक्टिंग भी सीखी.

 

इसी दौर में उसे टेलीविजन पर एंकरिंग करने का मौका मिल गया. यहीं से उस के कैरियर की शुरुआत हुई. कैरियर के पहले पायदान पर कदम रखते ही उस की किस्मत के सितारे बुलंद होते गए. धीरेधीरे अर्पिता आगे बढ़ती गई. उस ने ऐंकरिंग से मौडलिंग और मौडलिंग से फिल्मी दुनिया में पांव जमाए. सफलता उस के कदम चूमती गई. अपनी मेहनत से उस ने करोड़ों रुपए कमाए थे.

बात उन दिनों की है जब अर्पिता 16-17 साल की रही होगी. तब उस के जीवन में पंकज जाधव ने कदम रखा. अर्पिता ने उसे अपने दिल में बसा लिया. दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे. पंकज जाधव उस के पड़ोस में ही रहता था. वह बेहद खूबसूरत और कसरती बदन का लड़का था.

श्वेता तिवारी ने बताया कि अर्पिता एक कामयाब लड़की थी. लाखों कमा रही थी. जबकि पंकज जाधव बेरोजगार था. वहअपनी कमाई से पंकज को जेबखर्च देती थी.

 

प्रेम संबंधों का खेल बना मूल कारण

 

धीरेधीरे अर्पिता के मांबाप और बहनों को उस के प्रेमसंबंधों के बारे में पता चल गया था. आधुनिक खयालातों के त्रिवेणीनाथ तिवारी ने बेटी को अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया था. उन्हें उस पर पूरा भरोसा था कि वह जीवन में कोई ऐसा गलत कदम नहीं उठाएगी, जिस से घर वालों को शर्मिंदगी उठानी पड़े.

बाद के दिनों में अर्पिता ने मीरा रोड पर एक फ्लैट ले लिया. पंकज जाधव ने भी मलाड कच्चा रोड स्थित मानवस्थल बिल्डिंग में एक फ्लैट ले लिया था. दोनों अपने परिवारों से अलग अपनेअपने फ्लैट में रहते थे. अर्पिता के इस फैसले से न तो त्रिवेणीनाथ तिवारी को आपत्ति हुई और न ही किसी और को. बल्कि घर वाले उस के फैसले से खुश थे.

 

धीरेधीरे अर्पिता और पंकज जाधव के रिलेशनशिप को 8 साल बीत चुके थे. पंकज जाधव जहां 8 साल पहले खड़ा था, आज भी वहीं था. उस के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आया था. वह अर्पिता की कमाई पर ऐश कर रहा था.

अर्पिता पंकज पर शादी के लिए दबाव बना रही थी, जबकि वह शादी के लिए तैयार नहीं था. इन्हीं बातों को ले कर अकसर दोनों में झगड़ा भी हो जाता था. रोजरोज के झगड़े से अर्पिता ऊब चुकी थी. उस ने पंकज से अपने संबंधों को तोड़ने का फैसला कर लिया था.

 

दोस्ती या प्यार पंकज जाधव से नहीं अमित हाजरा से था

 

इस बीच दोनों के बीच एक नई कहानी ने जन्म ले लिया. इस कहानी में अर्पिता को चाहने वाला एक और प्रेमी आ गया जो अर्पिता को पंकज जाधव से कहीं ज्यादा प्यार करता था. वह कोई और नहीं, पंकज जाधव का दोस्त अमित हाजरा था. जिस बिल्डिंग में पंकज जाधव रहता था, उसी की 15वीं मंजिल पर अमित भी रहता था. पंकज के माध्यम से ही अमित का परिचय अर्पिता से हुआ था. बाद में मिलनसार अर्पिता से जल्द ही उस की दोस्ती हो गई.

अर्पिता और पंकज जाधव के रिश्ते टूटने और अलग हो जाने के बाद अमित की अर्पिता से ज्यादा नजदीकी हो गई. उस ने अर्पिता की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. अर्पिता अमित की मंशा समझ गई थी. वह उस की ओर ध्यान देने के बजाय पंकज से संबंध सुधारने की कोशिश करने लगी. लेकिन पंकज अपनी आदतों में सुधार लाने को तैयार नहीं था.

घटना से करीब 4 दिन पहले अर्पिता और अमित हाजरा के बीच फेसबुक पर लंबी बातचीत हुई थी. अमित अर्पिता से संबंध बनाने के लिए उस पर दबाव बना रहा था. इस बात को ले कर दोनों के बीच खासा विवाद हुआ था. उस ने अर्पिता को देख लेने की धमकी तक दे डाली थी, लेकिन अर्पिता ने यह बात अपने तक ही सीमित रखी. घर में किसी को नहीं बताई.

बहरहाल, अब लौट कर क्राइम सीन पर आते हैं. एक महीने की जांचपड़ताल के बाद पार्टी में मौजूद रहे अमित के नौकर ने पुलिस के सामने चौंका देने वाला बड़ा खुलासा किया. उस ने उस रात अमित हाजरा को अर्पिता के कपड़े खोलते हुए देखा था. उस ने बताया कि 10 दिसंबर की सुबह करीब साढे़ 5 बजे उस की नींद खुली. उस ने देखा कि अमित अर्पिता के बेहद करीब सो रहा था. जबकि जब वे सोने गए थे तो तीनों अलगअलग सो रहे थे.

 

नौकर ने सब को चौंका दिया बयान दे कर

 

नौकर के मुताबिक उस ने उस दिन औरों के मुकाबले कम शराब पी थी, इसलिए उस की आंखें सुबह जल्दी खुल गईं. जब उस की आंखें खुलीं तो उस ने देखा कि अर्पिता के बगल में सोया अमित उस के कपड़े हटा रहा था. नौकर को जगा देख कर वह आंख बंद कर लेट गया. नौकर को लगा कि यह सब अर्पिता की मरजी से हो रहा है, इसलिए वह चुपचाप वहां से चला गया.

नौकर के बयान ने पुलिस को बुरी तरह उलझा दिया था. हालांकि जिस हालत में अर्पिता की लाश बरामद की गई थी, उसे देख कर यही लग रहा था कि उस के साथ दुष्कर्म किया गया होगा. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सब का भ्रम तोड़ दिया. रिपोर्ट में अर्पिता के साथ कोई जोरजबरदस्ती वाली बात नहीं बताई. उस के बाद अर्पिता की मौत की गुत्थी उलझ कर रह गई. पुलिस अब भी उलझी हुई गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई थी.

अर्पिता की मौत के बाद सभी दोस्तों ने बयान दिए थे कि अर्पिता ने खुदकुशी की है. मगर बाद में पुलिस ने इसे हत्या बताया था और अब चारों दोस्तों में से एक अमित हाजरा को 15 जनवरी, 2018 को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि जांच का दायरा बड़ा होने की बात कह कर पुलिस हत्या का मकसद अभी नहीं बता रही है.

 

पुलिस के मुताबिक अमित ने अलगअलग बयान बदले. पुलिस को दिए गए बयान और पौलीग्राफी टेस्ट में दिए गए बयान में अंतर पाया गया. पुलिस को शक है कि अमित हाजरा इस हत्याकांड में पुलिस को गुमराह कर रहा है. बस इसी आधार पर अमित हाजरा को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस ने पंकज जाधव को क्लीन चिट नहीं दी है. वह भी संदेह के दायरे में है. सबूत मिलने पर पंकज जाधव को भी गिरफ्तारी होगी. सूत्रों की मानें तो अमित हाजरा के बयान से पुलिस को कुछ ऐसे सबूत मिले हैं, जिस से हत्या में शामिल होने की पुष्टि होती है.

कथा लिखे जाने तक अमित हाजरा के वकील बी. हैटकर ने 8 फरवरी, 2018 को सेशन कोर्ट में उस की जमानत की अरजी दाखिल की, जो अदालत ने खारिज कर दी.

अमित अभी भी जेल में बंद है. बाकी के आरोपियों की जांच चल रही थी. पुलिस इस बात की पड़ताल कर रही थी कि अर्पिता हत्याकांड में इन की भूमिका क्या है. फिलहाल कथा लिखे जाने तक पुलिस मौत की उलझी गुत्थी सुलझाने में जुटी हुई थी.